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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

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ANUJ KUMAR

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👉इकतालीसवां अपडेट
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दो दिन बाद
विक्रम अपनी गाड़ी से उतरता है lआज बहुत दिनों बाद कॉलेज में आया है l गाड़ी से उतर कर पहले एक अंगड़ाई लेता है फिर अपने क्लास की ओर निकालता है l रास्ते में कुछ लड़कियाँ उसे देख कर आहें भर रही हैं जो विक्रम को साफ सुनाई देती है l यूहीं अपनी क्लास की जाते जाते रास्ते पर देखता है विनय और उसके चमचे एक लड़की को छेड़ रहे हैं l विक्रम सीधे उनके पास जाता है l विनय विक्रम को देख कर लड़की को छेड़ना बंद कर देता है l विक्रम आकर वहाँ खड़ा हो जाता है और विनय को घूर कर देखने लगता है l लड़की चली जाती है l लड़की के जाते ही विक्रम एक चांटा रसीद कर देता है l विनय और उसके चमचों को सांप सूँघ जाता है l

विक्रम - भोषड़ी के... अब मैं यहाँ का... प्रेसिडेंट हूँ... मेरे राज में... तुझे इन सब की इजाज़त नहीं है... अगर दुबारा ऐसी ओछी हरकत करते पाया गया.... तो तु...
विनय - समझ गया.... युवराज... मैं समझ गया... आगे से आपको यहाँ कभी... आपको दीखूँगा... भी नहीं...
विक्रम - दफा हो जा यहाँ से...

विनय और उसके चमचे वहाँ से भाग जाते हैं l विक्रम अपनी क्लास की ओर बढ़ता है और जैसे ही क्लास रूम के एंट्रेंस पहुंचता है, तभी उसकी फोन बजने लगता है l फोन के डिस्प्ले पर बेताल नाम फ्लैश हो रहा है l विक्रम बेताल नाम देख कर हँस देता है l


विक्रम - राजकुमार... आप भी ना... (फोन उठा कर) हाँ बेताल... वह वह... मेरा मतलब है... शू.. शुभ्रा जी...(बात करते करते बाहर की ओर चल देता है)
शुभ्रा - क्या बेताल.... हाँ...
विक्रम - स... सॉरी सॉरी... वह... हमारे छोटे भाई ने शरारत की है.... उन्होंने आपका नाम... बदल कर... बेताल के नाम से सेव कर दिया था.... मुझे मालुम ही नहीं हुआ... और ध्यान भी नहीं रहा... इसलिए मेरे मुहँ से गलती से... निकल गया....
शुभ्रा - (खिलखिला कर हँसती है) अरे वाह.... मतलब... आपके छोटे भाई... बड़े मजाकिया हैं... वैसे ध्यान कहाँ था... कहीं कोई लड़की का चक्कर तो नहीं...
विक्रम - हाँ... क्या... य.. यह क्या कह रहे हैं...
शुभ्रा - अरे अरे अरे... आप ऐसे हकला क्यूँ जाते हैं....
विक्रम - जी मैं... वह... खैर छोड़ीए... वैसे... इस वक्त... अचानक... आपने हमें क्यूँ फोन किया....
शुभ्रा - अरे... क्या बात कर रहे हैं.... आप तो... इंटर कॉलेज... हीरो बन गए हैं... आपने कारनामें किए नहीं के... चर्चे सारे सहर में होने लगे हैं...
विक्रम - (हैरानी से)कारनामे... चर्चे.. किस बात के... हमने किया क्या है...
शुभ्रा - अररे... शांत... शांत.... अभी अभी आपने... एक्स प्रेसीडेंट की ठुकाई की... एक लड़की को... बचाया है... बस इतने में ही.. आप तो... टॉक ऑफ द टाउन हो गए...
विक्रम - अच्छा वह... क्या... अभी तो एक मिनट भी नहीं हुआ है... और...
शुभ्रा - तभी तो कहा... आपके चर्चे... अब सहर में... होने लगे हैं...
विक्रम - ओ... तो क्या... आप हमसे... इंप्रेस्ड हैं... अगर हैं.. तो उसके लिए... थैंक्यू...
शुभ्रा - इट्स ओके... इट्स
ओके... इसका मतलब... यह हुआ कि... हमने आपको... चुन कर गलत नहीं किया है...
विक्रम - (चेहरे पर मुस्कराहट उभर जाती है) कोई शक़....
शुभ्रा कुछ कहती नहीं है
विक्रम - हैलो...... हैलो...

विक्रम मोबाइल देखता है, फोन कट चुका है l विक्रम के चेहरे पर मुस्कराहट और गहरी हो जाती है, खुशी की खुमार दिख रही है l वह उसी खुमारी में फिर क्लास तक पहुंचा ही था कि फोन फ़िर से बजने लगता है l वह खुशी से फोन निकाल कर देखता है तो उसके चेहरे से हँसी और खुशी दोनों गायब हो जाती है l

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सेंट्रल जैल
भुवनेश्वर
डाइनिंग हॉल
उस दिन के बाद विश्व की डैनी से मुलाकात नहीं हो पाया है l विश्व हैरान है हमेशा खाने के समय विश्व को डायनिंग हॉल में डैनी मिल जाता था पर दो दिन बीत चुका है डैनी उसे नहीं दिखा है l विश्व को समझ में नहीं आता डैनी के बारे में पूछे तो पूछे किससे l नाश्ता खतम कर वह सीधे ऑफिस पहुंचता है और तापस के चेंबर की ओर जाता है l चेंबर के बाहर जगन बैठा हुआ मिलता है l विश्व उसके हाथों खबर भिजवाता है l जगन बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को बोलता है l

विश्व - क्या मैं अंदर आ सकता हूँ....
तापस - आओ विश्व आओ...बैठो
(विश्व बैठता है) बाय द वे.. कंग्रैचुलेशन... तुम्हारा... रेगुलर फॉर्मेट में... ग्रैजुएशन का सपना पुरा हो रहा है...
विश्व - थैंक्यू... सर...
तापस - तो भई अब यहाँ... क्यूँ आए हो... तुम्हारे काम करने के लिए तो बड़े बड़े डॉन तैयार बैठे हैं...
विश्व - सर वह मैं... असल में... डैनी जी... मुझे दो दिन से... नहीं दिख रहे हैं... मैं उनके बारे में... पूछने आया था....
तापस - ओ... तो अपने मददगार के... बारे में जानने आए हो...
विश्व - जी....
तापस - देखो विश्व... वह... यहाँ... रीकमेंडेड स्टे में है... वह यहाँ कैदी कम.... टूरिस्ट ज्यादा है... दो दिन हो गए.... वह अपनी सेल में... खाना मंगवा कर कहा रहा है...
विश्व - क्यूँ... उनकी तबीयत ठीक नहीं है... क्या....
तापस - बिलकुल ठीक है... कुछ नहीं हुआ है... अब वह दो दिन से... अपने मांद से... क्यूँ नहीं बाहर आ रहा है... वह वही जाने...
विश्व - ठीक है सर... (उठता है) चलता हूँ. है...
तापस - रुको विश्व... बैठो.... मुझे तुमसे... कुछ बात करनी है...
विश्व - (बैठ कर) मुझसे....
तापस - हाँ... तुमसे...
विश्व - जी कहिए...
तापस - पहली बात... आइ एम सॉरी... तुमने मुझसे मदत मांगी... पर मैं कर नहीं पाया...
विश्व - कोई बात नहीं.. सर..
तापस - पर अब मैं जो कहूँगा... तुम उसका बुरा मत माँगना.... प्लीज...
विश्व - जी कहिए....
तापस - देखो विश्व... डिस्टेंस एजुकेशन में... किसी भी फॉर्मेट में... डिग्री की वैल्यू वही रहती है.... फ़िर तुमने... यह रेगुलर फॉर्मेट में... डिग्री करने की जिद क्यूँ की....
विश्व - (एक गहरी साँस छोड़ते हुए) सर... आपको शायद नहीं मालुम.... पर एक कडवा सच यह है कि... राजगड़ में... क्षेत्रपाल परिवार को छोड़... किसी के पास... ग्रैजुएट डिग्री नहीं है....
तापस - व्हाट...
विश्व - जी सर... इसलिए यह मेरी जिद है... की मैं... रेगुलर फॉर्मेट में डिग्री हासिल करूँ...
तापस - ओ... पर... डैनी जैसे... मुजरिम के मदत से...
विश्व - हाथ तो... मैंने भी आपके तरफ.... मदत के लिए बढ़ाया ही था.... पर आपके पास... मेरे लिए सॉरी था....
तापस - ठीक है... मैं अपनी गलती मानता हूँ... पर डैनी जैसे लोग.... समाज के कोढ़ होते हैं... जिसे समाज स्वीकार नहीं करती...
विश्व - कोढ़ तो मैं भी हूँ... क्या समाज मेरी सजा खतम होने के बाद... मुझे स्वीकार करेगा...

तापस कुछ कह नहीं पाता एक ग्लानी सा मन में महसुस करता है l विश्व उसके मन की दुविधा को समझ जाता है l

विश्व - सर आप खुद को दोषी ना समझे... मैं जानता हूँ... समझ सकता हूँ... जयंत सर जी के साथ जो हादसा हुआ... मेरे लिए कोई आगे नहीं आता... तो मैंने अपना राह चुन लीआ है... आप खुद को दोषी ना समझे...

विश्व कुर्सी से उठ जाता है और मुड़ कर जाने लगता है पर अचानक रुक जाता है

विश्व -ज़माने से यह पैगाम हमारे नाम आया
ना समाज मेरा ना मैं समाज का काम आया
सबने साथ छोड़ा,
भाग्य, भगवान और साया
राह मंजिल में हमारा ऐसा भी मुक़ाम आया
क्या हुआ जब कोई कोढ़ी काम आया

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रात को सबके सो जाने के बाद विक्रम छत पर आता है l आसमान में बादलों के ओट में चांद चमक रहा है l चांद की रौशनी में नहाया हुआ हर मंजर को निहारता हुआ विक्रम छत पर खड़ा हो जाता है l वह कुदरती नजारों में खोया हुआ है कि उसे महसूस होता है कोई उसके पास आकर खड़ा हो गया l विक्रम झट से पलट कर देखता है तो वीर खड़ा है l

विक्रम - राजकुमार... आप सोये नहीं....
वीर - नहीं.. नहीं सोये... नींद नहीं आ रही थी... पर... आप किस खुशी में जागे हुए हैं....
विक्रम - कुछ नहीं... हमे भी नींद नहीं आ रही है... इसलिए...
वीर - ह्म्म्म्म... वाकई... आपको कैसे नींद आएगी... आपको राजगड़ जो बुलाया गया है... इसलिए... खुशी के मारे आपको नींद नहीं आ रही है....
विक्रम - (चिढ़ कर) इसमें खुशी वाली... बात क्या है...
वीर - क्यूँ... इस बार... आपका रंग महल प्रवेश जो होने वाला है...
विक्रम - (चिढ़ते हुए) तो आपको... इसी खुशी में... नींद नहीं आ रही है...
वीर - खुशी नहीं... दुख है...
विक्रम - कैसा दुख...
वीर - यही... आप रंग महल में जाने के लिए... दो साल लेट हो गए.... और हमे.... अभी एक साल इंतजार करना होगा...
विक्रम - बड़ी बेताबी है... रंगमहल जाने के लिए....
वीर - क्यूँ ना हो.... रंग महल में प्रवेश के बाद... हम पूरी तरह से... क्षेत्रपाल बन जाएंगे... तब बंदिशें कम होंगी... और बहुत कुछ करने की आज़ादी होगी... हमारे पास....

विक्रम वीर से कुछ नहीं कहता है l मुहँ फ़ेर कर आसमान की ओर देखने लगता है l

वीर - वैसे... भाभी जी से... बात आपने कहाँ तक बढ़ाई है....
विक्रम - हम खुद को... रोकने की बहुत कोशिश कर रहे हैं.... राजकुमार पर...
वीर - अच्छी बात है... पर आप खुद को रोक नहीं पा रहे हैं... हमने देखा कि... फंक्शन के दिन आप उन्हें लेकर... खाने की स्टॉल की ओर ले गए थे....
विक्रम - हमने कहा ना... हम खुद को रोकने की कोशिश... कर रहे हैं...
वीर - इतनी भी क्या बेबसी है....
विक्रम - आपकी सोच... आपकी उम्र से कहीं आगे जरूर है... पर जिस दिन आपको किसीसे मुहब्बत हो जाएगा... उस दिन यह बेबसी यह तड़प समझ में आएगा....
वीर - ना... हम उस दुनिया से कोई ताल्लुक़ ही नहीं रखना चाहते.... जो इस तरह की थ्योरी पर चलती हो.... चाहे रिस्ता हो या दुनियादारी.... हम प्रैक्टिकल थे... हैं और रहेंगे...

विक्रम हँसता है और अपना मुहँ फ़ेर लेता है l

वीर - आप जिसे प्यार कहते हैं... साइंस में उसे कुछ... हॉर्मोन फ्लो कहते हैं... जिसके वजह से... इस तरह की बीमारी लग जाती है... फटाल अट्राक्सन कहते हैं.... विस्तर पर ले कर चले जाने से...... सिर्फ़ पांच मिनट में....बीमारी खतम हो जाता है....
विक्रम - (चिल्लाते हुए) राजकुमार... (हाथ उठाता है मारने के लिए पर रोक लेता है)
वीर - (यह देख कर मुस्कराता है) श् श् श् श्.... युवराज... आपके चिल्लाने से... हो सकता है... छोटे राजा जी यहाँ छत पर आ जाएं....
विक्रम - राजकुमार जी (दांत पिसते हुए धीरे धीरे) आप बहुत कड़वी बातें करते हैं... कलेजा छलनी हो जा रहा है... मेरी मज़बूरी... मेरी बेबसी आपको तब समझ में आएगा... जिस दिन आपको मुहब्बत हो जाएगा...
वीर - हाँ अभी थोड़ी देर पहले.... अपने कहा था... दोहरा क्यूँ रहा है...
विक्रम - मेरी मुहब्बत.... आपको मज़ाक लग रहा है....
वीर - हा हा हा हा (हँसने लगता है) युवराज जी... मुहब्बत और मौत में कोई फर्क़ नहीं होता.... आप कितना दम भर रहे हो.... अपनी मुहब्बत का.... क्या उस लड़की को आपसे मुहब्बत है.... (विक्रम वीर की ओर देखने लगता है) नहीं होगी.... अगर होगी भी... तो वह... कच्ची उम्र की अट्राक्शन होगी... (विक्रम वीर को घूरने लगता है) युवराज जी.... हम दावे के साथ कह सकते हैं.... अगर कुछ पल के लिए... आप उस लड़की से दूर चले जाएंगे.... तो वह किसी और को ढूंढ लेगी...
विक्रम - (वीर के गिरेबान को पकड़ कर) कुछ देर तक... आप उन्हें... भाभी कह रहे थे... अब... वह लड़की... इतनी जल्दी मर्यादा भूल गए...
वीर - भुले नहीं हैं... आपको याद दिला रहे हैं... के आप क्षेत्रपाल हैं...
विक्रम - क्षेत्रपाल हैं... तो क्या... किसीसे मुहब्बत नहीं कर सकते.... आप अभी उम्र के.. उस पड़ाव पर नहीं पहुंचे हैं...
वीर - कैसी मुहब्बत... कैसी उम्र... यह किताबी बातेँ हैं... अगर आपको लगता है.... आपको मुहब्बत हो गई है... तो आपको मुबारक... हम अब तक आपको... समझा रहे थे... बाकी आपकी तकदीर... आप इतिहास उठा कर देख लीजिए.... सच्चा प्यार कभी मुकम्मल नहीं होता.... हमेशा अधुरी रह जाती है... चाहे... लैला मजनू हो या सोहनी महीवाल... या केदार गौरी या फ़िर... राधा कृष्ण.... और
रही हमारी बात... तो
अलबत्ता हम किसी से भी... मुहब्बत नहीं करेंगे.... क्यूंकि जिसे पांच मिनट में खतम किया जा सकता है.... उसे हम... जिंदगी भर.. नहीं ढ़ो सकते.... हमने तो फैसला कर लिया है.... हमे राजा साहब जी की तरह बनना है..... उनका रेप्लीका बनना है... और खुदा ना खास्ता.... हमे कभी मुहब्बत हो भी गई... तो वादा रहा... ना हम बेबस होंगे और ना ही... मज़बूर.... शुभ रात्री...

