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Incest राजकुमार देव और रानी माँ रत्ना देवी

Rudra chawla

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भाई कहानी में gif और xxx फोटो लगाओ कहानी के हिसाब से कहानी अच्छी लगेगी
 

Siraj Patel

The name is enough
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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).


"Chance to win cash prize up to Rs 8000"
Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words ke bich honi chahiye (Story ke words count karne ke liye is tool ka use kare — Characters Tool) . Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. Aap XForum ke sarvashreshth lekhakon mein se ek hain. aur aapki kahani bhi bahut acchi chal rahi hai. Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain. hum jaante hain ki aapke paas samay ki kami hai lekin iske bawajood hum ye bhi jaante hain ki aapke liye kuch bhi asambhav nahi hai.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Cash Awards milenge, uske alawa aapko apna thread apne section mein sticky karne ka mouka bhi milega taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab ke liye ye ek behtareen mouka hai XForum ke sabhi readers ke upar apni chhaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.. Ye aap sabhi ke liye ek bahut hi sunehra avsar hai apni kalpanao ko shabdon ka raasta dikha ke yahan pesh karne ka. Isliye aage badhe aur apni kalpanao ko shabdon mein likhkar duniya ko dikha de.

Entry thread 15th February ko open ho chuka matlab aap apni story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 5th March 2024 tak open rahega is dauraan aap apni story post kar sakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.



Story se related koi doubt hai to iske liye is thread ka use kare — Chit Chat Thread

Kisi bhi story par apna review post karne ke liye is thread ka use kare — Review Thread

Rules check karne ke liye is thread ko dekho — Rules & Queries Thread

Apni story post karne ke liye is thread ka use kare — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 4000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees + Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Ravi2019

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राजा विक्रम देखते हैं की इतनी सुबह उनकी बहन राजकुमारी नंदिनी के कक्ष के बहर वह कौन सी स्त्री है जो पुष्प वाटिका में पुष्प तोड़ रही है । राजा विक्रम जिज्ञासावश जैसे ही आगे बढ़कर कक्ष के सामने पहुंचते हैं तो पाते हैं कि उनकी बहन राजकुमारी नंदिनी ही पुष्प वाटिका से पुष्प तोड़ रही है। लेकिन वह पातें हैं नंदिनी ने केवल ओढ़नी ओढ़ रखा है तथा कमर के ऊपर से वह पुरी नंगी है। राजकुमारी नंदिनी ने जीनी से ओढनी ले रखी थी जो पूरी तरह पारदर्शी थी और इस तरह उसकी दोनों चूची पूरी नंगी दिख रही थी। राजा विक्रम अपनी बहन के साथ थोड़ा मजाक करने की सोचते हैं और अचानक से जाकर नंदिनी के पीछे खड़े हो जाते हैं तथा अपने दोनों हाथ आगे बढ़कर पीछे से नंदिनी के दोनो चूची को पकड़ लेते हैं तथा जोर से दबा देते हैं। राजकुमारी नंदिनी सुबह-सुबह अचानक हुए इस हमले के लिए तैयार नहीं थे । राजकुमारी नंदिनी युद्ध कला में भी माहिर थी, उसने तुरंत अपने हाथ पीछे ले जाकर उस व्यक्ति के गर्दन को पड़कर आगे की तरफ पटक दिया । उसे कहां मालूम था की वह और कोई नहीं उसका भाई राजा विक्रम था। राजा विक्रम ने भी नहीं सोचा था की नंदिनी अचानक उसे तरह इस तरह पटखनी दे देगी। राजा विकम धड़ाम से राजकुमारी नंदिनी के सामने गिर जाते हैं मखमली घास के ऊपर । राजकुमारी नंदिनी अपने सामने अपने प्यारे भाई को गिरा हुआ पाती है । वह घबरा जाती है और उसके मुंह से आह निकल जाती है । इस तरह राजा विक्रम को खींचे जाने से नंदिनी की चुन्नी गिर जाती है और वह ऊपर से पूरी नंगी हो जाती है हो जाती है। विक्रम के सामने उसके दोनों बड़ी-बड़ी गोरे-गोरे चूचियां नंगी सामने आ जाती हैं। राजा विक्रम को अपने सामने गिरा हुआ देखकर वह कहती है,,,
ओ भाई तुम !! मुझे लगा इतनी सुबह किसने मुझ पर हमला कर दिया , मुझे माफ करना मेरे भाई, कहीं तुम्हें चोट तो नहीं लगी।
इस पर राजा विक्रम कहते हैं
नहीं मुझे कहीं चोट नहीं लगे, वैसे भी मैं घास पर गिरा हूं
इस बीच तब तक नंदिनी भी नीचे बैठ जाती है और अपने भाई के छाती पर हाथ रखकर कहती है

