Kumarsushil
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Bimari Ke Karan lekhan mahoday chal base Aur Is Duniya Mein Ab Nahin Hai Ab yah Kahani Aage Nahin badhegi
Ye baat sahi hai ya ni agar sahi to alag baat hai ni to is tarah ki galat baat ni karni chahiye kyoki agar is tarah ki baat koi tumhare maa-baap ke baare me bole to kaisa lagegaBimari Ke Karan lekhan mahoday chal base Aur Is Duniya Mein Ab Nahin Hai Ab yah Kahani Aage Nahin badhegi
Waitingशुक्रिया मित्र। कुछ दिन केवल लल्लू के ही भाग मिलेंगे। इस कहानी को निर्णायक मोड़ पर ले चलते हैं। फिर काला नाग को दुबारा शुरू करेंगे। हफ्ते में २ भाग प्रस्तुत करने की कोशिश करूंगा। बीमारी के चलते काम बहुत हर्ज हो गया था इसलिए पहले काम को प्राथमिकता दी। आप सब को निराश करने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। कोशिश रहेगी कि दुबारा इन दोनो कहानियों को वापस लोकप्रियता की बुलंदियों पर ले चले। आपके साथ की आवश्यकता रहेगी।
धन्यवाद!
mitzerotics भाई अवर्णनीय, अद्भुत लेखन, बहुत समय के बाद इस धमाकेदार अपडेट से वापसी पर आपका स्वागत है।भाग ११
पूरी रात हवन करने के बाद साधु बहुत ही विचलित था। उसके शिष्यों से उसकी गंभीरता छुपी नहीं रही। उन्होंने अपने गुरु से पूछ ही डाला।
शिष्य: क्या कारण है गुरुवर, आप अत्यंत विचलित नजर आ रहे है।
साधु: शिष्य पिशाच की ताकत बढ़ती जा रही है। अगर जल्द ही उसे रुका नही गया तो वो किसी के रोके नहीं रोकेगा।
शिष्य: तो क्या करना है गुरुवर।
साधु: मुझे भी थोड़ा रास्ता टेडा अख्तियार करना पड़ेगा क्युकी दुश्मन को अब उसी के हथियार से हराना पड़ेगा। आज रात से हम अपनी काल भैरव की अखंड पूजा शुरू करनी होगी अन्यथा अनर्थ निकट है शिष्य।
साधु ने अपने शिष्यों को कुछ जरूरी सामग्री लाने को बोला और विश्राम करने अपने कक्ष में चला गया।
उधर शहर में रात भर माया देवी की चूत की कुटाई लल्लू के लन्ड द्वारा होती रही, ना लल्लू पीछे हटा और न ही माया देवी। माया देवी की चूत छील गई थी पर उन्होंने एक बार भी लल्लू को माना नही किया। पिशाच ऊर्फ लल्लू भी माया देवी की दिलैरी को मान गया। उसका माया देवी की गांड़ मारने का बड़ा मन था पर वो अब उसकी गांड़ उसकी बेटियों के साथ ही मारेगा।
दोपहर पहले लल्लू की नींद खुली और देखा माया देवी उसकी बगल में नंगी सो रही है। उन्होंने दोनो टांगे चौड़ा रखी थी ताकि थोड़ी राहत मिले। पिशाच की नजर अब पूरी तरह माया देवी की चूत पर अटक गई जो अब सूज के पाव रोटी समान लग रही थी।
जगह जगह छीलने के निशान थे और चूत दो पाटों में बटी हुई लग रही थी। पिशाच माया देवी की चूत पर झुक गया और फूंक मारने लगा, देखते ही देखते माया देवी की चूत से छीलने के निशान गायब थे, ना कोई सूजन। नींद में ही माया देवी कुनमुनाने लगी। लल्लू काफी देर तक माया देवी को निहारता रहा और फिर उसे मूत्र की तलब होने लगी। पिशाच एक मंत्र सा पड़ने लगा और माया देवी का मुंह खुलता गया और लल्लू ने अपने लन्ड को माया देवी के मुंह में उतार दिया और मूतने लगा।
माया देवी किसी अबोध बच्चे की तरह मूत्र की हर बूंद को अपने कंठ के नीचे उतारने लगी।
जब मूत्र हो गया तो पिशाच अपने लोड़े को बाहर खींचने लगा पर माया देवी ने ये होने ना दिया और वो किसी कुशल रण्डी की तरह उसके लोड़े को चूसने लगी।
लल्लू के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। माया देवी ने भी अपनी आंखे खोल दी और लल्लू के लन्ड को चूसती रही। कभी वो लल्लू के रस से भरे हुए आंडो को सहलाती कभी लन्ड पे चुप्पे लगाती और कभी उसे अपनी जीव से चाटती। ये सिलसिला तब तक चला जब तक लल्लू ने उनके हलक में अपना कीमती मॉल उतार दिया हो। माया देवी लल्लू के लन्ड से निकली एक एक बूंद को अपने हलक के नीचे उतारती चली गई, और जो कुछ उसके मुंह से बाहर निकला उसे वो अपनी जीव से चाटने लगी। जब तक माया देवी ने लल्लू के लन्ड से वीर्य को एक एक बूंद न निचोड़ली तब तक उसने लन्ड ने नही छोड़ा।
माया देवी: यह तो मेरा विटामिन है, रोज चाहिए मुझे एक बार कम से कम।
लल्लू: सब तेरा है मेरी रण्डी, मुझे भी तेरी चूत रोज चाहिए। जब मन करेगा तब मारूंगा तेरी चूत और कुछ दिनों बाद तेरी गांड़ भी।
माया देवी: तो फिर गांव चले अब। डॉक्टर को तो अब दिखाना नही है।
लल्लू: डॉक्टर को दिखाना नही पर उस डॉक्टरनी की चूत तो मारनी है।
लल्लू ने यह बोलके माया देवी की गांड़ पे जोरदार चपत लगा दी।
माया देवी: आउच! बहुत कमिने हो आप मालिक। उसको एक बार चोद कर चले जाओगे फिर वो आपकी याद में अपनी चूत में उंगली करती रहेगी।
लल्लू: उससे भी कुछ टाइम बाद गांव बुला लेंगे आखिर वो भी तो मेरा बच्चा जनेगी।
थोड़ी देर बाद लल्लू और माया देवी गाड़ी में बैठे हुए थे और ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। ड्राइवर और भीमा अभी भी पिशाच के वश में थे। उन्हे सिर्फ इतना ही पता था जितना पिशाच उन्हे पता चलने दे रहा था। ना वो ज्यादा कुछ सुन सकते थे ना ही ज्यादा कुछ देख सकते थे और न ही कुछ याद था उन्हें। गाड़ी जब चल रही थी तो लल्लू ने अपना लन्ड निकाल लिया और माया देवी को चूसने का इशारा किया।
माया देवी: पागल हो गए हो क्या मालिक, ड्राइवर है।
लल्लू: मेरी रण्डी ये इतना ही जान पाएगा जितना मैं चाहता हूं। तू अब ज्यादा समय बरबाद न कर और अपने मालिक का लन्ड खड़ा कर। जब मैं डॉक्टरनी के पास पहुचु तो ये खड़ा होना चाहिए।
और लल्लू ने माया देवी को अपने लन्ड पर झुका दिया। माया देवी पूरी शिद्दत से लल्लू का लन्ड चूसने लगी।
