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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

rohnny4545

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जैसे तैसे करके 5 मिनट में ही सोनू अपनी मां को लेकर क्लीनिक पहुंच गया,,, मोटरसाइकिल से उतरकर वह अपनी मां को सहारा देते हुए डॉक्टर के केबिन तक लेके गया,,,, वहां पर लेडी डॉक्टर थी,,,संध्या को देखते ही और उसकी बात सुनकर उसे समझ में आ गया कि क्या हुआ है वह सोनू से बोली,,,

चिंता करने की कोई बात नहीं है बस नसों में थोड़ा सा खिंचाव आ गया है लगता है कि कोई वजनदार चीज उठा रही थी,,,

जी मैडम अनाज की बोरी उठा रही थी इसके लिए ऐसा हो गया,,,

हां कभी-कभी वजन उठाते समय ऐसा हो जाता है,,, घबराने की कोई बात नहीं है,,,, आप ऐसा करिए वहां पर बैठ जाइए,,,, इंजेक्शन लगा देती हूं सब सही हो जाएगा,,,


इंजेक्शन,,,,, नहीं नहीं मैडम इंजेक्शन बिल्कुल भी नहीं,,,(संध्या इंजेक्शन का नाम सुनकर एकदम से घबराते हुए बोली,,,)

आप समझते क्यों नहीं इंजेक्शन लगेगा तो जल्दी आराम होगा,,,,


मैडम मुझे इंजेक्शन से बहुत डर लगता है,,,,(संध्या घबराते हुए बोल रही थी और अपनी मां की है बात सुनकर सोनू उसे आश्चर्य से देख रहा था उसे भी यह बात सुनकर हैरानी हो रही थी कि उसकी मां को इंजेक्शन से डर लगता है,,,)

क्या मैडम आप तो एकदम बच्चे जैसा व्यवहार कर रही है इतनी बड़ी होकर आपको इंजेक्शन से डर लगता है बिल्कुल भी पता नहीं चलता,, मैं एकदम आराम से लगाऊंगी,,,

नहीं नहीं मैडम मैं सुई नहीं लगवा सकती,,,,।

इंजेक्शन लगवाओगी तो आराम कैसे होगा,,,

मेडिसिन दे दो आराम हो जाएगा,,,,


आप समझ नहीं रही है,,,,, आपको जिस तरह की तकलीफ हुई है उसमें तुरंत आराम चाहिए वरना आप घर पर काम भी नहीं कर पाओगी,,,


क्या मम्मी तुम भी बच्चों जैसा डर रही हो,,, लगवा लो ना इंजेक्शन,,,,


नहीं नहीं बेटा मुझे इंजेक्शन से बहुत डर लगता है मैं आज तक इंजेक्शन नहीं लगवाई हुं,,,


डरो मत मम्मी मैं हूं ना तुम्हारे साथ बिल्कुल भी डर नहीं लगेगा,,,,

तुम ही समझाओ अपनी मम्मी को वरना घर पर खाना बनाना और घर के सारे काम करने के लिए तैयार रहो क्योंकि जिस स्थिति में तुम्हारी मम्मी है उन से काम नहीं हो पाएगा और अगर इंजेक्शन नहीं लगवाती है तो कम से कम चार पांच दिन तक ऐसे ही रहेगा,,,,

नहीं नहीं मैडम जी मैं समझाता हूं,,,, चलो उठो मम्मी,,, इंजेक्शन लगवा लो वरना खा म खा परेशान हो जाओगी,,,

लेकिन मुझे डर लगता है,,,,

डरने की कोई बात नहीं है बस उठो,,,,(इतना कहते हुए सोनू अपनी मां की दोनों बाहो को पकड़ कर उसे उठाने लगा,,,, यह देख कर वह लेडी डॉक्टर हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,,)

मैंने आज तक ऐसा नजारा कभी नहीं देखी इतना जरूर देख कर आई हूं कि एक बेटे को मां समझाते हुए उसे इंजेक्शन लगाती है,,, लेकिन आज पहली बार देख रही हूं बेटा अपनी मां को इंजेक्शन लगवाने के लिए समझा रहा है,,,

क्या करूं मैडम मुझे क्या मालूम था कि मम्मी को इंजेक्शन से इतना डर लगता है,,,,।

चलो कोई बात नहीं ऐसा भी होता है,,,(इतना कहकर वह लेडी डॉक्टर अपनी जगह से खड़ी हुई और इंजेक्शन लगाने के लिए,, तैयारी करने लगी, वह, इंजेक्शन में दवा भरते हुए बोली,,,)

