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Incest लालटेन

लालटेन कैसी स्टोरी होनी चाहिए


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अपडेट 1


अरी ओ राधा देख तो तेरे दोनो लड़के नदी किनारे आपस मे झगड़ रहे हैं जल्दी जाकर उनको रोंक ले।


राधा जो गाय के गोबर से उपले बना रही थी और जैसे उसने अपने बेटे के बारे में ननखी ताई से सुना उसने जल्दी जल्दी अपने हाथ धुले और नदी की ओर दौड़ पड़ी।


इधर नदी पर राजू और सोनू दोनो ही चचेरे भाई एक दूसरे की जान लेने पर तुले थे।


सोनू जो की राजू से उम्र में बड़ा है लेकिन अकल उसमे बिलकुल भी नहीं है और वह राजू के नीचे दवा पड़ा था।


राजू एक मेहनती लड़का है उसने बचपन से ही अपने पिता की खेती बाड़ी संभाल ली थी और जिस कारण उसका शरीर एक दम कसा हुआ मजबूत बड़ी चौड़ी छाती और मोटे कल्ले सब दूर से नजर आते थे।

उसने सोनू को अपने नीचे उसकी गर्दन को पकड़ कर दवा रखा था जिससे सोनू छूटने का पूरा प्रयास कर रहा था लेकिन वह कुछ भी नहीं कर पा रहा था।


इधर राधा भी दौड़ते हुए नदी किनारे पहुंच गई और चारों ओर अपने राजू को खोजने लगी और आवाज देकर उसे पुकारने लगी।


राजू ओ राजू बेटा तुम कहां हो राजू ओ राजू बेटा.........


जैसे राजू ने अपनी मां राधा की आवाज सुनी उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी और सोनू को छोड़ दिया और अपनी मां को आवाज दिया।


माई ओ माई मैं इधर हूं.....


सोनू जो अभी नीचे दबा हुआ था जैसे ही उसे राहत मिली उसने झट से राजू को पकड़ कर गिरा दिया और उस पर चढ़ कर बैठ गया और उसे मुक्को से मारने लगा और एक बार फिर से वह राजू को बुरी बुरी गालियां देने लगा।


राजू पर सोनू की मार का कोई असर तो नहीं हो रहा था लेकिन अब उसकी मां पास में ही थी इसलिए वह सोनू की मार को बर्दास्त कर रहा था, लेकिन सोनू जो पागल था जिसने खुद से लड़ाई शुरू की थी वह अब भी वही बुरी बुरी गालियां दे रहा था।


साले हरामखोर बहन के लौड़े तूने मुझे मारा मैं तेरा खून पी जाऊंगा.....


राधा भी दौड़ते हुए वही पर आ गई और उसने देखा की सोनू उसके बेटे को मार रहा है और राजू सिर्फ अपना बचाव ही कर पा रहा है उसने झट से सोनू को पकड़ कर उसे हटने को कहा।


पहले तो सोनू नहीं माना लेकिन जब उसने राधा का गुस्सा देखा तब वह राजू के ऊपर से हट गया।


सोनू...चाची इसने मुझे मारा है और मेरा गला भी दबाया है।


राधा ने अपने बेटे को उठाया और उसे पूछा कि वह ठीक है राजू ने भी हां में अपनी गर्दन हिला दिया।


राधा... तुम दोनो आपस में क्यूं लड़ाई किया करते हो और अब तुम दोनो मेरी बात को कान खोलकर सुन लो अगर आज के बाद फिर से तुम दोनो ने लड़ाई की मैं तुम दोनो को घर से बाहर कर दूंगी।


राजू तू सोनू से छोटा है चल अपने भाई से माफी मांग....


राजू अपनी मां की ओर देखने लगता है....तो राधा ने फिर से अपनी बात दोहराई जल्दी करो राजू सोनू से माफी मांगो....


अब राजू ना चाहते हुए भी सोनू से माफी मांगता है जबकि सोनू उसे दुत्कारते हुए वहा से निकल जाता है।


और फिर राधा अपने बेटे को अपने गले से लगा लेती है उसकी आंख में आंसू आ जाते है, जो राजू के कंधे पर गिरकर उसकी शर्ट को गीला करने लगते है।


अब जैसे राजू को अहसास होता है की उसकी मां रो रही है तो वह अपनी मां को अपने गले से दूर करता है और अपनी मां के आंसू को पूछते हुए उससे कहता है।
Nayi kahani ki subhkamnaye🌹🌹. Suruvaat toh acih hai.
 

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अपडेट २


अब जैसे ही राजू को अहसास होता है की उसकी मां रो रही है तो वह अपनी मां को अपने गले से दूर करता है और अपनी मां के आंसुओ को पोछते हुए उससे कहता है।

अब आगे....

राजू...माई तू रो क्यों रही है भला वह सोनू मेरा कुछ भी बिगाड़ पाता नहीं माई, अब तू रोना बंद कर नहीं तो फिर मुझे भी रोना आ जायेगा।

राधा...तू मेरे आंखों में आंसू नहीं देख सकता तो फिर मेरी बात क्यूं नहीं मानता अगर अब तूने मुझे परेशान किया तो फिर मैं भी तेरे बापू की तरह तुझसे दूर हो जाऊंगी।

राजू... नही माई अब मैं कभी किसी से नहीं झगडूंगा बस तू मुझे छोड़कर कहीं नहीं जाएगी और राजू ने अपने काम पकड़ते हुए अपनी माई को मानने लगा और वैसे भी तू बाद में आके मुझे उससे माफी मांगने को बोलती ही है तो अब मैं लड़ाई होने से पहले ही माफी मांग लिया करूंगा अब तो तू चुप हो जा ना माई।

राधा को राजू की बात पर हसी आ जाती है और वह हस्ते हुए अपने बेटे के बालों को सहलाते हुए कहती है...मेरा राजा बेटा तो बहुत समझदार हो गया है।

राजू भी अब अपनी माई की प्यारी मुस्कान को देख कर वह उसे और भी खुश करना चाहता है इसलिए वह अपनी माई के गाल को चूम लेता है।

राजू इस माहौल को और भी रंगीन करने के लिए वह अपनी माई से बोलता है।

राजू... अरे देख माई मैं भी अब बड़ा हो गया हूं तू मुझे अपना पति बना ले फिर तू देखना माई मैं अपनी पत्नी को रानी बनाकर रखूंगा उसकी आंख में कभी आंसू नहीं आने दूंगा और इतना कह कर वह घर की ओर भागने लगता है।

राधा को राजू की बात पर हसी आ जाती है और वह हस्ते हुए अपने बेटे को पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़ती है...

राधा.... रुक बदमाश!! रुक तू तुझे अभी बताती हूं तू अपनी माई को अपनी पत्नी बनाएगा अपनी माई को ही छेड़ता है और क्या तू सिर्फ अपनी पत्नी को ही रानी की तरह रखेगा अपनी इस बुड्ढी माई को नहीं।

राजू अपनी गर्दन को पीछे घुमाते हुए रुककर कहता है अरे बूढ़े होए तेरे दुश्मन मेरी माई तो अभी नई नवेली दुल्हन है और माई मुझसे कभी दूर ना हो इसलिए तो मैं बस तुझसे ही अपना ब्याह रचूंगा, और फिर से राधा के आगे आगे तेज कदमों से चलने लगता है।

राधा...चल तू घर चल आज के आज ही मैं तेरा ब्याह रचा दूंगी।

राधा के होंठो पर एक मधुर सी मुस्कान फैल गई थी और फिर राधा अपने आप से बड़बड़ाती हुई (पागल लड़का मुझे अपनी बीबी बनाएगा...) राजू के साथ घर आ जाती है।

राधा जब घर आई तब उसे होश आया की उसने आज फिर से गोबर के उपले नहीं बनाए तो वह राजू से थोड़ा नाराज हुई और राजू को आवाज देते हुए बुलाया।

राजू जल्दी से मेरे पास आओ....

