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Incest रेखा भाभी

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अब इसी तरह हफ्ता भर गुजर गया और इस हफ्ते भर में मैंने रेखा भाभी के साथ कुछ करने की तो कोशिश नही की मगर उनके प्रति मेरी वाशना बढती चली गयी। उनको याद करके मैने काफी बार मुठ मारी होगी.. मगर उनके साथ कुछ करने की मैं हिम्मत नहीं कर सका।

अब ऐसे ही दिन गुजर रहे थे की एक रात सोते हुए अचानक मेरी नींद खुल गई। मैंने सोचा की सुबह हो गयी है इसलिये बिस्तर से उठकर बैठ गया मगर जब रेखा भाभी व सुमन की तरफ देखा, वो दोनों भी सो रही थीं, बाहर भी अभी काफी अन्धेरा था इसलिये मैने फिर से सोने की सोची...

मै अब फिर से सोने ही वाला था की तभी मेरा ध्यान रेखा भाभी पर चला गया जिसे देख मेरी आँखें तो खुली की खुली ही रह गईं, क्योंकि रेखा भाभी के कपड़े सोते हुवे अस्त-व्यस्त हो रखे थे। साड़ी अधखुली सी उनसे लिपटी हुई थी तो पेटीकोट भी उनके घुटनों के ऊपर तक हो रखा था।


वैसे तो कमरे में अन्धेरा था। बस खिड़की से चाँद की थोड़ी सी रोशनी ही आ रही थी..मगर फिर भी रेखा भाभी के संगमरमर सी सफेद गोरी चिकनी पिण्डलियाँ ऐसे दमक रही थीं जैसे कि उन्हीं में से ही रोशनी फूट रही हो।

रेखा भाभी के गोरी चिकने पैरो को देखकर मेरी दबी हुई भावनाये अब ऐसे जाग्रत हो गयी जैसे की ज्वार भाटा उफन‌कर बाहर फुटता है। एकदम से साँसे फुल सी गयी और मेरा लण्ड तो मानो अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया था।


मुझे डर तो‌ लग रहा था मगर मेरे लिए अपने आप पर काबू पाना अब मुश्किल सा हो रहा था इसलिये मैने धीरे से अपना एक हाथ रेखा भाभी के नंगे घुटने पर रख दिया... अपने हाथ को रेखा भाभी के घुटने पर रखकर मै अब कुछ देर तक बिना कोई हरकत किए ऐसे ही लेटा रहा, ताकि अगर वो जाग भी जाएं तो उन्हें लगे की मैं नींद में हूँ।

अब कुछ देर इन्तजार करने के बाद जब रेखा भाभी ने कोई हरकत नहीं की तो मैं धीरे-धीरे अपने हाथ को रेखा भाभी की जाँघों की तरफ बढ़ाने लगा और साथ ही उनकी साङी व पेटीकोट को भी धीरे धीरे उपर की ओर खिसकाने लगा..

अब जितना मेरा हाथ ऊपर की तरफ बढ़ता वो रेखा भाभी की संगमरमरी सफेद पैरो को भी उतना ही नंगा कर रह था और जैसे-जैसे भाभी के पैर नंगे हो रहर थे.. वैसे वैसे ही मानो कमरे में उजाला सा हो रहा था। क्योंकि उनके पैर इतने गोरे थीं कि अन्धेरे में भी दमक से रहे थे।

ऐसे ही धीरे-धीरे करते मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी मखमल सी नर्म मुलायम, माँसल व भरी हुई जाँघों पर पहुँच गया जो की इतनी नर्म मुलायम व चिकनी थी कि अपने आप ही मेरा हाथ फिसलने सा लगा।

मै भी उन्हे धीरे धीरे बङे ही प्यार से ससहलता चला गया जिससे मेरा हाथ रेखा भाभी की जाँघो के उपर से होता हुआ सीधा उनकी जाँघो के अन्दर की तरफ पहुँच गया.. मगर रेखा भाभी की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई...


शायद वो कुछ ज्यादा ही गहरी नींद में थीं जिससे मेरी भी थोड़ी हिम्मत अब बढ़ गई और मैंने धीरे धीरे अपने हाथ को रेखा भाभी की दोनों जाँघों के बीच अन्दर की तरफ ऊपर की ओर बढ़ाना शुरु कर दिया.. मगर मै अब थोड़ा सा ही ऊपर बढा था की एकदम से डर व घबराहट के कारण मेरा पूरा बदन कँपकँपा सा गया...

