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Day 1: ROSE DAY
"भैया, सुनो एक बात बतानी थी आपको।" लवकेश स्कूल जाने के लिए घर से निकला ही था की सामने पड़ोस में रहते शर्मा परिवार की 18 साल की बेटी, चिंकी, जिसे सब प्यार से 'चुटकी' कहते है उसने रोक लिया।
लवकेश; १०वीं कक्षा में पढ़ रहा 20 साल का शांत और सुशील किशोर है। वह सबको बड़े ही आदर-भाव से बुलाता है और इसीलिए मोहल्ले में सभी उसे चाहते है। सब प्यार से उसे 'लव' कहकर पुकारते है। मोहल्ले में उसके बहुत से मित्र है जो उसी की तरह है पर वे सब लवकेश को अपना लीडर मानते है। लवकेश पढाई में भी काफी होशियार है मगर उसकी किस्मत इतनी ख़राब है की जब भी उसे कोई महत्वपूर्ण कार्य करना होता तब ही कुछ ऐसा हो जाता की उसे असफल होना पड़ता और इसी वजह से अपनी किस्मत के लिए वह चिंतित रहता। और इसबार तो उसे सबसे ज्यादा चिंता है की उसकी बोर्ड की परीक्षा सही जाए। लेकिन अभी उसे पता नहीं है की यह किस्मत नहीं मगर कुछ ओर ही है जो उसे परेशान कर रहा है और इस बात से वह अंजान है की बहुत जल्द उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला है जिसकी उसे कल्पना भी नहीं।
"क्या बात है, चुटकी?" लवकेश ने अपनी बेग के पॉकेट में रखी पानी की बोतल को तलाशते हुए पूछा।
"भैया, मैंने आज सुबह एक ख्वाब देखा, जिसमें आप अचानक बड़े हो गए हो।" चुटकी ने कहा।
"हाँ तो, मैं तो तुमसे बडा ही हूँ।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।
"वैसे नहीं, मेरा मतलब बाकी हमारे जो मोहल्ले के दूसरे बड़े हेना जो आपसे भी बड़े है।" चुटकी ने बोला।
"अच्छा। अभी समझा मैं। वो जो कॉलेज जाते है वही न!" लवकेश ने कहा।
"हाँ, भैया।" चुटकी बोली।
"तब तो अच्छा ख्वाब आया तुझे, चुटकी, मैं तो वैसे भी बोर्ड की परीक्षा से डरा हुआ हूँ। अगर तेरा ये ख्वाब सच हो जाये तो उससे बढ़िया तो ओर कुछ हो ही नहीं सकता।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।
"नहीं, आगे तो सुनो। मैंने देखा की आप हम सब से दूर भागते है और किसीसे भी ठीक तरह से बात नहीं करते, मुझसे भी नहीं, मानो जैसे हम आपके कोई हे ही नहीं। फिर यह ख्वाब अच्छा कैसे हुवा?" चुटकी नाराज होकर बोली।
"अरे, नाराज़ क्यों हो रही हो?" लवकेश ने घुटने पे होकर चुटकी के दोनों हाथों को पकड़ा, "चाहे कुछ भी हो जाए, मैं तुमसे कभी दूर नहीं हो सकता। तू जानती है ना मुझे! मैं तुझे अपनी छोटी बहन मानता हूँ और तुझसे प्यारा मेरे लिए कोई ओर हो ही नहीं सकता।"
"तो फिर वादा करो की कभी मुझे छोड़कर नहीं जाओगे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए बोला।
"पक्का वादा," लवकेश ने कहा, "अभी तो मैं चलू, वरना मेरी बस छूट जाएगी तो क्लास मिस हो जाएगी और तू क्या चाहती है की फिर से मुझे मेरी टीचर डाटे? तू जानती है न की मेरी किस्मत कितनी उलझनों से घिरी रहती है।"
"बस दो मिनिट रुको भैया, मैं अभी आई," कहकर चुटकी तुरंत दौड़कर घर में गई और वापस आई। उसके हाथ में एकदम नया गुलाब था जो प्लास्टिक का था, "ये लो भैया आपके लिए।" चुटकी ने वह गुलाब लवकेश को दिया।पर ये तो तुझे तेरी दोस्त ने अभी दिवाली के दिन ही दिया था न, तेरे जन्मदिन का गिफ्ट।" लवकेश बोला।
"हाँ, पर ये गिफ्ट उसने मुझे मेरे गुडलक की तरह दिया था पर मेरे पास तो आप सब हो तो मुझसे ज्यादा आपको इसकी जरूरत है," चुटकी ने कहा, "चाहे आप किसी भी मुसीबत में होंगे पर अंत में तो यही आपको वापस लायेगा।"
"चुटकी, तेरे जैसा कोई नहीं। तू इस मोहल्ले की शान है।" लवकेश ने गुलाब को संभालकर अपनी बेग में रख दिया।
"और आप इस मोहल्ले की जान हो, भैया। जो आपने दिवाली के दिन किया था वो कोई सोच भी नहीं सका। आप ही की वजह से तो आज पूरा मोहल्ला एक परिवार की तरह रह रहा है नहींतो सब अपने आप में ही गुम थे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए कहा।
"हाँ, कभी-कभार मेरी किस्मत काम भी कर जाती है।" लवकेश बोला।
"अब जाओ, वरना फिर आप मुझे कहोगे की तेरी वजह से मुझे देर हो गई।" इतना कहकर चुटकी हस्ते हुए वहां से निकल गई।
"वाह बच्चू, तेरा भी कोई जवाब नहीं रे, चुटकी।" लवकेश बोला। और बस छूट न जाए इस वजह से अपनी चलने की रफ्तार बढ़ा कर जल्दी से चलने लगा
