एक और नयी कहानी के लिए शुभकामनाएं रोहन भाई।
मुझे लगा था की आप "होता है जो हो जाने दो भाग दो" के साथ प्रारम्भ करेंगे, कोई नहीं, भविष्य में आशा रहेगी।
वैसे आप गाँव और शहरी दोनों कहानियों का ताल-मेल साथ चलाते है तो मज़ा आता है, डबल एंटरटेनमेंट।
गाँव के लिए "बरसात की रात" और शहर के लिए "रिश्तो की डोर"
अगली कड़ी की प्रतीक्षा में . . . . .
मुझे लगा था की आप "होता है जो हो जाने दो भाग दो" के साथ प्रारम्भ करेंगे, कोई नहीं, भविष्य में आशा रहेगी।
वैसे आप गाँव और शहरी दोनों कहानियों का ताल-मेल साथ चलाते है तो मज़ा आता है, डबल एंटरटेनमेंट।
गाँव के लिए "बरसात की रात" और शहर के लिए "रिश्तो की डोर"
अगली कड़ी की प्रतीक्षा में . . . . .