भाई मुझे माफ कर दो इस पर राजा विक्रम कहते है मुझे चोट ही नहीं लगी, तो माफी की क्या बात है। वैसे दीदी तुम इतनी सबह-सुबह आज कैसे जग गई और वाटिका से पुष्प तोड़ने निकल गई

इस पर नंदिनी रहती है

भाई पता नहीं क्यों आज नींद ही नहीं आ रही थी तुम्हारी बहुत याद आ रहे थी। इसलिए आज नींद जल्दी खल गई लेकिन तुम बताओ तुम यहां क्या कर रहे हो । तुम्हें तो अभी अपने सुहाग कक्ष मैं अपनी पत्नी, नई नवेली दुल्हन रत्ना के साथ रहना चाहिए था। वैसे एक बात बताना तुम्हारी सुहागरात कैसी रही।
इस पर राजा विक्रम कहते हैं
।दीदी पता नहीं क्यों मुझे भी नींद नहीं आ रही थी जबकि आज मेरी सुहागरात थी । रानी रत्ना सुहागरात के बाद नींद में सो गई और पता नहीं क्यों मुझे नींद नहीं आ रही थ इसलिए मैं बाहर घूमने निकल गया और माता श्री से मिलकर आया अभी आपको यहां पर वाटिका में पुष्प तोड़ते हुए पाया।

इस पर राजकुमारी नंदिनी कही

तो लगता है आपको हमारी याद आ रही थी इसीलिए आपको अपनी सुहागरात में नींद नहीं आई और यह कहकर राजकुमारी नंदिनी हंसने लगती है। वैसे एक बात पूछूं विक्रम, तुम्हारी सुहागरात कैसी रही, राजकुमारी रत्ना को अपनी पत्नी के रूप में पाकर तुम्हें कैसा लगा कैसा लगा

इस पर राजा विक्रम कहते हैं

दीदी बहुत मजा आया रत्ना के साथ सुहागरात मना कर लेकिन जो बात अपनी बहन में होता है वह बात किसी और स्त्री मैं नहीं होता है ।अपनी बहन को नंगी करके चोदने का अलग ही मजा है ।अपने बड़ी बहन को चोदने में ज सुख है वह किसी और स्त्री को चोदने में नहीं।

यह सुनकर राजकुमारी नंदिनी शर्मा जाती है और कहती है डेट भाई आप ऐसे ही बोलते हो। रत्न कितनी सुंदर है । उसे देख कर तो औरतों का मन डोल जाए। लेकिन एक बात पूछूं भाई

हां दीदी पूछो विक्रम ने कहा

इस नंदिनी करती है
भाई रत्न की बुर कैसी थी , चूदी चूदाई थी या उसकी सील नहीं टूटी थी।
विक्रम कहते है