राजू....क्या हुआ माई आप ऐसे क्यूं डांट रही है मुझे....

राधा... तेरी वजह से आज फिर से मैं गाय के गोबर के उपले नहीं बना पाई अब कल तू मेरे साथ उपले बनवाएगा और अभी जल्दी से जाकर कुआ से पानी निकाल ला मुझे खाना बनाना है नहीं तो दिन छिप गया तो फिर अंधेरे में मुझे बहुत दिक्कत होती है।

गांव में उस वक्त बिजली नहीं हुआ करती थी लोग लालटेन या दीपक का ही इस्तेमाल किया करते थे लेकिन कभी कभी उसमे भी दिक्कत हो जाया करती थी क्यूंकी दीपक या लालटेन जलाने वाला तेल तो सरकार देती थी लेकिन कोटेदार बीच में ही उसे बेंचकर पैसे खा जाया करता था तो सबको सिर्फ उतना ही तेल मिल पाता था एक दीपक या लालटेन पूरे महीने चल पाए कभी ज्यादा जला दिया तो महीना होने से पहले ही खत्म हो जाता था इसलिए इस गांव में अक्सर औरते तेल बचाने के लिए खाना सूर्य के अस्त होने से पहले ही बना लेती थी।

राजू एक स्टील का बना घड़ा अपने सर रखता है और गुनगुनाते हुए

मेरी चढ़ती जवानी मेरी चाल मस्तानी
मेरी चढ़ती जवानी मेरी चाल मस्तानी
तूने मेरी कदर ना जानी हाय रामा
रामा ओ हाय रामा रामा.........

अपनी कमर को ऐसे मटकाता है जैसे कोई लड़की इतराते हुए जा रही हो जिसे देख राधा खिलखिला कर हस देती है और बोलती है ये लड़का भी पता नहीं कब बड़ा होगा....

अब राजू घर से बाहर निकल आता है और वह उसी प्रकार गुनगुनाते हुए कुआ की ओर चल देता है, अभी वह कुछ दूर ही चला था की उसे लता भाभी मिल जाती है जो उसी के घर के पीछे रहती है और वह अपने देवर की चाल देखकर खिलखिला कर हस्ते हुए बोलती है।

लता... अरा रे किस अनाड़ी ने इतनी निर्दयता से मेहनत कर दी की मेरी बन्नो की चाल ही बिगड़ गई देखो तो मेरी ननद रानी की कमर में कैसी लचक आ गई है भला ऐसा क्या अंदर ले लिया तूने बोल मेरी रानी और लता ने एक हाथ राजू की गांड़ पर चपेट लगाते हुए हसने लगती है।

राजू...अरे लता डार्लिंग आप कब आ गई।

लता...जब तू अपनी कमर को नागिन की तरह लहरा रहा था मैं तभी आई।

राजू भी लड़कियों की तरह सरमाने की नकल करता है जिसे लता देखकर एक बार फिर से हसने लगती है।

राजू...अरे ओ लुगाई मैने सुना है तूने अपना पेट फुला लिया है लेकिन मुझे एक बात समझ ना आई लुगाई तू मेरी और मेरे बिना तूने पेट कैसे फुला लिया...।

लता को भी राजू से डबल मीनिग बात करने में हमेशा मजा आता था.. और इसलिए वह राजू से खुलकर हसी मज़ाक करती थी।

लता...अब मैं क्या करती जब मेरा ये अनाड़ी मरद मुझे कभी प्यार ही नही करने आया तो फिर मुझे किसी ना किसी से तो अपना पेट फुलवाना ही था मेरी सास मुझे रोज ताने मारती थी इसलिए फिर मुझे भी एक अंजान आदमी से तेरी BMW पर मेहनत करवानी पड़ी और अभी देखो तुम्हे मेहनत भी नहीं करनी पड़ी और तू बाप भी बन गया।

राजू...अच्छा ऐसा है तो फिर मुझे देखना पड़ेगा कही मेरी BMW में कोई नुकसान तो नहीं आ गया कहीं उस आदमी ने ज्यादा तो मेहनत नहीं कर दी और मेरी BMW की परफॉर्मेस ही बिगाड़ दी हो...

वैसे कभी मेरी लुगाई ने मेरी BMW के बारे में कुछ बताया नहीं शादी से पहले वह कैसी चलती थी और कितनी तेज दौड़ती थी किस किस ने मेरी BMW की सवारी की ओर किसने पहली बार इसकी चाल खोली।

लता... हाय री मर जाऊं मैं गन्ना खाके मेरे तो भाग्य ही फूट गए मेरे भोंदू पति की BMW का तो सब सत्यानाश हो गया और इसे अब उसकी याद आई तेरी BMW जबसे चली है तो फिर रुकने का नाम नहीं लिया है जब पहली बार चली तब पच्च पच्च की आवाज आती थी और अब तो फच्च फच्च की आवाज आने लगी है।

राजू... और कितने ड्राइवर बदले है मेरी इस BMW ने अभी तक....

लता...ड्राइवर तो एक ही है लेकिन उसी ने इसकी हालत खराब कर दी..

और फिर राजू ने अपना एक हाथ लता की गांड़ पर फेरा जिससे लता चिहुंक गई और राजू की तरफ देखने लगी....

राजू...लुगाई मेरी BMW की दिग्गी तो अभी टाइट है मैं इसकी दिग्गी से ही अपना काम चला लूंगा।

लता एक टक राजू को देखती रही क्यूंकि इससे पहले राजू सिर्फ लता से हसी मज़ाक ही करता आया था आज पहली बार राजू ने लता के गुप्तांगों को हाथ लगाया था।

अब लता चुप हो गई और कुआ भी पास आ गया था और कुआ के पास गांव की अन्य भी औरते पानी भरने आई थी।
Shaandaar aur mast update👍👍.
 
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अपडेट ३

अब लता चुप हो गई थी और कुआ भी पास आ गया था और कुआ के पास गांव की अन्य भी औरते पानी भरने आई थी।

अब आगे....

राजू हर बार की तरह आज भी कुआ की मुंडेर पर जाकर बैठ जाता है और जब औरते कुआ से पानी की बाल्टी को पकड़कर खींचने को झुकती है तो राजू उनकी सीने में झांकने की कोशिश करता रहता है

और ऐसा नहीं था की औरते इस बात से अनजान थी वो भी ज्यादा से ज्यादा झुककर अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को राजू के आगे कर उसे दिखाने के लिए तड़पती रहती थी और कुछ औरते तो राजू का ही इंतजार किया करती थी की कब राजू आएगा और कब उनकी जवानी को अपनी आखों से ताडेगा।

राजू अभी बारी बारी से सभी औरत की चूचियों को घूर रहा था और किसकी कितनी बड़ी चूची है उसे एक दूसरे से तुलना कर रहा था की किसी ने आकर राजू से उसकी चाची के बारे में बताया...

मधू भाभी...राजू तेरी हिटलर चाची आ रही है...

