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Erotica वरदान

आप किस की पत्नी के साथ सैतानासुर का संभोग अगले अपडेट में देखना चाहते है?

  • किसी सामान्य मानव की।

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    7
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Rival

𝑫𝑬𝑽𝑰𝑵𝑬 𝕃𝕦𝕔𝕜
329
547
94
superb upda
9 राजकु का टूटा घमंड
वह उसके समक्ष केवल एक धोती में था, और कर्कता यहाँ लोहे के कवच घिरी हुई थी। कर्कता हंसते हंसते बोली,"क्या परिहास करते हो असुर, हम यहाँ कवच से लदे हुये है, और तुम बिना किसी कवच के केवल एक तलवार लिये हमारे समक्ष आ गये।"

सैतानासुर ने कहा,"केवल शस्त्र होने से कुछ नहीं होता राजकुमारी, कौशल होना भी आवश्यक है।"

कर्कता उसपर तीर चलाने लगी, मगर सैतानासुर ने अपनी तलवारबाजी की कला दिखाते हुये, तलवार को म्यान से अलग किये बिना ही, सारे तीर काट दिये। कर्कता उसका युद्धकौशल देख काफ़ी प्रभावित हो गई, सैतानासुर अब कर्कता से सामने आ गया, कर्कता ने उसपर अपनी तलवार से एक वार किया, मगर सैतानासुर ने वह वार सहजता से चुकाकर उसके कवच का नाडा काट दिया, उस नाडे से ही कवच उसके बदन से बंधा हुआ था। अब सैतानासुर ने अपनी तलवार से उसकी तलवार पर वार किया, और कर्कता की तलवार टूट गई। सैतानासुर ने कर्कता के सिने पर तलवार रखकर उसे निचे घुमाकर कर्कता की चोली और धोती काटकर निचे गीरा दी। कर्कता पहलीबार कीसी पराये पुरुष के सामने संपूर्ण नग्न अवस्था में उससे पराजित होकर खड़ी थी, वह थोड़ी भयभीत भी थी। उसके मन में पहलीबार किसी पुरुष के लिए आकर्षण था, वह उसके रणकौशल से काफी प्रभावित हो रही थी।
कर्कता ने उसे पुछा,"कही तुम हमारे साथ कुछ गलत तो नही ... "
वह पूरा बोल पाती उसके पहले ही सैतानासुर खुद भी नग्न हो गया और उसका विशालकाय 14 इंच का लिंग उसके सामने आ गया, सैतानासुर ने उसे पकड़कर निचे लेटा दिया और अपना लिंग उसकी योनी पर रखकर एक तेज धक्का देकर काफ़ी अंदर तक पहुंचा दिया, कर्कता जोर से चिल्लाकर रोने लगी और लगातार सैतानासुर से छोड़ने की मांग करने लगी, मगर सैतानासुर बिना कोई परवाह किए उसे जोर जोर से धकेल कर संभोग किए जा रहा था, एक घन्टे बाद कार्कता की योनी सैतानासुर के लिंग के आसपास कसने लगी और उस ने पानी छोड दिया।'

इतनी कहानी हुई थी की सुबह हो गई और मै नींद से जाग गया, फिर सुबह के सारे काम खत्म कर के में महाविद्यालय जाने के लिए निकल गया, और एक क्षण के अंदर अंदर मै पहुंच गया क्यों की मेरी गती अब मन से भी तेज हो चुकि थी। फिर वही रोज की तरह लेक्चर हुए और मै सीमा मैम के पास गया, आज सीमा साड़ी पहनकर और स्लीवलेस और बैकलेस ब्लाउज पहनकर आयी थी, लेक्चर में तो पता नहीं चला क्योंकी उसने तब ब्लेझर पहनकर आई थी। उसने स्कूटी पर बैठने से पहले ब्लेझर उतार कर डिक्की में रख दिया।


