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Fantasy लव का अलौकिक सप्ताह (Complete)

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Day 1: ROSE DAY

"भैया, सुनो एक बात बतानी थी आपको।" लवकेश स्कूल जाने के लिए घर से निकला ही था की सामने पड़ोस में रहते शर्मा परिवार की 18 साल की बेटी, चिंकी, जिसे सब प्यार से 'चुटकी' कहते है उसने रोक लिया।

लवकेश; १०वीं कक्षा में पढ़ रहा 20 साल का शांत और सुशील किशोर है। वह सबको बड़े ही आदर-भाव से बुलाता है और इसीलिए मोहल्ले में सभी उसे चाहते है। सब प्यार से उसे 'लव' कहकर पुकारते है। मोहल्ले में उसके बहुत से मित्र है जो उसी की तरह है पर वे सब लवकेश को अपना लीडर मानते है। लवकेश पढाई में भी काफी होशियार है मगर उसकी किस्मत इतनी ख़राब है की जब भी उसे कोई महत्वपूर्ण कार्य करना होता तब ही कुछ ऐसा हो जाता की उसे असफल होना पड़ता और इसी वजह से अपनी किस्मत के लिए वह चिंतित रहता। और इसबार तो उसे सबसे ज्यादा चिंता है की उसकी बोर्ड की परीक्षा सही जाए। लेकिन अभी उसे पता नहीं है की यह किस्मत नहीं मगर कुछ ओर ही है जो उसे परेशान कर रहा है और इस बात से वह अंजान है की बहुत जल्द उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला है जिसकी उसे कल्पना भी नहीं।

"क्या बात है, चुटकी?" लवकेश ने अपनी बेग के पॉकेट में रखी पानी की बोतल को तलाशते हुए पूछा।

"भैया, मैंने आज सुबह एक ख्वाब देखा, जिसमें आप अचानक बड़े हो गए हो।" चुटकी ने कहा।

"हाँ तो, मैं तो तुमसे बडा ही हूँ।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।

"वैसे नहीं, मेरा मतलब बाकी हमारे जो मोहल्ले के दूसरे बड़े हेना जो आपसे भी बड़े है।" चुटकी ने बोला।

"अच्छा। अभी समझा मैं। वो जो कॉलेज जाते है वही न!" लवकेश ने कहा।

"हाँ, भैया।" चुटकी बोली।

"तब तो अच्छा ख्वाब आया तुझे, चुटकी, मैं तो वैसे भी बोर्ड की परीक्षा से डरा हुआ हूँ। अगर तेरा ये ख्वाब सच हो जाये तो उससे बढ़िया तो ओर कुछ हो ही नहीं सकता।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।

"नहीं, आगे तो सुनो। मैंने देखा की आप हम सब से दूर भागते है और किसीसे भी ठीक तरह से बात नहीं करते, मुझसे भी नहीं, मानो जैसे हम आपके कोई हे ही नहीं। फिर यह ख्वाब अच्छा कैसे हुवा?" चुटकी नाराज होकर बोली।

"अरे, नाराज़ क्यों हो रही हो?" लवकेश ने घुटने पे होकर चुटकी के दोनों हाथों को पकड़ा, "चाहे कुछ भी हो जाए, मैं तुमसे कभी दूर नहीं हो सकता। तू जानती है ना मुझे! मैं तुझे अपनी छोटी बहन मानता हूँ और तुझसे प्यारा मेरे लिए कोई ओर हो ही नहीं सकता।"

"तो फिर वादा करो की कभी मुझे छोड़कर नहीं जाओगे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए बोला।

"पक्का वादा," लवकेश ने कहा, "अभी तो मैं चलू, वरना मेरी बस छूट जाएगी तो क्लास मिस हो जाएगी और तू क्या चाहती है की फिर से मुझे मेरी टीचर डाटे? तू जानती है न की मेरी किस्मत कितनी उलझनों से घिरी रहती है।"

"बस दो मिनिट रुको भैया, मैं अभी आई," कहकर चुटकी तुरंत दौड़कर घर में गई और वापस आई। उसके हाथ में एकदम नया गुलाब था जो प्लास्टिक का था, "ये लो भैया आपके लिए।" चुटकी ने वह गुलाब लवकेश को दिया।पर ये तो तुझे तेरी दोस्त ने अभी दिवाली के दिन ही दिया था न, तेरे जन्मदिन का गिफ्ट।" लवकेश बोला।

"हाँ, पर ये गिफ्ट उसने मुझे मेरे गुडलक की तरह दिया था पर मेरे पास तो आप सब हो तो मुझसे ज्यादा आपको इसकी जरूरत है," चुटकी ने कहा, "चाहे आप किसी भी मुसीबत में होंगे पर अंत में तो यही आपको वापस लायेगा।"

"चुटकी, तेरे जैसा कोई नहीं। तू इस मोहल्ले की शान है।" लवकेश ने गुलाब को संभालकर अपनी बेग में रख दिया।

"और आप इस मोहल्ले की जान हो, भैया। जो आपने दिवाली के दिन किया था वो कोई सोच भी नहीं सका। आप ही की वजह से तो आज पूरा मोहल्ला एक परिवार की तरह रह रहा है नहींतो सब अपने आप में ही गुम थे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए कहा।

"हाँ, कभी-कभार मेरी किस्मत काम भी कर जाती है।" लवकेश बोला।

"अब जाओ, वरना फिर आप मुझे कहोगे की तेरी वजह से मुझे देर हो गई।" इतना कहकर चुटकी हस्ते हुए वहां से निकल गई।

"वाह बच्चू, तेरा भी कोई जवाब नहीं रे, चुटकी।" लवकेश बोला। और बस छूट न जाए इस वजह से अपनी चलने की रफ्तार बढ़ा कर जल्दी से चलने लगा
 
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ashish_1982_in

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Day 1: ROSE DAY

"भैया, सुनो एक बात बतानी थी आपको।" लवकेश स्कूल जाने के लिए घर से निकला ही था की सामने पड़ोस में रहते शर्मा परिवार की आठ साल की बेटी, चिंकी, जिसे सब प्यार से 'चुटकी' कहते है उसने रोक लिया।

लवकेश; १०वीं कक्षा में पढ़ रहा १५ साल का शांत और सुशील किशोर है। वह सबको बड़े ही आदर-भाव से बुलाता है और इसीलिए मोहल्ले में सभी उसे चाहते है। सब प्यार से उसे 'लव' कहकर पुकारते है। मोहल्ले में उसके बहुत से मित्र है जो उसी की तरह है पर वे सब लवकेश को अपना लीडर मानते है। लवकेश पढाई में भी काफी होशियार है मगर उसकी किस्मत इतनी ख़राब है की जब भी उसे कोई महत्वपूर्ण कार्य करना होता तब ही कुछ ऐसा हो जाता की उसे असफल होना पड़ता और इसी वजह से अपनी किस्मत के लिए वह चिंतित रहता। और इसबार तो उसे सबसे ज्यादा चिंता है की उसकी बोर्ड की परीक्षा सही जाए। लेकिन अभी उसे पता नहीं है की यह किस्मत नहीं मगर कुछ ओर ही है जो उसे परेशान कर रहा है और इस बात से वह अंजान है की बहुत जल्द उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला है जिसकी उसे कल्पना भी नहीं।

"क्या बात है, चुटकी?" लवकेश ने अपनी बेग के पॉकेट में रखी पानी की बोतल को तलाशते हुए पूछा।

