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Incest लंगड़ा घोड़ा पापी लौड़ा ( रिस्टार्ट )

Delta101

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अपडेट 19 (संस्कार)

सारा और दिव्या दोनों अमजद के सामने खड़ी हो गई।

दिव्या: (अमजद से) सर आपने हमें बुलाया।

अमजद ने अपनी दोनों रैंडियों की तरफ देखा, और अमजद समज गया की मेरी दोनों रंडिया चुदने आई थी। पर इस दूसरे शखस का यहां होना इन दोनों रैंडियों को पसंद नहीं आया।

अमजद: हां बेटी दिव्या तुम दोनों को काम से ही बुलाया है। पर पहले अपने पापा से तो मिल लो।

तो दोस्तों ये शख्स कोई और नहीं गोविंद चौधरी था गांव का सरपंच और दिव्या का बाप।
और दिव्या को पहली बार अपने पापा को देखकर खुशी नहीं हुई। ये बात गोविंद ने भी नोटिस की।

गोविंद: दिव्य बेटा क्या बात है आज अपने पापा को देखकर खुशी नहीं हुई, हमेशा तो आके सीधा गले लग जाती हो। आज तो देखा भी नहीं।

दिव्या : पापा डिसिप्लिन नाम की कोई चीज होती है। ये स्कूल है हमारा घर नहीं। और रही बात आपको देख कर खुश होने की। तो मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं। आपको देखकर हमेशा खुश होती हूं, और आज भी हूं। पर इस समय मैं एक स्टूडेंट हूं, और एक स्टूडेंट अपने गुरु के सामने ऊटपटांग हरकत नहीं करता।

गोविंद: वाह क्या बात है मेरी बेटी तो बहुत समझदार हो गई है। मुझे तुम्‍पे गर्व है बेटी। अचानक इतनी समझदारी कहां से आ गई।

दिव्या : जिस स्कूल के प्रिंसिपल अमजद अंकल जैसे हो, उस स्कूल के स्टूडेंट्स समझदार हो ही जाते हैं। ये सब इनकी मेहनत का नतीजा है।

गोविंद: इस बात से तो मैं भी सहमत हूं कि ये एक अच्छे गुरु हैं। इनके जेसा प्रिंसिपल मैंने आजतक नहीं देखा।

अमजद: सरपंच साहब ऐसी कोई बात नहीं है। मैं तो सिर्फ अपना कर्म कर्ता हूं। जो करता हूं बच्चों के भले के लिए करता हूं।

फिर जब गोविंद की नज़र सारा पर गई तो गोविंद उसकी कामुक जवानी देख कर देखता रह गया। साली सारा थी ही ऐसी जो भी देखता देखता रह जाता |
अमजद ने भी जब देखा कि गोविंद उसकी बेटी को गंदी नजर से देख रहा है तो अमजद मुस्कराने लगा I

अमजद : ( मन में ) देख साले मेरी बेटी को जी भर के देख ले । तू मेरी बेटी को सिर्फ़ देख सकता है हाथ नहीं लगा सकता , पर मैं तेरी बेटी को अपनी रंडी की तरह चोदता हूं और जिंदगी भर चोदूंगा। तेरी आँखों के सामने चोदूँगा।

अमजद : सरपंच साहब ऐसे क्या देख रहे हो, ये मेरी बेटी गुडिया सारा है।

गोविंद : अरे ये सारा है। मैंने तो पहचाना भी नहीं , दो साल बाद जो देखा है। कितनी बडी हो गई है ।

सारा ने भी नोटिस किया कि गोविंद उसकी चुचियाँ को घूर रहा है |

सारा: अंकल मैं कहाँ बडी हो गई हूँ। मेरी और दिव्या की उम्र सेम है, देखो दिव्या को क्या ये बड़ी हो गई है ।

अमजद: अरे ये सब छोड़ो पहले काम की बात करते हैं । बेटी तुम दोनों बैठो कुर्सी पर ।

सारा और दिव्या दोनो अमजद के सामने गोविद के अगल बगल कुर्सी पर बैठ गई ।

दिव्या: बोलिए अंकल क्या काम था हम दोनों से |

अमजद: दरअसल बात ये है कि स्कूल का कोई सरकारी काम है आया है। गोविंद जी चाहते है कोई स्टूडेंट इनकी काम में मदद करें। इसलिए तुम दोनों सरपंचजी की हेल्प करो।

सारा: हम अंकल की जरूर मदद करेंगे। बताइए क्या काम है।

अमजदः अरे बेटी अभी नहीं 10 दिन बात तुम्हारी जरूरत है। तुम दोनों अपने साथ 8, 10 स्टूडेन्ट जोड़ लो, दस दिन बाद गोविंदजी आप लोगों को काम बता देंगे । अब तुम दोनों जाओ मैं और गोविंदजी कुछ गप्पे मारते है।

अमजद की बात सुनकर दिव्या और सारा मुंह लटकाकर जाने लगी । दोनों ने सोचा था अमजद उनके साथ मजा करने के लिए बुलाया है। पर दोनों को ऐसे ही वापिस भेज रहा है।

दोनों का उतरा हुआ मुँह देख कर अमजद समझ गया कि दोनों क्या चाहती है। फिर अमजद के दिमाग में एक शैतानी आईडिया आया ।

अमजद: अरे रुको दोनो |

सारा दिव्या एक साथ : जी कहिए।

अमजद : वो बेटा दरअसल पिउन की बीबी की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए तुम दोनों को बुलाने के बाद वो घर चला गया | तो तुम दोनों को ऐतराज ना हो तो थोडा आफिस काम कर दोगी।

दिव्याः अरे अंकल आप हमारे गुरु है। और आप सारा के पापा है तो मेरे भी पापा जैसे है I आप कहिए हम कुछ भी करेंगे ।

अमजद: बेटी कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। बस थोड़ा सा काम है। ( एक तरफ इशारे करते हुए] वो जो फाईले रखी हुई है ' उन फाईलों को साफ करके उस तरफ रखना है । और बहुत सारी फाईलें टेबल के नीचे पड़ी है कबसे , इनको निकाल कर साफ करके उधर रखनी है | अगर कर सकती हो तो ठीक है नहीं तो 4 दिन बाद जब पिउन आएगा तब करवा लुंगा l

सारा: अब्बू ये तो हमारे लिए खेल जैसा है, हम तो खेलते - खेलते कर देंगे। क्यूँ दिव्या .

दिव्या: हाँ क्यूं नहीं । चलो फिर शुरू करते हैं |

गोविंद: ये हुइ ना अच्छे बच्चों वाली बात ।

दिव्याः पापा अब हम बच्चे थोड़ी हैं , प्रिंसीपल अंकल ने हमें समझदार बना दिया है।

गोविंद: ( खुश होते हुए) इसलिए तो तुम्हें भेजता हूँ, तुम्हारे प्रिसीपल अंकल के पास। मुझे तो डर था कि कहीं तुम्हारा बचपना ऐसे ही रहेगा। पर अब लगता है तुम्हारे पिंसीपल अंकल तुम्हें समझदार बनाकर ही रहेंगे।

अमजद: (शरारती अंदाज में ) अरे गोविंदजी मैं तो बस थोड़ा बहुत डिसीप्लीन ( रंडीपना) सिखा देता हूँ I बाकी ये बच्चियाँ बहुत समझदार ( चुद्दकड़ ) है, अपने आप सीख जाती हैं।

साराः चलो दिव्या मेडम काम पर लगते है ।

अमजदः गुड़िया तुम वो इधरवाली फाइले साफ करके सामने रखो और दिव्या बेटी तुम ये टेबल की नीचे वाली फाईल साफ करो l दिव्या बेटी आराम से टेबल के नीचे आ जाएगी, गुडिया तुम यहाँ फिट नही होंगी।

सारा: (झूठा नाराज होते हुए) अब्बू आपका मतलब मैं मोटी हूँ।

अमजदः अरे नहीं मेरी गुड़िया ऐसा कौन बोला | तुम तो हेल्थी हो।

फिर सब हसने लगे। गोविंद भी हस रहा था।
सारा अपने काम में लग गई और दिव्या अमजद के पास जाके खड़ी हो गई।

अमजद के ओपिस का टेबल बहुत बड़ा था और उसकी ऊँचाई जब अमजद कुर्सी पर बैठता था तो सीने तक थी।
अमजद अपनी पहियों वाली कुर्सी थोड़ी सी पीछे सरकाई और दिव्या से बोला
अमजद: ( अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए ) ये वाली फाइल को बहार निकाल कर साफ करो l

दिव्या अमजद की बात सुनकर खुश हो गई कि वो अमजद का लंड चुसेगी । दिव्या को अपने बाप के यहाँ होने से कोई फर्क नहीं पड़ा। और दिव्या फट से नीचे बैठ गई।
सारा दिव्या के चेहरे की खुशी देख के समझ गई कि अब्बू दcया से कौनसी फाईल साफ करने को बोल रहे हैं । सारा भी मुस्कराने लगी । और फाईलो से खेलने लगी।

अमजद गोविन्द से बातें करने लगा ।

दिव्या नीचे बैठ कर अमजद की पेंट की चैन खोलकर उसका लौड़ा बाहर निकालने लगी।

दिव्या ने अमजद का लोड़ा बाहर निकाला और लोड़े से खेलने लगी।
अमजद का लोड़ा तो इस बात से खड़ा हो गया था कि एक बेटी अपने बाप के सामने मेरे लंड से खेल रही है।

थोड़ी देर दिव्या अमजद के लोड़े से खेलती रही,फिर अमजद ने दिव्या के बाल पकड़ कर उसका मुंह अपने लोड़े के पास लाया और दिव्या के गाल अपने लोड़े पर रगड़ने लगा और गोविंद से हस हस कर इधर उधर की बाते करने लगा।

अमजद:गोविंद जी आप बहुत लकी है कि दिव्या आपकी बेटी है,दिव्या बेटी जितनी खूबसूरत और इंटेलीजेंट है उतनी समझदार और संस्कारी है,मेरी कोई भी बात नहीं टालती मेरी हर बात मानती हैं।

अमजद ने इतना बोलकर अपना लोड़ा पकड़कर दिव्या के गालों पर और होठों पर मारने लगा।

गोविंद अपनी बेटी की तारीफ सुनकर खुश हो गया।

गोविंद:(सारा की बड़ी गांड को घूरते हुए) हां प्रिंसिपल साहब ये बात तो आपकी सही है।और सारा बिटिया भी सुंदर और होशियार होने के साथ साथ नेक और समझदार बेटी।

गोविंद की बात सुनकर अमजद ने अपने लौड़े का सुपाड़ा दिव्या के मुंह में डाल दिया। और दिव्या लोड़ा चूसने लगी।
और अमजद सारा की तरफ देखा तो सारा दिव्या को लोड़ा चूसते हुए देख रही थी,और अपने होठों पर जीभ फिरा रही थी।
अमजद जान गया था कि सारा सब देख रही है तो अमजद ने अपनी नज़र घुमा ली।अमजद चाहता सारा दिव्या को मेरा लोड़ा चूसते हुए देखे,पर मैं अनजान बनने का नाटक करूंगा,अगर मैने सारा की तरफ देखा तो वो अपनी नजर घुमा लेगी।

अमजद: हां ये बात तो आपने सही कही हमारी दोनों बेटियां हैं नेक(रंडी) और संस्कारी(चुदक्कड़)है।बाकी लोगों का पता नहीं पर दोनों मेरी बहुत इज्जत करती हैं,और मैं दोनों से बहुत प्यार(चुदाई) करता हूं,जितना प्यार(गंदी बातें) मैं गुड़िया से करता हूं उतना ही प्यार(चुदाई) मैं दिव्या बेटी से करता हूं।अरे मैं तो दिव्या बेटी को अपनी सगी बेटी(रंडी) जैसी ही मानता हूं।(दिव्या से)बेटी दिव्या फाइल(लंड) को पूरा साफ करो,कचरा जरा भी नहीं रहना चाहिए।

और अमजद ने दिव्या का सर पकड़ कर अपना पूरा लंड उसके मुंह में डाल दिया,और दिव्या किसी पोर्नस्टार की तरह लोड़ा चूसने लगी।

क्या सीन था यारों, कितना उत्तेजक दृश्य था।
एक बेटी अपने बाप के सामने एक अधेड़ उम्र के आदमी का लोड़ा किसी रंडी की तरह चूस रही थी।
और एक बाप अपनी बेटी की उम्र की लड़की को अपना भौकाली लौड़ा चुसवा रहा था और अपनी सगी बेटी को दिखा रहा था,जैसे कह रहा हो मेरी प्यारी रंडी बेटी दूर से क्या देख रही है,तू भी आकर अपने अब्बू का काला लौड़ा चूस।

अमजद को तो इस बात से ज्यादा मजा आ रहा था कि साला गोविंद मेरे सामने बैठ कर मुझसे गप्पे लड़ा रहा और इसकी सगी बेटी मेरा लोड़ा चूस रही है।

अमजद दिव्या को अपना लोड़ा चुसवा रहा था और एक हाथ से दिव्या की मौसमी जैसी चूचियां दबा रहा था।

फिर अमजद ने दिव्या की टी शर्ट की तरफ इशारा किया और बोला:इस फाइल का कवर(टॉप) निकल दो बेटी।

दिव्या ने टॉप स्कर्ट पहना हुआ था।
गांव में सबसे मॉडर्न कपड़े दिव्या ही पहनती थी ये बात आप लोगों को कहानी में पहले बता चुका हूं।

और दिव्या किसी पालतू कुत्तिया की तरह अमजद का हुकुम मानते हुए ।

दिव्या:जी अंकल अभी निकालती हूं।

और दिव्या ने किसी बेशर्म रंडी की तरह मुस्कुराती हुई अपना टॉप उतारने लगी।

दिव्या ने अपना टॉप निकाल दिया।उसने ब्रा नहीं पहनी थी तो उसकी छोटी छोटी खूबसूरत चूचियां नंगी हो गई ।
सारा पास में खड़ी सब देख रही थी। दिव्या को अपने सगे बाप के पास होते हुए अमजद के कहने पर अपना टॉप उतारते देख सारा को दिव्या की बेशर्मी से ताजुब नहीं हुआ।क्योंकि सारा जानती थी उसका बाप अमजद क्या चीज है।जो इंसान दो साल बाद घर लौटी अपनी सगी बेटी को एक रात में अपनी रखैल बना सकता है तो दिव्या तो उसकी स्टुडेंट है।

दिव्या:(अपनी नंगी चूचियां दिखाते हुए)ये देखिए अंकल मैने कवर(टॉप) निकाल दिया अब बुक(चूचियां) कैसी लग रही है।

अमजद ने अपना लोड़ा दिव्या के मुंह में डाल दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा।

अमजद: अरे बेटी बुक (चूचियां) तो बिना कवर के(नंगी) ही अच्छी लगती है। कवर (कपड़े) तो सिर्फ सेफ्टी के लिए लगाते हैं। क्यों गोविंद जी मैने सही कहा ना।

बेवकूफ गोविंद अमजद की हां में हां मिला रहा था,इस बात से अनजान कि उसकी मासूम बेटी रंडी बन कर अमजद का लोड़ा चूसने में लगी।

दिव्या मजे से अमजद का लोड़ा चूस रही थी और अचानक उसकी निगाह सारा की तरफ गई ,सारा दिव्या की तरफ देखकर मुस्करा रही थी और दिव्या को आंख मारी।दिव्या ने अमजद का लोड़ा अपने मुंह से निकाल कर सारा की तरफ देखा और बड़ी कामुकता से मुस्करा कर,सारा की तरफ देखते हुए अमजद के लंड को चाटने लगी।और सारा की तरफ इशारा किया:चुसेगी।

सारा ने इशारा किया: बाद में।

थोड़ी देर अमजद और गोविंद इधर उधर की बाते की।

फिर अमजद को गोविंद की बातों में मजा नहीं आ रहा था,उसे अभी दिव्या को चोदना था।इसके लिए गोविंद को यहां से भेजना जरूरी था।तो अमजद ने टेबल पर पड़ी एक बुक को पढ़ने लगा।
गोविंद थोड़ी देर बात करता रहा फिर उसे लगा उसे निकलना चाहिए।

गोविंद: अच्छा प्रिंसिपल साहब मैं चलता हूं,फिर मिलेंगे अभी मुझे कहीं जाना है,आप भी अपना काम कीजिए।

गोविंद(दिव्या से):अच्छा बेटी मैं चलता हूं।प्रीसिपल साहब जो भी काम करने को बोले वो कर देना,शिकायत का मोका मत देना।

अमजद ने दिव्या को टॉप दिया।

दिव्या पहले अमजद का लोड़ा चूसना बंद किया और टॉप से अपना मुंह साफ किया,क्योंकि दिव्या काफी देर से अमजद का लंड चूस रही थी तो उसका अपना थूक होठों से बह रहा था उसे साफ किया और टॉप पहन लिया और खड़ी हो गई।

दिव्या:पापा आप फिक्र मत कीजिए, मैं अंकल की हर बात मानूंगी,इनकी बात मानना मेरा फर्ज है।आखिर ये मेरे गुरु(मालिक)है और मैं उनकी शिष्या ( रखैल) हूं। मैं इनको शिकायत का मौका नहीं दूंगी,हां अगर मुझसे कभी गलती से कोई गलती हो गई तो अंकल जो भी सजा देंगे तो मुझे कोई अफसोस नहीं होगा।

गोविंद:मुझे तुमसे ये ही उम्मीद थी बेटी।तेरी मां तो खामखा मुझसे कहती हैं कि मैं तुझे बिगाड़ रहा हूं।

गोविंद अपनी बेटी दिव्या के सर पर हाथ रख कर और अमजद को नमस्ते बोलके अपने घर की तरफ चल दिया।

अब गोविंद तो चला गया।पर यहां अमजद का हाल बुरा था,उसका लंड सुबह से खड़ा था और दिव्या ने चूस चूस कर और भी टाइट कर दिया था।उसे अब दिव्या को किसी भी हालत में चोदना था।पर सारा के होते हुए शुरू कहां से करे।
दिव्या भी अमजद का लंड चूसने से और अमजद के द्वारा चूचियां दबाने से ज्यादा गर्म हो गई थी, तो उसे भी चुदना था।
अब दोनो उलझन में थे।
ये नहीं था कि सारा के सामने दिव्या को चुदने में और अमजद को चोदने में शर्म आयेगी,ना ही सारा को इनकी चुदाई देखने में शर्म आएगी।दरअसल बात ये थी कि शुरू कैसे करें।

तीनों चुपचाप थे,कोई बात नहीं कर था।

कहते हैं ना जब हवस इंसान पे हावी हो जाती है तो इंसान चुदने,चोदने और चुदवाने का रास्ता निकाल ही देता है।।

सारा को पता था कि ये दोनो चुदाई किए बगैर रहने वाले है नहीं, तो क्यूं ना इनका मिलन करा देती हूं।
मैने भी किसी को चुदते हुए नहीं देखा है,और ये भी देख लूंगी कि दिव्या कितनी बड़ी रंडी है।

तो सारा ने इनकी चुदाई का कार्यक्रम शुरू करने का एक आईडिया निकाला।

सारा अपना काम छोड़कर,जिस कुर्सी पर गोविंद बैठा था उस कुर्सी पर आकर बैठ गई।

सारा:(मुस्कराते हुए) तो दिव्या तुम्हारा काम हो गया या फिर बाकी है।

दिव्या समझ गई कि सारा किस काम की बात कर रही है।

दिव्या:(कामुकता से) अभी कहां हुआ है,अभी तो ठीक से शुरू भी नहीं हुआ,क्यूं अंकल मैं सही कह रही हूं ना।

अमजद दिव्या की गांड पे हाथ फेरते हुए:हां मेरी प्यारी बेटी दिव्या तुम सही कह रही हो,अभी काम कहां पूरा हुआ है।

सारा:(आंखे मटकाते हुए)वाह क्या बात है,मेरी प्यारी बेटी दिव्या!
आपकी प्यारी बेटी मैं हूं या दिव्या।

अमजद भी समझ गया कि सारा खेल को आगे बढ़ाना चाहती है।

अमजद:अरे दिव्या भी मेरी बेटी जैसी ही है।जैसे मैं तुमसे प्यार करता हूं वैसे ही दिव्या बेटी से प्यार करता हूं।

दिव्या:(तपाक से)हां सारा अंकल मुझे भी उतना ही प्यार करते है ,जितना तुमसे करते हैं।क्यूं तुम्हे जलन हो रही है।

और दिव्या मुस्कराने लगी।

सारा भी कुटिल मुस्कान के साथ:जलन नहीं तरस आता है तेरे पे।

दिव्या:तरस क्यूं आ रहा है मुजपे! मैं समझी नहीं।

सारा:वो इसलिए कि अब्बू मुझे बचपन से प्यार करते आ रहे हैं, और तुझे बचपन में मेरे प्यारे अब्बू का प्यार नहीं मिला।

अमजद तो बहुत बड़ा हरामी था, वो समझ गया कि सारा क्या चाहती है।सारा की चालाकी देखकर अमजद को अपनी बेटी पे बहुत प्यार आ रहा था।

अमजद:अरे तो क्या हुआ गुड़िया,जैसे मैं तुमसे बचपन में प्यार करता था,वैसे ही मैं अब दिव्या बेटी से प्यार कर सकता हूं,क्यूं बेटी दिव्या कर सकता हूं ना।( मुस्कराते हुए)

दिव्या:(खुशी से)हां हां अंकल कर सकते हैं।

सारा: अरे दिव्या बचपन में मुझे प्यार करते थे ऐसे तुमसे प्यार कैसे कर सकते हैं।

अमजद: क्यूं नहीं कर सकता हूं। मैं तो अपनी बेटी दिव्या से वैसे ही प्यार कर सकता हूं जैसे तुझे बचपन में प्यार करता था।

सारा:ओ मेरे भोले अब्बू,क्योंकि मैं बचपन में छोटी थी तो आप मुझे अपनी गोदी में बैठा कर मुझसे प्यार करते थे,और दिव्या अब बड़ी हो गई है तो इसे गोदी में नहीं बैठा सकते ना।समझे अब....

अमजद:अच्छा ये बात है,तो सुनो मैं तो तुम्हे अब भी अपनी गोदी में बैठा कर प्यार कर सकता हूं,दिव्या का वजन तो तुमसे आधा है।आओ पहले तुम्हे अपनी गोदी में बैठा कर प्यार करता हूं फिर दिव्या को प्यार करूंगा। वैसे भी मेरे लिए तुम अभी छोटी बच्ची ही हो।

सारा:अरे नहीं मेरे प्यारे अब्बू,आप अपनी गुड़िया को घर जाकर अपनी गोदी में बैठा कर खूब सारा प्यार करना,पर अब बेचारी इस दिव्या को प्यार करो।चलो दिव्या बैठो अब्बू को गोद में।

अमजद: आओ बेटी दिव्या बैठो मेरी गोदी में।

दिव्या तो ये ही चाहती थी,और झट से अमजद की गोद में जाके बैठ गई।

अब सीन ये था कि सारा सामने बैठी थी और दिव्या अमजद की गोद में जाकर बैठ गई।गोद में नहीं बल्कि अमजद के खड़े लंड पे बैठ गई।

अमजद का लंड वैसे भी पेंट से बाहर था और दिव्या ने स्कर्ट पहनी हुई थी, तो दिव्या बैठते समय अपनी स्कर्ट उठाकर बैठी थी।
अमजद का खड़ा लंड सीधा पेंटी के ऊपर से दिव्या की चूत से टकरा रहा था।

दिव्या जैसे ही अमजद के खड़े लंड पे बैठी उसकी सिसकी निकल गई।

सारा जानती थी कि अब्बू का लंड नंगा है और दिव्या की चूत से लगा हुआ है।

सारा: क्या हुआ दिव्या,कुछ लगा क्या।

दिव्या: ( अदा से मुस्कराते हुए)कुछ नहीं लगा।आज पहली बार अंकल के गोद में बैठ कर बहुत अच्छा लग रहा है।

सारा:(मन में) साली देखो तो कैसे नाटक कर रही है, कल ही अब्बू से किसी रंडी की तरह चूदी है। और अब बोल रही है कि पहली बार गोद में बैथी हूं। पता नहीं कल अब्बू ने इस रंडी को किस तरह से चोदा था। आज तो इनकी चूदाई देखकर ही रहूंगी।
अमजद प्यार से एक हाथ से दिव्या की नंगी जांघ सहला रहा था और दूसरे हाथ से दिव्या की नंगी बांह सहला रहा था।

दिव्या अपनी गांड और चूत अमजद के खड़े नंगे लोड़े पर रगड़ रही थी।

सारा ने देखा अब्बू दिव्या को सिर्फ गोद में बिठाकर कुछ कर नहीं रहे हैं।

सारा:अब्बू आपने दिव्या को अपनी गोदी में बैठा दिया पर आप दिव्या को प्यार नहीं कर रहे।

दिव्या: हां अंकल प्यार करिए ना अपनी दिव्या बेटी को।आप तो शांत बैठे हैं।

अमजद:अरे बेटी प्यार तो कर रहा हूं,ये देखो इसकी बांह सहला रहा हूं।(नाटक करते हुए)

सारा:अब्बू ऐसे नहीं,दिव्या के गालों को चूमीए, चाटिए और इसके गालों को चूम चूम कर लाल कर दीजिए। ऐसे प्यार करिए जैसे आप मुझे प्यार करते थे। पूरे गाल चूमकर चाटकर थूक से गीला कर दीजिए।और दिव्या तुम भी अपने प्यारे अंकल के गालों को चूमो चाटो, ऐसे प्यार करो और सोचो जैसे ये तुम्हारे अब्बू हो।और अब्बू आप भी दिव्या को ये सोचकर प्यार कीजिए जैसे ये आपकी सगी बेटी हो।

दिव्या:सारा तुम्हे बुरा नहीं लगेगा जब मैं अंकल को अब्बू कहूंगी।

सारा: तू पागल है क्या! मुझे क्यों बुरा लगेगा,बल्कि मुझे तो अच्छा लगेगा ये सोचकर कि मुझे एक बहिन मिल गई।मेरी दो बड़ी बहन है,अब एक छोटी बहन भी मिल गई।

दिव्या:ठीक है तो आज से मैं भी इन्हे अब्बू कहूंगी।तुझे अपनी बड़ी बहन कहूंगी,पर तुझे भी अपनी छोटी बहन को प्यार करना पड़ेगा।

सारा: हां हां मैं भी अपनी छोटी बहन को प्यार करूंगी,बल्कि मैं और अब्बू दोनो मिलके तुझे प्यार करेंगे।इतना प्यार करेंगे कि तुझे अपने प्यार में पागल बना देंगे,क्यूं अब्बू मैने सही कहा ना।

अमजद:(सारा की आंखों में देखकर)हां गुड़िया,हम दोनों मिलकर इस छोटी सी बच्ची को बहुत प्यार करेंगे।पर हां इसे भी अपने नए अब्बू और अपनी नई बड़ी बहन को बहुत प्यार करना पड़ेगा।करेगी ना दिव्या बेटी अपने नए अब्बू से प्यार।

दिव्या एकदम पीछे हो गई और अपना मुंह अमजद के मुंह के पास लेजाकर अमजद के गालों को चूमने लगी।

दिव्या: हाँ अबू. मै भी अपने प्यारे अब्बू और अपनी बेहन से बहुत प्यार करूंगी।

दिव्या अमजद के होठों को छोड़कर पूरे चेहरे को चूमने लगी।

तीनों को इस खेल में बहुत मजा आ रहा था।

सारः अब्बू आप भी अपनी नई बेटी दिव्या के खुबसुरत मासुम चेहरे को चूमिचे ना । आप दोनों का प्यार देखकर मुझे बहुत अच्छा लगेगा |

फिर क्या था' अमजद भी दिव्या के चेहरे को चूमने लगा।

दिव्या : ओहहह.... अब्बू प्यार कीजिए अपनी बेटी को । ऐसे ही प्यार कीजिए , बहुत अच्छा लग रहा है आपकी बेटी को आपका प्यार करना ।

अमजद : मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है अपनी दिव्या बेटी को प्यार करके ।

सारा(मन में):अब्बू भी कमाल करते है।अपनी सगी बेटी को अपनी रंडी बनाकर चोदना चाहते है और अपनी रंडी को बेटी बनाकर प्यार कर रहे हैं।पर जो भी हो,रात को जब अब्बू ने मुझे अपनी रंडी बनाकर बेरहमी से मसला था तो मुझे बहुत मजा आया था।आज रात को अब्बू जब मुझे अपनी रंडी बनाकर चोदेंगे तो कितना मजा आएगा। हाए....



