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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Rajesh

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👉इक्यावनवां अपडेट
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रंगा को जैल में आए तीन बीत चुके हैं l रंगा के साथ साथ सीलु और टीलु भी जैल में आ चुके हैं l विश्व के कहे अनुसार विश्व के चारों जासूस रंगा और उसके चार साथियों के साथ मिल गए हैं और चौबीसों घंटे उनकी चापलूसी में लगे चुके हुए हैं l इधर तापस के कैबिन में तापस के साथ साथ सतपती और दास मिलकर लैपटॉप पर पिछले तीन दिनों के सीसीटीवी के फुटेज देख रहे हैं l हर फुटेज में कहीं रंगा विश्व को उकसा रहा है, कहीं पर धक्का लगा रहा है और कहीं टंगड़ी लगा कर छेड़ रहा है l पर कहीं पर भी विश्व प्रतिक्रिया नहीं कर रहा है l

तापस - चलो एक बात तो है... विश्व कोशिश कर रहा है... रंगा को अवॉइड करने की... बस रंगा ही जबरदस्ती गले पड़ रहा है...
सतपती - आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं सर... हमे रंगा को वार्न करना चाहिए....
तापस - हाँ मैंने उसे बुलाया है... आने दो उसे...

तभी रंगा बाहर से अंदर आने के लिए पूछता है l तीनों दरवाजे के तरफ देखते हैं l

तापस - हाँ... आओ.. रंगनाथ उर्फ़ रंगा... तुम जब आये थे... मैंने तुमको समझाया था... कुछ ऐसा मत करना... अपने रिमांड पिरीयड में... के मैं तुम पर कोई एक्स्ट्रा चार्ज लगाऊँ... पर निकले तुम कुत्ते के दुम... बाज नहीं आए आखिर तुम...
रंगा - क्या सर... आप जानते हैं... मैं यहाँ आया क्यूँ हूँ...
सतपती - अच्छा... तो देर किस बात पर हो रही है... कोई अच्छी सी महुरत की प्रतीक्षा कर रहे हो क्या....

सतपती के इस तरह से कहने पर तापस हैरान व गुस्सा होता है और सतपती को घूरने लगता है l

रंगा - नहीं सर... वह क्या है कि... और दस दिन रहना है... मुझे... इसलिए मजे के लिए उसको अभी हड़का रहा हूँ...
सतपती - मतलब तुमने... विश्व से बदला लेने की ठान ली है..
रंगा - यह तो हो कर ही रहेगा... चाहे आप कितना भी चार्जर्स लगाओ...
सतपती - तब तो तुम्हें... और दस दिनों के लिए... काली कोठरी में बंद करना पड़ेगा...
रंगा - अगर आप ऐसा कुछ करने की कोशिश की.... तब... मैं खुद को बुरी तरह से ज़ख्मी कर लूँगा... और आप सब जैल स्टाफ पर... मानवाधिकार आयोग के सामने टॉर्चर का इल्ज़ाम लगा दूँगा...
तापस - व्हाट... यह क्या बकवास है....
रंगा - सर... इसलिए.... मेरे को ज्यादा ज्ञान मत चेपो... मैं जिस काम के लिए आया हूँ... वह तो मैं करूंगा ही... आप चाहे कुछ भी कर लो....
तापस - (अपनी जबड़े भींच कर) तुम मुझे धमका रहे हो....
रंगा - आप चाहे कुछ भी समझ लो...
तापस - तुम अपनी हेकड़ी हांकने के चक्कर में... बड़ी गलती कर गए हो.... पहली बात... तुमने इन तीन दिनों में... अपने ही खिलाफ सबूत बनाए हैं... यह देखो... (तापस लैपटॉप में वह सारे फुटेज दिखाता है, फुटेज देख कर रंगा की आंखे हैरानी से चौड़ी हो जाती है) और यहाँ आकर तुमने अपना इकबालिया जुर्म की बयान भी दे दिया है.... यह देखो.... (तापस अपने पीछे की दीवार पर लगे एक छोटी सी कैमरा दिखाता है) और इन सबके आधार पर मैं तुम्हें काल कोठरी में डाल सकता हूँ...

रंगा खुद को ठगासा महसूस करता है l वह अपना सर हिलाते हुए बिना कुछ कहे वहाँ से चल देता है l रंगा के जाते ही सतपती के तरफ देख कर

तापस - गुड़ वर्क सतपती... अच्छा ट्रैप किया...
सतपती - थैंक्स सर... पर आपने मुझे जिस तरह से देखा... पल भर के लिए तो मैं डर गया था...
तापस - हा हा... सॉरी... यह रंगा के सामने जरूरी था... पर पुरे इस प्रकरण में... एक आदमी खामोश खड़ा है... क्यूँ... दास क्या हुआ...
दास - सर पता नहीं क्यूँ पर अभी भी...
तापस - हाँ अभी भी...
दास - अभी भी... ऐसा लग रहा है... की हम बेवजह वीर को रंगा से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं... मुझे लगता है... हमे रंगा को वीर से दूर रखने की ज़रूरत है....
तापस - क्या... यह तुम किस आधार पर कह रहे हो....
दास - जी सर... एक मिनट... (कह कर लैपटॉप में फाइल से वह कैन्टीन वाली वीडियो चलाता है, जिसमें विश्व एक घुसे से दीवार पर लगे ग्रेनाइट को तोड़ रहा है) मैं इस वीडियो की बात कर रहा था...
सतपती - क्यूँ इसमे ऐसा क्या खास है... हो सकता है वह ग्रेनाइट कमजोर रहा हो...
दास - पर वह घुसा कमजोर नहीं था.... (तापस की ओर देख कर) सर... विश्व ने एक ज़ोरदार घुसा डैनी को भी मारा था... नतीजतन विश्व की हाथ में सूजन आ गई थी... डॉक्टर ने उसके हाथ में क्रैप्ट बैंडेज बांधा था... पर इस बार विश्व की हाथ सही सलामत है.... और गौर से देखिए सर... रंगा विश्व को वहीँ छेड़ पाया है... जहां जहां कैमरा है... मतलब विश्व रंगा के खिलाफ सबूत बना रहा है.... मुझे ऐसा लगता है... जैसे विश्व हमे दिखा कुछ रहा है... हम देख कुछ रहे हैं... रंगा सोच कुछ रहा है... पर होने वाला कुछ और है....
तापस - कभी इतनी कडवा सच बोलते हो... की चाह कर भी मन स्वीकार कर नहीं पाता है... खैर फ़िलहाल रंगा को वार्न किया है... देखो क्या होता है....


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इधर रंगा अपने चार साथी और चार नए चमचों के बीच बैठा गहरी सोच में डुबा हुआ है l

सीलु - (ख़ामोशी को तोड़ते हुए) बॉस... क्या बात है... आप... टेंशन में लग रहे हो...
रंगा - मैं इस जैल में कई बार आया हूँ... हर चप्पे चप्पे से वाकिफ़ हूँ... फ़िर भी जोश जोश में... मुझे याद नहीं रहा... कहाँ कहाँ पर सीसीटीवी के कैमरे लगे हुए हैं...
एक आदमी - तो... क्या हुआ बॉस... तुमको कौनसा अच्छे चाल चलन के लिए... बाहर जल्दी निकालना है...
जीलू - बिल्कुल बॉस... तुम्हें इस बात को लेकर इतना सिरीयस नहीं होना चाहिए....
दुसरा आदमी - हाँ बॉस... यह छूटकु... एक दम सही बोल रहा है... तुम इतना टेंशन में क्यूँ हो.... वह भी एक चिरकुट के लिए...
रंगा - तुम लोगों को... समझ में नहीं आ नहीं रहा है बे.... मैं यहाँ आने के बाद से विश्व को ढूंढ रहा हूँ... और वह मेरे हाथ आया भी... पर जब जब वह कैमरा के सामने आया... तब तब मेरे हाथ वह लगा... और हाथ में से ऐसे फिसला... जैसे पानी में मछली... अब मुझे लगने लगा है... मैं उसे नहीं बल्कि वह मुझे घेर रहा है....
मीलु - बॉस... इससे क्या होगा... मारना तो आपको है ना उसे...
तीसरा आदमी - हाँ बॉस... मारना तो आपको है उसे...
रंगा - तुम समझ नहीं रहे हो... मैंने उसके पास दिखा तो मुझे काल कोठरी वाले सेल में डाल देंगे... फ़िर मेरा बदला अधूरा रह जाएगा...
सीलु - तो इस परेशानी में... समाधान एक ही है...
रंगा - क्या....
सीलु - (गाते हुए) शनिवारा...ती हमें नींद नहीं आती....
चौथा आदमी - (सीलु के सर के पीछे टफली मारते हुए) अबे सही सही बोल... गाना क्यूँ बजा रहा है...
सीलु - (अपना सर को मलते हुए) बॉस मैं... शनिवार रात वाली समाधान की बात कर रहा था...
पहला आदमी - यह... शनिवार समाधान वाली रात क्या है बॉस....
रंगा - अररे.. हाँ... यह सीलु ने... ठीक कहा है... यह एक रिवाज है... जिसे डैनी के साथ मिलकर हम सब लोगों ने ही... इस जैल में शुरू किया था...
दुसरा आदमी - रिवाज.... कैसा रिवाज...
रंगा - गुस्सा उतारने के लिए... दो कैदी अपनी मर्जी से... एक दुसरे से लड़ते हैं... आपसी मंजुरी से... इसमें जैल वालों की कोई दखल नहीं होता.... पर सवाल यह है... उस लड़ाई के लिए... विश्व को तैयार कैसे किया जाए....
टीलु - बहुत ही आसान है बॉस...
रंगा - कैसे...
टीलु - बॉस... विश्व को आप सबके सामने.... डैनी की तरह की तरह छेड़ना.... आख़िर विश्व ने डैनी पर भी हाथ छोड़ा ही था....
रंगा - हाँ यह मैं यहाँ सुना है... और विश्व ने.... इस बात के लिए... डेढ़ साल तक डैनी की गुलामी करी है...
तीसरा आदमी - सुना तो यह भी है... विश्व ने एक घुसे से... दीवार से चिपके ग्रेनाइट को तोड़ा है...
सीलु - अरे भाई... अगर उस वक़्त विश्व को मैंने ही उकसाया था... हाँ यह बात और है... फटी मेरी बहुत थी... पर सच तो यह है कि... वह ग्रेनाइट दीवार से खराब सीमेंट से चिपका हुआ था... इसलिए टूट गया.... ग्रेनाइट अगर एक फुट की ऊँचाई से भी गिर जाता है... तब भी टूटता ही है... अरे मैं तो बोलता हूँ... रंगा भाई होते तो पुरा का पुरा दीवार ही ढह गया होता...
रंगा - हा हा हा हा.... शाबाश मेरे चमचे शाबाश... (खड़े हो कर) अब शुक्रवार लंच के टाइम को ही.... मैं खुद उसको उकसाउंगा.. हा हा हा हा...

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तापस घर पहुंच कर देखता है प्रतिभा और प्रत्युष दोनों सोफ़े पर मुहँ लटकाए बैठे हुए हैं l तापस दोनों के चेहरे को गौर से देखता है और

तापस - क्या हुआ प्रत्युष....
प्रत्युष - प्लान फैल हो गया...
तापस - मतलब...
प्रत्युष - मैंने जो दवाई के सैंपल भेजे थे... उनमें कोई बैनड ड्रग्स नहीं मिले....
तापस - क्या... (तापस धप कर बैठ जाता है) इसका मतलब...
प्रतिभा - या तो... दवाओं के मामले में प्रत्युष को गलत फहमी है या फिर.... यश वर्धन को मालुम हो गया है....
प्रत्युष - दवाओं के मामले में मुझे कोई गलत फहमी नहीं है डैड... पर लगता है... हम लोग यश वर्धन के सर्विलांस में हैं...

कुछ देर के लिए किसीके मुहँ से कोई शब्द नहीं निकालता है l तापस और प्रतिभा के चेहरे पर टेंशन साफ़ दिख रहा है पर प्रत्युष का चेहरा कठोर दिख रहा है l

तापस - उन अंकल के नाम पर... तुमने फॉर्म भरा था ना...
प्रत्युष - हाँ... सैंपल का रिपोर्ट भी उन अंकल के पते पर ही आया था...
तापस - (झिझकते हुए) क्या... सैंपल... उन अंकल ने....
प्रत्युष - नहीं डैड नहीं... वह एक्स सर्विस मेन हैं... और वह अपने हेल्थ के लिए... बहुत कंसियस हैं.... उनको भी दवाओं की रिपोर्ट पर खेद है.... इसलिए कुछ पुराने दवाएँ थे उनके पास... वह मैं लेकर आया हूँ... पर हम इसे पोस्टल पर भेजने के वजाए खुद जा कर हाथों हाथ रिपोर्ट लाएं तो बेहतर होगा....
तापस - ह्म्म्म्म... अगर हम उसके सर्विलांस में हैं... तो हम जरा सा भी हिले... उसे पता चल जाएगा...
प्रत्युष - डैड अगर नहीं... हम वाकई उसके सर्विलांस में हैं....
प्रतिभा - अगर हम उसके सर्विलांस में हैं... तो अभी तक वह रिएक्ट क्यूँ नहीं किया....
तापस - शायद मौके की तलाश में है....
प्रतिभा - (आँखे डबडबा जाती हैं) अब हम क्या करें... सेनापति जी...
तापस - मुझे भी कुछ सूझ नहीं रहा है...
प्रतिभा - हमें उसकी सर्विलांस को भटकाना होगा... या फिर उस वक्त का इंतजार करना होगा... कुछ भी हो हमे यह काम जल्द से जल्द पुरा करना ही होगा....
प्रत्युष - हाँ डैड... इससे पहले कि वह रिएक्ट करे... हमे उस पर वार करना होगा...
तापस - कैसे... कैसे... कैसे... हमारे पास सबूत नहीं है... रैड नहीं करा सकते.... कहीं पर चूक गए तो... वह हम पर डीफेम केस कर देगा और पेनाल्टी ठोक देगा...
प्रतिभा - एक प्लान है.... जिससे काम बन सकता है...
तापस - कैसा प्लान...
प्रतिभा - आप किसी तरह ऑफिशियली टूर पर... भुवनेश्वर से बाहर निकलिए... और हाथों हाथ रिपोर्ट लाने की कोशिश करें....
प्रत्युष - हाँ डैड... माँ ठीक कह रही है... हमारी हर एक्टिविटी पर उसकी नजर है.... आप अगर ऑफिशियली भुवनेश्वर से बाहर निकलेंगे... तो हम शायद कुछ कर पाएंगे... उधर आपको जैसे ही रिपोर्ट हासिल होगा... हम यहां पर प्रेस कांफ्रेंस कर यश की पोल खोल देंगे....
प्रतिभा - हाँ ऐसा हो पाया तो... बहुत बढ़िया होगा....
तापस - ह्म्म्म्म... ठीक है... मैं दिल्ली का टूर प्लान करता हूँ.... ट्रेन में बैठ कर हावड़ा में उतर जाऊँगा.... कलकत्ते में रिपोर्ट बना लेने के बाद... फ्लाइट लेकर सीधे भुवनेश्वर आ जाऊँगा...
प्रत्युष - वाव डैड... क्या क्रिमिनल वाला दिमाग चलाया है... जैसे ही आपको रिपोर्ट मिल जाएगी...
प्रतिभा - वैसे ही हम... यहां पर प्रेस कांफ्रेंस की तैयारी कर देंगे.... और सीधे प्रेस कांफ्रेंस में ही... यश के चेहरे पर से.. शराफत का नकाब उतारेंगे....
तापस - डन...
प्रत्युष - डन....
प्रतिभा - डन...

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रविवार की सुबह तड़के तापस के घर की फोन बजने लगता है l तापस नींद भरे आंखों से फोन उठाता है l

तापस - है... हैलो...
सतपती - सर आपका मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा है....
तापस - अच्छा... शायद बैटरी में चार्ज खतम हो गई होगी... सुबह सुबह मतलब क्या कोई लफड़ा हुआ है.... बोलो क्या हुआ है...
सतपती - सर... वह... एक्चुऐली... कैसे कहूँ...
तापस - क्या यह रंगा से ताल्लुक है...
सतपती - जी सर...
तापस - आऊंगा जरूर... पहले बताओ हुआ क्या है....

फिर सतपती फोन पर कुछ बताने लगता है l जिसे सुन कर तापस की आँखे हैरानी से फैलती चली जाती है l फिर फोन रख कर खुद को जल्दी जल्दी तैयार करता है और गाड़ी ड्राइव कर कैपिटल हॉस्पिटल में पहुंचता है l वहाँ उसे दास और सतपती इंतजार करते हुए मिल जाते हैं l तीनों मिलकर स्पेशल वार्ड में पहुंचते हैं l तापस देखता है रंगा और उसके चार साथी वार्ड में ख़राब हालत में पड़े हुए हैं l रंगा की हालत तो फिरभी ठीक लग रही है पर उसके साथी ऐसे पड़े हुए हैं जैसे बदन का कोई हिस्सा लकवा ग्रस्त हुआ हो l तापस रंगा के बेड पर पहुंचता है l रंगा की आँखों में खौफ साफ साफ दिख रहा है l रंगा जैसे ही तापस को देखता है

रंगा - सुपरिटेंडेंट सर... मुझे किसी और जैल में शिफ्ट करा दीजिए.... प्लीज...
तापस - क्यूँ ऐसा क्या हुआ रंगा.... तुम तो अपना बदला लेने आए थे ना...
रंगा - (गिड़गिड़ाते हुए) मुझे किसी से कोई बदला नहीं लेना.... सर बस आप मुझे मेरे वकील से बात करा दीजिए... मैं... मैं दुबारा कभी... इस जैल में नहीं आऊंगा.... (तापस कुछ नहीं कहता, बस चुप रह कर कुछ सोचने लगता है) आ आप क्या सोच रहे हैं... सर...
तापस - हूँ... हाँ... मैं यह सोच रहा हूँ... आदमी को सीधा रहना चाहिए... देखो ना इससे पहले... इसी हस्पताल के इसी बेड पर... तुम उल्टे लेटे हुए थे... मगर जिद और माँग कर रहे थे... जैल में वापस जाने के लिए.... आज सीधे लेटे हुए हो... आज जिद भी कर रहे हो और मांग भी... इस जैल में नहीं जाने की...
रंगा - हाँ... आप सही कह रहे हैं... मैं तब उल्टी खोपड़ी से सोच रहा था... अब सीधा हो कर सोच रहा हूँ.... प्लीज मुझे मेरे वकील से बात करा दीजिए...
तापस - ठीक है... ठीक है... करा दूँगा... अब मुझे पूरे विस्तार में... सारी जानकारी दो.... वरना... आज रविवार है... और कल दस बजे तक... तुम्हें जैल में रख सकता हूँ...
रंगा - नहीं... नहीं... नहीं... नहीं... मैं बताता हूँ.... सब बताता हूँ...
सर... दो साल पहले... जब विश्व घायल हो कर इसी हस्पताल में इलाज के लिए दाखिल था... उस वक्त मेरे अड्डे पर छोटे राजा जी उर्फ़ पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी मिलने आए थे... उन्होंने मुझे एक काम सौंपा था... विश्व को अदालत में हाजिरी से पहले... अंदर से तोड़ देने के लिए... मैं विश्व से बलात्कार कर उसके अंदर के पुरुषार्थ को मिटा देना चाहता था.... पर आप जानते हैं... विश्व ने उल्टा मेरा पुरुषार्थ को तोड़ कर... झंझोड कर रख दिया.... नाकाम लोगों की... राजा साहब के दरबार में कोई काम नहीं होती... मुझे ना सिर्फ राजा साहब ने... बल्कि मेरी अपनी बनाई हुई दुनिया ने भी मुझे छोड़ दिया था...
इसी का बदला लेने के लिए पिछले एक साल से तैयारी कर रहा था... ताकि जो ज़ख़्म मुझे विश्व से मिला है... उससे कई गुना बड़ा ज़ख़्म विश्व को देना चाहता था... उससे पहले विश्व को मार मार कर धज्जियाँ उड़ा देना चाहता था.... मैं हर तरह से कोशिश किया विश्व को मुझसे उलझाने के लिए... मगर विश्व मुझे अपने जाल में फंसाता चला गया... वह बात मुझे आपके ऑफिस से पता चला... उस सीसीटीवी फुटेज से...
इसलिए मेरे पास सिर्फ़ एक ही रास्ता बचा था.... शैटर डे स्कैरी नाइट सल्युशन... जो हमने जैल में चलाया था....
तापस - व्हाट... तुम लोगों ने यह किया... और हममे से किसी को भी खबर नहीं...
दास - सर यह बात.. कांड होने के बाद ही हमें पता चलता है... यह लोग ऐफिडेविट पेपर में अपना कबुल नामा लिख कर रख लेते हैं.... और कांड के बाद किसी को कुछ हो या ना हो... कांड के हो जाने पर वह पेपर निकालते हैं....
तापस - अच्छा... यह बात है... यह जुगाड़ कैसे लगा लेते हैं... यह कम्बख्त.... हाँ तो रंगा... अब पूरी वाक्या विस्तार से बताओ... तुम जो विश्व को डराने आए थे... अब कैसे और क्यों डर के मारे भागने के जुगत में हो....
रंगा - सर बताता हूँ...

फ्लैशबैक रंगा की जुबानी

शुक्रवार लंच के समय विश्व अकेला एक कोने में डायनिंग टेबल पर बैठ कर खा रहा है l तभी रंगा अपना थाली लेकर विश्व के सामने बैठता है l विश्व अपने खाने में मगन रंगा की तरफ देखता नहीं l

रंगा - क्यूँ बे... हराम जादे... आज कल दिमाग खुब चला रहा है...
विश्व - (चुप रहता है)
रंगा - बे मादरचोद... तेरे रगों में खुन दौड़ता है या पानी... भोषड़ी के... कितनी आसानी से गाली हज़म कर रहा है...
विश्व - (फ़िर भी चुप रहता है)
रंगा - क्यूँ बे... जिस महापात्र का उपनाम अपने नाम के पीछे लगाया है.... उसके साथ तेरी माँ सोई थी तब जाकर तु पैदा हुआ... या वह भी गांडु महापात्र था... जो यही सोच कर रह गया... कौन मरा मारा... बच्चा हमारा... हा हा हा...

विश्व अपना खाना खतम कर हाथ और थाली धोने के लिए उठता है तो रास्ते में रंगा अपना टांग अड़ा देता है l विश्व रुक जाता है और रंगा को सपाट नजरों से देखता है l अब डायनिंग हॉल में सभी कैदी उन दोनों को देख रहे हैं l

विश्व - तु... चाहता क्या है... गांडु रंगा...
रंगा - ऐ... जुबान सम्भाल अपना...
विश्व - और तु गांड...

सभी कैदी दबी जुबान से हँसने लगते हैं l जिससे रंगा हाथ उठा देता है पर विश्व अपनी थाली दिखा देता है तो रंगा का हाथ थाली से टकरा जाता है l

विश्व - मुझे उकसाने के चक्कर में... तुने अपना सयम खो दिया... यहाँ भी सीसीटीवी है... ऐसा फंसेगा की...
रंगा - चुप बे... मर्द है तो मर्द की तरह भीड़ ना... यह सीसीटीवी की आड़ क्यूँ ले रहा है...
विश्व - यह कौन बोल रहा है... चूहे की जिगर रखने वाला... जो चार चार बंदों से एक आदमी को पकड़ कर उसके पिछवाड़े मुतने वाला... मर्द होने की धौंस जमा रहा है....
रंगा - अच्छा... यह बात है... तो तु... रंगा का जिगर देखेगा... रंगा कितना बड़ा मर्द है देखेगा... चल तेरी मन की मुराद पुरा कर देता हूँ... कल शनिवार है... यहाँ आपसी दुश्मनी को सुलझाने के लिए एक दुसरे से लड़ते हैं.... अग्रिमेंट के ज़रिए... चल करता है क्या... शैटर डे नाइट स्कैरी सल्युशन...
विश्व - (चुप रहता है)
रंगा - क्यूँ फट गई तेरी... चल अब मेरे सामने घुटने के बल झुक कर.... खुद को गांडु महापात्र बोल...

विश्व उसके सामने झुक कर घुटनों पर बैठता है, यह देख कर कुछ कैदी हैरान होते हैं और रंगा के चेहरे पर कुटिल मुस्कान खिल उठाता है l

विश्व - जैसी तेरी इच्छा... गांडु रंगा....

यह सुनते ही जहां रंगा की हँसी रुक जाती है वहीँ सभी कैदी मंद मंद मुस्कराने लगते हैं l फ़िर विश्व खड़ा हो जाता है l

रंगा - (चिल्लाता है) सीलु...
सीलु - जी... जी रंगा भाई...
रंगा - विश्व से कागजात पर दस्तखत ले लो....

सीलु विश्व के पास दो कागजात लेके जाता है l विश्व देखता है उसमें पहले से ही रंगा का दस्तखत है इसलिए दस्तखत कर एक काग़ज़ रख लेता है और दुसरा लौटा देता है l

रंगा काग़ज़ हाथ ले कर कहता है - हमारे फाइट का रेफरी येही सीलु होगा...
विश्व - जैसी तेरी इच्छा... गांडु रंगा...

रंगा बड़ी मुश्किल से सुन कर भी खुद को काबु करता है और विश्व को उंगली के इशारे से मार डालने की धमकी दे कर चला जाता है l
उसके बाद शनिवार की रात को गेम हॉल में सारे कैदी जमा हो जाते हैं l हॉल में सारे सामान एक किनारे कर दिया गया है l रंगा और विश्व दोनों हॉल के बीच में आ कर खड़े होते हैं l फर्श पर पानी डाल कर फिसलन भरा कर दिया गया है l रंगा अपना कुर्ता उतार देता है और अपना बॉडी दिखाने लगता है l इन दो सालों में रंगा ने अपना बढ़िया बॉडी बनाया हुआ है l सारे कैदी रंगा के नाम की हूटिंग करने लगते हैं l
सीलु सिटी मार कर फाइट का आगाज़ कर वहाँ से साइड हो जाता है l रंगा भाग कर चिल्लाते हुए विश्व के तरफ बढ़ता है l विश्व एक तरफ हट जाता है l रंगा फ़िर से विश्व को पकड़ने के लिए कोशिश करता है, इस बार भी वही होता है l विश्व लड़ाई की माहौल को कबड्डी में बदल देता है l रंगा कोशिश बहुत करता है पर विश्व उसके हाथ नहीं लगता l जिसके कारण रंगा बुरी तरह से थकने लगता है l उसे थकता देख रंगा के चारों साथी अचानक से अंदर आकर विश्व को पकड़ लेते हैं l

रंगा - (खुश होते हुए) शाबाश मेरे यारों... शाबाश... अब इस हरामजादे को तोड़ कर मसलता हूँ...
सीलु - (बीच में आ जाता है) यह गलत है... रंगा भाई.. यह गलत है... अग्रिमेंट में... वन टू वन फाइट लिखा है... आप लोग पांच हैं... यह गलत है...
रंगा - ऐ... इसे उठा कर फेंक दो रे....

रंगा का एक साथी सीलु को उठा कर कैदियों पर फेंक देता है l अब तीन लोग विश्व को पकड़े खड़े हुए हैं l रंगा और उसके साथी हँसने लगते हैं पर अचानक उन सबकी हँसी रुक जाती है l विश्व एक हूकींग किक उठाता है जो उसे पीछे पकड़े हुए आदमी को लगता है और वह पीछे छिटक कर दूर जा कर गिरता है, उसके बाद जो दो लोग विश्व के हाथों को पकड़े हुए हैं उन दोनों के हाथों को पकड़ कर सामने की तरफ फ्लिप मारता है l विश्व अपने घुटने पर आ जाता है पर वह दो लोग अपने पीठ के बल गिर कर कराहने लगते हैं l
यह सब सेकेंड के कुछ ही हिस्से में हो जाता है l रंगा और उसका चौथा साथी ही नहीं बल्कि सभी कैदी अचानक हुए इस घटनाक्रम से आश्चर्य चकित हो जाते हैं l पर उनके पकड़ से छूटने पर विश्व की कुर्ता फट जाता है, तो विश्व अपना कुर्ता फाड़ कर फेंक देता है l सबको विश्व के शरीर पर पेशियां और पेशियों पर कटाव दिखते हैं l सब विश्व के बदन को देख कर मन ही मन रंगा के बदन से तुलना करने लगते हैं l विश्व के जिस्म की कटाव के आगे रंगा का बदन भरा हुआ मांस का लोथड़ा नजर आने लगता है l खुद रंगा की हलक सूखने लगता है और वह बड़ी मुश्किल से थूक निगलता है l रंगा का वह चौथा साथी विश्व पर झपटा मार कर दाहिने हाथ का घुसा मारता है l विश्व उसके हाथ को अपने बाएं हाथ से रोक कर अपने दाएं हाथ की मुट्ठी में तर्जनी को मोड़ कर उसके कोहनी की अंदरुनी हिस्से पर मारता है फ़िर सामने कंधे की जोड़ पर मारता है फिर एक लात उसके सीने पर जड़ देता है जिससे वह आदमी उड़ते हुए कैदियों के बीच गिरता है l उसको उड़ते हुए जाते देख रंगा वहीँ पर जड़वत खड़ा रह जाता है l वह तीनों जो पीछे पड़े हुए थे वह उठ कर विश्व पर हमला कर देते हैं l विश्व उनके लिए तैयार था पहले वाले को एक स्पिन किक, दुसरे के चेहरे पर घुटने से और उसके बाद तीसरे को अपनी मुट्ठी के सारे मुड़े उँगलियों को सीधा कर एक ताकतवर पंच नाभि के ऊपर पेट पर जड़ देता है l उस तीसरे आदमी के मुहं से थोड़ा खुन निकालता है और वह पेट के बल गिर कर छटपटाने लगता है l फ़िर अपनी मुक्के की मध्यमा उंगली को मोड़ कर पहले वाले के बाएं रिबस पर मारता है फिर तर्जनी उंगली से दुसरे आदमी पीठ पर कंधे की जोड़ पर मारता है वह आदमी एक तरफ झुक कर किक मारने की कोशिश करता है तो उसके पैर पकड़ कर उसी मुड़ी हुई तर्जनी से घुटने के ऊपर जांघ पर एक घुसा मारता है l वे दोनों नीचे गिर जाते हैं और उनके हलक से गँ गँ कि आवाज़ निकलने लगती है I अपने चार साथियों का हश्र वह भी सिर्फ़ पांच सेकेंड से भी कम समय के भीतर देख कर रंगा के पैर कांपने लगते हैं l विश्व अब रंगा के तरफ बढ़ने लगता है और रंगा पीछे हटने लगता है और भागने की कोशिश करता है l पर चूँकि चारों तरफ कैदी घेरे हुए हैं इसलिए वह भाग नहीं पाता और तब तक विश्व रंगा तक पहुँच जाता है l रंगा डर के मारे घुटनों पर बैठ कर विश्व के आगे हाथ जोड़ देता है l विश्व उसके सामने आलती पालती मार कर बैठ जाता है l

विश्व - क्यूँ फट गई तेरी...
रंगा - (चुप रहता है)
विश्व - कितनी गालियाँ दी तुने मुझे... गिना नहीं होगा तुने....
रंगा - (चुप रहता है)
विश्व - जुबान है... तो कैसे कैसे चलाए तुने... कलेजा छलनी कर रख दिया तुने...
रंगा - म.. म.. मुझे.. मा.. माफ कर दो...
विश्व - एक शर्त पर...
रंगा - ब ब.. बोलिए विश्वा भाई...
विश्व - अब तु मुझे कभी नहीं दिखेगा... अगर कभी दिखा तो उसी दिन वहीँ पर जिंदा गाड़ दूँगा... कसम से... तेरी हर गाली का बदला उस दिन मैं लूँगा....

फ्लैशबैक से बाहर आता है रंगा l

रंगा - सर.... कुछ भी हो जाए... मैं तो जीते जी... विश्व के सामने नहीं आऊंगा... यह वह विश्व नहीं है... जो दो साल पहले आया था... जिससे मैं बदला लेना चाहता था.... यह तो कोई और है... ना चेहरे पर गुस्सा ना डर ना ही कोई भाव... एक दम सपाट... जब भी बात करता है... उसके हर शब्द में लगता है... जैसे मौत... हाँ मौत की सर्द महसूस होता है.... नहीं नहीं.. यह वह विश्व नहीं है... यह तो कोई और है.... या फिर यह कोई भूत है.... हाँ हाँ भूत ही तो हो सकता है... और नहीं तो... वह कहीं पर भी लड़ते हुए.... अकेला नहीं लगता था... ऐसा लगा जैसे एक नहीं... दो दो विश्व लड़ रहे हैं... या फिर उसके दो नहीं चार चार हाथ थे... इतना फुर्ती.... इतना फुर्ती किसी इंसान में... नहीं नहीं... यह भूत है... सेनापति सर भूत है वह... वह विश्व नहीं है...

तभी उस कमरे में डॉक्टर विजय आता है l विजय के देख कर

तापस - कहिए डॉक्टर... इन सबकी हालत कैसी है अब....

डॉक्टर - यार... यह तुम्हारा रंगा... इसको बहुत ही जबर्दस्त शॉक लगा है... कुछ ऐसा देखा है जिससे उसके मन में गहरा डर बैठ गया है... और बाकी चारों की हालत थोड़ी खराब है...
तापस - मतलब कितना खराब है....
डॉक्टर विजय - इन चारों को जहां जहां मार पड़ी है... उन जगहों पर लीगमेंटस हिल गए हैं... इसलिए उनको पारसीअल पैरालीसीस हुआ है... मतलब आंशिक लकवा...
तापस - (हैरान हो कर) व्हाट...
Bahut hi lajawaab update hai bhai
 

Mastmalang

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रवीवार
राजगड़

वैदेही अपनी चाय नाश्ते की दुकान के आगे एक तख्ती टांग देती है l उसने लिखा है

"आज का दिन खास है,

नाश्ते में जितना खाना है ख़ालो,
पैसा नहीं लिया जाएगा, बिल्कुल मुफ़्त"

गौरी - (पढ़ती है) यह क्या है... वैदेही... आज इस गांव के मुफ्त खोरों को मुफ्त में खिलाओगी...
वैदेही - (हँसकर) काकी... घर में जब कोई खुशियाँ मनाई जाए... तब पहले के ज़माने में अन्न छत्र लगाया जाता था... अब राजगड़ में तो मंदिर है नहीं... इसलिए... मैं अपनी दुकान में आज अन्न छत्र खोलने का विचार किया...
गौरी - अररे... किन नामाकुल, नाशुक्रे, नासपीटों को अन्न देगी.. अन्न छत्र में अन्न खाने वाले... अन्न का मान भी रखते हैं... यह लोग क्या रखेंगे... सिर्फ़ भेड़ बकरियों की तरह चरने आयेंगे... चरके चले जाएंगे....
वैदेही - तो जाने दो ना काकी... आज बहुत ही खास दिन है... बहुत ही खुशी का दिन है मेरे लिए... अपनी खुशी बांट रही हूँ... और फिर दो महीने बाद... फिरसे जब विशु यहाँ आएगा... तब...
गौरी - पर तु तो कह रही थी... विशु अगले महीने छूटने वाला है... फिर दो महीने क्यूँ...
वैदेही - काकी... उसका कुछ काम है... उसे निपटाने के बाद ही यहाँ आयेगा....
गौरी - इसलिए तुझसे खुशी संभल नहीं रही है...