"भैया, मैंने आज सुबह एक ख्वाब देखा, जिसमें आप अचानक बड़े हो गए हो।" चुटकी ने कहा।

"हाँ तो, मैं तो तुमसे बडा ही हूँ।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।

"वैसे नहीं, मेरा मतलब बाकी हमारे जो मोहल्ले के दूसरे बड़े हेना जो आपसे भी बड़े है।" चुटकी ने बोला।

"अच्छा। अभी समझा मैं। वो जो कॉलेज जाते है वही न!" लवकेश ने कहा।

"हाँ, भैया।" चुटकी बोली।

"तब तो अच्छा ख्वाब आया तुझे, चुटकी, मैं तो वैसे भी बोर्ड की परीक्षा से डरा हुआ हूँ। अगर तेरा ये ख्वाब सच हो जाये तो उससे बढ़िया तो ओर कुछ हो ही नहीं सकता।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।

"नहीं, आगे तो सुनो। मैंने देखा की आप हम सब से दूर भागते है और किसीसे भी ठीक तरह से बात नहीं करते, मुझसे भी नहीं, मानो जैसे हम आपके कोई हे ही नहीं। फिर यह ख्वाब अच्छा कैसे हुवा?" चुटकी नाराज होकर बोली।

"अरे, नाराज़ क्यों हो रही हो?" लवकेश ने घुटने पे होकर चुटकी के दोनों हाथों को पकड़ा, "चाहे कुछ भी हो जाए, मैं तुमसे कभी दूर नहीं हो सकता। तू जानती है ना मुझे! मैं तुझे अपनी छोटी बहन मानता हूँ और तुझसे प्यारा मेरे लिए कोई ओर हो ही नहीं सकता।"

"तो फिर वादा करो की कभी मुझे छोड़कर नहीं जाओगे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए बोला।

"पक्का वादा," लवकेश ने कहा, "अभी तो मैं चलू, वरना मेरी बस छूट जाएगी तो क्लास मिस हो जाएगी और तू क्या चाहती है की फिर से मुझे मेरी टीचर डाटे? तू जानती है न की मेरी किस्मत कितनी उलझनों से घिरी रहती है।"

"बस दो मिनिट रुको भैया, मैं अभी आई," कहकर चुटकी तुरंत दौड़कर घर में गई और वापस आई। उसके हाथ में एकदम नया गुलाब था जो प्लास्टिक का था, "ये लो भैया आपके लिए।" चुटकी ने वह गुलाब लवकेश को दिया।पर ये तो तुझे तेरी दोस्त ने अभी दिवाली के दिन ही दिया था न, तेरे जन्मदिन का गिफ्ट।" लवकेश बोला।

"हाँ, पर ये गिफ्ट उसने मुझे मेरे गुडलक की तरह दिया था पर मेरे पास तो आप सब हो तो मुझसे ज्यादा आपको इसकी जरूरत है," चुटकी ने कहा, "चाहे आप किसी भी मुसीबत में होंगे पर अंत में तो यही आपको वापस लायेगा।"

"चुटकी, तेरे जैसा कोई नहीं। तू इस मोहल्ले की शान है।" लवकेश ने गुलाब को संभालकर अपनी बेग में रख दिया।

"और आप इस मोहल्ले की जान हो, भैया। जो आपने दिवाली के दिन किया था वो कोई सोच भी नहीं सका। आप ही की वजह से तो आज पूरा मोहल्ला एक परिवार की तरह रह रहा है नहींतो सब अपने आप में ही गुम थे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए कहा।

"हाँ, कभी-कभार मेरी किस्मत काम भी कर जाती है।" लवकेश बोला।

"अब जाओ, वरना फिर आप मुझे कहोगे की तेरी वजह से मुझे देर हो गई।" इतना कहकर चुटकी हस्ते हुए वहां से निकल गई।

"वाह बच्चू, तेरा भी कोई जवाब नहीं रे, चुटकी।" लवकेश बोला। और बस छूट न जाए इस वजह से अपनी चलने की रफ्तार बढ़ा कर जल्दी से चलने लगा
congrats for new story
 

johnsamuri

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"भैया, सुनो एक बात बतानी थी आपको।" लवकेश स्कूल जाने के लिए घर से निकला ही था की सामने पड़ोस में रहते शर्मा परिवार की आठ साल की बेटी, चिंकी, जिसे सब प्यार से 'चुटकी' कहते है उसने रोक लिया।

लवकेश; १०वीं कक्षा में पढ़ रहा १५ साल का शांत और सुशील किशोर है। वह सबको बड़े ही आदर-भाव से बुलाता है और इसीलिए मोहल्ले में सभी उसे चाहते है। सब प्यार से उसे 'लव' कहकर पुकारते है। मोहल्ले में उसके बहुत से मित्र है जो उसी की तरह है पर वे सब लवकेश को अपना लीडर मानते है। लवकेश पढाई में भी काफी होशियार है मगर उसकी किस्मत इतनी ख़राब है की जब भी उसे कोई महत्वपूर्ण कार्य करना होता तब ही कुछ ऐसा हो जाता की उसे असफल होना पड़ता और इसी वजह से अपनी किस्मत के लिए वह चिंतित रहता। और इसबार तो उसे सबसे ज्यादा चिंता है की उसकी बोर्ड की परीक्षा सही जाए। लेकिन अभी उसे पता नहीं है की यह किस्मत नहीं मगर कुछ ओर ही है जो उसे परेशान कर रहा है और इस बात से वह अंजान है की बहुत जल्द उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला है जिसकी उसे कल्पना भी नहीं।

"क्या बात है, चुटकी?" लवकेश ने अपनी बेग के पॉकेट में रखी पानी की बोतल को तलाशते हुए पूछा।

"भैया, मैंने आज सुबह एक ख्वाब देखा, जिसमें आप अचानक बड़े हो गए हो।" चुटकी ने कहा।

"हाँ तो, मैं तो तुमसे बडा ही हूँ।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।

"वैसे नहीं, मेरा मतलब बाकी हमारे जो मोहल्ले के दूसरे बड़े हेना जो आपसे भी बड़े है।" चुटकी ने बोला।

"अच्छा। अभी समझा मैं। वो जो कॉलेज जाते है वही न!" लवकेश ने कहा।

"हाँ, भैया।" चुटकी बोली।

"तब तो अच्छा ख्वाब आया तुझे, चुटकी, मैं तो वैसे भी बोर्ड की परीक्षा से डरा हुआ हूँ। अगर तेरा ये ख्वाब सच हो जाये तो उससे बढ़िया तो ओर कुछ हो ही नहीं सकता।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।

"नहीं, आगे तो सुनो। मैंने देखा की आप हम सब से दूर भागते है और किसीसे भी ठीक तरह से बात नहीं करते, मुझसे भी नहीं, मानो जैसे हम आपके कोई हे ही नहीं। फिर यह ख्वाब अच्छा कैसे हुवा?" चुटकी नाराज होकर बोली।

"अरे, नाराज़ क्यों हो रही हो?" लवकेश ने घुटने पे होकर चुटकी के दोनों हाथों को पकड़ा, "चाहे कुछ भी हो जाए, मैं तुमसे कभी दूर नहीं हो सकता। तू जानती है ना मुझे! मैं तुझे अपनी छोटी बहन मानता हूँ और तुझसे प्यारा मेरे लिए कोई ओर हो ही नहीं सकता।"

