Dharmendra Kumar Patel
Nude av or dp not allowed. Edited
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गयाअपडेट ६अब राजू ननखी की झोपड़ी की ओर चल देता है जहां सोनम मुखिया काका और कलुआ को खाना खिला रही थी।
अब आगे...
राजू..अरे ओ काका आज क्या खा रहे हो,और अकेले ही, हमको नहीं खिलाओगे क्या?
मुखिया..अरे राजू बेटा आओ आओ!! आज इधर कैसे आना हुआ बेटा कहीं रास्ता तो नहीं भूल गए।
राजू मुखिया की झोपड़ी में पहुंच जाता है और अपना डंडा वही झोपड़ी के बगल में रख देता है और अपनी लालटेन की लौ को कम करके उसी झोपड़ी के ऊपर लगे बॉस के डंडे में लटका देता है और अपनी चादर को वही पास में रख उसी के बगल में बैठ जाता है।
मुखियां.. बेटा सोनम एक थाली राजू के लिए भी लगा दो।
राजू..अरे नहीं काका मैं तो अभी अभी माई के हांथ से गरमा गर्म रोटी खाकर आ रहा हूं, आप खाओ मैं तो बस ऐसे ही मजाक कर रहा था।
राजू अब सोनम की ओर अपना मुंह घुमाता है जो अपने भाई को देख मुस्कुरा रही थी और कलुआ भी खाना खाते हुए मुस्कुरा रहा था।
राजू..क्या हुआ सोनम जिजी आप दोनो ऐसे क्यूं मुस्कुरा रहे है मैंने क्या कोई सच में बड़ा मजाक कर दिया।
सोनम अरे नहीं राजू भाई ऐसा नहीं है हम किसी और बात पर हस रहे थे।
राजू..अच्छा ऐसी कौनसी बात है जरा हमे भी बताओ, थोड़ा हम भी हस ले क्यूं मुखिया काका सही कहा न मैने?
सोनम..अरे नहीं राजू भईया कोई भी बात नहीं है आप बताओ आज इधर का रास्ता कैसे भूल गए।
अभी राजू कुछ बोल पाता की ननखी ताई बोल पड़ी...ये जनाब ऐसे रास्ता नहीं भूल गए आज इनको काम पड़ा है तो हमारी याद आई है।
और फिर ननखी अपने परिवार वालो को बताते हुए बोलती है...
राजू को अपने खेतो की सिंचाई करनी है और कल से दूसरे गांव वाले इस नाले पर कब्जा कर लेंगे... अजी अब आप बताओ अपना खेत कितनी देर में हो जायेगा...
मुखिया..अभी काम से काम 1 घरी का समय और लगेगा, तब तक बेटा तुम यही सो जाओ।
इतना बोलकर मुखिया कलुआ को लेकर अपने साथ खेत में चला जाता है।
आजा राजू खाना खा ले... ननखी राजू से पूछती है।
अरे काकी खाना तो मैं घर से ही खा आया अब तो गरमा गरम दूध पीने का मन कर रहा है आपके पास है तो पीला दो।
ननखी अच्छे से जानती थी राजू किस दूध की बात कर रहा है वह राजू को इसका अच्छे से जवाब भी देती लेकिन वह अपनी बेटी के सामने चुप रह जाती है ,जबकि सोनम अब धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी और राजू को देख रही थी।
ननखी..बेटा अब यहां कहां से मैं तुमको दूध दे सकती हूं यहां तो ये सोनम बड़ी मुस्किल से खाना ही ले आई।
