Update 14
माते और तभी से हमारे और नंदिनी के बीच भाई बहन होते हुए यौन संबंध स्थापित हो गया और हम दोनों छुप छुप कर एक दूसरे के साथ सम्भोग करने लगे,, राजा विक्रम ने कहा
लेकिन तुम दोनो को जरा भी भय नहीं हुआ की अगर तुम दोनो पकड़े गए तो क्या होगा। भाई बहन के बीच यह रिश्ता मान्य नहीं है। लेकिन अब किया भी क्या जा सकता है। तुम दोनों ने तो सारी सीमाएं लांघ दी है। किंतु तुम दोनो एक बात का ख्याल रखना की उसकी खबर किसी को न चले और ये बात हम तीनों के बीच ही रहे। तुम दोनो की खुशी में ही मेरी खुशी है।,,राजमाता देवकी ने कहा।
ये सुनकर राजा विक्रम और नंदिनी दोनो खुशी से झूम उठते हैं और नंगे ही देवकी के गले लग जाते हैं। विक्रम के नंगे गले लगने से देवकी के शरीर में सनसनाहट होने लगती है और उसकी योनि उत्तेजना से रस छोड़ने लगती है और देवकी विक्रम को जोर से अपने स्तनों पर भींच लेती है। ये देख कर नंदिनी के आंखे खुली की खुली रह जाती हैं और वह समझ जाती है की उसकी मां भी उत्तेजित हो गई है। लेकिन तभी देवकी को होश आता है और वह दोनो को अपने से अलग करती है और कहती है
कमबख्तों, मुझसे नंगे ही गले लग गए। चलो सोने जाओ, बहुत रात हो गई है।
ऐसा वो कहती तो है लेकिन बार बार उसकी नजर अपने बेटे के खड़े लंद पर ही जाती है जिसे दोनो विक्रम और नंदिनी देख लेते हैं। तभी नंदिनी कुटिल मुस्कान के साथ कहती है
माते, आपसे एक बात पूछूं, अगर आप बुरा न मानो तो।
पूछ, क्या पूछना है तुम्हे पुत्री।
लेकिन तुम बुरा मत मानना।
नही मानूंगी। तू पूछ।
माते, क्या विक्रम का लंद पिताजी के लंद से बड़ा है मोटा है या छोटा। आपको तो जानकारी होगी ही, आखिर आपने तो दोनों का लंद देखा है न।
ये कैसी बात पूछ रही है पुत्री, ये कोई पूछने वाली बात है।
हां माते, बस यूं मुझे जानने की इच्छा हुई, बताओ ना माते।
तो देवकी विक्रम के लंद के तरफ देखते हुए कहती है,,,क्या बताऊं पुत्री,, विक्रम का लंद तो हु ब हू महाराज की छाया है। इसे देख कर तो महाराज की याद आ जाती है। रत्ना बहुत खुशनाशीब है जो उसे मेरे पुत्र जैसा वर मिला है। इसका लिंग रत्ना की योनि को भरपूर सुख देगा। क्यो सही कहा न मैंने नंदिनी। तुम्हें तो पूरा अनुभव है इसका। ये कहकर देवकी नंदिनी को आंख मार कर मुस्कुरा देती है।
अपनी माता द्वारा अपने लंद को देखने और बाते किए जाने के कारण विक्रम का लंद उत्तेजनावश अपनी मां को देखते हुए और खड़ा हो जाता है और सलामी देने लगता है जिसे देख कर देवकी और नंदिनी दोनो हस देती हैं।
नंदिनी कहती है देखा मां, जिसके सामने पूरी दुनिया सलामी ठोकती है, उसका लंद तुम्हे सलामी दे रहा है और ऐसा कह कर हस देती है।
तब राजा विक्रम बोलते हैं,,दुनिया के लिए मैं राजा हूं, लेकिन अपनी प्यारी मां के लिए प्यारा पुत्र हूं और राजमाता मेरी पूज्यनीय मां। तो मेरे लैंड ने मां को सलामी दी है कि इन्होंने ने हम भाई बहन के रिश्ते को स्वीकार कर लिया। माते मेरा विवाह तो राजकुमारी रत्ना से होने जा रहा है, लेकिन मैंने सुहागरात अपनी बहन के साथ मनाई है और मै इसके साथ ही विवाह करना चाहता हूं। माते मै आपको विश्वास दिलाता हूं की रत्ना के प्रति एक पति के कर्तव्य में कोई कोर कसर नहीं छोडूंगा।
