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Incest वशीकरण

Ashokafun30

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जिस आशीर्वाद की बात पापा कर रहे थे वो दोनो ने मिलकर एक साथ दे दिया था मुझे…
और उस आशीर्वाद में नहाई हुई मैं एक बार फिर से झड़कर
बिना कोई आवाज़ निकाले
गहरी साँसे लेती हुई उन दोनो मर्दों के सामने नंगी पड़ी थी
मेरे पुर शरीर पर उनके लॅंड से निकली स्याही ने अपनी कहानियाँ लिख दी थी
जो बरसों तक मेरे जहन में एक कभी ना भूलने वाली कहानी बनकर रहने वाली थी

**********
अब आगे
**********

अपने लॅंड का सारा पानी निकालने के बाद सुमेर सिंह निढाल सा होकर चंद्रिका के पैरों पर गिर पड़ा
उसके गाल जब चंद्रिका की जाँघो से टकराए तो उसमें से निकल रहा कंपन उसे महसूस होने लगा

जो ये दर्शाता था की इस वक़्त भी अंदर ही अंदर चंद्रिका उस चुदाई से मिले झटकों से उबरने का प्रयास कर रही है जो अभी कुछ देर पहले घेसू बाबा ने दिए थे

सुमेर की नज़रें थोड़ा उपर गयी तो उसकी चूत के फड़कते हुए होंठो के बीच उसे अंदर की गुलाबी नगरी का नज़ारा सॉफ दिखाई दिया

उस छोटे से दरवाजे को बड़ा करने का श्रेय घेसू के मोटे लॅंड को जाता था

जिसने ठोक - ठोककर उस छोटे से दरवाजे को इतना बड़ा तो कर ही दिया था की कोई छोटा चूहा बिना रोक टोक के आसानी से अंदर घुस सके



दूसरे कोने में घेसू अपने चिलम में माल भरकर गहरे कश लेने में मशगूल था
इस करारी चूत को मारकर उसका पूरा शरीर हल्का हो चुका था
लॅंड पर उसकी चूत से मिली खरोंचे उसे आज की रात सोने में तकलीफ़ देने वाली थी
ऐसी कसावट भरी चूत को मारने में जितना मज़ा आता है
उतना ही दर्द भी महसूस होता है बाद में

पर उस मज़े के सामने ये दर्द कुछ भी नही है
अब तो घेसू को इसकी आदत सी हो चुकी थी

सुमेर : “घेसू….अब जल्दी से बता, ये क्या था जो बिना किसी मंत्र के तूने इसके शरीर क बाँध कर रख दिया है…बता अब जल्दी , तेरे कहे अनुसार अब तो तूने अपनी मर्ज़ी भी कर ली है मेरी बेटी के साथ…”

आधे-अधूरे होश में चंद्रिका भी उनकी बातें सुन पा रही थी
उसे शक तो पहले से ही हो चूका था की उसका बाप उसे किसी लालच में ही यहाँ लाया है
अब वो लालच सामने आ चुका था

वो उस वशीकरण की किताब से निकले मंत्रों से भी कुछ ज़्यादा बड़ी विद्या या तरीका सीखना चाहता था
ताकि उन सब आडंबरों से बच सके जो वशीकरण करने में इस्तेमाल होते है
या ये कहलो की उसे शॉर्टकट तरीका सीखना था , वो किताब वाला लम्बा चौड़ा नहीं ।

चंद्रिका बड़ी मुश्किल से अपने आप को होश में रखने की कोशिश कर रही थी
पर एक तो उस नशीले धुंवे का असर और दूसरा चुदाई के बाद आने वाली खुमारी
उन दोनो ने मिलकर उसे नींद के आगोश में पहुँचा दिया
अब ना तो वो उस तरीके को सुन पाई और ना ही उनकी आगे की प्लानिंग समझ पाई

घेसू : “देखा अपनी बेटी को कैसे नशे में है इस वक़्त….अभी तो ये फिर से सो गयी, होश में भी आई तो भी कुछ नही बोल पाएगी, जब तक इसका इलाज मैं नही कर देता…”

क्या है इसका इलाज, मुझे बता जल्दी से, और ये पौधा कौनसा है, धतूरा है या अफ़ीम…क्या है ये…”

घेसू मुस्कुरा दिया
और बोला : “अभी इतनी भी जल्दी क्या है मेरे शेर….अभी तो तेरी दूसरी लौंडिया रहती है , उसे भी मेरा आशीर्वाद मिल जाए तो ये सब तरीके सीखा दूँगा तुझे…”

सुमेर जानता तो था की घेसू हरामी है
पर इतना हरामी है की उसे अपनी दूसरी बेटी चुदवाकर ही वो तरीका पता चल पाएगा, ये नही पता था उसे
खैर, बात तो दोनो की हुई थी
दोनो ही चुदवानी पड़ेगी उस से

पर अभी के लिए चंद्रिका का होश में आना भी ज़रूरी था
पहले तो दोनो ने मिलकर उसे कपड़े पहनाए, और खुद भी पहन लिए
पूरे झोपडे में से चुदाई के नामो निशान मिटा दिए उन्होने

उसके बाद घेसू ने चंद्रिका के होंठो पर पानी की बॉटल लगा दी
वो भले ही नींद के आगोश में थी पर पानी मुँह पर लगते ही गट-गट करके पूरी बॉटल पी गयी

और फिर तो जैसे चमत्कार हुआ
वो एकदम से उठकर बैठ गयी

कुछ देर तक तो उसका सिर चकराता रहा पर फिर अपने आप पर काबू करके उसने आस पास का जायज़ा लिया
उसके कपड़े वापिस आ चुके थे

यानी घेसू बाबा और उसका बाप ये नही चाहते थे की उसे कुछ पता चले
इसलिए वो भी अंजान सी बनकर बोली : “ये….ये…क्या हुआ था पापा….मेरा सिर क्यों घूम रहा है…”

सर के साथ -2 उसकी चूत भी फड़फड़ा रही थी
क्योंकि कुछ देर पहले ही उसकी जोरदार चुदाई जो हुई थी
मोटा लॅंड निकल जाने के बाद उसकी चूत खाली सी होकर रह गयी थी
उसी लॅंड को फिर से लेने के लिए वो फड़फड़ा रही थी

सुमेर : “अरे….वो बेटी तुझे पता नही क्या हुआ एकदम से….शायद बाबा का आशीर्वाद तुझे लग गया और तू एकदम से बेहोश हो गयी…पर चिंता की कोई बात नही है, बाबा ने सब ठीक कर दिया है…”

चंद्रिका ने बाबा को देखा जो उसके मोटे मुम्मे देखकर किसी खलनायक की तरह मुस्कुरा रहा था





मन तो चंद्रिका का भी कर रहा था की अपनी छाती खोलकर उसके मुँह में ठूस दे ये मुम्मे
पर अभी के लिए वहां से जाना ही सही था
समय भी काफ़ी हो चुका था
इसलिए बाबा से इजाज़त लेकर वो दोनो वापिस घर की तरफ चल दिए

रास्ते में चंद्रिका अपने आप को कोस्ती रही की क्यों आखिरी वक़्त पर उसे नींद आ गयी और वो उनकी पूरी बातें नही सुन पाई

करीब आधे घंटे में वो घर पहुँच गये और वो सीधा अपने कमरे में जाकर सो गयी
चंदा अभी तक गहरी नींद में थी
लगता है आज रात जागकर निकालेगी ये

तो दोस्तों, आपने देखा की कैसे घीसू बाबा ने चन्द्रिका की चूत मारी , अब कहानी वापिस चंदा की ज़ुबानी ही सुनते है

चंदा
******

मेरा आँखे खोलने का बिल्कुल भी मन नही कर रहा था
ठंडी सी हवा पूरे कमरे में फेली थी
और दीदी भी वापिस आकर मेरे करीब आकर सो चुकी थी
उनके हल्के ख़र्राटों का मतलब था की वो गहरी नींद में है
इस वक़्त तो मैं उनके बूब्स भी दबा दूँ तो उन्हे पता नही चल पाएगा

पर अभी इन बातों के लिए वक़्त नही था
शाम के 5 बज चुके थे
इस से पहले की माँ के प्रवचन फिर से शुरू हो जाए, मैं उठकर फ्रेश होने चली गयी और
और जैसे ही बाहर निकली उसका भाई सूरज घर में दाखिल होता दिखाई दिया
मुझे देखते ही उसके चेहरे पर स्माइल आ गयी
मैं भी उसे देखकर मुस्कुरा दी
सच कहूं तो अभी सोते हुए उसी के बारे में सोच रही थी
जिसमे वो मुझे खेतो के पास बने एक तालाब में नंगा नहाते हुए देखकर अपना लॅंड मसल रहा था
और मैं भी जान बूझकर उसे छुपकर देखते हुए अपना अंग प्रदर्शन कर रही थी





