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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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*Index *
 
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Sauravb

Victory 💯
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👉बीसवां अपडेट
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एक बड़ा सा गल्फ कोर्ट है, बहुत बड़ा तो नहीं है, पर छोटा भी नहीं है l हरे रंग के मैदान को हरे रंग के नेट से चारो ओर से घेर रखा गया है l वहीँ मैदान के एक कोने में एक बड़ा सा छाता गड़ा हुआ है l उस छाते के साये के नीचे भैरव सिंह एक सिंहासन नुमा कुर्सी पर दोनों हाथों को फैला कर और बाएं पैर पर पैर रख कर बैठा हुआ है l उसके पास भीमा और भीमा के सारे साथी भैरव सिंह के आसपास खड़े हुए हैं l
तब एक लक्जरी कार आकर मैदान के बाहर रुकती है l एक आदमी उस कार में से उतरता है और सीधे भैरव सिंह के पास जा कर पहुंचता है l
उसे देखते ही भैरव सिंह अपना घड़ी देखता है और मुस्करा देता है l
भैरव - आओ ... तहसीलदार ... आओ... वक्त के बड़े पाबंद हो... बिल्कुल घड़ी के सुई की साथ चलते हो....
तहसीलदार - जी राजा साहब.... मैं हमेशा वक्त के साथ चलता हूँ.... और मैं यह भी जनता हूँ... वक्त को आप अपने साथ लिए चलते हैं.... या यूँ कहूँ... वक्त आपके साथ चलता है....
भैरव - बहुत अच्छे... तुम पूरी खबर रखे हुए हो....
तहसीलदार - हाँ... यह हमारे प्रोफेशनल रिक्वेर्मेंट है.... वाकई... यशपुर में तो जैसे व्यक्त रुक गया है.... कछुए ली रफ्तार से रेंग रहा है...
भैरव - ह्म्म्म्म....
तहसीलदार - जबकि... वक्त के साथ दुनिया.... कहाँ से कहाँ पहुंच गया है....
भैरव - तुम्हारा वक्त क्या कह रहा है.... मिस्टर. तहसीलदार...

तहसीलदार - आप तो सबकी खबर रखते हैं.... बिना आपकी मर्जी के... यशपुर और राजगड़ में किसी भी सरकारी अधिकारी की पोस्टिंग हो ही नहीं सकती.... और राजा साहब मेरा वक्त कह रहा है..... मुझे बहुत पैसा कमा लेना चाहिए....
भैरव - हा हा हा हा... तुम बहुत ही शार्प हो... चलो एक एक स्ट्रोक हो जाए.... अपना क्लब चुन लो.... (कह कर भैरव एक बैग के तरफ इशारा करता है) भीमा...
भीमा - हुकुम....
भैरव - देखो तहसीलदार को क्या जरूरत पड़ेगी...
भीमा - जी हुकुम....
भीमा बॉल को सेट कर देता है, तहसीलदार अपना स्टैंड सही करता है और ऐम बना कर स्ट्रोक मारता है l भैरव सिंह ताली मारते हुए
- वाह... बहुत खूब.... बहुत अच्छे...
फिर भैरव एक क्लब लेता है और वह भी अपना स्ट्रोक खेलता है l
कलेक्टर - वाव... राजा साहब... माइंड ब्लोइंग....
भैरव - तुम भी कुछ कम नहीं हो....
तहसीलदार - नॉट गुड एज यु.... राजा साहब...

ज़वाब में भैरव सिंह मुस्करा देता है l
भैरव - (अपना हाथ मिलाने को बढ़ाते हुए) माय... कंप्लीमेंट...

तहसीलदार - ना राजा साहब... ना... मुझे अपनी हद व औकात की पहचान है.... मुझे आपके छत्रछाया में रह कर काम करना है... आपके हाथ के नीचे.... और आपसे हाथ मिलाने के लिए... या तो मुझे आपका दोस्त होना चाहिए.... या फिर आपके बराबर.... और यह दोनों.... इस जनम में तो होने से रहे.....
भैरव सिंह, के चेहरे पर मुस्कान गहरी हो गई l उसने अपना गोल्फ क्लब बैग में रख दिया और कलेक्टर के तरफ मुड़ कर कहा,
-वेलकम मिस्टर. नरोत्तम पत्रि एज मजिस्ट्रेट ऑफ यशपुर...
पत्रि- थैंक्यू... राजा साहब....
तभी एक नौकर हाथ में एक चांदी की थाली में वायर लेस फ़ोन लेकर दौड़ते हुए आता है और भैरव की ओर बढ़ाता है l
नौकर - राजा साहब... छोटी रानी जी.... महल से...
भैरव - (फोन उठा कर अपने कान मेँ लगाता है) हाँ बोलिए.... छोटी रानी...
सुषमा - प्रणाम.... राजा साहब... वह... बड़े राजा जी को सांस लेने मेँ... तकलीफ हो रही है.... कृपया.... डॉक्टर को खबर भिजवा दीजिए....
भैरव - ह्म्म्म्म (फोन काट कर नौकर को देते हुए) डॉक्टर को फोन लगाओ....
नौकर फोन लेकर डॉक्टर को लगाता है और फोन पर डॉक्टर के मिलते ही भैरव सिंह को बढ़ा देता है l
भैरव - हैलो... डॉक्टर... बड़े राजा जी की हालत थोड़ी नासाज़ है.... उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही..... जल्दी महल पहुंच कर उनके लिए कुछ बंदोबस्त करो....
इतना कह कर भैरव सिंह फोन काट देता है और नौकर को दे देता है l
पत्रि - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपने डॉक्टर के ज़वाब का इंतजार नहीं किया....
भैरव - हम किसीके सुनने की आदि नहीं हैं.... तकलीफ उसे है जो हमें ना सुने...
पत्रि - जी समझ गया... और गांठ भी बांध ली...
भैरव - बहुत अच्छे पत्रि..... एंड वन्स ऐगेन वेलकम... टू... राजगड़....

पत्रि - थैंक्यू राजा साहब... थैंक्यू... अ... लॉट....
भैरव - ह्म्म्म्म... अब तुम... जा सकते हो... पत्रि....
पत्रि - जी बेहतर.... थैंक्यू...
पत्रि अपनी गाड़ी के तरफ जाता है और गाड़ी में बैठ कर निकल जाता है l उसके जाने के बाद भीमा भैरव सिंह के पास आता है,
भीमा - हुकुम.... इसे यहाँ बुलाकर.... यह सब करने की क्या जरूरत थी....
भैरव - भीमा.... आज से तकरीबन आठ या नौ साल पहले.... याद है.... हमने... एक तहसीलदार को उसी के ऑफिस में... सबके सामने... उसीके पियोन के जुतोंसे पिटाई कारवाई थी....
भीमा - हाँ... याद है... हुकुम....
भैरव - तुझे याद है उस कलेक्टर का नाम....
भीमा - नहीं.... हुकुम...
भैरव - उसका नाम राधे श्याम पत्रि था..... यह उसका बेटा है....
भीमा - पर हुकुम.... उसे.. फिर आपने राजगड़ में उसे आने क्यूँ दिया....
भैरव - हम उसे टटोल रहे थे..... हम पहले ही उसका फाइल चेक कर चुके हैं.... यह अपने बाप के उलट... करप्ट और रंडीबाज है.... पर कहीं यह बाप के इगो के लिए यहाँ आया तो नहीं.... बस यही सोच कर उसे यहाँ बुलाया था....
वैसे भी जिंदगी में चैलेंजस होने चाहिए.... वरना कुछ मजा नहीं आयेगा.... इस पर नजर रखो...
भीमा - जी हुकुम....

तभी वह नौकर फ़िर से भागते हुए आता है और थाली को बढ़ाते हुए कहता है - छोटे राजा जी.... हुकुम...
भैरव सिंह थाली से फोन उठाता है - हैलो....
पिनाक - वह... राजा साहब... एक... गड़बड़ हो गई है....
भैरव की भौंहे तन जाती है और पूछता - किसके तरफ से....
पिनाक - हमारे तरफ से नहीं.... वह.... रंगा के तरफ से....
भैरव - कौन रंगा....
पिनाक - रंगा... वह जिसे... हमने... विश्व को तोड़ने के लिए जैल में डाला था....
भैरव - तो....
पिनाक - विश्व ने... रंगा पर हमला कर दिया.... और रंगा अभी हस्पताल में है...
भैरव - क्यूँ...... कैसे... विश्व ने रंगा को... आपने रंगा को आगाह नहीं किया था....... रंगा को विश्व से सावधान रहने को...... रंगा ने ऐसा क्या किया .......
पिनाक - विश्व को देख कर.... रंगा को जोश आ गया... इसलिए वह उसे... बार बार छेड़ने लगा था शायद.... जिससे विश्व ने...... प्रतिक्रिया में उस पर हमला कर दिया.....
भैरव - ह्म्म्म्म... तो फिर कुछ दिनों के लिए विश्व को भूल जाओ...
पिनाक - और रंगा....
भैरव - जो चूक जाए.... उसे थूक दो... अब वह हमारे किसी काम का नहीं है.... उसे भाड़ में भेजो...
पिनाक - मतलब...
भैरव - उसे... किसी सब-जैल में शिफ्ट करा दो... और उसे भी भूल जाओ.....
पिनाक - जी बेहतर....
इतना कहकर पिनाक फोन रख देता है l
पिनाक इस वक्त भुवनेश्वर में एक होटल के कमरे में है l उसके सामने एक वकील बैठा हुआ है l वकील को देख कर,
पिनाक - सुन बे काले कोट वाले.... उस रंगा को किसी दूसरे जैल में शिफ्ट कर दे....
वकील - जी... पर वह अब... हस्पताल में है....
पिनाक - तो हम क्या करें.... ज्यादा चूल मची थी.... हरामी के गांड में... सुलेमानी कीड़ा कुलबुला रहा था उसके गांड में... उसे... बोला गया था.... विश्व से सावधान रहे और धीरे धीरे अपने काम को अंजाम दे...... अगर इतना ही चूल मची थी तो बिना देरी किए.... अपना खुजली उतार लेना चाहिए था.... पर नहीं.... खुजली इतनी मची थी कि... इलाज कराने सीधे.... विश्व के पास गया.... अब विश्व ने उसका इलाज कर दी है.... साला हरामी.... अब ना सीधा ना टेढ़ा कैसे भी नहीं सो पा रहा है... बैठ भी नहीं सकता.... चला था विश्व के गांड मारने.... विश्व ने ऐसी मारी है... के साला उसे अब वह गांडु कहलाएगा.... इसलिए उसे किसी और जैल में शिफ्ट करा दो... बादमें देखते हैं.... विश्व का क्या करना है... जाओ...
वकील पिनाक का फ्रस्ट्रेशन भरा भाषण सुनने के बाद रुकना भी मुनासिब नहीं समझा l बिना देरी किए वहाँ से निकल गया l
उसके जाते ही इंटरकॉम में डायल करता है l दुसरे तरफ से हैलो की आवाज़ सुनते ही.,
पिनाक - आप दोनों जल्दी से फ्रेश हो जाएं फ़िर मेरे... मतलब हमारे कमरे में आयें.... (इतना कह कर इंटरकॉम रख देता है I

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जैल में विश्व नाश्ते के लिए डायनिंग हॉल में पहुंचता है l विश्व के वहाँ पहुँचते ही कुछ कैदी विश्वा भाई कहकर बुलाते हैं और सलाम करते हैं l

विश्व उनके सलाम का जवाब तो देता है पर उसे बड़ा अजीब लगता है l वह अपना थाली में नाश्ता ले कर जैसे ही मुड़ता है l कुछ कैदी उसे अपने टेबल पर बुलाते हैं l पर विश्व देखता है डैनी एक कोने में बैठा अपना नाश्ता कर रहा है, तो सीधे डैनी के टेबल पर पहुंच कर डैनी के सामने बैठ जाता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बड़ा नाम हो गया है तेरा.... सब इज़्ज़त दे रहे हैं तुझे....
विश्व - मुझे इनकी हरकत समझ में नहीं आ रहा है..... जब पहले दिन मैं टेबल ढूंढ रहा था... किसी ने अपने टेबल पर नहीं बुलाया था.... किसी किसी टेबल पर तो इशारे से ना आने को बोला था.... पर आज... सब मुझे अपने टेबल पर बुला रहे हैं....
डैनी - यही तो खेल है... प्यारे.... यह जो इज़्ज़त दे रहे हैं... असल में इनके अंदर का खौफ है... इस खौफ और इज़्ज़त के बीच एक बहुत पतली सी लाइन है.... इसे मेंटेन कर बनाए रखना.... वरना इनके आँखों से इज़्ज़त और खौफ उतरते देर नहीं लगेगी.....
विश्व - मुझे... इनसे इज़्ज़त नहीं लेनी...
डैनी - कल तक तु इस जंगल में एक सुवर था.... तुने एक शेर को ढेर कर दिया.... और अब तेरा इवोल्यूशन हो चुका है.... अब इस जंगल का तु एक शेर है.... और शेर शेर बना रहे यह शेर का धर्म है...
विश्व - (विश्व एक हंसी हंसकर) क्या वक्त आ गया.... इंसानों को अब इंसानी पहचान के वजाए..... जानवरों की पहचान से पहचाना जा रहा है....
डैनी - यही सच है.... कहने को सब इंसान हैं..... मगर सब के सब इंसानी खोल में छुपे जानवर हैं.... और हर कोई इस इंसानी समाज रूपी जंगल में अपना राज कायम करना चाहता है.... कोई धर्म के नाम पर, कोई मजहब के नाम पर, कोई जाति वाद पर कोई समाज वाद के नाम पर, कोई साम्यवाद के नाम पर, कोई एकछत्र वाद पर और कोई गणतंत्र के नाम पर .... बस किसी तरह से इंसानी रूपी जानवर पर शेर बन कर राज करना चाहता है.....
विश्व - मुझे ऐसे समाज का हिस्सा नहीं बनना...
डैनी - यह तुम्हारा भ्रम... है... पूरे संसार में ऐसा कोई समाज नहीं है... जहां इंसानी रूपी जानवर ना रहाता हो.... प्रकृति का नियम है.... मरे हुए को चींटी खाती है... चींटी को टिड्डी, टिड्डी को मेढ़क, मेढ़क को सांप, सांप को नेवला, नेवले को भेड़िया, भेड़िया को बाघ.... यह समाज जहां हम रह रहे हैं.... यह भी इस नियम से अछूता नहीं है...... यहां अपने से कमजोर पर राज करने के लिए हर कोई तैयार रहता है....
हर तरफ सिर्फ़ प्यार विश्वास बसता हो....
हाँ ऐसा समाज मुमकिम हो सकता है.... बशर्ते वहां सिर्फ़ इंसान ही बसते हों.....


