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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

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Kala Nag

Mr. X
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Kala Nag

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Super update bro..biswa aur baidehi ko apni badla jarur lena hoga khetrapal see.

Khetrapal politics join kar liye taki apni hukumat chala sake.biswa ko jail me pareshan kar usko uljhane ki kosis me he ranga.but danny me usko sahi nasiyat diya he krodh ko control karke sabkuch karna he wo bhi danny ki idea se kaam kar raha he.
Tapas k bete k maut k piche bhi khetrapal hain.amazing update
धन्यबाद सौरभ भाई
आपका विश्लेषण व अनुमान मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है
इसी तरह जुड़े रहें
अब चूँकि कहानी के मुख्य नायक विश्व अब विश्वा बनने जा रहा है
रोमांच भी बढ़ता ही जाएगा
 

Jaguaar

Well-Known Member
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👉उन्नीसवां अपडेट
--------------------
सुबह सुबह का वकिंग खतम कर तापस अपने क्वार्टर में आता है l बैठक में सोफ़े पर बैठते हुए टीवी ऑन करता है l ताजा खबर जानने के लिए न्यूज चैनल लगाता है,
ब्रेकिंग न्यूज -
"जैसे ही कल क्षेत्रपाल परिवार का आगमन भुवनेश्वर में हुआ था, उससे राजनीतिक गलियारों में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे, कल देर रात सभी कयासों में विराम लग गया और नए सम्भावनाओं को जन्म देने लगा है...
कल अचानक से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी जो राज्य के जनता मध्य ओ. आई. सी. नाम से परिचित हैं,वह अपने नीवास भवन में देर रात को अपनी पार्टी में श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल के योगदान की घोषणा कर सबको चौंका दिया....
श्री चेट्टी ने कहा कि छोटे राजा जी के पार्टी में आने से पार्टी ना सिर्फ़ बहुत मजबूत हुई है.... बल्कि अब राज्य में उनकी पार्टी अजय हो गई है....
इस संदर्भ में हमारे संवाददाता ने राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से लोकप्रिय श्री क्षेत्रपाल जी से वार्तालाप की....
रिपोर्टर - आज हमारे साथ हैं, राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से सुपरिचित आदरणीय श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी.... हाँ तो छोटे राजा जी... आज आप सपरिवार अटॉर्नी जनरल जी के यहाँ आये थे.... और खबर यह थी कि राज्य में हुई मनरेगा योजना में पैसों की हेर-फेर पर तुरंत कारवाई के लिए कानूनी राह पर बात चित करने.... पर अचानक से आपका राजनीति में आना वह भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जी के द्वारा घोषणा किए जाना सबको चौंका दिया आपने....
पिनाक - हा हा हा हा.... देखिए इसमें चौंकाने वाली क्या बात है.... हम राज परिवार से हैं.... और राजनीति हमारे खुन में दौड़ती है....
रिपोर्टर - हाँ... इसमें कोई शक़ नहीं है.... पर अबतक राज्य की राजनीति में.... क्षेत्रपाल परिवार किंग् मेकर की भूमिका में थी... अब आपकी कैसी भूमिका रहेगी....
पिनाक - देखिए.... आज अगर हम सक्रिय राजनीति में होते... तो निःसंदेह हमारे ही क्षेत्र में कभी मनरेगा कांड ना हुआ होता.... रही आने वाली समय में.... तो हम सबको आश्वस्त करना चाहते हैं.... हम एक साधारण कार्यकर्त्ता की तरह जनता और पार्टी की सेवा करने आए हैं....
रिपोर्टर - छोटे राजा जी.... सुना है आपकी अगली पीढ़ी भी अब राजनीति में आपनी योगदान देने वाली है....
पिनाक - कल क्या होगा यह कल पर ही छोड़ दें...... (इतना कह कर पिनाक सिंह मुड़ कर चला जाता है)
रिपोर्टर - तो यह थे छोटे राजा जी.... कैमरा मैन अभिजीत के साथ...

तापस टीवी बंद कर देता है l इतने में प्रत्युष तैयार हो कर अंदर आता है...
प्रत्युष - डैड... आपने टीवी क्यूँ बंद कर दिया....
तापस - मुझे सुबह सुबह.. यह पोलिटिकल न्यूज दिमाग खराब कर देती हैं....
प्रत्युष - पर टीवी पर हमारे हॉस्पिटल मैनेजमेंट के चेयरमैन ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी आ रहे थे.... और आप तो जानते हैं.... वह स्टेट के हेल्थ मिनिस्टर भी हैं...
तापस - तो....
प्रत्युष - डैड... आपको पूरा न्यूज देखना चाहिए था....
तापस - हाँ तो.... कहाँ मैंने आधा अधूरा देखा है....
प्रत्युष - अधूरा ही तो है....
तापस - अच्छा... मैंने जो न्यूज देखा... वह अधूरा है.... आप जो सूरज सर पर होने के बाद उठते हैं.... पूरा न्यूज जानते हैं....
प्रत्युष - (अपना मुहँ बना कर) डैड.. आप अपने कपड़े देखिए.... और मेरे कपड़े देखिए.... यह मेरे घर से बाहर जाने के कपड़े हैं... और आपके अंदर....
तापस - (प्रत्युष को घूरते हुए) मेरा कभी कभी मन करता है... तेरा कान खिंचु... मन भरने तक कुटाई करूँ....
प्रत्युष - मुझे मालुम था.... आप मुझसे जलते हैं... क्यूंकि मैं आपसे ज्यादा इंटेलिजेंट हूँ....
तापस - (उसे घूरते हुए) अच्छा अब पूरी खबर बता....
प्रत्युष - डैड.... पूरी खबर यह है कि.... कल स्वास्थ मंत्री जी के पास... क्षेत्रपाल जी अपने प्रांत के लिए सारी सुविधाओं से लैस उनके हॉस्पिटल चैन निरोग का एक ब्रांच हस्पताल का प्रस्ताव लेकर गए थे..... उनके प्रस्ताव सहसा श्री स्वस्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया और उन्हें राजनीति में आने के लिए आमंत्रण दिया...... ताकि हस्पताल का काम उनके देख रेख में पूरा हो.... कोई मनरेगा जैसा कांड न हो..... जिसे सुन कर श्री क्षेत्रपाल जी ने भी सहसा स्वीकार किया.... यह है पूरा न्यूज...
तापस - ओ.. अच्छा अच्छा... तो अब आप डॉक्टरी के साथ साथ रिपोर्टरी भी करने लगे हो...
प्रत्युष - यह ताना था... या तारीफ़.... खैर जो भी हो... एक पिता दे और बेटा ना ले.... यह हो नहीं सकता....
तापस - प्रतिभा.....
प्रतिभा - (चाय का प्याला लाकर) क्या हुआ...
तापस - अपने लाडले को जल्दी से नाश्ता देकर विदा करो... तब से मेरा दिमाग खा रहा है...
प्रतिभा - (प्रत्युष को आँखे दिखा कर) कितनी बार कहा है.... कुछ ढंग का खाया कर.... सुबह सुबह इनके कैलरी लेस दिमाग खाएगा तो एनर्जी कहाँ से लाएगा....
तापस प्रतिभा को घूर कर देखता है पर चुप रहता है, उसे यूँ चुप देख कर प्रतिभा मुस्करा कर प्रत्युष को इशारे से बाहर जाने को कहती है l प्रत्युष भी अपनी हंसी दबाये बिना शोर शराबे के चुपके से बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही.,
प्रतिभा - क्या बात है सेनापति जी.... कल रात से आप कुछ कंफ्यूजड हैं....
तापस - हाँ.... यह क्षेत्रपाल परिवार का अचानक राजनीति में आना.... वह भी तब... जब उनके क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ा करप्शन हुआ है...
प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) देखिए... फ़िलहाल.... मैं इस पर कुछ भी डिबेट करना नहीं चाहती.... क्यूंकि आपकी सुई फ़िर वहीँ पर अटक जाएगी.... और मेरा दिन और दिमाग दोनों खराब हो जाएगी....आप बेशक पुलिस वाले हैं पर फील्ड में नहीं हैं.... जैल सुपरिटेंडेंट हैं.... अब आप से मैं बस इतना ही कहना चाहती हूँ .... वक्त सबका ज़वाब दे देगा....
तापस - हूँ... तुम... सही कह रही हो... अब वक्त ही ज़वाब देगा...

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कैदी नंबर 511.... यह सुन कर विश्व सेल के बाहर देखता है l एक नया संत्री था l
संत्री - तुम्हारा पैर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है.... क्या तुम रंजन को खाना बनाने में मदद करोगे....
विश्व - जी बिलकुल....

संत्री सेल की दरवाजा खोल देता है l
संत्री - आओ फ़िर...

विश्व संत्री के साथ जैल के रसोई में आता है l वहाँ के मुख्य रसोईया रंजन कुछ क़ैदियों के मदद से सब्जियाँ कटवा रहा था l रंजन विश्व को देखता है और पूछता है,
रंजन - हाँ तो विश्व.... क्या तुम्हें इस तरह के काम की आदत है...
विश्व - आपको... मेरा नाम...
रंजन - आरे भाई.... तुम सिर्फ इस जैल में ही नहीं.... पूरे राज्य में मशहूर हो चुके हो.... और तुम्हारे आते ही... सब यहां पर तुम्हारे बारे में काना फुंसी कर के ही सब तुम्हारे बारे में मालूम कर चुके हैं......
विश्व चुप रहता है l रंजन विश्व के हाथ में एक छुरी देता है और एक बड़े से टोकरी भर सब्जी दे कर काटने को इशारा करता है l विश्व पहले कटे हुए सब्जियों को देखता है l फिर विश्व सब्जियां काटना शुरू करता है l सिर्फ पैंतीस मिनट में सारे सब्जियां काट कर रंजन के हवाले कर देता है l रंजन, संत्री और दूसरे कैदी जो उसे अब तक देख रहे थे सबका मुहं हैरानी से खुला रह जाता है l
रंजन - तुमने सब्जियां इतनी जल्दी काट दी.... क्या तुम्हें इसकी पहले आदत है...
विश्व - मेहनती हूँ... ऐसे कामों में अभिज्ञ हूँ..
इतना कह कर विश्व वापस जाता है l रास्ते में फ़िर से कुछ कैदी विश्व पर तंग कसते हैं l
एक - सुना है... लंगड़ा अपना पिछवाड़ा किसीके मूत से साफ किया...
दूसरा - क्यूँ भई.... क्या हमारे यहाँ पानी खतम हो गया है...
तीसरा - ना ना... अपना पिछवाड़ा के उद्घाटन की तैयारी कर रहा था...
सब हंसते हैं l विश्व थोड़ा जोर से चलने लगता है l पीछे से आवाज़ आती है "ऑए लंगड़े भाग ना जैयो..." विश्व और जोर से चलने लगता है l तभी विश्व को एक आवाज आता है "ऑए गांडु महापात्र".... यह सुनते ही विश्व रुक जाता है और पीछे गुस्से से मुड़ कर देखता है l सब ताली मार कर ठहाका लगाते हैं l उनमें से एक कहता है - देखा मैंने बुलाया... उसे सुन कर वह रुक गया.... लौडा वाला मजनू बुलाये और गांडु लैला महापात्र ना रुके... ऐसा हो ही नहीं सकता....
सब और जोर से ठहाका लगा कर हंसते हैं l विश्व अपमानित महसूस करता है, उसकी आँखों में आंसू छलक जाता है l वहाँ से जल्दी से जल्दी चला जाना चाहता है,
विश्व अपने बैरक की करिडर में पहुंचा ही था के वे चार कैदी उसके पीछे पीछे पहुंच जाते हैं l एक उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है l
एक - क्यूँ बे.... गांडु लैला... तेरा मजनूं बुला रहा है... साले हरामी.. गांड मटका कर किससे मरवाने भाग रहा था बे....
विश्व का चेहरा लाल हो जाता है और उसे गुस्से से देखने लगता है l
एक - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अरे भाई लोग... गौर से देखो इस गांडु को... यह लैला अपने मजनूं को आंख दिखा रहा है....
दूसरा - पता नहीं रंगा भाई... पर मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है.... यह आपको आँख नहीं दिखा रहा है.... बल्कि इशारे से किसी अंधेरे कोने में बुला रहा है.....
सब ठहाका मार कर हंसने लगते हैं l
तभी व्हिसिल की आवाज़ सुनाई देती है l तो सब विश्व से थोड़ी दूर जा कर खड़े हो जाते हैं l थोड़ी देर बाद वहाँ पर तापस कुछ संत्रीयों के साथ पहुंचता है l रंगा और उसके साथियों के पास आकर रुक जाता है l
तापस - तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो...
रंगा - वह... अपना यार आया है... तो जान पहचान बना रहे थे...
तापस - क्यूँ इससे पहले भी जान पहचान है क्या तुम्हारा....
रंगा - जी नहीं.... हम तो महीने भर से यहाँ आए हैं... यह नया नया आया है... तो दोस्त बनाने आए थे...
तापस - ओके... तुम लोग... निकलो यहाँ से...
रंगा - ओके... सर... बाय... विश्व... बाय... बाद में मिलते हैं...