दिल की धङकने बढ गयी तो साँसे भी जैसे फुल गयी क्योंकि मेरा हाथ अब रेखा भाभी के जाँघों के जोड़ पर पहुँच गया था। उन्होंने साड़ी व पेटीकोट के नीचे पेंटी पहन रखी थी इसलिये मेरा हाथ उनकी पैँटी के नर्म मुलायम कपङे से जा टकराया था। अन्धेरे के कारण मैं ये तो नहीं देख पा रहा था कि उनकी पेंटी कैसे रंग की थी.. मगर हाँ वो जरूर किसी गहरे रंग की थी।


मैने कुछ देर रुक कर जैसे तैसे अब पहले तो खुद को काबु किया फिर धीरे से, बहुत ही धीरे से हाथ को उनकी पेंटी के ऊपर रख दिया और पेंटी के ऊपर से ही उनकी चुत का मुआयना सा करके देखा। उनकी चुत बालों से भरी हुई थी जो की पेंटी के ऊपर से ही मुझे महसूस हो रहे थे।


मैं धीरे-धीरे उनकी चुत को सहला ही रहा था की तभी अचानक से रेखा भाभी जाग गईं.. उन्होंने मेरा हाथ झटक कर दूर किया और जल्दी से उठकर अपनी साड़ी व पेटीकोट को सही करने लगीं।

ये सभी काम उन्होंने एक साथ और बिजली की सी रफ्तार से किए। डर के मारे मेरी तो साँस ही अटक गई, जिससे मैं जल्दी से अब सोने का नाटक करने लगा मगर भाभी को पता चल गया था की मैं जाग रहा हूँ।


मैंने थोड़ी सी आँख खोलकर देखा तो रेखा भाभी अपने कपड़े सही करके बैठी हुई थीं और मेरी ही तरफ देख रही थीं। मैं डर रहा था कि कहीं रेखा भाभी शोर मचाकर सबको बता ना दें। डर के मारे मेरा दिल अब इतनी जोरों से धड़क रहा था कि मैं खुद ही अपने दिल की धड़कन सुन पा रहा था। मगर फिर कुछ देर बाद रेखा भाभी सुमन की तरफ करवट बदल कर फिर से सो गईं।
Nice update
 
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amita

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अभी तक आपने पढा की रेखा भाभी को अधनँगी देखने के बाद मेरा उनके प्रति नजरीया बदल गया था उपर से मै अब उनके कमरे मे सोने लगा था मगर मेरी उनके साथ कुछ करने की हिम्मत नही हो रही थी।
अब उसके आगे....


अगले दिन सुबह जब रेखा भाभी कमरे की सफाई करने के लिए आईं तो उन्होंने ही मुझे जगाया। मैं उठा.. तब तक चाचा-चाची खेत में जा चुके थे और सुमन दीदी भी कॉलेज चली गई थी।

घर में बस मैं और रेखा भाभी ही थे.. मेरा दिल तो कर रहा था कि रेखा भाभी को अभी ही पकड़ लूँ.. मगर इतनी हिम्मत मुझमें कहाँ थी। इसलिए मैं उठकर जल्दी से खेत में जाने के लिए तैयार हो गया।

मैं काफी देर से उठा था तब तक दोपहर के खाने का भी समय हो गया था.. इसलिए खेत में जाते समय रेखा भाभी ने मुझे दोपहर का खाना भी बनाकर दे दिया जिसे लेकर मै अब खेत मे आ गया और उसजे बाद शाम को चाचा चाची के साथ ही खेत से वापस लौटा।

रोजाना मै अब सुमन दीदी व रेखा भाभी के कमरे मे ही सोता और सुबह देर से उठता इसलिए रोजाना की मेरी अब यही दिनचर्या बन गई कि मैं दोपहर का खाना लेकर ही खेत में जाता और शाम को चाचा चाची के साथ ही खेत से लौटता।

इस बीच रेखा भाभी ने तो उस दिन वाली बात को भुला दिया मगर रेखा भाभी के प्रति मेरी वाशना अब बढती चली गयी। मै जब भी घर में रहता किसी ना किसी बहाने से रेखा भाभी के ज्यादा से ज्यादा पास रहने की कोशिश करता और उनको पटाने की कुछ ना कुछ योजनाये बनाता रहता मगर रेखा भाभी ने मुझमे कोई रूचि नहीं दिखाई।

ऐसे ही एक दिन सुबह नींद खुलने के बाद भी मैं ऐसे ही चारपाई पर लेटा हुआ ऊंघ रहा था। अब सुबह-सुबह तो पेशाब के ज्वर के कारण सबका ही लण्ड उत्तेजित होता है, तो मेरा भी था जिसे देख मेरे दिमाग में अब एक योजना आ गई।


