शानदार updateएक बात तो पक्की थी
जब तक इस घर में रहना था मुझे
रात को पापा का लॅंड और सुबह दीदी की चूत
ये तो रोजाना का काम होगा
इस से ज़्यादा एक जवान लड़की और क्या चाह सकती है
हाँ
एक चीज़ तो भूल ही गयी मैं
अपने जवान भाई का लॅंड
उफ़फ्फ़
वो भी तो है घर में
दिन के समय उसका लॅंड भी तो ले सकती हूँ ना
खेतों में जाकर
बस इसी ख़याल से मेरा चेहरा खिल सा उठा
सुबह और रात का तो इंतज़ाम हो ही गया था
अब दिन की बारी थी
और मैने सोच लिया था की आज स्कूल से वापिसी पर खेतो में जाउंगी
और अपने तड़प रहे भाई को वो सब सौंप दूँगी जिसका वो हकदार है
बस , फिर क्या था
मैं खुशी-2 उठी और नहा धोकर स्कूल के लिए तैयार हो गयी
जाने से पहले नाश्ते की टेबल पर पापा की नज़रें हम दोनो को देखकर चमक रही थी
शायद उनके भी मन में रात को एक बार फिर से होने वाली चुदाई के लिए कुछ नये प्लान बन रहे थे
पर मेरा मन तो अभी भाई की तरफ था
और आज मैने ठान लिया था की उसे खुश करके रहूंगी
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अब आगे
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स्कूल से छुट्टी के बाद मुझे बस एक ही डर था की कहीं पापा मुझे बाहर लेने ना आ जाए
ताज़ा -2 चुदाई के बाद कुछ भी एक्सट्रा मिल जाए तो उन्हे भला क्या परेशानी होने वाली थी
रास्ते में कही भी अपनी बुलेट रोककर मुझे किसी सुनसान से खेत में लेजाकर चोद सकते थे वो
और सच कहूँ तो ऐसी वाइल्ड वाली फॅंटेसी तो मेरे दिलो दिमाग़ में भी आती रहती थी
की कोई मुझे खेतों की गीली मिट्टी में धकेल कर, मुझे रंडी बना कर चोदे
पापा ने ऐसा कुछ आधा अधूरा किया भी था पहले
पर पूरा खेल नही खेल पाए थे हम
फिर मैने सोच लिया
की पिताजी मिल गये बाहर तो उनके साथ ही खेतो में चुद लूँगी आज
वरना भाई तो है ही
और बाहर निकल कर देखा तो मेरा चेहरा खिल उठा
क्योंकि भाई के नाम की लॉटरी निकली थी
बाहर पापा थे ही नही
शायद कोई काम आ गया होगा
या उन्होने सोचा होगा रात को तो मैने उनके नीचे आना ही है
पर जो भी था
अब मेरा पूरा ध्यान भाई की तरफ था
मैने बाहर से रिक्शा पकड़ा और खेतो की तरफ रुख़ कर लिया
रिक्शा जहाँ तक जा सकता था, वहां तक ले गया
उसके बाद मैं पगडंडियों से होती हुई अपने खेतो की तरफ चल दी
करीब 10 मिनट में ही मैं वहां पहुँच गयी
भाई ने मुझे दूर से ही आते हुए देख लिया, वो खेत मे अंदर घुसकर सॉफ सफाई का काम कर रहा था, जंगली पॉंधे निकाल कर फेंक रहा था
मुझे देखते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी
मैं करीब पहुँची तो वो बोला : “आज स्कूल से सीधा यहाँ आ गयी, क्या बात हो गयी”
मैं : “बस भाई, तेरी याद आ गयी और आज गर्मी भी बहुत थी, सोचा अपने ट्यूबवेल से ज़्यादा ठंडा पानी कहाँ मिलेगा, सो आ गयी….”
