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Incest रेखा भाभी

Chutphar

Mahesh Kumar
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आप सभी ने मेरी इस कहानी को पसन्द किया इसके लिये धन्यवाद।

मै अपडेट मे देरी के लिये क्षमा चाहता हुँ, मगर दोस्तो अपडेट मे देरी कर रहा हुँ तो अपडेट भी बङा मिलेगा और बङा भी इतना की कम से कम एक बार आपका पानी तो निकलवा ही देगा..
.

।। धन्यवाद ।।
 

sexy ritu

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आप सभी ने मेरी इस कहानी को पसन्द किया इसके लिये धन्यवाद।

मै अपडेट मे देरी के लिये क्षमा चाहता हुँ, मगर दोस्तो अपडेट मे देरी कर रहा हुँ तो अपडेट भी बङा मिलेगा और बङा भी इतना की कम से कम एक बार आपका पानी तो निकलवा ही देगा..
.

।। धन्यवाद ।।
वेटिंग
 

sunoanuj

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मित्र जल्द से जल्द अपडेट देने की कोशिश करें ।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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अपडेट मे देरी के लिये क्षमा चाहता हुँ..
अपडेट कुछ बङा था इसलिये टाईम लग गया, चलो तो अब आगे बढते है..पर अपडेट पढने के बाद कोमेन्टस ये जरुर बताना की किस का पानी निकला और किसका नही..

अभी तक आपने पढा की रात को सोते समय मेरी नीँद खुल जाती है और रेखा भाभी के अस्त व्यस्त कपङो को देखकर मै अपने आप पर काबु नही रख पाता। रेखा भाभी के साथ अपनी कामनाओ को पुरा करने के लिये मै चुपचाप उनकी चुत को सहलाने की कोशिश करता हुँ मगर तभी रेखा भाभी की नीँद खुल जाती है। वो मुझे तुरन्त अपने से दुर हटा देती है और अपने कपङे सही से करके फिर से सो जाती है।


अब उसके आगे...
 
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Chutphar

Mahesh Kumar
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मैं सोने का नाटक कर रहा था मगर मुझे अब नींद नहीं आ रही थी। अभी जो कुछ भी हुआ मैं उसी के बारे में सोच रहा था। मैं सोच रहा था की अगर रेखा भाभी को शोर ही मचाना होता और मेरी शिकायत ही करनी होती तो अभी तक वो कब का कर देतीं।

शायद वो डर रही हैं और वैसे भी रेखा भाभी बहुत ही सीधी साधी और बेहद ही शरीफ हैं। इसलिए ही शायद उन्होंने पहले भी मेरी शिकायत नहीं की। अब ये बात मेरे दिमाग में आते ही मुझमें अब फिर से हिम्मत आ गई और एक बार फिर से मैंने अपना हाथ धीरे से रेखा भाभी की जाँघ पर रख दिया....

मगर इस बार रेखा भाभी को नींद नहीं आई थी इसलिए जैसे ही मैने अपना हाथ उनकी जाँघ पर रखा वो एक बार तो हल्का सा कुनकुनाई फिर उन्होंने तुरन्त ही मेरा हाथ झटक कर दूर कर दिया और पास ही रखी चद्धर को ओढ़कर सुमन दीदी के नजदीक खिसक गईं।

अब तो मुझे और भी यकीन हो गया की रेखा भाभी डर रही हैं इसलिए वो किसी से कुछ नहीं कहेंगी। रेखा भाभी के अब इसी डर का मैने फायदा उठाने की सोची और कुछ देर ऐसे ही सोने का नाटक करके उनको नींद आने का इन्तजार करने लगा..
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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करीब अब आधे-पौने घण्टे तक तो मै ऐसे ही बिना कोई हरकत किये इन्तजार करता रहा और जब मुझे लगा की रेखा भाभी गहरी नींद सो गई हैं.. तो मैंने धीरे से उनकी तरफ फिर से अपना हाथ बढ़ा दिया... मगर अबकी बार रेखा मेरे हाथ की पहुँच से दुर थीं।