पुत्र ये बात सही है की तुम दोनो ने आपस में यौन संबंध बना लिया है और तुम दोनों की खुशी में ही मेरी खुशी है, लेकिन तुम्हे ये सम्बंध छिपा कर ही रखना होगा क्यों कि समाज में भाई बहन के बीच यौन संबंध सबसे निकृष्ट माना गया है और जो भी संबंध ऐसे बने हैं वो घर की चहारदीवारी के बाहर नही आए हैं। चलो अब सोने चलो । काफी रात हो गई है।
ठीक है माते। आप चलिए, हम भी चलते हैं।,,विक्रम ने कहा।
अच्छा तो तुम दोनो को अभी और रुकना है। ठीक है मैं चलती हूं। लेकिन विक्रम तुम मेरी प्यारी बेटी नंदिनी को ज्यादा तंग मत करना, समझे। ऐसा कहकर राजमाता देवकी अपने कक्ष की ओर चल देती है। तभी उसे ख्याल आता है की रांझा तो सारी बात जानती है, कहीं वो ये राज न खोल दे। लेकिन वो जैसे नंदिनी के कक्ष से बाहर निकलती है तो देखती है कि वहां कोई नहीं है, रांझा वहा से जा चुकी थी।
इधर कक्ष के बाहर होता ये है की रांझा पूरी घटना अपनी आंखों के सामने देखती है। लेकिन जैसे जैसे वो राजा विक्रम और नंदिनी की बात सुनती है वह पूरी उत्तेजित हो जाती है और उत्तेजनावश एक हाथ से अपने स्तन मसल रही होती है और दूसरे हाथ से घाघरे के ऊपर से अपनी योनि को सहला रही होती है। पूरी बात सुनकर उसकी योनि 4 बार पानी छोड़ दी थी। रांझा जब देखती है कि देवकी कक्ष से निकलनेवाली है तो वह अपने घर के तरफ चल देती है।
आधी रात्रि हो चुकी थी लेकिन उसकी आंखों में नींद नही थी। विक्रम और नंदिनी का सम्भोग देख कर उसका दिमाग चकरा गया था और वो सोचते हुए अपने घर के तरफ चल देती है की क्या राजघराने में भी एक भाई अपनी बहन के साथ यौन संबंध बना सकता है। आज तक गांव में तो मैंने कई बार सुना है की किसी का अपने देवर के साथ तो किसी का अपने भाई के साथ संबंध है। लेकिन किसी राजा का अपनी बहन के साथ संबंध होगा ये पहली बार देखा है। और तो और देवकी भी इस सम्बंध को लेकर राजी है। लेकिन आखिर देवकी राजी क्यूं ना हो। उसके पुत्र का लंद इतना प्यारा जो है। वो तो बार बार अपने पुत्र के लिंग को निहारे ही जा रही थी।
तभी वह मन में सोचती है मेरे पुत्र का लिंग भी कोई काम नही है, केवल रंग थोड़ा सांवला है, नही तो किसी भी तरह से उसका लिंग राजा विक्रम के लिंग से कम नहीं है। ऐसा सोचते ही उसके शरीर में करंट सा दौड़ जाता है और उसकी योनि एक बार फिर पिचकारी छोड़ देती है और वह कहती है,,,मेरी योनि योनि न होकर पिचकारी हो गई है। यही सोचते सोचते वह अपने झोपड़े में पहुंच जाती है। दरवाजे को हल्का सा धक्का देती है तो दरवाजा खुल जाता है। उसका बेटा कलुआ अपनी मां का इंतजार करते करते से गया था। रांझा जैसे ही दरवाजा बंद कर झोपड़े के अंदर पहुंचती है उसकी