राजू..अब नहीं देना है तो न दो वैसे मैंने यही पास में दो गायों को एक साथ देखा था जिनके बड़े बड़े थन लटक रहे थे एक गाय तो थोड़ी ज्यादा उम्र की लग रही थी लगता है काकी वो उसकी मां होगी उसके थन बहुत बड़े थे लेकिन कुछ भी कहो दोनो के ही थनों में दूध बहुत भरा होगा मेरा तो मन कर रहा है उन्ही थनों को अपने मुंह में भर लूं और जोर जोर से पियूं।
सोनम ने जब राजू के मुंह से ये बात सुनी तो वह शर्म से लाल होने लगी राजू उसकी मां के सामने ही उसकी चुचियों को पीने की बात कर रहा था और इतना ही नहीं वह उसकी मां की चुचियों की बात उसकी बेटी के सामने कर रहा था, और सोनम अब धीरे धीरे गर्म होने लगी थी
ननखी..( थोड़ा गुस्से वाली आवाज में ) हां बेटा राजू इधर छुटा गाय गोरु आते रहते है ,अब तू ऐसा कर यही सो जा जब खेतों की सिंचाई हो जायेगी तो मैं तुझे आकर जगा दूंगी।
राजू भी समझ गया की अब ज्यादा पंगा लेना उचित नहीं है और फिर उसे अपनी राधा माई की बात याद आती है की उसकी माई ने कहां था की खेतों में सिंचाई नही हुई तो उसके खेत सूख जाएंगे और ननखी काकी अब एक मात्र उसका सहारा है अगर वो भी उससे रूठ गई तो सब सत्यानाश हो जायेगा और इसलिए वह काकी की बात मानकर चुपचाप लेट जाता है।
इधर ननखी और सोनम अब अपना खाना खा रही थी और उन दोनो का खाना भी लगभग हो चुका था जबकि सोनम खाना खाते हुए बार बार राजू की ओर देख लेती थी।
ननखी...बेटी अब रात बहुत हो गई है और तू इतनी रात को अकेले घर कहां जायेगी एक काम कर तू भी यही सो जा।
सोनम..राजू की ओर देखते हुए बोली..लेकिन अम्मा मैं यहां पर कैसे सो सकती हूं।
ननखी..तू डर मत यहां राजू है और फिर ननखी राजू को बुलाती है...
राजू ऐ राजू...
राजू... हां काकी बोलो क्या काम है।
ननखी..देख अब रात बहुत हो गई है और मैं अपनी बेटी को रात में अकेले नहीं भेज सकती इसलिए ये भी यही सोएगी तेरे पास लेकिन तू उसे परेशान बिलकुल भी न करना और जंगली जानवरों का भी ध्यान रखना यहां जंगली सुअर आते रहते है ठीक है राजू मेरी एक बात गांठ बांध लो अगर उसने मुझे बताया की तूने उसे परेशान किया है तो फिर तू समझ सकता है तेरे साथ क्या होगा तेरे खेत सच में सूख जाएंगे..।
ननखी की आवाज थोड़ी कड़क थी जिसे राजू ध्यान से सुनता है और फिर बोलता है।
राजू..काकी वो मेरी बडी बहन है भला मैं उसे क्यूं परेशान करने लगा।
ननखी ठीक है बेटी अब मैं जाती हूं।
अपडेट ६अब राजू ननखी की झोपड़ी की ओर चल देता है जहां सोनम मुखिया काका और कलुआ को खाना खिला रही थी।
अब आगे...
राजू..अरे ओ काका आज क्या खा रहे हो,और अकेले ही, हमको नहीं खिलाओगे क्या?
