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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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दोस्तो.. मे बीच बीचमे जरुरतके मुताबीक पात्रोका परीचय करवाता हु.. फीरभी कुछ पाठकोका आग्रह हेकी मे अ‍ेक बार फीर सभी पात्रोका परीचय करवादु.. ताकी उनको कहानी समजनेमे आसानी लगे.. तो मे दो तीन हिस्सोमे पात्रोका परीचय डाल रहा हु..

किशन/देवायतका परीवार

किशन
: जो बहुत ही रंगीन मीजाजका था.. उनकी जवानीमे गांवमे उनका कइ ओरतो ओर लडकीओसे फीजीकल रीलेशन था.. वो गांवकी विरासतका राजा था.. आधेसे ज्यादा गांवकी खेती जमीन उन्हीके पास हे.. ओर बहुत बडा धानका बीजनेस भी हे.. बहुत बडी हवेलीका मालीक हे.. उनके खानदानमे अ‍ेक श्रापकी वजहसे पीछली कइ पीढीयोसे अ‍ेक ही लडका पैदा होता था.. जो इस श्रापका नीवार किशन ने कर दीया.. तो अब किशनकी तीन संतान हे.. जो दो बडे लडके.. ओर अ‍ेक लडकी हे.. उनके परीवारमे पीछली तीन पीढीसे सभी लडके अपनी बहेनसे ही सादी करते आये हे.. उनके खानदानमे कीतनी भी सादीया करलो.. कोइ पुछने वाला नही.. लेकीन श्रापकी वजहसे सब अ‍ेकही सादी करते थे..

विमला : किशनकी बीवी ओर उनकी छोटी बहेन.. जो नीहायती खुबसुरत थी.. जो वो भी किशनकी तराह चुदवानेकी सौकीन थी.. लेकीन उसने बहारके मर्दके साथ कभी रीलेशन नही रखा.. वो सीर्फ अपने भाइसे ही चुदवाती थी.. ओर उनसेही तीन बच्चे पैदा करलीये..

देवायत : किशन ओर विमलाका बडा लडका.. जो अब किशनके बाद उनकी सारी विरासत सम्हालता हे.. तो वो भी अपने पीताकी तराह रंगीन मीजाजका हे.. उनका भी कइ ओरते ओर लडकीओसे रीस्ता हे.. कायदेसे तीन बीवीके अलावा इनकी कइ सीक्रेट बीवीया हे.. जो सभी बीवीओमे आधी तो उनकी सगी ओर नाजायज बहेने हे.. जो आपको कहानीमे पता चल जायेगा..

मंजुला : कहेनेको तो किशनके दोस्त राजीवकी ओर नीर्मलाकी लडकी हे.. लेकीन हकीकतमे उनकी मां नीर्मला ओर अपने ससुर किशनकी लडकी हे.. जो इस नाते देवायतकी नाजायज बहेन हे.. देवायसे आंख मील गइ ओर उनसे प्यार कर बेठी.. बादमे उन दोनोके पीताजीने दोनोकी सादी करदी.. बहुतही सरल स्वभाव हसमुख ओर खुले विचारोकी थी.. देवायतसे जीजान से प्यार कती हे.. ओर हर रात दोनोकी सुहागरात होती हे.. देवायत उनकी देर रात तक चुदाइ करता रहेता हे.. ओर नतीजा ये हुआकी उनको अ‍ेक लडका (विजय) हुआ.. ओर बडेही लाड प्यारसे अपने देवर ओर ननंदका खयाल रखती हे.. यही मंजुला हे जो उनको आश्रमसे बाबाके पाससे बहुत सारी शक्तिया मीली हे..

लखन : किशन ओर विमलाका दुसरा लडका.. जो अपने बेडे भाइके साथ घरकी खेतीबाडी ओर धानका बीजनेस देखता हे.. वो भी अपने पीता ओर बडे भाइकी तराह रंगीन मीजाजका हे.. उनका भी कइ ओरते ओर लडकीओसे रीस्ता हे.. कायदेसे अ‍ेक बीवीके अलावा इनकी दो सीक्रेट बीवीया हे.. ओर कइ लडकीओसे उनके अवैध रीस्ते हे.. उनको अपनी छोटी बहेन के प्रती बहुत ही लगाव हे.. ओर मनही मन उनको चाहता हे.. आगे लखनके साथ बहुत कुछ होगा.. जो आपको कहानीमे पता चल जायेगा..

लता : लखनकी बीवी जो देवायतके कहेनेपे लखनसे सादी करदी गइ.. लेकीन लता देवायतको चाहती थी.. ओर देवायतके साथ रेह सके इसके लीये लखनसे सादी करली.. बहुतही खुबसुरत लंबी हाइट चुतड तक बाल.. सरीर थोडा भरावदार बहुतही चंचल ओर बहुत ही कामी लडकी.. जो उनकी सादीसे पहेले ही वो देवायतसे चुदवाना चाहती थी.. जो अगे कहानीमे पता चल जायेगा..

पूनम : किशन ओर विमलाकी सबसे छोटी लडकी.. देवायत ओर लखनसे सबसे छोटी बहेन.. नीहायती खुबसुरत तीखे नैन नक्स लंबे घुटनो तक बाल.. अ‍ेक दम गोरी.. कमर पतली.. मानो कोइ अप्सरा हो.. उनको देखकर कीसीकी भी नीयत खराब होजाये.. लखनके जन्मके तीन साल बाद पैदा हुइ.. बहुतही चंचल स्वभाव ओर मस्तीखोर थी.. पढाइ लीखाइमे बहुतही होशीयार.. बहुत ही कामी लडकी.. जो अपने बडे भैया देवायतसे बहुत प्यार करती हे.. ओर उनकी सादी दुसरे लडकेके साथ होनेके बावजुद अपने भाइ देवायतकी सीक्रेट बीवी हे.. ओर उनकी सादीसे पहेले ही अपने बडे भाइ देवायतका बच्चा अपने उदरमे पाल रही हे.. ओर आगे उनकी जींदगीमे भी बहुत बडा बदलाव होगा..

राजीव ओर नीर्मलाका परीवार

राजीव
: जो बहुत ही सरल ओर सांत स्वभावका था.. ओर किशनका खास दोस्त.. जो सभी दोस्तो साथमे ही कोलेजमे पढते थे.. उनके पीताजी किशनकी हवेलीपे मुनीमका काम करते थे ओर वही रहेते थे.. जो बादमे कीसी कारण वर्ष उनको हवेली छोडनी पडी.. वो कारण कहानी मे लीखा हे.. ओर अपनी दोनो छोटी बहेन नीर्मला ओर चंद्रीका को लेकर दुसरे गांवमे चला गया.. जो वहा जाकर उसने भी अपनी बहेनसे सादी करली.. ओर उनके परीवारमे सीर्फ दो लडकी ही हे.. जो बडी लडकी मंजुला.. जो अभी देवायतकी बीवी हे.. ओर दुसरी लडकी भावना.. जो उनके ही अ‍ेक दुसरे दोस्तके लडके भानुकी बीवी हे..