विक्रम को वहीँ छत पर छोड़ कर वीर नीचे अपने कमरे में चला जाता है l विक्रम मन मसोस कर वहीँ खड़ा रह जाता है l कुछ सोचने के बाद विक्रम फोन लगाता है l

विक्रम - हैलो... यश
यश - (नींद में उबासी लेते हुए) हाँ कौन... अरे... युवराज बोलो इतनी रात को क्यूँ फोन किया....
विक्रम - वह मुझे... आपसे थोड़ा.... पर्सनल काम है....
यश - हाँ कहो...
विक्रम - नहीं फोन पर नहीं....
यश - अच्छा.... लगता है... कुछ सिरीयस है... अच्छा कब मिलना चाहते हो....
विक्रम - आप ही बताओ... काम हमारा है...
यश - अरे... यारों के लिए कभी भी... क्या तुम... मेरे साथ कल सुबह का नाश्ता करना... चाहोगे...
विक्रम - श्योर...
यश - तो तय रहा.... कल मैं तुम्हारा... नाश्ते पर इंतजार करूंगा... तुम युनिट थ्री में... चेट्टीस् विला में पहुंच जाओ...
विक्रम - ओके... थैंक्यू... गुड नाइट...
यश - अरे काहे का... थैंक्यू... तुमको भी गुड नाइट....

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प्रतिभा अपने बिस्तर पर करवट बदल कर हाथ बढ़ाती है तो उसकी बगल में उसे तापस नहीं मिलता है l उसकी नींद टुट जाती है l वह झट से उठ जाती है l बेड रुम में उसे तापस नहीं दिखता है l वह उठ कर इधर उधर देखने लगती है, उसे बालकनी में तापस दिख जाता है l बालकनी में तापस खड़े होकर बाहर देख रहा है l प्रतिभा उसके पास जाती है

प्रतिभा - क्या बात है... सेनापति जी... आप सोए नहीं....
तापस - आज... नींद नहीं आ रही है...
प्रतिभा - क्यूँ... क्या.. कोई टेंशन है...
तापस - हाँ... है तो...
प्रतिभा - कैसी टेंशन...

तापस प्रतिभा की तरफ मुड़ता है l एक गहरी सांस छोड़ते हुए

तापस - समाज को हमने... क्या.. योगदान दिया है...
प्रतिभा - क्या... आप यह कैसी बातेँ कर रहे हैं....
तापस - समाज को हमसे क्या फायदा हुआ है....
प्रतिभा - ओह ओ... आप कैसी पहेली पुछ रहे हैं....
तापस - हम भले ही.... समाज का कुछ भला ना कर पाए... पर हम से समाज का कुछ बुरा नहीं होना चाहिए... है ना...
प्रतिभा - यह आपको क्या हो गया है... पहले आप अंदर आइए...

प्रतिभा तापस की हाथ पकड़ कर खिंच कर अंदर बेड पर बिठा देती है l

प्रतिभा - अब बताइए... क्या हुआ है... आप इतना अपसेट क्यूँ हैं...
तापस - पंद्रह दिन पहले... विश्व मेरे पास आया था... अपनी ग्रैजुएशन को रेगुलर फॉर्मेट में... पूरा करना चाहता था... इसके लिए वह मुझसे... मदत भी मांगा....
प्रतिभा - हाँ तो....
तापस - मैंने उसे फॉर्मेट को बदल कर एक बार में... फाइनल एक्जाम देने को बोला... वह तैयार नहीं हुआ.... तो मैंने भी अपनी मज़बूरी बताई.... और मना कर दिया....
प्रतिभा - ओह... पर मना क्यूँ किया आपने....
तापस - तुम समझने की कोशिश करो... जयंत सर जी का... जो हादसा.... उसके बाद... कौन वकील हिम्मत करेगा... विश्व को पैरोल पर छुड़ा कर... एक्जाम के लिए ले जाए... और जैल छोड़ जाए....
प्रतिभा - अच्छा.... हाँ तो यह... जेन्युइन प्रॉब्लम है....
तापस - शायद यही... मेरी ग़लती है... मुझे किसी वकील से बात कर लेनी चाहिए थी....
प्रतिभा - क्यूँ... ऐसा क्या हो गया है.....
तापस - वह अब... डैनी के वकील की मदत से... अपना ग्रैजुएशन पुरा करेगा.....
प्रतिभा - डैनी (कुछ सोचते हुए) यह डैनी वही है ना.... पोलिटिकल गुंडा...
तापस - हाँ... वही है...
प्रतिभा - ठीक है ना... उसमें इतना सोचने की क्या बात है...
तापस - (प्रतिभा की और देखता है) मुझे डर है.... कहीं... विश्व... डैनी की राह पर... निकल ना जाए....
प्रतिभा - ओह... तो.. इस बात ने... आपको परेशान कर रखा है....
तापस - हाँ... भाग्यवान.... अगर वह भटक गया... तो... (बेड से उठ जाता है) जयंत सर की वह चिट्ठी... जानती हो... विश्व से पहले... मैंने पढ़ी थी... चोरी से.... जयंत सर अपना सब कुछ विश्व के लिए... क़ुरबान कर दिया.... पर हम जो समाज में... अच्छे लोगों में... गिने जाते हैं... विश्व ने जब मदत मांगा... तो नहीं कर पाया.... उसकी मदत वह कर रहा है... जो समाज का कोढ़ है...
प्रतिभा - (करीब आकर तापस के कंधे पर हाथ रखकर) तो इस बारे में.... आपको विश्व से बात करनी चाहिए....
तापस - आज बुलाया था... उसे मैंने...
प्रतिभा - तो... क्या हुआ...
तापस - उसने कहा... उसका अब पहला लक्ष... ग्रैजुएशन है... कौन मदत कर रहा है... उससे कोई मतलब नहीं है...
प्रतिभा - अगर वह नहीं समझ रहा... तो आप क्यूँ टेंशन ले रहे हैं...
तापस - तुम समझ क्यूँ नहीं रही हो... हम सब दिल से जानते हैं... वह निर्दोष है... फ़िर भी वह सज़ा भुगत रहा है... कल कहीं... वह मुज़रिम बन गया तो.... मुझे मेरी आत्मा... बार बार पूछेगी... एक मौका था... मैं उसे ज़ुर्म की राह चुनने से रोक सकता था.... पर मैंने रोका नहीं...
प्रतिभा - उसकी जिंदगी है... अगर वह नहीं समझ रहा है... तो आप क्या कर सकते हैं... वैसे भी जहां तक... मुझे जानकारी है... वह... डैनी... एक या डेढ़ साल तक... जैल में रहेगा... विश्व तो... और भी पांच साल रहेगा.... इन पांच सालों में... हो सकता है... विश्व... डैनी को भुल जाए...
तापस - भगवान करे ऐसा ही हो.... वरना... तुम नहीं जानती... डैनी क्या चीज़ है...
प्रतिभा - एक गुंडा ही तो है...
तापस - (फीकी हँसी हँसते हुए) एक गुंडा... जिसकी हिफाज़त और जी हजूरी... सिस्टम करती है.... जिसको कई राज्यों में.... राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है.... वह जैल में रह कर भी... अपना धंधा... बड़े आराम से चला रहा है...
प्रतिभा - क्या...
तापस - हाँ... भाग्यवान... विश्व की मदत कर रहा है... डैनी जैसे मुजरिम के लिए... यह इंसानियत तो... नहीं हो सकती.... इसके बदले... वह विश्व से... जरूर कुछ ना कुछ चाहेगा ही....
प्रतिभा - ठीक है... आपकी बात मान भी लूँ... तो सवाल है... डैनी विश्व की मदत क्यूँ कर रहा है...
तापस - कुछ लोग... डैनी को मारने जैल में आए थे.... विश्व को भनक लग गई... उसने ना सिर्फ़ डैनी को आगाह किया था.... बल्कि एक बार बचाया भी था.... बदले में डैनी.... उसकी मदत कर रहा है....
प्रतिभा - ओ... तो यह गिव एंड टेक सेटलमेंट है.... आप तो खामख्वाह परेशान हो रहे हैं....
तापस - जहां तक मैं जानता हूँ.... डैनी... उसी की ही मदत करता है... जिससे कुछ वापस पाना हो.... मुझे कुछ करना होगा...
प्रतिभा - (जम्हाई लेते हुए) जब आप कुछ कर ही नहीं सकते.... तो अपना नींद क्यूँ ख़राब कर रहे हैं... चलिए... मुझे सोना है... (तापस कुछ कहना चाहता है) नहीं.... कुछ भी नहीं.... मैं कुछ भी नहीं... सुनना चाहती हूँ.... आप सो जाइए... जब नींद पूरी हो जाए.... तब हम बात करेंगे...

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अगली सुबह
वीर तैयार हो कर नाश्ते के लिए डायनिंग रूम में आता है l डायनिंग टेबल पर सिर्फ पिनाक सिंह अकेला बैठा हुआ है l

पिनाक - गुड मॉर्निंग... राजकुमार....
वीर - गुड मॉर्निंग...

डायनिंग टेबल पर आकर बैठता है l नौकर आकर नाश्ता परोसते हैं l

वीर - क्या बात है... छोटे राजा जी... आप इतनी सुबह सुबह... अपनी नींद खराब कर नाश्ते के टेबल पर... थोड़े परेशान दिख रहे हैं.... कहीं बड़े राजा... सिधार तो नहीं गए...
पिनाक - शुभ शुभ बोलिए... राजकुमार जी...लंबी उम्र है उनकी... भगवान उन्हें शतायु करें....
वीर - जब कुछ हुआ ही नहीं है... तो आप परेशान क्यूँ हैं....
पिनाक - वह हम सुबह सुबह... युवराज जी को गाड़ी लेकर यहाँ से जाते हुए देखा...
वीर - वह युवराज हैं... क्या इतना भी उनका.. हक़ नहीं....
पिनाक - नहीं ऐसी बात नहीं है... हमे लगा... शायद उन्हें... रंगमहल जाना... पसंद नहीं है...
वीर - उनका सुबह सुबह यहाँ से जाना... और रंगमहल क्या संबंध...
पिनाक - नहीं... हम कल जब... फोन पर जानकारी दी... तो कुछ नहीं कहा.... और कल शाम को भी पूछे थे... पर उनमें ना उत्साह... दिखा... ना ही कोई आग्रह....
वीर - तो पसंद नहीं होगा... इसमे आप को क्या परेशानी है...
पिनाक - हम कुछ दिनों से देख रहे हैं... वह कुछ खोए खोए से रहते हैं.... आप उनके करीब हैं... हमे लगा आपको बताया होगा....
वीर - हाँ... बताया है...
पिनाक - क्या... क्या बताया उन्होंने....
वीर - यही... के... शायद कोई कमसिन नहीं मिलेगी... रंगमहल में... इस बात का दुख है....
पिनाक - यह क्या बकवास है....
वीर - आपने वजह पूछी... हमने बता दी... अब तो रहम करें.... हमे हमारी नाश्ता पूरी करने दें....
पिनाक - ठीक है....

उधर चेट्टीस् विला में विक्रम पहुंचता है l यश पहले से ही तैयार था l वह बाहर आकर विक्रम से हाथ मिलाता है और अंदर ले जाता है l दोनों आकर डायनिंग टेबल पर बैठ जाते हैं l नौकर आकर उनको प्लेट सर्व करते हैं और नाश्ता लगा देते हैं l

यश - (खाते हुए) हाँ तो युवराज जी... कहिए... अपने इस दोस्त से क्या काम पड़ गया....
विक्रम - वह... आपका... ट्रिप कैसा रहा...
यश - ओह... माइंड ब्लोइंग... फैबुलश... (आँख मारते हुए) मज़ा भी बहुत आया....

विक्रम मुस्करा देता है पर कुछ कहता नहीं है

यश - आई एम डैम श्योर.... तुम यह जानने के लिए तो नहीं... आए हो...
विक्रम - हाँ वह... आपका.... मेडिकल कॉलेज है ना...
यश - हाँ है...
विक्रम - क्या अभी एक एडमिशन हो सकता है...
यश - आर यु गॉन म्याड... अभी आधे से ज्यादा सेशन खतम हो चुका है...
विक्रम - वह आप लोगों का... मैनेजमेंट कोटा होता है ना....
यश - हाँ होता है... पर अब....
विक्रम - देखीए ... दोस्ती के नाते फ्री में करने को नहीं कह रहे हैं... दोस्ती के नाते... एक वेकेंट सीट की पुछ रहे हैं.... जिसके बदले में.... हम पेमेंट कर देंगे....
यश - लगता है... किसी खास के लिए... सीट मांग रहे हैं....
विक्रम - मांग नहीं रहे हैं... पूछ रहे हैं... हाँ खास हैं... वह... और हम कोई भी कीमत दे सकते हैं.... फ्री नहीं चाहिए....
यश - ठीक है... अपने यार को... मायूस नहीं भेजेंगे.... जुगाड़ हो जाएगा... मैनेजमेंट कोटा से ही.... एक दो दिन बाद निरोग मेडिकल इंस्टीट्यूट जाइए... और वहाँ गौतम बीषोई नाम का बंदा मिलेगा... उससे बात कीजिएगा... आपका काम हो जाएगा.... युवराज जी..
विक्रम - क्या कल नहीं हो सकता है....
यश - ओह ओ... लगता है... बहुत ही खास है... चलो कोई नहीं... कल ही चले जाइए... मैं... बीषोई को फोन कर देता हूँ....
विक्रम - थैंक्यू दोस्त...
यश - दोस्ती के लिये कुछ भी.... वैसे इतनी जल्दी क्यूँ... पुछ सकता हूँ...
विक्रम - वह... दो दिन बाद.... हम राजगड़ जा रहे हैं... उससे पहले... एक दोस्त हैं... उनको हम यह दोस्ती का तोहफा देना चाहते हैं...
यश - वाव... दोस्ती का तोहफा... वह भी एक मेडिकल सीट...
विक्रम - (मुस्करा देता है) पर रिक्वेस्ट है... यह बात आपके और हमारे बीच रहेगी...
यश - अरे... ज़रूर... दोस्ती के खातिर कुछ भी.... वैसे... अचानक राजगड़ क्यूँ... अभी अभी तो... तुम्हारा... सिक्युरिटी सर्विस शुरू हुई है....
विक्रम - याद है... हमने आपको एक बार कहा था कि... कुछ बातों के लिए... हम एलिजीबल नहीं हैं...
यश - हाँ... वह तुम्हारा... कुछ... रस्म... मतलब कुछ रिचुअल होता है... उसके बाद ना...
विक्रम - हाँ... वही... हम अपनी एलिजीबिलीटी हासिल करने..... जा रहे हैं...
यश - ओ... वाव... कंग्रैचुलेशन... अब मुझे तुम्हारा साथ मिलेगा.. इन फ्यूचर... वैसे.. इस मामले में... मैं मदत कर सकता हूँ...
विक्रम - क्या मतलब... कैसी मदत...
यश - अरे बंधु (आँख मार कर) कुछ टेबलेट्स ले लो... मजा आ जाएगा... वह कैप्शन कंप्लीट हो जाएगा... ब्यूटी एंड बिष्ट... हा हा हा हा...
विक्रम - नहीं दोस्त... नहीं... इस बारे में... बाद में बात करते हैं...


दोनों का नाश्ता खतम हो जाता है l दोनों अपना हाथ धो कर बाहर निकालते हैं l विक्रम अपने कार तक पहुंचता है और यश को थैंक्स कह कर गाड़ी बाहर की ओर बढ़ा देता है l

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अगले दिन
सेंट्रल जैल
विश्व दोपहर के लंच के लिए डायनिंग हॉल पहुंचता है l इस बार भी बड़ी बेसब्री से डैनी को ढूंढता है l क्यूँकी सुबह नाश्ते के लिए भी डैनी आया नहीं था l उसे कोने वाली टेबल पर डैनी दिख जाता है l डैनी दिखते ही विश्व बहुत खुश होता है l विश्व खुशी से लाइन में खड़े होकर थाली में अपना खाना ले रहा है जैसे ही उसकी थाली भर जाती है, परोसने वाला एक कैदी उसे रोक देता है l

कैदी - सुनो... विश्व...
विश्व - (रुक कर) हाँ भाई...
कैदी - आज तुम... डैनी के पास मत जाओ...
विश्व - (हैरानी से) क्यूँ...
कैदी - उधर देखो (अपने आँखों से इशारा करता है, विश्व देखता है एक कैदी बेहोश पड़ा हुआ है) वह कल्लू... उसकी कुछ गलती भी नहीं थी... बस टकरा गया था... डैनी से... डैनी ने एक लाफा बदले में... चिपका दिया... बेचारा... एक ही लाफे में ही... बेहोश हो गया....
विश्व - क्या... वह मर गया क्या...
कैदी - अरे नहीं... लाफा इतना झन्नाटेदार था... बेचारे का मूत निकल गया... और वहीँ सो गया....
विश्व - डैनी भाई... को... किसी पर गुस्सा होते कभी देखा नहीं है.... फ़िर अचानक....
कैदी - देखो... मेरे को नहीं पता... पर इतना मालुम है... डैनी भाई का मुड़... दो दिनों से खराब है.... इसलिए सारे कैदी... यहाँ पर... उनसे... दूरी बनाए हुए हैं... तुम भी आज उनसे दूर ही रहो....
विश्व - अरे... ऐसे कैसे.... हो सकता है... वह अकेला महसुस कर रहे हों...
कैदी - अब मैंने... तुमको समझा दिया... किसीको बैल आकर सिंग मारे तो समझ में आता है... पर अपना माथा बैल की सिंग से लड़ाए... ऐसा तुमको पहली बार देख रहा हूँ....
विश्व - आ.. ह... कोई बात नहीं... अगर उनको कुछ दुख है... तो पुछ लेने से... उनका दुख हल्का हो जाएगा....
कैदी - जा भाई जा... इतनी देर से... मैं भैंस के आगे बीन बजा रहा था... जा...

