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Incest वशीकरण

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मैं भाई के उपर पानी फेंककर उसे भिगोने लगी
भाई भी मेरे साथ वो खेल खेलने लगा
मैने भाई को धक्का देकर उसे पानी में डुबो दिया
वैसे तो वो मुझसे काफ़ी ताकतवर था, पर शायद वो जान बूझकर डूबना चाहता था
पर अंदर जाते ही वो हाथ पैर मारकर बाहर निकलने का प्रयास करने लगा
और इस छटपटाहट में मेरा दाँया बूब उसकी पकड़ में आ गया
और लाइफ में पहली बार भैय्या ने मेरे स्तन को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया
मेरे मुँह से एक चीख निकल गयी
फिर वो पानी से निकला और उसने मुझे दबोच कर नीचे कर दिया
अब छटपटाने की बारी मेरी थी
पर मुझे भी पता था की क्या पकड़ना है
मेरा हाथ सीधा भाई के लॅंड के उपर गया
वो एकदम सख़्त हुआ पड़ा था
मैने सिर्फ़ 2 सेकेंड के लिए उसे पकड़ा और अंजान सी बनती हुई उसका हेंडल पकड़ कर पानी से बाहर निकल आई
और खाँसने लगी
जैसे मुझे पता ही नही की मैने क्या पकड़ा था अभी
भाई भी हैरान सा होकर मुझे देख रहा था की क्या मैं ये सब जानबूझकर कर रही हूँ
पर मेरा सपाट चेहरा कुछ भी बयान करने से मना कर रहा था
बेचारा अंदर ही अंदर परेशान हो रहा था
ये देखकर मुझे हँसी भी आ रही थी और मज़ा भी
पर भाई का लॅंड पकड़कर मेरी हथेली जल उठी थी
जो दर्शाता था की उसमें कितनी आग भरी है
उफफफफ्फ़
जब ये आग मेरी चूत की आग से मिलेगी तो क्या होगा
ज़रूर एक ज्वालामुखी फटेगा
ये सोचकर मैं खुद ही मुस्कुरा उठी
मेरी शमीज़ एकदम पारदर्शी हुई पड़ी थी और भाई की नज़रें मेरे बूब्स को ही घूर रही थी



आज के लिए इतना बहुत था
मैं आराम से पानी से बाहर निकली और अपनी कुरती उठाकर झोपड़ी के अंदर आ गयी
अंदर एक तौलिया लटका हुआ था
मैने अपने सारे कपड़े निकाल कर उन्हे निचोड़ा और उन्हे कुछ देर के लिए खाट पर बिछा कर पंखा चला दिया ताकि वो सूख जाए
मैं इस वक़्त उस छोटे से कमरे में मैं पूरी गीली और नंगी होकर खड़ी थी
सच बोल रही हूँ , इस समय भाई अगर अंदर आ जाये तो मैं उसे कुछ भी करने से रोकूंगी नहीं
कसम से



पर वो दब्बू अंदर आया ही नहीं
और मैंने वो तौलिया अपनी छाती पर लपेट कर अपने उपर और नीचे के अंगो को छुपाया
पर मेरे मोटे हिप्स अपनी फेलावट की वजह से छुपने में असमर्थ थे
इसलिए मैने टॉवल को थोड़ा सा नीचे कर लिया
वहां तक जहां से मेरे निप्पल छुप जाए बस

इस वक़्त मेरे सामने कोई शीशा नही था पर मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ की मैं काफ़ी सैक्सी लग रही थी



और फिर उसी तरह मैं बड़ी ही उन्मुक्तता के साथ अपनी कमर मटकाती हुई बाहर निकल आई
भाई अभी तक पानी में ही था

शायद अभी उसकी आँखो के सामने जो हुआ, उस से उभरने की कोशिश कर रहा था
पर जब उसने मुझे इस तरह सिर्फ़ टॉवल में बाहर निकलते देखा तो वो पानी में फिसलते-2 बचा

उसका चेहरा बता रहा था की वो कितना अचंभित है मुझे आज इस तरह से अर्धनग्न अवस्था में देखकर
और भाई की ये हालत देखकर मुझे खूब मज़ा आ रहा था

मैं वही रखी चारपाई पर बैठ गयी और उसके साथ बाते करने लगी

मैं : “भाई, वैसे आपके मज़े है, सुबह और शाम का थोड़ा बहुत काम है, बाकी तो सारा दिन आराम करना होता है अंदर के कमरे में …..”

भाई : “अच्छा , बीज डालना, पानी लगाना, क्यारी बनाना वो सब क्या इतना आसान लगता है तुझे….और जब फसल पक जाती है तो उसकी रखवाली और कटाई / बिनाई भी तो है…”

मैं : “हाँ , मैने कब मना किया, पर मस्ती भी तो है ना, देख ना, जब मर्ज़ी सो जाओ, जब मर्ज़ी पानी में उतर जाओ…मेरा बस चले तो मैं भी तेरे साथ खेतों में ही आ जाया करूँ ”



भाई की नज़रें मेरी गोरी और चिकनी जाँघो को घूर रही थी
मैं बिल्कुल सामने बैठी थी उसके
मेरी जाँघो के बीच से उसे ज़रूर मेरा ताजमहल दिखाई दे रहा होगा…
और ये अंदाज़ा मैने इसलिए लगाया क्योंकि उसकी नज़रें वहीं जम कर रह गयी थी
और पानी के अंदर उसका हाथ कुछ हरकत भी कर रहा था

यानी अभी कुछ देर पहले ही तो उसने मुट्ठ मारी थी
अब मेरा जिस्म देखकर वो फिर से उत्तेजित हो रहा था और मेरे ही सामने अपने लॅंड को फिर से रगड़ रहा था

इन मर्दों को अपने जाल में फंसाना कितना आसान है
आज सच में मुझे अपनी जवानी पर गर्व महसूस हो रहा था

अचानक मुझे महसूस हुआ की मेरी छाती पर बँधा टावल खिसक रहा है
उसे ठूंस कर मैने अपने बूब्स के बीच फँसाया हुआ था पर साँस लेने की वजह से उसका सिरा बाहर निकल आया और वो खिसककर साइड में गिरने लगा
मैने उसे संभालने की कोई कोशिश नही की