Notes-221126-012420-559
वह एकदम आकर्षक लग रही थी, जैसे कामरस में भिगोकर उसे बनाया गया हो। उसने कहा,"तरुण आज भी तुम मेरे घर ट्यूशन के लिए रुक सकते हो, और चाहिए तो मेरे साथ स्कूटी पर आ सकते हो।"
मै उसके पिछे बैठ कर उसे बोला,"तो मैम चले फिर।"
उसने बोला, "कसकर पकड़कर बैठना ।" उसके इतना कहते ही मैने उसकी कमर हाथों से कसकर पकड़ ली, वह बोली,"आह! इतना कसकर... " उसके कुछ बोलने से पहले ही मैं बोला," तुम ही तो बोली की कसकर पकड़कर बैठना"
वह मेरे मुंह से "तुम" सुनकर चौंककर मुझे देखने लगी, वह थोड़ी-बहुत गुस्सा थी मगर प्रभावित भी थी मेरी हिम्मत देखकर।
मैने उसकी कमर अपनी तरफ खींचकर कहा,
"ऐसे क्या देख रही हो, अब चलो भी।"
अगर चोली की पट्टी छोड़कर देखे तो उसकी पीठ पूरी नग्न थी। उसने एक्सीलेटर घुमाया और वह चल पडी उसके घर की और, मै ने अपना हाथ उसकी कमर पर और जोर से कस लिया, और अपनी उँगली से उसकी नाभि सहलाकर उसे उत्तेजित करता रहा। मेरा लिंग अब कठोर होकर बाहर आने को बेताब था, अब थोड़ी देर बाद उसका घर भी आ गया। पहले मै उतरा और सोचा की लिंग को एडजस्ट कर लू, फिर सोचा अगर औरत अपने स्तन और नितम्ब के उभार दिखाकर हमे बेचैन करती है, तो लिंग का उभार भी उन्हे बेचैन कर सकता है, मैने अपनी फॉर्मल पेंट को इस तरह एडजस्ट किया कि वह उसे अच्छे से दिखाई दे। उसने स्कूटर लगाकर जब पीछे मुड़कर देखा तो वह आकार देखकर हैरान हो गई, उसका ध्यान इस तरह उसपर था की उसे यह पता ही नही चला की हवा के एक झोंके ने उसका पल्लू ब्लाउज से हट गया है और मै उसके वह स्तन देख पा रहा हु जो ब्लाउज के बाहर आने के लिए बेताब थे। मै उसके नजदीक गया और उसके पास जाकर खडा हो गया, जैसे ही उसने मेरे पैंट में बने तम्बू पर हाथ रखा, मैने अपने दोनो हाथ उसकी पीठ पर ले जाकर उसकी चोली की गांठ खोल कर उतार दिया। वह कुछ समझ पाती इससे पहले मै पिछे होकर उसे लहराया, उसने नीचे देखा और और अपने स्तन हाथों से ढक कर अंदर भाग गई। मै भी उसके पिछे चल पडा। वह जल्द-से-जल्द उसके बेडरुम तक पहुंची, और दरवाजा लगाकर कपड़े बदलने लगी। मै जब उसके बेडरुम के दरवाजे पर गया, तो दरवाजे का लाॅक खुला हुआ था। अंदर वह कपडे बदल रही थी, मेरी नजर उसपर पडी, उसकी वह चिकनी पीठ जो बिल्कुल एक कमसीन आकर में थी, उसके वह भरे हुए नितम्ब जो उसकी कमर के साथ एकाकार होकर उसके कमसीन बदन की शोभा बढ़ाए जा रहे थे। वह टी शर्ट और शॉर्ट पहनकर बाहर आ गई, मैने देखा की उसने अंदर ब्रा या पैंटी कुछ भी नही पहना था। वह जैसे जैसे चल रही थी वैसे वैसे उसके स्तन हील रहे थे, वह दरवाजे तक पहुंच गई और उसने दरवाजा खुला देखा। वह बोली,"क्या देख रहे थे तुम?"
मै थोड़ा चौंककर बोला,"वह दरवाजा खुला रह गया था।"
उसने मेरी आँखों में ऑंखे डालकर अपना चेहरा मेरे चेहरे की और लाकर कहा,"अगर तुम कभी किसी हाॅट लडकी को कपड़े उतारते हुए देखो तो, एक वहा से चले जाना या, या फिर अंदर जाकर सीधे पकड़कर शूरू हो जाना"
फिर मेरे कान के पास आकर उसने कहा,"कसम से मुझे अन-एक्स्पेक्टेड पसंद है।"
और वह जाने लगी, मैने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने करीब खींचकर उसे पिछे से पकड़कर उसके टी-शर्ट में हाथ डालकर अंदर उसकी नाभी में उँगली डालकर घुमाने लगा।
वह बोली,"उफ्फ्फ, तरुण यह तुम क्या कर रहे हो!!!"
मै बोला,"मौके का लाभ उठाकर दिखा रहा हूं।"
और मैने अपना दूसरा हाथ उसकी शाँर्ट में डालकर उसकी यौनी पर उंगली करना शुरु किया। वह मेरे हाथ को पकड़कर दूर करने का प्रयास कर रही थी, मगर वह प्रयास वास्तविक नही लग रहा था, या तो वरदान के कारण मुझमे असीमित बल आ गया था, या उसकी भी यही इच्छा थी। मैने अपनी उँगली उसके यौनांग के और भीतर डालकर घुमाने लगा, और अपने दूसरे हाथ से उसके स्तनाग्र पर दबाव बढाने लगा। वह चीखकर बोलने लगी," तरुण!! छोड दे मुझे, आह!! आह!!!"
लेकिन उसका शरीर जैसे कूछ और ही चाहता था, मेरे उसके यौनांग में उँगली डालने से वह और अधिक कांपने लगी जैसे उसके पूर्ण शरीर में विद्युत की धारा बहने लगी हो। थोड़ी ही देर में उसका यौनांग कसने लगा और वह और बल लगाकर मेरे हाथों को पकड़कर खिंचकर अपने शरीर से दूर करने का प्रयास कर रही थी, और छटपटाने लगी, मगर उसके प्रयास विफल प्रतित हो रहे थे। मै जैसे जैसे अपनी उंगली उसके यौनांग में डाल रहा था, वह कसकर दबाव उत्पन्न कर रही थी। थोडी ही देर में उसकी यौनांग ने काम रस बहा दिया, उसका विरोध शिथिल हो गया वह,"आ!!!!" करते हुए जोर से चिल्लाकर हाँफने लगी। मैने उसे पलटकर, उसका मुख अपनी और कर दिया। मैने उसका कामरस जो मेरे हाथ पर लगा हुआ था, उसकी गंध ली वह सच में मादक थी। मेरे हाथ मे अपना काम रस देखकर वह शर्माकर निचे देखने लगी, मै उसकी और देखकर हैरान था, कॉलेज की सबसे निडर औरत मेरे सामने अपना सर झुकाकर खड़ी थी। उसके शरीर की वासना श्वेत बनकर उसके स्तनों पर जमा हो गई, उस पसीने के कारण उसकी टॉप भीग कर उसके सीने से चिपक चुकी थी और उस वजह से उसके स्तन और स्तनाग्रों के उभार उसके टॉप के उपर से भी साफ साफ दिखाई दिए। मैने उसके कंधो को पकड़कर उसे अपने पास खींचकर उसे अपने आगोश में लेकर उसके होंठोंपर अपने होंठ रख दिए और उसे लगातार चूमने लगा, फिर हम दोंनो अपना मुंह खोलकर एक दूसरे की जबान पर जबान डालकर घुमाकर चूसने लगे। इसके बीच मैने उसकी शाँर्ट का नाडा खोल कर उतार दी, और उसने भी मेरी बेल्ट खोलकर मेरी पैंट उतारने लगी तभी मैने उसकी टाँप को पकड़कर उपर खींचकर उतारकर उसे पूर्ण नग्न कर दिया। वह अपने स्तनों को हाथों से ढककर सीर नीचे करके खडी थी, मैने भी अपने सारे कपड़े उतारकर नग्न होकर उस के हाथों को पकड़कर उसके स्तन से हटा दिए और उसपर चूम्बन देकर उसका दाया स्तनाग्र चूसने लगा और बाये को हाथ से मसलने लगा। वह आह! आह! करते हुए सिसक रही थी, वह मेरे बाल पकड़कर मेरा सिर उसके स्तन पर जोर देकर दबा रही थी, फिर मैने अपने दूसरे हाथ से उसके यौनांग में उँगली करना शुरू किया जिस वजह से वह थोड़ी ही देर में झड गई, उसके यौनांग ने काम रस छोड दिया, फिर मैने उसके दुसरे स्तन पर होंठ रखकर चूसना शुरू किया जिससे वह और गर्म होने लगी, मैने फिर उसे उठाकर बेड रूम ले गया और उसे पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया। मै थोड़ा पिछे होकर उसकी टांग खोलकर अपने लिंग को उसकी यौनी पर रख दिया और एक जोरदार धक्का देकर उसके टोप यानी अग्र भाग को अंदर डाल दिया वह "आ!!! " करके चीख निकल गई। मेरा(तरुण का) लिंग बहुत विशालकाय था, वह छटपटाने लगी मैने अपना मुंह उसके मुंह पर रखकर एक और बार धक्का देकर अंदर डाल दिया, वह छटपटाने लगी, उसके आँख से आंसू निकल गए। मैने रूककर और एक धक्का मारा जिस से वह उसके गर्भाशय तक पहुंच गया लेकीन वह तो एक चौथाई से भी कम था जो अंदर गया था,
Superb update brother..
 