मुझे पता था की इस समय घर मे मेरे और रेखा भाभी सिवा कोई और तो है नही। और रेखा भाभी मुझे जगाने के लिए नहीं.. तो कमरे में सफाई करने के लिए तो जरूर ही आएंगी। इसलिये क्यो ना आज रेखा भाभी को अपना लण्ड दिखा दिया जाये, हो सकता है इससे उनके दिल मे भी मेरे लिये कुछ भावनाये जाग जाये और मेरा काम‌ बन जाये...
Good one
 

amita

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अभी तक आपने पढा की रेखा भाभी को अधनँगी देखने के बाद मेरा उनके प्रति नजरीया बदल गया था उपर से मै अब उनके कमरे मे सोने लगा था मगर मेरी उनके साथ कुछ करने की हिम्मत नही हो रही थी।
अब उसके आगे....


अगले दिन सुबह जब रेखा भाभी कमरे की सफाई करने के लिए आईं तो उन्होंने ही मुझे जगाया। मैं उठा.. तब तक चाचा-चाची खेत में जा चुके थे और सुमन दीदी भी कॉलेज चली गई थी।

घर में बस मैं और रेखा भाभी ही थे.. मेरा दिल तो कर रहा था कि रेखा भाभी को अभी ही पकड़ लूँ.. मगर इतनी हिम्मत मुझमें कहाँ थी। इसलिए मैं उठकर जल्दी से खेत में जाने के लिए तैयार हो गया।

मैं काफी देर से उठा था तब तक दोपहर के खाने का भी समय हो गया था.. इसलिए खेत में जाते समय रेखा भाभी ने मुझे दोपहर का खाना भी बनाकर दे दिया जिसे लेकर मै अब खेत मे आ गया और उसजे बाद शाम को चाचा चाची के साथ ही खेत से वापस लौटा।

रोजाना मै अब सुमन दीदी व रेखा भाभी के कमरे मे ही सोता और सुबह देर से उठता इसलिए रोजाना की मेरी अब यही दिनचर्या बन गई कि मैं दोपहर का खाना लेकर ही खेत में जाता और शाम को चाचा चाची के साथ ही खेत से लौटता।

इस बीच रेखा भाभी ने तो उस दिन वाली बात को भुला दिया मगर रेखा भाभी के प्रति मेरी वाशना अब बढती चली गयी। मै जब भी घर में रहता किसी ना किसी बहाने से रेखा भाभी के ज्यादा से ज्यादा पास रहने की कोशिश करता और उनको पटाने की कुछ ना कुछ योजनाये बनाता रहता मगर रेखा भाभी ने मुझमे कोई रूचि नहीं दिखाई।

ऐसे ही एक दिन सुबह नींद खुलने के बाद भी मैं ऐसे ही चारपाई पर लेटा हुआ ऊंघ रहा था। अब सुबह-सुबह तो पेशाब के ज्वर के कारण सबका ही लण्ड उत्तेजित होता है, तो मेरा भी था जिसे देख मेरे दिमाग में अब एक योजना आ गई।


मुझे पता था की इस समय घर मे मेरे और रेखा भाभी सिवा कोई और तो है नही। और रेखा भाभी मुझे जगाने के लिए नहीं.. तो कमरे में सफाई करने के लिए तो जरूर ही आएंगी। इसलिये क्यो ना आज रेखा भाभी को अपना लण्ड दिखा दिया जाये, हो सकता है इससे उनके दिल मे भी मेरे लिये कुछ भावनाये जाग जाये और मेरा काम‌ बन जाये...
Badhiya
 

amita

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अब ये बात मेरे दिमाग मे आते ही मेरे लण्ड पेशाब के ज्वर से तो उत्तेजित था ही..अब रेखा भाभी के बारे में सोचने से वो अकङकर और भी सख्त हो गया जिसे अण्डरवियर व पैजाने से बाहर निकालकर मैने अब इस तरह से व्यवस्थित कर लिया की रेखा भाभी जब कमरे में आये.. तो उन्हें मेरा उत्तेजित लण्ड आसानी से नजर आए।

अपने लण्ड को बाहर निकालकर मै अब चुपचाप सोने का बहाना करके भाभी के कमरे में आने का इन्तजार करने लगा। मुझे अब ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा क्योंकि कुछ देर बाद ही रेखा भाभी कमरे में आ गईं।

