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Incest रेखा भाभी

Chutphar

Mahesh Kumar
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अपडेट मे देरी के लिये मै एक बार फिर से क्षमा चाहता हुँ, पर इस अपडेट के साथ ये
कहानी खत्म हो रही है इसलिये थोङा समय लग गया।
अब ज्यादा समय ना लेते हुवे मै सीधे कहानी पर आता हु्ँ ।

अब तक आपने पढ़ा की...
रात को रेखा भाभी की चूत की चुदाई की लालसा में मैंने भाभी की चूत को चुस चूस कर उन्हें पूरा आनन्द दिया पर मै इसके आगे उनके साथ कुछ और नही कर सका, बस अपने कपङो मे ही रसखलित होकर सो गया था

अब उसके आगे..
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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अगले दिन सुबह रेखा भाभी से सम्बन्ध बनाने के रोमांच मे मेरी नीँद सुबह जब रेखा भाभी व सुमन दीदी उठी.. तभी खुल गयी मगर मै नींद खुलने के बाद भी उठा नही बल्की ऐसे ही सोने का नाटक करके चारपाई पर ही पङा रहा।

और मैंने ऐसा क्यों किया.. शायद ये लिखने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप खुद समझदार है। अब रोजाना की तरह ही करीब घण्टे डेढ घण्टे भर बाद ही चाचा-चाची रेखा भाभी के लड़के सोनू को लेकर खेत में चले गए और सुमन दीदी अपने कॉलेज चली गई, घर में बस अब मै और रेखा भाभी ही रह गये।

अब मैं तो सोच रहा था की मेरे और रेखा भाभी के बीच काफी कुछ हो गया है इसलिए वो खुद ही मेरे पास आ जायेगी, और अगर वो नहीं भी आएंगी, तो जब वो कमरे में सफाई करने आयेगी.. तो उन्हें मै खुद भी पकड़ लूँगा..यह सोचकर मैं अब ऐसे ही अपनी चारपाई पर लेटा रहा मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

मैं काफी देर तक ऐसे ही इन्तजार करता रहा मगर रेखा भाभी तो कमरे में ही नहीं आईं। जब रेखा भाभी खुद से कमरे मे नही आई तो अब मैं ही उठकर बाहर आ गया।...

मैं जब बाहर आया तो देखा की रेखा भाभी आँगन में झाडू लगा रही थीं। मुझे देखते ही वो अब घबरा सी गयी और झाडू को वहीं पर छोड़कर रसोई में घुस गीं...

रेखा भाभी को देखकर लग रहा था की वो बहुत डरी हुई है. इसलिए वो ऐसे ही मेरे पास नहीं आयेगी, और शायद मेरे घर में रहते हुवे वो अकेली किसी कमरे में भी नहीं जायेगी।
मै रेखा भाभी के बारे मे अब सोच ही रहा था तभी मेरे दिमाग में एक तरकीब आ गयी।

मैंने अब रेखा भाभी को कुछ भी नहीं कहा, बस चुपचाप पानी की बाल्टी भरकर सीधा लैटरीन में घुस गया.. जो कि आँगन के ही एक कोने में बनी थी।

लैटरीन में जाकर मैने अब बस पेशाब ही किया और फिर चुपचाप खड़ा होकर लैटरीन के रोशनदान से बाहर रेखा भाभी को देखने लगा..

मुझे लैटरीन मे घुसे अब कुछ ही देर हुई थी की रेखा भाभी अब रसोई से निकलकर बाहर आँगन मे आ गयी.. मैने जो सोची थी वो तरकीब शायद काम कर गयी थी, क्योंकि रेखा भाभी ने रशोई से बाहर आकर अब पहले तो एक बार लैटरीन की तरफ देखा और जब उन्हें यकीन हो गया की मैं लैटरीन में ही हूँ, तो वो अब सीधा उस कमरे में चली गईं.. जिसमें मैं सोया हुआ था।

उस कमरे मे जाकर रेखा भाभी ने पहले तो उस चारपाई को बाहर निकाल दिया जिस पर मैं सोया हुआ था। फिर बाहर आकर उन्होंने एक नजर अब फिर से लैटरीन की तरफ देखा, फिर कमरे की सफाई करने के लिए जल्दी से आँगन में पड़ी झाडू को उठाकर कमरे में घुस गयी....
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मेरी तरकीब कामयाब हो गई थी, इसलिये भाभी के कमरे में जाते ही मैं भी अब धीरे से बिना कोई आवाज किये लैटरीन से बाहर आ गया और सीधा उस कमरे में घुस गया जिसमे रेखा भाभी गयी थी...

