Update 28
देवकी राजा विक्रम के बालों में ऊंगली फिराते रहती है और विक्रम देवकी से लिपटे रहते हैं। थोड़ी देर में विक्रम अपना सिर उठा कर देवकी की आंखों में देखते हैं और कहते हैं
कैसा लगा मां? बेटे से चूद कर, मजा आया ना। आज अपनी सुहागरात है और मैंने रत्ना को तो चोदा ही, साथ ही मैंने तुम्हें भी चोद दिया। तुम्हें चोद कर एक अलग ही सुख मिलता है मां। मन करता है अपना लिंग आपकी योनि में डाल कर पड़ा रहूं। और हां मेरे रहते आपको दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है। आपका ये पुत्र आपको दिलो जान से चाहता है और आपको यौन सुख में कोई कमी नहीं होने देगा। ये सच है कि मेरा विवाह हो गया है। किन्तु मै अपनी मां के प्रति फर्ज से विमुख नहीं हो सकता।
तब देवकी कहती है
मैं जानती हूं कि मेरा पुत्र मुझे बहुत प्यार करता है और दिलो जान से मुझे प्यार करता है। मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मुझे नहीं पता था कि मेरे ही घर में, मेरे पीठ पीछे, कोई और नहीं, बल्कि मेरा पुत्र ही मुझे इतना प्यार करता है । पुत्र, तुमने यौन सुख दे कर मुझे आनंदित कर दिया है क्योंकि मुझे पुरुष संसर्ग की आदत है। आपके पिताजी ने ही मुझे यह आदत लगा दी थी। मै और आपके पिता जी प्रत्येक रात पूर्ण नग्न होकर मस्त चूदाई किया करते थे। और इसीलिए मुझे सम्भोग की आदत लग गई थीं।
दोनों मां बेटे अभी ये बातें कर रहे थे । उधर रांझा देवकी के महल में ही थी जो दूसरे कक्ष में सामान को व्यवस्थित कर रही थी जो पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता के कारण बिखरा हुआ था। देवकी इस बात को तो जानती थी, लेकिन रांझा से वह अब इतनी खुल गई थीं कि उसे रांझा से कोई शर्म नहीं थी। तभी रांझा कक्ष व्यवस्थित कर देवकी के कक्ष में पहुंच जाती है और दोनों मां बेटे को ऐसे ही नंगे लेटे देख लेती है और कहती है
तब मन गई मां बेटे की सुहागरात। वही मैं कहूं दूसरे कक्ष में देवकी की सिसकियों की आवाज क्यों आ रही है।
ऐसा कह कर रांझा मुस्कुरा देती है। रांझा को आते देवकी तो देख लेती है लेकिन उसकी आवाज सुन कर राजा विक्रम जैसे ही पलटते हैं उनका लन्ड भी सामने आ जाता है जो बिल्कुल रांझा के सम्मुख आ जाता है जिसे रांझा आंखे फाड़े देखने लगती है और उसका मुंह राजा विक्रम के मनोहारी लन्ड को देख कर खुला रह जाता है। राजमाता देवकी रांझा की स्थिति समझ जाती है और कहती है
ऐसे मुंह फाड़े क्या देख रही है, तू तो ऐसे देख रही है जैसे कभी विक्रम का लिंग तुमने कभी देखा ही नहीं। चल इधर आ हमारे पास।
देवकी के ऐसा कहने से रांझा उस शैय्या के पास आ जाती है जिस पर राजा विक्रम और राजमाता देवकी नंगे ही लेटे हुए थे। देवकी रांझा को जबरदस्ती उस बिस्तर पर बैठा देती है और कहती है
ऐसे क्या देख रही थी मेरे प्यारे पुत्र के लिंग को। चल पकड़ ले इसके लिंग को, छू ले इसे, नहीं तो बाद में मुझे परेशान करती रहेगी की विक्रम का लन्ड कितना मस्त है, मुझे छूना था । और तो और मुझे छेड़ती रहेगी कि बताओ ना, बताओ ना, विक्रम का लन्ड छूकर, सहलाकर तुम्हें कैसा लगा।
ऐसा कह कर देवकी रांझा का हाथ विक्रम के लन्ड पर रख कर कस देती है। रांझा भी विक्रम के लन्ड पर से हाथ नहीं हटाती है, बल्कि उल्टा राजा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से कस कर पकड़ लेती है और उसे धीरे धीरे सहलाने लगती है। राजा विक्रम का लन्ड बड़ा तो था ही, देवकी की चूदाई के बाद भी अभी थोड़ा सा कड़ा ही था। रांझा के हाथ लगाने से विक्रम का लन्ड धीरे धीरे जागने लगता है और उसमें कड़ापन आने लगता है। सहलाते सहलाते ही लन्ड की चमड़ी पीछे हो जाती है और विक्रम के लन्ड का गुलाबी सुपाड़ा बाहर आ जाता है जो बिल्कुल गुलाबी रंग के रसगुल्ले की तरह दिख रहा था। रांझा ने उत्सुकतावश विक्रम के गुलाबी सुपाड़े पर अपनी उंगली फिरा दी जिससे विक्रम का लन्ड टनटना जाता है और विक्रम के मुंह से आह निकल जाती है। विक्रम तब अपने हाथ से रांझा का एक स्तन पकड़ लेते हैं और कहते हैं
बहुत मजा आ रहा है धाय मां। और सहलाओ ना मेरा लिंग। आपका शरीर कितना गठीला है धाय मां !!!