इतना कह कर अपने साथियों के साथ वहाँ से चला जाता है l तापस विश्व को इशारे से अपने सेल की ओर जाने को कहता है l विश्व अपने सेल के भीतर पहुंच कर रंगा के बारे में सोचने लगता है l
"क्षेत्रपाल अब जैल में इसके मदद से... मुझे जलील करने की ठानी है..... इसका नाम रंगा है.... मुझे कुछ ना कुछ करना ही होगा.... मगर क्या.... मैं क्या कर सकता हूँ... अगर उसने मेरे साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश की.... तो... तो मैं उसे जान से मार दूँगा....हाँ मार दूँगा.... मगर कैसे... वह मुझसे अकेला नहीं लड़ेगा... और मैं इतना ताकतवर हूँ नहीं के चार चार से भीड़ जाऊँ..... पता नहीं अब मुझे क्या क्या सहना होगा.... आह... नहीं नहीं नहीं....
क्षेत्रपाल महल में मेरे साथ जो हुआ वह आखरी बार था.... अब कोई भी मुझे जलील नहीं कर सकता.... मुझे कुछ करना होगा.... हाँ कुछ करना होगा...
ऐसे सोचते सोचते दोपहर हो जाती है l जैल में खाने के लिए इकट्ठा होने के लिए बेल बजती है l संत्री आकर सेल का दरवाज़ा भी खोल देता है l पर विश्व अपने में खोया हुआ है, उसे संत्री का दरवाज़ा खोलना या खाने की बेल बजना कुछ होश नहीं l
संत्री सेल के दरवाजे पर अपनी लाठी से ठोकता है, जिसकी आवाज़ भी विश्व को सोच से बाहर ना निकाल पाई l
संत्री - ऐ... 511... आज तेरा उपवास है क्या... खाना खाने नहीं जाना है क्या....
विश्व उसे देखता है और अपनी जगह से उठ कर बाहर निकालता है l विश्व धीरे धीरे डायनिंग हॉल की ओर बढ़ता है l रास्ते में रंगा और उसके साथी विश्व को छेड़ते हुए पीछे लग जाते हैं l विश्व उनसे दूर जाने की कोशिश करता है, पर फिरभी वे लोग विश्व को आजू बाजू घेर लेते हैं और विश्व सुन सके ऐसे -"गांडु लैला... कब लेगा तेरे मजनूं का केला" कह कर हाथ उसे लगाने की कोशिश करते हैं l विश्व अपना थाली लेकर नजर घुमाता है, उसे एक टेबल पर डैनी दिख जाता है l विश्व उस टेबल पर आकर बैठ जाता है l डैनी उसे देखकर मुस्कराता है l
डैनी - हाँ तो विश्व... कैसी कटी तेरी रात...
विश्व - (अपना चेहरा झुका कर खाना खाते हुए) जी अच्छी...
डैनी - हा हा हा क्यों बे ... वह रंगा तेरा पिछवाड़ा भिगो दिया तो तुझे इतना अच्छा लगा.....
विश्व के गले में निवाला अटक जाता है और वह खांसने लगता है l डैनी उसे पानी का ग्लास देता है l
डैनी - ले.... पि... ले...
विश्व पानी की एक घूंट पिता है, और उसके आंखों में आंसू निकल आते हैं l
डैनी - सुन.. विश्व.... यह दुनिया बहुत बेरहम है... इतना बेरहम के तुम सोच भी नहीं सकता....
विश्व अपनी आंखों में पानी लिए डैनी की तरफ देखता है l डैनी विश्व को देखे बगैर खाना खा रहा है l
डैनी - तेरे को इन डेढ़ दिनों में एक बात मालूम हो गया ना .... के इस जैल में कोई मुझसे पंगा लेने की कोशिश भी नहीं कर रहा.... इसी लिए तुने अपनी थाली ले कर यहाँ मेरे पास बैठ गया.... थोडे समय के लिए... उनसे बचने के लिए अच्छा तरीका है..... पर कब तक.....
विश्व डैनी को गौर से देखने लगा, पर डैनी उसके चेहरे पर आए भाव को नजर अंदाज करते हुए अपना खाना खा रहा है l
डैनी - कब तक... कल अगर मैं यहाँ नहीं रहा तो..... तब तु उनसे कैसे बचेगा..... क्या सुपरिटेंडेंट के पास शिकायत ले कर जाएगा...
विश्व अपना सर झुका कर मौन रहता है l
डैनी - जाएगा तो भी... क्या शिकायत करेगा.....
विश्व - मैं क्या करूं....
डैनी - यह मैं कैसे कह सकता हूँ.... प्रॉब्लम तेरा है... तेरे को ही शॉल्व करना है....
विश्व के आंखों में फ़िर से आँसू आ जाते हैं l
डैनी - बी अ मैन विश्व.... बी अ मैन.... आँसू बुजदिली की निशानी है... तु तो अपने इलाके के सबसे ताकतवर आदमी से भीड़ गया था...... उसके आगे यह रंगा किस खेत का मूली है.....
विश्व की आंखे फैल जाती है l वह हैरानी से अपने सामने बैठे आदमी को देखने लगता है l
डैनी - तुम मेरे बारे में जानते नहीं हो.... इसलिए मेरे साथ मेरे सामने बैठे हुए हो.... वह जो जानते हैं... वे सब मुझसे दूर बैठते हैं....देख लो..
विश्व डायनिंग हॉल के चारो तरफ नजर दौड़ाता है l वह देखता है कि हर टेबल पर पांच से लेकर आठ लोग बैठे हुए हैं, पर वह खुद जिस टेबल पर बैठा हुआ है वहाँ पर सिर्फ़ वह और डैनी ही बैठे हुए हैं l
विश्व - आपको मेरे बारे में... कैसे... मेरा मतलब है... जो पुलिस भी नहीं जानती... वह आप....
डैनी - (मुस्कराते हुए) मेरे अपने सोर्सेस हैं... कल तु जैल में आया बेशक... पर तेरे चर्चे कई दिनों से पूरे राज्य में हो रहे हैं.... इसलिए तुझे देखने की बड़ी ख्वाहिश थी... जैसे ही देखा तो तुरंत समझ गया... मैं एक बकरे को देख रहा हूँ.....
विश्व - काश... कानून को मानने व पालने वालों की भी नजर आप जैसी होती.....
डैनी - हा हा हा... मैं जुर्म की दुनिया का मंज़ा हुआ खिलाड़ी हूँ.... मैं जुर्म और मुज़रिम को सूँघ लेता हूँ.... देखते ही पहचान लेता हूँ...
विश्व अपने सामने बैठे उस शख्स को देख कर हैरान रह जाता है l
विश्व - आपने बताया नहीं... आपको कैसे मालुम हुआ... मेरे बारे में...
डैनी - कहा ना... मेरे अपने सोर्सेस हैं... अब तु बता.... तु उस रंगा से डरता क्यूँ है...
विश्व - मैं डरता नहीं हूँ... पर उनसे जीत भी नहीं सकता हूँ... वे चार हैं और मैं अकेला....
डैनी - सोच... अगर रंगा ने जो कहा है कि... उसने कर दिखाया... तो...
विश्व अपने मुट्ठीयों को भींच कर जवड़े कस लेता है l
विश्व - ऐसा करने की कोशिश की... तो मार डालूंगा.... सबको मार डालूंगा....
डैनी - तेरे दुश्मन भी शायद यही चाहते हैं..... तेरे ऊपर जितने चार्जेस लगे हुए हैं.... उसमें कुछ और जुड़ जाएंगे.... इस तरह से.... तु कभी इस जैल से निकल नहीं पाएगा.....
विश्व - तो मैं क्या करूं.... आप आप यह कैसे जानते हैं....
डैनी - तु कितने उम्र का है...
विश्व - जी अभी कुछ दिनों में बाइस का होने वाला हूँ...
डैनी - मैं तुझसे दुगने उम्र से भी एक साल बड़ा हूँ... एकसपेरियंस... अनुभव...
विश्व - तो मुझे क्या करना चाहिए....
डैनी - यह तु जाने.... मैं सिर्फ तेरे को आगाह कर रहा हूँ....
विश्व बेबसी से अपना हाथ मल रहा है l
डैनी - देखो विश्व.... यह जैल है... और यहाँ चार्ल्स डार्विन की थ्योरी ही काम आती है...
विश्व डैनी के चेहरे को सवालिया दृष्टि से देखता है l
डैनी - सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट...
विश्व कुछ समझ नहीं पाता
डैनी - यह प्रकृति का नियम है... यहाँ वही टिक सकता है... जो अपनी हालातों से जुझ सकता है... और यहाँ वही राज कर सकता है... जो हालातों को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ सकता है....
विश्व उसकी बातों पर गौर करता है और समझने की कोशिश में अपना सर हाँ में हिलाता है l
डैनी - यहाँ जंगल राज है... जंगल में शेर बेशक जंगली सुवर का शिकार करता है.... पर कभी कभी सुवर की पलट वार से शेर भी ढेर हो जाता है.... और जिस दिन जंगल में शेर, सुवर से हार जाता है.... उस दिन जंगल में शेर जीते जी मर जाता है....
अब विश्व अपने अंदर में एक ऊर्जा को मेहसूस करता है, उसके चेहरे पर दर्द नहीं दिखता,एक अलग भाव दिखता है l जिसे देखकर डैनी के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है l
डैनी - वह जिस तरह से तुझ पर नजर रख रहे हैं... तु भी उन पर अपने तरीके से नजर रख..... खुद को सब के साथ सबके पास रखो.... वे लोग तुम्हें अकेले में धर ने की कोशिश करेंगे.... तुझे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे.... तुझे उकसाने की कोशिश करेंगे... पर तु रियाक्ट मत हो जाना... जितना हो सके उनको उस मौके से महरूम रख..... फिर अपना दाव लगा.... मगर ध्यान रहे... तुझे किसीकी नजर में नहीं आना है... वरना कुछ और धाराएं तेरे पर लग जाएंगी... और तु जैल और अदालत के चक्कर काटते रह जाएगा.....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना खाली थाली लेकर निकल जाता है l विश्व उसे जाते देखता है l फिर विश्व अपना खाना खतम करता है और थाली साफ कर वहाँ जमा कर वापस अपने बैरक की और चला जाता है l जैसे कि अंदेशा था वे लोग विश्व के पीछे आते हैं और तंज कसने लग जाते हैं l
रंगा - अबे पंटरों... मैंने कुछ दिन पहले एक फिलम देखी थी....
एक - कौनसी फिलम रंगा भाई.....
रंगा - अबे... उस फिलम नाम था "तेरे मेरे सपने".... उसमें एक गाना था... आँख मारे वह लड़की आँख मारे...
दूसरा - वाह.. रंगा भाई... वाह..
रंगा - अबे... इसमे... वाह वाली क्या बात है.... इसकी रीमिक्स जब गांडु गायेगा... उस पर तुम लोग वाह वाह करना....
एक - वह गाना क्या होगा.... रंगा भाई...
रंगा - गांड मारे... रंगा मेरा गांड मारे... थूक लगाए... बिन कॉन्डोम के मारे...
अब सब रंगा के साथ मिलकर जोर जोर से गाने लग जाते हैं l
विश्व सुन कर गुस्सा तो होता है पर उसे डैनी की कही बातेँ याद आती है, विश्व अब उन पर ध्यान हटाता है और सीधे अपने सेल में चला जाता है l ऐसे ही दोपहर बीत जाता है और शाम को जैल में राउंड लगाते हुए तापस जब वहाँ पहुंचता है l
विश्व - सर...
तापस - हाँ बोलो विश्व...
विश्व - सर सुबह मैं सिर्फ सब्जी काटने गया था.... क्या और कोई काम है जिसे करना चाहिए.... मेहनत वाला... वरना नींद नहीं आएगी....
तापस - है तो... पर तुम अभी... एक्युसड हो... तुम्हें सजा नहीं सुनाई गई है...
विश्व - सर... उसकी कोई आवश्यकता नहीं... मैं बस शरीर थकने तक काम करना चाहता हूँ...
तापस - पर तुम्हारा एक पैर...
विश्व - सर... मांस पेशी में खिंचाव है... वह भी कुछ दिन में ठीक हो जाएगा...
तापस - दास.... कल ऐसा कुछ काम है क्या...
दास - जी सर... अगर विश्व चाहे तो... कल सारे चादर और कंबल धोए जाएंगे...
विश्व - ठीक है सर.... मुझे मंजूर है... प्लीज...
तापस - ठीक है... दास कल इसे एनगैज कराना तुम्हारे जिम्मे...
दास - ओके सर....
फिर तापस और दूसरे अधिकारी वहाँ से चले जाते हैं l विश्व अपने सेल में बिछाए अपने बिस्तर पर एक संतुष्टि के भाव लिए बैठ कर सोचने लगता है l

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

अगले दिन सुबह विश्व अपनी सेल में जल्दी तैयार हो जाता है l कुछ देर बाद नाश्ता करने डायनिंग हॉल में पहुँच जाता है l सब जो पिछले दो दिन से विश्व को देख रहे हैं, उन्हें आज विश्व के चेहरे पर कुछ अलग ही भाव दिख रहा है l रंगा और उसके पंटर भी हैरान हैं l दो दिन से किसी हारा हुआ, बिखरा हुआ लगने वाला विश्व में आज बॉडी लैंग्वेज कुछ और बयान कर रहा है l
आज विश्व दूसरों से बात करने की कोशिश भी कर रहा है l
विश्व जल्दी अपना नाश्ता खतम करता है और ऑफिस में पहुंचता है l ऑफिस के पास संत्री उसे रोक देता है l
विश्व - वो कल ASI जी ने बुलाया था....
संत्री - ठीक है... रुको यहाँ... मैं पूछ कर आता हूँ....
संत्री अंदर जाता है और थोड़ी देर बाद बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को कहता है l विश्व अंदर जाता है और पूछते हुए ASI दास के पास पहुंचता है l
दास - आओ विश्व आओ...
इतना कह कर दास बेल बजाता है l एक आदमी जैल के पोशाक में आता है l
दास - बालू... यह है विश्व... इन्हें आज ले जाओ... आज जो चादर और कंबल धुलेंगे... इन्हें भी सामिल करो... यह तुम्हारे हाथ बटायेंगे...
बालू - जी सर... आओ... विश्व...
विश्व बालू के साथ निकल जाता है...
उधर रंगा और उसके साथी बैठे हुए हैं l रंगा के साथी रंगा से,
एक - भाई.. यह चिकना रात को कौनसी घुट्टी पि ली थी... साला आज कुछ अलग ही दिख रहा था....
रंगा - लगता है... उस डैनी ने कुछ बोला है उसको.... पर डैनी भी यहाँ के नियम से वाकिफ़ है.... "यहाँ कोई किसी दूसरे के फटे में टांग नहीं घुसाता"
दूसरा - वही तो...
रंगा - देखते हैं... आज शाम को मिलेगा तो सही... वैसे भी अपने पास... टाइम बहुत है... सुनवाई के कुछ दिन पहले.... मेरे को इस हरामी की गांड मारनी है...
एक - कोई नहीं रंगा भाई... उद्घाटन आप करना... हम लाइन देंगे....
सब हंसने लगते हैं
दोपहर के बाद खाने के समय विश्व खाने की थाली लेकर फिर से डैनी के बैठे हुए टेबल पर पहुंच जाता है l
डैनी उसे मुस्कराते हुए देखता है l ज़वाब में विश्व भी मुस्कराता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बहुत जल्दी सीख रहे हो.... और खुदको हालात में ढाल भी रहे हो...
विश्व - यह सब आपके... हौसला अफजाई के वजह से.....
डैनी - मैंने कुछ नहीं कहा है.... सिर्फ़ आगाह किया था...
विश्व - फिरभी... मैं हर तरह के आघात सह सकता था.... पर....
विश्व कुछ कह नहीं पाता चुप हो जाता है l डैनी उसे देखता है और अपना सर हिलाता है l
डैनी - बलात्कार....
विश्व के गले में निवाला फ़िर से अटक जाता है l डैनी विश्व को पानी की ग्लास देता है l विश्व पानी पीने के बाद फ़िर से खाना चालू करता है l
डैनी - जानता है... किसीको... आत्मा से तोड़ने के लिए... बलात्कार एक अचूक हथियार है....
विश्व - हाँ... आप सही कह रहे हैं....
डैनी - किसी औरत की बलात्कार.... उस औरत की वज़ूद व अस्तित्व को इतना हिला कर रख देती है... की.... उसमें जीने की चाह को खतम कर देती है....
विश्व - (आवाज़ थर्रा जाती है) जानता हूँ... (आँखे भीग जाती हैं)
डैनी - (उसे देखते हुए) मर्द के भी फिलिंगस भी अलग नहीं हो सकता... उस घिनौना सच से...
(दोनों के बीच कुछ देर के लिए ख़ामोशी छा जाती है) तेरे अंदर के मर्द को हमेशा के लिए खतम करने के लिए..... तेरे दुश्मनों की यह अचूक चाल है... अब उन्होंने तेरे को तोड़ने के लिए जिन् लोगों को हथियार बनाए हैं.... उन्हें तु तोड़.... मगर किसीके नजर में आए बगैर....
विश्व - कैसे.....
डैनी - देख... यहाँ अगर टिकना है... तो तुझे खुद के लिए सोचना होगा.... रिमेंबर... ऑलवेज फाइट यु योर वोन बैटल....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना थाली उठाए धोने चला जाता है l उसके जाते ही विश्व भी अपना खाना खतम करता है और थाली जमा करने के बाद अपने सेल में आकर आराम करते करते सोच में डूब जाता है l

***दस दिन बाद***

रात के डिनर के लिए तापस और प्रत्युष दोनों अपने डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं, प्रतिभा उन दोनों को खाना परोस रही है कि कॉलिंग बेल बजने लगती है l