"तो फिर वादा करो की कभी मुझे छोड़कर नहीं जाओगे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए बोला।

"पक्का वादा," लवकेश ने कहा, "अभी तो मैं चलू, वरना मेरी बस छूट जाएगी तो क्लास मिस हो जाएगी और तू क्या चाहती है की फिर से मुझे मेरी टीचर डाटे? तू जानती है न की मेरी किस्मत कितनी उलझनों से घिरी रहती है।"

"बस दो मिनिट रुको भैया, मैं अभी आई," कहकर चुटकी तुरंत दौड़कर घर में गई और वापस आई। उसके हाथ में एकदम नया गुलाब था जो प्लास्टिक का था, "ये लो भैया आपके लिए।" चुटकी ने वह गुलाब लवकेश को दिया।पर ये तो तुझे तेरी दोस्त ने अभी दिवाली के दिन ही दिया था न, तेरे जन्मदिन का गिफ्ट।" लवकेश बोला।

"हाँ, पर ये गिफ्ट उसने मुझे मेरे गुडलक की तरह दिया था पर मेरे पास तो आप सब हो तो मुझसे ज्यादा आपको इसकी जरूरत है," चुटकी ने कहा, "चाहे आप किसी भी मुसीबत में होंगे पर अंत में तो यही आपको वापस लायेगा।"

"चुटकी, तेरे जैसा कोई नहीं। तू इस मोहल्ले की शान है।" लवकेश ने गुलाब को संभालकर अपनी बेग में रख दिया।

"और आप इस मोहल्ले की जान हो, भैया। जो आपने दिवाली के दिन किया था वो कोई सोच भी नहीं सका। आप ही की वजह से तो आज पूरा मोहल्ला एक परिवार की तरह रह रहा है नहींतो सब अपने आप में ही गुम थे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए कहा।

"हाँ, कभी-कभार मेरी किस्मत काम भी कर जाती है।" लवकेश बोला।

"अब जाओ, वरना फिर आप मुझे कहोगे की तेरी वजह से मुझे देर हो गई।" इतना कहकर चुटकी हस्ते हुए वहां से निकल गई।

"वाह बच्चू, तेरा भी कोई जवाब नहीं रे, चुटकी।" लवकेश बोला। और बस छूट न जाए इस वजह से अपनी चलने की रफ्तार बढ़ा कर जल्दी से चलने लगा
Shai hai bhai valentines week hai
Bhahut acha chocalete flower and things related to all this will be in great demand
Update is very good bhai
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बस-स्टॉप पर पहुँचते ही लवकेश ने देखा की बस अभी निकली नहीं है तो तब उसने राहत की साँस ली। बस-स्टॉप काफी बड़ा था। अलग-अलग रूट की तकरीबन २-३ बस वहां आती थी। यहीं से टाउन से निकलने का रास्ता था तो इसी कारण बस-स्टॉप काफी भरा रहता।

बस में चढ़ने से पहले लवकेश का ध्यान उस तरफ गया जहां कॉलेज में पढ़ रहे उनके मोहल्ले के और टाउन के दूसरे छात्र एक जगह काफी भीड़ जमाए खड़े थे। लवकेश ने ध्यान से देखा की वे सभी एक गुलाब बेचने वाले के पास इकठ्ठा हुए है और गुलाब खरीद रहे है।

"लव, क्या कर रहा है? अंदर आजा यार तेरे लिए जगह रखी है मैंने।" बस के अंदर से लवकेश के खास मित्र, केशव ने आवाज़ लगाई।

"आया मेरे भाई," कहकर लवकेश बस के अंदर केशव के पास गया और उसके बगल में खाली सीट पर बैठ गया, "THANKS यार, तूने मेरे लिये जगह रखी।"

"उसमें क्या THANKS यार। मुझे लगा आज हद से ज्यादा भीड़ है तो कहीं तेरी जगह न चली जाए।" केशव बोला।

"और तू तो हमारा लीडर है न, फिर तुम्हें खड़े कैसे रहने देते।" आगे बैठे ग्रूप में से एक लड़की बोली। उसके साथ सभी ग्रुप भी लवकेश की ओर हो गए।

"अच्छा। पर ये बताओ की आज मेरे साथ आने के बजाए तुम सब यहाँ पहले ही क्यों आ गए?" लवकेश ने सबकी तरफ देखकर पुछा।

"इतनी जल्दी भूल गया तू? कल ही तो तूने बताया था की तुझे देर होगी तो सीधे बस-स्टॉप पे मिलेंगे।" केशव बोला।

"अच्छा। मैंने ऐसा कहा था? मैं भूल गया।" लवकेश बोला।

"आज-कल तू कुछ ज्यादा ही भूल रहा है। कहीं हमें भी न भूल जाना।" दूसरी तरफ वाली सीट पर बैठे मोहित ने कहा।

"कैसी बात कर रहा है, मोहित? ऐसा कभी हो सकता है भला।" लवकेश ने कहा।

"तेरा कुछ कह नहीं सकते, लव। कल किसने देखा, सही न?" पीछे तरफ की सीट पर बैठी प्रीति बोली।

"तुझे ऐसा क्यों लगता है, प्रीति?" लवकेश ने प्रीति की तरफ देखकर पूछा।

"क्योंकि अभी तो हम स्कूल में है, आगे २ साल बाद कॉलेज में आकर नए मित्र बनेंगे तो हो सकता है की तुम हमें भूल जाओ।" प्रीति ने कहा।

"नहीं-नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। वहां उस ओर देखो," केशव ने दूर गुलाब खरीद रहे कॉलेज के छात्रों की तरफ इशारा करके कहा, "यह सभी लोग भी तो हमारी तरह स्कूल में ही थे न। आज भी साथ ही है तो अगर ये लोग जुदा नहीं हुए तो भला हम कैसे हो जायेंगे।"

"अरे हां यार, ये तो मैं पूछना भूल ही गया की आज काफी शोर मचा रखा है इन लोगों ने।" लवकेश बोला।

"आज ROSE DAY है ना इसलिए।" केशव बोला।

"अभी पुरे सात-आठ दिन इनके मानो छुट्टियां है। घूमेंगे-फिरेंगे बस।" मोहित बोला।

"ये अच्छा है। कॉलेज में काफी मज़ा आता होगा। ज़्यादा किताबें नहीं ले जाना और कोई रोक-टोक नहीं। पता नहीं हम कब कॉलेज जायेंगे?" लवकेश बोला।

"तू अगर जाना चाहे तो अभी जा सकता है। हमारी जो नहीं हो सकी भाभी...तुझे सब सीखा देगी।" केशव ने हस्ते हुए कहा और यह सुनकर सभी मित्र भी जोर-जोर से हंसने लगे।

"क्या मतलब?" लवकेश ने पूछा।

"'रोज़' की बात कर रहा है वो," मोहित ने कहा, "वही लड़की जो तुझपे फ़िदा है।" सब लोग फिर हंसने लगे।

"ऐसा कुछ भी नहीं है।" लवकेश ने कहा।

"अच्छा तो ये बता की जब उसके भाई की शादी थी तब उसने सबके सामने ऐसा क्यों कहा था की अगर लव मेरे साथ कॉलेज में होता तो मैं उससे शादी कर लेती!" केशव बोला।ऐसा नहीं है। उन्हों ने तो बस ऐसे ही मजाक में बोल दिया था। उन्हें मुझे चिढ़ाने में मज़ा आता है सो।" लवकेश ने कहा।

"हमें तो ऐसा नहीं लगता। वो देख गुलाब का फूल लिए इसी तरफ देख रही है वो।" केशव ने कॉलेज छात्रों के ग्रुप की तरफ इशारा करते कहा जहां रोज़ अपने ग्रुप के साथ हाथ में फूल लिए खड़ी है। जब उसका ध्यान बस की तरफ लवकेश और उसके मित्रों की ओर जाता है तो मुस्कराते हुए 'Hi' करके हाथ से इशारा करती है जिसे देखकर लवकेश के सभी मित्र लवकेश की ओर हस्ते हुए देखते है और लवकेश शरम से पानी-पानी हो जाता है।

"बड़े बदमाश है, वे भी और तुम सब भी," लवकेश चिढ़ते हुए बोलता है, "यार, ये हमारे बस के ड्राइवर कहां चले गए है? कहीं देर न हो जाये!"