नीर्मला : राजीवकी बीवी ओर उनकी छोटी बहेन.. जो नीहायती खुबसुरत थी.. वो किशनको प्यार करती थी.. लेकीन किशनने उनकी बहेन विमलासे सादी करली.. तो उनको कीशनको छोडना पडा.. जब वो अपने भाइ राजीवके साथ किशनको छोडके चली गइ तब वो ओलरेडी किशनसे प्रेगनेन्ट हो चुकी थी.. ओर दुसरे गांव जाकर उसने भी अपने भाइ राजीवसे सादी करली.. ओर बादमे उसने मंजुलाको जन्म दीया..ओर तीन सालके बाद उसने राजीवसे भी अ‍ेक लडकी पैदा करली.. जो भावना थी.. नीर्मला भी बहुत कामी ओर चुदवानेकी सौकीन थी.. किशन राजीवके अलावा उनका अपने दामाद देवायतके साथ भी अवैध रीस्ता था.. जो बादमे देवायतकी सीक्रेट बीवी होगइ..

चंद्रीका (चंदा) : राजीवकी सबसे छोटी बहेन बहुतही खुबसुरत ओर चंचल स्वभावकी.. नीहायती कामी ओरत.. राजीवने किशनके कहेनेपे उनकी सादी दुसरे गांवके बहुत बडे जमीनदारके बेटेसे करदी.. ओर उनसे चंदाको अ‍ेक लडका भी हुआ.. लेकीन दुर्भाग्यवस वो छोटी उमरमे ही विधवा होगइ.. ओर बादमे अपने ही भांजीके पतीसे यानी देवायतसे प्यार करने लगी.. ओर बादमे उनके साथ सादी करके देवायतकी बीवी भी होगइ.. उन्हीके लडके धिरेनके साथ देवायतकी बहेन पुनमकी सादी हुइ..

धिरेन : चंदाकी अ‍ेकलौती संतान.. पुनमका पती.. बेंकमे जोब करता हे.. ओर भानु रमाकी लडकी नीलमसे प्यार करता हे.. ओर उनसे भी सादी करना चाहता हे..

विरजी ओर सरला का परीवार

विरजी
: जो किशन राजीवका दोस्त था.. अपने ही कोलेजकी अपनी अ‍ेक फ्रेन्ड भुमीकाके साथ उसने बलात्कार कीया था.. जो किशन उनको अपनी मुह बोली बहेन मानता था.. ओर बादमे विरजीने पास हीके गांवकी अ‍ेक लडकी सरलासे सादी करली.. लेकीन बदलेकी भावनामे भुमीकाके कहेने पे किशनने विरजीका हथीयार कीसी जडी बुटी पीलाकर बेकार करदीया.. ओर बादमे किशनने विरजीकी बीवी सरलासे अवैध रीस्ता बनालीया.. ओर किशनसे सरलाने अ‍ेक लडका ओर लडकी पैदा करली..

सरला : विरजीकी बीवी.. जवानीमे बहुतही खुबसुरत थी.. जब सादी नही हुइथी तब उनका भी अपने भाइके साथ फीजीकल रीलेशन था.. जीनकी वजहसे वो भी प्रेगनेन्ट हो गइ थी.. लेकीन उनकी मां को पता चलतेही सरलाके बच्चेको गीरवा दीया.. ओर आनन फानन मे सरलाकी सादी विरजीसे करदी.. लेकीन विरजी उसे सारीरीक सुख देनेमे सक्षम नही था.. तब सरलाने विरजीके दोस्त किशनसे फीजीकल रीलेशन बनालीये.. ओर किशनसे ही दो बच्चे पैदा करलीये.. भानु ओर लता.. ओर किशनके बाद अभी उनके बेटे देवायतके साथ अवैध रीस्ता हे..

भानु (विरभानु) : दरसल किशन ओर सरलाका लडका ओर देवायतका बचपनका दोस्त.. दोस्तीपे जान दावपे लगानेको तैयार ओर बहुतही इमानदार ओर महेनती जीनकी वजहसे देवायतने अपनी सारी जमीन ओर दुसरा कारोबार इनके हवाले करदीया.. देवायतभी इनको अपना भाइ मानता हे.. बीवीके अलावा दुसरी ओरतोको चोदनेका ओर उनको प्रेगनेन्ट करनेका बहुत सौक हे.. वेसेभी देवायत रीस्तेमे इनका साढुभाइ लगता था.. क्युकी देवायतके कहेनेपेही उनकी साली भावनाकी सादी अपने दोस्तसे करवादी थी

भावना : भानुकी बीवी जो राजीव र्नीलाकी छोटी लडकी ओर देवायतकी बीवी मंजुलाकी छोटी बहेन हे दीखनेके कयामत कीसीकाभी लंड देखतेही खडा होजाये.. बहुतही कामी ओरत जो रातमे भानुको थका देती हे.. फीरभी हरदीन प्यासी रहेती हे.. वोभी सादीसे पहेले देवायतको प्यार करती थी.. लेकीन अपने प्यारका इजहार कभी नही करपाइ.. नतीजा ये रहाकी भानुकी दुसरी सादीके बाद वो देवायतकी ओर ढल गइ.. ओर आखीर अ‍ेक दीन देवायतके नीचे आही गइ.. तो भानुसे दो बच्चे पैदा करके बाकीके तीन बच्चे देवायतसे पैदा करने वाली हे..

रमा : भानुकी दुसरी बीवी.. नीहायती खुबसुरत ओर गोरा रंग.. नीली ओर कामुक नसीली आंखे.. जो पहेले भानुकी मामी थी.. जब सरलाका उनके भाइके साथ अवैध रीस्ता था तबही उनकी मांने कीसी गरीब परीवारकी छोटी उमरकी लडकी रमाको पैसेके बदले खरीदली थी.. ओर उनकी सादी सरलाके भाइके साथ करवादी गइ.. गरीब परीवारकी वजहसे रमाको पैसोसे बहुत लगाव था.. वो पैसेके लीये कीसीके भी नीचे लेटनेको तैयार होजाती.. ओर उसी पैसोके लीये उसने अपने भांजे भानुके साथ फीजीकल रीलेशन बनालीये.. तब भानुकी सादी भी नही हुइ थी.. ओर रमा आये दिन भानुसे चुदवाने लगी.. जीनकी वजहसे रमा भानुसे प्रेगनेन्ट होगइ.. ओर बादमे उसने अ‍ेक लडकी नीलमको जन्म दीया.. ओर जब उनका पती यानीकी भानुका मामा गुजर गया तब रमाने भी भानुसे सादी करली..

नीलम : अपनी मां की तराह नीहायती खुबसुरत.. अ‍ैसो आरामकी जींदगी पसंद हे.. उनको भी पैसोसे बहुत लगाव हे.. जीनकी वजहसे छोटी उमरमे ही धिरेनको प्यार करने लगी थी.. ओर उसने अपनी सादीसे पहेले ही धिरेनके साथ फीजीकल रीलेशन बनालीये.. लेकीन उनके साथ आगे क्या क्या होगा.. वोतो कहानी मेही पता चलेगा..

नरेश ओर भुमीका का परीवार

नरेश
: किशनका अ‍ेक ओर दोस्त.. जो उसने अपनी ही कोलेज फ्रेन्ड भुमीकाके साथ सादी करली.. उनका गांव बहुत दुर था.. वो सीर्फ पढनेके लीये ही इधर सहेरमे आया था.. ओर भुमीकाके साथ सादी करके यही सेटल होगया.. बादमे उनका उनकी भाभीके साथ भी नाजायज रीस्ता हो गया था.. ओर नरेश भुमीका की अ‍ेक लडकी भी थी.. जो उनका नाम सृती था.. सृती जब छोटी थी तबही नरेश इस फानी दुनीयाको छोडके चला गया था..

