update 27
राजा विक्रम और रानी रत्ना दोनो ऐसे ही नंगे एक दूसरे से चिपके लेटे रहते हैं। रत्ना को चूदाई का, यौन सम्बंध का, ये पहला अनुभव था और वह इस अद्भुत सुख से आह्लादित हो कर मदहोशी में राजा विक्रम के नंगे बदन से चिपक कर सो जाती है। रत्ना ने कभी सपने में भी इस तरह के सुख की कल्पना नहीं की थी। उसका रोम रोम इस चूदाई से पुलकित हो गया था। उसे राजा विक्रम की नंगी बाहों मे गहरी नींद आ जाती है।
लेकिन राजा विक्रम की आंखों में पता नहीं क्यों नींद ही नहीं थी। साथ ही उनके लिंग पर योनि रस और वीर्य का मिश्रण भी लगा हुआ था, तो वह धीरे से रत्ना को खुद से अलग करते हैं और उसके नंगे बदन पर हल्की चादर डाल देते हैं और खुद स्नानघर में घुस कर अपने लिंग को शीतल जल से साफ करते हैं और मन में कहते हैं तेरे तो मजे ही मजे हैं लन्ड महाराज।
राजा विक्रम को नींद नहीं आ रही थी सो वे धोती पहन कर और एक चादर ओढ़ कर कक्ष से बाहर राज परिवार के लिए आरक्षित भाग में घूमने निकल जाते हैं जहां कोई बाहरी आता जाता नहीं था। घूमते घूमते राजा विक्रम अपनी माता देवकी के कक्ष के पास पहुंच जाते हैं। वहां पहुंच कर वे देखते हैं कि उनकी माता के कक्ष में दीप जल रहा है, तो उन्हें आश्चर्य होता है की इतनी रात में माता के कक्ष में दीप क्यों जल रहा है। यही देखने के लिए वे राजमाता देवकी के कक्ष में चले जाते हैं। कक्ष का ये हिस्सा राजपरिवार का अपना हिस्सा था जिधर से केवल राजपरिवार के लोग ही आ जा सकते थे ।
कक्ष में पहुंच कर राजा विक्रम अपनी माता को जगा हुआ पाते है जो अपने पुराने वस्त्रों को देख रही थी। उन्हें देख कर राजा विक्रम कहते हैं
आप अभी तक जगी है माते और आप ये कौन से कपड़े देख रही है।
इस पर देवकी कहती है
पुत्र, आज तुम्हारे पिता श्री की बड़ी याद आ रही थी। ये देखो, ये मेरी शादी का जोड़ा। अभी तक कितना नया दिख रहा है, है ना।
तब राजा विक्रम कहते हैं
हां माते, बिल्कुल नया दिख रहा है। लेकिन आपको दुखी होने की जरूरत नहीं है । आपका ये पुत्र आपकी हर जरूरत पूरा करेगा और आपकी पिता श्री की कभी कमी महसूस नहीं होने देगा। आपको पिताश्री ने जो भी सुख दिया है उससे ज्यादा खुश रखेगा आपको।
ये सुनकर राजमाता देवकी राजा विक्रम को गले लगाकर लिपट जाती हैं और कहती हैं
वो तो मैं जानती ही हूं कि मेरा पुत्र मुझे एक पुरुष का सुख देकर अपने पिताश्री के कर्तव्यों को पूरा कर रहा है । लेकिन अब तुम्हारा विवाह हो गया है। तुम अब सारा ध्यान रत्ना पे दो।
इस पर राजा विक्रम कहते हैं
माते मुझे रत्ना का पूरा ख्याल है तथा उसे पुरुष का सुख देने में कोई कमी नहीं होगी। मै उसे पति का भरपूर प्यार दूंगा। लेकिन मैं आपको और दीदी को नहीं छोड़ सकता। आप दोनो को प्यार किए बिना मैं नहीं रह सकता। देखो, एक व्यक्ति एक साथ एक से अधिक लोगों से प्यार कर सकता है।
इस पर देवकी कहती है
इतना प्यार करते हो अपनी मां और बहन से!!!
