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Erotica लल्लू लल्लू न रहा😇😇

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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भाग ८




रश्मि माया देवी के सामने बैठी थी। लल्लू अभी भी एग्जामिनेशन रूम में था।

रश्मि: देखिए मैने चेक तो कर लिया है। ९९% सब ठीक ही लग रहा है पर फिर भी मैने यूरीन और सीमेन के सैंपल ले लिए है (माया देवी के चेहरे को देखते हुए) मेरा मतलब पेशाब और वीर्य के सैंपल।

माया देवी: (चौंकते हुए) वीर्य का सैंपल क्यू। (और मन में ये सवाल भी उठ रहा था की इन्होंने लल्लू का वीर्य निकला कैसे। पर सरला की जान पहचान होने की वजह से वो चुप रही, सोचा लल्लू से ही पूछ लूंगी)

रश्मि: देखिए लिंग का साइज एक दम से बड़ना ये कोई उसके शरीर में हार्मोनल गतिविती की वजह से हुआ है, तो वो क्यू हुआ है, ये जानने के लिए वीर्य का सैंपल लेना जरूरी है।

माया देवी के पल्ले कुछ नही पड़ा पर फिर भी वो सर हिलाने लगी। रश्मि को भी देख कर समझ आ गया की जो कुछ उसने बोला है वो इनकी समझ में नहीं आया।

रश्मि: मैं सरला को समझा दूंगी और अब आप परसो आना ताकि हम कुछ टेस्ट कर सके। ओके

माया देवी: वैसे डॉक्टर साहिबा कोई घबरा ने की बात तो नही है। सब कुछ ठीक है।

रश्मि: अरे नही सब कुछ नॉर्मल लग रहा है। बस कुछ रैशेज मेरा मतलब खरोचे है तो उसके लिए मैंने क्रीम लिख दी है। उसको वो लगा ले रात में और नीचे कुछ न पहने।

माया देवी ने समझते हुए हा में गर्दन हिलाई। थोड़ी देर बाद माया देवी की गाड़ी शहर की सड़को पर दौड़ रही थी। माया देवी की आंखों में अजीब सी चमक थी और लल्लू के चेहरे पर मुस्कान।

दिन भर वो अपने खेत और तबेले के काम में व्यस्त रही और फिर शाम को सुधा के कहे अनुसार वो सरला के कॉलेज के बाहर खड़ी थी। सरला तो आता देख लल्लू की आंखे मेंडक की तरह बाहर को आ गई।


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उसकी हिरनी जैसी चाल पर लल्लू का लोड़ा ठुंके मारने लगा। दोनो की आंखों से बचा कर लल्लू ने अपना लन्ड मसल दिया। सरला बाहर आते ही माया देवी के गले लग गई।

माया देवी: कैसी है लाडो।

सरला: मैं ठीक हूं ताई मां। घर पर सब कैसे है।

माया देवी: सब ठीक है घर पर, अच्छा ये बता तूने छुट्टी ले ली है ना।

सरला: रात ९ बजे तक की छुट्टी ले ली है।

माया देवी: क्या सिर्फ रात को ९ बजे तक। हम तो चाहते थे की रात को हमारे साथ रूके।

सरला: सुबह एक बहुत जरूरी प्रैक्टिकल है और बंगलो से यह आना ८ बजे तक बहुत मुश्किल हैं।

दोनो बाते करे जा रहे थे और लल्लू तो बस सरला की मदमस्त जवानी में गुम था। वो सरला के हर कटाव, हर उठाव और हर उतार का बड़ी ही बारीकी से निरीक्षण कर रहा था। वो अपनी सोच से एक दम बाहर जब आया जब सरला ने उसे गले लगाया। सरला के जिस्म की गर्मी लल्लू महसूस करने लगा और अपने आप उसके बाहें सरला की कमर पर कसती चली गई।

सरला: कैसा है मेरा भाई।

सरला हमेशा लल्लू को ऐसे ही गले लगा कर मिलती थी पर आज कुछ अलग था। लल्लू का बाहों में उसे यूं कसना उसे थोड़ा अजीब लगा। आज पहली बार सरला को ऐसा लगा जैसे उसके भाई ने नही किसी मर्द ने उसे जकड़ रखा हो। उसके मुंह से एक आह निकल गई जो लल्लू के सिवाय कोई नही सुन पाया।


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लल्लू: मैं ठीक हूं दीदी। आप बताओ आप कैसी हो।

सरला कुछ बोल पाती माया देवी बोल पड़ी।

माया देवी: कर में बैठ कर बाते कर लेना क्युकी समय बहुत कम है और हमे काम बहुत ज्यादा।

सब लोग कार में बैठ गए और सरला के दिशानुसार कार आगे बढ़ने लगी। बीच बीच में दोनो माया देवी और सरला डॉक्टर रश्मि द्वारा की गई बाते भी कर रही थी। कार एक बड़े से मॉल के सामने पहुंच कर रुकी और तीनों चल दिए मॉल के अंदर शॉपिंग करने। सबसे पहले उन्होंने लल्लू के लिए कपड़े खरीदे क्योंकि लल्लू के कपड़े बहुत टाइट हो गए थे। उन्होंने लल्लू के लिए ४ ५ जींस खरीदी और कुछ पैंट कुछ शॉर्ट्स कुछ शर्ट्स और टी शर्ट्स। फिर बारी आई लल्लू के कच्छों की। वो सेल्स गर्ल जो भी साइज दिखाती माया देवी छोटा बोल कर माना कर देती। सेल्स गर्ल के भी कानो से धुआं निकलने लगा। वो मन ही मन सोचने लगी "इतना छोटा सा लड़का है, इसका क्या इतना बड़ा होगा"। फिर अंत में माया देवी को एक साइज सही लगता है और वो उस साइज के १५ २० कच्छे ले लेती है। माया देवी सब के लिए शॉपिंग करती है। सरला, कमला, रतना, सुधा यहां तक उषा के लिए भी। फिर माया देवी सरला के कानो में कुछ बोलती है और वो दोनो लेडीज सेक्शन के एक कोने में पहुंच जाते हैं। वहा पर लटकी हुई ब्रा और पैंटी देखकर माया देवी की आंखे बड़ी हो जाती है।


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माया देवी: इसमें कुछ ढकेगा भी। ये कितनी छोटी है। (एक पैंटी को हाथ में लेके)

सरला: ताई मां ये आज कल का फैशन है।

माया देवी: इसमें काहे का फैशन। कपड़ो के अंदर पहनना है उसके ऊपर थोड़ी ना।

सरला नही मानी उसने सब के लिए ५ ६ जोड़ी सिलेक्ट कर ली और सब के लिए नाइट गाउन भी ले लिए।

जब शॉपिंग खतम हुई तब सरला का ध्यान घड़ी की तरफ गया तो उसके होश उड़ गए क्युकी ८:३५ हो चुके थे और ९ या ९:१५ तक उसे किसी भी हालत में हॉस्टल पहुंचना था। माया देवी निराश थी की सरला खाना भी नही खा पाई उनलोगो के साथ। माया देवी ने सरला को हॉस्टल छोड़ा और गाड़ी को शहर वाले बंगले पर ले जाने के लिए बोल दिया।

रात के १० बजे गाड़ी एक आलीशान बंगले के प्रांगण में खड़ी थी।


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एक बूढ़ा नौकर दौड़ता हुआ गाड़ी के दरवाजे के पास पहुंचा और माया देवी को नमस्कार करने लगा। उसने माया देवी और लल्लू का सामान उठाया और अंदर आ गया। माया देवी और लल्लू सोफे पर बैठे हुए थे।

नौकर: खाना लगा दू मालकिन।

माया देवी: नही भीमा अभी नही। तुम खाना टेबल पर रख दो हम बाद में खा लेंगे और हां सुबह जब हम बुलाए तभी आना, बहुत थक गए हैं हम। महेश (ड्राइवर)को भीं लेते जाओ और उसे खाना खिला देना।

भीमा सर हिलाता हुआ सारा खाना टेबल पर रखने लगा और थोड़ी ही देर में सब काम खतम करके पीछे के रास्ते से अपने बने हुए क्वार्टर में चला गया।

भीमा के जाते ही माया देवी ने पीछे का दरवाजा अंदर से बंद किया और लल्लू के सामने ही अपनी साडी उतार दी। ना लल्लू के लिए न माया देवी के लिए ये कोई नई बात थी।


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माया देवी: लल्लू मैं तो नहाने जा रही। तू नहाएगा।

लल्लू: जब आप नहाने जा तो मैं कैसे जा सकता हूं। साथ में नहाना है क्या।

साथ में नहाने की बात सुन कर माया देवी की चूत कुलबुलाने लगी। पर वो कोई भी कदम जल्दबाजी में नही उठाना चाहती थी।

माया देवी: अरे बुधु, ये गांव नही शहर है यहां पर हर कमरे में गुसलखाना होता है। जा तू भी नाहांके आजा।

लल्लू: पर ताई मां मैं तो कभी भी अकेला नहीं नहाया। मुझे चाची या फिर माई ही निहलाती है।

माया देवी: कल तू ही कह रहा था की तू बड़ा हो गया है। तो जब बड़े हो जाते है तो खुद से नहाते है। फिर जब तू आयेगा तो तुझे कड़वी पेप्सी पिलाऊंगी। सोच ले।

लल्लू फटाफट दौड़ के एक कमरे में घुस गया। उसकी बेताबी देख माया देवी के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई और मन ही मन बोली "बुधु कही का" और दूसरे कमरे में चल दी। वहा पर सारे बैग रखे हुए थे। माया देवी ये ही सोच रही थी की क्या पहनू और तभी उनकी नजर एक नाइटी पर पड़ी जो बिल्कुल सिल्क सी थी। कंधे पर सिर्फ दो डोरिया सी थी और केवल उनकी जांघो तक थी। उन्होंने उसके ऊपर का कोट नही लिया।

माया देवी एक बड़े से शीशे के सामने खड़ी हुई अपने जिस्म को निहार रही थी।


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उन्हे खुद के जिस्म पे बड़ा गुमान होने लगा। ४९ साल की उम्र में भी वो जवान जवान औरतों को पानी पिला दे। उनके जिस्म का हर कटाव किसी भी विश्वामित्र की तपस्या भंग कर सकती थी।

माया देवी जब नहा के कमरे से बाहर निकली तब तक लल्लू भी नहा के आ चुका था। वो वही सोफे पर बैठा हुआ था। लल्लू माया देवी को देखता ही रह गया। इस छोटी सी नाइटी में माया देवी का जिस्म संभाले नहीं संभल रहा था। ब्रा ना पहने होने के कारण से उनके खरबूजे आजाद थे और उनकी चाल से यहाँ वहां डोल रहे थे।


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नाइटी भले ही सिल्की हो पर कपड़ा इतना चिपका हुआ था माया देवी के जिस्म से उनकी पैंटी की लाइन साफ साफ महसूस हो रही थी। लल्लू का तो थूक गले में ही अटक गया हो। वो एक टक माया देवी के मस्त खरबूजे घूरे जा रहा था। माया देवी ने भी महसूस किया कि लल्लू की निगाह उनके चूचों से नही हट रही। वो एक टक उन्हे घूरे जा रहा है। माया देवी के चेहरे पर मुस्कान फैल गई।

माया देवी: कहा खो गया लल्लू।

लल्लू: (जैसे नींद से जागा हो) आप कितनी सुंदर लग रही हो ताई मां।

माया देवी: पहले तो तूने कभी ऐसा नहीं बोला। इसका मतलब पहले मैं सुंदर नही लगती थी।

लल्लू: ऑफो ताई मां सुंदर को आप हमेशा लगती हो पर इन शहरी कपड़ो में आपको पहली बार देखा तो उसमे और ज्यादा लग रही हो।

माया देवी: अच्छा बहुत बाते बनाना सीख गया है। जा टेबल पर देख भीमा ने कुछ नमकीन वगेरह रखा हैं क्या।

ये बोलते हुए माया देवी ने अपनी टांगे सामने रखी टेबल पर रख दी। जिससे उनकी नाइटी थोड़ी और ऊपर सरक गई। लल्लू की आंखो के सामने अब माया देवी की गोरी, चिकनी और मांसल जांघें नुमाया हो गई। पर लल्लू उर्फ पिशाच भी कोई जल्द बाजी नही करना चाहता था। वो देखना चाहता था की माया देवी इसको रिझाने के लिए किस हद तक जाती है। उसे भी इस खेल में मजा आ रहा था।

लल्लू दौड़ता हुआ गया और टेबल पर रखी भुने हुए काजू, बादाम, और मखाने का नमकीन था और दूसरी प्लेट में भुनी हुई मुर्गे की टांग थी। भीमा माया देवी की आदत जनता था, वो जब भी और जितने दिन भी शहर में रहती थी शराब जरूर पीती थी। लल्लू दोनो प्लेटों को उठाके माया देवी के पास पहुंच गया और उनके सामने रख दी। माया देवी ने दो ग्लास बनाए और एक लल्लू को दिया।

माया देवी: इसे धीरे धीरे पीते है, ना की एक सास में। समझा। हम इसको पीते है, पर जिस दिन इसने हमे पीना शुरू कर दिया घर का सर्वनाश हो जाता हैं। समझ गया मेरी बात।


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लल्लू: (हा में गर्दन हिलाई) समझ गया ताई मां।

फिर दोनो ही शराब की चुस्कियां लेने लगे। माया देवी इस सोच में थी अब बात को आगे कैसे बड़ाए। तभी उन्हें कुछ सूझा।

माया देवी: अच्छा लल्लू जो वो मैं तेरे कच्छे लाई हूं ना। जरा पहन के देखा। अगर छोटे हुए तो कल ही वापस कर देंगे। जा जरा पहन के दिखा।

लल्लू भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह चल दिया। उसने वो बाग ढूंढ निकाला जिसमे उसके कच्छे रखे हुए थे। अपने कपड़े उतार कर लल्लू ने जब वो कच्छा पहना तो उसके लन्ड का उभार अत्यधिक दिखने लगा। उसने थोड़ा अपने लन्ड को एडजस्ट किया जिससे उसका लन्ड और फूला हुआ दिखने लगा। लल्लू भी उसको देखकर मुकुराने लगा और मन ही मन बोलने लगा "अब कहा जायेगी बच कर माया रण्डी"।




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लल्लू ऐसी ही हालत में बाहर आया तो माया देवी के गले में ठस्का लग गया। उनकी अंदर की सांस अंदर और बाहर की बाहर ही रह गई। वो बस ये ही सोचती रही "इतना बड़ा लोड़ा कैसे हो सकता है"। लल्लू माया देवी के बगल में आकर बैठ गया। माया देवी हर चोर निगाह से उसके लोड़े को घूर रही थी। उनके जिस्म की तपिश बड़ती जा रही थी। उनकी चूत इतनी कुलबुलाने लगी बार बार उन्हें अपनी चूत को अपनी जांघो से दबाना पड़ता। माया देवी हर एक क्षण के साथ वासना के सागर में डूबती जा रही थी, उन्हे अब किसी भी कीमत पर ये लोड़ा अपनी चूत में चाहिए था। माया देवी की मालूम था की उन्हे धैर्य से काम करना होगा तभी वो इस घोड़े समान लन्ड की सवारी कर पाएगी।

लल्लू: ठीक है ना ताई मां।

माया देवी: लग तो ठीक ही रहा हैं।

लल्लू: मैं कपड़े बदल कर आता हूं।

माया देवी: पहने रह और बैठ जा।

लल्लू वैसे ही माया देवी के बिलकुल करीब पहुंच गया। शराब का दौर चलता रहा, दूसरे के बाद तीसरा ग्लास भी बन गया। शराब का सुरूर और वासना का नशा दोनो मिलकर माया देवी को आगे बढ़ने की हिम्मत दे रहे थे।

माया देवी: अच्छा लल्लू वो डॉक्टर ने तेरा वीर्य का सैंपल कैसे लिया।

लल्लू: (मासूमियत से) वीर्य वो क्या होता है।

माया देवी: अरे तेरे दो तरह के सैंपल लिए थे न डॉक्टर ने एक मूत का और दूसरा वीर्य का। दूसरा वाला कैसे लिया।

लल्लू: अच्छा वो चिपचिपी सुसु।

माया देवी: हा हा वोही चिपचिपी सुसु। वो कैसे निकाला डॉक्टर ने।

लल्लू: चूस कर।

इतना सुनते ही माया देवी के कानो से धुआं निकलने लगा। उनकी आंखों के सामने वो दृश्य घूमने लगे की कैसे डॉक्टर ने लल्लू का लोड़ा चूसा होगा। उनकी आंखों में वासना के लाल डोरे तैरने लगे। लोहा गरम देख कर लल्लू ने भी हथौड़ा मार दिया।

लल्लू: ताई मां जैसे मैं लॉलीपॉप चूसता हूं वैसे ही वो डॉक्टर चूसती रही जब तक चिपचिपी सुसु नही निकली। कभी वो अंदर करती कभी बाहर करती और जब वो चिपचिपी सुसु निकल गई तब उन्होंने थोड़ा सा डिबिया में डाला और बाकी सारा चाट गई।

माया देवी की चूत बहने लगी इतना सुन कर। उनको डॉक्टर रश्मि से ईर्षा होने लगी। माया देवी की आंखे बंद हो गई और कस कर उन्होंने अपनी जांघें भींच ली।

लल्लू जानमुचकर बार बार अपने लन्ड को खुजा रहा था।

माया देवी: क्या हुआ लल्लू। बार बार क्यू खुजा रहा है।

लल्लू: ताई मां बड़ी खरिश हो रही है।

माया देवी: नया कपड़ा है न। तू एक काम कर उतार दे इसे।

माया देवी को लल्लू के लन्ड की देखने की बड़ी इच्छा हो रही थी। वो वासना की उस कगार पर थी अब उन्हे कोई नैतिक या सामाजिक बंधन नहीं दिख रहा था। माया देवी तो बस लन्ड चाहिए था वो भी लल्लू का।

लल्लू भी माया देवी की बातो से सहमति जताते हुए अपना कच्छा उतार दिया।


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जो माया देवी आखों के सामने आया उसे उनका हलक सुख गया, उनके होठों की प्यास बाद गई, उनकी चूचियां तन के खड़ी हो गई और चूत से रस की नदिया बहने लगी। मन में बस एक ही आवाज गूंज रही थी क्या लोड़ा है तेरा "लल्लू"।

Ekdm jabardast update 🔥 👍🏻
 

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भाग ९





माया देवी की आंखों के सामने लल्लू का लन्ड लहरा रहा था। अब उनके होठों की प्यास शराब भी नही भुझा सकती थी। लल्लू के लन्ड को देखकर माया देवी की चूत में हजारों चींटियां रेंगने लगी।

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पहले ही उनकी चूत इतना पानी छोड़ रही थी और लल्लू के लहराते हुए लन्ड ने तो जैसे उनकी चूत का बांध ही खोल दिया हो। लल्लू भी तिरछी नजरों से माया देवी को देख रहा था और उनकी हालत पे मन ही मन खुश हो रहा था। माया देवी तो जैसे इक बुत बनकर बैठी थी। उन्हे कोई होश नही था, वो बस अपनी खयालों की सागर में गोते लगा रही थी।

लल्लू बार बार अपने लन्ड को खुजा रहा था और उमेठ भी रहा था। जब जब लल्लू लन्ड को छूता तब तब माया देवी की आंखे हवस में और लाल हो जाती और उनके मुंह से सिसकारी निकल जाती।

माया देवी: अभी भी खुजली हो रही है क्या लल्लू।

लल्लू: हा ताई मां। ये नए कपड़े बड़े ही बेकार है। बहुत खुजली हो रही है नुनु में।

लल्लू के मुंह से नुनु सुनकर माया देवी की हसी छूट गई।

लल्लू: क्या हुआ ताई मां। अब हस क्यू रही है।

माया देवी: अब तू बड़ा हो गया है लल्लू। जब बचा होता है तब नुनु होती है, और जब बच्चा बड़ा हो जाता है तब इसे लन्ड बोलते है और जिसके पास इतना बड़ा हो जैसा तेरे पास है उसे लोड़ा बोलते है। समझा।

लल्लू: (बड़ी मासूमियत से) तभी गांव में सब मुझे बहन का लोड़ा बोलते है।

माया देवी के चेहरे पर हसी आ गई, वो लल्लू की मासूमियत पर फिदा हो गई पर उसे ये नही मालूम था की लल्लू उसे शीशे में उतार रहा है।

माया देवी: (थोड़ी संजीदा होकर) कौन तुझे बहन का लोड़ा बोलता है, गांव चल कर मुझे बताना उसकी मां चोद दूंगी।

लल्लू: ठीक है ताई मां। वैसे जब मुझे इतनी खारिश हो रही है नए कपड़े पहन कर तो आप भी वो छोटे नए कपड़े पहन कर देख लो, कही छोटे न हो और कही आपको भी खारिश ना हो।