मई भी उसके सब्र का इम्तेहान लेना चाहती थी और उसे उत्तेजना के शिखर पर पहुँचकर थोड़े बहुत मज़े देना चाहती थी ताकि आज के बाद वो सिर्फ़ मेरे बारे में सोचे
दीदी के बारे में नही

और जब उसकी नज़रों ने टॉवल को खिसकते देखा तो उसके मुँह से लार टपकने लगी
मैं ये देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी
और तभी टॉवल खिसककर इतना नीचे हो गया की मेरे निप्पल के चारों तरफ का घेरा यानी ऐरोल दिखने लगा
उत्तेजना और भीगने की वजह से उसपर लगे अनगिनत छोटे-2 दाने उभर कर खड़े हो चुके थे
जो उसे दिखाई दे गये



आधा इंच भी और खिसकता टावल तो मेरा निप्पल बाहर निकल आता
और वो उसे मैं इस वक़्त दिखाना नही चाहती थी
जब कुछ छिपाऊंगी तभी तो उसके मन में मुझे पाने की चाह उभरेगी

इसलिए मैने चौंकने का नाटक किया और गिरते हुए टॉवल को उठकर सही ढंग से बाँधने लगी
ऐसा करते हुए मैने अपना चेहरा घुमा कर दूसरी तरफ कर लिया
पर मेरी किस्मत खराब निकली
टॉवल को बाँधते हुए वो एकदम से फिसलकर मेरे हाथो से नीचे गिर गया और अगले ही पल मैं अपने सगे भाई के सामने पूरी नंगी होकर खड़ी थी
भले ही मेरा पिछवाड़ा था उसकी तरफ
पर वो भी काफ़ी था
जैसा की मैने कहा
मेरा फेला हुआ पिछवाड़ा ही किसी को भी अपना दीवाना बनाने के लिए काफ़ी है
और यहाँ तो वो पिछवाड़ा अब नंगा हो चुका था
मेरी पूरी नंगी पीठ, जांघे और चूतड़, एकदम जन्मजात नंगी
मेरा पूरा शरीर काँपने लगा



पर फिर मैने सोचा , अच्छा ही हुआ
इतना तो बनता ही है उसे दिखाना

और फिर मैने झत्ट से अपना टॉवल उठाया
उसे अपने शरीर पर आड़ा तिरछा लपेटा और भागती हुई अंदर चली गयी
फिर मैने अपने आधे सूखे कपड़े पहने और भाई को बिना कुछ बोले लगभग भागती हुई सी अपने खेतो से बाहर निकल आई

मैने ये भी देखने की कोशिश नही की की उसका क्या हाल हुआ होगा मेरे पीछे
ज़रूर पानी में बैठकर उसने फिर से मुट्ठ मारी होगी

पर जो भी हो
आज मज़ा बहुत आया था मुझे
कुछ ही देर में मैं घर पर थी
माँ कुछ पूछती रह गयी पर मुझे होश ही नही था
मैं कमरे में गयी और कुण्डी लगाकर बेड पर ओंधी गिर गयी
और वो सब बाते सोच-सोचकर अपनी चूत को उसी तकिये पर मसलती रही जिसे कुछ घंटो पहले प्यासा छोड़ गयी थी
और आख़िरकार भाई के बारे में सोचते-2 मैने उस तकिये की प्यास भी बुझा दी अपनी चूत के गर्म पानी से
और फिर मैं करीब 2 घंटो तक सोती रही

इस बात से अंजान की आज की रात पिताजी का क्या प्लान है
अपने दोस्त घेसू से मिलकर आने के बाद आज की रात वो हर हद को पार कर लेना चाहते थे
और इसका पता तो आज रात को ही लगने वाला था.
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झड़ने के बाद एकदम से मेरी टांगे काँप कर रह गयी, जैसे मेरी पूरी शक्ति निकाल दी हो किसी ने
और लाख कोशिशो के बावजूद मैं वहीं ज़मीन पर गिर पड़ी, धड़ाम की आवाज़ आई एकदम से
मैं घबरा गयी, और अंदर चारपाई पर लेटा मेरा भाई भी

उसने जल्दी-2 अपने कपड़े पहने और बाहर की तरफ भागता हुआ आया

“कौन….कौन है वहाँ …”

मेरी तो गांड फट्ट गयी एकदम से, प्रेम कहानी बनने से पहले हॉरर स्टोरी बनने जा रही थी मेरी

अब आगे
************

भाई के कदमों की आवाज़ करीबी आ रही थी
मुझे कुछ नही सूझा तो मैने एकदम से पास बने ट्यूबवेल की बड़ी सी होदी से लोटा भरकर पानी निकाला और अपने उपर डाल लिया
ठंडे पानी से मेरी चीख ही निकल गयी
हालाँकि इतनी ठंड नही थी पर ज़मीन के नीचे से निकले पानी में कुछ ज़्यादा ही ठंडक होती है

मैने अपना पिछवाड़ा पीछे की तरफ निकाला और उसपर पानी डालकर उसे सॉफ करने लगी
जहाँ अभी तक कीचड़ लगा हुआ था
और तभी अंदर से भाई निकल कर बाहर आया
मेरी नज़रें सीधी उसके लॅंड वाली जगह पर गयी
जो पायजामे में सॉफ दिखाई दे रहा था

भले ही अकड़ा हुआ नही था पर लटकने के बाद भी उसमें अभी कुछ ऐंठन बची हुई थी
और उसकी नज़रें मेरे कुल्हों से टकराई
अब यहाँ एक बात मैं आप सभी को बता दूँ की भले ही दीदी के बूब्स मेरे से काफ़ी बड़े है पर गांड के मामले में मैं आगे हूँ
यानी मेरी गांड पूरी तरह से भरी हुई, गोल तरबूज जैसी है
और एकदम कड़क
ज़ोर से कोई दबाए भी तो गर्म माँस का कठोरपन ही महसूस होगा उसे