माँ किचन में थी
मुझे देखते ही वो बुदबुदाने लगी

“अब उठी है महारानी…पूरा दिन पता नही कैसे कोई सोया रह सकता है….जैसे-2 बड़ी हो रही है, अक्ल घुटनों में जाती जा रही है….कोई शर्म नही है…”

वो तो बोलती रही और मैं अंदर कमरे में पिताजी से चाय पूछने चली गयी
वो भी सो रहे थे
पर लूँगी में उनका आधा सोया लॅंड किसी मोटे खीरे जैसा प्रतीत हो रहा था
मैने उनसे चाय के लिए पूछा तो वो उठकर बैठ गये और मेरी तबीयत के लिए पूछने लगे

कुछ देर तक इधर उधर की बातें करने के बाद वो मुद्दे पर आए और बोले

“आज तू साथ नही चली, बैंक के बाद मैं चंद्रिका को एक पहुँचे हुए बाबा जी का आशीर्वाद दिलवाने ले गया था, तू भी होती तो अच्छा रहता, अब कल फिर से जाना पड़ेगा उनके पास…”

मैं : “बाबाजी….ये कौनसे बाबाजी है पापा…इनके चक्करों में आप कैसे पड़ गये…”

मैं जानती थी की पापा को ऐसे ढोंगियो से कितनी नफ़रत है, फिर वो उनकी तरफ़दारी कैसे कर रहे है

पापा : “वो बेटा, किसी ने उनके बारे में जब बताया था तो उनकी कृपा से मेरा एक अटका हुआ काम अपने आप पूरा हो गया, तभी से वो जब भी यहाँ आते है तो उनका आशीर्वाद लेने ज़रूर जाता हूँ , आज चंद्रिका को दिलवाया, कल तुझे ले जाऊंगा ”

मैं मन ही मन बोली ‘दिलवाया तो ऐसे बोल रहे है जैसे उनका लॅंड दिलवाया…सच में लॅंड दे तो कोई बात बने…वैसे भी आजकल मेरा मूड थोड़ा दूसरे टाइप का रहता है…’

भले ही मैने मन में ये बात कही थी, पर मुझे क्या पता था की असली में वही लॅंड के लिए पापा मुझे वहां ले जाना चाहते है

खैर, ये तो वक़्त आने पर कल ही पता चलेगा
अभी के लिए तो मैं उन्हे हाँ बोलकर बाहर आ गयी
और उनसे ये भी बोल दिया की कल स्कूल से ही मुझे लेते हुए आए
क्योंकि शाम को मुझे बहुत काम होता है घर का, वरना माँ नाराज़ होगी

दीदी भी जाग चुकी थी
मैने माँ के साथ मिलकर किचन में खाना बनवाया और सबने मिलकर खाया

पिताजी आज जल्दी सोने चले गये
यानी आज वो वशीकरण वाला खेल नही होगा

वशीकरण शब्द दिमाग़ में आते ही मेरे शैतानी दिमाग़ में एक आइडिया आया
और मैं अपना मोबाइल खोलकर उस किताब की खींची हुई फोटो देखकर उसे सही से समझने का प्रयास करने लगी
दीदी ने जब मुझे ऐसा करते देखा तो बोली : “तूने ये किताब की तस्वीर कब ली….ये तो वही है ना जिसे पढ़कर पिताजी रात को हमारे साथ मज़े लिया करते है…”

मैं मुस्कुरा दी
दीदी : “तो अब इसे पढ़कर तूने करना क्या है…किसी को वश में करना है क्या….पिताजी तो पहले से ही इस खेल में शामिल है….”

मैं : “दीदी….आस पास नज़रें फिराकार देखो….कोई और भी शायद दिख जाए आपको घर पर ..”

दीदी कुछ देर तक सोचती रही और अचानक उछल पड़ी

“तू….तू सूरज की बात कर रही है…..बेशरम….अपने ही भाई के बारे में कैसे सोच सकती है तू ऐसा…”

मैं : “दीदी….पिताजी के साथ सैक्स करने के बाद आपको लगता है की हमारे बीच रिश्तो को लेकर कुछ भी शर्म बची है…”

मेरी बात सुनकर वो चुप हो गयी
वैसे भी मुझसे पहले उस ठरकी सूरज की नज़रें हमेशा से ही चंद्रिका दीदी के मोटे मुम्मो को ताड़ती रहती थी
पिताजी वाले वाक़ये से बहुत पहले जब मज़ाक में मैंने दीदी को ये बात कही की सूरज तुम्हारे दूध देखकर मचलता रहता है तो वो मुस्कुरा दी थी
पर आज डाँट रही है
वो भी पिताजी से चुदवाने के बाद
यानी ये गुस्सा नकली है
 
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अंदर ही अंदर वो भी गुनगुना उठी थी इस बात से की मैने सूरज की बात छेड़ी थी
अब छेड़ ही दी थी तो मैने सॉफ -2 उन्हे बोल ही दिया

“देखो दीदी….आप मानो या ना मानो, सूरज की नज़रें हमेशा से आपके हुस्न को देखकर चमक उठती है…और पिछले कुछ दिनों से मुझे देखकर भी वही हरकतें करता है वो…मुझे तो उसकी हरकतें पसंद भी आती है…और पिताजी के साथ वो सब करने के बाद तो मेरा मन कर रहा है की उसके साथ भी मज़े ले ही लिए जाए…पर सीधा बोलकर तो हम ये काम कर नही सकते, आख़िर भाई है हमारा, इसलिए पिताजी का तरीका अपनाते है, जैसे वो हमे वशीकरण विद्या के द्वारा वश में करके हमारे साथ मज़े लेते है, वैसे ही हम भी अपने भाई के साथ वो सब मज़े लेंगे…”

दीदी : “पर वो किताब काम भी करती है या नही…क्योंकि जब भी पिताजी ने उन मंत्रों का इस्तेमाल करके हमारे उपर वशीकरण किया है, वो हुआ तो है नही…”

मैं : “वो इसलिए दीदी की ये वशीकरण तभी काम करता है जब पूरी विधि से किया जाए जैसा की इसमें लिखा है और सबसे बड़ी बात इसे सोते हुए व्यक्ति पर ही किया जाता है…और हमारे उपर जब भी हुआ तो हम तो जाग ही रहे थे, इसलिए ये विद्या हमपर असर नही कर पाई…”

मैने किताब के अनुसार दीदी को तर्क दिया..

अब दीदी भी सोच मे पड़ गयी थी….
और उस सोच में उसे दिखाई दे रहा था की उसने वशीकरण से सूरज को वश में कर लिया है
और उसे नंगा करके वो उसका लॅंड चूस रही है…



ये ख़याल आते ही उसके चेहरे का रंग बदलने लगा और आँखो में गुलाबी डोरे तैर गये

मैं दीदी का चेहरा देखकर बोली : “जो आप सोच रही हो, वो सब हो सकता है…बस आज की रात मेरा साथ दो आप…”

जवाब मे दीदी ने धत्त करते हुए मेरे कंधे पर हाथ मारा और आँख मारकर अपनी स्वीकृति दे डाली

मैं मोबाइल लेकर बैठ गयी और उस वशीकरण विद्या को पूरी तरह से समझने की कोशिश करने लगी
ताकि कोई ग़लती ना करू

किताब के अनुसार सबसे पहले तो उन्हे सूरज के किसी वस्त्र या कोई ऐसी चीज़ को चुराना था जो उसके पास हमेशा रहती है
या उसे वो चीज दी भी जा सकती है, जैसे पापा ने हमें प्लास्टिक की गुड़िया दी थी
पापा ने हमे तो 1 दिन के लिए गुड़िया दी थी
हमे कुछ और इंतज़ाम करना होगा

उसका कोई वस्त्र …
यानी उसका अंडरवियर भी चलेगा
सूरज को रात को सोने से पहले नहाने का नियम था
यानी कोई ऐसा अंडरवियर जो वो नहाने के बाद पहनने वाला हो

मैं झट्ट से बाहर गयी और तार पर सूख रहा उसका अंडरवियर अपनी सलवार में छुपा कर ले आई
दीदी भी मेरी इस हरकत को देखकर हंस रही थी
उसके बाद हमे उस चीज़ को अपने रज से स्नान करवाना था
यानी मास्टरबेट करना होगा
ये बात सुनते ही दीदी की आँखे भी चमक उठी

