Chudai badi mazedarइसलिए उन्होने अपना लॅंड दीदी की चूत से निकाला और मेरी तरफ आ गये
मेरा पूरा शरीर सुन्न पड़ गया
क्योंकि ये मेरी पहली चुदाई थी
और वो भी अपने सगे बाप से
पिताजी ने उसी चाशनी में डूबे लॅंड को मेरी चूत के उपर लगाया और उसे धक्का देकर अंदर धकेला
पर वो इतनी टाइट थी की वहीँ फिसल कर रह गया
वो समझ गये की अभी तक मैं कुँवारी हूँ
पता नही दीदी के बारे में उन्होने क्या सोचा होगा जब उनका लॅंड आसानी से अंदर चला गया
पर मेरी कुँवारी चूत देखकर एक पल के लिए उनके चेहरे पर खुशी ज़रूर आ गयी
आख़िर एक बाप की जिंदगी में ये पल हर रोज नही आता जब वो अपनी कुँवारी लड़की की चूत मारे
उन्होने मेरी दोनो जाँघो को दोनो तरफ फेला दिया
और अपने लॅंड को पकड़ कर मेरी चूत के होंठो के बीच फँसाया
और उसके बीच अपने लॅंड को घिसकर उसे रगड़ने लगे
मुझे तो बाद में एहसास हुआ की वो मेरी चूत का लुब्रीकेशन अपने लॅंड पर मल कर उसे अंदर जाने के लिए तैयार कर रहे थे
और जब वो लॅंड पूरा मेरे काम रस से भीग कर रसीला हो गया तो उन्होने चूत के होंठो को फेलाया और जितना अंदर हो सकता था अपने लॅंड के सिरे को पहुँचा दिया ताकि उनके लॅंड का टोपा होंठो के बीच फँस कर फिसले ना
और जब उसके बाद उन्होने धक्का मारा तो मेरी चूत के छेड़ का वो छोटा सा दरवाजा उनकी मोटी तोप के सामने ध्वस्त होता चला गया और पिताजी अपनी तोप लेकर दनादन मेरी चूत का टोल नाका तोड़ते हुए अंदर घुसते चले गये
“आआआआआआआआययययययययययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईई……….. उहह……… मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईई”
दीदी ने दूसरी तरफ से आकर मेरे चेहरे को पकड़ा और मुझे ढाढ़स बँधाया
वो शायद जानती थी की पहली चुदाई का दर्द कैसा होता है
मेरे अंदर तो जैसे पिताजी ने अपनी गर्म तलवार उतार दी थी
बहुत दर्द हो रहा था चूत के उपर
शायद खून भी निकल रहा था अंदर से
पर पिताजी अपनी ही मस्ती में धीरे-2 झटके मारकर इंच दर इंच अपना लॅंड अंदर धकेल रहे थे
मेरी चीखे निकलती चली जा रही थी
पर पिताजी तो जैसे जानवर बन चुके थे इस वक़्त
उन्हे मेरी चीखों से भी कोई फ़र्क नही पड़ रहा था
उनकी स्पीड अब तेज हो गयी
और उसके बाद तो मेरी चूत में कब दर्द गायब हो गया मुझे पता ही नही चला
अब चुदाई का असली मज़ा आने लगा था
जो जैसा पढ़ा - सुना था मैने उस से कहीं ज़्यादा मजेदार था
हाय
इतने सालो तक मैं इस सुख से वंचित रही
काश ये वशीकरण वाला आइडिया पिताजी को पहले आ गया होता
ऐसे ही जवानी के 2-3 साल बर्बाद कर दिए
पर अब नही करूँगी बर्बाद
पहली बार का डर था जो अब जा चुका था
अब ऐसा नही होने दूँगी अपनी प्यारी पुस्सी के साथ
जितना हो सके उतना मज़ा दूँगी इसे
दीदी साइड में लेटी हुई अपनी चूत मसल रही थी
अब मैं भी पिताजी से चिपक -2 कर उनके लॅंड को और ज़्यादा अंदर ले रही थी
उचक कर उनके होंठो को चूस भी रही थी
उनके सिर को अपनी नन्ही बूबीयों के उपर घिस भी रही थी
और जैसे ही उनके होंठो ने मेरे पिंक निप्पल्स को चूसते हुए 2-4 तेज झटके मारे , मेरे अंदर का ज्वार भाटा बाहर निकलता चला गया
मैं झटके मार-मारकर झड़ने लगी
ऐसा लग रहा था की बरसों से जिस बाँध को अंदर रखा हुआ था वो आज पूरी तरहा टूटकर बाहर आने को तैयार था
झड़ते हुए मेरे मुँह से अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी
“उगगगगगगगगघह ….. उम्म्म्मममममममममममममममम……. अहह …सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स….. पीईईईईईईईईताजी…….”