मेरे एक बार फिर से ट्यूबवेल में नहाने की बात सुनकर खेतो में ही उसका लॅंड खड़ा हो गया
बेचारे का मुँह देखने लायक था
मेरी बाहर निकली हुई गांड देखकर
जिसे मैं कुछ ज़्यादा ही मटका कर चल रही थी
वैसे भी जब से पापा ने मेरी चुदाई की है, मेरी गांड में एक अजीब सा उभार आ गया है
जो मेरे नशेले जिस्म को एक उत्तेजक एहसास दे रहा था
बस अब भाई भी अपने हिस्से का हाथ सॉफ कर ले मेरे जिस्म पर
तो निगोड़ा पूरे शबाब पर आ जाएगा ये बदन
मैने अपने स्कूल बेग अंदर के कमरे में रख दिया और अपनी कमीज़ उतार दी
मैने ब्रा नही पहनी थी, सिर्फ़ शमीज़ थी अंदर
और स्कर्ट के नीचे मैं जिम शॉर्ट्स पहन कर जाती थी, सो उपर शमीज़ और नीचे जिम शॉर्ट्स
देखा जाए तो मैं नंगी ही थी उस वक़्त
क्योंकि उन कपड़ो में मेरा जवान शरीर पूरा देखा जा सकता था
मैं जैसे ही बाहर निकली तो सामने से भाई अंदर आता हुआ टकरा गया
मैं गिरने को हुई तो उसने मुझे थाम लिया कमर से
उसका मिट्टी से सना शरीर , खुरदुरे हाथ , पसीने की महक
और मैं
फूल सी कोमल
गोरी चिट्टी
चिकनी
एक पल के लिए तो वो मेरे आधे से ज़्यादा नंगे , गोरे बूब्स देखकर पलके झपकाना तक भूल गया
उपर से मेरे जिस्म से आ रही कच्ची जवानी की खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी
मैं : “ओफ्फो भैय्या, आप भी ना, देख कर नही चल सकते , हटो अब, इतने गंदे से बने हुए हो, स्मेल भी आ रही है”
मेरे चेहरे पर मुस्कान थी और भाई बहन के बीच होने वाली हल्की फुल्की छेड़ छाड़ का मूड भी
वो भला ऐसे मौके को कैसे हाथ से जाने देता
वो बोला : “अच्छा, मेरे बदन से बदबू आ रही है, गंदा लग रहा हूँ मैं, रुक ज़रा, अभी तुझे बताता हूँ ”
और अगले ही पल भाई ने अपनी बलिष्ठ बुझाओं का प्रयोग करते हुए मुझे उपर खींचा और अपनी छाती से लगा कर रगड़ दिया
मेरे नन्हे नर्म कबूतर उसकी कठोर छाती में पीसकर रह गये
ख़ासकर मेरे उभरे हुए निप्पल्स, जो पहले से तन चुके थे और शमीज़ के पतले कपड़े में अपनी पहचान छुपाने में नाकामयाब नज़र आ रहे थे
वो सीधा भाई के निप्पल्स पर जाकर लगे और उनपे घिस्सा लग गया
दोनो के मुँह से एक साथ आहहह निकल गयी
“आआआहह उम्म्म्ममममम”
मैने तो अपना बदन उसके सहारे छोड़ दिया और उसकी बाहों में लटक सी गयी
उसने भी मौके का फायदा उठाया और मेरे कूल्हे के नीचे दूसरा हाथ लगा कर मुझे हवा में उठा लिया और किसी डॉल की तरह वो मेरे शरीर को अपने बदन पर रगड़ने लगा
वो मेरे बदन को तोलिया बनाकर अपने शरीर की मिट्टी सॉफ कर रहा था
ऐसा शायद कुछ देर और चलता तो मैने भाई का लॅंड पकड़ लेना था
पर वो इस वक़्त खेलने के मूड में था
मेरे पूरे शरीर पर अपने बदन की मिट्टी रगड़ने के बाद वो मुझे बोला : “अब बता, कौन ज़्यादा गंदा लग रहा है, मैं या तू”
मैं तो जैसे एकदम सपने से बाहर आई
मुझे तो लगा था की भाई रगड़ते-2 मेरे बूब्स भी अपने हाथ में ले लेगा
उस महीन से कपड़े की दीवार फाड़कर मुझे उस शालीनता का बहाना बने कपड़े से आज़ाद करवाएगा
