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Incest रिश्तो की डोर,,,, (completed)

Dhansu

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सोनू का दिन अच्छा तो था ही लेकिन बड़ी बेचैनी में बीत रहा थारात दिन उसकी आंखों के सामने उसकी मां का खूबसूरत बदन घूमता रहता था अब तो जब से वह अपनी बड़ी बहन की खूबसूरत नंगी गांड को देखा था तब से और मदहोश और बदहवास होता जा रहा था,,,,अब सोनू का आकर्षण दोनों तरफ था एक तो अपनी मां की तरफ और दूसरा अपनी बड़ी बहन की तरफ,,, दोनों मदहोश कर देने वाली जवानी से भरी हुई थी दोनों की जवानी उफान मार रही थी,,, जो हाल सोनू का था वहीं हाल संध्या का भी था अपने बेटै से जिस तरह से बातें की थी उन बातों के बारे में सोच सोच कर ही उसकी टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो जाती थी,,,। और शगुन के दिल में तो अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे और उन ख्यालों को लेकर वह काफी उत्साहित थी,, उसे इस बात का पक्का यकीन था कि,, उसकी गर्म जवानी देख कर उसका भाई जरूर पिघल गया होगा जैसे उसके पापा उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित हो चुके थे उसी तरह से उसका भाई भी उसकी तरफ आकर्षित होता जा रहा है,,,,।

शगुन कैंटीन में बैठी हुई थी अपनी सहेली प्रीति के साथ,,, दोनों कॉफी की चुस्कीयों का आनंद ले रहे थे लेकिन सगुन के मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि प्रीति से किस तरह से बात करने की शुरुआत की जाए क्योंकि वह इस तरह की बातें करना चाहती थी उस तरह की बात ऊसने आज तक कभी नहीं की थी,,,, लेकिन फिर भी वह हिम्मत करके बोली,,,।

प्रीति क्या अभी भी तू अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलती है,,,।

अफकोर्श,,,, अभी भी उससे रोज मिलती हुं,,,लेकिन तु ऐसा क्यों पूछ रही है कहीं ऐसा तो नहीं कि तुझे भी बॉयफ्रेंड चाहिए,,,,,,,


नहीं नहीं ऐसे ही पूछ रही हूं,,,,


नहीं ऐसे तो तू नहीं पूछ रही है कहीं ऐसा तो नहीं कि,,,तेरी बुर में भी खुजली हो रही है और तू से मिटाना चाहती है इसीलिए बोयफ्रेंड ढूंढ रही है,,,, अगर ऐसा है तो सगुन में तेरे लिए इंतजाम कर दूंगी,,,,,(प्रीति सबकी नजरें बचाकर धीरे धीरे इस तरह की बातें कर रही थी ताकि कोई सुन ना ले शगुन प्रीति की बात सुनकर उसे डांटते हुए बोली।।)

पागल हो गई है क्या तू इस तरह से बातें करती है तुझे शर्म नहीं आती,,,,।


आती है मेरी जान लेकिन क्या करूं जो भगवान ने अपने दोनों टांगों के बीच जो पतली सी दरार बनाई है ना वो बेशर्म कर देती है और कुछ भी करने के लिए मजबूर कर देती है,,,।
(प्रीति की बातें सुनकर शगुन का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, उसके तन बदन में कुछ-कुछ हो रहा था,,,, प्रीति अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) मेरी जान तुझे भी मजबूर कर देती होगी तेरी बुर,,,,

प्रीति थोड़ा तो शर्म कर,,,, हम कैंटीन में है कोई सुन लिया तो हम दोनों के बारे में क्या सोचेगा ,,,,।


क्या सोचेगा,,,,घर पर जाकर अपनी बीवी या अपनी गर्लफ्रेंड को चोदेगा ,,,,अगर कोई जुगाड़ नहीं मिला तो हम दोनों के बारे में सोच सोच कर अपना लंड हीलाता रहेगा,,, और क्या करेगा इससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकता,,,।

तुझे बहुत ज्ञान है इन सब मामलों में जैसे कि तू सब कुछ जानती है,,,,।(शगुन प्रीति के मुंह से और भी बातें सुनना चाहती है इसीलिए उसे ऊकसाते हुए बोली,,,)


तू शायद भूल कर रही है मेरे पास बॉयफ्रेंड है,,,, और एक मर्द के हाल को एक मर्द अच्छी तरह से समझ सकता है मेरा बॉयफ्रेंड मुझे सब कुछ बताता है,,,,। शगुनहम औरतों के पास वह है ना जिससे हम सारे मर्द को अपना गुलाम बना सकते हैं,,,, मर्दों के लिए औरत दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज है,,,, बस औरत को अपने अंगों का सही इस्तेमाल करने आना चाहिए,,,,।

मैं कुछ समझी नहीं,,,(प्रीति की बात को ध्यान से सुनने के बाद शगुन बोली)

