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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ८५

तब देवायत उपरसे हट गया तो लंड फचच.. आवाजके साथ नीकल गया तब चंपाभाभी खुब सरमाइ ओर जटसे अपनी चुतपे अपनी चडी रखदी ओर चुत साफ करने लगी.. फीर देवायतका लंड पकडकर उसेभी साफ करने लगी.. ओर दोनोने अपने कपडे पहेन लीये तब देवायतने उनको घरके खर्चेके लीये कुछ पैसे दीये तो चंपाभाभी देवायतकी बाहोमे लीपट गइ ओर आंसु नीकल गये.. फीर दोनोने होंठ मीलाके कीस कीया ओर देवायत वहासे नीकल कर हवेलीपे आगया....अब आगे

तब रातके १० बज चुकेथे ओर पुरी हवेलीमे अंधेरा छाया हुआथा.. आज हवेलीपे कोइ नही था.. जो था तो सीर्फ पुनम लखन ओर रजीया.. आज पुनम अपने रुम मे शीशेके सामने शींगार कर रहीथी तबही देर रात होतेही रजीया छुपकेसे उपर लखनके पास चली गइ.. अब वो पुरी तराह लखनको उनकी बीवी होनेका अहेसास करवा रहीथी.. अंदर जातेही लखनकी बाहोमे समा गइ.. ओर दोनो प्यार करने लगे..

तब देर रात देवायतभी हवेलीमे पहोंच गया.. देवायत अपनी कारसे उतरकर अपने रुममे चला गया.. ओर लाइट जलादी तो उनके बेडपे पुनम दुल्हनकी तराह सजधजके शींगार करते हुइ जाग रहीथी.. जो बेडके कोनेपे बेठकर देवायतका इन्तजार कर रहीथी.. जेसेही देवायत अंदर आगया वो जटसे खडी होगइ.. ओर दोडके देवायतकी बाहोमे समा गइ तब देवायतने पुनमको कसके अपनी बाहोमे भीचलीया..

पुनम : भाइ आज आनेमे बहुत देर करदी..? क्या अंकलकी तबीयत बहुत खराब हे..?

देवायत : हां पुनो.. उनको बडी मुस्कीलसे होस आया हे.. उनको पेरेलीसीस होगया हे..

पुनम : (होंठ चुमते) भाइ चलो पहेले खाना खालो.. मेने आपका बहुत वेइट कीया.. बहुत भुख लगी हे..

देवायत : (पुनमके सरको चुमते) तो क्या तुमने अभी तक नही खाया..?

पुनम : नही मे मेरे पतीके बगैर केसे खा सकती हु.. अबतो आपही मेरे पती हे.. चलीये.. जबतक मे यहा हुं मे पत्नीका हर फर्ज नीभाउगी.. आइअ‍े..

देवायत : बेबी अ‍ेसा नही करते.. अगर अंकलकी तबीयत ज्यादा खराब हो ओर मे वहा रुक गया होतातो..?

पुनम : भाइ.. मेरा इस पती इतनाभी लापरवहा नही हे.. मुजे यकीन हे.. मुजे फोन करके बता देता..

देवायत : (बाहोमे भीचते होंठ चुमते) ओह.. बेबी तु मेरा कीतना खयाल रखती हे बीलकुल मंजुकी तराह.. वोभी अ‍ेसेही बात करती हे.. लगता हे अब मुजे तेरा बहुत खयाल रखना पडेगा..

पुनम : भाइ.. मत भुलो मे भी आपकी बीवी हु.. बाबाने खुद हमारी सादी करवाइ हे.. में आपसे कभी अलग होना नही चाहती..

देवायत : (पुनमको गोदमे उठाते बहारकी ओर लेजाते) सोरी.. चल आजतो मे मेरी इस बीवीको अपने हाथसे खीलाउगा.. क्या लखनने खालीया..? ओर वो रजीया.. सो गये दोनो..?

पुनम : (सरारतसे हसते) हा दोनोही खाना खाके सो गये हे.. उपर.. लखनके रुममे.. हें..हें..हें..

देवायत : (डाइनींग टेबलपे बीठाते आस्चर्यसे हसते) दोनो उपर सो गये हे..? मतलब..?

पुनम : (हसते) भाइ.. पहेले खाना खालो मे आपको बादमे अंदर सब बताती हु.. चलीये इधर बेठीये मे खाना लेकर आती हु.. फीर हम दोनोही मीया बीवी साथमे खाते हे..

