ले बिरजू मार सुट्टा, राजू अपने भाई बिरजू को बीड़ी देते हुए, आज तो नशा ही नही आ रहा है और देसी दारू की बोतल जो कि आधी हो चुकी थी को उठाकर मुंह से लगा कर गटकने लगता है।
रात के सन्नाटे मे दोनो भाई गाँव की एक पुलिया जो उनके घर से लगभग 200 मीटर की दूरी पर थी वहाँ बैठ कर दारू का मज़ा ले रहे थे, और साथ मे बीड़ी के लंबे लंबे कस मारते जा रहे थे, फिर राजू बोतल बिरजू को दे देता है और उससे बीड़ी ले कर कस मारने लगता है, उनका घर उस पुलिया से साफ नज़र आता था, उनका घर खपड़ैल वाला कच्चा मकान था। जिस पर एक बड़ा सा आँगन है और फिर एक पुराने जमाने का बड़ा सा दरवाजा है जो कि उन्हे उस पुलिया से खुला दिखाई पड़ रहा था, दरवाजे के बाहर एक रास्ता है जिसे पूरा गाँव पास की नदी पर जाने के लिए यूज़ करता है उस नदी का घाट भी राजू और बिरजू के घर से 200 मीटर की दूरी पर ही है, उनका यह घर नदी की तरफ का आख़िरी मकान है, और जिस पुलिया पर ये दोनो बैठे थे उसके पीछे की ओर आम का काफ़ी बड़ा बगीचा है, और उस बगीचे के पीछे से थोड़ा बहुत जंगल शुरू हो जाता है, गाँव काफ़ी छोटा है लगभग 40-50 मकान बने होंगे।
बिरजू की उमर लगभग 24 साल के करीब है और राजू उससे 2 साल छोटा है लेकिन दोनो भाई बचपन से ही दोस्तो की तरह रहते है और वह ऐसे लगते है जैसे जुड़वा हो दोनो हट्टे कट्टे और मजबूत कद काठी के है।
"यार बिरजू चूत मारने का इतना मन करता है लेकिन कोई चूत का जुगाड़ ही नही बनता है"
राजू - हाँ यार बिरजू उस दिन थोड़े पैसे जोड़कर चूत के जुगाड़ मे शहर के रंडी बाजार भी हो आए लेकिन भोसड़ी चोदी ने हम दोनो भाई से पैसा ले लिया और दो मिनिट मे ही बोल दिया कि चल हट रे हो गया, मेरा तो लंड भी ठीक से खड़ा नही हुआ था और उस कुतिया ने दो दो कॉंडम मेरे लंड पर लगा दिए थे, भला तू ही बता ऐसे दो मिनट मे क्या चुदाई हो पाती है।
बिरजू - राजू यार चोदने के लिए तो हमारे मोटे लंड को कम से कम दो दो घंटे तो मिलना चाहिए, तभी हम तृप्त हो पाएगे,
राजू - बिरजू हाँ यार तू ठीक कहता है। वैसे मैं जब भी सुधिया काकी की मोटी गान्ड को सोच कर मूठ मारता हू तो कम से कम आधा घंटा तो काकी की मोटी मोटी गान्ड को सोच सोच कर मुठियाने मे लग ही जाता है तब जाकर मेरा माल बाहर निकलता है, और तुझे भी तो इतना ही समय लगता है ना,
बिरजू - हाँ यार तूने कहाँ सुधिया काकी की बात कर दी मेरा तो लंड कड़क होने लग गया है और लूँगी के उपर से दोनो भाई अपने अपने लंड को मसल्ने लगते है, सुधिया काकी भोसड़ी की 50 के लगभग की होगी पर साली के मोटे चुचे और फैले हुए भारी भारी चूतड़ देख कर तो ऐसा लगता है कि सीधे जाकर इसकी मोटी गान्ड मे लंड पेल दू,
और दारू की बोतल से बची हुई दारू गटकते हुए दोनो भाई अपना अपना लन्ड मसल रहे थे,
बिरजू - यार राजू मेरा लन्ड तो मोटी गान्ड का ही दीवाना है।
राजू - बिरजू अरे मेरा भी यही हाल है कि मोटे मोटे चूतड़ मिल जाए तो फाड़ कर रख दू, मोटे चूतड़ों को देख कर तो मेरे मूह से लार टपकने लगती है।
