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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ८६

तब पुनम बडी मुस्कीलसे खडी रेह पाइ.. तब देवायतने उसे अपनी गोदमे उठालीया ओर दोनो सावरके नीचे खडे होगये ओर सावर चालु करदीया तब दोनोही पानीमे भीगते अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा गये.. ओर होंठ मीलाके स्मुच करने लगे.. फीर अ‍ेक दुसरेको मसल मसलके नहेलाने लगे जब नहा लीया तब पुनमने अ‍ेक बार फीरसे देवायतको अपनी बाहोमे भीचलीया ओर होंठ चुमते उनसे अलग होगइ....अब आगे

पुनम : भाइ.. मे ये पांच छे दीन कभी नही भुलुगी.. ये दिन मेरी जींदगीके सबसे अनमोल दिन थे.. आज आपने मुजे खुस करदीया..

देवायत : पुनो.. जीतो चाहता हे मे तुमसे कभी अलगही नाहुं.. बस दिन रात तुजे प्यार करता रहु.. तुमभी मंजुकी तराह मेरी बेस्ट वाइफ हे.. बस अ‍ेक बार तु धिरेनसे सादी करके वापस इस घरमे आजा.. मे तुजे इतना प्यार दुगाकी तु तेरा सारा गम भुल जायेगी..

पुनम : भाइ.. मुजे सीर्फ वहा जानेकीही चीन्ता हे.. मे वहा नही जाना चाहती.. फीरभी मुजे वहा सादी करके जाना पडेगा.. मे खुसनसीब हु की मेरा भाइ ही मेरा पहेला पती हे.. अब चलीये बहार.. आजतो आपने मेरी चुदाइ करके हालत खराब करदी हे..

फीर दोनो अपने तनको पोछ लेते हे ओर नंगेही बहार आजातेहे तब पुनम आयनेके सामने खडी हो गइ ओर अपने आपको संवारने लगी.. तब देवायतको पुनम अ‍ेक मासुम अप्सराकी तराह दीख रहीथी जो अपना शींगार करते बहुतही कामुक लग रहीथी.. तब देवायत उनके पीछे चला गया ओर उनसे सटकर दोनो हाथ पुनमके पेटपे रख दीया ओर हल्कासा सहेलाने लगा तब पुनमको अपने पीछवाडेमे देवायतका लंड दरारमे महेसुस होने लगा.. ओर वो आंख बंध करते मदहोस होने लगी..

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वो आंख बंध करते देवायतके बालोको पीछे हाथ लेजाते सहेलाने लगी.. ओर देवायतने उनके कंधेपे सर रख दीया.. पुनम मदहोसीमे अपना तन देवायतके तनसे रगडने लगी.. ओर दोनो मीररसे अ‍ेक दुसरेके दिदार करने लगे.. तभी देवायत अ‍ेक हाथ बुब्सपे रखकर दुसरे हाथसे पुनमकी जांगको चुतके पास सहेलाने लगा.. तो पुनम आंख बंध करते फीरसे मदहोस होने लगी.. ओर वो धीरे धीरे सीसकारीया करने लगी..

पुनम : सीससइइइइ उंहु.. उंहु.. उहु.. बस बस.. भाइ.. अब ओर नही.. वरना मे फीरसे बहेक जाउगी.. मेरी चुत अब आपके हथीयारको नही जेल पायेगी.. वरना मे अभी आपसे फीरसे चुदवा लेती.. मेराभी बहुत मन कर रहा हे.. की आप मुजे दिन रात प्यार करते रहो.. लेकीन नही.. नीचे अभी बहुत जलन हो रही हे.. सोरी भाइ..

देवायत : पुनो.. मेराभी वोही हाल हे.. जीतो चाहता हे तुमसे मे कभी अलगही ना होउ.. पता नही तेरे जानेके बार मेरा क्या होगा..

कहातो पुनम जटसे पलट गइ ओर देवायतको जोरोसे बाहोमे भीच लीया ओर आंसु बहाने लगी.. वो देवायतके सीनेमे सर छुपाते रोने लगी.. तब देवायत उनके आंसु पोछने लगा ओर प्यारसे गालको सहेलाने लगा तब पुनमने अ‍ेक नजर उठाके देवायतके चहेरेको देखलीया तब देवायतकी आंखभी गीली थी.. तब पुनम देवायतके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी.. फीर रुकते ही उनके आंसु पोछने लगी..

पुनम : (देवायतके आंसु पोछते) भाइ.. आप अ‍ैसी बात करके मुजे कमजोर मत करो.. वरना मे सादी नही करपाउगी.. मे भी आपसे दुर नही रेह सकती..

देवायत : सोरी बेबी.. क्या करु.. मे तुमसे बहुत चाहने लगा हु.. मे वहा आता रहुगा.. तु फीकर मत कर..

पुनम : भाइ जबजक मेरी सादी नही होती हम हररोज रश्मीभाभीके घर मीलेगे.. वहा आकर कमसे कम मुजे आपको अ‍ेक बार प्यार करना पडेगा मे केह देती हु..

देवायत : बेबी वोतो तु नही कहेती तबभी मे तुजे वहा बुला लेता.. अब मे तेरे बीना नही रेह सकता..

पुनम : भाइ मे आपके साथ रेह सकु अ‍ैसा दुसरा कोइ रास्ता नही हे..? मेरी भी हालत आपहीकी तराह हे..

देवायत : नही पुनो.. मे तुजे मेरी कमी कभी महेसुस नही होने दुगा.. मे वहा आता जाता रहुगा.. ओर फीर दो तीन सालकी तो बात हे.. फीर मे तुजे हमेसा मेरे साथ रखुगा मेरी चहीती रानी बनाकर.. आयेगीनां..?

पुनम : (हसते) भाइ रानीतो मे अब भी आपकी हुं.. आपकी सीस्टर रानी.. हें..हें..हें..

देवायत : चल आज मंजुको दीखाने जाना हे.. तु साथ चल रही हेनां..?

पुनम : नही भाइ आज आपही चले जाओ.. मत भुलो आप मुजे पुरी रात बीना नीचे उतरे प्यार करते रहे हो.. आज मेरा पुरा सरीर दर्द कर रहा हे.. आपने मुजे चोद चोदके मेरा अ‍ेक अ‍ेक अंग ढीला करदीया हे.. हमने सुबह तक प्यार कीया हे तो थोडा आराम करलु.. वरना मेरी सासको आज यकीनन मुजपे सक होजायेगा.. ओर ओर.. मे वहा आकर धिरेनको फेइस करना नही चाहती.. रीजन आपभी जानते हे..

देवायत : बेबी इनको कभी ना कभी तो तुजे अपनाना पडेगा.. चल ठीक हे.. मे ही चला जाता हु.. फीर दोनोको सीधे यही लेकर आउगा.. तबतक तु आराम करले..

पुनम : भाइ.. अब आपभी तैयार होजाओ.. देखो सात बज गयेहे.. मे चाइ नास्ता बना देती हु.. ओर हां तैयार होकर आजाइअ‍े मेरी मांग भरनी हे आपको.. जबतक यहा हु हम दोनो पती पत्नीका फर्जतो पुरा करे..

देवायत : (हसते) चल ठीक हे.. ओर तु क्यु चाइ बनायेगी..? रजीया कीधर गइ..? वो तो सुबह पहेले उठती हेनां..?

पुनम : (सरारतसे सरारत भरी मुस्कानसे) भाइ.. आज वो ज्लदी नही उठेगी.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) क्यु..?

पुनम : वो..वो.. उपर होगी.. मेरे देवरके पास.. हें..हें..हें.. कल आप नही आयेथे तबसे वो मेरे देवरके पास चली गइ हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (जोरोसे हसते) ओह.. गोड.. लेकीन कब..? मेरा मतलब कबसे..? लगता हे तेरा देवर बीगड गया हे.. उनकी सादी जल्दी करवानी पडेगी.. हें..हें..हें.. ओर रजीयाभी..?

पुनम : (हसते) हां भाइ.. उनकोभी मजे करने दोना.. बेचारी अकेली होगइ हे.. कहा जायेगी..? मुजे लगता हे जबसे दया वहा गइ हे.. मतलब पीछले दो तीन दीनसे ही.. मुजे कल सुबह ही दोनोपे सक होगया था.. ओर रातके डीनरके बाद सब काम नीपटाके वो अपने रुममे तैयार होने चली गइ.. फीर मेरे रुममे अंधेरा होते ही वो छुपकेसे सींगार करके उपर चली गइ.. तब उनको नही पताथाकी मेने उसे देखलीया हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) चल ठीक हे.. देखना लखनकी सादीके बाद कुछ गडबड ना होजाये.. तु रजीयाको सब समजा देना.. बाकी दोनो भलेही मजे करे.. ये साली आगही अ‍ैसी हे..

पुनम : भाइ आप टेन्शन मतलो.. वो सब मे देख लुगी.. मेरी लताभाभी से अच्छी पटती हे..

फीर देवायत अपना गाउन पहेनके तैयार होने चला गया तो पुनमभी सारी पहेनके अ‍ेक सुहागनकी तराह तैयार होगइ.. तब देवायत तैयार होकर वापस पुनमके रुममे आगया.. ओर पुनमकी मांग भरदी.. तब पुनम देवायतके पांव छुकर उनके सीनेसे लग गइ ओर दोनोके होंठ अ‍ेक बार फीर मील गये.. काफी देरतक अ‍ेक दुसरेके होठोके रस पीते रहे.. फीर दोनोही साथ बहार आगये.. तब देवायत डाइनींगपे जाकर बैठ गया..

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ओर पुनम चाइनास्ता तैयार करने कीचनमे चली गइ.. ओर चाइ नास्ता बनाने लगी.. उसने फटाफट चाइनास्ता बनालीया.. ओर सब लेके बहार आगइ.. ओर देवायतके पास बैठ गइ.. तो देवायतने उसे हाथ खीचकर अपनी जांगपे बीठा दीया तब पुनम जटसे सरमाते आजु बाजु सब देखने लगी फीर थोडा गभराते देवायतकी गोदसे उतर गइ.. ओर पासमे खुरसीपे उनसे सटकर बैठ गइ..

पुनम : (चाइ नास्ता देते) भाइ.. अभी नही.. रजीया कभी भी आ सकती हे.. ओर हां.. आप भाभीको दीखाकर जल्दी आजाना.. मे आपका वेइट करुगी.. अब मुजे आपसे दुर नही रहा जाता..

देवायत : (हसते) हंम.. आजाउगा.. मेभी मेरी बहेनसे दुर रहेना नही चाहता.. पुनो मुजे अंजु ओर चंदाको उधर छोडके मेरे ससुरके वहाभी जाना हे.. वो अभीभी होस्पीटलमे हे..

पुनम : भाइ.. अ‍ेक बात कहु..? वहा सीर्फ वो दोनोही हे.. तो फीर आप उनको इधर लेकर आइअ‍ेनां.. हम उनकी अच्छेसे देखभाल तो कर सकेगे.. ओर भाभीको भी तसली मील जायेगी..

देवायत : चल देखता हु.. मेरी सास नही मानेगी.. फीरभी उनसे बात करलुगा..