तु डॉक्टर बन कर भी क्या उखाड़ लेगी,,, जब मर्दों को ही अच्छी तरह से नहीं समझ पाएगी तो,,,, अरे पागल भगवान ने जो हमको दोनों चूचियां दीए है ना,,, जानती है यह सिर्फ बच्चों को दूध पिलाने के लिए नहीं बल्कि मर्दों को रिझाने के लिए भी है,,, मर्दों की नजर जब हम जैसी लड़कीयों के बड़े बड़े दूध पर पड़ती है तो पागल हो जाते उन्हें दबाने के लिए नियमों में भरकर पीने के लिए वह पागल हो जाते हैं तड़प उठते हैं,,,,(शगुन बड़े ध्यान से प्रीति की बातें सुन रही थी और उसे प्रीति की बातें अच्छी भी लग रही थी,,,, प्रीति अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) और तो और मर्दों की नजर औरतों के अंगों पर सबसे पहले बड़ी-बड़ी चूची यां बड़ी बड़ी गांड पर ही जाती है,,,, और सच कहूं तो शगुन मर्द जितना हम औरतों की लड़कियों की गांड देखकर मस्त होते हैं इतना शायद मजा उन्हें और किसी चीज में नहीं आता,,,, यह तो हम लोगों को कपड़ों में देखकर इतना उत्तेजित होते हैं अगर बिना कपड़ों के देख ले तो शायद इनका पानी ही छूट जाए,,,,,
(शगुन एकदम गरम हो चुकी थी प्रीति के इस तरह की गंदी खुली बातें उसके दिमाग में हथोड़े चला रहे थे,,, शगुन अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई तो उसकी नंगी गांड को देख चुका है तभी शायद वह इतना व्याकुल हो गया है उसके पापा ने थे अब तक उसके नंगी गांड उसके नंगे बदन को ठीक तरह से देखना भी नहीं है फिर भी उनका हाल एकदम बेहाल है,,,, शगुन प्रीति की बातों को सुन ही रही थी कि प्रीति अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) सच कहूं तो शगुन हमें अपनी खूबसूरत बदन का सही इस्तेमाल करके अपना काम निकालना चाहिए वह चाहे जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हो या फिर अपनी प्यास बुझाने के लिए मैं तो दोनों तरीके से अपनी खूबसूरती का सही उपयोग करती हूं और शगुन तू तो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत है एकदम चिकनी है,,, तेरे छातियों पर लटकते खरबूजे और तेरी मदमस्त तरबुजे जैसी गांड मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत है तू चाहे तो किसी भी मर्द को अपना गुलाम बना सकती है,,,।(प्रीति की बात सुनकर शगुन के चेहरे पर शर्म की लालीमा छाने लगी,,,और प्रीति की बातों को सुनकर उसे अपनी खूबसूरती पर और अपने अंगों पर गर्व होने लगा,,, दोनों की बातचीत आगे बढ़ती ईससे पहले ही,,,, लेक्चर का समय हो गया और वह दोनों कैंटीन से बाहर आ गई लेकिन प्रीति की बातों ने शगुन के हौसलों में जैसे जान डाल दिया हो,,, उसके जवानी के पंख फड़फड़ाने के लिए मचल रहे थे शगुन की एक-एक बात उसके जेहन में फिर बैठती चली जा रही थी,,,प्रीति की बातों को सुनकर उसे पक्का यकीन हो गया था कि अगर वह चाहे तो अपने बाप और अपने भाई दोनों को अपना दीवाना और गुलाम दोनों बना सकती है और जिस तरह से उसके साथ वाक्या होता आ रहा था उससे उसकी जवानी पानी मांग रही थी,,,, वह भी प्रीति की तरह मजा लेना चाहती थी,,,, यही सब ख्याल उसके मन में आ रहे थे,,,,।


संध्या की जवानी और खिलने लगी थी तड़प बढ़ती जा रही थी संजय के मुसल से वह पूरी तरह से संतुष्ट थी,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे और अपने बेटे के लंड को लेकर वह काफी उत्सुक थी,,,मोटरसाइकिल पर बैठकर अपने आप को संभालने की कोशिश करते हुए अनजाने में ही पेंट के ऊपर से ही आए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर जिस तरह की गर्माहट का अनुभव अपने बदन में की थी उसे याद करके अभी भी उसके बदन में सिहरन सी दौड़ ऊठती थी,,।
अपने बेटे से दो अर्थों में बात किए हुए लगभग 1 सप्ताह बीत चुका था वह बाथरूम में नहाने के लिए गई हुई थी और धीरे-धीरे करके अपने सारे कपड़े उतार रही थी लेकिन जब वह अपनी पैंटी को उतारी तो उसे अपनी पैंटी थोड़ी सी फटी हुई नजर आई,,, संध्या की यह आदत थी कि वह फटे हुए कपड़े कभी नहीं पहनती थी,,,। अपनी पेंटी में हुए छेद को देखकर उसे बुरा लग रहा था इसलिए वह आज ही नहीं पेंटी खरीदना चाहती थी,, वह जल्दी से नहा ली और केवल टावर लपेटकर बाथरूम से बाहर आ गई वैसे तो बाथरूम कमरे हीं था इसलिए कोई दिक्कत नहीं थी,,,। वह कमरे में इधर से उधर अपने कपड़े ढूंढने के लिए घूमने लगी और दूसरी तरफ सोनू को भूख लगी हुई थी और अपनी मां को ना पाकर वह उसे बुलाने के लिए उसके कमरे की तरफ जाने लगा,,,, धीरे-धीरे सोनू अपनी मां के कमरे के ठीक सामने पहुंच गया कमरे के बाहर खड़े होकर दरवाजे को देखते हैं उसे समझ में आ गया कि दरवाजा अंदर से लॉक नहीं था,, उसे जोरों की भूख लगी हुई थी इसलिए वह बीना दरवाजे पर दस्तक दिए,,, दरवाजा खोल कर उसके मुंह से केवल इतना ही निकल पाया,,,,
म,,,,,,,,(एकाएक दरवाजा खुलने की वजह से संध्या के हाथों से टावल छुट कर तुरंत नीचे गिर गया,,, और जो नजारा सोनू की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर वह आवाक रह गया,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,, उसकी आंखों के सामने उसकी खूबसूरत मम्मी एकदम नंगी हो चुकी थी,,, एकदम नंगी मादरजात,,, बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह भी बाथरूम से निकलने की वजह से पूरी तरह से भीगा हुआ बदन,,, होश उड़ा दे ऐसा खूबसूरत जिस्म,,,, गोरी गोरी भीगे बदन पर से पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह से फिसल रही थी,,, भीगे हुए रेशमी बालों के गुच्छे में से पानी की बूंदे ऐसे टपक रही थी मानो किसी अद्भुत झरने से पानी का रिसाव हो रहा हो,,,जिंदगी में सोनू ने कभी इस तरह कतरी से नहीं देखा था और ना ही इस तरह के दृश्य की कभी कल्पना की थी एक लड़का होने के नाते उसने मोबाइल में कभी कबार पोर्न मूवी देख चुका था लेकिन जिस तरह से उस में नंगी औरतें खूबसूरत नजर आती थी उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत इस समय उसकी मां नजर आ रही थी,,, संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसने दरवाजा खुला छोड़ रखी है इसीलिए तो जैसे ही भड़ाक की आवाज के साथदरवाजा खुला वैसे ही उसके यहां से टावल छुट कर नीचे गिर गई और वह अपने बेटे के सामने एकदम नंगी हो गई,,,,,, कुछ पल के लिए तो वह भी कुछ समझ में नहीं पाई कि क्या हो रहा है उसे क्या करना चाहिए,,,और वह कुछ पल तक अपने बेटे के सामने उसी अवस्था में एकदम नंगी खड़ी रह गई मानो कि अपने बेटे को अपने जिस्म का हर एक कोना दिखाना चाहती हो,,अब तो कुछ नहीं अपने हाथों से भी अपनी खूबसूरत बेशकीमती आंखों को छुपाने की कोशिश तक नहीं की थी लेकिन जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसके बेटे की आंखों के सामने वह एकदम नंगी खड़ी है तो वह शर्म के मारे तुरंत नीचे झुक कर वापस टावल उठा लिया और उसे तुरंत अपने बदन पर लपेट ली,,, लेकिन अफरा-तफरी में जल्दबाजी दिखाते हुए वहां टावर को अपनी छाती के ऊपर तक लपेट ली जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को छुपाने में टावल नीचे से छोटी पड़ गई,,, और सोनू की नजर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच चली गई,,,,सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी हालत खराब होने लगी हालांकि इतनी दूर से वह अपनी मां की रसीली बुर को ठीक से देख नहीं पा रहा था लेकिन उसे इस बात का अहसास था कि दोनों टांगो के बीच दुनिया की सबसे खूबसूरत अंग छिपा हुआ है,,,, इस एहसास सेवा पूरी तरह से मदहोश हो गया उसके पेंट में तुरंत तंबू सा बन गया,,,,, वह अभी भी दरवाजा पकड़कर दरवाजे पर ही खड़ा था अंदर आने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी और ना ही उसके मुंह से कुछ शब्द फुट पा रहे थे वह पूरी तरह से निशब्द हो चुका था,,,, हालात को पूरी तरह से संभालते हुए उसकी मा ही बोली,,,।

