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Fantasy लव का अलौकिक सप्ताह (Complete)

sunoanuj

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Bahut hee badhiya kahani hai…
 
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ashish_1982_in

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रास्ते भर लवकेश को आसपास सब अजीब लग रहा था परंतु हाल ही में हुई घटनाओं की वजह से उसने ज्यादा सोचने के बजाय रोज़ के साथ समय कैसे बिताना है यह सोचने लगा।

कॉलेज के नजदीक पहुंचते ही लवकेश ने देखा की यह तो कोई ओर कॉलेज है क्योंकि उसे पता था की उनकी स्कूल से थोड़ी नजदीक ही थी रोज़ की कॉलेज परंतु जिस कॉलेज के पास अभी वे आया है जिसके बारे में तो उसको सिर्फ यही पता था की यह कॉलेज बहुत सालों पहले ही बंध हो चुकी है।

"रोज़, तुम तो इस कॉलेज में नहीं पढ़ती बल्कि यह कॉलेज तो सालों से..." लवकेश अभी आगे बोले उसके पहले ड्राइवर कॉलेज के गेट के पास जोर से कार को रोकता है और कहीं ओर निकल जाता है। लवकेश यह देखकर असमंजस में पड गया।

"सिर्फ में ही नहीं तुम भी यहीं हमारे साथ ही पढ़ते हो। ज्यादा सोचो मत। आज का CHOCOLATE DAY तुम्हें जिदंगीभर याद रहनेवाला है। मैंने सारी तैयारी कर ली है। तुम बस साथ दो। मेरे साथ होना तुम?" रोज़ बोली।

लवकेश ने सोचा की रोज़ उसकी गर्लफ्रेंड है तो अपनी उलझनों के चककर में उसका दिल तोडना अच्छी बात नहीं होगी। उसका इन सब घटनाओं में कोई दोष नहीं तो अभी मुझे उसका साथ देना चाहिए।

"में तुम्हारे साथ हूँ, रोज़।" लवकेश ने रोज़ के हाथ को अपने हाथ में लेकर कहा।

रोज़ के चहरे पर छाई ख़ुशी की मुस्कराहट को देखकर लवकेश को संतोष हुवा। दोनों साथ में आगे बढ़ने लगे। जैसे-जैसे दोनों आगे बढ़ते गए, कॉलेज के सभी छात्र उन्हें देखकर उनका नाम चिल्लाकर चॉकलेट की टॉफियां उनपर बरसाने लगे। लवकेश मन में खुद से बात करने लगा की कॉलेज में ऐसा भी होता है या फिर बात कुछ ओर है।

रोज़ उसे कॉलेज की कैंटीन तरफ ले गई जहां एक बड़ा टेबल था और दो कोफ़ी से भरे ग्लास थे। जिस पर दिल का डिज़ाइन भी बनाया हुवा था।

"देखो, मैंने हम दोनों के लिए कितना अच्छा बंदोबस्त करके रखा है। तुम्हें कैसा लगा?" रोज़ ने लवकेश से पूछा।

"ये तो वाक़ेय में बढ़िया है। लेकिन तुमनें तो कहा था की मुझे सबको बताना है और इन सबका इंतजाम तो मुझे करना था!" लवकेश ने कहा।

"तुम इतनी आसानी से मेरे हाथ थोड़ी ही ना आते। मैं तुम्हें किसी भी तरह यहां लाना चाहती थी।" रोज़ ने कहा।

उसी वक्त कहीं से गाना बजने लगता है और कुछ कपल साथ में नाचने लगते है। यह देखकर रोज़ भी हंसते हुए लवकेश को खींचकर उन सब के बीच जाकर नाचने लगती है। लवकेश भी रोज़ के साथ नाचता है पर तभी उसका ध्यान उन नाचते कपल पर पडता है। वह देखता है की सब साथ मिलकर नाच तो रहे है मगर उनके मुँह और आँखे बंध है। लवकेश सोच में पड जाता है। तभी गाना बंध हो जाता है और सब एक साथ कैंटीन से बाहर चले जाते है। एकदम से सन्नाटा छा जाता है।

"सब चले क्यों गए?" कहकर लवकेश रोज़ की ओर देखता है तो वो उसके पास नहीं पर उस बडे टेबल के पास कोफ़ी से भरे एक ग्लास को उठाए बैठी है और लवकेश की तरफ प्यार से देख रही होती है।

"HAPPY VOLUNTEER’S DAY" रोज़ कोफ़ी की एक चुस्की लगा कर कहती है। यह सुनकर लवकेश हंसने लगता है और रोज़ के सामने आकर बैठ जाता है।

"वो HAPPY VALENTINE'S DAY" होता है। वैसे, आज CHOCOLATE DAY है।" कहकर लवकेश दूसरा ग्लास उठाता है। तभी लवकेश का ध्यान उसके पैरो के पास पडी चॉकलेट की टॉफी पर पड़ता है और उसे उठाने वह झुकता है।

"सॉरी, मैं भूल गई।" रोज़ बोली।

"वैसे सच कहूँ तो तुम काफी कुछ भूल गई हो।" टॉफी उठाकर लवकेश रोज़ की आँखों में देखकर बोलता है।

"अच्छा। जैसे क्या?" रोज़ भी मुस्कराकर पूछती है।

"जैसे, तुमने आज पैरो में कुछ पहना ही नहीं है। शायद इसीलिए क्यूंकि तुम्हारे तो पैर ही नहीं है। हां, मुझे अभी अभी पता चला जब मैं इस टॉफी को उठाने झुका था," यह सुनकर रोज़ का चेहरा फीका पड जाता है, "और सबसे अहम बात, जहां तक मुझे पता है की हमारी रोज़ को कोफ़ी से एलर्जी है।" लवकेश इतना बोलता है की उतने में आसपास की हर जगह पुरानी हो जाती है और लवकेश देखता है की यह कॉलेज नहीं बल्कि एक पुराना खंडर है। जहां उन दोनों के अलावा कोई नहीं है।