वैदेही कुछ नहीं कहती है सिर्फ़ मुस्करा देती है l अपने हाथ में कर्पूर लेकर जलाती है और घंटी बजाते हुए चूल्हे में डाल देती है l चुल्हे में आग लग जाती है l गौरी बड़ी सी डेकची रख देती है l फ़िर गौरी के तरफ देखती है l गौरी उसे एक टक देखे जा रही है l

वैदेही - क्या बात है काकी... ऐसे क्या देख रही हो...
गौरी - तुम भाई बहन के बारे में सोच रही हूँ... एक बात तो है... तुम दोनों एक दुसरे के ताकत हो... ना कि कमजोरी...
वैदेही - वह तो है... वह मेरा ताकत है...
गौरी - जिस बदलाव के लिए तुम यह सब कर रही हो... भगवान करे... मेरे जीते जी हो जाए बस...
वैदेही - क्यूँ... तुम्हें इतनी जल्दी क्यूँ है... अगर मरना चाहोगी तो भी यमराज के सामने मैं खड़ी हो जाऊँगी... यह बदलाव सिर्फ़ तुम नहीं... यहाँ के हर बच्चा बच्चा देखेगा.... क्रांति की निंव डल चुकी है...(वैदेही के चेहरे की भाव बदल जाती है) उसे करवट लेते... उसे आकार लेते सब देखेंगे... सब गवाह होंगे...
गौरी - कभी कभी तेरी बातेँ मेरी पल्ले नहीं पड़ती...

तभी हरिया लक्ष्मी के साथ पहुँचता है l वह तख्ती में लिखा पढ़ता है l

हरिया - तो आज सबको मुफ्त खिलाने वाली हो... वैदेही...
गौरी - हाँ... तु आगया ना... अब धीरे धीरे कौवे... मंडराने लगेंगे...
हरिया - ऐ बुढ़िया... गल्ले पर बैठी है तो क्या खुदको मालकिन समझने लगी है... मुफ्त लिखा है... तभी तो खाने आए हैं...
वैदेही - ऐ हरिया... तमीज से... यह मालकिन ही हैं... और मेरी काकी भी... जिसके लिए आया है... वह मिल जाएगा... मुँह मार लेना... अगर फिरसे तमीज छोड़ा तो औकात दिखा दूंगी तुझे...
हरिया - जी.. जी वैदेही... गलती हो गई... माफी काकी जी
गौरी - ठीक है.. ठीक है... जा जाकर बैठ और हाँ... मुफ्त का मिल रहा है... रौब मत झाड़ना...

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विक्रम अपने कमरे के बाथरुम में आईने के सामने खड़ा है l वह कल रात विक्रम शराब के नशे में धुत था, उसे कल वीर ने लाकर उसके कमरे में छोड़ कर गया था l विक्रम यह अच्छी तरह से जानता था कि जब वह नींद सो जाता है शुभ्रा उसे देखने आती है l इसलिए कल वीर के जाते ही अपने कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया था l शुभ्रा बीते रात को आई भी थी विक्रम को देखने और कमरे का दरवाज़ा खोलने की कोशिश की थी l पर विक्रम नशे में था और जिस हालत में था वह नहीं चाहता था कि शुभ्रा उसे देखे, इसलिए दरवाजा नहीं खोला था l पिछली रात को आक्रोश के वजह से चाबुक की मार से हुई ज़ख्मों का दर्द महसुस नहीं कर पाया था l पर आज सुबह से ही उसका बदन बहुत दर्द कर रहा था l बाथरुम के आईने में अपना चेहरा देख रहा था l आज उसके चेहरे पर एक भारी बदलाव था, आज खुद को आईने में बिन मूंछों के देख रहा था l शुभ्रा को उसके चेहरे पर मूँछे अच्छी लगती थी, कभी कभी प्यार में कह देती थी,
"पुरी दुनिया में मूँछ मुण्डों के झुंड में... आपकी मूँछें आपको खास बनाती है... मूछों में तो आप मर्द लगते हैं"
यह बात याद आते ही विक्रम के जबड़े भींच जाते हैं और आँखें बंद कर लेता है l उसके जेहन में वह वाक्या गुजरने लगता है जब वह आदमी ऐसकॉट गाड़ी के ऊपर विक्रम के गिरेबान को हाथ में लिए पंच मारने ही वाला था कि शुभ्रा का उसके आगे गिड़गिड़ाना
" भैया.... प्रताप भैया... (अपनी मंगलसूत्र को दिखाते हुए) प्लीज भैया... (गिड़गिड़ाते हुए) प्लीज..."

अचानक विक्रम की आँखे खुल जाती हैं l वह बड़बड़ाने लगता है प्रताप... उसका नाम प्रताप है l शुब्बु ने उसे प्रताप भैया कहा था... क्या शुब्बु उसे पहले से ही जानती है....

विक्रम फ़िर से अपनी आँखे भींच लेता है और याद करने लगता है प्रताप ने शुभ्रा के लिए क्या कहा था
"तुम लोगों ने मेरी माँ के साथ जो बत्तमीजी की... उसके लिए... कायदे से जान से मार देना चाहिए था... पर (शुभ्रा को दिखाते हुए) इन्हें अनजाने में सही बहन कहा है... इनके साथ उस रिश्ते का लिहाज करते हुए तुम लोगों को छोड़ रहा हूँ..."

विक्रम फिर अपनी आँखे मूँद लेता है और मन ही मन बड़बड़ाने लगता है - अनजाने में सही... मतलब... मॉल में ही परिचय हुआ होगा... ह्म्म्म्म यही हुआ होगा... तो फ़िर मुझसे क्या छूट रहा है....

अचानक विक्रम आपनी आँखे खोल देता है l उसे याद आता है जब उसने अपने बाप भैरव सिंह क्षेत्रपाल का नाम लिया तब वह प्रताप पलटा और, विक्रम की आँखे फैल जाती हैं फिर बड़बड़ाने लगता है मतलब प्रताप और राजा साहब के बीच कुछ हुआ है... पर वह तो मेरे हम उम्र लग रहा था... उसका और राजा साहब का क्या हो सकता है... क्या वह राजगड़ से है... पर कैसे... वह इतना अच्छा ट्रेन्ड फाइटर है... क्या आर्मी से हो सकता है.... नहीं... नहीं... उसकी एपीयरेंस बिल्कुल आर्मी जैसी नहीं थी... आर्मी वालों के जैसी एटीट्यूड भी नहीं थी... फिर वह है कौन.... मुझे ढूंढना होगा... हर हाल में ढूंढना होगा... (उसके चेहरा कठोर होने लगता है) उससे अपनी बेइज्जती का बदला लेना होगा... उसके लिए मुझे खुद को... अपने लेवल से भी उपर एलीवेट करना होगा...

फिर एक गहरी सांस छोड़ कर अपने ज़ख्मों को डेटॉल से साफ करता है I फिर बाथरुम से निकल कर वार्डरोब से अपने लिए एक ढीला सा शर्ट निकालता है और उसे पहन लेता है l फिर वह पुरी तरह तैयार हो कर कमरे से निकालता है I जैसे ही कमरे से बाहर आता है उसे सामने हाथ में नाश्ते की थाली लिए शुभ्रा खड़ी मिलती है I

शुभ्रा - वह... मैं आपके लिए नाश्ता लाई थी...

विक्रम शुभ्रा को देखता है l शुभ्रा के चेहरे पर हैरानी के साथ साथ दुख, दर्द और घबराहट भी दिखता है l

विक्रम - छोटा सी ख्वाहिश थी...
बड़े सिद्दत से पाला था...
दो पल के साथ में...
पुरी जिंदगी जी लेना था...
मेरी तसब्बुर मेरे सामने है....
पर यह वक़्त और है...
वक़्त का तकाज़ा कुछ और है...
फिर कभी...

इतना कह कर विक्रम शुभ्रा को वहीँ छोड़ कर बाहर की ओर जाने लगता है l

शुभ्रा - रु.. रुकिए... (विक्रम रुक जाता है पर शुभ्रा की ओर मुड़ कर नहीं देखता) आप... कहाँ जा रहे हैं...
विक्रम - मैं.. हफ्ते दस दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ... आ जाऊँगा...

यह कह कर विक्रम वगैर रुके चला जाता है l शुभ्रा पीछे आँखों में आंसू लिए खड़ी रह जाती है l रुप यह सब अपने कमरे से देख रही थी l शुभ्रा वह नाश्ते की थाली लेकर वहाँ से चली जाती है l उसके वहाँ जाते ही रुप भी खुद को अपने कमरे में बंद कर लेती है l


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विश्व एक बढ़िया सा ड्रेस पहन कर ड्रॉइंग रूम में बैठा हुआ है l तापस भी तैयार हो कर ड्रॉइंग रूम में आता है

तापस - (विश्व से) क्या मैं लेट हो गया...
विश्व - नहीं बिल्कुल नहीं... हमारे पास टाइम काफी है....
प्रतिभा - (ड्रॉइंग रूम में आकर हाथ में एक छोटी सी कटोरे में दही चीनी की घोल लिए) ले यह खा ले... (विश्व को चम्मच से दही चीनी की घोल खिला देती है) लो अब मैं भी रेडी हूँ...
तापस - (हैरान हो कर) तुम.... तुम क्यूँ भाग्यवान...
प्रतिभा - क्या कहा... मैं क्यूँ... आज इतना बड़ा दिन है... और मैं ना जाऊँ....
विश्व - हाँ माँ... तुम क्यूँ...
प्रतिभा - ऑए... जुम्मा जुम्मा कुछ ही घंटे हुए हैं... तुम बाप बेटे के मिलन को... अभी से मेरे खिलाफ षडयंत्र शुरु...
तापस - जान यह क्या कह रही हो... षडयंत्र हम करेंगे... वह भी तुम्हारे खिलाफ...
प्रतिभा - तो मुझे जाने से क्यूँ रोक रहे हो....
तापस - कल मॉल में जो हुआ... उसके बाद प्रताप को... ESS के गार्ड्स पागल कुत्ते की तरह ढूंढ रहे होंगे... और अगर प्रताप ना मिला तो उस औरत को भी ढूंढ रहे होंगे... जो उस मॉल में प्रताप के साथ थी... यानी के तुम...
प्रतिभा - ना उन्होंने मुझे ठीक से देखा है... और ना ही मैंने उनमें से किसी को... क्यूंकि प्रताप ने मेरे चेहरे पर रुमाल बांध दिआ था...
तापस - पर यह (माथे की मरहम पट्टी को दिखा कर) देख कर उन्हें शक भी तो हो सकता है...
प्रतिभा - लो अभी निकाल देती हूँ... (कह कर पट्टी निकाल देती है)
विश्व - आरे माँ... पट्टी निकालने से ज़ख़्म हरा हो जाएगा...
प्रतिभा - तु मेरी ज़ख्मों का फ़िक्र ना कर... वैसे तुम लोग किससे जाने वाले थे...
तापस - बाइक पर... और दोनों हेल्मेट लगा कर जाने वाले हैं...
प्रतिभा - ओ हो... मतलब कार को बेकार कर... बाइक से रफु चक्कर होने वाले हो... अब साफ साफ बताओ... मुझे ले कर जा रहे हो या नहीं... नहीं तो...
तापस - हाँ... नहीं तो..
प्रतिभा - अभी ESS वालों को फोन कर कहूँगी... के जिस लड़के ने तुम्हारे बाप को ओरायन मॉल में धोया था... वह अब एक सिरफिरे अड़ियल बुड्ढे खुसट सांढ के साथ XXXX कॉलेज में परिक्षा देनें गया हुआ है....
तापस - (अपनी हाथ जोड़ कर) हे प्रताप की जननी जगदंबे... त्राहि... त्राहि... आप अपनी निर्दयी वाणी से.. हमें... यूँ ना भयभीत कीजिए... पहले यह बताएं... यह ज़ख्म कैसे छुपायेंगे...
प्रतिभा - हे मूर्ख मानव... मैं फूल लेंथ ब्लाउज पहन कर हांथों के ज़ख़्म छुपा लुंगी... और साधना कट हेयर स्टाइल में अपने माथे की ज़ख्म छुपा लुंगी... इसमे जरा भी विलंब नहीं होगी...
विश्व - हे माँ... जैसी आपकी इच्छा... कृपा करें और शीघ्र पधारें...
प्रतिभा - बस पाँच मिनट में गई... और आधे घंटे में आई....

कह कर प्रतिभा अंदर चली जाती है l विश्व तापस को देखता है और तापस भी विश्व को देखता है l

विश्व - डैड... मेरी बात तो समझ में आता है... बेटा हूँ... माँ के जिद के आगे लाचार हूँ... पर वह तो आपकी अर्धांगिनी है...
तापस - बेटा... वह क्या है ना... शास्त्रों में लिखा गया है... अर्धांगिनी... इसलिए तो ले जाना चाहिए...
विश्व - जब इतना शास्त्रों का ज्ञान था... तो सुबह सुबह किस खुशी में यह मास्टर प्लान बनाया था... की माँ को छोड़ कर जाते हैं...
तापस - गलती बेटा गलती.... वैसे गलती किससे नहीं होती...
विश्व - अब नया कोई गुरु ज्ञान मत दीजिए...
तापस - अरे वत्स फ्री में दे रहा हूँ ले लीजिए...
विश्व - कहिए...
तापस - विवाह समाज में एक ऐसा आयोजन है... जहां एक पुरुष अपना बैचलर डिग्री हारता है और स्त्री अपनी मास्टर डिग्री को प्राप्त करती है...
विश्व - अच्छा....
तापस - हाँ... जानता हूँ... तेरे सिर के ऊपर निकल गया है... यह वह ब्रह्म ज्ञान है... जिससे हर पुरुष... शादी तक वंचित रहता है...

तभी प्रतिभा तैयार होकर आती है l दोनों देखते हैं, प्रतिभा आज साड़ी के साथ साथ एक फूल लेंथ ब्लाउज पहनी हुई है बिल्कुल एक बंगालन की परिधान में और बालों को भौहों तक साइज से बनाया है कि उसके सिर के ज़ख़्म नहीं दिख रहे हैं l

प्रतिभा - क्यूँ सेनापति जी... आज से पहले आपने हमे ऐसे कभी नहीं देखा जी...
तापस - नहीं जी... आज से पहले आपको यूँ... टिपीकल बंगाली परिधान में भी तो कभी नहीं देखा....
प्रतिभा - वह पिछली बार... वर्किंग वुमन एसोसिएशन की फंक्शन में... मुझे कुछ औरतों ने गिफ्ट किया था...
तापस - वाव... क्या बात है... एक शेर अर्ज़ है..
विश्व - इरशाद इरशाद...
तापस - आप यूँ... बन संवर के आये... कभी हम आपको... कभी हम इस फटीचर कार को देखते हैं...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... कितना घटिया शेर... हो गया.... अब चलें...
दोनों - हाँ हाँ चलो चलो

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वीर अपनी आँखे खोलता है और घड़ी की ओर देखता है सुबह के दस बज रहे हैं l

वीर - ओ तेरी... धत.. कल देर शाम तक सोया था... इसलिए... अभी लेट हो गया...

वीर मोबाइल पर देखता है और बोलने लगता है - अरे... आज तो सन डे है... जल्दी उठकर भी क्या करना है... एक मिनट... कोई मैसेज या कॉल.... ह्म्म्म्म... नहीं.... (हैरान हो कर) नहीं... पर क्यूँ नहीं... अभी कॉल करता हूँ...

वीर कॉल लगाता है तो दुसरे तरफ से अनु उबासी आवाज़ में जवाब देती है

अनु - हे... लो...
वीर - हम्म... हम राजकुमार बोल रहे हैं...
अनु - (जैसे झटका खाती है) क... क्या र.. राज.. कु... कुमार...
वीर - अरे... अरे... रिलेक्स... हकला क्यूँ रही हो...
अनु - म.. म.. मैं.. अभी तैयार होती हूँ... और ऑफिस पहुँचती हूँ...
वीर - अच्छा...
अनु - वह... मुझे माफ़ कर दीजिए... राज कुमार जी... लगता है... दो दिन से सो रही हूँ...
वीर - (हैरान हो कर) दो दिन से... हैइ... तुम क्या कह रही हो...
अनु - आप ऑफिस पहुँच गए...
वीर - क्यूँ...
अनु - आज सोमवार है ना...
वीर - अनु.. अनु... अनु... आज इतवार है...
अनु - ओह अच्छा... (अपने सिर पर टफली मारते हुए) मैं समझी आज सोमवार है... इसलिए हड़बड़ा गई थी... अगर छुट्टी है तो आपने फोन क्यूँ किया...
वीर - (थोड़ी कड़क आवाज में) क्या कहा....
अनु - सॉरी सॉरी... (रोनी आवाज़ में) मुझसे गलती हो गई...
वीर - है... तुम रो क्यूँ रही हो...
अनु - आप गुस्सा हो गए इसलिए...
वीर - अच्छा... मेरे गुस्सा होने से तुमको डर लगता है....
अनु - जी...
वीर - तो तुम्हारा फर्ज यह बनता है कि मुझे... कभी गुस्सा ना आए... ऐसे काम तुम्हें करने चाहिए... है ना...
अनु - हाँ...
वीर - तो फिर कल तुमने... मेरी खैरियत क्यूँ नहीं पूछी...
अनु - इसीलिये आप गुस्सा हैं...
वीर - नहीं... बस थोड़ा दुखी हूँ...
अनु - क्यूँ...
वीर - मेरी पर्सनल सेक्रेटरी कम मेरी पर्सनल अस्सिटेंट हो तुम... तुमको फोन भी इसीलिए दिया गया है... बॉस की खैरियत पूछने के लिए... पर तुम तो भूल ही गई...
अनु - ओ... पर राजकुमार जी... मैं भूली नहीं थी... वह फोन को चार्ज मे लगा कर... थोड़ा सो गई थी...
वीर - अच्छा... दोपहर को खाना खा कर सो गई थी...
अनु - हाँ...
वीर - तो फिर रात को कर सकती थी ना...
अनु - हाँ... सोचा... आप सो गए होंगे... इसलिए नहीं किया...
वीर - वैसे... कितने बजे तक सोई तुम...
अनु - पूरे सात बजे तक...
वीर - क्या.... सच कह रही हो...
अनु - हाँ सच्ची...
वीर - ह्म्म्म्म... तो फिर किसीने जगाया या खुद जाग गई...
अनु - कहाँ... खाट पर उल्टी लेटी हुई थी... दादी ने पीछे झाड़ु से मार लगाई... तब जा कर नींद टूटी...
वीर - (मन ही मन बहुत हँसता है) अच्छा... फिर रात को नींद नहीं आई होगी...
अनु - हाँ... आपको कैसे पता...
वीर - खैर... आज तुम्हें दादी ने जगाया नहीं...
अनु - कैसे जगाती... मैंने दरवाजा बंद कर रखा है... बाहर ही दरवाजे पर दस्तक दे कर चिढ़ कर चली गई होगी... मैं भी ढीठ हूँ... बोला था... रविवार छुट्टी है... इसलिए दस बजे तक सोउंगी...
वीर - और देखो कितना उल्टा हुआ... आज मैं तुमसे तुम्हारी खैरियत पूछ रहा हूँ...
अनु - (शर्माते हुए) सॉरी राज कुमार जी... कल से पक्का...
वीर - कल से पक्का... मतलब...
अनु - मैं कल से फोन कर आपसे आपकी खैरियत पुछुंगी...
वीर - ह्म्म्म्म... पर आज से क्यूँ नहीं... मेरा मतलब है... अभी से क्यूँ नहीं...
अनु - अभी से...
वीर - हाँ... अभी से...
अनु - ह्म्म्म्म... क्या पूछूं...
वीर - अच्छा एक बात बताओ...
अनु - जी
वीर - तुम अभी हो कहाँ पर....
अनु - जी मैं अपने कमरे में... अपनी खाट पर बैठी हुई हूँ...
वीर - तो एक काम करो...
अनु - जी...
वीर - अपनी आँखे बंद करो...
अनु - जी कर लिया...
वीर - अपनी बंद आँखों से मुझे देखो...
अनु - क्या राजकुमार जी... आँखे बंद कर लेने से... मुझे मेरा कमरा ही नहीं दिख रहा... मैं आपको कैसे देखूँ...
वीर - यु स्टुपीड गर्ल... मैं जो कह रहा हूँ... वह कर..
अनु - (डर के मारे) जी.. जी... जी...
वीर - अपनी आँखे बंद कर ली...
अनु - जी कर ली...
वीर - अब सोचो... मैं और तुम... तुम और मैं... ऑफिस में... मेरे कैबिन में हैं...
अनु - जी...
वीर - मैं चेयर पर बैठा हुआ हूँ... और तुम मेरे सामने बैठी हुई हो...
अनु - जी...
वीर - मैं.. तुम्हें दिख रहा हूँ ना...
अनु - जी...
वीर - अब पूछो...
अनु - क्या...
वीर - मेरी खैरियत...
अनु - ठीक है...
वीर - तो पूछो....
अनु - आपने खाना खाया... क्या खाया...
वीर - (चुप रहता है)
अनु - (धीरे से) राजकुमार जी... आप वहीँ पर हैं ना...
वीर - अनु... तुम अपनी मन की आँखों से मुझको देख रही हो ना...
अनु - हाँ...
वीर - तो क्यूँ पूछ रही हो.. मैं हूँ या नहीं...
अनु - वह आपने जवाब नहीं दिया...
वीर - यह खाने को छोड़ो.. कुछ और पूछो...
अनु - ह्म्म्म्म... (अनु खामोश हो जाती है)
वीर - अनु... ऐ अनु...
अनु - कुछ सूझ नहीं रहा है...
वीर - क्यूँ...
अनु - क्यूंकि ऑफिस में तो मैंने कभी कुछ पूछा ही नहीं है....
वीर - हूँ.... यह तो है...
अच्छा.... आज रात को सोने से पहले मुझे पूछ लेना...
अनु - क्या... क्या पूछूं मैं...
वीर - यही... के दिन भर क्या किया... क्या खाया... क्या पढ़ा... ऐसा ही कुछ...
अनु - जी...
वीर - और एक खास बात...
अनु - जी कहिए...
वीर - अपने घर से मुझसे जब भी बात करना... अपनी आँखे बंद कर मुझे अपने सामने इमेजिन करते हुए बात करना...
अनु - जी...
वीर - मुझे तुम्हें याद दिलाना ना पड़े...
अनु - जी...
वीर - तो आज रात सोने से पहले... मुझे तुम्हारा फोन का इंतजार रहेगा...
अनु - जी...
वीर - यार एक काम करो... फोन बंद करो... शुरु से ही तुम्हारा जी पुराण चल रहा है...
अनु - जी...
वीर - फिर जी...

अनु अपनी जीभ बाहर निकाल कर फोन काट देती है l उधर फोन कटते ही वीर मोबाइल को देखता है और मुस्कराते हुए अपने सिर पर चपत लगाता है l


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राजगड़ के चौराहे से भैरव सिंह का काफिला गुज़रती है l चौराहे पर भीड़ देख कर ड्राइवर हॉर्न बजाता है l गाड़ी के अंदर बैठा भैरव सिंह भी हैरान हो जाता है l क्यूँकी उत्सव हो या मातम क्षेत्रपाल महल में ही मनाई जाती है l यहाँ किस बात को लेकर भीड़ इकट्ठा है यह जानने के लिए भैरव सिंह गाड़ी रुकवाता है l गाड़ी के रुकते ही भीमा गाड़ी के पास पहुँचता है

भैरव - भीमा...
भीमा - जी हुकुम...
भैरव - यहाँ भीड़ किस लिए है... जाओ... पता कर आओ...

भीमा जाकर लोगों से पूछताछ कर वापस आता है और भैरव सिंह से कहता है

भीमा - हुकुम...
भैरव - क्या है...
भीमा - जी... वह वैदेही... अपनी चाय नाश्ते की दुकान में... आज सब को मुफ्त खिला रही है... इसलिए यहाँ पर भीड़ है... क्यूंकि... सब अपनी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं...

यह सुनने के बाद भैरव सिंह अपनी गाड़ी से उतरता है l अपने बीच भैरव सिंह को देख कर कुछ ही पलों में भीड़ गायब हो जाती है l लोगों का यूँ चले जाना वैदेही को अखरता है उसे समझ में नहीं आता, वह दुकान के बाहर आकर देखती है तो कुछ दूर पर भैरव सिंह खड़ा दिखता है l भैरव सिंह को देखते ही वैदेही की जबड़े भींच जाती हैं और आँखों में गुस्सा और नफ़रत उतरने लगती है l भैरव सिंह तीन बार चुटकी बजाता है, भीमा और उसके आदमी सब समझ जाते हैं l भीमा सभी आदमियों को इशारा करता है तो सारे आदमी पीछे जाकर अपनी अपनी गाड़ियों के पास खड़े हो जाते हैं l भैरव सिंह आगे दुकान की ओर जाता है, तो वैदेही भी आगे जा कर उसके सामने खड़ी हो जाती है l

भैरव - (एक कुटील मुस्कान अपने चेहरे पर ला कर) कौन मर गया... जो इन भीकारीयों को मुफत खिला रही है... कहीं तेरा भाई... भैरव सिंह के खौफ में तो नहीं मर गया....
वैदेही - नहीं... भैरव... वह तो तेरा काल है... उसे क्या होगा... हाँ... तेरे मरने के बाद... कोई श्राद्ध में भोज तो देगा नहीं... इसलिए तेरे मरने से पहले... तेरी श्राद्ध की भोज... मैं दे रही हूँ...
भैरव - वाह.... क्या बात है... (चिढ़ाते हुए) इतना प्यार करती है हमे...
वैदेही - हाँ... (गुर्राते हुए) कुत्ते... इतना की तेरे जीते जी तेरा श्राद्ध... गांव वालों को खिला रही हूँ...
भैरव - आ ह्... तु... जब जब मुझसे गुस्सा होती है... मुझे गाली देती है... तेरी कसम... मेरी रंडी.... साली... बड़ा मजा आता है... दे चल दे... आज कुछ गालीयां मुझे दे दे... कितना सुकून मिलता है... तेरे मुहँ से गाली सुन कर...
वैदेही - बस... कुछ दिन और कुत्ते...कुछ दिन और...
भैरव - कुछ दिन और..क्यूँ... क्या हो जाएगा... क्या सुरज पश्चिम में निकलेगा... अरे हाँ... सात साल पुरे होने को है... तेरा वह भाई... छूटने वाला होगा... है ना... वह मेरे झांट के बाल बराबर भी नहीं है... क्या उखाड़ लेगा मेरा....
वैदेही - जी तो चाहता है... तेरा मुहँ नोच लूँ... यहीं पर...
भैरव - पर तु... कुछ नहीं कर सकती... जानती है क्यूँ... मेरे वह सात थप्पड़ याद है ना... बेहोश हो गई थी...
वैदेही - हाँ... कुत्ते हाँ... मेरे वह सात बद्दुआयें याद रखना.... अगर भूल भी गया हो... तो कोई बात नहीं... मेरा विशु आकर तुझे याद दिला देगा.... तु जैसे ही उसे देखेगा... तुझे सब याद आ जाएगा...
भैरव - ज्यादा मत उच्छल... रंग महल की रंडी... ज्यादा मत उछल... जिनकी नजरें आसमान के बुलंदियों पर होता है... वह कभी नीचे फुदकने वाले टिड्डों के तरफ नहीं देखते...
वैदेही - (चुप रहती है)
भैरव - तेरे उस भाई का चेहरा याद रखने लायक था ही नहीं... तो मैं क्यूँ याद करूँ... क्यूँ... जो मेरी निगाह के बराबर या उपर ना हो... मैं उसे देखता भी नहीं... और तेरा भाई तो पैरों की जुते के बराबर भी नहीं... गौर से देख मुझे... मैं भैरव सिंह क्षेत्रपाल... फूलों का हार या नोटों का हार तक नहीं पहनता... क्यूंकि उसके लिए भी सर झुकाना पड़ता है... जुतें चाहे लाखों की भी हो... मैं उसके तरफ नहीं देखता... क्यूंकि उसके लिए भी झुकना पड़ता है... फिर दो टके का तेरा भाई... वह क्या... उसका औकात क्या...
वैदेही - इतनी अकड़... किस बात के लिए... कोई बात नहीं... इसे बनाए रखना... भैरव सिंह... यह गर्दन भी झुकेगा और तु हार भी पहनेगा... वह भी जुतों की....
भैरव सिंह - चु चु चु चु... तरस आता है तुझ पर... और कसम से मजा भी बहुत आ रहा है... ले... तुने जो श्राद्ध भोज मेरे प्यार मे लगाया था... उसके सारे कौवे उड़ गए... बेकार गया ना तेरी श्राद्ध भोज....
वैदेही - फिक्र मत कर कुत्ते.... ऐसा दिन फिर आएगा...
भैरव सिंह - तेरी कसम है... उस दिन भी कौवे उड़ाने... मैं आ जाऊँगा... हा हा हा.... (पलट कर अपनी गाड़ी के तरफ चला जाता है)
वैदेही - (जबड़े और मुट्ठी भींच लेती है)

भैरव सिंह के अपने काफिले के साथ चले जाने के बाद गौरी वैदेही के पास पहुँचती है l

गौरी - तेरे और भैरव सिंह में... क्या गुफ़्तगू हो रही थी.... ना उसके आदमीयों को सुनाई दिया ना हमे...
वैदेही - यह उसके और मेरे बीच का रिश्ता है... नफ़रत का... ना वह किसीको बांट सकता है... ना मैं...

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प्रतिभा और तापस की गाड़ी रास्ते पर खड़ी है l दोनों गाड़ी के बाहर खड़े हैं l उस रास्ते पर गुजरने वाले हर गाड़ी से तापस लिफ्ट मांग रहा था l पर कोई गाड़ी रोक कर उन्हें लिफ्ट नहीं दे रहा था I

प्रतिभा - ओ हो.. क्या ज़माना आ गया है... कोई लिफ्ट देने की सोच भी नहीं रहा है... आखिर आपको क्या पड़ी थी... एक्जाम हॉल को छोड़ इतने दुर आने की...
तापस - लो उल्टा चोर कोतुआल को डांटे... प्रताप के एक्जाम हॉल के अंदर जाते ही तुम्हींने कहा कि... ढाई घंटे हम बाहर क्या करेंगे... चलिए लिंगराज मंदिर में प्रताप के नाम पर पूजा कर आते हैं... अब तुम उल्टा दोष मुझ पर मढ रही हो...
प्रतिभा - हाँ हाँ... सारा दोष तो मेरा ही है... आपका तो कुछ भी नहीं है... आपको चाहिए था... की गाड़ी को भला चंगा रखना... वह तो नहीं किया आपने...
तापस - हे भाग्यवान... भगवान से तो डरो... हम जिस रास्ते से वापस आए... वह रास्ता खराब था... मैंने मना भी किया था... पर तुमने माना नहीं... हम्प्स से टकरा ऑइल सील टुट गया... इंजिन ऑइल ड्रेन हो गया... अब इसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
प्रतिभा - वह मैं कुछ नहीं जानती.... अभी आधा घंटा और है... एक्जाम के खतम होने में... मुझे XXXX कॉलेज पहुँचना है.... (प्रतिभा अपनी मुहँ फ़ेर लेती है)
तापस - (खीज कर) आरे... लिफ्ट तो मांग रहा हूँ... अब कोई दे नहीं रहा है... तो मैं क्या करूं... इस रास्ते पर... कोई ऑटो या टैक्सी भी नहीं दिख रहा है....

इतने में एक मर्सिडिज आता दिखता है l तापस उस गाड़ी को देख कर लिफ्ट मांगता है l गाड़ी रुक जाती है l पासेंजर साइड खिड़की नीचे सरक जाती है l गाड़ी में बैठा शख्स को देख कर

तापस - सर, हमारी गाड़ी खराब हो गई है... हमे आगे XXXX कॉलेज जाना है... अगर हमें आप अगले जंक्शन तक लिफ्ट दे देंगे तो... बड़ी मेहरबानी होगी...

गाड़ी में बैठा शख्स इशारे से बैठने को कहता है l तापस प्रतिभा से कहता है

तापस - आरे भाग्यवान... हमे यह महाशय लिफ्ट देनें के लिए तैयार हो गए हैं... आओ बैठ जाओ...

प्रतिभा खुश होकर गाड़ी के पिछले सीट पर बैठ जाती है और तापस उस शख्स के साथ आगे बैठ जाता है l

प्रतिभा - (गाड़ी में बैठ कर) थैंक्यू... थैंक्यू बेटा... बहुत बहुत थैंक्यू...
शख्स - (जवाब में कुछ नहीं कहता)
प्रतिभा - क्या हुआ बेटा... आपने जवाब नहीं दिया...
शख्स - जी... जी थैंक्यू की कोई जरूरत नहीं...
प्रतिभा - हाँ... आपको जरूरत नहीं होगी... पर हमे थैंक्यू कहने में कोई कंजूसी नहीं है... हम लोग एक्चुयली लिंगराज मंदिर गए थे....
शख्स - ओह...

फिर गाड़ी में ख़ामोशी छा जाती है l कुछ देर बाद प्रतिभा उस शख्स से पूछती है

प्रतिभा - अच्छा बेटा.. आपका नाम क्या है...
शख्स - (ज़वाब दिए वगैर गाड़ी चलाने में ध्यान लगाता है)
प्रतिभा - सॉरी बेटा... आपको शायद मेरा ऐसे बातेँ करना अच्छा नहीं लग रहा है... सॉरी..
शख्स - देखिए... आप मुझे... यह बार बार बेटा ना कहें... मुझे ऐसे रिश्ता बनाना और उसे निभाना अच्छा नहीं लगता...
प्रतिभा - ओह... सॉरी... लगता है... तुम किसीसे बहुत नाराज हो...
शख्स - (चुप रहता है)
तापस - (पीछे मुड़ कर) भाग्यवान... यह हमारी मदत कर रहे हैं... और तुम हो कि.... इन्हें क्यूँ अपनी बातों से बोर कर रहे हो...