करीब आधे घंटे तक माया देवी लल्लू का लन्ड चूसती रही और लन्ड अब पत्थर के समान कठोर था। डॉक्टर के क्लिनिक के सामने ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी और लल्लू और माया देवी ने खुद को दुरुस्त किया। लल्लू का लन्ड अब अंदर समा नही पा रहा था। वो पैंट के ऊपर से ही अलग नजर आ रहा था। माया देवी की हसी रूक नही रही थी लल्लू के हालत पर।
लल्लू: हंस क्यों रही है कुतिया।
माया देवी: लन्ड खुद का नही संभल रहा सांड की तरह यहां वहां डोल रहा है और कुतिया मुझे बोल रहे हो। जब इतना बड़ा तंबूरा कोई भी देख लेगी तो कुतिया खुद बाखुद बन जायेगी।
लल्लू: तू मुझे छोड़कर जल्द निकल जा फिर गांव निकलेंगे।
थोड़ी ही देर में वो दोनो डॉक्टर रश्मि देसाई के सामने बैठे थे।
पूरे क्लिनिक में आज डॉक्टर और उसकी राजदार नर्स के अलावा कोई नहीं था। डॉक्टर ने जैसे ही लल्लू की पैंट में इतना उभार देखा उसकी आंखे चौड़ी हो गई और मुंह से पानी आनें लगा। उसकी नजरें लल्लू के लन्ड से हट ही नहीं रही थी। ये देख कर माया देवी को डॉक्टर से ईर्षा भी हो रही थी पर दूसरी तरफ एक अजीब सा मजा भी मिल रहा था। डॉक्टर की छोड़ो माया देवी की चूत भी पानी छोड़ने लगी। माया देवी ने डॉक्टर की नींद से जगाया।
माया देवी: कितना समय लगेगा डॉक्टर साहिबा।
रश्मि: (हड़बड़ाकर, जैसे कोई चोरी पकड़ी गई हो) किसमे
माया देवी: और वो जो टेस्ट अपने करने थे। इसलिए तो हम आए है।
रश्मि: ओह वो बस थोड़ा समय लगेगा। क्यू आप को कुछ काम है क्या।
माया देवी लल्लू को देखती है और लल्लू के इशारे को समझ जाती है।
माया देवी: हा वो कुछ खरीदारी करनी थी मैं दो से तीन घंटे में आ जाऊंगी। अगर कुछ जल्दी हो तो फोन कर दीजिएगा।
रश्मि: जी ठीक है। तो लल्लू तैयार हो देने के लिए।
माया देवी: ये तो परसों से ही तैयार है देने के लिए बस अब आप लेलो।
रश्मि कुछ बोल पाती माया देवी उठी और कमरे से बाहर की तरफ चल दी। दरवाजे पर पहुंच कर एक बार उसने रश्मि को देखा और लल्लू को भी देखा। रश्मि की आंखो से बचकर लल्लू को आंख मार दी।
अब कमरे में केवल लल्लू और रश्मि बचे थे। रश्मि अपनी कुर्सी से उठी और अपना सफेद चोगा उतार दिया और जो लल्लू के सामने आया उसे देख कर लल्लू की आंखे चार हो गई। रश्मि इस लिबास में किसी कयामत से कम नही लग रही थी।
रश्मि: तो लल्लू आज हम आपका टेस्ट लेंगे। आप तैयार हो देने के लिए।
लल्लू: जी डॉक्टरनी जी। आप लेलो
रश्मि: तो आओ लल्लू, वही पीछे के कमरे में चलते है।
रश्मि आगे आगे और लल्लू पीछे पीछे चल दिया। रश्मि जानमुच कर अपनी गांड़ ज्यादा मटका मटका कर चल रही।
उसकी चूत तो उसी क्षण से गीली थी जब से उसने लल्लू की पैंट में उभार देखा था। वो उस कमरे में पहुंच गए जहा पर नर्स पहले से ही माजूद थी। वो खुद भी लल्लू के लन्ड का उभार देख कर चुदासी महसूस कर रही थी मगर डॉक्टरनी के चलते वो कुछ कर नही सकती थी।
रश्मि: अब तुम जाओ और बाहर का खयाल रखना।
नर्स: जी मैडम।
इतना बोलकर नर्स बाहर निकल जाती है और दरवाजा बंद कर देती है। रश्मि अब लल्लू की तरफ मुखातिब होती है और उसकी आंखो में आंख डाल कर।
रश्मि: ये टेस्ट तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है, इसे पता चलेगा की तुम पूर्ण मर्द हो या नहीं। इस टेस्ट में मैं भी तुम्हारा साथ दूंगी। अच्छा ये बताओ तुमने किसी औरत या लड़की को कभी नंगा देखा है।
लल्लू ने हां में गर्दन हिला दी।
रश्मि: किसको देखा है। बताओ मुझे।
लल्लू शर्माने का नाटक करने लगा।
रश्मि: शरमाओ मत, बताओ मुझे। मैं किसी को नहीं बोलूंगी।
लल्लू: मैने राजू की मां को, ताई मां को और अपनी माई को भी देखा।
रश्मि: ओके, जब तुमने इन्हे नंगा देखा तो तुम्हे कुछ हुआ। कुछ हलचल हुई।
लल्लू: जब मैंने इन्हें नंगा देखा तो पूरा बदन गर्म हो गया, पसीने आने लगे और और।
रश्मि: और क्या लल्लू।
लल्लू: जी डॉक्टरनी जी, मेरी सुसु सूज जाती थी और बड़ा दर्द होता था उसमे।
रश्मि: अगर मैं नंगी होकर तुम्हारे सामने खड़ी हो जाऊं तो क्या तुम्हारी सुसु सूज जायेगी। लेकिन मुझे तो लगता है ये अभी से सूजी हुई है।
रश्मि ने हाथ बढ़ाकर लल्लू के लन्ड का ऊपर से जायजा लिया।
लल्लू: पता नही क्यों डॉक्टर साहिबा उस दिन से अपने इसमें से चिपचिपी सुसु निकली न तब से ये ऐसे ही रहता है और जब ताई मां ने उस रात दवाई लगाई तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली।
रश्मि: अच्छा तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली पर कैसे।
रश्मि का हाथ अभी भी पेंट के ऊपर से लल्लू के लन्ड को सहला रहा था। रश्मि के सवाल पर लल्लू ने शर्माने का नाटक किया। लल्लू को शर्माता देख रश्मि की पकड़ लल्लू के लन्ड पर और गहरी हो गई।
रश्मि: बताओ लल्लू, डॉक्टर से कभी कुछ नही छुपाते।
लल्लू: डॉक्टर साहिबा पहले तो उन्होंने खूब मालिश करी और फिर जैसे अपने लिया था मुंह में उन्होंने भी चूसा लॉलीपॉप की तरह फिर फिर ताई मां ने अपनी सुसु वाली जगह में मेरी सुसु अंदर लेली और उस पर उछलने लगी और थोड़ी देर बाद मेरी चिचिपी सुसु उनकी सुसु के अंदर निकल गई।
इतना सुनते ही रश्मि के कान गरम हो गए और धुआं छोड़ने लगे। उसने कसके लल्लू का लन्ड दबोच दिया जिससे लल्लू के कंठ से एक तेज चीख निकली।
लल्लू: आह आई माई आह।
रश्मि जैसे नींद से जागी हो, उसने तुरंत अपना हाथ लल्लू के लन्ड से हटा लिया। लल्लू ने तुरंत ही पेंट की जिप खोली और अपने अजगर को ताजी हवा में खुला छोड़ दिया। लल्लू रश्मि के सामने अपने लन्ड को सहलाने लगा। रश्मि फटी आंखों से लल्लू के लन्ड को निहारने लगी, उसे लल्लू का लन्ड आज और भी बड़ा और मोटा लग रहा था। लल्लू की कर्राहट से रश्मि अपनी नींद से जागी।