मैडम आप अपनी साड़ी और साया दोनों ढीला कर लो,,,
(इतना सुनते ही संध्या के साथ-साथ सोनू भी हैरान हो गया क्योंकि उसे लगा था कि हाथ में इंजेक्शन लगेगा इसलिए संध्या बोली)

हाथ में लगा दीजिए मैडम,,,,

नहीं नहीं इंजेक्शन भारी है हाथ में लगाने से हाथ दर्द करेगा और कोई काम नहीं कर पाओगी,,,,,(इतना कहते हुए वह पूरी तरह से ईंजेक्सन में दवा भर ली,,,, और इंजेक्शन लेकर संध्या के पास पहुंच गई,,,)

क्या आप भी अभी तक साड़ी और साया ढीला नहीं करी हो,,,

मुझे डर लगता है मैडम ,,,(संध्या फिर से मुंह बनाते हुए बोली,,, इतना सुनकर सोनू बोला)

ठीक है मैडम मैं बाहर इंतजार करता हूं अाप इंजेक्शन लगाइए,,,

नहीं नहीं आप यहीं रुकीए आपकी मम्मी को इंसान लगाने से बहुत डर लगता है कहीं डर के मारे झटपट आने लगी तो इंजेक्शन लग जाएगा तब इंफेक्शन होने का डर रहेगा,,,,


लेकिन मैडम जी मेरे सामने,,,,,(सोनू लगभग हकलाते हुए बोला,,,)

मैं समझती हूं तुम क्या कहना चाह रहे हो लेकिन तुम्हारा यहां रुकना जरूरी है,,,,
(लेडी डॉक्टर की बात सुनकर संध्या का दिल जोरो से धड़कने लगा था,,, संध्या को भी अपने बेटे के सामने इंजेक्शन लगवाने में शर्म महसूस हो रही थी,,,, कुछ देर तक सोनू और संध्या एक दूसरे का मुंह देखने लगे सोनू के तन पर अजीब सी हलचल डॉक्टर की साया और साड़ी ढीली करने वाली बात से ही सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,। लेडी डॉक्टर इंजेक्शन लेकर तैयार थी लेकिन संध्या उसी तरह से बैठी की बैठी थी,,, इसलिए डॉक्टर फिर से बोली।)

क्या मैडम जी आप कितना शर्मा रही है अपने बेटे के सामने,,, मेडिकल लाइन में यह सब भूल जाना पड़ता है,,, अब चलो जल्दी से अपने कपड़े ढीले करो इंजेक्शन लगाना है,,,,।

क्या मम्मी जल्दी करो ना इन्हें भी देर हो रही है,,,,,, ।
( सोनू की बात सुनकर संध्या को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अंदर से उतावला हो रहा है उसे अपने कपड़े ढीले करते हुए देखने के लिए,,,, आखिरकार संध्या को अपने कपड़े ढीले करने पड़े वह शर्माते हुए अपनी साड़ी को थोड़ा सा आगे से खोलकर अपने पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी,,,, उस लेडी डॉक्टर को तो जरा सा भी फर्क नहीं पड़ रहा था लेकिन सोनू की हालत खराब हो रही थी वह बार-बार अपनी तिरछी नजरों से अपनी मां को अपने कपड़े ढीले करते हुए देख रहा था,,, और यही हाल संध्या का भी था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, देखते ही देखते संध्या ने अपने साया की डोरी को खोल कर अपने साये को ढीला कर दी,,, टेबल पर बैठने की वजह से संध्या की कमर के ऊपरी भाग पर हल्की सी लकीर दोनों तरफ पड़ जा रही थी जो कि औरतों की खूबसूरती में चार चांद लगा देती थी,,, कमर के ऊपरी भाग पर पड़ रही लकीर औरतों की मैच्योरिटी साबित करती है,,, और यही मांसल कटाव मर्दों को बेहद पसंद भी रहती है,,। और उसी मांसल कटाव पर बार-बार ना चाहते हुए भी सोनू की नजर चली जा रही थी,,, सोनू का इस बात का डर था कि कहीं उसकी पेंट में उसका तंबू ना बन जाए,,, वरना खामखा डॉक्टर के सामने और अपनी मां के सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा,,,,
संध्या आपने साड़ी और साया दोनों को एकदम ढीला कर ली थी इतना ढीला की पत्रों टेबल पर से नीचे उतर जाती तो उसका साया खुद ब खुद नीचे उसके कदमों में गिर जाता,,, कपड़े ढीले होने पर वह लेडी डॉक्टर बोली,,,।