माया देवी को अचंभा हुआ की इन्होंने तो ब्रा और कच्छी लल्लू से अलग जाके खरीदी थी तो इसे कैसे मालूम हुआ।

माया देवी: तुझे कैसे मालूम छोटे कपड़ो के बारे में।

लल्लू: वो जब आप और सरला दीदी मुझे उन दीदी (सेल्स गर्ल) के पास छोड़ गए थे, तब वो दीदी किसी और से बात करने लगी तो मैं आपको ढूंढता हुआ वही आ गया जहां आप और दीदी छोटे कपड़े खरीद रही थी।

माया देवी: अच्छा। तो क्या अब तुझे पहन के दिखाओ वो छोटे कपड़े। तुझे शर्म नही आयेगी अपनी ताई मां को ऐसे देखने में।

लल्लू: क्या ताई मां, कपड़े ही तो है और मैने भी तो आपको पहन के दिखाया न और अब तो खारिश की वजह से नंगा बैठा हूं आपके सामने। कही ऐसा ना हो की आप गांव जाके पहनो और खारिष की वजह से आपको भी किसी के सामने नंगा होना पड़ जाए।

नंगा होने की बात सुनते ही माया देवी के कानो से धुआं निकलने लगा। वो खुली आंखों से खुद को लल्लू के सामने नंगी महसूस करने लगी। चूत की कुलबुलाहट बड़ती जा रही थी।

माया देवी: कह तो तू ठीक ही रहा है लल्लू। रुक अभी पहन के दिखाती हूं।

माया देवी वापस कमरे में चली गई और अपनी नाइटी उतार कर अपने लिए लाए हुए सबसे उत्तेजक ब्रा पैंटी के सेट को पहनने लगी। जब पहन लिया तो जैसे कमरे में तो हाहाकार मच गया। रूप की रानी का कातिलाना हुस्न आज बेपर्दा होने को व्याकुल था। खुद को निहारते हुए वो मन ही मन बुदबुदाने लगी "अब कैसे बचेगा लल्लू, अब तो ये लोड़ा मैं खाकर ही रहूंगी)।

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जब माया देवी बाहर निकली तो लल्लू की आंखे फट के बाहर आ गई। माया देवी का सांचे में ढला हुआ जिस्म उसकी आंखो के सामने था। दो फुटबॉल समान चूचियां जिनकी अकड़ अभी भी बरकरार थी, वो तो बस ब्रा फाड़ने को बेताब थी। माया देवी की पैंटी इतनी छोटी थी की बस उनके खजाने को ढक पा रही थी। बाकी उनकी टांगों का हर जोड़ नुमाया था। गांड़ के उभार भी निकल के सामने आ रहे थे। लल्लू का खुद को रुकना अब मुश्किल हो रहा था उसका हाथ उसके लन्ड को हल्का हल्का मुठियाने लगा। माया देवी की नजर तो बस लल्लू के लोड़े पर थी। हवस और शराब का नशा मिलकर माया देवी की आंखों को भारी कर रहे थे।

माया देवी बहुत ही उत्तेजक चल चलती हुई लल्लू की तरफ आई।


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वो बिलकुल लल्लू के सामने पहुंच कर।

माया देवी: बता कैसी लग रही हूं।

लल्लू: अब तो आप पहले से भी सुंदर लग रही हो।

माया देवी के चेहरे पर हसी आ गई। वो बिलकुल लल्लू के करीब बैठ गई। ये पहली बार था जब दोनो के जिस्म एक दूसरे से छू रहे थे। दोनो के जिस्मों में गजब की तपिश थी। माया देवी ने अब अपनी एक टांग उठा के लल्लू की जांघो पे रख दी।


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माया देवी की टांग लल्लू के लन्ड से केवल दो उंगल के फासले पर थी, वो इतनी दूर से भी लल्लू के लोड़े की गर्मी को महसूस कर रही थी। लल्लू अभी भी अपने लन्ड को खुजाय जा रहा था।

माया देवी: क्यू रे अभी भी खुजली हो रही है क्या।

लल्लू: हा ताई मां। अब तो और तेज हो रही है।

लल्लू ने लन्ड को उमेठ दिया। माया देवी के होठ इतने सुख गए थे की बार बार वो अपनी जीभ अपने होठों पे फिरा रही थी।

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माया देवी: लगता है इसका इलाज ही करना पड़ेगा।

लल्लू: हा ताई मां करो ना, बहुत ज्यादा हो रही है।

लल्लू की इजाजत मिलते ही माया देवी सोफे से उतर कर ठीक लल्लू के सामने बैठ गई। माया देवी ने फुर्ती से लल्लू का हाथ उसके लन्ड से हटाया और खुद उसको पकड़ लिया। माया देवी को ऐसा लगा जैसे उनके हाथ में किसी ने तपता हुआ कोयला रख दिया हो। माया देवी ने लल्लू के लन्ड की चमड़ी हो हटाया तो उसमे लाल रंग का सुपाड़ा निकला। माया देवी के होठों की प्यास और बड़ गई। लल्लू की भी हालत खराब थी, जैसे ही माया देवी ने चमड़ी के हटाया लल्लू को सिसकारी निकल गई।

लल्लू: आह ताई मां। आ आप इलाज कैसे करोगी।

माया देवी: (लल्लू की आंखो में देखते हुए) जैसे तेरी डॉक्टर ने किया था। तेरा लोड़ा चूस कर।

माया देवी अब बिल्कुल भी रुकने की हालत में नही थी। उन्होंने अपनी जीव निकली और लल्लू का लन्ड चाट लिया।

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लल्लू: आह ह ताई मां।

माया देवी: ऐसे ही चूसा था डॉक्टर ने।

लल्लू: आह ह पहले ऐसे ही किया था फिर बाद में पूरा लोड़ा अपने मुंह में लेकर चूसा था।

माया देवी: ऐसे।

और माया देवी ने नाकाम कोशिश करी लल्लू के विशाल लोड़े को मुंह में लेने की। जितना ले पाई उतना लेकर वो लल्लू के लन्ड पर चुप्पे लगाने लगी। थोड़ी देर मुंह में रखती फिर चुप्पे लगाती और फिर जितना हो सके उतना लल्लू के लन्ड को मुंह की गहराइयों में उतार लेती।

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लल्लू उर्फ पिशाच अब पूरे जोश में था। उसे मालूम था की अगर उसे इस खेल में जितना है तो उसे नियंत्रण खुद के हाथो में लेना पड़ेगा। लेकिन अभी के लिए फिलहाल वो चुतिया बनके ही माया देवी की सवारी करना चाह रहा था।

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माया देवी लल्लू की आंखो में देखते हुए लन्ड को चूसने लगी। माया देवी पूरी शिद्दत से लल्लू के लोड़े की चुसाई कर रही थी। अब उनका दूसरा हाथ लल्लू के गोटे सहलाने लगी।

लल्लू उर्फ पिशाच भी कब तक सहता जब हुस्न से लबालब भरी हुई माया देवी उसका लन्ड चूस रही हो। उसके हाथ अपने आप माया देवी के सिर को अपने लोड़े पर दबाने लगे।

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सिर पर हाथ पड़ते ही माया देवी ने लल्लू की तरफ देखा और मन ही मन बोल उठी " मानसिक स्थिति कैसी भी हो पर ये दिमाग और ये जिस्म लन्ड और चूत की भाषा अच्छे से समझता है" और उनके चेहरे पे एक गहरी मुस्कान आ गई। लल्लू का लन्ड चूसना माया देवी ने जारी रखा। माया देवी की चूदास इतनी बड़ गई थी की वो खुद अपने चूचे दबाने लगी। दूसरे हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी। दृश्य कुछ ऐसा था माया देवी के मुंह में लल्लू का लोड़ा और उनके खुद के हाथ अपनी चूत सहला रहे थे। उनके हाथो की गति बड़ती जा रही थी। माया देवी पर अब लल्लू के लन्ड की खुमारी पूरी तरह छा गई थी।

माया देवी: आह धक्के मार लल्लू। आह मेरा मुंह चोद।

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लल्लू तो जैसे इंतजार में ही बैठा था। वो सोफे पर बैठे बैठे ही माया देवी का मुंह चोदने लगा। वो पूरा लन्ड माया देवी के गले में उतारता और फिर रोकता जब तक माया देवी को सांस लेने में दिक्कत न होती। फिर मुंह से निकलता और फिर कुछ ही क्षण बाद वापस माया देवी के मुंह में अपना लोड़ा घुसेड़ देता।

माया देवी की पूरी पैंटी गीली हो गई थी। पैंटी में से रस निकालकर जमीन पर गिरने लगा। लल्लू ने भी माया देवी को अपनी चूत रगड़ते हुए देख लिया। लल्लू के मुंह में पानी आने लगा।

लल्लू: देखा ताई मां तुम्हे भी खारिश होने लगी। तुम भी उतार दो ये कपड़े।

माया देवी कुछ बोल पाती या कर पाती लल्लू ने माया देवी की ब्रा को खींचकर उनके शरीर से अलग कर दिया। माया देवी के दोनो फुटबॉल अब आजाद हो गई। इतनी बड़ी और सुडौल चूचियां देखकर लल्लू के मुंह में पानी आ गया। वो एक टक बस माया देवी की चुचियों को घूरे जा रहा था।


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माया देवी ये देख खुश हो रही थी की लल्लू उनके जाल में फंसता जा रहा है। उन्होंने लल्लू का लोड़ा मुंह से निकाला।

माया देवी: क्या देख रहा है लल्लू। बचपन में बहुत खेला है तू इनसे, और दूध भी पिया है।

लल्लू: सच में ताई मां। इनमे अभी भी दूध है।

माया देवी: नही रे अब नही आता पर तू इन्हे चूस कर मेरी खुजली तो मिटा ही सकता है।

और माया देवी ने लल्लू का सिर अपनी चुचियों में दबा लिया। लल्लू भी एक शातिर बच्चे की तरह माया देवी की चुचियों के निप्पल को चूसने लगा। कभी वो पूरा चूचा अपने मुंह में भरने की नाकाम कोशिश करता और कभी अपनी जीव से निप्पल को छेड़ता।

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माया देवी के हाथ में अभी भी लल्लू का लन्ड था जिसे वो धीरे धीरे मुठिया रही थी।

माया देवी: आह आ ह ओह ऐसे ही चूस लल्लू, निकल दे इनकी सारी अकड़। आह मिटा दे इनकी सारी खुजली। आई काट मत।

लल्लू भी माया देवी की चुचियों से खेलता रहा। कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ। वो बारी बारी दोनो खरबूजों का रस निकाल रहा था और माया देवी की चूत इस हमले से लगातार रोए जा रही थी। माया देवी के हाथ बहुत तेजी से अपनी चूत पर चल रहे थे। वो बस जल्द से जल्द झड़ना चाह रही थी पर लल्लू उन्हे इतनी जल्दी नही झड़ने देना चाह रहा था। २० मिनट से उपर हो गए थे लल्लू को माया देवी के खरबूजों से खेलते हुए। खरबूजे पूरी तरह से लाल पड़ चुके थे। जगह जगह लल्लू के दांतो के निशान बने हुए थे और माया देवी हैरत में थी की अब तक लल्लू के लन्ड ने उल्टी नही करी। २० मिनट से वो लल्लू के लन्ड को मुठिया रही थी और उससे पहले कोई १५ मिनिट तक चुसाई की थी उन्होंने। लल्लू ने अपना हाथ बड़ाके माया देवी के हाथ पर रख दिया, तो माया देवी ने सिर उठाके लल्लू की तरफ देखा और दोनो की नजरे मिली।

लल्लू: नीचे भी खारिश हो रही है ताई मां।

माया देवी: बहुत तेज हो रही है लल्लू।

लल्लू: तो मैं ठीक किए देता हूं।

माया देवी कुछ समझ पाती लल्लू ने उन्हे सीधा किया और उनकी टांगों के बीच आके बैठ गया। अब दृश्य कुछ ऐसा था जहां थोड़ी देर पहले माया देवी थी अब वहा लल्लू था। और लल्लू के ठीक सामने थी माया देवी की रस से भरी हुई चूत जो इस समय इक छोटे से कपड़े के टुकड़े के अंदर छुपी हुई थी। माया देवी की चूत कितना पानी छोड़ रही इसका अंदाजा उनकी पैंटी देखकर कोई अंधा भी बता सकता था। लल्लू ने वो किया जिसका अंदाजा माया देवी सपने में भी नही लगा सकती थी।

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लल्लू ने माया देवी की पैंटी ही चाटनी शुरू कर दी। लल्लू की जुबान की पहली दस्तक पाते ही माया देवी की चूत कुलबुलाने लगी। लल्लू ने पैंटी को इस तरह मुंह में भर लिया जैसे वो इस पैंटी से माया देवी का निकला हुआ एक एक कतरा रस निचोड़ लेगा।

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माया देवी: आह ओह लल्लू। आई मां।

माया देवी आहे भरती रही और लल्लू ने जब तक उनकी पैंटी को चाटना नही छोड़ा जब तक उसमे से माया देवी का पूरा रस न निचोड़ लिया। अब बारी थी माया देवी के बेशकीमती खजाने को बेपर्दे करने की। लल्लू ने अपने दोनो हाथ ले जाके माया देवी की पैंटी के दोनो साइड पर रख दिए। अपनी उंगलियां उसने इलास्टिक के अंदर फंसा दी। माया देवी को भी पता था की अगला अब क्या होने वाला है उन्होंने अपनी गांड़ हवा में उठा दी। सररररररर की आवाज के साथ एक ही झटके में माया देवी की पैंटी ने उनके जिस्म का साथ छोड़ दिया और अब वो इस कमरे के एक कोने में पड़ी थी।

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लल्लू की आंखो के सामने अब माया देवी की चिकनी, सपाट और रसभरी चूत थी, जिसे देख लल्लू की आंखो में हवस के लाल डोरे तैरने लगे। उसकी जीव लपलपाने लगी। माया देवी ने जब लल्लू की आंखो में देखा तो इतनी हवस देख कर उन्हे खुद यकीन नही हुआ की ये वोही लल्लू है। एक औरत ही है जो मर्द की हवस को नाप तोल सकती है। जो माया देवी लल्लू को फंसा कर अपनी इच्छाएं पूरी करना चाहती थी उन्हे पहली बार लल्लू से डर लगने लगा। वो अपनी टांग बंद करना चाहती थी पर लल्लू ने ऐसा होने न दिया। उसने टांगे तो बंद नहीं होने दी बल्कि वो माया देवी की चूत पर झुकता चला गया। उसकी लंबी ज़ुबान ने एक बार फिर माया देवी को सब कुछ भूलने पर मजबूर कर दिया। लल्लू माया देवी की चूत को बाहर से पूरी तरह चाट रहा था। वो चूत के ऊपरी कोने से गांड़ के छेद तक चाटता और गांड़ के छेद से चूत के ऊपरी भाग तक। माया देवी की आंखे बंद होती चली गई और वो लल्लू के सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी।

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माया देवी: आह आ ह ओ आ चाट ऐसे ही।

लल्लू अब एक हाथ से माया देवी के भगनासे को छेड़ रहा था और जीव की कारीगरी बादस्तूर चालू थी। माया देवी इतने से ही हमले से अपनी गांड़ पटकने लगी। उनकी इच्छाएं अब परवान चढ़ने लगी और वो मस्ती के सागर में डूबती चली गई। वो क्या बडबडा रही थी उन्हे खुद नही मालूम।

माया देवी: आह चाट मादरचोद। उफ्फ आह ऐसे ही चाट बहन के लोड़े। आह ह आ

लल्लू ने जब माया देवी के मुंह से गाली सुनी तो उसने चूत चाटना छोड़ दिया पर भगनासा नही छोड़ा। जब कोई २ मिनट तक उन्हे लल्लू की जुबान का एहसास नही हुआ तो उन्होंने आंखे खोल दी और लल्लू के मासूम से चेहरे को उनकी तरफ घूरता पाया।

माया देवी: क्या हुआ आह। रुक क्यों गया लल्लू।

लल्लू: आपने मुझे गाली दी।

लल्लू की बात सुनकर माया देवी के चेहरे पर हंसी आ गई।

माया देवी: ये गलियां तो प्यार में दी हैं। जब प्रेम और उन्माद दोनो मिलते है तो जिस्म में एक अजीब तरह के तूफान उफनता हैं, और जब वो तूफान अपने चरम पर होता है प्रेम के साथ साथ गालियां भी निकलती है।

लल्लू: तो क्या मैं भी दे सकता हूं।

माया देवी: तुझे आती है गलियां जो औरत को अच्छी लगे ऐसे समय में। आती है तो बोल।

लल्लू ने थोड़ी देर सोचा फिर जो बोला उससे माया देवी की आंखे बंद होती चली गई।

लल्लू: कुतिया

माया देवी ने जैसे ही ये शब्द सुना उनकी चूत को एक सुकून सा मिला और उनकी आंखे बंद हो गई।

माया देवी: आह और कोई......

लल्लू: (बिना झिझके हुए) रण्डी

माया देवी ने जब ये शब्द सुना तो उन्होंने आंखे खोली और लल्लू की आंखो में देखने लगी। उन्होंने लल्लू की उंगलियां जो उनके भगनासे से खेल रही थी उन्हे वहा से हटाकर अपनी चूत के प्रविष्ट द्वार पर रख दिया और उसकी उंगलियां अंदर धकेलने लगी। जब उंगली ने वो रास्ता तय कर लिया तो उनकी आंखे बंद हो गई।

माया देवी: आह ओह और .......

लल्लू ने भी अब देर करना उचित नहीं समझा वो अपनी उंगलियां धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। वो उंगलियों की हरकत करते हुए खड़ा हुआ और बिलकुल माया देवी के करीब पहुंच गया और उनके कानो के बिलकुल करीब पहुंचकर।

लल्लू: मेरी छिनाल।

माया देवी ने जब ये शब्द सुने तो उनकी आंखे भट्टे सी खुल गई। दोनो की आंखे मिल गई और न जाने क्या बात थी इस बार लल्लू की आंखो में की माया देवी खोती चली गई और लल्लू ने उनके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया। दोनो के होठ ऐसे जुड़े की हटने का नाम ही नही ले रहे थे।


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लल्लू के हाथो की रफ्तार हर एक पल के साथ बड़ती जा रही थी। उधर माया देवी का ध्यान जब लल्लू के लन्ड पर गया तो उन्होंने लल्लू के लन्ड को अपनी मुट्ठी में भर लिया।

कभी लल्लू होठ चूसता तो कभी माया देवी। दोनो किसी प्रतिद्वंदी की तरह डटे हुए थे जिनकी मंजिल एक ही थी। पर इस खेल में लल्लू माया देवी पर भारी पड़ने वाला था जोकि माया देवी ने सोचा भी न था। माया देवी की गांड़ उचकने लगी। उनकी गांड़ की थिरकन से पता पड़ रहा था की वो किसी भी क्षण अपना धैर्य छोड़ सकती है। लल्लू ने माया देवी के होठों को छोड़ा और वापस नीचे माया देवी की चूत चाटने लगा।

लल्लू की लंबी जीव अब माया देवी की चूत की गहराइयों को नाप रही थी।

माया: आह चाट आह कुत्ते हट मत और तेज चाट।

जितनी तेजी से माया देवी चीखती उतनी ही तेजी से लल्लू की जुबान माया देवी की चूत को कुरेदती। लल्लू अपनी जीव की नोक से बनाकर माया देवी को अपनी जुबान से ही चोदने लगा। इस हमले से माया देवी बेकाबू हो गई और अपना सर पटकने लगी।

माया देवी: आह हा ऐसे ही आह कर मादरचोद। ऐसे ही आह चोद आह आई

और माया देवी के सब्र का बांध टूट गया और वो झड़ने लगी और इतना झड़ी जितना जीवन में कभी नही।


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वो झड़ती रही और लल्लू चाटता रहा।


एक भी कतरा लल्लू ने गिरने नही दिया। माया देवी को एहसास भी नही था की उन्होंने लल्लू के सिर को अपनी चूत पर जकड़ा हुआ है। जब उन्हे इसका आभास हुआ तब उन्होंने लल्लू के सिर से हाथ हटाया। दोनो की आंखे मिली तो माया देवी ने शर्मा के अपनी आंखे नीचे कर ली। लल्लू ने माया देवी के दोनो द्वारपालो को जो वापस तन कर खड़े थे उन्हे अपनी मुट्ठी में भरा और माया देवी के कान की लॉ को अपने दांतों के बीच भर लिया।

माया देवी: आह उई ह ओ लल्लू।

लल्लू: लल्लू नही तेरा मालिक और तू मेरी रण्डी। क्या

माया देवी ने ये शब्द सुनते ही लल्लू की आंखो में देखा और वो मंत्रमुग्ध सी हो गई।

लल्लू: बता कौन हूं मैं।

माया देवी: आप मेरे मालिक और मैं आपकी रण्डी।

लल्लू: शाबाश मेरी रांड। आज से मेरे हर आदेश का पालन करना तेरा सबसे बड़ा कर्तव्य है।

