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Erotica वरदान

आप किस की पत्नी के साथ सैतानासुर का संभोग अगले अपडेट में देखना चाहते है?

  • किसी सामान्य मानव की।

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Naik

Well-Known Member
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258
Part3
Update 4 शक्ति की पहचान
यहाँ तरुण घर जा रहा था तभी उसे उसके कनिष्ठ महाविद्यालय की एक अध्यापिका उसे दिखाई दी, उसने उन्हें आवाज लगाई," नयना मैडम! कहा जा रही है आप?"
उन्होंने तरुण को कहा," तरुण, तुम यहां, मै अपने घर जा रही हु" उनका बदन पानी से भीग चुका था।
तरुण ने उनसे कहा,"मैडम, मै भी घर जा रहा हूं, आइए आपको छोड़ देता हूं।" इतना कहकर तरुण ने दरवाजा खोला और वह अंदर आ गई। उन्होंने सफेद रंग कि साड़ी और लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। और बरसात में उनकी साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी।

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और उनके सीने के उभार उनके ब्लाउज से साफ झलक रहे थे, और तरुण से बात करते वक्त झुकने की वजह से उनके दोनों उरोजों के बीच की गहराई के बीच से जाता बरसात का पानी ऐसे लग रहा था जैसे किसी, दो खूबसूरत पहाड़ों के बीच की खाई से कामुकता की नदी बह रही हो। जब वह अंदर आई तो तरुण तरुण से पूछा,"तरुण क्या तुम्हारे पास टॉवेल या न्यापकीन है?"
तरुण ने कहा,"अभी तो नहीं है, आप चाहे तो मै आपके लिये हीटर अॉन कर देता हूं। तरुण ने हीटर चालू कर दिया, वह थोड़ा सा तरुण की और आई। उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा बाजू में करके, अपनी आँखें बंद करके हीटर से आती गर्मी को महसूस करना शूरू किया। तरुण ने फिर हीटर के पंखे की रफ्तार बढ़ाई, जिससे नयना की साड़ी का पल्लू, उसके कंधे से नीचे गिर गया, मगर उसे उससे और गर्म हवा के झोंके हीटर से निकालकर उसके उरोज और कमर को छूने लगे, जिससे उसे वहाँ ठंड से राहत मिलने लगी। उसी गर्म हवा के कुछ झोंके उसके सीने से टकरा कर उसके उरोजों के बीच की गहराई में जाने लगे, तो कुछ उसके गले से होकर उसके कान तथा उसके मुलायम गालों को सहेला रहे थे। हवा के इस गर्म स्पर्श की वजह से वह बहुत रोमांचीत हो रही थी, और अपने होंठ दांतों तले बडे ही नशिले अंदाज में दबाकर मंद मंद मुस्करा रही थी। थोड़ी ही देर में मैडम का घर आ गया, तरुण ने उन्हें कहा,"मैडम, आपका घर आ गया"
नयना अपना पल्लू वापस कंधे पर लेते हुये बोली,"इतनी जल्दी! ओह, मै चलती हूं, तुम भी आओ कभी।"
तरुण ने कहा," आज मेरी मम्मी(तेजल) नही है।"
नयना ने कहा,"तो आज का खाना यहीं खा के जाना।"
इतना कहकर वह ताला खोलती है, और तरुण गाड़ी क्वार्टर के नजदीक लगाकर बाहर निकलता है, और दरवाजे के पास चला आता है, और वहा पत्रों की शेड वजह से वह नहीं भीग सका। तरुण लगातार नयना की भीगी कमर की कमान और उसके ब्लाउज के उपर से ब्रा की उभरती रेखाएं देख रहा था। नयना ताला खोलकर अंदर गई और तरुण भी उसके पीछे चला गया, नयना का क्वार्टर सिर्फ वन रूम किचन का था। हॉल और रसोईघर के बीच सिर्फ दीवार थी बाथरूम और शौचालय बाहर थे।
नयना फिर रसोईघर में चली गई और परदा लगा लिया, तरुण भी उसके पीछे गया मगर जब वह परदे के पास गया तब उसके होश उड़ गये, नयना वहाँ अपने कपड़े उतार रही थी। नयना ने साड़ी उतार दी, और उसने ब्लाउज उतारा फिर ब्रा, अब उसकी चिकनी पीठ और पतली कमर देखकर तरुण का लिंग खड़ा हो गया, तभी नयना ने अपने लेहंगे का नाडा खोल दिया, और उसका लेहंगा बड़ी सहजता से उसकी कमर से नीचे खिसक कर फर्श पर गिर गया। अब उसके बदन पे सिर्फ पैंटी थी उसके बदन पर जरा भी मांस नहीं था। मगर जहाँ होना चाहिए वहां बहुत था वह एक २५ उम्र की भरे उम्र की जवान लड़की थी, चेहरा तो सामान्य था, मगर उसके नितम्ब पूरी तरह भरे हुये और थे और उसकी पैंटी से बाहर आने को व्याकुल हो रहे थे। नयना ने अपनी पैंटी उतारकर उन्हें भी आझाद कर दिया, अब वह पूरी तरह से नग्न थी। नयना अब पीछे मुड़कर परदे की और मुड़कर देखने लगी, वह ऐसे लग रही थी, जैसे स्वर्ग की कोई अप्सरा आ रही हो उसकी पतली कमर मोटे उरोज, उनपर वह गुलाबी वक्ष। काफी मन मोहक और कामुक लग रहे थे। तरुण यह देखकर उत्तेजित हो गया और थोड़ा दीवार की तरफ हो गया। नयना वहाँ आयी और हाथ बाहर निकालकर तरुण से कहा," तरुण जरा टावेल देना।"
तरुण ने टावेल नयना के हाथ में रखा और जैसे ही नयना ने उसे पकड़ा, तरुण ने अचानक जैसे मछली के चारा पकड़ने के बाद मछवांरा खींचता है वैसे खींच लिया जिस वजह से नयना का संतुलन खराब हुआ और वह तरुण पर आ गिरी, तरुण उनके सामने ऐसे की उनके होंठ सीधे तरुण के होंठों से टकराये। जैसे ही यह हुआ तरुण ने उन्हें अपनी बाहों में जकड़कर चूम्बन ले लिया। इससे नयना चौंककर तरुण को देखने लगी, वह एकदम स्तब्ध हो गई। तरुण इस मौके का फायदा उठाकर उसपर होंठों से लेकर गाल, गर्दन तक चूमने लगा, फिर वह चूमते चूमते उसके स्तनों के बीच की गहराई तक पहुंचा फिर उस खाई से उसके स्तन रूपी पहाड़ों की चढ़ाई करके, उनकी वक्ष रूपी चोटी तक पहुंचकर उसके वक्ष को चूसने लगा। इससे नयना काफी उत्तेजित होने लगी और उस वजह से उसके मुंह से,"अम्म्म्.....म्म्म्..म् म् म् आह!" जैसी सिसकारिया निकलने लगी, तभी तरुण ने उसके वक्ष को हल्के से अपने दांत के नीचे दबा दिया जिससे उसे थोड़ा दर्द हुआ मगर उसके बदन में उत्तेजना एक बिजली के झटके की तरह दौड़ने लगी। तरुण ने उसका दर्द कम करके उत्तेजना बढाने के लिये उसके वक्ष चूसना जारी रखा। नयना की उत्तेजना इतनी बढ़ चुकी थी की, अब वह पानी बनकर उसकी योनी से बहने लगी थी। और नयना भी शर्म के मारे लाल हो रही थी, तरुण ने अब नयना की नाभि पर चूमा और उसकी योनी में अपनी जीभ घुमाने लगा, उसकी गीली जीभ जैसे जैसे नयना की योनी में घूम रही थी वैसे वैसे वह ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। तरुण ने फिर वापिस अपना मुंह उपर ला कर उसका किस ले लिया, और फिर अपनी जीभ उसके मुंह में उसकी जीभ पर घुमाने लगा, वह इससे उत्तेजित होकर उसका साथ देने लगी, तभी तरुण ने उसकी योनी में अपना लिंग डाल दिया। तरुण के लिंग डालने की वजह से नयना की योनी की सिल टूट गई और उसकी चीख निकल गई, मगर उसके मुंह पर तरुण का मुंह होने से उसकी चीख दब गई। और तरुण ने एक झटके में अपना लिंग उसके गर्भाशय के आखिरी छोर तक पहुंचा दिया। तरुण ने उसे थोड़ा बाहर निकालकर फिर अंदर डाल दिया, जिससे नयना झटके खाने लगी।