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Incest राजकुमार देव और रानी माँ रत्ना देवी

Motaland2468

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Update 28

देवकी राजा विक्रम के बालों में ऊंगली फिराते रहती है और विक्रम देवकी से लिपटे रहते हैं। थोड़ी देर में विक्रम अपना सिर उठा कर देवकी की आंखों में देखते हैं और कहते हैं
कैसा लगा मां? बेटे से चूद कर, मजा आया ना। आज अपनी सुहागरात है और मैंने रत्ना को तो चोदा ही, साथ ही मैंने तुम्हें भी चोद दिया। तुम्हें चोद कर एक अलग ही सुख मिलता है मां। मन करता है अपना लिंग आपकी योनि में डाल कर पड़ा रहूं। और हां मेरे रहते आपको दुखी होने की कोई जरूरत नहीं है। आपका ये पुत्र आपको दिलो जान से चाहता है और आपको यौन सुख में कोई कमी नहीं होने देगा। ये सच है कि मेरा विवाह हो गया है। किन्तु मै अपनी मां के प्रति फर्ज से विमुख नहीं हो सकता।

तब देवकी कहती है

मैं जानती हूं कि मेरा पुत्र मुझे बहुत प्यार करता है और दिलो जान से मुझे प्यार करता है। मै भी तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मुझे नहीं पता था कि मेरे ही घर में, मेरे पीठ पीछे, कोई और नहीं, बल्कि मेरा पुत्र ही मुझे इतना प्यार करता है । पुत्र, तुमने यौन सुख दे कर मुझे आनंदित कर दिया है क्योंकि मुझे पुरुष संसर्ग की आदत है। आपके पिताजी ने ही मुझे यह आदत लगा दी थी। मै और आपके पिता जी प्रत्येक रात पूर्ण नग्न होकर मस्त चूदाई किया करते थे। और इसीलिए मुझे सम्भोग की आदत लग गई थीं।

दोनों मां बेटे अभी ये बातें कर रहे थे । उधर रांझा देवकी के महल में ही थी जो दूसरे कक्ष में सामान को व्यवस्थित कर रही थी जो पिछले कुछ दिनों से व्यस्तता के कारण बिखरा हुआ था। देवकी इस बात को तो जानती थी, लेकिन रांझा से वह अब इतनी खुल गई थीं कि उसे रांझा से कोई शर्म नहीं थी। तभी रांझा कक्ष व्यवस्थित कर देवकी के कक्ष में पहुंच जाती है और दोनों मां बेटे को ऐसे ही नंगे लेटे देख लेती है और कहती है

तब मन गई मां बेटे की सुहागरात। वही मैं कहूं दूसरे कक्ष में देवकी की सिसकियों की आवाज क्यों आ रही है।

ऐसा कह कर रांझा मुस्कुरा देती है। रांझा को आते देवकी तो देख लेती है लेकिन उसकी आवाज सुन कर राजा विक्रम जैसे ही पलटते हैं उनका लन्ड भी सामने आ जाता है जो बिल्कुल रांझा के सम्मुख आ जाता है जिसे रांझा आंखे फाड़े देखने लगती है और उसका मुंह राजा विक्रम के मनोहारी लन्ड को देख कर खुला रह जाता है। राजमाता देवकी रांझा की स्थिति समझ जाती है और कहती है

ऐसे मुंह फाड़े क्या देख रही है, तू तो ऐसे देख रही है जैसे कभी विक्रम का लिंग तुमने कभी देखा ही नहीं। चल इधर आ हमारे पास।

देवकी के ऐसा कहने से रांझा उस शैय्या के पास आ जाती है जिस पर राजा विक्रम और राजमाता देवकी नंगे ही लेटे हुए थे। देवकी रांझा को जबरदस्ती उस बिस्तर पर बैठा देती है और कहती है