रत्न की बुर की सील मैने हीं तोड़ी है । आज उसकी पहली चूदाई हुई थी और हां दीदी चूदाई के बाद उसकी योनि से रक्त स्राव भी हुआ था। मुझे जो अनुभव तुम्हारी बुर का सील तोड़ कर हआ था वही अनुभव आज रत्ना की सील तोड कर हुआ। रतन अपने बुर चूदाई से इतनी संतुष्ट थे के साथ चूदाई के बाद वह गहरी नींद में सो गई। उसके चेहरे पर संभोग का भाव साफ-साफदिख रहा था । रत्ना भी चूदाई के लिए तड़प रहे थे और लन्ड की पूरी प्यासी थी प्यासी थी।
इस पर राजकुमारी नंदिनी मुस्कुराते हुए कहती है

इसका मतलब राजकुमारी रत्ना के मायके में उसका कोई ऐसा भाई नहीं था जो उसके बुर* की सील तोड़कर उसे चूदाई का आनंद दे सके। सभी बहने मेरी तरह भाग्यशाली बहन नहीं होती है जिसे तुम जैसा प्यार करने वाला भाई मिले जो मायके में भी उसे चूदाई का सुख देते रहे जिससे उसे मायके में भी लन्ड की कमी महसूस न हो।

ऐसा बातों में करने से दोनों भाई-बहन उत्तेजित हो जाते दोनों भाई बहन कमर के ऊपर से नंगे थे ही, केवल कमर के नीचे राजा वक्रम ने धोती पहन रखा था और रानी राजकुमारी नंदिनी ने घाघरा पहन रखा था । इस उत्तेजित बातचीत से राजकुमारी नंदिनी की दोनों चूची खड़ी हो जाती है और राजा वक्रम का लन्ड उनकी धोती में खड़ा हो जाता है । इधर राजकुमारी नंदिनी की बुर भी घागरे के नीचे गीली हो जाती है। राजकुमारी नंदिनी अपने भाई के सीने पर उंगली फेरने लगती है तो राजा विक्रम में अपने हाथ बढ़ाकर अपनी बहन राजकुमारी नंदिनी के स्तनों को पकड़ लेते हैं तथा उनके चुचुकों को अपनी उंगलियों से मींजने लगते हैं । इससे राजकुमारी नंदिनी पूरी तरह से उत्तेजित हो जाती है और उत्तेजना के मारे राजा विक्रम के होठों पर चुम्मा ले लेते हैं । दोनों भाई बहन एक दूसरे को होठों को चूसने लगते हैं और उत्तेजना बस राजकुमारी नंदिनी अपने हाथ नीचे ले जाकर राजा विक्रमके लन्ड को अपने हाथ में पकड़ लेते हैं और हिलने लगते हैं। इधर राजा विक्रम ने अपनी बहन के बुर को घाघरे के ऊपर से सहलाने लगते हैं।
दोनों एक दूसरे के होंटों को चूसने में मग्न थे और एक दूसरे के जननांगों को भी सहला रहे थे । दोनों के मुंह से गल्प गल्प उह अह्ह्ह्ह्ह की आवाज आ रही थी। कुछ देर होंठ चुसने के बाद दोनों अपने होंठ अलग करते हैं और राजकुमारी नंदिनी कहती है
तुम मेरा पहला प्यार हो बिक्रम। मुझे भूल न जाना तुम।
तभी विक्रम कहते हैं।