और अंत में ना चाहते हुए भी मेरे मुँह से पिताजी निकल ही गया
पर गनीमत रही की पिताजी ने नही सुना वरना उन्हे पता चल जाता की मैं होश में हूँ.
कुछ देर मेरे अंदर घिसाई करने के बाद पिताजी फिर से एक बार दीदी की तरफ चल दिए
मेरी चूत से निकले लॅंड पर लाल रंग लगा हुआ था जो मेरी सील टूटने का प्रमाण था
मैने कपड़े से अपनी चूत से निकल रहा खून सॉफ किया और फिर ढेर सारा थूक लगा कर उसे अपनी उंगलियों से रगड़ने लगी
अब पिताजी ने दीदी को घोड़ी बना कर अपना मोटा लॅंड पीछे से अंदर डाल दिया
दीदी भी हिनहीना कर उनके लॅंड को लेकर दौड़ती चली गयी
पिताजी के लॅंड की स्पीड और उनकी गांड हिलाने की स्पीड एक से बढ़कर एक थी
और जल्द ही वो पल आ गया जब पिताजी के लॅंड से पानी निकलने को हो गया
उन्होने जल्दी से लॅंड को बाहर खींचा और हम दोनो को सामने बैठने को कहा
और जैसे ही दोनो सामने बैठी उनके लॅंड से निकले सफेद रस ने हम दोनो के चेहरों को रंगना शुरू कर दिया
उफ़फ्फ़
कितना गर्म था वो रस
एकदम दूध से उतरी मलाई जैसा
गाड़ा और रसीला
मीठा और स्वादिष्ट
हम दोनो ने जी भरकर वो रस पिया
और फिर एक दूसरे को चेहरे को भी चाट -चाटकर सॉफ किया
हम दोनो ये सब करने में लगे थे और पिताजी ने जल्दी-2 अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए
अभी तो आधा घंटा ही हुआ था
काश हम बोल पाते की पिताजी आज की रात यही रह जाओ ना
उन्होने जाने से पहले अपना आख़िरी हुक्म दिया की दोनो जल्दी से कपड़े पहनो और सो जाओ
हम दोनो कपड़े पहनने की एक्टिंग करने लगे और वो बाहर निकल गये
उनके जाते ही हम दोनो खुशी से चिल्लाते हुए एक दूसरे के गले लग गये नंगे ही
और अगले ही पल मैं और दीदी एक गहरी स्मूच में डूब गये और अपनी चूत एक दूसरे से रगड़ते हुए दोनों एक बार फिर से एक और ओर्गास्म की और दौड़ते चले गए
आज की रात यादगार रहने वाली थी
इसलिए उस रात हम दोनो ने कपड़े नही पहने
ऐसे ही नंगे लेटकर एक दूसरे के शरीर से खेलते रहे
और आने वाले दिनों में क्या-2 होगा उसके बारे में बात करते रहे.