मुझे देखते ही रेखा भाभी अब बुरी तरह से घबरा गयी। वो जल्दी से बाहर जाना चाहती थीं.. मगर मैंने उन्हें दरवाजे पर ही पकड़ लिया और
वहीं दीवार से सटाकर उनकी गर्दन व गालों पर चुम्बनो की झङी सी लगा दी।

डर के मारे रेखा भाभी के हाथ-पैर अब बुरी तरह से काँपने लगे थे जिसके कारण वो ठीक से कुछ बोल भी नहीं पा रही थीं। बस मुझसे छूटने का प्रयास करते हुवे वो कँपकपाती सी आवाज में... "छ..छोओ..ड़ोओ…., म्म..मुउ…झेए.. नन…हींईई..ई.. छ..छोड़ओ.. उम्म्म… मैं.. श्श्शो.." ही कहे जा रही थी।

मगर ऐसे मैं कहाँ छोड़ने वाला था। मैंने रेखा भाभी की पीठ के पीछे से अपने दोनों हाथों को डालकर उन्हें बाहों में भर लिया और फिर खींचकर सीधा बैड पर गिरा लिया।

बैड पर गिरने के बाद तो रेखा भाभी अब मुझसे छुड़ाने के लिए और भी जोरो से कसमससने लगी, साथ ही अपने हाथ पैरो को भी चलाकर मुझे हटाने का प्रयास करने लगी..मगर अब मै कहा हटने वाला था।

मै रेखा भाभी के उपर लेटकर उनको अपनी शरीर के भार से दबा लिया और अपने दोनो हाथों से उनके हाथों को पकड़ कर उनकी गर्दन व गालों पर चूमना शुरु कर दिया जिससे वो अब जोरो से छटपटाने लगीं।

रेखा भाभी के दोनों हाथों को मैंने फैलाकर पकड़ रखा था.. इसलिए वो अपने हाथों को तो नहीं हिला पा रही थीं मगर अब भी जोरो से कसमसाते हुवे कँपकँपाती आवाज में यही दोहरा रही थी कि मुझे छोड़ दो..

मगर मैं ये कहाँ सुन रहा था...मैं तो उनके गालों को चूमते-चाटते हुवे अब उनके रस भरे होंठों की तरफ बढ़ गया...


रेखा भाभी भी मेरे होठो की छुवन से बचने के‌ लिये अब अपनी गर्दन को इधर उधर हिलाने लगी.. मै जैसे ही अपने होठ उनके होठो के पास ले जाता वो अपनी गर्दन कभी दाँये घुमा लेती, तो कभी बाँये घुमा लेती।


मै अब कुछ देर तो ऐसे ही प्रयास करता रहा मगर रेखा भाभी जब शाँत नही हुई तो मैने उनके हाथो को तो छोङ दिया और अपने दोनो हाथो से उनके सिर को पकङकर अपने होठो को सीधा उनके नर्म मुलायम होठो से जोङ दिया।

फुलो की तरह नाजुक व एकदम पतले पतले से ही होठ थे रेखा भाभी के, मगर रस से भरे हुवे थे जिनको मैने अब एक बार तो उपर से ही प्यार से हल्का सा चुमा फिर दोनो होठो को एक साथ पुरा मुँह मे भरकर चुशना शुरु कर दिया जिससे रेखा भाभी अब जोरो से कसमसाने लगी।

मैने रेखा भाभी के सिर को पकङा हुवा था इसलिये वो अपनी गर्दन तो नहीं हिला सकती थीं मगर फिर भी..उऊँगु ऊऊँगुँगुँ... की सी आवाजे निकाकते हुवे दोनो हाथो से मुझे अपने उपर से हटाने का प्रयास करने लगी।

मगर मै कहा हटने वाला था, मै रेखा भाभी के होंठों को चूसते हुवे अपना एक हाथ अब उनकी चुँचियो पर भी ले आया और उनके होंठों के रस को पीते पीते ही उनकी चुँचियो को भी सहलाना शुरु कर दिया।

बाहर से तो नर्म मुलसयन मगर अन्दर एकदम ठोस व भरी हुई चुँचियाँ थी रेखा भाभी की, जिनको सहलाते सहलाते मैने अब धीरे धीरे उनके ब्लाउज व ब्रा को उपर खिसकाकर बाहर निकाल लिया।

रेखा भाभी के नर्म, मुलायम और भरे हुए नँगी चुँचियाँ अब मेरे हाथ में थी जिनको मैने अब बारी बारी से मसलना शुरु कर दिया। रेखा भाभी ने भी अब कुछ देर तो मेरा विरोध किया फिर धीरे-धीरे उनका विरोध हल्का पड़ने लगा...

वो मुझे अब हटाने का तो इतना प्रयास नही कर रही बस हल्के हल्के कसमसाये ही जा रही थी इसलिए उनके सिर को छोड़कर मै अब अपना दूसरा हाथ भी उनकी चुँचियो पर ही ले आया और दोनों हाथों मे उनकी चुँचियो को पुरा भरकर जोर जोर से मसलने लगा..

