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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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*Index *
 
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Kala Nag

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Kala Nag bhai next update kab tak aayega?

Nag bhai
Update ka intzar h

Kala Nag BHai,

Update kab tak aayega????

Kala Nag bhai next update kab tak aayega?

Nahi nagender ko maar k hi raja court se time lega

Bhut besabri se intjaar hai
भाई यों मेरे दोस्तों मैं पहले भी कह चुका हूँ कुछ निजी कारणों से मैं पेज पर आ नहीं पाया था l खैर अब अगला भाग प्रस्तुत कर रहा हूँ l इसके बाद सिर्फ और दो अपडेट ही आयेंगे l एक सौ पैंषठवाँ अपडेट अंतिम होगी और अंतिम रुप देना बहुत ही मेहनत का काम लग रहा है l कहानी शुरु करना आसान होता है पर उसे बिल्कुल सही अंजाम तक पहुँचाना एकदम टेढ़ी खीर बन गया है
 

Luckyloda

Well-Known Member
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Aap apna समय ले और tasalli से कहानी का समापन करे....

हमे कोई भी जल्दी नहीं हैं....
 

Kala Nag

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👉एक सौ त्रेसठवाँ अपडेट
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स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट यशपुर

कोर्ट रुम में विश्व, पत्री बाबु, सुधांशु मिश्रा और इंस्पेक्टर दास के साथ कुछ गाँव वाले बैठे हुए हैं l कोर्ट रुम के बाहर सुप्रिया और कुछ दूसरे चैनल वाले कोर्ट रुम मैं घुसने की कोशिश कर रहे थे जिन्हें पुलिस सख्ती से रोक दिया था इसलिए सारे न्यूज चैनल वाले बाहर हल्ला कर रहे थे l थोड़ी देर बाद तीनों जजों के गाडियाँ एक के बाद एक परिसर में आते हैं l उनके आते ही पुलिस वाले उन्हें मीडिया वालों से बचाते हुए कोर्ट के अंदर पहुँचा देते हैं l आज मीडिया वालों के साथ राजगड़ और यशपुर के लोग भी भीड़ बना कर खड़े थे l हाँ यह बात और है कि वे लोग अंदर आने के लिए जरा भी प्रयास नहीं कर रहे थे l कोर्ट रुम के भीतर हॉकर सबको ज़जों के आने की सूचना देता है l सभी सम्मान में खड़े हो जाते हैं l



तीनों जज, अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते हैं l मुख्य ज़ज औपचारिक परंपरा निभाते हुए गैवल को टेबल पर मारते हुए 'ऑर्डर' 'ऑर्डर' कहता है l



ज़ज - आज की कारवाई शुरु की जाए... वादी पक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (विश्व एक काग़ज़ निकाल कर राइटर के हाथ में देता है) प्रतिवादी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (कोर्ट रुम में सन्नाटा था, क्यूँकी ना तो कोर्ट में भैरव सिंह था ना ही उसके तरफ़ से कोई और) (ज़ज अपनी नजरें घुमा कर चारों तरफ़ देखता है, उसे भैरव सिंह की अनुपस्थिति का एहसास होता है, तो ज़ज इंस्पेक्टर दास से पूछता है) इंस्पेक्टर दास... आप अपनी केस पर जो छानबीन की है... उस पर रौशनी डालें...



इंस्पेक्टर दास अपनी जगह से उठता है और एक फाइल को राइटर के हाथ में देता है l राइटर जज को फाइल सौंप देता है l जज फाइल हाथ में लेकर कुछ पन्ने पलटता है और फिर



जज - इंस्पेक्टर दास... इस केस के बाबत अदालत को... क्या आप मौखिक रूप से संपूर्ण विवरण देंगे...

दास - जी माय लॉर्ड...



इंस्पेक्टर दास कटघरे में जाता है और अपनी टोपी निकाल कर काख में दबा कर खड़ा हो जाता है l फिर दास कहना शुरू करता है l



दास - माय लॉर्ड... अदालत से हमें जैसे ही आदेश मिला... हमने तुरंत कमल कांत जी की खोज के लिए जो मुमकिन था... वह सब हमने किया... हाँ कुछ हद तक... हमें क्षेत्रपाल जी से मदत मिली... पर वह नाकाफी था... इसलिए इन सात दिनों में... जितना संभव हुआ... उतना हमनें खोजबीन की... उसके आधर पर रिपोर्ट बना कर... अदालत के सामने प्रस्तुत कर दिया...

जज - ठीक है... अब अपनी रिपोर्ट को विस्तृत रूप में... अदालत को अवगत कराएं...



दास गवाह वाली कटघरे में आता है l गावही के पूर्व अपनी सारी औपचारिकताओं को पूर्ण करता है फिर जजों को देखते हुए कहना शुरु करता है



दास - माय लॉर्ड... तारीख xxxx को हमें एसपी ऑफिस से एक ऑर्डर फैक्स के थ्रु मिला... आप फाइल की पहली ऐनेक्स्चर में देख सकते हैं... जिसमें कहा गया था... राजा साहब के घर में... विवाह उत्सव होने वाला है... उनके होने वाले दामाद को सुरक्षा मुहैया करते हुए... बाराती की तरह महल तक पहुँचाया जाए... माय लॉर्ड... मैं और मेरी पुरी टीम... इसको बखूबी अंजाम दिया... उसके बाद वर... उर्फ कमल कांत जी को... परंपरा निभाते हुए... राजा साहब के अपनों के द्वारा... विवाह बेदी तक ले जाया गया... बेदी पर रस्म खत्म होने पर... वर को... उनके लिए... उपलब्ध करायी गई प्रकोष्ठ को... राजा साहब के निजी सुरक्षा कर्मचारियों के द्वारा ले जाया गया... हम केवल वहाँ मूक दर्शक थे... कुछ देर बाद... सत्तू नाम का महल का नौकर राजा साहब के कान में कुछ कहा... उसके बाद राजा साहब और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी अंदर गए... तत्पश्चात कुछ समय बाद... मेरे फोन पर... अमिताभ रॉय जो कि राजा साहब के निजी सुरक्षा अधिकारी हैं और वर्तमान ESS के निर्देशक भी हैं... उनका फोन आया... फिर मैं अकेला... केके जी के प्रकोष्ठ में गया... और वहाँ पर मुआयना करने के बाद... उस समय मुझे लगा... शायद साहब केके भाग गए हैं... पर राजा साहब... उनके अपहरण होने की संभावना व्यक्त करते हुए... केस दर्ज करने के लिए कहा... पर चूंकि चौबीस घंटे नहीं हुए थे... इस लिए उन्हें मैंने सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा था... आगे जो भी हुआ... वह अदालत के संज्ञान में है...

जज - आपने केवल एक ऐनेक्स्चर रिपोर्ट में प्रस्तुत की है... बाकी जो रिपोर्ट बनाया है... उसका आधार क्या है...

दास - (एक पेन ड्राइव निकाल कर राइटर के हाथ में देता है, जिसे राइटर जज को दे देता है) माय लॉर्ड यह वह वीडियो है... जिसे राजकुमारी जी की एक दोस्त ने शूटिंग की थी... इससे आप मेरी कही बातों को पुष्टि कर सकते हैं... इस वीडियो में... वर के पहुँचने से लेकर... मुझ तक खबर आने की सारी बातें रिकार्डिंग हुई है...

जज - ठीक है... पर महल के भीतर की तहकीकात के बारे में... आपने ज्यादा कुछ नहीं लिखा है... और सबसे अहम बात... कमल कांत... अभी भी लापता हैं...

दास - जी माय लॉर्ड... पर सच्चाई यह भी है... महल के जिस हिस्से तक.. मैं अपनी तहकीकात को ले जा पाया... वहाँ तक... आज तक कोई भी... सरकारी या गैर सरकारी अधिकारी नहीं पहुँच पाया है... उससे आगे जाकर तहकीकात करने के लिए... हमें कोई... सर्च वारंट नहीं मिला है... अब चूँकि... महल में कोई सरकारी सुरक्षा नहीं थी... राजा साहब की निजी सुरक्षा प्रबंधन थी... हम अभी उन्हीं लोगों को... रंग महल में... नजर बंद कर पूछताछ कर रहे हैं... पर अभी तक कोई भी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाए हैं...

जज - तो... केस में फिर कैसे आगे बढ़ा जाए...

विश्व - एस्क्युज मी माय लॉर्ड... क्या मैं कुछ कहूँ...

जज - हाँ जरूर... कहिये...

विश्व - माय लॉर्ड... यह एक स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट है... और इस कोर्ट का गठन किसी और केस के लिए की गई थी... इस कोर्ट की मकसद कुछ और थी... एक गैर जरूरत केस में... सात दिन बर्बाद हो चुके हैं... और सात दिन पुरे होने के बावजूद... राजा भैरव सिंह... आज कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं...

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... आप यह मत कहिये... हम यहाँ क्यूँ हैं... किस लिए हैं.... इस कोर्ट को मकसद ना समझाये... एक बात याद रखें... लॉ बुक हमेशा यह कहती है... जस्टिस हरिड... मतलब जस्टिस बरीड...

विश्व - लॉ बुक यह भी कहती है... जस्टिस डिले... मतलब जस्टिस डिनाय...

जज - (चीख उठता है) होल्ड योर टोंग...(कोर्ट में सन्नाटा पसर जाता है) आप अपनी सीमा से बाहर जा रहे हैं...

विश्व - नहीं माय लॉर्ड... (एकदम शांत लहजे में) मैं ऐसी गुस्ताखी नहीं कर सकता... जिस केस के लिए... जो दिन तय किए गए थे... उसमें से सात दिन बीत चुके हैं... केके साहब के गायब होने को... इस केस से क्यूँ जोड़ा जा रहा है... और राजा साहब... मुल्जिम हैं... प्रतिवादी हैं... जिन्हें अपनी तहकीकात में... एक्जिक्युटीव मैजिस्ट्रेट माननीय श्री नरोत्तम पत्री जी के द्वारा... आरोपित स्थापित किया जा चुका है...

जज - मिस्टर... विश्व प्रताप... आप अदालत की तौहीन कर रहे हैं....

विश्व - नहीं योर ऑनर...

जज - (गैवेल को टेबल पर मारते हुए) ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर... यह अदालत आपको अंतिम चेतावनी देती है... अगर आप कारवाई पर प्रश्न चिन्ह लगाएंगे... तो आपको इस केस से हटा दिया जाएगा...

विश्व - आई एम एक्सट्रीमली सॉरी माय लॉर्ड... मुझे माफ कर दीजिए...

जज - यह अदालत एक घंटे के लिए मुल्तवी किया जाता है...





तीनों जज अपनी जगह से उठते हैं और कमरे से बाहर निकल जाते हैं l अपनी जबड़े भिंच कर विश्व वहीँ खड़ा रह जाता है l पीछे से पत्री बाबु आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हैं l विश्व मुड़ कर देखता है l



पत्री - चलो बाहर चलते हैं...

दास - हाँ... थोड़ी चाय बाय पीते हैं... बहुत गर्म हो गए हो... थोड़ा ठंडा हो लो...



विश्व, पत्री, दास और सुधांशु मिश्र चारों बाहर आते हैं l बाहर विश्व के चारों दोस्त चाय की दुकान पर खड़े थे l उनसे भी कुछ दूर गाँव के बहुत सारे लोग विश्व की ओर टकटकी लगा कर देखे जा रहे थे l दुकान पर पहुँच कर विश्व एक बहुत गहरी साँस लेता है और बेंच पर बैठ जाता है l दास इशारा करता है तो सीलु एक चाय की ग्लास लेकर विश्व के हाथ में देता है l तभी उनके पास सुप्रिया चल कर आती है l



पत्री - मुझे लगा नहीं था... तुम इस कदर भड़क जाओगे... रिएक्ट करोगे...

दास - तुमने जज का मुड़ ऑफ कर दिया...

विश्व - आई एम सॉरी... पर मैं शर्मिंदा नहीं हूँ...

पत्री - हाँ... जानता हूँ...

विश्व - इस केस को यहाँ लाया गया... उसके लिए... तीस दिन मुकर्रर किया गया... अब... आज आठवाँ दिन हैं...

दास - हाँ... यह बात तो है...

पत्री - मैं समझ रहा हूँ...

सुप्रिया - तुम्हें पहली बार इतनी फ्रस्ट्रेशन में देख रही हूँ...

विश्व - आप कुछ समझी...

सुप्रिया - अब तक जितना सुना... समझा... केस फाइल का पहला पन्ना तक शायद नहीं पलटा गया है....

विश्व - हाँ... राजा केस को यहाँ लेकर आया... उसके लिए... तीस दिन की सुनवाई मुकर्रर किया गया... पहली ही दिन... सात दिन को सम्वेदना के रूप में बर्बाद कर दिया... और आज अभी तक नहीं आया है...

दास - इसी बात के फ्रस्ट्रेशन में... आज विश्व बाबु अदालत में... अपना टेंपरामेंट लूज कर बैठे... जज साहब ने फ़िलहाल के लिए वॉर्न किया है...

टीलु - पर इसमे विश्वा भाई का दोष कहाँ है... जो मुज़रिम है... उसकी सहूलियत देखी जा रही है... सिर्फ एक आदमी की... जब कि इस केस में हज़ारों लोग जुड़े हैं... वह देखो... (लोगों की ओर इशारा करते हुए) क्या यह लोग... इनके हालत... वक़्त... कुछ भी मायने नहीं रखते... लोग ही नहीं... सिस्टम... सिस्टम से जुड़े लोग... सिस्टम का वक़्त और पैसा... सब बर्बाद हो ही रहा है...

पत्री - ना.... आज दिन खत्म हुआ है... ना केस... घंटे भर के लिए... ब्रेक लिया गया है... राजा आ गया तो ठीक... वर्ना... अदालत... राजा के खिलाफ शो कॉज नोटिस इश्यू करेगा... इसलिए... हैव पेशेंस...

सुप्रिया - हाँ सिस्टम की इसी चाल के वज़ह से... న जानें कितने केसेस अदालत के फाइलों में साड़ती रहती है... इंसाफ़ के लिए आँखे तरस जाती हैं... वेल... क्या इस बात को... अभी के अभी न्यूज ब्रीफिंग में टेलीकास्ट कर दूँ...

विश्व - नहीं... अभी नहीं... थोड़ी देर में... सुनवाई फिर से शुरू हो जाएगी... आज का दिन खत्म हो जाने दो...



विश्व उठता है, उसके साथ सुधांशु, दास और पत्री अदालत के कमरे में जाते हैं l कुछ मिंटो बाद तीनों जज अपनी अपनी आस्थान में बैठ कर औपचारिकता निभाते हैं l



जज - इंस्पेक्टर दास...

दास - तो आपकी फाइनल रिपोर्ट क्या है...

दास - माय लॉर्ड... केके कोई आम आदमी नहीं हैं... कंस्ट्रक्शन किंग के नाम से जाना जाता है... और यह सच है... उनकी शादी राजकुमारी जी से तय हुई थी... मतलब यह केस एक हाई प्रोफाइल केस हो गया है... और जिस दिन यह कांड हुआ... हमें और गाँव वालों को लगा कि वह शादी का दिन था... पर राजा साहब ने अदालत में उसे मंगनी कहा है... खैर... सच यह है कि... केके साहब... गायब हुए हैं... वह भी महल के भीतर से... उनको दी गई... उन्हीं की कमरे से... मौका ए वारदात को मध्य नजर रखते हुए... हमें यह लगा कि वह महल से भाग गए हैं... पर अभी भी वह लापता हैं... हमने पूछताछ कर ली... पर अभी तक किसी के भी नजर में आए नहीं हैं... ना राजगड़ अथवा यशपुर में... ना ही कटक या भुवनेश्वर में...

जज - तो आप इस केस को किस तरह से कंक्लुड करना चाहते हैं...

दास - केके साहब का ना मिलना... मेरा मतलब है... किसी को नज़र ना आना... हो सकता है... महल के भीतर ही कुछ हो गया हो... महल के भीतर तहकीकात करना... हमारी वश की बात नहीं है...

जज - क्यूँ...

दास - महल की चौखट लाँघ कर... नहीं जज साहब... यह एक हाई प्रोफाइल केस है... हमारी औकात के बाहर की... बेशक अभी तक राजा साहब ने... तहकीकात में साथ दिया है... पर इससे आगे... या तो सीआईडी जा सकती है... या फिर... कोई स्पेशल टास्क फोर्स.... हम सरेंडर करते हैं...



कुछ देर के लिए अदालत में सन्नाटा छा जाता है l जज हैरानी भरे नजरों से दास को देखे जा रहा था, के तभी कमरे में बल्लभ का प्रवेश होता है l वह एकदम से बदहवास दिख रहा था l



बल्लभ - मे आई बी एक्सक्युज्ड माय लॉर्ड... क्या मैं अंदर आ सकता हूँ...

जज - आइए... प्रधान बाबु... (बल्लभ अंदर आता है)

बल्लभ - माय लॉर्ड... राजा साहब... आने ही वाले थे... पर... (रूक जाता है)

जज - आप अपनी बात पूरी कीजिए...

बल्लभ - राजा साहब के पिता... बड़े राजा.. नागेंद्र सिंह जी का देहांत हो गया है... यह रहा मेडिकल रिपोर्ट और डेथ सर्टिफिकेट...



नागेंद्र की मौत की खबर सुन कर विश्व और दूसरे लोग अपनी अपनी कुर्सी से उछल पड़ते हैं l बल्लभ फाइल से डेथ सर्टिफिकेट निकाल कर राइटर के हाथ में देता है l राइटर उसे लेकर जज के हाथ में दे देता है l जज उस सर्टिफिकेट को देखते हुए पहले विश्व को देखता है जैसे वह विश्व को अनुताप कराना चाहता हो फिर बल्लभ की ओर देखता है l



जज - यह बहुत ही दुख की बात है...

बल्लभ - जी माय लॉर्ड... इसलिए राजा साहब ने... अदालत को एक अनुरोध पत्र दिया है... के उन्हें उनके पिता जी के मरणोपरांत मुखाग्नि सहित श्राद्ध के अनुष्ठान करने तक पंद्रह दिनों की मोहलत दी जाए... उसके बाद वह बिना किसी शर्त के... अदालत को... सुनवाई और कारवाई मैं पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे... (फाइल से एक और काग़ज़ निकाल कर राइटर को देता है जिसे राइटर जज को दे देता है)

जज - ह्म्म्म्म... वादी पक्ष के वकील... अब तो आप समझ गए होंगे... राजा साहब अभी तक अदालत में क्यूँ नहीं पहुँचे...

विश्व - जी... माय लॉर्ड...

जज - अदालत... राजा साहब के दिए इस अनुरोध पत्र पर... आपकी राय जाननी चाहती है...

विश्व - (अपनी जबड़े भिंच कर चेहरा नीचे कर लेता है)

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... अदालत आपसे... आपकी राय जानना चाहती है...

विश्व - (अपना सिर ऊपर उठाता है, एक सरसरी निगाह बल्लभ पर डालता है और फिर जज की ओर देखते हुए) राजा जी की पत्र पर... न्यायलय जो भी न्याय संगत निर्णय ले... वादी पक्ष के वकील होने के नाते... मुझे वह स्वीकार्य होगा...

जज - ठीक है... यह अदालत.. राजा साहब की... अनुरोध पत्र को स्वीकार करती है... आज से ठीक पंद्रह दिनों बाद... राजगड़ मल्टिपर्पोज कोऑपरेटिव सोसाईटी केस पर सुनवाई... सोनपुर में शुरु करेगी... तब तक के लिए... यह अदालत स्थगित किया जाता है... नाउ दी कोर्ड इज़ एडजॉर्नड...



विश्व मुट्ठीयाँ भिंच कर कुर्सी पर बैठ जाता है l तीनों जज और बल्लभ कमरे से निकल चुके थे l बहुत भारी कदमों और झुके कंधों के साथ विश्व बाहर आता है l उसके पीछे दास, पत्री और सुधांशु आते हैं l उसी चाय की दुकान पर बैठ जाते हैं l विश्व को देख कर सुप्रिया और उसके दोस्त विश्व के पास आते हैं l



सुप्रिया - विश्वा... क्या हुआ... यह वकील प्रधान... आँधी की तरह आया... और तूफान की तरह चला गया...

दास - हमें इंतजार था... भैरव सिंह के आने का... पर प्रधान आया... बड़े राजा की मरने की खबर लेकर..

सुप्रिया - ह्वाट... यु मीन... नागेंद्र सिंह...

पत्री - हाँ... और अदालत ने... भैरव सिंह को पंद्रह दिन की मोहलत और दे दी है...

सुधांशु - आज का आठवाँ दिन और पंद्रह दिन... हो गए तेईस दिन... चौबीसवें दिन अदालत खोलेगी... उसके बाद... (एक पॉज) क्या किस्मत पाया है यह राजा भैरव सिंह ने... वह दिन और वक़्त बर्बाद किए जा रहा है... किस्मत और अदालत... उसका साथ दिए जा रहे हैं...

विश्व - (सिर उठा कर देखता है) गाँव वाले कोई भी नहीं दिख रहा था) यह गाँव वाले... कहाँ गए...

सीलु - उन्हें इंतजार था... इंसाफ़ का.. पर खबर बाहर लेकर आया... वकील प्रधान... सब के सब... गाँव वापस लौट गए... शायद... बड़े राजा को कंधा देने... रूदाली बन कर रोने धोने...

दास - विश्वा... तुम तो राजकुमारी के कॉन्टैक्ट में रहते हो ना... नागेंद्र सिंह की मौत की खबर तुम्हें क्यूँ नहीं मिली... आई मीन...



विश्व अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल चार्ट देखता है l उसे आज सुबह भी कॉल नहीं आया था, जिसे विश्व ने नजर अंदाज कर दिया था l विश्व कॉल रजिस्टर से नकचढ़ी नाम ढूंढ कर कर कॉल डायल करता है, और सबको चुप रहने का इशारा करता है l कॉल रिंग हो रही थी l चार या पाँच रिंग के बाद कॉल पीक होता है, हैलो कहने जा रहा था पर कुछ सोच का विश्व खामोश रहता है l उधर से भी, विश्व को कोई जवाब नहीं आ रहा था l तकरीबन दो मिनट तक विश्व मोबाइल को कान से लगाए बैठा था ना वह कुछ कह रहा था ना ही उसे फोन से कोई जवाब मिल रहा था l विश्व कॉल काट देता है और फोन अपनी जेब में रख लेता है l



दास - क्या हुआ... तुमने कॉल किया... पर ना कोई सवाल ना कोई जवाब...

विश्व - फोन... भैरव सिंह ने उठाया था...

सब - क्या...

टीलु - भाभी सही सलामत तो हैं ना...

विश्व - हाँ.. होंगी...

दास - तुम्हें कैसे पता... आई मीन... तुमने कॉल किया... तुम्हारा... नाम या नंबर डिस्प्ले तो हुआ होगा...

विश्व - नहीं... मेरी मोबाइल... एंक्रिप्टेड है.. डिस्प्ले में सिर्फ ऑननॉन लिखा आयेगा...

सीलु - पर भाभी की मोबाइल... राजा साहब के पास आई कैसे...

सुप्रिया - क्या... राजा भैरव सिंह को... फोन पर तुम्हारा अंदाजा हो गया होगा...

विश्व - मालूम नहीं... पर अब मुझे राजगड़ जाना होगा...



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दास अपने दो कांस्टेबलों के साथ पुलिस की जीप लेकर क्षेत्रपाल महल के परिसर में आता है l देखता है महल की पहरेदारी पहले जैसी हो गई थी l उसके लगाए दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे थे l चप्पे-चप्पे पर ESS के गार्ड्स और पहलवान खड़े थे l बाहर बरामदे पर एक कुर्सी पर भैरव सिंह बैठा हुआ था l उसके बाल बिखरे हुए थे l चेहरा मुर्झाया हुआ था l दास जीप से उतर कर सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के सामने खड़ा होता है l भैरव सिंह अपनी रुबाब से भरी नजर से दास की ओर देखता है l



दास - आई एम सॉरी राजा साहब... बड़े राजा जी के बारे में... मुझे अदालत में मालूम हुआ...

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...

दास - यह... आई मीन... बड़े राजा जी का देहांत कब हुआ...

भैरव सिंह - (चेहरे पर कोई भाव नहीं था) तुम जान कर क्या करोगे... जान फूंकने आए हो क्या...

दास - नहीं बस...

भैरव सिंह - डॉक्टर... डेथ सर्टिफिकेट दे चुका है... वैसे तुम्हें किस बात की चूल मची है...

दास - मैं यहाँ आपसे... दुख जताने आया था...

भैरव सिंह - जता दिए...

दास - जी..

भैरव सिंह - दफा हो जाओ...

दास - जी चला जाता हूँ... पर मैं आपसे यह पूछने आया था... के... मेरे दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे हैं... और आपने हमसे क्लियरेंस लिए वगैर... अपनी सिक्योरिटी रिइंस्टीट भी कर लिया...

भैरव सिंह - (सीरियस व रौब भरी आवाज में) इंस्पेक्टर... आज तलक... किसी माई के लाल ने... जो हिम्मत नहीं की... वह तु कर गया... हमने तुझे जितनी इज़्ज़त देनी थी दे दी... अब तु किसी लायक नहीं रह गया है... के तुझे हम इज़्ज़त और इजाजत बख्शें... तूने ही... केके की केस में... अदालत में सरेंडर हो गया ना... तेरी सरेंडर होने के बाद ही... मेरी सेक्योरिटी पर तेरी कानूनी कब्जा भी सरेंडर हो गई.... आज महल में मातम है... इसलिए यहाँ तक तु आ गया... कल से यह हिमाकत गलती से भी मत करना... (हाथ से इशारा करते हुए गेट की ओर दिखता है) अगली बार... उस गेट के बाहर से ही बात करना... वर्ना...



भैरव सिंह चुप हो जाता है l तब तक दास और उसके दो कांस्टेबलों को भीमा और उसके गुर्गे घेर लेते हैं l दास अपनी हॉलस्टर से रीवॉल्वर निकाल लेता है l सारे पहलवान वहीँ रुक तो जाते हैं पर कोई पीछे नहीं हटता l सबके चेहरे पर गुस्सा और नफरत झलक रही थी l दास और उसके दो कांस्टेबल घेरे में थे l कुछ और पहलवान दास की खड़ी की हुई जीप के पास आते हैं और धक्का लगा कर गाड़ी को बाहर निकाल देते हैं फिर ताकत लगा कर जीप को गेट के बाहर पलटा देते हैं l सारे पहलवाल यह सब जिस तरह से आवाज निकाल कर चिल्लाते हुए गाड़ी पलट रहे थे माहौल को डरावना कर रहा था l दास इससे पहले कभी डरा नहीं था l पर आज जिस तरह से सारे पहलवान आवाज निकाल कर जीप को गेट के बाहर ले गए और पलट दिए, दास और उसके साथ आए कांस्टेबल दोनों भी डर गए l वे दोनों, दोनों तरफ़ से दास के बाजुओं को पकड़ लेते हैं l गाड़ी के पलटने के बाद पहलवान जो उन्हें घेर कर खड़े हुए थे, वे सारे किनारे हो जाते हैं और दास और कांस्टेबलों को बाहर जाने का रास्ता देते हैं l दास दो सीढ़ियां उतरा ही था के भैरव सिंह उसे कहता है



भैरव सिंह - दास... (दास मुड़ कर वापस देखता है) हमने थोड़ी ढील क्या दी... तो सबने हमारे बाप बनने की होड़ में शामिल हो गए... तुम भी... अपनी औकात भूल कर... हमारे बाप बनने की कोशिश की... पर यह मत भूलना... बाप हमेशा बाप ही होता है... यह सब आज जो तेरे साथ हुआ... समझ तो तु जरूर गया होगा... आज... (बेहद कड़क आवाज में) अगर महल में मातम ना होता... तो... खैर... अब तु... और तेरे साथ आए यह दो लंगूर इन्हें उठा कर ले जाओ.... (दास जो दो कांस्टेबल को महल के पहरेदारी पर छोड़ गया था, उन्हें मरियल हालत में पहलवान उठाकर सीढियों के नीचे फेंक देते हैं) तु इन्हें भूल कैसे गया... जा आज अपने पैरों पर जा रहे हो... इस बात का शुक्र मनाओ के आज तुम लोग... वर्दी में जा रहे हो... जाओ... इन दो हराम खोरों को उठा कर लेके जाओ.... (दास उनकी हालत देख कर हैरान हो जाता है, वह लोग जिंदा तो थे पर बेहद बुरी तरह से मार खाए हुए थे l दर्द से कराह रहे थे l दास अपने साथ आए कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए इशारा करता है) दास... यह ऐलान है... तुम्हारी दुनिया... तुम्हारे सिस्टम के खिलाफ... जाओ... जिसको जो कहना है... जाकर कहो... जो उखाड़ना है उखाड़ लो...



दास अपने दो कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए कहता है l दोनों कांस्टेबल अपने साथियों को कंधे पर उठा लेते हैं और चलते हुए गेट से बाहर जाते हैं l तीनों पैदल चलते हुए अपने साथियों को कंधे पर उठा कर चले जा रहे थे l गाँव के लोग उन्हें हैरानी भरे निगाह में देख रहे थे l पहली बार दास को अपनी लाचारी महसुस हो रही थी l घुटन भरी बेबसी के साथ सिर झुकाए गाँव के बीचोबीच गुजर रहा था l आज उसका और कानून का भैरव सिंह ने लोगों के सामने तमाशा बना दिया था l





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वैदेही के दुकान में विक्रम मौजूद था, विश्व और उसके चारों दोस्त भी बैठे हुए थे l विश्व बहुत ही गहरी सोच में खोया हुआ था l फिर अचानक से अपनी सोच से बाहर आता है और वैदेही से पूछता है



विश्व - दीदी... तुम्हें कितने बजे मालूम हुआ... बड़े राजा के बारे में...

वैदेही - तुम लोग सुबह नास्ता कर के जल्दी निकल गए थे... उसके कुछ देर बाद विक्रम ने आकर मुझे खबर किया... (विश्व विक्रम की ओर देखता है)

विक्रम - मुझे सुबह सुबह... सेबती ने खबर दी...

विश्व - सुबह सुबह...

विक्रम - हाँ... मतलब आठ... साढ़े आठ बजे...

विश्व - (और भी टेंशन में आ जाता है) (उसे टेंशन में देख कर वैदेही उससे पूछती है)

वैदेही - क्या बात है तु इतनी टेंशन में क्यों है...

टीलु - भाई टेंशन में तो होंगे ही... राजा साहब ने जब भाभी का फोन छिन लिया था... तब सेबती के हाथों भाई ने एक दुसरा मोबाइल भाभी को दिया था... अब वह मोबाइल भी राजा साहब के कब्जे में है... और भाभी की खबर और सलामती के बारे में... भाई कुछ जान नहीं पा रहे हैं...

विक्रम - क्या... नंदिनी के पास मोबाइल था...

टीलु - हाँ... क्यूँ आपको नहीं पता...

विक्रम - नहीं... हाँ पता लगता भी कैसे... मैंने अपना सब कुछ... मोबाइल भी... राजा साहब के पास छोड़ आया था... (थोड़ा रुक जाता है, फिर) पर तुम्हें कैसे पता चला... मोबाइल राजा साहब के पास है...

विश्व - हर सुबह मुझे जगाने के लिए राजकुमारी फोन करतीं थीं... पर आज नहीं किया... मैंने ध्यान भी नहीं दिया था... पर जब बड़े राजा जी के बारे में पता चला... तब राजकुमारी जी को मैंने फोन किया था... राजकुमारी जी के बजाय... फोन राजा साहब ने उठाया था...

वैदेही - क्या... मतलब... राजा को मालूम हो गया होगा... के नंदिनी से तुम रोज फोन पर बात कर रहे हो...

विश्व - नहीं... पता नहीं... पर शायद नहीं मालुम हुआ होगा...

विक्रम - यह तुम कैसे कह सकते हो...

विश्व - क्यूँकी मेरा मोबाइल... ऐंक्रीप्टेड है... और राजा ने जब फोन उठाया... मैंने फोन पर कोई बातचीत भी नहीं की...

वैदेही - ओ... मतलब तुमने फोन पर राजा साहब को सुन कर कोई बात नहीं की...

विश्व - नहीं... उस तरफ़ से.. राजा साहब ने भी कोई बात नहीं की...

गौरी - तो तुझे मालूम कैसे हुआ... दुसरी तरफ राजा साहब ही थे...



गौरी की इस सवाल पर सब विश्व की ओर देखने लगते हैं l विश्व सबकी और देखता है और अपनी जबड़े भिंच कर कहता है



विश्व - रिश्ता ही कुछ ऐसा है... मैं अपनी दोस्तों और दुश्मनों की... खामोशी तक पहचान सकता हूँ... सुन सकता हूँ...

वैदेही - ओ... तो अब तुम्हें इस बात का चिंता है... कहीं नंदिनी...

विश्व - नहीं... राजकुमारी जी की राज... भैरव सिंह को... शायद पता नहीं चला होगा... मेरा दिल कह रहा है... नहीं पता चला होगा...

विक्रम - तुम्हारा दिल तुमसे झूठ नहीं कह रहा होगा... और अगर तुम इतना श्योर हो... तो फिर तुम चिंता क्यूँ कर रहे हो....

विश्व - मैं श्योर नहीं हूँ.. बस अंदाजा लगा रहा हूँ... क्यूँकी... महल में... बड़े राजा जी का देहांत हो गया है... इस बात की जानकारी... मुझे राजकुमारी जी ने नहीं दी... पर जब इस बात की पुष्टि करना चाहा तो.... मोबाइल राजा भैरव सिंह ने उठाया था...

विक्रम - ह्म्म्म्म... ठीक है... तुम्हारी चिंता जायज है... पर महल की अंदर की खबर देने के लिए... अभी सेबती तो मौजूद है ना... और वह महल में... नंदिनी की साये की तरह रहती है... अगर कुछ गड़बड़ हुई होती तो सेबती... मुझे ज़रूर बताती...

वैदेही - हाँ... तुम बे-फिजूल चिंता कर रहे हो...

विश्व - शायद तुम ठीक कह रही हो... मैं शायद... राजकुमारी जी को लेकर बहुत हाइपर हो रहा हूँ...

टीलु - हाँ क्यूँ ना हो... आखिर नई नई शादी जो हुई है... (सब उसे खा जाने वाली नजरों से घूरते हैं) नहीं... मैं.. वह... माहौल को... थोड़ा हल्का करने की कोशिश कर रहा था... हे हे...

विश्व - (विक्रम से) तुम्हें अगर सुबह ही खबर मिल गई थी... तो तुम यहाँ क्या कर रहे हो... तुम्हें तो इस वक़्त महल में होना चाहिए... (अब सबकी नजरें विक्रम की ओर मुड़ जाती है)

विक्रम - हाँ बात तो तुम सही कह रहे हो... पर... मैंने और मेरे साथ चाचाजी ने... मतलब हमने राजा साहब और महल से रिश्ता तोड़ दिया था... लगता है... राजा साहब ने भी हमसे सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं...

विश्व - मैं कुछ समझा नहीं...

विक्रम - देखो... सुबह जब सेबती काम पर गई थी... तब उसे ख़बर लगी... के बड़े राजा नहीं रहे... तो उसने अपना फर्ज निभाते हुए मुझे आकर खबर की... मैं जाने के लिए तैयार था भी... इसलिए जब घर से निकल कर जाने लगा... तो पाया... भूरा, शुकुरा और उनके कुछ आदमी घर घर घूम कर... गाँव में लोगों को बड़े राजा जी के बारे में जानकारी दे रहे थे... चूँकि गाँव में ज्यादातर मर्द केस के सिलसिले में यशपुर में थे.... तो यह हिदायत देते हुए कहा कि... दोपहर के बाद सबको महल पहुँचना है... पर... हमारे पास.... कोई नहीं आया...

विश्व - तो इस बात को तुमने दिल से ले लिया...

विक्रम - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) नहीं बात ऐसी नहीं है... मैं जाऊँगा जरूर... पर गाँव वालों के बीच में... एक हो कर... उस महल में से एक हो कर नहीं...

सीलु - ऐसा क्यों...

विक्रम - मैं खुद को... राजकुमार नहीं... इन्हीं गाँव वालों में से एक बनना चाहता हूँ...

क्यूँकी राजकुमार कभी इन गाँव वालों था ही नहीं... पर विक्रम जरूर इन गाँव वालों में से एक है... मैं उस महल में जाऊँगा तो राजगड़ वालों के भीड़ में से एक दिखना चाहूँगा... ना कि महल में से कोई... इसलिए मैं यहाँ आ गया... क्यूँकी... सारे गाँव वाले इसी रास्ते से महल जायेंगे... तो उनकी भीड़ में शामिल हो कर जाऊँगा... पर बात कुछ समझ में नहीं आ रहा... अभी तक तो गाँव वालों को... महल की ओर चले जाना चाहिए...



विक्रम के जवाब के बाद सभी चुप हो जाते हैं, क्यूँकी बात विक्रम ने सही कहा था l गाँव वालों को वैदेही के दुकान के सामने से गुजर कर महल की ओर जाना चाहिए l पर अब तक कोई भी गाँव वाला वहाँ से गुजरा नहीं था, तभी सत्तू आ पहुँचता है l उसे देख कर वैदेही सवाल करती है l



वैदेही - क्या बात है...

सत्तू - आज बहुत बड़ा कांड हो गया है दीदी...

वैदेही - क्या हो गया है...

सत्तू - आज थानेदार दास बाबु... महल गए थे...



महल में जो भी हुआ वह सारी बातेँ उन्हें बताता है l सब सुनने के बाद वहाँ पर मौजूद सभी को हैरत होती है l विश्व उससे पूछता है l



विश्व - तुम्हें यह सब कैसे पता चला...

सत्तू - कांस्टेबल जगन बाबु ने मुझे बताया... जब मैं गाँव में... बड़े राजा साहब की मौत की... लोगों की प्रतिक्रिया देखने गया था... लौटते वक़्त देखा... थानेदार बाबु पैदल आ रहे थे... और उनके दो कांस्टेबल... अपने दो साथियों के साथ उठा कर ला रहे थे... मैंने तुरंत एक ठेला का जुगाड़ किया और... उन्हें हस्पताल पहुँचा कर आ रहा हूँ...

विक्रम - ह्म्म्म्म... इस वक़्त राजा साहब... ऐसा क्यूँ कर रहे हैं...



विक्रम के सवाल पर सब चुप्पी साध लेते हैं l थोड़ी सोच विचार के बाद विश्व कहता है l



विश्व - लगता है... मैं कुछ कुछ... (पॉज) समझ रहा हूँ...

विक्रम - क्या समझ रहे हो...

विश्व - इंस्पेक्टर दास ने... राजा साहब की... पर्सनल सेक्यूरिटी हटा दी थी... और दो कांस्टेबलों को... महल के बाहर खड़ा कर दिया था... इस बीच उन्हें नंदिनी जी की मोबाइल मिली होगी... मोबाइल पर सबकुछ ढूंढने की कोशिश की होगी... पर उन्हें कुछ मिला नहीं होगा... क्यूँकी... इस मोबाइल में... राजकुमारी जी ने मेरा नाम सेव ही नहीं किया था... उन्हें मेरा नंबर याद है... और उस मोबाइल से वह किसी और को फोन करती भी नहीं हैं... तो जाहिर है.. कॉल रजिस्टर में... किसीका भी नाम नहीं मिला होगा... अब चूँकि सत्तू के सामने आ जाने से... राजा साहब को अभी अपने आदमियों पर शक हो रहा होगा... मतलब कोई ना कोई... महल में हमारा कोई आदमी था... जिसने उन्हें गच्चा देकर बाहर चला आया... यही सोच रहे होंगे... अगर उनकी अपनी सेक्यूरिटी होती तो उसे पकड़ लेते... इसी बात का खीज उन पुलिस वालों पर उतार दी...

विक्रम - पर इससे क्या उनकी पोजीशन खराब नहीं हो जाएगी...

विश्व - जब किस्मत और कानून उनकी मदत कर रहा हो.. उन्हें अब किसी बात की फिक्र नहीं है...

वैदेही - तो... अगली सुनवाई कब और कहाँ होगी... क्यूँकी हर दसवें दिन... केस की जगह बदलनी थी ना...

विश्व - हाँ पर जज साहब ने कोई ऑर्डर अभी निकाला नहीं है... अब मैं खुद पसोपेश में हूँ... केस में और बाइस या तेईस दिन जोड़े जाएंगे... और केस को शुरु से शुरु करेंगे... या फिर... ऐसे ही धीरे धीरे... तीस दिन ख़तम कर देंगे...

वैदेही - ऐसे कैसे हो सकता है...

विश्व - सब हो सकता है दीदी... सब हो सकता है... निजी कारणों के वज़ह से... अगर पहले के तीस दिन बेकार गया... फिर से हाइकोर्ट बेंच को रेफर किया जाएगा... वह बेंच फिर से वक़्त देने के लिए... विचार करेंगे... उसके बाद... इलेक्शन आ जाएगा... इलेक्शन के बाद... केस को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे... फिर वक़्त देंगे... इस बीच कुछ प्रमुख गवाह मार दिए जाएंगे... या कुछ गायब कर दिए जाएंगे... बिल्कुल रुप फाउंडेशन केस की तरह...



विश्व कहते कहते रुक जाता है, पाता है सब उसे गौर से सुन व देख रहे हैं l फिर विश्व कहना शुरू करता है l



विश्व - सब जानते हैं... केके ग़ायब हो गया है... या यूँ कहूँ... केके को गायब कर दिया गया है... यह असल में एक हींट था... इस केस से जुड़े हर एक शख्स के लिए... और इस सिस्टम के लिए.... और इसका असर मुझे दिखने लगा है...

वैदेही - क्या... क्या तु यह कहना चाहता है... की अदालत से हमें उम्मीद नहीं रखनी चाहिए...

विश्व - दीदी... यह एक युद्ध है... हर एक इस लड़ाई में... अपना पक्ष चुन चुके हैं... और हर एक को अपने अपने किरदार के साथ.. न्याय करना होगा...



विश्व फ़िर से चुप हो जाता है l उसकी बातों का यूँ असर हुआ था कि सारे लोग वहाँ पर चुप्पी साध लिए थे और गहरी सोच में खो गए थे l विक्रम की बात सबकी ध्यान खींचती है l



विक्रम - क्या बात है... सभी गाँव वालों को क्या हो गया है आज... इसी रास्ते से महल जाएंगे ना... फ़िर अब तक कोई गाँव वाला दिख क्यूँ नहीं रहा है...



तभी विश्व का फोन बजने लगती है l विश्व झट से अपना फोन उठा लेता है, डिस्प्ले पर डैनी भाई नाम दिख रहा था l विश्व तुरंत फोन उठाता है l



डैनी - कैसे हो हीरो...

विश्व - ठीक नहीं हूँ... आज की केस के बारे में... आपको पता लग गया होगा...

डैनी - हाँ लग तो गया है... पर तुम क्यूँ उदास हो रहे हो... तुम्हें तो एक दिन चाहिए राजा को क्रिमिनल साबित करने के लिए...

विश्व - हाँ पर केस की सुनवाई तो हो... जब इस केस की हालत ऐसी है... तो वह रुप फाउंडेशन की केस की सुनवाई कब और कैसे होगी...

डैनी - जरूर होगी.. तुम्हें इसीलिए तो फोन किया है...

विश्व - (आँखों में चमक आ जाती है) मतलब...

डैनी - हाँ हीरो... श्रीधर परीड़ा का पता चल गया है... और भी एक खुस खबर है..

विश्व - क्या... कैसी खबर...

डैनी - एक मिनट... मैं तुम्हारे एक दोस्त को कंफेरेंशींग में ले रहा हूँ... (विश्व का फोन कुछ सेकेंड के लिए होल्ड पर चला जाता है फिर उसे सुभाष सतपती की आवाज़ सुनाई देती है)

सुभाष - हैलो विश्व...

विश्व - सतपती जी आप...

सुभाष - हाँ.. मैं अपनी टीम के साथ... यशपुर आ रहा हूँ... और तुम्हारे लिए एक खुश खबरी ला रहा हूँ...

विश्व - कैसी खुश खबरी...

सुभाष - तुम्हारा शक बिलकुल सही था... रुप फाउंडेशन का एक गवाह... जिंदा गवाह मिल गया है...

विश्व - (उछल पड़ता है) ह्वाट...

डैनी - हाँ... सुभाष बाबु पहुँच रहे हैं... उनके पास पूरी डिटेल्स है... जो तुम्हारे साथ शेयर करेंगे... और फिक्र मत करो... तुम्हारे गवाह मेरे पास हिफाज़त में हैं... सुभाष बाबु के साथ बैठ कर... प्लान चॉक ऑउट करो... फिर उसके हिसाब से आगे बढ़ो...



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शाम ढल रही थी l महल में भैरव सिंह और उसके आदमीओं के नजरें गेट की ओर देखते देखते थक चुकी थी l सूरज की तपिश कम हो चुकी थी पर भैरव सिंह के मन में गुस्से का तपिश बढ़ता ही जा रहा था l चेहरा सख्त हो गया था और जबड़े भिंच चुकी थी l लंबी लंबी साँसे ठहर ठहर कर ले रहा था l उसकी यह हालत देख कर उसके सारे आदमी डर रहे थे l कुछ दूरी पर खड़े बल्लभ, रॉय और रंगा एक दुसरे को देख रहे थे पर भैरव सिंह के पास जाने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा था l अब तक कुर्सी पर बैठा भैरव सिंह उठ खड़ा होता है l अपने दोनों हाथ पीछे बाँध गर्दन को दोनों तरफ़ झटका देता है l बल्लभ थोड़ा हिम्मत कर उसके पास जाता है l



बल्लभ - राजा साहब... लगता है... गाँव वाले नहीं आयेंगे...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर बिना देखे) हूँ... नहीं आयेंगे... जब गाँव वालों ने फैसला कर लिया है... तो यही सही...

बल्लभ - तो... अब हमें क्या करना चाहिए...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर देखते हुए) क्या करना चाहिए मतलब... बड़े राजा जी का देहांत हुआ है... उनका दाह संस्कार होगा...

बल्लभ - तो ठीक है... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... बड़े राजा जी का दाह संस्कार करना है... इसलिए... बड़े राजाजी के पार्थिव शरीर को उनके कमरे से लाने की व्यवस्था करो...



भीमा अपने कुछ साथियों को साथ लेकर महल के अंदर जाता है और कुछ देर के बाद नागेंद्र के शव को सब उठा कर ले आते हैं l भीमा और उसके साथी बाँस से अंतिम यात्रा की सवारी तैयार करते हैं l ठीक उसी वक़्त शुकुरा, भूरा और दो चार आदमी भैरव सिंह के सामने आकर सिर झुका कर घुटनों पर बैठ जाते हैं l भैरव सिंह उनकी ओर सवालिया दृष्टि से देखते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है, पर वे सब अपना सिर झुकाए वैसे ही घुटनों पर बैठे रहे l



भैरव सिंह - सिर झुकाए हुए हो... मतलब कोई ऐसी खबर लाए हो... जिसे हमारी कान सुनना मंजूर नहीं करेगा... (एक पल के लिए सब भैरव सिंह को देखते हैं फिर सब स्वीकृति के साथ दोबारा सिर झुका लेते हैं) बको जो भी बकना चाहते हो बको...

भूरा - हुकुम... (डरते डरते) श्मशान में कोई नहीं आया... यहाँ तक कोई पंडित भी नहीं आया... सबको खबर कर दी गयी थी... अब चिता के लिए लकड़ियां हमें ही इंतजाम करना होगा... (भूरा की इस बात से सबका मुहँ हैरत से खुल जाता है, पर भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव नहीं आता)

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... कोई बात नहीं... अब इस महल के मातम में... गाँव वाले शामिल नहीं होंगे...

रंगा - गुस्ताख़ी माफ राजा साहब... राजकुमार जी तो इसी गाँव में हैं...



