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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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Jaguaar

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👉चौथा अपडेट
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सुधांशु मिश्र धीरे धीरे अपनी आँखे खोलता है l चेहरा भिगा हुआ उसे मेहसूस हो रहा है, नजर उठा कर देखता है तो देखा कि भीमा उसे टवेल दे रहा है l मिश्र जो हुआ उसे समझने की कोशिश करता है कि जो वह देखा सपना था या सच...
वह अपना नजर घुमा कर देखता है राजा साहब अपने कुर्सी पर बैठे हुए बालकनी के बाहर देख रहे हैं, उनके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं है l बाकी सारे लोग उसकी तरफ देख ऐसे रहे हैं जैसे उसने रंग में भंग डाल दिया l वह झटपट उठ कर बालकनी से नीचे झांकता है तो पाता है कि स्वीमिंग पुल का पानी लाल दिख रहा है और स्विमिंग पुल के दूसरी तरफ का फर्श भी लाल ही लाल दिख रहा है l मिश्र के चेहरे पर डर और पसीने के साथ साथ उभर आते हैं l वह भैरव सिंह के तरफ देखता है पर भैरव सिंह निर्विकार हो कर बालकनी के नीचे देख रहा होता है l
मिश्र चिल्लाता है - यह.... यह क... क्या था...
विक्रम - यही तो था हमारा आखेट....
मिश्र - आ आ आखेट...?
वीर - हाँ रे आखेट, साला बेहोश हो कर सारा मज़ा किरकिरा कर दिआ....
मिश्र - म.....म मुझे जाने दीजिए प्लीज...
पिनाक - यशपुर में आपका स्वागत है नये BDO साहब.... यहाँ आना इंसीडेंट या एक्सीडेंट हो सकता है पर यहाँ से जाना राजा साहब की मर्जी से होता है...
मिश्र -(हाथ जोड़ कर घुटनों पर बैठ कर) राजा साहब मैं अपनी औकात भूल कर गुस्ताख़ी कर बैठा मुझे माफ कर दीजिए मैं यशपुर छोड़ कर चला जाउंगा...
विक्रम यह सुन कर जोर जोर से हंसने लगा l उसकी हंसी मिश्र की जान निकाल रही थी l
विक्रम - यह समूचा स्टेट क्षेत्रपाल परिवार की मिल्कियत है, इस स्टेट का सिस्टम पानी है और हम इस पानी के मगरमच्छ......
पिनाक - तु जानना नहीं चाहता वह कौन था क्या था...
मिश्र - नहीं नहीं मुझे नहीं जानना...
वीर - फिर भी हम तुझे बताएंगे l तुने नभ वाणी न्यूस चैनल सुना है... यह उसका असिस्टैंट एडीटर था "प्रवीण कुमार रथ" l इसके रिपोर्टिंग से नभ वाणी के TRP आसमान छुते थे l
पिनाक - तो इसने सोचा क्षेत्रपाल के परिवार की करतूतों को दुनिया को दिखाएगा....
विक्रम - उसे मालुम नहीं था कि पुरा सिस्टम हमारी है... तो उसको हमारे सिस्टम के जरिए ही उसकी बीवी साथ उठा लाए..
वीर - उसके आँखों के सामने सबसे पहले हमने उसकी बीवी की बारी बारी से ऐसी कोई छेद नहीं जिसको हमने फाड़ा नहीं
विक्रम - और जब हमारे मन भर गया तो इन सभी ऑफिसरांन के हवाले इनके मन भरने उसकी बीवी को करदिया .... सबने जी भरके उसकी बीवी के चुत में अपना योगदान दिया पर इस इंस्पेक्टर का मन भरा ही नहीं क्यूँ बे....

वह इंस्पेक्टर शर्मा रहा था और बत्तीसी निकाल कर हंस रहा था
वीर - हा हा हा अबे बोल कितनी बार ली है
इंस्पेक्टर - (शर्माते हुए) जी ग्यारह बार...
वीर ताली मारते हुए - देखा फ़िर भी कमीने का मन नहीं भरा... हा हा हा
अब कड़कती आवाज़ गुंजी भैरव सिंह की - अब उनका दिन भर गया तो हमने आखेट के हवाले कर दिआ l जंगल में लकड़बग्घे और पानी में मगरमच्छ गजब के जानवर होते हैं हड्डीयां तक नहीं छोड़ते हैं..
अब महल में उनकी जगह खाली पड़ी है... अरे हाँ तेरी बीवी भुवनेश्वर DPS में फिजीक्स पढ़ाती है न ह्म्म्म्म....
मिश्र - नहीं राजा साहब नहीं मुझे बक्स दीजिए... (अपना जुता निकालता है) मैं अपना जुता अपने मुहँ पर मारता हूँ.. (खुद के चेहरे पर मारते हुए) मुझे पागल कुत्ते ने काटा था जो गुस्ताखी कर बैठा...(गिड़गिड़ाते हुए) मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं अब बस आपके लिए काम करूंगा... (रोते हुए) मुझे माफ कर दीजिए राजा साहब...
भैरव - ह्म्म्म्म पहले अपना प्लान बताओ अगर पसंद आया तो तु यहाँ से जिंदा वापस जाएगा और अगर तेरी प्लान पसंद नहीं आया तो समझले तु जान से गया और जहान से गया...

मिश्र बड़ी मुश्किल से खुद को काबु किया फिर सबको प्लान बताने लगा l
भैरव - प्रधान तुम्हारा क्या राय है मुझे प्लान पसंद आया....
प्रधान - परफेक्ट.. बढ़िया है... हमारा टीम वर्क के आगे सारे एजेंसी फैल हो जाएंगे...

भैरव सिंह - बढ़िया फिर सुन बे चिरगोजे... जो तुझे दिआ जाए उसे आशीर्वाद समझ कर ले लेना l ज्यादा की कभी सोचना भी मत वरना उस रंग महल के पिंजरे में तु फड़फड़ाएगा और तेरी बीवी हम सबकी बिस्तर होगी और हम उसके चादर...
पिनाक - तो इसके साथ आज का कार्यक्रम समाप्त हुए l जाओ सब अपने अपने ठिकाने को जाओ l
यह सुनते ही सब ऐसे निकले जैसे गधे के सिर से सिंग l
भैरव सिंह- छोटे राजा पुरे स्टेट में ढूंढो किसकी हमारे खिलाफ खुजली हो रही है... रंग महल ऐसे खाली नहीं रहना चाहिए ...
पिनाक - जी राजा साहब
भैरव - युवराज आज आप रूप को लेकर भुवनेश्वर जाएंगे...

विक्रम - जी राजा साहब

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उधर भुवनेश्वर में रात को खाने के टेबल पर तापस - क्या बात है वकील साहिबा आज आपकी और वैदेही की मीटिंग कैसी रही...

प्रतिभा - कुछ नहीं आप कभी नभ वाणी न्यूस देखते हैं..
तापस - हाँ देखता था पर उसका एक न्यूज प्रेजेंटर प्रवीण न्यूस चैनल छोड़ दिया है तबसे उस चैनल की क्वालिटी उतनी रही नहीं इसलिए आज कल नहीं देख रहा हूँ....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म मुझे आज वैदेही के बातों से ऐसा लगा कि शायद प्रवीण क्षेत्रपाल के अहं का भेट चढ़ गया है...
तापस - व्हाट यह तुम किस बिना पर कह सकती हो
प्रतिभा - आज वैदेही ने कहा कि ढाई महीने पहले प्रवीण राजगड़ गया था... और गौर करो तब से वह गायब है... वैदेही कह रही थी उसका परिवार भी गायब है...
तापस - ह्म्म्म्म इसका मतलब वह सच में क्षेत्रपाल के अहं का शिकार हो गया है..
प्रतिभा - सुनिए आप इस केस को निजी तौर पर तहकीकात कीजिए ना..
तापस-देखिए मिसेज सेनापति जी मैं अब वुड बी रिटायर्ड जैल सुपरिटेंडेंट होने वाला हूँ l मुझे सिर्फ कैदियों का देख भाल आता है... यह तहकीकात...
प्रतिभा - नहीं करना चाहते हो बोल दीजिए ना.. बहाना क्यूँ बना रहे हैं... आप पहले थाने में ही ड्युटी करते थे यह मत भूलिए..
तापस-ऐ मेरी जानेमन
तुमको इस डिनर की कसम
रूठा ना करो रूठा ना करो...
तापस-चलिए आपके लिए मिसेज सेनापति जी हम पर्सनली इस केस की तह तक जाएंगे...
अब तो हंस दीजिए..
प्रतिभा मुस्करा देती है...


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अगली सुबह भुवनेश्वर xxx कॉलेज

कैम्पस में एक जगह कुछ लड़के बात कर रहे हैं I
ल 1- अब बोलो, कहा था ना मैंने ऑस्ट्रेलिया हॉकी जीतेगी l
ल 2- हाँ फ़िर भी साउथ अफ्रीका ने जबरदस्त टक्कर दी थी वह तो पेनल्टी शूट आउट में साउथ अफ्रीका चूक गई l
L3- अरे छोड़ो ना यार परसों इंडिया और पाकिस्तान का मैच है उस पर बैट लगाते हैं l
L1 - यू नो गयस रॉकी ऑलवेज करेक्ट... आइ एम डैम श्योर इंडिया ही जीतेगी l
L2- यह तो कोई भी कह सकता है... बैट लगानी है तो बोलो गोल कितने होंगे या कौन गोल करेगा l
L2- हाँ यह होती है बैट क्या कहते हो रॉकी...
रॉकी - ओके आज क्लास खतम होते ही हम बैट करेंगे
सभी - ठीक है
तभी सबकी नजर मैन गेट की तरफ जाती है l कुछ कारों का काफ़िला आ कर कॉलेज में रुकती है l सबसे बीच वाले कार में अध्यक्ष XXX युवा मोर्चा लिखा हुआ था l उस कार से विक्रम और वीर उतरते हैं l फ़िर रूप उतरती है l जैसे ही रूप उतरती है सभी लड़के चोर नजर से रूप को देख रहे हैं l उनमें रॉकी सामिल है l
रॉकी - वाव क्या आइटॉम है बाप.... पर यह वीर के साथ क्या कर रही है...
L3- यह इनकी बहन है रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल..
रॉकी - तुझे कैसे मालुम है बे राजू....
राजु - क्यूंकि कभी हम भी राजगड़ में रहते थे l आगे की पढ़ाई के लिए हमे गांव व घर बार छोड़ना पड़ा l
रॉकी - दोनों भाई अपनी बहन को लेकर अपनी कॉलेज में क्यूँ आए हैं... कहीं एडमिशन के लिए तो नहीं... अगर ऐसा हो जाए तो मजा आ जाएगा l
राजु - पता नहीं अगर तुम्हारी बात सच है तो भाई मैं तेरे गैंग से आउट...
रॉकी - क्यूँ बे फट्टु फट गई तेरी...
राजु - तु मेरी बात छोड़... तु अपना बता वीर के सामने तेरी चलती है क्या...
रॉकी - अपन थोड़े उससे डरता है..
राजु - रहने दे... रहने दे... यह क्षेत्रपाल परिवार क्या है तु अच्छी तरह से जानता है...
इनके सामने कोई आँखे उठाकर बात नहीं कर पाता है और उनके घर की बेटी से आँख लड़ेयेगा.. चल रहने दे

रॉकी - अबे वह तो बाद में देखा जाएगा पहले पता तो चले यह क्षेत्रपाल तिकड़ी यहाँ आई क्यूँ है......
कॉलेज प्रिन्सिपल के चैम्बर में
प्रिन्सिपल खड़ा हुआ है और तीनों भाई बहन उसके सामने बैठे हुए हैं
वीर कहता है - राजा साहब ने बता दिआ होगा... इसलिए एडमिशन की फर्मोंलिटि पूरी कर इन्हें सीधे क्लास तक एस्कॉट करते हुए ले जाओ और हाँ तुरंत सबको ख़बर हो जानी चाहिए कि राजा साहब की बेटी, वीर की बहन इस कॉलेज में पढ़ रही हैं l सब उसके साथ अदब से पेश आयें... बाकी कहने की कोई जरूरत नहीं समझे..
प्रिन्सिपल - जी जी
विक्रम व वीर उठते हैं l
विक्रम - रूप आपके लिए एक गाड़ी व ड्राइवर छोड़े जा रहे हैं l अब से वह कार आपकी है... हर रोज ड्राइवर आपको लाएगा और ले जाएगा l
रूप - जी युवराज

वीर - जाओ और अपना क्लास एंजॉय करो
प्रिन्सिपल - आइए राज कुमारी जी मैं आपको आपके क्लास तक पहुंचाता हूँ...

रूप - जी सर
रूप प्रिन्सिपल के साथ क्लास चली जाती है और विक्रम व वीर भी अपने गाड़ी से बाहर चले जाते हैं l
प्रिन्सिपल को बीच रास्ते में रोक कर रूप कहती है - सर
प्रिन्सिपल - जी राज कुमारी जी
रूप - देखिए सर पहली बात आप मुझे राजकुमारी ना कहें और मेरी असली परिचय किसी को ना बताएं l
प्रिन्सिपल - यह कैसे हो सकता है राज कुमारी जी... अगर राज कुमार जी को मालुम पड़ा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे...
रूप - अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मैं राजा साहब से सीधे आपके खिलाफ शिकायत करूंगी l
प्रिन्सिपल - नहीं नहीं ऐसा न कहिए... क्या करूँ एक तरफ खाई है दूसरी तरफ कुआं..
रूप - देखिए सर राजकुमार कभी कभी कॉलेज आते हैं... इसलिए उन्हें मैं सम्भाल लुंगी, बस आप मेरी बात मान कर मेरा साथ दीजिए...
आप मेरा परिचय नंदिनी कहकर दीजिएगा... कहीं पर भी आप मेरी पारिवारिक परिचय मत दीजियेगा... और हाँ आप भी मुझे राज कुमारी मत बुलाएंगे...
प्रिन्सिपल - ठीक है.. अब आपके हवाले मैं और मेरा परिवार है...

रूप - चलिए सर आपकी सुरक्षा मेरी जिम्मेवारी है.......