भुमीका : बहुतही खुबसुरत आजभी वो अ‍ेक अप्सराकी तराह दीखती हे.. पतली कमर.. नसीली ओर नीली आंखे.. अ‍ेवरेज नीतंब.. कसे हुअ‍े बडे उरोज.. बडे होंठ.. गुलाबी गाल.. तीखे नैन नक्स.. यही सब खुबीया कीसीकाभी लंड खडे करनेके लीये काफी हे.. इसीलीये विरजी उनको प्यार करने लगा था.. लेकीन भुमीकाकी चाहत विरजी नही किशन था.. किशन कहेनेको तो उनका मुह बोला भाइ था.. लेकीन वो दिलसे किशनको प्यार करती थी.. तब किशन उनकी खास सहेली नीर्मलाको प्यार करता था.. ओर भुमीकाने मजबुरन नरेशसे सादी करली.. जब नरेश उनको बच्चा देनेमे असमर्थ हो गया.. तब अ‍ेक दिन भुमीकाने राखीके तोहफेके बदले किशनको उनकी कोख भराइ मांगली.. ओर उस दिन किशन ओर भुमीका फीजीकल होकर अ‍ेक होगये.. फीरतो आये दिन दोनो चुदाइ करने लगे.. ओर नतीजेके फल स्वरुप भुमीका अपने मुह बोले भाइ किशनसे प्रेगनेन्ट होगइ.. ओर बादमे भुमीकाने सृतीको जन्म दीया.. जब किशन गुजर गया तब भुमीका देवायतके साथ संपर्कमे आगइ.. ओर उनके साथ सादी करके फीजीकल रीलेशन बनाने लगी.. ओर आज भुमीका फीरसे देवायतसे प्रेगनेन्ट हो चुकी हे..

सृती : मंजुलाकी खास सहेली.. गायनेक डोक्टर.. अपनी मांकी तराह बहुतही खुबसुरत.. जीसकी खुबसुरती शब्दोमे बया नही कर सकते.. आज वो भी देवायतकी कायदेसे तीसरी बीवी हे.. जो अब पुनकी राजदार बन चुकी हे.. सृतीकी जींदगीमे भी पुनमकी तराह बहुत बदलाव होने वाला हे.. जो बात सीर्फ पुनम ओर मंजु ही अपनी शक्तियोके माध्यमसे जानती हे..

तो ये था कुछ मुख्य परीवारका परीचय.. बाकीके गांवके दुसरे परीवारका ओर कुछ दुसरे पात्रोका परीचय भी बहुत ही जल्द डालदुगा.. धन्यवाद..
 
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १७९

तो सुधीरके घरभी सामको सुधीर आया तो नीशा थोडासा लंगडाते चल रही थी.. ओर बहुतही खुस नजर आ रही थी.. सुधीर उसे अ‍ैसे चलते ओर खुस देखकर ही सब कुछ समज गया.. तभी नीशाको आतेही हग करलीया.. नीशाभी सरमाकर उनसे लीपट गइ.. ओर दोनो अंदर आगये.. तो नीशाने उसे पानी पीलाया.. ओर उनके सामने बैठकर मंद मंद सरमाकर मुस्कुरा रही थी.. तब सुधीरने हसते हुअ‍े उनको पुछ ही लीया....अब आगे

सुधीर : (धीरेसे हसते) नीशा.. क्या बात हे..? आजतो मेरी बहेन बहुत खुस नजर आ रही हे..? लगता हे हमने जो प्लान बनाया था वो काम पुरा होगया हे.. तभी तो तुम इतनी खुस हो.. हें..हें..हें..

नीशा : (सर्मसार होते) हां सुधीर.. आइ मीन.. भाइ.. हें..हें..हें.. क्या हेना.. अभी आपको भाइ कहेनेकी आदत नही हेनां..? सुधीर.. देवायतजीने मुजसे सादी करली हे.. अब मे उनकी सुशागन हु.. ओर हमने उसी दिन हमारे घरमे हमारी सुहागरात भी मनाली.. मे बहुत खुस हु.. सुधीर.. आइ अ‍ेम सोरी.. मेने सब आपही के कहेनेपे कीया हे.. क्या आपको बुरा तो नही लगा..?

सुधीर : (मुस्कुराते) अरे नही नही नीशा.. इसमे सोरीकी क्या बात हे.. वो सब करनेके लीये मेने ही तो तुजे कहा था.. नीशा.. तु अब मुजे भाइभी केह सकती हे.. लेकीन सीर्फ हम दोनो अकेलेहो तब.. मेभी तो यही चाहता था.. ओर तुम मुजे सोरी मत बोल.. सोरी तो मुजे तुमसे कहेना चाहीये.. क्युकी मेनेही तेरी जींदगी नर्क जैसी बनादी थी.. मुजे तुमसे पहेले ही सब बता देना चाहीये था.. की मे तुजे वो सुख देनेमे सक्षम नही हु.. चलो जोभी कुछ हुआ सब अच्छा हुआ.. अब तो देवु मेरा जीजा हो गया.. हें..हें..हें..

नीशा : (सरमाते मुस्कुराते धीरेसे) सुधीर.. वो..वो.. चारुभाभी ओर रश्मीभाभी.. दोनोही मुजे अपने साथ रहेनेके लीये केह रही हे.. तो मेने दोनोको मना करदीया हे.. सायद अब चारुभाभी ओर रमेशभाइका रीसेशन भी बीलकुल बीगड चुका हे..

सुधीर : (गहेरी सांस लेते) नीशा.. ये सबतो अ‍ेक दिन होने ही वाला था.. मुजे इन सबका पहेलेसे ही अंदेशा था.. ओर अब तुजे कही जानेकी जरुरत नही हे.. ओर सबको क्या जवाब दोगी..? अब तो जींदगीभर यही रहेकर अपना संसार देवुके साथ चलाती रहो.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही.. क्युकी ये घर सीर्फ मेरा ही नही.. तेरा भी हे.. नीशा.. पहेले कुछ खानेको देदो.. फीर मुजे तुमसे अ‍ेक ओर जरुरी बात कहेनी हे.. जो सीर्फ हम दोनोके बीच ही रहेनी चाहीये.. अभी तेरे पतीको भी कुछ मत बताना.. हें..हें..हें..

नीशा : (मुस्कुराते) सुधीर.. खाना रेडी ही हे.. आप पहेले फ्रेस होजाइअ‍े फीर हम आरामसे बैठकर बात करेगे.. लेकीन सुधीर.. अब मे आपके साथ नही सोउगी.. अब मे देवुकी अमानत हु.. आपको बुरातो नही लगेगानां..?

सुधीर : (हसते) अरे नही नही नीशा.. इसमे बुरा लगनेकी क्या बात हे.. इसीलीये तो मेने पहेलेसे ही तुमसे अलग सोना सुरु करदीया था.. तुम खाना नीकालो मे अभी आया.. फीर तुमको कुछ बात बताता हु..