और यही तीर इस वक़्त मैं अपने शरीर के लश्कर से चला कर भाई को घायल कर रही थी
और वो हो भी रहा था
क्योंकि उसके कदम जिस तेज़ी से बाहर की ओर आए थे
उसी तेज़ी से रुक भी गये
और वो मेरे कुल्हो पर पानी गिरते देखकर वहीं जम कर रह गया
पानी ने मेरी सलवार को पारदर्शी बना दिया
और मेरी डॉट्स वाली कच्छी दिखाई देने लगी
उसके लॅंड में फिर से हरकत हुई
जैसे जो उसने देखा था वो उसे पसंद आया हो
मैं आराम से पानी डालकर अपना पिछवाड़ा धोती रही

तभी भाई को शायद ये एहसास हो गया की मैने उसे देख लिया है
इसलिए वो हकलाता हुआ सा बोला : “च …..च….चंदा …..तू…और यहाँ …..”

मैने पानी डालना चालू रखा और बोली : “माँ ने भेजा है, रोटी देने आई थी….और देखो ना, रास्ते में कीचड़ में फिसल कर मेरे हिप्स गंदे हो गये….”

मैने रुंआसी आवाज़ में कहा
पर ऐसा दर्शाया की उसके सामने ऐसा करने में मुझे कोई शर्म नही है
और ना ही अपने हिप्स को छिपाने की कोशिश की मैने
एक मर्द को और क्या चाहिए
ऐसे में तो घर की कामवाली हो या उसकी खुद की माँ बहन
ऐसा नज़ारा देखने को मिले तो कौन भला अपनी नज़रें घुमाएगा

तब तक भैय्या भी सामान्य हो चुके थे
दूर -2 तक कोई नही था हमें देखने वाला
इसलिए सूरज भाई भी थोड़ी मस्ती में आ गये

वो आगे आए और बोले : “दिखा…मैं सॉफ करता हूँ , तेरे पीछे लगा है ये तुझे दिख भी नही रहा होगा…”

इतना कहते हुए उन्होने एक लोटा पानी मेरी फूटबाल जैसी गांड पर डाला और अपने सख़्त हाथों से उसे मसलकर मेरा कीचड़ सॉफ करने लगे
जो वहां अब था भी नही
पर ऐसे मौके को मैं भी भला कैसे जाने देती

मैं भी टूबवेल की मुंडेर पर दोनो हाथ रखकर, अपने हिप्स पीछे निकाल कर आराम से खड़ी हो गयी
की ये ले भाई, करले अच्छे से सॉफ
पर वो सॉफ कम कर रहा था
अपने हाथों से मेरे हिप्स का आटा ज़्यादा गूँध रहा था
उसके कठोर हाथों का स्पर्श मुझे अंदर से पिघला रहा था
और सूरज भाई का तो हाल ही बुरा था
शायद मैं उनकी लाइफ की पहली लड़की थी, जिसे वो इस तरह से हाथ लगा रहे थे
पानी तो ठंडा था पर मेरा जिस्म अब गरम हो चुका था
और वो गर्मी शायद सूरज भैय्या ने भी महसूस की थी

अचानक उनका हाथ फिसलता हुआ नीचे तक आया और मेरी चूत को उन्होने छू लिया
मेरा पूरा शरीर एकदम से सकपका सा गया
वहां से निकल रही तपन भैय्या ने भी महसूस की
पर अपनी हद से ज़्यादा वो कुछ और करना नही चाहते थे शायद
वैसे भी , ये जो करने को मिल रहा था उन्हे, वो भी कम नही था

मुझे कुछ देर पहले का वाक़्या याद आ गया
जब भैय्या मुट्ठ मारते हुए चंद्रिका दीदी का नाम पुकार रहे थे
पर मेरा दावा है
आज के बाद वो सिर्फ़ मेरा ही नाम लेंगे
और इसके लिए मुझे कुछ और भी करना होगा

मैं बोली : “अब बस भी करो भैय्या , रगड़ -2 कर मेरे पिछवाड़े से जिन्न निकालोगे क्या “

वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दिया
ऐसी नोक झोंक हम भाई बहनों में अक्सर होती रहती थी
पर पिछले कुछ सालों से ऐसा कुछ भी नही हो रहा था

भाई पीछे हट गया और हाथ मुँह धोकर सामने रखी चारपाई पर बैठकर खाना खाने लगा

मैं बोली : “आप खाना खाओ, तब तक मैं नहा लेती हूँ ”

इतना कहते हुए मैने बड़ी ही बेफिक्री से अपनी कुरती उतारी और उसे साइड में रख दिया
नीचे मैने सफेद टी शर्ट / शमीज़ पहनी हुई थी
बूब्स सिर्फ़ 32 के थे मेरे ,इसलिए उस शमीज़ से बाहर नही निकल रहे थे

पायजामी पहले से ही गीली हो चुकी थी
इसलिए उसे उतारना सही नही समझा मैने
और फिर बिना भाई की तरफ देखे मैं पानी से बनी ट्यूबवेल की होदी में कूद गयी

ठंडे पानी ने मेरे पूरे जिस्म को जकड़ लिया
पर कुछ देर बाद अच्छा लगने लगा
फिर मैने भाई की तरफ देखा
जो नीवाला मुँह के पास लिए बुत्त सा बना हुआ मुझे ही देख रहा था
ऐसा नही था की आज से पहले मैं भाई के सामने नहाई नही थी
पर वो बचपन था
करीब 5 साल पहले
तब तो मैं और भाई रोजाना पिताजी के साथ खेतो में आया करते थे
और मिट्टी में खेलने के बाद दोनो घंटो तक अपने इस पर्सनल स्विमिंग पूल में नहाते रहते थे
तब तो मेरे बूब्स निकलने शुरू ही हुए थे
सिर्फ़ हल्की-2 चोंच निकली हुई थी

पानी में भीगने के बाद मेरी शमीज़ पर वो ऐसे चमकने लगते जैसे रायते की बूँदी
और तब भी भाई की नज़रें उन्हे ही घूरती रहती थी
पर आज मामला अलग था
अब मैं जवान हो चुकी थी
बूँदी अब बताशा बन चुका था और नीचे एक अमरूद भी उग आया था



