अपडेट ४
अब आज भी तेरी वजह से मुझे लालटेन बारनी पड़ेगी।
अब आगे....
और फिर राधा खाना बनाने लगती है... और राजू को बोलती है
राजू बेटा जा ननखी ताई से पूछ आ पानी की रवल मिलेगी तो आज खेतो में पानी भी लगा दिया जाए, और जल्दी आना।
ठीक है माई इतना बोलकर राजू ननखी ताई के घर की ओर चल देता है
अरे कोई है ओ ननखी ताई कहां गए सब के सब...
मुखिया काका 50
ननखी काकी 47
कलुआ (कल्लू) 30 बेटा
लता भाभी 25
सोनम 28 बेटी अभी शादी नहीं हुई
ताई ओ ताई कहां है तू
लता...आई क्यूं शोर कर रहे है आप, किससे मिलना है आपको?
लता एक लंबा सा घूंघट अपने सर डालकर बाहर आई।
राजू जिसे लता के दिखते ही शरारत सूझी वह चुपके से लता के पास गया और लता को अपनी बाहों में भर लिया और बोला।
जाने मन तू किससे मुझे मिलवाने वाली है लता जो सांझ के अंधेरे में राजू को देख ना सकी और ऐसे अचानक हमले से डर गई और वह राजू की बाहों में मछली की भांति उससे छूटने के लिए फड़फड़ाने लगी।
लता छोड़ दे हरामखोर वरना मैं शोर मचा दूंगी और लता जोर जोर से चिल्लाने लगी जिससे राजू ने तुरंत लता को छोड़ दिया।
लता जैसे ही उस शक्स से दूर हुई उसने उस शख्स को बिना देखे ही घर की ओर घुस गई और गेट बंद कर दिया ।
लता सच में बहुत डर गई थी उसकी सांसे फूलने लगी थी वह अपनी सांसों को अभी संभाल ही रही थी की उसे फिर से आवाज आई ।
अरे ओ लुगाई दरवाजा खोलो ना अब क्या तू अपने पति को भी भूल जायेगी....
जैसे लता ने लुगाई शब्द सुना उसे पता चल गया की ये कौन है और अब लता का डर गुस्से और क्रोध में बदल गया ।
लता ने दरवाजा खोला और राजू का कॉलर पकड़ उसे अंदर खींच लिया
लता ने एक हल्का सा थप्पड़ राजू के गाल पर लगा दिया और बोली कैसा नालायक तू पति है मेरा भला कोई अपनी लुगाई को ऐसे भी डराता है।
अरे गलती हो गई जानेमन मैने सोचा नही था की मेरी BMW इतना डर जायेगी वैसे तू इतना क्यूं डर गई।
लता घर में कोई नही है सभी खेत पर है और इतना बड़ा घर पूरा सन्नाटा पसरा है मैं पहले से ही डर रही थी और ऊपर से तू आकर ऐसे अचानक पकड़ेगा तो डर तो लगेगा ही ।
वैसे तूने क्या सोचा कौन आ गया जिसने तुझे ऐसे पकड़ लिया।
अब और गुस्सा ना दिला वो सब छोड़ ये बता तू यहां क्यूं आया है
राजू.. मैं तो अपनी लुगाई से मिलने आया हूं।
लता..झूठ न बोल मुझे पता है तू कितना मुझसे मिलने आता है अब सच बता तू मेरी सास को क्यूं बुला रहा था।
राजू..तो फिर सुन तेरी एक और सास ने मुझे तेरे घर भेजा है ताकि मैं काकी या फिर काका से पूछ सकू की आज मुझे अपने खेतो में पानी लगाना है तो क्या आज की रवल मुझे मिलेगी।
लता... ये बात तो तेरी काकी ही बताएगी जब वो आयेगी तो मैं उनको तेरे घर भेज दूंगी लेकिन हां तू झूठ क्यूं बोल रहा था की मैं तुझसे मिलने आया हूं बोल..