ऐसे क्या देख रही थी मेरे प्यारे पुत्र के लिंग को। चल पकड़ ले इसके लिंग को, छू ले इसे, नहीं तो बाद में मुझे परेशान करती रहेगी की विक्रम का लन्ड कितना मस्त है, मुझे छूना था । और तो और मुझे छेड़ती रहेगी कि बताओ ना, बताओ ना, विक्रम का लन्ड छूकर, सहलाकर तुम्हें कैसा लगा।

ऐसा कह कर देवकी रांझा का हाथ विक्रम के लन्ड पर रख कर कस देती है। रांझा भी विक्रम के लन्ड पर से हाथ नहीं हटाती है, बल्कि उल्टा राजा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से कस कर पकड़ लेती है और उसे धीरे धीरे सहलाने लगती है। राजा विक्रम का लन्ड बड़ा तो था ही, देवकी की चूदाई के बाद भी अभी थोड़ा सा कड़ा ही था। रांझा के हाथ लगाने से विक्रम का लन्ड धीरे धीरे जागने लगता है और उसमें कड़ापन आने लगता है। सहलाते सहलाते ही लन्ड की चमड़ी पीछे हो जाती है और विक्रम के लन्ड का गुलाबी सुपाड़ा बाहर आ जाता है जो बिल्कुल गुलाबी रंग के रसगुल्ले की तरह दिख रहा था। रांझा ने उत्सुकतावश विक्रम के गुलाबी सुपाड़े पर अपनी उंगली फिरा दी जिससे विक्रम का लन्ड टनटना जाता है और विक्रम के मुंह से आह निकल जाती है। विक्रम तब अपने हाथ से रांझा का एक स्तन पकड़ लेते हैं और कहते हैं

बहुत मजा आ रहा है धाय मां। और सहलाओ ना मेरा लिंग। आपका शरीर कितना गठीला है धाय मां !!!

