Raja thakur
King
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बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है दोनो की सुहागरात का चित्रण बहुत ही शानदार तरीके से किया हैअपडेट 26
रांझा और नंदिनी रत्ना को लेकर रत्ना के लिए बने नए रंग महल के कक्ष में ले जाती हैं जहां आज राजा विक्रम और नंदिनी सुहागरात मना कर जीवन की नई शुरुआत करने वाले थे। आज रत्ना के महल को खास तरीके से सजाया गया था और चारो तरफ इत्र की खुशबू बिखेरी गई थीं। दोनों रत्ना को कक्ष में ले जाकर शैय्या पर बिठाती हैं और नंदिनी रत्ना से कहती हैं
भाभी, कपड़े बदलने हो तो बदल लो ।
इस पर रत्ना ना कहते हुए सिर हिलाती है। Tan नंदिनी कहती है।
हां भई, कपड़े क्यों बदलें, आखिर अभी सारे कपड़े उतारने ही तो हैं
ऐसा कह कर नंदिनी ठहाके लगा कर हस देती है।
इस पर रत्ना शरमा जाती है, लेकिन उसे ये बात अच्छी भी लगती है की वह कुछ देर में नंगी होने वाली है।
इस पर रांझा कहती है
आप भी न राजकुमारी बहुत मजाक करती है। हां ठीक है इन्हें भी पता है की थोड़ी देर में ये नंगी होने वाली हैं, लेकिन नई नवेली दुल्हन के सामने ऐसा नहीं बोलना चाहिए।
और ये कह कर रांझा भी हस देती हैं
इस पर रत्ना और ज्यादा लजा कर सिर झुका लेती है, लेकिन ये हसी ठिठोली उसे उत्तेजित कर रही थी। तभी रत्ना कहती है
आपलोग कुछ भी कहती हैं। ऐसा कुछ नहीं होने वाला
और ऐसा कह कर मुस्कुरा देती हैं
तभी रांझा कहती है
वो तो हमलोग कल देखेंगे ही रानी
फिर नंदिनी और रांझा कक्ष से निकल पड़ती हैं
इधर राजा विक्रम वाह्य कक्ष में बैठ कर इधर कुछ दिनों से इनकी जिन्दगी में आए परिवर्तन के बारे में सोच रहे थे कि जो चीजें उन्हें असम्भव लगती थीं, वो इधर कुछ दिनों में उनकी जिंदगी में घटित हो चुका था। विक्रम मन ही मन अपनी माता देवकी को चाहता था, उसे पूरी मादरजात नंगी देखना चाहता था। वह ये जानता था कि यह असंभव है, लेकिन वो भी संभव हो चुका था । उसने ना केवल अपनी मा को पूरी नंगी देखा, बल्कि उसकी चूदाई भी की। फिर वह अपनी दीदी नंदिनी को भी याद करता है की कैसे उसने और नंदिनी ने एक दूसरे की जवानी की प्यास बुझाई है।
राजा विक्रम ये सब सोचते रहते हैं, तभी नंदिनी और रांझा वहां आकर कहती हैं
नंदिनी,,, किस सोच में डूबे हैं भ्राता
विक्रम,,,, कुछ नहीं, बस ऐसे ही
नंदिनी,,, तब चलिए महाराज, आपकी नई नवेली दुल्हन कक्ष में आपका इंतजार कर रही हैं
विक्रम उठते हैं, तो नंदिनी उनसे नेग मांगती है जिस पर राजा विक्रम कहते हैं सब कुछ तो आपका ही है दीदी।
लेकिन राजा हीरो से जड़ा हार नंदिनी को देते हैं जिस पर नंदिनी कहती है
ऐसे हाथ में कौन अपनी दीदी को हार देता है
तो राजा विक्रम कहते हैं
तब पहना दूं क्या
इस पर रांझा कहती है
और नहीं तो क्या
तब राजा विक्रम अपनी दीदी को वह हर पहना देते हैं जिस पर नंदिनी विक्रम को गले लगा लेती है
इस पर रांझा की आंखों में जाने क्यों आंसू आ जाते हैं और वह दोनों के प्रेम को देख कर अहलादित हो जाती है।
तभी नंदिनी कहती है
और धाय मां का नेग ?
इस पर राजा विक्रम एक मोतियों की माला निकलते हैं तो नंदिनी कहती हैं
इन्हें भी गले में पहनाओं
इस पर राजा विक्रम रांझा के गले में माला पहना देते हैं और उसके पैर छूने के लिए झुकते हैं जिस पर रांझा उन्हें पकड़ कर गले लगा लेती है और उन्हें जकड़ लेती है। इस पर राजा विक्रम भी रांझा को आगोश में ले लेते हैं। ये देख कर रांझा की आंखों से खुशी के आंसू निकल जाते हैं और वह कहती है
आपलोगो ने इस दासी को इतना सम्मान दिया है, इसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी
इस पर नंदिनी भी आकर उन दोनों के गले लग जाती है और कहती है
ऐसा न सोचे धाय मां, आपने हमें बचपन से पाला है। आप इस सम्मान की पूरी हकदार है।
फिर तीनों अलग होते हैं और रांझा वही आसन पर बैठ जाती है और नंदिनी राजा विक्रम को पकड़ कर रत्ना के कक्ष की ओर ले जाती है और कहती है
विक्रम, तुम्हारे मन में तो लडडू फूट रहे होगे, क्यों है न। रत्ना जो इंतजार कर रही है तुम्हरा। मिलन के लिए तो तुम दोनो बेचैन हो रहे होगे। और आखिर हो भी क्यों ना। आज तुम दोनो की सुहागरात जो है, बिना किसी डर के यौन सम्बंध बनाने की रात।
इतना कहकर नंदिनी मुस्कुरा देती है और इस पर राजा विक्रम शरमा जाते हैं और कहते हैं
दीदी तुम तो जानती ही हो , मेरा पहला प्यार , पहली पत्नी तुम ही हो। भले ही समाज के कारण हमें अपना सम्बंध छुपाना पड़े। लेकिन सत्य तो यही है ना।
तब नंदिनी कहती है
भाई, तुमने अभी मेरे गले में हीरो का हर डाल ही दिया और मुझे एक तरह से पत्नी का दर्जा दे दिया । लेकिन वादा करो एक दिन मेरी मांग में सिंदूर जरूर डालोगे।
इस पर राजा विक्रम कहते है
अवश्य बहना अवश्य। वह दिन आएगा, जब मैं तुम्हारी मांग में सिंदूर भरूंगा।
इस पर नंदिनी राजा विक्रम के होंठ चूम लेती है और कहती है
विक्रम , अब तुम कक्ष में जाओ और रत्ना को जी भर कर प्यार दो और उसे पत्नी बना लो। सुहागरात को लेकर हर स्त्री का एक सपना होता है। रत्ना ने भी सपने देखे होंगे, उसे भरपूर प्यार दो मेरे भाई।
तब राजा विक्रम मुस्कुराते हुए रत्ना के कक्ष में प्रवेश करते हैं और प्रवेश करते ही उन्हें अद्भुत अहसास होता है। कक्ष में भीनी भीनी खुशबू फैली हुई थी। पूरे कक्ष में छोटे छोटे दीप जल रहे थे जिससे पूरा कक्ष हल्की रोशनी से जगमग था। भिन्न भिन्न प्रकार के पुष्प कक्ष की सुन्दरता में चार चांद लगा रहे थे। शय्या भी गुलाब और रजनीगन्धा से सजा हुआ था। कक्ष का पूरा माहौल कामुक हो गया था। साथ ही शय्या पर रत्ना लाल रंग के घाघरा चोली में घूंघट ओढ़ कर बैठी हुई थी । जिसे देख कर राजा विक्रम धीरे धीरे रत्ना के पास पहुंचते हैं और कहते हैं
मेरी रानी, अर्धांगिनी, प्रेयसी को मेरा प्रणय निवेदन, स्वैकार करें ।
और ऐसा कह कर रत्ना के सामने बैठ जाते हैं और कहते हैं
प्रिये, अपना घूंघट तो उठाइए ।
इस पर रत्ना कोई हरकत नहीं करती। तब राजा विक्रम कहते हैं
ओह, मैं भी कितना नादान हूं। आज सुहागरात है, तो पति ही पत्नी का घूंघट उठाता है
और ऐसा कह कर राजा विक्रम धीरे धीरे रत्ना का घूंघट उठाते हैं। घूंघट उठाते ही पूरा कक्ष रत्ना के चेहरे की दिव्यता से आलोकित हो जाता है। राजा विक्रम का मुंह पूरा का पूरा खुला रह जाता है। रत्ना ने अपनी आंखे बन्द की रहती है। उसका मन भी उत्तेजना को सह नहीं पा रहा था। तभी विक्रम कहते हैं
वाह, सुंदर अति सुंदर। रानी , मैं यही जानता था कि आप बहुत खूबसूरत है, लेकिन इतनी सुन्दर है, नहीं जानता था। आपके सामने तो स्वर्ग की अपसाराएं भी कुछ नहीं है।
और राजा विक्रम फिर गुनगुनाते हैं
हे प्रिये, हे प्रिये,
आपका आगमन
शुभ हो
शुभ हो
जीवन मेरा
ऋणी है आपका
है प्रिये, हे प्रिये
ये सुन कर रत्ना मन ही मन बहुत खुश होती है। तब राजा विक्रम कहते हैं
प्रिये, अपने नयन खोलो प्रिये। देखिए आपका दास आपके सामने है।
इस पर रत्ना धीरे धीरे अपनी आंखे खोलती है और अपने सामने राजा विक्रम को बैठा पाती है जिसे देख कर वह विस्मित हो जाती है। इतने आकर्षक व्यक्तित्व वाले पुरुष को देख कर मुग्ध हो जाती है। वह सोचती है जिस पुरुष की उन्होंने कल्पना की वह सामने बैठा है। जिसे सोच कर उसने अपनी योनि सहलाई थी वही पुरुष सामने बैठा है। दोनो एक दूसरे को देखे जा रहे थे। तब राजा विक्रम कहते हैं
आप बहुत खूबसूरत है रानी रत्ना
और ये कहते हुए विक्रम हीरा और माणिक्य से जड़ा हुआ हार रत्ना को उपहार देते हैं और कहते हैं
ये आपके लिए प्रीये
हार देख कर रत्ना प्रफुल्लित हो जाती है क्योंकि उसे हीरो का हार बहुत पसन्द है
रत्ना का चेहरा खुशी से और दमकने लगता है जिसे देख कर राजा विक्रम कहते हैं
आपके इन होंठो को देख कर चूमने का मन करता है
और ऐसा कह कर वो नंदिनी के होंठों को चूम लेते हैं। पहले चुम्बन से रत्ना का पूरा शरीर गनगना जाता है और उसे अलग तरह की अनुभूति होती है। अनायास ही उसके होंठ उसके काबू में नहीं रहते और वह भी राजा विक्रम के होंठों को चूसने लगती है। दोनों एक दूसरे को चूमने में लगे रहते हैं। रत्ना के जीवन में उसे पहली बार होंठों पर पुरुष के चुम्बन का अनुभव हो रहा था। वह खुद को उत्तेजित महसूस कर रही थी।
राजा बिक्रम थोड़ी देर बाद होंठों को छोड़ते हैं, तो रत्ना इतनी उत्तेजित रहती है की वह स्वयं आगे बढ़ कर विक्रम के होंठों को चूसने लगती है। इससे राजा विक्रम की भी काम भावना बढ़ जाती है और वह भी रत्ना के होंठों की चूमते हुए उसे पकड़ कर शय्या पर लेट जाते है और चूमते चूमते रत्ना की लाल ओढ़नी उसके सिर से हटा कर अलग कर देते हैं।
उत्तेजनावश, धीरे धीरे राजा विक्रम अपने हाथ नीचे ले जाते है और रत्ना के स्तनों को चोली के ऊपर से सहलाने लगते हैं जिससे रत्ना की आह निकल जाती है। धीरे धीरे राजा विक्रम रत्ना के स्तनों को दबाने लगते हैं जिससे रत्ना अत्यंत उत्तेजित हो जाती है। इसके मुंह से दबी दबी ऊंह ऊंह की आवाज निकलने लगती है ।
उसी बीच विक्रम धीरे धीरे रत्ना की चोली की डोर खोल देते हैं जिससे चोली ढीली हो जाती है और विक्रम धीरे धीरे चोली रत्ना के बदन से अलग कर देते हैं। अब रत्ना कमर के ऊपर से पूरी नंगी हो जाती है और उसके स्तन पूरे नंगे खड़े रहते हैं।