लल्लू ने अब माया देवी जैसी गदराई औरत को किसी पुष्प की भाती अपनी बाहों में समेट लिया और उठाके कमरे की तरफ ले जाने लगा। लल्लू का लन्ड अब भी किसी रॉड की भाती कड़ा और खड़ा था। उसने माया देवी की पलंग पर लाके पटक दिया। लल्लू खुद उसके ऊपर लेट गया। दोनो एक दूसरे को देख रहे थे की माया देवी ने अपनी आंखे बंद कर ली क्योंकि लल्लू के लोड़े की पहली दस्तक माया देवी को अपनी चूत पर हुई। माया देवी की आंखे बंद ही रही पर जिस तरह उनके होठ बंद थे उससे अंदाजा लगाया जा सकता था की लल्लू का सुपाड़ा माया देवी की चूत को भेद चुका है। लल्लू ने भी अपने लन्ड को ऐसे ही रहने दिया और माया देवी की चुचियों का मर्दन करने लगा। माया देवी मात्र सुपाड़े को अपनी चूत में महसूस कर के खुद को पूर्ण महसूस करने लगी। उन्हे वो सुख मिलने लगा जिससे वो आज तक वंचित थी। कुछ ही पलों में माया देवी की गांड़ हरकत करने लगी। वो अब पूरा लन्ड अपने अंदर समा लेना चाहती थी पर वो भूल गई थी की ये केवल लन्ड नही है बल्कि हल्लवी लोड़ा है।

अगले ही पल माया देवी के होठ और आंखे दोनो खुल गई क्युकी लल्लू का विकराल लन्ड अपना आधा रास्ता तय कर चुका था। माया देवी चिहुंक पड़ी।

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माया देवी: आह मां आ आराम से लल्लू आई।

पर लल्लू अब कहा माया देवी का लल्लू था वो तो अब पूर्ण रूप से पिशाच बन चुका था। उसने माया देवी के होठों को वापस अपने होठों की गिरफ्त में लिया। माया देवी की चीख उसके गले में ही घूट कर रह गई और आंखे बाहर को आ गई। लल्लू जड़ तक अपना विकराल लन्ड माया देवी की चूत में बाड़ चुका था। माया देवी दर्द से तिलमिला उठी और अपने पैर पटकने लगी पर लल्लू की गिरफ्त इतनी मजबूत थी की माया देवी टस से मस न हो सकी। लल्लू हल्के हल्के अपनी गांड़ हिलाने लगा। तीन तरफ से माया देवी के जिस्म पर हमला हो रहा था। पहले उसके होठ लल्लू की गिरफ्त में , दूसरा लल्लू द्वारा उसकी चूचियों का मर्दन अभी भी जारी था और तीसरा लल्लू का लन्ड जो माया देवी को औरत होने का दर्जा दे रहा था।

वो क्षण भी आया जब माया देवी खुद से अपनी गांड़ उचकाने लगी। लल्लू को जब ये एहसास हुआ तो उसने माया देवी के होठों को छोड़ दिया।

माया देवी: आह मार दिया तूने कुत्ते आई उई मां। कितना दर्द दिया तूने कमीने।

लल्लू: ज्यादा दर्द हो रहा है तो निकाल लेता हू मेरी रण्डी।

माया देवी ने इतना सुना तो उसने लल्लू को बाहों में समेट लिया और अपनी टांगे लल्लू की कमर पर बांध दी। लल्लू सिर्फ माया देवी की आंखों में देख रहा था तो माया देवी ज्यादा देर तक लल्लू से नजरे नही मिला पाई और शर्म से उनकी आंखे बंद हो गई। लल्लू ने भी आधा लन्ड चूत से बाहर निकाला और वापस से अंदर ठेल दिया।

माया देवी: आह आह कुत्ता आई मां कितना बड़ा है तेरा आई।

लल्लू: क्या बड़ा है मेरा ताई मां।

ताई मां सुनते ही माया देवी ने वापस लल्लू की आंखो में देखा जहा शरारत और मस्ती भरी पड़ी थी। माया देवी भी कहा पीछे रहने वाली थी।

माया देवी: तेरा लोड़ा आह गधे जैसे है।

माया देवी की गांड़ अभी भी उचक रही थी। लल्लू ने धीरे धीरे अपनी रफ्तार बड़ा रहा था।

लल्लू: बड़ा है तो निकाल लू।

माया देवी ने और कस के लल्लू को जकड़ लिया।

माया देवी: निकल नही। चोद मुझे। इस शरीर के सारे कस बल निकाल दे। चोद कुत्ते चोद मुझे। आह ओह आह

माया देवी लल्लू को उकसाने लगी और लल्लू भी अपनी रफ्तार बढ़ाता गया। लल्लू के हर धक्के पर माया देवी की गांड़ ऊचक कर उसका स्वागत करती। हर धक्के के साथ लल्लू का लन्ड माया देवी की चूत की नई गहराइयां नापता। हर धक्का माया देवी की बच्चेदानी पर दस्तक देता। ये वोह क्षेत्र था जिसका भेदन आज तक कोई नही कर पाया था।

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माया देवी: आह ह आ ओ ऊ आई ऐसे ही चोद मुझे। इतना मजा कभी भी नही आया। मादरचोद चोद अपनी ताई मां को ऐसे ही। आह ओह

लल्लू की रफ्तार तो थमने का नाम ही नही ले रही थी। लल्लू के भारी भरकम गोटे माया देवी की गांड़ से टकरा रहे थे। पूरे कमरे में दो ही आवाज आ रही थी एक तो माया देवी की आहे दूसरी दो प्यासे जिस्मों के मिलन की ठप ठप।

लल्लू: ताई मां नही रण्डी है तू मेरी। कौन है तू।

लल्लू ने माया देवी की गर्दन को पकड़ लिया और तूफानी गति से चोदने लगा। माया देवी को लल्लू का युंह दबदबा दिखाना और रोमांचित और उत्तेजक लग रहा था।

माया देवी: आह आह रण्डी आह उई हूं मैं तेरी।

लल्लू: आह अब से मुझे तेरी चूत रोज चाहिए। समझी रण्डी।

और धक्कों की रफ्तार बड़ा दी।

माया देवी: आह रोज दूंगी। आह मैया अब मैं खुद तेरे लन्ड के बिना ओ आ ह कहां रह पाऊंगी।

माया देवी को अपने अंदर से कुछ उबलता हुआ महसूस होने लगा। वो आज दूसरी बार झड़ने जा रही थी। ताज्जुब उसे ये भी था की अब तक लल्लू ने झड़ने के कोई लक्षण नजर नहीं आए है। लल्लू ने अपना लन्ड निकाला और एक बार फिर अपना मुंह माया देवी की चूत से लगा दिया। जब तक वो चूत चाटता रहा जब तक माया देवी का बांध एक बार फिर न टूट गया। इस बार भी लल्लू ने एक कतरा भी इधर उधर न गिरने दिया। माया देवी के हाथ लल्लू के बालो को सहला रहे थे।

लल्लू: अपना रस चखेगी रण्डी।

इस से पहले माया देवी कुछ बोलती लल्लू ने वापस माया देवी के होठों को गिरफ्त में ले लिया। माया देवी अपनी जुबान से लल्लू के होठों पे लगा हुआ अपना रस चाटने लगी। माया देवी को यकीन ही नहीं हुआ इतना करने भर से ही एक बार फिर उनकी चूत मचलने लगी। उसे वापस लल्लू का लन्ड अपने अंदर चाहिए था। लल्लू ने भी माया देवी की अवस्था को समझते हुए उन्हे अपने उपर ले लिया। दोनो के होठ अभी भी जुड़े हुए थे पर माया देवी समझ गई की अब उनकी बारी है, अब उन्हे इस घोड़े जैसे लोड़े की सवारी करनी है। माया देवी ने हाथ नीच ले जाकर उस मूसल लोड़े को निशाने पर लगाया। माया देवी कुछ करती की उससे पहले लल्लू ने माया देवी को बाहों ने जकड़ा और इतना करारा धक्का मारा की लल्लू का लन्ड सीधे उनकी बच्चेदानी से जा टकराया।

माया देवी: आह मां ओह ह कितना कुत्ता है तू। हरामी मार दिया। आई मां।

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लल्लू ने एक बार फिर माया देवी की चुचियों को अपने मुंह में पनाह दी। वो माया देवी की बड़ी बड़ी चूचियों को बारी बारी चूसता। थोड़ी ही देर ने माया देवी की कमर चलने लगी और एक बार फिर दो जिस्मों के मिलन की थाप कमरे में गूंजने लगी।

माया देवी: आह लल्लू ओह मां आई आह उफ्फ आई

जहा माया देवी अपनी कमर की थिरक को बड़ाए जा रही थी वही लल्लू ने भी उनकी ताल से ताल मिलाना शुरू कर दिया। वो भी नीचे से अपना लन्ड माया देवी की चूत में ठेलने लगा। हर धक्का अब माया देवी को चरम की नई परिकाष्ठाए सीखा रहा था। बच्चेदानी पर पड़ रही हर ठोकर माया देवी को लज्जत की नई दुनिया में ले जा रही थी।

माया देवी: आह चोद साले और तेज चोद आह मां लल्लू तेरी गुलाम हूं आज से आह मां।

लल्लू: गुलाम तो तू है ही मेरी रण्डी। और खा मेरा लोड़ा।

माया देवी: आह चोदो आई मां मर गई चोदो उफ्फ मैं आह फिर से आह आने वाली हूं।

इस बार लल्लू नही रोका वो तूफानी गति से माया देवी की चूत का भेदन करता रहा। पूरे कमरे में दो जिस्मों के मिलन की थाप और माया देवी की आहों का मिश्रित संगीत गूंज रहा था। माया देवी लल्लू के लन्ड के सामने एक बार फिर हार गई और झड़ने लगी पर ये झड़ना कोई मामूली झड़ना नही था ऐसा लग रहा था जैसे माया देवी ने मूत दिया हो।

जैसे ही माया देवी का झड़ना खतम हुआ लल्लू ने माया देवी जैसी गदराई औरत को गोद में उठा लिया और वापस से चोदने लगा। माया देवी हैरान परेशान थी की इतना असीम बल कहा से आ गया लल्लू में, वो उसकी मर्दानगी की कायल हो गई थी, जो पिछले एक घंटे से लगातार चोदे जा रहा था।




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माया देवी भी कम चुदासी औरत नही थी, कोई ५ मिनट बाद ही वो लल्लू की ताल से ताल मिलाने लगी।

माया देवी: आह आई और आह चोद। मां आई ओह चोद चोद के भोसड़ा बना दे। आह आई

लल्लू: आह अभी तो चोदना शुरू किया है रण्डी, अब तू देख कहा कहा और कैसे कैसे चुदती है।

लल्लू का बार बार उन्हें रण्डी बोलना, माया देवी को बहुत कामुक और उत्तेजक लग रहा था। माया देवी ने हर मर्द के उपर अपना हाथ रखा है चाहे वो उनका पति हो या उनका कोई यार, पर आज पहली बार किसी मर्द ने माया देवी को अपने हाथ के नीचे रखा है, उनको लल्लू का यूं दबदबा दिखाना बहुत रोमांचित कर रहा था।

माया देवी पलंग पर लेटी हुई थी उनकी दोनो टांगे लल्लू के कंधे पर थी और लल्लू दनादन उनकी चूत की धज्जियां उड़ाए जा रहा था। माया देवी कितनी बार झड़ी वो गिनती
भूल चुकी थी। पूरा कमरा चुदाई रस से महक रहा था। वो लल्लू की मर्दानगी के आगे घुटने टेक चुकी थी।

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माया देवी: आह ह ओह चोद कुत्ते। आज आह ओह तूने मुझे पूर्ण रूप से आह औरत होने का दर्जा दिया है। आह ओह

लल्लू: एक औरत एक मर्द से तब पूर्ण होती है जब वो उसका बच्चा जनती है। बोल जनेगी मेरा बच्चा। बोल मेरी रण्डी।

माया देवी को लल्लू की बातो ने चकरा दिया। उनकी समझ में ये तो आ गया की उनका लल्लू अब लल्लू नही रहा। पर वो उन्माद की उस किश्ति में सवार थी जो नदी के बहाव के साथ ही पार लग सकती थी।

माया देवी: हा मेरे राजा मेरे मालिक मैं जनूंगी तुम्हारे बच्चे। बस मुझे ऐसे ही चोदते रहना। आह उफ्फ ह ओ आ

लल्लू की गति भी अब तूफानी हो गई थी। वो किसी भी क्षण अपना सब्र खो सकता था। उसकी गुर्राहट इस बात का सबूत थी।

लल्लू: आह आर आह ले मेरा लोड़ा। तेरी चूत अब कभी खाली नही रहेगी। तेरे पेट में हर साल बच्चा दूंगा मेरी रण्डी। आह ओह

माया देवी भी लल्लू को उकसा रही थी, क्योंकि वो लल्लू के अंदर उबल रहे उबाल को महसूस कर रही थी। लल्लू के लन्ड की तनी हुई नसे वो हर धक्के के साथ अपनी चूत के अंदर महसूस कर रही थी। वो भी अपनी गांड़ उछाल उछाल कर लल्लू के लन्ड को पूरा जड़ तक अन्दर लेने की पूरी कोशिश कर रही थी।

लल्लू: मैं आया मेरी रण्डी। संभाल मेरा पानी। आह गगरररंररर आआआआ

लल्लू के लन्ड से निकली पहली धार के साथ ही माया देवी ने इक बार चरम को प्राप्त किया। लन्ड और चूत दोनो अपने मदन रस से ऐक दूसरे को भिगोने पर तुले हुए थे। ना जाने कितनी देर तक दोनो झड़ते रहे। माया देवी ने लल्लू को अपनी बाहों में समेट लिया। लल्लू भी उनकी चुचियों पर सिर रख अपनी सांसे दुरुस्त करने लगा। लल्लू का लन्ड अभी माया देवी की चूत के अंदर ही था और उसका तनाव अभी भी हल्का हल्का बरकरार था। इस बात का एहसास होते ही माया देवी के मन से एक ही आवाज निकली "वाह लल्लू"

सुधा के लिए आज की रात कयामत की रात थी। पिछले दो रातों से उसे लल्लू की ऐसी आदत पड़ गई थी की आज दूर दूर तक नींद उसकी आंखो में नही थी। वो अपने कमरे और अपने बिस्तर पर बिलकुल नंगी लेटी हुई थी। वो दो बार अपनी चूत का पानी निकाल चुकी थी पर अभी भी उसे संतुष्टि नहीं मिली थी। अभी भी उसकी उंगलियां उसकी चूत के अंदर ही थी, वो एक बारी फिर झड़ना चाहती थी। वो मन में बार बार यही बोल रही थी " क्यू चला गया लल्लू। अपनी बीवी को अकेला छोड़ कर। जल्दी से आजा और बुझा अपनी बीवी की प्यास, आह लल्लू"।
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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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भाग १०




पूरा शहर रात भर बारिश से भीगता रहा और यहां बंगले पर माया देवी की चूत में लल्लू के लन्ड ने तीन बार बारिश करी। माया देवी की बंजर पड़ी जमीन पर कल रात पहली बार तृप्ति के हल से सिंचाई हुई। दोनो एक दूसरे की बाहों में लिपट कर सारे ज़माने से बेखबर एक दूसरे को अपने जिस्म की तपिश दे रहे थे।


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माया देवी किसी बेल के भाती लल्लू के जिस्म से लिपटी हुई थी। बाहर बदलो की गड़गड़ाहट से माया देवी की नींद टूटी। माया देवी ने जैसे ही उठने की कोशिश करी उनके जिस्म में एक मीठा सा दर्द दौड़ गया। माया देवी ने खुद को संभाला और धीरे से खुद को लल्लू के जिस्म से दूर किया। लल्लू शायद गहरी नींद में था। माया देवी जैसे ही उसके जिस्म से अलग हुई वो नींद में कुनमुनाया और सीधे होके सो गया। माया देवी की नजर लल्लू के जिस्म पे अटक गई। कितना मासूम सा चेहरा, पहलवान से कंधे, भुजाओं में दस हाथी के बराबर बल और एक मर्द की छाती जो उसके पोरुषार्थ की गवाही दे रही थी। माया देवी ऊपर से नीचे की तरफ जाने लगी लल्लू को निहारते हुए। वो ज्यादा नीचे जा नही पाई क्युकी लल्लू का विकराल लन्ड एक बार फिर अपना सिर उठाए खड़ा था।

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माया देवी की निगाह जैसे ही उस लन्ड पर पढ़ी वो अचंभे में पड़ गई की जिस लन्ड ने उसकी रात भर ठुकाई करी हू और वो फिर एक बार खड़ा है। उनका मन तो नहीं था लल्लू को छोड़ने का पर डर भी था की कही नौकर और उनका ड्राइवर उनको इस हालत में न देख ले। वो बिचारी इस तथ्य से अंजान थी की रात को ही पिशाच ने उन दोनो को वश में कर बेहोश कर रखा था और जब पिशाच चाहेगा तभी वो उठेंगे।

माया देवी पलंग से नीचे उतरी और एक बार मन किया वो अपना जिस्म ढक ले पर अब उनके और लल्लू के बीच कोई पर्दा बचा न था इसलिए वो ऐसे ही उतरकर बाथरूम की तरफ जाने लगी। उनकी गांड़ की थिरकन कल रात की चुदाई के बाद कुछ ज्यादा ही जानलेवा हो गई थी। माया देवी अपनी गांड़ मटकाते हुए बाथरूम की तरफ जाने लगी, पर वो अनजान थी की उनकी चाल पर किसी की नजर थी।


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माया देवी ने पहले खुद को रोज की क्रियाओं से मुक्त किया और शावर चलाके वो उसके नीचे खड़ी हो गई।

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सर्द मौसम और ठंडा पानी मिल के माया देवी के जिस्म का ताप और बड़ाने लगे। जैसे ही वो आंखे बंद करती उनके जेहन में कल रात की चुदाई के दृश्य घूमने लगते। लल्लू के दमदार धक्के जिन्होने माया देवी की चूत को वाकई चीर दिया। कभी लल्लू उनके ऊपर कभी वो लल्लू के ऊपर। लल्लू का चुदाई के दौरान उनको गाली देना, लल्लू के लिए कुतिया तक बन जाना। उनके जेहन में ऐसे कई कल रात के दृश्य घूम रहे थे। वो एक बार फिर चुदासी महसूस करने लगी, उनको पता भी नही लगा कब उनका हाथ उनकी चूत को रगड़ने लगा। वो अनाप शनाप बड़बड़ाने लगी।


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माया देवी: आह उफ्फ ओह लल्लू ह देख तेरी रॉड फिर तैयार है चुदाने को आह । हरामी चोदने की बजाए सो रहा है मादरचोद। आह ओ

लल्लू बाथरूम के दरवाजे की ओट से ये सब देख कर बड़ा खुश हो रहा था और उसका खड़ा लन्ड लार टपका रहा था। माया देवी किसी जल बिन मछली की तरह फड़फड़ाने लगी। उनका हाथ अब तेजी से उनकी चूत के भग्नासे को रगड़ रहा था। तभी माया देवी को कुछ गरम सा एहसास हुआ अपनी चूत पर। वो मुड़के देखती तब तक एक ताकत उन्हे झुकाती गई और वो झुकती चली गई। झुकने से उनकी चूत एक दम से पीछे से उभर कर सामने आ गई और उस गरम चीज को अपना घर दिख गया। माया देवी कुछ समझ पाती तब तक वो गरम चीज माया देवी की चूत में जड़ तक प्रविष्ट कर चुकी थी। धक्का इतना तेज था की माया देवी अगर दीवार का सहारा न लेती तो पक्का गिर गई होती। दर्द से भरी माया देवी की चीख पूरे बंगले में गूंज गई। माया देवी जब संभली तो उन्होंने गर्दन मोड के पीछे देखा तो लल्लू को मुस्कुराता पाया। माया देवी को बहुत दर्द हो रहा था और उन्हें गुस्सा भी बहुत आ रहा था पर वो मन में सोचने लगी की इसी मर्दानगी को तो वो तरस रही थी और अपनी आंखे बंद कर ली।


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लल्लू: क्या हुआ माया।

लल्लू के मुंह से अपना नाम सुनके माया देवी किसी और दुनिया में पहुंच गई। उन्हे लल्लू के मुंह से अपना नाम बहुत ही प्यारा लग रहा था। पर वो इतनी मंत्रमुग्ध थी कुछ नही बोल पा रही थी।