कहेते पुनम डाइनींगसे उतर गइ ओर कीचनमे चली गइ तब उनके पैरोमे आज जांजरकी खनक ओर हाथोकी कलाइमे चुडीओकी खनकार सुनाइ दी.. तो देवायत तो देखताही रेह गया.. आज पुनम बीलकुल देवायतकी सुहागनकी तराह सजी हुइ थी.. जैसे इस हवेलीमे नइ नइ ब्याह करके आइ दुल्हन हो.. वो देवायतके लीये अ‍ेक पत्नीकी तराह अपना हर फर्ज पुरा कर रहीथी..

जो कलसे उनकी सांस आनेके बाद उनका इस तराह रहेना मुमकीन नही था.. फीर तो उनकी धिरेनके साथ सादी होनेके बाद ही सब सौक पुरा कर सकती थी.. इसीलीये आज उसने पुरी रात जागके देवायतसे प्यार करनेका फैसला करलीया था.. आज वो अपना सबकुछ देवायतपे लुटाना चाहती थी.. पुनम आज देवायतके साथ अ‍ेक बहेनकी तराह नही उनकी नइ नइ बीवीकी तराह पेस आ रहीथी..

पुनम : (खाना लाते) भाइ आपको फ्रेस होना हेतो जाइअ‍े तबतक मे सब खाना नीकालती हु..

तब देवायतको याद आयाकी वोतो आतेही पुनमके साथ चीपक गयाथा.. तो वो जटसे हाथ मुह धोकर फ्रेस होकर वापस आके बेठ गया.. तबतक पुनमभी खाना नीकाल रहीथी ओर देवायतके पास आकर बैठ गइ तभी देवायतने हाथ पकडके उसे अपनी गोदमे बीठा दीया तब वो खुब सरमाइ.. ओर देवायतकी जांगोपे बैठ गइ.. अ‍ेकही थालीमे खाना नीकालके रख दीया ओर अपने हाथोसे देवायतको खीलाने लगी तब देवायतभी पुनमको खीलाता रहा.. ओर दोनोही प्यारभरी बाते करते अ‍ेक दुसरेको खीलाते रहे..

पुनम : भाइ.. बस यही कुछ हसीन पल हे जो मेरी सादीके बाद बहुत मीस करुगी..

देवायत : (हसते मजाक करते) क्यु..? तु धिरेको भी अ‍ैसे खीला देना.. हें..हें..हें..

पुनम : (हसते अ‍ेक मुका जांगपे मारते) नही.. नही खीलाना मुजे कीसीको.. ये हक सीर्फ आपके लीयेही हे..

देवायत : बेबी धिरेनको अ‍ैसा कभी फील मत होने देनाकी तु उनको प्यार नही करती.. वो तुजे बहुत चाहता हे.. बाकीतो तु हमेसा मेरी बीवीही रहेगी.. ओर हमारा प्यार अ‍ैसेही बरकरार रहेगा.. आइ प्रोमीस..

पुनम : (गाल चुमते) भाइ.. आइ नो.. मुजे सब पता हे आप मुजे धिरेनसेभी ज्यादा प्यार करते हे.. लेकीन मेरे सामने जताते नही.. मुजे पता हे आपने अभी जोभी कुछ बोला वो दिलपे पथ्थर रखके बोला हे..

तब देवायत पुनमको जोरोसे बाहोमे भीचलेता हे ओर उनकी आंखसे आंसु नीकल जाता हे.. क्युकी पुनमने अभी जोभी कहाथा वो सब सचथा.. देवायतभी मनसे नही चाहता थाकी उनकी बहेन उनको छोडके चली जाये.. लेकीन दिलपे पथ्थर रखके वो सबकुछ करनेको तैयार था.. तब पुनमभी आंसु बहाते देवायतके आंसु पोछने लगती हे ओर देवायतका सर अपने सीनेमे भीच देती हे.. ओर उनके सरको चुम लेती हे..

पुनम : (आंसु पोछते) भाइ.. कुदरतने हम दोनोकी कैसी कीस्मत लीखी हे.. आपसे जुदा होनेका मनही नही करता.. पता नही मे वहा आपके बगैर कैसे रहुगी.. सोचते ही दिल गभरा जाता हे..