रश्मि: ज्यादा लग गई क्या लल्लू।
लल्लू: आह डॉक्टरनी बहुत जोर का दर्द हो रहा है।
रश्मि ने तुरंत ही लल्लू के पेंट खोलकर उसके लन्ड को आजाद किया। रश्मि की आंखो के सामने फिर एक बार लल्लू का लन्ड था, जो आज और भी विकराल और भयंकर लग रहा था। लन्ड को आंखो के सामने देखते ही रश्मि का गला सुख गया और वो खुद अपना थूक निगलने लगी।
लल्लू: आह उफ्फ अब कुछ आराम मिला डॉक्टरनी।
रश्मि मंत्रमुग्ध सी जैसे नींद से जागी हो। वो धीरे धीरे लल्लू के लन्ड को सहलाने लगी।
रश्मि: अब कैसा लग रहा है लल्लू।
लल्लू: आह, आप जब भी सहलाती हो, बड़ा अच्छा लगता है।
रश्मि: और जब तुम्हारी ताई मां ने सहलाया था तो कैसा लगा था।
लल्लू: तब भी अच्छा लगा था पर अभी ज्यादा अच्छा लग रहा है लेकिन।
रश्मि: लेकिन क्या लल्लू बताओ मुझे।
लल्लू: (शरमाते हुए) लेकिन जब आपने उस दिन चूसा था न तब बड़ा मजा आया था। बहुत ज्यादा गुदगुदी हुई थी मुझे।
लल्लू ने एक तरह से रश्मि को अपना लोड़ा चूसने का निमंत्रण दे दिया था।
रश्मि: अच्छा और जब तुम्हारी ताई मां ने चूसा था तब कैसा लगा था।
लल्लू: मजा आया था पर जब आपने चूसा था तब और मजा आया था।
रश्मि: क्या आप आप लगा रखा है, रश्मि कहो मुझे।
इतना बोल कर रश्मि ने लल्लू के लन्ड की चमड़ी पीछे खींची और सुपाड़े पर जीव चलाने लगी।
लल्लू: आह रश्मि, बहुत अच्छा लग रहा है।
लल्लू के मुंह से अपना नाम सुन कर रश्मि को बहुत अच्छा लग रहा था। और लल्लू को समझ आ गया था की रश्मि का ऐसी चुदाई चाहिए जिसमे कोई उसके ऊपर हावी हो सके। लल्लू अपनी भूमिका बनाने का काम शुरू करने लगा। वो धीरे धीरे रश्मि के बाल सहलाने लगा। रश्मि को लल्लू का अंदाज अच्छा लग रहा था। वो धीरे धीरे लल्लू के विकराल लन्ड को निगलने लगी। रश्मि पहले ज्यादा से ज्यादा लन्ड को निगलती और फिर जीभ से चाटते हुए उसे बाहर निकालती। लल्लू के लन्ड को आज तक किसी ने भी इस शिद्दत से नही चूसा था। लल्लू की गांड़ खुद ब खुद रश्मि के मुंह के साथ ताल से ताल मिलाने लगी। कोई दूर से देखता तो ऐसा लगता जैसे लल्लू रश्मि का मुंह चोद रहा हो।
१० मिनट तक ऐसे ही लल्लू के लन्ड की चुसाई चलती रही और लल्लू को ये भी पता था कि उसके पास ज्यादा समय नहीं है। लल्लू ने रश्मि को किसी गुड़िया की तरह एक झटके में उठा लिया। रश्मि लल्लू का बाहुबल देख कर अचंभित थी। जब तक रश्मि कुछ समझ पाती तब तक उसका बेशकीमती खजाना लल्लू की आंखों के सामने उजागर हो चुका था। रश्मि को आभास भी न हुआ की उसके कपड़े उसके जिस्म का साथ छोड़ चुके हैं।
पिशाच की आंखों के सामने रश्मि का लाजवाब हुस्न बेपर्दा हो चुका। शिखर के समान उठी हुई उसकी छातियां एक दम तन कर खड़ी थी और लल्लू को चुनौती दे रही थी। गोल गहरी नाभी, उफ्फ रश्मि के जिस्म का सबसे सबसे लुभावना कटाव यही पर है। सुडोल केले के तने के समान चिकनी जांघें और उन जांघो के बीच गहरी खाई जहा कोई घास फूस नही थी। हरियाली का नामोनिशान नही था।
रश्मि: आह ओ उफ्फ ओ मां।
रश्मि सिर्फ इतना ही बोल पाई क्योंकि लल्लू के जीव रश्मि के भगनासे को छेड़ रही थी और उसके दोनो हाथ रश्मि के शिखरों का मर्दन कर रही थी। रश्मि इस दोहरे हमले से आनंद की नई सीमाएं छूने लगी और उसका हाथ लल्लू को सिर को अपने अंदर समाने के लिए जोर मारने लगे। वो हर गुजरते पल के साथ लल्लू को और करीब खींच रही थी।
जैसे ही लल्लू की जीव ने रश्मि की चूत के लबों को छुआ एक अजीब सा नाश छाने लगा राशि पर। उसका जिस्म एक कमान सा बनाता हुआ हवा में उछला और गद्दे पर पड़ते ही कांपने लगा। रश्मि की चूत जो पहले से ही गीली थी वो भल भल बहने लगी। धीरे धीरे पिशाच की जीव रश्मि की चूत की गहराइयां नापने लगी। जब लल्लू ने जीव चलानी आरंभ करी तब रश्मि को एहसास हुआ की उसकी जीव वहा तक पहुंच रही है जहा तक किसी का लन्ड भी नही पहुंचा। पूरा कमरा रश्मि की आनंदमई सिसकियों से गूंज रहा था।
रश्मि: आह चाट ओह आई या आज तक इतनी अंदर तक कोई नही गया।
लल्लू को कोई फर्क नही पड़ रहा था, वो तो हर बीते लम्हे के साथ अपनी गति को बढ़ाए जा रहा था। लल्लू की जीव रश्मि की चूत का हर कोना नाप चुकी थी। लल्लू पूरी अंदर तक अपनी जीव घुसाता और अपनी नाक से रश्मि के भगनासे को दबाता। रश्मि का पहला चरण नजदीक ही था।
रश्मि: आह कर ओह आह मेरा होने वाला है। आह ओह माय गॉड आह आई एम अबाउट टू कम। आह लिक माई पुसी ओह आह।
रश्मि के सब्र का बांध टूट चुका था। पिशाच की जीभ की किशती उस सैलाब के भंवर में गोते खा रही थी। लल्लू ने एक बूंद भी जाया नही होने दी उस अमृत रस की। रश्मि का जिस्म पसीने से लथपथ और उसकी सांसे किसी धौकनी की तरह चल रही थी। लल्लू धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा और देखते ही देखते उसके होठों ने रश्मि के होठों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। दोनो के होठ ऐसे मिले जैसे कोई भी इन्हे जुदा न कर सकता हो। लल्लू के हाथ रश्मि के सम्पूर्ण जिस्म का जायजा ले रहे थे और उसकी कामाग्नि को दोबारा प्रज्वलित करने का काम कर रहे थे। रश्मि होठों के आलिंगन में मसरूफ थी पर इक बार फिर से उसकी चूत में टीस उठने लगी। वो हैरान थी कैसे वो इतनी जल्दी कामातुर हो सकती है। उसके जीवन का ये नया अनुभव था। रश्मि की चूत अब लन्ड निगलने के लिए मचलने लगी। उसके पांव मचलने लगे और वो खुद ही अपनी चूत दबाने लगी।
पिशाच बहुत ही अनुभवी था उसे पता था कि अब रश्मि की चूत भेदन का समय आ गया है। पिशाच ने रश्मि के होठों को छोड़ दिया और वो सम्पूर्ण रूप से रश्मि पर छाने लगा। रश्मि ने भी लल्लू का स्वागत किया और अपनी टांगे चौड़ा दी। रश्मि को मालूम था कि इस अजगर को अपने बिल में पनाह देने के लिए उसे असीम पीड़ा से गुजरना पड़ेगा पर वो ऐसा पुरुषार्थ के लिए व्याकुल थी।