पर उसने ऐसा किया नही
सिर्फ़ उन बूब्स को अपने शरीर पर रगड़ खिलवा कर छोड़ दिया
उसके चेहरे की शरारती मुस्कान बता रही थी की मुझे ऐसी हालत में छोड़ने के बाद उसे कितना मज़ा आ रहा था
चूतिया साला
ऐसे मौके को हाथ से जाने दिया
पर शायद वो पहल नही करना चाहता था
वरना ऐसा मौका कौन छोड़ता भला
पर इसका बदला तो मैं भी लेकर रहूंगी
देनी तो थी ही उसे आज
पर देने से पहले उस से दुनिया भर की मिन्नतें ना करवाई तो मेरा नाम भी चंदा नही
मैं उसे बुरा भला कहते हुए ट्यूबवेल की तरफ चल दी
और उसपर चड़कर अंदर कूद गयी
अंदर कूदने के बाद जब मैं अपने चेहरे को सॉफ करते हुए वापिस उपर आई तो सामने भाई को आँखे फाड़े मुझे देखते पाया
और मैं जानती थी की ऐसा क्यो हो रहा है
मेरी शमीज़ का महीन कपड़ा भीगने के बाद पारदर्शी हो गया था
और उसके पीछे छिपा मेरा गोरा और नशीला बदन उसकी भूखी आँखो के सामने था
वही जिसे कुछ देर पहले तक वो अपनी बलिष्ठ बुझाओं में रगड़ कर अपनी मर्दानगी दिखा रहा था
और एक औरत अपने जिस्म का इस्तेमाल करके कैसे उस मर्द को अपने पैरों में गिराती है, ये बताना था मुझे
मैं जान बूझकर उसकी तरफ मुँह करके खड़ी रही और अपने शरीर पर लगी मिट्टी को हाथों से रगड़-2 कर साफ़ करती रही
ऐसा दिखा रही थी मानो वो सामने है ही नही
फिर मैने अपनी एक टाँग उठा कर उस ट्यूबवेल की वॉल के उपर की तरफ रख दी और उसे रगड़कर सॉफ करने लगी
ऐसा करने से मेरी मोटी जांघे उसके सामने थी
मैने नज़रे उठा कर उसे देखा
मैं उसके चेहरे की हवस देखना चाहती थी
पर मुझे हैरानी हुई
उसकी नज़रें तो मेरी जाँघो पर थी ही नही
वो तो मेरी दोनो टांगों के बीच देख रहा था
मैने नीचे झाँका तो समझ आया
मेरा ताज महल उभर कर सॉफ दिखाई दे रहा था
उफ़फ
ये मर्दों को औरत का कौनसा अंग ज़्यादा पसंद है
इसे समझने में शायद मुझे अभी थोड़ा और टाइम लगेगा
मेरे हिसाब से तो मेरे शरीर का सबसे आकर्षक हिस्सा था मेरी जांघे
पर इसका ध्यान तो उनपर था ही नही
खैर
जहां भी था
था तो मेरे उपर ही
इसलिए मुझे उसका ही फ़ायदा उठाना था
मैने मौका देखकर अपनी जाँघो को रगड़ते-2 अपनी चूत पर भी एक हाथ फेर दिया
मेरी पतली उंगली मेरी चूत की दरार में घुस कर गायब सी हो गयी
ये देखते ही सूरज भाई की जीभ मुँह से बाहर ही गिरने को हो गयी
वो तो गिरी नही पर उसमे अटकी ढेर सारी लार निकल आई बाहर
मेरी तो हँसी निकल गयी उसकी हालत देखकर
पर अगले ही पल वो हँसी गायब हो गयी
क्योंकि मेरी नज़र नीचे झुकते हुए उसके लॅंड पर जाकर रुक गयी
धोती में खड़ा उसका लॅंड , टेंट के बम्बू की तरह प्रतीत हो रहा था
पूरी धोती को फूला कर रखा हुआ था उसने अपने बलबूते पर
अब लार टपकाने की बारी मेरी थी
मुँह से भी
और चूत से भी
मेरी उंगली अभी तक वहीं फंसी हुई थी
इसलिए मुझे कुछ ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़ी
उसी उंगली को थोड़ी सी थिरकन दी और वो दौड़ पड़ी उस चिकनी पटरी पर रेल बनकर