प्रिन्सिपल रूप को लेकर BSc फर्स्ट ईयर के क्लास में पहुंचा और पढ़ा रहे लेक्चरर व सारे स्टूडेंट्स से रूप का परिचय कराते हुए - गुड मॉर्निंग बच्चों...

सबने कहा - गुड मॉर्निंग..
प्रिन्सिपल - यह हैं रु... मेरा मतलब है नंदिनी सिंह... आपकी नई दोस्त व सहपाठी..
और मिस नंदिनी जी यह आपकी क्लास...
इतना कह कर प्रिन्सिपल वहाँ से जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी से निकल गया l
फिर लेक्चरर ने नंदिनी को बैठ जाने को कहा l नंदिनी बीच के रो में एक लड़की के पास बैठ गई l
लड़की - हाय मैं बनानी महांती..
नंदिनी - मैं नंदिनी सिंह...
बनानी - ऐसे मिड सेशन में कैसे जॉइन किया तुमने...
नंदिनी - एक्चुआली मैं बीमार थी इसलिए शुरू में जॉइन नहीं हो पाई थी पर जब हेल्थ ठीक है तो जॉइन कर ली
लेक्चरर - साईलेंस प्लीज...
दोनों चुप हो गए और नंदिनी यादों में खो गई
******--------*****-----****
घर में शुभ्रा और रूप आज सुबह सुबह बातेँ कर रही हैं
शुभ्रा-क्या बात है रूप..
रूप - भाभी मैं क्षेत्रपाल सरनेम से यहां किसीसे पहचान या दोस्ती नहीं करना चाहती...
शुभ्रा - ऐसे कैसे हो सकता है... मत भूल कॉलेज में वीर भी है और यह सरनेम तुझे कॉलेज के लोफरों से भी बचाएगी...
रूप - नहीं भाभी मैं इस सरनेम के बगैर इस दुनिया का अनुभव लेना चाहती हूँ चाहे अच्छी हो या बुरी...
शुभ्रा - देखो रूप तु फ़िर से सोच ले...
रूप - भाभी मुझसे क्षेत्रपाल सरनेम जुड़ा रहा तो कोई मुझसे दोस्ती नहीं करेगा अगर यह सरनेम नहीं रहा तो मुझे दोस्त जरूर मील जाएंगे..
शुभ्रा - ठीक है कोशिश कर के देख ले... और शाम को घर आकर बताना क्या हुआ...
तभी क्लास खतम होने की बेल बजती है और रूप अतीत से बाहर आती है l
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उधर प्रतिभा और तापस चलते हुए जैल की और जा रहे हैं l प्रतिभा साड़ी में थी और तापस अपने जैल सुपरिटेंड के वर्दी में l दोनों सेंट्रल जैल के मुख्य द्वार पर आ पहुँचे l तापस संत्री से प्रवेश द्वार खोलने के लिए कहता है l संत्री चाबी लेने पास के की स्टैंड तक जाता है l इतने में
प्रतिभा - और कितनी देर लगेगी
तापस- जी देवीजी बस उतनी ही देर जितनी मुझे रोज ऑफिस जाते वक़्त लगता है...
प्रतिभा - (अपनी मुहँ को सिकुड़ते हुए) हो गया
तापस - जी बिल्कुल हो गया...
संत्री द्वार खोल देता है l तापस संत्री से विजिटर रजिस्टर लाने को कहता है l संत्री रजिस्टर लता है प्रतिभा उसमें अपना दस्तखत कर कारण लिख देती है l तापस संत्री से कहता है - इन्हें मीटिंग रूम में पहुंचा दो और कैदी नंबर छह सौ आठ से मिलवा दो......
संत्री साल्युट मार कर प्रतिभा को अपने साथ ले कर मीटिंग रूम में इंतजार करने को कहा l
थोड़ी देर वाद एक कैदी उस कमरे में आता है प्रतिभा उसे देख कर बहुत खुश हो जाती है और पूछती है - कैसा है प्रताप...
प्रताप - सच कहूँ तो सुबह से आपको ही याद कर रहा था l
प्रतिभा - चल चल झूट मत बोल.... तुझे आज वैदेही की भेजी रखी कि इंतजार था....
प्रताप - पर रखी आपके सिवा लाएगा ही कौन....
प्रतिभा - इसी बहाने तुझसे मिलने भी तो आ जाती हूँ...
प्रताप - आपका आना भी मेरे लिए किसी पर्व से कम है क्या.....
प्रतिभा - बाप रे कितना बोलने लग गया है तु....
प्रताप - सब आपकी महिमा है मैया..
प्रतिभा - अब तु भी मुझे उनकी तरह छेड़ने लगा.....
प्रताप- अरे माँ दस बाई आठ के कमरे से जब भी बाहर निकल कर आपके सामने आता हूँ तो जी करता है आपसे मन भरने तक बात करूँ....
प्रतिभा - तो फिर मेरे बच्चे ढाई महीने बाद रिहा हो कर मेरे पास ही क्यूँ नहीं रुक जाता...
प्रताप का चेहरा थोड़ा उदास हो जाता है - माँ मुझ पर रिश्तों की कर्ज व बोझ है.... जब तक मैं उन सबको निभा कर कर्ज़ मुक्त नहीं हो जाता तब तक मुझसे कोई वादा मत माँगों.... प्लीज...
प्रतिभा - ठीक है बेटा इस माहौल को ग़मगीन मत करो चलो यह राखी पहन लो...
प्रताप अपना हाथ बढ़ा देता है तो राखी प्रतिभा बांधती है
प्रताप - बुरा लगा....
प्रतिभा - नहीं...
प्रताप - माँ मैं पहले भी कह चुका हूँ... आज फिर से कह रहा हूं... मेरा मक़सद पुरा होते ही मैं पुरी तरह से आपका हो जाऊँगा...

प्रतिभा - (राखी बांधने के बाद) मैं जानती हूँ पर दिल थोड़े मानता भी तो नहीं....अच्छा यह बता वह तेरे साथ कैसे हैं....
प्रताप- तुम प्यार जताते थकती नहीं हो और वह जुड़ाव, लगाव रखते बहुत हैं मगर जताते या दिखाते नहीं हैं..
दोनों हंस पड़ते हैं l प्रतिभा थोड़ी गम्भीर हो जाती है और प्रताप के चेहरे को दोनों हाथों से झुका कर माथे को चूमती है l
प्रतिभा - अच्छा बेटा चलती हूँ... अपना खयाल रखना....
प्रताप - आप भी अपना और अपने उनका खयाल रखियेगा...
इतना कहकर प्रताप अंदर चला जाता है l उसके जाते ही प्रतिभा कमरे से बाहर निकालती है l दरवाजे से थोड़ी दूर आ कर रुक जाती है और बिना पीछे मुड़े पीछे की ओर कहती है - छुपकर सुनने से अच्छा होता कि आप भी हम माँ बेटे के साथ थोड़ा वक़्त बिताते और दो बातेँ भी कर लेते....
दरवाजे के ओट में छिपा तापस बाहर निकलता है और कहता है - दरअसल मेरा पेन यहाँ गिर गया था... वह ढूंढ कर निकाल रहा था कि तुम बाहर निकल आई....
प्रतिभा - हो गया....
तापस - हाँ हो गया देवी जी हो गया...
प्रतिभा - तो चलिए मुझे बाहर तक छोड़ दीजिए...
तापस- चलिए...

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उधर तीसरा क्लास खतम होते ही लंच ब्रेक की बेल बजती है

बनानी - अच्छा नंदिनी क्यूँ ना अभी हम कैन्टीन चलें..

नंदिनी - हाँ हाँ चलो चलते हैं...
फिर दोनों क्लास से निकल कर कैन्टीन चल देते हैं l
कैन्टीन में रॉकी अपने ग्रुप के साथ बैठा हुआ था l जैसे नंदिनी कैन्टीन में आती है वैसे ही सबकी नजर उसकी तरफ घुम जाती है l नंदिनी व बनानी दोनों जा कर एक टेबल पर बैठ जाते हैं l तभी रॉकी अपने जगह से उठता है और नंदिनी के तरफ आकर पूछता है - न्यू जॉइनींग
नंदिनी - येस...
रॉकी- आपका नाम जान सकता हूँ..
नंदिनी - क्यूँ नहीं.... मेरा नाम नंदिनी सिंह है..
रॉकी - (हाथ बढ़ाता है) हाय मैं राकेश पाढ़ी और दोस्त सभी मुझे रॉकी कहते हैं...
नंदिनी - (उससे हाथ मिलती है) ओके रॉकी..
हाथ मिलाते ही रॉकी शुन हो जाता है और नंदिनी की हाथ को वैसे ही पकड़े रहता है l नंदिनी अपनी हाथ छुड़ा कर पूछती है - ओ हैलो क्या हुआ..
रॉकी - क क कुछ नहीं अच्छा तुम कौन से स्ट्रीम में हो
नंदिनी - साइंस....
रॉकी - ओह मैं कॉमर्स फाइनल ईयर... अच्छा नंदिनी बाद में मिलते... हैं..

नंदिनी - ओके श्योर...
रॉकी नंदिनी को देखते हुए अपने पट्ठो के पास वापस जा रहा होता है,के तभी प्रिन्सिपल ऑफिस के पीओन आ कर नंदिनी को पूछता है - क्या आप मिस नंदिनी हैं....
नंदिनी - जी मैं ही हूँ...
पीओन - आपको प्रिन्सिपल जी ने बुलाया है...
नंदिनी - अच्छा बनानी मैं प्रिन्सिपल सर से मिलकर आती हूँ..

बनानी - ओके तो फ़िर हम क्लास में मिलते हैं...
उधर रॉकी अपने पट्ठों के साथ बैठा हुआ है और अपने हाथ को देख रहा है l
एक बंदा पूछता है - क्या बात है रॉकी अपने हाथ को ऐसे क्या घुर रहे हो...
रॉकी - अबे क्या बताऊँ यार कितने नरम हाथ थे उस नंदिनी के.... साला लंड अकेला नहीं खड़ा हो रहा है साला साथ साथ मैं रोयां रोयां भी खड़े हो गए...
सारे बंदे रॉकी को ऐसे घूरते हैं जैसे कोई बम फोड़ दिआ हो l
उधर प्रिन्सिपल के रूम में
प्रिन्सिपल - देखिए नंदिनी जी अपने जैसा कहा मैंने वैसा किया है पर आपके ID कार्ड में नाम तो पुरा और सही लिखना पड़ेगा...
नंदिनी - सर आपने मुझे इतना फेवर किया है तो एक छोटा सा और कर दीजिए...
प्रिन्सिपल - (अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपना चेहरा पोछता है) देखा आपने ऐसी रूम में भी कितना पसीना निकल रहा है.... अगर आपके भाईयों को जरा सा भी भान हुआ तो मैं कहीं का नहीं रहूँगा (कहकर हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी - अरे अरे सर यह आप क्या कर रहे हैं.... सर आप पर कुछ नहीं आएगा... यह मेरा वादा है...
प्रिन्सिपल - ठीक है बताइए...
नंदिनी - मुझे आप दो ID कार्ड इशू कीजिए.... एक मेरी असली पहचान की और दुसरी वह जिसे मैं अपनी पहचान बनाना चाहती हूँ...
प्रिन्सिपल - ठीक है कॉलेज खतम होते ही ऑफिस से ले लीजियेगा... और इतनी कृपा बनाए रखियेगा के मेरे ऑफिस में जितना हो सके उतना कम आइयेगा... (कह कर वह अपने कुर्सी से उठ खड़ा होता है और हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी को थोड़ा बुरा लगता है और बिना पीछे मुड़े अपनों क्लास के तरफ निकल जाती है...
उधर कैन्टीन में रॉकी को वही बंदा पूछता है - अबे मरवायेगा क्या.... सुबह राजु ने उसके बारे में तुझे बताया तो था....
रॉकी - हाँ तो क्या हुआ अबे तूने देखा नहीं उसने मुझसे हाथ भी मिलाया और फिर से मिलने की बात पर हाँ भी कहा....
समझा कर आशीष..
आशीष - फ़िर भी एक मुलाकात मैं इतना आगे मत बढ़... अगर कहीं लेने के देने पड़ जाएं...
रॉकी थोड़ी देर सोचता है और अपने पास बैठे सारे दोस्तों को देखता है, वहाँ राजु नहीं था, फिर मन में कुछ सोचता है और सबसे पूछता है- सुनो बे चड्डी बड्डी कमीनों क्या करना है आईडीआ दो सालों...
आशीष - देख बे सुबह राजु ने खाली क़िताब का कवर दिखाया है पर मेरा मान कुछ टाइम ले थोड़ा अवजरभ कर कम से कम एक हफ्ते के लिए.... फिर मिलकर सोचते हैं क्या किया जाए....
रॉकी - चलो तुम लोगों की बात मान लेता हूँ.... छोकरी की कुंडली इतिहास व भूगोल के बारे में सब पता लगाता हूँ....
पर कमीनों किसी महापुरुष ने कहा था की इतिहास गवाह है इंसान या तो बेहिसाब दौलत के लिए या फिर बेहद खूबसूरत लड़की के लिए... अपनी जान की बाजी लगा देता है...और राजू की बताई डिटेल्स अगर सही है तो यह जितनी खूबसूरत है इसके बाप के पास उतनी ही ज्यादा दौलत है...तो अबसे "मिशन नंदिनी" शुरू और ऐसे समय में बड़े बड़े कमीने कह गये हैं नो रिस्क नो गैन....
Awesome Update

Uss BDO ki toh saari chalaki nikal gayi. Bahot uchha raha tha Bhairav Singh ke saamne. Saara uchalna ekbaar mein hi band hogya.

Toh Roop College mein aagayi hai. Aur waha pe Nandini Singh ke naam se padh rahi hai. Aur jaisa har college mein hota hai yaha bhi waisa hi hai. Rocky Nandini ke roop mein mohit hogya hai par woh nhi jaanta woh kiske pichhe laga hai. Uska pura khaandaan tabah hojayega. Apne dost ki baat ko ansuna karke Nandini ke pichhe chala gaya.

