Update 31
हम दोनों भाई बहन ऐसे ही नंगे सोए रहे। तभी मेरी नींद पक्षियों के कलरव से खुली । मैने खुद को विजय की बाहों में नंगा पाया। मै तुरन्त उठी और विजय को भी उठाया और उसे जल्दी से कपड़े पहन कर अपने कक्ष में चलने को कहा। नहीं तो हम दोनों भाई बहन को कोई ऐसे देख लेता तो बड़ी बदनामी होती। हम दोनों तैयार होकर जब बाहर आए तो पाया कि अभी प्रथम प्रहर है , अभी भोर हुई है और सभी अपने अपने कक्ष में सोए हुए हैं। तब जाकर हमारी जान मे जान आई और हम दोनों बिना कोई शोर किए अपने अपने कक्ष में जाकर रात की मीठी यादों को सोच सोच कर सो गए। सुबह फिर मेरी नींद तभी खुली जब अनुजा ने आकर मुझे जगाया। तब तक सभी जग चुके थे। मै भी फिर नित्यक्रिया हेतु स्नानघर में घुस गई।
इधर अनुजा को यह भनक ही नहीं लगी कि उसकी बहन रात्रि में अपने भाई से चूद चुकी है। मै भी स्नानघर से स्नान कर बाहर निकली और तैयार होकर अनुजा के साथ आंगन में चली गई जहां सभी लोग जुटे थे। विजय भी वहां पहले से मौजूद था। मेरी नजर उससे टकराई तो मैने देखा कि वह मुझे ही देख रहा है। मेरे देखते ही वह मुझे देख कर मुस्कुराया, तो मै भी मुस्कराने से स्वयं को नहीं रोक पाई। आज पता नहीं विजय का मुझे इस तरह देखना और मुस्कुराना मुझे अच्छा लग रहा था। लेकिन इसके बाद हम दोनों भाई बहन ऐसे व्यवहार कर रहे थे जैसे हमारे बीच कुछ हुआ ही ना हो, बिल्कुल सामान्य बातचीत हो रही थी। सभी लोग शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। आज ही शादी थी और आज ही बारात आने वाली थी।
पुत्र अब तुम्हें अपने प्रश्न का उत्तर मिल ही गया होगा। मै तुम्हारे पिताश्री से विवाह के समय बिल्कुल कुंवारी अनचूदी थी और विवाह के उपरांत आपके पिताश्री ने ही मेरी बुर की सील तोड़ी थी। मुझे कच्ची कली से फूल आपके पिताश्री ने ही बनाया। और फिर विवाह के कई वर्षों के बाद अपने छोटे भाई विजय के साथ मेरे नाजायज सम्बंध बने।
तब विक्रम कहते हैं,,, माते, मुझे तभी यह शक हुआ था जब आपने मेरे और नंदिनी दीदी के नाजायज सम्बंध को स्वीकार कर लिया था कि हो न हो आपको भी ऐसे अवैध संबंध का कुछ अनुभव है। अच्छा माते, आगे आप दोनों भाई बहन के बीच में कुछ हुआ या नहीं !! या बस यूं ही आपके सम्बंध समाप्त हो गए??
तब देवकी कहती है,,,
पुत्र, उस दिन हम सभी शादी की तैयारी में व्यस्त थे। फिर सभी दिन का खाना खाकर आराम कर रहे थे। मै इसी बीच थोड़ा महल के ऊपर छत पर चली गई और एकान्त में दूर क्षितिज को निहार रही थी। विजय ने भी मुझे ऊपर जाते देखा तो वह भी ऊपर आ गया और मेरे पीछे आ कर खड़ा हो गया और पीछे से मेरे कन्धे पर हाथ रख कर बोला,,,
दीदी,,,
उसकी आवाज सुन कर मेरी तंद्रा टूटी तो मैने उसे अपने पीछे पाया । लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा। विजय भी मेरे बगल में आकर खड़ा हो गया। हम दोनों चुप चाप खड़े हो कर दूर आकाश को निहार रहे थे। तभी विजय ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा,,