बस फिर क्या था
हमने जल्दी से सेटअप लगाया
दरवाजा बंद किया
बिस्तर के बीचो बीच उस अंडरवियर को बिछाया और हम अपने-2 कपड़े निकाल कर बिस्तर पर आ गये
अब तो हम बहनो को एक दूसरे के सामने कपड़े उतारने मेर भी कोई शर्म नही रह गयी थी
कपड़े उतारते ही ऐसा लगा जैसे कमरे में 100-100 वॉट के दो बल्ब जल उठे हो
पूरा कमरा हमारे नंगे हुस्न से नहाकर चमक उठा



अब शुरू हुआ हमारे बीच का कॉम्पीटिशन
दोनों ने अपनी-2 चूत के अंदर 2 उंगलियाँ ठूसी और उसे अंदर बाहर करते हुए अपनी क्लिट को वो सेंसेशन देने लगे जो एक ऐसा तूफान का निर्माण करने वाली थी

जिसमें नहाकर हमारे भाई का अंडरवियर महक उठना था

जैसे ही मेरी उंगली ने अंदर तक घुसकर गर्म गहराई को छुआ , मैं सिसक उठी

“आआआआआआअहह…….. उम्म्म्ममममममम….”

https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=31500931&showlnk=0


और वही हाल दीदी का भी हुआ
वो भी अपनी रेशमी चूत को कुरेदती हुई सीसीया उठी

“अहह……उम्म्म्मममममममममम ……………सूऊऊऊऊरज्ज्जज्ज्ज्ज”

वाह दीदी
पहले तो बोल रही थी की गंदी बात
और चूत में उंगली जाते ही सूरज सूरज
वाह बहना तू तो एक नंबर की भाई चोद निकली
अभी तो सिर्फ़ उसके नाम की उंगली गयी है अंदर
जब उसका लॅंड जाएगा तो क्या हाल होगा इसका
यही सोचकर मेरी उंगलियाँ भी तेज़ी से अंदर बाहर होने लगी

और ये सिलसिला करीब 4-5 मिनट तक चला
वैसे तो मुझे झड़ने में करीब 10 मिनट से भी ज़्यादा का टाइम लगता है
पर आज पता नही क्या कशिश थी इस भाई के नाम से मारी जा रही मुठ में
की मैं और दीदी लगभग एक साथ ही 5 मिनट के अंदर-2 झड़ने लगे
और जैसा की वशीकरण किताब में लिखा था
हमे अपने रज को उस वस्त्र पर निकालना था
और हमने वैसा ही किया

हमारी चूत एक दूसरे के इतने करीब थी की हम एक दूसरे की गर्मी को भी महसूस कर पा रहे थे

और अंत समय आते-2 पता नही कब हमारे हाथ अपनी जगह से हट गये और हम एक दूसरे पर अपनी चूतें रगड़ते हुए , ज़ोर-2 से सीसियाते हुए, झड़ने लगे

“सस्स्स्स्स्स्स्सस्स…. अहह…..ओह भाई…….सूरज…… उम्म्म्मममम………खा जाउंगी तुझे तो ……अहह…..”

दीदी भी बड़े ही जालिम तरीके से अपनी चूत को मसलती हुई बुदबुदा उठी

“अहह…….मेरे भाई…….चूस ले……अपनी बहन की चूत को…… अहह……और अंदर तक……चूस इसे……साले……भेंन चोद …..”

https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=31500931&showlnk=0


और परिणामस्वरूप हमारी चुतों से निकला हुआ गरमा गर्म रस उस अंडरवियर पर गिरकर उसे वशीकरण युक्त करने लगा

ऐसी महक थी दोनो की चूत से निकले मिले-जुले रस की
कि कोई बिना मंत्रों के ही मुग्ध हो जाए
अपने होशो हवास खो बैठे

कुछ देर तक अपनी चूतें एक दूसरे से रगड़ते रहने के बाद जब हमारे रज की एक-2 बूँद रिसकर उस अंडरवियर पर गिर गयी तो मैने उसे साइड में किया और खुद कपड़े पहन कर बाहर निकल आई और उस अंडरवेर को उसी तार पर फिर से सूखने डाल दिया

अभी 9 बजे थे, 10 के करीब वो नहाने जाता है
एक घंटे में तो ये गीलापन सूख ही जाएगा
पर वो सूखकर अपना असर तो वही छोड़ जाएगा
जैसे पिताजी का रस बाद में पपड़ी बन गया था
उसे चाटने में भी कितना मज़ा आया था कसम से

उसके बाद हम दोनो बातें करते हुए रात का इंतजार करने लगे
पिताजी की तरह हमारे अंदर 2-3 दिन तक रुक कर उस विद्या को पूरा करने की सहनशक्ति नही थी
हालाँकि पिताजी भी काफ़ी उतावले थे
पर उन्होने सब कार्य किताब के अनुसार ही किया
हम भी वही सब कर रहे थे पर हमारा टारगेट आज की रात ही सब कुछ करने का था

करीब पोने घंटे बाद भाई अपने कमरे से निकला और नहाने चला गया
वापिस आकर उसने अपना कच्छा तार पर डाला और दूसरे को उतार कर चलता बना

अपने कमरे से छुप कर ये सब देख रही मैं और दीदी अपनी खुशी बड़ी मुश्किल से दबा कर रख रहे थे
अब बाकी का काम उसके सोने के बाद करना था
आज की रात बहुत लंबी होने वाली थी.
 
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जिस आशीर्वाद की बात पापा कर रहे थे वो दोनो ने मिलकर एक साथ दे दिया था मुझे…
और उस आशीर्वाद में नहाई हुई मैं एक बार फिर से झड़कर
बिना कोई आवाज़ निकाले
गहरी साँसे लेती हुई उन दोनो मर्दों के सामने नंगी पड़ी थी
मेरे पुर शरीर पर उनके लॅंड से निकली स्याही ने अपनी कहानियाँ लिख दी थी
जो बरसों तक मेरे जहन में एक कभी ना भूलने वाली कहानी बनकर रहने वाली थी

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अब आगे
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अपने लॅंड का सारा पानी निकालने के बाद सुमेर सिंह निढाल सा होकर चंद्रिका के पैरों पर गिर पड़ा
उसके गाल जब चंद्रिका की जाँघो से टकराए तो उसमें से निकल रहा कंपन उसे महसूस होने लगा

जो ये दर्शाता था की इस वक़्त भी अंदर ही अंदर चंद्रिका उस चुदाई से मिले झटकों से उबरने का प्रयास कर रही है जो अभी कुछ देर पहले घेसू बाबा ने दिए थे

सुमेर की नज़रें थोड़ा उपर गयी तो उसकी चूत के फड़कते हुए होंठो के बीच उसे अंदर की गुलाबी नगरी का नज़ारा सॉफ दिखाई दिया

उस छोटे से दरवाजे को बड़ा करने का श्रेय घेसू के मोटे लॅंड को जाता था

जिसने ठोक - ठोककर उस छोटे से दरवाजे को इतना बड़ा तो कर ही दिया था की कोई छोटा चूहा बिना रोक टोक के आसानी से अंदर घुस सके



दूसरे कोने में घेसू अपने चिलम में माल भरकर गहरे कश लेने में मशगूल था
इस करारी चूत को मारकर उसका पूरा शरीर हल्का हो चुका था
लॅंड पर उसकी चूत से मिली खरोंचे उसे आज की रात सोने में तकलीफ़ देने वाली थी
ऐसी कसावट भरी चूत को मारने में जितना मज़ा आता है
उतना ही दर्द भी महसूस होता है बाद में

पर उस मज़े के सामने ये दर्द कुछ भी नही है
अब तो घेसू को इसकी आदत सी हो चुकी थी

सुमेर : “घेसू….अब जल्दी से बता, ये क्या था जो बिना किसी मंत्र के तूने इसके शरीर क बाँध कर रख दिया है…बता अब जल्दी , तेरे कहे अनुसार अब तो तूने अपनी मर्ज़ी भी कर ली है मेरी बेटी के साथ…”

आधे-अधूरे होश में चंद्रिका भी उनकी बातें सुन पा रही थी
उसे शक तो पहले से ही हो चूका था की उसका बाप उसे किसी लालच में ही यहाँ लाया है
अब वो लालच सामने आ चुका था

वो उस वशीकरण की किताब से निकले मंत्रों से भी कुछ ज़्यादा बड़ी विद्या या तरीका सीखना चाहता था
ताकि उन सब आडंबरों से बच सके जो वशीकरण करने में इस्तेमाल होते है
या ये कहलो की उसे शॉर्टकट तरीका सीखना था , वो किताब वाला लम्बा चौड़ा नहीं ।