आंखे फटी की फटी रह जाती हैं। उसके सामने उसका बेटा गहरी नींद में सोया हुआ था और नींद में ही उसकी धोती खुल गई थी जिससे उसका लंद बाहर निकल गया था। कलुआ का 9 इंच लम्बा लैंड काले सांप की तरह उसके जांघों से सटा हुआ था। ये देख कर रांझा की योनि पानी छोड़ने लगती है जिसे वह घाघरे के ऊपर से ही अपनी योनि को दबाकर सहला देती है। उसे अपने प्यारे भोले पुत्र पे बहुत प्यार आता है और वह आगे बढ़ कर अपने पुत्र के पास पहुंचती है और प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरती और उसके पेशानी पर प्यार से एक चुम्बन जड़ देती है। फिर वह उसका धोती सही करने की कोशिश करती है लेकिन धोती लंद से दबी थी तो वह धीरे से अपने पुत्र के लंद को अपने हाथ से पकड़कर सीधा करती है और उसके ऊपर धोती डालकर उसे ढक देती है। उसने पहली बार अपने पति के अलावा किसी और पुरुष का लिंग स्पर्श किया था और वह भी अपने पुत्र का जिससे वह फिर से उत्तेजित हो जाती है और अपनी bur को घाघरे के ऊपर से रगड़ देती है। उसे आज अपने पुत्र पर बहुत नाज हो रहा था जिसके पास इतना मोटा तगड़ा लंद है। वह सोचने लगती है की कलुआ के बाप का लंद तो साधारण सा है तो कलुआ का लंद कैसे इतना मोटा और लंबा हो गया।
आज रांझा की जवानी भी कुछ ज्यादा ही मचल रही थी। इसलिए उसने सोचा सोने के पहले क्यों न एक बार नहा लूं और वह झोपड़े के पीछे बने आड़ में नहाने चली जाती है जहां घड़े में नहाने का पानी रखा हुआ था।
इधर लंद में हरकत होने और धोती ठीक किए जाने से कलुआ थोड़ा कुनमुनाता है। फिर उसे पानी गिरने की आवाज आती है तो उसकी नींद खुल जाती है और उस पेशाब भी लग जाती है। सो वह भी उठ कर झोपड़े के पीछे चल देता है। वह जैसे ही झोपड़े के पीछे पहुंचता है उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है। वहां उसकी मां पूरी नंगी होकर बैठ कर नहा रही थी। बैठ कर नहाने से वह अपनी मां के पूरे नंगे शरीर को तो नहीं देख पाया लेकिन उसे ये एहसास जरूर हो गया की उसकी मां पूरी नंगी नहा रही है।
तभी रांझा की नजर अपने बेटे पर पड़ती है तो वह चौंक जाती है और फिर अपने दोनों हाथों से अपने घुटनों को अपनी स्तनों में दबाकर उन्हें छिपा लेती है और पूछती है
तू यहां क्या कर रहा है।
वो मुझे पेंशन लगी थी मां, इसलिए आया था।
ठीक है पेशाब लगी है तो कर ले, लेकिन अपनी मां को ऐसे नंगे नहाते देखना बुरी बात होती है।
ठीक है मां, मै इसका खयाल रखूंगा। लेकिन आप इतनी रात को क्यों नहा रही है।
कोई बात नही है बेटा , आज तक गई हूं ना इसलिए नहा रही हूं, तू पेशाब करके जा कर सो जा, मै भी नहा कर आती हूं।
ठीक है मां, ऐसा कह कर कलुआ अपना काला लंद धोती में से निकाल कर उसके सामने ही पेशाब करने लगता है। कलुआ का लंद छुए जाने से और अपनी मां को नंगी देखकर थोड़ा कड़ा हो गया था और पुरूषों का लंद रात में थोड़ा कड़ा भी हो जाता है, इसलिए कलुआ का लंद कड़ा होकर और बड़ा हो गया था।