अब ठीक है,,,, अब आप पेट के बल लेट जाइए,,,,
(उस लेडी डॉक्टर के इतना कहते ही संध्या शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसके कहने के मतलब से साफ जाहिर था कि वह उसकी कमर के नीचे मतलब उसकी गांड में सुई लगाने वाली है,,, इस बात को सुनकर सोनू का भी दिल जोरो से धड़कने लगा वो तो बार-बार भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि उसका लंड में खड़ा हो जाए वरना पेंट में बना तंबू डॉक्टर की नजर में भी आ जाएगा। डॉक्टर की बात सुनकर संध्या फिर से बोली,,,)

मुझे डर लग रहा है,,,,।

डरने की क्या बात है मैडम 1 मिनट का भी काम नहीं है बस 5 सेकेंड के अंदर तो सुई लग जाएगी,,,, बस आप डरिए मत और पेट के बल लेट जाईए,,,,
(डॉक्टर की बात सुनकर संदेश वालों की तरफ देखने लगी तो सोनू भी उसे दिलासा देते हुए लेटने के लिए बोला,, संध्या शर्माते हुए टेबल पर करवट बदलकर पेट के बल लेटने लगी,,, जिस तरह से वह पेट के बल लेटने की तैयारी कर रही थीसोनू अपने मन में कल्पना कर रहा था कि जैसे उसकी मां चुदवाने के लिए पोजीशन ले रही है,,, देखते ही देखते वहां पेट के बल लेट गई,,, लेडी डॉक्टर इंजेक्शन लगाने के लिए एकदम तैयार हो चुकी थी ,,, वह ढीले कपड़े को कमर से पकड़ कर एक झटके में उसे लगभग चार पांच ईंच नीचे नीचे खींच दी जिससे सोनू की आंखों के सामने कमर के नीचे से शुरू हो रहा नितंबों का उभार झलकने लगा और साथ ही गांड की दोनों फांकों की ऊपरी सतह का हल्का सा लुभावना गड्ढा जिसमें दुनिया का हर मर्द टूटने के लिए तैयार रहता है वह नजर आने लगा यह देख कर सोनू की हालत खराब होने लगी,,, उस लेडी डॉक्टर ने एक मा के सामने इतनी भी दरकार नहीं की की उसका जवान बेटा वहीं पर खड़ा है,,,अपनी मां की मदमस्त नितंबों का वह भाग जो कि सिर्फ शुरू हो रहा था वही भर नजर आया था लेकिन इतने में सोनू एक दम मस्त हो चुका था,,,,,, वह लेडी डॉक्टर सुई लगाने वाली जगह पर हल्का सा दवा लगाकर उसे रगड़ने लगी और फिर जैसे ही सुई लगाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाई,,, संध्या दर्द और डर दोनों के मारे छटपटाने लगी,,, उसके बदन में हो रहे कंपन को देखकर डॉक्टर सोनू से बोली,,,।

तुम इधर आकर अपनी मम्मी का हाथ पकडो वरना यह इंजेक्शन नहीं लगाने देंगी,,,
(इतना सुनते ही सोनू तुरंत आगे की तरफ आ गया और अपनी मां का दोनों हाथ कस के पकड़ लिया हालांकि डर के मारे वह अपना पूरा बदन एकदम कड़क कर ली थी,,, लेकिन वह डॉक्टर तुरंत सुई लगाने लगी जैसे ही सुई की नोक गांड की मखमली सतह के अंदर प्रवेश की वैसे ही,,, संध्या मारे डर के छटपटाने की कोशिश करने लगी लेकिन सोनू बड़ी मजबूती से अपनी मां को पकड़ रखा था और देखते ही देखते उस लेडी डॉक्टर ने इंजेक्शन की सारी दवा संध्या की नितंब मे ऊलेड दी,,,।

बस बस बस हो गया,,,, कितना डरती है आप,,,(पर इतना कहते हुए रुई का टुकड़ा लेकर इंजेक्शन वाली जगह पर रखकर हल्का सा मसल दी,,,,, इंजेक्शन लग चुका था लेडी डॉक्टर ने संध्या को अपने कपड़े ठीक कर लेने के लिए कॉल कर अपनी जगह पर आकर बैठ गई और सोनू भी वही जाकर बैठ गया,,तब तक संध्या अपने कपड़े ठीक करने लगी,,,उसे अभी भी अपनी गांड पर सुई वाली जगह पर दर्द हो रहा था,,,)