रेखा भाभी के दोनो हाथ अब आजाद थे वो चाहती तो मुझे फिर से धकेलने का प्रयास कर सकती थी मगर उसने अब वैसा नही किया, बस कसमसाते हुवे मेरे होठो के चुम्बन को तोङकर अपना मुँह दुसरी तरफ कर लिया।

शायद रेखा भाभी को भी अब मजा आ रहा था क्योंकि उनकी साँसें भी अब गर्म व तेज होना शुरु‌ हो गयी थी। वो मेरा अब विरोध करने की बजाये बस हल्के हल्के कसमसा ही रही थीं इसलिये मै अब उनके उपर से उतरकर धीरे से उनकी बगल से उनकी चुँचियो पर आ गया।

उनकी चुँचियाँ इतना अधिक बङी तो नहीं थी, बस बीचो बीच से दो भागो मे कटे हुवे एक बङे से नारियल के समान ही थी मगर अन्दर से ठोस भरी हुई और एकदम सख्त थी‌‌।

बिल्कुल सफेद कागज के जैसी कोरी कोरी और इतनी गोरी चिकनी थी की हाथ लगाने से भी मैली हो जाये। गोरी गोरी चुँचियो पर सुपारी के जैसे तने हुवे सुर्ख गुलाबी निप्पल तो ऐसे लग रहे थे थे मानो आईसक्रीम पर चेरी रखी हो।

रेखा भाभी के चुँचियो को देखने के बाद मुझसे अब रहा नहीं गया.. इसलिए मैंने अब तुरन्त ही उनके एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और किसी छोटे बच्चे की तरह उसे निचोड़-निचोड़ उसके रस को पीना शुरु कर दिया..

मैं रेखा भाभी के चूचुको को कभी चूस रहा था. तो कभी उसके चारों ओर अपनी जीभ को गोल-गोल घुमा दे रहा था, और कभी-कभी तो दाँत से उन्हे हल्का सा काट दे भी रहा था.. जिससे रेखा भाभी...उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कहके जोरो से कराह पड़तीं, मगर मुझे हटाने की या मेरा विरोध करने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं कर रही थी।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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रेखा भाभी की चुँचियो को पीते पीते मैने अब धीरे-धीरे अपना एक हाथ नीचे उनकी जाँघों के बीच छिपे गुप्त खजाने की तरफ भी बढ़ा दिया और उसे कपड़ों के ऊपर से ही धीरे धीरे सहलाना शुरु कर दिया...

रेखा भाभी ने नीचे पेंटी नहीं पहनी थी क्योंकि उन्होंने रात वाले ही कपड़े पहन रखे थे, और उनकी पेंटी को तो मैंने रात में ही उतार कर बिस्तर के नीचे कहीं फेँक दिया था। शायद वो अब भी वहीं पड़ी हो, इसलिए मेरे हाथ को अब उनकी चुत की बनावट साड़ी व पेटीकोट के ऊपर से ही महसूस हो रही थी ।

रेखा भाभी से भी अब रहा नही गया और ना चाहते हुए भी उनके मुँह से हल्की-हल्की सिसकियाँ फूटना शुरु हो गयी।
रेखा भाभी को भी अब मजा आ रहा था इसलिये मैं उनकी चुत को सहलाते सहलाते ही धीरे-धीरे उंगलियों से उनकी साड़ी व पेटीकोट को भी अब ऊपर की तरफ खींचने लगा।

मुझसे छूटने की कोशिश में उनकी साड़ी व पेटीकोट पहले ही घुटनों तक हो चुके थे और अब बाकी का काम मेरे हाथ ने कर दिया, नीचे पेंटी नहीं होने के कारण उनकी साड़ी व पेटीकोट के ऊपर होते ही मेरे हाथ ने सीधा उनकी नंगी चुत को स्पर्श किया.. जो की अभी तक काफी गीली हो गयी थी।

रेखा भाभी की नंगी चुत पर मेरे हाथ का स्पर्श होते ही वो अब एक बार फिर से कसमसाने लगी। उसने मेरे हाथ को अपनी चुत पर से हटा दिया और अपनी साड़ी व पेटीकोट को फिर से सही करने लगी..

मैंने भी अब तुरन्त रेखा भाभी की चुँचियो को छोड़ दिया और सीधा नीचे उनके पैरो के बीच मे आकर बैठ गया। अब इससे पहले की रेखा भाभी अपनी साड़ी व पेटीकोट को सही करती, उससे पहले ही मैने उनकी साड़ी व पेटीकोट को पकङकर फिर से उनके पेट तक उलट दिया...