रांझा अपने पुत्र का लंददेख कर इतराने लगती है और सोचती है जिसकी योनि को भी ये चोदेगा उसे ti नानी याद आ जायेगी और ऐसा सोचते सोचते उसकी योनि फिर पानी छोड़ देती है।
फिर कलुआ भी पेशाब कर के चल देता है। लेकिन लौटने के पहले एक बार फिर मुड़ कर अपनी मां को नंगी देखता है और अपने लंद को अपने हाथ से सहला कर मोड़ देता है और सोने चला जाता है। ये सब रांझा देख लेती है और मन ही मन मुस्कुराती है,,, हाय मुआ मुझे अपनी मां को ही नंगी देख कर लंद मसल रहा है, क्या हो गया है इनको। लेकिन जो कहो उसका लंद है बड़ा दमदार और ऐसा सोच कर वह अपना हाथ अपनी योनि पर ले जाकर रगड़ने लगती है और फिर झड़ने के बाद बिस्तर पर आकर सो जाती है।
सुबह जब कलुआ की नींद खुलती है तो वह देखता है की उसकी मां खाना बना रही होती है तो वह उसके पास जाकर बैठ जाता है। और पूछता है
मां आज इतनी सुबह खाना क्यों बना रही हो।
बेटा आज हमे अपने खेतों की सुहाई करने चलना है नही तो फसल खराब हो जायेगी। आज मैं राजमहल नही जाऊंगी। चल तू भी जल्दी से तैयार हो जा।
रांझा एक पतली सी चोली और घाघरा पहन कर खाना बना रही थी। गर्मी के चलते पसीने से उसकी पूरी चोली भीग गई थी और उसके स्तन पूरे दिख रहे चोली से चिपके पूरे दिख रहे थे । उसने अपना घाघरा भी जांघों तक कर के बैठी थी, लेकिन उसकी योनि नहीं दिख रही थी।
अपनी मां के नंगे स्तन देख कर कलुआ का लंद उसकी धोती में खड़ा हो गया जिसे वह बार बार हाथ ले जाकर अपनी मां से छुपा रहा था।
कलुआ को बार बार ऐसा करता देख रांझा ने पूछा क्या हुआ पुत्र , तुझे कोई परेशानी है क्या
नही मां कोई बात नहीं
लेकिन वो कहते हैं ना की इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते, इसी तरह कलुआ की सारी कोशिश बेकार हो गई और उसका लंद धोती से निकल कर खड़ा हो गया जिसे रांझा ने देख लिया और मन ही मन सोचा ( हाय, इतनी सुबह सुबह मेरे पुत्र का लिंग खड़ा हो गया, क्या वो मुझे पसंद करने लगा है) फिर वह कहती है
क्या तुम्हे पेशाब आई है पुत्र, तो जाकर पेशाब कर लो।
अपनी चोरी पकड़े जाने पर कलुआ हकलाने लगता है और कहता है
मां, वो वो तुम्हारी चोली।
क्या हुआ मेरी चोली को।
वो वो तुम्हारी चोली पसीने से भीग गई है और तुम्हारी चोली से तुम्हारा स्तन पूरा नंगा दिख रहा है,,,कलुआ ने एक सांस में बोल दिया।
इस पर रांझा जैसे ही नजरे नीची करके अपने चोली को देखती है तो आवाक रह जाती है उसे अपने पूरा नंगे स्तन दिखते हैं, तो वह कहती हैं
हाय दईया, ये क्या हो गया , तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया, ये तो पूरी नंगी हो गई है। कोई बेटा अपने मां के नंगे स्तनों को देखता है क्या। जल्दी से चादर ले कर आ ताकि मैं इन्हें ढक सकूं।
इसपर कलुआ हसने लगता है और कहता है
अब क्या अब तो मैने तुम्हारे स्तन पूरे नंगे देख लिए अब इसे ढक कर भी क्या करोगी।
इस पर रांझा उसे मारने दौड़ती है तो वह नहाने के लिए झोपड़े के पीछे चला जाता है।