लल्लू का लन्ड जैसे ही रश्मि की चूत से स्पर्श हुआ वैसे ही दोनो के जिस्म में एक अजीब सी बिजली कौंध गई। रश्मि के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी और लल्लू के मुंह से विभस्त गुर्राहट। पिशाच को रश्मि के जिस्म तो तार तार कर देना था जिससे वो हमेशा के लिए उसकी गुलाम हो जाए।
पिशाच ने बिना देर लगाए अपने लौड़े को रश्मि की कमसिन चूत के द्वार पर लगा दिया और हल्का सा कमर को हिलाया। रश्मि की चूत ने भी अपने लबों को खोलकर लल्लू के लन्ड का स्वागत किया और वो आने वाले पलो से अंजान थी। तभी पिशाच ने ऐसा धक्का मारा की लल्लू सम्पूर्ण विशालकायी लौड़ा रश्मि की कमसिन चूत में समा गया।
रश्मि: उई मां आह ये क्या आई किया। एक बार में पूरा घुसेड़ दिया। फट गई मेरी। यू स्वाइन। आह मां।
लल्लू: चुप रण्डी साली। नाटक मत कर कुत्तियां। तू ऐसे हो तो चुदना चाहती थी, जो एक बार में तेरी चूत में पूरा लन्ड बाड दे और तेरे जिस्म का पूरा कस बल निचोड़ दे। क्यों मेरी रांड। सही कहा न मैंने।
रश्मि एकचित लल्लू को घूरने लगी और जब दोनो की आंखे मिली तो वो इक अजीब से सम्मोहन में खो गई। और उधर लल्लू के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी और अब वो दनादन अपना लौड़ा रश्मि की चूत में पेलने लगा।
हर धक्के पर रश्मि को दर्द भी होता पर जिस गहराई तक लल्लू का लन्ड जा रहा था वो उसे एक खुशी भी महसूस करा रहा था।
रश्मि: आह ओह मां आह और तेज करो।
लल्लू: क्यों मजा आ रहा है न मेरी रांड।
रश्मि: बहुत मजा आ रहा है मालिक। और तेज चोदो। उफ्फ आह।
लल्लू हर बीते पल के साथ अपनी गति बढ़ता जा रहा था और रश्मि उसकी ताल से ताल मिला रही थी। लल्लू ने बिना लन्ड निकाले ही रश्मि को अपनी गोद में उठा लिया और दनादन चूत मारने लगा। रश्मि लल्लू के बाहुबल से खुश थी और वो कोशिश कर रही थी वो अपने मालिक को खुश कर सके। लल्लू रश्मि को गोद में उठाए चोदे जा रहा था और अपने मुंह में उसके दुग्ध कलशो का मर्दन कर रहा था। कमरे में केवल रश्मि की सिसकियां और ठप ठप की आवाज ही गूंज रही।
पिशाच बिना लन्ड निकाले ही बिस्तर पर लेट गया और अब रश्मि ऊपर थी और पूरे कंट्रोल में थी। ऐसा केवल देखने में लग रहा था क्योंकि कंट्रोल में सिर्फ एक ही बंदा था, वो पिशाच। लेट ते ही पिशाच ने नीचे से धक्के मारने शुरू किए तब रश्मि को एहसास हुआ की ये विभस्त अजगर कितनी अंदर तक घुस रहा है। पिशाच एक क्षण भर भी रुक नही रहा था वो दनादन लन्ड पेले जा रहा था। रश्मि हर धक्के के साथ लज्जत की नई बुलंदिया छू रही थी।
रश्मि: आह ओह फक मि। येस जस्ट लाइक इट। डिग डीपर। आह
लल्लू: क्या मस्त चूत है तेरी कुछ दिन बाद तुझे गांव बुलाके वही अपने पास रखूंगा मेरी जान। फिर तू रोज़ चुदेगी। तेरी गांड़ भी मरूंगा रण्डी साली।
रश्मि: आज आह ही ले चलो उफ्फ। अब ओह इस लन्ड के बिना नही रह सकती। चोदो और तेज।
लल्लू: अभी समय नही आया है। जब तुझे बुलाऊंगा तब आना पड़ेगा। समझी मेरी रण्डी।
लल्लू के धक्कों की रफ्तार कम होने का नाम ही नही ले रही थी और रश्मि की चूत बहना नही छोड़ रही थी। एक घंटे से भी ऊपर हो गया था लल्लू को चोदते हुए। इस घमासान चुदाई से रश्मि की हालत अब पस्त हो गई थी। कहने को तो वो घोड़ी बनी हुई थी पर अपने घोड़े के धक्कों की रफ्तार सहने की अब उसमे हिम्मत नही बची थी। लल्लू के एक धक्के से रश्मि पस्त हो गई और बिस्तर पर लेट गई। उसकी गांड़ ऊपर की तरफ आ गई पर तब भी पिशाच ने अपना लन्ड उसकी चूत से बाहर नही निकलने दिया। लल्लू दनादन चूत पेले जा रहा था और अब उसके धक्कों की गति और तेज हो गई।
रश्मि: आह उफ्फ क्या खाते हो मालिक। कचूमर निकल दिया मेरी चूत का। एक ही दिन में क्या भोसड़ा बना दोगे। आह
लल्लू: इतनी जल्दी थक गई मेरी जान। तू कहे तो पूरे दिन तुझे इस लन्ड पे बिठा के घूम सकता हूं।
रश्मि: मेरी आह ओह जान ही लोगे क्या। आह उफ्फ। आज सांड से पाला पड़ गया।
लल्लू को भी अब रश्मि पर दया आ गई और उसने अपने झटको को और तेज कर दिया जिससे उसे चर्म थोड़ी जल्दी मिल जाए।
रश्मि: आह ओह मां मार ही डालोगे क्या आज। आई
पर लल्लू पर कोई असर नहीं हुआ और वो तूफान की गति से चोदने लगा। कोई ५ मिनट बाद लल्लू को खुद अपने अंदर उफ्फान उबलता हुआ महसूस हुआ और लल्लू ने पहली पिचकारी मारी जो सीधा रश्मि की बच्चेदानी से टकराई और eis सुखद एहसास के साथ रश्मि एक बार फिर झड़ गई। पर लल्लू की बरसात के आगे रश्मि का सैलाब कुछ भी नही था। लल्लू ने अपने वीर्य का ऐक एक कतरा रश्मि की चूत में निचोड़ दिया। रश्मि के चेहरे पर असीम आनंद की अनुभूति थी और वही पिशाच के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी। जब तक लन्ड से वीर्य निकलता रहा लल्लू ने रश्मि को जकड़ लिया। जब वो दोनो अलग हुए तो रश्मि अपने नए मर्द को निहारने लगी। वो लल्लू की मर्दानगी पर मर मिटी थी। लल्लू ने जब देखा कि रश्मि उसे निहार रही है उसने रश्मि को अपनी आगोश में ले लिया। रश्मि उसकी छाती पर सर रखें आने वाले हसीन पलो की कल्पना करने लगी। तभी लल्लू उठा और उसने सीधे अपना सोया हुआ अजगर रश्मि के मुंह में उतार दिया और मूत्र की धार रश्मि के कंठ में उतार दी। रश्मि भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह हर बूंद को अपना प्रसाद समझ के गटक गई।
लल्लू अपने कपड़े पहन ने लगा तो रश्मि ने उसे पीछे से जकड़ लिया।
रश्मि: फिर कब आओगे मालिक।