Rival

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9 राजकु का टूटा घमंड
वह उसके समक्ष केवल एक धोती में था, और कर्कता यहाँ लोहे के कवच घिरी हुई थी। कर्कता हंसते हंसते बोली,"क्या परिहास करते हो असुर, हम यहाँ कवच से लदे हुये है, और तुम बिना किसी कवच के केवल एक तलवार लिये हमारे समक्ष आ गये।"

सैतानासुर ने कहा,"केवल शस्त्र होने से कुछ नहीं होता राजकुमारी, कौशल होना भी आवश्यक है।"

कर्कता उसपर तीर चलाने लगी, मगर सैतानासुर ने अपनी तलवारबाजी की कला दिखाते हुये, तलवार को म्यान से अलग किये बिना ही, सारे तीर काट दिये। कर्कता उसका युद्धकौशल देख काफ़ी प्रभावित हो गई, सैतानासुर अब कर्कता से सामने आ गया, कर्कता ने उसपर अपनी तलवार से एक वार किया, मगर सैतानासुर ने वह वार सहजता से चुकाकर उसके कवच का नाडा काट दिया, उस नाडे से ही कवच उसके बदन से बंधा हुआ था। अब सैतानासुर ने अपनी तलवार से उसकी तलवार पर वार किया, और कर्कता की तलवार टूट गई। सैतानासुर ने कर्कता के सिने पर तलवार रखकर उसे निचे घुमाकर कर्कता की चोली और धोती काटकर निचे गीरा दी। कर्कता पहलीबार कीसी पराये पुरुष के सामने संपूर्ण नग्न अवस्था में उससे पराजित होकर खड़ी थी, वह थोड़ी भयभीत भी थी। उसके मन में पहलीबार किसी पुरुष के लिए आकर्षण था, वह उसके रणकौशल से काफी प्रभावित हो रही थी।
कर्कता ने उसे पुछा,"कही तुम हमारे साथ कुछ गलत तो नही ... "
वह पूरा बोल पाती उसके पहले ही सैतानासुर खुद भी नग्न हो गया और उसका विशालकाय 14 इंच का लिंग उसके सामने आ गया, सैतानासुर ने उसे पकड़कर निचे लेटा दिया और अपना लिंग उसकी योनी पर रखकर एक तेज धक्का देकर काफ़ी अंदर तक पहुंचा दिया, कर्कता जोर से चिल्लाकर रोने लगी और लगातार सैतानासुर से छोड़ने की मांग करने लगी, मगर सैतानासुर बिना कोई परवाह किए उसे जोर जोर से धकेल कर संभोग किए जा रहा था, एक घन्टे बाद कार्कता की योनी सैतानासुर के लिंग के आसपास कसने लगी और उस ने पानी छोड दिया।'

इतनी कहानी हुई थी की सुबह हो गई और मै नींद से जाग गया, फिर सुबह के सारे काम खत्म कर के में महाविद्यालय जाने के लिए निकल गया, और एक क्षण के अंदर अंदर मै पहुंच गया क्यों की मेरी गती अब मन से भी तेज हो चुकि थी। फिर वही रोज की तरह लेक्चर हुए और मै सीमा मैम के पास गया, आज सीमा साड़ी पहनकर और स्लीवलेस और बैकलेस ब्लाउज पहनकर आयी थी, लेक्चर में तो पता नहीं चला क्योंकी उसने तब ब्लेझर पहनकर आई थी। उसने स्कूटी पर बैठने से पहले ब्लेझर उतार कर डिक्की में रख दिया।