विश्व खामोश हो जाता है, पर डैनी का नाश्ता खतम हो चुका था, वह अपनी थाली लेकर वहाँ से चला जाता है, पर विश्व वहीँ बैठा डैनी के बातों के गहराई को अनुभव कर रहा है l

अपने चैम्बर में तापस बैठा कुछ फाइलों पर काम कर रहा है l तभी जगन वहाँ आता है और एक काग़ज़ की पर्ची देता है l काग़ज़ की पर्ची पर वैदेही महापात्र लिखा हुआ है l कुछ सोचने के बाद तापस जगन को कहता है -
- जाओ उसे ले आओ यहाँ....
जगन बाहर चला जाता है और थोड़ी देर बाद तापस के चैम्बर में वैदेही आती है l
तापस - आओ वैदेही... आओ बैठो....
वैदेही - नहीं सर... मैं ठीक हुँ...
तापस - अरे.. तुम... तुम कोई मुज़रिम नहीं हो... तुम आम नागरिक हो... बैठो तो सही.... वरना मुझे खड़ा होना पड़ेगा....
वैदेही - ठीक है... सर... मैं... बैठ जाती हूँ.... (कह कर बैठ जाती है)
तापस - तो... तुम अपने भाई से मिलने आई हो....
वैदेही - नहीं सर नहीं... मैं बस उसे एक नजर देख कर चली जाना चाहती हूँ....
तापस - क्यूँ.... क्यूँ नहीं मिलना चाहती.....
वैदेही के आँखों में आँसू आ जाते हैं l
वैदेही - उसे मैं.. डॉक्टर बनते देखना चाहती थी... पर भाग्य को मंजूर ना था... तो उसे सरपंच बनते देखा तो सोचा.... डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज ना कर पाया तो क्या हुआ.... सरपंच बन कर अपने लोगों के दुखों का कष्टों का इलाज तो कर पाएगा.... पर भाग्य को यह भी मंजूर नहीं हुआ... आज एक अपराधी के रूप में इस जैल में है....
तापस - तो तुम इसलिए उससे नहीं मिलना चाहती..... सिर्फ़ दूर से एक नजर देख कर चली जाना चाहती हो...
वैदेही - हाँ सर.... माँ ने इसे पैदा कर मेरे ही हाथों में सौंप कर चल बसी थी... मैं इसे माँ, दीदी और गुरु बन कर पाल पोष कर बड़ा किया.... पर यह दिन देखने के लिए तो नहीं.... उसकी ऐसी हालत देखने के लिए तो नहीं....

तापस को उसके दर्द का एहसास होता है, वह एक गहरी सांस छोड़ कर वैदेही को पूछता है,
- ह्म्म्म्म क्या तुम... अपने भाई को देखना चाहोगी....
वैदेही अपना सर हिला कर अपना सम्मति देती है l तापस उसे इशारे से अपने पीछे आने को कहता है l वैदेही उसके पीछे चल देती है और दोनों ऑफिस के दूसरे माले पर पहुंचते हैं l
वैदेही देखती है एक लंबा सा टेबल बीच कमरे में पड़ी है, कम से कम पच्चीस तीस कुर्सियां पड़ी हुई हैं, बीच दीवार पर एक टीवी लगी है, और कमरे अलमारियां भरी हुई हैं और हर आलमारी किताबों से भरी हुई है l
तापस-(वैदेही को कमरे को ऐसे घूरते हुए देख) यह इस जैल की लाइब्रेरी है.... पढ़ कर समय व्यतीत करने के लिए यह लाइब्रेरी बनाई गई.... ह्यूमन राइट्स वालों की डिमांड पर... पर अफ़सोस.... कोई भी यहां नहीं आता....
तापस एक खिड़की के पास खड़े हो कर कॉटन को हल्का सा खिंचता है, फ़िर वैदेही को पास बुलाता है और दूर विश्व को कोई काम करते हुए दिखाता है l विश्व को देखते ही वैदेही के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है पर अगले ही क्षण उसके चेहरे पर मायूसी छा जाती है l
वैदेही - कितना... भोला... कितना मासूम लग रहा है... मेरा भाई.... भगवान करे वह ऐसे ही हमेशा रहे.....
तापस - नहीं वैदेही.... विश्व जब जैल से निकलेगा.... मुझे अफ़सोस हो रहा है... यह कहते हुए.... वह ना मासूम रहेगा ना भोला....
वैदेही - यह आप.... क्या कह रहे हैं सर....
तापस - मैं सच कह रहा हूँ वैदेही.... हाल के दिनों में क्या हुआ है उसके साथ.... और मैं कहना भी नहीं चाहता... तुम नहीं जानती.... इस जैल में हर कदम पर... हर मोड़ पर उसे तरह तरह के लोग मिलते रहेंगे..... और हर मिलने वाला उससे उसकी मासूमियत और भोला पन को निचोड़ता रहेगा... और जिस दिन वह अपनी सजा काट कर बाहर निकलेगा.... तब वह तुम्हारा मासूम और भोला विश्व नहीं रहेगा.... पता नहीं क्या हो गया होगा.....
वैदेही तापस को एक टक देखे जा रही है, तापस जब वापस वैदेही को देखता है तो वैदेही के आँखों में कुछ पढ़ने की कोशिश करता है l
वैदेही अपनी नजर हटा लेती है और खिड़की से विश्व को देखते हुए तापस से कहती है
- अगर नियति को यही मंजूर है..... तो यही सही.... वह भोला और मासूम बना रहा... इसलिए आज उसकी यह हालत है.... अगर वह भोला और मासूम ना होता तो कहानी कुछ और ही होती ना सर....
तापस वैदेही के आक्रोश को अंदर तक महसूस करता है l

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कुछ देर बाद पिनाक के कमरे के दरवाजे पर धक्का लगता है और उस कमरे में एक नौजवान और एक किशोर प्रवेश करते हैं l
पिनाक - आओ आओ युवराज... आओ राजकुमार....
(यह दोनों सात साल पहले वाले विक्रम और वीर हैं)
विक्रम - छोटे राजा जी... हमे यूँ.. अचानक कलकत्ते से क्यूँ बुलाया गया.... हमे कुछ समझ में नहीं आया....
पिनाक - वही समझाने तो आप लोगों को यहां पर बुलाया गया है.... बैठिए आप दोनों....
विक्रम और वीर दोनों पास के सोफ़े पर बैठ जाते हैं l
पिनाक - युवराज आप अभी बीस वर्ष के हैं...
और वीर आप सत्रह वर्ष के....
सो युवराज आपकी कॉमर्स की ग्रैजुएशन ख़त्म होने को है.... और राजकुमार आपका इंटर का भी यह आखरी साल है.... पर आप दोनों आपका अपना पढ़ाई अब यहीं पर खतम करेंगे....
दोनों भाई एक दूसरे को देखते हुए - क्या.... पर क्यूँ....
पिनाक - बड़े राजा जी ने... हम तीनों को मिशन दिया है... जिसे हम तीनों मिलकर पुरा करना है.....
विक्रम - कैसा मिशन...
पिनाक - अब आप न्यूज चैनल्स के ज़रिए समझ चुके होंगे.... हम अभी रूलिंग पार्टी की सदस्यता ली है....
विक्रम - जी....
पिनाक - वह इसलिए.... के आने वाले दो साल बाद.... हमे भुवनेश्वर सहर का मेयर बनना है....
विक्रम - क्या.... राजगड़ से बाहर.... राजनीतिक पदवी.... पर क्यूँ...
पिनाक - कुछ हालात ऐसे बन गए हैं... की हमे खुदको राजगढ़ में सीमित रखना असंभव हो गया है.... यह राजधानी है... समूचे राज्य के राजनीतिक गड़.... यहाँ पर नजर भी रखना है... और पीछे रहकर परिचालन भी करना है...
विक्रम - ठीक है.... आपका तो समझ में आ गया.... हमे क्या करना होगा....
पिनाक - आप दोनों को ******* कॉलेज में एडमिशन लेनी होगी.. आगे की पढ़ाई के लिए....
विक्रम - और... कॉलेज में... हमे क्या करना होगा.....
पिनाक - आपको कॉलेज में इलेक्शन लड़ना होगा.... स्टूडेंट्स यूनियन का प्रेसिडेंट बनना होगा....
विक्रम - उससे... होगा क्या...
पिनाक - युवराज.... हमे लक्ष दिया गया है.... दो साल बाद मेयर बनने के लिए.... और आपको सारे स्टूडेंट्स को लीड करना है.... फिर पार्टी में.... युवा मंच का चेहरा बनना है.... उसका अध्यक्ष बनना है....
वीर - और मेरा क्या काम है.....
पिनाक - आप युवराज जी को फॉलो करेंगे... उनके बाद कॉलेज के यूनियन के प्रेसिडेंट बनेंगे... और हाँ आइंदा ध्यान रहे... बड़े राजा जी या राजा साहब जी के सामने मैं, या तुम हरगिज़ मत कहिएगा... सिर्फ हम या आप...
वीर - ठीक है....
विक्रम - इस साल हम कॉलेज में जॉइन करेंगे... और इसी साल हमे स्टूडेंट्स इलेक्शन जितना भी होगा....
पिनाक - हाँ... युवराज... क्यूंकि कॉलेज से ही नई पीढ़ी वोट देने निकलती है... उसी नई पीढ़ी के हीरो बनना है आपको.... बाई हूक ओर क्रुक.... आप अपने कॉलेज के बॉक्सिंग चैंपियन रहे हैं... इसलिए उस जरिए भी आपको काम लेना होगा....
विक्रम - क्या यह आपको इतना आसान लगता है....
पिनाक - नहीं बिल्कुल भी नहीं.... पर जो आसानी से हो जाए... उसे करने में मजा ही क्या....
विक्रम - किसीकी बने बनाए खेल में घुस कर अपने नाम करना है... किसीका जमाया हुआ सिक्का अपने नाम करना है... वह भी एक साल में...
पिनाक - हाँ.... युवराज... आप क्षेत्रपाल हैं.... यह ना भूलें.... आज हमारे वंश का एक महा मंत्र आप दोनों को प्रदान करता हूं.... क्षेत्रपाल परिवार के पुरुषों के हाथ कभी आकाश की ओर नहीं होती..... सिर्फ ज़मीन की ओर होती है.... हम कुछ दे सकते हैं या फिर छीन सकते हैं.... पर हाथ ऊपर कर मांग नहीं सकते.... इसलिए चाहे कोई भी हो..... जिसका बना बनाया या जमाया हुआ सिक्का... आपको छिनना है.... कैसे यह आप तय करें....
विक्रम यह सब सुनने के बाद एक गहरी सांस लेता है और चल कर खिड़की के पास खड़ा होता है l नीचे जाते हुए गाड़ियों को देखता है l
पिनाक उसके पास आकर खड़ा होता है l
पिनाक - क्या सोचने लगे युवराज....
विक्रम - इस सहर पर राज करना है.... पर कैसे और कहाँ से शुरू करें....
पिनाक - राजगढ़ में जैसा है वैसे तो बिल्कुल नहीं..... सबके मन में खौफ को इज़्ज़त के साथ बिठाना है.... खौफ और इज़्ज़त के बीच एक पतली सी लाइन होनी चाहिए.....
विक्रम पिनाक की ओर देखता है और फिर कमरे में चहल कदम करने लगता है l पिनाक आकर वीर के पास बैठ जाता है और इंटरकॉम में तीन चाय के लिए ऑर्डर करता है l

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वैदेही जा चुकी है, तापस वैदेही को बाहर छोड़ कर अपने चैम्बर की ओर जा रहा है l तभी उसकी मोबाइल बजने लगता है l मोबाइल निकाल कर देखता है तो उसे स्क्रीन पर प्रतिभा का नाम दिखता है तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l फोन उठा कर - हैलो जान....
प्रतिभा - एक खबर है.... शायद आपको खुश करदे....
तापस को शरारत सूझती है - मुझे खुश करदे.... वाव... अररे.... जान घर पर नया मेहमान आने वाला है... वाव... मुझे तो तुम्हारे फोन से ही मालुम हो गया है.... के मुझे यह खुश खबरी सिर्फ़ अपने स्टाफ वालों से ही नहीं..... बल्कि पूरे मोहल्ले में मिठाई बंटवा देता हूं.... प्रत्युष को भी खबर कर देता हूँ.... आख़िर इतने सालों बाद खुशी का मौका हाथ लगा है....
प्रतिभा - (गुस्से से) हो गया...
तापस - अररे अभी कहाँ.... मैंने जगन के हाथों से मिठाई.. अभी तक मंगवाया नहीं है....
प्रतिभा - (अपनी दांत पिसते हुए) अगर अभी आप चुप नहीं हुए.... तो आज ड्रॉइंग रूम में सोईयेगा....
तापस - इतनी छोटी गुस्ताखी के लिए.... इतना बड़ा सजा.....
प्रतिभा - मैं... अब... अपना फोन काटती हूँ...
तापस - अरे.... गुस्सा... थूक दो.... यार थोड़ा मज़ाक कर रहा था..... सुबह से इधर उधर की सोच सोच कर टेंशन में था.... तुमसे बात की.... तो सारा टेंशन दूर हो गया....
प्रतिभा - ठीक है... ठीक है.....
तापस - अरे यार... थोड़ा मुस्कराते हुए.... कहो ना...