दोनोही बाते करते चाइनास्ता करलेते हे.. फीर देवायत अपने रुममे चला गया तो पुनम जटसे उनके पीछे चली गइ ओर अ‍ेक बार फीरसे देवायतको अपनी बाहोमे भीचलीया ओर दोनो होंठ मीलाके स्मुच करने लगे.. फीर देवायत उनके सरपे चुमते बहार नीकल गया ओर कारमे बैठ गया तबतक पुनम भी उनको छोडने बहार तक गइ ओर उनको वही खडे रेहेते देखती रही.. ओर देवायतको हाथ हीलाते बाय कहेने लगी.. ओर देवायत नीकल गया..

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तब पुनम अपने रुममे चली गइ ओर रुमका दरवाजा बंध करके फीरसे सो गइ.. तभी उपरकी ओर रजीयाकी आंख खुल गइ.. तो घडीमे देखातो चोंक गइ.. ओर डरकर सीधे बेडसे उतर गइ ओर फटाफट अपने कपडे पहेनके नीचेकी ओर भागकर आगइ.. तो नीचे कीसीको ना देखकर अपने रुममे चली गइ.. ओर फटाफट नहाके तैयार होगइ.. ओर बहार आके सब काम करने लगी.. क्युकी तब सुबहके ९ बजनेको आयेथे..

ओर रजीयाको पुनमका डर लगने लगा.. क्युकी बहार देवायतकी कार नहीथी.. ओर उनको चाइनास्ता कीसने बना दीया होगा..? वही सोचके वो डर रहीथी.. ओर मनही मन अपने आपको कोसने लगी.. क्युकी पीछली दो रातोसे वो लखनके साथ सोतीथी.. ओर पुरी रात अ‍ेक बीवीकी तराह लखनसे चुदवातीथी.. जीनकी वजहसे आज जागनेमे देर होगइ थी.. तब लखनभी जाग गया ओर नहाके तैयार होकर नीचे आगया..

तब रजीयाने उसे फटाफट चाइनास्ता बनाके दीया.. तभी लखनने रजीयाको खचकर अपनी गोदमे बीठा दीया तो रजीया अ‍ेकदम डरते आजु बाजु नजर घुमाते देखने लगी.. ओर फटाकसे लखनकी गोदसे उतर गइ.. ओर वो गभराती वापस कीचनमे चली गइ.. वो लखनकी इस बीन्दास्त सरारतसे बहुतही गभरा गइ थी.. ओर कीचने जाकर खडी रहेते सोचती रही.. तब लखनभी उनके पीछे आगया..

लखन : रजीया.. क्या हुआ..? इतना क्यु डरी हुइ हे.. कीसीने कुछ कहा क्या..? चल.. तुमको चाइनास्ता नही करना..? चल मेरे साथही करले.. अभी यहा कोइ नही हे..

रजीया : लखन आप पागलतो नही होगये..? घडीमे देखाहे..? कीतने बज गये हे अभी पुनमदीदी उठ जायेगी.. अच्छा हुआ वो अभी तक सो रही हे वरना मेतो आज गइथी कामसे.. ओर मालीकभी चले गयेहे.. पता नही उनको चाइनास्ता कीसने बनादीया होगा.. कही पुनमदीदीने बना दीया तो मेतो गइ कामसे.. मे उनको क्या जवाब दुंगी..? की आज सुबह मे कहा थी..

लखन : (हसते) अरे कुछ नही होगा मे हुंना.. मे पुनमको समजा दुगा तु टेन्शन मतले चल चाइनास्ता करले..

रजीया : लखन आप वहा करलो मे यही करलुगी.. आज नही प्लीज.. जब हम दोनो अकेले हो तब बात अलग हे.. ओर आजतो सायद मालकीनभी आजायेगी.. लगता हे अब हमारा मीलना मुस्कील होगा.. ओर आपभी ध्यान रखना.. हमारे बारेमे कीसीको पता ना चले.. वरना मुजे यहासे नीकाल देगे.. ओर आपभी ध्यार रखना अब आपकीभी सादी होने वाली हे..

लखन : अरे अ‍ैसा कुछ नही होगा मे देख लुगा तु डरती बहुत हे.. ओर अगर अ‍ैसा हेतो मेही तुम्हारे रुममे देर से आजाउगा.. वहातो कोइ दिकत नही हेनां..? रजीया अब मे तेरे बीना नही रेह सकता..

रजीया : (जटसे) नही नही.. वहा दयाभी होगी.. मे ही देरसे सब देखके आजाउगी आप मत आना.. मुजे अब कोइ रीस्क नही लेना.. मे ही आजाउगी..

लखन : चल ठीक हे.. अब चाइ नास्ता करले.. अगर अ‍ैस लगेतो मुजे कहेना मे पुनमसे बात करलुगा..

रजीया : (सरमाते) जी.. ठीक हे आप जाइअ‍े.. वरना पुनमदीदी कभीभी आ सकती हे.. कही हमे साथमे देखना ले..

लखन : (हसते) चल ठीक हे तु यही नास्ता करले.. ओर हां.. आइपील लेना मत भुलना.. हें..हें..हें..

कहातो रजीया सर्मसार होगइ ओर मुस्कराते गरदन हांमे हीलाने लगी.. ओर लखन बहार आगया ओर चाइनास्ता करने लगा.. तब रजीयाभी कीचनमे चाइनास्ता करने लगी फीर लखन अपने खेतोपे चला गया.. फीर रजीया सभी काम नीपटाने लगी.. तबभी पुनम बहार नही आइ.. तो वो पुनमको देखने चली गइ ओर बहारसेही खडी रहेके खीडकीसे देखलीया.. तो पुनम घोडे बेचके सो रहीथी.. तब उसने राहतकी सांस ली..

उधर देवायत सीधेही चंदाके गांव चला गया तो वहा मंजु ओर चंदा तैयार होकर बैठीथी.. मंजुने ओर चंदाने अपने सभी कपडे बेगमे भरलीये थे.. तो धिरेनभी बेंक जानेकी तैयारीया कर रहाथा.. ओर वो तैयार होकर नीचे आगया.. तो मंजु अपने बच्चेके साथ बहार सोफेपे बेठके बच्चेके साथ खेल रहीथी.. तो धिरेनभी आकर उनके साथ बैठ गया ओर विजयके साथ खेलने लगा..

मंजुला : (धीरेसे मुस्कराते) भाइ.. आज हम सृतीको दीखाने जा रहेहे.. ओर वहीसे सीधे घरपे चले जायेगे.. मे मौसीको भी साथ लेजा रही हु.. (थोडी देर रुकते) हमेंसा के लीये.. क्या तु खुस तो हेनां..?

धिरेन : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. आप अ‍ैसा क्यु पुछ रही हो..? मेतो कबसे खुस हु.. मेने मम्मीको इतना खुस कभी नही देखा.. उनकी हर खुसीमे मेरी खुसी हे.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. आप बीन्दास्त मम्मीको लेजा सकती हे..

मंजुला : (हसते) फीरभी सोचा अ‍ेक बार तुजे पुछलु.. चल कोइ बात नही अब तु सामको छुटतेही वहा आजाना.. ओर तेरी सादी तक वहीसे अपडाउन करना.. ओर सादीके लीये तेरी छुटीका भी देख लेना..

धिरेन : दीदी.. वोतो मेने कबका अ‍ेप्लीकेशन देदीया हे.. आप मेरे खाने पीनेका टेन्शन मतलो..ओर माको खुसी खुसी लेजाओ.. बल्की मेतो बहुत खुस हु आपने इनके बारेमे इतना अच्छा सोचा.. ओर मे यही रहुगा..

तभी चंदा उपरसे अपनी बेग लेकर आगइ तो धिरेन उसे देखते ही खडा होगया.. ओर जाकर उनके पैर छुने लगा.. तब चंदाने उसे जटसे खडा करके उसे जोरोसे गले लगालीया ओर आंखसे आंसु बहाने लगी.. तो धिरेनभी आंसु बहाने लगा.. तब मंजु बच्चेको सोफेपे सुलाके उनके पास चली गइ ओर धिरेनके आंसु पोछने लगी.. तो चंदाभी अपने आंसु खुदके रुमालसे पोछने लगी.. ओर सरमाते धिरेनको देखने लगी..

चंदा : (रुआंसी आवाजमे) धिरेन.. अपना खयाल रखना.. ओर वहा आते रहेना..

धिरेन : (आंसु पोछते हसते) मोम.. मेरी बीलकुल चीन्ता मत करो.. ओर खुसीसे अपनी जींदगी जीलो.. मे वहा आता जाता रहुगा.. आप कहा कीसी अन्जान जगाहपे जा रही हे..? दीदीके घरही तो जा रही हे..

मंजुला : धिरेन कलतो सन्डे हे.. तेरी छुटी हेनां..? तो कल तु इधर तैयार रहेना हम तुजे यहीसे पीकअप करलेगे.. कल हम सब आश्रम जा रहे हे.. मौसी ओर तेरे जीजाकी वही मंदिरमे सादी कर देगे.. आओगेनां..?

धिरेन : (जोरोसे हसते) हां दी जरुर आउगा.. मेने मोमकी सादी नही देखी.. तो इस बार देख लुगा.. हें..हें..हें.. कल पहेली बार होगा जो कोइ बेटा अपनी मोमकी सादीमे जायेगा.. हें..हें..हें..

कहा तो चंदा सरमसे पानी पानी होगइ ओर हसते हुअ‍े धिरेनको पीठमे अ‍ेक मुका जड दीया.. ओर मंजु चंदा धिरन सब हसने लगे तब दयाभी तैयार होकर रुमसे बहार आगइ.. तभी देवायत भी कार लेके बहार रुका तो सबके चहेरे खील उठे.. सबके चहेरेपे स्माइल आगइ तभी देवायत अंदर आगया तो धिरेन उनको गर्मजोसीसे गले मीला तब दयानेभी उसे पानी पीलाया..तब..

धिरेन : जीजु कैसे हे मौसाजी..? सब ठीक हेनां..? कोइ दिकततो नही..?

देवायत : (हसते) अरे मस्त हे तु टेन्शन मत ले.. मे हुनां.. ओर आजभी इन सबको छोडके वहा जा रहा हु.. ओर डोक्टर छुटी देगेतो दोनोको इघर हवेलीपे लेकर आउगा.. यहा उनकी अच्छेसे देख भालतो हो सकेगी..

मंजुला : (सीरीयस होते) देवु.. क्या मोम इधर आनेके लीये मानेगी..? क्या आपसे उनकी बात हुइ..?

देवायत : (हसते) अरे हां तुम लोग टेन्शन मत लो.. हमने कल दोपहरको साथमे खाना भी खाया.. उनसे पहेलेही अंकलको होस आगया था.. ओर रीपोर्टमे भी कुछ खास नही हे.. हम दोनोही डोक्टरको मीलने साथमे गये थे..

चंदा : (हसते) चलो अच्छा हुआ दोनो मे सुलहतो होगइ.. हें..हें..हें.. बडीदी बहुत जीदी हे.. बीलकुल आपहीकी तराह.. हें..हें..हें..

धिरेन : (हसते) थेनक्स जीजु.. आपने मेरी बहुतसी टेन्शन खतम करदी..

देवायत : (हसते) यार तु टेन्शन मतले मे हुनां..? तो चले..? सब रेडी हे..? ओर दया तुभी आ रही हे..? क्या इधर नही रुकनां..? रुकना हम तुजे यहा मीलने आते रहेगे.. हें..हें..हें..