Notes-221126-012420-559
वह एकदम आकर्षक लग रही थी, जैसे कामरस में भिगोकर उसे बनाया गया हो। उसने कहा,"तरुण आज भी तुम मेरे घर ट्यूशन के लिए रुक सकते हो, और चाहिए तो मेरे साथ स्कूटी पर आ सकते हो।"
मै उसके पिछे बैठ कर उसे बोला,"तो मैम चले फिर।"
उसने बोला, "कसकर पकड़कर बैठना ।" उसके इतना कहते ही मैने उसकी कमर हाथों से कसकर पकड़ ली, वह बोली,"आह! इतना कसकर... " उसके कुछ बोलने से पहले ही मैं बोला," तुम ही तो बोली की कसकर पकड़कर बैठना"
वह मेरे मुंह से "तुम" सुनकर चौंककर मुझे देखने लगी, वह थोड़ी-बहुत गुस्सा थी मगर प्रभावित भी थी मेरी हिम्मत देखकर।
मैने उसकी कमर अपनी तरफ खींचकर कहा,
"ऐसे क्या देख रही हो, अब चलो भी।"
अगर चोली की पट्टी छोड़कर देखे तो उसकी पीठ पूरी नग्न थी। उसने एक्सीलेटर घुमाया और वह चल पडी उसके घर की और, मै ने अपना हाथ उसकी कमर पर और जोर से कस लिया, और अपनी उँगली से उसकी नाभि सहलाकर उसे उत्तेजित करता रहा। मेरा लिंग अब कठोर होकर बाहर आने को बेताब था, अब थोड़ी देर बाद उसका घर भी आ गया। पहले मै उतरा और सोचा की लिंग को एडजस्ट कर लू, फिर सोचा अगर औरत अपने स्तन और नितम्ब के उभार दिखाकर हमे बेचैन करती है, तो लिंग का उभार भी उन्हे बेचैन कर सकता है, मैने अपनी फॉर्मल पेंट को इस तरह एडजस्ट किया कि वह उसे अच्छे से दिखाई दे। उसने स्कूटर लगाकर जब पीछे मुड़कर देखा तो वह आकार देखकर हैरान हो गई, उसका ध्यान इस तरह उसपर था की उसे यह पता ही नही चला की हवा के एक झोंके ने उसका पल्लू ब्लाउज से हट गया है और मै उसके वह स्तन देख पा रहा हु जो ब्लाउज के बाहर आने के लिए बेताब थे। मै उसके नजदीक गया और उसके पास जाकर खडा हो गया, जैसे ही उसने मेरे पैंट में बने तम्बू पर हाथ रखा, मैने अपने दोनो हाथ उसकी पीठ पर ले जाकर उसकी चोली की गांठ खोल कर उतार दिया। वह कुछ समझ पाती इससे पहले मै पिछे होकर उसे लहराया, उसने नीचे देखा और और अपने स्तन हाथों से ढक कर अंदर भाग गई। मै भी उसके पिछे चल पडा। वह जल्द-से-जल्द उसके बेडरुम तक पहुंची, और दरवाजा लगाकर कपड़े बदलने लगी। मै जब उसके बेडरुम के दरवाजे पर गया, तो दरवाजे का लाॅक खुला हुआ था। अंदर वह कपडे बदल रही थी, मेरी नजर उसपर पडी, उसकी वह चिकनी पीठ जो बिल्कुल एक कमसीन आकर में थी, उसके वह भरे हुए नितम्ब जो उसकी कमर के साथ एकाकार होकर उसके कमसीन बदन की शोभा बढ़ाए जा रहे थे। वह टी शर्ट और शॉर्ट पहनकर बाहर आ गई, मैने देखा की उसने अंदर ब्रा या पैंटी कुछ भी नही पहना था। वह जैसे जैसे चल रही थी वैसे वैसे उसके स्तन हील रहे थे, वह दरवाजे तक पहुंच गई और उसने दरवाजा खुला देखा। वह बोली,"क्या देख रहे थे तुम?"
मै थोड़ा चौंककर बोला,"वह दरवाजा खुला रह गया था।"
उसने मेरी आँखों में ऑंखे डालकर अपना चेहरा मेरे चेहरे की और लाकर कहा,"अगर तुम कभी किसी हाॅट लडकी को कपड़े उतारते हुए देखो तो, एक वहा से चले जाना या, या फिर अंदर जाकर सीधे पकड़कर शूरू हो जाना"
फिर मेरे कान के पास आकर उसने कहा,"कसम से मुझे अन-एक्स्पेक्टेड पसंद है।"
और वह जाने लगी, मैने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने करीब खींचकर उसे पिछे से पकड़कर उसके टी-शर्ट में हाथ डालकर अंदर उसकी नाभी में उँगली डालकर घुमाने लगा।
वह बोली,"उफ्फ्फ, तरुण यह तुम क्या कर रहे हो!!!"
मै बोला,"मौके का लाभ उठाकर दिखा रहा हूं।"
और मैने अपना दूसरा हाथ उसकी शाँर्ट में डालकर उसकी यौनी पर उंगली करना शुरु किया। वह मेरे हाथ को पकड़कर दूर करने का प्रयास कर रही थी, मगर वह प्रयास वास्तविक नही लग रहा था, या तो वरदान के कारण मुझमे असीमित बल आ गया था, या उसकी भी यही इच्छा थी। मैने अपनी उँगली उसके यौनांग के और भीतर डालकर घुमाने लगा, और अपने दूसरे हाथ से उसके स्तनाग्र पर दबाव बढाने लगा। वह चीखकर बोलने लगी," तरुण!! छोड दे मुझे, आह!! आह!!!"
लेकिन उसका शरीर जैसे कूछ और ही चाहता था, मेरे उसके यौनांग में उँगली डालने से वह और अधिक कांपने लगी जैसे उसके पूर्ण शरीर में विद्युत की धारा बहने लगी हो। थोड़ी ही देर में उसका यौनांग कसने लगा और वह और बल लगाकर मेरे हाथों को पकड़कर खिंचकर अपने शरीर से दूर करने का प्रयास कर रही थी, और छटपटाने लगी, मगर उसके प्रयास विफल प्रतित हो रहे थे। मै जैसे जैसे अपनी उंगली उसके यौनांग में डाल रहा था, वह कसकर दबाव उत्पन्न कर रही थी। थोडी ही देर में उसकी यौनांग ने काम रस बहा दिया, उसका विरोध शिथिल हो गया वह,"आ!!!!" करते हुए जोर से चिल्लाकर हाँफने लगी। मैने उसे पलटकर, उसका मुख अपनी और कर दिया। मैने उसका कामरस जो मेरे हाथ पर लगा हुआ था, उसकी गंध ली वह सच में मादक थी। मेरे हाथ मे अपना काम रस देखकर वह शर्माकर निचे देखने लगी, मै उसकी और देखकर हैरान था, कॉलेज की सबसे निडर औरत मेरे सामने अपना सर झुकाकर खड़ी थी। उसके शरीर की वासना श्वेत बनकर उसके स्तनों पर जमा हो गई, उस पसीने के कारण उसकी टॉप भीग कर उसके सीने से चिपक चुकी थी और उस वजह से उसके स्तन और स्तनाग्रों के उभार उसके टॉप के उपर से भी साफ साफ दिखाई दिए। मैने उसके कंधो को पकड़कर उसे अपने पास खींचकर उसे अपने आगोश में लेकर उसके होंठोंपर अपने होंठ रख दिए और उसे लगातार चूमने लगा, फिर हम दोंनो अपना मुंह खोलकर एक दूसरे की जबान पर जबान डालकर घुमाकर चूसने लगे। इसके बीच मैने उसकी शाँर्ट का नाडा खोल कर उतार दी, और उसने भी मेरी बेल्ट खोलकर मेरी पैंट उतारने लगी तभी मैने उसकी टाँप को पकड़कर उपर खींचकर उतारकर उसे पूर्ण नग्न कर दिया। वह अपने स्तनों को हाथों से ढककर सीर नीचे करके खडी थी, मैने भी अपने सारे कपड़े उतारकर नग्न होकर उस के हाथों को पकड़कर उसके स्तन से हटा दिए और उसपर चूम्बन देकर उसका दाया स्तनाग्र चूसने लगा और बाये को हाथ से मसलने लगा। वह आह! आह! करते हुए सिसक रही थी, वह मेरे बाल पकड़कर मेरा सिर उसके स्तन पर जोर देकर दबा रही थी, फिर मैने अपने दूसरे हाथ से उसके यौनांग में उँगली करना शुरू किया जिस वजह से वह थोड़ी ही देर में झड गई, उसके यौनांग ने काम रस छोड दिया, फिर मैने उसके दुसरे स्तन पर होंठ रखकर चूसना शुरू किया जिससे वह और गर्म होने लगी, मैने फिर उसे उठाकर बेड रूम ले गया और उसे पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया। मै थोड़ा पिछे होकर उसकी टांग खोलकर अपने लिंग को उसकी यौनी पर रख दिया और एक जोरदार धक्का देकर उसके टोप यानी अग्र भाग को अंदर डाल दिया वह "आ!!! " करके चीख निकल गई। मेरा(तरुण का) लिंग बहुत विशालकाय था, वह छटपटाने लगी मैने अपना मुंह उसके मुंह पर रखकर एक और बार धक्का देकर अंदर डाल दिया, वह छटपटाने लगी, उसके आँख से आंसू निकल गए। मैने रूककर और एक धक्का मारा जिस से वह उसके गर्भाशय तक पहुंच गया लेकीन वह तो एक चौथाई से भी कम था जो अंदर गया था,
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Kamuk219