विश्व अपना थाली लेकर डैनी के सामने बैठता है l डैनी विश्व को देखता भी नहीं, अपना निवाला मुहँ मे डालता है और सर नीचे कर चबाकर खाता है l विश्व थोड़ा असमंजस में है के बात करे या नहीं l कुछ सोचने के बाद

विश्व - डैनी भाई... आज आप तीन दिन बाद दिखे हो... ठीक तो हो ना आप....
डैनी - (गुस्से से विश्व को देखता है) क्यूँ बे... तुझे मैं... बीमार दिख रहा हूँ...
विश्व - नहीं बिल्कुल नहीं... बस ऐसे ही... आप को तीन दिनों से देखा नहीं था.... इसलिए...
डैनी - क्यूँ... तु... मेरा... मरद लगता है...
विश्व - ओ.. (उठने को होता है)
डैनी - अब उठ के.... जा कहाँ रहा है....
विश्व - वह आपका... शायद मुड़ ठीक नहीं है....
डैनी - यह मुड़ होता क्या है बे... जो ठीक या खराब होता है.... अब चुप चाप यहाँ बैठ... और अपना खाना खाकर निकल....

विश्व बैठ जाता है, और सोचता है अब डैनी से बात नहीं करेगा l डैनी का गुस्सा उतरने के बाद वह बाद में बात करेगा l ऐसा सोच कर विश्व अपना खाना खाने लगता है l

डैनी - तुझे कुछ दिनों से हीरो क्या बुलाया.... खुद को सच में हीरो समझने लगा है क्या...

विश्व खांसने लगता है l डैनी उसको पानी का ग्लास देता है l पानी का एक घूंट पीने के बाद विश्व की खांसी रुक जाती है l


डैनी - सच बोला तो खांसी निकल गई... तुने सोच भी कैसे किया बे... मेरे बराबर बैठ रहा है... तो मेरा ग़म हल्का करेगा... (विश्व फ़िर से उठने लगता है) अबे बैठ... उठा तो... यहीं पटक पटक कर मरूंगा... (विश्व बैठ जाता है) हा हा हा हा... देखा मार के नाम पर कैसे फट गई तेरी.... हा हा हा हा... देखो रे इसको... कैसी फटी हुई जुती की तरह शक्ल बनी हुई है.... हा हा हा (अब सारे कैदी भी हँसते हैं, विश्व अपना थाली लिए उठ जाता है) बोला ना बैठ (गुर्राते हुए) साले मेरी इंक्वायरी करता है... सुपरिटेंडेंट के पास... भोषड़ी के... तेरी मदत को उंगली क्या पकड़ाया.... तु तो मेरे कंधे पर बैठ कर... मेरे ही कान में मूतने लगा.... (विश्व की आंखे नम हो जाती है, दो बूंद आँसू टपक पड़ते हैं) लो.. यह देखो... अब यह मर्द दर्द के मारे रोने लग गया.... क्यूँ बे... सिर्फ़ रोना धोना ही आता है... या कुछ और भी.... कमीने... हराम खोर... इतनी एनर्जी खतम की... तेरे में... कोई बदलाव नहीं आया... साले रोंदुड़ु... अगर रो रहा है... तो सबके सामने नहीं.... जा किसी कोने में... अपना मुहँ छुपा कर रो... कम से कम... यहाँ लोगों में यह भरम तो रहे... के उनके बीच कोई मर्द है.... वरना... औरतों वाली सभी गुण फुट कर निकल रहे हैं....

विश्व अपने हाथों से आखों से बहते आँसू पोछता है l और डैनी के तरफ गुस्से से देखता है l

डैनी - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अबे... तुने रंगा की मारी थी.... वह भी अंधेरे में... सामने देख... डैनी... डैनी... इसलिए नजरें नीची कर... वरना हराम खोर... फ़िर किसी को आँख दिखाने के लायक भी नहीं रहेगा...

विश्व - बस... (चिल्ला कर) डैनी साहब बस... एक मदत क्या करदी आपने मेरी... मेरा सर नहीं खरीद लिया है आपने.... हाँ आँसू आए मेरे आँखों में... क्यूंकि अपना माना था आपको... हाँ थोड़ा जज्बाती हूँ... इसलिए आपका कहा... जितना हो सका... बर्दाश्त किया... पर अब नहीं... बस...अगर आपको मेरा यहाँ रहना पसंद नहीं.... ठीक है... मैं चला जाता हूँ... पर गाली नहीं.... गाली नहीं....
डैनी - वाह (ताली मारते हुए) वाह... अब गूंगे भी बोलने लगे हैं वाह... अबे चुगल खोर... सुपरिटेंडेंट के गोदी में... पाड़ने वाले.... गाली ही दी है... तुझ जैसे हरामी को... पटक पटक कर कुत्ते की तरह.... दौड़ा कर मारना चाहिए था.... यह तो मेरा बड़प्पन है... जो कुछ गालियों से... अपना गुस्सा शांत कर रहा हूँ....
विश्व - (अपना थाली नीचे फेंक कर) तो मारीए ना.... यह नाटक क्यूँ...
डैनी - अबे... मैं डैनी हूँ... डैनी... आदमी को देख कर समझ जाता हूँ... किसे मारने के लिए... कौनसा हथियार चाहिए... तुझ जैसे चूहे दिल वाले... छछूंदर को मारने के लिए.... गाली काफी है... वैसे भी मैं बहुत साफ सुतरा कैदी हूँ.... मक्खी मार कर... थोड़े ना हाथ गंदे करने हैं...
विश्व - (चिल्ला कर) बस डैनी साहब बस... कहीं मेरा सब्र... ज़वाब ना दे...
डैनी - अच्छा.... यह देखो भाइयों.... इससे सावधान रहना... क्यूँ के.. जब इसका सब्र ज़वाब दे देगा... यह झट से... अपनी दीदी से मांग कर... चूडी पहन लेगा...
हा हा हा हा...

डैनी के साथ वहाँ मौजूद सभी ठहाके लगाने लगते हैं, विश्व गुस्से से थर्रा जाता है l वह आगे बढ़ता है और डैनी को अपने तरफ घुमाता है, इससे पहले के डैनी कुछ समझ पाए विश्व पूरी ताकत से डैनी के चेहरे पर एक ज़ोरदार घुसा जड़ देता है l घुसे के प्रभाव ही ऐसा था कि डैनी जैसा आदमी पांच कदम दूर गिरता है l अचानक सबकी हँसी रुक जाती है l क्यूँकी किसी ने भी कल्पना तक नहीं की थी के कोई डैनी पर हाथ उठा सकता है l डैनी भी जवाब देने उठता है पर उसके नाक से खून की धार छूटने लगती है l वह खून अपने नाक से पोंछ कर कभी अपने हाथ में लगे खून को देखता तो कभी विश्व को
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ANUJ KUMAR

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अगले दिन
सेंट्रल जैल
सुबह के पांच बजे विश्व स्पेशल बैरक के बाहर पहुंचता है l बैरक के बाहर दरवाजे पर दस्तक देता है, अंदर एक संत्री दरवाज़े पर बने छोटी खिड़की से विश्व को देख कर दरवाज़ा खोलता है l विश्व अंदर आता है, अंदर एक और दरवाज़ा होता है संत्री वह दरवाज़ा भी खोल देता है l विश्व अब स्पेशल बैरक के अंदर आ जाता है और अंदर की हालत देख कर हैरान हो जाता है l जैल के भीतर एक ऐसी जगह भी है, अंदर एक अलग दुनिया बसी है उसे ऐसा लगता है, जैसे यह हिस्सा कोई जैल है ही नहीं बल्कि कोई कॉलोनी है l सात घर पास पास है, जैसे कोई स्कुल होता है l पेड़ पौधों से भरा एक मैदान भी है पास सट कर, पर कहीं कोई लोग दिख नहीं रहे हैं l तभी एक कैदी विश्व के पास आता है l

कैदी - विश्व जाओ... तीन नंबर के रूम में... डैनी भाई वहीँ पर... तुम्हारा इंतजार कर रहा है...

विश्व तीन नंबर कमरे में पहुंचता है l डैनी दातुन से अपना दांत साफ करते दिखता है l विश्व को देखते ही

डैनी - आ लौंडे आ.... बोल रात तेरी कैसी गई... तेरेको नींद तो ठीक से आई ना... (विश्व अपना सर हिला कर हाँ कहता है) संढास वगैरह कर लिया है ना... (विश्व फिर से सर हिला कर हाँ कहता है) अबे... मेरी गुलामी के लिए... हामी भरी है तुने.... इस खुशी में... अपनी मुहँ में कुछ ठूंस लिया है... क्या...
विश्व - डैनी भाई... कहिए... कहां से शुरू करूँ और.... क्या क्या करूँ...
डैनी - अरे वाह... लौंडे में... बड़ा जोश है...पहले मेरे पंटर लोगों का इंट्रो लेले... (आवाज़ देता है) किधर हो रे... पंटर लोग... आओ इधर...

पहले वाले कैदी के पास और चार कैदी और आकर खड़े हो जाते हैं l विश्व उन सबको देख कर हैरान हो जाता है l क्यूँकी एक कैदी वह था जिसने परसों खाना सर्व कर रहा था और विश्व को डैनी से दूर रहने और बात ना करने के लिए कहा था और एक कैदी वही है जो रंगा के ग्रुप में था, मगर चुप रहता था बोलता कुछ भी नहीं था, और बाकी कैदियों को विश्व हमेशा दूसरों के ग्रुप में देखा है l

डैनी - क्यूँ बे... यूँ आँखे फाड़े देख क्या रहा है बे... यह सब मेरे पंटर हैं... जो इस जैल के हर कोने में फैले हुए हैं.... (विश्व चुप रहता है) अब मेरे साथ तुझे यह लोग भी यहाँ पर काम देंगे... और यह लोग... तुझपे नजर भी रखेंगे... जहां तुझसे चूक होगी... वहाँ पर तेरे को पनीश करेंगे.... इसलिए इनको अच्छी तरह से.... पहचान ले.... (पहले कैदी को दिखा कर) यह है समीर.... (वह दुसरा रंगा के ग्रुप में जो था उसे दिखा कर) यह है वसंत..... (तीसरे को दिखा कर) यह है हरीश.... (चौथा) यह प्रणब और यह... (पांचवां) चित्त...

वह पांचो अपनी अपनी आस्तीन उठा कर विश्व को देखने लगते हैं l विश्व उन पर से नजरें हटा लेता है l डैनी उसे देख लेता है और मुस्करा देता है l

डैनी - चल... अभी तेरा पहला टास्क यह है... के यह जो मैदान तुझे दिख रहा है... उस पर मेरे पंटर लोगों ने ईंट से... बाउंड्री बनाए हैं... तुझे इस बाउंड्री के भीतर के सारे घास निकालने हैं...
विश्व - (उस मैदान को देख कर मन में) छोटा ही मैदान है... (उन ईंटों को देख कर) यह ईंट बेवजह रखे हैं... रखा ही क्यूँ... रखना और ना रखना एक बराबर है...
डैनी - कहीं ईंटों को देख कर.... यह तो नहीं सोच रहा है... ईंट रखना और ना रखना एक बराबर है...
विश्व-(हडबड़ा जाता है) नहीं नहीं... नहीं तो...
डैनी - तो फिर शुरू हो जा....
विश्व - कैसे.... मतलब... मैं किससे... मैदान से घास... साफ करूँ...
डैनी - ऑए... पंटर... कुदाल कहाँ है... दो इसे...

समीर कुदाल लाकर विश्व को थमा देता है l विश्व कुदाल लेकर मैदान से घास साफ करने लग जाता है l पूरे एक घंटे बाद सारा मैदान साफ नजर आता है l विश्व अपना नजर घुमाता है तो उसे सिर्फ़ समीर दिखता है l वह समीर के पास आता है l

विश्व - समीर भाई... मैदान साफ हो गया है... अब...
समीर - हाँ... बहुत अच्छे... चल आजा... मैं तेरे को और एक काम देता हूँ...

विश्व को एक कुएं के पास लेकर जाता है, विश्व देखता है कुआं बहुत पुराना और गहरा है l

विश्व - समीर भाई... यहाँ पर नल नहीं है....
समीर - है ना... पर तेरे लिए... यहाँ पर... कुएं की व्यवस्था है...
विश्व - पर जैल के दुसरे हिस्से में... कोई कुआं नहीं है... यहाँ कैसे...
समीर - अरे.... पहले यह हिस्सा कभी... बच्चों का स्कुल हुआ करता था... बाद में यहाँ जब जैल बना.... इस हिस्से को... पोलिटिकल सेल या स्पेशल सेल का दर्जा दिया गया.... तभी तो डैनी भाई यहाँ रहते हैं.... अब बातों से टाइम खोटी मत कर... चल लग जा काम में... बिंदास....
विश्व - पर यहाँ... करना क्या है....
समीर - अरे हाँ... यह रहा रस्सी और बाल्टी... और यहाँ देख (दो बड़े टीन के डिब्बे दिखाता है) इनको भर के... उस बगीचे में... हर पौधे और हर पेड़ पर पानी डाल जा...
विश्व - ठीक है...

विश्व कुएं में रस्सी से बंधे बाल्टी को कुएं में डाल कर पानी निकाल कर टीन के डिब्बे में डालता है l तब वह देखता है डिब्बे से पानी लीकेज हो रहा है l पानी को डब्बे से रिसते देख विश्व समीर की ओर देखता है l

समीर - देख यह काम.. बॉस ने... मेरे जिम्मे सौंपा है... चल देर मत कर... और चार भी... तेरे इंतजार में हैं...
विश्व - पर यह डब्बा तो फूटा हुआ है... इसमें पानी रिस् रहा है...
समीर - वह मेरे को नहीं पता.... काम नहीं किया तो... तेरे को मैं... पनीश करूंगा.... सोच ले...

विश्व कुछ नहीं कहता है l जल्दी जल्दी कुएं से पानी निकाल कर दोनों डब्बे में एक साथ डालने लगता है l जब दोनों डब्बे आधे से ज्यादा भर जाते हैं तब दोनों डब्बों को लेकर भागता है और पौधों में डाल कर वापस आ जाता है l ऐसा करते करते दो घंटे हो जाते हैं l सारे पौधे और पेड़ों में पानी डालने के बाद थक कर कुएं के दीवार के सहारे बैठ जाता है l तभी उसे वसंत आवाज़ देता है

वसंत - ऑए... चल आ.. इधर आजा...
विश्व - (हांफते हुए मुश्किल से उठता है) जी आया... (वसंत के पास पहुंच कर झुक कर अपने घुटनों पर हाथ रख कर) जी.. कहिए...
वसंत - यह ले पी ले... (एक ग्लास में दूध जैसा कुछ देता है)
विश्व - जी नहीं.... रहने दीजिए...
वसंत - अबे पी ले... आज दिन भर तुझे मेहनत करनी है... खाना तो मिलने से रहा... इसलिए इसे पी... और आजा... तुझे.. काम पे लगा दूँ... (विश्व को भूख लग रही थी, इसलिए वसंत से ग्लास लेता है और पी जाता है) शाबाश... अब आजा मेरे पीछे....

विश्व वसंत के साथ एक कमरे में आता है तो देखता है कि उस कमरे के फर्श पर पानी तैर रही है l वसंत उसे एक बाल्टी देता है और एक कपड़े का पोछा l

वसंत - चल जल्दी से... पोछा मार और कमरे को सूखा दे.... पर मैं जैसे कहूँगा वैसे करना होगा... पहले ऐसे (फर्श पर पोछा डालकर बाहर से अंदर तक लाता है और निचोड़ता है) बाहर से अंदर करना है... पर अंदर से बाहर नहीं... समझा... दाएं हाथ में आधा कमरा और बाएं हाथ से आधा.... अगर कुछ गड़बड़ किया तो...

विश्व वसंत के हाथों से कपड़े के पोछे को लेकर फ़र्श पर डाल कर बाल्टी में निचोड़ता है l पानी बाल्टी में गिरता है और फ़िर से पोछे को फर्श पर लगा कर बाल्टी में निचोड़कर देखता है कि यह बाल्टी में भी हल्का लीकेज है l पर विश्व इसबार कुछ कहता नहीं l चुपचाप पोछा लगा कर पानी निचोड़ने लगा l बाल्टी के भरते ही पानी बाहर फेंक कर वापस पोछा लगाने लगा l ऐसे करते करते उसे एक घंटा लग जाता है l

वसंत - वाह... क्या बात है... लगता है... ऐसे कामों की आदत है तुझे... (विश्व कुछ नहीं कहता है पर उसके चेहरे पर थकान साफ दिख रहा है) चल कोई नहीं... हरीश के पास जा.... अब वह तेरा इंतजार कर रहा है...