वो सुमन दीदी के बिल्कुल पास होकर सो रही थीं इसलिये लेटे-लेटे मेरा हाथ उन तक नहीं पहुँच पा रहा था। अब मैने भी जब लेटे-लेटे मेरा हाथ रेखा भाभी तक नहीं पहुँचा, तो धीरे से खिसक कर अपने आधे शरीर को उनके बेड पर कर लिया और आधे शरीर को अपनी चारपाई पर ही रहने दिया।

फिर धीरे, बिल्कुल ही धीरे से पहले तो उनके पैरों की तरफ से चद्धर को हटाया, फिर धीरे-धीरे उनकी साड़ी व पेटीकोट में हाथ डालकर ऊपर की ओर बढाना शुरु कर दिया...

पर इस बार मैं रेखा भाभी की साड़ी व पेटीकोट को उनके जाँघों तक ही ऊपर कर सका, क्योंकि इसके ऊपर वो उनके पैरो के नीचे दबे हुए थे और उनको ऊपर करने के लिए मैंने उन्हें अब जैसे ही खींचा... रेखा भाभी ने तुरन्त मेरा हाथ पकङ लिया।

रेखा भाभी की नींद खुल गयी थी इसलिये मुझे हटाने के लिये वो अब जल्दी से उठकर बिस्तर पर बैठ गयी और दोनो हाथो से मुझे हटाने की कोशिश करने लगीं, मगर अब मैं कहाँ हटने वाला था, मैं दोनों हाथों को रेखा भाभी के पैरो के नीचे से डालकर उनकी नर्म मुलायम जाँघों से लिपट गया और उनकी साड़ी व पेटीकोट में सिर डालकर उनकी नंगी जाँघों को चुम्बना शुरु कर दिया...

रेखा भाभी मुझसे बचने के लिए अब अपने घुटने मोड़ना चाहती थीं.. मगर मेरे शरीर का भार उनके पैरों पर था इसलिए वो ऐसा नहीं कर सकीं। तब तक मै रेखा भाभी की जाँघों को चूमते हुवे ऊपर उनकी जाँघो के जोङ पर भी पहुँच गया जहाँ उन्होंने अपना खजाना छुपा रखा था।

रेखा भाभी ने नीचे पेँटी पहनी हुई थी इसलिये मै अब पेंटी के ऊपर से ही उनकी चुत के आस पास के भाग को चूमने चाटने लगा... साथ ही उनके कूल्हों के नीचे से साड़ी व पेटीकोट में हाथ डालकर उनकी पेंटी को भी निकालने कोशिश करने लगा...

मगर तभी रेखा भाभी ने मेरे सिर के बालों को पकड़ लिया और मेरे बालों को खींचकर मुझे हटाने की कोशिश करने लगीं। बाल खिंचने से मुझे अब दर्द होने लगा था.. इसलिए मैं भी पीछे हटने लगा, मगर मेरे हाथ रेखा भाभी की पेंटी को पकड़े हुए थे इसलिए मेरे पीछे हटने के साथ-साथ उनकी पेंटी भी नीचे उतरती चली गयी।

रेखा भाभी अब एक साथ एक ही काम कर सकती थी, या तो वो अपनी पेंटी को पकड़ लेतीं या फिर मेरे बालों को..? और जब तक वो मेरे बालों को छोड़कर अपनी पेंटी को पकड़तीं.. तब तक उनकी पेंटी घुटनो तक उतर गयी...

अब रेखा भाभी उसे दोबारा ऊपर करें.. उससे पहले ही मैं फिर से उनकी जाँघों से चिपक गया और उनकी गोरी चिकनी जाँघों पर फिर से चुम्बनो की झङी लगा दी।

रेखा भाभी मुझे हटाने के लिए अपनी पूरी कोशिश तो कर रही थीं मगर इतना अधिक भी नही की वो‌ मुझे हटा सके, क्योंकि सुमन दीदी भी वही पर सो रही थी। हमारी हरकत से कही सुमन दीदी जाग ना जाये इस बात का डर मुझे तो था ही, मगर रेखा भाभी इस बात से कुछ ज्यादा ही डर रही थी और उसके चलते ही वो मेरा इतना अधिक विरोध नही‌ कर पा रही थी।

अब इन मामलो मे तो, मै हुँ ही पक्का कमीना, क्योंकि मै उनके इसी डर का तो फायदा उठा रहा था, और इसके चलते ही मै रेखा भाभी की जाँघो को चुमते चाटते फिर से अपना सिर उनकी साङी व पेटीकोट मे घुसा दिया...