रोज़ गुस्से से अपने हाथ को ऊपर उठाती है और देखते ही देखते उसका हाथ एक तीक्ष्ण तलवार में परिवर्तित हो जाता है। वो लवकेश पर हमला करने जा ही रही थी की इतने में किस्मत उसे पीछे से पकड़ लेती है। लवकेश किस्मत को देखकर खुश हो जाता है।लवकेश, खुश बाद में होना। पहले इसके मुँह पर वह कोफ़ी फेंको जल्दी से।" किस्मत की बात सुनकर लवकेश ने हाथ में पकड़े कोफ़ी के ग्लास की कोफ़ी रोज़ के मुँह पर फेंकता है। कोफ़ी मुँह पर लगते ही रोज़ का मुँह जलने लगता है और वह दर्द से चिल्लाकर नीचे गिरती है और तड़प कर मर जाती है। लवकेश जब उसे ध्यान से देखता है तो दंग रह जाता है। वह देखता है की रोज़ के मुखौटे में वह एक दानव था।

लवकेश किस्मत की तरफ देखता है और अपने कंधो को उचकने का अभिनय कर अपनी मासूमियत दिखाता है। यह देखकर किस्मत मुस्कराने लगती है और लवकेश के दूसरे हाथ में से चॉकलेट की टॉफी लेकर उसे खाती है और कहती है, "HAPPY CHOCOLATE DAY!"
Very nice update bhai
 

ashish_1982_in

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Day 4: TEDDY DAY

लवकेश और किस्मत खंडर से बाहर आते है।

"भला किसने सोचा था की मैं यहाँ इस पुराने खंडर में डेट पर आऊंगा और वो भी एक अजीब से दानव के साथ। पर ऐसा क्यों किया उसने और वो आया कहां से था?" लवकेश ने चलते-चलते किस्मत से पूछा।

"तुम अगर समयचक्र के साथ खिलवाड़ करोगे तो समय भी तो अपने नुकसान की वसूली करेगा ही न।" किस्मत ने उत्तर दिया।

"मैं कुछ समझा नहीं!" लवकेश ने पूछा। दोनों रुक गए।

"तुमनें इतिहास में फेर-बदली की। समय के चक्र में एक छोटा सा बदलाव काफी बड़ी समस्या पैदा कर सकता है जिसका जीता-जागता नमूना अभी थोड़ी देर पहले तुमने देखा। वह दानव हमारे द्वारा किये गए इतिहास में बदलाव का ही तो परिणाम था।" किस्मत ने कहा।

"तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया? साथ देती हो तो पूरा ही देना चाहिये।" लवकेश नाराजगी व्यक्त करता है।

"मैं कोई स्वर्ग से आई परी या कोई देवी नहीं हूँ जो तुम्हें सही रास्ता दिखाऊ या साथ दूँ। मैं किस्मत हूँ। सिर्फ तुम्हारे पास होती हूँ और तुम्हारी इच्छा और आत्मसंयम से ही मेरा वजूद है।" किस्मत बोली।

"तो फिर अब तक मेरा साथ क्यों देते आ रही हो? और अभी थोड़ी देर पहले उस दानव से मेरी जान क्यों बचाई?" लवकेश ने पूछा।

"मैंने नहीं तुमने मुझे बचाया। जब उस राजा ने तुम्हारे कहने पर उस गांव को वापस राज्य में लिया और जिस दानव ने गांव को अपने कब्जे में ले रखा था उसने राजा के हाथों मरने का सिर्फ ढोंग किया था क्यूंकि उसे वरदान था की वह जिसे भी चाहे उसे अपना गुलाम बना सके। किन्तु तुम किसी ओर समय से आये और वरदान के समयांतर में दखलंदाजी करी जिससे वरदान का प्रभाव उल्टा पड गया। दानव ने पाताल में जाकर अपनी मैली विद्या से जाना की तुम्हारे कारण उसके वरदान की शक्ति विफल हो गई है तो उसने अपनी सारी दानव प्रजा की शक्तियां अपने अंदर ले ली और सबको मारकर जहर बना दिया जो उस कोफ़ी में था। अगर वह तुम्हें मार डालता तो अभी यह दुनिया इसी खंडर के जैसे हो जाती।" किस्मत ने खंडर की तरफ इशारा करके कहा।

"तुमने कहा की मैंने तुम्हारी जान बचाई। मगर कैसे?" लवकेश ने पूछा।

"वक्त आने पर समझ जाओगे।" किस्मत ने आगे चलते हुए कहा।

"देखो, मुझे अब न कुछ देखना है, न कुछ करना है और न ही कुछ समझना है। मैं परेशान हो गया हूँ इन सब आफतों से। मुझे वापस वही मेरे उस वक्त में पहुंचादो।" लवकेश रूककर कहता है।

"बिना आफतों की जिंदगी सबको चाहिए और इसीलिए सब मुझे ज्यादा पसंद करते है फिर चाहे मैं उनके पास हूँ या न हूँ। मुझे तो आश्चर्य इस बात का है की तुम खुद किस्मत के पास हो फिर भी परेशान हो रहे हो।" किस्मत हस्ते हुए बोलती है।

"शायद वे लोग जो तुम्हारे बारे में अक्सर कहा करते है कहीं न कहीं सच ही कहते है।" लवकेश परेशान हो कर बोलता है।

"अच्छा। और वो क्या?" किस्मत पूछती है।

"यहीं की 'किस्मत बडी कु...' इतना सुनते ही किस्मत सहसा रुक जाती है। वह गुस्से से लवकेश को देखती है। लवकेश भी चौंक जाता है,"सॉरी..." किस्मत लवकेश के पास आती है।

"तुम सब इंसान काफी अजीब होते हो। वैसे तो शेर की तरह दहाड़ना भी चाहते हो और सोच गीदड़ की रखते हो। ख्वाहिशों की भरमार है मगर खुदको खुदकी पहचान नहीं। बदलाव लाना चाहते हो पर खुदको बदलना नहीं चाहते। लवकेश, तुमसे यह आशा नहीं थी।" कहकर किस्मत वहां से गायब हो जाती है।

"मामला तो काफी गंभीर हो गया। शेर के साथ मुझे गीदड़ भी कहकर चल दी।" लवकेश आगे सड़क से ऑटो पकड़ता है और घर की ओर निकलता है। रस्ते-भर उसके मन में किस्मत की कही बातें गूंजती रहती है
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रात के ९ बज गए है। घर पहुंचते ही लवकेश को पता चलता है की उसका फोन बंध है। घर के अंदर जाते ही सबसे पहले वह अपना फोन चालू करता है। फोन चालू करते ही बहुत सारे कॉल्स और संदेश दिखते है जिनमें से ज्यादा कॉल्स और संदेश रोज़ के होते है।