भैरव सिंह रंगा की ओर देखता है, रंगा के शरीर में एक शीत लहर दौड़ जाती है l हालत कुछ ऐसी थी के कोई कुछ भी कहने से पहले सौ बार सोच रहा था l भैरव सिंह भूरा से सवाल करता है



भैरव सिंह - तुमने गाँव वालों से क्या कहा था...

भूरा - राजा साहब... मैंने और शुकुरा ने... घर घर जाकर सबको खबर की थी... (कहते कहते भूरा जिस तरह से पॉज लेता है भैरव सिंह समझ जाता है जरूर कोई ऐसी बात है जिसे भूरा कहने से डर रहा है)

भैरव सिंह - बेफिक्र... बेखौफ हो कर कहो... जवाब में गाँव वालों ने क्या प्रतिक्रिया दी... (भूरा एक नजर शुकुरा को देखता है और अपना सिर झुका लेता है l भैरव सिंह को गुस्सा आ जाता है) यहाँ क्या कोई तमाशा हो रहा है... बताओ क्या हुआ...

भूरा - (डरते डरते) हम जब बड़े राजा जी की देहांत की खबर दे कर लौट रहे थे... तब हमने देखा गाँव के कुछ लोग हमारे पीछे... (रुक जाता है)

भैरव सिंह - हाँ... क्या तुम्हारे पीछे...

भूरा - बड़े राजा जी के नाम पर... धुल उड़ा रहे थे...



भैरव सिंह अपनी कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो जाता है, भूरा और शुकुरा और उनके साथी डर जाते हैं l पर भैरव सिंह उनकी ओर जाने के बजाय भीमा की ओर जाता है और कहता है



भैरव सिंह - जाओ... बड़े राजा जी के कमरे में जाओ... उस कमरे में खाट से लेकर अलमारी तक जितने भी लकड़ी के सामान है... उन्हें बाहर लेकर आओ और कुल्हाड़ी से काट कर... इसी बरामदे के नीचे... चिता सजाओ... आज बड़े राजा जी की चिता यहीँ जलेगी... (भीमा कुछ समझ नहीं पाता, मुहँ खोले बेवक़ूफ़ों की तरह भैरव सिंह को देखे जा रहा था) (चिल्ला कर) जाओ...



भीमा अपने साथ कुछ आदमियों को लेकर नागेंद्र के कमरे में जाता है l बिस्तर से लेकर कुर्सी, सोफा अलमारी टेबल जो भी लकड़ी के थे सब बाहर ले आते हैं l कुल्हाड़ी से काट काट कर चिता बनाते हैं l भैरव सिंह अपनी बाहों में नागेंद्र की लाश उठाता है और लकड़ियों पर रख देता है l फिर बिना किसी औपचारिकता के चिता में आग लगा देता है l वहाँ पर मौजूद सभी लोग भैरव सिंह को देख रहे थे l चिता से उठती आग की रौशनी में भैरव सिंह का चेहरा बहुत ही भयानक दिख रहा था l थोड़ी देर बाद भैरव सिंह अपने लोगों के तरफ़ मुड़ता है l



भैरव सिंह - आज जो भी यहाँ मौजूद है... हम उनके आभारी हैं... आज आपकी मौजूदगी को... हम रूपयों और दौलत से तोल देंगे... फिलहाल आज का मातम का दायरा महल की परिसर तक ही था... पर बड़े राजा जी की मृत्य की चौथ की मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा... अब तुम सब... जा सकते हो...



सभी लोग उल्टे पाँव लौटने लगते हैं l बल्लभ भी लौट रहा था तो भैरव सिंह उसे इशारे से रुकने के लिए कहता है l बल्लभ रुक जाता है और सभी वह जगह खाली कर चले जाते हैं l



भैरव सिंह - देखा प्रधान... गाँव वालों में कितनी हिम्मत आ गई... हमारे लोगों के पीठ के पीछे धूल उड़ाए हैं... (बल्लभ चुप रहता है) आज... बड़े राजा जी की अंतिम संस्कार के लिए... ना नाई आया.. ना धोबी.. ना लोग आए ना पंडित... (एक पॉज लेता है) एक विश्व.... क्या उनके लिए सीना तान कर खड़ा हो गया... हमारी मान पर बट्टा लगाने की हिम्मत कर ली... कोई नहीं... अब तुम देखना... इतिहास कैसे खुद को दोहराएगी... (फ़िर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है, पर इसबार अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर बल्लभ को देता है) तुम इसकी मालिक को ढूंढो... पता लगाओ... यह सबूत है... अभी भी महल में... कोई है... जो विश्व के लिए काम कर रहा है... (बल्लभ उस फोन को अपनी हाथ में लेता है)

बल्लभ - यह आपको कहाँ मिला...

भैरव - बड़े राजा जी के... कमरे के बाहर... और हमें इसकी मालिक का नाम पता दे दो...

बल्लभ - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है कि... यह मोबाइल और इसका मालिक विश्व से जुड़ा हुआ है...

भैरव सिंह - इस पर एक कॉल आया था...

बल्लभ - क्या... किसने किया था...

भैरव सिंह - विश्व ने...

बल्लभ - विश्वा ने... किस किसका नाम लिया...

भैरव सिंह - नहीं उसने कुछ नहीं कहा... या यूँ कहो... उसने कोई आवाज ही नहीं निकाली...

बल्लभ - फ़िर आप यह कैसे कह सकते हैं... फोन के दूसरी तरफ विश्वा था..

भैरव सिंह - उसकी खामोशी को... हम साफ सुन पा रहे था... महसूस कर पा रहे थे... उसके किसी साथी का मोबाइल है यह... मुझे यकीन है... तुमने जब बड़े राजा जी की देहांत का खबर दी होगी... तब उसने चिढ़ कर अपने साथी को फोन लगाया होगा... जिसने गलती से बड़े राजा जी के कमरे के बाहर... छोड़ गया था...

बल्लभ - ओह माय गॉड... इसका मतलब..

भैरव सिंह - हाँ प्रधान... अभी भी उसका कोई आदमी हमारे महल में है... हमें शक तो है... पर बिना सबूत के... बे वज़ह कोई तमाशा नहीं करना चाहते... इसलिये जितनी जल्दी हो सके... इस मोबाइल के मालिक को ढूंढो...

बल्लभ - राजा साहब.. इसमें तो दो तीन दिन लगेंगे...

भैरव सिंह - दो दिन... सिर्फ दो दिन...

बल्लभ - सिर्फ दो दिन...

भैरव सिंह - हाँ... प्रधान हाँ... क्यूँकी... दो दिन बाद बड़े राजा जी का चौथ है... और चौथ का मातम... पूरा राजगड़ मनाएगा... इसलिए सिर्फ दो दिन है तुम्हारे पास...

बल्लभ - राजा साहब...

भैरव सिंह - जाओ...



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बल्लभ की गाड़ी अपने घर पर रुकती है l गाड़ी बंद कर के बल्लभ गाड़ी से उतरता है l जेब से घर की चाबी निकाल कर दरवाजा खोलता है l अंदर आकर ड्रॉइंग रुम की लाइट ऑन करता है फिर बेड रुम में जाकर भैरव सिंह की दी हुई मोबाइल को निकाल कर बेड पर फेंकता है और अपने कपड़े उतार कर बाथ रोब लेकर बाथरुम में घुस जाता है l शॉवर चला कर नहाने लगता है l नहाते नहाते उसके कानों में टीवी चलने की आवाज़ सुनाई देती है l वह शॅवर बंद कर बाथ रोब पहन कर बाहर आता है l बेड रुम से देखता है कि ड्रॉइंग रुम की लाइट बंद है l वह चुपके से अपना वॉर्ड रोब खोलता है और एक रीवॉल्वर निकाल लेता है l धीरे धीरे बेड रुम से निकल कर ड्रॉइंग रुम में आता है l उसे एक सोफ़े पर काला अक्स, एक साया सा दिखता है l चूँकि टीवी चल रही थी उसकी रौशनी में वह शख्स काले लिबास और एक हैट पहने सोफ़े पर बैठा हुआ था l


बल्लभ - कौन हो तुम...

साया - तुम्हारा बहुत बड़ा फैन...

बल्लभ - किसलिए यहाँ आए हो...

साया - तुम्हारा ऑटोग्राफ लेने...

बल्लभ - खबरदार अपनी जगह से हिले तो... तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - नहीं हिलता... आओ सामने बैठो... बात करते हैं... पहले यह न्यूज देखते हैं...

बल्लभ - शॅट अप... मेरे घर में... अंधेरा कर... मुझे अपने सामने बैठने के लिए कह रहे हो... हाऊ डैर यु... जब कि तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - श् श् श् श्.... पहले यह न्यूज सुनो तो सही...


टीवी पर नभ वाणी न्यूज चैनल पर सुप्रिया न्यूज पढ़ रही थी -

" राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी के आर्थिक भ्रष्टाचार पर केस का आठवां दिन था और आज भी राजा भैरव सिंह ने अपनी हाजिरी नहीं दी l उनके बदले उनके वकील एडवोकेट श्री बल्लभ प्रधान जजों के सामने प्रस्तुत हुए और बड़े राजा जी श्री नागेंद्र सिंह क्षेत्रपाल जी की देहांत की खबर दी और अदालत से बड़े राजाजी की मरणोपरांत क्रिया कर्म व शुद्धीकरण के लिए अदालत से पंद्रह दिन की मोहलत मांगी जिसे सहसा अदालत ने स्वीकर कर ली l इस तरह से हाइकोर्ट के द्वारा निर्धारित तीस दिनों में तेईस दिन बिना सुनवाई के खत्म हो गई l अब प्रश्न यह है कि जो मुल्जिम हैं उनके निजी कारण को अदालत ने तवज्जो देकर जो तेईस दिन बिना सुनवाई के समाप्त हो गए उसकी भरपाई के लिए क्या अदालत शुरु से केस सुनवाई करेगी या बचे हुए साथ दिनों में निपटारा करेगी "


बल्लभ - बंद करो यह टीवी... इस न्यूज से तुम्हारा क्या वास्ता...

साया - मेरा ही नहीं... तुम्हारा भी वास्ता है... हम सबका वास्ता है...

बल्लभ - बस बहुत हुआ... बहुत बकवास कर ली तुमने... अब अपनी पहचान बताओ... या फिर... मरने के लिए तैयार हो जाओ...

साया - तुम मुझे गोली नहीं मार सकते...

बल्लभ - अच्छा... यह तुम्हारी खुशफहमी है... मैं चाहूँ तो अभी के अभी तुम्हें गोली मार सकता हूँ...

साया - और पुलिस से क्या कहोगे...

बल्लभ - सेल्फ प्रोटेक्शन... आत्म रक्षा...

साया - पर मैं तो तुम्हारे सामने... चुप चाप बैठा हुआ हूँ... कोई हरकत भी तो नहीं कर रहा...

बल्लभ - वह इसलिए... के तुम मेरे इन पॉइंट पर हो...

साया - हाँ बात तो तुम ठीक कह रहे हो... पर फिर भी तुम मुझ पर गोली नहीं चला सकते...

बल्लभ - ओ... अभी भी तुम खुशफहमी पाले बैठे हो...

साया - नहीं... यकीन है... क्यूँकी यहाँ मैं अकेला नहीं आया हूँ... अपने साथियों के साथ आया हूँ... और तुम इस वक़्त मेरे साथी के रीवॉल्वर के निशाने पर हो... तुमने जरा सी भी हरकत की... यकीन जानो.. अगले पल... तुम्हारी खोपड़ी उड़ चुकी होगी...

बल्लभ - (डर के मारे हलक से थूक गटकता है) तुम झूठ बोल रहे हो...


नहीं... (एक और आवाज़ बल्लभ के पीछे गूंजती है, अभी जो नहाया हुआ आया था वह अब पसीने से भीगने लगा था, वह झट से पीछे मुड़ता है पर अभी वह दूसरा शख्स उसके हाथों से रीवॉल्वर छीन लेता है, वह साया जो सोफ़े पर बैठा था वह कहता है)


साया - देखा... अब तुम मेरे आदमी के गन पॉइंट पर हो...

बल्लभ - तुम हो कौन चाहते क्या हो...

साया - अभी अभी जो न्यूज तुमने सुनी... उस केस के... तुम सुपर स्टार हो... और हम तुम्हारे बड़के वाले फैन हैं... (बल्लभ को अपनी पीठ पर गन की बैरेल चुभती हुई महसूस होती है) आओ... मेरे सामने बैठ जाओ...


बल्लभ सामने वाली सोफ़े पर बैठ जाता है l सामने सोफ़े पर बैठ साया टीवी बंद कर देता है l थोड़ी देर के लिए ड्रॉइंग रुम में अंधेरा छा जाती है फिर धीरे धीरे बेड रुम की हल्की रौशनी में बल्लभ को थोड़ा थोड़ा दिखने लगता है l तभी उसके कानों में किचन में बर्तनों की आवाज़ सुनाई देती है l



बल्लभ - तुम लोग मुझसे चाहते क्या हो... और तुम कितने आदमियों के साथ आए हो...

साया - सिर्फ तीन... हम तीन लोग आए हैं... और रुप फाउंडेशन केस हो या यह... राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी की केस... तुमने अपना क्या रोल प्ले किया है... हम सब तुम्हारे फैन हो गए हैं...

बल्लभ - ओ समझा... तो तुम अंधेरे में क्यों हो...

साया - क्यूँकी तुम अंधेरे के माहिर खिलाड़ी हो... राजा साहब तक को अंधेरे में रखा हुआ है...

बल्लभ - शॉट अप... मैंने राजा साहब से कोई धोखा नहीं किया है... उनका वफादार हूँ मैं...

साया - हाँ वफादार तो हो... पर कुछ बातेँ राजा साहब से छुपा कर... अपनी मतलब कि खिचड़ी पका लेते हो...

बल्लभ - देखो... अगर तुम विश्व हो... तो मैं तुम्हें बता दूँ... तुम गलत दरवाजे पर दस्तक दे रहे हो...

साया - चलो... एक बात क्लियर कर दूँ... मैं विश्वा नहीं हूँ... दूसरी बात... मैंने तुम्हारे सारे राज पता कर लिया हूँ... बल्कि अपने कब्जे में कर लिया हूँ...

बल्लभ - किस राज की बात कर रहे हो तुम...

साया - (हँसने लगता है) हा हा हा हा... सिर्फ बाथ रोब में हो... एक झटका काफी होगा... नंगे हो जाओगे... या यूँ कहूँ.. नंगे हो चुके हो...

बल्लभ - क्या... क्या मतलब है तुम्हारा...

साया - राजा के किसी खतरे को गायब करना हो या... हटाना हो... यह काम तुम और मरहुम रोणा बखूबी अंजाम देते रहे... रोणा तुम्हारा जिगरी यार था... पर कुछ राज की बातेँ तुमने रोणा को भी नहीं बताई...

बल्लभ - कौन से राज की बात कर रहे हो...

साया - तुम वकील हो... राजा के हर ईलीगल को लीगल कर कर के... अपने ईलीगल को भी छुपा गए... रुप फाउंडेशन केस में जयंत सर ने पाँच गवाह बनाया था... पर राजा साहब के कहने पर... तुमने एक को गायब कर दिया... याद है...

बल्लभ - (चुप रहता है)

साया - नाम मैं बताऊँ... या तुम बताओगे...

बल्लभ - ऐ के सुबुद्धी... तहसील ऑफिस का क्लर्क...

साया - शाबाश... और जब विश्व ने पीआईएल फाइल की... तब तुमने अपने एक और दोस्त को... अंडरग्राउंड करवा दिया...

बल्लभ - श्रीधर परीड़ा...

साया - शाबाश... और कमाल की बात यह है कि.. राजा को नहीं मालूम... यह सब तुमने किया... राजा को मालूम है कि... तुमने सुबुद्धी को मरवा दिया... और श्रीधर परीड़ा खुद को गायब कर दिया... जब कि... मास्टर माइंड तुम थे...

बल्लभ - ओ... अब समझा... यह दोनों अब तुम्हारे कब्जे में हैं... इस इंफॉर्मेशन के बदले... मुझसे क्या चाहते हो...

साया - मैंने कहा ना... हम सब तुम्हारे कमीने पन के कायल हो गए हैं... तुम अब हमारे लिए सुपर स्टार का दर्जा रखते हो... हम बस तुम्हारा ऑटोग्राफ लेना चाहते हैं...

बल्लभ - ऐसी कमीनेपन की बातेँ बहुत कर ली... सच सच बताओ.. क्या चाहते हो...



किचन से और एक आवाज गूंजती है - ज्यादा कुछ नहीं... पहले चाय पीते हैं... फिर... तुम जो चाहोगे वही करते हैं... क्यूँकी तुम हमारे सुपर स्टार हो... इसलिए हमारी टीम वही करेगी जो तुम कहोगे.. जैसा तुम चाहोगे...



बल्लभ किचन की ओर मुड़ता है वहाँ पर अंधेरे में एक शख्स ट्रे पर चाय की केतली और कुछ कप के साथ खड़ा था l




 

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स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट यशपुर

कोर्ट रुम में विश्व, पत्री बाबु, सुधांशु मिश्रा और इंस्पेक्टर दास के साथ कुछ गाँव वाले बैठे हुए हैं l कोर्ट रुम के बाहर सुप्रिया और कुछ दूसरे चैनल वाले कोर्ट रुम मैं घुसने की कोशिश कर रहे थे जिन्हें पुलिस सख्ती से रोक दिया था इसलिए सारे न्यूज चैनल वाले बाहर हल्ला कर रहे थे l थोड़ी देर बाद तीनों जजों के गाडियाँ एक के बाद एक परिसर में आते हैं l उनके आते ही पुलिस वाले उन्हें मीडिया वालों से बचाते हुए कोर्ट के अंदर पहुँचा देते हैं l आज मीडिया वालों के साथ राजगड़ और यशपुर के लोग भी भीड़ बना कर खड़े थे l हाँ यह बात और है कि वे लोग अंदर आने के लिए जरा भी प्रयास नहीं कर रहे थे l कोर्ट रुम के भीतर हॉकर सबको ज़जों के आने की सूचना देता है l सभी सम्मान में खड़े हो जाते हैं l



तीनों जज, अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते हैं l मुख्य ज़ज औपचारिक परंपरा निभाते हुए गैवल को टेबल पर मारते हुए 'ऑर्डर' 'ऑर्डर' कहता है l



ज़ज - आज की कारवाई शुरु की जाए... वादी पक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (विश्व एक काग़ज़ निकाल कर राइटर के हाथ में देता है) प्रतिवादी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (कोर्ट रुम में सन्नाटा था, क्यूँकी ना तो कोर्ट में भैरव सिंह था ना ही उसके तरफ़ से कोई और) (ज़ज अपनी नजरें घुमा कर चारों तरफ़ देखता है, उसे भैरव सिंह की अनुपस्थिति का एहसास होता है, तो ज़ज इंस्पेक्टर दास से पूछता है) इंस्पेक्टर दास... आप अपनी केस पर जो छानबीन की है... उस पर रौशनी डालें...



इंस्पेक्टर दास अपनी जगह से उठता है और एक फाइल को राइटर के हाथ में देता है l राइटर जज को फाइल सौंप देता है l जज फाइल हाथ में लेकर कुछ पन्ने पलटता है और फिर



जज - इंस्पेक्टर दास... इस केस के बाबत अदालत को... क्या आप मौखिक रूप से संपूर्ण विवरण देंगे...

दास - जी माय लॉर्ड...



इंस्पेक्टर दास कटघरे में जाता है और अपनी टोपी निकाल कर काख में दबा कर खड़ा हो जाता है l फिर दास कहना शुरू करता है l



दास - माय लॉर्ड... अदालत से हमें जैसे ही आदेश मिला... हमने तुरंत कमल कांत जी की खोज के लिए जो मुमकिन था... वह सब हमने किया... हाँ कुछ हद तक... हमें क्षेत्रपाल जी से मदत मिली... पर वह नाकाफी था... इसलिए इन सात दिनों में... जितना संभव हुआ... उतना हमनें खोजबीन की... उसके आधर पर रिपोर्ट बना कर... अदालत के सामने प्रस्तुत कर दिया...

जज - ठीक है... अब अपनी रिपोर्ट को विस्तृत रूप में... अदालत को अवगत कराएं...



दास गवाह वाली कटघरे में आता है l गावही के पूर्व अपनी सारी औपचारिकताओं को पूर्ण करता है फिर जजों को देखते हुए कहना शुरु करता है



दास - माय लॉर्ड... तारीख xxxx को हमें एसपी ऑफिस से एक ऑर्डर फैक्स के थ्रु मिला... आप फाइल की पहली ऐनेक्स्चर में देख सकते हैं... जिसमें कहा गया था... राजा साहब के घर में... विवाह उत्सव होने वाला है... उनके होने वाले दामाद को सुरक्षा मुहैया करते हुए... बाराती की तरह महल तक पहुँचाया जाए... माय लॉर्ड... मैं और मेरी पुरी टीम... इसको बखूबी अंजाम दिया... उसके बाद वर... उर्फ कमल कांत जी को... परंपरा निभाते हुए... राजा साहब के अपनों के द्वारा... विवाह बेदी तक ले जाया गया... बेदी पर रस्म खत्म होने पर... वर को... उनके लिए... उपलब्ध करायी गई प्रकोष्ठ को... राजा साहब के निजी सुरक्षा कर्मचारियों के द्वारा ले जाया गया... हम केवल वहाँ मूक दर्शक थे... कुछ देर बाद... सत्तू नाम का महल का नौकर राजा साहब के कान में कुछ कहा... उसके बाद राजा साहब और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी अंदर गए... तत्पश्चात कुछ समय बाद... मेरे फोन पर... अमिताभ रॉय जो कि राजा साहब के निजी सुरक्षा अधिकारी हैं और वर्तमान ESS के निर्देशक भी हैं... उनका फोन आया... फिर मैं अकेला... केके जी के प्रकोष्ठ में गया... और वहाँ पर मुआयना करने के बाद... उस समय मुझे लगा... शायद साहब केके भाग गए हैं... पर राजा साहब... उनके अपहरण होने की संभावना व्यक्त करते हुए... केस दर्ज करने के लिए कहा... पर चूंकि चौबीस घंटे नहीं हुए थे... इस लिए उन्हें मैंने सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा था... आगे जो भी हुआ... वह अदालत के संज्ञान में है...

जज - आपने केवल एक ऐनेक्स्चर रिपोर्ट में प्रस्तुत की है... बाकी जो रिपोर्ट बनाया है... उसका आधार क्या है...

दास - (एक पेन ड्राइव निकाल कर राइटर के हाथ में देता है, जिसे राइटर जज को दे देता है) माय लॉर्ड यह वह वीडियो है... जिसे राजकुमारी जी की एक दोस्त ने शूटिंग की थी... इससे आप मेरी कही बातों को पुष्टि कर सकते हैं... इस वीडियो में... वर के पहुँचने से लेकर... मुझ तक खबर आने की सारी बातें रिकार्डिंग हुई है...

जज - ठीक है... पर महल के भीतर की तहकीकात के बारे में... आपने ज्यादा कुछ नहीं लिखा है... और सबसे अहम बात... कमल कांत... अभी भी लापता हैं...

दास - जी माय लॉर्ड... पर सच्चाई यह भी है... महल के जिस हिस्से तक.. मैं अपनी तहकीकात को ले जा पाया... वहाँ तक... आज तक कोई भी... सरकारी या गैर सरकारी अधिकारी नहीं पहुँच पाया है... उससे आगे जाकर तहकीकात करने के लिए... हमें कोई... सर्च वारंट नहीं मिला है... अब चूँकि... महल में कोई सरकारी सुरक्षा नहीं थी... राजा साहब की निजी सुरक्षा प्रबंधन थी... हम अभी उन्हीं लोगों को... रंग महल में... नजर बंद कर पूछताछ कर रहे हैं... पर अभी तक कोई भी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाए हैं...

जज - तो... केस में फिर कैसे आगे बढ़ा जाए...

विश्व - एस्क्युज मी माय लॉर्ड... क्या मैं कुछ कहूँ...

जज - हाँ जरूर... कहिये...

विश्व - माय लॉर्ड... यह एक स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट है... और इस कोर्ट का गठन किसी और केस के लिए की गई थी... इस कोर्ट की मकसद कुछ और थी... एक गैर जरूरत केस में... सात दिन बर्बाद हो चुके हैं... और सात दिन पुरे होने के बावजूद... राजा भैरव सिंह... आज कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं...

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... आप यह मत कहिये... हम यहाँ क्यूँ हैं... किस लिए हैं.... इस कोर्ट को मकसद ना समझाये... एक बात याद रखें... लॉ बुक हमेशा यह कहती है... जस्टिस हरिड... मतलब जस्टिस बरीड...

विश्व - लॉ बुक यह भी कहती है... जस्टिस डिले... मतलब जस्टिस डिनाय...

जज - (चीख उठता है) होल्ड योर टोंग...(कोर्ट में सन्नाटा पसर जाता है) आप अपनी सीमा से बाहर जा रहे हैं...

विश्व - नहीं माय लॉर्ड... (एकदम शांत लहजे में) मैं ऐसी गुस्ताखी नहीं कर सकता... जिस केस के लिए... जो दिन तय किए गए थे... उसमें से सात दिन बीत चुके हैं... केके साहब के गायब होने को... इस केस से क्यूँ जोड़ा जा रहा है... और राजा साहब... मुल्जिम हैं... प्रतिवादी हैं... जिन्हें अपनी तहकीकात में... एक्जिक्युटीव मैजिस्ट्रेट माननीय श्री नरोत्तम पत्री जी के द्वारा... आरोपित स्थापित किया जा चुका है...

जज - मिस्टर... विश्व प्रताप... आप अदालत की तौहीन कर रहे हैं....

विश्व - नहीं योर ऑनर...

जज - (गैवेल को टेबल पर मारते हुए) ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर... यह अदालत आपको अंतिम चेतावनी देती है... अगर आप कारवाई पर प्रश्न चिन्ह लगाएंगे... तो आपको इस केस से हटा दिया जाएगा...

विश्व - आई एम एक्सट्रीमली सॉरी माय लॉर्ड... मुझे माफ कर दीजिए...

जज - यह अदालत एक घंटे के लिए मुल्तवी किया जाता है...





तीनों जज अपनी जगह से उठते हैं और कमरे से बाहर निकल जाते हैं l अपनी जबड़े भिंच कर विश्व वहीँ खड़ा रह जाता है l पीछे से पत्री बाबु आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हैं l विश्व मुड़ कर देखता है l



पत्री - चलो बाहर चलते हैं...

दास - हाँ... थोड़ी चाय बाय पीते हैं... बहुत गर्म हो गए हो... थोड़ा ठंडा हो लो...



विश्व, पत्री, दास और सुधांशु मिश्र चारों बाहर आते हैं l बाहर विश्व के चारों दोस्त चाय की दुकान पर खड़े थे l उनसे भी कुछ दूर गाँव के बहुत सारे लोग विश्व की ओर टकटकी लगा कर देखे जा रहे थे l दुकान पर पहुँच कर विश्व एक बहुत गहरी साँस लेता है और बेंच पर बैठ जाता है l दास इशारा करता है तो सीलु एक चाय की ग्लास लेकर विश्व के हाथ में देता है l तभी उनके पास सुप्रिया चल कर आती है l



पत्री - मुझे लगा नहीं था... तुम इस कदर भड़क जाओगे... रिएक्ट करोगे...

दास - तुमने जज का मुड़ ऑफ कर दिया...

विश्व - आई एम सॉरी... पर मैं शर्मिंदा नहीं हूँ...

पत्री - हाँ... जानता हूँ...

विश्व - इस केस को यहाँ लाया गया... उसके लिए... तीस दिन मुकर्रर किया गया... अब... आज आठवाँ दिन हैं...

दास - हाँ... यह बात तो है...

पत्री - मैं समझ रहा हूँ...

सुप्रिया - तुम्हें पहली बार इतनी फ्रस्ट्रेशन में देख रही हूँ...

विश्व - आप कुछ समझी...

सुप्रिया - अब तक जितना सुना... समझा... केस फाइल का पहला पन्ना तक शायद नहीं पलटा गया है....

विश्व - हाँ... राजा केस को यहाँ लेकर आया... उसके लिए... तीस दिन की सुनवाई मुकर्रर किया गया... पहली ही दिन... सात दिन को सम्वेदना के रूप में बर्बाद कर दिया... और आज अभी तक नहीं आया है...

दास - इसी बात के फ्रस्ट्रेशन में... आज विश्व बाबु अदालत में... अपना टेंपरामेंट लूज कर बैठे... जज साहब ने फ़िलहाल के लिए वॉर्न किया है...

टीलु - पर इसमे विश्वा भाई का दोष कहाँ है... जो मुज़रिम है... उसकी सहूलियत देखी जा रही है... सिर्फ एक आदमी की... जब कि इस केस में हज़ारों लोग जुड़े हैं... वह देखो... (लोगों की ओर इशारा करते हुए) क्या यह लोग... इनके हालत... वक़्त... कुछ भी मायने नहीं रखते... लोग ही नहीं... सिस्टम... सिस्टम से जुड़े लोग... सिस्टम का वक़्त और पैसा... सब बर्बाद हो ही रहा है...

पत्री - ना.... आज दिन खत्म हुआ है... ना केस... घंटे भर के लिए... ब्रेक लिया गया है... राजा आ गया तो ठीक... वर्ना... अदालत... राजा के खिलाफ शो कॉज नोटिस इश्यू करेगा... इसलिए... हैव पेशेंस...

सुप्रिया - हाँ सिस्टम की इसी चाल के वज़ह से... న जानें कितने केसेस अदालत के फाइलों में साड़ती रहती है... इंसाफ़ के लिए आँखे तरस जाती हैं... वेल... क्या इस बात को... अभी के अभी न्यूज ब्रीफिंग में टेलीकास्ट कर दूँ...

विश्व - नहीं... अभी नहीं... थोड़ी देर में... सुनवाई फिर से शुरू हो जाएगी... आज का दिन खत्म हो जाने दो...



विश्व उठता है, उसके साथ सुधांशु, दास और पत्री अदालत के कमरे में जाते हैं l कुछ मिंटो बाद तीनों जज अपनी अपनी आस्थान में बैठ कर औपचारिकता निभाते हैं l



जज - इंस्पेक्टर दास...

दास - तो आपकी फाइनल रिपोर्ट क्या है...

दास - माय लॉर्ड... केके कोई आम आदमी नहीं हैं... कंस्ट्रक्शन किंग के नाम से जाना जाता है... और यह सच है... उनकी शादी राजकुमारी जी से तय हुई थी... मतलब यह केस एक हाई प्रोफाइल केस हो गया है... और जिस दिन यह कांड हुआ... हमें और गाँव वालों को लगा कि वह शादी का दिन था... पर राजा साहब ने अदालत में उसे मंगनी कहा है... खैर... सच यह है कि... केके साहब... गायब हुए हैं... वह भी महल के भीतर से... उनको दी गई... उन्हीं की कमरे से... मौका ए वारदात को मध्य नजर रखते हुए... हमें यह लगा कि वह महल से भाग गए हैं... पर अभी भी वह लापता हैं... हमने पूछताछ कर ली... पर अभी तक किसी के भी नजर में आए नहीं हैं... ना राजगड़ अथवा यशपुर में... ना ही कटक या भुवनेश्वर में...

जज - तो आप इस केस को किस तरह से कंक्लुड करना चाहते हैं...

दास - केके साहब का ना मिलना... मेरा मतलब है... किसी को नज़र ना आना... हो सकता है... महल के भीतर ही कुछ हो गया हो... महल के भीतर तहकीकात करना... हमारी वश की बात नहीं है...

जज - क्यूँ...

दास - महल की चौखट लाँघ कर... नहीं जज साहब... यह एक हाई प्रोफाइल केस है... हमारी औकात के बाहर की... बेशक अभी तक राजा साहब ने... तहकीकात में साथ दिया है... पर इससे आगे... या तो सीआईडी जा सकती है... या फिर... कोई स्पेशल टास्क फोर्स.... हम सरेंडर करते हैं...



कुछ देर के लिए अदालत में सन्नाटा छा जाता है l जज हैरानी भरे नजरों से दास को देखे जा रहा था, के तभी कमरे में बल्लभ का प्रवेश होता है l वह एकदम से बदहवास दिख रहा था l



बल्लभ - मे आई बी एक्सक्युज्ड माय लॉर्ड... क्या मैं अंदर आ सकता हूँ...

जज - आइए... प्रधान बाबु... (बल्लभ अंदर आता है)

बल्लभ - माय लॉर्ड... राजा साहब... आने ही वाले थे... पर... (रूक जाता है)

जज - आप अपनी बात पूरी कीजिए...

बल्लभ - राजा साहब के पिता... बड़े राजा.. नागेंद्र सिंह जी का देहांत हो गया है... यह रहा मेडिकल रिपोर्ट और डेथ सर्टिफिकेट...



नागेंद्र की मौत की खबर सुन कर विश्व और दूसरे लोग अपनी अपनी कुर्सी से उछल पड़ते हैं l बल्लभ फाइल से डेथ सर्टिफिकेट निकाल कर राइटर के हाथ में देता है l राइटर उसे लेकर जज के हाथ में दे देता है l जज उस सर्टिफिकेट को देखते हुए पहले विश्व को देखता है जैसे वह विश्व को अनुताप कराना चाहता हो फिर बल्लभ की ओर देखता है l



जज - यह बहुत ही दुख की बात है...

बल्लभ - जी माय लॉर्ड... इसलिए राजा साहब ने... अदालत को एक अनुरोध पत्र दिया है... के उन्हें उनके पिता जी के मरणोपरांत मुखाग्नि सहित श्राद्ध के अनुष्ठान करने तक पंद्रह दिनों की मोहलत दी जाए... उसके बाद वह बिना किसी शर्त के... अदालत को... सुनवाई और कारवाई मैं पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे... (फाइल से एक और काग़ज़ निकाल कर राइटर को देता है जिसे राइटर जज को दे देता है)

जज - ह्म्म्म्म... वादी पक्ष के वकील... अब तो आप समझ गए होंगे... राजा साहब अभी तक अदालत में क्यूँ नहीं पहुँचे...

विश्व - जी... माय लॉर्ड...

जज - अदालत... राजा साहब के दिए इस अनुरोध पत्र पर... आपकी राय जाननी चाहती है...

विश्व - (अपनी जबड़े भिंच कर चेहरा नीचे कर लेता है)

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... अदालत आपसे... आपकी राय जानना चाहती है...

विश्व - (अपना सिर ऊपर उठाता है, एक सरसरी निगाह बल्लभ पर डालता है और फिर जज की ओर देखते हुए) राजा जी की पत्र पर... न्यायलय जो भी न्याय संगत निर्णय ले... वादी पक्ष के वकील होने के नाते... मुझे वह स्वीकार्य होगा...

जज - ठीक है... यह अदालत.. राजा साहब की... अनुरोध पत्र को स्वीकार करती है... आज से ठीक पंद्रह दिनों बाद... राजगड़ मल्टिपर्पोज कोऑपरेटिव सोसाईटी केस पर सुनवाई... सोनपुर में शुरु करेगी... तब तक के लिए... यह अदालत स्थगित किया जाता है... नाउ दी कोर्ड इज़ एडजॉर्नड...



विश्व मुट्ठीयाँ भिंच कर कुर्सी पर बैठ जाता है l तीनों जज और बल्लभ कमरे से निकल चुके थे l बहुत भारी कदमों और झुके कंधों के साथ विश्व बाहर आता है l उसके पीछे दास, पत्री और सुधांशु आते हैं l उसी चाय की दुकान पर बैठ जाते हैं l विश्व को देख कर सुप्रिया और उसके दोस्त विश्व के पास आते हैं l



सुप्रिया - विश्वा... क्या हुआ... यह वकील प्रधान... आँधी की तरह आया... और तूफान की तरह चला गया...

दास - हमें इंतजार था... भैरव सिंह के आने का... पर प्रधान आया... बड़े राजा की मरने की खबर लेकर..

सुप्रिया - ह्वाट... यु मीन... नागेंद्र सिंह...

पत्री - हाँ... और अदालत ने... भैरव सिंह को पंद्रह दिन की मोहलत और दे दी है...

सुधांशु - आज का आठवाँ दिन और पंद्रह दिन... हो गए तेईस दिन... चौबीसवें दिन अदालत खोलेगी... उसके बाद... (एक पॉज) क्या किस्मत पाया है यह राजा भैरव सिंह ने... वह दिन और वक़्त बर्बाद किए जा रहा है... किस्मत और अदालत... उसका साथ दिए जा रहे हैं...

विश्व - (सिर उठा कर देखता है) गाँव वाले कोई भी नहीं दिख रहा था) यह गाँव वाले... कहाँ गए...

सीलु - उन्हें इंतजार था... इंसाफ़ का.. पर खबर बाहर लेकर आया... वकील प्रधान... सब के सब... गाँव वापस लौट गए... शायद... बड़े राजा को कंधा देने... रूदाली बन कर रोने धोने...

दास - विश्वा... तुम तो राजकुमारी के कॉन्टैक्ट में रहते हो ना... नागेंद्र सिंह की मौत की खबर तुम्हें क्यूँ नहीं मिली... आई मीन...



विश्व अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल चार्ट देखता है l उसे आज सुबह भी कॉल नहीं आया था, जिसे विश्व ने नजर अंदाज कर दिया था l विश्व कॉल रजिस्टर से नकचढ़ी नाम ढूंढ कर कर कॉल डायल करता है, और सबको चुप रहने का इशारा करता है l कॉल रिंग हो रही थी l चार या पाँच रिंग के बाद कॉल पीक होता है, हैलो कहने जा रहा था पर कुछ सोच का विश्व खामोश रहता है l उधर से भी, विश्व को कोई जवाब नहीं आ रहा था l तकरीबन दो मिनट तक विश्व मोबाइल को कान से लगाए बैठा था ना वह कुछ कह रहा था ना ही उसे फोन से कोई जवाब मिल रहा था l विश्व कॉल काट देता है और फोन अपनी जेब में रख लेता है l



दास - क्या हुआ... तुमने कॉल किया... पर ना कोई सवाल ना कोई जवाब...

विश्व - फोन... भैरव सिंह ने उठाया था...

सब - क्या...

टीलु - भाभी सही सलामत तो हैं ना...

विश्व - हाँ.. होंगी...

दास - तुम्हें कैसे पता... आई मीन... तुमने कॉल किया... तुम्हारा... नाम या नंबर डिस्प्ले तो हुआ होगा...

विश्व - नहीं... मेरी मोबाइल... एंक्रिप्टेड है.. डिस्प्ले में सिर्फ ऑननॉन लिखा आयेगा...

सीलु - पर भाभी की मोबाइल... राजा साहब के पास आई कैसे...

सुप्रिया - क्या... राजा भैरव सिंह को... फोन पर तुम्हारा अंदाजा हो गया होगा...

विश्व - मालूम नहीं... पर अब मुझे राजगड़ जाना होगा...



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दास अपने दो कांस्टेबलों के साथ पुलिस की जीप लेकर क्षेत्रपाल महल के परिसर में आता है l देखता है महल की पहरेदारी पहले जैसी हो गई थी l उसके लगाए दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे थे l चप्पे-चप्पे पर ESS के गार्ड्स और पहलवान खड़े थे l बाहर बरामदे पर एक कुर्सी पर भैरव सिंह बैठा हुआ था l उसके बाल बिखरे हुए थे l चेहरा मुर्झाया हुआ था l दास जीप से उतर कर सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के सामने खड़ा होता है l भैरव सिंह अपनी रुबाब से भरी नजर से दास की ओर देखता है l



दास - आई एम सॉरी राजा साहब... बड़े राजा जी के बारे में... मुझे अदालत में मालूम हुआ...

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...

दास - यह... आई मीन... बड़े राजा जी का देहांत कब हुआ...

भैरव सिंह - (चेहरे पर कोई भाव नहीं था) तुम जान कर क्या करोगे... जान फूंकने आए हो क्या...

दास - नहीं बस...

भैरव सिंह - डॉक्टर... डेथ सर्टिफिकेट दे चुका है... वैसे तुम्हें किस बात की चूल मची है...

दास - मैं यहाँ आपसे... दुख जताने आया था...

भैरव सिंह - जता दिए...

दास - जी..

भैरव सिंह - दफा हो जाओ...

दास - जी चला जाता हूँ... पर मैं आपसे यह पूछने आया था... के... मेरे दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे हैं... और आपने हमसे क्लियरेंस लिए वगैर... अपनी सिक्योरिटी रिइंस्टीट भी कर लिया...

भैरव सिंह - (सीरियस व रौब भरी आवाज में) इंस्पेक्टर... आज तलक... किसी माई के लाल ने... जो हिम्मत नहीं की... वह तु कर गया... हमने तुझे जितनी इज़्ज़त देनी थी दे दी... अब तु किसी लायक नहीं रह गया है... के तुझे हम इज़्ज़त और इजाजत बख्शें... तूने ही... केके की केस में... अदालत में सरेंडर हो गया ना... तेरी सरेंडर होने के बाद ही... मेरी सेक्योरिटी पर तेरी कानूनी कब्जा भी सरेंडर हो गई.... आज महल में मातम है... इसलिए यहाँ तक तु आ गया... कल से यह हिमाकत गलती से भी मत करना... (हाथ से इशारा करते हुए गेट की ओर दिखता है) अगली बार... उस गेट के बाहर से ही बात करना... वर्ना...



भैरव सिंह चुप हो जाता है l तब तक दास और उसके दो कांस्टेबलों को भीमा और उसके गुर्गे घेर लेते हैं l दास अपनी हॉलस्टर से रीवॉल्वर निकाल लेता है l सारे पहलवान वहीँ रुक तो जाते हैं पर कोई पीछे नहीं हटता l सबके चेहरे पर गुस्सा और नफरत झलक रही थी l दास और उसके दो कांस्टेबल घेरे में थे l कुछ और पहलवान दास की खड़ी की हुई जीप के पास आते हैं और धक्का लगा कर गाड़ी को बाहर निकाल देते हैं फिर ताकत लगा कर जीप को गेट के बाहर पलटा देते हैं l सारे पहलवाल यह सब जिस तरह से आवाज निकाल कर चिल्लाते हुए गाड़ी पलट रहे थे माहौल को डरावना कर रहा था l दास इससे पहले कभी डरा नहीं था l पर आज जिस तरह से सारे पहलवान आवाज निकाल कर जीप को गेट के बाहर ले गए और पलट दिए, दास और उसके साथ आए कांस्टेबल दोनों भी डर गए l वे दोनों, दोनों तरफ़ से दास के बाजुओं को पकड़ लेते हैं l गाड़ी के पलटने के बाद पहलवान जो उन्हें घेर कर खड़े हुए थे, वे सारे किनारे हो जाते हैं और दास और कांस्टेबलों को बाहर जाने का रास्ता देते हैं l दास दो सीढ़ियां उतरा ही था के भैरव सिंह उसे कहता है



भैरव सिंह - दास... (दास मुड़ कर वापस देखता है) हमने थोड़ी ढील क्या दी... तो सबने हमारे बाप बनने की होड़ में शामिल हो गए... तुम भी... अपनी औकात भूल कर... हमारे बाप बनने की कोशिश की... पर यह मत भूलना... बाप हमेशा बाप ही होता है... यह सब आज जो तेरे साथ हुआ... समझ तो तु जरूर गया होगा... आज... (बेहद कड़क आवाज में) अगर महल में मातम ना होता... तो... खैर... अब तु... और तेरे साथ आए यह दो लंगूर इन्हें उठा कर ले जाओ.... (दास जो दो कांस्टेबल को महल के पहरेदारी पर छोड़ गया था, उन्हें मरियल हालत में पहलवान उठाकर सीढियों के नीचे फेंक देते हैं) तु इन्हें भूल कैसे गया... जा आज अपने पैरों पर जा रहे हो... इस बात का शुक्र मनाओ के आज तुम लोग... वर्दी में जा रहे हो... जाओ... इन दो हराम खोरों को उठा कर लेके जाओ.... (दास उनकी हालत देख कर हैरान हो जाता है, वह लोग जिंदा तो थे पर बेहद बुरी तरह से मार खाए हुए थे l दर्द से कराह रहे थे l दास अपने साथ आए कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए इशारा करता है) दास... यह ऐलान है... तुम्हारी दुनिया... तुम्हारे सिस्टम के खिलाफ... जाओ... जिसको जो कहना है... जाकर कहो... जो उखाड़ना है उखाड़ लो...



दास अपने दो कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए कहता है l दोनों कांस्टेबल अपने साथियों को कंधे पर उठा लेते हैं और चलते हुए गेट से बाहर जाते हैं l तीनों पैदल चलते हुए अपने साथियों को कंधे पर उठा कर चले जा रहे थे l गाँव के लोग उन्हें हैरानी भरे निगाह में देख रहे थे l पहली बार दास को अपनी लाचारी महसुस हो रही थी l घुटन भरी बेबसी के साथ सिर झुकाए गाँव के बीचोबीच गुजर रहा था l आज उसका और कानून का भैरव सिंह ने लोगों के सामने तमाशा बना दिया था l





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वैदेही के दुकान में विक्रम मौजूद था, विश्व और उसके चारों दोस्त भी बैठे हुए थे l विश्व बहुत ही गहरी सोच में खोया हुआ था l फिर अचानक से अपनी सोच से बाहर आता है और वैदेही से पूछता है



विश्व - दीदी... तुम्हें कितने बजे मालूम हुआ... बड़े राजा के बारे में...

वैदेही - तुम लोग सुबह नास्ता कर के जल्दी निकल गए थे... उसके कुछ देर बाद विक्रम ने आकर मुझे खबर किया... (विश्व विक्रम की ओर देखता है)

विक्रम - मुझे सुबह सुबह... सेबती ने खबर दी...

विश्व - सुबह सुबह...

विक्रम - हाँ... मतलब आठ... साढ़े आठ बजे...

विश्व - (और भी टेंशन में आ जाता है) (उसे टेंशन में देख कर वैदेही उससे पूछती है)

वैदेही - क्या बात है तु इतनी टेंशन में क्यों है...

टीलु - भाई टेंशन में तो होंगे ही... राजा साहब ने जब भाभी का फोन छिन लिया था... तब सेबती के हाथों भाई ने एक दुसरा मोबाइल भाभी को दिया था... अब वह मोबाइल भी राजा साहब के कब्जे में है... और भाभी की खबर और सलामती के बारे में... भाई कुछ जान नहीं पा रहे हैं...

विक्रम - क्या... नंदिनी के पास मोबाइल था...

टीलु - हाँ... क्यूँ आपको नहीं पता...

विक्रम - नहीं... हाँ पता लगता भी कैसे... मैंने अपना सब कुछ... मोबाइल भी... राजा साहब के पास छोड़ आया था... (थोड़ा रुक जाता है, फिर) पर तुम्हें कैसे पता चला... मोबाइल राजा साहब के पास है...

विश्व - हर सुबह मुझे जगाने के लिए राजकुमारी फोन करतीं थीं... पर आज नहीं किया... मैंने ध्यान भी नहीं दिया था... पर जब बड़े राजा जी के बारे में पता चला... तब राजकुमारी जी को मैंने फोन किया था... राजकुमारी जी के बजाय... फोन राजा साहब ने उठाया था...

वैदेही - क्या... मतलब... राजा को मालूम हो गया होगा... के नंदिनी से तुम रोज फोन पर बात कर रहे हो...

विश्व - नहीं... पता नहीं... पर शायद नहीं मालुम हुआ होगा...

विक्रम - यह तुम कैसे कह सकते हो...

विश्व - क्यूँकी मेरा मोबाइल... ऐंक्रीप्टेड है... और राजा ने जब फोन उठाया... मैंने फोन पर कोई बातचीत भी नहीं की...

वैदेही - ओ... मतलब तुमने फोन पर राजा साहब को सुन कर कोई बात नहीं की...

विश्व - नहीं... उस तरफ़ से.. राजा साहब ने भी कोई बात नहीं की...

गौरी - तो तुझे मालूम कैसे हुआ... दुसरी तरफ राजा साहब ही थे...