Yeh Pratap kis gunaah ki saza kaat raha hai aur uske upar kiske rishte ka karz hai jiske liye woh riha hone ke baad bhi ghar mein nhi rehna chahta.

Dekhte hai aage kyaa hota hai.
 

Kala Nag

Mr. X
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Awesome Update

Uss BDO ki toh saari chalaki nikal gayi. Bahot uchha raha tha Bhairav Singh ke saamne. Saara uchalna ekbaar mein hi band hogya.

Toh Roop College mein aagayi hai. Aur waha pe Nandini Singh ke naam se padh rahi hai. Aur jaisa har college mein hota hai yaha bhi waisa hi hai. Rocky Nandini ke roop mein mohit hogya hai par woh nhi jaanta woh kiske pichhe laga hai. Uska pura khaandaan tabah hojayega. Apne dost ki baat ko ansuna karke Nandini ke pichhe chala gaya.

Yeh Pratap kis gunaah ki saza kaat raha hai aur uske upar kiske rishte ka karz hai jiske liye woh riha hone ke baad bhi ghar mein nhi rehna chahta.

Dekhte hai aage kyaa hota hai.
शुक्रिया बंधु
आपकी विश्लेषण के लिए और मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए
 
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Kala Nag

Mr. X
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Uss BDO ki toh saari chalaki nikal gayi. Bahot uchha raha tha Bhairav Singh ke saamne. Saara uchalna ekbaar mein hi band hogya.

Toh Roop College mein aagayi hai. Aur waha pe Nandini Singh ke naam se padh rahi hai. Aur jaisa har college mein hota hai yaha bhi waisa hi hai. Rocky Nandini ke roop mein mohit hogya hai par woh nhi jaanta woh kiske pichhe laga hai. Uska pura khaandaan tabah hojayega. Apne dost ki baat ko ansuna karke Nandini ke pichhe chala gaya.

Yeh Pratap kis gunaah ki saza kaat raha hai aur uske upar kiske rishte ka karz hai jiske liye woh riha hone ke baad bhi ghar mein nhi rehna chahta.

Dekhte hai aage kyaa hota hai.
Jaguar भाई मैंने आपके कहानियाँ सभी पढ़ी हैं
बस अब तक बेपनाह इश्क़ पढ़ा नहीं है
मैं इस कहानी को एक साथ खतम करना चाहता हूँ इसलिए जब यह थ्रेड आरंभ किया था केवल पहला अंक पढ़ा था
अच्छी लगी थी असल में अगर कोई और थ्रेड होता तो ज़रूर इंतजार करते हुए पढ़ता पर चूंकि रोमांस पर आधारित है इसलिए मुझे अंत की प्रतीक्षा है...
बाकी कहानियाँ आपकी तब पढ़ी हैं जब मैं इस फोरम का सदस्य नहीं था पर सभी उम्दा हैं यह निश्चिंत कह सकता हूँ
वैसे आप पुराने लेखक हैं और आपकी कल्पना शीलता बहुत ही गजब का है...
जब आप जैसा लेखक हौसला अफजाई करता है तो दिल बाग बाग हो जाता है...
धन्यबाद मित्र पुनः धन्यबाद
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
29,790
57,287
304
दूसरा भाग

बहुत ही जबरदस्त।

तो जिसके यहां पर सरकारी चिट्ठी आई थी वो तापस जी हैं जो जेल में निरीक्षक के पद पर हैं, लेकिन अपने घर और परिवार को समय न दे पाने के कारण सरकारी नौकरी से 10 साल पहले ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले रहे हैं। उनकी इस बातसे उनकी पत्नी प्रतिभा नाराज है क्योंकि ये सब उसकी जानकारी के बगैर हुआ है।

रूप एक मेहनती लड़की है और भैरव सिंह की बेटी है। जो पुरानी रीतिरिवाज और परंपराओं से बंधे हुए है। जिसने अपनी बेटी को बारहवीं की परीक्षा में राज्य में अच्छे अंक से पास होने के बाद आगे नहीं पढ़ाया और अब जब शादी की बात आई और ससुराल वालों ने स्नातक बहू की मांग की तो उसे आगे पढ़ने के लिए भेज रहे हैं। कितने मतलबी हैं भैरव सिंह। ऊषर सुधांशु मिश्रा जो तहसील विकास अधिकारी है वो बहुत ही लालची और घूसखोर है और राजा साहब से सौदा करने के लिए आया है।।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
29,790
57,287
304
👉तीसरा अपडेट
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रूप के कमरे में एक नौकरानी के साथ शुभ्रा प्रवेश करती है l एक छोटे से रोलिंग टेबल पर खाना लेकर आती है
नौकरानी खाना दे कर चली जाती है l
शुभ्रा - रूप चलो खाना खाते हैं l
रूप - चाची माँ को आने दो ना l कल से आपके साथ ही तो खाना व रहना है l
शुभ्रा - चाची माँ बड़े राजा जी को खिलाने गए हैं l और उन्हें आते आते देर हो जाएगी....
रूप - ह्म्म्म्म चलिए फिर खाना शुरू करते हैं....
दोनों ने खाना खतम किया तो रूप ने सेबती को प्लेट ले जाने को बोला l
सेबती के जाने के बाद रूप ने दरवाजा अंदर से लॉक किया और पूछा - हाँ तो भाभी कहिए आप मुझसे क्या कहाना चाहती हैं l
शुभ्रा - म... मैं मैं क्या कहना चाहती हूं... क क कुछ नहीं....
रूप - भाभी छोटी हूँ पर बच्ची नहीं हूँ.... खाना खाते वक़्त मैंने महसूस किया है कि आप मुझसे कुछ कहना चाह रही हैं l
शुभ्रा चुप रहती है और अपना सर झुका देती है...
रूप - भाभी आज आपने वादा किया था कि आप मेरे साथ डट कर खड़ी रहेंगी l अब ऐसे ही साथ छोड़ देंगी क्या....?
शुभ्रा - नहीं रूप नहीं मैंने तुमसे जो वादा किया है उसे जान दे कर भी निभाउंगी l पर इससे पहले कल कोई बात तुम्हारे सामने आए मैं आज तुम्हारे पास कुछ कंफैस करना चाहती हूँ l बस वादा करो के यह बात सिर्फ तुम्हारे और मेरे बीच रहेगी l
रूप उसे गौर से देख रही है.....
शुभ्रा - देखो मेरे कह लेने के बाद तुम मेरे वारे में कुछ भी सोच सकती हो पर मुझे लगता है कि तुमसे वह बात शेयर करूँ जो शायद मुझे तुम्हारी नजरों में गिरा दे...
रूप - भाभी मैंने आपको भाभी कहा है और भाभी हमेशा माँ की जगह होती है...
अगर आपको लगता है कि मुझे बुरा लगेगा आपको मेरी नजर से गिरा देगा तो मत कहिए l मैं कभी भी आपसे नहीं पूछूँगी.... आप पर मुझे इतना भरोसा है कि आप अगर जहर को जहर कहकर देंगी तो भी आपकी कसम मैं खा लुंगी....
शुभ्रा-(रूप के मुहँ पर हाथ रखकर चुप कराते) नहीं रूप नहीं तुम्हें मेरी उमर लग जाए... भगवान तुम्हें हर बुरी नजर से बचाए रखे.. मुझे इतनी इज़्ज़त देने के लिए शुक्रिया...
एक लंबी सांस छोड़ते हुए शुभ्रा उठती है और खिड़की के पास रुकती है, फिर पीछे मुड़ कर रूप से पूछती है - रूप देखो बुरा मत मानना... तुम्हें कभी दुःख नहीं होता के तुम अपनों को उनके रिश्तों से नहीं बुला पा रही हो....
रूप - सच पूछो तो नहीं.... बिल्कुल नहीं l जब छोटी थी तब दुख हुआ करता था पर जैसे जैसे बड़ी होती गई मुझे एहसास हुआ कि बचपन से मुझे सही कहा गया था.... वह मेरा बाप नहीं राजा साहब है, वह दादा नहीं बड़े राजा है, वह चाचा नहीं छोटे राजा है और भाई नहीं युवराज व राजकुमार हैं....
शुभ्रा - तुम और चाची माँ इस परिवार से जुड़े हुए हो पर मैं तो डेढ़ सालों से आई हूँ l और मैं किसी रजवाड़े से नहीं
रूप - हाँ तो...
शुभ्रा - रूप क्या तुम जानती हो किन हालातों में मेरी शादी हुई थी....
रूप - ओह तो यह बात है.... भाभी मैं जानती हूँ... हाँ भाभी जानती हूँ..
शुभ्रा - इसलिए मैं शायद वफादार नहीं हो सकती...
रूप - भाभी मैंने आपको माँ का दर्जा दिया है.. आप तो बाहर से हैं पर हम तो इस घर के हैं...
बेशक आपके जैसी हालात नहीं है मगर हम इस घर के मर्दों के लिए कुछ मायने रखते नहीं है...भाभी सारी बातें छोड़ो मुझे जरा भी गिला नहीं है आप मेरे बारे में या इस घर के मर्दों के बारे में क्या राय रखते हैं... आप मेरे लिए भाभी हैं और मेरी सबसे प्यारी सहेली भी रहेंगी...
शुभ्रा-थैंक्स रूप आज मुझे बहुत हल्का लग रहा है... फिर भी एक टीस चुभ रही है दिल में..
रूप - भाभी अगर मुझ पर विश्वास
है तो बेझिझक कह दीजिए...
शुभ्रा - जानती हो रूप आज सुबह से मुझे रोना आ रहा है...
रूप - किस बात के लिए भाभी...
शुभ्रा- नभ वाणी न्यूज चैनल के बारे क्या तुमने सुना है...
रूप - हाँ सुना है..
शुभ्रा - मैंने इस परिवार से बदला लेने के लिए किसी के जरिए उस चैनल के एक रिपोर्टर से राजगड़ रिपोर्ट बनाने के लिए उकसाया था....
मुझे कुछ दिनों पहले मालूम हुआ कि वह रिपोर्टर अपने परिवार सहित लापता है...
रूप - आप धीरज रखें भाभी भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जाएगा...
शुभ्रा - मेरे मन को पाप छू रहा है... अगर उनके परिवार को कुछ हुआ तो मैं कभी अपने आप को माफ नहीं कर पाऊँगी

