भाग ९
माया देवी की आंखों के सामने लल्लू का लन्ड लहरा रहा था। अब उनके होठों की प्यास शराब भी नही भुझा सकती थी। लल्लू के लन्ड को देखकर माया देवी की चूत में हजारों चींटियां रेंगने लगी।
पहले ही उनकी चूत इतना पानी छोड़ रही थी और लल्लू के लहराते हुए लन्ड ने तो जैसे उनकी चूत का बांध ही खोल दिया हो। लल्लू भी तिरछी नजरों से माया देवी को देख रहा था और उनकी हालत पे मन ही मन खुश हो रहा था। माया देवी तो जैसे इक बुत बनकर बैठी थी। उन्हे कोई होश नही था, वो बस अपनी खयालों की सागर में गोते लगा रही थी।
लल्लू बार बार अपने लन्ड को खुजा रहा था और उमेठ भी रहा था। जब जब लल्लू लन्ड को छूता तब तब माया देवी की आंखे हवस में और लाल हो जाती और उनके मुंह से सिसकारी निकल जाती।
माया देवी: अभी भी खुजली हो रही है क्या लल्लू।
लल्लू: हा ताई मां। ये नए कपड़े बड़े ही बेकार है। बहुत खुजली हो रही है नुनु में।
लल्लू के मुंह से नुनु सुनकर माया देवी की हसी छूट गई।
लल्लू: क्या हुआ ताई मां। अब हस क्यू रही है।
माया देवी: अब तू बड़ा हो गया है लल्लू। जब बचा होता है तब नुनु होती है, और जब बच्चा बड़ा हो जाता है तब इसे लन्ड बोलते है और जिसके पास इतना बड़ा हो जैसा तेरे पास है उसे लोड़ा बोलते है। समझा।
लल्लू: (बड़ी मासूमियत से) तभी गांव में सब मुझे बहन का लोड़ा बोलते है।
माया देवी के चेहरे पर हसी आ गई, वो लल्लू की मासूमियत पर फिदा हो गई पर उसे ये नही मालूम था की लल्लू उसे शीशे में उतार रहा है।
माया देवी: (थोड़ी संजीदा होकर) कौन तुझे बहन का लोड़ा बोलता है, गांव चल कर मुझे बताना उसकी मां चोद दूंगी।
लल्लू: ठीक है ताई मां। वैसे जब मुझे इतनी खारिश हो रही है नए कपड़े पहन कर तो आप भी वो छोटे नए कपड़े पहन कर देख लो, कही छोटे न हो और कही आपको भी खारिश ना हो।
माया देवी को अचंभा हुआ की इन्होंने तो ब्रा और कच्छी लल्लू से अलग जाके खरीदी थी तो इसे कैसे मालूम हुआ।
माया देवी: तुझे कैसे मालूम छोटे कपड़ो के बारे में।
लल्लू: वो जब आप और सरला दीदी मुझे उन दीदी (सेल्स गर्ल) के पास छोड़ गए थे, तब वो दीदी किसी और से बात करने लगी तो मैं आपको ढूंढता हुआ वही आ गया जहां आप और दीदी छोटे कपड़े खरीद रही थी।
माया देवी: अच्छा। तो क्या अब तुझे पहन के दिखाओ वो छोटे कपड़े। तुझे शर्म नही आयेगी अपनी ताई मां को ऐसे देखने में।
लल्लू: क्या ताई मां, कपड़े ही तो है और मैने भी तो आपको पहन के दिखाया न और अब तो खारिश की वजह से नंगा बैठा हूं आपके सामने। कही ऐसा ना हो की आप गांव जाके पहनो और खारिष की वजह से आपको भी किसी के सामने नंगा होना पड़ जाए।
नंगा होने की बात सुनते ही माया देवी के कानो से धुआं निकलने लगा। वो खुली आंखों से खुद को लल्लू के सामने नंगी महसूस करने लगी। चूत की कुलबुलाहट बड़ती जा रही थी।
माया देवी: कह तो तू ठीक ही रहा है लल्लू। रुक अभी पहन के दिखाती हूं।
माया देवी वापस कमरे में चली गई और अपनी नाइटी उतार कर अपने लिए लाए हुए सबसे उत्तेजक ब्रा पैंटी के सेट को पहनने लगी। जब पहन लिया तो जैसे कमरे में तो हाहाकार मच गया। रूप की रानी का कातिलाना हुस्न आज बेपर्दा होने को व्याकुल था। खुद को निहारते हुए वो मन ही मन बुदबुदाने लगी "अब कैसे बचेगा लल्लू, अब तो ये लोड़ा मैं खाकर ही रहूंगी)।