राजू...भाभी वो मेरी चाची है।

मधू...सॉरी राजू बाबू और मधू मुस्का दी जिसे राजू अनदेखा कर देता है

राजू ने जैसे ही सुना की उसकी चाची आ रही है वह तुरंत कुआ की मुंडेर से उठ गया और औरतों से जाकर दूर बैठ गया।

अब वक्त भी आ गया है की राजू के परिवार का परिचय दे देना चाहिए आखिर ये हिटलर चाची कौन है और क्यूं राजू अपनी चाची से इतना डरता है।

ब्रजभान शर्मा (राजू के दादा) expired
कोकिला देवी दादी expired

ब्रजभान के 4 लड़के और एक लड़की हुई।

कमल 45
नीरज 43
धीरज 42
शशि 40
और माधव 38

कमल की शादी चंद्रलेखा 43 से हुई जिसकी दो बेटियां और एक लड़का हुआ जो अब शहर में ही रहते है।

नैना 25
सुनैना 23
और अरुण 22

नीरज की शादी कमला 42 से हुई इनकी भी दो बेटियां और एक नालायक बेटा हुआ। इनका मकान मेरे घर से जुड़ा हुआ है बस फर्क इतना है की इनका मकान पूरा पक्का दो मंजिला बना है और मेरा अभी भी कच्छा ही है।

सोनू 22
पायल 20
रचना 18

धीरज की शादी राधा 40 यानी मेरी माई से हुई और राधा का पति अब इस दुनिया में नही है इसलिए राधा की सिर्फ एक ही इकलौती औलाद राजू 18 है जो उसकी पूरी दुनिया है।

माधव की शादी अरूना 35 से हुई जिसकी अभी तक कोई संतान नहीं थी लेकिन अरूना को इस बात की कोई चिंता भी नही थी क्यूंकि पूरा गांव जानता था की अरूना राजू को अपना ही बेटा मानती है और जितनी चिंता राधा को राजू की नही है उससे कही अधिक चिंता अरूना को अपने बेटे राजू की रहती है।

राजू का डर भी अरूना की देखभाल करना था क्यूंकि अरूना एक स्कूल अध्यापिका भी थी और वह अच्छी तरह जानती थी की राजू एक बिन बाप का लड़का है यदि उस पर किसी का दबाव नहीं रहा तो वह बिगड़ जायेगा।

अरूना राजू को पढ़ने के लिए शहर भी भेजना चाहती थी लेकिन हर बार वह राधा की ममता के आगे बेबस हो जाती....

शशी की शादी नितिन 43 से हुई जिसकी सिर्फ दो बेटियां ही हुई।

अमृता 21
और नित्या 19

गांव के कुछ और भी किरदार और उनके परिवार है जिनका हमारे परिवार से आपसी मेलजोल ज्यादा है उनका भी परिचय समय समय पर उनके उचित स्थान पर दिया जाएगा।

और कुछ ऐसे भी किरदार होंगे जिनका परिचय तो नहीं दिया जाएगा लेकिन वह इस कहानी के पात्र होंगे उनकी पहचान सिर्फ गांव से ही की जायेगी।

राजू का घर गांव के जैसा मिट्टी का बना था जिसमे सिर्फ दो कमरे थे और मिट्टी का ही किचेन बना हुआ था बाथरूम सिर्फ नाम का था और उसके एक तरफ अरूना यानी राजू की चाची का भी घर था जो की पक्का था लेकिन अभी भी उसकी दीवारों पर सीमेंट का लेप बाकी था और घर की फर्स को सिर्फ पक्का करवा लिया था ये एक सिंगल पोर्शन मकान था जिसमे 4 रूम और एक स्टोर भी बना हुआ था।

जबकि राजू की ताई का मकान किसी महल की तरह चमक रहा था जो को राजू के दूसरी तरफ था इस घर में दीवारों से लेकर उसकी फर्स तक सीमेंट का प्लास्टर हुआ था और दीवारों पर महगी पेंट के साथ साथ सुंदर आकृति भी बनी हुई थी ये मकान दो मंजिला बना हुआ था और इसमें आठ कमरों के साथ दो स्टोर भी था।

चलो अब स्टोरी पर आते है....

जैसे ही गांव की औरतों ने देखा की अरूना आ रही है सभी औरते चुपचाप अपना पानी भरने लगी।

अरूना को अब अरु ही लिखा जायेगा....

अरु की भी नजर जब राजू पर पड़ती है तो वह राजू को आवाज देती है राजू दौड़ता हुआ अरु के पास आता है और बिना कुछ बोले अपना सर झुका कर खड़ा हो जाता है।

अरु...तुम वहां बैठ कर क्या कर रहे थे लता से बोल दिया होता वो तुझे पानी भरकर दे देती या फिर खुद से पानी भर लेते....

मैने कितनी बार दीदी को माना किया है की इससे पानी ना मगवाया करे लेकिन पता नहीं क्यूं वो मानती ही नहीं चलो आज मैं दीदी से बात करती हूं।

लाओ अपनी गागर मुझे दो...

राजू...नहीं छोटी माई मैं खुद से भर लूंगा आप अपनी भी गागर मुझे दे दो मैं उसे भी भरकर घर ले चलता हूं।

और राजू अरु की ओर देखने लगा अरु ने भी ज्यादा नहीं सोचा और अपनी गागर राजू को पकड़ा दी।

राजू ने दोनो घड़े पानी से भर लिए और एक घड़े को सर पर रक्खा और दूसरे घड़े को अपनी कमर पर टांग लिया और चलने लगा।

अरु ने राजू से कहा की वह उसे घड़ा दे दे लेकिन राजू ने माना कर दिया और बोला माई अब मैं बड़ा हो गया हूं तो फिर अपनी माई को कैसे काम करने से सकता हूं।

और फिर राजू अपनी छोटी माई के साथ घर लौट आता है।

राधा जैसे राजू को देखती है वह उस पर चिल्ला पड़ती है...

क्यूं तूने इतना समय कहां लगा दिया मैं कबसे खाना बनाने के लिए पानी की राह देख रही थी और तू है जैसे कुआ से पानी लेने नहीं बल्कि किसी सुरंग को खोदकर पानी लेने गया था।

अब आज भी तेरी वजह से मुझे लालटेन बारनी पड़ेगी।
Gajab ka update diya bhai.
 

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अपडेट ४



अब आज भी तेरी वजह से मुझे लालटेन बारनी पड़ेगी।


अब आगे....


और फिर राधा खाना बनाने लगती है... और राजू को बोलती है


राजू बेटा जा ननखी ताई से पूछ आ पानी की रवल मिलेगी तो आज खेतो में पानी भी लगा दिया जाए, और जल्दी आना।


ठीक है माई इतना बोलकर राजू ननखी ताई के घर की ओर चल देता है


अरे कोई है ओ ननखी ताई कहां गए सब के सब...


मुखिया काका 50

ननखी काकी 47

कलुआ (कल्लू) 30 बेटा

लता भाभी 25

सोनम 28 बेटी अभी शादी नहीं हुई


ताई ओ ताई कहां है तू


लता...आई क्यूं शोर कर रहे है आप, किससे मिलना है आपको?


लता एक लंबा सा घूंघट अपने सर डालकर बाहर आई।


राजू जिसे लता के दिखते ही शरारत सूझी वह चुपके से लता के पास गया और लता को अपनी बाहों में भर लिया और बोला।


जाने मन तू किससे मुझे मिलवाने वाली है लता जो सांझ के अंधेरे में राजू को देख ना सकी और ऐसे अचानक हमले से डर गई और वह राजू की बाहों में मछली की भांति उससे छूटने के लिए फड़फड़ाने लगी।


लता छोड़ दे हरामखोर वरना मैं शोर मचा दूंगी और लता जोर जोर से चिल्लाने लगी जिससे राजू ने तुरंत लता को छोड़ दिया।


लता जैसे ही उस शक्स से दूर हुई उसने उस शख्स को बिना देखे ही घर की ओर घुस गई और गेट बंद कर दिया ।


लता सच में बहुत डर गई थी उसकी सांसे फूलने लगी थी वह अपनी सांसों को अभी संभाल ही रही थी की उसे फिर से आवाज आई ।


अरे ओ लुगाई दरवाजा खोलो ना अब क्या तू अपने पति को भी भूल जायेगी....