तरुण ने झटके अब तेज कर दिये ऐसा वह एक घंटा करते रहे तभी कुकर की सीटी बजी, तब तक नयना दो बार झड़ चुकी थी। तरुण अभी भी नहीं झडा था। नयना रसोईघर में गई और तरुण के लिये खाना ले आयी , उसने अभी भी कुछ नहीं पहना था। वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी, इसी अवस्था में उसने तरुण के लिये खाना परौसा और वह भी बैठ गयी। वह नयना अपने पैर तरुण के पैरों में डालकर बैठ गये और दोनों एक ही थाली में खाना खाने लगे। उन्होंने वैसे ही खाना खाया और बर्तन रख दिये। और फिर तरुण ने नयना के स्तनों को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा, और फिर उसके कानों को चूमने लगा, और अपना सिर आगे कर के उसके एक गाल पर चूमने लगा, जैसे ही जवाब में नयना ने अपनी गर्दन उस तरफ घूमा कर देखा उसके होंठों पर तरुण ने अपने होंठ टीका दिये और उसे किस करने लगा। तरुण के होंठ यहां नयना के होंठों से ९० अंश के कोन में लगे हुये थे, अब तरुण ने अपनी जबान नयना के मुंह में डालकर उसकी जबान पर लगायी, और घुमाने लगा और नयना भी उसका साथ देने लगी, दोनों एक दुसरे में सबकुछ भुलाकर खो गये। फिर नयना फिर से उत्तेजित हो उठी, वह पलंग की और चली गई और तरुण की और नितम्ब कर अपने हाथ पलंग पर रखकर झुक गई। तरुण ने अपना लिंग नयना की योनी में डाल दिया और उसके स्तनों को पकड़कर जोरों से दबाने लगा, और उसके साथ उसके स्तनाग्रों को मसलने लगा। जैसे जैसे तरुण स्तनाग्र मसल रहा था वैसे वैसे नयना," आ!! आ!!" करके चिल्ला रही थी उसके चिल्लाने में थोड़ा दर्द और बहुत सारी कामवासना थी। तरुण उसके स्तन और स्तनाग्रों को पकड़कर पीछे खींच रहा था, जिससे जोरदार धक्के लगा रहे थे, जिस वजह से नयना की योनी ने पानी छोड़ दिया। अब तरुण ने लिंग बाहर निकाल लिया, जिससे नयना बेड पर लेट गई, तभी तरुण ने अपना गीला लिंग अचानक से नयना के गुद्द्वार में डाल दिया, वह जोर से चिल्लाती उसके पहले ही तरुण ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया नयना की चीख वही दब गई और उसकी आँखों से आंसू निकल आये। तरुण ने अपना लिंग थोड़ा बाहर निकाला और तेजी से उसकी योनी में डाल दिया, जिससे वह एक और बार चिल्लाई मगर हाथ पहले से नयना के मुंह पर होने की वजह से उसकी चीख दब गई। वैसे तरुण लगातार एक घंटा करता रहा अब नयना का गुद्द्वार खुल चुका था, वह दो बार झड़ चुकी थी मगर तरुण का अभी भी खड़ा था। नयना तरुण के लिंग का आकार देखकर चौंक गई, उसका लिंग १८ इंच लंबा और मोटाई में चार इंच था, और अभी भी चट्टान की तरह सक्त था। यह देखकर नयना की आँखों में जैसे चमक आ गई वह उसे चूमने लगी फिर उसे अपने स्तनों के बीच लेकर रगड़ने लगी, जिससे वह एक और बार झड़ गई। अब नयना काफ़ी थक गई थी और अब रात भी बहुत हो चुकी थी। इसलिए तरुण और नयना दोनों एक दुसरे को बाहों में लेकर वही सो गये, तरुण का अभी भी खड़ा था।
तरुण एक सपना देखने लगा जिसमें उसे एक युवती संपूर्ण नग्न अवस्था में दिखाई दी, वह अयाना थी। वह उसकी और पीठ करके खड़ी थी, और तरुण ने जब आसपास देखा तो वह ऋषि कृतानंद के उसी आश्रम में था जहाँ उसे यह वरदान प्राप्त हुआ था। उसने उस युवती के नजदीक जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह पीछे मुड़कर बोली, "बताइये स्वामी क्या आज्ञा है मेरे लिये।"
तरुण बोला," पहले मुझे यह बताओ की, मुझमें कौन कौन सी शक्तियां है और कितनी है?"
अयाना बोली,"सारी शक्तियां, जिन्हें अगर गिने तो युग भी कम पड़ जाये, और आपकी शक्तियां परमेश्वर से भी अनंत गुणा है।"
तरुण ने पूछा," वैसे शक्तियां कहाँ है मेरे अंदर या आयने के अंदर? "
अयाना बोली,"आपके अंदर।"
तरुण ने पूछा," अगर शक्तियां मेरे अंदर है तो आयने और तुम्हारा क्या उपयोग?"
अयाना थोड़ा हिचक कर बोली," हम दोनों आपकी शक्तियों को नियंत्रण में रखते है, अगर आपकी शक्तियाँ नियंत्रण से बाहर हो गई तो वह सारे विश्व में हाहाकार मचा देगी हर मादा आपकी और आकर्षित होगी, फिर वह कोई भी हो सकती है, गाय, भैंस, घोडी, कुतिया, कोई भी!"
तरुण ने एक और सवाल पूछा," वरदान के अनुसार मै तो किसी भी स्त्री को संमोहन से नियंत्रित कर सकता हुं, मगर यहां तो मै कहां संमोहित कर रहा हु?"
अयाना ने जवाब दिया,"तुम कर रहे हो तरुण, संमोहन दो तरह के होते हे, कुदरती संमोहन और यांत्रिकी संमोहन सब लोग सिर्फ यांत्रिकी संमोहन को ही पूरा संमोहन समझते है, पर ऐसा नहीं है, कुदरती संमोहन भी एक संमोहन होता है। तुम जो कुदरती संमोहन का उपयोग कर रहे हो जो परिस्थिति, स्वभाव, पसंद और नारी के संवेदनशील अंगों पर निर्भर करता है। हर नारी के कुछ अंग संवेदनशील होते है, जिन्हें खास तरह से स्पर्श करने पर उसका मन उत्तेजित होता है। सामने वाले को सिर्फ उसके इन अंगों का पता होना चाहिए, और उसकी पसंद ना पसंद और किन परिस्थितियों में वह संभोग करना पसंद करती है। हर नारी की सम्भोग के प्रति कल्पना भिन्न होती है, कुछ स्त्रियों को बलपूर्वक तथा कुछ को प्रेम से करना पसंद होता है, कुछ सहयोग करती है तथा कुछ सिर्फ निष्क्रिय रहकर सिर्फ आनंद लेती है। पुरूषों को सिर्फ यह जानना चाहिए, मगर कुछ पुरूष यह नहीं जान पाते और कुछ अच्छे से जान लेते है। इस वजह से कुछ पुरूषों को तो अपनी पत्नी के साथ तक संभोग करने में कठिनाई होती है, तो कुछ दूसरी स्त्रियों के साथ सहजता से बना लेते है। तुम्हें इस दर्पण से सब पता चल जाता है। इसलिए तुम सहजता से चंद्रमुखी, ज्वालामुखी, तेजल, सरिता, नयना और कोमल को अपने साथ सम्बन्ध बनाने के लिये तैयार कर पाये।"
तरुण चौंककर बोला,"कोमल! वह कब तैयार हुई थी?"
अयाना ने कहां,"जब तुम रेल में उसके साथ थे, उसकी निष्क्रियता ही उसकी हां थी।"
तरुण ने उसे कसकर गले लगाया और कहा,"थँक्यु व्हेरी मच!!" और उसने अयाना को होठों पर किस कर दिया। यहाँ सुबह हो चुकी थी, तरुण की आँखें खुल गई। नयना को लगा की तरुण उसे गले लगाकर थँक्यु कह रहा है, यह देखकर नयना भी बोली,"तुम तो बड़े तमीज वाले हो यार, आज तक मैंने कभी किसी लड़के को सेक्स के बाद लड़की को ऐसे थँक्यु बोलते है।"
नयना तरुण से काफी आकर्षित हो चुकी थी। वह नहाने चली गई और तैयार होकर बाहर आ गई। फिर तरुण ने कपड़े पहने और नयना को किस किया और अपने घर चला गया।
यहां सरिता और राज भी नींद से उठ चुके थे, राज ने सरिता के साथ रात को जो गुद्द्वार सम्भोग किया था उस वजह से सरिता को चलने में तकलीफ हो रही थी। राज सरिता को कंधे का सहारा देकर बाथरूम तक ले गया, दोनों यहां नग्न अवस्था में थे दोनों एक साथ नहाने लगे। दोनों पहले एक दुसरे के बदन पर पानी डालकर साबुन मलने लगे फिर सरिता राज की छाती पर साबुन मल रही थी, और राज के हाथ सरिता के स्तनों पर चल रहे थे,राज अच्छे से रगड़ कर सरिता के स्तनों पर साबुन लगा रहा था। जिससे सरिता उत्तेजित होकर,"राज! अम्!! अम्!! रूक मत करता रह, अम् म् म् म् आहा!" ऐसी आवाजें निकालने लगी। राज ने अब उसकी पीठ मलनी शुरू की, और दोनों एक दुसरे की पीठ मलते हुये किस करने लगे फिर उन्होंने, साबुन लगाते लगाते नितम्ब की और गये यहा दोनों ने एक दुसरे के नितम्बों को अच्छे से धोया। फिर सरिता राज के लिंग पर साबुन लगा रही थी, और राज भी उसकी योनी में साबुन डालकर उंगली अंदर बाहर करने लगा, जिससे दोनों उत्तेजित हो गये और राज ने अपना लिंग सरिता की योनी में डाल दिया। योनी में और लिंग पर साबुन होने की वजह से राज का लिंग सरिता की योनी में बडी सहजता से चला गया राज बड़े जोश में अपने लिंग को सरिता की योनी में अंदर बाहर करता रहा, सरिता भी उत्तेजित होकर अपने मुंह से, "अम्!!!" करके सिसकारिया निकलने लगी।
सरिता की योनी ने पानी छोड़ दिया और यहा राज भी झड़ गया। सारा वीर्य राज ने सरिता की योनी में बहा दिया, फिर सरिता ने हँड शावर से अपनी योनी और अपना बदन धोकर शावर बाथ ले लिया। फिर दोनों ने कपड़े पहन लिये और सरिता ने राज से कहा, "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
राज ने पूछा,"किस के बारेमें ?"