जब माया देवी बाहर निकली तो लल्लू की आंखे फट के बाहर आ गई। माया देवी का सांचे में ढला हुआ जिस्म उसकी आंखो के सामने था। दो फुटबॉल समान चूचियां जिनकी अकड़ अभी भी बरकरार थी, वो तो बस ब्रा फाड़ने को बेताब थी। माया देवी की पैंटी इतनी छोटी थी की बस उनके खजाने को ढक पा रही थी। बाकी उनकी टांगों का हर जोड़ नुमाया था। गांड़ के उभार भी निकल के सामने आ रहे थे। लल्लू का खुद को रुकना अब मुश्किल हो रहा था उसका हाथ उसके लन्ड को हल्का हल्का मुठियाने लगा। माया देवी की नजर तो बस लल्लू के लोड़े पर थी। हवस और शराब का नशा मिलकर माया देवी की आंखों को भारी कर रहे थे।
माया देवी बहुत ही उत्तेजक चल चलती हुई लल्लू की तरफ आई।
वो बिलकुल लल्लू के सामने पहुंच कर।
माया देवी: बता कैसी लग रही हूं।
लल्लू: अब तो आप पहले से भी सुंदर लग रही हो।
माया देवी के चेहरे पर हसी आ गई। वो बिलकुल लल्लू के करीब बैठ गई। ये पहली बार था जब दोनो के जिस्म एक दूसरे से छू रहे थे। दोनो के जिस्मों में गजब की तपिश थी। माया देवी ने अब अपनी एक टांग उठा के लल्लू की जांघो पे रख दी।
माया देवी की टांग लल्लू के लन्ड से केवल दो उंगल के फासले पर थी, वो इतनी दूर से भी लल्लू के लोड़े की गर्मी को महसूस कर रही थी। लल्लू अभी भी अपने लन्ड को खुजाय जा रहा था।
माया देवी: क्यू रे अभी भी खुजली हो रही है क्या।
लल्लू: हा ताई मां। अब तो और तेज हो रही है।
लल्लू ने लन्ड को उमेठ दिया। माया देवी के होठ इतने सुख गए थे की बार बार वो अपनी जीभ अपने होठों पे फिरा रही थी।
माया देवी: लगता है इसका इलाज ही करना पड़ेगा।
लल्लू: हा ताई मां करो ना, बहुत ज्यादा हो रही है।
लल्लू की इजाजत मिलते ही माया देवी सोफे से उतर कर ठीक लल्लू के सामने बैठ गई। माया देवी ने फुर्ती से लल्लू का हाथ उसके लन्ड से हटाया और खुद उसको पकड़ लिया। माया देवी को ऐसा लगा जैसे उनके हाथ में किसी ने तपता हुआ कोयला रख दिया हो। माया देवी ने लल्लू के लन्ड की चमड़ी हो हटाया तो उसमे लाल रंग का सुपाड़ा निकला। माया देवी के होठों की प्यास और बड़ गई। लल्लू की भी हालत खराब थी, जैसे ही माया देवी ने चमड़ी के हटाया लल्लू को सिसकारी निकल गई।
लल्लू: आह ताई मां। आ आप इलाज कैसे करोगी।
माया देवी: (लल्लू की आंखो में देखते हुए) जैसे तेरी डॉक्टर ने किया था। तेरा लोड़ा चूस कर।
माया देवी अब बिल्कुल भी रुकने की हालत में नही थी। उन्होंने अपनी जीव निकली और लल्लू का लन्ड चाट लिया।
लल्लू: आह ह ताई मां।
माया देवी: ऐसे ही चूसा था डॉक्टर ने।
लल्लू: आह ह पहले ऐसे ही किया था फिर बाद में पूरा लोड़ा अपने मुंह में लेकर चूसा था।
माया देवी: ऐसे।
और माया देवी ने नाकाम कोशिश करी लल्लू के विशाल लोड़े को मुंह में लेने की। जितना ले पाई उतना लेकर वो लल्लू के लन्ड पर चुप्पे लगाने लगी। थोड़ी देर मुंह में रखती फिर चुप्पे लगाती और फिर जितना हो सके उतना लल्लू के लन्ड को मुंह की गहराइयों में उतार लेती।
लल्लू उर्फ पिशाच अब पूरे जोश में था। उसे मालूम था की अगर उसे इस खेल में जितना है तो उसे नियंत्रण खुद के हाथो में लेना पड़ेगा। लेकिन अभी के लिए फिलहाल वो चुतिया बनके ही माया देवी की सवारी करना चाह रहा था।
लल्लू: आह ताई मां। आई बहुत अच्छा लग रहा है। आई आ
माया देवी लल्लू की आंखो में देखते हुए लन्ड को चूसने लगी। माया देवी पूरी शिद्दत से लल्लू के लोड़े की चुसाई कर रही थी। अब उनका दूसरा हाथ लल्लू के गोटे सहलाने लगी।
लल्लू उर्फ पिशाच भी कब तक सहता जब हुस्न से लबालब भरी हुई माया देवी उसका लन्ड चूस रही हो। उसके हाथ अपने आप माया देवी के सिर को अपने लोड़े पर दबाने लगे।