जैसे लता ने लुगाई शब्द सुना उसे पता चल गया की ये कौन है और अब लता का डर गुस्से और क्रोध में बदल गया ।


लता ने दरवाजा खोला और राजू का कॉलर पकड़ उसे अंदर खींच लिया


लता ने एक हल्का सा थप्पड़ राजू के गाल पर लगा दिया और बोली कैसा नालायक तू पति है मेरा भला कोई अपनी लुगाई को ऐसे भी डराता है।


अरे गलती हो गई जानेमन मैने सोचा नही था की मेरी BMW इतना डर जायेगी वैसे तू इतना क्यूं डर गई।


लता घर में कोई नही है सभी खेत पर है और इतना बड़ा घर पूरा सन्नाटा पसरा है मैं पहले से ही डर रही थी और ऊपर से तू आकर ऐसे अचानक पकड़ेगा तो डर तो लगेगा ही ।


वैसे तूने क्या सोचा कौन आ गया जिसने तुझे ऐसे पकड़ लिया।


अब और गुस्सा ना दिला वो सब छोड़ ये बता तू यहां क्यूं आया है


राजू.. मैं तो अपनी लुगाई से मिलने आया हूं।


लता..झूठ न बोल मुझे पता है तू कितना मुझसे मिलने आता है अब सच बता तू मेरी सास को क्यूं बुला रहा था।


राजू..तो फिर सुन तेरी एक और सास ने मुझे तेरे घर भेजा है ताकि मैं काकी या फिर काका से पूछ सकू की आज मुझे अपने खेतो में पानी लगाना है तो क्या आज की रवल मुझे मिलेगी।


लता... ये बात तो तेरी काकी ही बताएगी जब वो आयेगी तो मैं उनको तेरे घर भेज दूंगी लेकिन हां तू झूठ क्यूं बोल रहा था की मैं तुझसे मिलने आया हूं बोल..


राजू..अरे वो सब छोड़ मेरी जान आज मुझे अपनी लुगाई की BMW देखनी और चलानी है बोल अपनी BMW को चलाने को देगी।


लता..चलाने को भी मिलेगी लेकिन उसे जिसके पास इस BMW का लाइसेंस होगा अब बोल मेरे अनाड़ी पति तेरे पास लांइसेंस है ।


राजू..अरे मैं बिना लाइसेंस के भी ये गाड़ी दौड़ा सकता हूं।


लता..ना बाबा ना बिना लाइसेंस के मैं अपनी गाड़ी तुझे नही देने वाली कही ठोक दी तो मेरी गाड़ी तो चकना चूर हो जायेगी।


राजू..अरे मेरी जान ये गाड़ी भी तो ठोंक ठोक के ही चलती है और फिर

राजू ने लता का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे लता किसी कटी पतंग की भांति राजू के सीने से जा टकराई और फिर राजू ने अपने दोनो हाथों को पीछे ले जाकर लता की पीठ को पकड़कर अपने सीने से कसके जकड़ लिया जिससे राजू को अपने सीने में लता के मोटे मोटे चूचे दबते हुए महसूस हुए और राजू को एक बहुत ही अनोखा और मुलायम सा अहसास होता हुआ महसूस हुआ।


इधर लता राजू से अचानक टकराने से उसकी एक आह निकल जाती है


लता जो अभी तक सिर्फ ये समझ रही थी की राजू उससे हर बार की तरह बातों ही बातों में मजाक कर रहा था लेकिन जब उसके चूचे राजू से टकराए तब उसे अहसास हो गया की ये राजू अब पहले वाला राजू नहीं रहा और फिर लता को आज कुआ के पास वाला मजाक भी याद आ गया जब राजू ने पहली बार उसकी गांड़ पर हाथ मारा था।


लता फुर्ती से राजू की पकड़ से दूर हटते हुए बोली..राजू ये क्या बेहूदगी कर रहा है मैं तेरी भाभी हूं ये कैसी हरकतें तू आज कल करने लगा है ।


राजू..कैसी हरकतें कर रहा हूं मैं तो अपनी बीबी को प्यार कर रहा हूं भला अपनी बीबी को कौन नहीं प्यार करता है।


लता..लेकिन मैं तेरी बीबी नही भाभी हूं वो तो मैं तुझे मजाक में अपना पति बुलाती थी और फिर तूने भी मजाक करना शुरू कर दिया तो मैं और आगे बड़ गई, लेकिन तू मेरा तब भी देवर था आज भी देवर ही है और हमेशा रहेगा इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सकता।


राजू..ये क्या बोल रही हो मैं तो तुझे अपनी बीबी ही मानता आया हूं और हमेशा अपनी बीबी ही मानूंगा।


और फिर राजू अपने पैर पटकते हुए वहां से निकल आया।


लता ने कभी नही सोचा था की उसका छोटा सा मजाक राजू के दिमाग पर इतना बड़ा असर करेगा ।


राजू बड़बड़ाते हुए घर की ओर जा रहा था की उसे रास्ते में उसकी छोटी माई मिल गई और जब अरु ने राजू को ऐसे अकेले में बड़बड़ाते हुए देखा तो उसने राजू को अपने पास बुला लिया ।


अरु..राजू क्या हुआ इधर आओ ऐसे अकेले में ही किससे बाते करते हुए जा रहे हो।


राजू ने जैसे ही अरु को देखा उसका पूरा शरीर कांप गया और वह सोचने लगा कही छोटी माई ने सुन तो नही लिया आखिर माई मुझे अपने पास क्यूं बुला रही है।


राजू डरते डरते अरु के पास पहुंचा और चुपचाप जाकर अरु के पास खड़ा हो गया।


अरु..ऐसे अकेले में तू किससे बातें कर रहा था। क्या कोई परेशानी है?

और तू आज पढ़ने भी नही आया।


राजू..नही माई कोई परेशानी नही है वो तो बड़ी माई ने मुखिया काका के घर भेजा था वहीं से आ रहा हूं और माई आज खेतो में पानी लगाना है इसलिए पढ़ने नही आ सका ।


अरु..ठीक है कल समय से आ जाना ।


राजू...हां में अपनी गर्दन हिलाता है और फिर वहां से धीरे से खिसक लेता है ।


अरु..राजू की हर एक हरकत को बहुत ध्यान से नोटिस करती है और जब वह चला जाता है तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है और बोलती है..ये लड़का भी ना पता नही मुझसे इतना क्यूं डरता है और फिर हस्ते हुए खुद को ही जवाब देती है कुछ भी हो इसका मुझसे डरना भी इसके भविष्य लिए ही अच्छा है ।


इधर राजू भी अपने सर पर हाथ मरते हुए..अरे बुड़बक आज बच गया अगर माई ने सुन लिया होता तो आज तेरी ऐसी पिटाई होती की तू ये लता का इश्क भूल जाता ।


और फिर राजू अपने मिट्टी के बने कच्चे मकान में घुस जाता है ।
BMW (Kahani) top speed mein jaa rahi hai bhai.
 

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अपडेट ५


इधर राजू भी अपने सर पर हाथ मरते हुए..अरे बुड़बक आज बच गया अगर माई ने सुन लिया होता तो आज तेरी ऐसी पिटाई होती की तू ये लता का इश्क भूल जाता और फिर राजू अपने मिट्टी के बने कच्चे मकान में घुस जाता है ।

अब आगे...

जब राजू घर पहुंचा तो उसकी माई बर्तन को उठा कर बाथरूम में रख रही थी,और जैसे ही राधा ने राजू को देखा तो राधा ने बर्तन को जल्दी से आंगन में बने बाथरूम में रख दिया और राजू को खाना देने के लिए किचेन में आ गई और राजू से बोली...
बेटा राजू जल्दी से हाथ मुंह धोकर आजा खाना खाकर हमे खेत भी चलना है वैसे ननखी ताई ने क्या कहां पानी देने के लिए।

राजू...माई ननखी ताई के घर सिर्फ लता भाभी थी बाकी पूरा घर सुबह से खेतो में है अब जब ताई आयेगी तभी पता लगेगा कि आज हमे पानी मिलेगा या नहीं ।

राधा सोच में पड़ जाती है उसके खेतो की फसल सूख रही थी खेतो में समय से पानी नहीं लगा तो पूरी मेहनत बेकार हो जायेगी..