सभी कॉल्स और संदेशों को देखकर, "कल ‘रोज़’ के लिए एक अच्छा सा TEDDY ले लेता हूँ। वह खुश हो जाएगी और बाकी के दिनों के लिए उससे माफ़ी भी मांग लूंगा और मना लूंगा।" कहकर लवकेश रोज़ को कॉल करता है। रिंग बजती है। जैसे ही रोज़ फ़ोन उठाती हे की तभी बिजली एकदम से चली जाती है और फ़ोन भी बंध हो जाता है। लवकेश को यह देखकर आश्चर्य होता है। वह घर की खिड़की खोलकर बाहर की तरफ देखता है तो पता चलता है की कहीं भी बिजली नहीं है। अचानक, आकाश में से जोर की आवाज आती है मानो जैसे समुद्र की लहरें किनारों पर पडे बड़े पत्थरों से टकराई हो।

आकाश में लाल और पीले रंग जैसा बड़ा सा बादल छाता है और पल-भर में गायब हो जाता है। लवकेश को और बाकी बाहर निकले आस-पड़ोस को भी यह सब अजीब लगता है। बिजली वापस आ जाती है और सब अपने-अपने घरों में चले जाते है। लवकेश खिड़की बंध करके फोन को देखता है की फोन की बैटरी खत्म होने को है, "फोन चार्ज करने के लिए रखता हूँ और रोज़ के लिए एक अच्छा सा TEDDY खरीद कर आता हूँ। कल उसे सीधे मिलकर ही बात करता हूँ। अभी देर नहीं हुई है तो जल्दी से नजदीक की दुकान से TEDDY ले लेता हूँ इससे पहले की बंध हो जाए।" बड़बड़ाते वह घर बंध करके दुकान की ओर निकलता है।

बस-स्टॉप के पास ही एक दुकान है जो बंध होने ही वाली थी की लवकेश तुरंत दुकानदार को रोक लेता है।

"सॉरी, मैं आपको परेशान कर रहा हूँ पर बस थोड़ी देर के लिए रुक जाइये। मुझे बस एक TEDDY लेना है।" लवकेश दुकानदार से कहता है।

"कोई बात नहीं। पर TEDDY एक भी नहीं है। सब बिक गए।" दुकानदार कहता है।

"देखिये ऐसा मत कहिए। आप ज़रा ध्यान से देखिये। एक तो होगा ही।" लवकेश दुकान में यहां-वहां नज़र घुमाकर बोलता है।

"नहीं है। आज सब बिक गए। अगर होता तो मुझे बेचने में क्या परेशानी थी।" दुकानदार बोलता है।

"ठीक है। थेंक यू मेरे लिए रुकने के लिए," लवकेश दुकान से बाहर आता है और चारों तरफ नजर करता है पर ज्यादातर दुकानें जहां TEDDY मिल सके वे बंध हो गई है। जिस दुकान से लवकेश बाहर आया वह दुकानदार भी दुकान बंध करके निकल गया,"कैसा दिन जायेगा कल का मेरा? TEDDY DAY मनाना है रोज़ के साथ। सिर्फ TEDDY DAY ही क्यों बल्कि VALENTINE WEEK है ये तो, आधा तो किस्मत के चक्करों में अच्छा नहीं गया पर अब तो बाकी का आधा तो मनाना ही है। ख़्वाहिश पूरी हुई ही है तो फिर क्यों न उपयोग करू। पर अभी तो नहीं लगता की मुझे कहीं से भी TEDDY मिलेगा। शायद कल ही मिलेगा। जल्दी सुबह उठकर ले लूंगा।" बबड़के लवकेश जैसे ही घर की तरफ निकलता है की अभी थोड़ी देर पहले बंध हुई दुकान की बगल में छोटी सी गली है जहां एक बड़ा सा बॉक्स है उसपर उसकी नजर पड़ती है।

वहां जाकर ध्यान से देखता है तो मिलता है की एकदम नया एक सुंदर और बड़ा TEDDY है। उसे देखकर लवकेश खुश हो जाता है। आसपास नजर लगाकर लवकेश उस TEDDY को उठाता है,"शायद दुकानदार इसे भूल गया होगा। खैर, मेरा काम तो हो गया। कल इसे रोज़ को देकर शाम को लौटते वक्त दुकानदार को इसके पैसे दे दूंगा।" बबड़के लवकेश TEDDY को घर ले जाता है।
 
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रात के तकरीबन ३ बजे है और लवकेश गहरी नींद में सोया हुवा है। वह ख्वाब देख रहा है की वह रोज़ के साथ है और उसे TEDDY देने ही जा रहा था की अचानक TEDDY उसके हाथ पर काटता है। वह दर्द के मारे नींद से उठ जाता है। वह हाथ को देखता है तो सब ठीक मालूम लगता है। वह बेड के पास घड़ी की ओर देखता है।

"ओह, मैं तो सपना देख रहा था।" लवकेश बोलता है।

"क्या हाल है, भाई?" लवकेश के बगल से किसी की आवाज आई।

अचानक आवाज सुनकर लवकेश उस तरफ देखता है तो उसके होश उड़ जाते है और वह बेड से नीचे गिर जाता है। जिस TEDDY को वह लाया था वह उसके बेड पर खड़ा है वो भी जिंदा।

"माफ़ करना। क्या मैंने तुम्हें डरा दिया? वैसे डरने की जरूरत नहीं है।" वह TEDDY लवकेश को कहता है।

