सोनू का दिन अच्छा तो था ही लेकिन बड़ी बेचैनी में बीत रहा थारात दिन उसकी आंखों के सामने उसकी मां का खूबसूरत बदन घूमता रहता था अब तो जब से वह अपनी बड़ी बहन की खूबसूरत नंगी गांड को देखा था तब से और मदहोश और बदहवास होता जा रहा था,,,,अब सोनू का आकर्षण दोनों तरफ था एक तो अपनी मां की तरफ और दूसरा अपनी बड़ी बहन की तरफ,,, दोनों मदहोश कर देने वाली जवानी से भरी हुई थी दोनों की जवानी उफान मार रही थी,,, जो हाल सोनू का था वहीं हाल संध्या का भी था अपने बेटै से जिस तरह से बातें की थी उन बातों के बारे में सोच सोच कर ही उसकी टांगों के बीच हलचल होना शुरू हो जाती थी,,,। और शगुन के दिल में तो अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे और उन ख्यालों को लेकर वह काफी उत्साहित थी,, उसे इस बात का पक्का यकीन था कि,, उसकी गर्म जवानी देख कर उसका भाई जरूर पिघल गया होगा जैसे उसके पापा उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित हो चुके थे उसी तरह से उसका भाई भी उसकी तरफ आकर्षित होता जा रहा है,,,,।
शगुन कैंटीन में बैठी हुई थी अपनी सहेली प्रीति के साथ,,, दोनों कॉफी की चुस्कीयों का आनंद ले रहे थे लेकिन सगुन के मन में ढेर सारे सवाल उठ रहे थे,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि प्रीति से किस तरह से बात करने की शुरुआत की जाए क्योंकि वह इस तरह की बातें करना चाहती थी उस तरह की बात ऊसने आज तक कभी नहीं की थी,,,, लेकिन फिर भी वह हिम्मत करके बोली,,,।
प्रीति क्या अभी भी तू अपने बॉयफ्रेंड के साथ मिलती है,,,।
अफकोर्श,,,, अभी भी उससे रोज मिलती हुं,,,लेकिन तु ऐसा क्यों पूछ रही है कहीं ऐसा तो नहीं कि तुझे भी बॉयफ्रेंड चाहिए,,,,,,,
नहीं नहीं ऐसे ही पूछ रही हूं,,,,
नहीं ऐसे तो तू नहीं पूछ रही है कहीं ऐसा तो नहीं कि,,,तेरी बुर में भी खुजली हो रही है और तू से मिटाना चाहती है इसीलिए बोयफ्रेंड ढूंढ रही है,,,, अगर ऐसा है तो सगुन में तेरे लिए इंतजाम कर दूंगी,,,,,(प्रीति सबकी नजरें बचाकर धीरे धीरे इस तरह की बातें कर रही थी ताकि कोई सुन ना ले शगुन प्रीति की बात सुनकर उसे डांटते हुए बोली।।)
पागल हो गई है क्या तू इस तरह से बातें करती है तुझे शर्म नहीं आती,,,,।
आती है मेरी जान लेकिन क्या करूं जो भगवान ने अपने दोनों टांगों के बीच जो पतली सी दरार बनाई है ना वो बेशर्म कर देती है और कुछ भी करने के लिए मजबूर कर देती है,,,।
(प्रीति की बातें सुनकर शगुन का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, उसके तन बदन में कुछ-कुछ हो रहा था,,,, प्रीति अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,) मेरी जान तुझे भी मजबूर कर देती होगी तेरी बुर,,,,
प्रीति थोड़ा तो शर्म कर,,,, हम कैंटीन में है कोई सुन लिया तो हम दोनों के बारे में क्या सोचेगा ,,,,।
क्या सोचेगा,,,,घर पर जाकर अपनी बीवी या अपनी गर्लफ्रेंड को चोदेगा ,,,,अगर कोई जुगाड़ नहीं मिला तो हम दोनों के बारे में सोच सोच कर अपना लंड हीलाता रहेगा,,, और क्या करेगा इससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकता,,,।