राजू अपनी माई को ऐसे सोचते हुए देख बोल पड़ा.. ऐ माई तू ऐसे बुत बनी क्या सोच रही है क्या हुआ आज नहीं तो कल देख लेंगे।

राधा नहीं बेटा हम अपनी फसल को ऐसे सूखने नहीं दे सकते तू एक काम कर जल्दी खाना खा ले फिर हम दोनो वही खेत पर चलते है अगर पानी मिल गया तो आज के आज ही खेतो में सिंचाई कर देंगे नहीं तो फिर भगवान कोई ना कोई रास्ता निकलेगा।

वैसे माई कल किसका दिन है?

कल से दूसरे गांव वालों के खेत में सिंचाई चालू हो जायेगी तो फिर हम नाले से पानी नहीं ले जा सकते हैं।

ठीक है माई तू जल्दी से सारे काम निपटा ले तब तक मैं एक चक्कर खेतो की ओर लगा के आता हूं और ननखी ताई से भी पूछता आऊंगा अगर पानी मिल जाता है तो मैं आकर तुझे साथ ले जाऊंगा।

राधा थोड़ी सी उलझन में रहती है लेकिन उसे राजू पर विश्वास था आखिर राजू ने ही अपनी छोटी उम्र से खेतो पर काम करना चालू कर दिया था।

राधा..बेटा कहीं किसी की बातों में ना उलझ जाना नहीं तो अपनी फसल सूख जायेगी अब लो जल्दी से खाना खाओ और जाओ।

राजू जल्दी जल्दी अपना खाना खाता है और फिर अपने कंधे पर एक चादर डालता है और एक हाथ में लालटेन और दूसरे हाथ में एक डंडा लेके खेतों की ओर निकल जाता है।

राजू सीधा ननखी ताई के खेतो की ओर अपनी ही धुन में मगन बढ़ता जा रहा था और अब अब मुखिया काका के खेत के पास पहुंच ही चुका था की उसे पास की एक झाड़ी से कुछ आवाज सी आई ये आवाज बहुत ही सुरीली और सुनी सुनी सी लग रही थी राजू एक बार इस आवाज को देखने के लिए उस झाड़ी की ओर मुड़ गया और जब उसने झाड़ी के पीछे देखा तो पाया कि ननखी ताई बैठकर मूत रही है ननखी ताई का पिछवाड़ा राजू की ओर था जिस वजह से ननखी ताई को राजू के आने का पता ना चल सका।

अब राजू ननखी ताई का पिछवाड़ा ताड़ने में लगा था लेकिन अभी उसका आधा पिछवाड़ा साड़ी से छिपा हुआ था लेकिन राजू के कानो में जो सुरूली आवाज आ रही थी वह ही काफी थी और अब उसका मोटा लैंड उसके पैंट में अंगड़ाई लेने लगा था।

इधर जब ननखी का मूतना हो गया तब वह उठने लगी और जैसे ही वह उठी राजू को एक पल के लिए ननखी का पूरा पिछवाड़ा नजर आ गया राजू उसकी बड़ी और चौड़ी गद्देदार गांड़ देखकर मदहोश होने लगा ।

इधर ननखी भी मूतने के बाद अपनी साड़ी नीचे कर देती है लेकिन साड़ी के नीचे वह अभी भी नंगी ही थी क्यूंकि गांव की अधिक से अधिक औरते साड़ी के नीचे और ब्लाउज के अंदर ब्रा और पैंटी जैसा कुछ नहीं पहनती अब ननखी अपने खेतो की ओर जाने लगती है और जैसे ही राजू ताई को जाते हुए देखता है वह भी दौड़कर उसके पास आकर उससे कहता है।

राजू..ताई मुझे मां ने भेजा है मुझे भी अपने खेतो में सिंचाई करनी है तो क्या आज आपकी रवल मुझे मिल जायेगी।

ननखी..बेटा अभी तो मेरा खेत अधूरा है अभी उसे ही भरने में बहुत समय लग जायेगा उसके बाद ही मैं तुझे कुछ कह पाऊंगी।

राजू..कोई बात नही काकी मैं यही तेरी झोपड़ी में सो जाता हूं जब तेरे खेत में पानी लग जाए तब मुझे जगा देना।

ननखी..ठीक है राजू बेटा तू वही पर जाकर सो जा अगर खाना ना खाकर आया तो सोनम भी वही पर है उससे खाना लेकर खा लेना।

राजू..वैसे काकी मैने देखा है आपका खेत बहुत बड़ा और बहुत चौड़ा है इसमें तो पानी लगाते समय मुखिया काका भी थक जाते होंगे।

अब राजू ननखी ताई से डबल मीनिंग में बात कर रहा था उसके खेतो का मतलब ननखी की मोटी गांड़ से था।

ननखी.. हां राजू बेटा तेरे काका अब बूढ़े हो गए है अब उनमें वो ताकत नहीं बची जो पहले हुआ करती थी और ये जमीन तो नए मर्दों को मांगती है वैसे अब तेरा भाई ही इन खेतो पर मेहनत करता है तेरे काका तो बस उसकी मदद ही करते है।

राजू.. हां काकी आप सही कह रही हैं मुझे भी लगता है आपके खेत अभी भी बहुत टाईट है काका की अब बस की बात नहीं है तू कहे तो मैं तेरे खेतों में पानी लगा दूं अभी मैं जवान भी हूं और मैं काका से ज्यादा अच्छी मेहनत भी कर सकता हूं, मुखिया काका तो तेरे खेत की हरियाली में ही खो जाते होंगे।

ननखी की भी अब काफी उमर हो गई थी उसने राजू जैसे अनेकों लडको को अपनी गोद में खिलाया था भला उसे कैसे न पता लगता की राजू उसके किस खेत की बात उससे कर रहा हैं।

ननखी ने तुरंत राजू का कान पकड़ लिया और बोली..अच्छा तो अब मैं समझी तू मेरे किन खेतों की बात मुझसे कर रहा था बेटा मैंने तुझ जैसे न जाने कितनों को अपनी गोद में खिलाया है और तू मुझे छेड़ रहा है।

राजू…आई...ई काकी मैं तो मजाक कर रहा था लेकिन आप कुछ भी कहो मैने अभी अभी आपका बड़ा चौड़ा सा खेत देखा है जिसको सच में पानी की जरूरत है आप कहो तो मैं अपने मोटे नलका से भर दूं।

ननखी थोड़ा सा शर्माती है लेकिन वह राजू को जाहिर नहीं होने देना चाहती और फिर...

ननखी थोड़ा तेजी से राजू के कान को मोड़ते हुए बोलती है..राजू बेटा बड़े बड़े खेत तो तेरे भी घर में तेरी दोनो माई के है उसके खेतों में भी पानी की बहुत जरूरत है बता उनके खेतों में तू कब पानी लगायेगा।

राजू..आई काकी कान छोड़ दे दुख रहे हैं और काकी तू उनकी छोड़ अपनी बता तेरे खेतों में पानी कब से नहीं लगा काका का नलका तेरे खेतों तक तो पहुंच भी नहीं पाता होगा....और राजू जोर जोर से हसने लगता है।

ननखी..रुक तेरी छोटी माई को ही बताना पड़ेगा की तेरा लल्ला अब बड़ा हो गया है उसे या तो अपने खेत दिखा दे नहीं तो कोई खेत वाली ढूंढकर ला दे।

राजू..अरे माई क्यूं काकी मैं तो अपनी प्यारी काकी से मजाक कर रहा था और तू तो गुस्सा हो गई अच्छा काकी मुझे माफ करदे और जब तेरे ये फसल वाले खेत भर जाए तो मुझे जगा देना तब तक मैं तेरी झोपड़ी में सो रहा हूं।

और राजू अपने कान छुड़ाकर वहां से भागता बना।

जिसे देख ननखी खिलखिलाकर हस पड़ी और बोली अरे राजू बेटा मेरे खेतों में पानी तो लगा जा...