देवायत : पुनो.. मे तुजे इतना चाहता हुकी ये सीर्फ तेरे लीये नही.. मेरे लीयेभी उतनाही तकलीफ देही हे.. लेकीन मे वादा करता हु.. वहा में तेरे पास रेग्युलर आता जाता रहुगा ओर तुजे यही प्यार देता रहुगा..

दोनोही अ‍ैसी इमोश्नल प्यार भरी बाते करते खाना खा रहेथे.. तब उपरकी मंजीलपे लखनके रुममे प्यारका भवंडर तुफान बनके चुदाइका तांडव मचा रहा था.. आज लखन बडीही बेहरेमीसे रजीयाको चोदेही जा रहाथा ओर रजीयाभी चीखते चीलाते लखनसे उछल उछलके चुदवा रहीथी.. क्युकी रजीयाने आजभी लखनको आतेही वायग्राकी गोली उनसे छुपकर दुधमे मीलाकर पीलादी थी..

ओर उनका नतीजाभी रजीयाको आज दीख रहाथा.. नतीजेके फल स्वरुप रजीया लखनसे बेहरेहमी से चुदवाते भुगत रही थी.. तब रजीयाकी चीखे सुनने वाला उपरकी मंजीलमे कोइ नही था.. लखन हाथके बल उचा होकर कमर उछाल उछालकर रजीयाको जोरोसे बेहरहेमीसे चोद रहाथा.. तब रजीया के मुहसे आवाज तक नही नीकल रहीथी.. उनका मुह खुलाही रेह गया ओर वो लखनके हर धकेको सहेन करते चुदवा रहीथी..

रजीया : (दर्दसे रोने जैसे सुरतमे) उंहु.. उंहु.. बसस.. बसस.. मरर गइइइ.. धीरे... चोदोनां.. लखन.. मे मर.. जाउगी... उइइइ मां... आह..आह..आह..आह.. उइइइ.. सीइइइइइइइ.. हंम..हहहहहममममममम...

लखन : (जोरोसे सोट मारते) बीवी हेनां..तुउउउ मेरीइइइ..? हंम.. हमने.. कल सुहागरात मनाइइइ हेनां... हंममम.. अब तुजे.. में अ‍ैसे हीइइइ चोदुगाआआ... क्या.. मस्त मालल हेअ‍ेअ‍े.. तुतुउउउ..हंममम हंममम.. तुजे.. ओर लताको.. साथ..में.. चोदुगा...

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लखन रजीयाको जोरोसे चोदेही जा रहाथा तब रजीया तीलमीलाती लखनके हर जटकेको चदर पकडते छटपटाते जेल रहीथी.. अब लखन रजीयाकी ओर पुरा ढल चुकाथा.. अबतो रजीयाको देखतेही उनके लंडमे हरकत होने लगती थी.. वो रजीयाके पीछे इतना पागल हो चुकाथा की पीछले पांच छे दिनसे लताको फोन ककरनाही भुल गयाथा.. तब लताभी लखनके फोनके इन्तजारमे तीलमीला गइथी.. ओर बेचैन रहेने लगीथी..

तभी नीचेकी ओर पुनम ओर देवायत अ‍ेक दुसरेको खाना खीलाते प्यार ओर इमोश्नल बाते करते रहे ओर खाना फीनीस कीया तब पुनम सब बरतन समेटके कीचनमे रखके आगइ.. तब देवायत उनकी चुडीया ओर पायलकी जनकारसे पागल होने लगा.. आज उनको पुनम अ‍ेक अप्सराकी तराह दीख रहीथी.. ओर उसने वहीसे पुनमको अपनी गोदमे उठा लीया..

तब पुनम सरमके मारे देवायतके गलेमे हाथ डालमे उनके सीनेमे सर छुपा लेती हे ओर देवायत उसे अपने रुममे लेजाता हे.. फीर दोनोही अपने बेडपे आगये.. तब दोनोही अ‍ेक दुसरेसे मीलन करनेके लीये तडपने लगे ओर अ‍ेक दुसरेके होठोका रसपान करते प्यारके के भवंडरमे गोते लगाने लगे..

तब कुछही देरमे दोनोके कपडे अ‍ेक अ‍ेक करते तनसे अलग होते गये.. ओर अ‍ेक टेबलपे इकठा होते जीस तनसे अलग हुअ‍े उसी तनको अ‍ेक होते देखते रहे.. अ‍ैसा लग रहाथा आज देवायत ओर पुनम नही खुद काम ओर रती अपनी क्रिडा करनेमे मग्न हो गये हे.. पुरे रुममे अ‍ेक सनाटा छाया हुआथा ओर पुरे रुममे कामुक सुगंध फैल गइ.. जो दोनोके जीस्मसे आ रहीथी..