साराः अब्बू दिव्या के गाल कितने खुबसुरत है बिलकुल सेव के जैसे । आप इतने प्यारे गालो को सुखा-सुखा चूम रहे हो , इसके प्यारे गालों को चूसिए, जबान से चाटिए ना, आपको और दिव्या दोनों को बहुत अच्छा लगेगा | क्यूँ दिव्या मैंने सही कहा ना ।

दिव्याः हाँ अब्बू चाटिए ना मेरे गालों को ।

दिव्या और सारा जिस अदा से बोली थी जैसे चूत चाटने और चूसने को कह रही हो।

अमजद उनकी बातों से बहुत उतेजित हो गया था, और किसी कुते की तरह दिव्या के गालों के चाटने लगा |

बड़ा ही कामुक दृश्य था। एक बाप अपनी सगी बेटी के सामने अपनी स्टूडेन्ट को अपनी बेटी बनाकर अपने खड़े लंड पे बिठा कर उसके गालों को चाट रहा था और चूस रहा था। और उसकी बेटी भी बडी बेशर्मी से अपने बाप को उत्साहित कर रही थी ।

अमजद दिव्या के गालों को चाटते चाटते उसके नाक को चूसने लगा।
थोड़ी देर नाक चूसने के बाद दिव्या की ठुडी को चूसने लगा। उसके बाद उसकी गर्दन को चाटने लगा।

सारा को लगा अब खेल को आगे बढ़ाना चाहिए।

सारा: अब्बू आपने अपनी दिव्या बेटी के गाल,नाक,गर्दन को चूस लिया पर इसके होठों को छुआ भी नहीं,देखो कितने प्यारे और रसीले होंठ है।

अमजद का भी दिव्या के होठ चूसने का बहुत मन कर रहा था पर अमजद चाहता था ये सब इतनी जल्दी ना हो।अमजद को सारा को यहां होने से ना तो शर्म आ रही थी और नाही ये डर था कि सारा क्या सोचेगी।बल्कि अमजद ये चाहता था कि सारा खुद कहे उसे ये सब करने को।अमजद ने सोच लिया था कि वो आज खुद पहल नहीं करेगा,बल्कि वो सारा के कहने पर ही दिव्या को नंगी करके चोदेगा।ताकि वो सारा को रात में आसानी से चोद सके।और उसे इस खेल में बहुत मजा आ रहा था।

तीनों जानते थे कि ये सब प्यार व्यार नाटक है,असल ये हवस का खेल खेल रहे हैं।और तीनों को इस नाटक में बहुत मजा आ रहा है।

अमजद:(चौंकने का नाटक करते हुए) होठ....

सारा: हां अब्बू होठ।देखो दिव्या के होठों को कितने प्यारे है,इसके गुलाबी होंठ चूसकर आपको बहुत अच्छा लगेगा।

अमजद:(शरीफ बनने का नाटक करते हुए)गुड़िया मैने दिव्या को अपनी बेटी मान लिया है,अब तुम बताओ एक बाप अपनी बेटी के होठों को कैसे चूस सकता है।

सारा:तो इसका मतलब अपनी बेटी मानते हैं पर बेटी की तरह प्यार नहीं करते हैं।

अमजद: ऐसा नहीं है गुड़िया।जितना प्यार मैं तुमसे करता हूं उतना ही प्यार मैं दिव्या बेटी से करता हूं।

सारा:प्यार करते हैं तो अधूरा प्यार क्यों करते हैं।देखिए दिव्या के होठों को कितने प्यारे है,कितने रसीले होंठ एक दम गुलाब की पंखुड़ियां की तरह।आप ने दिव्या के पूरे चेहरे को चूम लिया,चाट लिया और चूस लिया,पर इसके प्यारे होठों को छुआ भी नहीं।देखो बेचारी के होठ केसे तरस रहे हैं,कैसे फड़फड़ा रहे हैं आपका प्यार पाने के लिए।देखो बेचारी आपकी बेटी दिव्या भी उदास हो गई है,क्योंकि आपने इसके होठों को प्यार नहीं किया।

दिव्या(उदास होने का नाटक करते हुए):तुमने सही कहा सारा,अब्बू मुझे प्यार नहीं करते।इसलिए मेरे होठों को प्यार नहीं किया। शायद मेरे हाथ अब्बू को अच्छे नहीं लगते हैं।

अमजद:अरेरे... मेरी प्यारी बेटी दिव्या तो नाराज हो गई।बेटी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे होठ प्यारे है और मुझे तुम्हारे होठ बहुत ज्यादा अच्छे लगते हैं।

दिव्या:(खुश होते हुए)सच्ची...

अमजद: मुच्ची...

सारा:तो फिर साबित कीजिए कि आप दिव्या से बहुत करते।

अमजद:अपना प्यार साबित करने के लिए मुझे जो करना पड़ा,वो मैं करूंगा।पर अपनी बेटी दिव्या को उदास नहीं होने दूंगा।क्या दिव्या बेटी मुझे प्यार करने देगी।

दिव्या:क्यूं नहीं करने दूंगी आपको प्यार,बल्कि मैं तो खुद आपको प्यार करूंगी। मैं तो आपको प्यार करने के लिए और आपका प्यार पाने के लिए तड़प रही हूं।

सारा:तो अब्बू,अब प्यार करो अपनी बेटी दिव्या के होठों को।इतना ही नहीं बल्कि आज हम दोनों बेटी आपको कहेगी ऐसा प्यार आपकी अपनी बेटी दिव्या से प्यार करना पड़ेगा।आजतक दिव्या को आपका प्यार नहीं मिला वो सारा प्यार आपको आज दिव्या को देना होगा।18 साल की कसर पूरी करनी होगी।अगर आप दिव्या को अपनी बेटी मानते है और इसे प्यार करते हैं तो कोई ना नुकर नहीं करेंगे।

अमजद तो ये ही चाहता था।

अमजद: हां मेरी गुड़िया जैसा दोनों अपने अब्बू से प्यार चाहती हो वैसा ही प्यार करूंगा।दिव्या बेटी को 18 साल से जो प्यार नहीं मिला वो सारा प्यार आज करूंगा और आगे भी करता रहूंगा।तुझे भी 2 साल से प्यार नहीं किया है,तुझे भी आज जमके प्यार करूंगा।

सारा:(अमजद की आंखों में देखकर) मुझे तो आप घर जाकर सारी रात प्यार करना।पर अभी दिव्या को जी भरके प्यार करिए।और कल स्कूल की छूटी है तो आप हम दोनों खेत में लेजाकर खुलके प्यार करना,हम दोनों मिलकर आपको बहुत ज्यादा प्यार करेंगे।

अमजद:हां क्यों नहीं मेरी गुड़िया,आज रात मैं तुझे इतना प्यार करूंगा कि तू खुशी से चीखोगी।

सारा:अब्बू, हर बेटी ये ही चाहती है कि उसके अब्बू उसे इतना प्यार करे कि उसकी चीखे निकल जाए।दिव्या तू भी अपनी चीखे निकलवाना चाहती है ना।

दिव्या: हां मेरी बहन, मैं भी ये ही चाहती हूं।जब अब्बू मुझे प्यार करेंगे तो मैं भी खुशी से इनको चीख चीखकर और प्यार करने को कहूंगी।अब्बू आप मेरी चीखें निकलवाएंगे ना।

अमजद : हां मेरी बेटी, मैं तुझे आज इतना प्यार करूंगा कि तेरे चीखे निकल जाएगी।

अब आप लोग समझ गए होंगे कि कौनसे प्यार और कौनसी चीखों की बात हो रही है। मैं कैसी बेवकूफों बाते कर रहा हूं,xforum के रीडर इतने कमीने है कि बॉलीवुड के सॉन्ग में भी प्यार की जगह चुदाई और दिल की जगह लंड और चूत सुनाई देता है।(अब मैंने आप लोगों की तारीफ की है या बुराई ये आप लोग जानो, मैं तो हद कमीना हूं)


सारा:अब्बू अब बातें छोड़ो और दिव्या के होठों को प्यार करो,नहीं तो मैं इसके होठ चूसने लग जाऊंगी।इसके होठ कितने प्यारे है,आप इतने पास है फिर आपने खुद रोक रखा है।

अमजद:हां हां चूस लेना,पर बाद में।पहले मैं जी भर के अपनी बेटी दिव्या के होठों को प्यार से चुसूंगा।

और अमजद ने अपने होठ दिव्या के होठ पे रख दिए और दोनो हल्का हल्का किस करने लगे।

अमजद और दिव्या मजे से किस कर रहे और सारा सामने बैठी हल्के हाथ से अपनी चूत सहला रही थी।

अमजद को ऐसे हल्के हल्के किस में मजा नहीं आ रहा था,उसे तो DEEP किस करने में मजा आता है।पर चाहता था कि इस खेल को सारा के हिसाब से खेला जाए।उसे सारा पर पूरा भरोसा था कि आज सारा अपने अब्बू को पूरा मजा करवाएगी।एक फायदा और भी था कि सारा जितना इस हवस के खेल माहिर होगी उतना आगे जाकर मजा देगी।सारा को भी आज अपना रंडीपन दिखाना होगा,उसे भी अपने अब्बू की रंडी बनकर चुदना है।

सारा भी उन दोनों के सॉफ्ट किस से बोर होने लगी। उसे लगा ये बहुत धीरे हो रहा है ऐसे चलता रहा तो स्कूल की छूटी हो जाएगी और इन दोनो की चुदाई नहीं हो पाएगी।मुझे अब अपना रंडीपना दिखाना पड़ेगा।मेरे प्यारे अब्बू को पूरा मजा दिलाना मेरा फर्ज है।

सारा:अब्बू आप ये क्या कर रहे हैं।

सारा की बात सुनकर दोनों ने किस छोड़ा और सारा की तरफ देखा।

अमजद:क्या हुआ गुड़िया,जैसा तुमने कहा था वैसे दिव्या बेटी के होठों को प्यार कर रहा हूं।

सारा:(झूठा डांटते हुए)ये आप प्यार कर रहे हो?अब्बू इसे प्यार करना नहीं बल्कि होठों से होठों को सहलाना कहते हैं। देखो अब्बू, दिव्या के कितने प्यारे और रसीले होंठ है।और आप है कि इन होठों को सहला कर इनकी बेइजती कर रहे हैं।अब्बू इनके होठों के रस को चूसो, चाटो।इन गुलाबी होंठ को चूस चूसकर लाल करदो। अभी तो आप कह रहे थे कि मैं दिव्या से इतना प्यार करूंगा कि इसकी खुशी से चीखे निकल जाएगी,अब्बू आप जितना जोर से प्यार करेंगे उतनी ही ज्यादा दिव्या को खुशी मिलेगी और ये खुशी से चीखेगी। और तू दिव्या तू अब्बू को बोलती क्यों नहीं अच्छे से प्यार करने को।

दिव्या:(मासूम चेहरा बनाते हुए) डांट क्यों रही है अब्बू को।अब्बू मुझे बहुत प्यार करते हैं।अभी तो अब्बू मेरे होठों का स्वाद टेस्ट कर थे,अब देखना कैसे मेरे होठों का रस चूसते है ।और तुम देखना मेरी खुशी की चीखे पूरे कमरे में गूंजेगी।अब्बू टूट पड़ो मेरे होठों पर और इसे दिखा दो इसे कि आप मुझे कितना प्यार करते हैं।

सारा:मैं भी देखती हूं दोनों बाप बेटी का प्यार।

अमजद: गुड़िया तूने मेरी प्यार पर उंगली उठाई है,अब देख कैसे प्यार करता हूं अपनी दिव्या बेटी से।और हां तुझे भी रात में इतना प्यार करूंगा कि तू खुशी से चीख चीखकर पागल हो जाएगी।
दिव्या की चीखे तो इस कमरे से बाहर नहीं जाएगी,पर तेरी चीखे हमारे घर से इस स्कूल तक सुनाई देगी।

और अमजद टूट पड़ा दिव्या के होठों पर।दिव्या के होठों को बड़ी बेरहमी से चूसने लगा।दिव्या भी पक्की रंडी बन चुकी थी।वो भी अमजद का पूरा साथ देने लगी।
अमजद और दिव्या बहुत ही कामुक तरीके से किस कर रहे थे।दोनों का थूक होठों से बह रहा था और उस थूक को जबान से चाट रहे थे।
दिव्या अपनी गांड अमजद के खड़े नंगे लोड़े पर रगड़ रही थी।
सारा भी इन दोनों का कामुक किसिंग देखकर बहुत गर्म हो गई थी,उसकी चूत में आग लगी हुई थी।सारा का मन अपनी चूत को जोर से रगड़ने का कर रहा था।पर सारा ने ऐसा नहीं किया,क्योंकि जो आग उसकी चूत में लगी थी इस आग को वो अपने अब्बू के बड़े लोड़े से बुझाना चाहती थी।अगर वो एकबार अपनी चूत रगड़कर झड गई तो उसकी आग कम हो जाएगी और वो कमजोर हो जाती अपने अब्बू के हलावी लोड़े के सामने।ऐसा वो बिलकुल नहीं चाहती थी।

काफी देर तक डीप किस करने के बाद अमजद और दिव्या की सांस फूलने लगी।तो दोनों ने किस छोड़ा और हांफने लगे।

सारा:अब्बू कैसा लगा आपको अपनी बेटी के होठों का रस पीकर।

अमजद हांफते हुए: आह बहुत अच्छा लगा गुड़िया।बहुत मीठा रस है दिव्या बेटी के होठों का।

सारा:और दिव्या तुम्हे कैसा लगा अब्बू का प्यार करना। अच्छा लगा ना।

दिव्या हांफते हुए:क्या बात कर रही हो मेरी बहन,अच्छा! अरे अच्छा नहीं बहुत अच्छा लगा।जी करता है हमारे अब्बू बस ऐसे प्यार करते रहे।

सारा:मेरे बहन तू इतने प्यार से खुश हो गई।अभी तो बहुत प्यार करेंगे हमारे अब्बू तुमको।ओर करने देगी ना हमारे अब्बू को प्यार।

दिव्या:सच्ची!अब्बू और भी प्यार करेंगे?अगर ऐसा हुआ तो मैं खुशी से चिला चिलाकर पागल हो जाऊंगी।

अमजद दोनों के मजे लेते हुए: गुड़िया अब कोनसा प्यार बाकी रह गया है।मैने दिव्या बेटी के होठों को,गालों को, नाक को और पूरे चेहरे को चूमकर, चाटकर,और चूसकर प्यार कर लिया।

सारा:अब्बू आप भी कमाल करते हो।आपने अपनी नई बेटी को गर्दन से ऊपर प्यार किया है,बाकी शरीर को प्यार कौन करेगा।आपके होते हुए क्या दूसरा कोई प्यार करेगा आपकी बेटी को।

अमजद तपाक से बोला:नहीं,मैं प्यार करूंगा अपनी बेटी से,कोई दूसरा हाथ लगा कर तो देखे,साले के हाथ तोड़ दूंगा।

दिव्या:मैं भी किसी को प्यार करने नहीं दूंगी,मुझे प्यार तो सिर्फ हमारे अब्बू ही करेंगे।

सारा:तो हमारे प्यारे अब्बू को बोल तेरे पूरे बदन से प्यार करने को।

दिव्या:इसमें बोलने की क्या जरूरत है,अब्बू वैसे भी मुझे प्यार करते हैं तो वो मेरे पूरे बदन से प्यार करेंगे। चलिए अब्बू मेरे पूरे बदन को प्यार करो और इसको दिखा दो कि आप मुझे कितना प्यार करते हैं।

अमजद दिव्या की बात सुनकर उसकी नंगी बांह पर किस करने लगा।
पर सारा ने रोक दिया।

सारा:ओ बेवकूफ लड़की,अगर अब्बू से पूरे बदन पर प्यार करवाना है तो अपना टॉप तो उतार दे।अब्बू क्या तुझे कपड़ों के उपर से प्यार करेंगे।अगर टॉप नहीं उतारेगी तो अब्बू तेरे को नहीं तेरे कपड़ों को प्यार करेंगे।

दिव्या:प्यार तो अपने बदन से करवाना है पर मैं अपना टॉप नहीं उतारूंगी।

अमजद और सारा ने अब साली का ये क्या नाटक है।इस रांड को क्या हुआ ये नंगी होने नाटक क्यों कर रही है।

सारा हैरत से:क्यों! टॉप क्यों नहीं उतारेगी?

दिव्या सारा को आंख मारकर:क्योंकि मेरा टॉप अब्बू उतारेंगे।

सारा मन में: ओह ये बात है,साली डरा ही दिया था।

अमजद मन में:शुक्र है साली रंडी ने मुझे उतारने को बोल दिया, वरना मैं तो गुस्से में इसका टॉप फाड़ने वाला था।

सारा:क्यों तुझे कपड़े उतारने में शर्म आ रही है।

दिव्या:क्या पागलों जैसी बातें कर रही है!क्या किसी बेटी को अपने बाप के सामने कपड़े उतारने में शर्म आती है।क्या तुझे अब्बू के सामने कपड़े उतारने में शर्म आएगी।

सारा:नहीं,मुझे क्यों शर्म आएगी।अगर मैं अब्बू के सामने कपड़े नहीं उतारूंगी तो अब्बू मुझे प्यार कैसे करेंगे। मैं तो कहती हूं हर बेटी को अपने बाप के सामने बिना कपड़ों के रहना चाहिए,ताकि जब भी बाप का मन करे अपनी बेटी को गोद में बिठाकर प्यार करे।

दिव्या:और बाप भी जब अपनी लाडली बेटी को अकेला देखे तो कहीं भी उसके कपड़े उतारकर उसे अपनी बाहों में भर कर प्यार करना चाहिए। मैं तो जब भी अब्बू के साथ होऊंगी बिना कपड़ों के रहूंगी।अब्बू आप मेरे कपड़े उतारोगे ना।

अमजद अपनी दोनों रंडियों की कामुक बातें सुनकर बहुत मजा आ रहा था।

अमजद:अरे बेटी , क्यों नहीं उतारूंगा तुम्हारे कपड़े।बस तुम्हे अच्छा लगना चाहिए बिना कपड़ों में मेरी गोद में बैठना।

सारा:अब्बू, हर बेटी को अपने बाप की गोद में बिना कपड़ों के बैठना अच्छा लगता है। हम दोनों भी कपड़े उतार कर आपकी गोदी में कूदेंगी।आज दिव्या का दिन है तो ये आपकी गोद में कूदेगी।और रात को मैं बिना कपड़ों के आपकी गोदी में बैठ कर कूदूंगी।

अमजद:घर जाकर मैं अपनी प्यारी गुड़िया के कपड़े उतार कर अपनी गोदी में बैठा कर बहुत प्यार करूंगा।

दिव्या:अब्बू,रात होने अभी देर है,अभी आप मेरा टॉप उतार दीजिए।मुझे आपकी गोद में ये कपड़े पहन कर अच्छा नहीं लग रहा है। निकाल दीजिए इन कपड़ों को जो बाप बेटी के प्यार के बीच में आ रहे हैं।

अमजद ने इतना सुनते ही दिव्या को हाथ ऊपर उठाने को कहा और उसका टॉप उतार दिया।

दिव्या की कमसिन जवानी दोनो बाप बेटी के सामने आ गई।

सारा:ओह... अब्बू क्या खूबसूरत बदन है मेरी बहन और आपकी बेटी का।मेरा तो बहुत मन कर रहा है इसे प्यार करने को।

अमजद:आज नहीं कल कर लेना जी भर कर।आज तो मैं प्यार करूंगा अपनी नई बेटी के खूबसूरत बदन को।

फिर अमजद दिव्या की नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा और उसकी गर्दन को चूमने लगा।

दिव्या ऊपर से नगी होकर अमजद के कड़क लोड़े पर अपनी मुलायम गांड रगड़ने लगी और आहें भरने लगी।

दिव्या और सारा दोनों बेशर्मी से एक दूसरे की नशीली आंखों में देखकर मुस्कराने लगी।

अमजद दिव्या की पीठ को चूमते हुए: आह बेटी दिव्या क्या खूबसूरत बदन है तुम्हारा ।

सारा:अब्बू आप अपनी बेटी का नहीं आगे का बदन देखिए और फिर बताए कि कैसा बदन है इसका।
अब्बू मैं टेबल से ये सारा सामान हटा देती हूं,फिर आप दिव्या को इस टेबल पर लिटाकर प्यार करो।

अमजद:हां ये सही रहेगा।

फिर दिव्या अमजद की गोद उठकर खड़ी हो गई।दिव्या और सारा ने टेबल से सामान उठाकर नीचे रख दिया।

सारा: दिव्या मेरी बहन अब तुम लेट जाओ इस टेबल पर,फिर हमारे अब्बू तुम्हे जी भर कर प्यार करेंगे।

ऊपर से नंगी दिव्या किसी बेशर्म रंडी की लेट गई।

सीन ये था कि दिव्या का सर सारा की तरफ था और उसके पैर अमजद की तरफ थे।दिव्या की गांड और बाकी बदन टेबल पर था और टांगे नीचे लटक रही थी।अरे यार किसी लड़की टेबल पर या सोफे पर लिटा लड़का नीचे खड़ा रहकर चुदाई करता है। बस ऐसे ही दिव्या लेटी हुई थी और अमजद उसकी टांगो के बीच में खड़ा हो गया।

अमजद का लंड अब भी पेंट के बाहर था।सारा और दिव्या दोनों अमजद के खड़े लंड को अपनी चुदासी निगाहों से देख रही थी।

अमजद ने पहले दिव्या के तरफ देखा और फिर सारा की तरफ देखा,दोनो उसके हालावी लोड़े को देख रही थी।

अमजद:तो अब अपनी प्यारी बेटी दिव्या को प्यार करना शुरू करूं।

अमजद की आवाज सुनकर दोनों ने अमजद की तरफ देखा और बेशर्मी से मुस्कराने लगी।
तीनों ऐसे बिहेव कर रहे थे जैसे यह सब नॉर्मल हो।

सारा:अब्बू आपको पूछने की क्या जरूरत है,बस आपका मन होना चाहिए अपनी बेटियों को प्यार करने का।हम तो हमेशा तैयार रहेगी आपका प्यार पाने के लिए।

दिव्या:हां अब्बू सारा सही कह रही है।आपका जब भी मन करे,हमारे कपड़े उतारकर हमसे प्यार कर लेना।वो दुनिया की सबसे बेगैरत बेटी होगी जो अपने अब्बू के सामने नंगी होके प्यार करने से मना करने की जुर्रत करेगी।

अमजद अपनी दोनों रंडियों का रंडीपना देखकर खुश हो गया और सोचने लगा ये दोनो पहली मुलाकात में इतनी बेशर्मी दिखा रही तो आगे जाकर तो ये दोनों मुझे जन्नत का मजा देगी। अब मुझे भी अपना कमीनापन दिखाना पड़ेगा।

अमजद:फिक्र मत करो मेरी बच्चियों,अब जब भी,जहां भी मेरा मन करेगा तुम दोनों को प्यार करने का तो मैं तुम दोनों को नंगा करके बहुत प्यार करूंगा।और मुझे तुम दोनों पे पूरा भरोसा है कि तुम दोनों मुझे प्यार करने से मना नहीं करोगी।

सारा:हम दोनों आपका भरोसा कभी नहीं तोड़ेंगे।अब बातें छोड़ो। देखो आपकी प्यारी बेटी कपड़े उतारकर आपके सामने लेटी हुई है और आप है कि बातों में लगे हुए है।चलो प्यार करो इसे। देखो कैसे तड़प रही है आपके प्यार के लिए।

अमजद अपना खड़ा लंड लिए दिव्या की टांगो के बीच में खड़ा हो गया और फिर झुककर दिव्या के होठों को चूसने लगा।अमजद का काला बड़ा लोड़ा दिव्या की एक बार चुदी हुई पे ठोकर मार रहा था।

दिव्या के होठों को बुरी तरीके से चूसने के बाद उसकी गर्दन को चाटने लगा।
फिर गर्दन से मुंह हटाकर : दिव्या बेटी मेरा प्यार करने से तुझे अच्छा लग रहा है ना।

दिव्या: हां अब्बू बहुत अच्छा लग रहा है और प्यार करिए ना।

अब अमजद दिव्या की मौसमी जैसी नाजुक और खूबसूरत नंगी चूचियां पे हाथ फेरने लगा।

अमजद: वाह मेरी बेटी की छाती कितनी खूबसूरत है।

दिव्या: आह...अब्बू ,पर मेरी छाती बहुत छोटी छोटी है,सारा की तरह बड़ी बड़ी नहीं है।

सारा:फिक्र मत कर मेरी बहन,अब्बू तेरी छाती को दबा दबाकर और चूस चूसकर बड़ी कर देंगे।क्यूं है ना अब्बू।

अमजद: हां बिलकुल । अभी काम पे लग जाता हूं।

फिर क्या था अमजद दिव्या की एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरी चूची हाथ से दबाने लगा।और नीचे से अपना काला बड़ा लोड़ा दिव्या की चूत पे रगड़ने लगा।

अमजद का चूचियां चूसना और मसलना और अपनी चूत पर लोड़े की रगड़ से दिव्या बहुत ज्यादा गर्म हो गई की मचलने लगी और unhhh ahhhh yessss करने लगी।
दिव्या:ohhhh अब्बू aahhhhhh और जोर से चुसिये खा जाइए मेरी छाती को।

सारा भी अमजद का हौसला बढ़ा रही थी।

सारा:हां अब्बू ऐसे ही प्यार कीजिए अपनी बेटी को।देखो कैसे खुशी से उछल रही है।

अमजद भी किसी जानवर की तरह दिव्या की चुचियों को चूस और चबा रहा था।नीचे अपना खड़ा लोड़ा दिव्या की चूत पर रगड़ रहा था।

दिव्या से बर्दास्त नहीं हुआ। अपने नाजुक हाथ से अमजद को लोड़ा पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर रगड़ने लगी।

अमजद चूचियां चूसता रहा।फिर दिव्या के पेट और नाभि को किसी कुत्ते की तरह चूसने और चाटने लगा।

दिव्या अमजद की चुसाई से पागल सी हो गई और अमजद के लंड को जोर जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी।

सारा भी ऐसा कामुक दृश्य देखकर बहुत गर्म हो चुकी थी।वो अपनी चूत को अपनी जांघो से कुचलने लगी।

अमजद दिव्या के पेट और नाभि को अच्छी तरह चूसने के बाद थोड़ा पीछे हुआ और उसकी जांघों को चाटने लगा।
अमजद के पीछे होने से,दिव्या के हाथ से अमजद का लोड़ा छूट गया।पर अमजद के द्वारा जांघों को चाटने से उसे बहुत मजा आ रहा था,वो अपनी चुचियों को अपने हाथों से मसलने लगी।

सारा को अब बर्दास्त नहीं हो रहा था।उससे खड़ा रहना मुस्किल हो रहा था।सारा अपने बाप की कामलीला देखकर उत्तेजित होकर कांपने लगी।

सारा कांपने होठों से:अब्बू ये तो नाइंसाफी है।आप अपनी बेटी दिव्या के पेट को चाटने के बाद उसकी जांघें चाटने लगे। बीच का हिस्सा तो छोड़ दिया।

अमजद मासूम बनते हुए:और क्या करूं गुड़िया।दिव्या बेटी ने नीचे कपड़े पहने हुए है।

सारा: तो उतार दीजिए अपनी बेटी के कपड़े अपने हाथो से।

दिव्या मदहोशी में: हां अब्बू उतार दीजिए मेरे कपड़े,और प्यार कीजिए मेरे पूरे बदन को। मैं भी कितनी बेशर्म बेटी हूं जो अपने अब्बू के सामने कपड़े पहन कर लेटी हुई हूं।प्लीज अब्बू मेरे पूरे कपड़े उतारकर,मुझे अपनी अच्छी और सच्ची बेटी बना दीजिए।आप भी मेरे कपड़े उतारकर साबित कर दीजिए कि आप कितने प्यारे और नेक अब्बू है।

अमजद:हां मेरी प्यारी बेटी, मैं अभी तुम्हारे सारे कपड़े उतारकर तुझे अच्छी और नेक बेटी बनाकर तुझे प्यार करता हूं।

अमजद ने दिव्या के स्कर्ट और पेंटी को पकड़कर नीचे खींचा,दिव्या ने अपनी गांड उठाई और दिव्या को नंगा कर दिया।अब दिव्या मादरजात नंगी दोनों बाप बेटी के सामने थी।
अमजद ने तो कल ही दिव्या को नंगी करके अपनी रंडी बनाकर बेरहमी से चोदा था,पर आज अपनी सगी बेटी के सामने दिव्या को ऐसे नंगा करके बहुत मजा आ रहा था।

अमजद:आह... मेरी प्यारी बेटी दिव्या का बदन कितना खुबसूरत और प्यार है,बेटी तुम हमेशा मेरे सामने बिना कपड़ों के रहना।तुझपे ये कपड़े बिलकुल अच्छे नहीं लगते।

सारा: हां अब्बू,आप सही कह रहे हैं।देखो बिना कपड़ों के कितनी सुशील और संस्कारी लग रही है मेरी बहन। मैं तो कहती हूं हर बेटी को अपने बाप के सामने ऐसे ही संस्कारी बनके रहना चाहिए।अब्बू, मुझे आपके सामने यूं कपड़े पहन कर खड़े रहने में बहुत शर्म आ रही है। आप मेरे भी कपड़े उतारकर मुझे संस्कारी बेटी बना दीजिए।