तापस के कहने पर प्रतिभा चुप हो जाती है l वह शख्स अपने में खोया हुआ है और इधर उधर देखते हुए ख़ामोशी से गाड़ी चला रहा है l प्रतिभा से रहा नहीं जाता वह उस शख्स से पूछती है

प्रतिभा - किसीको ढूंढ रहे हो क्या बेटा...
शख्स - (कुछ नहीं कहता)
प्रतिभा - खुद से नाराज़ लग रहे हो... कोई दिल के करीब था.. तुमसे खो गया...
शख्स - हाँ... कोई दिल में उतर गया है... उसीको ढूंढ रहा हूँ...
प्रतिभा - हाँ... लगा ही था... दिल का मामला है... ह्म्म्म्म
शख्स - हाँ ऐसा ही कुछ... वह जब तक नहीं मिल जाता... ना मेरे दिल को चैन मिलेगा... ना मेरे रूह को सुकून मिलेगा...
प्रतिभा - आरे वाह... यह हुई ना बात... सच्चे आशिकों वाली बात... कितना लकी है वह... जिसे बड़ी शिद्दत से चाह रहे हो... ढूंढ रहे हो... बेटा... तुम्हारी तड़प देख कर इतना जरूर कहूँगी... तुम्हें तुम्हारी मंजिल तुमको जरूर मिल जाएगी...
शख्स - थैंक्यू...
प्रतिभा - आरे... इसमें थैंक्यू कैसी... तुमने हमारी इतनी मदत जो की है... मैं ज़रूर भगवान से प्रार्थना करुँगी... तुम्हारे लिए...
शख्स - जी....

फिर गाड़ी में ख़ामोशी छा जाती है l थोड़ी देर बाद XXXX कॉलेज आ जाती है l

तापस - बस बस... यहीं... हाँ... यहीं.. पर...

शख्स अपनी गाड़ी रोक देता है l दोनों सेनापति दंपती गाड़ी से उतर जाते हैं l गाड़ी से उतर कर प्रतिभा उस शख्स से

प्रतिभा - शुक्रिया बेटा... अच्छा... तुमने अपना नाम नहीं बताया...
शख्स - आपने भी भी तो नहीं बताया...
प्रतिभा - मैं एडवोकेट प्रतिभा सेनापति.... और यह मेरे पति... तापस सेनापति.... और तुम....
शख्स - जी... फ़िलहाल मेरा नाम... मेरी पहचान गुम हो गया है... जिस दिन आपकी दुआओं के असर से... मेरी मंजिल मुझे मिल जाएगी... उस दिन मुझे मेरा नाम और पहचान वापस मील जाएगा...
प्रतिभा - अच्छा बेटा... मुझे आज का दिन याद रहेगा... मैं तुम्हारे लिए... भगवान से ज़रूर प्रार्थना करुँगी...

वह शख्स कुछ नहीं कहता गाड़ी की शीशे को ऊपर उठाकर आगे निकल जाता है l उसके जाते ही प्रतिभा तापस से कहती है

प्रतिभा - कितना अच्छा लड़का है ना...
तापस - हाँ... जिस रास्ते पर किसीने हमारी मदत नहीं किया... यह एक देवदूत की तरह आ कर हमें यहां तक लिफ्ट दी... यही तो फर्क़ है... अच्छा चलो... प्रताप आता ही होगा... हमारे पास और चार पांच घंटे हैं... उसे खान के हवाले करने के लिए....
प्रतिभा - हाँ... ठीक है... चलिए...

गेट से बाहर निकल कर प्रताप चिल्लाता है "माँ" l दोनों सेनापति दंपती प्रताप की ओर देखते हैं और उस तरफ जाने लगते हैं l

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गाड़ी के अंदर बैठते हुए भैरव सिंह कुछ सोचे जा रहा है l उसने कुछ सोचने के बाद एक फोन लगाता है l

भैरव सिंह - हाँ महांती... कहाँ तक पहुँचे...
महांती - राजा साहब... हम रंग महल पहुँच गए हैं.... आपकी प्रतीक्षा हो रही है....
भैरव सिंह - कितने आदमी उठाये हैं...
महांती - पुरे दस बंदे हैं...
भैरव सिंह - कोई छूट गया....
महांती - हाँ सर... पूरे बारह लोग हमारे सर्विलांस में थे.... पर दो लोग ऐन मैके पर ही गायब हो गए....
भैरव - अच्छा... कुछ और भी हुआ है क्या...
महांती - जी कुछ और मतलब...
भैरव - सिर्फ़ छोटे राजा जी का कांड ही ना... कुछ और तो नहीं हुआ है...
महांती - जी... जी नहीं... (भैरव सिंह चुप रहता है) राजा साहब.... क्या हुआ...
भैरव - महांती... तुमको मेरा एक काम करना है... और किसीको कानों कान खबर नहीं होना है...
महांती - जी कहिए...
भैरव - देखो... जिनको तुम लाए ही... तुम्हें उनसे क्या उगलवाना है... यह तुम्हारा काम है... हम तुम्हें इस काम के लिए... पुरा रंग महल तुम्हारे हवाले करते हैं...
महांती - जी... समझ गया... आप काम बताइए....
भैरव - एक आदमी के बारे में... वह भुवनेश्वर में है...
महांती - जी...
भैरव - वह क्या कर है.... या कहाँ है... वगैरह वगैरह... यह सब पता कर के मुझे बताना है....
महांती - जी... जरूर... यह काम तो... हमारे ESS में से कोई भी आदमी कर देगा...
भैरव - ठीक है... हम... एक जरूरी काम के लिए... यशपुर तहसील जा रहे हैं... हमें शाम तक खबर कर दो... उसके बारे में....
महांती - जी... पर उसका नाम...
भैरव - (चुप रहता है)
महांती - राजा साहब... राजा साहब...

भैरव सिंह को वैदेही से बातचित करने के बाद उसे अपना किया हुआ वादा याद आता है

"वैदेही - विश्व से डरता है तु.... इसलिए... उसे लंगड़ा करने की कोशिश की थी तुने.... उसका हुक्का पानी बंद करवा रखा है तुने....
भैरव - वह इसलिए... के वह जब जब गली गली भीख मांगता... तब तेरे तड़प देख कर मैं... खुश होता....
वैदेही - पर भाग्य ने यह होने नहीं दिया....
भैरव - भाग्य... जब जब भाग्य मुझसे... पंजा लड़ाया है... मैंने तब तब किसी और का भाग्य लिखा है.....
वैदेही - इतना अहं.... पचा नहीं पाओगे... यह तब तक... है जब तक... विश्व अंदर है... वह जब आएगा... तु बहुत रोएगा... उसके इरादों के आँधी के आगे... तेरा साम्राज्य तिनका तिनका उड़ जाएगा.... उसके नफ़रत के सैलाब से.... तेरा जर्रा जर्रा बह जाएगा.... देखना.... आखिर उस पर... मेरे तीन थप्पड़ों का.... कर्ज है...
भैरव - आई शाबाश... मुझे अब तुझ पर प्यार आ रहा है... मेरी रंडी कुत्तीआ.... चल आज तेरी खुशी के लिए... मैं सात साल तक विश्व को भूल जाता हूँ... तो बता विश्व आकर मेरा क्या उखाड़ेगा...."

महांती - राजा साहब... क्या आप... लाइन में हैं...
भैरव - हाँ.... हाँ.. महांती.. जाने दो... जाने दो...
महांती - राजा साहब क्या हुआ...
भैरव - कुछ नहीं... हमे हमारी हैसियत याद आ गया....
महांती - जी मैं समझा नहीं....
भैरव - हमने जो कहा... उसे भूल जाओ... और हाँ ख़बरदार... भूलकर भी हमारी नाफरमानी हो ना पाए...
महांती - जी... जैसा आपका हुकुम...

भैरव सिंह अपना फोन काट देता है l उधर महांती सब सुन कर कुछ सोचने लगता है l

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रात हो चुकी है
सुबह से रुप खुद को कमरे में बंद कर रखा था l कल हुई हादसे के वजह से वह अपने भाभी के सामने जाने से कतरा रही थी l ऊपर से विक्रम को एक नए अवतार में देख कर हैरान रह गई थी, और जिस तरह से विक्रम घर से निकल गया शुभ्रा के हाथ में नाश्ते की थाली वैसी की वैसी रह गई थी l रुप अपनी कमरे से बाहर निकलती है और शुभ्रा के कमरे की ओर जाती है l शुभ्रा के कमरे का दरवाज़ा खुला हुआ मिलता है l वह दरवाजे को हल्के से धक्का दे कर खोलती है l अंदर शुभ्रा बेड पर हेड रेस्ट से टेक लगा कर कोई किताब पढ़ रही थी l दरवाज़ा खुलते ही शुभ्रा रुप की तरफ देखती है l रुप अपना सिर झुकाए दरवाजे के पास खड़ी हुई है l

शुभ्रा - क्या हुआ रुप... वहाँ क्यूँ रुक गई... आओ...

रुप की रुलाई फुट पड़ती है, वह रोते रोते हुए शुभ्रा के पास जाती है और उसके गोद में अपना सिर छुपा कर रोने लगती है l

शुभ्रा - क्या हुआ रुप... क्यूँ रो रही हो...
रुप - आ.. आ.. प... मुझसे न... नाराज हैं ना...
शुभ्रा - यह तुम क्या कह रही हो... भला मैं तुमसे क्यूँ नाराज़ होने लगी...
रुप - व... वह... आ.. आप...
शुभ्रा - एक मिनट... यह रोना धोना बंद करो... (पानी की ग्लास रुप को देते हुए) पहले यह पानी पी लो... फिर मुझसे बात करो....

रुप आधी ग्लास पानी पी लेती है तो उसका सुबकना बहुत कम हो जाती है l अपनी रोने पर कंट्रोल करते हुए l

रुप - आज भैया के बिना खाए जाने से.... आपको बहुत दुख पहुँचा... उसके बाद... आप दिन भर ना मेरे पास आए ना अपने पास बुलाया... मैं.. मैं समझ सकती हूँ... आपको कितना ठेस पहुँची है.... पर भाभी मैं सच कहती हूँ... मैंने जान बुझ कर कुछ नहीं किया... जो भी हुआ... वह एक्सीडेंट था...
शुभ्रा - (रुप के सिर पर हाथ फेरती है और पूछती है) रुप... क्या दोपहर को... तुमने खाना खाया है....
रुप - (अपना सिर हिला कर ना कहती है) आपने भी तो नहीं खाया है...
शुभ्रा - एक मिनट...

फिर शुभ्रा फिर से नीचे किचन को फोन करती है और रात का खाना अपने कमरे में लाने के लिए नौकरों से कह देती है l

रुप - भाभी...
शुभ्रा - हूँ...
रुप - भैया सुबह से गए हैं... अभी तक नहीं लौटे हैं... आपको चिंता नहीं हो रही...
शुभ्रा - नहीं... क्यूंकि वह मुझसे कह कर गए हैं... हफ्ते दस दिन के लिए वह कहीं बाहर जा रहे हैं... और इतने बड़े घर में... तुम्हारे दोनों भाई कब आते हैं... कब जाते हैं... कोई नहीं जानता...
रुप - उनका... इस वक़्त ऐसे बाहर जाना... अपने आपको... इतना बदल देना... आपको अखर नहीं रहा...
शुभ्रा - रुप... तुम भले ही उनकी बहन हो... पर मैं उन्हें तुमसे ज्यादा जानती हूँ.... वह इस वक़्त अपने अंदर के ज़ख्मों से उठ रहे टीस को शांत करने के लिए.... प्रताप को ढूंढने निकले हैं.... पर उन्हें प्रताप नहीं मिलेगा... कम से कम एक महीने के लिए... बाद में क्या होगा.... यह वक़्त आने पर देखेंगे...
रुप - आज आपको उनकी हुलिया देख कर... कुछ अजीब नहीं लगा...
शुभ्रा - हाँ लगा... पर इसमे उनका क्या दोष... अगर तुम यह सोच रही हो... की क्षेत्रपाल नाम की अहं को चोट के कारण उन्होंने अपनी मूंछें मुंडवाया है... तो तुम सोला आने गलत हो... हाँ... उन्होंने अपनी मूँछों पर हमेशा क्षेत्रपाल बन कर ताव दिया है.... पर... उनके अंदर की मर्द होने के अहं को चोट पहुँची है.... वह भी मेरी वजह से... इसलिए उन्होंने अपनी मूंछें मुंडवा लिया है...
रुप - आपके वजह से... पर आपने कुछ गलत तो नहीं कि थी...
शुभ्रा - ऐसा तुम सोच रही हो... पर तुम यह नहीं जानती कि इन सात साल सालों में... उन्होंने इस सहर में क्या कमाया था... मैंने देखा है उन्हें... गोलियों के बौछारों के बीच अकेले किसी शेर की तरह गुजर जाते थे... ऐसा आदमी जिसने अपने दम पर... ना सिर्फ़ भुवनेश्वर में हर गुंडे मवालियों बीच.... बल्कि पुलिस वालो के बीच भी खौफ बनाए रखा था... ऐसे आदमी के लिए... उसकी व्याहता किसी के आगे घुटने टेक दे... हाथ जोड़ दे तो...
रुप - मैं अभी भी कह रही हूँ... आपने वक़्त की नजाकत को भांपकर... वैसा किया था....
शुभ्रा - तुम फिर भी नहीं समझ रही हो... सदियों से एक विचार धारा है... औरत को मर्द अपनी ताकत के बूते सुरक्षा देता है... ज़माने की बुरी नजर व नीयत से बचाता है.... और उनके रगों में तो... राजसी खुन बह रहा है... प्रतिकार करना और प्रतिघात करना उनके खुन में है... ऐसे में उनकी अर्धांगिनी के घुटने टेक कर... उनके लिए जान की भीख माँगना... उनके मर्द होने के अहं को नेस्तनाबूद कर दिया है... इसी ग़म से हल्का होने गए हैं...
रुप - कहीं कुछ उल्टा सीधा....
शुभ्रा - (टोकते हुए) नहीं... वह ना तो कायर हैं ना ही बुजदिल...
रुप - हाँ... पर...
शुभ्रा - बस रुप बस... अब इस टॉपिक पर... और नहीं... लेट चेंज द टॉपिक...
रुप - क्या...
शुभ्रा - तुम... अनाम से बहुत अटैच थी ना...
रुप - हाँ...
शुभ्रा - क्या तुम्हें... अभी भी उसका इंतजार है...
रुप - (अपना मुहँ फ़ेर लेती है और चुप रहती है)
शुभ्रा - ओके... मुझे मेरा जवाब मिल गया... (रुप के फिरभी खामोश रहने पर) वेल... मैं कभी आजाद परिंदे की तरह थी... पर आज.... खैर छोड़ो... अच्छा बताओ... अनाम ने कभी तुम्हें आजादी की फिल कराया है...
रुप - भाभी... (थोड़ा हंसते हुए) आपने टॉपिक भी क्या बदला है... खैर आप मेरे लिए... मेरी माँ... गुरु.. सखी... सब कुछ तो हो... आप से क्या और क्यूँ छुपाना... भाभी... जानती हैं... घर पर कभी भी... मेरा जनम दिन नहीं मनाया जाता था... और ना ही मनाया जाता है.... वजह.. तीन पीढ़ियों बाद... मैं लड़की जो पैदा हुई थी.... ऐसे में... मेरी छटी से लेकर ग्यारहवीं साल गिरह तक... अनाम ने ही मेरे साथ... मेरा जन्मदिन मनाया था....
शुभ्रा - ओ... तभी... अनाम का तुम्हारे जीवन पर प्रभाव छोड़ना बनता है...
रुप - हाँ... भाभी... मेरी छटी साल गिरह के पहले दिन जब मुझे मेरे कमरे में.... अनाम पढ़ा रहा था...

फ्लैशबैक में--

रुप की बचपन
अपने कमरे में रुप पढ़ रही है और उसे अनाम पढ़ा रहा है I रुप की कमरे की सजावट ऐसी है जैसे एक स्कुल की क्लासरूम I अनाम पढ़ाते पढ़ाते रुक जाता है l क्यूँकी वहाँ पर छोटी रानी सुषमा पहुँचती है l

सुषमा - अनाम... और कितना समय...
अनाम - जी बस खतम हो समझीये... (ब्लैक बोर्ड को साफ करते हुए) बाकी की पढ़ाई हम कल कर लेंगे...
सुषमा - ठीक है... (रुप से) अच्छा राजकुमारी... आप कल सुबह तैयार रहिएगा... हम जल्दी जल्दी मंदिर जा कर आ जाएंगे....
अनाम - क्षमा... छोटी रानी जी... क्या कल कोई खास दिन है...
सुषमा - हाँ... अनाम... कल राजकुमारी जी का जन्मदिन है....
अनाम - आरे वाह... तो फ़िर कल दावत होगी...

सुषमा और रुप के चेहरे पर दुख और निराशा दिखता है l

रुप - तुमको मेरे जन्मदिन से ज्यादा दावत से मतलब है... भुक्कड कहीं के....
अनाम - अरे... आपका जन्मदिन है... मतलब राजगड़ की राजकुमारी का जन्मदिन... हम दावत की उम्मीद भी ना करें...
सुषमा - अनाम... इस घर में... लड़की या औरतों के लिए कोई खुशियाँ नहीं मनाया जाता.... हाँ अगर तुमको दावत चाहिए तो... मैं तुम्हें कुछ खास बना कर खिला दूंगी... पर कोशिश करना... किसीको को खबर ना हो...

इतने में एक नौकरानी भागते हुए आती है और सुषमा से कहती है

नौकरानी - छोटी रानी.... छोटे राजा जी ने आपको याद किया है...
सुषमा - ओ अच्छा... (अनाम से) अगर कुछ बाकी रह गया है... तो अभी खतम कर दो... और हाँ कल रात का खाना खा कर ही जाना... (इतना कह कर सुषमा वहाँ से चली जाती है)

अनाम रुप की ओर देखता है l रुप अपनी कुर्सी से उतर कर दीवार पर लगी अपनी माँ के फोटो के सामने खड़ी हो जाती है और उसके आँखों से आँसू बहने लगती हैं l अनाम उसके पास आ कर

अनाम - अच्छा राजकुमारी जी... एक बात पूछूं... (आंसू भरे आँख से अनाम को देखती है) किसीको भी मालुम नहीं होगा... क्या हम ऐसे आपके जन्मदिन मनाएं...
रुप - अगर किसीको पता चल गया तो...
अनाम - किसीको पता नहीं चलेगा... सिर्फ़ आप और मैं....
रुप - (मुस्कान से चेहरा खिल जाता है) सच...
अनाम - मुच...

फ्लैशबैक खतम

शुभ्रा - वाव... मतलब तुम्हारा हर जन्मदिन... तुम अनाम के साथ मनाती थी...
रुप - हाँ...
शुभ्रा - तभी... तभी मैं सोचूँ... अनाम तुम्हारे जीवन में इतना स्पेशल क्यूँ है... अच्छा... उससे तुमने कुछ वादा भी लिया था क्या...
रुप - (मुस्कराते हुए) जब मैं अपनी दसवीं साल गिरह उसके साथ मनाया था... तब मैंने उससे एक वादा लिया था...
शुभ्रा - क्या... (हैरान हो कर) व्हाट... ओह माय गॉड.... वादा... सच में... मैंने तो ऐसे ही तुक्का लगाया था.... कैसा वादा...
रुप - (थोड़ा हँसते हुए) यही की... जब मैं शादी के लायक हो जाऊँ... तब वह मुझे व्याह लेगा...
शुभ्रा - क्या... (हैरान हो कर) यु आर इंपसीबल... रीयली... एक मिनट... एक मिनट.... तुम... सिर्फ़ दस साल की थी... तब... तब शायद वह अट्ठारह साल को होगा... आज तुम्हें उसका चेहरा तक ठीक से याद नहीं है... और तुमने उससे वादा लिया था... वह भी शादी का...
रुप - दस साल की थी... पर प्यार... एफेक्शन... अच्छी तरह से समझती थी... एडोलसेंस को भी समझ पा रही थी.... हाँ हम जब जुदा हुए... तब मैं बचपन को छोड़ किशोर पन में जा रही थी.... और अनाम किशोर पन छोड़ कर जवानी में जा रहा था...
शुभ्रा - रुप... क्या अभी भी... तुम्हें अनाम का इंतजार है...
रुप - (चुप रहती है)
शुभ्रा - शायद हाँ.... इसलिए ना... तुमने प्रताप में अनाम को ढूंढने की कोशिश की...
रुप - (कुछ नहीं कहती है अपना चेहरा झुका लेती है)
शुभ्रा - पर रुप... वह अब अट्ठाइस साल का होगा शायद... क्या तुम्हें लगता है... वह वाकई तुम्हारे लिए... कुँवारा बैठा होगा... क्यूंकि था तो वह एक मुलाजिम ही... और उसे क्षेत्रपाल परिवार के बारे में भी जानकारी होगी... ऐसे में... अगर उसकी शादी... यु नो व्हाट आई मीन...
रुप - मैं समझती हूँ... भाभी... मैंने कुछ वादों में से एक वादा ऐसा भी लिया था... के वह कभी किसी और लड़की को मुहँ उठा कर नहीं देखेगा...
शुभ्रा - व्हाट... ओह माय गॉड... रुप... तुम बचपन में ही इतनी शातिर थी...
रुप - (हँसते हुए शर्मा जाती है और अपना सिर झुका लेती है)
शुभ्रा - अब समझ में आ रहा है... तुमको प्रताप में अनाम की झलक क्यूँ दिखी... हम्म...
रुप - (चुप्पी के साथ अपना सिर झुका लेती है)
शुभ्रा - अररे हाँ... बिंगो... रुप अगले महीने तुम्हारा जन्मदिन है... है ना...
रुप - (चेहरा उतर जाता है) हाँ भाभी...
शुभ्रा - ठीक है... भले ही... राजगड़ वाले तुम्हारा जन्मदिन ना मनाया हो... पर तुम्हारी भाभी जरूर मनाएगी...
रुप - मुझे कोई इंट्रेस्ट नहीं है... भाभी...
शुभ्रा - अरे... घबराओ नहीं... भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जाएगा... तुमने सुना नहीं था... अगले महीने प्रताप भी आने वाला होगा... मैं तो कहती हूँ... कुछ ना कुछ कनेक्शन जरूर है...
रुप - कैसा कनेक्शन...
शुभ्रा - जैसे तुम्हें लगा शायद... प्रताप अनाम हो सकता है... वैसे अब मुझे भी लग रहा है...
रुप - (हैरान हो कर) क्या....
शुभ्रा - हाँ... क्यूंकि... मॉल में कितनी लड़कियाँ उसे तक रही थीं... पर उसने किसीकी ओर देखने की जरा भी कोशिश नहीं की...
रुप - (कुछ नहीं कहती, चुप हो जाती है)
शुभ्रा - अच्छा छोड़ो... यह सब हम अगले महीने डिस्कस करेंगे.... यह बताओ... कल से तुम अपने कॉलेज जाओगी... अब तो तुम एफएम 97 की सेलिब्रिटी हो... क्या करोगी....
रुप - (अपनी भाभी के गोद में सिर रख कर) कुछ नहीं भाभी... बस यह रॉकी के टेढ़े मेढ़े येड़े ग्रुप को अच्छे से समझना है

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खाना खा लेने के बाद अनु अपने बेड के पास इधर उधर हो रही है l उसके बेड पर रखे मोबाइल को बार बार देख रही है l आखिर अपने बेड पर बैठ जाती है और एक झिझक के साथ फोन उठाती है l फिर वह वीर की नंबर निकालती है l वीर के नंबर उसके मोबाइल पर राजकुमार नाम से सेव है, उस नंबर को देखते ही अनजाने में ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान खिल उठती है l वह फोन डायल करती है, उधर वीर की मोबाइल भी वीर के बेड पर पड़ा हुआ है और वीर भी अपने बेड के पास इधर उधर हो रहा है I जैसे ही उसका फोन बजता है वह धप कर कुद कर फोन के पास पहुँचता है और उसे डिस्पले में स्टुपीड लड़की नाम दिखता है l यह नाम देख कर वह खुश हो जाता है l

वीर - (फोन उठा कर उबासी लेने के स्टाइल में) हैलो...
अनु - रा.. राजकुमार जी... आप सो गए...
वीर - अरे अनु... तुम...
अनु - जी... क्या आप सो गए थे...
वीर - हाँ... तुम्हारे फोन के इंतजार में... मेरी आँख लग गई थी...
अनु - क्या.... सॉरी... सॉरी...... मैंने आपकी नींद खराब कर दी...
वीर - अरे बेवक़ूफ़ लड़की... मैंने कहा कि तुम्हारे फोन के इंतजार में... तो तुम्हें किस बात के लिए फोन पर माफी मांगनी चाहिए थी...
अनु - मुझे क्या पता... आपने ही कहा था कि... रात को सोने से पहले फोन करने के लिए...
वीर - (समझ नहीं पाता क्या कहे) अच्छा अनु जी... आप ने इस वक्त फोन क्यूँ किया...
अनु - जी आपने ही कहा था... सोने से पहले आपकी खैरियत पूछने के लिए...
वीर - अच्छा... तो पूछिये...
अनु - आप ने खाना खा लिया....
वीर - (फोन को बेड पर पटक कर अपना सिर तकिए पर फोड़ ने लगता है)
अनु - राजकुमार जी... राजकुमार जी...
वीर - (फोन को स्पीकर पर डालते हुए) हाँ अनु जी... बोलिए...
अनु - आपने बताया नहीं... क्या खाया...
वीर - वही... वही जो रोज रात को खाता हूँ...
अनु - ओ... पानी भी पी लिया...
वीर - नहीं अब पीने वाला हूँ...
अनु - ओ... तब तो आपको सो जाना चाहिए...
वीर - हाँ... वही तो किया था...
अनु - आपकी नींद टुट गई... इसके लिए मैंने आपसे सॉरी तो कह दिया है ना....
वीर - हाँ... अनु... इस खाने पीने के सिवा... क्या खैरियत पूछने के लिए कुछ भी नहीं है...
अनु - जी... मुझे कुछ सूझ नहीं रहा... आप ही बताइए ना....
वीर - अच्छा मैंने कहा था... जब भी बात करो... अपनी आँखे बंद कर इमेजिन करो... के तुम मेरे सामने हो...
अनु - जी... ओह... मैं तो भूल ही गई थी...
वीर - तो अब...
अनु - तो अब...
वीर - अपनी आँखे बंद करो...
अनु - जी...
वीर - क्या मैं दिख रहा हूँ...
अनु - जी...
वीर - अब पूछो...
अनु - क... क्या...
वीर - कुछ भी...
अनु - आ.. आप..
वीर - हाँ मैं...
अनु - अ.. आप.. क्या कर रहे हैं...
वीर - मैं तुम्हारे पास ही हूँ... तुम्हें देख रहा हूँ... इतना पास... के तुम्हारी सांसों को महसुस कर पा रहा हूँ...
अनु - क.... क्या... (अनु अपनी आँखे खोल देती है) (वह महसुस करती है कि उसकी सांसे भारी होने लगी हैं) वह अपनी फोन बंद कर देती है l

वीर - अनु... अनु... (वीर देखता है फोन कट चुका है)
बेहतरीन अपडेट
 

Rajesh

Well-Known Member
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158
👉बावनवां अपडेट
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दो दिन बाद
तापस अपनी कैबिन में बैठ कर किसी सोच में खोया हुआ है l तभी उसे एक आवाज सुनाई देती है l

- मे आई कम इन सर...
तापस - हूँ... हाँ दास... प्लीज.. अंदर आ जाओ... (दास अंदर आता है) बैठ जाओ...
दास - (बैठते हुए) सर... आप किसी गहरी सोच में डुबे हुए हैं... कोई खास बात....
तापस - हाँ... मैं यह सोच रहा हूँ... इंसान और हालात को समझने की तुममे... गजब की काबिलियत है... फ़िर तुम इस जैल में क्या कर रहे हो... तुम्हें तो फ़ील्ड में होना चाहिए... तुम अपना टैलेंट बरबाद कर रहे हो... चाहो तो मैं तुम्हारा सिफारिश कर सकता हूँ...
दास - नहीं सर... मुझे कोई सिफारिश की जरूरत नहीं है... जहां हूँ.. जैसा हूँ... अच्छा हूँ...
तापस - क्यूँ... ऐसा क्यूँ...
दास - सर... यह वह नौकरी है... जहां क़ाबिलियत के हिसाब से ओहदा नहीं होता... और मुझे मेरी ओहदे की सीमा मालुम है...
तापस - खैर... फिरभी मैं तुम्हें सजेस्ट करूंगा... तुम अपनी अगली प्रमोशन के बाद... फ़ील्ड पर काम करो...
दास - सर.. मैं इतना तो कह ही सकता हूँ... आप मेरे बारे में सोच नहीं रहे थे... बात कुछ और है...
तापस - देखा... आख़िर सही अंदाजा लगाया लिया तुमने... हाँ मैं कुछ और ही सोच रहा था...
दास - क्या सोच रहे थे सर...
तापस - यही... रंगा की बात पर गौर किया जाए तो... मुठभेड़ सिर्फ़ एक मिनट का हुआ होगा... उस एक मिनट में... रंगा ने विश्व का ऐसा कौनसा रूप देख लिया.... के वह... अंदर से हिल गया... और विश्व इतना बड़ा फाइटर कब और कैसे बनगया... हमें पता भी नहीं चला...
दास - बात तो आपकी सही है... जैल के भीतर... एक बंदा कॉमबैट ट्रेनिंग लेता है... पर किसी को खबर तक नहीं होती... वह भी डेढ़ साल तक... कोई शक़ नहीं... हम इस मामले में फैल हो गए....
तापस - हाँ दास... मुझे भी इसी बात की खीज है...
दास - सर सच कहूँ तो... मुझे भी...
तापस - खैर... कहो दास... यहाँ... इस वक्त...
दास - सर यह आपका टूर अप्रूवल लेटर... आपको डेपुटेशन पर दिल्ली जाना है... आज रात को ही... राजधानी एक्सप्रेस में...
तापस - ओह... आज ही निकलना है... ओह माय गॉड... तैयार होने के लिए वक्त भी नहीं है...
दास - सर... यह... ऑल ऑफ सडन... दिल्ली..
तापस - वह मेरा एक काम बाकी रह गया है... पुरा करना है... इसलिए दिल्ली जाना जरूरी है... पर सोचा नहीं था... इतनी जल्दी अप्रूवल आ जाएगा...
दास - ओके सर... आई मे लिव नाउ... (कह कर सैल्यूट दे कर चला जाता है)

दास के जाते ही तापस प्रतिभा को फोन लगाता है l

तापस - हैलो... जान.. मुझे आज शाम को निकालना है... टूर अप्रूव हो गया है...
प्रतिभा - क्या... वाव... पर आज ही... तो फिर अब हम क्या करेंगे...
तापस - सुनो... आज क्या अभी... तुम वापस आ जाओ... और प्रत्युष को भी पीक कर लो... मैं घर पर तुम लोगों का इंतजार कर रहा हूँ... ओके...
प्रतिभा - ओके....

कह कर प्रतिभा फोन काट देती है और अपनी आँखे बंद कर भगवान को प्रार्थना करने लगती है l फ़िर अपनी ऑफिस से सभी काम समेट कर निकलती है l बाहर कार पार्किंग में पहुंच कर कार को स्टार्ट करती है l थोड़ी देर बाद गाड़ी को हाइकोर्ट के परिसर से बाहर निकाल कर मेन रोड पर आ जाती है l पर थोड़ी ही दूर उसकी गाड़ी रुक जाती है क्यूंकि बाहर रास्ते में कोई प्रदर्शन हो रहा है l प्रतिभा हॉर्न बजा कर रास्ता मांगती है l पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कोई असर नहीं होता l प्रतिभा चिढ़ कर हॉर्न बजाती रहती है, तो थोड़ा रास्ता मिल जाता है l उसी रास्ते से गाड़ी थोड़ी जल्दी निकालने की कोशिश करती है पर तभी उसकी गाड़ी से कोई टकरा जाता है, जिससे वह आदमी छिटक कर दुर गिरता है l उस आदमी के गिरते ही सारी भीड़ प्रतिभा के कार के तरफ हमलावर हो जाता है l तभी कुछ नौजवान बीच बचाव करते हुए वहाँ आकर भीड़ को रोकते हैं l उन नौजवानों में से एक प्रतिभा के तरफ आ कर कार की ग्लास नीचे करने के लिए कहता है l प्रतिभा ग्लास नीचे करती है तो वह नौजवान

नौजवान - मैंम... आप घबराए नहीं... हम यहाँ सब सम्भाल लेंगे... एक्चुऐली हमारा लीडर आपके गाड़ी से टकरा कर गिर गया है... आप बस एक काम कीजिए... उसे एससीबी मेडिकल कॉलेज ले जाइए... हम यहाँ भीड़ को नियंत्रित कर लेंगे....
प्रतिभा - श्योर श्योर... एंड थैंक्यू...
नौजवान - कोई बात नहीं मैम... हम आपको जानते हैं... आप बस इसे ले जाइए...
प्रतिभा - ओके ओके... उन्हें जल्दी से अंदर ले आइए...

कुछ नौजवान उस आदमी को उठा कर प्रतिभा की गाड़ी की पिछली सीट पर बिठा देते हैं l प्रतिभा देखती है उस आदमी की घुटनों के नीचे से पेंट फट गया है और थोड़ा खुन भी बह रहा है l उस आदमी के बैठते ही लोग तुरंत प्रतिभा की गाड़ी को रास्ता दे देते हैं l प्रतिभा गाड़ी को कटक के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज की ओर भगाती है l गाड़ी के अंदर वह आदमी खामोश बैठा हुआ है l


प्रतिभा - आ.. आई... आई एम सॉरी...
आदमी - कोई बात नहीं है... मैडम... ऐसा हो जाता है... लगता है आप बहुत जल्दी में थीं...
प्रतिभा - हाँ... नहीं... मेरा मतलब है... हाँ भी और नहीं भी... वैसे किस बात की प्रदर्शन हो रहा है...
आदमी - अब केंद्र सरकार जेनेरिक मेडिसन को आम लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रही है... हम केंद्र सरकार के इस कदम के समर्थन में... राज्य सरकार पर दबाव बना रहे हैं...
प्रतिभा - ओह यह तो अच्छी बात है... पर राजनीतिक धरना या प्रदर्शन तो भुवनेश्वर में होना चाहिए... आप लोगों को कटक में क्यूँ कर रहे हैं....
आदमी - हम लोग कटक से भुवनेश्वर.... राज भवन तक रैली कर जाने वाले थे.... इसलिए लोगों को इकट्ठा कर रहे थे...
प्रतिभा - ओ अच्छा...