"पता नहीं कहीं गए है, अभी तक नहीं आये।" मोहित बोला।

"आ गए। वो देखो। हाथ में टिफिन है, शायद खाना लाना भूल गए होंगे।" एक ओर से ड्राइवर को आते देख केशव बोला।

ड्राइवर बस में बैठकर अपना सामान ठीक कर रहा है। सब बातों में और फ़ोन में मशगूल थे। लवकेश ने कॉलेज के छात्रों को अपनी-अपनी गाड़ी में जाते हुए देखा।

उन्हें इतना उमंग और उल्लास में देखकर लवकेश बबड़ा, "जिंदगी हो तो ऐसी" फिर वह ऊपर आसमान की तरफ देखकर बोला, "है मेरी किस्मत, पुरे तन, मन और दिल से मेरी ख़्वाहिश है की मेरी भी इनकी तरह या एकदम अलग जिदंगी बना दे तो कभी भी तुझे कोसूंगा नहीं।"
 
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बस-स्टॉप पर पहुँचते ही लवकेश ने देखा की बस अभी निकली नहीं है तो तब उसने राहत की साँस ली। बस-स्टॉप काफी बड़ा था। अलग-अलग रूट की तकरीबन २-३ बस वहां आती थी। यहीं से टाउन से निकलने का रास्ता था तो इसी कारण बस-स्टॉप काफी भरा रहता।

बस में चढ़ने से पहले लवकेश का ध्यान उस तरफ गया जहां कॉलेज में पढ़ रहे उनके मोहल्ले के और टाउन के दूसरे छात्र एक जगह काफी भीड़ जमाए खड़े थे। लवकेश ने ध्यान से देखा की वे सभी एक गुलाब बेचने वाले के पास इकठ्ठा हुए है और गुलाब खरीद रहे है।

"लव, क्या कर रहा है? अंदर आजा यार तेरे लिए जगह रखी है मैंने।" बस के अंदर से लवकेश के खास मित्र, केशव ने आवाज़ लगाई।

"आया मेरे भाई," कहकर लवकेश बस के अंदर केशव के पास गया और उसके बगल में खाली सीट पर बैठ गया, "THANKS यार, तूने मेरे लिये जगह रखी।"

"उसमें क्या THANKS यार। मुझे लगा आज हद से ज्यादा भीड़ है तो कहीं तेरी जगह न चली जाए।" केशव बोला।

"और तू तो हमारा लीडर है न, फिर तुम्हें खड़े कैसे रहने देते।" आगे बैठे ग्रूप में से एक लड़की बोली। उसके साथ सभी ग्रुप भी लवकेश की ओर हो गए।

"अच्छा। पर ये बताओ की आज मेरे साथ आने के बजाए तुम सब यहाँ पहले ही क्यों आ गए?" लवकेश ने सबकी तरफ देखकर पुछा।

"इतनी जल्दी भूल गया तू? कल ही तो तूने बताया था की तुझे देर होगी तो सीधे बस-स्टॉप पे मिलेंगे।" केशव बोला।

"अच्छा। मैंने ऐसा कहा था? मैं भूल गया।" लवकेश बोला।

"आज-कल तू कुछ ज्यादा ही भूल रहा है। कहीं हमें भी न भूल जाना।" दूसरी तरफ वाली सीट पर बैठे मोहित ने कहा।

"कैसी बात कर रहा है, मोहित? ऐसा कभी हो सकता है भला।" लवकेश ने कहा।

"तेरा कुछ कह नहीं सकते, लव। कल किसने देखा, सही न?" पीछे तरफ की सीट पर बैठी प्रीति बोली।

"तुझे ऐसा क्यों लगता है, प्रीति?" लवकेश ने प्रीति की तरफ देखकर पूछा।

"क्योंकि अभी तो हम स्कूल में है, आगे २ साल बाद कॉलेज में आकर नए मित्र बनेंगे तो हो सकता है की तुम हमें भूल जाओ।" प्रीति ने कहा।

"नहीं-नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता। वहां उस ओर देखो," केशव ने दूर गुलाब खरीद रहे कॉलेज के छात्रों की तरफ इशारा करके कहा, "यह सभी लोग भी तो हमारी तरह स्कूल में ही थे न। आज भी साथ ही है तो अगर ये लोग जुदा नहीं हुए तो भला हम कैसे हो जायेंगे।"

"अरे हां यार, ये तो मैं पूछना भूल ही गया की आज काफी शोर मचा रखा है इन लोगों ने।" लवकेश बोला।

"आज ROSE DAY है ना इसलिए।" केशव बोला।

"अभी पुरे सात-आठ दिन इनके मानो छुट्टियां है। घूमेंगे-फिरेंगे बस।" मोहित बोला।

"ये अच्छा है। कॉलेज में काफी मज़ा आता होगा। ज़्यादा किताबें नहीं ले जाना और कोई रोक-टोक नहीं। पता नहीं हम कब कॉलेज जायेंगे?" लवकेश बोला।

"तू अगर जाना चाहे तो अभी जा सकता है। हमारी जो नहीं हो सकी भाभी...तुझे सब सीखा देगी।" केशव ने हस्ते हुए कहा और यह सुनकर सभी मित्र भी जोर-जोर से हंसने लगे।

"क्या मतलब?" लवकेश ने पूछा।

"'रोज़' की बात कर रहा है वो," मोहित ने कहा, "वही लड़की जो तुझपे फ़िदा है।" सब लोग फिर हंसने लगे।

"ऐसा कुछ भी नहीं है।" लवकेश ने कहा।

"अच्छा तो ये बता की जब उसके भाई की शादी थी तब उसने सबके सामने ऐसा क्यों कहा था की अगर लव मेरे साथ कॉलेज में होता तो मैं उससे शादी कर लेती!" केशव बोला।ऐसा नहीं है। उन्हों ने तो बस ऐसे ही मजाक में बोल दिया था। उन्हें मुझे चिढ़ाने में मज़ा आता है सो।" लवकेश ने कहा।

"हमें तो ऐसा नहीं लगता। वो देख गुलाब का फूल लिए इसी तरफ देख रही है वो।" केशव ने कॉलेज छात्रों के ग्रुप की तरफ इशारा करते कहा जहां रोज़ अपने ग्रुप के साथ हाथ में फूल लिए खड़ी है। जब उसका ध्यान बस की तरफ लवकेश और उसके मित्रों की ओर जाता है तो मुस्कराते हुए 'Hi' करके हाथ से इशारा करती है जिसे देखकर लवकेश के सभी मित्र लवकेश की ओर हस्ते हुए देखते है और लवकेश शरम से पानी-पानी हो जाता है।

"बड़े बदमाश है, वे भी और तुम सब भी," लवकेश चिढ़ते हुए बोलता है, "यार, ये हमारे बस के ड्राइवर कहां चले गए है? कहीं देर न हो जाये!"