प्रतिभा - हाँ तो सुनो..... तुम्हारे जैल में जो कांड हुआ है ना.... विश्व और रंगा वाला.....
तापस - हाँ क्या हुआ....
प्रतिभा - अरे कुछ नहीं.... उस रंगा का वकील.... रंगा के झारपडा सब जैल को शिफ्ट कराने के लिए पीटीशन फाइल किया है....
तापस - ओह.... उसने वजह क्या डाला है....
प्रतिभा - यही तो खुशी की बात है......... उसने वजह हेल्थ लिखा है..... कोई सेक्यूरिटी की बात लिखी नहीं है.... और यह भी लिखा है.... डॉक्टर के फिटनेस सर्टिफिकेट देने के तुरंत बाद सेंट्रल जैल के बजाय सीधे... झारपडा सब जैल को शिफ्ट कराया जाए.....
तापस - यह वाकई.... बहुत अच्छी खबर दी है तुमने....
प्रतिभा - अच्छा ठीक है.... फोन रखती हूँ.... अब.... और हाँ शाम को मिठाई तैयार रखना....
तापस - क्यूँ... मौहल्ले में बंटवाना है क्या....
प्रतिभा - आ..... ह..... आज तो तुम्हें... मैं बेड रूम में घुसने नहीं दूंगी....
इतना कह कर प्रतिभा फोन काट देती है l तापस के चेहरे पर एक शरारत भरा मुस्कान नाच रही है l फोन रख कर मुड़ा तो देखा उसके पास दास खड़ा है l
तापस - अरे दास... आओ... एक अच्छी खबर है...
फिर तापस दास को रंगा के शिफ्ट होने की बात बताता है l
दास - यह अच्छी खबर तो है..... पर....
तापस - पर क्या दास...
दास - सर... सॉरी फॉर अब्युसिव लैंग्वेज... बट.... विथ योर परमिशन... सर....
तापस दास को घूर के देखता है फ़िर अपना सर हिलाते हुए - ओके दास... कंटिन्यु....
दास - सर थ्योरी के हिसाब से बात दिल की होती है.... पर लोग प्रैक्टिकल में लोग गांड की बात करते हैं....
तापस - (आवाज़ को कड़क करते हुए) दास.....
दास - सर इसीलिए तो आपसे..
परमिशन ली थी....
तापस - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) ह्म्म्म्म.... ठीक है..... आगे बोलो......
दास - सर अगर दिल कमजोर हो तो.... किसी किसी परिस्थिति में डर लगना स्वाभाविक है.... यह थ्योरी है.... पर लोग प्रैक्टिकल में गांड फटना कहते हैं....
दास ने जिस तरह से कहा तापस की हंसी छूट जाती है l पर दास नहीं हंस रहा है, तो तापस इशारे में आगे बोलने को कहता है l
दास - और सर अगर कोई डर को जीत जाता है.... आई मिन हरा देता है... तो थ्योरी के हिसाब से दिल मजबुत होना कहते हैं.... पर प्रैक्टिकली लोग गांड में दम होना कहते हैं....
तापस - (अपनी हंसी को रोकते हुए) ह्म्म्म्म तो....
दास - सर अब आते हैं असली मुद्दे पर.... रंगा अपने इलाके में मशहूर था.... आख़िर अपने इलाके का नामचीन पहलवान था.... फिर गुंडागर्दी में नाम और रुतबा कमाया....
तापस अब दास को सिरीयस हो कर सुनने लगा l
दास - रंगा का सब कुछ सही जा रहा था... के उसके गांड के दम में विश्व ने आधा इंच गहरा और चार साढ़े चार इंच चीरा मार दिया...
एक ऐसी जगह.... जहां का तकलीफ ना रंगा खुद देख पा रहा है.... ना आगे चलकर किसीको दिखा पाएगा....
तापस - तुम कहना क्या चाहते हो दास.....
दास - यही.... के विश्व ने रंगा की गांड फाड़ दी है प्रैक्टिकली...
तापस - दास... आखिर कहाना क्या चाहते हो......
दास - रंगा.... वापस आएगा सर.... विश्व से बदला लेने.... अभी तो नहीं.... पर आएगा जरूर.... अपना रौब और रुतबा फिरसे कायम करने..... और तब शायद जैल में एक खूनी मंज़र देखने को मिले.....
तापस के माथे पर अब चिंता दिखने लगता है

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होटल के कमरे में वीर बेड पर लेटा हुआ है, विक्रम एक कोने से दूसरे कोने तक चहल कदम कर रहा है और पिनाक एक सोफ़े पर बैठा हुआ है l
पिनाक - युवराज जी... चाय नाश्ता खतम हो चुका है.... कुछ सोच लिए हों... तो प्रकाश करें...
विक्रम - छोटे राजा जी आप हमसे क्या चाहते हैं....
पिनाक - यहाँ के पुराने खिलाड़ियों के बसे बसाये को उजाड़ना और जमे जमाये को हथियाना है....
विक्रम - और यह सब तब होगा... जब इस सहर में हमारा सिक्का चलेगा.... राइट्
पिनाक - राइट्....
विक्रम - और उसके लिए... हमे डेयर एंड डेविल होना पड़ेगा...
पिनाक - राइट्...
विक्रम - इसका मतलब यह हुआ कि.... हमे इस सहर में.... एक पैरालाल सरकार चलानी है...
पिनाक - राइट्....
विक्रम - तो फिर उसके लिए हमे एक डेविल हाउस चाहिए.... ठीक राज भवन के विपरीत दिशा में.... पर सहर के बीचों-बीच.... जहां दो मीटिंग हॉल होने चाहिए.... एक प्राइवेट मीटिंग हॉल... जो नॉर्मली हर घर में होती है.... और एक पब्लिक मीटिंग हॉल जो घर के साथ अटैच हो.... और उस घर के बगल में एक जीम भी हो.....
पिनाक - ह्म्म्म्म पहली बॉल पर छक्का... गुड...
पिनाक - डेविल हाउस का नाम होगा "द हेल"...
वीर - वाव... क्या बात है...
पिनाक - आप शांत रहेंगे.... राजकुमार जी....
विक्रम - डेयर एंड डेविल के लिए एक डेविल आर्मी चाहिए.... वह भी ऑफिसीयल रजिस्टर्ड....

पिनाक - मतलब.....
विक्रम - हम एक प्राइवेट सेक्योरिटी संस्था बनाएंगे.... आज कल बड़े बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस, बड़े बड़े बैंक, बड़े बड़े हस्पताल, बड़े बड़े होटल सब प्राइवेट सेक्यूरिटी एडोप्ट करते हैं....
तो हम भी प्राइवेट सेक्यूरिटी संस्था बनाएंगे और सबको सुरक्षा प्रदान करेंगे.... पर असल में वह हमारी आर्मी होगी....
पिनाक - वाह क्या बात है.... अब तो आपने सेंचुरी मार दी.....
विक्रम - हम जो प्राइवेट आर्मी बनाएंगे.... उसकी ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर भी होगी.... जिसके जरिए हम अपनी आर्मी को सबसे सक्षम बनाएंगे.... जिसकी अपनी इंटेलिजंस विंग भी होगी.... आज की डेट में किसी भी सरकारी एजेंसी को मात दे दे... हम अपनी आर्मी को उतना कॉम्पिटेटीव बनाएंगे....
पिनाक - (ताली मारते हुए) बहुत दूर की सोची है.... शाबाश....
वीर - पर यह इतना आसान नहीं है....
पिनाक - आपको क्यूँ तकलीफ़ हो रही है....
वीर - मुझे नहीं अब आपको होगी.... सेक्योरिटी संस्था का रजिस्ट्रेशन आसान नहीं होता.... उसके लिए एक्स आर्मी पर्सन या किसी बड़े ओहदे वाले एक्स पुलिस पर्सन की जरूरत पड़ेगी....
विक्रम - हाँ यह तो सच है....
पिनाक - तो उसका जुगाड़....
विक्रम - आप पहले घर की तलाश कीजिए.... बाकी मैं तलाशता हूँ....
वीर - और हम... हम क्या करें....
पिनाक - जस्ट फॉलो योर युवराज....
Biswa ko apni life me age badhne k liye fanny ka bahut important role raha he.Bhai flashbacks ki aur kitna update hoga.??
Update bahut sundar thilla.,❤ ❤ ✌✌✌
 

Kala Nag

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Biswa ko apni life me age badhne k liye fanny ka bahut important role raha he.Bhai flashbacks ki aur kitna update hoga.??
Update bahut sundar thilla.,❤ ❤ ✌✌✌
फ्लैश बैक ज्यादा लंबा नहीं है और थोड़ा सा ही है l विश्व अब मानसिक रूप से मजबूत बना है, उसे अब शारीरिक रूप से भी मजबूत बनना होगा
 

Jaguaar

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एक बड़ा सा गल्फ कोर्ट है, बहुत बड़ा तो नहीं है, पर छोटा भी नहीं है l हरे रंग के मैदान को हरे रंग के नेट से चारो ओर से घेर रखा गया है l वहीँ मैदान के एक कोने में एक बड़ा सा छाता गड़ा हुआ है l उस छाते के साये के नीचे भैरव सिंह एक सिंहासन नुमा कुर्सी पर दोनों हाथों को फैला कर और बाएं पैर पर पैर रख कर बैठा हुआ है l उसके पास भीमा और भीमा के सारे साथी भैरव सिंह के आसपास खड़े हुए हैं l
तब एक लक्जरी कार आकर मैदान के बाहर रुकती है l एक आदमी उस कार में से उतरता है और सीधे भैरव सिंह के पास जा कर पहुंचता है l
उसे देखते ही भैरव सिंह अपना घड़ी देखता है और मुस्करा देता है l
भैरव - आओ ... तहसीलदार ... आओ... वक्त के बड़े पाबंद हो... बिल्कुल घड़ी के सुई की साथ चलते हो....
तहसीलदार - जी राजा साहब.... मैं हमेशा वक्त के साथ चलता हूँ.... और मैं यह भी जनता हूँ... वक्त को आप अपने साथ लिए चलते हैं.... या यूँ कहूँ... वक्त आपके साथ चलता है....
भैरव - बहुत अच्छे... तुम पूरी खबर रखे हुए हो....
तहसीलदार - हाँ... यह हमारे प्रोफेशनल रिक्वेर्मेंट है.... वाकई... यशपुर में तो जैसे व्यक्त रुक गया है.... कछुए ली रफ्तार से रेंग रहा है...
भैरव - ह्म्म्म्म....
तहसीलदार - जबकि... वक्त के साथ दुनिया.... कहाँ से कहाँ पहुंच गया है....
भैरव - तुम्हारा वक्त क्या कह रहा है.... मिस्टर. तहसीलदार...

तहसीलदार - आप तो सबकी खबर रखते हैं.... बिना आपकी मर्जी के... यशपुर और राजगड़ में किसी भी सरकारी अधिकारी की पोस्टिंग हो ही नहीं सकती.... और राजा साहब मेरा वक्त कह रहा है..... मुझे बहुत पैसा कमा लेना चाहिए....
भैरव - हा हा हा हा... तुम बहुत ही शार्प हो... चलो एक एक स्ट्रोक हो जाए.... अपना क्लब चुन लो.... (कह कर भैरव एक बैग के तरफ इशारा करता है) भीमा...
भीमा - हुकुम....
भैरव - देखो तहसीलदार को क्या जरूरत पड़ेगी...
भीमा - जी हुकुम....
भीमा बॉल को सेट कर देता है, तहसीलदार अपना स्टैंड सही करता है और ऐम बना कर स्ट्रोक मारता है l भैरव सिंह ताली मारते हुए
- वाह... बहुत खूब.... बहुत अच्छे...
फिर भैरव एक क्लब लेता है और वह भी अपना स्ट्रोक खेलता है l
कलेक्टर - वाव... राजा साहब... माइंड ब्लोइंग....
भैरव - तुम भी कुछ कम नहीं हो....
तहसीलदार - नॉट गुड एज यु.... राजा साहब...

ज़वाब में भैरव सिंह मुस्करा देता है l
भैरव - (अपना हाथ मिलाने को बढ़ाते हुए) माय... कंप्लीमेंट...

तहसीलदार - ना राजा साहब... ना... मुझे अपनी हद व औकात की पहचान है.... मुझे आपके छत्रछाया में रह कर काम करना है... आपके हाथ के नीचे.... और आपसे हाथ मिलाने के लिए... या तो मुझे आपका दोस्त होना चाहिए.... या फिर आपके बराबर.... और यह दोनों.... इस जनम में तो होने से रहे.....
भैरव सिंह, के चेहरे पर मुस्कान गहरी हो गई l उसने अपना गोल्फ क्लब बैग में रख दिया और कलेक्टर के तरफ मुड़ कर कहा,
-वेलकम मिस्टर. नरोत्तम पत्रि एज मजिस्ट्रेट ऑफ यशपुर...
पत्रि- थैंक्यू... राजा साहब....
तभी एक नौकर हाथ में एक चांदी की थाली में वायर लेस फ़ोन लेकर दौड़ते हुए आता है और भैरव की ओर बढ़ाता है l
नौकर - राजा साहब... छोटी रानी जी.... महल से...
भैरव - (फोन उठा कर अपने कान मेँ लगाता है) हाँ बोलिए.... छोटी रानी...
सुषमा - प्रणाम.... राजा साहब... वह... बड़े राजा जी को सांस लेने मेँ... तकलीफ हो रही है.... कृपया.... डॉक्टर को खबर भिजवा दीजिए....
भैरव - ह्म्म्म्म (फोन काट कर नौकर को देते हुए) डॉक्टर को फोन लगाओ....
नौकर फोन लेकर डॉक्टर को लगाता है और फोन पर डॉक्टर के मिलते ही भैरव सिंह को बढ़ा देता है l
भैरव - हैलो... डॉक्टर... बड़े राजा जी की हालत थोड़ी नासाज़ है.... उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही..... जल्दी महल पहुंच कर उनके लिए कुछ बंदोबस्त करो....
इतना कह कर भैरव सिंह फोन काट देता है और नौकर को दे देता है l
पत्रि - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपने डॉक्टर के ज़वाब का इंतजार नहीं किया....
भैरव - हम किसीके सुनने की आदि नहीं हैं.... तकलीफ उसे है जो हमें ना सुने...
पत्रि - जी समझ गया... और गांठ भी बांध ली...
भैरव - बहुत अच्छे पत्रि..... एंड वन्स ऐगेन वेलकम... टू... राजगड़....

पत्रि - थैंक्यू राजा साहब... थैंक्यू... अ... लॉट....
भैरव - ह्म्म्म्म... अब तुम... जा सकते हो... पत्रि....
पत्रि - जी बेहतर.... थैंक्यू...
पत्रि अपनी गाड़ी के तरफ जाता है और गाड़ी में बैठ कर निकल जाता है l उसके जाने के बाद भीमा भैरव सिंह के पास आता है,
भीमा - हुकुम.... इसे यहाँ बुलाकर.... यह सब करने की क्या जरूरत थी....
भैरव - भीमा.... आज से तकरीबन आठ या नौ साल पहले.... याद है.... हमने... एक तहसीलदार को उसी के ऑफिस में... सबके सामने... उसीके पियोन के जुतोंसे पिटाई कारवाई थी....
भीमा - हाँ... याद है... हुकुम....
भैरव - तुझे याद है उस कलेक्टर का नाम....
भीमा - नहीं.... हुकुम...
भैरव - उसका नाम राधे श्याम पत्रि था..... यह उसका बेटा है....
भीमा - पर हुकुम.... उसे.. फिर आपने राजगड़ में उसे आने क्यूँ दिया....
भैरव - हम उसे टटोल रहे थे..... हम पहले ही उसका फाइल चेक कर चुके हैं.... यह अपने बाप के उलट... करप्ट और रंडीबाज है.... पर कहीं यह बाप के इगो के लिए यहाँ आया तो नहीं.... बस यही सोच कर उसे यहाँ बुलाया था....
वैसे भी जिंदगी में चैलेंजस होने चाहिए.... वरना कुछ मजा नहीं आयेगा.... इस पर नजर रखो...
भीमा - जी हुकुम....