दया : (जोरोसे हसते) अरे ना बाबा नां.. अभी यहा नही रुकना.. कुछ दिनतो मालकीनके साथ रहेलु फीरतो पुनमदीदीके साथ दहेजमे मुजे इधर ही आना हे..

कहातो सभी जोरोसे ठहाका मारके हसने लगे.. ओर सब बहारकी ओर चलने लगे तब चंदा अ‍ेक बार फीरसे धिरेनके गले लग गइ.. ओर धिरेनका सर चुमलीया.. उनको लगाकी आज वो मायका छोडके हमेसाके लीये अपने ससुराल जा रही हे.. फीर धिरेनने हसते हुअ‍े बच्चेको उठालीया ओर सबके साथ बहार आगया..

सब कारमे बेठने लगे तो धिरेनने बच्चेको चंदाकी गोदमे देदीया तब मंजु धिरेनके गले लग गइ ओर कल तैयार रहेनेको केह दीया तो धिरेन हां मे सर हीलाके हसने लगा.. ओर कार सहेरकी ओर दोड पडी.. तब कारमे ही..

देवायत : मंजु अ‍ेक बार तुमने सृतीको फोन तो करदीया हेनां..?

मंजुला : तो क्या अभी तक आपने उसे फोन नही कीया..? अरे बाबा वो कीतना चीलाती हे.. आप उनसे फोनपे बात क्यु नही करते..? वो कोइ चुडेल हे क्या.. जो उनसे इतना डरते हो.. अब मीलेगी तब देना जवाब उनको.. ना जाने मुजे क्या क्या सुनायेगी.. कमीनी..

देवायत : (हसते) यार मे काममे भुल जाता हु.. ओर कीतने दीन होगये मे.. भुमी आंटीको भी नही मीला.. वो मीलेगीतो उनकीभी डांट पडेगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : देवु.. आप बीलकुल भुलकड हो.. देखना वोभी मीलेगी तो आपको कान खीचकर डांटेगी.. अब देते रहेना जवाब उनको.. ओर हां.. अ‍ेक खास बात.. कल आप कही मत जाना.. हम सबको आश्रम जाना हे.. आपका जोभी प्रोग्राम हो सब केन्शल.. हें..हें..हें..

देवायत : अरे अचानक आश्रम क्यु..? विजको लेकर जाओगी..? इतना छोटा बच्चा हे.. हें..हें..हें..

दया : मालीक इनकी चीन्ता आप मत करो.. मे इनको रखुगी.. अबतो मेरे पासभी रहेता हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : वहा क्यु जाना हे वो आपको वहा जाकर पता चल जायेगा.. बस ओर कुछ नही कहेना..

कहातो चंदा सरमसे पानीपानी होगइ.. ओर सर बहारकी ओर घुमाते मुस्कराती रही.. तब मंजुने सृतीको फोन लगा दीया ओर उनसे बात करने लगी.. तो फोन अपने मुहके पास लेजाते धीरेसे कहा.. कुती कमीनी गालीतो मत दे.. तेरे जीजु ओर हम सब साथमे हे.. तब चंदा देवायत ओर दया मंजुकी ओर देखते जोरोसे हसने लगे तब मंजुभी बात करते हसने लगी.. उसने फौरन फोन कट करदीया तब चंदा उनकी ओर देखते अबभी हस रही थी..

मंजुला : (हसते देवायतको पीठमे अ‍ेक मुका मारते) देखानां..? सब आपकी वजहसे हुआ.. मुजे खामखा इनकी गाली सुननी पडी.. देखना अ‍ेक दिन मे इनका जरुर बदला लुगी.. हें..हें..हें..

अ‍ैसेही मजाक मस्ती करते सब होस्पीटलपे पहोंच गये तब भानु भावना सबलोग नही आयेथे.. तो देवायत कार पाार्क करतेही उनसे बात करने लगा तो पता चलाकी वो लोग अपने मामाका कार्य खतम होगया हे बस नीकलते हीहे.. कहा तो देवायतने फोन काट दीया तबतक मंजु चंदा दया सब कारसे उतर गयेथे ओर अंदरकी ओर जा रहेथे.. तो देवायतभी कार लोक करके उनके पीछे अंदरकी ओर जाने लगा.. ओर सब अंदर चले गये.. अंदर जातेही..

रीसेपनीस्ट : (हसते) आइअ‍े मंजु मेडम.. अब कैसीहे आपकी तबीयत.. आप इधर बैठीये मेडम अभी अ‍ेक पेसन्टको देख रहेहे वो चले जाये तब आप चलेजाना..

मंजुला : (हसते) जी.. कोइ बात नही हम यही बेठे हे..

तब सब वहा सोफेपे बैठ गयेतो बच्चा चंदाके हाथमे था तो वो ओर दया कच्चेके साथ खेलने लगी.. तो मंजु देवायतके कंधेपे सर रखके बैठ गइ ओर हसने लगी.. तो देवायतभी हसने लगा.. तभी दरवाजा खोलके अ‍ेक कपल हसते हुअ‍े नीकलने लगा जो लेडीथी उनका पेट काफी बहार नीकल गयाथा.. तब रीसेपनीस्टने मंजुको अंदर जानेके लीये हसकर इसारा कीया.. तो चंदा बच्चेको लेकर खडी होगइ ओर मंजुभी उनके साथ अंदर चली गइ..

सृती : (दोनोको देखतेही हसते) आइअ‍े आइअ‍े.. मौसी.. इस कमीनीको भी साथ लेआये.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते चेरपे बेठते) कुतीया.. गालीयातो मत दे.. तेरे जीजाजी भी बहार बैठे हे.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) चल पहेले तुमसे तो नीपटलु.. उनकोतो बादमे देख लुगी.. उनको बहुत चरबी चड गइ हे.. मौसी आप यही बैठो मे इनको अंदर चेक करके आती हु.. फीर बच्चेको देख लेगे..

तब चंदा बच्चेको लेके वही बैठी रही ओर उनके साथ खेलने लगी.. तब मंजु ओर सृती दोनोही अंदरकी केबीनमे चले गये.. ओर मंजुको बेडपे सुलाके उनका लोअर नीकालने लगी ओर सरकाके नीचे करदीया.. फीर सृती टोर्च लेकर उनकी योनी चेक करने लगी.. तो उनको बडा आस्चर्य हुआ ओर वो चेक करते बार बार कभी मंजुको तो कभी मंजुकी योनीको देखती रही.. फीर चेक करके उनके कपडे सही करलीये.. ओर मंजु खडी होगइ..तो..

सृती : (धीरेसे) मंजु.. तु दो मीनीट इधर बैठ मुजे तुमसे कुछ जरुरी बात करनी हे..

मंजुला : (हसते) क्यु कोइ सीरीयस मेटर हे..? तो फीर डर क्या.. जोभी हे साफ साफ बतादे..

सृती : नही मंजु तु गभरा मत.. ये कोइ सीरीयस मेटर नही हे.. लेकीन मेने अ‍ैसा मेरी जींदगीमे पहेली बार देखा..

मंजुला : (थोडा सीरीयस होते) क्या देखा..? सृती सच बताना तु कुछ मत छुपाना.. क्या देखा तुने..

सृती : (धीरेसे) मंजु तु कोइ ओर दवाइ या कुछ आयुर्वेदिक दवाइतो नही ले रही..?

मंजुला : (आस्चर्यसे) नही.. तेरी दी हुइ दवाइके अलावा कुछभी नही लीया.. क्यु..? क्या बात हे..?

सृती : मंजु जब कोइ ओरत बच्चे पैदा करलेती हे.. वो उनकी योनी अ‍ैसी नही रहेती.. उनमे काफी बदलाव आजाता हे..

मंजुला : मतलब.. तु कहेना क्या चाहती हे.. कुछ प्रोबलेम हे क्या..?

सृती : (हसते) अरे नही नही.. मंजु तेरी योनी इतनी जल्दी ठीक कैसे होगइ..? ओर देख अभी कीसी कुआरी लडकी जैसी होगइ हे.. अ‍ेकदम वर्जीन.. जैसे तुमने कोइ बच्चा पैदा ही नही कीयाहो.. गजब हे यार..

मंजुला : (तभी बाबाकी कुछ शक्तिकी बात याद आती हे) सृती.. मुजे लगता हे वो सब उन शक्तियोके कारण हुआ होगा.. मेने तुजे वो बाबाके बारेमे कहाथानां..? लगता हे उन्हीकी कारण हुआ होगा.. सृती तुजे आज अ‍ेक बात बताती हु.. पता नही मेने अभी तक कीसीको नही बताया..

सृती : (धीरेसे हसते) अब कोनसी बात हे..?

मंजुला : सृती कुछ महीनोसे मुजे जीबसा फील होने लगता हे.. मे ओर तेरे जीजु जब करते हे.. तब मुजे हब बार पहेलीबारकी तराह दर्द होता हे मानो मे पहेली बार करवा रही हु..

सृती : (आस्चर्यसे धीरेसे) मंजु..? अ‍ैसे कैसे हो सकता हे..? इस नोट पोसीबल.. दर्द सीर्फ पहेली बारही होता हे..

मंजुला : पता नही सृती लेकीन यही सच हे.. ओर अ‍ेक बात.. आज कल मुजे सबके जीवनके बारेमे पता चल जाता हे.. उनका भुतकाल, वर्तमान ओर भविष्य.. मे कीसीकोभी देखती हु तो उनके बारेमे मुजे सब ज्ञात हो जाता हे.. मुजे लगता हे ये सब बाबाने दि हुइ शक्तिके कारण हो रहा हे..

सृती : अरे हां.. तु उस दिनभी कुछ बता रही थी.. मुजे उनसे मीलाने भी वाली थी.. बता कब जाना हे वहा..

मंजुला : सृती कल.. तु कल फ्रि हे क्या..? हम कल मौसीकी सादी तेरे जीजुके साथ वहा करने जा रहेहे तु साथ चलेगी..? चलना तेरा उनसे दर्शनभी करवा दुगी.. तु आन्टीको भी साथ लेले.. वोभी दर्शन कर लेगी.. मुजे तुजे लेकरही जाना हे.. तु अ‍ेक बार बाबाको मीलले.. फीर मे तुजे कुछ बताउगी.. ओर सोच रहीहु कल यहा खीरीदी भी नीपटालु..

सृती : (हसते) हां.. ये ठीक रहेगा.. कीतने दिन होगये मम्मीको कही नही लेगइ.. चल ठीक हे आजायेगे.. में अपनी कार लेलुगी बोल हम कहा मीलेगे..?

मंजुला : (हसते) वो रास्ता तु तेरे जीजुसे पुछलेना.. मुजे रास्तेके बारेमे ज्यादा कुछ नही मालुम.. बस इतना पता हे हमारे गांव ओर इस सहेरके बीचमे अ‍ेक रास्ता हे वहीसे हम जाते हे..

सृती : चल अभी जीजुसे ही पेुछ लेती हु.. ओर बता कुछ पुछना हे..? वैसे तु मेरे बारेमेभी सब जानती होगी..? हें..हें..हें..

मंजुला : (सरमाते हसते) सृती.. हां सब जानती हु.. लेकीन आज नही.. बस तु अ‍ेक बार बाबाको मीलले.. फीर तुमसे कुछ बातभी करनी हे.. (सरमाते हसते) वैसे तु कहेती हे मेरी ये ठीक होगइ हे तो क्या मे ओर तेरे जीजु कुछ कर सकते हे.. आइ मी..न.. मतलब.. हमारा मीलन..

