बीना देवी और राजू के बीच मात्र औपचारिक रूप से लास्ट सीढी को पार करना बचा है । लास्ट सीढी के बाद वह छत आती है जहां पर जाकर मंजिल खत्म हो जाती है ।
लेकिन उस छत तक , उस मंजिल तक पहुंचने मे इन्होने जो सफर तय किया वह अत्यंत ही कामुक और इरोटिक था । यह राइटर के इरोटिक लेखनी का एक और उदाहरण था ।
इरोटिक कहानी की प्रासंगिकता मंजिल तक पहुंचने से पहले की ही होती है । मंजिल पर पहुंच जाने के बाद पिक्चर खत्म हो जाती है ।
इस फिलॉसफी और इस थ्योरी का राइटर ने बखुबी पालन किया है ।
बस देखना यह है कि इस पुरे कहानी मे गुड्डी के साथ क्या होता है !
आउटस्टैंडिंग एंड हाॅट अपडेट भाई ।