मेरा भी पहला प्यार तुम ही हो दीदी, तुम्हारी कुंवारी सील मैने हीं तोड़ी है। मैं बड़ा खुशनसीब हूं कि मैंने अपनी बड़ी बहन की बुर की सील को तोड़ी। ऐसा मौका सभी भाइयों को नहीं मिल पाता है। दीदी, जो मजा अपनी प्यारी बड़ी बहन को चोदने में है, वह किसी दूसरी औरत को चोदने में नहीं। शायद इसीलिए मुझे सुहागरात में चूदाई के बाद भी नींद नहीं आ रही थी।
और यह कहकर राजा विक्रम नंदिनी से लिपट जाते हैं और दोनों भाई बहन एक दूसरे के आगोश में समा जाते हैं । नंदिनी अपने दोनो स्तन अपने भाई की छाती में धंसा कर रगड़ने लगती है जिससे उसकी कामोत्तेजना और बढ़ जाती है। राजा विक्रम भी अपने पहले प्यार के आगोश में आकर फिर उत्तेजित हो जाते हैं और उनका लन्ड उनकी धोती में खड़ा हो जाता है। उत्तेजना से वशीभूत हो कर राजकुमारी नंदिनी अपने भाई की धोती की गांठों को खोल देती है और धोती को राजा विक्रम के कमर से अलग कर देती है। राजा विक्रम का लन्ड धोती खुलते ही टन टनाकर खड़ा हो जाता है जिसे नंदिनी अपने दोनो हाथो से दबोच लेती है और सहलाने लगती है।
इधर विक्रम भी राजकुमारी रत्ना के घाघरे का नाड़ा खोल देते है। और नाडा खोलते ही घाघरे को नीचे सरका देते हैं जिसे नंदिनी अपने दूसरे हाथ से और नीचे कर के बाहर निकाल देती है और राजा विक्रम का हाथ पकड़ कर अपनी बुर पर रख देती है। विक्रम भी नंदिनी की बुर को सहलाने लगते हैं। दोनो भाई बहन पुष्प वाटिका में नंगे एक दूसरे के अंगों के साथ खेल रहे थे। तभी नंदनी विक्रम के लन्ड की ओर देखती है और उसके लन्ड की चमड़ी को नीचे कर देती है जिससे उसका सुन्दर गुलाबी सुपाड़ा बाहर निकल जाता है। नंदिनी अपने को रोक नहीं पाती है विक्रम के सुपाड़े को चूमने के लिए अपने होंठ नीचे लन्ड की ओर ले जाती है और झुक कर विक्रम के लन्ड को अपने होंठों से चूम लेती है और जीभ से चाटने लगती है। फिर तभी वह अपने दूसरे पैर को विक्रम के शरीर के दूसरे और कर लेती है और विक्रम के शरीर पर बैठ कर लन्ड को चूसने लगती है। ऐसा करने से राजकुमारी नदिनी की बुर राजा विक्रम के चेहरे के सामने आ जाती है जिसे देखकर राजा विक्रम भी खुदको रोक नहीं पा बातें हैं और राजकुमारी नंदिनी की योनि पर अपने होंठ रख देते हैं जिससे नंदिनी के मुंह से आह निकल जाती है। दोनों भाई बहन एक दूसरे के लन्ड और बुर को चूसे जा रहे थे दोनों के मुंह से आपकी आवाज से पुष्पवातिका गुंजायमान था।
नंदिनी कहती है

तुम बहुत अच्छा बुर चाटते हो भाई, मजा आ जाता है। रत्ना को तो अब रोज मजा आयेगा जब तुम अपने होंठों से उसकी बुर चूसोगे।
और ये कह कर फिर से विक्रम के लन्ड को चूसने लगी ।
राजा विक्रम भी कहते हैं

दीदी तुम्हारी बुर की खुशबू भी एकदम अलग ही है यह पहली बुर है जिसकी खुशबू मैने ली थी। बड़ा मजा आता है मुझे तुम्हारी बुर को चूस कर।
ऐसा बोल कर फिर दोनो एक दूसरे के जननांगों को चाटने लगते हैं। कुछ देर बाद नंदिनी का शरीर कांपने लगता है और उसकी बुर से पानी निकल जाता है जिसे विक्रम अपने होंठ लगा कर पूरा पी लेते हैं तथा कहते हैं
दीदी , आपकी बुर की पानी का स्वाद अमृत जैसा है। उफ्फ।
तब नंदिनी भी राजा विक्रम का लन्ड चूसना छोड़ कर राजा विक्रम के तरफ घूम जाती है और राजा विक्रम के लन्ड के ऊपर बैठ जाती है और हवस से वशीभूत हो कर कहती है।
विक्रम, आज मै तुम्हारे लन्ड पर बैठ कर तुम्हें चोदूंगी।

