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Incest राजकुमार देव और रानी माँ रत्ना देवी

Sanju@

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Update 18

देवकी और विक्रम रांझा और कलुआ के घर से साथ अपने कक्ष के लिए साथ साथ निकल पड़ते हैं। दोनों के मन में रांझा और कलुआ की हरकत गुदगुदी पैदा कर रही थी , आखिर पहली बार उन्होंने मां और पुत्र का विवाह जो सम्पन्न कराया था और दोनो को खुलेआम यौन सम्बंध बनाते हुए देख लिया था। और तो और राजा विक्रम भी अपनी धाय मां रांझा के सुडौल स्तन और घाघरे के नीचे योनि की झलक पा कर रोमांचित और आनंदित महसूस कर रहे थे और सोच रहे थे कि इधर कुछ दिनो से उनके जीवन में सुन्दर, कामुक और गदराई स्त्रियों की बहार हो गई है। इधर देवकी भी मां और पुत्र के बीच निषेध यौन सम्बंध को स्वीकृति प्रदान कर विवाह संपन्न कराने की भावना से कामुक हुए जा रही थी। और यही सोचते सोचते दोनों कक्ष में पहुंच जाते हैं। तब राजा विक्रम कहते हैं
माते मेरे पैरों में थोड़ा दर्द हो रहा है, कृपया औषधि लगा दें।
देखा पुत्र, मैं इसीलिए तुम्हें मना कर रही थी से , अब हो गया ना दर्द। आओ मैं तुम्हारे पैर पर औषधि का लेप लगा देती हूं ।
और ये कहकर देवकी परेशान हो जाती है। वह औषधि का लेप बनाती है और बड़े प्यार से विक्रम के पैरों पर लेप लगाने लगती है। तभी विक्रम कहते हैं
माते, आपके हाथ में जादू है। जैसे ही आप अपने कोमल और मुलायम हाथों से लेप लगती हो, वैसे ही पैर का दर्द छू मंतर हो जाता है।
ये तो औषधि का कमाल है पुत्र।
मानता हूं माते, औषधि का भी असर है। लेकिन मैं ये भी जानता हूं कि आपकी ममता और आशीर्वाद से औषधि ने जल्दी असर किया है, नहीं तो मैं अभी तक ठीक नहीं हुआ होता ।
ऐसा सुनकर देवकी राजा विक्रम को प्यार और ममता से अपने सीने से चिपका लेती है और उसके पेशानी और गालों पर चुम्बन अंकित कर देती है और कहती है

मेरा प्यारा पुत्र!! मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे तुम जैसा प्यारा, समझदार और संस्कारी पुत्र मिला है जो अपनी विधवा मां की इतनी इज्जत करता है।

आप कैसी बातें कर रही हैं माते। आप तो मेरी आदरणीय माते हैं। मै आपसे ज्यादा किसी से प्यार नहीं करता।
पुत्र!!

राजा विक्रम वापस आने के उपरान्त अपने ऊपर के वस्त्र उतार कर मात्र धोती में लेटे हुए थे। तो उन्होने कहा

माते, इतनी गर्मी है, आप भी अपनी चोली उतार दो, तब आपको थोड़ा आराम मिलेगा।
नहीं पुत्र, मै तुम्हारे सामने बिना चोली के नंगे स्तनों के साथ नहीं रह सकती हूं। आखिर तुम मेरे पुत्र जो हो।

माते, अब एक बार नंगी रहो या दो बार , बात तो बराबर ही है ना। अभी कलुआ और रांझा के घर जाने के पहले आप बिना चोली के ही तो मेरे सामने बैठी थी।
इस पर रांझा मुस्कुराते हुए कहती है

