करीब अब आधे-पौने घण्टे तक तो मै ऐसे ही बिना कोई हरकत किये इन्तजार करता रहा और जब मुझे लगा की रेखा भाभी गहरी नींद सो गई हैं.. तो मैंने धीरे से उनकी तरफ फिर से अपना हाथ बढ़ा दिया... मगर अबकी बार रेखा मेरे हाथ की पहुँच से दुर थीं।
वो सुमन दीदी के बिल्कुल पास होकर सो रही थीं इसलिये लेटे-लेटे मेरा हाथ उन तक नहीं पहुँच पा रहा था। अब मैने भी जब लेटे-लेटे मेरा हाथ रेखा भाभी तक नहीं पहुँचा, तो धीरे से खिसक कर अपने आधे शरीर को उनके बेड पर कर लिया और आधे शरीर को अपनी चारपाई पर ही रहने दिया।
फिर धीरे, बिल्कुल ही धीरे से पहले तो उनके पैरों की तरफ से चद्धर को हटाया, फिर धीरे-धीरे उनकी साड़ी व पेटीकोट में हाथ डालकर ऊपर की ओर बढाना शुरु कर दिया...
पर इस बार मैं रेखा भाभी की साड़ी व पेटीकोट को उनके जाँघों तक ही ऊपर कर सका, क्योंकि इसके ऊपर वो उनके पैरो के नीचे दबे हुए थे और उनको ऊपर करने के लिए मैंने उन्हें अब जैसे ही खींचा... रेखा भाभी ने तुरन्त मेरा हाथ पकङ लिया।
रेखा भाभी की नींद खुल गयी थी इसलिये मुझे हटाने के लिये वो अब जल्दी से उठकर बिस्तर पर बैठ गयी और दोनो हाथो से मुझे हटाने की कोशिश करने लगीं, मगर अब मैं कहाँ हटने वाला था, मैं दोनों हाथों को रेखा भाभी के पैरो के नीचे से डालकर उनकी नर्म मुलायम जाँघों से लिपट गया और उनकी साड़ी व पेटीकोट में सिर डालकर उनकी नंगी जाँघों को चुम्बना शुरु कर दिया...
रेखा भाभी मुझसे बचने के लिए अब अपने घुटने मोड़ना चाहती थीं.. मगर मेरे शरीर का भार उनके पैरों पर था इसलिए वो ऐसा नहीं कर सकीं। तब तक मै रेखा भाभी की जाँघों को चूमते हुवे ऊपर उनकी जाँघो के जोङ पर भी पहुँच गया जहाँ उन्होंने अपना खजाना छुपा रखा था।
रेखा भाभी ने नीचे पेँटी पहनी हुई थी इसलिये मै अब पेंटी के ऊपर से ही उनकी चुत के आस पास के भाग को चूमने चाटने लगा... साथ ही उनके कूल्हों के नीचे से साड़ी व पेटीकोट में हाथ डालकर उनकी पेंटी को भी निकालने कोशिश करने लगा...
मगर तभी रेखा भाभी ने मेरे सिर के बालों को पकड़ लिया और मेरे बालों को खींचकर मुझे हटाने की कोशिश करने लगीं। बाल खिंचने से मुझे अब दर्द होने लगा था.. इसलिए मैं भी पीछे हटने लगा, मगर मेरे हाथ रेखा भाभी की पेंटी को पकड़े हुए थे इसलिए मेरे पीछे हटने के साथ-साथ उनकी पेंटी भी नीचे उतरती चली गयी।
रेखा भाभी अब एक साथ एक ही काम कर सकती थी, या तो वो अपनी पेंटी को पकड़ लेतीं या फिर मेरे बालों को..? और जब तक वो मेरे बालों को छोड़कर अपनी पेंटी को पकड़तीं.. तब तक उनकी पेंटी घुटनो तक उतर गयी...
अब रेखा भाभी उसे दोबारा ऊपर करें.. उससे पहले ही मैं फिर से उनकी जाँघों से चिपक गया और उनकी गोरी चिकनी जाँघों पर फिर से चुम्बनो की झङी लगा दी।
रेखा भाभी मुझे हटाने के लिए अपनी पूरी कोशिश तो कर रही थीं मगर इतना अधिक भी नही की वो मुझे हटा सके, क्योंकि सुमन दीदी भी वही पर सो रही थी। हमारी हरकत से कही सुमन दीदी जाग ना जाये इस बात का डर मुझे तो था ही, मगर रेखा भाभी इस बात से कुछ ज्यादा ही डर रही थी और उसके चलते ही वो मेरा इतना अधिक विरोध नही कर पा रही थी।
अब इन मामलो मे तो, मै हुँ ही पक्का कमीना, क्योंकि मै उनके इसी डर का तो फायदा उठा रहा था, और इसके चलते ही मै रेखा भाभी की जाँघो को चुमते चाटते फिर से अपना सिर उनकी साङी व पेटीकोट मे घुसा दिया...
रेखा भाभी का पूरा बदन अब डर के मारे काँप रहा था, वो बार-बार सुमन दीदी की तरफ देख रही थीं की कही वो जाग ना जाये, तो कभी मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी, पर अब मै कहाँ मानने वाला था...
सुमन दीदी के जाग जाने का डर तो मुझे भी था.. मगर एक तो सुमन दीदी दीवार की तरफ करवट करके सो रही थी और दूसरा इतना कुछ हो जाने के बाद मैं अब पीछे नही हटना चाहता था इसलिए मैं उनकी दोनों जाँघों को बांहों में भर कर उनसे चिपटा रहा और उन्हे चुमते चाटते हुवे उपर उनकी चुत की ओर बढता रहा...
रेखा भाभी भी अब विवश सी हो गयी थी, वो ना तो शोर मचा सकती थीं और ना ही मुझे हटा पा रही थीं बस कसमसाये जा रही थी। तब तक मै उनकी जाँघो को चुमते हुवे उनकी जाँघो व पेट के जोङ वाले त्रिकोण पर पहुँच गया जहाँ से उनकी चुत की बेहद ही मादक सी गंध आ रही थी।