कुछ देर तक ऐसे ही अपनी जीभ से रेखा भाभी की चुत की फाँको से खेलने के बाद मै थोड़ा सा नीचे उनके गुफाद्वार पर आ गया जो की अन्दर से आग सी उगल रहा था।
मैंने अपनी जीभ को अब रेखा भाभी के गुफाद्वार के अन्दर नही डाला, बल्की उस पर गोल-गोल घुमाने लगा, जिससे रेखा भाभी की सिसकारियां और भी तेज हो गयी और वो मेरी जीभ के साथ-साथ ही अपने नितम्बों को बिस्तर पर रगड़ने लगीं।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही अपनी जीभ को रेखा भाभी के प्रवेशद्वार पर गोल-गोल घुमाता रहा.. मगर जीभ को चूत के अन्दर नहीं डाला तो रेखा भाभी अब जोरो से झुँझला उठी। उन्होने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर के बालों को पकड़ लिया और फिर खुद ही अपने कूल्हों को उचका कर अपने चूत के मुँह को मेरे होंठों से लगा दिया।
मैंने भी अब रेखा भाभी के चूत के प्रवेशद्वार को एक बार तो प्यार से चूमा, फिर अपनी जीभ को नुकीला करके सीधा हुइ उनकी चूत के प्रवेशद्वार में जङ तक उतार दिया.. जिससे रेखा भाभी के कुल्हे अब आपने आप ही उपर हवा मे उठ गये और ‘आह्ह..’ की आवाज निकालकर उन्होंने मेरे सिर को अपनी दोनो जाँघो के बीच जोरो से भीँच लिया।
मैंने धीर से रेखा भाभी की जाँघों को अब फिर से खोला और धीरे-धीरे अपनी जीभ से उनके चूतद्वार में हरकत करने लगा। मेरी जीभ रेखा भाभी के प्रवेशद्वार की दिवारो को अब अच्छे से घीस रही थी.. जिससे उनके मुँह से जोर-जोर से सिसकारियाँ फूटना शुरु हो गयी, साथ ही मेरी जीभ के साथ साथ उनकी कमर भी अब हरकत में आ गई थी।
मै अपनी जीभ से रेखा भाभी के प्रवेशद्वार की दिवारो को घिसने के साथ साथ उनकी चुत को कभी चाटता तो कभी उसे जोरो से चुश भी रहा था जिससे धीरे धीरे रेखा भाभी की कमर की हरकत अब तेज होने लगी।
उन्होने जोर-जोर से मादक सिसकारियां भरते हुवे अब खुद ही अपनी चुत को मेरे मुँह पर घीसना शुरु कर दिया था। रेखा भाभी को देखकर लग रहा था की उनका चर्म अब नजदीक ही आ गया था।
पिछली रात रेखा भाभी को उनकी मंजिल तक पहुँचाकर भी मुझे ज्यादा कुछ नही मिला था, पर आज मै आज इस मौके को छोङना नही चाहता था। इसलिये रेखा भाभी की चुत को छोङकर मैंने अब तुरन्त अपने सिर को उनकी जाँघों के बीच से निकाल लिया और रेखा भाभी की तरफ देखने लगा...
उन्होंने आँखें बन्द कर रखी थीं, उत्तेजना के कारण उनके होंठ कंपकंपा रहे थे और गोरा चेहरा बिल्कुल लाल हो रखा था। जब कुछ देर तक मैंने अब कोई हरकत नहीं की.. तो रेखा भाभी ने हल्की से आँखें खोलकर मेरी तरफ देखा, उत्तेजना व खीझ के भाव उनकी आँखों में स्पष्ट नजर आ रहे थे।
भाभी को देखकर मैं अब एक बार तो हल्का सा मुस्कुराया फिर जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा। रेखा भाभी ने मेरी मुस्कुराहट का अब कोई जवाब नहीं दिया, बस आँखें बन्द करके अपना मुँह दुसरी तरफ कर लिया।
रेखा भाभी को पता था की मैं क्या कर रहा हूँ और अब इसके आगे मै उनके साथ क्या करने वाला हूँ.. फिर भी उन्होंने ना तो अपने कपङे सही करने की कोशिश की और ना ही मुझे कुछ कहा। बस आँखे मिचे चुपचाप ऐसे ही लेटी रहीं।
तब तक मै अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नँगा हो गया और धीरे से रेखा भाभी के ऊपर लेट गया.. जिसका रेखा भाभी ने अब कोई विरोध नहीं किया बस "ऊँह्ह्..." की आवाज के साथ हल्का सा कराह कर रह गयी।
रेखा भाभी का मखमल सा मुलायम और नाजुक बदन अब मेरे नीचे था। मुझे उनके सख्त उरोज व तने हुए चूचुक अब अपने सीने में चुभते हुवे से महसूस हो रहे थे, तो मेरा उत्तेजित लण्ड भी भी अब रेखा भाभी की चुत की गर्मी को पा रहा था।
रेखा भाभी को पता था की अब क्या होने वाला है इसलिए मेरे ऊपर आते ही उन्होंने अब खुद ही अपनी जाँघों को फैलाकर मुझे अपनी दोनों जाँघों के बीच ले लिया जिससे मेरा उत्तेजित लण्ड अब सीधा ही रेखा भाभी की नँगी चूत की फाँको के बीच जा लगा।
रेखा भाभी के उपर आकर मैने अब सीधा ही अपना लण्ड उनकी चुत मे नही डाला, बल्की उन पर लेट लेट ही मैने एक हाथ से अपने लण्ड को पकङकर रेखा भाभी की चुत के मुँह पर लगा लिया...
जिससे रेखा भाभी के मुँह से ..."उम्म्ह… अहह… हय… याह…" की एक हल्की सिसकारी सी निकल गयी और उसने अपने बदन को कङा करके अपनी गर्दन को एक ओर घुमा लिया।
रेखा भाभी अब आँखे मिचे, अपने बदन को कङा करके, मेरे लण्ड घुसाने का इन्तजार कर रही थी मगर मैने अपने लण्ड को उनकी चुत के मुँह पर लगा तो लिया, पर उसे चुत के अन्दर नही डाला..बल्कि प्रेमरस से भीगी उनकी चूत की फाँको पर धीरे धीरे घिसना शुर कर दिया...