तुम बहुत शरारती हो गए हो पुत्र। कोई पुत्र अपनी मां को चोली खोल कर बैठने को कहता है भला क्या। वैसे हां, गर्मी तो बहुत है ही। तू ठीक ही कहता है, मै चोली उतार देती हूं।
और ये कह कर देवकी अपनी चोली उतार देती है और वह फिर से विक्रम के सामने बिना चोली के बैठ जाती है जिसे देख कर राजा विक्रम अपने होठों पर जीभ फेरते है जिसे देवकी देख लेती है। तब राजा विक्रम कहते हैं
एक बात कहूं माते

कहो।

बुरा तो नहीं मानेंगी आप।

नहीं पुत्र, मै तुम्हारी बात का बुरा क्यों मानने लगी।

माते, आपके स्तन गजब के सुन्दर है, बिल्कुल गोरे, बिल्कुल संगमरमर की तरह और इस पर ये हल्की हरी हरी लाइने इसे गजब का आकर्षक बनाती हैं और इस ये गुलाबी घूंडी तो मन मोह लेती हैं
इस पर रांझा झेंप जाती है और कहती है
धत्त, तुम कुछ भी कहते हो। एक पुत्र को अपनी मां के प्रति ऐसे विचार नहीं रखने चाहिए। मै इतनी सुंदर थोड़े ही ना हूं, एक तो बूढ़ी हो गई हूं और ऊपर से विधवा। सुडौल स्तन तो नंदिनी के हैं और तो और रत्ना जिससे तुम्हारा विवाह होने वाला है उसके स्तन भी काफी कसे हुए दिख रहे थे।
रत्ना का तो पता नहीं, वह तो बाद में मालूम चलेगा। लेकिन नंदिनी के स्तन भी काफी कसे हुए हैं। लेकिन माते एक पूत्र के लिए उसकी मां के स्तन की बात ही कुछ और होती है जिनको चूस चूस कर वह बड़ा हुआ रहता है। किसी मां के स्तन के ऊपर सबसे पहला हक उसके पुत्र का ही होता है मां। आपके स्तन की तो बात ही कुछ और है और आप बूढ़ी नहीं है माते। यही तो उम्र है जिसमे स्त्री सबसे ज्यादा आकर्षक और गदरई हुई होती है। आप तो मुझे साक्षात काम की मूर्ति दिखती हैं माते। एक बात बताऊं मुझे आपकी उम्र की औरतें बहुत ज्यादा आकर्षित करती हैं।
ये सब सुन कर उत्तेजना से देवकी का चेहरा लाल हो जाता है और वह उत्तेजित होने लगी जिससे उसके स्तनों में हल्का तनाव आने लगा और इसे राजा विक्रम देख लेते हैं और कहते हैं
माते, मै एक बात तो कहना चाहूगा। पिता श्री बड़े भाग्यशाली थे जो आप जैसी सुन्दर स्त्री उन्हें अपनी पत्नी के रूप में मिली और इसी लिए पिता जी आपको कभी छोड़ते नहीं थे। माते , जब भी मैं आपके स्तनों को देखता हूं तो पर मेरी नजर उन पर से हटती ही नहीं है।

इन बातों को सुन कर देवकी की सांसे ऊपर नीचे होने लगती है और वह कहती है
पुत्र, क्या सच में तुम्हें मेरे स्तन इतने पसंद आए। चलो अच्छा है। कम से कम इस उम्र में मेरे स्तन किसी को पसंद तो आए।
माते , आप तो सुन्दरता की मूरत हो। नंदिनी बिल्कुल आपके उपर ही गई है।
सच पुत्र,। लेकिन हम मां पुत्र को ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए। मां और पुत्र के बीच ऐसी बातें शास्त्रों में निषेध की गई हैं।
माते, यदि आपको मेरी बाते पसन्द नहीं आ रही, तो मैं नहीं करूंगा ऐसी बातें। लेकिन मैं तो केवल आपकी सुन्दरता की प्रशंसा कर रहा था जिसकी आप हकदार हो। पिता श्री नहीं है, इसका मतलब ये नहीं है कि आपकी जिंदगी बिल्कुल नीरस हो जाए।