पानी में भीगने की वजह से मेरी सफेद शमीज़ पारदर्शी बनकर अंदर का सारा किस्सा बयान कर रही थी
पर मैं आराम से पानी में अठखेलियां करती हुई भाई से इधर-उहर की बातें करती रही

कुछ देर तक तो भैय्या को भी यकीन नही हुआ की ये सब उसकी आँखो के सामने हो रहा है
पर फिर जब उसे इस बात का एहसास हुआ की ये तो एक गोल्डन चांस है तो उसने जल्दी-2 अपना खाना निपटाया और अपना कुर्ता निकाल कर वो भी मेरे साथ पानी में आ गया
एक बार फिर से हमारा बचपन लौट आया था जैसे
भाई की नज़रों में अभी तक वही भूख थी जो पहले हुआ करती थी
वो अभी भी मेरे पानी से भीगे बूब्स को देख रहा था, जैसे उन्हे खा ही जाएगा
साला हरामी



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झड़ने के बाद एकदम से मेरी टांगे काँप कर रह गयी, जैसे मेरी पूरी शक्ति निकाल दी हो किसी ने
और लाख कोशिशो के बावजूद मैं वहीं ज़मीन पर गिर पड़ी, धड़ाम की आवाज़ आई एकदम से
मैं घबरा गयी, और अंदर चारपाई पर लेटा मेरा भाई भी

उसने जल्दी-2 अपने कपड़े पहने और बाहर की तरफ भागता हुआ आया

“कौन….कौन है वहाँ …”

मेरी तो गांड फट्ट गयी एकदम से, प्रेम कहानी बनने से पहले हॉरर स्टोरी बनने जा रही थी मेरी

अब आगे
************

भाई के कदमों की आवाज़ करीबी आ रही थी
मुझे कुछ नही सूझा तो मैने एकदम से पास बने ट्यूबवेल की बड़ी सी होदी से लोटा भरकर पानी निकाला और अपने उपर डाल लिया
ठंडे पानी से मेरी चीख ही निकल गयी
हालाँकि इतनी ठंड नही थी पर ज़मीन के नीचे से निकले पानी में कुछ ज़्यादा ही ठंडक होती है

मैने अपना पिछवाड़ा पीछे की तरफ निकाला और उसपर पानी डालकर उसे सॉफ करने लगी
जहाँ अभी तक कीचड़ लगा हुआ था
और तभी अंदर से भाई निकल कर बाहर आया
मेरी नज़रें सीधी उसके लॅंड वाली जगह पर गयी
जो पायजामे में सॉफ दिखाई दे रहा था

भले ही अकड़ा हुआ नही था पर लटकने के बाद भी उसमें अभी कुछ ऐंठन बची हुई थी
और उसकी नज़रें मेरे कुल्हों से टकराई
अब यहाँ एक बात मैं आप सभी को बता दूँ की भले ही दीदी के बूब्स मेरे से काफ़ी बड़े है पर गांड के मामले में मैं आगे हूँ
यानी मेरी गांड पूरी तरह से भरी हुई, गोल तरबूज जैसी है
और एकदम कड़क
ज़ोर से कोई दबाए भी तो गर्म माँस का कठोरपन ही महसूस होगा उसे



और यही तीर इस वक़्त मैं अपने शरीर के लश्कर से चला कर भाई को घायल कर रही थी
और वो हो भी रहा था
क्योंकि उसके कदम जिस तेज़ी से बाहर की ओर आए थे
उसी तेज़ी से रुक भी गये
और वो मेरे कुल्हो पर पानी गिरते देखकर वहीं जम कर रह गया
पानी ने मेरी सलवार को पारदर्शी बना दिया
और मेरी डॉट्स वाली कच्छी दिखाई देने लगी
उसके लॅंड में फिर से हरकत हुई
जैसे जो उसने देखा था वो उसे पसंद आया हो
मैं आराम से पानी डालकर अपना पिछवाड़ा धोती रही

तभी भाई को शायद ये एहसास हो गया की मैने उसे देख लिया है
इसलिए वो हकलाता हुआ सा बोला : “च …..च….चंदा …..तू…और यहाँ …..”

मैने पानी डालना चालू रखा और बोली : “माँ ने भेजा है, रोटी देने आई थी….और देखो ना, रास्ते में कीचड़ में फिसल कर मेरे हिप्स गंदे हो गये….”

मैने रुंआसी आवाज़ में कहा
पर ऐसा दर्शाया की उसके सामने ऐसा करने में मुझे कोई शर्म नही है
और ना ही अपने हिप्स को छिपाने की कोशिश की मैने
एक मर्द को और क्या चाहिए
ऐसे में तो घर की कामवाली हो या उसकी खुद की माँ बहन
ऐसा नज़ारा देखने को मिले तो कौन भला अपनी नज़रें घुमाएगा

तब तक भैय्या भी सामान्य हो चुके थे
दूर -2 तक कोई नही था हमें देखने वाला
इसलिए सूरज भाई भी थोड़ी मस्ती में आ गये

वो आगे आए और बोले : “दिखा…मैं सॉफ करता हूँ , तेरे पीछे लगा है ये तुझे दिख भी नही रहा होगा…”

इतना कहते हुए उन्होने एक लोटा पानी मेरी फूटबाल जैसी गांड पर डाला और अपने सख़्त हाथों से उसे मसलकर मेरा कीचड़ सॉफ करने लगे
जो वहां अब था भी नही
पर ऐसे मौके को मैं भी भला कैसे जाने देती