ततततत,, तू किस लिए आए हो,,,,(अपनी मां की आवाज कानों में पड़ते ही जैसे उसे होश आया हूं और वह भी हकलाते हुए बोला,,,)

ममममम,,,, मम्मी मुझे भूख लगी है,,,,।

भूख लगी है तो किचन में जाना चाहिए था ना बेटा,,,,

मम्मी आप तो जानते हो कि मैं अपने हाथ से खाना निकालकर कभी नहीं खाता,,।


मैं जानती हूं बेटा लेकिन तुम्हें अंदर आने से पहले दरवाजे पर नोकक तो करना चाहिए था,,,।(संध्या अभी भी नहीं समझ पाई थी कि उसकी टावर उसकी जांघों तक नहीं बल्कि कमर के ऊपर तक है थी जिससे उसके बेटे की नजर अभी भी उसकी दोनों टांगों के बीच ही थी,,,)

सॉरी मम्मी मुझे नहीं मालूम था कि आप इस हालत,,,,,(इतना कहकर वह चुप हो गया)

ठीक है तुम चलो मैं आती हूं,,,,
(अपनी मां की यह बातें सुनकर सोनू की जाने की तो इच्छा नहीं हो रही थी क्योंकि उसकी नजरें अभी भी अपनी मां की दोनों टांगों के बीच टिकी हुई थी इसी ताक में था कि उसे उसकी मां की बेहतरीन खूबसूरत बुर अच्छे से नजर आ जाए,,, लेकिन मोटी चिकनी मांसल जांघों के आपस में रगड़ खाने की वजह से उसकी बुर ठीक से दिखाई नहीं दे रही थी,,,, इसलिए सोनू मन मसोसकर अपनी मां को जल्दी से आने के लिए बोल कर चला गया ,,,, लेकिन जाते-जाते आखिरी बार अपनी मां की दोनों टांगों के बीच नजर घुमाकर दरवाजा बंद करके चला गया,,,इस बार संध्या उसकी नजरों को भांप गई और जैसे ही वह अपनी नजर नीचे करके देखी तो वह एकदम से दंग रह गई कमर के नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और उसकी बुर साफ नजर आ रही थी ,,,अपने बेटे की नजरों और अपनी स्थिति का अहसास होते ही वह शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी बुर को देख रहा था,,,, अजीब सी,, हलचल उसके तन बदन में फैलती चली जा रही थी,,,,, उसके चेहरे पर शर्म की लाली छाने लगी,,,,,,, उसे अपनी बुर से अमृत धारा का रिसाव होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, जिंदगी में सोनू दूसरा मर्द था जो उसे नंगी देख रहा था,,,, और इसी एहसास से लेकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी और वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी उसे ना जाने क्यों अच्छा ही लग रहा था कि अच्छा हुआ उसके बेटे ने उसे नंगी देख लिया,,, संध्या जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी,,, नीचे सोनू उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था उसकी आंखों के सामने बार-बार उसकी मां का नंगा बदन घूम जा रहा था जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत को साक्षात नंगी देखा था और अभी किसी दूसरी औरत को नहीं बल्कि अपनी मां को अपनी मां की खूबसूरती और नंगे बदन को देख कर उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां वास्तव में दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत है जिसे पाने के लिए भोगने के लिए दुनिया का हर मर्द मचलता रहता है,,, अपनी मां के बारे में सोच कर सोनु उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, उसका लंड पैंट के अंदर गदर मचाया हुआ था,,,सोनू का बस चलता तो वह कमरे में प्रवेश करके दरवाजा अपने हाथों से बंद करके अपनी मां की चुदाई कर दिया होता लेकिन ऐसा करने की हिम्मत अभी उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,,।

थोड़ी ही देर में संध्या सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए उसे नजर आई पीले रंग की साड़ी में वह बेहद खूबसूरत लग रही थी बाल अभी भी गीले ही थे वह सज धज कर नहीं बल्कि सिर्फ कपड़े पहन कर आई थी,,,,और अपने बेटे की तरफ देख कर हल्की सी स्माइल देकर किचन में चली गई,,,, सोनू अपनी मां को देखकर हैरान था उसे लगा था कि उसकी मां उसे गुस्से में देखेगी उससे बात तक नहीं करेगी लेकिन उसके होठों पर आई मुस्कुराहट देखकर सोनू को राहत महसूस होने लगी उसे लगने लगा कि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में ही हुआ था इस बात का एहसास उसकी मां को अच्छी तरह से है,,। थोड़ी ही देर में थाली में खाना परोस कर संध्या किचन से बाहर आ गई और डाइनिंग टेबल पर परोसी हुई थाली रखते हुए बोली,,,,।

इतनी भूख लगी थी कि सीधा कमरे में घुस आया यह भी नहीं सोचा कि किस हालत में होंऊगी ,,,।