रूप- भाभी अगर आपकी आशंका सही निकली तो समझ लो उनकी पाप का घड़ा भर चुका है सिर्फ़ फुटना बाकी रह गया है...
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तभी पुरी रास्ते पर एक कार भुवनेश्वर की और दौड़ रही थी l कार के भीतर तापस व प्रतिभा बैठे हुए थे l
दोनों एक दूसरे से मज़ाक करते हुए लौट रहे थे l तभी प्रतिभा को रास्ते में एक राखी की दुकान दिखती है तो वह अचानक से बोलने लगती है- ओह माय गॉड... (कार के डैश बोर्ड पर हाथ पटकते हुए कहा) ओह शीट शीट शीट...
तापस- क्या हुआ टेंपल सिटी के साइट पर होंडा सिटी के सीट पर तुम सीट हुए हो फ़िर भी शीट शीट शीट चिल्ला रहे हो....
प्रतिभा - हो गया आपका...
तापस - हाँ हो गया...
प्रतिभा - अरे आज वैदेही भुवनेश्वर आई होगी... छी... मुझे याद भी नहीं रहा कल रक्षा बंधन है और वह अपने भाई के लिए रखी लाई होगी...
तापस-अरे हाँ इस साल रक्षा बंधन थोड़ी जल्दी आ गया नहीं...
प्रतिभा - अच्छा एक काम करना प्लीज.... वैदेही जरूर राम मंदिर में मेरी प्रतीक्षा कर रही होगी l चलिए ना उसे मिल लेते हैं...
तापस - देखिए वकील साहिबा आज मैंने आधी दिन की छुट्टी ली थी जिसकी टाइम खतम हो गया है इसलिए मुझे ड्यूटी जॉइन करनी है और वैसे भी जब से आपकी उससे बनने लगी है वह सिर्फ़ आपसे मिलने ही आती है, वैसे भी मैंने आज आधी दिन की छुट्टी ली थी इसलिए उससे आप मिल लीजिए मैं कार और आपको छोड़ कर ड्यूटी जा रहा हूं l
प्रतिभा - क्यूँ ऐसा क्यूँ.. अब आपको ड्यूटी बजाने की क्यूँ पड़ी है जब VRS क्लीयरेंस मिल चुकी है....
तापस - अरे समझा करो VRS क्लीयरेंस हुआ है अभी रिटायर्मेंट को टाइम है...और जब तक ड्यूटी पर हुँ l ड्यूटी के लिए तन मन से समर्पित हूँ....
प्रतिभा - ठीक है...
तापस गाड़ी को राम मंदिर के बाहर पार्किंग में लगा देता है, फिर उतर कर चाबी प्रतिभा को देता है और ऑटो कर जैल को निकाल जाता है l
आँखों से ऑटो ओझल होते ही प्रतिभा मंदिर के अंदर जाती है l मुख्य द्वार पार करते ही वह देखती है कुछ लोग पुजारी को हड़का रहे हैं l प्रतिभा सीधे जा कर उनके पास पहुंचती है और उन लोगों को गौर से देखती है वे सारे लोग किसी प्राइवेट सिक्युरिटी गार्डस लग रहे थे l उनके बाज़ुओं में ESS लिखा था मतलब सब एक्जीक्यूटिव सिक्युरिटी सर्विस से थे l
प्रतिभा - रुको तुम सब
(सब चुप हो गए) तुम लोग पुजारी जी को क्यूँ परेशान कर रहे हो l
उन गार्ड्स में से एक बोला - तु कौन होती है बुढ़िया हमसे सवाल करने की....
पुजारी - देखिए वकील जी यह लोग कैसे गुंडागर्दी दिखा रहे हैं l अभी भगवान के विश्राम का समय है पर यह लोग जबरदस्ती द्वार खुलवाना चाहते हैं.......
एक गार्ड - तु चुप कर बे बुड्ढे I और सुन बुढ़िया यहां तेरी पंचायत नहीं चलेगी निकल यहाँ से l
प्रतिभा - ह्म्म्म्म तुम लोगों की बातों से तो तमीज झलक रही है...
वैसे मेरे बारे में बता दूँ मेरा नाम प्रतिभा सेनापति है, हाई कोर्ट बार काउंसिल में असिस्टैंट सेक्रेटरी हूँ और वुमन लयर एसोसिएशन की प्रेसिडेंट हूँ l अब आगे तुम लोग क्या करोगे या कहोगे थोड़ी तमीज रख कर करना l मत भूलो यह पब्लिक प्लेस है....
गार्ड्स प्रतिभा के बारे में जानने के बाद सभी एक दूसरे को देख कर चुप चाप चले जाते हैं l उनके जाने के बाद प्रतिभा - किस बात के लिए पुजारी जी यह लोग इतने जिद पर अड़े थे l
पुजारी - क्या बताऊँ वकील साहेब मंदिर में दोपहर की सारी रस्में खतम होने के बाद मंदिर का गर्भ गृह द्वार बंद कर रहा था कि वैदेही भागते हुए आई और मुझे छुपा देने के लिए अनुरोध कर रही थी l मैंने देखा वह हाँफ रही थी और बदहवास लग रही थी इसलिए मैंने उसे अंदर छुपा कर मुख्य द्वार बंद कर ही रहा था कि वह गार्ड्स ना जाने कहाँ से आकर झगड़ा करने लगे और मंदिर का द्वार खोलने के लिए दबाव देने लगे थे के ऐन मौके पर आप आ गईं l
प्रतिभा-क्या वैदेही के पीछा करते हुए वह गार्ड्स आए थे....
पुजारी - जी...
प्रतिभा - ठीक है पुजारी जी पर अब हम मुख्य द्वार से नहीं पीछे की द्वार से जाएंगे...
हो सकता है कि हम पर नजर रखी जा रही हो...
पुजारी - जी वकील जी जैसा आपको ठीक लगे...
प्रतिभा - पुजारी जी आपका धन्यबाद करना तो भूल ही गई जो आपने वैदेही के लिए किया... (हाथ जोड़ते हुए) धन्यबाद...
पुजारी - यह क्या कर रही हैं वकील जी वैदेही को मैं सात वर्षों से जानता हूँ l वह हर दस या पंद्रह दिन में आती रहती है l और भगवान के घर में भक्तों के साथ कुछ बुरा नहीं होनी चाहिए, इसलिए मैंने बस इतना ही किया l
प्रतिभा - फिर भी आपका धन्यबाद...
दोनों मंदिर के पीछे पहुंचते हैं और पुजारी मंदिर की रसोई के अंदर ले जाता है l उस रसोई से एक भूतल रास्ता मंदिर के गर्भ गृह तक जाता है l उसी रास्ते से प्रतिभा को लेकर मंदिर के भीतर जाता है l दोनों देखते हैं कि बड़ी फैन के नीचे दीवार के सहारे बैठी हुई थी वैदेही (एक बहुत ही सुंदर पर अड़तीस वर्षीय औरत)
प्रतिभा - वैदेही.....
वैदेही - (खुश होते हुए) अरे मासी आप कब आईं...
प्रतिभा - मेरी छोड़ यह बता आज क्या कर आई के तेरे पीछे कुछ फैनस हाथ धोखे पूछे पड़ गए थे ह्म्म्म्म..
वैदेही - (मुस्कराकर) क्या मासी आप भी न...यह लीजिये (एक राखी को बढ़ाती है) मेरे भाई तक पहुंचा दीजिए...
प्रतिभा - (राखी को लेते हुए) पहले यह बता क्या बखेड़ा कर आई है...
वैदेही पुजारी को देखती है तो पुजारी उनसे इजाजत ले कर बाहर चला जाता है l
पुजारी के जाते ही वैदेही - मासी वह मैं किसी का पता लगा रही थी तो यह सब हो गया l
प्रतिभा - चल अब दोनों बैठ जाते हैं और तू मुझे इत्मीनान से सारी बातें बता l
वैदेही - मासी आज से ढाई महीने पहले मैं जब यश पुर ट्रेन से जा रही थी तब एक आदमी मेरे ही बर्थ के पास आ कर बैठा l मुझसे पूछने लगा कि मैं कहाँ जा रही हूँ तो मैंने उसे राजगड़ बताया तो वह मुझसे क्षेत्रपाल के परिवार से लेकर कारोबार तक बहुत से सवाल किया था l मैंने उसे झिड़क दिआ था l बीच सफर में वह टॉयलेट गया तब उसके सीट पर मुझे उसका ID कार्ड मिला जिससे मुझे मालूम हुआ कि वह एक रिपोर्टर था l उसके आने के बाद मैंने उसे उसका कार्ड थमाते हुए पूछा था कि वह क्यूँ राजगड़ जा रहा है और क्षेत्रपाल के बारे में क्या रिपोर्टिंग करने वाला है l तो उसने मुझे बताया था कि वह क्षेत्रपाल जो ओड़िशा में किंग मेकर बना हुआ है उसकी पोल पट्टी खोल कर दुनिया के सामने क्षेत्रपाल की असलीयत लाएगा l
मैं यह सुन कर उसे समझाया था कि वह इन सब से दूर रहे और अपनी जान व परिवार की फिक्र करे l
पर वह नहीं सुना था, वह राजगड़ गया था वहाँ दो तीन दिन रुका फिर वापस भुवनेश्वर आ गया था l पर उसके बाद उसका या उसके परिवार का पता नहीं चल रहा है l मैं उसके ऑफिस में पिछले डेढ़ महीने से खबर लेने की कोशिश कर रही थी तो आज यह लोग मेरे ऊपर हमला कर पकड़ने की कोशिश किए तो वहाँ से भाग निकली l
प्रतिभा - तू क्यूँ हर मामले में अपनी मुंडी घुषेड़ती रहती है...
वैदेही - उसे देखा तो भाई की याद आ गई इसलिए उसकी खैरियत जानना चाहा l
प्रतिभा - देख हो सकता है कि वह डर के मारे कहीं बाहर चला गया हो..
अछा चल शाम होने को है थोड़ा नाश्ता वगैरह करते हैं और तुझे स्टेशन पर छोड़ दूंगी...
वैदेही - ह्म्म्म्म ठीक है
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इधर राजगड़ में रंग महल में खाने पीने की महफ़िल अभी भी रंग में है l क्षेत्रपाल परिवार के कोई सदस्य नहीं है बस सारे सरकारी अधिकारी व भीमा और उसके साथी चुपचाप वहीं पर खड़े थे l

सबसे ज्यादा खुश व नशे में सुधांशु मिश्र दिख रहा था l बल्लभ प्रधान से रहा नहीं जाता और पूछता है - अबे साले कुत्ते मिश्र तु तेरे साथ हमको भी फंसा कर माना... साले तेरा प्लान अगर पसंद नहीं आई राजा साहब को तो पता नहीं क्या होगा...
मिश्र - रिलाक्स सब दिमाग का खेल है l और दिमाग से कुछ भी किया जा सकता है...
दिमाग से पैसा बनाया जा सकता है और ताक़त को झुकाया भी जा सकता है...
देख लेना आज मैं राजा साहब को अपने दिमाग़ का कायल ना बनाया तो कहना....
तभी एक नौकर भीमा के कान में कुछ कहता है तो भीमा सबसे कहता है - राजा साहब अभी पांच मिनट में पहुंच रहे हैं l आप लोग अपना हालत ठीक कर लें l
यह सुनते ही मिश्र को छोड़ सब भाग कर बाथरूम में अपना हालत सुधार कर कमरे में पहुंचते हैं l
भैरव सिंह अपना भाई पिनाक, विक्रम
व वीर के साथ अंदर आता है l
शुभ संध्या राजा साहब कह कर हाथ जोड़ कर मिश्र कहता है l ज़वाब में भैरव - लगता है दावत का सही लुफ्त आपने ही उठाया है...
मिश्र - राजा साहब आपके महल का खाना वाह क्या कहना.... उस पर यह शराब और कबाब.... म्म्म्म्म्म् वाह...
भैरव सिंह - शराब व कबाब के साथ जो मिसीं है वह है सबाब....
चलिए उससे भी मिल लीजिए....aaa
इतना सुनते ही मिश्र की आंखे चौड़ी हो जाती है... हवश के मारे आँखे और भी लाल हो जाती हैं l भैरव सिंह सबको अपने पीछे आने को कहता है
सब एक बालकनी में पहुंचते हैं l सब देखते हैं कि बालकनी के नीचे एक बड़ा सा स्वीमिंग पूल है l कुछ देर बाद नीचे एक किनारे भीमा एक आदमी को लाकर एक चेयर पर बिठाता है l उस आदमी के चेयर पर बैठते ही वहीँ पर मरघट की शांति छा जाती है... I क्यूंकि ऐसा दिख रहा था जैसे वह आदमी बहुत दिनों से टॉर्चर हो रहा है l उसके बाल जैसे खींचे गए हैं और जहाँ से उसके
सर से जहां जहां बाल उखड़ गए हैं वहाँ पर खुन बह कर जम गया है और उसके सारे हाथ व पैरों की उँगलियों से नाखुन खींचे गए हैं ऐसा दिख रहा है, और आदमी आधी बेहोश जैसे चेयर पर बैठा है
मिश्र की नशा अब काफूर हो चुकी थी, हिम्मत करके पूछता है - यह क्या है राजा साहब और यह कौन है....
पिनाक कहता है - मिश्र जी यह है आखेट l अभी तो शुरू हुआ है आगे आगे देखिये होता क्या है...
तभी दूसरे किनारे पर दूसरा नौकर एक नंगी मगर खूबसूरत औरत को लाकर फेंक देता है l वह औरत शायद नशे की हालत में है l कोई होश नहीं है जैसे, वह स्वीमिंग पूल के दूसरे किनारे पर वैसे ही पड़ी हुई है l तभी वह घायल आदमी चिल्लाने की कोशिश करता है - विजया....
पर उस औरत पर कोई असर नहीं पड़ा वह वैसे ही वहीँ पड़ी रही l भैरव सिंह उस दूसरे नौकर को इशारा करता है तो वह नौकर स्वीमिंग पूल से थोड़ी दूर हट जाता है और एक दीवार के पास आकर कोई स्वीच दबाता है l दो लोहे की बड़ी बड़ी गेट नुमा दीवार सरक कर बाहर स्वीमिंग पूल तक आती हैं और नीचे पड़ी हुई औरत के दोनों तरफ खड़ी हो जाती हैं l इतना देख कर मिश्र पसीने से डूब चुका था वह पीछे हटने लगता है पर वह पीछे वीर से टकरा जाता है l वीर उसके कंधे पर हाथ रख कर जबरदस्ती बालकनी पर मिश्र को अपने साथ खड़ा रखता है l
तभी मिश्र देखता है कि जिस दीवार से वह दो लोहे की गेट निकलीं थी वही एक छोटा सा दरवाजा खुल जाता है l थोड़ी देर बाद दो लकड़बग्घे आ जाते हैं यह देखकर दो लोग चिल्लाते हैं पहला मिश्र-आ.... और दूसरा स्वीमिंग पूल के दूसरे किनारे पर बदहवास बैठा वह आदमी - विजया....
पर तब तक वह लकड़बग्घे उस बेहोश पड़ी औरत पर झपटते हैं, एक लकड़बग्घा उस औरत की जांघ पर जबड़ा लगाता है तो औरत को होश आती है तो वह चिल्लाती है - प्रवीण...

तभी दूसरा लकड़बग्घा उस औरत की पेट फाड़ देता है इस बार औरत चिल्ला नहीं पाती छटपटाती रहती है, पर दूसरे किनारे पर बैठे आदमी से रहा नहीं जाता और स्विमिंग पुल में छलांग लगा कर तैर कर उस औरत वाली किनारे की जाता है l किनारे पर पहुंच कर स्विमिंग पुल से निकलने कोशिश कर ही रहा था कि एक बड़े से मगरमच्छ के जबड़े में उसका कमर आ जाता है और वह मगरमच्छ के साथ पानी में गिर जाता है l यह देखकर बालकनी में मिश्र फर्श पर गिर जाता है...
बहुत ही हृदय विदारक दृश्य था। ये भैरव क्षेत्रपाल तो सच मे बहुत कमीना इंसान निकला। कैसे इसने एक व्यक्ति और महिला के ऊपर अत्याचार किया है शायद ये वही रिपोर्टर है जिसके बारे में शुभ्रा और वैदेही बात कर रही थी। सुधांशु का सारा नशा पल भर में काफ़ूर हो गया था। ऐसा दृश्य देखकर किसको होश रहता है।।
 