और ऐसा कह कर देवकी राजा विक्रम के होंठों को चूम लेती है तब राजा विक्रम भी आगे बढ़ कर अपनी मां के होंठों को चूसने लगते हैं और अपना एक हाथ सीधे देवकी के चूची पर रख कर दबाने लगते हैं । देवकी तो पहले से ही पुरुष संसर्ग को तड़प रही थी और स्तन दबाने से वह और भी उत्तेजित हो जाती है। राजा विक्रम उसके चुचुको को चोली के ऊपर से मसलने लगते हैं जिससे देवकी राजा विक्रम को आगोश मे लेने लगती है । तभी विक्रम हाथ पीछे ले जाकर चोली की डोर खोल देते हैं जिससे चोली ढीली हो जाती है और देवकी स्वयं अपनी चोली निकाल देती है और विक्रम के हाथ अपने स्तन पर रख देती है और विक्रम उसके नंगे स्तनों को दबाने लगते हैं । फिर अपनी मां के चुम्बन को छोड़ कर उसके स्तन को चूसने लगते हैं। अब एक हाथ से वे एक स्तन को दबा रहे थे और दूसरे को चूस रहे थे। देवकी असीम आनंद में डूब गई थीं।
राजा विक्रम तो ऊपर से नंगे थे ही, अपनी चादर भी फेक देते हैं तो राजमाता देवकी धोती के उपर से ही राजा विक्रम के लिंग को सहलाने लगती है। इधर राजा विक्रम भी अपने हाथ नीचे ले जाकर घाघरे के ऊपर से ही देवकी की योनि को दबोच लेते हैं और तेज तेज रगड़ने लगे और फिर घाघरे का नाडा पकड़ कर खींच देते हैं जिससे घाघरा पूरा सरसरा कर नीचे गिर जाता है और विक्रम उसके नंगे बुर को हाथ में भर कर सहलाने लगता है। तब देवकी भी विक्रम की धोती निकाल कर उसके लन्ड को पकड़ कर हिलाने लगती है । राजा विक्रम का लन्ड फिर खड़ा हो जाता है तो देवकी कहती है
तेरा तो हब्बासी लन्ड है बेटा। अभी रत्ना को चोद कर आया है और फिर से खड़ा हो गया
इस पर राजा विक्रम कहते हैं
ये लन्ड आपनी मां को देख कर ऐसे ही खड़ा हो जाता है
इस पर देवकी गले लग कर कहती है।
इतना प्यार करते हो अपनी मां से !!!
हां माते, बहुत ज्यादा।
और ये कह कर राजा विक्रम अपनी माता देवकी को नंगे उठा कर शैय्या पर ले जाकर लिटा देते हैं। दोनो मादरजात नंगे रहते ही हैं और राजा विक्रम देवकी के बुर पर अपना लन्ड रगड़ते हैं और कहते हैं
माते मैं आज सुहागरात में आपकी योनि को अपने लन्ड से चोदने की इजाजत मांगता हूं
अब देवकी कहती हैं
चोद ले बेटा चोद ले, अपनी मां को और उसे मजे दिला ।
तब राजा विक्रम धीरे धीरे अपनी मां की बुर में अपना लन्ड डालने लगते हैं और उनकी चूची को चूसने लगते हैं। लन्ड डालने से और चूची चुसने से देवकी की योनि पूरी गीली हो जाती है और विक्रम का लन्ड तेजी से अन्दर बाहर करने लगता है। देवकी की बुर से फच्च फाच्च की आवाज आने लगती है और देवकी मदहोशी में बोलने लगती है
और चोद बेटा और चोद। और चोद मेरे बालम। मेरे सईयां!!! तेरा लन्ड तो मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा है। आह आह। लगता है तू मुझे भी कोख से कर देगा
तब राजा विक्रम कहते हैं
ये लीजिए माते, ये लीजिए अपने पुत्र का लिंग अपनी योनि की गहराइयों में। जिस बुर से निकला उसी को चोद रहा है, उसे यौन सुख दे रहा है। माते, ये संसार में विरले लोगों की ही अपनी मां की बुर चोदने का मौका मिल पाता है
और जोश में राजा विक्रम अपनी मां की बुर को खचा खच फच्चा फच चोदने लगते हैं
दोनो मां बेटा घमसान चूदाई करते हैं जिसमे देवकी तीन बार झड़ चुकी थी और तभी विक्रम का शरीर अकड़ने लगता है और वे कहते हैं
मेरा निकलने वाला है मां, आह आह
तब देवकी अपने पैरों को कैची बना कर राजा विक्रम को जकड़ लेती हैं जिससे राजा विक्रम अपना सारा वीर्य अपनी मां की योनि में छोड़ देते हैं और देवकी की योनि से उसकी योनि रस और वीर्य बहने लगते हैं और राजा विक्रम अपनी मां देवकी की योनि में लन्ड डाले हुए उसके ऊपर ढेर हो जाते है । और राजमाता देवकी राजा विक्रम के वालों में धीरे धीरे अपनी ऊंगली फिराते रहती है ......