सिर पर हाथ पड़ते ही माया देवी ने लल्लू की तरफ देखा और मन ही मन बोल उठी " मानसिक स्थिति कैसी भी हो पर ये दिमाग और ये जिस्म लन्ड और चूत की भाषा अच्छे से समझता है" और उनके चेहरे पे एक गहरी मुस्कान आ गई। लल्लू का लन्ड चूसना माया देवी ने जारी रखा। माया देवी की चूदास इतनी बड़ गई थी की वो खुद अपने चूचे दबाने लगी। दूसरे हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी। दृश्य कुछ ऐसा था माया देवी के मुंह में लल्लू का लोड़ा और उनके खुद के हाथ अपनी चूत सहला रहे थे। उनके हाथो की गति बड़ती जा रही थी। माया देवी पर अब लल्लू के लन्ड की खुमारी पूरी तरह छा गई थी।
माया देवी: आह धक्के मार लल्लू। आह मेरा मुंह चोद।
लल्लू तो जैसे इंतजार में ही बैठा था। वो सोफे पर बैठे बैठे ही माया देवी का मुंह चोदने लगा। वो पूरा लन्ड माया देवी के गले में उतारता और फिर रोकता जब तक माया देवी को सांस लेने में दिक्कत न होती। फिर मुंह से निकलता और फिर कुछ ही क्षण बाद वापस माया देवी के मुंह में अपना लोड़ा घुसेड़ देता।
माया देवी की पूरी पैंटी गीली हो गई थी। पैंटी में से रस निकालकर जमीन पर गिरने लगा। लल्लू ने भी माया देवी को अपनी चूत रगड़ते हुए देख लिया। लल्लू के मुंह में पानी आने लगा।
लल्लू: देखा ताई मां तुम्हे भी खारिश होने लगी। तुम भी उतार दो ये कपड़े।
माया देवी कुछ बोल पाती या कर पाती लल्लू ने माया देवी की ब्रा को खींचकर उनके शरीर से अलग कर दिया। माया देवी के दोनो फुटबॉल अब आजाद हो गई। इतनी बड़ी और सुडौल चूचियां देखकर लल्लू के मुंह में पानी आ गया। वो एक टक बस माया देवी की चुचियों को घूरे जा रहा था।
माया देवी ये देख खुश हो रही थी की लल्लू उनके जाल में फंसता जा रहा है। उन्होंने लल्लू का लोड़ा मुंह से निकाला।
माया देवी: क्या देख रहा है लल्लू। बचपन में बहुत खेला है तू इनसे, और दूध भी पिया है।
लल्लू: सच में ताई मां। इनमे अभी भी दूध है।
माया देवी: नही रे अब नही आता पर तू इन्हे चूस कर मेरी खुजली तो मिटा ही सकता है।
और माया देवी ने लल्लू का सिर अपनी चुचियों में दबा लिया। लल्लू भी एक शातिर बच्चे की तरह माया देवी की चुचियों के निप्पल को चूसने लगा। कभी वो पूरा चूचा अपने मुंह में भरने की नाकाम कोशिश करता और कभी अपनी जीव से निप्पल को छेड़ता।
माया देवी के हाथ में अभी भी लल्लू का लन्ड था जिसे वो धीरे धीरे मुठिया रही थी।
माया देवी: आह आ ह ओह ऐसे ही चूस लल्लू, निकल दे इनकी सारी अकड़। आह मिटा दे इनकी सारी खुजली। आई काट मत।
लल्लू भी माया देवी की चुचियों से खेलता रहा। कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ। वो बारी बारी दोनो खरबूजों का रस निकाल रहा था और माया देवी की चूत इस हमले से लगातार रोए जा रही थी। माया देवी के हाथ बहुत तेजी से अपनी चूत पर चल रहे थे। वो बस जल्द से जल्द झड़ना चाह रही थी पर लल्लू उन्हे इतनी जल्दी नही झड़ने देना चाह रहा था। २० मिनट से उपर हो गए थे लल्लू को माया देवी के खरबूजों से खेलते हुए। खरबूजे पूरी तरह से लाल पड़ चुके थे। जगह जगह लल्लू के दांतो के निशान बने हुए थे और माया देवी हैरत में थी की अब तक लल्लू के लन्ड ने उल्टी नही करी। २० मिनट से वो लल्लू के लन्ड को मुठिया रही थी और उससे पहले कोई १५ मिनिट तक चुसाई की थी उन्होंने। लल्लू ने अपना हाथ बड़ाके माया देवी के हाथ पर रख दिया, तो माया देवी ने सिर उठाके लल्लू की तरफ देखा और दोनो की नजरे मिली।
लल्लू: नीचे भी खारिश हो रही है ताई मां।
माया देवी: बहुत तेज हो रही है लल्लू।
लल्लू: तो मैं ठीक किए देता हूं।
माया देवी कुछ समझ पाती लल्लू ने उन्हे सीधा किया और उनकी टांगों के बीच आके बैठ गया। अब दृश्य कुछ ऐसा था जहां थोड़ी देर पहले माया देवी थी अब वहा लल्लू था। और लल्लू के ठीक सामने थी माया देवी की रस से भरी हुई चूत जो इस समय इक छोटे से कपड़े के टुकड़े के अंदर छुपी हुई थी। माया देवी की चूत कितना पानी छोड़ रही इसका अंदाजा उनकी पैंटी देखकर कोई अंधा भी बता सकता था। लल्लू ने वो किया जिसका अंदाजा माया देवी सपने में भी नही लगा सकती थी।