राजू..अरे काकी फिर कभी अभी तो तू बस रहन दे...

अब राजू ननखी की झोपड़ी की ओर चल देता है जहां सोनम मुखिया काका और कलुआ को खाना खिला रही थी।
Bhai mast double meaning dialogue deh rahe ho jo Kahani ko chaar chand laga rahe hai. 🌹🌹
 

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अब राजू ननखी की झोपड़ी की ओर चल देता है जहां सोनम मुखिया काका और कलुआ को खाना खिला रही थी।

अब आगे...


राजू..अरे ओ काका आज क्या खा रहे हो,और अकेले ही, हमको नहीं खिलाओगे क्या?

मुखिया..अरे राजू बेटा आओ आओ!! आज इधर कैसे आना हुआ बेटा कहीं रास्ता तो नहीं भूल गए।

राजू मुखिया की झोपड़ी में पहुंच जाता है और अपना डंडा वही झोपड़ी के बगल में रख देता है और अपनी लालटेन की लौ को कम करके उसी झोपड़ी के ऊपर लगे बॉस के डंडे में लटका देता है और अपनी चादर को वही पास में रख उसी के बगल में बैठ जाता है।

मुखियां.. बेटा सोनम एक थाली राजू के लिए भी लगा दो।

राजू..अरे नहीं काका मैं तो अभी अभी माई के हांथ से गरमा गर्म रोटी खाकर आ रहा हूं, आप खाओ मैं तो बस ऐसे ही मजाक कर रहा था।

राजू अब सोनम की ओर अपना मुंह घुमाता है जो अपने भाई को देख मुस्कुरा रही थी और कलुआ भी खाना खाते हुए मुस्कुरा रहा था।

राजू..क्या हुआ सोनम जिजी आप दोनो ऐसे क्यूं मुस्कुरा रहे है मैंने क्या कोई सच में बड़ा मजाक कर दिया।

सोनम अरे नहीं राजू भाई ऐसा नहीं है हम किसी और बात पर हस रहे थे।

राजू..अच्छा ऐसी कौनसी बात है जरा हमे भी बताओ, थोड़ा हम भी हस ले क्यूं मुखिया काका सही कहा न मैने?

सोनम..अरे नहीं राजू भईया कोई भी बात नहीं है आप बताओ आज इधर का रास्ता कैसे भूल गए।

अभी राजू कुछ बोल पाता की ननखी ताई बोल पड़ी...ये जनाब ऐसे रास्ता नहीं भूल गए आज इनको काम पड़ा है तो हमारी याद आई है।

और फिर ननखी अपने परिवार वालो को बताते हुए बोलती है...

राजू को अपने खेतो की सिंचाई करनी है और कल से दूसरे गांव वाले इस नाले पर कब्जा कर लेंगे... अजी अब आप बताओ अपना खेत कितनी देर में हो जायेगा...

मुखिया..अभी काम से काम 1 घरी का समय और लगेगा, तब तक बेटा तुम यही सो जाओ।

इतना बोलकर मुखिया कलुआ को लेकर अपने साथ खेत में चला जाता है।

आजा राजू खाना खा ले... ननखी राजू से पूछती है।

अरे काकी खाना तो मैं घर से ही खा आया अब तो गरमा गरम दूध पीने का मन कर रहा है आपके पास है तो पीला दो।

ननखी अच्छे से जानती थी राजू किस दूध की बात कर रहा है वह राजू को इसका अच्छे से जवाब भी देती लेकिन वह अपनी बेटी के सामने चुप रह जाती है ,जबकि सोनम अब धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी और राजू को देख रही थी।

ननखी..बेटा अब यहां कहां से मैं तुमको दूध दे सकती हूं यहां तो ये सोनम बड़ी मुस्किल से खाना ही ले आई।

राजू..अब नहीं देना है तो न दो वैसे मैंने यही पास में दो गायों को एक साथ देखा था जिनके बड़े बड़े थन लटक रहे थे एक गाय तो थोड़ी ज्यादा उम्र की लग रही थी लगता है काकी वो उसकी मां होगी उसके थन बहुत बड़े थे लेकिन कुछ भी कहो दोनो के ही थनों में दूध बहुत भरा होगा मेरा तो मन कर रहा है उन्ही थनों को अपने मुंह में भर लूं और जोर जोर से पियूं।

सोनम ने जब राजू के मुंह से ये बात सुनी तो वह शर्म से लाल होने लगी राजू उसकी मां के सामने ही उसकी चुचियों को पीने की बात कर रहा था और इतना ही नहीं वह उसकी मां की चुचियों की बात उसकी बेटी के सामने कर रहा था, और सोनम अब धीरे धीरे गर्म होने लगी थी

ननखी..( थोड़ा गुस्से वाली आवाज में ) हां बेटा राजू इधर छुटा गाय गोरु आते रहते है ,अब तू ऐसा कर यही सो जा जब खेतों की सिंचाई हो जायेगी तो मैं तुझे आकर जगा दूंगी।

राजू भी समझ गया की अब ज्यादा पंगा लेना उचित नहीं है और फिर उसे अपनी राधा माई की बात याद आती है की उसकी माई ने कहां था की खेतों में सिंचाई नही हुई तो उसके खेत सूख जाएंगे और ननखी काकी अब एक मात्र उसका सहारा है अगर वो भी उससे रूठ गई तो सब सत्यानाश हो जायेगा और इसलिए वह काकी की बात मानकर चुपचाप लेट जाता है।

इधर ननखी और सोनम अब अपना खाना खा रही थी और उन दोनो का खाना भी लगभग हो चुका था जबकि सोनम खाना खाते हुए बार बार राजू की ओर देख लेती थी।

ननखी...बेटी अब रात बहुत हो गई है और तू इतनी रात को अकेले घर कहां जायेगी एक काम कर तू भी यही सो जा।

सोनम..राजू की ओर देखते हुए बोली..लेकिन अम्मा मैं यहां पर कैसे सो सकती हूं।

ननखी..तू डर मत यहां राजू है और फिर ननखी राजू को बुलाती है...

राजू ऐ राजू...

राजू... हां काकी बोलो क्या काम है।

ननखी..देख अब रात बहुत हो गई है और मैं अपनी बेटी को रात में अकेले नहीं भेज सकती इसलिए ये भी यही सोएगी तेरे पास लेकिन तू उसे परेशान बिलकुल भी न करना और जंगली जानवरों का भी ध्यान रखना यहां जंगली सुअर आते रहते है ठीक है राजू मेरी एक बात गांठ बांध लो अगर उसने मुझे बताया की तूने उसे परेशान किया है तो फिर तू समझ सकता है तेरे साथ क्या होगा तेरे खेत सच में सूख जाएंगे..।

ननखी की आवाज थोड़ी कड़क थी जिसे राजू ध्यान से सुनता है और फिर बोलता है।

राजू..काकी वो मेरी बडी बहन है भला मैं उसे क्यूं परेशान करने लगा।

ननखी ठीक है बेटी अब मैं जाती हूं।
Bhai Raju toh pyara badmash hai. Magar kheto ke chalte shayad hi kuch kar sake.
 