रेखा भाभी की बालो से भरी नँगी चुत की मुझे अब एक झलक मिली ही थी, की रेखा भाभी ने पहले तो अपनी जाँघो को भीँचकर अपनी चुत को छिपाने की कोशिश की मगर मै उसके पैरो के बीच बैठा हुवा था इसलिये उसने अब तुरन्त अपने दोनो हाथो से चुत को छिपा लिया...

रेखा भाभी ने अपने खजाने को तो छिपा लिया था मगर उनकी केले‌ के तने सी चीकनी व माँसल नँगी जाँघे अब भी मेरे सामने ही थी इसलिये मैने अब उनकी जाँघो को ही चुमना शुरु कर दिया, जिससे रेखा भाभी अब फिर से कसमसाने लगी...

मै उनकी जाँघो को चुमते हुवे धीरे धीरे उपर उनकी चुत की ओर भी बढ रहा था जिससे बचने के लिये रेखा भाभी ने अब कसमसाते हुवे एक ओर घुमने का प्रयास तो किया मगर मै उनके पैरो को पकङे हुवे था इसलिये वो बस अब कसमसाकर रह गयी और मै ऐसे ही धीरे धीरे उनकी जाँघो को चुमते हुवे उपर उनकी चुत तक पहुँच गया।

रेखा भाभी मेरे चुम्बनो से बचने के लिये अब कसमसा तो रही थी, मगर अपने हाथो को चुत से हटाकर मुझे हटाने का प्रयास बिल्कुल भी नही कर रही थी। इसलिये मैने अब एक दो बार तो उनके हाथो के उपर से ही उनकी चुत को चुमा फिर एकदम से जोर लगाकर उनके दोनो हाथो को चुत से अलग कर दिया...
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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रेखा भाभी का गुप्त खजाने अब मेरे सामने था। बिल्कुल दूधिया सफेद व मासंल भरी हुई जाँघें, और दोनों जाँघों के बीच उनकी गुलाबी चुत घने गहरे काले व घुँघराले बालो भरी हुई थी जो की उनकी चुत को छुपाने की नाकामयाब कोशिश कर रहे थे।

सच मे ही शायद रेखा भाभी ने सालो से अपनी चुत के बालो को साफ नही किया था, और साफ करती भी तो किसके लिये..? भैया के गुजर जाने के बाद उनकी चुत को देखने वाला भी तो कौन था‌।

शायद इसलिये ही उनकी चुत के बाल इतने ज्यादा गहरे व घने हो गये थे की उन्होंने लम्बाई के कारण चुत पर ही गोल-गोल ऐसे घेरे से बना लिये थे मानो वो उनकी चुत के पहरेदार हों।

मगर चुत लाईन के पास वाले बाल चुत रस से भीग कर चुत से ही चिपके गये थे.. इसलिए चुत की गुलाबी फाँकें और दोनों फांकों के बीच का हल्का सिन्दूरी रंग इतने गहरे बालों के बीच भी अलग ही नजर आ रहा था।

रेखा भाभी की रस से भीगी चुत की फाँको को देखने के बाद मुझसे अब रहा नहीं गया और अपने आप ही मेरा सिर उनकी जाँघों के बीच झुकता चला गया...

रेखा भाभी की जाँघो के बीच अपना सिर डालकर मैने अब पहले तो उनकी चुत को एक बार हल्का सा चुमा फिर उस पर एक साथ चुमबनो की झङी सी लगा दी, जिससे रेखा भाभी अब जोरो से ‘आह..’ की सी आवाज निकलते हुवे सिँहर सी गयी और जल्दी से मेरे हाथो से अपने हाथो को छुङाकर अपनी चुत को छिपा लिया।

रेखा भाभी के हाथो को हटाने के लिये मैने अब फिर से उनके हाथो को‌ पकङ लिया जिससे रेखा भाभी ने "मान जाओ ना..क्या कर रहे हो..छोङ दो मुझे.." कहते हुवे अब मेरी तरफ देखा...

मै भी रेखा भाभी की ओर ही देख रहा था जिससे अब एक बार तो हमारी नजरे मिली फिर रेखा भाभी ने अपना मुँह दुसरी तरफ कर लिया।

मुझे पता था कि रेखा भाभी भी अब उत्तेजित हैं और बस ये सब वो दिखावे के लिए ही बोल रही हैं इसलिए मैंने उनके हाथों को पकड़ कर फिर से उनकी चुत से अलग कर दिया जिसका उसने भी अब इतना कोई विरोध नही किया, बस "ऊऊह्..." की सी आवाज के साथ हल्का सा कसमसाकर रह गयी।

रेखा भाभी के हाथो को उनकी चुत से हटाकर मैने अब फिर से अपने प्यासे होठो को उनकी चुत पर रख दिया। इस बार तो रेखा भाभी के मुँह से भी हल्की सिसकी निकल गई और अपने आप ही उनकी जाँघें थोड़ा सा फैल गईं।