विक्रम रत्ना के नंगे स्तनों को सहलाने लगते हैं और फिर अचानक स्तनों के चुचूको को उंगलियों से मसल देते हैं जिससे रत्ना के मुंह से आह निकल जाती है। और दोनो अपने होंठ अलग कर लेते हैं। रत्ना के स्तन पूरे नंगे थे, केवल आभूषण उसके नग्न शरीर पर लक लक कर रहे थे जिन्हें देख कर राजा विक्रम कहते हैं
अति सुन्दर, अति सुन्दर। रानी रत्ना आपके स्तन अत्यंत सुंदर है। संगमरमर सा सुन्दर!!! आह, इसकी जितनी प्रशंसा करूं कम है। बिल्कुल गोरे गोरे स्तन।
और ऐसा कह कर वो रत्ना के स्तन को अपने मुंह में लेकर चूसने लगते हैं जिससे रत्ना का मुंह उत्तेजना के मारे खुला रह जाता है। इधर राजा विक्रम रत्ना के एक स्तन की मुंह में लेकर चूस रहे थे तो दूसरी तरफ दूसरे स्तन के चुचुकों को अपनी उंगलियों से मिंज रहे थे जिससे रत्ना और उत्तेजित हुए जा रही थी। उसका पूरा शरीर मानों हवा में था। राजा विक्रम रत्ना के स्तनों को चूसते जा रहे थे और अपने हाथ को रत्ना के पूरे शरीर पर फेर रहे थे । धीरे धीरे वे अपने हाथ से रत्ना के नितम्बों को सहलाने और मसलने लगते है जिससे रत्ना की कामुकता बढ़ती जा रही थी ।
राजा विक्रम धीरे धीरे अपने हाथ और नीचे ले जाकर लहंगा ऊपर उठाने लगते हैं और जांघों तक उठा कर अपने हाथ अन्दर डाल देते हैं और रत्ना की नंगी जांघों को सहलाते हुए उसके नंगे नितम्बों को सहलाने और मसलने लगते हैं। नंगे नितम्बों पर पुरुष के हाथ का स्पर्श रत्ना को अलग अनुभूति दिला रहा था। फिर राजा विक्रम अपने हाथ बाहर निकाल लेते हैं और लहंगे के ऊपर से ही ही रत्ना जी योनि को दबा देते हैं जिससे रत्ना की सिसकी निकल जाती है। फिर विक्रम लहंगे की डोरी पकड़ कर खोल देते हैं जिससे उसकी गांठ खुल जाती है और विक्रम लहंगे को नीचे सरकाने लगते हैं लेकिन रत्ना के नितम्बों से दबे रहने के कारण लहंगा निकल नहीं पाता है। तब रत्ना अपने नितम्ब को थोड़ा ऊपर कर देती है जिसके बाद विक्रम रत्ना के पैरों से लहंगा निकाल देते हैं। अब रत्ना पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं । राजा विक्रम अब अपने हाथ सीधे रत्ना की बूर पर रख देते हैं।
विक्रम पाते हैं कि रत्ना के बूर पर एक भी बाल नहीं है और बूर बिल्कुल चिकनी है जिससे विक्रम को आश्चर्य होता है और वे अपना मुंह रत्ना की चूची पर से हटा कर उसकी बूर देखते हैं तो रत्ना की नंगी बूर की खूबसूरती देख कर मंत्र मुग्ध रह जाते हैं । उसकी बूर पर एक भी झांट नहीं था। विक्रम ने आज तक चिकनी बूर नहीं देखी थी । विक्रम ने आव देखा ना ताव, सीधे रत्ना की योनि पे अपने होंठ रख दिए। रत्ना की तो सांस ही रुक गई। उसने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई उसकी बूर को चूम सकता है। लेकिन राजा विक्रम तो एक कदम आगे बढ़ कर रत्ना की बुर को चाटने लगे, उसे चुसने लगे।
इससे रत्ना की स्थिति और खराब होने लगी, उस पर हवस हावी होने लगी । वह जोर जोर से सांस लेने लगी। उसके मुंह से तरह तरह की आवाजें निकालने लगी। उसका पूरा शरीर रह रह कर ऐंठने लगा । उत्तेजना के मारे उसकी हालत खराब होने लगी। अब राजा विक्रम रत्ना को सीधे लिया कर उसकी दोनों जांघों को फैला दिया और फिर उसकी योनि को फैला कर जीभ से चाटने लगे। बीच बीच में वो योनि को चूस भी रहे थे । रत्ना अपने दोनों हाथों से विक्रम का बाल पकड़ कर उसके मुंह को योनि पे दबा रही थी। उह्न उह्न की आवाज उसके मुंह से निकल रही थी। फिर अचानक से उसका शरीर अकड़ा और वह विक्रम के मुंह में झड़ गई और राजा विक्रम को ऊपर खींच कर उनके होंठ चूसने लगी।
राजा विक्रम भी होंठ चूसते चूसते रत्ना के स्तनों को फिर से दबाने लगे। रत्ना भी राजा विक्रम के शरीर पर हाथ फेरते हुए हाथ नीचे ले गई और धोती हटा कर सीधे विक्रम के लन्ड पर हाथ रख दिया। लन्ड पर हाथ रखते ही वह आश्चर्यचकित रह गई और अपने होंठ हटा कर राजा विक्रम के लिंग को देखने लगी और सुपाड़े पर अपना अंगूठा फेरने लगी । राजा विक्रम ने ऐसा देखा तो उन्होंने अपनी धोती निकाल फेंकी। अब दोनो बिस्तर पर पूरे नंगे थे। रत्ना विक्रम के लन्ड पर हाथ फेरते हुए सहलाते रहती है और सोचती है कि क्या पुरुषों का लिंग इतना लम्बा हो जाता है ।
फिर अचानक से रत्ना नीचे की ओर आती है और विक्रम के लन्ड को मुंह में लेकर चूसने लगती है। अब राजा विक्रम की हालत खराब होने लगी। वो भी अपनी कमर हिलाने लगते हैं और रत्ना की मुंह को चोदने लगते हैं । रत्ना विक्रम के लन्ड को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। रत्ना पूरे चाव से विक्रम के लन्ड को चूस रही थी । दोनो पूरी तरह गरम हो चुके थे। तब राजा विक्रम ने रत्ना को लिटाया और उसके स्तन को चूसने लगे और अपने लन्ड को रत्ना की बुर पर रगड़ने लगे। रत्ना डर रही थी कि इतना लिटा लन्ड उसकी बूर में कैसे जायेगा। वह धीरे से कहती हैं
ये बहुत बड़ा है, ये अंदर कैसे जायेगा। बहुत दर्द होगा।।
लेकिन राजा विक्रम तो औरतों को अच्छी तरह से समझते थे, तो उन्होंने कहा
तुम बिलकुल चिंता मत करों, कुछ नहीं होगा । मै धीरे धीरे बड़े प्यार से करूंगा।
राजा विक्रम अब रत्ना के एक स्तन को चूसने लगे और दूसरे स्तन को दबाने लगे। रत्ना के मुंह से आह आह निकलने लगी। रत्ना की बुर पूरी पनियाई हुई थी और थोड़ा सा धक्का देने से विक्रम के लन्ड का सुपाड़ा थोड़ा सा बुर के अन्दर घुस गया जिससे रत्ना बिलबिल गई । लेकिन राजा विक्रम रत्ना के स्तन को जोर जोर से चूसने लगे जिससे रत्ना को दर्द का अहसास अब मजा में तब्दील हो गया। रत्ना अब मस्ती में बोलने लगी
आह आह मजा आ रहा है मेरे राजा। और चूसो मेरे स्तन कमर हिलाओं मेरे राजा।
राजा विक्रम को बुर में लन्ड डालते हुए महसूस होने लगा की रत्ना की बुर पूरी तरह से चिकनी हो गई है और उन्होंने तुरन्त अपना लन्ड पूरा अंदर डाल दिया और लन्ड बुर को चीरते हुए बच्चेदानी तक पहुंच गया। विक्रम थोड़ी देर शांत रहे, फिर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया ।रत्ना का ये पहला अनुभव था। अतः उसे अद्भुत आनद आ रहा था और वह बोले जा रही थी
आह, आह बहुत मजा आ रहा है। और जोर से चोदो राजा और जोर से चोदो आह आह
आह आपका लन्ड मेरे अन्दर तक जा रहा है। उफ्फ उफ्फ बहुत मजा आ रहा है मेरे राजा।
ऐसे ही ये चूदाई चल रही थी तो राजा विक्रम ने थोड़ा लन्ड बाहर निकाला तो रानी रत्ना be गुर्राते हुए लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर में डाल दिया और अपनी कमर हिलाते हुए बड़बड़ाने लगी
ओह राजन, मुझे ये पता ही नहीं था की चूदाई में इतना मजा आता है। आह आह आह और चोदो और चोदो मुझे।
इधर विक्रम भी लगातार चोदे जा रहे थे
इस बीच रत्ना तीन बार झड़ चुकी थी । फिर अचानक से राजा विक्रम का भी शरीर ऐंठने लगा और उनके लन्ड ने भी रत्ना की बुर में अपना पानी छोड़ दिया। और फिर दोनो ऐसे ही नंगे एक दूसरे से चिपके लेटे रहे।
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है अपनी पत्नी के साथ सुहागरात मानकर अपनी मां के साथ भी सुहागरात मना ली अब नंदनी बची है उसके साथ भी मनवा दोupdate 27
राजा विक्रम और रानी रत्ना दोनो ऐसे ही नंगे एक दूसरे से चिपके लेटे रहते हैं। रत्ना को चूदाई का, यौन सम्बंध का, ये पहला अनुभव था और वह इस अद्भुत सुख से आह्लादित हो कर मदहोशी में राजा विक्रम के नंगे बदन से चिपक कर सो जाती है। रत्ना ने कभी सपने में भी इस तरह के सुख की कल्पना नहीं की थी। उसका रोम रोम इस चूदाई से पुलकित हो गया था। उसे राजा विक्रम की नंगी बाहों मे गहरी नींद आ जाती है।
लेकिन राजा विक्रम की आंखों में पता नहीं क्यों नींद ही नहीं थी। साथ ही उनके लिंग पर योनि रस और वीर्य का मिश्रण भी लगा हुआ था, तो वह धीरे से रत्ना को खुद से अलग करते हैं और उसके नंगे बदन पर हल्की चादर डाल देते हैं और खुद स्नानघर में घुस कर अपने लिंग को शीतल जल से साफ करते हैं और मन में कहते हैं तेरे तो मजे ही मजे हैं लन्ड महाराज।
राजा विक्रम को नींद नहीं आ रही थी सो वे धोती पहन कर और एक चादर ओढ़ कर कक्ष से बाहर राज परिवार के लिए आरक्षित भाग में घूमने निकल जाते हैं जहां कोई बाहरी आता जाता नहीं था। घूमते घूमते राजा विक्रम अपनी माता देवकी के कक्ष के पास पहुंच जाते हैं। वहां पहुंच कर वे देखते हैं कि उनकी माता के कक्ष में दीप जल रहा है, तो उन्हें आश्चर्य होता है की इतनी रात में माता के कक्ष में दीप क्यों जल रहा है। यही देखने के लिए वे राजमाता देवकी के कक्ष में चले जाते हैं। कक्ष का ये हिस्सा राजपरिवार का अपना हिस्सा था जिधर से केवल राजपरिवार के लोग ही आ जा सकते थे ।
कक्ष में पहुंच कर राजा विक्रम अपनी माता को जगा हुआ पाते है जो अपने पुराने वस्त्रों को देख रही थी। उन्हें देख कर राजा विक्रम कहते हैं
आप अभी तक जगी है माते और आप ये कौन से कपड़े देख रही है।
इस पर देवकी कहती है
पुत्र, आज तुम्हारे पिता श्री की बड़ी याद आ रही थी। ये देखो, ये मेरी शादी का जोड़ा। अभी तक कितना नया दिख रहा है, है ना।
तब राजा विक्रम कहते हैं