भाभी के आते ही मैं जल्दी से आँखें बन्द करके सोने का नाटक करने लगा। रेखा भाभी मुझे जगाने के लिए मेरी चारपाई की तरफ बढ़ ही रही थीं की एकदम से वो ठीठकर वहीं रुक गयी। शायद उन्होंने मेरे लण्ड को देख लिया था जिससे वो हङबङाकर जल्दी से वापस कमरे से बाहर भाग गयी।

मैं तो सोच रहा था कि रेखा भाभी मेरे उत्तेजित लण्ड को देखकर शायद खुद ही मेरे पास आ जायेगी... मगर ऐसा कुछ तो नहीं हुआ ऊपर से रेखा भाभी के ऐसे चले जाने के कारण मुझे खुद को ही डर लगने लगा की कहीं रेखा भाभी मेरी शिकायत ना कर दें।

रेखा भाभी के जाने के बाद मैं अब काफी देर तक ऐसे ही लेटा रहा क्योंकि मैं चाहता था की भाभी को ऐसा लगे की मैं सही में ही सो रहा हूँ। मगर भाभी को शायद शक हो गया था की मैंने जानबूझ कर ऐसा किया है क्योंकि जब तक मैं खुद ही उठकर बाहर नहीं गया तब तक भाभी दोबारा कमरे में नहीं आईं और ना ही मुझे जगाने की कोशिश की।

जब मै खुद उठकर बाहर गया तब भी रेखा भाभी मुझसे ठीक से बात नहीं की..मेरी बातो का जवाब वो बस हाँ ना मे ही दे रही थी इसलिए मैं भी अब जल्दी से खेत में जाने के लिए तैयार हो गया और चुपचाप दोपहर का खाना लेकर खेत मे आ गया।

शाम को भी जब मै चाचा चाची के साथ घर आया तो मेरा डर बना रहा की कहीं रेखा भाभी सुबह वाली बात चाचा-चाची को ना बता दें।


खैर उन्होंने ऐसा कुछ तो नहीं किया मगर उन्होने मुझसे अब दुरियाँ बना ली। रेखा भाभी को पता चल गया था की मेरी उनके प्रति क्या नियत है.. इसलिए उन्होने मुझसे अब बातें करना बहुत ही कम कर दिया और मुझसे दूर ही रहने की कोशिश करने लगीं। सुबह भी अब जब तक मैं सोता रहता.. तब तक वो कमरे में नहीं आती थीं। मेरी भी अब दोबारा से रेखा भाभी के साथ कुछ ऐसे वैसी हरकत करने की कभी हिम्मत नहीं हुई।
Badhiya
 

amita

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अब इसी तरह हफ्ता भर गुजर गया और इस हफ्ते भर में मैंने रेखा भाभी के साथ कुछ करने की तो कोशिश नही की मगर उनके प्रति मेरी वाशना बढती चली गयी। उनको याद करके मैने काफी बार मुठ मारी होगी.. मगर उनके साथ कुछ करने की मैं हिम्मत नहीं कर सका।

अब ऐसे ही दिन गुजर रहे थे की एक रात सोते हुए अचानक मेरी नींद खुल गई। मैंने सोचा की सुबह हो गयी है इसलिये बिस्तर से उठकर बैठ गया मगर जब रेखा भाभी व सुमन की तरफ देखा, वो दोनों भी सो रही थीं, बाहर भी अभी काफी अन्धेरा था इसलिये मैने फिर से सोने की सोची...

मै अब फिर से सोने ही वाला था की तभी मेरा ध्यान रेखा भाभी पर चला गया जिसे देख मेरी आँखें तो खुली की खुली ही रह गईं, क्योंकि रेखा भाभी के कपड़े सोते हुवे अस्त-व्यस्त हो रखे थे। साड़ी अधखुली सी उनसे लिपटी हुई थी तो पेटीकोट भी उनके घुटनों के ऊपर तक हो रखा था।


वैसे तो कमरे में अन्धेरा था। बस खिड़की से चाँद की थोड़ी सी रोशनी ही आ रही थी..मगर फिर भी रेखा भाभी के संगमरमर सी सफेद गोरी चिकनी पिण्डलियाँ ऐसे दमक रही थीं जैसे कि उन्हीं में से ही रोशनी फूट रही हो।

रेखा भाभी के गोरी चिकने पैरो को देखकर मेरी दबी हुई भावनाये अब ऐसे जाग्रत हो गयी जैसे की ज्वार भाटा उफन‌कर बाहर फुटता है। एकदम से साँसे फुल सी गयी और मेरा लण्ड तो मानो अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया था।