सब कुछ ठीक तो है ना मैडम जी,,,

हां सब ठीक है,,कमर से लेकर जांघों तक खिंचाव है,, में दवा और मलनेके लिए ट्युब दे रही हुं,,, तुरंत आराम हो जाएगा,,,

ठीक है मैडम,,,,
( संध्या अपने कपड़े ठीक कर चुकी थी,,, लेकिन टेबल पर से ऊतर नहीं पा रही थी,, तो डाक्टर ही बोली,,)

जाओ अपनी मम्मी को उतरने में मदद करो,,,
( सोनू तुरंत गया और अपनी मां को सहारा देकर टेबल से नीचे उतरने में मदद कीया,,,और सहारा देकर क्लीनिक से बाहर ले आया,,, थोड़ी ही देर में वो दोनों घर पर पहुंच गए,,,, लेकिन रास्ते भर संध्या और सोनू दोनों की हालत खराब थी,,, मोटरसाइकिल चलाते चलाते जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोचकर सोनू के पेंट में तंबू बन चुका था,, बार बार सोनु की आंखों के सामने ऊसकी मां की गांड का मदमस्त उभार और गांड की फांकों के बीच का लुभावना गड्ढा नजर आ जा रहा था,,सोनु का मन अपने काबू में बिल्कुल भी नहीं था,,। अपनी मां को लेकर उसके मन में बार बार गंदे ख्याल आ जा रहे थे,,। और शायद ऊन ख्यालों को रोक पाना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था,,।
और यही हाल संध्या का भी था,, घर पर और क्लीनिक में जो कुछ भी हुआ,, उसके सोच के बिल्कुल विपरीत था,,।
जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,।लेकिन जो कुछ भी हुआ था वह संध्या के लिए बेहद सुखदाई था उसे यह सब अच्छा लग रहा था एक अजीब सी हलचल उसके तन बदन में अपना असर दिखा रही थी उसे सब कुछ अच्छा लगने लगा था भले ही अपनी कमर में बेहद दर्द का आभास हो रहा था लेकिन सोनू की हरकत और उसके सामने जो कुछ भी हुआ था उसी से उसका दर्द आनंद में बदल गया था सोनू धीरे-धीरे करके मुझे सहारा देते हुए उसे उसके कमरे मैं ले गया और बिस्तर पर लेटा दिया उसे दवा देकर आराम करने के लिए बोला और मलने वाली क्रीम को टेबल पर रखते हुए बोला,,,।

मम्मी यह कमर से लेकर के जांघों तक मलने की क्रीम है,,, शगुन आएगी तो उससे कह देना वह मालिश कर देगी,,,
(इतनी सी बात कहते हुए सोनू अपने मन में यही सोच रहा था कि काश वह क्रीम बनने के लिए उसकी मां खुद उसे बोल दे तो कितना मजा आ जाए और यही बात संध्या भी सोच रही थी कि काश यह क्रीम उसका बेटा खुद अपने हाथों से उसकी कमर से लेकर जांघो तक लगाकर मले तो कितना मजा आ जाए,,,, दोनों के मन में एक ही बात उपस रही थी लेकिन अपने मन की बात दोनों एक दूसरे से कहने में घबरा रहे थे एक दूसरे का संस्कार और दोनों के बीच का मां बेटे का रिश्ता यह बात कहने से इनकार कर रहा था,,,। संध्या कुछ बोल नहीं पाई बस हां में सिर हिला थी और सोनू कमरे में से बाहर जाते जाते बोला,,,।

कोई भी काम हो तो मुझे आवाज दे देना मैं आ जाऊंगा,,,

ठीक है बेटा,,,(यह सब तो संध्या बड़ी मुश्किल से बोल पाई थी क्योंकि उसका मन यही चाह रहा था कि उसका बेटा उसके पास बैठे उसकी कमर पर अपने हाथों से क्रीम लगाएं और सोनू दरवाजे पर पहुंचते-पहुंचते अपने मन में यह सोच रहा था कि कहां से उसकी मां कमरे से बाहर जाने की इजाजत उसे ना दे और क्रीम लगाने के लिए बोले लेकिन शायद यह अभी मुमकिन नहीं था,,,क्योंकि दोनों मां-बेटे के बीच की मर्यादा संस्कार और गहरे रिश्ते की दीवार अभी ध्वस्त नहीं हुई थी इसलिए ऐसा होना अभी संभव नहीं दिखाई दे रहा था,,,
सोनू कमरे से बाहर चला गया और संध्या मन मसोसकर रह गई।
 