मैंने भी अब रेखा भाभी की जाँघों को थोड़ा सा और अधिक फैला दिया और अपने दोनों हाथों से उनके चुत की फांकों को खोलकर अपनी जीभ को उनकी चुत की लाईन में घिसना शुरु कर दिया जिससे अब रेखा भाभी के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियां फूटना शुरु हो गयी।

रेखा भाभी का विरोध अब काफूर हो गया था इसलिये मै भी अपनी जीभ से खुलकर उनकी चुत की फाँको से खेलने लगा जिससे कुछ ही देर मे उनकी चुत पूरी तरह गीली हो गयी। रेखा भाभी अब पुरी तरह से उत्तेजना के वश में थीं और उसका मैं पूरा फायदा उठा रहा था।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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कुछ देर तक ऐसे ही अपनी जीभ से रेखा भाभी की चुत की फाँको से खेलने के बाद मै थोड़ा सा नीचे उनके गुफाद्वार पर आ गया जो की अन्दर से आग सी उगल रहा था।

मैंने अपनी जीभ को अब रेखा भाभी के गुफाद्वार के अन्दर नही डाला, बल्की उस पर गोल-गोल घुमाने लगा, जिससे रेखा भाभी की सिसकारियां और भी तेज हो गयी और वो मेरी जीभ के साथ-साथ ही अपने नितम्बों को बिस्तर पर रगड़ने लगीं।

कुछ देर तक मैं ऐसे ही अपनी जीभ को रेखा भाभी के प्रवेशद्वार पर गोल-गोल घुमाता रहा.. मगर जीभ को चूत के अन्दर नहीं डाला तो रेखा भाभी अब जोरो से झुँझला उठी। उन्होने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर के बालों को पकड़ लिया और फिर खुद ही अपने कूल्हों को उचका कर अपने चूत के मुँह को मेरे होंठों से लगा दिया।

मैंने भी अब रेखा भाभी के चूत के प्रवेशद्वार को एक बार तो प्यार से चूमा, फिर अपनी जीभ को नुकीला करके सीधा हुइ उनकी चूत के प्रवेशद्वार में जङ तक उतार दिया.. जिससे रेखा भाभी के कुल्हे अब आपने आप ही उपर हवा मे उठ गये और ‘आह्ह..’ की आवाज निकालकर उन्होंने मेरे सिर को अपनी दोनो जाँघो के बीच जोरो से भीँच लिया।

मैंने धीर से रेखा भाभी की जाँघों को अब फिर से खोला और धीरे-धीरे अपनी जीभ से उनके चूतद्वार में हरकत करने लगा। मेरी जीभ रेखा भाभी के प्रवेशद्वार की दिवारो को अब अच्छे से घीस रही थी.. जिससे उनके मुँह से जोर-जोर से सिसकारियाँ फूटना शुरु हो गयी, साथ ही मेरी जीभ के साथ साथ उनकी कमर भी अब हरकत में आ गई थी।

मै अपनी जीभ से रेखा भाभी के प्रवेशद्वार की दिवारो को घिसने के साथ साथ उनकी चुत को कभी चाटता तो कभी उसे जोरो से चुश भी रहा था जिससे धीरे धीरे रेखा भाभी की कमर की हरकत अब तेज होने लगी।

उन्होने जोर-जोर से मादक सिसकारियां भरते हुवे अब खुद ही अपनी चुत को मेरे मुँह पर घीसना शुरु कर दिया था। रेखा भाभी को देखकर लग रहा था की उनका चर्म अब नजदीक ही आ गया था।

पिछली रात रेखा भाभी को उनकी मंजिल तक पहुँचाकर भी मुझे ज्यादा कुछ नही मिला था, पर आज मै आज इस मौके को छोङना नही चाहता था। इसलिये रेखा भाभी की चुत को छोङकर मैंने अब तुरन्त अपने सिर को उनकी जाँघों के बीच से निकाल लिया और रेखा भाभी की तरफ देखने लगा...