तापस - ओ... हो.... यह खाने के समय में कौन मरा जा रहा है....(कह कर उठने को होता है, कि प्रतिभा उसे वापस बिठा देती है)
प्रतिभा - आप खाना खाइए.... बीच खाने से मत उठिए.... मैं देखती हूँ... कौन है....
प्रतिभा दरवाजा खोलती है तो सामने जगन को खड़ा हुआ पति है l जगन कुछ कहने को होता है,
प्रतिभा - नहीं.. नहीं... बिल्कुल नहीं... देखो जगन माना के तुम सेनापति जी के अर्दली हो.... पर ऑफिस में... यहाँ पर भी अर्दली बनने की कोशिश ना करो.... मैं यहाँ अपने परिवार की देखभाल कर सकती हूँ... और घर के बाकी काम भी... पर तुम जिद करते हो इसलिए कभी कभी घर में कुछ काम करने देती हूँ.... पर खाना बनाने नहीं दे सकती तुम्हें.... हाँ अगर खाना चाहो तो.... सेनापति जी के बगल में बैठ जाओ... मैं खाना लगा दूंगी....
तापस - अरे भाग्यवान... उसे पहले कुछ कहने तो दो... हाँ.. जगन.. बोलो... कैसे आना हुआ...
जगन - सर.. वह...
तापस - हाँ हाँ... बोलो... कुछ गडबड तो नहीं हो गया...
जगन - सर... हाँ...
तापस - क्या हुआ है...
जगन - सर... वह.. रंगा को हस्पताल ले जाया गया है....
तापस - व्हाट... क्या हुआ उसे..
जगन - सर... उस पर हमला हुआ है... लहू-लुहान हो कर पड़ा हुआ था.... तो नाइट् ड्यूटी पर सतपाथी जी थे उन्होंने एम्बुलेंस बुलाकर उसे कैपिटल हस्पताल में भेज दिया है.....
तापस - व्हाट.... यह कब हुआ..... और मुझे फोन क्यूँ नहीं किया गया....
जगन - सर... सब परेशान थे... किसी तरह रंगा को हस्पताल पहुंचाने के लिए... उसके बाद आपको लैंडलाइन पर इन्फॉर्म करने की कोशिश की गई... पर लैंडलाइन एंगेज आ रहा था....
तापस और प्रतिभा यह सुन कर दोनों प्रत्युष को देखने लगते हैं l प्रत्युष अपना जीभ दांतों तले दबा कर अपने कमरे को ओर भाग जाता है l
तापस - (जगन को देखते हुए) क्यूँ... मोबाइल पर भी तो इन्फॉर्म कर सकते थे.....
जगन - बहुत बार किया गया.... पर आपने उठाया नहीं....
यह सुन कर तापस अपना मोबाइल ढूंढने लगता है l फिर उसे मोबाइल सोफ़े पर कुशन के नीचे मिलता है l तापस मोबाइल चेक करता है
तापस - ओह माय गॉड... बत्तीस मिस कॉल.... अरे यह क्या... फोन म्यूट है.... प्रतिभा.... मैं जगन के साथ हस्पताल जा रहा हूँ.... आकर खाना खा लूँगा....
इतना कह कर उन्हीं कैजुअल कपड़ों में ही जगन के साथ कैपिटल हॉस्पिटल को निकल जाता है l इधर प्रतिभा सिर्फ़ प्रत्युष के प्लेट को छोड़ कर सारे प्लेटस् उठा लेती है l
उधर हस्पताल में ऑपरेशन थिएटर के सामने दास, सतपाथी और कुछ स्टाफ खड़े थे l वहाँ पहुँच कर
तापस - सॉरी सतपाथी... फॉर बीइंग लेट...
सतपाथी - इटस् ओके सर.... प्रॉब्लम वाज देयर, बट नथींग सिरीयस....
तापस - ओके.... कैन.. एनी बॉडी एक्सप्लेन....
दास - सर.... मै... आइ....
तापस - (हाँ में अपना सर हिलाकर) ह्म्म्म्म कहो....
दास - सर... कुछ लोग ताक में रहते हैं... की किसी और की मैदान मारने की.... वैसे लोग जल्दबाजी में अपनी ही मैदान मरवा लेते हैं....
तापस - व्हाट.... समझ में आए.. ऐसे बोलो.... किसने रंगा की हालत ऐसे की...
दास - कोई नहीं जानता.... यहाँ तक रंगा भी नहीं जानता.....
तापस - तुम मुझे एक्सप्लेन कर रहे हो... या कन्फ्यूज कर रहे हो....
दास - सर.... इसकी... मेरा मतलब रंगा की एक आदत है.... रात के खाने के बाद..... दो मिनट के लिए गांजा फुंकता है....
तापस - व्हाट.... हमारे जैल में गांजा.... उसके पास.... कैसे....
दास - यह बताना... थोड़ी मुश्किल है.... हो सकता है... हमारे ही स्टाफ में से कोई उससे मिला हुआ हो....
तापस वहाँ पर मौजूद सबको पैनी नजर से देखता है फिर दास को देखता है l
दास - सर रंगा हमेशा रात को आधा पेट खाता है... और बाहर जाकर दो नंबर बैरक के लॉबी के एक कोने में रोज सबका खाना खतम होने से पहले गांजा फूंकना उसका कुछ दिन का रूटीन था... आज वहाँ पर कोई उसकी ताक में था.... जैसे ही वहाँ पहुंचा रंगा के आंखों में लाल मिर्च के पाउडर फेंक दी.... रंगा... दर्द से बिलबिला उठा... पर कहीं भाग नहीं पाया...और नीचे गिर गया..... तब उस पर मिर्च पाउडर से हमला करने वाला रंगा का पजामा और लंगोट खिंच कर उल्टा कर दिया और...
तापस - और....
दास - और रंगा के गुद्दे के पास तेज धार वाली किसी हथियार से चार इंच लंबा कट मार दिया.... इसलिए रंगा को भी नहीं मालूम.... किसने और क्यूँ किया....

तापस दास का हाथ पकड़ कर अपने स्टाफ से कुछ दूर ले जाता है l

तापस - अब तक तुमने जो बताया... वह ऑफिसियल था.... अब मुझे डिटेल्स में....... ऑन-ऑफिसियल बात बताओ..... देखो मैं जानता हूँ.... तुम्हें सिर्फ अंदाजा ही नहीं बल्कि पक्की पूरी खबर भी होगी... कौन और क्यूँ यह सब किया....
दास - सर इसकी ऐसी हालत के लिए... यह खुद जिम्मेदार है और हाँ इसकी ऐसी हालत जरूर विश्व ने ही किया है.....
तापस - (हैरानी से) विश्व... कैसे... और क्यूँ...
दास - सर... क्यूँ... यह आप भी अच्छी तरह से जानते होंगे.... आप दूसरे दिन दो बार राउंड पर इसलिए तो गए थे... इनडायरेक्टली विश्व की खैर खबर लेने.... और यह वह बात थी के विश्व को बताते हुए भी शर्म आ रही थी.... इसलिए उसने उस दिन कुछ कहा नहीं....
तापस का सर झुक जाता है l
दास - सर... विश्व को अपने आपको बचाना था... और अपमान का बदला भी लेना था...
तापस - पर विश्व के पास.... धार धार हथियार कहाँ से आया.....और कब...
दास - सर आज ही आया... और नाई से हासिल किया ब्लेड...
तापस -अब डिटेल्स में खतम करो....
दास - सर... आज सुबह नाई आया था... विश्व उसके पास अपने बाल और दाढ़ी बनाने गया.... और उससे ब्लेड हासिल कर ली.... उसके बाद रंजन को खाना बनाने में मदद के बहाने कुछ मिर्च के पाउडर भी ले लिया... कुछ दिन पहले उसने चादर और कंबल की धुलाई इतनी करी थी के... एक एक्स्ट्रा कंबल भी अपने साथ ले ली थी....
कुछ दिनों से रंगा विश्व पर और विश्व रंगा पर नजर रख रहे थे..... दोनों मौके की तलाश में थे.... रंगा को जल्दी नहीं थी और वह कंफीडेंट था...... पर विश्व जल्दी में...
आज विश्व को मौका मिल गया.... सब जब खाने के लिए बैठे थे... बीच में थाली टेबल पर छोड़ कर विश्व उठ कर सब गवाह बन सके ऐसे टॉयलेट को गया.... इतने में रंगा अपना खाना खतम कर अपनी रूटीन के अनुसार... अपनी जगह पहुंच गया... पर वहाँ पहले से ही विश्व रंगा के इंतजार में था... खुद को कंबल में ढक कर हाथ में मिर्च पाउडर रंगा के आँखों पर सटीक निशाना लगा कर फेंका... रंगा... चिल्ला कर पीछे मुड़कर भागता पर पिलर से टकरा कर गिर गया... उसके गिरते ही बिना देर किए... विश्व ने उसका पजामा लंगोट समेत खिंच कर निकाल दिया..
रंगा आँखों की जलन से चिल्ला रहा था... बस विश्व ने ब्लेड निकाला और रंगा के गुद्दे की पास चला दिया... करीब करीब चार इंच का कट... सिर्फ आधे मिनिट में विश्व का काम हो चुका था... विश्व अब सबके सामने टॉयलेट से आकर अपने थाली के पास बैठ गया... रंगा के कान फाड़ देने वाले चित्कार सुन कर सब वहीँ भागे...
सबके साथ विश्व भी वहाँ पहुंचा.... इसलिए अब विश्व पर कोई शक़ नहीं कर सकता है.... बस यही हुआ है... सर...
तापस - आधे मिनट में... क्वाइट इंपॉसिबल...
दास - विश्व के लिए नहीं सर....
तापस - हाओ.....
दास - सर जहां रंजन और उसके टीम को... सब्जियां काटने के लिए दो घंटे लगते हैं... वहीँ विश्व अकेले को सिर्फ आधा घंटा लगता है.... जहाँ बालू और उसके साथी पूरा एक दिन लेते हैं चादर और कंबल साफ करने के लिए.... वहीँ विश्व सिर्फ आधे दिन में काम खतम कर दिया था....
तापस - क्या... हम कुछ कर सकते हैं...
दास - नहीं सर... हम कुछ ना करें... यही बेहतर रहेगा.... क्यूंकि विश्व के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं है.... और रंगा के पास गांजा और गांजे के सिगरेट बरामद हुए हैं..... इससे हमारे ही डिपार्टमेंट की बदनामी होगी.... आगे आप जैसा कहें सर....
ऑपरेशन थिएटर का बल्ब बंद होता है l डॉ. विजय बाहर आता है l
डॉ. विजय - (तापस को देख कर) मेरे चैम्बर में चलें....
तापस अपना सर हिला कर हाँ कहता है और डॉ. विजय के साथ उसके चैम्बर की चल देता है l
चैम्बर में
डॉ. विजय - क्या यार.... तुम्हारा कोई भी मुज़रिम... हमेशा किसी अलग ही हालत में क्यूँ आते हैं....
तापस - टांग खींचना छोड़ कर मुद्दे पर आओ.... और उसकी रिपोर्ट क्या है बोलो...
डॉ. विजय - ह्म्म्म्म... ठीक है... सुनो फिर... किसी अनाड़ी ने... ऑन-प्रोफेशनल ने यह कांड किया है.... पर प्रोफेशनल की तरह..... उसने ठीक गुद्दे के उपर से किसी पतले मगर धार वाली हथियार से करीब करीब चार इंच लंबा और आधा इंच गहरा कट मारा है..... शयद ब्लेड से.... अब प्रॉब्लम यह है कि इसे पेट के बल घाव सूखने तक लेटे रहना होगा....
तापस - व्हाट...
डॉ. विजय - हाँ.... क्यूंकि दर्द के मारे पीठ के बल लेट नहीं पाएगा.... क्यूंकि पीठ के बल लेट कर हिलने से घाव के टांके उखड़ जाएंगे.... और पेट के बल लेटे रहना लंबे समय तक बहुत ही मुश्किल है...
यह सुन कर तापस का मुहँ हैरानी से खुला रह जाता है l
तापस - यार कुछ करो....
डॉ. विजय - हाँ वह तो करना ही पड़ेगा.... इसे पूरे एक महीने के लिए यहाँ छोड़ दो....

तापस - ओके..... और... थैंक्यू...
Jabardast Updatee

Vishwa ne pure khiladi ki tarah Ranga pe apna haath saaf kiya. Aur aise kiya ki kisi ko uspe shak ho tab bhi koi kuch naa kar paayee.
 

parkas

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सुबह सुबह का वकिंग खतम कर तापस अपने क्वार्टर में आता है l बैठक में सोफ़े पर बैठते हुए टीवी ऑन करता है l ताजा खबर जानने के लिए न्यूज चैनल लगाता है,
ब्रेकिंग न्यूज -
"जैसे ही कल क्षेत्रपाल परिवार का आगमन भुवनेश्वर में हुआ था, उससे राजनीतिक गलियारों में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे, कल देर रात सभी कयासों में विराम लग गया और नए सम्भावनाओं को जन्म देने लगा है...
कल अचानक से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी जो राज्य के जनता मध्य ओ. आई. सी. नाम से परिचित हैं,वह अपने नीवास भवन में देर रात को अपनी पार्टी में श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल के योगदान की घोषणा कर सबको चौंका दिया....
श्री चेट्टी ने कहा कि छोटे राजा जी के पार्टी में आने से पार्टी ना सिर्फ़ बहुत मजबूत हुई है.... बल्कि अब राज्य में उनकी पार्टी अजय हो गई है....
इस संदर्भ में हमारे संवाददाता ने राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से लोकप्रिय श्री क्षेत्रपाल जी से वार्तालाप की....
रिपोर्टर - आज हमारे साथ हैं, राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से सुपरिचित आदरणीय श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी.... हाँ तो छोटे राजा जी... आज आप सपरिवार अटॉर्नी जनरल जी के यहाँ आये थे.... और खबर यह थी कि राज्य में हुई मनरेगा योजना में पैसों की हेर-फेर पर तुरंत कारवाई के लिए कानूनी राह पर बात चित करने.... पर अचानक से आपका राजनीति में आना वह भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जी के द्वारा घोषणा किए जाना सबको चौंका दिया आपने....
पिनाक - हा हा हा हा.... देखिए इसमें चौंकाने वाली क्या बात है.... हम राज परिवार से हैं.... और राजनीति हमारे खुन में दौड़ती है....
रिपोर्टर - हाँ... इसमें कोई शक़ नहीं है.... पर अबतक राज्य की राजनीति में.... क्षेत्रपाल परिवार किंग् मेकर की भूमिका में थी... अब आपकी कैसी भूमिका रहेगी....
पिनाक - देखिए.... आज अगर हम सक्रिय राजनीति में होते... तो निःसंदेह हमारे ही क्षेत्र में कभी मनरेगा कांड ना हुआ होता.... रही आने वाली समय में.... तो हम सबको आश्वस्त करना चाहते हैं.... हम एक साधारण कार्यकर्त्ता की तरह जनता और पार्टी की सेवा करने आए हैं....
रिपोर्टर - छोटे राजा जी.... सुना है आपकी अगली पीढ़ी भी अब राजनीति में आपनी योगदान देने वाली है....
पिनाक - कल क्या होगा यह कल पर ही छोड़ दें...... (इतना कह कर पिनाक सिंह मुड़ कर चला जाता है)
रिपोर्टर - तो यह थे छोटे राजा जी.... कैमरा मैन अभिजीत के साथ...

तापस टीवी बंद कर देता है l इतने में प्रत्युष तैयार हो कर अंदर आता है...
प्रत्युष - डैड... आपने टीवी क्यूँ बंद कर दिया....
तापस - मुझे सुबह सुबह.. यह पोलिटिकल न्यूज दिमाग खराब कर देती हैं....
प्रत्युष - पर टीवी पर हमारे हॉस्पिटल मैनेजमेंट के चेयरमैन ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी आ रहे थे.... और आप तो जानते हैं.... वह स्टेट के हेल्थ मिनिस्टर भी हैं...
तापस - तो....
प्रत्युष - डैड... आपको पूरा न्यूज देखना चाहिए था....
तापस - हाँ तो.... कहाँ मैंने आधा अधूरा देखा है....
प्रत्युष - अधूरा ही तो है....
तापस - अच्छा... मैंने जो न्यूज देखा... वह अधूरा है.... आप जो सूरज सर पर होने के बाद उठते हैं.... पूरा न्यूज जानते हैं....
प्रत्युष - (अपना मुहँ बना कर) डैड.. आप अपने कपड़े देखिए.... और मेरे कपड़े देखिए.... यह मेरे घर से बाहर जाने के कपड़े हैं... और आपके अंदर....
तापस - (प्रत्युष को घूरते हुए) मेरा कभी कभी मन करता है... तेरा कान खिंचु... मन भरने तक कुटाई करूँ....
प्रत्युष - मुझे मालुम था.... आप मुझसे जलते हैं... क्यूंकि मैं आपसे ज्यादा इंटेलिजेंट हूँ....
तापस - (उसे घूरते हुए) अच्छा अब पूरी खबर बता....
प्रत्युष - डैड.... पूरी खबर यह है कि.... कल स्वास्थ मंत्री जी के पास... क्षेत्रपाल जी अपने प्रांत के लिए सारी सुविधाओं से लैस उनके हॉस्पिटल चैन निरोग का एक ब्रांच हस्पताल का प्रस्ताव लेकर गए थे..... उनके प्रस्ताव सहसा श्री स्वस्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया और उन्हें राजनीति में आने के लिए आमंत्रण दिया...... ताकि हस्पताल का काम उनके देख रेख में पूरा हो.... कोई मनरेगा जैसा कांड न हो..... जिसे सुन कर श्री क्षेत्रपाल जी ने भी सहसा स्वीकार किया.... यह है पूरा न्यूज...
तापस - ओ.. अच्छा अच्छा... तो अब आप डॉक्टरी के साथ साथ रिपोर्टरी भी करने लगे हो...
प्रत्युष - यह ताना था... या तारीफ़.... खैर जो भी हो... एक पिता दे और बेटा ना ले.... यह हो नहीं सकता....
तापस - प्रतिभा.....
प्रतिभा - (चाय का प्याला लाकर) क्या हुआ...
तापस - अपने लाडले को जल्दी से नाश्ता देकर विदा करो... तब से मेरा दिमाग खा रहा है...
प्रतिभा - (प्रत्युष को आँखे दिखा कर) कितनी बार कहा है.... कुछ ढंग का खाया कर.... सुबह सुबह इनके कैलरी लेस दिमाग खाएगा तो एनर्जी कहाँ से लाएगा....
तापस प्रतिभा को घूर कर देखता है पर चुप रहता है, उसे यूँ चुप देख कर प्रतिभा मुस्करा कर प्रत्युष को इशारे से बाहर जाने को कहती है l प्रत्युष भी अपनी हंसी दबाये बिना शोर शराबे के चुपके से बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही.,
प्रतिभा - क्या बात है सेनापति जी.... कल रात से आप कुछ कंफ्यूजड हैं....
तापस - हाँ.... यह क्षेत्रपाल परिवार का अचानक राजनीति में आना.... वह भी तब... जब उनके क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ा करप्शन हुआ है...
प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) देखिए... फ़िलहाल.... मैं इस पर कुछ भी डिबेट करना नहीं चाहती.... क्यूंकि आपकी सुई फ़िर वहीँ पर अटक जाएगी.... और मेरा दिन और दिमाग दोनों खराब हो जाएगी....आप बेशक पुलिस वाले हैं पर फील्ड में नहीं हैं.... जैल सुपरिटेंडेंट हैं.... अब आप से मैं बस इतना ही कहना चाहती हूँ .... वक्त सबका ज़वाब दे देगा....
तापस - हूँ... तुम... सही कह रही हो... अब वक्त ही ज़वाब देगा...