गौरी की इस सवाल पर सब विश्व की ओर देखने लगते हैं l विश्व सबकी और देखता है और अपनी जबड़े भिंच कर कहता है



विश्व - रिश्ता ही कुछ ऐसा है... मैं अपनी दोस्तों और दुश्मनों की... खामोशी तक पहचान सकता हूँ... सुन सकता हूँ...

वैदेही - ओ... तो अब तुम्हें इस बात का चिंता है... कहीं नंदिनी...

विश्व - नहीं... राजकुमारी जी की राज... भैरव सिंह को... शायद पता नहीं चला होगा... मेरा दिल कह रहा है... नहीं पता चला होगा...

विक्रम - तुम्हारा दिल तुमसे झूठ नहीं कह रहा होगा... और अगर तुम इतना श्योर हो... तो फिर तुम चिंता क्यूँ कर रहे हो....

विश्व - मैं श्योर नहीं हूँ.. बस अंदाजा लगा रहा हूँ... क्यूँकी... महल में... बड़े राजा जी का देहांत हो गया है... इस बात की जानकारी... मुझे राजकुमारी जी ने नहीं दी... पर जब इस बात की पुष्टि करना चाहा तो.... मोबाइल राजा भैरव सिंह ने उठाया था...

विक्रम - ह्म्म्म्म... ठीक है... तुम्हारी चिंता जायज है... पर महल की अंदर की खबर देने के लिए... अभी सेबती तो मौजूद है ना... और वह महल में... नंदिनी की साये की तरह रहती है... अगर कुछ गड़बड़ हुई होती तो सेबती... मुझे ज़रूर बताती...

वैदेही - हाँ... तुम बे-फिजूल चिंता कर रहे हो...

विश्व - शायद तुम ठीक कह रही हो... मैं शायद... राजकुमारी जी को लेकर बहुत हाइपर हो रहा हूँ...

टीलु - हाँ क्यूँ ना हो... आखिर नई नई शादी जो हुई है... (सब उसे खा जाने वाली नजरों से घूरते हैं) नहीं... मैं.. वह... माहौल को... थोड़ा हल्का करने की कोशिश कर रहा था... हे हे...

विश्व - (विक्रम से) तुम्हें अगर सुबह ही खबर मिल गई थी... तो तुम यहाँ क्या कर रहे हो... तुम्हें तो इस वक़्त महल में होना चाहिए... (अब सबकी नजरें विक्रम की ओर मुड़ जाती है)

विक्रम - हाँ बात तो तुम सही कह रहे हो... पर... मैंने और मेरे साथ चाचाजी ने... मतलब हमने राजा साहब और महल से रिश्ता तोड़ दिया था... लगता है... राजा साहब ने भी हमसे सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं...

विश्व - मैं कुछ समझा नहीं...

विक्रम - देखो... सुबह जब सेबती काम पर गई थी... तब उसे ख़बर लगी... के बड़े राजा नहीं रहे... तो उसने अपना फर्ज निभाते हुए मुझे आकर खबर की... मैं जाने के लिए तैयार था भी... इसलिए जब घर से निकल कर जाने लगा... तो पाया... भूरा, शुकुरा और उनके कुछ आदमी घर घर घूम कर... गाँव में लोगों को बड़े राजा जी के बारे में जानकारी दे रहे थे... चूँकि गाँव में ज्यादातर मर्द केस के सिलसिले में यशपुर में थे.... तो यह हिदायत देते हुए कहा कि... दोपहर के बाद सबको महल पहुँचना है... पर... हमारे पास.... कोई नहीं आया...

विश्व - तो इस बात को तुमने दिल से ले लिया...

विक्रम - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) नहीं बात ऐसी नहीं है... मैं जाऊँगा जरूर... पर गाँव वालों के बीच में... एक हो कर... उस महल में से एक हो कर नहीं...

सीलु - ऐसा क्यों...

विक्रम - मैं खुद को... राजकुमार नहीं... इन्हीं गाँव वालों में से एक बनना चाहता हूँ...

क्यूँकी राजकुमार कभी इन गाँव वालों था ही नहीं... पर विक्रम जरूर इन गाँव वालों में से एक है... मैं उस महल में जाऊँगा तो राजगड़ वालों के भीड़ में से एक दिखना चाहूँगा... ना कि महल में से कोई... इसलिए मैं यहाँ आ गया... क्यूँकी... सारे गाँव वाले इसी रास्ते से महल जायेंगे... तो उनकी भीड़ में शामिल हो कर जाऊँगा... पर बात कुछ समझ में नहीं आ रहा... अभी तक तो गाँव वालों को... महल की ओर चले जाना चाहिए...



विक्रम के जवाब के बाद सभी चुप हो जाते हैं, क्यूँकी बात विक्रम ने सही कहा था l गाँव वालों को वैदेही के दुकान के सामने से गुजर कर महल की ओर जाना चाहिए l पर अब तक कोई भी गाँव वाला वहाँ से गुजरा नहीं था, तभी सत्तू आ पहुँचता है l उसे देख कर वैदेही सवाल करती है l



वैदेही - क्या बात है...

सत्तू - आज बहुत बड़ा कांड हो गया है दीदी...

वैदेही - क्या हो गया है...

सत्तू - आज थानेदार दास बाबु... महल गए थे...



महल में जो भी हुआ वह सारी बातेँ उन्हें बताता है l सब सुनने के बाद वहाँ पर मौजूद सभी को हैरत होती है l विश्व उससे पूछता है l



विश्व - तुम्हें यह सब कैसे पता चला...

सत्तू - कांस्टेबल जगन बाबु ने मुझे बताया... जब मैं गाँव में... बड़े राजा साहब की मौत की... लोगों की प्रतिक्रिया देखने गया था... लौटते वक़्त देखा... थानेदार बाबु पैदल आ रहे थे... और उनके दो कांस्टेबल... अपने दो साथियों के साथ उठा कर ला रहे थे... मैंने तुरंत एक ठेला का जुगाड़ किया और... उन्हें हस्पताल पहुँचा कर आ रहा हूँ...

विक्रम - ह्म्म्म्म... इस वक़्त राजा साहब... ऐसा क्यूँ कर रहे हैं...



विक्रम के सवाल पर सब चुप्पी साध लेते हैं l थोड़ी सोच विचार के बाद विश्व कहता है l



विश्व - लगता है... मैं कुछ कुछ... (पॉज) समझ रहा हूँ...

विक्रम - क्या समझ रहे हो...

विश्व - इंस्पेक्टर दास ने... राजा साहब की... पर्सनल सेक्यूरिटी हटा दी थी... और दो कांस्टेबलों को... महल के बाहर खड़ा कर दिया था... इस बीच उन्हें नंदिनी जी की मोबाइल मिली होगी... मोबाइल पर सबकुछ ढूंढने की कोशिश की होगी... पर उन्हें कुछ मिला नहीं होगा... क्यूँकी... इस मोबाइल में... राजकुमारी जी ने मेरा नाम सेव ही नहीं किया था... उन्हें मेरा नंबर याद है... और उस मोबाइल से वह किसी और को फोन करती भी नहीं हैं... तो जाहिर है.. कॉल रजिस्टर में... किसीका भी नाम नहीं मिला होगा... अब चूँकि सत्तू के सामने आ जाने से... राजा साहब को अभी अपने आदमियों पर शक हो रहा होगा... मतलब कोई ना कोई... महल में हमारा कोई आदमी था... जिसने उन्हें गच्चा देकर बाहर चला आया... यही सोच रहे होंगे... अगर उनकी अपनी सेक्यूरिटी होती तो उसे पकड़ लेते... इसी बात का खीज उन पुलिस वालों पर उतार दी...

विक्रम - पर इससे क्या उनकी पोजीशन खराब नहीं हो जाएगी...

विश्व - जब किस्मत और कानून उनकी मदत कर रहा हो.. उन्हें अब किसी बात की फिक्र नहीं है...

वैदेही - तो... अगली सुनवाई कब और कहाँ होगी... क्यूँकी हर दसवें दिन... केस की जगह बदलनी थी ना...

विश्व - हाँ पर जज साहब ने कोई ऑर्डर अभी निकाला नहीं है... अब मैं खुद पसोपेश में हूँ... केस में और बाइस या तेईस दिन जोड़े जाएंगे... और केस को शुरु से शुरु करेंगे... या फिर... ऐसे ही धीरे धीरे... तीस दिन ख़तम कर देंगे...

वैदेही - ऐसे कैसे हो सकता है...

विश्व - सब हो सकता है दीदी... सब हो सकता है... निजी कारणों के वज़ह से... अगर पहले के तीस दिन बेकार गया... फिर से हाइकोर्ट बेंच को रेफर किया जाएगा... वह बेंच फिर से वक़्त देने के लिए... विचार करेंगे... उसके बाद... इलेक्शन आ जाएगा... इलेक्शन के बाद... केस को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे... फिर वक़्त देंगे... इस बीच कुछ प्रमुख गवाह मार दिए जाएंगे... या कुछ गायब कर दिए जाएंगे... बिल्कुल रुप फाउंडेशन केस की तरह...



विश्व कहते कहते रुक जाता है, पाता है सब उसे गौर से सुन व देख रहे हैं l फिर विश्व कहना शुरू करता है l



विश्व - सब जानते हैं... केके ग़ायब हो गया है... या यूँ कहूँ... केके को गायब कर दिया गया है... यह असल में एक हींट था... इस केस से जुड़े हर एक शख्स के लिए... और इस सिस्टम के लिए.... और इसका असर मुझे दिखने लगा है...

वैदेही - क्या... क्या तु यह कहना चाहता है... की अदालत से हमें उम्मीद नहीं रखनी चाहिए...

विश्व - दीदी... यह एक युद्ध है... हर एक इस लड़ाई में... अपना पक्ष चुन चुके हैं... और हर एक को अपने अपने किरदार के साथ.. न्याय करना होगा...



विश्व फ़िर से चुप हो जाता है l उसकी बातों का यूँ असर हुआ था कि सारे लोग वहाँ पर चुप्पी साध लिए थे और गहरी सोच में खो गए थे l विक्रम की बात सबकी ध्यान खींचती है l



विक्रम - क्या बात है... सभी गाँव वालों को क्या हो गया है आज... इसी रास्ते से महल जाएंगे ना... फ़िर अब तक कोई गाँव वाला दिख क्यूँ नहीं रहा है...



तभी विश्व का फोन बजने लगती है l विश्व झट से अपना फोन उठा लेता है, डिस्प्ले पर डैनी भाई नाम दिख रहा था l विश्व तुरंत फोन उठाता है l



डैनी - कैसे हो हीरो...

विश्व - ठीक नहीं हूँ... आज की केस के बारे में... आपको पता लग गया होगा...

डैनी - हाँ लग तो गया है... पर तुम क्यूँ उदास हो रहे हो... तुम्हें तो एक दिन चाहिए राजा को क्रिमिनल साबित करने के लिए...

विश्व - हाँ पर केस की सुनवाई तो हो... जब इस केस की हालत ऐसी है... तो वह रुप फाउंडेशन की केस की सुनवाई कब और कैसे होगी...

डैनी - जरूर होगी.. तुम्हें इसीलिए तो फोन किया है...

विश्व - (आँखों में चमक आ जाती है) मतलब...

डैनी - हाँ हीरो... श्रीधर परीड़ा का पता चल गया है... और भी एक खुस खबर है..

विश्व - क्या... कैसी खबर...

डैनी - एक मिनट... मैं तुम्हारे एक दोस्त को कंफेरेंशींग में ले रहा हूँ... (विश्व का फोन कुछ सेकेंड के लिए होल्ड पर चला जाता है फिर उसे सुभाष सतपती की आवाज़ सुनाई देती है)

सुभाष - हैलो विश्व...

विश्व - सतपती जी आप...

सुभाष - हाँ.. मैं अपनी टीम के साथ... यशपुर आ रहा हूँ... और तुम्हारे लिए एक खुश खबरी ला रहा हूँ...

विश्व - कैसी खुश खबरी...

सुभाष - तुम्हारा शक बिलकुल सही था... रुप फाउंडेशन का एक गवाह... जिंदा गवाह मिल गया है...

विश्व - (उछल पड़ता है) ह्वाट...

डैनी - हाँ... सुभाष बाबु पहुँच रहे हैं... उनके पास पूरी डिटेल्स है... जो तुम्हारे साथ शेयर करेंगे... और फिक्र मत करो... तुम्हारे गवाह मेरे पास हिफाज़त में हैं... सुभाष बाबु के साथ बैठ कर... प्लान चॉक ऑउट करो... फिर उसके हिसाब से आगे बढ़ो...



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शाम ढल रही थी l महल में भैरव सिंह और उसके आदमीओं के नजरें गेट की ओर देखते देखते थक चुकी थी l सूरज की तपिश कम हो चुकी थी पर भैरव सिंह के मन में गुस्से का तपिश बढ़ता ही जा रहा था l चेहरा सख्त हो गया था और जबड़े भिंच चुकी थी l लंबी लंबी साँसे ठहर ठहर कर ले रहा था l उसकी यह हालत देख कर उसके सारे आदमी डर रहे थे l कुछ दूरी पर खड़े बल्लभ, रॉय और रंगा एक दुसरे को देख रहे थे पर भैरव सिंह के पास जाने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा था l अब तक कुर्सी पर बैठा भैरव सिंह उठ खड़ा होता है l अपने दोनों हाथ पीछे बाँध गर्दन को दोनों तरफ़ झटका देता है l बल्लभ थोड़ा हिम्मत कर उसके पास जाता है l



बल्लभ - राजा साहब... लगता है... गाँव वाले नहीं आयेंगे...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर बिना देखे) हूँ... नहीं आयेंगे... जब गाँव वालों ने फैसला कर लिया है... तो यही सही...

बल्लभ - तो... अब हमें क्या करना चाहिए...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर देखते हुए) क्या करना चाहिए मतलब... बड़े राजा जी का देहांत हुआ है... उनका दाह संस्कार होगा...

बल्लभ - तो ठीक है... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... बड़े राजा जी का दाह संस्कार करना है... इसलिए... बड़े राजाजी के पार्थिव शरीर को उनके कमरे से लाने की व्यवस्था करो...



भीमा अपने कुछ साथियों को साथ लेकर महल के अंदर जाता है और कुछ देर के बाद नागेंद्र के शव को सब उठा कर ले आते हैं l भीमा और उसके साथी बाँस से अंतिम यात्रा की सवारी तैयार करते हैं l ठीक उसी वक़्त शुकुरा, भूरा और दो चार आदमी भैरव सिंह के सामने आकर सिर झुका कर घुटनों पर बैठ जाते हैं l भैरव सिंह उनकी ओर सवालिया दृष्टि से देखते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है, पर वे सब अपना सिर झुकाए वैसे ही घुटनों पर बैठे रहे l



भैरव सिंह - सिर झुकाए हुए हो... मतलब कोई ऐसी खबर लाए हो... जिसे हमारी कान सुनना मंजूर नहीं करेगा... (एक पल के लिए सब भैरव सिंह को देखते हैं फिर सब स्वीकृति के साथ दोबारा सिर झुका लेते हैं) बको जो भी बकना चाहते हो बको...

भूरा - हुकुम... (डरते डरते) श्मशान में कोई नहीं आया... यहाँ तक कोई पंडित भी नहीं आया... सबको खबर कर दी गयी थी... अब चिता के लिए लकड़ियां हमें ही इंतजाम करना होगा... (भूरा की इस बात से सबका मुहँ हैरत से खुल जाता है, पर भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव नहीं आता)

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... कोई बात नहीं... अब इस महल के मातम में... गाँव वाले शामिल नहीं होंगे...

रंगा - गुस्ताख़ी माफ राजा साहब... राजकुमार जी तो इसी गाँव में हैं...



भैरव सिंह रंगा की ओर देखता है, रंगा के शरीर में एक शीत लहर दौड़ जाती है l हालत कुछ ऐसी थी के कोई कुछ भी कहने से पहले सौ बार सोच रहा था l भैरव सिंह भूरा से सवाल करता है



भैरव सिंह - तुमने गाँव वालों से क्या कहा था...

भूरा - राजा साहब... मैंने और शुकुरा ने... घर घर जाकर सबको खबर की थी... (कहते कहते भूरा जिस तरह से पॉज लेता है भैरव सिंह समझ जाता है जरूर कोई ऐसी बात है जिसे भूरा कहने से डर रहा है)

भैरव सिंह - बेफिक्र... बेखौफ हो कर कहो... जवाब में गाँव वालों ने क्या प्रतिक्रिया दी... (भूरा एक नजर शुकुरा को देखता है और अपना सिर झुका लेता है l भैरव सिंह को गुस्सा आ जाता है) यहाँ क्या कोई तमाशा हो रहा है... बताओ क्या हुआ...

भूरा - (डरते डरते) हम जब बड़े राजा जी की देहांत की खबर दे कर लौट रहे थे... तब हमने देखा गाँव के कुछ लोग हमारे पीछे... (रुक जाता है)

भैरव सिंह - हाँ... क्या तुम्हारे पीछे...

भूरा - बड़े राजा जी के नाम पर... धुल उड़ा रहे थे...



भैरव सिंह अपनी कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो जाता है, भूरा और शुकुरा और उनके साथी डर जाते हैं l पर भैरव सिंह उनकी ओर जाने के बजाय भीमा की ओर जाता है और कहता है



भैरव सिंह - जाओ... बड़े राजा जी के कमरे में जाओ... उस कमरे में खाट से लेकर अलमारी तक जितने भी लकड़ी के सामान है... उन्हें बाहर लेकर आओ और कुल्हाड़ी से काट कर... इसी बरामदे के नीचे... चिता सजाओ... आज बड़े राजा जी की चिता यहीँ जलेगी... (भीमा कुछ समझ नहीं पाता, मुहँ खोले बेवक़ूफ़ों की तरह भैरव सिंह को देखे जा रहा था) (चिल्ला कर) जाओ...



भीमा अपने साथ कुछ आदमियों को लेकर नागेंद्र के कमरे में जाता है l बिस्तर से लेकर कुर्सी, सोफा अलमारी टेबल जो भी लकड़ी के थे सब बाहर ले आते हैं l कुल्हाड़ी से काट काट कर चिता बनाते हैं l भैरव सिंह अपनी बाहों में नागेंद्र की लाश उठाता है और लकड़ियों पर रख देता है l फिर बिना किसी औपचारिकता के चिता में आग लगा देता है l वहाँ पर मौजूद सभी लोग भैरव सिंह को देख रहे थे l चिता से उठती आग की रौशनी में भैरव सिंह का चेहरा बहुत ही भयानक दिख रहा था l थोड़ी देर बाद भैरव सिंह अपने लोगों के तरफ़ मुड़ता है l



भैरव सिंह - आज जो भी यहाँ मौजूद है... हम उनके आभारी हैं... आज आपकी मौजूदगी को... हम रूपयों और दौलत से तोल देंगे... फिलहाल आज का मातम का दायरा महल की परिसर तक ही था... पर बड़े राजा जी की मृत्य की चौथ की मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा... अब तुम सब... जा सकते हो...



सभी लोग उल्टे पाँव लौटने लगते हैं l बल्लभ भी लौट रहा था तो भैरव सिंह उसे इशारे से रुकने के लिए कहता है l बल्लभ रुक जाता है और सभी वह जगह खाली कर चले जाते हैं l



भैरव सिंह - देखा प्रधान... गाँव वालों में कितनी हिम्मत आ गई... हमारे लोगों के पीठ के पीछे धूल उड़ाए हैं... (बल्लभ चुप रहता है) आज... बड़े राजा जी की अंतिम संस्कार के लिए... ना नाई आया.. ना धोबी.. ना लोग आए ना पंडित... (एक पॉज लेता है) एक विश्व.... क्या उनके लिए सीना तान कर खड़ा हो गया... हमारी मान पर बट्टा लगाने की हिम्मत कर ली... कोई नहीं... अब तुम देखना... इतिहास कैसे खुद को दोहराएगी... (फ़िर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है, पर इसबार अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर बल्लभ को देता है) तुम इसकी मालिक को ढूंढो... पता लगाओ... यह सबूत है... अभी भी महल में... कोई है... जो विश्व के लिए काम कर रहा है... (बल्लभ उस फोन को अपनी हाथ में लेता है)

बल्लभ - यह आपको कहाँ मिला...

भैरव - बड़े राजा जी के... कमरे के बाहर... और हमें इसकी मालिक का नाम पता दे दो...

बल्लभ - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है कि... यह मोबाइल और इसका मालिक विश्व से जुड़ा हुआ है...

भैरव सिंह - इस पर एक कॉल आया था...

बल्लभ - क्या... किसने किया था...

भैरव सिंह - विश्व ने...

बल्लभ - विश्वा ने... किस किसका नाम लिया...

भैरव सिंह - नहीं उसने कुछ नहीं कहा... या यूँ कहो... उसने कोई आवाज ही नहीं निकाली...

बल्लभ - फ़िर आप यह कैसे कह सकते हैं... फोन के दूसरी तरफ विश्वा था..

भैरव सिंह - उसकी खामोशी को... हम साफ सुन पा रहे था... महसूस कर पा रहे थे... उसके किसी साथी का मोबाइल है यह... मुझे यकीन है... तुमने जब बड़े राजा जी की देहांत का खबर दी होगी... तब उसने चिढ़ कर अपने साथी को फोन लगाया होगा... जिसने गलती से बड़े राजा जी के कमरे के बाहर... छोड़ गया था...

बल्लभ - ओह माय गॉड... इसका मतलब..

भैरव सिंह - हाँ प्रधान... अभी भी उसका कोई आदमी हमारे महल में है... हमें शक तो है... पर बिना सबूत के... बे वज़ह कोई तमाशा नहीं करना चाहते... इसलिये जितनी जल्दी हो सके... इस मोबाइल के मालिक को ढूंढो...

बल्लभ - राजा साहब.. इसमें तो दो तीन दिन लगेंगे...

भैरव सिंह - दो दिन... सिर्फ दो दिन...

बल्लभ - सिर्फ दो दिन...

भैरव सिंह - हाँ... प्रधान हाँ... क्यूँकी... दो दिन बाद बड़े राजा जी का चौथ है... और चौथ का मातम... पूरा राजगड़ मनाएगा... इसलिए सिर्फ दो दिन है तुम्हारे पास...

बल्लभ - राजा साहब...

भैरव सिंह - जाओ...



×_____×_____×_____×_____×_____×_____×




बल्लभ की गाड़ी अपने घर पर रुकती है l गाड़ी बंद कर के बल्लभ गाड़ी से उतरता है l जेब से घर की चाबी निकाल कर दरवाजा खोलता है l अंदर आकर ड्रॉइंग रुम की लाइट ऑन करता है फिर बेड रुम में जाकर भैरव सिंह की दी हुई मोबाइल को निकाल कर बेड पर फेंकता है और अपने कपड़े उतार कर बाथ रोब लेकर बाथरुम में घुस जाता है l शॉवर चला कर नहाने लगता है l नहाते नहाते उसके कानों में टीवी चलने की आवाज़ सुनाई देती है l वह शॅवर बंद कर बाथ रोब पहन कर बाहर आता है l बेड रुम से देखता है कि ड्रॉइंग रुम की लाइट बंद है l वह चुपके से अपना वॉर्ड रोब खोलता है और एक रीवॉल्वर निकाल लेता है l धीरे धीरे बेड रुम से निकल कर ड्रॉइंग रुम में आता है l उसे एक सोफ़े पर काला अक्स, एक साया सा दिखता है l चूँकि टीवी चल रही थी उसकी रौशनी में वह शख्स काले लिबास और एक हैट पहने सोफ़े पर बैठा हुआ था l


बल्लभ - कौन हो तुम...

साया - तुम्हारा बहुत बड़ा फैन...

बल्लभ - किसलिए यहाँ आए हो...

साया - तुम्हारा ऑटोग्राफ लेने...

बल्लभ - खबरदार अपनी जगह से हिले तो... तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - नहीं हिलता... आओ सामने बैठो... बात करते हैं... पहले यह न्यूज देखते हैं...

बल्लभ - शॅट अप... मेरे घर में... अंधेरा कर... मुझे अपने सामने बैठने के लिए कह रहे हो... हाऊ डैर यु... जब कि तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - श् श् श् श्.... पहले यह न्यूज सुनो तो सही...


टीवी पर नभ वाणी न्यूज चैनल पर सुप्रिया न्यूज पढ़ रही थी -

" राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी के आर्थिक भ्रष्टाचार पर केस का आठवां दिन था और आज भी राजा भैरव सिंह ने अपनी हाजिरी नहीं दी l उनके बदले उनके वकील एडवोकेट श्री बल्लभ प्रधान जजों के सामने प्रस्तुत हुए और बड़े राजा जी श्री नागेंद्र सिंह क्षेत्रपाल जी की देहांत की खबर दी और अदालत से बड़े राजाजी की मरणोपरांत क्रिया कर्म व शुद्धीकरण के लिए अदालत से पंद्रह दिन की मोहलत मांगी जिसे सहसा अदालत ने स्वीकर कर ली l इस तरह से हाइकोर्ट के द्वारा निर्धारित तीस दिनों में तेईस दिन बिना सुनवाई के खत्म हो गई l अब प्रश्न यह है कि जो मुल्जिम हैं उनके निजी कारण को अदालत ने तवज्जो देकर जो तेईस दिन बिना सुनवाई के समाप्त हो गए उसकी भरपाई के लिए क्या अदालत शुरु से केस सुनवाई करेगी या बचे हुए साथ दिनों में निपटारा करेगी "


बल्लभ - बंद करो यह टीवी... इस न्यूज से तुम्हारा क्या वास्ता...

साया - मेरा ही नहीं... तुम्हारा भी वास्ता है... हम सबका वास्ता है...

बल्लभ - बस बहुत हुआ... बहुत बकवास कर ली तुमने... अब अपनी पहचान बताओ... या फिर... मरने के लिए तैयार हो जाओ...

साया - तुम मुझे गोली नहीं मार सकते...

बल्लभ - अच्छा... यह तुम्हारी खुशफहमी है... मैं चाहूँ तो अभी के अभी तुम्हें गोली मार सकता हूँ...

साया - और पुलिस से क्या कहोगे...

बल्लभ - सेल्फ प्रोटेक्शन... आत्म रक्षा...

साया - पर मैं तो तुम्हारे सामने... चुप चाप बैठा हुआ हूँ... कोई हरकत भी तो नहीं कर रहा...

बल्लभ - वह इसलिए... के तुम मेरे इन पॉइंट पर हो...

साया - हाँ बात तो तुम ठीक कह रहे हो... पर फिर भी तुम मुझ पर गोली नहीं चला सकते...

बल्लभ - ओ... अभी भी तुम खुशफहमी पाले बैठे हो...

साया - नहीं... यकीन है... क्यूँकी यहाँ मैं अकेला नहीं आया हूँ... अपने साथियों के साथ आया हूँ... और तुम इस वक़्त मेरे साथी के रीवॉल्वर के निशाने पर हो... तुमने जरा सी भी हरकत की... यकीन जानो.. अगले पल... तुम्हारी खोपड़ी उड़ चुकी होगी...

बल्लभ - (डर के मारे हलक से थूक गटकता है) तुम झूठ बोल रहे हो...


नहीं... (एक और आवाज़ बल्लभ के पीछे गूंजती है, अभी जो नहाया हुआ आया था वह अब पसीने से भीगने लगा था, वह झट से पीछे मुड़ता है पर अभी वह दूसरा शख्स उसके हाथों से रीवॉल्वर छीन लेता है, वह साया जो सोफ़े पर बैठा था वह कहता है)


साया - देखा... अब तुम मेरे आदमी के गन पॉइंट पर हो...

बल्लभ - तुम हो कौन चाहते क्या हो...

साया - अभी अभी जो न्यूज तुमने सुनी... उस केस के... तुम सुपर स्टार हो... और हम तुम्हारे बड़के वाले फैन हैं... (बल्लभ को अपनी पीठ पर गन की बैरेल चुभती हुई महसूस होती है) आओ... मेरे सामने बैठ जाओ...


बल्लभ सामने वाली सोफ़े पर बैठ जाता है l सामने सोफ़े पर बैठ साया टीवी बंद कर देता है l थोड़ी देर के लिए ड्रॉइंग रुम में अंधेरा छा जाती है फिर धीरे धीरे बेड रुम की हल्की रौशनी में बल्लभ को थोड़ा थोड़ा दिखने लगता है l तभी उसके कानों में किचन में बर्तनों की आवाज़ सुनाई देती है l



बल्लभ - तुम लोग मुझसे चाहते क्या हो... और तुम कितने आदमियों के साथ आए हो...

साया - सिर्फ तीन... हम तीन लोग आए हैं... और रुप फाउंडेशन केस हो या यह... राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी की केस... तुमने अपना क्या रोल प्ले किया है... हम सब तुम्हारे फैन हो गए हैं...

बल्लभ - ओ समझा... तो तुम अंधेरे में क्यों हो...

साया - क्यूँकी तुम अंधेरे के माहिर खिलाड़ी हो... राजा साहब तक को अंधेरे में रखा हुआ है...

बल्लभ - शॉट अप... मैंने राजा साहब से कोई धोखा नहीं किया है... उनका वफादार हूँ मैं...

साया - हाँ वफादार तो हो... पर कुछ बातेँ राजा साहब से छुपा कर... अपनी मतलब कि खिचड़ी पका लेते हो...

बल्लभ - देखो... अगर तुम विश्व हो... तो मैं तुम्हें बता दूँ... तुम गलत दरवाजे पर दस्तक दे रहे हो...

साया - चलो... एक बात क्लियर कर दूँ... मैं विश्वा नहीं हूँ... दूसरी बात... मैंने तुम्हारे सारे राज पता कर लिया हूँ... बल्कि अपने कब्जे में कर लिया हूँ...

बल्लभ - किस राज की बात कर रहे हो तुम...

साया - (हँसने लगता है) हा हा हा हा... सिर्फ बाथ रोब में हो... एक झटका काफी होगा... नंगे हो जाओगे... या यूँ कहूँ.. नंगे हो चुके हो...

बल्लभ - क्या... क्या मतलब है तुम्हारा...

साया - राजा के किसी खतरे को गायब करना हो या... हटाना हो... यह काम तुम और मरहुम रोणा बखूबी अंजाम देते रहे... रोणा तुम्हारा जिगरी यार था... पर कुछ राज की बातेँ तुमने रोणा को भी नहीं बताई...

बल्लभ - कौन से राज की बात कर रहे हो...

साया - तुम वकील हो... राजा के हर ईलीगल को लीगल कर कर के... अपने ईलीगल को भी छुपा गए... रुप फाउंडेशन केस में जयंत सर ने पाँच गवाह बनाया था... पर राजा साहब के कहने पर... तुमने एक को गायब कर दिया... याद है...

बल्लभ - (चुप रहता है)

साया - नाम मैं बताऊँ... या तुम बताओगे...

बल्लभ - ऐ के सुबुद्धी... तहसील ऑफिस का क्लर्क...

साया - शाबाश... और जब विश्व ने पीआईएल फाइल की... तब तुमने अपने एक और दोस्त को... अंडरग्राउंड करवा दिया...

बल्लभ - श्रीधर परीड़ा...

साया - शाबाश... और कमाल की बात यह है कि.. राजा को नहीं मालूम... यह सब तुमने किया... राजा को मालूम है कि... तुमने सुबुद्धी को मरवा दिया... और श्रीधर परीड़ा खुद को गायब कर दिया... जब कि... मास्टर माइंड तुम थे...

बल्लभ - ओ... अब समझा... यह दोनों अब तुम्हारे कब्जे में हैं... इस इंफॉर्मेशन के बदले... मुझसे क्या चाहते हो...

साया - मैंने कहा ना... हम सब तुम्हारे कमीने पन के कायल हो गए हैं... तुम अब हमारे लिए सुपर स्टार का दर्जा रखते हो... हम बस तुम्हारा ऑटोग्राफ लेना चाहते हैं...

बल्लभ - ऐसी कमीनेपन की बातेँ बहुत कर ली... सच सच बताओ.. क्या चाहते हो...



किचन से और एक आवाज गूंजती है - ज्यादा कुछ नहीं... पहले चाय पीते हैं... फिर... तुम जो चाहोगे वही करते हैं... क्यूँकी तुम हमारे सुपर स्टार हो... इसलिए हमारी टीम वही करेगी जो तुम कहोगे.. जैसा तुम चाहोगे...



बल्लभ किचन की ओर मुड़ता है वहाँ पर अंधेरे में एक शख्स ट्रे पर चाय की केतली और कुछ कप के साथ खड़ा था l
Nice update....
 
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स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट यशपुर

कोर्ट रुम में विश्व, पत्री बाबु, सुधांशु मिश्रा और इंस्पेक्टर दास के साथ कुछ गाँव वाले बैठे हुए हैं l कोर्ट रुम के बाहर सुप्रिया और कुछ दूसरे चैनल वाले कोर्ट रुम मैं घुसने की कोशिश कर रहे थे जिन्हें पुलिस सख्ती से रोक दिया था इसलिए सारे न्यूज चैनल वाले बाहर हल्ला कर रहे थे l थोड़ी देर बाद तीनों जजों के गाडियाँ एक के बाद एक परिसर में आते हैं l उनके आते ही पुलिस वाले उन्हें मीडिया वालों से बचाते हुए कोर्ट के अंदर पहुँचा देते हैं l आज मीडिया वालों के साथ राजगड़ और यशपुर के लोग भी भीड़ बना कर खड़े थे l हाँ यह बात और है कि वे लोग अंदर आने के लिए जरा भी प्रयास नहीं कर रहे थे l कोर्ट रुम के भीतर हॉकर सबको ज़जों के आने की सूचना देता है l सभी सम्मान में खड़े हो जाते हैं l



तीनों जज, अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते हैं l मुख्य ज़ज औपचारिक परंपरा निभाते हुए गैवल को टेबल पर मारते हुए 'ऑर्डर' 'ऑर्डर' कहता है l



ज़ज - आज की कारवाई शुरु की जाए... वादी पक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (विश्व एक काग़ज़ निकाल कर राइटर के हाथ में देता है) प्रतिवादी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (कोर्ट रुम में सन्नाटा था, क्यूँकी ना तो कोर्ट में भैरव सिंह था ना ही उसके तरफ़ से कोई और) (ज़ज अपनी नजरें घुमा कर चारों तरफ़ देखता है, उसे भैरव सिंह की अनुपस्थिति का एहसास होता है, तो ज़ज इंस्पेक्टर दास से पूछता है) इंस्पेक्टर दास... आप अपनी केस पर जो छानबीन की है... उस पर रौशनी डालें...



इंस्पेक्टर दास अपनी जगह से उठता है और एक फाइल को राइटर के हाथ में देता है l राइटर जज को फाइल सौंप देता है l जज फाइल हाथ में लेकर कुछ पन्ने पलटता है और फिर



जज - इंस्पेक्टर दास... इस केस के बाबत अदालत को... क्या आप मौखिक रूप से संपूर्ण विवरण देंगे...

दास - जी माय लॉर्ड...



इंस्पेक्टर दास कटघरे में जाता है और अपनी टोपी निकाल कर काख में दबा कर खड़ा हो जाता है l फिर दास कहना शुरू करता है l



दास - माय लॉर्ड... अदालत से हमें जैसे ही आदेश मिला... हमने तुरंत कमल कांत जी की खोज के लिए जो मुमकिन था... वह सब हमने किया... हाँ कुछ हद तक... हमें क्षेत्रपाल जी से मदत मिली... पर वह नाकाफी था... इसलिए इन सात दिनों में... जितना संभव हुआ... उतना हमनें खोजबीन की... उसके आधर पर रिपोर्ट बना कर... अदालत के सामने प्रस्तुत कर दिया...

जज - ठीक है... अब अपनी रिपोर्ट को विस्तृत रूप में... अदालत को अवगत कराएं...



दास गवाह वाली कटघरे में आता है l गावही के पूर्व अपनी सारी औपचारिकताओं को पूर्ण करता है फिर जजों को देखते हुए कहना शुरु करता है



दास - माय लॉर्ड... तारीख xxxx को हमें एसपी ऑफिस से एक ऑर्डर फैक्स के थ्रु मिला... आप फाइल की पहली ऐनेक्स्चर में देख सकते हैं... जिसमें कहा गया था... राजा साहब के घर में... विवाह उत्सव होने वाला है... उनके होने वाले दामाद को सुरक्षा मुहैया करते हुए... बाराती की तरह महल तक पहुँचाया जाए... माय लॉर्ड... मैं और मेरी पुरी टीम... इसको बखूबी अंजाम दिया... उसके बाद वर... उर्फ कमल कांत जी को... परंपरा निभाते हुए... राजा साहब के अपनों के द्वारा... विवाह बेदी तक ले जाया गया... बेदी पर रस्म खत्म होने पर... वर को... उनके लिए... उपलब्ध करायी गई प्रकोष्ठ को... राजा साहब के निजी सुरक्षा कर्मचारियों के द्वारा ले जाया गया... हम केवल वहाँ मूक दर्शक थे... कुछ देर बाद... सत्तू नाम का महल का नौकर राजा साहब के कान में कुछ कहा... उसके बाद राजा साहब और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी अंदर गए... तत्पश्चात कुछ समय बाद... मेरे फोन पर... अमिताभ रॉय जो कि राजा साहब के निजी सुरक्षा अधिकारी हैं और वर्तमान ESS के निर्देशक भी हैं... उनका फोन आया... फिर मैं अकेला... केके जी के प्रकोष्ठ में गया... और वहाँ पर मुआयना करने के बाद... उस समय मुझे लगा... शायद साहब केके भाग गए हैं... पर राजा साहब... उनके अपहरण होने की संभावना व्यक्त करते हुए... केस दर्ज करने के लिए कहा... पर चूंकि चौबीस घंटे नहीं हुए थे... इस लिए उन्हें मैंने सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा था... आगे जो भी हुआ... वह अदालत के संज्ञान में है...

जज - आपने केवल एक ऐनेक्स्चर रिपोर्ट में प्रस्तुत की है... बाकी जो रिपोर्ट बनाया है... उसका आधार क्या है...

दास - (एक पेन ड्राइव निकाल कर राइटर के हाथ में देता है, जिसे राइटर जज को दे देता है) माय लॉर्ड यह वह वीडियो है... जिसे राजकुमारी जी की एक दोस्त ने शूटिंग की थी... इससे आप मेरी कही बातों को पुष्टि कर सकते हैं... इस वीडियो में... वर के पहुँचने से लेकर... मुझ तक खबर आने की सारी बातें रिकार्डिंग हुई है...

जज - ठीक है... पर महल के भीतर की तहकीकात के बारे में... आपने ज्यादा कुछ नहीं लिखा है... और सबसे अहम बात... कमल कांत... अभी भी लापता हैं...

दास - जी माय लॉर्ड... पर सच्चाई यह भी है... महल के जिस हिस्से तक.. मैं अपनी तहकीकात को ले जा पाया... वहाँ तक... आज तक कोई भी... सरकारी या गैर सरकारी अधिकारी नहीं पहुँच पाया है... उससे आगे जाकर तहकीकात करने के लिए... हमें कोई... सर्च वारंट नहीं मिला है... अब चूँकि... महल में कोई सरकारी सुरक्षा नहीं थी... राजा साहब की निजी सुरक्षा प्रबंधन थी... हम अभी उन्हीं लोगों को... रंग महल में... नजर बंद कर पूछताछ कर रहे हैं... पर अभी तक कोई भी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाए हैं...

जज - तो... केस में फिर कैसे आगे बढ़ा जाए...

विश्व - एस्क्युज मी माय लॉर्ड... क्या मैं कुछ कहूँ...

जज - हाँ जरूर... कहिये...

विश्व - माय लॉर्ड... यह एक स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट है... और इस कोर्ट का गठन किसी और केस के लिए की गई थी... इस कोर्ट की मकसद कुछ और थी... एक गैर जरूरत केस में... सात दिन बर्बाद हो चुके हैं... और सात दिन पुरे होने के बावजूद... राजा भैरव सिंह... आज कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं...

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... आप यह मत कहिये... हम यहाँ क्यूँ हैं... किस लिए हैं.... इस कोर्ट को मकसद ना समझाये... एक बात याद रखें... लॉ बुक हमेशा यह कहती है... जस्टिस हरिड... मतलब जस्टिस बरीड...

विश्व - लॉ बुक यह भी कहती है... जस्टिस डिले... मतलब जस्टिस डिनाय...

जज - (चीख उठता है) होल्ड योर टोंग...(कोर्ट में सन्नाटा पसर जाता है) आप अपनी सीमा से बाहर जा रहे हैं...

विश्व - नहीं माय लॉर्ड... (एकदम शांत लहजे में) मैं ऐसी गुस्ताखी नहीं कर सकता... जिस केस के लिए... जो दिन तय किए गए थे... उसमें से सात दिन बीत चुके हैं... केके साहब के गायब होने को... इस केस से क्यूँ जोड़ा जा रहा है... और राजा साहब... मुल्जिम हैं... प्रतिवादी हैं... जिन्हें अपनी तहकीकात में... एक्जिक्युटीव मैजिस्ट्रेट माननीय श्री नरोत्तम पत्री जी के द्वारा... आरोपित स्थापित किया जा चुका है...

जज - मिस्टर... विश्व प्रताप... आप अदालत की तौहीन कर रहे हैं....

विश्व - नहीं योर ऑनर...

जज - (गैवेल को टेबल पर मारते हुए) ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर... यह अदालत आपको अंतिम चेतावनी देती है... अगर आप कारवाई पर प्रश्न चिन्ह लगाएंगे... तो आपको इस केस से हटा दिया जाएगा...

विश्व - आई एम एक्सट्रीमली सॉरी माय लॉर्ड... मुझे माफ कर दीजिए...

जज - यह अदालत एक घंटे के लिए मुल्तवी किया जाता है...





तीनों जज अपनी जगह से उठते हैं और कमरे से बाहर निकल जाते हैं l अपनी जबड़े भिंच कर विश्व वहीँ खड़ा रह जाता है l पीछे से पत्री बाबु आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हैं l विश्व मुड़ कर देखता है l



पत्री - चलो बाहर चलते हैं...

दास - हाँ... थोड़ी चाय बाय पीते हैं... बहुत गर्म हो गए हो... थोड़ा ठंडा हो लो...



विश्व, पत्री, दास और सुधांशु मिश्र चारों बाहर आते हैं l बाहर विश्व के चारों दोस्त चाय की दुकान पर खड़े थे l उनसे भी कुछ दूर गाँव के बहुत सारे लोग विश्व की ओर टकटकी लगा कर देखे जा रहे थे l दुकान पर पहुँच कर विश्व एक बहुत गहरी साँस लेता है और बेंच पर बैठ जाता है l दास इशारा करता है तो सीलु एक चाय की ग्लास लेकर विश्व के हाथ में देता है l तभी उनके पास सुप्रिया चल कर आती है l



पत्री - मुझे लगा नहीं था... तुम इस कदर भड़क जाओगे... रिएक्ट करोगे...

दास - तुमने जज का मुड़ ऑफ कर दिया...

विश्व - आई एम सॉरी... पर मैं शर्मिंदा नहीं हूँ...

पत्री - हाँ... जानता हूँ...

विश्व - इस केस को यहाँ लाया गया... उसके लिए... तीस दिन मुकर्रर किया गया... अब... आज आठवाँ दिन हैं...

दास - हाँ... यह बात तो है...

पत्री - मैं समझ रहा हूँ...

सुप्रिया - तुम्हें पहली बार इतनी फ्रस्ट्रेशन में देख रही हूँ...

विश्व - आप कुछ समझी...

सुप्रिया - अब तक जितना सुना... समझा... केस फाइल का पहला पन्ना तक शायद नहीं पलटा गया है....

विश्व - हाँ... राजा केस को यहाँ लेकर आया... उसके लिए... तीस दिन की सुनवाई मुकर्रर किया गया... पहली ही दिन... सात दिन को सम्वेदना के रूप में बर्बाद कर दिया... और आज अभी तक नहीं आया है...

दास - इसी बात के फ्रस्ट्रेशन में... आज विश्व बाबु अदालत में... अपना टेंपरामेंट लूज कर बैठे... जज साहब ने फ़िलहाल के लिए वॉर्न किया है...

टीलु - पर इसमे विश्वा भाई का दोष कहाँ है... जो मुज़रिम है... उसकी सहूलियत देखी जा रही है... सिर्फ एक आदमी की... जब कि इस केस में हज़ारों लोग जुड़े हैं... वह देखो... (लोगों की ओर इशारा करते हुए) क्या यह लोग... इनके हालत... वक़्त... कुछ भी मायने नहीं रखते... लोग ही नहीं... सिस्टम... सिस्टम से जुड़े लोग... सिस्टम का वक़्त और पैसा... सब बर्बाद हो ही रहा है...

पत्री - ना.... आज दिन खत्म हुआ है... ना केस... घंटे भर के लिए... ब्रेक लिया गया है... राजा आ गया तो ठीक... वर्ना... अदालत... राजा के खिलाफ शो कॉज नोटिस इश्यू करेगा... इसलिए... हैव पेशेंस...

सुप्रिया - हाँ सिस्टम की इसी चाल के वज़ह से... న जानें कितने केसेस अदालत के फाइलों में साड़ती रहती है... इंसाफ़ के लिए आँखे तरस जाती हैं... वेल... क्या इस बात को... अभी के अभी न्यूज ब्रीफिंग में टेलीकास्ट कर दूँ...

विश्व - नहीं... अभी नहीं... थोड़ी देर में... सुनवाई फिर से शुरू हो जाएगी... आज का दिन खत्म हो जाने दो...



विश्व उठता है, उसके साथ सुधांशु, दास और पत्री अदालत के कमरे में जाते हैं l कुछ मिंटो बाद तीनों जज अपनी अपनी आस्थान में बैठ कर औपचारिकता निभाते हैं l



जज - इंस्पेक्टर दास...

दास - तो आपकी फाइनल रिपोर्ट क्या है...

दास - माय लॉर्ड... केके कोई आम आदमी नहीं हैं... कंस्ट्रक्शन किंग के नाम से जाना जाता है... और यह सच है... उनकी शादी राजकुमारी जी से तय हुई थी... मतलब यह केस एक हाई प्रोफाइल केस हो गया है... और जिस दिन यह कांड हुआ... हमें और गाँव वालों को लगा कि वह शादी का दिन था... पर राजा साहब ने अदालत में उसे मंगनी कहा है... खैर... सच यह है कि... केके साहब... गायब हुए हैं... वह भी महल के भीतर से... उनको दी गई... उन्हीं की कमरे से... मौका ए वारदात को मध्य नजर रखते हुए... हमें यह लगा कि वह महल से भाग गए हैं... पर अभी भी वह लापता हैं... हमने पूछताछ कर ली... पर अभी तक किसी के भी नजर में आए नहीं हैं... ना राजगड़ अथवा यशपुर में... ना ही कटक या भुवनेश्वर में...

जज - तो आप इस केस को किस तरह से कंक्लुड करना चाहते हैं...

दास - केके साहब का ना मिलना... मेरा मतलब है... किसी को नज़र ना आना... हो सकता है... महल के भीतर ही कुछ हो गया हो... महल के भीतर तहकीकात करना... हमारी वश की बात नहीं है...

जज - क्यूँ...

दास - महल की चौखट लाँघ कर... नहीं जज साहब... यह एक हाई प्रोफाइल केस है... हमारी औकात के बाहर की... बेशक अभी तक राजा साहब ने... तहकीकात में साथ दिया है... पर इससे आगे... या तो सीआईडी जा सकती है... या फिर... कोई स्पेशल टास्क फोर्स.... हम सरेंडर करते हैं...



कुछ देर के लिए अदालत में सन्नाटा छा जाता है l जज हैरानी भरे नजरों से दास को देखे जा रहा था, के तभी कमरे में बल्लभ का प्रवेश होता है l वह एकदम से बदहवास दिख रहा था l



बल्लभ - मे आई बी एक्सक्युज्ड माय लॉर्ड... क्या मैं अंदर आ सकता हूँ...

जज - आइए... प्रधान बाबु... (बल्लभ अंदर आता है)

बल्लभ - माय लॉर्ड... राजा साहब... आने ही वाले थे... पर... (रूक जाता है)

जज - आप अपनी बात पूरी कीजिए...