तभी वह नौकर फ़िर से भागते हुए आता है और थाली को बढ़ाते हुए कहता है - छोटे राजा जी.... हुकुम...
भैरव सिंह थाली से फोन उठाता है - हैलो....
पिनाक - वह... राजा साहब... एक... गड़बड़ हो गई है....
भैरव की भौंहे तन जाती है और पूछता - किसके तरफ से....
पिनाक - हमारे तरफ से नहीं.... वह.... रंगा के तरफ से....
भैरव - कौन रंगा....
पिनाक - रंगा... वह जिसे... हमने... विश्व को तोड़ने के लिए जैल में डाला था....
भैरव - तो....
पिनाक - विश्व ने... रंगा पर हमला कर दिया.... और रंगा अभी हस्पताल में है...
भैरव - क्यूँ...... कैसे... विश्व ने रंगा को... आपने रंगा को आगाह नहीं किया था....... रंगा को विश्व से सावधान रहने को...... रंगा ने ऐसा क्या किया .......
पिनाक - विश्व को देख कर.... रंगा को जोश आ गया... इसलिए वह उसे... बार बार छेड़ने लगा था शायद.... जिससे विश्व ने...... प्रतिक्रिया में उस पर हमला कर दिया.....
भैरव - ह्म्म्म्म... तो फिर कुछ दिनों के लिए विश्व को भूल जाओ...
पिनाक - और रंगा....
भैरव - जो चूक जाए.... उसे थूक दो... अब वह हमारे किसी काम का नहीं है.... उसे भाड़ में भेजो...
पिनाक - मतलब...
भैरव - उसे... किसी सब-जैल में शिफ्ट करा दो... और उसे भी भूल जाओ.....
पिनाक - जी बेहतर....
इतना कहकर पिनाक फोन रख देता है l
पिनाक इस वक्त भुवनेश्वर में एक होटल के कमरे में है l उसके सामने एक वकील बैठा हुआ है l वकील को देख कर,
पिनाक - सुन बे काले कोट वाले.... उस रंगा को किसी दूसरे जैल में शिफ्ट कर दे....
वकील - जी... पर वह अब... हस्पताल में है....
पिनाक - तो हम क्या करें.... ज्यादा चूल मची थी.... हरामी के गांड में... सुलेमानी कीड़ा कुलबुला रहा था उसके गांड में... उसे... बोला गया था.... विश्व से सावधान रहे और धीरे धीरे अपने काम को अंजाम दे...... अगर इतना ही चूल मची थी तो बिना देरी किए.... अपना खुजली उतार लेना चाहिए था.... पर नहीं.... खुजली इतनी मची थी कि... इलाज कराने सीधे.... विश्व के पास गया.... अब विश्व ने उसका इलाज कर दी है.... साला हरामी.... अब ना सीधा ना टेढ़ा कैसे भी नहीं सो पा रहा है... बैठ भी नहीं सकता.... चला था विश्व के गांड मारने.... विश्व ने ऐसी मारी है... के साला उसे अब वह गांडु कहलाएगा.... इसलिए उसे किसी और जैल में शिफ्ट करा दो... बादमें देखते हैं.... विश्व का क्या करना है... जाओ...
वकील पिनाक का फ्रस्ट्रेशन भरा भाषण सुनने के बाद रुकना भी मुनासिब नहीं समझा l बिना देरी किए वहाँ से निकल गया l
उसके जाते ही इंटरकॉम में डायल करता है l दुसरे तरफ से हैलो की आवाज़ सुनते ही.,
पिनाक - आप दोनों जल्दी से फ्रेश हो जाएं फ़िर मेरे... मतलब हमारे कमरे में आयें.... (इतना कह कर इंटरकॉम रख देता है I

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जैल में विश्व नाश्ते के लिए डायनिंग हॉल में पहुंचता है l विश्व के वहाँ पहुँचते ही कुछ कैदी विश्वा भाई कहकर बुलाते हैं और सलाम करते हैं l

विश्व उनके सलाम का जवाब तो देता है पर उसे बड़ा अजीब लगता है l वह अपना थाली में नाश्ता ले कर जैसे ही मुड़ता है l कुछ कैदी उसे अपने टेबल पर बुलाते हैं l पर विश्व देखता है डैनी एक कोने में बैठा अपना नाश्ता कर रहा है, तो सीधे डैनी के टेबल पर पहुंच कर डैनी के सामने बैठ जाता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बड़ा नाम हो गया है तेरा.... सब इज़्ज़त दे रहे हैं तुझे....
विश्व - मुझे इनकी हरकत समझ में नहीं आ रहा है..... जब पहले दिन मैं टेबल ढूंढ रहा था... किसी ने अपने टेबल पर नहीं बुलाया था.... किसी किसी टेबल पर तो इशारे से ना आने को बोला था.... पर आज... सब मुझे अपने टेबल पर बुला रहे हैं....
डैनी - यही तो खेल है... प्यारे.... यह जो इज़्ज़त दे रहे हैं... असल में इनके अंदर का खौफ है... इस खौफ और इज़्ज़त के बीच एक बहुत पतली सी लाइन है.... इसे मेंटेन कर बनाए रखना.... वरना इनके आँखों से इज़्ज़त और खौफ उतरते देर नहीं लगेगी.....
विश्व - मुझे... इनसे इज़्ज़त नहीं लेनी...
डैनी - कल तक तु इस जंगल में एक सुवर था.... तुने एक शेर को ढेर कर दिया.... और अब तेरा इवोल्यूशन हो चुका है.... अब इस जंगल का तु एक शेर है.... और शेर शेर बना रहे यह शेर का धर्म है...
विश्व - (विश्व एक हंसी हंसकर) क्या वक्त आ गया.... इंसानों को अब इंसानी पहचान के वजाए..... जानवरों की पहचान से पहचाना जा रहा है....
डैनी - यही सच है.... कहने को सब इंसान हैं..... मगर सब के सब इंसानी खोल में छुपे जानवर हैं.... और हर कोई इस इंसानी समाज रूपी जंगल में अपना राज कायम करना चाहता है.... कोई धर्म के नाम पर, कोई मजहब के नाम पर, कोई जाति वाद पर कोई समाज वाद के नाम पर, कोई साम्यवाद के नाम पर, कोई एकछत्र वाद पर और कोई गणतंत्र के नाम पर .... बस किसी तरह से इंसानी रूपी जानवर पर शेर बन कर राज करना चाहता है.....
विश्व - मुझे ऐसे समाज का हिस्सा नहीं बनना...
डैनी - यह तुम्हारा भ्रम... है... पूरे संसार में ऐसा कोई समाज नहीं है... जहां इंसानी रूपी जानवर ना रहाता हो.... प्रकृति का नियम है.... मरे हुए को चींटी खाती है... चींटी को टिड्डी, टिड्डी को मेढ़क, मेढ़क को सांप, सांप को नेवला, नेवले को भेड़िया, भेड़िया को बाघ.... यह समाज जहां हम रह रहे हैं.... यह भी इस नियम से अछूता नहीं है...... यहां अपने से कमजोर पर राज करने के लिए हर कोई तैयार रहता है....
हर तरफ सिर्फ़ प्यार विश्वास बसता हो....
हाँ ऐसा समाज मुमकिम हो सकता है.... बशर्ते वहां सिर्फ़ इंसान ही बसते हों.....


विश्व खामोश हो जाता है, पर डैनी का नाश्ता खतम हो चुका था, वह अपनी थाली लेकर वहाँ से चला जाता है, पर विश्व वहीँ बैठा डैनी के बातों के गहराई को अनुभव कर रहा है l

अपने चैम्बर में तापस बैठा कुछ फाइलों पर काम कर रहा है l तभी जगन वहाँ आता है और एक काग़ज़ की पर्ची देता है l काग़ज़ की पर्ची पर वैदेही महापात्र लिखा हुआ है l कुछ सोचने के बाद तापस जगन को कहता है -
- जाओ उसे ले आओ यहाँ....
जगन बाहर चला जाता है और थोड़ी देर बाद तापस के चैम्बर में वैदेही आती है l
तापस - आओ वैदेही... आओ बैठो....
वैदेही - नहीं सर... मैं ठीक हुँ...
तापस - अरे.. तुम... तुम कोई मुज़रिम नहीं हो... तुम आम नागरिक हो... बैठो तो सही.... वरना मुझे खड़ा होना पड़ेगा....
वैदेही - ठीक है... सर... मैं... बैठ जाती हूँ.... (कह कर बैठ जाती है)
तापस - तो... तुम अपने भाई से मिलने आई हो....
वैदेही - नहीं सर नहीं... मैं बस उसे एक नजर देख कर चली जाना चाहती हूँ....
तापस - क्यूँ.... क्यूँ नहीं मिलना चाहती.....
वैदेही के आँखों में आँसू आ जाते हैं l
वैदेही - उसे मैं.. डॉक्टर बनते देखना चाहती थी... पर भाग्य को मंजूर ना था... तो उसे सरपंच बनते देखा तो सोचा.... डॉक्टर बनकर लोगों का इलाज ना कर पाया तो क्या हुआ.... सरपंच बन कर अपने लोगों के दुखों का कष्टों का इलाज तो कर पाएगा.... पर भाग्य को यह भी मंजूर नहीं हुआ... आज एक अपराधी के रूप में इस जैल में है....
तापस - तो तुम इसलिए उससे नहीं मिलना चाहती..... सिर्फ़ दूर से एक नजर देख कर चली जाना चाहती हो...
वैदेही - हाँ सर.... माँ ने इसे पैदा कर मेरे ही हाथों में सौंप कर चल बसी थी... मैं इसे माँ, दीदी और गुरु बन कर पाल पोष कर बड़ा किया.... पर यह दिन देखने के लिए तो नहीं.... उसकी ऐसी हालत देखने के लिए तो नहीं....

तापस को उसके दर्द का एहसास होता है, वह एक गहरी सांस छोड़ कर वैदेही को पूछता है,
- ह्म्म्म्म क्या तुम... अपने भाई को देखना चाहोगी....
वैदेही अपना सर हिला कर अपना सम्मति देती है l तापस उसे इशारे से अपने पीछे आने को कहता है l वैदेही उसके पीछे चल देती है और दोनों ऑफिस के दूसरे माले पर पहुंचते हैं l
वैदेही देखती है एक लंबा सा टेबल बीच कमरे में पड़ी है, कम से कम पच्चीस तीस कुर्सियां पड़ी हुई हैं, बीच दीवार पर एक टीवी लगी है, और कमरे अलमारियां भरी हुई हैं और हर आलमारी किताबों से भरी हुई है l
तापस-(वैदेही को कमरे को ऐसे घूरते हुए देख) यह इस जैल की लाइब्रेरी है.... पढ़ कर समय व्यतीत करने के लिए यह लाइब्रेरी बनाई गई.... ह्यूमन राइट्स वालों की डिमांड पर... पर अफ़सोस.... कोई भी यहां नहीं आता....
तापस एक खिड़की के पास खड़े हो कर कॉटन को हल्का सा खिंचता है, फ़िर वैदेही को पास बुलाता है और दूर विश्व को कोई काम करते हुए दिखाता है l विश्व को देखते ही वैदेही के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है पर अगले ही क्षण उसके चेहरे पर मायूसी छा जाती है l
वैदेही - कितना... भोला... कितना मासूम लग रहा है... मेरा भाई.... भगवान करे वह ऐसे ही हमेशा रहे.....
तापस - नहीं वैदेही.... विश्व जब जैल से निकलेगा.... मुझे अफ़सोस हो रहा है... यह कहते हुए.... वह ना मासूम रहेगा ना भोला....
वैदेही - यह आप.... क्या कह रहे हैं सर....
तापस - मैं सच कह रहा हूँ वैदेही.... हाल के दिनों में क्या हुआ है उसके साथ.... और मैं कहना भी नहीं चाहता... तुम नहीं जानती.... इस जैल में हर कदम पर... हर मोड़ पर उसे तरह तरह के लोग मिलते रहेंगे..... और हर मिलने वाला उससे उसकी मासूमियत और भोला पन को निचोड़ता रहेगा... और जिस दिन वह अपनी सजा काट कर बाहर निकलेगा.... तब वह तुम्हारा मासूम और भोला विश्व नहीं रहेगा.... पता नहीं क्या हो गया होगा.....
वैदेही तापस को एक टक देखे जा रही है, तापस जब वापस वैदेही को देखता है तो वैदेही के आँखों में कुछ पढ़ने की कोशिश करता है l
वैदेही अपनी नजर हटा लेती है और खिड़की से विश्व को देखते हुए तापस से कहती है
- अगर नियति को यही मंजूर है..... तो यही सही.... वह भोला और मासूम बना रहा... इसलिए आज उसकी यह हालत है.... अगर वह भोला और मासूम ना होता तो कहानी कुछ और ही होती ना सर....
तापस वैदेही के आक्रोश को अंदर तक महसूस करता है l