उन्होंने आँखें बन्द कर रखी थीं, उत्तेजना के कारण उनके होंठ कंपकंपा रहे थे और गोरा चेहरा बिल्कुल लाल हो रखा था। जब कुछ देर तक मैंने अब कोई हरकत नहीं की.. तो रेखा भाभी ने हल्की से आँखें खोलकर मेरी तरफ देखा, उत्तेजना व खीझ के भाव उनकी आँखों में स्पष्ट नजर आ रहे थे।

भाभी को देखकर मैं अब एक बार तो हल्का सा मुस्कुराया फिर जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा। रेखा भाभी ने मेरी मुस्कुराहट का अब कोई जवाब नहीं दिया, बस आँखें बन्द करके अपना मुँह दुसरी तरफ कर लिया।

रेखा भाभी को पता था की मैं क्या कर रहा हूँ और अब इसके आगे मै उनके साथ क्या करने वाला हूँ.. फिर भी उन्होंने ना तो अपने कपङे सही करने की कोशिश की और ना ही मुझे कुछ कहा। बस आँखे मिचे चुपचाप ऐसे ही लेटी रहीं।

तब तक मै अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नँगा हो गया और धीरे से रेखा भाभी के ऊपर लेट गया.. जिसका रेखा भाभी ने अब कोई विरोध नहीं किया बस "ऊँह्ह्..." की आवाज के साथ हल्का सा कराह कर रह गयी।

रेखा भाभी का मखमल सा मुलायम और नाजुक बदन अब मेरे नीचे था। मुझे उनके सख्त उरोज व तने हुए चूचुक अब अपने सीने में चुभते हुवे से महसूस हो रहे थे, तो मेरा उत्तेजित लण्ड भी भी अब रेखा भाभी की चुत की गर्मी को पा रहा था।

रेखा भाभी को पता था की अब क्या होने वाला है इसलिए मेरे ऊपर आते ही उन्होंने अब खुद ही अपनी जाँघों को फैलाकर मुझे अपनी दोनों जाँघों के बीच ले लिया जिससे मेरा उत्तेजित लण्ड अब सीधा ही रेखा भाभी की नँगी चूत की फाँको के बीच जा लगा।

रेखा भाभी के उपर आकर मैने अब सीधा ही अपना लण्ड उनकी चुत मे नही‌ डाला, बल्की उन पर लेट लेट ही मैने एक हाथ से अपने लण्ड को पकङकर रेखा भाभी की चुत के मुँह पर लगा लिया...

जिससे रेखा भाभी के मुँह से ..."उम्म्ह… अहह… हय… याह…" की एक हल्की सिसकारी सी निकल गयी और उसने अपने बदन को कङा करके अपनी गर्दन को एक ओर घुमा लिया।

रेखा भाभी अब आँखे मिचे, अपने बदन को कङा करके, मेरे लण्ड घुसाने का इन्तजार कर रही थी मगर मैने अपने लण्ड को उनकी चुत के मुँह पर लगा तो लिया, पर उसे चुत के अन्दर नही डाला..बल्कि प्रेमरस से भीगी उनकी चूत की फाँको पर धीरे धीरे घिसना शुर कर दिया...
 

Chutphar

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अगर किसी ने मेरी‌ पहले की कहानी पढी होगी तो उन्हे मेरी पायल भाभी के बारे मे पता होगा। मैने सबसे पहले अपनी पायल भाभी के साथ ही सम्बन्ध बनाये थे और उन्होनें ही मुझे ये सब करना सिखाया था। सच पुछो तो इस खेल की मेरी सबसे बङी गुरु वो ही थी।

उन्होने ही मुझे सिखाया था की इस खेल का जो मजा सामने वाले को तङपाने के बाद आता है वो वैसे नही आता।
क्योंकि जितना वो तङपता है उसकी उत्तेजना भी उतनी ही भङकती है, और जितनी उसकी उत्तेजना भङकती है उतना ही वो फिर मजा भी ज्यादा देती है।


मै भी इसी के चलते अपने लण्ड को रेखा भाभी की चुत की फाँको पर घिस रहा था जिससे रेखा भाभी की चुत की आग और अधिक भङकती जा रही थी।

उनकी चूत प्रेमरस से पहले ही गीली थी उपर से अब मेरे लण्ड के घिसने से तो वो और भी अधिक पानी छोङने लगी जिससे मेरा लण्ड अब चुत की चिकनाई मे और भी आसानी से फिसलने लगा...

अपना लण्ड रेखा भाभी की चूत में घिसते घिसते ही मैने अब उनके चेहरे की तरफ देखा... उत्तेजना व तङप के मारे रेखा भाभी बेसुध सी हो गयी थी। होंठ थरथरा रहे थे तो तेजी से चलती साँसो के साथ उनकी चुँचियाँ भी बङी जल्दी जल्दी उपर नीचे हो रही थी।

आँखें मिचे वो अब बेसब्री से मेरे लण्ड घुसाने का इन्तजार कर रही थीं जिसके चलते उनके कुल्हे भी अब अपने आप ही जुम्बीस सी खाकर चुत के मुँह को मेरे लण्ड से मिलाने की कोशिश करने लगे थे।

रेखा भाभी की हालत देखकर मुझे अब उनपर तरस आ गया इसलिये मै अब कुछ देर तो भाभी की चूत पर अपने लण्ड को घिसता रहा और फिर धीरे से चूत के मुँह पर लगा के एक धक्का लगा दिया..