हां माते, बिल्कुल नया दिख रहा है। लेकिन आपको दुखी होने की जरूरत नहीं है । आपका ये पुत्र आपकी हर जरूरत पूरा करेगा और आपकी पिता श्री की कभी कमी महसूस नहीं होने देगा। आपको पिताश्री ने जो भी सुख दिया है उससे ज्यादा खुश रखेगा आपको।
ये सुनकर राजमाता देवकी राजा विक्रम को गले लगाकर लिपट जाती हैं और कहती हैं
वो तो मैं जानती ही हूं कि मेरा पुत्र मुझे एक पुरुष का सुख देकर अपने पिताश्री के कर्तव्यों को पूरा कर रहा है । लेकिन अब तुम्हारा विवाह हो गया है। तुम अब सारा ध्यान रत्ना पे दो।
इस पर राजा विक्रम कहते हैं
माते मुझे रत्ना का पूरा ख्याल है तथा उसे पुरुष का सुख देने में कोई कमी नहीं होगी। मै उसे पति का भरपूर प्यार दूंगा। लेकिन मैं आपको और दीदी को नहीं छोड़ सकता। आप दोनो को प्यार किए बिना मैं नहीं रह सकता। देखो, एक व्यक्ति एक साथ एक से अधिक लोगों से प्यार कर सकता है।
इस पर देवकी कहती है
इतना प्यार करते हो अपनी मां और बहन से!!!
और ऐसा कह कर देवकी राजा विक्रम के होंठों को चूम लेती है तब राजा विक्रम भी आगे बढ़ कर अपनी मां के होंठों को चूसने लगते हैं और अपना एक हाथ सीधे देवकी के चूची पर रख कर दबाने लगते हैं । देवकी तो पहले से ही पुरुष संसर्ग को तड़प रही थी और स्तन दबाने से वह और भी उत्तेजित हो जाती है। राजा विक्रम उसके चुचुको को चोली के ऊपर से मसलने लगते हैं जिससे देवकी राजा विक्रम को आगोश मे लेने लगती है । तभी विक्रम हाथ पीछे ले जाकर चोली की डोर खोल देते हैं जिससे चोली ढीली हो जाती है और देवकी स्वयं अपनी चोली निकाल देती है और विक्रम के हाथ अपने स्तन पर रख देती है और विक्रम उसके नंगे स्तनों को दबाने लगते हैं । फिर अपनी मां के चुम्बन को छोड़ कर उसके स्तन को चूसने लगते हैं। अब एक हाथ से वे एक स्तन को दबा रहे थे और दूसरे को चूस रहे थे। देवकी असीम आनंद में डूब गई थीं।
राजा विक्रम तो ऊपर से नंगे थे ही, अपनी चादर भी फेक देते हैं तो राजमाता देवकी धोती के उपर से ही राजा विक्रम के लिंग को सहलाने लगती है। इधर राजा विक्रम भी अपने हाथ नीचे ले जाकर घाघरे के ऊपर से ही देवकी की योनि को दबोच लेते हैं और तेज तेज रगड़ने लगे और फिर घाघरे का नाडा पकड़ कर खींच देते हैं जिससे घाघरा पूरा सरसरा कर नीचे गिर जाता है और विक्रम उसके नंगे बुर को हाथ में भर कर सहलाने लगता है। तब देवकी भी विक्रम की धोती निकाल कर उसके लन्ड को पकड़ कर हिलाने लगती है । राजा विक्रम का लन्ड फिर खड़ा हो जाता है तो देवकी कहती है
तेरा तो हब्बासी लन्ड है बेटा। अभी रत्ना को चोद कर आया है और फिर से खड़ा हो गया
इस पर राजा विक्रम कहते हैं
ये लन्ड आपनी मां को देख कर ऐसे ही खड़ा हो जाता है
इस पर देवकी गले लग कर कहती है।
इतना प्यार करते हो अपनी मां से !!!
हां माते, बहुत ज्यादा।
और ये कह कर राजा विक्रम अपनी माता देवकी को नंगे उठा कर शैय्या पर ले जाकर लिटा देते हैं। दोनो मादरजात नंगे रहते ही हैं और राजा विक्रम देवकी के बुर पर अपना लन्ड रगड़ते हैं और कहते हैं
माते मैं आज सुहागरात में आपकी योनि को अपने लन्ड से चोदने की इजाजत मांगता हूं
अब देवकी कहती हैं
चोद ले बेटा चोद ले, अपनी मां को और उसे मजे दिला ।
तब राजा विक्रम धीरे धीरे अपनी मां की बुर में अपना लन्ड डालने लगते हैं और उनकी चूची को चूसने लगते हैं। लन्ड डालने से और चूची चुसने से देवकी की योनि पूरी गीली हो जाती है और विक्रम का लन्ड तेजी से अन्दर बाहर करने लगता है। देवकी की बुर से फच्च फाच्च की आवाज आने लगती है और देवकी मदहोशी में बोलने लगती है
और चोद बेटा और चोद। और चोद मेरे बालम। मेरे सईयां!!! तेरा लन्ड तो मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा है। आह आह। लगता है तू मुझे भी कोख से कर देगा
तब राजा विक्रम कहते हैं
ये लीजिए माते, ये लीजिए अपने पुत्र का लिंग अपनी योनि की गहराइयों में। जिस बुर से निकला उसी को चोद रहा है, उसे यौन सुख दे रहा है। माते, ये संसार में विरले लोगों की ही अपनी मां की बुर चोदने का मौका मिल पाता है
और जोश में राजा विक्रम अपनी मां की बुर को खचा खच फच्चा फच चोदने लगते हैं
दोनो मां बेटा घमसान चूदाई करते हैं जिसमे देवकी तीन बार झड़ चुकी थी और तभी विक्रम का शरीर अकड़ने लगता है और वे कहते हैं
मेरा निकलने वाला है मां, आह आह
तब देवकी अपने पैरों को कैची बना कर राजा विक्रम को जकड़ लेती हैं जिससे राजा विक्रम अपना सारा वीर्य अपनी मां की योनि में छोड़ देते हैं और देवकी की योनि से उसकी योनि रस और वीर्य बहने लगते हैं और राजा विक्रम अपनी मां देवकी की योनि में लन्ड डाले हुए उसके ऊपर ढेर हो जाते है । और राजमाता देवकी राजा विक्रम के वालों में धीरे धीरे अपनी ऊंगली फिराते रहती है ......
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है आज तो राजा विक्रम के मजे हो गए तीन तीन औरतों के साथ सुहागरात मना रहा है पहले रत्ना फिर देवकी अब देवकी के साथ रांझा मजा आ गयाUpdate 28
देवकी राजा विक्रम के बालों में ऊंगली फिराते रहती है और विक्रम देवकी से लिपटे रहते हैं। थोड़ी देर में विक्रम अपना सिर उठा कर देवकी की आंखों में देखते हैं और कहते हैं
कैसा लगा मां? बेटे से चूद कर, मजा आया ना। आज अपनी सुहागरात है और मैंने रत्ना को तो चोदा ही, साथ ही मैंने तुम्हें भी चोद दिया। तुम्हें चोद कर एक अलग ही सुख मिलता है मां। मन करता है अपना लिंग आपकी योनि में डाल कर पड़ा रहूं। और हां मेरे रहते आपको दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है। आपका ये पुत्र आपको दिलो जान से चाहता है और आपको यौन सुख में कोई कमी नहीं होने देगा। ये सच है कि मेरा विवाह हो गया है। किन्तु मै अपनी मां के प्रति फर्ज से विमुख नहीं हो सकता।
तब देवकी कहती है
मैं जानती हूं कि मेरा पुत्र मुझे बहुत प्यार करता है और दिलो जान से मुझे प्यार करता है। मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मुझे नहीं पता था कि मेरे ही घर में, मेरे पीठ पीछे, कोई और नहीं, बल्कि मेरा पुत्र ही मुझे इतना प्यार करता है । पुत्र, तुमने यौन सुख दे कर मुझे आनंदित कर दिया है क्योंकि मुझे पुरुष संसर्ग की आदत है। आपके पिताजी ने ही मुझे यह आदत लगा दी थी। मै और आपके पिता जी प्रत्येक रात पूर्ण नग्न होकर मस्त चूदाई किया करते थे। और इसीलिए मुझे सम्भोग की आदत लग गई थीं।
दोनों मां बेटे अभी ये बातें कर रहे थे । उधर रांझा देवकी के महल में ही थी जो दूसरे कक्ष में सामान को व्यवस्थित कर रही थी जो पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता के कारण बिखरा हुआ था। देवकी इस बात को तो जानती थी, लेकिन रांझा से वह अब इतनी खुल गई थीं कि उसे रांझा से कोई शर्म नहीं थी। तभी रांझा कक्ष व्यवस्थित कर देवकी के कक्ष में पहुंच जाती है और दोनों मां बेटे को ऐसे ही नंगे लेटे देख लेती है और कहती है
तब मन गई मां बेटे की सुहागरात। वही मैं कहूं दूसरे कक्ष में देवकी की सिसकियों की आवाज क्यों आ रही है।
ऐसा कह कर रांझा मुस्कुरा देती है। रांझा को आते देवकी तो देख लेती है लेकिन उसकी आवाज सुन कर राजा विक्रम जैसे ही पलटते हैं उनका लन्ड भी सामने आ जाता है जो बिल्कुल रांझा के सम्मुख आ जाता है जिसे रांझा आंखे फाड़े देखने लगती है और उसका मुंह राजा विक्रम के मनोहारी लन्ड को देख कर खुला रह जाता है। राजमाता देवकी रांझा की स्थिति समझ जाती है और कहती है
ऐसे मुंह फाड़े क्या देख रही है, तू तो ऐसे देख रही है जैसे कभी विक्रम का लिंग तुमने कभी देखा ही नहीं। चल इधर आ हमारे पास।
देवकी के ऐसा कहने से रांझा उस शैय्या के पास आ जाती है जिस पर राजा विक्रम और राजमाता देवकी नंगे ही लेटे हुए थे। देवकी रांझा को जबरदस्ती उस बिस्तर पर बैठा देती है और कहती है
ऐसे क्या देख रही थी मेरे प्यारे पुत्र के लिंग को। चल पकड़ ले इसके लिंग को, छू ले इसे, नहीं तो बाद में मुझे परेशान करती रहेगी की विक्रम का लन्ड कितना मस्त है, मुझे छूना था । और तो और मुझे छेड़ती रहेगी कि बताओ ना, बताओ ना, विक्रम का लन्ड छूकर, सहलाकर तुम्हें कैसा लगा।
ऐसा कह कर देवकी रांझा का हाथ विक्रम के लन्ड पर रख कर कस देती है। रांझा भी विक्रम के लन्ड पर से हाथ नहीं हटाती है, बल्कि उल्टा राजा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से कस कर पकड़ लेती है और उसे धीरे धीरे सहलाने लगती है। राजा विक्रम का लन्ड बड़ा तो था ही, देवकी की चूदाई के बाद भी अभी थोड़ा सा कड़ा ही था। रांझा के हाथ लगाने से विक्रम का लन्ड धीरे धीरे जागने लगता है और उसमें कड़ापन आने लगता है। सहलाते सहलाते ही लन्ड की चमड़ी पीछे हो जाती है और विक्रम के लन्ड का गुलाबी सुपाड़ा बाहर आ जाता है जो बिल्कुल गुलाबी रंग के रसगुल्ले की तरह दिख रहा था। रांझा ने उत्सुकतावश विक्रम के गुलाबी सुपाड़े पर अपनी उंगली फिरा दी जिससे विक्रम का लन्ड टनटना जाता है और विक्रम के मुंह से आह निकल जाती है। विक्रम तब अपने हाथ से रांझा का एक स्तन पकड़ लेते हैं और कहते हैं
बहुत मजा आ रहा है धाय मां। और सहलाओ ना मेरा लिंग। आपका शरीर कितना गठीला है धाय मां !!!
