Ajju Landwalia
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ऐसे आश्चर्य के भाव लिए हुए मैने पिताजी से पूछा : “पिताजी…..क्या हुआ…..हम अभी तक यही रुके है….कुछ हुआ था क्या अभी….”
मैं जैसे कुछ सोचने समझने की एक्टिंग करने लगी
पिताजी : “अर्रे नही….मैने तो तुझे पानी पिलाया अभी….और मैं फिर मूतने गया था वहां , शायद तेरी आँख लग गयी थी….चल कोई ना, चलते है अब….”
तब तक वो ट्रैक्टर भी हमारी बगल से होता हुआ आगे निकल गया
और हम दोनो अपने खेतो की तरफ चल दिए
पीछे बैठी मैं अपनी एक्टिंग और चालाकी पर मुस्कुरा रही थी
और आगे बैठे पिताजी आने वाली संभावनाओ को सोचकर.....
अब आगे
*********
सूरज भैय्या के पास कुछ देर बैठकर हम दोनो वापिस आ गये
रास्ते में रह रहकर मैं जान बूझकर अपने मुम्मे पिताजी की पीठ से रगड़ देती थी
बेचारे पिताजी का पूरा शरीर झनझना कर रह जाता था
मैं उनकी ये हालत देखकर मज़े ले रही थी
घर पहुँचकर मैं अपने रूम में गयी और अपना मोबाइल निकालकर उस वशीकरण किताब की जो फोटो खीची थी मैने, उन्हे पढ़ने लगी
मैं जान लेना चाहती थी की आख़िर पिताजी की ये वशीकरण की प्रक्रिया का असर मुझपर हुआ क्यों नही
क्या वशीकरण सच में होता भी है या नही
अगर होता है तो मुझपर क्यो नही हुआ
क्योंकि जिस विश्वास और लगन के साथ पिताजी ने इन 3 दीनो तक ये प्रक्रिया की थी
मुझे तो विश्वास हो चला था की वो हम दोनो बहनो को अपने वश में कर लेंगे
और सच कहूँ, अंदर ही अंदर मैं भी यही चाहती थी की वो मुझे वश में कर ले
इसी बहाने ही सही, मुझे शारीरिक सुख का अनुभव तो होगा
क्योंकि मेरा जवानी की दहलीज चढ़ चुका शरीर अब ऐसे सुख की माँग करने लगा था
की कोई हो जो मेरे नर्म होंठो को पी जाए
मेरे कठोर स्तनों को अपने हाथो से पकड़ कर रोज दबाए
और
और
मेरी योनि के अंदर अपनी उंगली डालकर
या फिर
कोई…अपना लिंग डालकर मुझे जन्नत के मज़े दे डाले
उफफफफफ्फ़
सोचते हुए भी कितना रोमांच फील हो रहा है
अभी तो पिताजी ने मुझे उसी वशीकरण मे क़ैद करके उपर-2 से वो सब किया था
उनके हिसाब से तो मैं उनके वश में थी
पर ये बात तो सिर्फ़ मैं ही जानती थी की ऐसा कुछ भी नही है
मैं चाहती तो वहां से भाग सकती थी
उन्हे डाँट कर पूछ सकती थी की वो ऐसी हरकत अपनी बेटी के साथ क्यों कर रहे है
पर मैने ऐसा कुछ नही किया
अपने निजी स्वार्थ की वजह से
और यही कारण था की मैं वश में ना होने के बावजूद अपने पिताजी से वशीकृत हो गयी थी
मैने मोबाइल में किताब के पन्नो की खींची फोटोस को जूम कर करके पढ़ना शुरू किया
उसमे पहले पेज पर ही मेरे सब सवालो का जवाब मिल गया
जिसमे काफ़ी सॉफ शब्दो में लिखा था की जिस किसी को भी वशीकृत करना है, वो अपने होशो हवास में नही होना चाहिए
या तो वो नींद मे हो या फिर उसका दिमाग़ शून्य की भाँति हो