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

कैदी नंबर 511.... यह सुन कर विश्व सेल के बाहर देखता है l एक नया संत्री था l
संत्री - तुम्हारा पैर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है.... क्या तुम रंजन को खाना बनाने में मदद करोगे....
विश्व - जी बिलकुल....

संत्री सेल की दरवाजा खोल देता है l
संत्री - आओ फ़िर...

विश्व संत्री के साथ जैल के रसोई में आता है l वहाँ के मुख्य रसोईया रंजन कुछ क़ैदियों के मदद से सब्जियाँ कटवा रहा था l रंजन विश्व को देखता है और पूछता है,
रंजन - हाँ तो विश्व.... क्या तुम्हें इस तरह के काम की आदत है...
विश्व - आपको... मेरा नाम...
रंजन - आरे भाई.... तुम सिर्फ इस जैल में ही नहीं.... पूरे राज्य में मशहूर हो चुके हो.... और तुम्हारे आते ही... सब यहां पर तुम्हारे बारे में काना फुंसी कर के ही सब तुम्हारे बारे में मालूम कर चुके हैं......
विश्व चुप रहता है l रंजन विश्व के हाथ में एक छुरी देता है और एक बड़े से टोकरी भर सब्जी दे कर काटने को इशारा करता है l विश्व पहले कटे हुए सब्जियों को देखता है l फिर विश्व सब्जियां काटना शुरू करता है l सिर्फ पैंतीस मिनट में सारे सब्जियां काट कर रंजन के हवाले कर देता है l रंजन, संत्री और दूसरे कैदी जो उसे अब तक देख रहे थे सबका मुहं हैरानी से खुला रह जाता है l
रंजन - तुमने सब्जियां इतनी जल्दी काट दी.... क्या तुम्हें इसकी पहले आदत है...
विश्व - मेहनती हूँ... ऐसे कामों में अभिज्ञ हूँ..
इतना कह कर विश्व वापस जाता है l रास्ते में फ़िर से कुछ कैदी विश्व पर तंग कसते हैं l
एक - सुना है... लंगड़ा अपना पिछवाड़ा किसीके मूत से साफ किया...
दूसरा - क्यूँ भई.... क्या हमारे यहाँ पानी खतम हो गया है...
तीसरा - ना ना... अपना पिछवाड़ा के उद्घाटन की तैयारी कर रहा था...
सब हंसते हैं l विश्व थोड़ा जोर से चलने लगता है l पीछे से आवाज़ आती है "ऑए लंगड़े भाग ना जैयो..." विश्व और जोर से चलने लगता है l तभी विश्व को एक आवाज आता है "ऑए गांडु महापात्र".... यह सुनते ही विश्व रुक जाता है और पीछे गुस्से से मुड़ कर देखता है l सब ताली मार कर ठहाका लगाते हैं l उनमें से एक कहता है - देखा मैंने बुलाया... उसे सुन कर वह रुक गया.... लौडा वाला मजनू बुलाये और गांडु लैला महापात्र ना रुके... ऐसा हो ही नहीं सकता....
सब और जोर से ठहाका लगा कर हंसते हैं l विश्व अपमानित महसूस करता है, उसकी आँखों में आंसू छलक जाता है l वहाँ से जल्दी से जल्दी चला जाना चाहता है,
विश्व अपने बैरक की करिडर में पहुंचा ही था के वे चार कैदी उसके पीछे पीछे पहुंच जाते हैं l एक उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है l
एक - क्यूँ बे.... गांडु लैला... तेरा मजनूं बुला रहा है... साले हरामी.. गांड मटका कर किससे मरवाने भाग रहा था बे....
विश्व का चेहरा लाल हो जाता है और उसे गुस्से से देखने लगता है l
एक - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अरे भाई लोग... गौर से देखो इस गांडु को... यह लैला अपने मजनूं को आंख दिखा रहा है....
दूसरा - पता नहीं रंगा भाई... पर मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है.... यह आपको आँख नहीं दिखा रहा है.... बल्कि इशारे से किसी अंधेरे कोने में बुला रहा है.....
सब ठहाका मार कर हंसने लगते हैं l
तभी व्हिसिल की आवाज़ सुनाई देती है l तो सब विश्व से थोड़ी दूर जा कर खड़े हो जाते हैं l थोड़ी देर बाद वहाँ पर तापस कुछ संत्रीयों के साथ पहुंचता है l रंगा और उसके साथियों के पास आकर रुक जाता है l
तापस - तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो...
रंगा - वह... अपना यार आया है... तो जान पहचान बना रहे थे...
तापस - क्यूँ इससे पहले भी जान पहचान है क्या तुम्हारा....
रंगा - जी नहीं.... हम तो महीने भर से यहाँ आए हैं... यह नया नया आया है... तो दोस्त बनाने आए थे...
तापस - ओके... तुम लोग... निकलो यहाँ से...
रंगा - ओके... सर... बाय... विश्व... बाय... बाद में मिलते हैं...

इतना कह कर अपने साथियों के साथ वहाँ से चला जाता है l तापस विश्व को इशारे से अपने सेल की ओर जाने को कहता है l विश्व अपने सेल के भीतर पहुंच कर रंगा के बारे में सोचने लगता है l
"क्षेत्रपाल अब जैल में इसके मदद से... मुझे जलील करने की ठानी है..... इसका नाम रंगा है.... मुझे कुछ ना कुछ करना ही होगा.... मगर क्या.... मैं क्या कर सकता हूँ... अगर उसने मेरे साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश की.... तो... तो मैं उसे जान से मार दूँगा....हाँ मार दूँगा.... मगर कैसे... वह मुझसे अकेला नहीं लड़ेगा... और मैं इतना ताकतवर हूँ नहीं के चार चार से भीड़ जाऊँ..... पता नहीं अब मुझे क्या क्या सहना होगा.... आह... नहीं नहीं नहीं....
क्षेत्रपाल महल में मेरे साथ जो हुआ वह आखरी बार था.... अब कोई भी मुझे जलील नहीं कर सकता.... मुझे कुछ करना होगा.... हाँ कुछ करना होगा...
ऐसे सोचते सोचते दोपहर हो जाती है l जैल में खाने के लिए इकट्ठा होने के लिए बेल बजती है l संत्री आकर सेल का दरवाज़ा भी खोल देता है l पर विश्व अपने में खोया हुआ है, उसे संत्री का दरवाज़ा खोलना या खाने की बेल बजना कुछ होश नहीं l
संत्री सेल के दरवाजे पर अपनी लाठी से ठोकता है, जिसकी आवाज़ भी विश्व को सोच से बाहर ना निकाल पाई l
संत्री - ऐ... 511... आज तेरा उपवास है क्या... खाना खाने नहीं जाना है क्या....
विश्व उसे देखता है और अपनी जगह से उठ कर बाहर निकालता है l विश्व धीरे धीरे डायनिंग हॉल की ओर बढ़ता है l रास्ते में रंगा और उसके साथी विश्व को छेड़ते हुए पीछे लग जाते हैं l विश्व उनसे दूर जाने की कोशिश करता है, पर फिरभी वे लोग विश्व को आजू बाजू घेर लेते हैं और विश्व सुन सके ऐसे -"गांडु लैला... कब लेगा तेरे मजनूं का केला" कह कर हाथ उसे लगाने की कोशिश करते हैं l विश्व अपना थाली लेकर नजर घुमाता है, उसे एक टेबल पर डैनी दिख जाता है l विश्व उस टेबल पर आकर बैठ जाता है l डैनी उसे देखकर मुस्कराता है l
डैनी - हाँ तो विश्व... कैसी कटी तेरी रात...
विश्व - (अपना चेहरा झुका कर खाना खाते हुए) जी अच्छी...
डैनी - हा हा हा क्यों बे ... वह रंगा तेरा पिछवाड़ा भिगो दिया तो तुझे इतना अच्छा लगा.....
विश्व के गले में निवाला अटक जाता है और वह खांसने लगता है l डैनी उसे पानी का ग्लास देता है l
डैनी - ले.... पि... ले...
विश्व पानी की एक घूंट पिता है, और उसके आंखों में आंसू निकल आते हैं l
डैनी - सुन.. विश्व.... यह दुनिया बहुत बेरहम है... इतना बेरहम के तुम सोच भी नहीं सकता....
विश्व अपनी आंखों में पानी लिए डैनी की तरफ देखता है l डैनी विश्व को देखे बगैर खाना खा रहा है l
डैनी - तेरे को इन डेढ़ दिनों में एक बात मालूम हो गया ना .... के इस जैल में कोई मुझसे पंगा लेने की कोशिश भी नहीं कर रहा.... इसी लिए तुने अपनी थाली ले कर यहाँ मेरे पास बैठ गया.... थोडे समय के लिए... उनसे बचने के लिए अच्छा तरीका है..... पर कब तक.....
विश्व डैनी को गौर से देखने लगा, पर डैनी उसके चेहरे पर आए भाव को नजर अंदाज करते हुए अपना खाना खा रहा है l
डैनी - कब तक... कल अगर मैं यहाँ नहीं रहा तो..... तब तु उनसे कैसे बचेगा..... क्या सुपरिटेंडेंट के पास शिकायत ले कर जाएगा...
विश्व अपना सर झुका कर मौन रहता है l
डैनी - जाएगा तो भी... क्या शिकायत करेगा.....
विश्व - मैं क्या करूं....
डैनी - यह मैं कैसे कह सकता हूँ.... प्रॉब्लम तेरा है... तेरे को ही शॉल्व करना है....
विश्व के आंखों में फ़िर से आँसू आ जाते हैं l
डैनी - बी अ मैन विश्व.... बी अ मैन.... आँसू बुजदिली की निशानी है... तु तो अपने इलाके के सबसे ताकतवर आदमी से भीड़ गया था...... उसके आगे यह रंगा किस खेत का मूली है.....
विश्व की आंखे फैल जाती है l वह हैरानी से अपने सामने बैठे आदमी को देखने लगता है l
डैनी - तुम मेरे बारे में जानते नहीं हो.... इसलिए मेरे साथ मेरे सामने बैठे हुए हो.... वह जो जानते हैं... वे सब मुझसे दूर बैठते हैं....देख लो..
विश्व डायनिंग हॉल के चारो तरफ नजर दौड़ाता है l वह देखता है कि हर टेबल पर पांच से लेकर आठ लोग बैठे हुए हैं, पर वह खुद जिस टेबल पर बैठा हुआ है वहाँ पर सिर्फ़ वह और डैनी ही बैठे हुए हैं l
विश्व - आपको मेरे बारे में... कैसे... मेरा मतलब है... जो पुलिस भी नहीं जानती... वह आप....
डैनी - (मुस्कराते हुए) मेरे अपने सोर्सेस हैं... कल तु जैल में आया बेशक... पर तेरे चर्चे कई दिनों से पूरे राज्य में हो रहे हैं.... इसलिए तुझे देखने की बड़ी ख्वाहिश थी... जैसे ही देखा तो तुरंत समझ गया... मैं एक बकरे को देख रहा हूँ.....
विश्व - काश... कानून को मानने व पालने वालों की भी नजर आप जैसी होती.....
डैनी - हा हा हा... मैं जुर्म की दुनिया का मंज़ा हुआ खिलाड़ी हूँ.... मैं जुर्म और मुज़रिम को सूँघ लेता हूँ.... देखते ही पहचान लेता हूँ...
विश्व अपने सामने बैठे उस शख्स को देख कर हैरान रह जाता है l
विश्व - आपने बताया नहीं... आपको कैसे मालुम हुआ... मेरे बारे में...
डैनी - कहा ना... मेरे अपने सोर्सेस हैं... अब तु बता.... तु उस रंगा से डरता क्यूँ है...
विश्व - मैं डरता नहीं हूँ... पर उनसे जीत भी नहीं सकता हूँ... वे चार हैं और मैं अकेला....
डैनी - सोच... अगर रंगा ने जो कहा है कि... उसने कर दिखाया... तो...
विश्व अपने मुट्ठीयों को भींच कर जवड़े कस लेता है l
विश्व - ऐसा करने की कोशिश की... तो मार डालूंगा.... सबको मार डालूंगा....
डैनी - तेरे दुश्मन भी शायद यही चाहते हैं..... तेरे ऊपर जितने चार्जेस लगे हुए हैं.... उसमें कुछ और जुड़ जाएंगे.... इस तरह से.... तु कभी इस जैल से निकल नहीं पाएगा.....
विश्व - तो मैं क्या करूं.... आप आप यह कैसे जानते हैं....
डैनी - तु कितने उम्र का है...
विश्व - जी अभी कुछ दिनों में बाइस का होने वाला हूँ...
डैनी - मैं तुझसे दुगने उम्र से भी एक साल बड़ा हूँ... एकसपेरियंस... अनुभव...
विश्व - तो मुझे क्या करना चाहिए....
डैनी - यह तु जाने.... मैं सिर्फ तेरे को आगाह कर रहा हूँ....
विश्व बेबसी से अपना हाथ मल रहा है l
डैनी - देखो विश्व.... यह जैल है... और यहाँ चार्ल्स डार्विन की थ्योरी ही काम आती है...
विश्व डैनी के चेहरे को सवालिया दृष्टि से देखता है l
डैनी - सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट...
विश्व कुछ समझ नहीं पाता
डैनी - यह प्रकृति का नियम है... यहाँ वही टिक सकता है... जो अपनी हालातों से जुझ सकता है... और यहाँ वही राज कर सकता है... जो हालातों को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ सकता है....
विश्व उसकी बातों पर गौर करता है और समझने की कोशिश में अपना सर हाँ में हिलाता है l
डैनी - यहाँ जंगल राज है... जंगल में शेर बेशक जंगली सुवर का शिकार करता है.... पर कभी कभी सुवर की पलट वार से शेर भी ढेर हो जाता है.... और जिस दिन जंगल में शेर, सुवर से हार जाता है.... उस दिन जंगल में शेर जीते जी मर जाता है....
अब विश्व अपने अंदर में एक ऊर्जा को मेहसूस करता है, उसके चेहरे पर दर्द नहीं दिखता,एक अलग भाव दिखता है l जिसे देखकर डैनी के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है l
डैनी - वह जिस तरह से तुझ पर नजर रख रहे हैं... तु भी उन पर अपने तरीके से नजर रख..... खुद को सब के साथ सबके पास रखो.... वे लोग तुम्हें अकेले में धर ने की कोशिश करेंगे.... तुझे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे.... तुझे उकसाने की कोशिश करेंगे... पर तु रियाक्ट मत हो जाना... जितना हो सके उनको उस मौके से महरूम रख..... फिर अपना दाव लगा.... मगर ध्यान रहे... तुझे किसीकी नजर में नहीं आना है... वरना कुछ और धाराएं तेरे पर लग जाएंगी... और तु जैल और अदालत के चक्कर काटते रह जाएगा.....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना खाली थाली लेकर निकल जाता है l विश्व उसे जाते देखता है l फिर विश्व अपना खाना खतम करता है और थाली साफ कर वहाँ जमा कर वापस अपने बैरक की और चला जाता है l जैसे कि अंदेशा था वे लोग विश्व के पीछे आते हैं और तंज कसने लग जाते हैं l
रंगा - अबे पंटरों... मैंने कुछ दिन पहले एक फिलम देखी थी....
एक - कौनसी फिलम रंगा भाई.....
रंगा - अबे... उस फिलम नाम था "तेरे मेरे सपने".... उसमें एक गाना था... आँख मारे वह लड़की आँख मारे...
दूसरा - वाह.. रंगा भाई... वाह..
रंगा - अबे... इसमे... वाह वाली क्या बात है.... इसकी रीमिक्स जब गांडु गायेगा... उस पर तुम लोग वाह वाह करना....
एक - वह गाना क्या होगा.... रंगा भाई...
रंगा - गांड मारे... रंगा मेरा गांड मारे... थूक लगाए... बिन कॉन्डोम के मारे...
अब सब रंगा के साथ मिलकर जोर जोर से गाने लग जाते हैं l
विश्व सुन कर गुस्सा तो होता है पर उसे डैनी की कही बातेँ याद आती है, विश्व अब उन पर ध्यान हटाता है और सीधे अपने सेल में चला जाता है l ऐसे ही दोपहर बीत जाता है और शाम को जैल में राउंड लगाते हुए तापस जब वहाँ पहुंचता है l
विश्व - सर...
तापस - हाँ बोलो विश्व...
विश्व - सर सुबह मैं सिर्फ सब्जी काटने गया था.... क्या और कोई काम है जिसे करना चाहिए.... मेहनत वाला... वरना नींद नहीं आएगी....
तापस - है तो... पर तुम अभी... एक्युसड हो... तुम्हें सजा नहीं सुनाई गई है...
विश्व - सर... उसकी कोई आवश्यकता नहीं... मैं बस शरीर थकने तक काम करना चाहता हूँ...
तापस - पर तुम्हारा एक पैर...
विश्व - सर... मांस पेशी में खिंचाव है... वह भी कुछ दिन में ठीक हो जाएगा...
तापस - दास.... कल ऐसा कुछ काम है क्या...
दास - जी सर... अगर विश्व चाहे तो... कल सारे चादर और कंबल धोए जाएंगे...
विश्व - ठीक है सर.... मुझे मंजूर है... प्लीज...
तापस - ठीक है... दास कल इसे एनगैज कराना तुम्हारे जिम्मे...
दास - ओके सर....
फिर तापस और दूसरे अधिकारी वहाँ से चले जाते हैं l विश्व अपने सेल में बिछाए अपने बिस्तर पर एक संतुष्टि के भाव लिए बैठ कर सोचने लगता है l