ये कह कर राजा विक्रम थोड़े दुखी हो जाते हैं और अपना मुंह रूआंसा कर के दूसरी तरफ कर लेते हैं।

राजमाता देवकी विक्रम को ऐसे रूआंसा देखती है तो उनकी आंखे डबडबा जाती हैं। उसे भी ये बातें अच्छी लग रही थी और उसे भी मज़ा आ रहा था और वह अपना मजा खराब करना नहीं चाह रही थी। इसलिए वह कहती हैं,,

ना पुत्र ना, नाराज ना हो। मेरा कहने का ये मतलब नहीं था। इस तरह अपनी मां से नाराज नहीं होते। मुझे तुम्हारी बात का कोई बुरा नहीं लगा। तुम तो मेरे लाडले पुत्र हो, मेरी जान हो तुम। सच कहूं तो मुझे तुम्हारी बातें मोहक लग रही है। और ये कह कर देवकी मुस्कुरा देती है जिसके जवाब में राजा विक्रम भी मुस्कुरा देते हैं और कहते हैं,,,
मां एक बात पूछूं।
पूछो पुत्र।
आप हमारे और नंदिनी के बीच के सम्बन्ध से खुश तो हो ना।
पुत्र अगर तुम दोनो ने रिश्ता बना ही लिया है और आगे बनाना चाहते हो तो मैं कर भी क्या सकती हूं। मुझे एक बात की खुशी है की तुम दोनो ने घर के बाहर किसी से शारीरिक संबंध नही बनाए, नहीं तो बड़ी बदनामी होती। अच्छा किया जो तुम दोनों ने अपनी जवानी की प्यास आपस में ही बुझा ली। लेकिन उस रात तुम दोनो को नग्नावस्था में देख कर मुझे बहुत क्रोध आया था, लेकिन तुम्हारे समर्पण ने मुझ पिघला दिया और मैंने सोचा नंदिनी करती भी क्या, जिसके भाई का लिंग इतना दमदार होगा वो तो भाई पर न्योछावर तो हो ही जायेगी।
माते मैं नंदिनी दीदी से प्यार करता हूं, सच्चा प्यार। और मैं तो दीदी से शादी भी करना चाहता हूं।
नहीं पुत्र ये सम्भव नहीं है। इसकी भी शादी करनी होगी और ये दूसरे के घर चली जायेगी जैसे रत्ना इस घर की बहु बन कर आ रही है। और हां इस बात का ध्यान रखना अब तुम्हारा विवाह दो माह पश्चात है और रत्ना इस घर में बहू बन कर आयेगी। तो तुम दोनों को अपना रिश्ता छिपा कर रखना होगा कि रत्ना को तुम दोनो के सम्बन्धों की भनक ना लगे।
अच्छा मां, मै एक बात पूछना चाहता हूं आपसे, गुस्सा न करो तो पूछूं
पूछ पुत्र, मै तेरी किसी बात का गुस्सा नही करती