तब दोनोही अपनी सुध बुध खो चुकेथे ओर प्यारके महासागरमे गोते लगाते हल्केसे कमर हीलाते चुदाइका आनंद ले रहेथे तब दोनोकी आंखोमे केवल अ‍ेक दुसरेके लीये गहेरा बेसुमार प्यार दीख रहाथा.. ना कोइ वासना.. ओर नाही कोइ हवस.. बस थातो केवल अ‍ेक नीर्दोस प्यार.. जो दोनोही आंख बंध करते अ‍ेक दुसरोके अंदर समा जानेको बेकरार थे.. दोनोही पहेली बार अ‍ेक अलगही अ‍ैसी अनुभुती फील कर रहेथे..

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तब देवायतको पुनमको चोदते हुअ‍े उनके चहेरेमे कभी अपनी मासुम नीर्दोष बहेन पुनम दीखती थी जो इनके प्यारमे पागलथी.. तो कभी उनको बेसुमार प्यार करने वाली उनकी पत्नी मंजु दीखती थी.. आज देवायत ओर पुनम दोनोके लीये ये नया अनुभव था.. आज दोनोको चुदाइ करते अ‍ेक नइ अनुभुती फील हो रहीथी.. ओर आज अ‍ैसा क्यु हो रहाथा वो कीसीको पता नही था..

जो येसब कर रहीथी उनकोभी इस बातका पता नही था.. जोभी कुछ हो रहाथा वो सब अनायासही हो रहाथा.. वो थी.. मंजुला.. जो आज देवायतसे ना मीलनेकी वजहसे बहुतही बेचेन हो रहीथी.. ओर वो देवायतसे आज ना मीलनेकी वजहभी जानतीथी.. जो देवायत उनके पीताके पास गयाथा.. वो देवायतसे फोनके माध्यामसे सब जानकारी ले सकतीथी लेकीन नही लेपाइ ओर देवायतकाभी फोन नही आया..

ओर वो बच्चेकी देखभालमे बीजी रही.. तब रातमे सबने डीनर करलीया ओर सभी काम नीपडाके सब सो गये तब वो देवायतको याद करते अपने बेडपे करवटे बदलती लेटी रही.. अ‍ेक बार साइडमे मुह घुमाके देखा तो चंदा उनके पास गहेरी नींदमे सो रहीथी ओर मंजु अपने बेडपे उठकर बैठ गइ.. ओर वो आंख बंध करते देवायतके बारेमे सोचते बेठी रही.. तब उनके मनमे विचारोका धोध बहेने लगा..

ओर वो देवायतसे मीलन करनेकी कल्पनामे खो गइ.. ओर मनही मन देवायतसे मीलनकी प्रार्थना करने लगी.. तब उनको अपनी इस शक्तिके बारेमे पता नहीथा.. जो बाबाने उनके अंदर स्थापीत कीथी.. तब मंजुलाकी प्रार्थनाकी वजहसे देवायतने जीतनीभी लडकी ओर ओरतसे गांधर्व विवाह करते उनकी मांग भरीथी वो सभी ओरते संभोगकी अनुभुतीमे चली गइ..

इस बारेमे मंजुकोभी नही पताथा.. की उनकी अ‍ेक प्रार्थनाकी वजहसे सबको अनुभुती होने लगेगी.. ओर वो बैठे बैठे आंख बंध करते देवायतसे संभोगकी कल्पना करने लगी.. की वो देवायतके लीये शींगार करके बैठी हे ओर देवायत उनके पास आकर उसे प्यार करने लगता हे ओर पुरी रात अ‍ेक दुसरे प्यारकी आगोसमे साथ मे संभोग करते हे.. अ‍ैसी कल्पना करने लगी..

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ओर वो कल्पना करते ध्यानमे चली गइ तब उनकोभी नही पताथा.. देवायतने जीनकोभी अपनी पत्नी मानाथा वो सबकी चुत हरकतमे आगइ ओर चुतकी नाजुक पंखडीया जैसे संभोगमे अंदर बहार होते कामरस बहाने लगी.. अ‍ैसाही मंजुकी चुतमे होने लगा.. तब बेडपे चंदा गहेरी नींदमे सोइथी इसके बावजुद वोभी अपनी कमर हीलाते देवायतके साथ संभोगके सपने देखने लगी ओर अपनी कमर हीलाने लगी..