लल्लू ने माया देवी की पैंटी ही चाटनी शुरू कर दी। लल्लू की जुबान की पहली दस्तक पाते ही माया देवी की चूत कुलबुलाने लगी। लल्लू ने पैंटी को इस तरह मुंह में भर लिया जैसे वो इस पैंटी से माया देवी का निकला हुआ एक एक कतरा रस निचोड़ लेगा।
माया देवी: आह ओह लल्लू। आई मां।
माया देवी आहे भरती रही और लल्लू ने जब तक उनकी पैंटी को चाटना नही छोड़ा जब तक उसमे से माया देवी का पूरा रस न निचोड़ लिया। अब बारी थी माया देवी के बेशकीमती खजाने को बेपर्दे करने की। लल्लू ने अपने दोनो हाथ ले जाके माया देवी की पैंटी के दोनो साइड पर रख दिए। अपनी उंगलियां उसने इलास्टिक के अंदर फंसा दी। माया देवी को भी पता था की अगला अब क्या होने वाला है उन्होंने अपनी गांड़ हवा में उठा दी। सररररररर की आवाज के साथ एक ही झटके में माया देवी की पैंटी ने उनके जिस्म का साथ छोड़ दिया और अब वो इस कमरे के एक कोने में पड़ी थी।
लल्लू की आंखो के सामने अब माया देवी की चिकनी, सपाट और रसभरी चूत थी, जिसे देख लल्लू की आंखो में हवस के लाल डोरे तैरने लगे। उसकी जीव लपलपाने लगी। माया देवी ने जब लल्लू की आंखो में देखा तो इतनी हवस देख कर उन्हे खुद यकीन नही हुआ की ये वोही लल्लू है। एक औरत ही है जो मर्द की हवस को नाप तोल सकती है। जो माया देवी लल्लू को फंसा कर अपनी इच्छाएं पूरी करना चाहती थी उन्हे पहली बार लल्लू से डर लगने लगा। वो अपनी टांग बंद करना चाहती थी पर लल्लू ने ऐसा होने न दिया। उसने टांगे तो बंद नहीं होने दी बल्कि वो माया देवी की चूत पर झुकता चला गया। उसकी लंबी ज़ुबान ने एक बार फिर माया देवी को सब कुछ भूलने पर मजबूर कर दिया। लल्लू माया देवी की चूत को बाहर से पूरी तरह चाट रहा था। वो चूत के ऊपरी कोने से गांड़ के छेद तक चाटता और गांड़ के छेद से चूत के ऊपरी भाग तक। माया देवी की आंखे बंद होती चली गई और वो लल्लू के सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी।
माया देवी: आह आ ह ओ आ चाट ऐसे ही।
लल्लू अब एक हाथ से माया देवी के भगनासे को छेड़ रहा था और जीव की कारीगरी बादस्तूर चालू थी। माया देवी इतने से ही हमले से अपनी गांड़ पटकने लगी। उनकी इच्छाएं अब परवान चढ़ने लगी और वो मस्ती के सागर में डूबती चली गई। वो क्या बडबडा रही थी उन्हे खुद नही मालूम।
माया देवी: आह चाट मादरचोद। उफ्फ आह ऐसे ही चाट बहन के लोड़े। आह ह आ
लल्लू ने जब माया देवी के मुंह से गाली सुनी तो उसने चूत चाटना छोड़ दिया पर भगनासा नही छोड़ा। जब कोई २ मिनट तक उन्हे लल्लू की जुबान का एहसास नही हुआ तो उन्होंने आंखे खोल दी और लल्लू के मासूम से चेहरे को उनकी तरफ घूरता पाया।
माया देवी: क्या हुआ आह। रुक क्यों गया लल्लू।
लल्लू: आपने मुझे गाली दी।
लल्लू की बात सुनकर माया देवी के चेहरे पर हंसी आ गई।
माया देवी: ये गलियां तो प्यार में दी हैं। जब प्रेम और उन्माद दोनो मिलते है तो जिस्म में एक अजीब तरह के तूफान उफनता हैं, और जब वो तूफान अपने चरम पर होता है प्रेम के साथ साथ गालियां भी निकलती है।
लल्लू: तो क्या मैं भी दे सकता हूं।
माया देवी: तुझे आती है गलियां जो औरत को अच्छी लगे ऐसे समय में। आती है तो बोल।
लल्लू ने थोड़ी देर सोचा फिर जो बोला उससे माया देवी की आंखे बंद होती चली गई।
लल्लू: कुतिया
माया देवी ने जैसे ही ये शब्द सुना उनकी चूत को एक सुकून सा मिला और उनकी आंखे बंद हो गई।
माया देवी: आह और कोई......