( राजघराने की स्त्रियां ज्यादा काम तो करती नहीं थी, बल्कि सजने संवरने में उनका समय ज्यादा गुजरता था, इसलिए उनका शरीर कोमल होता था, जबकि अन्य स्त्रियां घर के सभी कार्य करती थी जिससे उनका शरीर गठीला और सुडौल रहा करता था, उनके स्तन सुडौल तथा नितम्ब चुस्त रहते थे )
राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चोली के ऊपर से ही दबा रहे थे जो उन्हें काफी सुडौल महसूस हो रहे थे। फिर विक्रम ने अपने दूसरे हाथ से रांझा की चोली की डोर खोल देते हैं जिससे उसकी चोली ढीली होकर खुल जाती है जिसे राजा विक्रम अपने हाथों से पकड़ कर अलग कर देते हैं। अब रांझा का नग्न स्तन राजा विक्रम के सामने आ जाता है जिसे देख कर वे मोहित हो जाते हैं। रांझा का रंग थोडा हल्का था ही, सो उसका सावला सलोना स्तन तथा भूरे चुचुक विक्रम के सामने आ जाते हैं । विक्रम अपने को रोक नहीं पाते हैं और अपने हाथ से रांझा की नंगी चूची को दबाने लगते हैं और बीच बीच में उसके चूची के दाने को अपनी उंगलियों से मसल देते हैं जिससे रांझा के मुंह से आह निकल जाती है। राजा विक्रम रांझा की आंखों में देखते हुए ऐसा करते हैं और फिर धीरे से अपना मुंह रांझा के स्तन पर ले जाते हैं और उसे चूसने लगते हैं। रांझा को असीम आनंद मिलता है और वह विक्रम के सिर को अपने स्तन पर दबा देती है और कहती है
चुसिए, विक्रम चूसिए, आपने इन स्तनों का दूध खूब पिया है
तब देवकी कहती है
पिला दे ना रांझा फिर से अपने स्तनों का दूध मेरे लल्ला को
और ऐसा बोलकर देवकी विक्रम के सिर पर हाथ फेर देती है। राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चूसते चूसते एक हाथ सीधे नीचे ले जाकर रांझा के लहंगे के ऊपर से उसकी योनि पर रख देते हैं और दबाने लगते हैं जिससे रांझा मुस्कुरा देती है। तभी विक्रम थोड़ा हट कर रांझा की आंखों में देखते हुए कहते हैं
धाय मां, यदि मैं आपकी योनि को नंगा सहलाऊं, तो क्या आपको आपत्ति होगी?
इस पर रांझा कहती है
यह तो किसी भी स्त्री का सौभाग्य होगा कि आप जैसे गबरू जवान से अपनी योनि सहलवाएं ।
और ऐसा कह कर रांझा विक्रम के मुख पर चुम्बन जड़ देती है। तब राजा विक्रम कहते हैं
धाय मां, मै तो डर रहा था कि कहीं आपको बुरा ना लग जाए
तब रांझा कहती है
बुरा क्यों लगेगा मुझे, एक बार आपने कह कर तो देखा होता
इस वार्तालाप के दौरान रांझा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से पकड़े ही रहती है और सहलाती रहती है, तो देवकी यह देख कर कहती है
देखो तो, ये इतनी दीवानी है लल्ला के लिंग की, कि ये इसके लिंग को छोड़ ही नहीं रही है
इस पर रांझा कहती है
इतना प्यारा लिंग है कि इसे छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा है
और ऐसा कह कर रांझा झुक कर विक्रम के लन्ड को चूम लेती है और फिर उसे मुंह में भर कर चूसने लगती है जिससे विक्रम की आहें निकल जाती है और विक्रम कहते हैं
चूसो धाय मां, चूसो ना, बहुत मजा आ रहा है। आह आह, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि आप भी मेरा लिंग चूस रही हैं। आह आह ।
ये सब देवकी देख रही थी। उससे भी रहा नहीं गया और वह उठ कर विक्रम के बालों मे उंगली फिराने लगी और उसके होंठों पर अपने होंठ रख देती है और चूमने लगती है। विक्रम को मस्ती चढ़ गई और वे अपने हाथ से देवकी की योनि सहलाने लगे और दूसरे हाथ को रांझा के स्तनों से हटा कर उसके घाघरे के अन्दर डाल देते हैं और रांझा की बुर घाघरे के नीचे नंगी रहती है तो वह रांझा की नंगी योनि को सहलाने लगते हैं। रांझा की योनि भी कसी रहती है। रांझा का घाघरा व्यवधान पैदा कर रहा था तो विक्रम ने घाघरा का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया जिससे रांझा का घाघरा सरसराते हुए नीचे गिर गया जिससे रांझा नीचे से भी पूरी नंगी हो गई, ऊपर से तो वह पहले से नंगी थी ही । अब देवकी के कक्ष में तीनो पूर्ण रूप से नग्न थे। विक्रम अब दोनों की बुर को सहला रहे थे। तभी रांझा भी खड़े हो कर विक्रम के मुख को चूमने लगती है तो देवकी अपने होंठ अलग कर लेती है तब रांझा विक्रम के होंठों को चूमने चूसने लगती है। इधर विक्रम भी रांझा की योनि को फैला कर उसके भगनासे को रगड़ने लगते हैं जिससे रांझा और उत्तेजित हो जाती है। विक्रम को रांझा की योनि कसी हुई महसूस होती है, बल्कि रांझा का पूरा शरीर ही कसा हुआ महसूस होता है और कसा हुआ शरीर अलग ही मजा देता है।
रांझा आहें भरने लगती है तो विक्रम रांझा को लिटा देते हैं और उसकी योनि देख कर कहते हैं
धाय मां, आपकी योनि बड़ी कसी हुई लग रही है
इस पर रांझा शरमा जाती है। तब राजा विक्रम रांझा की योनि को चूम लेते हैं और फिर चाटने लगते हैं। रांझा का शरीर इस तरह चाटने से अकड़ने लगता है और विक्रम को वह अपने ऊपर खींच लेती है और विक्रम के लन्ड को अपने बुर पर रगड़ने लगती है। विक्रम समझ जाते हैं कि रांझा अब उनका लन्ड अपनी योनि में डलवाना चाह रही है। तो राजा विक्रम अपना लन्ड रांझा की योनि पर रख कर हल्का धक्का लगाते हैं तो उनका लन्ड योनि के अंदर थोड़ा अंदर चल जाता है और रांझा की योनि से योनि रस निकल कर विक्रम के लन्ड पर लग जाता है जिसका अनुभव विक्रम को आनंदित कर रहा था। रांझा कहती है
अन्दर डालिए विक्रम अपने लौड़े को, बहुत मजा आ रहा है
मुझे भी बहुत मजा आ रहा है धाय मां। मैं तो यही सोच रहा हूं कि मैं कितना खुशकिस्मत हूं कि मैंने अपनी सगी मां को भी चोदा और आज धाय मां को भी चोद रहा हूं। ये लीजिए धाय मां मेरा पूरा लिंग अपनी योनि में।
ऐसा कह कर विक्रम थोड़ा और धक्का देते हैं तो विक्रम का पूरा लन्ड रांझा की योनि में समा कर गुम हो जाता है और सीधे बच्चेदानी से टकरा जाता है जिस पर रांझा कहती है
आज मैं पहली बार अपने बच्चेदानी पर लौड़े का ठाप महसूस कर पा रही हूं, आह आह,, कितना मजा आ रहा है,। मैने जबसे आपका लिंग देखा है, खास कर के जबसे नंदिनी को चोदते देखा है तबसे आपसे चुदवाना चाह रही थी। और जोर से चोदिए लल्ला और जोर से। उफ्फ उफ्फ, आह आह। मैं सोचती थी जब ये अपनी बड़ी बहन को चोद सकते हैं तो मुझे क्यों नहीं !!! आज मेरी इच्छा पूरी हुई लल्ला, आह आह।
तब राजा विक्रम कहते हैं
मै तो खुद ही आपको चोदना चाहता था धाय मां और आज देखिए आप दोनो मारे साथ नंगी हैं। आज तो मेरी और आपकी भी सुहागरात हो गई। ये लीजिए धाय मां मेरा लौड़ा और अन्दर।
और राजा विक्रम सटासत रांझा की बुर में अपना लन्ड पूरा अंदर बाहर करने लगते हैं। देवकी का पूरा कक्ष फ्च फाच की आवाज से गूंजने लगता है। रांझा की योनि भी विक्रम के लन्ड को टक्कर दे रही थी। तब विक्रम रांझा के स्तनों को चूसने लगते हैं और नीचे से उसकी योनि को फैला कर जबरदस्त तरीके से चोदने लगते हैं। चूची चूसे जाने से रांझा कमजोर पड़ने लगती है और यह अपनी कमर को उठा उठा कर विक्रम के लन्ड को धक्के देने लगती है और कहती है