तब गांवमे रश्मी.. चारु.. चंपा दया रजीया ओर नीर्मलाभी होस्पीटलमे अपने अपने रुममे देवायतके साथ संभोगकी अनुभुती महेसुस करने लगी.. ओर हवेलीपे देवायत ओर पुनमभी आंख बंध करते अनुभुतीमे लीप्त अभीभी बेहोसीकी हालतमे संभोग कर रहेथे.. तब सबके मनमे संभोगकी अ‍ेक परम आंनदकी अनुभुती होती रही.. ओर सभी ओरत देवायतको अपना पती परमेश्वर मानते उनको पुरी तराह समर्पीत होने लगी..

अ‍ैसा आज सबके जीवनमे पहेली बार हो रहाथा.. ओर ये सीलसीला तबतक चलता रहा.. जबतक मंजु ध्यानमे बैठी रही.. तभी उनका बच्चा विजय रोने लगा.. तब नीर्मलाकी आंख खुल गइ.. ओर उसने मंजुको बेडपे ध्यानमे बैठे देखा तो वो आस्चर्यसे उसे देखती रही.. ओर हाथ लंबा करते मंजुको हीलाने लगी.. तब मंजु अचानक नींदसे जागी.. ओर डरके चंदाकी ओर आंख खोलते देखने लगी..

तब उनको विजयके रोनेकी आवाज सुनाइ दी.. तब मंजुने जटसे विजयको अपनी गोदमे उठा लीया ओर अपनी गोदमे लेके उसे दुध पीलाने लगी.. तभी चंदाको अपनी चुतके पास चीपचीपासा लगने लगा.. ओर वो जटसे बैठ गइ ओर नीचे नजर करते देखने लगी.. तब उनका मुह आस्चर्यसे खुलाही रेह गया क्युकी उनकी चुतके आसपास बहुत गीला हो चुकाथा.. जैसे कीसीने उनकी चुतको छेडा हो..

ओर वो मंजुकी ओर कुछ आसंकासे देखने लगी.. की कही मंजुनेतो नींदमे उनकी चुतको नही छेडा..? तब उनको नही पताथाकी अभी मंजुकी चुतसेभी बहुतसा पानी बेह रहा हे.. ओर कुछही देरमे मंजुकोभी अपने नीचे गीला महेसुस होने लगा.. ओर वो जटसे विजयको साइडमे सुलाके बेडसे उतरके खडी होगइ ओर अपना पेटीकोट उठाके देखने लगी.. तब पानी पैरसे उतरते महेसुस करने लगी ओर दोडके बाथरुममे घुस गइ..

फटाफट अपना पेटीकोट नीकालके नहाने लगी.. तबतक चंदाभी बेडसे उतरके अपने कपडे नीकालकर देखती रही.. उनको अभीभी कुछ समजमे नही आ रहाथा की ये सब क्या हो रहा हे.. तब वोही हाल आज नीर्मला.. रश्मी ओर चारुका भी हुआ.. कीसीको कुछ समजमे नही आ रहाथा.. लेकीन सबके जहेनमे सीर्फ अ‍ेकही सख्स धुम रहाथा ओर वो हे देवायत.. जो सभी उनके साथ संभोंगका स्वप्न देख चुकीथी..

देवायत अभी पुनमके सीनेपे सर रखके ढेर हो गया था.. ओर पुनम उनका सर सहेला रहीथी.. ओर सोच रहीथी की आज क्या हुआ.. भाइ कबसे उनके उपर पडेहे ओर अभी ४.३० बज गयेहे ओर अबभी मेरी चुतमे लंड डालके उपर पडे हे.. क्या अबतक वो बीना नीचे उतरे मेरी चुदाइ कर रहे थे..? ओर आज मेने क्या देखलीया..? भाइ मुजे कीतना प्यार करते हे.. मेरी पुरी रात चुदाइ करते रहे.. वो थकतेभी नही हे..