मुखिया..अरे राजू बेटा आओ आओ!! आज इधर कैसे आना हुआ बेटा कहीं रास्ता तो नहीं भूल गए।
राजू मुखिया की झोपड़ी में पहुंच जाता है और अपना डंडा वही झोपड़ी के बगल में रख देता है और अपनी लालटेन की लौ को कम करके उसी झोपड़ी के ऊपर लगे बॉस के डंडे में लटका देता है और अपनी चादर को वही पास में रख उसी के बगल में बैठ जाता है।
मुखियां.. बेटा सोनम एक थाली राजू के लिए भी लगा दो।
राजू..अरे नहीं काका मैं तो अभी अभी माई के हांथ से गरमा गर्म रोटी खाकर आ रहा हूं, आप खाओ मैं तो बस ऐसे ही मजाक कर रहा था।
राजू अब सोनम की ओर अपना मुंह घुमाता है जो अपने भाई को देख मुस्कुरा रही थी और कलुआ भी खाना खाते हुए मुस्कुरा रहा था।
राजू..क्या हुआ सोनम जिजी आप दोनो ऐसे क्यूं मुस्कुरा रहे है मैंने क्या कोई सच में बड़ा मजाक कर दिया।
सोनम अरे नहीं राजू भाई ऐसा नहीं है हम किसी और बात पर हस रहे थे।
राजू..अच्छा ऐसी कौनसी बात है जरा हमे भी बताओ, थोड़ा हम भी हस ले क्यूं मुखिया काका सही कहा न मैने?
सोनम..अरे नहीं राजू भईया कोई भी बात नहीं है आप बताओ आज इधर का रास्ता कैसे भूल गए।
अभी राजू कुछ बोल पाता की ननखी ताई बोल पड़ी...ये जनाब ऐसे रास्ता नहीं भूल गए आज इनको काम पड़ा है तो हमारी याद आई है।
और फिर ननखी अपने परिवार वालो को बताते हुए बोलती है...
राजू को अपने खेतो की सिंचाई करनी है और कल से दूसरे गांव वाले इस नाले पर कब्जा कर लेंगे... अजी अब आप बताओ अपना खेत कितनी देर में हो जायेगा...
मुखिया..अभी काम से काम 1 घरी का समय और लगेगा, तब तक बेटा तुम यही सो जाओ।
इतना बोलकर मुखिया कलुआ को लेकर अपने साथ खेत में चला जाता है।
आजा राजू खाना खा ले... ननखी राजू से पूछती है।
अरे काकी खाना तो मैं घर से ही खा आया अब तो गरमा गरम दूध पीने का मन कर रहा है आपके पास है तो पीला दो।
ननखी अच्छे से जानती थी राजू किस दूध की बात कर रहा है वह राजू को इसका अच्छे से जवाब भी देती लेकिन वह अपनी बेटी के सामने चुप रह जाती है ,जबकि सोनम अब धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी और राजू को देख रही थी।
ननखी..बेटा अब यहां कहां से मैं तुमको दूध दे सकती हूं यहां तो ये सोनम बड़ी मुस्किल से खाना ही ले आई।
राजू..अब नहीं देना है तो न दो वैसे मैंने यही पास में दो गायों को एक साथ देखा था जिनके बड़े बड़े थन लटक रहे थे एक गाय तो थोड़ी ज्यादा उम्र की लग रही थी लगता है काकी वो उसकी मां होगी उसके थन बहुत बड़े थे लेकिन कुछ भी कहो दोनो के ही थनों में दूध बहुत भरा होगा मेरा तो मन कर रहा है उन्ही थनों को अपने मुंह में भर लूं और जोर जोर से पियूं।
सोनम ने जब राजू के मुंह से ये बात सुनी तो वह शर्म से लाल होने लगी राजू उसकी मां के सामने ही उसकी चुचियों को पीने की बात कर रहा था और इतना ही नहीं वह उसकी मां की चुचियों की बात उसकी बेटी के सामने कर रहा था, और सोनम अब धीरे धीरे गर्म होने लगी थी
ननखी..( थोड़ा गुस्से वाली आवाज में ) हां बेटा राजू इधर छुटा गाय गोरु आते रहते है ,अब तू ऐसा कर यही सो जा जब खेतों की सिंचाई हो जायेगी तो मैं तुझे आकर जगा दूंगी।
राजू भी समझ गया की अब ज्यादा पंगा लेना उचित नहीं है और फिर उसे अपनी राधा माई की बात याद आती है की उसकी माई ने कहां था की खेतों में सिंचाई नही हुई तो उसके खेत सूख जाएंगे और ननखी काकी अब एक मात्र उसका सहारा है अगर वो भी उससे रूठ गई तो सब सत्यानाश हो जायेगा और इसलिए वह काकी की बात मानकर चुपचाप लेट जाता है।
इधर ननखी और सोनम अब अपना खाना खा रही थी और उन दोनो का खाना भी लगभग हो चुका था जबकि सोनम खाना खाते हुए बार बार राजू की ओर देख लेती थी।
ननखी...बेटी अब रात बहुत हो गई है और तू इतनी रात को अकेले घर कहां जायेगी एक काम कर तू भी यही सो जा।
सोनम..राजू की ओर देखते हुए बोली..लेकिन अम्मा मैं यहां पर कैसे सो सकती हूं।
ननखी..तू डर मत यहां राजू है और फिर ननखी राजू को बुलाती है...