बल्लभ - राजा साहब के पिता... बड़े राजा.. नागेंद्र सिंह जी का देहांत हो गया है... यह रहा मेडिकल रिपोर्ट और डेथ सर्टिफिकेट...



नागेंद्र की मौत की खबर सुन कर विश्व और दूसरे लोग अपनी अपनी कुर्सी से उछल पड़ते हैं l बल्लभ फाइल से डेथ सर्टिफिकेट निकाल कर राइटर के हाथ में देता है l राइटर उसे लेकर जज के हाथ में दे देता है l जज उस सर्टिफिकेट को देखते हुए पहले विश्व को देखता है जैसे वह विश्व को अनुताप कराना चाहता हो फिर बल्लभ की ओर देखता है l



जज - यह बहुत ही दुख की बात है...

बल्लभ - जी माय लॉर्ड... इसलिए राजा साहब ने... अदालत को एक अनुरोध पत्र दिया है... के उन्हें उनके पिता जी के मरणोपरांत मुखाग्नि सहित श्राद्ध के अनुष्ठान करने तक पंद्रह दिनों की मोहलत दी जाए... उसके बाद वह बिना किसी शर्त के... अदालत को... सुनवाई और कारवाई मैं पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे... (फाइल से एक और काग़ज़ निकाल कर राइटर को देता है जिसे राइटर जज को दे देता है)

जज - ह्म्म्म्म... वादी पक्ष के वकील... अब तो आप समझ गए होंगे... राजा साहब अभी तक अदालत में क्यूँ नहीं पहुँचे...

विश्व - जी... माय लॉर्ड...

जज - अदालत... राजा साहब के दिए इस अनुरोध पत्र पर... आपकी राय जाननी चाहती है...

विश्व - (अपनी जबड़े भिंच कर चेहरा नीचे कर लेता है)

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... अदालत आपसे... आपकी राय जानना चाहती है...

विश्व - (अपना सिर ऊपर उठाता है, एक सरसरी निगाह बल्लभ पर डालता है और फिर जज की ओर देखते हुए) राजा जी की पत्र पर... न्यायलय जो भी न्याय संगत निर्णय ले... वादी पक्ष के वकील होने के नाते... मुझे वह स्वीकार्य होगा...

जज - ठीक है... यह अदालत.. राजा साहब की... अनुरोध पत्र को स्वीकार करती है... आज से ठीक पंद्रह दिनों बाद... राजगड़ मल्टिपर्पोज कोऑपरेटिव सोसाईटी केस पर सुनवाई... सोनपुर में शुरु करेगी... तब तक के लिए... यह अदालत स्थगित किया जाता है... नाउ दी कोर्ड इज़ एडजॉर्नड...



विश्व मुट्ठीयाँ भिंच कर कुर्सी पर बैठ जाता है l तीनों जज और बल्लभ कमरे से निकल चुके थे l बहुत भारी कदमों और झुके कंधों के साथ विश्व बाहर आता है l उसके पीछे दास, पत्री और सुधांशु आते हैं l उसी चाय की दुकान पर बैठ जाते हैं l विश्व को देख कर सुप्रिया और उसके दोस्त विश्व के पास आते हैं l



सुप्रिया - विश्वा... क्या हुआ... यह वकील प्रधान... आँधी की तरह आया... और तूफान की तरह चला गया...

दास - हमें इंतजार था... भैरव सिंह के आने का... पर प्रधान आया... बड़े राजा की मरने की खबर लेकर..

सुप्रिया - ह्वाट... यु मीन... नागेंद्र सिंह...

पत्री - हाँ... और अदालत ने... भैरव सिंह को पंद्रह दिन की मोहलत और दे दी है...

सुधांशु - आज का आठवाँ दिन और पंद्रह दिन... हो गए तेईस दिन... चौबीसवें दिन अदालत खोलेगी... उसके बाद... (एक पॉज) क्या किस्मत पाया है यह राजा भैरव सिंह ने... वह दिन और वक़्त बर्बाद किए जा रहा है... किस्मत और अदालत... उसका साथ दिए जा रहे हैं...

विश्व - (सिर उठा कर देखता है) गाँव वाले कोई भी नहीं दिख रहा था) यह गाँव वाले... कहाँ गए...

सीलु - उन्हें इंतजार था... इंसाफ़ का.. पर खबर बाहर लेकर आया... वकील प्रधान... सब के सब... गाँव वापस लौट गए... शायद... बड़े राजा को कंधा देने... रूदाली बन कर रोने धोने...

दास - विश्वा... तुम तो राजकुमारी के कॉन्टैक्ट में रहते हो ना... नागेंद्र सिंह की मौत की खबर तुम्हें क्यूँ नहीं मिली... आई मीन...



विश्व अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल चार्ट देखता है l उसे आज सुबह भी कॉल नहीं आया था, जिसे विश्व ने नजर अंदाज कर दिया था l विश्व कॉल रजिस्टर से नकचढ़ी नाम ढूंढ कर कर कॉल डायल करता है, और सबको चुप रहने का इशारा करता है l कॉल रिंग हो रही थी l चार या पाँच रिंग के बाद कॉल पीक होता है, हैलो कहने जा रहा था पर कुछ सोच का विश्व खामोश रहता है l उधर से भी, विश्व को कोई जवाब नहीं आ रहा था l तकरीबन दो मिनट तक विश्व मोबाइल को कान से लगाए बैठा था ना वह कुछ कह रहा था ना ही उसे फोन से कोई जवाब मिल रहा था l विश्व कॉल काट देता है और फोन अपनी जेब में रख लेता है l



दास - क्या हुआ... तुमने कॉल किया... पर ना कोई सवाल ना कोई जवाब...

विश्व - फोन... भैरव सिंह ने उठाया था...

सब - क्या...

टीलु - भाभी सही सलामत तो हैं ना...

विश्व - हाँ.. होंगी...

दास - तुम्हें कैसे पता... आई मीन... तुमने कॉल किया... तुम्हारा... नाम या नंबर डिस्प्ले तो हुआ होगा...

विश्व - नहीं... मेरी मोबाइल... एंक्रिप्टेड है.. डिस्प्ले में सिर्फ ऑननॉन लिखा आयेगा...

सीलु - पर भाभी की मोबाइल... राजा साहब के पास आई कैसे...

सुप्रिया - क्या... राजा भैरव सिंह को... फोन पर तुम्हारा अंदाजा हो गया होगा...

विश्व - मालूम नहीं... पर अब मुझे राजगड़ जाना होगा...



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दास अपने दो कांस्टेबलों के साथ पुलिस की जीप लेकर क्षेत्रपाल महल के परिसर में आता है l देखता है महल की पहरेदारी पहले जैसी हो गई थी l उसके लगाए दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे थे l चप्पे-चप्पे पर ESS के गार्ड्स और पहलवान खड़े थे l बाहर बरामदे पर एक कुर्सी पर भैरव सिंह बैठा हुआ था l उसके बाल बिखरे हुए थे l चेहरा मुर्झाया हुआ था l दास जीप से उतर कर सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के सामने खड़ा होता है l भैरव सिंह अपनी रुबाब से भरी नजर से दास की ओर देखता है l



दास - आई एम सॉरी राजा साहब... बड़े राजा जी के बारे में... मुझे अदालत में मालूम हुआ...

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...

दास - यह... आई मीन... बड़े राजा जी का देहांत कब हुआ...

भैरव सिंह - (चेहरे पर कोई भाव नहीं था) तुम जान कर क्या करोगे... जान फूंकने आए हो क्या...

दास - नहीं बस...

भैरव सिंह - डॉक्टर... डेथ सर्टिफिकेट दे चुका है... वैसे तुम्हें किस बात की चूल मची है...

दास - मैं यहाँ आपसे... दुख जताने आया था...

भैरव सिंह - जता दिए...

दास - जी..

भैरव सिंह - दफा हो जाओ...

दास - जी चला जाता हूँ... पर मैं आपसे यह पूछने आया था... के... मेरे दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे हैं... और आपने हमसे क्लियरेंस लिए वगैर... अपनी सिक्योरिटी रिइंस्टीट भी कर लिया...

भैरव सिंह - (सीरियस व रौब भरी आवाज में) इंस्पेक्टर... आज तलक... किसी माई के लाल ने... जो हिम्मत नहीं की... वह तु कर गया... हमने तुझे जितनी इज़्ज़त देनी थी दे दी... अब तु किसी लायक नहीं रह गया है... के तुझे हम इज़्ज़त और इजाजत बख्शें... तूने ही... केके की केस में... अदालत में सरेंडर हो गया ना... तेरी सरेंडर होने के बाद ही... मेरी सेक्योरिटी पर तेरी कानूनी कब्जा भी सरेंडर हो गई.... आज महल में मातम है... इसलिए यहाँ तक तु आ गया... कल से यह हिमाकत गलती से भी मत करना... (हाथ से इशारा करते हुए गेट की ओर दिखता है) अगली बार... उस गेट के बाहर से ही बात करना... वर्ना...



भैरव सिंह चुप हो जाता है l तब तक दास और उसके दो कांस्टेबलों को भीमा और उसके गुर्गे घेर लेते हैं l दास अपनी हॉलस्टर से रीवॉल्वर निकाल लेता है l सारे पहलवान वहीँ रुक तो जाते हैं पर कोई पीछे नहीं हटता l सबके चेहरे पर गुस्सा और नफरत झलक रही थी l दास और उसके दो कांस्टेबल घेरे में थे l कुछ और पहलवान दास की खड़ी की हुई जीप के पास आते हैं और धक्का लगा कर गाड़ी को बाहर निकाल देते हैं फिर ताकत लगा कर जीप को गेट के बाहर पलटा देते हैं l सारे पहलवाल यह सब जिस तरह से आवाज निकाल कर चिल्लाते हुए गाड़ी पलट रहे थे माहौल को डरावना कर रहा था l दास इससे पहले कभी डरा नहीं था l पर आज जिस तरह से सारे पहलवान आवाज निकाल कर जीप को गेट के बाहर ले गए और पलट दिए, दास और उसके साथ आए कांस्टेबल दोनों भी डर गए l वे दोनों, दोनों तरफ़ से दास के बाजुओं को पकड़ लेते हैं l गाड़ी के पलटने के बाद पहलवान जो उन्हें घेर कर खड़े हुए थे, वे सारे किनारे हो जाते हैं और दास और कांस्टेबलों को बाहर जाने का रास्ता देते हैं l दास दो सीढ़ियां उतरा ही था के भैरव सिंह उसे कहता है



भैरव सिंह - दास... (दास मुड़ कर वापस देखता है) हमने थोड़ी ढील क्या दी... तो सबने हमारे बाप बनने की होड़ में शामिल हो गए... तुम भी... अपनी औकात भूल कर... हमारे बाप बनने की कोशिश की... पर यह मत भूलना... बाप हमेशा बाप ही होता है... यह सब आज जो तेरे साथ हुआ... समझ तो तु जरूर गया होगा... आज... (बेहद कड़क आवाज में) अगर महल में मातम ना होता... तो... खैर... अब तु... और तेरे साथ आए यह दो लंगूर इन्हें उठा कर ले जाओ.... (दास जो दो कांस्टेबल को महल के पहरेदारी पर छोड़ गया था, उन्हें मरियल हालत में पहलवान उठाकर सीढियों के नीचे फेंक देते हैं) तु इन्हें भूल कैसे गया... जा आज अपने पैरों पर जा रहे हो... इस बात का शुक्र मनाओ के आज तुम लोग... वर्दी में जा रहे हो... जाओ... इन दो हराम खोरों को उठा कर लेके जाओ.... (दास उनकी हालत देख कर हैरान हो जाता है, वह लोग जिंदा तो थे पर बेहद बुरी तरह से मार खाए हुए थे l दर्द से कराह रहे थे l दास अपने साथ आए कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए इशारा करता है) दास... यह ऐलान है... तुम्हारी दुनिया... तुम्हारे सिस्टम के खिलाफ... जाओ... जिसको जो कहना है... जाकर कहो... जो उखाड़ना है उखाड़ लो...



दास अपने दो कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए कहता है l दोनों कांस्टेबल अपने साथियों को कंधे पर उठा लेते हैं और चलते हुए गेट से बाहर जाते हैं l तीनों पैदल चलते हुए अपने साथियों को कंधे पर उठा कर चले जा रहे थे l गाँव के लोग उन्हें हैरानी भरे निगाह में देख रहे थे l पहली बार दास को अपनी लाचारी महसुस हो रही थी l घुटन भरी बेबसी के साथ सिर झुकाए गाँव के बीचोबीच गुजर रहा था l आज उसका और कानून का भैरव सिंह ने लोगों के सामने तमाशा बना दिया था l





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वैदेही के दुकान में विक्रम मौजूद था, विश्व और उसके चारों दोस्त भी बैठे हुए थे l विश्व बहुत ही गहरी सोच में खोया हुआ था l फिर अचानक से अपनी सोच से बाहर आता है और वैदेही से पूछता है



विश्व - दीदी... तुम्हें कितने बजे मालूम हुआ... बड़े राजा के बारे में...

वैदेही - तुम लोग सुबह नास्ता कर के जल्दी निकल गए थे... उसके कुछ देर बाद विक्रम ने आकर मुझे खबर किया... (विश्व विक्रम की ओर देखता है)

विक्रम - मुझे सुबह सुबह... सेबती ने खबर दी...

विश्व - सुबह सुबह...

विक्रम - हाँ... मतलब आठ... साढ़े आठ बजे...

विश्व - (और भी टेंशन में आ जाता है) (उसे टेंशन में देख कर वैदेही उससे पूछती है)

वैदेही - क्या बात है तु इतनी टेंशन में क्यों है...

टीलु - भाई टेंशन में तो होंगे ही... राजा साहब ने जब भाभी का फोन छिन लिया था... तब सेबती के हाथों भाई ने एक दुसरा मोबाइल भाभी को दिया था... अब वह मोबाइल भी राजा साहब के कब्जे में है... और भाभी की खबर और सलामती के बारे में... भाई कुछ जान नहीं पा रहे हैं...

विक्रम - क्या... नंदिनी के पास मोबाइल था...

टीलु - हाँ... क्यूँ आपको नहीं पता...

विक्रम - नहीं... हाँ पता लगता भी कैसे... मैंने अपना सब कुछ... मोबाइल भी... राजा साहब के पास छोड़ आया था... (थोड़ा रुक जाता है, फिर) पर तुम्हें कैसे पता चला... मोबाइल राजा साहब के पास है...

विश्व - हर सुबह मुझे जगाने के लिए राजकुमारी फोन करतीं थीं... पर आज नहीं किया... मैंने ध्यान भी नहीं दिया था... पर जब बड़े राजा जी के बारे में पता चला... तब राजकुमारी जी को मैंने फोन किया था... राजकुमारी जी के बजाय... फोन राजा साहब ने उठाया था...

वैदेही - क्या... मतलब... राजा को मालूम हो गया होगा... के नंदिनी से तुम रोज फोन पर बात कर रहे हो...

विश्व - नहीं... पता नहीं... पर शायद नहीं मालुम हुआ होगा...

विक्रम - यह तुम कैसे कह सकते हो...

विश्व - क्यूँकी मेरा मोबाइल... ऐंक्रीप्टेड है... और राजा ने जब फोन उठाया... मैंने फोन पर कोई बातचीत भी नहीं की...

वैदेही - ओ... मतलब तुमने फोन पर राजा साहब को सुन कर कोई बात नहीं की...

विश्व - नहीं... उस तरफ़ से.. राजा साहब ने भी कोई बात नहीं की...

गौरी - तो तुझे मालूम कैसे हुआ... दुसरी तरफ राजा साहब ही थे...



गौरी की इस सवाल पर सब विश्व की ओर देखने लगते हैं l विश्व सबकी और देखता है और अपनी जबड़े भिंच कर कहता है



विश्व - रिश्ता ही कुछ ऐसा है... मैं अपनी दोस्तों और दुश्मनों की... खामोशी तक पहचान सकता हूँ... सुन सकता हूँ...

वैदेही - ओ... तो अब तुम्हें इस बात का चिंता है... कहीं नंदिनी...

विश्व - नहीं... राजकुमारी जी की राज... भैरव सिंह को... शायद पता नहीं चला होगा... मेरा दिल कह रहा है... नहीं पता चला होगा...

विक्रम - तुम्हारा दिल तुमसे झूठ नहीं कह रहा होगा... और अगर तुम इतना श्योर हो... तो फिर तुम चिंता क्यूँ कर रहे हो....

विश्व - मैं श्योर नहीं हूँ.. बस अंदाजा लगा रहा हूँ... क्यूँकी... महल में... बड़े राजा जी का देहांत हो गया है... इस बात की जानकारी... मुझे राजकुमारी जी ने नहीं दी... पर जब इस बात की पुष्टि करना चाहा तो.... मोबाइल राजा भैरव सिंह ने उठाया था...

विक्रम - ह्म्म्म्म... ठीक है... तुम्हारी चिंता जायज है... पर महल की अंदर की खबर देने के लिए... अभी सेबती तो मौजूद है ना... और वह महल में... नंदिनी की साये की तरह रहती है... अगर कुछ गड़बड़ हुई होती तो सेबती... मुझे ज़रूर बताती...

वैदेही - हाँ... तुम बे-फिजूल चिंता कर रहे हो...

विश्व - शायद तुम ठीक कह रही हो... मैं शायद... राजकुमारी जी को लेकर बहुत हाइपर हो रहा हूँ...

टीलु - हाँ क्यूँ ना हो... आखिर नई नई शादी जो हुई है... (सब उसे खा जाने वाली नजरों से घूरते हैं) नहीं... मैं.. वह... माहौल को... थोड़ा हल्का करने की कोशिश कर रहा था... हे हे...

विश्व - (विक्रम से) तुम्हें अगर सुबह ही खबर मिल गई थी... तो तुम यहाँ क्या कर रहे हो... तुम्हें तो इस वक़्त महल में होना चाहिए... (अब सबकी नजरें विक्रम की ओर मुड़ जाती है)

विक्रम - हाँ बात तो तुम सही कह रहे हो... पर... मैंने और मेरे साथ चाचाजी ने... मतलब हमने राजा साहब और महल से रिश्ता तोड़ दिया था... लगता है... राजा साहब ने भी हमसे सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं...

विश्व - मैं कुछ समझा नहीं...

विक्रम - देखो... सुबह जब सेबती काम पर गई थी... तब उसे ख़बर लगी... के बड़े राजा नहीं रहे... तो उसने अपना फर्ज निभाते हुए मुझे आकर खबर की... मैं जाने के लिए तैयार था भी... इसलिए जब घर से निकल कर जाने लगा... तो पाया... भूरा, शुकुरा और उनके कुछ आदमी घर घर घूम कर... गाँव में लोगों को बड़े राजा जी के बारे में जानकारी दे रहे थे... चूँकि गाँव में ज्यादातर मर्द केस के सिलसिले में यशपुर में थे.... तो यह हिदायत देते हुए कहा कि... दोपहर के बाद सबको महल पहुँचना है... पर... हमारे पास.... कोई नहीं आया...

विश्व - तो इस बात को तुमने दिल से ले लिया...

विक्रम - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) नहीं बात ऐसी नहीं है... मैं जाऊँगा जरूर... पर गाँव वालों के बीच में... एक हो कर... उस महल में से एक हो कर नहीं...

सीलु - ऐसा क्यों...

विक्रम - मैं खुद को... राजकुमार नहीं... इन्हीं गाँव वालों में से एक बनना चाहता हूँ...

क्यूँकी राजकुमार कभी इन गाँव वालों था ही नहीं... पर विक्रम जरूर इन गाँव वालों में से एक है... मैं उस महल में जाऊँगा तो राजगड़ वालों के भीड़ में से एक दिखना चाहूँगा... ना कि महल में से कोई... इसलिए मैं यहाँ आ गया... क्यूँकी... सारे गाँव वाले इसी रास्ते से महल जायेंगे... तो उनकी भीड़ में शामिल हो कर जाऊँगा... पर बात कुछ समझ में नहीं आ रहा... अभी तक तो गाँव वालों को... महल की ओर चले जाना चाहिए...



विक्रम के जवाब के बाद सभी चुप हो जाते हैं, क्यूँकी बात विक्रम ने सही कहा था l गाँव वालों को वैदेही के दुकान के सामने से गुजर कर महल की ओर जाना चाहिए l पर अब तक कोई भी गाँव वाला वहाँ से गुजरा नहीं था, तभी सत्तू आ पहुँचता है l उसे देख कर वैदेही सवाल करती है l



वैदेही - क्या बात है...

सत्तू - आज बहुत बड़ा कांड हो गया है दीदी...

वैदेही - क्या हो गया है...

सत्तू - आज थानेदार दास बाबु... महल गए थे...



महल में जो भी हुआ वह सारी बातेँ उन्हें बताता है l सब सुनने के बाद वहाँ पर मौजूद सभी को हैरत होती है l विश्व उससे पूछता है l



विश्व - तुम्हें यह सब कैसे पता चला...

सत्तू - कांस्टेबल जगन बाबु ने मुझे बताया... जब मैं गाँव में... बड़े राजा साहब की मौत की... लोगों की प्रतिक्रिया देखने गया था... लौटते वक़्त देखा... थानेदार बाबु पैदल आ रहे थे... और उनके दो कांस्टेबल... अपने दो साथियों के साथ उठा कर ला रहे थे... मैंने तुरंत एक ठेला का जुगाड़ किया और... उन्हें हस्पताल पहुँचा कर आ रहा हूँ...

विक्रम - ह्म्म्म्म... इस वक़्त राजा साहब... ऐसा क्यूँ कर रहे हैं...



विक्रम के सवाल पर सब चुप्पी साध लेते हैं l थोड़ी सोच विचार के बाद विश्व कहता है l



विश्व - लगता है... मैं कुछ कुछ... (पॉज) समझ रहा हूँ...

विक्रम - क्या समझ रहे हो...

विश्व - इंस्पेक्टर दास ने... राजा साहब की... पर्सनल सेक्यूरिटी हटा दी थी... और दो कांस्टेबलों को... महल के बाहर खड़ा कर दिया था... इस बीच उन्हें नंदिनी जी की मोबाइल मिली होगी... मोबाइल पर सबकुछ ढूंढने की कोशिश की होगी... पर उन्हें कुछ मिला नहीं होगा... क्यूँकी... इस मोबाइल में... राजकुमारी जी ने मेरा नाम सेव ही नहीं किया था... उन्हें मेरा नंबर याद है... और उस मोबाइल से वह किसी और को फोन करती भी नहीं हैं... तो जाहिर है.. कॉल रजिस्टर में... किसीका भी नाम नहीं मिला होगा... अब चूँकि सत्तू के सामने आ जाने से... राजा साहब को अभी अपने आदमियों पर शक हो रहा होगा... मतलब कोई ना कोई... महल में हमारा कोई आदमी था... जिसने उन्हें गच्चा देकर बाहर चला आया... यही सोच रहे होंगे... अगर उनकी अपनी सेक्यूरिटी होती तो उसे पकड़ लेते... इसी बात का खीज उन पुलिस वालों पर उतार दी...

विक्रम - पर इससे क्या उनकी पोजीशन खराब नहीं हो जाएगी...

विश्व - जब किस्मत और कानून उनकी मदत कर रहा हो.. उन्हें अब किसी बात की फिक्र नहीं है...

वैदेही - तो... अगली सुनवाई कब और कहाँ होगी... क्यूँकी हर दसवें दिन... केस की जगह बदलनी थी ना...

विश्व - हाँ पर जज साहब ने कोई ऑर्डर अभी निकाला नहीं है... अब मैं खुद पसोपेश में हूँ... केस में और बाइस या तेईस दिन जोड़े जाएंगे... और केस को शुरु से शुरु करेंगे... या फिर... ऐसे ही धीरे धीरे... तीस दिन ख़तम कर देंगे...

वैदेही - ऐसे कैसे हो सकता है...

विश्व - सब हो सकता है दीदी... सब हो सकता है... निजी कारणों के वज़ह से... अगर पहले के तीस दिन बेकार गया... फिर से हाइकोर्ट बेंच को रेफर किया जाएगा... वह बेंच फिर से वक़्त देने के लिए... विचार करेंगे... उसके बाद... इलेक्शन आ जाएगा... इलेक्शन के बाद... केस को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे... फिर वक़्त देंगे... इस बीच कुछ प्रमुख गवाह मार दिए जाएंगे... या कुछ गायब कर दिए जाएंगे... बिल्कुल रुप फाउंडेशन केस की तरह...



विश्व कहते कहते रुक जाता है, पाता है सब उसे गौर से सुन व देख रहे हैं l फिर विश्व कहना शुरू करता है l



विश्व - सब जानते हैं... केके ग़ायब हो गया है... या यूँ कहूँ... केके को गायब कर दिया गया है... यह असल में एक हींट था... इस केस से जुड़े हर एक शख्स के लिए... और इस सिस्टम के लिए.... और इसका असर मुझे दिखने लगा है...

वैदेही - क्या... क्या तु यह कहना चाहता है... की अदालत से हमें उम्मीद नहीं रखनी चाहिए...

विश्व - दीदी... यह एक युद्ध है... हर एक इस लड़ाई में... अपना पक्ष चुन चुके हैं... और हर एक को अपने अपने किरदार के साथ.. न्याय करना होगा...



विश्व फ़िर से चुप हो जाता है l उसकी बातों का यूँ असर हुआ था कि सारे लोग वहाँ पर चुप्पी साध लिए थे और गहरी सोच में खो गए थे l विक्रम की बात सबकी ध्यान खींचती है l



विक्रम - क्या बात है... सभी गाँव वालों को क्या हो गया है आज... इसी रास्ते से महल जाएंगे ना... फ़िर अब तक कोई गाँव वाला दिख क्यूँ नहीं रहा है...



तभी विश्व का फोन बजने लगती है l विश्व झट से अपना फोन उठा लेता है, डिस्प्ले पर डैनी भाई नाम दिख रहा था l विश्व तुरंत फोन उठाता है l



डैनी - कैसे हो हीरो...

विश्व - ठीक नहीं हूँ... आज की केस के बारे में... आपको पता लग गया होगा...

डैनी - हाँ लग तो गया है... पर तुम क्यूँ उदास हो रहे हो... तुम्हें तो एक दिन चाहिए राजा को क्रिमिनल साबित करने के लिए...

विश्व - हाँ पर केस की सुनवाई तो हो... जब इस केस की हालत ऐसी है... तो वह रुप फाउंडेशन की केस की सुनवाई कब और कैसे होगी...

डैनी - जरूर होगी.. तुम्हें इसीलिए तो फोन किया है...

विश्व - (आँखों में चमक आ जाती है) मतलब...

डैनी - हाँ हीरो... श्रीधर परीड़ा का पता चल गया है... और भी एक खुस खबर है..

विश्व - क्या... कैसी खबर...

डैनी - एक मिनट... मैं तुम्हारे एक दोस्त को कंफेरेंशींग में ले रहा हूँ... (विश्व का फोन कुछ सेकेंड के लिए होल्ड पर चला जाता है फिर उसे सुभाष सतपती की आवाज़ सुनाई देती है)

सुभाष - हैलो विश्व...

विश्व - सतपती जी आप...

सुभाष - हाँ.. मैं अपनी टीम के साथ... यशपुर आ रहा हूँ... और तुम्हारे लिए एक खुश खबरी ला रहा हूँ...

विश्व - कैसी खुश खबरी...

सुभाष - तुम्हारा शक बिलकुल सही था... रुप फाउंडेशन का एक गवाह... जिंदा गवाह मिल गया है...

विश्व - (उछल पड़ता है) ह्वाट...

डैनी - हाँ... सुभाष बाबु पहुँच रहे हैं... उनके पास पूरी डिटेल्स है... जो तुम्हारे साथ शेयर करेंगे... और फिक्र मत करो... तुम्हारे गवाह मेरे पास हिफाज़त में हैं... सुभाष बाबु के साथ बैठ कर... प्लान चॉक ऑउट करो... फिर उसके हिसाब से आगे बढ़ो...



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शाम ढल रही थी l महल में भैरव सिंह और उसके आदमीओं के नजरें गेट की ओर देखते देखते थक चुकी थी l सूरज की तपिश कम हो चुकी थी पर भैरव सिंह के मन में गुस्से का तपिश बढ़ता ही जा रहा था l चेहरा सख्त हो गया था और जबड़े भिंच चुकी थी l लंबी लंबी साँसे ठहर ठहर कर ले रहा था l उसकी यह हालत देख कर उसके सारे आदमी डर रहे थे l कुछ दूरी पर खड़े बल्लभ, रॉय और रंगा एक दुसरे को देख रहे थे पर भैरव सिंह के पास जाने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा था l अब तक कुर्सी पर बैठा भैरव सिंह उठ खड़ा होता है l अपने दोनों हाथ पीछे बाँध गर्दन को दोनों तरफ़ झटका देता है l बल्लभ थोड़ा हिम्मत कर उसके पास जाता है l



बल्लभ - राजा साहब... लगता है... गाँव वाले नहीं आयेंगे...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर बिना देखे) हूँ... नहीं आयेंगे... जब गाँव वालों ने फैसला कर लिया है... तो यही सही...

बल्लभ - तो... अब हमें क्या करना चाहिए...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर देखते हुए) क्या करना चाहिए मतलब... बड़े राजा जी का देहांत हुआ है... उनका दाह संस्कार होगा...

बल्लभ - तो ठीक है... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... बड़े राजा जी का दाह संस्कार करना है... इसलिए... बड़े राजाजी के पार्थिव शरीर को उनके कमरे से लाने की व्यवस्था करो...



भीमा अपने कुछ साथियों को साथ लेकर महल के अंदर जाता है और कुछ देर के बाद नागेंद्र के शव को सब उठा कर ले आते हैं l भीमा और उसके साथी बाँस से अंतिम यात्रा की सवारी तैयार करते हैं l ठीक उसी वक़्त शुकुरा, भूरा और दो चार आदमी भैरव सिंह के सामने आकर सिर झुका कर घुटनों पर बैठ जाते हैं l भैरव सिंह उनकी ओर सवालिया दृष्टि से देखते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है, पर वे सब अपना सिर झुकाए वैसे ही घुटनों पर बैठे रहे l



भैरव सिंह - सिर झुकाए हुए हो... मतलब कोई ऐसी खबर लाए हो... जिसे हमारी कान सुनना मंजूर नहीं करेगा... (एक पल के लिए सब भैरव सिंह को देखते हैं फिर सब स्वीकृति के साथ दोबारा सिर झुका लेते हैं) बको जो भी बकना चाहते हो बको...

भूरा - हुकुम... (डरते डरते) श्मशान में कोई नहीं आया... यहाँ तक कोई पंडित भी नहीं आया... सबको खबर कर दी गयी थी... अब चिता के लिए लकड़ियां हमें ही इंतजाम करना होगा... (भूरा की इस बात से सबका मुहँ हैरत से खुल जाता है, पर भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव नहीं आता)

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... कोई बात नहीं... अब इस महल के मातम में... गाँव वाले शामिल नहीं होंगे...

रंगा - गुस्ताख़ी माफ राजा साहब... राजकुमार जी तो इसी गाँव में हैं...



भैरव सिंह रंगा की ओर देखता है, रंगा के शरीर में एक शीत लहर दौड़ जाती है l हालत कुछ ऐसी थी के कोई कुछ भी कहने से पहले सौ बार सोच रहा था l भैरव सिंह भूरा से सवाल करता है



भैरव सिंह - तुमने गाँव वालों से क्या कहा था...

भूरा - राजा साहब... मैंने और शुकुरा ने... घर घर जाकर सबको खबर की थी... (कहते कहते भूरा जिस तरह से पॉज लेता है भैरव सिंह समझ जाता है जरूर कोई ऐसी बात है जिसे भूरा कहने से डर रहा है)

भैरव सिंह - बेफिक्र... बेखौफ हो कर कहो... जवाब में गाँव वालों ने क्या प्रतिक्रिया दी... (भूरा एक नजर शुकुरा को देखता है और अपना सिर झुका लेता है l भैरव सिंह को गुस्सा आ जाता है) यहाँ क्या कोई तमाशा हो रहा है... बताओ क्या हुआ...

भूरा - (डरते डरते) हम जब बड़े राजा जी की देहांत की खबर दे कर लौट रहे थे... तब हमने देखा गाँव के कुछ लोग हमारे पीछे... (रुक जाता है)

भैरव सिंह - हाँ... क्या तुम्हारे पीछे...

भूरा - बड़े राजा जी के नाम पर... धुल उड़ा रहे थे...



भैरव सिंह अपनी कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो जाता है, भूरा और शुकुरा और उनके साथी डर जाते हैं l पर भैरव सिंह उनकी ओर जाने के बजाय भीमा की ओर जाता है और कहता है



भैरव सिंह - जाओ... बड़े राजा जी के कमरे में जाओ... उस कमरे में खाट से लेकर अलमारी तक जितने भी लकड़ी के सामान है... उन्हें बाहर लेकर आओ और कुल्हाड़ी से काट कर... इसी बरामदे के नीचे... चिता सजाओ... आज बड़े राजा जी की चिता यहीँ जलेगी... (भीमा कुछ समझ नहीं पाता, मुहँ खोले बेवक़ूफ़ों की तरह भैरव सिंह को देखे जा रहा था) (चिल्ला कर) जाओ...



भीमा अपने साथ कुछ आदमियों को लेकर नागेंद्र के कमरे में जाता है l बिस्तर से लेकर कुर्सी, सोफा अलमारी टेबल जो भी लकड़ी के थे सब बाहर ले आते हैं l कुल्हाड़ी से काट काट कर चिता बनाते हैं l भैरव सिंह अपनी बाहों में नागेंद्र की लाश उठाता है और लकड़ियों पर रख देता है l फिर बिना किसी औपचारिकता के चिता में आग लगा देता है l वहाँ पर मौजूद सभी लोग भैरव सिंह को देख रहे थे l चिता से उठती आग की रौशनी में भैरव सिंह का चेहरा बहुत ही भयानक दिख रहा था l थोड़ी देर बाद भैरव सिंह अपने लोगों के तरफ़ मुड़ता है l



भैरव सिंह - आज जो भी यहाँ मौजूद है... हम उनके आभारी हैं... आज आपकी मौजूदगी को... हम रूपयों और दौलत से तोल देंगे... फिलहाल आज का मातम का दायरा महल की परिसर तक ही था... पर बड़े राजा जी की मृत्य की चौथ की मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा... अब तुम सब... जा सकते हो...



सभी लोग उल्टे पाँव लौटने लगते हैं l बल्लभ भी लौट रहा था तो भैरव सिंह उसे इशारे से रुकने के लिए कहता है l बल्लभ रुक जाता है और सभी वह जगह खाली कर चले जाते हैं l



भैरव सिंह - देखा प्रधान... गाँव वालों में कितनी हिम्मत आ गई... हमारे लोगों के पीठ के पीछे धूल उड़ाए हैं... (बल्लभ चुप रहता है) आज... बड़े राजा जी की अंतिम संस्कार के लिए... ना नाई आया.. ना धोबी.. ना लोग आए ना पंडित... (एक पॉज लेता है) एक विश्व.... क्या उनके लिए सीना तान कर खड़ा हो गया... हमारी मान पर बट्टा लगाने की हिम्मत कर ली... कोई नहीं... अब तुम देखना... इतिहास कैसे खुद को दोहराएगी... (फ़िर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है, पर इसबार अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर बल्लभ को देता है) तुम इसकी मालिक को ढूंढो... पता लगाओ... यह सबूत है... अभी भी महल में... कोई है... जो विश्व के लिए काम कर रहा है... (बल्लभ उस फोन को अपनी हाथ में लेता है)

बल्लभ - यह आपको कहाँ मिला...

भैरव - बड़े राजा जी के... कमरे के बाहर... और हमें इसकी मालिक का नाम पता दे दो...

बल्लभ - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है कि... यह मोबाइल और इसका मालिक विश्व से जुड़ा हुआ है...

भैरव सिंह - इस पर एक कॉल आया था...

बल्लभ - क्या... किसने किया था...

भैरव सिंह - विश्व ने...

बल्लभ - विश्वा ने... किस किसका नाम लिया...

भैरव सिंह - नहीं उसने कुछ नहीं कहा... या यूँ कहो... उसने कोई आवाज ही नहीं निकाली...

बल्लभ - फ़िर आप यह कैसे कह सकते हैं... फोन के दूसरी तरफ विश्वा था..

भैरव सिंह - उसकी खामोशी को... हम साफ सुन पा रहे था... महसूस कर पा रहे थे... उसके किसी साथी का मोबाइल है यह... मुझे यकीन है... तुमने जब बड़े राजा जी की देहांत का खबर दी होगी... तब उसने चिढ़ कर अपने साथी को फोन लगाया होगा... जिसने गलती से बड़े राजा जी के कमरे के बाहर... छोड़ गया था...

बल्लभ - ओह माय गॉड... इसका मतलब..

भैरव सिंह - हाँ प्रधान... अभी भी उसका कोई आदमी हमारे महल में है... हमें शक तो है... पर बिना सबूत के... बे वज़ह कोई तमाशा नहीं करना चाहते... इसलिये जितनी जल्दी हो सके... इस मोबाइल के मालिक को ढूंढो...

बल्लभ - राजा साहब.. इसमें तो दो तीन दिन लगेंगे...

भैरव सिंह - दो दिन... सिर्फ दो दिन...

बल्लभ - सिर्फ दो दिन...

भैरव सिंह - हाँ... प्रधान हाँ... क्यूँकी... दो दिन बाद बड़े राजा जी का चौथ है... और चौथ का मातम... पूरा राजगड़ मनाएगा... इसलिए सिर्फ दो दिन है तुम्हारे पास...

बल्लभ - राजा साहब...

भैरव सिंह - जाओ...



×_____×_____×_____×_____×_____×_____×




बल्लभ की गाड़ी अपने घर पर रुकती है l गाड़ी बंद कर के बल्लभ गाड़ी से उतरता है l जेब से घर की चाबी निकाल कर दरवाजा खोलता है l अंदर आकर ड्रॉइंग रुम की लाइट ऑन करता है फिर बेड रुम में जाकर भैरव सिंह की दी हुई मोबाइल को निकाल कर बेड पर फेंकता है और अपने कपड़े उतार कर बाथ रोब लेकर बाथरुम में घुस जाता है l शॉवर चला कर नहाने लगता है l नहाते नहाते उसके कानों में टीवी चलने की आवाज़ सुनाई देती है l वह शॅवर बंद कर बाथ रोब पहन कर बाहर आता है l बेड रुम से देखता है कि ड्रॉइंग रुम की लाइट बंद है l वह चुपके से अपना वॉर्ड रोब खोलता है और एक रीवॉल्वर निकाल लेता है l धीरे धीरे बेड रुम से निकल कर ड्रॉइंग रुम में आता है l उसे एक सोफ़े पर काला अक्स, एक साया सा दिखता है l चूँकि टीवी चल रही थी उसकी रौशनी में वह शख्स काले लिबास और एक हैट पहने सोफ़े पर बैठा हुआ था l


बल्लभ - कौन हो तुम...

साया - तुम्हारा बहुत बड़ा फैन...

बल्लभ - किसलिए यहाँ आए हो...

साया - तुम्हारा ऑटोग्राफ लेने...

बल्लभ - खबरदार अपनी जगह से हिले तो... तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - नहीं हिलता... आओ सामने बैठो... बात करते हैं... पहले यह न्यूज देखते हैं...

बल्लभ - शॅट अप... मेरे घर में... अंधेरा कर... मुझे अपने सामने बैठने के लिए कह रहे हो... हाऊ डैर यु... जब कि तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - श् श् श् श्.... पहले यह न्यूज सुनो तो सही...


टीवी पर नभ वाणी न्यूज चैनल पर सुप्रिया न्यूज पढ़ रही थी -

" राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी के आर्थिक भ्रष्टाचार पर केस का आठवां दिन था और आज भी राजा भैरव सिंह ने अपनी हाजिरी नहीं दी l उनके बदले उनके वकील एडवोकेट श्री बल्लभ प्रधान जजों के सामने प्रस्तुत हुए और बड़े राजा जी श्री नागेंद्र सिंह क्षेत्रपाल जी की देहांत की खबर दी और अदालत से बड़े राजाजी की मरणोपरांत क्रिया कर्म व शुद्धीकरण के लिए अदालत से पंद्रह दिन की मोहलत मांगी जिसे सहसा अदालत ने स्वीकर कर ली l इस तरह से हाइकोर्ट के द्वारा निर्धारित तीस दिनों में तेईस दिन बिना सुनवाई के खत्म हो गई l अब प्रश्न यह है कि जो मुल्जिम हैं उनके निजी कारण को अदालत ने तवज्जो देकर जो तेईस दिन बिना सुनवाई के समाप्त हो गए उसकी भरपाई के लिए क्या अदालत शुरु से केस सुनवाई करेगी या बचे हुए साथ दिनों में निपटारा करेगी "


बल्लभ - बंद करो यह टीवी... इस न्यूज से तुम्हारा क्या वास्ता...

साया - मेरा ही नहीं... तुम्हारा भी वास्ता है... हम सबका वास्ता है...

बल्लभ - बस बहुत हुआ... बहुत बकवास कर ली तुमने... अब अपनी पहचान बताओ... या फिर... मरने के लिए तैयार हो जाओ...

साया - तुम मुझे गोली नहीं मार सकते...

बल्लभ - अच्छा... यह तुम्हारी खुशफहमी है... मैं चाहूँ तो अभी के अभी तुम्हें गोली मार सकता हूँ...

साया - और पुलिस से क्या कहोगे...

बल्लभ - सेल्फ प्रोटेक्शन... आत्म रक्षा...

साया - पर मैं तो तुम्हारे सामने... चुप चाप बैठा हुआ हूँ... कोई हरकत भी तो नहीं कर रहा...

बल्लभ - वह इसलिए... के तुम मेरे इन पॉइंट पर हो...

साया - हाँ बात तो तुम ठीक कह रहे हो... पर फिर भी तुम मुझ पर गोली नहीं चला सकते...

बल्लभ - ओ... अभी भी तुम खुशफहमी पाले बैठे हो...

साया - नहीं... यकीन है... क्यूँकी यहाँ मैं अकेला नहीं आया हूँ... अपने साथियों के साथ आया हूँ... और तुम इस वक़्त मेरे साथी के रीवॉल्वर के निशाने पर हो... तुमने जरा सी भी हरकत की... यकीन जानो.. अगले पल... तुम्हारी खोपड़ी उड़ चुकी होगी...

बल्लभ - (डर के मारे हलक से थूक गटकता है) तुम झूठ बोल रहे हो...


नहीं... (एक और आवाज़ बल्लभ के पीछे गूंजती है, अभी जो नहाया हुआ आया था वह अब पसीने से भीगने लगा था, वह झट से पीछे मुड़ता है पर अभी वह दूसरा शख्स उसके हाथों से रीवॉल्वर छीन लेता है, वह साया जो सोफ़े पर बैठा था वह कहता है)


साया - देखा... अब तुम मेरे आदमी के गन पॉइंट पर हो...

बल्लभ - तुम हो कौन चाहते क्या हो...

साया - अभी अभी जो न्यूज तुमने सुनी... उस केस के... तुम सुपर स्टार हो... और हम तुम्हारे बड़के वाले फैन हैं... (बल्लभ को अपनी पीठ पर गन की बैरेल चुभती हुई महसूस होती है) आओ... मेरे सामने बैठ जाओ...


बल्लभ सामने वाली सोफ़े पर बैठ जाता है l सामने सोफ़े पर बैठ साया टीवी बंद कर देता है l थोड़ी देर के लिए ड्रॉइंग रुम में अंधेरा छा जाती है फिर धीरे धीरे बेड रुम की हल्की रौशनी में बल्लभ को थोड़ा थोड़ा दिखने लगता है l तभी उसके कानों में किचन में बर्तनों की आवाज़ सुनाई देती है l



बल्लभ - तुम लोग मुझसे चाहते क्या हो... और तुम कितने आदमियों के साथ आए हो...

साया - सिर्फ तीन... हम तीन लोग आए हैं... और रुप फाउंडेशन केस हो या यह... राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी की केस... तुमने अपना क्या रोल प्ले किया है... हम सब तुम्हारे फैन हो गए हैं...

बल्लभ - ओ समझा... तो तुम अंधेरे में क्यों हो...

साया - क्यूँकी तुम अंधेरे के माहिर खिलाड़ी हो... राजा साहब तक को अंधेरे में रखा हुआ है...

बल्लभ - शॉट अप... मैंने राजा साहब से कोई धोखा नहीं किया है... उनका वफादार हूँ मैं...

साया - हाँ वफादार तो हो... पर कुछ बातेँ राजा साहब से छुपा कर... अपनी मतलब कि खिचड़ी पका लेते हो...

बल्लभ - देखो... अगर तुम विश्व हो... तो मैं तुम्हें बता दूँ... तुम गलत दरवाजे पर दस्तक दे रहे हो...

साया - चलो... एक बात क्लियर कर दूँ... मैं विश्वा नहीं हूँ... दूसरी बात... मैंने तुम्हारे सारे राज पता कर लिया हूँ... बल्कि अपने कब्जे में कर लिया हूँ...

बल्लभ - किस राज की बात कर रहे हो तुम...

साया - (हँसने लगता है) हा हा हा हा... सिर्फ बाथ रोब में हो... एक झटका काफी होगा... नंगे हो जाओगे... या यूँ कहूँ.. नंगे हो चुके हो...

बल्लभ - क्या... क्या मतलब है तुम्हारा...

साया - राजा के किसी खतरे को गायब करना हो या... हटाना हो... यह काम तुम और मरहुम रोणा बखूबी अंजाम देते रहे... रोणा तुम्हारा जिगरी यार था... पर कुछ राज की बातेँ तुमने रोणा को भी नहीं बताई...

बल्लभ - कौन से राज की बात कर रहे हो...

साया - तुम वकील हो... राजा के हर ईलीगल को लीगल कर कर के... अपने ईलीगल को भी छुपा गए... रुप फाउंडेशन केस में जयंत सर ने पाँच गवाह बनाया था... पर राजा साहब के कहने पर... तुमने एक को गायब कर दिया... याद है...

बल्लभ - (चुप रहता है)

साया - नाम मैं बताऊँ... या तुम बताओगे...

बल्लभ - ऐ के सुबुद्धी... तहसील ऑफिस का क्लर्क...

साया - शाबाश... और जब विश्व ने पीआईएल फाइल की... तब तुमने अपने एक और दोस्त को... अंडरग्राउंड करवा दिया...

बल्लभ - श्रीधर परीड़ा...

साया - शाबाश... और कमाल की बात यह है कि.. राजा को नहीं मालूम... यह सब तुमने किया... राजा को मालूम है कि... तुमने सुबुद्धी को मरवा दिया... और श्रीधर परीड़ा खुद को गायब कर दिया... जब कि... मास्टर माइंड तुम थे...

बल्लभ - ओ... अब समझा... यह दोनों अब तुम्हारे कब्जे में हैं... इस इंफॉर्मेशन के बदले... मुझसे क्या चाहते हो...

साया - मैंने कहा ना... हम सब तुम्हारे कमीने पन के कायल हो गए हैं... तुम अब हमारे लिए सुपर स्टार का दर्जा रखते हो... हम बस तुम्हारा ऑटोग्राफ लेना चाहते हैं...

बल्लभ - ऐसी कमीनेपन की बातेँ बहुत कर ली... सच सच बताओ.. क्या चाहते हो...



Nc update
किचन से और एक आवाज गूंजती है - ज्यादा कुछ नहीं... पहले चाय पीते हैं... फिर... तुम जो चाहोगे वही करते हैं... क्यूँकी तुम हमारे सुपर स्टार हो... इसलिए हमारी टीम वही करेगी जो तुम कहोगे.. जैसा तुम चाहोगे...