सृती : (जोरोसे हसते धीरेसे) कमीनी.. सीधे सीधे बोलना तुजे जीजसे चुदवाना हे.. कुती कहीकी.. तुजे कीतनी आग लगी हुइ हे.. कुछतो सरम कर.. अभी पांच दिन पहेले तेरी डीलीवरी हुइ हे.. (हसते) चल ठीक हे.. मीलना.. क्या अभी मीलना हे..? तो जीजुको अंदर लेके चलीजा.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) नही.. यहा कोइ जोखीम नही लेना वरना कमीनी तुभी आजायेगी.. हें..हें..हें..

सृती : (अ‍ेकदम सरमाते मुका मारते) कमीनी.. कुछतो सरम कर.. मे सालीहु उनकी.. तुजे जलन नही होती..?

मंजुला : (हसते) तो क्या हुआ साली भी तो आधी घरवाली होती हे.. तु उपर उपरसेही मजे करना.. हें..हें..हें.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. कमीनी मेनेतो तुजे पहेलेभी साथमे आनेको कहाथा.. लेकीन तुमही नही आइ सरमकी पुछ.. वरना मेरा देवुतो तुजे चोदकर तेरे पीछे पागल होजाता.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) कमीनी.. कुती.. कुछतो सरम कर.. चल चल.. बहार.. कमीनी बीलकुल बेसर्म होगइ हे तु.. मौसी अकेली बैठी हे.. चल बहार..

फीर दोनो हसते हुअ‍े बहार आगइ तो चंदा उनकी ओर देखते हसने लगी.. ओर बच्चेको मंजुके हाथमे थमा दीया तो मंजु बच्चेको दीखाने लगी.. ओर सृतीने उनकोभी चेक करलीया.. फीर बच्चेको वापस देदीया..

सृती : मौसी येतो मस्त हे.. ओर दोनो बीलकुल ठीक हे, अब १५ दीनके बाद दीखाने आजाना ओर वोभी सीर्फ बच्चेको चेक करना हे इनको अब चेक करनेकी कोइ जरुरत नही हे (मंजुकी ओर कातील स्माइल करते)

चंदा : सृती.. अब तु घर कब आ रही हे..? तेरी मम्मीको लेकर आ.. वहा बडी दीदीकोभी बुला लेगे..

सृती : (हसते) ठीक हे मौसी.. मे उनको आपसे जल्द मीलवाउगी.. हें..हें..हें.. ओर हां कहा गये जीजु.. मम्मी उनको बहुत याद कर रही हे.. जनाब दीखतेही नही.. फोन तक नही कीया.. बहुत आलसी हे.. हें..हें..हें..

चंदा : सृती.. तेरी मम्मीको मंजुके बच्चेके बारेमे बतायाकी नही..?

सृती : बताया..? अरे वोतो सुनके पागल होगइ..? इसीलीये तो वो जीजाजीसे मीलना चाहती हे.. ओर कुछ उनको ओर कामभी हे..

चंदा : (बच्चेको लेकर उठते) ठीक हे तुम लोग बाते करो मे उनको अंदर भेजती हु.. यही हे.. हें..हें..हें..

सृती : (चंदाके बहार जातेही धीरेसे हसते) मंजु.. मौसीतो उनका नाम भी नही ले रही.. हें..हें..हें.. लगता हे अभीसे उनको अपना पती मान चुकी हे.. हें..हें..हें.. दोनोने कुछ कीया बीया हेकी नही..? हें..हें..हें..

मंजु : (हसते धीरेसे) कमीनी धीरे बोल वो आतेही होगे.. लोजी.. आगये.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते अंदर आते) क्यु.. दोनो मेरे बारेमे क्या बाते कर रही हो..? मंजु सच बताना..

मंजुला : (जोरोसे हसते) अरे कुछ नही.. ये सृतीको आपसे कुछ कामथा.. हें..हें..हें..

सृती : (जोरोसे हसते) कमीनी मेरा नाम क्यु ले रही हे.. नही जीजु मेने कुछ नही कहा.. हें..हें..हें..

देवायत : (चेयरपे बेठते) हां.. तुम दोनो कीतनी सातीर हो मुजे सब पता हे.. बोल सृती क्या कामथा..?

सृती : (कातील नजरोसे स्माइइ करते) क्यु..? आपको फोन करनेको कहाथा कुछ याद नही रहेता आपको..? मुजे नही मम्मीको आपसे कुछ काम था.. वो कबसे आपको याद कर रही हे.. लगता हे नजाबको टाइमही नही मीलता.. कहो घरपे कब आ रहे हो.. जीजु वो आपको बहुत याद कर रही हे.. अ‍ेक बार आकर उनसे मीललो.. ताकी मेरा दिमाग ना खाये.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) मीलनेदे उसे फीर कहेता हु तुम्हारी लडकी तुम्हारे बारेमे क्या केह रहीथी.. हें..हें..हें.. सृती आज देर हो रहीहे वरना आजही मील लेता.. मुजे राजीव अंकलके पास जाना हे.. वो होस्पीटलाइ हे.. उनको पेरेलेटीक स्ट्रोक आया हे.. कलही होसमे आये हे..

सृती : (गंभीर होते आस्चर्यसे) क्या.. राजीव अंकलको..? कमीनी.. तु तो कहेती भी नही हे..?

मंजुला : (आंख गीली करते) सृती.. मुजेभी परसो पता चला.. वोभी धिरेनसे.. ओर मे इस हालमे कैसे जाती.. तो तेरे जीजुको ही भेज दीया.. अब उनकी हालत काफी बहेतर हे.. कलही मम्मीसे मेरी बात हुइ..

सृती : (सरमाते हसते धीरेसे) जीजु.. क्या.. आंटीसे आपकी सुलाह होगइ..? दोनो नही बोलतेथे..

देवायत : (हसते) हां होगइ.. अब कोइ गीला सीकवा नही.. बस मेरी मंजु खुस रहेनी चाहीये..

कहातो मंजु अ‍ेकदम इमोस्नल होगइ ओर खडी होकर देवायतके गले लग गइ ओर आंसु बहाने लगी.. तो सृतीभी खडी होके उनके पास आगइ ओर मुस्कराते मंजुकी पीठ सहेलाती रही.. फीर मंजुके आंसु पोछके उनको पानी पीलाया ओर तीनो वापस चैयरपे बेठ गये.. तब सृती देवायतकी ओर देखके हसने लगी..

सृती : जीजु आइ अ‍ेम हेपी.. की मंजुको आप मीले.. दोनोके बीच कीतना गहेरा प्यार हे..

मंजुला : (हसते) तो तुभी आजा.. मेरा देवु तुजेभी इतना ही प्यार देगा.. हें..हें..हें.. क्यु देवु..?

सृती : (अ‍ेकदम समस्सार होते) कीतनी कमीनी हो.. कुछतो खयाल कर.. जीजु इधर बैठेहे.. कुछभी बोलती हे.. बेसर्म कहीकी.. ये सब छोड मुजे जीजुसे कुछ पुछना था..

देवायत : (हसते) क्या..? क्या..? अब क्या पुछना बाकी रेह गया.. हें..हें..हें.. ये बताओ आंटी कैसी हे..?

सृती : (हसते) अ‍ेकदम मस्त.. जीजु कल आप सब आश्रम जा रहेहे.. अगर मुजे आश्रम जाना होतो मे आपका वेइट कहा करु..? मे मेरी कारसे मम्मीको लेकर आ रही हु..

देवायत : अरे हमारे गांवके रोडपे बीचमे वो ---नाका आता हेनां..? वहीसे अ‍ेक रास्ता जंगलकी ओर जाता हे.. सायद वो रास्ता तुमने देखा होगा.. बस वही रास्तेसे हमे आश्रम जाना हे..

सृती : अरे हां वो तो मेने देखा हे.. वहां..?

देवायत : हां बस वही तुम आंटीको लेकर ९.३० बजे पहोंच जाना पहेले तुम आजाओतो हमारा वेइट करना वरना हम वही खडे रहेगे.. फीर दोनो साथ चले जायेगे.. ओर हां.. वहीसे सीधा हवेलीपे आना हे तेरा जोभी अ‍ेडजेस्टमेन्ट हे वो कर लेना मुजे कुछ बहाना नही चाहीये..

सृती : (हसते) जीजु हम सब वहीसे इधर आजायेगेनां.. आप सब कल हमारे घर आ रहेहे.. ओर रातका डीनर करके चले जाना.. क्ये कल यहा खरीदी करने नही आ रहे..? वहा हवेलीमे फीर कभी आउगी.. क्या वहा आप अंकल ओर नीर्मला आंटीको लेकर आ रहे होनां.. तो मम्मीको तभी वहा लेकर आजाउगी.. दोनो फ्रेन्ड वही मील लेगी.. क्या कहेते हो..?

मंजुला : (हसते) चल जैसे तेरी मरजी.. लेकीन तब आंटीको लेकर आना ओर वहा कमसे कम दोनोको तीन दीन रोकुंगी.. तब कुछ नखरे मत करना अभीसे केह देती हु..

सृती : (हसते) पका.. तब मे वहा रुकुगी.. ओर अभी तेरे देवर ओर पुनमकी सादी भी हेनां.. तबही आजाउगी..

देवायत : हां ये बेटर रहेगा.. तब अंकल आंटीभी वहा होगे.. तबही मील लेना.. ओर हां वो भावु लोग अभी आ रहेहे बीच रास्तेपे ही हे.. उनको जरा देख लेना..

सृती : जीजु आप भावुकी चीन्ता मत करो वो मेरी भी बहेन हे.. मे सब देख लुंगी..

मंजुला : (खडी होते) सृती.. चल अब हम चलते हे.. फीर तेरे जीजुको भी नीकलना हे.. चलो बाय..

तब सृती ओर देवायतभी खडे होगये ओर मंजु आगे चली गइ.. तब सृती जटसे देवायतके पीछे आगइ ओर उनसे सटकर उनका हाथ पकडलीया.. तो देवायतने हसते हुअ‍े उनकी ओर देखातो जटसे उनकी ओर आज पहेली बार आंख मारते इसारोसे फोन करनेको कहेने लगी.. ओर हाथ दबाकर छोड दीया तो देवायतने अचानक पीछे मुह करते सृतीके होंठ चुमलीये ओर हसने लगा..

तब सृतीको पहेली बार देवायतने होंठ चुमकर कीस करदी तो सृती सोक्ट होते मुह फाटते उनकी ओर देखती रही.. क्युकी पीछले कुछ महीनोसे वो सीर्फ देवायतके बारेमे ही सोचती रहेती हे.. ओर जबसे देवायतके पेन्टके उभारको देखलीया हे तबसे वो पागल हो रही हे.. ओर आज मंजुकी बातो ने आगमे घी डालनेका काम कीया.. तबतक देवायत बहार नीकल चुकाथा तो वो जटसे उनके पीछेकी ओर दोड पडी.. जैसे उनसे उनका पुराना यार बीछड रहा हो....