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तो फीर मुजे पता क्यु नही चला.. चुदाइके वक्त कीतना आनंद आ रहाथा.. मेरी आज तक अ‍ैसी चुदाइ भाइने कभी नहीकी.. कोन हे ये.. जो मुजे आज परम आनंदकी अनुभुती करवा रहाथा.. तब उनको बाबाकी याद आगइ जो अ‍ेक बार कहाथा की तुम लोग कोइ सामान्या इन्सान नही हो.. तब पुनमके मनमे कइ सवाल आने लगे.. ओर पुनमने तभी मंजुको ओर बाबाको अ‍ेक बार मीलकर सब पुछलेनीकी ठानली..

तबभी देवायत पुनमकी चुतमे लंड डालकर उनके सीनेपे ढेर होकर पडाथा.. ओर पुनम सब सोचते उनका सर सहेला रहीथी.. तो दुसरी ओर आज नीर्मलाभी रातमे देवायतके बारेमे सोचते होस्पीटलमे अपने पतीके बेडके पास नीचे चदर डालके लैटी हुइ थी.. तब उनको सुबह अपनी चुतके पास चीपचीपासा गीला फील होने लगा.. ओर वो जटसे बैठ गइ ओर आजु बाजु नजर घुमाके देखने लगी..

तब राजीव गहेरी नींदमे सो रहाथा तब उसने अपना गाउन उठाकर चुतकी ओर नजर डालके चेक कीया तो चुतसे पानी बहेकर चदरको गीला करदीया था.. ओर वो सरमसे पानी पानी होगइ.. ओर जटसे खडी होकर चदर लेकर बाथरुममे धुस गइ.. आज वोभी स्वप्नमे देवायतके साथ जबरदस्त तरीके चुदवाकर संभोगकी अनुभुती कर चुकीथी.. ओर वो चदरको पानीमे डालकर साफ करते सोचती रही..

नीर्मला : (मनमे सोचते) हे भगवान ये सब क्या हो रहा हे..? कल मेरे सामनेही मेरी इजाजत लेकरतो गयेथे.. तो क्या रातमे वापस आये होगे..? अ‍ैसा लग रहा हे पुरी रात मेरे साथ.. नही नही.. वो अ‍ेसे छुपकेसे मेरे साथ क्यु करेगे..? मे उनकी बीवी हु.. वो मुजे बोलके सब कर सकते हे.. तो फीर..

यही सब सोचते नीर्मला चदर धोती रही.. फीर अपना गाउन नीकालके नहाने लगी.. तब जाकर उनकी चुतपे कुछ राहत महेसुस हुइ.. ओर वो नहाके कंपलीट तैयार होगइ.. तभी राजीवभी जाग गया तो नीर्मला उनकोभी ब्रस करवाके कंपलीट करने लगी.. तो दुसरी ओर आज चंपाभाभी चारु ओर रश्मीकाभी यही हाल था.. कीसीको कुछ समजमे नही आरहा था की ये सब कैसे हुआ.. सब अपनी अपनी दुवीधामे थी..

तब हवेलीपे आज लखन ओर रजीया नंगेही अ‍ेक दुसरेसे चीपकके गहेरी नींदमे सो रहेथे, जैसे दोनो मीया बीवी हो.. लेकीन देर रात रजीयाभी अनुभुतीमे चली गइ.. ओर उसे फील होने लगाकी इस वक्त वो लखनसे नही देवायतसे चुदवा रही हे.. तो दुसरी ओर लखन रजीयाकी चुतकी सुबह चार बजे तब धजीया उडाता रहा.. अबतक वो रजीयाकी तीन बार धमासान चुदाइ कर चुकाथा..

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ओर गोलीकी वजहसे चुदाइका दोरभी लंबा चलाथा.. ओर ये सब पीछली दो रातोसे हो रहाथा.. हर चुदाइके बीच दोनो अ‍ेक घंटे आराम करतेथे.. लेकीन लखनका लंड बैठनेका नामही नही ले रहाथा.. ओर वो रजीयाको वापस चोदने लगता.. पुरी रातमे रजीयाभी कीतनी बार जडीथी उनकोभी नही पताथा.. ओर तीसरी बारतो रजीया चुदवाते चुदवाते लगभग बेहोसीकी हालत मे चली गइथी..
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तब उनको नही पताथाकी वो मंजुकी प्रार्थनाकी वजहसे अनुभुती मे चली गइ हे.. अब वो लखनके साथ पुरा जीवन बीतानेके रंगीन सपने देखने लगीथी.. तो दुसरी ओर देवायत अभीभी पुनमके सीनेपे सर रखते सो गाथा.. तो पुनमने उसे कंधेसे पकडकर धीरेसे साइडमे सुला दीया.. तब उनकी चुतसे लंड फचचच.. आवाजके साथ नीकल गया.. तो पुनमकी हसी नीकल गइ..