Member
286
439
64
9 राजकुमारी का टूटा घमंड
वह उसके समक्ष केवल एक धोती में था, और कर्कता यहाँ लोहे के कवच घिरी हुई थी। कर्कता हंसते हंसते बोली,"क्या परिहास करते हो असुर, हम यहाँ कवच से लदे हुये है, और तुम बिना किसी कवच के केवल एक तलवार लिये हमारे समक्ष आ गये।"

सैतानासुर ने कहा,"केवल शस्त्र होने से कुछ नहीं होता राजकुमारी, कौशल होना भी आवश्यक है।"

कर्कता उसपर तीर चलाने लगी, मगर सैतानासुर ने अपनी तलवारबाजी की कला दिखाते हुये, तलवार को म्यान से अलग किये बिना ही, सारे तीर काट दिये। कर्कता उसका युद्धकौशल देख काफ़ी प्रभावित हो गई, सैतानासुर अब कर्कता से सामने आ गया, कर्कता ने उसपर अपनी तलवार से एक वार किया, मगर सैतानासुर ने वह वार सहजता से चुकाकर उसके कवच का नाडा काट दिया, उस नाडे से ही कवच उसके बदन से बंधा हुआ था। अब सैतानासुर ने अपनी तलवार से उसकी तलवार पर वार किया, और कर्कता की तलवार टूट गई। सैतानासुर ने कर्कता के सिने पर तलवार रखकर उसे निचे घुमाकर कर्कता की चोली और धोती काटकर निचे गीरा दी। कर्कता पहलीबार कीसी पराये पुरुष के सामने संपूर्ण नग्न अवस्था में उससे पराजित होकर खड़ी थी, वह थोड़ी भयभीत भी थी। उसके मन में पहलीबार किसी पुरुष के लिए आकर्षण था, वह उसके रणकौशल से काफी प्रभावित हो रही थी।
कर्कता ने उसे पुछा,"कही तुम हमारे साथ कुछ गलत तो नही ... "
वह पूरा बोल पाती उसके पहले ही सैतानासुर खुद भी नग्न हो गया और उसका विशालकाय 14 इंच का लिंग उसके सामने आ गया, सैतानासुर ने उसे पकड़कर निचे लेटा दिया और अपना लिंग उसकी योनी पर रखकर एक तेज धक्का देकर काफ़ी अंदर तक पहुंचा दिया, कर्कता जोर से चिल्लाकर रोने लगी और लगातार सैतानासुर से छोड़ने की मांग करने लगी, मगर सैतानासुर बिना कोई परवाह किए उसे जोर जोर से धकेल कर संभोग किए जा रहा था, एक घन्टे बाद कार्कता की योनी सैतानासुर के लिंग के आसपास कसने लगी और उस ने पानी छोड दिया।'

