रूप का रॉकी के लिए आँकलन सही है - वो है कायर। उसके भाई को मारा, तो खेत्रपाल के आदमियों को निशाना बनाओ न भई। औरत को क्यों? और वो भी धोखे से!
जिस तरह से रॉकी की झण्ड हुई है, वो उसके लिए अच्छी सीख साबित हुई। वैसे, शुभ्रा को उसके भूतपूर्व मंगेतर के बारे में ये बात मालूम है या नहीं - हमको ये बात आगे मालूम पड़ेगी। और एक बात - ऐसा भी नहीं है कि रूप को अपने बाप और भाइयों की औकात नहीं पता। वो जानती अवश्य होगी, कि खेत्रपाल नाम की ‘दहशत’ उसके इलाके में क्यों फैली है? इज़्ज़त और दहशत में ज़मीन आसमान का अंतर होता है।
ऐसी मूर्ख तो नहीं लगती वो कि इस अंतर का संज्ञान न हो उसको! ऐसी मूर्खता तो अनु में भी नहीं है। अनु भोली है, रूप बुद्धिमती। तो अगर वो अपने खानदान के मर्दों को ले कर जानबूझ कर अनजान बनी हुई है, तो वो उसकी अपनी व्यक्तिगत समस्या है।
उधर, अनु का रहस्योद्घाटन भी रोचक है। उसके बाप की मौत के पीछे भी कहीं इसी खानदान का हाथ तो नहीं? यह बात संभव है। वीर को तोड़ने के लिए यह बात किसी कैटेलिस्ट का काम कर सकती है।
वैसे अनु की बात सही है - एक समय था जब नई ब्याही लड़की को पालकी वाले उसके मायके से उसके ससुराल बिना किसी घरवाले की उपस्थिति में सुरक्षित ले आते थे। इतना भरोसा था लोगों को एक दूसरे पर, और इतनी ग़ैरत थी लोगों में। और एक आज का समय है!
और अंत में - बेहद बेहतरीन लिखावट दोस्त!