राजू ऐ राजू...
राजू... हां काकी बोलो क्या काम है।
ननखी..देख अब रात बहुत हो गई है और मैं अपनी बेटी को रात में अकेले नहीं भेज सकती इसलिए ये भी यही सोएगी तेरे पास लेकिन तू उसे परेशान बिलकुल भी न करना और जंगली जानवरों का भी ध्यान रखना यहां जंगली सुअर आते रहते है ठीक है राजू मेरी एक बात गांठ बांध लो अगर उसने मुझे बताया की तूने उसे परेशान किया है तो फिर तू समझ सकता है तेरे साथ क्या होगा तेरे खेत सच में सूख जाएंगे..।
ननखी की आवाज थोड़ी कड़क थी जिसे राजू ध्यान से सुनता है और फिर बोलता है।
राजू..काकी वो मेरी बडी बहन है भला मैं उसे क्यूं परेशान करने लगा।
ननखी ठीक है बेटी अब मैं जाती हूं।
ab sonam ka opening hoga .........अपडेट ६अब राजू ननखी की झोपड़ी की ओर चल देता है जहां सोनम मुखिया काका और कलुआ को खाना खिला रही थी।
अब आगे...
राजू..अरे ओ काका आज क्या खा रहे हो,और अकेले ही, हमको नहीं खिलाओगे क्या?
मुखिया..अरे राजू बेटा आओ आओ!! आज इधर कैसे आना हुआ बेटा कहीं रास्ता तो नहीं भूल गए।
राजू मुखिया की झोपड़ी में पहुंच जाता है और अपना डंडा वही झोपड़ी के बगल में रख देता है और अपनी लालटेन की लौ को कम करके उसी झोपड़ी के ऊपर लगे बॉस के डंडे में लटका देता है और अपनी चादर को वही पास में रख उसी के बगल में बैठ जाता है।
मुखियां.. बेटा सोनम एक थाली राजू के लिए भी लगा दो।
राजू..अरे नहीं काका मैं तो अभी अभी माई के हांथ से गरमा गर्म रोटी खाकर आ रहा हूं, आप खाओ मैं तो बस ऐसे ही मजाक कर रहा था।
राजू अब सोनम की ओर अपना मुंह घुमाता है जो अपने भाई को देख मुस्कुरा रही थी और कलुआ भी खाना खाते हुए मुस्कुरा रहा था।
राजू..क्या हुआ सोनम जिजी आप दोनो ऐसे क्यूं मुस्कुरा रहे है मैंने क्या कोई सच में बड़ा मजाक कर दिया।
सोनम अरे नहीं राजू भाई ऐसा नहीं है हम किसी और बात पर हस रहे थे।
राजू..अच्छा ऐसी कौनसी बात है जरा हमे भी बताओ, थोड़ा हम भी हस ले क्यूं मुखिया काका सही कहा न मैने?