( राजघराने की स्त्रियां ज्यादा काम तो करती नहीं थी, बल्कि सजने संवरने में उनका समय ज्यादा गुजरता था, इसलिए उनका शरीर कोमल होता था, जबकि अन्य स्त्रियां घर के सभी कार्य करती थी जिससे उनका शरीर गठीला और सुडौल रहा करता था, उनके स्तन सुडौल तथा नितम्ब चुस्त रहते थे )
राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चोली के ऊपर से ही दबा रहे थे जो उन्हें काफी सुडौल महसूस हो रहे थे। फिर विक्रम ने अपने दूसरे हाथ से रांझा की चोली की डोर खोल देते हैं जिससे उसकी चोली ढीली होकर खुल जाती है जिसे राजा विक्रम अपने हाथों से पकड़ कर अलग कर देते हैं। अब रांझा का नग्न स्तन राजा विक्रम के सामने आ जाता है जिसे देख कर वे मोहित हो जाते हैं। रांझा का रंग थोडा हल्का था ही, सो उसका सावला सलोना स्तन तथा भूरे चुचुक विक्रम के सामने आ जाते हैं । विक्रम अपने को रोक नहीं पाते हैं और अपने हाथ से रांझा की नंगी चूची को दबाने लगते हैं और बीच बीच में उसके चूची के दाने को अपनी उंगलियों से मसल देते हैं जिससे रांझा के मुंह से आह निकल जाती है। राजा विक्रम रांझा की आंखों में देखते हुए ऐसा करते हैं और फिर धीरे से अपना मुंह रांझा के स्तन पर ले जाते हैं और उसे चूसने लगते हैं। रांझा को असीम आनंद मिलता है और वह विक्रम के सिर को अपने स्तन पर दबा देती है और कहती है
चुसिए, विक्रम चूसिए, आपने इन स्तनों का दूध खूब पिया है
तब देवकी कहती है
पिला दे ना रांझा फिर से अपने स्तनों का दूध मेरे लल्ला को
और ऐसा बोलकर देवकी विक्रम के सिर पर हाथ फेर देती है। राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चूसते चूसते एक हाथ सीधे नीचे ले जाकर रांझा के लहंगे के ऊपर से उसकी योनि पर रख देते हैं और दबाने लगते हैं जिससे रांझा मुस्कुरा देती है। तभी विक्रम थोड़ा हट कर रांझा की आंखों में देखते हुए कहते हैं
धाय मां, यदि मैं आपकी योनि को नंगा सहलाऊं, तो क्या आपको आपत्ति होगी?
इस पर रांझा कहती है
यह तो किसी भी स्त्री का सौभाग्य होगा कि आप जैसे गबरू जवान से अपनी योनि सहलवाएं ।
और ऐसा कह कर रांझा विक्रम के मुख पर चुम्बन जड़ देती है। तब राजा विक्रम कहते हैं
धाय मां, मै तो डर रहा था कि कहीं आपको बुरा ना लग जाए
तब रांझा कहती है
बुरा क्यों लगेगा मुझे, एक बार आपने कह कर तो देखा होता
इस वार्तालाप के दौरान रांझा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से पकड़े ही रहती है और सहलाती रहती है, तो देवकी यह देख कर कहती है
देखो तो, ये इतनी दीवानी है लल्ला के लिंग की, कि ये इसके लिंग को छोड़ ही नहीं रही है
इस पर रांझा कहती है
इतना प्यारा लिंग है कि इसे छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा है
और ऐसा कह कर रांझा झुक कर विक्रम के लन्ड को चूम लेती है और फिर उसे मुंह में भर कर चूसने लगती है जिससे विक्रम की आहें निकल जाती है और विक्रम कहते हैं
चूसो धाय मां, चूसो ना, बहुत मजा आ रहा है। आह आह, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि आप भी मेरा लिंग चूस रही हैं। आह आह ।