अमजद: अभी नहीं मेरी गुड़िया,आज तुमने कहा था ना कि आज दिव्या बेटी का दिन है,तो आज मैं दिव्या बेटी को संस्कारी बेटी बनाता हूं।रात को तेरे सारे कपड़े उतारकर मेरे अंदर जितना भी संस्कार है,वो सारे संस्कार और अच्छाइयां तुझमें डाल दूंगा।

(तो दोस्तों,आप लोग वैसे बहुत सुशील और संस्कारी हो तो आप लोग समझ गए होंगे कि यहां किन संस्कारों की बातें हो रही थी।मुंह से तो तीनों प्यार,संस्कार,सुशील,नेक,अच्छे,अच्छी,शर्म,लाज जैसे शब्द बोल रहे थे।पर दिल और दिमाग में:चुदाई,चोदना,रंडी,रखैल,कुत्तिया, चुदक्कड़,हरामी,चोदू, बेशर्मी जैसे शब्द गूंज रहे थे। मैं भी चूतिया जैसी बातें कर रहा हूं।जो लोग चुदाई वाली स्टोरी पढ़ रहे हैं वो भी इनसेट स्टोरी,तो सबको पता ही है कि क्या बातें हो रही है)

सारा: मैं भी आपकी सारी नेकियां अपने अंदर लेने के लिए तड़प रही हूं।आपकी सारी अच्छाइयां अपने अंदर लेकर खुशी से चिल्लाना चाहती हूं।अब आप जल्दी से पहले दिव्या के बदन को प्यार कीजिए,फिर अपनी गोद में बिठाकर अपने संस्कार इसके अंदर डाल दीजिए।देखना दिव्या कैसे खुशी से चिल्लाती है।

(वाह भाई, कुछ भी हो राइटर मस्त है।अपडेट भले ही टाइम पर ना देता हो पर कहानी में बकैती बहुत करता है।साला बहुत कमीना है,कैसे कैसे सीन क्रिएट करता है।)

अमजद ने सारा की तरफ देखा और मुस्कराने लगा।साली मेरी बेटी बिलकुल मुझपे गई है।चुदाई के संबंधित एक भी शब्द इस्तेमाल किए बगैर, मुझे दिव्या को चोदने को बोल रही है।ये रंडी मुझे बहुत मजा दिलाने वाली है।

सारा थी तो हरामी अमजद का खून,वो समझ गई कि उसके चुदक्कड़ अब्बू क्या सोच रहे हैं।

सारा:अब्बू...,मेरी तरफ देख कर क्यों मुस्करा रहे हो।आपकी प्यारी बेटी दिव्या देखो कैसे कपड़े उतारकर आपके प्यार के लिए तड़प रही है।

अमजद दिव्या की टांगो के बीच झुक गया और एक बार चुदी हुई दिव्या की चूत को देखने लगा।

सारा:अब्बू कैसी है दिव्या की चीज।

अमजद:बहुत प्यारी है।क्या खुसबू आ रही है मेरी प्यारी बेटी दिव्या के बदन से।

अमजद अपना नाक दिव्या की चूत के पास लेजाकर सूंघने लगा।

सारा:अब्बू देखो ,दिव्या नीचे के अंग से आंसू आ रहे है कैसे रो रही है आपका प्यार पाने के लिए।इसे चूसकर और चाटकर प्यार करो।इतना प्यार करो कि इसमें से खुशी के आंसू निकले।

फिर क्या था अमजद टूट पड़ा दिव्या की छोटी चूत पर।और चूत को जबान से चाटने लगा।

अमजद की खुरदरी जबान अपनी चूत पर लगते ही दिव्या मजे से चीख उठी।

सारा:दिव्या मेरी बहन, कैसा लग रहा है अब्बू का प्यार करना।

दिव्या:aahhhhh, ouchchch, sihhhh.
क्या बताऊं मेरी बहन कितना अच्छा लग रहा है।इतना अच्छा मुझे कभी नहीं लगा।

सारा और दिव्या दोनों कामुक बातें कर रही थी और अमजद दिव्या की चूत चूसने में लगा हुआ था।

दिव्या ने अपनी टांगे अमजद के गले में डाल दी और अपने हाथ से अमजद का सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी।
चूत चुसाई से दिव्या का बदन अकडकर झटके खाने लगा।

अमजद समझ गया कि ये रंडी अब झड़ने वाली है।
अमजद ने दिव्या को टांगे पकड़कर अपनी गर्दन से हटाई और चूत चुसाई बंद कर दी।

दिव्या को बहुत मजा आ रहा था,वो झड़ने वाली थी।अमजद के ऐसे छोड़ने से वो तड़पकर अमजद की तरफ देखने लगी।पर वो जल्दी ही समझ गई कि अब उसकी चुदाई होने वाली है।

सारा भी समझ गई कि अब अब्बू दिव्या को चोदने वाले है।

अमजद:बेटी अब तो तुम खुश हो।मैने तुम्हारे पूरे बदन को प्यार कर लिया।

सारा समझ गई कि अब्बू पूरा खेल मेरे हिसाब से खेलना चाहते हैं।(मन में) हाए...,मेरे प्यारे अब्बू ने मुझे अपनी रंडी तो बना दिया,अब रात को रंडी की तरह चोद सके, इसलिए ये सब रंडीपना मुझसे करवाना चाहते है।पर मैं भी आपको बता दूंगी कि अब मैं आपकी पक्की रंडी बन चुकी हूं।

सारा:अब्बू, एक बेटी को असली खुशी तब मिलेगी,जब एक बेटी बिना कपड़ों के अपने बाप की गोद में बैठेगी,अपने बाप की गोदी में खेलेगी।क्या आपको अच्छा नहीं लगेगा जब आपकी बेटी कपड़े उतारकर आपकी गोद में बैठकर खेलेगी, कूदेगी।

अमजद:ओह मेरी प्यारी गुड़िया कितनी समझदार हो गई है, मेरी बेटियों को कपड़े उतार कर मेरी गोद में कूदने से असली खुशी मिलती है तो मैं खुद अपने हाथों से उनके कपड़े उतार कर अपनी गोद में बिठा लूंगा और कूदने को कहूंगा।

सारा: ओह... हमारे प्यारे अब्बू हम दोनों बेटियों से कितना प्यार करते हैं। हमारी खुशी के लिए हमारे कपड़े उतार कर अपनी गोद में खेलने को कह रहे हैं। पर क्या हमारे प्यारे अब्बू को हमारे कपड़े उतार कर हमें प्यार करने से खुशी मिलेगी या सिर्फ वह हमारी खुशी के लिए हमारे कपड़े उतार कर हमें प्यार करेंगे। बताइए अब्बू, क्या हम दोनों कपड़े उतारकर आपकी गोद में कूदेगी तो आपको खुशी मिलेगी।

अमजद:अपनी बेटी की खुशी बढ़कर एक बाप के लिए और खुशी की बात क्या हो सकती है। और रही बात तुम्हारे कपड़े उतार कर प्यार करने से मुझे खुशी मिलती है या नहीं। गुड़िया, आज मुझे दिवीया बेटी के कपड़े उतार कर उसके बदन को चूमने चाटने और चूसने में जो खुशी मिली है,ऐसी खुशी मुझे आज तक किसी भी चीज में नहीं मिली। दीव्या बेटी मेरी गोद में बिना कपड़े के कूदेगी तो मुझे और ज्यादा खुशी मिलेगी। और सबसे ज्यादा खुशी तो मुझे तब मिलेगी जब मैं अपने हाथों से मेरी गुड़िया के कपड़े उतारूंगा और अपनी प्यारी बेटी गुड़िया के बदन को चुमूंगा,चूसूंगा और चाटूंगा।और बिना कपड़ों के तू मेरी गोद में कुदेगी और खुशी से चिल्लाएगी तो मुझे और ज्यादा खुशी मिलेगी।गुड़िया मेरा तो जी चाहता है कि.......।

सारा: बोलिए अब्बू, आपका दिल क्या करना चाहता है।

अमजद:मेरी प्यारी गुड़िया,मेरा जी चाहता है कि....

सारा:प्लीज अब्बू बोलिए ना,क्या करना चाहता है आपका दिल।

अमजद:मेरा दिल करता है कि मैं तुम दोनों हमेशा बिना कपड़ों के रहो मेरे सामने।बल्कि तुम दोनों कपड़े पहनो ही नहीं। हम दोनों जब स्कूल आए,तब मैं तुझे बिना कपड़ों के अपनी गोद में बिठाकर लाऊं।घर में,खेत में,यहां तक कि पूरे गांव में तुझे बिना कपड़ों के अपनी गोद में बिठाकर घुमाऊं।स्कूल में,सारे स्टुडेंट और टीचर के सामने तुम दोनों अपने कपड़े उतारकर मेरी गोद में उछल उछल कर खेलो।

सारा:ओह... मेरे प्यारे अब्बू,अगर हमारे अब्बू को हमारे कपड़े उतारकर अपनी गोदी में बिठाने से खुशी मिलती है, तो हम बेटियां भी अपने कपड़े उतारकर आपकी गोद में बैठकर कूदेंगी।गांव और स्कूल छोड़िए,आप कहेंगे तो हम दोनों पूरी दुनियां के सामने अपने कपड़े उतारकर आपकी गोद में कूदेगी।क्यों दिव्या, मैंने सही कहा ना।

दिव्या:हां मेरी बहन,तुमने बिलकुल सही कहा।इसमें हम बेटियां को भी खुशी मिलेगी।

सारा:तो अब देर किस बात की।कपड़े तो तूने उतार दिए है,अब अब्बू की गोद में बैठ और कूद।हमारे अब्बू को भी खुशकर और खुद भी खुश हो जा,मुझे भी तुझे अब्बू की गोद में कूदते देख खुशी मिलेगी।चल जल्दी कर, मुझे देखना कि एक बेटी अपने कपड़े उतारकर अपने बाप की गोद में कुदती है तो कैसे खुशी से चिल्लाती है।मुझे भी रात को अब्बू की गोद में बैठकर कूदना और खुशी से चिल्लाना।

अमजद:हां बेटी दिव्या जल्दी से बैठ जा मेरी गोद में। मैं तड़प रहा हूं तुझे अपनी गोदी में बिठाने के लिए।

दिव्या तो मरी जा रही थी अमजद से चुदने के लिए,उससे अब ये बदन की आग बर्दास्त नहीं हो रही थी।
दिव्या अमजद के पास गई और अपनी टांग उठा कर उसकी गोद में बैठने लगी।

तभी सारा बोली:दिव्या रुक।

अमजद:क्या हुआ गुड़िया।

सारा (मुस्कराते हुए): अब्बू,दिव्या ने तो कपड़े उतार दिए,पर आपने कपड़े पहने हुए है।आप भी अपने कपड़े उतार दीजिए।

अमजद भी अपने कपड़े उतारना चाहता था।पर वो चाहता था कि सारा कहे उसे कपड़े उतारने को।अमजद को इसमें बहुत मजा आ रहा था।और इसमें एक और फायदा था कि सारा रात को खुद के कपड़े उतारने में रति भर भी शर्म महसूस ना करें।

अमजद: गुड़िया मुझे अपने कपड़े उतारने की क्या जरूरत है।

सारा:अब्बू, जैसे हमारे कपड़े उतारकर,हमें प्यार करने में आपको और हमको खुशी मिलती है, ऐसे ही आप अपने कपड़े उतारेंगे तो आपको और आपकी बेटीयां को ज्यादा खुशी मिलेगी। और अगर दिव्या ऐसे आपकी गोद में बैठेगी तो ऐसा लगेगा जैसे आप पे नहीं आपके कपड़ों पे बैठी है,इससे आपको और दिव्या को असली खुशी नहीं मिलेगी।अब दिव्या का तो दिव्या जाने,पर मैं जब अपने कपड़े उतारकर आपकी गोद में बैठकर कुदुगी तो एक भी कपड़ा आपके बदन पर नहीं रहना चाहिए।

दिव्या:अब्बू, आप भी अपने कपड़े उतारो,आप अपने कपड़े उतारेंगे तो ही आपकी गोद में बैठूंगी।

अमजद:अरे दिव्या बेटी गुस्सा क्यों होती है,अभी मैं अपने कपड़े उतारता हूं।सच कहूं तो मुझे अपने कपड़े उतारकर तुम्हे अपनी गोदी में बिठाने में खुशी मिलेगी।

अमजद ने कुर्सी पर बैठे हुए अपना कुर्ता पायजामा और अपना कच्छा उतार दिया।

अमजद:आओ बेटी दिव्या,अब बैठो मेरी गोदी में।

दिव्या टांग उठा कर अमजद के खड़े लंड पर बैठ गई।

वैसे तो अमजद ने कल दिव्या को अपनी रंडी बनाकर बेरहमी से चोदा था,पर आज अपनी सगी बेटी के सामने दिव्या को नंगा करके अपनी गोद में बिठाकर बहुत मजा आ रहा था।

दिव्या अपनी नंगी चूत को अमजद के खड़े लोड़े पर रगड़ने लगी।अमजद भी दिव्या की गांड मसल रहा था और उसकी चूचियों को चूस रहा था।आह... बड़ा ही कामुक नजारा था सारा के लिए।
दिव्या को भी बहुत मजा आ रहा था,उसकी चूत से रस की बोसार हो रही थी और वो आहह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह येस्सस्स्स करने लगी।

सारा: कैसा लग रहा है आप दोनो को ऐसे बिना कपड़ों के एक दूसरे को प्यार करके।

अमजद दिव्या:(साथ में)बहुत खुशी मिल रही है। दोनों के बदन को ऐसे बिना कपड़ों के रगड़ने से बहुत अच्छा लग रहा है।

दोनों को लंड और चूत की घिसाई में बहुत मजा आ रहा था।दोनों बहुत गरम हो चुके थे।
अमजद का लंड सुबह से खड़ा था,उसे चुदाई की सख्त जरूरत थी।दिव्या भी अब बहुत चुदासी हो गई थी,उसे भी अमजद का लंड अपनी चूत में लेना था।सारा को भी दोनों की चुदाई देखनी थी।

सारा:दिव्या,तुम ऐसे ही अब्बू की गोद में बैठकर हिलती रहेगी या कूदेगी भी।

दिव्या:उह्ह्ह्ह... अब्बू की गोद में बिना कपड़ों के ऐसे हिलने में भी बहुत अच्छा लग रहा है।पर मैं इनकी गोद में कूदना(चुदना) भी चाहती हूं।अब्बू कुदू आपकी गोद में।

अमजद:हां कूदो दिव्या बेटी,पर पहले थोड़ा ऊपर होकर ठीक से बैठो फिर कूदो।तुम ठीक से बैठोगी तो कूदने में अच्छा लगेगा।

आप लोगों की तरह दिव्या और सारा दोनों भी समझ गई कि अमजद दिव्या को गांड उठाने को क्यों कह रहा है।

दिव्या ने अमजद की बात मानते हुए अपनी गांड उठाई और अमजद के लंड को हाथ में पकड़कर अपनी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी।दिव्या भले ही अमजद की रंडी थी,पर बस एकबार चुदी हुई लड़की थी।उससे लंड अपनी चूत में नहीं घुसाया जा रहा था।अमजद समझ गया साली से नहीं हो रहा है।

अमजद : दिव्या बेटी, मैं तुम्हारी ठीक से बैठने में मदद करता हूं, मैं जब बैठने को कहूं ,तब धीरे से बैठना।

दिव्या:जी अब्बू

अमजद का लोड़ा दिव्या की चूत के पानी से गीला हो गया था,अमजद ने अपना लंड पकड़ा और लंड का सुपाड़ा दिव्या की चूत पे रगड़ने लगा।अमजद ने अपना लोड़ा दिव्या की चूत पर सेट किया और दिव्या को कहा:बेटी अब धीरे धीरे बैठो मेरी गोदी में।

दिव्या अपना वजन अमजद के लोड़े पर डालने लगी और अमजद के लंड का सुपाड़ा पट से दिव्या की चूत में घुस गया। टोपा अंदर जाते ही दिव्या की चीख निकल गई।दिव्या की पहली चुदाई कल ही हुई थी,अमजद ने जिस तरह से चोदा था,तो आप समझ सकते हैं कि उसकी चूत में थोड़ा दर्द तो अभी तक था।और अमजद का लोड़ा इतना बड़ा और मोटा था कि कोठे पर बैठने वाली किसी बाजारू रंडी की भी चीखे निकल जाएगी।दिव्या तो अभी बच्ची थी अमजद के हलावी लंड के सामने,तो उसका चीखना लाजमी था।

दिव्या की चीख सुनकर सारा समझ गई कि अब्बू ने अपना लोड़ा दिव्या की चूत में डाल दिया है।

सारा:(कामुक मुस्कान के साथ)क्या हुआ दिव्या,बड़ी जोर से चीखी हो। क्या बहुत खुशी हो रही है अब्बू की गोद में बैठकर।

दिव्या को सच मे दर्द हुआ था पर वो अमजद की रंडी थी,तो उसे दर्द में भी मजा आता था।और दिव्या ये भी जानती थी कि अगर उसने कह दिया कि दर्द हो रहा है तो अमजद उसे कभी नहीं चोदेगा।दिव्या को कल अमजद की रंडी बनकर चूसने में बहुत मजा आया था।और वो ये मजा जिंदगी भर लेना चाहती थी।

दिव्या:(कहराते हुए)हां सारा मेरी बहन,मुझे बहुत खुशी हो रही है,ऐसे बिना कपड़ों के अब्बू की गोद में बैठकर।

अमजद जानता था दिव्या को दर्द हो रहा है।पर अमजद चुदाई के मामले में जानवर था।उसे तो अपनी रंडी दर्द देने में मजा आता था। अमजद ने दिव्या की कमर को पकड़ा और जोर से अपने लंड पे दबाया।ऐसा करने से अमजद पापी लोड़ा आधा दिव्या की चूत में चला गया।पर दिव्या तब ही समझ गई थी जब अमजद ने अपने दिव्या की कमर पर रखे थे,तो दिव्या ने अपना हाथ अपने मुंह पर रख दिया ताकि ताकि उसकी चीख पूरी स्कूल में ना सुनाई दे।मुंह पर हाथ रखने से भी दिव्या की घुट्टी हुई चीख सारा को साफ सुनाई दी।

सारा:दिव्या तूने अपना हाथ अपने मुंह पर क्यों रखा,मुझे तेरी चीख सुननी थी।

अमजद:अरे गुड़िया कोई बात नहीं,दिव्या बेटी इसलिए नहीं चीखी क्योंकि इसकी खुशी की चीख सुनकर कोई टीचर यहां आ जाए और इसकी खुशी को नज़र ना लगा दे।पर तू फिक्र मत कर कल दोपहर के बाद हम खेत जाएंगे,दिव्या बेटी भी वहां आ जाएगी। वहां दिव्या बेटी बहुत जोर से चिल्लाएगी,तब तुम सुन लेना।वैसे भी कल दिव्या बेटी एक और खुशी देनी है।उस खुशी में दिव्या बेटी ज्यादा चिलाएगी देखना।और हां रात को तेरे कपड़े उतारकर अपनी गोदी में बैठा कर तुझे भी खुशी देनी है,तब तू अपनी खुशी की चीखे सुन लेना।वैसे मैं तुम दोनों को पहले भी बता चुका हूं कि मुझे तुम दोनों की खुशी की चीखे सुनना बहुत पसंद है।

दिव्या को एक और खुशी देने वाली बात पहले तो सारा और दिव्या को समझ नहीं आई,पर जल्द ही दोनो समझ गई कि कल अमजद दिव्या की गांड फाड़ने की बात कर रहा है।अरे जब अमजद का काला दमदार लोड़ा दिव्या की गांड में घुसेगा तो यकीनन वो चीखेगी।

सारा:ओके अब्बू, मैं समझ गई।

अमजद कुर्सी पर आराम से बैठा था और दिव्या अपनी दोनों टांगें फैला कर अमजद का आधा लंड अपनी चूत में लिए खड़ी थी,उसे दर्द तो हो रहा था पर मजा भी बहुत आ रहा था। वैसे भी अब अमजद उसका मालिक था, तो दिव्या को अब अपने दर्द की परवाह नहीं करनी थी,उसे तो बस किसी गुलाम या रखैल की तरह अपने मालिक को खुश करना था।

अमजद(अपनी रखैल को ऑर्डर देते हुए):बेटी दिव्या अब कूदो अपने अब्बू की गोद में।

दिव्या भी किसी पालतू कुत्तिया की तरह अपने मालिक का हुकुम मानते हुए धीरे धीरे अमजद का लोड़ा अपनी चूत में लेने लगी।
जब अमजद का पूरा लंड दिव्या की चूत में चला गया,तब दिव्या जोर जोर से चिल्लाते हुए अमजद के लोड़े पर कूदने लगी।या यूं कहूं कि दिव्या किसी पोर्नस्टार की तरह चुदने लगी।

अमजद:आअअह्ह्ह्ह बेटी दिव्या,बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही कूदती रहो मेरी गोद में मेरी बेटी।क्या बताऊं मुझे कितनी खुशी मिल रही है।ohhhhhhh उफ्फ

दिव्या:aaahhhhhhh अब्बू मुझे भी bahuuut खुशी मिल रही है आपकी गोद में ऐसे कपड़े उतारकर कूदते हुए।

अब दिव्या का दर्द कम हो गया था और उसे मजा आ रहा था।दिव्या पूरी ताकत लगा कर अमजद के लोड़े पर उछल रही थी।अमजद भी कहां शांत रहने वाला था,वो कभी दिव्या के होठों चूसता,कभी उसकी चूचियों को दबा दबाकर चूसता और साथ में दिव्या को गांड को भी वेयशी तरीके से दबा रहा था।
सारा भी दिव्या को अपने अब्बू से चुद्ता हुआ देख बहुत मजे ले रही थी,सारा इतनी गर्म हो गई थी कि उसका जी कर रहा था कि अभी दिव्या को उठाकर खुद अपने अब्बू की गोद में बैठ जाएं और अपने अब्बू का लोड़ा अपनी चूत में लेकर चुदे।पर उसे तो इत्मीनान से चुदना था अपने अब्बू से,अभी इतना टाइम नहीं था कि सारा अपने अब्बू से खुलकर पूरे मजे लेकर चुदवाए।वैसे भी सारा अपनी चूत की आग को इतना भड़काना चाहती थी कि आज रात वो अपने अब्बू की रंडी बनकर चुदे।वो एक रात में अपने अब्बू को इतना तो जान गई थी कि अपने अब्बू के इस पापी हलावी लोड़े का सामना करने के लिए उसे एक रंडी से बड़ी रंडी बनना पड़ेगा।

अमजद: आह... मेरी प्यारी बेटी ऐसे ही उछल उछल कर मेरा संस्कार(लंड)अपने अंदर लेती रह।अपना संस्कार तेरे अंदर डालके मुझे बहुत खुशी मिल रही है। ओह... मेरी बच्चियों अगर मुझे पता होता कि तुम दोनों बड़ी हो गई हो,और अपने कपड़े उतारकर,मेरी गोद में बैठकर कूद कूदकर मेरा पूरा संस्कार(लौड़ा)अपने अंदर ले सकती हो,तो मैं तुम दोनों को कब का तुम दोनों के कपड़े उतारकर अपनी गोदी में बिठाकर अपना पूरा संस्कार(लोड़ा)तुम्हारे अंदर डाल देता।और तुम दोनों को अपनी संस्कारी(रंडी)बेटी बना देता।ओह... मेरी प्यारी बेटी दिव्या ऐसे ही कूदती रहो मेरी गोद में,बहुत अच्छा लग रहा है।

दिव्या मजे से अमजद के लोड़े पर उछल उछल कर चुद रही थी,बिलकुल किसी पोर्नस्टार की तरह।और अमजद दिव्या के बदन को किसी जानवर की तरह नोच रहा था।दिव्या को भी अमजद के इस वेहशीपन से बहुत मजा आ रहा था।

दिव्या का बदन चुदते हुए अकड़ने लगा और वो जोर जोर अमजद के लोड़े पर कूदने लगी।और चिल्लाती हुई झड़ने लगी।दिव्या के कामरस से अमजद के लोड़े और आंड को भिगो दिया।
झड़ने के बाद भी खुमारी में धीरे धीरे अमजद के लोड़े पर ऊपर निचे हो रही थी।

अमजद को तो पता चल गया था कि दिव्या झड़ गई है,पर सारा भी कल रात को अमजद की शैतानी मस्ती से बड़े ही खतरनाक झड़ी थी,सारा को पता था कि झड़ने के बाद कैसा महसूस होता है, तो दिव्या की हालत देखकर सारा समझ गई कि दिव्या झड़ चुकी है।सारा ने सोचा अगर दिव्या ठंडी पड़ गई तो अबू को ठंडा करने के लिए उसे चुदना पड़ेगा,पर सारा अभी नहीं चुदना चाहती थी।वो तो आज रात को बड़े ही कामुक तरीके से चुदना चाहती थी।

सारा:अब्बू,अभी आपने कहा कि हम दोनों बेटियां अपने कपड़े उतारकर, आपकी गोद में बैठकर आपका पूरा संस्कार (लोड़ा) अपने अंदर लेने के लिए बड़ी हो गई है। दिव्या का तो दिव्या जाने,पर मैं इतनी बड़ी हो गई हूं कि आप मेरी गोद में बैठकर कूदे और अपना पूरा संस्कार (लोड़ा)मेरे अंदर डाल सकते हैं।अब्बू प्लीज रात आप मेरी में कूद कूदकर अपना पूरा संस्कार (लोड़ा) मेरे अंदर डाल देना,इससे मुझे बहुत खुशी मिलेगी।

माना कि दिव्या झड़ चुकी थी,पर अमजद ने उसकी चूत में इतनी आग लगा दी थी कि उसे अमजद से बेरहमी से चुदे बिना चैन नहीं मिलेगा।

दिव्या(सारा से):हेलो मैडम,अगर तुम अब्बू को अपनी गोद में कूदा कर उनका पूरा संस्कार अंदर ले सकती हो तो मैं भी ले सकती हूं।मैं तो अभी अब्बू को अपनी गोदी में बैठा कर उनका पूरा संस्कार अंदर ले लूंगी।

अमजद समझ गया कि सारा क्या चाहती है।पर अमजद तो उसका बाप था।और ऊपर से उसका खड़ा लोड़ा तो उसे बहुत आईडिया देता था।

अमजद:अरे अरे... रुको,तुम दोनों बहस बंद करो। और रही बात तुम्हारी गोद में बैठकर तुम्हारे अंदर अपना संस्कार डालने की,तो एक बाप कभी अपनी बेटी की गोद में नहीं बैठता।

दोनों जानती थी कि अमजद दिव्या को चोदे बिना नहीं छोड़ेगा।वो भी अपना माल निकलना चाहता है,पर किस पोजिशन में चोदकर।

दिव्या:क्यूं अब्बू,आप मेरी गोद में क्यों नहीं बैठ सकते।अगर आप मेरी गोद में नहीं बैठेंगे तो अपना संस्कार(लंड) मेरे अंदर कैसे डालेंगे।

सारा:इसका मतलब आप मेरी गोद में भी नहीं बैठेंगे।और अपना संस्कार मेरे अंदर नहीं डालेंगे।

अमजद:नहीं,मैं तुम्हारी गोद में भी नहीं बैठूंगा।

सारा:पर क्यूं अब्बू।

अमजद:क्योंकि एक बाप कभी अपनी गोद में बैठकर अपना संस्कार(लोड़ा)अपनी बेटी के अंदर नहीं डालता।बल्कि उसकी पीठ पर चढ़कर अपना संस्कार (लोड़ा) अपनी प्यारी(रंडी)बेटी के अंदर(चूत में)डालता है,समझी तुम दोनों।

सारा:ओह,ये बात है।मैं समझी हमें ही आपके ऊपर बैठके आपका संस्कार(लोड़ा) अपने अंदर(चूत में) लेना पड़ेगा,आप कभी हमारे ऊपर बैठकर अपना संस्कार(लोड़ा)हमारे अंदर(चूत में)नहीं डालेंगे।

दिव्या:थैंक्स अब्बू,मैं तो खामखा डर गई थी।

(दोस्तों आप लोगों को फिर से बता दूं कि तीनों नाटक कर रहे थे)

अमजद;मैं पागल हूं जो इतनी प्यारी(रंडी)बेटियों के ऊपर बैठकर अपना संस्कार(लोड़ा) डालने से मना करूंगा।

सारा:ठीक है अब्बू,अब बताइए कैसे बैठेंगे अपनी बेटी दिव्या की पीठ पर।

अमजद:दिव्या बेटी तुम मेरी गोद से उठकर इस टेबल पर झुक जाओ, मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ता हूं।(सारा की तरफ मुस्कराकर)और गुड़िया तुम भी देखो कैसे एक बाप अपनी बेटी की पीठ पर सवार होकर अपना संस्कार(लोड़ा)अपनी बेटी के अंदर डालता है।ध्यान से देखना गुड़िया,आज रात को तेरी पीठ पर चढ़कर भी तेरे अंदर अपना संस्कार (लंड)डालूंगा।

दिव्या अमजद की गोद से उठी,पट की आवाज से अमजद का लोड़ा दिव्या की चूत से निकला।अमजद का लोड़ा दिव्या के कामरस से सना हुआ था. दिव्या खड़ी हुई और घोड़ी बन गई।
अमजद भी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ।

दिव्या ने पलट कर मुस्कराते हुए अमजद को देखा।
सारा ने वैसे तो कल रात को अमजद का लंड देखा था और चूसा भी था।पर सारा ने जब अभी देखा तो ,अमजद का लोड़ा दिव्या की चूत के कामरस से भीगा हुआ और भी खतरनाक लग रहा था।

अमजद सारा को अपना लोड़ा दिखाते हुए:अब अपना पूरा संस्कार(लोड़ा) दिव्या बेटी के अंदर डाल देता हूं,रात को अपना पूरा संस्कार(लोड़ा) तेरे अंदर डाल कर तुझे अपनी संस्कारी(चुदक्कड़) बेटी बना दूंगा।

सारा अमजद का लोड़ा देखते हुए:अब्बू, मैं भी तड़प रही हूं आपका पूरा संस्कार (लोड़ा) अपने अंदर लेने के लिए।जी कर रहा है अभी अपने कपड़े उतारकर आपका पूरा संस्कार (लोड़ा)अपने अंदर ले लूं।पर अभी आप दिव्या को संस्कारी(चुदक्कड़)बनाओ।आज रात को आप मुझे अपनी संस्कारी(रंडी)बेटी बना देना।आप मुझे अपनी ऐसी संस्कारी(रंडी)बेटी बना देना कि मैं आपकी हर बात मानूं।

अमजद:हां मेरी प्यारी गुड़िया तूने सही कहा।अभी मैं दिव्या के अंदर अपना संस्कार (लोड़ा) डालके इसे अपनी संस्कारी (रंडी)बेटी बनाता हूं।पर रात को तुझे पूरी संस्कारी (रंडी)बेटी बनाऊंगा,तुझे अपने संस्कार (लोड़े)से ऐसी संस्कारी(रंडी) बना दूंगा कि आजतक किसी बाप ने अपनी बेटी को ऐसे संस्कार(रंडीपना) नहीं सिखाए होंगे।फिर कल दोपहर को खेत में तुम दोनों को मुझे बताना होगा कि तुम दोनों कितनी बड़ी संस्कारी(रंडी) बेटी हो।

सारा:जरूर दिखाएंगे कि हम दोनों कितनी बड़ी संस्कारी (रंडी) बेटी है।आपका संस्कार (चोदने )का तरीका इतना प्यारा है कि हम दोनों जल्दी ही सारे संस्कार (रंडीपना)सीख जाएंगी।पर अभी आप दिव्या को संस्कार सिखाओ(चोदो)।और दिव्या भी किसी संस्कारी(रंडी)की तरह संस्कार सीखे(चुदे) आपसे।और दिव्या तू अब्बू का संस्कार(लोड़ा) ज्यादा अच्छा लगे तो खुशी(दर्द) से चिल्लाना।अभी तक तू अब्बू की गोद में बैठकर संस्कार सीख(चुद)रही थी,पर अब अब्बू तेरे ऊपर चढ़कर तुझे संस्कार सिखाएंगे(चोदेंगे) तो तुझे ज्यादा खुशी (दर्द)होगी।इसलिए तेरी चीखे तो निकलेगी।और जरा धीरे चिल्लाना,कहीं तुम्हारी खुशी की चीखे सुनकर स्कूल की बाकी लड़कियां भी ना आ जाए अब्बू बेटी(रंडी) बनने के लिए।(अमजद की तरफ देख मुस्कराने लगी)

अमजद भी मजे लेते हुए: अगर ऐसी बात है तो,मैं स्कूल की ही नहीं बल्कि पूरे गांव की लड़कियों को अपनी बेटी(रंडी) बनाऊंगा।फिर चाहे वो इस गांव की कुंवारी लड़कियां हो,शादीशुदा लड़कियां हो या इस गांव की बहूएं हो।सबको अपनी बेटी(रंडी) बनाऊंगा।

अमजद सारा की आंखों में देखकर सब बोल रहा था।
अमजद बात करते हुए अपने लंड को हाथ में पकड़ा और पीछे से दिव्या की गांड और चूत पर रगड़ने लगा।अमजद का लोड़ा दिव्या की चूत अपर लगते ही दिव्या की सिसकारी निकल गई।

दिव्या:आह...अब्बू..