चंद्रिका बड़ी मुश्किल से अपने आप को होश में रखने की कोशिश कर रही थी
पर एक तो उस नशीले धुंवे का असर और दूसरा चुदाई के बाद आने वाली खुमारी
उन दोनो ने मिलकर उसे नींद के आगोश में पहुँचा दिया
अब ना तो वो उस तरीके को सुन पाई और ना ही उनकी आगे की प्लानिंग समझ पाई

घेसू : “देखा अपनी बेटी को कैसे नशे में है इस वक़्त….अभी तो ये फिर से सो गयी, होश में भी आई तो भी कुछ नही बोल पाएगी, जब तक इसका इलाज मैं नही कर देता…”

क्या है इसका इलाज, मुझे बता जल्दी से, और ये पौधा कौनसा है, धतूरा है या अफ़ीम…क्या है ये…”

घेसू मुस्कुरा दिया
और बोला : “अभी इतनी भी जल्दी क्या है मेरे शेर….अभी तो तेरी दूसरी लौंडिया रहती है , उसे भी मेरा आशीर्वाद मिल जाए तो ये सब तरीके सीखा दूँगा तुझे…”

सुमेर जानता तो था की घेसू हरामी है
पर इतना हरामी है की उसे अपनी दूसरी बेटी चुदवाकर ही वो तरीका पता चल पाएगा, ये नही पता था उसे
खैर, बात तो दोनो की हुई थी
दोनो ही चुदवानी पड़ेगी उस से

पर अभी के लिए चंद्रिका का होश में आना भी ज़रूरी था
पहले तो दोनो ने मिलकर उसे कपड़े पहनाए, और खुद भी पहन लिए
पूरे झोपडे में से चुदाई के नामो निशान मिटा दिए उन्होने

उसके बाद घेसू ने चंद्रिका के होंठो पर पानी की बॉटल लगा दी
वो भले ही नींद के आगोश में थी पर पानी मुँह पर लगते ही गट-गट करके पूरी बॉटल पी गयी

और फिर तो जैसे चमत्कार हुआ
वो एकदम से उठकर बैठ गयी

कुछ देर तक तो उसका सिर चकराता रहा पर फिर अपने आप पर काबू करके उसने आस पास का जायज़ा लिया
उसके कपड़े वापिस आ चुके थे

यानी घेसू बाबा और उसका बाप ये नही चाहते थे की उसे कुछ पता चले
इसलिए वो भी अंजान सी बनकर बोली : “ये….ये…क्या हुआ था पापा….मेरा सिर क्यों घूम रहा है…”

सर के साथ -2 उसकी चूत भी फड़फड़ा रही थी
क्योंकि कुछ देर पहले ही उसकी जोरदार चुदाई जो हुई थी
मोटा लॅंड निकल जाने के बाद उसकी चूत खाली सी होकर रह गयी थी
उसी लॅंड को फिर से लेने के लिए वो फड़फड़ा रही थी

सुमेर : “अरे….वो बेटी तुझे पता नही क्या हुआ एकदम से….शायद बाबा का आशीर्वाद तुझे लग गया और तू एकदम से बेहोश हो गयी…पर चिंता की कोई बात नही है, बाबा ने सब ठीक कर दिया है…”

चंद्रिका ने बाबा को देखा जो उसके मोटे मुम्मे देखकर किसी खलनायक की तरह मुस्कुरा रहा था





मन तो चंद्रिका का भी कर रहा था की अपनी छाती खोलकर उसके मुँह में ठूस दे ये मुम्मे
पर अभी के लिए वहां से जाना ही सही था
समय भी काफ़ी हो चुका था
इसलिए बाबा से इजाज़त लेकर वो दोनो वापिस घर की तरफ चल दिए

रास्ते में चंद्रिका अपने आप को कोस्ती रही की क्यों आखिरी वक़्त पर उसे नींद आ गयी और वो उनकी पूरी बातें नही सुन पाई

करीब आधे घंटे में वो घर पहुँच गये और वो सीधा अपने कमरे में जाकर सो गयी
चंदा अभी तक गहरी नींद में थी
लगता है आज रात जागकर निकालेगी ये

तो दोस्तों, आपने देखा की कैसे घीसू बाबा ने चन्द्रिका की चूत मारी , अब कहानी वापिस चंदा की ज़ुबानी ही सुनते है

चंदा
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मेरा आँखे खोलने का बिल्कुल भी मन नही कर रहा था
ठंडी सी हवा पूरे कमरे में फेली थी
और दीदी भी वापिस आकर मेरे करीब आकर सो चुकी थी
उनके हल्के ख़र्राटों का मतलब था की वो गहरी नींद में है
इस वक़्त तो मैं उनके बूब्स भी दबा दूँ तो उन्हे पता नही चल पाएगा

पर अभी इन बातों के लिए वक़्त नही था
शाम के 5 बज चुके थे
इस से पहले की माँ के प्रवचन फिर से शुरू हो जाए, मैं उठकर फ्रेश होने चली गयी और
और जैसे ही बाहर निकली उसका भाई सूरज घर में दाखिल होता दिखाई दिया
मुझे देखते ही उसके चेहरे पर स्माइल आ गयी
मैं भी उसे देखकर मुस्कुरा दी
सच कहूं तो अभी सोते हुए उसी के बारे में सोच रही थी
जिसमे वो मुझे खेतो के पास बने एक तालाब में नंगा नहाते हुए देखकर अपना लॅंड मसल रहा था
और मैं भी जान बूझकर उसे छुपकर देखते हुए अपना अंग प्रदर्शन कर रही थी





माँ किचन में थी
मुझे देखते ही वो बुदबुदाने लगी

“अब उठी है महारानी…पूरा दिन पता नही कैसे कोई सोया रह सकता है….जैसे-2 बड़ी हो रही है, अक्ल घुटनों में जाती जा रही है….कोई शर्म नही है…”

वो तो बोलती रही और मैं अंदर कमरे में पिताजी से चाय पूछने चली गयी
वो भी सो रहे थे
पर लूँगी में उनका आधा सोया लॅंड किसी मोटे खीरे जैसा प्रतीत हो रहा था
मैने उनसे चाय के लिए पूछा तो वो उठकर बैठ गये और मेरी तबीयत के लिए पूछने लगे

कुछ देर तक इधर उधर की बातें करने के बाद वो मुद्दे पर आए और बोले

“आज तू साथ नही चली, बैंक के बाद मैं चंद्रिका को एक पहुँचे हुए बाबा जी का आशीर्वाद दिलवाने ले गया था, तू भी होती तो अच्छा रहता, अब कल फिर से जाना पड़ेगा उनके पास…”

मैं : “बाबाजी….ये कौनसे बाबाजी है पापा…इनके चक्करों में आप कैसे पड़ गये…”

मैं जानती थी की पापा को ऐसे ढोंगियो से कितनी नफ़रत है, फिर वो उनकी तरफ़दारी कैसे कर रहे है

पापा : “वो बेटा, किसी ने उनके बारे में जब बताया था तो उनकी कृपा से मेरा एक अटका हुआ काम अपने आप पूरा हो गया, तभी से वो जब भी यहाँ आते है तो उनका आशीर्वाद लेने ज़रूर जाता हूँ , आज चंद्रिका को दिलवाया, कल तुझे ले जाऊंगा ”

मैं मन ही मन बोली ‘दिलवाया तो ऐसे बोल रहे है जैसे उनका लॅंड दिलवाया…सच में लॅंड दे तो कोई बात बने…वैसे भी आजकल मेरा मूड थोड़ा दूसरे टाइप का रहता है…’

भले ही मैने मन में ये बात कही थी, पर मुझे क्या पता था की असली में वही लॅंड के लिए पापा मुझे वहां ले जाना चाहते है

खैर, ये तो वक़्त आने पर कल ही पता चलेगा
अभी के लिए तो मैं उन्हे हाँ बोलकर बाहर आ गयी
और उनसे ये भी बोल दिया की कल स्कूल से ही मुझे लेते हुए आए
क्योंकि शाम को मुझे बहुत काम होता है घर का, वरना माँ नाराज़ होगी

दीदी भी जाग चुकी थी
मैने माँ के साथ मिलकर किचन में खाना बनवाया और सबने मिलकर खाया

पिताजी आज जल्दी सोने चले गये
यानी आज वो वशीकरण वाला खेल नही होगा

वशीकरण शब्द दिमाग़ में आते ही मेरे शैतानी दिमाग़ में एक आइडिया आया
और मैं अपना मोबाइल खोलकर उस किताब की खींची हुई फोटो देखकर उसे सही से समझने का प्रयास करने लगी
दीदी ने जब मुझे ऐसा करते देखा तो बोली : “तूने ये किताब की तस्वीर कब ली….ये तो वही है ना जिसे पढ़कर पिताजी रात को हमारे साथ मज़े लिया करते है…”

मैं मुस्कुरा दी
दीदी : “तो अब इसे पढ़कर तूने करना क्या है…किसी को वश में करना है क्या….पिताजी तो पहले से ही इस खेल में शामिल है….”