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अगले दिन सुबह विश्व अपनी सेल में जल्दी तैयार हो जाता है l कुछ देर बाद नाश्ता करने डायनिंग हॉल में पहुँच जाता है l सब जो पिछले दो दिन से विश्व को देख रहे हैं, उन्हें आज विश्व के चेहरे पर कुछ अलग ही भाव दिख रहा है l रंगा और उसके पंटर भी हैरान हैं l दो दिन से किसी हारा हुआ, बिखरा हुआ लगने वाला विश्व में आज बॉडी लैंग्वेज कुछ और बयान कर रहा है l
आज विश्व दूसरों से बात करने की कोशिश भी कर रहा है l
विश्व जल्दी अपना नाश्ता खतम करता है और ऑफिस में पहुंचता है l ऑफिस के पास संत्री उसे रोक देता है l
विश्व - वो कल ASI जी ने बुलाया था....
संत्री - ठीक है... रुको यहाँ... मैं पूछ कर आता हूँ....
संत्री अंदर जाता है और थोड़ी देर बाद बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को कहता है l विश्व अंदर जाता है और पूछते हुए ASI दास के पास पहुंचता है l
दास - आओ विश्व आओ...
इतना कह कर दास बेल बजाता है l एक आदमी जैल के पोशाक में आता है l
दास - बालू... यह है विश्व... इन्हें आज ले जाओ... आज जो चादर और कंबल धुलेंगे... इन्हें भी सामिल करो... यह तुम्हारे हाथ बटायेंगे...
बालू - जी सर... आओ... विश्व...
विश्व बालू के साथ निकल जाता है...
उधर रंगा और उसके साथी बैठे हुए हैं l रंगा के साथी रंगा से,
एक - भाई.. यह चिकना रात को कौनसी घुट्टी पि ली थी... साला आज कुछ अलग ही दिख रहा था....
रंगा - लगता है... उस डैनी ने कुछ बोला है उसको.... पर डैनी भी यहाँ के नियम से वाकिफ़ है.... "यहाँ कोई किसी दूसरे के फटे में टांग नहीं घुसाता"
दूसरा - वही तो...
रंगा - देखते हैं... आज शाम को मिलेगा तो सही... वैसे भी अपने पास... टाइम बहुत है... सुनवाई के कुछ दिन पहले.... मेरे को इस हरामी की गांड मारनी है...
एक - कोई नहीं रंगा भाई... उद्घाटन आप करना... हम लाइन देंगे....
सब हंसने लगते हैं
दोपहर के बाद खाने के समय विश्व खाने की थाली लेकर फिर से डैनी के बैठे हुए टेबल पर पहुंच जाता है l
डैनी उसे मुस्कराते हुए देखता है l ज़वाब में विश्व भी मुस्कराता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बहुत जल्दी सीख रहे हो.... और खुदको हालात में ढाल भी रहे हो...
विश्व - यह सब आपके... हौसला अफजाई के वजह से.....
डैनी - मैंने कुछ नहीं कहा है.... सिर्फ़ आगाह किया था...
विश्व - फिरभी... मैं हर तरह के आघात सह सकता था.... पर....
विश्व कुछ कह नहीं पाता चुप हो जाता है l डैनी उसे देखता है और अपना सर हिलाता है l
डैनी - बलात्कार....
विश्व के गले में निवाला फ़िर से अटक जाता है l डैनी विश्व को पानी की ग्लास देता है l विश्व पानी पीने के बाद फ़िर से खाना चालू करता है l
डैनी - जानता है... किसीको... आत्मा से तोड़ने के लिए... बलात्कार एक अचूक हथियार है....
विश्व - हाँ... आप सही कह रहे हैं....
डैनी - किसी औरत की बलात्कार.... उस औरत की वज़ूद व अस्तित्व को इतना हिला कर रख देती है... की.... उसमें जीने की चाह को खतम कर देती है....
विश्व - (आवाज़ थर्रा जाती है) जानता हूँ... (आँखे भीग जाती हैं)
डैनी - (उसे देखते हुए) मर्द के भी फिलिंगस भी अलग नहीं हो सकता... उस घिनौना सच से...
(दोनों के बीच कुछ देर के लिए ख़ामोशी छा जाती है) तेरे अंदर के मर्द को हमेशा के लिए खतम करने के लिए..... तेरे दुश्मनों की यह अचूक चाल है... अब उन्होंने तेरे को तोड़ने के लिए जिन् लोगों को हथियार बनाए हैं.... उन्हें तु तोड़.... मगर किसीके नजर में आए बगैर....
विश्व - कैसे.....
डैनी - देख... यहाँ अगर टिकना है... तो तुझे खुद के लिए सोचना होगा.... रिमेंबर... ऑलवेज फाइट यु योर वोन बैटल....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना थाली उठाए धोने चला जाता है l उसके जाते ही विश्व भी अपना खाना खतम करता है और थाली जमा करने के बाद अपने सेल में आकर आराम करते करते सोच में डूब जाता है l

***दस दिन बाद***

रात के डिनर के लिए तापस और प्रत्युष दोनों अपने डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं, प्रतिभा उन दोनों को खाना परोस रही है कि कॉलिंग बेल बजने लगती है l

तापस - ओ... हो.... यह खाने के समय में कौन मरा जा रहा है....(कह कर उठने को होता है, कि प्रतिभा उसे वापस बिठा देती है)
प्रतिभा - आप खाना खाइए.... बीच खाने से मत उठिए.... मैं देखती हूँ... कौन है....
प्रतिभा दरवाजा खोलती है तो सामने जगन को खड़ा हुआ पति है l जगन कुछ कहने को होता है,
प्रतिभा - नहीं.. नहीं... बिल्कुल नहीं... देखो जगन माना के तुम सेनापति जी के अर्दली हो.... पर ऑफिस में... यहाँ पर भी अर्दली बनने की कोशिश ना करो.... मैं यहाँ अपने परिवार की देखभाल कर सकती हूँ... और घर के बाकी काम भी... पर तुम जिद करते हो इसलिए कभी कभी घर में कुछ काम करने देती हूँ.... पर खाना बनाने नहीं दे सकती तुम्हें.... हाँ अगर खाना चाहो तो.... सेनापति जी के बगल में बैठ जाओ... मैं खाना लगा दूंगी....
तापस - अरे भाग्यवान... उसे पहले कुछ कहने तो दो... हाँ.. जगन.. बोलो... कैसे आना हुआ...
जगन - सर.. वह...
तापस - हाँ हाँ... बोलो... कुछ गडबड तो नहीं हो गया...
जगन - सर... हाँ...
तापस - क्या हुआ है...
जगन - सर... वह.. रंगा को हस्पताल ले जाया गया है....
तापस - व्हाट... क्या हुआ उसे..
जगन - सर... उस पर हमला हुआ है... लहू-लुहान हो कर पड़ा हुआ था.... तो नाइट् ड्यूटी पर सतपाथी जी थे उन्होंने एम्बुलेंस बुलाकर उसे कैपिटल हस्पताल में भेज दिया है.....
तापस - व्हाट.... यह कब हुआ..... और मुझे फोन क्यूँ नहीं किया गया....
जगन - सर... सब परेशान थे... किसी तरह रंगा को हस्पताल पहुंचाने के लिए... उसके बाद आपको लैंडलाइन पर इन्फॉर्म करने की कोशिश की गई... पर लैंडलाइन एंगेज आ रहा था....
तापस और प्रतिभा यह सुन कर दोनों प्रत्युष को देखने लगते हैं l प्रत्युष अपना जीभ दांतों तले दबा कर अपने कमरे को ओर भाग जाता है l
तापस - (जगन को देखते हुए) क्यूँ... मोबाइल पर भी तो इन्फॉर्म कर सकते थे.....
जगन - बहुत बार किया गया.... पर आपने उठाया नहीं....
यह सुन कर तापस अपना मोबाइल ढूंढने लगता है l फिर उसे मोबाइल सोफ़े पर कुशन के नीचे मिलता है l तापस मोबाइल चेक करता है
तापस - ओह माय गॉड... बत्तीस मिस कॉल.... अरे यह क्या... फोन म्यूट है.... प्रतिभा.... मैं जगन के साथ हस्पताल जा रहा हूँ.... आकर खाना खा लूँगा....
इतना कह कर उन्हीं कैजुअल कपड़ों में ही जगन के साथ कैपिटल हॉस्पिटल को निकल जाता है l इधर प्रतिभा सिर्फ़ प्रत्युष के प्लेट को छोड़ कर सारे प्लेटस् उठा लेती है l
उधर हस्पताल में ऑपरेशन थिएटर के सामने दास, सतपाथी और कुछ स्टाफ खड़े थे l वहाँ पहुँच कर
तापस - सॉरी सतपाथी... फॉर बीइंग लेट...
सतपाथी - इटस् ओके सर.... प्रॉब्लम वाज देयर, बट नथींग सिरीयस....
तापस - ओके.... कैन.. एनी बॉडी एक्सप्लेन....
दास - सर.... मै... आइ....
तापस - (हाँ में अपना सर हिलाकर) ह्म्म्म्म कहो....
दास - सर... कुछ लोग ताक में रहते हैं... की किसी और की मैदान मारने की.... वैसे लोग जल्दबाजी में अपनी ही मैदान मरवा लेते हैं....
तापस - व्हाट.... समझ में आए.. ऐसे बोलो.... किसने रंगा की हालत ऐसे की...
दास - कोई नहीं जानता.... यहाँ तक रंगा भी नहीं जानता.....
तापस - तुम मुझे एक्सप्लेन कर रहे हो... या कन्फ्यूज कर रहे हो....
दास - सर.... इसकी... मेरा मतलब रंगा की एक आदत है.... रात के खाने के बाद..... दो मिनट के लिए गांजा फुंकता है....
तापस - व्हाट.... हमारे जैल में गांजा.... उसके पास.... कैसे....
दास - यह बताना... थोड़ी मुश्किल है.... हो सकता है... हमारे ही स्टाफ में से कोई उससे मिला हुआ हो....
तापस वहाँ पर मौजूद सबको पैनी नजर से देखता है फिर दास को देखता है l
दास - सर रंगा हमेशा रात को आधा पेट खाता है... और बाहर जाकर दो नंबर बैरक के लॉबी के एक कोने में रोज सबका खाना खतम होने से पहले गांजा फूंकना उसका कुछ दिन का रूटीन था... आज वहाँ पर कोई उसकी ताक में था.... जैसे ही वहाँ पहुंचा रंगा के आंखों में लाल मिर्च के पाउडर फेंक दी.... रंगा... दर्द से बिलबिला उठा... पर कहीं भाग नहीं पाया...और नीचे गिर गया..... तब उस पर मिर्च पाउडर से हमला करने वाला रंगा का पजामा और लंगोट खिंच कर उल्टा कर दिया और...
तापस - और....
दास - और रंगा के गुद्दे के पास तेज धार वाली किसी हथियार से चार इंच लंबा कट मार दिया.... इसलिए रंगा को भी नहीं मालूम.... किसने और क्यूँ किया....

तापस दास का हाथ पकड़ कर अपने स्टाफ से कुछ दूर ले जाता है l

तापस - अब तक तुमने जो बताया... वह ऑफिसियल था.... अब मुझे डिटेल्स में....... ऑन-ऑफिसियल बात बताओ..... देखो मैं जानता हूँ.... तुम्हें सिर्फ अंदाजा ही नहीं बल्कि पक्की पूरी खबर भी होगी... कौन और क्यूँ यह सब किया....
दास - सर इसकी ऐसी हालत के लिए... यह खुद जिम्मेदार है और हाँ इसकी ऐसी हालत जरूर विश्व ने ही किया है.....
तापस - (हैरानी से) विश्व... कैसे... और क्यूँ...
दास - सर... क्यूँ... यह आप भी अच्छी तरह से जानते होंगे.... आप दूसरे दिन दो बार राउंड पर इसलिए तो गए थे... इनडायरेक्टली विश्व की खैर खबर लेने.... और यह वह बात थी के विश्व को बताते हुए भी शर्म आ रही थी.... इसलिए उसने उस दिन कुछ कहा नहीं....
तापस का सर झुक जाता है l
दास - सर... विश्व को अपने आपको बचाना था... और अपमान का बदला भी लेना था...
तापस - पर विश्व के पास.... धार धार हथियार कहाँ से आया.....और कब...
दास - सर आज ही आया... और नाई से हासिल किया ब्लेड...
तापस -अब डिटेल्स में खतम करो....
दास - सर... आज सुबह नाई आया था... विश्व उसके पास अपने बाल और दाढ़ी बनाने गया.... और उससे ब्लेड हासिल कर ली.... उसके बाद रंजन को खाना बनाने में मदद के बहाने कुछ मिर्च के पाउडर भी ले लिया... कुछ दिन पहले उसने चादर और कंबल की धुलाई इतनी करी थी के... एक एक्स्ट्रा कंबल भी अपने साथ ले ली थी....
कुछ दिनों से रंगा विश्व पर और विश्व रंगा पर नजर रख रहे थे..... दोनों मौके की तलाश में थे.... रंगा को जल्दी नहीं थी और वह कंफीडेंट था...... पर विश्व जल्दी में...
आज विश्व को मौका मिल गया.... सब जब खाने के लिए बैठे थे... बीच में थाली टेबल पर छोड़ कर विश्व उठ कर सब गवाह बन सके ऐसे टॉयलेट को गया.... इतने में रंगा अपना खाना खतम कर अपनी रूटीन के अनुसार... अपनी जगह पहुंच गया... पर वहाँ पहले से ही विश्व रंगा के इंतजार में था... खुद को कंबल में ढक कर हाथ में मिर्च पाउडर रंगा के आँखों पर सटीक निशाना लगा कर फेंका... रंगा... चिल्ला कर पीछे मुड़कर भागता पर पिलर से टकरा कर गिर गया... उसके गिरते ही बिना देर किए... विश्व ने उसका पजामा लंगोट समेत खिंच कर निकाल दिया..
रंगा आँखों की जलन से चिल्ला रहा था... बस विश्व ने ब्लेड निकाला और रंगा के गुद्दे की पास चला दिया... करीब करीब चार इंच का कट... सिर्फ आधे मिनिट में विश्व का काम हो चुका था... विश्व अब सबके सामने टॉयलेट से आकर अपने थाली के पास बैठ गया... रंगा के कान फाड़ देने वाले चित्कार सुन कर सब वहीँ भागे...
सबके साथ विश्व भी वहाँ पहुंचा.... इसलिए अब विश्व पर कोई शक़ नहीं कर सकता है.... बस यही हुआ है... सर...
तापस - आधे मिनट में... क्वाइट इंपॉसिबल...
दास - विश्व के लिए नहीं सर....
तापस - हाओ.....
दास - सर जहां रंजन और उसके टीम को... सब्जियां काटने के लिए दो घंटे लगते हैं... वहीँ विश्व अकेले को सिर्फ आधा घंटा लगता है.... जहाँ बालू और उसके साथी पूरा एक दिन लेते हैं चादर और कंबल साफ करने के लिए.... वहीँ विश्व सिर्फ आधे दिन में काम खतम कर दिया था....
तापस - क्या... हम कुछ कर सकते हैं...
दास - नहीं सर... हम कुछ ना करें... यही बेहतर रहेगा.... क्यूंकि विश्व के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं है.... और रंगा के पास गांजा और गांजे के सिगरेट बरामद हुए हैं..... इससे हमारे ही डिपार्टमेंट की बदनामी होगी.... आगे आप जैसा कहें सर....
ऑपरेशन थिएटर का बल्ब बंद होता है l डॉ. विजय बाहर आता है l
डॉ. विजय - (तापस को देख कर) मेरे चैम्बर में चलें....
तापस अपना सर हिला कर हाँ कहता है और डॉ. विजय के साथ उसके चैम्बर की चल देता है l
चैम्बर में
डॉ. विजय - क्या यार.... तुम्हारा कोई भी मुज़रिम... हमेशा किसी अलग ही हालत में क्यूँ आते हैं....
तापस - टांग खींचना छोड़ कर मुद्दे पर आओ.... और उसकी रिपोर्ट क्या है बोलो...
डॉ. विजय - ह्म्म्म्म... ठीक है... सुनो फिर... किसी अनाड़ी ने... ऑन-प्रोफेशनल ने यह कांड किया है.... पर प्रोफेशनल की तरह..... उसने ठीक गुद्दे के उपर से किसी पतले मगर धार वाली हथियार से करीब करीब चार इंच लंबा और आधा इंच गहरा कट मारा है..... शयद ब्लेड से.... अब प्रॉब्लम यह है कि इसे पेट के बल घाव सूखने तक लेटे रहना होगा....
तापस - व्हाट...
डॉ. विजय - हाँ.... क्यूंकि दर्द के मारे पीठ के बल लेट नहीं पाएगा.... क्यूंकि पीठ के बल लेट कर हिलने से घाव के टांके उखड़ जाएंगे.... और पेट के बल लेटे रहना लंबे समय तक बहुत ही मुश्किल है...
यह सुन कर तापस का मुहँ हैरानी से खुला रह जाता है l
तापस - यार कुछ करो....
डॉ. विजय - हाँ वह तो करना ही पड़ेगा.... इसे पूरे एक महीने के लिए यहाँ छोड़ दो....