इतनी कहानी हुई थी की सुबह हो गई और मै नींद से जाग गया, फिर सुबह के सारे काम खत्म कर के में महाविद्यालय जाने के लिए निकल गया, और एक क्षण के अंदर अंदर मै पहुंच गया क्यों की मेरी गती अब मन से भी तेज हो चुकि थी। फिर वही रोज की तरह लेक्चर हुए और मै सीमा मैम के पास गया, आज सीमा साड़ी पहनकर और स्लीवलेस और बैकलेस ब्लाउज पहनकर आयी थी, लेक्चर में तो पता नहीं चला क्योंकी उसने तब ब्लेझर पहनकर आई थी। उसने स्कूटी पर बैठने से पहले ब्लेझर उतार कर डिक्की में रख दिया।


Notes-221126-012420-559
वह एकदम आकर्षक लग रही थी, जैसे कामरस में भिगोकर उसे बनाया गया हो। उसने कहा,"तरुण आज भी तुम मेरे घर ट्यूशन के लिए रुक सकते हो, और चाहिए तो मेरे साथ स्कूटी पर आ सकते हो।"
मै उसके पिछे बैठ कर उसे बोला,"तो मैम चले फिर।"
उसने बोला, "कसकर पकड़कर बैठना ।" उसके इतना कहते ही मैने उसकी कमर हाथों से कसकर पकड़ ली, वह बोली,"आह! इतना कसकर... " उसके कुछ बोलने से पहले ही मैं बोला," तुम ही तो बोली की कसकर पकड़कर बैठना"
वह मेरे मुंह से "तुम" सुनकर चौंककर मुझे देखने लगी, वह थोड़ी-बहुत गुस्सा थी मगर प्रभावित भी थी मेरी हिम्मत देखकर।
मैने उसकी कमर अपनी तरफ खींचकर कहा,
"ऐसे क्या देख रही हो, अब चलो भी।"
अगर चोली की पट्टी छोड़कर देखे तो उसकी पीठ पूरी नग्न थी। उसने एक्सीलेटर घुमाया और वह चल पडी उसके घर की और, मै ने अपना हाथ उसकी कमर पर और जोर से कस लिया, और अपनी उँगली से उसकी नाभि सहलाकर उसे उत्तेजित करता रहा। मेरा लिंग अब कठोर होकर बाहर आने को बेताब था, अब थोड़ी देर बाद उसका घर भी आ गया। पहले मै उतरा और सोचा की लिंग को एडजस्ट कर लू, फिर सोचा अगर औरत अपने स्तन और नितम्ब के उभार दिखाकर हमे बेचैन करती है, तो लिंग का उभार भी उन्हे बेचैन कर सकता है, मैने अपनी फॉर्मल पेंट को इस तरह एडजस्ट किया कि वह उसे अच्छे से दिखाई दे। उसने स्कूटर लगाकर जब पीछे मुड़कर देखा तो वह आकार देखकर हैरान हो गई, उसका ध्यान इस तरह उसपर था की उसे यह पता ही नही चला की हवा के एक झोंके ने उसका पल्लू ब्लाउज से हट गया है और मै उसके वह स्तन देख पा रहा हु जो ब्लाउज के बाहर आने के लिए बेताब थे। मै उसके नजदीक गया और उसके पास जाकर खडा हो गया, जैसे ही उसने मेरे पैंट में बने तम्बू पर हाथ रखा, मैने अपने दोनो हाथ उसकी पीठ पर ले जाकर उसकी चोली की गांठ खोल कर उतार दिया। वह कुछ समझ पाती इससे पहले मै पिछे होकर उसे लहराया, उसने नीचे देखा और और अपने स्तन हाथों से ढक कर अंदर भाग गई। मै भी उसके पिछे चल पडा। वह जल्द-से-जल्द उसके बेडरुम तक पहुंची, और दरवाजा लगाकर कपड़े बदलने लगी। मै जब उसके बेडरुम के दरवाजे पर गया, तो दरवाजे का लाॅक खुला हुआ था। अंदर वह कपडे बदल रही थी, मेरी नजर उसपर पडी, उसकी वह चिकनी पीठ जो बिल्कुल एक कमसीन आकर में थी, उसके वह भरे हुए नितम्ब जो उसकी कमर के साथ एकाकार होकर उसके कमसीन बदन की शोभा बढ़ाए जा रहे थे। वह टी शर्ट और शॉर्ट पहनकर बाहर आ गई, मैने देखा की उसने अंदर ब्रा या पैंटी कुछ भी नही पहना था। वह जैसे जैसे चल रही थी वैसे वैसे उसके स्तन हील रहे थे, वह दरवाजे तक पहुंच गई और उसने दरवाजा खुला देखा। वह बोली,"क्या देख रहे थे तुम?"
मै थोड़ा चौंककर बोला,"वह दरवाजा खुला रह गया था।"
उसने मेरी आँखों में ऑंखे डालकर अपना चेहरा मेरे चेहरे की और लाकर कहा,"अगर तुम कभी किसी हाॅट लडकी को कपड़े उतारते हुए देखो तो, एक वहा से चले जाना या, या फिर अंदर जाकर सीधे पकड़कर शूरू हो जाना"
फिर मेरे कान के पास आकर उसने कहा,"कसम से मुझे अन-एक्स्पेक्टेड पसंद है।"
और वह जाने लगी, मैने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने करीब खींचकर उसे पिछे से पकड़कर उसके टी-शर्ट में हाथ डालकर अंदर उसकी नाभी में उँगली डालकर घुमाने लगा।
वह बोली,"उफ्फ्फ, तरुण यह तुम क्या कर रहे हो!!!"
मै बोला,"मौके का लाभ उठाकर दिखा रहा हूं।"
और मैने अपना दूसरा हाथ उसकी शाँर्ट में डालकर उसकी यौनी पर उंगली करना शुरु किया। वह मेरे हाथ को पकड़कर दूर करने का प्रयास कर रही थी, मगर वह प्रयास वास्तविक नही लग रहा था, या तो वरदान के कारण मुझमे असीमित बल आ गया था, या उसकी भी यही इच्छा थी। मैने अपनी उँगली उसके यौनांग के और भीतर डालकर घुमाने लगा, और अपने दूसरे हाथ से उसके स्तनाग्र पर दबाव बढाने लगा। वह चीखकर बोलने लगी," तरुण!! छोड दे मुझे, आह!! आह!!!"