बल्लभ किचन की ओर मुड़ता है वहाँ पर अंधेरे में एक शख्स ट्रे पर चाय की केतली और कुछ कप के साथ खड़ा था l
 
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स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट यशपुर

कोर्ट रुम में विश्व, पत्री बाबु, सुधांशु मिश्रा और इंस्पेक्टर दास के साथ कुछ गाँव वाले बैठे हुए हैं l कोर्ट रुम के बाहर सुप्रिया और कुछ दूसरे चैनल वाले कोर्ट रुम मैं घुसने की कोशिश कर रहे थे जिन्हें पुलिस सख्ती से रोक दिया था इसलिए सारे न्यूज चैनल वाले बाहर हल्ला कर रहे थे l थोड़ी देर बाद तीनों जजों के गाडियाँ एक के बाद एक परिसर में आते हैं l उनके आते ही पुलिस वाले उन्हें मीडिया वालों से बचाते हुए कोर्ट के अंदर पहुँचा देते हैं l आज मीडिया वालों के साथ राजगड़ और यशपुर के लोग भी भीड़ बना कर खड़े थे l हाँ यह बात और है कि वे लोग अंदर आने के लिए जरा भी प्रयास नहीं कर रहे थे l कोर्ट रुम के भीतर हॉकर सबको ज़जों के आने की सूचना देता है l सभी सम्मान में खड़े हो जाते हैं l



तीनों जज, अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते हैं l मुख्य ज़ज औपचारिक परंपरा निभाते हुए गैवल को टेबल पर मारते हुए 'ऑर्डर' 'ऑर्डर' कहता है l



ज़ज - आज की कारवाई शुरु की जाए... वादी पक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (विश्व एक काग़ज़ निकाल कर राइटर के हाथ में देता है) प्रतिवादी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (कोर्ट रुम में सन्नाटा था, क्यूँकी ना तो कोर्ट में भैरव सिंह था ना ही उसके तरफ़ से कोई और) (ज़ज अपनी नजरें घुमा कर चारों तरफ़ देखता है, उसे भैरव सिंह की अनुपस्थिति का एहसास होता है, तो ज़ज इंस्पेक्टर दास से पूछता है) इंस्पेक्टर दास... आप अपनी केस पर जो छानबीन की है... उस पर रौशनी डालें...



इंस्पेक्टर दास अपनी जगह से उठता है और एक फाइल को राइटर के हाथ में देता है l राइटर जज को फाइल सौंप देता है l जज फाइल हाथ में लेकर कुछ पन्ने पलटता है और फिर



जज - इंस्पेक्टर दास... इस केस के बाबत अदालत को... क्या आप मौखिक रूप से संपूर्ण विवरण देंगे...

दास - जी माय लॉर्ड...



इंस्पेक्टर दास कटघरे में जाता है और अपनी टोपी निकाल कर काख में दबा कर खड़ा हो जाता है l फिर दास कहना शुरू करता है l



दास - माय लॉर्ड... अदालत से हमें जैसे ही आदेश मिला... हमने तुरंत कमल कांत जी की खोज के लिए जो मुमकिन था... वह सब हमने किया... हाँ कुछ हद तक... हमें क्षेत्रपाल जी से मदत मिली... पर वह नाकाफी था... इसलिए इन सात दिनों में... जितना संभव हुआ... उतना हमनें खोजबीन की... उसके आधर पर रिपोर्ट बना कर... अदालत के सामने प्रस्तुत कर दिया...

जज - ठीक है... अब अपनी रिपोर्ट को विस्तृत रूप में... अदालत को अवगत कराएं...



दास गवाह वाली कटघरे में आता है l गावही के पूर्व अपनी सारी औपचारिकताओं को पूर्ण करता है फिर जजों को देखते हुए कहना शुरु करता है



दास - माय लॉर्ड... तारीख xxxx को हमें एसपी ऑफिस से एक ऑर्डर फैक्स के थ्रु मिला... आप फाइल की पहली ऐनेक्स्चर में देख सकते हैं... जिसमें कहा गया था... राजा साहब के घर में... विवाह उत्सव होने वाला है... उनके होने वाले दामाद को सुरक्षा मुहैया करते हुए... बाराती की तरह महल तक पहुँचाया जाए... माय लॉर्ड... मैं और मेरी पुरी टीम... इसको बखूबी अंजाम दिया... उसके बाद वर... उर्फ कमल कांत जी को... परंपरा निभाते हुए... राजा साहब के अपनों के द्वारा... विवाह बेदी तक ले जाया गया... बेदी पर रस्म खत्म होने पर... वर को... उनके लिए... उपलब्ध करायी गई प्रकोष्ठ को... राजा साहब के निजी सुरक्षा कर्मचारियों के द्वारा ले जाया गया... हम केवल वहाँ मूक दर्शक थे... कुछ देर बाद... सत्तू नाम का महल का नौकर राजा साहब के कान में कुछ कहा... उसके बाद राजा साहब और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी अंदर गए... तत्पश्चात कुछ समय बाद... मेरे फोन पर... अमिताभ रॉय जो कि राजा साहब के निजी सुरक्षा अधिकारी हैं और वर्तमान ESS के निर्देशक भी हैं... उनका फोन आया... फिर मैं अकेला... केके जी के प्रकोष्ठ में गया... और वहाँ पर मुआयना करने के बाद... उस समय मुझे लगा... शायद साहब केके भाग गए हैं... पर राजा साहब... उनके अपहरण होने की संभावना व्यक्त करते हुए... केस दर्ज करने के लिए कहा... पर चूंकि चौबीस घंटे नहीं हुए थे... इस लिए उन्हें मैंने सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा था... आगे जो भी हुआ... वह अदालत के संज्ञान में है...

जज - आपने केवल एक ऐनेक्स्चर रिपोर्ट में प्रस्तुत की है... बाकी जो रिपोर्ट बनाया है... उसका आधार क्या है...

दास - (एक पेन ड्राइव निकाल कर राइटर के हाथ में देता है, जिसे राइटर जज को दे देता है) माय लॉर्ड यह वह वीडियो है... जिसे राजकुमारी जी की एक दोस्त ने शूटिंग की थी... इससे आप मेरी कही बातों को पुष्टि कर सकते हैं... इस वीडियो में... वर के पहुँचने से लेकर... मुझ तक खबर आने की सारी बातें रिकार्डिंग हुई है...

जज - ठीक है... पर महल के भीतर की तहकीकात के बारे में... आपने ज्यादा कुछ नहीं लिखा है... और सबसे अहम बात... कमल कांत... अभी भी लापता हैं...

दास - जी माय लॉर्ड... पर सच्चाई यह भी है... महल के जिस हिस्से तक.. मैं अपनी तहकीकात को ले जा पाया... वहाँ तक... आज तक कोई भी... सरकारी या गैर सरकारी अधिकारी नहीं पहुँच पाया है... उससे आगे जाकर तहकीकात करने के लिए... हमें कोई... सर्च वारंट नहीं मिला है... अब चूँकि... महल में कोई सरकारी सुरक्षा नहीं थी... राजा साहब की निजी सुरक्षा प्रबंधन थी... हम अभी उन्हीं लोगों को... रंग महल में... नजर बंद कर पूछताछ कर रहे हैं... पर अभी तक कोई भी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाए हैं...

जज - तो... केस में फिर कैसे आगे बढ़ा जाए...

विश्व - एस्क्युज मी माय लॉर्ड... क्या मैं कुछ कहूँ...

जज - हाँ जरूर... कहिये...

विश्व - माय लॉर्ड... यह एक स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट है... और इस कोर्ट का गठन किसी और केस के लिए की गई थी... इस कोर्ट की मकसद कुछ और थी... एक गैर जरूरत केस में... सात दिन बर्बाद हो चुके हैं... और सात दिन पुरे होने के बावजूद... राजा भैरव सिंह... आज कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं...

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... आप यह मत कहिये... हम यहाँ क्यूँ हैं... किस लिए हैं.... इस कोर्ट को मकसद ना समझाये... एक बात याद रखें... लॉ बुक हमेशा यह कहती है... जस्टिस हरिड... मतलब जस्टिस बरीड...

विश्व - लॉ बुक यह भी कहती है... जस्टिस डिले... मतलब जस्टिस डिनाय...

जज - (चीख उठता है) होल्ड योर टोंग...(कोर्ट में सन्नाटा पसर जाता है) आप अपनी सीमा से बाहर जा रहे हैं...

विश्व - नहीं माय लॉर्ड... (एकदम शांत लहजे में) मैं ऐसी गुस्ताखी नहीं कर सकता... जिस केस के लिए... जो दिन तय किए गए थे... उसमें से सात दिन बीत चुके हैं... केके साहब के गायब होने को... इस केस से क्यूँ जोड़ा जा रहा है... और राजा साहब... मुल्जिम हैं... प्रतिवादी हैं... जिन्हें अपनी तहकीकात में... एक्जिक्युटीव मैजिस्ट्रेट माननीय श्री नरोत्तम पत्री जी के द्वारा... आरोपित स्थापित किया जा चुका है...

जज - मिस्टर... विश्व प्रताप... आप अदालत की तौहीन कर रहे हैं....

विश्व - नहीं योर ऑनर...

जज - (गैवेल को टेबल पर मारते हुए) ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर... यह अदालत आपको अंतिम चेतावनी देती है... अगर आप कारवाई पर प्रश्न चिन्ह लगाएंगे... तो आपको इस केस से हटा दिया जाएगा...

विश्व - आई एम एक्सट्रीमली सॉरी माय लॉर्ड... मुझे माफ कर दीजिए...

जज - यह अदालत एक घंटे के लिए मुल्तवी किया जाता है...





तीनों जज अपनी जगह से उठते हैं और कमरे से बाहर निकल जाते हैं l अपनी जबड़े भिंच कर विश्व वहीँ खड़ा रह जाता है l पीछे से पत्री बाबु आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हैं l विश्व मुड़ कर देखता है l



पत्री - चलो बाहर चलते हैं...

दास - हाँ... थोड़ी चाय बाय पीते हैं... बहुत गर्म हो गए हो... थोड़ा ठंडा हो लो...



विश्व, पत्री, दास और सुधांशु मिश्र चारों बाहर आते हैं l बाहर विश्व के चारों दोस्त चाय की दुकान पर खड़े थे l उनसे भी कुछ दूर गाँव के बहुत सारे लोग विश्व की ओर टकटकी लगा कर देखे जा रहे थे l दुकान पर पहुँच कर विश्व एक बहुत गहरी साँस लेता है और बेंच पर बैठ जाता है l दास इशारा करता है तो सीलु एक चाय की ग्लास लेकर विश्व के हाथ में देता है l तभी उनके पास सुप्रिया चल कर आती है l



पत्री - मुझे लगा नहीं था... तुम इस कदर भड़क जाओगे... रिएक्ट करोगे...

दास - तुमने जज का मुड़ ऑफ कर दिया...

विश्व - आई एम सॉरी... पर मैं शर्मिंदा नहीं हूँ...

पत्री - हाँ... जानता हूँ...

विश्व - इस केस को यहाँ लाया गया... उसके लिए... तीस दिन मुकर्रर किया गया... अब... आज आठवाँ दिन हैं...

दास - हाँ... यह बात तो है...

पत्री - मैं समझ रहा हूँ...

सुप्रिया - तुम्हें पहली बार इतनी फ्रस्ट्रेशन में देख रही हूँ...

विश्व - आप कुछ समझी...

सुप्रिया - अब तक जितना सुना... समझा... केस फाइल का पहला पन्ना तक शायद नहीं पलटा गया है....

विश्व - हाँ... राजा केस को यहाँ लेकर आया... उसके लिए... तीस दिन की सुनवाई मुकर्रर किया गया... पहली ही दिन... सात दिन को सम्वेदना के रूप में बर्बाद कर दिया... और आज अभी तक नहीं आया है...

दास - इसी बात के फ्रस्ट्रेशन में... आज विश्व बाबु अदालत में... अपना टेंपरामेंट लूज कर बैठे... जज साहब ने फ़िलहाल के लिए वॉर्न किया है...

टीलु - पर इसमे विश्वा भाई का दोष कहाँ है... जो मुज़रिम है... उसकी सहूलियत देखी जा रही है... सिर्फ एक आदमी की... जब कि इस केस में हज़ारों लोग जुड़े हैं... वह देखो... (लोगों की ओर इशारा करते हुए) क्या यह लोग... इनके हालत... वक़्त... कुछ भी मायने नहीं रखते... लोग ही नहीं... सिस्टम... सिस्टम से जुड़े लोग... सिस्टम का वक़्त और पैसा... सब बर्बाद हो ही रहा है...

पत्री - ना.... आज दिन खत्म हुआ है... ना केस... घंटे भर के लिए... ब्रेक लिया गया है... राजा आ गया तो ठीक... वर्ना... अदालत... राजा के खिलाफ शो कॉज नोटिस इश्यू करेगा... इसलिए... हैव पेशेंस...

सुप्रिया - हाँ सिस्टम की इसी चाल के वज़ह से... న जानें कितने केसेस अदालत के फाइलों में साड़ती रहती है... इंसाफ़ के लिए आँखे तरस जाती हैं... वेल... क्या इस बात को... अभी के अभी न्यूज ब्रीफिंग में टेलीकास्ट कर दूँ...

विश्व - नहीं... अभी नहीं... थोड़ी देर में... सुनवाई फिर से शुरू हो जाएगी... आज का दिन खत्म हो जाने दो...



विश्व उठता है, उसके साथ सुधांशु, दास और पत्री अदालत के कमरे में जाते हैं l कुछ मिंटो बाद तीनों जज अपनी अपनी आस्थान में बैठ कर औपचारिकता निभाते हैं l



जज - इंस्पेक्टर दास...

दास - तो आपकी फाइनल रिपोर्ट क्या है...

दास - माय लॉर्ड... केके कोई आम आदमी नहीं हैं... कंस्ट्रक्शन किंग के नाम से जाना जाता है... और यह सच है... उनकी शादी राजकुमारी जी से तय हुई थी... मतलब यह केस एक हाई प्रोफाइल केस हो गया है... और जिस दिन यह कांड हुआ... हमें और गाँव वालों को लगा कि वह शादी का दिन था... पर राजा साहब ने अदालत में उसे मंगनी कहा है... खैर... सच यह है कि... केके साहब... गायब हुए हैं... वह भी महल के भीतर से... उनको दी गई... उन्हीं की कमरे से... मौका ए वारदात को मध्य नजर रखते हुए... हमें यह लगा कि वह महल से भाग गए हैं... पर अभी भी वह लापता हैं... हमने पूछताछ कर ली... पर अभी तक किसी के भी नजर में आए नहीं हैं... ना राजगड़ अथवा यशपुर में... ना ही कटक या भुवनेश्वर में...

जज - तो आप इस केस को किस तरह से कंक्लुड करना चाहते हैं...

दास - केके साहब का ना मिलना... मेरा मतलब है... किसी को नज़र ना आना... हो सकता है... महल के भीतर ही कुछ हो गया हो... महल के भीतर तहकीकात करना... हमारी वश की बात नहीं है...

जज - क्यूँ...

दास - महल की चौखट लाँघ कर... नहीं जज साहब... यह एक हाई प्रोफाइल केस है... हमारी औकात के बाहर की... बेशक अभी तक राजा साहब ने... तहकीकात में साथ दिया है... पर इससे आगे... या तो सीआईडी जा सकती है... या फिर... कोई स्पेशल टास्क फोर्स.... हम सरेंडर करते हैं...



कुछ देर के लिए अदालत में सन्नाटा छा जाता है l जज हैरानी भरे नजरों से दास को देखे जा रहा था, के तभी कमरे में बल्लभ का प्रवेश होता है l वह एकदम से बदहवास दिख रहा था l



बल्लभ - मे आई बी एक्सक्युज्ड माय लॉर्ड... क्या मैं अंदर आ सकता हूँ...

जज - आइए... प्रधान बाबु... (बल्लभ अंदर आता है)

बल्लभ - माय लॉर्ड... राजा साहब... आने ही वाले थे... पर... (रूक जाता है)

जज - आप अपनी बात पूरी कीजिए...

बल्लभ - राजा साहब के पिता... बड़े राजा.. नागेंद्र सिंह जी का देहांत हो गया है... यह रहा मेडिकल रिपोर्ट और डेथ सर्टिफिकेट...



नागेंद्र की मौत की खबर सुन कर विश्व और दूसरे लोग अपनी अपनी कुर्सी से उछल पड़ते हैं l बल्लभ फाइल से डेथ सर्टिफिकेट निकाल कर राइटर के हाथ में देता है l राइटर उसे लेकर जज के हाथ में दे देता है l जज उस सर्टिफिकेट को देखते हुए पहले विश्व को देखता है जैसे वह विश्व को अनुताप कराना चाहता हो फिर बल्लभ की ओर देखता है l



जज - यह बहुत ही दुख की बात है...

बल्लभ - जी माय लॉर्ड... इसलिए राजा साहब ने... अदालत को एक अनुरोध पत्र दिया है... के उन्हें उनके पिता जी के मरणोपरांत मुखाग्नि सहित श्राद्ध के अनुष्ठान करने तक पंद्रह दिनों की मोहलत दी जाए... उसके बाद वह बिना किसी शर्त के... अदालत को... सुनवाई और कारवाई मैं पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे... (फाइल से एक और काग़ज़ निकाल कर राइटर को देता है जिसे राइटर जज को दे देता है)

जज - ह्म्म्म्म... वादी पक्ष के वकील... अब तो आप समझ गए होंगे... राजा साहब अभी तक अदालत में क्यूँ नहीं पहुँचे...

विश्व - जी... माय लॉर्ड...

जज - अदालत... राजा साहब के दिए इस अनुरोध पत्र पर... आपकी राय जाननी चाहती है...

विश्व - (अपनी जबड़े भिंच कर चेहरा नीचे कर लेता है)

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... अदालत आपसे... आपकी राय जानना चाहती है...

विश्व - (अपना सिर ऊपर उठाता है, एक सरसरी निगाह बल्लभ पर डालता है और फिर जज की ओर देखते हुए) राजा जी की पत्र पर... न्यायलय जो भी न्याय संगत निर्णय ले... वादी पक्ष के वकील होने के नाते... मुझे वह स्वीकार्य होगा...

जज - ठीक है... यह अदालत.. राजा साहब की... अनुरोध पत्र को स्वीकार करती है... आज से ठीक पंद्रह दिनों बाद... राजगड़ मल्टिपर्पोज कोऑपरेटिव सोसाईटी केस पर सुनवाई... सोनपुर में शुरु करेगी... तब तक के लिए... यह अदालत स्थगित किया जाता है... नाउ दी कोर्ड इज़ एडजॉर्नड...



विश्व मुट्ठीयाँ भिंच कर कुर्सी पर बैठ जाता है l तीनों जज और बल्लभ कमरे से निकल चुके थे l बहुत भारी कदमों और झुके कंधों के साथ विश्व बाहर आता है l उसके पीछे दास, पत्री और सुधांशु आते हैं l उसी चाय की दुकान पर बैठ जाते हैं l विश्व को देख कर सुप्रिया और उसके दोस्त विश्व के पास आते हैं l



सुप्रिया - विश्वा... क्या हुआ... यह वकील प्रधान... आँधी की तरह आया... और तूफान की तरह चला गया...

दास - हमें इंतजार था... भैरव सिंह के आने का... पर प्रधान आया... बड़े राजा की मरने की खबर लेकर..

सुप्रिया - ह्वाट... यु मीन... नागेंद्र सिंह...

पत्री - हाँ... और अदालत ने... भैरव सिंह को पंद्रह दिन की मोहलत और दे दी है...

सुधांशु - आज का आठवाँ दिन और पंद्रह दिन... हो गए तेईस दिन... चौबीसवें दिन अदालत खोलेगी... उसके बाद... (एक पॉज) क्या किस्मत पाया है यह राजा भैरव सिंह ने... वह दिन और वक़्त बर्बाद किए जा रहा है... किस्मत और अदालत... उसका साथ दिए जा रहे हैं...

विश्व - (सिर उठा कर देखता है) गाँव वाले कोई भी नहीं दिख रहा था) यह गाँव वाले... कहाँ गए...

सीलु - उन्हें इंतजार था... इंसाफ़ का.. पर खबर बाहर लेकर आया... वकील प्रधान... सब के सब... गाँव वापस लौट गए... शायद... बड़े राजा को कंधा देने... रूदाली बन कर रोने धोने...

दास - विश्वा... तुम तो राजकुमारी के कॉन्टैक्ट में रहते हो ना... नागेंद्र सिंह की मौत की खबर तुम्हें क्यूँ नहीं मिली... आई मीन...



विश्व अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल चार्ट देखता है l उसे आज सुबह भी कॉल नहीं आया था, जिसे विश्व ने नजर अंदाज कर दिया था l विश्व कॉल रजिस्टर से नकचढ़ी नाम ढूंढ कर कर कॉल डायल करता है, और सबको चुप रहने का इशारा करता है l कॉल रिंग हो रही थी l चार या पाँच रिंग के बाद कॉल पीक होता है, हैलो कहने जा रहा था पर कुछ सोच का विश्व खामोश रहता है l उधर से भी, विश्व को कोई जवाब नहीं आ रहा था l तकरीबन दो मिनट तक विश्व मोबाइल को कान से लगाए बैठा था ना वह कुछ कह रहा था ना ही उसे फोन से कोई जवाब मिल रहा था l विश्व कॉल काट देता है और फोन अपनी जेब में रख लेता है l



दास - क्या हुआ... तुमने कॉल किया... पर ना कोई सवाल ना कोई जवाब...

विश्व - फोन... भैरव सिंह ने उठाया था...

सब - क्या...

टीलु - भाभी सही सलामत तो हैं ना...

विश्व - हाँ.. होंगी...

दास - तुम्हें कैसे पता... आई मीन... तुमने कॉल किया... तुम्हारा... नाम या नंबर डिस्प्ले तो हुआ होगा...

विश्व - नहीं... मेरी मोबाइल... एंक्रिप्टेड है.. डिस्प्ले में सिर्फ ऑननॉन लिखा आयेगा...

सीलु - पर भाभी की मोबाइल... राजा साहब के पास आई कैसे...

सुप्रिया - क्या... राजा भैरव सिंह को... फोन पर तुम्हारा अंदाजा हो गया होगा...

विश्व - मालूम नहीं... पर अब मुझे राजगड़ जाना होगा...



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दास अपने दो कांस्टेबलों के साथ पुलिस की जीप लेकर क्षेत्रपाल महल के परिसर में आता है l देखता है महल की पहरेदारी पहले जैसी हो गई थी l उसके लगाए दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे थे l चप्पे-चप्पे पर ESS के गार्ड्स और पहलवान खड़े थे l बाहर बरामदे पर एक कुर्सी पर भैरव सिंह बैठा हुआ था l उसके बाल बिखरे हुए थे l चेहरा मुर्झाया हुआ था l दास जीप से उतर कर सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के सामने खड़ा होता है l भैरव सिंह अपनी रुबाब से भरी नजर से दास की ओर देखता है l



दास - आई एम सॉरी राजा साहब... बड़े राजा जी के बारे में... मुझे अदालत में मालूम हुआ...

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...

दास - यह... आई मीन... बड़े राजा जी का देहांत कब हुआ...

भैरव सिंह - (चेहरे पर कोई भाव नहीं था) तुम जान कर क्या करोगे... जान फूंकने आए हो क्या...

दास - नहीं बस...

भैरव सिंह - डॉक्टर... डेथ सर्टिफिकेट दे चुका है... वैसे तुम्हें किस बात की चूल मची है...

दास - मैं यहाँ आपसे... दुख जताने आया था...

भैरव सिंह - जता दिए...

दास - जी..

भैरव सिंह - दफा हो जाओ...

दास - जी चला जाता हूँ... पर मैं आपसे यह पूछने आया था... के... मेरे दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे हैं... और आपने हमसे क्लियरेंस लिए वगैर... अपनी सिक्योरिटी रिइंस्टीट भी कर लिया...

भैरव सिंह - (सीरियस व रौब भरी आवाज में) इंस्पेक्टर... आज तलक... किसी माई के लाल ने... जो हिम्मत नहीं की... वह तु कर गया... हमने तुझे जितनी इज़्ज़त देनी थी दे दी... अब तु किसी लायक नहीं रह गया है... के तुझे हम इज़्ज़त और इजाजत बख्शें... तूने ही... केके की केस में... अदालत में सरेंडर हो गया ना... तेरी सरेंडर होने के बाद ही... मेरी सेक्योरिटी पर तेरी कानूनी कब्जा भी सरेंडर हो गई.... आज महल में मातम है... इसलिए यहाँ तक तु आ गया... कल से यह हिमाकत गलती से भी मत करना... (हाथ से इशारा करते हुए गेट की ओर दिखता है) अगली बार... उस गेट के बाहर से ही बात करना... वर्ना...



भैरव सिंह चुप हो जाता है l तब तक दास और उसके दो कांस्टेबलों को भीमा और उसके गुर्गे घेर लेते हैं l दास अपनी हॉलस्टर से रीवॉल्वर निकाल लेता है l सारे पहलवान वहीँ रुक तो जाते हैं पर कोई पीछे नहीं हटता l सबके चेहरे पर गुस्सा और नफरत झलक रही थी l दास और उसके दो कांस्टेबल घेरे में थे l कुछ और पहलवान दास की खड़ी की हुई जीप के पास आते हैं और धक्का लगा कर गाड़ी को बाहर निकाल देते हैं फिर ताकत लगा कर जीप को गेट के बाहर पलटा देते हैं l सारे पहलवाल यह सब जिस तरह से आवाज निकाल कर चिल्लाते हुए गाड़ी पलट रहे थे माहौल को डरावना कर रहा था l दास इससे पहले कभी डरा नहीं था l पर आज जिस तरह से सारे पहलवान आवाज निकाल कर जीप को गेट के बाहर ले गए और पलट दिए, दास और उसके साथ आए कांस्टेबल दोनों भी डर गए l वे दोनों, दोनों तरफ़ से दास के बाजुओं को पकड़ लेते हैं l गाड़ी के पलटने के बाद पहलवान जो उन्हें घेर कर खड़े हुए थे, वे सारे किनारे हो जाते हैं और दास और कांस्टेबलों को बाहर जाने का रास्ता देते हैं l दास दो सीढ़ियां उतरा ही था के भैरव सिंह उसे कहता है



भैरव सिंह - दास... (दास मुड़ कर वापस देखता है) हमने थोड़ी ढील क्या दी... तो सबने हमारे बाप बनने की होड़ में शामिल हो गए... तुम भी... अपनी औकात भूल कर... हमारे बाप बनने की कोशिश की... पर यह मत भूलना... बाप हमेशा बाप ही होता है... यह सब आज जो तेरे साथ हुआ... समझ तो तु जरूर गया होगा... आज... (बेहद कड़क आवाज में) अगर महल में मातम ना होता... तो... खैर... अब तु... और तेरे साथ आए यह दो लंगूर इन्हें उठा कर ले जाओ.... (दास जो दो कांस्टेबल को महल के पहरेदारी पर छोड़ गया था, उन्हें मरियल हालत में पहलवान उठाकर सीढियों के नीचे फेंक देते हैं) तु इन्हें भूल कैसे गया... जा आज अपने पैरों पर जा रहे हो... इस बात का शुक्र मनाओ के आज तुम लोग... वर्दी में जा रहे हो... जाओ... इन दो हराम खोरों को उठा कर लेके जाओ.... (दास उनकी हालत देख कर हैरान हो जाता है, वह लोग जिंदा तो थे पर बेहद बुरी तरह से मार खाए हुए थे l दर्द से कराह रहे थे l दास अपने साथ आए कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए इशारा करता है) दास... यह ऐलान है... तुम्हारी दुनिया... तुम्हारे सिस्टम के खिलाफ... जाओ... जिसको जो कहना है... जाकर कहो... जो उखाड़ना है उखाड़ लो...



दास अपने दो कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए कहता है l दोनों कांस्टेबल अपने साथियों को कंधे पर उठा लेते हैं और चलते हुए गेट से बाहर जाते हैं l तीनों पैदल चलते हुए अपने साथियों को कंधे पर उठा कर चले जा रहे थे l गाँव के लोग उन्हें हैरानी भरे निगाह में देख रहे थे l पहली बार दास को अपनी लाचारी महसुस हो रही थी l घुटन भरी बेबसी के साथ सिर झुकाए गाँव के बीचोबीच गुजर रहा था l आज उसका और कानून का भैरव सिंह ने लोगों के सामने तमाशा बना दिया था l





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वैदेही के दुकान में विक्रम मौजूद था, विश्व और उसके चारों दोस्त भी बैठे हुए थे l विश्व बहुत ही गहरी सोच में खोया हुआ था l फिर अचानक से अपनी सोच से बाहर आता है और वैदेही से पूछता है



विश्व - दीदी... तुम्हें कितने बजे मालूम हुआ... बड़े राजा के बारे में...

वैदेही - तुम लोग सुबह नास्ता कर के जल्दी निकल गए थे... उसके कुछ देर बाद विक्रम ने आकर मुझे खबर किया... (विश्व विक्रम की ओर देखता है)

विक्रम - मुझे सुबह सुबह... सेबती ने खबर दी...

विश्व - सुबह सुबह...

विक्रम - हाँ... मतलब आठ... साढ़े आठ बजे...

विश्व - (और भी टेंशन में आ जाता है) (उसे टेंशन में देख कर वैदेही उससे पूछती है)

वैदेही - क्या बात है तु इतनी टेंशन में क्यों है...

टीलु - भाई टेंशन में तो होंगे ही... राजा साहब ने जब भाभी का फोन छिन लिया था... तब सेबती के हाथों भाई ने एक दुसरा मोबाइल भाभी को दिया था... अब वह मोबाइल भी राजा साहब के कब्जे में है... और भाभी की खबर और सलामती के बारे में... भाई कुछ जान नहीं पा रहे हैं...

विक्रम - क्या... नंदिनी के पास मोबाइल था...

टीलु - हाँ... क्यूँ आपको नहीं पता...

विक्रम - नहीं... हाँ पता लगता भी कैसे... मैंने अपना सब कुछ... मोबाइल भी... राजा साहब के पास छोड़ आया था... (थोड़ा रुक जाता है, फिर) पर तुम्हें कैसे पता चला... मोबाइल राजा साहब के पास है...

विश्व - हर सुबह मुझे जगाने के लिए राजकुमारी फोन करतीं थीं... पर आज नहीं किया... मैंने ध्यान भी नहीं दिया था... पर जब बड़े राजा जी के बारे में पता चला... तब राजकुमारी जी को मैंने फोन किया था... राजकुमारी जी के बजाय... फोन राजा साहब ने उठाया था...

वैदेही - क्या... मतलब... राजा को मालूम हो गया होगा... के नंदिनी से तुम रोज फोन पर बात कर रहे हो...

विश्व - नहीं... पता नहीं... पर शायद नहीं मालुम हुआ होगा...

विक्रम - यह तुम कैसे कह सकते हो...

विश्व - क्यूँकी मेरा मोबाइल... ऐंक्रीप्टेड है... और राजा ने जब फोन उठाया... मैंने फोन पर कोई बातचीत भी नहीं की...

वैदेही - ओ... मतलब तुमने फोन पर राजा साहब को सुन कर कोई बात नहीं की...

विश्व - नहीं... उस तरफ़ से.. राजा साहब ने भी कोई बात नहीं की...

गौरी - तो तुझे मालूम कैसे हुआ... दुसरी तरफ राजा साहब ही थे...



गौरी की इस सवाल पर सब विश्व की ओर देखने लगते हैं l विश्व सबकी और देखता है और अपनी जबड़े भिंच कर कहता है



विश्व - रिश्ता ही कुछ ऐसा है... मैं अपनी दोस्तों और दुश्मनों की... खामोशी तक पहचान सकता हूँ... सुन सकता हूँ...

वैदेही - ओ... तो अब तुम्हें इस बात का चिंता है... कहीं नंदिनी...

विश्व - नहीं... राजकुमारी जी की राज... भैरव सिंह को... शायद पता नहीं चला होगा... मेरा दिल कह रहा है... नहीं पता चला होगा...

विक्रम - तुम्हारा दिल तुमसे झूठ नहीं कह रहा होगा... और अगर तुम इतना श्योर हो... तो फिर तुम चिंता क्यूँ कर रहे हो....

विश्व - मैं श्योर नहीं हूँ.. बस अंदाजा लगा रहा हूँ... क्यूँकी... महल में... बड़े राजा जी का देहांत हो गया है... इस बात की जानकारी... मुझे राजकुमारी जी ने नहीं दी... पर जब इस बात की पुष्टि करना चाहा तो.... मोबाइल राजा भैरव सिंह ने उठाया था...

विक्रम - ह्म्म्म्म... ठीक है... तुम्हारी चिंता जायज है... पर महल की अंदर की खबर देने के लिए... अभी सेबती तो मौजूद है ना... और वह महल में... नंदिनी की साये की तरह रहती है... अगर कुछ गड़बड़ हुई होती तो सेबती... मुझे ज़रूर बताती...

वैदेही - हाँ... तुम बे-फिजूल चिंता कर रहे हो...

विश्व - शायद तुम ठीक कह रही हो... मैं शायद... राजकुमारी जी को लेकर बहुत हाइपर हो रहा हूँ...

टीलु - हाँ क्यूँ ना हो... आखिर नई नई शादी जो हुई है... (सब उसे खा जाने वाली नजरों से घूरते हैं) नहीं... मैं.. वह... माहौल को... थोड़ा हल्का करने की कोशिश कर रहा था... हे हे...

विश्व - (विक्रम से) तुम्हें अगर सुबह ही खबर मिल गई थी... तो तुम यहाँ क्या कर रहे हो... तुम्हें तो इस वक़्त महल में होना चाहिए... (अब सबकी नजरें विक्रम की ओर मुड़ जाती है)

विक्रम - हाँ बात तो तुम सही कह रहे हो... पर... मैंने और मेरे साथ चाचाजी ने... मतलब हमने राजा साहब और महल से रिश्ता तोड़ दिया था... लगता है... राजा साहब ने भी हमसे सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं...

विश्व - मैं कुछ समझा नहीं...

विक्रम - देखो... सुबह जब सेबती काम पर गई थी... तब उसे ख़बर लगी... के बड़े राजा नहीं रहे... तो उसने अपना फर्ज निभाते हुए मुझे आकर खबर की... मैं जाने के लिए तैयार था भी... इसलिए जब घर से निकल कर जाने लगा... तो पाया... भूरा, शुकुरा और उनके कुछ आदमी घर घर घूम कर... गाँव में लोगों को बड़े राजा जी के बारे में जानकारी दे रहे थे... चूँकि गाँव में ज्यादातर मर्द केस के सिलसिले में यशपुर में थे.... तो यह हिदायत देते हुए कहा कि... दोपहर के बाद सबको महल पहुँचना है... पर... हमारे पास.... कोई नहीं आया...

विश्व - तो इस बात को तुमने दिल से ले लिया...

विक्रम - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) नहीं बात ऐसी नहीं है... मैं जाऊँगा जरूर... पर गाँव वालों के बीच में... एक हो कर... उस महल में से एक हो कर नहीं...

सीलु - ऐसा क्यों...

विक्रम - मैं खुद को... राजकुमार नहीं... इन्हीं गाँव वालों में से एक बनना चाहता हूँ...

क्यूँकी राजकुमार कभी इन गाँव वालों था ही नहीं... पर विक्रम जरूर इन गाँव वालों में से एक है... मैं उस महल में जाऊँगा तो राजगड़ वालों के भीड़ में से एक दिखना चाहूँगा... ना कि महल में से कोई... इसलिए मैं यहाँ आ गया... क्यूँकी... सारे गाँव वाले इसी रास्ते से महल जायेंगे... तो उनकी भीड़ में शामिल हो कर जाऊँगा... पर बात कुछ समझ में नहीं आ रहा... अभी तक तो गाँव वालों को... महल की ओर चले जाना चाहिए...



विक्रम के जवाब के बाद सभी चुप हो जाते हैं, क्यूँकी बात विक्रम ने सही कहा था l गाँव वालों को वैदेही के दुकान के सामने से गुजर कर महल की ओर जाना चाहिए l पर अब तक कोई भी गाँव वाला वहाँ से गुजरा नहीं था, तभी सत्तू आ पहुँचता है l उसे देख कर वैदेही सवाल करती है l



वैदेही - क्या बात है...

सत्तू - आज बहुत बड़ा कांड हो गया है दीदी...

वैदेही - क्या हो गया है...

सत्तू - आज थानेदार दास बाबु... महल गए थे...



महल में जो भी हुआ वह सारी बातेँ उन्हें बताता है l सब सुनने के बाद वहाँ पर मौजूद सभी को हैरत होती है l विश्व उससे पूछता है l



विश्व - तुम्हें यह सब कैसे पता चला...

सत्तू - कांस्टेबल जगन बाबु ने मुझे बताया... जब मैं गाँव में... बड़े राजा साहब की मौत की... लोगों की प्रतिक्रिया देखने गया था... लौटते वक़्त देखा... थानेदार बाबु पैदल आ रहे थे... और उनके दो कांस्टेबल... अपने दो साथियों के साथ उठा कर ला रहे थे... मैंने तुरंत एक ठेला का जुगाड़ किया और... उन्हें हस्पताल पहुँचा कर आ रहा हूँ...

विक्रम - ह्म्म्म्म... इस वक़्त राजा साहब... ऐसा क्यूँ कर रहे हैं...



विक्रम के सवाल पर सब चुप्पी साध लेते हैं l थोड़ी सोच विचार के बाद विश्व कहता है l



विश्व - लगता है... मैं कुछ कुछ... (पॉज) समझ रहा हूँ...

विक्रम - क्या समझ रहे हो...

विश्व - इंस्पेक्टर दास ने... राजा साहब की... पर्सनल सेक्यूरिटी हटा दी थी... और दो कांस्टेबलों को... महल के बाहर खड़ा कर दिया था... इस बीच उन्हें नंदिनी जी की मोबाइल मिली होगी... मोबाइल पर सबकुछ ढूंढने की कोशिश की होगी... पर उन्हें कुछ मिला नहीं होगा... क्यूँकी... इस मोबाइल में... राजकुमारी जी ने मेरा नाम सेव ही नहीं किया था... उन्हें मेरा नंबर याद है... और उस मोबाइल से वह किसी और को फोन करती भी नहीं हैं... तो जाहिर है.. कॉल रजिस्टर में... किसीका भी नाम नहीं मिला होगा... अब चूँकि सत्तू के सामने आ जाने से... राजा साहब को अभी अपने आदमियों पर शक हो रहा होगा... मतलब कोई ना कोई... महल में हमारा कोई आदमी था... जिसने उन्हें गच्चा देकर बाहर चला आया... यही सोच रहे होंगे... अगर उनकी अपनी सेक्यूरिटी होती तो उसे पकड़ लेते... इसी बात का खीज उन पुलिस वालों पर उतार दी...

विक्रम - पर इससे क्या उनकी पोजीशन खराब नहीं हो जाएगी...

विश्व - जब किस्मत और कानून उनकी मदत कर रहा हो.. उन्हें अब किसी बात की फिक्र नहीं है...

वैदेही - तो... अगली सुनवाई कब और कहाँ होगी... क्यूँकी हर दसवें दिन... केस की जगह बदलनी थी ना...

विश्व - हाँ पर जज साहब ने कोई ऑर्डर अभी निकाला नहीं है... अब मैं खुद पसोपेश में हूँ... केस में और बाइस या तेईस दिन जोड़े जाएंगे... और केस को शुरु से शुरु करेंगे... या फिर... ऐसे ही धीरे धीरे... तीस दिन ख़तम कर देंगे...

वैदेही - ऐसे कैसे हो सकता है...

विश्व - सब हो सकता है दीदी... सब हो सकता है... निजी कारणों के वज़ह से... अगर पहले के तीस दिन बेकार गया... फिर से हाइकोर्ट बेंच को रेफर किया जाएगा... वह बेंच फिर से वक़्त देने के लिए... विचार करेंगे... उसके बाद... इलेक्शन आ जाएगा... इलेक्शन के बाद... केस को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे... फिर वक़्त देंगे... इस बीच कुछ प्रमुख गवाह मार दिए जाएंगे... या कुछ गायब कर दिए जाएंगे... बिल्कुल रुप फाउंडेशन केस की तरह...



विश्व कहते कहते रुक जाता है, पाता है सब उसे गौर से सुन व देख रहे हैं l फिर विश्व कहना शुरू करता है l



विश्व - सब जानते हैं... केके ग़ायब हो गया है... या यूँ कहूँ... केके को गायब कर दिया गया है... यह असल में एक हींट था... इस केस से जुड़े हर एक शख्स के लिए... और इस सिस्टम के लिए.... और इसका असर मुझे दिखने लगा है...

वैदेही - क्या... क्या तु यह कहना चाहता है... की अदालत से हमें उम्मीद नहीं रखनी चाहिए...

विश्व - दीदी... यह एक युद्ध है... हर एक इस लड़ाई में... अपना पक्ष चुन चुके हैं... और हर एक को अपने अपने किरदार के साथ.. न्याय करना होगा...



विश्व फ़िर से चुप हो जाता है l उसकी बातों का यूँ असर हुआ था कि सारे लोग वहाँ पर चुप्पी साध लिए थे और गहरी सोच में खो गए थे l विक्रम की बात सबकी ध्यान खींचती है l



विक्रम - क्या बात है... सभी गाँव वालों को क्या हो गया है आज... इसी रास्ते से महल जाएंगे ना... फ़िर अब तक कोई गाँव वाला दिख क्यूँ नहीं रहा है...



तभी विश्व का फोन बजने लगती है l विश्व झट से अपना फोन उठा लेता है, डिस्प्ले पर डैनी भाई नाम दिख रहा था l विश्व तुरंत फोन उठाता है l



डैनी - कैसे हो हीरो...

विश्व - ठीक नहीं हूँ... आज की केस के बारे में... आपको पता लग गया होगा...

डैनी - हाँ लग तो गया है... पर तुम क्यूँ उदास हो रहे हो... तुम्हें तो एक दिन चाहिए राजा को क्रिमिनल साबित करने के लिए...

विश्व - हाँ पर केस की सुनवाई तो हो... जब इस केस की हालत ऐसी है... तो वह रुप फाउंडेशन की केस की सुनवाई कब और कैसे होगी...

डैनी - जरूर होगी.. तुम्हें इसीलिए तो फोन किया है...

विश्व - (आँखों में चमक आ जाती है) मतलब...

डैनी - हाँ हीरो... श्रीधर परीड़ा का पता चल गया है... और भी एक खुस खबर है..

विश्व - क्या... कैसी खबर...

डैनी - एक मिनट... मैं तुम्हारे एक दोस्त को कंफेरेंशींग में ले रहा हूँ... (विश्व का फोन कुछ सेकेंड के लिए होल्ड पर चला जाता है फिर उसे सुभाष सतपती की आवाज़ सुनाई देती है)

सुभाष - हैलो विश्व...

विश्व - सतपती जी आप...

सुभाष - हाँ.. मैं अपनी टीम के साथ... यशपुर आ रहा हूँ... और तुम्हारे लिए एक खुश खबरी ला रहा हूँ...

विश्व - कैसी खुश खबरी...

सुभाष - तुम्हारा शक बिलकुल सही था... रुप फाउंडेशन का एक गवाह... जिंदा गवाह मिल गया है...

विश्व - (उछल पड़ता है) ह्वाट...

डैनी - हाँ... सुभाष बाबु पहुँच रहे हैं... उनके पास पूरी डिटेल्स है... जो तुम्हारे साथ शेयर करेंगे... और फिक्र मत करो... तुम्हारे गवाह मेरे पास हिफाज़त में हैं... सुभाष बाबु के साथ बैठ कर... प्लान चॉक ऑउट करो... फिर उसके हिसाब से आगे बढ़ो...



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शाम ढल रही थी l महल में भैरव सिंह और उसके आदमीओं के नजरें गेट की ओर देखते देखते थक चुकी थी l सूरज की तपिश कम हो चुकी थी पर भैरव सिंह के मन में गुस्से का तपिश बढ़ता ही जा रहा था l चेहरा सख्त हो गया था और जबड़े भिंच चुकी थी l लंबी लंबी साँसे ठहर ठहर कर ले रहा था l उसकी यह हालत देख कर उसके सारे आदमी डर रहे थे l कुछ दूरी पर खड़े बल्लभ, रॉय और रंगा एक दुसरे को देख रहे थे पर भैरव सिंह के पास जाने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा था l अब तक कुर्सी पर बैठा भैरव सिंह उठ खड़ा होता है l अपने दोनों हाथ पीछे बाँध गर्दन को दोनों तरफ़ झटका देता है l बल्लभ थोड़ा हिम्मत कर उसके पास जाता है l



बल्लभ - राजा साहब... लगता है... गाँव वाले नहीं आयेंगे...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर बिना देखे) हूँ... नहीं आयेंगे... जब गाँव वालों ने फैसला कर लिया है... तो यही सही...

बल्लभ - तो... अब हमें क्या करना चाहिए...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर देखते हुए) क्या करना चाहिए मतलब... बड़े राजा जी का देहांत हुआ है... उनका दाह संस्कार होगा...

बल्लभ - तो ठीक है... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... बड़े राजा जी का दाह संस्कार करना है... इसलिए... बड़े राजाजी के पार्थिव शरीर को उनके कमरे से लाने की व्यवस्था करो...



भीमा अपने कुछ साथियों को साथ लेकर महल के अंदर जाता है और कुछ देर के बाद नागेंद्र के शव को सब उठा कर ले आते हैं l भीमा और उसके साथी बाँस से अंतिम यात्रा की सवारी तैयार करते हैं l ठीक उसी वक़्त शुकुरा, भूरा और दो चार आदमी भैरव सिंह के सामने आकर सिर झुका कर घुटनों पर बैठ जाते हैं l भैरव सिंह उनकी ओर सवालिया दृष्टि से देखते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है, पर वे सब अपना सिर झुकाए वैसे ही घुटनों पर बैठे रहे l



भैरव सिंह - सिर झुकाए हुए हो... मतलब कोई ऐसी खबर लाए हो... जिसे हमारी कान सुनना मंजूर नहीं करेगा... (एक पल के लिए सब भैरव सिंह को देखते हैं फिर सब स्वीकृति के साथ दोबारा सिर झुका लेते हैं) बको जो भी बकना चाहते हो बको...

भूरा - हुकुम... (डरते डरते) श्मशान में कोई नहीं आया... यहाँ तक कोई पंडित भी नहीं आया... सबको खबर कर दी गयी थी... अब चिता के लिए लकड़ियां हमें ही इंतजाम करना होगा... (भूरा की इस बात से सबका मुहँ हैरत से खुल जाता है, पर भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव नहीं आता)

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... कोई बात नहीं... अब इस महल के मातम में... गाँव वाले शामिल नहीं होंगे...

रंगा - गुस्ताख़ी माफ राजा साहब... राजकुमार जी तो इसी गाँव में हैं...



भैरव सिंह रंगा की ओर देखता है, रंगा के शरीर में एक शीत लहर दौड़ जाती है l हालत कुछ ऐसी थी के कोई कुछ भी कहने से पहले सौ बार सोच रहा था l भैरव सिंह भूरा से सवाल करता है



भैरव सिंह - तुमने गाँव वालों से क्या कहा था...

भूरा - राजा साहब... मैंने और शुकुरा ने... घर घर जाकर सबको खबर की थी... (कहते कहते भूरा जिस तरह से पॉज लेता है भैरव सिंह समझ जाता है जरूर कोई ऐसी बात है जिसे भूरा कहने से डर रहा है)

भैरव सिंह - बेफिक्र... बेखौफ हो कर कहो... जवाब में गाँव वालों ने क्या प्रतिक्रिया दी... (भूरा एक नजर शुकुरा को देखता है और अपना सिर झुका लेता है l भैरव सिंह को गुस्सा आ जाता है) यहाँ क्या कोई तमाशा हो रहा है... बताओ क्या हुआ...

भूरा - (डरते डरते) हम जब बड़े राजा जी की देहांत की खबर दे कर लौट रहे थे... तब हमने देखा गाँव के कुछ लोग हमारे पीछे... (रुक जाता है)

भैरव सिंह - हाँ... क्या तुम्हारे पीछे...

भूरा - बड़े राजा जी के नाम पर... धुल उड़ा रहे थे...