सोनम..अरे नहीं राजू भईया कोई भी बात नहीं है आप बताओ आज इधर का रास्ता कैसे भूल गए।
अभी राजू कुछ बोल पाता की ननखी ताई बोल पड़ी...ये जनाब ऐसे रास्ता नहीं भूल गए आज इनको काम पड़ा है तो हमारी याद आई है।
और फिर ननखी अपने परिवार वालो को बताते हुए बोलती है...
राजू को अपने खेतो की सिंचाई करनी है और कल से दूसरे गांव वाले इस नाले पर कब्जा कर लेंगे... अजी अब आप बताओ अपना खेत कितनी देर में हो जायेगा...
मुखिया..अभी काम से काम 1 घरी का समय और लगेगा, तब तक बेटा तुम यही सो जाओ।
इतना बोलकर मुखिया कलुआ को लेकर अपने साथ खेत में चला जाता है।
आजा राजू खाना खा ले... ननखी राजू से पूछती है।
अरे काकी खाना तो मैं घर से ही खा आया अब तो गरमा गरम दूध पीने का मन कर रहा है आपके पास है तो पीला दो।
ननखी अच्छे से जानती थी राजू किस दूध की बात कर रहा है वह राजू को इसका अच्छे से जवाब भी देती लेकिन वह अपनी बेटी के सामने चुप रह जाती है ,जबकि सोनम अब धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी और राजू को देख रही थी।
ननखी..बेटा अब यहां कहां से मैं तुमको दूध दे सकती हूं यहां तो ये सोनम बड़ी मुस्किल से खाना ही ले आई।
राजू..अब नहीं देना है तो न दो वैसे मैंने यही पास में दो गायों को एक साथ देखा था जिनके बड़े बड़े थन लटक रहे थे एक गाय तो थोड़ी ज्यादा उम्र की लग रही थी लगता है काकी वो उसकी मां होगी उसके थन बहुत बड़े थे लेकिन कुछ भी कहो दोनो के ही थनों में दूध बहुत भरा होगा मेरा तो मन कर रहा है उन्ही थनों को अपने मुंह में भर लूं और जोर जोर से पियूं।
सोनम ने जब राजू के मुंह से ये बात सुनी तो वह शर्म से लाल होने लगी राजू उसकी मां के सामने ही उसकी चुचियों को पीने की बात कर रहा था और इतना ही नहीं वह उसकी मां की चुचियों की बात उसकी बेटी के सामने कर रहा था, और सोनम अब धीरे धीरे गर्म होने लगी थी
ननखी..( थोड़ा गुस्से वाली आवाज में ) हां बेटा राजू इधर छुटा गाय गोरु आते रहते है ,अब तू ऐसा कर यही सो जा जब खेतों की सिंचाई हो जायेगी तो मैं तुझे आकर जगा दूंगी।
राजू भी समझ गया की अब ज्यादा पंगा लेना उचित नहीं है और फिर उसे अपनी राधा माई की बात याद आती है की उसकी माई ने कहां था की खेतों में सिंचाई नही हुई तो उसके खेत सूख जाएंगे और ननखी काकी अब एक मात्र उसका सहारा है अगर वो भी उससे रूठ गई तो सब सत्यानाश हो जायेगा और इसलिए वह काकी की बात मानकर चुपचाप लेट जाता है।
इधर ननखी और सोनम अब अपना खाना खा रही थी और उन दोनो का खाना भी लगभग हो चुका था जबकि सोनम खाना खाते हुए बार बार राजू की ओर देख लेती थी।
ननखी...बेटी अब रात बहुत हो गई है और तू इतनी रात को अकेले घर कहां जायेगी एक काम कर तू भी यही सो जा।
सोनम..राजू की ओर देखते हुए बोली..लेकिन अम्मा मैं यहां पर कैसे सो सकती हूं।
ननखी..तू डर मत यहां राजू है और फिर ननखी राजू को बुलाती है...