लेकिन उसका शरीर जैसे कूछ और ही चाहता था, मेरे उसके यौनांग में उँगली डालने से वह और अधिक कांपने लगी जैसे उसके पूर्ण शरीर में विद्युत की धारा बहने लगी हो। थोड़ी ही देर में उसका यौनांग कसने लगा और वह और बल लगाकर मेरे हाथों को पकड़कर खिंचकर अपने शरीर से दूर करने का प्रयास कर रही थी, और छटपटाने लगी, मगर उसके प्रयास विफल प्रतित हो रहे थे। मै जैसे जैसे अपनी उंगली उसके यौनांग में डाल रहा था, वह कसकर दबाव उत्पन्न कर रही थी। थोडी ही देर में उसकी यौनांग ने काम रस बहा दिया, उसका विरोध शिथिल हो गया वह,"आ!!!!" करते हुए जोर से चिल्लाकर हाँफने लगी। मैने उसे पलटकर, उसका मुख अपनी और कर दिया। मैने उसका कामरस जो मेरे हाथ पर लगा हुआ था, उसकी गंध ली वह सच में मादक थी। मेरे हाथ मे अपना काम रस देखकर वह शर्माकर निचे देखने लगी, मै उसकी और देखकर हैरान था, कॉलेज की सबसे निडर औरत मेरे सामने अपना सर झुकाकर खड़ी थी। उसके शरीर की वासना श्वेत बनकर उसके स्तनों पर जमा हो गई, उस पसीने के कारण उसकी टॉप भीग कर उसके सीने से चिपक चुकी थी और उस वजह से उसके स्तन और स्तनाग्रों के उभार उसके टॉप के उपर से भी साफ साफ दिखाई दिए। मैने उसके कंधो को पकड़कर उसे अपने पास खींचकर उसे अपने आगोश में लेकर उसके होंठोंपर अपने होंठ रख दिए और उसे लगातार चूमने लगा, फिर हम दोंनो अपना मुंह खोलकर एक दूसरे की जबान पर जबान डालकर घुमाकर चूसने लगे। इसके बीच मैने उसकी शाँर्ट का नाडा खोल कर उतार दी, और उसने भी मेरी बेल्ट खोलकर मेरी पैंट उतारने लगी तभी मैने उसकी टाँप को पकड़कर उपर खींचकर उतारकर उसे पूर्ण नग्न कर दिया। वह अपने स्तनों को हाथों से ढककर सीर नीचे करके खडी थी, मैने भी अपने सारे कपड़े उतारकर नग्न होकर उस के हाथों को पकड़कर उसके स्तन से हटा दिए और उसपर चूम्बन देकर उसका दाया स्तनाग्र चूसने लगा और बाये को हाथ से मसलने लगा। वह आह! आह! करते हुए सिसक रही थी, वह मेरे बाल पकड़कर मेरा सिर उसके स्तन पर जोर देकर दबा रही थी, फिर मैने अपने दूसरे हाथ से उसके यौनांग में उँगली करना शुरू किया जिस वजह से वह थोड़ी ही देर में झड गई, उसके यौनांग ने काम रस छोड दिया, फिर मैने उसके दुसरे स्तन पर होंठ रखकर चूसना शुरू किया जिससे वह और गर्म होने लगी, मैने फिर उसे उठाकर बेड रूम ले गया और उसे पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया। मै थोड़ा पिछे होकर उसकी टांग खोलकर अपने लिंग को उसकी यौनी पर रख दिया और एक जोरदार धक्का देकर उसके टोप यानी अग्र भाग को अंदर डाल दिया वह "आ!!! " करके चीख निकल गई। मेरा(तरुण का) लिंग बहुत विशालकाय था, वह छटपटाने लगी मैने अपना मुंह उसके मुंह पर रखकर एक और बार धक्का देकर अंदर डाल दिया, वह छटपटाने लगी, उसके आँख से आंसू निकल गए। मैने रूककर और एक धक्का मारा जिस से वह उसके गर्भाशय तक पहुंच गया लेकीन वह तो एक चौथाई से भी कम था जो अंदर गया था,
वह लगातार छटपटाहट के साथ पानी छोड रही थी। मैने एक और बार पिछे होकर लिंग उसकी यौनांग के अंदर धकेल दिया। वह लगातार छटपटा रही थी, और आह!!!आह!!! कर के सिसकारीया निकाल रही थी। तभी मैं ने और एक बार अपना लिंग निकाल कर एक और बार धक्का दिया और वह उसकी योनि कसने लगी, मैं ऐसे ही कुछ देर धक्के लगाता रहा और थोड़ी ही देर में उसका पानी निकाल दिया। वह एक चीख के साथ निढाल होकर बेड पर गिर पड़ी, वह मेरी तरफ देख रहीं थीं और उसकी आखों में दर्द के साथ साथ संतुष्टि का एक भाव दिखाई दे रहा था। उसने आखें कुछ देर बाद बंद कर ली और मुझसे कहा," कि हो गया या बाकी है?" मैं ने कहा, "अभी तो शुरूआत है।" उसने नीचे देखा, और अचंभित हो गई क्योंकि लिंग अब भी एक चौथाई से भी कम अंदर था, और वह उसे अपने गर्भाशय के अंदर तक महसूस हो रहा था और उसकी सख्ती और मोटाई से ऐसा लग रहा था की किसी ने चार इंच मोटी सलाख अंदर डाल दी है। मैं बोला," इतना काफी है या और थोड़ी देर..." वह बोली," अब बस" इतना कहकर वह मुझसे लिपट के सो गई, उसकी मुस्कान देख कर मै समझ गया की वह काफी समय से प्यासी थी, और आज तृप्त हुई है। मैं ने अपने लिंग को जब बाहर निकाला तब देखा कि मेरा लिंग तो सक्त है पर उसकी योनि ने इतना काम रस छोड़ा की उसकी योनि से वह इस तरह बह रहा था जैसे कि बोर करते वक़्त पानी बाहर निकल रहा है।
वह काफी थक गई थी तो मैंने उसे परेशान करना ठीक नहीं समझा, वह एकदम निश्चिंत होकर लेटी थी। वह इतनी गहरी नींद में थी की खर्राटे ले रही थी, उसकी सासों के साथ उसके स्तन बड़ी कामुकता और लय के साथ उपर नीचे हो रहे थे। मैं बिल्कुल भी थका नहीं था शायद वरदान की वजह से, मेरे अंदर की क्षमता अनंत काल तक थी और हर क्षण बढ़ रही थी, पर अयाना के कारण वह शक्ति नियंत्रण में भी थी अन्यथा किसी के साथ अगर पूरी क्षमता से क्या, एक लाख करोड़ वे भाग से भी करता तो सामने वालीं की मृत्यु भी हो जाय। में उठा और अपने assignment पूरी करने के बाद उसके बगल में उसे लिपट के सो गया।
 