parkas

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👉चौथा अपडेट
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सुधांशु मिश्र धीरे धीरे अपनी आँखे खोलता है l चेहरा भिगा हुआ उसे मेहसूस हो रहा है, नजर उठा कर देखता है तो देखा कि भीमा उसे टवेल दे रहा है l मिश्र जो हुआ उसे समझने की कोशिश करता है कि जो वह देखा सपना था या सच...
वह अपना नजर घुमा कर देखता है राजा साहब अपने कुर्सी पर बैठे हुए बालकनी के बाहर देख रहे हैं, उनके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं है l बाकी सारे लोग उसकी तरफ देख ऐसे रहे हैं जैसे उसने रंग में भंग डाल दिया l वह झटपट उठ कर बालकनी से नीचे झांकता है तो पाता है कि स्वीमिंग पुल का पानी लाल दिख रहा है और स्विमिंग पुल के दूसरी तरफ का फर्श भी लाल ही लाल दिख रहा है l मिश्र के चेहरे पर डर और पसीने के साथ साथ उभर आते हैं l वह भैरव सिंह के तरफ देखता है पर भैरव सिंह निर्विकार हो कर बालकनी के नीचे देख रहा होता है l
मिश्र चिल्लाता है - यह.... यह क... क्या था...
विक्रम - यही तो था हमारा आखेट....
मिश्र - आ आ आखेट...?
वीर - हाँ रे आखेट, साला बेहोश हो कर सारा मज़ा किरकिरा कर दिआ....
मिश्र - म.....म मुझे जाने दीजिए प्लीज...
पिनाक - यशपुर में आपका स्वागत है नये BDO साहब.... यहाँ आना इंसीडेंट या एक्सीडेंट हो सकता है पर यहाँ से जाना राजा साहब की मर्जी से होता है...
मिश्र -(हाथ जोड़ कर घुटनों पर बैठ कर) राजा साहब मैं अपनी औकात भूल कर गुस्ताख़ी कर बैठा मुझे माफ कर दीजिए मैं यशपुर छोड़ कर चला जाउंगा...
विक्रम यह सुन कर जोर जोर से हंसने लगा l उसकी हंसी मिश्र की जान निकाल रही थी l
विक्रम - यह समूचा स्टेट क्षेत्रपाल परिवार की मिल्कियत है, इस स्टेट का सिस्टम पानी है और हम इस पानी के मगरमच्छ......
पिनाक - तु जानना नहीं चाहता वह कौन था क्या था...
मिश्र - नहीं नहीं मुझे नहीं जानना...
वीर - फिर भी हम तुझे बताएंगे l तुने नभ वाणी न्यूस चैनल सुना है... यह उसका असिस्टैंट एडीटर था "प्रवीण कुमार रथ" l इसके रिपोर्टिंग से नभ वाणी के TRP आसमान छुते थे l
पिनाक - तो इसने सोचा क्षेत्रपाल के परिवार की करतूतों को दुनिया को दिखाएगा....
विक्रम - उसे मालुम नहीं था कि पुरा सिस्टम हमारी है... तो उसको हमारे सिस्टम के जरिए ही उसकी बीवी साथ उठा लाए..
वीर - उसके आँखों के सामने सबसे पहले हमने उसकी बीवी की बारी बारी से ऐसी कोई छेद नहीं जिसको हमने फाड़ा नहीं
विक्रम - और जब हमारे मन भर गया तो इन सभी ऑफिसरांन के हवाले इनके मन भरने उसकी बीवी को करदिया .... सबने जी भरके उसकी बीवी के चुत में अपना योगदान दिया पर इस इंस्पेक्टर का मन भरा ही नहीं क्यूँ बे....

वह इंस्पेक्टर शर्मा रहा था और बत्तीसी निकाल कर हंस रहा था
वीर - हा हा हा अबे बोल कितनी बार ली है
इंस्पेक्टर - (शर्माते हुए) जी ग्यारह बार...
वीर ताली मारते हुए - देखा फ़िर भी कमीने का मन नहीं भरा... हा हा हा
अब कड़कती आवाज़ गुंजी भैरव सिंह की - अब उनका दिन भर गया तो हमने आखेट के हवाले कर दिआ l जंगल में लकड़बग्घे और पानी में मगरमच्छ गजब के जानवर होते हैं हड्डीयां तक नहीं छोड़ते हैं..
अब महल में उनकी जगह खाली पड़ी है... अरे हाँ तेरी बीवी भुवनेश्वर DPS में फिजीक्स पढ़ाती है न ह्म्म्म्म....
मिश्र - नहीं राजा साहब नहीं मुझे बक्स दीजिए... (अपना जुता निकालता है) मैं अपना जुता अपने मुहँ पर मारता हूँ.. (खुद के चेहरे पर मारते हुए) मुझे पागल कुत्ते ने काटा था जो गुस्ताखी कर बैठा...(गिड़गिड़ाते हुए) मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं अब बस आपके लिए काम करूंगा... (रोते हुए) मुझे माफ कर दीजिए राजा साहब...
भैरव - ह्म्म्म्म पहले अपना प्लान बताओ अगर पसंद आया तो तु यहाँ से जिंदा वापस जाएगा और अगर तेरी प्लान पसंद नहीं आया तो समझले तु जान से गया और जहान से गया...

मिश्र बड़ी मुश्किल से खुद को काबु किया फिर सबको प्लान बताने लगा l
भैरव - प्रधान तुम्हारा क्या राय है मुझे प्लान पसंद आया....
प्रधान - परफेक्ट.. बढ़िया है... हमारा टीम वर्क के आगे सारे एजेंसी फैल हो जाएंगे...

भैरव सिंह - बढ़िया फिर सुन बे चिरगोजे... जो तुझे दिआ जाए उसे आशीर्वाद समझ कर ले लेना l ज्यादा की कभी सोचना भी मत वरना उस रंग महल के पिंजरे में तु फड़फड़ाएगा और तेरी बीवी हम सबकी बिस्तर होगी और हम उसके चादर...
पिनाक - तो इसके साथ आज का कार्यक्रम समाप्त हुए l जाओ सब अपने अपने ठिकाने को जाओ l
यह सुनते ही सब ऐसे निकले जैसे गधे के सिर से सिंग l
भैरव सिंह- छोटे राजा पुरे स्टेट में ढूंढो किसकी हमारे खिलाफ खुजली हो रही है... रंग महल ऐसे खाली नहीं रहना चाहिए ...
पिनाक - जी राजा साहब
भैरव - युवराज आज आप रूप को लेकर भुवनेश्वर जाएंगे...

विक्रम - जी राजा साहब

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उधर भुवनेश्वर में रात को खाने के टेबल पर तापस - क्या बात है वकील साहिबा आज आपकी और वैदेही की मीटिंग कैसी रही...

प्रतिभा - कुछ नहीं आप कभी नभ वाणी न्यूस देखते हैं..
तापस - हाँ देखता था पर उसका एक न्यूज प्रेजेंटर प्रवीण न्यूस चैनल छोड़ दिया है तबसे उस चैनल की क्वालिटी उतनी रही नहीं इसलिए आज कल नहीं देख रहा हूँ....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म मुझे आज वैदेही के बातों से ऐसा लगा कि शायद प्रवीण क्षेत्रपाल के अहं का भेट चढ़ गया है...
तापस - व्हाट यह तुम किस बिना पर कह सकती हो
प्रतिभा - आज वैदेही ने कहा कि ढाई महीने पहले प्रवीण राजगड़ गया था... और गौर करो तब से वह गायब है... वैदेही कह रही थी उसका परिवार भी गायब है...
तापस - ह्म्म्म्म इसका मतलब वह सच में क्षेत्रपाल के अहं का शिकार हो गया है..
प्रतिभा - सुनिए आप इस केस को निजी तौर पर तहकीकात कीजिए ना..
तापस-देखिए मिसेज सेनापति जी मैं अब वुड बी रिटायर्ड जैल सुपरिटेंडेंट होने वाला हूँ l मुझे सिर्फ कैदियों का देख भाल आता है... यह तहकीकात...
प्रतिभा - नहीं करना चाहते हो बोल दीजिए ना.. बहाना क्यूँ बना रहे हैं... आप पहले थाने में ही ड्युटी करते थे यह मत भूलिए..
तापस-ऐ मेरी जानेमन
तुमको इस डिनर की कसम
रूठा ना करो रूठा ना करो...
तापस-चलिए आपके लिए मिसेज सेनापति जी हम पर्सनली इस केस की तह तक जाएंगे...
अब तो हंस दीजिए..
प्रतिभा मुस्करा देती है...


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अगली सुबह भुवनेश्वर xxx कॉलेज

कैम्पस में एक जगह कुछ लड़के बात कर रहे हैं I
ल 1- अब बोलो, कहा था ना मैंने ऑस्ट्रेलिया हॉकी जीतेगी l
ल 2- हाँ फ़िर भी साउथ अफ्रीका ने जबरदस्त टक्कर दी थी वह तो पेनल्टी शूट आउट में साउथ अफ्रीका चूक गई l
L3- अरे छोड़ो ना यार परसों इंडिया और पाकिस्तान का मैच है उस पर बैट लगाते हैं l
L1 - यू नो गयस रॉकी ऑलवेज करेक्ट... आइ एम डैम श्योर इंडिया ही जीतेगी l
L2- यह तो कोई भी कह सकता है... बैट लगानी है तो बोलो गोल कितने होंगे या कौन गोल करेगा l
L2- हाँ यह होती है बैट क्या कहते हो रॉकी...
रॉकी - ओके आज क्लास खतम होते ही हम बैट करेंगे
सभी - ठीक है
तभी सबकी नजर मैन गेट की तरफ जाती है l कुछ कारों का काफ़िला आ कर कॉलेज में रुकती है l सबसे बीच वाले कार में अध्यक्ष XXX युवा मोर्चा लिखा हुआ था l उस कार से विक्रम और वीर उतरते हैं l फ़िर रूप उतरती है l जैसे ही रूप उतरती है सभी लड़के चोर नजर से रूप को देख रहे हैं l उनमें रॉकी सामिल है l
रॉकी - वाव क्या आइटॉम है बाप.... पर यह वीर के साथ क्या कर रही है...
L3- यह इनकी बहन है रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल..
रॉकी - तुझे कैसे मालुम है बे राजू....
राजु - क्यूंकि कभी हम भी राजगड़ में रहते थे l आगे की पढ़ाई के लिए हमे गांव व घर बार छोड़ना पड़ा l
रॉकी - दोनों भाई अपनी बहन को लेकर अपनी कॉलेज में क्यूँ आए हैं... कहीं एडमिशन के लिए तो नहीं... अगर ऐसा हो जाए तो मजा आ जाएगा l
राजु - पता नहीं अगर तुम्हारी बात सच है तो भाई मैं तेरे गैंग से आउट...
रॉकी - क्यूँ बे फट्टु फट गई तेरी...
राजु - तु मेरी बात छोड़... तु अपना बता वीर के सामने तेरी चलती है क्या...
रॉकी - अपन थोड़े उससे डरता है..
राजु - रहने दे... रहने दे... यह क्षेत्रपाल परिवार क्या है तु अच्छी तरह से जानता है...
इनके सामने कोई आँखे उठाकर बात नहीं कर पाता है और उनके घर की बेटी से आँख लड़ेयेगा.. चल रहने दे

रॉकी - अबे वह तो बाद में देखा जाएगा पहले पता तो चले यह क्षेत्रपाल तिकड़ी यहाँ आई क्यूँ है......
कॉलेज प्रिन्सिपल के चैम्बर में
प्रिन्सिपल खड़ा हुआ है और तीनों भाई बहन उसके सामने बैठे हुए हैं
वीर कहता है - राजा साहब ने बता दिआ होगा... इसलिए एडमिशन की फर्मोंलिटि पूरी कर इन्हें सीधे क्लास तक एस्कॉट करते हुए ले जाओ और हाँ तुरंत सबको ख़बर हो जानी चाहिए कि राजा साहब की बेटी, वीर की बहन इस कॉलेज में पढ़ रही हैं l सब उसके साथ अदब से पेश आयें... बाकी कहने की कोई जरूरत नहीं समझे..
प्रिन्सिपल - जी जी
विक्रम व वीर उठते हैं l
विक्रम - रूप आपके लिए एक गाड़ी व ड्राइवर छोड़े जा रहे हैं l अब से वह कार आपकी है... हर रोज ड्राइवर आपको लाएगा और ले जाएगा l
रूप - जी युवराज

वीर - जाओ और अपना क्लास एंजॉय करो
प्रिन्सिपल - आइए राज कुमारी जी मैं आपको आपके क्लास तक पहुंचाता हूँ...

रूप - जी सर
रूप प्रिन्सिपल के साथ क्लास चली जाती है और विक्रम व वीर भी अपने गाड़ी से बाहर चले जाते हैं l
प्रिन्सिपल को बीच रास्ते में रोक कर रूप कहती है - सर
प्रिन्सिपल - जी राज कुमारी जी
रूप - देखिए सर पहली बात आप मुझे राजकुमारी ना कहें और मेरी असली परिचय किसी को ना बताएं l
प्रिन्सिपल - यह कैसे हो सकता है राज कुमारी जी... अगर राज कुमार जी को मालुम पड़ा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे...
रूप - अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मैं राजा साहब से सीधे आपके खिलाफ शिकायत करूंगी l
प्रिन्सिपल - नहीं नहीं ऐसा न कहिए... क्या करूँ एक तरफ खाई है दूसरी तरफ कुआं..
रूप - देखिए सर राजकुमार कभी कभी कॉलेज आते हैं... इसलिए उन्हें मैं सम्भाल लुंगी, बस आप मेरी बात मान कर मेरा साथ दीजिए...
आप मेरा परिचय नंदिनी कहकर दीजिएगा... कहीं पर भी आप मेरी पारिवारिक परिचय मत दीजियेगा... और हाँ आप भी मुझे राज कुमारी मत बुलाएंगे...
प्रिन्सिपल - ठीक है.. अब आपके हवाले मैं और मेरा परिवार है...

रूप - चलिए सर आपकी सुरक्षा मेरी जिम्मेवारी है.......

प्रिन्सिपल रूप को लेकर BSc फर्स्ट ईयर के क्लास में पहुंचा और पढ़ा रहे लेक्चरर व सारे स्टूडेंट्स से रूप का परिचय कराते हुए - गुड मॉर्निंग बच्चों...