लवकेश जल्दी से पास में रखा छाता पकड़कर कोने में खड़ा हो जाता है।

"कौन हो तुम? और कैसे ज़िंदा हो गए?" लवकेश डरते हुए पूछता है।

"मैं एक एलियन हूँ। रास्ता भटक चूका हूँ। तुम्हारी मदद चाहिए।" TEDDY कहता है।

"मैं समझा नहीं?" लवकेश ने पूछा।

"हिंदी नहीं समझते या फिर अकल से पैदल हो?" TEDDY पूछता है।

"तुम हिंदी कैसे समझते हो और बोलते हो वो बताओ पहले?" लवकेश पूछता है।

"समझ गया। अकल से पैदल ही हो। मैं एक अत्याधुनिक जीव हूँ। बहुत दूर गया था और अपने ग्रह वापस लोट रहा था की अचानक यान में कुछ हुवा और मैं तुम्हारे इस पृथ्वी ग्रह में गिर पडा। मेरा यान और मैं गिरते समय जुदा हो गए। जब मैंने तुम्हें देखा तो पता चला की तुम्हारे आसपास कुछ अजीब सी तरंगे उड़ती देखी जो आजतक हमने किसी भी पृथ्वीवासी के आसपास नहीं देखी। तोह मुझे लगा तुम कुछ अलग हो और शायद मेरी मदद कर सकते हो। और फिर मैंने देखा की तुम किसी TEDDY को खरीद रहे हो तो मैंने पता लगाया की वह क्या है और पता लगते ही मैं TEDDY बनकर वहां आ गया।" TEDDY बोला।

"तो वो तुम ही थे जिससे कल शाम को आकाश में अजीब सी बिजली हुई थी! वैसे तुम्हारा नाम क्या है?" लवकेश ने पूछा।

"वो क्या होता है?" TEDDY ने पूछा।

"तुम लोगों के नाम नहीं होते क्या? किसी को बुलाते कैसे हो?" लवकेश ने पूछा।

"हमें नाम रखने की जरूरत नहीं पड़ती। हमें जब भी जरूरत होती है तो अपने दिमाग से ही सब कुछ हो जाता है। हम सब एकदूसरे से दूर होकर भी जुड़े रहते है।" TEDDY ने कहा।

"तो एलियन सच में है!" लवकेश बोलता है।

"वैसे अगर तुम हमारे ग्रह पर आते तो हमारे लिए तुम भी एलियन ही होते।" TEDDY बोला।

"तुम्हारा ग्रह यहां से कितना दूर है?" लवकेश ने पूछा।

"बहुत दूर।" TEDDY बोला।

"अगर मैंने तुम्हें सरकार को सौंप दिया तो मुझे काफी फायदा हो सकता है, जानते हो?" लवकेश बोलता है।

"हां जानता हूँ। तुम इंसान, जो पता होता है उसमें भी ऊँगली करते हो और जो नहीं पता उसमें भी ऊँगली करते हो। लेकिन अब कोई फायदा नहीं क्यूंकि मेरा तो शरीर ही नहीं तो क्या प्रयोग करोगे। इस बेजान खिलौने में से क्या मिलेगा।" TEDDY बोला।

"अच्छा बताओं की तुम्हें मुझसे क्या मदद चाहिए?" लवकेश ने पूछा।

"अपने यान से जुदा होकर गिरने से मेरा यान से सम्पर्क टूट चूका है। मैं ऐसे अगर ढूंढने निकलूंगा तो काफी परेशानी होगी और हो सकता है की मेरा यान किसी गलत हाथों में पड जाए। तो इससे पहले तुम मुझे मेरे यान तक पहुंचादो। मैंने अपने लोगों को वादा किया था की जल्दी लौटूंगा।" TEDDY बोलता है।

"तुम्हारे वहां भी वायदे होते है?" लवकेश ने छाता एक तरफ रखकर पूछा।

"हां, बिलकुल। तुमने भी वादा किया होगा किसीसे?" TEDDY ने कहा। TEDDY की बात सुनते ही लवकेश को ‘चुटकी’ और उसे किये वादे की याद आ गई।

"किया है। मगर अपनी महत्वाकांक्षा के चककरो में पड़ गया।" लवकेश बोला।

"वैसे ही जैसे तुमने उस दुकानदार के प्रति ईमानदारी के पहले अपनी ख़्वाहिशों को पहले महत्व दिया। तुम अच्छे तो हो मगर..." TEDDY बोला।

"खुद को नहीं जानता। किस्मत की बात मुझे अब समझ में आई।" लवकेश बोला।

"अब ये किस्मत कौन है?" TEDDY ने पूछा।

"वही जिसने हम दोनों को मिलवाया।" लवकेश मुस्कराते हुए बोलता है।

"अभी मैं नहीं समझा।" TEDDY बोला।

"हम इंसानों को समझना इतना भी आसान नहीं है, मेरे दोस्त।" लवकेश बोला।

"दोस्त?" TEDDY आश्चर्य होकर पूछता है।

"हां। यही तो हम इंसानों की पहली पहचान होती है। तुमने अपने लोगों को PROMISE किया है और अब मैं तुम्हें PROMISE करता हूँ की मैं तुम्हें सही सलामत तुम्हारे यान तक पहुंचा दुंगा।"

"तो फिर दोस्त, इसी बात पर हाथ मिलाओ अब।" TEDDY हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाता है।

"ये हुई ना बात।" कहकर लवकेश TEDDY से हाथ मिलाता है।

तभी लवकेश के फ़ोन में रिंग बजती है। वह देखता है तो रोज़ का फ़ोन है।

"इस समय रोज़ मुझे फ़ोन क्यों कर रही है।" कहकर लवकेश फ़ोन उठाता है। सामने से रोज़ कुछ कहती है जिससे लवकेश सोच में पड जाता है।
 

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रात के ९ बज गए है। घर पहुंचते ही लवकेश को पता चलता है की उसका फोन बंध है। घर के अंदर जाते ही सबसे पहले वह अपना फोन चालू करता है। फोन चालू करते ही बहुत सारे कॉल्स और संदेश दिखते है जिनमें से ज्यादा कॉल्स और संदेश रोज़ के होते है।

सभी कॉल्स और संदेशों को देखकर, "कल ‘रोज़’ के लिए एक अच्छा सा TEDDY ले लेता हूँ। वह खुश हो जाएगी और बाकी के दिनों के लिए उससे माफ़ी भी मांग लूंगा और मना लूंगा।" कहकर लवकेश रोज़ को कॉल करता है। रिंग बजती है। जैसे ही रोज़ फ़ोन उठाती हे की तभी बिजली एकदम से चली जाती है और फ़ोन भी बंध हो जाता है। लवकेश को यह देखकर आश्चर्य होता है। वह घर की खिड़की खोलकर बाहर की तरफ देखता है तो पता चलता है की कहीं भी बिजली नहीं है। अचानक, आकाश में से जोर की आवाज आती है मानो जैसे समुद्र की लहरें किनारों पर पडे बड़े पत्थरों से टकराई हो।

