मैं भाई के उपर पानी फेंककर उसे भिगोने लगी
भाई भी मेरे साथ वो खेल खेलने लगा
मैने भाई को धक्का देकर उसे पानी में डुबो दिया
वैसे तो वो मुझसे काफ़ी ताकतवर था, पर शायद वो जान बूझकर डूबना चाहता था
पर अंदर जाते ही वो हाथ पैर मारकर बाहर निकलने का प्रयास करने लगा
और इस छटपटाहट में मेरा दाँया बूब उसकी पकड़ में आ गया
और लाइफ में पहली बार भैय्या ने मेरे स्तन को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया
मेरे मुँह से एक चीख निकल गयी
फिर वो पानी से निकला और उसने मुझे दबोच कर नीचे कर दिया
अब छटपटाने की बारी मेरी थी
पर मुझे भी पता था की क्या पकड़ना है
मेरा हाथ सीधा भाई के लॅंड के उपर गया
वो एकदम सख़्त हुआ पड़ा था
मैने सिर्फ़ 2 सेकेंड के लिए उसे पकड़ा और अंजान सी बनती हुई उसका हेंडल पकड़ कर पानी से बाहर निकल आई
और खाँसने लगी
जैसे मुझे पता ही नही की मैने क्या पकड़ा था अभी
भाई भी हैरान सा होकर मुझे देख रहा था की क्या मैं ये सब जानबूझकर कर रही हूँ
पर मेरा सपाट चेहरा कुछ भी बयान करने से मना कर रहा था
बेचारा अंदर ही अंदर परेशान हो रहा था
ये देखकर मुझे हँसी भी आ रही थी और मज़ा भी
पर भाई का लॅंड पकड़कर मेरी हथेली जल उठी थी
जो दर्शाता था की उसमें कितनी आग भरी है
उफफफफ्फ़
जब ये आग मेरी चूत की आग से मिलेगी तो क्या होगा
ज़रूर एक ज्वालामुखी फटेगा
ये सोचकर मैं खुद ही मुस्कुरा उठी
मेरी शमीज़ एकदम पारदर्शी हुई पड़ी थी और भाई की नज़रें मेरे बूब्स को ही घूर रही थी
आज के लिए इतना बहुत था
मैं आराम से पानी से बाहर निकली और अपनी कुरती उठाकर झोपड़ी के अंदर आ गयी
अंदर एक तौलिया लटका हुआ था
मैने अपने सारे कपड़े निकाल कर उन्हे निचोड़ा और उन्हे कुछ देर के लिए खाट पर बिछा कर पंखा चला दिया ताकि वो सूख जाए
मैं इस वक़्त उस छोटे से कमरे में मैं पूरी गीली और नंगी होकर खड़ी थी
सच बोल रही हूँ , इस समय भाई अगर अंदर आ जाये तो मैं उसे कुछ भी करने से रोकूंगी नहीं
कसम से
पर वो दब्बू अंदर आया ही नहीं
और मैंने वो तौलिया अपनी छाती पर लपेट कर अपने उपर और नीचे के अंगो को छुपाया
पर मेरे मोटे हिप्स अपनी फेलावट की वजह से छुपने में असमर्थ थे
इसलिए मैने टॉवल को थोड़ा सा नीचे कर लिया
वहां तक जहां से मेरे निप्पल छुप जाए बस
इस वक़्त मेरे सामने कोई शीशा नही था पर मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ की मैं काफ़ी सैक्सी लग रही थी
और फिर उसी तरह मैं बड़ी ही उन्मुक्तता के साथ अपनी कमर मटकाती हुई बाहर निकल आई
भाई अभी तक पानी में ही था
शायद अभी उसकी आँखो के सामने जो हुआ, उस से उभरने की कोशिश कर रहा था
पर जब उसने मुझे इस तरह सिर्फ़ टॉवल में बाहर निकलते देखा तो वो पानी में फिसलते-2 बचा
उसका चेहरा बता रहा था की वो कितना अचंभित है मुझे आज इस तरह से अर्धनग्न अवस्था में देखकर
और भाई की ये हालत देखकर मुझे खूब मज़ा आ रहा था
मैं वही रखी चारपाई पर बैठ गयी और उसके साथ बाते करने लगी
मैं : “भाई, वैसे आपके मज़े है, सुबह और शाम का थोड़ा बहुत काम है, बाकी तो सारा दिन आराम करना होता है अंदर के कमरे में …..”