विश्व कमरे से बाहर निकालता है l बाहर उसे हरीश देखता है और इशारे से अपने पास बुलाता है l विश्व थके कदमों से उसके पास पहुंचता है l हरीश भी वही दुध वाला मिश्रण बड़े से ग्लास में विश्व को देता है l विश्व को भूक मारे बुरा हाल हो चुका है वह बिना देरी किए वह दूध वाला मिश्रण पी लेता है l ग्लास में वह पेय खतम होते ही हरीश उससे ग्लास ले लेता है

हरीश - चल बहुत थक गया है.... जा पांच नंबर घर में जा.... बॉस वहीँ हैं... वहाँ पर कुछ देर रुक... फिर मैं तुझे काम के लिए बुलाऊंगा... (विश्व कुछ समझ नहीं पाता वह हरीश की ओर सवालिया नजर से देखता है) अबे जा ना.... कभी किसी हैंडसम लड़के को नहीं देखा क्या.... ऐ.. इ... देख मैं तेरे को बोल दे रहा हूँ... मैं ऐसा वैसा लड़का नहीं हूँ.... आंये.... वैसे तु भी कम चिकना नहीं है... ऑफर करेगा तो सोचूंगा...

विश्व उसकी बातें सुनकर वहाँ से बिना पीछे मुड़े पांच नंबर घर की ओर चला जाता है l वह एक विशाल कमरा है जो कि एक जीम है l उस जीम में एक बेंच पर डैनी लेटा हुआ है और वेट लिफ्टिंग कर रहा है l उसके पास ही समीर, वसंत और चित्त खड़े हैं l

डैनी - ( वेट लिफ्टिंग करते हुए) आह...ओ विश्व... कैसा लग.... रहा है...

विश्व चुप रहता है l उसे चुप देख कर डैनी पास खड़े अपने बंदो को इशारा करता है l वसंत और चित्त डैनी के हाथ से वह वेट ले लेते हैं l समीर डैनी को टवेल देता है l डैनी अपना पसीना पोंछ कर उसी बेंच पर बैठते हुए

डैनी - क्यूँ हीरो... फट रही है ना... (विश्व चुप रहता है) अभी थोड़ा सुस्ता ले... पूरा दिन बचा है....
विश्व - आप मुझसे श्रम तो करवा रहे हैं.... पर यह दूध बादाम वाला मिश्रण पीला क्यूँ रहे हैं...
डैनी - अच्छा.... उस दूध के ग्लास में... क्या क्या मिला हुआ है बता...
विश्व - दूध में.. घी, शहद, पिस्ता बादाम और शायद मिश्री भी...
डैनी - वाह लौंडे... बहुत अच्छे... वह क्या है ना.... आज पहला दिन है रे.... और अपने पास डेढ़ साल है... तब तक तेरे को... चुस्त, दुरुस्त और तंदुरुस्त रहना है... यह मेरे टॉर्चर का... अपना स्टाइल है... मैं खिलाता हूँ... और जी भरने तक तुझसे जो मर्जी होगी वह करवाऊंगा... सो वेलकम तो माय टॉर्चर वर्ल्ड.... अब से तु... मेरे और मेरे पंटरों के बताए सारे काम करेगा... जहां नहीं कर पाया... वहाँ तुझे पनीश किया जाएगा....(बेंच से उठ कर) और हाँ... यह ड्रिंक... तुझे दिन में दस बार पीने को मिलेगा... और यहाँ खाने को चार बार मिलेगा.... हाँ वह भी हमारे तय किए गए मेन्यू के हिसाब से.... हाँ यह और बात है कि... तेरा पेट नहीं भरेगा... ( एक मोटे से काठ के बने विंग-चुंग के सामने खड़ा हो जाता है, और अपना हाथ चलाने लगता है) तुझे अब हरीश दो कांटे दार ब्रश देगा... उससे दीवार से चुना उतारना होगा... वह जैसा कहेगा... बिल्कुल वैसे ही.... उसके बाद चित्त तुझे जैसे रोटी बनाने को कहेगा... बिल्कुल वैसे ही रोटी अपने लिए और हमारे लिए बनाएगा... फिर प्रणब तुझे... उन्हीं दीवारों पर चुना लगाने के लिए ले जाएगा.... वह जैसे जैसे बोलेगा... तु बिल्कुल वैसे ही करना... अगर कोई कंप्लेंट नहीं रहा... तो जल्दी काम निपटा के चले जाना....

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एक भैंस के माथे पर सिंदूर लगा कर और फूलों की माला पहना कर राजगड़ के गलियों में ढोल नगाड़े बजा कर घुमाया जा रहा है l घुमाने वाले सभी लोग क्षेत्रपाल महल में काम करने वाले नौकर हैं l यह नजारा देख कर जहां गांव के छोटे बच्चे उस भैंस के पीछे हो लेते हैं वहीँ कुछ लोग अपने ल़डकियों को घर के अंदर जबरदस्ती भेज दे रहे हैं l वह भैंस और उसके साथ का काफ़िला मुख्य चौक से गुजरता है l मुख्य चौक पर वैदेही लीज पर लिए घर को एक दुकान की तरह सजा रही है l तभी उसका ध्यान गुज़र रहे काफिले पर पड़ती है l सिर्फ़ वैदेही ही नहीं वहाँ पर जितने भी लोग थे उस काफिले को देख रहे थे l कुछ लोग घबराए हुए भी थे l वह लोग आने वाले समय में, आने वाले खतरे के बारे सोच कर घबरा रहे थे l

लक्ष्मी - हे भगवान... अब क्या होगा....
वैदेही - क्यूँ... क्या होगा...
लक्ष्मी - क्या.. तुम नहीं जानती...
वैदेही - नहीं... क्या है यह...
लक्ष्मी- ओह... शायद... तुमने कभी यह सब... देखा नहीं होगा...
वैदेही - नहीं देखा है... क्या है यह....

लक्ष्मी चुप हो जाती है, वह वैदेही को क्या कहे उसे समझ में नहीं आता है l तभी वहाँ पर कुसुम पहुंचती है l

कुसुम - लगता है... आज युवराज जी का... क्षेत्रपाल परावर्तन होगा....
वैदेही - क्या... यह क्षेत्रपाल परावर्तन क्या है....
लक्ष्मी - क्या सच में वैदेही... तुम कुछ नहीं जानती....
कुसुम - नहीं जानती होगी... ऐसा पहले पच्चीस साल पहले हुआ था.... तब राजा साहब के लिए... एक भैंस की बलि चढ़ाया गया था... अब उनके बेटे के लिए... काली करतूतों वाली परंपरा को... आगे बढ़ाने के लिए....
वैदेही - (हैरान हो कर) क्या....
लक्ष्मी - पता नहीं... अब किसके भाग्य फुटेंगे... या फुट चुकी होगी...

वैदेही को अब कुछ कुछ समझ में आने लगता है फिर भी वह उन दोनों को सवालिया नज़रों से देखती है l

कुसुम - कोई उठा ली गई होगी कहीं से... जिसकी... आज जबरदस्ती नथ उतारी जाएगी... छी.... इसे परंपरा कहते हैं...

वैदेही की आँखे एक अंदरुनी दर्द के मारे बड़ी हो जाती है l उसे अपना वह वीभत्स घड़ी याद आती है l उसके तन-बदन पर खौफ की एक सिहरन दौड़ जाती है l

लक्ष्मी - इन क्षेत्रपालों से बचाने के लिए... बचपन में मेरी माँ ने मेरे साथ जो किया था... मेरी बेटी के साथ मुझे अब वही करना पड़ेगा....
वैदेही - क्या किया था... तेरी माँ ने...
लक्ष्मी - (अपने दुपट्टे को चेहरे से हटा देती है, तो उसके चेहरे पर बहुत पुराने जले हुए निशान दिखते हैं) मेरी माँ ने... तब रोते हुए... मुझसे माफ़ी मांगते हुए... जलती हुई लकड़ी को मेरे चेहरे पर लगा दिआ था....

वैदेही उसके चेहरे पर उन जले निशानों को देख कर सोच रही थी, कुसुम ने उस वक्त सिर्फ़ बाहरी दर्द को झेला होगा पर उसकी माँ को तो वह दर्द रूह तक महसुस हुई होगी l

वैदेही - कुसुम... जो तेरी माँ ने किया... शायद उस समय उसके पास... तुझे बचाने के लिए कोई रास्ता नहीं था....
कुसुम - हाँ...
लक्ष्मी - अरे इन क्षेत्रपालों के डर से... मेरी शादी मेरी माहवारी शुरू होने के साल में ही कर दी गई थी....भले ही कुछ सालों से क्षेत्रपालों की ओर से कोई अगवा नहीं हुआ है.... पर अब क्षेत्रपाल परिवार का नया खेप तैयार हो रहा है... पता नहीं आगे क्या होगा....
वैदेही - सुनो... तुम दोनों मेरी बात को गौर से सुनो... और हो सके तो.... गांव के हर घर में... ऐसा करने के लिए... कहो....
दोनों - क्या....
वैदेही - आज से... गाँव के... हर लड़की को... सर से लेकर पांव तक... नीम के तेल लगाओ... और हो सके तो खुद भी लगाया करो....
दोनों - पर नीम के तेल तो बदबूदार होता है ना....
वैदेही - हाँ यही बदबू... हमारी घर की बेटियों को... उन शैतानों से बचाएगी.... (वह दोनों वैदेही को अविश्वास से देखते हैं) मेरा विश्वास करो... यह कुछ दिन पहले मेरा परखा हुआ है....

उधर क्षेत्रपाल महल में अपने कमरे में विक्रम बैठा हुआ है l उसे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है l वह खुद को आईने में देख रहा है और खुद से बातेँ कर रहा है l
- मैं यह कर रहा हूँ... क्यूँ कर रहा हूँ... मैं अब क्या करूँ... कल को अगर शुभ्रा जी को पता चला तो... मैं उनका सामना कैसे करूँगा... सच में... हमारा रिश्ता... ब्यूटी एंड बीस्ट की होगी... एक तरफ उनकी खूबसूरती और मासूमियत.... दुसरी तरफ मेरी अंदर की बेवफाई और हैवानियत... नहीं नहीं... मुझे कुछ करना होगा... पर क्या करूँ...

तभी दरवाजे पर दस्तक होती है l विक्रम पलट कर देखता है एक नौकर सर झुकाए वहाँ खड़ा है l

विक्रम - क्या है....
नौकर - हुकुम... बड़े राजा जी ने... आपको उपस्थित होने के लिए कहा है...
विक्रम - ठीक है....

विक्रम उस नौकर के साथ नागेंद्र के कमरे के बाहर पहुंचता है l नौकर अंदर जाता है और थोड़ी ही देर बाद वापस आकर अंदर जाने के लिए कहता है l विक्रम अंदर जाकर देखता है नागेंद्र मुख्य कुर्सी पर बैठा हुआ है उसके अगल और बगल में भैरव और पिनाक बैठे हुए हैं l

नागेंद्र - आइए... युवराज... आइए... कितना यादगार दिन है आज.... एक ही कमरे में तीन पीढ़ियां एकत्रित हैं... आज आप पुर्ण रुप से.... क्षेत्रपाल बन जाएंगे.... अच्छा होता... हम तीन पीढ़ी... रंगमहल में इकट्ठे हो पाते... पर हमारा स्वास्थ हमे इससे महरूम कर रहा है.... फ़िर भी... हमारी शुभकामनाएं हैं आपके साथ...

वहाँ पर बैठे तीनों बड़ों को यह एहसास होता है कि विक्रम बिल्कुल भी खुश नहीं है l उल्टा खीज रहा है l

नागेंद्र - क्या बात है युवराज.... आप खुश नहीं हैं.... आप खामोश क्यूँ हैं.... आपका अधिकार क्षेत्र बढ़ जाएगा.... और आपका दर्जा.... राजा साहब के बगल में बैठ कर निर्णय ले सकेंगे... अब आप सभी बैठक में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले सकेंगे....
विक्रम - वह सब करने के लिए... यह कैसा परंपरा है... जिससे हमे गुजरना होगा.... एक बेजुबान जानवर की बलि चढ़ेगी... और एक मासूम अपनी अस्मत हारेगी....
नागेंद्र - आप सही कह रहे थे... छोटे राजा जी... हमारे युवराज... खुद को... क्षेत्रपाल बनाने से... कतरा रहे हैं.... (भैरव सिंह को) राजा जी... अब आप युवराज जी को समझाएं... और उन्हें मानसिक रूप से तैयार करें....
भैरव - जी बड़े राजा जी... (विक्रम को देख कर) यह क्या है युवराज.... आज आप सही मायने में... क्षेत्रपाल बन जाएंगे...

विक्रम सर झुकाए चुप चाप खड़ा है और अपने दाहिने पैर के अंगुठे से फर्श कुरेद रहा है l

भैरव - युवराज.... (आवाज़ कड़क कर) आप को... हो क्या गया है.... यह मत भूलिए.... आप के रगों में... क्षेत्रपाल वंश के रक्त बह रहा है....
नागेंद्र - आप... समझा नहीं रहे हैं... राजा जी....(विक्रम से) युवराज.... यह वंशानुगत परंपरा है... यह याद रखें... जिनके राज में... राज शाही घुटने टेक रहे थे... उन्हीं के राज में हमारे पुरखों ने... अपनी राजशाही की नींव डाली थी... अपना झंडा ना सिर्फ फहराया था.... बल्कि मनवाया भी था... आपको उन महान आत्मा के अनुगत एवं अनुरक्त होना चाहिए... इस परंपरा का निर्वाह कर.... आप उनके द्वारा हासिल किए गए और स्थापित किए गए राज शाही का सम्मान करेंगे....

विक्रम का सर वैसे ही झुका हुआ देख पिनाक कुछ कहने को होता है तो नागेंद्र उसे रोक देता है l

नागेंद्र - आप इतिहास उठा कर देख लें.... हर राज शाही में अपनी पत्नियों के लिए अंतर्महल रहा है और एक रंग महल रहा है... दासियों की परंपरा इस संसार में जब से राजशाही आया है... तब से है... यह इसलिए भी था... ताकि कभी कोई औरत किसी राजा का... कमजोरी ना बन जाए... रंगमहल के रंग में रंगने वाला राजा हर मोहपाश से मुक्त होता है.... और रंगमहल ही प्रजा में पनप रहे विद्रोह की भाव को दबा देता है.... पहले रंगमहल में सिर्फ़ दासियां हुआ करती थी.... पर आजादी के बाद भी इस परंपरा को स्वर्गीय सौरव सिंह क्षेत्रपाल जी कायम रखा.... जिसके विरुद्ध पाइकराय परिवार ने बगावत की.... उसके बाद आपके परदादा रुद्र सिंह क्षेत्रपाल जी ने उस विद्रोह को ऐसे कुचला... के आज सरकार कोई भी आए.... हमारे राजशाही के आगे नतमस्तक रहते हैं.... आप इस परंपरा से मुहँ फ़ेर कर.... विद्रोह को मौका ना दें.... जाइए... अपने कमरे में.... स्वयं को तैयार रखें.... आज आपको राजा जी और छोटे राजा जी दोनों... रंगमहल लेकर जाएंगे... जाइए....