तभी ये वशीकरण का मंत्र और क्रिया काम करेगी
और उन तीनो ही रात मैं जाग रही थी
पहले दिन जब पिताजी ने उन गुड़िया को अपने वीर्य से सींचा था
और बाकी के दोनो दिन जब उन्होने हम दोनो बहनो पर सीधा अपना वीर्य छिड़काव किया था
और किताब के हिसाब से यही कारण था की मुझपर उस वशीकरण का असर नही हुआ था
तो इसका मतलब ये है की अगर ये विद्या काम करती है तो इसका असर चंद्रिका दीदी पर ज़रूर होगा
क्योंकि इन तीनो रातो को वो सो रही थी
मेरी तो आँखे चमक उठी
क्योंकि एक बार तो मैं भी इस जादुई वशीकरण विद्या की असली ताक़त को देखना चाहती थी
और इसका सिर्फ़ एक ही तरीका था की जब पिताजी चंद्रिका दीदी पर इसकी आज़माइश करेंगे
पर वो कब और कैसे होगा ये तो पिताजी ही जाने
पिताजी के चंचल स्वाभाव के बारे में सोचकर ही मैं मुस्कुरा उठी
उनकी इतनी सुंदर बीबी है, बाहर भी शायद उनके संबंध होंगे
मुझे तो उन्होने अपने हिसाब से वश में कर ही लिया है
अब वो जरूर दीदी पर भी हाथ आज़माई करेंगे
सच में मर्दो की बात ही अलग होती है
84 करोड़ योनियो में भटकने के बाद भी इन्हे नयी योनि की तलाश रहती है
हालाँकि पिताजी की योनि की तलाश उन्हे उनकी बेटियो तक ले आई थी पर देखा जाए तो हमपर पहला हक़ तो उनका ही है
मुझे तो खुशी होगी जब पिताजी मेरी जवानी का कमल अपने हाथो से खिलाएँगे
पर अभी के लिए तो मुझे इस विद्या के बारे में पूरी जानकारी लेनी थी
मैने आगे पढ़ा की वशीकरण का असर 30 मिनट तक रहता है
उस से पहले अगर किसी को अपने वशीकरण से आज़ाद करना हो तो उल्टी गिनती करके ये किया जा सकता है
हालाँकि आज के युग में ये अंधविश्वास से भरी बातें प्रतीत हो रही थी
पर मैने गूगल पर इसका साइंटिफिक प्रमाण भी देखा था
विदेशो में कई लोगो ने इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया था
कई लोगो को अपने वश में करके इस बात को सिद्ध किया जा चूका था की वशीकरण या हिप्नोटाइज क्रिया संभव है
तभी तो इस से संबंधित काफ़ी सामग्री और किताबें मार्केट में उपलब्ध है
पर इन्हे बेकार की बातें या विद्या मानकर आजकल के लोग इसे मानने से इनकार कर देते है
वैसे देखा जाए तो मेरे सामने भी अभी तक इसका कोई सफल प्रमाण नही आ पाया था
क्योंकि रूल्स के हिसाब से तो मुझे सोए रहना था तभी ये काम करती
और मैं जाग रही थी तो इसका असर नही हुआ मुझपर
अब देखते है, दीदी पर इसका क्या असर होता है
पर इसके लिए आज रात का इंतजार करना पड़ेगा
क्योंकि मुझे यकीन था की पिताजी अब अगला ट्राइ दीदी पर ही करेंगे
मैं तो इनके चुंगल मे फँस ही चुकी थी
मैने रात के खाने का काम निपटाया क्योंकि माँ की तबीयत ठीक नही थी वो दवाई लेकर सोती रही
दीदी भी रोजाना की तरह थके होने के कारण अपने बिस्तर पर जाकर सो गयी
भाई का तो आपको पता ही है, खेतो में काम करके वो 9 बजे ही सो जाता है