भैरव सिंह अपनी कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो जाता है, भूरा और शुकुरा और उनके साथी डर जाते हैं l पर भैरव सिंह उनकी ओर जाने के बजाय भीमा की ओर जाता है और कहता है



भैरव सिंह - जाओ... बड़े राजा जी के कमरे में जाओ... उस कमरे में खाट से लेकर अलमारी तक जितने भी लकड़ी के सामान है... उन्हें बाहर लेकर आओ और कुल्हाड़ी से काट कर... इसी बरामदे के नीचे... चिता सजाओ... आज बड़े राजा जी की चिता यहीँ जलेगी... (भीमा कुछ समझ नहीं पाता, मुहँ खोले बेवक़ूफ़ों की तरह भैरव सिंह को देखे जा रहा था) (चिल्ला कर) जाओ...



भीमा अपने साथ कुछ आदमियों को लेकर नागेंद्र के कमरे में जाता है l बिस्तर से लेकर कुर्सी, सोफा अलमारी टेबल जो भी लकड़ी के थे सब बाहर ले आते हैं l कुल्हाड़ी से काट काट कर चिता बनाते हैं l भैरव सिंह अपनी बाहों में नागेंद्र की लाश उठाता है और लकड़ियों पर रख देता है l फिर बिना किसी औपचारिकता के चिता में आग लगा देता है l वहाँ पर मौजूद सभी लोग भैरव सिंह को देख रहे थे l चिता से उठती आग की रौशनी में भैरव सिंह का चेहरा बहुत ही भयानक दिख रहा था l थोड़ी देर बाद भैरव सिंह अपने लोगों के तरफ़ मुड़ता है l



भैरव सिंह - आज जो भी यहाँ मौजूद है... हम उनके आभारी हैं... आज आपकी मौजूदगी को... हम रूपयों और दौलत से तोल देंगे... फिलहाल आज का मातम का दायरा महल की परिसर तक ही था... पर बड़े राजा जी की मृत्य की चौथ की मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा... अब तुम सब... जा सकते हो...



सभी लोग उल्टे पाँव लौटने लगते हैं l बल्लभ भी लौट रहा था तो भैरव सिंह उसे इशारे से रुकने के लिए कहता है l बल्लभ रुक जाता है और सभी वह जगह खाली कर चले जाते हैं l



भैरव सिंह - देखा प्रधान... गाँव वालों में कितनी हिम्मत आ गई... हमारे लोगों के पीठ के पीछे धूल उड़ाए हैं... (बल्लभ चुप रहता है) आज... बड़े राजा जी की अंतिम संस्कार के लिए... ना नाई आया.. ना धोबी.. ना लोग आए ना पंडित... (एक पॉज लेता है) एक विश्व.... क्या उनके लिए सीना तान कर खड़ा हो गया... हमारी मान पर बट्टा लगाने की हिम्मत कर ली... कोई नहीं... अब तुम देखना... इतिहास कैसे खुद को दोहराएगी... (फ़िर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है, पर इसबार अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर बल्लभ को देता है) तुम इसकी मालिक को ढूंढो... पता लगाओ... यह सबूत है... अभी भी महल में... कोई है... जो विश्व के लिए काम कर रहा है... (बल्लभ उस फोन को अपनी हाथ में लेता है)

बल्लभ - यह आपको कहाँ मिला...

भैरव - बड़े राजा जी के... कमरे के बाहर... और हमें इसकी मालिक का नाम पता दे दो...

बल्लभ - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है कि... यह मोबाइल और इसका मालिक विश्व से जुड़ा हुआ है...

भैरव सिंह - इस पर एक कॉल आया था...

बल्लभ - क्या... किसने किया था...

भैरव सिंह - विश्व ने...

बल्लभ - विश्वा ने... किस किसका नाम लिया...

भैरव सिंह - नहीं उसने कुछ नहीं कहा... या यूँ कहो... उसने कोई आवाज ही नहीं निकाली...

बल्लभ - फ़िर आप यह कैसे कह सकते हैं... फोन के दूसरी तरफ विश्वा था..

भैरव सिंह - उसकी खामोशी को... हम साफ सुन पा रहे था... महसूस कर पा रहे थे... उसके किसी साथी का मोबाइल है यह... मुझे यकीन है... तुमने जब बड़े राजा जी की देहांत का खबर दी होगी... तब उसने चिढ़ कर अपने साथी को फोन लगाया होगा... जिसने गलती से बड़े राजा जी के कमरे के बाहर... छोड़ गया था...

बल्लभ - ओह माय गॉड... इसका मतलब..

भैरव सिंह - हाँ प्रधान... अभी भी उसका कोई आदमी हमारे महल में है... हमें शक तो है... पर बिना सबूत के... बे वज़ह कोई तमाशा नहीं करना चाहते... इसलिये जितनी जल्दी हो सके... इस मोबाइल के मालिक को ढूंढो...

बल्लभ - राजा साहब.. इसमें तो दो तीन दिन लगेंगे...

भैरव सिंह - दो दिन... सिर्फ दो दिन...

बल्लभ - सिर्फ दो दिन...

भैरव सिंह - हाँ... प्रधान हाँ... क्यूँकी... दो दिन बाद बड़े राजा जी का चौथ है... और चौथ का मातम... पूरा राजगड़ मनाएगा... इसलिए सिर्फ दो दिन है तुम्हारे पास...

बल्लभ - राजा साहब...

भैरव सिंह - जाओ...



×_____×_____×_____×_____×_____×_____×




बल्लभ की गाड़ी अपने घर पर रुकती है l गाड़ी बंद कर के बल्लभ गाड़ी से उतरता है l जेब से घर की चाबी निकाल कर दरवाजा खोलता है l अंदर आकर ड्रॉइंग रुम की लाइट ऑन करता है फिर बेड रुम में जाकर भैरव सिंह की दी हुई मोबाइल को निकाल कर बेड पर फेंकता है और अपने कपड़े उतार कर बाथ रोब लेकर बाथरुम में घुस जाता है l शॉवर चला कर नहाने लगता है l नहाते नहाते उसके कानों में टीवी चलने की आवाज़ सुनाई देती है l वह शॅवर बंद कर बाथ रोब पहन कर बाहर आता है l बेड रुम से देखता है कि ड्रॉइंग रुम की लाइट बंद है l वह चुपके से अपना वॉर्ड रोब खोलता है और एक रीवॉल्वर निकाल लेता है l धीरे धीरे बेड रुम से निकल कर ड्रॉइंग रुम में आता है l उसे एक सोफ़े पर काला अक्स, एक साया सा दिखता है l चूँकि टीवी चल रही थी उसकी रौशनी में वह शख्स काले लिबास और एक हैट पहने सोफ़े पर बैठा हुआ था l


बल्लभ - कौन हो तुम...

साया - तुम्हारा बहुत बड़ा फैन...

बल्लभ - किसलिए यहाँ आए हो...

साया - तुम्हारा ऑटोग्राफ लेने...

बल्लभ - खबरदार अपनी जगह से हिले तो... तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - नहीं हिलता... आओ सामने बैठो... बात करते हैं... पहले यह न्यूज देखते हैं...

बल्लभ - शॅट अप... मेरे घर में... अंधेरा कर... मुझे अपने सामने बैठने के लिए कह रहे हो... हाऊ डैर यु... जब कि तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - श् श् श् श्.... पहले यह न्यूज सुनो तो सही...


टीवी पर नभ वाणी न्यूज चैनल पर सुप्रिया न्यूज पढ़ रही थी -

" राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी के आर्थिक भ्रष्टाचार पर केस का आठवां दिन था और आज भी राजा भैरव सिंह ने अपनी हाजिरी नहीं दी l उनके बदले उनके वकील एडवोकेट श्री बल्लभ प्रधान जजों के सामने प्रस्तुत हुए और बड़े राजा जी श्री नागेंद्र सिंह क्षेत्रपाल जी की देहांत की खबर दी और अदालत से बड़े राजाजी की मरणोपरांत क्रिया कर्म व शुद्धीकरण के लिए अदालत से पंद्रह दिन की मोहलत मांगी जिसे सहसा अदालत ने स्वीकर कर ली l इस तरह से हाइकोर्ट के द्वारा निर्धारित तीस दिनों में तेईस दिन बिना सुनवाई के खत्म हो गई l अब प्रश्न यह है कि जो मुल्जिम हैं उनके निजी कारण को अदालत ने तवज्जो देकर जो तेईस दिन बिना सुनवाई के समाप्त हो गए उसकी भरपाई के लिए क्या अदालत शुरु से केस सुनवाई करेगी या बचे हुए साथ दिनों में निपटारा करेगी "


बल्लभ - बंद करो यह टीवी... इस न्यूज से तुम्हारा क्या वास्ता...

साया - मेरा ही नहीं... तुम्हारा भी वास्ता है... हम सबका वास्ता है...

बल्लभ - बस बहुत हुआ... बहुत बकवास कर ली तुमने... अब अपनी पहचान बताओ... या फिर... मरने के लिए तैयार हो जाओ...

साया - तुम मुझे गोली नहीं मार सकते...

बल्लभ - अच्छा... यह तुम्हारी खुशफहमी है... मैं चाहूँ तो अभी के अभी तुम्हें गोली मार सकता हूँ...

साया - और पुलिस से क्या कहोगे...

बल्लभ - सेल्फ प्रोटेक्शन... आत्म रक्षा...

साया - पर मैं तो तुम्हारे सामने... चुप चाप बैठा हुआ हूँ... कोई हरकत भी तो नहीं कर रहा...

बल्लभ - वह इसलिए... के तुम मेरे इन पॉइंट पर हो...

साया - हाँ बात तो तुम ठीक कह रहे हो... पर फिर भी तुम मुझ पर गोली नहीं चला सकते...

बल्लभ - ओ... अभी भी तुम खुशफहमी पाले बैठे हो...

साया - नहीं... यकीन है... क्यूँकी यहाँ मैं अकेला नहीं आया हूँ... अपने साथियों के साथ आया हूँ... और तुम इस वक़्त मेरे साथी के रीवॉल्वर के निशाने पर हो... तुमने जरा सी भी हरकत की... यकीन जानो.. अगले पल... तुम्हारी खोपड़ी उड़ चुकी होगी...

बल्लभ - (डर के मारे हलक से थूक गटकता है) तुम झूठ बोल रहे हो...


नहीं... (एक और आवाज़ बल्लभ के पीछे गूंजती है, अभी जो नहाया हुआ आया था वह अब पसीने से भीगने लगा था, वह झट से पीछे मुड़ता है पर अभी वह दूसरा शख्स उसके हाथों से रीवॉल्वर छीन लेता है, वह साया जो सोफ़े पर बैठा था वह कहता है)


साया - देखा... अब तुम मेरे आदमी के गन पॉइंट पर हो...

बल्लभ - तुम हो कौन चाहते क्या हो...

साया - अभी अभी जो न्यूज तुमने सुनी... उस केस के... तुम सुपर स्टार हो... और हम तुम्हारे बड़के वाले फैन हैं... (बल्लभ को अपनी पीठ पर गन की बैरेल चुभती हुई महसूस होती है) आओ... मेरे सामने बैठ जाओ...


बल्लभ सामने वाली सोफ़े पर बैठ जाता है l सामने सोफ़े पर बैठ साया टीवी बंद कर देता है l थोड़ी देर के लिए ड्रॉइंग रुम में अंधेरा छा जाती है फिर धीरे धीरे बेड रुम की हल्की रौशनी में बल्लभ को थोड़ा थोड़ा दिखने लगता है l तभी उसके कानों में किचन में बर्तनों की आवाज़ सुनाई देती है l



बल्लभ - तुम लोग मुझसे चाहते क्या हो... और तुम कितने आदमियों के साथ आए हो...

साया - सिर्फ तीन... हम तीन लोग आए हैं... और रुप फाउंडेशन केस हो या यह... राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी की केस... तुमने अपना क्या रोल प्ले किया है... हम सब तुम्हारे फैन हो गए हैं...

बल्लभ - ओ समझा... तो तुम अंधेरे में क्यों हो...

साया - क्यूँकी तुम अंधेरे के माहिर खिलाड़ी हो... राजा साहब तक को अंधेरे में रखा हुआ है...

बल्लभ - शॉट अप... मैंने राजा साहब से कोई धोखा नहीं किया है... उनका वफादार हूँ मैं...

साया - हाँ वफादार तो हो... पर कुछ बातेँ राजा साहब से छुपा कर... अपनी मतलब कि खिचड़ी पका लेते हो...

बल्लभ - देखो... अगर तुम विश्व हो... तो मैं तुम्हें बता दूँ... तुम गलत दरवाजे पर दस्तक दे रहे हो...

साया - चलो... एक बात क्लियर कर दूँ... मैं विश्वा नहीं हूँ... दूसरी बात... मैंने तुम्हारे सारे राज पता कर लिया हूँ... बल्कि अपने कब्जे में कर लिया हूँ...

बल्लभ - किस राज की बात कर रहे हो तुम...

साया - (हँसने लगता है) हा हा हा हा... सिर्फ बाथ रोब में हो... एक झटका काफी होगा... नंगे हो जाओगे... या यूँ कहूँ.. नंगे हो चुके हो...

बल्लभ - क्या... क्या मतलब है तुम्हारा...

साया - राजा के किसी खतरे को गायब करना हो या... हटाना हो... यह काम तुम और मरहुम रोणा बखूबी अंजाम देते रहे... रोणा तुम्हारा जिगरी यार था... पर कुछ राज की बातेँ तुमने रोणा को भी नहीं बताई...

बल्लभ - कौन से राज की बात कर रहे हो...

साया - तुम वकील हो... राजा के हर ईलीगल को लीगल कर कर के... अपने ईलीगल को भी छुपा गए... रुप फाउंडेशन केस में जयंत सर ने पाँच गवाह बनाया था... पर राजा साहब के कहने पर... तुमने एक को गायब कर दिया... याद है...

बल्लभ - (चुप रहता है)

साया - नाम मैं बताऊँ... या तुम बताओगे...

बल्लभ - ऐ के सुबुद्धी... तहसील ऑफिस का क्लर्क...

साया - शाबाश... और जब विश्व ने पीआईएल फाइल की... तब तुमने अपने एक और दोस्त को... अंडरग्राउंड करवा दिया...

बल्लभ - श्रीधर परीड़ा...

साया - शाबाश... और कमाल की बात यह है कि.. राजा को नहीं मालूम... यह सब तुमने किया... राजा को मालूम है कि... तुमने सुबुद्धी को मरवा दिया... और श्रीधर परीड़ा खुद को गायब कर दिया... जब कि... मास्टर माइंड तुम थे...

बल्लभ - ओ... अब समझा... यह दोनों अब तुम्हारे कब्जे में हैं... इस इंफॉर्मेशन के बदले... मुझसे क्या चाहते हो...

साया - मैंने कहा ना... हम सब तुम्हारे कमीने पन के कायल हो गए हैं... तुम अब हमारे लिए सुपर स्टार का दर्जा रखते हो... हम बस तुम्हारा ऑटोग्राफ लेना चाहते हैं...

बल्लभ - ऐसी कमीनेपन की बातेँ बहुत कर ली... सच सच बताओ.. क्या चाहते हो...



किचन से और एक आवाज गूंजती है - ज्यादा कुछ नहीं... पहले चाय पीते हैं... फिर... तुम जो चाहोगे वही करते हैं... क्यूँकी तुम हमारे सुपर स्टार हो... इसलिए हमारी टीम वही करेगी जो तुम कहोगे.. जैसा तुम चाहोगे...



बल्लभ किचन की ओर मुड़ता है वहाँ पर अंधेरे में एक शख्स ट्रे पर चाय की केतली और कुछ कप के साथ खड़ा था l
Bahut hi badhiya update diya hai Kala Nag bhai....
Nice and beautiful update....
 

Ajju Landwalia

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स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट यशपुर

कोर्ट रुम में विश्व, पत्री बाबु, सुधांशु मिश्रा और इंस्पेक्टर दास के साथ कुछ गाँव वाले बैठे हुए हैं l कोर्ट रुम के बाहर सुप्रिया और कुछ दूसरे चैनल वाले कोर्ट रुम मैं घुसने की कोशिश कर रहे थे जिन्हें पुलिस सख्ती से रोक दिया था इसलिए सारे न्यूज चैनल वाले बाहर हल्ला कर रहे थे l थोड़ी देर बाद तीनों जजों के गाडियाँ एक के बाद एक परिसर में आते हैं l उनके आते ही पुलिस वाले उन्हें मीडिया वालों से बचाते हुए कोर्ट के अंदर पहुँचा देते हैं l आज मीडिया वालों के साथ राजगड़ और यशपुर के लोग भी भीड़ बना कर खड़े थे l हाँ यह बात और है कि वे लोग अंदर आने के लिए जरा भी प्रयास नहीं कर रहे थे l कोर्ट रुम के भीतर हॉकर सबको ज़जों के आने की सूचना देता है l सभी सम्मान में खड़े हो जाते हैं l



तीनों जज, अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते हैं l मुख्य ज़ज औपचारिक परंपरा निभाते हुए गैवल को टेबल पर मारते हुए 'ऑर्डर' 'ऑर्डर' कहता है l



ज़ज - आज की कारवाई शुरु की जाए... वादी पक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (विश्व एक काग़ज़ निकाल कर राइटर के हाथ में देता है) प्रतिवादी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (कोर्ट रुम में सन्नाटा था, क्यूँकी ना तो कोर्ट में भैरव सिंह था ना ही उसके तरफ़ से कोई और) (ज़ज अपनी नजरें घुमा कर चारों तरफ़ देखता है, उसे भैरव सिंह की अनुपस्थिति का एहसास होता है, तो ज़ज इंस्पेक्टर दास से पूछता है) इंस्पेक्टर दास... आप अपनी केस पर जो छानबीन की है... उस पर रौशनी डालें...



इंस्पेक्टर दास अपनी जगह से उठता है और एक फाइल को राइटर के हाथ में देता है l राइटर जज को फाइल सौंप देता है l जज फाइल हाथ में लेकर कुछ पन्ने पलटता है और फिर



जज - इंस्पेक्टर दास... इस केस के बाबत अदालत को... क्या आप मौखिक रूप से संपूर्ण विवरण देंगे...

दास - जी माय लॉर्ड...



इंस्पेक्टर दास कटघरे में जाता है और अपनी टोपी निकाल कर काख में दबा कर खड़ा हो जाता है l फिर दास कहना शुरू करता है l



दास - माय लॉर्ड... अदालत से हमें जैसे ही आदेश मिला... हमने तुरंत कमल कांत जी की खोज के लिए जो मुमकिन था... वह सब हमने किया... हाँ कुछ हद तक... हमें क्षेत्रपाल जी से मदत मिली... पर वह नाकाफी था... इसलिए इन सात दिनों में... जितना संभव हुआ... उतना हमनें खोजबीन की... उसके आधर पर रिपोर्ट बना कर... अदालत के सामने प्रस्तुत कर दिया...

जज - ठीक है... अब अपनी रिपोर्ट को विस्तृत रूप में... अदालत को अवगत कराएं...



दास गवाह वाली कटघरे में आता है l गावही के पूर्व अपनी सारी औपचारिकताओं को पूर्ण करता है फिर जजों को देखते हुए कहना शुरु करता है



दास - माय लॉर्ड... तारीख xxxx को हमें एसपी ऑफिस से एक ऑर्डर फैक्स के थ्रु मिला... आप फाइल की पहली ऐनेक्स्चर में देख सकते हैं... जिसमें कहा गया था... राजा साहब के घर में... विवाह उत्सव होने वाला है... उनके होने वाले दामाद को सुरक्षा मुहैया करते हुए... बाराती की तरह महल तक पहुँचाया जाए... माय लॉर्ड... मैं और मेरी पुरी टीम... इसको बखूबी अंजाम दिया... उसके बाद वर... उर्फ कमल कांत जी को... परंपरा निभाते हुए... राजा साहब के अपनों के द्वारा... विवाह बेदी तक ले जाया गया... बेदी पर रस्म खत्म होने पर... वर को... उनके लिए... उपलब्ध करायी गई प्रकोष्ठ को... राजा साहब के निजी सुरक्षा कर्मचारियों के द्वारा ले जाया गया... हम केवल वहाँ मूक दर्शक थे... कुछ देर बाद... सत्तू नाम का महल का नौकर राजा साहब के कान में कुछ कहा... उसके बाद राजा साहब और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी अंदर गए... तत्पश्चात कुछ समय बाद... मेरे फोन पर... अमिताभ रॉय जो कि राजा साहब के निजी सुरक्षा अधिकारी हैं और वर्तमान ESS के निर्देशक भी हैं... उनका फोन आया... फिर मैं अकेला... केके जी के प्रकोष्ठ में गया... और वहाँ पर मुआयना करने के बाद... उस समय मुझे लगा... शायद साहब केके भाग गए हैं... पर राजा साहब... उनके अपहरण होने की संभावना व्यक्त करते हुए... केस दर्ज करने के लिए कहा... पर चूंकि चौबीस घंटे नहीं हुए थे... इस लिए उन्हें मैंने सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा था... आगे जो भी हुआ... वह अदालत के संज्ञान में है...

जज - आपने केवल एक ऐनेक्स्चर रिपोर्ट में प्रस्तुत की है... बाकी जो रिपोर्ट बनाया है... उसका आधार क्या है...

दास - (एक पेन ड्राइव निकाल कर राइटर के हाथ में देता है, जिसे राइटर जज को दे देता है) माय लॉर्ड यह वह वीडियो है... जिसे राजकुमारी जी की एक दोस्त ने शूटिंग की थी... इससे आप मेरी कही बातों को पुष्टि कर सकते हैं... इस वीडियो में... वर के पहुँचने से लेकर... मुझ तक खबर आने की सारी बातें रिकार्डिंग हुई है...

जज - ठीक है... पर महल के भीतर की तहकीकात के बारे में... आपने ज्यादा कुछ नहीं लिखा है... और सबसे अहम बात... कमल कांत... अभी भी लापता हैं...

दास - जी माय लॉर्ड... पर सच्चाई यह भी है... महल के जिस हिस्से तक.. मैं अपनी तहकीकात को ले जा पाया... वहाँ तक... आज तक कोई भी... सरकारी या गैर सरकारी अधिकारी नहीं पहुँच पाया है... उससे आगे जाकर तहकीकात करने के लिए... हमें कोई... सर्च वारंट नहीं मिला है... अब चूँकि... महल में कोई सरकारी सुरक्षा नहीं थी... राजा साहब की निजी सुरक्षा प्रबंधन थी... हम अभी उन्हीं लोगों को... रंग महल में... नजर बंद कर पूछताछ कर रहे हैं... पर अभी तक कोई भी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाए हैं...

जज - तो... केस में फिर कैसे आगे बढ़ा जाए...

विश्व - एस्क्युज मी माय लॉर्ड... क्या मैं कुछ कहूँ...

जज - हाँ जरूर... कहिये...

विश्व - माय लॉर्ड... यह एक स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट है... और इस कोर्ट का गठन किसी और केस के लिए की गई थी... इस कोर्ट की मकसद कुछ और थी... एक गैर जरूरत केस में... सात दिन बर्बाद हो चुके हैं... और सात दिन पुरे होने के बावजूद... राजा भैरव सिंह... आज कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं...

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... आप यह मत कहिये... हम यहाँ क्यूँ हैं... किस लिए हैं.... इस कोर्ट को मकसद ना समझाये... एक बात याद रखें... लॉ बुक हमेशा यह कहती है... जस्टिस हरिड... मतलब जस्टिस बरीड...

विश्व - लॉ बुक यह भी कहती है... जस्टिस डिले... मतलब जस्टिस डिनाय...

जज - (चीख उठता है) होल्ड योर टोंग...(कोर्ट में सन्नाटा पसर जाता है) आप अपनी सीमा से बाहर जा रहे हैं...

विश्व - नहीं माय लॉर्ड... (एकदम शांत लहजे में) मैं ऐसी गुस्ताखी नहीं कर सकता... जिस केस के लिए... जो दिन तय किए गए थे... उसमें से सात दिन बीत चुके हैं... केके साहब के गायब होने को... इस केस से क्यूँ जोड़ा जा रहा है... और राजा साहब... मुल्जिम हैं... प्रतिवादी हैं... जिन्हें अपनी तहकीकात में... एक्जिक्युटीव मैजिस्ट्रेट माननीय श्री नरोत्तम पत्री जी के द्वारा... आरोपित स्थापित किया जा चुका है...

जज - मिस्टर... विश्व प्रताप... आप अदालत की तौहीन कर रहे हैं....

विश्व - नहीं योर ऑनर...

जज - (गैवेल को टेबल पर मारते हुए) ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर... यह अदालत आपको अंतिम चेतावनी देती है... अगर आप कारवाई पर प्रश्न चिन्ह लगाएंगे... तो आपको इस केस से हटा दिया जाएगा...

विश्व - आई एम एक्सट्रीमली सॉरी माय लॉर्ड... मुझे माफ कर दीजिए...

जज - यह अदालत एक घंटे के लिए मुल्तवी किया जाता है...





तीनों जज अपनी जगह से उठते हैं और कमरे से बाहर निकल जाते हैं l अपनी जबड़े भिंच कर विश्व वहीँ खड़ा रह जाता है l पीछे से पत्री बाबु आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हैं l विश्व मुड़ कर देखता है l



पत्री - चलो बाहर चलते हैं...

दास - हाँ... थोड़ी चाय बाय पीते हैं... बहुत गर्म हो गए हो... थोड़ा ठंडा हो लो...



विश्व, पत्री, दास और सुधांशु मिश्र चारों बाहर आते हैं l बाहर विश्व के चारों दोस्त चाय की दुकान पर खड़े थे l उनसे भी कुछ दूर गाँव के बहुत सारे लोग विश्व की ओर टकटकी लगा कर देखे जा रहे थे l दुकान पर पहुँच कर विश्व एक बहुत गहरी साँस लेता है और बेंच पर बैठ जाता है l दास इशारा करता है तो सीलु एक चाय की ग्लास लेकर विश्व के हाथ में देता है l तभी उनके पास सुप्रिया चल कर आती है l



पत्री - मुझे लगा नहीं था... तुम इस कदर भड़क जाओगे... रिएक्ट करोगे...

दास - तुमने जज का मुड़ ऑफ कर दिया...

विश्व - आई एम सॉरी... पर मैं शर्मिंदा नहीं हूँ...

पत्री - हाँ... जानता हूँ...

विश्व - इस केस को यहाँ लाया गया... उसके लिए... तीस दिन मुकर्रर किया गया... अब... आज आठवाँ दिन हैं...

दास - हाँ... यह बात तो है...

पत्री - मैं समझ रहा हूँ...

सुप्रिया - तुम्हें पहली बार इतनी फ्रस्ट्रेशन में देख रही हूँ...

विश्व - आप कुछ समझी...

सुप्रिया - अब तक जितना सुना... समझा... केस फाइल का पहला पन्ना तक शायद नहीं पलटा गया है....

विश्व - हाँ... राजा केस को यहाँ लेकर आया... उसके लिए... तीस दिन की सुनवाई मुकर्रर किया गया... पहली ही दिन... सात दिन को सम्वेदना के रूप में बर्बाद कर दिया... और आज अभी तक नहीं आया है...

दास - इसी बात के फ्रस्ट्रेशन में... आज विश्व बाबु अदालत में... अपना टेंपरामेंट लूज कर बैठे... जज साहब ने फ़िलहाल के लिए वॉर्न किया है...

टीलु - पर इसमे विश्वा भाई का दोष कहाँ है... जो मुज़रिम है... उसकी सहूलियत देखी जा रही है... सिर्फ एक आदमी की... जब कि इस केस में हज़ारों लोग जुड़े हैं... वह देखो... (लोगों की ओर इशारा करते हुए) क्या यह लोग... इनके हालत... वक़्त... कुछ भी मायने नहीं रखते... लोग ही नहीं... सिस्टम... सिस्टम से जुड़े लोग... सिस्टम का वक़्त और पैसा... सब बर्बाद हो ही रहा है...

पत्री - ना.... आज दिन खत्म हुआ है... ना केस... घंटे भर के लिए... ब्रेक लिया गया है... राजा आ गया तो ठीक... वर्ना... अदालत... राजा के खिलाफ शो कॉज नोटिस इश्यू करेगा... इसलिए... हैव पेशेंस...

सुप्रिया - हाँ सिस्टम की इसी चाल के वज़ह से... న जानें कितने केसेस अदालत के फाइलों में साड़ती रहती है... इंसाफ़ के लिए आँखे तरस जाती हैं... वेल... क्या इस बात को... अभी के अभी न्यूज ब्रीफिंग में टेलीकास्ट कर दूँ...

विश्व - नहीं... अभी नहीं... थोड़ी देर में... सुनवाई फिर से शुरू हो जाएगी... आज का दिन खत्म हो जाने दो...



विश्व उठता है, उसके साथ सुधांशु, दास और पत्री अदालत के कमरे में जाते हैं l कुछ मिंटो बाद तीनों जज अपनी अपनी आस्थान में बैठ कर औपचारिकता निभाते हैं l



जज - इंस्पेक्टर दास...

दास - तो आपकी फाइनल रिपोर्ट क्या है...

दास - माय लॉर्ड... केके कोई आम आदमी नहीं हैं... कंस्ट्रक्शन किंग के नाम से जाना जाता है... और यह सच है... उनकी शादी राजकुमारी जी से तय हुई थी... मतलब यह केस एक हाई प्रोफाइल केस हो गया है... और जिस दिन यह कांड हुआ... हमें और गाँव वालों को लगा कि वह शादी का दिन था... पर राजा साहब ने अदालत में उसे मंगनी कहा है... खैर... सच यह है कि... केके साहब... गायब हुए हैं... वह भी महल के भीतर से... उनको दी गई... उन्हीं की कमरे से... मौका ए वारदात को मध्य नजर रखते हुए... हमें यह लगा कि वह महल से भाग गए हैं... पर अभी भी वह लापता हैं... हमने पूछताछ कर ली... पर अभी तक किसी के भी नजर में आए नहीं हैं... ना राजगड़ अथवा यशपुर में... ना ही कटक या भुवनेश्वर में...

जज - तो आप इस केस को किस तरह से कंक्लुड करना चाहते हैं...

दास - केके साहब का ना मिलना... मेरा मतलब है... किसी को नज़र ना आना... हो सकता है... महल के भीतर ही कुछ हो गया हो... महल के भीतर तहकीकात करना... हमारी वश की बात नहीं है...

जज - क्यूँ...

दास - महल की चौखट लाँघ कर... नहीं जज साहब... यह एक हाई प्रोफाइल केस है... हमारी औकात के बाहर की... बेशक अभी तक राजा साहब ने... तहकीकात में साथ दिया है... पर इससे आगे... या तो सीआईडी जा सकती है... या फिर... कोई स्पेशल टास्क फोर्स.... हम सरेंडर करते हैं...



कुछ देर के लिए अदालत में सन्नाटा छा जाता है l जज हैरानी भरे नजरों से दास को देखे जा रहा था, के तभी कमरे में बल्लभ का प्रवेश होता है l वह एकदम से बदहवास दिख रहा था l



बल्लभ - मे आई बी एक्सक्युज्ड माय लॉर्ड... क्या मैं अंदर आ सकता हूँ...

जज - आइए... प्रधान बाबु... (बल्लभ अंदर आता है)

बल्लभ - माय लॉर्ड... राजा साहब... आने ही वाले थे... पर... (रूक जाता है)

जज - आप अपनी बात पूरी कीजिए...

बल्लभ - राजा साहब के पिता... बड़े राजा.. नागेंद्र सिंह जी का देहांत हो गया है... यह रहा मेडिकल रिपोर्ट और डेथ सर्टिफिकेट...



नागेंद्र की मौत की खबर सुन कर विश्व और दूसरे लोग अपनी अपनी कुर्सी से उछल पड़ते हैं l बल्लभ फाइल से डेथ सर्टिफिकेट निकाल कर राइटर के हाथ में देता है l राइटर उसे लेकर जज के हाथ में दे देता है l जज उस सर्टिफिकेट को देखते हुए पहले विश्व को देखता है जैसे वह विश्व को अनुताप कराना चाहता हो फिर बल्लभ की ओर देखता है l



जज - यह बहुत ही दुख की बात है...

बल्लभ - जी माय लॉर्ड... इसलिए राजा साहब ने... अदालत को एक अनुरोध पत्र दिया है... के उन्हें उनके पिता जी के मरणोपरांत मुखाग्नि सहित श्राद्ध के अनुष्ठान करने तक पंद्रह दिनों की मोहलत दी जाए... उसके बाद वह बिना किसी शर्त के... अदालत को... सुनवाई और कारवाई मैं पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे... (फाइल से एक और काग़ज़ निकाल कर राइटर को देता है जिसे राइटर जज को दे देता है)

जज - ह्म्म्म्म... वादी पक्ष के वकील... अब तो आप समझ गए होंगे... राजा साहब अभी तक अदालत में क्यूँ नहीं पहुँचे...

विश्व - जी... माय लॉर्ड...

जज - अदालत... राजा साहब के दिए इस अनुरोध पत्र पर... आपकी राय जाननी चाहती है...

विश्व - (अपनी जबड़े भिंच कर चेहरा नीचे कर लेता है)

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... अदालत आपसे... आपकी राय जानना चाहती है...

विश्व - (अपना सिर ऊपर उठाता है, एक सरसरी निगाह बल्लभ पर डालता है और फिर जज की ओर देखते हुए) राजा जी की पत्र पर... न्यायलय जो भी न्याय संगत निर्णय ले... वादी पक्ष के वकील होने के नाते... मुझे वह स्वीकार्य होगा...

जज - ठीक है... यह अदालत.. राजा साहब की... अनुरोध पत्र को स्वीकार करती है... आज से ठीक पंद्रह दिनों बाद... राजगड़ मल्टिपर्पोज कोऑपरेटिव सोसाईटी केस पर सुनवाई... सोनपुर में शुरु करेगी... तब तक के लिए... यह अदालत स्थगित किया जाता है... नाउ दी कोर्ड इज़ एडजॉर्नड...



विश्व मुट्ठीयाँ भिंच कर कुर्सी पर बैठ जाता है l तीनों जज और बल्लभ कमरे से निकल चुके थे l बहुत भारी कदमों और झुके कंधों के साथ विश्व बाहर आता है l उसके पीछे दास, पत्री और सुधांशु आते हैं l उसी चाय की दुकान पर बैठ जाते हैं l विश्व को देख कर सुप्रिया और उसके दोस्त विश्व के पास आते हैं l



सुप्रिया - विश्वा... क्या हुआ... यह वकील प्रधान... आँधी की तरह आया... और तूफान की तरह चला गया...

दास - हमें इंतजार था... भैरव सिंह के आने का... पर प्रधान आया... बड़े राजा की मरने की खबर लेकर..

सुप्रिया - ह्वाट... यु मीन... नागेंद्र सिंह...

पत्री - हाँ... और अदालत ने... भैरव सिंह को पंद्रह दिन की मोहलत और दे दी है...

सुधांशु - आज का आठवाँ दिन और पंद्रह दिन... हो गए तेईस दिन... चौबीसवें दिन अदालत खोलेगी... उसके बाद... (एक पॉज) क्या किस्मत पाया है यह राजा भैरव सिंह ने... वह दिन और वक़्त बर्बाद किए जा रहा है... किस्मत और अदालत... उसका साथ दिए जा रहे हैं...

विश्व - (सिर उठा कर देखता है) गाँव वाले कोई भी नहीं दिख रहा था) यह गाँव वाले... कहाँ गए...

सीलु - उन्हें इंतजार था... इंसाफ़ का.. पर खबर बाहर लेकर आया... वकील प्रधान... सब के सब... गाँव वापस लौट गए... शायद... बड़े राजा को कंधा देने... रूदाली बन कर रोने धोने...

दास - विश्वा... तुम तो राजकुमारी के कॉन्टैक्ट में रहते हो ना... नागेंद्र सिंह की मौत की खबर तुम्हें क्यूँ नहीं मिली... आई मीन...



विश्व अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल चार्ट देखता है l उसे आज सुबह भी कॉल नहीं आया था, जिसे विश्व ने नजर अंदाज कर दिया था l विश्व कॉल रजिस्टर से नकचढ़ी नाम ढूंढ कर कर कॉल डायल करता है, और सबको चुप रहने का इशारा करता है l कॉल रिंग हो रही थी l चार या पाँच रिंग के बाद कॉल पीक होता है, हैलो कहने जा रहा था पर कुछ सोच का विश्व खामोश रहता है l उधर से भी, विश्व को कोई जवाब नहीं आ रहा था l तकरीबन दो मिनट तक विश्व मोबाइल को कान से लगाए बैठा था ना वह कुछ कह रहा था ना ही उसे फोन से कोई जवाब मिल रहा था l विश्व कॉल काट देता है और फोन अपनी जेब में रख लेता है l



दास - क्या हुआ... तुमने कॉल किया... पर ना कोई सवाल ना कोई जवाब...

विश्व - फोन... भैरव सिंह ने उठाया था...

सब - क्या...

टीलु - भाभी सही सलामत तो हैं ना...

विश्व - हाँ.. होंगी...

दास - तुम्हें कैसे पता... आई मीन... तुमने कॉल किया... तुम्हारा... नाम या नंबर डिस्प्ले तो हुआ होगा...

विश्व - नहीं... मेरी मोबाइल... एंक्रिप्टेड है.. डिस्प्ले में सिर्फ ऑननॉन लिखा आयेगा...

सीलु - पर भाभी की मोबाइल... राजा साहब के पास आई कैसे...

सुप्रिया - क्या... राजा भैरव सिंह को... फोन पर तुम्हारा अंदाजा हो गया होगा...

विश्व - मालूम नहीं... पर अब मुझे राजगड़ जाना होगा...



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दास अपने दो कांस्टेबलों के साथ पुलिस की जीप लेकर क्षेत्रपाल महल के परिसर में आता है l देखता है महल की पहरेदारी पहले जैसी हो गई थी l उसके लगाए दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे थे l चप्पे-चप्पे पर ESS के गार्ड्स और पहलवान खड़े थे l बाहर बरामदे पर एक कुर्सी पर भैरव सिंह बैठा हुआ था l उसके बाल बिखरे हुए थे l चेहरा मुर्झाया हुआ था l दास जीप से उतर कर सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के सामने खड़ा होता है l भैरव सिंह अपनी रुबाब से भरी नजर से दास की ओर देखता है l



दास - आई एम सॉरी राजा साहब... बड़े राजा जी के बारे में... मुझे अदालत में मालूम हुआ...

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...

दास - यह... आई मीन... बड़े राजा जी का देहांत कब हुआ...

भैरव सिंह - (चेहरे पर कोई भाव नहीं था) तुम जान कर क्या करोगे... जान फूंकने आए हो क्या...

दास - नहीं बस...

भैरव सिंह - डॉक्टर... डेथ सर्टिफिकेट दे चुका है... वैसे तुम्हें किस बात की चूल मची है...

दास - मैं यहाँ आपसे... दुख जताने आया था...

भैरव सिंह - जता दिए...

दास - जी..

भैरव सिंह - दफा हो जाओ...

दास - जी चला जाता हूँ... पर मैं आपसे यह पूछने आया था... के... मेरे दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे हैं... और आपने हमसे क्लियरेंस लिए वगैर... अपनी सिक्योरिटी रिइंस्टीट भी कर लिया...

भैरव सिंह - (सीरियस व रौब भरी आवाज में) इंस्पेक्टर... आज तलक... किसी माई के लाल ने... जो हिम्मत नहीं की... वह तु कर गया... हमने तुझे जितनी इज़्ज़त देनी थी दे दी... अब तु किसी लायक नहीं रह गया है... के तुझे हम इज़्ज़त और इजाजत बख्शें... तूने ही... केके की केस में... अदालत में सरेंडर हो गया ना... तेरी सरेंडर होने के बाद ही... मेरी सेक्योरिटी पर तेरी कानूनी कब्जा भी सरेंडर हो गई.... आज महल में मातम है... इसलिए यहाँ तक तु आ गया... कल से यह हिमाकत गलती से भी मत करना... (हाथ से इशारा करते हुए गेट की ओर दिखता है) अगली बार... उस गेट के बाहर से ही बात करना... वर्ना...



भैरव सिंह चुप हो जाता है l तब तक दास और उसके दो कांस्टेबलों को भीमा और उसके गुर्गे घेर लेते हैं l दास अपनी हॉलस्टर से रीवॉल्वर निकाल लेता है l सारे पहलवान वहीँ रुक तो जाते हैं पर कोई पीछे नहीं हटता l सबके चेहरे पर गुस्सा और नफरत झलक रही थी l दास और उसके दो कांस्टेबल घेरे में थे l कुछ और पहलवान दास की खड़ी की हुई जीप के पास आते हैं और धक्का लगा कर गाड़ी को बाहर निकाल देते हैं फिर ताकत लगा कर जीप को गेट के बाहर पलटा देते हैं l सारे पहलवाल यह सब जिस तरह से आवाज निकाल कर चिल्लाते हुए गाड़ी पलट रहे थे माहौल को डरावना कर रहा था l दास इससे पहले कभी डरा नहीं था l पर आज जिस तरह से सारे पहलवान आवाज निकाल कर जीप को गेट के बाहर ले गए और पलट दिए, दास और उसके साथ आए कांस्टेबल दोनों भी डर गए l वे दोनों, दोनों तरफ़ से दास के बाजुओं को पकड़ लेते हैं l गाड़ी के पलटने के बाद पहलवान जो उन्हें घेर कर खड़े हुए थे, वे सारे किनारे हो जाते हैं और दास और कांस्टेबलों को बाहर जाने का रास्ता देते हैं l दास दो सीढ़ियां उतरा ही था के भैरव सिंह उसे कहता है



भैरव सिंह - दास... (दास मुड़ कर वापस देखता है) हमने थोड़ी ढील क्या दी... तो सबने हमारे बाप बनने की होड़ में शामिल हो गए... तुम भी... अपनी औकात भूल कर... हमारे बाप बनने की कोशिश की... पर यह मत भूलना... बाप हमेशा बाप ही होता है... यह सब आज जो तेरे साथ हुआ... समझ तो तु जरूर गया होगा... आज... (बेहद कड़क आवाज में) अगर महल में मातम ना होता... तो... खैर... अब तु... और तेरे साथ आए यह दो लंगूर इन्हें उठा कर ले जाओ.... (दास जो दो कांस्टेबल को महल के पहरेदारी पर छोड़ गया था, उन्हें मरियल हालत में पहलवान उठाकर सीढियों के नीचे फेंक देते हैं) तु इन्हें भूल कैसे गया... जा आज अपने पैरों पर जा रहे हो... इस बात का शुक्र मनाओ के आज तुम लोग... वर्दी में जा रहे हो... जाओ... इन दो हराम खोरों को उठा कर लेके जाओ.... (दास उनकी हालत देख कर हैरान हो जाता है, वह लोग जिंदा तो थे पर बेहद बुरी तरह से मार खाए हुए थे l दर्द से कराह रहे थे l दास अपने साथ आए कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए इशारा करता है) दास... यह ऐलान है... तुम्हारी दुनिया... तुम्हारे सिस्टम के खिलाफ... जाओ... जिसको जो कहना है... जाकर कहो... जो उखाड़ना है उखाड़ लो...



दास अपने दो कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए कहता है l दोनों कांस्टेबल अपने साथियों को कंधे पर उठा लेते हैं और चलते हुए गेट से बाहर जाते हैं l तीनों पैदल चलते हुए अपने साथियों को कंधे पर उठा कर चले जा रहे थे l गाँव के लोग उन्हें हैरानी भरे निगाह में देख रहे थे l पहली बार दास को अपनी लाचारी महसुस हो रही थी l घुटन भरी बेबसी के साथ सिर झुकाए गाँव के बीचोबीच गुजर रहा था l आज उसका और कानून का भैरव सिंह ने लोगों के सामने तमाशा बना दिया था l





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वैदेही के दुकान में विक्रम मौजूद था, विश्व और उसके चारों दोस्त भी बैठे हुए थे l विश्व बहुत ही गहरी सोच में खोया हुआ था l फिर अचानक से अपनी सोच से बाहर आता है और वैदेही से पूछता है



विश्व - दीदी... तुम्हें कितने बजे मालूम हुआ... बड़े राजा के बारे में...

वैदेही - तुम लोग सुबह नास्ता कर के जल्दी निकल गए थे... उसके कुछ देर बाद विक्रम ने आकर मुझे खबर किया... (विश्व विक्रम की ओर देखता है)

विक्रम - मुझे सुबह सुबह... सेबती ने खबर दी...

विश्व - सुबह सुबह...

विक्रम - हाँ... मतलब आठ... साढ़े आठ बजे...

विश्व - (और भी टेंशन में आ जाता है) (उसे टेंशन में देख कर वैदेही उससे पूछती है)

वैदेही - क्या बात है तु इतनी टेंशन में क्यों है...

टीलु - भाई टेंशन में तो होंगे ही... राजा साहब ने जब भाभी का फोन छिन लिया था... तब सेबती के हाथों भाई ने एक दुसरा मोबाइल भाभी को दिया था... अब वह मोबाइल भी राजा साहब के कब्जे में है... और भाभी की खबर और सलामती के बारे में... भाई कुछ जान नहीं पा रहे हैं...

विक्रम - क्या... नंदिनी के पास मोबाइल था...

टीलु - हाँ... क्यूँ आपको नहीं पता...

विक्रम - नहीं... हाँ पता लगता भी कैसे... मैंने अपना सब कुछ... मोबाइल भी... राजा साहब के पास छोड़ आया था... (थोड़ा रुक जाता है, फिर) पर तुम्हें कैसे पता चला... मोबाइल राजा साहब के पास है...

विश्व - हर सुबह मुझे जगाने के लिए राजकुमारी फोन करतीं थीं... पर आज नहीं किया... मैंने ध्यान भी नहीं दिया था... पर जब बड़े राजा जी के बारे में पता चला... तब राजकुमारी जी को मैंने फोन किया था... राजकुमारी जी के बजाय... फोन राजा साहब ने उठाया था...

वैदेही - क्या... मतलब... राजा को मालूम हो गया होगा... के नंदिनी से तुम रोज फोन पर बात कर रहे हो...

विश्व - नहीं... पता नहीं... पर शायद नहीं मालुम हुआ होगा...

विक्रम - यह तुम कैसे कह सकते हो...

विश्व - क्यूँकी मेरा मोबाइल... ऐंक्रीप्टेड है... और राजा ने जब फोन उठाया... मैंने फोन पर कोई बातचीत भी नहीं की...

वैदेही - ओ... मतलब तुमने फोन पर राजा साहब को सुन कर कोई बात नहीं की...

विश्व - नहीं... उस तरफ़ से.. राजा साहब ने भी कोई बात नहीं की...

गौरी - तो तुझे मालूम कैसे हुआ... दुसरी तरफ राजा साहब ही थे...



गौरी की इस सवाल पर सब विश्व की ओर देखने लगते हैं l विश्व सबकी और देखता है और अपनी जबड़े भिंच कर कहता है



विश्व - रिश्ता ही कुछ ऐसा है... मैं अपनी दोस्तों और दुश्मनों की... खामोशी तक पहचान सकता हूँ... सुन सकता हूँ...

वैदेही - ओ... तो अब तुम्हें इस बात का चिंता है... कहीं नंदिनी...

विश्व - नहीं... राजकुमारी जी की राज... भैरव सिंह को... शायद पता नहीं चला होगा... मेरा दिल कह रहा है... नहीं पता चला होगा...

विक्रम - तुम्हारा दिल तुमसे झूठ नहीं कह रहा होगा... और अगर तुम इतना श्योर हो... तो फिर तुम चिंता क्यूँ कर रहे हो....

विश्व - मैं श्योर नहीं हूँ.. बस अंदाजा लगा रहा हूँ... क्यूँकी... महल में... बड़े राजा जी का देहांत हो गया है... इस बात की जानकारी... मुझे राजकुमारी जी ने नहीं दी... पर जब इस बात की पुष्टि करना चाहा तो.... मोबाइल राजा भैरव सिंह ने उठाया था...