रेखा भाभी का पूरा बदन अब डर के मारे काँप रहा था, वो बार-बार सुमन दीदी की तरफ देख रही थीं की कही वो जाग ना जाये, तो कभी मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी, पर अब मै कहाँ मानने वाला था...

सुमन दीदी के जाग जाने का डर तो मुझे भी था.. मगर एक तो सुमन दीदी दीवार की तरफ करवट करके सो रही थी और दूसरा इतना कुछ हो जाने के बाद मैं अब पीछे नही हटना चाहता था इसलिए मैं उनकी दोनों जाँघों को बांहों में भर कर उनसे चिपटा रहा और उन्हे चुमते चाटते हुवे उपर उनकी चुत की ओर बढता रहा...

रेखा भाभी भी अब विवश सी हो गयी थी, वो ना तो शोर मचा सकती थीं और ना ही मुझे हटा पा रही थीं बस कसमसाये जा रही थी। तब तक मै उनकी जाँघो को चुमते हुवे उनकी जाँघो व पेट के जोङ वाले त्रिकोण पर पहुँच गया जहाँ से उनकी चुत की बेहद ही मादक सी गंध आ रही थी।
 

Chutphar

Mahesh Kumar
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मेरा मुँह अब रेखा भाभी की चुत के उपर तो था मगर अभी भी उनकी चुत मेरी पहुँच से काफी दुर थी, क्योंकि एक तो रेखा भाभी ने अपनी दोनों जाँघों को जोरो से भींचा हुवा था और दूसरा उनके बैठे होने के कारण उनकी चुत दोनो जाँघो के बीच बिल्कुल छिपी हुई थी।

अब मेरा मुँह रेखा भाभी की चुत तक तो नही पहुँच सकता था इसलिए मैं उनकी जाँघों व पेट के जोङ वाले त्रिकोण के ऊपरी भाग को ही अपनी जीभ व होंठों से सहलाने लगा, साथ ही नीचे दोनों हाथों से उनकी जाँघों को अन्दर की तरफ से भी सहलाना शुरु कर दिया... जिससे रेखा भाभी अब और भी जोरो से कसमसाते हुवे मुझे हटाने की कोशिश करने लगी...

मगर मेरे इस दोहरे हमले को वो ज्यादा देर तक सहन‌ नही कर सकी... और कुछ ही देर बाद इसका असर रेखा भाभी पर भी दिखने लगा, उनकी जाँघों की पकड़ अब ढीली सी पड़ने लगी थी..

अब मैं तो इसी मौके की तलाश में था इसलिये अब जैसे ही रेखा भाभी की जाँघो की पकङ कुछ हल्की हुई मैंने धीरे धीरे करके पहले तो रेखा भाभी की पेंटी को खिसका कर उसे पुरा उतार दिया, फिर धीरे से अपबे दोनों हाथों को उनकी जाँघों के बीच घुसा दिया...

मेरी इस चालाकी का शायद अब रेखा भाभी को भी अहसास हो गया था इसलिए उन्होंने अब फिर से अपनी टाँगों को सिकोड़ने की कोशिश भी की.. लेकिन तब तक बहुत देर हो गयी थी... क्योंकि तब तक मैंने अपने दोनों हाथों को उनकी जाँघो के बीच घुसाकर उनकी जाँघों को फैला दिया...


रेखा भाभी की जाँघो को फैलाकर मैने अब अपना सिर सीधा उनकी दोनों जाँघों के बीच घुसा जिससे मेरे प्यासे होठो अब सीधा उनकी नँगी चुत से जा टकराये.. अपनी नँगी चुत पर मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही एक बार तो अब रेखा भाभी भी सिहर सी गयी.. मगर फिर वो कसमसाते हुवे मुझे हटाने के लिए फिर से धक्के मारने लगीं...