विक्रम कमरे से बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही नागेंद्र पिनाक को देखता है l

पिनाक - आप... अपने रक्त पर विश्वास रखें... बड़े राजा जी...
नागेंद्र - हमें... हमारे वंश बीज पर विश्वास है... छोटे राजा जी... पर यह उम्र भटकाती है... भुवनेश्वर में कहीं कोई लड़की का चक्कर तो नहीं.....
पिनाक - नहीं... हमे ऐसा नहीं लगता... आज के आधुनिक समाज में... युवराज जी पुराने परंपरा को निर्वाह करने से कतरा रहे हैं....
नागेंद्र - तो... आप उन्हें तैयार कैसे करेंगे....
पिनाक - (एक कुटील मुस्कान अपने चेहरे पर लाकर) यश वर्धन नाम की महिमा है.... हमे यश वर्धन जी कृपा से राजपाठ प्राप्त है.... और यश वर्धन के माया से युवराज आज पुर्ण क्षेत्रपाल होंगे.... (पिनाक की हँसी गहरी हो जाती है)

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शाम को तापस के कैबिन में तापस के सामने जगन और दास दोनों खड़े हैं l तापस अपनी ठुड्डी पर अपने दाहिने हाथ की अंगूठा फ़ेर रहा है l

दास - सर...
तापस - हूँ....
दास - आप क्या सोच रहे हैं..
तापस - एक कार्टून याद आ रही है...
दास - कैसी कार्टून सर....
तापस - जगन को वाच टावर से डैनी और उसके गैंग पर नजर रखने के लिए कहा था.... ज़वाब में जगन जो रिपोर्ट दी... उससे वह कार्टून याद आ रही है....
जगन - हाँ सर.... आज विश्व से उन लोगों ने.... बेवजह बहुत मेहनत करवाया.... इतना के वह शाम होते होते ठीक से चल भी नहीं पा रहा है.....
दास - सर इसमे हम क्या कर सकते हैं.... राजी तो विश्व ही हुआ था.... वैसे वह कार्टून क्या था सर....
तापस - एक गधे की गाड़ी को भगाने के लिए... उस गाड़ी के मालिक ने... एक लंबे से लकड़ी के आगे एक गाजर को धागे से लटका देता है.... गधा उस गाजर को अपने सामने देख कर खाने के लिए झपटता है.... पर गाजर उसके मुहँ के पास आता तो है... पर पहुंच नहीं पाता... गधा अपना पुरा जोर लगा कर दौड़ता है... सफर खतम होता है... पर फिर भी गधे को गाजर नहीं मिलता है... अब समझे कुछ....
दास - जी सर... यहाँ गधा विश्व है... बीए की डिग्री गाजर और उस गाड़ी का मालिक डैनी... पर यहाँ... डैनी कौनसी सफ़र की तैयारी कर रहा है....
तापस - यही तो मेरे समझ में नहीं आ रहा है... विश्व... पहले बेचारा था.... अब और भी बेचारा हो जाएगा.... चलो चल कर देखते हैं... क्या हालत है उसकी...

सब मिलकर विश्व के सेल के पास आते हैं l विश्व अपने बिस्तर पर पेट के बल पड़ा हुआ है l दर्द भरे हल्के कराह से उसका कमरा गूंज रहा है l

- विश्व... (तापस आवाज देता है)
विश्व - (बिना पलटे) जी सर... (आवाज़ में थकान और दर्द साफ महसुस होती है)
तापस - क्या हम बात कर सकते हैं....
विश्व - (पलटता है) जी... (मुश्किल से बैठता है)
तापस - (जगन को इशारा करता है, तो जगन सेल की दरवाजा खोल देता है, तापस अंदर आता है) विश्व... आज दोपहर को मैं... बाजार गया था.... वहाँ से तुम्हारे कामकी सारी किताबें खरीद ली... सोचा तुम्हें दे दूँ...
विश्व - (आखों में चमक आ जाती है) क्या... म... मैं... आपका आभारी रहूँगा.... (हाथ जोड़ कर) क्या वह किताबें... मुझे अभी दे सकते हैं...
तापस - जरूर... वैसे क्या तुम... (कुछ रुक रुक कर) मेरे साथ... लाइब्रेरी तक जाना चाहोगे....
विश्व - (खुशी के मारे) जी... जी ज़रूर... (विश्व उठ कर खड़ा हो जाता है)

तापस और उसके साथ साथ दास और जगन तक हैरान हो जाते हैं l विश्व के भीतर पढ़ाई को लेकर जुनून को देखकर l विश्व को लेकर तीनों लाइब्रेरी में पहुंचते हैं l विश्व देखता है टेबल के ऊपर उसके दरकार के सभी किताबें रखी हुई हैं l विश्व की आंखे छलक जाती हैं l उसके हाथ अपने आप तापस के आगे जुड़ जाते हैं l

तापस - (उसके हाथों को पकड़ कर) नहीं विश्व... मैं इस लायक नहीं हूँ... पर मुझे खुशी है कि तुममे.... पढ़ाई को लेकर ग़ज़ब का जुनून है... इतने कड़े मेहनत के बाद... तुम जिस्मानी तौर पर टूटे हुए लग रहे थे.... पर ऐसा लग रहा है... के क्या कहूँ... तुममे नई ताजगी दिख रही है....
विश्व - (अपना हाथ जोड़ कर) सर जयंत सर ने एक बार कहा था... सर कटाने की तमन्ना अब हमारे दिल में है...
देखना है जोर कितना बाजू ए क़ातिल में है....
डैनी सर भले ही हज़ारों ज़ख्म दें... पर आज आपने मेरे हर ज़ख़्म की दवा कर दी है.... थैंक्यू... सर... बहुत बहुत थैंक्यू...

विश्व की बातों से तापस के दिल में अजीब सा सुकून मेहसूस होता है l वह विश्व के हाथों को पकड़ कर

तापस - बस बस... विश्व.. बस... तुम्हारा यह रिएक्शन देख कर मैं भी बहुत खुश हुआ हूँ... अब यह लो.. (एक चाबी देकर) यह इस लाइब्रेरी की एक्स्ट्रा चाबी है.... यहाँ कोई आता नहीं है... तुम अपनी पढ़ाई यहाँ आकर कर लेना... तुम्हें कोई डिस्टर्ब भी नहीं करेगा....
Nice update
 
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ANUJ KUMAR

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तीन महीने बाद
ESS ऑफिस में विक्रम, पिनाक और वीर बैठे हुए हैं l महांती उस कैबिन के दीवार पर लगे मैप पर पिन लगा कर लाल घागा बांध कर तीनों के तरफ मुड़ता है l

महांती - सो वेलकम जेंटलमेन... मैं आज आपको गुड न्यूज दे रहा हूँ... ऑल मोस्ट ऑल ऑर्गनाइजेशन, कॉर्पोरेट हाउसेस, मीडिया हाउसेस, बैंक और इंस्टिट्यूशन्स सभी को... भुवनेश्वर में हम... सिक्युरिटी प्रोवाइड करेंगे.... वह भी हमारी सर्विलांस के साथ....
पिनाक - वाह... बहुत अच्छे... युवराज जी वाह... आपका प्लान वर्क आउट कर गया...
विक्रम - ह्म्म्म्म...
पिनाक - अब आगे क्या सोचा है....
विक्रम - (महांती के ओर देख कर) महांती... यह स्पाय बग क्या होता है...
महांती - ट्रांसमीटर, ट्रैकर... बहुत कुछ....
विक्रम - देखो महांती... हम से जो भी सर्विस लेंगे... उनके अपने टर्मस एंड कंडीशनस होंगे... पर... हमे अग्रीमेंट के बीयंड जाना है...
महांती - समझ गया... युवराज...
वीर - क्या समझ गया... हम भी इस टीम में हैं... तो हमे भी थोड़ा समझाओ...
महांती - राजकुमार जी... युवराज जी के कहने का मतलब... हम उनके पर्सनल और प्रोफेशनल सारे डिटेल्स तक पहुंचेंगे... उनकी प्राइवेट और सीक्रेट सब हमारे पास सीक्रेट नहीं रहेगा... और उसके आड़ में बहुत कुछ हासिल हो सकता है...
वीर - मतलब...
विक्रम - मतलब यह है कि.... हम राजधानी में प्रभाव बढ़ाने जा रहे हैं... हम कोई बिजनैस नहीं करेंगे पर... सभी बिजनैस में हम ही हम होंगे... या तो प्यार से... या फ़िर जोर से...
वीर - ओ... मतलब हर बिजनैस में... हमारा हिस्सा होगा... पर इसके लिए... हमे बहुत हाईटेक होना होगा... हमे सबमें बेस्ट होना होगा....
महांती - हाँ हमारे गार्ड्स के ट्रेनिंग... उसी लेवल का हो रहा है... यकीन मानिए राजकुमार जी... आने वाले समय में... ESS की इंटेलिजंस भी.. सीआईडी या सीबीआई जैसी होगी... उनसे उन्नीस तो बिल्कुल नहीं होगी...
पिनाक - वाव...
विक्रम - छोटे राजा जी... डेविल आर्मी तैयार हो गई है... अब हैल की डिवेलपमेंट कहाँ तक पहुँची है....
पिनाक - शायद और दो महीने बाद... हम गृह प्रवेश कर पाएंगे...
विक्रम - ठीक है... महांती... हमारी रेपुटेशन कुछ उस लेवल तक हो... की लोग थाने के वजाए हमारी ESS के पास आए... और वह सब हम खुद डील करेंगे...
महांती - जी युवराज... हो जाएगा... पर ख़र्चे भी उस लेवल का होगा... और एक बात... अब आप, राजकुमार और छोटे राजा जी सब ESS की सिक्युरिटी लेकर चलें....
वीर - यह सिक्युरिटी लेकर चलना आपको मुबारक... हम नहीं लेकर जाने वाले...
विक्रम - क्यूँ....
वीर - फ़िलहाल हम स्टूडेंट लाइफ एंजॉय करेंगे... जब हम भी डायरेक्ट पालिटिक्स में आयेंगे... तब देखेंगे... आप बस महांती को पैसे की बात देखिए...
पिनाक - आप उसकी फ़िक्र मत करो.... जो भी है... वन टाइम इंवेस्टमेंट है... वैसे महांती क्या करोगे...
महांती - एक बहुत बड़ा सर्वर रूम... कंट्रोल रूम...
पिनाक - ठीक है.. ठीक है... जो भी है... उस पर काम शुरू कर दो...
विक्रम - महांती... यह बग के इंस्टालेशन जितना सीक्रेट हो उतना अच्छा...
महांती - उसकी फ़िक्र आप ना करें... वह सब सीक्रेट ही रहेगा...

इतने में पिनाक का फोन बजने लगता है l पिनाक वह फोन देख कर थोड़ा मुस्कराता है और

पिनाक - मुझे पार्टी ऑफिस जाना होगा... बाकी यह प्रोजेक्ट और यह प्लान आपका है... युवराज.... इसलिए आगे क्या हो सकता है और आप क्या कर सकते हैं... यह आप सोचिए... हम चले अपने प्रोजेक्ट पर....
वीर - आपका प्रोजेक्ट...
पिनाक - हाँ... क्यूँ हमारा कोई प्रोजेक्ट नहीं हो सकता है क्या....
वीर - क्यूँ नहीं हो सकता... पर युवराज जी का रंगमहल प्रवेश हो चुका है...(विक्रम के ओर देखते हुए) तो क्या उनको पता है... आपके प्रोजेक्ट के बारे में...
विक्रम - नहीं... हमे नहीं पता...
पिनाक - हमारा यह प्रोजेक्ट पुरी तरह से पर्सनल है... इसलिए युवराज नहीं जानते....

इतना कह कर पिनाक वहाँ से निकल जाता है l पिनाक के जाने के बाद महांती भी विक्रम से इजाजत लेकर बाहर चला जाता है l

वीर - तो हम चलें...
विक्रम - राजकुमार जी... अब आप गाड़ी चलाना सीख लीजिए... आप पूरी तरह इंडिपेंडेंट बन जाइए....
वीर - ह्म्म्म्म... आइडिया अच्छा है... पर अब तो मेरे ड्राइवर आप हैं....
विक्रम - ठीक है राजकुमार.... आज के लिए ही हम आखिरी बार... गाड़ी ड्राइव करेंगे... क्यूंकि कल से... हम गार्ड्स से घिरे रहेंगे... पुरे वीवीआईपी के जैसे...
वीर - ठीक है...

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गाड़ी के पीछली सीट पर प्रतिभा और प्रत्युष बैठे हुए गप्पे लड़ा रहे हैं और रेअर मिरर से उन दोनों को मजे से गप्पे लड़ाता देख चिढ़ा हुआ तापस गाड़ी ड्राइविंग कर रहा है l

प्रतिभा - हाँ तो ड्राईवर... गाड़ी को जरा महानदी व्यू होटल ले चलो...
तापस - यह बहुत हो रहा है... तुम माँ बेटे... मुझसे ऐसे बदला ले रहे हो... जिस दिन मेरी बारी आएगी... उस दिन देखलेना...
प्रत्युष - देखो ड्राइवर... आप बस कार ड्राइव करो... हमारे पचड़े में मत पड़ो...
तापस - तो बिल भी आप दे देना मालिक...
प्रत्युष - कौनसा बिल...
तापस - क्यूँ... होटल में बिल क्या तुम्हारा बाप भरेगा...
प्रतिभा - कोई नहीं... बाप नहीं... इस बार बिल माँ भरेगी...
प्रत्युष - देखा... हो गया ना आपका पोपट...
तापस - हाँ बेटे... तुम माँ बेटे मिलकर मुझसे चीटिंग कर... पत्ते में हराया है... और ड्राइवर बना कर... लिए जा रहे हो...
प्रत्युष - हाँ तो... आपने ही तो चैलेंज लिया था... के हॉकी के चक्कर में... मैं इंटरेंशिप भी नहीं कर पाऊँगा...
प्रतिभा - और नहीं तो... इंटेरेंशिप तक पहुंच गए तो ड्राइवर बन कर ट्रीट दोगे बोले भी थे... बचने के लिए तास की पत्ते का गेम चैलेंज दिया... आपने लिया...
प्रत्युष - इसलिए ड्राइवर... ट्रीट तो माँ ही देगी... आप बस टीप दे देना...
तापस - हम्म... याद रखूँगा...
प्रतिभा - वाकई यह दिन याद रखने लायक है... सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस... मिस्टर तापस कुमार सेनापति... आज ड्राइवर बन गए हैं...

दोनों माँ बेटे हँसने लगते हैं l तापस गुस्से से उनको रेअर मिरर से देखता है और मुहँ बना कर गाड़ी चलाता है l उसी होटल के एक टेबल पर पिनाक और यश आमने सामने बैठे हुए हैं l

पिनाक - यश बाबु... आपका कहिए... कैसे याद किया... हमने आपके लिए एक मीटिंग को पेंडिंग कर आए हैं...
यश - वह क्या है कि... बड़े लोग कह गए हैं... उपकार किया तो भूल जाओ और.... पर काम किया हो तो कीमत जरूर माँगों...
पिनाक - हमारे भी बड़े कह गए हैं... उपकार लिया है तो याद रखो... काम लिया है तो कीमत अदा करो.... कहिए यश बाबु... क्या कीमत चाहिए....
यश - एक बहुत बड़ा ज़मीन... मैं पहली बार वाईआईसी फार्मास्यूटिकल्स को कटक से बाहर ले जाना चाहता हूँ... और इस बीच मैं कई बार... राजगड़ जा कर आ चुका हूँ... मुझे वह जगह बहुत पसंद आई है... चूंकि हस्पताल का एक एक्सटेंशन जा रहा है... लगे हाथ फैक्ट्री का भी कल्याण कर दीजिए...
पिनाक - हूँ... पर फैक्ट्री के लिए राजगड़ ही क्यूँ...
यश - फ़िक्र ना करें छोटे राजा जी... मैं जानता हूँ... राजगड़ में आपके सिवाय कोई इंडस्ट्री लगा नहीं सकता... मैं खुद वह बाउंड्री लाइन क्रॉस नहीं करना चाहता... आपका हमारा पार्टनरशिप रहेगा... ज़मीन आपकी इंफ्रास्ट्रक्चर और इंवेस्टमेंट मेरा...
पिनाक - हूँ... प्रपोजल तो अच्छा है... पर फ़िर भी... राजगड़ ही क्यूँ...
यश - वेरी सिम्पल... पूरे राजगड़ और यशपुर... और उसके आस पास जहां भी क्षेत्रपाल एंड कंपनी की फैक्ट्रियाँ हैं... वहाँ पर लेबर कॉस्ट... पूरी दुनिया में सबसे कम है... और सोने पे सुहागा... इस मैटर पर कोई हिम्मत नहीं करता... अपना सर खपाने के लिए...
पिनाक - हाँ... यह तो है...
यश - वैसे कैसा है... अपना हीरो... आपका युवराज...
पिनाक - बढ़िया है... वैसे... उसके लिए थैंक्स... हाँ....
यश - नो मेनशन... कितनी डोज दिया है उसे...
पिनाक - दो डोज... जिस दिन रंगमहल प्रवेश हुआ... उस दिन तो क्या कहने... और दो डोज दिए हैं.... अभी इन तीन महीने में... पर उसका आउट कॉम क्या हुआ... यह मालुम नहीं हुआ....
यश - तो और मत दीजिए... एक बात याद रखिए... छोटे राजा जी... जिसके मन में सेक्स डिजायर होता है... या बायोलॉजीकल नीड होता है... यह दवा उस डिजायर या नीड को बूस्ट करता है... अगर यह दवा खाने वाला... ख़ुद को... सेक्स से दूर रखेगा... तो उस दवा के साइड इफेक्ट से.... उसका फ्रस्ट्रेशन लेवल एलीवेट होगा... जो उसे धीरे धीरे आपके युवराज को.. वाइलेंट करेगा... करता ही जाएगा...
पिनाक - ओ... यश बेटा... क्या सेक्स तुम्हारा भी डिजायर है या नीड....
यश - सेक्स मेरा... ना तो नीड है... ना ही डिजायर... सेक्स तो मेरा पैशन है.....
पिनाक - हूँ... खैर उसकी नौबत नहीं आयेगी.... क्षेत्रपाल है... वह अपना डिजायर फुल फिल कर लेगा...
यश - तो सैंपैन मंगवाये...
पिनाक - हाँ मंगवा लो...