विक्रम - ह्म्म्म्म... ठीक है... तुम्हारी चिंता जायज है... पर महल की अंदर की खबर देने के लिए... अभी सेबती तो मौजूद है ना... और वह महल में... नंदिनी की साये की तरह रहती है... अगर कुछ गड़बड़ हुई होती तो सेबती... मुझे ज़रूर बताती...

वैदेही - हाँ... तुम बे-फिजूल चिंता कर रहे हो...

विश्व - शायद तुम ठीक कह रही हो... मैं शायद... राजकुमारी जी को लेकर बहुत हाइपर हो रहा हूँ...

टीलु - हाँ क्यूँ ना हो... आखिर नई नई शादी जो हुई है... (सब उसे खा जाने वाली नजरों से घूरते हैं) नहीं... मैं.. वह... माहौल को... थोड़ा हल्का करने की कोशिश कर रहा था... हे हे...

विश्व - (विक्रम से) तुम्हें अगर सुबह ही खबर मिल गई थी... तो तुम यहाँ क्या कर रहे हो... तुम्हें तो इस वक़्त महल में होना चाहिए... (अब सबकी नजरें विक्रम की ओर मुड़ जाती है)

विक्रम - हाँ बात तो तुम सही कह रहे हो... पर... मैंने और मेरे साथ चाचाजी ने... मतलब हमने राजा साहब और महल से रिश्ता तोड़ दिया था... लगता है... राजा साहब ने भी हमसे सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं...

विश्व - मैं कुछ समझा नहीं...

विक्रम - देखो... सुबह जब सेबती काम पर गई थी... तब उसे ख़बर लगी... के बड़े राजा नहीं रहे... तो उसने अपना फर्ज निभाते हुए मुझे आकर खबर की... मैं जाने के लिए तैयार था भी... इसलिए जब घर से निकल कर जाने लगा... तो पाया... भूरा, शुकुरा और उनके कुछ आदमी घर घर घूम कर... गाँव में लोगों को बड़े राजा जी के बारे में जानकारी दे रहे थे... चूँकि गाँव में ज्यादातर मर्द केस के सिलसिले में यशपुर में थे.... तो यह हिदायत देते हुए कहा कि... दोपहर के बाद सबको महल पहुँचना है... पर... हमारे पास.... कोई नहीं आया...

विश्व - तो इस बात को तुमने दिल से ले लिया...

विक्रम - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) नहीं बात ऐसी नहीं है... मैं जाऊँगा जरूर... पर गाँव वालों के बीच में... एक हो कर... उस महल में से एक हो कर नहीं...

सीलु - ऐसा क्यों...

विक्रम - मैं खुद को... राजकुमार नहीं... इन्हीं गाँव वालों में से एक बनना चाहता हूँ...

क्यूँकी राजकुमार कभी इन गाँव वालों था ही नहीं... पर विक्रम जरूर इन गाँव वालों में से एक है... मैं उस महल में जाऊँगा तो राजगड़ वालों के भीड़ में से एक दिखना चाहूँगा... ना कि महल में से कोई... इसलिए मैं यहाँ आ गया... क्यूँकी... सारे गाँव वाले इसी रास्ते से महल जायेंगे... तो उनकी भीड़ में शामिल हो कर जाऊँगा... पर बात कुछ समझ में नहीं आ रहा... अभी तक तो गाँव वालों को... महल की ओर चले जाना चाहिए...



विक्रम के जवाब के बाद सभी चुप हो जाते हैं, क्यूँकी बात विक्रम ने सही कहा था l गाँव वालों को वैदेही के दुकान के सामने से गुजर कर महल की ओर जाना चाहिए l पर अब तक कोई भी गाँव वाला वहाँ से गुजरा नहीं था, तभी सत्तू आ पहुँचता है l उसे देख कर वैदेही सवाल करती है l



वैदेही - क्या बात है...

सत्तू - आज बहुत बड़ा कांड हो गया है दीदी...

वैदेही - क्या हो गया है...

सत्तू - आज थानेदार दास बाबु... महल गए थे...



महल में जो भी हुआ वह सारी बातेँ उन्हें बताता है l सब सुनने के बाद वहाँ पर मौजूद सभी को हैरत होती है l विश्व उससे पूछता है l



विश्व - तुम्हें यह सब कैसे पता चला...

सत्तू - कांस्टेबल जगन बाबु ने मुझे बताया... जब मैं गाँव में... बड़े राजा साहब की मौत की... लोगों की प्रतिक्रिया देखने गया था... लौटते वक़्त देखा... थानेदार बाबु पैदल आ रहे थे... और उनके दो कांस्टेबल... अपने दो साथियों के साथ उठा कर ला रहे थे... मैंने तुरंत एक ठेला का जुगाड़ किया और... उन्हें हस्पताल पहुँचा कर आ रहा हूँ...

विक्रम - ह्म्म्म्म... इस वक़्त राजा साहब... ऐसा क्यूँ कर रहे हैं...



विक्रम के सवाल पर सब चुप्पी साध लेते हैं l थोड़ी सोच विचार के बाद विश्व कहता है l



विश्व - लगता है... मैं कुछ कुछ... (पॉज) समझ रहा हूँ...

विक्रम - क्या समझ रहे हो...

विश्व - इंस्पेक्टर दास ने... राजा साहब की... पर्सनल सेक्यूरिटी हटा दी थी... और दो कांस्टेबलों को... महल के बाहर खड़ा कर दिया था... इस बीच उन्हें नंदिनी जी की मोबाइल मिली होगी... मोबाइल पर सबकुछ ढूंढने की कोशिश की होगी... पर उन्हें कुछ मिला नहीं होगा... क्यूँकी... इस मोबाइल में... राजकुमारी जी ने मेरा नाम सेव ही नहीं किया था... उन्हें मेरा नंबर याद है... और उस मोबाइल से वह किसी और को फोन करती भी नहीं हैं... तो जाहिर है.. कॉल रजिस्टर में... किसीका भी नाम नहीं मिला होगा... अब चूँकि सत्तू के सामने आ जाने से... राजा साहब को अभी अपने आदमियों पर शक हो रहा होगा... मतलब कोई ना कोई... महल में हमारा कोई आदमी था... जिसने उन्हें गच्चा देकर बाहर चला आया... यही सोच रहे होंगे... अगर उनकी अपनी सेक्यूरिटी होती तो उसे पकड़ लेते... इसी बात का खीज उन पुलिस वालों पर उतार दी...

विक्रम - पर इससे क्या उनकी पोजीशन खराब नहीं हो जाएगी...

विश्व - जब किस्मत और कानून उनकी मदत कर रहा हो.. उन्हें अब किसी बात की फिक्र नहीं है...

वैदेही - तो... अगली सुनवाई कब और कहाँ होगी... क्यूँकी हर दसवें दिन... केस की जगह बदलनी थी ना...

विश्व - हाँ पर जज साहब ने कोई ऑर्डर अभी निकाला नहीं है... अब मैं खुद पसोपेश में हूँ... केस में और बाइस या तेईस दिन जोड़े जाएंगे... और केस को शुरु से शुरु करेंगे... या फिर... ऐसे ही धीरे धीरे... तीस दिन ख़तम कर देंगे...

वैदेही - ऐसे कैसे हो सकता है...

विश्व - सब हो सकता है दीदी... सब हो सकता है... निजी कारणों के वज़ह से... अगर पहले के तीस दिन बेकार गया... फिर से हाइकोर्ट बेंच को रेफर किया जाएगा... वह बेंच फिर से वक़्त देने के लिए... विचार करेंगे... उसके बाद... इलेक्शन आ जाएगा... इलेक्शन के बाद... केस को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे... फिर वक़्त देंगे... इस बीच कुछ प्रमुख गवाह मार दिए जाएंगे... या कुछ गायब कर दिए जाएंगे... बिल्कुल रुप फाउंडेशन केस की तरह...



विश्व कहते कहते रुक जाता है, पाता है सब उसे गौर से सुन व देख रहे हैं l फिर विश्व कहना शुरू करता है l



विश्व - सब जानते हैं... केके ग़ायब हो गया है... या यूँ कहूँ... केके को गायब कर दिया गया है... यह असल में एक हींट था... इस केस से जुड़े हर एक शख्स के लिए... और इस सिस्टम के लिए.... और इसका असर मुझे दिखने लगा है...

वैदेही - क्या... क्या तु यह कहना चाहता है... की अदालत से हमें उम्मीद नहीं रखनी चाहिए...

विश्व - दीदी... यह एक युद्ध है... हर एक इस लड़ाई में... अपना पक्ष चुन चुके हैं... और हर एक को अपने अपने किरदार के साथ.. न्याय करना होगा...



विश्व फ़िर से चुप हो जाता है l उसकी बातों का यूँ असर हुआ था कि सारे लोग वहाँ पर चुप्पी साध लिए थे और गहरी सोच में खो गए थे l विक्रम की बात सबकी ध्यान खींचती है l



विक्रम - क्या बात है... सभी गाँव वालों को क्या हो गया है आज... इसी रास्ते से महल जाएंगे ना... फ़िर अब तक कोई गाँव वाला दिख क्यूँ नहीं रहा है...



तभी विश्व का फोन बजने लगती है l विश्व झट से अपना फोन उठा लेता है, डिस्प्ले पर डैनी भाई नाम दिख रहा था l विश्व तुरंत फोन उठाता है l



डैनी - कैसे हो हीरो...

विश्व - ठीक नहीं हूँ... आज की केस के बारे में... आपको पता लग गया होगा...

डैनी - हाँ लग तो गया है... पर तुम क्यूँ उदास हो रहे हो... तुम्हें तो एक दिन चाहिए राजा को क्रिमिनल साबित करने के लिए...

विश्व - हाँ पर केस की सुनवाई तो हो... जब इस केस की हालत ऐसी है... तो वह रुप फाउंडेशन की केस की सुनवाई कब और कैसे होगी...

डैनी - जरूर होगी.. तुम्हें इसीलिए तो फोन किया है...

विश्व - (आँखों में चमक आ जाती है) मतलब...

डैनी - हाँ हीरो... श्रीधर परीड़ा का पता चल गया है... और भी एक खुस खबर है..

विश्व - क्या... कैसी खबर...

डैनी - एक मिनट... मैं तुम्हारे एक दोस्त को कंफेरेंशींग में ले रहा हूँ... (विश्व का फोन कुछ सेकेंड के लिए होल्ड पर चला जाता है फिर उसे सुभाष सतपती की आवाज़ सुनाई देती है)

सुभाष - हैलो विश्व...

विश्व - सतपती जी आप...

सुभाष - हाँ.. मैं अपनी टीम के साथ... यशपुर आ रहा हूँ... और तुम्हारे लिए एक खुश खबरी ला रहा हूँ...

विश्व - कैसी खुश खबरी...

सुभाष - तुम्हारा शक बिलकुल सही था... रुप फाउंडेशन का एक गवाह... जिंदा गवाह मिल गया है...

विश्व - (उछल पड़ता है) ह्वाट...

डैनी - हाँ... सुभाष बाबु पहुँच रहे हैं... उनके पास पूरी डिटेल्स है... जो तुम्हारे साथ शेयर करेंगे... और फिक्र मत करो... तुम्हारे गवाह मेरे पास हिफाज़त में हैं... सुभाष बाबु के साथ बैठ कर... प्लान चॉक ऑउट करो... फिर उसके हिसाब से आगे बढ़ो...



×_____×_____×_____×_____×_____×_____×



शाम ढल रही थी l महल में भैरव सिंह और उसके आदमीओं के नजरें गेट की ओर देखते देखते थक चुकी थी l सूरज की तपिश कम हो चुकी थी पर भैरव सिंह के मन में गुस्से का तपिश बढ़ता ही जा रहा था l चेहरा सख्त हो गया था और जबड़े भिंच चुकी थी l लंबी लंबी साँसे ठहर ठहर कर ले रहा था l उसकी यह हालत देख कर उसके सारे आदमी डर रहे थे l कुछ दूरी पर खड़े बल्लभ, रॉय और रंगा एक दुसरे को देख रहे थे पर भैरव सिंह के पास जाने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा था l अब तक कुर्सी पर बैठा भैरव सिंह उठ खड़ा होता है l अपने दोनों हाथ पीछे बाँध गर्दन को दोनों तरफ़ झटका देता है l बल्लभ थोड़ा हिम्मत कर उसके पास जाता है l



बल्लभ - राजा साहब... लगता है... गाँव वाले नहीं आयेंगे...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर बिना देखे) हूँ... नहीं आयेंगे... जब गाँव वालों ने फैसला कर लिया है... तो यही सही...

बल्लभ - तो... अब हमें क्या करना चाहिए...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर देखते हुए) क्या करना चाहिए मतलब... बड़े राजा जी का देहांत हुआ है... उनका दाह संस्कार होगा...

बल्लभ - तो ठीक है... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... बड़े राजा जी का दाह संस्कार करना है... इसलिए... बड़े राजाजी के पार्थिव शरीर को उनके कमरे से लाने की व्यवस्था करो...



भीमा अपने कुछ साथियों को साथ लेकर महल के अंदर जाता है और कुछ देर के बाद नागेंद्र के शव को सब उठा कर ले आते हैं l भीमा और उसके साथी बाँस से अंतिम यात्रा की सवारी तैयार करते हैं l ठीक उसी वक़्त शुकुरा, भूरा और दो चार आदमी भैरव सिंह के सामने आकर सिर झुका कर घुटनों पर बैठ जाते हैं l भैरव सिंह उनकी ओर सवालिया दृष्टि से देखते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है, पर वे सब अपना सिर झुकाए वैसे ही घुटनों पर बैठे रहे l



भैरव सिंह - सिर झुकाए हुए हो... मतलब कोई ऐसी खबर लाए हो... जिसे हमारी कान सुनना मंजूर नहीं करेगा... (एक पल के लिए सब भैरव सिंह को देखते हैं फिर सब स्वीकृति के साथ दोबारा सिर झुका लेते हैं) बको जो भी बकना चाहते हो बको...

भूरा - हुकुम... (डरते डरते) श्मशान में कोई नहीं आया... यहाँ तक कोई पंडित भी नहीं आया... सबको खबर कर दी गयी थी... अब चिता के लिए लकड़ियां हमें ही इंतजाम करना होगा... (भूरा की इस बात से सबका मुहँ हैरत से खुल जाता है, पर भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव नहीं आता)

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... कोई बात नहीं... अब इस महल के मातम में... गाँव वाले शामिल नहीं होंगे...

रंगा - गुस्ताख़ी माफ राजा साहब... राजकुमार जी तो इसी गाँव में हैं...



भैरव सिंह रंगा की ओर देखता है, रंगा के शरीर में एक शीत लहर दौड़ जाती है l हालत कुछ ऐसी थी के कोई कुछ भी कहने से पहले सौ बार सोच रहा था l भैरव सिंह भूरा से सवाल करता है



भैरव सिंह - तुमने गाँव वालों से क्या कहा था...

भूरा - राजा साहब... मैंने और शुकुरा ने... घर घर जाकर सबको खबर की थी... (कहते कहते भूरा जिस तरह से पॉज लेता है भैरव सिंह समझ जाता है जरूर कोई ऐसी बात है जिसे भूरा कहने से डर रहा है)

भैरव सिंह - बेफिक्र... बेखौफ हो कर कहो... जवाब में गाँव वालों ने क्या प्रतिक्रिया दी... (भूरा एक नजर शुकुरा को देखता है और अपना सिर झुका लेता है l भैरव सिंह को गुस्सा आ जाता है) यहाँ क्या कोई तमाशा हो रहा है... बताओ क्या हुआ...

भूरा - (डरते डरते) हम जब बड़े राजा जी की देहांत की खबर दे कर लौट रहे थे... तब हमने देखा गाँव के कुछ लोग हमारे पीछे... (रुक जाता है)

भैरव सिंह - हाँ... क्या तुम्हारे पीछे...

भूरा - बड़े राजा जी के नाम पर... धुल उड़ा रहे थे...



भैरव सिंह अपनी कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो जाता है, भूरा और शुकुरा और उनके साथी डर जाते हैं l पर भैरव सिंह उनकी ओर जाने के बजाय भीमा की ओर जाता है और कहता है



भैरव सिंह - जाओ... बड़े राजा जी के कमरे में जाओ... उस कमरे में खाट से लेकर अलमारी तक जितने भी लकड़ी के सामान है... उन्हें बाहर लेकर आओ और कुल्हाड़ी से काट कर... इसी बरामदे के नीचे... चिता सजाओ... आज बड़े राजा जी की चिता यहीँ जलेगी... (भीमा कुछ समझ नहीं पाता, मुहँ खोले बेवक़ूफ़ों की तरह भैरव सिंह को देखे जा रहा था) (चिल्ला कर) जाओ...



भीमा अपने साथ कुछ आदमियों को लेकर नागेंद्र के कमरे में जाता है l बिस्तर से लेकर कुर्सी, सोफा अलमारी टेबल जो भी लकड़ी के थे सब बाहर ले आते हैं l कुल्हाड़ी से काट काट कर चिता बनाते हैं l भैरव सिंह अपनी बाहों में नागेंद्र की लाश उठाता है और लकड़ियों पर रख देता है l फिर बिना किसी औपचारिकता के चिता में आग लगा देता है l वहाँ पर मौजूद सभी लोग भैरव सिंह को देख रहे थे l चिता से उठती आग की रौशनी में भैरव सिंह का चेहरा बहुत ही भयानक दिख रहा था l थोड़ी देर बाद भैरव सिंह अपने लोगों के तरफ़ मुड़ता है l



भैरव सिंह - आज जो भी यहाँ मौजूद है... हम उनके आभारी हैं... आज आपकी मौजूदगी को... हम रूपयों और दौलत से तोल देंगे... फिलहाल आज का मातम का दायरा महल की परिसर तक ही था... पर बड़े राजा जी की मृत्य की चौथ की मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा... अब तुम सब... जा सकते हो...



सभी लोग उल्टे पाँव लौटने लगते हैं l बल्लभ भी लौट रहा था तो भैरव सिंह उसे इशारे से रुकने के लिए कहता है l बल्लभ रुक जाता है और सभी वह जगह खाली कर चले जाते हैं l



भैरव सिंह - देखा प्रधान... गाँव वालों में कितनी हिम्मत आ गई... हमारे लोगों के पीठ के पीछे धूल उड़ाए हैं... (बल्लभ चुप रहता है) आज... बड़े राजा जी की अंतिम संस्कार के लिए... ना नाई आया.. ना धोबी.. ना लोग आए ना पंडित... (एक पॉज लेता है) एक विश्व.... क्या उनके लिए सीना तान कर खड़ा हो गया... हमारी मान पर बट्टा लगाने की हिम्मत कर ली... कोई नहीं... अब तुम देखना... इतिहास कैसे खुद को दोहराएगी... (फ़िर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है, पर इसबार अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर बल्लभ को देता है) तुम इसकी मालिक को ढूंढो... पता लगाओ... यह सबूत है... अभी भी महल में... कोई है... जो विश्व के लिए काम कर रहा है... (बल्लभ उस फोन को अपनी हाथ में लेता है)

बल्लभ - यह आपको कहाँ मिला...

भैरव - बड़े राजा जी के... कमरे के बाहर... और हमें इसकी मालिक का नाम पता दे दो...

बल्लभ - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है कि... यह मोबाइल और इसका मालिक विश्व से जुड़ा हुआ है...

भैरव सिंह - इस पर एक कॉल आया था...

बल्लभ - क्या... किसने किया था...

भैरव सिंह - विश्व ने...

बल्लभ - विश्वा ने... किस किसका नाम लिया...

भैरव सिंह - नहीं उसने कुछ नहीं कहा... या यूँ कहो... उसने कोई आवाज ही नहीं निकाली...

बल्लभ - फ़िर आप यह कैसे कह सकते हैं... फोन के दूसरी तरफ विश्वा था..

भैरव सिंह - उसकी खामोशी को... हम साफ सुन पा रहे था... महसूस कर पा रहे थे... उसके किसी साथी का मोबाइल है यह... मुझे यकीन है... तुमने जब बड़े राजा जी की देहांत का खबर दी होगी... तब उसने चिढ़ कर अपने साथी को फोन लगाया होगा... जिसने गलती से बड़े राजा जी के कमरे के बाहर... छोड़ गया था...

बल्लभ - ओह माय गॉड... इसका मतलब..

भैरव सिंह - हाँ प्रधान... अभी भी उसका कोई आदमी हमारे महल में है... हमें शक तो है... पर बिना सबूत के... बे वज़ह कोई तमाशा नहीं करना चाहते... इसलिये जितनी जल्दी हो सके... इस मोबाइल के मालिक को ढूंढो...

बल्लभ - राजा साहब.. इसमें तो दो तीन दिन लगेंगे...

भैरव सिंह - दो दिन... सिर्फ दो दिन...

बल्लभ - सिर्फ दो दिन...

भैरव सिंह - हाँ... प्रधान हाँ... क्यूँकी... दो दिन बाद बड़े राजा जी का चौथ है... और चौथ का मातम... पूरा राजगड़ मनाएगा... इसलिए सिर्फ दो दिन है तुम्हारे पास...

बल्लभ - राजा साहब...

भैरव सिंह - जाओ...



×_____×_____×_____×_____×_____×_____×




बल्लभ की गाड़ी अपने घर पर रुकती है l गाड़ी बंद कर के बल्लभ गाड़ी से उतरता है l जेब से घर की चाबी निकाल कर दरवाजा खोलता है l अंदर आकर ड्रॉइंग रुम की लाइट ऑन करता है फिर बेड रुम में जाकर भैरव सिंह की दी हुई मोबाइल को निकाल कर बेड पर फेंकता है और अपने कपड़े उतार कर बाथ रोब लेकर बाथरुम में घुस जाता है l शॉवर चला कर नहाने लगता है l नहाते नहाते उसके कानों में टीवी चलने की आवाज़ सुनाई देती है l वह शॅवर बंद कर बाथ रोब पहन कर बाहर आता है l बेड रुम से देखता है कि ड्रॉइंग रुम की लाइट बंद है l वह चुपके से अपना वॉर्ड रोब खोलता है और एक रीवॉल्वर निकाल लेता है l धीरे धीरे बेड रुम से निकल कर ड्रॉइंग रुम में आता है l उसे एक सोफ़े पर काला अक्स, एक साया सा दिखता है l चूँकि टीवी चल रही थी उसकी रौशनी में वह शख्स काले लिबास और एक हैट पहने सोफ़े पर बैठा हुआ था l


बल्लभ - कौन हो तुम...

साया - तुम्हारा बहुत बड़ा फैन...

बल्लभ - किसलिए यहाँ आए हो...

साया - तुम्हारा ऑटोग्राफ लेने...

बल्लभ - खबरदार अपनी जगह से हिले तो... तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - नहीं हिलता... आओ सामने बैठो... बात करते हैं... पहले यह न्यूज देखते हैं...

बल्लभ - शॅट अप... मेरे घर में... अंधेरा कर... मुझे अपने सामने बैठने के लिए कह रहे हो... हाऊ डैर यु... जब कि तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - श् श् श् श्.... पहले यह न्यूज सुनो तो सही...


टीवी पर नभ वाणी न्यूज चैनल पर सुप्रिया न्यूज पढ़ रही थी -

" राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी के आर्थिक भ्रष्टाचार पर केस का आठवां दिन था और आज भी राजा भैरव सिंह ने अपनी हाजिरी नहीं दी l उनके बदले उनके वकील एडवोकेट श्री बल्लभ प्रधान जजों के सामने प्रस्तुत हुए और बड़े राजा जी श्री नागेंद्र सिंह क्षेत्रपाल जी की देहांत की खबर दी और अदालत से बड़े राजाजी की मरणोपरांत क्रिया कर्म व शुद्धीकरण के लिए अदालत से पंद्रह दिन की मोहलत मांगी जिसे सहसा अदालत ने स्वीकर कर ली l इस तरह से हाइकोर्ट के द्वारा निर्धारित तीस दिनों में तेईस दिन बिना सुनवाई के खत्म हो गई l अब प्रश्न यह है कि जो मुल्जिम हैं उनके निजी कारण को अदालत ने तवज्जो देकर जो तेईस दिन बिना सुनवाई के समाप्त हो गए उसकी भरपाई के लिए क्या अदालत शुरु से केस सुनवाई करेगी या बचे हुए साथ दिनों में निपटारा करेगी "


बल्लभ - बंद करो यह टीवी... इस न्यूज से तुम्हारा क्या वास्ता...

साया - मेरा ही नहीं... तुम्हारा भी वास्ता है... हम सबका वास्ता है...

बल्लभ - बस बहुत हुआ... बहुत बकवास कर ली तुमने... अब अपनी पहचान बताओ... या फिर... मरने के लिए तैयार हो जाओ...

साया - तुम मुझे गोली नहीं मार सकते...

बल्लभ - अच्छा... यह तुम्हारी खुशफहमी है... मैं चाहूँ तो अभी के अभी तुम्हें गोली मार सकता हूँ...

साया - और पुलिस से क्या कहोगे...

बल्लभ - सेल्फ प्रोटेक्शन... आत्म रक्षा...

साया - पर मैं तो तुम्हारे सामने... चुप चाप बैठा हुआ हूँ... कोई हरकत भी तो नहीं कर रहा...

बल्लभ - वह इसलिए... के तुम मेरे इन पॉइंट पर हो...

साया - हाँ बात तो तुम ठीक कह रहे हो... पर फिर भी तुम मुझ पर गोली नहीं चला सकते...

बल्लभ - ओ... अभी भी तुम खुशफहमी पाले बैठे हो...

साया - नहीं... यकीन है... क्यूँकी यहाँ मैं अकेला नहीं आया हूँ... अपने साथियों के साथ आया हूँ... और तुम इस वक़्त मेरे साथी के रीवॉल्वर के निशाने पर हो... तुमने जरा सी भी हरकत की... यकीन जानो.. अगले पल... तुम्हारी खोपड़ी उड़ चुकी होगी...

बल्लभ - (डर के मारे हलक से थूक गटकता है) तुम झूठ बोल रहे हो...


नहीं... (एक और आवाज़ बल्लभ के पीछे गूंजती है, अभी जो नहाया हुआ आया था वह अब पसीने से भीगने लगा था, वह झट से पीछे मुड़ता है पर अभी वह दूसरा शख्स उसके हाथों से रीवॉल्वर छीन लेता है, वह साया जो सोफ़े पर बैठा था वह कहता है)


साया - देखा... अब तुम मेरे आदमी के गन पॉइंट पर हो...

बल्लभ - तुम हो कौन चाहते क्या हो...

साया - अभी अभी जो न्यूज तुमने सुनी... उस केस के... तुम सुपर स्टार हो... और हम तुम्हारे बड़के वाले फैन हैं... (बल्लभ को अपनी पीठ पर गन की बैरेल चुभती हुई महसूस होती है) आओ... मेरे सामने बैठ जाओ...


बल्लभ सामने वाली सोफ़े पर बैठ जाता है l सामने सोफ़े पर बैठ साया टीवी बंद कर देता है l थोड़ी देर के लिए ड्रॉइंग रुम में अंधेरा छा जाती है फिर धीरे धीरे बेड रुम की हल्की रौशनी में बल्लभ को थोड़ा थोड़ा दिखने लगता है l तभी उसके कानों में किचन में बर्तनों की आवाज़ सुनाई देती है l



बल्लभ - तुम लोग मुझसे चाहते क्या हो... और तुम कितने आदमियों के साथ आए हो...

साया - सिर्फ तीन... हम तीन लोग आए हैं... और रुप फाउंडेशन केस हो या यह... राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी की केस... तुमने अपना क्या रोल प्ले किया है... हम सब तुम्हारे फैन हो गए हैं...

बल्लभ - ओ समझा... तो तुम अंधेरे में क्यों हो...

साया - क्यूँकी तुम अंधेरे के माहिर खिलाड़ी हो... राजा साहब तक को अंधेरे में रखा हुआ है...

बल्लभ - शॉट अप... मैंने राजा साहब से कोई धोखा नहीं किया है... उनका वफादार हूँ मैं...

साया - हाँ वफादार तो हो... पर कुछ बातेँ राजा साहब से छुपा कर... अपनी मतलब कि खिचड़ी पका लेते हो...

बल्लभ - देखो... अगर तुम विश्व हो... तो मैं तुम्हें बता दूँ... तुम गलत दरवाजे पर दस्तक दे रहे हो...

साया - चलो... एक बात क्लियर कर दूँ... मैं विश्वा नहीं हूँ... दूसरी बात... मैंने तुम्हारे सारे राज पता कर लिया हूँ... बल्कि अपने कब्जे में कर लिया हूँ...

बल्लभ - किस राज की बात कर रहे हो तुम...

साया - (हँसने लगता है) हा हा हा हा... सिर्फ बाथ रोब में हो... एक झटका काफी होगा... नंगे हो जाओगे... या यूँ कहूँ.. नंगे हो चुके हो...

बल्लभ - क्या... क्या मतलब है तुम्हारा...

साया - राजा के किसी खतरे को गायब करना हो या... हटाना हो... यह काम तुम और मरहुम रोणा बखूबी अंजाम देते रहे... रोणा तुम्हारा जिगरी यार था... पर कुछ राज की बातेँ तुमने रोणा को भी नहीं बताई...

बल्लभ - कौन से राज की बात कर रहे हो...

साया - तुम वकील हो... राजा के हर ईलीगल को लीगल कर कर के... अपने ईलीगल को भी छुपा गए... रुप फाउंडेशन केस में जयंत सर ने पाँच गवाह बनाया था... पर राजा साहब के कहने पर... तुमने एक को गायब कर दिया... याद है...

बल्लभ - (चुप रहता है)

साया - नाम मैं बताऊँ... या तुम बताओगे...

बल्लभ - ऐ के सुबुद्धी... तहसील ऑफिस का क्लर्क...

साया - शाबाश... और जब विश्व ने पीआईएल फाइल की... तब तुमने अपने एक और दोस्त को... अंडरग्राउंड करवा दिया...

बल्लभ - श्रीधर परीड़ा...

साया - शाबाश... और कमाल की बात यह है कि.. राजा को नहीं मालूम... यह सब तुमने किया... राजा को मालूम है कि... तुमने सुबुद्धी को मरवा दिया... और श्रीधर परीड़ा खुद को गायब कर दिया... जब कि... मास्टर माइंड तुम थे...

बल्लभ - ओ... अब समझा... यह दोनों अब तुम्हारे कब्जे में हैं... इस इंफॉर्मेशन के बदले... मुझसे क्या चाहते हो...

साया - मैंने कहा ना... हम सब तुम्हारे कमीने पन के कायल हो गए हैं... तुम अब हमारे लिए सुपर स्टार का दर्जा रखते हो... हम बस तुम्हारा ऑटोग्राफ लेना चाहते हैं...

बल्लभ - ऐसी कमीनेपन की बातेँ बहुत कर ली... सच सच बताओ.. क्या चाहते हो...



किचन से और एक आवाज गूंजती है - ज्यादा कुछ नहीं... पहले चाय पीते हैं... फिर... तुम जो चाहोगे वही करते हैं... क्यूँकी तुम हमारे सुपर स्टार हो... इसलिए हमारी टीम वही करेगी जो तुम कहोगे.. जैसा तुम चाहोगे...



बल्लभ किचन की ओर मुड़ता है वहाँ पर अंधेरे में एक शख्स ट्रे पर चाय की केतली और कुछ कप के साथ खड़ा था l

Wah Kala Nag Bhai Wah,

Kya gazab ki update post ki he...........

Pura ka pura game hi palat diya raja ne.................

Lekin ye jo tin log ballabh ke pass aaye he ye kaun he.???????

Shayad ye Tilu & party he.........

Agli dhamakedar update ka intezar rahega Bhai
 

dhparikh

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स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट यशपुर

कोर्ट रुम में विश्व, पत्री बाबु, सुधांशु मिश्रा और इंस्पेक्टर दास के साथ कुछ गाँव वाले बैठे हुए हैं l कोर्ट रुम के बाहर सुप्रिया और कुछ दूसरे चैनल वाले कोर्ट रुम मैं घुसने की कोशिश कर रहे थे जिन्हें पुलिस सख्ती से रोक दिया था इसलिए सारे न्यूज चैनल वाले बाहर हल्ला कर रहे थे l थोड़ी देर बाद तीनों जजों के गाडियाँ एक के बाद एक परिसर में आते हैं l उनके आते ही पुलिस वाले उन्हें मीडिया वालों से बचाते हुए कोर्ट के अंदर पहुँचा देते हैं l आज मीडिया वालों के साथ राजगड़ और यशपुर के लोग भी भीड़ बना कर खड़े थे l हाँ यह बात और है कि वे लोग अंदर आने के लिए जरा भी प्रयास नहीं कर रहे थे l कोर्ट रुम के भीतर हॉकर सबको ज़जों के आने की सूचना देता है l सभी सम्मान में खड़े हो जाते हैं l



तीनों जज, अपनी अपनी जगह पर बैठ जाते हैं l मुख्य ज़ज औपचारिक परंपरा निभाते हुए गैवल को टेबल पर मारते हुए 'ऑर्डर' 'ऑर्डर' कहता है l



ज़ज - आज की कारवाई शुरु की जाए... वादी पक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (विश्व एक काग़ज़ निकाल कर राइटर के हाथ में देता है) प्रतिवादी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं... (कोर्ट रुम में सन्नाटा था, क्यूँकी ना तो कोर्ट में भैरव सिंह था ना ही उसके तरफ़ से कोई और) (ज़ज अपनी नजरें घुमा कर चारों तरफ़ देखता है, उसे भैरव सिंह की अनुपस्थिति का एहसास होता है, तो ज़ज इंस्पेक्टर दास से पूछता है) इंस्पेक्टर दास... आप अपनी केस पर जो छानबीन की है... उस पर रौशनी डालें...



इंस्पेक्टर दास अपनी जगह से उठता है और एक फाइल को राइटर के हाथ में देता है l राइटर जज को फाइल सौंप देता है l जज फाइल हाथ में लेकर कुछ पन्ने पलटता है और फिर



जज - इंस्पेक्टर दास... इस केस के बाबत अदालत को... क्या आप मौखिक रूप से संपूर्ण विवरण देंगे...

दास - जी माय लॉर्ड...



इंस्पेक्टर दास कटघरे में जाता है और अपनी टोपी निकाल कर काख में दबा कर खड़ा हो जाता है l फिर दास कहना शुरू करता है l



दास - माय लॉर्ड... अदालत से हमें जैसे ही आदेश मिला... हमने तुरंत कमल कांत जी की खोज के लिए जो मुमकिन था... वह सब हमने किया... हाँ कुछ हद तक... हमें क्षेत्रपाल जी से मदत मिली... पर वह नाकाफी था... इसलिए इन सात दिनों में... जितना संभव हुआ... उतना हमनें खोजबीन की... उसके आधर पर रिपोर्ट बना कर... अदालत के सामने प्रस्तुत कर दिया...

जज - ठीक है... अब अपनी रिपोर्ट को विस्तृत रूप में... अदालत को अवगत कराएं...



दास गवाह वाली कटघरे में आता है l गावही के पूर्व अपनी सारी औपचारिकताओं को पूर्ण करता है फिर जजों को देखते हुए कहना शुरु करता है



दास - माय लॉर्ड... तारीख xxxx को हमें एसपी ऑफिस से एक ऑर्डर फैक्स के थ्रु मिला... आप फाइल की पहली ऐनेक्स्चर में देख सकते हैं... जिसमें कहा गया था... राजा साहब के घर में... विवाह उत्सव होने वाला है... उनके होने वाले दामाद को सुरक्षा मुहैया करते हुए... बाराती की तरह महल तक पहुँचाया जाए... माय लॉर्ड... मैं और मेरी पुरी टीम... इसको बखूबी अंजाम दिया... उसके बाद वर... उर्फ कमल कांत जी को... परंपरा निभाते हुए... राजा साहब के अपनों के द्वारा... विवाह बेदी तक ले जाया गया... बेदी पर रस्म खत्म होने पर... वर को... उनके लिए... उपलब्ध करायी गई प्रकोष्ठ को... राजा साहब के निजी सुरक्षा कर्मचारियों के द्वारा ले जाया गया... हम केवल वहाँ मूक दर्शक थे... कुछ देर बाद... सत्तू नाम का महल का नौकर राजा साहब के कान में कुछ कहा... उसके बाद राजा साहब और उनके निजी सुरक्षा अधिकारी अंदर गए... तत्पश्चात कुछ समय बाद... मेरे फोन पर... अमिताभ रॉय जो कि राजा साहब के निजी सुरक्षा अधिकारी हैं और वर्तमान ESS के निर्देशक भी हैं... उनका फोन आया... फिर मैं अकेला... केके जी के प्रकोष्ठ में गया... और वहाँ पर मुआयना करने के बाद... उस समय मुझे लगा... शायद साहब केके भाग गए हैं... पर राजा साहब... उनके अपहरण होने की संभावना व्यक्त करते हुए... केस दर्ज करने के लिए कहा... पर चूंकि चौबीस घंटे नहीं हुए थे... इस लिए उन्हें मैंने सुबह तक इंतजार करने के लिए कहा था... आगे जो भी हुआ... वह अदालत के संज्ञान में है...

जज - आपने केवल एक ऐनेक्स्चर रिपोर्ट में प्रस्तुत की है... बाकी जो रिपोर्ट बनाया है... उसका आधार क्या है...

दास - (एक पेन ड्राइव निकाल कर राइटर के हाथ में देता है, जिसे राइटर जज को दे देता है) माय लॉर्ड यह वह वीडियो है... जिसे राजकुमारी जी की एक दोस्त ने शूटिंग की थी... इससे आप मेरी कही बातों को पुष्टि कर सकते हैं... इस वीडियो में... वर के पहुँचने से लेकर... मुझ तक खबर आने की सारी बातें रिकार्डिंग हुई है...

जज - ठीक है... पर महल के भीतर की तहकीकात के बारे में... आपने ज्यादा कुछ नहीं लिखा है... और सबसे अहम बात... कमल कांत... अभी भी लापता हैं...

दास - जी माय लॉर्ड... पर सच्चाई यह भी है... महल के जिस हिस्से तक.. मैं अपनी तहकीकात को ले जा पाया... वहाँ तक... आज तक कोई भी... सरकारी या गैर सरकारी अधिकारी नहीं पहुँच पाया है... उससे आगे जाकर तहकीकात करने के लिए... हमें कोई... सर्च वारंट नहीं मिला है... अब चूँकि... महल में कोई सरकारी सुरक्षा नहीं थी... राजा साहब की निजी सुरक्षा प्रबंधन थी... हम अभी उन्हीं लोगों को... रंग महल में... नजर बंद कर पूछताछ कर रहे हैं... पर अभी तक कोई भी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाए हैं...

जज - तो... केस में फिर कैसे आगे बढ़ा जाए...

विश्व - एस्क्युज मी माय लॉर्ड... क्या मैं कुछ कहूँ...

जज - हाँ जरूर... कहिये...

विश्व - माय लॉर्ड... यह एक स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट है... और इस कोर्ट का गठन किसी और केस के लिए की गई थी... इस कोर्ट की मकसद कुछ और थी... एक गैर जरूरत केस में... सात दिन बर्बाद हो चुके हैं... और सात दिन पुरे होने के बावजूद... राजा भैरव सिंह... आज कोर्ट में उपस्थित नहीं हैं...

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... आप यह मत कहिये... हम यहाँ क्यूँ हैं... किस लिए हैं.... इस कोर्ट को मकसद ना समझाये... एक बात याद रखें... लॉ बुक हमेशा यह कहती है... जस्टिस हरिड... मतलब जस्टिस बरीड...

विश्व - लॉ बुक यह भी कहती है... जस्टिस डिले... मतलब जस्टिस डिनाय...

जज - (चीख उठता है) होल्ड योर टोंग...(कोर्ट में सन्नाटा पसर जाता है) आप अपनी सीमा से बाहर जा रहे हैं...

विश्व - नहीं माय लॉर्ड... (एकदम शांत लहजे में) मैं ऐसी गुस्ताखी नहीं कर सकता... जिस केस के लिए... जो दिन तय किए गए थे... उसमें से सात दिन बीत चुके हैं... केके साहब के गायब होने को... इस केस से क्यूँ जोड़ा जा रहा है... और राजा साहब... मुल्जिम हैं... प्रतिवादी हैं... जिन्हें अपनी तहकीकात में... एक्जिक्युटीव मैजिस्ट्रेट माननीय श्री नरोत्तम पत्री जी के द्वारा... आरोपित स्थापित किया जा चुका है...

जज - मिस्टर... विश्व प्रताप... आप अदालत की तौहीन कर रहे हैं....

विश्व - नहीं योर ऑनर...

जज - (गैवेल को टेबल पर मारते हुए) ऑर्डर ऑर्डर ऑर्डर... यह अदालत आपको अंतिम चेतावनी देती है... अगर आप कारवाई पर प्रश्न चिन्ह लगाएंगे... तो आपको इस केस से हटा दिया जाएगा...

विश्व - आई एम एक्सट्रीमली सॉरी माय लॉर्ड... मुझे माफ कर दीजिए...

जज - यह अदालत एक घंटे के लिए मुल्तवी किया जाता है...





तीनों जज अपनी जगह से उठते हैं और कमरे से बाहर निकल जाते हैं l अपनी जबड़े भिंच कर विश्व वहीँ खड़ा रह जाता है l पीछे से पत्री बाबु आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हैं l विश्व मुड़ कर देखता है l



पत्री - चलो बाहर चलते हैं...

दास - हाँ... थोड़ी चाय बाय पीते हैं... बहुत गर्म हो गए हो... थोड़ा ठंडा हो लो...



विश्व, पत्री, दास और सुधांशु मिश्र चारों बाहर आते हैं l बाहर विश्व के चारों दोस्त चाय की दुकान पर खड़े थे l उनसे भी कुछ दूर गाँव के बहुत सारे लोग विश्व की ओर टकटकी लगा कर देखे जा रहे थे l दुकान पर पहुँच कर विश्व एक बहुत गहरी साँस लेता है और बेंच पर बैठ जाता है l दास इशारा करता है तो सीलु एक चाय की ग्लास लेकर विश्व के हाथ में देता है l तभी उनके पास सुप्रिया चल कर आती है l



पत्री - मुझे लगा नहीं था... तुम इस कदर भड़क जाओगे... रिएक्ट करोगे...

दास - तुमने जज का मुड़ ऑफ कर दिया...

विश्व - आई एम सॉरी... पर मैं शर्मिंदा नहीं हूँ...

पत्री - हाँ... जानता हूँ...

विश्व - इस केस को यहाँ लाया गया... उसके लिए... तीस दिन मुकर्रर किया गया... अब... आज आठवाँ दिन हैं...

दास - हाँ... यह बात तो है...

पत्री - मैं समझ रहा हूँ...

सुप्रिया - तुम्हें पहली बार इतनी फ्रस्ट्रेशन में देख रही हूँ...

विश्व - आप कुछ समझी...

सुप्रिया - अब तक जितना सुना... समझा... केस फाइल का पहला पन्ना तक शायद नहीं पलटा गया है....

विश्व - हाँ... राजा केस को यहाँ लेकर आया... उसके लिए... तीस दिन की सुनवाई मुकर्रर किया गया... पहली ही दिन... सात दिन को सम्वेदना के रूप में बर्बाद कर दिया... और आज अभी तक नहीं आया है...

दास - इसी बात के फ्रस्ट्रेशन में... आज विश्व बाबु अदालत में... अपना टेंपरामेंट लूज कर बैठे... जज साहब ने फ़िलहाल के लिए वॉर्न किया है...

टीलु - पर इसमे विश्वा भाई का दोष कहाँ है... जो मुज़रिम है... उसकी सहूलियत देखी जा रही है... सिर्फ एक आदमी की... जब कि इस केस में हज़ारों लोग जुड़े हैं... वह देखो... (लोगों की ओर इशारा करते हुए) क्या यह लोग... इनके हालत... वक़्त... कुछ भी मायने नहीं रखते... लोग ही नहीं... सिस्टम... सिस्टम से जुड़े लोग... सिस्टम का वक़्त और पैसा... सब बर्बाद हो ही रहा है...

पत्री - ना.... आज दिन खत्म हुआ है... ना केस... घंटे भर के लिए... ब्रेक लिया गया है... राजा आ गया तो ठीक... वर्ना... अदालत... राजा के खिलाफ शो कॉज नोटिस इश्यू करेगा... इसलिए... हैव पेशेंस...

सुप्रिया - हाँ सिस्टम की इसी चाल के वज़ह से... న जानें कितने केसेस अदालत के फाइलों में साड़ती रहती है... इंसाफ़ के लिए आँखे तरस जाती हैं... वेल... क्या इस बात को... अभी के अभी न्यूज ब्रीफिंग में टेलीकास्ट कर दूँ...

विश्व - नहीं... अभी नहीं... थोड़ी देर में... सुनवाई फिर से शुरू हो जाएगी... आज का दिन खत्म हो जाने दो...



विश्व उठता है, उसके साथ सुधांशु, दास और पत्री अदालत के कमरे में जाते हैं l कुछ मिंटो बाद तीनों जज अपनी अपनी आस्थान में बैठ कर औपचारिकता निभाते हैं l



जज - इंस्पेक्टर दास...

दास - तो आपकी फाइनल रिपोर्ट क्या है...

दास - माय लॉर्ड... केके कोई आम आदमी नहीं हैं... कंस्ट्रक्शन किंग के नाम से जाना जाता है... और यह सच है... उनकी शादी राजकुमारी जी से तय हुई थी... मतलब यह केस एक हाई प्रोफाइल केस हो गया है... और जिस दिन यह कांड हुआ... हमें और गाँव वालों को लगा कि वह शादी का दिन था... पर राजा साहब ने अदालत में उसे मंगनी कहा है... खैर... सच यह है कि... केके साहब... गायब हुए हैं... वह भी महल के भीतर से... उनको दी गई... उन्हीं की कमरे से... मौका ए वारदात को मध्य नजर रखते हुए... हमें यह लगा कि वह महल से भाग गए हैं... पर अभी भी वह लापता हैं... हमने पूछताछ कर ली... पर अभी तक किसी के भी नजर में आए नहीं हैं... ना राजगड़ अथवा यशपुर में... ना ही कटक या भुवनेश्वर में...

जज - तो आप इस केस को किस तरह से कंक्लुड करना चाहते हैं...

दास - केके साहब का ना मिलना... मेरा मतलब है... किसी को नज़र ना आना... हो सकता है... महल के भीतर ही कुछ हो गया हो... महल के भीतर तहकीकात करना... हमारी वश की बात नहीं है...

जज - क्यूँ...

दास - महल की चौखट लाँघ कर... नहीं जज साहब... यह एक हाई प्रोफाइल केस है... हमारी औकात के बाहर की... बेशक अभी तक राजा साहब ने... तहकीकात में साथ दिया है... पर इससे आगे... या तो सीआईडी जा सकती है... या फिर... कोई स्पेशल टास्क फोर्स.... हम सरेंडर करते हैं...



कुछ देर के लिए अदालत में सन्नाटा छा जाता है l जज हैरानी भरे नजरों से दास को देखे जा रहा था, के तभी कमरे में बल्लभ का प्रवेश होता है l वह एकदम से बदहवास दिख रहा था l



बल्लभ - मे आई बी एक्सक्युज्ड माय लॉर्ड... क्या मैं अंदर आ सकता हूँ...

जज - आइए... प्रधान बाबु... (बल्लभ अंदर आता है)

बल्लभ - माय लॉर्ड... राजा साहब... आने ही वाले थे... पर... (रूक जाता है)

जज - आप अपनी बात पूरी कीजिए...

बल्लभ - राजा साहब के पिता... बड़े राजा.. नागेंद्र सिंह जी का देहांत हो गया है... यह रहा मेडिकल रिपोर्ट और डेथ सर्टिफिकेट...



नागेंद्र की मौत की खबर सुन कर विश्व और दूसरे लोग अपनी अपनी कुर्सी से उछल पड़ते हैं l बल्लभ फाइल से डेथ सर्टिफिकेट निकाल कर राइटर के हाथ में देता है l राइटर उसे लेकर जज के हाथ में दे देता है l जज उस सर्टिफिकेट को देखते हुए पहले विश्व को देखता है जैसे वह विश्व को अनुताप कराना चाहता हो फिर बल्लभ की ओर देखता है l



जज - यह बहुत ही दुख की बात है...