"पता नहीं कहीं गए है, अभी तक नहीं आये।" मोहित बोला।

"आ गए। वो देखो। हाथ में टिफिन है, शायद खाना लाना भूल गए होंगे।" एक ओर से ड्राइवर को आते देख केशव बोला।

ड्राइवर बस में बैठकर अपना सामान ठीक कर रहा है। सब बातों में और फ़ोन में मशगूल थे। लवकेश ने कॉलेज के छात्रों को अपनी-अपनी गाड़ी में जाते हुए देखा।

उन्हें इतना उमंग और उल्लास में देखकर लवकेश बबड़ा, "जिंदगी हो तो ऐसी" फिर वह ऊपर आसमान की तरफ देखकर बोला, "है मेरी किस्मत, पुरे तन, मन और दिल से मेरी ख़्वाहिश है की मेरी भी इनकी तरह या एकदम अलग जिदंगी बना दे तो कभी भी तुझे कोसूंगा नहीं।"
Very nice update bhai
 
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तभी उसका ध्यान गुलाब के फूल बेचने वाले पे पड़ा। लवकेश ने देखा की वह फूलवाला कुछ ढूंढ रहा है और यहीं लवकेश ने देखा की उसकी बस के पास ही गुलाब का एक फूल गिरा हुवा है और यह देखकर उसने अनुमान लगाया की शायद वह इसे ही ढूंढ रहा है तो वह तुरंत खड़ा हो गया और अपनी बेग को अपनी सीट पर रखकर केशव को बोला, "केशव, देखना कोई मेरी सीट पर बैठ न जाये, मैं अभी आया।"

"अरे, कहां जा रहा है? बस निकलने वाली है अब।" केशव बोला।

"बस अभी आया तुरंत।" कहकर लवकेश बस से उतरा और जैसे ही उसने वह गुलाब का फूल हाथ में लिया की तुरंत वह गुलाब लाल से काला पड गया। यह देखकर लवकेश चौंक उठा की तभी अचानक आसमान में ज़ोर से बिजली चमकी और उसकी गूंज से लवकेश के मानो होश ही उड़ गए। बिजली की रोशनी से उसकी आंखे अंजा गई और उसको पुरे शरीर में से जैसे सारी मांसपेशीया अंदर ही अंदर खींच रही हो ऐसा उसे आभास होने लगा और वह जोर से चिल्लाकर जमीन पर ही गिर पड़ा। थोड़ी ही क्षणों में उसे होश आ गया और देखा की गुलाब का फूल बेचनेवाला वह आदमी उसके सामने खड़ा है जिसके हाथों में गुलाबों से भरी गठरी है।

"चल भाई पैसे दे मेरे तो मैं निकलू।" वह आदमी ने लवकेश से कहा।

"कोनसे पैसे भाईसाब?" लवकेश ने आश्चर्य से उसे पूछा।

"यही गुलाब के पैसे जो तूने अभी ख़रीदा है।" उस आदमी ने लवकेश ने हाथ में पकड़े हुए गुलाब के फूल की तरफ इशारा करके बोला।

"पर ये फूल तो..." लवकेश आगे बोले तभी उसका ध्यान गया और चौंक गया की गुलाब का फूल तो लाल ही है, काला नहीं, "यह कैसे हो गया?"

"भाई पैसे दे या मेरा फूल वापस दे दे फिर सोचते रहना क्या हुवा और क्या नहीं।" वह आदमी बोला।

"मुझे यह फूल नहीं चाहिए। लीजिये आप वापस ले लीजिये।" कहकर लवकेश ने गुलाब का फूल उस आदमी को दे दिया और जैसे ही पलटा की वापस चौंक उठा। उसने देखा की उसकी बस वहां नहीं थी। और थोड़ा आगे चलने के प्रयास में वह गिर पड़ा।

"अरे क्या कर रहा है, लवकेश? देखकर चला कर, बेटा।" बगल में किराना की दुकान में बैठे चाचा ने आवाज़ करी।

लवकेश उनकी ओर जाने के लिए चला पर उसे महसूस हुवा की उसके पैर डगमगा रहे है। उसे लगा जैसे वह संतुलन नहीं बना पा रहा। पर हड़बड़ी में वह दुकान के पास पहुंचा।

"चाचा, आपने मेरी बस देखी? अभी तो यहीं थी पता नहीं कहां चली गई!" लवकेश ने चाचा से पूछा।

"कोनसी बस, लव?" चाचा ने पूछा।

"अरे वही बस जो अभी थोड़ी देर पहले यहाँ खड़ी थी। जिसमें हम रोजाना स्कूल जाते है। मैं थोड़ी देर के लिए नीचे उतरा तभी एक जोर सी बिजली हुई और मैं गिर पड़ा। आपने देखा नहीं?" लवकेश ने पूछा। लवकेश की बात सुनकर वह चाचा हंस पड़े। यह देखकर लवकेश को भी आश्चर्य हुवा।

"कोनसी बस और कैसी बिजली की बात कर रहे हो, लव," चाचा ने कहा, "मैंने तो यही देखा की तुम अपनी बाइक से उतरे और उस गुलाब के फूल बेचने वाले से फूल खरीदा और थोड़ी बहस करके अपनी बाइक की चाबी गिरी थी उसे उठाने में खुद गिर पड़े और मैंने आवाज़ दी। यही हुवा था अभी थोड़ी देर पहले तो।

"कोनसी बाइक?" लवकेश चौंक उठा।वही जो तुम्हारे पीछे खड़ी है," यह सुनकर लवकेश ने पीछे मुड़कर देखा तो सचमुच में बाइक वहीं थी और उसके होंश तब उड़े जब उसने अपने दूसरे हाथ में उस बाइक की चाबी पाई, "और एक बात बताओ, तुम कॉलेज में पढ़ने वाले बस में सफर कबसे करने लगे?" चाचा के इस प्रश्न से लवकेश ओर भी आश्चर्यचकित हो गया।

"कॉलेज?" लवकेश ने पूछा।

"और नहीं तो क्या? ये जो इतनी तगड़ी बॉडी बनाई है, कॉलेज के लिए ही तो बनाई हे तूने। नहींतो पूरा टाउन जानता है की १०वीं तक तो तू कितना दुबला-पतला था।" चाचा ने कहा।

लवकेश का दिमाग तो जैसे सुन्न पड गया था पर थोड़ा संभलकर जब उसने खुद के शरीर को देखा तो हक्का-बक्का हो गया। उसका शरीर वाक़ेय में बड़ा और तगड़ा हो चूका था। वह अपने शरीर को जांचने के लिए यहाँ तहा स्पर्श करने लगा की सच में यह वही हे की नहीं। वह जल्दी से थोड़ी दूर खड़ी कार के पास पहुंचा और उसमें देखा की वह एक xx साल का किशोर नहीं बल्कि कॉलेज में पढ़ने वाला २5 साल का हठ्ठा-कठ्ठा नौजवान है।

खुदके ऐसे बदलाव को देखकर उसने आसमान की ओर देखा, "है ईश्वर, अब ये क्या!"
 