लल्लू: बोलो ना माया क्या हुआ, दर्द हो रहा है।

माया देवी जैसे इस दुनिया में वापस आई हो, और उन्हें अब एक बार फिर अपने दर्द का एहसास होने लगा।

माया देवी: दर्द नही होगा, एक ही बार में पूरा खूटा गाड़ दिया। उई मां ओह

लल्लू: क्या करू मेरी जान माया तेरी चूत है ही इतनी प्यारी और कसी हुई की मैं खुद को रोक नहीं पाया।


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लल्लू ने आगे हाथ बड़ा कर माया देवी के दोनो रस से भरे हुए आमो को थाम लिया और उनका रस निचोड़ने लगा। मस्ती से माया देवी की आंखे बंद होने लगी। एक बार फिर माया देवी पर वासना हावी होने लगी। दर्द बदल कर अब उन्माद बन चुका था और माया देवी की गांड़ एक बार फिर थिरकने लगी।


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माया देवी: आह लल्लू

लल्लू ने भी अब माया देवी की गांड़ को थाम लिया और धीरे धीरे अपने अजगर को माया देवी के बिल से बाहर निकाला जब वो पूरा निकलने वाला था तो लल्लू ने एक और करारा धक्का मारा और फिर अपने अजगर को माया देवी के बिल में जड़ तक घुसा दिया।

माया देवी : आह उफ्फ लल्लू

पर अब लल्लू नही रुका और उसका इंजन अब धीरे धीरे रफ्तार पकड़ने लगा और माया देवी की चूत खुशी से आंसू बहाने लगी, जैसे ही लल्लू को थोड़ी सी चिकनाहट मिली उसकी रफ्तार दुगनी हो गई। माया देवी के दोनो रस से भरे हुए आम जिनका रस लल्लू शुरू से निचोड़ रहा था वो भी लल्लू के धक्कों की रफ्तार से उछलने लगे। कब माया देवी का दर्द हवा हुआ उन्हे खुद भी पता नहीं पड़ा।


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माया देवी: आह ओह आह ह ओ ऐसे ही आ ओह

लल्लू: मजा आ रहा है न मेरी रण्डी। क्या मस्त चूत है तेरी।

माया देवी: हां चोद ऐसे ही आह, तेरी रण्डी हूं मैं ओह मां, चोद हरामी।

लल्लू: क्या चूत है तेरी रण्डी, जी करता है तेरी चूत में लन्ड डाले ही पड़ा रहूं।

माया देवी: आह मैं भी कहा अब इस लन्ड के बिना रह सकती हूं। मुझे भी अब रोज ही तेरा लोड़ा चाहिए अपनी चूत में। उह आह ह

लल्लू के धक्कों की रफ्तार रुकने का नाम ही नही ले रही थी और माया देवी की चूत भी झुकने को तैयार नहीं थी, वो भी हर धक्के का सामना पूरी शिद्दत से कर रही थी। पूरे बाथरूम में बस ठप ठप और माया देवी की आहे। लल्लू ने वो कर दिया जो माया देवी को उपेक्षित नही था। लल्लू ने आगे बड़ कर शावर चला दिया। माया देवी के गोरे चिकने जिस्म पर पानी की बूंदे किसी मोती की तरह दमकने लगी। पानी ने वासना का ज्वर और बड़ा दिया। माया देवी की चूचियां लल्लू के हाथ के मर्दन से लाल पड़ चुकी थी और उनकी पीठ पे जगह जगह लल्लू के काटने के निशान थे।

माया देवी: उह ह ऑ ओ जब गांव जायेंगे तब कैसे चोदेगा अपनी इस रॉड को।

लल्लू: तुझे भी रोज चोदूंगा और घर और गांव की हर औरत को।

लल्लू ने माया देवी के बालो के मुट्ठी में कसा और किसी घोड़े की तरह सवारी करने लगा। उसने माया देवी की लगाम को हर तरह से अपने बस में कर लिया था।

माया देवी: तो क्या अपनी मां और बहनों को भी चोदेगा।

लल्लू: अपनी मां और बहनों को भी और अपनी चाची को भी और यहां तक तेरी दोनो बेटियों को भी। सब को घर पर नंगा रखूंगा और तुझे और माई की तो मैं तुम्हारी बेटियो के साथ चोदूंगा।

इतना सुनना था की माया देवी की चूत ने पानी छोड़ दिया और लल्लू ने अपना विकराल लन्ड बाहर खींच लिया। माया देवी की चूत से पानी का झरना बहने लगा।


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माया देवी की सांस धौकनी के भांति चलने लगी। माया देवी अभी संभल भी नही पाई थी की लल्लू ने उन्हे अपने उपर खींच लिया। लल्लू का लन्ड एक बार फिर माया देवी की चूत पर दस्तक देने लगा। लल्लू ने अपना लन्ड सीधा किया और अपनी बलिष्ट भुजाओं से माया देवी की कमर को पकड़ के नीचे दबाने लगा। देखते ही देखते विशाल अजगर एक बार फिर माया देवी की चूत में समा चुका था।


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माया देवी: आह लल्लू, सांस तो लेने दे।

पर लल्लू पे तो वासना सवार थी और वो खुद ही नीचे से झटके लगाने लगा। माया देवी हर झटके के साथ उछल रही थी। कुछ ही पल में एक बार फिर माया देवी लल्लू की ताल से ताल मिलाने लगी। माया देवी की कमर चलने लगी वो खुद लल्लू के लन्ड पर उठक बैठक करने लगी। लल्लू एक हाथ से उनके विशाल गुंबज नुमा गांड़ को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उनकी रस भरे आमो का मर्दन कर रहा था।


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माया देवी: उफ्फ आह ओ आई कितना अंदर तक जाता है तेरा लोड़ा। पूरा जिस्म तेरा लोड़ा लेने के बाद भरा भरा सा लगता है।

लल्लू: तेरी चूत भी तो कितनी कसी हुई है मेरी रानी। मन ही नही भरता तेरी चूत मारने से।

माया देवी: तो मरता रह न मेरे राजा, मैं तो हर समय टांगे खोल खड़ी हूं तेरे लोड़े के लिए। पर गांव जायेंगे तब क्या होगा।

लल्लू: बस तू मेरा साथ देती जा फिर देख घर में तुझे सब के सामने चोदूंगा।

माया देवी: आह ओह मैं तो हमेशा तेरे साथ हूं मेरे राजा बता क्या करना है।

माया देवी की उछलने की रफ्तार हर क्षण बड़ती जा रही थी और वो वासना में डूबती जा रही थी और यही उस पिशाच का प्लान था। उसने इशारे से माया देवी को अपने पास बुलाया और जैसे ही माया देवी झुकी और आगे को हुई , लल्लू ने माया देवी के रस से भरे हुए होंठो को कैद कर लिया। माया देवी ने अभी आत्म समर्पण कर दिया और वो भी लल्लू का पूर्ण सहयोग करने लगी। होठों से होंठो का मिलन और नीचे लन्ड से चूत का मिलन जो मिलते और फिर जुदा हो जाते मतलब धक्के अभी भी चालू थे और सिर्फ ठप ठप की आवाज ही सुनाई दे रही थी। जब सांस लेने में थोड़ी दिक्कत हुई तब जाके लल्लू ने माया देवी को छोड़ दिया और उनकी आंखों में देखने लगा। माया देवी एक दम सम्मोहित सी लग रही थी। लल्लू ने माया देवी के कानो में कुछ कहा और माया देवी की आंखे पहले तो बड़ी हुई और फिर बंद होती चली गई।

माया देवी ने कुछ क्षणों बाद अपनी आंखे खोली और वो लल्लू को निहारने लगी और अब उनकी आंखों में चमक भी ज्यादा थी और लल्लू के लिए आदर भी बहुत था। माया देवी लल्लू के लुंड पे उछली जा रही थी, उन्हे ये भी नही याद था कितनी देर से।

लल्लू को भी अब नियंत्रण करने में थोड़ी कठिनाई हो रही थी। उसने तुरंत ही माया देवी को किसी फूल के भांति उठा लिया और दाना दान चोदने लगा।



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माया देवी हर धक्के के साथ एक नया सुख अनुभव कर रही थी। ये वो सुख था जो इक औरत को बड़ी ही मुश्किल से नसीब होता है। हर धक्के का अंत माया देवी माया देवी को मदहोशी बड़ाने पर होता था।

वो समय भी आया जब माया देवी की चूत में लल्लू के लन्ड ने अमृत वर्षा करी। इस अमृत वर्षा को ग्रहण करने के लिए माया देवी ने भी अपने जल सृत्र खोल दिए। दोनो के जलो का समागम होने लगा और माया देवी एक दम पस्त होकर लल्लू के कंधो पर लुढ़क गई। लल्लू की हर पिचकारी को माया देवी अपने जिस्म के अंदर महसूस करती। लल्लू भी ऐसे ही माया देवी को कंधे पे उठाए शावर के बिलकुल नीचे ले गया और गरम पानी का स्पर्श होते ही माया देवी लल्लू से किसी बेल के भांति चिपक गई।

लल्लू को अब वो करना था जो उसके लिए बेहद जरूरी था। उसने माया देवी को नीचे उतारा और बिलकुल जमीन पर बैठा दिया। माया देवी की आंखो के ठीक सामने लल्लू का लन्ड था जो अभी भी चूत मारने को तैयार था। लल्लू ने माया देवी को मुंह खोलने का इशारा किया और वो किसी सम्मोहित गुड़िया की भांति मुंह खोलने लगी। लल्लू ने मुंह खोलते ही अपना लन्ड माया देवी के मुंह में ठूंस दिया। इससे पहले माया देवी कुछ समझ पाती मूत्र की धार उनके गले को तर करने लगी।


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माया देवी ने बिना कुछ सोचे समझे उस मूत्र को अपने स्वामी का प्रसाद समझ अपने गले के नीचे उतार लिया। माया देवी अपना प्रसाद ग्रहण करने में व्यस्त थी और उधर पिशाच अपनी जीत की खुशी मना रहा था। उसकी आंखो की चमक बहुत डरावनी थी।

दोपहर के समय माया देवी डाइनिंग टेबल पर लेटी हुई थी और लल्लू उनके दोनो पैर अपने कंधे पर रखे दनादन उनकी चूत पेले जा रहा था।


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तभी माया देवी का मोबाइल बज उठा। एक बार पूरी घंटी बजी पर वासना के आगे क्या कोई मोबाइल उठता है क्या लेकिन तभी दोबारा फोन की घंटी बजी।

लल्लू: उठा ले रण्डी। देख तो सही किस की मां चुद रही है।

माया देवी: मालिक अभी नहीं। अभी तो बस पेलते रहो। आह ओह

लल्लू: अच्छा देख तो सही किस का है।

माया देवी ने बेमन से फोन उठाया और देखा की सरला का फोन है।

माया देवी: आह सरला का फोन है।

लल्लू: उठा ना देख तो सही क्या कह रही है रण्डी।

माया देवी ने हरा निशान स्वाइप किया।

माया देवी : हां सरला। बोलो बेटी

सरला: ताई मां आज मेरी कोचिंग क्लास कैंसल हो गई थी, तो सोचा अगर आप वार्डन मैडम को फोन करदे और गाड़ी भेज दे तो मैं आज आपके साथ रुक जाऊंगी।

माया देवी का कलेजा मुंह को आ गया पर उसने लल्लू की तरफ देखा और स्पीकर पर हाथ रख कर बोला।

माया देवी: सरला यहां आना चाहती है, उसकी कोचिंग की आज छुट्टी हो गई।

लल्लू: माना कर दे। कुछ भी बोल पर वो यहां नही आनी चाहिए।

और एक तेज धक्का माया देवी की चूत में मार दिया। माया देवी की चिहुंक निकल गई जो सरला ने भी सुन ली।

सरला: क्या हुआ ताई मां।

माया देवी: कुछ नही बेटी, वो कल से इतनी बारिश हो रही है तो मेरा पैर फिसल गया था, वो तो लल्लू ने संभाल लिया।

सरला: आप घर पे नही हो क्या ताई मां।

माया देवी: नही बेटी, खेतो की जुताई के लिए नया औजार देखने आई हूं। रात तक वापस आ जायेंगे, तू जा घर भीमा होगा घर पर।

सरला: नही ताई मां आपके साथ वक्त बिताना था भीमा के साथ थोड़ी ना। चलो ठीक है अगले हफ्ते अब गांव ही आउंगी।

सरला का मूड ऑफ हो गया और उसने फोन काट दिया।

माया देवी ने लल्लू की ओर देखा जो इस समय सिगरेट के काश लगा रहा था और माया देवी की चूत भी पेल रहा था। पूरे फोन के दौरान लल्लू ने एक भी क्षण के लिए चोदना नही रुका। माया देवी के चेहरे पर एक शर्मीली मुस्कान थी।

माया देवी: क्यू माना किया बच्ची को तूने।

लल्लू: ताकि रात भर अपनी रण्डी की चूत बजा सकू।

और इक तेज तर्रार झटका पेल दिया लल्लू ने।

माया देवी: आह आउच सुबह से पेल रहा है अभी भी तेरा मन नहीं भरा।


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लल्लू: तेरा भर गया मेरी जान।

माया देवी ने शर्मा कर अपनी गर्दन झुका ली और लल्लू की तरफ नजर उठा कर न में गर्दन हिला दी।

इक बार फिर चूत चुदाई का दौर शुरू हो गया जो की लल्लू के अमृत रस संखलन से समाप्त हुआ।

रात अपने पूरे शबाब पर थी। सपना का पति नशे में धुत घर पहुंचा और न जाने उसे क्या हुआ आज वो जीवन में पहली बार सपना के बूबे दबाने लगा। सपना नींद से जागी और बगल में अपने पति को और उसकी हरकत देख बहुत तेज गुस्सा आया। सपने ने अपने पति का हाथ झटक दिया और उठ के बैठ गई। सपना का क्रोध सातवे आसमान पर था। उसने एक तेज लात अपने पति के टांगों के जोड़ पर मारी। वो बेचारा बिलबिलाता हुआ बिस्तर से नीचे गिर गया और तड़पने लगा। प्रहार इतना तेज था की सपना का पति बिलख बिलख कर रोने लगा क्योंकि बहुत दर्द हो रहा था उसे।


सपना: भड़वे साले रण्डी की औलाद बहनचोद हाथ लगाता है मुझे। मुझे हाथ लगाने का हक सिर्फ एक ही इंसान को है। मेरे मालिक को मेरे होने वाले बच्चो के बाप को समझा और जनता है वो कौन है। मेरे मालिक हम सब के मालिक "लल्लू"।
Jabardast update bhai 🔥 👍🏻
 

ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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भाग ११


पूरी रात हवन करने के बाद साधु बहुत ही विचलित था। उसके शिष्यों से उसकी गंभीरता छुपी नहीं रही। उन्होंने अपने गुरु से पूछ ही डाला।

शिष्य: क्या कारण है गुरुवर, आप अत्यंत विचलित नजर आ रहे है।

साधु: शिष्य पिशाच की ताकत बढ़ती जा रही है। अगर जल्द ही उसे रुका नही गया तो वो किसी के रोके नहीं रोकेगा।

शिष्य: तो क्या करना है गुरुवर।

साधु: मुझे भी थोड़ा रास्ता टेडा अख्तियार करना पड़ेगा क्युकी दुश्मन को अब उसी के हथियार से हराना पड़ेगा। आज रात से हम अपनी काल भैरव की अखंड पूजा शुरू करनी होगी अन्यथा अनर्थ निकट है शिष्य।

साधु ने अपने शिष्यों को कुछ जरूरी सामग्री लाने को बोला और विश्राम करने अपने कक्ष में चला गया।

उधर शहर में रात भर माया देवी की चूत की कुटाई लल्लू के लन्ड द्वारा होती रही, ना लल्लू पीछे हटा और न ही माया देवी। माया देवी की चूत छील गई थी पर उन्होंने एक बार भी लल्लू को माना नही किया। पिशाच ऊर्फ लल्लू भी माया देवी की दिलैरी को मान गया। उसका माया देवी की गांड़ मारने का बड़ा मन था पर वो अब उसकी गांड़ उसकी बेटियों के साथ ही मारेगा।

दोपहर पहले लल्लू की नींद खुली और देखा माया देवी उसकी बगल में नंगी सो रही है। उन्होंने दोनो टांगे चौड़ा रखी थी ताकि थोड़ी राहत मिले। पिशाच की नजर अब पूरी तरह माया देवी की चूत पर अटक गई जो अब सूज के पाव रोटी समान लग रही थी।


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जगह जगह छीलने के निशान थे और चूत दो पाटों में बटी हुई लग रही थी। पिशाच माया देवी की चूत पर झुक गया और फूंक मारने लगा, देखते ही देखते माया देवी की चूत से छीलने के निशान गायब थे, ना कोई सूजन। नींद में ही माया देवी कुनमुनाने लगी। लल्लू काफी देर तक माया देवी को निहारता रहा और फिर उसे मूत्र की तलब होने लगी। पिशाच एक मंत्र सा पड़ने लगा और माया देवी का मुंह खुलता गया और लल्लू ने अपने लन्ड को माया देवी के मुंह में उतार दिया और मूतने लगा।

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माया देवी किसी अबोध बच्चे की तरह मूत्र की हर बूंद को अपने कंठ के नीचे उतारने लगी।

जब मूत्र हो गया तो पिशाच अपने लोड़े को बाहर खींचने लगा पर माया देवी ने ये होने ना दिया और वो किसी कुशल रण्डी की तरह उसके लोड़े को चूसने लगी।


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लल्लू के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। माया देवी ने भी अपनी आंखे खोल दी और लल्लू के लन्ड को चूसती रही। कभी वो लल्लू के रस से भरे हुए आंडो को सहलाती कभी लन्ड पे चुप्पे लगाती और कभी उसे अपनी जीव से चाटती। ये सिलसिला तब तक चला जब तक लल्लू ने उनके हलक में अपना कीमती मॉल उतार दिया हो। माया देवी लल्लू के लन्ड से निकली एक एक बूंद को अपने हलक के नीचे उतारती चली गई, और जो कुछ उसके मुंह से बाहर निकला उसे वो अपनी जीव से चाटने लगी। जब तक माया देवी ने लल्लू के लन्ड से वीर्य को एक एक बूंद न निचोड़ली तब तक उसने लन्ड ने नही छोड़ा।

माया देवी: यह तो मेरा विटामिन है, रोज चाहिए मुझे एक बार कम से कम।

लल्लू: सब तेरा है मेरी रण्डी, मुझे भी तेरी चूत रोज चाहिए। जब मन करेगा तब मारूंगा तेरी चूत और कुछ दिनों बाद तेरी गांड़ भी।

माया देवी: तो फिर गांव चले अब। डॉक्टर को तो अब दिखाना नही है।

लल्लू: डॉक्टर को दिखाना नही पर उस डॉक्टरनी की चूत तो मारनी है।

लल्लू ने यह बोलके माया देवी की गांड़ पे जोरदार चपत लगा दी।

माया देवी: आउच! बहुत कमिने हो आप मालिक। उसको एक बार चोद कर चले जाओगे फिर वो आपकी याद में अपनी चूत में उंगली करती रहेगी।

लल्लू: उससे भी कुछ टाइम बाद गांव बुला लेंगे आखिर वो भी तो मेरा बच्चा जनेगी।

थोड़ी देर बाद लल्लू और माया देवी गाड़ी में बैठे हुए थे और ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। ड्राइवर और भीमा अभी भी पिशाच के वश में थे। उन्हे सिर्फ इतना ही पता था जितना पिशाच उन्हे पता चलने दे रहा था। ना वो ज्यादा कुछ सुन सकते थे ना ही ज्यादा कुछ देख सकते थे और न ही कुछ याद था उन्हें। गाड़ी जब चल रही थी तो लल्लू ने अपना लन्ड निकाल लिया और माया देवी को चूसने का इशारा किया।

माया देवी: पागल हो गए हो क्या मालिक, ड्राइवर है।

लल्लू: मेरी रण्डी ये इतना ही जान पाएगा जितना मैं चाहता हूं। तू अब ज्यादा समय बरबाद न कर और अपने मालिक का लन्ड खड़ा कर। जब मैं डॉक्टरनी के पास पहुचु तो ये खड़ा होना चाहिए।


और लल्लू ने माया देवी को अपने लन्ड पर झुका दिया। माया देवी पूरी शिद्दत से लल्लू का लन्ड चूसने लगी।


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करीब आधे घंटे तक माया देवी लल्लू का लन्ड चूसती रही और लन्ड अब पत्थर के समान कठोर था। डॉक्टर के क्लिनिक के सामने ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी और लल्लू और माया देवी ने खुद को दुरुस्त किया। लल्लू का लन्ड अब अंदर समा नही पा रहा था। वो पैंट के ऊपर से ही अलग नजर आ रहा था। माया देवी की हसी रूक नही रही थी लल्लू के हालत पर।


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लल्लू: हंस क्यों रही है कुतिया।

