और चंद्रिका दीदी को भी यही समझा दिया था
पर अभी उनका रोल स्टार्ट नही हुआ था
अभी तो मैं ही नायिका थी
मैने अपने उभारों को भींच कर उपर की तरफ निकाला ताकि मेरे बिना ब्रा के निप्पल पापा देख पाए
और उन्हे भींचते हुए मैं ज़ोर-2 से यही बोले जा रही थी
“ओह पापा……. उम्म्म्ममममममममममम…… हाआआआआअन् ……. ऐसे ही दबाओओ ना……. ओह….. पापा…… मेरे प्यारे पापा….”
पापा का हाथ जहां का तहां रुका रह गया
अब माहौल ही ऐसा बन चुका था की वो पोटली निकालने की ज़रूरत ही नही रह गयी थी
उन्होने तो सोचा भी नही था की उनकी बेटी भी उन्ही की तरह सैक्स की प्यासी है
और उन्हें ही चाहती है
इतना की सपने में भी उनके साथ मजे ले रही है
पर अभी तो फिल्म स्टार्ट ही हुई थी
मेरे हाथ धीरे -2 अपनी खुद की टी शर्ट को उपर करने लगे
और तब तक करते रहे जब तक वो मैंने उतार नहीं दी और मेरे नंगे बूब्स बाहर नही निकल आए
ज़ीरो वॉट की रोशनी में मेरे वो नन्हे अमरूद किसी गोला बम से कम नही लग रहे थे
पापा के मुँह से तो लार टपकती देखी मैने, जो सीधा मेरी जाँघ पर आकर गिरी
मन तो कर रहा था की उस लार को अपने निप्पल पर मसल दूँ
पर अभी तो मैं किरदार में थी
कुछ देर बाद तो पापा अपने आप वो सब कर ही देंगे
इसलिए मैं निश्चिन्त होकर अपनी बूबियाँ मसलती रही उनकी आँखो के सामने
मैं जान बूझकर अपने निप्पल्स को अंगूठे और उंगली के बीच रखकर उसे मसल रही थी
ऐसा करने से वो फूलकर पफी सा हो जाता और और भी लुभावना लगता
अब मेरा एक हाथ धीरे-2 अपनी शॉर्ट्स में खिसक गया
मेरे मुँह से पापा के नाम की सिसकारियाँ लगातार निकल रती थी
ताकि पापा का ध्यान इसी तरफ रहे की मैं नींद में ये सब उन्हे सोचकर ही कर रही हूँ
वो भी बेचारे सोच रहे होंगे की जब मैं भी उनकी तरह रिश्तों की मर्यादा से उपर उठकर सैक्स के लिए तड़प रही हूँ तो उन्होने बेकार में ही वो सब किताब और वशीकरण वाले आडंबर किए
और बेकार में ही अपनी बेटियों को उस ठरकी बाबा से चुदवा दिया
ये बात उन्हे पहले पता चल जाती तो घर की बात घर में ही रह जाती
पर अब जो होना था वो हो ही चुका था
इसलिए अब वो कुछ कर तो सकते नही थे
सिवाए मुझे इस तरह से अपने आप में तड़पते हुए देखने के सिवा
मैने अपनी चूत में उंगली डुबोकर अपने होंठो में लेकर चूस ली…
ये देखकर तो पापा के मुँह से भी एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी
शायद उस शहद को वो चूसना चाहते थे
मेरा अधनंगा शरीर वैसे ही उनके लिए मुसीबत बना हुआ था
और मैने इसमे थोड़ा और मसाला डालने की सोची
मसाला यानी मेरी दीदी की जवानी
मैने उसी नींद की अवस्था में अपना एक हाथ दीदी के मोटे मुममे पर रख दिया और उसे सहलाने लगी
एक हाथ से मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी और दूसरे से दीदी के बूब्स की मालिश
दीदी तो इस खेल में नयी थी
जो दम साधे अपने रोल के स्टार्ट होने का इंतजार कर रही थी
और जैसा मैने उसे समझाया था
वो वैसे ही नींद मे ऊंघति हुई सी कसमसने का नाटक करने लगी
पापा की हालत पहले से ज़्यादा खराब होने लगी
उनसे अब रहा नही गया और उन्होने अपनी धोती के बीच खड़ा अपना छोटा पहलवान पकड़ा और उसे धीरे-2 सहलाने लगे