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कुछ देर बाद पिनाक के कमरे के दरवाजे पर धक्का लगता है और उस कमरे में एक नौजवान और एक किशोर प्रवेश करते हैं l
पिनाक - आओ आओ युवराज... आओ राजकुमार....
(यह दोनों सात साल पहले वाले विक्रम और वीर हैं)
विक्रम - छोटे राजा जी... हमे यूँ.. अचानक कलकत्ते से क्यूँ बुलाया गया.... हमे कुछ समझ में नहीं आया....
पिनाक - वही समझाने तो आप लोगों को यहां पर बुलाया गया है.... बैठिए आप दोनों....
विक्रम और वीर दोनों पास के सोफ़े पर बैठ जाते हैं l
पिनाक - युवराज आप अभी बीस वर्ष के हैं...
और वीर आप सत्रह वर्ष के....
सो युवराज आपकी कॉमर्स की ग्रैजुएशन ख़त्म होने को है.... और राजकुमार आपका इंटर का भी यह आखरी साल है.... पर आप दोनों आपका अपना पढ़ाई अब यहीं पर खतम करेंगे....
दोनों भाई एक दूसरे को देखते हुए - क्या.... पर क्यूँ....
पिनाक - बड़े राजा जी ने... हम तीनों को मिशन दिया है... जिसे हम तीनों मिलकर पुरा करना है.....
विक्रम - कैसा मिशन...
पिनाक - अब आप न्यूज चैनल्स के ज़रिए समझ चुके होंगे.... हम अभी रूलिंग पार्टी की सदस्यता ली है....
विक्रम - जी....
पिनाक - वह इसलिए.... के आने वाले दो साल बाद.... हमे भुवनेश्वर सहर का मेयर बनना है....
विक्रम - क्या.... राजगड़ से बाहर.... राजनीतिक पदवी.... पर क्यूँ...
पिनाक - कुछ हालात ऐसे बन गए हैं... की हमे खुदको राजगढ़ में सीमित रखना असंभव हो गया है.... यह राजधानी है... समूचे राज्य के राजनीतिक गड़.... यहाँ पर नजर भी रखना है... और पीछे रहकर परिचालन भी करना है...
विक्रम - ठीक है.... आपका तो समझ में आ गया.... हमे क्या करना होगा....
पिनाक - आप दोनों को ******* कॉलेज में एडमिशन लेनी होगी.. आगे की पढ़ाई के लिए....
विक्रम - और... कॉलेज में... हमे क्या करना होगा.....
पिनाक - आपको कॉलेज में इलेक्शन लड़ना होगा.... स्टूडेंट्स यूनियन का प्रेसिडेंट बनना होगा....
विक्रम - उससे... होगा क्या...
पिनाक - युवराज.... हमे लक्ष दिया गया है.... दो साल बाद मेयर बनने के लिए.... और आपको सारे स्टूडेंट्स को लीड करना है.... फिर पार्टी में.... युवा मंच का चेहरा बनना है.... उसका अध्यक्ष बनना है....
वीर - और मेरा क्या काम है.....
पिनाक - आप युवराज जी को फॉलो करेंगे... उनके बाद कॉलेज के यूनियन के प्रेसिडेंट बनेंगे... और हाँ आइंदा ध्यान रहे... बड़े राजा जी या राजा साहब जी के सामने मैं, या तुम हरगिज़ मत कहिएगा... सिर्फ हम या आप...
वीर - ठीक है....
विक्रम - इस साल हम कॉलेज में जॉइन करेंगे... और इसी साल हमे स्टूडेंट्स इलेक्शन जितना भी होगा....
पिनाक - हाँ... युवराज... क्यूंकि कॉलेज से ही नई पीढ़ी वोट देने निकलती है... उसी नई पीढ़ी के हीरो बनना है आपको.... बाई हूक ओर क्रुक.... आप अपने कॉलेज के बॉक्सिंग चैंपियन रहे हैं... इसलिए उस जरिए भी आपको काम लेना होगा....
विक्रम - क्या यह आपको इतना आसान लगता है....
पिनाक - नहीं बिल्कुल भी नहीं.... पर जो आसानी से हो जाए... उसे करने में मजा ही क्या....
विक्रम - किसीकी बने बनाए खेल में घुस कर अपने नाम करना है... किसीका जमाया हुआ सिक्का अपने नाम करना है... वह भी एक साल में...
पिनाक - हाँ.... युवराज... आप क्षेत्रपाल हैं.... यह ना भूलें.... आज हमारे वंश का एक महा मंत्र आप दोनों को प्रदान करता हूं.... क्षेत्रपाल परिवार के पुरुषों के हाथ कभी आकाश की ओर नहीं होती..... सिर्फ ज़मीन की ओर होती है.... हम कुछ दे सकते हैं या फिर छीन सकते हैं.... पर हाथ ऊपर कर मांग नहीं सकते.... इसलिए चाहे कोई भी हो..... जिसका बना बनाया या जमाया हुआ सिक्का... आपको छिनना है.... कैसे यह आप तय करें....
विक्रम यह सब सुनने के बाद एक गहरी सांस लेता है और चल कर खिड़की के पास खड़ा होता है l नीचे जाते हुए गाड़ियों को देखता है l
पिनाक उसके पास आकर खड़ा होता है l
पिनाक - क्या सोचने लगे युवराज....
विक्रम - इस सहर पर राज करना है.... पर कैसे और कहाँ से शुरू करें....
पिनाक - राजगढ़ में जैसा है वैसे तो बिल्कुल नहीं..... सबके मन में खौफ को इज़्ज़त के साथ बिठाना है.... खौफ और इज़्ज़त के बीच एक पतली सी लाइन होनी चाहिए.....
विक्रम पिनाक की ओर देखता है और फिर कमरे में चहल कदम करने लगता है l पिनाक आकर वीर के पास बैठ जाता है और इंटरकॉम में तीन चाय के लिए ऑर्डर करता है l

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वैदेही जा चुकी है, तापस वैदेही को बाहर छोड़ कर अपने चैम्बर की ओर जा रहा है l तभी उसकी मोबाइल बजने लगता है l मोबाइल निकाल कर देखता है तो उसे स्क्रीन पर प्रतिभा का नाम दिखता है तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है l फोन उठा कर - हैलो जान....
प्रतिभा - एक खबर है.... शायद आपको खुश करदे....
तापस को शरारत सूझती है - मुझे खुश करदे.... वाव... अररे.... जान घर पर नया मेहमान आने वाला है... वाव... मुझे तो तुम्हारे फोन से ही मालुम हो गया है.... के मुझे यह खुश खबरी सिर्फ़ अपने स्टाफ वालों से ही नहीं..... बल्कि पूरे मोहल्ले में मिठाई बंटवा देता हूं.... प्रत्युष को भी खबर कर देता हूँ.... आख़िर इतने सालों बाद खुशी का मौका हाथ लगा है....
प्रतिभा - (गुस्से से) हो गया...
तापस - अररे अभी कहाँ.... मैंने जगन के हाथों से मिठाई.. अभी तक मंगवाया नहीं है....
प्रतिभा - (अपनी दांत पिसते हुए) अगर अभी आप चुप नहीं हुए.... तो आज ड्रॉइंग रूम में सोईयेगा....
तापस - इतनी छोटी गुस्ताखी के लिए.... इतना बड़ा सजा.....
प्रतिभा - मैं... अब... अपना फोन काटती हूँ...
तापस - अरे.... गुस्सा... थूक दो.... यार थोड़ा मज़ाक कर रहा था..... सुबह से इधर उधर की सोच सोच कर टेंशन में था.... तुमसे बात की.... तो सारा टेंशन दूर हो गया....
प्रतिभा - ठीक है... ठीक है.....
तापस - अरे यार... थोड़ा मुस्कराते हुए.... कहो ना...

प्रतिभा - हाँ तो सुनो..... तुम्हारे जैल में जो कांड हुआ है ना.... विश्व और रंगा वाला.....
तापस - हाँ क्या हुआ....
प्रतिभा - अरे कुछ नहीं.... उस रंगा का वकील.... रंगा के झारपडा सब जैल को शिफ्ट कराने के लिए पीटीशन फाइल किया है....
तापस - ओह.... उसने वजह क्या डाला है....
प्रतिभा - यही तो खुशी की बात है......... उसने वजह हेल्थ लिखा है..... कोई सेक्यूरिटी की बात लिखी नहीं है.... और यह भी लिखा है.... डॉक्टर के फिटनेस सर्टिफिकेट देने के तुरंत बाद सेंट्रल जैल के बजाय सीधे... झारपडा सब जैल को शिफ्ट कराया जाए.....
तापस - यह वाकई.... बहुत अच्छी खबर दी है तुमने....
प्रतिभा - अच्छा ठीक है.... फोन रखती हूँ.... अब.... और हाँ शाम को मिठाई तैयार रखना....
तापस - क्यूँ... मौहल्ले में बंटवाना है क्या....
प्रतिभा - आ..... ह..... आज तो तुम्हें... मैं बेड रूम में घुसने नहीं दूंगी....
इतना कह कर प्रतिभा फोन काट देती है l तापस के चेहरे पर एक शरारत भरा मुस्कान नाच रही है l फोन रख कर मुड़ा तो देखा उसके पास दास खड़ा है l
तापस - अरे दास... आओ... एक अच्छी खबर है...
फिर तापस दास को रंगा के शिफ्ट होने की बात बताता है l
दास - यह अच्छी खबर तो है..... पर....
तापस - पर क्या दास...
दास - सर... सॉरी फॉर अब्युसिव लैंग्वेज... बट.... विथ योर परमिशन... सर....
तापस दास को घूर के देखता है फ़िर अपना सर हिलाते हुए - ओके दास... कंटिन्यु....
दास - सर थ्योरी के हिसाब से बात दिल की होती है.... पर लोग प्रैक्टिकल में लोग गांड की बात करते हैं....
तापस - (आवाज़ को कड़क करते हुए) दास.....
दास - सर इसीलिए तो आपसे..
परमिशन ली थी....
तापस - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) ह्म्म्म्म.... ठीक है..... आगे बोलो......
दास - सर अगर दिल कमजोर हो तो.... किसी किसी परिस्थिति में डर लगना स्वाभाविक है.... यह थ्योरी है.... पर लोग प्रैक्टिकल में गांड फटना कहते हैं....
दास ने जिस तरह से कहा तापस की हंसी छूट जाती है l पर दास नहीं हंस रहा है, तो तापस इशारे में आगे बोलने को कहता है l
दास - और सर अगर कोई डर को जीत जाता है.... आई मिन हरा देता है... तो थ्योरी के हिसाब से दिल मजबुत होना कहते हैं.... पर प्रैक्टिकली लोग गांड में दम होना कहते हैं....
तापस - (अपनी हंसी को रोकते हुए) ह्म्म्म्म तो....
दास - सर अब आते हैं असली मुद्दे पर.... रंगा अपने इलाके में मशहूर था.... आख़िर अपने इलाके का नामचीन पहलवान था.... फिर गुंडागर्दी में नाम और रुतबा कमाया....
तापस अब दास को सिरीयस हो कर सुनने लगा l
दास - रंगा का सब कुछ सही जा रहा था... के उसके गांड के दम में विश्व ने आधा इंच गहरा और चार साढ़े चार इंच चीरा मार दिया...
एक ऐसी जगह.... जहां का तकलीफ ना रंगा खुद देख पा रहा है.... ना आगे चलकर किसीको दिखा पाएगा....
तापस - तुम कहना क्या चाहते हो दास.....
दास - यही.... के विश्व ने रंगा की गांड फाड़ दी है प्रैक्टिकली...
तापस - दास... आखिर कहाना क्या चाहते हो......
दास - रंगा.... वापस आएगा सर.... विश्व से बदला लेने.... अभी तो नहीं.... पर आएगा जरूर.... अपना रौब और रुतबा फिरसे कायम करने..... और तब शायद जैल में एक खूनी मंज़र देखने को मिले.....
तापस के माथे पर अब चिंता दिखने लगता है

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

होटल के कमरे में वीर बेड पर लेटा हुआ है, विक्रम एक कोने से दूसरे कोने तक चहल कदम कर रहा है और पिनाक एक सोफ़े पर बैठा हुआ है l
पिनाक - युवराज जी... चाय नाश्ता खतम हो चुका है.... कुछ सोच लिए हों... तो प्रकाश करें...
विक्रम - छोटे राजा जी आप हमसे क्या चाहते हैं....
पिनाक - यहाँ के पुराने खिलाड़ियों के बसे बसाये को उजाड़ना और जमे जमाये को हथियाना है....
विक्रम - और यह सब तब होगा... जब इस सहर में हमारा सिक्का चलेगा.... राइट्
पिनाक - राइट्....
विक्रम - और उसके लिए... हमे डेयर एंड डेविल होना पड़ेगा...
पिनाक - राइट्...
विक्रम - इसका मतलब यह हुआ कि.... हमे इस सहर में.... एक पैरालाल सरकार चलानी है...
पिनाक - राइट्....
विक्रम - तो फिर उसके लिए हमे एक डेविल हाउस चाहिए.... ठीक राज भवन के विपरीत दिशा में.... पर सहर के बीचों-बीच.... जहां दो मीटिंग हॉल होने चाहिए.... एक प्राइवेट मीटिंग हॉल... जो नॉर्मली हर घर में होती है.... और एक पब्लिक मीटिंग हॉल जो घर के साथ अटैच हो.... और उस घर के बगल में एक जीम भी हो.....
पिनाक - ह्म्म्म्म पहली बॉल पर छक्का... गुड...
पिनाक - डेविल हाउस का नाम होगा "द हेल"...
वीर - वाव... क्या बात है...
पिनाक - आप शांत रहेंगे.... राजकुमार जी....
विक्रम - डेयर एंड डेविल के लिए एक डेविल आर्मी चाहिए.... वह भी ऑफिसीयल रजिस्टर्ड....

पिनाक - मतलब.....
विक्रम - हम एक प्राइवेट सेक्योरिटी संस्था बनाएंगे.... आज कल बड़े बड़े कॉर्पोरेट ऑफिस, बड़े बड़े बैंक, बड़े बड़े हस्पताल, बड़े बड़े होटल सब प्राइवेट सेक्यूरिटी एडोप्ट करते हैं....
तो हम भी प्राइवेट सेक्यूरिटी संस्था बनाएंगे और सबको सुरक्षा प्रदान करेंगे.... पर असल में वह हमारी आर्मी होगी....
पिनाक - वाह क्या बात है.... अब तो आपने सेंचुरी मार दी.....
विक्रम - हम जो प्राइवेट आर्मी बनाएंगे.... उसकी ऑफिस और ट्रेनिंग सेंटर भी होगी.... जिसके जरिए हम अपनी आर्मी को सबसे सक्षम बनाएंगे.... जिसकी अपनी इंटेलिजंस विंग भी होगी.... आज की डेट में किसी भी सरकारी एजेंसी को मात दे दे... हम अपनी आर्मी को उतना कॉम्पिटेटीव बनाएंगे....
पिनाक - (ताली मारते हुए) बहुत दूर की सोची है.... शाबाश....
वीर - पर यह इतना आसान नहीं है....
पिनाक - आपको क्यूँ तकलीफ़ हो रही है....
वीर - मुझे नहीं अब आपको होगी.... सेक्योरिटी संस्था का रजिस्ट्रेशन आसान नहीं होता.... उसके लिए एक्स आर्मी पर्सन या किसी बड़े ओहदे वाले एक्स पुलिस पर्सन की जरूरत पड़ेगी....
विक्रम - हाँ यह तो सच है....
पिनाक - तो उसका जुगाड़....
विक्रम - आप पहले घर की तलाश कीजिए.... बाकी मैं तलाशता हूँ....
वीर - और हम... हम क्या करें....
पिनाक - जस्ट फॉलो योर युवराज....
Jabardast Update
 

Prashant gautam

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Bhai har ek chij explain kar rhe ho reader ko or kya chahia ,... Chahia to bas har din 3-4 update janta hu lalach buri bala hai par jab koi chij jada swad ho ya jada pasand aa jaay uske liye lalach aa hi jata hai or vhi yha mere sath ho rha hai update ka lalach aa gya hai 😁😁
 

Kala Nag

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Bhai har ek chij explain kar rhe ho reader ko or kya chahia ,... Chahia to bas har din 3-4 update janta hu lalach buri bala hai par jab koi chij jada swad ho ya jada pasand aa jaay uske liye lalach aa hi jata hai or vhi yha mere sath ho rha hai update ka lalach aa gya hai 😁😁
भाई मेरे यह मेरे बस में नहीं है
हाँ होता तो जरूर दे देता
पर मेरी चेष्टा रहती है कि हर दूसरे या तीसरे दिन अपडेट लाने की
आप को इतनी पसंद आ रही है यही मेरे लिए सम्मानित बात है
ठीक है मैं कोशिस करता हूं कि
अगला अपडेट आज शाम तक दे सकूं
आभार
 
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ANUJ KUMAR

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👉दुसरा अपडेट
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यह क्या है....? वह खाकी रंग के चिट्ठी को दिखाते हुए पूछती है वह औरत l
अपना टाई बांधते हुए तापस मुस्कराता है l औरत खीज जाती है, फ़िर चिढ़ कर पूछती है - आप हंस क्यूँ रहे हैं.....?