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - ८६

तब पुनम बडी मुस्कीलसे खडी रेह पाइ.. तब देवायतने उसे अपनी गोदमे उठालीया ओर दोनो सावरके नीचे खडे होगये ओर सावर चालु करदीया तब दोनोही पानीमे भीगते अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे समा गये.. ओर होंठ मीलाके स्मुच करने लगे.. फीर अ‍ेक दुसरेको मसल मसलके नहेलाने लगे जब नहा लीया तब पुनमने अ‍ेक बार फीरसे देवायतको अपनी बाहोमे भीचलीया ओर होंठ चुमते उनसे अलग होगइ....अब आगे

पुनम : भाइ.. मे ये पांच छे दीन कभी नही भुलुगी.. ये दिन मेरी जींदगीके सबसे अनमोल दिन थे.. आज आपने मुजे खुस करदीया..

देवायत : पुनो.. जीतो चाहता हे मे तुमसे कभी अलगही नाहुं.. बस दिन रात तुजे प्यार करता रहु.. तुमभी मंजुकी तराह मेरी बेस्ट वाइफ हे.. बस अ‍ेक बार तु धिरेनसे सादी करके वापस इस घरमे आजा.. मे तुजे इतना प्यार दुगाकी तु तेरा सारा गम भुल जायेगी..

पुनम : भाइ.. मुजे सीर्फ वहा जानेकीही चीन्ता हे.. मे वहा नही जाना चाहती.. फीरभी मुजे वहा सादी करके जाना पडेगा.. मे खुसनसीब हु की मेरा भाइ ही मेरा पहेला पती हे.. अब चलीये बहार.. आजतो आपने मेरी चुदाइ करके हालत खराब करदी हे..

फीर दोनो अपने तनको पोछ लेते हे ओर नंगेही बहार आजातेहे तब पुनम आयनेके सामने खडी हो गइ ओर अपने आपको संवारने लगी.. तब देवायतको पुनम अ‍ेक मासुम अप्सराकी तराह दीख रहीथी जो अपना शींगार करते बहुतही कामुक लग रहीथी.. तब देवायत उनके पीछे चला गया ओर उनसे सटकर दोनो हाथ पुनमके पेटपे रख दीया ओर हल्कासा सहेलाने लगा तब पुनमको अपने पीछवाडेमे देवायतका लंड दरारमे महेसुस होने लगा.. ओर वो आंख बंध करते मदहोस होने लगी..

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वो आंख बंध करते देवायतके बालोको पीछे हाथ लेजाते सहेलाने लगी.. ओर देवायतने उनके कंधेपे सर रख दीया.. पुनम मदहोसीमे अपना तन देवायतके तनसे रगडने लगी.. ओर दोनो मीररसे अ‍ेक दुसरेके दिदार करने लगे.. तभी देवायत अ‍ेक हाथ बुब्सपे रखकर दुसरे हाथसे पुनमकी जांगको चुतके पास सहेलाने लगा.. तो पुनम आंख बंध करते फीरसे मदहोस होने लगी.. ओर वो धीरे धीरे सीसकारीया करने लगी..

पुनम : सीससइइइइ उंहु.. उंहु.. उहु.. बस बस.. भाइ.. अब ओर नही.. वरना मे फीरसे बहेक जाउगी.. मेरी चुत अब आपके हथीयारको नही जेल पायेगी.. वरना मे अभी आपसे फीरसे चुदवा लेती.. मेराभी बहुत मन कर रहा हे.. की आप मुजे दिन रात प्यार करते रहो.. लेकीन नही.. नीचे अभी बहुत जलन हो रही हे.. सोरी भाइ..

देवायत : पुनो.. मेराभी वोही हाल हे.. जीतो चाहता हे तुमसे मे कभी अलगही ना होउ.. पता नही तेरे जानेके बार मेरा क्या होगा..

कहातो पुनम जटसे पलट गइ ओर देवायतको जोरोसे बाहोमे भीच लीया ओर आंसु बहाने लगी.. वो देवायतके सीनेमे सर छुपाते रोने लगी.. तब देवायत उनके आंसु पोछने लगा ओर प्यारसे गालको सहेलाने लगा तब पुनमने अ‍ेक नजर उठाके देवायतके चहेरेको देखलीया तब देवायतकी आंखभी गीली थी.. तब पुनम देवायतके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी.. फीर रुकते ही उनके आंसु पोछने लगी..

पुनम : (देवायतके आंसु पोछते) भाइ.. आप अ‍ैसी बात करके मुजे कमजोर मत करो.. वरना मे सादी नही करपाउगी.. मे भी आपसे दुर नही रेह सकती..

देवायत : सोरी बेबी.. क्या करु.. मे तुमसे बहुत चाहने लगा हु.. मे वहा आता रहुगा.. तु फीकर मत कर..

पुनम : भाइ जबजक मेरी सादी नही होती हम हररोज रश्मीभाभीके घर मीलेगे.. वहा आकर कमसे कम मुजे आपको अ‍ेक बार प्यार करना पडेगा मे केह देती हु..

देवायत : बेबी वोतो तु नही कहेती तबभी मे तुजे वहा बुला लेता.. अब मे तेरे बीना नही रेह सकता..

पुनम : भाइ मे आपके साथ रेह सकु अ‍ैसा दुसरा कोइ रास्ता नही हे..? मेरी भी हालत आपहीकी तराह हे..

देवायत : नही पुनो.. मे तुजे मेरी कमी कभी महेसुस नही होने दुगा.. मे वहा आता जाता रहुगा.. ओर फीर दो तीन सालकी तो बात हे.. फीर मे तुजे हमेसा मेरे साथ रखुगा मेरी चहीती रानी बनाकर.. आयेगीनां..?

पुनम : (हसते) भाइ रानीतो मे अब भी आपकी हुं.. आपकी सीस्टर रानी.. हें..हें..हें..

देवायत : चल आज मंजुको दीखाने जाना हे.. तु साथ चल रही हेनां..?

पुनम : नही भाइ आज आपही चले जाओ.. मत भुलो आप मुजे पुरी रात बीना नीचे उतरे प्यार करते रहे हो.. आज मेरा पुरा सरीर दर्द कर रहा हे.. आपने मुजे चोद चोदके मेरा अ‍ेक अ‍ेक अंग ढीला करदीया हे.. हमने सुबह तक प्यार कीया हे तो थोडा आराम करलु.. वरना मेरी सासको आज यकीनन मुजपे सक होजायेगा.. ओर ओर.. मे वहा आकर धिरेनको फेइस करना नही चाहती.. रीजन आपभी जानते हे..

देवायत : बेबी इनको कभी ना कभी तो तुजे अपनाना पडेगा.. चल ठीक हे.. मे ही चला जाता हु.. फीर दोनोको सीधे यही लेकर आउगा.. तबतक तु आराम करले..

पुनम : भाइ.. अब आपभी तैयार होजाओ.. देखो सात बज गयेहे.. मे चाइ नास्ता बना देती हु.. ओर हां तैयार होकर आजाइअ‍े मेरी मांग भरनी हे आपको.. जबतक यहा हु हम दोनो पती पत्नीका फर्जतो पुरा करे..

देवायत : (हसते) चल ठीक हे.. ओर तु क्यु चाइ बनायेगी..? रजीया कीधर गइ..? वो तो सुबह पहेले उठती हेनां..?

पुनम : (सरारतसे सरारत भरी मुस्कानसे) भाइ.. आज वो ज्लदी नही उठेगी.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) क्यु..?

पुनम : वो..वो.. उपर होगी.. मेरे देवरके पास.. हें..हें..हें.. कल आप नही आयेथे तबसे वो मेरे देवरके पास चली गइ हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (जोरोसे हसते) ओह.. गोड.. लेकीन कब..? मेरा मतलब कबसे..? लगता हे तेरा देवर बीगड गया हे.. उनकी सादी जल्दी करवानी पडेगी.. हें..हें..हें.. ओर रजीयाभी..?

पुनम : (हसते) हां भाइ.. उनकोभी मजे करने दोना.. बेचारी अकेली होगइ हे.. कहा जायेगी..? मुजे लगता हे जबसे दया वहा गइ हे.. मतलब पीछले दो तीन दीनसे ही.. मुजे कल सुबह ही दोनोपे सक होगया था.. ओर रातके डीनरके बाद सब काम नीपटाके वो अपने रुममे तैयार होने चली गइ.. फीर मेरे रुममे अंधेरा होते ही वो छुपकेसे सींगार करके उपर चली गइ.. तब उनको नही पताथाकी मेने उसे देखलीया हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) चल ठीक हे.. देखना लखनकी सादीके बाद कुछ गडबड ना होजाये.. तु रजीयाको सब समजा देना.. बाकी दोनो भलेही मजे करे.. ये साली आगही अ‍ैसी हे..

पुनम : भाइ आप टेन्शन मतलो.. वो सब मे देख लुगी.. मेरी लताभाभी से अच्छी पटती हे..

फीर देवायत अपना गाउन पहेनके तैयार होने चला गया तो पुनमभी सारी पहेनके अ‍ेक सुहागनकी तराह तैयार होगइ.. तब देवायत तैयार होकर वापस पुनमके रुममे आगया.. ओर पुनमकी मांग भरदी.. तब पुनम देवायतके पांव छुकर उनके सीनेसे लग गइ ओर दोनोके होंठ अ‍ेक बार फीर मील गये.. काफी देरतक अ‍ेक दुसरेके होठोके रस पीते रहे.. फीर दोनोही साथ बहार आगये.. तब देवायत डाइनींगपे जाकर बैठ गया..

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ओर पुनम चाइनास्ता तैयार करने कीचनमे चली गइ.. ओर चाइ नास्ता बनाने लगी.. उसने फटाफट चाइनास्ता बनालीया.. ओर सब लेके बहार आगइ.. ओर देवायतके पास बैठ गइ.. तो देवायतने उसे हाथ खीचकर अपनी जांगपे बीठा दीया तब पुनम जटसे सरमाते आजु बाजु सब देखने लगी फीर थोडा गभराते देवायतकी गोदसे उतर गइ.. ओर पासमे खुरसीपे उनसे सटकर बैठ गइ..

पुनम : (चाइ नास्ता देते) भाइ.. अभी नही.. रजीया कभी भी आ सकती हे.. ओर हां.. आप भाभीको दीखाकर जल्दी आजाना.. मे आपका वेइट करुगी.. अब मुजे आपसे दुर नही रहा जाता..

देवायत : (हसते) हंम.. आजाउगा.. मेभी मेरी बहेनसे दुर रहेना नही चाहता.. पुनो मुजे अंजु ओर चंदाको उधर छोडके मेरे ससुरके वहाभी जाना हे.. वो अभीभी होस्पीटलमे हे..

पुनम : भाइ.. अ‍ेक बात कहु..? वहा सीर्फ वो दोनोही हे.. तो फीर आप उनको इधर लेकर आइअ‍ेनां.. हम उनकी अच्छेसे देखभाल तो कर सकेगे.. ओर भाभीको भी तसली मील जायेगी..

देवायत : चल देखता हु.. मेरी सास नही मानेगी.. फीरभी उनसे बात करलुगा..

दोनोही बाते करते चाइनास्ता करलेते हे.. फीर देवायत अपने रुममे चला गया तो पुनम जटसे उनके पीछे चली गइ ओर अ‍ेक बार फीरसे देवायतको अपनी बाहोमे भीचलीया ओर दोनो होंठ मीलाके स्मुच करने लगे.. फीर देवायत उनके सरपे चुमते बहार नीकल गया ओर कारमे बैठ गया तबतक पुनम भी उनको छोडने बहार तक गइ ओर उनको वही खडे रेहेते देखती रही.. ओर देवायतको हाथ हीलाते बाय कहेने लगी.. ओर देवायत नीकल गया..