बल्लभ - जी माय लॉर्ड... इसलिए राजा साहब ने... अदालत को एक अनुरोध पत्र दिया है... के उन्हें उनके पिता जी के मरणोपरांत मुखाग्नि सहित श्राद्ध के अनुष्ठान करने तक पंद्रह दिनों की मोहलत दी जाए... उसके बाद वह बिना किसी शर्त के... अदालत को... सुनवाई और कारवाई मैं पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे... (फाइल से एक और काग़ज़ निकाल कर राइटर को देता है जिसे राइटर जज को दे देता है)

जज - ह्म्म्म्म... वादी पक्ष के वकील... अब तो आप समझ गए होंगे... राजा साहब अभी तक अदालत में क्यूँ नहीं पहुँचे...

विश्व - जी... माय लॉर्ड...

जज - अदालत... राजा साहब के दिए इस अनुरोध पत्र पर... आपकी राय जाननी चाहती है...

विश्व - (अपनी जबड़े भिंच कर चेहरा नीचे कर लेता है)

जज - मिस्टर विश्व प्रताप... अदालत आपसे... आपकी राय जानना चाहती है...

विश्व - (अपना सिर ऊपर उठाता है, एक सरसरी निगाह बल्लभ पर डालता है और फिर जज की ओर देखते हुए) राजा जी की पत्र पर... न्यायलय जो भी न्याय संगत निर्णय ले... वादी पक्ष के वकील होने के नाते... मुझे वह स्वीकार्य होगा...

जज - ठीक है... यह अदालत.. राजा साहब की... अनुरोध पत्र को स्वीकार करती है... आज से ठीक पंद्रह दिनों बाद... राजगड़ मल्टिपर्पोज कोऑपरेटिव सोसाईटी केस पर सुनवाई... सोनपुर में शुरु करेगी... तब तक के लिए... यह अदालत स्थगित किया जाता है... नाउ दी कोर्ड इज़ एडजॉर्नड...



विश्व मुट्ठीयाँ भिंच कर कुर्सी पर बैठ जाता है l तीनों जज और बल्लभ कमरे से निकल चुके थे l बहुत भारी कदमों और झुके कंधों के साथ विश्व बाहर आता है l उसके पीछे दास, पत्री और सुधांशु आते हैं l उसी चाय की दुकान पर बैठ जाते हैं l विश्व को देख कर सुप्रिया और उसके दोस्त विश्व के पास आते हैं l



सुप्रिया - विश्वा... क्या हुआ... यह वकील प्रधान... आँधी की तरह आया... और तूफान की तरह चला गया...

दास - हमें इंतजार था... भैरव सिंह के आने का... पर प्रधान आया... बड़े राजा की मरने की खबर लेकर..

सुप्रिया - ह्वाट... यु मीन... नागेंद्र सिंह...

पत्री - हाँ... और अदालत ने... भैरव सिंह को पंद्रह दिन की मोहलत और दे दी है...

सुधांशु - आज का आठवाँ दिन और पंद्रह दिन... हो गए तेईस दिन... चौबीसवें दिन अदालत खोलेगी... उसके बाद... (एक पॉज) क्या किस्मत पाया है यह राजा भैरव सिंह ने... वह दिन और वक़्त बर्बाद किए जा रहा है... किस्मत और अदालत... उसका साथ दिए जा रहे हैं...

विश्व - (सिर उठा कर देखता है) गाँव वाले कोई भी नहीं दिख रहा था) यह गाँव वाले... कहाँ गए...

सीलु - उन्हें इंतजार था... इंसाफ़ का.. पर खबर बाहर लेकर आया... वकील प्रधान... सब के सब... गाँव वापस लौट गए... शायद... बड़े राजा को कंधा देने... रूदाली बन कर रोने धोने...

दास - विश्वा... तुम तो राजकुमारी के कॉन्टैक्ट में रहते हो ना... नागेंद्र सिंह की मौत की खबर तुम्हें क्यूँ नहीं मिली... आई मीन...



विश्व अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर कॉल चार्ट देखता है l उसे आज सुबह भी कॉल नहीं आया था, जिसे विश्व ने नजर अंदाज कर दिया था l विश्व कॉल रजिस्टर से नकचढ़ी नाम ढूंढ कर कर कॉल डायल करता है, और सबको चुप रहने का इशारा करता है l कॉल रिंग हो रही थी l चार या पाँच रिंग के बाद कॉल पीक होता है, हैलो कहने जा रहा था पर कुछ सोच का विश्व खामोश रहता है l उधर से भी, विश्व को कोई जवाब नहीं आ रहा था l तकरीबन दो मिनट तक विश्व मोबाइल को कान से लगाए बैठा था ना वह कुछ कह रहा था ना ही उसे फोन से कोई जवाब मिल रहा था l विश्व कॉल काट देता है और फोन अपनी जेब में रख लेता है l



दास - क्या हुआ... तुमने कॉल किया... पर ना कोई सवाल ना कोई जवाब...

विश्व - फोन... भैरव सिंह ने उठाया था...

सब - क्या...

टीलु - भाभी सही सलामत तो हैं ना...

विश्व - हाँ.. होंगी...

दास - तुम्हें कैसे पता... आई मीन... तुमने कॉल किया... तुम्हारा... नाम या नंबर डिस्प्ले तो हुआ होगा...

विश्व - नहीं... मेरी मोबाइल... एंक्रिप्टेड है.. डिस्प्ले में सिर्फ ऑननॉन लिखा आयेगा...

सीलु - पर भाभी की मोबाइल... राजा साहब के पास आई कैसे...

सुप्रिया - क्या... राजा भैरव सिंह को... फोन पर तुम्हारा अंदाजा हो गया होगा...

विश्व - मालूम नहीं... पर अब मुझे राजगड़ जाना होगा...



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दास अपने दो कांस्टेबलों के साथ पुलिस की जीप लेकर क्षेत्रपाल महल के परिसर में आता है l देखता है महल की पहरेदारी पहले जैसी हो गई थी l उसके लगाए दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे थे l चप्पे-चप्पे पर ESS के गार्ड्स और पहलवान खड़े थे l बाहर बरामदे पर एक कुर्सी पर भैरव सिंह बैठा हुआ था l उसके बाल बिखरे हुए थे l चेहरा मुर्झाया हुआ था l दास जीप से उतर कर सीढ़ियां चढ़ते हुए भैरव सिंह के सामने खड़ा होता है l भैरव सिंह अपनी रुबाब से भरी नजर से दास की ओर देखता है l



दास - आई एम सॉरी राजा साहब... बड़े राजा जी के बारे में... मुझे अदालत में मालूम हुआ...

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...

दास - यह... आई मीन... बड़े राजा जी का देहांत कब हुआ...

भैरव सिंह - (चेहरे पर कोई भाव नहीं था) तुम जान कर क्या करोगे... जान फूंकने आए हो क्या...

दास - नहीं बस...

भैरव सिंह - डॉक्टर... डेथ सर्टिफिकेट दे चुका है... वैसे तुम्हें किस बात की चूल मची है...

दास - मैं यहाँ आपसे... दुख जताने आया था...

भैरव सिंह - जता दिए...

दास - जी..

भैरव सिंह - दफा हो जाओ...

दास - जी चला जाता हूँ... पर मैं आपसे यह पूछने आया था... के... मेरे दो कांस्टेबल नहीं दिख रहे हैं... और आपने हमसे क्लियरेंस लिए वगैर... अपनी सिक्योरिटी रिइंस्टीट भी कर लिया...

भैरव सिंह - (सीरियस व रौब भरी आवाज में) इंस्पेक्टर... आज तलक... किसी माई के लाल ने... जो हिम्मत नहीं की... वह तु कर गया... हमने तुझे जितनी इज़्ज़त देनी थी दे दी... अब तु किसी लायक नहीं रह गया है... के तुझे हम इज़्ज़त और इजाजत बख्शें... तूने ही... केके की केस में... अदालत में सरेंडर हो गया ना... तेरी सरेंडर होने के बाद ही... मेरी सेक्योरिटी पर तेरी कानूनी कब्जा भी सरेंडर हो गई.... आज महल में मातम है... इसलिए यहाँ तक तु आ गया... कल से यह हिमाकत गलती से भी मत करना... (हाथ से इशारा करते हुए गेट की ओर दिखता है) अगली बार... उस गेट के बाहर से ही बात करना... वर्ना...



भैरव सिंह चुप हो जाता है l तब तक दास और उसके दो कांस्टेबलों को भीमा और उसके गुर्गे घेर लेते हैं l दास अपनी हॉलस्टर से रीवॉल्वर निकाल लेता है l सारे पहलवान वहीँ रुक तो जाते हैं पर कोई पीछे नहीं हटता l सबके चेहरे पर गुस्सा और नफरत झलक रही थी l दास और उसके दो कांस्टेबल घेरे में थे l कुछ और पहलवान दास की खड़ी की हुई जीप के पास आते हैं और धक्का लगा कर गाड़ी को बाहर निकाल देते हैं फिर ताकत लगा कर जीप को गेट के बाहर पलटा देते हैं l सारे पहलवाल यह सब जिस तरह से आवाज निकाल कर चिल्लाते हुए गाड़ी पलट रहे थे माहौल को डरावना कर रहा था l दास इससे पहले कभी डरा नहीं था l पर आज जिस तरह से सारे पहलवान आवाज निकाल कर जीप को गेट के बाहर ले गए और पलट दिए, दास और उसके साथ आए कांस्टेबल दोनों भी डर गए l वे दोनों, दोनों तरफ़ से दास के बाजुओं को पकड़ लेते हैं l गाड़ी के पलटने के बाद पहलवान जो उन्हें घेर कर खड़े हुए थे, वे सारे किनारे हो जाते हैं और दास और कांस्टेबलों को बाहर जाने का रास्ता देते हैं l दास दो सीढ़ियां उतरा ही था के भैरव सिंह उसे कहता है



भैरव सिंह - दास... (दास मुड़ कर वापस देखता है) हमने थोड़ी ढील क्या दी... तो सबने हमारे बाप बनने की होड़ में शामिल हो गए... तुम भी... अपनी औकात भूल कर... हमारे बाप बनने की कोशिश की... पर यह मत भूलना... बाप हमेशा बाप ही होता है... यह सब आज जो तेरे साथ हुआ... समझ तो तु जरूर गया होगा... आज... (बेहद कड़क आवाज में) अगर महल में मातम ना होता... तो... खैर... अब तु... और तेरे साथ आए यह दो लंगूर इन्हें उठा कर ले जाओ.... (दास जो दो कांस्टेबल को महल के पहरेदारी पर छोड़ गया था, उन्हें मरियल हालत में पहलवान उठाकर सीढियों के नीचे फेंक देते हैं) तु इन्हें भूल कैसे गया... जा आज अपने पैरों पर जा रहे हो... इस बात का शुक्र मनाओ के आज तुम लोग... वर्दी में जा रहे हो... जाओ... इन दो हराम खोरों को उठा कर लेके जाओ.... (दास उनकी हालत देख कर हैरान हो जाता है, वह लोग जिंदा तो थे पर बेहद बुरी तरह से मार खाए हुए थे l दर्द से कराह रहे थे l दास अपने साथ आए कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए इशारा करता है) दास... यह ऐलान है... तुम्हारी दुनिया... तुम्हारे सिस्टम के खिलाफ... जाओ... जिसको जो कहना है... जाकर कहो... जो उखाड़ना है उखाड़ लो...



दास अपने दो कांस्टेबलों को उन्हें उठाने के लिए कहता है l दोनों कांस्टेबल अपने साथियों को कंधे पर उठा लेते हैं और चलते हुए गेट से बाहर जाते हैं l तीनों पैदल चलते हुए अपने साथियों को कंधे पर उठा कर चले जा रहे थे l गाँव के लोग उन्हें हैरानी भरे निगाह में देख रहे थे l पहली बार दास को अपनी लाचारी महसुस हो रही थी l घुटन भरी बेबसी के साथ सिर झुकाए गाँव के बीचोबीच गुजर रहा था l आज उसका और कानून का भैरव सिंह ने लोगों के सामने तमाशा बना दिया था l





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वैदेही के दुकान में विक्रम मौजूद था, विश्व और उसके चारों दोस्त भी बैठे हुए थे l विश्व बहुत ही गहरी सोच में खोया हुआ था l फिर अचानक से अपनी सोच से बाहर आता है और वैदेही से पूछता है



विश्व - दीदी... तुम्हें कितने बजे मालूम हुआ... बड़े राजा के बारे में...

वैदेही - तुम लोग सुबह नास्ता कर के जल्दी निकल गए थे... उसके कुछ देर बाद विक्रम ने आकर मुझे खबर किया... (विश्व विक्रम की ओर देखता है)

विक्रम - मुझे सुबह सुबह... सेबती ने खबर दी...

विश्व - सुबह सुबह...

विक्रम - हाँ... मतलब आठ... साढ़े आठ बजे...

विश्व - (और भी टेंशन में आ जाता है) (उसे टेंशन में देख कर वैदेही उससे पूछती है)

वैदेही - क्या बात है तु इतनी टेंशन में क्यों है...

टीलु - भाई टेंशन में तो होंगे ही... राजा साहब ने जब भाभी का फोन छिन लिया था... तब सेबती के हाथों भाई ने एक दुसरा मोबाइल भाभी को दिया था... अब वह मोबाइल भी राजा साहब के कब्जे में है... और भाभी की खबर और सलामती के बारे में... भाई कुछ जान नहीं पा रहे हैं...

विक्रम - क्या... नंदिनी के पास मोबाइल था...

टीलु - हाँ... क्यूँ आपको नहीं पता...

विक्रम - नहीं... हाँ पता लगता भी कैसे... मैंने अपना सब कुछ... मोबाइल भी... राजा साहब के पास छोड़ आया था... (थोड़ा रुक जाता है, फिर) पर तुम्हें कैसे पता चला... मोबाइल राजा साहब के पास है...

विश्व - हर सुबह मुझे जगाने के लिए राजकुमारी फोन करतीं थीं... पर आज नहीं किया... मैंने ध्यान भी नहीं दिया था... पर जब बड़े राजा जी के बारे में पता चला... तब राजकुमारी जी को मैंने फोन किया था... राजकुमारी जी के बजाय... फोन राजा साहब ने उठाया था...

वैदेही - क्या... मतलब... राजा को मालूम हो गया होगा... के नंदिनी से तुम रोज फोन पर बात कर रहे हो...

विश्व - नहीं... पता नहीं... पर शायद नहीं मालुम हुआ होगा...

विक्रम - यह तुम कैसे कह सकते हो...

विश्व - क्यूँकी मेरा मोबाइल... ऐंक्रीप्टेड है... और राजा ने जब फोन उठाया... मैंने फोन पर कोई बातचीत भी नहीं की...

वैदेही - ओ... मतलब तुमने फोन पर राजा साहब को सुन कर कोई बात नहीं की...

विश्व - नहीं... उस तरफ़ से.. राजा साहब ने भी कोई बात नहीं की...

गौरी - तो तुझे मालूम कैसे हुआ... दुसरी तरफ राजा साहब ही थे...



गौरी की इस सवाल पर सब विश्व की ओर देखने लगते हैं l विश्व सबकी और देखता है और अपनी जबड़े भिंच कर कहता है



विश्व - रिश्ता ही कुछ ऐसा है... मैं अपनी दोस्तों और दुश्मनों की... खामोशी तक पहचान सकता हूँ... सुन सकता हूँ...

वैदेही - ओ... तो अब तुम्हें इस बात का चिंता है... कहीं नंदिनी...

विश्व - नहीं... राजकुमारी जी की राज... भैरव सिंह को... शायद पता नहीं चला होगा... मेरा दिल कह रहा है... नहीं पता चला होगा...

विक्रम - तुम्हारा दिल तुमसे झूठ नहीं कह रहा होगा... और अगर तुम इतना श्योर हो... तो फिर तुम चिंता क्यूँ कर रहे हो....

विश्व - मैं श्योर नहीं हूँ.. बस अंदाजा लगा रहा हूँ... क्यूँकी... महल में... बड़े राजा जी का देहांत हो गया है... इस बात की जानकारी... मुझे राजकुमारी जी ने नहीं दी... पर जब इस बात की पुष्टि करना चाहा तो.... मोबाइल राजा भैरव सिंह ने उठाया था...

विक्रम - ह्म्म्म्म... ठीक है... तुम्हारी चिंता जायज है... पर महल की अंदर की खबर देने के लिए... अभी सेबती तो मौजूद है ना... और वह महल में... नंदिनी की साये की तरह रहती है... अगर कुछ गड़बड़ हुई होती तो सेबती... मुझे ज़रूर बताती...

वैदेही - हाँ... तुम बे-फिजूल चिंता कर रहे हो...

विश्व - शायद तुम ठीक कह रही हो... मैं शायद... राजकुमारी जी को लेकर बहुत हाइपर हो रहा हूँ...

टीलु - हाँ क्यूँ ना हो... आखिर नई नई शादी जो हुई है... (सब उसे खा जाने वाली नजरों से घूरते हैं) नहीं... मैं.. वह... माहौल को... थोड़ा हल्का करने की कोशिश कर रहा था... हे हे...

विश्व - (विक्रम से) तुम्हें अगर सुबह ही खबर मिल गई थी... तो तुम यहाँ क्या कर रहे हो... तुम्हें तो इस वक़्त महल में होना चाहिए... (अब सबकी नजरें विक्रम की ओर मुड़ जाती है)

विक्रम - हाँ बात तो तुम सही कह रहे हो... पर... मैंने और मेरे साथ चाचाजी ने... मतलब हमने राजा साहब और महल से रिश्ता तोड़ दिया था... लगता है... राजा साहब ने भी हमसे सारे रिश्ते तोड़ दिए हैं...

विश्व - मैं कुछ समझा नहीं...

विक्रम - देखो... सुबह जब सेबती काम पर गई थी... तब उसे ख़बर लगी... के बड़े राजा नहीं रहे... तो उसने अपना फर्ज निभाते हुए मुझे आकर खबर की... मैं जाने के लिए तैयार था भी... इसलिए जब घर से निकल कर जाने लगा... तो पाया... भूरा, शुकुरा और उनके कुछ आदमी घर घर घूम कर... गाँव में लोगों को बड़े राजा जी के बारे में जानकारी दे रहे थे... चूँकि गाँव में ज्यादातर मर्द केस के सिलसिले में यशपुर में थे.... तो यह हिदायत देते हुए कहा कि... दोपहर के बाद सबको महल पहुँचना है... पर... हमारे पास.... कोई नहीं आया...

विश्व - तो इस बात को तुमने दिल से ले लिया...

विक्रम - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) नहीं बात ऐसी नहीं है... मैं जाऊँगा जरूर... पर गाँव वालों के बीच में... एक हो कर... उस महल में से एक हो कर नहीं...

सीलु - ऐसा क्यों...

विक्रम - मैं खुद को... राजकुमार नहीं... इन्हीं गाँव वालों में से एक बनना चाहता हूँ...

क्यूँकी राजकुमार कभी इन गाँव वालों था ही नहीं... पर विक्रम जरूर इन गाँव वालों में से एक है... मैं उस महल में जाऊँगा तो राजगड़ वालों के भीड़ में से एक दिखना चाहूँगा... ना कि महल में से कोई... इसलिए मैं यहाँ आ गया... क्यूँकी... सारे गाँव वाले इसी रास्ते से महल जायेंगे... तो उनकी भीड़ में शामिल हो कर जाऊँगा... पर बात कुछ समझ में नहीं आ रहा... अभी तक तो गाँव वालों को... महल की ओर चले जाना चाहिए...



विक्रम के जवाब के बाद सभी चुप हो जाते हैं, क्यूँकी बात विक्रम ने सही कहा था l गाँव वालों को वैदेही के दुकान के सामने से गुजर कर महल की ओर जाना चाहिए l पर अब तक कोई भी गाँव वाला वहाँ से गुजरा नहीं था, तभी सत्तू आ पहुँचता है l उसे देख कर वैदेही सवाल करती है l



वैदेही - क्या बात है...

सत्तू - आज बहुत बड़ा कांड हो गया है दीदी...

वैदेही - क्या हो गया है...

सत्तू - आज थानेदार दास बाबु... महल गए थे...



महल में जो भी हुआ वह सारी बातेँ उन्हें बताता है l सब सुनने के बाद वहाँ पर मौजूद सभी को हैरत होती है l विश्व उससे पूछता है l



विश्व - तुम्हें यह सब कैसे पता चला...

सत्तू - कांस्टेबल जगन बाबु ने मुझे बताया... जब मैं गाँव में... बड़े राजा साहब की मौत की... लोगों की प्रतिक्रिया देखने गया था... लौटते वक़्त देखा... थानेदार बाबु पैदल आ रहे थे... और उनके दो कांस्टेबल... अपने दो साथियों के साथ उठा कर ला रहे थे... मैंने तुरंत एक ठेला का जुगाड़ किया और... उन्हें हस्पताल पहुँचा कर आ रहा हूँ...

विक्रम - ह्म्म्म्म... इस वक़्त राजा साहब... ऐसा क्यूँ कर रहे हैं...



विक्रम के सवाल पर सब चुप्पी साध लेते हैं l थोड़ी सोच विचार के बाद विश्व कहता है l



विश्व - लगता है... मैं कुछ कुछ... (पॉज) समझ रहा हूँ...

विक्रम - क्या समझ रहे हो...

विश्व - इंस्पेक्टर दास ने... राजा साहब की... पर्सनल सेक्यूरिटी हटा दी थी... और दो कांस्टेबलों को... महल के बाहर खड़ा कर दिया था... इस बीच उन्हें नंदिनी जी की मोबाइल मिली होगी... मोबाइल पर सबकुछ ढूंढने की कोशिश की होगी... पर उन्हें कुछ मिला नहीं होगा... क्यूँकी... इस मोबाइल में... राजकुमारी जी ने मेरा नाम सेव ही नहीं किया था... उन्हें मेरा नंबर याद है... और उस मोबाइल से वह किसी और को फोन करती भी नहीं हैं... तो जाहिर है.. कॉल रजिस्टर में... किसीका भी नाम नहीं मिला होगा... अब चूँकि सत्तू के सामने आ जाने से... राजा साहब को अभी अपने आदमियों पर शक हो रहा होगा... मतलब कोई ना कोई... महल में हमारा कोई आदमी था... जिसने उन्हें गच्चा देकर बाहर चला आया... यही सोच रहे होंगे... अगर उनकी अपनी सेक्यूरिटी होती तो उसे पकड़ लेते... इसी बात का खीज उन पुलिस वालों पर उतार दी...

विक्रम - पर इससे क्या उनकी पोजीशन खराब नहीं हो जाएगी...

विश्व - जब किस्मत और कानून उनकी मदत कर रहा हो.. उन्हें अब किसी बात की फिक्र नहीं है...

वैदेही - तो... अगली सुनवाई कब और कहाँ होगी... क्यूँकी हर दसवें दिन... केस की जगह बदलनी थी ना...

विश्व - हाँ पर जज साहब ने कोई ऑर्डर अभी निकाला नहीं है... अब मैं खुद पसोपेश में हूँ... केस में और बाइस या तेईस दिन जोड़े जाएंगे... और केस को शुरु से शुरु करेंगे... या फिर... ऐसे ही धीरे धीरे... तीस दिन ख़तम कर देंगे...

वैदेही - ऐसे कैसे हो सकता है...

विश्व - सब हो सकता है दीदी... सब हो सकता है... निजी कारणों के वज़ह से... अगर पहले के तीस दिन बेकार गया... फिर से हाइकोर्ट बेंच को रेफर किया जाएगा... वह बेंच फिर से वक़्त देने के लिए... विचार करेंगे... उसके बाद... इलेक्शन आ जाएगा... इलेक्शन के बाद... केस को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे... फिर वक़्त देंगे... इस बीच कुछ प्रमुख गवाह मार दिए जाएंगे... या कुछ गायब कर दिए जाएंगे... बिल्कुल रुप फाउंडेशन केस की तरह...



विश्व कहते कहते रुक जाता है, पाता है सब उसे गौर से सुन व देख रहे हैं l फिर विश्व कहना शुरू करता है l



विश्व - सब जानते हैं... केके ग़ायब हो गया है... या यूँ कहूँ... केके को गायब कर दिया गया है... यह असल में एक हींट था... इस केस से जुड़े हर एक शख्स के लिए... और इस सिस्टम के लिए.... और इसका असर मुझे दिखने लगा है...

वैदेही - क्या... क्या तु यह कहना चाहता है... की अदालत से हमें उम्मीद नहीं रखनी चाहिए...

विश्व - दीदी... यह एक युद्ध है... हर एक इस लड़ाई में... अपना पक्ष चुन चुके हैं... और हर एक को अपने अपने किरदार के साथ.. न्याय करना होगा...



विश्व फ़िर से चुप हो जाता है l उसकी बातों का यूँ असर हुआ था कि सारे लोग वहाँ पर चुप्पी साध लिए थे और गहरी सोच में खो गए थे l विक्रम की बात सबकी ध्यान खींचती है l



विक्रम - क्या बात है... सभी गाँव वालों को क्या हो गया है आज... इसी रास्ते से महल जाएंगे ना... फ़िर अब तक कोई गाँव वाला दिख क्यूँ नहीं रहा है...



तभी विश्व का फोन बजने लगती है l विश्व झट से अपना फोन उठा लेता है, डिस्प्ले पर डैनी भाई नाम दिख रहा था l विश्व तुरंत फोन उठाता है l



डैनी - कैसे हो हीरो...

विश्व - ठीक नहीं हूँ... आज की केस के बारे में... आपको पता लग गया होगा...

डैनी - हाँ लग तो गया है... पर तुम क्यूँ उदास हो रहे हो... तुम्हें तो एक दिन चाहिए राजा को क्रिमिनल साबित करने के लिए...

विश्व - हाँ पर केस की सुनवाई तो हो... जब इस केस की हालत ऐसी है... तो वह रुप फाउंडेशन की केस की सुनवाई कब और कैसे होगी...

डैनी - जरूर होगी.. तुम्हें इसीलिए तो फोन किया है...

विश्व - (आँखों में चमक आ जाती है) मतलब...

डैनी - हाँ हीरो... श्रीधर परीड़ा का पता चल गया है... और भी एक खुस खबर है..

विश्व - क्या... कैसी खबर...

डैनी - एक मिनट... मैं तुम्हारे एक दोस्त को कंफेरेंशींग में ले रहा हूँ... (विश्व का फोन कुछ सेकेंड के लिए होल्ड पर चला जाता है फिर उसे सुभाष सतपती की आवाज़ सुनाई देती है)

सुभाष - हैलो विश्व...

विश्व - सतपती जी आप...

सुभाष - हाँ.. मैं अपनी टीम के साथ... यशपुर आ रहा हूँ... और तुम्हारे लिए एक खुश खबरी ला रहा हूँ...

विश्व - कैसी खुश खबरी...

सुभाष - तुम्हारा शक बिलकुल सही था... रुप फाउंडेशन का एक गवाह... जिंदा गवाह मिल गया है...

विश्व - (उछल पड़ता है) ह्वाट...

डैनी - हाँ... सुभाष बाबु पहुँच रहे हैं... उनके पास पूरी डिटेल्स है... जो तुम्हारे साथ शेयर करेंगे... और फिक्र मत करो... तुम्हारे गवाह मेरे पास हिफाज़त में हैं... सुभाष बाबु के साथ बैठ कर... प्लान चॉक ऑउट करो... फिर उसके हिसाब से आगे बढ़ो...



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शाम ढल रही थी l महल में भैरव सिंह और उसके आदमीओं के नजरें गेट की ओर देखते देखते थक चुकी थी l सूरज की तपिश कम हो चुकी थी पर भैरव सिंह के मन में गुस्से का तपिश बढ़ता ही जा रहा था l चेहरा सख्त हो गया था और जबड़े भिंच चुकी थी l लंबी लंबी साँसे ठहर ठहर कर ले रहा था l उसकी यह हालत देख कर उसके सारे आदमी डर रहे थे l कुछ दूरी पर खड़े बल्लभ, रॉय और रंगा एक दुसरे को देख रहे थे पर भैरव सिंह के पास जाने की कोई हिम्मत नहीं कर रहा था l अब तक कुर्सी पर बैठा भैरव सिंह उठ खड़ा होता है l अपने दोनों हाथ पीछे बाँध गर्दन को दोनों तरफ़ झटका देता है l बल्लभ थोड़ा हिम्मत कर उसके पास जाता है l



बल्लभ - राजा साहब... लगता है... गाँव वाले नहीं आयेंगे...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर बिना देखे) हूँ... नहीं आयेंगे... जब गाँव वालों ने फैसला कर लिया है... तो यही सही...

बल्लभ - तो... अब हमें क्या करना चाहिए...

भैरव सिंह - (बल्लभ की ओर देखते हुए) क्या करना चाहिए मतलब... बड़े राजा जी का देहांत हुआ है... उनका दाह संस्कार होगा...

बल्लभ - तो ठीक है... (भीमा की ओर देख कर) भीमा... बड़े राजा जी का दाह संस्कार करना है... इसलिए... बड़े राजाजी के पार्थिव शरीर को उनके कमरे से लाने की व्यवस्था करो...



भीमा अपने कुछ साथियों को साथ लेकर महल के अंदर जाता है और कुछ देर के बाद नागेंद्र के शव को सब उठा कर ले आते हैं l भीमा और उसके साथी बाँस से अंतिम यात्रा की सवारी तैयार करते हैं l ठीक उसी वक़्त शुकुरा, भूरा और दो चार आदमी भैरव सिंह के सामने आकर सिर झुका कर घुटनों पर बैठ जाते हैं l भैरव सिंह उनकी ओर सवालिया दृष्टि से देखते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है, पर वे सब अपना सिर झुकाए वैसे ही घुटनों पर बैठे रहे l



भैरव सिंह - सिर झुकाए हुए हो... मतलब कोई ऐसी खबर लाए हो... जिसे हमारी कान सुनना मंजूर नहीं करेगा... (एक पल के लिए सब भैरव सिंह को देखते हैं फिर सब स्वीकृति के साथ दोबारा सिर झुका लेते हैं) बको जो भी बकना चाहते हो बको...

भूरा - हुकुम... (डरते डरते) श्मशान में कोई नहीं आया... यहाँ तक कोई पंडित भी नहीं आया... सबको खबर कर दी गयी थी... अब चिता के लिए लकड़ियां हमें ही इंतजाम करना होगा... (भूरा की इस बात से सबका मुहँ हैरत से खुल जाता है, पर भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव नहीं आता)

भैरव सिंह - ह्म्म्म्म... कोई बात नहीं... अब इस महल के मातम में... गाँव वाले शामिल नहीं होंगे...

रंगा - गुस्ताख़ी माफ राजा साहब... राजकुमार जी तो इसी गाँव में हैं...



भैरव सिंह रंगा की ओर देखता है, रंगा के शरीर में एक शीत लहर दौड़ जाती है l हालत कुछ ऐसी थी के कोई कुछ भी कहने से पहले सौ बार सोच रहा था l भैरव सिंह भूरा से सवाल करता है



भैरव सिंह - तुमने गाँव वालों से क्या कहा था...

भूरा - राजा साहब... मैंने और शुकुरा ने... घर घर जाकर सबको खबर की थी... (कहते कहते भूरा जिस तरह से पॉज लेता है भैरव सिंह समझ जाता है जरूर कोई ऐसी बात है जिसे भूरा कहने से डर रहा है)

भैरव सिंह - बेफिक्र... बेखौफ हो कर कहो... जवाब में गाँव वालों ने क्या प्रतिक्रिया दी... (भूरा एक नजर शुकुरा को देखता है और अपना सिर झुका लेता है l भैरव सिंह को गुस्सा आ जाता है) यहाँ क्या कोई तमाशा हो रहा है... बताओ क्या हुआ...

भूरा - (डरते डरते) हम जब बड़े राजा जी की देहांत की खबर दे कर लौट रहे थे... तब हमने देखा गाँव के कुछ लोग हमारे पीछे... (रुक जाता है)

भैरव सिंह - हाँ... क्या तुम्हारे पीछे...

भूरा - बड़े राजा जी के नाम पर... धुल उड़ा रहे थे...



भैरव सिंह अपनी कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो जाता है, भूरा और शुकुरा और उनके साथी डर जाते हैं l पर भैरव सिंह उनकी ओर जाने के बजाय भीमा की ओर जाता है और कहता है



भैरव सिंह - जाओ... बड़े राजा जी के कमरे में जाओ... उस कमरे में खाट से लेकर अलमारी तक जितने भी लकड़ी के सामान है... उन्हें बाहर लेकर आओ और कुल्हाड़ी से काट कर... इसी बरामदे के नीचे... चिता सजाओ... आज बड़े राजा जी की चिता यहीँ जलेगी... (भीमा कुछ समझ नहीं पाता, मुहँ खोले बेवक़ूफ़ों की तरह भैरव सिंह को देखे जा रहा था) (चिल्ला कर) जाओ...



भीमा अपने साथ कुछ आदमियों को लेकर नागेंद्र के कमरे में जाता है l बिस्तर से लेकर कुर्सी, सोफा अलमारी टेबल जो भी लकड़ी के थे सब बाहर ले आते हैं l कुल्हाड़ी से काट काट कर चिता बनाते हैं l भैरव सिंह अपनी बाहों में नागेंद्र की लाश उठाता है और लकड़ियों पर रख देता है l फिर बिना किसी औपचारिकता के चिता में आग लगा देता है l वहाँ पर मौजूद सभी लोग भैरव सिंह को देख रहे थे l चिता से उठती आग की रौशनी में भैरव सिंह का चेहरा बहुत ही भयानक दिख रहा था l थोड़ी देर बाद भैरव सिंह अपने लोगों के तरफ़ मुड़ता है l



भैरव सिंह - आज जो भी यहाँ मौजूद है... हम उनके आभारी हैं... आज आपकी मौजूदगी को... हम रूपयों और दौलत से तोल देंगे... फिलहाल आज का मातम का दायरा महल की परिसर तक ही था... पर बड़े राजा जी की मृत्य की चौथ की मातम... पुरा राजगड़ मनाएगा... अब तुम सब... जा सकते हो...



सभी लोग उल्टे पाँव लौटने लगते हैं l बल्लभ भी लौट रहा था तो भैरव सिंह उसे इशारे से रुकने के लिए कहता है l बल्लभ रुक जाता है और सभी वह जगह खाली कर चले जाते हैं l



भैरव सिंह - देखा प्रधान... गाँव वालों में कितनी हिम्मत आ गई... हमारे लोगों के पीठ के पीछे धूल उड़ाए हैं... (बल्लभ चुप रहता है) आज... बड़े राजा जी की अंतिम संस्कार के लिए... ना नाई आया.. ना धोबी.. ना लोग आए ना पंडित... (एक पॉज लेता है) एक विश्व.... क्या उनके लिए सीना तान कर खड़ा हो गया... हमारी मान पर बट्टा लगाने की हिम्मत कर ली... कोई नहीं... अब तुम देखना... इतिहास कैसे खुद को दोहराएगी... (फ़िर कुछ देर के लिए शांत हो जाता है, पर इसबार अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर बल्लभ को देता है) तुम इसकी मालिक को ढूंढो... पता लगाओ... यह सबूत है... अभी भी महल में... कोई है... जो विश्व के लिए काम कर रहा है... (बल्लभ उस फोन को अपनी हाथ में लेता है)

बल्लभ - यह आपको कहाँ मिला...

भैरव - बड़े राजा जी के... कमरे के बाहर... और हमें इसकी मालिक का नाम पता दे दो...

बल्लभ - गुस्ताखी माफ राजा साहब... आपको ऐसा क्यूँ लग रहा है कि... यह मोबाइल और इसका मालिक विश्व से जुड़ा हुआ है...

भैरव सिंह - इस पर एक कॉल आया था...

बल्लभ - क्या... किसने किया था...

भैरव सिंह - विश्व ने...

बल्लभ - विश्वा ने... किस किसका नाम लिया...

भैरव सिंह - नहीं उसने कुछ नहीं कहा... या यूँ कहो... उसने कोई आवाज ही नहीं निकाली...

बल्लभ - फ़िर आप यह कैसे कह सकते हैं... फोन के दूसरी तरफ विश्वा था..

भैरव सिंह - उसकी खामोशी को... हम साफ सुन पा रहे था... महसूस कर पा रहे थे... उसके किसी साथी का मोबाइल है यह... मुझे यकीन है... तुमने जब बड़े राजा जी की देहांत का खबर दी होगी... तब उसने चिढ़ कर अपने साथी को फोन लगाया होगा... जिसने गलती से बड़े राजा जी के कमरे के बाहर... छोड़ गया था...

बल्लभ - ओह माय गॉड... इसका मतलब..

भैरव सिंह - हाँ प्रधान... अभी भी उसका कोई आदमी हमारे महल में है... हमें शक तो है... पर बिना सबूत के... बे वज़ह कोई तमाशा नहीं करना चाहते... इसलिये जितनी जल्दी हो सके... इस मोबाइल के मालिक को ढूंढो...

बल्लभ - राजा साहब.. इसमें तो दो तीन दिन लगेंगे...

भैरव सिंह - दो दिन... सिर्फ दो दिन...

बल्लभ - सिर्फ दो दिन...

भैरव सिंह - हाँ... प्रधान हाँ... क्यूँकी... दो दिन बाद बड़े राजा जी का चौथ है... और चौथ का मातम... पूरा राजगड़ मनाएगा... इसलिए सिर्फ दो दिन है तुम्हारे पास...

बल्लभ - राजा साहब...

भैरव सिंह - जाओ...



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बल्लभ की गाड़ी अपने घर पर रुकती है l गाड़ी बंद कर के बल्लभ गाड़ी से उतरता है l जेब से घर की चाबी निकाल कर दरवाजा खोलता है l अंदर आकर ड्रॉइंग रुम की लाइट ऑन करता है फिर बेड रुम में जाकर भैरव सिंह की दी हुई मोबाइल को निकाल कर बेड पर फेंकता है और अपने कपड़े उतार कर बाथ रोब लेकर बाथरुम में घुस जाता है l शॉवर चला कर नहाने लगता है l नहाते नहाते उसके कानों में टीवी चलने की आवाज़ सुनाई देती है l वह शॅवर बंद कर बाथ रोब पहन कर बाहर आता है l बेड रुम से देखता है कि ड्रॉइंग रुम की लाइट बंद है l वह चुपके से अपना वॉर्ड रोब खोलता है और एक रीवॉल्वर निकाल लेता है l धीरे धीरे बेड रुम से निकल कर ड्रॉइंग रुम में आता है l उसे एक सोफ़े पर काला अक्स, एक साया सा दिखता है l चूँकि टीवी चल रही थी उसकी रौशनी में वह शख्स काले लिबास और एक हैट पहने सोफ़े पर बैठा हुआ था l


बल्लभ - कौन हो तुम...

साया - तुम्हारा बहुत बड़ा फैन...

बल्लभ - किसलिए यहाँ आए हो...

साया - तुम्हारा ऑटोग्राफ लेने...

बल्लभ - खबरदार अपनी जगह से हिले तो... तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - नहीं हिलता... आओ सामने बैठो... बात करते हैं... पहले यह न्यूज देखते हैं...

बल्लभ - शॅट अप... मेरे घर में... अंधेरा कर... मुझे अपने सामने बैठने के लिए कह रहे हो... हाऊ डैर यु... जब कि तुम मेरे गन पॉइंट पर हो...

साया - श् श् श् श्.... पहले यह न्यूज सुनो तो सही...


टीवी पर नभ वाणी न्यूज चैनल पर सुप्रिया न्यूज पढ़ रही थी -

" राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी के आर्थिक भ्रष्टाचार पर केस का आठवां दिन था और आज भी राजा भैरव सिंह ने अपनी हाजिरी नहीं दी l उनके बदले उनके वकील एडवोकेट श्री बल्लभ प्रधान जजों के सामने प्रस्तुत हुए और बड़े राजा जी श्री नागेंद्र सिंह क्षेत्रपाल जी की देहांत की खबर दी और अदालत से बड़े राजाजी की मरणोपरांत क्रिया कर्म व शुद्धीकरण के लिए अदालत से पंद्रह दिन की मोहलत मांगी जिसे सहसा अदालत ने स्वीकर कर ली l इस तरह से हाइकोर्ट के द्वारा निर्धारित तीस दिनों में तेईस दिन बिना सुनवाई के खत्म हो गई l अब प्रश्न यह है कि जो मुल्जिम हैं उनके निजी कारण को अदालत ने तवज्जो देकर जो तेईस दिन बिना सुनवाई के समाप्त हो गए उसकी भरपाई के लिए क्या अदालत शुरु से केस सुनवाई करेगी या बचे हुए साथ दिनों में निपटारा करेगी "


बल्लभ - बंद करो यह टीवी... इस न्यूज से तुम्हारा क्या वास्ता...

साया - मेरा ही नहीं... तुम्हारा भी वास्ता है... हम सबका वास्ता है...

बल्लभ - बस बहुत हुआ... बहुत बकवास कर ली तुमने... अब अपनी पहचान बताओ... या फिर... मरने के लिए तैयार हो जाओ...

साया - तुम मुझे गोली नहीं मार सकते...

बल्लभ - अच्छा... यह तुम्हारी खुशफहमी है... मैं चाहूँ तो अभी के अभी तुम्हें गोली मार सकता हूँ...

साया - और पुलिस से क्या कहोगे...

बल्लभ - सेल्फ प्रोटेक्शन... आत्म रक्षा...

साया - पर मैं तो तुम्हारे सामने... चुप चाप बैठा हुआ हूँ... कोई हरकत भी तो नहीं कर रहा...

बल्लभ - वह इसलिए... के तुम मेरे इन पॉइंट पर हो...

साया - हाँ बात तो तुम ठीक कह रहे हो... पर फिर भी तुम मुझ पर गोली नहीं चला सकते...

बल्लभ - ओ... अभी भी तुम खुशफहमी पाले बैठे हो...

साया - नहीं... यकीन है... क्यूँकी यहाँ मैं अकेला नहीं आया हूँ... अपने साथियों के साथ आया हूँ... और तुम इस वक़्त मेरे साथी के रीवॉल्वर के निशाने पर हो... तुमने जरा सी भी हरकत की... यकीन जानो.. अगले पल... तुम्हारी खोपड़ी उड़ चुकी होगी...

बल्लभ - (डर के मारे हलक से थूक गटकता है) तुम झूठ बोल रहे हो...


नहीं... (एक और आवाज़ बल्लभ के पीछे गूंजती है, अभी जो नहाया हुआ आया था वह अब पसीने से भीगने लगा था, वह झट से पीछे मुड़ता है पर अभी वह दूसरा शख्स उसके हाथों से रीवॉल्वर छीन लेता है, वह साया जो सोफ़े पर बैठा था वह कहता है)


साया - देखा... अब तुम मेरे आदमी के गन पॉइंट पर हो...

बल्लभ - तुम हो कौन चाहते क्या हो...

साया - अभी अभी जो न्यूज तुमने सुनी... उस केस के... तुम सुपर स्टार हो... और हम तुम्हारे बड़के वाले फैन हैं... (बल्लभ को अपनी पीठ पर गन की बैरेल चुभती हुई महसूस होती है) आओ... मेरे सामने बैठ जाओ...


बल्लभ सामने वाली सोफ़े पर बैठ जाता है l सामने सोफ़े पर बैठ साया टीवी बंद कर देता है l थोड़ी देर के लिए ड्रॉइंग रुम में अंधेरा छा जाती है फिर धीरे धीरे बेड रुम की हल्की रौशनी में बल्लभ को थोड़ा थोड़ा दिखने लगता है l तभी उसके कानों में किचन में बर्तनों की आवाज़ सुनाई देती है l



बल्लभ - तुम लोग मुझसे चाहते क्या हो... और तुम कितने आदमियों के साथ आए हो...

साया - सिर्फ तीन... हम तीन लोग आए हैं... और रुप फाउंडेशन केस हो या यह... राजगड़ मल्टिपल को-ऑपरेटिव सोसाइटी की केस... तुमने अपना क्या रोल प्ले किया है... हम सब तुम्हारे फैन हो गए हैं...

बल्लभ - ओ समझा... तो तुम अंधेरे में क्यों हो...

साया - क्यूँकी तुम अंधेरे के माहिर खिलाड़ी हो... राजा साहब तक को अंधेरे में रखा हुआ है...

बल्लभ - शॉट अप... मैंने राजा साहब से कोई धोखा नहीं किया है... उनका वफादार हूँ मैं...

साया - हाँ वफादार तो हो... पर कुछ बातेँ राजा साहब से छुपा कर... अपनी मतलब कि खिचड़ी पका लेते हो...

बल्लभ - देखो... अगर तुम विश्व हो... तो मैं तुम्हें बता दूँ... तुम गलत दरवाजे पर दस्तक दे रहे हो...

साया - चलो... एक बात क्लियर कर दूँ... मैं विश्वा नहीं हूँ... दूसरी बात... मैंने तुम्हारे सारे राज पता कर लिया हूँ... बल्कि अपने कब्जे में कर लिया हूँ...

बल्लभ - किस राज की बात कर रहे हो तुम...

साया - (हँसने लगता है) हा हा हा हा... सिर्फ बाथ रोब में हो... एक झटका काफी होगा... नंगे हो जाओगे... या यूँ कहूँ.. नंगे हो चुके हो...

बल्लभ - क्या... क्या मतलब है तुम्हारा...

साया - राजा के किसी खतरे को गायब करना हो या... हटाना हो... यह काम तुम और मरहुम रोणा बखूबी अंजाम देते रहे... रोणा तुम्हारा जिगरी यार था... पर कुछ राज की बातेँ तुमने रोणा को भी नहीं बताई...

बल्लभ - कौन से राज की बात कर रहे हो...

साया - तुम वकील हो... राजा के हर ईलीगल को लीगल कर कर के... अपने ईलीगल को भी छुपा गए... रुप फाउंडेशन केस में जयंत सर ने पाँच गवाह बनाया था... पर राजा साहब के कहने पर... तुमने एक को गायब कर दिया... याद है...

बल्लभ - (चुप रहता है)

साया - नाम मैं बताऊँ... या तुम बताओगे...

बल्लभ - ऐ के सुबुद्धी... तहसील ऑफिस का क्लर्क...

साया - शाबाश... और जब विश्व ने पीआईएल फाइल की... तब तुमने अपने एक और दोस्त को... अंडरग्राउंड करवा दिया...

बल्लभ - श्रीधर परीड़ा...

साया - शाबाश... और कमाल की बात यह है कि.. राजा को नहीं मालूम... यह सब तुमने किया... राजा को मालूम है कि... तुमने सुबुद्धी को मरवा दिया... और श्रीधर परीड़ा खुद को गायब कर दिया... जब कि... मास्टर माइंड तुम थे...

बल्लभ - ओ... अब समझा... यह दोनों अब तुम्हारे कब्जे में हैं... इस इंफॉर्मेशन के बदले... मुझसे क्या चाहते हो...

साया - मैंने कहा ना... हम सब तुम्हारे कमीने पन के कायल हो गए हैं... तुम अब हमारे लिए सुपर स्टार का दर्जा रखते हो... हम बस तुम्हारा ऑटोग्राफ लेना चाहते हैं...

बल्लभ - ऐसी कमीनेपन की बातेँ बहुत कर ली... सच सच बताओ.. क्या चाहते हो...



किचन से और एक आवाज गूंजती है - ज्यादा कुछ नहीं... पहले चाय पीते हैं... फिर... तुम जो चाहोगे वही करते हैं... क्यूँकी तुम हमारे सुपर स्टार हो... इसलिए हमारी टीम वही करेगी जो तुम कहोगे.. जैसा तुम चाहोगे...



बल्लभ किचन की ओर मुड़ता है वहाँ पर अंधेरे में एक शख्स ट्रे पर चाय की केतली और कुछ कप के साथ खड़ा था l
Nice update....
 
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