मम्मी आप आप मुझे शर्मिंदा कर रही है अगर पता होता तो मैं कभी भूलकर भी कमरे में नहीं आता मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था,,,(सोनू नजरे नीचे झुकाए हुए ही बोला)

चलो कोई बात नहीं आइंदा से याद रखना,,,,( अपने बेटे के सर पर हाथ रखकर उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए बोली,,,, संध्या अपनी बेटे के मन में उसके द्वारा की गई अनजाने में हरकत की वजह से घृणा पैदा नहीं करना चाहती थी इसलिए वह उसे सामान्य बनाए रखना चाहती थी ताकि इस तरह की गलती वह दोबारा भी करें क्योंकि अपने बेटे की इस गलती की वजह से उसके तन बदन में जो आग लगी थी उसी से उसके तन बदन में उत्तेजना की मीठी लहर दौड़ने लगी थी,,,अपनी मां का बर्ताव देखकर सोनू को भी अच्छा लगा और वह खाना खाने लगा,,, संध्या वही उसके पास कुर्सी खींचकर बैठ गई,,,,, और बोली,,,)

अब जल्दी से खाना खाले हमें बाहर जाना है,,,,।


बाहर कहां,,,?


अरे बाजार जाना है कुछ कपड़े खरीदने हैं,,,,

कैसे कपड़े मम्मी आपके पास तो ढेर सारे कपड़े है,,,(निवाला मुंह में डालते हुए बोला,,)

अरे जरूरी है की ढेर सारे कपड़े हो तो कपड़े ना खरीदा जाए,,,, तु सिर्फ चुपचाप खाना खाकर मेरे साथ चल,,,,।
(इतना सुनकर वहां कुछ बोला नहीं और खाना खाने लगा संध्या उठकर अपने बाल को संवारने के लिए चली गई,,, थोड़ी ही देर में सोनू खाना खा लिया संध्या तैयार होकर नीचे आ गई वह दोनों,,, जाने ही वाले थे कि,,, डोर बेल बजने लगी और सोनू जाकर दरवाजा खोला तो सामने शगुन खड़ी थी,,, शगुन को देखते ही सोनू की आंखों के सामने शगुन की नंगी गांड नाचने लगी,,, सोनू अभी भी शर्म के मारे उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था,,, और सोनू को इधर-उधर अपनी नजरें बचाता देखकर शगुन को इस बात का एहसास हो गया था कि उस दिन के वाक्य को लेकर सोनू उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा है और वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,। वह बिना कुछ बोले घर में आ गई और अपनी मां को तैयार हुआ देखकर बोली,,,।)

कहीं जा रहे हो क्या मम्मी,,,,

हां बेटा थोड़ा बाजार जाना था,,,

मैं भी चलूं क्या मम्मी,,,,।

नहीं बेटा तुम यहीं रहो अगर तुम्हारे पापा आ गए तो उन्हें खाना देना होगा,,,,

ठीक है मम्मी में यहीं रुक जाती हुं,,,(इतना कहकर वह अपना बैग कुर्सी पर रख दी वैसे तो संध्या शगुन को अपने साथ ले जा सकती थी लेकिन वह अपने बेटे के साथ अकेले ही जाना चाहती थी क्योंकि उसे पेंटी खरीदनी थी और वह भी अपने बेटे की आंखों के सामने,,,, इसलिए बहाना बनाकर सब उनको घर पर ही रुकने के लिए बोली थोड़ी ही देर में दोनों घर से बाहर निकल गए,,,।
Bhai bahut hi mast story hai bs wait thoda km krwaya kro
 
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बहुत ही शानदार अपडेट है
 
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Jassybabra

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Nice update
 

Kammy sidhu

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Mast update bro
Next update kab aeyega bro
 

rohnny4545

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सोनू एक बार फिर से अपनी मां को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाकर बाजार लेकर चला गया,,, शगुन घर पर अकेली ही थी,,,,, गर्मी का समय था दोपहर के 2:00 बज रहे थे से गर्मी का एहसास हो रहा था और वह जानती थी कि घर पर कोई आने वाला नहीं है क्योंकि अक्सर उसके पापा दोपहर के समय बहुत ही कम आया करते थे इसलिए अपनी गर्मी मिटाने के लिए बाथरूम में घुस गई और वहां पर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी होकर स्नान करने लगी,,,, शावर चालू करते ही ठंडे पानी का फुहारा उसके नंगे बदन पर पड़ने लगा,,, बेहद गर्मी के अनुभव के बीच ठंडे पानी का फुहारा बदन पर पड़ते ही उसका पूरा बदन गनगना ऊठा,,,,, पानी का फुहारा सीधे उसके सिर पर पढ़ रहा था और वहां से पानी की बूंद नीचे की तरफ उसके कंधे से लेकर के उसके संपूर्ण नंगे बदन को अपनी आगोश में लेकर उसे भिगोकर ठंडक दे रही थी,,,, नहाते समय उसके बदन में अपने भाई और बाप को लेकर काफी हलचल हो रही थी जिसके कारण वह उत्तेजित हुए जा रही थी,,, शगुन को अपनी मस्त नारंगीयो पर गर्व हो रहा था ,,। और होता भी क्यों नहीं आखिरकार कुदरत ने अपने हाथों से उसकी चुचियों पर नक्सी काम जो किया था,,,, बेहतरीन आकार के उसके दोनों संतरे,,, संपूर्ण नंगे बदन में अपनी आभा बिखेर रहे थे,, शगुन से भी अपनी चूचियां देख कर रहा नहीं गया और वो खुद अपने दोनों हाथों में अपने दोनों संतरो को भरकर हल्के हल्के दबाना शुरू कर दी,,,, पल भर में ऊसके मुख से गर्म सिसकारी फूटने लगी,,,,सससहहहह आहहहहहहहह,,,,,ऊहहहहहहहहहह,,,,
एक अजीब सा एहसास ऊसके तन बदन में घुलता चला जा रहा था,,,। उसकी आंखें बंद हो चुकी थी पानी की बौछार उसके तन बदन को जितना ठंडक दे रहा था उससे अधिक गर्म कर रहा था,,,, बदन में उत्तेजना का मुख्य कार्य यही होता है बदन को गर्म करना,,, और यही शगुन के बदन में भी हो रहा था,,,। शगुन अपने हाथों से हीअपनी चूचियों को दबा रही थी और उसमें से बेहद गर्म ऊर्जा उसके तन बदन को अपनी आगोश में लपेटते जा रही थी,,,
ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,,,,,ऊहहहहह७हहह,,,,,हाय ,,,, यह क्या हो रहा है मुझे,,,,,ओहहहहहहहहह,,,,(गरम सिसकारी लेते हुए सगुन का एक हाथ अपने आप ही नीचे दोनों टांगों के बीच आ गया,, जो की हथेली के नीचे उसकी बुर भट्टी की तरह दहक रही थी,,, उस पर हथेली का हल्का सा दबाव पडते ही,,, शगुन की हालत खराब होने लगी वह ईससे ज्यादा करना चाहती थी,,,वह अपनी उंगली को अपनी पुर के अंदर डालना चाहते थे क्योंकि उसे अपनी बुर के अंदरूनी हिस्से में खुजली से महसूस हो रही थी जो कि यह शारीरिक खुजली नहीं बल्कि आत्मिक सुख को बढ़ावा देने वाली खुजली थी जिसे मिटाने के लिए शायद उंगली नहीं एक मर्द का लंबा मोटा तगड़ा लंड की आवश्यकता पड़ती है,,,,। लेकिन शगुन अपनी पर के अंदर अपनी उंगली डालने से भी अपने आप को बचा ले गई वह अपने मन पर काबू कर ले गई,,,,। और जल्दी से नहा कर टावल से अपनी बदन को अच्छी तरह से साफ करके नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गई और उसी तरह से अलमारी में से अपने कपड़े निकालने लगी,,,, लाल रंग की पैंटी निकाल कर उसे पहनने के बाद,,, एक ट्रांसपेरेंट छोटी सी ड्रेस फूलों के डिजाइन वाली निकालकर उसे पहनने जो कि वह ड्रेस उसकी जांघों तक आती थी,,, और उस ड्रेस में से,,, शगुन के बदन का कोना कोना नजर आ रहा था,,,। आईने में अपने आप को देख कर वह खुशी से फूली नहीं समा रही थी,,, छोटे से ड्रेस में वह परी लग रही थी,,,, वह खुशी खुशी थोड़ा बहुत घर का काम करने लगी,,,