तुझे बहुत ज्ञान है इन सब मामलों में जैसे कि तू सब कुछ जानती है,,,,।(शगुन प्रीति के मुंह से और भी बातें सुनना चाहती है इसीलिए उसे ऊकसाते हुए बोली,,,)
तू शायद भूल कर रही है मेरे पास बॉयफ्रेंड है,,,, और एक मर्द के हाल को एक मर्द अच्छी तरह से समझ सकता है मेरा बॉयफ्रेंड मुझे सब कुछ बताता है,,,,। शगुनहम औरतों के पास वह है ना जिससे हम सारे मर्द को अपना गुलाम बना सकते हैं,,,, मर्दों के लिए औरत दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज है,,,, बस औरत को अपने अंगों का सही इस्तेमाल करने आना चाहिए,,,,।
मैं कुछ समझी नहीं,,,(प्रीति की बात को ध्यान से सुनने के बाद शगुन बोली)
तु डॉक्टर बन कर भी क्या उखाड़ लेगी,,, जब मर्दों को ही अच्छी तरह से नहीं समझ पाएगी तो,,,, अरे पागल भगवान ने जो हमको दोनों चूचियां दीए है ना,,, जानती है यह सिर्फ बच्चों को दूध पिलाने के लिए नहीं बल्कि मर्दों को रिझाने के लिए भी है,,, मर्दों की नजर जब हम जैसी लड़कीयों के बड़े बड़े दूध पर पड़ती है तो पागल हो जाते उन्हें दबाने के लिए नियमों में भरकर पीने के लिए वह पागल हो जाते हैं तड़प उठते हैं,,,,(शगुन बड़े ध्यान से प्रीति की बातें सुन रही थी और उसे प्रीति की बातें अच्छी भी लग रही थी,,,, प्रीति अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली) और तो और मर्दों की नजर औरतों के अंगों पर सबसे पहले बड़ी-बड़ी चूची यां बड़ी बड़ी गांड पर ही जाती है,,,, और सच कहूं तो शगुन मर्द जितना हम औरतों की लड़कियों की गांड देखकर मस्त होते हैं इतना शायद मजा उन्हें और किसी चीज में नहीं आता,,,, यह तो हम लोगों को कपड़ों में देखकर इतना उत्तेजित होते हैं अगर बिना कपड़ों के देख ले तो शायद इनका पानी ही छूट जाए,,,,,
(शगुन एकदम गरम हो चुकी थी प्रीति के इस तरह की गंदी खुली बातें उसके दिमाग में हथोड़े चला रहे थे,,, शगुन अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई तो उसकी नंगी गांड को देख चुका है तभी शायद वह इतना व्याकुल हो गया है उसके पापा ने थे अब तक उसके नंगी गांड उसके नंगे बदन को ठीक तरह से देखना भी नहीं है फिर भी उनका हाल एकदम बेहाल है,,,, शगुन प्रीति की बातों को सुन ही रही थी कि प्रीति अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) सच कहूं तो शगुन हमें अपनी खूबसूरत बदन का सही इस्तेमाल करके अपना काम निकालना चाहिए वह चाहे जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए हो या फिर अपनी प्यास बुझाने के लिए मैं तो दोनों तरीके से अपनी खूबसूरती का सही उपयोग करती हूं और शगुन तू तो मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत है एकदम चिकनी है,,, तेरे छातियों पर लटकते खरबूजे और तेरी मदमस्त तरबुजे जैसी गांड मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत है तू चाहे तो किसी भी मर्द को अपना गुलाम बना सकती है,,,।