सरिता ने कहा,"कोमल के बारेमें।"
राज ने पूछा,"क्या मम्मी?"
सरिता ने बताया," तुम्हारे भाई पर झूठा रेप केस लगाकर उसकी जिंदगी बरबाद करने वाली लड़की कोई और नहीं बल्कि कोमल थी।"
राज चौंककर बोला ,"क्या ? मगर वह तो बोली थी किसी और लड़की ने यह किया था।"
सरिता बोली," नहीं राज, पहले उसने सतीश से दोस्ती की, फिर दोनों करीब आ गये इतने की दोनों के बीच सेक्स हो गया, फिर वह प्रेगनंट हो गई और सतीश को ब्लैक मेल करने लगी, और जब सतीश नहीं माना तो उसने केस कर दिया, जिससे परेशान होकर सतीश ने खुदखुशी कर ली।"
राज बोला,"पर मम्मी, भैया को भी ध्यान रखना चाहिए था ना।"
सरिता ने उसे कहा,"नहीं राज, सतीश को उसने व्हायग्रा दे रखा था, जिस वजह से वह खुद पर काबू नहीं रख पाया होगा, और अगर तरुण तुम्हें यहा आने के लिये नहीं उकसाता तो तुम भी उसके शिकार बन जाते।"
राज ने कहा,"मतलब आप और तरुण के बीच कुछ नहीं हुआ?"
सरिता ने कहां,"ऐसा नहीं है, उसने मुझे आधे घंटे तक चोदा, फिर भी उसका लिंग सक्त था, वह और कर सकता था, मगर जब उसे कोमल का सच पता चला उसने तुझे कॉल लगाकर बुला लिया।और गाड़ी लेकर चला गया।"
राज ने पूछा," फिर क्या हुआ?"
सरिता ने कहा," और उसने ही मुझे बताया की तुम्हें भी कोमल ने किसी चीज़ में व्हायग्रा मिलाकर पीला दिया है।"
राज ने कहा,"उसने मुझे स्प्राईट पिलाया था, और तब से मुझे उसके बारेमें ऐसे खयाल आ रहे थे।"
सरिता ने फिर उसे कहां," जो हुआ अच्छा हुआ, उसकी वजह से तो तुमने मुझे सारी रात चोदा, थोड़ा अजीब मुझे भी लगा मगर मैने भी इन्जॉइ किया, तीन सालों से तुम्हारे पापा भी नही थे और इसलिए मैरी काफ़ी दिनों से चुदाई नहीं हुई थी, मगर तुमने मेरे अंदर की आग शांत कर दी।"
राज ने कहा,"और आप तरुण के साथ करने के लिये कैसे तैयार हो गई?"
सरिता, "पता नहीं! क्यों? और कैसे? उसने मुझे वैसे ही अप्रोच किया जैसे मै अपने पार्टनर इम्याजीन करती थी।"
राज को अपनी गलती का एहसास हो गया की उसने ज्वालामुखी के साथ कितना गलत किया। मगर सरिता को ऐसा लगा की राज के मन में अपनी माँ के साथ सम्भोग करने की वजह से पश्चाताप है। सरिता ने उससे कहा,"मै जानती हुं तुम क्या सोच रहे हो।"
राज ने चौंककर पूछा, "क्या?"
सरिता ने कहा,"तुम्हें यही लग रहा है ना की तुमने मेरे साथ जो किया वो सही था या गलत?"
राज ने होश में आकर कहा,"हा!हा! मम्मी मै यही सोच रहा था?"
सरिता ने कहा,"नहीं, अगर तुम मेरी मर्जी के बिना करते तो गलत होता, मगर तुमने जो किया वह मैने भी इंजॉय किया तो यह गलत नहीं है।"
फिर थोड़ी देर सोचकर सरिता बोली,"और राज, मै अगर तुम्हारा विरोध करती, तो भी वह गलत होता, क्योंकि तुम्हें व्हायग्रा दिया गया था और तुम्हें उसकी जरुरत थी।"
तब राज सरिता से पूछता है,"मम्मी, अगर हम आज रात को करे तो?"
सरिता बोली," आ! आ! तुम्हें उंगली क्या दी तुमने तो हाथ पकड़ लिया, माना की हमारे बीच सेक्स हुआ है, मगर हम सोच समझकर ही इसी रिलेशन को आगे बढायेंगे।" इतना बोलकर सरिता अपना घर के काम में लग गई।
यहां तरुण अपने घर आ गया, और उसने आयने को उसके असली आकार में लाया। और उसे पूछा की कोमल कहाँ है, तो आयने ने उसे कोमल को दिखाया, आयने में कोमल एक फोन पर बात करते हुये दिखाई दी। कोमल ने फोन पर कहां,"उन्हें कुछ मत करना, मै तुम्हारा काम कर दूंगी, इस बार कोई गड़बड़ नहीं होगी भरोसा करो।" वह काफी डरी हुई थी। तरुण ने आयने को कहा," हे आयने मुझे दूसरी और जो इन्सान बात कर रहा है वह देखना है।" इतना बोलते ही उसके सामने वह दृश्य आ गया, यहां जो आदमी कोमल से बात कर रहा था, असल में वह एक गैर कानूनी संघटन का मुखिया था। वह आदमी फिर एक औरत के पास गया वह औरत एक पिंजरे में कैद थी, और उसके हाथ जंजीरों से बंधे हुये थे, उसकी उम्र ४० के आसपास थी, और उसने एक सफेद साड़ी पहनी थी, उसके उरोज ३५ के थे कमर २६ और नितम्ब ३६, उसके कपड़े बीच बीच से फटे हुये थे जिस वजह से तरुण उसके स्तनों के कुछ हिस्से, । उस मुखिया ने उस औरत से कहा "अगर तुम मेरी हो जाती तो शायद तुम्हारी यह हालत नहीं होती।"
तब उसने कहा," तुम जैसे बेईमान के साथ रहने से अच्छा हम कवारे रहे।"
मुखिया बोला,"आये हाय ! रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया, अब भी प्यार बाकी है रविंदर के लिए।"
फिर मुखिया ने चाबुक निकाला और उसकी पीठ और नितम्बों पर फटकार कर मारने लगा। और उसने कहा,"तूने तो नहीं किया लेकिन जब तेरी बेटी तेरी दर्द से भरी चीखे सुनेगी तो जरूर करेगी।", और उसे चाबुक से मारता रहा। वह चिल्लाती रही और रोती रही। तरुण को अब समझ में आ गया था की कोमल राज को क्यों फंसा रही है।तरुण ने कपड़े, दवाइयां और खाने का सामान एकत्रित किया और अंधेरा होने का इंतजार करता रहा। रात को अंधेरा हो गया सारे लोग सो गये, फिर तरुण गाड़ी के पास गया और आयने की सहायता से गाड़ी के साथ वह वहां पहुंच गया। तरुण सबकी नजरों में आये बिना जिस कमरे में कोमल की माँ रानी मौजूद थी वहां चला गया वहाँ ताला लगा हुआ था, बगल मैं ही एक आदमी पहरा दे रहा था। तरुण ने ताले की और देखा और उसके आँखों से प्रकाश किरण निकली जिससे देखते ही देखते ताला कट गया। तरुण ने फिर कड़ी खोलकर रानी को बाहर निकाला, तभी वह आदमी जाग उठा और तरुण को मारने आया, तरुण ने उसे एक घुसा मारा जिससे वह दस फुट दूर दीवार से जा टकराया और वही बेहोश हो गया, रानी इसे देखते ही रह गई। तभी तरुण ने रानी का हाथ पकड़ लिया और उसे बाहर खींचकर ले गया, तब रानी होश में आकर उसके साथ बाहर भागी। बाहर जाते ही उन दोनों के सामने सारे आदमी खड़े हो गये वह बीस थे, मगर तभी पुलिस सायरन की आवाज सुनाई दी, तभी उस गिरोह के सारे लोग बेहोश हो गये। तरुण तभी रानी को लेकर पिछले रास्ते से बाहर निकल गया,
असल में तरुण ने आयने की सहायता से पहले से ही सबके खाने और पीने की चीजों में नींद की दवाई मिला दी थी, और पुलिस को सब खबर कर दिया था, वह भी तस्वीर के साथ। पुलिस को इस गिरोह की बहुत दिनों से तलाश थी इसलिए पुलिस ने तुरंत कार्यवाही करते हुये सबको गिरफ्तार कर लिया। तरुण रात में गाड़ी नहीं चलाना चाहता था, और अगर वह अपनी शक्ति का उपयोग करता तो रानी को पता चल जाता और उसे यह सबको पता चल जाता। इसलिए तरुण रानी को लेकर एक सस्ते और पुराने गेस्ट हाउस में गया वहां एक रात के २०० रुपये लगते थे। वहां सिर्फ एक बूढ़ा मालिक था जो उसे चला रहा था, तरुण ने उसे २०० रुपये देकर कमरे की चाबी ले ली और रानी के साथ अंदर चला गया और उसे कपड़े और तौलिया दे दी, रानी वह लेकर नहाने चली गई। और उसने अंदर ही नहा कर कपड़े पहन लिये। और तरुण ने उसे जो कपड़े दिये थे, वह पहनकर वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। तरुण ने रानी को तेजल के कपड़े दिये थे, उसमें उसने स्ट्रीप वाला ब्लाउज था, जिसमें आगे से उनके स्तनों के बीच की गहराई आराम से देखी जा सकती थी, और यह तेजल का ब्लाउज छोटा होने की वजह से रानी के स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बाहर आने के लिये उत्सुक हो,मगर उन्हें ब्लाउज से बाँध कर रखा गया था।

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तरुण ने कहा,"आपने उन्हें क्यों बांध रखा है, दो कबूतर बेचारे कब से छूटने को बेताब लग रहे हे।" रानी ने पूछा,"कौन से दो कबूतर?"