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तब पुनम अपने रुममे चली गइ ओर रुमका दरवाजा बंध करके फीरसे सो गइ.. तभी उपरकी ओर रजीयाकी आंख खुल गइ.. तो घडीमे देखातो चोंक गइ.. ओर डरकर सीधे बेडसे उतर गइ ओर फटाफट अपने कपडे पहेनके नीचेकी ओर भागकर आगइ.. तो नीचे कीसीको ना देखकर अपने रुममे चली गइ.. ओर फटाफट नहाके तैयार होगइ.. ओर बहार आके सब काम करने लगी.. क्युकी तब सुबहके ९ बजनेको आयेथे..

ओर रजीयाको पुनमका डर लगने लगा.. क्युकी बहार देवायतकी कार नहीथी.. ओर उनको चाइनास्ता कीसने बना दीया होगा..? वही सोचके वो डर रहीथी.. ओर मनही मन अपने आपको कोसने लगी.. क्युकी पीछली दो रातोसे वो लखनके साथ सोतीथी.. ओर पुरी रात अ‍ेक बीवीकी तराह लखनसे चुदवातीथी.. जीनकी वजहसे आज जागनेमे देर होगइ थी.. तब लखनभी जाग गया ओर नहाके तैयार होकर नीचे आगया..

तब रजीयाने उसे फटाफट चाइनास्ता बनाके दीया.. तभी लखनने रजीयाको खचकर अपनी गोदमे बीठा दीया तो रजीया अ‍ेकदम डरते आजु बाजु नजर घुमाते देखने लगी.. ओर फटाकसे लखनकी गोदसे उतर गइ.. ओर वो गभराती वापस कीचनमे चली गइ.. वो लखनकी इस बीन्दास्त सरारतसे बहुतही गभरा गइ थी.. ओर कीचने जाकर खडी रहेते सोचती रही.. तब लखनभी उनके पीछे आगया..

लखन : रजीया.. क्या हुआ..? इतना क्यु डरी हुइ हे.. कीसीने कुछ कहा क्या..? चल.. तुमको चाइनास्ता नही करना..? चल मेरे साथही करले.. अभी यहा कोइ नही हे..

रजीया : लखन आप पागलतो नही होगये..? घडीमे देखाहे..? कीतने बज गये हे अभी पुनमदीदी उठ जायेगी.. अच्छा हुआ वो अभी तक सो रही हे वरना मेतो आज गइथी कामसे.. ओर मालीकभी चले गयेहे.. पता नही उनको चाइनास्ता कीसने बनादीया होगा.. कही पुनमदीदीने बना दीया तो मेतो गइ कामसे.. मे उनको क्या जवाब दुंगी..? की आज सुबह मे कहा थी..

लखन : (हसते) अरे कुछ नही होगा मे हुंना.. मे पुनमको समजा दुगा तु टेन्शन मतले चल चाइनास्ता करले..

रजीया : लखन आप वहा करलो मे यही करलुगी.. आज नही प्लीज.. जब हम दोनो अकेले हो तब बात अलग हे.. ओर आजतो सायद मालकीनभी आजायेगी.. लगता हे अब हमारा मीलना मुस्कील होगा.. ओर आपभी ध्यान रखना.. हमारे बारेमे कीसीको पता ना चले.. वरना मुजे यहासे नीकाल देगे.. ओर आपभी ध्यार रखना अब आपकीभी सादी होने वाली हे..

लखन : अरे अ‍ैसा कुछ नही होगा मे देख लुगा तु डरती बहुत हे.. ओर अगर अ‍ैसा हेतो मेही तुम्हारे रुममे देर से आजाउगा.. वहातो कोइ दिकत नही हेनां..? रजीया अब मे तेरे बीना नही रेह सकता..

रजीया : (जटसे) नही नही.. वहा दयाभी होगी.. मे ही देरसे सब देखके आजाउगी आप मत आना.. मुजे अब कोइ रीस्क नही लेना.. मे ही आजाउगी..

लखन : चल ठीक हे.. अब चाइ नास्ता करले.. अगर अ‍ैस लगेतो मुजे कहेना मे पुनमसे बात करलुगा..

रजीया : (सरमाते) जी.. ठीक हे आप जाइअ‍े.. वरना पुनमदीदी कभीभी आ सकती हे.. कही हमे साथमे देखना ले..

लखन : (हसते) चल ठीक हे तु यही नास्ता करले.. ओर हां.. आइपील लेना मत भुलना.. हें..हें..हें..

कहातो रजीया सर्मसार होगइ ओर मुस्कराते गरदन हांमे हीलाने लगी.. ओर लखन बहार आगया ओर चाइनास्ता करने लगा.. तब रजीयाभी कीचनमे चाइनास्ता करने लगी फीर लखन अपने खेतोपे चला गया.. फीर रजीया सभी काम नीपटाने लगी.. तबभी पुनम बहार नही आइ.. तो वो पुनमको देखने चली गइ ओर बहारसेही खडी रहेके खीडकीसे देखलीया.. तो पुनम घोडे बेचके सो रहीथी.. तब उसने राहतकी सांस ली..

उधर देवायत सीधेही चंदाके गांव चला गया तो वहा मंजु ओर चंदा तैयार होकर बैठीथी.. मंजुने ओर चंदाने अपने सभी कपडे बेगमे भरलीये थे.. तो धिरेनभी बेंक जानेकी तैयारीया कर रहाथा.. ओर वो तैयार होकर नीचे आगया.. तो मंजु अपने बच्चेके साथ बहार सोफेपे बेठके बच्चेके साथ खेल रहीथी.. तो धिरेनभी आकर उनके साथ बैठ गया ओर विजयके साथ खेलने लगा..

मंजुला : (धीरेसे मुस्कराते) भाइ.. आज हम सृतीको दीखाने जा रहेहे.. ओर वहीसे सीधे घरपे चले जायेगे.. मे मौसीको भी साथ लेजा रही हु.. (थोडी देर रुकते) हमेंसा के लीये.. क्या तु खुस तो हेनां..?

धिरेन : (सरमाते धीरेसे) दीदी.. आप अ‍ैसा क्यु पुछ रही हो..? मेतो कबसे खुस हु.. मेने मम्मीको इतना खुस कभी नही देखा.. उनकी हर खुसीमे मेरी खुसी हे.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. आप बीन्दास्त मम्मीको लेजा सकती हे..

मंजुला : (हसते) फीरभी सोचा अ‍ेक बार तुजे पुछलु.. चल कोइ बात नही अब तु सामको छुटतेही वहा आजाना.. ओर तेरी सादी तक वहीसे अपडाउन करना.. ओर सादीके लीये तेरी छुटीका भी देख लेना..

धिरेन : दीदी.. वोतो मेने कबका अ‍ेप्लीकेशन देदीया हे.. आप मेरे खाने पीनेका टेन्शन मतलो..ओर माको खुसी खुसी लेजाओ.. बल्की मेतो बहुत खुस हु आपने इनके बारेमे इतना अच्छा सोचा.. ओर मे यही रहुगा..

तभी चंदा उपरसे अपनी बेग लेकर आगइ तो धिरेन उसे देखते ही खडा होगया.. ओर जाकर उनके पैर छुने लगा.. तब चंदाने उसे जटसे खडा करके उसे जोरोसे गले लगालीया ओर आंखसे आंसु बहाने लगी.. तो धिरेनभी आंसु बहाने लगा.. तब मंजु बच्चेको सोफेपे सुलाके उनके पास चली गइ ओर धिरेनके आंसु पोछने लगी.. तो चंदाभी अपने आंसु खुदके रुमालसे पोछने लगी.. ओर सरमाते धिरेनको देखने लगी..

चंदा : (रुआंसी आवाजमे) धिरेन.. अपना खयाल रखना.. ओर वहा आते रहेना..

धिरेन : (आंसु पोछते हसते) मोम.. मेरी बीलकुल चीन्ता मत करो.. ओर खुसीसे अपनी जींदगी जीलो.. मे वहा आता जाता रहुगा.. आप कहा कीसी अन्जान जगाहपे जा रही हे..? दीदीके घरही तो जा रही हे..

मंजुला : धिरेन कलतो सन्डे हे.. तेरी छुटी हेनां..? तो कल तु इधर तैयार रहेना हम तुजे यहीसे पीकअप करलेगे.. कल हम सब आश्रम जा रहे हे.. मौसी ओर तेरे जीजाकी वही मंदिरमे सादी कर देगे.. आओगेनां..?

धिरेन : (जोरोसे हसते) हां दी जरुर आउगा.. मेने मोमकी सादी नही देखी.. तो इस बार देख लुगा.. हें..हें..हें.. कल पहेली बार होगा जो कोइ बेटा अपनी मोमकी सादीमे जायेगा.. हें..हें..हें..

कहा तो चंदा सरमसे पानी पानी होगइ ओर हसते हुअ‍े धिरेनको पीठमे अ‍ेक मुका जड दीया.. ओर मंजु चंदा धिरन सब हसने लगे तब दयाभी तैयार होकर रुमसे बहार आगइ.. तभी देवायत भी कार लेके बहार रुका तो सबके चहेरे खील उठे.. सबके चहेरेपे स्माइल आगइ तभी देवायत अंदर आगया तो धिरेन उनको गर्मजोसीसे गले मीला तब दयानेभी उसे पानी पीलाया..तब..

धिरेन : जीजु कैसे हे मौसाजी..? सब ठीक हेनां..? कोइ दिकततो नही..?

देवायत : (हसते) अरे मस्त हे तु टेन्शन मत ले.. मे हुनां.. ओर आजभी इन सबको छोडके वहा जा रहा हु.. ओर डोक्टर छुटी देगेतो दोनोको इघर हवेलीपे लेकर आउगा.. यहा उनकी अच्छेसे देख भालतो हो सकेगी..

मंजुला : (सीरीयस होते) देवु.. क्या मोम इधर आनेके लीये मानेगी..? क्या आपसे उनकी बात हुइ..?

देवायत : (हसते) अरे हां तुम लोग टेन्शन मत लो.. हमने कल दोपहरको साथमे खाना भी खाया.. उनसे पहेलेही अंकलको होस आगया था.. ओर रीपोर्टमे भी कुछ खास नही हे.. हम दोनोही डोक्टरको मीलने साथमे गये थे..

चंदा : (हसते) चलो अच्छा हुआ दोनो मे सुलहतो होगइ.. हें..हें..हें.. बडीदी बहुत जीदी हे.. बीलकुल आपहीकी तराह.. हें..हें..हें..

धिरेन : (हसते) थेनक्स जीजु.. आपने मेरी बहुतसी टेन्शन खतम करदी..

देवायत : (हसते) यार तु टेन्शन मतले मे हुनां..? तो चले..? सब रेडी हे..? ओर दया तुभी आ रही हे..? क्या इधर नही रुकनां..? रुकना हम तुजे यहा मीलने आते रहेगे.. हें..हें..हें..

दया : (जोरोसे हसते) अरे ना बाबा नां.. अभी यहा नही रुकना.. कुछ दिनतो मालकीनके साथ रहेलु फीरतो पुनमदीदीके साथ दहेजमे मुजे इधर ही आना हे..