और दूसरी तरफ सोनू थोड़ी ही देर में अपनी मां को लेकर एक अच्छे से मॉल पर पहुंच गया वहां पार्किंग मैं अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करके दोनों मां-बेटे मॉल के अंदर प्रवेश कर गए,,,, संध्या के आगे चल रही थी जिससे सोनू अपनी मां की भारी-भरकम गांड को देख कर मस्त हो रहा था,, वैसे भी उसकी मां को ज्यादा ही कसी हुई साड़ी पहनती थी जिसके कारण उसके नितंबों का उभार दोनों फांकों के बीच की पतली दरार के साथ एकदम साफ नजर आती थी देखने वालों का बिना कुछ मन में सोचे ही बस खड़ा हो जाता था,,,,,,, और यही पतली दरार गांड के बीज की गहराई,,, सोनू के अंतर्मन में भारी प्रभाव छोड़ रहा था सोनू खुद अपनी मां की गांड की गहराई में पूरी तरह से डूब जाना चाहता था,,, वैसे भी सोनू अपनी मां के नितंबों पर अपने लंड का घर्षण अच्छी तरह से महसूस कर चुका था और उस समय जो सुख ऊसे प्राप्त हुआ था वह उस समय किसी संभोग से बिल्कुल कम नहीं था,,,,,। उसी पल को याद करके तब से लेकर अब तक ना जाने कितनी बार सोनू खाने नकली मां के मदमस्त बदन को याद करके खड़ा हो जाता था,,, अब उसे अपनी मा में हर एक तरह से कामुक और मादक स्त्री नजर आती थी,,, उसके भरावदार नितंबों के साथ-साथ उसकी चिकनी कमर और कमर पर पड़ने वाली हल्की सी गहरी लकीर को देखकर सोनू अत्यधिक काम उत्तेजना का अनुभव करता था,,, संध्या के आगे चली जा रही थी और सोनू उसके पीछे पीछे मॉल में दाखिल होने के बाद संध्या इधर-उधर अपने लिए कपड़े देखने लगी सोनू को यही लग रहा था कि उसकी मां नॉर्मल कपड़े खरीदने आई है इसलिए वह भी इधर उधर देख रहा था,,, संध्या चारों तरफ घूमने के बाद उसे अपने अंतर्वस्त्र नजर नहीं आ रहे थे इसलिए वह एक मॉल में काम करने वाली लेडी से पूछी तो उसने उसे मॉल के ऊपरी मंजिल पर जाने के लिए बोली सोनू को अभी तक नहीं मालूम था कि उन दोनों के बीच क्या बातचीत हुई और उसकी मां क्या लेना चाहती है,,, संध्या सीढ़ियों पर अपनी एक-एक कदम पर रखकर आगे बढ़ने लगी और पीछे सोनू अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड देखकर वह भी पीछे-पीछे सीढ़ियां चढ़ने लगा जब-जब संध्या अपना हर एक कदम सीढ़ी पर ऊपर की तरफ रखती थी तब तब ऊसकी मदमस्त बड़ी बड़ी गोल गांड तरबुज की तरह कमर के नीचे लटक जाती थी,, जिसे देखकर सोनू का मन यही करता था कि वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां की तरबूज जैसे गोल गोल गांड को थाम ले,,, पूरी तरह से संध्या अपने बेटे को पानी-पानी कर दे रही थी ऐसा नहीं था कि संध्या अपने बेटे के कामुक नजरों से अनजान थी वह बीच-बीच में पीछे की तरफ नजर करके देख ले रही थी और सोनू को अपने बदन पर नजर घुमाता हुआ पाकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,,, हालात दोनों तरफ गंभीर ही थे,,, देखते ही देखते संध्या मॉल के ऊपरी मंजिल पर पहुंच गई जहां पर भीड़भाड़ ना के बराबर थी क्योंकि आज ना तो शनिवार था और ना ही रविवार,,, इसलिए मॉल में भीड़भाड़ बिल्कुल भी नहीं थी और यही तो संध्या चाहती थी,,, अगर शनिवार या रविवार होता तो मॉल में पैर रखने की जगह नहीं होती थी,,,, सोनू अपनी मां के पीछे-पीछे चला जा रहा था,,, वह पीछे से अपनी मां को आवाज लगाता हुआ बोला,,,।