यश फोन पर सैंपैन ऑर्डर करता है l और कुछ देर बाद एक वेटर सैंपैन का बॉटल और दो ग्लास रख कर चला जाता है l

बाहर कुछ देर बाद सेनापति परिवार गाड़ी से पहुंचते हैं l प्रतिभा और प्रत्युष गाड़ी से उतर कर सीधे होटल में घुस जाते हैं l तापस गाड़ी पार्क करके अंदर पहुंचता है l तो देखता है एक बहुत बड़े ग्राउंड में कुछ कॉटेज नुमा शेड है तापस ग्यारह नंबर कॉटेज में पहुंचता है l वहाँ लगे टेबल पर पहले से ही प्रतिभा और प्रत्युष दोनों बैठे हुए हैं l तापस उनके पास आकर बैठ जाता है l

तापस - वाह बच्चू... होटल पहुंचते ही अपने बाप को भूल गए...
प्रत्युष - डेड आप मेरा इंसल्ट कर रहे हैं... मैं इतना नामाकूल, नामुराद, नालायक नहीं हूँ...
तापस - तो क्या हो...
प्रतिभा - होनेवाला एमबीबीएस डॉक्टर... प्रत्युष सेनापति...
प्रत्युष - थैंक्स माँ... देखा डैड... डोंट बी सैड...
तापस - (माँ बेटे की जुगलबंदी देख कर मुहँ बना कर चुप बैठता है) वेटर... (बुलाता है)
एक वेटर आकर - यस सर...
प्रत्युष - अरे वेटर... ऑर्डर मैं दूँगा...
वेटर - ठीक है सर... (मेन्यू कार्ड देता है)
प्रत्युष - अरे यह मेन्यू कार्ड हटाओ... मैं जो ऑर्डर करूँ वह लाओ... मेरे लिए... एक मटका बिरियानी और एक बैंबु मटन... माँ के लिए... दो बटर नान चिल्ली पनीर और कढ़ाई मशरूम... और डैड के लिए तीन तंदुर रोटी और एक डाल फ्राय... सिंपल... जाओ...
वेटर - सर स्टार्टर में कुछ...
प्रत्युष - ठीक है... हमारे लिए.. मसाला पापड़ और डैड के लिए ग्रीन सलाद... अब जाओ...

वेटर चला जाता है, वेटर के जाने के बाद प्रत्युष तापस की ओर देखता है, तापस प्रत्युष को ऐसे देख रहा है जैसे वह कच्चा चबा जाएगा l

प्रत्युष - (डरने की ऐक्टिंग करते हुए) क्य.. क्या हुआ डैड... आप मुझे ऐसे क्यूँ देख रहे हैं...
तापस - कमीने... तेरी और तेरी माँ की ऑर्डर देख और मेरी ऑर्डर देख... मैंने क्या बिगाड़ा तेरा... जो मुझे घास फुस खिलाएगा...
प्रत्युष - डैड... जब माँ को बिल पे करना है... तो ऑर्डर स्पेशल होना चाहिए कि नहीं...
तापस - यानी अगर मैं बिल पे करूँ... तो ऑर्डर बदल सकता है...
प्रत्युष - ना... वह अगली बार के लिए...

इतने में वेटर स्टार्टर लाकर टेबल पर सर्व कर देता है l वेटर के जाते ही

तापस - क्या बात है भाग्यवान.... हम बात बेटे में इतना तर्क हुआ... पर तुमने हिस्सा नहीं लिया...
प्रतिभा - हाँ वह... दोनों वहाँ पर जो बैठे हुए हैं... क्या हम उन्हें जानते हैं...
प्रत्युष - ( उस तरफ देखते हैं) हाँ माँ वह जो शूट बूट और फ्रेंच कट दाढ़ी के साथ बैठे हैं... वह हमारे निरोग हस्पताल के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं... पर उनके बगल में जो बैठे हैं... उन्हें नहीं जानता...
तापस - वह... पिनाक सिंह क्षेत्रपाल हैं...
प्रतिभा - तभी..... तभी मेरी नज़र बार बार उस तरफ जा रहा है...
प्रत्युष - एक मिनट... (इतना कह कर प्रत्युष उठ जाता है और यश के बैठे शेड तक जाता है, यश से ) गुड इवनींग सर...
यश - (हैरान हो कर) गुड इवनींग... आप कौन हो बरखुरदार... क्या मैं आपको जनता हूँ...
प्रत्युष - नो सर... पर मैं आपको जनता हूँ... सर मैं आप ही के कॉलेज में मेडिकल पढ़ रहा हूँ... इस साल इंटरैंनशीप में जा रहा हूँ...
यश - ओह... कंग्रैचुलेशन... एंड केरी ऑन...
प्रत्युष - थैंक्यू सर...
यश - यहाँ कैसे... माय बॉय...
प्रत्युष - वह सर माँ और डैड के साथ पार्टी करने आया था... आपको देखा तो रहा नहीं गया... इसलिए चला आया... क्यूँ की आप हम सबके... आइडल हैं... आइकॉन हैं... आप तक मीडिया वाले भी नहीं पहुंच पाते... पर आज मैं बहुत लकी हूँ... आपसे मेरी बात हो पा रही है...
यश - थैंक्यू.. थैंक्यू...
प्रत्युष - सर अगर आप बुरा ना माने तो..
यश - क्या...
प्रत्युष - सर यहीँ... मेरे मोम डैड हैं... ईफ यु डोंट माइंड...
यश - ओके...
प्रत्युष - (हाथ से इशारा करते और आवाज देकर) माँ... डैड... प्लीज यहाँ आइए... (प्रतिभा और तापस उस शेड में पहुंचते हैं) सर... यह मेरी माँ हैं... एक लयर और यह मेरे डैड... सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस....
यश - (वहीँ बैठे बैठे) हैलो... हैलो...
दोनों - हैलो...
यश - कैन यु जॉइन वीथ अस...
तापस - नो सर... यु प्लीज कैरी ऑन... हमारी ऑर्डर हो चुका है...
प्रतिभा - हाँ आप बड़े लोग... कोई महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर रहे होंगे... इसलिए हमे इजाज़त दीजिए... थैंक्यू..
यश - ओके... नाइस मीटिंग यु...

तीनों अपने शेड में लौट आते हैं l तापस और प्रतिभा दोनों प्रत्युष पर भड़कते हैं l

प्रतिभा - क्या जरूरत थी... उनके पास जाने की...
प्रत्युष - क्यूँ क्या हुआ माँ...
तापस - देखो प्रत्युष... उनको हमारा वहाँ जाना पसंद नहीं आया...
प्रत्युष - ओह डैड... यह आप कैसे कह सकते हैं...
प्रतिभा - तेरे डैड ठीक कह रहे हैं... वह जो तेरे बॉस के साथ बैठा हुआ है... पिनाक सिंह.... उसने एक बार धमकाया था मुझे... और तुने देखा नहीं उन्होंने हमें फौरन बाय भी कहा... ना दिलसे स्वागत किया ना दिलसे बाय कहा....
प्रत्युष - व्हाट... ओ
प्रतिभा - यह व्हाट किस लिए... ओर ओ... किसलिए...
प्रत्युष - पिनाक सिंह ने आपको धमकी दी.... इसके लिए व्हाट और हमारे एमडी ने ना दिलसे स्वागत किया और ना बाय दिलसे... इसके लिए ओ...
तापस - ओह स्टॉप ईट... हम क्यूँ अपना शाम खराब कर रहे हैं...
प्रतिभा - ठीक है... नो मोर डिस्कशन

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अगले दिन
सेंट्रल जैल
विश्व सुबह तड़के स्पेशल बैरक पहुंचता है lइस बार प्रणब उसका स्वागत करता है l

प्रणब - और विश्व... कैसा गया तुम्हारा एक्जाम...
विश्व - जी बहुत अच्छा गया... वैसे आप सबको थैंक्स... यह दस दिन मुझे छुट्टी देने के लिए...
चित्त - ऑए... थैंक्स या धन्यबाद जो भी करना है... डैनी भाई से बोल... (उधर से चित्त आते हुए) उनके अदालत में मुजरिम तु है...
विश्व - जी वह तो मैं कह ही दूँगा....
प्रणब - चल तु अपने रूटीन में लग जा... पानी निकाल और पेड़ पौधों को पेट भर पीला... चल
विश्व - ठीक है भाई...

इतना कह कर विश्व हांडी को कुए में डाल कर, अपनी दोनों हाथों के तीन तीन उंगलियों के सहारे बाकी दिनों के तुलना में जल्दी जल्दी पानी निकालने लगा और पौधों में भाग भाग कर पानी डालने लगा l प्रणब और चित्त दोनों उसकी आज की फुर्ती देख कर हैरान रह जाते हैं l पौधों में पानी डालने के बाद कुए से सटे सीमेंट की टंकी भी पानी से भर कर विश्व उन दोनों के सामने खड़ा हो जाता है l

विश्व - भाई अब क्या...
प्रणब - हूँ... ओ हाँ... (तीन महीनों में पहली बार विश्व की स्फूर्ति देख कर हैरान हुआ है) वह.. एक मिनट...

प्रणब कुछ दूर जा कर चित्त से बात करता है फ़िर अंदर जा कर बाल्टी लाता है l वह उस बाल्टी को टंकी में उड़ेल देता है l बाल्टी से दो मछलियाँ गिर कर टंकी में गिरते हैं l

प्रणब - चल यह मछली पकड़...

विश्व उस टंकी के पास आकर खड़ा होता है l उसे पानी में दो मछली दिखते हैं l विश्व टंकी में उतरता है l पानी उसके घुटनों के बराबर है l विश्व पानी के टंकी में निश्चल खड़ा रहता है l पांच मिनट बाद मछलीयाँ उसके पैर के पास पहुंचते हैं l अचानक विश्व बारी बारी से पहले दाहिने हाथ फिर बाएं हाथ से दोनों मछलीयाँ पलक झपकते ही पकड़ कर टंकी से बाहर फेंक देता है l अब समीर भी प्रणब और चित्त के पास पहुंच जाता है l विश्व की मछली पकड़ना देख तीनों हैरान हो जाते हैं क्यूंकि विश्व इस बार मछलियों को पकड़ने के लिए वही तीन उँगलियों का इस्तमाल किया था जिन उंगलियों को पानी निकालने के लिए इस्तेमाल किया करता है l विश्व टंकी से निकल कर तीनों के सामने खड़ा हो जाता है l तीनों उसे मुहँ फाड़े देखे जा रहे हैं l

विश्व - हाँ भाई... अब क्या करना है...
समीर - वैसे डे अल्टरनेट में... या तो मछली पकड़ना है या फिर मुर्गी... पर तेरी स्पीड देख कर आज... मुर्गी पकडने का टास्क भी करले....
विश्व - ठीक है...

तीनों विश्व को लेकर सात नंबर रुम के पीछे पहुंचते हैं l उस रूम के पीछे बीस बाय बीस के एक वर्ग क्षेत्र को तार की जाली से घेरा गया है l जाली वाली वर्ग के भीतर एक मुर्गा चर रहा है l विश्व उस वर्ग में घुसता है l विश्व के घुसते ही मुर्गा सतर्क हो जाता है l विश्व अपनी दोनों बाहें फैला कर मुर्गे को एक कोने तक पहुंचा देता है l कोने में पहुंच कर जब मुर्गे को घिर जाने का एहसास होता है l मुर्गा विश्व को दाएं बाएं छका कर विश्व के सर के ऊपर जंप लगा देता है l विश्व भी उतनी ही फुर्ती से पलट कर मुड़ते हुए छलांग लगाता है l मुर्गे के दोनों पैर विश्व के उंगलियों में फंस जाती है l सिर्फ कुछ ही मिनट में मुर्गा विश्व के कब्जे में थी l इस बार भी विश्व को कोई परेशानी नहीं हुई l मुर्गा हाथ में आने के बाद विश्व इन तीनों के सामने आ कर खड़ा हो जाता है lवह तीनों हक्के बक्के हो कर विश्व को देखते हैं l दस दिन ही तो हुए हैं l डैनी ने विश्व को एक्जाम के लिए छुट्टी दी थी, और यह दस दिन विश्व ने सिर्फ़ पढ़ाई ही किया है l पर आज दस दिन बाद एक अलग विश्व को देख रहे हैं l

समीर - जा पांच नंबर रूम में जा... हम डैनी भाई से पुछ कर आते हैं...

विश्व पांच नंबर रूम की ओर चल देता है l वहाँ पहुँच कर देखता है उस कमरे में कोई नहीं है l वह उस कमरे में लगे सभी इंस्ट्रूमेंट्स को उत्सुकता से देखता है l उन पर सिर्फ डैनी को ही कसरत करते देखा है उसने l ऐसे रूम में घुमते घुमते विंग-चुंग के सामने आ कर खड़ा होता है l वह डैनी को विंग-चुंग पर हाथ आजमाते देखा है l विश्व इधर उधर देखता है l उसे कोई नहीं दिखता है l अपनी मन की उत्सुकता को दबा नहीं पाता l इतने दिनों से डैनी जिस तरह से विंग-चुंग पर हाथ चला रहा था उसे याद करते हुए विश्व भी हाथ चलाने लगता है l पहले याद करते करते धीरे धीरे उसका हाथ चलने लगता है l फिर उसके हाथ ज़ोर ज़ोर से चलने लगता है, बिल्कुल वैसे ही जैसे डैनी के हाथ चल रहा था l विश्व के हाथ तेजी से चलने लगते हैं बिल्कुल किसी प्रोफेशनल की तरह l क़रीब आधे घंटे बाद उसे लगता है कमरे में वह अकेला नहीं है l विश्व विंग-चुंग से हाथ हटा लेता है और पीछे मुड़ कर देखता है l डैनी अपने पंटरों के साथ खड़ा है और विश्व को सब देख रहे हैं l डैनी को छोड़ बाकी सब विश्व को आँखे फाड़ देख रहे हैं l

डैनी - वाह लौंडे... आज तो तुने कमाल ही करदिया.... आज तुने सारे टास्क वक्त से पहले खतम कर दिया... पर... तुझे मेरे इंस्ट्रूमेंट्स को हाथ लगाना नहीं चाहिए था....
विश्व - वह... स.. सॉरी डैनी भाई.... सॉरी... मुझे माफ कर दीजिए...
डैनी - माफ़ी... मिल सकती है... बशर्ते मैं तुझे मारूँगा... पर तुझे मेरी मार लगनी नहीं चाहिए....
विश्व - जी.... जी (हैरानी से)...
डैनी - हाँ जी.... चल तैयार हो जा...

विश्व जाना नहीं चाहता पर वसंत और हरीश उसके पास पहुंचते हैं और धक्का दे कर डैनी के पास भेज देते हैं l पांचो ऐसे घेरे खड़े रहते हैं कहीं विश्व भाग ना जाए l डैनी एक पंच मारता है, विश्व के हाथ अपने अपने उस पंच को रोक देता है l फ़िर डैनी के पंचेस की स्पीड बढ़ती जाती है विश्व के रीफ्लेक्सेस उतनी ही तेजी से बढ़ जाती है l अपने रीफ्लेक्सेस देख खुद विश्व भी हैरान हो जाता है, पर कुछ देर बाद डैनी अपनी वार बदलता है l जिस हाथ का पंच विश्व ब्लॉक करता है उसी हाथ को डैनी मोड़ कर कोहनी से मारता है l इस बार विश्व को लग जाती है l अब कि बार विश्व को डैनी छका कर घुम कर कोहनी से मारता है l विश्व मुहँ के बल गिर जाता है l विश्व फिर संभल कर बैठ जाता है और डैनी को देखता है l डैनी जीम टेबल पर बैठ कर विश्व को देख रहा है l

डैनी - वाह लौंडे वाह... बहुत जल्द पकड़ लिया...

विश्व अपनी जगह से उठता है और सीधे डैनी के सामने खड़ा हो जाता है l फ़िर झुक कर डैनी के पैरों पर गिर जाता है l

डैनी - अरे यह... यह क्या कर रहा है...
विश्व - आप... आप मुझे सीखा रहे थे... लड़ना... मुझे समझ में नहीं आया... पर अब समझ में आ गया है.... पर जो मैंने माँगा नहीं... वह आप मुझे क्यूँ दे रहे हैं....
डैनी - वह इसलिए के तुने..... अपनी भावनाओं के चलते मुझे वहाँ ला खड़ा कर दिया... जिसकी मैं... मुझ जैसा इंसान लायक ही नहीं है... (विश्व को खड़ा करता है)
विश्व - आप क्या कह रहे हैं... मैं कुछ समझा नहीं...
डैनी - तुने अपनी दीदी से कहा है ना... के तु मुझे उतना ही मान देता है... जितना जयंत सर को देता है...
विश्व - जी...
डैनी - तो मुझे... जयंत सर को फॉलो करना पड़ा....
विश्व - (हैरान होकर) फॉलो करना पड़ा... म.. मतलब...
डैनी - तुने मांगा नहीं फिरभी.... उन्होंने अपनी खुद की खुन पसीने की कमाई तुझे दे दी... है ना...
विश्व - जी...
डैनी - तो मैं भी तुझे अपनी खुन पसीने की कमाई दे रहा हूँ... भले ही तुने माँगा नहीं... पर मैं जानता हूँ... तेरी लड़ाई में... यह ज़रूरत पड़ेगी....