मैं भी सब काम निपटाने के बाद, पिताजी को गर्म दूध देकर, दीदी के पास जाकर लेट गयी
अभी 11 बज रहे थे
पिताजी आएँगे तो 12 के बाद ही
जब सभी गहरी नींद मे होंगे
और तब तक के लिए मुझे जागे रहना ज़रूरी था
और वैसा ही हुआ जैसा मैने सोचा था
ठीक 12.30 पर पिताजी हमारे कमरे में दबे पाँव आए
और सीधा आकर दीदी की तरफ खड़े हो गये
उनके हाथ में वो तांबे का सिक्का था धागे से बँधा हुआ
उन्होने दीदी को हिलाकर जगाने का प्रयास किया
क्योंकि जब वो जागेगी तभी तो उन्हे वश मे करेंगे
पर दीदी की नींद इतनी गहरी थी की पिताजी करीब 5 मिनट तक उसे हिलाते रहे और आवाज़ें देते रहे पर वो जागी नही
अब मेरे सब्र का बाँध भी टूट रहा था
मैं चाहती थी की वो नही जाग रही तो पिताजी मुझपर क्यो नही ट्राइ करते
मैं तो एक मिनट में जाग भी जाउंगी और उनके वश में आ भी जाउंगी
फिर वो भी मजे ले और मुझे भी दे
पर पिताजी वहीं लगे रहे
इसलिए मैने ही पहल करने की सोची
और अगले ही पल मैं आँखे मलती हुई उठ गयी और पिताजी को देखकर बोली : “अर्रे पिताजी, आप यहाँ ….क्या हुआ…”
वो मुझे जागते देखकर एकदम से हड़बड़ा से गये और उन्होने तुरंत अपने हाथ में पकड़े धागे और सिक्के को मेरी आँखो के सामने लहरा कर कहा
"इसे देखो…चंदा …इसे देखो…1,2,3,4,5,6,7,8,9, 10……”
और गिनती पूरी होते ही मेरे चेहरे के भाव एकदम से भावहीन हो गये…
और मैं बुत्त की तरह बैठी रह गयी
पिताजी ने चैन की साँस ली
अब मुझे विश्वास था की वो मेरे पास आएँगे और दिन में जो उन्होने चालू किया था वो सब दोबारा करेंगे या उस से भी ज़्यादा
पर इस बार भी ऐसा कुछ नही हुआ
वो चंद्रिका दीदी को उठाने में लगे रहे
ढीठ कहीं के
जब एक जवान लड़की उनके नीचे पीसने के लिए तैयार बैठी है तो वो दूसरी के पीछे ही क्यों पड़े है
सच में मर्दों की बात वहीँ जाने
मेरा तो ये हाल था की काटो तो खून नही
एक फल जब उनकी झोली में टपक चुका है तो वो दूसरे का रस पीने के लिए क्यो उतावले है
पर शायद वो जाँच लेना चाहते थे की उस विद्या का असर दीदी पर भी हुआ है या नही
इसलिए इस बार उन्होने उसे ज़ोर से हिलाया और कान के पास जाकर ज़ोर से पुकारा भी
इस बार दीदी की नींद खुल गयी
और जैसे ही वो आँखे मलती हुई बैठी
पिताजी ने वो यंत्र उसके सामने लहरा दिया
और बोले : “चंद्रिका , इसे देखो…..1,2,3,4,5,6,7,8,9,10….”
मैं और पिताजी दम साधे उसके प्रभाव की प्रतीक्षा कर रहे थे
पता नही दीदी पर उसका असर होगा या नही…..
Superb update Ashokafun30 Bhai,
Chanda to hosho hawash me thi aur wo apni marzi se vashikaran ke is khel me shamil huyi he...........
Lekin chandrika par ye vashikaran kya asar karta he.........ye to agle update me hi pata chalega........
Keep posting Bhai