तरुण ने उसके ब्लाउज के उपर से हाथ रखकर कहा,"आपके यह दो जिन्हें आपने अपने ब्लाउज में कैद करके रखा है।"
रानी झट से पीछे मूड गई और बोली,"चल हट बेशरम कहीं का! मुझ जैसी बुढ़िया को..."
तभी तरुण को रानी की खुली पीठ दिखाई दी, वहाँ उसे कुछ पुराने और कुछ नये दिखाई दिये। तरुण ने तुरंत ही अपनी थैली से दवाई निकाली और उसकी पीठ पर जहाँ सूजन थी वहां लगाने लगा, रानी उससे दूर जाने लगी, मगर तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, और आराम से और धीरे धीरे उसकी पीठ पर तेल लगाने लगा, रानी ने विरोध करना बंद कर दिया, क्योंकि इससे उसे राहत मील रही थी। तरुण ने अब तेल लगाना जारी रखा, अब वह उसकी पीठ से नीचे उतरकर उसकी कमर के पिछले हिस्से पर तेल लगाकर नर्म मालिश कर रहा था। थोड़ी देर नर्म मालिश करने के बाद तरुण ने उसकी कमर से होते हुये सीधे उपर उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर फिर पीठ से फिर से कमर इस तरह सीधी रेखा में उसकी रीढ़ पर नीचे कमर तक, इस तरह करता रहा, मगर उपर जाते वक्त रानी के ब्लाउज के पिछले हिस्से की पट्टी बाधा डाल रही थी, और वह ब्लाउज छोटा होने की वजह से तरुण का हाथ अंदर जाने के लिये अक्षम था। रानी ने इतनी अच्छी मालिश में आती बाधा देखकर अपने ब्लाउज का हुक जो आगे की तरफ था वह खोल दिया, और अपने दोनों भरे हुये स्तनों को ब्लाउज से आझादि दे दी, वह मानो ऐसे उछलकर बाहर आये मानों, जैसे कई सालों से कैद खरगोश पिंजरे से बाहर आये हो। अब तरुण को मालिश करने में आसानी हो रही थी, तरुण अब तेजी से और अच्छा खासा जोर लगाकर रानी की पीठ की मालिश कर रहा था, इससे रानी को राहत के साथ साथ उत्तेजना भी हो रही थी। रानी कहने लगी,"अम्! अम्! म्! म्! तरुण!! कोमल के पापा भी मेरी ऐसी ही मालिश किया करते थे!आज तुमने फिर से उनकी याद दिला दी।"
तरुण अब अपने दुसरे हाथ से रानी की नाभि के आसपास मालिश करने लगा, जिससे रानी उत्तेजना से सिसकारिया निकालने लगी,"अम्! अम्! म्!!! म्!!!!म्!!!तरुण! रुक मत म्! म्! म्! करता रह म्!!! आहा!!!!", अब तरुण अपना हाथ नाभि के आसपास बड़े विस्तार में गोल गोल घुमा रहा था, जिससे तरुण का हाथ उपर स्तनों के निचले हिस्से तथा नीचे योनी के उपर तक स्पर्श कर रहा था। स्तनों पर हो रहे तरुण के गर्म हाथों के स्पर्श की वजह से रानी और उत्तेजित होने लगी, "म्! म्!! म्!!! आ!!हा!! आ!!!हा!!! आहा!!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तभी तरुण ने पूछा,"कैसा लग रहा है आपको?"
रानी ने कहा,"मस्त! अब उपर भी कर दो।"
तरुण समझ गया, वह अब अपने हाथों से उसके स्तनों की दबाकर मालिश कर रहा था।रानी अब उत्तेजित होने लगी थी, तरुण उसके पीछे खड़ा था इसलिए उसने अपना हाथ पीछे ले जाकर तरुण के पायजामे का नाडा खोल दिया। तरुण ने जवाब में आगे से उसके लेहंगे का नाडा खोल दिया और उसका लेहंगा सरर् से नीचे फर्श पर गिर गया, वह पैंटी नहीं पहनती थी इसलिए वह पूरी तरह नग्न हो गई । वह उत्तेजित तो थी मगर उसमें थोड़ी शर्म बाकी थी, वह लेहंगा उठाने के लिये जैसे ही झुकी, तरुण ने तुरन्त ही उसके स्तनों को पकड़ कर उसके पैरों के बीच डालकर योनी के उपर चलाना शुरू कर दिया। अब तो रानी की उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी और वह अपने सारे वस्त्रों के साथ साथ अपनी शर्म के सारे कपड़े भी उतार चुकी थी और अब वह तन के साथ साथ मन से भी नग्न हो चुकी थी। वह भी अब तरुण का साथ देने लगी थी,"तरुण! आह! आह! आह! और करो करते रहो मजा आ रहा है मुझे! आ!!हा!!...", करके सिसकारिया निकाल रही थी। तरुण का लिंग रानी के यौवन रस से भीग चुका था और रानी की योनी भी गीली हो चुकी थी, इसे सही अवसर मानकर तरुण ने अपना लिंग रानी की योनी में डाल दिया। तरुण के लिंग डालते ही रानी के मुंह से," आ!!! ई!!! उ!!ई!!!!!" करके चीख निकल गई। तरुण जैसे ही लिंग बाहर निकालने लगा, तो वह बोली," बाहर मत निकाल तरुण...", इतने में तरुण ने एक और धक्का दिया जिससे तरुण का १८ इंच लंबा और चार इंच मोटा लिंग, रानी की योनी के एक और इंच अंदर चला गया। माना की रानी एक खुली तिजोरी थी, मगर काफी देरी से अनछुई होने की वजह से उसके दरवाजे में जंग लगा हुआ था। तरुण अब उस योनी में अपना लिंग डालकर उसका जंग हटा रहा था। तरुण लगातार धक्के लगा रहा था, और जब तरुण आगे धक्का लगा रहा तब उसका साथ देते हुये रानी पीछे धक्के लगा रही थी। अब तरुण की मेहनत रंग ला रही थी, उसका लिंग रानी के गर्भाशय तक पहुंच रहा था। रानी का दर्द अब काफ़ी हद तक कम हो चुका था, और वह तरुण के टायट्यानियम से ज्यादा सक्त लिंग को अपने अंदर लेकर कड़े संभोग का आनंद ले रही थी, तभी उसका पानी छुट गया और वह झड़ गई। फिर किसी ने दरवाजा खटखटाया, रानी बेड पर लेट गई और खुद को शाल से ढक लिया। तरुण ने पैंट पहनकर दरवाजा खोला तो वहां गेस्ट हाउस का मुनीम रामलाल था जो खाना देने आया था, तरुण ने उससे पार्सल ले लिया, फिर तरुण और रानी ने साथ में खाना खाया, तरुण का वीर्य पात अब भी नहीं हुआ था, पर रानी झड़ चुकी थी। और कई दिनों से कम खाने की वजह से ज्यादा खाना खा लिया और सो गई और तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
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Raja maurya

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Update 4 शक्ति की पहचान
यहाँ तरुण घर जा रहा था तभी उसे उसके कनिष्ठ महाविद्यालय की एक अध्यापिका उसे दिखाई दी, उसने उन्हें आवाज लगाई," नयना मैडम! कहा जा रही है आप?"