Fuker

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ननखी अपने खेतो की ओर चली जाती है और सोनम तब तक अपनी अम्मा को देखती रही जब तक उसकी अम्मा उसकी आंखों से ओझल ना हो गई, अब सोनम राजू को देखती है और फिर सारे बर्तन समेटकर एक जगह रख देती है फिर लालटेन को उतारकर अपने पास रख लेती है और झोपड़ी का दरवाजा बंद कर देती है।


इस झोपड़ी में नीचे फर्श पर फसल की सुखी पुआल पड़ी थी जो की थोड़ी सी गर्म होती है गांव के लोग सर्दियों के मौसम में पालतू जानवरों के नीचे इसी को बिछाते है, सोनम उसी पुआल पर राजू की ओर करवट लेकर लेट जाती है उसके पास ओढ़ने के लिए सिर्फ उसका दुप्पटा ही था जिसे वह अपने ऊपर डाल लेती है।
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वही राजू भी सोनम से सिर्फ एक हांथ की दूरी पर लेट जाता है और सोनम को देखने लगता हैं दोनो की आंखे एक दूसरे से आंख मिचौली खेल रही थी जब राजू सोनम की आंखों में देखता तो सोनम अपनी आंखे घुमा लेती और जब सोनम राजू को देखती तो राजू अपनी नजरे फेर लेता धीरे धीरे इसी खेल में दोनो को अब मजा भी आने लगता है और फिर कुछ समय बाद दोनो ही एक दूसरे की आंखों में खो जाते है।


झोपड़ी में बिलकुल शन्नाटा पसरा था शायद ये किसी बड़े तूफान के आने का संकेत था जिससे दो जवां जिस्म अंजान थे लेकिन वो दोनो ही एक दूसरे की गर्म और भारी सांसो को महसूस कर पा रहे थे।


सोनम राजू के बोलने का इंतजार कर रही थी लेकिन जब उसने देखा की राजू कुछ भी नहीं बोल रहा तो वह उदास हो जाती है और गुस्से से अपना मुंह फूलाते हुए करवट बदल लेती है और अपनी भारी भरकम गांड़ राजू की ओर करके लेट जाती है।
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राजू जिसने ना जाने कबसे अपने आपको रोक रक्खा था जैसे ही वह सोनम की भारी भरकम गांड़ को देखता है अब उसके बांध का सब्र टूट जाता है और वह उछलते हुए सोनम से जा चिपकता है।


सोनम राजू के ऐसे अचानक चिपकने से चिहुंक जाती है फिर कुछ देर बाद वह नॉर्मल हो जाती है लेकिन सोनम का गुस्सा अभी उतारा नहीं था इसलिए वह वैसे ही लेटी रहती है लेकिन राजू अब कहां रुकने वाला था वह सोनम से चिपकते हुए अपने हाथों से सोनम के मुलायक पेट को पकड लेता है और सोनम को अपनी ओर खींचकर पीछे से एक धक्का सोनम की गांड़ पर मार देता है जिससे राजू का मोटा लण्ङ सोनम की गांड़ में जाकर धंस जाता है और सोनम के पूरे शरीर में मस्ती की एक लहर दौड़ जाती है और उसकी सिसकी निकल जाती है।


Shiiiiiiiii shiiiiiiiii रा........जू


अब राजू अपने हाथ से सोनम के पेट को सहलाते हुए ऊपर की ओर ले जाता है और फिर सोनम की एक चूची को पकड़कर जोर जोर से दबाने लगता है जिससे सोनम दर्द से सिसियाने लगती है।
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आह राजू आराम से दर्द कर रहा है, लेकिन राजू पर तो जैसे कोई भूत ही सवार था वह सोनम की चुचियों को आज पूरा निचोड़ने वाला था अब सोनम से भी बर्दास्त करना मुस्किल हो रही थी इसलिए वह भी पलटकर राजू के ऊपर चढ़ जाती है और राजू की आंखों में देखते हुए बोलती है राजू तू क्या मेरी अम्मा की बात भूल गया अगर तूने मुझे परेशान किया तो मैं अम्मा को सब बता दूंगी और फिर तेरे खेत बिना पानी के ही सूंखेंगे।


राजू सोनम की बात सुनकर थोड़ा नरम पड़ता है और सोचने लगता है जिसे देख सोनम खिलखिलाकर हस्ती है और फिर बोलती है...

अरे मेरे भोंदू आशिक मैं मजाक कर रही थी जिसे सुन राजू के चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है और फिर वो बोलता है...


अरे मेरी सोनम रानी पहले तेरी बंजर ज़मीन पर पानी लगा दूं उसके बाद अपने खेतों को भी देख लेंगे और अब राजू सोनम की गांड़ को अपने दोनो हाथो में भरकर मसलने लगता हैं।


इस सब में सोनम की बुर पानी बहाए जा रही थी और राजू अपने मेहनती हांथों से सोनम की गांड़ को किसी आटे की तरह मसले जा रहा था जैसे किसी ने कहां हो की जितना मसलोगे उतनी ही मुलायम गांड़ होगी, जो कि फिर उसे ठोकने को मिलेगी शायद मिल भी जाए, चलो पहले सोनम की सील बंद बुर तो मिल जाए।


अब सोनम की आंखों में हवस के लाल लाल डोरे तैरने लगे थे उसकी जवान सूखने लगी थी उसकी सांसे उखड़ने लगी थी जिससे अब वह एक पल भी बिना रुके राजू पर टूट पड़ती है और राजू के होंटो को अपने मुंह में भरकर चूमने लगती है राजू भी सोनम की गांड़ को अपने हाथों से मसलता हुआ सोनम का साथ देते हुए उसे किस करने लगता है ,कभी सोनम राजू को चूमती है तो कभी राजू सोनम को चूमता है।

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और फिर जब दोनो की सांसे उखड़ने लगती है तो राजू किस तोड़ देता है और अब वह पलट जाता है और खड़े होकर अपने कपड़े उतार देता है अब राजू सिर्फ एक कच्छे में आ जाता है,वही सोनम अभी भी लेती थी और राजू को अपने कपड़े उतारते देख अब उसे शर्म आने लगी थी।


राजू अपने सारे कपड़े उतार सोनम के पास बैठ जाता है और सोनम को भी कपड़े उतारने को कहता है तो सोनम ना में सर हिला देती हैं और अपना मुंह घुमा लेती है राजू थोड़ा असमंजस में आ जाता है वह सोचने लगता है की ये सोनम जो अभी उसका साथ दे रही थी अब वह कपड़े क्यूं नहीं उतार रही इधर जब सोनम राजू को परेशानी में देखती है तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह राजू का हाथ पकड़ कर अपने पास खींच लेती है और उसे फिर से चूमने लगती है।

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इससे राजू की हिम्मत फिर से बड़ जाती है और अब राजू सोनम को चूमते हुए उसके कपड़े खुद से उतारने लगता है जिसमे पहले तो सोनम उसका हाथ पकड़ लेती है लेकिन राजू के बराबर प्रयास से राजू को सहमति देते हुए राजू को अपने कपड़े उतारने देती है अब राजू सबसे पहले सोनम की काली पायजामी को उसकी कमर में हाथ डालकर नीचे खींचने लगता है जो थोड़ा सा सरक्कर सोनम की गांड़ में अटक जाती है जिसे सोनम अपनी गांड़ को उठाकर राजू को निकालने देती है।


अब सोनम एक काली कच्छी में आ जाती है ये कच्छी कोई फैंसी टाइप की नहीं होती है गांव में ज्यादातर औरते तो अंदर से नंगी ही रहती है सिर्फ लड़किया ही या फिर कुछ औरते बड़ी पुरानी टाइप की कच्छी पहनती थी।

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सोनम शर्म से लाल हुए जा रही थी और राजू के पायजामि निकालते ही सोनम ने अपने पैर मोड़ लिए और अपने पैरो को दुप्पटे से ढकने लगी जिसे राजू देख मुस्कुरा पड़ा और सोनम राजू को खींचकर अपने सीने से लगा लेती है और अपना सर राजू के सीने में छिपा लेती है।


अब राजू को भी एहसास हो जाता है की सोनम शर्मा रही है और शर्माना तो एक औरत का स्वभाव है फिर राजू धीरे से सोनम कर ऊपर उठता है और कहता सोनम मेरी जानेमन इसमें शर्माना कैसा एक ना एक दिन हर लड़की को ये सब करना ही पड़ता है क्या तुम नहीं चाहती की कोई तुम्हे भी अपनी बांहों में भरकर तुम्हारे इन रस से भरे लबों को चूमे इनका सारा रस निचोड़ लें क्या तुमको नहीं लगता की कोई मजबूत हाथ तुम्हारे इन दूध से भरे थनों को मसल मसलकर रगड़े और इनका सारा घमण्ड चूर चूर कर दे बता सोनम क्या तुम्हारी इच्छा नहीं होती की तुम्हारी रस बहती इस बुर को कोई हमच हमछकर चोद दे...