और ऐसा कह कर वह विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर पर रखती है, उस पर अपनी बुर रगड़ती है और थोड़ा गीला हो जाने पर उसे अपने हाथ से अपनी बुर में घुसा देती है।
लन्ड बुर में जाते ही उसकी आह निकल जाती है और फिर वह लन्ड पर कूदने लगती है । विक्रम का लन्ड पूरा टनटना कर खड़ा था जिससे लन्ड सीधा नंदिनी की बच्चेदानी से टकरा रहा था जिससे नंदिनी को और मजा आ रहा था और वह बड़बड़ाने लगती है

उह्ह्ह अह्ह्ह् अह्ह्ह्ह्, ऐसे ही चोदो मेरे भइया मेरे बालम। ये बहन तुम्हरे लौड़े की दीवानी है मेरे राजा भैया। उह्ह्ह् अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह। और चोदो और चोदो मुझे।
विक्रम का लौड़ा सीधा बच्चेदानी से टकरा रहा था जिसे वह महसूस कर रही थी और विक्रम की आंखों में देखते हुए कहती है
विक्रम , तुम्हारा लन्ड मेरे बच्चेदानी से टकरा रहा है विक्रम, मेरी बच्चेदानी से। विक्रम वादा करो विक्रम। मुझे तुम एक बच्चा दोगे। तुम ही अपने बीज से मेरी कोख भरोगे विक्रम । मुझे अपने बच्चे की मां बना दो विक्रम। अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह विक्रम।

विकम नंदिनी की ये बात सुन कर और उत्तेजित हो जाते हैं और जोश में आ ताबड़तोड़ नीचे से धक्के देने लगते हैं जिससे उनका लन्ड नंदिनी की योनि को धकाधक चोदने लगता है और उसकी बच्चेदानी पर थाप मारने लगता है। नंदिनी उत्तेजना के सातवे आसमान पर पहुंच जाती है।
विक्रम कहते हैं
दीदी, मैं तुम्हें गभिन करूंगा दीदी। तुम्हारी कोख से मेरा बच्चा पैदा होगी दीदी। एक बहन अपने भाई के बच्चे को अपने योनि से पैदा करेगी दीदी। ये वादा रहा मेरा ।
इसी तरह बड़बड़ाते हुए दोनों भाई बहन चूदाई का आनन्द भोर की खुली हवा में पुष्पवतिका में ले रहे थे। ऐसे ही बातें करते करते नंदिनी का शरीर अकड़ने लगता है और वह कहती है
मेरा पानी निकलने वाला है भाई, अअह्ह्ह्ह अअह्ह्ह्हह्ह,, मै गई,,, ओह्ह्ह मां,, मै गई,,,

और ऐसा कहते कहते वह झड़ने लगती है और राजा विक्रम के लन्ड को अपने बुर के पानी से नहला देती है और विक्रम के ऊपर निढाल होकर गिर पड़ती है और उसे कस कर पकड़ लेती है। इधर विक्रम भी नंदिनी की बुर को चोदे जा रहे थे और उनका शरीर भी अकड़ने लगता है और वह भी कहते हैं

मेरा भी निकलने वाला है दीदी,, अअह्ह्ह अह्ह्ह्ह ,,,, ये गया ,,, अह्ह्ह्ह्ह अअह्ह्ह्हह

और ऐसा कहते कहते विक्रम का लन्ड नंदिनी की बुर में अपना पानी छोड़ देता है। दोनों भाई बहन नंगे एक दूसरे से चुपके हुई लेते रहते ह
तभी नंदिनी करती है भाई अपनी बहन कोछोड़ना कोई गलत बात नहीं है बहन पर पहला हक उसके भाई का ही होता है इसलिए बहन का पहला प्यार भाई ही होता है। ऐसे कुछ देर लेटे रहने के बाद दोनों भाई बहन उठकर खड़े हो जाते हैं और अपने-अपने कपड़े पहनकर अपने-अपने कक्ष में चले जाते राजकुमारी रत्ना अपने दक्ष में चले जाते हैं और राजा विक्रम अपने कक्ष में जहां रानी रत्ना अपने सुहाग के सेज पर नंगी लेटी रहती हैं। राजा वक्रमत भी सुहाग के सेज पर जाकर रत्ना के बगल में लेट जाते है और रानी रत्ना अपने अपने आगोश में लेकर सो जाते है।