अमजद सारा की तरफ देखकर मुस्कराते हुए: गुड़िया बेटी डाल दूं अपना संस्कार (लोड़ा)दिव्या के अंदर।

सारा बेशर्मी से अमजद की आंखों में देखकर:हां डाल दो अपना पूरा संस्कार (लौड़ा)दिव्या के अंदर।एकबार में ही अपना पूरा संस्कार (लोड़ा) इसके अंदर डालके इसे बता दीजिए कि असली(चोदू) बाप क्या होता है।और दिव्या तू दिखा दे कि तुझमें भी इनकी बेटी(रंडी) बनने के सारे गुण है।

दिव्या:हां अब्बू, डाल दीजिए अपना पूरा संस्कार (लोड़ा) मेरे अंदर और बना दीजिए मुझे अपनी संस्कारी(रंडी) बेटी ।सारा को भी पता होना चाहिए की अब्बू कैसे संस्कार डालते (चोदते) है,और कैसे अपनी बेटी को संस्कारी(रंडी) बनाते है।

दिव्या के इतना कहते ही अमजद ने अपना लोड़ा उसकी चूत पर सेट किया और एक झटके में पूरा लोड़ा दिव्या की बच्चेदानी तक घुसा दिया।
वो तो अच्छा हुआ जैसे ही अमजद ने अपना लंड दिव्या की चूत पर सेट किया तो दिव्या ने अपना एक हाथ अपने मुंह पर रख दिया, वरना जितना बड़ा अमजद का लोड़ा था और जिस तरीके से अमजद ने एक झटके में पूरा घुसाया था, ऐसे अगर किसी पोर्नस्टार या किसी बाजारू रंडी की चूत में भी डाला होता तो उसकी भी जोर से चीख निकल जाती। दिव्या तो वैसे भी मासूम बच्ची थी जिसने सिर्फ एक बार चुदाई करवाई थी वो भी एक दिन पहले।तो लाजमी था कि अगर दिव्या अपना हाथ अपने मुंह पर नहीं रखती तो उसकी भयानक चीख निकलती और पूरा स्कूल उसकी चीख सुनता।

दिव्या वैसे तो बहुत गर्म थी वो लंड के लिए तड़प रही थी पर अमजद का हलावी लोड़ा जब एक झटके में पूरा लौड़ा अंदर गया तो उसे बहुत दर्द हुआ,उसकी आंखों में आंसू आ गए।

पास खड़ी सारा भी समझ गई कि अब्बू का लोड़ा मजे के साथ दर्द भी बहुत देता है।उसने सारा के चेहरे के हावभाव और आंखों में आंसू निकलते देख लिए।

जहां एक तरफ दिव्या दर्द से तड़प रही थी, वहीं ये दोनों बाप बेटी एक दूसरे की आंखों में बेशर्मी से देखकर मुस्करा रहे थे। दोनों को दिव्या को दर्द में देखकर मजा आ रहा था।
अमजद को सारा को मुस्कराता देख खुशी हुई।सारा की जगह कोई और लड़की होती दिव्या के आंसू देखकर दर जाती, पर सारा मुस्करा रही थी।

सारा दिव्या के मजे लेते हुए:ओह दिव्या तुमने अपना हाथ अपने मुंह पर क्यों रखा मुझे और अब्बू को तेरी खुशी की चीख सुननी थी।

दिव्या ने अपना हाथ मुंह से हटाया:सारा..आह... मेरी बहन,फिक्र क्यों करती है।आज रात को अब्बू तेरी भी चीखें निकालेंगे, तब अपनी चीखे सुन लेना और अब्बू को भी सुना देना।वैसे भी कल दोपहर को अब्बू हम दोनो को एक साथ संस्कार सिखाएंगे(चोदेंगे)तब मैं जोर जोर से चिल्लाऊंगी।

सारा:ओह.. मेरी प्यारी बहन, क्या बताऊं तुझे।मैं तो मरी जा रही हूं खुशी से चिल्लाने के लिए।कब रात हो और कब अब्बू अपना पूरा संस्कार (लोड़ा)मेरे अंदर डालें और कब मैं जोर जोर से चिल्लाऊं। और अब्बू आप अब देर मत करो,जल्दी से इसकी पीठ पर जोर जोर से कूदकर इसे खुई से पागल कर दो ।और इसे बता तो कि अपने बाप की संस्कारी (रंडी) बेटी बनना किसे कहते हैं।

अब दिव्या का भी दर्द कुछ कम हो गया था।
अमजद ने आव देखा ना ताव फर्राटेदार तरीके से दिव्या को चोदने लगा।
पहले तो अमजद नॉर्मल तरीके से तेज धक्कों से दिव्या को चोद रहा था।

फिर जब उसने सारा की तरफ देखा तो,सारा अमजद और दिव्या की चुदाई देख कर अपने हाथ की मिडल फिंगर को मुंह में लेकर चूस रही थी और एक हाथ से अपनी चुचियों को सहला रही थी। और उंगली तो ऐसे चूस रही थी जैसे लोड़ा चूस रही हो।

साले अमजद के तो मजे ही मजे थे। सोचो यार, एक अधेड़ व्यक्ति अपनी बेटी की उम्र की लड़की को चोद रहा है,और उसकी सगी बेटी पास में खड़ी अपने बाप को चुदाई करता देख रही है और रंडी जैसी हरकतें कर रही हो।अरे यार कोई भी बंदा हो जोश में आ जाता है।और अगर अमजद जैसा हवसी इंसान हो तो पागल हो जाता है।

अमजद अपनी बेटी की इस हरकत से पागल हो गया।और सारा की आंखों में देखकर दिव्या की चूत को ठोकने लगा।

दिव्या की ऐसी धमाकेदार चुदाई देख कर, सारा अमजद की आंखों में देखकर अब अपनी उंगली को चाटने लगी।

सारा की हरकतें अमजद के लिए वायग्रा का काम कर रही थी।

अबतक अमजद दिव्या की कमर पकड़कर चोद रहा था,मगर सारा की बेशर्मी की वजह से उसने कमर से हाथ हटाए और दिव्या की चुचियों को पकड़ा और चोदने लगा।दिव्या की चुचियों को ऐसे पकड़ कर चोद रहा था कि जैसे उसकी चूचियों को बदन से अलग कर देगा।
एक तो अमजद का काला बड़ा लोड़ा दिव्या की चूत को फाड़ रहा था और ऊपर अमजद का ऐसे उसकी चूचियों को नोचना,दिव्या को बेरहमी से चुदने में मज़ा आता था पर उसे दर्द भी बहुत हो रहा था।पर दिव्या को ऐसे दर्द में देखकर जाने क्यूं सारा को मजा आ रहा था।वो सामने खड़ी अमजद को उकसा रही थी।अमजद कोई अनाड़ी नहीं था,उसे उसे भी पता चल गया था कि सारा क्या चाहती है।
कुछ देर तक दिव्या को ऐसे ही चोदता रहा और उसकी चूचियों को नोचता रहा।पर सारा चाहती थी कि अब्बू दिव्या को और बेदर्दी से चोदे।ये बात अमजद भी समझ गया था,पर वो ये नहीं समझ पाया था कि सारा ऐसा क्यों चाहती है।

अमजद ने सोचा अगर मेरी रंडी बेटी चाहती है कि उसका बाप दिव्या को और बेदर्दी से चोदे, तो मैं आज दिव्या की हालत खराब कर दूंगा।

अमजद ने एक से दिव्या के बालों को पकड़ा और पीछे खींचा,दूसरे हाथ से दिव्या की गांड पे जोर जोर से थपड़ मारने लगा।और चोदने की स्पीड इतनी तेज थी कि जैसे अमजद इंसान नहीं कोई मशीन हो। 10 मिनट तक अमजद दिव्या की गांड पर थप्पड़ मारकर चोदता रहा।एक तो अमजद दिव्या की गांड पर थप्पड़ इतनी जोर जोर से मार रहा था और वो भी दस मिनट तक,दिव्या के सफेद चूतड़ लाल हो गए थे,ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने बेल्ट से बड़ी बेरहमी से मारा हो।
कल की चुदाई से दिव्या जान गई थी कि अमजद को चुदाई के वक्त लड़की को दर्द देने में मजा आता है।और दिव्या को भी बेदर्दी से चुदने में मज़ा आता है।पर जिस तरीके से अमजद आज दिव्या को चोद रहा था,उससे 18 साल की मासूम दिव्या को बहुत दर्द हो रहा था।पर अमजद ने एक बार की चुदाई में दिव्या को ऐसा चुदक्कड़ बना दिया था कि इस 40 मिनट की चुदाई में दिव्या तीन बार झड़ चुकी थी।उसे दर्द में भी बहुत मजा आ रहा था। इस वक्त दिव्या के मुंह से जैपनीज पोर्न स्टार की तरह आवाजे निकल रही थी जो अमजद को और जोश दिला रही थी।
(साले ये जैपनीज चूत को बलर क्यूं करते हैं,पर कुछ भी हो साली जैपनीज लड़कियां चुदाई के वक्त अजीब तरीके से चिल्लाती है तो मजा बहुत आता है)

अमजद सारा की आंखों में देखकर दिव्या को बेरहमी से चोद रहा था उसे जुल्म ढा रहा था,पर साली सारा थी कि उसे सारा के दर्द से फर्क नहीं पड़ रहा था,सारा तो बस अपने अब्बू की मर्दानगी देख कर मुस्करा रही थी और बेशर्मी से अपनी चुचियों को मसल रही थी,अपनी उंगली को ऐसे चाट और चूस रही थी जैसे अपने अब्बू का लोड़ा हो।

करीब 40 मिनट की चुदाई के बाद दिव्या की तो हालत खस्ता हो गई थी,अमजद को भी आज जोश कुछ ज्यादा ही चढ़ा हुआ था तो वो भी झड़ने वाला था। तभी दिव्या का बदन अकड़ने लगा ओर वो बुरी तरीके से झड़ गई,तो अमजद ने भी अपना लोड़ा दिव्या की चूत से निकाला और फूल जैसी दिव्या को उठाकर टेबल पर उल्टा सुला दिया।अब दिव्या का मुंह अमजद की तरफ था और गांड सारा की तरफ,सारा को दिव्या की चूत भी दिखाई दे रही थी।सारा ने दिव्या की गांड देखी तो वो मुस्कराने लगी,दिव्या की गांड पर अमजद ने थप्पड़ मार मारकर लाल टमाटर बना दिया था।अमजद ने देखा सारा दिव्या की गांड को देखकर मुस्करा रही है,अमजद को दिव्या को इतना दर्द में देखकर सारा को खुश होते देख अजीब तो लगा,पर उसे मजा भी बहुत आ रहा था सारा की इस हरकत पर।अभी अमजद कुछ पूछना नहीं चाहता था।वैसे भी 40 मिनट से अमजद दिव्या को चोद रहा था,पर तीनों कोई बात नहीं हुई।दिव्या तो बस मजे और दर्द से चिल्लाए जा रही थी,पर अमजद और सारा आंखों ही आंखों में एक दूसरे से बात कर रहे थे।

अमजद ने दिव्या कामरस से सना लोड़ा अपने हाथ में पकड़ा और दिव्या के बाल पकड़कर सारा की आंखों में देखकर पूरा लोड़ा दिव्या के मुंह में डाल दिया।और दिव्या का मुंह चोदने लगा।
अमजद दिव्या का मुंह चोदते हुए सारा को आंखों से इशारा करते हुए कह रहा था कि देखले मेरी रंडी बेटी रात को ऐसे ही तेरा मुंह चोदूंगा।सारा भी अपनी उंगली को चूसते हुए इशारा करते हुए कह रही थी कि चोद लेना अपनी सगी मासूम बेटी का प्यारा मुंह।

और दिव्या चार बार झड़ चुकी थी उसे अब तकलीफ हो रही थी।उसके मुंह से लारे बह रही थी और गूं गूं गूं गूं गूं गूं की आवाजे निकल रही थी।
अब अमजद से बर्दास्त नहीं हो रहा था,उसके टट्टे फूलने लगे।अमजद बेरहमी से दिव्या का मुंह चोदते हुए दिव्या के मुंह में झड़ने लगा।अमजद के माल से दिव्या का मुंह भर गया,दिव्या अमजद का सारा माल पी गई ।अमजद ने अपना लोड़ा बाहर निकाला और मुट्ठी में पकड़कर हिलाया तो लोड़े से दो तीन बूंदे दिव्या के गाल और नाक पर गिरी।

अमजद ने अपने कपड़े उठाए और नंगा ही बाथरूम की तरफ चला गया।

अमजद तो बाथरूम चला गया।दिव्या अब भी टेबल पर पड़ी हुई हांफ रही थी।दिव्या की सांसे थोड़ी दुरुस्त हुई तो वो उठी और टेबल पर बैठ गई।
सारा दिव्या के पास ही खड़ी मुस्करा रही थी।

सारा:कैसा लगा मेरी रांड को मेरे अब्बू का संस्कार।

दिव्या:साली कुतिया,मैं तेरे बाप की रांड हूं तेरी नहीं।समझी।और कामिनी रंडी तुम्हारे अब्बू मेरी चूत,मेरी गांड और मेरी चुचियों का कचूमर निकाल रहे थे,मैं दर्द से तड़प रही थी और तू अपने अब्बू की तरफ देख मुस्करा रही थी।तुझे मेरे पे तरस नहीं आ रहा था।

सारा:भूल मत साली,तू एक रंडी है।रंडियों को दर्द दिया जाता है,उन पे रहम नहीं किया जाता।एक रंडी को अपने मालिक को खुश करने के लिए दर्द सहना पड़ता है। दर्द सहने की ताकत नहीं थी तो रंडी बनी ही क्यों।

दिव्या:कुतिया,मुझे मालिक से कोई गिला नहीं है,मालिक जितना मुझे दर्द देंगे उतना उन्हें मजा आएगा।और अगर मालिक को मजा आएगा तो वो अपनी रंडी को भी मजा देंगे। और रही बात दर्द सहने की तो सुन कुतिया, मैं मालिक की रंडी हूं इसलिए दर्द बर्दास्त नहीं कर रही,बल्कि मुझे चुदाई में दर्द पसंद है इसलिए रंडी बनी हूं।मालिक का गालियां देना,मालिक का जलील करना,डोमिनेट करना,बेरहमी से चोदना मुझे बहुत अच्छा लगता है।मुझे बहुत मजा आता है।किसी की रंडी,रखैल,गुलाम और पालतू कुतिया बन कर चुदने में जो मजा है,वो साधारण चुदाई में कहां।

सारा:मेरे अब्बू की रखैल,ये तो तूने बिलकुल सही कहा।तू मेरे अब्बू की स्टूडेंट है,तुझे अपने प्रिंसिपल की रंडी बनकर मजा आ रहा है,और अब्बू को तुझे तुझे अपनी रंडी बनाकर चोदने में मज़ा आ रहा है।तो सोच, मैं उनकी सगी बेटी हूं और एक बाप अपनी सगी बेटी को अपनी रंडी बनाकर बेरहमी से चोदेगा,एक बाप अपनी सबसे छोटी बेटी को गालियां देगा,अपनी सगी बेटी को जलील करेगा।जिस बेटी को अपनी गोद में बिठाकर खिलाया,उसी बेटी की चूत में अपना 10 इंच लोड़ा डालकर उसे गोद में कूदने को कहेगा।जिस बेटी के सर पे हाथ रख कर उसे दुलार किया उसी बेटी की गांड में अपना बड़ा लोड़ा घुसाकर उसकी गांड मारेंगे।जिस बेटी को कंधे पर बिठाकर सारा गांव घुमाया,उसी बेटी को अपने लोड़े पर बिठाकर घुमाएंगे।सोच रंडी सोच,तब मुझे कितना मजा आएगा।

दिव्या: हाए साली कुतिया,तेरी ऐसी बातें सुनकर मुझे मजा आ रहा है,तो तुझे तो मजा आएगा ही।काश मेरा बाप भी तेरे अब्बू की तरह असली मर्द होता और मुझे अपनी रंडी बनाकर चोदता।

सारा:क्यों तेरा बाप मर्द नहीं है।उसके पास लोड़ा नहीं है क्या।तेरा बाप नामर्द है क्या।

दिव्या:मेरा बाप मर्द तो है,पर मेरे बाप के पास लोड़ा नहीं लंड है। मैं यकीन के साथ कह सकती हूं कि दूर दूर तक किसी भी गांव में मालिक के लोड़े जैसा लोड़ा नहीं होगा।अरे लड़की को कोई भी चोद सकता है,पर जो मजा मालिक दे सकते है वो मजा कोई भी आम आदमी नहीं दे सकता।

सारा:हां ये बात तो है,वरना सगी बेटी अपने अब्बू की रंडी नहीं बनती।एक बात बता तूने कभी तेरे बाप को तेरी मां को चोदते देखा है।

दिव्या:अरे नहीं रे,कभी नहीं देखा।पर मालिक से चुदने के बाद इतना तो जान चुकी हूं कि मेरा बाप अब मेरी को नहीं चोदता होगा।और चोदता भी होगा तो ठीक से चोद नहीं पा रहा होगा।

सारा:तुझे कैसे पता कुतिया।

दिव्या:देख, मैं जबसे मालिक से चुदी हूं तबसे मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।आज सुबह जब उठी तो मां ने कहा कि क्या बात है बेटी आज नहाए धोए बिना चेहरा चमक रहा है।

सारा: हां ये बात तो है,अब्बू ने रात को मुझे बिना चोदे ही मजा दिया,उससे मेरा दिल खुशी से नाच रहा है,और जब चोदेंगे तो मैं खुशी कैसे छुपा पाऊंगी।

दिव्या:ये ही तो मैं कह रही हूं।मेरी मां को अगर मेरा चोदता होगा तो उसके चेहरे पर भी चमक होती।पर मेरी मां का चेहरा देख कर मुझे लगता है वो चुदाई के लिए तरस रही है।

सारा:साली इतनी ही अपनी मां की फिक्र है तो चुदवाले किसी से।

दिव्या:किस से चुदवाऊं अपनी मम्मी को।वैसे भी मेरी मम्मी बहुत संस्कारी है,वो बाहर किसी से नहीं चुदेगी।

सारा:हरामजादी कुत्तिया,किसी बाहर वाले से नहीं चुदवाने को बोल रही हूं।मेरे अब्बू से चुदवाले,अपने मालिक से चुदवाले।तेरी मां को मेरे अब्बू की रखैल बना ले।इससे तेरा भी फायदा है,तू अपने मालिक को एक रंडी देगी और मालिक तुझसे खुश हो जाएंगे।एक रंडी का फर्ज होता है अपने मालिक को खुश करना।

दिव्या:साली तू कितनी कमिनी है।क्या सोच है तेरी।बिलकुल अपने अब्बू पर गई है।

सारा:क्यों मेरी सोच तुझे अच्छी नहीं लगी?मैने तेरी मां को अपने अब्बू की रंडी बनाने को कहा तो तुझे बुरा लगा?


दिव्या:(हंसते हुए)मेरा चेहरा देख के तुझे लगता है मुझे बुरा लगा होगा।पर मेरी मम्मी बहुत संस्कारी है,वो शायद चुदवाले मालिक से पर रंडी नहीं बनेगी।

सारा:साली तुझे पता नहीं है ,इन संस्कारी औरतों के अंदर भी एक रंडी छुपी होती है,बस इनके अंदर की रंडी को जगाना पड़ता है।तूने कभी सपने में भी सोचा था कि हम दोनों मेरे अब्बू की रंडियां बनेगी।तू तो मेरे अब्बू को बिलकुल पसंद नहीं करती थी पर आज देख उनकी पालतू कुत्तिया बनी हुई है।तुझे याद कुछ देर पहले जब हम तीनों डबल मीनिंग में बातें कर रहे थे,तब अब्बू ने सारे गांव की लड़कियों को अपनी रंडी बनाने की बात बोली थी।तो अगर हमारे मालिक की इच्छा है सबको अपनी रंडियां बनाने की, तो हम रंडियां का फर्ज है अपने मालिक की इच्छा पूरी करना।मैं तो अपने मालिक की इच्छा जरूर पूरी करूंगी,उसके लिए मुझे कितना भी नीचा गिरना पड़े।

दिव्या:हेलो मैडम,मैं नहीं बोल रही। मैंने भी सुना था जो मालिक ने कहा था।मैं भी मालिक की इच्छा पूरी करूंगी।पर मेरी मम्मी साली कुछ ज्यादा ही संस्कारी है।हमेशा मुझे छोटे और टाइट कपड़े पहनने से मना करती है।पर अब जब मालिक की इच्छा है तो सबसे पहले साली मेरी मम्मी को अपने मालिक की रंडी बनाऊंगी।साली मुझे छोटे कपड़े पहनने से रोकती है,अब साली कुतिया को नंगी ही रखूंगी।रंडी को नंगा नचाऊंगी।

सारा:ये हुई ना रंडी वाली बात।पर तेरी संस्कारी मां को रंडी बनाएगी कैसे।मैं कुछ आईडिया दूं।

दिव्या: कुत्तिया भूल मत मैं भी रंडी हूं।तेरा आईडिया रख तेरी गांड में।रही मेरी संस्कारी मम्मी को रंडी बनाने की,तो उसके साथ ऐसा खेल खेलूंगी कि वो कुत्तिया लंड के लिए भीख मांगेगी।मुझसे मालिक की रंडी बनने के लिए मिन्नते करेगी।

सारा:ऐसा क्या करेगी बिचारी के साथ।मुझे भी बता।

दिव्या:वो तो तुझे तब बताऊंगी जब तू मेरी संस्कारी मम्मी को मालिक से रंडी बनकर चुदते देखेगी।तब पूछना कुत्तिया को रंडी कैसे बनाया। पर तू ये बता कि एक रात में ही तू रंडी कैसे बन गई।अपनी रात की कहानी बता।

सारा:अभी नहीं।जब अब्बू मेरी चूत और गांड फाड़कर,मुझे अपनी पक्की रंडी का दर्जा देंगे तब बताऊंगी।अब तू अपना हुलिया ठीक कर।साली देख अभी अब्बू का माल तेरे चेहरे पर लगा है।कुतिया अब्बू का पूरा माल पी गई,थोड़ा तो अपने मुंह में मेरे लिए रख लेती,पूरा गटक गई कमिनि।

दिव्या:पूरा कहां। दो चार बूंदे तो मेरे फेस पर है ना।मालिक ने तेरे लिए ही मेरे मुंह पर गिराई थी।चल चाट ले कुतिया।

सारा कहां पीछे हटने वाली थी।उसने अपनी जीभ निकाली और दिव्या के गालों पर लगे अमजद के वीर्य को चाटने लगी।दिव्या के नाक और होठ पर माल लगा हुआ था, सारा दिव्या के होठ और नाक पर लगे माल को चूसने लगी।दिव्या और सारा को ऐसा करने में बहुत मजा आ रहा था।
अमजद बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा इन दोनों का रंडीपना देख रहा था और मन में बोल रहा था:ये दोनों रंडियां मुझे पक्का इंसान से शैतान बना देगी।मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं ऐसी कमसिन कलियों को चोदूंगा।पर अब ये मासूम कलियां मेरी रंडी बन चुकी है तो इनका मजा लूंगा और इनको भी मजा दूंगा।

सारा ने दिव्या के चेहरे अमजद का सारा वीर्य चाट लिया।फिर दिव्या ने कपड़े पहने और बाथरूम जाकर अपना मुंह धोया,बाल ठीक किए।अमजद भी बाथरूम से आ चुका था।थोड़ी देर बाद दिव्या भी अपना हुलिया ठीक करके आ गई।
अब तीनों में से कोई बोल नहीं रहा था बस एक दूसरे को देखकर मुस्करा रहे थे।

अमजद ऑफिस से बाहर निकला तो उसने देखा बहुत जोरों की बारिश हो रही थी।स्कूल के ग्राउंड में भरे पानी से पता चल रहा था कि बारिश काफी देर से हो रही थी।अमजद सारा और दिव्या चुदाई में व्यस्त थे,उन्हें बरसात का पता ही नहीं चला।एक टीचर अमजद के पास आया।उस टीचर से अमजद को पता चला कि बारिश पिछले 1 घंटे से बारिश हो रही है और आधा घंटा पहले स्कूल की छूटी भी हो गई।बारिश की वजह से स्टूडेंट रुके हुए है।

थोड़ी देर बाद सारा और दिव्या भी ऑफिस बाहर आ गई।अमजद ने सबसे कहा ये बारिश रुकने वाली है नहीं।यहां खड़ा रहने से अच्छा है घर चले जाए।थोड़ा भीगेंगे तो कोई बात,घर जाकर कपड़े चेंज कर लेंगे।

दिव्या अपने घर,सारा और अमजद अपने घर और बाकी सब अपने अपने घर की तरफ भागते दौड़ते चले गए।

दोस्तों अभी के लिए इतना ही।अब अगले अपडेट में पता चलेगा कि सारा और अमजद घर जाकर क्या कांड करते है।
 
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sunoanuj

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Bhaut hi behtarin updates… ek jabardast vapsi ki hai mitr ….
 