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Day 2: PROPOSE DAY

लवकेश अभी खुद में हुए बदलाव को समझता की तभी उसके जैकेट में से फ़ोन की रिंग बजती है।

"यह किसका फ़ोन है मेरी जेब में और मेरा फ़ोन किधर गया? और ये राजू कौन है जो मुझे फ़ोन कर रहा है?" फ़ोन पर किसी राजू के आ रहे फ़ोन को देखकर लवकेश अपने आपसे सवाल करने लगता है। फिर वो फोन को उठाता है।

"कहा है तू लवकेश? सब लोग कबसे तेरा इंतज़ार कर रहे है। जल्दी आ।" सामने से राजू बोलता है।

"आप मुझे कैसे जानते हो और मेरा इंतज़ार क्यों कर रहे हो? माफ़ कीजिएगा मैंने आपको पहचाना नहीं।" लवकेश काफी उलझन में आ गया।

"अबे यार, अभी भी तू मज़ाक के मूड में है? देख मज़ाक छोड़ और जल्दी आ। वरना उसका पता हेना तुझे...वैसे भी वो तुझसे बहुत नाराज है। कबसे मुँह फुलाए बैठी है। जल्दी आ।" इतना कहकर राजू फ़ोन काट देता है।

"अरे किसकी बात कर...हेलो...अरे यार फ़ोन भी काट दिया," लवकेश फ़ोन की स्क्रीन पर रोज़ की फोटो देखता है, "अरे ये तो रोज़ की फोटो है। पर क्यों...और अगर ये मेरा फोन है तो मेरा वो फोन किधर गया जो अबतक मेरे पास था। कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।" लवकेश आसपास देखता है पर सब सामान्य ही प्रतीत होता है जैसे कुछ हुवा ही ना हो।

"किससे बात करू! हां, केशव को फ़ोन लगाता हूँ," बोलकर लवकेश केशव का नंबर डायल करता है और सामने से फ़ोन उठता है, "अरे, केशव, यार कहां हो तुम लोग? मेरे साथ कुछ अजीब सा हो रहा है यार कुछ भी पता नहीं चल रहा।" लवकेश एक ही साँस में सब कुछ बोल देता है।

"माफ़ कीजियेगा, पहले आप ये बताईये की आप बोल कौन रहे हो?" केशव पूछता है और लवकेश चौंक जाता है।

"केशव, मैं, लवकेश बोल रहा हूँ। तु पहचानता नहीं क्या मुझे?" लवकेश बोलता है।

"अरे, लवकेश भैया, आप! क्या बात है! आज हम बच्चों की याद कैसे आ गई?" केशव की बात सुनकर लवकेश ओर भी उलझन में पड गया।

"भैया?? अबे तू मुझे भैया कहकर क्यों बुला रहा है?" लवकेश पूछता है।

"बस क्या भैया! और कोई मिला नहीं सुबह-सुबह आपको? देखिये, अभी हम स्कूल जा रहे है और आपकी आवाज़ भी ठीक से सुनाई नहीं दे रही तो बाद में शाम को बात करते है।" कहकर केशव फोन काट देता है।

"अरे सुन तो सही पर... अरे, इसने भी काट दिया," लवकेश परेशान होकर दूर रखे एक बेंच पर जाकर बैठता है,"आखिर मेरे साथ ये हो क्या रहा है? कोई तो बताए।"

"अपनी ख्वाहिशों को प्राप्त करने के बाद भी इतना परेशान?" लवकेश के कानों में एक आवाज़ सुनाई पड़ती है और जैसे ही वो उस तरफ देखता है तो एक सफेद चमकदार वस्त्रों में एक सुंदर युवान लड़की उसके बगल में बैठी है जिसके हाथ में सोने जैसा पर उससे भी चमकदार एक अर्ध-चाँद के आकार की एक छड़ी है। लवकेश असमंजस में कुछ समझ ही नहीं पा रहा।आप कौन है?" लवकेश उससे पूछता है।

"मुझे नहीं पहचाना? मैं वही हूँ जिसे तुम आये दिन कोसते रहते हो।" वह लड़की बोलती है।

"मतलब?" लवकेश पूछता है।

"मतलब...'किस्मत'। मैं किस्मत हूँ," वह लडकी अपना परिचय देती है। और लवकेश इसे मजाक समझ मुस्कराता है,"वैसे ऐसा पहली बार हुवा है की मुझे साथ पाकर तुम्हें हसी आयी हो वरना मेरे बारे में तुम्हें कभी ऐसे मुस्कराते हुए नहीं देखा।"
 
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तभी उसका ध्यान गुलाब के फूल बेचने वाले पे पड़ा। लवकेश ने देखा की वह फूलवाला कुछ ढूंढ रहा है और यहीं लवकेश ने देखा की उसकी बस के पास ही गुलाब का एक फूल गिरा हुवा है और यह देखकर उसने अनुमान लगाया की शायद वह इसे ही ढूंढ रहा है तो वह तुरंत खड़ा हो गया और अपनी बेग को अपनी सीट पर रखकर केशव को बोला, "केशव, देखना कोई मेरी सीट पर बैठ न जाये, मैं अभी आया।"

"अरे, कहां जा रहा है? बस निकलने वाली है अब।" केशव बोला।

"बस अभी आया तुरंत।" कहकर लवकेश बस से उतरा और जैसे ही उसने वह गुलाब का फूल हाथ में लिया की तुरंत वह गुलाब लाल से काला पड गया। यह देखकर लवकेश चौंक उठा की तभी अचानक आसमान में ज़ोर से बिजली चमकी और उसकी गूंज से लवकेश के मानो होश ही उड़ गए। बिजली की रोशनी से उसकी आंखे अंजा गई और उसको पुरे शरीर में से जैसे सारी मांसपेशीया अंदर ही अंदर खींच रही हो ऐसा उसे आभास होने लगा और वह जोर से चिल्लाकर जमीन पर ही गिर पड़ा। थोड़ी ही क्षणों में उसे होश आ गया और देखा की गुलाब का फूल बेचनेवाला वह आदमी उसके सामने खड़ा है जिसके हाथों में गुलाबों से भरी गठरी है।

"चल भाई पैसे दे मेरे तो मैं निकलू।" वह आदमी ने लवकेश से कहा।

"कोनसे पैसे भाईसाब?" लवकेश ने आश्चर्य से उसे पूछा।

"यही गुलाब के पैसे जो तूने अभी ख़रीदा है।" उस आदमी ने लवकेश ने हाथ में पकड़े हुए गुलाब के फूल की तरफ इशारा करके बोला।

"पर ये फूल तो..." लवकेश आगे बोले तभी उसका ध्यान गया और चौंक गया की गुलाब का फूल तो लाल ही है, काला नहीं, "यह कैसे हो गया?"