राजू ऐ राजू...
राजू... हां काकी बोलो क्या काम है।
ननखी..देख अब रात बहुत हो गई है और मैं अपनी बेटी को रात में अकेले नहीं भेज सकती इसलिए ये भी यही सोएगी तेरे पास लेकिन तू उसे परेशान बिलकुल भी न करना और जंगली जानवरों का भी ध्यान रखना यहां जंगली सुअर आते रहते है ठीक है राजू मेरी एक बात गांठ बांध लो अगर उसने मुझे बताया की तूने उसे परेशान किया है तो फिर तू समझ सकता है तेरे साथ क्या होगा तेरे खेत सच में सूख जाएंगे..।
ननखी की आवाज थोड़ी कड़क थी जिसे राजू ध्यान से सुनता है और फिर बोलता है।
राजू..काकी वो मेरी बडी बहन है भला मैं उसे क्यूं परेशान करने लगा।
ननखी ठीक है बेटी अब मैं जाती हूं।
Aati sunder updateअपडेट ६अब राजू ननखी की झोपड़ी की ओर चल देता है जहां सोनम मुखिया काका और कलुआ को खाना खिला रही थी।
अब आगे...
राजू..अरे ओ काका आज क्या खा रहे हो,और अकेले ही, हमको नहीं खिलाओगे क्या?
मुखिया..अरे राजू बेटा आओ आओ!! आज इधर कैसे आना हुआ बेटा कहीं रास्ता तो नहीं भूल गए।
राजू मुखिया की झोपड़ी में पहुंच जाता है और अपना डंडा वही झोपड़ी के बगल में रख देता है और अपनी लालटेन की लौ को कम करके उसी झोपड़ी के ऊपर लगे बॉस के डंडे में लटका देता है और अपनी चादर को वही पास में रख उसी के बगल में बैठ जाता है।
मुखियां.. बेटा सोनम एक थाली राजू के लिए भी लगा दो।
राजू..अरे नहीं काका मैं तो अभी अभी माई के हांथ से गरमा गर्म रोटी खाकर आ रहा हूं, आप खाओ मैं तो बस ऐसे ही मजाक कर रहा था।
राजू अब सोनम की ओर अपना मुंह घुमाता है जो अपने भाई को देख मुस्कुरा रही थी और कलुआ भी खाना खाते हुए मुस्कुरा रहा था।
राजू..क्या हुआ सोनम जिजी आप दोनो ऐसे क्यूं मुस्कुरा रहे है मैंने क्या कोई सच में बड़ा मजाक कर दिया।
सोनम अरे नहीं राजू भाई ऐसा नहीं है हम किसी और बात पर हस रहे थे।
राजू..अच्छा ऐसी कौनसी बात है जरा हमे भी बताओ, थोड़ा हम भी हस ले क्यूं मुखिया काका सही कहा न मैने?
सोनम..अरे नहीं राजू भईया कोई भी बात नहीं है आप बताओ आज इधर का रास्ता कैसे भूल गए।
अभी राजू कुछ बोल पाता की ननखी ताई बोल पड़ी...ये जनाब ऐसे रास्ता नहीं भूल गए आज इनको काम पड़ा है तो हमारी याद आई है।
और फिर ननखी अपने परिवार वालो को बताते हुए बोलती है...
राजू को अपने खेतो की सिंचाई करनी है और कल से दूसरे गांव वाले इस नाले पर कब्जा कर लेंगे... अजी अब आप बताओ अपना खेत कितनी देर में हो जायेगा...