इन दोनो भाई का यह रोज का काम था दिनभर अपने घर के बाहर लूँगी पहनकर बैठ जाते थे और अपने गाँव की सारी नदी की ओर जाने वाली औरतो के मटकते चूतड़ देख देख कर अपना लंड मसल्ते बैठे रहते और जब कोई औरत नही दिखाई देती तो पड़ोस मे रहने वाली सुधिया काकी के आँगन की ओर नज़र गढ़ा कर उसके आने जाने का इंतजार करने लगते और सारे गाँव की औरतो के गदराए अंगो की चर्चा के अलावा इन दोनो भाइयो के पास कोई काम नही था, इत्तेफाक से दोनो के विचार भी बिल्कुल एक जैसे थे, शायद ये इनके खून का असर था।
सुधिया काकी इन दोनो के सगे ताऊ (अंकल) की औरत थी लेकिन सुधिया काकी, इन दोनो की मां कमला की लड़ाई काफ़ी पुराने समय से थी जिसके चलते दोनो परिवार के लोगो का आपस मे बोलचाल नही था, इन दोनो की मा कमला थोड़ी मोटी और भरे भरे बदन की एक 45 साल की औरत थी, उसके दूध और मोटे मोटे चूतड़ों के मुक़ाबले पूरे गाँव मे किसी भी औरत के दूध और चूतड़ नही थे, सुधिया काकी ज़रूर थोड़ा बहुत टक्कर ज़रूर देती थी लेकिन सुधिया काकी अगर 19 थी तो कमला 20 थी, कमला का पति मनोहर लाल जो कि दिन और रात शराब के नशे मे ही रहता था और उसका अधिकतर समय दारू के ठेके पर ही बीत जाता था,
मनोहर लाल के बारे मे गाँव मे एक बात फेमस थी कि काफ़ी साल पहले नदी के किनारे के एक पेड़ के पीछे अपनी मां गोमती जो की अब मर चुकी है को चोद रहा था जिसे गाँव के कुछ लोगो ने देख लिया था.
कमला अपने बेटो के साथ पास के जंगल से लकड़िया काट कर अपना घर चलाती थी, वह रोज सुबह सुबह घर का सारा काम करके दोपहर का खाना बाँध कर अपने साथ ही जंगल ले जाती थी फिर वहां दोनो बेटे लकड़िया काटने लगते और कमला उन लकड़ियो के तीन गथ्थे बना लेती थी।
फिर शाम तक ये लोग लकड़िया लेकर घर आ जाते थे, कमला की एक बेटी थी जो बिरजू से 4 साल और राजू से 2 साल छोटी थी। अभी तीन महीने पहले ही उसकी शादी हुई थी सो अभी वह अपने ससुराल मे थी।
सुधिया काकी का एक ही बेटा था मदन जिसकी शादी हो चुकी थी वह शहर मे किसी कारखाने मे रोज की मज़दूरी करके वही रहता था और उसकी बीबी संध्या अपने सास ससुर के पास गाँव मे रहती थी वह करीब 28 साल की उमर की रही होगी।
इनके घर के सामने ही एक हॅंडपंप था जो कि कई साल पहले इनके बाप मनोहर और काका किशन लाल (सुधिया का पति) ने मिलकर लगवाया था सो इनकी लड़ाई होने के बाद भी दोनो घर की औरते उसी से पानी भरती थी और वही खुले मे नहा भी लेती थी, और आसपास की कुछ औरते जिनकी पटरी या तो सुधिया या कमला से खाती थी आकर वही नहा लेती थी. राजू और बिरजू अपने घर के सामने लूँगी पहने कुर्सी लगाकर सुबह सुबह वही बैठकर घर के सामने से नदी की ओर जाती औरतो या हॅंडपंप पर नहाती औरतो को देख देख कर बस चूत लंड की बाते करते और लूँगी के उपर से अपना लंड मसलते रहते थे, और दोपहर होने पर अपनी मा के साथ जंगल चले जाते और शाम को आकर फिर घर के सामने कुर्सी डाल कर बैठ जाते और जब रात हो जाती तो दोनो भाई पुलिया पर जाकर दारू पीने लगते और जब रात के सन्नाटे मे खाना खाने के लिए आवाज़ लगती तो दोनो उठ कर घर की ओर आ जाते थे बस इसी तरह इनकी जिंदगी आगे बढ़ रही थी।
सुबह सुबह दोनो भाई घर के बाहर बैठे बैठे।
बिरजू - यार राजू देख संध्या भाभी लाल घाघरा चोली मे क्या मस्त लग रही.