( राजघराने की स्त्रियां ज्यादा काम तो करती नहीं थी, बल्कि सजने संवरने में उनका समय ज्यादा गुजरता था, इसलिए उनका शरीर कोमल होता था, जबकि अन्य स्त्रियां घर के सभी कार्य करती थी जिससे उनका शरीर गठीला और सुडौल रहा करता था, उनके स्तन सुडौल तथा नितम्ब चुस्त रहते थे )
राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चोली के ऊपर से ही दबा रहे थे जो उन्हें काफी सुडौल महसूस हो रहे थे। फिर विक्रम ने अपने दूसरे हाथ से रांझा की चोली की डोर खोल देते हैं जिससे उसकी चोली ढीली होकर खुल जाती है जिसे राजा विक्रम अपने हाथों से पकड़ कर अलग कर देते हैं। अब रांझा का नग्न स्तन राजा विक्रम के सामने आ जाता है जिसे देख कर वे मोहित हो जाते हैं। रांझा का रंग थोडा हल्का था ही, सो उसका सावला सलोना स्तन तथा भूरे चुचुक विक्रम के सामने आ जाते हैं । विक्रम अपने को रोक नहीं पाते हैं और अपने हाथ से रांझा की नंगी चूची को दबाने लगते हैं और बीच बीच में उसके चूची के दाने को अपनी उंगलियों से मसल देते हैं जिससे रांझा के मुंह से आह निकल जाती है। राजा विक्रम रांझा की आंखों में देखते हुए ऐसा करते हैं और फिर धीरे से अपना मुंह रांझा के स्तन पर ले जाते हैं और उसे चूसने लगते हैं। रांझा को असीम आनंद मिलता है और वह विक्रम के सिर को अपने स्तन पर दबा देती है और कहती है
चुसिए, विक्रम चूसिए, आपने इन स्तनों का दूध खूब पिया है
तब देवकी कहती है
पिला दे ना रांझा फिर से अपने स्तनों का दूध मेरे लल्ला को
और ऐसा बोलकर देवकी विक्रम के सिर पर हाथ फेर देती है। राजा विक्रम रांझा के स्तनों को चूसते चूसते एक हाथ सीधे नीचे ले जाकर रांझा के लहंगे के ऊपर से उसकी योनि पर रख देते हैं और दबाने लगते हैं जिससे रांझा मुस्कुरा देती है। तभी विक्रम थोड़ा हट कर रांझा की आंखों में देखते हुए कहते हैं
धाय मां, यदि मैं आपकी योनि को नंगा सहलाऊं, तो क्या आपको आपत्ति होगी?
इस पर रांझा कहती है
यह तो किसी भी स्त्री का सौभाग्य होगा कि आप जैसे गबरू जवान से अपनी योनि सहलवाएं ।
और ऐसा कह कर रांझा विक्रम के मुख पर चुम्बन जड़ देती है। तब राजा विक्रम कहते हैं
धाय मां, मै तो डर रहा था कि कहीं आपको बुरा ना लग जाए
तब रांझा कहती है
बुरा क्यों लगेगा मुझे, एक बार आपने कह कर तो देखा होता
इस वार्तालाप के दौरान रांझा विक्रम के लन्ड को अपने हाथ से पकड़े ही रहती है और सहलाती रहती है, तो देवकी यह देख कर कहती है
देखो तो, ये इतनी दीवानी है लल्ला के लिंग की, कि ये इसके लिंग को छोड़ ही नहीं रही है
इस पर रांझा कहती है
इतना प्यारा लिंग है कि इसे छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा है
और ऐसा कह कर रांझा झुक कर विक्रम के लन्ड को चूम लेती है और फिर उसे मुंह में भर कर चूसने लगती है जिससे विक्रम की आहें निकल जाती है और विक्रम कहते हैं
चूसो धाय मां, चूसो ना, बहुत मजा आ रहा है। आह आह, मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि आप भी मेरा लिंग चूस रही हैं। आह आह ।
ये सब देवकी देख रही थी। उससे भी रहा नहीं गया और वह उठ कर विक्रम के बालों मे उंगली फिराने लगी और उसके होंठों पर अपने होंठ रख देती है और चूमने लगती है। विक्रम को मस्ती चढ़ गई और वे अपने हाथ से देवकी की योनि सहलाने लगे और दूसरे हाथ को रांझा के स्तनों से हटा कर उसके घाघरे के अन्दर डाल देते हैं और रांझा की बुर घाघरे के नीचे नंगी रहती है तो वह रांझा की नंगी योनि को सहलाने लगते हैं। रांझा की योनि भी कसी रहती है। रांझा का घाघरा व्यवधान पैदा कर रहा था तो विक्रम ने घाघरा का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया जिससे रांझा का घाघरा सरसराते हुए नीचे गिर गया जिससे रांझा नीचे से भी पूरी नंगी हो गई, ऊपर से तो वह पहले से नंगी थी ही । अब देवकी के कक्ष में तीनो पूर्ण रूप से नग्न थे। विक्रम अब दोनों की बुर को सहला रहे थे। तभी रांझा भी खड़े हो कर विक्रम के मुख को चूमने लगती है तो देवकी अपने होंठ अलग कर लेती है तब रांझा विक्रम के होंठों को चूमने चूसने लगती है। इधर विक्रम भी रांझा की योनि को फैला कर उसके भगनासे को रगड़ने लगते हैं जिससे रांझा और उत्तेजित हो जाती है। विक्रम को रांझा की योनि कसी हुई महसूस होती है, बल्कि रांझा का पूरा शरीर ही कसा हुआ महसूस होता है और कसा हुआ शरीर अलग ही मजा देता है।
रांझा आहें भरने लगती है तो विक्रम रांझा को लिटा देते हैं और उसकी योनि देख कर कहते हैं
धाय मां, आपकी योनि बड़ी कसी हुई लग रही है