प्रतिभा एससीबी मेडिकल कॉलेज में पहुंच जाती है l जैसे ही गाड़ी की दरवाज़ा खोलती है तो उसे एहसास होता है कि मदत के लिए उस आदमी के पास कोई आया नहीं है l इसलिए वह अंदर जा कर एक वार्ड बॉय को बुलाती है l वह वार्ड बॉय एक व्हीलचेयर लेकर आता है और उस आदमी को व्हीलचेयर में बिठा कर अंदर कैजुअलटी में ले जाते हैं l डॉक्टर उस आदमी को चेक कर एक्सरे के लिए भेज देता है l प्रतिभा उस वार्ड बॉय के साथ साथ उस आदमी को ले कर चलती है l एक्सरे रिपोर्ट में उस आदमी की पैर की हड्डी टूटने की बात पता चलता है l डॉक्टर प्लास्टर करने के लिए ड्रेसिंग रूम भेज देता है l पुरे एक घंटे के बाद उस आदमी के टांग पर प्लास्टर चढ़ा जा चुका है l उस आदमी को जनरल वार्ड में एक बेड में सुला दिया गया है l अब चूँकि प्रतिभा ही अब तक सारी फर्मालीटी के वक्त साथ रही इसलिए डॉक्टर ने एडमिशन फॉर्म में पहले से ही प्रतिभा के दस्तखत ले लिए थे l जब उस आदमी को बेड तक पहुंचा दिया जाता है, प्रतिभा उसके पास आती है और उसके पास बैठ कर

प्रतिभा - आई एम एक्सट्रीमली सॉरी... आपके साथ जो हुआ...
आदमी - कोई बात नहीं है मैडम.... आपने भी मेरी प्लास्टर चढ़ने तक यहाँ मेरे पास रह कर सब कुछ हैंडल किया... उसके लिए दिल से थैंक्स...
प्रतिभा - अरे यह कह कर... मुझे शर्मिदा ना करो... वैसे क्या आपने अपने परिवार वालो को इंफॉर्म कर दिया है कि नहीं...
आदमी - पता नहीं... मेरे दोस्तों ने किया होगा या.. शायद नहीं...
प्रतिभा - कोई नहीं... आप मुझे अपने पेरेंट्स के नंबर दीजिए... मैं उनसे बात कर लेती हूँ...
आदमी - पहली बात आप मुझे आप ना कहें... आप उम्र में मुझसे बड़ी हैं... आप या तो तुम कहें या तु... और रही मेरे परिवार को बात तो... मेरी माँ अब इस दुनिया में नहीं है... पर आप मेरे पिताजी को फोन कर इंफॉर्म कर दीजिए...
प्रतिभा - ओह... तुम्हारी माँ नहीं हैं... सॉरी... ठीक है तुम अपने पिताजी की नंबर दो...
आदमी - जी उनका नंबर है xxxxxxxxxx

प्रतिभा उस नंबर पर डायल करती है और जवाब का इंतजार करने लगती है l फोन पर रिंग सुनाई देती है, फिर एक मर्दाना आवाज़ गूँजती है..

आवाज़ - हैलो...
प्रतिभा - जी मैं... एडवोकेट प्रतिभा सेनापति बोल रही हूँ...
आवाज़ - जी कहिए...
प्रतिभा - जी वह आपके बेटे का एक्सीडेंट हो गया है...
आवाज़ - क्या... कैसे.. कब... कहाँ है मेरा बेटा...
प्रतिभा - जी जी आप घबराए नहीं.. वह अब ठीक है... आप बस यहाँ आकर उसे ले जाइए...
आवाज़ - हाँ हाँ अभी आता हूँ... कौनसे हस्पताल में है...
प्रतिभा - जी एससीबी मेडिकल कॉलेज कटक में....
आवाज़ - थैंक्स.. थैंक्यू वेरी मच...
प्रतिभा - (उस नौजवान से) अच्छा... अब मैं चलती हूँ... मेरे घर पर मेरा इंतजार हो रहा होगा...
आदमी - ठीक है मैंम... एंड थैंक्यू अगेन...
प्रतिभा - ओके.. अच्छा... वैसे तुम मेरे बारे में तो जान ही गए... पर मुझे तुम्हारा परिचय नहीं मिला अब तक....
आदमी - जब ठीक हो जाऊँगा... तब आपसे मिलने आऊंगा... वादा रहा... तब तक के लिए... धन्यबाद...

उस आदमी के इस तरह की जबाव, प्रतिभा को पसंद नहीं आया इसलिए प्रतिभा वहाँ से चली जाती है और गाड़ी को भुवनेश्वर की और दौड़ा देती है l जब प्रतिभा घर पहुँचती है तो घर में दोनों बाप बेटों को उसका इंतजार करते हुए पाती है l

तापस - यह क्या भाग्यवान... कब से आने को फोन किया था और तुम अब आ रही हो... और कितनी बार तुमको फोन लगाया... पर तुमने उठाया नहीं....
प्रतिभा - क्या करूँ सेनापति जी... आपने बुलाया और मैंने भी निकलने में देरी नहीं की पर... जल्दी जल्दी में... मेरी गाड़ी से किसी की टक्कर हो गई.... उसके इलाज के चक्कर में... फोन गाड़ी में ही रह गया था...
प्रत्युष - क्या....(हैरान हो कर)
प्रतिभा - ओह ओ... इतना बड़ा रिएक्शन मत दो... ठीक है बेचारा...
तापस - अच्छा... पर वह एक्सीडेंट हुई कैसे...

फिर प्रतिभा उसे सब कुछ बताती है l कैसे क्या और कब हुआ l बाप बेटे ध्यान से सुनने के बाद l

प्रत्युष - माँ... जो भी हुआ... पर आपने अपनी ड्यूटी बराबर निभाई...
तापस - हाँ भाग्यवान... जो भी हुआ अच्छा ही हुआ... इसी बहाने तुमसे एक नेक काम हो गया...
प्रतिभा - हाँ... भगवान उसे शीघ्र स्वस्थ करें और उसे लंबी उम्र दें... पता नहीं क्यूँ जब से उस आदमी को देखा है... ऐसा लग रहा है जैसे... मैं उसे पहचानती हूँ... पर याद नहीं कर पा रही हूँ....
तापस - ठीक है... अब ध्यान से सुनो... आज शाम साढ़े सात बजे... राजधानी में मैं जा रहा हूँ... ठीक रात के दो बजे खडकपुर में... उतर जाऊँगा... कल दिन भर उसी काम में लगा रहूँगा... और शाम को पहली फ्लाइट पकड़ कर पहुंच जाऊँगा... मतलब तुम लोगों को... कल शाम को ही... प्रेस कांफ्रेंस रखना है.... और मैं वहाँ पर सबूतों के साथ पहुँचुंगा...
प्रतिभा - ओके... डन...
तापस - इसलिए... कल (प्रतिभा से) ना तुम कोर्ट जाओगी... ना तुम (प्रत्युष से) कल मेडिकल कॉलेज जाओगे... आज मुझे रिलीज कर दिया गया है.... हम तीनों... आज दिन भर घर पर रहेंगे... और रात को तुम दोनों मुझे स्टेशन पर छोड़ कर आओगे....
दोनों - ठीक....
तापस - हमारे इस कदम से मामला बहुत भड़केगा... इसलिए हम माहौल थोड़ा शांत होने पर ही ड्यूटी रिजॉइन करेंगे....
दोनों - ठीक...

इस तरह वह दिन बीत जाता है और शाम को माँ बेटे तापस को लेकर रेल्वे स्टेशन पर छोड़ने जाते हैं l स्टेशन पर तापस प्रत्युष को बहुत देर तक अपने गलेसे लगा कर रखता है l ट्रेन की हॉर्न सुनने के बाद उसे खुद से अलग करता है l तीनों के आँखों में आंसू आ जाते हैं l

तापस - ना जाने कितनी बार मैं टूर पर गया हूँ... पर कभी आंसू नहीं निकले...
प्रतिभा - हाँ.... पर पता नहीं क्यूँ आज आंसू रुक ही नहीं रहे हैं....
तापस और प्रतिभा दोनों प्रत्युष से - तु कुछ नहीं कहेगा...
प्रत्युष - क्या कहूँ डैड... बस.... आज आप दोनों के मन में जो पीड़ा है... वह मेरे वजह से है... मुझे माफ़ कर दीजिए... मेरे वजह से आपके आँखों में आंसू आ गए... सॉरी डैड... सॉरी माँ....
प्रतिभा - (सिसकते हुए) देख मैं कहती हूँ... तुझे सच में मरूंगी....

फिर तीनों एक दुसरे के गले लग जाते हैं l ट्रेन अपनी आखिरी हॉर्न देती है l तापस अपना कंपार्टमेंट चढ़ जाता है और

तापस - मैंने जो कहा है... वैसा ही करना... कॉन्फ्रेंस के लिए... मेरे फोन का इंतजार करना...
दोनों - ठीक है...

फिर तापस हाथ हिला कर बाय बाय करता है l प्रत्युष उसे एक फ्लाइंग किस देते हुए

प्रत्युष - लव यू डैड... लव यू...
तापस - (ट्रेन रफ्तार पकड़ चुकी है) लव यू माय सन... (पर प्रत्युष तक यह शब्द पहुंच नहीं पाते)

ट्रेन के जाने के बाद दोनों माँ बेटे कुछ देर वहीँ खड़े रहते हैं l फ़िर दोनों गाड़ी लेकर अपने घर की ओर चलते हैं l गाड़ी में दोनों खामोश बैठे हुए हैं l कोई किसीसे बात नहीं कर रहा है l गाड़ी जैल कॉलोनी में प्रवेश करती है l पर दोनों को महसूस होता है जैसे पुरी कॉलोनी विरान हो गई है l कहीं भी कोई नजर नहीं आ रहा है l दोनों को थोड़ा डर लगने लगता है l प्रतिभा घड़ी देखती है तो सिर्फ़ आठ ही बजे हैं l गाड़ी क्वार्टर के सामने पहुँचती है l प्रतिभा और प्रत्युष गाड़ी से उतरते नहीं है l थोड़ी देर बाद एक गहरी सांस छोड़ते हुए

प्रत्युष - देखा माँ... अपने ही घर में जाने के लिए भी... कैसे डर लग रहा है...
प्रतिभा - हाँ... इस डर की उम्र थोड़ी ही देर की है बेटा... (एक गहरी सांस छोड़ कर) चलो कल तेरे डैड के आने तक हम खुदको घर में... बंद कर लेते हैं....

दोनों गाड़ी से उतरते हैं, चारों ओर नजर घुमाते है l रात के आठ बजे पुरी की पुरी कॉलोनी सुनसान लग रही है l एक डरावनी ख़ामोशी पसर रही है l दोनों एक दूसरे के हाथ थाम कर दरवाजे के सामने खड़े होते हैं के तभी लाइट्स चली जाती है l एक क्षण के लिए चीख़ निकलते निकलते दोनों के हलक में रुक जाती है l

प्रतिभा - अपनी मोबाइल की टॉर्च ऑन कर....
प्रत्युष - (चुप रहता है)
प्रतिभा - प्रत्युष.. ऐ प्रत्युष....
प्रत्युष - हाँ... हाँ... माँ.. क्या कहा...
प्रतिभा - चल मोबाइल का टॉर्च ऑन कर... ताला खोलना है...

प्रत्युष मोबाइल निकालकर टॉर्च जलाता है l प्रतिभा ताला खोल कर अंदर आती है उसके पीछे पीछे प्रत्युष भी अंदर आता है और दरवाज़ा बंद कर देता है l दोनों ड्रॉइंग रूम में हैं l

प्रतिभा - तु यहीं पर कहीं बैठ जा... मैं किचन से कैंडल लाती हूँ...
प्रत्युष - ठीक है माँ... (प्रतिभा जाने को होती है) माँ..
प्रतिभा - ह... हाँ बेटा...
प्रत्युष - पता नहीं क्यूँ... मुझे डर सा लग रहा है... मैं भी आपके साथ किचन में चलूँ...
प्रतिभा - अच्छा चल...

दोनों किचन की ओर जा रहे होते हैं के तभी ड्रॉइंग रूम की टीवी चलने लगती है l दोनों माँ बेटे वहीँ रुक जाते हैं l

प्रतिभा - लगता है... लाइट्स वापस आ गई.... प्रत्युष तुने टीवी बंद नहीं किया था...
प्रत्युष - पर आज... टीवी मैंने ऑन ही किया कब था...
प्रतिभा - ठीक है... शायद भूल गया होगा... चल लाइट जला...
प्रत्युष - ओके माँ...

प्रत्युष स्विच बोर्ड तक जाता है और लाइट ऑन करता है l तभी प्रतिभा की नजर टीवी पर चल रहे न्यूज पर अटक जाती है l

प्रतिभा - ओह माय गॉड... यह... यह यश है...
प्रत्युष - (टीवी की ओर देखता है) हाँ... यही यश वर्धन है... क्यूँ.. क्या हुआ माँ... आप चौंकी क्यूँ...
प्रतिभा - यही तो आज मेरे गाड़ी से टकराया था... और मैंने ही उसे हस्पताल पहुंचायी थी...
प्रत्युष - व्हाट...(कह कर न्यूज देखने लगता है)

"न्यूज - आज केंद्र सरकार की जेनेरिक दवाओं पर लिए गए कदम की सराहना करते हुए यश वर्धन चेट्टी ने कटक में एक समर्थन रैली में हिस्सा ले कर प्रदर्शन कर रहे थे l पर अचानक उनकी तेज रफ़्तार से जा रही गाड़ी से एक्सीडेंट हो गई l आनन-फानन में उनको एससीबी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया l आज शाम को उनके पिताजी ओंकार चेट्टी उनको लेकर उनकी अपनी निरोग हस्पताल में आगे की चिकित्सा के लिए भर्ती करा दिया है l हमारी सम्वाददाता इस बारे में उनसे बात कि...

यश - (एक व्हीलचेयर में बैठा हुआ है) मैं सरकार की इस फैसले का पुरजोर समर्थन करता हूँ... हर तरह की जेनेरिक दवाइयाँ... आम नागरिकों तक आसानी से पहुँचे और किसी की भी जेब पर भारी ना पड़े....
रिपोर्टर - विश्व भर की फार्मा लॉबी.. हर उस सरकार के विरुद्ध हैं... जो इस तरह की फैसले का स्वागत कर रहे हैं... अपना रहे हैं... आप भी तो फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री को बिलौंग करते हैं...
यश - हाँ करता हूँ... पर मैं पैसों का भूखा नहीं हूँ... मुझे प्रॉफिट मिल रहा है... तभी तो सरकार की इस कदम का सराहना करते हुए प्रदर्शन में भाग लिया था...
रिपोर्टर - क्या यह एक्सीडेंट प्लान्ड था... या हो गया...
यश - यह कह कर आप उस महिला की अपमान कर रहे हैं.... जिन्होंने आज दिन भर पास रह कर मेरी फर्स्ट ऐड और प्राइमरी ट्रीटमेंट कराया...
रिपोर्टर - सर और एक...
यश - नो.. नो मोर क्वेश्चन...

तो यह थे हमारे राज्य के युथ आइकन श्री यश वर्धन चेट्टी l

अचानक टीवी बंद हो जाती है l

प्रत्युष - अरे.. आपने टीवी बंद क्यूँ की...
प्रतिभा - मैंने कब बंद की... मेरे पास रिमोट ही कहाँ है...
प्रत्युष - फ़िर...

एक आवाज़ सुनाई देती है

- टीवी मैंने बंद की.... रिमोट मेरे पास है...

दोनों उस आवाज़ की तरफ देखते हैं l वहाँ पर यश दिखता है l जो धीरे धीरे चलते हुए सोफ़े पर बैठ जाता है l प्रतिभा और प्रत्युष के होश उड़ जाते हैं l यश के सामने माँ बेटे ऐसे खड़े हुए हैं, जैसे कोई मुज़रिम अदालत में खड़ा होता है और यश जज को तरह अभी उनका फैसला करने वाला है l

प्रतिभा - ओ.. तो तुम.. यश हो...
यश - हाँ... (एक शैतानी हँसी चमक उठती है उसके चेहरे पर) मैं ही हूँ... इस राज्य का आदर्शवादी... युवा नायक बिजनेसमैन... यश वर्धन चेट्टी...
प्रत्युष - युवा नायक... माय फुट...
यश - अभी... कुछ देर पहले... डर के मारे एक छोटा सा बच्चा... अपनी माँ की गोद में घुसा जा रहा था... मीमीया रहा था.... अब देखो कैसे दहाड़ रहा है...
प्रतिभा - त... तुम्हारा तो... पैर टुट गया था ना...
यश - हाँ... पर आपने मेरी ऐसी सेवा की के... मेरा पैर अभी जुड़ गया है... तभी तो मिलने आया हूँ... वादा जो किया था...

प्रतिभा फोन करने की कोशिश करती है पर फोन नहीं लगती l वह लैंडलाइन पर कोशिश करती है तो उसे लाइन डेड मिलती है l फ़िर प्रत्युष भाग कर दरवाज़ा खोलने की कोशिश करता है तो उसे दरवाज़ा बाहर से बंद मिलता है l दोनों अब खौफ़जादा हो कर यश को देखने लगते हैं l

यश - मैं तुझको पहले रिवार्ड दिया... फिर अपनी हॉस्पिटल में जॉब के साथ साथ पीजी करने की छूट भी दी... पर तुम... तुमने मेरे साथ ऐसा क्यूँ किया... मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था... तुमने ऐसा सिला दिया...
(प्रतिभा की बार बार फोन करने की कोशिश को देखते हुए) ना... नहीं मैडम... आपका फोन काम नहीं करेगा.... मेरे आदमियों ने यहाँ बाहर जैमर लगा दिए हैं... और जंक्शन बॉक्स से लैंडलाइन की कनेक्शन निकाल दिए हैं... इसलिए बेकार की कोशिश ना करें...
प्रतिभा - (चिल्ला कर) बचाओ... हेल्प... हेल्प... बचाओ.... आ.. आ आआआआ... बचाओ...
यश - कमाल है... अभीतक मैंने कुछ भी किया नहीं... बचाने के लिए लोगों को बुला रही हैं... जबकि मैंने थोड़े ही दूर पर फ़िल्म स्टार अतुल साहू की लाइव परफॉर्मेंस करवा रहा हूँ... और जैल कॉलोनी वालों को... पास के नाम पर सबको यहाँ से रफा-दफा कर चुका हूँ... इसलिए इस वीराने में आप दोनों, मैं और मेरे आदमी हैं... बस और कोई नहीं है...

प्रतिभा प्रत्युष के पास भाग कर जाती है उसे अपने पीछे ले लेती है और यश से कहती है

प्रतिभा - खबरदार जो मेरे बेटे को कुछ किया तो...
यश - अभी तो मैं कुछ नहीं करने वाला... बस बताना चाहता हूँ... और दिल से एक डील करना चाहता हूँ...
प्रतिभा - कैसी डील...
यश - अरे आप बैठिए तो सही... बैठिए बैठिए...

दोनों माँ बेटे यश के सामने वाली सोफ़े पर बैठ जाते हैं l

यश - तुम दिल्ली गए... जैसे ही मेरी दवाओं का लैब टेस्ट कराया... मुझे खबर मिल गई... चूँकि फॉर्म में... मेरी कंपनी का नाम नहीं था... इसलिए मैंने उन्हें असली रिपोर्ट देने को कहा... उसके बाद मैंने तुम पर नजर रखने लगा... अरे हाँ... तुम्हारे वह अंकल... वह कल से ही अपने भगवान प्यारे हो गए हैं... उनकी सढी गली लाश आज सुबह ही मिली... बीएमसी वालों ने इलेक्ट्रिक चूले में अंतिम संस्कार कर दिया... चु चु चु चु.. कितना बुरा हुआ नहीं...

(प्रतिभा के चेहरे पर पसीना उभरने लगती है l यश कहना चालू रखता है)

मैंने फ़िर भी तुमको मौका दिया... देता रहा... पर तुम निकले हरामी... तुमने हर जगह मेरी दवाओं की परीक्षण के लिए सैंपल भेजे... मैंने अपने कनेक्शन इस्तमाल करके... नीट एंड क्लिंन हो गया... फिर भी तुम बाज नहीं आए... अपने बाप को कलकत्ते भेज दिया....

प्रत्युष और प्रतिभा हैरान हो कर एक दुसरे को देखने लगते हैं l

प्रतिभा - त.. तुम्हें कैसे मालुम हुआ... वह कलकत्ता गए हैं...
यश - प्रत्युष के दिल्ली से आने के बाद... तुम्हारे घर में जो इलेक्ट्रिक वाइरिंग का काम हुआ था... वह मैंने ही करवाया था.... तभी मैंने अपने आदमी के जरिए तुम्हारे घर में यह (पॉकेट से कुछ माइक्रो माइक निकालता है) लगवा दिए थे... इसलिए आप सबकी बातों को सुन पा रहा था...
प्रतिभा - (रोते हुए हाथ जोड़ कर) प्लीज... मेरे बेटे को कुछ मत करो... मैं हाथ जोड़ती हूँ... पांव पड़ती हूँ...
यश - पर मैडम आपने अभी तक... मेरे पांव पड़े नहीं हैं...

प्रतिभा भाग कर आती है और यश के पैरों पर गिर जाती है l

यश - हाँ... यह ठीक तो है... पर... पर बेकार जाएगा... (प्रतिभा उसे हैरान हो कर ना समझने वाली भाव से देखती है) क्यूंकि आज यहाँ पर... हत्या और डकैती दोनों होंगी...
प्रतिभा - क्या.. (कह कर उठ जाती है)

प्रतिभा जैसे ही उठ खड़ी होती है यश भी उठ खड़ा होता है और प्रतिभा को चटाक से एक ज़ोरदार चाटा मार देता है l प्रतिभा दो घेरा घुम कर सोफ़े पर गिरती है l प्रत्युष माँ कहकर चिल्ला कर प्रतिभा के पास पहुंचता है और देखता है प्रतिभा के गालों पर यश के उंगलियों छाप पड़ गए हैं और होठों के किनारे से खुन बह रहा है l

प्रत्युष - कमीने यश...
(चिल्ला कर यश की तरफ बढ़ता है)
प्रतिभा - नहीं... प्रत्युष (चिल्लाती है)

देर हो जाती है l यश अपनी आस्तीन से एक चाकू निकाल कर पहले प्रत्युष के पेट में घोंप देता है l प्रत्युष का जिस्म यश पर लुढ़क जाता है l प्रतिभा की आवाज़ उसके गले में अटक जाता है l इधर प्रत्युष का जिस्म जो यश पर लुढ़का हुआ है छटपटाने लगता है l प्रतिभा की आँखें फटी रह जाती है l यश ज़ख्मी प्रत्युष को प्रतिभा की तरफ घुमाता है और फिर प्रत्युष के गले पर चाकू चला देता है l प्रतिभा और बर्दास्त नहीं कर पाती वहीँ बेहोश हो जाती है l

(फ्लैशबैक में स्वल्प विराम)

तापस चुप हो जाता है थोड़ी देर के लिए खान भी चुप हो जाता है l खान तापस की चेहरे पर नजर डालता है l अब तक कहानी को एक अलग भाव से कहने वाले की आंखे जैसे बुझ सी गई हैं l चेहरे पर दर्द छलक कर बाहर आने को लग रहे हैं पर आँखों ने जैसे ज़बरदस्ती रोक लिया है l खान ख़ामोशी को तोड़ते हुए

खान - तापस... (तापस के हाथ पर हाथ रखकर) आर यु ओके....
तापस - हूँ.. ह... हाँ.. मैं ठीक हुँ...

खान - अच्छा... तो... तुम्हें... कब पता चला... प्रत्युष की इंतकाल के बारे में....
तापस - मैं खडकपुर में पहुँचा ही था कि... मुझे दास ने फोन कर प्रत्युष के बारे में जानकारी दी... मैं वहीँ पर उतरकर... टैक्सी से वापस भुवनेश्वर आ गया... सुबह जब पहुँचा तो देखा... प्रतिभा एक गुमसुम सी पत्थर की मुरत बन गई है... रो रो कर जैसे उसकी आँखे सुख गई हों... पुलिस अपनी तफ़तीश को अंजाम दे चुकी थी... मेरे पास आकर एक ऑफिसर ने मुझसे कहा कि यह डकैती और खुन का मामला है... अनजान लोगों के विरुद्ध...
खान - ओ... मतलब कोई सबूत नहीं मिले...
तापस - नहीं...
खान - अच्छा तुम्हारे पास तो... दवाओं के सैंपल थे ना... उसके जरिए तुम मर्डर की लिंक स्थापित करने की कोशिश की होगी....
तापस - नहीं... नहीं कर सका...
खान - क्यूँ...
तापस - क्यूंकि मैं जिस टैक्सी से पहुँचा था... वह टैक्सी मुझे वहीँ छोड़ कर चली गई थी...
खान - व्हाट... मतलब... वह टैक्सी...
तापस - पहले से ही... मेरे लिए... खडकपुर में खड़ी थी... मुझे मेरे मंजिल तक पहुँचा कर... बिना किराये लिए... मेरे समान के साथ चली गई...
खान - तो फ़िर... एफआईआर तो दर्ज कराया था ना तुमने...
तापस - हाँ... पर तहकीकात में ही... केस मार खा गई...
खान - कैसे...
तापस - यश वर्धन बहुत बड़ा इंडस्ट्रीयलीस्ट था... उसके गिरेबान पर हाथ डालने के लिए... पक्के सबूतों की दरकार थी... क्यूंकि प्रतिभा के बयान के मुताबिक जिस वक्त... यश मेरे घर पर था... निरोग हस्पताल के बुलेटिन और सीसीटीवी के मुताबिक... यश उस वक़्त निरोग हस्पताल के वीआईपी कैबिन में था.... और उसी समय यश से मिलने भुवनेश्वर के मेयर पिनाक सिंह क्षेत्रपाल भी मौजूद थे... पुरे दो घंटे तक.... उन्होंने अपनी गवाही में उस बात को पुष्टि की.... और यह बात... सीसीटीवी में भी पुष्टि हो गई.... पिनाक सिंह एक डॉक्टर के साथ अंदर कैबिन में जाता है... फिर पांच मिनट बाद डॉक्टर पिनाक सिंह को उसी कैबिन में छोड़ कर बाहर चला जाता है.... पिनाक सिंह दो घंटे तक यश के साथ उस कैबिन में बैठा रहा... दो घंटे बाद डॉक्टर अंदर जाता है... फिर पांच मिनट के बाद... पिनाक सिंह डॉक्टर के साथ बाहर निकल जाता है....
खान - या अल्लाह... कितना ख़तरनाक प्लान था... मर्डर की कोई भी थ्योरी यहाँ काम नहीं आया होगा...
तापस - हाँ...
खान - कैसे मैनेज किया उसने...
तापस - पुलिस वाले हो... दिमाग पर थोड़ा जोर डालो... और... थ्योरी एस्टाब्लीश करो...
खान - (कुछ देर सोचता है) ह्म्म्म्म... तो प्रत्युष के मर्डर में... मेयर पिनाक सिंह की मदत ली गई थी... निरोग हस्पताल यश की अपनी थी... सीसीटीवी के कैमरे करिडर में लगे होंगे... तो हुआ यूँ होगा... यश के कद और काठी के बराबर एक आदमी को डॉक्टर की लिबास में... चेहरे पर सर्जिकल मास्क लगाए हुए.... पिनाक सिंह के साथ... वीआईपी कैबिन में ले जाया गया होगा... कैबिन में उस आदमी के साथ यश ने लिबास अदला-बदली कर... चेहरे पर सर्जिकल मास्क लगा कर... बाहर निकल गया होगा.... पुरी तैयारी के साथ... और अपना काम खत्म करने के बाद... उसी डॉक्टर के लिबास में वापस अपने कमरे में आकर उस आदमी से लिबास की अदला-बदली किया होगा.... फिर पिनाक सिंह उस डॉक्टर के लिबास पहने आदमी के साथ बाहर निकल गया... यही हुआ होगा...
तापस - परफेक्ट... पर हम यह... साबित नहीं कर पाए.... और यश को क्लीन चिट मिल गया....
खान - फ़िर यश ने पलट वार किया क्या...
तापस - नहीं... उसने बहुत बड़ा दिल दिखाया... हमे माफ कर दिया... हमारी कभी ना खतम होने वाली दुख और पीड़ा के प्रति संवेदना व्यक्त की... और फिर हमे हमारी हाल पर छोड़ दिया... यह एहसास दिला कर... के हम उसका कभी भी... कुछ भी... उखाड़ नहीं पाएंगे....
खान - ह्म्म्म्म... फिर भाभी... और तुम... तुमने खुद को कैसे संभाला...
तापस - हमारी लड़ाई दो महीने तक चली.... यश को क्लीन चिट मिल जाने के बाद... मीडिया और पब्लिक ने हमारा जीना हराम कर के रख दिया... किसीने हम पर ही इल्ज़ाम लगा दिया... के हम... हमने.. अपने ही बेटे को मार डाला.. वगैरह वगैरह... इससे प्रतिभा और भी टुट गई... उसे दौरे पड़ने लगे... वह रो रो कर बेहोश हो जाने लगी... उसने कोर्ट जाना बंद कर दिया था....
खान - ओह...
तापस - कुछ मामलों में... हम मर्द वाकई बहुत कमजोर और स्वार्थी होते हैं... मुझसे प्रतिभा का दुख देखा नहीं जा रहा था... और उसके पास रुक कर दुख बांटा भी नहीं जा रहा था... इसलिए मैं ऑफिस चला जा रहा था... एक दिन प्रतिभा को हमारे जुड़वे बच्चों की तस्वीर लिए गुमसुम बैठे देखा तो मुझसे रहा नहीं गया...

(तापस के द्वारा फ्लैशबैक का अंतिम दौर)

तापस - (खीज कर) यह क्या है जान... आखिर कब तक... कब तक इन तस्वीरों में खोई रहोगी... वी आर फैल्ड... एज पेरेंट्स... एंड... वी आर रिजेक्टेड... फ्रॉम सोसाईटी...
प्रतिभा - (चुप रहती है)
तापस - (धीरे से) कहो तो... हम गांव चले जाएं... सब कुछ छोड़ छाड़ कर...
प्रतिभा - नहीं... (चीखते हुए) हरगिज़ नहीं... ( फोटो से ध्यान हटा कर तापस की ओर देखते हुए) मुझे उस यश वर्धन का अंत देखना है... (आवाज़ कठोर हो जाता है) उसका साथ देने वाला क्षेत्रपाल का अंत देखना है... या फिर घुट घुट के... एड़ियां रगड़ रगड़ कर मर जाना है... (तापस प्रतिभा का यह रूप देख कर हैरान हो जाता है) मुझे समाज से कोई मतलब नहीं है... ना ही भगवान से शिकायत है... पर मैं यश की अंत देखे बिना... हरगिज नहीं मरने वाली.... (फिर सिसक सिसक कर रोते हुए) जानते हैं सेनापति जी... मुझे बहुत पहले... उस वैदेही और उस विश्व से माफी मांग लेनी चाहिए थी... भगवाने मुझे मौका भी दिया था... मंदिर में... पर अपनी झूठी अहंकार की मुखौटे के पीछे खुद को छुपा कर... उससे माफ़ी नहीं मांगी.... इसलिए मैंने अपने प्रत्युष को खो दिया.... (रो देती है)
तापस - (उसे गले से लगा कर) तुम कबसे ऐसा सोचने लगी...
प्रतिभा - (बिलख बिलख कर) नहीं सेनापति जी... ऐसा ही है...
तापस - तुम प्रत्युष की मौत के लिए खुद को जिम्मेदार मान रही हो... और वैदेही खुदको जिम्मेदार मान रही है...
प्रतिभा - (हैरान हो कर तापस को देखने लगती है) क्या... यह आप क्या कह रहे हैं....
तापस - हाँ जान... प्रत्युष के बारे में जानने के बाद... वह एक बार तुमसे मिलने आई थी... पर तुम इस कदर बदहवास थी के... मैंने उसे तुमसे मिलने से रोका... वह बहुत गिड़गिड़ाई और माफी भी मांगने लगी... जब मैंने वजह पूछी तो उसने कहा कि... उसने कोई भी श्राप नहीं दी थी... फिर भी प्रत्युष के लिए वह खुद को दोषी मान रही है... क्यूंकि उसने हमारे पहली मुलाकात में कहा था... की "भगवान ना करे... किसी दिन इंसाफ़ की बिजली आपके घर पर गिरे"...
प्रतिभा - क्या...
तापस - हाँ जान... इस बात उसने अपने मन में गांठ बांध कर... तुमसे माफी मांगने आई थी...
प्रतिभा - तो... तो आपने... मिलने क्यूँ नहीं दिया...
तापस - (चिढ़ते हुए) क्यूंकि मैं... मैं... उस बात को सच मान कर ज़ज्बात के रॉ में बह गया... खूब खरी खोटी सुनाया.... और उसे निकाल दिया....
प्रतिभा - यह आपने ऐसा क्यूँ किया... उसने सच ही तो कहा था... विश्व निर्दोष था... पर कानून के चंगुल में फंस गया... वह उसके इंसाफ़ के लिए दर दर भटक रही थी.... हमारे पास भी आई थी... मैंने दुत्कारते उसे भगा दिया था... और हम... हम तो... कानून के दो मुहाफिज हैं... फिर भी हम... अपने बेटे को इंसाफ़ ना दिला पाए.... वैदेही ने तो... हमे आगाह किया था... ना कि अभिशाप दिया था... आपने उस बिचारी को... और भी दुखी कर दिया...
तापस - (खुद को संभाल कर) सॉरी जान... आई एम रियली सॉरी... मैं... मैं... तुम्हारी तरह नहीं सोच पाया... सॉरी... मैं... अगली बार... उसे तुम्हारे सामने लाउंगा... जरूर लाउंगा....
Behtareen update hai bhai
 

Rajesh

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👉तिरपनवां अपडेट
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वैदेही से मिलवाने का वादा तो कर दिया तापस ने, पर उसकी परेशानी यह है कि, वैदेही एक महीने से विश्व से मिलने भी नहीं आई है l
तापस प्रतिभा की ओर देखता है तो उसका दिल चूर चूर हो जाता है l प्रतिभा अब बुढ़ी लगने लगी है उसके आँखों के नीचे और चेहरे पर हल्की हल्की झुर्रियाँ दिखने लगी है l चेहरा एक दम सपाट और बच्चों की बचपन की फोटो हाथ में लेकर उनमें खोई रहती है l तापस ने दास और सतपती के मदत से ड्यूटी किसी तरह मैनेज कर रहा है l कभी कभी दुख कम करने के लिए प्रतिभा को घर में बंद कर ड्यूटी पर चला जाता है l तापस प्रतिभा को देख देख कर भगवान से प्रार्थना कर रहा है
- काश वैदेही आ जाए... तो शायद प्रतिभा थोड़ी संभल जाएगी... हे भगवान प्लीज वैदेही से मिलवा दो...

तभी घर की लैंडलाइन बजने लगती है, तापस का ध्यान टूटता है l वह जा कर फोन उठाता है

तापस - हैलो...
दास - सर... दास बोल रहा हूँ...
तापस - हाँ दास बोलो...
दास - सर वैदेही आई है...
तापस - क्या.. (उम्मीद वाली खुशी से) क्या... सच में वैदेही आई है...
दास - यस सर... मैंने उसे और विश्व को लाइब्रेरी में बातेँ करने के लिए... इजाज़त दे दी है...
तापस - गुड.. वेरी गुड... एंड.. थैंक्यू... दास... थैंक्यू...
दास - सर इसमे... थैंक्स जैसी क्या बात है सर... आप बस जल्दी आ जाइए...
तापस - ठीक है दास... मैं.. मैं.. आ रहा हूँ...