ये सब देवकी देख रही थी। उससे भी रहा नहीं गया और वह उठ कर विक्रम के बालों मे उंगली फिराने लगी और उसके होंठों पर अपने होंठ रख देती है और चूमने लगती है। विक्रम को मस्ती चढ़ गई और वे अपने हाथ से देवकी की योनि सहलाने लगे और दूसरे हाथ को रांझा के स्तनों से हटा कर उसके घाघरे के अन्दर डाल देते हैं और रांझा की बुर घाघरे के नीचे नंगी रहती है तो वह रांझा की नंगी योनि को सहलाने लगते हैं। रांझा की योनि भी कसी रहती है। रांझा का घाघरा व्यवधान पैदा कर रहा था तो विक्रम ने घाघरा का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया जिससे रांझा का घाघरा सरसराते हुए नीचे गिर गया जिससे रांझा नीचे से भी पूरी नंगी हो गई, ऊपर से तो वह पहले से नंगी थी ही । अब देवकी के कक्ष में तीनो पूर्ण रूप से नग्न थे। विक्रम अब दोनों की बुर को सहला रहे थे। तभी रांझा भी खड़े हो कर विक्रम के मुख को चूमने लगती है तो देवकी अपने होंठ अलग कर लेती है तब रांझा विक्रम के होंठों को चूमने चूसने लगती है। इधर विक्रम भी रांझा की योनि को फैला कर उसके भगनासे को रगड़ने लगते हैं जिससे रांझा और उत्तेजित हो जाती है। विक्रम को रांझा की योनि कसी हुई महसूस होती है, बल्कि रांझा का पूरा शरीर ही कसा हुआ महसूस होता है और कसा हुआ शरीर अलग ही मजा देता है।
रांझा आहें भरने लगती है तो विक्रम रांझा को लिटा देते हैं और उसकी योनि देख कर कहते हैं
धाय मां, आपकी योनि बड़ी कसी हुई लग रही है
इस पर रांझा शरमा जाती है। तब राजा विक्रम रांझा की योनि को चूम लेते हैं और फिर चाटने लगते हैं। रांझा का शरीर इस तरह चाटने से अकड़ने लगता है और विक्रम को वह अपने ऊपर खींच लेती है और विक्रम के लन्ड को अपने बुर पर रगड़ने लगती है। विक्रम समझ जाते हैं कि रांझा अब उनका लन्ड अपनी योनि में डलवाना चाह रही है। तो राजा विक्रम अपना लन्ड रांझा की योनि पर रख कर हल्का धक्का लगाते हैं तो उनका लन्ड योनि के अंदर थोड़ा अंदर चल जाता है और रांझा की योनि से योनि रस निकल कर विक्रम के लन्ड पर लग जाता है जिसका अनुभव विक्रम को आनंदित कर रहा था। रांझा कहती है
अन्दर डालिए विक्रम अपने लौड़े को, बहुत मजा आ रहा है
मुझे भी बहुत मजा आ रहा है धाय मां। मैं तो यही सोच रहा हूं कि मैं कितना खुशकिस्मत हूं कि मैंने अपनी सगी मां को भी चोदा और आज धाय मां को भी चोद रहा हूं। ये लीजिए धाय मां मेरा पूरा लिंग अपनी योनि में।
ऐसा कह कर विक्रम थोड़ा और धक्का देते हैं तो विक्रम का पूरा लन्ड रांझा की योनि में समा कर गुम हो जाता है और सीधे बच्चेदानी से टकरा जाता है जिस पर रांझा कहती है
आज मैं पहली बार अपने बच्चेदानी पर लौड़े का ठाप महसूस कर पा रही हूं, आह आह,, कितना मजा आ रहा है,। मैने जबसे आपका लिंग देखा है, खास कर के जबसे नंदिनी को चोदते देखा है तबसे आपसे चुदवाना चाह रही थी। और जोर से चोदिए लल्ला और जोर से। उफ्फ उफ्फ, आह आह। मैं सोचती थी जब ये अपनी बड़ी बहन को चोद सकते हैं तो मुझे क्यों नहीं !!! आज मेरी इच्छा पूरी हुई लल्ला, आह आह।
तब राजा विक्रम कहते हैं
मै तो खुद ही आपको चोदना चाहता था धाय मां और आज देखिए आप दोनो मारे साथ नंगी हैं। आज तो मेरी और आपकी भी सुहागरात हो गई। ये लीजिए धाय मां मेरा लौड़ा और अन्दर।
और राजा विक्रम सटासत रांझा की बुर में अपना लन्ड पूरा अंदर बाहर करने लगते हैं। देवकी का पूरा कक्ष फ्च फाच की आवाज से गूंजने लगता है। रांझा की योनि भी विक्रम के लन्ड को टक्कर दे रही थी। तब विक्रम रांझा के स्तनों को चूसने लगते हैं और नीचे से उसकी योनि को फैला कर जबरदस्त तरीके से चोदने लगते हैं। चूची चूसे जाने से रांझा कमजोर पड़ने लगती है और यह अपनी कमर को उठा उठा कर विक्रम के लन्ड को धक्के देने लगती है और कहती है
आह आह, ये लो विक्रम मेरी बुर की थाप। आह आह, मुझे गर्भवती कर दो ताकि मैं तुम्हारे जैसे दमदार लन्ड वाले पुत्र को जन्म दूं। आह आह मेरा छुटने वाला है आह आह, मैं गई आह आआह्ह्हह्ह
और ऐसा कह कर रांझा का शरीर ऐंठने लगता है और उसकी योनि से भल भला कर योनि रस बाहर निकलने लगता है जो राजा विक्रम के लन्ड को भीगो देती है