इस पर रांझा शरमा जाती है। तब राजा विक्रम रांझा की योनि को चूम लेते हैं और फिर चाटने लगते हैं। रांझा का शरीर इस तरह चाटने से अकड़ने लगता है और विक्रम को वह अपने ऊपर खींच लेती है और विक्रम के लन्ड को अपने बुर पर रगड़ने लगती है। विक्रम समझ जाते हैं कि रांझा अब उनका लन्ड अपनी योनि में डलवाना चाह रही है। तो राजा विक्रम अपना लन्ड रांझा की योनि पर रख कर हल्का धक्का लगाते हैं तो उनका लन्ड योनि के अंदर थोड़ा अंदर चल जाता है और रांझा की योनि से योनि रस निकल कर विक्रम के लन्ड पर लग जाता है जिसका अनुभव विक्रम को आनंदित कर रहा था। रांझा कहती है

अन्दर डालिए विक्रम अपने लौड़े को, बहुत मजा आ रहा है

मुझे भी बहुत मजा आ रहा है धाय मां। मैं तो यही सोच रहा हूं कि मैं कितना खुशकिस्मत हूं कि मैंने अपनी सगी मां को भी चोदा और आज धाय मां को भी चोद रहा हूं। ये लीजिए धाय मां मेरा पूरा लिंग अपनी योनि में।
ऐसा कह कर विक्रम थोड़ा और धक्का देते हैं तो विक्रम का पूरा लन्ड रांझा की योनि में समा कर गुम हो जाता है और सीधे बच्चेदानी से टकरा जाता है जिस पर रांझा कहती है

आज मैं पहली बार अपने बच्चेदानी पर लौड़े का ठाप महसूस कर पा रही हूं, आह आह,, कितना मजा आ रहा है,। मैने जबसे आपका लिंग देखा है, खास कर के जबसे नंदिनी को चोदते देखा है तबसे आपसे चुदवाना चाह रही थी। और जोर से चोदिए लल्ला और जोर से। उफ्फ उफ्फ, आह आह। मैं सोचती थी जब ये अपनी बड़ी बहन को चोद सकते हैं तो मुझे क्यों नहीं !!! आज मेरी इच्छा पूरी हुई लल्ला, आह आह।
तब राजा विक्रम कहते हैं
मै तो खुद ही आपको चोदना चाहता था धाय मां और आज देखिए आप दोनो मारे साथ नंगी हैं। आज तो मेरी और आपकी भी सुहागरात हो गई। ये लीजिए धाय मां मेरा लौड़ा और अन्दर।

और राजा विक्रम सटासत रांझा की बुर में अपना लन्ड पूरा अंदर बाहर करने लगते हैं। देवकी का पूरा कक्ष फ्च फाच की आवाज से गूंजने लगता है। रांझा की योनि भी विक्रम के लन्ड को टक्कर दे रही थी। तब विक्रम रांझा के स्तनों को चूसने लगते हैं और नीचे से उसकी योनि को फैला कर जबरदस्त तरीके से चोदने लगते हैं। चूची चूसे जाने से रांझा कमजोर पड़ने लगती है और यह अपनी कमर को उठा उठा कर विक्रम के लन्ड को धक्के देने लगती है और कहती है

आह आह, ये लो विक्रम मेरी बुर की थाप। आह आह, मुझे गर्भवती कर दो ताकि मैं तुम्हारे जैसे दमदार लन्ड वाले पुत्र को जन्म दूं। आह आह मेरा छुटने वाला है आह आह, मैं गई आह आआह्ह्हह्ह

और ऐसा कह कर रांझा का शरीर ऐंठने लगता है और उसकी योनि से भल भला कर योनि रस बाहर निकलने लगता है जो राजा विक्रम के लन्ड को भीगो देती है
Shaandar update bro.kaash isme pics or gif bhi hoti to story me char chand lag jate
 