फिर तापस एक नजर प्रतिभा को देखता है और फिर बाहर निकल कर घर पर ताला लगा देता है l गाड़ी में बैठ कर जैल में पहुँच कर सीधे लाइब्रेरी की ओर जाता है l लाइब्रेरी में

विश्व - तुम इतने दिनों से आई क्यूँ नहीं दीदी...
वैदेही - (दुख भरे आवाज में) मैं ख़ुद से नाराज़ थी मेरे भाई... हर पल मुझे यह लग रहा था... जैसे मुझसे कोई अनर्थ हो गया है... मैं.. मैं उसकी प्रायश्चित के लिए... उपाय ढूंढ रही थी...
विश्व - यह क्या अनाप सनाप बोल रही हो... और किस अनर्थ की बात कर रही हो...
वैदेही - जब मैं तेरे लिए... वकील ढूंढ रही थी... तब एक दिन सेनापति सर जी के घर गई थी... चूँकि उनकी पत्नी एक वकील थी... तो उनसे किसी जान पहचान वकील के बारे में पूछा... तो उन्होंने मना कर दिया था... क्यूंकि वह अपने कर्तव्य से... अपनी नौकरी से बंधे हुए थे.... पर (सिसकते हुए) बात बात में... मेरे मुहँ से निकल गया... "भगवान ना करे... कभी आपके घर पर इंसाफ़ की बिजली गिरे..." (रो देती है) मेरे भाई वह मेरे मुहँ से वैसे ही... निकल गया था... मैंने कैसे उनको बद दुआ दे सकती थी... विशु... पर वह शब्द मेरे बद दुआ बन कर गिरी उनके परिवार पर... उस घर का चिराग बुझ गया विशु... वह भी (आँखों के भाव बदल जाते हैं और गुस्से भरे लहजे में) उस कमीने यश वर्धन के हाथों... (फ़िर सिसकते हुए) मेरे भाई मैंने कोई श्राप नहीं दिआ था... बस मेरे मुहँ से निकल गया था... और देखो उनके जैसे अच्छे लोग... इंसाफ़ की लड़ाई... लड़ते लड़ते हार गए...
विश्व - दीदी.. इस बात के लिए... आप खुद को दोषी क्यूँ मान रही हो...
वैदेही - मैं... मैं... सेनापति सर जी से मिली... उनको सब बताया... मैं... मैंने तो उनकी पत्नी को मासी कहा था... फिर मैं कैसे उनको श्राप दे सकती हूँ बोलो...
विश्व - दीदी तुम बहुत ही अच्छी हो... अब सब भाग्य पर छोड़ दो... जो होना होगा... वही होगा...
वैदेही - जानते हो विशु... जब भी... मैं नींद से जागती हूँ... तब से... तब से लेकर सोने तक... मैं हर रोज... हर पल... क्षेत्रपाल और यश चेट्टी को श्राप देती रहती हूँ... उनका कुछ नहीं हो रहा है... पर बेचारे सेनापति सर... कितने अच्छे लोग हैं... कितना बुरा हुआ है... उनके साथ...

विश्व कुछ कह पाता तभी तापस अंदर आते हुए वैदेही से कहता है

तापस - मुझे माफ कर दो वैदेही... मुझे माफ कर दो..
वैदेही - यह... यह आप क्या कह रहे हैं... मुझसे माफी... क्यूँ...
तापस - माफी मांग इसलिए रहा हूँ... की तुम मुझे अभी भी अच्छा समझ रहे हो... माफी इसलिए मांग रहा हूँ... के बेटे को खोने के बाद भी... सोचने समझने की क्षमता.. मेरी पत्नी में तो है... पर मुझमें नहीं रही.... (हाथ जोड़ कर) प्रतिभा से एक बार मिल लो... वह तुमसे मिलना चाहती है.... प्लीज...
वैदेही - सर प्लीज... आप यूँ हाथ ना जोड़ीये... पाप लगेगा मुझे...
तापस - ठीक है... चलो प्लीज...
वैदेही - ठीक है... चलिए... अच्छा विशु.... मैं... बाद में मिलती हूँ...
विश्व - ठीक है दीदी.. आप जाओ...

वैदेही को लेकर तापस चला जाता है l

अगले दिन
सेंट्रल जैल

विश्व एक पेपर हाथ में लिए तापस की ऑफिस की कैबिन के बाहर पहुँचता है l बाहर उसे जगन मिलता है

विश्व - जगन भाई... क्या सर अंदर हैं...
जगन - नहीं... अभी तक... आए नहीं हैं... क्यूँ कुछ काम था क्या...
विश्व - हाँ था तो...
जगन - तो एक काम कीजिए ना... आप सतपती सर जी के कैबिन में जाइए... और उन्हें बताइए... वह शायद आपका काम कर दें...
विश्व - ठीक है जगन...

विश्व सतपती के कैबिन की ओर जाने को मुड़ा ही था कि उसे तापस आवाज़ देता है

तापस - विश्व... तुम मेरे पास ही... आए थे ना...
विश्व - (तापस को देख कर) जी...
तापस - (जगन से) जाओ... सतपती और दास को बुलाओ...(विश्व से) अंदर आओ विश्व... (दोनों तापस के कैबिन में आते हैं) हम्म... अब कहो... क्या काम है...
विश्व - सर... वकील साहिबा जी... कैसी हैं...
तापस - वैदेही से मिलकर... उसकी हालत थोड़ी सुधरी है... इसलिए आज हिम्मत कर पाया हूँ... यहाँ आने के लिए... खैर तुम उसकी खबर जानने के लिए तो नहीं ढूंढ रहे थे मुझे.... कहो क्या बात है...
विश्व - सर पता नहीं... इस वक्त.. यह कहना सही रहेगा या नहीं...
तापस - पहले कहो... सही गलत का निर्णय हम बाद में करेंगे...

तभी कैबिन के बाहर दास और सतपती पहुँचते हैं उन्हें देखते ही

तापस - नो फॉर्मालिटीस... कॉम इन... हाँ विश्व कहो...
विश्व - सर यह देखिए... (पेपर दिखाते हुए)
तापस - (पेपर को देख कर) हम्म.. तुम क्या चाहते हो विश्व...
दास - (तापस से) वह क्या है सर...
तापस - विश्व बताओ...
विश्व - सर यह एक एनजीओ है डी आई डी... मतलब ड्यूटी इज़ डीवाइंन... जो जैल में इच्छुक कैदियों को... स्किल ट्रेनिंग देते हैं... और जैल में उनके कमाई के लिए... बाहर से ऑर्डर लाकर देते हैं... जिसकी सजा खत्म हो जाती है... उसकी दुकान लगाने में सहायता करते हैं....
दास - तो तुम चाहते हो... हम इनसे कंटाक्ट करें... (तापस से) सर इस एनजीओ को... अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेकों पुरस्कार मिले हैं... इनका मुख्य मिशन... जैल में कैदी सुधार कार्यक्रम है....
तापस - हूँ ... यह अच्छा आइडिया है... जैल में सजायाफ्ता कैदी सुधार कार्यक्रम... ओके विश्व तुम जाओ... मैं देखता हूँ... क्या किया जा सकता है...
विश्व - ठीक है सर... (विश्व बाहर चला जाता है)
दास - सर यह बंदा... सुधार के बारे में सोच रहा है... और कुछ लोग हैं... इंसान और इंसानियत को जहन्नुम बनाने के लिए... किसी भी हद तक जा रहे हैं....
तापस - क्या बात है दास... इमर्जेंसी है कह कर बुलाए हो... क्या खबर है...
सतपती - सर ख़बर सीरियस है... हमें... थोड़ा सिक्रेसी मेंटेन करना होगा...
तापस - एनी थिंग प्रॉब्लम...
सतपती - यस सर... बिग... वेरी बिग प्रॉब्लम...

कह कर सतपती दास को इशारा करता है l दास तापस के कैबिन को अंदर से बंद कर देता है l फ़िर उन तीनों में गुप्त मीटिंग होती है l विश्व बाहर निकालते वक्त सिर्फ इतना ही सुन पाया कि

"कुछ लोग हैं... इंसान और इंसानियत को जहन्नुम बनाने के लिए... किसी भी हद तक जा सकते हैं.."

विश्व अनुमान लगाने की कोशिश करता है, दास के कहे इस बात का क्या मतलब हो सकता है l वह सोचते सोचते जा रहा है के उसे आवाज़ आती है "विश्वा भाई..." विश्व मुड़ कर देखता है तो सीलु है

विश्व - क्या है सीलु...
सीलु - (पास आकर) तुम सुपरिटेंडेंट के ऑफिस में क्यूँ गए थे..
विश्व - उनकी मानसिक हालत को समझने के लिए... कल जब आए थे.. तो बिखरे हुए लग रहे थे....
सीलु - क्यूँ...
विश्व - ऐसे ही... अच्छा... क्या कुछ खबर है....
सीलु - किस बात का...
विश्व - मुझे लगता है... इस जैल में कुछ होने वाला है...
सीलु - अच्छा... तो ठीक है... पता करने की कोशिश करता हूँ....

तभी अचानक हुटर बजता है l सभी कैदी अपना अपना काम छोड़ कर ग्राउंड पर जमा होते हैं l थोड़ी देर बाद तापस दास और सतपती के साथ पहुँचता है l

तापस - दोस्तों... यहाँ उपस्थित होने के लिए धन्यबाद.... एक विशेष सुचना देने के लिए... आप सबको यहाँ बुलाया गया है.... जैसा कि आप सबने हमेशा... हर तीसरे महीने में रूटीन मॉकड्रिल में साथ दिया है... वैसे ही आने वाले सात दिनों में... तरह तरह से मॉकड्रिल की जाएगी... यह आप सबकी और इस जैल की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है.... क्यूंकि सात दिन के बाद... इस जैल में... तीन खतरनाक कैदीयों को लाया जाएगा... वह असल में... अंतर्राज्यीय डकैत हैं.... पेशेवर हत्यारे हैं... उनको छुड़ाने के लिए कोशिश हो सकता है... तभी यहाँ पर इमर्जेंसी डिक्लेर किया जाएगा... आप लोग तब खुद को सुरक्षित करने के लिए कोशिश करेंगे... तो अब आप लोग... सहयोग करें... और मॉकड्रिल में हिस्सा लें...
एक कैदी - क्या वह खतरनाक डकैत... हमारे साथ रहेंगे....
दास - नहीं... उनके लिए स्पेशल सेल में व्यवस्था किया जा रहा है... स्पेशल सेल में... एक सीमेंट की पानी की टंकी है.... उसे ईगलु सेल में कन्वर्ट किया जा रहा है... उन तीनों को वहाँ पर रखा जाएगा.... पर आप सबको अनुरोध है... उन लोगों से मिलने की कोशिश भी मत करना...
सारे कैदी - ठीक है...

उसके बाद सात दिनों तक मॉकड्रिल होता रहा और सारे कैदियों को सुरक्षित स्थानों पर खुद को पहुँचाने और खुद को छुपाने की ट्रेनिंग लेते रहे l इन सात दिनों में विश्व लाइब्रेरी में न्यूज पेपरों को छानता रहता है l ठीक सात दिनों बाद जैल का ईगलु सेल तैयार हो जाता है l उस दिन रात के पौने दो बजे एक वैन सुरक्षा के घेरे में आ पहुँचती है l उनमें से तीन कैदियों को बेड़ियों के साथ ईगलु सेल में बंद कर दिया जाता है l
इस बात को, सारे कैदी सुबह तक जान भी जाते हैं कि उनके बगल वाले सेल में वही खतरनाक मुज़रिमों को ठहराया गया है l इस विषय को लेकर जैल में हर कैदी आपस में खुसुर-पुसुर कर रहे हैं l
लंच के समय
अपनी आदत के मुताबिक विश्व डायनिंग हॉल में एक कोने वाली टेबल पर विश्व खाना खा रहा है और उसके साथ सीलु और टीलु भी बैठे हुए हैं l

विश्व - सुनो... अपने साथियों से कहो... और साथ में तुम भी... कल जो नए कैदी आए हैं... उनसे मिलने जाने वाले हर आदमी पर नजर रखो... चाहे जैल स्टाफ हो... या कोई आम कैदी या फिर कोई और... कुछ भी गड़बड़ लगे... या किसी पर शक हो... तो तुरंत मुझे खबर करो...
सीलु - क्यूँ भाई... कुछ गड़बड़ वाली बात है क्या...
विश्व - हाँ... उस स्पेशल सेल से संबंधित... सब पर... पैनी नजर रखो...
टीलु - भाई... आपकी बातों से लगता है... बात बहुत सीरियस है...
विश्व - हो सकता है... मैं गलत हो जाऊँ... पर तुम लोग.... अपनी आँख, कान, नाक और मुहँ को अलर्ट मोड़ पर रखो...
(सीलु और टीलु एक दुसरे को हैरान हो कर देखते हैं) अगर... मैं सही हूँ... तो तुम सोच भी नहीं सकते... हम कितनी बड़ी खतरे के बीच में हैं...
सीलु और टीलु - ठीक है भाई....

विश्व ने सीलु और टीलु को काम पर लगा दिया और खुद जैल की अच्छी तरह से रेकी करता रहा l जब भी टाइम मिलता वह लाइब्रेरी में जा कर पेपर खंगालता रहता और कभी कभी लाइब्रेरी के खिड़की से झांकते हुए सब पर अपनी नजर से स्कैन करने की कोशिश करता रहता है l

दस दिनों के बाद डायनिंग हॉल में विश्व खाना खा रहा है कि सीलु विश्व से अपना हाथ जोड़ते हुए उपर उठा कर कहता है

"नमस्कार विश्वा भाई जी"
नमस्कार शब्द सुन कर विश्व की भवैं तन जाते हैं और वह सीलु को देखता है और ज़वाब में नमस्कार कहता है l सीलु अपनी आँखे चौड़ी कर सर को हल्का सा हाँ में हिलाता है, और हाथ धोने वॉश रूम में चला जाता है l विश्व खाना खतम कर वॉश रूम में थाली धोने चला जाता है l वॉश रूम में सीलु से इंफॉर्मेशन लेने के बाद वह सीधे अपने सेल में जाकर काग़ज़ पर बार बार लिख कर फिर मिटाता रहा l ऐसे करते करते शाम हो जाता है l फिर अचानक से उसकी आँखे चमकने लगती हैं l वह अपनी सेल से निकल कर तापस की कैबिन की ओर जल्दी जल्दी जाने लगता है l जैसे ही तापस के कैबिन के पास पहुँचता है, इधर उधर देख कर बिना दरवाज खटखटाये वह तापस के कैबिन में घुस जाता है l

तापस - (चौंक कर) यह क्या है विश्व... तुम ऐसे कैसे घुस गए...
विश्व - सर बहुत ही इंपोर्टेंट बात है... वह आपके स्पेशल सेल वाले टेररीस्ट भागने वाले हैं...
तापस - क्या...(हकलाने लगता है) यह त.. तुम.. क.. क्या... कह रहे हो...
विश्व - सर... मुझ पर विश्वास कीजिए... वह लोग टेररीस्ट हैं... यह बात जो भी जानते हैं... उन सबको यहां... इसी वक़्त बुलाइये... वह कमीने अपने प्लान को लेकर तैयार हैं... कहीं हमसे देरी ना हो जाये ...
तापस - ओके... रुको... पांच मिनट...

तापस जल्दी से अपने इंटरकॉम से दास और सतपती को अपने कैबिन में बुलाता है l जब दोनों आ जाते हैं

तापस - गॉय्स... विश्व के पास... एक इंफॉर्मेशन है... विश्व... प्लीज इन्हें बताओ...
विश्व - सर आपके ईगलु सेल के मेहमान... बहुत जल्द... भागने वाले हैं...

सतपती और दास दोनों हैरान हो जाते हैं l वह कभी तापस को, कभी विश्व को तो कभी एक दुसरे को देखने लगते हैं l

सतपती - य... यह... तुम कैसे कह सकते हो... मम्म... मेरा मतलब है... तुमको कैसे पता चला...
तापस - सतपती... इसे... सब मालुम है... उन तीनों के बारे में... प्लीज अब सब बैठ जाओ... (और विश्व को) सुनो... (वे दोनों बैठ जाते हैं) विश्व तुम भी बैठो...
विश्व - नहीं... सर... मैं ठीक.. हूँ...
दास - विश्व... सर कह रहे हैं... तुम सब जानते हो... कैसे...
विश्व - सर मैं भले ही... टीवी पर न्यूज नहीं देखता हूँ... पर लाइब्रेरी में न्यूज पढ़ता रहता हूँ... मुझे मालुम है... ओड़िशा में पहली बार... आतंकवादी गतिविधि देखने को मिली है... महीने भर पहले.... जगतपुर मस्जिद में छुपे हुए... दो बांग्लादेशी और एक केरल से ताल्लुक़ रखने वाला... तीन आतंकवादी गिरफ्तार हुए थे... तीनों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था और उन्हें एसटीएफ के ऑफिस में ही रखा गया था... उस दिन असल में मैं... सुपरिटेंडेंट सर की मानसिक स्थिति जानने आया था... और मैं यूँ ही... बात बात में... उस एनजीओ की बात कही थी... उस वक़्त आप लोग वहाँ पहुँच गए और मुझे जाना पड़ा... पर जाते जाते मैंने यह सुना... कुछ लोग हैं इंसान और इंसानियत को जहन्नुम बनाने के लिए...
मेरे कानों में यह गूँजती रही... यह बात आपने दार्शनिक आधार पर कहा था या फिर... यूँही.. मैं ऐसा सोच रहा था कि.... आपने मॉकड्रील की बात कही और ईगलु सेल बनाने की बात कही... तभी मुझे अंदाजा हो गया था... जैल में आने वाले... कोई मामूली अपराधी नहीं हैं... इसलिए मैंने अपने तरफ से पता लगाया है कि यह तीनों वही आतंकवादी हैं...

तापस, दास और सतपती तीनों आँखे फाड़ कर विश्व को सुन रहे हैं l विश्व देखता है उनके आँखों में अभी भी हैरानी है l

सतपती - अच्छा... तुमने अंदाजा लगाया है... तुम यह भुल रहे हो... एसटीएफ के पास अपना सेल है... वह क्यूँ अपना अपराधी को... यहाँ रखेंगे... इस बात का तुम्हारे पास कोई लॉजिक है...
विश्व - है...
तीनों - अच्छा... क्या है..
विश्व - आपकी मॉकड्रील ने मुझे बताया...
दास - क्या मतलब...
विश्व - मतलब यह कि... यह लोग तब भागेंगे... जब उनके पास बाहरी मदत जब पहुंचेगी... एसटीएफ यह दिखाना चाहती है कि... यह आतंकवादी उनके सेल में हैं... यानी यह खबर उनको छुड़ाने वालों के लिए है... की अगर वह कोशिश करेंगे तो उनको एसटीएफ के ऑफिस पर अटैक करना होगा... इसलिए उनको यहाँ पर... आधी रात को शिफ्ट करा दिया गया... पर फ़िर भी.... किसी प्रकार की संभावना से आँखे नहीं फेरा जा सकता है... जैल में अगर हमला हो... तो उस हालत के लिए... सारे कैदियों को तैयार किया गया.... क्यूंकि आप लोगों को भी कहीं ना कहीं अंदेशा है... जैल पर हमला हो सकता है...

तीनों चुप रहते हैं और विश्व के दिए लॉजिक को मूक समर्थन देते हैं l

तापस - ठीक है... तुमने अच्छा दिमाग़ लगाया है... पर तुम्हें कैसे पता चला वह लोग भागने वाले हैं... कब और कैसे...
विश्व - सर... वह लोग बिना किसी खुन खराबा के भागने के फ़िराक़ में हैं... बुरा मत मानिए... आज सुबह ही... आपके जैल के स्टाफ के सामने... उन्होंने अपने वकील को.. भागने का प्लान बताया है...
तापस - (जबड़े भींच कर) क्या बक रहे हो... इट्स इंपसीबल..
विश्व - सर... यह हुआ है... उनका लीडर कोड लैंग्वेज में मैसेज दिया है... वकील के जरिए... अपने लोगों के पास...
दास - कोड लैंग्वेज... क्या तुम श्योर हो... उनके भागने को लेकर... पर कैसे.... क्यूंकि उसने जो भी बात की... हमारा संत्री वहाँ मौजूद था....
विश्व - ठीक है सर... क्या आपके पास डिटेल्स है... क्या बात हुई...
दास - हाँ केस की सुनवाई पर...
विश्व - और...
दास - और क्या...
सतपती - हाँ... और... वकील ने उनसे पुछा... और क्या चाहिए...
विश्व - (एक हल्की सी मुस्कान लिए) तो उन्होंने अपने वकील से क्या मांगा...
सतपती - यही... एक गुलाब का फूल... जुते... पीतल का घोड़ा... कॉफी ताला... ऐसा कुछ...

विश्व अपने जेब से एक काग़ज़ निकाल कर टेबल पर रख देता है l उस काग़ज़ पर कुछ विश्व कुछ लिख कर दिखाता है l
जुता, गुलाब दिन की चिड़िया.
कॉफी ताला घोड़ा पीतल का

विश्व - यही कहा था ना...
सतपती और दास - हाँ... यही कहा था...
विश्व - अब इसे... सिक्वेंश में समझने की कोशिश कीजिए...

विश्व की लेख देख कर तीनों को समझ में कुछ नहीं आता l

विश्व - मैंने उन कहे गए शब्दों को समझने के लिए.... आधा दिन लगा दिया.... तब जाकर मुझे सब समझ में आया... आपके चौबीस घंटे के सर्विलांस में... वह कैदी.. किसी को कुछ भी लिख कर नहीं भेज सकते हैं... तो उनके पास एक ही चारा बचता है... अपने वकील के जरिए... अपने लोगों के पास संदेशा भेजें... उन्होंने यही किया है... यह देखिए... जुता... यानी इंग्लिश में शु... गुलाब यानी इंग्लिश में रोज... दिन... की पंछी...
शुरोज... मतलब सुरज दिन... मतलब रविवार के दिन... पंछी मतलब उड़ जाना है...
तापस - व्हाट द फक... ठीक है... तुमने कहा कि.. बिना खुन खराबे के... कैसे... और कहाँ से.... क्या इस जैल से...
विश्व - नहीं जैल से नहीं...
दास - तो फिर....
विश्व - अभी कोड पुरा कर लेने दीजिए... आपको समझमें आ जाएगा...
तापस - ठीक है... पुरा करो...
विश्व - कॉफी... ताला... मतलब कैपिटल और घोड़ा... पीतल का... मतलब... हॉर्स पीतल... यानी हॉस्पिटल...
पुरा कोड का मतलब... रविवार के दिन उड़ जाना है.... कैपिटल हॉस्पिटल से...
तापस - क्या... उस आदमी ने यह मेसेज... बाहर भेजा है... यह मेसेज हम जानते थे... पर तुम्हें कैसे मालूम हुआ...
विश्व - सर... यह एक सीक्रेट है... सॉरी... मैं यह नहीं कह सकता... बस आप समझ लीजिए... यह रहा वह मैसेज... जो बाहर चला गया है...

तापस, दास और सतपती तीनों एक दूसरे के मुहँ को ताकते हैं फिर उस काग़ज़ को जिसमें विश्व ने उन टेररीस्टों का भागने का पूरा प्लान के कोड क्रैक कर लिखा दिया है l

तापस - ओह माय गॉड... यह क्या हो रहा है... ठीक है... पर वह लोग हॉस्पिटल जाएंगे कैसे...
विश्व - सर दो तरह से जा सकते हैं... पहला फुड पॉयजनींग...
दास - दुसरा... सेल्फ हार्मींग... मतलब खुद को चोट पहुंचा कर...
विश्व - बिल्कुल... पर पहले वाले पर अमल करने के लिए उनको किसी अंदर की आदमी की सहायता चाहए.... पर दुसरे वाले पर अमल करने के लिए... उन्हें किसी की सहायता नहीं चाहिए...
दास - यस... यु आर राइट.. बिल्कुल सही...
विश्व - सर... (तापस से) उन लोगों के भागने में... और चार दिन है... वह जरूर अपने प्लान को एक्जीक्यूट करेंगे... पर हम उनके प्लान को फैल कर सकते हैं...
तापस - कैसे....

फिर विश्व उन तीनों को अपना प्लान बताता है, तीनों विश्व के प्लान से सहमत होते हैं l

चार दिन बाद

तापस प्रतिभा को गाड़ी में लेकर राम मंदिर की ओर जा रहा है l तापस वैदेही से हफ्ते में एक दो दिन के लिए आने को कहा है, क्यूंकि प्रतिभा जितनी देर वैदेही के साथ रहती है उतना समय प्रतिभा अपने ग़मों से दूर हो जाती है l इसलिए तापस प्रतिभा को वैदेही से मिलवाने राम मंदिर को ले जा रहा है l रविवार को वैसे आम तौर पर तापस छुट्टी में रहता है पर आज वह हर हाल में जैल जाना चाहता है l इसलिए राम मंदिर में पहुंचते ही प्रतिभा को वैदेही के पास छोड़ कर जैल की तरफ गाड़ी मोड़ देता है l वह गाड़ी चला रहा होता है कि तभी उसकी मोबाइल बजने लगता है l तापस कार किट के जरिए फोन ऑन करता है l

तापस - हाँ दास.. क्या हुआ...
दास - सर... सेल्फ हार्म... उन तीनों ने खुद को ज़ख्मी कर लीआ है...
तापस - ह्म्म्म्म... कैसे...
दास - सर... अपने सर को... लॉकअप के ग्रिल से... फोड़ा है...
तापस - ह्म्म्म्म... मैं पहुँच रहा हूँ... तुम डॉक्टर को कॉल करो...
दास - कर दिया है सर... आपकी आने की देरी है...
तापस - ओके... कॉमींग...

कह कर तापस फोन काट देता है l फोन के कटते ही तापस को चार दिन पहले विश्व की कही बातें याद आती है

विश्व - सर... रविवार को... वह लोग खुद को इंज्योर्ड करेंगे... पर इतना नहीं के भागने में तकलीफ़ हो... पर इतना ज़रूर करेंगे... के डॉक्टर उनको एडमिट करने को कहे...
तापस - पर उन्हें कैसे मालुम हुआ... के हमारे जैल के कैदियों की सभी ट्रीटमेंट कैपिटल हॉस्पिटल में होती है... वे आखिर विदेशी हैं...
विश्व - पर उनको सपोर्ट तो देशी मिल रहा है... मतलब लोकल...
दास - हाँ.. पर आगे...
विश्व - सर आपको प्राइमरी ट्रीटमेंट के लिए... एक डॉक्टर को बुलाना पड़ेगा...
दास - वह तो बुलाना ही पड़ेगा... कैपिटल हॉस्पिटल से...
विश्व - पर डॉक्टर अपनी पार्टी का होना चाहिए...
दास - (तापस) सर... डॉक्टर विजय तो... छुट्टी पर हैं... हमें किसी और से काम चलाना पड़ेगा...
विश्व - वह छुट्टी पर हैं...
तापस - हाँ.. वह... छोड़ो... हमें.. कोई और डाक्टर को ढूंढना पड़ेगा...
सतपती - सर... कोई और...
विश्व - हाँ... क्यूंकि अगर उनका प्लान... कैपिटल हॉस्पिटल से भागने की है... तो वह लोग हस्पताल में... ऑलरेडी घुस पैठ कर चुके होंगे...
तापस - विश्व ठीक कह रहा है...
दास - तो हम किसे बुलाएं...
तापस - कोई बात नहीं... मेरा और एक दोस्त है... फायर स्टेशन हॉस्पिटल में... वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त है... मैं उसे समझा दूँगा... वह हमारी मदत करेगा...
विश्व - हाँ सर... यह बढ़िया रहेगा...

तापस अपनी गाड़ी को जैल के पास रोकता है और गाड़ी से उतर कर अंदर जाता है l अंदर डॉक्टर तीनों ज़ख्मीयों की मरहम पट्टी कर रहा है l वह तीनों ज़ख्मी, दर्द से कराह रहे हैं l

तापस - कैसी हालत है इनकी... डॉक्टर साहब..
डॉक्टर - नट मच सीरियस... बट... अगर इन्हें हस्पताल में एडमिट कर दिया जाए... तो इट विल बेटर...
तापस - ओके देन.. गो अहेड... सर बेहतर होगा... आप ही एम्बुलेंस बुलाईये...
डॉक्टर - ठीक है... मैं कॉल कर देता हूँ...

कह कर डॉक्टर फोन लगा देता है, फोन पर तीनों की हालत के बारे में जानकारी देता है और एम्बुलेंस भेजने को कहता है l उसके बाद वह अपने बैग से इंजेक्शन निकालता है l

डॉक्टर - जब तक एम्बुलेंस नहीं आ जाती... मैं इन सबको... टीटी का इंजेक्शन... आई मिन टिटनेस टक्साड इंजेक्शन दे देता हूँ...
तापस - श्योर... जैसा आप ठीक समझे...

डॉक्टर उनको एक एक कर इंजेक्शन लगा देता है l उन्हें इंजेक्शन लगता देख दास के चेहरे पर हल्का मुस्कान आ कर गायब हो जाता है l उसे विश्व की बातेँ याद आने लगती है

चार दिन पहले

दास - ठीक है... डॉक्टर प्राइमरी ट्रीटमेंट के बाद अगर... हास्पिटल रेफर ना किया तो.... वह तीनों ऑन स्पॉट... वायलेंट हो सकते हैं...
विश्व - नहीं... उनको रेफर करना पड़ेगा...
दास - अगर यह तीन हॉस्पिटल गए... तो हॉस्पिटल बैटल ग्राउंड बन जाएगा... शायद बहुत बड़ा एक्शन हो जाएगा... कैजुअलटी भी हो सकती है...
विश्व - डॉक्टर रेफर के लिए कहेंगे... और वह कैदी... रेफर से पहले उठेंगे नहीं...
दास - क्या मतलब...
विश्व - रेफर से पहले... डॉक्टर उनको टीटी के इंजेक्शन देंगे... पर असल में वह इंजेक्शन नींद की होगी... डायजे़पाम या मेज़ोलैम इंजेक्शन... उनको वह इंजेक्शन दे दिया जाएगा... जिससे वह लोग कमसे कम छह घंटे बेहोश रहेंगे...
दास - और उन छह घंटे में करेंगे क्या...

एम्बुलेंस की आवाज सुनाई देती है l दास विश्व की खयाल से बाहर आता है l एम्बुलेंस अंदर आता है डॉक्टर उस एम्बुलेंस में बैठ जाता है l उसके बाद एक जीप्सी में बैठ कर सतपती आगे आगे जाता है उसके पीछे एम्बुलेंस और एम्बुलेंस के पीछे फोर्स से भरी एक वैन चलती है l पर उनका यह काफ़िला कैपिटल हॉस्पिटल के वजाए फायर स्टेशन हॉस्पिटल जाती है l फायर स्टेशन हॉस्पिटल को देख कर सतपती के चहरे पर एक मुस्कराहट खिल जाता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए कहता है - मान गए विश्व... क्या दिमाग लगाया है तुमने...

चार दिन पहले

सतपती - हाँ विश्व... वह लोग तो छह घंटे बेहोश रहेंगे... उन छह घंटों में... हम क्या करेंगे...
विश्व - प्राइमरी ट्रीटमेंट से अगर वह ठीक हो सकते हैं.... तो उनको मेडिकल ले जाना ही क्यूँ...
सतपती - क्या मतलब...
विश्व - जो एम्बुलेंस आएगा... वह फायर स्टेशन से आएगा... डॉक्टर एम्बुलेंस से चले जाएंगे... आप उन्हें एसकॉट करते हुए उनके हस्पताल में छोड़ दीजिएगा...
सतपती - ठीक है... पर उन कैदियों को अगर मालुम हुआ... के उन्हें हस्पताल नहीं लिया गया है... तो यहाँ पर भी यह लोग वायलेंट हो सकते हैं...
विश्व - उनको छह घंटे बाद जब होश आएगा... तब उनको आप ट्रॉली में ले जा कर... ईगलु सेल में डाल दीजिए.... उनको लगेगा वह लोग हस्पताल से आए हैं...
सतपती - और उनके इंतजार में जो कैपिटल हॉस्पिटल में होंगे...
विश्व - उनको खबर मिलेगा... की इन तीनों का इलाज किसी और सरकारी हस्पताल में हो गया... तब कुछ दिन के लिए शांत रहेंगे... फिर वह लोग इन्हें छुड़ाने के लिए कोई और प्लान सोचेंगे....

डॉक्टर - अच्छा... योंग मेन... ओह सॉरी... ब्रैव ऑफिसर... कुछ देर मेरे साथ बैठोगे या... वापस जाना चाहोगे...
सतपती - (विश्व की यादों से बाहर आकर) नहीं डॉक्टर साहब... मैं यह एम्बुलेंस लेकर वापस जाऊँगा... विथ योर परमिशन...
डॉक्टर - हम्म.. ठीक है... जाओ ले जाओ....
सतपती - थैंक्यू सर...

फिर खाली एम्बुलेंस लेकर सतपती लौटता है l गाड़ी में बैठ कर तापस को फोन करता है

सतपती - सर... मेडिकल इमर्जेंसी मॉकड्रील एकंप्लीश...
तापस फोन काट कर बेल बजाता है l जगन अंदर आता है


तापस - विश्व.. इस वक़्त कहाँ मिलेगा...
जगन - सर इस वक़्त... वह अपने... सेल में होगा शायद... नहीं नहीं... लाइब्रेरी में हो सकता है... बुला लाऊँ...
तापस - नहीं... मैं खुद उसके पास जाऊँगा...

कह कर तापस अपनी कैबिन से निकलता है और लाइब्रेरी के तरफ चल देता है l वहाँ पहुँच कर देखता है विश्व पेपर पढ़ रहा है l विश्व भी पेपर से अपना चेहरा उठाता है और तापस को देख कर उठ खड़ा होता है l

तापस - नहीं नहीं.. बैठे रहो...
विश्व - कोई बात नहीं सर... कुछ काम था...
तापस - हाँ... थैंक्यू... मैं तुमसे... थैंक्यू कहना चाहता था... इसलिए यहाँ आया...
विश्व - किस बात के लिए थैंक्स सर... आपके लिए मैं कुछ भी करूँ... वह कम ही है सर... आखिर आज अगर मैं अपने दो पैरों पर खड़ा हूँ... तो आपके वजह से...