Haay chanda ki nayi naveli chut...पिताजी ने मेरे कूल्हे पकड़कर ज़ोर-2 से मुझे पीछे से चोदना शुरू कर दिया
बीच-2 में वो अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्स भी दबा रहे थे
एक बार तो उन्होने मेरे मुँह में अपनी मोटी उंगली भी डाली
मन तो कर रहा था की उन्हे काट लूँ
पर फिर सिर्फ़ चूस्कर ही छोड़ दिया
आख़िर पापा थे मेरे
इतना प्यार वो मुझे दे रहे है पीछे से
मैं भी तो उन्हे ये छोटे - 2 मज़े दे सकती हूँ ना
कुछ देर बाद उन्होने अपना लॅंड बाहर निकाल लिया और मुझे अपने सामने घुटनो के बल बैठने को कहा
फिर उन्होने मेरी चूत रस से भीगा लॅंड मेरे चेहरे के सामने किया और हुक्म दिया
“चूसो इसे चंदा…..आराम से चूसना….धीरे -2 , जीभ से चाटना, होंठो से रगड़ना….लॅंड भी और मेरी बॉल्स भी….”
वो सब इतना डीटेल में बता रहे थे जैसे कोई परीक्षा चल रही हो मेरी
वैसे परीक्षा ही थी ये एक तरह से
क्योंकि इसमें अव्वल आउंगी तभी तो आने वाली जिंदगी में हर मर्द को ढंग से मज़े दे पाऊँगी
बस
फिर क्या था
पिताजी के हर शब्द का सम्मान करते हुए मैने उनके लॅंड को बड़े ही प्यार से अपने हाथो में पकड़ा और उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया
ठीक वैसे ही जैसा पिताजी ने समझाया था
जैसा मुझे आदेश दिया था
उनके लॅंड को मुँह मे डालते ही सबसे पहले तो मुझे खुद की ही महक आई,
और वो मुझे पसंद भी थी
इसलिए मैने उनके लॅंड पर लगी अपनी चूत की मलाई सडप -2 करके पूरी सॉफ कर दी
कुछ ही देर मे उनका लॅंड कोयले की ख़ान से निकले हीरे की तरह चमक उठा
फिर मेरे जादुई होंठो ने उनके लॅंड के 1-1 इंच को अपनी नर्मी का एहसास दिलाया
वो बेचारे अपने पंजो पर खड़े होकर सी-सी करते रह गये और मैं उनके लॅंड को पूरा घपप करके अपने मुँह में निगल गयी
ऐसा करीब 10-15 बार किया मैने
फिर उन्होने खुद ही मुझे लॅंड चूसने से रोका
शायद उनका निकलने वाला था
पर वो अभी झड़ना नही चाहते थे
फिर उन्होने मेरे मुँह में अपनी बॉल्स ठूस दी
उन्हे भी मैने बड़े चाव से चूसा
बिल्कुल रसीले गुलाबजामुन की तरह
उनकी बॉल्स की नशीली गंध मेरी चूत की महक को पूरी टक्कर दे रही थी
उन्हे मेरी चूत का रस पसंद था और मुझे उनके लॅंड की गंध
फिर वो बड़े आराम से उसी चारपाई पर पीठ के बल लेट गये और मुझे अपने उपर खींच लिया
और उपर आते ही सबसे पहले उन्होने मेरे रसीले होंठो को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगे
सुबह का टाइम और अपनी जवान बेटी का नंगा शरीर और उसके रसीले होंठ
वाह पिताजी
किस्मत हो तो आप जैसी
पर किस्मत तो मेरी भी काफ़ी अच्छी थी
जो मज़ा उन्हे अपनी जवान बेटी के नंगे शरीर से मिल रहा था वही मज़ा मुझे अपने सुपरमैन पापा से
फिर उन्होने मेरे दोनो बूब्स को बड़े ही आराम से एक-2 करके चूसा
और नीचे हाथ करके अपना कड़क लॅंड एक बार फिर से मेरी रस टपकाती और प्यासी चूत के अंदर धकेल दिया
मेरे होंठो से एक बार फिर से एक नशीली सी आहहह निकल गयी
जो सीधा मैने उनके कानो के उपर छोड़ी