Nasn

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बाप बेटी कहाँ लगे हैं
जैसे तैसे करके 5 मिनट में ही सोनू अपनी मां को लेकर क्लीनिक पहुंच गया,,, मोटरसाइकिल से उतरकर वह अपनी मां को सहारा देते हुए डॉक्टर के केबिन तक लेके गया,,,, वहां पर लेडी डॉक्टर थी,,,संध्या को देखते ही और उसकी बात सुनकर उसे समझ में आ गया कि क्या हुआ है वह सोनू से बोली,,,

चिंता करने की कोई बात नहीं है बस नसों में थोड़ा सा खिंचाव आ गया है लगता है कि कोई वजनदार चीज उठा रही थी,,,

जी मैडम अनाज की बोरी उठा रही थी इसके लिए ऐसा हो गया,,,

हां कभी-कभी वजन उठाते समय ऐसा हो जाता है,,, घबराने की कोई बात नहीं है,,,, आप ऐसा करिए वहां पर बैठ जाइए,,,, इंजेक्शन लगा देती हूं सब सही हो जाएगा,,,


इंजेक्शन,,,,, नहीं नहीं मैडम इंजेक्शन बिल्कुल भी नहीं,,,(संध्या इंजेक्शन का नाम सुनकर एकदम से घबराते हुए बोली,,,)

आप समझते क्यों नहीं इंजेक्शन लगेगा तो जल्दी आराम होगा,,,,


मैडम मुझे इंजेक्शन से बहुत डर लगता है,,,,(संध्या घबराते हुए बोल रही थी और अपनी मां की है बात सुनकर सोनू उसे आश्चर्य से देख रहा था उसे भी यह बात सुनकर हैरानी हो रही थी कि उसकी मां को इंजेक्शन से डर लगता है,,,)

क्या मैडम आप तो एकदम बच्चे जैसा व्यवहार कर रही है इतनी बड़ी होकर आपको इंजेक्शन से डर लगता है बिल्कुल भी पता नहीं चलता,, मैं एकदम आराम से लगाऊंगी,,,

नहीं नहीं मैडम मैं सुई नहीं लगवा सकती,,,,।

इंजेक्शन लगवाओगी तो आराम कैसे होगा,,,

मेडिसिन दे दो आराम हो जाएगा,,,,


आप समझ नहीं रही है,,,,, आपको जिस तरह की तकलीफ हुई है उसमें तुरंत आराम चाहिए वरना आप घर पर काम भी नहीं कर पाओगी,,,


क्या मम्मी तुम भी बच्चों जैसा डर रही हो,,, लगवा लो ना इंजेक्शन,,,,


नहीं नहीं बेटा मुझे इंजेक्शन से बहुत डर लगता है मैं आज तक इंजेक्शन नहीं लगवाई हुं,,,


डरो मत मम्मी मैं हूं ना तुम्हारे साथ बिल्कुल भी डर नहीं लगेगा,,,,

तुम ही समझाओ अपनी मम्मी को वरना घर पर खाना बनाना और घर के सारे काम करने के लिए तैयार रहो क्योंकि जिस स्थिति में तुम्हारी मम्मी है उन से काम नहीं हो पाएगा और अगर इंजेक्शन नहीं लगवाती है तो कम से कम चार पांच दिन तक ऐसे ही रहेगा,,,,

नहीं नहीं मैडम जी मैं समझाता हूं,,,, चलो उठो मम्मी,,, इंजेक्शन लगवा लो वरना खा म खा परेशान हो जाओगी,,,

लेकिन मुझे डर लगता है,,,,

डरने की कोई बात नहीं है बस उठो,,,,(इतना कहते हुए सोनू अपनी मां की दोनों बाहो को पकड़ कर उसे उठाने लगा,,,, यह देख कर वह लेडी डॉक्टर हंसने लगी और हंसते हुए बोली,,,)

मैंने आज तक ऐसा नजारा कभी नहीं देखी इतना जरूर देख कर आई हूं कि एक बेटे को मां समझाते हुए उसे इंजेक्शन लगाती है,,, लेकिन आज पहली बार देख रही हूं बेटा अपनी मां को इंजेक्शन लगवाने के लिए समझा रहा है,,,

क्या करूं मैडम मुझे क्या मालूम था कि मम्मी को इंजेक्शन से इतना डर लगता है,,,,।

चलो कोई बात नहीं ऐसा भी होता है,,,(इतना कहकर वह लेडी डॉक्टर अपनी जगह से खड़ी हुई और इंजेक्शन लगाने के लिए,, तैयारी करने लगी, वह, इंजेक्शन में दवा भरते हुए बोली,,,)