और राजू सोनम की बुर को उसकी पैंटी के ऊपर से रगड़ने लगता है, जिससे सोनम फिर से गरम होने लगती है और उसका मुंह फिर से सूखने लगता है अब उसकी कमर मस्ती से हिलाने लगती है और उसकी टांगे कांपने लगती है वह खुद से आगे बड़ राजू के सर को पकड़ लेती है और एक बार फिर से वह राजू को किस करने लगती है राजू जैसे देखता है की सोनम अब मस्ती में है वह एक हाथ से सोनम की बुर को बराबर मसलते रहता है और दूसरे हाथ से सोनम की कच्छी को पकड़कर खींच लेता है और उसे निकलकर दूर फेंक देता है, अब सोनम नीचे से बिलकुल नंगी हो जाती है उसकी बुर में घने काली झाटे(बाल) होती है जिसे देख राजू खुश हो जाता है और वह सोनम की बालों से भरी बुर में हाथ डालकर सहलाने लगता है कभी वह सोनम के बुर के बाल को पकड़कर खींचने लगता है जिससे सोनम को हल्का दर्द होता है और उसकी सिस्की निकल जाती है और फिर राजू सोनम की बुर की पंखुड़ियों को सहलाने लगता है जिससे सोनम अब गर्म होने लगती है।

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राजू बड़ी ही तीव्रता से सोनम की बुर को रगड़ते रहता है जिस कारण सोनम की फिर से सिसकियां उस झोपड़ी में गूंजने लगती है, सोनम....राजू आआआआ राजू मुझे कुछ हो रहा है राजू बस ऐसे ही करते जाओ i love you Raju I love you....


अब राजू देर न करते हुए अपनी भी कच्छी निकल फेंकता है और वह सोनम की टांगों के बीच आ जाता है इसके साथ ही वह ढेर सारा थूक अपने हाथों में लेकर अपने लिंग पर चुपड़ने लगता है।

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इधर सोनम जब अपनी चरम के करीब पहुंच जाती है की तभी राजू उसके बुर से हांथ हटा अपना मोटा लण्ङ उसकी बुर पर रगड़ने लगता है जिसके गर्म एहसास से ही सोनम सिहर जाती है और वह राजू के सर को पकड़ कर खींच लेती है, और अपने तपते होंठ राजू के होंठो से मिलाकर अपनी गर्म लावा जैसी लार राजू के मुंह में डालने लगती है जिसे राजू भी सोनम के जीभ द्वारा चूसने लगता है इससे राजू को एक नई ऊर्जा जैसी महसूस होती है और वह अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर अपने लण्ड के मोटे सुपाड़े को सोनम की बुर के छेद पर रख एक जोरदार धक्का लगा देता है जिससे सोनम की बुर जो पहले से ही बार बार बंद और खुल रही थी वह किसी ककड़ी की भांति फैलती हुई राजू का मोटा आधे भी ज्यादा लण्ड सोनम की बुर में घुस जाता है और सोनम की एक जोरदार चीख निकल जाती है।

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लेकिन राजू की किस्मत अच्छी थी की जो वह पहले से सोनम को किस करने लगा था जिस कारण से सोनम की दर्द भरी चीख उसके मुंह में ही दब कर रह गई, इधर सोनम को ऐसा एहसास होता है जैसे किसी ने उसकी बुर में लोहे का गर्म तेज धार वाला खंजर घोंप दिया हो


अब सोनम की सारी मस्ती उतार चुकी थी और वह राजू को पूरी ताकत से धकेलने पर लगी हुई थी लेकिन राजू के कसरती शरीर के आगे उसकी एक ना चली और राजू ने एक बार फिर से अपना लण्ड सोनम की बुर में किसी खंजर की भांति पूरा का पूरा घोंप दिया लेकिन उससे पहले राजू ने सोनम का मुंह दबा दिया जिससे सोनम की एक बार फिर से चीख दब गई लेकिन इस बार राजू की भी दर्द से सिसकी निकल गई क्यूंकि जैसे राजू ने अपना मोटा लण्ङ सोनम की बुर को फाड़ते हुए घुसाया वैसे ही सोनम ने भी अपने बड़े नाखून राजू की पीठ में गढ़ा दिए जिससे राजू की भी चीख निकल गई लेकिन राजू का दर्द सोनम के दर्द के आगे कुछ भी नही था, और अब वह किसी कटी मुर्गी की तरह फड़फड़ाने लगी उसकी बुर ने खून की उल्टी कर दी थी उसकी बुर की शील फट चुकी थी, और अब सोनम एक कच्ची कली से खिलकर एक गुलाब का फूल बन चुकी थी जिसका मजा राजू अच्छी तरह से ले रहा था।

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राजू एक बार फिर से सोनम के होंठो को भर लेता है और उसे जबरदत्ती किस करने लगता है, और उसकी चूचियों को मसलने लगता है जिससे कुछ ही देर में सोनम को राहत भी मिल जाती है और साथ ही वह गर्म होकर चुदने के लिए अपनी कमर भी खुद से ही हिलाने लगती है। जिससे अब राजू भी अपनी कमर एक लय में हिलाने लगता है और वह सोनम की दोनो चुचियों को बराबर मसलते हुए रहता है।


अब सोनम भी एक बार फिर से गर्म हो जाती है और वह जोर जोर से चुदने के लिए अपनी कमर को हिलाने लगती है और अपने दोनो हाथो से राजू की कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगती है।


इस सब से राजू अब जोस में आकर अपना लण्ड टोपे तक निकालकर उसे एक ही धक्के में अंदर घुसाने लगता है जिससे सोनम को अभी भी दर्द का अहसास होता है लेकिन इस दर्द के साथ साथ उसे मजा भी आने लगता है और फिर एक समय आता है जब राजू अपना मोटा लण्ड का टोपा तक निकालकर उसे पूरा सोनम की फटी बुर में डालने लगता है, जिससे एक मधुर संगीत निकलने लगता है।


फक्क फक्क् फक्क़ पच्च पच्च पच्च


सोनम आआआह रा...... जू बस ऐसे ही और तेज और तेज ओ अम्मा मर गई री बस राजू ऐसे ही ऐसे ही अब रुकना नहीं और फिर सोनम की बुर पानी छोड़ देती है,

राजू...सोनम मेरी जान तेरी बुर मेरे लौड़े को ऐसे जकड़े है जैसे अब ये जिंदगी भर नहीं छोड़ने वाली .... और फिर
राजू भी सोनम की कसी बुर के आगे नहीं टिक पाता और कुछ 10-12 और धक्कों के साथ अपना पानी सोनम की बुर में छोड़ देता है, और सोनम के ऊपर ही ढेर हो जाता है।
 
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