राजू..अरे वो सब छोड़ मेरी जान आज मुझे अपनी लुगाई की BMW देखनी और चलानी है बोल अपनी BMW को चलाने को देगी।
लता..चलाने को भी मिलेगी लेकिन उसे जिसके पास इस BMW का लाइसेंस होगा अब बोल मेरे अनाड़ी पति तेरे पास लांइसेंस है ।
राजू..अरे मैं बिना लाइसेंस के भी ये गाड़ी दौड़ा सकता हूं।
लता..ना बाबा ना बिना लाइसेंस के मैं अपनी गाड़ी तुझे नही देने वाली कही ठोक दी तो मेरी गाड़ी तो चकना चूर हो जायेगी।
राजू..अरे मेरी जान ये गाड़ी भी तो ठोंक ठोक के ही चलती है और फिर
राजू ने लता का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे लता किसी कटी पतंग की भांति राजू के सीने से जा टकराई और फिर राजू ने अपने दोनो हाथों को पीछे ले जाकर लता की पीठ को पकड़कर अपने सीने से कसके जकड़ लिया जिससे राजू को अपने सीने में लता के मोटे मोटे चूचे दबते हुए महसूस हुए और राजू को एक बहुत ही अनोखा और मुलायम सा अहसास होता हुआ महसूस हुआ।
इधर लता राजू से अचानक टकराने से उसकी एक आह निकल जाती है
लता जो अभी तक सिर्फ ये समझ रही थी की राजू उससे हर बार की तरह बातों ही बातों में मजाक कर रहा था लेकिन जब उसके चूचे राजू से टकराए तब उसे अहसास हो गया की ये राजू अब पहले वाला राजू नहीं रहा और फिर लता को आज कुआ के पास वाला मजाक भी याद आ गया जब राजू ने पहली बार उसकी गांड़ पर हाथ मारा था।
लता फुर्ती से राजू की पकड़ से दूर हटते हुए बोली..राजू ये क्या बेहूदगी कर रहा है मैं तेरी भाभी हूं ये कैसी हरकतें तू आज कल करने लगा है ।
राजू..कैसी हरकतें कर रहा हूं मैं तो अपनी बीबी को प्यार कर रहा हूं भला अपनी बीबी को कौन नहीं प्यार करता है।
लता..लेकिन मैं तेरी बीबी नही भाभी हूं वो तो मैं तुझे मजाक में अपना पति बुलाती थी और फिर तूने भी मजाक करना शुरू कर दिया तो मैं और आगे बड़ गई, लेकिन तू मेरा तब भी देवर था आज भी देवर ही है और हमेशा रहेगा इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सकता।
राजू..ये क्या बोल रही हो मैं तो तुझे अपनी बीबी ही मानता आया हूं और हमेशा अपनी बीबी ही मानूंगा।
और फिर राजू अपने पैर पटकते हुए वहां से निकल आया।
लता ने कभी नही सोचा था की उसका छोटा सा मजाक राजू के दिमाग पर इतना बड़ा असर करेगा ।
राजू बड़बड़ाते हुए घर की ओर जा रहा था की उसे रास्ते में उसकी छोटी माई मिल गई और जब अरु ने राजू को ऐसे अकेले में बड़बड़ाते हुए देखा तो उसने राजू को अपने पास बुला लिया ।
अरु..राजू क्या हुआ इधर आओ ऐसे अकेले में ही किससे बाते करते हुए जा रहे हो।
राजू ने जैसे ही अरु को देखा उसका पूरा शरीर कांप गया और वह सोचने लगा कही छोटी माई ने सुन तो नही लिया आखिर माई मुझे अपने पास क्यूं बुला रही है।
राजू डरते डरते अरु के पास पहुंचा और चुपचाप जाकर अरु के पास खड़ा हो गया।
अरु..ऐसे अकेले में तू किससे बातें कर रहा था। क्या कोई परेशानी है?
और तू आज पढ़ने भी नही आया।
राजू..नही माई कोई परेशानी नही है वो तो बड़ी माई ने मुखिया काका के घर भेजा था वहीं से आ रहा हूं और माई आज खेतो में पानी लगाना है इसलिए पढ़ने नही आ सका ।
अरु..ठीक है कल समय से आ जाना ।
राजू...हां में अपनी गर्दन हिलाता है और फिर वहां से धीरे से खिसक लेता है ।
अरु..राजू की हर एक हरकत को बहुत ध्यान से नोटिस करती है और जब वह चला जाता है तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है और बोलती है..ये लड़का भी ना पता नही मुझसे इतना क्यूं डरता है और फिर हस्ते हुए खुद को ही जवाब देती है कुछ भी हो इसका मुझसे डरना भी इसके भविष्य लिए ही अच्छा है ।
इधर राजू भी अपने सर पर हाथ मरते हुए..अरे बुड़बक आज बच गया अगर माई ने सुन लिया होता तो आज तेरी ऐसी पिटाई होती की तू ये लता का इश्क भूल जाता ।
और फिर राजू अपने मिट्टी के बने कच्चे मकान में घुस जाता है ।