कहेते सुधीर अपने रुममे बेग लेकर चला गया ओर वहा फ्रेस होकर हाथ मुह साफ करते बहार होलमे आगया.. ओर सीधा डाइनींग टेबलपे जाकर बैठ गया.. तब नीशाने दोनोके लीये खाना नीकाला ओर खुदभी सुधीरसे थोडी दुर बैठ गइ.. नीशा अब सारीमे कयामत लग रही थी.. माथेपे सींदुर.. गलेमे मंगलसुत्र ओर पैरोमे पायलकी जंकार उनके सुहागन होनेका सबुत देकर उनपे चार चांद लगा रहेथे.. तभी..

नीशा : (मुस्कुराते खाना परोसते) हां सुधीर.. कहो.. कैसी रही तुमारी कोन्फरन्स..

सुधीर : (खाना खाते नजरे चुराते धीरेसे) नीशा.. सोरी.. मेरी कोइ कोन्फरन्स नही थी.. मे बोम्बे अ‍ेक जाने माने सेक्सोलोजीस्टके पास गया था.. मे पीछले अ‍ेक महीनेसे उनके संपर्कमे था.. तो उसने मुजे ये दो दिनका टाइम दीया था..

नीशा : (आस्चर्यसे देखते थोडी सख्तीसे) सु..धी..र.. आप मुजसे जुठ बोलकर गये थे..? क्या अपना इलाज करवाने गये थेनां..? अगर आपको इलाज ही करवानाथा.. तो फीर मेरी सादी देवरजीसे क्यु करवाइ..?

सुधीर : (थोडा परेसान होकर समजाते) नही नीशा.. तुम गलत सोच रही हो.. मे वहा मेरा इलाज करवाने नही गया था.. बस.. कुछ ओर ही कामसे गयाथा.. तुम पहेले खाना खालो फीर हम आरामसे बैठकर बात करते हे.. देखना तुम मुजपे गुस्सा मत करना.. वैसेभी अ‍ेक बहेन होनेके नाते तेरा गुस्सा होनेका हक हे..हें..हें..हें..

नीशा : (सामने देखकर हसते) सुधीर.. आपभीनां.. ठीक हे.. हम खाना खाकरही बात करते हे..

दोनोही चुपचाप खाना खाने लगे.. सुधीरकी बातोसे नीशाकी टेन्शन बढ गइ थी.. जब दोनोने खाना खालीया तो सुधीर चेन्ज करने अपने रुममे चला गया.. ओर चेन्ज करके बहार आकर सोफेपे बैठ गया.. तो नीशा सभी बर्तन वोस रुममे लेजाकर साफ करने लगी.. जब घरका सब काम नीपटा लीया.. फीर वोभी चेन्ज करके बहार आगइ.. ओर सुधीरके सामने बैठकर उनके सामने सवालीया नजरोसे देखने लगी.. तब..

सुधीर : (मुस्कुराते) नीशा.. मे जीनके पास गयाथा वो भारतके जाने माने सेक्सोलोजीस्ट सर्जन हे.. हम दोनो तीन चार बार डोक्टरकी कोन्फरन्समे मीले थे.. तो थोडा उनसे परीचय होगया.. ओर हम दोनो पीछले अ‍ेक महीनेसे फोनके ओर इमेइलके जरीये संपर्क मे हे.. तो उसने मुजे टाइम दीयाथा.. तो मीलने चला गया..

नीशा : (थोडी परेसानीमे) लेकीन.. सुधीर.. अगर आप उसे अपने इलाजके लीये मीलने नही गयेथे.. तो फीर कीस लीये गये थे..? आप उसे मीलकर क्या करना चाहते थे..? येतो बताओ..

सुधीर : (नजरे चुराते धीरेसे) देख नीशा तुम गुस्सा मत होना.. अब जो बात मे तुमसे कहेने वाला हु.. यही समजलो मे ये सब मेरी जींदगीकी खुसीके लीये कर रहा हु.. नीशा.. जीस तराह तुमको अपने तनकी नीड्स महेसुस होती हे.. उसी तराह मुजे भी मेरे तनमे अ‍ैसेही प्यारकी जरुरत महेसुस होती हे.. बीलकुल अ‍ेक ओरतकी तराह.. मे ये बात भली भांती समजता हु.. इसीलीये तो मेने तुम्हारी सादी देवुसे करवादी..
 
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नीशा : (आस्चर्यसे देखते) मतलब..? सुधीर.. तुम पहेलीया मत बुजाओ.. मुजे साफ साफ बतादो..

सुधीर : (सरमाते नजरे चुराते धीरेसे) नीशा.. प्लीज.. बुरा मत मानना.. मुजे बचपनसे ही अ‍ैसी फीलींग्स आती हे.. की मे अ‍ेक लडकी हु.. इसीलीये मे जेन्डर चेन्ज कर रहा हु..

नीशा : (चोंकते जोरोसे) व्होट..? सुधीर.. आप पागलतो नही होगये..? कहेदो की ये सब जुठ हे..

सुधीर : (आंख गीली करते आंसु बहाते) नही नीशा.. ये सच हे.. अब मेने सब फैसला करलीया हे.. इसीलीये तो मेने तुजे डीर्वोस दीया हे.. ताकी तुमभी देवुके साथ सादी करके अपनी लाइफ अ‍ेन्जोय कर सको.. मे तुजे वो सुख देनेमे पहेलेसे ही सक्षम नही था.. बस.. मेरी मांकी जीदकी वजहसे मुजे तुमसे सादी करनी पडी.. वरना मे तुमसे कभी सादी नही करता..

नीशा : (पास आकर बैठते आंसु पोछते) नही सुधीर.. आप रोइअ‍े मत.. मुजे आज आपके बारेमे पुरी बात बता दीजीये.. मुजे आपके बारेमे बचपनसे आज तक सब कुछ जानना हे.. पुरी बात बताइअ‍े.. मुजे पता करना हे.. आपने इतना बडा फैसला क्यु करलीया..

सुधीर : (आंसु पोछते मुस्कुराते) नीशा.. मे तुजे आज सबकुछ बता ही देता हु.. मे अपने मां बापकी अ‍ेक लौती संतान था.. मुजे बचपनसे ही लडके के बजाय लडकीओके साथ खेलना अच्छा लगता था.. तो मांको मुजपे सक होगया.. ओर उसने मुजे डोक्टरको दीखाया.. तब ही उसे पता चल गयाथा.. की मुजमे जीनेटीक प्रोबलेम हे.. मेरे सभी होर्मोन्स अ‍ेक लडकीकी तराह थे.. लेकीन लडकेकी चाहतमे उसने ये बात सबसे छीपाइ.. मेरे पीताजीसे भी.. ओर मेरी परवरीस अ‍ेक लडकेकी तराह करने लगी..

नीशा : (गौरसे सुनते) सुधीर.. तो क्या आपके पीताजीको कभी पता नही चला..?

सुधीर : (मुस्कुराते) नही नीशा.. उसने मांके स्वभावके कारण हमारी ओर ध्यान ही नही दीया.. हमेंसा हमसे दुरही रहेते थे.. मांका स्वभाव बहुतही सनकी था.. वो पीताजीसे हर वक्त जगडा करती थी.. जबभी दोनोके बीच जगडा होता तब मांके दुरके रीस्तेमे उनका अ‍ेक भाइ था.. जो पुलीसकी नोकरी करता था.. मां उसे बुला लेती.. ओर पीताजीको धमकाकर उनको डर दीखाती..