माया देवी: लन्ड खुद का नही संभल रहा सांड की तरह यहां वहां डोल रहा है और कुतिया मुझे बोल रहे हो। जब इतना बड़ा तंबूरा कोई भी देख लेगी तो कुतिया खुद बाखुद बन जायेगी।

लल्लू: तू मुझे छोड़कर जल्द निकल जा फिर गांव निकलेंगे।

थोड़ी ही देर में वो दोनो डॉक्टर रश्मि देसाई के सामने बैठे थे।


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पूरे क्लिनिक में आज डॉक्टर और उसकी राजदार नर्स के अलावा कोई नहीं था। डॉक्टर ने जैसे ही लल्लू की पैंट में इतना उभार देखा उसकी आंखे चौड़ी हो गई और मुंह से पानी आनें लगा। उसकी नजरें लल्लू के लन्ड से हट ही नहीं रही थी। ये देख कर माया देवी को डॉक्टर से ईर्षा भी हो रही थी पर दूसरी तरफ एक अजीब सा मजा भी मिल रहा था। डॉक्टर की छोड़ो माया देवी की चूत भी पानी छोड़ने लगी। माया देवी ने डॉक्टर की नींद से जगाया।

माया देवी: कितना समय लगेगा डॉक्टर साहिबा।

रश्मि: (हड़बड़ाकर, जैसे कोई चोरी पकड़ी गई हो) किसमे

माया देवी: और वो जो टेस्ट अपने करने थे। इसलिए तो हम आए है।

रश्मि: ओह वो बस थोड़ा समय लगेगा। क्यू आप को कुछ काम है क्या।

माया देवी लल्लू को देखती है और लल्लू के इशारे को समझ जाती है।

माया देवी: हा वो कुछ खरीदारी करनी थी मैं दो से तीन घंटे में आ जाऊंगी। अगर कुछ जल्दी हो तो फोन कर दीजिएगा।

रश्मि: जी ठीक है। तो लल्लू तैयार हो देने के लिए।

माया देवी: ये तो परसों से ही तैयार है देने के लिए बस अब आप लेलो।

रश्मि कुछ बोल पाती माया देवी उठी और कमरे से बाहर की तरफ चल दी। दरवाजे पर पहुंच कर एक बार उसने रश्मि को देखा और लल्लू को भी देखा। रश्मि की आंखो से बचकर लल्लू को आंख मार दी।

अब कमरे में केवल लल्लू और रश्मि बचे थे। रश्मि अपनी कुर्सी से उठी और अपना सफेद चोगा उतार दिया और जो लल्लू के सामने आया उसे देख कर लल्लू की आंखे चार हो गई। रश्मि इस लिबास में किसी कयामत से कम नही लग रही थी।


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रश्मि: तो लल्लू आज हम आपका टेस्ट लेंगे। आप तैयार हो देने के लिए।

लल्लू: जी डॉक्टरनी जी। आप लेलो

रश्मि: तो आओ लल्लू, वही पीछे के कमरे में चलते है।

रश्मि आगे आगे और लल्लू पीछे पीछे चल दिया। रश्मि जानमुच कर अपनी गांड़ ज्यादा मटका मटका कर चल रही।


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उसकी चूत तो उसी क्षण से गीली थी जब से उसने लल्लू की पैंट में उभार देखा था। वो उस कमरे में पहुंच गए जहा पर नर्स पहले से ही माजूद थी। वो खुद भी लल्लू के लन्ड का उभार देख कर चुदासी महसूस कर रही थी मगर डॉक्टरनी के चलते वो कुछ कर नही सकती थी।

रश्मि: अब तुम जाओ और बाहर का खयाल रखना।

नर्स: जी मैडम।

इतना बोलकर नर्स बाहर निकल जाती है और दरवाजा बंद कर देती है। रश्मि अब लल्लू की तरफ मुखातिब होती है और उसकी आंखो में आंख डाल कर।

रश्मि: ये टेस्ट तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है, इसे पता चलेगा की तुम पूर्ण मर्द हो या नहीं। इस टेस्ट में मैं भी तुम्हारा साथ दूंगी। अच्छा ये बताओ तुमने किसी औरत या लड़की को कभी नंगा देखा है।

लल्लू ने हां में गर्दन हिला दी।

रश्मि: किसको देखा है। बताओ मुझे।

लल्लू शर्माने का नाटक करने लगा।

रश्मि: शरमाओ मत, बताओ मुझे। मैं किसी को नहीं बोलूंगी।

लल्लू: मैने राजू की मां को, ताई मां को और अपनी माई को भी देखा।

रश्मि: ओके, जब तुमने इन्हे नंगा देखा तो तुम्हे कुछ हुआ। कुछ हलचल हुई।

लल्लू: जब मैंने इन्हें नंगा देखा तो पूरा बदन गर्म हो गया, पसीने आने लगे और और।

रश्मि: और क्या लल्लू।

लल्लू: जी डॉक्टरनी जी, मेरी सुसु सूज जाती थी और बड़ा दर्द होता था उसमे।

रश्मि: अगर मैं नंगी होकर तुम्हारे सामने खड़ी हो जाऊं तो क्या तुम्हारी सुसु सूज जायेगी। लेकिन मुझे तो लगता है ये अभी से सूजी हुई है।


रश्मि ने हाथ बढ़ाकर लल्लू के लन्ड का ऊपर से जायजा लिया।


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लल्लू: पता नही क्यों डॉक्टर साहिबा उस दिन से अपने इसमें से चिपचिपी सुसु निकली न तब से ये ऐसे ही रहता है और जब ताई मां ने उस रात दवाई लगाई तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली।

रश्मि: अच्छा तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली पर कैसे।

रश्मि का हाथ अभी भी पेंट के ऊपर से लल्लू के लन्ड को सहला रहा था। रश्मि के सवाल पर लल्लू ने शर्माने का नाटक किया। लल्लू को शर्माता देख रश्मि की पकड़ लल्लू के लन्ड पर और गहरी हो गई।

रश्मि: बताओ लल्लू, डॉक्टर से कभी कुछ नही छुपाते।

लल्लू: डॉक्टर साहिबा पहले तो उन्होंने खूब मालिश करी और फिर जैसे अपने लिया था मुंह में उन्होंने भी चूसा लॉलीपॉप की तरह फिर फिर ताई मां ने अपनी सुसु वाली जगह में मेरी सुसु अंदर लेली और उस पर उछलने लगी और थोड़ी देर बाद मेरी चिचिपी सुसु उनकी सुसु के अंदर निकल गई।

इतना सुनते ही रश्मि के कान गरम हो गए और धुआं छोड़ने लगे। उसने कसके लल्लू का लन्ड दबोच दिया जिससे लल्लू के कंठ से एक तेज चीख निकली।


लल्लू: आह आई माई आह।

रश्मि जैसे नींद से जागी हो, उसने तुरंत अपना हाथ लल्लू के लन्ड से हटा लिया। लल्लू ने तुरंत ही पेंट की जिप खोली और अपने अजगर को ताजी हवा में खुला छोड़ दिया। लल्लू रश्मि के सामने अपने लन्ड को सहलाने लगा। रश्मि फटी आंखों से लल्लू के लन्ड को निहारने लगी, उसे लल्लू का लन्ड आज और भी बड़ा और मोटा लग रहा था। लल्लू की कर्राहट से रश्मि अपनी नींद से जागी।



रश्मि: ज्यादा लग गई क्या लल्लू।


लल्लू: आह डॉक्टरनी बहुत जोर का दर्द हो रहा है।

रश्मि ने तुरंत ही लल्लू के पेंट खोलकर उसके लन्ड को आजाद किया। रश्मि की आंखो के सामने फिर एक बार लल्लू का लन्ड था, जो आज और भी विकराल और भयंकर लग रहा था। लन्ड को आंखो के सामने देखते ही रश्मि का गला सुख गया और वो खुद अपना थूक निगलने लगी।

लल्लू: आह उफ्फ अब कुछ आराम मिला डॉक्टरनी।

रश्मि मंत्रमुग्ध सी जैसे नींद से जागी हो। वो धीरे धीरे लल्लू के लन्ड को सहलाने लगी।

रश्मि: अब कैसा लग रहा है लल्लू।

लल्लू: आह, आप जब भी सहलाती हो, बड़ा अच्छा लगता है।

रश्मि: और जब तुम्हारी ताई मां ने सहलाया था तो कैसा लगा था।

लल्लू: तब भी अच्छा लगा था पर अभी ज्यादा अच्छा लग रहा है लेकिन।

रश्मि: लेकिन क्या लल्लू बताओ मुझे।

लल्लू: (शरमाते हुए) लेकिन जब आपने उस दिन चूसा था न तब बड़ा मजा आया था। बहुत ज्यादा गुदगुदी हुई थी मुझे।

लल्लू ने एक तरह से रश्मि को अपना लोड़ा चूसने का निमंत्रण दे दिया था।

रश्मि: अच्छा और जब तुम्हारी ताई मां ने चूसा था तब कैसा लगा था।

लल्लू: मजा आया था पर जब आपने चूसा था तब और मजा आया था।

रश्मि: क्या आप आप लगा रखा है, रश्मि कहो मुझे।

इतना बोल कर रश्मि ने लल्लू के लन्ड की चमड़ी पीछे खींची और सुपाड़े पर जीव चलाने लगी।

लल्लू: आह रश्मि, बहुत अच्छा लग रहा है।

लल्लू के मुंह से अपना नाम सुन कर रश्मि को बहुत अच्छा लग रहा था। और लल्लू को समझ आ गया था की रश्मि का ऐसी चुदाई चाहिए जिसमे कोई उसके ऊपर हावी हो सके। लल्लू अपनी भूमिका बनाने का काम शुरू करने लगा। वो धीरे धीरे रश्मि के बाल सहलाने लगा। रश्मि को लल्लू का अंदाज अच्छा लग रहा था। वो धीरे धीरे लल्लू के विकराल लन्ड को निगलने लगी। रश्मि पहले ज्यादा से ज्यादा लन्ड को निगलती और फिर जीभ से चाटते हुए उसे बाहर निकालती। लल्लू के लन्ड को आज तक किसी ने भी इस शिद्दत से नही चूसा था। लल्लू की गांड़ खुद ब खुद रश्मि के मुंह के साथ ताल से ताल मिलाने लगी। कोई दूर से देखता तो ऐसा लगता जैसे लल्लू रश्मि का मुंह चोद रहा हो।

१० मिनट तक ऐसे ही लल्लू के लन्ड की चुसाई चलती रही और लल्लू को ये भी पता था कि उसके पास ज्यादा समय नहीं है। लल्लू ने रश्मि को किसी गुड़िया की तरह एक झटके में उठा लिया। रश्मि लल्लू का बाहुबल देख कर अचंभित थी। जब तक रश्मि कुछ समझ पाती तब तक उसका बेशकीमती खजाना लल्लू की आंखों के सामने उजागर हो चुका था। रश्मि को आभास भी न हुआ की उसके कपड़े उसके जिस्म का साथ छोड़ चुके हैं।

पिशाच की आंखों के सामने रश्मि का लाजवाब हुस्न बेपर्दा हो चुका। शिखर के समान उठी हुई उसकी छातियां एक दम तन कर खड़ी थी और लल्लू को चुनौती दे रही थी। गोल गहरी नाभी, उफ्फ रश्मि के जिस्म का सबसे सबसे लुभावना कटाव यही पर है। सुडोल केले के तने के समान चिकनी जांघें और उन जांघो के बीच गहरी खाई जहा कोई घास फूस नही थी। हरियाली का नामोनिशान नही था।

रश्मि: आह ओ उफ्फ ओ मां।

रश्मि सिर्फ इतना ही बोल पाई क्योंकि लल्लू के जीव रश्मि के भगनासे को छेड़ रही थी और उसके दोनो हाथ रश्मि के शिखरों का मर्दन कर रही थी। रश्मि इस दोहरे हमले से आनंद की नई सीमाएं छूने लगी और उसका हाथ लल्लू को सिर को अपने अंदर समाने के लिए जोर मारने लगे। वो हर गुजरते पल के साथ लल्लू को और करीब खींच रही थी।

जैसे ही लल्लू की जीव ने रश्मि की चूत के लबों को छुआ एक अजीब सा नाश छाने लगा राशि पर। उसका जिस्म एक कमान सा बनाता हुआ हवा में उछला और गद्दे पर पड़ते ही कांपने लगा। रश्मि की चूत जो पहले से ही गीली थी वो भल भल बहने लगी। धीरे धीरे पिशाच की जीव रश्मि की चूत की गहराइयां नापने लगी। जब लल्लू ने जीव चलानी आरंभ करी तब रश्मि को एहसास हुआ की उसकी जीव वहा तक पहुंच रही है जहा तक किसी का लन्ड भी नही पहुंचा। पूरा कमरा रश्मि की आनंदमई सिसकियों से गूंज रहा था।

रश्मि: आह चाट ओह आई या आज तक इतनी अंदर तक कोई नही गया।

लल्लू को कोई फर्क नही पड़ रहा था, वो तो हर बीते लम्हे के साथ अपनी गति को बढ़ाए जा रहा था। लल्लू की जीव रश्मि की चूत का हर कोना नाप चुकी थी। लल्लू पूरी अंदर तक अपनी जीव घुसाता और अपनी नाक से रश्मि के भगनासे को दबाता। रश्मि का पहला चरण नजदीक ही था।

रश्मि: आह कर ओह आह मेरा होने वाला है। आह ओह माय गॉड आह आई एम अबाउट टू कम। आह लिक माई पुसी ओह आह।

रश्मि के सब्र का बांध टूट चुका था। पिशाच की जीभ की किशती उस सैलाब के भंवर में गोते खा रही थी। लल्लू ने एक बूंद भी जाया नही होने दी उस अमृत रस की। रश्मि का जिस्म पसीने से लथपथ और उसकी सांसे किसी धौकनी की तरह चल रही थी। लल्लू धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा और देखते ही देखते उसके होठों ने रश्मि के होठों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। दोनो के होठ ऐसे मिले जैसे कोई भी इन्हे जुदा न कर सकता हो। लल्लू के हाथ रश्मि के सम्पूर्ण जिस्म का जायजा ले रहे थे और उसकी कामाग्नि को दोबारा प्रज्वलित करने का काम कर रहे थे। रश्मि होठों के आलिंगन में मसरूफ थी पर इक बार फिर से उसकी चूत में टीस उठने लगी। वो हैरान थी कैसे वो इतनी जल्दी कामातुर हो सकती है। उसके जीवन का ये नया अनुभव था। रश्मि की चूत अब लन्ड निगलने के लिए मचलने लगी। उसके पांव मचलने लगे और वो खुद ही अपनी चूत दबाने लगी।

पिशाच बहुत ही अनुभवी था उसे पता था कि अब रश्मि की चूत भेदन का समय आ गया है। पिशाच ने रश्मि के होठों को छोड़ दिया और वो सम्पूर्ण रूप से रश्मि पर छाने लगा। रश्मि ने भी लल्लू का स्वागत किया और अपनी टांगे चौड़ा दी। रश्मि को मालूम था कि इस अजगर को अपने बिल में पनाह देने के लिए उसे असीम पीड़ा से गुजरना पड़ेगा पर वो ऐसा पुरुषार्थ के लिए व्याकुल थी।

लल्लू का लन्ड जैसे ही रश्मि की चूत से स्पर्श हुआ वैसे ही दोनो के जिस्म में एक अजीब सी बिजली कौंध गई। रश्मि के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी और लल्लू के मुंह से विभस्त गुर्राहट। पिशाच को रश्मि के जिस्म तो तार तार कर देना था जिससे वो हमेशा के लिए उसकी गुलाम हो जाए।

पिशाच ने बिना देर लगाए अपने लौड़े को रश्मि की कमसिन चूत के द्वार पर लगा दिया और हल्का सा कमर को हिलाया। रश्मि की चूत ने भी अपने लबों को खोलकर लल्लू के लन्ड का स्वागत किया और वो आने वाले पलो से अंजान थी। तभी पिशाच ने ऐसा धक्का मारा की लल्लू सम्पूर्ण विशालकायी लौड़ा रश्मि की कमसिन चूत में समा गया।

रश्मि: उई मां आह ये क्या आई किया। एक बार में पूरा घुसेड़ दिया। फट गई मेरी। यू स्वाइन। आह मां।

लल्लू: चुप रण्डी साली। नाटक मत कर कुत्तियां। तू ऐसे हो तो चुदना चाहती थी, जो एक बार में तेरी चूत में पूरा लन्ड बाड दे और तेरे जिस्म का पूरा कस बल निचोड़ दे। क्यों मेरी रांड। सही कहा न मैंने।

रश्मि एकचित लल्लू को घूरने लगी और जब दोनो की आंखे मिली तो वो इक अजीब से सम्मोहन में खो गई। और उधर लल्लू के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी और अब वो दनादन अपना लौड़ा रश्मि की चूत में पेलने लगा।

हर धक्के पर रश्मि को दर्द भी होता पर जिस गहराई तक लल्लू का लन्ड जा रहा था वो उसे एक खुशी भी महसूस करा रहा था।

रश्मि: आह ओह मां आह और तेज करो।

लल्लू: क्यों मजा आ रहा है न मेरी रांड।

रश्मि: बहुत मजा आ रहा है मालिक। और तेज चोदो। उफ्फ आह।

लल्लू हर बीते पल के साथ अपनी गति बढ़ता जा रहा था और रश्मि उसकी ताल से ताल मिला रही थी। लल्लू ने बिना लन्ड निकाले ही रश्मि को अपनी गोद में उठा लिया और दनादन चूत मारने लगा। रश्मि लल्लू के बाहुबल से खुश थी और वो कोशिश कर रही थी वो अपने मालिक को खुश कर सके। लल्लू रश्मि को गोद में उठाए चोदे जा रहा था और अपने मुंह में उसके दुग्ध कलशो का मर्दन कर रहा था। कमरे में केवल रश्मि की सिसकियां और ठप ठप की आवाज ही गूंज रही।

पिशाच बिना लन्ड निकाले ही बिस्तर पर लेट गया और अब रश्मि ऊपर थी और पूरे कंट्रोल में थी। ऐसा केवल देखने में लग रहा था क्योंकि कंट्रोल में सिर्फ एक ही बंदा था, वो पिशाच। लेट ते ही पिशाच ने नीचे से धक्के मारने शुरू किए तब रश्मि को एहसास हुआ की ये विभस्त अजगर कितनी अंदर तक घुस रहा है। पिशाच एक क्षण भर भी रुक नही रहा था वो दनादन लन्ड पेले जा रहा था। रश्मि हर धक्के के साथ लज्जत की नई बुलंदिया छू रही थी।

रश्मि: आह ओह फक मि। येस जस्ट लाइक इट। डिग डीपर। आह

लल्लू: क्या मस्त चूत है तेरी कुछ दिन बाद तुझे गांव बुलाके वही अपने पास रखूंगा मेरी जान। फिर तू रोज़ चुदेगी। तेरी गांड़ भी मरूंगा रण्डी साली।

रश्मि: आज आह ही ले चलो उफ्फ। अब ओह इस लन्ड के बिना नही रह सकती। चोदो और तेज।

लल्लू: अभी समय नही आया है। जब तुझे बुलाऊंगा तब आना पड़ेगा। समझी मेरी रण्डी।

लल्लू के धक्कों की रफ्तार कम होने का नाम ही नही ले रही थी और रश्मि की चूत बहना नही छोड़ रही थी। एक घंटे से भी ऊपर हो गया था लल्लू को चोदते हुए। इस घमासान चुदाई से रश्मि की हालत अब पस्त हो गई थी। कहने को तो वो घोड़ी बनी हुई थी पर अपने घोड़े के धक्कों की रफ्तार सहने की अब उसमे हिम्मत नही बची थी। लल्लू के एक धक्के से रश्मि पस्त हो गई और बिस्तर पर लेट गई। उसकी गांड़ ऊपर की तरफ आ गई पर तब भी पिशाच ने अपना लन्ड उसकी चूत से बाहर नही निकलने दिया। लल्लू दनादन चूत पेले जा रहा था और अब उसके धक्कों की गति और तेज हो गई।

रश्मि: आह उफ्फ क्या खाते हो मालिक। कचूमर निकल दिया मेरी चूत का। एक ही दिन में क्या भोसड़ा बना दोगे। आह

लल्लू: इतनी जल्दी थक गई मेरी जान। तू कहे तो पूरे दिन तुझे इस लन्ड पे बिठा के घूम सकता हूं।

रश्मि: मेरी आह ओह जान ही लोगे क्या। आह उफ्फ। आज सांड से पाला पड़ गया।

लल्लू को भी अब रश्मि पर दया आ गई और उसने अपने झटको को और तेज कर दिया जिससे उसे चर्म थोड़ी जल्दी मिल जाए।