अब रेखा भाभी की चूत का प्रवेशद्वार एक तो प्रेमरस भीगकर चिकना हो रखा था और दुसरा रेखा भाभी खुद भी शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार थीं...

इसलिए अब जैसे ही मैने अपने लण्ड को चुत के मुँह से लगा के धक्का मारा, एक ही धक्के में मेरा आधे से ज्यादा लण्ड चूत मे समा गया और रेखा भाभी के मुँह से... "इईई.. श्शशश.. अ..आआह.. आउऊच.. श्श.." की चीख सी निकल गयी जो की उत्तेजना के आनन्द के साथ साथ लण्ड के घुसने से हुवे दर्द से भी मिली झुली थी।

रेखा भाभी की चुत मे अभी भी बहुता अधिक कसाव था। उनकी चुत जितना बाहर से गर्म थी वो अन्दर से भी उतना ही सुलग रही थी। उनकी चुत अन्दर से इतनी गर्म थी की एक बार तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा लण्ड किसी दहकती भट्टी में चला गया है।

मैने अपना लण्ड को रेखा भाभी की चुत मे आधा घुसाने के बाद अब एक बार तो पहले अपने आपको व्यवस्थित किया फिर अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर खींचकर एक धक्का और लगा दिया...

इस बार मेरा पुरा लण्ड उनकी चूत में समा गया था जिससे अब एक बार फिर से रेखा भाभी के मुँह से ‘अ..आआहह.. आउऊचश्श..’ की चीख सी निकल गई।

रेखा भाभी की चुत मे अभी भी बहुता अधिक कसाव था। मै अपने लण्ड को उनकी चुत की दिवारो के बीच जकङा हुवा सा महसूस कर रहा था। शायद विनोद भैया के स्वर्गवास के बाद उन्होने किसी के साथ भी सम्बन्ध नहीं बनाये थे इसलिये ही चुत मे इतना अधिक कसाव व तनाव आ गया थ।

अपना पुरा लण्ड रेखा भाभी की चुत मे घुसाने के बाद मैंने अब एक बार फिर से भाभी के चेहरे की तरफ देखा, उन्होंने अब भी आँखें बन्द कर रखी थीं। हल्की सी पीड़ा और उत्तेजना के मिले जुले भाव उनके चेहरे पर उभर रहे थे।

रेखा भाभी का वो मासूम सा चेहरा देखने के बाद मुझसे रहा नही गया इसलिये मैंने अब एक बार उनके माथे को ही चूम लिया और फिर गालों पर से होते हुवे उनके होंठों पर आ गया...इस चूम्बन के साथ ही मेरी अब कमर भी हरकत में आ गयी...

मैंने अब धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये थे जिससे मेरा लण्ड रेखा भाभी की चूत में अन्दर बाहर होने लगा। मेरे लण्ड के अन्दर बाहर होने से रेखा भाभी पहले के पाँच सात धक्को मे तो कराहती रही..


मगर फिर जल्दी ही उनकी चुत मे पानी भर आया और उनके हाथ अपने आप ही मेरी पीठ पर आकर धीरे धीरे इधर-उधर रेंगना शुरु हो गये।
 
Last edited:

Chutphar

Mahesh Kumar
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अभी तक रेखा भाभी के होंठों को बस मै ही चूस रहा था.. मगर अब पहली बार रेखा भाभी ने भी हल्का सा मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबाया।

रेखा भाभी भी अब थोड़ा-थोड़ा मेरे चुम्बन का जवाब देने लगी थीं इसलिए मैंने धीरे से अपनी जीभ को भी उनके मुँह में घुसा दिया. जिसे वो भी अब अपनी जीभ से कभी कभी हल्का सा छेङने लगीं।

मैने भी अब रेखा भाभी के मुँह का रस पीते पीते अपनी कमर की हरकत को थोङा सा बढ़ा दिया.. जिससे अब रेखा भाभी के मुँह से सिसकारियाँ सी में फुटना शुरु हो गयी...

रेखा भा भाभी भी अब धीरे धीरे खुलती जा रही थीं क्योंकि उसने बस एक दो बार तो मेरी जीभ को अपनी जीभ से छेङकर देखा फिर उसे धीरे धीरे चुशना शुरु कर दिया, साथ ही मेरे धक्को के साथ साथ अब उसने भी नीचे से धीरे-धीरे अपने कूल्हों को उचकाना शुरु कर दिया...

रेखा भाभी भी मेरा साथ देने लगी थी इसलिए मैंने भी अब अपनी कमर की गति को थोङा सा बढ़ा दिया और तेजी से धक्के लगाने लगाने लगा, जिससे रेखा भाभी की सिसकीयाँ और भी तेज हो गयी और मेरे साथ साथ उसने भी अब जल्दी-जल्दी अपने कूल्हे उचकाना शुरु कर दिया...