इसी तरह धीरे-धीरे आपसे मैं बिकनेलगता है और राजाविक्रम, राजमाता देवकी, नंदिनी और रत्ना खुशी खुशी रहने लगते हैं। रत्ना अपने विवाह से अत्यंत प्रसन्न थी उसे प्रतिदिन चूदाई का अवसर जो मिलता था। राजा विक्रम समय निकाल कर राजमाता देवकी और नंदिनी को भी चोद लिया करते थे, जिससे देवकी और नंदिनी भी खुश रहा करती थी। इधर रांझा भी कलुआ के साथ रोज नंगी ही सोया करती और दोनों मां बेटे प्रतिदिन चूदाई करते ।
समय बीतता गया। फिर लगभग 9 महीने बाद जब राजा विक्रम अपने दरबार में बैठे हुए थे तभी रांझा भागते हुए दरबार में आती है और कहती है

बधाई हो महाराज, बधाई हो। रानी रत्ना ने अभी अभी पुत्री को जन्म दिया है, लक्ष्मी का आगमन हुआ है महाराज लक्ष्मी का।

इस पर राजा विक्रम भागे भागे रत्ना के कक्ष में पहुंचते हैं रानी रत्ना को प्यार से माथे पर चुम्बन देते हैं और कहते हैं बधाई हो रानी अब आप मां बन गई हैं।
तभी रत्ना कहती है

आपको भी हार्दिक बधाई हो महाराज, आप पिता बन गए हैं
और ऐसा कह कर मुस्करा देते है।
इसी बीच राजगुरु भी वहां पहुंच जाते है जो सभी को आशीर्वाद देते है और कहते है

महाराज, लक्ष्मी का आगमन हुआ है। इसके आने से राज्य की समृद्धि होगी। इसलिए इसका नाम माया होगा।
यह सुन कर राजा विक्रम खुश हो जाते हैं और खुश हो कर राज गुरु के पैर छूते हैं।
अब समय धीरे धीरे बीतने लगता है और माया अब सभी की प्यारी हो गई थी। सभी खुशी खुशी रह रहे थे। फिर लगभग तीन सालों के बाद रानी रत्ना ने एक पुत्र रत्न को जन्म दिया। इस अवसर पर पूरे राज्य में खुशी मनाई गई। तभी राज गुरु का भी आगमन होता है। राजगुरु त्रिकाल दर्शी थे और बहुत पहुंचे हुए ज्ञानी थे। उनकी गोद में बच्चे को आशीर्वाद के लिए दिया गया जिसे देखकर राज गुरु ने कहा