राजू - बिरजू यार इसकी चूत भी मस्त लाल होगी, मदन तो शहर मे काम करता है, और यह बेचारी यहाँ लंड के लिए तरसती रहती है।
बिरजू - यार राजू, (अपना लंड मसल्ते हुए) इसकी ही चूत मारने को मिल जाए तो हमारा भी काम बन जाएगा और इस बेचारी की चूत को भी ठंडक मिल जाएगी और यह बेचहरी हमे दुआए भी देगी की कोई तो इसकी चूत के बारे मे सोचता है।
गाँव मे सभी औरते ज़्यादातर लहंगा और चोली ही पहनती थी और आप तो जानते है पॅंटी या ब्रा गाँव की संस्कृति मे नही है, संध्या पानी भरने के लिए हॅंडपंप के पास आ जाती है और दोनो भाई उसकी मोटी मोटी चूचियाँ और उसके चिकने पेट और नाभि को घूर घूर कर अपना लंड मसलने लगते है, संध्या ने अपना घाघरा नाभि के काफ़ी नीचे बाँधा हुआ था जिससे उसकी नाभि और पेट ऐसा नज़र आ रहा था जैसे कुवारि लौंडियों का पेट नज़र आता है उनकी कुर्सी से हॅंडपंप लगभग 20 मीटर की दूरी पर था।
राजू - यार बिरजू इसको एक बार अपना काला और मोटा लंड निकालकर दिखा दू क्या साली अभी पानी भरते भरते पानी पानी हो जाएगी, देख क्या मस्तानी चुचिया उपर नीचे होती है जब ये हॅंडपंप चलाती है,
बिरजू हस्ते हुए - अगर इसको हम यह बता दे कि जिस हॅंडपंप के डंडे को इसने पकड़ रखा है वह बिल्कुल हमारे लंड की मोटाई का है तो यह डर के मारे हॅंडपंप का डंडा छोड़ देगी और फिर कभी पानी भरने नही आएगी,
राजू हंसते हुए हा हा हा तू ठीक कहता है बिरजू इतना मोटा डंडा तो सुधिया काकी ही पकड़ सकती है पर भोसड़ी की जाने कहाँ गान्ड मरवा रही है नज़र नही आ रही है।
तभी संध्या पानी की बाल्टी लेकर अपने आगन मे चली जाती है और फिर इतने मे सुधिया काकी अपने मोटे मोटे चूतड़ मतकाते हुए बाहर बरामदे की झाड़ू लगाने लगती है, सुधिया काकी के मोटे मोटे चूतड़ देख कर राजू और बिरजू का लंड झटके मारने लगे थे
राजू - मेरी रानी कितनी मोटी और चौड़ी गान्ड है तेरी, हाय बिरजू एक बार इस घोड़ी की मोटी गान्ड मिल जाए तो साली की गान्ड मार मार कर लाल कर देंगे,
तभी सुधिया काकी उनकी ओर मूह करके झाड़ू लगाने लगती है जिससे उसके मोटे मोटे थन आधे से ज़्यादा उसकी चोली से बाहर गिरे जा रहे थे, और उसका चर्बी वाला लटका हुआ पेट और गहरी नाभि और पेट के मसल उठाव को देख कर दोनो भाई का हाथ अपने लंड पर तेज तेज चलाने लगता है,
बिरजू - राजू सुधिया काकी नंगी कैसी लगती होगी रे मेरा तो यह सोच सोच कर पानी ना निकल जाए।
राजू - चिंता मत कर बिरजू अभी थोड़ी देर मे भोसड़ी की नहाने आएगी तब आधी नंगी तो हो ही जाएगी
और दोनों चुपचाप अपने लंड को मसलने लगते है, थोड़ी देर बाद सुधिया काकी अपनी चोली और घाघरा लेकर हॅंडपंप पर आ जाती है, वह अपने घाघरे को अपने घुटनो के उपर करके बैठ कर कपड़े धोना शुरू कर देती है उसकी गदराई पिंदलियो और मोटी मोटी गोरी जाँघो को देख कर राजू और बिरजू के मूह मे पानी आ जाता है, जब सुधिया काकी कपड़े को ब्रश से घिसती है तो उसकी बड़े बड़े पपितो जैसी चुचिया बहुत तेज़ी से उपर नीचे होती है