भाई : “अच्छा , बीज डालना, पानी लगाना, क्यारी बनाना वो सब क्या इतना आसान लगता है तुझे….और जब फसल पक जाती है तो उसकी रखवाली और कटाई / बिनाई भी तो है…”
मैं : “हाँ , मैने कब मना किया, पर मस्ती भी तो है ना, देख ना, जब मर्ज़ी सो जाओ, जब मर्ज़ी पानी में उतर जाओ…मेरा बस चले तो मैं भी तेरे साथ खेतों में ही आ जाया करूँ ”
भाई की नज़रें मेरी गोरी और चिकनी जाँघो को घूर रही थी
मैं बिल्कुल सामने बैठी थी उसके
मेरी जाँघो के बीच से उसे ज़रूर मेरा ताजमहल दिखाई दे रहा होगा…
और ये अंदाज़ा मैने इसलिए लगाया क्योंकि उसकी नज़रें वहीं जम कर रह गयी थी
और पानी के अंदर उसका हाथ कुछ हरकत भी कर रहा था
यानी अभी कुछ देर पहले ही तो उसने मुट्ठ मारी थी
अब मेरा जिस्म देखकर वो फिर से उत्तेजित हो रहा था और मेरे ही सामने अपने लॅंड को फिर से रगड़ रहा था
इन मर्दों को अपने जाल में फंसाना कितना आसान है
आज सच में मुझे अपनी जवानी पर गर्व महसूस हो रहा था
अचानक मुझे महसूस हुआ की मेरी छाती पर बँधा टावल खिसक रहा है
उसे ठूंस कर मैने अपने बूब्स के बीच फँसाया हुआ था पर साँस लेने की वजह से उसका सिरा बाहर निकल आया और वो खिसककर साइड में गिरने लगा
मैने उसे संभालने की कोई कोशिश नही की
मई भी उसके सब्र का इम्तेहान लेना चाहती थी और उसे उत्तेजना के शिखर पर पहुँचकर थोड़े बहुत मज़े देना चाहती थी ताकि आज के बाद वो सिर्फ़ मेरे बारे में सोचे
दीदी के बारे में नही
और जब उसकी नज़रों ने टॉवल को खिसकते देखा तो उसके मुँह से लार टपकने लगी
मैं ये देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी
और तभी टॉवल खिसककर इतना नीचे हो गया की मेरे निप्पल के चारों तरफ का घेरा यानी ऐरोल दिखने लगा
उत्तेजना और भीगने की वजह से उसपर लगे अनगिनत छोटे-2 दाने उभर कर खड़े हो चुके थे
जो उसे दिखाई दे गये
आधा इंच भी और खिसकता टावल तो मेरा निप्पल बाहर निकल आता
और वो उसे मैं इस वक़्त दिखाना नही चाहती थी
जब कुछ छिपाऊंगी तभी तो उसके मन में मुझे पाने की चाह उभरेगी
इसलिए मैने चौंकने का नाटक किया और गिरते हुए टॉवल को उठकर सही ढंग से बाँधने लगी
ऐसा करते हुए मैने अपना चेहरा घुमा कर दूसरी तरफ कर लिया
पर मेरी किस्मत खराब निकली
टॉवल को बाँधते हुए वो एकदम से फिसलकर मेरे हाथो से नीचे गिर गया और अगले ही पल मैं अपने सगे भाई के सामने पूरी नंगी होकर खड़ी थी
भले ही मेरा पिछवाड़ा था उसकी तरफ
पर वो भी काफ़ी था
जैसा की मैने कहा
मेरा फेला हुआ पिछवाड़ा ही किसी को भी अपना दीवाना बनाने के लिए काफ़ी है
और यहाँ तो वो पिछवाड़ा अब नंगा हो चुका था
मेरी पूरी नंगी पीठ, जांघे और चूतड़, एकदम जन्मजात नंगी
मेरा पूरा शरीर काँपने लगा
पर फिर मैने सोचा , अच्छा ही हुआ
इतना तो बनता ही है उसे दिखाना
और फिर मैने झत्ट से अपना टॉवल उठाया
उसे अपने शरीर पर आड़ा तिरछा लपेटा और भागती हुई अंदर चली गयी
फिर मैने अपने आधे सूखे कपड़े पहने और भाई को बिना कुछ बोले लगभग भागती हुई सी अपने खेतो से बाहर निकल आई
मैने ये भी देखने की कोशिश नही की की उसका क्या हाल हुआ होगा मेरे पीछे
ज़रूर पानी में बैठकर उसने फिर से मुट्ठ मारी होगी
पर जो भी हो
आज मज़ा बहुत आया था मुझे
कुछ ही देर में मैं घर पर थी
माँ कुछ पूछती रह गयी पर मुझे होश ही नही था
मैं कमरे में गयी और कुण्डी लगाकर बेड पर ओंधी गिर गयी
और वो सब बाते सोच-सोचकर अपनी चूत को उसी तकिये पर मसलती रही जिसे कुछ घंटो पहले प्यासा छोड़ गयी थी
और आख़िरकार भाई के बारे में सोचते-2 मैने उस तकिये की प्यास भी बुझा दी अपनी चूत के गर्म पानी से
और फिर मैं करीब 2 घंटो तक सोती रही
इस बात से अंजान की आज की रात पिताजी का क्या प्लान है
अपने दोस्त घेसू से मिलकर आने के बाद आज की रात वो हर हद को पार कर लेना चाहते थे
और इसका पता तो आज रात को ही लगने वाला था.
Kamal hi karte ho aap
Ashokafun30 Bhai,
Kya gazab ki update post ki he aapne.............uttejna aur kamukta ke shikhar par pahucha diya readers ko.........
Chanda ne to paani me hi aag laga di.............iske bhai ne abtak muth mar markar topa suza diya hoga.............
Ab to inke pitaji raat ko ghensu se mile gyan ka bhi upyog karne wale he.........
Keep Rocking Bro