रश्मि: आह ओह मां मार ही डालोगे क्या आज। आई

पर लल्लू पर कोई असर नहीं हुआ और वो तूफान की गति से चोदने लगा। कोई ५ मिनट बाद लल्लू को खुद अपने अंदर उफ्फान उबलता हुआ महसूस हुआ और लल्लू ने पहली पिचकारी मारी जो सीधा रश्मि की बच्चेदानी से टकराई और eis सुखद एहसास के साथ रश्मि एक बार फिर झड़ गई। पर लल्लू की बरसात के आगे रश्मि का सैलाब कुछ भी नही था। लल्लू ने अपने वीर्य का ऐक एक कतरा रश्मि की चूत में निचोड़ दिया। रश्मि के चेहरे पर असीम आनंद की अनुभूति थी और वही पिशाच के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी। जब तक लन्ड से वीर्य निकलता रहा लल्लू ने रश्मि को जकड़ लिया। जब वो दोनो अलग हुए तो रश्मि अपने नए मर्द को निहारने लगी। वो लल्लू की मर्दानगी पर मर मिटी थी। लल्लू ने जब देखा कि रश्मि उसे निहार रही है उसने रश्मि को अपनी आगोश में ले लिया। रश्मि उसकी छाती पर सर रखें आने वाले हसीन पलो की कल्पना करने लगी। तभी लल्लू उठा और उसने सीधे अपना सोया हुआ अजगर रश्मि के मुंह में उतार दिया और मूत्र की धार रश्मि के कंठ में उतार दी। रश्मि भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह हर बूंद को अपना प्रसाद समझ के गटक गई।

लल्लू अपने कपड़े पहन ने लगा तो रश्मि ने उसे पीछे से जकड़ लिया।

रश्मि: फिर कब आओगे मालिक।

लल्लू: जब भी तेरी चूत की याद आयेगी और वैसे भी कुछ दिनों बाद तो तू ही मेरे घर पर रहेगी और रोज चुदेगी।

लल्लू इतना बोल कर बाहर निकल गया जहां माया देवी पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी। लल्लू गाड़ी में बैठा और मायादेवी और रश्मि की आंखों का मिलन हुआ दो क्षण भर के लिए और दोनो की ही गर्दन लाज से झुक गई।

उधर रश्मि के कमरे में उसकी नर्स कमरे को व्यवस्थित करने को गई तो उसे चुदाई की खुशबू ने मदहोश कर दिया। उसका हाथ यकायक अपनी चूत पर चला गया और वो उसे दबाने लगी।

नर्स: डॉक्टर भी चुद गई। मुझे कब चोदेगा लल्लू।



Ekdm majedar update 🔥 👍🏻
Maya devi aur Rashmi ki jabardast chudai

Ab to nurse bhi taiyaar hai
 

U.and.me

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भाग ११


पूरी रात हवन करने के बाद साधु बहुत ही विचलित था। उसके शिष्यों से उसकी गंभीरता छुपी नहीं रही। उन्होंने अपने गुरु से पूछ ही डाला।

शिष्य: क्या कारण है गुरुवर, आप अत्यंत विचलित नजर आ रहे है।

साधु: शिष्य पिशाच की ताकत बढ़ती जा रही है। अगर जल्द ही उसे रुका नही गया तो वो किसी के रोके नहीं रोकेगा।

शिष्य: तो क्या करना है गुरुवर।

साधु: मुझे भी थोड़ा रास्ता टेडा अख्तियार करना पड़ेगा क्युकी दुश्मन को अब उसी के हथियार से हराना पड़ेगा। आज रात से हम अपनी काल भैरव की अखंड पूजा शुरू करनी होगी अन्यथा अनर्थ निकट है शिष्य।

साधु ने अपने शिष्यों को कुछ जरूरी सामग्री लाने को बोला और विश्राम करने अपने कक्ष में चला गया।

उधर शहर में रात भर माया देवी की चूत की कुटाई लल्लू के लन्ड द्वारा होती रही, ना लल्लू पीछे हटा और न ही माया देवी। माया देवी की चूत छील गई थी पर उन्होंने एक बार भी लल्लू को माना नही किया। पिशाच ऊर्फ लल्लू भी माया देवी की दिलैरी को मान गया। उसका माया देवी की गांड़ मारने का बड़ा मन था पर वो अब उसकी गांड़ उसकी बेटियों के साथ ही मारेगा।

दोपहर पहले लल्लू की नींद खुली और देखा माया देवी उसकी बगल में नंगी सो रही है। उन्होंने दोनो टांगे चौड़ा रखी थी ताकि थोड़ी राहत मिले। पिशाच की नजर अब पूरी तरह माया देवी की चूत पर अटक गई जो अब सूज के पाव रोटी समान लग रही थी।


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जगह जगह छीलने के निशान थे और चूत दो पाटों में बटी हुई लग रही थी। पिशाच माया देवी की चूत पर झुक गया और फूंक मारने लगा, देखते ही देखते माया देवी की चूत से छीलने के निशान गायब थे, ना कोई सूजन। नींद में ही माया देवी कुनमुनाने लगी। लल्लू काफी देर तक माया देवी को निहारता रहा और फिर उसे मूत्र की तलब होने लगी। पिशाच एक मंत्र सा पड़ने लगा और माया देवी का मुंह खुलता गया और लल्लू ने अपने लन्ड को माया देवी के मुंह में उतार दिया और मूतने लगा।

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माया देवी किसी अबोध बच्चे की तरह मूत्र की हर बूंद को अपने कंठ के नीचे उतारने लगी।

जब मूत्र हो गया तो पिशाच अपने लोड़े को बाहर खींचने लगा पर माया देवी ने ये होने ना दिया और वो किसी कुशल रण्डी की तरह उसके लोड़े को चूसने लगी।


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लल्लू के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। माया देवी ने भी अपनी आंखे खोल दी और लल्लू के लन्ड को चूसती रही। कभी वो लल्लू के रस से भरे हुए आंडो को सहलाती कभी लन्ड पे चुप्पे लगाती और कभी उसे अपनी जीव से चाटती। ये सिलसिला तब तक चला जब तक लल्लू ने उनके हलक में अपना कीमती मॉल उतार दिया हो। माया देवी लल्लू के लन्ड से निकली एक एक बूंद को अपने हलक के नीचे उतारती चली गई, और जो कुछ उसके मुंह से बाहर निकला उसे वो अपनी जीव से चाटने लगी। जब तक माया देवी ने लल्लू के लन्ड से वीर्य को एक एक बूंद न निचोड़ली तब तक उसने लन्ड ने नही छोड़ा।

माया देवी: यह तो मेरा विटामिन है, रोज चाहिए मुझे एक बार कम से कम।

लल्लू: सब तेरा है मेरी रण्डी, मुझे भी तेरी चूत रोज चाहिए। जब मन करेगा तब मारूंगा तेरी चूत और कुछ दिनों बाद तेरी गांड़ भी।

माया देवी: तो फिर गांव चले अब। डॉक्टर को तो अब दिखाना नही है।

लल्लू: डॉक्टर को दिखाना नही पर उस डॉक्टरनी की चूत तो मारनी है।

लल्लू ने यह बोलके माया देवी की गांड़ पे जोरदार चपत लगा दी।

माया देवी: आउच! बहुत कमिने हो आप मालिक। उसको एक बार चोद कर चले जाओगे फिर वो आपकी याद में अपनी चूत में उंगली करती रहेगी।

लल्लू: उससे भी कुछ टाइम बाद गांव बुला लेंगे आखिर वो भी तो मेरा बच्चा जनेगी।

थोड़ी देर बाद लल्लू और माया देवी गाड़ी में बैठे हुए थे और ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। ड्राइवर और भीमा अभी भी पिशाच के वश में थे। उन्हे सिर्फ इतना ही पता था जितना पिशाच उन्हे पता चलने दे रहा था। ना वो ज्यादा कुछ सुन सकते थे ना ही ज्यादा कुछ देख सकते थे और न ही कुछ याद था उन्हें। गाड़ी जब चल रही थी तो लल्लू ने अपना लन्ड निकाल लिया और माया देवी को चूसने का इशारा किया।

माया देवी: पागल हो गए हो क्या मालिक, ड्राइवर है।

लल्लू: मेरी रण्डी ये इतना ही जान पाएगा जितना मैं चाहता हूं। तू अब ज्यादा समय बरबाद न कर और अपने मालिक का लन्ड खड़ा कर। जब मैं डॉक्टरनी के पास पहुचु तो ये खड़ा होना चाहिए।


और लल्लू ने माया देवी को अपने लन्ड पर झुका दिया। माया देवी पूरी शिद्दत से लल्लू का लन्ड चूसने लगी।


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करीब आधे घंटे तक माया देवी लल्लू का लन्ड चूसती रही और लन्ड अब पत्थर के समान कठोर था। डॉक्टर के क्लिनिक के सामने ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी और लल्लू और माया देवी ने खुद को दुरुस्त किया। लल्लू का लन्ड अब अंदर समा नही पा रहा था। वो पैंट के ऊपर से ही अलग नजर आ रहा था। माया देवी की हसी रूक नही रही थी लल्लू के हालत पर।


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लल्लू: हंस क्यों रही है कुतिया।

माया देवी: लन्ड खुद का नही संभल रहा सांड की तरह यहां वहां डोल रहा है और कुतिया मुझे बोल रहे हो। जब इतना बड़ा तंबूरा कोई भी देख लेगी तो कुतिया खुद बाखुद बन जायेगी।

लल्लू: तू मुझे छोड़कर जल्द निकल जा फिर गांव निकलेंगे।

थोड़ी ही देर में वो दोनो डॉक्टर रश्मि देसाई के सामने बैठे थे।


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पूरे क्लिनिक में आज डॉक्टर और उसकी राजदार नर्स के अलावा कोई नहीं था। डॉक्टर ने जैसे ही लल्लू की पैंट में इतना उभार देखा उसकी आंखे चौड़ी हो गई और मुंह से पानी आनें लगा। उसकी नजरें लल्लू के लन्ड से हट ही नहीं रही थी। ये देख कर माया देवी को डॉक्टर से ईर्षा भी हो रही थी पर दूसरी तरफ एक अजीब सा मजा भी मिल रहा था। डॉक्टर की छोड़ो माया देवी की चूत भी पानी छोड़ने लगी। माया देवी ने डॉक्टर की नींद से जगाया।

माया देवी: कितना समय लगेगा डॉक्टर साहिबा।

रश्मि: (हड़बड़ाकर, जैसे कोई चोरी पकड़ी गई हो) किसमे

माया देवी: और वो जो टेस्ट अपने करने थे। इसलिए तो हम आए है।

रश्मि: ओह वो बस थोड़ा समय लगेगा। क्यू आप को कुछ काम है क्या।

माया देवी लल्लू को देखती है और लल्लू के इशारे को समझ जाती है।

माया देवी: हा वो कुछ खरीदारी करनी थी मैं दो से तीन घंटे में आ जाऊंगी। अगर कुछ जल्दी हो तो फोन कर दीजिएगा।

रश्मि: जी ठीक है। तो लल्लू तैयार हो देने के लिए।

माया देवी: ये तो परसों से ही तैयार है देने के लिए बस अब आप लेलो।

रश्मि कुछ बोल पाती माया देवी उठी और कमरे से बाहर की तरफ चल दी। दरवाजे पर पहुंच कर एक बार उसने रश्मि को देखा और लल्लू को भी देखा। रश्मि की आंखो से बचकर लल्लू को आंख मार दी।

अब कमरे में केवल लल्लू और रश्मि बचे थे। रश्मि अपनी कुर्सी से उठी और अपना सफेद चोगा उतार दिया और जो लल्लू के सामने आया उसे देख कर लल्लू की आंखे चार हो गई। रश्मि इस लिबास में किसी कयामत से कम नही लग रही थी।


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रश्मि: तो लल्लू आज हम आपका टेस्ट लेंगे। आप तैयार हो देने के लिए।

लल्लू: जी डॉक्टरनी जी। आप लेलो

रश्मि: तो आओ लल्लू, वही पीछे के कमरे में चलते है।

रश्मि आगे आगे और लल्लू पीछे पीछे चल दिया। रश्मि जानमुच कर अपनी गांड़ ज्यादा मटका मटका कर चल रही।


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उसकी चूत तो उसी क्षण से गीली थी जब से उसने लल्लू की पैंट में उभार देखा था। वो उस कमरे में पहुंच गए जहा पर नर्स पहले से ही माजूद थी। वो खुद भी लल्लू के लन्ड का उभार देख कर चुदासी महसूस कर रही थी मगर डॉक्टरनी के चलते वो कुछ कर नही सकती थी।

रश्मि: अब तुम जाओ और बाहर का खयाल रखना।

नर्स: जी मैडम।

इतना बोलकर नर्स बाहर निकल जाती है और दरवाजा बंद कर देती है। रश्मि अब लल्लू की तरफ मुखातिब होती है और उसकी आंखो में आंख डाल कर।

रश्मि: ये टेस्ट तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है, इसे पता चलेगा की तुम पूर्ण मर्द हो या नहीं। इस टेस्ट में मैं भी तुम्हारा साथ दूंगी। अच्छा ये बताओ तुमने किसी औरत या लड़की को कभी नंगा देखा है।

लल्लू ने हां में गर्दन हिला दी।

रश्मि: किसको देखा है। बताओ मुझे।

लल्लू शर्माने का नाटक करने लगा।

रश्मि: शरमाओ मत, बताओ मुझे। मैं किसी को नहीं बोलूंगी।

लल्लू: मैने राजू की मां को, ताई मां को और अपनी माई को भी देखा।

रश्मि: ओके, जब तुमने इन्हे नंगा देखा तो तुम्हे कुछ हुआ। कुछ हलचल हुई।

लल्लू: जब मैंने इन्हें नंगा देखा तो पूरा बदन गर्म हो गया, पसीने आने लगे और और।

रश्मि: और क्या लल्लू।

लल्लू: जी डॉक्टरनी जी, मेरी सुसु सूज जाती थी और बड़ा दर्द होता था उसमे।

रश्मि: अगर मैं नंगी होकर तुम्हारे सामने खड़ी हो जाऊं तो क्या तुम्हारी सुसु सूज जायेगी। लेकिन मुझे तो लगता है ये अभी से सूजी हुई है।


रश्मि ने हाथ बढ़ाकर लल्लू के लन्ड का ऊपर से जायजा लिया।


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लल्लू: पता नही क्यों डॉक्टर साहिबा उस दिन से अपने इसमें से चिपचिपी सुसु निकली न तब से ये ऐसे ही रहता है और जब ताई मां ने उस रात दवाई लगाई तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली।

रश्मि: अच्छा तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली पर कैसे।

रश्मि का हाथ अभी भी पेंट के ऊपर से लल्लू के लन्ड को सहला रहा था। रश्मि के सवाल पर लल्लू ने शर्माने का नाटक किया। लल्लू को शर्माता देख रश्मि की पकड़ लल्लू के लन्ड पर और गहरी हो गई।

रश्मि: बताओ लल्लू, डॉक्टर से कभी कुछ नही छुपाते।

लल्लू: डॉक्टर साहिबा पहले तो उन्होंने खूब मालिश करी और फिर जैसे अपने लिया था मुंह में उन्होंने भी चूसा लॉलीपॉप की तरह फिर फिर ताई मां ने अपनी सुसु वाली जगह में मेरी सुसु अंदर लेली और उस पर उछलने लगी और थोड़ी देर बाद मेरी चिचिपी सुसु उनकी सुसु के अंदर निकल गई।

इतना सुनते ही रश्मि के कान गरम हो गए और धुआं छोड़ने लगे। उसने कसके लल्लू का लन्ड दबोच दिया जिससे लल्लू के कंठ से एक तेज चीख निकली।


लल्लू: आह आई माई आह।

रश्मि जैसे नींद से जागी हो, उसने तुरंत अपना हाथ लल्लू के लन्ड से हटा लिया। लल्लू ने तुरंत ही पेंट की जिप खोली और अपने अजगर को ताजी हवा में खुला छोड़ दिया। लल्लू रश्मि के सामने अपने लन्ड को सहलाने लगा। रश्मि फटी आंखों से लल्लू के लन्ड को निहारने लगी, उसे लल्लू का लन्ड आज और भी बड़ा और मोटा लग रहा था। लल्लू की कर्राहट से रश्मि अपनी नींद से जागी।



रश्मि: ज्यादा लग गई क्या लल्लू।


लल्लू: आह डॉक्टरनी बहुत जोर का दर्द हो रहा है।

रश्मि ने तुरंत ही लल्लू के पेंट खोलकर उसके लन्ड को आजाद किया। रश्मि की आंखो के सामने फिर एक बार लल्लू का लन्ड था, जो आज और भी विकराल और भयंकर लग रहा था। लन्ड को आंखो के सामने देखते ही रश्मि का गला सुख गया और वो खुद अपना थूक निगलने लगी।

लल्लू: आह उफ्फ अब कुछ आराम मिला डॉक्टरनी।

रश्मि मंत्रमुग्ध सी जैसे नींद से जागी हो। वो धीरे धीरे लल्लू के लन्ड को सहलाने लगी।

रश्मि: अब कैसा लग रहा है लल्लू।

लल्लू: आह, आप जब भी सहलाती हो, बड़ा अच्छा लगता है।

रश्मि: और जब तुम्हारी ताई मां ने सहलाया था तो कैसा लगा था।

लल्लू: तब भी अच्छा लगा था पर अभी ज्यादा अच्छा लग रहा है लेकिन।

रश्मि: लेकिन क्या लल्लू बताओ मुझे।

लल्लू: (शरमाते हुए) लेकिन जब आपने उस दिन चूसा था न तब बड़ा मजा आया था। बहुत ज्यादा गुदगुदी हुई थी मुझे।

लल्लू ने एक तरह से रश्मि को अपना लोड़ा चूसने का निमंत्रण दे दिया था।

रश्मि: अच्छा और जब तुम्हारी ताई मां ने चूसा था तब कैसा लगा था।

लल्लू: मजा आया था पर जब आपने चूसा था तब और मजा आया था।

रश्मि: क्या आप आप लगा रखा है, रश्मि कहो मुझे।

इतना बोल कर रश्मि ने लल्लू के लन्ड की चमड़ी पीछे खींची और सुपाड़े पर जीव चलाने लगी।

लल्लू: आह रश्मि, बहुत अच्छा लग रहा है।

लल्लू के मुंह से अपना नाम सुन कर रश्मि को बहुत अच्छा लग रहा था। और लल्लू को समझ आ गया था की रश्मि का ऐसी चुदाई चाहिए जिसमे कोई उसके ऊपर हावी हो सके। लल्लू अपनी भूमिका बनाने का काम शुरू करने लगा। वो धीरे धीरे रश्मि के बाल सहलाने लगा। रश्मि को लल्लू का अंदाज अच्छा लग रहा था। वो धीरे धीरे लल्लू के विकराल लन्ड को निगलने लगी। रश्मि पहले ज्यादा से ज्यादा लन्ड को निगलती और फिर जीभ से चाटते हुए उसे बाहर निकालती। लल्लू के लन्ड को आज तक किसी ने भी इस शिद्दत से नही चूसा था। लल्लू की गांड़ खुद ब खुद रश्मि के मुंह के साथ ताल से ताल मिलाने लगी। कोई दूर से देखता तो ऐसा लगता जैसे लल्लू रश्मि का मुंह चोद रहा हो।

१० मिनट तक ऐसे ही लल्लू के लन्ड की चुसाई चलती रही और लल्लू को ये भी पता था कि उसके पास ज्यादा समय नहीं है। लल्लू ने रश्मि को किसी गुड़िया की तरह एक झटके में उठा लिया। रश्मि लल्लू का बाहुबल देख कर अचंभित थी। जब तक रश्मि कुछ समझ पाती तब तक उसका बेशकीमती खजाना लल्लू की आंखों के सामने उजागर हो चुका था। रश्मि को आभास भी न हुआ की उसके कपड़े उसके जिस्म का साथ छोड़ चुके हैं।

पिशाच की आंखों के सामने रश्मि का लाजवाब हुस्न बेपर्दा हो चुका। शिखर के समान उठी हुई उसकी छातियां एक दम तन कर खड़ी थी और लल्लू को चुनौती दे रही थी। गोल गहरी नाभी, उफ्फ रश्मि के जिस्म का सबसे सबसे लुभावना कटाव यही पर है। सुडोल केले के तने के समान चिकनी जांघें और उन जांघो के बीच गहरी खाई जहा कोई घास फूस नही थी। हरियाली का नामोनिशान नही था।

रश्मि: आह ओ उफ्फ ओ मां।

रश्मि सिर्फ इतना ही बोल पाई क्योंकि लल्लू के जीव रश्मि के भगनासे को छेड़ रही थी और उसके दोनो हाथ रश्मि के शिखरों का मर्दन कर रही थी। रश्मि इस दोहरे हमले से आनंद की नई सीमाएं छूने लगी और उसका हाथ लल्लू को सिर को अपने अंदर समाने के लिए जोर मारने लगे। वो हर गुजरते पल के साथ लल्लू को और करीब खींच रही थी।