राजू - यार बिरजू यह साली मादरचोद 50 साल की है पर इसका गदराया शरीर देखकर लंड लूँगी फाड़ कर बाहर आया जा रहा है।
तभी सुधिया काकी अपने दोनो हाथो से अपनी चोली के हुक खोलने लगती है और फिर अपने दोनो हाथ उपर करके अपनी चोली निकालती है उसकी बालो से भरी बगल देख कर दोनो भाई आ हा मज़ा आ गया और उसकी पहाड़ जैसे मोटे मोटे दूध दोनो भाई के सामने आ जाते है, अब सुधिया काकी पालती मार कर बैठ जाती है उसका गदराया उठा हुआ पेट, गहरी नाभि और मोटे मोटे चुचे, और दूध नंगे करके जब वह पालती मार कर बैठ जाती है तो इतनी मस्तानी लगती है कि कोई बेटा भी अपनी मा को इस हालत मे देख ले तो वह अपनी मा के ऐसे मस्ताने नंगे बदन से पूरा नंगा होकर चिपक जाए, यही हाल बिरजू और राजू का था उनका मोटा लंड हल्की हल्की पानी की बूँदो से चिपचिपाने लगा था।
सुधिया काकी ने दो चार मग पानी अपने नंगे जिस्म पर डाला और फिर साबुन से अपनी चुचिया और पेट पर साबुन मलने लगी, जब वह अपने मोटे पपीते जैसे दूध पर साबुन लगा कर रगड़ती तो उसके दूध उसके हाथ मे पूरा समा नही पाते थे, और साबुन की मस्लाई से इधर उधर छतक जाते थे, और फिर अपने उभरे उए पेट पर साबुन मलने लगी,
बिरजू - ये भोसड़ी अपने पेट को ऐसे सहला रही है जैसे कह रही हो आ मेरी चूत मे लंड डाल डाल कर मेरा पेट और उठा दे, हाय राजू क्या मदमस्त घोड़ी है रे मेरा तो पानी छूटने के कगार पर है,
तभी सुधिया काकी एक टांग लंबी करके अपने घाघरे को जाँघ की जड़ो तक चढ़ा लेती है उसकी जंघे भरपूर मसल और गोरी गोरी बिल्कुल कसी हुई लग रही थी,
राजू - इसकी मोटी जंघे तो दो हाथो मे भी ना समाए तो फिर इसके चूतड़ पकड़ने के लिए कितने हाथ लगाना पड़ेंगे, अरे बिरजू एक बात तूने देखा है कि औरत की उम्र ढल जाती है पर उसकी गान्ड और जाँघो की चिकनाहट वैसी ही रहती है, क्या मस्त चोदने लायक माल है, इसे छोटा मोटा चुड़क्कड़ चोद ही ना पाए इस मस्तानी घोड़ी की चूत और गांड तो हमारे जैसा मोटा काला लंड ही मस्त कर पाएगा,
तभी सुधिया काकी ने एक घुटने की जाँघो की जड़ो तक साबुन लगाने के बाद उस जाँघ को मोड मोड दूसरे पैर की जंगो से भी अपना घाघरा हटा कर मोड़ कर साबुन लगाने लगी अब सुधिया काकी उपर से लेकर पेट और कमर तक तो नंगी थी ही साथ ही उसका घाघरा उसकी चूत और जाँघो की जड़ो तक सिमट कर रह गया था और वह अपनी दोनो जाँघो को फैलाए अपनी एडिया पत्थर से घिस रही ही,
राजू - देख बिरजू ऐसे जंघे फैला कर बैठी है जैसे कह रही हो की आके घुस जा मेरे मस्ताने भोसड़े मे।
और फिर सुधिया दोनो पैरो के बल बैठ कर बाल्टी का पानी एक साथ अपने सर से डाल कर खड़ी हो जाती है और बिरजू और राजू की ओर अपनी गांड करके हॅंडपंप चलाने लगती है उसका पूरा घाघरा गीला होकर उसकी गान्ड से चिपक जाता है और उसकी मोटी गान्ड की दरार मे फँस जाता है जिससे उसकी मोटी गान्ड साफ झलकने लगती है ऐसा लगता है जैसे दो मोटे मोटे तरबूज थोड़े थोड़े गॅप मे लगा दिए हो,