माते, आपने तो मेरा लिंग देखा ही है और जन्मदिन के दिन अपने मुलायम हाथों में लिया भी था,,
हूं ,,,हूं,,,, तो
तो , माते क्या पिता श्री का लिंग मेरे जितना ही बड़ा था या उससे ज्यादा।
इस पर देवकी की सांसे तेज चलने लगती है और वह कहती है
पुत्र सच कहूं या,,,
सच कहो माते
तो सच ये है पुत्र की तुम्हारा लिंग हु ब हू तेरे पिता श्री की तरह है। जब मैंने पहली बार तुम्हारा लिंग देखा तो मुझे लगा कि तुम्हारे पिता श्री का लिंग मेरे सामने खड़ा है, उतना ही लम्बा, मोटा और तगड़ा और वैसा ही गुलाबी सुपाड़ा। तुम्हारा लिंग मुझे तुम्हारे पिता जी की याद दिलाता है।
तुम्हें अच्छा लगा था मां, मेरा लिंग।
बिल्कुल जब तेरे पिता श्री का लिंग अच्छा था तो तेरा लिंग भी अच्छा है, समझे।
जैसे नंदिनी की योनि भी आपकी योनि की तरह ही है, वैसी ही प्यारी कसी हुई और मादक।,,,ये बातें विक्रम एक सांस में कह जाता है और जिसकी उम्मीद देवकी ने नहीं की थी और वो चुप रह जाती है
माते, अपने जब मेरा लिंग अपने हाथ में लिया था तब आपको कैसा महसूस हुआ था, अच्छा लगा था
बहुत अच्छा लगा था पुत्र। मुझे तो तुम्हारा लिंग छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था, वो तो रांझा आ गई, नही तो उस दिन मैं कुछ कर बैठती।
सच मां, आपको मेरा लिंग इतना पसंद आया था।
हां, पुत्र
तब तक राजा विक्रम देवकी का हाथ पकड़ कर अपने खड़े लिंग पर रख देते हैं जिससे वो गनग्ना जाती हैं। विक्रम कहते हैं
पिता श्री का लंद भी खड़ा होने पर ऐसा ही रहता था

हां पुत्र बिल्कुल ऐसा ही

इधर बात करते करते विक्रम अपनी धोती खोल देता है और देवकी अपने बेटे के नंगे लंद को पकड़ कर सहलाती है और कहती है
हू ब हू , वही लिंग!!!
तो अच्छे से देख लो माते। सहला दो, ये तुम्हारे प्यार के लिए तरस रहा है। माते क्या पिता श्री और आप प्रति दिन सम्भोग किया करते थे?
हां पुत्र, तेरे पिता श्री प्रतिदिन सम्भोग करते थे, वे दीवाने थे मेरे।
वाह, पिता श्री कितने खुश नसीब थे कि उन्हें तुम्हारे जैसी सुन्दर पत्नी यौन सम्बंध बनाने को मिली। माते मुझे आपकी योनि आज आराम से देखनी है, दिखाएंगी न अपनी प्यारी योनि मुझे जिससे मैं पैदा हुआ।
और ये कहते हुए विक्रम देवकी के घाघरे का नाड़ा पकड़ लेते हैं जिसे देवकी अपने दूसरे हाथ से पकड़ लेती हैं लेकिन विक्रम का लंद नहीं छोड़ती है। इस पर विक्रम कहते हैं
माते, देखने दो अपनी योनि, मैने एक बार तो देख ही ली है तो एक बार फिर तुम मुझे दिखा देगी तो तुम्हारा क्या बिगड़ जाएगा।
इस पर देवकी धीरे से अपना हाथ अपने नाडे से हटा लेती है तो विक्रम धीरे से देवकी के घाघरे का नाड़ा खोल देता है जिसे देवकी धीरे से अपना नितंब उठा कर अपने पैरों में से निकाल देती है। अब दोनों मां बेटे एक दूसरे के सामने नंगे थे। इस पर विक्रम कहते हैं
माते , तुम्हारी नंगी योनि के दर्शन कर के मेरा जीवन सफल हो गया।
लेकिन पुत्र हम कक्ष में ऐसे नंगे बैठे हैं, ये किसी को पता चल गया तो बहुत बदनामी होगी
किसी को पता नहीं चलेगा माते। मैने कहलवा दिया है कि कोई भी मेरी आज्ञा के बिना मेरे कक्ष में नही आयेगा।
लेकिन पुत्र क्या ये सही होगा कि तुम्हारी शादी होने वाली है, तुम नंदिनी के साथ सम्भोग करते हैं और अब फिर अपनी मां के साथ सम्बंध।
एक बात कहूं माते। जिंदगी में मेरा पहला प्यार तुम हो माते। तुम्हारा गदराया हुआ मादक और कामुक शरीर मुझे हमेशा से पसंद रहा है और मैने कितनी बार तुम्हारे स्तन सम्भोग की कल्पना की है। मै तुम्हारे साथ इस रिश्ते को कभी उजागर नहीं होने दूंगा।
पुत्र, मुझे क्या मालूम था कि तुम मुझे इतना प्यार करते हो।
तभी विक्रम देवकी को अपने शैय्या पर खीच लेते हैं जिससे देवकी विक्रम के बगल में आ जाती है। तो विक्रम देवकी के होंठ चूम लेते हैं जिससे देवकी मदहोश हो जाती है। फिर अचानक देवकी ने ऐसा काम किया जिसकी उम्मीद विक्रम ने नही की थी। उसने विक्रम का हाथ पकड़ कर अपनी योनि पर रख कर हथेली से दबा दिया और कहा
देख बेटा, ये तेरे प्यार के लिए कैसे तड़प रही है