उन्होंने तरुण को कहा," तरुण, तुम यहां, मै अपने घर जा रही हु" उनका बदन पानी से भीग चुका था।
तरुण ने उनसे कहा,"मैडम, मै भी घर जा रहा हूं, आइए आपको छोड़ देता हूं।" इतना कहकर तरुण ने दरवाजा खोला और वह अंदर आ गई। उन्होंने सफेद रंग कि साड़ी और लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था। और बरसात में उनकी साड़ी उनके बदन से चिपक गई थी।

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और उनके सीने के उभार उनके ब्लाउज से साफ झलक रहे थे, और तरुण से बात करते वक्त झुकने की वजह से उनके दोनों उरोजों के बीच की गहराई के बीच से जाता बरसात का पानी ऐसे लग रहा था जैसे किसी, दो खूबसूरत पहाड़ों के बीच की खाई से कामुकता की नदी बह रही हो। जब वह अंदर आई तो तरुण तरुण से पूछा,"तरुण क्या तुम्हारे पास टॉवेल या न्यापकीन है?"
तरुण ने कहा,"अभी तो नहीं है, आप चाहे तो मै आपके लिये हीटर अॉन कर देता हूं। तरुण ने हीटर चालू कर दिया, वह थोड़ा सा तरुण की और आई। उन्होंने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा बाजू में करके, अपनी आँखें बंद करके हीटर से आती गर्मी को महसूस करना शूरू किया। तरुण ने फिर हीटर के पंखे की रफ्तार बढ़ाई, जिससे नयना की साड़ी का पल्लू, उसके कंधे से नीचे गिर गया, मगर उसे उससे और गर्म हवा के झोंके हीटर से निकालकर उसके उरोज और कमर को छूने लगे, जिससे उसे वहाँ ठंड से राहत मिलने लगी। उसी गर्म हवा के कुछ झोंके उसके सीने से टकरा कर उसके उरोजों के बीच की गहराई में जाने लगे, तो कुछ उसके गले से होकर उसके कान तथा उसके मुलायम गालों को सहेला रहे थे। हवा के इस गर्म स्पर्श की वजह से वह बहुत रोमांचीत हो रही थी, और अपने होंठ दांतों तले बडे ही नशिले अंदाज में दबाकर मंद मंद मुस्करा रही थी। थोड़ी ही देर में मैडम का घर आ गया, तरुण ने उन्हें कहा,"मैडम, आपका घर आ गया"
नयना अपना पल्लू वापस कंधे पर लेते हुये बोली,"इतनी जल्दी! ओह, मै चलती हूं, तुम भी आओ कभी।"
तरुण ने कहा," आज मेरी मम्मी(तेजल) नही है।"
नयना ने कहा,"तो आज का खाना यहीं खा के जाना।"
इतना कहकर वह ताला खोलती है, और तरुण गाड़ी क्वार्टर के नजदीक लगाकर बाहर निकलता है, और दरवाजे के पास चला आता है, और वहा पत्रों की शेड वजह से वह नहीं भीग सका। तरुण लगातार नयना की भीगी कमर की कमान और उसके ब्लाउज के उपर से ब्रा की उभरती रेखाएं देख रहा था। नयना ताला खोलकर अंदर गई और तरुण भी उसके पीछे चला गया, नयना का क्वार्टर सिर्फ वन रूम किचन का था। हॉल और रसोईघर के बीच सिर्फ दीवार थी बाथरूम और शौचालय बाहर थे।
नयना फिर रसोईघर में चली गई और परदा लगा लिया, तरुण भी उसके पीछे गया मगर जब वह परदे के पास गया तब उसके होश उड़ गये, नयना वहाँ अपने कपड़े उतार रही थी। नयना ने साड़ी उतार दी, और उसने ब्लाउज उतारा फिर ब्रा, अब उसकी चिकनी पीठ और पतली कमर देखकर तरुण का लिंग खड़ा हो गया, तभी नयना ने अपने लेहंगे का नाडा खोल दिया, और उसका लेहंगा बड़ी सहजता से उसकी कमर से नीचे खिसक कर फर्श पर गिर गया। अब उसके बदन पे सिर्फ पैंटी थी उसके बदन पर जरा भी मांस नहीं था। मगर जहाँ होना चाहिए वहां बहुत था वह एक २५ उम्र की भरे उम्र की जवान लड़की थी, चेहरा तो सामान्य था, मगर उसके नितम्ब पूरी तरह भरे हुये और थे और उसकी पैंटी से बाहर आने को व्याकुल हो रहे थे। नयना ने अपनी पैंटी उतारकर उन्हें भी आझाद कर दिया, अब वह पूरी तरह से नग्न थी। नयना अब पीछे मुड़कर परदे की और मुड़कर देखने लगी, वह ऐसे लग रही थी, जैसे स्वर्ग की कोई अप्सरा आ रही हो उसकी पतली कमर मोटे उरोज, उनपर वह गुलाबी वक्ष। काफी मन मोहक और कामुक लग रहे थे। तरुण यह देखकर उत्तेजित हो गया और थोड़ा दीवार की तरफ हो गया। नयना वहाँ आयी और हाथ बाहर निकालकर तरुण से कहा," तरुण जरा टावेल देना।"
तरुण ने टावेल नयना के हाथ में रखा और जैसे ही नयना ने उसे पकड़ा, तरुण ने अचानक जैसे मछली के चारा पकड़ने के बाद मछवांरा खींचता है वैसे खींच लिया जिस वजह से नयना का संतुलन खराब हुआ और वह तरुण पर आ गिरी, तरुण उनके सामने ऐसे की उनके होंठ सीधे तरुण के होंठों से टकराये। जैसे ही यह हुआ तरुण ने उन्हें अपनी बाहों में जकड़कर चूम्बन ले लिया। इससे नयना चौंककर तरुण को देखने लगी, वह एकदम स्तब्ध हो गई। तरुण इस मौके का फायदा उठाकर उसपर होंठों से लेकर गाल, गर्दन तक चूमने लगा, फिर वह चूमते चूमते उसके स्तनों के बीच की गहराई तक पहुंचा फिर उस खाई से उसके स्तन रूपी पहाड़ों की चढ़ाई करके, उनकी वक्ष रूपी चोटी तक पहुंचकर उसके वक्ष को चूसने लगा। इससे नयना काफी उत्तेजित होने लगी और उस वजह से उसके मुंह से,"अम्म्म्.....म्म्म्..म् म् म् आह!" जैसी सिसकारिया निकलने लगी, तभी तरुण ने उसके वक्ष को हल्के से अपने दांत के नीचे दबा दिया जिससे उसे थोड़ा दर्द हुआ मगर उसके बदन में उत्तेजना एक बिजली के झटके की तरह दौड़ने लगी। तरुण ने उसका दर्द कम करके उत्तेजना बढाने के लिये उसके वक्ष चूसना जारी रखा। नयना की उत्तेजना इतनी बढ़ चुकी थी की, अब वह पानी बनकर उसकी योनी से बहने लगी थी। और नयना भी शर्म के मारे लाल हो रही थी, तरुण ने अब नयना की नाभि पर चूमा और उसकी योनी में अपनी जीभ घुमाने लगा, उसकी गीली जीभ जैसे जैसे नयना की योनी में घूम रही थी वैसे वैसे वह ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। तरुण ने फिर वापिस अपना मुंह उपर ला कर उसका किस ले लिया, और फिर अपनी जीभ उसके मुंह में उसकी जीभ पर घुमाने लगा, वह इससे उत्तेजित होकर उसका साथ देने लगी, तभी तरुण ने उसकी योनी में अपना लिंग डाल दिया। तरुण के लिंग डालने की वजह से नयना की योनी की सिल टूट गई और उसकी चीख निकल गई, मगर उसके मुंह पर तरुण का मुंह होने से उसकी चीख दब गई। और तरुण ने एक झटके में अपना लिंग उसके गर्भाशय के आखिरी छोर तक पहुंचा दिया। तरुण ने उसे थोड़ा बाहर निकालकर फिर अंदर डाल दिया, जिससे नयना झटके खाने लगी।