आह आह, ये लो विक्रम मेरी बुर की थाप। आह आह, मुझे गर्भवती कर दो ताकि मैं तुम्हारे जैसे दमदार लन्ड वाले पुत्र को जन्म दूं। आह आह मेरा छुटने वाला है आह आह, मैं गई आह आआह्ह्हह्ह
और ऐसा कह कर रांझा का शरीर ऐंठने लगता है और उसकी योनि से भल भला कर योनि रस बाहर निकलने लगता है जो राजा विक्रम के लन्ड को भीगो देती है
क्या ग़ज़ब कहानी है। वाह । SexitingUpdate 28
देवकी राजा विक्रम के बालों में ऊंगली फिराते रहती है और विक्रम देवकी से लिपटे रहते हैं। थोड़ी देर में विक्रम अपना सिर उठा कर देवकी की आंखों में देखते हैं और कहते हैं
कैसा लगा मां? बेटे से चूद कर, मजा आया ना। आज अपनी सुहागरात है और मैंने रत्ना को तो चोदा ही, साथ ही मैंने तुम्हें भी चोद दिया। तुम्हें चोद कर एक अलग ही सुख मिलता है मां। मन करता है अपना लिंग आपकी योनि में डाल कर पड़ा रहूं। और हां मेरे रहते आपको दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है। आपका ये पुत्र आपको दिलो जान से चाहता है और आपको यौन सुख में कोई कमी नहीं होने देगा। ये सच है कि मेरा विवाह हो गया है। किन्तु मै अपनी मां के प्रति फर्ज से विमुख नहीं हो सकता।
तब देवकी कहती है
मैं जानती हूं कि मेरा पुत्र मुझे बहुत प्यार करता है और दिलो जान से मुझे प्यार करता है। मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मुझे नहीं पता था कि मेरे ही घर में, मेरे पीठ पीछे, कोई और नहीं, बल्कि मेरा पुत्र ही मुझे इतना प्यार करता है । पुत्र, तुमने यौन सुख दे कर मुझे आनंदित कर दिया है क्योंकि मुझे पुरुष संसर्ग की आदत है। आपके पिताजी ने ही मुझे यह आदत लगा दी थी। मै और आपके पिता जी प्रत्येक रात पूर्ण नग्न होकर मस्त चूदाई किया करते थे। और इसीलिए मुझे सम्भोग की आदत लग गई थीं।
दोनों मां बेटे अभी ये बातें कर रहे थे । उधर रांझा देवकी के महल में ही थी जो दूसरे कक्ष में सामान को व्यवस्थित कर रही थी जो पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता के कारण बिखरा हुआ था। देवकी इस बात को तो जानती थी, लेकिन रांझा से वह अब इतनी खुल गई थीं कि उसे रांझा से कोई शर्म नहीं थी। तभी रांझा कक्ष व्यवस्थित कर देवकी के कक्ष में पहुंच जाती है और दोनों मां बेटे को ऐसे ही नंगे लेटे देख लेती है और कहती है
तब मन गई मां बेटे की सुहागरात। वही मैं कहूं दूसरे कक्ष में देवकी की सिसकियों की आवाज क्यों आ रही है।
ऐसा कह कर रांझा मुस्कुरा देती है। रांझा को आते देवकी तो देख लेती है लेकिन उसकी आवाज सुन कर राजा विक्रम जैसे ही पलटते हैं उनका लन्ड भी सामने आ जाता है जो बिल्कुल रांझा के सम्मुख आ जाता है जिसे रांझा आंखे फाड़े देखने लगती है और उसका मुंह राजा विक्रम के मनोहारी लन्ड को देख कर खुला रह जाता है। राजमाता देवकी रांझा की स्थिति समझ जाती है और कहती है
ऐसे मुंह फाड़े क्या देख रही है, तू तो ऐसे देख रही है जैसे कभी विक्रम का लिंग तुमने कभी देखा ही नहीं। चल इधर आ हमारे पास।
देवकी के ऐसा कहने से रांझा उस शैय्या के पास आ जाती है जिस पर राजा विक्रम और राजमाता देवकी नंगे ही लेटे हुए थे। देवकी रांझा को जबरदस्ती उस बिस्तर पर बैठा देती है और कहती है
ऐसे क्या देख रही थी मेरे प्यारे पुत्र के लिंग को। चल पकड़ ले इसके लिंग को, छू ले इसे, नहीं तो बाद में मुझे परेशान करती रहेगी की विक्रम का लन्ड कितना मस्त है, मुझे छूना था । और तो और मुझे छेड़ती रहेगी कि बताओ ना, बताओ ना, विक्रम का लन्ड छूकर, सहलाकर तुम्हें कैसा लगा।
ऐसा कह कर देवकी रांझा का हाथ विक्रम के लन्ड पर रख कर कस देती है। रांझा भी विक्रम के लन्ड पर से हाथ नहीं हटाती है, बल्कि उल्टा राजा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से कस कर पकड़ लेती है और उसे धीरे धीरे सहलाने लगती है। राजा विक्रम का लन्ड बड़ा तो था ही, देवकी की चूदाई के बाद भी अभी थोड़ा सा कड़ा ही था। रांझा के हाथ लगाने से विक्रम का लन्ड धीरे धीरे जागने लगता है और उसमें कड़ापन आने लगता है। सहलाते सहलाते ही लन्ड की चमड़ी पीछे हो जाती है और विक्रम के लन्ड का गुलाबी सुपाड़ा बाहर आ जाता है जो बिल्कुल गुलाबी रंग के रसगुल्ले की तरह दिख रहा था। रांझा ने उत्सुकतावश विक्रम के गुलाबी सुपाड़े पर अपनी उंगली फिरा दी जिससे विक्रम का लन्ड टनटना जाता है और विक्रम के मुंह से आह निकल जाती है। विक्रम तब अपने हाथ से रांझा का एक स्तन पकड़ लेते हैं और कहते हैं
बहुत मजा आ रहा है धाय मां। और सहलाओ ना मेरा लिंग। आपका शरीर कितना गठीला है धाय मां !!!
( राजघराने की स्त्रियां ज्यादा काम तो करती नहीं थी, बल्कि सजने संवरने में उनका समय ज्यादा गुजरता था, इसलिए उनका शरीर कोमल होता था, जबकि अन्य स्त्रियां घर के सभी कार्य करती थी जिससे उनका शरीर गठीला और सुडौल रहा करता था, उनके स्तन सुडौल तथा नितम्ब चुस्त रहते थे )
राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चोली के ऊपर से ही दबा रहे थे जो उन्हें काफी सुडौल महसूस हो रहे थे। फिर विक्रम ने अपने दूसरे हाथ से रांझा की चोली की डोर खोल देते हैं जिससे उसकी चोली ढीली होकर खुल जाती है जिसे राजा विक्रम अपने हाथों से पकड़ कर अलग कर देते हैं। अब रांझा का नग्न स्तन राजा विक्रम के सामने आ जाता है जिसे देख कर वे मोहित हो जाते हैं। रांझा का रंग थोडा हल्का था ही, सो उसका सावला सलोना स्तन तथा भूरे चुचुक विक्रम के सामने आ जाते हैं । विक्रम अपने को रोक नहीं पाते हैं और अपने हाथ से रांझा की नंगी चूची को दबाने लगते हैं और बीच बीच में उसके चूची के दाने को अपनी उंगलियों से मसल देते हैं जिससे रांझा के मुंह से आह निकल जाती है। राजा विक्रम रांझा की आंखों में देखते हुए ऐसा करते हैं और फिर धीरे से अपना मुंह रांझा के स्तन पर ले जाते हैं और उसे चूसने लगते हैं। रांझा को असीम आनंद मिलता है और वह विक्रम के सिर को अपने स्तन पर दबा देती है और कहती है
चुसिए, विक्रम चूसिए, आपने इन स्तनों का दूध खूब पिया है
तब देवकी कहती है
पिला दे ना रांझा फिर से अपने स्तनों का दूध मेरे लल्ला को
और ऐसा बोलकर देवकी विक्रम के सिर पर हाथ फेर देती है। राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चूसते चूसते एक हाथ सीधे नीचे ले जाकर रांझा के लहंगे के ऊपर से उसकी योनि पर रख देते हैं और दबाने लगते हैं जिससे रांझा मुस्कुरा देती है। तभी विक्रम थोड़ा हट कर रांझा की आंखों में देखते हुए कहते हैं
धाय मां, यदि मैं आपकी योनि को नंगा सहलाऊं, तो क्या आपको आपत्ति होगी?