पीताजी उनसे बहुत डरते थे.. जीनकी वजहसे पीताजी ज्यादातर उनसे दुरही रहेते थे.. पता नही मे कैसे पैदा होगया.. मुजे तो सक हेकी मेरे पीता उनका भाइ ही हे.. फीर मेरा स्कुलमे दाखीला होगया.. तो वहा भी मे लडकेके बजाइ लडकीयोके साथही खेलता था.. ओर पढते पढते मे जवान होने लगा.. ओर हाइस्कुलमे आगया.. बस.. यहीसे मेरी बुरी आदतकी सुरुआत होगइ..

नीशा : (सरमाते धीरेसे) सुधीर.. क्या स्कुलमे कीसीने आपका फायदा उठाया था..?

सुधीर : (सरमाते धीरेसे) नही नीशा.. जब दोपहोरको पापा घरपे नही होते थे.. ओर मे जब स्कुलमे होता था.. तब हमारे घरपे मां का वोही भाइ आता था.. कहेनेसे तो रीस्तेमे वो उनका भाइ था.. लेकीन.. मां उनसे अपने तनकी प्यास बुजाती थी.. मुजे बादमे पता चला की मांका उनकी सादीसे पहेले ही उनके भाइके साथ फीजीकल रीलेशन हे..

बस.. अ‍ेक दिन जब मे स्कुलसे जल्दी वापस आगया.. ओर उसी दिन मेने उन दोनोको सेक्स करते देख लीया.. तब मां तो कुछ नही बोली.. दोनोने सरमाकर फटाफट अपने कपडे पहेनलीये.. मां तो सरमाके दुसरे रुममे चली गइ.. लेकीन उनका भाइ मुजे गुस्सेसे घुरने लगा.. फीर मेरी ओर कातील मुस्कान करके चला गया..

नीशा : (गौरसे सुनते) सुधीर.. क्या वो कुछ नही बोला..?

सुधीर : (मुस्कुराते) नही नीशा.. लेकीन वो दुसरे दिन सीधा स्कुलपे आगया.. ओर मुजे समजाकर उनके घरपे ले गया.. क्युकी उनको पता था.. की मुजमे प्रोबलेम हे.. माने ही उसे सब बताया था.. बस.. उसी दिन उसने अपने घर लेजाकर मेरे साथ पेहेली बार दुस्कर्म कीया.. फीर तो तीन चार बार ओर मुजे उनके घरपे ले गया..

उन्होने ओर उनके दो दोस्तोने भी मेरे साथ पीछे सेक्स कीया.. फीरतो हमारे घरपे उनको मेरी हाजरीसे भी कोइ फर्क नही पडता था.. मेरे होते हुअ‍े भी वो मां को लेकर दुसरे कमरेमे चला जाता.. ओर वहा दोनो सेक्स करते.. फीर अ‍ेक दिन उनका अ‍ेक्सीडन्ट होगया.. ओर वो मारा गया.. बस.. तबसे मुजे ये आदत लग गइ..

नीशा : (थोडी परेसानीमे) ओह गोड.. सुधीर.. आपके साथ बहुत बुरा ओर गलत हुआ.. तो फीर आपके पीताजीको ये सब बाते पता नही चली..? आप ही उनको सब बता देते..

सुधीर : नीशा.. पीताजी कभी कभार महीना खतम होतेही वो मांके हाथमे घरका खर्चा देने आते ओर चले जाते.. वो अ‍ेक बडी फेक्टरीमे मेनेजर थे.. वहाके सेठके बुहत ही वफादार थे.. फेक्टरीका सब काम पीताजी देखते थे.. क्युकी उनकी मालकीन अ‍ेक विधवा थी.. जो मालीकके गुजरते ही फेक्टरीका सब काम सम्हाल रही थी..

बादमे पता चला उसने अपनी तनकी जरुरत पुरी करनेके लीये पीताजीको ही अपने घरपे रख लीया था.. पीताजी उनके घरपे उनके साथ ही रहे थे.. ओर मेरी पुरी पढाइका खर्च वोही दे रही थी.. मुजे डोक्टर भी उन्होनेही बनाया.. नीशा.. वो बहुतही अच्छी हे.. मुजे अपने बेटेकी तराह मानती हे..

नीशा : सुधीर येतो आपके पीताजी ओर मांके बारेमे बात हुइ.. आपके बारेमे बताइअ‍ेनां..?

सुधीर : (मुस्कुराते) नीशा.. बस.. जब उस कमीनेने मेरे साथ तीन चार बार सेक्स कीया.. फीर तो मुजेभी फीरसे सेक्स करनेकी इच्छा होने लगी.. तब पता चला हमारे तनकी भी जरुरत हे.. तब मेने नां मां को दोस दीया.. ना उनके भाइको.. नाही पीताजीको.. ओर नाही उनकी मालकीन को.. उसी दिन मुजे पता चला.. सबको अपने तनकी जरुरतको पुरी करना हे.. बस.. इसीलीये मेने तुमको देवुके साथ सेक्स करनेकी इजाजत देदी थी..

नीशा : (सरमाकर मुस्कुराते) हंम.. फीर..?

सुधीर : नीशा.. फीरतो जैसे जैसे मे जवानीकी ओर बढता गया.. मेरा आकर्सण लडको की ओर बढने लगा.. मुजे लडकीके बजाये अब लडके अच्छे लगने लगे.. जब मेरे सभी दोस्तो अपनी गर्लफ्रेन्डके साथ सेक्स करते.. तो मुजे भी लगता.. की कोइ मेरे उपर चडकर मेरे साथ भी सेक्स करे.. मेरे अंदरकी ओरत जागने लगी.. मुजे लडकीके साथ सेक्स करनेकी चाहत कभी नही हुइ.. ओर धीरे धीरे करते मेरे सभी दोस्त मेरे साथ सेक्स करने लगे.. ओर मे स्कुलमे अ‍ेक बदनाम लडका होगया.. तब दो तीन टीचरनेभी मेरा फायदा उठाया..
 

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फीर मे कोलेजमे आगया.. वहाभी यही हाल था.. कोइ मुजे जबरदस्ती से लेजाता.. ओर मेरे साथ सेक्स कर लेता.. तब हमारा देवु मुजे बचाता.. सबलोग इनसे बहुत डरते थे.. तो मेरे साथ छेडखानी बंध होगइ.. देवुके अलावा हमारे तीन चार दोस्त ओरभी थे.. उनमेसे मुजे देवु ओर दुसरे दो दोस्त बहुतही पसंद थे..

तो मैने देवुसे छुपकर हमारे वो दो दोस्तके साथ रीलेशन बना लीया.. फीरतो मे मेडीकल कोलेजमे चला गया.. वहाभी मेने अ‍ेक दो दोस्त ओर अ‍ेक प्रोफेसरको अपनी प्यास बुजाने रखेथे.. मेरा जबभी मन करता मे उनके पास चला जाता.. मेरी बहुतही इच्छा होती थी.. की मेभी लडकीओकी तराह लडकेको अपने उपर चडाकर उनसे सेक्स करवाउ.. लेकीन हर बार मुजे उल्टा सोना पडता था..