तापस उस औरत के तरफ मुड़ कर कहता है - अरे यार तुमने तो पढ़ लिया होगा l फ़िर पूछ क्यूँ रहे हो l

वह औरत पूछती है - इसका मतलब आप अपने जॉब से VRS ले रहे हैं l
तापस - हाँ....
औरत - पर क्यूँ...
तापस- अरे मेरे साथी जीवन साथी मैंने इस्तीफा तो नहीं दी है ना l मैंने नौकरी से VRS मांगा, यह उसकी क्लीयरेंस है l
औरत - हाँ... दिख रही है मुझे l पर क्यूँ...? और एक बार भी आपने मुझसे कहा भी नहीं l (दुखी स्वर में) क्या हमारे बीच इतना गैप आ गया है l
तापस - (कुछ सीरियस होते हुए) नौकरी में रहकर मैंने क्या उखाड़ लिया l पहले फील्ड में था l वहां से प्रमोशन दे कर मुझे जैल सुप्रीनटेंडेंट बना कर डम्मी बना कर बिठा दिया l जब अपने बच्चे के लिए कुछ करना चाहा तब.....
तब भी एक डम्मी ही रहा
अब नहीं.... हाँ अब और नहीं
मैं नौकरी में रहकर शायद तुम्हारे प्रताप को वह मदद नहीं दे सकता था जो अब मैं उसके लिए कर सकता हूँ प्रतिभा l
प्रतिभा - क्यूँ नहीं कर सकते थे......
नौकरी में रहकर अपने कनेक्शन से भी तो मदद किया जा सकता है l
तापस- नहीं कर सकता था l तुम जानती हो..
मैं सरकारी तंत्र से बंधा हुआ था और तब मैं खुद भी तन मन से सरकारी मशीनरी का पुर्जा ही होता l लेकीन अब वह बंदिश नहीं है मुझ पर l कहने को मैं इस्तीफा भी दे सकता था, पर दस साल और नौकरी रहते हुए अगर इस्तीफा देता तो इंक्वायरी विंग के रेडार में रहता l अब मैं निश्चिंत हो कर अपना काम कर सकता हूं...
प्रतिभा - ह्म्म्म्म .... आप शायद ठीक कर रहे हैं l लेकिन मुझे इतना गैर क्यूँ कर दिया
तापस - इस बात के लिए मुझे माफ कर दो l मुझे अंदाजा नहीं था कि तुम इस बात से इस हद तक दुखी होगी l सॉरी प्रतिभा मुझे माफ़ नहीं करोगी.....

प्रतिभा - ठीक है, ठीक है... अब इतना सीन बढ़ाने की जरूरत नहीं है l लेकिन हमे आगे चलते कनेक्शनस की जरूरत पड़ेगी..... तब
तापस-तुम मुझ पर भरोसा रखो मैंने इन डेढ़ सालों में अपना जो कनेक्शनस डिवेलप किया है l तुम्हें आगे चलते अंदाज़ा हो जाएगा l
इतना सुनते ही प्रतिभा के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और चेयर से उठ कर तापस से कहती है - ठीक है सेनापति जी तो क्या अब पूरी चलें l
तापस - अरे सीधे सुप्रीनटेंडेंट से सेनापति जी....
प्रतिभा - जी... क्यूँ के अब आप जैल सुप्रीनटेंडेंट तो रहे नहीं...
तापस - ठीक है वकील साहिबा चलें...
हा हा हा हा दोनों हंसते हुए घर से बाहर निकालते हैं..

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ठीक उसी समय भुवनेश्वर से पांच सौ किलोमीटर दूर पश्चिम में यशपुर प्रांत के राजगड़ कस्बे में एक बड़ी सी महल है l उसी महल के एक कमरे में एक बहुत ही सुंदर सी लड़की रीडिंग टेबल के पास रखे चेयर पर कोई किताब पढ़ रही है.....
तभी उस कमरे के दरवाजे पर दस्तक होती है l
वह लड़की - कौन है
बाहर से आवाज आती है - जी राज कुमारी जी मैं सेबती.
लड़की - हाँ सेबती अंदर आओ (सेबती अंदर आती है) हाँ अब बोलो क्या हुआ l
सेबती- जी वह राजा साहब ने आपको नाश्ते के लिए बुलाया है...
लड़की - अच्छा l तो आज कमरे तक नाश्ता नहीं आएगा...
बहुत दिनों बाद नाश्ते के टेबल पर जाना पड़ेगा...
सेबती- अब मैं क्या कह सकती हूँ..
लड़की - हाँ ठीक कहा..
तुम चलो मैं पहुँचती हूँ..
सेबती कमरे से निकल जाती है l उसके जाते ही लड़की अपनी किताब टेबल पर रख देती है और कमरे से निकल कर नीचे डायनिंग हॉल में पहुंचती है
तो देखती है उसके परिवार के सभी सदस्य टेबल पर बैठे हैं

( राजगड़ इस महल में रह रहे सदस्यों के बारे में थोड़ा-सा विवरण

लड़की - रूप नंदिनी क्षेत्रपाल
लड़की के पिता - भैरव सिंह क्षेत्रपाल/राजा साहब
लड़की के दादाजी - नागेंद्र सिंह क्षेत्रपाल/बड़े राजा जी
लड़की के चाचा - पिनाक सिंह क्षेत्रपाल/छोटे राजा जी
लड़की की चाची- सुषमा सिंह क्षेत्रपाल
लड़की की बड़ा भाई - विक्रम सिंह क्षेत्रपाल/युवराज
लड़की की भाभी - शुभ्रा सिंह क्षेत्रपाल

लड़की की चचेरा भाई और पिनाक सिंह का बेटा - वीर सिंह क्षेत्रपाल/राज कुमार )
रूप जब डायनिंग टेबल के पास शुभ्रा को देखती है खुशी के मारे भाभी कह कर उसके गले लग जाती है l और पूछती है - क्या भाभी आप कब आईं और मुझे बताया भी नहीं l
शुभ्रा - वह कल अचानक से राजा साहब का फोन आया और कहा तुरंत राजगड़ पहुंचो l तो सीधे यहां आ गए l पर तब तक आप सो चुकीं थी....
रूप - चलो अच्छा हुआ...
इतना कह कर रूप शुभ्रा से ज़ोर से गले मिली

यह देख कर पिनाक सिंह कहता है - यह क्या है रूप.... ऐसे क्यूँ गले मिल रही हैं ... मत भूलिए आप राज कुमारी हैं और राजकुमारी जैसी एटिट्यूड रखिए l अपने इमोशंस को काबु में रखें l
यह सुन कर रूप का चेहरा उतर जाता है l शुभ्रा उसके कंधे पर हाथ रखकर रूप को अपने पास बिठाती है l
इतने में राजा साहब उर्फ़ भैरव सिंह क्षेत्रपाल डायनिंग हॉल में प्रवेश करता है और रूप से कहता है - छोटे राजा जी ने ठीक कहा है......
आपको अपने एटिट्यूड पर ध्यान देना चाहिए l कल को आपके विवाह के बाद यही एटिट्यूड आगे चलकर आप ही के काम आएगी....
रूप - जी राजा साहब...
फिर भैरव सिंह एक नौकर को कहता है- है तु... जा कर बड़े राजा जी को ले कर आ l
वह नौकर दौड़ कर जाता है और एक बुजुर्ग को व्हीलचेयर पर बिठा कर लता है l
बुजुर्ग के हॉल में प्रवेश करते ही सभी सदस्य अपने चेयर से खड़े हो जाते हैं
नागेंद्र की व्हीलचेयर डायनिंग टेबल पर लगते ही भैरव सिंह पहले बैठता है और उसके बाद सभी अपने अपने चेयर पर बैठ जाते हैं
कुछ नौकर आ कर सबको नाश्ता परोस देते हैं..
भैरव सिंह एक चम्मच से निवाला उठा कर नागेंद्र के मुहं पर देता है, नागेंद्र के निवाला खाते ही पास खड़े नौकर से नागेंद्र को खिलते रहने को बोलता है फिर अपना नाश्ता शुरू करता है l भैरव सिंह के नाश्ता शुरू करने के बाद सभी अपना नाश्ता शुरू करते हैं l
नाश्ता सभी का लगभग ख़त्म होते ही भैरव सिंह बोलता है - आज बहुत दिनों बाद हम सब इक्कठे हो कर यहाँ बैठ कर खा रहे हैं इसकी एक विशेष वजह है l
सब के चेहरे पर आश्चर्य झलक रहा है.. शुभ्रा और रूप एक दूसरे को देख कर आँखों आंखों पूछ रहे हैं क्या खबर हो सकती है और एक दूसरे को सर हिला कर ना में जवाब देते हैं l
भैरव सिंह - रूप आज शाम को युवराज व आपने भाभी के संग भुवनेश्वर जाएंगी l और वीर सिंह जिस कॉलेज में MA कर रहे हैं उसी कॉलेज में ग्रेजुएशन करेंगी l
यह सुनते ही रूप, शुभ्रा और सुषमा के चेहरे पर खुशी छा जाती है, पर वहीं सारे पुरुषों के चेहरे पर सवाल तैर रहे होते हैं l
विक्रम - माफी चाहूँगा राजा साहब पर आप तो रूप के आगे पढ़ने के विरुद्ध थे, फिर अचानक l
भैरव - हाँ अब वही बताने जा रहा हूँ... परसों हमारे यहाँ स्टेट के उद्योग मंत्री श्री गजेंद्र सिंह देव आये थे बड़े राजा जी से मिलने l मिलकर जाते वक्त वे रूप को देखे l उन्हें रूप उनके सुपुत्र दिव्य शंकर सिंह देव के लिए पसंद कर लिया और बातों बातों में मुझसे कह भी दिया l हमारे जैसे ही रजवाड़ों से संबंधित हैं l उनका परिवार दसपल्ला रजवाड़ों से है और देश विदेश में कारोबार फैला हुआ है बिल्कुल हमारी तरह l पर उनके सुपुत्र दिव्य शंकर फ़िलहाल अपनी उच्च शिक्षा के लिए तीन वर्षो के लिए विदेश जा रहे हैं l इसलिए रूप उनके आने तक भुवनेश्वर में अपना ग्रेजुएशन पूरी करेंगी l
वीर - ठीक है यह बहुत ही अच्छी ख़बर है पर इस विवाह से और रूप के ग्रेजुएशन से क्या सम्बंध है l