तापस - नहीं विश्व... तुम नहीं जानते... आज बहुत दिनों बाद... मैं एक मज़बूर बाप और एक बेबस पति के खोल से निकला हूँ... बहुत दिनों बाद मैं... खुश हुआ हूँ... बेशक... एज अ जैल सुपरिटेंडेंट... कुछ देर के लिए तुमने मुझे मेरे बेटे के ग़म से निकाल दिया... मैं थोड़ी देर के लिए ही सही... हँस पाया... थैंक्यू... थैंक्यू.. वेरी मच....
Bahut badhiya update bro maza aa gaya
 
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Kala Nag

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सोमवार की सुबह
तापस की क्वार्टर


तापस की नींद टुटती है, वह बेड पर नजर डालता है उसे बेड पर प्रतिभा नहीं मिलती वह घड़ी देखता है सुबह के पांच बजे हैं l तापस उठ कर ड्रॉइंग रुम में आता है, देखता है प्रतिभा अपने दोनों हाथों को सीने पर बांध कर छत की ओर अपना सिर टिकाए आँखे बंद कर सोफ़े पर बैठी हुई है, उसके आँखों के किनारे आंसुओं के बूंद दिख रहे हैं और होठों पर एक मुस्कान ठहरी हुई है l तापस उसके पास बैठ जाता है l

तापस - क्या बात है जान... कल जब से प्रताप को खान के हवाले कर आई हो... तब से तुम अंदर ही अंदर तड़प रही थी... मैं जानता था... पर अब... रिलेक्स... प्रताप इज़ इन सैफ हैंड... अब सिर्फ तीन हफ्ते रह गए हैं... उसके बाद प्रताप हमेशा के लिए छूट जाएगा....
प्रतिभा - (तापस की ओर देखते हुए) जानती हूँ.... पर यह दिल कभी कभी बड़ा स्वार्थी हो जाता है... पानी के बुलबुलों जैसी खुशियाँ जीवन में आ रही है.... अपनी मुट्ठी में कस कर पकड़ने की कोशिश करती हूँ उन लम्हों को... पर रेत की तरह फिसल जाती है... तीन हफ्ते बाद.... प्रताप छूट जाएगा... पर... हमारे साथ सिर्फ एक महीना ही रहेगा... फिर जीवन में वही खाली पन और इंतजार....
तापस - जान... प्रताप एक इंसान नहीं रह गया है... एक आशा है... एक विश्वास है... एक उम्मीद है... एक नया क्रांति है... उस पर हमारा हक़ बाद में आता है.... उस पर राजगड़ के लोगों का हक ज्यादा है... उस पर अपने गांव में बदलाव लाने का संकल्प हावी है... जब तक वह संकल्प पुरा नहीं हो जाता... तब तक वह हमारा हो कर भी हमारा नहीं रह पाएगा...
प्रतिभा - (तापस की हाथ पकड़ लेती है) वह कामयाब हो कर... हमारे पास आ जाएगा ना...
तापस - (प्रतिभा के दोनों हाथों को अपनी हाथों में लेते हुए) हाँ जान हाँ... उस पर कोई आंच नहीं आएगा... अब वह अकेला कहाँ है... हम उसके साथ हैं... उसे हम हारने कैसे दे सकते हैं...
प्रतिभा - हाँ सच कहा आपने... अब बस उसका बार काउंसिल लाइसेंस आ जाए...
तापस - वैसे कितने दिन लगते हैं... लाइसेंस नंबर आने में...
प्रतिभा - तीन महीने...
तापसे - ह्म्म्म्म... लगभग दो महीने यहाँ रहेगा... और गांव जाने के महीने बाद लाइसेंस नंबर आ जाएगा...
प्रतिभा - हाँ... नंबर मिलते ही... हर महकमे में हड़कंप मच जाएगा...
तापस - वह कैसे...
प्रतिभा - जिस एसआईटी को सरकार कोल्ड बॉक्स में डाल कर टाइम पास कर रही है... उस के डेवलपमेंट पर जब प्रताप पीआईएल दाखिल करेगा... बहुतों के हाथों से तोते उड़ जाएंगे...
तापस - हाँ... वह तो है... पर जब पुरानी फाइलें फिर से खुल जाएंगी... उस वक़्त सबसे ज्यादा चौकन्ना... हमे रहना होगा...
प्रतिभा - मतलब...
तापस - किसी भी मोड़ पर हमे प्रताप का कमजोरी नहीं बनना है... उसके साथ... उसके लिए... हमे उसकी ताकत बनना है... मजबूती से उसके साथ डटे रहना है...
प्रतिभा - हाँ... अच्छा... अब हम ज्यादा दिन तक तो इस सरकारी क्वार्टर में नहीं रह सकते... आपने कोई घर देखा है...
तापस - (मुस्कुराते हुए) हाँ... देखा है और बुक भी कर दिया है...

प्रतिभा - क्या... और यह मुझे अब बता रहे हैं...
तापस - वह क्या है कि... मेरी जान अपने प्रताप के साथ खुशी में इस कदर झूम रही थी... मैं उस खुशी का कबाड़ा नहीं करना चाहता था...
प्रतिभा - यह बता दिए होते तो खुशी डबल हो गई होती ना...
तापस - हाँ... हो तो गई होती... फिर उसके बाद आज की तरफ प्रताप के बिछोह में मूड खराब किए होती...
प्रतिभा - अच्छा... तो यह बात आप मुझे कब बताने वाले थे...
तापस - आज ही... लो बता भी दिया...
प्रतिभा - कहाँ लिया...
तापस - पटीया.... रघुनाथपुर के पास... तीन कमरे वाला फ्लैट लिया है...
प्रतिभा - (खुश होते हुए) यह बहुत अच्छा किया आपने... पर तीन कमरे क्यूँ... ज्यादा नहीं हो जाएगा...
तापस - अरे जान... एक हम दोनों के लिए... दुसरा प्रताप के लिए... और तीसरा... तुम दोनों माँ बेटे के लिए... आखिर दोनों एडवोकेट जो हो...
प्रतिभा - वाव.... चलिए... आपने साबित तो किया... आपका दिमाग कभी कभी चलने लगता है...
तापस - ऑए... एडवोकेट मोहतरमा... आपका मतलब क्या है...
प्रतिभा - क्या... (अपनी कमर पर हाथ रखकर) आप मुझसे लड़ना चाहते हैं...
तापस - गुस्ताखी माफ़ जज साहिबा... अब कहिए... गृह प्रवेश कब करना है...
प्रतिभा - वह तो जिस दिन प्रताप छूटेगा... उसी दिन गृह प्रवेश होगा...
तापस - और तब तक... आप क्या करेंगे...
प्रतिभा - प्रताप के लिए... एक अच्छी सी लड़की देखूंगी...
तापस - क्या... (ऐसे चौंकता है जैसे चार सौ चालीस वोल्ट का झटका लगा हो) क्या...
प्रतिभा - आप ऐसे क्यूँ रिएक्शन दे रहे हैं... मैंने ऐसा क्या कह दिया...
तापस - अच्छा... मेरे दिमाग की बात करने वाली... जज साहिबा... आप रिश्ता किससे मांगेगी... हमारे जान पहचान वालों से... क्या कहेंगी... सात साल जैल में रहकर बीए एलएलबी किया है...
प्रतिभा - मैं जानती थी... आप से मेरी खुशियाँ देखी नहीं जाती...
तापस - अच्छा.... तो बताओ... कहाँ से आप अपनी बहु लाएंगी... सीधे लड़की से संबाद करेंगी या उसके माँ बाप से....
प्रतिभा - आप तो ऐसे कह रहे हैं... जैसे भगवान ने मेरे प्रताप के लिए कोई लड़की बनाया ही नहीं...
तापस - अरे भाग्यवान... बनी क्यूँ नहीं होगी... पर अभी.... कैसे...
प्रतिभा - हूं ह्.... मेरा दिल कह रहा है... उसके जीवन में बहुत जल्द कोई आने वाली है.... और देख लेना.... हमारे नए घर में ही उसके शुभ कदम... जल्दी पड़ेंगे...
तापस - अरे भाग्यवान ब्रेक लगाओ... ब्रेक लगाओ... तुम्हारी गाड़ी बहुत फास्ट जा रही है...

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कॉलेज कैंपस में नंदिनी की गाड़ी रुकती है l गाड़ी की दरवाजा खोल कर नंदिनी उतरती है l सभी स्टूडेंट्स की नजर नंदिनी की ओर टिकी हुई है l वजह शनिवार के दिन की रेडियो पर उसकी प्रेजेंटेशन l पर नंदिनी की नजर उसके दोस्तों तलाश रही थी l जब कोई नहीं दिखे तो वह सीधे कैन्टीन की ओर चल दी l कैन्टीन में पहुँच कर देखती है उसकी छटी गैंग के सभी सदस्य एक टेबल पर कब्जा जमाए बैठे हुए हैं l सबको देख कर नंदिनी खुश हो जाती है l टेबल के पास पहुँच कर सबको "हाय" कहती है l सभी उसे देखते हैं और सभी एक साथ अपने अपने होंठ के पउट बना कर सब एक साथ दाहिनी ओर मोड़ कर मुहँ फ़ेर लेती हैं I

नंदिनी - क्या बात है दोस्तों... अगर कुछ शिकवा या शिकायत है... तो गिला करो ना... (एक चेयर पर बैठते हुए)
बनानी - ओ हैलो... आप हैं कौन... हम यहाँ अपनी दोस्त नंदिनी की इंतजार कर रहे हैं...
दीप्ति - और बाय द वे... आप जिस चेयर पर बैठ गई हैं... यह हमारी दोस्त नंदिनी की है... चलो चलो... उठो यहाँ से...

नंदिनी सबको मुस्कराते हुए सुनती है और सर्विस बॉय को आवाज दे कर कहती है

नंदिनी - छोटु.... तीन बटा छह... स्पेशल चाय...
तब्बसुम - देखो तो इस लड़की को... ऐ लड़की कुछ शर्म वर्म है कि नहीं तुझमें...
नंदिनी - नहीं है... पैदाइशी बेशरम हूँ... अब बोलो क्या करोगी...
भाश्वती - अब करना क्या है... अब आप स्टार हो... हम ठहरे गाय... हमें थोड़ी ना घास डालोगी... भई बड़े लोग फोन मिला रहे होंगे... हमारी फोन देख कर स्विच ऑफ मोड अपने आप ऑन हो जाता है... है ना...
नंदिनी - सॉरी यार.. अब माफ़ भी कर दो... अब तुम लोग सजा देना चाहते हो तो दो... पर मुझसे ऐसे दुर मत हो... प्लीज यारों माफ करो..
इतिश्री - कर देंगे कर देंगे... पहले पार्टी का वादा तो करो...
नंदिनी - ठीक है करती हूँ... पर बाहर कहीं नहीं... मेरे घर में...
सब - वह क्यूँ... क्यूँ.. हाँ हाँ क्यूँ...
नंदिनी - (एक गहरी सांस लेते हुए) देखो दोस्तों... मैं तुम लोगों की तरह नहीं हूँ... मेरे बारे में... तुम लोग सब जानते भी हो... मैं काफी रेस्ट्रीकशन्स के बीच पली बढ़ी हूँ... अपनी जिंदगी में कभी इतने लोगों के बीच कोई प्रेजेंटेशन नहीं दी थी... इसलिए जब लकी ड्रॉ हुआ... तब मैं उपरवाले से दुआ मांग रही थी... कि... किसीका भी नाम आए पर मेरा नाम ना आए... पर मेरा नाम चिट में निकला... तभी से मैं नर्वस थी... और प्रेजेंटेशन के बाद जब सब लोगों ने तालियों से जवाब दिया... तो मैं और भी नर्वस हो गई थी... इसलिए मैं वहाँ से भाग गई और अपने भाभी के पास चली गई... खुद को नॉर्मल करने के लिए... बड़ी मुश्किल से नॉर्मल हुई हूँ.... सच कहती हूँ दोस्तों... मैं इस लायक बिल्कुल भी नहीं थी.... किसी से बात कर सकूँ... अगेन सॉरी...
बनानी - कोई नहीं... हम बहुत खुश हैं... तुम्हारा प्रेजेंटेशन तो... क्या कहें यार... वर्ड्स नहीं मिल रहे हैं... एक्सलेंट, मार्वलस...
इतिश्री - रॉब्बीश... इवन यह वर्ड्स भी तेरे प्रेजेंटेशन के आगे छोटे लगते हैं....
दीप्ति - हाँ तभी तो तुझे इतने फोन लगाए... पर तु... असेंबली हॉल से गधे की सिर से सिंग तरह गायब क्या हुई... आज जाकर मिल रही है...

तभी छोटु चाय की छह ग्लास रख कर उनमें चाय डालने लगता है l सबके ग्लास में चाय देने के बाद वहाँ से निकल जाता है l

नंदिनी - इसी लिए तो सॉरी कह रही हूँ... बस यार... बात को खिंचो मत... मैं समझ पा रही हूँ... तुम लोगों के दिल में क्या गुजरी है...
बनानी - ठीक है... ठीक है... हम पता नहीं कबसे.. एक ही टॉपिक के अराउंड घूम रहे हैं... अब बताओ पार्टी कब दे रही हो...
सभी - हाँ हाँ... बोलो बोलो... पार्टी कब दे रही हो...
नंदिनी - ओके... ओके... मैं घर जाकर... एक बार भाभी से पुछ लेती हूँ... उनके साथ बैठ कर प्लान बनाती हूँ... फिर मैं तुम सबको अपने घर में पार्टी दूंगी... ओके...
सभी - ओके... (कह कर सब ताली बजाने लगते हैं)

तभी प्रिन्सिपल ऑफिस का पीओन आता है और सीधे नंदिनी के पास आकर खड़ा हो जाता है l

दीप्ति - क्या हुआ (पीओन से) प्रिन्सिपल साहब ने फिर से याद किया क्या...
पीओन - जी... नंदिनी जी से बात करना चाहते हैं...
नंदिनी - ओके... भैया... आप जाइए मैं पाँच मिनट बाद पहुँच जाऊँगी...

पीओन वहाँ से चला जाता है l उसके जाते ही सभी नंदिनी को देखने लगते हैं l

भाश्वती - सो अब एप्रीसिएशन के लिए... प्रिन्सिपल ऑफिस से बुलावा आया है...
इतिश्री - हाँ... देखना... अब प्रिन्सिपल सर भी पार्टी मांगेंगे...

सभी इतिश्री की बात सुनकर हँस देते हैं l नंदिनी वहाँ से उठ कर प्रिन्सिपल ऑफिस की ओर निकलती है और कैन्टीन के दरवाजे के पास मुड़ कर पीछे देखती है और

नंदिनी - अच्छा... मैं प्रिन्सिपल सर जी से मिल लेने के बाद.... पहले यहाँ आऊंगी... और अगर तुम लोग यहाँ नहीँ मिले तो...
बनानी - सीधे क्लास में आ जाना... वहीँ पर मुलाकात होगी...
नंदिनी - ओके...

इतना कहकर नंदिनी वहाँ से चली जाती है l उसके जाने के बाद दीप्ति बनानी से पूछती है

दीप्ति - वह प्रिन्सिपल के ऑफिस जा रही है... तो तुझे क्यूँ नहीं बुलाया... कम से कम ऑफिस तक तो बुला ही सकती थी...
बनानी - यह कोई बात नहीं हुई... ना जाने कितनी बार वह प्रिन्सिपल के ऑफिस गई है... उसने कभी नहीं बुलाया और ना ही हमने कभी उससे पुछा... दिस इज़ नॉट एन इशू... वह हमे साथ लेकर जाती भी तो क्या होता... हम दरवाजे के बाहर ही होते... इससे बेहतर है कि वह अकेली जा कर आ जाए...
तब्बसुम - ओह या...

दीप्ति चुप हो जाती है l सभी दोस्त चाय खत्म कर इधर उधर की बातों में लग जाते हैं l उधर कॉलेज के दुसरी तरफ रॉकी बाइक स्टैंड से सटे गार्डन में अपने ग्रुप के साथ बैठा हुआ है l

रवि - क्या बात है ड्यूड... नंदिनी की प्रेजेंटेशन हिट होने के बाद... अपना रॉकी कहीं खो गया है...
सुशील - हाँ... प्रोग्राम तो हिट गया.... पर अपना हीरो शॉक्ड हो गया... लगता है... इसे ही उम्मीद नहीं थी... नंदिनी इतनी बेटर प्रेजेंटेशन दे पायेगी...
आशीष - हाँ... प्लान तो यही था... अगर प्रोग्राम हिट गया... तो बधाई देने का... अगर पीट गया तो दुखी नंदिनी को सिसकने के लिए कंधा देने का...
रॉकी - ओह स्टॉप इट... हाँ मैं शॉक्ड हो गया था... सच कहूँ तो... मुझे बिल्कुल इस तरह की... प्रेजेंटेशन की... उम्मीद नहीं थी.... और जब मैं उसे बधाई देना चाहा... तब वह असेंबली हॉल से जा चुकी थी.... यही मेरे चिंता का कारण है... अब अगर उससे मुलाकात हुई... तो मैं क्या कहूँगा और उसका रिएक्शन क्या होगी... अच्छा राजु... तुझे क्या लगता है...

सब राजु की ओर देखने लगते हैं l क्यूँकी पुरे डिस्कशन में राजु सबको सुन तो रहा था पर कोई कमेंट नहीं किया था अब तक l जैसे ही राजु को एहसास होता है कि सब उसे देख रहे हैं

राजु - देख रॉकी... तु जिस लड़की की बात कर रहा है... वह खुद पिंजरे में कैद बुलबुल की जैसी है... वह राजगड़ के स्कुल में क्लास अटेंड करने कभी कभी ही आती थी.... चाहे क्लास हो या एक्जाम... उसके लिए सेपरेट अरेंजमेंट होता था.... वह हम सबसे अलग बैठती थी.... उसके कोई दोस्त नहीं थे.... फ़िर इंटर के तीन साल बाद वह ग्रैजुएशन करने आई है... यहीँ पर उसने पहली बार दोस्त बनाए हैं.... यहाँ इस कॉलेज में उसके साथ जो भी हो रहा है... पहली बार हो रहा है.... इसलिए इस नए हालत से खुदको एडजस्ट करने की कोशिश कर रही है.... उसने ना तो कभी ऐसी भीड़ देखी थी... और ना ही ऐसे कभी किसीके सामने कोई प्रेजेंटेशन दी थी... इसलिए वह जितनी शॉक्ड थी... उतनी ही नर्वस भी.... अब इस वक़्त उसके मन में क्या चल रहा होगा... यह कहना मुश्किल है... सच कहूँ तो... मुझे अब डर लगने लगा है... हमने अब तक जो किया या कर रहे हैं.... क्या वह सही है... कहीं हम उसके दिल में अपने रॉकी के लिए फिलिंग्स जगाने के चक्कर में.... आग से तो नहीं खेल रहे हैं....
रॉकी - हो गया बेड़ा गर्क मेरा... साला कितना लंबा लेक्चर झाड़ दिया... कम्बख्त खुद तो डरा हुआ है... हमको भी डरा रहा है....
आशीष - हाँ यार... हम लोग इतना सोच समझ कर... प्लान एक्जिक्युट कर रहे हैं... कोई गलती हुई नहीं है अब तक... चुक हुई नहीं है अब तक...
रवि - (सबको) चुप रहो सब... (धीरे से) यह कॉलेज है... ऐसी डिस्कशन हम बाहर जाके कर सकते हैं... वह नंदिनी इसी तरफ आ रही है... चुप रहो सब...

सब गार्डन की एंट्रेंस की ओर देखते हैं l नंदिनी वहाँ से इन्हीं के तरफ आ रही है l सब अंदर ही अंदर डरने लगते हैं l नंदिनी सीधे आ कर इन लोगों के सामने खड़ी हो जाती है l

नंदिनी - हाय... हैलो बॉय्स...
सभी - हाय... हैलो...
नंदिनी - (रॉकी से) थैंक्स...
रॉकी - फॉर व्हाट...
नंदिनी - रॉकी... पहली बात... तुम वाकई हीरो हो... फायर एक्सीडेंट में तुमने बनानी को बचाया... टॉक ऑफ द कॉलेज ही नहीं टॉक ऑफ द टाउन हो गए... बेशक हमारे कालेज के सिक्युरिटी अलर्ट पर बहुत नेगेटिव कमेंट्स आए... पर तुमने लास्ट वीक जो रेडियो ब्रॉडकास्ट प्रोग्राम बनाया... जिसके वजह से... हमारे कालेज के लिए अब पॉजिटिव कमेंट्स आ रहे हैं... इसके लिए थैंक्स...
रॉकी - इ... इट्स ओके... अज अ जनरल सेक्रेटरी यह मेरा ड्युटी था... पर यह सब...
नंदिनी - ओ हाँ... अभी अभी मैं प्रिन्सिपल ऑफिस से आ रही हूँ... उन्होंने जितनी एप्रीसिएशन मेरी की... उतनी ही तुम्हारी भी की... वाकई यु आर अ हीरो...
रॉकी - (मुस्कराने की कोशिश करते हुए) थ.. थैंक्स...
नंदिनी - (हाथ को आगे बढ़ा कर) फ्रेंड्स...
रॉकी - (थरथराते हुए हाथ से नंदिनी की हाथ पकड़ कर) फ्रेंड्स...
नंदिनी - सो रॉकी... अगर बुरा ना मानों तो मैं तुम्हें एक फ्रेंडशिप गिफ्ट देना चाहती हूँ...
रॉकी - (हैरान व खुशी के साथ अपने दोस्तों को देखते हुए) जरूर... आई डोंट माइंड...

नंदिनी अपनी पर्स से एक डिजिटल घड़ी निकालती है और रॉकी की बाएं हाथ को हाथ में लेकर बांध देती है l

नंदिनी - अगर फ्रेंडशिप बैंड होता तो... वह बैंड बांध देती... पर हमारी फ्रेंडशिप बहुत वैल्युवल है तो सोचा बैंड भी वैल्युवल होनी चाहिए.... इसलिए मैंने तुम्हारे लिए यह खरीदा है....

नंदिनी के घड़ी पहनाने के बाद रॉकी उस घड़ी को गौर से देखता है l

नंदिनी - यह वेयर हेल्थ वॉच है... फ़िलहाल अभी इसके स्क्रीन पर ब्लू टूथ की डिस्पले ही दिखेगा... जैसे ही तुम अपने मोबाइल फोन को ब्लू टूथ के जरिए इससे कनेक्ट करोगे... तुम्हारे मोबाइल पर एक लिंक आएगा... फिर ऐप स्टोर से इसका ऐप डाउन लोड कर लेना... और उसके हिसाब से प्रोग्राम कर लेना... यह तुम्हारा हेल्थ गार्ड करेगा... हार्ट बीट.. पल्स रेट वगैरह सब बतायेगा... तुम्हारा कैलोरी बर्न के बारे में जानकारी देगा... और तुम्हारे शरीर को पानी कब चाहिए... यह भी अलर्ट कर देगा....
रॉकी - (घड़ी को देखते हुए) वाव...
नंदिनी - ह्म्म्म्म और भी फीचर्स हैं... जितना डीप जाओगे... उतना जान जाओगे...
रॉकी - थैंक्स... नंदिनी... पर इतनी कॉस्टली गिफ्ट...
नंदिनी - तुम दोस्त ही इतने क़ीमती हो... तुम्हारे दोस्ती के आगे... यह मामूली ही है....
रॉकी - (उस डिजिटल घड़ी को देखता ही रहता है)
नंदिनी - और हाँ यह वॉटर प्रूफ़ भी है... चाहो तो चौबीसों घंटे इसे पहन सकते हो... (मुस्कराते हुए) मुझे बहुत खुशी भी होगी... अगर तुम इसे हरदम पहने रहो तो... ओके गॅयस... मैं क्लास जा रही हूँ... एंजॉय योर डे....

इतना कह कर नंदिनी वहाँ से चली जाती है l उसके आँखों से ओझल होते ही सभी रॉकी पर टुट पड़ते हैं l

आशिष - अबे... लौंडे ने मैदान मार लिया रे...
सुशील - हाँ यार... चल आज पार्टी दे दे यार... मैं तो बोलता हूँ... आज रात भर पार्टी करते हैं... साले सिर्फ तीन स्टेप पर ही मंजिल मिल गई...
रवि - अपनी हीरो की तो लॉटरी लग गई

रॉकी शर्माने लगता है l सभी उसके इर्द गिर्द हैइ हैइ चिल्लाते हुए घूमने लगते हैं l

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वीर ऑफिस में अपने कैबिन में पहुँचता है और अपने कुर्सी पर बैठ जाता है l वह अपनी चारो तरफ नजर घुमाने लगता है l उसे कहीं पर भी अनु नहीं दिखती है l वह अपना मोबाइल फोन निकाल कर अनु की नंबर निकाल कर डायल करने को होता है कि उसका फोन बजने लगता है l वीर देखता है महांती का फोन है l

वीर - हाँ... महांती... बोलो क्या हुआ है...
महांती - राजकुमार जी... मैं कब से युवराज जी को फोन लगा रहा हूँ... पर वह नहीं उठा रहे हैं....
वीर - अगर वह नहीं उठा रहे हैं... तो हम क्या करें...
महांती - आपने जैसा कहा था... हमने वैसा ही तो किया... पर एज ESS डायरेक्टर... उन्हें मैं रिपोर्ट करना चाहता था.... पर वह नहीं मिल रहे हैं...
वीर - तो हमे बताओ... हम जब युवराज जी से मिलेंगे... तो उनको बता देंगे...
महांती - ठीक है... उन्हें बता दीजिए... केस नाइंटी पर्सेंट सॉल्व हो गया है... और मैं कल पहुंच कर बाकी रिपोर्ट प्रेजेंट करूंगा....
वीर - वाव... मतलब... हमारे हाथ कुछ मगरमच्छ लगे हैं...
महांती - मगरमच्छ तो नहीं... पर उस मगरमच्छ के साथ देने वाले सब हमारे रेडार पर आ गए हैं...
वीर - गुड... ठीक है... हम युवराज को इंफॉर्म कर देंगे...
महांती - थैंक्यू... राज कुमार... थ.. (वीर फोन काट देता है)

वीर - साला कमीना कबाब में हड्डी... हमेशा रॉंग टाइम पर फोन करता है...

फिर अनु की नंबर निकाल कर डायल करता है l फोन पर रिंग टोन सुनाई देने लगता है l कुछ देर बाद फोन कट जाता है l वीर फिर से डायल करता है l फोन बजने लगता है पर इस बार भी अनु फोन नहीं उठाती है l वीर गुस्से से फोन काट कर अपने रिवॉल्वींग चेयर पर इधर उधर होने लगता है l फिर खीजे हुए मन से विक्रम की कैबिन की ओर जाने लगता है l विक्रम के कैबिन के सामने पहुँचकर दरवाजे पर धक्का देता है l दरवाज़ा नहीं खुलता है तो वह दरवाजे पर दस्तक देता है l तभी वहाँ पर एक गार्ड आता है

गार्ड - राजकुमार जी... युवराज अपने कैबिन में नहीं हैं...
वीर - क्यूँ... अभी तक ऑफिस नहीं गए हैं क्या...
गार्ड - वह कल रात से ही ऑफिस में हैं... शायद घर नहीं गए हैं...
वीर - (हैरान हो कर) क्या... (फिर संभल कर) ओके.. ओके... अभी कहाँ हैं वह...
गार्ड - जी अभी ट्रेनिंग ग्राउंड के पास... ट्रेनिंग हॉल में...
वीर - अच्छा... ओके... अब जाओ... तुम...

वीर मन ही मन सोचने लगता है - क्या... युवराज कल रात भर घर नहीं गए... यह क्या माजरा है... घर पर कोई जानता भी है या नहीं... क्या युवराणी जी को पता है... शायद पता होगा.... पर युवराज और उनके बीच तो बातचीत बंद है.... पता नहीं शायद कबसे... हर रात तो वह युवराज जी को देखने के बाद अपने कमरे में सोने जाते हैं... तो क्या उनको कोई चिंता नहीं हुआ...

ऐसे सोचते सोचते वीर ट्रेनिंग हॉल में पहुँचता है l वहाँ देखता है विक्रम एक चेयर पर पसीने से लथपथ बैठा हुआ है l वीर समझ जाता है विक्रम ने ज़रूर जम कर एक्सर्साइज और प्रैक्टिस की है l वह एक टवेल उठा कर विक्रम के पास पहुंचता है l वीर उसके पास खड़ा है यह विक्रम को एहसास हो जाता है वह वीर की ओर देखता है और वीर के हाथों से टवेल ले कर अपना चेहरा पोंछता है I

विक्रम - कहिए राजकुमार... कैसे आना हुआ...
वीर - वह... महांती का फोन आया था... आपने नहीं उठाया तो उसने मुझे फोन किया...
विक्रम - (अपना फोन निकाल कर मिस कॉल चेक करता है) ह्म्म्म्म... मैंने देखा नहीं था...
वीर - आपके मुहँ से... यह हम के वजाए मैं सुनना... अच्छा नहीं लगता...
विक्रम - आदत डाल लीजिए...
वीर - कभी सोचा है... आप राजा साहब जी के सामने कैसे जाएंगे... क्या उनको समझा पाएंगे कि आपने अपनी मूंछें क्यूँ मुंडवा लिया... या... आप हम के वजाए... मैं क्यूँ कह रहे हैं....
विक्रम - (चुप रहता है)
वीर - आप कल घर भी नहीं गए...
विक्रम - उसे घर क्यूँ कह रहे हैं... राजकुमार... उसे मैंने बड़े चाव से बनाया था ... और उसका नाम द हैल रखा था... मतलब नर्क... अब सचमुच वह नर्क लगने लगा है... क्या करें... अपनी ही करनी है... नर्क भोग रहे हैं....
वीर - आप... ऐसे क्यूँ बात कर रहे हैं...
विक्रम - (एक नजर वीर पर डालता है और) जानते हैं... राजकुमार... आप मुझसे... बातों से, सोच में और ज़ज्बात समझने में... बहुत आगे हैं... कभी कभी मुझे आपसे जलन होती है...
वीर - यह... यह आप कैसी... बहकी बहकी बातेँ कर रहे हैं....
विक्रम - हाँ... राजकुमारजी... हाँ... आपकी हर सोच हमेशा युनीडाइरेक्शनल होता है... फोकस्ड रहता है... पर मैं... मैं हमेशा खुद को दो राहे पर पाता रहा हूँ... खुद को भटका हुआ महसुस करता हूँ...
वीर - युवराज जी... प्लीज आप ऐसे बातेँ मत कीजिए.... आप हमेशा मेरे आईडल रहे हैं... मैं तो आपको फॉलो कर रहा हूँ...
विक्रम - (दर्द भरे आवाज़ में) मत कीजिए फॉलो मुझे... आई एम अ लुज़र...
वीर - प्लीज...
विक्रम - ना दिल जीत पाया... ना दुनिया...
वीर - युवराज जी.... आप को क्या हो गया है... आप मुझे बताइए क्या हुआ था उस दिन... किस तरह से तोड़ कर रख दिया है आपको... मैं... मैं उसे नहीं छोड़ूंगा...
विक्रम - (चीख कर) नहीं... (नॉर्मल होते हुए) नहीं... वह मेरा है... उसने मेरे शख्सियत से क्षेत्रपाल को नोंच फेंका है... मेरी वज़ूद को झिंझोडा है... उसे मैं ही निपटुंगा....
वीर - ऐसा क्यूँ... युवराज... ऐसा क्यूँ...

विक्रम वीर को ओरायन मॉल के पार्किंग एरिया में हुए पुरे वाक्या का विवरण देता है, सिवाय नाम के l वीर सब सुनने के बाद कुछ सोच में पड़ जाता है l

वीर - ओ... युवराणी जी का उस शख्स के आगे हाथ जोड़ना...(चुप हो जाता है)
विक्रम - हूँ... जानते हैं राजकुमार... एक दिन मैंने फैसला किया था... मैं अपने लिए कुछ नहीं करूँगा... सिर्फ़ वही करूँगा... जिससे भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी के नाम का सिक्का चले... इन छह सालों में... मैंने वही किया... पर उस शख्स ने... क्षेत्रपाल के साये में दबे... मेरे वज़ूद को ललकारा है... इसलिए जब तक उसे विक्रम ज़वाब नहीं दे देता... तब तक विक्रम को क्षेत्रपाल नाम ढोने का हक भी नहीं है...
वीर - (उसे हैरानी से देखता रहता है, क्यूंकि हर लफ्ज़ के साथ साथ विक्रम के चेहरे पर भाव गम्भीर होता जा रहा था)
विक्रम - इसीलिए मैं यहीँ अपने वज़ूद को तलाश रहा हूँ... तराश रहा हूँ... अब मेरी सोच किसी दोराहे पर नहीं है... मुझे बस... उस शख्स को मुहँ तोड़ ज़वाब देना है...
वीर - पर अब आप घर कब तक नहीं जाएंगे...
विक्रम - (वीर के तरफ देख कर हल्की सी हँसी हँसता है) आपको कब मालुम हुआ... मैं घर नहीं गया हूँ...
वीर - (अपना सिर झुका लेता है) य... यहीं... थोड़ी देर पहले...
विक्रम - हा हा हा हा... देखा वह घर नहीं है... वह नर्क है... द हैल... जिसे मैंने बनाया है... वहाँ मेरे खुन के रिश्ते में लोग रहते हैं... और दिल के रिश्ते में कोई रहती है... पर किसीको को खबर नहीं थी...(विक्रम के आवाज में दर्द निकल आता है) किसीको इंतजार नहीं थी....
वीर - (कुछ कह नहीं पाता)
विक्रम - अब आप जाएं राजकुमार.... अब आप जाएं... (ना चाहते हुए भी वीर वहाँ से उठ कर जाने लगता है) बस एक फेवर कीजिएगा... (वीर पीछे मुड़ कर देखता है) कुछ दिनों के लिए ESS को पुरी तरह से आप ही संभालीये...

वीर अपने दिल में एक भारी पन महसुस करने लगता है l भारी मन लिए अपने कैबिन में पहुँचता है और अपने चेयर पर बैठ कर विक्रम की कहे बातों पर सोचने लगता है l विक्रम की बातों को सोचते सोचते वह अपने बचपन में पहुँच जाता है l

फ्लैशबैक

बचपन में एक दिन
अपनी गुड़िया सी नन्ही बहन के साथ खेल रहा था तभी पिनाक सिंह उसके पास आकर

पिनाक - (ऊंची आवाज़ में) राज कुमार...
वीर - जी.. जी छोटे राजा जी....
पिनाक - अब आपका खेलने का समय खतम हो चुका है.... पढ़ाई के लिए आपको युवराज जी के पास कलकत्ता जाना पड़ेगा...
वीर - क्या रुप भी हमारे साथ जाएगी...
पिनाक - (ऊंची आवाज़ में) खबरदार... (ऊंची आवाज़ से नन्ही रुप रोने लगती है) हमारे वंश में लड़कीयों को पढ़ने लिखने की इजाज़त नहीं है... और यह क्या रुप कह रहे हैं...
वीर - हमारी छोटी बहन है.... तो हम क्या कहें...
पिनाक - राजकुमारी कहेंगे... राजवंशीयों के बीच रिश्ते नहीं ओहदे होते हैं... और जब कलकत्ता जायेंगे वहीँ पर... युवराज जी को युवराज ही कहेंगे... भाई या भैया नहीं...