लल्लू: जब भी तेरी चूत की याद आयेगी और वैसे भी कुछ दिनों बाद तो तू ही मेरे घर पर रहेगी और रोज चुदेगी।
लल्लू इतना बोल कर बाहर निकल गया जहां माया देवी पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी। लल्लू गाड़ी में बैठा और मायादेवी और रश्मि की आंखों का मिलन हुआ दो क्षण भर के लिए और दोनो की ही गर्दन लाज से झुक गई।
उधर रश्मि के कमरे में उसकी नर्स कमरे को व्यवस्थित करने को गई तो उसे चुदाई की खुशबू ने मदहोश कर दिया। उसका हाथ यकायक अपनी चूत पर चला गया और वो उसे दबाने लगी।
नर्स: डॉक्टर भी चुद गई। मुझे कब चोदेगा लल्लू।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाभाग ११
पूरी रात हवन करने के बाद साधु बहुत ही विचलित था। उसके शिष्यों से उसकी गंभीरता छुपी नहीं रही। उन्होंने अपने गुरु से पूछ ही डाला।
शिष्य: क्या कारण है गुरुवर, आप अत्यंत विचलित नजर आ रहे है।
साधु: शिष्य पिशाच की ताकत बढ़ती जा रही है। अगर जल्द ही उसे रुका नही गया तो वो किसी के रोके नहीं रोकेगा।
शिष्य: तो क्या करना है गुरुवर।
साधु: मुझे भी थोड़ा रास्ता टेडा अख्तियार करना पड़ेगा क्युकी दुश्मन को अब उसी के हथियार से हराना पड़ेगा। आज रात से हम अपनी काल भैरव की अखंड पूजा शुरू करनी होगी अन्यथा अनर्थ निकट है शिष्य।
साधु ने अपने शिष्यों को कुछ जरूरी सामग्री लाने को बोला और विश्राम करने अपने कक्ष में चला गया।
उधर शहर में रात भर माया देवी की चूत की कुटाई लल्लू के लन्ड द्वारा होती रही, ना लल्लू पीछे हटा और न ही माया देवी। माया देवी की चूत छील गई थी पर उन्होंने एक बार भी लल्लू को माना नही किया। पिशाच ऊर्फ लल्लू भी माया देवी की दिलैरी को मान गया। उसका माया देवी की गांड़ मारने का बड़ा मन था पर वो अब उसकी गांड़ उसकी बेटियों के साथ ही मारेगा।
दोपहर पहले लल्लू की नींद खुली और देखा माया देवी उसकी बगल में नंगी सो रही है। उन्होंने दोनो टांगे चौड़ा रखी थी ताकि थोड़ी राहत मिले। पिशाच की नजर अब पूरी तरह माया देवी की चूत पर अटक गई जो अब सूज के पाव रोटी समान लग रही थी।
जगह जगह छीलने के निशान थे और चूत दो पाटों में बटी हुई लग रही थी। पिशाच माया देवी की चूत पर झुक गया और फूंक मारने लगा, देखते ही देखते माया देवी की चूत से छीलने के निशान गायब थे, ना कोई सूजन। नींद में ही माया देवी कुनमुनाने लगी। लल्लू काफी देर तक माया देवी को निहारता रहा और फिर उसे मूत्र की तलब होने लगी। पिशाच एक मंत्र सा पड़ने लगा और माया देवी का मुंह खुलता गया और लल्लू ने अपने लन्ड को माया देवी के मुंह में उतार दिया और मूतने लगा।
माया देवी किसी अबोध बच्चे की तरह मूत्र की हर बूंद को अपने कंठ के नीचे उतारने लगी।
जब मूत्र हो गया तो पिशाच अपने लोड़े को बाहर खींचने लगा पर माया देवी ने ये होने ना दिया और वो किसी कुशल रण्डी की तरह उसके लोड़े को चूसने लगी।
लल्लू के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। माया देवी ने भी अपनी आंखे खोल दी और लल्लू के लन्ड को चूसती रही। कभी वो लल्लू के रस से भरे हुए आंडो को सहलाती कभी लन्ड पे चुप्पे लगाती और कभी उसे अपनी जीव से चाटती। ये सिलसिला तब तक चला जब तक लल्लू ने उनके हलक में अपना कीमती मॉल उतार दिया हो। माया देवी लल्लू के लन्ड से निकली एक एक बूंद को अपने हलक के नीचे उतारती चली गई, और जो कुछ उसके मुंह से बाहर निकला उसे वो अपनी जीव से चाटने लगी। जब तक माया देवी ने लल्लू के लन्ड से वीर्य को एक एक बूंद न निचोड़ली तब तक उसने लन्ड ने नही छोड़ा।
माया देवी: यह तो मेरा विटामिन है, रोज चाहिए मुझे एक बार कम से कम।
लल्लू: सब तेरा है मेरी रण्डी, मुझे भी तेरी चूत रोज चाहिए। जब मन करेगा तब मारूंगा तेरी चूत और कुछ दिनों बाद तेरी गांड़ भी।
माया देवी: तो फिर गांव चले अब। डॉक्टर को तो अब दिखाना नही है।
लल्लू: डॉक्टर को दिखाना नही पर उस डॉक्टरनी की चूत तो मारनी है।
लल्लू ने यह बोलके माया देवी की गांड़ पे जोरदार चपत लगा दी।
माया देवी: आउच! बहुत कमिने हो आप मालिक। उसको एक बार चोद कर चले जाओगे फिर वो आपकी याद में अपनी चूत में उंगली करती रहेगी।
लल्लू: उससे भी कुछ टाइम बाद गांव बुला लेंगे आखिर वो भी तो मेरा बच्चा जनेगी।
थोड़ी देर बाद लल्लू और माया देवी गाड़ी में बैठे हुए थे और ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। ड्राइवर और भीमा अभी भी पिशाच के वश में थे। उन्हे सिर्फ इतना ही पता था जितना पिशाच उन्हे पता चलने दे रहा था। ना वो ज्यादा कुछ सुन सकते थे ना ही ज्यादा कुछ देख सकते थे और न ही कुछ याद था उन्हें। गाड़ी जब चल रही थी तो लल्लू ने अपना लन्ड निकाल लिया और माया देवी को चूसने का इशारा किया।
माया देवी: पागल हो गए हो क्या मालिक, ड्राइवर है।
लल्लू: मेरी रण्डी ये इतना ही जान पाएगा जितना मैं चाहता हूं। तू अब ज्यादा समय बरबाद न कर और अपने मालिक का लन्ड खड़ा कर। जब मैं डॉक्टरनी के पास पहुचु तो ये खड़ा होना चाहिए।
और लल्लू ने माया देवी को अपने लन्ड पर झुका दिया। माया देवी पूरी शिद्दत से लल्लू का लन्ड चूसने लगी।
करीब आधे घंटे तक माया देवी लल्लू का लन्ड चूसती रही और लन्ड अब पत्थर के समान कठोर था। डॉक्टर के क्लिनिक के सामने ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी और लल्लू और माया देवी ने खुद को दुरुस्त किया। लल्लू का लन्ड अब अंदर समा नही पा रहा था। वो पैंट के ऊपर से ही अलग नजर आ रहा था। माया देवी की हसी रूक नही रही थी लल्लू के हालत पर।
लल्लू: हंस क्यों रही है कुतिया।
माया देवी: लन्ड खुद का नही संभल रहा सांड की तरह यहां वहां डोल रहा है और कुतिया मुझे बोल रहे हो। जब इतना बड़ा तंबूरा कोई भी देख लेगी तो कुतिया खुद बाखुद बन जायेगी।