जैसे मेरा लौड़ा तुम्हारी योनि के लिए तरस रहा है मां। और ये कह कर विक्रम देवकी की योनि को दबा देता है। विक्रम देवकी की एक स्तन मुंह में लेकर चूसने लगता है जिससे देवकी की आहें निकल जाती हैं और वह कहती है
मै इसी पल का कबसे इंतजार कर रही थी की कब मेरा पुत्र मेरी योनि को सलाएगा, मेरे स्तनों को चूसेगा।

सच माते। क्या आप भी मेरे साथ ये सब करना चाहती थी
हां, पुत्र, मैने जबसे तुम्हारा लिंग देखा था, मै तो पागल हो गई थी।
तब विक्रम देवकी के स्तनों को चूसता रहता है और योनि को सहलाते सहलाते अपनी एक उंगली भी अपनी मां की योनि में डाल देता है जिससे वह चिहुंक जाती है।
विक्रम फिर धीरे धीरे नीचे जाते हैं और देवकी की योनि पे चुम्बन जड़ देते है जिससे वह मद मस्त हो जाती है और कहती है नही पुत्र, वह गंदी जगह है उसे मत चूमो
गंदी जगह है !!! मेरे लिए तो इससे पवित्र स्थल विश्व में कोई नहीं है। यह वही योनि है जिससे मैं पैदा हुआ था बाहर आया था। इसके दर्शन कर के मैं धन्य हो गया।

और ये कह कर विक्रम अपनी मां देवकी की योनि को चाटने लगते हैं जिससे ये आवाज निकलने लगती है

नही विक्रम, मत करो,, उह उह उह आह आह,,,बहुत मजा आ रहा है विक्रम। अपने जीभ से पूरी योनि चाट लो विक्रम। इसे प्यार करो, ये तुम्हारे प्यार की प्यासी है।

और ये कहते हुए विक्रम का सिर अपनी योनि पर दबा रही थी और कहती है
विक्रम तुम मेरे ऊपर आकर अपना लौड़ा मुझे दो, मै इसे चूसना चाहती हूं
तब विक्रम देवकी के ऊपर 69 के पोजिशन में आ जाते हैं और देवकी विक्रम का लंद अपने मुंह में लेकर चूसने लगति है और कहती है
वह मेरे बालम, मेरे सरताज कहां थे तू , मै कितना तड़प रही थी तुम्हारे लिए और सलाप सलप की आवाज आने लगती है। विक्रम।के चाटने से देवकी झड़ जाती है विक्रम के लौड़े को पूरा मुंह में ले लेती है। तभी विक्रम उठते हैं और देवकी के ऊपर आ जाते हैं और अपना खड़ा लौड़ा अपनी मां की योनि से सटा कर कहते हैं

मां, मुझे आज्ञा दो की मै आपकी, अपनी सगी मां की योनि में प्रवेश कर उसके साथ सम्भोग कर सकूं।