आकाश में लाल और पीले रंग जैसा बड़ा सा बादल छाता है और पल-भर में गायब हो जाता है। लवकेश को और बाकी बाहर निकले आस-पड़ोस को भी यह सब अजीब लगता है। बिजली वापस आ जाती है और सब अपने-अपने घरों में चले जाते है। लवकेश खिड़की बंध करके फोन को देखता है की फोन की बैटरी खत्म होने को है, "फोन चार्ज करने के लिए रखता हूँ और रोज़ के लिए एक अच्छा सा TEDDY खरीद कर आता हूँ। कल उसे सीधे मिलकर ही बात करता हूँ। अभी देर नहीं हुई है तो जल्दी से नजदीक की दुकान से TEDDY ले लेता हूँ इससे पहले की बंध हो जाए।" बड़बड़ाते वह घर बंध करके दुकान की ओर निकलता है।

बस-स्टॉप के पास ही एक दुकान है जो बंध होने ही वाली थी की लवकेश तुरंत दुकानदार को रोक लेता है।

"सॉरी, मैं आपको परेशान कर रहा हूँ पर बस थोड़ी देर के लिए रुक जाइये। मुझे बस एक TEDDY लेना है।" लवकेश दुकानदार से कहता है।

"कोई बात नहीं। पर TEDDY एक भी नहीं है। सब बिक गए।" दुकानदार कहता है।

"देखिये ऐसा मत कहिए। आप ज़रा ध्यान से देखिये। एक तो होगा ही।" लवकेश दुकान में यहां-वहां नज़र घुमाकर बोलता है।

"नहीं है। आज सब बिक गए। अगर होता तो मुझे बेचने में क्या परेशानी थी।" दुकानदार बोलता है।

"ठीक है। थेंक यू मेरे लिए रुकने के लिए," लवकेश दुकान से बाहर आता है और चारों तरफ नजर करता है पर ज्यादातर दुकानें जहां TEDDY मिल सके वे बंध हो गई है। जिस दुकान से लवकेश बाहर आया वह दुकानदार भी दुकान बंध करके निकल गया,"कैसा दिन जायेगा कल का मेरा? TEDDY DAY मनाना है रोज़ के साथ। सिर्फ TEDDY DAY ही क्यों बल्कि VALENTINE WEEK है ये तो, आधा तो किस्मत के चक्करों में अच्छा नहीं गया पर अब तो बाकी का आधा तो मनाना ही है। ख़्वाहिश पूरी हुई ही है तो फिर क्यों न उपयोग करू। पर अभी तो नहीं लगता की मुझे कहीं से भी TEDDY मिलेगा। शायद कल ही मिलेगा। जल्दी सुबह उठकर ले लूंगा।" बबड़के लवकेश जैसे ही घर की तरफ निकलता है की अभी थोड़ी देर पहले बंध हुई दुकान की बगल में छोटी सी गली है जहां एक बड़ा सा बॉक्स है उसपर उसकी नजर पड़ती है।

वहां जाकर ध्यान से देखता है तो मिलता है की एकदम नया एक सुंदर और बड़ा TEDDY है। उसे देखकर लवकेश खुश हो जाता है। आसपास नजर लगाकर लवकेश उस TEDDY को उठाता है,"शायद दुकानदार इसे भूल गया होगा। खैर, मेरा काम तो हो गया। कल इसे रोज़ को देकर शाम को लौटते वक्त दुकानदार को इसके पैसे दे दूंगा।" बबड़के लवकेश TEDDY को घर ले जाता है।
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रात के तकरीबन ३ बजे है और लवकेश गहरी नींद में सोया हुवा है। वह ख्वाब देख रहा है की वह रोज़ के साथ है और उसे TEDDY देने ही जा रहा था की अचानक TEDDY उसके हाथ पर काटता है। वह दर्द के मारे नींद से उठ जाता है। वह हाथ को देखता है तो सब ठीक मालूम लगता है। वह बेड के पास घड़ी की ओर देखता है।

"ओह, मैं तो सपना देख रहा था।" लवकेश बोलता है।

"क्या हाल है, भाई?" लवकेश के बगल से किसी की आवाज आई।

अचानक आवाज सुनकर लवकेश उस तरफ देखता है तो उसके होश उड़ जाते है और वह बेड से नीचे गिर जाता है। जिस TEDDY को वह लाया था वह उसके बेड पर खड़ा है वो भी जिंदा।

"माफ़ करना। क्या मैंने तुम्हें डरा दिया? वैसे डरने की जरूरत नहीं है।" वह TEDDY लवकेश को कहता है।

लवकेश जल्दी से पास में रखा छाता पकड़कर कोने में खड़ा हो जाता है।

"कौन हो तुम? और कैसे ज़िंदा हो गए?" लवकेश डरते हुए पूछता है।

"मैं एक एलियन हूँ। रास्ता भटक चूका हूँ। तुम्हारी मदद चाहिए।" TEDDY कहता है।

"मैं समझा नहीं?" लवकेश ने पूछा।

"हिंदी नहीं समझते या फिर अकल से पैदल हो?" TEDDY पूछता है।

"तुम हिंदी कैसे समझते हो और बोलते हो वो बताओ पहले?" लवकेश पूछता है।

"समझ गया। अकल से पैदल ही हो। मैं एक अत्याधुनिक जीव हूँ। बहुत दूर गया था और अपने ग्रह वापस लोट रहा था की अचानक यान में कुछ हुवा और मैं तुम्हारे इस पृथ्वी ग्रह में गिर पडा। मेरा यान और मैं गिरते समय जुदा हो गए। जब मैंने तुम्हें देखा तो पता चला की तुम्हारे आसपास कुछ अजीब सी तरंगे उड़ती देखी जो आजतक हमने किसी भी पृथ्वीवासी के आसपास नहीं देखी। तोह मुझे लगा तुम कुछ अलग हो और शायद मेरी मदद कर सकते हो। और फिर मैंने देखा की तुम किसी TEDDY को खरीद रहे हो तो मैंने पता लगाया की वह क्या है और पता लगते ही मैं TEDDY बनकर वहां आ गया।" TEDDY बोला।