तापस - ओके..... और... थैंक्यू...
Nice and excellent update...
 

Prashant gautam

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👉उन्नीसवां अपडेट
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सुबह सुबह का वकिंग खतम कर तापस अपने क्वार्टर में आता है l बैठक में सोफ़े पर बैठते हुए टीवी ऑन करता है l ताजा खबर जानने के लिए न्यूज चैनल लगाता है,
ब्रेकिंग न्यूज -
"जैसे ही कल क्षेत्रपाल परिवार का आगमन भुवनेश्वर में हुआ था, उससे राजनीतिक गलियारों में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे, कल देर रात सभी कयासों में विराम लग गया और नए सम्भावनाओं को जन्म देने लगा है...
कल अचानक से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी जो राज्य के जनता मध्य ओ. आई. सी. नाम से परिचित हैं,वह अपने नीवास भवन में देर रात को अपनी पार्टी में श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल के योगदान की घोषणा कर सबको चौंका दिया....
श्री चेट्टी ने कहा कि छोटे राजा जी के पार्टी में आने से पार्टी ना सिर्फ़ बहुत मजबूत हुई है.... बल्कि अब राज्य में उनकी पार्टी अजय हो गई है....
इस संदर्भ में हमारे संवाददाता ने राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से लोकप्रिय श्री क्षेत्रपाल जी से वार्तालाप की....
रिपोर्टर - आज हमारे साथ हैं, राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से सुपरिचित आदरणीय श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी.... हाँ तो छोटे राजा जी... आज आप सपरिवार अटॉर्नी जनरल जी के यहाँ आये थे.... और खबर यह थी कि राज्य में हुई मनरेगा योजना में पैसों की हेर-फेर पर तुरंत कारवाई के लिए कानूनी राह पर बात चित करने.... पर अचानक से आपका राजनीति में आना वह भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जी के द्वारा घोषणा किए जाना सबको चौंका दिया आपने....
पिनाक - हा हा हा हा.... देखिए इसमें चौंकाने वाली क्या बात है.... हम राज परिवार से हैं.... और राजनीति हमारे खुन में दौड़ती है....
रिपोर्टर - हाँ... इसमें कोई शक़ नहीं है.... पर अबतक राज्य की राजनीति में.... क्षेत्रपाल परिवार किंग् मेकर की भूमिका में थी... अब आपकी कैसी भूमिका रहेगी....
पिनाक - देखिए.... आज अगर हम सक्रिय राजनीति में होते... तो निःसंदेह हमारे ही क्षेत्र में कभी मनरेगा कांड ना हुआ होता.... रही आने वाली समय में.... तो हम सबको आश्वस्त करना चाहते हैं.... हम एक साधारण कार्यकर्त्ता की तरह जनता और पार्टी की सेवा करने आए हैं....
रिपोर्टर - छोटे राजा जी.... सुना है आपकी अगली पीढ़ी भी अब राजनीति में आपनी योगदान देने वाली है....
पिनाक - कल क्या होगा यह कल पर ही छोड़ दें...... (इतना कह कर पिनाक सिंह मुड़ कर चला जाता है)
रिपोर्टर - तो यह थे छोटे राजा जी.... कैमरा मैन अभिजीत के साथ...

तापस टीवी बंद कर देता है l इतने में प्रत्युष तैयार हो कर अंदर आता है...
प्रत्युष - डैड... आपने टीवी क्यूँ बंद कर दिया....
तापस - मुझे सुबह सुबह.. यह पोलिटिकल न्यूज दिमाग खराब कर देती हैं....
प्रत्युष - पर टीवी पर हमारे हॉस्पिटल मैनेजमेंट के चेयरमैन ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी आ रहे थे.... और आप तो जानते हैं.... वह स्टेट के हेल्थ मिनिस्टर भी हैं...
तापस - तो....
प्रत्युष - डैड... आपको पूरा न्यूज देखना चाहिए था....
तापस - हाँ तो.... कहाँ मैंने आधा अधूरा देखा है....
प्रत्युष - अधूरा ही तो है....
तापस - अच्छा... मैंने जो न्यूज देखा... वह अधूरा है.... आप जो सूरज सर पर होने के बाद उठते हैं.... पूरा न्यूज जानते हैं....
प्रत्युष - (अपना मुहँ बना कर) डैड.. आप अपने कपड़े देखिए.... और मेरे कपड़े देखिए.... यह मेरे घर से बाहर जाने के कपड़े हैं... और आपके अंदर....
तापस - (प्रत्युष को घूरते हुए) मेरा कभी कभी मन करता है... तेरा कान खिंचु... मन भरने तक कुटाई करूँ....
प्रत्युष - मुझे मालुम था.... आप मुझसे जलते हैं... क्यूंकि मैं आपसे ज्यादा इंटेलिजेंट हूँ....
तापस - (उसे घूरते हुए) अच्छा अब पूरी खबर बता....
प्रत्युष - डैड.... पूरी खबर यह है कि.... कल स्वास्थ मंत्री जी के पास... क्षेत्रपाल जी अपने प्रांत के लिए सारी सुविधाओं से लैस उनके हॉस्पिटल चैन निरोग का एक ब्रांच हस्पताल का प्रस्ताव लेकर गए थे..... उनके प्रस्ताव सहसा श्री स्वस्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया और उन्हें राजनीति में आने के लिए आमंत्रण दिया...... ताकि हस्पताल का काम उनके देख रेख में पूरा हो.... कोई मनरेगा जैसा कांड न हो..... जिसे सुन कर श्री क्षेत्रपाल जी ने भी सहसा स्वीकार किया.... यह है पूरा न्यूज...
तापस - ओ.. अच्छा अच्छा... तो अब आप डॉक्टरी के साथ साथ रिपोर्टरी भी करने लगे हो...
प्रत्युष - यह ताना था... या तारीफ़.... खैर जो भी हो... एक पिता दे और बेटा ना ले.... यह हो नहीं सकता....
तापस - प्रतिभा.....
प्रतिभा - (चाय का प्याला लाकर) क्या हुआ...
तापस - अपने लाडले को जल्दी से नाश्ता देकर विदा करो... तब से मेरा दिमाग खा रहा है...
प्रतिभा - (प्रत्युष को आँखे दिखा कर) कितनी बार कहा है.... कुछ ढंग का खाया कर.... सुबह सुबह इनके कैलरी लेस दिमाग खाएगा तो एनर्जी कहाँ से लाएगा....
तापस प्रतिभा को घूर कर देखता है पर चुप रहता है, उसे यूँ चुप देख कर प्रतिभा मुस्करा कर प्रत्युष को इशारे से बाहर जाने को कहती है l प्रत्युष भी अपनी हंसी दबाये बिना शोर शराबे के चुपके से बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही.,
प्रतिभा - क्या बात है सेनापति जी.... कल रात से आप कुछ कंफ्यूजड हैं....
तापस - हाँ.... यह क्षेत्रपाल परिवार का अचानक राजनीति में आना.... वह भी तब... जब उनके क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ा करप्शन हुआ है...
प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) देखिए... फ़िलहाल.... मैं इस पर कुछ भी डिबेट करना नहीं चाहती.... क्यूंकि आपकी सुई फ़िर वहीँ पर अटक जाएगी.... और मेरा दिन और दिमाग दोनों खराब हो जाएगी....आप बेशक पुलिस वाले हैं पर फील्ड में नहीं हैं.... जैल सुपरिटेंडेंट हैं.... अब आप से मैं बस इतना ही कहना चाहती हूँ .... वक्त सबका ज़वाब दे देगा....
तापस - हूँ... तुम... सही कह रही हो... अब वक्त ही ज़वाब देगा...

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कैदी नंबर 511.... यह सुन कर विश्व सेल के बाहर देखता है l एक नया संत्री था l
संत्री - तुम्हारा पैर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है.... क्या तुम रंजन को खाना बनाने में मदद करोगे....
विश्व - जी बिलकुल....

संत्री सेल की दरवाजा खोल देता है l
संत्री - आओ फ़िर...

विश्व संत्री के साथ जैल के रसोई में आता है l वहाँ के मुख्य रसोईया रंजन कुछ क़ैदियों के मदद से सब्जियाँ कटवा रहा था l रंजन विश्व को देखता है और पूछता है,
रंजन - हाँ तो विश्व.... क्या तुम्हें इस तरह के काम की आदत है...
विश्व - आपको... मेरा नाम...
रंजन - आरे भाई.... तुम सिर्फ इस जैल में ही नहीं.... पूरे राज्य में मशहूर हो चुके हो.... और तुम्हारे आते ही... सब यहां पर तुम्हारे बारे में काना फुंसी कर के ही सब तुम्हारे बारे में मालूम कर चुके हैं......
विश्व चुप रहता है l रंजन विश्व के हाथ में एक छुरी देता है और एक बड़े से टोकरी भर सब्जी दे कर काटने को इशारा करता है l विश्व पहले कटे हुए सब्जियों को देखता है l फिर विश्व सब्जियां काटना शुरू करता है l सिर्फ पैंतीस मिनट में सारे सब्जियां काट कर रंजन के हवाले कर देता है l रंजन, संत्री और दूसरे कैदी जो उसे अब तक देख रहे थे सबका मुहं हैरानी से खुला रह जाता है l
रंजन - तुमने सब्जियां इतनी जल्दी काट दी.... क्या तुम्हें इसकी पहले आदत है...
विश्व - मेहनती हूँ... ऐसे कामों में अभिज्ञ हूँ..
इतना कह कर विश्व वापस जाता है l रास्ते में फ़िर से कुछ कैदी विश्व पर तंग कसते हैं l
एक - सुना है... लंगड़ा अपना पिछवाड़ा किसीके मूत से साफ किया...
दूसरा - क्यूँ भई.... क्या हमारे यहाँ पानी खतम हो गया है...
तीसरा - ना ना... अपना पिछवाड़ा के उद्घाटन की तैयारी कर रहा था...
सब हंसते हैं l विश्व थोड़ा जोर से चलने लगता है l पीछे से आवाज़ आती है "ऑए लंगड़े भाग ना जैयो..." विश्व और जोर से चलने लगता है l तभी विश्व को एक आवाज आता है "ऑए गांडु महापात्र".... यह सुनते ही विश्व रुक जाता है और पीछे गुस्से से मुड़ कर देखता है l सब ताली मार कर ठहाका लगाते हैं l उनमें से एक कहता है - देखा मैंने बुलाया... उसे सुन कर वह रुक गया.... लौडा वाला मजनू बुलाये और गांडु लैला महापात्र ना रुके... ऐसा हो ही नहीं सकता....
सब और जोर से ठहाका लगा कर हंसते हैं l विश्व अपमानित महसूस करता है, उसकी आँखों में आंसू छलक जाता है l वहाँ से जल्दी से जल्दी चला जाना चाहता है,
विश्व अपने बैरक की करिडर में पहुंचा ही था के वे चार कैदी उसके पीछे पीछे पहुंच जाते हैं l एक उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है l
एक - क्यूँ बे.... गांडु लैला... तेरा मजनूं बुला रहा है... साले हरामी.. गांड मटका कर किससे मरवाने भाग रहा था बे....
विश्व का चेहरा लाल हो जाता है और उसे गुस्से से देखने लगता है l
एक - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अरे भाई लोग... गौर से देखो इस गांडु को... यह लैला अपने मजनूं को आंख दिखा रहा है....
दूसरा - पता नहीं रंगा भाई... पर मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है.... यह आपको आँख नहीं दिखा रहा है.... बल्कि इशारे से किसी अंधेरे कोने में बुला रहा है.....
सब ठहाका मार कर हंसने लगते हैं l
तभी व्हिसिल की आवाज़ सुनाई देती है l तो सब विश्व से थोड़ी दूर जा कर खड़े हो जाते हैं l थोड़ी देर बाद वहाँ पर तापस कुछ संत्रीयों के साथ पहुंचता है l रंगा और उसके साथियों के पास आकर रुक जाता है l
तापस - तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो...
रंगा - वह... अपना यार आया है... तो जान पहचान बना रहे थे...
तापस - क्यूँ इससे पहले भी जान पहचान है क्या तुम्हारा....
रंगा - जी नहीं.... हम तो महीने भर से यहाँ आए हैं... यह नया नया आया है... तो दोस्त बनाने आए थे...
तापस - ओके... तुम लोग... निकलो यहाँ से...
रंगा - ओके... सर... बाय... विश्व... बाय... बाद में मिलते हैं...