पुत्र, मेरी योनि तुम्हारे लिंग के लिए तरस रही है। आओ और अपनी मां की योनि में प्रवेश मादरचोद होने का फर्ज निभाओ।
आज्ञा पाते ही विक्रम अपना लिंग देवकी की योनि में प्रवेश करा कर आगे पीछे करने लगते हैं जिससे देवकी की सिसकी निकलने लगती है और वह बड़बड़ाने लगती है
चोदो मेरे लल्ला, चोदो मुझे, अपनी मां को चोदो।

ये ले मां, अपने बेटे का लौड़ा ले, अपनी बुर में।

चोदो पुत्र। मुझे अपने बच्चे की मां बना दे मेरे बच्चे। मै अपनी कोख से तुम्हारा बच्चा जनना चाहती हूं जो हमारे मां बेटे के प्यार की निशानी होगा।
और ऐसे ही बड़बड़ाते बड़बड़ाते दोनो मां बेटे झड़ जाते हैं और दोनो एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो जाते हैं।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
आखिर राजा विक्रम ने महाराणी देवकी की चूदाई कर ही दी अब राजा विक्रम बहनचोद के साथ साथ मादरचोद भी बन गया
 
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Update 19

दोनों मां बेटे ऐसे ही नंगे एक दूसरे की बाहों में लेटे रहते हैं और देवकी विक्रम के बालों में अपनी उंगली फिरा रही थी और देवकी कहती है
तुम्हें कैसा लगा पुत्र अपनी मां के साथ यौन सम्बंध बना के।
बहुत अच्छा लगा माते आपके साथ सम्बंध बना के। लगता है कोई सपना सच हो गया हो।मैने कभी सोचा ही नहीं था कि आपके साथ मै यौन सम्बंध बना सकूंगा। लगता था केवल मैं सपनो में ही आपके साथ सम्बंध बनाता देख सकूंगा। माते मैं आपको बहुत प्यार करता हूं और बहुत पहले से आपके साथ सम्बंध बनाना चाहता था, लेकिन ये मुझे असम्भव लगता था।

सच पुत्र, क्या तुम पहले से ही मुझे चाहते थे। ये तो मै जानती ही नहीं थी की मेरे ही घर में मेरा ही पुत्र मेरे ही साथ यौन सम्बंध बनाना चाहता था और मुझे इसकी कोई कानो कान खबर ही नहीं थी। लेकिन पुत्र बहुत अच्छा लगा तुम्हारे साथ। तुम्हारे पिताजी की याद आ गई। तभी तो मै कहूं की नंदिनी क्यो पागलों की तरह तुम्हारी दीवानी है। अच्छा पुत्र, कल तो रक्षाबंधन है कैसी तैयारी है राजभवन में।
हां माते,, मै तो भूल ही गया कल रक्षाबंधन है और मुझे याद ही नहीं रहा। वैसे कल मुख्य कार्यक्रम राज दरबार में ही है।