लल्लू: (बिना झिझके हुए) रण्डी
माया देवी ने जब ये शब्द सुना तो उन्होंने आंखे खोली और लल्लू की आंखो में देखने लगी। उन्होंने लल्लू की उंगलियां जो उनके भगनासे से खेल रही थी उन्हे वहा से हटाकर अपनी चूत के प्रविष्ट द्वार पर रख दिया और उसकी उंगलियां अंदर धकेलने लगी। जब उंगली ने वो रास्ता तय कर लिया तो उनकी आंखे बंद हो गई।
माया देवी: आह ओह और .......
लल्लू ने भी अब देर करना उचित नहीं समझा वो अपनी उंगलियां धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा। वो उंगलियों की हरकत करते हुए खड़ा हुआ और बिलकुल माया देवी के करीब पहुंच गया और उनके कानो के बिलकुल करीब पहुंचकर।
लल्लू: मेरी छिनाल।
माया देवी ने जब ये शब्द सुने तो उनकी आंखे भट्टे सी खुल गई। दोनो की आंखे मिल गई और न जाने क्या बात थी इस बार लल्लू की आंखो में की माया देवी खोती चली गई और लल्लू ने उनके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया। दोनो के होठ ऐसे जुड़े की हटने का नाम ही नही ले रहे थे।
लल्लू के हाथो की रफ्तार हर एक पल के साथ बड़ती जा रही थी। उधर माया देवी का ध्यान जब लल्लू के लन्ड पर गया तो उन्होंने लल्लू के लन्ड को अपनी मुट्ठी में भर लिया।
कभी लल्लू होठ चूसता तो कभी माया देवी। दोनो किसी प्रतिद्वंदी की तरह डटे हुए थे जिनकी मंजिल एक ही थी। पर इस खेल में लल्लू माया देवी पर भारी पड़ने वाला था जोकि माया देवी ने सोचा भी न था। माया देवी की गांड़ उचकने लगी। उनकी गांड़ की थिरकन से पता पड़ रहा था की वो किसी भी क्षण अपना धैर्य छोड़ सकती है। लल्लू ने माया देवी के होठों को छोड़ा और वापस नीचे माया देवी की चूत चाटने लगा।
लल्लू की लंबी जीव अब माया देवी की चूत की गहराइयों को नाप रही थी।
माया: आह चाट आह कुत्ते हट मत और तेज चाट।
जितनी तेजी से माया देवी चीखती उतनी ही तेजी से लल्लू की जुबान माया देवी की चूत को कुरेदती। लल्लू अपनी जीव की नोक से बनाकर माया देवी को अपनी जुबान से ही चोदने लगा। इस हमले से माया देवी बेकाबू हो गई और अपना सर पटकने लगी।
माया देवी: आह हा ऐसे ही आह कर मादरचोद। ऐसे ही आह चोद आह आई
और माया देवी के सब्र का बांध टूट गया और वो झड़ने लगी और इतना झड़ी जितना जीवन में कभी नही।
वो झड़ती रही और लल्लू चाटता रहा।
एक भी कतरा लल्लू ने गिरने नही दिया। माया देवी को एहसास भी नही था की उन्होंने लल्लू के सिर को अपनी चूत पर जकड़ा हुआ है। जब उन्हे इसका आभास हुआ तब उन्होंने लल्लू के सिर से हाथ हटाया। दोनो की आंखे मिली तो माया देवी ने शर्मा के अपनी आंखे नीचे कर ली। लल्लू ने माया देवी के दोनो द्वारपालो को जो वापस तन कर खड़े थे उन्हे अपनी मुट्ठी में भरा और माया देवी के कान की लॉ को अपने दांतों के बीच भर लिया।
माया देवी: आह उई ह ओ लल्लू।
लल्लू: लल्लू नही तेरा मालिक और तू मेरी रण्डी। क्या
माया देवी ने ये शब्द सुनते ही लल्लू की आंखो में देखा और वो मंत्रमुग्ध सी हो गई।
लल्लू: बता कौन हूं मैं।
माया देवी: आप मेरे मालिक और मैं आपकी रण्डी।
लल्लू: शाबाश मेरी रांड। आज से मेरे हर आदेश का पालन करना तेरा सबसे बड़ा कर्तव्य है।