विश्व कुछ नहीं कह पाता है उसके आंखों में कृतज्ञता दो बूंद आँसू गिर जाते हैं l

डैनी - विश्व तुम्हारी सबसे बड़ी कमजोरी तुम्हारा जज्बाती होना है.... तुम्हें अपने ज़ज्बात पर कोई काबु नहीं है... खुशी हो या ग़म... तुम जफ्त नहीं कर पाते... जाहिर कर देते हो... इसलिए पहले अपने ज़ज्बात पर काबु पाओ.... (विश्व अपनी आँखे साफ करता है) विश्व तुम जो सीखने जा रहे हो... उसे मार्शल आर्ट्स कहते हैं... यानी युद्ध कला... उसके साथ साथ आत्म नियंत्रण और अन्य विषयों में भी तुम को सिखाया जाएगा... और तुम सिखोगे भी... (विश्व अब डैनी को हैरान हो कर देखता है) इन तीन महीनों में जो सीखा और लगातार जिसमें काम किया... उससे तुम्हारा स्टेमिना बढ़ा और अटैक पर ब्लॉक करना नैचुरली एडप्ट कर लिया... और सबसे खास बात... तुमने आज मछली और मुर्गे को पकड़ने के लिए सही तरीका चुना.... यानी तुम्हारे अंदर का शिकारी जाग रहा है.... अब आओ तुम्हें तुम्हारे प्रोफेसरों से मिलवाता हूँ...
इनसे मिलो... समीर मल्लिक... इसके पास एक जबरदस्त क्वालिटी है... अपनी पारखी नजर और बातों से... सामने वाले की प्रोफेशन और कैरेक्टर स्कैन कर सकता है....
अब इनसे मिलो... हरीश बाडत्या... इनके पास भी ग़ज़ब का हुनर है... सच झूठ बोल कर सामने वाले के अंदर की बातों उगलवा सकते हैं.... अगर मान लो किसी इंटरव्यू को जाए... तो बिना तकलीफ के सिलेक्ट हो जाए... इतना इम्प्रेस कर सकता है... इसको टॉकींग स्किल कहते हैं...
औऱ यह हैं प्रणब... यह तुम्हें लठबाजी से लेकर छुरी चाकू तक चलाना सीखा देंगे... सिवाय बंदूक के...
और यह हैं वसंत... इनके ख़ासियत यह है कि ऐसा कोई जेब नहीं जिसको इसने काटा नहीं...
विश्व - जेब काटना...
डैनी - तुझे लगता है... जेब काटना जरूरी नहीं है... पर यह हाथ की सफ़ाई है... पता नहीं कब काम आ जाए...
और अंत में यह... इनसे मिलो चित्त रंजन... इसे अक्सर तुमने खाना सर्व करते हुए देखा है... (विश्व अपना सर हिलाता है) आज से... बल्कि अभी से तुम्हारा डाएट चार्ट इनके हवाले...
सबसे परिचय करवाने के बाद डैनी जीम टेबल पर बैठ जाता है l और विश्व से पूछता है

डैनी - तो विश्व... क्या तुम सीखना चाहोगे...
विश्व - जी...
डैनी - ठीक है चित्त.. तुम्हारे लिए रूटीन बना चुका है... (चित्त से) बताओ इसे....
चित्त - देखो विश्व... दिन रात मिलाकर चौबीस घंटे हुए... तुम आठ घंटे सोने और बाथरुम के लिए इस्तेमाल करोगे... आठ घंटे मे... सुबह चार घंटे और शाम को चार घंटे सिर्फ़ ट्रेनिंग होगी... बाकी के आठ घंटे में तुम्हारा खाना पीना पढ़ना और दूसरे कैदियों से मिलना होगा...
डैनी - समझ गया... (विश्व अपना सर हिलाकर हाँ कहता है) विश्व एक बात जान लो... तुम शायद सीखते सीखते थक जाओगे... पर यह लोग तुम्हें सीखाते सीखाते नहीं थकेंगे... (विश्व फिरसे अपना सर हिलाता है) तो.... लग जाओ ट्रेनिंग पर....
Awesome update
 
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👉छियालीसवां अपडेट
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एक तरफ विश्व की मार्शल आर्ट ट्रेनिंग शुरु हो जाती है l दुसरी तरफ सब अपनी अपनी जिंदगी में अपने अपने तरीके से व्यस्त होते जाते हैं l वैदेही की चाय नाश्ते की दुकान चल निकलती है, तापस और प्रतिभा अपने अपने प्रोफेशन में व्यस्त हो जाते हैं l प्रत्युष निरोग हस्पताल में इंटर्नशिप करने लगता है l विक्रम और उसकी सेक्यूरिटी सर्विस भुवनेश्वर सहर में पुरी तरह से स्थापित हो जाते हैं l वीर अब कॉलेज में प्रेसिडेंट बन चुका है l शुभ्रा की हर दिन विक्रम से फोन पर बातेँ करते हुए शुरु होती है और रात को बातों पर ही खतम करती है l शुभ्रा बड़ी चाहत व अरमानों के साथ कैलेंडर से दिन काट काट कर दिन बिता रही है l इस तरह नौ महीने गुज़र जाते हैं l इन नौ महीनों में जो किसीको भी भनक तक नहीं लगी थी, वह थी विश्व का डैनी एंड ग्रुप से ट्रेनड् होना l कैसे होता, वाच टावर से देखने वालों को लगता था कि डैनी एंड ग्रुप विश्व को परेशान व ज़बरदस्ती मेहनत करवा रहे हैं l इसलिए उन्होंने भी इस ओर ध्यान देना धीरे धीरे बंद कर दिया l विश्व को सिखाने के लिए डैनी एंड ग्रुप ने सात नंबर घर को चुना था l वह असल में एक पुराना गोडाउन था जिसे बाद में स्कुल घर फिर जैल की स्पेशल बैरक में मीटिंग हॉल बना दिया गया था, और वह घर वाच टवार से एक तरह से छिपा हुआ है l इसलिए उसके भीतर क्या हो रहा है यह वाच टावर से बिल्कुल भी नहीं दिखता है l

नौ महीने बाद
सेंट्रल जैल
स्पेशल बैरक के सात नंबर घर
विश्व पंच बैग पर पंच बरसा रहा है l फिर विश्व रुक जाता है, पंच बैग को गले लगा कर, गहरी सांसे लेते हुए आँखे मूँद कर सोचने लगता है l
सब मिलकर उसे, जो जो सीखा रहे हैं, वह बड़ी चाह से और शिद्दत से सीख रहा है l प्रणब से छुरी से लेकर तलवार और लाठी चलाना सीखा, छुरी से मतलब जो जैल की रसोई में इस्तेमाल होता है प्रणब कभी रसोई में सारे सब्जियाँ छुरी या चॅपर से कटवाता तो कभी फेंक कर निशाना लगाना सीखवाता रहा l बात जब तलवार बाजी की प्रैक्टिस की थी तब दो मजबूत बेंत से प्रैक्टिस कर तलवार बाजी प्रणब से सीखी l प्रणब रोज उससे आटा गुंथवाता था वह भी सौ डेढ़ सौ लोगों का और एक स्पेशल पैटर्न में जैसे किसीसे ताकत आजमा रहे हो l उसने प्रणब के लिए सभी एक्जाम में डिस्टींशन में पास हुआ l प्रणब के सिखाया हर दाव पेच पाइक अखाड़ा के युद्ध शैली है l यहाँ तक पाइक शैली में खाली हाथ की लड़ाई भी काफी हद तक कराटे से मिलता जुलता है l प्रणब से सीखने के बाद प्रणब से लड़ा भी है और प्रणब के सिखाए हर दाव पेच में प्रणब को हराया भी है l
वसंत की हाथ की सफ़ाई बहुत ही कमाल की है l जितनी सफाई से जेब काट सकता है उतनी ही सफ़ाई से चीजें जेब में वापस भी रख देता है l असल में हाथ की सफाई से चीजों को ग़ायब करना वह भी पलक झपकते ही यानी आखों के सामने और वसंत से चीजें गायब कर और चीजों को वापस रखना सीखने के साथ साथ बालू और उनके साथियों की छुट्टी करा दिया था सारे कपड़े विश्व ही साफ करता रहा l कपड़े धोने और निचोड़ने में वसंत ने कुछ ऐसे तरीके सिखाया था जो कि उसे मार्शल आर्ट ट्रेनिंग में सहायक भी हुआ l वसंत ने उसे गिले कपड़ों को हथियार बना कर लड़ना सिखाया जिसे विश्व ने बड़ी तल्लीनता से सीखा l यह सब विश्व ने सीखा भलेही बेमन से, पर सीखा और वसंत के हिसाब से उस परीक्षा में विश्व ने एक्सीलेंट स्कोर किया है l वसंत भी एक बढ़िया फाइटर है जिसके साथ एक बार लड़कर विश्व हराया भी है l
समीर अभी भी विश्व को हैरान कर रहा है l वाकई डैनी ने सच कहा था l समीर एक आदमी को देख कर उसकी स्वभाव और चरित्र का ज़बरदस्त स्कैन कर लेता है l विश्व को समीर के लिए एक्जाम में सिर्फ़ पास मार्क ही मिले हैं l पर फेल नहीं हुआ है l
हरीश से सीखते सीखते विश्व को एक नई बात का पता चला l डेल्टा कट इंटोरेगेशन l इसमें एक आदमी को बीच में बिठा कर तीन आदमी तीन दिशा से इंटोरेगेट करते हैं l तीनों के भाव अलग अलग होते हैं l एक हिंसक तरीके से पूछता है, दुसरा समझा कर और प्यार से पुछता है पर तीसरा बिना किसी भाव के, साधारण तरीके से पर रौब डाल कर पुछता है l ऐसे तीनों की गुणों को एक साथ अपना कर किसीसे सवाल ज़वाब करने की शैली, पता नहीं कभी जीवन में काम भी आएगा, पर सीखा l
चित्त उसका खाने पीने का ध्यान रखते हुए सुरज ढलने के बाद खाने से मना कर दिया है l जब भी जैल में राशन और सब्जी की गाड़ी आती है तो चित्त, विश्व से भरे बोरियों को ट्रक से उतरवाता है, पर नॉर्मल तरीके से नहीं जैसे किसी आदमी को दोनों हाथों से गले लगा कर उठा दिया जाए या किसी बच्चे को जैसे उठाया जाए, फ़िर अपने ही शरीर में घुमा कर सही जगह पर रखना l रात को सोने से पहले सिर्फ़ दुध एक लीटर दिया जाता है l बाकी का खाना पीना सिर्फ़ सुबह से लेकर शाम तक l इसके बावजुद विश्व का शरीर काफी मजबुत हुआ है l उसके पेशियों में ज़बरदस्त कटाव भी आ गया है जो कि नंगे शरीर में स्पष्ट रूप से उभर कर दिख रहा है l सबके लिए गए परिक्षा में विश्व पास हुआ है पर अभी तक डैनी से लड़ने के लिए विश्व क़ाबिल नहीं हुआ है ऐसा सभी कह रहे हैं l यही विश्व को परेशान कर रही है

क्यूँ... क्यूँ....

अपने सर को पंच बैग पर मारते हुए खुद से सवाल कर रहा है l

क्यूँ... क्यूँ...

फिर वह पंच बैग को छोड़ उस कमरे में बने पंद्रह बाई पंद्रह के रिंग में आता है l उस रिंग के एक कोने पर पहुंच कर टर्न बक्कल पर सट कर आलती पालती मार कर बैठ जाता है और अपनी आँखे बंद कर शुरू से लेकर अब तक डैनी से सीखते वक्त, डैनी के द्वारा दिए गए सारे गुरु ज्ञान को याद करने लगता है l

डैनी -मार्शल आर्ट क्या है... युद्ध कला... पौराणिक भाषा में कहें तो द्वंद युद्ध... अब द्वंद को व्यवहारिक भाषा में अनुवाद करें तो कंनफ्युजन... अर्थात्‌ अपने अपोनेंट को युद्ध में द्वंद में डालो और हराओ....
विश्व - मतलब...
डैनी - मतलब यह हुआ कि... तु अब कंफ्युज्ड हो गया है....
विश्व - (चुप रहता है)
डैनी - तुझे चुस्त, दुरुस्त, फुर्ती और स्फूर्ति के साथ साथ तेज़... बहुत तेज़ होना पड़ेगा...
विश्व - (डैनी की ओर देखता है)
डैनी - तु प्रैक्टिस में जितना इंव्ल्व होगा... तु उतनी ही फुर्तीला हो जाएगा... मेरा मतलब है तु खुदको जितना झोंक देगा... तुझे रिजल्ट अनुरूप ही मिलेगा....
एक बात याद रखना... युद्ध में खुदको बचाना है और वार भी करना है... यानी तेरे रीफ्लेक्सेस और अटैक तेरे अपोनेंट से तेज़ हो... बहुत तेज हो... और तुझे वह स्पीड रेगुलर प्रैक्टिस से एच्चीव करना होगा...
एक बात और... बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात... व्यावहारिक जीवन में जब भी कोई लक्ष तय करो.... उसके लिए... थ्री डी फॉलो करना...
विश्व - थ्री डी... मतलब थ्री डायमेंशन...
डैनी - नहीं रे... गोबर दिमाग़... मेरी भाषा में थ्री डी में पहला डी है डिटरमीनेशन... दुसरा डी है डेडीकेशन और तीसरा डी है... डीवोशन...
जीवन में कोई भी लक्ष तय करो... उसे साधने के लिए यही थ्री डी को फॉलो करो... समझे...
विश्व - जी...
डैनी - कुछ भी आसानी से नहीं मिलता... एच्चीवमेंट हमेशा ऑनेस्टी और हार्ड वर्क मांगता है... तु सब कुछ सीख जाएगा... फ़िर भी हार जाएगा... अगर तेज नहीं होगा... तुझे इतना तेज़ होना होगा... के तुझसे लड़ने वाले को लगे.... कि वह एक विश्व से नहीं एक साथ दो दो विश्व से लड़ रहा है...
विश्व - (हैरानी से) जी...
डैनी - तेरा वज़न इतना हो... जितना तु अपने शरीर को आसानी से फ़ेंक सके... उछाल सके...
तेरे वार में इतना कंट्रोल हो... मतलब पंच, चॉप, किक जो भी... उस पर कितना इम्पैक्ट हो यह वार करते वक्त भी तु डिसाइड कर सके... तुझे उतना परफेक्ट होना होगा...
वीर - क्या...
डैनी - हाँ... तेरा वार बॉडी के जिस एरिया में हिट करेगा... वहाँ इम्पैक्ट कितना होगा... तु यह लास्ट मोमेंट में डिसाइड कर सके... उतना कंट्रोल हासिल करना होगा तुझे...
विश्व - और यह सब हासिल करने के लिए... आपकी दी हुई मंत्र थ्री डी को फॉलो करना होगा...
डैनी - कोई शक़...

विश्व अपने यादों से बाहर आता है और वह ख़ुद को समझाता है l - जरूर मेरा डीवोशन और डेडीकेशन में प्रॉब्लम हो रहा है... मुझे ध्यान लगाना होगा... मुझे तेज होना होगा... इतना तेज के मुझे एक नहीं दो दो बनकर लड़ना होगा... हाँ

फिर ध्यान में याद करने लगता है डैनी को जितनी बार वह विंग चुंग पर प्रैक्टिस करते देखा है है l डैनी हमेशा उससे बेहतर लगा है विश्व को l क्यूँकी इसमें कोई शक़ नहीं है डैनी विश्व से बहुत तेज है l वह हर लड़ाई को जो डैनी के पट्ठों से लड़ा है उसे याद करने लगता है l फिर विश्व आपनी आँखे खोलता है l तो देखता है उसे समीर, प्रणब हरीश और वसंत उसे ही देख रहे हैं l

प्रणब - क्यूँ भई... सब कुछ छोड़ कर... हिमालय जाने का इरादा है क्या...
वसंत - देखने से तो यही लग रहा है...

विश्व बैठे बैठे अपने पैर सीधा करता है और टर्न बक्कल के सहारे उठ खड़ा होता है l सीधे जा कर विंग चुंग के सामने खड़े हो कर उस पर तेजी से हाथ चलाने लगता है l कोशीश करता है एकाग्र हो कर प्रैक्टिस करे l

समीर - क्यूँ भई... हमसे बात नहीं करना चाहते क्या...
हरीश - हमे हरा कर सोच रहा है... कोई बड़ा तीर मारा है... पर अभी तक... डैनी से लड़ने के काबिल नहीं हो पाया है... इसका दुख है... है ना...
प्रणब - अरे हम तो उसे खुश करने के लिए हार जाते थे... वरना यह हमे हरा पाएगा... ऐसा दिखता भी है....