इस पर रांझा कहती है
यह तो किसी भी स्त्री का सौभाग्य होगा कि आप जैसे गबरू जवान से अपनी योनि सहलवाएं ।
और ऐसा कह कर रांझा विक्रम के मुख पर चुम्बन जड़ देती है। तब राजा विक्रम कहते हैं
धाय मां, मै तो डर रहा था कि कहीं आपको बुरा ना लग जाए
तब रांझा कहती है
बुरा क्यों लगेगा मुझे, एक बार आपने कह कर तो देखा होता
इस वार्तालाप के दौरान रांझा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से पकड़े ही रहती है और सहलाती रहती है, तो देवकी यह देख कर कहती है
देखो तो, ये इतनी दीवानी है लल्ला के लिंग की, कि ये इसके लिंग को छोड़ ही नहीं रही है
इस पर रांझा कहती है
इतना प्यारा लिंग है कि इसे छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा है
और ऐसा कह कर रांझा झुक कर विक्रम के लन्ड को चूम लेती है और फिर उसे मुंह में भर कर चूसने लगती है जिससे विक्रम की आहें निकल जाती है और विक्रम कहते हैं
चूसो धाय मां, चूसो ना, बहुत मजा आ रहा है। आह आह, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि आप भी मेरा लिंग चूस रही हैं। आह आह ।
ये सब देवकी देख रही थी। उससे भी रहा नहीं गया और वह उठ कर विक्रम के बालों मे उंगली फिराने लगी और उसके होंठों पर अपने होंठ रख देती है और चूमने लगती है। विक्रम को मस्ती चढ़ गई और वे अपने हाथ से देवकी की योनि सहलाने लगे और दूसरे हाथ को रांझा के स्तनों से हटा कर उसके घाघरे के अन्दर डाल देते हैं और रांझा की बुर घाघरे के नीचे नंगी रहती है तो वह रांझा की नंगी योनि को सहलाने लगते हैं। रांझा की योनि भी कसी रहती है। रांझा का घाघरा व्यवधान पैदा कर रहा था तो विक्रम ने घाघरा का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया जिससे रांझा का घाघरा सरसराते हुए नीचे गिर गया जिससे रांझा नीचे से भी पूरी नंगी हो गई, ऊपर से तो वह पहले से नंगी थी ही । अब देवकी के कक्ष में तीनो पूर्ण रूप से नग्न थे। विक्रम अब दोनों की बुर को सहला रहे थे। तभी रांझा भी खड़े हो कर विक्रम के मुख को चूमने लगती है तो देवकी अपने होंठ अलग कर लेती है तब रांझा विक्रम के होंठों को चूमने चूसने लगती है। इधर विक्रम भी रांझा की योनि को फैला कर उसके भगनासे को रगड़ने लगते हैं जिससे रांझा और उत्तेजित हो जाती है। विक्रम को रांझा की योनि कसी हुई महसूस होती है, बल्कि रांझा का पूरा शरीर ही कसा हुआ महसूस होता है और कसा हुआ शरीर अलग ही मजा देता है।
रांझा आहें भरने लगती है तो विक्रम रांझा को लिटा देते हैं और उसकी योनि देख कर कहते हैं
धाय मां, आपकी योनि बड़ी कसी हुई लग रही है
इस पर रांझा शरमा जाती है। तब राजा विक्रम रांझा की योनि को चूम लेते हैं और फिर चाटने लगते हैं। रांझा का शरीर इस तरह चाटने से अकड़ने लगता है और विक्रम को वह अपने ऊपर खींच लेती है और विक्रम के लन्ड को अपने बुर पर रगड़ने लगती है। विक्रम समझ जाते हैं कि रांझा अब उनका लन्ड अपनी योनि में डलवाना चाह रही है। तो राजा विक्रम अपना लन्ड रांझा की योनि पर रख कर हल्का धक्का लगाते हैं तो उनका लन्ड योनि के अंदर थोड़ा अंदर चल जाता है और रांझा की योनि से योनि रस निकल कर विक्रम के लन्ड पर लग जाता है जिसका अनुभव विक्रम को आनंदित कर रहा था। रांझा कहती है
अन्दर डालिए विक्रम अपने लौड़े को, बहुत मजा आ रहा है
मुझे भी बहुत मजा आ रहा है धाय मां। मैं तो यही सोच रहा हूं कि मैं कितना खुशकिस्मत हूं कि मैंने अपनी सगी मां को भी चोदा और आज धाय मां को भी चोद रहा हूं। ये लीजिए धाय मां मेरा पूरा लिंग अपनी योनि में।
ऐसा कह कर विक्रम थोड़ा और धक्का देते हैं तो विक्रम का पूरा लन्ड रांझा की योनि में समा कर गुम हो जाता है और सीधे बच्चेदानी से टकरा जाता है जिस पर रांझा कहती है
आज मैं पहली बार अपने बच्चेदानी पर लौड़े का ठाप महसूस कर पा रही हूं, आह आह,, कितना मजा आ रहा है,। मैने जबसे आपका लिंग देखा है, खास कर के जबसे नंदिनी को चोदते देखा है तबसे आपसे चुदवाना चाह रही थी। और जोर से चोदिए लल्ला और जोर से। उफ्फ उफ्फ, आह आह। मैं सोचती थी जब ये अपनी बड़ी बहन को चोद सकते हैं तो मुझे क्यों नहीं !!! आज मेरी इच्छा पूरी हुई लल्ला, आह आह।
तब राजा विक्रम कहते हैं
मै तो खुद ही आपको चोदना चाहता था धाय मां और आज देखिए आप दोनो मारे साथ नंगी हैं। आज तो मेरी और आपकी भी सुहागरात हो गई। ये लीजिए धाय मां मेरा लौड़ा और अन्दर।
और राजा विक्रम सटासत रांझा की बुर में अपना लन्ड पूरा अंदर बाहर करने लगते हैं। देवकी का पूरा कक्ष फ्च फाच की आवाज से गूंजने लगता है। रांझा की योनि भी विक्रम के लन्ड को टक्कर दे रही थी। तब विक्रम रांझा के स्तनों को चूसने लगते हैं और नीचे से उसकी योनि को फैला कर जबरदस्त तरीके से चोदने लगते हैं। चूची चूसे जाने से रांझा कमजोर पड़ने लगती है और यह अपनी कमर को उठा उठा कर विक्रम के लन्ड को धक्के देने लगती है और कहती है
आह आह, ये लो विक्रम मेरी बुर की थाप। आह आह, मुझे गर्भवती कर दो ताकि मैं तुम्हारे जैसे दमदार लन्ड वाले पुत्र को जन्म दूं। आह आह मेरा छुटने वाला है आह आह, मैं गई आह आआह्ह्हह्ह
और ऐसा कह कर रांझा का शरीर ऐंठने लगता है और उसकी योनि से भल भला कर योनि रस बाहर निकलने लगता है जो राजा विक्रम के लन्ड को भीगो देती है
Superb. Kuch bhi kehla maa bete ka pehla milan bahut acha tha iske mukaable. ThanksUpdate 28
देवकी राजा विक्रम के बालों में ऊंगली फिराते रहती है और विक्रम देवकी से लिपटे रहते हैं। थोड़ी देर में विक्रम अपना सिर उठा कर देवकी की आंखों में देखते हैं और कहते हैं
कैसा लगा मां? बेटे से चूद कर, मजा आया ना। आज अपनी सुहागरात है और मैंने रत्ना को तो चोदा ही, साथ ही मैंने तुम्हें भी चोद दिया। तुम्हें चोद कर एक अलग ही सुख मिलता है मां। मन करता है अपना लिंग आपकी योनि में डाल कर पड़ा रहूं। और हां मेरे रहते आपको दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है। आपका ये पुत्र आपको दिलो जान से चाहता है और आपको यौन सुख में कोई कमी नहीं होने देगा। ये सच है कि मेरा विवाह हो गया है। किन्तु मै अपनी मां के प्रति फर्ज से विमुख नहीं हो सकता।
तब देवकी कहती है
मैं जानती हूं कि मेरा पुत्र मुझे बहुत प्यार करता है और दिलो जान से मुझे प्यार करता है। मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मुझे नहीं पता था कि मेरे ही घर में, मेरे पीठ पीछे, कोई और नहीं, बल्कि मेरा पुत्र ही मुझे इतना प्यार करता है । पुत्र, तुमने यौन सुख दे कर मुझे आनंदित कर दिया है क्योंकि मुझे पुरुष संसर्ग की आदत है। आपके पिताजी ने ही मुझे यह आदत लगा दी थी। मै और आपके पिता जी प्रत्येक रात पूर्ण नग्न होकर मस्त चूदाई किया करते थे। और इसीलिए मुझे सम्भोग की आदत लग गई थीं।
दोनों मां बेटे अभी ये बातें कर रहे थे । उधर रांझा देवकी के महल में ही थी जो दूसरे कक्ष में सामान को व्यवस्थित कर रही थी जो पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता के कारण बिखरा हुआ था। देवकी इस बात को तो जानती थी, लेकिन रांझा से वह अब इतनी खुल गई थीं कि उसे रांझा से कोई शर्म नहीं थी। तभी रांझा कक्ष व्यवस्थित कर देवकी के कक्ष में पहुंच जाती है और दोनों मां बेटे को ऐसे ही नंगे लेटे देख लेती है और कहती है
तब मन गई मां बेटे की सुहागरात। वही मैं कहूं दूसरे कक्ष में देवकी की सिसकियों की आवाज क्यों आ रही है।
ऐसा कह कर रांझा मुस्कुरा देती है। रांझा को आते देवकी तो देख लेती है लेकिन उसकी आवाज सुन कर राजा विक्रम जैसे ही पलटते हैं उनका लन्ड भी सामने आ जाता है जो बिल्कुल रांझा के सम्मुख आ जाता है जिसे रांझा आंखे फाड़े देखने लगती है और उसका मुंह राजा विक्रम के मनोहारी लन्ड को देख कर खुला रह जाता है। राजमाता देवकी रांझा की स्थिति समझ जाती है और कहती है
ऐसे मुंह फाड़े क्या देख रही है, तू तो ऐसे देख रही है जैसे कभी विक्रम का लिंग तुमने कभी देखा ही नहीं। चल इधर आ हमारे पास।
देवकी के ऐसा कहने से रांझा उस शैय्या के पास आ जाती है जिस पर राजा विक्रम और राजमाता देवकी नंगे ही लेटे हुए थे। देवकी रांझा को जबरदस्ती उस बिस्तर पर बैठा देती है और कहती है
ऐसे क्या देख रही थी मेरे प्यारे पुत्र के लिंग को। चल पकड़ ले इसके लिंग को, छू ले इसे, नहीं तो बाद में मुझे परेशान करती रहेगी की विक्रम का लन्ड कितना मस्त है, मुझे छूना था । और तो और मुझे छेड़ती रहेगी कि बताओ ना, बताओ ना, विक्रम का लन्ड छूकर, सहलाकर तुम्हें कैसा लगा।
ऐसा कह कर देवकी रांझा का हाथ विक्रम के लन्ड पर रख कर कस देती है। रांझा भी विक्रम के लन्ड पर से हाथ नहीं हटाती है, बल्कि उल्टा राजा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से कस कर पकड़ लेती है और उसे धीरे धीरे सहलाने लगती है। राजा विक्रम का लन्ड बड़ा तो था ही, देवकी की चूदाई के बाद भी अभी थोड़ा सा कड़ा ही था। रांझा के हाथ लगाने से विक्रम का लन्ड धीरे धीरे जागने लगता है और उसमें कड़ापन आने लगता है। सहलाते सहलाते ही लन्ड की चमड़ी पीछे हो जाती है और विक्रम के लन्ड का गुलाबी सुपाड़ा बाहर आ जाता है जो बिल्कुल गुलाबी रंग के रसगुल्ले की तरह दिख रहा था। रांझा ने उत्सुकतावश विक्रम के गुलाबी सुपाड़े पर अपनी उंगली फिरा दी जिससे विक्रम का लन्ड टनटना जाता है और विक्रम के मुंह से आह निकल जाती है। विक्रम तब अपने हाथ से रांझा का एक स्तन पकड़ लेते हैं और कहते हैं
बहुत मजा आ रहा है धाय मां। और सहलाओ ना मेरा लिंग। आपका शरीर कितना गठीला है धाय मां !!!
( राजघराने की स्त्रियां ज्यादा काम तो करती नहीं थी, बल्कि सजने संवरने में उनका समय ज्यादा गुजरता था, इसलिए उनका शरीर कोमल होता था, जबकि अन्य स्त्रियां घर के सभी कार्य करती थी जिससे उनका शरीर गठीला और सुडौल रहा करता था, उनके स्तन सुडौल तथा नितम्ब चुस्त रहते थे )
राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चोली के ऊपर से ही दबा रहे थे जो उन्हें काफी सुडौल महसूस हो रहे थे। फिर विक्रम ने अपने दूसरे हाथ से रांझा की चोली की डोर खोल देते हैं जिससे उसकी चोली ढीली होकर खुल जाती है जिसे राजा विक्रम अपने हाथों से पकड़ कर अलग कर देते हैं। अब रांझा का नग्न स्तन राजा विक्रम के सामने आ जाता है जिसे देख कर वे मोहित हो जाते हैं। रांझा का रंग थोडा हल्का था ही, सो उसका सावला सलोना स्तन तथा भूरे चुचुक विक्रम के सामने आ जाते हैं । विक्रम अपने को रोक नहीं पाते हैं और अपने हाथ से रांझा की नंगी चूची को दबाने लगते हैं और बीच बीच में उसके चूची के दाने को अपनी उंगलियों से मसल देते हैं जिससे रांझा के मुंह से आह निकल जाती है। राजा विक्रम रांझा की आंखों में देखते हुए ऐसा करते हैं और फिर धीरे से अपना मुंह रांझा के स्तन पर ले जाते हैं और उसे चूसने लगते हैं। रांझा को असीम आनंद मिलता है और वह विक्रम के सिर को अपने स्तन पर दबा देती है और कहती है
चुसिए, विक्रम चूसिए, आपने इन स्तनों का दूध खूब पिया है
तब देवकी कहती है
पिला दे ना रांझा फिर से अपने स्तनों का दूध मेरे लल्ला को
और ऐसा बोलकर देवकी विक्रम के सिर पर हाथ फेर देती है। राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चूसते चूसते एक हाथ सीधे नीचे ले जाकर रांझा के लहंगे के ऊपर से उसकी योनि पर रख देते हैं और दबाने लगते हैं जिससे रांझा मुस्कुरा देती है। तभी विक्रम थोड़ा हट कर रांझा की आंखों में देखते हुए कहते हैं
धाय मां, यदि मैं आपकी योनि को नंगा सहलाऊं, तो क्या आपको आपत्ति होगी?