मैने अपने हाथों का घेरा उनकी गर्दन पर जमा कर अपने रसीले होंठ पिताजी के कानो पर जमा दिए और फिर उनके हर झटके से निकलने वाली सिसकारी वो सीधा अपने कानो के अंदर सुन पा रहे थे
मेरा पूरा शरीर उनके उपर चिपक कर पड़ा था
और नीचे उनके हाथ मेरे गद्देदार कुल्हो को थामे, नीचे से झटके मार रहे थे
सब कुछ बड़े स्मूद तरीके से हो रहा था
ऐसा लग ही नही रहा था की कोई उम्रदराज बंदा मेरी चूत मार रहा है
हर झटके में ऐसा मज़ा दे रहे थे वो की उनका कड़क लॅंड मेरी अंदर की दीवारों को वो सेंसेशन दे रहा था की पूछो ही मत
और आख़िर वो वक़्त भी आ गया जब मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी
और कसम से कह रही हूँ
उस वक़्त मेरा इतना मन कर रहा था की उनके कान में कह दूँ
ओह्ह्ह्ह पिताजी…….आअहह पिताजी
पर फिर से एक बार मैं शर्म के मारे कह नही पाई
पर जब झड़ी तो सीसियाते हुए मैने उनके कान को पूरा पकड़ कर अपने मुँह मे डाल कर निचोड़ कर चूस लिया
“उम्म्म्मममममममममममममममम…….सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…….. अहह……..”
मैं उनके कान में पिघल कर उनके ऊपर गिर गयी
मेरा पूरा शरीर शिथिल पड़ गया
पिताजी भी मेरे नाज़ुक से , झडे हुए शरीर को अपनी ताकतवर बाजुओं में भरकर जोर-2 से मुझे चोदने में लगे रहे
कुछ देर तक तो मुझे होश ही नही रहा था
पर फिर जब नीचे से मिल रहे झटकों ने मुझे झंझोड़ कर उठाया तो मुझे फिर से वही एहसास होने लगा जो कुछ देर पहले था
हालाँकि अगली बार झड़ने मे मुझे देर लगने वाली थी
पर पता नही पिताजी उतनी देर तक मुझे झेल पाएँगे या नही
क्योंकि एक बार झड़ने के बाद मेरी चूत का छल्ला उनके लॅंड पर पहले से ज़्यादा कसावट लेकर आ चूका था
और उसी छल्ले की वजह से अगले 2 मिनट में ही पिताजी भी झड़ने के करीब पहुँच गये
और जब वो झड़ने लगे तो उन्होने बड़े ही वहशियाना तरीके से मेरे नाज़ुक से बदन को पकड़कर मुझे बुरी तरह से रगड़ना शुरू कर दिया
और जब उनके लॅंड से पानी निकलने की बारी आई तो उन्होने एकदम से अपना मोटा लॅंड मेरी चूत से बाहर निकाला और सारा माल मेरे लाल हो चुके गोरे चूतड़ों पर निकाल दिया
और कुत्ते की तरह हाँफते हुए वो मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने लगे
“आहह…… .चंदा…….मेरी ज़ाआआआं……मेरी बेटी…….अहह…..क्या कसावट है तेरी चूत में …..अहह…..मज़ा आ गया आआ….”
अपने पिताजी को मैं मज़ा दे पाई, इस से अच्छी बात और क्या हो सकती है भला
ये तो हर जवान लड़की का फ़र्ज़ होता है
अपने पिता को मज़ा देना
मैने अपना फ़र्ज़ पूरा कर दिया था
और सच में आज मैं बहुत खुश थी
चुदाई की ये नयी दुनिया मुझे बहुत पसंद आ रही थी
आने वाले दिनों में मैं इस मज़े को बरकरार रखना चाहती थी
और इन बातों से अनजान की पिताजी ने मेरे और दीदी के लिए अपने दोस्त घेसू बाबा से क्या सौदा कर रखा है
मैं अपने सपने बुनने में लगी थी की कैसे और कब और ज्यादा मजे मिल सकते हैं
वो तो आने वाला वक़्त ही बताएगा
bhai hafta poora ho gaya hain loadng soon ko ??next update loading soon