ठीक वैसे ही जैसे मैं दीदी का मुम्मा सहला रही थी
मेरे हाथ ने दीदी की टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया और धीरे-2 करके उसे भी टॉपलेस कर दिया अपनी तरह
अब पिताजी के सामने उनकी जवान बेटियों के दोनो मुम्मे नंगे पड़े थे और वो भी बिना किसी मंत्र या वशीकरण के
वो शायद अपने आप को कोस रहे होंगे की काश वो जल्दबाज़ी ना करके कुछ देर हमारे रूम में बैठकर ऐसे इंतजार तो करते
शायद कभी ऐसा नज़ारा शायद उन्हे देखने को मिल जाता
अब दीदी भी मस्ती में आ चुकी थी
उनके तो मुम्मो में ही उनकी मस्ती की चाभी छुपी हुई थी
जैसे ही उसे रगड़ा
उनकी जवानी का जिन्न हू हा हा करते हुए सामने प्रकट हो गया
वो पापा की परवाह किए बिना एकदम से आकर मुझसे लिपट गयी और मेरे होंठो से होंठ मिलाकर मुझे चूसने लगी
उम्म्म्मममममममममममममम कितना मीठा एहसास था वो
एक बहन ही ऐसी मिठास का एहसास महसूस कर सकती है
मैने भी उसका साथ दिया और होंठो पर हुए हमले का जवाब काउंटर अटॅक से दिया
मैने भी उसके होंठो को उतनी ही शिद्दत और लगन से चूसा जितना वो चूस रही थी
और सच कहूँ तो इस पल में आकर मैं और शायद दीदी भी पापा के वहां होने के एहसास को भूल चुकी थी
मैने एक झटके में दीदी की शॉर्ट्स को भी निकाल फेंका और उसे अपने उपर खींच लिया
और जवाब में दीदी ने भी उपर आने के बाद अपने पैरों से मेरे पायजामे को खिसका कर नीचे कर दिया और मुहे पूरी नंगी कर दिया
और अब हम दोनो एक दूसरे के उपर लेटी हुई पूरी नंगी होकर अपनी जवानी का प्रदर्शन सामने बैठे पापा के सामने कर रही थी
और ये सब उनके अनुसार हम दोनो नींद में ही कर रही थी
और मेरे कहे अनुसार अब दीदी भी सिसकारियाँ लेती हुई पापा -2 कर रही थी
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…… अहह…… एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स पापा……. ओह माय डार्लिंग पापा……. कितना मज़ा देते हो आप……अहह….. आपका लॅंड कितना प्यारा है पापा…….अहह….”
इतना कहते हुए दीदी ने मेरे हाथ की सारी उंगलियों को लॅंड बनाकर चूसना शुरू कर दिया
ये देखकर पापा को तो हार्ट अटैक आते-2 बचा
उनकी बेटियाँ अपनी जवानी उनपर लुटाने को तैयार बैठी थी और वो नासमझ बाबाओं के चक्कर में पड़ा था
धिक्कार है ऐसे बाप पर जो अपनी जवान बेटी के जिस्म की पुकार ना समझ सके
उसे सहलाकर, चूस्कर अपना प्यार ना लूटा सके…
हम दोनो बहनों के नंगे जिस्म ऐसे थे जैसे दो नागिन आपस में लिपट कर एक दूसरे से प्यार का इजहार कर रही हो
दीदी ने मेरे होंठो के बाद मेरे दोनो बूब्स भी चूसे और धीरे-2 नीचे खिसकने लगी
ऐसा करते हुए वो मेरी चूत तक पहुँच गयी और बिस्तर पर घोड़ी बनकर मेरी चूत का रस पीने लगी
पापा हमारे बीच से उठकर खड़े हो चुके थे
उनकी धोती ज़मीन पर थी और उनका खड़ा हुआ लॅंड उनके हाथ में
सामने थी उनकी बड़ी बेटी जो घोड़ी बनकर मेरी चूत की होदी में अपनी जीभ घुसाकर मेरा रास पी रही थी और मुझे मदहोश कर रही थी
अब सिर्फ़ देर थी तो पापा के खेल में शामिल होने की
और हम दोनो बहने धड़कते दिल से उनके अगले मूव की प्रतीक्षा कर रहे थे…
पता नही जैसा हमने सोचा था वैसा होगा या नही.