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Ek number

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अपडेट 19.

सारा और दिव्या दोनों अमजद के सामने खड़ी हो गई।

दिव्या: (अमजद से) सर आपने हमें बुलाया।

अमजद ने अपनी दोनों रैंडियों की तरफ देखा, और अमजद समज गया की मेरी दोनों रंडिया चुदने आई थी। पर इस दूसरे शखस का यहां होना इन दोनों रैंडियों को पसंद नहीं आया।

अमजद: हां बेटी दिव्या तुम दोनों को काम से ही बुलाया है। पर पहले अपने पापा से तो मिल लो।

तो दोस्तों ये शख्स कोई और नहीं गोविंद चौधरी था गांव का सरपंच और दिव्या का बाप।
और दिव्या को पहली बार अपने पापा को देखकर खुशी नहीं हुई। ये बात गोविंद ने भी नोटिस की।

गोविंद: दिव्य बेटा क्या बात है आज अपने पापा को देखकर खुशी नहीं हुई, हमेशा तो आके सीधा गले लग जाती हो। आज तो देखा भी नहीं।

दिव्या : पापा डिसिप्लिन नाम की कोई चीज होती है। ये स्कूल है हमारा घर नहीं। और रही बात आपको देख कर खुश होने की। तो मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं। आपको देखकर हमेशा खुश होती हूं, और आज भी हूं। पर इस समय मैं एक स्टूडेंट हूं, और एक स्टूडेंट अपने गुरु के सामने ऊटपटांग हरकत नहीं करता।

गोविंद: वाह क्या बात है मेरी बेटी तो बहुत समझदार हो गई है। मुझे तुम्‍पे गर्व है बेटी। अचानक इतनी समझदारी कहां से आ गई।

दिव्या : जिस स्कूल के प्रिंसिपल अमजद अंकल जैसे हो, उस स्कूल के स्टूडेंट्स समझदार हो ही जाते हैं। ये सब इनकी मेहनत का नतीजा है।

गोविंद: इस बात से तो मैं भी सहमत हूं कि ये एक अच्छे गुरु हैं। इनके जेसा प्रिंसिपल मैंने आजतक नहीं देखा।

अमजद: सरपंच साहब ऐसी कोई बात नहीं है। मैं तो सिर्फ अपना कर्म कर्ता हूं। जो करता हूं बच्चों के भले के लिए करता हूं।

फिर जब गोविंद की नज़र सारा पर गई तो गोविंद उसकी कामुक जवानी देख कर देखता रह गया। साली सारा थी ही ऐसी जो भी देखता देखता रह जाता |
अमजद ने भी जब देखा कि गोविंद उसकी बेटी को गंदी नजर से देख रहा है तो अमजद मुस्कराने लगा I

अमजद : ( मन में ) देख साले मेरी बेटी को जी भर के देख ले । तू मेरी बेटी को सिर्फ़ देख सकता है हाथ नहीं लगा सकता , पर मैं तेरी बेटी को अपनी रंडी की तरह चोदता हूं और जिंदगी भर चोदूंगा। तेरी आँखों के सामने चोदूँगा।

अमजद : सरपंच साहब ऐसे क्या देख रहे हो, ये मेरी बेटी गुडिया सारा है।

गोविंद : अरे ये सारा है। मैंने तो पहचाना भी नहीं , दो साल बाद जो देखा है। कितनी बडी हो गई है ।

सारा ने भी नोटिस किया कि गोविंद उसकी चुचियाँ को घूर रहा है |

सारा: अंकल मैं कहाँ बडी हो गई हूँ। मेरी और दिव्या की उम्र सेम है, देखो दिव्या को क्या ये बड़ी हो गई है ।

अमजद: अरे ये सब छोड़ो पहले काम की बात करते हैं । बेटी तुम दोनों बैठो कुर्सी पर ।

सारा और दिव्या दोनो अमजद के सामने गोविद के अगल बगल कुर्सी पर बैठ गई ।

दिव्या: बोलिए अंकल क्या काम था हम दोनों से |

अमजद: दरअसल बात ये है कि स्कूल का कोई सरकारी काम है आया है। गोविंद जी चाहते है कोई स्टूडेंट इनकी काम में मदद करें। इसलिए तुम दोनों सरपंचजी की हेल्प करो।

सारा: हम अंकल की जरूर मदद करेंगे। बताइए क्या काम है।

अमजदः अरे बेटी अभी नहीं 10 दिन बात तुम्हारी जरूरत है। तुम दोनों अपने साथ 8, 10 स्टूडेन्ट जोड़ लो, दस दिन बाद गोविंदजी आप लोगों को काम बता देंगे । अब तुम दोनों जाओ मैं और गोविंदजी कुछ गप्पे मारते है।

अमजद की बात सुनकर दिव्या और सारा मुंह लटकाकर जाने लगी । दोनों ने सोचा था अमजद उनके साथ मजा करने के लिए बुलाया है। पर दोनों को ऐसे ही वापिस भेज रहा है।

दोनों का उतरा हुआ मुँह देख कर अमजद समझ गया कि दोनों क्या चाहती है। फिर अमजद के दिमाग में एक शैतानी आईडिया आया ।

अमजद: अरे रुको दोनो |

सारा दिव्या एक साथ : जी कहिए।

अमजद : वो बेटा दरअसल पिउन की बीबी की तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए तुम दोनों को बुलाने के बाद वो घर चला गया | तो तुम दोनों को ऐतराज ना हो तो थोडा आफिस काम कर दोगी।

दिव्याः अरे अंकल आप हमारे गुरु है। और आप सारा के पापा है तो मेरे भी पापा जैसे है I आप कहिए हम कुछ भी करेंगे ।

अमजद: बेटी कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। बस थोड़ा सा काम है। ( एक तरफ इशारे करते हुए] वो जो फाईले रखी हुई है ' उन फाईलों को साफ करके उस तरफ रखना है । और बहुत सारी फाईलें टेबल के नीचे पड़ी है कबसे , इनको निकाल कर साफ करके उधर रखनी है | अगर कर सकती हो तो ठीक है नहीं तो 4 दिन बाद जब पिउन आएगा तब करवा लुंगा l

सारा: अब्बू ये तो हमारे लिए खेल जैसा है, हम तो खेलते - खेलते कर देंगे। क्यूँ दिव्या .

दिव्या: हाँ क्यूं नहीं । चलो फिर शुरू करते हैं |

गोविंद: ये हुइ ना अच्छे बच्चों वाली बात ।

दिव्याः पापा अब हम बच्चे थोड़ी हैं , प्रिंसीपल अंकल ने हमें समझदार बना दिया है।

गोविंद: ( खुश होते हुए) इसलिए तो तुम्हें भेजता हूँ, तुम्हारे प्रिसीपल अंकल के पास। मुझे तो डर था कि कहीं तुम्हारा बचपना ऐसे ही रहेगा। पर अब लगता है तुम्हारे पिंसीपल अंकल तुम्हें समझदार बनाकर ही रहेंगे।

अमजद: (शरारती अंदाज में ) अरे गोविंदजी मैं तो बस थोड़ा बहुत डिसीप्लीन ( रंडीपना) सिखा देता हूँ I बाकी ये बच्चियाँ बहुत समझदार ( चुद्दकड़ ) है, अपने आप सीख जाती हैं।

साराः चलो दिव्या मेडम काम पर लगते है ।

अमजदः गुड़िया तुम वो इधरवाली फाइले साफ करके सामने रखो और दिव्या बेटी तुम ये टेबल की नीचे वाली फाईल साफ करो l दिव्या बेटी आराम से टेबल के नीचे आ जाएगी, गुडिया तुम यहाँ फिट नही होंगी।

सारा: (झूठा नाराज होते हुए) अब्बू आपका मतलब मैं मोटी हूँ।

अमजदः अरे नहीं मेरी गुड़िया ऐसा कौन बोला | तुम तो हेल्थी हो।

फिर सब हसने लगे। गोविंद भी हस रहा था।
सारा अपने काम में लग गई और दिव्या अमजद के पास जाके खड़ी हो गई।

अमजद के ओपिस का टेबल बहुत बड़ा था और उसकी ऊँचाई जब अमजद कुर्सी पर बैठता था तो सीने तक थी।
अमजद अपनी पहियों वाली कुर्सी थोड़ी सी पीछे सरकाई और दिव्या से बोला
अमजद: ( अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए ) ये वाली फाइल को बहार निकाल कर साफ करो l

दिव्या अमजद की बात सुनकर खुश हो गई कि वो अमजद का लंड चुसेगी । दिव्या को अपने बाप के यहाँ होने से कोई फर्क नहीं पड़ा। और दिव्या फट से नीचे बैठ गई।
सारा दिव्या के चेहरे की खुशी देख के समझ गई कि अब्बू दcया से कौनसी फाईल साफ करने को बोल रहे हैं । सारा भी मुस्कराने लगी । और फाईलो से खेलने लगी।

अमजद गोविन्द से बातें करने लगा ।

दिव्या नीचे बैठ कर अमजद की पेंट की चैन खोलकर उसका लौड़ा बाहर निकालने लगी।

दिव्या ने अमजद का लोड़ा बाहर निकाला और लोड़े से खेलने लगी।
अमजद का लोड़ा तो इस बात से खड़ा हो गया था कि एक बेटी अपने बाप के सामने मेरे लंड से खेल रही है।

थोड़ी देर दिव्या अमजद के लोड़े से खेलती रही,फिर अमजद ने दिव्या के बाल पकड़ कर उसका मुंह अपने लोड़े के पास लाया और दिव्या के गाल अपने लोड़े पर रगड़ने लगा और गोविंद से हस हस कर इधर उधर की बाते करने लगा।

अमजद:गोविंद जी आप बहुत लकी है कि दिव्या आपकी बेटी है,दिव्या बेटी जितनी खूबसूरत और इंटेलीजेंट है उतनी समझदार और संस्कारी है,मेरी कोई भी बात नहीं टालती मेरी हर बात मानती हैं।

अमजद ने इतना बोलकर अपना लोड़ा पकड़कर दिव्या के गालों पर और होठों पर मारने लगा।

गोविंद अपनी बेटी की तारीफ सुनकर खुश हो गया।

गोविंद:(सारा की बड़ी गांड को घूरते हुए) हां प्रिंसिपल साहब ये बात तो आपकी सही है।और सारा बिटिया भी सुंदर और होशियार होने के साथ साथ नेक और समझदार बेटी।

गोविंद की बात सुनकर अमजद ने अपने लौड़े का सुपाड़ा दिव्या के मुंह में डाल दिया। और दिव्या लोड़ा चूसने लगी।
और अमजद सारा की तरफ देखा तो सारा दिव्या को लोड़ा चूसते हुए देख रही थी,और अपने होठों पर जीभ फिरा रही थी।
अमजद जान गया था कि सारा सब देख रही है तो अमजद ने अपनी नज़र घुमा ली।अमजद चाहता सारा दिव्या को मेरा लोड़ा चूसते हुए देखे,पर मैं अनजान बनने का नाटक करूंगा,अगर मैने सारा की तरफ देखा तो वो अपनी नजर घुमा लेगी।

अमजद: हां ये बात तो आपने सही कही हमारी दोनों बेटियां हैं नेक(रंडी) और संस्कारी(चुदक्कड़)है।बाकी लोगों का पता नहीं पर दोनों मेरी बहुत इज्जत करती हैं,और मैं दोनों से बहुत प्यार(चुदाई) करता हूं,जितना प्यार(गंदी बातें) मैं गुड़िया से करता हूं उतना ही प्यार(चुदाई) मैं दिव्या बेटी से करता हूं।अरे मैं तो दिव्या बेटी को अपनी सगी बेटी(रंडी) जैसी ही मानता हूं।(दिव्या से)बेटी दिव्या फाइल(लंड) को पूरा साफ करो,कचरा जरा भी नहीं रहना चाहिए।

और अमजद ने दिव्या का सर पकड़ कर अपना पूरा लंड उसके मुंह में डाल दिया,और दिव्या किसी पोर्नस्टार की तरह लोड़ा चूसने लगी।

क्या सीन था यारों, कितना उत्तेजक दृश्य था।
एक बेटी अपने बाप के सामने एक अधेड़ उम्र के आदमी का लोड़ा किसी रंडी की तरह चूस रही थी।
और एक बाप अपनी बेटी की उम्र की लड़की को अपना भौकाली लौड़ा चुसवा रहा था और अपनी सगी बेटी को दिखा रहा था,जैसे कह रहा हो मेरी प्यारी रंडी बेटी दूर से क्या देख रही है,तू भी आकर अपने अब्बू का काला लौड़ा चूस।

अमजद को तो इस बात से ज्यादा मजा आ रहा था कि साला गोविंद मेरे सामने बैठ कर मुझसे गप्पे लड़ा रहा और इसकी सगी बेटी मेरा लोड़ा चूस रही है।

अमजद दिव्या को अपना लोड़ा चुसवा रहा था और एक हाथ से दिव्या की मौसमी जैसी चूचियां दबा रहा था।

फिर अमजद ने दिव्या की टी शर्ट की तरफ इशारा किया और बोला:इस फाइल का कवर(टॉप) निकल दो बेटी।

दिव्या ने टॉप स्कर्ट पहना हुआ था।
गांव में सबसे मॉडर्न कपड़े दिव्या ही पहनती थी ये बात आप लोगों को कहानी में पहले बता चुका हूं।

और दिव्या किसी पालतू कुत्तिया की तरह अमजद का हुकुम मानते हुए ।

दिव्या:जी अंकल अभी निकालती हूं।

और दिव्या ने किसी बेशर्म रंडी की तरह मुस्कुराती हुई अपना टॉप उतारने लगी।

दिव्या ने अपना टॉप निकाल दिया।उसने ब्रा नहीं पहनी थी तो उसकी छोटी छोटी खूबसूरत चूचियां नंगी हो गई ।
सारा पास में खड़ी सब देख रही थी। दिव्या को अपने सगे बाप के पास होते हुए अमजद के कहने पर अपना टॉप उतारते देख सारा को दिव्या की बेशर्मी से ताजुब नहीं हुआ।क्योंकि सारा जानती थी उसका बाप अमजद क्या चीज है।जो इंसान दो साल बाद घर लौटी अपनी सगी बेटी को एक रात में अपनी रखैल बना सकता है तो दिव्या तो उसकी स्टुडेंट है।

दिव्या:(अपनी नंगी चूचियां दिखाते हुए)ये देखिए अंकल मैने कवर(टॉप) निकाल दिया अब बुक(चूचियां) कैसी लग रही है।

अमजद ने अपना लोड़ा दिव्या के मुंह में डाल दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा।

अमजद: अरे बेटी बुक (चूचियां) तो बिना कवर के(नंगी) ही अच्छी लगती है। कवर (कपड़े) तो सिर्फ सेफ्टी के लिए लगाते हैं। क्यों गोविंद जी मैने सही कहा ना।

बेवकूफ गोविंद अमजद की हां में हां मिला रहा था,इस बात से अनजान कि उसकी मासूम बेटी रंडी बन कर अमजद का लोड़ा चूसने में लगी।

दिव्या मजे से अमजद का लोड़ा चूस रही थी और अचानक उसकी निगाह सारा की तरफ गई ,सारा दिव्या की तरफ देखकर मुस्करा रही थी और दिव्या को आंख मारी।दिव्या ने अमजद का लोड़ा अपने मुंह से निकाल कर सारा की तरफ देखा और बड़ी कामुकता से मुस्करा कर,सारा की तरफ देखते हुए अमजद के लंड को चाटने लगी।और सारा की तरफ इशारा किया:चुसेगी।

सारा ने इशारा किया: बाद में।

थोड़ी देर अमजद और गोविंद इधर उधर की बाते की।

फिर अमजद को गोविंद की बातों में मजा नहीं आ रहा था,उसे अभी दिव्या को चोदना था।इसके लिए गोविंद को यहां से भेजना जरूरी था।तो अमजद ने टेबल पर पड़ी एक बुक को पढ़ने लगा।
गोविंद थोड़ी देर बात करता रहा फिर उसे लगा उसे निकलना चाहिए।

गोविंद: अच्छा प्रिंसिपल साहब मैं चलता हूं,फिर मिलेंगे अभी मुझे कहीं जाना है,आप भी अपना काम कीजिए।

गोविंद(दिव्या से):अच्छा बेटी मैं चलता हूं।प्रीसिपल साहब जो भी काम करने को बोले वो कर देना,शिकायत का मोका मत देना।

अमजद ने दिव्या को टॉप दिया।

दिव्या पहले अमजद का लोड़ा चूसना बंद किया और टॉप से अपना मुंह साफ किया,क्योंकि दिव्या काफी देर से अमजद का लंड चूस रही थी तो उसका अपना थूक होठों से बह रहा था उसे साफ किया और टॉप पहन लिया और खड़ी हो गई।

दिव्या:पापा आप फिक्र मत कीजिए, मैं अंकल की हर बात मानूंगी,इनकी बात मानना मेरा फर्ज है।आखिर ये मेरे गुरु(मालिक)है और मैं उनकी शिष्या ( रखैल) हूं। मैं इनको शिकायत का मौका नहीं दूंगी,हां अगर मुझसे कभी गलती से कोई गलती हो गई तो अंकल जो भी सजा देंगे तो मुझे कोई अफसोस नहीं होगा।

गोविंद:मुझे तुमसे ये ही उम्मीद थी बेटी।तेरी मां तो खामखा मुझसे कहती हैं कि मैं तुझे बिगाड़ रहा हूं।

गोविंद अपनी बेटी दिव्या के सर पर हाथ रख कर और अमजद को नमस्ते बोलके अपने घर की तरफ चल दिया।

अब गोविंद तो चला गया।पर यहां अमजद का हाल बुरा था,उसका लंड सुबह से खड़ा था और दिव्या ने चूस चूस कर और भी टाइट कर दिया था।उसे अब दिव्या को किसी भी हालत में चोदना था।पर सारा के होते हुए शुरू कहां से करे।
दिव्या भी अमजद का लंड चूसने से और अमजद के द्वारा चूचियां दबाने से ज्यादा गर्म हो गई थी, तो उसे भी चुदना था।
अब दोनो उलझन में थे।
ये नहीं था कि सारा के सामने दिव्या को चुदने में और अमजद को चोदने में शर्म आयेगी,ना ही सारा को इनकी चुदाई देखने में शर्म आएगी।दरअसल बात ये थी कि शुरू कैसे करें।

तीनों चुपचाप थे,कोई बात नहीं कर था।

कहते हैं ना जब हवस इंसान पे हावी हो जाती है तो इंसान चुदने,चोदने और चुदवाने का रास्ता निकाल ही देता है।।

सारा को पता था कि ये दोनो चुदाई किए बगैर रहने वाले है नहीं, तो क्यूं ना इनका मिलन करा देती हूं।
मैने भी किसी को चुदते हुए नहीं देखा है,और ये भी देख लूंगी कि दिव्या कितनी बड़ी रंडी है।

तो सारा ने इनकी चुदाई का कार्यक्रम शुरू करने का एक आईडिया निकाला।

सारा अपना काम छोड़कर,जिस कुर्सी पर गोविंद बैठा था उस कुर्सी पर आकर बैठ गई।

सारा:(मुस्कराते हुए) तो दिव्या तुम्हारा काम हो गया या फिर बाकी है।

दिव्या समझ गई कि सारा किस काम की बात कर रही है।

दिव्या:(कामुकता से) अभी कहां हुआ है,अभी तो ठीक से शुरू भी नहीं हुआ,क्यूं अंकल मैं सही कह रही हूं ना।

अमजद दिव्या की गांड पे हाथ फेरते हुए:हां मेरी प्यारी बेटी दिव्या तुम सही कह रही हो,अभी काम कहां पूरा हुआ है।

सारा:(आंखे मटकाते हुए)वाह क्या बात है,मेरी प्यारी बेटी दिव्या!
आपकी प्यारी बेटी मैं हूं या दिव्या।

अमजद भी समझ गया कि सारा खेल को आगे बढ़ाना चाहती है।

अमजद:अरे दिव्या भी मेरी बेटी जैसी ही है।जैसे मैं तुमसे प्यार करता हूं वैसे ही दिव्या बेटी से प्यार करता हूं।

दिव्या:(तपाक से)हां सारा अंकल मुझे भी उतना ही प्यार करते है ,जितना तुमसे करते हैं।क्यूं तुम्हे जलन हो रही है।

और दिव्या मुस्कराने लगी।

सारा भी कुटिल मुस्कान के साथ:जलन नहीं तरस आता है तेरे पे।

दिव्या:तरस क्यूं आ रहा है मुजपे! मैं समझी नहीं।

सारा:वो इसलिए कि अब्बू मुझे बचपन से प्यार करते आ रहे हैं, और तुझे बचपन में मेरे प्यारे अब्बू का प्यार नहीं मिला।

अमजद तो बहुत बड़ा हरामी था, वो समझ गया कि सारा क्या चाहती है।सारा की चालाकी देखकर अमजद को अपनी बेटी पे बहुत प्यार आ रहा था।

अमजद:अरे तो क्या हुआ गुड़िया,जैसे मैं तुमसे बचपन में प्यार करता था,वैसे ही मैं अब दिव्या बेटी से प्यार कर सकता हूं,क्यूं बेटी दिव्या कर सकता हूं ना।( मुस्कराते हुए)

दिव्या:(खुशी से)हां हां अंकल कर सकते हैं।

सारा: अरे दिव्या बचपन में मुझे प्यार करते थे ऐसे तुमसे प्यार कैसे कर सकते हैं।

अमजद: क्यूं नहीं कर सकता हूं। मैं तो अपनी बेटी दिव्या से वैसे ही प्यार कर सकता हूं जैसे तुझे बचपन में प्यार करता था।

सारा:ओ मेरे भोले अब्बू,क्योंकि मैं बचपन में छोटी थी तो आप मुझे अपनी गोदी में बैठा कर मुझसे प्यार करते थे,और दिव्या अब बड़ी हो गई है तो इसे गोदी में नहीं बैठा सकते ना।समझे अब....

अमजद:अच्छा ये बात है,तो सुनो मैं तो तुम्हे अब भी अपनी गोदी में बैठा कर प्यार कर सकता हूं,दिव्या का वजन तो तुमसे आधा है।आओ पहले तुम्हे अपनी गोदी में बैठा कर प्यार करता हूं फिर दिव्या को प्यार करूंगा। वैसे भी मेरे लिए तुम अभी छोटी बच्ची ही हो।

सारा:अरे नहीं मेरे प्यारे अब्बू,आप अपनी गुड़िया को घर जाकर अपनी गोदी में बैठा कर खूब सारा प्यार करना,पर अब बेचारी इस दिव्या को प्यार करो।चलो दिव्या बैठो अब्बू को गोद में।

अमजद: आओ बेटी दिव्या बैठो मेरी गोदी में।

दिव्या तो ये ही चाहती थी,और झट से अमजद की गोद में जाके बैठ गई।

अब सीन ये था कि सारा सामने बैठी थी और दिव्या अमजद की गोद में जाकर बैठ गई।गोद में नहीं बल्कि अमजद के खड़े लंड पे बैठ गई।

अमजद का लंड वैसे भी पेंट से बाहर था और दिव्या ने स्कर्ट पहनी हुई थी, तो दिव्या बैठते समय अपनी स्कर्ट उठाकर बैठी थी।
अमजद का खड़ा लंड सीधा पेंटी के ऊपर से दिव्या की चूत से टकरा रहा था।

दिव्या जैसे ही अमजद के खड़े लंड पे बैठी उसकी सिसकी निकल गई।

सारा जानती थी कि अब्बू का लंड नंगा है और दिव्या की चूत से लगा हुआ है।

सारा: क्या हुआ दिव्या,कुछ लगा क्या।

दिव्या: ( अदा से मुस्कराते हुए)कुछ नहीं लगा।आज पहली बार अंकल के गोद में बैठ कर बहुत अच्छा लग रहा है।

सारा:(मन में) साली देखो तो कैसे नाटक कर रही है, कल ही अब्बू से किसी रंडी की तरह चूदी है। और अब बोल रही है कि पहली बार गोद में बैथी हूं। पता नहीं कल अब्बू ने इस रंडी को किस तरह से चोदा था। आज तो इनकी चूदाई देखकर ही रहूंगी।
अमजद प्यार से एक हाथ से दिव्या की नंगी जांघ सहला रहा था और दूसरे हाथ से दिव्या की नंगी बांह सहला रहा था।

दिव्या अपनी गांड और चूत अमजद के खड़े नंगे लोड़े पर रगड़ रही थी।

सारा ने देखा अब्बू दिव्या को सिर्फ गोद में बिठाकर कुछ कर नहीं रहे हैं।

सारा:अब्बू आपने दिव्या को अपनी गोदी में बैठा दिया पर आप दिव्या को प्यार नहीं कर रहे।

दिव्या: हां अंकल प्यार करिए ना अपनी दिव्या बेटी को।आप तो शांत बैठे हैं।

अमजद:अरे बेटी प्यार तो कर रहा हूं,ये देखो इसकी बांह सहला रहा हूं।(नाटक करते हुए)

सारा:अब्बू ऐसे नहीं,दिव्या के गालों को चूमीए, चाटिए और इसके गालों को चूम चूम कर लाल कर दीजिए। ऐसे प्यार करिए जैसे आप मुझे प्यार करते थे। पूरे गाल चूमकर चाटकर थूक से गीला कर दीजिए।और दिव्या तुम भी अपने प्यारे अंकल के गालों को चूमो चाटो, ऐसे प्यार करो और सोचो जैसे ये तुम्हारे अब्बू हो।और अब्बू आप भी दिव्या को ये सोचकर प्यार कीजिए जैसे ये आपकी सगी बेटी हो।

दिव्या:सारा तुम्हे बुरा नहीं लगेगा जब मैं अंकल को अब्बू कहूंगी।

सारा: तू पागल है क्या! मुझे क्यों बुरा लगेगा,बल्कि मुझे तो अच्छा लगेगा ये सोचकर कि मुझे एक बहिन मिल गई।मेरी दो बड़ी बहन है,अब एक छोटी बहन भी मिल गई।

दिव्या:ठीक है तो आज से मैं भी इन्हे अब्बू कहूंगी।तुझे अपनी बड़ी बहन कहूंगी,पर तुझे भी अपनी छोटी बहन को प्यार करना पड़ेगा।

सारा: हां हां मैं भी अपनी छोटी बहन को प्यार करूंगी,बल्कि मैं और अब्बू दोनो मिलके तुझे प्यार करेंगे।इतना प्यार करेंगे कि तुझे अपने प्यार में पागल बना देंगे,क्यूं अब्बू मैने सही कहा ना।

अमजद:(सारा की आंखों में देखकर)हां गुड़िया,हम दोनों मिलकर इस छोटी सी बच्ची को बहुत प्यार करेंगे।पर हां इसे भी अपने नए अब्बू और अपनी नई बड़ी बहन को बहुत प्यार करना पड़ेगा।करेगी ना दिव्या बेटी अपने नए अब्बू से प्यार।

दिव्या एकदम पीछे हो गई और अपना मुंह अमजद के मुंह के पास लेजाकर अमजद के गालों को चूमने लगी।

दिव्या: हाँ अबू. मै भी अपने प्यारे अब्बू और अपनी बेहन से बहुत प्यार करूंगी।

दिव्या अमजद के होठों को छोड़कर पूरे चेहरे को चूमने लगी।

तीनों को इस खेल में बहुत मजा आ रहा था।

सारः अब्बू आप भी अपनी नई बेटी दिव्या के खुबसुरत मासुम चेहरे को चूमिचे ना । आप दोनों का प्यार देखकर मुझे बहुत अच्छा लगेगा |

फिर क्या था' अमजद भी दिव्या के चेहरे को चूमने लगा।

दिव्या : ओहहह.... अब्बू प्यार कीजिए अपनी बेटी को । ऐसे ही प्यार कीजिए , बहुत अच्छा लग रहा है आपकी बेटी को आपका प्यार करना ।

अमजद : मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है अपनी दिव्या बेटी को प्यार करके ।

सारा(मन में):अब्बू भी कमाल करते है।अपनी सगी बेटी को अपनी रंडी बनाकर चोदना चाहते है और अपनी रंडी को बेटी बनाकर प्यार कर रहे हैं।पर जो भी हो,रात को जब अब्बू ने मुझे अपनी रंडी बनाकर बेरहमी से मसला था तो मुझे बहुत मजा आया था।आज रात को अब्बू जब मुझे अपनी रंडी बनाकर चोदेंगे तो कितना मजा आएगा। हाए....