लल्लू: तू मुझे छोड़कर जल्द निकल जा फिर गांव निकलेंगे।
थोड़ी ही देर में वो दोनो डॉक्टर रश्मि देसाई के सामने बैठे थे।
पूरे क्लिनिक में आज डॉक्टर और उसकी राजदार नर्स के अलावा कोई नहीं था। डॉक्टर ने जैसे ही लल्लू की पैंट में इतना उभार देखा उसकी आंखे चौड़ी हो गई और मुंह से पानी आनें लगा। उसकी नजरें लल्लू के लन्ड से हट ही नहीं रही थी। ये देख कर माया देवी को डॉक्टर से ईर्षा भी हो रही थी पर दूसरी तरफ एक अजीब सा मजा भी मिल रहा था। डॉक्टर की छोड़ो माया देवी की चूत भी पानी छोड़ने लगी। माया देवी ने डॉक्टर की नींद से जगाया।
माया देवी: कितना समय लगेगा डॉक्टर साहिबा।
रश्मि: (हड़बड़ाकर, जैसे कोई चोरी पकड़ी गई हो) किसमे
माया देवी: और वो जो टेस्ट अपने करने थे। इसलिए तो हम आए है।
रश्मि: ओह वो बस थोड़ा समय लगेगा। क्यू आप को कुछ काम है क्या।
माया देवी लल्लू को देखती है और लल्लू के इशारे को समझ जाती है।
माया देवी: हा वो कुछ खरीदारी करनी थी मैं दो से तीन घंटे में आ जाऊंगी। अगर कुछ जल्दी हो तो फोन कर दीजिएगा।
रश्मि: जी ठीक है। तो लल्लू तैयार हो देने के लिए।
माया देवी: ये तो परसों से ही तैयार है देने के लिए बस अब आप लेलो।
रश्मि कुछ बोल पाती माया देवी उठी और कमरे से बाहर की तरफ चल दी। दरवाजे पर पहुंच कर एक बार उसने रश्मि को देखा और लल्लू को भी देखा। रश्मि की आंखो से बचकर लल्लू को आंख मार दी।
अब कमरे में केवल लल्लू और रश्मि बचे थे। रश्मि अपनी कुर्सी से उठी और अपना सफेद चोगा उतार दिया और जो लल्लू के सामने आया उसे देख कर लल्लू की आंखे चार हो गई। रश्मि इस लिबास में किसी कयामत से कम नही लग रही थी।
रश्मि: तो लल्लू आज हम आपका टेस्ट लेंगे। आप तैयार हो देने के लिए।
लल्लू: जी डॉक्टरनी जी। आप लेलो
रश्मि: तो आओ लल्लू, वही पीछे के कमरे में चलते है।
रश्मि आगे आगे और लल्लू पीछे पीछे चल दिया। रश्मि जानमुच कर अपनी गांड़ ज्यादा मटका मटका कर चल रही।
उसकी चूत तो उसी क्षण से गीली थी जब से उसने लल्लू की पैंट में उभार देखा था। वो उस कमरे में पहुंच गए जहा पर नर्स पहले से ही माजूद थी। वो खुद भी लल्लू के लन्ड का उभार देख कर चुदासी महसूस कर रही थी मगर डॉक्टरनी के चलते वो कुछ कर नही सकती थी।
रश्मि: अब तुम जाओ और बाहर का खयाल रखना।
नर्स: जी मैडम।
इतना बोलकर नर्स बाहर निकल जाती है और दरवाजा बंद कर देती है। रश्मि अब लल्लू की तरफ मुखातिब होती है और उसकी आंखो में आंख डाल कर।
रश्मि: ये टेस्ट तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है, इसे पता चलेगा की तुम पूर्ण मर्द हो या नहीं। इस टेस्ट में मैं भी तुम्हारा साथ दूंगी। अच्छा ये बताओ तुमने किसी औरत या लड़की को कभी नंगा देखा है।
लल्लू ने हां में गर्दन हिला दी।
रश्मि: किसको देखा है। बताओ मुझे।
लल्लू शर्माने का नाटक करने लगा।
रश्मि: शरमाओ मत, बताओ मुझे। मैं किसी को नहीं बोलूंगी।
लल्लू: मैने राजू की मां को, ताई मां को और अपनी माई को भी देखा।
रश्मि: ओके, जब तुमने इन्हे नंगा देखा तो तुम्हे कुछ हुआ। कुछ हलचल हुई।
लल्लू: जब मैंने इन्हें नंगा देखा तो पूरा बदन गर्म हो गया, पसीने आने लगे और और।
रश्मि: और क्या लल्लू।
लल्लू: जी डॉक्टरनी जी, मेरी सुसु सूज जाती थी और बड़ा दर्द होता था उसमे।
रश्मि: अगर मैं नंगी होकर तुम्हारे सामने खड़ी हो जाऊं तो क्या तुम्हारी सुसु सूज जायेगी। लेकिन मुझे तो लगता है ये अभी से सूजी हुई है।
रश्मि ने हाथ बढ़ाकर लल्लू के लन्ड का ऊपर से जायजा लिया।
लल्लू: पता नही क्यों डॉक्टर साहिबा उस दिन से अपने इसमें से चिपचिपी सुसु निकली न तब से ये ऐसे ही रहता है और जब ताई मां ने उस रात दवाई लगाई तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली।
रश्मि: अच्छा तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली पर कैसे।
रश्मि का हाथ अभी भी पेंट के ऊपर से लल्लू के लन्ड को सहला रहा था। रश्मि के सवाल पर लल्लू ने शर्माने का नाटक किया। लल्लू को शर्माता देख रश्मि की पकड़ लल्लू के लन्ड पर और गहरी हो गई।
रश्मि: बताओ लल्लू, डॉक्टर से कभी कुछ नही छुपाते।
लल्लू: डॉक्टर साहिबा पहले तो उन्होंने खूब मालिश करी और फिर जैसे अपने लिया था मुंह में उन्होंने भी चूसा लॉलीपॉप की तरह फिर फिर ताई मां ने अपनी सुसु वाली जगह में मेरी सुसु अंदर लेली और उस पर उछलने लगी और थोड़ी देर बाद मेरी चिचिपी सुसु उनकी सुसु के अंदर निकल गई।
इतना सुनते ही रश्मि के कान गरम हो गए और धुआं छोड़ने लगे। उसने कसके लल्लू का लन्ड दबोच दिया जिससे लल्लू के कंठ से एक तेज चीख निकली।
लल्लू: आह आई माई आह।
रश्मि जैसे नींद से जागी हो, उसने तुरंत अपना हाथ लल्लू के लन्ड से हटा लिया। लल्लू ने तुरंत ही पेंट की जिप खोली और अपने अजगर को ताजी हवा में खुला छोड़ दिया। लल्लू रश्मि के सामने अपने लन्ड को सहलाने लगा। रश्मि फटी आंखों से लल्लू के लन्ड को निहारने लगी, उसे लल्लू का लन्ड आज और भी बड़ा और मोटा लग रहा था। लल्लू की कर्राहट से रश्मि अपनी नींद से जागी।
रश्मि: ज्यादा लग गई क्या लल्लू।
लल्लू: आह डॉक्टरनी बहुत जोर का दर्द हो रहा है।
रश्मि ने तुरंत ही लल्लू के पेंट खोलकर उसके लन्ड को आजाद किया। रश्मि की आंखो के सामने फिर एक बार लल्लू का लन्ड था, जो आज और भी विकराल और भयंकर लग रहा था। लन्ड को आंखो के सामने देखते ही रश्मि का गला सुख गया और वो खुद अपना थूक निगलने लगी।
लल्लू: आह उफ्फ अब कुछ आराम मिला डॉक्टरनी।
रश्मि मंत्रमुग्ध सी जैसे नींद से जागी हो। वो धीरे धीरे लल्लू के लन्ड को सहलाने लगी।