राजदरबार में अगले दिन

सुबह से ही राजदरबार में चहल पहल थी, आज रक्षाबंधन जो था और सबसे पहले रक्षाबंधन की शुरुआत राज्य में राजा को उसकी बहन रक्षाबंधन बांध कर ही करती थी। तभी राज्य में रक्षाबंधन पर्व की शुरुआत होती थी।
समय पर राजा अपने सभी दरबारियों के साथ राज दरबार में आकर बैठ जाते हैं। तभी राजकुमारी नंदिनी अपनी सहेलियों के साथ राजदरबार में प्रवेश करती हैं। आज नंदिनी हरे घाघरे और लाल चोली में बला की खूबसूरत लग रही थी जिसको देखते ही राजा विक्रम फिर अपनी बहन पर मोहित हो जाते हैं। राजा विक्रम भी रेशम की धोती और लाल कुर्ते में गजब के दिख रहे थे। तभी नंदिनी विक्रम के पास थाली में राखी ले कर आती है। वह पहले राजा विक्रम की आरती उतारती है और फिर विक्रम के माथे पर तिलक करती है। राजा विक्रम अपना दाहिना हाथ आगे करते हैं और राजकुमारी नंदिनी उनकी कलाई पर बड़े प्यार से राखी बांध देती है, तभी सभी दरबारी और दरबार मे उपस्थित सभी महिलाओं ने राजा विक्रम और नंदिनी के ऊपर पुष्प वर्षा करते हैं और विक्रम और नंदनी को रक्षबधन की बधाई देते हैं। राजा विक्रम भी सभी दरबारियों और जनता को पर्व की बधाई देते हैं और पर्व के शुरुआत की घोषणा करते हैं।घोषणा होते ही पूरे राज्य में रक्षाबंधन का त्योहार शुरू हो जाता है और सभी बहनें अपनी भाइयों की कलाई पर अपनी रक्षा के लिए राखी बांधती है।
कुछ समय पश्चात राजदरबार भंग कर दी जाती है और सभी दरबारी अपने घर चले जाते हैं और राजा विक्रम भी अपने कक्ष में चले जाते हैं और आराम करते हुए उनके जीवन में घटित घटनाओं के बारे में बैठे बैठे सोचने लगते हैं । तभी राजकुमारी नंदिनी एक थाल में राखी , फूल, दिया और चंदन लेकर आती है जिसे देख राजा विक्रम कहते हैं
आ गई दीदी, मै कब से आपका ही इंतजार कर रहा था। और ये कहते हुए विक्रम आपनी बड़ी बहन का खड़े होकर स्वागत करते हैं। तब नंदिनी कहती है

क्यों इंतजार कर रहे थे, तुम्हे तो मालूम ही था कि मैं अपने प्यारे भाई के साथ रक्षाबंधन अकेले उसके कक्ष में मनाने आऊंगी ही
और ये कह कर वह अपनी झीनी चुनरी अपने सीने पर से उतार देती है जिससे नंदिनी के बड़े बड़े प्यारे स्तन चोली में क़ैद राजा विक्रम के सामने आ जाते हैं। तो राजा विक्रम कहते हैं
बहन, भले ही मैंने तुम्हें कितनी बार ही नंगी देखा है, लेकिन जब भी मैं चोली में क़ैद तुम्हारे स्तन को देखता हूं मेरा लिंग मेरे काबू से बाहर होने लगता है।
भाई, इसका मतलब यह है कि तू मुझे इतना चाहता है कि मेरी चोली देख कर ही पगला जाता है।इसे ही तो भाई का बहन के लिए प्यार कहते हैं।मैने पिछले जन्म में जरूर कोई पुण्य किया होगा कि मुझे तुझ जैसा प्यार करने वाला भाई मिला।
और ये कह कर नंदिनी आगे बढ़ कर विक्रम को गले लगा लेती है और उसके गालों पर चुम्बन जड़ देती है। विक्रम भी उसे अपनी बाहों में कस कर पकड़ लेते हैं जिससे उसकी चूचियां विक्रम की छाती में धंस जाती हैं। फिर नंदिनी कहती है
आओ भाई पहले हम रक्षाबंधन मना ले।
फिर नंदिनी स्नानघर में घुस जाती है और हाथ पैर धोती है और तैयार होती है। जब वह बाहर निकलती है तब वह पूरी नंगी होकर निकलती है क्यों कि स्नानघर में उसने सारे कपड़े उतार दिए थे और नंगी हो गई थी। इधर विक्रम भी अपनी धोती निकाल कर पूर्ण रूप से नग्न हो जाते हैं। जब नंदिनी बाहर निकलती है तो राजा विक्रम को पूर्ण नग्न देखती है और विक्रम का लिंग खड़ा होकर अपनी बड़ी बहन को सलामी दे रहा था जिसे देख कर नंदिनी शरमा जाती है और कहती है