मैडम आप अपनी साड़ी और साया दोनों ढीला कर लो,,,
(इतना सुनते ही संध्या के साथ-साथ सोनू भी हैरान हो गया क्योंकि उसे लगा था कि हाथ में इंजेक्शन लगेगा इसलिए संध्या बोली)

हाथ में लगा दीजिए मैडम,,,,

नहीं नहीं इंजेक्शन भारी है हाथ में लगाने से हाथ दर्द करेगा और कोई काम नहीं कर पाओगी,,,,,(इतना कहते हुए वह पूरी तरह से ईंजेक्सन में दवा भर ली,,,, और इंजेक्शन लेकर संध्या के पास पहुंच गई,,,)

क्या आप भी अभी तक साड़ी और साया ढीला नहीं करी हो,,,

मुझे डर लगता है मैडम ,,,(संध्या फिर से मुंह बनाते हुए बोली,,, इतना सुनकर सोनू बोला)

ठीक है मैडम मैं बाहर इंतजार करता हूं अाप इंजेक्शन लगाइए,,,

नहीं नहीं आप यहीं रुकीए आपकी मम्मी को इंसान लगाने से बहुत डर लगता है कहीं डर के मारे झटपट आने लगी तो इंजेक्शन लग जाएगा तब इंफेक्शन होने का डर रहेगा,,,,


लेकिन मैडम जी मेरे सामने,,,,,(सोनू लगभग हकलाते हुए बोला,,,)

मैं समझती हूं तुम क्या कहना चाह रहे हो लेकिन तुम्हारा यहां रुकना जरूरी है,,,,
(लेडी डॉक्टर की बात सुनकर संध्या का दिल जोरो से धड़कने लगा था,,, संध्या को भी अपने बेटे के सामने इंजेक्शन लगवाने में शर्म महसूस हो रही थी,,,, कुछ देर तक सोनू और संध्या एक दूसरे का मुंह देखने लगे सोनू के तन पर अजीब सी हलचल डॉक्टर की साया और साड़ी ढीली करने वाली बात से ही सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,। लेडी डॉक्टर इंजेक्शन लेकर तैयार थी लेकिन संध्या उसी तरह से बैठी की बैठी थी,,, इसलिए डॉक्टर फिर से बोली।)

क्या मैडम जी आप कितना शर्मा रही है अपने बेटे के सामने,,, मेडिकल लाइन में यह सब भूल जाना पड़ता है,,, अब चलो जल्दी से अपने कपड़े ढीले करो इंजेक्शन लगाना है,,,,।

क्या मम्मी जल्दी करो ना इन्हें भी देर हो रही है,,,,,, ।
( सोनू की बात सुनकर संध्या को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अंदर से उतावला हो रहा है उसे अपने कपड़े ढीले करते हुए देखने के लिए,,,, आखिरकार संध्या को अपने कपड़े ढीले करने पड़े वह शर्माते हुए अपनी साड़ी को थोड़ा सा आगे से खोलकर अपने पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी,,,, उस लेडी डॉक्टर को तो जरा सा भी फर्क नहीं पड़ रहा था लेकिन सोनू की हालत खराब हो रही थी वह बार-बार अपनी तिरछी नजरों से अपनी मां को अपने कपड़े ढीले करते हुए देख रहा था,,, और यही हाल संध्या का भी था उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, देखते ही देखते संध्या ने अपने साया की डोरी को खोल कर अपने साये को ढीला कर दी,,, टेबल पर बैठने की वजह से संध्या की कमर के ऊपरी भाग पर हल्की सी लकीर दोनों तरफ पड़ जा रही थी जो कि औरतों की खूबसूरती में चार चांद लगा देती थी,,, कमर के ऊपरी भाग पर पड़ रही लकीर औरतों की मैच्योरिटी साबित करती है,,, और यही मांसल कटाव मर्दों को बेहद पसंद भी रहती है,,। और उसी मांसल कटाव पर बार-बार ना चाहते हुए भी सोनू की नजर चली जा रही थी,,, सोनू का इस बात का डर था कि कहीं उसकी पेंट में उसका तंबू ना बन जाए,,, वरना खामखा डॉक्टर के सामने और अपनी मां के सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा,,,,
संध्या आपने साड़ी और साया दोनों को एकदम ढीला कर ली थी इतना ढीला की पत्रों टेबल पर से नीचे उतर जाती तो उसका साया खुद ब खुद नीचे उसके कदमों में गिर जाता,,, कपड़े ढीले होने पर वह लेडी डॉक्टर बोली,,,।