लल्लू ने अब माया देवी जैसी गदराई औरत को किसी पुष्प की भाती अपनी बाहों में समेट लिया और उठाके कमरे की तरफ ले जाने लगा। लल्लू का लन्ड अब भी किसी रॉड की भाती कड़ा और खड़ा था। उसने माया देवी की पलंग पर लाके पटक दिया। लल्लू खुद उसके ऊपर लेट गया। दोनो एक दूसरे को देख रहे थे की माया देवी ने अपनी आंखे बंद कर ली क्योंकि लल्लू के लोड़े की पहली दस्तक माया देवी को अपनी चूत पर हुई। माया देवी की आंखे बंद ही रही पर जिस तरह उनके होठ बंद थे उससे अंदाजा लगाया जा सकता था की लल्लू का सुपाड़ा माया देवी की चूत को भेद चुका है। लल्लू ने भी अपने लन्ड को ऐसे ही रहने दिया और माया देवी की चुचियों का मर्दन करने लगा। माया देवी मात्र सुपाड़े को अपनी चूत में महसूस कर के खुद को पूर्ण महसूस करने लगी। उन्हे वो सुख मिलने लगा जिससे वो आज तक वंचित थी। कुछ ही पलों में माया देवी की गांड़ हरकत करने लगी। वो अब पूरा लन्ड अपने अंदर समा लेना चाहती थी पर वो भूल गई थी की ये केवल लन्ड नही है बल्कि हल्लवी लोड़ा है।
अगले ही पल माया देवी के होठ और आंखे दोनो खुल गई क्युकी लल्लू का विकराल लन्ड अपना आधा रास्ता तय कर चुका था। माया देवी चिहुंक पड़ी।
माया देवी: आह मां आ आराम से लल्लू आई।
पर लल्लू अब कहा माया देवी का लल्लू था वो तो अब पूर्ण रूप से पिशाच बन चुका था। उसने माया देवी के होठों को वापस अपने होठों की गिरफ्त में लिया। माया देवी की चीख उसके गले में ही घूट कर रह गई और आंखे बाहर को आ गई। लल्लू जड़ तक अपना विकराल लन्ड माया देवी की चूत में बाड़ चुका था। माया देवी दर्द से तिलमिला उठी और अपने पैर पटकने लगी पर लल्लू की गिरफ्त इतनी मजबूत थी की माया देवी टस से मस न हो सकी। लल्लू हल्के हल्के अपनी गांड़ हिलाने लगा। तीन तरफ से माया देवी के जिस्म पर हमला हो रहा था। पहले उसके होठ लल्लू की गिरफ्त में , दूसरा लल्लू द्वारा उसकी चूचियों का मर्दन अभी भी जारी था और तीसरा लल्लू का लन्ड जो माया देवी को औरत होने का दर्जा दे रहा था।
वो क्षण भी आया जब माया देवी खुद से अपनी गांड़ उचकाने लगी। लल्लू को जब ये एहसास हुआ तो उसने माया देवी के होठों को छोड़ दिया।
माया देवी: आह मार दिया तूने कुत्ते आई उई मां। कितना दर्द दिया तूने कमीने।
लल्लू: ज्यादा दर्द हो रहा है तो निकाल लेता हू मेरी रण्डी।
माया देवी ने इतना सुना तो उसने लल्लू को बाहों में समेट लिया और अपनी टांगे लल्लू की कमर पर बांध दी। लल्लू सिर्फ माया देवी की आंखों में देख रहा था तो माया देवी ज्यादा देर तक लल्लू से नजरे नही मिला पाई और शर्म से उनकी आंखे बंद हो गई। लल्लू ने भी आधा लन्ड चूत से बाहर निकाला और वापस से अंदर ठेल दिया।
माया देवी: आह आह कुत्ता आई मां कितना बड़ा है तेरा आई।
लल्लू: क्या बड़ा है मेरा ताई मां।
ताई मां सुनते ही माया देवी ने वापस लल्लू की आंखो में देखा जहा शरारत और मस्ती भरी पड़ी थी। माया देवी भी कहा पीछे रहने वाली थी।
माया देवी: तेरा लोड़ा आह गधे जैसे है।
माया देवी की गांड़ अभी भी उचक रही थी। लल्लू ने धीरे धीरे अपनी रफ्तार बड़ा रहा था।
लल्लू: बड़ा है तो निकाल लू।
माया देवी ने और कस के लल्लू को जकड़ लिया।
माया देवी: निकल नही। चोद मुझे। इस शरीर के सारे कस बल निकाल दे। चोद कुत्ते चोद मुझे। आह ओह आह
माया देवी लल्लू को उकसाने लगी और लल्लू भी अपनी रफ्तार बढ़ाता गया। लल्लू के हर धक्के पर माया देवी की गांड़ ऊचक कर उसका स्वागत करती। हर धक्के के साथ लल्लू का लन्ड माया देवी की चूत की नई गहराइयां नापता। हर धक्का माया देवी की बच्चेदानी पर दस्तक देता। ये वोह क्षेत्र था जिसका भेदन आज तक कोई नही कर पाया था।
माया देवी: आह ह आ ओ ऊ आई ऐसे ही चोद मुझे। इतना मजा कभी भी नही आया। मादरचोद चोद अपनी ताई मां को ऐसे ही। आह ओह