तुम बहुत शरारती हो विक्रम, आज रक्षांबधन के दिन भी तुम लौड़ा खड़ा किए हो।
क्या करूं बहन, जिस भाई की बहन इतनी मादक और कामुक होगी उसके भाई का लिंग तो उसके सम्मान में खड़ा रहेगा ही।
और ये कह कर विक्रम हंस देते हैं और नंदिनी भी मुस्कुराने लगती है और कहती है

आओ भाई मैं तुम्हे राखी बांध दूं

राजा विक्रम अपने पैर खोल कर आसन पर बैठ जाते हैं और नंदिनी थाल में दीप प्रज्ज्वलित कर सबसे पहले अपने भाई के खड़े लौड़े को आरती उतारती है , फिर उस पर पुष्प वर्षा करती है।फिर वह चंदन का लेप बनाकर उससे विक्रम के खड़े लंद पर टिका करती है ।ये सब देख कर विक्रम कहते है
यही तो हम भाई बहन का त्यौहार है और मेरा बस चले तो मैं पूरे राज्य में भाई बहन को ऐसे ही रक्षाबंधन मानने का ऐलान कर दू।
फिर नंदिनी मुस्कुराते हुए थाल में से एक राखी उठाती है और बड़े प्यार से अपने भाई के खड़े लौड़े पर राखी बांध देती है और बड़े प्यार से उसे चूम लेती है और कहती है
मेरा प्यारा भाई , अपनी बहन की शील और योनि की रक्षा करते हुए हुए राखी के बन्धन को निभाना।
इस पर विक्रम कहते हैं
बहन ये तो मेरा धर्म है कि मैं अपनी बहन की शील और योनि की रक्षा करूं और रक्षा करने मे ही यह अभिप्राय शामिल है कि भाई अपनी बहन की योनि को खुश रखे। प्रत्येक भाई का यह कर्तव्य है कि वह अपनी बहन की योनि को तड़पने ना दे और उसकी योनि को खुश रखे।

तब नंदिनी कहती है
लेकिन भाई मेरा उपहार कहां हैं
इसपर राजा विक्रम तकिए के नीचे से एक हीरे का हार निकालते हैं और राजकुमारी नंदिनी के कमर में पहना देते हैं
Fantastic updated
राजदरबार में रक्षाबंधन का कार्यक्रम हो गया अब कक्ष में विक्रम अपनी बहन के साथ रक्षाबंधन का कार्यक्रम दमदार चूदाई करके मनाएगा
 

AssNova

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बहुत ही लाजवाब व् आकर्षक कहानी है ये , मै तो एक बार में ही पढ़ के इस कहानी की शैली का दीवाना हो गया ...........................
क्या खूब लिखते हो आप लिखक जी , बहोत की कामुक और इतिहास से पूरी तरह जोड़ के |
राजघराने के पारिवारिक सम्बन्ध के ऊपर कहानी लिखाण सच में एक आसान कार्य नहीं है अपितु बिलकुल आसान काम नहीं है , पत्रों की भाषा में एक शाही पैन होना चाहिए और उनके लहजे से भी लगना चाहिए की कहानी राजा महराजा की है , लेकिन आप इसमें बिलकुल पास हुए है सच में अद्भुत क कहानी लिखी है आपने |

और mai चाहूंगा की एक कहानी में और पत्रों को jodha जाई , जैसे दरबार के मंत्रियों की पत्नियां , हर राजा का एक राजगुरु होता है जो अत्यंत पूजने होता है और उनकी पत्नी को भी दिखाया जा सकता है जिन्हे प्रजा पूजती हो आदर सत्कार करती हो |

Also I request that plss make the font size a little more bigger , If possible use different colors for different situations happing at different places , make and index plss !! And a brief Intro of characters in a post .

But i have a complain too , Your updates are very small and not regular , i hope that in future We will see more frequent and hopefully large erotic updates !

------------------------------KEEP UP THE GOOD WORK , AND KEEP UPDATING ------------------------------------
 
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