Motaland2468
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Behtreen update Ashok bhai par thoda Chhota update tha next update bada dijiyega plzइतना कहते-2 मैने भाई के खुरदुरे हाथ की एक उंगली पकड़ कर अपनी चूत में ठूस ली
भाई बेचारा
अभी तक गहरी नींद में था
खेतो में काम करने का यही तो फ़ायदा है
नींद गहरी और छक्क कर आती है
और आज उसी गहरी नींद का फ़ायदा उठा कर मेरी चूत में उसकी उंगली थी
भले ही वो हिल नहीं रही थी
पर मैं हिल-हिलकर उसे अंदर बाहर कर रही थी
उसकी गहरी नींद मेरे लिए तो फायदेमंद थी पर उसके लिए नहीं
क्योंकि वो जाग रहा होता तो उसे वो मजा मिलता जिसके लिए हर मर्द पूरी उम्र तरसता है
मैने एक हाथ उसके अंडरवीयर पर रख दिया
उसका लॅंड पहले से ही तना हुआ था
मैने भाई के लॅंड को बड़े प्यार से बाहर निकाला और उसे मसलने लगी
भाई की उंगली मेरी चूत में थी और मेरी उंगलियों में उसका लॅंड
आआअहह
मैं तो झड़ते-2 बची उस वक़्त
पर मैं ऐसे झड़ना नही चाहती थी
जिस काम के लिए ये सब हो रहा था उसके लिए मेरा झड़ना वहां ज़रूरी था जहाँ किताब में लिखा था
यानी भाई के पूरे शरीर पर
जैसे पापा ने अपने लॅंड की पिचकारी से मुझे नहलाया था
मैं उठी और फिर से एक बार दीदी के सामने सीना तानकर खड़ी हो गयी
दीदी के चेहरे को देखकर भी लग रहा था की वो झड़ने के बेहद करीब है
मैने भी अपनी उंगलियों की स्पीड तेज कर दी और अपने दाने को घिसते हुए अंदर के जिन्न को निकालने का प्रयास करने लगी
और जब वो जिन्न निकला तो मेरा पूरा शरीर ऐंठ गया
हालाँकि मर्दों की तरह हमारी चूत से उतना पानी नहीं निकला जिस से उसे भिगो दिया जाए
पर जो भी था उसी से काम चलाना था
हालाँकि माल कम था
पर जब निकला तो एक बौछार के रूप में
मेरी चूत से भी और दीदी की चूत से भी
दीदी ने अपनी चूत की बौछार से भाई के चेहरे और सीने को भिगो दिया
और मैने उसके पेट और लॅंड को
भाई का लंड अभी तक अकड़ कर खड़ा था
गर्म पानी की बौछार पड़ते ही वो बिलबिला उठा
उफ्फ्फ्फ़
क्या नज़ारा था
भाई के लॅंड पर मेरी चूत से निकला पानी बूँद-2 बनकर नीचे फिसल रहा था
मन तो कर रहा था की उसके मोटे लॅंड को मुँह में लेकर निगल जाऊं
पर उसपर मेरी छूट का जो पानी लगा था
उसका असर होना भी ज़रूरी था भाई के शरीर पर
तभी तो वो मेरे वश में आएगा
कुछ देर बाद जब हम दोनो बहने झड़ कर एक तरफ लूड़क गयी तो फिर से मैने अपना मोबाइल खोला
अब बारी थी उस जादुई मंत्र की
जिसे बोलकर असल में वशीकरण किया जाता है
मैने मोबाइल में देखकर उस मंत्र को पढ़ना शुरू किया
एं भग भुगे भगनी भागोदरि भगमाले यौनि
भगनिपति सर्वभग संकरी भगरूपे नित्य
क्लै भगस्वरूपे सर्व भगानि मे वशमानय
वरदेरेते सुरेते भग लिन्कने क्लीं न द्रवे क्लेदय
द्रावय अमोघे भग विधे क्षुभ क्षोभय सर्व
सत्वामगेश्वरी एं लकं जं ब्लूं ब्लूं भैं मौ बलूं
हे हे क्लिने सर्वाणि भगानि तस्मै स्वाहा |
मंत्र में जो एक शब्द भगनिपतिनी था उसे मैने बदल कर भगनिपति कर दिया ताकि वो मर्दो पर इस्तेमाल होने वाला मंत्र बन जाए
दीदी बड़े कौतुहूल से मुझे ये सब करते हुए देख रही थी
फिर मैने अपने गले से वो काले धागे वाला ताम्बे का सिक्का निकाला
जो मैने पिताजी की ड्रॉवर से निकाल कर अपने गले में पहन लिया था
अब वक़्त था भाई को उठाकर उसे अपने वश में करने का
मैने उपर वाले का नाम लिया और झंझोड़ कर भाई को उठाने लगी
“भाई…….ओ भाई……सूरज भाई …उठो…..उठो ना…..”
ऐसा करते-2 मैने उनके चेहरे पर हल्की चपत भी लगा दी
अगले ही पल वो हड़बड़ा कर उठ बैठा
और उठते ही जो उसने देखा, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी
उसकी दोनो बहने पूरी नंगी होकर उसके कमरे में उसी के सामने बैठी थी
वो कुछ बोल पाता इस से पहले ही मैने वो सिक्का उसके चेहरे के सामने लहरा दिया और बोली
"इसे देखो…..देखो इसे….देखते रहो ........ "
और मैने जल्दी से गिनती चालू कर दी
1,2,3,4,5,6,7,8,9,10
भाई कुछ देर तक तो मुझे घूरता रहा
फिर उस सिक्के को देखकर उसी में खो सा गया
मेरा और दीदी का दिल धाड़-2 करके बज रहा था
इस वक़्त कोई ग़लती हो जाती तो भाई ने हम दोनो की जान ले लेनी थी
हम दोनो दम साधे अगले पल की प्रतीक्षा करने लगे