मैं भी टूबवेल की मुंडेर पर दोनो हाथ रखकर, अपने हिप्स पीछे निकाल कर आराम से खड़ी हो गयी
की ये ले भाई, करले अच्छे से सॉफ
पर वो सॉफ कम कर रहा था
अपने हाथों से मेरे हिप्स का आटा ज़्यादा गूँध रहा था
उसके कठोर हाथों का स्पर्श मुझे अंदर से पिघला रहा था
और सूरज भाई का तो हाल ही बुरा था
शायद मैं उनकी लाइफ की पहली लड़की थी, जिसे वो इस तरह से हाथ लगा रहे थे
पानी तो ठंडा था पर मेरा जिस्म अब गरम हो चुका था
और वो गर्मी शायद सूरज भैय्या ने भी महसूस की थी

अचानक उनका हाथ फिसलता हुआ नीचे तक आया और मेरी चूत को उन्होने छू लिया
मेरा पूरा शरीर एकदम से सकपका सा गया
वहां से निकल रही तपन भैय्या ने भी महसूस की
पर अपनी हद से ज़्यादा वो कुछ और करना नही चाहते थे शायद
वैसे भी , ये जो करने को मिल रहा था उन्हे, वो भी कम नही था

मुझे कुछ देर पहले का वाक़्या याद आ गया
जब भैय्या मुट्ठ मारते हुए चंद्रिका दीदी का नाम पुकार रहे थे
पर मेरा दावा है
आज के बाद वो सिर्फ़ मेरा ही नाम लेंगे
और इसके लिए मुझे कुछ और भी करना होगा

मैं बोली : “अब बस भी करो भैय्या , रगड़ -2 कर मेरे पिछवाड़े से जिन्न निकालोगे क्या “

वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दिया
ऐसी नोक झोंक हम भाई बहनों में अक्सर होती रहती थी
पर पिछले कुछ सालों से ऐसा कुछ भी नही हो रहा था

भाई पीछे हट गया और हाथ मुँह धोकर सामने रखी चारपाई पर बैठकर खाना खाने लगा

मैं बोली : “आप खाना खाओ, तब तक मैं नहा लेती हूँ ”

इतना कहते हुए मैने बड़ी ही बेफिक्री से अपनी कुरती उतारी और उसे साइड में रख दिया
नीचे मैने सफेद टी शर्ट / शमीज़ पहनी हुई थी
बूब्स सिर्फ़ 32 के थे मेरे ,इसलिए उस शमीज़ से बाहर नही निकल रहे थे

पायजामी पहले से ही गीली हो चुकी थी
इसलिए उसे उतारना सही नही समझा मैने
और फिर बिना भाई की तरफ देखे मैं पानी से बनी ट्यूबवेल की होदी में कूद गयी

ठंडे पानी ने मेरे पूरे जिस्म को जकड़ लिया
पर कुछ देर बाद अच्छा लगने लगा
फिर मैने भाई की तरफ देखा
जो नीवाला मुँह के पास लिए बुत्त सा बना हुआ मुझे ही देख रहा था
ऐसा नही था की आज से पहले मैं भाई के सामने नहाई नही थी
पर वो बचपन था
करीब 5 साल पहले
तब तो मैं और भाई रोजाना पिताजी के साथ खेतो में आया करते थे
और मिट्टी में खेलने के बाद दोनो घंटो तक अपने इस पर्सनल स्विमिंग पूल में नहाते रहते थे
तब तो मेरे बूब्स निकलने शुरू ही हुए थे
सिर्फ़ हल्की-2 चोंच निकली हुई थी

पानी में भीगने के बाद मेरी शमीज़ पर वो ऐसे चमकने लगते जैसे रायते की बूँदी
और तब भी भाई की नज़रें उन्हे ही घूरती रहती थी
पर आज मामला अलग था
अब मैं जवान हो चुकी थी
बूँदी अब बताशा बन चुका था और नीचे एक अमरूद भी उग आया था



पानी में भीगने की वजह से मेरी सफेद शमीज़ पारदर्शी बनकर अंदर का सारा किस्सा बयान कर रही थी
पर मैं आराम से पानी में अठखेलियां करती हुई भाई से इधर-उहर की बातें करती रही

कुछ देर तक तो भैय्या को भी यकीन नही हुआ की ये सब उसकी आँखो के सामने हो रहा है
पर फिर जब उसे इस बात का एहसास हुआ की ये तो एक गोल्डन चांस है तो उसने जल्दी-2 अपना खाना निपटाया और अपना कुर्ता निकाल कर वो भी मेरे साथ पानी में आ गया
एक बार फिर से हमारा बचपन लौट आया था जैसे
भाई की नज़रों में अभी तक वही भूख थी जो पहले हुआ करती थी
वो अभी भी मेरे पानी से भीगे बूब्स को देख रहा था, जैसे उन्हे खा ही जाएगा
साला हरामी



Kya julam kiya hai bhai k upar..... bechara abhi to muthh maar k nipta tha.... itni jaldi dobara shuru karwa diya ...... par chalo kuch to maje aaye us bechare k....


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मैं भाई के उपर पानी फेंककर उसे भिगोने लगी
भाई भी मेरे साथ वो खेल खेलने लगा
मैने भाई को धक्का देकर उसे पानी में डुबो दिया
वैसे तो वो मुझसे काफ़ी ताकतवर था, पर शायद वो जान बूझकर डूबना चाहता था
पर अंदर जाते ही वो हाथ पैर मारकर बाहर निकलने का प्रयास करने लगा
और इस छटपटाहट में मेरा दाँया बूब उसकी पकड़ में आ गया
और लाइफ में पहली बार भैय्या ने मेरे स्तन को पकड़कर ज़ोर से दबा दिया
मेरे मुँह से एक चीख निकल गयी
फिर वो पानी से निकला और उसने मुझे दबोच कर नीचे कर दिया
अब छटपटाने की बारी मेरी थी
पर मुझे भी पता था की क्या पकड़ना है
मेरा हाथ सीधा भाई के लॅंड के उपर गया
वो एकदम सख़्त हुआ पड़ा था
मैने सिर्फ़ 2 सेकेंड के लिए उसे पकड़ा और अंजान सी बनती हुई उसका हेंडल पकड़ कर पानी से बाहर निकल आई
और खाँसने लगी
जैसे मुझे पता ही नही की मैने क्या पकड़ा था अभी
भाई भी हैरान सा होकर मुझे देख रहा था की क्या मैं ये सब जानबूझकर कर रही हूँ
पर मेरा सपाट चेहरा कुछ भी बयान करने से मना कर रहा था
बेचारा अंदर ही अंदर परेशान हो रहा था
ये देखकर मुझे हँसी भी आ रही थी और मज़ा भी
पर भाई का लॅंड पकड़कर मेरी हथेली जल उठी थी
जो दर्शाता था की उसमें कितनी आग भरी है
उफफफफ्फ़
जब ये आग मेरी चूत की आग से मिलेगी तो क्या होगा
ज़रूर एक ज्वालामुखी फटेगा
ये सोचकर मैं खुद ही मुस्कुरा उठी
मेरी शमीज़ एकदम पारदर्शी हुई पड़ी थी और भाई की नज़रें मेरे बूब्स को ही घूर रही थी