साराः अब्बू दिव्या के गाल कितने खुबसुरत है बिलकुल सेव के जैसे । आप इतने प्यारे गालो को सुखा-सुखा चूम रहे हो , इसके प्यारे गालों को चूसिए, जबान से चाटिए ना, आपको और दिव्या दोनों को बहुत अच्छा लगेगा | क्यूँ दिव्या मैंने सही कहा ना ।

दिव्याः हाँ अब्बू चाटिए ना मेरे गालों को ।

दिव्या और सारा जिस अदा से बोली थी जैसे चूत चाटने और चूसने को कह रही हो।

अमजद उनकी बातों से बहुत उतेजित हो गया था, और किसी कुते की तरह दिव्या के गालों के चाटने लगा |

बड़ा ही कामुक दृश्य था। एक बाप अपनी सगी बेटी के सामने अपनी स्टूडेन्ट को अपनी बेटी बनाकर अपने खड़े लंड पे बिठा कर उसके गालों को चाट रहा था और चूस रहा था। और उसकी बेटी भी बडी बेशर्मी से अपने बाप को उत्साहित कर रही थी ।

अमजद दिव्या के गालों को चाटते चाटते उसके नाक को चूसने लगा।
थोड़ी देर नाक चूसने के बाद दिव्या की ठुडी को चूसने लगा। उसके बाद उसकी गर्दन को चाटने लगा।

सारा को लगा अब खेल को आगे बढ़ाना चाहिए।

सारा: अब्बू आपने अपनी दिव्या बेटी के गाल,नाक,गर्दन को चूस लिया पर इसके होठों को छुआ भी नहीं,देखो कितने प्यारे और रसीले होंठ है।

अमजद का भी दिव्या के होठ चूसने का बहुत मन कर रहा था पर अमजद चाहता था ये सब इतनी जल्दी ना हो।अमजद को सारा को यहां होने से ना तो शर्म आ रही थी और नाही ये डर था कि सारा क्या सोचेगी।बल्कि अमजद ये चाहता था कि सारा खुद कहे उसे ये सब करने को।अमजद ने सोच लिया था कि वो आज खुद पहल नहीं करेगा,बल्कि वो सारा के कहने पर ही दिव्या को नंगी करके चोदेगा।ताकि वो सारा को रात में आसानी से चोद सके।और उसे इस खेल में बहुत मजा आ रहा था।

तीनों जानते थे कि ये सब प्यार व्यार नाटक है,असल ये हवस का खेल खेल रहे हैं।और तीनों को इस नाटक में बहुत मजा आ रहा है।

अमजद:(चौंकने का नाटक करते हुए) होठ....

सारा: हां अब्बू होठ।देखो दिव्या के होठों को कितने प्यारे है,इसके गुलाबी होंठ चूसकर आपको बहुत अच्छा लगेगा।

अमजद:(शरीफ बनने का नाटक करते हुए)गुड़िया मैने दिव्या को अपनी बेटी मान लिया है,अब तुम बताओ एक बाप अपनी बेटी के होठों को कैसे चूस सकता है।

सारा:तो इसका मतलब अपनी बेटी मानते हैं पर बेटी की तरह प्यार नहीं करते हैं।

अमजद: ऐसा नहीं है गुड़िया।जितना प्यार मैं तुमसे करता हूं उतना ही प्यार मैं दिव्या बेटी से करता हूं।

सारा:प्यार करते हैं तो अधूरा प्यार क्यों करते हैं।देखिए दिव्या के होठों को कितने प्यारे है,कितने रसीले होंठ एक दम गुलाब की पंखुड़ियां की तरह।आप ने दिव्या के पूरे चेहरे को चूम लिया,चाट लिया और चूस लिया,पर इसके प्यारे होठों को छुआ भी नहीं।देखो बेचारी के होठ केसे तरस रहे हैं,कैसे फड़फड़ा रहे हैं आपका प्यार पाने के लिए।देखो बेचारी आपकी बेटी दिव्या भी उदास हो गई है,क्योंकि आपने इसके होठों को प्यार नहीं किया।

दिव्या(उदास होने का नाटक करते हुए):तुमने सही कहा सारा,अब्बू मुझे प्यार नहीं करते।इसलिए मेरे होठों को प्यार नहीं किया। शायद मेरे हाथ अब्बू को अच्छे नहीं लगते हैं।

अमजद:अरेरे... मेरी प्यारी बेटी दिव्या तो नाराज हो गई।बेटी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे होठ प्यारे है और मुझे तुम्हारे होठ बहुत ज्यादा अच्छे लगते हैं।

दिव्या:(खुश होते हुए)सच्ची...

अमजद: मुच्ची...

सारा:तो फिर साबित कीजिए कि आप दिव्या से बहुत करते।

अमजद:अपना प्यार साबित करने के लिए मुझे जो करना पड़ा,वो मैं करूंगा।पर अपनी बेटी दिव्या को उदास नहीं होने दूंगा।क्या दिव्या बेटी मुझे प्यार करने देगी।

दिव्या:क्यूं नहीं करने दूंगी आपको प्यार,बल्कि मैं तो खुद आपको प्यार करूंगी। मैं तो आपको प्यार करने के लिए और आपका प्यार पाने के लिए तड़प रही हूं।

सारा:तो अब्बू,अब प्यार करो अपनी बेटी दिव्या के होठों को।इतना ही नहीं बल्कि आज हम दोनों बेटी आपको कहेगी ऐसा प्यार आपकी अपनी बेटी दिव्या से प्यार करना पड़ेगा।आजतक दिव्या को आपका प्यार नहीं मिला वो सारा प्यार आपको आज दिव्या को देना होगा।18 साल की कसर पूरी करनी होगी।अगर आप दिव्या को अपनी बेटी मानते है और इसे प्यार करते हैं तो कोई ना नुकर नहीं करेंगे।

अमजद तो ये ही चाहता था।

अमजद: हां मेरी गुड़िया जैसा दोनों अपने अब्बू से प्यार चाहती हो वैसा ही प्यार करूंगा।दिव्या बेटी को 18 साल से जो प्यार नहीं मिला वो सारा प्यार आज करूंगा और आगे भी करता रहूंगा।तुझे भी 2 साल से प्यार नहीं किया है,तुझे भी आज जमके प्यार करूंगा।

सारा:(अमजद की आंखों में देखकर) मुझे तो आप घर जाकर सारी रात प्यार करना।पर अभी दिव्या को जी भरके प्यार करिए।और कल स्कूल की छूटी है तो आप हम दोनों खेत में लेजाकर खुलके प्यार करना,हम दोनों मिलकर आपको बहुत ज्यादा प्यार करेंगे।

अमजद:हां क्यों नहीं मेरी गुड़िया,आज रात मैं तुझे इतना प्यार करूंगा कि तू खुशी से चीखोगी।

सारा:अब्बू, हर बेटी ये ही चाहती है कि उसके अब्बू उसे इतना प्यार करे कि उसकी चीखे निकल जाए।दिव्या तू भी अपनी चीखे निकलवाना चाहती है ना।

दिव्या: हां मेरी बहन, मैं भी ये ही चाहती हूं।जब अब्बू मुझे प्यार करेंगे तो मैं भी खुशी से इनको चीख चीखकर और प्यार करने को कहूंगी।अब्बू आप मेरी चीखें निकलवाएंगे ना।

अमजद : हां मेरी बेटी, मैं तुझे आज इतना प्यार करूंगा कि तेरे चीखे निकल जाएगी।

अब आप लोग समझ गए होंगे कि कौनसे प्यार और कौनसी चीखों की बात हो रही है। मैं कैसी बेवकूफों बाते कर रहा हूं,xforum के रीडर इतने कमीने है कि बॉलीवुड के सॉन्ग में भी प्यार की जगह चुदाई और दिल की जगह लंड और चूत सुनाई देता है।(अब मैंने आप लोगों की तारीफ की है या बुराई ये आप लोग जानो, मैं तो हद कमीना हूं)


सारा:अब्बू अब बातें छोड़ो और दिव्या के होठों को प्यार करो,नहीं तो मैं इसके होठ चूसने लग जाऊंगी।इसके होठ कितने प्यारे है,आप इतने पास है फिर आपने खुद रोक रखा है।

अमजद:हां हां चूस लेना,पर बाद में।पहले मैं जी भर के अपनी बेटी दिव्या के होठों को प्यार से चुसूंगा।

और अमजद ने अपने होठ दिव्या के होठ पे रख दिए और दोनो हल्का हल्का किस करने लगे।

अमजद और दिव्या मजे से किस कर रहे और सारा सामने बैठी हल्के हाथ से अपनी चूत सहला रही थी।

अमजद को ऐसे हल्के हल्के किस में मजा नहीं आ रहा था,उसे तो DEEP किस करने में मजा आता है।पर चाहता था कि इस खेल को सारा के हिसाब से खेला जाए।उसे सारा पर पूरा भरोसा था कि आज सारा अपने अब्बू को पूरा मजा करवाएगी।एक फायदा और भी था कि सारा जितना इस हवस के खेल माहिर होगी उतना आगे जाकर मजा देगी।सारा को भी आज अपना रंडीपन दिखाना होगा,उसे भी अपने अब्बू की रंडी बनकर चुदना है।

सारा भी उन दोनों के सॉफ्ट किस से बोर होने लगी। उसे लगा ये बहुत धीरे हो रहा है ऐसे चलता रहा तो स्कूल की छूटी हो जाएगी और इन दोनो की चुदाई नहीं हो पाएगी।मुझे अब अपना रंडीपना दिखाना पड़ेगा।मेरे प्यारे अब्बू को पूरा मजा दिलाना मेरा फर्ज है।

सारा:अब्बू आप ये क्या कर रहे हैं।

सारा की बात सुनकर दोनों ने किस छोड़ा और सारा की तरफ देखा।

अमजद:क्या हुआ गुड़िया,जैसा तुमने कहा था वैसे दिव्या बेटी के होठों को प्यार कर रहा हूं।

सारा:(झूठा डांटते हुए)ये आप प्यार कर रहे हो?अब्बू इसे प्यार करना नहीं बल्कि होठों से होठों को सहलाना कहते हैं। देखो अब्बू, दिव्या के कितने प्यारे और रसीले होंठ है।और आप है कि इन होठों को सहला कर इनकी बेइजती कर रहे हैं।अब्बू इनके होठों के रस को चूसो, चाटो।इन गुलाबी होंठ को चूस चूसकर लाल करदो। अभी तो आप कह रहे थे कि मैं दिव्या से इतना प्यार करूंगा कि इसकी खुशी से चीखे निकल जाएगी,अब्बू आप जितना जोर से प्यार करेंगे उतनी ही ज्यादा दिव्या को खुशी मिलेगी और ये खुशी से चीखेगी। और तू दिव्या तू अब्बू को बोलती क्यों नहीं अच्छे से प्यार करने को।

दिव्या:(मासूम चेहरा बनाते हुए) डांट क्यों रही है अब्बू को।अब्बू मुझे बहुत प्यार करते हैं।अभी तो अब्बू मेरे होठों का स्वाद टेस्ट कर थे,अब देखना कैसे मेरे होठों का रस चूसते है ।और तुम देखना मेरी खुशी की चीखे पूरे कमरे में गूंजेगी।अब्बू टूट पड़ो मेरे होठों पर और इसे दिखा दो इसे कि आप मुझे कितना प्यार करते हैं।

सारा:मैं भी देखती हूं दोनों बाप बेटी का प्यार।

अमजद: गुड़िया तूने मेरी प्यार पर उंगली उठाई है,अब देख कैसे प्यार करता हूं अपनी दिव्या बेटी से।और हां तुझे भी रात में इतना प्यार करूंगा कि तू खुशी से चीख चीखकर पागल हो जाएगी।
दिव्या की चीखे तो इस कमरे से बाहर नहीं जाएगी,पर तेरी चीखे हमारे घर से इस स्कूल तक सुनाई देगी।

और अमजद टूट पड़ा दिव्या के होठों पर।दिव्या के होठों को बड़ी बेरहमी से चूसने लगा।दिव्या भी पक्की रंडी बन चुकी थी।वो भी अमजद का पूरा साथ देने लगी।
अमजद और दिव्या बहुत ही कामुक तरीके से किस कर रहे थे।दोनों का थूक होठों से बह रहा था और उस थूक को जबान से चाट रहे थे।
दिव्या अपनी गांड अमजद के खड़े नंगे लोड़े पर रगड़ रही थी।
सारा भी इन दोनों का कामुक किसिंग देखकर बहुत गर्म हो गई थी,उसकी चूत में आग लगी हुई थी।सारा का मन अपनी चूत को जोर से रगड़ने का कर रहा था।पर सारा ने ऐसा नहीं किया,क्योंकि जो आग उसकी चूत में लगी थी इस आग को वो अपने अब्बू के बड़े लोड़े से बुझाना चाहती थी।अगर वो एकबार अपनी चूत रगड़कर झड गई तो उसकी आग कम हो जाएगी और वो कमजोर हो जाती अपने अब्बू के हलावी लोड़े के सामने।ऐसा वो बिलकुल नहीं चाहती थी।

काफी देर तक डीप किस करने के बाद अमजद और दिव्या की सांस फूलने लगी।तो दोनों ने किस छोड़ा और हांफने लगे।

सारा:अब्बू कैसा लगा आपको अपनी बेटी के होठों का रस पीकर।

अमजद हांफते हुए: आह बहुत अच्छा लगा गुड़िया।बहुत मीठा रस है दिव्या बेटी के होठों का।

सारा:और दिव्या तुम्हे कैसा लगा अब्बू का प्यार करना। अच्छा लगा ना।

दिव्या हांफते हुए:क्या बात कर रही हो मेरी बहन,अच्छा! अरे अच्छा नहीं बहुत अच्छा लगा।जी करता है हमारे अब्बू बस ऐसे प्यार करते रहे।

सारा:मेरे बहन तू इतने प्यार से खुश हो गई।अभी तो बहुत प्यार करेंगे हमारे अब्बू तुमको।ओर करने देगी ना हमारे अब्बू को प्यार।

दिव्या:सच्ची!अब्बू और भी प्यार करेंगे?अगर ऐसा हुआ तो मैं खुशी से चिला चिलाकर पागल हो जाऊंगी।

अमजद दोनों के मजे लेते हुए: गुड़िया अब कोनसा प्यार बाकी रह गया है।मैने दिव्या बेटी के होठों को,गालों को, नाक को और पूरे चेहरे को चूमकर, चाटकर,और चूसकर प्यार कर लिया।

सारा:अब्बू आप भी कमाल करते हो।आपने अपनी नई बेटी को गर्दन से ऊपर प्यार किया है,बाकी शरीर को प्यार कौन करेगा।आपके होते हुए क्या दूसरा कोई प्यार करेगा आपकी बेटी को।

अमजद तपाक से बोला:नहीं,मैं प्यार करूंगा अपनी बेटी से,कोई दूसरा हाथ लगा कर तो देखे,साले के हाथ तोड़ दूंगा।

दिव्या:मैं भी किसी को प्यार करने नहीं दूंगी,मुझे प्यार तो सिर्फ हमारे अब्बू ही करेंगे।

सारा:तो हमारे प्यारे अब्बू को बोल तेरे पूरे बदन से प्यार करने को।

दिव्या:इसमें बोलने की क्या जरूरत है,अब्बू वैसे भी मुझे प्यार करते हैं तो वो मेरे पूरे बदन से प्यार करेंगे। चलिए अब्बू मेरे पूरे बदन को प्यार करो और इसको दिखा दो कि आप मुझे कितना प्यार करते हैं।

अमजद दिव्या की बात सुनकर उसकी नंगी बांह पर किस करने लगा।
पर सारा ने रोक दिया।

सारा:ओ बेवकूफ लड़की,अगर अब्बू से पूरे बदन पर प्यार करवाना है तो अपना टॉप तो उतार दे।अब्बू क्या तुझे कपड़ों के उपर से प्यार करेंगे।अगर टॉप नहीं उतारेगी तो अब्बू तेरे को नहीं तेरे कपड़ों को प्यार करेंगे।

दिव्या:प्यार तो अपने बदन से करवाना है पर मैं अपना टॉप नहीं उतारूंगी।

अमजद और सारा ने अब साली का ये क्या नाटक है।इस रांड को क्या हुआ ये नंगी होने नाटक क्यों कर रही है।

सारा हैरत से:क्यों! टॉप क्यों नहीं उतारेगी?

दिव्या सारा को आंख मारकर:क्योंकि मेरा टॉप अब्बू उतारेंगे।

सारा मन में: ओह ये बात है,साली डरा ही दिया था।

अमजद मन में:शुक्र है साली रंडी ने मुझे उतारने को बोल दिया, वरना मैं तो गुस्से में इसका टॉप फाड़ने वाला था।

सारा:क्यों तुझे कपड़े उतारने में शर्म आ रही है।

दिव्या:क्या पागलों जैसी बातें कर रही है!क्या किसी बेटी को अपने बाप के सामने कपड़े उतारने में शर्म आती है।क्या तुझे अब्बू के सामने कपड़े उतारने में शर्म आएगी।

सारा:नहीं,मुझे क्यों शर्म आएगी।अगर मैं अब्बू के सामने कपड़े नहीं उतारूंगी तो अब्बू मुझे प्यार कैसे करेंगे। मैं तो कहती हूं हर बेटी को अपने बाप के सामने बिना कपड़ों के रहना चाहिए,ताकि जब भी बाप का मन करे अपनी बेटी को गोद में बिठाकर प्यार करे।

दिव्या:और बाप भी जब अपनी लाडली बेटी को अकेला देखे तो कहीं भी उसके कपड़े उतारकर उसे अपनी बाहों में भर कर प्यार करना चाहिए। मैं तो जब भी अब्बू के साथ होऊंगी बिना कपड़ों के रहूंगी।अब्बू आप मेरे कपड़े उतारोगे ना।

अमजद अपनी दोनों रंडियों की कामुक बातें सुनकर बहुत मजा आ रहा था।

अमजद:अरे बेटी , क्यों नहीं उतारूंगा तुम्हारे कपड़े।बस तुम्हे अच्छा लगना चाहिए बिना कपड़ों में मेरी गोद में बैठना।

सारा:अब्बू, हर बेटी को अपने बाप की गोद में बिना कपड़ों के बैठना अच्छा लगता है। हम दोनों भी कपड़े उतार कर आपकी गोदी में कूदेंगी।आज दिव्या का दिन है तो ये आपकी गोद में कूदेगी।और रात को मैं बिना कपड़ों के आपकी गोदी में बैठ कर कूदूंगी।

अमजद:घर जाकर मैं अपनी प्यारी गुड़िया के कपड़े उतार कर अपनी गोदी में बैठा कर बहुत प्यार करूंगा।

दिव्या:अब्बू,रात होने अभी देर है,अभी आप मेरा टॉप उतार दीजिए।मुझे आपकी गोद में ये कपड़े पहन कर अच्छा नहीं लग रहा है। निकाल दीजिए इन कपड़ों को जो बाप बेटी के प्यार के बीच में आ रहे हैं।

अमजद ने इतना सुनते ही दिव्या को हाथ ऊपर उठाने को कहा और उसका टॉप उतार दिया।

दिव्या की कमसिन जवानी दोनो बाप बेटी के सामने आ गई।

सारा:ओह... अब्बू क्या खूबसूरत बदन है मेरी बहन और आपकी बेटी का।मेरा तो बहुत मन कर रहा है इसे प्यार करने को।

अमजद:आज नहीं कल कर लेना जी भर कर।आज तो मैं प्यार करूंगा अपनी नई बेटी के खूबसूरत बदन को।

फिर अमजद दिव्या की नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा और उसकी गर्दन को चूमने लगा।

दिव्या ऊपर से नगी होकर अमजद के कड़क लोड़े पर अपनी मुलायम गांड रगड़ने लगी और आहें भरने लगी।

दिव्या और सारा दोनों बेशर्मी से एक दूसरे की नशीली आंखों में देखकर मुस्कराने लगी।

अमजद दिव्या की पीठ को चूमते हुए: आह बेटी दिव्या क्या खूबसूरत बदन है तुम्हारा ।

सारा:अब्बू आप अपनी बेटी का नहीं आगे का बदन देखिए और फिर बताए कि कैसा बदन है इसका।
अब्बू मैं टेबल से ये सारा सामान हटा देती हूं,फिर आप दिव्या को इस टेबल पर लिटाकर प्यार करो।

अमजद:हां ये सही रहेगा।

फिर दिव्या अमजद की गोद उठकर खड़ी हो गई।दिव्या और सारा ने टेबल से सामान उठाकर नीचे रख दिया।

सारा: दिव्या मेरी बहन अब तुम लेट जाओ इस टेबल पर,फिर हमारे अब्बू तुम्हे जी भर कर प्यार करेंगे।

ऊपर से नंगी दिव्या किसी बेशर्म रंडी की लेट गई।

सीन ये था कि दिव्या का सर सारा की तरफ था और उसके पैर अमजद की तरफ थे।दिव्या की गांड और बाकी बदन टेबल पर था और टांगे नीचे लटक रही थी।अरे यार किसी लड़की टेबल पर या सोफे पर लिटा लड़का नीचे खड़ा रहकर चुदाई करता है। बस ऐसे ही दिव्या लेटी हुई थी और अमजद उसकी टांगो के बीच में खड़ा हो गया।

अमजद का लंड अब भी पेंट के बाहर था।सारा और दिव्या दोनों अमजद के खड़े लंड को अपनी चुदासी निगाहों से देख रही थी।

अमजद ने पहले दिव्या के तरफ देखा और फिर सारा की तरफ देखा,दोनो उसके हालावी लोड़े को देख रही थी।

अमजद:तो अब अपनी प्यारी बेटी दिव्या को प्यार करना शुरू करूं।

अमजद की आवाज सुनकर दोनों ने अमजद की तरफ देखा और बेशर्मी से मुस्कराने लगी।
तीनों ऐसे बिहेव कर रहे थे जैसे यह सब नॉर्मल हो।

सारा:अब्बू आपको पूछने की क्या जरूरत है,बस आपका मन होना चाहिए अपनी बेटियों को प्यार करने का।हम तो हमेशा तैयार रहेगी आपका प्यार पाने के लिए।

दिव्या:हां अब्बू सारा सही कह रही है।आपका जब भी मन करे,हमारे कपड़े उतारकर हमसे प्यार कर लेना।वो दुनिया की सबसे बेगैरत बेटी होगी जो अपने अब्बू के सामने नंगी होके प्यार करने से मना करने की जुर्रत करेगी।

अमजद अपनी दोनों रंडियों का रंडीपना देखकर खुश हो गया और सोचने लगा ये दोनो पहली मुलाकात में इतनी बेशर्मी दिखा रही तो आगे जाकर तो ये दोनों मुझे जन्नत का मजा देगी। अब मुझे भी अपना कमीनापन दिखाना पड़ेगा।

अमजद:फिक्र मत करो मेरी बच्चियों,अब जब भी,जहां भी मेरा मन करेगा तुम दोनों को प्यार करने का तो मैं तुम दोनों को नंगा करके बहुत प्यार करूंगा।और मुझे तुम दोनों पे पूरा भरोसा है कि तुम दोनों मुझे प्यार करने से मना नहीं करोगी।

सारा:हम दोनों आपका भरोसा कभी नहीं तोड़ेंगे।अब बातें छोड़ो। देखो आपकी प्यारी बेटी कपड़े उतारकर आपके सामने लेटी हुई है और आप है कि बातों में लगे हुए है।चलो प्यार करो इसे। देखो कैसे तड़प रही है आपके प्यार के लिए।

अमजद अपना खड़ा लंड लिए दिव्या की टांगो के बीच में खड़ा हो गया और फिर झुककर दिव्या के होठों को चूसने लगा।अमजद का काला बड़ा लोड़ा दिव्या की एक बार चुदी हुई पे ठोकर मार रहा था।

दिव्या के होठों को बुरी तरीके से चूसने के बाद उसकी गर्दन को चाटने लगा।
फिर गर्दन से मुंह हटाकर : दिव्या बेटी मेरा प्यार करने से तुझे अच्छा लग रहा है ना।

दिव्या: हां अब्बू बहुत अच्छा लग रहा है और प्यार करिए ना।

अब अमजद दिव्या की मौसमी जैसी नाजुक और खूबसूरत नंगी चूचियां पे हाथ फेरने लगा।

अमजद: वाह मेरी बेटी की छाती कितनी खूबसूरत है।

दिव्या: आह...अब्बू ,पर मेरी छाती बहुत छोटी छोटी है,सारा की तरह बड़ी बड़ी नहीं है।

सारा:फिक्र मत कर मेरी बहन,अब्बू तेरी छाती को दबा दबाकर और चूस चूसकर बड़ी कर देंगे।क्यूं है ना अब्बू।

अमजद: हां बिलकुल । अभी काम पे लग जाता हूं।

फिर क्या था अमजद दिव्या की एक चूची को मुंह में लेकर चूसने लगा और दूसरी चूची हाथ से दबाने लगा।और नीचे से अपना काला बड़ा लोड़ा दिव्या की चूत पे रगड़ने लगा।

अमजद का चूचियां चूसना और मसलना और अपनी चूत पर लोड़े की रगड़ से दिव्या बहुत ज्यादा गर्म हो गई की मचलने लगी और unhhh ahhhh yessss करने लगी।
दिव्या:ohhhh अब्बू aahhhhhh और जोर से चुसिये खा जाइए मेरी छाती को।

सारा भी अमजद का हौसला बढ़ा रही थी।

सारा:हां अब्बू ऐसे ही प्यार कीजिए अपनी बेटी को।देखो कैसे खुशी से उछल रही है।

अमजद भी किसी जानवर की तरह दिव्या की चुचियों को चूस और चबा रहा था।नीचे अपना खड़ा लोड़ा दिव्या की चूत पर रगड़ रहा था।

दिव्या से बर्दास्त नहीं हुआ। अपने नाजुक हाथ से अमजद को लोड़ा पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर रगड़ने लगी।

अमजद चूचियां चूसता रहा।फिर दिव्या के पेट और नाभि को किसी कुत्ते की तरह चूसने और चाटने लगा।

दिव्या अमजद की चुसाई से पागल सी हो गई और अमजद के लंड को जोर जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी।

सारा भी ऐसा कामुक दृश्य देखकर बहुत गर्म हो चुकी थी।वो अपनी चूत को अपनी जांघो से कुचलने लगी।

अमजद दिव्या के पेट और नाभि को अच्छी तरह चूसने के बाद थोड़ा पीछे हुआ और उसकी जांघों को चाटने लगा।
अमजद के पीछे होने से,दिव्या के हाथ से अमजद का लोड़ा छूट गया।पर अमजद के द्वारा जांघों को चाटने से उसे बहुत मजा आ रहा था,वो अपनी चुचियों को अपने हाथों से मसलने लगी।

सारा को अब बर्दास्त नहीं हो रहा था।उससे खड़ा रहना मुस्किल हो रहा था।सारा अपने बाप की कामलीला देखकर उत्तेजित होकर कांपने लगी।

सारा कांपने होठों से:अब्बू ये तो नाइंसाफी है।आप अपनी बेटी दिव्या के पेट को चाटने के बाद उसकी जांघें चाटने लगे। बीच का हिस्सा तो छोड़ दिया।

अमजद मासूम बनते हुए:और क्या करूं गुड़िया।दिव्या बेटी ने नीचे कपड़े पहने हुए है।

सारा: तो उतार दीजिए अपनी बेटी के कपड़े अपने हाथो से।

दिव्या मदहोशी में: हां अब्बू उतार दीजिए मेरे कपड़े,और प्यार कीजिए मेरे पूरे बदन को। मैं भी कितनी बेशर्म बेटी हूं जो अपने अब्बू के सामने कपड़े पहन कर लेटी हुई हूं।प्लीज अब्बू मेरे पूरे कपड़े उतारकर,मुझे अपनी अच्छी और सच्ची बेटी बना दीजिए।आप भी मेरे कपड़े उतारकर साबित कर दीजिए कि आप कितने प्यारे और नेक अब्बू है।

अमजद:हां मेरी प्यारी बेटी, मैं अभी तुम्हारे सारे कपड़े उतारकर तुझे अच्छी और नेक बेटी बनाकर तुझे प्यार करता हूं।

अमजद ने दिव्या के स्कर्ट और पेंटी को पकड़कर नीचे खींचा,दिव्या ने अपनी गांड उठाई और दिव्या को नंगा कर दिया।अब दिव्या मादरजात नंगी दोनों बाप बेटी के सामने थी।
अमजद ने तो कल ही दिव्या को नंगी करके अपनी रंडी बनाकर बेरहमी से चोदा था,पर आज अपनी सगी बेटी के सामने दिव्या को ऐसे नंगा करके बहुत मजा आ रहा था।

अमजद:आह... मेरी प्यारी बेटी दिव्या का बदन कितना खुबसूरत और प्यार है,बेटी तुम हमेशा मेरे सामने बिना कपड़ों के रहना।तुझपे ये कपड़े बिलकुल अच्छे नहीं लगते।

सारा: हां अब्बू,आप सही कह रहे हैं।देखो बिना कपड़ों के कितनी सुशील और संस्कारी लग रही है मेरी बहन। मैं तो कहती हूं हर बेटी को अपने बाप के सामने ऐसे ही संस्कारी बनके रहना चाहिए।अब्बू, मुझे आपके सामने यूं कपड़े पहन कर खड़े रहने में बहुत शर्म आ रही है। आप मेरे भी कपड़े उतारकर मुझे संस्कारी बेटी बना दीजिए।

अमजद: अभी नहीं मेरी गुड़िया,आज तुमने कहा था ना कि आज दिव्या बेटी का दिन है,तो आज मैं दिव्या बेटी को संस्कारी बेटी बनाता हूं।रात को तेरे सारे कपड़े उतारकर मेरे अंदर जितना भी संस्कार है,वो सारे संस्कार और अच्छाइयां तुझमें डाल दूंगा।