"तो वो तुम ही थे जिससे कल शाम को आकाश में अजीब सी बिजली हुई थी! वैसे तुम्हारा नाम क्या है?" लवकेश ने पूछा।

"वो क्या होता है?" TEDDY ने पूछा।

"तुम लोगों के नाम नहीं होते क्या? किसी को बुलाते कैसे हो?" लवकेश ने पूछा।

"हमें नाम रखने की जरूरत नहीं पड़ती। हमें जब भी जरूरत होती है तो अपने दिमाग से ही सब कुछ हो जाता है। हम सब एकदूसरे से दूर होकर भी जुड़े रहते है।" TEDDY ने कहा।

"तो एलियन सच में है!" लवकेश बोलता है।

"वैसे अगर तुम हमारे ग्रह पर आते तो हमारे लिए तुम भी एलियन ही होते।" TEDDY बोला।

"तुम्हारा ग्रह यहां से कितना दूर है?" लवकेश ने पूछा।

"बहुत दूर।" TEDDY बोला।

"अगर मैंने तुम्हें सरकार को सौंप दिया तो मुझे काफी फायदा हो सकता है, जानते हो?" लवकेश बोलता है।

"हां जानता हूँ। तुम इंसान, जो पता होता है उसमें भी ऊँगली करते हो और जो नहीं पता उसमें भी ऊँगली करते हो। लेकिन अब कोई फायदा नहीं क्यूंकि मेरा तो शरीर ही नहीं तो क्या प्रयोग करोगे। इस बेजान खिलौने में से क्या मिलेगा।" TEDDY बोला।

"अच्छा बताओं की तुम्हें मुझसे क्या मदद चाहिए?" लवकेश ने पूछा।

"अपने यान से जुदा होकर गिरने से मेरा यान से सम्पर्क टूट चूका है। मैं ऐसे अगर ढूंढने निकलूंगा तो काफी परेशानी होगी और हो सकता है की मेरा यान किसी गलत हाथों में पड जाए। तो इससे पहले तुम मुझे मेरे यान तक पहुंचादो। मैंने अपने लोगों को वादा किया था की जल्दी लौटूंगा।" TEDDY बोलता है।

"तुम्हारे वहां भी वायदे होते है?" लवकेश ने छाता एक तरफ रखकर पूछा।

"हां, बिलकुल। तुमने भी वादा किया होगा किसीसे?" TEDDY ने कहा। TEDDY की बात सुनते ही लवकेश को ‘चुटकी’ और उसे किये वादे की याद आ गई।

"किया है। मगर अपनी महत्वाकांक्षा के चककरो में पड़ गया।" लवकेश बोला।

"वैसे ही जैसे तुमने उस दुकानदार के प्रति ईमानदारी के पहले अपनी ख़्वाहिशों को पहले महत्व दिया। तुम अच्छे तो हो मगर..." TEDDY बोला।

"खुद को नहीं जानता। किस्मत की बात मुझे अब समझ में आई।" लवकेश बोला।

"अब ये किस्मत कौन है?" TEDDY ने पूछा।

"वही जिसने हम दोनों को मिलवाया।" लवकेश मुस्कराते हुए बोलता है।

"अभी मैं नहीं समझा।" TEDDY बोला।

"हम इंसानों को समझना इतना भी आसान नहीं है, मेरे दोस्त।" लवकेश बोला।

"दोस्त?" TEDDY आश्चर्य होकर पूछता है।

"हां। यही तो हम इंसानों की पहली पहचान होती है। तुमने अपने लोगों को PROMISE किया है और अब मैं तुम्हें PROMISE करता हूँ की मैं तुम्हें सही सलामत तुम्हारे यान तक पहुंचा दुंगा।"

"तो फिर दोस्त, इसी बात पर हाथ मिलाओ अब।" TEDDY हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाता है।

"ये हुई ना बात।" कहकर लवकेश TEDDY से हाथ मिलाता है।

तभी लवकेश के फ़ोन में रिंग बजती है। वह देखता है तो रोज़ का फ़ोन है।

"इस समय रोज़ मुझे फ़ोन क्यों कर रही है।" कहकर लवकेश फ़ोन उठाता है। सामने से रोज़ कुछ कहती है जिससे लवकेश सोच में पड जाता है।
very nice update bhai
 

Hero tera

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Day 5: PROMISE DAY

"क्या हुवा? लवकेश को अशांत देख TEDDY ने पूछा।

"मेरी दोस्त का फ़ोन था। आज के दिन मैंने सबको PROMISE किया था की मैं मेरे सभी मित्रों को आज पार्टी दूंगा। और मैं कोई गोलमाल न करू इसलिए वे सभी सुबह के ६ बजे यानी २-३ घंटे बाद यहीं आ रहे है।" लवकेश ने कहा।

"तो अब मेरा क्या होगा?" TEDDY पूछता है।

"तुम्हें मायूस होने की जरूरत नहीं है दोस्त," लवकेश फ़ोन को बंध कर बेड पर रखता है,"वे लोग यहां आये उससे पहले ही हम घर से निकल पड़ते है। तुम्हारा यान पास ही के जंगल में गिरा होगा।"

"इतना यकीन से कैसे कह सकते हो?" TEDDY पूछता है।

"अगर लोगों को पता होता तो अब तक तो तुम्हारा यान इंटरनेट पर छा गया होता," लवकेश ने अपनी बेग और एक टोर्च लेते हुए कहा,"चलो अब तुम भी मेरे पीछे बेग पर आ जाओ और मुझे पकड़ के बैठ जाओ। कोई अगर मिले तो मुर्दा ही रहना।" TEDDY लवकेश की बेग पर बैठ जाता है। लवकेश उसे लेकर घर से निकल पड़ता है।