जैसे ही लल्लू की जीव ने रश्मि की चूत के लबों को छुआ एक अजीब सा नाश छाने लगा राशि पर। उसका जिस्म एक कमान सा बनाता हुआ हवा में उछला और गद्दे पर पड़ते ही कांपने लगा। रश्मि की चूत जो पहले से ही गीली थी वो भल भल बहने लगी। धीरे धीरे पिशाच की जीव रश्मि की चूत की गहराइयां नापने लगी। जब लल्लू ने जीव चलानी आरंभ करी तब रश्मि को एहसास हुआ की उसकी जीव वहा तक पहुंच रही है जहा तक किसी का लन्ड भी नही पहुंचा। पूरा कमरा रश्मि की आनंदमई सिसकियों से गूंज रहा था।

रश्मि: आह चाट ओह आई या आज तक इतनी अंदर तक कोई नही गया।

लल्लू को कोई फर्क नही पड़ रहा था, वो तो हर बीते लम्हे के साथ अपनी गति को बढ़ाए जा रहा था। लल्लू की जीव रश्मि की चूत का हर कोना नाप चुकी थी। लल्लू पूरी अंदर तक अपनी जीव घुसाता और अपनी नाक से रश्मि के भगनासे को दबाता। रश्मि का पहला चरण नजदीक ही था।

रश्मि: आह कर ओह आह मेरा होने वाला है। आह ओह माय गॉड आह आई एम अबाउट टू कम। आह लिक माई पुसी ओह आह।

रश्मि के सब्र का बांध टूट चुका था। पिशाच की जीभ की किशती उस सैलाब के भंवर में गोते खा रही थी। लल्लू ने एक बूंद भी जाया नही होने दी उस अमृत रस की। रश्मि का जिस्म पसीने से लथपथ और उसकी सांसे किसी धौकनी की तरह चल रही थी। लल्लू धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा और देखते ही देखते उसके होठों ने रश्मि के होठों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। दोनो के होठ ऐसे मिले जैसे कोई भी इन्हे जुदा न कर सकता हो। लल्लू के हाथ रश्मि के सम्पूर्ण जिस्म का जायजा ले रहे थे और उसकी कामाग्नि को दोबारा प्रज्वलित करने का काम कर रहे थे। रश्मि होठों के आलिंगन में मसरूफ थी पर इक बार फिर से उसकी चूत में टीस उठने लगी। वो हैरान थी कैसे वो इतनी जल्दी कामातुर हो सकती है। उसके जीवन का ये नया अनुभव था। रश्मि की चूत अब लन्ड निगलने के लिए मचलने लगी। उसके पांव मचलने लगे और वो खुद ही अपनी चूत दबाने लगी।

पिशाच बहुत ही अनुभवी था उसे पता था कि अब रश्मि की चूत भेदन का समय आ गया है। पिशाच ने रश्मि के होठों को छोड़ दिया और वो सम्पूर्ण रूप से रश्मि पर छाने लगा। रश्मि ने भी लल्लू का स्वागत किया और अपनी टांगे चौड़ा दी। रश्मि को मालूम था कि इस अजगर को अपने बिल में पनाह देने के लिए उसे असीम पीड़ा से गुजरना पड़ेगा पर वो ऐसा पुरुषार्थ के लिए व्याकुल थी।

लल्लू का लन्ड जैसे ही रश्मि की चूत से स्पर्श हुआ वैसे ही दोनो के जिस्म में एक अजीब सी बिजली कौंध गई। रश्मि के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी और लल्लू के मुंह से विभस्त गुर्राहट। पिशाच को रश्मि के जिस्म तो तार तार कर देना था जिससे वो हमेशा के लिए उसकी गुलाम हो जाए।

पिशाच ने बिना देर लगाए अपने लौड़े को रश्मि की कमसिन चूत के द्वार पर लगा दिया और हल्का सा कमर को हिलाया। रश्मि की चूत ने भी अपने लबों को खोलकर लल्लू के लन्ड का स्वागत किया और वो आने वाले पलो से अंजान थी। तभी पिशाच ने ऐसा धक्का मारा की लल्लू सम्पूर्ण विशालकायी लौड़ा रश्मि की कमसिन चूत में समा गया।

रश्मि: उई मां आह ये क्या आई किया। एक बार में पूरा घुसेड़ दिया। फट गई मेरी। यू स्वाइन। आह मां।

लल्लू: चुप रण्डी साली। नाटक मत कर कुत्तियां। तू ऐसे हो तो चुदना चाहती थी, जो एक बार में तेरी चूत में पूरा लन्ड बाड दे और तेरे जिस्म का पूरा कस बल निचोड़ दे। क्यों मेरी रांड। सही कहा न मैंने।

रश्मि एकचित लल्लू को घूरने लगी और जब दोनो की आंखे मिली तो वो इक अजीब से सम्मोहन में खो गई। और उधर लल्लू के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी और अब वो दनादन अपना लौड़ा रश्मि की चूत में पेलने लगा।

हर धक्के पर रश्मि को दर्द भी होता पर जिस गहराई तक लल्लू का लन्ड जा रहा था वो उसे एक खुशी भी महसूस करा रहा था।

रश्मि: आह ओह मां आह और तेज करो।

लल्लू: क्यों मजा आ रहा है न मेरी रांड।

रश्मि: बहुत मजा आ रहा है मालिक। और तेज चोदो। उफ्फ आह।

लल्लू हर बीते पल के साथ अपनी गति बढ़ता जा रहा था और रश्मि उसकी ताल से ताल मिला रही थी। लल्लू ने बिना लन्ड निकाले ही रश्मि को अपनी गोद में उठा लिया और दनादन चूत मारने लगा। रश्मि लल्लू के बाहुबल से खुश थी और वो कोशिश कर रही थी वो अपने मालिक को खुश कर सके। लल्लू रश्मि को गोद में उठाए चोदे जा रहा था और अपने मुंह में उसके दुग्ध कलशो का मर्दन कर रहा था। कमरे में केवल रश्मि की सिसकियां और ठप ठप की आवाज ही गूंज रही।

पिशाच बिना लन्ड निकाले ही बिस्तर पर लेट गया और अब रश्मि ऊपर थी और पूरे कंट्रोल में थी। ऐसा केवल देखने में लग रहा था क्योंकि कंट्रोल में सिर्फ एक ही बंदा था, वो पिशाच। लेट ते ही पिशाच ने नीचे से धक्के मारने शुरू किए तब रश्मि को एहसास हुआ की ये विभस्त अजगर कितनी अंदर तक घुस रहा है। पिशाच एक क्षण भर भी रुक नही रहा था वो दनादन लन्ड पेले जा रहा था। रश्मि हर धक्के के साथ लज्जत की नई बुलंदिया छू रही थी।

रश्मि: आह ओह फक मि। येस जस्ट लाइक इट। डिग डीपर। आह

लल्लू: क्या मस्त चूत है तेरी कुछ दिन बाद तुझे गांव बुलाके वही अपने पास रखूंगा मेरी जान। फिर तू रोज़ चुदेगी। तेरी गांड़ भी मरूंगा रण्डी साली।

रश्मि: आज आह ही ले चलो उफ्फ। अब ओह इस लन्ड के बिना नही रह सकती। चोदो और तेज।

लल्लू: अभी समय नही आया है। जब तुझे बुलाऊंगा तब आना पड़ेगा। समझी मेरी रण्डी।

लल्लू के धक्कों की रफ्तार कम होने का नाम ही नही ले रही थी और रश्मि की चूत बहना नही छोड़ रही थी। एक घंटे से भी ऊपर हो गया था लल्लू को चोदते हुए। इस घमासान चुदाई से रश्मि की हालत अब पस्त हो गई थी। कहने को तो वो घोड़ी बनी हुई थी पर अपने घोड़े के धक्कों की रफ्तार सहने की अब उसमे हिम्मत नही बची थी। लल्लू के एक धक्के से रश्मि पस्त हो गई और बिस्तर पर लेट गई। उसकी गांड़ ऊपर की तरफ आ गई पर तब भी पिशाच ने अपना लन्ड उसकी चूत से बाहर नही निकलने दिया। लल्लू दनादन चूत पेले जा रहा था और अब उसके धक्कों की गति और तेज हो गई।

रश्मि: आह उफ्फ क्या खाते हो मालिक। कचूमर निकल दिया मेरी चूत का। एक ही दिन में क्या भोसड़ा बना दोगे। आह

लल्लू: इतनी जल्दी थक गई मेरी जान। तू कहे तो पूरे दिन तुझे इस लन्ड पे बिठा के घूम सकता हूं।

रश्मि: मेरी आह ओह जान ही लोगे क्या। आह उफ्फ। आज सांड से पाला पड़ गया।

लल्लू को भी अब रश्मि पर दया आ गई और उसने अपने झटको को और तेज कर दिया जिससे उसे चर्म थोड़ी जल्दी मिल जाए।

रश्मि: आह ओह मां मार ही डालोगे क्या आज। आई

पर लल्लू पर कोई असर नहीं हुआ और वो तूफान की गति से चोदने लगा। कोई ५ मिनट बाद लल्लू को खुद अपने अंदर उफ्फान उबलता हुआ महसूस हुआ और लल्लू ने पहली पिचकारी मारी जो सीधा रश्मि की बच्चेदानी से टकराई और eis सुखद एहसास के साथ रश्मि एक बार फिर झड़ गई। पर लल्लू की बरसात के आगे रश्मि का सैलाब कुछ भी नही था। लल्लू ने अपने वीर्य का ऐक एक कतरा रश्मि की चूत में निचोड़ दिया। रश्मि के चेहरे पर असीम आनंद की अनुभूति थी और वही पिशाच के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी। जब तक लन्ड से वीर्य निकलता रहा लल्लू ने रश्मि को जकड़ लिया। जब वो दोनो अलग हुए तो रश्मि अपने नए मर्द को निहारने लगी। वो लल्लू की मर्दानगी पर मर मिटी थी। लल्लू ने जब देखा कि रश्मि उसे निहार रही है उसने रश्मि को अपनी आगोश में ले लिया। रश्मि उसकी छाती पर सर रखें आने वाले हसीन पलो की कल्पना करने लगी। तभी लल्लू उठा और उसने सीधे अपना सोया हुआ अजगर रश्मि के मुंह में उतार दिया और मूत्र की धार रश्मि के कंठ में उतार दी। रश्मि भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह हर बूंद को अपना प्रसाद समझ के गटक गई।

लल्लू अपने कपड़े पहन ने लगा तो रश्मि ने उसे पीछे से जकड़ लिया।

रश्मि: फिर कब आओगे मालिक।

लल्लू: जब भी तेरी चूत की याद आयेगी और वैसे भी कुछ दिनों बाद तो तू ही मेरे घर पर रहेगी और रोज चुदेगी।

लल्लू इतना बोल कर बाहर निकल गया जहां माया देवी पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी। लल्लू गाड़ी में बैठा और मायादेवी और रश्मि की आंखों का मिलन हुआ दो क्षण भर के लिए और दोनो की ही गर्दन लाज से झुक गई।

उधर रश्मि के कमरे में उसकी नर्स कमरे को व्यवस्थित करने को गई तो उसे चुदाई की खुशबू ने मदहोश कर दिया। उसका हाथ यकायक अपनी चूत पर चला गया और वो उसे दबाने लगी।

नर्स: डॉक्टर भी चुद गई। मुझे कब चोदेगा लल्लू।



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Ajju Landwalia

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भाग ११


पूरी रात हवन करने के बाद साधु बहुत ही विचलित था। उसके शिष्यों से उसकी गंभीरता छुपी नहीं रही। उन्होंने अपने गुरु से पूछ ही डाला।

शिष्य: क्या कारण है गुरुवर, आप अत्यंत विचलित नजर आ रहे है।

साधु: शिष्य पिशाच की ताकत बढ़ती जा रही है। अगर जल्द ही उसे रुका नही गया तो वो किसी के रोके नहीं रोकेगा।

शिष्य: तो क्या करना है गुरुवर।

साधु: मुझे भी थोड़ा रास्ता टेडा अख्तियार करना पड़ेगा क्युकी दुश्मन को अब उसी के हथियार से हराना पड़ेगा। आज रात से हम अपनी काल भैरव की अखंड पूजा शुरू करनी होगी अन्यथा अनर्थ निकट है शिष्य।

साधु ने अपने शिष्यों को कुछ जरूरी सामग्री लाने को बोला और विश्राम करने अपने कक्ष में चला गया।

उधर शहर में रात भर माया देवी की चूत की कुटाई लल्लू के लन्ड द्वारा होती रही, ना लल्लू पीछे हटा और न ही माया देवी। माया देवी की चूत छील गई थी पर उन्होंने एक बार भी लल्लू को माना नही किया। पिशाच ऊर्फ लल्लू भी माया देवी की दिलैरी को मान गया। उसका माया देवी की गांड़ मारने का बड़ा मन था पर वो अब उसकी गांड़ उसकी बेटियों के साथ ही मारेगा।

दोपहर पहले लल्लू की नींद खुली और देखा माया देवी उसकी बगल में नंगी सो रही है। उन्होंने दोनो टांगे चौड़ा रखी थी ताकि थोड़ी राहत मिले। पिशाच की नजर अब पूरी तरह माया देवी की चूत पर अटक गई जो अब सूज के पाव रोटी समान लग रही थी।


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जगह जगह छीलने के निशान थे और चूत दो पाटों में बटी हुई लग रही थी। पिशाच माया देवी की चूत पर झुक गया और फूंक मारने लगा, देखते ही देखते माया देवी की चूत से छीलने के निशान गायब थे, ना कोई सूजन। नींद में ही माया देवी कुनमुनाने लगी। लल्लू काफी देर तक माया देवी को निहारता रहा और फिर उसे मूत्र की तलब होने लगी। पिशाच एक मंत्र सा पड़ने लगा और माया देवी का मुंह खुलता गया और लल्लू ने अपने लन्ड को माया देवी के मुंह में उतार दिया और मूतने लगा।

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माया देवी किसी अबोध बच्चे की तरह मूत्र की हर बूंद को अपने कंठ के नीचे उतारने लगी।

जब मूत्र हो गया तो पिशाच अपने लोड़े को बाहर खींचने लगा पर माया देवी ने ये होने ना दिया और वो किसी कुशल रण्डी की तरह उसके लोड़े को चूसने लगी।


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लल्लू के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। माया देवी ने भी अपनी आंखे खोल दी और लल्लू के लन्ड को चूसती रही। कभी वो लल्लू के रस से भरे हुए आंडो को सहलाती कभी लन्ड पे चुप्पे लगाती और कभी उसे अपनी जीव से चाटती। ये सिलसिला तब तक चला जब तक लल्लू ने उनके हलक में अपना कीमती मॉल उतार दिया हो। माया देवी लल्लू के लन्ड से निकली एक एक बूंद को अपने हलक के नीचे उतारती चली गई, और जो कुछ उसके मुंह से बाहर निकला उसे वो अपनी जीव से चाटने लगी। जब तक माया देवी ने लल्लू के लन्ड से वीर्य को एक एक बूंद न निचोड़ली तब तक उसने लन्ड ने नही छोड़ा।

माया देवी: यह तो मेरा विटामिन है, रोज चाहिए मुझे एक बार कम से कम।

लल्लू: सब तेरा है मेरी रण्डी, मुझे भी तेरी चूत रोज चाहिए। जब मन करेगा तब मारूंगा तेरी चूत और कुछ दिनों बाद तेरी गांड़ भी।

माया देवी: तो फिर गांव चले अब। डॉक्टर को तो अब दिखाना नही है।

लल्लू: डॉक्टर को दिखाना नही पर उस डॉक्टरनी की चूत तो मारनी है।

लल्लू ने यह बोलके माया देवी की गांड़ पे जोरदार चपत लगा दी।

माया देवी: आउच! बहुत कमिने हो आप मालिक। उसको एक बार चोद कर चले जाओगे फिर वो आपकी याद में अपनी चूत में उंगली करती रहेगी।

लल्लू: उससे भी कुछ टाइम बाद गांव बुला लेंगे आखिर वो भी तो मेरा बच्चा जनेगी।

थोड़ी देर बाद लल्लू और माया देवी गाड़ी में बैठे हुए थे और ड्राइवर गाड़ी चला रहा था। ड्राइवर और भीमा अभी भी पिशाच के वश में थे। उन्हे सिर्फ इतना ही पता था जितना पिशाच उन्हे पता चलने दे रहा था। ना वो ज्यादा कुछ सुन सकते थे ना ही ज्यादा कुछ देख सकते थे और न ही कुछ याद था उन्हें। गाड़ी जब चल रही थी तो लल्लू ने अपना लन्ड निकाल लिया और माया देवी को चूसने का इशारा किया।

माया देवी: पागल हो गए हो क्या मालिक, ड्राइवर है।

लल्लू: मेरी रण्डी ये इतना ही जान पाएगा जितना मैं चाहता हूं। तू अब ज्यादा समय बरबाद न कर और अपने मालिक का लन्ड खड़ा कर। जब मैं डॉक्टरनी के पास पहुचु तो ये खड़ा होना चाहिए।


और लल्लू ने माया देवी को अपने लन्ड पर झुका दिया। माया देवी पूरी शिद्दत से लल्लू का लन्ड चूसने लगी।


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करीब आधे घंटे तक माया देवी लल्लू का लन्ड चूसती रही और लन्ड अब पत्थर के समान कठोर था। डॉक्टर के क्लिनिक के सामने ड्राइवर ने गाड़ी रोक दी और लल्लू और माया देवी ने खुद को दुरुस्त किया। लल्लू का लन्ड अब अंदर समा नही पा रहा था। वो पैंट के ऊपर से ही अलग नजर आ रहा था। माया देवी की हसी रूक नही रही थी लल्लू के हालत पर।


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लल्लू: हंस क्यों रही है कुतिया।

माया देवी: लन्ड खुद का नही संभल रहा सांड की तरह यहां वहां डोल रहा है और कुतिया मुझे बोल रहे हो। जब इतना बड़ा तंबूरा कोई भी देख लेगी तो कुतिया खुद बाखुद बन जायेगी।

लल्लू: तू मुझे छोड़कर जल्द निकल जा फिर गांव निकलेंगे।

थोड़ी ही देर में वो दोनो डॉक्टर रश्मि देसाई के सामने बैठे थे।


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पूरे क्लिनिक में आज डॉक्टर और उसकी राजदार नर्स के अलावा कोई नहीं था। डॉक्टर ने जैसे ही लल्लू की पैंट में इतना उभार देखा उसकी आंखे चौड़ी हो गई और मुंह से पानी आनें लगा। उसकी नजरें लल्लू के लन्ड से हट ही नहीं रही थी। ये देख कर माया देवी को डॉक्टर से ईर्षा भी हो रही थी पर दूसरी तरफ एक अजीब सा मजा भी मिल रहा था। डॉक्टर की छोड़ो माया देवी की चूत भी पानी छोड़ने लगी। माया देवी ने डॉक्टर की नींद से जगाया।

माया देवी: कितना समय लगेगा डॉक्टर साहिबा।

रश्मि: (हड़बड़ाकर, जैसे कोई चोरी पकड़ी गई हो) किसमे

माया देवी: और वो जो टेस्ट अपने करने थे। इसलिए तो हम आए है।

रश्मि: ओह वो बस थोड़ा समय लगेगा। क्यू आप को कुछ काम है क्या।

माया देवी लल्लू को देखती है और लल्लू के इशारे को समझ जाती है।

माया देवी: हा वो कुछ खरीदारी करनी थी मैं दो से तीन घंटे में आ जाऊंगी। अगर कुछ जल्दी हो तो फोन कर दीजिएगा।

रश्मि: जी ठीक है। तो लल्लू तैयार हो देने के लिए।

माया देवी: ये तो परसों से ही तैयार है देने के लिए बस अब आप लेलो।

रश्मि कुछ बोल पाती माया देवी उठी और कमरे से बाहर की तरफ चल दी। दरवाजे पर पहुंच कर एक बार उसने रश्मि को देखा और लल्लू को भी देखा। रश्मि की आंखो से बचकर लल्लू को आंख मार दी।

अब कमरे में केवल लल्लू और रश्मि बचे थे। रश्मि अपनी कुर्सी से उठी और अपना सफेद चोगा उतार दिया और जो लल्लू के सामने आया उसे देख कर लल्लू की आंखे चार हो गई। रश्मि इस लिबास में किसी कयामत से कम नही लग रही थी।


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रश्मि: तो लल्लू आज हम आपका टेस्ट लेंगे। आप तैयार हो देने के लिए।