तरुण ने झटके अब तेज कर दिये ऐसा वह एक घंटा करते रहे तभी कुकर की सीटी बजी, तब तक नयना दो बार झड़ चुकी थी। तरुण अभी भी नहीं झडा था। नयना रसोईघर में गई और तरुण के लिये खाना ले आयी , उसने अभी भी कुछ नहीं पहना था। वह पूरी तरह से नग्न अवस्था में थी, इसी अवस्था में उसने तरुण के लिये खाना परौसा और वह भी बैठ गयी। वह नयना अपने पैर तरुण के पैरों में डालकर बैठ गये और दोनों एक ही थाली में खाना खाने लगे। उन्होंने वैसे ही खाना खाया और बर्तन रख दिये। और फिर तरुण ने नयना के स्तनों को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन को चूमने लगा, और फिर उसके कानों को चूमने लगा, और अपना सिर आगे कर के उसके एक गाल पर चूमने लगा, जैसे ही जवाब में नयना ने अपनी गर्दन उस तरफ घूमा कर देखा उसके होंठों पर तरुण ने अपने होंठ टीका दिये और उसे किस करने लगा। तरुण के होंठ यहां नयना के होंठों से ९० अंश के कोन में लगे हुये थे, अब तरुण ने अपनी जबान नयना के मुंह में डालकर उसकी जबान पर लगायी, और घुमाने लगा और नयना भी उसका साथ देने लगी, दोनों एक दुसरे में सबकुछ भुलाकर खो गये। फिर नयना फिर से उत्तेजित हो उठी, वह पलंग की और चली गई और तरुण की और नितम्ब कर अपने हाथ पलंग पर रखकर झुक गई। तरुण ने अपना लिंग नयना की योनी में डाल दिया और उसके स्तनों को पकड़कर जोरों से दबाने लगा, और उसके साथ उसके स्तनाग्रों को मसलने लगा। जैसे जैसे तरुण स्तनाग्र मसल रहा था वैसे वैसे नयना," आ!! आ!!" करके चिल्ला रही थी उसके चिल्लाने में थोड़ा दर्द और बहुत सारी कामवासना थी। तरुण उसके स्तन और स्तनाग्रों को पकड़कर पीछे खींच रहा था, जिससे जोरदार धक्के लगा रहे थे, जिस वजह से नयना की योनी ने पानी छोड़ दिया। अब तरुण ने लिंग बाहर निकाल लिया, जिससे नयना बेड पर लेट गई, तभी तरुण ने अपना गीला लिंग अचानक से नयना के गुद्द्वार में डाल दिया, वह जोर से चिल्लाती उसके पहले ही तरुण ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया नयना की चीख वही दब गई और उसकी आँखों से आंसू निकल आये। तरुण ने अपना लिंग थोड़ा बाहर निकाला और तेजी से उसकी योनी में डाल दिया, जिससे वह एक और बार चिल्लाई मगर हाथ पहले से नयना के मुंह पर होने की वजह से उसकी चीख दब गई। वैसे तरुण लगातार एक घंटा करता रहा अब नयना का गुद्द्वार खुल चुका था, वह दो बार झड़ चुकी थी मगर तरुण का अभी भी खड़ा था। नयना तरुण के लिंग का आकार देखकर चौंक गई, उसका लिंग १८ इंच लंबा और मोटाई में चार इंच था, और अभी भी चट्टान की तरह सक्त था। यह देखकर नयना की आँखों में जैसे चमक आ गई वह उसे चूमने लगी फिर उसे अपने स्तनों के बीच लेकर रगड़ने लगी, जिससे वह एक और बार झड़ गई। अब नयना काफ़ी थक गई थी और अब रात भी बहुत हो चुकी थी। इसलिए तरुण और नयना दोनों एक दुसरे को बाहों में लेकर वही सो गये, तरुण का अभी भी खड़ा था।
तरुण एक सपना देखने लगा जिसमें उसे एक युवती संपूर्ण नग्न अवस्था में दिखाई दी, वह अयाना थी। वह उसकी और पीठ करके खड़ी थी, और तरुण ने जब आसपास देखा तो वह ऋषि कृतानंद के उसी आश्रम में था जहाँ उसे यह वरदान प्राप्त हुआ था। उसने उस युवती के नजदीक जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा तो वह पीछे मुड़कर बोली, "बताइये स्वामी क्या आज्ञा है मेरे लिये।"
तरुण बोला," पहले मुझे यह बताओ की, मुझमें कौन कौन सी शक्तियां है और कितनी है?"
अयाना बोली,"सारी शक्तियां, जिन्हें अगर गिने तो युग भी कम पड़ जाये, और आपकी शक्तियां परमेश्वर से भी अनंत गुणा है।"
तरुण ने पूछा," वैसे शक्तियां कहाँ है मेरे अंदर या आयने के अंदर? "
अयाना बोली,"आपके अंदर।"
तरुण ने पूछा," अगर शक्तियां मेरे अंदर है तो आयने और तुम्हारा क्या उपयोग?"
अयाना थोड़ा हिचक कर बोली," हम दोनों आपकी शक्तियों को नियंत्रण में रखते है, अगर आपकी शक्तियाँ नियंत्रण से बाहर हो गई तो वह सारे विश्व में हाहाकार मचा देगी हर मादा आपकी और आकर्षित होगी, फिर वह कोई भी हो सकती है, गाय, भैंस, घोडी, कुतिया, कोई भी!"
तरुण ने एक और सवाल पूछा," वरदान के अनुसार मै तो किसी भी स्त्री को संमोहन से नियंत्रित कर सकता हुं, मगर यहां तो मै कहां संमोहित कर रहा हु?"
अयाना ने जवाब दिया,"तुम कर रहे हो तरुण, संमोहन दो तरह के होते हे, कुदरती संमोहन और यांत्रिकी संमोहन सब लोग सिर्फ यांत्रिकी संमोहन को ही पूरा संमोहन समझते है, पर ऐसा नहीं है, कुदरती संमोहन भी एक संमोहन होता है। तुम जो कुदरती संमोहन का उपयोग कर रहे हो जो परिस्थिति, स्वभाव, पसंद और नारी के संवेदनशील अंगों पर निर्भर करता है। हर नारी के कुछ अंग संवेदनशील होते है, जिन्हें खास तरह से स्पर्श करने पर उसका मन उत्तेजित होता है। सामने वाले को सिर्फ उसके इन अंगों का पता होना चाहिए, और उसकी पसंद ना पसंद और किन परिस्थितियों में वह संभोग करना पसंद करती है। हर नारी की सम्भोग के प्रति कल्पना भिन्न होती है, कुछ स्त्रियों को बलपूर्वक तथा कुछ को प्रेम से करना पसंद होता है, कुछ सहयोग करती है तथा कुछ सिर्फ निष्क्रिय रहकर सिर्फ आनंद लेती है। पुरूषों को सिर्फ यह जानना चाहिए, मगर कुछ पुरूष यह नहीं जान पाते और कुछ अच्छे से जान लेते है। इस वजह से कुछ पुरूषों को तो अपनी पत्नी के साथ तक संभोग करने में कठिनाई होती है, तो कुछ दूसरी स्त्रियों के साथ सहजता से बना लेते है। तुम्हें इस दर्पण से सब पता चल जाता है। इसलिए तुम सहजता से चंद्रमुखी, ज्वालामुखी, तेजल, सरिता, नयना और कोमल को अपने साथ सम्बन्ध बनाने के लिये तैयार कर पाये।"
तरुण चौंककर बोला,"कोमल! वह कब तैयार हुई थी?"
अयाना ने कहां,"जब तुम रेल में उसके साथ थे, उसकी निष्क्रियता ही उसकी हां थी।"
तरुण ने उसे कसकर गले लगाया और कहा,"थँक्यु व्हेरी मच!!" और उसने अयाना को होठों पर किस कर दिया। यहाँ सुबह हो चुकी थी, तरुण की आँखें खुल गई। नयना को लगा की तरुण उसे गले लगाकर थँक्यु कह रहा है, यह देखकर नयना भी बोली,"तुम तो बड़े तमीज वाले हो यार, आज तक मैंने कभी किसी लड़के को सेक्स के बाद लड़की को ऐसे थँक्यु बोलते है।"
नयना तरुण से काफी आकर्षित हो चुकी थी। वह नहाने चली गई और तैयार होकर बाहर आ गई। फिर तरुण ने कपड़े पहने और नयना को किस किया और अपने घर चला गया।
यहां सरिता और राज भी नींद से उठ चुके थे, राज ने सरिता के साथ रात को जो गुद्द्वार सम्भोग किया था उस वजह से सरिता को चलने में तकलीफ हो रही थी। राज सरिता को कंधे का सहारा देकर बाथरूम तक ले गया, दोनों यहां नग्न अवस्था में थे दोनों एक साथ नहाने लगे। दोनों पहले एक दुसरे के बदन पर पानी डालकर साबुन मलने लगे फिर सरिता राज की छाती पर साबुन मल रही थी, और राज के हाथ सरिता के स्तनों पर चल रहे थे,राज अच्छे से रगड़ कर सरिता के स्तनों पर साबुन लगा रहा था। जिससे सरिता उत्तेजित होकर,"राज! अम्!! अम्!! रूक मत करता रह, अम् म् म् म् आहा!" ऐसी आवाजें निकालने लगी। राज ने अब उसकी पीठ मलनी शुरू की, और दोनों एक दुसरे की पीठ मलते हुये किस करने लगे फिर उन्होंने, साबुन लगाते लगाते नितम्ब की और गये यहा दोनों ने एक दुसरे के नितम्बों को अच्छे से धोया। फिर सरिता राज के लिंग पर साबुन लगा रही थी, और राज भी उसकी योनी में साबुन डालकर उंगली अंदर बाहर करने लगा, जिससे दोनों उत्तेजित हो गये और राज ने अपना लिंग सरिता की योनी में डाल दिया। योनी में और लिंग पर साबुन होने की वजह से राज का लिंग सरिता की योनी में बडी सहजता से चला गया राज बड़े जोश में अपने लिंग को सरिता की योनी में अंदर बाहर करता रहा, सरिता भी उत्तेजित होकर अपने मुंह से, "अम्!!!" करके सिसकारिया निकलने लगी।
सरिता की योनी ने पानी छोड़ दिया और यहा राज भी झड़ गया। सारा वीर्य राज ने सरिता की योनी में बहा दिया, फिर सरिता ने हँड शावर से अपनी योनी और अपना बदन धोकर शावर बाथ ले लिया। फिर दोनों ने कपड़े पहन लिये और सरिता ने राज से कहा, "मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"
राज ने पूछा,"किस के बारेमें ?"