इस बालक के चेहरे पर देवताओं जैसा तेज और ओज है, यह बालक धर्म के रास्ते पर चलने वाला होगा, अतः इसका नाम देव रखा जाता है _ राजकुमार देव। यह बालक अपने राज्य की रक्षा करने वाला और अपने राज्य की आगे बढ़ाने वाला होगा। यह अपनी मां से विशेष प्यार करने वाला होगा और अपनी माता की जीवन की रक्षा करने वाला और उसे हर प्रकार से सुख देने वाला होगा। रानी रत्ना भी अपने इस पुत्र से विशेष प्रेम रखेंगी और इसका हर प्रकार से ध्यान रखेंगी
इस तरह अब यह परिवार सुख पूर्वक रहने लगता है। माया महल में ही विभिन्न विधाओं में पारंगत हो रही थी तथा विद्या अर्जन कर रही थी। किंतु राजकुमार देव को विद्या अर्जन करने के लिए दस वर्ष की उम्र में गुरुकुल भेज दिया गया जहां वे विभिन्न विधाओं यथा शस्त्र कला, भाषा साहित्य, आदि में पारंगत हो रहे थे। समय बीतता गया । इस बीच विक्रम और रत्ना समय समय पर गुरुकुल आकर देव से मिलते थे। राजकुमार देव वास्तव मे देवताओं की तरह सुंदर एवम गठीले शरीर वाले थे। अठारह वर्ष की आयु होने पर उनकी शिक्षा पूर्ण हुई और वे राज महल वापस लौट आए। उनके आगमन पर पूरे राज्य में जश्न मनाया गया, आखिर इस राज्य का भावी राजा जो आ गया था। राजकुमार देव का गठीला शरीर, उन्नत कंधे और चौड़ी छाती उनके व्यक्तित्व को आकर्षित बनाती थीं। कई लड़कियां उनके सपने देखने लगी थी। कुछ वर्ष और बीत गए। लेकिन ऐसा लगा मानो इस राज्य की खुशियों को नजर लग गई। एक दिन सहसा एक दूत ने खबर पहुचाई की पड़ोसी राजा ने हमारे राज्य पर हमला कर दिया है और बहुत जल्दी ही वह हमारे किले के आस पास पहुंच जायेगा। इस अचानक हमले से सभी घबरा गए और राजा विक्रम ने कहा
यह बहुत अच्छा हुआ कि राजमाता देवकी माया के साथ अपने घर गई हुई है, अन्यथा हमें उनकी सुरक्षा की बहुत चिंता रहती। राजकुमार देव, आप एक काम करें। आप रानी रत्ना को सुरक्षित लेकर गुप्त सुरंग से सेना की एक टुकड़ी के साथ जंगल में गुप्त स्थान पर चलें जाएं। यहां मैं अपनी सेना के साथ उन्हें संभाल लूंगा। गुप्त सुरंग राजमहल के अंतः कक्ष से निकला हुआ एक बड़ा सुरंग है जिससे सेना की एक टुकड़ी घुड़सवारों के साथ जा सकती है। यह सुरंग घने जंगल में निकलता है, वहां जान माल की सुरक्षा आसान है।
तब राजकुमार देव कहते है

नही पिताजी , मै इस संकट के समय में राज्य को और आपकी छोड़ कर नहीं जा सकता।

तब विक्रम कहते हैं

पुत्र, आपको अपनी मां की रक्षा करना भी कर्तव्य है। आप उनकी सुरक्षा निश्चित करें और सुरंग की ओर प्रस्थान करें।

तभी रत्ना कहती हैं
देव, आपके पिता जी सही कह रहे हैं। आपकी सुरक्षा भी आवश्यक है। अतः आप तुरंत सुरंग की ओर चलें।

अपने माता पिता दोनों के समझाने पर राजकुमार देव मान जाते हैं और सेना की एक टुकड़ी के साथ अपनी मां रानी रत्ना को ले कर सुरंग होते हुए जंगल की ओर रवाना हो जाते हैं।।।।।

अब आगे देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है
 
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Ravi2019

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Waiting for update bhai.. hope next update jaldi hi aayega..thx
Ravi2019

Update bhai...

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Bahut mast aur jabardast story start Kari hai bhai ..update lajawab tha ..

Rajmata bahut kamuk aurat dikh rahi hai..Kaise wo apne bur mai apne bete ke lund ke bare mai soch kar jhad jayi...

Ye ranjha to badi kamini nikli ..lagta hai ye rajmata devki aur raja Vikram ko milane mai aham bhumika nibhayegi..

Waiting for your update

Update please.

Update do please

Waiting for update bhai...bahut din ho gaye..update aa kar..hope update jaldi hi aayega...thx
Ravi2019

Sahi kaha Bhai
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Kumarshiva

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Kya yar itne din ke bad update de rhe ho
Achchi story kharab na kro please
Give update continue
 

Dharmendra Kumar Patel

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बहुत दिनों बाद अपडेट दिया है भाई। मगर बहुत ही लाजवाब
 
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