"भाई पैसे दे या मेरा फूल वापस दे दे फिर सोचते रहना क्या हुवा और क्या नहीं।" वह आदमी बोला।

"मुझे यह फूल नहीं चाहिए। लीजिये आप वापस ले लीजिये।" कहकर लवकेश ने गुलाब का फूल उस आदमी को दे दिया और जैसे ही पलटा की वापस चौंक उठा। उसने देखा की उसकी बस वहां नहीं थी। और थोड़ा आगे चलने के प्रयास में वह गिर पड़ा।

"अरे क्या कर रहा है, लवकेश? देखकर चला कर, बेटा।" बगल में किराना की दुकान में बैठे चाचा ने आवाज़ करी।

लवकेश उनकी ओर जाने के लिए चला पर उसे महसूस हुवा की उसके पैर डगमगा रहे है। उसे लगा जैसे वह संतुलन नहीं बना पा रहा। पर हड़बड़ी में वह दुकान के पास पहुंचा।

"चाचा, आपने मेरी बस देखी? अभी तो यहीं थी पता नहीं कहां चली गई!" लवकेश ने चाचा से पूछा।

"कोनसी बस, लव?" चाचा ने पूछा।

"अरे वही बस जो अभी थोड़ी देर पहले यहाँ खड़ी थी। जिसमें हम रोजाना स्कूल जाते है। मैं थोड़ी देर के लिए नीचे उतरा तभी एक जोर सी बिजली हुई और मैं गिर पड़ा। आपने देखा नहीं?" लवकेश ने पूछा। लवकेश की बात सुनकर वह चाचा हंस पड़े। यह देखकर लवकेश को भी आश्चर्य हुवा।

"कोनसी बस और कैसी बिजली की बात कर रहे हो, लव," चाचा ने कहा, "मैंने तो यही देखा की तुम अपनी बाइक से उतरे और उस गुलाब के फूल बेचने वाले से फूल खरीदा और थोड़ी बहस करके अपनी बाइक की चाबी गिरी थी उसे उठाने में खुद गिर पड़े और मैंने आवाज़ दी। यही हुवा था अभी थोड़ी देर पहले तो।

"कोनसी बाइक?" लवकेश चौंक उठा।वही जो तुम्हारे पीछे खड़ी है," यह सुनकर लवकेश ने पीछे मुड़कर देखा तो सचमुच में बाइक वहीं थी और उसके होंश तब उड़े जब उसने अपने दूसरे हाथ में उस बाइक की चाबी पाई, "और एक बात बताओ, तुम कॉलेज में पढ़ने वाले बस में सफर कबसे करने लगे?" चाचा के इस प्रश्न से लवकेश ओर भी आश्चर्यचकित हो गया।

"कॉलेज?" लवकेश ने पूछा।

"और नहीं तो क्या? ये जो इतनी तगड़ी बॉडी बनाई है, कॉलेज के लिए ही तो बनाई हे तूने। नहींतो पूरा टाउन जानता है की १०वीं तक तो तू कितना दुबला-पतला था।" चाचा ने कहा।

लवकेश का दिमाग तो जैसे सुन्न पड गया था पर थोड़ा संभलकर जब उसने खुद के शरीर को देखा तो हक्का-बक्का हो गया। उसका शरीर वाक़ेय में बड़ा और तगड़ा हो चूका था। वह अपने शरीर को जांचने के लिए यहाँ तहा स्पर्श करने लगा की सच में यह वही हे की नहीं। वह जल्दी से थोड़ी दूर खड़ी कार के पास पहुंचा और उसमें देखा की वह एक xx साल का किशोर नहीं बल्कि कॉलेज में पढ़ने वाला २5 साल का हठ्ठा-कठ्ठा नौजवान है।

खुदके ऐसे बदलाव को देखकर उसने आसमान की ओर देखा, "है ईश्वर, अब ये क्या!"
Very nice update bhai lagta hai ki love time travel kar gya hai
 

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लवकेश अभी खुद में हुए बदलाव को समझता की तभी उसके जैकेट में से फ़ोन की रिंग बजती है।

"यह किसका फ़ोन है मेरी जेब में और मेरा फ़ोन किधर गया? और ये राजू कौन है जो मुझे फ़ोन कर रहा है?" फ़ोन पर किसी राजू के आ रहे फ़ोन को देखकर लवकेश अपने आपसे सवाल करने लगता है। फिर वो फोन को उठाता है।

"कहा है तू लवकेश? सब लोग कबसे तेरा इंतज़ार कर रहे है। जल्दी आ।" सामने से राजू बोलता है।

"आप मुझे कैसे जानते हो और मेरा इंतज़ार क्यों कर रहे हो? माफ़ कीजिएगा मैंने आपको पहचाना नहीं।" लवकेश काफी उलझन में आ गया।

"अबे यार, अभी भी तू मज़ाक के मूड में है? देख मज़ाक छोड़ और जल्दी आ। वरना उसका पता हेना तुझे...वैसे भी वो तुझसे बहुत नाराज है। कबसे मुँह फुलाए बैठी है। जल्दी आ।" इतना कहकर राजू फ़ोन काट देता है।

"अरे किसकी बात कर...हेलो...अरे यार फ़ोन भी काट दिया," लवकेश फ़ोन की स्क्रीन पर रोज़ की फोटो देखता है, "अरे ये तो रोज़ की फोटो है। पर क्यों...और अगर ये मेरा फोन है तो मेरा वो फोन किधर गया जो अबतक मेरे पास था। कुछ भी समझ नहीं आ रहा है।" लवकेश आसपास देखता है पर सब सामान्य ही प्रतीत होता है जैसे कुछ हुवा ही ना हो।

"किससे बात करू! हां, केशव को फ़ोन लगाता हूँ," बोलकर लवकेश केशव का नंबर डायल करता है और सामने से फ़ोन उठता है, "अरे, केशव, यार कहां हो तुम लोग? मेरे साथ कुछ अजीब सा हो रहा है यार कुछ भी पता नहीं चल रहा।" लवकेश एक ही साँस में सब कुछ बोल देता है।

"माफ़ कीजियेगा, पहले आप ये बताईये की आप बोल कौन रहे हो?" केशव पूछता है और लवकेश चौंक जाता है।

"केशव, मैं, लवकेश बोल रहा हूँ। तु पहचानता नहीं क्या मुझे?" लवकेश बोलता है।

"अरे, लवकेश भैया, आप! क्या बात है! आज हम बच्चों की याद कैसे आ गई?" केशव की बात सुनकर लवकेश ओर भी उलझन में पड गया।

"भैया?? अबे तू मुझे भैया कहकर क्यों बुला रहा है?" लवकेश पूछता है।

"बस क्या भैया! और कोई मिला नहीं सुबह-सुबह आपको? देखिये, अभी हम स्कूल जा रहे है और आपकी आवाज़ भी ठीक से सुनाई नहीं दे रही तो बाद में शाम को बात करते है।" कहकर केशव फोन काट देता है।

"अरे सुन तो सही पर... अरे, इसने भी काट दिया," लवकेश परेशान होकर दूर रखे एक बेंच पर जाकर बैठता है,"आखिर मेरे साथ ये हो क्या रहा है? कोई तो बताए।"

"अपनी ख्वाहिशों को प्राप्त करने के बाद भी इतना परेशान?" लवकेश के कानों में एक आवाज़ सुनाई पड़ती है और जैसे ही वो उस तरफ देखता है तो एक सफेद चमकदार वस्त्रों में एक सुंदर युवान लड़की उसके बगल में बैठी है जिसके हाथ में सोने जैसा पर उससे भी चमकदार एक अर्ध-चाँद के आकार की एक छड़ी है। लवकेश असमंजस में कुछ समझ ही नहीं पा रहा।आप कौन है?" लवकेश उससे पूछता है।

"मुझे नहीं पहचाना? मैं वही हूँ जिसे तुम आये दिन कोसते रहते हो।" वह लड़की बोलती है।