इतना कह कर अपने साथियों के साथ वहाँ से चला जाता है l तापस विश्व को इशारे से अपने सेल की ओर जाने को कहता है l विश्व अपने सेल के भीतर पहुंच कर रंगा के बारे में सोचने लगता है l
"क्षेत्रपाल अब जैल में इसके मदद से... मुझे जलील करने की ठानी है..... इसका नाम रंगा है.... मुझे कुछ ना कुछ करना ही होगा.... मगर क्या.... मैं क्या कर सकता हूँ... अगर उसने मेरे साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश की.... तो... तो मैं उसे जान से मार दूँगा....हाँ मार दूँगा.... मगर कैसे... वह मुझसे अकेला नहीं लड़ेगा... और मैं इतना ताकतवर हूँ नहीं के चार चार से भीड़ जाऊँ..... पता नहीं अब मुझे क्या क्या सहना होगा.... आह... नहीं नहीं नहीं....
क्षेत्रपाल महल में मेरे साथ जो हुआ वह आखरी बार था.... अब कोई भी मुझे जलील नहीं कर सकता.... मुझे कुछ करना होगा.... हाँ कुछ करना होगा...
ऐसे सोचते सोचते दोपहर हो जाती है l जैल में खाने के लिए इकट्ठा होने के लिए बेल बजती है l संत्री आकर सेल का दरवाज़ा भी खोल देता है l पर विश्व अपने में खोया हुआ है, उसे संत्री का दरवाज़ा खोलना या खाने की बेल बजना कुछ होश नहीं l
संत्री सेल के दरवाजे पर अपनी लाठी से ठोकता है, जिसकी आवाज़ भी विश्व को सोच से बाहर ना निकाल पाई l
संत्री - ऐ... 511... आज तेरा उपवास है क्या... खाना खाने नहीं जाना है क्या....
विश्व उसे देखता है और अपनी जगह से उठ कर बाहर निकालता है l विश्व धीरे धीरे डायनिंग हॉल की ओर बढ़ता है l रास्ते में रंगा और उसके साथी विश्व को छेड़ते हुए पीछे लग जाते हैं l विश्व उनसे दूर जाने की कोशिश करता है, पर फिरभी वे लोग विश्व को आजू बाजू घेर लेते हैं और विश्व सुन सके ऐसे -"गांडु लैला... कब लेगा तेरे मजनूं का केला" कह कर हाथ उसे लगाने की कोशिश करते हैं l विश्व अपना थाली लेकर नजर घुमाता है, उसे एक टेबल पर डैनी दिख जाता है l विश्व उस टेबल पर आकर बैठ जाता है l डैनी उसे देखकर मुस्कराता है l
डैनी - हाँ तो विश्व... कैसी कटी तेरी रात...
विश्व - (अपना चेहरा झुका कर खाना खाते हुए) जी अच्छी...
डैनी - हा हा हा क्यों बे ... वह रंगा तेरा पिछवाड़ा भिगो दिया तो तुझे इतना अच्छा लगा.....
विश्व के गले में निवाला अटक जाता है और वह खांसने लगता है l डैनी उसे पानी का ग्लास देता है l
डैनी - ले.... पि... ले...
विश्व पानी की एक घूंट पिता है, और उसके आंखों में आंसू निकल आते हैं l
डैनी - सुन.. विश्व.... यह दुनिया बहुत बेरहम है... इतना बेरहम के तुम सोच भी नहीं सकता....
विश्व अपनी आंखों में पानी लिए डैनी की तरफ देखता है l डैनी विश्व को देखे बगैर खाना खा रहा है l
डैनी - तेरे को इन डेढ़ दिनों में एक बात मालूम हो गया ना .... के इस जैल में कोई मुझसे पंगा लेने की कोशिश भी नहीं कर रहा.... इसी लिए तुने अपनी थाली ले कर यहाँ मेरे पास बैठ गया.... थोडे समय के लिए... उनसे बचने के लिए अच्छा तरीका है..... पर कब तक.....
विश्व डैनी को गौर से देखने लगा, पर डैनी उसके चेहरे पर आए भाव को नजर अंदाज करते हुए अपना खाना खा रहा है l
डैनी - कब तक... कल अगर मैं यहाँ नहीं रहा तो..... तब तु उनसे कैसे बचेगा..... क्या सुपरिटेंडेंट के पास शिकायत ले कर जाएगा...
विश्व अपना सर झुका कर मौन रहता है l
डैनी - जाएगा तो भी... क्या शिकायत करेगा.....
विश्व - मैं क्या करूं....
डैनी - यह मैं कैसे कह सकता हूँ.... प्रॉब्लम तेरा है... तेरे को ही शॉल्व करना है....
विश्व के आंखों में फ़िर से आँसू आ जाते हैं l
डैनी - बी अ मैन विश्व.... बी अ मैन.... आँसू बुजदिली की निशानी है... तु तो अपने इलाके के सबसे ताकतवर आदमी से भीड़ गया था...... उसके आगे यह रंगा किस खेत का मूली है.....
विश्व की आंखे फैल जाती है l वह हैरानी से अपने सामने बैठे आदमी को देखने लगता है l
डैनी - तुम मेरे बारे में जानते नहीं हो.... इसलिए मेरे साथ मेरे सामने बैठे हुए हो.... वह जो जानते हैं... वे सब मुझसे दूर बैठते हैं....देख लो..
विश्व डायनिंग हॉल के चारो तरफ नजर दौड़ाता है l वह देखता है कि हर टेबल पर पांच से लेकर आठ लोग बैठे हुए हैं, पर वह खुद जिस टेबल पर बैठा हुआ है वहाँ पर सिर्फ़ वह और डैनी ही बैठे हुए हैं l
विश्व - आपको मेरे बारे में... कैसे... मेरा मतलब है... जो पुलिस भी नहीं जानती... वह आप....
डैनी - (मुस्कराते हुए) मेरे अपने सोर्सेस हैं... कल तु जैल में आया बेशक... पर तेरे चर्चे कई दिनों से पूरे राज्य में हो रहे हैं.... इसलिए तुझे देखने की बड़ी ख्वाहिश थी... जैसे ही देखा तो तुरंत समझ गया... मैं एक बकरे को देख रहा हूँ.....
विश्व - काश... कानून को मानने व पालने वालों की भी नजर आप जैसी होती.....
डैनी - हा हा हा... मैं जुर्म की दुनिया का मंज़ा हुआ खिलाड़ी हूँ.... मैं जुर्म और मुज़रिम को सूँघ लेता हूँ.... देखते ही पहचान लेता हूँ...
विश्व अपने सामने बैठे उस शख्स को देख कर हैरान रह जाता है l
विश्व - आपने बताया नहीं... आपको कैसे मालुम हुआ... मेरे बारे में...
डैनी - कहा ना... मेरे अपने सोर्सेस हैं... अब तु बता.... तु उस रंगा से डरता क्यूँ है...
विश्व - मैं डरता नहीं हूँ... पर उनसे जीत भी नहीं सकता हूँ... वे चार हैं और मैं अकेला....
डैनी - सोच... अगर रंगा ने जो कहा है कि... उसने कर दिखाया... तो...
विश्व अपने मुट्ठीयों को भींच कर जवड़े कस लेता है l
विश्व - ऐसा करने की कोशिश की... तो मार डालूंगा.... सबको मार डालूंगा....
डैनी - तेरे दुश्मन भी शायद यही चाहते हैं..... तेरे ऊपर जितने चार्जेस लगे हुए हैं.... उसमें कुछ और जुड़ जाएंगे.... इस तरह से.... तु कभी इस जैल से निकल नहीं पाएगा.....
विश्व - तो मैं क्या करूं.... आप आप यह कैसे जानते हैं....
डैनी - तु कितने उम्र का है...
विश्व - जी अभी कुछ दिनों में बाइस का होने वाला हूँ...
डैनी - मैं तुझसे दुगने उम्र से भी एक साल बड़ा हूँ... एकसपेरियंस... अनुभव...
विश्व - तो मुझे क्या करना चाहिए....
डैनी - यह तु जाने.... मैं सिर्फ तेरे को आगाह कर रहा हूँ....
विश्व बेबसी से अपना हाथ मल रहा है l
डैनी - देखो विश्व.... यह जैल है... और यहाँ चार्ल्स डार्विन की थ्योरी ही काम आती है...
विश्व डैनी के चेहरे को सवालिया दृष्टि से देखता है l
डैनी - सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट...
विश्व कुछ समझ नहीं पाता
डैनी - यह प्रकृति का नियम है... यहाँ वही टिक सकता है... जो अपनी हालातों से जुझ सकता है... और यहाँ वही राज कर सकता है... जो हालातों को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ सकता है....
विश्व उसकी बातों पर गौर करता है और समझने की कोशिश में अपना सर हाँ में हिलाता है l
डैनी - यहाँ जंगल राज है... जंगल में शेर बेशक जंगली सुवर का शिकार करता है.... पर कभी कभी सुवर की पलट वार से शेर भी ढेर हो जाता है.... और जिस दिन जंगल में शेर, सुवर से हार जाता है.... उस दिन जंगल में शेर जीते जी मर जाता है....
अब विश्व अपने अंदर में एक ऊर्जा को मेहसूस करता है, उसके चेहरे पर दर्द नहीं दिखता,एक अलग भाव दिखता है l जिसे देखकर डैनी के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है l
डैनी - वह जिस तरह से तुझ पर नजर रख रहे हैं... तु भी उन पर अपने तरीके से नजर रख..... खुद को सब के साथ सबके पास रखो.... वे लोग तुम्हें अकेले में धर ने की कोशिश करेंगे.... तुझे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे.... तुझे उकसाने की कोशिश करेंगे... पर तु रियाक्ट मत हो जाना... जितना हो सके उनको उस मौके से महरूम रख..... फिर अपना दाव लगा.... मगर ध्यान रहे... तुझे किसीकी नजर में नहीं आना है... वरना कुछ और धाराएं तेरे पर लग जाएंगी... और तु जैल और अदालत के चक्कर काटते रह जाएगा.....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना खाली थाली लेकर निकल जाता है l विश्व उसे जाते देखता है l फिर विश्व अपना खाना खतम करता है और थाली साफ कर वहाँ जमा कर वापस अपने बैरक की और चला जाता है l जैसे कि अंदेशा था वे लोग विश्व के पीछे आते हैं और तंज कसने लग जाते हैं l
रंगा - अबे पंटरों... मैंने कुछ दिन पहले एक फिलम देखी थी....
एक - कौनसी फिलम रंगा भाई.....
रंगा - अबे... उस फिलम नाम था "तेरे मेरे सपने".... उसमें एक गाना था... आँख मारे वह लड़की आँख मारे...
दूसरा - वाह.. रंगा भाई... वाह..
रंगा - अबे... इसमे... वाह वाली क्या बात है.... इसकी रीमिक्स जब गांडु गायेगा... उस पर तुम लोग वाह वाह करना....
एक - वह गाना क्या होगा.... रंगा भाई...
रंगा - गांड मारे... रंगा मेरा गांड मारे... थूक लगाए... बिन कॉन्डोम के मारे...
अब सब रंगा के साथ मिलकर जोर जोर से गाने लग जाते हैं l
विश्व सुन कर गुस्सा तो होता है पर उसे डैनी की कही बातेँ याद आती है, विश्व अब उन पर ध्यान हटाता है और सीधे अपने सेल में चला जाता है l ऐसे ही दोपहर बीत जाता है और शाम को जैल में राउंड लगाते हुए तापस जब वहाँ पहुंचता है l
विश्व - सर...
तापस - हाँ बोलो विश्व...
विश्व - सर सुबह मैं सिर्फ सब्जी काटने गया था.... क्या और कोई काम है जिसे करना चाहिए.... मेहनत वाला... वरना नींद नहीं आएगी....
तापस - है तो... पर तुम अभी... एक्युसड हो... तुम्हें सजा नहीं सुनाई गई है...
विश्व - सर... उसकी कोई आवश्यकता नहीं... मैं बस शरीर थकने तक काम करना चाहता हूँ...
तापस - पर तुम्हारा एक पैर...
विश्व - सर... मांस पेशी में खिंचाव है... वह भी कुछ दिन में ठीक हो जाएगा...
तापस - दास.... कल ऐसा कुछ काम है क्या...
दास - जी सर... अगर विश्व चाहे तो... कल सारे चादर और कंबल धोए जाएंगे...
विश्व - ठीक है सर.... मुझे मंजूर है... प्लीज...
तापस - ठीक है... दास कल इसे एनगैज कराना तुम्हारे जिम्मे...
दास - ओके सर....
फिर तापस और दूसरे अधिकारी वहाँ से चले जाते हैं l विश्व अपने सेल में बिछाए अपने बिस्तर पर एक संतुष्टि के भाव लिए बैठ कर सोचने लगता है l

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अगले दिन सुबह विश्व अपनी सेल में जल्दी तैयार हो जाता है l कुछ देर बाद नाश्ता करने डायनिंग हॉल में पहुँच जाता है l सब जो पिछले दो दिन से विश्व को देख रहे हैं, उन्हें आज विश्व के चेहरे पर कुछ अलग ही भाव दिख रहा है l रंगा और उसके पंटर भी हैरान हैं l दो दिन से किसी हारा हुआ, बिखरा हुआ लगने वाला विश्व में आज बॉडी लैंग्वेज कुछ और बयान कर रहा है l
आज विश्व दूसरों से बात करने की कोशिश भी कर रहा है l
विश्व जल्दी अपना नाश्ता खतम करता है और ऑफिस में पहुंचता है l ऑफिस के पास संत्री उसे रोक देता है l
विश्व - वो कल ASI जी ने बुलाया था....
संत्री - ठीक है... रुको यहाँ... मैं पूछ कर आता हूँ....
संत्री अंदर जाता है और थोड़ी देर बाद बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को कहता है l विश्व अंदर जाता है और पूछते हुए ASI दास के पास पहुंचता है l
दास - आओ विश्व आओ...
इतना कह कर दास बेल बजाता है l एक आदमी जैल के पोशाक में आता है l
दास - बालू... यह है विश्व... इन्हें आज ले जाओ... आज जो चादर और कंबल धुलेंगे... इन्हें भी सामिल करो... यह तुम्हारे हाथ बटायेंगे...
बालू - जी सर... आओ... विश्व...
विश्व बालू के साथ निकल जाता है...
उधर रंगा और उसके साथी बैठे हुए हैं l रंगा के साथी रंगा से,
एक - भाई.. यह चिकना रात को कौनसी घुट्टी पि ली थी... साला आज कुछ अलग ही दिख रहा था....
रंगा - लगता है... उस डैनी ने कुछ बोला है उसको.... पर डैनी भी यहाँ के नियम से वाकिफ़ है.... "यहाँ कोई किसी दूसरे के फटे में टांग नहीं घुसाता"
दूसरा - वही तो...
रंगा - देखते हैं... आज शाम को मिलेगा तो सही... वैसे भी अपने पास... टाइम बहुत है... सुनवाई के कुछ दिन पहले.... मेरे को इस हरामी की गांड मारनी है...
एक - कोई नहीं रंगा भाई... उद्घाटन आप करना... हम लाइन देंगे....
सब हंसने लगते हैं
दोपहर के बाद खाने के समय विश्व खाने की थाली लेकर फिर से डैनी के बैठे हुए टेबल पर पहुंच जाता है l
डैनी उसे मुस्कराते हुए देखता है l ज़वाब में विश्व भी मुस्कराता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बहुत जल्दी सीख रहे हो.... और खुदको हालात में ढाल भी रहे हो...
विश्व - यह सब आपके... हौसला अफजाई के वजह से.....
डैनी - मैंने कुछ नहीं कहा है.... सिर्फ़ आगाह किया था...
विश्व - फिरभी... मैं हर तरह के आघात सह सकता था.... पर....
विश्व कुछ कह नहीं पाता चुप हो जाता है l डैनी उसे देखता है और अपना सर हिलाता है l
डैनी - बलात्कार....
विश्व के गले में निवाला फ़िर से अटक जाता है l डैनी विश्व को पानी की ग्लास देता है l विश्व पानी पीने के बाद फ़िर से खाना चालू करता है l
डैनी - जानता है... किसीको... आत्मा से तोड़ने के लिए... बलात्कार एक अचूक हथियार है....
विश्व - हाँ... आप सही कह रहे हैं....
डैनी - किसी औरत की बलात्कार.... उस औरत की वज़ूद व अस्तित्व को इतना हिला कर रख देती है... की.... उसमें जीने की चाह को खतम कर देती है....
विश्व - (आवाज़ थर्रा जाती है) जानता हूँ... (आँखे भीग जाती हैं)
डैनी - (उसे देखते हुए) मर्द के भी फिलिंगस भी अलग नहीं हो सकता... उस घिनौना सच से...
(दोनों के बीच कुछ देर के लिए ख़ामोशी छा जाती है) तेरे अंदर के मर्द को हमेशा के लिए खतम करने के लिए..... तेरे दुश्मनों की यह अचूक चाल है... अब उन्होंने तेरे को तोड़ने के लिए जिन् लोगों को हथियार बनाए हैं.... उन्हें तु तोड़.... मगर किसीके नजर में आए बगैर....
विश्व - कैसे.....
डैनी - देख... यहाँ अगर टिकना है... तो तुझे खुद के लिए सोचना होगा.... रिमेंबर... ऑलवेज फाइट यु योर वोन बैटल....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना थाली उठाए धोने चला जाता है l उसके जाते ही विश्व भी अपना खाना खतम करता है और थाली जमा करने के बाद अपने सेल में आकर आराम करते करते सोच में डूब जाता है l

***दस दिन बाद***

रात के डिनर के लिए तापस और प्रत्युष दोनों अपने डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं, प्रतिभा उन दोनों को खाना परोस रही है कि कॉलिंग बेल बजने लगती है l