विश्व उनके बातों को सुन कर और तेजी से हाथ चलाने लगता है l वसंत उसके प्रैक्टिस देख कर पुछता है

वसंत - क्यूँ भई... हो जाए दो दो हाथ....
विश्व - मैं सोच रहा हूँ... क्यूँ ना तुम चारों से एक साथ लड़ुँ..
समीर - खयाल अच्छा है दिल को बहलाने के लिए ए ग़ालिब... लेकिन कंडिशन यह है कि... नो ग्लोव्स... नो सैफ्टी आरमॉर पैड्स...
विश्व - ठीक है...
हरीश - सोच ले... बाद में पछताने के लिए भी... टाइम नहीं मिलेगा तुझे...
विश्व - अब तक तो चारों को अलग अलग धोया है... पर आज एक साथ धोने को मन कर रहा है...
हरीश - बहुत बड़ी बात कह दी तुने... अब तक हम सीखा रहे थे...
प्रणब - अब कुटेंगे... और ऐसे कुटेंगे की आइंदा... ऊंचा पकवान बेचने से पहले... अपना दुकान बचाने की सोचेगा तु...
विश्व - बहुत पका रहे हो... पहले शुरू तो हो जाओ...

वे चारों रिंग में घुस जाते हैं और विश्व को चारों ओर से घेर लेते हैं l विश्व अपना बचाव का पोजीशन लेता है l चारों आपस में इशारा करते हुए विश्व के चारों तरफ़ घेरा बना कर हमला शुरू करते हैं l विश्व उनके हमले को डॉज करने लगता है l लेकिन चारों मास्टर्स से लड़ना एक साथ विश्व के लिए भारी पड़ा l पहली ही राउंड में सिर्फ़ पांच मिनिट में विश्व रिंग के फर्श पर गिर पड़ा l गिरने के बाद विश्व पहले संभल कर बैठा l

प्रणब - क्यूँ प्यारे कुटाई से पेट भरा या... भुख और भी है...
हरीश - कहा था... बहुत बड़ी बात कह दी है तुने... अबे अंडे से निकले जुमा जुमा ही कुछ दिन हुए हैं... फुदकना छोड़ उड़ने की सोच रहा है... कट गया ना पर...
विश्व - और एक राउंड हो जाए... इसबार पक्का... तुम चारों को... चारो खाने चित...
समीर - वाह... ना स्वाद है... ना खुशबु... यह खयाली पुलाव है अच्छा है... बच्चे... तेरा पेट आज भरेंगे जरूर...
वसंत - चलो हम सब ग्लोवस पहने लेते हैं.. और तु... सारे सेफ्टी पैड्स पहन ले... वरना अगली बार नहीं उठ पाएगा...
विश्व - मुझे सेफ्टी पैड्स की जरूरत नहीं... हाँ मेरे मार की दर्द से बचना चाहते हो तो... ग्लोवस मैं पहन लेता हूँ...
हरीश - फ़िर से बड़ी बात कह दी... अब तो तेरे दुकान में शटर डालना ही पड़ेगा...

फिर से विश्व अपना पोजीशन लेता है l वे चारों भी अपना अपना पोजीशन लेते हैं l फ़िर शुरू होता अटैक और डॉज l इसबार विश्व की फुर्ती देख कर चारों हैरान रह जाते हैं l उनके अटैक के जवाब में विश्व की डॉज और रीफ्लेक्सेस मूवमेंट उन चारों को हैरानी में डाल देता है l अब वे लोग आँखों आँखों में इशारा करते हैं, समीर को छोड़ सब विश्व के सामने आ जाते हैं और समीर पीछे से विश्व के पैरों पर डाइभ लगाता है विश्व चौकन्ना था इसलिए संभल कर पीछे मुड़ कर दो कदम कुद कर हटता है पर इस बार पीछे हरीश डाइभ लगा देता है l विश्व खुद को संभालने की कोशिश में घुम जाता है और पेट के बल गिरता है l जैसे ही विश्व गिरता है उसके उपर बाकी लोग कुद कर गिर जाते हैं l विश्व फिर से मुहँ की खा चुका है l क्यूँकी सब उसके ऊपर अपना वजन डाले गिरे हुए हैं इसलिए दर्द के मारे विश्व कराहने लगता है l विश्व की कराह सुन कर सब विश्व के उपर से उठ जाते हैं l

हरीश - (उसके उपर से उठते हुए) अब पड़ी कलेजे में ठंडक... हो गई तेरी दुकान बंद...
समीर - अब समझ में आ गया होगा... उड़ना और फुदकना किसे कहते हैं...
प्रणब - मुझे लगता है... इसका पेट भर गया है... कम से कम एक हफ्ते तक भूख नहीं लगेगी इसे...
वसंत - क्यूँ भई... क्या सोचने लग गया...
विश्व - मजा नहीं आया... अब... एक राउंड और... फाइनल... बस... अब तो तुम लोगों को बगैर धोए... खाना हज़म नहीं होगा मुझसे...
वसंत - अबे पागल हो गया क्या... तुझे सिखाने के लिए... कितने पापड बेलने पड़ते हैं... कहाँ कहाँ से जुगाड़ लगानी पड़ रही है... और तु है कि... अपना कबाड़ा करवाने पर तुला हुआ है...
विश्व - जो भी होगा मेरा होगा ना... क्या करूँ... तुम लोगों से सीख कर... तुम्हीं लोगों को हराया है... पर अलग अलग... अब एक साथ हराना चाहता हूँ... सिर्फ़ हराना ही नहीं... अब तक जितना कुटा है मुझे... वह सब सुध समेत कुट कर वापस करना है..
हरीश - अबे ऑए... डैनी भाई ने कहा तो तुझे सीखा रहे हैं... इसलिए लिहाज़ कर रहे हैं... वरना हम सब यहाँ उल्टे खोपड़ी के हैं... दिमाग फ़िर गया तो...
समीर - कहने की क्या जरूरत है... अब तक खेल हो रहा था... अब और खेल नहीं...
प्रणब - अब तो शटर गिरेगा भी और दुकान बंद होगा भी... चलो

अब एक साथ मिलकर विश्व पर हमला कर देते हैं l विश्व इस बार पुरी तरह से चौकन्ना हो कर अपना सीखा हुआ मूवमेंट्स आजमाने लगा l अबकी बार स्फूर्ति, फुर्ती और तेजी विश्व के रीफ्लेक्सेस में नजर आने लगती है l अब तक उनके अटैक के जवाब में डॉज करने वाला विश्व अब काउंटर अटैक करने लगा l और फिर सिर्फ़ सात मिनट में वे चारों नीचे गिरे हुए दिखे l उनके नीचे गिरने के बाद विश्व के कानों में तालियों की गूँज सुनाई देने लगती है l
विश्व उस तरफ देखता है l वहाँ पर डैनी और चित्त दोनों खड़े थे l डैनी और चित्त दोनों ताली मार रहे हैं l

डैनी - वाह विश्व वाह... मुझे इसी दिन की उम्मीद थी तुमसे... वाह... वाकई तुमने आज मुझे खुश कर दिया...

विश्व चुप रहता है l अब वह चार खुद को झाड़ कर उठते हैं l वे चारों भी चार कोने में पहुंच कर ताली बजाने लगते हैं l

डैनी - विश्व... तुममें सबसे अच्छी क्वालिटी क्या है... जानते हो... आसानी से हार ना मानना... एक जुनून है तुम्हारे अंदर... कुछ हासिल करने के लिए... वाह सच में मजा आ गया.... तुम सीख तो रहे थे... पर जीते सही मायने में आज हो... तुम वन टु वन फाइट में इन्हें हरा पाए... क्यूंकि उस फाइट में तुम जितने कंफीडेंट होते हो... नंबर बढ़ जाने से... तुम्हारा कंफीडेंट हिल जाता था... पर अब यक़ीन है... तुम अब मैनेज कर लोगे....
विश्व - डैनी भाई... मैं एक बार आपके साथ... खुदको आजमाना चाहता हूँ...
डैनी - (मुस्कराकर) ठीक है... कल... कल तुम्हारा यह ख्वाहिश पूरा होगा...
विश्व - थैंक्यू भाई... थैंक्यू.... पर बड़े कह गए हैं... कल करे सो आज कर... आज करे सो अब...
डैनी - तुम मुझे चैलेंज कर रहे हो...

विश्व - इतनी बड़ी हिमाकत मैं नहीं कर सकता... मैं बस आज खुदको आजमाना चाहता हूँ...
डैनी - (मुस्कराता है) विश्व तुममें भुख भी ग़ज़ब का है... सीखने की भुख... सीख लेने की भुख... चलो फ़िर...

डैनी रिंग में उतरता है और उसके बंदे सारे बाहर निकल कर चित्त के पास खड़े हो जाते हैं l

डैनी - चाहो तो तुम... सेफ्टी आरमॉर पैड्स पहन सकते हो.... और मैं ग्लोव्स पहन लेता हूँ...
विश्व - नहीं बिल्कुल नहीं... प्रैक्टिस इन नौ महीनों में कर ली है मैंने... अब सिर्फ़ प्रैक्टिकल चाहिए... मुझे भी मालुम होना चाहिए... मुझ पर होने वाले वार कितना इम्पैक्ट कर सकता है.... और मैं अपने वार को कंट्रोल कर पाता हूँ या नहीं.... इसलिए अब और प्रैक्टिस नहीं....
डैनी - वाह विश्व वाह... वाकई तुम्हारा एटीट्यूड बहुत बदल गया है... ह्म्म्म्म... बहुत अच्छे... तो फिर शुरू हो जाओ...

विश्व अपना पोजीशन लेता है और डैनी भी अपना पोजीशन लेता है l बाहर खड़े पांचो बंदे बड़े उत्सुकता के साथ गुरू और शिष्य की लड़ाई देखने को बेताब हैं l

अचानक डैनी अपना पोजीशन बदल कर अटैक शुरू करता है l विश्व भी उतनी ही फुर्ती के साथ डिफेंस करता है l विश्व के रीफ्लेक्सेस को देख कर डैनी पैंतरा बदलता है, विश्व भी अनुरुप उसे डॉज करता है और परफेक्ट डिफेंस ब्लॉक करता है l हाथों और पैरों का अद्भुत कला कौशल एक दूसरे पर आजमा रहे गुरु और शिष्य को बाहर खड़े विश्व के वह पांच आंशिक गुरु भी अचंभित हो गए हैं l अत्यधिक डिफेंस के चलते विश्व के दाहिने तरफ कंधे और कमर के बीच एक गैप दिख जाता है डैनी को l डैनी भी मौके का फायदा उठाकर एक किक हिट करता है l किक लगते ही विश्व का ध्यान भटक जाता है फिर डैनी दन दना दन किक व पंचेस की बौछार कर देता है l विश्व थोड़ा नर्वस हो जाता है और उसी समय उसके छाती पर एक ज़ोरदार किक लगता है l विश्व कुछ दूर छिटक कर टर्न बक्कल से टकरा कर फ़र्श पर गिरता है l पर दुसरे ही पल अपने दोनों पैरों को घुमा कर उठ खड़ा हो जाता है l

डैनी - क्या हुआ विश्व... तुम्हारे पास सिर्फ़ डिफेंस ही है... अटैक का क्या हुआ...
विश्व -( चुप रहता है)
डैनी - जो डीटरमीनेशन (समीर, वसंत, प्रणब और हरीश की ओर इशारा करते हुए) इनके साथ लड़ते दिखा रहे थे... मेरे साथ लड़ते वक्त क्या हो गया तुमको... तुम ओवर डीफेंसीव हो गए.... (विश्व को चुप रहते देख) बहुत कुछ तुमने... एक्सपेरियंस किया है... इसलिए यह भी याद रखो... जो तुम्हारे सामने है... वह तुम्हारा गुरु भले ही हो... पर तुम्हारा व्यवहार उसके साथ ओपोनेंट की तरह होनी चाहिए... तुमने महाभारत में नहीं पढ़ा.... या देखा.... कुरुक्षेत्र में अर्जुन के विरुद्ध द्रोण युद्ध कर रहे थे....
विश्व - (अपना सर हिला कर हाँ कहता है)
डैनी - यह बात भी गांठ बाँध लो... कभी कभी अटैक इज़ द बेस्ट डीफेंस होता है...
विश्व - जी डैनी भाई.... एक और राउंड कोशिश करें....

डैनी - क्या... विश्व... तु क्या करना चाहता है... आज नहीं तो कल भी हम फाइट कर सकते हैं.... अभी मुझसे पहले इन लोगों से तीन तीन राउंड लड़ा है तु... और कितना देर टिक पाएगा...
विश्व - डैनी भाई... आप के पास मेरे लिए छह महीने बाकी हैं... एक साल गुज़र गया है.... इन एक सालों में यह पता चला... सीखने के लिए बहुत है... पर सीखा बहुत कम है.... खैर... जितना वक्त साथ दे.... इसलिए मैं आज अपना एक्सट्रीम चेक करना चाहता हूँ.... और आपसे निवेदन है.... आप मुझ पर रहम बिल्कुल मत कीजिए....

डैनी विश्व को हैरान हो कर देखता है l डैनी के साथ साथ उसके पंटर भी विश्व की बात सुनकर हैरान हो जाते हैं l विश्व अपना पोजीशन लेता है l डैनी भी अपना पोजीशन लेता है l इस बार डैनी जैसे ही अटैक स्टार्ट करता है विश्व डीफेंस के साथ साथ काउंटर अटैक भी करता है l अब कि लड़ाई में एक दुसरे को छकाना और वार करने की कोशिश करना हर एक स्टाइल में चलता रहा l फिर अचानक विश्व के पंच और किक तेज होते जाते हैं l इस बार डैनी थोड़ा डीफेंसीव हो जाता है जिससे विश्व की अटैक की रफ्तार और बढ़ जाता है l फिर अचानक विश्व की दाहिने हाथ की कलाई को डैनी अपनी बाएं हाथ की तीन उंगली से पकड़ लेता है l डैनी की पकड़ इतनी मजबूत होती है कि विश्व को दर्द होने लगता है l फ़िर डैनी दो पंच मारता है एक अंदरुनी कोहनी पर और दुसरा कंधे पर l विश्व के हाथ पूरी तरह से शुन हो जाता है l फिर विश्व को डैनी एक फ्रंट किक मारता है तो विश्व जाके एक टर्न बक्कल से टकराता है, वहीँ नीचे गिर जाता पहुंच कर डैनी को हैरान हो कर देखता है l

विश्व - (कराहते हुए) क्या.... क्या था यह... आ.. ह
डैनी - वर्म कलई...
विश्व - क्या.. व.. वर..म..
डैनी - वर्म कलई... एक प्राचीन भारतीय युद्ध कला...
विश्व - भारतीय...
डैनी - हाँ भारतीय... प्राचीन लोक कथाओं के अनुसार... भगवान शिव ने अपने पुत्र मुरुगन को सिखाया... भगवान मुरुगन से अगस्त्य महा मुनी ने सीखा और लोक कल्याण के लिए लोकार्पण किया.... यह बहुत ही प्राचीन विद्या है... तमिल और मलयालम में वर्म कलई कहते हैं... तेलुगु कन्नड़ और संस्कृत में मर्म कला...
विश्व - इतनी प्राचीन कला... आप कैसे...
डैनी - प्राचीन कला... लुप्त कला नहीं है...
विश्व - क्या आप मुझे यह सिखायेंगे...
डैनी - क्यूँ नहीं... मैंने कहा था ना... मेरी खुन पसीने की कमाई तुझे दे कर जाऊँगा... यह भी मेरी कमाई है... और तुझे देकर जाऊँगा...

विश्व के पास आकर डैनी हाथ बढ़ाता है, विश्व उसका हाथ थाम कर उठ खड़ा होता है l

डैनी - हमारे शरीर में छियासी ऐसे नर्व पॉइंट्स हैं... जिन पर अब तुम्हें ज्ञान लेना होगा... और ऐसे पॉइंट्स पर हमला करने के लिए... मुट्ठी या घुसे के वजाए... उँगलियों को इस्तेमाल किया जाता है... पर उस पर वार के लिए उँगलियों का मजबुत होना चाहिए... इसीलिये तुमसे साल भर कुए से पानी निकलवाया है... वह भी तीन उँगलियों से.... याद है इम्तिहान के बाद जब तुमने अपने तीन उँगलियों से मछली पकड़ा था...
विश्व - हाँ...
डैनी - वह तुम्हारा पहला कदम था... वर्म कलई की ओर...
विश्व - (हैरानी से) क.. क्या...
डैनी - तो अब... वर्म कलई सीखने के लिए तैयार हो जाओ....

 
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