यह कहानी एक अहंकारी एवं दुराचारी भैरव सिंह क्षेत्रपाल और उसके ज़ुल्म से पीड़ित विश्व प्रताप महापात्र के बीच धर्मयुद्ध की है ।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भैरव सिंह एक निहायत ही दुष्ट प्रवृत्ति का इंसान हैं । औरतों को अपने पांव की जूती समझने वाला इंसान है । परिवार के मर्दों को ही अपनी मनमर्जी करने का अधिकार है और इसी वजह से वो सभी भी भैरव सिंह के कदमोंनक्श पर चल रहे हैं ।
उसके घर की औरतें भी उसके ज़ुल्मो सितम से परेशान हैं । वो आजादी की सांसें लेना चाहती है मगर ऐसा मुमकिन होते वो नहीं देख पा रही है ।
रूप नंदिनी को कुछेक दिनों के लिए आजादी तो मिली पर वो भी जानती है कि यह आजादी नाममात्र के लिए है । अपनी आइडेंटी छुपाकर एक आम इंसान की जिंदगी जीने की कोशिश कर तो रही है पर वो यह भी समझती है कि यह खुद को मात्र भरमाने भर की कोशिश ही है ।
कहानी का नायक सात साल से जेल में हैं । और इसका कारण शर्तिया भैरव सिंह ही रहा होगा । शायद विश्वा के साथ और उसके फेमिली के साथ बहुत ही बुरा हुआ हो । गलत आरोप लगाये गए हों ।
वैदेही उसकी एकलौती शुभचिंतक रही है जो उसे भाई के समान मानती है । इसके बाद जेलर साहब और उनकी पत्नी ।
कहानी का एक और प्रमुख किरदार जेलर साहब हैं जिनके एकलौते पुत्र की मौत हो चुकी है । पत्नी हाई कोर्ट में सिनियर वकील है और विश्वा को अपने पुत्र के समान मानती है ।
शायद उनके पुत्र की मौत स्वाभाविक न हुई हो । शायद उसके मृत्यु में भी भैरव सिंह का कोई हाथ हो ।
बहुत ही उम्दा कहानी लिख रहे हैं आप । भाषा पर पकड़ बहुत ही बेहतरीन है । नाम और कास्ट से ही पता चल जाता है कि सारे किरदार उड़िसा के है । मैं अपने उड़िया भाइयों के बीच बहुत साल रहा हूं । वो मेहनती और भोले होते हैं । पर समय के साथ धीरे धीरे तब्दीली आने लगी है । अब वो छल कपट समझने लगे हैं ।
कहानी में भैरव सिंह का किरदार मुझे बहुत ही पावरफुल लगा । विलेन मजबूत होना ही चाहिए तभी नायक का किरदार भी खुलकर सामने आ पाता है । महल में जिस तरह से उसने रिपोर्टर और उसकी पत्नी को मौत के घाट उतारा वो काफी दमदार लगा मुझे ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट भाई ।
वेटिंग नेक्स्ट अपडेट !