मैं : “दीदी….आस पास नज़रें फिराकार देखो….कोई और भी शायद दिख जाए आपको घर पर ..”

दीदी कुछ देर तक सोचती रही और अचानक उछल पड़ी

“तू….तू सूरज की बात कर रही है…..बेशरम….अपने ही भाई के बारे में कैसे सोच सकती है तू ऐसा…”

मैं : “दीदी….पिताजी के साथ सैक्स करने के बाद आपको लगता है की हमारे बीच रिश्तो को लेकर कुछ भी शर्म बची है…”

मेरी बात सुनकर वो चुप हो गयी
वैसे भी मुझसे पहले उस ठरकी सूरज की नज़रें हमेशा से ही चंद्रिका दीदी के मोटे मुम्मो को ताड़ती रहती थी
पिताजी वाले वाक़ये से बहुत पहले जब मज़ाक में मैंने दीदी को ये बात कही की सूरज तुम्हारे दूध देखकर मचलता रहता है तो वो मुस्कुरा दी थी
पर आज डाँट रही है
वो भी पिताजी से चुदवाने के बाद
यानी ये गुस्सा नकली है
उत्तम अपडेट मित्र थोड़ा छोटा था पर आपकी लेखनी कमाल है, कई सवालों का जवाब मिलना रह गया है, वैसे पूरा परिवार ही हवस के खेल में किसी न किसी तरह शामिल है सिवाए मां को छोड़कर , उसकी भागीदारी भी देखने लायक होगी।
 

malikarman

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अंदर ही अंदर वो भी गुनगुना उठी थी इस बात से की मैने सूरज की बात छेड़ी थी
अब छेड़ ही दी थी तो मैने सॉफ -2 उन्हे बोल ही दिया

“देखो दीदी….आप मानो या ना मानो, सूरज की नज़रें हमेशा से आपके हुस्न को देखकर चमक उठती है…और पिछले कुछ दिनों से मुझे देखकर भी वही हरकतें करता है वो…मुझे तो उसकी हरकतें पसंद भी आती है…और पिताजी के साथ वो सब करने के बाद तो मेरा मन कर रहा है की उसके साथ भी मज़े ले ही लिए जाए…पर सीधा बोलकर तो हम ये काम कर नही सकते, आख़िर भाई है हमारा, इसलिए पिताजी का तरीका अपनाते है, जैसे वो हमे वशीकरण विद्या के द्वारा वश में करके हमारे साथ मज़े लेते है, वैसे ही हम भी अपने भाई के साथ वो सब मज़े लेंगे…”

दीदी : “पर वो किताब काम भी करती है या नही…क्योंकि जब भी पिताजी ने उन मंत्रों का इस्तेमाल करके हमारे उपर वशीकरण किया है, वो हुआ तो है नही…”

मैं : “वो इसलिए दीदी की ये वशीकरण तभी काम करता है जब पूरी विधि से किया जाए जैसा की इसमें लिखा है और सबसे बड़ी बात इसे सोते हुए व्यक्ति पर ही किया जाता है…और हमारे उपर जब भी हुआ तो हम तो जाग ही रहे थे, इसलिए ये विद्या हमपर असर नही कर पाई…”

मैने किताब के अनुसार दीदी को तर्क दिया..

अब दीदी भी सोच मे पड़ गयी थी….
और उस सोच में उसे दिखाई दे रहा था की उसने वशीकरण से सूरज को वश में कर लिया है
और उसे नंगा करके वो उसका लॅंड चूस रही है…



ये ख़याल आते ही उसके चेहरे का रंग बदलने लगा और आँखो में गुलाबी डोरे तैर गये

मैं दीदी का चेहरा देखकर बोली : “जो आप सोच रही हो, वो सब हो सकता है…बस आज की रात मेरा साथ दो आप…”

जवाब मे दीदी ने धत्त करते हुए मेरे कंधे पर हाथ मारा और आँख मारकर अपनी स्वीकृति दे डाली

मैं मोबाइल लेकर बैठ गयी और उस वशीकरण विद्या को पूरी तरह से समझने की कोशिश करने लगी
ताकि कोई ग़लती ना करू

किताब के अनुसार सबसे पहले तो उन्हे सूरज के किसी वस्त्र या कोई ऐसी चीज़ को चुराना था जो उसके पास हमेशा रहती है
या उसे वो चीज दी भी जा सकती है, जैसे पापा ने हमें प्लास्टिक की गुड़िया दी थी
पापा ने हमे तो 1 दिन के लिए गुड़िया दी थी
हमे कुछ और इंतज़ाम करना होगा

उसका कोई वस्त्र …
यानी उसका अंडरवियर भी चलेगा
सूरज को रात को सोने से पहले नहाने का नियम था
यानी कोई ऐसा अंडरवियर जो वो नहाने के बाद पहनने वाला हो

मैं झट्ट से बाहर गयी और तार पर सूख रहा उसका अंडरवियर अपनी सलवार में छुपा कर ले आई
दीदी भी मेरी इस हरकत को देखकर हंस रही थी
उसके बाद हमे उस चीज़ को अपने रज से स्नान करवाना था
यानी मास्टरबेट करना होगा
ये बात सुनते ही दीदी की आँखे भी चमक उठी

बस फिर क्या था
हमने जल्दी से सेटअप लगाया
दरवाजा बंद किया
बिस्तर के बीचो बीच उस अंडरवियर को बिछाया और हम अपने-2 कपड़े निकाल कर बिस्तर पर आ गये
अब तो हम बहनो को एक दूसरे के सामने कपड़े उतारने मेर भी कोई शर्म नही रह गयी थी
कपड़े उतारते ही ऐसा लगा जैसे कमरे में 100-100 वॉट के दो बल्ब जल उठे हो
पूरा कमरा हमारे नंगे हुस्न से नहाकर चमक उठा



अब शुरू हुआ हमारे बीच का कॉम्पीटिशन
दोनों ने अपनी-2 चूत के अंदर 2 उंगलियाँ ठूसी और उसे अंदर बाहर करते हुए अपनी क्लिट को वो सेंसेशन देने लगे जो एक ऐसा तूफान का निर्माण करने वाली थी

जिसमें नहाकर हमारे भाई का अंडरवियर महक उठना था

जैसे ही मेरी उंगली ने अंदर तक घुसकर गर्म गहराई को छुआ , मैं सिसक उठी

“आआआआआआअहह…….. उम्म्म्ममममममम….”

https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=31500931&showlnk=0


और वही हाल दीदी का भी हुआ
वो भी अपनी रेशमी चूत को कुरेदती हुई सीसीया उठी

“अहह……उम्म्म्मममममममममम ……………सूऊऊऊऊरज्ज्जज्ज्ज्ज”

वाह दीदी
पहले तो बोल रही थी की गंदी बात
और चूत में उंगली जाते ही सूरज सूरज
वाह बहना तू तो एक नंबर की भाई चोद निकली
अभी तो सिर्फ़ उसके नाम की उंगली गयी है अंदर
जब उसका लॅंड जाएगा तो क्या हाल होगा इसका
यही सोचकर मेरी उंगलियाँ भी तेज़ी से अंदर बाहर होने लगी

और ये सिलसिला करीब 4-5 मिनट तक चला
वैसे तो मुझे झड़ने में करीब 10 मिनट से भी ज़्यादा का टाइम लगता है
पर आज पता नही क्या कशिश थी इस भाई के नाम से मारी जा रही मुठ में
की मैं और दीदी लगभग एक साथ ही 5 मिनट के अंदर-2 झड़ने लगे
और जैसा की वशीकरण किताब में लिखा था
हमे अपने रज को उस वस्त्र पर निकालना था
और हमने वैसा ही किया

हमारी चूत एक दूसरे के इतने करीब थी की हम एक दूसरे की गर्मी को भी महसूस कर पा रहे थे

और अंत समय आते-2 पता नही कब हमारे हाथ अपनी जगह से हट गये और हम एक दूसरे पर अपनी चूतें रगड़ते हुए , ज़ोर-2 से सीसियाते हुए, झड़ने लगे

“सस्स्स्स्स्स्स्सस्स…. अहह…..ओह भाई…….सूरज…… उम्म्म्मममम………खा जाउंगी तुझे तो ……अहह…..”