"एक बात बताओ की मेरे जैसे अजनबी के लिए तुमने अपना वादा तोड़ दिया!" TEDDY बोला।

"हां भी और ना भी।" लवकेश ने मुस्कराते हुए कहा।

"क्या मतलब?" TEDDY ने पूछा।

"आज के दिन का वादा मेरे द्वारा जरूर दिया गया था पर मैंने नहीं दिया। मेरे इस अवास्तविक रूप ने दिया है जबकि सच्चाई तो सिर्फ मैं ही जानता हूँ।" लवकेश बोला।

"तुम्हारे कहने का मतलब की तुम तुम ही हो पर वो नहीं जो लोग समझ रहे है?" TEDDY ने कहा।

"तुम तो वाक़ेय में अत्याधुनिक हो। काफी जल्दी समझ लिया।" लवकेश ने कहा।

"पर कैसे?" TEDDY ने पूछा। लवकेश ने अबतक हुई सारी बातें उसे बताई।

"अगर TEDDY तुम नहीं आते तो शायद मैं किस्मत की बातों को जान ही नहीं पाता और काफी देर हो जाती।" लवकेश ने जंगल तरफ आगे बढ़ते हुए कहा।

"तभी तुम्हारे आसपास मैंने अजीब सी तरंगे पाई। तुम समय के चक्र से बाहर आ गए हो।" TEDDY ने कहा।

"काफी फ़िल्मी लगता है यह सब।" लवकेश बोला।

जंगल के पास पहुंचकर लवकेश चुपके से बिना किसी के नजर आये जंगल में घुस जाता है। थोड़ी दूर चलते ही उसकी टोर्च बंध हो जाती है। लवकेश टोर्च को चालू करने का प्रयास करता है पर टोर्च चालू नहीं होती।

"हम मेरे यान के नजदीक ही है। इसीलिए तुम्हारी टोर्च बंध पड गई है।" TEDDY ने कहा।

"तो बिना रोशनी के आगे कैसे बढ़े?" लवकेश ने पूछा।

"मैं हूँ ना, दोस्त।" कहकर TEDDY ने अपनी दोनों आँखों से रोशनी करी और टोर्च से भी ज्यादा दिखाई देने लगा।

"एक बात बताओं TEDDY की क्या तुम्हारा ग्रह भी हमारे ग्रह जैसा ही है?" लवकेश ने आगे चलते हुए पूछा।

"चलना चाहोगे मेरे साथ मेरे ग्रह पर?" TEDDY ने हस्ते हुए पूछा।

लवकेश भी हंस पड़ा,"बिलकुल नहीं। मैं अपने ही ग्रह में ऐसी उलझन में आ गया हूँ तो अब ओर नहीं झेलना है मुझे। मैं तो अब वापस अपने वक्त में लौट जाऊ उतना काफी है मेरे लिये।" दोनों हंसने लगे।

"पर तुम्हारे वादे का क्या? तुम्हारे दोस्त तुमसे नाराज हो जायेंगे?" TEDDY ने चिंता जताई।

"पर तुम्हारा वादा मेरे वादे से ज्यादा भारी और महत्वपूर्ण है। जो वादा मुझसे हुवा है वो तो कभी भी पूरा कर सकता हूँ। खुशियाँ बाटने के लिए सही दिन की नहीं पर सच्चे दिल का होना जरूरी है। तुम अपने लोगों से इतने दूर हो। तुम्हारा जल्द से जल्द अपने लोगों से मिलना ज्यादा जरूरी है।" लवकेश बोला।

बातें करते-करते दोनों यान तक पहुंचे। यान के नजदीक जाकर TEDDY ने अपने यान को चालू किया और लवकेश के पास आया। दोनों भावुक हो गए की अब उनका साथ यहाँ से समाप्त हो गया है।

"मुझसे किया वादा तुमने पूर्ण किया। अब तुम अपना वादा पूरा करो, दोस्त।" TEDDY ने कहा।

"हां। वादा तो पूरा करना है पर वो नहीं जो मुझसे इस समय में हुवा है जिसके बारे में मैं खुद अनजान हूँ। मुझे वह वादा निभाना है जो मैंने अपने समय में किसी को दिया है।" लवकेश ने चुटकी को याद करते हुए कहा।

"तुमसे मिलकर अच्छा लगा, दोस्त।" TEDDY ने कहामुझे भी, दोस्त। अब तुम जाओ। तुम्हें देर हो जाएगी।" लवकेश आगे बोले उससे पहले TEDDY ने लवकेश को गले लगा लिया। लवकेश भी TEDDY से गले मिलकर भावुक हो गया।

"तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद, दोस्त।" कहकर TEDDY के अंदर से कुछ अजीब तरह की रोशनी निकली और यान में समा गई। यान आकाश की ओर उड़ा और तीव्र गति से बादलों में गायब हो गया।

"तुम्हारा भी बहुत-बहुत धन्यवाद, मित्र।" आकाश की ओर देखते हुए लवकेश बोला। तभी अचानक पीछे से कुछ आवाज आई। लवकेश पीछे मुड़ा और चौंक गया। रोज़ और बाकी के सभी कॉलेज मित्र वहां खड़े थे। उसे घुर्र रहे थे।
 
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Hero tera

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तुम यहां अकेले इस जंगल में इस TEDDY को हाथ में लिए क्या कर रहे हो, लवकेश?" रोज़ ने पूछा।

"तुम लोग यहां कैसे?" लवकेश ने पूछा।

"मैं जानती थी की तुम हमें न मिलने के बहाने बना रहे हो। और इसीलिए हम सभी लोग तुम्हारे घर पर आ रहे थे की तुम इतने कैसे बदल गए? पर तुम्हें घर से निकलते देखा तो हमने तुम्हारा पीछा किया। तुम ऐसे तो कभी नहीं थे।" रोज़ ने नाराज़गी जताते हुए कहा।

"तुम लोगों ने उस एलियन और उसके यान को नहीं देखा?" लवकेश ने पूछा।

"देखा, ये अभी भी बहाने बना रहा है," ग्रुप में से एक लड़के ने कहा,"अगर तुझे हमसे दोस्ती ही नहीं रखनी तो साफ मना कर दे, भाई।"

"दोस्तों, ऐसा कुछ भी नहीं है।" लवकेश बोला।

"हमें कुछ नहीं सुनना। हम सब समझ रहे है।" कहकर सारा ग्रुप वहां से निकलना शुरू करता है। यह देखकर लवकेश नाराज़ हो जाता है।