(प्रीति की बात सुनकर शगुन के चेहरे पर शर्म की लालीमा छाने लगी,,,और प्रीति की बातों को सुनकर उसे अपनी खूबसूरती पर और अपने अंगों पर गर्व होने लगा,,, दोनों की बातचीत आगे बढ़ती ईससे पहले ही,,,, लेक्चर का समय हो गया और वह दोनों कैंटीन से बाहर आ गई लेकिन प्रीति की बातों ने शगुन के हौसलों में जैसे जान डाल दिया हो,,, उसके जवानी के पंख फड़फड़ाने के लिए मचल रहे थे शगुन की एक-एक बात उसके जेहन में फिर बैठती चली जा रही थी,,,प्रीति की बातों को सुनकर उसे पक्का यकीन हो गया था कि अगर वह चाहे तो अपने बाप और अपने भाई दोनों को अपना दीवाना और गुलाम दोनों बना सकती है और जिस तरह से उसके साथ वाक्या होता आ रहा था उससे उसकी जवानी पानी मांग रही थी,,,, वह भी प्रीति की तरह मजा लेना चाहती थी,,,, यही सब ख्याल उसके मन में आ रहे थे,,,,।
संध्या की जवानी और खिलने लगी थी तड़प बढ़ती जा रही थी संजय के मुसल से वह पूरी तरह से संतुष्ट थी,,, लेकिन फिर भी अपने बेटे और अपने बेटे के लंड को लेकर वह काफी उत्सुक थी,,,मोटरसाइकिल पर बैठकर अपने आप को संभालने की कोशिश करते हुए अनजाने में ही पेंट के ऊपर से ही आए लंड को अपने हाथ में पकड़ कर जिस तरह की गर्माहट का अनुभव अपने बदन में की थी उसे याद करके अभी भी उसके बदन में सिहरन सी दौड़ ऊठती थी,,।
अपने बेटे से दो अर्थों में बात किए हुए लगभग 1 सप्ताह बीत चुका था वह बाथरूम में नहाने के लिए गई हुई थी और धीरे-धीरे करके अपने सारे कपड़े उतार रही थी लेकिन जब वह अपनी पैंटी को उतारी तो उसे अपनी पैंटी थोड़ी सी फटी हुई नजर आई,,, संध्या की यह आदत थी कि वह फटे हुए कपड़े कभी नहीं पहनती थी,,,। अपनी पेंटी में हुए छेद को देखकर उसे बुरा लग रहा था इसलिए वह आज ही नहीं पेंटी खरीदना चाहती थी,, वह जल्दी से नहा ली और केवल टावर लपेटकर बाथरूम से बाहर आ गई वैसे तो बाथरूम कमरे हीं था इसलिए कोई दिक्कत नहीं थी,,,। वह कमरे में इधर से उधर अपने कपड़े ढूंढने के लिए घूमने लगी और दूसरी तरफ सोनू को भूख लगी हुई थी और अपनी मां को ना पाकर वह उसे बुलाने के लिए उसके कमरे की तरफ जाने लगा,,,, धीरे-धीरे सोनू अपनी मां के कमरे के ठीक सामने पहुंच गया कमरे के बाहर खड़े होकर दरवाजे को देखते हैं उसे समझ में आ गया कि दरवाजा अंदर से लॉक नहीं था,, उसे जोरों की भूख लगी हुई थी इसलिए वह बीना दरवाजे पर दस्तक दिए,,, दरवाजा खोल कर उसके मुंह से केवल इतना ही निकल पाया,,,,
म,,,,,,,,(एकाएक दरवाजा खुलने की वजह से संध्या के हाथों से टावल छुट कर तुरंत नीचे गिर गया,,, और जो नजारा सोनू की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर वह आवाक रह गया,,, उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,, उसकी आंखों के सामने उसकी खूबसूरत मम्मी एकदम नंगी हो चुकी थी,,, एकदम नंगी मादरजात,,, बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था और वह भी बाथरूम से निकलने की वजह से पूरी तरह से भीगा हुआ बदन,,, होश उड़ा दे ऐसा खूबसूरत जिस्म,,,, गोरी गोरी भीगे बदन पर से पानी की बूंदे