मम्मी आपको क्या लेना है आप कुछ बता भी नहीं रही है,,,

थोड़ा सब्र कर तुझे पता चल जाएगा कि मैं यहां क्या खरीदने आई हूं,,,,(इतना कहकर संध्या आगे आगे जाने लगी,,, यहां पर चारों तरफ लेडीस गारमेंट का स्टाल लगा हुआ था जिस पर सोनू की नजर पड़ते ही उसके मन में गुदगुदी होने लगी,,,, संध्या को ब्रांडेड ब्रा और पेंटी चाहिए थी इसलिए वह आगे निकल गई लेकिन सोनू सहज भाव से अपने इर्द-गिर्द स्टॉल पर पड़ी और लटकाई गई पेंटी को हाथ लगाकर उन्हें छूने के सुख को प्राप्त करने के लिए अपने आप को रोक नहीं पाया,,,और अपने दोनों तरफ हाथ आगे बढ़ाकर ब्रा और पेंटी दोनों को छूकर एकदम मदहोश होने लगा उनके गर्माहट को अपने अंदर महसूस करके उसे पहनने के बाद औरतों के नरम नरम कोमल अंगों के सुख के एहसास से मदहोश होने लगा,,,,,सोनू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मात्रा और पेंट खरीदने के लिए इधर आइए क्योंकि चारों तरफ जहां भी नजर जा रही थी वहां पर सिर्फ ब्रा और पेंटी लटकी हुई थी हर तरह के पेंटिं नरम नरम कपड़ों वाली जालीदार जिसे पहनने के बाद छुपाने लायक कुछ भी नहीं रहता था,,,। तभी संध्या एक जगह पर खड़ी हो गई और पैंटी को उठा उठा कर देखने लगी,,, सोनू को शर्म महसूस होने लगी वह अपनी मां के करीब जाने से कतरा ने लगा वैसे तो उसके मन में यह इच्छा हो रही थी कि वह भी अपनी मां के पास चला जाए और खुद अपने हाथों से अच्छी अच्छी पेंटिं लेकर अपनी मां को वही खरीदने के लिए बोले,,,

संध्या पेंटी को उठाकर देखते समय यही सोच रही थी कि काश उसका बेटा उसके पास आकर उसे पेंटी खरीदने में मदद करें,,,अपनी मां को इस तरह से पेंटी खरीदते हुए देखकर सोनू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,, पेंट के अंदर उसका लंड धीरे-धीरे अपनी औकात दिखाने लगा,,,,वहां पर दूसरा कोई कस्टमर नहीं था इसलिए सोनू की इच्छा नहीं हो रही थी कि वह अपनी मां के पास चला जाए,,,, तभी जैसे उसके मन की बात भगवान ने सुन लिया हो और संध्या उसे आवाज देकर अपने पास बुलाने लगी,,,, सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा हालांकि वह अपनी मां के करीब जाने से अपने आप को रोक नहीं पाया और वह अगले ही पल अपनी मां के पास पहुंच गया,,,।
 

rohnny4545

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सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था,,, उसकी मां एक लाल रंग की पैंटी को अपने हाथ में लेकर उसे घुमा घुमा कर अपनी नाजुक उंगलीयो से उसकी नरमाहट को महसूस कर रही थी,,,, एक बेटे के लिए इस तरह का नजारा बेहद अद्भुत और मादकता भरा था। और होता भी क्यों नहीं क्योंकि अक्सर औरतें अपने बेटे तो क्या किसी भी मर्द के सामने इस तरह से खुले तौर पर पेंटिं हाथ में लेकर उसका जायजा नहीं करती,,, क्योंकि औरतों के हाथ में पेंटी देखते हीहर मर्दों के दिमाग में यही कल्पना घूमने लगती है कि पेंटी पहनते समय यह औरत किस तरह से दिखती होगी,,, या पेंटी पहनने के बाद यह कैसी दिखेगी,,,, और यही हाल सोनू का भी था अपनी मां के हाथ में लाल पेंटिं को देखकर करे उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, संध्या जी थोड़ा बेशर्म बन जाना चाहती थी क्योंकि उसे धीरे-धीरे एहसास होने लगा था कि बेशर्म बनने में ही बहुत मजा है क्योंकि आज तक उसने अपने बेटे के सामने इस तरह की हरकत नहीं की थी लेकिन इस तरह की हरकत करते हुए उसे अद्भुत एहसास हो रहा था उसके तन बदन में हलचल सी मची हुई खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी पतली सी मखमली दरार के अंदर उत्तेजना भरी चींटियां रेंग रही थी,,, वह अपने बेटे को अपने हाथ में ली हुई लाल रंग की पैंटी को दिखाते हुए बोली,,,,,।

यह कैसी लग रही है सोनू,,,,

अच्छी ही है मम्मी,,,,(सोनू शर्म के मारे इधर-उधर नजरें घुमाते हुए बोला,,,,)

अरे ठीक से देख कर बताना ईधर उधर क्या देख रहा है,,,।
(संध्या अपने बेटे की तरह हसरत भरी निगाहों से देखते हुए बोली,,,)


मम्मी मुझे यह खरीदने का कोई अनुभव नहीं है,,,,।


अरे अनुभव नहीं है लेकिन देखा तो होगा,,,,
(संध्या अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली अपनी मां की कही गई बात का मतलब समझते ही सोनू का लंड टन टनाने लगा,,,, संध्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) ले हाथ में लेकर देख अच्छी तो है ना,,, तो फिर क्या है ना कि पहनने के बाद अजीब सी लगती है,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था अपनी मां की बात मानते हुए सोनू अपना हाथ बढ़ा कर अपनी मां के हाथ में सेना ने लड़की पहनती को अपने हाथ में ले लिया और वह भी अपनी मां के सामने लगभग घबराते हुए इधर-उधर करके पेंटी को चारों तरफ से देखने लगा,,, और धीरे से बोला,,,)

मम्मी मेरी मानो तो,,,,( इतना कहने के साथ सोनू अपना हाथ आगे बढ़ाकर एक हल्की गुलाबी रंग की पैंटी को उठा लिया जो की पूरी तरह से जालीदार थी और बेहद मुलायम उसे हाथ में लेते हुए बोला,,,) यह वाला ले लो यह आप पर बहुत अच्छी लगेगी,,,,
(सोनू की हालत खराब हो रही थी लेकिन संध्या का भी कम बुरा हाल नहीं था अपने बेटे की बात सुनकर उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था उसकी बुर में से तो मदन रस का बहाव हो रहा था,,, संध्या अपने बेटे के हाथ में से पेंटी को लेते हुए बोली,,,)
सोनू यह तो पूरा जालीदार है इसे पहनने के बाद छुपाने लायक कुछ भी नहीं रहेगा सब कुछ तो नजर आएगा,,,
(अपनी मां के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सोनू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या करें पैंट के अंदर लंड बगावत पर उतर आया था,,,)