"भैया, सुनो एक बात बतानी थी आपको।" लवकेश स्कूल जाने के लिए घर से निकला ही था की सामने पड़ोस में रहते शर्मा परिवार की 18 साल की बेटी, चिंकी, जिसे सब प्यार से 'चुटकी' कहते है उसने रोक लिया।
लवकेश; १०वीं कक्षा में पढ़ रहा 20 साल का शांत और सुशील किशोर है। वह सबको बड़े ही आदर-भाव से बुलाता है और इसीलिए मोहल्ले में सभी उसे चाहते है। सब प्यार से उसे 'लव' कहकर पुकारते है। मोहल्ले में उसके बहुत से मित्र है जो उसी की तरह है पर वे सब लवकेश को अपना लीडर मानते है। लवकेश पढाई में भी काफी होशियार है मगर उसकी किस्मत इतनी ख़राब है की जब भी उसे कोई महत्वपूर्ण कार्य करना होता तब ही कुछ ऐसा हो जाता की उसे असफल होना पड़ता और इसी वजह से अपनी किस्मत के लिए वह चिंतित रहता। और इसबार तो उसे सबसे ज्यादा चिंता है की उसकी बोर्ड की परीक्षा सही जाए। लेकिन अभी उसे पता नहीं है की यह किस्मत नहीं मगर कुछ ओर ही है जो उसे परेशान कर रहा है और इस बात से वह अंजान है की बहुत जल्द उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला है जिसकी उसे कल्पना भी नहीं।
"क्या बात है, चुटकी?" लवकेश ने अपनी बेग के पॉकेट में रखी पानी की बोतल को तलाशते हुए पूछा।
"भैया, मैंने आज सुबह एक ख्वाब देखा, जिसमें आप अचानक बड़े हो गए हो।" चुटकी ने कहा।
"हाँ तो, मैं तो तुमसे बडा ही हूँ।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।
"वैसे नहीं, मेरा मतलब बाकी हमारे जो मोहल्ले के दूसरे बड़े हेना जो आपसे भी बड़े है।" चुटकी ने बोला।
"अच्छा। अभी समझा मैं। वो जो कॉलेज जाते है वही न!" लवकेश ने कहा।
"हाँ, भैया।" चुटकी बोली।
"तब तो अच्छा ख्वाब आया तुझे, चुटकी, मैं तो वैसे भी बोर्ड की परीक्षा से डरा हुआ हूँ। अगर तेरा ये ख्वाब सच हो जाये तो उससे बढ़िया तो ओर कुछ हो ही नहीं सकता।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।
"नहीं, आगे तो सुनो। मैंने देखा की आप हम सब से दूर भागते है और किसीसे भी ठीक तरह से बात नहीं करते, मुझसे भी नहीं, मानो जैसे हम आपके कोई हे ही नहीं। फिर यह ख्वाब अच्छा कैसे हुवा?" चुटकी नाराज होकर बोली।
"अरे, नाराज़ क्यों हो रही हो?" लवकेश ने घुटने पे होकर चुटकी के दोनों हाथों को पकड़ा, "चाहे कुछ भी हो जाए, मैं तुमसे कभी दूर नहीं हो सकता। तू जानती है ना मुझे! मैं तुझे अपनी छोटी बहन मानता हूँ और तुझसे प्यारा मेरे लिए कोई ओर हो ही नहीं सकता।"
"तो फिर वादा करो की कभी मुझे छोड़कर नहीं जाओगे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए बोला।
"पक्का वादा," लवकेश ने कहा, "अभी तो मैं चलू, वरना मेरी बस छूट जाएगी तो क्लास मिस हो जाएगी और तू क्या चाहती है की फिर से मुझे मेरी टीचर डाटे? तू जानती है न की मेरी किस्मत कितनी उलझनों से घिरी रहती है।"
"बस दो मिनिट रुको भैया, मैं अभी आई," कहकर चुटकी तुरंत दौड़कर घर में गई और वापस आई। उसके हाथ में एकदम नया गुलाब था जो प्लास्टिक का था, "ये लो भैया आपके लिए।" चुटकी ने वह गुलाब लवकेश को दिया।पर ये तो तुझे तेरी दोस्त ने अभी दिवाली के दिन ही दिया था न, तेरे जन्मदिन का गिफ्ट।" लवकेश बोला।
"हाँ, पर ये गिफ्ट उसने मुझे मेरे गुडलक की तरह दिया था पर मेरे पास तो आप सब हो तो मुझसे ज्यादा आपको इसकी जरूरत है," चुटकी ने कहा, "चाहे आप किसी भी मुसीबत में होंगे पर अंत में तो यही आपको वापस लायेगा।"
"चुटकी, तेरे जैसा कोई नहीं। तू इस मोहल्ले की शान है।" लवकेश ने गुलाब को संभालकर अपनी बेग में रख दिया।
"और आप इस मोहल्ले की जान हो, भैया। जो आपने दिवाली के दिन किया था वो कोई सोच भी नहीं सका। आप ही की वजह से तो आज पूरा मोहल्ला एक परिवार की तरह रह रहा है नहींतो सब अपने आप में ही गुम थे।" चुटकी ने मुस्कराते हुए कहा।
"हाँ, कभी-कभार मेरी किस्मत काम भी कर जाती है।" लवकेश बोला।
"अब जाओ, वरना फिर आप मुझे कहोगे की तेरी वजह से मुझे देर हो गई।" इतना कहकर चुटकी हस्ते हुए वहां से निकल गई।
"वाह बच्चू, तेरा भी कोई जवाब नहीं रे, चुटकी।" लवकेश बोला। और बस छूट न जाए इस वजह से अपनी चलने की रफ्तार बढ़ा कर जल्दी से चलने लगा
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