विश्वा द्वारा दायर ' रिट पिटीशन ' मुझे समझ नही आया ।
उच्च न्यायालय किसी कार्य को रोकने के लिए निचली अदालत को निर्देश देता है । न्यायालय का मानना है कि व्यक्तियों को भी अपना बचाव करने का उचित अवसर मिले ।
शायद यहां विश्वा ' रूप फाउंडेशन ' के साथ साथ ' को - ओवरेटिव सोसायटी ' की सुनवाई भी एक साथ ही कराना चाहता था । शायद किसी केस मे भैरव सिंह से गलती हो जाए !
लेकिन यह स्पष्ट हो गया कि स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट होम मिनिस्टरी और कोर्ट की मिलीभगत साजिश का परिणाम था । जज या मजिस्ट्रेट मे भी हर कोई दूध का धुला नही होता ।
इस पुरी अदालत कारवाई के दौरान विश्वा का दस दस दिन के अंतराल पर यशपुर , सोनपुर और देवगढ़ मे इस केस को ट्रांसफर करना भी मै समझ नही सका । शायद यह कोई बड़ी चाल होगी विश्वा की ।
गौरी ने मल्लिका को लेकर जो आशंका व्यक्त की है , उससे मै पुरी तरह इत्तफाक रखता हूं । और यह वास्तव मे काफी डरावना भी है । लेकिन मुझे विश्वास है भैरव सिंह की यह दुष्कर्म सोच कभी कामयाब न होगा ।
सेनापति दम्पति का फिलहाल कुछ समय के लिए सार्वजनिक क्षेत्र से गुमनाम हो ही जाना चाहिए । विश्वा ने यह बहुत बढ़िया डिसिजन लिया है ।
के के साहब और भैरव सिंह के बीच ऐसा क्या समझौता हुआ जो दो दुश्मन एक दोस्त की तरह हो गए ? मुझे लगता है राजनीतिक लोभ दिखाया गया होगा के के साहब को ।
डैनी साहब बहुत अरसों के बाद नजर आए । लेकिन आते ही फिर से अपनी उपयोगिता सिद्ध कर दी । न केवल विश्वा के आंखो मे पड़े धुल को साफ किया बल्कि मैन पावर की उपलब्धता पर भरोसा भी दिलाया ।
जब तक आप अपने दुश्मन के चक्रव्यूह का भेदन नही करेंगे तब तक आप अपने दुश्मन तक पहुंच नही पायेंगे । और भैरव सिंह ने जो कुछ अपने इर्द-गिर्द चक्रव्यूह बना रखा है , उनका समूल नाश करना विश्वा के लिए पहला कदम होना चाहिए । बल्लभ प्रधान , होम मिनिस्टर , के. के. जैसे जो भी लोग हैं इनपर लगाम कसना विश्वा के लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए ।
बहुत खुबसूरत अपडेट
Kala Nag भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड जगमग जगमग ।