नीशा : (सरमाकर जोरोसे हसते) सुधीर.. आपकी कहानी बडी दिलचस्प ओर मजेदार हे.. हें..हें..हें.. इसीलीये आपने मुनाको फसाकर रखा हे.. हें..हें..हें.. तो फीर.. आपके बोम्बे वाले डोक्टरने क्या कहा..?

सुधीर : (मुस्कुराते) हां.. अब तुमभी हसलो.. नीशा.. ये दो दीन वहा मेरे सब टेस्ट हुअ‍े.. तो पता चला मेरे अंदर भी गर्भासय (बच्चेदानी) हे.. ओर मे अ‍ेक परी पुर्ण ओरत बन सकता हु.. बस.. सब टेस्ट करवाकर वापस आगया.. अब हमे नीर्णय करना हेकी हमे क्या करना हे.. नीशा.. इस बारेमे मुजे सीर्फ तेरी राय ही चाहीये.. कीसी ओरकी नही.. तुम मेरे लीये बहुतही इम्पोर्टन्ट हो..

नीशा : (बैठेही हग करते) सुधीर.. आइ अ‍ेम सोरी.. हमने आपकी फीलींग्सको कभी नही समजा.. भाइ.. आइ लव यु.. मे आजभी तुमको इतना प्यार करती हु.. मेरे लीये तुमने इतनी बडी कुर्बानी देदी.. मेरे सुखके लीये तुमने सबकुछ त्याग कीया.. यहा तक मुजे डीवोर्स देकर मेरे भाइ भी होगये.. मेरी देवुसे सादी भी करवाइ.. ओर मुजे औरत होनेका सुख भी दीलवाया.. मे आपका अहेसान जींदगी भर नही भुलुगी.. कहो.. पहले आप क्या चाहते हो..? वोही सब होगा.. जो आप चाहते हो.. आपके लीये मे कुछभी करुगी..

सुधीर : (सर चुमते) बस.. नीशा.. मुजे तुमसे यही उमीद थी.. मे चाहता हु मेभी तेरी तराह वो हर सुख पाउ.. मे लडकी होना चाहता हु.. बस.. अब अ‍ेपोइटमेन्ट लेकर वहा जाना हे.. ओर दस दिन वहा रुकना हे.. जब मे वहासे आउगा तब अ‍ेक परी पुर्ण लडकी बनकर वापस आउगा.. बस.. मुजे तेरा साथ चाहीये..

नीशा : (गाल सहेलाते सरारतसे जोरोसे हसते) सुधीर.. देखना फीर मेरे देवुको मुजसे छीनतो नही लोगे..? हें..हें..हें..

सुधीर : (सर्मसार होते मुस्कुराते) नही.. नीशा.. तुम कैसी बाते करती हो..? तुम कहोना.. तुमारा क्या नीर्णय हे.. मे उसी हीसाबसे नीर्णय लुगा..

नीशा : (सही बेठकर हसते) हंम.. मतलब अब मेरे भाइसे मेरी बहेन बनना चाहते हे.. ठीक हे.. मे अ‍ेकही सर्तपे आपको परमीस दे सकती हु.. अगर मेरी सर्त मंजुर होतो बताना.. वरना लडकी बनना केन्शल.. हें..हें..हें..

सुधीर : (हसते) क्या..? बताना कोनसी सर्त हे.. मुजे तेरी हर सर्त मंजुर हे.. बता..

नीशा : (मुस्कुराते) हंम.. बडी जल्दी हे लडकी बननेकी..? हें..हें..हें.. ठीक हे.. सुधीर.. वादा कीजीये.. लडकी बननेके बाद आप मेरी बहेन होजायेगी.. तब हम दोनो जींदगीभर साथ रहेगी.. हम कभी जुदा नही होगी.. तो फीर अगर देवु चाहेतो उनकोभी मे आपके साथ सेर करनेको तैयार हु.. कहो..? ये सर्त मंजुर हे आपको..? हें..हें..हें..

सुधीर : (जोरोसे हग करते) ओह.. नीशा आइ लव यु.. आइ लव यु.. मुजे तेरी हर सर्त मंजुर हे.. हें..हें..हें..

नीशा : (जटसे अलग होते जोरोसे हसते) बस बस.. अब ज्यादा मत चीपको.. मत भुलो अब आप मेरे पती नही.. भाइ हो.. हें..हें..हें..

सुधीर : (सरमाते धीरेसे) नीशा.. फीकर मत करो.. मुजसे तुमको कोइ खतरा नही.. अब भाइ नही कुछही दिनोमे तेरी बडी बहेन होजाउगी.. अब तुजे मुजे आप आप कहेते रीस्पेक्ट देनेकी जरुरत नही हे.. मे कलही डोक्टरसे अ‍ेपोइमेन्ट लेलेता हु..

नीशा : (थोडा सीरीयस होते) सुधीर.. लेकीन अ‍ेक प्रोबलेम हे.. आप मम्मी पापाको कैसे हेन्डल करोगे..?

सुधीर : (मुस्कुराते) नीशा.. मेने सब सोचलीया हे.. हम उसे काम खतम होतेही सब सचाइ बता देगे.. मेरे बारेमे ओर तेरे बारेमे.. की देवुसे तेरी सादी होगइ हे.. तब वो कुछ नही कहेगे.. ओर नाही मेरे मम्मी पापा.. वैसेभी हमे कहा उनके साथ रहेना हे..? जब मुजे मेरी बहेनका साथ हेतो मे कीसीके साथ भी लड जाउगा.. हें..हें..हें..

नीशा : (धीरेसे हसते) ठीक हे सुधीर.. हम ये बात ज्यादा दिनतो सबसे छुपाकर नही रख सकते.. पर वहा आप अकेले मत जाना.. मे ओर चारुभाभी भी साथ चलेगी.. होस्पीटलका मामला हे.. अ‍ैसे वहा अकेले जाना ठीक नही.. ओर जब इतना बडा ओपरेशन हो.. तब तो बीलकुल नही..

सुधीर : (मु्सकुराते) नीशा.. क्या चारुभाभी रमेशको छोडकर आयेगी..?

नीशा : (सरमाते धीरेसे) सुधीर.. मुजे आपसे अ‍ेक बात ओर कहेनी हे.. हमारी चारुभाभीके बारेमे.. उनका ओर रेमशभाइका रीस्ता टुट गया हे..

सुधीर : (आस्चर्यसे) क्या..? नीशा.. क्या सचमे उन दोनोका रीलेशन बीगड गया हे..? दो दिनमे अ‍ैसा क्या होगया..? जो बात यहा तक पहोंच गइ.. की दोनोने अपना रीस्ताही तोड दीया..

नीशा : (धीरेसे सरमाते) सुधीर.. आप कीसीको कहना नही.. जब आप अ‍ेक दिन नही थे तब चारुभाभी यहा सोनेके लीये आइ थी.. ओर वंदना तो रश्मीभाभीके वहा हे.. तब रमेशभाइ अकेले थे.. बस.. उस दिन घरकी छतसे जयाभाभीको अपने घरपे लेकर आगये.. ओर जयाभाभी सायद पुरी रात रमेशभाइके साथ थी.. बस.. इस बातका चारु भाभीको कहीसे पता चल गया..

सुधीर : लेकीन चारुभाभीको पता कैसे चला..? वो तो पुरी रात तेरे साथ थी..