(तो दोस्तों,आप लोग वैसे बहुत सुशील और संस्कारी हो तो आप लोग समझ गए होंगे कि यहां किन संस्कारों की बातें हो रही थी।मुंह से तो तीनों प्यार,संस्कार,सुशील,नेक,अच्छे,अच्छी,शर्म,लाज जैसे शब्द बोल रहे थे।पर दिल और दिमाग में:चुदाई,चोदना,रंडी,रखैल,कुत्तिया, चुदक्कड़,हरामी,चोदू, बेशर्मी जैसे शब्द गूंज रहे थे। मैं भी चूतिया जैसी बातें कर रहा हूं।जो लोग चुदाई वाली स्टोरी पढ़ रहे हैं वो भी इनसेट स्टोरी,तो सबको पता ही है कि क्या बातें हो रही है)

सारा: मैं भी आपकी सारी नेकियां अपने अंदर लेने के लिए तड़प रही हूं।आपकी सारी अच्छाइयां अपने अंदर लेकर खुशी से चिल्लाना चाहती हूं।अब आप जल्दी से पहले दिव्या के बदन को प्यार कीजिए,फिर अपनी गोद में बिठाकर अपने संस्कार इसके अंदर डाल दीजिए।देखना दिव्या कैसे खुशी से चिल्लाती है।

(वाह भाई, कुछ भी हो राइटर मस्त है।अपडेट भले ही टाइम पर ना देता हो पर कहानी में बकैती बहुत करता है।साला बहुत कमीना है,कैसे कैसे सीन क्रिएट करता है।)

अमजद ने सारा की तरफ देखा और मुस्कराने लगा।साली मेरी बेटी बिलकुल मुझपे गई है।चुदाई के संबंधित एक भी शब्द इस्तेमाल किए बगैर, मुझे दिव्या को चोदने को बोल रही है।ये रंडी मुझे बहुत मजा दिलाने वाली है।

सारा थी तो हरामी अमजद का खून,वो समझ गई कि उसके चुदक्कड़ अब्बू क्या सोच रहे हैं।

सारा:अब्बू...,मेरी तरफ देख कर क्यों मुस्करा रहे हो।आपकी प्यारी बेटी दिव्या देखो कैसे कपड़े उतारकर आपके प्यार के लिए तड़प रही है।

अमजद दिव्या की टांगो के बीच झुक गया और एक बार चुदी हुई दिव्या की चूत को देखने लगा।

सारा:अब्बू कैसी है दिव्या की चीज।

अमजद:बहुत प्यारी है।क्या खुसबू आ रही है मेरी प्यारी बेटी दिव्या के बदन से।

अमजद अपना नाक दिव्या की चूत के पास लेजाकर सूंघने लगा।

सारा:अब्बू देखो ,दिव्या नीचे के अंग से आंसू आ रहे है कैसे रो रही है आपका प्यार पाने के लिए।इसे चूसकर और चाटकर प्यार करो।इतना प्यार करो कि इसमें से खुशी के आंसू निकले।

फिर क्या था अमजद टूट पड़ा दिव्या की छोटी चूत पर।और चूत को जबान से चाटने लगा।

अमजद की खुरदरी जबान अपनी चूत पर लगते ही दिव्या मजे से चीख उठी।

सारा:दिव्या मेरी बहन, कैसा लग रहा है अब्बू का प्यार करना।

दिव्या:aahhhhh, ouchchch, sihhhh.
क्या बताऊं मेरी बहन कितना अच्छा लग रहा है।इतना अच्छा मुझे कभी नहीं लगा।

सारा और दिव्या दोनों कामुक बातें कर रही थी और अमजद दिव्या की चूत चूसने में लगा हुआ था।

दिव्या ने अपनी टांगे अमजद के गले में डाल दी और अपने हाथ से अमजद का सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी।
चूत चुसाई से दिव्या का बदन अकडकर झटके खाने लगा।

अमजद समझ गया कि ये रंडी अब झड़ने वाली है।
अमजद ने दिव्या को टांगे पकड़कर अपनी गर्दन से हटाई और चूत चुसाई बंद कर दी।

दिव्या को बहुत मजा आ रहा था,वो झड़ने वाली थी।अमजद के ऐसे छोड़ने से वो तड़पकर अमजद की तरफ देखने लगी।पर वो जल्दी ही समझ गई कि अब उसकी चुदाई होने वाली है।

सारा भी समझ गई कि अब अब्बू दिव्या को चोदने वाले है।

अमजद:बेटी अब तो तुम खुश हो।मैने तुम्हारे पूरे बदन को प्यार कर लिया।

सारा समझ गई कि अब्बू पूरा खेल मेरे हिसाब से खेलना चाहते हैं।(मन में) हाए...,मेरे प्यारे अब्बू ने मुझे अपनी रंडी तो बना दिया,अब रात को रंडी की तरह चोद सके, इसलिए ये सब रंडीपना मुझसे करवाना चाहते है।पर मैं भी आपको बता दूंगी कि अब मैं आपकी पक्की रंडी बन चुकी हूं।

सारा:अब्बू, एक बेटी को असली खुशी तब मिलेगी,जब एक बेटी बिना कपड़ों के अपने बाप की गोद में बैठेगी,अपने बाप की गोदी में खेलेगी।क्या आपको अच्छा नहीं लगेगा जब आपकी बेटी कपड़े उतारकर आपकी गोद में बैठकर खेलेगी, कूदेगी।

अमजद:ओह मेरी प्यारी गुड़िया कितनी समझदार हो गई है, मेरी बेटियों को कपड़े उतार कर मेरी गोद में कूदने से असली खुशी मिलती है तो मैं खुद अपने हाथों से उनके कपड़े उतार कर अपनी गोद में बिठा लूंगा और कूदने को कहूंगा।

सारा: ओह... हमारे प्यारे अब्बू हम दोनों बेटियों से कितना प्यार करते हैं। हमारी खुशी के लिए हमारे कपड़े उतार कर अपनी गोद में खेलने को कह रहे हैं। पर क्या हमारे प्यारे अब्बू को हमारे कपड़े उतार कर हमें प्यार करने से खुशी मिलेगी या सिर्फ वह हमारी खुशी के लिए हमारे कपड़े उतार कर हमें प्यार करेंगे। बताइए अब्बू, क्या हम दोनों कपड़े उतारकर आपकी गोद में कूदेगी तो आपको खुशी मिलेगी।

अमजद:अपनी बेटी की खुशी बढ़कर एक बाप के लिए और खुशी की बात क्या हो सकती है। और रही बात तुम्हारे कपड़े उतार कर प्यार करने से मुझे खुशी मिलती है या नहीं। गुड़िया, आज मुझे दिवीया बेटी के कपड़े उतार कर उसके बदन को चूमने चाटने और चूसने में जो खुशी मिली है,ऐसी खुशी मुझे आज तक किसी भी चीज में नहीं मिली। दीव्या बेटी मेरी गोद में बिना कपड़े के कूदेगी तो मुझे और ज्यादा खुशी मिलेगी। और सबसे ज्यादा खुशी तो मुझे तब मिलेगी जब मैं अपने हाथों से मेरी गुड़िया के कपड़े उतारूंगा और अपनी प्यारी बेटी गुड़िया के बदन को चुमूंगा,चूसूंगा और चाटूंगा।और बिना कपड़ों के तू मेरी गोद में कुदेगी और खुशी से चिल्लाएगी तो मुझे और ज्यादा खुशी मिलेगी।गुड़िया मेरा तो जी चाहता है कि.......।

सारा: बोलिए अब्बू, आपका दिल क्या करना चाहता है।

अमजद:मेरी प्यारी गुड़िया,मेरा जी चाहता है कि....

सारा:प्लीज अब्बू बोलिए ना,क्या करना चाहता है आपका दिल।

अमजद:मेरा दिल करता है कि मैं तुम दोनों हमेशा बिना कपड़ों के रहो मेरे सामने।बल्कि तुम दोनों कपड़े पहनो ही नहीं। हम दोनों जब स्कूल आए,तब मैं तुझे बिना कपड़ों के अपनी गोद में बिठाकर लाऊं।घर में,खेत में,यहां तक कि पूरे गांव में तुझे बिना कपड़ों के अपनी गोद में बिठाकर घुमाऊं।स्कूल में,सारे स्टुडेंट और टीचर के सामने तुम दोनों अपने कपड़े उतारकर मेरी गोद में उछल उछल कर खेलो।

सारा:ओह... मेरे प्यारे अब्बू,अगर हमारे अब्बू को हमारे कपड़े उतारकर अपनी गोदी में बिठाने से खुशी मिलती है, तो हम बेटियां भी अपने कपड़े उतारकर आपकी गोद में बैठकर कूदेंगी।गांव और स्कूल छोड़िए,आप कहेंगे तो हम दोनों पूरी दुनियां के सामने अपने कपड़े उतारकर आपकी गोद में कूदेगी।क्यों दिव्या, मैंने सही कहा ना।

दिव्या:हां मेरी बहन,तुमने बिलकुल सही कहा।इसमें हम बेटियां को भी खुशी मिलेगी।

सारा:तो अब देर किस बात की।कपड़े तो तूने उतार दिए है,अब अब्बू की गोद में बैठ और कूद।हमारे अब्बू को भी खुशकर और खुद भी खुश हो जा,मुझे भी तुझे अब्बू की गोद में कूदते देख खुशी मिलेगी।चल जल्दी कर, मुझे देखना कि एक बेटी अपने कपड़े उतारकर अपने बाप की गोद में कुदती है तो कैसे खुशी से चिल्लाती है।मुझे भी रात को अब्बू की गोद में बैठकर कूदना और खुशी से चिल्लाना।

अमजद:हां बेटी दिव्या जल्दी से बैठ जा मेरी गोद में। मैं तड़प रहा हूं तुझे अपनी गोदी में बिठाने के लिए।

दिव्या तो मरी जा रही थी अमजद से चुदने के लिए,उससे अब ये बदन की आग बर्दास्त नहीं हो रही थी।
दिव्या अमजद के पास गई और अपनी टांग उठा कर उसकी गोद में बैठने लगी।

तभी सारा बोली:दिव्या रुक।

अमजद:क्या हुआ गुड़िया।

सारा (मुस्कराते हुए): अब्बू,दिव्या ने तो कपड़े उतार दिए,पर आपने कपड़े पहने हुए है।आप भी अपने कपड़े उतार दीजिए।

अमजद भी अपने कपड़े उतारना चाहता था।पर वो चाहता था कि सारा कहे उसे कपड़े उतारने को।अमजद को इसमें बहुत मजा आ रहा था।और इसमें एक और फायदा था कि सारा रात को खुद के कपड़े उतारने में रति भर भी शर्म महसूस ना करें।

अमजद: गुड़िया मुझे अपने कपड़े उतारने की क्या जरूरत है।

सारा:अब्बू, जैसे हमारे कपड़े उतारकर,हमें प्यार करने में आपको और हमको खुशी मिलती है, ऐसे ही आप अपने कपड़े उतारेंगे तो आपको और आपकी बेटीयां को ज्यादा खुशी मिलेगी। और अगर दिव्या ऐसे आपकी गोद में बैठेगी तो ऐसा लगेगा जैसे आप पे नहीं आपके कपड़ों पे बैठी है,इससे आपको और दिव्या को असली खुशी नहीं मिलेगी।अब दिव्या का तो दिव्या जाने,पर मैं जब अपने कपड़े उतारकर आपकी गोद में बैठकर कुदुगी तो एक भी कपड़ा आपके बदन पर नहीं रहना चाहिए।

दिव्या:अब्बू, आप भी अपने कपड़े उतारो,आप अपने कपड़े उतारेंगे तो ही आपकी गोद में बैठूंगी।

अमजद:अरे दिव्या बेटी गुस्सा क्यों होती है,अभी मैं अपने कपड़े उतारता हूं।सच कहूं तो मुझे अपने कपड़े उतारकर तुम्हे अपनी गोदी में बिठाने में खुशी मिलेगी।

अमजद ने कुर्सी पर बैठे हुए अपना कुर्ता पायजामा और अपना कच्छा उतार दिया।

अमजद:आओ बेटी दिव्या,अब बैठो मेरी गोदी में।

दिव्या टांग उठा कर अमजद के खड़े लंड पर बैठ गई।

वैसे तो अमजद ने कल दिव्या को अपनी रंडी बनाकर बेरहमी से चोदा था,पर आज अपनी सगी बेटी के सामने दिव्या को नंगा करके अपनी गोद में बिठाकर बहुत मजा आ रहा था।

दिव्या अपनी नंगी चूत को अमजद के खड़े लोड़े पर रगड़ने लगी।अमजद भी दिव्या की गांड मसल रहा था और उसकी चूचियों को चूस रहा था।आह... बड़ा ही कामुक नजारा था सारा के लिए।
दिव्या को भी बहुत मजा आ रहा था,उसकी चूत से रस की बोसार हो रही थी और वो आहह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह येस्सस्स्स करने लगी।

सारा: कैसा लग रहा है आप दोनो को ऐसे बिना कपड़ों के एक दूसरे को प्यार करके।

अमजद दिव्या:(साथ में)बहुत खुशी मिल रही है। दोनों के बदन को ऐसे बिना कपड़ों के रगड़ने से बहुत अच्छा लग रहा है।

दोनों को लंड और चूत की घिसाई में बहुत मजा आ रहा था।दोनों बहुत गरम हो चुके थे।
अमजद का लंड सुबह से खड़ा था,उसे चुदाई की सख्त जरूरत थी।दिव्या भी अब बहुत चुदासी हो गई थी,उसे भी अमजद का लंड अपनी चूत में लेना था।सारा को भी दोनों की चुदाई देखनी थी।

सारा:दिव्या,तुम ऐसे ही अब्बू की गोद में बैठकर हिलती रहेगी या कूदेगी भी।

दिव्या:उह्ह्ह्ह... अब्बू की गोद में बिना कपड़ों के ऐसे हिलने में भी बहुत अच्छा लग रहा है।पर मैं इनकी गोद में कूदना(चुदना) भी चाहती हूं।अब्बू कुदू आपकी गोद में।

अमजद:हां कूदो दिव्या बेटी,पर पहले थोड़ा ऊपर होकर ठीक से बैठो फिर कूदो।तुम ठीक से बैठोगी तो कूदने में अच्छा लगेगा।

आप लोगों की तरह दिव्या और सारा दोनों भी समझ गई कि अमजद दिव्या को गांड उठाने को क्यों कह रहा है।

दिव्या ने अमजद की बात मानते हुए अपनी गांड उठाई और अमजद के लंड को हाथ में पकड़कर अपनी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगी।दिव्या भले ही अमजद की रंडी थी,पर बस एकबार चुदी हुई लड़की थी।उससे लंड अपनी चूत में नहीं घुसाया जा रहा था।अमजद समझ गया साली से नहीं हो रहा है।

अमजद : दिव्या बेटी, मैं तुम्हारी ठीक से बैठने में मदद करता हूं, मैं जब बैठने को कहूं ,तब धीरे से बैठना।

दिव्या:जी अब्बू

अमजद का लोड़ा दिव्या की चूत के पानी से गीला हो गया था,अमजद ने अपना लंड पकड़ा और लंड का सुपाड़ा दिव्या की चूत पे रगड़ने लगा।अमजद ने अपना लोड़ा दिव्या की चूत पर सेट किया और दिव्या को कहा:बेटी अब धीरे धीरे बैठो मेरी गोदी में।

दिव्या अपना वजन अमजद के लोड़े पर डालने लगी और अमजद के लंड का सुपाड़ा पट से दिव्या की चूत में घुस गया। टोपा अंदर जाते ही दिव्या की चीख निकल गई।दिव्या की पहली चुदाई कल ही हुई थी,अमजद ने जिस तरह से चोदा था,तो आप समझ सकते हैं कि उसकी चूत में थोड़ा दर्द तो अभी तक था।और अमजद का लोड़ा इतना बड़ा और मोटा था कि कोठे पर बैठने वाली किसी बाजारू रंडी की भी चीखे निकल जाएगी।दिव्या तो अभी बच्ची थी अमजद के हलावी लंड के सामने,तो उसका चीखना लाजमी था।

दिव्या की चीख सुनकर सारा समझ गई कि अब्बू ने अपना लोड़ा दिव्या की चूत में डाल दिया है।

सारा:(कामुक मुस्कान के साथ)क्या हुआ दिव्या,बड़ी जोर से चीखी हो। क्या बहुत खुशी हो रही है अब्बू की गोद में बैठकर।

दिव्या को सच मे दर्द हुआ था पर वो अमजद की रंडी थी,तो उसे दर्द में भी मजा आता था।और दिव्या ये भी जानती थी कि अगर उसने कह दिया कि दर्द हो रहा है तो अमजद उसे कभी नहीं चोदेगा।दिव्या को कल अमजद की रंडी बनकर चूसने में बहुत मजा आया था।और वो ये मजा जिंदगी भर लेना चाहती थी।

दिव्या:(कहराते हुए)हां सारा मेरी बहन,मुझे बहुत खुशी हो रही है,ऐसे बिना कपड़ों के अब्बू की गोद में बैठकर।

अमजद जानता था दिव्या को दर्द हो रहा है।पर अमजद चुदाई के मामले में जानवर था।उसे तो अपनी रंडी दर्द देने में मजा आता था। अमजद ने दिव्या की कमर को पकड़ा और जोर से अपने लंड पे दबाया।ऐसा करने से अमजद पापी लोड़ा आधा दिव्या की चूत में चला गया।पर दिव्या तब ही समझ गई थी जब अमजद ने अपने दिव्या की कमर पर रखे थे,तो दिव्या ने अपना हाथ अपने मुंह पर रख दिया ताकि ताकि उसकी चीख पूरी स्कूल में ना सुनाई दे।मुंह पर हाथ रखने से भी दिव्या की घुट्टी हुई चीख सारा को साफ सुनाई दी।

सारा:दिव्या तूने अपना हाथ अपने मुंह पर क्यों रखा,मुझे तेरी चीख सुननी थी।

अमजद:अरे गुड़िया कोई बात नहीं,दिव्या बेटी इसलिए नहीं चीखी क्योंकि इसकी खुशी की चीख सुनकर कोई टीचर यहां आ जाए और इसकी खुशी को नज़र ना लगा दे।पर तू फिक्र मत कर कल दोपहर के बाद हम खेत जाएंगे,दिव्या बेटी भी वहां आ जाएगी। वहां दिव्या बेटी बहुत जोर से चिल्लाएगी,तब तुम सुन लेना।वैसे भी कल दिव्या बेटी एक और खुशी देनी है।उस खुशी में दिव्या बेटी ज्यादा चिलाएगी देखना।और हां रात को तेरे कपड़े उतारकर अपनी गोदी में बैठा कर तुझे भी खुशी देनी है,तब तू अपनी खुशी की चीखे सुन लेना।वैसे मैं तुम दोनों को पहले भी बता चुका हूं कि मुझे तुम दोनों की खुशी की चीखे सुनना बहुत पसंद है।

दिव्या को एक और खुशी देने वाली बात पहले तो सारा और दिव्या को समझ नहीं आई,पर जल्द ही दोनो समझ गई कि कल अमजद दिव्या की गांड फाड़ने की बात कर रहा है।अरे जब अमजद का काला दमदार लोड़ा दिव्या की गांड में घुसेगा तो यकीनन वो चीखेगी।

सारा:ओके अब्बू, मैं समझ गई।

अमजद कुर्सी पर आराम से बैठा था और दिव्या अपनी दोनों टांगें फैला कर अमजद का आधा लंड अपनी चूत में लिए खड़ी थी,उसे दर्द तो हो रहा था पर मजा भी बहुत आ रहा था। वैसे भी अब अमजद उसका मालिक था, तो दिव्या को अब अपने दर्द की परवाह नहीं करनी थी,उसे तो बस किसी गुलाम या रखैल की तरह अपने मालिक को खुश करना था।

अमजद(अपनी रखैल को ऑर्डर देते हुए):बेटी दिव्या अब कूदो अपने अब्बू की गोद में।

दिव्या भी किसी पालतू कुत्तिया की तरह अपने मालिक का हुकुम मानते हुए धीरे धीरे अमजद का लोड़ा अपनी चूत में लेने लगी।
जब अमजद का पूरा लंड दिव्या की चूत में चला गया,तब दिव्या जोर जोर से चिल्लाते हुए अमजद के लोड़े पर कूदने लगी।या यूं कहूं कि दिव्या किसी पोर्नस्टार की तरह चुदने लगी।

अमजद:आअअह्ह्ह्ह बेटी दिव्या,बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही कूदती रहो मेरी गोद में मेरी बेटी।क्या बताऊं मुझे कितनी खुशी मिल रही है।ohhhhhhh उफ्फ

दिव्या:aaahhhhhhh अब्बू मुझे भी bahuuut खुशी मिल रही है आपकी गोद में ऐसे कपड़े उतारकर कूदते हुए।

अब दिव्या का दर्द कम हो गया था और उसे मजा आ रहा था।दिव्या पूरी ताकत लगा कर अमजद के लोड़े पर उछल रही थी।अमजद भी कहां शांत रहने वाला था,वो कभी दिव्या के होठों चूसता,कभी उसकी चूचियों को दबा दबाकर चूसता और साथ में दिव्या को गांड को भी वेयशी तरीके से दबा रहा था।
सारा भी दिव्या को अपने अब्बू से चुद्ता हुआ देख बहुत मजे ले रही थी,सारा इतनी गर्म हो गई थी कि उसका जी कर रहा था कि अभी दिव्या को उठाकर खुद अपने अब्बू की गोद में बैठ जाएं और अपने अब्बू का लोड़ा अपनी चूत में लेकर चुदे।पर उसे तो इत्मीनान से चुदना था अपने अब्बू से,अभी इतना टाइम नहीं था कि सारा अपने अब्बू से खुलकर पूरे मजे लेकर चुदवाए।वैसे भी सारा अपनी चूत की आग को इतना भड़काना चाहती थी कि आज रात वो अपने अब्बू की रंडी बनकर चुदे।वो एक रात में अपने अब्बू को इतना तो जान गई थी कि अपने अब्बू के इस पापी हलावी लोड़े का सामना करने के लिए उसे एक रंडी से बड़ी रंडी बनना पड़ेगा।

अमजद: आह... मेरी प्यारी बेटी ऐसे ही उछल उछल कर मेरा संस्कार(लंड)अपने अंदर लेती रह।अपना संस्कार तेरे अंदर डालके मुझे बहुत खुशी मिल रही है। ओह... मेरी बच्चियों अगर मुझे पता होता कि तुम दोनों बड़ी हो गई हो,और अपने कपड़े उतारकर,मेरी गोद में बैठकर कूद कूदकर मेरा पूरा संस्कार(लौड़ा)अपने अंदर ले सकती हो,तो मैं तुम दोनों को कब का तुम दोनों के कपड़े उतारकर अपनी गोदी में बिठाकर अपना पूरा संस्कार(लोड़ा)तुम्हारे अंदर डाल देता।और तुम दोनों को अपनी संस्कारी(रंडी)बेटी बना देता।ओह... मेरी प्यारी बेटी दिव्या ऐसे ही कूदती रहो मेरी गोद में,बहुत अच्छा लग रहा है।

दिव्या मजे से अमजद के लोड़े पर उछल उछल कर चुद रही थी,बिलकुल किसी पोर्नस्टार की तरह।और अमजद दिव्या के बदन को किसी जानवर की तरह नोच रहा था।दिव्या को भी अमजद के इस वेहशीपन से बहुत मजा आ रहा था।

दिव्या का बदन चुदते हुए अकड़ने लगा और वो जोर जोर अमजद के लोड़े पर कूदने लगी।और चिल्लाती हुई झड़ने लगी।दिव्या के कामरस से अमजद के लोड़े और आंड को भिगो दिया।
झड़ने के बाद भी खुमारी में धीरे धीरे अमजद के लोड़े पर ऊपर निचे हो रही थी।

अमजद को तो पता चल गया था कि दिव्या झड़ गई है,पर सारा भी कल रात को अमजद की शैतानी मस्ती से बड़े ही खतरनाक झड़ी थी,सारा को पता था कि झड़ने के बाद कैसा महसूस होता है, तो दिव्या की हालत देखकर सारा समझ गई कि दिव्या झड़ चुकी है।सारा ने सोचा अगर दिव्या ठंडी पड़ गई तो अबू को ठंडा करने के लिए उसे चुदना पड़ेगा,पर सारा अभी नहीं चुदना चाहती थी।वो तो आज रात को बड़े ही कामुक तरीके से चुदना चाहती थी।

सारा:अब्बू,अभी आपने कहा कि हम दोनों बेटियां अपने कपड़े उतारकर, आपकी गोद में बैठकर आपका पूरा संस्कार (लोड़ा) अपने अंदर लेने के लिए बड़ी हो गई है। दिव्या का तो दिव्या जाने,पर मैं इतनी बड़ी हो गई हूं कि आप मेरी गोद में बैठकर कूदे और अपना पूरा संस्कार (लोड़ा)मेरे अंदर डाल सकते हैं।अब्बू प्लीज रात आप मेरी में कूद कूदकर अपना पूरा संस्कार (लोड़ा) मेरे अंदर डाल देना,इससे मुझे बहुत खुशी मिलेगी।

माना कि दिव्या झड़ चुकी थी,पर अमजद ने उसकी चूत में इतनी आग लगा दी थी कि उसे अमजद से बेरहमी से चुदे बिना चैन नहीं मिलेगा।

दिव्या(सारा से):हेलो मैडम,अगर तुम अब्बू को अपनी गोद में कूदा कर उनका पूरा संस्कार अंदर ले सकती हो तो मैं भी ले सकती हूं।मैं तो अभी अब्बू को अपनी गोदी में बैठा कर उनका पूरा संस्कार अंदर ले लूंगी।

अमजद समझ गया कि सारा क्या चाहती है।पर अमजद तो उसका बाप था।और ऊपर से उसका खड़ा लोड़ा तो उसे बहुत आईडिया देता था।

अमजद:अरे अरे... रुको,तुम दोनों बहस बंद करो। और रही बात तुम्हारी गोद में बैठकर तुम्हारे अंदर अपना संस्कार डालने की,तो एक बाप कभी अपनी बेटी की गोद में नहीं बैठता।

दोनों जानती थी कि अमजद दिव्या को चोदे बिना नहीं छोड़ेगा।वो भी अपना माल निकलना चाहता है,पर किस पोजिशन में चोदकर।

दिव्या:क्यूं अब्बू,आप मेरी गोद में क्यों नहीं बैठ सकते।अगर आप मेरी गोद में नहीं बैठेंगे तो अपना संस्कार(लंड) मेरे अंदर कैसे डालेंगे।

सारा:इसका मतलब आप मेरी गोद में भी नहीं बैठेंगे।और अपना संस्कार मेरे अंदर नहीं डालेंगे।

अमजद:नहीं,मैं तुम्हारी गोद में भी नहीं बैठूंगा।

सारा:पर क्यूं अब्बू।

अमजद:क्योंकि एक बाप कभी अपनी गोद में बैठकर अपना संस्कार(लोड़ा)अपनी बेटी के अंदर नहीं डालता।बल्कि उसकी पीठ पर चढ़कर अपना संस्कार (लोड़ा) अपनी प्यारी(रंडी)बेटी के अंदर(चूत में)डालता है,समझी तुम दोनों।

सारा:ओह,ये बात है।मैं समझी हमें ही आपके ऊपर बैठके आपका संस्कार(लोड़ा) अपने अंदर(चूत में) लेना पड़ेगा,आप कभी हमारे ऊपर बैठकर अपना संस्कार(लोड़ा)हमारे अंदर(चूत में)नहीं डालेंगे।

दिव्या:थैंक्स अब्बू,मैं तो खामखा डर गई थी।

(दोस्तों आप लोगों को फिर से बता दूं कि तीनों नाटक कर रहे थे)

अमजद;मैं पागल हूं जो इतनी प्यारी(रंडी)बेटियों के ऊपर बैठकर अपना संस्कार(लोड़ा) डालने से मना करूंगा।

सारा:ठीक है अब्बू,अब बताइए कैसे बैठेंगे अपनी बेटी दिव्या की पीठ पर।

अमजद:दिव्या बेटी तुम मेरी गोद से उठकर इस टेबल पर झुक जाओ, मैं तुम्हारे ऊपर चढ़ता हूं।(सारा की तरफ मुस्कराकर)और गुड़िया तुम भी देखो कैसे एक बाप अपनी बेटी की पीठ पर सवार होकर अपना संस्कार(लोड़ा)अपनी बेटी के अंदर डालता है।ध्यान से देखना गुड़िया,आज रात को तेरी पीठ पर चढ़कर भी तेरे अंदर अपना संस्कार (लंड)डालूंगा।

दिव्या अमजद की गोद से उठी,पट की आवाज से अमजद का लोड़ा दिव्या की चूत से निकला।अमजद का लोड़ा दिव्या के कामरस से सना हुआ था. दिव्या खड़ी हुई और घोड़ी बन गई।
अमजद भी कुर्सी से उठ खड़ा हुआ।

दिव्या ने पलट कर मुस्कराते हुए अमजद को देखा।
सारा ने वैसे तो कल रात को अमजद का लंड देखा था और चूसा भी था।पर सारा ने जब अभी देखा तो ,अमजद का लोड़ा दिव्या की चूत के कामरस से भीगा हुआ और भी खतरनाक लग रहा था।

अमजद सारा को अपना लोड़ा दिखाते हुए:अब अपना पूरा संस्कार(लोड़ा) दिव्या बेटी के अंदर डाल देता हूं,रात को अपना पूरा संस्कार(लोड़ा) तेरे अंदर डाल कर तुझे अपनी संस्कारी(चुदक्कड़) बेटी बना दूंगा।

सारा अमजद का लोड़ा देखते हुए:अब्बू, मैं भी तड़प रही हूं आपका पूरा संस्कार (लोड़ा) अपने अंदर लेने के लिए।जी कर रहा है अभी अपने कपड़े उतारकर आपका पूरा संस्कार (लोड़ा)अपने अंदर ले लूं।पर अभी आप दिव्या को संस्कारी(चुदक्कड़)बनाओ।आज रात को आप मुझे अपनी संस्कारी(रंडी)बेटी बना देना।आप मुझे अपनी ऐसी संस्कारी(रंडी)बेटी बना देना कि मैं आपकी हर बात मानूं।

अमजद:हां मेरी प्यारी गुड़िया तूने सही कहा।अभी मैं दिव्या के अंदर अपना संस्कार (लोड़ा) डालके इसे अपनी संस्कारी (रंडी)बेटी बनाता हूं।पर रात को तुझे पूरी संस्कारी (रंडी)बेटी बनाऊंगा,तुझे अपने संस्कार (लोड़े)से ऐसी संस्कारी(रंडी) बना दूंगा कि आजतक किसी बाप ने अपनी बेटी को ऐसे संस्कार(रंडीपना) नहीं सिखाए होंगे।फिर कल दोपहर को खेत में तुम दोनों को मुझे बताना होगा कि तुम दोनों कितनी बड़ी संस्कारी(रंडी) बेटी हो।

सारा:जरूर दिखाएंगे कि हम दोनों कितनी बड़ी संस्कारी (रंडी) बेटी है।आपका संस्कार (चोदने )का तरीका इतना प्यारा है कि हम दोनों जल्दी ही सारे संस्कार (रंडीपना)सीख जाएंगी।पर अभी आप दिव्या को संस्कार सिखाओ(चोदो)।और दिव्या भी किसी संस्कारी(रंडी)की तरह संस्कार सीखे(चुदे) आपसे।और दिव्या तू अब्बू का संस्कार(लोड़ा) ज्यादा अच्छा लगे तो खुशी(दर्द) से चिल्लाना।अभी तक तू अब्बू की गोद में बैठकर संस्कार सीख(चुद)रही थी,पर अब अब्बू तेरे ऊपर चढ़कर तुझे संस्कार सिखाएंगे(चोदेंगे) तो तुझे ज्यादा खुशी (दर्द)होगी।इसलिए तेरी चीखे तो निकलेगी।और जरा धीरे चिल्लाना,कहीं तुम्हारी खुशी की चीखे सुनकर स्कूल की बाकी लड़कियां भी ना आ जाए अब्बू बेटी(रंडी) बनने के लिए।(अमजद की तरफ देख मुस्कराने लगी)

अमजद भी मजे लेते हुए: अगर ऐसी बात है तो,मैं स्कूल की ही नहीं बल्कि पूरे गांव की लड़कियों को अपनी बेटी(रंडी) बनाऊंगा।फिर चाहे वो इस गांव की कुंवारी लड़कियां हो,शादीशुदा लड़कियां हो या इस गांव की बहूएं हो।सबको अपनी बेटी(रंडी) बनाऊंगा।

अमजद सारा की आंखों में देखकर सब बोल रहा था।
अमजद बात करते हुए अपने लंड को हाथ में पकड़ा और पीछे से दिव्या की गांड और चूत पर रगड़ने लगा।अमजद का लोड़ा दिव्या की चूत अपर लगते ही दिव्या की सिसकारी निकल गई।

दिव्या:आह...अब्बू..