दीदी भी बड़े ही जालिम तरीके से अपनी चूत को मसलती हुई बुदबुदा उठी

“अहह…….मेरे भाई…….चूस ले……अपनी बहन की चूत को…… अहह……और अंदर तक……चूस इसे……साले……भेंन चोद …..”

https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=31500931&showlnk=0


और परिणामस्वरूप हमारी चुतों से निकला हुआ गरमा गर्म रस उस अंडरवियर पर गिरकर उसे वशीकरण युक्त करने लगा

ऐसी महक थी दोनो की चूत से निकले मिले-जुले रस की
कि कोई बिना मंत्रों के ही मुग्ध हो जाए
अपने होशो हवास खो बैठे

कुछ देर तक अपनी चूतें एक दूसरे से रगड़ते रहने के बाद जब हमारे रज की एक-2 बूँद रिसकर उस अंडरवियर पर गिर गयी तो मैने उसे साइड में किया और खुद कपड़े पहन कर बाहर निकल आई और उस अंडरवेर को उसी तार पर फिर से सूखने डाल दिया

अभी 9 बजे थे, 10 के करीब वो नहाने जाता है
एक घंटे में तो ये गीलापन सूख ही जाएगा
पर वो सूखकर अपना असर तो वही छोड़ जाएगा
जैसे पिताजी का रस बाद में पपड़ी बन गया था
उसे चाटने में भी कितना मज़ा आया था कसम से

उसके बाद हम दोनो बातें करते हुए रात का इंतजार करने लगे
पिताजी की तरह हमारे अंदर 2-3 दिन तक रुक कर उस विद्या को पूरा करने की सहनशक्ति नही थी
हालाँकि पिताजी भी काफ़ी उतावले थे
पर उन्होने सब कार्य किताब के अनुसार ही किया
हम भी वही सब कर रहे थे पर हमारा टारगेट आज की रात ही सब कुछ करने का था

करीब पोने घंटे बाद भाई अपने कमरे से निकला और नहाने चला गया
वापिस आकर उसने अपना कच्छा तार पर डाला और दूसरे को उतार कर चलता बना

अपने कमरे से छुप कर ये सब देख रही मैं और दीदी अपनी खुशी बड़ी मुश्किल से दबा कर रख रहे थे
अब बाकी का काम उसके सोने के बाद करना था
आज की रात बहुत लंबी होने वाली थी.
Mazedar update
 
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Motaland2468

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उत्तम अपडेट मित्र थोड़ा छोटा था पर आपकी लेखनी कमाल है, कई सवालों का जवाब मिलना रह गया है, वैसे पूरा परिवार ही हवस के खेल में किसी न किसी तरह शामिल है सिवाए मां को छोड़कर , उसकी भागीदारी भी देखने लायक होगी।
अंदर ही अंदर वो भी गुनगुना उठी थी इस बात से की मैने सूरज की बात छेड़ी थी
अब छेड़ ही दी थी तो मैने सॉफ -2 उन्हे बोल ही दिया

“देखो दीदी….आप मानो या ना मानो, सूरज की नज़रें हमेशा से आपके हुस्न को देखकर चमक उठती है…और पिछले कुछ दिनों से मुझे देखकर भी वही हरकतें करता है वो…मुझे तो उसकी हरकतें पसंद भी आती है…और पिताजी के साथ वो सब करने के बाद तो मेरा मन कर रहा है की उसके साथ भी मज़े ले ही लिए जाए…पर सीधा बोलकर तो हम ये काम कर नही सकते, आख़िर भाई है हमारा, इसलिए पिताजी का तरीका अपनाते है, जैसे वो हमे वशीकरण विद्या के द्वारा वश में करके हमारे साथ मज़े लेते है, वैसे ही हम भी अपने भाई के साथ वो सब मज़े लेंगे…”

दीदी : “पर वो किताब काम भी करती है या नही…क्योंकि जब भी पिताजी ने उन मंत्रों का इस्तेमाल करके हमारे उपर वशीकरण किया है, वो हुआ तो है नही…”

मैं : “वो इसलिए दीदी की ये वशीकरण तभी काम करता है जब पूरी विधि से किया जाए जैसा की इसमें लिखा है और सबसे बड़ी बात इसे सोते हुए व्यक्ति पर ही किया जाता है…और हमारे उपर जब भी हुआ तो हम तो जाग ही रहे थे, इसलिए ये विद्या हमपर असर नही कर पाई…”

मैने किताब के अनुसार दीदी को तर्क दिया..

अब दीदी भी सोच मे पड़ गयी थी….
और उस सोच में उसे दिखाई दे रहा था की उसने वशीकरण से सूरज को वश में कर लिया है
और उसे नंगा करके वो उसका लॅंड चूस रही है…



ये ख़याल आते ही उसके चेहरे का रंग बदलने लगा और आँखो में गुलाबी डोरे तैर गये

मैं दीदी का चेहरा देखकर बोली : “जो आप सोच रही हो, वो सब हो सकता है…बस आज की रात मेरा साथ दो आप…”

जवाब मे दीदी ने धत्त करते हुए मेरे कंधे पर हाथ मारा और आँख मारकर अपनी स्वीकृति दे डाली

मैं मोबाइल लेकर बैठ गयी और उस वशीकरण विद्या को पूरी तरह से समझने की कोशिश करने लगी
ताकि कोई ग़लती ना करू

किताब के अनुसार सबसे पहले तो उन्हे सूरज के किसी वस्त्र या कोई ऐसी चीज़ को चुराना था जो उसके पास हमेशा रहती है
या उसे वो चीज दी भी जा सकती है, जैसे पापा ने हमें प्लास्टिक की गुड़िया दी थी
पापा ने हमे तो 1 दिन के लिए गुड़िया दी थी
हमे कुछ और इंतज़ाम करना होगा

उसका कोई वस्त्र …
यानी उसका अंडरवियर भी चलेगा
सूरज को रात को सोने से पहले नहाने का नियम था
यानी कोई ऐसा अंडरवियर जो वो नहाने के बाद पहनने वाला हो

मैं झट्ट से बाहर गयी और तार पर सूख रहा उसका अंडरवियर अपनी सलवार में छुपा कर ले आई
दीदी भी मेरी इस हरकत को देखकर हंस रही थी
उसके बाद हमे उस चीज़ को अपने रज से स्नान करवाना था
यानी मास्टरबेट करना होगा
ये बात सुनते ही दीदी की आँखे भी चमक उठी

बस फिर क्या था
हमने जल्दी से सेटअप लगाया
दरवाजा बंद किया
बिस्तर के बीचो बीच उस अंडरवियर को बिछाया और हम अपने-2 कपड़े निकाल कर बिस्तर पर आ गये
अब तो हम बहनो को एक दूसरे के सामने कपड़े उतारने मेर भी कोई शर्म नही रह गयी थी
कपड़े उतारते ही ऐसा लगा जैसे कमरे में 100-100 वॉट के दो बल्ब जल उठे हो
पूरा कमरा हमारे नंगे हुस्न से नहाकर चमक उठा



अब शुरू हुआ हमारे बीच का कॉम्पीटिशन
दोनों ने अपनी-2 चूत के अंदर 2 उंगलियाँ ठूसी और उसे अंदर बाहर करते हुए अपनी क्लिट को वो सेंसेशन देने लगे जो एक ऐसा तूफान का निर्माण करने वाली थी

जिसमें नहाकर हमारे भाई का अंडरवियर महक उठना था

जैसे ही मेरी उंगली ने अंदर तक घुसकर गर्म गहराई को छुआ , मैं सिसक उठी

“आआआआआआअहह…….. उम्म्म्ममममममम….”

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और वही हाल दीदी का भी हुआ
वो भी अपनी रेशमी चूत को कुरेदती हुई सीसीया उठी

“अहह……उम्म्म्मममममममममम ……………सूऊऊऊऊरज्ज्जज्ज्ज्ज”

वाह दीदी
पहले तो बोल रही थी की गंदी बात
और चूत में उंगली जाते ही सूरज सूरज
वाह बहना तू तो एक नंबर की भाई चोद निकली
अभी तो सिर्फ़ उसके नाम की उंगली गयी है अंदर
जब उसका लॅंड जाएगा तो क्या हाल होगा इसका
यही सोचकर मेरी उंगलियाँ भी तेज़ी से अंदर बाहर होने लगी

और ये सिलसिला करीब 4-5 मिनट तक चला
वैसे तो मुझे झड़ने में करीब 10 मिनट से भी ज़्यादा का टाइम लगता है
पर आज पता नही क्या कशिश थी इस भाई के नाम से मारी जा रही मुठ में
की मैं और दीदी लगभग एक साथ ही 5 मिनट के अंदर-2 झड़ने लगे
और जैसा की वशीकरण किताब में लिखा था
हमे अपने रज को उस वस्त्र पर निकालना था
और हमने वैसा ही किया

हमारी चूत एक दूसरे के इतने करीब थी की हम एक दूसरे की गर्मी को भी महसूस कर पा रहे थे

और अंत समय आते-2 पता नही कब हमारे हाथ अपनी जगह से हट गये और हम एक दूसरे पर अपनी चूतें रगड़ते हुए , ज़ोर-2 से सीसियाते हुए, झड़ने लगे

“सस्स्स्स्स्स्स्सस्स…. अहह…..ओह भाई…….सूरज…… उम्म्म्मममम………खा जाउंगी तुझे तो ……अहह…..”