भैरव - (अपने चेहरे पर थोड़ी कठोरता ला कर) मुझे इस विवाह से मतलब है ना कि रूप कि ग्रेजुएशन से l उनको एक ग्रेजुएट बहु चाहिए और हमे हमारी बेटी के लिए एक रजवाड़ा खानदानी परिवार l
यह सुन कर सब खामोश हो जाते हैं l सभी औरतें जिनके चेहरे कुछ देर पहले जो खिली हुई थी अब मुर्झा जाती है l
भैरव सिंह - वीर आपके कॉलेज में रूप जाएंगी तो आपकी जिम्मेदारी बढ़ गई है l मैंने प्रिन्सिपल से बात कर ली है l आपको सीधे जा कर रूप का एडमिशन कराना है l
वीर - जैसी आपकी आज्ञा....
भैरव - युवराज आप रूलिंग पार्टी के युवा मंच के अध्यक्ष हैं फ़िर भी आप जितना ध्यान पार्टी को देंगे उतना ही रूप का खयाल रखेंगे l
विक्रम - जी राजा साहब
भैरव - एक बात याद रहे आप सबको, वहाँ कोई रूप को नजर उठाकर भी नहीं देखेगा ऐसा खौफ होना चाहिए उस कॉलेज के हर छात्रों में l
वीर व विक्रम - जी राजा साहब.....
भैरव - (सुषमा व शुभ्रा से) आप दोनों रूप कि सामान वगैरह पैकिग में सहायता करें l और बहू रानी खास कर आपके लिए हिदायत है.....
इतना सुनते ही शुभ्रा के माथे पर कुछ पसीने की बूंदे दिखने लगी l
भैरव - आपके यहाँ रूप हमारे घर की बेटी से ज्यादा सिंह देव परिवार की होने वाली बहु की तरह रहनी चाहिए l
शुभ्रा - (बड़ी मुश्किल से हलक से आवाज़ निकालती है) ज..... ज... जी राजा साहब l
भैरव - ठीक है अब आप जनानी लोग यहाँ से प्रस्थान करें l
यह सुनते ही तीनों औरतें तुरंत प्लेट में हाथ साफ कर रूप कि कमरे की चले जाते हैं l
उनके जाते ही भैरव सिंह उस नौकर से जो नागेंद्र को खिला रहा था, कहता है - जाओ बड़े राजा जी को उनके कमरे तक ले कर आराम से सुला देना l
"जी मालिक " कहकर वह नौकर नागेंद्र को ले कर चला जाता है l
अब भैरव पिनाक, विक्रम व वीर से कहता है मुझे थोड़ी देर में आप सब बैठक में आ कर मिलें l
×××××××××××××××××××××××××××
इधर रूप के कमरे में बिस्तर पर बैठ कर रूप सिसक रही है l पास बैठ कर सुषमा उसे दिलासा दे रही है और कमरे में शुभ्रा चहल कदम कर रही है l
रूप - चाची माँ मेरे साथ ही ऐसा क्यूँ होता है.... दो साल पहले मैंने कितने चाव से इंटर किया था पूरे जिला मे फर्स्ट आए और राज्य में सेवेंथ l हम सोचे जो उपलब्धियां भाईयों हासिल नहीं हुआ तो मेरे उपलब्धी शायद राजा साहब को खुश करदे l मगर ऐसा न हुआ उल्टा मेरे आगे की पढ़ाई बंद करवा दी... और अब शादी के लिए मुझे आगे पढ़ाया जा रहा है l
सुषमा - बेटी तू अगर कम मार्क से पास हो रही होती तो शायद आगे पढ़ाई में कोई असुविधा ना होती पर तेरी अच्छी पढ़ाई उनके अहं को ठेस पहुंचाई l इसलिए उन्हों ने तेरी पढ़ाई रोक दी थी l अब इसी बहाने इस कैद खाने से बाहर जाएगी तीन साल के लिए ही सही बाहर तो जाएगी ना बेटी l
शुभ्रा - हाँ रूप चाची माँ सही कह रही हैं l तुझे अब जीवन भर की बंधन में बंधने से पहले तीन साल की आजादी की ज़मानत मिली है l चल उसे जी भर के जी l तेरे साथ मैं पुरी तरह से खड़ी रहूंगी l तेरी भाभी बन कर नहीं बल्कि तेरी दोस्त बन कर l
सुषमा - अच्छी बात कही बहु l युग युग जियो l इस परिवार में हम तीन ही हैं जो आपस में रिश्ते निभा रहे हैं l वरना राजा साहब, छोटे राजा, बड़े राजा, युवराज व राज कुमार में बंधे हुए इन मर्दों को और किसी रिश्तों से कोई मतलब ही नहीं है l
रूप- हाँ चाची माँ, आप ठीक कह रही हैं l हम इस घर से रिश्तों से बंधे हुए हैं इसलिए बचे हुए हैं वरना....
सुषमा- ना मेरी बच्ची यह बात अपने मुँह से मत कह...
शुभ्रा - चाची माँ ठीक कह रहे हैं l यहाँ उनके खिलाफ हवा भी नहीं बह सकता और हम कह कैसे सकते हैं l
रूप - ठीक है चाची माँ l पर आप भी मेरे साथ चलिए ना l
सुषमा - नहीं मैं नहीं जा सकती l तेरे दादाजी की देखभाल मुझे ही करना है l पर तू जा मेरा आशीर्वाद तेरे साथ हमेशा रहेगी l जा...... (सुषमा की आंखों से आंसू निकल जाते हैं)
यह देख कर रूप सुषमा के गले लग जाती है
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पिनाक, विक्रम और वीर डायनिंग हॉल से निकल कर बैठक में पहुंचते हैं l वीर अपना चेयर पर बैठ कर आवाज़ देता है - अरे कोई है.....
भीमा आता है - हुकुम मालिक
वीर - राजा साहब दिख नहीं रहे हैं
भीमा-जी राजा साहब ने कहा है आप थोड़ी देर बैठे वह शीघ्र ही पधार रहे हैं l
पिनाक-लगता है कुछ विशेष है...
भैरव - हाँ विशेष तो है (बैठक के अंदर आते हुए) पर चिंता करने लायक नहीं है
विक्रम - अगर चिंता की बात नहीं तो हम सब यहाँ पर किस विषय पर चर्चा करेंगे l
भैरव - हमारे लीगल एडवाइजर बल्लभ प्रधान को किसी बात की चिंता है l इसलिए यश पुर के अपने लाव-लश्कर को लेकर आ रहा है l इसलिए हमे देखना होगा कि उसकी चिंता क्या है....
विक्रम - हमारा लीगल एडवाइजर किसी घोर चिंता में है और उसकी चिंता वह आपसे दूर करवाएगा l तो हम उसे अपना लीगल एडवाइजर क्यूँ रखे l
भैरव - हमे उसकी चिंता दूर करना होगा ताकि भविष्य में हमे चिंतित न होना पड़े....
भीमा-मालिक दस गाड़ियों से बारह लोग आए हैं l अंदर आने की इजाजत मांग रहे हैं l
भैरव - हाँ वे सब खास महमान हैं l उन्हें भीतर ले आओ और सबको बिठाओ l
भीमा सारे लोगों को अंदर लाता है
भैरव - आओ प्रधान आओ l कुछ तो ऐसा हुआ है जो पूरे लश्कर लेकर आए हो l आओ और आप सब विराजे l
सब के बैठने के बाद प्रधान बोलता है - राजा साहब यह महाशय हमारे नए BDO हैं सुधांशु मिश्र हमारे यहां अभी इनकी सरकारी पोस्टिंग हुई है.....
भैरव - ह्म्म्म्म रुक क्यों गए बोलते रहो
प्रधान - जी अब मेरे पास कुछ नहीं है कहने के लिए...... अब अगर मिश्र जी कहेंगे l
भैरव, सुधांशु मिश्र को देखता है l सुधांशु भैरव को अपने तरफ देखते हुए पाया तो कहाना शुरू किया - राजा साहब मैं यश पुर के लिए नया हूँ पर इस प्रोफेशन में नया नहीं हूँ l ब्लॉक के डेवलपमेंट के खर्चों पर NOC व UC देना हमारा काम होता है l मैंने ऑडिट कराने के बाद पाया कि दो साल पहले जितने भी ब्लॉक प्रोजेक्ट व मनरेगा के काम दिखाया गया है सब में दस से पंद्रह प्रतिशत ही काम हुआ है जब कि UC में मेरा मतलब युटीलाइजेशन सर्टिफिकेट में सौ फीसदी दिखाया गया है....
बैठक में इतनी शांति थी के अगर एक सुई भी गिर जाए तो जोर से सुनाई देती l
मिश्र - इन दो वर्षो में कोई भी प्रोजेक्ट नहीं लाया गया क्यूंकि भारत सरकार ने जब से डिजिटल इंडिया का मुहीम शुरू की है और मनरेगा में काम करने वालों की बैंक अकाउंट आधार कार्ड से जुड़ गया है तब से आप सबके हाथ खाली हैं......
भैरव सिंह के चेहरे पर ना तो कोई शिकन था ना कोई चिंता एक दम भाव हीन l भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव न देख कर मिश्र के चेहरे पर थोड़ी सी निराशा दिखा
मिश्र फिर कहने लगा - राजा साहब भले ही भारत सरकार डिजिटल इंडिया की मुहिम चलाएं है पर पिछले दो साल पहले की तरह अब भी सबके हाथ में पैसा आ सकता है l मेरे पास इसका फूल प्रूफ़ प्लान है l पर इसके बदले में पिछला BDO जितना लेता था मुझे उससे डबल चाहिए l
बड़ी आशा भरी नजर से मिश्र भैरव सिंह को देख रहा था l पर उसकी बात सुन कर पिनाक कुछ कहना चाहता था l भैरव पिनाक को हाथ दिखा कर चुप रहने को इशारा किया और मिश्र से कहा - आपने आज हमे खुश कर दिया है l आप सबको हम दावत का निमंत्रण दे रहे हैं l आप सब आज रंग महल में दोपहर का भोजन करें और शाम को हम मिश्र से प्लान सुनेंगे l भीमा यह सब आज हमरे मेहमान हैं l इन्हें रंग महल में ठहराव और खाने पीने का पूरा ध्यान रखो l
भीमा- जी मालिक
भीमा सबको अपने साथ लेकर रंग महल की और चला जाता है l
अब पिनाक भैरव सिंह से पूछता है - यह क्या राजा साहब एक अदना सा मुलाजिम हमारे सामने इतना कह गया और हमसे हिस्से की सौदा भी कर गया फिर भी आपने उसे छोड़ दिया और मेहमान बना कर दावत दे रहे हैं l
विक्रम - हाँ छोटे राजा ठीक कह रहे हैं l हमारी आँखों में आँख डाल कर बात कर रहा था l कहीं यह उसकी आदत ना बन जाये......
भैरव - इच्छायें जितनी बड़ी होती हैं उतनी ही खूबसूरत होती हैं........
लालच बहुत बुरी बला है फ़िर भी इंसानी फितरत है........
वक्त कम हो या झोली छोटी फिर भी सब समेट लेना इंसानी आदत है.......
यह स्टेट हमारी मिल्कियत है और सारा सिस्टम पानी, हम इस पानी के मगरमच्छ हैं
यह वह सुना है,
पर जाना नहीं है

यह अब जानना उसकी जरूरत है....
Awesome update
 

ANUJ KUMAR

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👉तीसरा अपडेट
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रूप के कमरे में एक नौकरानी के साथ शुभ्रा प्रवेश करती है l एक छोटे से रोलिंग टेबल पर खाना लेकर आती है
नौकरानी खाना दे कर चली जाती है l
शुभ्रा - रूप चलो खाना खाते हैं l
रूप - चाची माँ को आने दो ना l कल से आपके साथ ही तो खाना व रहना है l
शुभ्रा - चाची माँ बड़े राजा जी को खिलाने गए हैं l और उन्हें आते आते देर हो जाएगी....
रूप - ह्म्म्म्म चलिए फिर खाना शुरू करते हैं....
दोनों ने खाना खतम किया तो रूप ने सेबती को प्लेट ले जाने को बोला l
सेबती के जाने के बाद रूप ने दरवाजा अंदर से लॉक किया और पूछा - हाँ तो भाभी कहिए आप मुझसे क्या कहाना चाहती हैं l
शुभ्रा - म... मैं मैं क्या कहना चाहती हूं... क क कुछ नहीं....
रूप - भाभी छोटी हूँ पर बच्ची नहीं हूँ.... खाना खाते वक़्त मैंने महसूस किया है कि आप मुझसे कुछ कहना चाह रही हैं l
शुभ्रा चुप रहती है और अपना सर झुका देती है...
रूप - भाभी आज आपने वादा किया था कि आप मेरे साथ डट कर खड़ी रहेंगी l अब ऐसे ही साथ छोड़ देंगी क्या....?
शुभ्रा - नहीं रूप नहीं मैंने तुमसे जो वादा किया है उसे जान दे कर भी निभाउंगी l पर इससे पहले कल कोई बात तुम्हारे सामने आए मैं आज तुम्हारे पास कुछ कंफैस करना चाहती हूँ l बस वादा करो के यह बात सिर्फ तुम्हारे और मेरे बीच रहेगी l
रूप उसे गौर से देख रही है.....
शुभ्रा - देखो मेरे कह लेने के बाद तुम मेरे वारे में कुछ भी सोच सकती हो पर मुझे लगता है कि तुमसे वह बात शेयर करूँ जो शायद मुझे तुम्हारी नजरों में गिरा दे...
रूप - भाभी मैंने आपको भाभी कहा है और भाभी हमेशा माँ की जगह होती है...
अगर आपको लगता है कि मुझे बुरा लगेगा आपको मेरी नजर से गिरा देगा तो मत कहिए l मैं कभी भी आपसे नहीं पूछूँगी.... आप पर मुझे इतना भरोसा है कि आप अगर जहर को जहर कहकर देंगी तो भी आपकी कसम मैं खा लुंगी....
शुभ्रा-(रूप के मुहँ पर हाथ रखकर चुप कराते) नहीं रूप नहीं तुम्हें मेरी उमर लग जाए... भगवान तुम्हें हर बुरी नजर से बचाए रखे.. मुझे इतनी इज़्ज़त देने के लिए शुक्रिया...
एक लंबी सांस छोड़ते हुए शुभ्रा उठती है और खिड़की के पास रुकती है, फिर पीछे मुड़ कर रूप से पूछती है - रूप देखो बुरा मत मानना... तुम्हें कभी दुःख नहीं होता के तुम अपनों को उनके रिश्तों से नहीं बुला पा रही हो....
रूप - सच पूछो तो नहीं.... बिल्कुल नहीं l जब छोटी थी तब दुख हुआ करता था पर जैसे जैसे बड़ी होती गई मुझे एहसास हुआ कि बचपन से मुझे सही कहा गया था.... वह मेरा बाप नहीं राजा साहब है, वह दादा नहीं बड़े राजा है, वह चाचा नहीं छोटे राजा है और भाई नहीं युवराज व राजकुमार हैं....
शुभ्रा - तुम और चाची माँ इस परिवार से जुड़े हुए हो पर मैं तो डेढ़ सालों से आई हूँ l और मैं किसी रजवाड़े से नहीं
रूप - हाँ तो...
शुभ्रा - रूप क्या तुम जानती हो किन हालातों में मेरी शादी हुई थी....
रूप - ओह तो यह बात है.... भाभी मैं जानती हूँ... हाँ भाभी जानती हूँ..
शुभ्रा - इसलिए मैं शायद वफादार नहीं हो सकती...
रूप - भाभी मैंने आपको माँ का दर्जा दिया है.. आप तो बाहर से हैं पर हम तो इस घर के हैं...
बेशक आपके जैसी हालात नहीं है मगर हम इस घर के मर्दों के लिए कुछ मायने रखते नहीं है...भाभी सारी बातें छोड़ो मुझे जरा भी गिला नहीं है आप मेरे बारे में या इस घर के मर्दों के बारे में क्या राय रखते हैं... आप मेरे लिए भाभी हैं और मेरी सबसे प्यारी सहेली भी रहेंगी...
शुभ्रा-थैंक्स रूप आज मुझे बहुत हल्का लग रहा है... फिर भी एक टीस चुभ रही है दिल में..
रूप - भाभी अगर मुझ पर विश्वास
है तो बेझिझक कह दीजिए...
शुभ्रा - जानती हो रूप आज सुबह से मुझे रोना आ रहा है...
रूप - किस बात के लिए भाभी...
शुभ्रा- नभ वाणी न्यूज चैनल के बारे क्या तुमने सुना है...
रूप - हाँ सुना है..
शुभ्रा - मैंने इस परिवार से बदला लेने के लिए किसी के जरिए उस चैनल के एक रिपोर्टर से राजगड़ रिपोर्ट बनाने के लिए उकसाया था....
मुझे कुछ दिनों पहले मालूम हुआ कि वह रिपोर्टर अपने परिवार सहित लापता है...
रूप - आप धीरज रखें भाभी भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जाएगा...
शुभ्रा - मेरे मन को पाप छू रहा है... अगर उनके परिवार को कुछ हुआ तो मैं कभी अपने आप को माफ नहीं कर पाऊँगी