कहातो सभी जोरोसे ठहाका मारके हसने लगे.. ओर सब बहारकी ओर चलने लगे तब चंदा अ‍ेक बार फीरसे धिरेनके गले लग गइ.. ओर धिरेनका सर चुमलीया.. उनको लगाकी आज वो मायका छोडके हमेसाके लीये अपने ससुराल जा रही हे.. फीर धिरेनने हसते हुअ‍े बच्चेको उठालीया ओर सबके साथ बहार आगया..

सब कारमे बेठने लगे तो धिरेनने बच्चेको चंदाकी गोदमे देदीया तब मंजु धिरेनके गले लग गइ ओर कल तैयार रहेनेको केह दीया तो धिरेन हां मे सर हीलाके हसने लगा.. ओर कार सहेरकी ओर दोड पडी.. तब कारमे ही..

देवायत : मंजु अ‍ेक बार तुमने सृतीको फोन तो करदीया हेनां..?

मंजुला : तो क्या अभी तक आपने उसे फोन नही कीया..? अरे बाबा वो कीतना चीलाती हे.. आप उनसे फोनपे बात क्यु नही करते..? वो कोइ चुडेल हे क्या.. जो उनसे इतना डरते हो.. अब मीलेगी तब देना जवाब उनको.. ना जाने मुजे क्या क्या सुनायेगी.. कमीनी..

देवायत : (हसते) यार मे काममे भुल जाता हु.. ओर कीतने दीन होगये मे.. भुमी आंटीको भी नही मीला.. वो मीलेगीतो उनकीभी डांट पडेगी.. हें..हें..हें..

मंजुला : देवु.. आप बीलकुल भुलकड हो.. देखना वोभी मीलेगी तो आपको कान खीचकर डांटेगी.. अब देते रहेना जवाब उनको.. ओर हां.. अ‍ेक खास बात.. कल आप कही मत जाना.. हम सबको आश्रम जाना हे.. आपका जोभी प्रोग्राम हो सब केन्शल.. हें..हें..हें..

देवायत : अरे अचानक आश्रम क्यु..? विजको लेकर जाओगी..? इतना छोटा बच्चा हे.. हें..हें..हें..

दया : मालीक इनकी चीन्ता आप मत करो.. मे इनको रखुगी.. अबतो मेरे पासभी रहेता हे.. हें..हें..हें..

मंजुला : वहा क्यु जाना हे वो आपको वहा जाकर पता चल जायेगा.. बस ओर कुछ नही कहेना..

कहातो चंदा सरमसे पानीपानी होगइ.. ओर सर बहारकी ओर घुमाते मुस्कराती रही.. तब मंजुने सृतीको फोन लगा दीया ओर उनसे बात करने लगी.. तो फोन अपने मुहके पास लेजाते धीरेसे कहा.. कुती कमीनी गालीतो मत दे.. तेरे जीजु ओर हम सब साथमे हे.. तब चंदा देवायत ओर दया मंजुकी ओर देखते जोरोसे हसने लगे तब मंजुभी बात करते हसने लगी.. उसने फौरन फोन कट करदीया तब चंदा उनकी ओर देखते अबभी हस रही थी..

मंजुला : (हसते देवायतको पीठमे अ‍ेक मुका मारते) देखानां..? सब आपकी वजहसे हुआ.. मुजे खामखा इनकी गाली सुननी पडी.. देखना अ‍ेक दिन मे इनका जरुर बदला लुगी.. हें..हें..हें..

अ‍ैसेही मजाक मस्ती करते सब होस्पीटलपे पहोंच गये तब भानु भावना सबलोग नही आयेथे.. तो देवायत कार पाार्क करतेही उनसे बात करने लगा तो पता चलाकी वो लोग अपने मामाका कार्य खतम होगया हे बस नीकलते हीहे.. कहा तो देवायतने फोन काट दीया तबतक मंजु चंदा दया सब कारसे उतर गयेथे ओर अंदरकी ओर जा रहेथे.. तो देवायतभी कार लोक करके उनके पीछे अंदरकी ओर जाने लगा.. ओर सब अंदर चले गये.. अंदर जातेही..

रीसेपनीस्ट : (हसते) आइअ‍े मंजु मेडम.. अब कैसीहे आपकी तबीयत.. आप इधर बैठीये मेडम अभी अ‍ेक पेसन्टको देख रहेहे वो चले जाये तब आप चलेजाना..

मंजुला : (हसते) जी.. कोइ बात नही हम यही बेठे हे..

तब सब वहा सोफेपे बैठ गयेतो बच्चा चंदाके हाथमे था तो वो ओर दया कच्चेके साथ खेलने लगी.. तो मंजु देवायतके कंधेपे सर रखके बैठ गइ ओर हसने लगी.. तो देवायतभी हसने लगा.. तभी दरवाजा खोलके अ‍ेक कपल हसते हुअ‍े नीकलने लगा जो लेडीथी उनका पेट काफी बहार नीकल गयाथा.. तब रीसेपनीस्टने मंजुको अंदर जानेके लीये हसकर इसारा कीया.. तो चंदा बच्चेको लेकर खडी होगइ ओर मंजुभी उनके साथ अंदर चली गइ..

सृती : (दोनोको देखतेही हसते) आइअ‍े आइअ‍े.. मौसी.. इस कमीनीको भी साथ लेआये.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते चेरपे बेठते) कुतीया.. गालीयातो मत दे.. तेरे जीजाजी भी बहार बैठे हे.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) चल पहेले तुमसे तो नीपटलु.. उनकोतो बादमे देख लुगी.. उनको बहुत चरबी चड गइ हे.. मौसी आप यही बैठो मे इनको अंदर चेक करके आती हु.. फीर बच्चेको देख लेगे..

तब चंदा बच्चेको लेके वही बैठी रही ओर उनके साथ खेलने लगी.. तब मंजु ओर सृती दोनोही अंदरकी केबीनमे चले गये.. ओर मंजुको बेडपे सुलाके उनका लोअर नीकालने लगी ओर सरकाके नीचे करदीया.. फीर सृती टोर्च लेकर उनकी योनी चेक करने लगी.. तो उनको बडा आस्चर्य हुआ ओर वो चेक करते बार बार कभी मंजुको तो कभी मंजुकी योनीको देखती रही.. फीर चेक करके उनके कपडे सही करलीये.. ओर मंजु खडी होगइ..तो..

सृती : (धीरेसे) मंजु.. तु दो मीनीट इधर बैठ मुजे तुमसे कुछ जरुरी बात करनी हे..

मंजुला : (हसते) क्यु कोइ सीरीयस मेटर हे..? तो फीर डर क्या.. जोभी हे साफ साफ बतादे..

सृती : नही मंजु तु गभरा मत.. ये कोइ सीरीयस मेटर नही हे.. लेकीन मेने अ‍ैसा मेरी जींदगीमे पहेली बार देखा..

मंजुला : (थोडा सीरीयस होते) क्या देखा..? सृती सच बताना तु कुछ मत छुपाना.. क्या देखा तुने..

सृती : (धीरेसे) मंजु तु कोइ ओर दवाइ या कुछ आयुर्वेदिक दवाइतो नही ले रही..?

मंजुला : (आस्चर्यसे) नही.. तेरी दी हुइ दवाइके अलावा कुछभी नही लीया.. क्यु..? क्या बात हे..?

सृती : मंजु जब कोइ ओरत बच्चे पैदा करलेती हे.. वो उनकी योनी अ‍ैसी नही रहेती.. उनमे काफी बदलाव आजाता हे..

मंजुला : मतलब.. तु कहेना क्या चाहती हे.. कुछ प्रोबलेम हे क्या..?

सृती : (हसते) अरे नही नही.. मंजु तेरी योनी इतनी जल्दी ठीक कैसे होगइ..? ओर देख अभी कीसी कुआरी लडकी जैसी होगइ हे.. अ‍ेकदम वर्जीन.. जैसे तुमने कोइ बच्चा पैदा ही नही कीयाहो.. गजब हे यार..

मंजुला : (तभी बाबाकी कुछ शक्तिकी बात याद आती हे) सृती.. मुजे लगता हे वो सब उन शक्तियोके कारण हुआ होगा.. मेने तुजे वो बाबाके बारेमे कहाथानां..? लगता हे उन्हीकी कारण हुआ होगा.. सृती तुजे आज अ‍ेक बात बताती हु.. पता नही मेने अभी तक कीसीको नही बताया..

सृती : (धीरेसे हसते) अब कोनसी बात हे..?

मंजुला : सृती कुछ महीनोसे मुजे जीबसा फील होने लगता हे.. मे ओर तेरे जीजु जब करते हे.. तब मुजे हब बार पहेलीबारकी तराह दर्द होता हे मानो मे पहेली बार करवा रही हु..

सृती : (आस्चर्यसे धीरेसे) मंजु..? अ‍ैसे कैसे हो सकता हे..? इस नोट पोसीबल.. दर्द सीर्फ पहेली बारही होता हे..

मंजुला : पता नही सृती लेकीन यही सच हे.. ओर अ‍ेक बात.. आज कल मुजे सबके जीवनके बारेमे पता चल जाता हे.. उनका भुतकाल, वर्तमान ओर भविष्य.. मे कीसीकोभी देखती हु तो उनके बारेमे मुजे सब ज्ञात हो जाता हे.. मुजे लगता हे ये सब बाबाने दि हुइ शक्तिके कारण हो रहा हे..

सृती : अरे हां.. तु उस दिनभी कुछ बता रही थी.. मुजे उनसे मीलाने भी वाली थी.. बता कब जाना हे वहा..

मंजुला : सृती कल.. तु कल फ्रि हे क्या..? हम कल मौसीकी सादी तेरे जीजुके साथ वहा करने जा रहेहे तु साथ चलेगी..? चलना तेरा उनसे दर्शनभी करवा दुगी.. तु आन्टीको भी साथ लेले.. वोभी दर्शन कर लेगी.. मुजे तुजे लेकरही जाना हे.. तु अ‍ेक बार बाबाको मीलले.. फीर मे तुजे कुछ बताउगी.. ओर सोच रहीहु कल यहा खीरीदी भी नीपटालु..

सृती : (हसते) हां.. ये ठीक रहेगा.. कीतने दिन होगये मम्मीको कही नही लेगइ.. चल ठीक हे आजायेगे.. में अपनी कार लेलुगी बोल हम कहा मीलेगे..?

मंजुला : (हसते) वो रास्ता तु तेरे जीजुसे पुछलेना.. मुजे रास्तेके बारेमे ज्यादा कुछ नही मालुम.. बस इतना पता हे हमारे गांव ओर इस सहेरके बीचमे अ‍ेक रास्ता हे वहीसे हम जाते हे..

सृती : चल अभी जीजुसे ही पेुछ लेती हु.. ओर बता कुछ पुछना हे..? वैसे तु मेरे बारेमेभी सब जानती होगी..? हें..हें..हें..

मंजुला : (सरमाते हसते) सृती.. हां सब जानती हु.. लेकीन आज नही.. बस तु अ‍ेक बार बाबाको मीलले.. फीर तुमसे कुछ बातभी करनी हे.. (सरमाते हसते) वैसे तु कहेती हे मेरी ये ठीक होगइ हे तो क्या मे ओर तेरे जीजु कुछ कर सकते हे.. आइ मी..न.. मतलब.. हमारा मीलन..