लल्लू की रफ्तार तो थमने का नाम ही नही ले रही थी। लल्लू के भारी भरकम गोटे माया देवी की गांड़ से टकरा रहे थे। पूरे कमरे में दो ही आवाज आ रही थी एक तो माया देवी की आहे दूसरी दो प्यासे जिस्मों के मिलन की ठप ठप।
लल्लू: ताई मां नही रण्डी है तू मेरी। कौन है तू।
लल्लू ने माया देवी की गर्दन को पकड़ लिया और तूफानी गति से चोदने लगा। माया देवी को लल्लू का युंह दबदबा दिखाना और रोमांचित और उत्तेजक लग रहा था।
माया देवी: आह आह रण्डी आह उई हूं मैं तेरी।
लल्लू: आह अब से मुझे तेरी चूत रोज चाहिए। समझी रण्डी।
और धक्कों की रफ्तार बड़ा दी।
माया देवी: आह रोज दूंगी। आह मैया अब मैं खुद तेरे लन्ड के बिना ओ आ ह कहां रह पाऊंगी।
माया देवी को अपने अंदर से कुछ उबलता हुआ महसूस होने लगा। वो आज दूसरी बार झड़ने जा रही थी। ताज्जुब उसे ये भी था की अब तक लल्लू ने झड़ने के कोई लक्षण नजर नहीं आए है। लल्लू ने अपना लन्ड निकाला और एक बार फिर अपना मुंह माया देवी की चूत से लगा दिया। जब तक वो चूत चाटता रहा जब तक माया देवी का बांध एक बार फिर न टूट गया। इस बार भी लल्लू ने एक कतरा भी इधर उधर न गिरने दिया। माया देवी के हाथ लल्लू के बालो को सहला रहे थे।
लल्लू: अपना रस चखेगी रण्डी।
इस से पहले माया देवी कुछ बोलती लल्लू ने वापस माया देवी के होठों को गिरफ्त में ले लिया। माया देवी अपनी जुबान से लल्लू के होठों पे लगा हुआ अपना रस चाटने लगी। माया देवी को यकीन ही नहीं हुआ इतना करने भर से ही एक बार फिर उनकी चूत मचलने लगी। उसे वापस लल्लू का लन्ड अपने अंदर चाहिए था। लल्लू ने भी माया देवी की अवस्था को समझते हुए उन्हे अपने उपर ले लिया। दोनो के होठ अभी भी जुड़े हुए थे पर माया देवी समझ गई की अब उनकी बारी है, अब उन्हे इस घोड़े जैसे लोड़े की सवारी करनी है। माया देवी ने हाथ नीच ले जाकर उस मूसल लोड़े को निशाने पर लगाया। माया देवी कुछ करती की उससे पहले लल्लू ने माया देवी को बाहों ने जकड़ा और इतना करारा धक्का मारा की लल्लू का लन्ड सीधे उनकी बच्चेदानी से जा टकराया।
माया देवी: आह मां ओह ह कितना कुत्ता है तू। हरामी मार दिया। आई मां।
लल्लू ने एक बार फिर माया देवी की चुचियों को अपने मुंह में पनाह दी। वो माया देवी की बड़ी बड़ी चूचियों को बारी बारी चूसता। थोड़ी ही देर ने माया देवी की कमर चलने लगी और एक बार फिर दो जिस्मों के मिलन की थाप कमरे में गूंजने लगी।
माया देवी: आह लल्लू ओह मां आई आह उफ्फ आई
जहा माया देवी अपनी कमर की थिरक को बड़ाए जा रही थी वही लल्लू ने भी उनकी ताल से ताल मिलाना शुरू कर दिया। वो भी नीचे से अपना लन्ड माया देवी की चूत में ठेलने लगा। हर धक्का अब माया देवी को चरम की नई परिकाष्ठाए सीखा रहा था। बच्चेदानी पर पड़ रही हर ठोकर माया देवी को लज्जत की नई दुनिया में ले जा रही थी।
माया देवी: आह चोद साले और तेज चोद आह मां लल्लू तेरी गुलाम हूं आज से आह मां।
लल्लू: गुलाम तो तू है ही मेरी रण्डी। और खा मेरा लोड़ा।
माया देवी: आह चोदो आई मां मर गई चोदो उफ्फ मैं आह फिर से आह आने वाली हूं।
इस बार लल्लू नही रोका वो तूफानी गति से माया देवी की चूत का भेदन करता रहा। पूरे कमरे में दो जिस्मों के मिलन की थाप और माया देवी की आहों का मिश्रित संगीत गूंज रहा था। माया देवी लल्लू के लन्ड के सामने एक बार फिर हार गई और झड़ने लगी पर ये झड़ना कोई मामूली झड़ना नही था ऐसा लग रहा था जैसे माया देवी ने मूत दिया हो।