आज के लिए इतना बहुत था
मैं आराम से पानी से बाहर निकली और अपनी कुरती उठाकर झोपड़ी के अंदर आ गयी
अंदर एक तौलिया लटका हुआ था
मैने अपने सारे कपड़े निकाल कर उन्हे निचोड़ा और उन्हे कुछ देर के लिए खाट पर बिछा कर पंखा चला दिया ताकि वो सूख जाए
मैं इस वक़्त उस छोटे से कमरे में मैं पूरी गीली और नंगी होकर खड़ी थी
सच बोल रही हूँ , इस समय भाई अगर अंदर आ जाये तो मैं उसे कुछ भी करने से रोकूंगी नहीं
कसम से



पर वो दब्बू अंदर आया ही नहीं
और मैंने वो तौलिया अपनी छाती पर लपेट कर अपने उपर और नीचे के अंगो को छुपाया
पर मेरे मोटे हिप्स अपनी फेलावट की वजह से छुपने में असमर्थ थे
इसलिए मैने टॉवल को थोड़ा सा नीचे कर लिया
वहां तक जहां से मेरे निप्पल छुप जाए बस

इस वक़्त मेरे सामने कोई शीशा नही था पर मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ की मैं काफ़ी सैक्सी लग रही थी



और फिर उसी तरह मैं बड़ी ही उन्मुक्तता के साथ अपनी कमर मटकाती हुई बाहर निकल आई
भाई अभी तक पानी में ही था

शायद अभी उसकी आँखो के सामने जो हुआ, उस से उभरने की कोशिश कर रहा था
पर जब उसने मुझे इस तरह सिर्फ़ टॉवल में बाहर निकलते देखा तो वो पानी में फिसलते-2 बचा

उसका चेहरा बता रहा था की वो कितना अचंभित है मुझे आज इस तरह से अर्धनग्न अवस्था में देखकर
और भाई की ये हालत देखकर मुझे खूब मज़ा आ रहा था

मैं वही रखी चारपाई पर बैठ गयी और उसके साथ बाते करने लगी

मैं : “भाई, वैसे आपके मज़े है, सुबह और शाम का थोड़ा बहुत काम है, बाकी तो सारा दिन आराम करना होता है अंदर के कमरे में …..”

भाई : “अच्छा , बीज डालना, पानी लगाना, क्यारी बनाना वो सब क्या इतना आसान लगता है तुझे….और जब फसल पक जाती है तो उसकी रखवाली और कटाई / बिनाई भी तो है…”

मैं : “हाँ , मैने कब मना किया, पर मस्ती भी तो है ना, देख ना, जब मर्ज़ी सो जाओ, जब मर्ज़ी पानी में उतर जाओ…मेरा बस चले तो मैं भी तेरे साथ खेतों में ही आ जाया करूँ ”



भाई की नज़रें मेरी गोरी और चिकनी जाँघो को घूर रही थी
मैं बिल्कुल सामने बैठी थी उसके
मेरी जाँघो के बीच से उसे ज़रूर मेरा ताजमहल दिखाई दे रहा होगा…
और ये अंदाज़ा मैने इसलिए लगाया क्योंकि उसकी नज़रें वहीं जम कर रह गयी थी
और पानी के अंदर उसका हाथ कुछ हरकत भी कर रहा था

यानी अभी कुछ देर पहले ही तो उसने मुट्ठ मारी थी
अब मेरा जिस्म देखकर वो फिर से उत्तेजित हो रहा था और मेरे ही सामने अपने लॅंड को फिर से रगड़ रहा था

इन मर्दों को अपने जाल में फंसाना कितना आसान है
आज सच में मुझे अपनी जवानी पर गर्व महसूस हो रहा था

अचानक मुझे महसूस हुआ की मेरी छाती पर बँधा टावल खिसक रहा है
उसे ठूंस कर मैने अपने बूब्स के बीच फँसाया हुआ था पर साँस लेने की वजह से उसका सिरा बाहर निकल आया और वो खिसककर साइड में गिरने लगा
मैने उसे संभालने की कोई कोशिश नही की

मई भी उसके सब्र का इम्तेहान लेना चाहती थी और उसे उत्तेजना के शिखर पर पहुँचकर थोड़े बहुत मज़े देना चाहती थी ताकि आज के बाद वो सिर्फ़ मेरे बारे में सोचे
दीदी के बारे में नही

और जब उसकी नज़रों ने टॉवल को खिसकते देखा तो उसके मुँह से लार टपकने लगी
मैं ये देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी
और तभी टॉवल खिसककर इतना नीचे हो गया की मेरे निप्पल के चारों तरफ का घेरा यानी ऐरोल दिखने लगा
उत्तेजना और भीगने की वजह से उसपर लगे अनगिनत छोटे-2 दाने उभर कर खड़े हो चुके थे
जो उसे दिखाई दे गये



आधा इंच भी और खिसकता टावल तो मेरा निप्पल बाहर निकल आता
और वो उसे मैं इस वक़्त दिखाना नही चाहती थी
जब कुछ छिपाऊंगी तभी तो उसके मन में मुझे पाने की चाह उभरेगी