सबने कहा - गुड मॉर्निंग..
प्रिन्सिपल - यह हैं रु... मेरा मतलब है नंदिनी सिंह... आपकी नई दोस्त व सहपाठी..
और मिस नंदिनी जी यह आपकी क्लास...
इतना कह कर प्रिन्सिपल वहाँ से जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी से निकल गया l
फिर लेक्चरर ने नंदिनी को बैठ जाने को कहा l नंदिनी बीच के रो में एक लड़की के पास बैठ गई l
लड़की - हाय मैं बनानी महांती..
नंदिनी - मैं नंदिनी सिंह...
बनानी - ऐसे मिड सेशन में कैसे जॉइन किया तुमने...
नंदिनी - एक्चुआली मैं बीमार थी इसलिए शुरू में जॉइन नहीं हो पाई थी पर जब हेल्थ ठीक है तो जॉइन कर ली
लेक्चरर - साईलेंस प्लीज...
दोनों चुप हो गए और नंदिनी यादों में खो गई
******--------*****-----****
घर में शुभ्रा और रूप आज सुबह सुबह बातेँ कर रही हैं
शुभ्रा-क्या बात है रूप..
रूप - भाभी मैं क्षेत्रपाल सरनेम से यहां किसीसे पहचान या दोस्ती नहीं करना चाहती...
शुभ्रा - ऐसे कैसे हो सकता है... मत भूल कॉलेज में वीर भी है और यह सरनेम तुझे कॉलेज के लोफरों से भी बचाएगी...
रूप - नहीं भाभी मैं इस सरनेम के बगैर इस दुनिया का अनुभव लेना चाहती हूँ चाहे अच्छी हो या बुरी...
शुभ्रा - देखो रूप तु फ़िर से सोच ले...
रूप - भाभी मुझसे क्षेत्रपाल सरनेम जुड़ा रहा तो कोई मुझसे दोस्ती नहीं करेगा अगर यह सरनेम नहीं रहा तो मुझे दोस्त जरूर मील जाएंगे..
शुभ्रा - ठीक है कोशिश कर के देख ले... और शाम को घर आकर बताना क्या हुआ...
तभी क्लास खतम होने की बेल बजती है और रूप अतीत से बाहर आती है l
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उधर प्रतिभा और तापस चलते हुए जैल की और जा रहे हैं l प्रतिभा साड़ी में थी और तापस अपने जैल सुपरिटेंड के वर्दी में l दोनों सेंट्रल जैल के मुख्य द्वार पर आ पहुँचे l तापस संत्री से प्रवेश द्वार खोलने के लिए कहता है l संत्री चाबी लेने पास के की स्टैंड तक जाता है l इतने में
प्रतिभा - और कितनी देर लगेगी
तापस- जी देवीजी बस उतनी ही देर जितनी मुझे रोज ऑफिस जाते वक़्त लगता है...
प्रतिभा - (अपनी मुहँ को सिकुड़ते हुए) हो गया
तापस - जी बिल्कुल हो गया...
संत्री द्वार खोल देता है l तापस संत्री से विजिटर रजिस्टर लाने को कहता है l संत्री रजिस्टर लता है प्रतिभा उसमें अपना दस्तखत कर कारण लिख देती है l तापस संत्री से कहता है - इन्हें मीटिंग रूम में पहुंचा दो और कैदी नंबर छह सौ आठ से मिलवा दो......
संत्री साल्युट मार कर प्रतिभा को अपने साथ ले कर मीटिंग रूम में इंतजार करने को कहा l
थोड़ी देर वाद एक कैदी उस कमरे में आता है प्रतिभा उसे देख कर बहुत खुश हो जाती है और पूछती है - कैसा है प्रताप...
प्रताप - सच कहूँ तो सुबह से आपको ही याद कर रहा था l
प्रतिभा - चल चल झूट मत बोल.... तुझे आज वैदेही की भेजी रखी कि इंतजार था....
प्रताप - पर रखी आपके सिवा लाएगा ही कौन....
प्रतिभा - इसी बहाने तुझसे मिलने भी तो आ जाती हूँ...
प्रताप - आपका आना भी मेरे लिए किसी पर्व से कम है क्या.....
प्रतिभा - बाप रे कितना बोलने लग गया है तु....
प्रताप - सब आपकी महिमा है मैया..
प्रतिभा - अब तु भी मुझे उनकी तरह छेड़ने लगा.....
प्रताप- अरे माँ दस बाई आठ के कमरे से जब भी बाहर निकल कर आपके सामने आता हूँ तो जी करता है आपसे मन भरने तक बात करूँ....
प्रतिभा - तो फिर मेरे बच्चे ढाई महीने बाद रिहा हो कर मेरे पास ही क्यूँ नहीं रुक जाता...
प्रताप का चेहरा थोड़ा उदास हो जाता है - माँ मुझ पर रिश्तों की कर्ज व बोझ है.... जब तक मैं उन सबको निभा कर कर्ज़ मुक्त नहीं हो जाता तब तक मुझसे कोई वादा मत माँगों.... प्लीज...
प्रतिभा - ठीक है बेटा इस माहौल को ग़मगीन मत करो चलो यह राखी पहन लो...
प्रताप अपना हाथ बढ़ा देता है तो राखी प्रतिभा बांधती है
प्रताप - बुरा लगा....
प्रतिभा - नहीं...
प्रताप - माँ मैं पहले भी कह चुका हूँ... आज फिर से कह रहा हूं... मेरा मक़सद पुरा होते ही मैं पुरी तरह से आपका हो जाऊँगा...

प्रतिभा - (राखी बांधने के बाद) मैं जानती हूँ पर दिल थोड़े मानता भी तो नहीं....अच्छा यह बता वह तेरे साथ कैसे हैं....
प्रताप- तुम प्यार जताते थकती नहीं हो और वह जुड़ाव, लगाव रखते बहुत हैं मगर जताते या दिखाते नहीं हैं..
दोनों हंस पड़ते हैं l प्रतिभा थोड़ी गम्भीर हो जाती है और प्रताप के चेहरे को दोनों हाथों से झुका कर माथे को चूमती है l
प्रतिभा - अच्छा बेटा चलती हूँ... अपना खयाल रखना....
प्रताप - आप भी अपना और अपने उनका खयाल रखियेगा...
इतना कहकर प्रताप अंदर चला जाता है l उसके जाते ही प्रतिभा कमरे से बाहर निकालती है l दरवाजे से थोड़ी दूर आ कर रुक जाती है और बिना पीछे मुड़े पीछे की ओर कहती है - छुपकर सुनने से अच्छा होता कि आप भी हम माँ बेटे के साथ थोड़ा वक़्त बिताते और दो बातेँ भी कर लेते....
दरवाजे के ओट में छिपा तापस बाहर निकलता है और कहता है - दरअसल मेरा पेन यहाँ गिर गया था... वह ढूंढ कर निकाल रहा था कि तुम बाहर निकल आई....
प्रतिभा - हो गया....
तापस - हाँ हो गया देवी जी हो गया...
प्रतिभा - तो चलिए मुझे बाहर तक छोड़ दीजिए...
तापस- चलिए...

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उधर तीसरा क्लास खतम होते ही लंच ब्रेक की बेल बजती है

बनानी - अच्छा नंदिनी क्यूँ ना अभी हम कैन्टीन चलें..

नंदिनी - हाँ हाँ चलो चलते हैं...
फिर दोनों क्लास से निकल कर कैन्टीन चल देते हैं l
कैन्टीन में रॉकी अपने ग्रुप के साथ बैठा हुआ था l जैसे नंदिनी कैन्टीन में आती है वैसे ही सबकी नजर उसकी तरफ घुम जाती है l नंदिनी व बनानी दोनों जा कर एक टेबल पर बैठ जाते हैं l तभी रॉकी अपने जगह से उठता है और नंदिनी के तरफ आकर पूछता है - न्यू जॉइनींग
नंदिनी - येस...
रॉकी- आपका नाम जान सकता हूँ..
नंदिनी - क्यूँ नहीं.... मेरा नाम नंदिनी सिंह है..
रॉकी - (हाथ बढ़ाता है) हाय मैं राकेश पाढ़ी और दोस्त सभी मुझे रॉकी कहते हैं...
नंदिनी - (उससे हाथ मिलती है) ओके रॉकी..
हाथ मिलाते ही रॉकी शुन हो जाता है और नंदिनी की हाथ को वैसे ही पकड़े रहता है l नंदिनी अपनी हाथ छुड़ा कर पूछती है - ओ हैलो क्या हुआ..
रॉकी - क क कुछ नहीं अच्छा तुम कौन से स्ट्रीम में हो
नंदिनी - साइंस....
रॉकी - ओह मैं कॉमर्स फाइनल ईयर... अच्छा नंदिनी बाद में मिलते... हैं..

नंदिनी - ओके श्योर...
रॉकी नंदिनी को देखते हुए अपने पट्ठो के पास वापस जा रहा होता है,के तभी प्रिन्सिपल ऑफिस के पीओन आ कर नंदिनी को पूछता है - क्या आप मिस नंदिनी हैं....
नंदिनी - जी मैं ही हूँ...
पीओन - आपको प्रिन्सिपल जी ने बुलाया है...
नंदिनी - अच्छा बनानी मैं प्रिन्सिपल सर से मिलकर आती हूँ..

बनानी - ओके तो फ़िर हम क्लास में मिलते हैं...
उधर रॉकी अपने पट्ठों के साथ बैठा हुआ है और अपने हाथ को देख रहा है l
एक बंदा पूछता है - क्या बात है रॉकी अपने हाथ को ऐसे क्या घुर रहे हो...
रॉकी - अबे क्या बताऊँ यार कितने नरम हाथ थे उस नंदिनी के.... साला लंड अकेला नहीं खड़ा हो रहा है साला साथ साथ मैं रोयां रोयां भी खड़े हो गए...
सारे बंदे रॉकी को ऐसे घूरते हैं जैसे कोई बम फोड़ दिआ हो l
उधर प्रिन्सिपल के रूम में
प्रिन्सिपल - देखिए नंदिनी जी अपने जैसा कहा मैंने वैसा किया है पर आपके ID कार्ड में नाम तो पुरा और सही लिखना पड़ेगा...
नंदिनी - सर आपने मुझे इतना फेवर किया है तो एक छोटा सा और कर दीजिए...
प्रिन्सिपल - (अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपना चेहरा पोछता है) देखा आपने ऐसी रूम में भी कितना पसीना निकल रहा है.... अगर आपके भाईयों को जरा सा भी भान हुआ तो मैं कहीं का नहीं रहूँगा (कहकर हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी - अरे अरे सर यह आप क्या कर रहे हैं.... सर आप पर कुछ नहीं आएगा... यह मेरा वादा है...
प्रिन्सिपल - ठीक है बताइए...
नंदिनी - मुझे आप दो ID कार्ड इशू कीजिए.... एक मेरी असली पहचान की और दुसरी वह जिसे मैं अपनी पहचान बनाना चाहती हूँ...
प्रिन्सिपल - ठीक है कॉलेज खतम होते ही ऑफिस से ले लीजियेगा... और इतनी कृपा बनाए रखियेगा के मेरे ऑफिस में जितना हो सके उतना कम आइयेगा... (कह कर वह अपने कुर्सी से उठ खड़ा होता है और हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी को थोड़ा बुरा लगता है और बिना पीछे मुड़े अपनों क्लास के तरफ निकल जाती है...
उधर कैन्टीन में रॉकी को वही बंदा पूछता है - अबे मरवायेगा क्या.... सुबह राजु ने उसके बारे में तुझे बताया तो था....
रॉकी - हाँ तो क्या हुआ अबे तूने देखा नहीं उसने मुझसे हाथ भी मिलाया और फिर से मिलने की बात पर हाँ भी कहा....
समझा कर आशीष..
आशीष - फ़िर भी एक मुलाकात मैं इतना आगे मत बढ़... अगर कहीं लेने के देने पड़ जाएं...
रॉकी थोड़ी देर सोचता है और अपने पास बैठे सारे दोस्तों को देखता है, वहाँ राजु नहीं था, फिर मन में कुछ सोचता है और सबसे पूछता है- सुनो बे चड्डी बड्डी कमीनों क्या करना है आईडीआ दो सालों...
आशीष - देख बे सुबह राजु ने खाली क़िताब का कवर दिखाया है पर मेरा मान कुछ टाइम ले थोड़ा अवजरभ कर कम से कम एक हफ्ते के लिए.... फिर मिलकर सोचते हैं क्या किया जाए....
रॉकी - चलो तुम लोगों की बात मान लेता हूँ.... छोकरी की कुंडली इतिहास व भूगोल के बारे में सब पता लगाता हूँ....
पर कमीनों किसी महापुरुष ने कहा था की इतिहास गवाह है इंसान या तो बेहिसाब दौलत के लिए या फिर बेहद खूबसूरत लड़की के लिए... अपनी जान की बाजी लगा देता है...और राजू की बताई डिटेल्स अगर सही है तो यह जितनी खूबसूरत है इसके बाप के पास उतनी ही ज्यादा दौलत है...तो अबसे "मिशन नंदिनी" शुरू और ऐसे समय में बड़े बड़े कमीने कह गये हैं नो रिस्क नो गैन....
Nice and awesome update...
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
29,790
57,287
304
👉चौथा अपडेट
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सुधांशु मिश्र धीरे धीरे अपनी आँखे खोलता है l चेहरा भिगा हुआ उसे मेहसूस हो रहा है, नजर उठा कर देखता है तो देखा कि भीमा उसे टवेल दे रहा है l मिश्र जो हुआ उसे समझने की कोशिश करता है कि जो वह देखा सपना था या सच...
वह अपना नजर घुमा कर देखता है राजा साहब अपने कुर्सी पर बैठे हुए बालकनी के बाहर देख रहे हैं, उनके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं है l बाकी सारे लोग उसकी तरफ देख ऐसे रहे हैं जैसे उसने रंग में भंग डाल दिया l वह झटपट उठ कर बालकनी से नीचे झांकता है तो पाता है कि स्वीमिंग पुल का पानी लाल दिख रहा है और स्विमिंग पुल के दूसरी तरफ का फर्श भी लाल ही लाल दिख रहा है l मिश्र के चेहरे पर डर और पसीने के साथ साथ उभर आते हैं l वह भैरव सिंह के तरफ देखता है पर भैरव सिंह निर्विकार हो कर बालकनी के नीचे देख रहा होता है l
मिश्र चिल्लाता है - यह.... यह क... क्या था...
विक्रम - यही तो था हमारा आखेट....
मिश्र - आ आ आखेट...?
वीर - हाँ रे आखेट, साला बेहोश हो कर सारा मज़ा किरकिरा कर दिआ....
मिश्र - म.....म मुझे जाने दीजिए प्लीज...
पिनाक - यशपुर में आपका स्वागत है नये BDO साहब.... यहाँ आना इंसीडेंट या एक्सीडेंट हो सकता है पर यहाँ से जाना राजा साहब की मर्जी से होता है...
मिश्र -(हाथ जोड़ कर घुटनों पर बैठ कर) राजा साहब मैं अपनी औकात भूल कर गुस्ताख़ी कर बैठा मुझे माफ कर दीजिए मैं यशपुर छोड़ कर चला जाउंगा...
विक्रम यह सुन कर जोर जोर से हंसने लगा l उसकी हंसी मिश्र की जान निकाल रही थी l
विक्रम - यह समूचा स्टेट क्षेत्रपाल परिवार की मिल्कियत है, इस स्टेट का सिस्टम पानी है और हम इस पानी के मगरमच्छ......
पिनाक - तु जानना नहीं चाहता वह कौन था क्या था...
मिश्र - नहीं नहीं मुझे नहीं जानना...
वीर - फिर भी हम तुझे बताएंगे l तुने नभ वाणी न्यूस चैनल सुना है... यह उसका असिस्टैंट एडीटर था "प्रवीण कुमार रथ" l इसके रिपोर्टिंग से नभ वाणी के TRP आसमान छुते थे l
पिनाक - तो इसने सोचा क्षेत्रपाल के परिवार की करतूतों को दुनिया को दिखाएगा....
विक्रम - उसे मालुम नहीं था कि पुरा सिस्टम हमारी है... तो उसको हमारे सिस्टम के जरिए ही उसकी बीवी साथ उठा लाए..
वीर - उसके आँखों के सामने सबसे पहले हमने उसकी बीवी की बारी बारी से ऐसी कोई छेद नहीं जिसको हमने फाड़ा नहीं
विक्रम - और जब हमारे मन भर गया तो इन सभी ऑफिसरांन के हवाले इनके मन भरने उसकी बीवी को करदिया .... सबने जी भरके उसकी बीवी के चुत में अपना योगदान दिया पर इस इंस्पेक्टर का मन भरा ही नहीं क्यूँ बे....