दीदी भी बड़े ही जालिम तरीके से अपनी चूत को मसलती हुई बुदबुदा उठी

“अहह…….मेरे भाई…….चूस ले……अपनी बहन की चूत को…… अहह……और अंदर तक……चूस इसे……साले……भेंन चोद …..”

https://www.uploadhouse.com/viewfile.php?id=31500931&showlnk=0


और परिणामस्वरूप हमारी चुतों से निकला हुआ गरमा गर्म रस उस अंडरवियर पर गिरकर उसे वशीकरण युक्त करने लगा

ऐसी महक थी दोनो की चूत से निकले मिले-जुले रस की
कि कोई बिना मंत्रों के ही मुग्ध हो जाए
अपने होशो हवास खो बैठे

कुछ देर तक अपनी चूतें एक दूसरे से रगड़ते रहने के बाद जब हमारे रज की एक-2 बूँद रिसकर उस अंडरवियर पर गिर गयी तो मैने उसे साइड में किया और खुद कपड़े पहन कर बाहर निकल आई और उस अंडरवेर को उसी तार पर फिर से सूखने डाल दिया

अभी 9 बजे थे, 10 के करीब वो नहाने जाता है
एक घंटे में तो ये गीलापन सूख ही जाएगा
पर वो सूखकर अपना असर तो वही छोड़ जाएगा
जैसे पिताजी का रस बाद में पपड़ी बन गया था
उसे चाटने में भी कितना मज़ा आया था कसम से

उसके बाद हम दोनो बातें करते हुए रात का इंतजार करने लगे
पिताजी की तरह हमारे अंदर 2-3 दिन तक रुक कर उस विद्या को पूरा करने की सहनशक्ति नही थी
हालाँकि पिताजी भी काफ़ी उतावले थे
पर उन्होने सब कार्य किताब के अनुसार ही किया
हम भी वही सब कर रहे थे पर हमारा टारगेट आज की रात ही सब कुछ करने का था

करीब पोने घंटे बाद भाई अपने कमरे से निकला और नहाने चला गया
वापिस आकर उसने अपना कच्छा तार पर डाला और दूसरे को उतार कर चलता बना

अपने कमरे से छुप कर ये सब देख रही मैं और दीदी अपनी खुशी बड़ी मुश्किल से दबा कर रख रहे थे
अब बाकी का काम उसके सोने के बाद करना था
आज की रात बहुत लंबी होने वाली थी.
Shaandar update Ashok bhai lagta hai rat kafi lambi hone wali hai
 
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Luckyloda

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Bhut shandaar update bhai.....



अपने ऊपर हावी होने वाला वशीकरण का अब सूरज के साथ खेल किया जा रहा है



देखना है कि वह काम भी करते हैं या वो भी इनके जैसे ही chudayi शुरू कर देगा अपने आप hi
 
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Try and fail. But never give up trying
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Shandar jabardast super hot erotic lovely update 💓 🔥🔥
 

Ek number

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जिस आशीर्वाद की बात पापा कर रहे थे वो दोनो ने मिलकर एक साथ दे दिया था मुझे…
और उस आशीर्वाद में नहाई हुई मैं एक बार फिर से झड़कर
बिना कोई आवाज़ निकाले
गहरी साँसे लेती हुई उन दोनो मर्दों के सामने नंगी पड़ी थी
मेरे पुर शरीर पर उनके लॅंड से निकली स्याही ने अपनी कहानियाँ लिख दी थी
जो बरसों तक मेरे जहन में एक कभी ना भूलने वाली कहानी बनकर रहने वाली थी

**********
अब आगे
**********

अपने लॅंड का सारा पानी निकालने के बाद सुमेर सिंह निढाल सा होकर चंद्रिका के पैरों पर गिर पड़ा
उसके गाल जब चंद्रिका की जाँघो से टकराए तो उसमें से निकल रहा कंपन उसे महसूस होने लगा

जो ये दर्शाता था की इस वक़्त भी अंदर ही अंदर चंद्रिका उस चुदाई से मिले झटकों से उबरने का प्रयास कर रही है जो अभी कुछ देर पहले घेसू बाबा ने दिए थे

सुमेर की नज़रें थोड़ा उपर गयी तो उसकी चूत के फड़कते हुए होंठो के बीच उसे अंदर की गुलाबी नगरी का नज़ारा सॉफ दिखाई दिया

उस छोटे से दरवाजे को बड़ा करने का श्रेय घेसू के मोटे लॅंड को जाता था

जिसने ठोक - ठोककर उस छोटे से दरवाजे को इतना बड़ा तो कर ही दिया था की कोई छोटा चूहा बिना रोक टोक के आसानी से अंदर घुस सके



दूसरे कोने में घेसू अपने चिलम में माल भरकर गहरे कश लेने में मशगूल था
इस करारी चूत को मारकर उसका पूरा शरीर हल्का हो चुका था
लॅंड पर उसकी चूत से मिली खरोंचे उसे आज की रात सोने में तकलीफ़ देने वाली थी
ऐसी कसावट भरी चूत को मारने में जितना मज़ा आता है
उतना ही दर्द भी महसूस होता है बाद में

पर उस मज़े के सामने ये दर्द कुछ भी नही है
अब तो घेसू को इसकी आदत सी हो चुकी थी

सुमेर : “घेसू….अब जल्दी से बता, ये क्या था जो बिना किसी मंत्र के तूने इसके शरीर क बाँध कर रख दिया है…बता अब जल्दी , तेरे कहे अनुसार अब तो तूने अपनी मर्ज़ी भी कर ली है मेरी बेटी के साथ…”

आधे-अधूरे होश में चंद्रिका भी उनकी बातें सुन पा रही थी
उसे शक तो पहले से ही हो चूका था की उसका बाप उसे किसी लालच में ही यहाँ लाया है
अब वो लालच सामने आ चुका था

वो उस वशीकरण की किताब से निकले मंत्रों से भी कुछ ज़्यादा बड़ी विद्या या तरीका सीखना चाहता था
ताकि उन सब आडंबरों से बच सके जो वशीकरण करने में इस्तेमाल होते है
या ये कहलो की उसे शॉर्टकट तरीका सीखना था , वो किताब वाला लम्बा चौड़ा नहीं ।

चंद्रिका बड़ी मुश्किल से अपने आप को होश में रखने की कोशिश कर रही थी
पर एक तो उस नशीले धुंवे का असर और दूसरा चुदाई के बाद आने वाली खुमारी
उन दोनो ने मिलकर उसे नींद के आगोश में पहुँचा दिया
अब ना तो वो उस तरीके को सुन पाई और ना ही उनकी आगे की प्लानिंग समझ पाई

घेसू : “देखा अपनी बेटी को कैसे नशे में है इस वक़्त….अभी तो ये फिर से सो गयी, होश में भी आई तो भी कुछ नही बोल पाएगी, जब तक इसका इलाज मैं नही कर देता…”

क्या है इसका इलाज, मुझे बता जल्दी से, और ये पौधा कौनसा है, धतूरा है या अफ़ीम…क्या है ये…”

घेसू मुस्कुरा दिया
और बोला : “अभी इतनी भी जल्दी क्या है मेरे शेर….अभी तो तेरी दूसरी लौंडिया रहती है , उसे भी मेरा आशीर्वाद मिल जाए तो ये सब तरीके सीखा दूँगा तुझे…”

सुमेर जानता तो था की घेसू हरामी है
पर इतना हरामी है की उसे अपनी दूसरी बेटी चुदवाकर ही वो तरीका पता चल पाएगा, ये नही पता था उसे
खैर, बात तो दोनो की हुई थी
दोनो ही चुदवानी पड़ेगी उस से