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Motaland2468

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update 27

राजा विक्रम और रानी रत्ना दोनो ऐसे ही नंगे एक दूसरे से चिपके लेटे रहते हैं। रत्ना को चूदाई का, यौन सम्बंध का, ये पहला अनुभव था और वह इस अद्भुत सुख से आह्लादित हो कर मदहोशी में राजा विक्रम के नंगे बदन से चिपक कर सो जाती है। रत्ना ने कभी सपने में भी इस तरह के सुख की कल्पना नहीं की थी। उसका रोम रोम इस चूदाई से पुलकित हो गया था। उसे राजा विक्रम की नंगी बाहों मे गहरी नींद आ जाती है।
लेकिन राजा विक्रम की आंखों में पता नहीं क्यों नींद ही नहीं थी। साथ ही उनके लिंग पर योनि रस और वीर्य का मिश्रण भी लगा हुआ था, तो वह धीरे से रत्ना को खुद से अलग करते हैं और उसके नंगे बदन पर हल्की चादर डाल देते हैं और खुद स्नानघर में घुस कर अपने लिंग को शीतल जल से साफ करते हैं और मन में कहते हैं तेरे तो मजे ही मजे हैं लन्ड महाराज।
राजा विक्रम को नींद नहीं आ रही थी सो वे धोती पहन कर और एक चादर ओढ़ कर कक्ष से बाहर राज परिवार के लिए आरक्षित भाग में घूमने निकल जाते हैं जहां कोई बाहरी आता जाता नहीं था। घूमते घूमते राजा विक्रम अपनी माता देवकी के कक्ष के पास पहुंच जाते हैं। वहां पहुंच कर वे देखते हैं कि उनकी माता के कक्ष में दीप जल रहा है, तो उन्हें आश्चर्य होता है की इतनी रात में माता के कक्ष में दीप क्यों जल रहा है। यही देखने के लिए वे राजमाता देवकी के कक्ष में चले जाते हैं। कक्ष का ये हिस्सा राजपरिवार का अपना हिस्सा था जिधर से केवल राजपरिवार के लोग ही आ जा सकते थे ।
कक्ष में पहुंच कर राजा विक्रम अपनी माता को जगा हुआ पाते है जो अपने पुराने वस्त्रों को देख रही थी। उन्हें देख कर राजा विक्रम कहते हैं
आप अभी तक जगी है माते और आप ये कौन से कपड़े देख रही है।
इस पर देवकी कहती है
पुत्र, आज तुम्हारे पिता श्री की बड़ी याद आ रही थी। ये देखो, ये मेरी शादी का जोड़ा। अभी तक कितना नया दिख रहा है, है ना।
तब राजा विक्रम कहते हैं
हां माते, बिल्कुल नया दिख रहा है। लेकिन आपको दुखी होने की जरूरत नहीं है । आपका ये पुत्र आपकी हर जरूरत पूरा करेगा और आपकी पिता श्री की कभी कमी महसूस नहीं होने देगा। आपको पिताश्री ने जो भी सुख दिया है उससे ज्यादा खुश रखेगा आपको।
ये सुनकर राजमाता देवकी राजा विक्रम को गले लगाकर लिपट जाती हैं और कहती हैं
वो तो मैं जानती ही हूं कि मेरा पुत्र मुझे एक पुरुष का सुख देकर अपने पिताश्री के कर्तव्यों को पूरा कर रहा है । लेकिन अब तुम्हारा विवाह हो गया है। तुम अब सारा ध्यान रत्ना पे दो।
इस पर राजा विक्रम कहते हैं