सरिता ने कहा,"कोमल के बारेमें।"
राज ने पूछा,"क्या मम्मी?"
सरिता ने बताया," तुम्हारे भाई पर झूठा रेप केस लगाकर उसकी जिंदगी बरबाद करने वाली लड़की कोई और नहीं बल्कि कोमल थी।"
राज चौंककर बोला ,"क्या ? मगर वह तो बोली थी किसी और लड़की ने यह किया था।"
सरिता बोली," नहीं राज, पहले उसने सतीश से दोस्ती की, फिर दोनों करीब आ गये इतने की दोनों के बीच सेक्स हो गया, फिर वह प्रेगनंट हो गई और सतीश को ब्लैक मेल करने लगी, और जब सतीश नहीं माना तो उसने केस कर दिया, जिससे परेशान होकर सतीश ने खुदखुशी कर ली।"
राज बोला,"पर मम्मी, भैया को भी ध्यान रखना चाहिए था ना।"
सरिता ने उसे कहा,"नहीं राज, सतीश को उसने व्हायग्रा दे रखा था, जिस वजह से वह खुद पर काबू नहीं रख पाया होगा, और अगर तरुण तुम्हें यहा आने के लिये नहीं उकसाता तो तुम भी उसके शिकार बन जाते।"
राज ने कहा,"मतलब आप और तरुण के बीच कुछ नहीं हुआ?"
सरिता ने कहां,"ऐसा नहीं है, उसने मुझे आधे घंटे तक चोदा, फिर भी उसका लिंग सक्त था, वह और कर सकता था, मगर जब उसे कोमल का सच पता चला उसने तुझे कॉल लगाकर बुला लिया।और गाड़ी लेकर चला गया।"
राज ने पूछा," फिर क्या हुआ?"
सरिता ने कहा," और उसने ही मुझे बताया की तुम्हें भी कोमल ने किसी चीज़ में व्हायग्रा मिलाकर पीला दिया है।"
राज ने कहा,"उसने मुझे स्प्राईट पिलाया था, और तब से मुझे उसके बारेमें ऐसे खयाल आ रहे थे।"
सरिता ने फिर उसे कहां," जो हुआ अच्छा हुआ, उसकी वजह से तो तुमने मुझे सारी रात चोदा, थोड़ा अजीब मुझे भी लगा मगर मैने भी इन्जॉइ किया, तीन सालों से तुम्हारे पापा भी नही थे और इसलिए मैरी काफ़ी दिनों से चुदाई नहीं हुई थी, मगर तुमने मेरे अंदर की आग शांत कर दी।"
राज ने कहा,"और आप तरुण के साथ करने के लिये कैसे तैयार हो गई?"
सरिता, "पता नहीं! क्यों? और कैसे? उसने मुझे वैसे ही अप्रोच किया जैसे मै अपने पार्टनर इम्याजीन करती थी।"
राज को अपनी गलती का एहसास हो गया की उसने ज्वालामुखी के साथ कितना गलत किया। मगर सरिता को ऐसा लगा की राज के मन में अपनी माँ के साथ सम्भोग करने की वजह से पश्चाताप है। सरिता ने उससे कहा,"मै जानती हुं तुम क्या सोच रहे हो।"
राज ने चौंककर पूछा, "क्या?"
सरिता ने कहा,"तुम्हें यही लग रहा है ना की तुमने मेरे साथ जो किया वो सही था या गलत?"
राज ने होश में आकर कहा,"हा!हा! मम्मी मै यही सोच रहा था?"
सरिता ने कहा,"नहीं, अगर तुम मेरी मर्जी के बिना करते तो गलत होता, मगर तुमने जो किया वह मैने भी इंजॉय किया तो यह गलत नहीं है।"
फिर थोड़ी देर सोचकर सरिता बोली,"और राज, मै अगर तुम्हारा विरोध करती, तो भी वह गलत होता, क्योंकि तुम्हें व्हायग्रा दिया गया था और तुम्हें उसकी जरुरत थी।"
तब राज सरिता से पूछता है,"मम्मी, अगर हम आज रात को करे तो?"
सरिता बोली," आ! आ! तुम्हें उंगली क्या दी तुमने तो हाथ पकड़ लिया, माना की हमारे बीच सेक्स हुआ है, मगर हम सोच समझकर ही इसी रिलेशन को आगे बढायेंगे।" इतना बोलकर सरिता अपना घर के काम में लग गई।
यहां तरुण अपने घर आ गया, और उसने आयने को उसके असली आकार में लाया। और उसे पूछा की कोमल कहाँ है, तो आयने ने उसे कोमल को दिखाया, आयने में कोमल एक फोन पर बात करते हुये दिखाई दी। कोमल ने फोन पर कहां,"उन्हें कुछ मत करना, मै तुम्हारा काम कर दूंगी, इस बार कोई गड़बड़ नहीं होगी भरोसा करो।" वह काफी डरी हुई थी। तरुण ने आयने को कहा," हे आयने मुझे दूसरी और जो इन्सान बात कर रहा है वह देखना है।" इतना बोलते ही उसके सामने वह दृश्य आ गया, यहां जो आदमी कोमल से बात कर रहा था, असल में वह एक गैर कानूनी संघटन का मुखिया था। वह आदमी फिर एक औरत के पास गया वह औरत एक पिंजरे में कैद थी, और उसके हाथ जंजीरों से बंधे हुये थे, उसकी उम्र ४० के आसपास थी, और उसने एक सफेद साड़ी पहनी थी, उसके उरोज ३५ के थे कमर २६ और नितम्ब ३६, उसके कपड़े बीच बीच से फटे हुये थे जिस वजह से तरुण उसके स्तनों के कुछ हिस्से, । उस मुखिया ने उस औरत से कहा "अगर तुम मेरी हो जाती तो शायद तुम्हारी यह हालत नहीं होती।"
तब उसने कहा," तुम जैसे बेईमान के साथ रहने से अच्छा हम कवारे रहे।"
मुखिया बोला,"आये हाय ! रस्सी जल गई मगर बल नहीं गया, अब भी प्यार बाकी है रविंदर के लिए।"
फिर मुखिया ने चाबुक निकाला और उसकी पीठ और नितम्बों पर फटकार कर मारने लगा। और उसने कहा,"तूने तो नहीं किया लेकिन जब तेरी बेटी तेरी दर्द से भरी चीखे सुनेगी तो जरूर करेगी।", और उसे चाबुक से मारता रहा। वह चिल्लाती रही और रोती रही। तरुण को अब समझ में आ गया था की कोमल राज को क्यों फंसा रही है।तरुण ने कपड़े, दवाइयां और खाने का सामान एकत्रित किया और अंधेरा होने का इंतजार करता रहा। रात को अंधेरा हो गया सारे लोग सो गये, फिर तरुण गाड़ी के पास गया और आयने की सहायता से गाड़ी के साथ वह वहां पहुंच गया। तरुण सबकी नजरों में आये बिना जिस कमरे में कोमल की माँ रानी मौजूद थी वहां चला गया वहाँ ताला लगा हुआ था, बगल मैं ही एक आदमी पहरा दे रहा था। तरुण ने ताले की और देखा और उसके आँखों से प्रकाश किरण निकली जिससे देखते ही देखते ताला कट गया। तरुण ने फिर कड़ी खोलकर रानी को बाहर निकाला, तभी वह आदमी जाग उठा और तरुण को मारने आया, तरुण ने उसे एक घुसा मारा जिससे वह दस फुट दूर दीवार से जा टकराया और वही बेहोश हो गया, रानी इसे देखते ही रह गई। तभी तरुण ने रानी का हाथ पकड़ लिया और उसे बाहर खींचकर ले गया, तब रानी होश में आकर उसके साथ बाहर भागी। बाहर जाते ही उन दोनों के सामने सारे आदमी खड़े हो गये वह बीस थे, मगर तभी पुलिस सायरन की आवाज सुनाई दी, तभी उस गिरोह के सारे लोग बेहोश हो गये। तरुण तभी रानी को लेकर पिछले रास्ते से बाहर निकल गया,
असल में तरुण ने आयने की सहायता से पहले से ही सबके खाने और पीने की चीजों में नींद की दवाई मिला दी थी, और पुलिस को सब खबर कर दिया था, वह भी तस्वीर के साथ। पुलिस को इस गिरोह की बहुत दिनों से तलाश थी इसलिए पुलिस ने तुरंत कार्यवाही करते हुये सबको गिरफ्तार कर लिया। तरुण रात में गाड़ी नहीं चलाना चाहता था, और अगर वह अपनी शक्ति का उपयोग करता तो रानी को पता चल जाता और उसे यह सबको पता चल जाता। इसलिए तरुण रानी को लेकर एक सस्ते और पुराने गेस्ट हाउस में गया वहां एक रात के २०० रुपये लगते थे। वहां सिर्फ एक बूढ़ा मालिक था जो उसे चला रहा था, तरुण ने उसे २०० रुपये देकर कमरे की चाबी ले ली और रानी के साथ अंदर चला गया और उसे कपड़े और तौलिया दे दी, रानी वह लेकर नहाने चली गई। और उसने अंदर ही नहा कर कपड़े पहन लिये। और तरुण ने उसे जो कपड़े दिये थे, वह पहनकर वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। तरुण ने रानी को तेजल के कपड़े दिये थे, उसमें उसने स्ट्रीप वाला ब्लाउज था, जिसमें आगे से उनके स्तनों के बीच की गहराई आराम से देखी जा सकती थी, और यह तेजल का ब्लाउज छोटा होने की वजह से रानी के स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे बाहर आने के लिये उत्सुक हो,मगर उन्हें ब्लाउज से बाँध कर रखा गया था।

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तरुण ने कहा,"आपने उन्हें क्यों बांध रखा है, दो कबूतर बेचारे कब से छूटने को बेताब लग रहे हे।" रानी ने पूछा,"कौन से दो कबूतर?"