अब ठीक है,,,, अब आप पेट के बल लेट जाइए,,,,
(उस लेडी डॉक्टर के इतना कहते ही संध्या शर्म से पानी पानी हो गई क्योंकि उसके कहने के मतलब से साफ जाहिर था कि वह उसकी कमर के नीचे मतलब उसकी गांड में सुई लगाने वाली है,,, इस बात को सुनकर सोनू का भी दिल जोरो से धड़कने लगा वो तो बार-बार भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि उसका लंड में खड़ा हो जाए वरना पेंट में बना तंबू डॉक्टर की नजर में भी आ जाएगा। डॉक्टर की बात सुनकर संध्या फिर से बोली,,,)

मुझे डर लग रहा है,,,,।

डरने की क्या बात है मैडम 1 मिनट का भी काम नहीं है बस 5 सेकेंड के अंदर तो सुई लग जाएगी,,,, बस आप डरिए मत और पेट के बल लेट जाईए,,,,
(डॉक्टर की बात सुनकर संदेश वालों की तरफ देखने लगी तो सोनू भी उसे दिलासा देते हुए लेटने के लिए बोला,, संध्या शर्माते हुए टेबल पर करवट बदलकर पेट के बल लेटने लगी,,, जिस तरह से वह पेट के बल लेटने की तैयारी कर रही थीसोनू अपने मन में कल्पना कर रहा था कि जैसे उसकी मां चुदवाने के लिए पोजीशन ले रही है,,, देखते ही देखते वहां पेट के बल लेट गई,,, लेडी डॉक्टर इंजेक्शन लगाने के लिए एकदम तैयार हो चुकी थी ,,, वह ढीले कपड़े को कमर से पकड़ कर एक झटके में उसे लगभग चार पांच ईंच नीचे नीचे खींच दी जिससे सोनू की आंखों के सामने कमर के नीचे से शुरू हो रहा नितंबों का उभार झलकने लगा और साथ ही गांड की दोनों फांकों की ऊपरी सतह का हल्का सा लुभावना गड्ढा जिसमें दुनिया का हर मर्द टूटने के लिए तैयार रहता है वह नजर आने लगा यह देख कर सोनू की हालत खराब होने लगी,,, उस लेडी डॉक्टर ने एक मा के सामने इतनी भी दरकार नहीं की की उसका जवान बेटा वहीं पर खड़ा है,,,अपनी मां की मदमस्त नितंबों का वह भाग जो कि सिर्फ शुरू हो रहा था वही भर नजर आया था लेकिन इतने में सोनू एक दम मस्त हो चुका था,,,,,, वह लेडी डॉक्टर सुई लगाने वाली जगह पर हल्का सा दवा लगाकर उसे रगड़ने लगी और फिर जैसे ही सुई लगाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाई,,, संध्या दर्द और डर दोनों के मारे छटपटाने लगी,,, उसके बदन में हो रहे कंपन को देखकर डॉक्टर सोनू से बोली,,,।

तुम इधर आकर अपनी मम्मी का हाथ पकडो वरना यह इंजेक्शन नहीं लगाने देंगी,,,
(इतना सुनते ही सोनू तुरंत आगे की तरफ आ गया और अपनी मां का दोनों हाथ कस के पकड़ लिया हालांकि डर के मारे वह अपना पूरा बदन एकदम कड़क कर ली थी,,, लेकिन वह डॉक्टर तुरंत सुई लगाने लगी जैसे ही सुई की नोक गांड की मखमली सतह के अंदर प्रवेश की वैसे ही,,, संध्या मारे डर के छटपटाने की कोशिश करने लगी लेकिन सोनू बड़ी मजबूती से अपनी मां को पकड़ रखा था और देखते ही देखते उस लेडी डॉक्टर ने इंजेक्शन की सारी दवा संध्या की नितंब मे ऊलेड दी,,,।

बस बस बस हो गया,,,, कितना डरती है आप,,,(पर इतना कहते हुए रुई का टुकड़ा लेकर इंजेक्शन वाली जगह पर रखकर हल्का सा मसल दी,,,,, इंजेक्शन लग चुका था लेडी डॉक्टर ने संध्या को अपने कपड़े ठीक कर लेने के लिए कॉल कर अपनी जगह पर आकर बैठ गई और सोनू भी वही जाकर बैठ गया,,तब तक संध्या अपने कपड़े ठीक करने लगी,,,उसे अभी भी अपनी गांड पर सुई वाली जगह पर दर्द हो रहा था,,,)