ओर वो उठकर धीरे धीरे लंगडाते चलते बाथरुममे धुस गइ.. ओर कमोडपे बेठके अपनी चुत चेक करने लगी तो दोनो पेरपे कमरस बेहते नीचेकी ओर उतर रहाथा तब पुनम पीसाब करने लगी.. फीर नहाके बहार आगइ.. ओर अपना गाउन पहेनकर वापस देवायतके पास बेडपे चली गइ.. देखातो पुरा बेड गीला होगया था.. ओर वो देवायतको जगाने लगी.. तब मुस्कीलसे उसने आंख खोलदी ओर पुनमकी ओर देखने लगा..

तब पुनमने सरमाते हसते हुअ‍े हाथके इसारेसे बेडको दीखाया.. तो देवायत देखतेही जटसे बैठ गया ओर पुनमकी ओर आस्चर्यसे देखने लगा.. तब पुनम मुस्कुराते सरमाते बेडका बीछाना खीचने लगी.. तब मजबुरन देवायतको बेडसे उतरना पडा.. तबतक पुनम बीछाना लेकर बाथरुममे चली गइ तो देवायतभी उनके पीछे चला गया.. तब पुनम बीछानेको वोशींग मशीनमे डाल रहीथी..

आज पुनम गाउनमे भी पायल ओर चुडीओमे अ‍ेक सादीसुधा ओरत दीख रहीथी.. देवायतको आज अपनी बहेनमे उनकी बीवी दीख रहीथी.. जो उनको पुरी तराह समर्पीत हो चुकीथी.. उस्े पुनमको अ‍ैसे देखतेही उनपे प्यार आने लगा.. ओर तभी देवायतने पुनमको पीछसे अपनी बाहोमे भरलीया..

पुनम : (सरमाते हसते) भाइ.. क्या अभी आपका जी नही भरा..? आपको पता हे क्या हुआ हे..?

देवायत : (पुनमके कंधेपे सर रखते मुस्कराते) हां.. मुजे सीर्फ इतना पता हे आज हम दोनोने खुब प्यार कीया हे.. मे पुरी रात तेरे उपरसे उतरा नही हु..

पुनम : (मशीन का ढकन बंध करते) सीर्फ प्यार..? अरे जनाब आप पुरी रात बीना नीचे उतरे सुबह ४.३० बजे तक आप मेरी बजाते रहे हे.. ओर भाइ.. पता नही आज क्या हो गयाथा.. मुजेतो कुछ पताही नही.. की हम सुबह तक प्यार करते रहे.. कीतना आनंद मील रहाथा जैसे हम स्वर्गमे चले गये हो.. भाइ.. अ‍ेक बार बाबाको मीलने जाना हे.. आप जबभी उधर जाओ मुजे लेकर जाना.. वरना वंदनाको लेकरतो जाही रहे हे..

देवायत : (पीछसे गाल चुमते) ठीक हे बेबी.. हम तबही चलेगे.. थोडा जल्दी घरसे नीकलेगे..

तब पुनम पलट जातीहे ओर देवायतकी बाहोमे समा जाती हे.. तभी देवायत उसे जोरोसे बाहोमे भीचते उनके गलेको चुमने लगता हे तो पुनमकी चुडीयोकी खनखनाट उसे ओर पागल करदेती हे.. तब पुनम अपना सर उचा करते आंख बंध करलेती हे.. ओर दोनो मदहोस होने लगते हे.. तभी देवायत पुनमसे अलग होकर उनका गाउन नीकाल देता हे ओर वोशींग मशीनपे रख देता हे..

फीर पुनमको कमरसे पकडके मशीन पर बीठाके उनके पैरके बीच चला जाता हे.. तब पुनम सरमके मारे पानी पानी होने लगी.. ओर वो समज जाती हेकी आज अ‍ेक बार फीरसे उनकी चुदाइ होने वाली हे.. तभी देवायत अपना लंड पुनमकी चुतपे सेट करते धीरेसे चुतमे सरका देता हे तब पुनम देवायतके चहेरेको पकडके उनके होंठ चुमने लगती हे ओर देवायत धीरे धीरे कमर हीलाते खडे खडेही पुनमको चोदने लगता हे..