तापस - ओ... हो.... यह खाने के समय में कौन मरा जा रहा है....(कह कर उठने को होता है, कि प्रतिभा उसे वापस बिठा देती है)
प्रतिभा - आप खाना खाइए.... बीच खाने से मत उठिए.... मैं देखती हूँ... कौन है....
प्रतिभा दरवाजा खोलती है तो सामने जगन को खड़ा हुआ पति है l जगन कुछ कहने को होता है,
प्रतिभा - नहीं.. नहीं... बिल्कुल नहीं... देखो जगन माना के तुम सेनापति जी के अर्दली हो.... पर ऑफिस में... यहाँ पर भी अर्दली बनने की कोशिश ना करो.... मैं यहाँ अपने परिवार की देखभाल कर सकती हूँ... और घर के बाकी काम भी... पर तुम जिद करते हो इसलिए कभी कभी घर में कुछ काम करने देती हूँ.... पर खाना बनाने नहीं दे सकती तुम्हें.... हाँ अगर खाना चाहो तो.... सेनापति जी के बगल में बैठ जाओ... मैं खाना लगा दूंगी....
तापस - अरे भाग्यवान... उसे पहले कुछ कहने तो दो... हाँ.. जगन.. बोलो... कैसे आना हुआ...
जगन - सर.. वह...
तापस - हाँ हाँ... बोलो... कुछ गडबड तो नहीं हो गया...
जगन - सर... हाँ...
तापस - क्या हुआ है...
जगन - सर... वह.. रंगा को हस्पताल ले जाया गया है....
तापस - व्हाट... क्या हुआ उसे..
जगन - सर... उस पर हमला हुआ है... लहू-लुहान हो कर पड़ा हुआ था.... तो नाइट् ड्यूटी पर सतपाथी जी थे उन्होंने एम्बुलेंस बुलाकर उसे कैपिटल हस्पताल में भेज दिया है.....
तापस - व्हाट.... यह कब हुआ..... और मुझे फोन क्यूँ नहीं किया गया....
जगन - सर... सब परेशान थे... किसी तरह रंगा को हस्पताल पहुंचाने के लिए... उसके बाद आपको लैंडलाइन पर इन्फॉर्म करने की कोशिश की गई... पर लैंडलाइन एंगेज आ रहा था....
तापस और प्रतिभा यह सुन कर दोनों प्रत्युष को देखने लगते हैं l प्रत्युष अपना जीभ दांतों तले दबा कर अपने कमरे को ओर भाग जाता है l
तापस - (जगन को देखते हुए) क्यूँ... मोबाइल पर भी तो इन्फॉर्म कर सकते थे.....
जगन - बहुत बार किया गया.... पर आपने उठाया नहीं....
यह सुन कर तापस अपना मोबाइल ढूंढने लगता है l फिर उसे मोबाइल सोफ़े पर कुशन के नीचे मिलता है l तापस मोबाइल चेक करता है
तापस - ओह माय गॉड... बत्तीस मिस कॉल.... अरे यह क्या... फोन म्यूट है.... प्रतिभा.... मैं जगन के साथ हस्पताल जा रहा हूँ.... आकर खाना खा लूँगा....
इतना कह कर उन्हीं कैजुअल कपड़ों में ही जगन के साथ कैपिटल हॉस्पिटल को निकल जाता है l इधर प्रतिभा सिर्फ़ प्रत्युष के प्लेट को छोड़ कर सारे प्लेटस् उठा लेती है l
उधर हस्पताल में ऑपरेशन थिएटर के सामने दास, सतपाथी और कुछ स्टाफ खड़े थे l वहाँ पहुँच कर
तापस - सॉरी सतपाथी... फॉर बीइंग लेट...
सतपाथी - इटस् ओके सर.... प्रॉब्लम वाज देयर, बट नथींग सिरीयस....
तापस - ओके.... कैन.. एनी बॉडी एक्सप्लेन....
दास - सर.... मै... आइ....
तापस - (हाँ में अपना सर हिलाकर) ह्म्म्म्म कहो....
दास - सर... कुछ लोग ताक में रहते हैं... की किसी और की मैदान मारने की.... वैसे लोग जल्दबाजी में अपनी ही मैदान मरवा लेते हैं....
तापस - व्हाट.... समझ में आए.. ऐसे बोलो.... किसने रंगा की हालत ऐसे की...
दास - कोई नहीं जानता.... यहाँ तक रंगा भी नहीं जानता.....
तापस - तुम मुझे एक्सप्लेन कर रहे हो... या कन्फ्यूज कर रहे हो....
दास - सर.... इसकी... मेरा मतलब रंगा की एक आदत है.... रात के खाने के बाद..... दो मिनट के लिए गांजा फुंकता है....
तापस - व्हाट.... हमारे जैल में गांजा.... उसके पास.... कैसे....
दास - यह बताना... थोड़ी मुश्किल है.... हो सकता है... हमारे ही स्टाफ में से कोई उससे मिला हुआ हो....
तापस वहाँ पर मौजूद सबको पैनी नजर से देखता है फिर दास को देखता है l
दास - सर रंगा हमेशा रात को आधा पेट खाता है... और बाहर जाकर दो नंबर बैरक के लॉबी के एक कोने में रोज सबका खाना खतम होने से पहले गांजा फूंकना उसका कुछ दिन का रूटीन था... आज वहाँ पर कोई उसकी ताक में था.... जैसे ही वहाँ पहुंचा रंगा के आंखों में लाल मिर्च के पाउडर फेंक दी.... रंगा... दर्द से बिलबिला उठा... पर कहीं भाग नहीं पाया...और नीचे गिर गया..... तब उस पर मिर्च पाउडर से हमला करने वाला रंगा का पजामा और लंगोट खिंच कर उल्टा कर दिया और...
तापस - और....
दास - और रंगा के गुद्दे के पास तेज धार वाली किसी हथियार से चार इंच लंबा कट मार दिया.... इसलिए रंगा को भी नहीं मालूम.... किसने और क्यूँ किया....

तापस दास का हाथ पकड़ कर अपने स्टाफ से कुछ दूर ले जाता है l

तापस - अब तक तुमने जो बताया... वह ऑफिसियल था.... अब मुझे डिटेल्स में....... ऑन-ऑफिसियल बात बताओ..... देखो मैं जानता हूँ.... तुम्हें सिर्फ अंदाजा ही नहीं बल्कि पक्की पूरी खबर भी होगी... कौन और क्यूँ यह सब किया....
दास - सर इसकी ऐसी हालत के लिए... यह खुद जिम्मेदार है और हाँ इसकी ऐसी हालत जरूर विश्व ने ही किया है.....
तापस - (हैरानी से) विश्व... कैसे... और क्यूँ...
दास - सर... क्यूँ... यह आप भी अच्छी तरह से जानते होंगे.... आप दूसरे दिन दो बार राउंड पर इसलिए तो गए थे... इनडायरेक्टली विश्व की खैर खबर लेने.... और यह वह बात थी के विश्व को बताते हुए भी शर्म आ रही थी.... इसलिए उसने उस दिन कुछ कहा नहीं....
तापस का सर झुक जाता है l
दास - सर... विश्व को अपने आपको बचाना था... और अपमान का बदला भी लेना था...
तापस - पर विश्व के पास.... धार धार हथियार कहाँ से आया.....और कब...
दास - सर आज ही आया... और नाई से हासिल किया ब्लेड...
तापस -अब डिटेल्स में खतम करो....
दास - सर... आज सुबह नाई आया था... विश्व उसके पास अपने बाल और दाढ़ी बनाने गया.... और उससे ब्लेड हासिल कर ली.... उसके बाद रंजन को खाना बनाने में मदद के बहाने कुछ मिर्च के पाउडर भी ले लिया... कुछ दिन पहले उसने चादर और कंबल की धुलाई इतनी करी थी के... एक एक्स्ट्रा कंबल भी अपने साथ ले ली थी....
कुछ दिनों से रंगा विश्व पर और विश्व रंगा पर नजर रख रहे थे..... दोनों मौके की तलाश में थे.... रंगा को जल्दी नहीं थी और वह कंफीडेंट था...... पर विश्व जल्दी में...
आज विश्व को मौका मिल गया.... सब जब खाने के लिए बैठे थे... बीच में थाली टेबल पर छोड़ कर विश्व उठ कर सब गवाह बन सके ऐसे टॉयलेट को गया.... इतने में रंगा अपना खाना खतम कर अपनी रूटीन के अनुसार... अपनी जगह पहुंच गया... पर वहाँ पहले से ही विश्व रंगा के इंतजार में था... खुद को कंबल में ढक कर हाथ में मिर्च पाउडर रंगा के आँखों पर सटीक निशाना लगा कर फेंका... रंगा... चिल्ला कर पीछे मुड़कर भागता पर पिलर से टकरा कर गिर गया... उसके गिरते ही बिना देर किए... विश्व ने उसका पजामा लंगोट समेत खिंच कर निकाल दिया..
रंगा आँखों की जलन से चिल्ला रहा था... बस विश्व ने ब्लेड निकाला और रंगा के गुद्दे की पास चला दिया... करीब करीब चार इंच का कट... सिर्फ आधे मिनिट में विश्व का काम हो चुका था... विश्व अब सबके सामने टॉयलेट से आकर अपने थाली के पास बैठ गया... रंगा के कान फाड़ देने वाले चित्कार सुन कर सब वहीँ भागे...
सबके साथ विश्व भी वहाँ पहुंचा.... इसलिए अब विश्व पर कोई शक़ नहीं कर सकता है.... बस यही हुआ है... सर...
तापस - आधे मिनट में... क्वाइट इंपॉसिबल...
दास - विश्व के लिए नहीं सर....
तापस - हाओ.....
दास - सर जहां रंजन और उसके टीम को... सब्जियां काटने के लिए दो घंटे लगते हैं... वहीँ विश्व अकेले को सिर्फ आधा घंटा लगता है.... जहाँ बालू और उसके साथी पूरा एक दिन लेते हैं चादर और कंबल साफ करने के लिए.... वहीँ विश्व सिर्फ आधे दिन में काम खतम कर दिया था....
तापस - क्या... हम कुछ कर सकते हैं...
दास - नहीं सर... हम कुछ ना करें... यही बेहतर रहेगा.... क्यूंकि विश्व के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं है.... और रंगा के पास गांजा और गांजे के सिगरेट बरामद हुए हैं..... इससे हमारे ही डिपार्टमेंट की बदनामी होगी.... आगे आप जैसा कहें सर....
ऑपरेशन थिएटर का बल्ब बंद होता है l डॉ. विजय बाहर आता है l
डॉ. विजय - (तापस को देख कर) मेरे चैम्बर में चलें....
तापस अपना सर हिला कर हाँ कहता है और डॉ. विजय के साथ उसके चैम्बर की चल देता है l
चैम्बर में
डॉ. विजय - क्या यार.... तुम्हारा कोई भी मुज़रिम... हमेशा किसी अलग ही हालत में क्यूँ आते हैं....
तापस - टांग खींचना छोड़ कर मुद्दे पर आओ.... और उसकी रिपोर्ट क्या है बोलो...
डॉ. विजय - ह्म्म्म्म... ठीक है... सुनो फिर... किसी अनाड़ी ने... ऑन-प्रोफेशनल ने यह कांड किया है.... पर प्रोफेशनल की तरह..... उसने ठीक गुद्दे के उपर से किसी पतले मगर धार वाली हथियार से करीब करीब चार इंच लंबा और आधा इंच गहरा कट मारा है..... शयद ब्लेड से.... अब प्रॉब्लम यह है कि इसे पेट के बल घाव सूखने तक लेटे रहना होगा....
तापस - व्हाट...
डॉ. विजय - हाँ.... क्यूंकि दर्द के मारे पीठ के बल लेट नहीं पाएगा.... क्यूंकि पीठ के बल लेट कर हिलने से घाव के टांके उखड़ जाएंगे.... और पेट के बल लेटे रहना लंबे समय तक बहुत ही मुश्किल है...
यह सुन कर तापस का मुहँ हैरानी से खुला रह जाता है l
तापस - यार कुछ करो....
डॉ. विजय - हाँ वह तो करना ही पड़ेगा.... इसे पूरे एक महीने के लिए यहाँ छोड़ दो....

तापस - ओके..... और... थैंक्यू...
So , dany ka ek khas role najar aa rha h vishva ki life change krke use ek yodha bnane me .. ranga ne galat insan se pnga lia .. bhai sahi me bhot mjedar update the as always .
Bas ab agla update milne ka intzar karte hai 🤣. Or hme pta hai intezar ka fal mjedar hi hoga 🔥🔥
 

Kala Nag

Mr. X
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Jabardast Updatee

Vishwa ne pure khiladi ki tarah Ranga pe apna haath saaf kiya. Aur aise kiya ki kisi ko uspe shak ho tab bhi koi kuch naa kar paayee.

Nice and excellent update...

So , dany ka ek khas role najar aa rha h vishva ki life change krke use ek yodha bnane me .. ranga ne galat insan se pnga lia .. bhai sahi me bhot mjedar update the as always .
Bas ab agla update milne ka intzar karte hai 🤣. Or hme pta hai intezar ka fal mjedar hi hoga 🔥🔥
दोस्तों
विश्व इस कहानी का नायक है.....
हालात उसे तपा रहे हैं....
वह एक ऐसे शख्स से टकरायेगा जिसके आगे सिस्टम घुटने टेक् देता है...
विश्व खुदको सिस्टम के दायरे में रख कर ही तो प्रतिशोध लेगा
उसके लिए विश्व को शारीरिक और मानसिक रूप से अनुरूप योग्य होना होगा....
धन्यबाद दोस्तों
आपके कमेंट्स और विश्लेषण मन में असीम ऊर्जा भर दे रही है
 

Kala Nag

Mr. X
Prime
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Bahut umda kahani likh rahe ho bhai
धन्यबाद मित्र आपको पसंद आया यही बहुत है
कृपाया जुड़े रहें और अपना क़ीमती मत लिखते रहें
इससे उत्साह बढ़ जाता है आगे लिखने के लिए
 
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258
" सरवाइवल आफ द फिटेस्ट " डार्विन का सिद्धांत आज के युग में सही तरह से फिट होता है । वही लोग सर्वाइव कर सकते हैं जो अपनी विपरीत हालातों से मुकाबला कर सकने में सक्षम होते हैं ।
एक जिराफ के एग्जाम्पल से डार्विन ने इस थियूरी को समझाया था । डैनी ने बहुत ही बढ़िया सलाह दिया विश्व को । और विश्वा ने इसे न ध्यान में ही रखा बल्कि अच्छी तरह से अमल भी किया । रंगा को बहुत ही बढ़िया तरीके से सबक सिखा दिया ।

इसके पहले बाप बेटे का कन्वर्सेशन बहुत ही बेहतरीन लगा । प्रत्यूष अब जिंदा नहीं है , यह सोचकर ही मन दुखी हो जाता है । उससे भी ज्यादा मुझे तापस सर और उसकी पत्नी पर दया आती है कि कैसे अपने दिल को उन्होंने समझाया होगा ! बाप मां के सामने ही जवान बेटे को खोना , इससे बड़ा गम कुछ नहीं है । उनकी हंसी भी खोखली ही लगता है मुझे ।

हमेशा की तरह इस बार भी गजब का अपडेट लिखा है आपने । पिछली कहानी में , जैसा आपने कहा मैं भावनाओं में बह गया था , सही कहा था । वैदेही क्षेत्रपाल फेमिली की खून थी ।

जगमग जगमग अपडेट भाई ।
 
Last edited:

Kala Nag

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" सरवाइवल आफ द फिटेस्ट " डार्विन का सिद्धांत आज के युग में सही तरह से फिट होता है । वही लोग सर्वाइव कर सकते हैं जो अपनी विपरीत हालातों से मुकाबला कर सकने में सक्षम होते हैं ।
एक जिराफ के एग्जाम्पल से डार्विन ने इस थियूरी को समझाया था । डैनी ने बहुत ही बढ़िया सलाह दिया विश्व को । और विश्वा ने इसे न ध्यान में ही रखा बल्कि अच्छी तरह से अमल भी किया । रंगा को बहुत ही बढ़िया तरीके से सबक सिखा दिया ।

इसके पहले बाप बेटे का कन्वर्सेशन बहुत ही बेहतरीन लगा । प्रत्यूष अब जिंदा नहीं है , यह सोचकर ही मन दुखी हो जाता है । उससे भी ज्यादा मुझे तापस सर और उसकी पत्नी पर दया आती है कि कैसे अपने दिल को उन्होंने समझाया होगा ! बाप मां के सामने ही जवान बेटे को खोना , इससे बड़ा गम कुछ नहीं है । उनकी हंसी भी खोखली ही लगता है मुझे ।

हमेशा की तरह इस बार भी गजब का अपडेट लिखा है आपने । पिछली कहानी में , जैसा आपने कहा मैं भावनाओं में बह गया था , सही कहा था । वैदेही क्षेत्रपाल फेमिली की खून थी ।

जगमग जगमग अपडेट भाई ।
मित्र
आपका यह अनुमान व विश्लेषण के लिए शत शत धन्यबाद
अगला अपडेट कल आएगा
 
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