इसलिए मैने चौंकने का नाटक किया और गिरते हुए टॉवल को उठकर सही ढंग से बाँधने लगी
ऐसा करते हुए मैने अपना चेहरा घुमा कर दूसरी तरफ कर लिया
पर मेरी किस्मत खराब निकली
टॉवल को बाँधते हुए वो एकदम से फिसलकर मेरे हाथो से नीचे गिर गया और अगले ही पल मैं अपने सगे भाई के सामने पूरी नंगी होकर खड़ी थी
भले ही मेरा पिछवाड़ा था उसकी तरफ
पर वो भी काफ़ी था
जैसा की मैने कहा
मेरा फेला हुआ पिछवाड़ा ही किसी को भी अपना दीवाना बनाने के लिए काफ़ी है
और यहाँ तो वो पिछवाड़ा अब नंगा हो चुका था
मेरी पूरी नंगी पीठ, जांघे और चूतड़, एकदम जन्मजात नंगी
मेरा पूरा शरीर काँपने लगा



पर फिर मैने सोचा , अच्छा ही हुआ
इतना तो बनता ही है उसे दिखाना

और फिर मैने झत्ट से अपना टॉवल उठाया
उसे अपने शरीर पर आड़ा तिरछा लपेटा और भागती हुई अंदर चली गयी
फिर मैने अपने आधे सूखे कपड़े पहने और भाई को बिना कुछ बोले लगभग भागती हुई सी अपने खेतो से बाहर निकल आई

मैने ये भी देखने की कोशिश नही की की उसका क्या हाल हुआ होगा मेरे पीछे
ज़रूर पानी में बैठकर उसने फिर से मुट्ठ मारी होगी

पर जो भी हो
आज मज़ा बहुत आया था मुझे
कुछ ही देर में मैं घर पर थी
माँ कुछ पूछती रह गयी पर मुझे होश ही नही था
मैं कमरे में गयी और कुण्डी लगाकर बेड पर ओंधी गिर गयी
और वो सब बाते सोच-सोचकर अपनी चूत को उसी तकिये पर मसलती रही जिसे कुछ घंटो पहले प्यासा छोड़ गयी थी
और आख़िरकार भाई के बारे में सोचते-2 मैने उस तकिये की प्यास भी बुझा दी अपनी चूत के गर्म पानी से
और फिर मैं करीब 2 घंटो तक सोती रही

इस बात से अंजान की आज की रात पिताजी का क्या प्लान है
अपने दोस्त घेसू से मिलकर आने के बाद आज की रात वो हर हद को पार कर लेना चाहते थे
और इसका पता तो आज रात को ही लगने वाला था.
Akhir dono ne thoda thoda pakad k dekh liya.....



Aur kya line likhi h .... mardo ko fasana kiyna aasan है???


Ye to hai... bechare mard.... yu hi fisal jate hai.....
 

Mr.X796

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झड़ने के बाद एकदम से मेरी टांगे काँप कर रह गयी, जैसे मेरी पूरी शक्ति निकाल दी हो किसी ने
और लाख कोशिशो के बावजूद मैं वहीं ज़मीन पर गिर पड़ी, धड़ाम की आवाज़ आई एकदम से
मैं घबरा गयी, और अंदर चारपाई पर लेटा मेरा भाई भी

उसने जल्दी-2 अपने कपड़े पहने और बाहर की तरफ भागता हुआ आया

“कौन….कौन है वहाँ …”

मेरी तो गांड फट्ट गयी एकदम से, प्रेम कहानी बनने से पहले हॉरर स्टोरी बनने जा रही थी मेरी

अब आगे
************

भाई के कदमों की आवाज़ करीबी आ रही थी
मुझे कुछ नही सूझा तो मैने एकदम से पास बने ट्यूबवेल की बड़ी सी होदी से लोटा भरकर पानी निकाला और अपने उपर डाल लिया
ठंडे पानी से मेरी चीख ही निकल गयी
हालाँकि इतनी ठंड नही थी पर ज़मीन के नीचे से निकले पानी में कुछ ज़्यादा ही ठंडक होती है

मैने अपना पिछवाड़ा पीछे की तरफ निकाला और उसपर पानी डालकर उसे सॉफ करने लगी
जहाँ अभी तक कीचड़ लगा हुआ था
और तभी अंदर से भाई निकल कर बाहर आया
मेरी नज़रें सीधी उसके लॅंड वाली जगह पर गयी
जो पायजामे में सॉफ दिखाई दे रहा था

भले ही अकड़ा हुआ नही था पर लटकने के बाद भी उसमें अभी कुछ ऐंठन बची हुई थी
और उसकी नज़रें मेरे कुल्हों से टकराई
अब यहाँ एक बात मैं आप सभी को बता दूँ की भले ही दीदी के बूब्स मेरे से काफ़ी बड़े है पर गांड के मामले में मैं आगे हूँ
यानी मेरी गांड पूरी तरह से भरी हुई, गोल तरबूज जैसी है
और एकदम कड़क
ज़ोर से कोई दबाए भी तो गर्म माँस का कठोरपन ही महसूस होगा उसे



और यही तीर इस वक़्त मैं अपने शरीर के लश्कर से चला कर भाई को घायल कर रही थी
और वो हो भी रहा था
क्योंकि उसके कदम जिस तेज़ी से बाहर की ओर आए थे
उसी तेज़ी से रुक भी गये
और वो मेरे कुल्हो पर पानी गिरते देखकर वहीं जम कर रह गया
पानी ने मेरी सलवार को पारदर्शी बना दिया
और मेरी डॉट्स वाली कच्छी दिखाई देने लगी
उसके लॅंड में फिर से हरकत हुई
जैसे जो उसने देखा था वो उसे पसंद आया हो
मैं आराम से पानी डालकर अपना पिछवाड़ा धोती रही

तभी भाई को शायद ये एहसास हो गया की मैने उसे देख लिया है
इसलिए वो हकलाता हुआ सा बोला : “च …..च….चंदा …..तू…और यहाँ …..”

मैने पानी डालना चालू रखा और बोली : “माँ ने भेजा है, रोटी देने आई थी….और देखो ना, रास्ते में कीचड़ में फिसल कर मेरे हिप्स गंदे हो गये….”