"मतलब?" लवकेश पूछता है।

"मतलब...'किस्मत'। मैं किस्मत हूँ," वह लडकी अपना परिचय देती है। और लवकेश इसे मजाक समझ मुस्कराता है,"वैसे ऐसा पहली बार हुवा है की मुझे साथ पाकर तुम्हें हसी आयी हो वरना मेरे बारे में तुम्हें कभी ऐसे मुस्कराते हुए नहीं देखा।"
fantastic update bhai
 
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मैं सच में सपना देख रहा हूँ!" लवकेश आँखें मलते हुए बोला।

"अगर ऐसा है तो फिर ठीक है। मैं अभी इसका इलाज कर देती हूँ।" इतना कहकर किस्मत लवकेश को जोर से थप्पड़ मारती है।

"हैय...मारा क्यों मुझे?" लवकेश दर्द से गाल को मलता है। वह आसपास देखता है की कोई उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। सब अपने-अपने काम में व्यस्त है।

"देखा! तुम सपना नहीं देख रहे।" किस्मत बोलती है।

"पर क्यों और यह सब क्या है? मेरे साथ ये क्या हुवा है?" लवकेश पूछता है।

"तुम्हारी ही तो ख्वाहिश थी की तुम्हें कुछ अलग तरह की जिंदगी चाहिए; सो मैंने वो दे दी।" किस्मत बोली।

"मतलब अब मैं वो १०वीं कक्षा में पढ़ने वाला लवकेश नहीं बल्कि..." लवकेश कहता है।

"बिलकुल सही समझ रहे हो। अब तुम कॉलेज में हो, तुम्हारे पास बाइक है, काफी बड़ा मित्रों का ग्रुप है। ना कोई चिंता, ना ही कोई समस्या...और एक सूंदर गर्लफ्रेंड भी है अब तो तुम्हारे पास।" किस्मत बोली।

"गर्लफ्रेंड...सच में? कौन...एक सेकेंड, आप कहीं रोज़ की तो बात नहीं कर रहे न?" लवकेश पूछता है।

"और भी कोई है क्या?" किस्मत पूछती है।

"नहीं। मेरा वो मतलब नहीं था। मैं बस थोड़ा उलझन में हूँ। परिस्थिति को थोड़ा समझने का प्रयास कर रहा हूँ।" लवकेश ने कहा।

"ठीक है। और ऐसी ही जिंदगी चाहते थे न तुम? क्या सच में ऐसी ही ज़िंदगी चाहते थे न तुम?" किस्मत पूछती है।

"हां...मगर ये एक ही सवाल दो बार क्यों पूछ रहे हो आप?" लवकेश पूछता है।

"बस ऐसे ही।" किस्मत बोली।

"तो, अब क्या?" लवकेश ने पूछा।

"मजे करो।" किस्मत बोली और हवा में पंख फैलाकर खड़ी रह गई।

"आप जा रहे हो?" लवकेश ने पूछा।

किस्मत मुस्कराई,"मैं कभी कहीं नहीं जाती।" कहकर एकदम से आकाश की ओर उड़कर गायब हो जाती है।

"ये तो काफी उलझन वाला मामला था। कहीं नहीं जाती बोलकर चली भी गई। अब क्या करू मैं?" लवकेश खुदसे सवाल कर रहा था की तभी फ़ोन पर मेसेज आया और उसने पढ़ा। 'जल्दी से कॉलेज के कैंपस में आ' मेसेज पढ़कर लवकेश ने थोड़ा सोचा और फिर उत्साह से अपनी बाइक की ओर चल पड़ा। जैसे ही बाइक को चालू किया की उसने संतुलन खो दिया और स्पीड से सामने की एक ऊँची दीवार से जोर से टकरा गया और बेहोश हो गया।

जब लवकेश ने आँखें खोली तो खुद को अस्पताल के बेड पर पाया। उसके सामने कुछ लड़के- लड़कियां थी। एक डॉक्टर उसके बगल में खड़ा था जिसके हाथ में फ़ाइल थी। लवकेश ने हिलने का प्रयास किया तो मालूम चला की उसका दाहिना हाथ काफी भारी है। उसने ध्यान से देखा तो पता चला की उस पर पट्टियां लगी हुई है।

"हिलो मत। अभी आराम करो। तुम दीवार से जा टकराए थे। पता चला की तुम्हारी बाइक में ब्रेक फेल हो गई थी।" डॉक्टर ने लवकेश से कहा।

"मैंने इसे कितनी बार कहा था की इतने भी लापरवाह मत बनो की फिर अपना ही नुकशान कर बैठो।" लवकेश के पास खड़ी रोज़ ने कहा।

"मुझे भी अभी पता चला की मैं भी लापरवाह हो सकता हूँ।" लवकेश बोला।

"आगे से ध्यान रखना। शरीर में ओर भी जगह छोटी-मोटी चोटे आई है तो ध्यान रखना। तुम १-२ घंटे के बाद जा सकते हो" डॉक्टर ने जाते-जाते कहा।

"मुझे समझ नहीं आया की दीवार से टकराने से इतनी गहरी चोट भी लग सकती है!" लवकेश बोला।

"गहरी! अबे तू कल का गिरा आज होंश में आया है। हमें तो लगा की तू कहीं कोमा में तो नहीं चला गया!" ग्रुप में खड़े एक लम्बे बाल वाले लड़के ने लवकेश से कहा। यह सुनकर लवकेश चौंक उठा।

"क्या बात कर रहे हो??" लवकेश ने पूछा।

"हां। वहां पे सब ने बताया की तुम कब से पता नहीं क्या पागलपन जैसी हरकतें कर रहे थे दूर बेंच पर बैठे और फिर तुमने बाइक को इतनी रफ्तार से भगाई और जाके दीवार से टकरा गए।" रोज़ ने कहा।

"अबे क्या पहली बार बाइक चलाई थी क्या तूने या बाइक चलाना भूल गया।" एक ओर लड़के ने लवकेश से कहा। लवकेश बस खामोश रहा और मन ही मन खुदपर हंसने लगा।

"मेरे मम्मी-पापा कहाँ है?" लवकेश ने पूछा। और उसके इस सवाल से ग्रुप में खामोशी छा गई। जिसे देखकर लवकेश भी सोच में पड गया।

"ये तुम क्या कह रहे हो? तुम्हे पता नहीं?" रोज़ बड़ी गंभीरता से बोली, "लवकेश, तुम्हारे मम्मी-पापा तो एक-दूसरे से जुदा हो गए है और इसी कारण तुम उन दोनों को, मोहल्ले को और घर को छोड़ दूसरे मोहल्ले में जा बसे हो।" रोज़ की बात सुनकर लवकेश को बड़ा झटका लगा। वह अंदर से पूरी तरह हिल गया।

"ये सब कब हुवा?" लवकेश ने पूछा।

"दिवाली के दिन ही तो।" रोज़ बोली।

"शायद तुम्हें आराम करना चाहिए, लवकेश।" ग्रुप में खड़ी एक ओर लड़की ने कहा।

"तुम लोग मुझे सिर्फ 'लव' कहकर क्यों नहीं पुकार रहे?" लवकेश ने सबकी ओर देखकर पूछा।

"लवकेश, ये तुमने ही कहा था," रोज़ ने सभी ग्रुप को जाने के लिए इशारा किया,"तुम अभी आराम करो। हम कॉलेज हो आते है और तुम्हें बाद में लेने आ जायेंगे।" सब वहां से निकल जाते है।

जैसे ही रूम का दरवाजा बंध हुवा की किस्मत दीवार में से बहार आई और लवकेश के सामने आकर बैठ गई।
 
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