Kamuk219

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वह लगातार छटपटाहट के साथ पानी छोड रही थी। मैने एक और बार पिछे होकर लिंग उसकी यौनांग के अंदर धकेल दिया। वह लगातार छटपटा रही थी, और आह!!!आह!!! कर के सिसकारीया निकाल रही थी। तभी मैं ने और एक बार अपना लिंग निकाल कर एक और बार धक्का दिया और वह उसकी योनि कसने लगी, मैं ऐसे ही कुछ देर धक्के लगाता रहा और थोड़ी ही देर में उसका पानी निकाल दिया। वह एक चीख के साथ निढाल होकर बेड पर गिर पड़ी, वह मेरी तरफ देख रहीं थीं और उसकी आखों में दर्द के साथ साथ संतुष्टि का एक भाव दिखाई दे रहा था। उसने आखें कुछ देर बाद बंद कर ली और मुझसे कहा," कि हो गया या बाकी है?" मैं ने कहा, "अभी तो शुरूआत है।" उसने नीचे देखा, और अचंभित हो गई क्योंकि लिंग अब भी एक चौथाई से भी कम अंदर था, और वह उसे अपने गर्भाशय के अंदर तक महसूस हो रहा था और उसकी सख्ती और मोटाई से ऐसा लग रहा था की किसी ने चार इंच मोटी सलाख अंदर डाल दी है। मैं बोला," इतना काफी है या और थोड़ी देर..." वह बोली," अब बस" इतना कहकर वह मुझसे लिपट के सो गई, उसकी मुस्कान देख कर मै समझ गया की वह काफी समय से प्यासी थी, और आज तृप्त हुई है। मैं ने अपने लिंग को जब बाहर निकाला तब देखा कि मेरा लिंग तो सक्त है पर उसकी योनि ने इतना काम रस छोड़ा की उसकी योनि से वह इस तरह बह रहा था जैसे कि बोर करते वक़्त पानी बाहर निकल रहा है।
वह काफी थक गई थी तो मैंने उसे परेशान करना ठीक नहीं समझा, वह एकदम निश्चिंत होकर लेटी थी। वह इतनी गहरी नींद में थी की खर्राटे ले रही थी, उसकी सासों के साथ उसके स्तन बड़ी कामुकता और लय के साथ उपर नीचे हो रहे थे। मैं बिल्कुल भी थका नहीं था शायद वरदान की वजह से, मेरे अंदर की क्षमता अनंत काल तक थी और हर क्षण बढ़ रही थी, पर अयाना के कारण वह शक्ति नियंत्रण में भी थी अन्यथा किसी के साथ अगर पूरी क्षमता से क्या, एक लाख करोड़ वे भाग से भी करता तो सामने वालीं की मृत्यु भी हो जाय। में उठा और अपने assignment पूरी करने के बाद उसके बगल में उसे लिपट के सो गया।
 
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