रूप- भाभी अगर आपकी आशंका सही निकली तो समझ लो उनकी पाप का घड़ा भर चुका है सिर्फ़ फुटना बाकी रह गया है...
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तभी पुरी रास्ते पर एक कार भुवनेश्वर की और दौड़ रही थी l कार के भीतर तापस व प्रतिभा बैठे हुए थे l
दोनों एक दूसरे से मज़ाक करते हुए लौट रहे थे l तभी प्रतिभा को रास्ते में एक राखी की दुकान दिखती है तो वह अचानक से बोलने लगती है- ओह माय गॉड... (कार के डैश बोर्ड पर हाथ पटकते हुए कहा) ओह शीट शीट शीट...
तापस- क्या हुआ टेंपल सिटी के साइट पर होंडा सिटी के सीट पर तुम सीट हुए हो फ़िर भी शीट शीट शीट चिल्ला रहे हो....
प्रतिभा - हो गया आपका...
तापस - हाँ हो गया...
प्रतिभा - अरे आज वैदेही भुवनेश्वर आई होगी... छी... मुझे याद भी नहीं रहा कल रक्षा बंधन है और वह अपने भाई के लिए रखी लाई होगी...
तापस-अरे हाँ इस साल रक्षा बंधन थोड़ी जल्दी आ गया नहीं...
प्रतिभा - अच्छा एक काम करना प्लीज.... वैदेही जरूर राम मंदिर में मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी l चलिए ना उसे मिल लेते हैं...
तापस - देखिए वकील साहिबा आज मैंने आधी दिन की छुट्टी ली थी जिसकी टाइम खतम हो गया है इसलिए मुझे ड्यूटी जॉइन करनी है और वैसे भी जब से आपकी उससे बनने लगी है वह सिर्फ़ आपसे मिलने ही आती है, वैसे भी मैंने आज आधी दिन की छुट्टी ली थी इसलिए उससे आप मिल लीजिए मैं कार और आपको छोड़ कर ड्यूटी जा रहा हूं l
प्रतिभा - क्यूँ ऐसा क्यूँ.. अब आपको ड्यूटी बजाने की क्यूँ पड़ी है जब VRS क्लीयरेंस मिल चुकी है....
तापस - अरे समझा करो VRS क्लीयरेंस हुआ है अभी रिटायर्मेंट को टाइम है...और जब तक ड्यूटी पर हुँ l ड्यूटी के लिए तन मन से समर्पित हूँ....
प्रतिभा - ठीक है...
तापस गाड़ी को राम मंदिर के बाहर पार्किंग में लगा देता है, फिर उतर कर चाबी प्रतिभा को देता है और ऑटो कर जैल को निकाल जाता है l
आँखों से ऑटो ओझल होते ही प्रतिभा मंदिर के अंदर जाती है l मुख्य द्वार पार करते ही वह देखती है कुछ लोग पुजारी को हड़का रहे हैं l प्रतिभा सीधे जा कर उनके पास पहुंचती है और उन लोगों को गौर से देखती है वे सारे लोग किसी प्राइवेट सिक्युरिटी गार्डस लग रहे थे l उनके बाज़ुओं में ESS लिखा था मतलब सब एक्जीक्यूटिव सिक्युरिटी सर्विस से थे l
प्रतिभा - रुको तुम सब
(सब चुप हो गए) तुम लोग पुजारी जी को क्यूँ परेशान कर रहे हो l
उन गार्ड्स में से एक बोला - तु कौन होती है बुढ़िया हमसे सवाल करने की....
पुजारी - देखिए वकील जी यह लोग कैसे गुंडागर्दी दिखा रहे हैं l अभी भगवान के विश्राम का समय है पर यह लोग जबरदस्ती द्वार खुलवाना चाहते हैं.......
एक गार्ड - तु चुप कर बे बुड्ढे I और सुन बुढ़िया यहां तेरी पंचायत नहीं चलेगी निकल यहाँ से l
प्रतिभा - ह्म्म्म्म तुम लोगों की बातों से तो तमीज झलक रही है...
वैसे मेरे बारे में बता दूँ मेरा नाम प्रतिभा सेनापति है, हाई कोर्ट बार काउंसिल में असिस्टैंट सेक्रेटरी हूँ और वुमन लयर एसोसिएशन की प्रेसिडेंट हूँ l अब आगे तुम लोग क्या करोगे या कहोगे थोड़ी तमीज रख कर करना l मत भूलो यह पब्लिक प्लेस है....
गार्ड्स प्रतिभा के बारे में जानने के बाद सभी एक दूसरे को देख कर चुप चाप चले जाते हैं l उनके जाने के बाद प्रतिभा - किस बात के लिए पुजारी जी यह लोग इतने जिद पर अड़े थे l
पुजारी - क्या बताऊँ वकील साहेब मंदिर में दोपहर की सारी रस्में खतम होने के बाद मंदिर का गर्भ गृह द्वार बंद कर रहा था कि वैदेही भागते हुए आई और मुझे छुपा देने के लिए अनुरोध कर रही थी l मैंने देखा वह हाँफ रही थी और बदहवास लग रही थी इसलिए मैंने उसे अंदर छुपा कर मुख्य द्वार बंद कर ही रहा था कि वह गार्ड्स ना जाने कहाँ से आकर झगड़ा करने लगे और मंदिर का द्वार खोलने के लिए दबाव देने लगे थे के ऐन मौके पर आप आ गईं l
प्रतिभा-क्या वैदेही के पीछा करते हुए वह गार्ड्स आए थे....
पुजारी - जी...
प्रतिभा - ठीक है पुजारी जी पर अब हम मुख्य द्वार से नहीं पीछे की द्वार से जाएंगे...
हो सकता है कि हम पर नजर रखी जा रही हो...
पुजारी - जी वकील जी जैसा आपको ठीक लगे...
प्रतिभा - पुजारी जी आपका धन्यबाद करना तो भूल ही गई जो आपने वैदेही के लिए किया... (हाथ जोड़ते हुए) धन्यबाद...
पुजारी - यह क्या कर रही हैं वकील जी वैदेही को मैं सात वर्षों से जानता हूँ l वह हर दस या पंद्रह दिन में आती रहती है l और भगवान के घर में भक्तों के साथ कुछ बुरा नहीं होनी चाहिए, इसलिए मैंने बस इतना ही किया l
प्रतिभा - फिर भी आपका धन्यबाद...
दोनों मंदिर के पीछे पहुंचते हैं और पुजारी मंदिर की रसोई के अंदर ले जाता है l उस रसोई से एक भूतल रास्ता मंदिर के गर्भ गृह तक जाता है l उसी रास्ते से प्रतिभा को लेकर मंदिर के भीतर जाता है l दोनों देखते हैं कि बड़ी फैन के नीचे दीवार के सहारे बैठी हुई थी वैदेही (एक बहुत ही सुंदर पर अड़तीस वर्षीय औरत)
प्रतिभा - वैदेही.....
वैदेही - (खुश होते हुए) अरे मासी आप कब आईं...
प्रतिभा - मेरी छोड़ यह बता आज क्या कर आई के तेरे पीछे कुछ फैनस हाथ धोखे पूछे पड़ गए थे ह्म्म्म्म..
वैदेही - (मुस्कराकर) क्या मासी आप भी न...यह लीजिये (एक राखी को बढ़ाती है) मेरे भाई तक पहुंचा दीजिए...
प्रतिभा - (राखी को लेते हुए) पहले यह बता क्या बखेड़ा कर आई है...
वैदेही पुजारी को देखती है तो पुजारी उनसे इजाजत ले कर बाहर चला जाता है l
पुजारी के जाते ही वैदेही - मासी वह मैं किसी का पता लगा रही थी तो यह सब हो गया l
प्रतिभा - चल अब दोनों बैठ जाते हैं और तू मुझे इत्मीनान से सारी बातें बता l
वैदेही - मासी आज से ढाई महीने पहले मैं जब यश पुर ट्रेन से जा रही थी तब एक आदमी मेरे ही बर्थ के पास आ कर बैठा l मुझसे पूछने लगा कि मैं कहाँ जा रही हूँ तो मैंने उसे राजगड़ बताया तो वह मुझसे क्षेत्रपाल के परिवार से लेकर कारोबार तक बहुत से सवाल किया था l मैंने उसे झिड़क दिआ था l बीच सफर में वह टॉयलेट गया तब उसके सीट पर मुझे उसका ID कार्ड मिला जिससे मुझे मालूम हुआ कि वह एक रिपोर्टर था l उसके आने के बाद मैंने उसे उसका कार्ड थमाते हुए पूछा था कि वह क्यूँ राजगड़ जा रहा है और क्षेत्रपाल के बारे में क्या रिपोर्टिंग करने वाला है l तो उसने मुझे बताया था कि वह क्षेत्रपाल जो ओड़िशा में किंग मेकर बना हुआ है उसकी पोल पट्टी खोल कर दुनिया के सामने क्षेत्रपाल की असलीयत लाएगा l
मैं यह सुन कर उसे समझाया था कि वह इन सब से दूर रहे और अपनी जान व परिवार की फिक्र करे l
पर वह नहीं सुना था, वह राजगड़ गया था वहाँ दो तीन दिन रुका फिर वापस भुवनेश्वर आ गया था l पर उसके बाद उसका या उसके परिवार का पता नहीं चल रहा है l मैं उसके ऑफिस में पिछले डेढ़ महीने से खबर लेने की कोशिश कर रही थी तो आज यह लोग मेरे ऊपर हमला कर पकड़ने की कोशिश किए तो वहाँ से भाग निकली l
प्रतिभा - तू क्यूँ हर मामले में अपनी मुंडी घुषेड़ती रहती है...
वैदेही - उसे देखा तो भाई की याद आ गई इसलिए उसकी खैरियत जानना चाहा l
प्रतिभा - देख हो सकता है कि वह डर के मारे कहीं बाहर चला गया हो..
अछा चल शाम होने को है थोड़ा नाश्ता वगैरह करते हैं और तुझे स्टेशन पर छोड़ दूंगी...
वैदेही - ह्म्म्म्म ठीक है
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इधर राजगड़ में रंग महल में खाने पीने की महफ़िल अभी भी रंग में है l क्षेत्रपाल परिवार के कोई सदस्य नहीं है बस सारे सरकारी अधिकारी व भीमा और उसके साथी चुपचाप वहीं पर खड़े थे l

सबसे ज्यादा खुश व नशे में सुधांशु मिश्र दिख रहा था l बल्लभ प्रधान से रहा नहीं जाता और पूछता है - अबे साले कुत्ते मिश्र तु तेरे साथ हमको भी फंसा कर माना... साले तेरा प्लान अगर पसंद नहीं आई राजा साहब को तो पता नहीं क्या होगा...
मिश्र - रिलाक्स सब दिमाग का खेल है l और दिमाग से कुछ भी किया जा सकता है...
दिमाग से पैसा बनाया जा सकता है और ताक़त को झुकाया भी जा सकता है...
देख लेना आज मैं राजा साहब को अपने दिमाग़ का कायल ना बनाया तो कहना....
तभी एक नौकर भीमा के कान में कुछ कहता है तो भीमा सबसे कहता है - राजा साहब अभी पांच मिनट में पहुंच रहे हैं l आप लोग अपना हालत ठीक कर लें l
यह सुनते ही मिश्र को छोड़ सब भाग कर बाथरूम में अपना हालत सुधार कर कमरे में पहुंचते हैं l
भैरव सिंह अपना भाई पिनाक, विक्रम
व वीर के साथ अंदर आता है l
शुभ संध्या राजा साहब कह कर हाथ जोड़ कर मिश्र कहता है l ज़वाब में भैरव - लगता है दावत का सही लुफ्त आपने ही उठाया है...
मिश्र - राजा साहब आपके महल का खाना वाह क्या कहना.... उस पर यह शराब और कबाब.... म्म्म्म्म्म् वाह...
भैरव सिंह - शराब व कबाब के साथ जो मिसीं है वह है सबाब....
चलिए उससे भी मिल लीजिए....aaa
इतना सुनते ही मिश्र की आंखे चौड़ी हो जाती है... हवश के मारे आँखे और भी लाल हो जाती हैं l भैरव सिंह सबको अपने पीछे आने को कहता है
सब एक बालकनी में पहुंचते हैं l सब देखते हैं कि बालकनी के नीचे एक बड़ा सा स्वीमिंग पूल है l कुछ देर बाद नीचे एक किनारे भीमा एक आदमी को लाकर एक चेयर पर बिठाता है l उस आदमी के चेयर पर बैठते ही वहीँ पर मरघट की शांति छा जाती है... I क्यूंकि ऐसा दिख रहा था जैसे वह आदमी बहुत दिनों से टॉर्चर हो रहा है l उसके बाल जैसे खींचे गए हैं और जहाँ से उसके
सर से जहां जहां बाल उखड़ गए हैं वहाँ पर खुन बह कर जम गया है और उसके सारे हाथ व पैरों की उँगलियों से नाखुन खींचे गए हैं ऐसा दिख रहा है, और आदमी आधी बेहोश जैसे चेयर पर बैठा है
मिश्र की नशा अब काफूर हो चुकी थी, हिम्मत करके पूछता है - यह क्या है राजा साहब और यह कौन है....
पिनाक कहता है - मिश्र जी यह है आखेट l अभी तो शुरू हुआ है आगे आगे देखिये होता क्या है...
तभी दूसरे किनारे पर दूसरा नौकर एक नंगी मगर खूबसूरत औरत को लाकर फेंक देता है l वह औरत शायद नशे की हालत में है l कोई होश नहीं है जैसे, वह स्वीमिंग पूल के दूसरे किनारे पर वैसे ही पड़ी हुई है l तभी वह घायल आदमी चिल्लाने की कोशिश करता है - विजया....
पर उस औरत पर कोई असर नहीं पड़ा वह वैसे ही वहीँ पड़ी रही l भैरव सिंह उस दूसरे नौकर को इशारा करता है तो वह नौकर स्वीमिंग पूल से थोड़ी दूर हट जाता है और एक दीवार के पास आकर कोई स्वीच दबाता है l दो लोहे की बड़ी बड़ी गेट नुमा दीवार सरक कर बाहर स्वीमिंग पूल तक आती हैं और नीचे पड़ी हुई औरत के दोनों तरफ खड़ी हो जाती हैं l इतना देख कर मिश्र पसीने से डूब चुका था वह पीछे हटने लगता है पर वह पीछे वीर से टकरा जाता है l वीर उसके कंधे पर हाथ रख कर जबरदस्ती बालकनी पर मिश्र को अपने साथ खड़ा रखता है l
तभी मिश्र देखता है कि जिस दीवार से वह दो लोहे की गेट निकलीं थी वही एक छोटा सा दरवाजा खुल जाता है l थोड़ी देर बाद दो लकड़बग्घे आ जाते हैं यह देखकर दो लोग चिल्लाते हैं पहला मिश्र-आ.... और दूसरा स्वीमिंग पूल के दूसरे किनारे पर बदहवास बैठा वह आदमी - विजया....
पर तब तक वह लकड़बग्घे उस बेहोश पड़ी औरत पर झपटते हैं, एक लकड़बग्घा उस औरत की जांघ पर जबड़ा लगाता है तो औरत को होश आती है तो वह चिल्लाती है - प्रवीण...

तभी दूसरा लकड़बग्घा उस औरत की पेट फाड़ देता है इस बार औरत चिल्ला नहीं पाती छटपटाती रहती है, पर दूसरे किनारे पर बैठे आदमी से रहा नहीं जाता और स्विमिंग पुल में छलांग लगा कर तैर कर उस औरत वाली किनारे की जाता है l किनारे पर पहुंच कर स्विमिंग पुल से निकलने कोशिश कर ही रहा था कि एक बड़े से मगरमच्छ के जबड़े में उसका कमर आ जाता है और वह मगरमच्छ के साथ पानी में गिर जाता है l यह देखकर बालकनी में मिश्र फर्श पर गिर जाता है...
Awesome update
 
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