मैने रुंआसी आवाज़ में कहा
पर ऐसा दर्शाया की उसके सामने ऐसा करने में मुझे कोई शर्म नही है
और ना ही अपने हिप्स को छिपाने की कोशिश की मैने
एक मर्द को और क्या चाहिए
ऐसे में तो घर की कामवाली हो या उसकी खुद की माँ बहन
ऐसा नज़ारा देखने को मिले तो कौन भला अपनी नज़रें घुमाएगा

तब तक भैय्या भी सामान्य हो चुके थे
दूर -2 तक कोई नही था हमें देखने वाला
इसलिए सूरज भाई भी थोड़ी मस्ती में आ गये

वो आगे आए और बोले : “दिखा…मैं सॉफ करता हूँ , तेरे पीछे लगा है ये तुझे दिख भी नही रहा होगा…”

इतना कहते हुए उन्होने एक लोटा पानी मेरी फूटबाल जैसी गांड पर डाला और अपने सख़्त हाथों से उसे मसलकर मेरा कीचड़ सॉफ करने लगे
जो वहां अब था भी नही
पर ऐसे मौके को मैं भी भला कैसे जाने देती

मैं भी टूबवेल की मुंडेर पर दोनो हाथ रखकर, अपने हिप्स पीछे निकाल कर आराम से खड़ी हो गयी
की ये ले भाई, करले अच्छे से सॉफ
पर वो सॉफ कम कर रहा था
अपने हाथों से मेरे हिप्स का आटा ज़्यादा गूँध रहा था
उसके कठोर हाथों का स्पर्श मुझे अंदर से पिघला रहा था
और सूरज भाई का तो हाल ही बुरा था
शायद मैं उनकी लाइफ की पहली लड़की थी, जिसे वो इस तरह से हाथ लगा रहे थे
पानी तो ठंडा था पर मेरा जिस्म अब गरम हो चुका था
और वो गर्मी शायद सूरज भैय्या ने भी महसूस की थी

अचानक उनका हाथ फिसलता हुआ नीचे तक आया और मेरी चूत को उन्होने छू लिया
मेरा पूरा शरीर एकदम से सकपका सा गया
वहां से निकल रही तपन भैय्या ने भी महसूस की
पर अपनी हद से ज़्यादा वो कुछ और करना नही चाहते थे शायद
वैसे भी , ये जो करने को मिल रहा था उन्हे, वो भी कम नही था

मुझे कुछ देर पहले का वाक़्या याद आ गया
जब भैय्या मुट्ठ मारते हुए चंद्रिका दीदी का नाम पुकार रहे थे
पर मेरा दावा है
आज के बाद वो सिर्फ़ मेरा ही नाम लेंगे
और इसके लिए मुझे कुछ और भी करना होगा

मैं बोली : “अब बस भी करो भैय्या , रगड़ -2 कर मेरे पिछवाड़े से जिन्न निकालोगे क्या “

वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दिया
ऐसी नोक झोंक हम भाई बहनों में अक्सर होती रहती थी
पर पिछले कुछ सालों से ऐसा कुछ भी नही हो रहा था

भाई पीछे हट गया और हाथ मुँह धोकर सामने रखी चारपाई पर बैठकर खाना खाने लगा

मैं बोली : “आप खाना खाओ, तब तक मैं नहा लेती हूँ ”

इतना कहते हुए मैने बड़ी ही बेफिक्री से अपनी कुरती उतारी और उसे साइड में रख दिया
नीचे मैने सफेद टी शर्ट / शमीज़ पहनी हुई थी
बूब्स सिर्फ़ 32 के थे मेरे ,इसलिए उस शमीज़ से बाहर नही निकल रहे थे

पायजामी पहले से ही गीली हो चुकी थी
इसलिए उसे उतारना सही नही समझा मैने
और फिर बिना भाई की तरफ देखे मैं पानी से बनी ट्यूबवेल की होदी में कूद गयी

ठंडे पानी ने मेरे पूरे जिस्म को जकड़ लिया
पर कुछ देर बाद अच्छा लगने लगा
फिर मैने भाई की तरफ देखा
जो नीवाला मुँह के पास लिए बुत्त सा बना हुआ मुझे ही देख रहा था
ऐसा नही था की आज से पहले मैं भाई के सामने नहाई नही थी
पर वो बचपन था
करीब 5 साल पहले
तब तो मैं और भाई रोजाना पिताजी के साथ खेतो में आया करते थे
और मिट्टी में खेलने के बाद दोनो घंटो तक अपने इस पर्सनल स्विमिंग पूल में नहाते रहते थे
तब तो मेरे बूब्स निकलने शुरू ही हुए थे
सिर्फ़ हल्की-2 चोंच निकली हुई थी

पानी में भीगने के बाद मेरी शमीज़ पर वो ऐसे चमकने लगते जैसे रायते की बूँदी
और तब भी भाई की नज़रें उन्हे ही घूरती रहती थी
पर आज मामला अलग था
अब मैं जवान हो चुकी थी
बूँदी अब बताशा बन चुका था और नीचे एक अमरूद भी उग आया था



पानी में भीगने की वजह से मेरी सफेद शमीज़ पारदर्शी बनकर अंदर का सारा किस्सा बयान कर रही थी
पर मैं आराम से पानी में अठखेलियां करती हुई भाई से इधर-उहर की बातें करती रही

कुछ देर तक तो भैय्या को भी यकीन नही हुआ की ये सब उसकी आँखो के सामने हो रहा है
पर फिर जब उसे इस बात का एहसास हुआ की ये तो एक गोल्डन चांस है तो उसने जल्दी-2 अपना खाना निपटाया और अपना कुर्ता निकाल कर वो भी मेरे साथ पानी में आ गया
एक बार फिर से हमारा बचपन लौट आया था जैसे
भाई की नज़रों में अभी तक वही भूख थी जो पहले हुआ करती थी
वो अभी भी मेरे पानी से भीगे बूब्स को देख रहा था, जैसे उन्हे खा ही जाएगा
साला हरामी



Awesome update bro
 
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