फ्लैशबैक खतम

वीर को विक्रम के भीतर का दर्द महसूस होने लगता है l वह अपने इसी सोच में खोया हुआ है तभी उसे एहसास होता है कि उसके सामने बैठे दो बड़ी बड़ी हिरनी जैसी आँखे घूर रही हैं l वह उन आँखों को देखने लगता है l जैसे ही वह आँखे झपकने लगती हैं वीर के होठों पर हल्की सी मुस्कराहट आकर ठहर जाता है l

अनु - अहेम... अहेम...
वीर - (फिर भी उसकी आंखों को निहार रहा है)
अनु - (धीरे से) राज कुमार जी...
वीर - (कोई जवाब नहीं देता)
अनु - राजकुमार जी (थोड़ी ऊंची आवाज में)
वीर - (ध्यान टुटता है) हूँ.. हाँ... क्या... क्या हुआ..
अनु - आप मुझसे गुस्सा हैं ना...
वीर - क्यूँ...
अनु - (झिझकते हुए) वह मैंने कल... (जल्दी जल्दी) मुझसे फोन कट गया...
वीर - हूँ... ठीक है...
अनु - (धीरे से) आपको बुरा लगा...
वीर - हाँ... नहीं... नहीं... (थोड़ी देर चुप रहने के बाद) अनु...
अनु - जी...
वीर - अपनी बचपन के बारे में कुछ कहो...
अनु - (हैरान हो कर) जी...
वीर - मेरा मतलब... तुम्हारा बचपन कैसा था... अनु...
अनु - (चेहरे पर एक भोली सी मुस्कान लिए) अपना बचपन किसे अच्छा नहीं लगता राजकुमार जी... वह बचपन जहां हर जिद पुरी होती थी... रोने पर बापू मुझे बुड्ढी के बाल लाकर देते थे... जब मेला लगता था... अपनी कंधे पर बिठा कर मेला दिखाते थे... (फिर चहकते हुए) बचपन में पता नहीं कितने खेल खेलते थे... घो घो राणी... लुका छुपी... बहु चोरी.... क्या बताऊँ कितना मजा आता था... हमारे पास वाले गली में एक आम का बाग होता था... जब जब आम चोरी करने जाते थे... बड़ा मजा आता था... कभी कभी पकड़े भी जाते थे... फिर भी आम चोरी नहीं छोड़ा था... पर ज्यों ज्यों उम्र बढ़ती गई... दादी ने मेरा बाहर जाना और सहेलियों के साथ खेलने पर पाबंदी लगा दी...
वीर - वाकई... तुम्हारा बचपन लाजवाब था... सबकी बचपन ऐसी नहीं होती... (कह कर वीर चुप हो जाता है)
अनु - (झिझकते हुए) आ.. आप.. का बचपन...
वीर - नहीं अनु... हमारी जैसी बचपन किसीको नसीब ना हो... सब-कुछ आँखों के सामने होता है... हाथ की पहुँच में होते हुए भी... कुछ हासिल नहीं होता है... बड़े बदनसीब होते हैं हम जैसे...
अनु - (हैरानी से आँखे फैल जाती है) आ... आप तो... राजकुमार हैं ना...
वीर - हाँ अनु... यही अभिशाप लेकर हम जी रहे हैं....

फिर कुछ देर तक चुप्पी छा जाती है l वीर और अनु एक दुसरे को देखने लगते हैं l

वीर - तुम कब आई अनु...
अनु - (शर्मा जाती है) वह आई तो थी... पर...
वीर - पर... आज मेरी फोन भी नहीं उठाया...
अनु - वह आ.. आपके सामने आ... आने से मुझे शर्म आ रही थी...
वीर - क्यूँ... मैंने क्या किया...
अनु - (गाल लाल हो जाती हैं, अपना सिर झुका लेती है)

वीर को याद आता है अनु से उसके क्या कहा था l वीर के चेहरे पर फ़िर से मुस्कराहट आ जाती है l

वीर - अनु....
अनु - (अपना सिर झुकाए) हूँ...
वीर - अच्छा मान लो... फिर से बचपन जीने का मौका मिला... तो क्या करोगी...
अनु - (अपना चेहरा उठाकर चहकते हुए) तब तो मजा ही आ जाए.. मैं तो पहले किसी झूले में झूला झूलती... फ़िर समंदर के किनारे रेत की घर बनाती... फिर... बुड्ढी के बाल ख़ुद बना कर खाती.... फिर से आम चोरी करती.... पता नहीं क्या क्या करती....
वीर - (अनु की बातों को गौर से सुनता रहता है)
अनु - (वीर को अपने तरफ देखते हुए पाती है) आप ऐसे क्या देख रहे हैं...
वीर - तुममें अभी भी बहुत बचपना है... लगता ही नहीं के तुम बड़ी हो गई हो... बस शरीर से बड़ी दिखती हो... और जब जब शर्माती हो... तभी शायद तुमको एहसास होता है... की तुम अब बच्ची नहीं रही हो...
अनु - (फ़िर से शर्मा कर अपना सिर झुका लेती है, और चोरी चोरी वीर को देखने लगती है)
वीर - अच्छा अनु...
अनु - हूँ...
वीर - जब तुम अपनी बचपन को दोबारा जीना चाहोगी... मुझसे जरूर कहना...
अनु - (हैरानी से) क्यूँ... मतलब कैसे...
वीर - मैं... तुम्हारे साथ... एक दिन के लिए... अपना खोया हुआ बचपन जीना चाहता हूँ... वह बचपन जिसकी ख्वाहिश तो थी पर.... कभी जी नहीं पाया...
अनु - (हैरान हो कर) आप मेरे साथ... हम दोस्त भी नहीं हैं...
वीर - तो बना लो ना...
अनु - आप लड़के हैं... और मैं लड़की... हमारे बीच दोस्ती थोड़ी ना हो सकती है...
वीर - क्यूँ... क्यूँ नहीं हो सकती...
अनु - ह... हम... बच्चे नहीं हैं...
वीर - बच्चे होते... तो हो सकते थे...
अनु - हाँ...
वीर - मैं वही तो कह रहा हूँ... बस एक दिन... तुम्हरी ख्वाहिशों की तरह... तुम्हारे साथ बचपन जीना चाहता हूँ...
अनु - वह सब तो मैं... अपनी किसी सहेली के साथ.... (चुप हो जाती है)
वीर - तो एक काम करो... मुझे अपना सहेला बना दो...
अनु - जी... सहेला मतलब...
वीर - लड़की दोस्त हो.. तो सहेली होती है.... और लड़का दोस्त हो... तो सहेला... क्यूँ है ना...
अनु - (हैरान हो कर) ऐसा थोडे ना होता है...
वीर - फिर कैसा होता है...
अनु - (कुछ नहीं कहती, बिल्कुल चुप हो जाती है)
वीर - अनु.... (वैसे ही सिर झुकाए बैठी रहती है) कब जाना है... कहाँ जाना है... क्या क्या करना है... यह मैं पुरी तरह से तुम पर छोड़ता हूँ... यूँ समझ लो... यह मेरी एक ऐसी ख्वाहिश है... जो मैं जीना चाहता हूँ... भले ही तुम मेरी पर्सनल सेक्रेटरी हो... पर यह बात मैं पुरी तरह से तुम पर छोड़ता हूँ... मुझे बस एक दिन एक बच्चा बन कर बचपन को जीना है...
 

Rajesh

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👉चौवनवां अपडेट
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तीन कैदियों के भागने की कोशिश विफल हो जाने के तीन दिन बाद तापस के घर में खुशियाँ थोड़ी थोड़ी आने शुरू हुए हैं l प्रतिभा आज इतने दिनों बाद किचन में कुछ बना रही है l उसे खाना बनाते देख तापस भीतर से एक सुकून सा महसूस कर रहा है l पर उसकी सुकून को बाधा पहुँचाते हुए घर की लैंडलाइन घन घना उठता है l तापस खीजे हुए मन से फोन उठाता है

तापस - हैलो...
दास - सर... दास बोल रहा हूँ...
तापस - हाँ दास... बोलो...
दास - सर.. एक गड़बड़ हो गया है... क्या आप आ सकते हैं...
तापस - क्या मेरा आना जरूरी है...
दास - सर... बात आपसे... संबंधित है...
तापस - (एक नजर प्रतिभा पर डालता है) हम्म... ठीक है दास... जस्ट इन टेन मिनटस्... मेरे कैबिन में इंतजार करो...
दास - ओके सर...

तापस फोन रख देता है, और किचन की ओर जाता है l प्रतिभा उसके तरफ मुड़ती है

प्रतिभा - आप बेफ़िक्र हो कर जाइए... सेनापति जी...
तापस - (हैरान हो कर) वह... जान... मैं...
प्रतिभा - आप घबराइये मत... मैं बहुत हद तक संभल चुकी हूँ... उबरने भी लगी हूँ...
तापस - (प्रतिभा के पास जाकर उसके हाथ पकड़ कर) जान... तुम हो... इसलिए... मैं हूँ... वरना...
प्रतिभा - (तापस की हाथ को जोर से पकड़ कर) हम दोनों साथ रहेंगे... मैं बहुत जल्द कोर्ट जाना भी शुरू कर दूँगी... डोंट वरी... मेरी सिर्फ़ एक ही लक्ष बचा है... (चेहरा कठोर हो जाती है) उस चेट्टी की बरबादी.... (तापस की आँखों में देखते हुए) और उसके लिए... मुझे हर हाल में... उबरना ही था...
तापस - (प्रतिभा की चेहरे को अपने दोनों हाथों में ले कर माथे को चूमते हुए) जान... अपना खयाल रखना... जल्द ही वापस आता हूँ...

प्रतिभा अपनी पलकें झपका कर हाँ कहती है l फिर तापस बाहर दरवाजे पर पहुँच कर वापस घूम कर प्रतिभा की ओर देखता है, और फिर बाहर निकल जाता है l इतने दिनों बाद पहली बार तापस बगैर ताला लगाए घर से बाहर जा रहा है l जैल में पहुँच कर अपने कैबिन में पहुँचता है l वहाँ पर दास और सतपती दोनों उसका इंतजार कर रहे हैं l तापस को देख कर दोनों खड़े हो जाते हैं l

तापस - सीट डाउन बॉयज्... सो... दास.. कुछ खास बात... जो मेरे बगैर तुमसे.. या सतपती से... हैंडल नहीं हो सका...
दास - वह... सर... ईगलु के मेहमान... खाना नहीं खा रहे हैं...
तापस - क्यूँ...
सतपती - सर उनका लीडर... अशरफ... आपसे बात करना चाहता है... उसके बाद ही... वह खाना खाएगा... ऐसा कह रहा है...
तापस - हूँ... तो वह लोग अब... भुख हड़ताल पर हैं...
दास - नट लाइक देट... पर वह लोग... सिर्फ़ आपसे बात करना चाहते हैं... फिर खाना खाएंगे बोल रहे हैं...
तापस - चलो फिर... उनसे मुलाकात करते हैं...

तीनों तापस के कैबिन से निकल कर ईगलु सेल के अंदर जाते हैं l वहाँ पर अलग अलग तीन सेल है और तीनों सेल में वह कैदी अलग अलग रह रहे हैं l एक कैदी पुश उप ले रहा है और दुसरा अपनी टांग उठा कर ग्रिल पर सीधा टेक् लगाए खड़ा है l तीसरा अपनी आँखे मूँद कर लेटा हुआ है l

तापस - तुम में से... अशरफ कौन है...
( जो बंदा आँखें बंद कर लेटा हुआ था वह उठ कर बैठ जाता है और कहता है)
अशरफ - मैं... (हाथ उठा कर) मैं हूँ...
तापस - कहो... क्या बात करना चाहते थे..
अशरफ - जैलर... तुमने हमारे साथ... ठीक नहीं किया...
तापस - क्या... क्या ठीक नहीं किया...
अशरफ - (खड़ा हो जाता है और ग्रिल के पास आकर) मुझे मालुम हो चुका है... तुमने हमारे कोड को... डीकोड कर के... हमारे भागने के प्लान को फैल कर दिया...
तापस - ओ... तो बात यह है... तुम... कमज़रफ.. मेरे जैल से भागने की कोशिश करोगे... और तुम मुझसे यह चाहते थे... के मैं तुम्हारे राह में फूल बिछाता... क्यूँ...
अशरफ - हम लोग यहाँ... किसी का भी खुन बिना बहाये... चले जाना चाहते थे... इसलिए बदले में... खुद हमने अपना खुन बहाया... क्यूंकि... बिना जान माल नुकसान के यहाँ से... हम चले जाना चाहते थे... पर तुम.. मेरे प्लान पर पानी फ़ेर कर... मुझे शर्मसार कर दिया...
तापस - तो... अपना शर्मसार चेहरा दिखाने के लिए... बुलाये हो मुझे...
अशरफ - नहीं... अबकी बार हम भागेंगे... डंके की चोट पर भागेंगे... यही बताने के लिए बुलाया है...
तापस - अच्छा.... तब तो महुरत भी निकाल लिया होगा तुमने...
अशरफ - (अपना सर हिलाते हुए) हाँ... आज से ठीक एक महीने के अंदर... हम चले जाएंगे... तुम्हारे सारे सिक्युरिटी की धज्जिया उड़कर... इस बार... ऐसा खुन खराबा होगा... के तुम्हारी रूह तक कांप जाएगी... और फिर आखिर में... जाते जाते तुम्हारे इसी जैल की दरवाजे पर... तुम्हारा कटा हुआ सर टांग कर जाएंगे... यह अशरफ उल मौमिन का वादा है...
तापस - हूँ... उसके लिए... बेस्ट ऑफ लक... अब खाना खा लो और ताकत बना लो... फिर उसके बाद... जो उखाड़ना है... उखाड़ो...

फिर तापस वहाँ नहीं रुकता, वापस मूड कर वह अपने ऑफिस में आ जाता है l उसके पीछे पीछे दास और सतपती भी चले आते हैं l

तापस - एक बात तो है... बातेँ छुपती नहीं है... किसी भी तरह... बाहर आ जाती है और फैल जाती है...
दास - नहीं सर... मुझे नहीं लगता... हमारे यहाँ से कुछ लीक हुई हो...
तापस - तो... कहाँ से...
दास - सर विश्व की माने तो... कैपिटल हॉस्पिटल में उनकी घुस पैठ हो चुकी थी... और बाहर हमने रिपोर्ट करी है... सबको मालुम है.. की हमारी.. मेडिकल इमर्जेंसी वाली मॉकड्रील... फायर स्टेशन हॉस्पिटल को गई थी... तो उनके लोग जो बाहर हैं... उन्होंने फायर स्टेशन हॉस्पिटल से खबर निकाली होगी... आई थिंक...
सतपती - सर.. यह एसटीएफ वाले क्या सच में... सीक्रेट बनाए रखे हैं.. के वह आतंकवादी एसटीएफ ऑफिस के सेल में नहीं... हमारे सेल में हैं...
तापस - क्या बच्चों जैसी बात कर रहे हो सतपती... असली बात यह है कि.. एसटीएफ वालों ने अपना सिर दर्द... हमारे सिर मढ दिया है... यह सिर्फ़ लीपा पोती है... असलीयत यह है कि.. उनके चाहने वालों को अच्छी तरह से मालुम है... के यह तीन मरदूत हमारे सेल में हैं...
सतपती - व्हाट... यह आप किस बिनाह पर कह सकते हैं...
तापस - थोड़ा दिमाग लगाओ यार... उनका वकील मेसेंजर का काम कर रहा है... तब उनके पास छुपाने के लिए कुछ भी नहीं है... वह लोग विदेशी हैं... पर यहाँ पर उनको सपोर्ट दे कौन रहा है... क्यूँ दे रहा है...
दास - एक्जाक्टली...
तापस - असलीयत में खेल कुछ और ही है... यह लोग कोई टेररिस्ट नहीं हैं... बल्कि कुछ और हैं...
सतपती - यह आप क्या कह रहे हैं...
तापस - वही... जो तुम सुन रहे हो... जरा सोचो... विश्व से जब हमने कहा कि वह विदेशी हैं.. तब उसने कहा था... उनको मदत देशी मिल रहा है... दो बांग्लादेशी और एक मलयाली को... लोकल मदत... कैसे और क्यूँ... असलीयत में उनको भगाने के लिए ही... इस जैल में रखा गया है... अगर वह कामयाब हो गए होते... तो हम सब... अब तक सस्पेंड हो चुके होते... यह सब हमें उल्लू बनाने के लिए... की वह टेररिस्ट हैं... वह... कमज़रफ अशरफ... ओड़िशा में आए जुम्मा जुम्मा कुछ ही दिन हुए हैं... किसके दम पर वह हमें धमकी दे रहा है... के वह भाग जाएगा... अब जितना गलत होना था हो चुका है... अब और गलत नहीं होनी चाहिए...
दास - और कुछ गलत होता है तो... एसटीएफ वाले साफ बच जाएंगे... फंसेंगे हम...
तापस - हाँ...
सतपती - मतलब... स्टेडियम के फ़्लड लाइट में... लुका छुपी खेला जा रहा है...
तापस - हूँ...
दास - तब तो हमे अपनी तैयारी करनी होगी... अगर अशरफ की बात पर गौर करें तो... हम नहीं जानते कि.. हमारे पास डेड लाइन कितने दिनों की है...
तापस - ह्म्म्म्म...
सतपती - सर क्या हम... विश्व की मदत लें...
तापस - नो नो... बिल्कुल भी नहीं...
दास - पर क्यूँ सर...
तापस - देखो... अशरफ को हमारे उपर शक़ है... इसलिए अगर सच में खुन खराबा होना है... तो वह सिर्फ़ कानून के नुमाइंदे और मुज़रिमों के बीच होनी चाहिए... जैल में सिर्फ़ विश्व ही नहीं... सभी कैदी... हमारे जिम्मेदारी हैं... उनकी सलामती की हम ज़वाबदेह हैं... इसलिए... उनमें से किसीको को भी शामिल मत करो... यह मामला हमारा है... हम ही सुलटाएंगे....
दोनों - ठीक है सर...
तापस - देखो... हर पॉसिबिलीटी पर... गौर करो... और उस पर वर्क आउट शुरू कर दो... अब यह हमारे डिपार्टमेंट की इज़्ज़त का सवाल है....
दोनों - यस सर...

इतना कह कर तापस वहाँ से चला जाता है l उसके जाते ही सतपती भी अपनी कैबिन के तरफ चला जाता है l वहाँ पर दास बैठ कर कुछ सोचने लगता है l फ़िर वह उठ कर लाइब्रेरी की ओर जाता है l वहाँ पर विश्व को न्यूज पेपर पढ़ते हुए देखता है l विश्व उसे देख कर हैरान होता है फिर खड़ा हो जाता है l

दास - विश्व... क्या हम बात कर सकते हैं...
विश्व - जी क्यूँ नहीं...
दास - वह आज उन... टेररिस्टों के लीडर ने... सुपरिटेंडेंट सर जी को बुला कर... धमकी दी है...
विश्व - (पेपर को टेबल पर रख कर) क्या... क्या धमकी दी है...
दास - वह... यहाँ से एक महीने के अंदर भाग जाएगा... और भागते वक्त... सुपरिटेंडेंट सर जी का गला काट कर... जैल की दरवाज़े पर टांग कर जाएगा...
विश्व - क्यूँ...
दास - क्यूँकी... उन लोगों का भागने का प्लान फैल हो गया... और इन सबका जिम्मेदार वह लोग... सुपरिटेंडेंट सर जी को मान रहे हैं...
विश्व - तब तो आपको अपने डिपार्टमेंट को इन्फॉर्म कर देना चाहिए... और उनसे मदत लेनी चाहिए...
दास - विश्व... मैं अब क्या कहूँ... मेरी बेबसी को शायद ही... शब्दों में बयान कर सकूं... पर मेरे दिल में... कहीं ना कहीं यह महसूस हो रहा है... तुम सब जान पा रहे हो... या.. सब समझ चुके हो...
विश्व - मैं... मैं इसमें... क्या कर सकता हूँ...
दास - प्लीज विश्व.... अब मैं और क्या कहूँ... यह लोग कौन हैं... हम नहीं जानते... अगर अशरफ की बात में दम है... तो हम बहुत बुरी तरह से फंसे हुए हैं...
विश्व - हाँ यह तो सच है...
दास - (हैरानी से देखता है) क्या... यह... यह लोग कौन हैं.... तुम जानते हो...
विश्व - शायद...
दास - बैठो प्लीज... (विश्व बैठ जाता है और खुद भी विश्व के पास बैठ कर ) इस केस को... तुमने जैसा भी और जितना भी समझा है... प्लीज... मुझे बताओ...
विश्व - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) पहले मुझे भी लगा... यह लोग शायद टेररिस्ट हैं... पर फिर मैंने इतिहास में झांका... (न्यूज पेपर की रैक दिखाते हुए) ओड़िशा में कभी भी... आतंकवादी गतिविधि थी ही नहीं... बगैर गतिविधि के कहाँ से यह लोग आए और गिरफ्तार हो गए.... फ़िर (एक पेपर निकाल कर टेबल पर रख देता है) मैंने सारे न्यूज को बारीकी से पढ़ा... पढ़ने के बाद मुझे कुछ और ही महसुस हुआ...
दास - क्या...
विश्व - यह लोग.... स्मगलर हैं...
दास - व्हाट...
विश्व - हूँ... चूँकि... जगत पुर मस्जिद में... अज़ान देने आए लोगों नें.. उनके पास हथियार देखा था... इसलिए पुलिस को उन्होंने आतंकवादी होने की सूचना दी...
दास - तो... पुलिस ने... उनलोगों को गिरफ्त में लेकर... जो हथियार बरामद किए... वह बेशक विदेशी माउजर, पिस्टल और केट्रीज थे... इसलिए मीडिया में आतंकवादी बोल दिया... पर असल में वह लोग किसी के खास महमान थे... तभी उनको बचाने के लिए... सिस्टम से जुड़े कुछ लोगों के जरिए प्रयास शुरू हुआ...
दास - हाँ... यह हो सकता है... सुपरिटेंडेंट सर भी यही कह रहे थे...
विश्व - एसटीएफ पहले उनको अपने कब्जे में लेता है... उसके बाद जैल प्रशासन को ऑर्डर आता है... सिर्फ़ सात दिनों में... ईगलु सेल बनाने के लिए... जैल प्रशासन आदेश का पालन करते हुए... ना सिर्फ़ सेल बनाती है... बल्कि उनको वहाँ पर रख भी लेती है... पर ताजूब की बात यह है... की तिहार जैल में कसाब को जब एग सेल में रखा गया था... तब उसके सेल में होने से लेकर खाने पीने तक की हर छोटी से छोटी एक्टिविटी को... अपने न्यूज में छापने वाले... जिन कैदियों के लिए... इतना बड़ा ईगलु सेल बना... उस पर कोई लेख नहीं... कोई खोज नहीं... कहीं पर कोई चर्चा नहीं... बस यहीं पर मुझे शक़ हुआ... कुछ तो गड़बड़ है... पर क्या...
दास - यस ... पर क्या... फिर क्या पता लगाया तुमने...
विश्व - मैंने अपने दिमाग के घोड़े दौडाए... विदेशी मुज़रिमों को कैपिटल हॉस्पिटल से... कौन छुड़ा सकता है... जाहिर है... देशी मदत... और देशी मदत के पीछे क्या हो सकता है...
तब ध्यान आया... वह लोग सिर्फ कुछ ही हथियारों के साथ गिरफ्तार हुए हैं... पर कोई गोला बारूद नहीं असलहा नहीं... तब मैंने और पेपर खंगाले... तो एक बात समझ में आया... उनके पास कुछ प्रतिबंधित ड्रग्स की कुछ मात्रा में बरामदगी हुई थी... हो ना हो यह लोग... ड्रग्स स्मगलर हैं... (एक न्यूज पेपर दास के सामने खोल कर वह पन्ना दिखाता है) जिस मजहब के आड़ लेकर छुपे थे... उसी मजहब के अमन पसंद लोगों ने...उनको गिरफ्तार करवा दिया....
दास - ओ... पर मान लो... यह भाग भी जाते हैं... तब भी इनकी पहचान... आतंकवादी की ही रहेगी... हमारे राज्य में तो नहीं... पर दुसरे राज्य में तो एंटी टेररिस्ट स्क्वाड हैं... उनके हत्थे भी तो चढ़ सकते हैं...
विश्व - (न्यूज पेपर की बंडल रख देता है) कहीं पर भी... इन लोगों की तस्वीर नहीं छपी है... ना ही कहीं पर कोई पहचान... यहाँ तक जिस दिन गिरफ्तार हुए... उस दिन के फोटो में वह लोग साफ नहीं दिख रहे हैं....
दास - ऐसा क्यूँ...
विश्व - हूँ... बहुत ही वाज़िब सवाल है... तो इसका ज़वाब यह है कि... उस दिन सभी न्यूज पेपर वालों को... एक फूल पेज की ऐड मिली... (कह कर न्यूज पेपर टेबल पर खोल कर रख देता है, उस पेपर के पहली पन्ने पर... दास देखता है पुरा का पुरा राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ओंकार चेट्टी के काम की प्रचार और शुभकामना वार्ता लिखा हुआ है)
दास - व्हाट... क्या यह तुम यक़ीन के साथ कह सकते हो...
विश्व - नहीं... पर मैं लॉजिक बिठा सकता हूँ...
दास - बिठाओ...
विश्व - जब भी... मेरा मतलब है जिस दिन... न्यूज पेपर में... इन आतंकवादियों के बारे में ख़बर छपी है ... उस दिन... पेपर पर फूल पेज ऐड भी छपा है... वह भी मुख पृष्ठ पर... कभी ओंकार चेट्टी की.... पर ज्यादातर वाई आइ सी फार्मास्यूटिकल्स की...
दास - ओ माय गॉड... पर ऐड से.. उनके साथ कैसे लिंक बिठा सकते हो...
विश्व - खुद ही देख लीजिए... बस यही लॉजिक है... आज के दौर में... खबर कैसा हो... लोगों के पास कौनसी खबर पहुंचे... यह या तो कुछ पॉवर फुल लोग... या फिर कोई बहुत बड़े बिजनेसमैन का पैसा तय करता है...
दास - वह लोग... कोई और तरकीब क्यूँ नहीं भिड़ा रहे हैं... हमला करने के पीछे मकसद क्या है...
विश्व - जिनको बचाने के लिए... पुरा सिस्टम लगा हुआ है... जाहिर सी बात है... उनके पास उतना बड़ा(अपनी दोनों हाथ को फैलाते हुए) कंसाइनमेंट होगा... इतना बड़ा की हमारी सोच वहाँ तक नहीं पहुँच सकती...
दास - अगर मकसद यही है... तो... हमे क्यूँ उलझा रहे हैं...
विश्व - ताकि यह खबर छपे... भुवनेश्वर सेंट्रल जैल में... दंगा हुआ... मौके का फायदा उठा कर... आतंकवादीयों को उनके साथी भगा ले गए... और इतने पुलिस वाले मारे गए... आखिर जिनके दोस्त फंसे हुए हैं... आतंकवादी बन गए हैं... भगाने के लिए कोई सालिड रीजन भी तो चाहिए... मेरा मतलब यह है कि... हलाल के लिए कोई बकरा तो चाहिए... और वह बकरा इस वक़्त पुरा...जैल प्रशासन है...
दास - ओह माय गॉड... (दास वहाँ से उठता है और वहाँ पर रखे फिल्टर से पानी पीने लगता है) वैसे विश्व... बाहर से हथियार बंद घुसने की कोशिश करेंगे... तो मारे जाएंगे...
विश्व - हाँ... वह तो है... पर अगर... एक ही समय पर... अंदर कोई दंगा हुआ... और उसी समय पर बाहर से हमला हुआ... तब दोनों के बीच... पुलिस वाले पीस जाएंगे...
दास - उनको अंदर कैसे हेल्प मिलेगा....
विश्व - दो बातेँ हो सकती हैं... पहली बात यह है कि... अगर जैल का कोई स्टाफ उनसे मिल जाए...
दास - और दुसरी बात...
विश्व - दुसरी बात... अब इन दस या पंद्रह दिनों में... कुछ कैदी आएंगे...जो पहले भी इस जैल में आ चुके होंगे... कुछ ऐसे कैदियों को दंगा करने के लिए ही भेजा जाएगा... जो बहुत ही प्रोफेशनल होंगे...
दास - विश्व... मुझे सुपरिटेंडेंट सर ने... स्ट्रिक्टली मना किया था... तुमसे कुछ भी कहने के लिए... उनका मानना है कि... यह लड़ाई कानून के नुमाइंदे और मुज़रिमों के बीच है... किसी आम लोगों से मदत ना लेने से मना कर दिया... अब मैं तुम्हारे सारे लॉजिक मान रहा हूँ... हो सकता है कि... हमारे स्टाफ में से कोई उनसे मिला हो... मैं... कोई रिस्क लेना नहीं चाहता... क्या तुम मेरी मदत करोगे....
विश्व - एक शर्त पर...
दास - कहो... मैं पुरी करने के लिए... जान लगा दूँगा...
विश्व - नहीं... जान नहीं... जुबान दीजिए... मेरा नाम कहीं पर भी नहीं आना चाहिए...
दास - यह क्या कह रहे हो.... अगर कामयाबी मिली तो तुम्हारा सजा माफ हो सकता है... तुम्हें आजाद कर दिया जाएगा... और तुम्हारा नाम सीक्रेट रखा जाएगा...
विश्व - ना... अदालत में... यह सजा मैंने खुद मांगा है... दास बाबु... इसे तो मैं पुरा करके ही जाऊँगा... आप बस अपना जुबान दीजिए...
दास - ठीक है दिया...
विश्व - हम अभी से जो भी करेंगे... सिर्फ़ हम दोनों ही करेंगे... किसी तीसरे को भनक भी नहीं लगनी चाहिए...
दास - ओके... तो अब बताओ... हमला कब हो सकता है... एनी आइडिया...
विश्व - (एक पेपर निकालता है और दास के सामने रखते हुए) इसी महीने की सत्ताइस तारीख को...

दास देखता है वह राज्य सरकार की सरकारी विज्ञापन है जिसमें आने वाले सत्ताईस तारीख़ को सी आर पी ग्राउंड में वाइब्रेंट ओड़िशा का एग्जिबिशन लगने वाला है l उस दिन देश विदेश से बहुत जाने माने बिजनेसमैन और इनवेस्टर अपनी अपनी स्टॉल लगायेंगे और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा l उस एग्जिबिशन में मुख्यमंत्री जी के साथ साथ बहुत से मंत्री और इंडस्ट्रीयलीस्ट भी होंगे l

दास - (यह खबर पढ़ कर अपना सर पकड़ लेता है) ओह माय गॉड... उस दिन भुवनेश्वर में.. वीआईपी और वीवीआईपीयों का जमावड़ा रहेगा... जाहिर सी बात है... उनके सिक्युरिटी के लिए पुलिस और ओएसएपी बटालियन वहीँ पर होंगे...
विश्व - बिल्कुल...
दास - हमे शायद ही सपोर्ट मिल सकेगा...
विश्व - सपोर्ट मिलने के लिए... उनके पास खबर भी तो पहुंचनी चाहिए...
दास - क्या... क्या मतलब है...
विश्व - क्या लगता है आपको... वह हमला करेंगे... और चाहेंगे कि आप... मदत के लिए किसीको बुला पाएं...
दास - मतलब... वह लोग हमारे सारे कम्युनिकेशन को तोड़ देंगे... कैसे...
विश्व - यह आप... मुझसे पूछ रहे हैं...
दास - वह लोग लैंडलाइन काट देंगे... जैमर से सिग्नल ज़ाम कर देंगे... इससे मोबाइल फोन काम नहीं करेगा... और वीएचएफ भी काम नहीं करेगा...
विश्व - हाँ...
दास - हे.. भगवान... अब हम क्या करें... अगर हम एक दुसरे से... कम्युनिकेट नहीं कर पाए तो...
विश्व - पुराने तकनीक इस्तेमाल कीजिए... इंटरकॉम हर किसी के पास पहुँचा दीजिए...
दास - उसमें सिर्फ अलर्ट कर सकते हैं... पर कॉमबैट के समय... वीएचएफ मददगार होता है.... (तभी अचानक उसके दिमाग की बत्ती जलती है) एक मिनट... एक मिनट... जैमर से वह लोग हाई फ्रीक्वेंसी को जैम कर सकते हैं... पर लो फ्रीक्वेंसी.... वह भी... फाइव टू थर्टी मेगा हज बैंड वीड्थ में... कम्युनिकेशन किया जा सकता है...
विश्व - यह टेक्नीकल बातेँ आप ही जानों... हाँ अगर आप मुझे लाइव प्रसारण करा सकें तो मेहरबानी होगी...
दास - कोई बात नहीं... मैं उपलब्ध करा दूँगा... तुम्हें दो वायर लैस... मेरा मतलब है... दो वॉकी टॉकी दूँगा...
विश्व - ठीक है...
दास - बस एक बात का अफसोस रहेगा कि... बगैर कम्युनिकेशन के ना हम एम्बुलेंस बुला सकते हैं... ना ही फायर ब्रिगेड... कैजुअलटी हुई तो बहुत होगा...
विश्व - आप कम्युनिकेशन करें या ना करें... एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड यहाँ पर होंगी जरूर...
दास - वह कैसे... (अचानक दास की आँखे फैल जाती है) ओह माय गॉड... इसका मतलब वह लोग... एम्बुलेंस से भागेंगे और उनको बचाने वाले फायर ब्रिगेड में...
विश्व - (कुछ नहीं कहता, सिर्फ मुस्करा देता है)
दास - इसका मतलब... एक वैल ऑर्गनाइज्ड क्राइम होगा... पुरे सेटअप के साथ...
विश्व - यह ध्यान रखिए... जो कैदी यहाँ कुछ दिनों में आने वाले हैं... वह लोग पहले भी आ चुके होंगे... जो जैल के हर चप्पे-चप्पे से वाकिफ़ होंगे... बाहर से जहां तक मुझे अंदेशा है... वह लोग वीएचएफ स्टेशन वाली दीवार को तोड़ कर घुसेंगे... क्यूंकि वह स्पेशल बैरक और मैन रोड़ के पास है... भागने में आसानी होगी...
दास - ह्म्म्म्म...
विश्व - और एक बात... बहुत ही खास और जरूरी बात... आपके आर्म्स एम्युनीशन रूम से सब निकाल कर दुसरी जगह शिफ्ट करा दीजिए... जो आपको और भरोसे के लायक लोगों को छोड़ किसी को भी मालुम ना हो... और एक खास बात...

विश्व दास समझाने लगता है l सब समझने के बाद दास और विश्व दोनों हाथ मिलाते हैं l

देर शाम का वक्त
तापस अपनी ड्रॉइंग रूम में दास और सतपती का इंतजार कर रहा है l कॉलिंग बेल बजती है

तापस - कॉम इन... दरवाज़ा खुला छोड़ा है... तुम्हारे लिए... आ जाओ...