पर अभी के लिए चंद्रिका का होश में आना भी ज़रूरी था
पहले तो दोनो ने मिलकर उसे कपड़े पहनाए, और खुद भी पहन लिए
पूरे झोपडे में से चुदाई के नामो निशान मिटा दिए उन्होने

उसके बाद घेसू ने चंद्रिका के होंठो पर पानी की बॉटल लगा दी
वो भले ही नींद के आगोश में थी पर पानी मुँह पर लगते ही गट-गट करके पूरी बॉटल पी गयी

और फिर तो जैसे चमत्कार हुआ
वो एकदम से उठकर बैठ गयी

कुछ देर तक तो उसका सिर चकराता रहा पर फिर अपने आप पर काबू करके उसने आस पास का जायज़ा लिया
उसके कपड़े वापिस आ चुके थे

यानी घेसू बाबा और उसका बाप ये नही चाहते थे की उसे कुछ पता चले
इसलिए वो भी अंजान सी बनकर बोली : “ये….ये…क्या हुआ था पापा….मेरा सिर क्यों घूम रहा है…”

सर के साथ -2 उसकी चूत भी फड़फड़ा रही थी
क्योंकि कुछ देर पहले ही उसकी जोरदार चुदाई जो हुई थी
मोटा लॅंड निकल जाने के बाद उसकी चूत खाली सी होकर रह गयी थी
उसी लॅंड को फिर से लेने के लिए वो फड़फड़ा रही थी

सुमेर : “अरे….वो बेटी तुझे पता नही क्या हुआ एकदम से….शायद बाबा का आशीर्वाद तुझे लग गया और तू एकदम से बेहोश हो गयी…पर चिंता की कोई बात नही है, बाबा ने सब ठीक कर दिया है…”

चंद्रिका ने बाबा को देखा जो उसके मोटे मुम्मे देखकर किसी खलनायक की तरह मुस्कुरा रहा था





मन तो चंद्रिका का भी कर रहा था की अपनी छाती खोलकर उसके मुँह में ठूस दे ये मुम्मे
पर अभी के लिए वहां से जाना ही सही था
समय भी काफ़ी हो चुका था
इसलिए बाबा से इजाज़त लेकर वो दोनो वापिस घर की तरफ चल दिए

रास्ते में चंद्रिका अपने आप को कोस्ती रही की क्यों आखिरी वक़्त पर उसे नींद आ गयी और वो उनकी पूरी बातें नही सुन पाई

करीब आधे घंटे में वो घर पहुँच गये और वो सीधा अपने कमरे में जाकर सो गयी
चंदा अभी तक गहरी नींद में थी
लगता है आज रात जागकर निकालेगी ये

तो दोस्तों, आपने देखा की कैसे घीसू बाबा ने चन्द्रिका की चूत मारी , अब कहानी वापिस चंदा की ज़ुबानी ही सुनते है

चंदा
******

मेरा आँखे खोलने का बिल्कुल भी मन नही कर रहा था
ठंडी सी हवा पूरे कमरे में फेली थी
और दीदी भी वापिस आकर मेरे करीब आकर सो चुकी थी
उनके हल्के ख़र्राटों का मतलब था की वो गहरी नींद में है
इस वक़्त तो मैं उनके बूब्स भी दबा दूँ तो उन्हे पता नही चल पाएगा

पर अभी इन बातों के लिए वक़्त नही था
शाम के 5 बज चुके थे
इस से पहले की माँ के प्रवचन फिर से शुरू हो जाए, मैं उठकर फ्रेश होने चली गयी और
और जैसे ही बाहर निकली उसका भाई सूरज घर में दाखिल होता दिखाई दिया
मुझे देखते ही उसके चेहरे पर स्माइल आ गयी
मैं भी उसे देखकर मुस्कुरा दी
सच कहूं तो अभी सोते हुए उसी के बारे में सोच रही थी
जिसमे वो मुझे खेतो के पास बने एक तालाब में नंगा नहाते हुए देखकर अपना लॅंड मसल रहा था
और मैं भी जान बूझकर उसे छुपकर देखते हुए अपना अंग प्रदर्शन कर रही थी





माँ किचन में थी
मुझे देखते ही वो बुदबुदाने लगी

“अब उठी है महारानी…पूरा दिन पता नही कैसे कोई सोया रह सकता है….जैसे-2 बड़ी हो रही है, अक्ल घुटनों में जाती जा रही है….कोई शर्म नही है…”

वो तो बोलती रही और मैं अंदर कमरे में पिताजी से चाय पूछने चली गयी
वो भी सो रहे थे
पर लूँगी में उनका आधा सोया लॅंड किसी मोटे खीरे जैसा प्रतीत हो रहा था
मैने उनसे चाय के लिए पूछा तो वो उठकर बैठ गये और मेरी तबीयत के लिए पूछने लगे

कुछ देर तक इधर उधर की बातें करने के बाद वो मुद्दे पर आए और बोले

“आज तू साथ नही चली, बैंक के बाद मैं चंद्रिका को एक पहुँचे हुए बाबा जी का आशीर्वाद दिलवाने ले गया था, तू भी होती तो अच्छा रहता, अब कल फिर से जाना पड़ेगा उनके पास…”

मैं : “बाबाजी….ये कौनसे बाबाजी है पापा…इनके चक्करों में आप कैसे पड़ गये…”

मैं जानती थी की पापा को ऐसे ढोंगियो से कितनी नफ़रत है, फिर वो उनकी तरफ़दारी कैसे कर रहे है

पापा : “वो बेटा, किसी ने उनके बारे में जब बताया था तो उनकी कृपा से मेरा एक अटका हुआ काम अपने आप पूरा हो गया, तभी से वो जब भी यहाँ आते है तो उनका आशीर्वाद लेने ज़रूर जाता हूँ , आज चंद्रिका को दिलवाया, कल तुझे ले जाऊंगा ”

मैं मन ही मन बोली ‘दिलवाया तो ऐसे बोल रहे है जैसे उनका लॅंड दिलवाया…सच में लॅंड दे तो कोई बात बने…वैसे भी आजकल मेरा मूड थोड़ा दूसरे टाइप का रहता है…’

भले ही मैने मन में ये बात कही थी, पर मुझे क्या पता था की असली में वही लॅंड के लिए पापा मुझे वहां ले जाना चाहते है

खैर, ये तो वक़्त आने पर कल ही पता चलेगा
अभी के लिए तो मैं उन्हे हाँ बोलकर बाहर आ गयी
और उनसे ये भी बोल दिया की कल स्कूल से ही मुझे लेते हुए आए
क्योंकि शाम को मुझे बहुत काम होता है घर का, वरना माँ नाराज़ होगी

दीदी भी जाग चुकी थी
मैने माँ के साथ मिलकर किचन में खाना बनवाया और सबने मिलकर खाया

पिताजी आज जल्दी सोने चले गये
यानी आज वो वशीकरण वाला खेल नही होगा

वशीकरण शब्द दिमाग़ में आते ही मेरे शैतानी दिमाग़ में एक आइडिया आया
और मैं अपना मोबाइल खोलकर उस किताब की खींची हुई फोटो देखकर उसे सही से समझने का प्रयास करने लगी
दीदी ने जब मुझे ऐसा करते देखा तो बोली : “तूने ये किताब की तस्वीर कब ली….ये तो वही है ना जिसे पढ़कर पिताजी रात को हमारे साथ मज़े लिया करते है…”

मैं मुस्कुरा दी
दीदी : “तो अब इसे पढ़कर तूने करना क्या है…किसी को वश में करना है क्या….पिताजी तो पहले से ही इस खेल में शामिल है….”

मैं : “दीदी….आस पास नज़रें फिराकार देखो….कोई और भी शायद दिख जाए आपको घर पर ..”

दीदी कुछ देर तक सोचती रही और अचानक उछल पड़ी

“तू….तू सूरज की बात कर रही है…..बेशरम….अपने ही भाई के बारे में कैसे सोच सकती है तू ऐसा…”

मैं : “दीदी….पिताजी के साथ सैक्स करने के बाद आपको लगता है की हमारे बीच रिश्तो को लेकर कुछ भी शर्म बची है…”

मेरी बात सुनकर वो चुप हो गयी
वैसे भी मुझसे पहले उस ठरकी सूरज की नज़रें हमेशा से ही चंद्रिका दीदी के मोटे मुम्मो को ताड़ती रहती थी
पिताजी वाले वाक़ये से बहुत पहले जब मज़ाक में मैंने दीदी को ये बात कही की सूरज तुम्हारे दूध देखकर मचलता रहता है तो वो मुस्कुरा दी थी
पर आज डाँट रही है
वो भी पिताजी से चुदवाने के बाद
यानी ये गुस्सा नकली है
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