मुखिया..अभी काम से काम 1 घरी का समय और लगेगा, तब तक बेटा तुम यही सो जाओ।
इतना बोलकर मुखिया कलुआ को लेकर अपने साथ खेत में चला जाता है।
आजा राजू खाना खा ले... ननखी राजू से पूछती है।
अरे काकी खाना तो मैं घर से ही खा आया अब तो गरमा गरम दूध पीने का मन कर रहा है आपके पास है तो पीला दो।
ननखी अच्छे से जानती थी राजू किस दूध की बात कर रहा है वह राजू को इसका अच्छे से जवाब भी देती लेकिन वह अपनी बेटी के सामने चुप रह जाती है ,जबकि सोनम अब धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी और राजू को देख रही थी।
ननखी..बेटा अब यहां कहां से मैं तुमको दूध दे सकती हूं यहां तो ये सोनम बड़ी मुस्किल से खाना ही ले आई।
राजू..अब नहीं देना है तो न दो वैसे मैंने यही पास में दो गायों को एक साथ देखा था जिनके बड़े बड़े थन लटक रहे थे एक गाय तो थोड़ी ज्यादा उम्र की लग रही थी लगता है काकी वो उसकी मां होगी उसके थन बहुत बड़े थे लेकिन कुछ भी कहो दोनो के ही थनों में दूध बहुत भरा होगा मेरा तो मन कर रहा है उन्ही थनों को अपने मुंह में भर लूं और जोर जोर से पियूं।
सोनम ने जब राजू के मुंह से ये बात सुनी तो वह शर्म से लाल होने लगी राजू उसकी मां के सामने ही उसकी चुचियों को पीने की बात कर रहा था और इतना ही नहीं वह उसकी मां की चुचियों की बात उसकी बेटी के सामने कर रहा था, और सोनम अब धीरे धीरे गर्म होने लगी थी
ननखी..( थोड़ा गुस्से वाली आवाज में ) हां बेटा राजू इधर छुटा गाय गोरु आते रहते है ,अब तू ऐसा कर यही सो जा जब खेतों की सिंचाई हो जायेगी तो मैं तुझे आकर जगा दूंगी।
राजू भी समझ गया की अब ज्यादा पंगा लेना उचित नहीं है और फिर उसे अपनी राधा माई की बात याद आती है की उसकी माई ने कहां था की खेतों में सिंचाई नही हुई तो उसके खेत सूख जाएंगे और ननखी काकी अब एक मात्र उसका सहारा है अगर वो भी उससे रूठ गई तो सब सत्यानाश हो जायेगा और इसलिए वह काकी की बात मानकर चुपचाप लेट जाता है।
इधर ननखी और सोनम अब अपना खाना खा रही थी और उन दोनो का खाना भी लगभग हो चुका था जबकि सोनम खाना खाते हुए बार बार राजू की ओर देख लेती थी।
ननखी...बेटी अब रात बहुत हो गई है और तू इतनी रात को अकेले घर कहां जायेगी एक काम कर तू भी यही सो जा।
सोनम..राजू की ओर देखते हुए बोली..लेकिन अम्मा मैं यहां पर कैसे सो सकती हूं।
ननखी..तू डर मत यहां राजू है और फिर ननखी राजू को बुलाती है...
राजू ऐ राजू...
राजू... हां काकी बोलो क्या काम है।
ननखी..देख अब रात बहुत हो गई है और मैं अपनी बेटी को रात में अकेले नहीं भेज सकती इसलिए ये भी यही सोएगी तेरे पास लेकिन तू उसे परेशान बिलकुल भी न करना और जंगली जानवरों का भी ध्यान रखना यहां जंगली सुअर आते रहते है ठीक है राजू मेरी एक बात गांठ बांध लो अगर उसने मुझे बताया की तूने उसे परेशान किया है तो फिर तू समझ सकता है तेरे साथ क्या होगा तेरे खेत सच में सूख जाएंगे..।
ननखी की आवाज थोड़ी कड़क थी जिसे राजू ध्यान से सुनता है और फिर बोलता है।
राजू..काकी वो मेरी बडी बहन है भला मैं उसे क्यूं परेशान करने लगा।
ननखी ठीक है बेटी अब मैं जाती हूं।