रश्मि: अब कैसा लग रहा है लल्लू।
लल्लू: आह, आप जब भी सहलाती हो, बड़ा अच्छा लगता है।
रश्मि: और जब तुम्हारी ताई मां ने सहलाया था तो कैसा लगा था।
लल्लू: तब भी अच्छा लगा था पर अभी ज्यादा अच्छा लग रहा है लेकिन।
रश्मि: लेकिन क्या लल्लू बताओ मुझे।
लल्लू: (शरमाते हुए) लेकिन जब आपने उस दिन चूसा था न तब बड़ा मजा आया था। बहुत ज्यादा गुदगुदी हुई थी मुझे।
लल्लू ने एक तरह से रश्मि को अपना लोड़ा चूसने का निमंत्रण दे दिया था।
रश्मि: अच्छा और जब तुम्हारी ताई मां ने चूसा था तब कैसा लगा था।
लल्लू: मजा आया था पर जब आपने चूसा था तब और मजा आया था।
रश्मि: क्या आप आप लगा रखा है, रश्मि कहो मुझे।
इतना बोल कर रश्मि ने लल्लू के लन्ड की चमड़ी पीछे खींची और सुपाड़े पर जीव चलाने लगी।
लल्लू: आह रश्मि, बहुत अच्छा लग रहा है।
लल्लू के मुंह से अपना नाम सुन कर रश्मि को बहुत अच्छा लग रहा था। और लल्लू को समझ आ गया था की रश्मि का ऐसी चुदाई चाहिए जिसमे कोई उसके ऊपर हावी हो सके। लल्लू अपनी भूमिका बनाने का काम शुरू करने लगा। वो धीरे धीरे रश्मि के बाल सहलाने लगा। रश्मि को लल्लू का अंदाज अच्छा लग रहा था। वो धीरे धीरे लल्लू के विकराल लन्ड को निगलने लगी। रश्मि पहले ज्यादा से ज्यादा लन्ड को निगलती और फिर जीभ से चाटते हुए उसे बाहर निकालती। लल्लू के लन्ड को आज तक किसी ने भी इस शिद्दत से नही चूसा था। लल्लू की गांड़ खुद ब खुद रश्मि के मुंह के साथ ताल से ताल मिलाने लगी। कोई दूर से देखता तो ऐसा लगता जैसे लल्लू रश्मि का मुंह चोद रहा हो।
१० मिनट तक ऐसे ही लल्लू के लन्ड की चुसाई चलती रही और लल्लू को ये भी पता था कि उसके पास ज्यादा समय नहीं है। लल्लू ने रश्मि को किसी गुड़िया की तरह एक झटके में उठा लिया। रश्मि लल्लू का बाहुबल देख कर अचंभित थी। जब तक रश्मि कुछ समझ पाती तब तक उसका बेशकीमती खजाना लल्लू की आंखों के सामने उजागर हो चुका था। रश्मि को आभास भी न हुआ की उसके कपड़े उसके जिस्म का साथ छोड़ चुके हैं।
पिशाच की आंखों के सामने रश्मि का लाजवाब हुस्न बेपर्दा हो चुका। शिखर के समान उठी हुई उसकी छातियां एक दम तन कर खड़ी थी और लल्लू को चुनौती दे रही थी। गोल गहरी नाभी, उफ्फ रश्मि के जिस्म का सबसे सबसे लुभावना कटाव यही पर है। सुडोल केले के तने के समान चिकनी जांघें और उन जांघो के बीच गहरी खाई जहा कोई घास फूस नही थी। हरियाली का नामोनिशान नही था।
रश्मि: आह ओ उफ्फ ओ मां।
रश्मि सिर्फ इतना ही बोल पाई क्योंकि लल्लू के जीव रश्मि के भगनासे को छेड़ रही थी और उसके दोनो हाथ रश्मि के शिखरों का मर्दन कर रही थी। रश्मि इस दोहरे हमले से आनंद की नई सीमाएं छूने लगी और उसका हाथ लल्लू को सिर को अपने अंदर समाने के लिए जोर मारने लगे। वो हर गुजरते पल के साथ लल्लू को और करीब खींच रही थी।
जैसे ही लल्लू की जीव ने रश्मि की चूत के लबों को छुआ एक अजीब सा नाश छाने लगा राशि पर। उसका जिस्म एक कमान सा बनाता हुआ हवा में उछला और गद्दे पर पड़ते ही कांपने लगा। रश्मि की चूत जो पहले से ही गीली थी वो भल भल बहने लगी। धीरे धीरे पिशाच की जीव रश्मि की चूत की गहराइयां नापने लगी। जब लल्लू ने जीव चलानी आरंभ करी तब रश्मि को एहसास हुआ की उसकी जीव वहा तक पहुंच रही है जहा तक किसी का लन्ड भी नही पहुंचा। पूरा कमरा रश्मि की आनंदमई सिसकियों से गूंज रहा था।
रश्मि: आह चाट ओह आई या आज तक इतनी अंदर तक कोई नही गया।
लल्लू को कोई फर्क नही पड़ रहा था, वो तो हर बीते लम्हे के साथ अपनी गति को बढ़ाए जा रहा था। लल्लू की जीव रश्मि की चूत का हर कोना नाप चुकी थी। लल्लू पूरी अंदर तक अपनी जीव घुसाता और अपनी नाक से रश्मि के भगनासे को दबाता। रश्मि का पहला चरण नजदीक ही था।
रश्मि: आह कर ओह आह मेरा होने वाला है। आह ओह माय गॉड आह आई एम अबाउट टू कम। आह लिक माई पुसी ओह आह।
रश्मि के सब्र का बांध टूट चुका था। पिशाच की जीभ की किशती उस सैलाब के भंवर में गोते खा रही थी। लल्लू ने एक बूंद भी जाया नही होने दी उस अमृत रस की। रश्मि का जिस्म पसीने से लथपथ और उसकी सांसे किसी धौकनी की तरह चल रही थी। लल्लू धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा और देखते ही देखते उसके होठों ने रश्मि के होठों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। दोनो के होठ ऐसे मिले जैसे कोई भी इन्हे जुदा न कर सकता हो। लल्लू के हाथ रश्मि के सम्पूर्ण जिस्म का जायजा ले रहे थे और उसकी कामाग्नि को दोबारा प्रज्वलित करने का काम कर रहे थे। रश्मि होठों के आलिंगन में मसरूफ थी पर इक बार फिर से उसकी चूत में टीस उठने लगी। वो हैरान थी कैसे वो इतनी जल्दी कामातुर हो सकती है। उसके जीवन का ये नया अनुभव था। रश्मि की चूत अब लन्ड निगलने के लिए मचलने लगी। उसके पांव मचलने लगे और वो खुद ही अपनी चूत दबाने लगी।
पिशाच बहुत ही अनुभवी था उसे पता था कि अब रश्मि की चूत भेदन का समय आ गया है। पिशाच ने रश्मि के होठों को छोड़ दिया और वो सम्पूर्ण रूप से रश्मि पर छाने लगा। रश्मि ने भी लल्लू का स्वागत किया और अपनी टांगे चौड़ा दी। रश्मि को मालूम था कि इस अजगर को अपने बिल में पनाह देने के लिए उसे असीम पीड़ा से गुजरना पड़ेगा पर वो ऐसा पुरुषार्थ के लिए व्याकुल थी।
लल्लू का लन्ड जैसे ही रश्मि की चूत से स्पर्श हुआ वैसे ही दोनो के जिस्म में एक अजीब सी बिजली कौंध गई। रश्मि के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी और लल्लू के मुंह से विभस्त गुर्राहट। पिशाच को रश्मि के जिस्म तो तार तार कर देना था जिससे वो हमेशा के लिए उसकी गुलाम हो जाए।