"अगर आप लोग सच में मेरे दोस्त होते तो मुझे समझते।" लवकेश बोला। यह सुनकर सभी रुक गए।

"हम है। और हमें तुम्हारी फ़िक्र भी है। पर जब तक खुलकर बताओगे नहीं तो हमें पता कैसे चलेगा।" रोज़ कहती है।

"हम वादा करते है की हम तुम्हारी बातों पर भरोसा करेंगे।" सभी मित्र एकसाथ बोलते है।

"तो फिर चलो घर। सब बताता हूँ।" लवकेश ने कहा।

सब लवकेश के साथ उसके घर गए। सब रूम में बैठ गए। लवकेश सबके सामने खड़ा रहा।

"दोस्तों, मैं वो नहीं जो तुम लोग समझ रहे हो।" लवकेश बोला।

"तुम लवकेश नहीं हो?" ग्रुप में से एक लड़की ने पूछा।

"नहीं मैं लवकेश ही हूँ पर वो नहीं जो तुम अबतक देखते आये हो। दरअसल मैं यहां समय के विपरीत मार्ग में फंस गया हूँ। मैं तो १०वीं कक्षा में पढ़ने वाला १५ साल का लड़का हूँ जो तुम सबको जानता तो है मगर पहचानता नहीं। रोज़ के अलावा मुझे तो आप में से किसी का भी नाम पता नहीं। आप सब कॉलेज के वक्त हमारे मोहल्ले में रहने आये थे। जबकि रोज़ को इसीलिए जानता हूँ क्यूंकि वह तो पहले से ही रह रही थी और हम सब उसे जानते थे।" लवकेश ने बोला। लवकेश की बातें सुनकर सभी लोग हैरान हो गए और सोच में पड गए।

"लवकेश, क्या तुम ये सब ऐसे ही बात घुमाने की कोशिश कर रहे हो या मज़ाक बना रहे हो?" रोज़ ने पूछा।

"देखो मैं जानता हूँ की यह सब सुनने में काफी अजीब लग रहा है पर यही सच है।" लवकेश बोला।

"तो कुछ ऐसा बताओं जिस पर मुझे यकीन हो।" रोज़ बोली।

"रोज़, तुम हमेशा चाहती थी की मोहल्ले में जब भी कोई खास दिन आये तो सब साथ मिलकर उसे मनाए। यहां तक की VALENTINE का पूरा WEEK भी तुम मोहल्ले के साथ मनाना चाहती थी की जिससे सभी लोगों में आपस में प्यार बना रहे और रिश्ते मजबूत रहे पर तुम कभी कर न पाई।" लवकेश की यह बात सुनकर रोज़ दंग रह गई।

"ये तो सिर्फ और सिर्फ मुझे पता था। मैंने यह बात किसी को भी नहीं बताई आजतक, तुम्हें भी नहीं।" रोज़ ने कहा।

"तुमने मुझे बताया था पर इस वाले समय में नहीं। उस समय में जहां से मैं आया हूँ। मैंने हर त्यौहार में पूरे मोहल्ले को साथ लाने का फैसला किया और मेरे सभी स्कूल के मित्रों ने मेरा साथ दिया। जब तुम्हें यह बात पता चली थी तब तुमने मुझे अपनी यह ख़्वाहिश बताई थी।" लवकेश बोला।और...?" रोज़ लवकेश के पास आकर बोली।

"और, तुम मुझे सिर्फ पसंद करती हो। प्यार नहीं करती। और मुझे अभी भी यकीन है की आज भी कहीं न कहीं तुम भी यह जानती हो।" लवकेश रोज़ की आँखों में देखकर बोलता है।

"तुम सही हो, लवकेश।" रोज़ भावुक होकर लवकेश को गले मिलती है। लवकेश और बाकी सभी मित्र भी भावुक हो जाते है।

"मैं आपको सारी बातें बताता हूँ की मेरे साथ यह सब कैसे हुवा।" कहकर लवकेश शुरू से सब कुछ बताता है।

"तुमने कैसे हुवा यह तो बता दिया मगर क्यों हुवा ये पता चला?" रोज़ ने पूछा।

"हां। देर से ही सही मगर पता चल गया," लवकेश मुस्कराकर कहता है,"मैं शुरुआत से ही अपने नसीब को, अपनी किस्मत को कोसते आ रहा था। मुझे लगता था की मैं जो कर रहा हूँ वह सब गलत ही है। मेरी सोच गलत हो रही थी। मैं अपने मार्ग से भटक रहा था और उन ख़्वाहिशों की इच्छा रखी जो मेरे व्यक्तित्व से, मेरे स्वभाव से विपरीत थी। मुझे पता चला की इंसान को जो मिलता है, उससे और उसके साथ जो होता है वह उसकी खुद की ही वजह से होता है। मोहल्ले में मुझे सब चाहते थे और प्यार करते थे पर मैं वह न देख पाया क्यूंकि मेरी महत्वाकांक्षा सिर्फ मेरे प्रति थी। मैं कुछ भी करता उसमें मुझसे कहीं न कहीं कुछ रह जाता जिसकी वजह से कुछ न कुछ गड़बड़ होती रहती और उसका दोष में अपनी किस्मत को देता। मुझे अब जाके पता चला है की इंसान अगर समझता है की वह जो कर रहा है और अगर वह सही है उसके लिए, उसके लोगों के लिए, उसके समाज के लिए, उसके देश के लिए, इस दुनिया के लिए और इंसानियत के लिए तो उसे किसी ओर चीजों की ख्वाहिशें नहीं रखनी चाहिए। जो दूसरों के लिए जीता है उसे सब कुछ प्राप्त होता है। तकलीफें समस्या नहीं होती बल्कि आगे बढ़ने की और जिंदगी के अनुभव पाने की सीढ़ी है जिसे पार करने के लिये निडर होकर चढ़ते रहना चाहिए।"

"तो अब तुम क्या करोगे?" रोज़ ने पूछा।

"किसीको वादा किया है उसे निभाने जाऊंगा।" कहकर लवकेश मुस्कराता है
 

sunoanuj

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Bahut he behatarin kahani hai… 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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