वह इंस्पेक्टर शर्मा रहा था और बत्तीसी निकाल कर हंस रहा था
वीर - हा हा हा अबे बोल कितनी बार ली है
इंस्पेक्टर - (शर्माते हुए) जी ग्यारह बार...
वीर ताली मारते हुए - देखा फ़िर भी कमीने का मन नहीं भरा... हा हा हा
अब कड़कती आवाज़ गुंजी भैरव सिंह की - अब उनका दिन भर गया तो हमने आखेट के हवाले कर दिआ l जंगल में लकड़बग्घे और पानी में मगरमच्छ गजब के जानवर होते हैं हड्डीयां तक नहीं छोड़ते हैं..
अब महल में उनकी जगह खाली पड़ी है... अरे हाँ तेरी बीवी भुवनेश्वर DPS में फिजीक्स पढ़ाती है न ह्म्म्म्म....
मिश्र - नहीं राजा साहब नहीं मुझे बक्स दीजिए... (अपना जुता निकालता है) मैं अपना जुता अपने मुहँ पर मारता हूँ.. (खुद के चेहरे पर मारते हुए) मुझे पागल कुत्ते ने काटा था जो गुस्ताखी कर बैठा...(गिड़गिड़ाते हुए) मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं अब बस आपके लिए काम करूंगा... (रोते हुए) मुझे माफ कर दीजिए राजा साहब...
भैरव - ह्म्म्म्म पहले अपना प्लान बताओ अगर पसंद आया तो तु यहाँ से जिंदा वापस जाएगा और अगर तेरी प्लान पसंद नहीं आया तो समझले तु जान से गया और जहान से गया...

मिश्र बड़ी मुश्किल से खुद को काबु किया फिर सबको प्लान बताने लगा l
भैरव - प्रधान तुम्हारा क्या राय है मुझे प्लान पसंद आया....
प्रधान - परफेक्ट.. बढ़िया है... हमारा टीम वर्क के आगे सारे एजेंसी फैल हो जाएंगे...

भैरव सिंह - बढ़िया फिर सुन बे चिरगोजे... जो तुझे दिआ जाए उसे आशीर्वाद समझ कर ले लेना l ज्यादा की कभी सोचना भी मत वरना उस रंग महल के पिंजरे में तु फड़फड़ाएगा और तेरी बीवी हम सबकी बिस्तर होगी और हम उसके चादर...
पिनाक - तो इसके साथ आज का कार्यक्रम समाप्त हुए l जाओ सब अपने अपने ठिकाने को जाओ l
यह सुनते ही सब ऐसे निकले जैसे गधे के सिर से सिंग l
भैरव सिंह- छोटे राजा पुरे स्टेट में ढूंढो किसकी हमारे खिलाफ खुजली हो रही है... रंग महल ऐसे खाली नहीं रहना चाहिए ...
पिनाक - जी राजा साहब
भैरव - युवराज आज आप रूप को लेकर भुवनेश्वर जाएंगे...

विक्रम - जी राजा साहब

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उधर भुवनेश्वर में रात को खाने के टेबल पर तापस - क्या बात है वकील साहिबा आज आपकी और वैदेही की मीटिंग कैसी रही...

प्रतिभा - कुछ नहीं आप कभी नभ वाणी न्यूस देखते हैं..
तापस - हाँ देखता था पर उसका एक न्यूज प्रेजेंटर प्रवीण न्यूस चैनल छोड़ दिया है तबसे उस चैनल की क्वालिटी उतनी रही नहीं इसलिए आज कल नहीं देख रहा हूँ....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म मुझे आज वैदेही के बातों से ऐसा लगा कि शायद प्रवीण क्षेत्रपाल के अहं का भेट चढ़ गया है...
तापस - व्हाट यह तुम किस बिना पर कह सकती हो
प्रतिभा - आज वैदेही ने कहा कि ढाई महीने पहले प्रवीण राजगड़ गया था... और गौर करो तब से वह गायब है... वैदेही कह रही थी उसका परिवार भी गायब है...
तापस - ह्म्म्म्म इसका मतलब वह सच में क्षेत्रपाल के अहं का शिकार हो गया है..
प्रतिभा - सुनिए आप इस केस को निजी तौर पर तहकीकात कीजिए ना..
तापस-देखिए मिसेज सेनापति जी मैं अब वुड बी रिटायर्ड जैल सुपरिटेंडेंट होने वाला हूँ l मुझे सिर्फ कैदियों का देख भाल आता है... यह तहकीकात...
प्रतिभा - नहीं करना चाहते हो बोल दीजिए ना.. बहाना क्यूँ बना रहे हैं... आप पहले थाने में ही ड्युटी करते थे यह मत भूलिए..
तापस-ऐ मेरी जानेमन
तुमको इस डिनर की कसम
रूठा ना करो रूठा ना करो...
तापस-चलिए आपके लिए मिसेज सेनापति जी हम पर्सनली इस केस की तह तक जाएंगे...
अब तो हंस दीजिए..
प्रतिभा मुस्करा देती है...


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अगली सुबह भुवनेश्वर xxx कॉलेज

कैम्पस में एक जगह कुछ लड़के बात कर रहे हैं I
ल 1- अब बोलो, कहा था ना मैंने ऑस्ट्रेलिया हॉकी जीतेगी l
ल 2- हाँ फ़िर भी साउथ अफ्रीका ने जबरदस्त टक्कर दी थी वह तो पेनल्टी शूट आउट में साउथ अफ्रीका चूक गई l
L3- अरे छोड़ो ना यार परसों इंडिया और पाकिस्तान का मैच है उस पर बैट लगाते हैं l
L1 - यू नो गयस रॉकी ऑलवेज करेक्ट... आइ एम डैम श्योर इंडिया ही जीतेगी l
L2- यह तो कोई भी कह सकता है... बैट लगानी है तो बोलो गोल कितने होंगे या कौन गोल करेगा l
L2- हाँ यह होती है बैट क्या कहते हो रॉकी...
रॉकी - ओके आज क्लास खतम होते ही हम बैट करेंगे
सभी - ठीक है
तभी सबकी नजर मैन गेट की तरफ जाती है l कुछ कारों का काफ़िला आ कर कॉलेज में रुकती है l सबसे बीच वाले कार में अध्यक्ष XXX युवा मोर्चा लिखा हुआ था l उस कार से विक्रम और वीर उतरते हैं l फ़िर रूप उतरती है l जैसे ही रूप उतरती है सभी लड़के चोर नजर से रूप को देख रहे हैं l उनमें रॉकी सामिल है l
रॉकी - वाव क्या आइटॉम है बाप.... पर यह वीर के साथ क्या कर रही है...
L3- यह इनकी बहन है रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल..
रॉकी - तुझे कैसे मालुम है बे राजू....
राजु - क्यूंकि कभी हम भी राजगड़ में रहते थे l आगे की पढ़ाई के लिए हमे गांव व घर बार छोड़ना पड़ा l
रॉकी - दोनों भाई अपनी बहन को लेकर अपनी कॉलेज में क्यूँ आए हैं... कहीं एडमिशन के लिए तो नहीं... अगर ऐसा हो जाए तो मजा आ जाएगा l
राजु - पता नहीं अगर तुम्हारी बात सच है तो भाई मैं तेरे गैंग से आउट...
रॉकी - क्यूँ बे फट्टु फट गई तेरी...
राजु - तु मेरी बात छोड़... तु अपना बता वीर के सामने तेरी चलती है क्या...
रॉकी - अपन थोड़े उससे डरता है..
राजु - रहने दे... रहने दे... यह क्षेत्रपाल परिवार क्या है तु अच्छी तरह से जानता है...
इनके सामने कोई आँखे उठाकर बात नहीं कर पाता है और उनके घर की बेटी से आँख लड़ेयेगा.. चल रहने दे

रॉकी - अबे वह तो बाद में देखा जाएगा पहले पता तो चले यह क्षेत्रपाल तिकड़ी यहाँ आई क्यूँ है......
कॉलेज प्रिन्सिपल के चैम्बर में
प्रिन्सिपल खड़ा हुआ है और तीनों भाई बहन उसके सामने बैठे हुए हैं
वीर कहता है - राजा साहब ने बता दिआ होगा... इसलिए एडमिशन की फर्मोंलिटि पूरी कर इन्हें सीधे क्लास तक एस्कॉट करते हुए ले जाओ और हाँ तुरंत सबको ख़बर हो जानी चाहिए कि राजा साहब की बेटी, वीर की बहन इस कॉलेज में पढ़ रही हैं l सब उसके साथ अदब से पेश आयें... बाकी कहने की कोई जरूरत नहीं समझे..
प्रिन्सिपल - जी जी
विक्रम व वीर उठते हैं l
विक्रम - रूप आपके लिए एक गाड़ी व ड्राइवर छोड़े जा रहे हैं l अब से वह कार आपकी है... हर रोज ड्राइवर आपको लाएगा और ले जाएगा l
रूप - जी युवराज

वीर - जाओ और अपना क्लास एंजॉय करो
प्रिन्सिपल - आइए राज कुमारी जी मैं आपको आपके क्लास तक पहुंचाता हूँ...

रूप - जी सर
रूप प्रिन्सिपल के साथ क्लास चली जाती है और विक्रम व वीर भी अपने गाड़ी से बाहर चले जाते हैं l
प्रिन्सिपल को बीच रास्ते में रोक कर रूप कहती है - सर
प्रिन्सिपल - जी राज कुमारी जी
रूप - देखिए सर पहली बात आप मुझे राजकुमारी ना कहें और मेरी असली परिचय किसी को ना बताएं l
प्रिन्सिपल - यह कैसे हो सकता है राज कुमारी जी... अगर राज कुमार जी को मालुम पड़ा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे...
रूप - अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मैं राजा साहब से सीधे आपके खिलाफ शिकायत करूंगी l
प्रिन्सिपल - नहीं नहीं ऐसा न कहिए... क्या करूँ एक तरफ खाई है दूसरी तरफ कुआं..
रूप - देखिए सर राजकुमार कभी कभी कॉलेज आते हैं... इसलिए उन्हें मैं सम्भाल लुंगी, बस आप मेरी बात मान कर मेरा साथ दीजिए...
आप मेरा परिचय नंदिनी कहकर दीजिएगा... कहीं पर भी आप मेरी पारिवारिक परिचय मत दीजियेगा... और हाँ आप भी मुझे राज कुमारी मत बुलाएंगे...
प्रिन्सिपल - ठीक है.. अब आपके हवाले मैं और मेरा परिवार है...

रूप - चलिए सर आपकी सुरक्षा मेरी जिम्मेवारी है.......

प्रिन्सिपल रूप को लेकर BSc फर्स्ट ईयर के क्लास में पहुंचा और पढ़ा रहे लेक्चरर व सारे स्टूडेंट्स से रूप का परिचय कराते हुए - गुड मॉर्निंग बच्चों...