दीदी, कल रात को हमारे बीच जो कुछ हुआ, आपको कैसा लगा ।
इस पर मैने कोई जवाब नहीं दिया। तो विजय को थोड़ी घबराहट होने लगी की क्या बात हो गई जो मै जवाब नहीं दे रहा थी। विजय भी फिर कहा
मुझे तो बहुत अच्छा लगा दीदी, मेरी तो कल मनोकामना ही पूरी हो गई।
इस पर मैने कुछ नहीं कहा। लेकिन विजय की ओर घुम कर उसकी आंखों में देखा। देखते ही उसकी आंखों में मुझे आकर्षण और मेरे लिए अगाध प्रेम दिखा, तो मैं खुद को रोक नहीं पाई और मै विजय से लिपट गई और उसने भी मुझे अपनी बांहों में भर लिया और कहा,,
मुझे मेरे प्रश्नों का उत्तर मिल गया दीदी। मै तो सुबह से ही परेशान था, डरा हुआ था कहीं आपको कल रात की घटना बुरी तो नहीं लगी। मुझे डर था कि कही आप मुझसे नाराज़ हो कर मुझसे दूर न चली जाओ ।
तब मैंने उसकी बाहों में कसमसाते हुए कहा ,,,,,,,
मै क्यों बुरा मानने लगी भाई, मुझे तो कल रात बहुत मजा आया अपने प्यारे भाई के नीचे आकर। मै नहीं जानती थी कि मुझे तुम्हारे साथ यौन सम्बंध बना कर इतना मजा आयेगा। सच कहूं तो शादी के पहले भी मेरा मन तुम्हारे साथ बिस्तर गर्म करने का करता था। लेकिन डरती थी कि कहीं मेरी सील टूट गई तो मैं अपने पति को क्या जवाब दूंगी। लेकिन अब तो कोई डर है नहीं,,। अब तो मेरी सील भी टूट चुकी है और अब तो मै दो बच्चों की मां भी बन गई हूं। किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा। लेकिन हां, हमे बहुत सावधानी से अपने संबंधों को सबसे छुपा कर रखना होगा।
तब विजय ने कहा
आप बिल्कुल सही कह रही हो दीदी। हमे सब कुछ छिपा कर रखना होगा। लेकिन आपने मेरे प्रेम को स्वीकार कर लिया तो मेरी जिन्दगी सफल हो गई,,,आपका नंगा शरीर कितना पवित्र दिखता है दीदी, मै बता नहीं सकता। दीदी , लेकिन मै आपसे एक बात कहना चाहता हूं, अगर आप मानोगी तभी मै कहूंगा।
तब मैंने कहा,,,
कहो भाई कहो, मै तुम्हारी बात का बुरा नहीं मानूंगी।
तब विजय ने कहा,,
दीदी, हमने यौन सम्बंध तो बना ही लिए !!! अब मै आपके साथ विवाह करना चाहता हूं !!!
तब मैंने विजय की आंखो में देखते हुए कहा,,,,
विजय , तुम ये क्या कह रहे हो,,, ये कैसे संभव है? और तो और तुम ये जानते हो कि मै पहले से शादीशुदा हूं। ये कैसे संभव है विजय??
इस पर विजय ने कहा,,,
सम्भव है दीदी, सम्भव है। मै जानता हूं कि आप विवाहिता हैं। लेकिन हम ये विवाह सबसे छुप कर करेंगे। किसी को इसकी ख़बर नहीं होगी। ये विवाह हम दोनों के बीच ही रहेगा।
उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा मुस्कुराई और कहा,,
बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगे हो तुम,,, मुझे इस बात का थोड़ा भी एहसास नहीं था कि तुम मुझसे इतना प्यार करते हो की तुम मुझसे शादी करना चाहते हो!!! मुझे इतना प्यार करने वाला कहा मिलेगा !!!