मोती के दाने की तरह से फिसल रही थी,,, भीगे हुए रेशमी बालों के गुच्छे में से पानी की बूंदे ऐसे टपक रही थी मानो किसी अद्भुत झरने से पानी का रिसाव हो रहा हो,,,जिंदगी में सोनू ने कभी इस तरह कतरी से नहीं देखा था और ना ही इस तरह के दृश्य की कभी कल्पना की थी एक लड़का होने के नाते उसने मोबाइल में कभी कबार पोर्न मूवी देख चुका था लेकिन जिस तरह से उस में नंगी औरतें खूबसूरत नजर आती थी उससे भी कहीं ज्यादा खूबसूरत इस समय उसकी मां नजर आ रही थी,,, संध्या को इस बात का अहसास तक नहीं था कि उसने दरवाजा खुला छोड़ रखी है इसीलिए तो जैसे ही भड़ाक की आवाज के साथदरवाजा खुला वैसे ही उसके यहां से टावल छुट कर नीचे गिर गई और वह अपने बेटे के सामने एकदम नंगी हो गई,,,,,, कुछ पल के लिए तो वह भी कुछ समझ में नहीं पाई कि क्या हो रहा है उसे क्या करना चाहिए,,,और वह कुछ पल तक अपने बेटे के सामने उसी अवस्था में एकदम नंगी खड़ी रह गई मानो कि अपने बेटे को अपने जिस्म का हर एक कोना दिखाना चाहती हो,,अब तो कुछ नहीं अपने हाथों से भी अपनी खूबसूरत बेशकीमती आंखों को छुपाने की कोशिश तक नहीं की थी लेकिन जैसे ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि उसके बेटे की आंखों के सामने वह एकदम नंगी खड़ी है तो वह शर्म के मारे तुरंत नीचे झुक कर वापस टावल उठा लिया और उसे तुरंत अपने बदन पर लपेट ली,,, लेकिन अफरा-तफरी में जल्दबाजी दिखाते हुए वहां टावर को अपनी छाती के ऊपर तक लपेट ली जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार को छुपाने में टावल नीचे से छोटी पड़ गई,,, और सोनू की नजर अपनी मां की दोनों टांगों के बीच चली गई,,,,सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी हालत खराब होने लगी हालांकि इतनी दूर से वह अपनी मां की रसीली बुर को ठीक से देख नहीं पा रहा था लेकिन उसे इस बात का अहसास था कि दोनों टांगो के बीच दुनिया की सबसे खूबसूरत अंग छिपा हुआ है,,,, इस एहसास सेवा पूरी तरह से मदहोश हो गया उसके पेंट में तुरंत तंबू सा बन गया,,,,, वह अभी भी दरवाजा पकड़कर दरवाजे पर ही खड़ा था अंदर आने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी और ना ही उसके मुंह से कुछ शब्द फुट पा रहे थे वह पूरी तरह से निशब्द हो चुका था,,,, हालात को पूरी तरह से संभालते हुए उसकी मा ही बोली,,,।
ततततत,, तू किस लिए आए हो,,,,(अपनी मां की आवाज कानों में पड़ते ही जैसे उसे होश आया हूं और वह भी हकलाते हुए बोला,,,)
ममममम,,,, मम्मी मुझे भूख लगी है,,,,।
भूख लगी है तो किचन में जाना चाहिए था ना बेटा,,,,
मम्मी आप तो जानते हो कि मैं अपने हाथ से खाना निकालकर कभी नहीं खाता,,।
मैं जानती हूं बेटा लेकिन तुम्हें अंदर आने से पहले दरवाजे पर नोकक तो करना चाहिए था,,,।(संध्या अभी भी नहीं समझ पाई थी कि उसकी टावर उसकी जांघों तक नहीं बल्कि कमर के ऊपर तक है थी जिससे उसके बेटे की नजर अभी भी उसकी दोनों टांगों के बीच ही थी,,,)
सॉरी मम्मी मुझे नहीं मालूम था कि आप इस हालत,,,,,(इतना कहकर वह चुप हो गया)