नीशा : (मुस्कुराते) सुधीर भाभी केह रही थी.. सुबह उनको कीसी अन्जान लडकीका फोन आया था.. उसीने रमेशभाइ ओर जयाभाभी रातमे अ‍ेक साथ आपके घर सोनेकी बातकी.. ओर सुबह ही चारुभाभी आग बबुला होते घर चली गइ.. फीर दोनोके बीच खुब जगडा हुआ.. तब रमेशभाइने चनरुभाभीको साफ कहे दीया.. की वो जयाभाभीके साथ सादी करना चाहते हे.. बस.. ओर दोनोने वही अपना रीस्ता खतम करलीया..

सुधीर : (मुस्कुराते) हंम.. आखीर वही हुआ जीसका डर था..

नीशा : (सरमाते धीरेसे) सुधीर.. प्लीज.. अभी कीसीको कहेना नही.. मेरे साथ चारुभाभीने भी हमारे देवुसे सादी करली हे.. अब मे ओर चारुभाभी दोनोही देवुकी बीवीया हे.. हम दोनोने साथ ही यही हमारी सुहागरात मनाइ.. सायद अब कुछ दिन चारुभाभी हमारे साथ ही रहेगी.. क्या आपको अ‍ेतराज तो नही..?

सुधीर : (मुस्कुराते) अरे नही नही.. ठीक हे.. देवुभी तो हमारा भाइ हे.. तो चारुभाभी तो अ‍ैसेही हमारी भाभी रहेगी.. नीशा.. तो फीर अब वंदनाका क्या होगा..? क्या इन दोनोके बारेमे उनको पता हे..?

नीशा : (सरमाते हसते) हां सुधीर.. वंदना इस बारेमे सबकुछ जानती हे.. सायद कुछ दिनोमे वो भी देवुसे सादी कर लेगी.. हें..हें..हें..

सुधीर : (जोरोसे हसते) कमीना.. पता नही कीतनी सादीया करेगा.. हें..हें..हें..

नीशा : (हसते मुका मारते) अ‍ेय.. मेरे पतीको गालीया मत दो.. हें..हें..हें..

सुधीर : (हसते) ओह.. सोरी.. सोरी.. हें..हें..हें.. नीशा.. अब वो भी तो मेरा जीजाजी हे.. हें..हें..हें.. चल अब बहुत हो गया मजाक.. सोना नही हे क्या..? जा अब तुमभी सोजा.. मेभी सफरसे थक गया हु.. बहुत नींद आ रही हे.. गुड नाइट..

नीशा : (खडी होते) गुड नाइट भाइ.. हें..हें..हें..

कहेते नीशा सुधीरको खुस होकर हग करके अपने रुममे चली गइ तो सुधीरभी अपने रुममे जाकर सो गया.. गांवमे बहुत कुछ बदल रहा था.. ओरतोको पता होता हेकी अपनी बाते अपने पतीसे मनवानेके लीये क्या क्या करना पडता हे.. ओर बाते मनवानेका कौनसा वक्त सही होता हे.. बस.. आज जवेरीलालके घर उनके कमरेमेभी यही सब हो रहाथा.. वृन्दा अपने पती जवेरीलालका लंड सुच सुचकर जबरदस्तीसे खडा करनेकी कोसीस कर रही थी..
 
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बडी मुस्कीलसे वृन्दा उनके लंडमे तनाव लानेमे कामयाब रही.. जब जवेरीलालका लंड खडा होगया.. तब वो जटसे बेडपे पीठके बल लेट गइ.. वृन्दा जवेरीलालको खीचकर अपने उपर चडा देती हे.. ओर उनका लंड पकडकर अपनी चुतमे जबरदस्तीसे घुसा देती हे.. फीर जवेरीलालके होठोको चुमते उनको अपनी बाहोमे भीचते अपनी कमरको हीलाते जवेरीलालको चोदनेके लीये वीवस करती हे.. ओर जवेरीलाल कमर हीलाते वृन्दाको चोदने लगे.. तब..
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जवेरीलाल : (मुस्कुराते बुब्स चुमते) वृन्दा.. आज तुजे क्या होगया हे..? हंम..? अपने पतीपे बहुत प्यार आ रहा हे..? बता क्या बात हे..? तुम मुजसे अ‍ैसेही चुदवाने नही आती.. हें..हें..हें..

वृन्दा : (सरमाते धीरेसे) जाओ जी.. क्या मे मेरे पतीको प्यारभी नही कर सकती..? आज बहुत मन हुआतो आगइ.. प्यारसे चोदीयेना.. अब तो आप मुजे चोदते ही नही.. मेरी भी चुदवानेकी बहुत इच्छा होती हे..

जवेरीलाल : (मुस्कुराते कमर हीलाते) अब हमारी उमर होगइ हे.. हमारे बच्चेभी जवान हो गये हे.. तो अब इस उमरमे ये सब करना अच्छा नही लगता..

वृन्दा : (सरमाकर हसते) हां.. आप होगये होगे बुढे.. मे नही.. समजे..? मत भुलो मे आपसे दस साल छोटी हु.. मुजेतो ये सब आजभी चाहीये अभी.. ओर हां.. बच्चोसे याद आया.. अब आप इस दोनोकी सादी जल्दी करवा दीजीये.. कमीनोने हमारी नाक कटवादी..

जवेरीलाल : (मुस्कुराते) क्यु..? क्या हुआ..? उसीकी तो प्लानींग हो रही हे.. कुछ हुआ हे क्या..?

वृन्दा : (सरमाते धीरेसे) नही.. आज सुबह जयश्रीको उल्टी हुइ थी.. सायद हमारी जयश्री पेटसे हे.. दोनोही सादीसे पहेले सबकुछ कर रहे होगे.. इस लडकीने तो हमे कहीका नही छोडा.. कभी भाइ बहेनके बीच चुदाइ होती हे क्या..? सुनीयेजी.. अब हमे यहा नही रहेना.. अब वक्त आगया हे हमे इस घरका बटवारा करदेना चाहीये.. मुजे नही रहेना यहा.. आप थोडा जोरोसे चोदीयेनां.. बहुत मजा आता हे.. हें..हें..हें..

जवेरीलाल : (जोरोसे कमर हीलाते) मे थक जाता हु यार.. तु बहुत चुदडक होगइ हो.. (जोरोसे कमर हीलाते) वृन्दा.. बात तो तेरी सही हे.. हमने इसीलीये तो वो ठाकुर साहेबके खीलाफ सबको भडकाया था.. उन्होने भी अपनी बहेनसे सादी करली थी.. मुजे लगता हे हमारे बच्चोकी आपसमे सादी करवाके भगवानने इसी बातका हमारे साथ बदला लेलीया हे.. भलेही यहा सब कुछ बदलाव होगा.. लेकीन लोगतो हमारी ओर उंगली उठायेगेनां..

वृन्दा : (मनमे खुस होते) तो फीर..? इसीलीये आपसे केह रही हु.. अब ब्रीन्दा ओर देवरजीको यही रहेना हे तो भले ही रहे.. हम छोटासा मकान लेकर सहेरमे चले जायेगे.. भले ही दोनोका धंधा अभी साथ चले..