अब रेखा भाभी का इतना जोश देखने के बाद मै कहा कम रहने वाला था, मैने भी अपनी पुरी ताकत से धक्के लगाने शुरु कर दिये जिससे रेखा भाभी की सिसकीयाँ अब और भी तेज हो गयी। साथ ही उसने अपने पैरो को भी अब मेरे पैरो मे फँसा लिया और जल्दी जल्दी अपने कुल्हो को उचकाना शुरु कर दिया

रेखा भाभी अब मेरा पुरा साथ दे रही थी। क्योंकि जितनी ताकत व तेजी से अब मै धक्के लगा रहा था, रेखा भाभी भी मेरे हर एक धक्के का जवाब अब नीचे से अपनी पुरी ताकत से अपने कुल्हो को उचका उचकाकर दे रही थी।

जिससे वो पूरा कमरा अब हम दोनो की धक्कमपेट से निकलने वाली "पट-पट.." की आवाजो के साथ, रेखा भाभी की सिसकारियों से गूँजने‌ लगा मगर हम मे से किसी को भी अब परवाह ही कहाँ थी, हम दोनो तो बस अब जल्दी से जल्दी अपनी मँजिल पर पहुँचने के सुरुर मे थे।

हमारी इस धक्कमपेल से मेरी व रेखा भाभी की साँसें उखड़ने लगी थीं, तो शरीर भी पसीने से तर बतर हो गए थे मगर हम दोनों में से कोई भी पीछे नही रहना चाह रहा था, हम दोनों को ही अपनी अपनी मंजिल पर पहुँचने की जल्दी लगी थी..

फिर तभी अचानक रेखा भाभी के गर्भ की गहराई में जैसे एक कोई विस्फोट सा हुवा, जिससे रेखा भाभी एक बार तो
" इईई.. श्शश.. अआआ.. आह्ह्ह्हह.." कहकर बङी ही जोरों से चिल्लाई फिर...
ईईईई....श्शश....अआआ......आह्ह्ह्हह.........
इईई...श्शश....अआआ.....आह्ह्ह्हह......
इई..श्शश...अआआ....आह्ह्ह्हह.....
इ. श्शश..अआआ...आह्ह्ह्हह... की मीठी मीठी सिसकारीयाँ सी भरते हुवे उनके हाथ-पैर मुझसे लिपटते चले गये। उनका पुरा शरीर अकड़ गया और उनकी चूत रह रहकर हल्के हक्के सँकुचन के साथ मेरे लण्ड को अपने प्रमरश से भीगोती चली गयी।

रेखा भाभी का इतना उत्तेजक कामोन्माद देखकर मैं भी अब जल्दी ही चरम पर पहुँच गया और दो-तीन धक्कों के बाद ही मैंने भी अपने भीतर का सारा लावा रेखा भाभी की चूत में ही उड़ेलना शुरु कर दिया।

रसखलित होने के बाद कुछ देर तक तो मैं रेखा भाभी के ऊपर ही पड़ा रहा और फिर पलट कर उनके बगल में लेट गया।

अब सब कुछ शाँत हो गया था ऐसा लग रहा था जैसे कि अभी-अभी कोई तूफान आकर चला गया है। कमरे में बस मेरी और रेखा भाभी की उखड़ी हुई साँसों की आवाज ही गूँज रही थी.. जिन्हें हम दोनों काबू में करने की कोशिश कर रहे थे।

कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे और फिर रेखा भाभी उठ कर अपने कपड़े ठीक करने लगीं। मैंने रेखा भाभी की तरफ देखा तो उन्होंने नजरें झुका लीं.. मगर संतुष्टि के भाव उनके चेहरे पर स्पष्ट नजर आ रहे थे।


कपड़े ठीक करके रेखा भाभी कमरे से बाहर चली गईं। रेखा भाभी के बाद मैं भी उठकर बाहर आ गया और फिर तैयार होकर रोजाना की तरह ही खेतों में चला गया।
इसके बाद करीब महीने भर तक मैं गाँव में रहा और काफी बार रेखा भाभी से सम्बन्ध बनाये। पहले एक-दो बार तो उसने मना किया.. मगर फिर बाद में तो वो खुद ही मेरे पास आने लग गयी।

!!समाप्त!!
 
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Chutphar

Mahesh Kumar
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तो दोस्तो कैसी लगी ये कहानी प्लीज मुझे बताना जरुर,कोमेन्टस के अलावा आप मुझे मैसेज या मेल भी कर सकते है। पर बताना जरुर ताकी मै इसी तरह की कोई और भी कहानी आप लोगो के बीच ला सकुँ
 
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