सृती : (जोरोसे हसते धीरेसे) कमीनी.. सीधे सीधे बोलना तुजे जीजसे चुदवाना हे.. कुती कहीकी.. तुजे कीतनी आग लगी हुइ हे.. कुछतो सरम कर.. अभी पांच दिन पहेले तेरी डीलीवरी हुइ हे.. (हसते) चल ठीक हे.. मीलना.. क्या अभी मीलना हे..? तो जीजुको अंदर लेके चलीजा.. हें..हें..हें..

मंजुला : (हसते) नही.. यहा कोइ जोखीम नही लेना वरना कमीनी तुभी आजायेगी.. हें..हें..हें..

सृती : (अ‍ेकदम सरमाते मुका मारते) कमीनी.. कुछतो सरम कर.. मे सालीहु उनकी.. तुजे जलन नही होती..?

मंजुला : (हसते) तो क्या हुआ साली भी तो आधी घरवाली होती हे.. तु उपर उपरसेही मजे करना.. हें..हें..हें.. मुजे कोइ अ‍ेतराज नही हे.. कमीनी मेनेतो तुजे पहेलेभी साथमे आनेको कहाथा.. लेकीन तुमही नही आइ सरमकी पुछ.. वरना मेरा देवुतो तुजे चोदकर तेरे पीछे पागल होजाता.. हें..हें..हें..

सृती : (हसते) कमीनी.. कुती.. कुछतो सरम कर.. चल चल.. बहार.. कमीनी बीलकुल बेसर्म होगइ हे तु.. मौसी अकेली बैठी हे.. चल बहार..

फीर दोनो हसते हुअ‍े बहार आगइ तो चंदा उनकी ओर देखते हसने लगी.. ओर बच्चेको मंजुके हाथमे थमा दीया तो मंजु बच्चेको दीखाने लगी.. ओर सृतीने उनकोभी चेक करलीया.. फीर बच्चेको वापस देदीया..

सृती : मौसी येतो मस्त हे.. ओर दोनो बीलकुल ठीक हे, अब १५ दीनके बाद दीखाने आजाना ओर वोभी सीर्फ बच्चेको चेक करना हे इनको अब चेक करनेकी कोइ जरुरत नही हे (मंजुकी ओर कातील स्माइल करते)

चंदा : सृती.. अब तु घर कब आ रही हे..? तेरी मम्मीको लेकर आ.. वहा बडी दीदीकोभी बुला लेगे..

सृती : (हसते) ठीक हे मौसी.. मे उनको आपसे जल्द मीलवाउगी.. हें..हें..हें.. ओर हां कहा गये जीजु.. मम्मी उनको बहुत याद कर रही हे.. जनाब दीखतेही नही.. फोन तक नही कीया.. बहुत आलसी हे.. हें..हें..हें..

चंदा : सृती.. तेरी मम्मीको मंजुके बच्चेके बारेमे बतायाकी नही..?

सृती : बताया..? अरे वोतो सुनके पागल होगइ..? इसीलीये तो वो जीजाजीसे मीलना चाहती हे.. ओर कुछ उनको ओर कामभी हे..

चंदा : (बच्चेको लेकर उठते) ठीक हे तुम लोग बाते करो मे उनको अंदर भेजती हु.. यही हे.. हें..हें..हें..

सृती : (चंदाके बहार जातेही धीरेसे हसते) मंजु.. मौसीतो उनका नाम भी नही ले रही.. हें..हें..हें.. लगता हे अभीसे उनको अपना पती मान चुकी हे.. हें..हें..हें.. दोनोने कुछ कीया बीया हेकी नही..? हें..हें..हें..

मंजु : (हसते धीरेसे) कमीनी धीरे बोल वो आतेही होगे.. लोजी.. आगये.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते अंदर आते) क्यु.. दोनो मेरे बारेमे क्या बाते कर रही हो..? मंजु सच बताना..

मंजुला : (जोरोसे हसते) अरे कुछ नही.. ये सृतीको आपसे कुछ कामथा.. हें..हें..हें..

सृती : (जोरोसे हसते) कमीनी मेरा नाम क्यु ले रही हे.. नही जीजु मेने कुछ नही कहा.. हें..हें..हें..

देवायत : (चेयरपे बेठते) हां.. तुम दोनो कीतनी सातीर हो मुजे सब पता हे.. बोल सृती क्या कामथा..?

सृती : (कातील नजरोसे स्माइइ करते) क्यु..? आपको फोन करनेको कहाथा कुछ याद नही रहेता आपको..? मुजे नही मम्मीको आपसे कुछ काम था.. वो कबसे आपको याद कर रही हे.. लगता हे नजाबको टाइमही नही मीलता.. कहो घरपे कब आ रहे हो.. जीजु वो आपको बहुत याद कर रही हे.. अ‍ेक बार आकर उनसे मीललो.. ताकी मेरा दिमाग ना खाये.. हें..हें..हें..

देवायत : (हसते) मीलनेदे उसे फीर कहेता हु तुम्हारी लडकी तुम्हारे बारेमे क्या केह रहीथी.. हें..हें..हें.. सृती आज देर हो रहीहे वरना आजही मील लेता.. मुजे राजीव अंकलके पास जाना हे.. वो होस्पीटलाइ हे.. उनको पेरेलेटीक स्ट्रोक आया हे.. कलही होसमे आये हे..

सृती : (गंभीर होते आस्चर्यसे) क्या.. राजीव अंकलको..? कमीनी.. तु तो कहेती भी नही हे..?

मंजुला : (आंख गीली करते) सृती.. मुजेभी परसो पता चला.. वोभी धिरेनसे.. ओर मे इस हालमे कैसे जाती.. तो तेरे जीजुको ही भेज दीया.. अब उनकी हालत काफी बहेतर हे.. कलही मम्मीसे मेरी बात हुइ..

सृती : (सरमाते हसते धीरेसे) जीजु.. क्या.. आंटीसे आपकी सुलाह होगइ..? दोनो नही बोलतेथे..

देवायत : (हसते) हां होगइ.. अब कोइ गीला सीकवा नही.. बस मेरी मंजु खुस रहेनी चाहीये..

कहातो मंजु अ‍ेकदम इमोस्नल होगइ ओर खडी होकर देवायतके गले लग गइ ओर आंसु बहाने लगी.. तो सृतीभी खडी होके उनके पास आगइ ओर मुस्कराते मंजुकी पीठ सहेलाती रही.. फीर मंजुके आंसु पोछके उनको पानी पीलाया ओर तीनो वापस चैयरपे बेठ गये.. तब सृती देवायतकी ओर देखके हसने लगी..

सृती : जीजु आइ अ‍ेम हेपी.. की मंजुको आप मीले.. दोनोके बीच कीतना गहेरा प्यार हे..

मंजुला : (हसते) तो तुभी आजा.. मेरा देवु तुजेभी इतना ही प्यार देगा.. हें..हें..हें.. क्यु देवु..?

सृती : (अ‍ेकदम समस्सार होते) कीतनी कमीनी हो.. कुछतो खयाल कर.. जीजु इधर बैठेहे.. कुछभी बोलती हे.. बेसर्म कहीकी.. ये सब छोड मुजे जीजुसे कुछ पुछना था..

देवायत : (हसते) क्या..? क्या..? अब क्या पुछना बाकी रेह गया.. हें..हें..हें.. ये बताओ आंटी कैसी हे..?

सृती : (हसते) अ‍ेकदम मस्त.. जीजु कल आप सब आश्रम जा रहेहे.. अगर मुजे आश्रम जाना होतो मे आपका वेइट कहा करु..? मे मेरी कारसे मम्मीको लेकर आ रही हु..

देवायत : अरे हमारे गांवके रोडपे बीचमे वो ---नाका आता हेनां..? वहीसे अ‍ेक रास्ता जंगलकी ओर जाता हे.. सायद वो रास्ता तुमने देखा होगा.. बस वही रास्तेसे हमे आश्रम जाना हे..

सृती : अरे हां वो तो मेने देखा हे.. वहां..?

देवायत : हां बस वही तुम आंटीको लेकर ९.३० बजे पहोंच जाना पहेले तुम आजाओतो हमारा वेइट करना वरना हम वही खडे रहेगे.. फीर दोनो साथ चले जायेगे.. ओर हां.. वहीसे सीधा हवेलीपे आना हे तेरा जोभी अ‍ेडजेस्टमेन्ट हे वो कर लेना मुजे कुछ बहाना नही चाहीये..

सृती : (हसते) जीजु हम सब वहीसे इधर आजायेगेनां.. आप सब कल हमारे घर आ रहेहे.. ओर रातका डीनर करके चले जाना.. क्ये कल यहा खरीदी करने नही आ रहे..? वहा हवेलीमे फीर कभी आउगी.. क्या वहा आप अंकल ओर नीर्मला आंटीको लेकर आ रहे होनां.. तो मम्मीको तभी वहा लेकर आजाउगी.. दोनो फ्रेन्ड वही मील लेगी.. क्या कहेते हो..?

मंजुला : (हसते) चल जैसे तेरी मरजी.. लेकीन तब आंटीको लेकर आना ओर वहा कमसे कम दोनोको तीन दीन रोकुंगी.. तब कुछ नखरे मत करना अभीसे केह देती हु..

सृती : (हसते) पका.. तब मे वहा रुकुगी.. ओर अभी तेरे देवर ओर पुनमकी सादी भी हेनां.. तबही आजाउगी..

देवायत : हां ये बेटर रहेगा.. तब अंकल आंटीभी वहा होगे.. तबही मील लेना.. ओर हां वो भावु लोग अभी आ रहेहे बीच रास्तेपे ही हे.. उनको जरा देख लेना..

सृती : जीजु आप भावुकी चीन्ता मत करो वो मेरी भी बहेन हे.. मे सब देख लुंगी..

मंजुला : (खडी होते) सृती.. चल अब हम चलते हे.. फीर तेरे जीजुको भी नीकलना हे.. चलो बाय..

तब सृती ओर देवायतभी खडे होगये ओर मंजु आगे चली गइ.. तब सृती जटसे देवायतके पीछे आगइ ओर उनसे सटकर उनका हाथ पकडलीया.. तो देवायतने हसते हुअ‍े उनकी ओर देखातो जटसे उनकी ओर आज पहेली बार आंख मारते इसारोसे फोन करनेको कहेने लगी.. ओर हाथ दबाकर छोड दीया तो देवायतने अचानक पीछे मुह करते सृतीके होंठ चुमलीये ओर हसने लगा..

तब सृतीको पहेली बार देवायतने होंठ चुमकर कीस करदी तो सृती सोक्ट होते मुह फाटते उनकी ओर देखती रही.. क्युकी पीछले कुछ महीनोसे वो सीर्फ देवायतके बारेमे ही सोचती रहेती हे.. ओर जबसे देवायतके पेन्टके उभारको देखलीया हे तबसे वो पागल हो रही हे.. ओर आज मंजुकी बातो ने आगमे घी डालनेका काम कीया.. तबतक देवायत बहार नीकल चुकाथा तो वो जटसे उनके पीछेकी ओर दोड पडी.. जैसे उनसे उनका पुराना यार बीछड रहा हो....

कन्टीन्यु
Best very best update
diya hai bhai aapne
 
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