इस पर रांझा कहती है
यह तो किसी भी स्त्री का सौभाग्य होगा कि आप जैसे गबरू जवान से अपनी योनि सहलवाएं ।
और ऐसा कह कर रांझा विक्रम के मुख पर चुम्बन जड़ देती है। तब राजा विक्रम कहते हैं
धाय मां, मै तो डर रहा था कि कहीं आपको बुरा ना लग जाए
तब रांझा कहती है
बुरा क्यों लगेगा मुझे, एक बार आपने कह कर तो देखा होता
इस वार्तालाप के दौरान रांझा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से पकड़े ही रहती है और सहलाती रहती है, तो देवकी यह देख कर कहती है
देखो तो, ये इतनी दीवानी है लल्ला के लिंग की, कि ये इसके लिंग को छोड़ ही नहीं रही है
इस पर रांझा कहती है
इतना प्यारा लिंग है कि इसे छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा है
और ऐसा कह कर रांझा झुक कर विक्रम के लन्ड को चूम लेती है और फिर उसे मुंह में भर कर चूसने लगती है जिससे विक्रम की आहें निकल जाती है और विक्रम कहते हैं
चूसो धाय मां, चूसो ना, बहुत मजा आ रहा है। आह आह, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि आप भी मेरा लिंग चूस रही हैं। आह आह ।
ये सब देवकी देख रही थी। उससे भी रहा नहीं गया और वह उठ कर विक्रम के बालों मे उंगली फिराने लगी और उसके होंठों पर अपने होंठ रख देती है और चूमने लगती है। विक्रम को मस्ती चढ़ गई और वे अपने हाथ से देवकी की योनि सहलाने लगे और दूसरे हाथ को रांझा के स्तनों से हटा कर उसके घाघरे के अन्दर डाल देते हैं और रांझा की बुर घाघरे के नीचे नंगी रहती है तो वह रांझा की नंगी योनि को सहलाने लगते हैं। रांझा की योनि भी कसी रहती है। रांझा का घाघरा व्यवधान पैदा कर रहा था तो विक्रम ने घाघरा का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया जिससे रांझा का घाघरा सरसराते हुए नीचे गिर गया जिससे रांझा नीचे से भी पूरी नंगी हो गई, ऊपर से तो वह पहले से नंगी थी ही । अब देवकी के कक्ष में तीनो पूर्ण रूप से नग्न थे। विक्रम अब दोनों की बुर को सहला रहे थे। तभी रांझा भी खड़े हो कर विक्रम के मुख को चूमने लगती है तो देवकी अपने होंठ अलग कर लेती है तब रांझा विक्रम के होंठों को चूमने चूसने लगती है। इधर विक्रम भी रांझा की योनि को फैला कर उसके भगनासे को रगड़ने लगते हैं जिससे रांझा और उत्तेजित हो जाती है। विक्रम को रांझा की योनि कसी हुई महसूस होती है, बल्कि रांझा का पूरा शरीर ही कसा हुआ महसूस होता है और कसा हुआ शरीर अलग ही मजा देता है।
रांझा आहें भरने लगती है तो विक्रम रांझा को लिटा देते हैं और उसकी योनि देख कर कहते हैं
धाय मां, आपकी योनि बड़ी कसी हुई लग रही है
इस पर रांझा शरमा जाती है। तब राजा विक्रम रांझा की योनि को चूम लेते हैं और फिर चाटने लगते हैं। रांझा का शरीर इस तरह चाटने से अकड़ने लगता है और विक्रम को वह अपने ऊपर खींच लेती है और विक्रम के लन्ड को अपने बुर पर रगड़ने लगती है। विक्रम समझ जाते हैं कि रांझा अब उनका लन्ड अपनी योनि में डलवाना चाह रही है। तो राजा विक्रम अपना लन्ड रांझा की योनि पर रख कर हल्का धक्का लगाते हैं तो उनका लन्ड योनि के अंदर थोड़ा अंदर चल जाता है और रांझा की योनि से योनि रस निकल कर विक्रम के लन्ड पर लग जाता है जिसका अनुभव विक्रम को आनंदित कर रहा था। रांझा कहती है
अन्दर डालिए विक्रम अपने लौड़े को, बहुत मजा आ रहा है
मुझे भी बहुत मजा आ रहा है धाय मां। मैं तो यही सोच रहा हूं कि मैं कितना खुशकिस्मत हूं कि मैंने अपनी सगी मां को भी चोदा और आज धाय मां को भी चोद रहा हूं। ये लीजिए धाय मां मेरा पूरा लिंग अपनी योनि में।
ऐसा कह कर विक्रम थोड़ा और धक्का देते हैं तो विक्रम का पूरा लन्ड रांझा की योनि में समा कर गुम हो जाता है और सीधे बच्चेदानी से टकरा जाता है जिस पर रांझा कहती है
आज मैं पहली बार अपने बच्चेदानी पर लौड़े का ठाप महसूस कर पा रही हूं, आह आह,, कितना मजा आ रहा है,। मैने जबसे आपका लिंग देखा है, खास कर के जबसे नंदिनी को चोदते देखा है तबसे आपसे चुदवाना चाह रही थी। और जोर से चोदिए लल्ला और जोर से। उफ्फ उफ्फ, आह आह। मैं सोचती थी जब ये अपनी बड़ी बहन को चोद सकते हैं तो मुझे क्यों नहीं !!! आज मेरी इच्छा पूरी हुई लल्ला, आह आह।
तब राजा विक्रम कहते हैं
मै तो खुद ही आपको चोदना चाहता था धाय मां और आज देखिए आप दोनो मारे साथ नंगी हैं। आज तो मेरी और आपकी भी सुहागरात हो गई। ये लीजिए धाय मां मेरा लौड़ा और अन्दर।
और राजा विक्रम सटासत रांझा की बुर में अपना लन्ड पूरा अंदर बाहर करने लगते हैं। देवकी का पूरा कक्ष फ्च फाच की आवाज से गूंजने लगता है। रांझा की योनि भी विक्रम के लन्ड को टक्कर दे रही थी। तब विक्रम रांझा के स्तनों को चूसने लगते हैं और नीचे से उसकी योनि को फैला कर जबरदस्त तरीके से चोदने लगते हैं। चूची चूसे जाने से रांझा कमजोर पड़ने लगती है और यह अपनी कमर को उठा उठा कर विक्रम के लन्ड को धक्के देने लगती है और कहती है
आह आह, ये लो विक्रम मेरी बुर की थाप। आह आह, मुझे गर्भवती कर दो ताकि मैं तुम्हारे जैसे दमदार लन्ड वाले पुत्र को जन्म दूं। आह आह मेरा छुटने वाला है आह आह, मैं गई आह आआह्ह्हह्ह
और ऐसा कह कर रांझा का शरीर ऐंठने लगता है और उसकी योनि से भल भला कर योनि रस बाहर निकलने लगता है जो राजा विक्रम के लन्ड को भीगो देती है
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUpdate 28
देवकी राजा विक्रम के बालों में ऊंगली फिराते रहती है और विक्रम देवकी से लिपटे रहते हैं। थोड़ी देर में विक्रम अपना सिर उठा कर देवकी की आंखों में देखते हैं और कहते हैं
कैसा लगा मां? बेटे से चूद कर, मजा आया ना। आज अपनी सुहागरात है और मैंने रत्ना को तो चोदा ही, साथ ही मैंने तुम्हें भी चोद दिया। तुम्हें चोद कर एक अलग ही सुख मिलता है मां। मन करता है अपना लिंग आपकी योनि में डाल कर पड़ा रहूं। और हां मेरे रहते आपको दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है। आपका ये पुत्र आपको दिलो जान से चाहता है और आपको यौन सुख में कोई कमी नहीं होने देगा। ये सच है कि मेरा विवाह हो गया है। किन्तु मै अपनी मां के प्रति फर्ज से विमुख नहीं हो सकता।
तब देवकी कहती है
मैं जानती हूं कि मेरा पुत्र मुझे बहुत प्यार करता है और दिलो जान से मुझे प्यार करता है। मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मुझे नहीं पता था कि मेरे ही घर में, मेरे पीठ पीछे, कोई और नहीं, बल्कि मेरा पुत्र ही मुझे इतना प्यार करता है । पुत्र, तुमने यौन सुख दे कर मुझे आनंदित कर दिया है क्योंकि मुझे पुरुष संसर्ग की आदत है। आपके पिताजी ने ही मुझे यह आदत लगा दी थी। मै और आपके पिता जी प्रत्येक रात पूर्ण नग्न होकर मस्त चूदाई किया करते थे। और इसीलिए मुझे सम्भोग की आदत लग गई थीं।
दोनों मां बेटे अभी ये बातें कर रहे थे । उधर रांझा देवकी के महल में ही थी जो दूसरे कक्ष में सामान को व्यवस्थित कर रही थी जो पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता के कारण बिखरा हुआ था। देवकी इस बात को तो जानती थी, लेकिन रांझा से वह अब इतनी खुल गई थीं कि उसे रांझा से कोई शर्म नहीं थी। तभी रांझा कक्ष व्यवस्थित कर देवकी के कक्ष में पहुंच जाती है और दोनों मां बेटे को ऐसे ही नंगे लेटे देख लेती है और कहती है
तब मन गई मां बेटे की सुहागरात। वही मैं कहूं दूसरे कक्ष में देवकी की सिसकियों की आवाज क्यों आ रही है।
ऐसा कह कर रांझा मुस्कुरा देती है। रांझा को आते देवकी तो देख लेती है लेकिन उसकी आवाज सुन कर राजा विक्रम जैसे ही पलटते हैं उनका लन्ड भी सामने आ जाता है जो बिल्कुल रांझा के सम्मुख आ जाता है जिसे रांझा आंखे फाड़े देखने लगती है और उसका मुंह राजा विक्रम के मनोहारी लन्ड को देख कर खुला रह जाता है। राजमाता देवकी रांझा की स्थिति समझ जाती है और कहती है
ऐसे मुंह फाड़े क्या देख रही है, तू तो ऐसे देख रही है जैसे कभी विक्रम का लिंग तुमने कभी देखा ही नहीं। चल इधर आ हमारे पास।
देवकी के ऐसा कहने से रांझा उस शैय्या के पास आ जाती है जिस पर राजा विक्रम और राजमाता देवकी नंगे ही लेटे हुए थे। देवकी रांझा को जबरदस्ती उस बिस्तर पर बैठा देती है और कहती है
ऐसे क्या देख रही थी मेरे प्यारे पुत्र के लिंग को। चल पकड़ ले इसके लिंग को, छू ले इसे, नहीं तो बाद में मुझे परेशान करती रहेगी की विक्रम का लन्ड कितना मस्त है, मुझे छूना था । और तो और मुझे छेड़ती रहेगी कि बताओ ना, बताओ ना, विक्रम का लन्ड छूकर, सहलाकर तुम्हें कैसा लगा।
ऐसा कह कर देवकी रांझा का हाथ विक्रम के लन्ड पर रख कर कस देती है। रांझा भी विक्रम के लन्ड पर से हाथ नहीं हटाती है, बल्कि उल्टा राजा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से कस कर पकड़ लेती है और उसे धीरे धीरे सहलाने लगती है। राजा विक्रम का लन्ड बड़ा तो था ही, देवकी की चूदाई के बाद भी अभी थोड़ा सा कड़ा ही था। रांझा के हाथ लगाने से विक्रम का लन्ड धीरे धीरे जागने लगता है और उसमें कड़ापन आने लगता है। सहलाते सहलाते ही लन्ड की चमड़ी पीछे हो जाती है और विक्रम के लन्ड का गुलाबी सुपाड़ा बाहर आ जाता है जो बिल्कुल गुलाबी रंग के रसगुल्ले की तरह दिख रहा था। रांझा ने उत्सुकतावश विक्रम के गुलाबी सुपाड़े पर अपनी उंगली फिरा दी जिससे विक्रम का लन्ड टनटना जाता है और विक्रम के मुंह से आह निकल जाती है। विक्रम तब अपने हाथ से रांझा का एक स्तन पकड़ लेते हैं और कहते हैं
बहुत मजा आ रहा है धाय मां। और सहलाओ ना मेरा लिंग। आपका शरीर कितना गठीला है धाय मां !!!