पिशाच ने बिना देर लगाए अपने लौड़े को रश्मि की कमसिन चूत के द्वार पर लगा दिया और हल्का सा कमर को हिलाया। रश्मि की चूत ने भी अपने लबों को खोलकर लल्लू के लन्ड का स्वागत किया और वो आने वाले पलो से अंजान थी। तभी पिशाच ने ऐसा धक्का मारा की लल्लू सम्पूर्ण विशालकायी लौड़ा रश्मि की कमसिन चूत में समा गया।
रश्मि: उई मां आह ये क्या आई किया। एक बार में पूरा घुसेड़ दिया। फट गई मेरी। यू स्वाइन। आह मां।
लल्लू: चुप रण्डी साली। नाटक मत कर कुत्तियां। तू ऐसे हो तो चुदना चाहती थी, जो एक बार में तेरी चूत में पूरा लन्ड बाड दे और तेरे जिस्म का पूरा कस बल निचोड़ दे। क्यों मेरी रांड। सही कहा न मैंने।
रश्मि एकचित लल्लू को घूरने लगी और जब दोनो की आंखे मिली तो वो इक अजीब से सम्मोहन में खो गई। और उधर लल्लू के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी और अब वो दनादन अपना लौड़ा रश्मि की चूत में पेलने लगा।
हर धक्के पर रश्मि को दर्द भी होता पर जिस गहराई तक लल्लू का लन्ड जा रहा था वो उसे एक खुशी भी महसूस करा रहा था।
रश्मि: आह ओह मां आह और तेज करो।
लल्लू: क्यों मजा आ रहा है न मेरी रांड।
रश्मि: बहुत मजा आ रहा है मालिक। और तेज चोदो। उफ्फ आह।
लल्लू हर बीते पल के साथ अपनी गति बढ़ता जा रहा था और रश्मि उसकी ताल से ताल मिला रही थी। लल्लू ने बिना लन्ड निकाले ही रश्मि को अपनी गोद में उठा लिया और दनादन चूत मारने लगा। रश्मि लल्लू के बाहुबल से खुश थी और वो कोशिश कर रही थी वो अपने मालिक को खुश कर सके। लल्लू रश्मि को गोद में उठाए चोदे जा रहा था और अपने मुंह में उसके दुग्ध कलशो का मर्दन कर रहा था। कमरे में केवल रश्मि की सिसकियां और ठप ठप की आवाज ही गूंज रही।
पिशाच बिना लन्ड निकाले ही बिस्तर पर लेट गया और अब रश्मि ऊपर थी और पूरे कंट्रोल में थी। ऐसा केवल देखने में लग रहा था क्योंकि कंट्रोल में सिर्फ एक ही बंदा था, वो पिशाच। लेट ते ही पिशाच ने नीचे से धक्के मारने शुरू किए तब रश्मि को एहसास हुआ की ये विभस्त अजगर कितनी अंदर तक घुस रहा है। पिशाच एक क्षण भर भी रुक नही रहा था वो दनादन लन्ड पेले जा रहा था। रश्मि हर धक्के के साथ लज्जत की नई बुलंदिया छू रही थी।
रश्मि: आह ओह फक मि। येस जस्ट लाइक इट। डिग डीपर। आह
लल्लू: क्या मस्त चूत है तेरी कुछ दिन बाद तुझे गांव बुलाके वही अपने पास रखूंगा मेरी जान। फिर तू रोज़ चुदेगी। तेरी गांड़ भी मरूंगा रण्डी साली।
रश्मि: आज आह ही ले चलो उफ्फ। अब ओह इस लन्ड के बिना नही रह सकती। चोदो और तेज।
लल्लू: अभी समय नही आया है। जब तुझे बुलाऊंगा तब आना पड़ेगा। समझी मेरी रण्डी।
लल्लू के धक्कों की रफ्तार कम होने का नाम ही नही ले रही थी और रश्मि की चूत बहना नही छोड़ रही थी। एक घंटे से भी ऊपर हो गया था लल्लू को चोदते हुए। इस घमासान चुदाई से रश्मि की हालत अब पस्त हो गई थी। कहने को तो वो घोड़ी बनी हुई थी पर अपने घोड़े के धक्कों की रफ्तार सहने की अब उसमे हिम्मत नही बची थी। लल्लू के एक धक्के से रश्मि पस्त हो गई और बिस्तर पर लेट गई। उसकी गांड़ ऊपर की तरफ आ गई पर तब भी पिशाच ने अपना लन्ड उसकी चूत से बाहर नही निकलने दिया। लल्लू दनादन चूत पेले जा रहा था और अब उसके धक्कों की गति और तेज हो गई।
रश्मि: आह उफ्फ क्या खाते हो मालिक। कचूमर निकल दिया मेरी चूत का। एक ही दिन में क्या भोसड़ा बना दोगे। आह
लल्लू: इतनी जल्दी थक गई मेरी जान। तू कहे तो पूरे दिन तुझे इस लन्ड पे बिठा के घूम सकता हूं।
रश्मि: मेरी आह ओह जान ही लोगे क्या। आह उफ्फ। आज सांड से पाला पड़ गया।
लल्लू को भी अब रश्मि पर दया आ गई और उसने अपने झटको को और तेज कर दिया जिससे उसे चर्म थोड़ी जल्दी मिल जाए।
रश्मि: आह ओह मां मार ही डालोगे क्या आज। आई
पर लल्लू पर कोई असर नहीं हुआ और वो तूफान की गति से चोदने लगा। कोई ५ मिनट बाद लल्लू को खुद अपने अंदर उफ्फान उबलता हुआ महसूस हुआ और लल्लू ने पहली पिचकारी मारी जो सीधा रश्मि की बच्चेदानी से टकराई और eis सुखद एहसास के साथ रश्मि एक बार फिर झड़ गई। पर लल्लू की बरसात के आगे रश्मि का सैलाब कुछ भी नही था। लल्लू ने अपने वीर्य का ऐक एक कतरा रश्मि की चूत में निचोड़ दिया। रश्मि के चेहरे पर असीम आनंद की अनुभूति थी और वही पिशाच के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी। जब तक लन्ड से वीर्य निकलता रहा लल्लू ने रश्मि को जकड़ लिया। जब वो दोनो अलग हुए तो रश्मि अपने नए मर्द को निहारने लगी। वो लल्लू की मर्दानगी पर मर मिटी थी। लल्लू ने जब देखा कि रश्मि उसे निहार रही है उसने रश्मि को अपनी आगोश में ले लिया। रश्मि उसकी छाती पर सर रखें आने वाले हसीन पलो की कल्पना करने लगी। तभी लल्लू उठा और उसने सीधे अपना सोया हुआ अजगर रश्मि के मुंह में उतार दिया और मूत्र की धार रश्मि के कंठ में उतार दी। रश्मि भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह हर बूंद को अपना प्रसाद समझ के गटक गई।
लल्लू अपने कपड़े पहन ने लगा तो रश्मि ने उसे पीछे से जकड़ लिया।
रश्मि: फिर कब आओगे मालिक।
लल्लू: जब भी तेरी चूत की याद आयेगी और वैसे भी कुछ दिनों बाद तो तू ही मेरे घर पर रहेगी और रोज चुदेगी।
लल्लू इतना बोल कर बाहर निकल गया जहां माया देवी पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी। लल्लू गाड़ी में बैठा और मायादेवी और रश्मि की आंखों का मिलन हुआ दो क्षण भर के लिए और दोनो की ही गर्दन लाज से झुक गई।
उधर रश्मि के कमरे में उसकी नर्स कमरे को व्यवस्थित करने को गई तो उसे चुदाई की खुशबू ने मदहोश कर दिया। उसका हाथ यकायक अपनी चूत पर चला गया और वो उसे दबाने लगी।
नर्स: डॉक्टर भी चुद गई। मुझे कब चोदेगा लल्लू।