ठीक है तुम चलो मैं आती हूं,,,,
(अपनी मां की यह बातें सुनकर सोनू की जाने की तो इच्छा नहीं हो रही थी क्योंकि उसकी नजरें अभी भी अपनी मां की दोनों टांगों के बीच टिकी हुई थी इसी ताक में था कि उसे उसकी मां की बेहतरीन खूबसूरत बुर अच्छे से नजर आ जाए,,, लेकिन मोटी चिकनी मांसल जांघों के आपस में रगड़ खाने की वजह से उसकी बुर ठीक से दिखाई नहीं दे रही थी,,,, इसलिए सोनू मन मसोसकर अपनी मां को जल्दी से आने के लिए बोल कर चला गया ,,,, लेकिन जाते-जाते आखिरी बार अपनी मां की दोनों टांगों के बीच नजर घुमाकर दरवाजा बंद करके चला गया,,,इस बार संध्या उसकी नजरों को भांप गई और जैसे ही वह अपनी नजर नीचे करके देखी तो वह एकदम से दंग रह गई कमर के नीचे से वह पूरी तरह से नंगी थी और उसकी बुर साफ नजर आ रही थी ,,,अपने बेटे की नजरों और अपनी स्थिति का अहसास होते ही वह शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा उसकी बुर को देख रहा था,,,, अजीब सी,, हलचल उसके तन बदन में फैलती चली जा रही थी,,,,, उसके चेहरे पर शर्म की लाली छाने लगी,,,,,,, उसे अपनी बुर से अमृत धारा का रिसाव होता हुआ महसूस हो रहा था,,,, जिंदगी में सोनू दूसरा मर्द था जो उसे नंगी देख रहा था,,,, और इसी एहसास से लेकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी और वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी उसे ना जाने क्यों अच्छा ही लग रहा था कि अच्छा हुआ उसके बेटे ने उसे नंगी देख लिया,,, संध्या जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी,,, नीचे सोनू उसका बेसब्री से इंतजार कर रहा था उसकी आंखों के सामने बार-बार उसकी मां का नंगा बदन घूम जा रहा था जिंदगी में पहली बार वह किसी औरत को साक्षात नंगी देखा था और अभी किसी दूसरी औरत को नहीं बल्कि अपनी मां को अपनी मां की खूबसूरती और नंगे बदन को देख कर उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां वास्तव में दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत है जिसे पाने के लिए भोगने के लिए दुनिया का हर मर्द मचलता रहता है,,, अपनी मां के बारे में सोच कर सोनु उत्तेजित हुआ जा रहा था,,, उसका लंड पैंट के अंदर गदर मचाया हुआ था,,,सोनू का बस चलता तो वह कमरे में प्रवेश करके दरवाजा अपने हाथों से बंद करके अपनी मां की चुदाई कर दिया होता लेकिन ऐसा करने की हिम्मत अभी उसमें बिल्कुल भी नहीं थी,,,,।
थोड़ी ही देर में संध्या सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए उसे नजर आई पीले रंग की साड़ी में वह बेहद खूबसूरत लग रही थी बाल अभी भी गीले ही थे वह सज धज कर नहीं बल्कि सिर्फ कपड़े पहन कर आई थी,,,,और अपने बेटे की तरफ देख कर हल्की सी स्माइल देकर किचन में चली गई,,,, सोनू अपनी मां को देखकर हैरान था उसे लगा था कि उसकी मां उसे गुस्से में देखेगी उससे बात तक नहीं करेगी लेकिन उसके होठों पर आई मुस्कुराहट देखकर सोनू को राहत महसूस होने लगी उसे लगने लगा कि जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में ही हुआ था इस बात का एहसास उसकी मां को अच्छी तरह से है,,। थोड़ी ही देर में थाली में खाना परोस कर संध्या किचन से बाहर आ गई और डाइनिंग टेबल पर परोसी हुई थाली रखते हुए बोली,,,,।