( राजघराने की स्त्रियां ज्यादा काम तो करती नहीं थी, बल्कि सजने संवरने में उनका समय ज्यादा गुजरता था, इसलिए उनका शरीर कोमल होता था, जबकि अन्य स्त्रियां घर के सभी कार्य करती थी जिससे उनका शरीर गठीला और सुडौल रहा करता था, उनके स्तन सुडौल तथा नितम्ब चुस्त रहते थे )
राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चोली के ऊपर से ही दबा रहे थे जो उन्हें काफी सुडौल महसूस हो रहे थे। फिर विक्रम ने अपने दूसरे हाथ से रांझा की चोली की डोर खोल देते हैं जिससे उसकी चोली ढीली होकर खुल जाती है जिसे राजा विक्रम अपने हाथों से पकड़ कर अलग कर देते हैं। अब रांझा का नग्न स्तन राजा विक्रम के सामने आ जाता है जिसे देख कर वे मोहित हो जाते हैं। रांझा का रंग थोडा हल्का था ही, सो उसका सावला सलोना स्तन तथा भूरे चुचुक विक्रम के सामने आ जाते हैं । विक्रम अपने को रोक नहीं पाते हैं और अपने हाथ से रांझा की नंगी चूची को दबाने लगते हैं और बीच बीच में उसके चूची के दाने को अपनी उंगलियों से मसल देते हैं जिससे रांझा के मुंह से आह निकल जाती है। राजा विक्रम रांझा की आंखों में देखते हुए ऐसा करते हैं और फिर धीरे से अपना मुंह रांझा के स्तन पर ले जाते हैं और उसे चूसने लगते हैं। रांझा को असीम आनंद मिलता है और वह विक्रम के सिर को अपने स्तन पर दबा देती है और कहती है
चुसिए, विक्रम चूसिए, आपने इन स्तनों का दूध खूब पिया है
तब देवकी कहती है
पिला दे ना रांझा फिर से अपने स्तनों का दूध मेरे लल्ला को
और ऐसा बोलकर देवकी विक्रम के सिर पर हाथ फेर देती है। राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चूसते चूसते एक हाथ सीधे नीचे ले जाकर रांझा के लहंगे के ऊपर से उसकी योनि पर रख देते हैं और दबाने लगते हैं जिससे रांझा मुस्कुरा देती है। तभी विक्रम थोड़ा हट कर रांझा की आंखों में देखते हुए कहते हैं
धाय मां, यदि मैं आपकी योनि को नंगा सहलाऊं, तो क्या आपको आपत्ति होगी?
इस पर रांझा कहती है
यह तो किसी भी स्त्री का सौभाग्य होगा कि आप जैसे गबरू जवान से अपनी योनि सहलवाएं ।
और ऐसा कह कर रांझा विक्रम के मुख पर चुम्बन जड़ देती है। तब राजा विक्रम कहते हैं
धाय मां, मै तो डर रहा था कि कहीं आपको बुरा ना लग जाए
तब रांझा कहती है
बुरा क्यों लगेगा मुझे, एक बार आपने कह कर तो देखा होता
इस वार्तालाप के दौरान रांझा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से पकड़े ही रहती है और सहलाती रहती है, तो देवकी यह देख कर कहती है
देखो तो, ये इतनी दीवानी है लल्ला के लिंग की, कि ये इसके लिंग को छोड़ ही नहीं रही है
इस पर रांझा कहती है
इतना प्यारा लिंग है कि इसे छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा है
और ऐसा कह कर रांझा झुक कर विक्रम के लन्ड को चूम लेती है और फिर उसे मुंह में भर कर चूसने लगती है जिससे विक्रम की आहें निकल जाती है और विक्रम कहते हैं
चूसो धाय मां, चूसो ना, बहुत मजा आ रहा है। आह आह, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि आप भी मेरा लिंग चूस रही हैं। आह आह ।
ये सब देवकी देख रही थी। उससे भी रहा नहीं गया और वह उठ कर विक्रम के बालों मे उंगली फिराने लगी और उसके होंठों पर अपने होंठ रख देती है और चूमने लगती है। विक्रम को मस्ती चढ़ गई और वे अपने हाथ से देवकी की योनि सहलाने लगे और दूसरे हाथ को रांझा के स्तनों से हटा कर उसके घाघरे के अन्दर डाल देते हैं और रांझा की बुर घाघरे के नीचे नंगी रहती है तो वह रांझा की नंगी योनि को सहलाने लगते हैं। रांझा की योनि भी कसी रहती है। रांझा का घाघरा व्यवधान पैदा कर रहा था तो विक्रम ने घाघरा का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया जिससे रांझा का घाघरा सरसराते हुए नीचे गिर गया जिससे रांझा नीचे से भी पूरी नंगी हो गई, ऊपर से तो वह पहले से नंगी थी ही । अब देवकी के कक्ष में तीनो पूर्ण रूप से नग्न थे। विक्रम अब दोनों की बुर को सहला रहे थे। तभी रांझा भी खड़े हो कर विक्रम के मुख को चूमने लगती है तो देवकी अपने होंठ अलग कर लेती है तब रांझा विक्रम के होंठों को चूमने चूसने लगती है। इधर विक्रम भी रांझा की योनि को फैला कर उसके भगनासे को रगड़ने लगते हैं जिससे रांझा और उत्तेजित हो जाती है। विक्रम को रांझा की योनि कसी हुई महसूस होती है, बल्कि रांझा का पूरा शरीर ही कसा हुआ महसूस होता है और कसा हुआ शरीर अलग ही मजा देता है।
रांझा आहें भरने लगती है तो विक्रम रांझा को लिटा देते हैं और उसकी योनि देख कर कहते हैं
धाय मां, आपकी योनि बड़ी कसी हुई लग रही है
इस पर रांझा शरमा जाती है। तब राजा विक्रम रांझा की योनि को चूम लेते हैं और फिर चाटने लगते हैं। रांझा का शरीर इस तरह चाटने से अकड़ने लगता है और विक्रम को वह अपने ऊपर खींच लेती है और विक्रम के लन्ड को अपने बुर पर रगड़ने लगती है। विक्रम समझ जाते हैं कि रांझा अब उनका लन्ड अपनी योनि में डलवाना चाह रही है। तो राजा विक्रम अपना लन्ड रांझा की योनि पर रख कर हल्का धक्का लगाते हैं तो उनका लन्ड योनि के अंदर थोड़ा अंदर चल जाता है और रांझा की योनि से योनि रस निकल कर विक्रम के लन्ड पर लग जाता है जिसका अनुभव विक्रम को आनंदित कर रहा था। रांझा कहती है
अन्दर डालिए विक्रम अपने लौड़े को, बहुत मजा आ रहा है
मुझे भी बहुत मजा आ रहा है धाय मां। मैं तो यही सोच रहा हूं कि मैं कितना खुशकिस्मत हूं कि मैंने अपनी सगी मां को भी चोदा और आज धाय मां को भी चोद रहा हूं। ये लीजिए धाय मां मेरा पूरा लिंग अपनी योनि में।
ऐसा कह कर विक्रम थोड़ा और धक्का देते हैं तो विक्रम का पूरा लन्ड रांझा की योनि में समा कर गुम हो जाता है और सीधे बच्चेदानी से टकरा जाता है जिस पर रांझा कहती है
आज मैं पहली बार अपने बच्चेदानी पर लौड़े का ठाप महसूस कर पा रही हूं, आह आह,, कितना मजा आ रहा है,। मैने जबसे आपका लिंग देखा है, खास कर के जबसे नंदिनी को चोदते देखा है तबसे आपसे चुदवाना चाह रही थी। और जोर से चोदिए लल्ला और जोर से। उफ्फ उफ्फ, आह आह। मैं सोचती थी जब ये अपनी बड़ी बहन को चोद सकते हैं तो मुझे क्यों नहीं !!! आज मेरी इच्छा पूरी हुई लल्ला, आह आह।
तब राजा विक्रम कहते हैं
मै तो खुद ही आपको चोदना चाहता था धाय मां और आज देखिए आप दोनो मारे साथ नंगी हैं। आज तो मेरी और आपकी भी सुहागरात हो गई। ये लीजिए धाय मां मेरा लौड़ा और अन्दर।
और राजा विक्रम सटासत रांझा की बुर में अपना लन्ड पूरा अंदर बाहर करने लगते हैं। देवकी का पूरा कक्ष फ्च फाच की आवाज से गूंजने लगता है। रांझा की योनि भी विक्रम के लन्ड को टक्कर दे रही थी। तब विक्रम रांझा के स्तनों को चूसने लगते हैं और नीचे से उसकी योनि को फैला कर जबरदस्त तरीके से चोदने लगते हैं। चूची चूसे जाने से रांझा कमजोर पड़ने लगती है और यह अपनी कमर को उठा उठा कर विक्रम के लन्ड को धक्के देने लगती है और कहती है
आह आह, ये लो विक्रम मेरी बुर की थाप। आह आह, मुझे गर्भवती कर दो ताकि मैं तुम्हारे जैसे दमदार लन्ड वाले पुत्र को जन्म दूं। आह आह मेरा छुटने वाला है आह आह, मैं गई आह आआह्ह्हह्ह
और ऐसा कह कर रांझा का शरीर ऐंठने लगता है और उसकी योनि से भल भला कर योनि रस बाहर निकलने लगता है जो राजा विक्रम के लन्ड को भीगो देती है