माते मुझे रत्ना का पूरा ख्याल है तथा उसे पुरुष का सुख देने में कोई कमी नहीं होगी। मै उसे पति का भरपूर प्यार दूंगा। लेकिन मैं आपको और दीदी को नहीं छोड़ सकता। आप दोनो को प्यार किए बिना मैं नहीं रह सकता। देखो, एक व्यक्ति एक साथ एक से अधिक लोगों से प्यार कर सकता है।
इस पर देवकी कहती है
इतना प्यार करते हो अपनी मां और बहन से!!!
और ऐसा कह कर देवकी राजा विक्रम के होंठों को चूम लेती है तब राजा विक्रम भी आगे बढ़ कर अपनी मां के होंठों को चूसने लगते हैं और अपना एक हाथ सीधे देवकी के चूची पर रख कर दबाने लगते हैं । देवकी तो पहले से ही पुरुष संसर्ग को तड़प रही थी और स्तन दबाने से वह और भी उत्तेजित हो जाती है। राजा विक्रम उसके चुचुको को चोली के ऊपर से मसलने लगते हैं जिससे देवकी राजा विक्रम को आगोश मे लेने लगती है । तभी विक्रम हाथ पीछे ले जाकर चोली की डोर खोल देते हैं जिससे चोली ढीली हो जाती है और देवकी स्वयं अपनी चोली निकाल देती है और विक्रम के हाथ अपने स्तन पर रख देती है और विक्रम उसके नंगे स्तनों को दबाने लगते हैं । फिर अपनी मां के चुम्बन को छोड़ कर उसके स्तन को चूसने लगते हैं। अब एक हाथ से वे एक स्तन को दबा रहे थे और दूसरे को चूस रहे थे। देवकी असीम आनंद में डूब गई थीं।
राजा विक्रम तो ऊपर से नंगे थे ही, अपनी चादर भी फेक देते हैं तो राजमाता देवकी धोती के उपर से ही राजा विक्रम के लिंग को सहलाने लगती है। इधर राजा विक्रम भी अपने हाथ नीचे ले जाकर घाघरे के ऊपर से ही देवकी की योनि को दबोच लेते हैं और तेज तेज रगड़ने लगे और फिर घाघरे का नाडा पकड़ कर खींच देते हैं जिससे घाघरा पूरा सरसरा कर नीचे गिर जाता है और विक्रम उसके नंगे बुर को हाथ में भर कर सहलाने लगता है। तब देवकी भी विक्रम की धोती निकाल कर उसके लन्ड को पकड़ कर हिलाने लगती है । राजा विक्रम का लन्ड फिर खड़ा हो जाता है तो देवकी कहती है

तेरा तो हब्बासी लन्ड है बेटा। अभी रत्ना को चोद कर आया है और फिर से खड़ा हो गया
इस पर राजा विक्रम कहते हैं

ये लन्ड आपनी मां को देख कर ऐसे ही खड़ा हो जाता है

इस पर देवकी गले लग कर कहती है।

इतना प्यार करते हो अपनी मां से !!!
हां माते, बहुत ज्यादा।
और ये कह कर राजा विक्रम अपनी माता देवकी को नंगे उठा कर शैय्या पर ले जाकर लिटा देते हैं। दोनो मादरजात नंगे रहते ही हैं और राजा विक्रम देवकी के बुर पर अपना लन्ड रगड़ते हैं और कहते हैं

माते मैं आज सुहागरात में आपकी योनि को अपने लन्ड से चोदने की इजाजत मांगता हूं

अब देवकी कहती हैं

चोद ले बेटा चोद ले, अपनी मां को और उसे मजे दिला ।

तब राजा विक्रम धीरे धीरे अपनी मां की बुर में अपना लन्ड डालने लगते हैं और उनकी चूची को चूसने लगते हैं। लन्ड डालने से और चूची चुसने से देवकी की योनि पूरी गीली हो जाती है और विक्रम का लन्ड तेजी से अन्दर बाहर करने लगता है। देवकी की बुर से फच्च फाच्च की आवाज आने लगती है और देवकी मदहोशी में बोलने लगती है
और चोद बेटा और चोद। और चोद मेरे बालम। मेरे सईयां!!! तेरा लन्ड तो मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा है। आह आह। लगता है तू मुझे भी कोख से कर देगा