दास और सतपती दोनों अंदर आते हैं l दोनों को तापस बैठने को इशारा करता है l दोनों बैठ जाते हैं, तापस बेड रूम की जाता है और धीरे से दरवाजा बंद कर वापस ड्रॉइंग रुम में आता है l

सतपती - सर... मैम...
तापस - डोंट वरी.. नींद की गोली दे कर सुला दिया है... सो.. लीव इट... अब बोलो... कोई वर्क आउट किया है... तुम लोगों ने...
सतपती - सर.. ऑनेस्टली स्पीकिंग... जब आपने कहा कि... हमे फंसाया जा रहा है... तब से फैंट था... दिमाग आउट था... सारी वर्क आउट दास ने किया है... और बहुत ही बढ़िया किया है सर...
तापस - हूँ.. दास... आई नो... ऐसा तुम्हीं कर सकते थे... अब बोलो क्या ढूँढा और क्या पाया...
दास - सर... सर आपके कहने पर मैंने... खोज बिन शुरू किया... और जो सामने आया... या आने वाला है... वह मैं बताने जा रहा हूँ...

कह कर विश्व ने जो आशंका और संभावना बताया था पुरा का पुरा व्याख्यान कर देता है l साथ में लाए वह पेपर दिखा देता है l जब तापस को इस में चेट्टी बाप बेटों की होने की बात पता चलता है, उसके आँखों में खुन उतर आता है l जबड़े भिंच जाते हैं l दास को इस बात का एहसास हो जाता है l वह चुप हो जाता है l थोड़ी देर बाद तापस को एहसास होता है कि वह पर्सनल हो गया है तब

तापस - स.. सॉरी... मैं थोड़ा... नहीं थोड़ा नहीं बहुत बहुत... पर्सनल हो गया... सॉरी... दास... गुड... वेरी गुड... वह लोग कब अटैक करेंगे कैसे करेंगे... हमारे पास पर्याप्त इंफॉर्मेशन है... हम कैसे रिटेलीयट करेंगे... कोई प्लान है या हम बनाएं...
दास - सर प्लान है... और आई थिंक... फूल प्रूफ...
तापस - मुझे मालुम था... तुम्हारे पास कुछ ना कुछ प्लान होगा... नहीं भी होता तो तुम बना लोगे... कॉम ऑन एक्सप्लैन...
दास - सर क्यूंकि हमे टाइम पता है... इसलिए अब जो भी कैदी... सत्ताइस तारीख के अंदर आयेंगे.... हम उन्हें... बैरक नंबर वन पर रखेंगे...
तापस - हूँ... ठीक है.... फिर...
दास - किसको कानो कान खबर ना हो... ऐसे हम एम्युनिशन रूम को बदल देंगे..., हम विएचएफ में थोड़ा बदलाव करेंगे कम्युनिकेशन के लिए....
तापस - हूँ... और अपने लोगों में से किसको... और कैसे तैयार करेंगे...
दास - सर उस रात के लिए... हम अपने तीस खास लोगों को चुनेंगे... रात की मॉकड्रील के नाम पर... हमारे दस वाच टॉवर हैं... हर एक टॉवर पर दो गार्ड्स डिप्लॉय करेंगे... हर एक टॉवर पर... एक एक सर्च लाइट है... हम और एक बढ़ा देंगे...
तापस - हूँ... यह हो गए बीस... और दसों को...
दास - सर हम पांच बंकर बनाएंगे... एक पावर हाउस के पास... दुसरा मैन ऑफिस के पास... तीसरा बैरक नंबर दो और तीन के पास... चौथा स्पेशल बैरक के पास... और पांचवां... विएचएफ ऑफिस के पास....
तापस - यह सब ठीक है... यह दो और तीन नंबर बैरक के पास क्यूँ...
दास - एक्शन डे के दिन... हम सारे क़ैदियों को... दो और तीन नंबर बैरक पर भेज देंगे... ताकि उनको आड़ लेकर... कोई उन्हें ह्यूमन शील्ड ना बना दें...
तापस - वेरी गुड... अब एक्शन डे के दिन... क्या करेंगे और क्या हो सकता है... ब्रीफ करो...
दास - सर... अटैक शाम को डिनर के वक्त होगा... इसलिए... उस दिन डिनर सबको जल्दी करा देंगे... पर एक नंबर के बैरक वालों को रूटीन टाइम पर ही कराएंगे... इसलिए एक्शन के बीच कोई आम कैदी नहीं आएगा... उसके बाद उनको सिग्नल भेजा जाएगा... हम उनकी मदत करेंगे... जब जैमर से सिग्नल जाम करेंगे... सर वह लोग पावर काट कर... ब्लैक आउट करने की कोशिश करेंगे... इसलिए हम पावर हाउस को... 24/7 जनरेटर से जोड़े रखेंगे... सर उनकी कामयाबी के लिए अंधेरा चाहिए... हमें रौशनी बनाए रखना है... पावर कट के बाद सबसे बड़ा हमला... पावर स्टेशन पर ही होगा... हम सभी सर्च लाइट को फंक्शन में लेंगे... फ़िर जब वह लोग अंदर आयेंगे... हम उनका स्वागत... गोलियों से करेंगे...
तापस - ह्म्म्म्म... ठीक है... तो अब यह एनश्योर करो... हमारे सबके पास बुलेट प्रूफ भेस्ट, बुलेट प्रूफ थाई पैड और बुलेट प्रूफ आर्म पैड हो... राजनीति वालों से लेकर सिस्टम वालों तक... हमे कम कर आंका है... लेट अस प्रुव देम रॉंग.. एंड टीच दोज बास्टर्डस् अ लेशन... वीथ जीरो कैजुअल्टी....

दोनों - यस सर

एक्शन डे
शाम को दास चुपके से विश्व के पास आता है l विश्व अपने सेल में ध्यान की मुद्रा में बैठा हुआ है l

दास - विश्व... ऐ.. विश्वा..
विश्व - (अपनी आँखे खोलता है) हूँ... कहिए... दास बाबु...
दास - (अपनी भेस्ट से दो वॉकी टॉकी निकाल कर विश्व को देता है) यह लो... देखो इसमे (एक वॉकी टॉकी को दिखाते हुए) तीन नंबर चैनल पर तुम हम सबकी बातें सुन पाओगे... और इसमे (दुसरा वॉकी टॉकी दिखाते हुए) सात नंबर पर... मैं तुम्हारे साथ कॉन्टैक्ट में रहूंगा...
विश्व - (दोनों वॉकी टॉकी ले लेता है) ह्म्म्म्म... जहाँ मेरी ज़रूरत पड़ेगी.... बेझिझक बोल दीजिएगा...
दास - ज़रूर... और.. थैंक्यू वेरी मच...

इतना कह कर दास वहाँ से चला जाता है l प्लान के मुताबिक पहले ही सारे पुराने कैदियों को दो और तीन नंबर बैरक पर शिफ़्ट कर दिया गया था l जो नए कैदी आए थे उन्हें एक नंबर के बैरक में ठहराया गया था l पहले पुराने कैदियों का बगैर हुटर के डिनर खतम करवा दिया गया और उन सबको दो और तीन नंबर बैरक में भेज दिया गया l नए कैदीयों के लिए डिनर का हुटर बजाया गया, विश्व के अनुमान हिसाब से यही हुटर ही उनके लिए सिग्नल का पहला पड़ाव था l वे लोग बैरक से निकल कर डायनिंग हॉल में आ कर थाली के लिए लाइन में खड़े होते हैं l तभी वहाँ के माइक पर तापस की आवाज़ गूँजती है
तापस - शुभ संध्या दोस्तों.... आज आपके आतिथेय के लिए यहाँ पर... बुफे का इंतजाम किया गया है... इसलिए डिनर का आनंद लें और अपने बैरक में जा कर विश्राम लें....

सभी नए कैदी देखते हैं थाली और खाना सजा हुआ है l नए क़ैदियों के लीडर समझ जाता है कि उनका प्लान लीक हो गया है l वह तुरंत अपने जेब से मोबाइल निकाल कर किसीसे बात करता है l सीसीटीवी पर यह दास को दिखता है l वह तुरंत वायर लैस से तापस को कहता है l और फ़िर विश्व को भी बताता है l
वह लीडर अपनी इंफॉर्मेशन पास करने के बाद सारे कैदियों को कहता है

-भाई लोग... हमें यह लोग चुतिआ बना दिए हैं... पर हमको अपना काम करना ही है... एक काम करो... हर एक तुममें से एक थाली और एक ग्लास लो... दोनों थाली और ग्लास बजाते हुए.... नारा देते हुए... बाहर राउंड मारेंगे... वह भी जैलर को गाली देते देते... चलो सब...

वह सारे कैदी वही करते हैं l हर एक कैदी के हाथों में एक थाली और एक ग्लास लेकर बजाते हुए डायनिंग हॉल से निकल कर बाहर ग्राउंड में आ जाते हैं l नारा लगाते हुए ग्राउंड की चक्कर लगाना शुरू करते हैं l उनमें से कुछ कैदियों के हाथ में ड्राई आइस वाला फायर एस्टींगुइशर भी होता है l
सीसीटीवी में यह देख कर दास के मुहँ से अपने आप निकल जाता है l
"वाह विश्व... क्या अनुमान लगाया था तुमने... बिल्कुल वैसा ही हुआ"
दास - (वॉकी टॉकी पर) बॉयज... क्लोज द हॉल... लीव द स्पॉट एंड टेक योर पोजिशन...

यह मैसेज उन गार्ड्स के लिए था l जिनको डायनिंग हॉल के किचन में छुपाया गया था के कहीं हॉल में ही वह कैदी आपस में मार पीट शुरू कर ना दें l चूँकि वह कैदी अब हॉल से बाहर थे l डायनिंग हॉल को अंदर से बंद कर किचन की एक्झस्ट फैन को निकाल कर उसी रास्ते से तीन गार्ड्स बाहर चले जाते हैं l

उधर जैसे ही वह सारे कैदी स्पेशल सेल वाली बैरक के पास पहुंचते हैं उनका लीडर फिर से फोन लगाता है l उसके फोन बंद करने के तुरंत बाद ही जैल के बाहर एक गाड़ी बड़ी स्पीड से पहुंचती है और एक बड़ा सा बैग को एक आदमी उठा कर अंदर फेंक देता है l तभी जैल और आसपास ब्लैकआउट हो जाता है l
कुछ कैदी वहीँ स्पेशल सेल के पास रुक कर थाली और ग्लास पीटते रहते हैं और कुछ कैदी बाग कर उस बैग के पास पहुँचते हैं l तभी जनरेटर चालू हो जाता है और लाइट्स वापस आ जाता है l पर तब तक कुछ कैदी उस बैग तक पहुँच कर बैग उठा लेते हैं और एक पेड़ के ओट में चले जाते हैं l उस बैग से उन लोगों को माउजर, पिस्टल, गोलियां कैट्रीज और कुछ बम मिल जाते हैं l वह लोग भी फुर्ती दिखाते हुए बम फेंकने लगते हैं जिससे हर तरफ धुआँ धुआँ हो जाता है l

दास - ओह शीट.. (तापस को वायर लैस पर) उन लोगों को स्मोक बम मिल गया है... और उन्हों ने इस्तमाल भी कर दिया है...
तापस - डोंट बी पैनिक... सर्च लाइट से हर एक पर नजर रखने की कोशिश करो... ध्यान रहे... गोली चलाने की नौबत आने पर ही गोली चलानी है...
दास - ओके सर... (वायर लैस पर) ऑल सर्च लाइट स्पॉट ऑन देम...

सारी सर्च लाइट उन लोगों पर फोकस हो जाती है l पर कुछ कैदी अपनी एक्टिविटी को स्मोक बम के धुएँ के आड़ में अपनी अपनी हाइडिंग पॉइंट बना लेते हैं और सर्च लाइट की ओर गोलियाँ चलाने लगते हैं l कुछ कैदी एम्युनीशन रूम की ओर जाते हैं और कामयाब भी हो जाते हैं l पर कुछ देर बाद उन्हें यह भी मालुम हो जाता है कि एम्युनीशन रूम खाली है l उन्हें यह भनक लगते ही वह कैदी धुएँ के आड़ लेकर वापस डायनिंग हॉल की तरफ भागते हैं l यह देख कर दास को कुछ शक़ होता है I

दास - विश्व.. विश्वा..
विश्व - जी दास बाबु...
दास - एक गड़बड़ है...
विश्व - क्या...
दास - इनमें से कुछ लोग हमें एनगैज कर रखा है... और कुछ लोग डायनिंग हॉल के तरफ जा रहे हैं... यह वही हैं... जो एम्युनीशन रूम पर कब्जा कर लिया था...
विश्व - आपने डायनिंग हॉल बंद करवा दिया है ना...
दास - हाँ... पर अगर वह लोग दरवाजा तोड़ कर अंदर घुसे... तो गड़बड़ हो जाएगी...
विश्व - क्या गड़बड़... कहीं...
दास - हाँ.. हाँ... बिल्कुल... तुमने सही अंदाजा लगाया है... वह लोग गैस सिलिंडर को अपने कब्जे में लेकर... दो या तीन नंबर बैरक के कैदियों को हॉस्टेज फिर ह्यूमन शील्ड बना सकते... तुम कुछ कर सकते हो...
विश्व - मैं क्या कर सकता हूँ... मैं तो यहाँ पर बंद हूँ...
दास - नहीं... मैंने तुम्हारे सेल का दरवाजा खुला रख छोड़ा है...
विश्व - ठीक है... पर मैं जाऊँ कैसे...
दास - एक काम करो... तुम अपने सेल से निकल कर दो नंबर बैरक के कॉमन टॉयलेट पर पहुँचो... उस टॉयलेट में पीछे के तरफ एक्जिट डोर है... वहाँ से निकल कर दाएँ कुछ दूर जाओगे तो तुम डायनिंग हॉल के किचन के पीछे पहुँच जाओगे...अंधेरा होगा वहाँ पर... पर आई थिंक तुम्हारे आँखों को अंधेरे की आदत हो जाएगी... एक्झस्ट फैन नहीं होगा... देखना... उसी रास्ते से अंदर जाओ और किचन को अच्छी तरह से अंदर से बंद कर देना... मैं दो गार्ड्स को लेकर वहाँ पर पहुँच जाऊँगा... तब तक शायद उनकी गोलियाँ भी खतम हो जाए... हम आकर उन्हें दबोच लेंगे... बस तुम किसी तरह से वहाँ पहुँच जाओ...
विश्व - हाँ मैं पहुँच गया...
दास - व्हाट... तत्.. तुम पहुँच गए... यार तुम आदमी हो के भूत.. मैं तो तुम्हें रास्ता बता रहा था...
विश्व - वह सब छोड़िए... वाकई यह लोग दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं...
दास - हाँ... तुम बस किचन की डोर को बंद कर निकल जाओ... मैं वहाँ पहुँचने की कोशिश करता हूँ...
विश्व - ठीक है... जब तक आप यहाँ नहीं पहुँचते... यह लोग किचन तक नहीं पहुँचेंगे..
दास - देखो विश्व.. वह लोग हथियार बंद हैं... तुम उनसे एनगैज्ड मत हो जाना...
विश्व - नहीं...

विश्व वायर लैस को किचन के स्टोव के पास रख देता है l फ़िर वह वॉशरुम जा कर सारे टाप खोल देता है l फ़िर एक नजर दरवाजे पर डालता है और हॉल में लगे बिग साइज वाटर प्यूरीफायर के इनपल्स लाइन को तोड़ देता है l इससे पुरे हॉल के फर्श पर पानी फैल ने लगता है I विश्व फिर दुसरी तरफ खिड़की के पास जा कर पर्दे खिंच कर निकाल देता है और उन पर्दों को दरवाजे के पास फ़र्श पर डाल कर वहीँ बैठ जाता है l

उधर कैदियों ने ड्राई आइस वाला एस्टींगुइशर इस्तमाल करके स्पेशल सेल की ताला तोड़ देते हैं l सीसीटीवी पर यह देखते ही दास विश्व को कॉन्टेक्ट करने की कोशिश करता है पर कर नहीं पाता l उसी वक़्त दास को तापस वायर लैस से कहता है

तापस - दास..
दास - यस सर...
तापस - तुम और दो गार्ड्स के साथ... स्पेशल सेल के पास एनगैज रखो...
दास - पर सर...
तापस - डोंट वरी... फ़िलहाल के लिए.. बाहर से अभी भी कोई एक्टिविटी नहीं... एंड गार्ड्स छह-सात ओर नौ नंबर सर्च टॉवर से डायनिंग हॉल को एनगैज रखो... और सतपती कुछ भी हो... पावर हाउस तक वह लोग पहुँचने नहीं चाहिए...
दास और सतपती - यस सर...

दास कुछ गार्ड्स को लेकर ऑफिस वाले बंकर तक पहुँच कर स्पेशल सेल के पास छुपे कैदीयों पर फायरिंग शुरू करता है l चूँकि जानकारी और तैयारी पहले से ही थी इसलिए तापस और उनके ग्रुप्स को जबरदस्त एडवांटेज मिल चुका था l कैदियों के तरफ से कैजुअलटी बढ़ रहा था l
तभी तापस देखता है बाहर के कैमरे एक एक करके बंद होने लगते हैं l तापस समझ जाता है अब बाहर से हमला होने वाला है l

तापस - बंकर नंबर पाँच..
- यस सर
तापस - तुम दोनों.. बंकर नंबर दो पर पहुँचो... और दास की मदत करो...
- यस सर...
तापस - बंकर नंबर तीन..
- यस सर...
तापस - क्या पोजीशन है...
- सर उनका.. टू कैजुअलटी... हमारे साइड जीरो... प्रॉब्लम यह है कि... वह स्मोक वाल और पिलर्स के गार्ड में हैं... सर वॉच टॉवर अगर कवर फायर करे तो हम हम वहाँ पहुँच सकते हैं...
तापस - नहीं... कुछ भी हो... तुम लोग अपनी पोजिशन नहीं छोड़ोगे...
- ओके सर...

तापस अपना एसएलआर उठाता है और ऑफिस के अंदर से पोजीशन लेता है l कुछ देर बाद वीएचएफ के बगल वाली दीवार पर एक ज़ोरदार धमाका होता है और पुरा का पुरा दीवार ढह जाता है l सबकी ध्यान उस तरफ जाता है l तभी उसी टूटी हुई दीवार से एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी तेजी से घुसती है और अंदर आते आते गाड़ी से एक ग्रैनेड़ पावर स्टेशन के पास हीट करता है l एक और धमाका होता है l

तापस - सतपती... आर यु ओके...
सतपती - यस सर... नथींग टू वरी... जनरेटर हिट बाहर हुआ है... वह लोग चूक गए...
तापस - थैंक् गॉड...

वह फायर ब्रिगेड की गाड़ी जाकर डायनिंग हॉल के पास रुकती है सभी वॉच टॉवर से उस फायर ब्रिगेड गाड़ी पर फायरिंग होने लगती है l

तापस - (वायर लैस पर) रुक जाओ सभी... यह एक डाइवर्जन... है... सब अपने अपने पोजिशन पर डटे रहो...
बंकर नं तीन -(तापस से) सर वह गाड़ी ने पुरी तरह से... डायनिंग हॉल की एंट्रेंस को गार्ड कर लिया है...
तापस - देन मेक मि शोर... कोई वहाँ से निकल ना पाए....
- ओके सर...
दास - (सात नंबर चैनल पर) विश्व... आर यु देयर... अगर हो तो बहुत बड़े खतरे में हो... (विश्व से कोई जवाब नहीं मिलता है) ओ.. ह.. डैम...

फायर ब्रिगेड की गाड़ी से पाँच आदमी उतर कर वहाँ के कैदियों को जॉइन करते हैं और अब एंट्रेंस की दरवाज़े को तोड़ने की कोशिश करते हैं l थोड़ी कोशिश के बाद वह दरवाज़ा खुल जाता है l दस लोग डायनिंग हॉल के टूटे दरवाज़े से घुसने लगते हैं कि तभी आगे वाले दो आदमी फिसल कर गिरते हैं और इससे पहले कोई कुछ समझ पाता चाबुक की तरह गिले कपड़े की मार लगने लगती है जिसके वजह से चार आदमी दो तरफ गिर जाते हैं l
असल में विश्व दरवाजे के पास खिड़की से निकाले पर्दों को फर्श पर गिरा दिया था जिससे पर्दे गिले हो गए थे जैसे ही दरवाजा तोड़ कर वह लोग अंदर आए विश्व अचानक से उन गिले पर्दों को फर्श पर उठा कर खिंच लिया और जोर जोर से मोड़ कर चाबुक जैसे घुमाते हुए उन लोगों तक फेंकते हुए फटाक से अपने पास खिंच लेता है जिससे ठाय की आवाज़ के साथ मार चाबुक की तरह लगती है l छह लोग नीचे गिर जाते हैं और चार लोग पीछे हट कर पहले बाहर दीवार के पीछे हो जाते हैं l अंदर जब वह छह संभल कर उठते हैं विश्व अपने पांचो गुरू डैनी, वसंत, चित्त, हरीश और प्रणव को याद कर उन पर टुट पड़ता है l उनके साथ लड़ते हुए विश्व समझ जाता है वह लोग बहुत ट्रेन्ड हैं l इसलिए विश्व डैनी की कही बातों पर अमल करते हुए लड़ाई को जल्द खतम करने की कोशिश करता है l उनमें से तीन को पटक ने के बाद अचानक बाहर से उसपर गोली बरसने लगता है l विश्व फुर्ती से छलांग लगाता है और गिले फ़र्श पर फिसलते हुए किचन में घुस जाता है l किचन में हो रही गोलीबारी से दास समझ जाता है विश्व वहीँ पर है l दास ना तो अपना पोजीशन छोड़ सकता था और ना ही विश्व के पास पहुँच सकता था l वह सिर्फ़ भगवान से प्रार्थना कर रहा था l विश्व को कुछ ना हो l उधर डायनिंग हॉल में तीनों जो गिर गए थे वह उठ नहीं पाते हैं तो उन तीनों को वहीँ छोड़ कर वह सात किचन की की धीरे धीरे बढ़ने लगते हैं l चूँकि फर्श पानी पानी हो चुका था इसलिए उन लोगों के चलने से छ्प छ्प की आवाज़ आने लगती है l विश्व किचन में अपना नजर घुमाने लगता है तो उसे सात आठ सब्जी काटने वाले चाकू दिख जाते हैं l वह बिना आवाज किए उन चाकुओं को उठा लेता है और खुदको किचन स्टोव की ओट में छुपा लेता है l
अचानक उसे एक गन दिखता है l विश्व बिना देरी किए चाकू फेंकता है l अचूक निशाना, चाकू उस गनर के हाथ में लगता है तो उसके हाथ से छूट जाता है और वह गनर चिल्लाते हुए पीछे हट जाता है l तभी विश्व की छटी इंद्रिय उसे खतरे आभास करा देता है l विश्व अपने दाएं तरफ किचन के फर्श पर छलांग लगाता है और उसी वक़्त उन लोगों में से एक अंदर की ओर एसएलआर को फायर करते हुए किचन की फर्श पर छलांग लगाता है l दोनों एक दूसरे के विपरित दिशा में छलांग लगा चुके हैं और दोनों ने अपने हथियार चलाएं हैं l पर बाजी विश्व मार लेता है l उस आदमी को चाकू लग जाता है l चाकू लगने से उस आदमी की हाथ मुड़ जाती है और उसके गन की फायर से दरवाजे के पास खड़े चार लोगों को लग जाता है l जो दो लोग और बचे थे वह अपने कदम पीछे खिंचने लगते हैं l उनमें से एक चिल्लाने लगता है, बैक अप ... बैक अप...

दास बैक अप सुनते ही,इत्मीनान की साँस लेता है l तभी एक एंबुलेंस अंदर घुस जाती है और बैक करते हुए स्पेशल सेल के एंट्रेंस पर लगा देता है l अब तक पुलिस वालों को छोड़ अशरफ को छुड़ाने आए लोगों की कैजुअलटी बहुत हो चुकी है l अब कुछ ही लोग बचे हुए हैं l
तापस अब अपने ऑफिस से निकल कर बाहर झांकता है, उसे कोई और गाड़ी नहीं दिखती है l पर वह समझ जाता है l आस पास और भी गाडियाँ हो सकती है l इसलिए वह एक ख़तरनाक कदम उठाता है l तापस अंदर की तरफ खुलने वाली गेट को खोलता है और अपनी गाड़ी को स्टार्ट कर टूटी हुई दीवार को सटा कर गाड़ी को खड़ा कर देता है l कुछ फायरिंग तापस की ओर होने लगता है l तापस को ऐसे खुले आम गोलीबारी के बीच कार में फंसे देख कर सतपती से रहा नहीं जाता वह दो गार्ड्स को ऑफिस के हाइडींग पॉइंट पर भेज कर उनकी कवर फायरिंग के सहारा ले कर तापस को कवर फायर देते हुए तापस के पास पहुँच जाता है l तापस सतपती को देख कर बिदक जाता है l कार की ओट में आ जाते हैं

तापस - व्हाट इज़ दिस सतपती...
सतपती - सर आप ही ने कहा था... जीरो कैजुअलटी... फ़िर आपको ऐसे खुले में कैसे छोड़ सकता था...
तापस - पर... देखो क्या हो गया... तुमने पावर स्टेशन खाली छोड़ दिया...

तापस की बात पुरी भी नहीं हुई थी कि पावर स्टेशन पर एक ग्रैनेड गिरता है l बूम... पावर स्टेशन उड़ जाता है l हर तरफ अंधेरा हो जाता है l बाजी जो अभी तक तापस एंड ग्रुप के हाथ में था अब सरक कर अशरफ को बचाने वालों के हाथ आ गई l अंधेरा होते ही अशरफ और उसके साथी ऐंबुलेंस चढ़ जाते हैं गाड़ी जब उसी दीवार की तरफ जाती है तो सभी वॉच टॉवर से गोलियाँ बरसने लगती हैं, पर तब तक ऐंबुलेंस तापस की गाड़ी के पास पहुँच जाती है l ऐंबुलेंस की हेड लाइट में तापस उन लोगों को साफ दिखने लगता है I अशरफ निशाना लगा कर गोली चलाता है तापस जंप लगा कर एक कोने में गिर जाता है, ओर उसके हाथ से एसएलआर छूट जाता है l तभी एक पोर्टेबल माइक से

अशरफ - होल्ड योर फायर... अगर एक भी गोली चली... तुम्हारा जैलर गया... (हर ओर से फायरिंग रुक जाता है) वाह सुपरिटेंडेंट... मानना पड़ेगा... मेरी हर चाल को समझ जाता है तु... पर अल्लाह आज मुझ पर मेहरबान है... (फ़िर चिल्ला कर) जो जहां है... वहीँ रहे वरना... इस जैलर की बिना सिर वाली जिस्म छोड़ जाऊँगा... (गोली बारी रुक जाती है) मेरे साथियों... मेरे पास आओ... और मेरे साथ चलो...

सभी जो बच गए थे वे सभी ऐंबुलेंस के पास भागते हुए आते हैं l अशरफ सब पर नजर डालता है

अशरफ - बहुत से साथी हमारे... शहादत दिए हैं आज... अल्लाह उनको जन्नत से नवाजे... उनके शहादत के बदले... उनके लिये...... (तापस से) तेरा सिर तो बनता है जैलर...

तभी दास के वायर लैस पर हल्की सी आवाज आती है l चूंकि दास उनसे दूर था इसलिए अशरफ गैंग वाले सुन नहीं पाते l

दास - (धीरे से) वि.. विश्व..
विश्व - आप उसे बातों में उलझाए रखें... सिर्फ़ दो मिनट के लिए... और वॉच टॉवर से गोली ना चले यह देखिए...
दास - (धीरे से) ठीक है... (वायर लैस को अपने हाथ में लिए चिल्लाता है) अशरफ साहब... मैं आपसे कुछ बात करना चाहता हूँ...
अशरफ - अच्छा... आजा... पर अकेले... वरना...
दास - ठीक है...(दास अपनी वायर लैस से) कोई फायर नहीं करेगा... जब तक मैं ना कहूँ...
सभी जो वायर लैस से कनेक्टेड थे - ओके सर...

दास वहाँ पहुँचता है तो उसे भी गन पॉइंट पर ले लिया जाता है l दास देखता है चार लोग शायद ऐंबुलेंस से आये थे यह तीन कैदियों को बचाने वाले छह लोग थे दो लोग डायनिंग हॉल से दो लोग सब मिलाकर पंद्रह लोग l पर चूँकि उनके स्पॉट लाइट पर तापस आ गया, इसलिए बाजी पलट गया l पर उसे उम्मीद है क्यूंकि उनका सीक्रेट हथियार, जिसके बारे में यह लोग नहीं जानते l दास को कब्जे में लेते ही

अशरफ - वह क्या बात है... मार्केट में ऑफर में एक के साथ एक फ्री होता है... यहाँ तो दो दो फ्री मिल गए... (अपने लोगों से) इस कार को.. (तापस की गाड़ी को दिखाते हुए) यहाँ से हटाओ...

चार बंदे कार को धक्का मार कर हटाने की कोशिश करते हैं l और कुछ बंदे तापस, सतपती और दास को ज़बरदस्ती ऐंबुलेंस में बिठाने लगते हैं l तभी सट सट चाकू आकर उन लोगों को लगते हैं l जिन जिन को लगता है वह लोग दर्द के चिल्लाते हुए तापस, सतपती और दास को छोड़ देते हैं l तापस हैरान हो जाता है क्यूंकि वहाँ पर विश्व पहुँच चुका है l इससे अशरफ गैंग कुछ समझ पाते विश्व बिजली की फुर्ती से अशरफ पर फ्लाइंग किक मारता है l अशरफ गिर जाता है दो स्पिन किक दो साथी उसके गिर जाते हैं l इतने में दास उनसे एक एसएलआर हासिल कर देता है और उन चारों पर फायर कर देता है जो कार धकेल रहे थे l सतपती भी एक माउजर हासिल कर उन घायल बंदों पर हमला बोल देता है l उनमें से एक आदमी आकर अशरफ के पास गिरता है, अशरफ देखता है उसके कंधे पर एक चाकू धंसा हुआ है l अशरफ भी फुर्ती दिखाते हुए वह चाकू निकाल कर तापस की ओर छलांग लगा देता है l विश्व तापस को अपनी तरफ खिंच लेता है और अशरफ के सामने आ कर डॉज करता है पर इसबार विश्व थोड़ा लेट हो जाता है l उसके कंधे पर चाकू उतर जाता है l विश्व की भी चीख निकल जाता है l तापस अभी तक जो शॉक में था विश्व की चीख सुनते ही होश में आता है नीचे पड़े एक पिस्टल को उठा कर अशरफ को गोली मार देता है l दास और सतपती भी सब पर अपने हथियार का मुहँ खोल देते हैं l अब वहाँ पर रेस्क्यू गैंग वालों के सबकी लाशें बिछ जाती है l जैल में कैजुअलटी के नाम पर सिर्फ़ विश्व ज़ख्मी हो जाता है l सतपती टूटे हुए दीवार के पार एसएलआर से गोली बरसाने लगता है l बाहर जो भी गाडियाँ अंधेरे में पार्क थी, वह गाडियाँ और वहाँ पर नहीं रुकती, कुछ ही देर में जैल की बाहर सभी गाडियाँ गायब हो जाते हैं l तापस विश्व के पास आता है l विश्व अपने कंधे को पकड़ कर खड़ा हुआ है l एक नजर विश्व की ओर देखता है और एक नजर दास पर डालता है l दास अपना सिर झुका लेता है l

अगले दिन
कैपिटल हॉस्पिटल में
प्रतिभा बद हवास हो कर पहुँचती है l उसे दास मिलता है उसे वह तापस की बारे में पूछती है l दास उसे वार्ड नंबर बताता है l प्रतिभा भागते हुए उस वार्ड के बाहर पहुँचती है l बाहर ही उसे तापस सही सलामत मिल जाता है l प्रतिभा उसे देख कर गले से लग जाती है और फुट फुट कर रोने लगती है l

तापस - जान... रो मत... मैं ठीक हुँ...
प्रतिभा - (फुट फुट कर रोते हुए) आपको कुछ हो जाता तो...
तापस - हाँ हो सकता था... पर किसीने मेरे पर हमले को अपने ऊपर ले लिया... सच कहूँ तो... आज हम सब सही सलामत उसीके वजह से हैं...
प्रतिभा - (रोना रुक जाता है, सिसकते हुए) क.. क्या.. क.. क. कौन है... वह...
तापस - जा कर मिल लो... वह रहा (वार्ड की तरफ दिखाते हुए)

प्रतिभा के आँखों में आंसू तर रहे हैं I अपनी भीगी आँखों से बेड की तरफ देखती है l उसे आँसुओं के वजह से सब झीनी झीनी दिख रही है l उसे बेड पर प्रत्युष दिखता है l प्रतिभा के दिल में एक हूक सी उठती है l अपनी हाथों से आँखों को साफ करती है तो बेड पर एक अनजान सा चेहरा दिखता है पर उसे अपना लगता है l

प्रतिभा - क.. क..कौन हो तुम... क्या नाम है तुम्हारा...
विश्व - जी.. विश्व प्रताप...
प्रतिभा - प्रताप... (जोर से कहते हुए) प्रताप मेरे प्रताप... (विश्व को गले लगा लेती है)

तापस के द्वारा फ्लैशबैक समाप्त

खान - ओह... तो उसके प्रताप नाम से ही भाभी जी ने उसे अपना बेटा मान लिया....
प्रतिभा - (अंदर आते हुए) नहीं खान भाई साहब... प्रताप एक वजह तो है... पर उसे उस वक़्त देखते ही... मेरे अंदर की ममता... हिलोरे लेने लगी...(सोफ़े पर बैठते हुए) इसलिए वह मेरा बेटा बन गया... हक़ से... उसने मेरी माँग भी बचाया था...
खान - ओह... तो फिर आपने केस रिओपन क्यूँ नहीं करवाया...
प्रतिभा - मैंने करने की जिद की थी... पर उसे डर था... कहीं मेरी हालत... जयंत सर के जैसा ना हो जाए...
खान - ओह... क्या इसी लिए... वह लॉ कर रहा है...
प्रतिभा - हाँ....
खान - पर उसने आपको ही क्यूँ गुरु बनाया... मेरा मतलब...
तापस - हाँ यह बात मैंने भी पूछा था... जवाब में उसने कहा था... माँ से बढ़ कर कोई गुरु हो ही नहीं सकता... बस इतना कह कर मुझे लाज़वाब कर दिया.... बस यही कहानी है... विश्व की हमारी जीवन में... बस...
खान - बस इतना ही...
तापस - हाँ बस इतना ही...
खान - पता नहीं क्यूँ... पर मुझे लगता है... तुमने मुझे पुरी बात नहीं बताई...
तापस - क्यूँ... तुम्हें ऐसा क्यूँ लग रहा है...
खान - लग नहीं रहा... बल्कि मैं जानता हूँ... तुमने एक बात मुझे नहीं बताई....
तापस - (अपनी भवैं सिकुड़ कर) कौनसी बात....
खान - यही की (थोड़ा सस्पेंस बढ़ाते हुए) विश्वा ने जैल के भीतर.... (प्रतिभा की धड़कन बढ़ जाती है) यश वर्धन चेट्टी का खुन कर दिया था...
Brilliant update bro maza aa gaya
 
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