मुझे डर तो‌ लग रहा था मगर मेरे लिए अपने आप पर काबू पाना अब मुश्किल सा हो रहा था इसलिये मैने धीरे से अपना एक हाथ रेखा भाभी के नंगे घुटने पर रख दिया... अपने हाथ को रेखा भाभी के घुटने पर रखकर मै अब कुछ देर तक बिना कोई हरकत किए ऐसे ही लेटा रहा, ताकि अगर वो जाग भी जाएं तो उन्हें लगे की मैं नींद में हूँ।

अब कुछ देर इन्तजार करने के बाद जब रेखा भाभी ने कोई हरकत नहीं की तो मैं धीरे-धीरे अपने हाथ को रेखा भाभी की जाँघों की तरफ बढ़ाने लगा और साथ ही उनकी साङी व पेटीकोट को भी धीरे धीरे उपर की ओर खिसकाने लगा..

अब जितना मेरा हाथ ऊपर की तरफ बढ़ता वो रेखा भाभी की संगमरमरी सफेद पैरो को भी उतना ही नंगा कर रह था और जैसे-जैसे भाभी के पैर नंगे हो रहर थे.. वैसे वैसे ही मानो कमरे में उजाला सा हो रहा था। क्योंकि उनके पैर इतने गोरे थीं कि अन्धेरे में भी दमक से रहे थे।

ऐसे ही धीरे-धीरे करते मेरा हाथ रेखा भाभी के घुटने पर से होता हुआ उनकी मखमल सी नर्म मुलायम, माँसल व भरी हुई जाँघों पर पहुँच गया जो की इतनी नर्म मुलायम व चिकनी थी कि अपने आप ही मेरा हाथ फिसलने सा लगा।

मै भी उन्हे धीरे धीरे बङे ही प्यार से ससहलता चला गया जिससे मेरा हाथ रेखा भाभी की जाँघो के उपर से होता हुआ सीधा उनकी जाँघो के अन्दर की तरफ पहुँच गया.. मगर रेखा भाभी की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई...


शायद वो कुछ ज्यादा ही गहरी नींद में थीं जिससे मेरी भी थोड़ी हिम्मत अब बढ़ गई और मैंने धीरे धीरे अपने हाथ को रेखा भाभी की दोनों जाँघों के बीच अन्दर की तरफ ऊपर की ओर बढ़ाना शुरु कर दिया.. मगर मै अब थोड़ा सा ही ऊपर बढा था की एकदम से डर व घबराहट के कारण मेरा पूरा बदन कँपकँपा सा गया...

दिल की धङकने बढ गयी तो साँसे भी जैसे फुल गयी क्योंकि मेरा हाथ अब रेखा भाभी के जाँघों के जोड़ पर पहुँच गया था। उन्होंने साड़ी व पेटीकोट के नीचे पेंटी पहन रखी थी इसलिये मेरा हाथ उनकी पैँटी के नर्म मुलायम कपङे से जा टकराया था। अन्धेरे के कारण मैं ये तो नहीं देख पा रहा था कि उनकी पेंटी कैसे रंग की थी.. मगर हाँ वो जरूर किसी गहरे रंग की थी।


मैने कुछ देर रुक कर जैसे तैसे अब पहले तो खुद को काबु किया फिर धीरे से, बहुत ही धीरे से हाथ को उनकी पेंटी के ऊपर रख दिया और पेंटी के ऊपर से ही उनकी चुत का मुआयना सा करके देखा। उनकी चुत बालों से भरी हुई थी जो की पेंटी के ऊपर से ही मुझे महसूस हो रहे थे।


मैं धीरे-धीरे उनकी चुत को सहला ही रहा था की तभी अचानक से रेखा भाभी जाग गईं.. उन्होंने मेरा हाथ झटक कर दूर किया और जल्दी से उठकर अपनी साड़ी व पेटीकोट को सही करने लगीं।

ये सभी काम उन्होंने एक साथ और बिजली की सी रफ्तार से किए। डर के मारे मेरी तो साँस ही अटक गई, जिससे मैं जल्दी से अब सोने का नाटक करने लगा मगर भाभी को पता चल गया था की मैं जाग रहा हूँ।


मैंने थोड़ी सी आँख खोलकर देखा तो रेखा भाभी अपने कपड़े सही करके बैठी हुई थीं और मेरी ही तरफ देख रही थीं। मैं डर रहा था कि कहीं रेखा भाभी शोर मचाकर सबको बता ना दें। डर के मारे मेरा दिल अब इतनी जोरों से धड़क रहा था कि मैं खुद ही अपने दिल की धड़कन सुन पा रहा था। मगर फिर कुछ देर बाद रेखा भाभी सुमन की तरफ करवट बदल कर फिर से सो गईं।
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