इतनी भूख लगी थी कि सीधा कमरे में घुस आया यह भी नहीं सोचा कि किस हालत में होंऊगी ,,,।
मम्मी आप आप मुझे शर्मिंदा कर रही है अगर पता होता तो मैं कभी भूलकर भी कमरे में नहीं आता मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था,,,(सोनू नजरे नीचे झुकाए हुए ही बोला)
चलो कोई बात नहीं आइंदा से याद रखना,,,,( अपने बेटे के सर पर हाथ रखकर उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए बोली,,,, संध्या अपनी बेटे के मन में उसके द्वारा की गई अनजाने में हरकत की वजह से घृणा पैदा नहीं करना चाहती थी इसलिए वह उसे सामान्य बनाए रखना चाहती थी ताकि इस तरह की गलती वह दोबारा भी करें क्योंकि अपने बेटे की इस गलती की वजह से उसके तन बदन में जो आग लगी थी उसी से उसके तन बदन में उत्तेजना की मीठी लहर दौड़ने लगी थी,,,अपनी मां का बर्ताव देखकर सोनू को भी अच्छा लगा और वह खाना खाने लगा,,, संध्या वही उसके पास कुर्सी खींचकर बैठ गई,,,,, और बोली,,,)
अब जल्दी से खाना खाले हमें बाहर जाना है,,,,।
बाहर कहां,,,?
अरे बाजार जाना है कुछ कपड़े खरीदने हैं,,,,
कैसे कपड़े मम्मी आपके पास तो ढेर सारे कपड़े है,,,(निवाला मुंह में डालते हुए बोला,,)
अरे जरूरी है की ढेर सारे कपड़े हो तो कपड़े ना खरीदा जाए,,,, तु सिर्फ चुपचाप खाना खाकर मेरे साथ चल,,,,।
(इतना सुनकर वहां कुछ बोला नहीं और खाना खाने लगा संध्या उठकर अपने बाल को संवारने के लिए चली गई,,, थोड़ी ही देर में सोनू खाना खा लिया संध्या तैयार होकर नीचे आ गई वह दोनों,,, जाने ही वाले थे कि,,, डोर बेल बजने लगी और सोनू जाकर दरवाजा खोला तो सामने शगुन खड़ी थी,,, शगुन को देखते ही सोनू की आंखों के सामने शगुन की नंगी गांड नाचने लगी,,, सोनू अभी भी शर्म के मारे उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था,,, और सोनू को इधर-उधर अपनी नजरें बचाता देखकर शगुन को इस बात का एहसास हो गया था कि उस दिन के वाक्य को लेकर सोनू उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा है और वह अंदर ही अंदर खुश हो रही थी,,,। वह बिना कुछ बोले घर में आ गई और अपनी मां को तैयार हुआ देखकर बोली,,,।)
कहीं जा रहे हो क्या मम्मी,,,,
हां बेटा थोड़ा बाजार जाना था,,,
मैं भी चलूं क्या मम्मी,,,,।
नहीं बेटा तुम यहीं रहो अगर तुम्हारे पापा आ गए तो उन्हें खाना देना होगा,,,,
ठीक है मम्मी में यहीं रुक जाती हुं,,,(इतना कहकर वह अपना बैग कुर्सी पर रख दी वैसे तो संध्या शगुन को अपने साथ ले जा सकती थी लेकिन वह अपने बेटे के साथ अकेले ही जाना चाहती थी क्योंकि उसे पेंटी खरीदनी थी और वह भी अपने बेटे की आंखों के सामने,,,, इसलिए बहाना बनाकर सब उनको घर पर ही रुकने के लिए बोली थोड़ी ही देर में दोनों घर से बाहर निकल गए,,,।