सबने कहा - गुड मॉर्निंग..
प्रिन्सिपल - यह हैं रु... मेरा मतलब है नंदिनी सिंह... आपकी नई दोस्त व सहपाठी..
और मिस नंदिनी जी यह आपकी क्लास...
इतना कह कर प्रिन्सिपल वहाँ से जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी से निकल गया l
फिर लेक्चरर ने नंदिनी को बैठ जाने को कहा l नंदिनी बीच के रो में एक लड़की के पास बैठ गई l
लड़की - हाय मैं बनानी महांती..
नंदिनी - मैं नंदिनी सिंह...
बनानी - ऐसे मिड सेशन में कैसे जॉइन किया तुमने...
नंदिनी - एक्चुआली मैं बीमार थी इसलिए शुरू में जॉइन नहीं हो पाई थी पर जब हेल्थ ठीक है तो जॉइन कर ली
लेक्चरर - साईलेंस प्लीज...
दोनों चुप हो गए और नंदिनी यादों में खो गई
******--------*****-----****
घर में शुभ्रा और रूप आज सुबह सुबह बातेँ कर रही हैं
शुभ्रा-क्या बात है रूप..
रूप - भाभी मैं क्षेत्रपाल सरनेम से यहां किसीसे पहचान या दोस्ती नहीं करना चाहती...
शुभ्रा - ऐसे कैसे हो सकता है... मत भूल कॉलेज में वीर भी है और यह सरनेम तुझे कॉलेज के लोफरों से भी बचाएगी...
रूप - नहीं भाभी मैं इस सरनेम के बगैर इस दुनिया का अनुभव लेना चाहती हूँ चाहे अच्छी हो या बुरी...
शुभ्रा - देखो रूप तु फ़िर से सोच ले...
रूप - भाभी मुझसे क्षेत्रपाल सरनेम जुड़ा रहा तो कोई मुझसे दोस्ती नहीं करेगा अगर यह सरनेम नहीं रहा तो मुझे दोस्त जरूर मील जाएंगे..
शुभ्रा - ठीक है कोशिश कर के देख ले... और शाम को घर आकर बताना क्या हुआ...
तभी क्लास खतम होने की बेल बजती है और रूप अतीत से बाहर आती है l
XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX
उधर प्रतिभा और तापस चलते हुए जैल की और जा रहे हैं l प्रतिभा साड़ी में थी और तापस अपने जैल सुपरिटेंड के वर्दी में l दोनों सेंट्रल जैल के मुख्य द्वार पर आ पहुँचे l तापस संत्री से प्रवेश द्वार खोलने के लिए कहता है l संत्री चाबी लेने पास के की स्टैंड तक जाता है l इतने में
प्रतिभा - और कितनी देर लगेगी
तापस- जी देवीजी बस उतनी ही देर जितनी मुझे रोज ऑफिस जाते वक़्त लगता है...
प्रतिभा - (अपनी मुहँ को सिकुड़ते हुए) हो गया
तापस - जी बिल्कुल हो गया...
संत्री द्वार खोल देता है l तापस संत्री से विजिटर रजिस्टर लाने को कहता है l संत्री रजिस्टर लता है प्रतिभा उसमें अपना दस्तखत कर कारण लिख देती है l तापस संत्री से कहता है - इन्हें मीटिंग रूम में पहुंचा दो और कैदी नंबर छह सौ आठ से मिलवा दो......
संत्री साल्युट मार कर प्रतिभा को अपने साथ ले कर मीटिंग रूम में इंतजार करने को कहा l
थोड़ी देर वाद एक कैदी उस कमरे में आता है प्रतिभा उसे देख कर बहुत खुश हो जाती है और पूछती है - कैसा है प्रताप...
प्रताप - सच कहूँ तो सुबह से आपको ही याद कर रहा था l
प्रतिभा - चल चल झूट मत बोल.... तुझे आज वैदेही की भेजी रखी कि इंतजार था....
प्रताप - पर रखी आपके सिवा लाएगा ही कौन....
प्रतिभा - इसी बहाने तुझसे मिलने भी तो आ जाती हूँ...
प्रताप - आपका आना भी मेरे लिए किसी पर्व से कम है क्या.....
प्रतिभा - बाप रे कितना बोलने लग गया है तु....
प्रताप - सब आपकी महिमा है मैया..
प्रतिभा - अब तु भी मुझे उनकी तरह छेड़ने लगा.....
प्रताप- अरे माँ दस बाई आठ के कमरे से जब भी बाहर निकल कर आपके सामने आता हूँ तो जी करता है आपसे मन भरने तक बात करूँ....
प्रतिभा - तो फिर मेरे बच्चे ढाई महीने बाद रिहा हो कर मेरे पास ही क्यूँ नहीं रुक जाता...
प्रताप का चेहरा थोड़ा उदास हो जाता है - माँ मुझ पर रिश्तों की कर्ज व बोझ है.... जब तक मैं उन सबको निभा कर कर्ज़ मुक्त नहीं हो जाता तब तक मुझसे कोई वादा मत माँगों.... प्लीज...
प्रतिभा - ठीक है बेटा इस माहौल को ग़मगीन मत करो चलो यह राखी पहन लो...
प्रताप अपना हाथ बढ़ा देता है तो राखी प्रतिभा बांधती है
प्रताप - बुरा लगा....
प्रतिभा - नहीं...
प्रताप - माँ मैं पहले भी कह चुका हूँ... आज फिर से कह रहा हूं... मेरा मक़सद पुरा होते ही मैं पुरी तरह से आपका हो जाऊँगा...

प्रतिभा - (राखी बांधने के बाद) मैं जानती हूँ पर दिल थोड़े मानता भी तो नहीं....अच्छा यह बता वह तेरे साथ कैसे हैं....
प्रताप- तुम प्यार जताते थकती नहीं हो और वह जुड़ाव, लगाव रखते बहुत हैं मगर जताते या दिखाते नहीं हैं..
दोनों हंस पड़ते हैं l प्रतिभा थोड़ी गम्भीर हो जाती है और प्रताप के चेहरे को दोनों हाथों से झुका कर माथे को चूमती है l
प्रतिभा - अच्छा बेटा चलती हूँ... अपना खयाल रखना....
प्रताप - आप भी अपना और अपने उनका खयाल रखियेगा...
इतना कहकर प्रताप अंदर चला जाता है l उसके जाते ही प्रतिभा कमरे से बाहर निकालती है l दरवाजे से थोड़ी दूर आ कर रुक जाती है और बिना पीछे मुड़े पीछे की ओर कहती है - छुपकर सुनने से अच्छा होता कि आप भी हम माँ बेटे के साथ थोड़ा वक़्त बिताते और दो बातेँ भी कर लेते....
दरवाजे के ओट में छिपा तापस बाहर निकलता है और कहता है - दरअसल मेरा पेन यहाँ गिर गया था... वह ढूंढ कर निकाल रहा था कि तुम बाहर निकल आई....
प्रतिभा - हो गया....
तापस - हाँ हो गया देवी जी हो गया...
प्रतिभा - तो चलिए मुझे बाहर तक छोड़ दीजिए...
तापस- चलिए...

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उधर तीसरा क्लास खतम होते ही लंच ब्रेक की बेल बजती है

बनानी - अच्छा नंदिनी क्यूँ ना अभी हम कैन्टीन चलें..

नंदिनी - हाँ हाँ चलो चलते हैं...
फिर दोनों क्लास से निकल कर कैन्टीन चल देते हैं l
कैन्टीन में रॉकी अपने ग्रुप के साथ बैठा हुआ था l जैसे नंदिनी कैन्टीन में आती है वैसे ही सबकी नजर उसकी तरफ घुम जाती है l नंदिनी व बनानी दोनों जा कर एक टेबल पर बैठ जाते हैं l तभी रॉकी अपने जगह से उठता है और नंदिनी के तरफ आकर पूछता है - न्यू जॉइनींग
नंदिनी - येस...
रॉकी- आपका नाम जान सकता हूँ..
नंदिनी - क्यूँ नहीं.... मेरा नाम नंदिनी सिंह है..
रॉकी - (हाथ बढ़ाता है) हाय मैं राकेश पाढ़ी और दोस्त सभी मुझे रॉकी कहते हैं...
नंदिनी - (उससे हाथ मिलती है) ओके रॉकी..
हाथ मिलाते ही रॉकी शुन हो जाता है और नंदिनी की हाथ को वैसे ही पकड़े रहता है l नंदिनी अपनी हाथ छुड़ा कर पूछती है - ओ हैलो क्या हुआ..
रॉकी - क क कुछ नहीं अच्छा तुम कौन से स्ट्रीम में हो
नंदिनी - साइंस....
रॉकी - ओह मैं कॉमर्स फाइनल ईयर... अच्छा नंदिनी बाद में मिलते... हैं..

नंदिनी - ओके श्योर...
रॉकी नंदिनी को देखते हुए अपने पट्ठो के पास वापस जा रहा होता है,के तभी प्रिन्सिपल ऑफिस के पीओन आ कर नंदिनी को पूछता है - क्या आप मिस नंदिनी हैं....
नंदिनी - जी मैं ही हूँ...
पीओन - आपको प्रिन्सिपल जी ने बुलाया है...
नंदिनी - अच्छा बनानी मैं प्रिन्सिपल सर से मिलकर आती हूँ..

बनानी - ओके तो फ़िर हम क्लास में मिलते हैं...
उधर रॉकी अपने पट्ठों के साथ बैठा हुआ है और अपने हाथ को देख रहा है l
एक बंदा पूछता है - क्या बात है रॉकी अपने हाथ को ऐसे क्या घुर रहे हो...
रॉकी - अबे क्या बताऊँ यार कितने नरम हाथ थे उस नंदिनी के.... साला लंड अकेला नहीं खड़ा हो रहा है साला साथ साथ मैं रोयां रोयां भी खड़े हो गए...
सारे बंदे रॉकी को ऐसे घूरते हैं जैसे कोई बम फोड़ दिआ हो l
उधर प्रिन्सिपल के रूम में
प्रिन्सिपल - देखिए नंदिनी जी अपने जैसा कहा मैंने वैसा किया है पर आपके ID कार्ड में नाम तो पुरा और सही लिखना पड़ेगा...
नंदिनी - सर आपने मुझे इतना फेवर किया है तो एक छोटा सा और कर दीजिए...
प्रिन्सिपल - (अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपना चेहरा पोछता है) देखा आपने ऐसी रूम में भी कितना पसीना निकल रहा है.... अगर आपके भाईयों को जरा सा भी भान हुआ तो मैं कहीं का नहीं रहूँगा (कहकर हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी - अरे अरे सर यह आप क्या कर रहे हैं.... सर आप पर कुछ नहीं आएगा... यह मेरा वादा है...
प्रिन्सिपल - ठीक है बताइए...
नंदिनी - मुझे आप दो ID कार्ड इशू कीजिए.... एक मेरी असली पहचान की और दुसरी वह जिसे मैं अपनी पहचान बनाना चाहती हूँ...
प्रिन्सिपल - ठीक है कॉलेज खतम होते ही ऑफिस से ले लीजियेगा... और इतनी कृपा बनाए रखियेगा के मेरे ऑफिस में जितना हो सके उतना कम आइयेगा... (कह कर वह अपने कुर्सी से उठ खड़ा होता है और हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी को थोड़ा बुरा लगता है और बिना पीछे मुड़े अपनों क्लास के तरफ निकल जाती है...
उधर कैन्टीन में रॉकी को वही बंदा पूछता है - अबे मरवायेगा क्या.... सुबह राजु ने उसके बारे में तुझे बताया तो था....
रॉकी - हाँ तो क्या हुआ अबे तूने देखा नहीं उसने मुझसे हाथ भी मिलाया और फिर से मिलने की बात पर हाँ भी कहा....
समझा कर आशीष..
आशीष - फ़िर भी एक मुलाकात मैं इतना आगे मत बढ़... अगर कहीं लेने के देने पड़ जाएं...
रॉकी थोड़ी देर सोचता है और अपने पास बैठे सारे दोस्तों को देखता है, वहाँ राजु नहीं था, फिर मन में कुछ सोचता है और सबसे पूछता है- सुनो बे चड्डी बड्डी कमीनों क्या करना है आईडीआ दो सालों...
आशीष - देख बे सुबह राजु ने खाली क़िताब का कवर दिखाया है पर मेरा मान कुछ टाइम ले थोड़ा अवजरभ कर कम से कम एक हफ्ते के लिए.... फिर मिलकर सोचते हैं क्या किया जाए....
रॉकी - चलो तुम लोगों की बात मान लेता हूँ.... छोकरी की कुंडली इतिहास व भूगोल के बारे में सब पता लगाता हूँ....
पर कमीनों किसी महापुरुष ने कहा था की इतिहास गवाह है इंसान या तो बेहिसाब दौलत के लिए या फिर बेहद खूबसूरत लड़की के लिए... अपनी जान की बाजी लगा देता है...और राजू की बताई डिटेल्स अगर सही है तो यह जितनी खूबसूरत है इसके बाप के पास उतनी ही ज्यादा दौलत है...तो अबसे "मिशन नंदिनी" शुरू और ऐसे समय में बड़े बड़े कमीने कह गये हैं नो रिस्क नो गैन....
बहुत ही बेहतरीन महोदय।।

लोग कह गए हैं कि नाम मे क्या रखा है ये बात सही है, लेकिन कभी कभी नाम मे ही बहुत कुछ ऐसा होता है कि नाम सुनकर ही लोगों के छक्के छूट जाते हैं। नंदिनी का प्रवेश हो गया है कॉलेज में लेकिन वो अपने सरनेम के कारण परेशान है। प्रिंसिपल भी उसकी मदद करता है लेकिन उनके मन मे भी डर है कि कहीं लेने के देने न पड़ जाएं। रॉकी मिशन नंदिनी पर लग चुका है देखना है इसका क्या हाल होता है।।
 

Jaguaar

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Jaguar भाई मैंने आपके कहानियाँ सभी पढ़ी हैं
बस अब तक बेपनाह इश्क़ पढ़ा नहीं है
मैं इस कहानी को एक साथ खतम करना चाहता हूँ इसलिए जब यह थ्रेड आरंभ किया था केवल पहला अंक पढ़ा था
अच्छी लगी थी असल में अगर कोई और थ्रेड होता तो ज़रूर इंतजार करते हुए पढ़ता पर चूंकि रोमांस पर आधारित है इसलिए मुझे अंत की प्रतीक्षा है...
बाकी कहानियाँ आपकी तब पढ़ी हैं जब मैं इस फोरम का सदस्य नहीं था पर सभी उम्दा हैं यह निश्चिंत कह सकता हूँ
वैसे आप पुराने लेखक हैं और आपकी कल्पना शीलता बहुत ही गजब का है...
जब आप जैसा लेखक हौसला अफजाई करता है तो दिल बाग बाग हो जाता है...
धन्यबाद मित्र पुनः धन्यबाद
Meri kahaniyan aapko pasand aayi yeh jaanke mujhe khushi hui.
 
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Kala Nag

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बहुत ही बेहतरीन महोदय।।

लोग कह गए हैं कि नाम मे क्या रखा है ये बात सही है, लेकिन कभी कभी नाम मे ही बहुत कुछ ऐसा होता है कि नाम सुनकर ही लोगों के छक्के छूट जाते हैं। नंदिनी का प्रवेश हो गया है कॉलेज में लेकिन वो अपने सरनेम के कारण परेशान है। प्रिंसिपल भी उसकी मदद करता है लेकिन उनके मन मे भी डर है कि कहीं लेने के देने न पड़ जाएं। रॉकी मिशन नंदिनी पर लग चुका है देखना है इसका क्या हाल होता है।।
धन्यवाद आपका
 

Pass1234

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Are bhai koi roky ko battoo ki rangmahal khali haii
 
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