जवेरीलाल : (जोरोसे चोदते गलेको चुमते) वुन्दा.. क्या ब्रीन्दा ओर जीतुके बीच रीलेशन कुछ ठीक हुआ की नही..? पता नही दोनोके बीच क्या प्रोबलेम हे. कोइ कुछ बतानेको भी तैयार नही हे..

वृन्दा : (जोरोसे कमर हीलाते) छोडीयेना उसे.. उनकी बात अभी करके क्यु हमारा मजा खराब कर रहे हे.. वो दोनो पती पत्नीके बीचका मामला हे..

जवेरीलाल : (जोरोसे चोदते) नही.. जीतुसे इस बारेमे बात करुगा तो उनको दुख होगा.. इसीलीये पुछ रहा था..आइ.. आह.. आह.. आह..वृ..न्दा.. मे गया.. आह.. आइ.. बुच.. बुच..

वृन्दा : (जोरोसे कमर हीलाते बाहोमे भीचते) अरे.. रुकीये.. अ‍ैसे कैसे जल्दी छुट गये.. अभी तो मेरा अ‍ेक बार भी नही हुआ.. चोदीयेनां..

जवेरीलाल : (कमरको जटको देते) आइ.. आह.. बस.. बस.. हो गया.. तु अपनी उंगलीसे करले..

कहेते जवेरीलाल वृन्दाके होठोको चुमते जड गये.. ओर उनके सीनेपे लुढक गये.. तब वृन्दा प्यासी रेह गइ.. फीरभी वो मुस्कुराते जवेरीलालको अपने उपरसे हटाकर बाथरुममे चली गइ.. ओर चुतमे उंगली डालकर जोरोसे हीलाने लगी.. तब कुछही देरमे उनकी चुतसे अ‍ेक फवारा नीकल गया ओर वृन्दा सांत होगइ.. फीर अपनी चुतको साफ करके वापस जवेरीलालकी बगलमे लेटकर उनको बाहोमे भरके सोने लगी.. आज वृन्दाने अपनी बात रखदी थी..

तब गांवसे दुर भानुके घर आजभी रमा भानुके नीचे लेटकर उनसे चुदवा रही थी.. ओर भानुको नीलम ओर लखनकी सादीके लीये.. बाते करते मनवा रही थी.. तब उन दोनोको नही पताथा की नीलम लताके रुमसे उन दोनोकी चुदाइ देख रही हे.. ओर धिरेनके साथ हुइ अपनी चुदाइको याद करते अपनी चुतको सहेला रही थी.. अब नीलमको भी फीरसे चुदवानेकी इच्छा होने लगी.. फीर वो चुतमे उंगली करके सांत होकर सो गइ..

जबभी इस गांवमे सुरज अपनी पहेली कीरण छोडता तब कुछ ज्यादा ही मस्तीमे छोडता.. जैसे कामदेवके बाणोको छोड रहा हो.. जैसे इस गांवके सभी लोगोके मनकी बात जानता हो.. तो आजभी मस्तीके साथ इस गांवमे अपनी रोसनीकी कीरणे छोडकर मुस्कुराते आगे बढने लगा.. ओर गांवके लोगोको सुबह होनेका अहेसास करवाने लगा.. तब कुछ बुजुर्ग लोगो बैलगाडीको लेकर अपने खेतोकी ओर जाने लगे..

हवेलीमे दया रजीया चंपाभाभी.. तीनोही सुबह जल्दी उठकर अपने कामोपे लग गइ थी.. तो नीर्मला भुमीका सरला भी कंपलीट होकर होलमे बैठ गइ थी.. तब पुनम ओर भावना दोनो भी तैयार हो रही थी.. तो लता नहा रही थी.. तब लखन अबभी घोडे बेचकर सो रहाथा.. तो यही हाल देवायतके रुममे भी था.. कल देवायतने सृती ओर चंदाकी हालत वाकइ खराब करदी थी.. तो मंजुने भी सुबह चार बजे तक देवायतसे चुदवाया था..

तो देवायत सृती ओर मंजु अबभी खर्राटे मारते सो रहे थे.. तब चंदा धीरेसे बेडसे उतर गइ.. तो उनकी चुतमे अबभी मीठीसी जलन हो रही थी.. कल देवायतने उनका पुरा बदन चोद चोदके तोड दीयाथा.. तो वो थोडासा लंगडाते बाथरुममे चली गइ.. ओर अपनी चुतकी सीकाइ करके नीत्यक्रम करलीया.. फीर नहाने लगी.. ओर नहाकर बहार नीकली.. तब देवायत जागते ही सृतीकी धमाकेदार चुदाइ कर रहाथा.. तो चंदा देखकर सरमा गइ.. ओर हसने लगी..

चंदा : (सरमाकर हसते) सृती.. क्या रातमे तेरा जी नही भरा.. जो सुबह सुबह ही सुरु होगइ..? हें..हें..हें..

सृती : (सर्मसार होते धीरेसे चुदवाते) दीदी.. पता नही मे जबसे यहा आइ हु.. मेरे साथ सुबह यही करते हे.. हें..हें..हें.. दीदी आपभी आइअ‍ेना..

देवायत : (मुस्कुराते) हां.. चंदा.. तुम भी आजा.. कीतने दिन होगये हम सुबहमे नही मीले..

चंदा : (सर्मसार होते धीरेसे) ना बाबा ना.. अभी भी नीचे जलन हो रही हे.. कलतो आपने मुजे चोद चोदके बेहोस ही करदीया था.. ओर ये देखो महारानी.. अभी भी घोडे बेचकर सो रही हे.. लगता हे.. दोनो देर रात तक जागे होगे.. कमीनी बहुतही चुदकड हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) अ‍ेय.. मेरी मंजुको गालीया मत दे.. मे उसे केह दुगा.. हें..हें..हें..

चंदा : (मुहपे हाथ रखते) ना बाबा ना.. इसे कुछ मत कहेना.. वरना मेरी हालत फीरसे बीगडवा देगी.. ओर आप उनकी हर बात मानते हो.. हे..हें..हें..

कहेते चंदा हसते हुअ‍े आयनेके सामने चली गइ.. तब देवायत ओर सृती धमाकेदार चुदाइ करके साथमे जड गये.. तब दोनोही हसते बाथरुममे अ‍ेक साथ घुस गये.. ओर मस्तीया करते नहाने लगे तबतक मंजु भी जाग गइ.. ओर चंदाको अ‍ेक मुका मारकर वो बेडपे बैठ गइ..

जब देवायत सृती नहाकर बहार आगये तब मंजुभी बाथरुममे घुस गइ.. फीर देवायत चंदा ओर सृती तीनो कंपलीट होकर बहार आगये.. कुछ देरके बाद मंजु भी नहाकर बहार नीकल गइ.. ओर आयनेके सामने बैठकर तैयार होने लगी.. वो अपने बालोको सवार रही थी.. अभी देवायतके रुममे मंजु अकेली ही थी..

तभी पुनम रुममे आकर दरवाजा धीरेसे बंध करदेती हे.. ओर मंजुके पास चली जाती हे.. क्युकी उसने लखनको वो जडीबुटी देनेकी बात कही थी.. जो इस वक्त मंजुके पास थी.. पुनम आतेही साइड मे रखा टेबल खीचकर मंजुके पास बैठ गइ.. ओर धीरेसे सरमाकर मंजुसे बात करने लगी....

कन्टीन्यु
 
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