तब राजा विक्रम कहते हैं
ये लीजिए माते, ये लीजिए अपने पुत्र का लिंग अपनी योनि की गहराइयों में। जिस बुर से निकला उसी को चोद रहा है, उसे यौन सुख दे रहा है। माते, ये संसार में विरले लोगों की ही अपनी मां की बुर चोदने का मौका मिल पाता है
और जोश में राजा विक्रम अपनी मां की बुर को खचा खच फच्चा फच चोदने लगते हैं
दोनो मां बेटा घमसान चूदाई करते हैं जिसमे देवकी तीन बार झड़ चुकी थी और तभी विक्रम का शरीर अकड़ने लगता है और वे कहते हैं

मेरा निकलने वाला है मां, आह आह

तब देवकी अपने पैरों को कैची बना कर राजा विक्रम को जकड़ लेती हैं जिससे राजा विक्रम अपना सारा वीर्य अपनी मां की योनि में छोड़ देते हैं और देवकी की योनि से उसकी योनि रस और वीर्य बहने लगते हैं और राजा विक्रम अपनी मां देवकी की योनि में लन्ड डाले हुए उसके ऊपर ढेर हो जाते है । और राजमाता देवकी राजा विक्रम के वालों में धीरे धीरे अपनी ऊंगली फिराते रहती है ......
Plz bhai updates main pics or gif bhi add karo plz plz plz
 
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Dirty_mind

Love sex without any taboo
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]राजा विक्रम अपनी माता देवकी को नंगे उठा कर शैय्या पर ले जाकर लिटा देते हैं। दोनो मादरजात नंगे रहते ही हैं और राजा विक्रम देवकी के बुर पर अपना लन्ड रगड़ते हैं और कहते हैं

माते मैं आज सुहागरात में आपकी योनि को अपने लन्ड से चोदने की इजाजत मांगता हूं

अब देवकी कहती हैं

चोद ले बेटा चोद ले, अपनी मां को और उसे मजे दिला ।

तब राजा विक्रम धीरे धीरे अपनी मां की बुर में अपना लन्ड डालने लगते हैं और उनकी चूची को चूसने लगते हैं। लन्ड डालने से और चूची चुसने से देवकी की योनि पूरी गीली हो जाती है और विक्रम का लन्ड तेजी से अन्दर बाहर करने लगता है। देवकी की बुर से फच्च फाच्च की आवाज आने लगती है और देवकी मदहोशी में बोलने लगती है
और चोद बेटा और चोद। और चोद मेरे बालम। मेरे सईयां!!! तेरा लन्ड तो मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा है। आह आह। लगता है तू मुझे भी कोख से कर देगा

तब राजा विक्रम कहते हैं
ये लीजिए माते, ये लीजिए अपने पुत्र का लिंग अपनी योनि की गहराइयों में। जिस बुर से निकला उसी को चोद रहा है, उसे यौन सुख दे रहा है। माते, ये संसार में विरले लोगों की ही अपनी मां की बुर चोदने का मौका मिल पाता है
और जोश में राजा विक्रम अपनी मां की बुर को खचा खच फच्चा फच चोदने लगते हैं
दोनो मां बेटा घमसान चूदाई करते हैं जिसमे देवकी तीन बार झड़ चुकी थी और तभी विक्रम का शरीर अकड़ने लगता है और वे कहते हैं

मेरा निकलने वाला है मां, आह आह

तब देवकी अपने पैरों को कैची बना कर राजा विक्रम को जकड़ लेती हैं जिससे राजा विक्रम अपना सारा वीर्य अपनी मां की योनि में छोड़ देते हैं और देवकी की योनि से उसकी योनि रस और वीर्य बहने लगते हैं और राजा विक्रम अपनी मां देवकी की योनि में लन्ड डाले हुए उसके ऊपर ढेर हो जाते है । और राजमाता देवकी राजा विक्रम के वालों में धीरे धीरे अपनी ऊंगली फिराते रहती है ......[/SIZE]
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