बिरजू अपना लंड मसलते हुए - जा के फँसा दू क्या अपना लंड इसकी मोटी गान्ड मे, हाय रे क्या चूतड़ है रे ये तो मादरचोद हमारी जान लेने पर तुली है, यार राजू इसको हमने हमेशा हर तरह से नंगी नहाते देखा है लेकिन इसका भोसड़ा और इसकी मोटी गान्ड नंगी देखने को कभी नही मिली, यार कुछ चक्कर चला कर इसकी मोटी गान्ड और उसका छेद देखने का बड़ा दिल कर रहा है।
राजू - बिरजू एक आइडिया है मेरे दिमाग़ मे।
बिरजू - हाँ तो बता ना यार,
राजू - सुन यह रोज पुलिया के पीछे के खेत मे संडास करने जाती है बस यही एक तरीका है इसकी गान्ड देखने का वहाँ आसपास काफ़ी पेड़ भी है वही छुपकर हम इसकी गान्ड देखने कल चलते है,
बिरजू - ठीक है कल ही इसकी गान्ड का भरपूर मज़ा लेकर इसकी गान्ड देखते हुए वही पर मूठ मारेंगे,
गाँव मे अक्सर औरते अपनी चोली खोलकर वही नहा लिया करती है, सुधिया काकी ने अपने उपर अब मग से पानी डालना शुरू कर दिया और फिर अपना घाघरा ढीला करके एक दो मग पानी अपने घाघरे के अंदर चूत के उपर भी डाला तभी गाँव की एक दो औरते और आ गई और वो भी वही कपड़े धोने लगी और अपनी अपनी चोलिया उतार कर नहाने लगी, उनके दूध और गान्ड का भरपूर आनंद लेने के बाद जब हॅंडपंप पर कोई नही बचा तब राजू बोला।
राजू - अभी लंड हिला ले क्या,
बिरजू - नही यार जब तक मां को नंगी हम दोनो नही देख लेते तब तक हमारा माल निकलता ही कहाँ है
और उन दोनो ने अपनी गर्दन अपने घर के दरवाजे की ओर घुमा दी और अपने घर के आँगन मे देखने लगे।
कमला घर के आँगन मे झाड़ू मार रही थी कमला की मोटी गान्ड के मुक़ाबले पूरे गाँव मे किसी भी औरत की गान्ड नही थी, मोटी मोटी केले के तनो जैसे मसल जाँघो के उपर उसके मोटे चूतड़ ज़रूरत से ज़्यादा बाहर की ओर उठे हुए और बिल्कुल गोल आकार लिए हुए उसकी गान्ड के पाट और गान्ड के बीच की दरार इतनी ज़्यादा विपरीत दिशा मे फैली हुई थी कि खड़े खड़े लंड गान्ड मे घुस सकता था जब वह झुक कर झाड़ू मार रही थी तो उसके विशाल मोटे चूतड़ और ज़्यादा बाहर की ओर निकलकर उसके चलने के साथ थिरक रहे थे,
राजू - अपनी मा की मोटी गान्ड जैसी गान्ड तो इस दुनिया मे कही नही होगी, इन मोटे मोटे चूतड़ों को देख कर तो लगता है मेरे लंड की नशे फॅट जाएगी।
बिरजू - मुझे तो लगता है कि अभी जाकर मा का घाघरा उठा कर अपना मोटा काला लंड सीधे गान्ड मे फसा दू, यार राजू मा के ये मोटे मोटे चूतड़ देख देख कर मेरा लंड लगता है लूँगी मे छेद कर देगा,
राजू - हाँ यार बिरजू तू ठीक कहता है मुझे तो मा की मोटी गान्ड मे अपना मूह भरने का बहुत मन होता है, अगर यह नंगी होकर हमारे सामने आ जाए तो इसको दिन रात चोदते ही रहे,
बिरजू - यह नंगी कैसी दिखती होगी रे मैं तो मा को पूरी नंगी करके देखने के लिए मरा जा रहा हू।
कमला झाड़ू मार कर सीधी उनकी ओर मूह करके खड़ी हुई तो उसका पेट दोनो भाइयो के सामने आ गया कमला अपनी फूली हुई चूत से बस दो इंच उपर अपना घाघरा बाँधती थी,
क्रमशः.................