अमजद सारा की तरफ देखकर मुस्कराते हुए: गुड़िया बेटी डाल दूं अपना संस्कार (लोड़ा)दिव्या के अंदर।

सारा बेशर्मी से अमजद की आंखों में देखकर:हां डाल दो अपना पूरा संस्कार (लौड़ा)दिव्या के अंदर।एकबार में ही अपना पूरा संस्कार (लोड़ा) इसके अंदर डालके इसे बता दीजिए कि असली(चोदू) बाप क्या होता है।और दिव्या तू दिखा दे कि तुझमें भी इनकी बेटी(रंडी) बनने के सारे गुण है।

दिव्या:हां अब्बू, डाल दीजिए अपना पूरा संस्कार (लोड़ा) मेरे अंदर और बना दीजिए मुझे अपनी संस्कारी(रंडी) बेटी ।सारा को भी पता होना चाहिए की अब्बू कैसे संस्कार डालते (चोदते) है,और कैसे अपनी बेटी को संस्कारी(रंडी) बनाते है।

दिव्या के इतना कहते ही अमजद ने अपना लोड़ा उसकी चूत पर सेट किया और एक झटके में पूरा लोड़ा दिव्या की बच्चेदानी तक घुसा दिया।
वो तो अच्छा हुआ जैसे ही अमजद ने अपना लंड दिव्या की चूत पर सेट किया तो दिव्या ने अपना एक हाथ अपने मुंह पर रख दिया, वरना जितना बड़ा अमजद का लोड़ा था और जिस तरीके से अमजद ने एक झटके में पूरा घुसाया था, ऐसे अगर किसी पोर्नस्टार या किसी बाजारू रंडी की चूत में भी डाला होता तो उसकी भी जोर से चीख निकल जाती। दिव्या तो वैसे भी मासूम बच्ची थी जिसने सिर्फ एक बार चुदाई करवाई थी वो भी एक दिन पहले।तो लाजमी था कि अगर दिव्या अपना हाथ अपने मुंह पर नहीं रखती तो उसकी भयानक चीख निकलती और पूरा स्कूल उसकी चीख सुनता।

दिव्या वैसे तो बहुत गर्म थी वो लंड के लिए तड़प रही थी पर अमजद का हलावी लोड़ा जब एक झटके में पूरा लौड़ा अंदर गया तो उसे बहुत दर्द हुआ,उसकी आंखों में आंसू आ गए।

पास खड़ी सारा भी समझ गई कि अब्बू का लोड़ा मजे के साथ दर्द भी बहुत देता है।उसने सारा के चेहरे के हावभाव और आंखों में आंसू निकलते देख लिए।

जहां एक तरफ दिव्या दर्द से तड़प रही थी, वहीं ये दोनों बाप बेटी एक दूसरे की आंखों में बेशर्मी से देखकर मुस्करा रहे थे। दोनों को दिव्या को दर्द में देखकर मजा आ रहा था।
अमजद को सारा को मुस्कराता देख खुशी हुई।सारा की जगह कोई और लड़की होती दिव्या के आंसू देखकर दर जाती, पर सारा मुस्करा रही थी।

सारा दिव्या के मजे लेते हुए:ओह दिव्या तुमने अपना हाथ अपने मुंह पर क्यों रखा मुझे और अब्बू को तेरी खुशी की चीख सुननी थी।

दिव्या ने अपना हाथ मुंह से हटाया:सारा..आह... मेरी बहन,फिक्र क्यों करती है।आज रात को अब्बू तेरी भी चीखें निकालेंगे, तब अपनी चीखे सुन लेना और अब्बू को भी सुना देना।वैसे भी कल दोपहर को अब्बू हम दोनो को एक साथ संस्कार सिखाएंगे(चोदेंगे)तब मैं जोर जोर से चिल्लाऊंगी।

सारा:ओह.. मेरी प्यारी बहन, क्या बताऊं तुझे।मैं तो मरी जा रही हूं खुशी से चिल्लाने के लिए।कब रात हो और कब अब्बू अपना पूरा संस्कार (लोड़ा)मेरे अंदर डालें और कब मैं जोर जोर से चिल्लाऊं। और अब्बू आप अब देर मत करो,जल्दी से इसकी पीठ पर जोर जोर से कूदकर इसे खुई से पागल कर दो ।और इसे बता तो कि अपने बाप की संस्कारी (रंडी) बेटी बनना किसे कहते हैं।

अब दिव्या का भी दर्द कुछ कम हो गया था।
अमजद ने आव देखा ना ताव फर्राटेदार तरीके से दिव्या को चोदने लगा।
पहले तो अमजद नॉर्मल तरीके से तेज धक्कों से दिव्या को चोद रहा था।

फिर जब उसने सारा की तरफ देखा तो,सारा अमजद और दिव्या की चुदाई देख कर अपने हाथ की मिडल फिंगर को मुंह में लेकर चूस रही थी और एक हाथ से अपनी चुचियों को सहला रही थी। और उंगली तो ऐसे चूस रही थी जैसे लोड़ा चूस रही हो।

साले अमजद के तो मजे ही मजे थे। सोचो यार, एक अधेड़ व्यक्ति अपनी बेटी की उम्र की लड़की को चोद रहा है,और उसकी सगी बेटी पास में खड़ी अपने बाप को चुदाई करता देख रही है और रंडी जैसी हरकतें कर रही हो।अरे यार कोई भी बंदा हो जोश में आ जाता है।और अगर अमजद जैसा हवसी इंसान हो तो पागल हो जाता है।

अमजद अपनी बेटी की इस हरकत से पागल हो गया।और सारा की आंखों में देखकर दिव्या की चूत को ठोकने लगा।

दिव्या की ऐसी धमाकेदार चुदाई देख कर, सारा अमजद की आंखों में देखकर अब अपनी उंगली को चाटने लगी।

सारा की हरकतें अमजद के लिए वायग्रा का काम कर रही थी।

अबतक अमजद दिव्या की कमर पकड़कर चोद रहा था,मगर सारा की बेशर्मी की वजह से उसने कमर से हाथ हटाए और दिव्या की चुचियों को पकड़ा और चोदने लगा।दिव्या की चुचियों को ऐसे पकड़ कर चोद रहा था कि जैसे उसकी चूचियों को बदन से अलग कर देगा।
एक तो अमजद का काला बड़ा लोड़ा दिव्या की चूत को फाड़ रहा था और ऊपर अमजद का ऐसे उसकी चूचियों को नोचना,दिव्या को बेरहमी से चुदने में मज़ा आता था पर उसे दर्द भी बहुत हो रहा था।पर दिव्या को ऐसे दर्द में देखकर जाने क्यूं सारा को मजा आ रहा था।वो सामने खड़ी अमजद को उकसा रही थी।अमजद कोई अनाड़ी नहीं था,उसे उसे भी पता चल गया था कि सारा क्या चाहती है।
कुछ देर तक दिव्या को ऐसे ही चोदता रहा और उसकी चूचियों को नोचता रहा।पर सारा चाहती थी कि अब्बू दिव्या को और बेदर्दी से चोदे।ये बात अमजद भी समझ गया था,पर वो ये नहीं समझ पाया था कि सारा ऐसा क्यों चाहती है।

अमजद ने सोचा अगर मेरी रंडी बेटी चाहती है कि उसका बाप दिव्या को और बेदर्दी से चोदे, तो मैं आज दिव्या की हालत खराब कर दूंगा।

अमजद ने एक से दिव्या के बालों को पकड़ा और पीछे खींचा,दूसरे हाथ से दिव्या की गांड पे जोर जोर से थपड़ मारने लगा।और चोदने की स्पीड इतनी तेज थी कि जैसे अमजद इंसान नहीं कोई मशीन हो। 10 मिनट तक अमजद दिव्या की गांड पर थप्पड़ मारकर चोदता रहा।एक तो अमजद दिव्या की गांड पर थप्पड़ इतनी जोर जोर से मार रहा था और वो भी दस मिनट तक,दिव्या के सफेद चूतड़ लाल हो गए थे,ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने बेल्ट से बड़ी बेरहमी से मारा हो।
कल की चुदाई से दिव्या जान गई थी कि अमजद को चुदाई के वक्त लड़की को दर्द देने में मजा आता है।और दिव्या को भी बेदर्दी से चुदने में मज़ा आता है।पर जिस तरीके से अमजद आज दिव्या को चोद रहा था,उससे 18 साल की मासूम दिव्या को बहुत दर्द हो रहा था।पर अमजद ने एक बार की चुदाई में दिव्या को ऐसा चुदक्कड़ बना दिया था कि इस 40 मिनट की चुदाई में दिव्या तीन बार झड़ चुकी थी।उसे दर्द में भी बहुत मजा आ रहा था। इस वक्त दिव्या के मुंह से जैपनीज पोर्न स्टार की तरह आवाजे निकल रही थी जो अमजद को और जोश दिला रही थी।
(साले ये जैपनीज चूत को बलर क्यूं करते हैं,पर कुछ भी हो साली जैपनीज लड़कियां चुदाई के वक्त अजीब तरीके से चिल्लाती है तो मजा बहुत आता है)

अमजद सारा की आंखों में देखकर दिव्या को बेरहमी से चोद रहा था उसे जुल्म ढा रहा था,पर साली सारा थी कि उसे सारा के दर्द से फर्क नहीं पड़ रहा था,सारा तो बस अपने अब्बू की मर्दानगी देख कर मुस्करा रही थी और बेशर्मी से अपनी चुचियों को मसल रही थी,अपनी उंगली को ऐसे चाट और चूस रही थी जैसे अपने अब्बू का लोड़ा हो।

करीब 40 मिनट की चुदाई के बाद दिव्या की तो हालत खस्ता हो गई थी,अमजद को भी आज जोश कुछ ज्यादा ही चढ़ा हुआ था तो वो भी झड़ने वाला था। तभी दिव्या का बदन अकड़ने लगा ओर वो बुरी तरीके से झड़ गई,तो अमजद ने भी अपना लोड़ा दिव्या की चूत से निकाला और फूल जैसी दिव्या को उठाकर टेबल पर उल्टा सुला दिया।अब दिव्या का मुंह अमजद की तरफ था और गांड सारा की तरफ,सारा को दिव्या की चूत भी दिखाई दे रही थी।सारा ने दिव्या की गांड देखी तो वो मुस्कराने लगी,दिव्या की गांड पर अमजद ने थप्पड़ मार मारकर लाल टमाटर बना दिया था।अमजद ने देखा सारा दिव्या की गांड को देखकर मुस्करा रही है,अमजद को दिव्या को इतना दर्द में देखकर सारा को खुश होते देख अजीब तो लगा,पर उसे मजा भी बहुत आ रहा था सारा की इस हरकत पर।अभी अमजद कुछ पूछना नहीं चाहता था।वैसे भी 40 मिनट से अमजद दिव्या को चोद रहा था,पर तीनों कोई बात नहीं हुई।दिव्या तो बस मजे और दर्द से चिल्लाए जा रही थी,पर अमजद और सारा आंखों ही आंखों में एक दूसरे से बात कर रहे थे।

अमजद ने दिव्या कामरस से सना लोड़ा अपने हाथ में पकड़ा और दिव्या के बाल पकड़कर सारा की आंखों में देखकर पूरा लोड़ा दिव्या के मुंह में डाल दिया।और दिव्या का मुंह चोदने लगा।
अमजद दिव्या का मुंह चोदते हुए सारा को आंखों से इशारा करते हुए कह रहा था कि देखले मेरी रंडी बेटी रात को ऐसे ही तेरा मुंह चोदूंगा।सारा भी अपनी उंगली को चूसते हुए इशारा करते हुए कह रही थी कि चोद लेना अपनी सगी मासूम बेटी का प्यारा मुंह।

और दिव्या चार बार झड़ चुकी थी उसे अब तकलीफ हो रही थी।उसके मुंह से लारे बह रही थी और गूं गूं गूं गूं गूं गूं की आवाजे निकल रही थी।
अब अमजद से बर्दास्त नहीं हो रहा था,उसके टट्टे फूलने लगे।अमजद बेरहमी से दिव्या का मुंह चोदते हुए दिव्या के मुंह में झड़ने लगा।अमजद के माल से दिव्या का मुंह भर गया,दिव्या अमजद का सारा माल पी गई ।अमजद ने अपना लोड़ा बाहर निकाला और मुट्ठी में पकड़कर हिलाया तो लोड़े से दो तीन बूंदे दिव्या के गाल और नाक पर गिरी।

अमजद ने अपने कपड़े उठाए और नंगा ही बाथरूम की तरफ चला गया।

अमजद तो बाथरूम चला गया।दिव्या अब भी टेबल पर पड़ी हुई हांफ रही थी।दिव्या की सांसे थोड़ी दुरुस्त हुई तो वो उठी और टेबल पर बैठ गई।
सारा दिव्या के पास ही खड़ी मुस्करा रही थी।

सारा:कैसा लगा मेरी रांड को मेरे अब्बू का संस्कार।

दिव्या:साली कुतिया,मैं तेरे बाप की रांड हूं तेरी नहीं।समझी।और कामिनी रंडी तुम्हारे अब्बू मेरी चूत,मेरी गांड और मेरी चुचियों का कचूमर निकाल रहे थे,मैं दर्द से तड़प रही थी और तू अपने अब्बू की तरफ देख मुस्करा रही थी।तुझे मेरे पे तरस नहीं आ रहा था।

सारा:भूल मत साली,तू एक रंडी है।रंडियों को दर्द दिया जाता है,उन पे रहम नहीं किया जाता।एक रंडी को अपने मालिक को खुश करने के लिए दर्द सहना पड़ता है। दर्द सहने की ताकत नहीं थी तो रंडी बनी ही क्यों।

दिव्या:कुतिया,मुझे मालिक से कोई गिला नहीं है,मालिक जितना मुझे दर्द देंगे उतना उन्हें मजा आएगा।और अगर मालिक को मजा आएगा तो वो अपनी रंडी को भी मजा देंगे। और रही बात दर्द सहने की तो सुन कुतिया, मैं मालिक की रंडी हूं इसलिए दर्द बर्दास्त नहीं कर रही,बल्कि मुझे चुदाई में दर्द पसंद है इसलिए रंडी बनी हूं।मालिक का गालियां देना,मालिक का जलील करना,डोमिनेट करना,बेरहमी से चोदना मुझे बहुत अच्छा लगता है।मुझे बहुत मजा आता है।किसी की रंडी,रखैल,गुलाम और पालतू कुतिया बन कर चुदने में जो मजा है,वो साधारण चुदाई में कहां।

सारा:मेरे अब्बू की रखैल,ये तो तूने बिलकुल सही कहा।तू मेरे अब्बू की स्टूडेंट है,तुझे अपने प्रिंसिपल की रंडी बनकर मजा आ रहा है,और अब्बू को तुझे तुझे अपनी रंडी बनाकर चोदने में मज़ा आ रहा है।तो सोच, मैं उनकी सगी बेटी हूं और एक बाप अपनी सगी बेटी को अपनी रंडी बनाकर बेरहमी से चोदेगा,एक बाप अपनी सबसे छोटी बेटी को गालियां देगा,अपनी सगी बेटी को जलील करेगा।जिस बेटी को अपनी गोद में बिठाकर खिलाया,उसी बेटी की चूत में अपना 10 इंच लोड़ा डालकर उसे गोद में कूदने को कहेगा।जिस बेटी के सर पे हाथ रख कर उसे दुलार किया उसी बेटी की गांड में अपना बड़ा लोड़ा घुसाकर उसकी गांड मारेंगे।जिस बेटी को कंधे पर बिठाकर सारा गांव घुमाया,उसी बेटी को अपने लोड़े पर बिठाकर घुमाएंगे।सोच रंडी सोच,तब मुझे कितना मजा आएगा।

दिव्या: हाए साली कुतिया,तेरी ऐसी बातें सुनकर मुझे मजा आ रहा है,तो तुझे तो मजा आएगा ही।काश मेरा बाप भी तेरे अब्बू की तरह असली मर्द होता और मुझे अपनी रंडी बनाकर चोदता।

सारा:क्यों तेरा बाप मर्द नहीं है।उसके पास लोड़ा नहीं है क्या।तेरा बाप नामर्द है क्या।

दिव्या:मेरा बाप मर्द तो है,पर मेरे बाप के पास लोड़ा नहीं लंड है। मैं यकीन के साथ कह सकती हूं कि दूर दूर तक किसी भी गांव में मालिक के लोड़े जैसा लोड़ा नहीं होगा।अरे लड़की को कोई भी चोद सकता है,पर जो मजा मालिक दे सकते है वो मजा कोई भी आम आदमी नहीं दे सकता।

सारा:हां ये बात तो है,वरना सगी बेटी अपने अब्बू की रंडी नहीं बनती।एक बात बता तूने कभी तेरे बाप को तेरी मां को चोदते देखा है।

दिव्या:अरे नहीं रे,कभी नहीं देखा।पर मालिक से चुदने के बाद इतना तो जान चुकी हूं कि मेरा बाप अब मेरी को नहीं चोदता होगा।और चोदता भी होगा तो ठीक से चोद नहीं पा रहा होगा।

सारा:तुझे कैसे पता कुतिया।

दिव्या:देख, मैं जबसे मालिक से चुदी हूं तबसे मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।आज सुबह जब उठी तो मां ने कहा कि क्या बात है बेटी आज नहाए धोए बिना चेहरा चमक रहा है।

सारा: हां ये बात तो है,अब्बू ने रात को मुझे बिना चोदे ही मजा दिया,उससे मेरा दिल खुशी से नाच रहा है,और जब चोदेंगे तो मैं खुशी कैसे छुपा पाऊंगी।

दिव्या:ये ही तो मैं कह रही हूं।मेरी मां को अगर मेरा चोदता होगा तो उसके चेहरे पर भी चमक होती।पर मेरी मां का चेहरा देख कर मुझे लगता है वो चुदाई के लिए तरस रही है।

सारा:साली इतनी ही अपनी मां की फिक्र है तो चुदवाले किसी से।

दिव्या:किस से चुदवाऊं अपनी मम्मी को।वैसे भी मेरी मम्मी बहुत संस्कारी है,वो बाहर किसी से नहीं चुदेगी।

सारा:हरामजादी कुत्तिया,किसी बाहर वाले से नहीं चुदवाने को बोल रही हूं।मेरे अब्बू से चुदवाले,अपने मालिक से चुदवाले।तेरी मां को मेरे अब्बू की रखैल बना ले।इससे तेरा भी फायदा है,तू अपने मालिक को एक रंडी देगी और मालिक तुझसे खुश हो जाएंगे।एक रंडी का फर्ज होता है अपने मालिक को खुश करना।

दिव्या:साली तू कितनी कमिनी है।क्या सोच है तेरी।बिलकुल अपने अब्बू पर गई है।

सारा:क्यों मेरी सोच तुझे अच्छी नहीं लगी?मैने तेरी मां को अपने अब्बू की रंडी बनाने को कहा तो तुझे बुरा लगा?


दिव्या:(हंसते हुए)मेरा चेहरा देख के तुझे लगता है मुझे बुरा लगा होगा।पर मेरी मम्मी बहुत संस्कारी है,वो शायद चुदवाले मालिक से पर रंडी नहीं बनेगी।

सारा:साली तुझे पता नहीं है ,इन संस्कारी औरतों के अंदर भी एक रंडी छुपी होती है,बस इनके अंदर की रंडी को जगाना पड़ता है।तूने कभी सपने में भी सोचा था कि हम दोनों मेरे अब्बू की रंडियां बनेगी।तू तो मेरे अब्बू को बिलकुल पसंद नहीं करती थी पर आज देख उनकी पालतू कुत्तिया बनी हुई है।तुझे याद कुछ देर पहले जब हम तीनों डबल मीनिंग में बातें कर रहे थे,तब अब्बू ने सारे गांव की लड़कियों को अपनी रंडी बनाने की बात बोली थी।तो अगर हमारे मालिक की इच्छा है सबको अपनी रंडियां बनाने की, तो हम रंडियां का फर्ज है अपने मालिक की इच्छा पूरी करना।मैं तो अपने मालिक की इच्छा जरूर पूरी करूंगी,उसके लिए मुझे कितना भी नीचा गिरना पड़े।

दिव्या:हेलो मैडम,मैं नहीं बोल रही। मैंने भी सुना था जो मालिक ने कहा था।मैं भी मालिक की इच्छा पूरी करूंगी।पर मेरी मम्मी साली कुछ ज्यादा ही संस्कारी है।हमेशा मुझे छोटे और टाइट कपड़े पहनने से मना करती है।पर अब जब मालिक की इच्छा है तो सबसे पहले साली मेरी मम्मी को अपने मालिक की रंडी बनाऊंगी।साली मुझे छोटे कपड़े पहनने से रोकती है,अब साली कुतिया को नंगी ही रखूंगी।रंडी को नंगा नचाऊंगी।

सारा:ये हुई ना रंडी वाली बात।पर तेरी संस्कारी मां को रंडी बनाएगी कैसे।मैं कुछ आईडिया दूं।

दिव्या: कुत्तिया भूल मत मैं भी रंडी हूं।तेरा आईडिया रख तेरी गांड में।रही मेरी संस्कारी मम्मी को रंडी बनाने की,तो उसके साथ ऐसा खेल खेलूंगी कि वो कुत्तिया लंड के लिए भीख मांगेगी।मुझसे मालिक की रंडी बनने के लिए मिन्नते करेगी।

सारा:ऐसा क्या करेगी बिचारी के साथ।मुझे भी बता।

दिव्या:वो तो तुझे तब बताऊंगी जब तू मेरी संस्कारी मम्मी को मालिक से रंडी बनकर चुदते देखेगी।तब पूछना कुत्तिया को रंडी कैसे बनाया। पर तू ये बता कि एक रात में ही तू रंडी कैसे बन गई।अपनी रात की कहानी बता।

सारा:अभी नहीं।जब अब्बू मेरी चूत और गांड फाड़कर,मुझे अपनी पक्की रंडी का दर्जा देंगे तब बताऊंगी।अब तू अपना हुलिया ठीक कर।साली देख अभी अब्बू का माल तेरे चेहरे पर लगा है।कुतिया अब्बू का पूरा माल पी गई,थोड़ा तो अपने मुंह में मेरे लिए रख लेती,पूरा गटक गई कमिनि।

दिव्या:पूरा कहां। दो चार बूंदे तो मेरे फेस पर है ना।मालिक ने तेरे लिए ही मेरे मुंह पर गिराई थी।चल चाट ले कुतिया।

सारा कहां पीछे हटने वाली थी।उसने अपनी जीभ निकाली और दिव्या के गालों पर लगे अमजद के वीर्य को चाटने लगी।दिव्या के नाक और होठ पर माल लगा हुआ था, सारा दिव्या के होठ और नाक पर लगे माल को चूसने लगी।दिव्या और सारा को ऐसा करने में बहुत मजा आ रहा था।
अमजद बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा इन दोनों का रंडीपना देख रहा था और मन में बोल रहा था:ये दोनों रंडियां मुझे पक्का इंसान से शैतान बना देगी।मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं ऐसी कमसिन कलियों को चोदूंगा।पर अब ये मासूम कलियां मेरी रंडी बन चुकी है तो इनका मजा लूंगा और इनको भी मजा दूंगा।

सारा ने दिव्या के चेहरे अमजद का सारा वीर्य चाट लिया।फिर दिव्या ने कपड़े पहने और बाथरूम जाकर अपना मुंह धोया,बाल ठीक किए।अमजद भी बाथरूम से आ चुका था।थोड़ी देर बाद दिव्या भी अपना हुलिया ठीक करके आ गई।
अब तीनों में से कोई बोल नहीं रहा था बस एक दूसरे को देखकर मुस्करा रहे थे।

अमजद ऑफिस से बाहर निकला तो उसने देखा बहुत जोरों की बारिश हो रही थी।स्कूल के ग्राउंड में भरे पानी से पता चल रहा था कि बारिश काफी देर से हो रही थी।अमजद सारा और दिव्या चुदाई में व्यस्त थे,उन्हें बरसात का पता ही नहीं चला।एक टीचर अमजद के पास आया।उस टीचर से अमजद को पता चला कि बारिश पिछले 1 घंटे से बारिश हो रही है और आधा घंटा पहले स्कूल की छूटी भी हो गई।बारिश की वजह से स्टूडेंट रुके हुए है।

थोड़ी देर बाद सारा और दिव्या भी ऑफिस बाहर आ गई।अमजद ने सबसे कहा ये बारिश रुकने वाली है नहीं।यहां खड़ा रहने से अच्छा है घर चले जाए।थोड़ा भीगेंगे तो कोई बात,घर जाकर कपड़े चेंज कर लेंगे।

दिव्या अपने घर,सारा और अमजद अपने घर और बाकी सब अपने अपने घर की तरफ भागते दौड़ते चले गए।

दोस्तों अभी के लिए इतना ही।अब अगले अपडेट में पता चलेगा कि सारा और अमजद घर जाकर क्या कांड करते है।
Behtreen update
 

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Kya chudai hui hai
 
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