पर अब मैं कहाँ हटने वाला था, मैं उनकी जाँघों को पकड़ कर उनसे चिपटा रहा और धीरे धीरे भाभी की चुत को चूमता चाटता रहा.. अबकी बार मैने रेखा भाभी की सीधे चुत पर हमला किया था और इस हमले का असर तो जो होना था वही हुवा...

फिर रेखा भाभी तो ना जाने कब से इस प्यार की प्यासी थी इसलिये कुछ ही पलों बाद उनका विरोध क्षीण पड़ गया और मैं उनकी चुत की फाँकों को चूमता चाटता चला गया।

रेखा भाभी की चुत की फाँको को चुमते चाटते हुवे अपनी जीभ से धीरे-धीरे चुत के अनारदाने को भी तलाश रहा था। मगर मुझे चुत का अनारदाना तो‌ नही मिला पर थोड़ा सा नीचे बढ़ते ही मुझे चुत की फाँको के बीच कुछ गीलापन सा महसूस हुआ..

और इसका मतलब ये था की मेरी इस हरकत से रेखा भाभी को भी अब मजा आ रहा था.. इसलिए मैं रेखा भाभी की चुत को चूमते हुवे अब धीरे-धीरे सीधा नीचे उनके प्रेमद्वार‌ की तरफ बढ़ गया।

रेखा भाभी के बैठे होने के कारण उनकी चुत का प्रेमद्वार तो नीचे दबा हुआ था.. इसलिए मैं उनके प्रेम‌द्वार तक नहीं पहुँच सका। मगर फिर भी रेखा भाभी के प्रेमरस से भीगे चुत के बालों को ही चाट लिया, जो की बङे ही नमकीन व कसैले से रश से भीगे थे।

मेरे होठ व जीभ अब रेखा भाभी के प्रेमद्वार के करीब जाते ही उनके मुँह से ना चाहते हुए भी एक हल्की सीत्कार फूट पड़ी और उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे सिर के बालो को पकङकर मेरे मुँह को अपनी चुत से दुर हटा दिया...

सिर के बाल‌ खिँचने से मुझे भी अब दर्द हुवा इसलिये एक बार तो मैने भी अपने होठो को उनकी चुत से अलग कर लिया मगर उसके अगले ही पल मैने फिर से से अपने होठो को चुत की फाँको से जोङ दिया..

इस बार रेखा भाभी ने भी मेरा विरोध नही किया बस हल्का सा सिसककर रह गयी। मैंने भी अब एक बार तो रेखा भाभी की चुत से रिसते हुए प्रेमरस को चखकर देखा, फिर वापस अपनी जीभ को ऊपर की तरफ ले जाकर चुत के अनारदाने को तलाश करने लगा...

मगर उनकी चुत इतने घने गहरे बालों से भरी हुई थी की वो मेरे मुँह में आ रहे थे। शायद कई महीनों से..., महिने नही शायद सालो से रेखा भाभी ने उन्हें साफ नहीं किया था। इसलिये मैंने अब रेखा भाभी की जाँघों को छोड़ दिया और दोनों हाथों की उंगलियों से उनकी काम सुरंग की दोनों फांकों को फैलाकर फिर से अपनी जुबान को रेखा भाभी की चुत पर रख दिया।

अब की बार मेरे होठो ने सीधा रेखा भाभी के अनारदाने को स्पर्श किया था इसलिए एक बार फिर उनके मुँह से हल्की सी सीत्कार फूट पड़ी और वो हल्का कसमसाकर थोङा पीछे हट गयी। मेरे होठ अब रेखा भाभी की चुत से अलग हो गये थे मगर मैने अपना काम कर दिया था।

रेखा भाभी अब काफी उत्तेजित लग रही थीं क्योंकि उनका विरोध अब ना के बराबर रह गया था। मौके का फायदा उठाकर मैने उन्हे अब हल्का सा ही धकेला तो वो चुपचाप बैड पर लेट गयी।
 
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