तरुण ने उसके ब्लाउज के उपर से हाथ रखकर कहा,"आपके यह दो जिन्हें आपने अपने ब्लाउज में कैद करके रखा है।"
रानी झट से पीछे मूड गई और बोली,"चल हट बेशरम कहीं का! मुझ जैसी बुढ़िया को..."
तभी तरुण को रानी की खुली पीठ दिखाई दी, वहाँ उसे कुछ पुराने और कुछ नये दिखाई दिये। तरुण ने तुरंत ही अपनी थैली से दवाई निकाली और उसकी पीठ पर जहाँ सूजन थी वहां लगाने लगा, रानी उससे दूर जाने लगी, मगर तरुण ने उसकी कमर में हाथ डालकर उसे पकड़ लिया, और आराम से और धीरे धीरे उसकी पीठ पर तेल लगाने लगा, रानी ने विरोध करना बंद कर दिया, क्योंकि इससे उसे राहत मील रही थी। तरुण ने अब तेल लगाना जारी रखा, अब वह उसकी पीठ से नीचे उतरकर उसकी कमर के पिछले हिस्से पर तेल लगाकर नर्म मालिश कर रहा था। थोड़ी देर नर्म मालिश करने के बाद तरुण ने उसकी कमर से होते हुये सीधे उपर उसकी पीठ पर हाथ ले जाकर फिर पीठ से फिर से कमर इस तरह सीधी रेखा में उसकी रीढ़ पर नीचे कमर तक, इस तरह करता रहा, मगर उपर जाते वक्त रानी के ब्लाउज के पिछले हिस्से की पट्टी बाधा डाल रही थी, और वह ब्लाउज छोटा होने की वजह से तरुण का हाथ अंदर जाने के लिये अक्षम था। रानी ने इतनी अच्छी मालिश में आती बाधा देखकर अपने ब्लाउज का हुक जो आगे की तरफ था वह खोल दिया, और अपने दोनों भरे हुये स्तनों को ब्लाउज से आझादि दे दी, वह मानो ऐसे उछलकर बाहर आये मानों, जैसे कई सालों से कैद खरगोश पिंजरे से बाहर आये हो। अब तरुण को मालिश करने में आसानी हो रही थी, तरुण अब तेजी से और अच्छा खासा जोर लगाकर रानी की पीठ की मालिश कर रहा था, इससे रानी को राहत के साथ साथ उत्तेजना भी हो रही थी। रानी कहने लगी,"अम्! अम्! म्! म्! तरुण!! कोमल के पापा भी मेरी ऐसी ही मालिश किया करते थे!आज तुमने फिर से उनकी याद दिला दी।"
तरुण अब अपने दुसरे हाथ से रानी की नाभि के आसपास मालिश करने लगा, जिससे रानी उत्तेजना से सिसकारिया निकालने लगी,"अम्! अम्! म्!!! म्!!!!म्!!!तरुण! रुक मत म्! म्! म्! करता रह म्!!! आहा!!!!", अब तरुण अपना हाथ नाभि के आसपास बड़े विस्तार में गोल गोल घुमा रहा था, जिससे तरुण का हाथ उपर स्तनों के निचले हिस्से तथा नीचे योनी के उपर तक स्पर्श कर रहा था। स्तनों पर हो रहे तरुण के गर्म हाथों के स्पर्श की वजह से रानी और उत्तेजित होने लगी, "म्! म्!! म्!!! आ!!हा!! आ!!!हा!!! आहा!!!" करके सिसकारिया निकालने लगी।
तभी तरुण ने पूछा,"कैसा लग रहा है आपको?"
रानी ने कहा,"मस्त! अब उपर भी कर दो।"
तरुण समझ गया, वह अब अपने हाथों से उसके स्तनों की दबाकर मालिश कर रहा था।रानी अब उत्तेजित होने लगी थी, तरुण उसके पीछे खड़ा था इसलिए उसने अपना हाथ पीछे ले जाकर तरुण के पायजामे का नाडा खोल दिया। तरुण ने जवाब में आगे से उसके लेहंगे का नाडा खोल दिया और उसका लेहंगा सरर् से नीचे फर्श पर गिर गया, वह पैंटी नहीं पहनती थी इसलिए वह पूरी तरह नग्न हो गई । वह उत्तेजित तो थी मगर उसमें थोड़ी शर्म बाकी थी, वह लेहंगा उठाने के लिये जैसे ही झुकी, तरुण ने तुरन्त ही उसके स्तनों को पकड़ कर उसके पैरों के बीच डालकर योनी के उपर चलाना शुरू कर दिया। अब तो रानी की उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी और वह अपने सारे वस्त्रों के साथ साथ अपनी शर्म के सारे कपड़े भी उतार चुकी थी और अब वह तन के साथ साथ मन से भी नग्न हो चुकी थी। वह भी अब तरुण का साथ देने लगी थी,"तरुण! आह! आह! आह! और करो करते रहो मजा आ रहा है मुझे! आ!!हा!!...", करके सिसकारिया निकाल रही थी। तरुण का लिंग रानी के यौवन रस से भीग चुका था और रानी की योनी भी गीली हो चुकी थी, इसे सही अवसर मानकर तरुण ने अपना लिंग रानी की योनी में डाल दिया। तरुण के लिंग डालते ही रानी के मुंह से," आ!!! ई!!! उ!!ई!!!!!" करके चीख निकल गई। तरुण जैसे ही लिंग बाहर निकालने लगा, तो वह बोली," बाहर मत निकाल तरुण...", इतने में तरुण ने एक और धक्का दिया जिससे तरुण का १८ इंच लंबा और चार इंच मोटा लिंग, रानी की योनी के एक और इंच अंदर चला गया। माना की रानी एक खुली तिजोरी थी, मगर काफी देरी से अनछुई होने की वजह से उसके दरवाजे में जंग लगा हुआ था। तरुण अब उस योनी में अपना लिंग डालकर उसका जंग हटा रहा था। तरुण लगातार धक्के लगा रहा था, और जब तरुण आगे धक्का लगा रहा तब उसका साथ देते हुये रानी पीछे धक्के लगा रही थी। अब तरुण की मेहनत रंग ला रही थी, उसका लिंग रानी के गर्भाशय तक पहुंच रहा था। रानी का दर्द अब काफ़ी हद तक कम हो चुका था, और वह तरुण के टायट्यानियम से ज्यादा सक्त लिंग को अपने अंदर लेकर कड़े संभोग का आनंद ले रही थी, तभी उसका पानी छुट गया और वह झड़ गई। फिर किसी ने दरवाजा खटखटाया, रानी बेड पर लेट गई और खुद को शाल से ढक लिया। तरुण ने पैंट पहनकर दरवाजा खोला तो वहां गेस्ट हाउस का मुनीम रामलाल था जो खाना देने आया था, तरुण ने उससे पार्सल ले लिया, फिर तरुण और रानी ने साथ में खाना खाया, तरुण का वीर्य पात अब भी नहीं हुआ था, पर रानी झड़ चुकी थी। और कई दिनों से कम खाने की वजह से ज्यादा खाना खा लिया और सो गई और तरुण भी उसे अपनी बाहों में जकड़ कर सो गया।
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