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अबतो पुनमभी देवायतके लंडको बडी आसानीसे अपनी चुतमे अंदर बहार करते देख रही थी.. जब देवायत पुनमको कमर हीलाते चोद रहाथा तब पुनम उनके होठोको चुमेही जा रहीथी.. तब थोडीही देरमे पुनम अकडने लगी.. ओर उसने देवायतको जोरोसे अपनी बाहोमे भीच लीया.. ओर अपनी कमरको जटके देने लगी तब देवायतने कसके पुनमको बाहोमे भीचलीया ओर दोनोके होंठ लीपलोक होगये..

ओर पुनम कमरको जटके देते जडने लगी.. तब उनकी पायल ओर चुडीयोकी जनकार जोरोसे सुनाइ देने लगी.. जब वो सांत होगइ तब देवायतने उसे मशीनसे उतार दीया.. ओर पुनमको दीवालसे सटा लीया तब पुनम पलटकर धुम गइ ओर थोडा जुक कर खडी होगइ.. तो देवायतने उनकी कमरको पकडकर पीछसे उनकी चुतमे लंड उतार दीया..

ओर पुनमको पीछेसे धनाधन चोदने लगा.. तब पुनम नलको पकडके जुककर खडी होगइ ओर जोरोसे दर्दके मारे आहे भरने लगी.. आज वो अपनी सारी कशर पुरी करना चाहती थी.. क्युकी आज मंजु ओर उनके साथ चंदाभी घर वापस आ रहीथी.. फीर पता नही उनका भाइ कब उनके हाथ आयेगा यही सोचते वो देवायतसे हर अ‍ेन्गलसे चुदवा रहीथी..

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पुनम : (कामुक आवाजमे) भाइ.. आज जीतनी मरजी हो अपनी बहेनको चोदलो.. फीर पता नही हमे कब ये मौका मीलेगा.. आज मुजे तृप्त करदो.. आइ होप..की भाभीकी बात सच होजाये..

देवायत : (चोदते) हां मेरी डार्लींग सीस्टर.. अबतो तेरी चुत मुजे रोज चाहीये.. मे कुछभी जुगाड करके तुजे चोदता रहुगा.. अब मे तेरी चुतके बगैर नही रेह सकता.. मे तुजे बहुत प्यार करता हु.. मे तेरी ससुरालमे आकर चुदाइ करता रहुगा..

कहेते देवायत पुनमको जोरोसे जोरदने लगा तो पुनमका मुह खुलाही रेह गया.. ओर उनको देवायतके लंडको बरदास्त करना मुस्कील होने लगा.. तब वो दोनो आंख उपर चडाके देवायतके धकेको सहेन करने लगी ओर थोडीही देरमे देवायतने अपना कामरस पुनमकी चुतमे उडेल दीया.. ओर लंडको बहार खीच लीया तब पुनमकी चुत अभीभी फडफडा रहीथी.. ओर चुतसे देवायतका रस बहार नीकलके नीचे फर्सपे टपकने लगा..

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तब पुनम बडी मुस्कीलसे खडी रेह पाइ.. तब देवायतने उसे अपनी गोदमे उठालीया ओर दोनो सावरके नीचे खडे होगये ओर सावर चालु करदीया तब दोनोही पानीमे भीगते अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा गये.. ओर होंठ मीलाके स्मुच करने लगे.. फीर अ‍ेक दुसरेको मसल मसलके नहेलाने लगे जब नहा लीया तब पुनमने अ‍ेक बार फीरसे देवायतको अपनी बाहोमे भीचलीया ओर होंठ चुमते उनसे अलग होगइ....

कन्टीन्यु
 
दिलावर जी आपकी कहानी के १०० भाग पुरे होने का बेसब्री से इंतजार हे ,काफी लेखक पेजों के उपर ही खुश हो लेते हें चाहे कहानी के चोथाई पेज भी न हों
 

dilavar

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दिलावर जी आपकी कहानी के १०० भाग पुरे होने का बेसब्री से इंतजार हे ,काफी लेखक पेजों के उपर ही खुश हो लेते हें चाहे कहानी के चोथाई पेज भी न हों
thanks brother yahi koment mera hosla badhte hai
 

Mahesh007

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दिलावर जी आपकी कहानी के १०० भाग पुरे होने का बेसब्री से इंतजार हे ,काफी लेखक पेजों के उपर ही खुश हो लेते हें चाहे कहानी के चोथाई पेज भी न हों
 
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