मेरा लण्ड पहले से ही खड़ा था और फिर चाची ने उसे मुंह में भर लिया और मुठियाने लगी…मुझसे अब बर्दास्त नहीं हो रहा था… तभी मैंने
Update 32
तभी मैने अपनी आंखें खोल दी और चाची की और देख कर कहा चाची क्या कर रही हो…रात को सब करने के बाद से अब तक मैंने इसे धोया नहीं है तो चाची ने कहा सेक्स में कुछ भी गंदा नहीं होता…लेकिन चाची मुझे बहुत जोर से पेशाब आ रहा है मैने बोलते हुए अपना शोर्ट उठाया और पहनने लगा!
चाची बोली ठीक है अभी तो छोड़ रही हूँ लेकिन आज दिन में कम से कम दो से तीन बार तुझे करना होगा…मैने कहा कि वो तो ठीक है लेकिन माँ का क्या…चाची बोली अब तो तू उनके सामने ही और उनके साथ ही मुझे ठंडा करियो।
मैने अपने कपड़े पहनते हुए कहा ठीक है अभी मुझे जाने दो नहीं तो यहीं पर हो जायेगा ये बोलते हुए मै वॉशरूम की तरफ भागा और दस मिनट के बाद फ्रेश होकर बाहर आया…और किचन में पहुंचा वहाँ माँ नास्ता बना रहीं थीं और चाची उसकी मदद कर रही थी।
मुझे देख कर माँ हल्का सा मुस्कुरा कर अपना चेहरा निचे कर के अपने काम में लगी रही…चाची बोली आ गया मेरा शेर और आगे बढ़कर मुझे पकड़ कर माँ के सामने मेरे होंठो पर अपने होंठो को रख कर चूसने लगी… माँ ये देख कर बोली कोमल ये क्या कर रहे हो तुम नास्ता करो बन गया है।
चाची वही तो कर रही हूं दीदी आप भी चख कर देखो तो कितना मीठा है और फिर मेरे होंठ चूसते हुए माँ की ओर ले जाने लगी…और माँ के पास पहुंच कर उसने माँ को अपनी तरफ खींचा और मेरा मुँह हटा कर माँ के मुंह से लगा दिया और मेरा हाथ माँ की चुची पर रख दिया।
माँ अपना मुंह हटाने लगी तो मैने उसको पकड़कर अपनी ओर खींच लिया और माँ के होंठ चूसने लगा… माँ ने कोई विरोध नहीं किया लेकिन वो मेरा साथ नहीं दे रही थी मैं कभी ऊपर ओर कभी निचले होंठ को चूस रहा था साथ ही साथ मेने माँ के मम्मे भी दबाना शुरू कर दिया…
-माँ को भी अब कुछ मजा आ रहा था लेकिन वो जाहिर नहीं करना चाहती थी…मैने अपनी जीभ माँ के मुंह में डालने की कोशिश करी और माँ ने मुंह खोल कर अपनी रजामंदी जता दी…और फिर मेरी जीभ को चुसने लगी ।
अब मै माँ की चुचियाँ दबाते हुए उसके मुंह मे अपनी जीभ घुमाते हुए उसके होंठ चूस रहा था…चाची अब हमको देख रही थी और उसने आगे बढ़कर माँ के ब्लाउज के बटन खोंलना शुरू कर दिया माँ ने भी कोई विरोध नहीं किया!
थोड़ी ही देर में माँ के ब्लाउज के सारे बटन खुल चुके थे और उसके नंगे चूचे मेरे हाथ से जोर से दब रहे थे…माँ अब उत्तेजित हो गई थी और उसके हाथ मेरी छाती पर घूम रहे थे कि अचानक माँ ने मेरी बनियान उठाना शुरू कर दिया…चाची ने यह देखकर मेरी बनियान उठाते हुए निकाल दी …जिसके कारण कुछ क्षण के लिए हम अलग हुए लेकिन एक दूसरे को देखते हुए फिर शुरू हो गए।
अब माँ मेरे निप्पलों को अपने नाखूनों से हल्का सा खुर्च रही थी और मै उसके निप्पल को उमेठते हुए उसके चूचे जोरदार तरीके से दबा रहा था…अब मेरा लण्ड रॉड की तरह सख्त हो गया था और पूरी तरह तन चुका था…ये एक नए सफर की शुरुआत हो गई थी।