जैसे ही माया देवी का झड़ना खतम हुआ लल्लू ने माया देवी जैसी गदराई औरत को गोद में उठा लिया और वापस से चोदने लगा। माया देवी हैरान परेशान थी की इतना असीम बल कहा से आ गया लल्लू में, वो उसकी मर्दानगी की कायल हो गई थी, जो पिछले एक घंटे से लगातार चोदे जा रहा था।
माया देवी भी कम चुदासी औरत नही थी, कोई ५ मिनट बाद ही वो लल्लू की ताल से ताल मिलाने लगी।
माया देवी: आह आई और आह चोद। मां आई ओह चोद चोद के भोसड़ा बना दे। आह आई
लल्लू: आह अभी तो चोदना शुरू किया है रण्डी, अब तू देख कहा कहा और कैसे कैसे चुदती है।
लल्लू का बार बार उन्हें रण्डी बोलना, माया देवी को बहुत कामुक और उत्तेजक लग रहा था। माया देवी ने हर मर्द के उपर अपना हाथ रखा है चाहे वो उनका पति हो या उनका कोई यार, पर आज पहली बार किसी मर्द ने माया देवी को अपने हाथ के नीचे रखा है, उनको लल्लू का यूं दबदबा दिखाना बहुत रोमांचित कर रहा था।
माया देवी पलंग पर लेटी हुई थी उनकी दोनो टांगे लल्लू के कंधे पर थी और लल्लू दनादन उनकी चूत की धज्जियां उड़ाए जा रहा था। माया देवी कितनी बार झड़ी वो गिनती
भूल चुकी थी। पूरा कमरा चुदाई रस से महक रहा था। वो लल्लू की मर्दानगी के आगे घुटने टेक चुकी थी।
माया देवी: आह ह ओह चोद कुत्ते। आज आह ओह तूने मुझे पूर्ण रूप से आह औरत होने का दर्जा दिया है। आह ओह
लल्लू: एक औरत एक मर्द से तब पूर्ण होती है जब वो उसका बच्चा जनती है। बोल जनेगी मेरा बच्चा। बोल मेरी रण्डी।
माया देवी को लल्लू की बातो ने चकरा दिया। उनकी समझ में ये तो आ गया की उनका लल्लू अब लल्लू नही रहा। पर वो उन्माद की उस किश्ति में सवार थी जो नदी के बहाव के साथ ही पार लग सकती थी।
माया देवी: हा मेरे राजा मेरे मालिक मैं जनूंगी तुम्हारे बच्चे। बस मुझे ऐसे ही चोदते रहना। आह उफ्फ ह ओ आ
लल्लू की गति भी अब तूफानी हो गई थी। वो किसी भी क्षण अपना सब्र खो सकता था। उसकी गुर्राहट इस बात का सबूत थी।
लल्लू: आह आर आह ले मेरा लोड़ा। तेरी चूत अब कभी खाली नही रहेगी। तेरे पेट में हर साल बच्चा दूंगा मेरी रण्डी। आह ओह
माया देवी भी लल्लू को उकसा रही थी, क्योंकि वो लल्लू के अंदर उबल रहे उबाल को महसूस कर रही थी। लल्लू के लन्ड की तनी हुई नसे वो हर धक्के के साथ अपनी चूत के अंदर महसूस कर रही थी। वो भी अपनी गांड़ उछाल उछाल कर लल्लू के लन्ड को पूरा जड़ तक अन्दर लेने की पूरी कोशिश कर रही थी।
लल्लू: मैं आया मेरी रण्डी। संभाल मेरा पानी। आह गगरररंररर आआआआ
लल्लू के लन्ड से निकली पहली धार के साथ ही माया देवी ने इक बार चरम को प्राप्त किया। लन्ड और चूत दोनो अपने मदन रस से ऐक दूसरे को भिगोने पर तुले हुए थे। ना जाने कितनी देर तक दोनो झड़ते रहे। माया देवी ने लल्लू को अपनी बाहों में समेट लिया। लल्लू भी उनकी चुचियों पर सिर रख अपनी सांसे दुरुस्त करने लगा। लल्लू का लन्ड अभी माया देवी की चूत के अंदर ही था और उसका तनाव अभी भी हल्का हल्का बरकरार था। इस बात का एहसास होते ही माया देवी के मन से एक ही आवाज निकली "वाह लल्लू"
सुधा के लिए आज की रात कयामत की रात थी। पिछले दो रातों से उसे लल्लू की ऐसी आदत पड़ गई थी की आज दूर दूर तक नींद उसकी आंखो में नही थी। वो अपने कमरे और अपने बिस्तर पर बिलकुल नंगी लेटी हुई थी। वो दो बार अपनी चूत का पानी निकाल चुकी थी पर अभी भी उसे संतुष्टि नहीं मिली थी। अभी भी उसकी उंगलियां उसकी चूत के अंदर ही थी, वो एक बारी फिर झड़ना चाहती थी। वो मन में बार बार यही बोल रही थी " क्यू चला गया लल्लू। अपनी बीवी को अकेला छोड़ कर। जल्दी से आजा और बुझा अपनी बीवी की प्यास, आह लल्लू"।