मम्मी ईसे तो अंदर पहनना है ना आप पर अच्छी लगेगी इसलिए कह रहा हूं,,,,(सोनू शर्माते हुए बोला,,,)

अच्छी तो लगेगी बेटा लेकिन मुझे शर्म आ रही है इसे पहनने के बाद अगर तेरे पापा देखेंगे तो क्या कहेंगे,,,।


कुछ नहीं कहेंगे पापा वह तो खुश हो जाएंगे,,,,
(संध्या अपने बेटे के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ रही थी अपने बेटे कि ईस तरह की बातें उसके बदन में सिरहन सी दौडा दे रही थी,,,)

चल कोई बात नहीं तू कहे तो मैं ले लेती हूं मैं भी तो देखूं इस तरह की पेंटी पहनने के बाद कैसा लगता है,,,।

अच्छा ही लगेगा मम्मी,,,,

(संध्या का बुरा हाल था दिल जोरों से धड़क रहा था पैर थरथरा रहे थे,,, बुर बार-बार पसीज रही थी,,, तभी संध्या हाथ बढ़ाकर एक दूसरी पेंटी उठा ली और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर देखने लगी तभी सोनु उस पेंटी को देखकर बोला,,)


के सही नहीं है मम्मी यह आपके लिए छोटी है,,,
(सोनू की बातें सुनकर संध्या यह जानने के लिए कि किस लिए छोटी है वह बोली,,,)

मुझे तो ठीक लग रही है सोनू,,,


नहीं मम्मी यह सही नही है इसका साइज ठीक नहीं है,,,


ऐसा क्यों मुझे तो ठीक लग रही है मुझे एकदम फिट आएगी,,,,।


आपके साइज के हिसाब से यह पहनती आपके लिए छोटी पड़ेगी क्योंकि आपकी बड़ी बड़ी है,,,।


बड़ी-बड़ी क्या बड़ी-बड़ी है,,,(संध्या उसी तरह से दोनों हाथों में पैंटी पकड़ कर उठाए हुए आश्चर्य से सोनू की तरफ देखती हुई बोली,,,)

ककककक,,, कुछ नहीं मम्मी लेकिन यह छोटी है,,,।

लेकिन तू कुछ बोल रहा था ना बड़ी बड़ी है क्या बड़ी बड़ी है,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर सोनू को शर्म महसूस हो रही थी अब वह कैसे कह दे कि तुम्हारी गांड बड़ी बड़ी है लेकिन फिर भी अपनी मां की जीद को देखते हुए वह बोला,,,)

अब कैसे कहूं मम्मी की तुम्हारी,,,,वो,,,(अपने हाथ से अपनी मां की गांड की तरफ इशारा करते हुए और अपने दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाकर बालों बड़ा तरबूज पकड़ा हो इस तरह से हाथ करके बोला) बड़ी-बड़ी है इसे पहनते ही पेंटी फट जाएंगी,,,,(सोनू एकदम से शर्माते हुए बोला..लेकिन संध्या जानबूझकर सहज बनी रही वह ऐसी कोई भी बात या हरकत नहीं करना चाहती थी ताकि उसके बेटे को ऐसा लगे कि उसकी बात सुनकर उसे बुरा लगा है वह ऐसा ही जताना चाहती थी कि सब कुछ बिल्कुल सामान्य है इसलिए अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,)

ठीक है तू कहता है तो मैं इसे नहीं लेती हूं,,, लेकिन एक काम कर तू ही जल्दी जल्दी से तो 3 पेंटी मेरे लिए पसंद करके दे दे,,,,।
(अपनी मां की बात सुनते हैं सोनू भी बिल्कुल देर किए बिना ही पहले से ही अपनी नजर में रखी हुई पेंटी को उठाकर अपनी मां की तरफ आगे बढ़ा दिया,,,तब तक तो कॉलेज की लड़कियां जो कि एकदम पास में खड़ी थी और अभी अभी आई थी वह दोनों की हरकत को देख रही थी और जिस तरह से सोनू तीन पेंटी उठाकर अपनी मां की तरह बाकी पढ़ाया था उसे देखकर वह लड़की आपस में फुसफुसाते हुए अपनी सहेली से बोली,,,)

हाय ,,,,, देख तो सही,,, आंटी ने कितना मस्त लड़का फसाया है जो कि खुद पेंटी खरीद कर दे रहा है और वोभी अपने पसंद की,,,

अरे सच में आंटी एकदम नसीब वाली है जो उन्हें इतना जवान लड़का मिला है लवर के रूप में,,,
(उन लड़कियों की बात संध्या के कानों में पड़ गई थी और सोनू भी उन लड़कियों की बात सुन रहा था और लड़कियों की बात सुनकर सोनू का दिल जोर जोर से धड़कने लगा था,,, लेकिन वह जानबूझकर उन लड़कियों की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और अपनी मस्ती में मस्त रहने का नाटक कर रहा था संध्या तो उन लड़कियों की बात सुनकर फूले नहीं समा रही थी,,, संध्या को ऊन जवान लड़कियों की बातें अच्छी लग रही थी,,, तभी एक लड़की अपनी सहेली के कान में बोली,,,)
देख तो सही लड़के को आंटी के गांड का साइज एकदम परफेक्ट मालूम है तभी तो देख एक झटके में तीन पेंटिंग निकाल कर दे दिया,,,।

मालूम क्यों नहीं होगा रात दिन मजे ले रहा होगा तो साइज क्यों नहीं मालूम होगी और वैसे भी लड़कों को तो,,, ईनकी जैसी औरतें ही पसंद आती है,,।

(संध्या की हालत खराब हो गई थी रात दिन मजे लेने वाली बात सुनकर तो उसकी हालत खराब होने लगी उसकी सांसों की गति तेज होने लगी हालांकि वह लड़कियां भी पेंटी को उलट पलट कर देख रही थी लेकिन बातों का केंद्र संध्या और सोनू पर ही टिका हुआ था,,, सोनू भी उन लड़कियों की बातें सुनकर मस्त हुआ जा रहा था तभी उनमें से एक लड़की बोली)