लल्लू: जी डॉक्टरनी जी। आप लेलो

रश्मि: तो आओ लल्लू, वही पीछे के कमरे में चलते है।

रश्मि आगे आगे और लल्लू पीछे पीछे चल दिया। रश्मि जानमुच कर अपनी गांड़ ज्यादा मटका मटका कर चल रही।


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उसकी चूत तो उसी क्षण से गीली थी जब से उसने लल्लू की पैंट में उभार देखा था। वो उस कमरे में पहुंच गए जहा पर नर्स पहले से ही माजूद थी। वो खुद भी लल्लू के लन्ड का उभार देख कर चुदासी महसूस कर रही थी मगर डॉक्टरनी के चलते वो कुछ कर नही सकती थी।

रश्मि: अब तुम जाओ और बाहर का खयाल रखना।

नर्स: जी मैडम।

इतना बोलकर नर्स बाहर निकल जाती है और दरवाजा बंद कर देती है। रश्मि अब लल्लू की तरफ मुखातिब होती है और उसकी आंखो में आंख डाल कर।

रश्मि: ये टेस्ट तुम्हारे लिए बहुत जरूरी है, इसे पता चलेगा की तुम पूर्ण मर्द हो या नहीं। इस टेस्ट में मैं भी तुम्हारा साथ दूंगी। अच्छा ये बताओ तुमने किसी औरत या लड़की को कभी नंगा देखा है।

लल्लू ने हां में गर्दन हिला दी।

रश्मि: किसको देखा है। बताओ मुझे।

लल्लू शर्माने का नाटक करने लगा।

रश्मि: शरमाओ मत, बताओ मुझे। मैं किसी को नहीं बोलूंगी।

लल्लू: मैने राजू की मां को, ताई मां को और अपनी माई को भी देखा।

रश्मि: ओके, जब तुमने इन्हे नंगा देखा तो तुम्हे कुछ हुआ। कुछ हलचल हुई।

लल्लू: जब मैंने इन्हें नंगा देखा तो पूरा बदन गर्म हो गया, पसीने आने लगे और और।

रश्मि: और क्या लल्लू।

लल्लू: जी डॉक्टरनी जी, मेरी सुसु सूज जाती थी और बड़ा दर्द होता था उसमे।

रश्मि: अगर मैं नंगी होकर तुम्हारे सामने खड़ी हो जाऊं तो क्या तुम्हारी सुसु सूज जायेगी। लेकिन मुझे तो लगता है ये अभी से सूजी हुई है।


रश्मि ने हाथ बढ़ाकर लल्लू के लन्ड का ऊपर से जायजा लिया।


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लल्लू: पता नही क्यों डॉक्टर साहिबा उस दिन से अपने इसमें से चिपचिपी सुसु निकली न तब से ये ऐसे ही रहता है और जब ताई मां ने उस रात दवाई लगाई तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली।

रश्मि: अच्छा तो उन्होंने भी चिपचिपी सुसु निकाली पर कैसे।

रश्मि का हाथ अभी भी पेंट के ऊपर से लल्लू के लन्ड को सहला रहा था। रश्मि के सवाल पर लल्लू ने शर्माने का नाटक किया। लल्लू को शर्माता देख रश्मि की पकड़ लल्लू के लन्ड पर और गहरी हो गई।

रश्मि: बताओ लल्लू, डॉक्टर से कभी कुछ नही छुपाते।

लल्लू: डॉक्टर साहिबा पहले तो उन्होंने खूब मालिश करी और फिर जैसे अपने लिया था मुंह में उन्होंने भी चूसा लॉलीपॉप की तरह फिर फिर ताई मां ने अपनी सुसु वाली जगह में मेरी सुसु अंदर लेली और उस पर उछलने लगी और थोड़ी देर बाद मेरी चिचिपी सुसु उनकी सुसु के अंदर निकल गई।

इतना सुनते ही रश्मि के कान गरम हो गए और धुआं छोड़ने लगे। उसने कसके लल्लू का लन्ड दबोच दिया जिससे लल्लू के कंठ से एक तेज चीख निकली।


लल्लू: आह आई माई आह।

रश्मि जैसे नींद से जागी हो, उसने तुरंत अपना हाथ लल्लू के लन्ड से हटा लिया। लल्लू ने तुरंत ही पेंट की जिप खोली और अपने अजगर को ताजी हवा में खुला छोड़ दिया। लल्लू रश्मि के सामने अपने लन्ड को सहलाने लगा। रश्मि फटी आंखों से लल्लू के लन्ड को निहारने लगी, उसे लल्लू का लन्ड आज और भी बड़ा और मोटा लग रहा था। लल्लू की कर्राहट से रश्मि अपनी नींद से जागी।



रश्मि: ज्यादा लग गई क्या लल्लू।


लल्लू: आह डॉक्टरनी बहुत जोर का दर्द हो रहा है।

रश्मि ने तुरंत ही लल्लू के पेंट खोलकर उसके लन्ड को आजाद किया। रश्मि की आंखो के सामने फिर एक बार लल्लू का लन्ड था, जो आज और भी विकराल और भयंकर लग रहा था। लन्ड को आंखो के सामने देखते ही रश्मि का गला सुख गया और वो खुद अपना थूक निगलने लगी।

लल्लू: आह उफ्फ अब कुछ आराम मिला डॉक्टरनी।

रश्मि मंत्रमुग्ध सी जैसे नींद से जागी हो। वो धीरे धीरे लल्लू के लन्ड को सहलाने लगी।

रश्मि: अब कैसा लग रहा है लल्लू।

लल्लू: आह, आप जब भी सहलाती हो, बड़ा अच्छा लगता है।

रश्मि: और जब तुम्हारी ताई मां ने सहलाया था तो कैसा लगा था।

लल्लू: तब भी अच्छा लगा था पर अभी ज्यादा अच्छा लग रहा है लेकिन।

रश्मि: लेकिन क्या लल्लू बताओ मुझे।

लल्लू: (शरमाते हुए) लेकिन जब आपने उस दिन चूसा था न तब बड़ा मजा आया था। बहुत ज्यादा गुदगुदी हुई थी मुझे।

लल्लू ने एक तरह से रश्मि को अपना लोड़ा चूसने का निमंत्रण दे दिया था।

रश्मि: अच्छा और जब तुम्हारी ताई मां ने चूसा था तब कैसा लगा था।

लल्लू: मजा आया था पर जब आपने चूसा था तब और मजा आया था।

रश्मि: क्या आप आप लगा रखा है, रश्मि कहो मुझे।

इतना बोल कर रश्मि ने लल्लू के लन्ड की चमड़ी पीछे खींची और सुपाड़े पर जीव चलाने लगी।

लल्लू: आह रश्मि, बहुत अच्छा लग रहा है।

लल्लू के मुंह से अपना नाम सुन कर रश्मि को बहुत अच्छा लग रहा था। और लल्लू को समझ आ गया था की रश्मि का ऐसी चुदाई चाहिए जिसमे कोई उसके ऊपर हावी हो सके। लल्लू अपनी भूमिका बनाने का काम शुरू करने लगा। वो धीरे धीरे रश्मि के बाल सहलाने लगा। रश्मि को लल्लू का अंदाज अच्छा लग रहा था। वो धीरे धीरे लल्लू के विकराल लन्ड को निगलने लगी। रश्मि पहले ज्यादा से ज्यादा लन्ड को निगलती और फिर जीभ से चाटते हुए उसे बाहर निकालती। लल्लू के लन्ड को आज तक किसी ने भी इस शिद्दत से नही चूसा था। लल्लू की गांड़ खुद ब खुद रश्मि के मुंह के साथ ताल से ताल मिलाने लगी। कोई दूर से देखता तो ऐसा लगता जैसे लल्लू रश्मि का मुंह चोद रहा हो।

१० मिनट तक ऐसे ही लल्लू के लन्ड की चुसाई चलती रही और लल्लू को ये भी पता था कि उसके पास ज्यादा समय नहीं है। लल्लू ने रश्मि को किसी गुड़िया की तरह एक झटके में उठा लिया। रश्मि लल्लू का बाहुबल देख कर अचंभित थी। जब तक रश्मि कुछ समझ पाती तब तक उसका बेशकीमती खजाना लल्लू की आंखों के सामने उजागर हो चुका था। रश्मि को आभास भी न हुआ की उसके कपड़े उसके जिस्म का साथ छोड़ चुके हैं।

पिशाच की आंखों के सामने रश्मि का लाजवाब हुस्न बेपर्दा हो चुका। शिखर के समान उठी हुई उसकी छातियां एक दम तन कर खड़ी थी और लल्लू को चुनौती दे रही थी। गोल गहरी नाभी, उफ्फ रश्मि के जिस्म का सबसे सबसे लुभावना कटाव यही पर है। सुडोल केले के तने के समान चिकनी जांघें और उन जांघो के बीच गहरी खाई जहा कोई घास फूस नही थी। हरियाली का नामोनिशान नही था।

रश्मि: आह ओ उफ्फ ओ मां।

रश्मि सिर्फ इतना ही बोल पाई क्योंकि लल्लू के जीव रश्मि के भगनासे को छेड़ रही थी और उसके दोनो हाथ रश्मि के शिखरों का मर्दन कर रही थी। रश्मि इस दोहरे हमले से आनंद की नई सीमाएं छूने लगी और उसका हाथ लल्लू को सिर को अपने अंदर समाने के लिए जोर मारने लगे। वो हर गुजरते पल के साथ लल्लू को और करीब खींच रही थी।

जैसे ही लल्लू की जीव ने रश्मि की चूत के लबों को छुआ एक अजीब सा नाश छाने लगा राशि पर। उसका जिस्म एक कमान सा बनाता हुआ हवा में उछला और गद्दे पर पड़ते ही कांपने लगा। रश्मि की चूत जो पहले से ही गीली थी वो भल भल बहने लगी। धीरे धीरे पिशाच की जीव रश्मि की चूत की गहराइयां नापने लगी। जब लल्लू ने जीव चलानी आरंभ करी तब रश्मि को एहसास हुआ की उसकी जीव वहा तक पहुंच रही है जहा तक किसी का लन्ड भी नही पहुंचा। पूरा कमरा रश्मि की आनंदमई सिसकियों से गूंज रहा था।

रश्मि: आह चाट ओह आई या आज तक इतनी अंदर तक कोई नही गया।

लल्लू को कोई फर्क नही पड़ रहा था, वो तो हर बीते लम्हे के साथ अपनी गति को बढ़ाए जा रहा था। लल्लू की जीव रश्मि की चूत का हर कोना नाप चुकी थी। लल्लू पूरी अंदर तक अपनी जीव घुसाता और अपनी नाक से रश्मि के भगनासे को दबाता। रश्मि का पहला चरण नजदीक ही था।

रश्मि: आह कर ओह आह मेरा होने वाला है। आह ओह माय गॉड आह आई एम अबाउट टू कम। आह लिक माई पुसी ओह आह।

रश्मि के सब्र का बांध टूट चुका था। पिशाच की जीभ की किशती उस सैलाब के भंवर में गोते खा रही थी। लल्लू ने एक बूंद भी जाया नही होने दी उस अमृत रस की। रश्मि का जिस्म पसीने से लथपथ और उसकी सांसे किसी धौकनी की तरह चल रही थी। लल्लू धीरे धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगा और देखते ही देखते उसके होठों ने रश्मि के होठों को अपनी गिरफ्त में ले लिया। दोनो के होठ ऐसे मिले जैसे कोई भी इन्हे जुदा न कर सकता हो। लल्लू के हाथ रश्मि के सम्पूर्ण जिस्म का जायजा ले रहे थे और उसकी कामाग्नि को दोबारा प्रज्वलित करने का काम कर रहे थे। रश्मि होठों के आलिंगन में मसरूफ थी पर इक बार फिर से उसकी चूत में टीस उठने लगी। वो हैरान थी कैसे वो इतनी जल्दी कामातुर हो सकती है। उसके जीवन का ये नया अनुभव था। रश्मि की चूत अब लन्ड निगलने के लिए मचलने लगी। उसके पांव मचलने लगे और वो खुद ही अपनी चूत दबाने लगी।

पिशाच बहुत ही अनुभवी था उसे पता था कि अब रश्मि की चूत भेदन का समय आ गया है। पिशाच ने रश्मि के होठों को छोड़ दिया और वो सम्पूर्ण रूप से रश्मि पर छाने लगा। रश्मि ने भी लल्लू का स्वागत किया और अपनी टांगे चौड़ा दी। रश्मि को मालूम था कि इस अजगर को अपने बिल में पनाह देने के लिए उसे असीम पीड़ा से गुजरना पड़ेगा पर वो ऐसा पुरुषार्थ के लिए व्याकुल थी।

लल्लू का लन्ड जैसे ही रश्मि की चूत से स्पर्श हुआ वैसे ही दोनो के जिस्म में एक अजीब सी बिजली कौंध गई। रश्मि के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी और लल्लू के मुंह से विभस्त गुर्राहट। पिशाच को रश्मि के जिस्म तो तार तार कर देना था जिससे वो हमेशा के लिए उसकी गुलाम हो जाए।

पिशाच ने बिना देर लगाए अपने लौड़े को रश्मि की कमसिन चूत के द्वार पर लगा दिया और हल्का सा कमर को हिलाया। रश्मि की चूत ने भी अपने लबों को खोलकर लल्लू के लन्ड का स्वागत किया और वो आने वाले पलो से अंजान थी। तभी पिशाच ने ऐसा धक्का मारा की लल्लू सम्पूर्ण विशालकायी लौड़ा रश्मि की कमसिन चूत में समा गया।

रश्मि: उई मां आह ये क्या आई किया। एक बार में पूरा घुसेड़ दिया। फट गई मेरी। यू स्वाइन। आह मां।

लल्लू: चुप रण्डी साली। नाटक मत कर कुत्तियां। तू ऐसे हो तो चुदना चाहती थी, जो एक बार में तेरी चूत में पूरा लन्ड बाड दे और तेरे जिस्म का पूरा कस बल निचोड़ दे। क्यों मेरी रांड। सही कहा न मैंने।

रश्मि एकचित लल्लू को घूरने लगी और जब दोनो की आंखे मिली तो वो इक अजीब से सम्मोहन में खो गई। और उधर लल्लू के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी और अब वो दनादन अपना लौड़ा रश्मि की चूत में पेलने लगा।

हर धक्के पर रश्मि को दर्द भी होता पर जिस गहराई तक लल्लू का लन्ड जा रहा था वो उसे एक खुशी भी महसूस करा रहा था।

रश्मि: आह ओह मां आह और तेज करो।

लल्लू: क्यों मजा आ रहा है न मेरी रांड।

रश्मि: बहुत मजा आ रहा है मालिक। और तेज चोदो। उफ्फ आह।

लल्लू हर बीते पल के साथ अपनी गति बढ़ता जा रहा था और रश्मि उसकी ताल से ताल मिला रही थी। लल्लू ने बिना लन्ड निकाले ही रश्मि को अपनी गोद में उठा लिया और दनादन चूत मारने लगा। रश्मि लल्लू के बाहुबल से खुश थी और वो कोशिश कर रही थी वो अपने मालिक को खुश कर सके। लल्लू रश्मि को गोद में उठाए चोदे जा रहा था और अपने मुंह में उसके दुग्ध कलशो का मर्दन कर रहा था। कमरे में केवल रश्मि की सिसकियां और ठप ठप की आवाज ही गूंज रही।

पिशाच बिना लन्ड निकाले ही बिस्तर पर लेट गया और अब रश्मि ऊपर थी और पूरे कंट्रोल में थी। ऐसा केवल देखने में लग रहा था क्योंकि कंट्रोल में सिर्फ एक ही बंदा था, वो पिशाच। लेट ते ही पिशाच ने नीचे से धक्के मारने शुरू किए तब रश्मि को एहसास हुआ की ये विभस्त अजगर कितनी अंदर तक घुस रहा है। पिशाच एक क्षण भर भी रुक नही रहा था वो दनादन लन्ड पेले जा रहा था। रश्मि हर धक्के के साथ लज्जत की नई बुलंदिया छू रही थी।

रश्मि: आह ओह फक मि। येस जस्ट लाइक इट। डिग डीपर। आह

लल्लू: क्या मस्त चूत है तेरी कुछ दिन बाद तुझे गांव बुलाके वही अपने पास रखूंगा मेरी जान। फिर तू रोज़ चुदेगी। तेरी गांड़ भी मरूंगा रण्डी साली।

रश्मि: आज आह ही ले चलो उफ्फ। अब ओह इस लन्ड के बिना नही रह सकती। चोदो और तेज।

लल्लू: अभी समय नही आया है। जब तुझे बुलाऊंगा तब आना पड़ेगा। समझी मेरी रण्डी।

लल्लू के धक्कों की रफ्तार कम होने का नाम ही नही ले रही थी और रश्मि की चूत बहना नही छोड़ रही थी। एक घंटे से भी ऊपर हो गया था लल्लू को चोदते हुए। इस घमासान चुदाई से रश्मि की हालत अब पस्त हो गई थी। कहने को तो वो घोड़ी बनी हुई थी पर अपने घोड़े के धक्कों की रफ्तार सहने की अब उसमे हिम्मत नही बची थी। लल्लू के एक धक्के से रश्मि पस्त हो गई और बिस्तर पर लेट गई। उसकी गांड़ ऊपर की तरफ आ गई पर तब भी पिशाच ने अपना लन्ड उसकी चूत से बाहर नही निकलने दिया। लल्लू दनादन चूत पेले जा रहा था और अब उसके धक्कों की गति और तेज हो गई।

रश्मि: आह उफ्फ क्या खाते हो मालिक। कचूमर निकल दिया मेरी चूत का। एक ही दिन में क्या भोसड़ा बना दोगे। आह

लल्लू: इतनी जल्दी थक गई मेरी जान। तू कहे तो पूरे दिन तुझे इस लन्ड पे बिठा के घूम सकता हूं।

रश्मि: मेरी आह ओह जान ही लोगे क्या। आह उफ्फ। आज सांड से पाला पड़ गया।

लल्लू को भी अब रश्मि पर दया आ गई और उसने अपने झटको को और तेज कर दिया जिससे उसे चर्म थोड़ी जल्दी मिल जाए।

रश्मि: आह ओह मां मार ही डालोगे क्या आज। आई

पर लल्लू पर कोई असर नहीं हुआ और वो तूफान की गति से चोदने लगा। कोई ५ मिनट बाद लल्लू को खुद अपने अंदर उफ्फान उबलता हुआ महसूस हुआ और लल्लू ने पहली पिचकारी मारी जो सीधा रश्मि की बच्चेदानी से टकराई और eis सुखद एहसास के साथ रश्मि एक बार फिर झड़ गई। पर लल्लू की बरसात के आगे रश्मि का सैलाब कुछ भी नही था। लल्लू ने अपने वीर्य का ऐक एक कतरा रश्मि की चूत में निचोड़ दिया। रश्मि के चेहरे पर असीम आनंद की अनुभूति थी और वही पिशाच के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी। जब तक लन्ड से वीर्य निकलता रहा लल्लू ने रश्मि को जकड़ लिया। जब वो दोनो अलग हुए तो रश्मि अपने नए मर्द को निहारने लगी। वो लल्लू की मर्दानगी पर मर मिटी थी। लल्लू ने जब देखा कि रश्मि उसे निहार रही है उसने रश्मि को अपनी आगोश में ले लिया। रश्मि उसकी छाती पर सर रखें आने वाले हसीन पलो की कल्पना करने लगी। तभी लल्लू उठा और उसने सीधे अपना सोया हुआ अजगर रश्मि के मुंह में उतार दिया और मूत्र की धार रश्मि के कंठ में उतार दी। रश्मि भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह हर बूंद को अपना प्रसाद समझ के गटक गई।

लल्लू अपने कपड़े पहन ने लगा तो रश्मि ने उसे पीछे से जकड़ लिया।

रश्मि: फिर कब आओगे मालिक।

लल्लू: जब भी तेरी चूत की याद आयेगी और वैसे भी कुछ दिनों बाद तो तू ही मेरे घर पर रहेगी और रोज चुदेगी।

लल्लू इतना बोल कर बाहर निकल गया जहां माया देवी पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी। लल्लू गाड़ी में बैठा और मायादेवी और रश्मि की आंखों का मिलन हुआ दो क्षण भर के लिए और दोनो की ही गर्दन लाज से झुक गई।

उधर रश्मि के कमरे में उसकी नर्स कमरे को व्यवस्थित करने को गई तो उसे चुदाई की खुशबू ने मदहोश कर दिया। उसका हाथ यकायक अपनी चूत पर चला गया और वो उसे दबाने लगी।

नर्स: डॉक्टर भी चुद गई। मुझे कब चोदेगा लल्लू।



Welcome back mitzerotics Bro,

Der se hi sahi lekin update aai to sahi.......

Ab please story ko continue rakhna
 
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