सब कुछ ठीक तो है ना मैडम जी,,,

हां सब ठीक है,,कमर से लेकर जांघों तक खिंचाव है,, में दवा और मलनेके लिए ट्युब दे रही हुं,,, तुरंत आराम हो जाएगा,,,

ठीक है मैडम,,,,
( संध्या अपने कपड़े ठीक कर चुकी थी,,, लेकिन टेबल पर से ऊतर नहीं पा रही थी,, तो डाक्टर ही बोली,,)

जाओ अपनी मम्मी को उतरने में मदद करो,,,
( सोनू तुरंत गया और अपनी मां को सहारा देकर टेबल से नीचे उतरने में मदद कीया,,,और सहारा देकर क्लीनिक से बाहर ले आया,,, थोड़ी ही देर में वो दोनों घर पर पहुंच गए,,,, लेकिन रास्ते भर संध्या और सोनू दोनों की हालत खराब थी,,, मोटरसाइकिल चलाते चलाते जो कुछ भी हुआ उसके बारे में सोचकर सोनू के पेंट में तंबू बन चुका था,, बार बार सोनु की आंखों के सामने ऊसकी मां की गांड का मदमस्त उभार और गांड की फांकों के बीच का लुभावना गड्ढा नजर आ जा रहा था,,सोनु का मन अपने काबू में बिल्कुल भी नहीं था,,। अपनी मां को लेकर उसके मन में बार बार गंदे ख्याल आ जा रहे थे,,। और शायद ऊन ख्यालों को रोक पाना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था,,।
और यही हाल संध्या का भी था,, घर पर और क्लीनिक में जो कुछ भी हुआ,, उसके सोच के बिल्कुल विपरीत था,,।
जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी,,।लेकिन जो कुछ भी हुआ था वह संध्या के लिए बेहद सुखदाई था उसे यह सब अच्छा लग रहा था एक अजीब सी हलचल उसके तन बदन में अपना असर दिखा रही थी उसे सब कुछ अच्छा लगने लगा था भले ही अपनी कमर में बेहद दर्द का आभास हो रहा था लेकिन सोनू की हरकत और उसके सामने जो कुछ भी हुआ था उसी से उसका दर्द आनंद में बदल गया था सोनू धीरे-धीरे करके मुझे सहारा देते हुए उसे उसके कमरे मैं ले गया और बिस्तर पर लेटा दिया उसे दवा देकर आराम करने के लिए बोला और मलने वाली क्रीम को टेबल पर रखते हुए बोला,,,।

मम्मी यह कमर से लेकर के जांघों तक मलने की क्रीम है,,, शगुन आएगी तो उससे कह देना वह मालिश कर देगी,,,
(इतनी सी बात कहते हुए सोनू अपने मन में यही सोच रहा था कि काश वह क्रीम बनने के लिए उसकी मां खुद उसे बोल दे तो कितना मजा आ जाए और यही बात संध्या भी सोच रही थी कि काश यह क्रीम उसका बेटा खुद अपने हाथों से उसकी कमर से लेकर जांघो तक लगाकर मले तो कितना मजा आ जाए,,,, दोनों के मन में एक ही बात उपस रही थी लेकिन अपने मन की बात दोनों एक दूसरे से कहने में घबरा रहे थे एक दूसरे का संस्कार और दोनों के बीच का मां बेटे का रिश्ता यह बात कहने से इनकार कर रहा था,,,। संध्या कुछ बोल नहीं पाई बस हां में सिर हिला थी और सोनू कमरे में से बाहर जाते जाते बोला,,,।

कोई भी काम हो तो मुझे आवाज दे देना मैं आ जाऊंगा,,,

ठीक है बेटा,,,(यह सब तो संध्या बड़ी मुश्किल से बोल पाई थी क्योंकि उसका मन यही चाह रहा था कि उसका बेटा उसके पास बैठे उसकी कमर पर अपने हाथों से क्रीम लगाएं और सोनू दरवाजे पर पहुंचते-पहुंचते अपने मन में यह सोच रहा था कि कहां से उसकी मां कमरे से बाहर जाने की इजाजत उसे ना दे और क्रीम लगाने के लिए बोले लेकिन शायद यह अभी मुमकिन नहीं था,,,क्योंकि दोनों मां-बेटे के बीच की मर्यादा संस्कार और गहरे रिश्ते की दीवार अभी ध्वस्त नहीं हुई थी इसलिए ऐसा होना अभी संभव नहीं दिखाई दे रहा था,,,
सोनू कमरे से बाहर चला गया और संध्या मन मसोसकर रह गई।
 
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