सच कहूं तो लड़कों को इस उम्र की औरतें ही पसंद है और वह भी शादीशुदा एकदम मजा आ जाता है लड़कों को,,, देख नहीं रही है आंटी की चुची कितनी बड़ी बड़ी और गोल गोल है,,, साला दबा दबा कर मजा लेता होगा और पिता भी होगा आंटी को तो मजा आ जाता होगा जवान लवर पाकर,,,
(यह बात सुनकर सोनू और संध्या दोनों के होश उड़ने लगे दोनों की बातें संध्या और सोनू के तन बदन में आग लगा रही थी,,,)

अच्छा एक बात बताओ तुझे तो इन सब में ज्यादा अनुभव सच सच बताना यह लड़का इस आंटी की दिन में कितनी बार लेता होगा,,,

ऊममममम,,, सच कहूं तो लड़के का बदन बेहद गठीला और कसरती है,,,, साला आंटी को चोद चोद कर थकता नहीं होगा,,, 1 दिन में कम से कम यह 5 बार तो जरूर इस आंटी को अपने लंड की सवारी कराता होगा,,,।
(अब तो संध्या की हालत एकदम से खराब हो गई उत्तेजना के मारे उसकी बुर में से बदल रस की दो बूंद पेंटी के अंदर टपक गई,,, और उत्तेजना के मारे सोनू का लंड उबाल मार रहा था,,, धीरे-धीरे दो चार लड़कियां और इकट्ठा होने लगी वह भी ब्रा और पेंटी लेने आई थी इसलिए अब संध्या का वहां ज्यादा देर तक खड़े रहना ठीक नहीं था लेकिन उन लड़कियों की बातें सुनने के चक्कर में उसने एक पेंट और पसंद कर ली और 5 पेंटी लेकर वह दूसरे कोने पर जाकर अपने लिए ब्रा पसंद करने लगी,,,जिसे खरीदने में सोनू भी अपनी मां की मदद कर रहा था लेकिन ब्रा की सही साइज उसे बिल्कुल भी नहीं मालूम थी,,,लेकिन इतना व जरूर जानता था कि उसकी मां की दोनों चूचियां खरबूजे के साइज की थी,,,,

संध्या अपने लिए ब्रा और पेंटी खरीद कर काउंटर पर बिल बनवाने लगी,,,,,सोनू को इस समय अपनी मां के साथ साथ खड़ा रहने में शर्म भी महसूस हो रही थी और गर्व भी महसूस हो रहा था क्योंकि यहां पर लोग उन दोनों को प्रेमी प्रेमिका के जोड़ी के रूप में देख रहे थे,,,,और शायद संध्या से उन लड़कियों को जलन भी हो रही थी क्योंकि संध्या इस उम्र में भी बेहद खूबसूरत और गठीले बदन की मालकिन थी शायद संध्या की गर्म जवानी के आगे उन लड़कियों की जवानी पानी भरने पर मजबूर नजर आ रही,, थी,,। जल्दी-जल्दी सोनू और उसकी मां उतर कर नीचे आ गई और एक रेस्टोरेंट में चले गए जो कि मॉल में ही बना हुआ था,,,।

दूसरी तरफ शगुन अपने लिए खाना गर्म कर रही थी दोपहर की चिलचिलाती गर्मी में छोटा सा फ्रॉक शगुन को राहत दे रहा था,,, राहत फ्रॉक के अंदर सिर्फ अपनी पेंटी पहनी हुई थी बाकी उसने ब्रा नहीं पहनी थी जिसकी वजह से रोकने से उसकी गोल-गोल संतरे एकदम साफ नजर आ रहे थे कोई भी इस समय आने वाला नहीं था इसलिए वह निश्चित थी,,। खाना गरम करने के बाद वह अपने लिए एक थाली में परोस कर रसोई घर से बाहर आ गई और डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना खाने लगी,,, वह पूरी तरह से निश्चिंत हो चुकी थी खाना खाने में एकदम मशगूल,,, तभी डोर बेल बजने लगी,,, तो पूरी तरह से बे फ़िक्र थी एक हाथ में मोबाइल चलाते हुए वह खाना खा रही थी डोरबेल बजते ही ऊसका ध्यान दरवाजे पर गया,,, पर वह तुरंत कुर्सी पर से उठी और दरवाजा खोलने के लिए चली गई,,,,वह पूरी तरह से भूल चुकी थी कि इस समय वह अपने बदन पर कौन से कपड़े डाली हुई है उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ कि वह छोटी सी ड्रेस के अंदर केवल एक पेंटी पहनी हुई है और उस ड्रेस में से उसके बदन का हर एक हीस्सा ,,हर एक कोना कोना बदन का हर एक कटाव साफ नजर आ रहा है,,, मैं तुरंत दरवाजा खोल दी और दरवाजे पर उसके पापा से अपने पापा को देखते ही वह खुश होते हुए बोली,,,।

पापा आप इस समय,,,,,
(लेकिन संजय का तो सगुन की बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसकी नजरें शगुन के बदन पर टिकी हुई थी,,, क्योंकि संजय को शगुन के बदन का हर एक अंग साफ नजर आ रहा था,,, वह शगुन को बड़े गौर से ऊपर से नीचे तक देख रहा था छोटी सी ड्रेस थी जो कि बड़ी मुश्किल से जांघों तक पहुंच रही थी,,,। मोटी मोटी चिकनी जांघें देख कर संजय के होश उड़ रहे थे,,, तभी संजय की नजर पारदर्शी फ्रॉक में से झांक रहे अपनी बेटी के दोनों संतरो पर पड़ी तो वह उन्हें प्यासी नजरों से देखता ही रह गया,,, संजय को इस बात का एहसास हो गया कि उसकी बेटी फ्रॉक के अंदर केवल पेंटी पहनी हुई है,,, अपनी बेटी की हालत को देखकर संजय का लंड एकदम से खड़ा हो गया,,,शगुन को इस बात का एहसास हो गया कि वह किस हालत में अपने बाप के सामने खड़ी है वो एकदम से शर्मसार हो गई और बिना कुछ बोले वहां से भागते हुए अपने कमरे में चली गई,,,, संजय भी जैसे होश में आया हूं वो एकदम से शर्म के मारे अपनी नजरों को नीचे कर लिया और दरवाजा बंद करके एक कुर्सी पर बैठ गया,,,,
 
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