तब विजय मेरी बातों को सुन कर मुस्कुराया और मेरे होंठों पर चुम्बन दे दिया और फिर उसने कहा
दीदी, ,,,आज रात शादी के समय मैं और आप मण्डप के पास रहेंगे ही और हम वर वधु को पकड़ने के बहाने उनके साथ साथ हम भी अग्नि के सात फेरे ले लेंगे,,,
इस पर मैं मुस्कुराई और कहा
वाह, बहुत अच्छे। तुमने तो सब कुछ सोच रखा है कि आपनी बहन से शादी कैसे करनी है। चलो ठीक है, रात में विवाह के समय हम साथ रहेगें ।
रात में ऐसा ही हुआ। हम दोनों भाई बहन विवाह मण्डप के पास ही रहे। जब वरमाला और शादी के अन्य रस्मो के बाद फेरों की बारी आई तो मैंने उठ कर दुल्हन को पकड़ लिया और विजय ने दूल्हे को। विजय ने चुपके से मेरी साड़ी का पल्लू अपने उतरैया में फसा लिया था और हम दोनों वर वधु को पकड़े हुए उनके साथ ही फेरे लेने लगे। हम दोनों भाई बहन थे, तो किसी को हमारे इस तरह फिर लगाने से कोई शक भी नहीं हुआ। जैसे ही दूल्हा दुल्हन के सात फेरे पूरे हुए हम दोनों भाई बहन के भी अग्नि के सात फेरे पूरे हो गए। फेरे पूरे होते ही हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और अपनी जीत पर मुस्कराने लगे। तभी सभी ने वर वधु पर अछत फेका जो हम दोनों भाई बहन के प्रेमी जोड़े पर भी पड़ा जिन्होंने अभी अभी सात फेरे पूरे किए थे। हम दोनों भी अब मण्डप के पास साथ में नए दूल्हा दुल्हन की तरह बैठ गए। ऐसा लग रहा था जैसे हमारी नई नवेली जोड़ी हो। थोड़ी देर के बाद उठ कर मैं अपने कक्ष की ओर चल दी। मुझे पता था कि विजय भी वहां आएगा ही। विजय भी वहां आया और पीछे से मुझे अपनी बांहों में भर लिया और कहा ,,,
शादी मुबारक हो दीदी,,,
मैने कहा
तुम्हे भी मुबारक हो मेरे भाई। लेकिन ये शादी तब तक अधूरी है जब तक तुम मेरी मांग में सिन्दूर नहीं भर देते।
ऐसा कह कर मैने अपने श्रृंगार में से सिंदूर की डिब्बी बाहर निकाली और विजय की तरफ बढ़ा दी। विजय ने अपनी चुटकी से सिन्दूर निकाला और मेरी मांग में सिन्दूर भर दिया। सिन्दूर पड़ते ही मुझे लगा कि मैं विजय की अब पत्नी हो गई हूं,,,, खुशी के मारे मैने झुक कर विजय के पैर छू लिए, ,,तो विजय ने मुझे पकड़ कर उठा लिया और अपने गले लगा लिया। और कहा,,,
दीदी, आप ये क्या कर रही हैं!!! हमने शादी तो कर ली, लेकिन हम दोनों भाई बहन ही रहेगें और आप मेरी दीदी ही रहेंगी। मै आपको दीदी के रूप में ही चोदूंगा। दीदी, हमारे विवाह मे एक रस्म तो रह ही गई!!!!
तब मैंने पूछा,,,।
कौन सी रस्म !!!
तब उसने पास से एक मंगलसूत्र निकाला और मुझे दिखाते हुए कहा
ये वाली रस्म !!!
इस पर मैं शरमा गई और फिर विजय की आंखो में देखा तो उसने मेरी आंखों में देखते हुए मेरे गले में मंगलसूत्र पहना दिया और कहा,,,,
दीदी, आपके गले में दो दो मंगलसूत्र बड़े जच रहे हैं जो आपकी दोनो चुचियों को छू रहे हैं।
इस पर मैंने उत्तेजनावश उसे जकड़ लिया और कहा
मेरा भाई, उफ्फ!!!
तभी हमारे कक्ष के बाहर आहट हुई तो हम दोनों अलग हुए और शादी की अन्य रस्मो में शामिल होने चले गए।
पुत्र, इसके बाद जितने दिन मैं वहां रही , विजय से प्रतिदिन चुदवती रही और वह भी मुझे खूब चोदता रहता था। इसीलिए जब भी वह यहां आता , प्रतिदिन चोदा करता था। और मैं हर रक्षाबंधन में अपने भाई के पास जाती और हम दोनों भाई बहन चूदाई कर के रक्षावंधन मनाते!!!
तब बिक्रम कहते हैं,,
आप तो पूरी छुपी रुस्तम निकली माते। मतलब आपने तीन तीन लन्ड अपनी बुर में लिया है, अपने पति का, अपने भाई का और अपने पुत्र का,,, हमारी रगों में आपका खून ही दौड़ रहा है, इसलिए हमें भी ऐसे रिश्ते अच्छे लगते हैं!!! माते, अब आप आराम कीजिए, अब मै अपने कक्ष में चलता हूं,,,
राजा विक्रम जैसे राजमाता देवकी के कक्ष से बाहर निकल कर अपने कक्ष की ओर बढ़ते हैं, उस भोर की बेला में राजकुमारी नंदिनी के कक्ष के बाहर पुष्पवाटिका में कोई स्त्री पुष्प तोड़ते हुए दिखती है जिसे देख कर राजा विक्रम रूक जाते हैं,,,
अब आगे अपडेट में पता चलेगा कि वह स्त्री कौन है,,,,