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Thriller "विश्वरूप" ( completed )

Kala Nag

Mr. X
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👉छियालीसवां अपडेट
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एक तरफ विश्व की मार्शल आर्ट ट्रेनिंग शुरु हो जाती है l दुसरी तरफ सब अपनी अपनी जिंदगी में अपने अपने तरीके से व्यस्त होते जाते हैं l वैदेही की चाय नाश्ते की दुकान चल निकलती है, तापस और प्रतिभा अपने अपने प्रोफेशन में व्यस्त हो जाते हैं l प्रत्युष निरोग हस्पताल में इंटर्नशिप करने लगता है l विक्रम और उसकी सेक्यूरिटी सर्विस भुवनेश्वर सहर में पुरी तरह से स्थापित हो जाते हैं l वीर अब कॉलेज में प्रेसिडेंट बन चुका है l शुभ्रा की हर दिन विक्रम से फोन पर बातेँ करते हुए शुरु होती है और रात को बातों पर ही खतम करती है l शुभ्रा बड़ी चाहत व अरमानों के साथ कैलेंडर से दिन काट काट कर दिन बिता रही है l इस तरह नौ महीने गुज़र जाते हैं l इन नौ महीनों में जो किसीको भी भनक तक नहीं लगी थी, वह थी विश्व का डैनी एंड ग्रुप से ट्रेनड् होना l कैसे होता, वाच टावर से देखने वालों को लगता था कि डैनी एंड ग्रुप विश्व को परेशान व ज़बरदस्ती मेहनत करवा रहे हैं l इसलिए उन्होंने भी इस ओर ध्यान देना धीरे धीरे बंद कर दिया l विश्व को सिखाने के लिए डैनी एंड ग्रुप ने सात नंबर घर को चुना था l वह असल में एक पुराना गोडाउन था जिसे बाद में स्कुल घर फिर जैल की स्पेशल बैरक में मीटिंग हॉल बना दिया गया था, और वह घर वाच टवार से एक तरह से छिपा हुआ है l इसलिए उसके भीतर क्या हो रहा है यह वाच टावर से बिल्कुल भी नहीं दिखता है l

नौ महीने बाद
सेंट्रल जैल
स्पेशल बैरक के सात नंबर घर
विश्व पंच बैग पर पंच बरसा रहा है l फिर विश्व रुक जाता है, पंच बैग को गले लगा कर, गहरी सांसे लेते हुए आँखे मूँद कर सोचने लगता है l
सब मिलकर उसे, जो जो सीखा रहे हैं, वह बड़ी चाह से और शिद्दत से सीख रहा है l प्रणब से छुरी से लेकर तलवार और लाठी चलाना सीखा, छुरी से मतलब जो जैल की रसोई में इस्तेमाल होता है प्रणब कभी रसोई में सारे सब्जियाँ छुरी या चॅपर से कटवाता तो कभी फेंक कर निशाना लगाना सीखवाता रहा l बात जब तलवार बाजी की प्रैक्टिस की थी तब दो मजबूत बेंत से प्रैक्टिस कर तलवार बाजी प्रणब से सीखी l प्रणब रोज उससे आटा गुंथवाता था वह भी सौ डेढ़ सौ लोगों का और एक स्पेशल पैटर्न में जैसे किसीसे ताकत आजमा रहे हो l उसने प्रणब के लिए सभी एक्जाम में डिस्टींशन में पास हुआ l प्रणब के सिखाया हर दाव पेच पाइक अखाड़ा के युद्ध शैली है l यहाँ तक पाइक शैली में खाली हाथ की लड़ाई भी काफी हद तक कराटे से मिलता जुलता है l प्रणब से सीखने के बाद प्रणब से लड़ा भी है और प्रणब के सिखाए हर दाव पेच में प्रणब को हराया भी है l
वसंत की हाथ की सफ़ाई बहुत ही कमाल की है l जितनी सफाई से जेब काट सकता है उतनी ही सफ़ाई से चीजें जेब में वापस भी रख देता है l असल में हाथ की सफाई से चीजों को ग़ायब करना वह भी पलक झपकते ही यानी आखों के सामने और वसंत से चीजें गायब कर और चीजों को वापस रखना सीखने के साथ साथ बालू और उनके साथियों की छुट्टी करा दिया था सारे कपड़े विश्व ही साफ करता रहा l कपड़े धोने और निचोड़ने में वसंत ने कुछ ऐसे तरीके सिखाया था जो कि उसे मार्शल आर्ट ट्रेनिंग में सहायक भी हुआ l वसंत ने उसे गिले कपड़ों को हथियार बना कर लड़ना सिखाया जिसे विश्व ने बड़ी तल्लीनता से सीखा l यह सब विश्व ने सीखा भलेही बेमन से, पर सीखा और वसंत के हिसाब से उस परीक्षा में विश्व ने एक्सीलेंट स्कोर किया है l वसंत भी एक बढ़िया फाइटर है जिसके साथ एक बार लड़कर विश्व हराया भी है l
समीर अभी भी विश्व को हैरान कर रहा है l वाकई डैनी ने सच कहा था l समीर एक आदमी को देख कर उसकी स्वभाव और चरित्र का ज़बरदस्त स्कैन कर लेता है l विश्व को समीर के लिए एक्जाम में सिर्फ़ पास मार्क ही मिले हैं l पर फेल नहीं हुआ है l
हरीश से सीखते सीखते विश्व को एक नई बात का पता चला l डेल्टा कट इंटोरेगेशन l इसमें एक आदमी को बीच में बिठा कर तीन आदमी तीन दिशा से इंटोरेगेट करते हैं l तीनों के भाव अलग अलग होते हैं l एक हिंसक तरीके से पूछता है, दुसरा समझा कर और प्यार से पुछता है पर तीसरा बिना किसी भाव के, साधारण तरीके से पर रौब डाल कर पुछता है l ऐसे तीनों की गुणों को एक साथ अपना कर किसीसे सवाल ज़वाब करने की शैली, पता नहीं कभी जीवन में काम भी आएगा, पर सीखा l
चित्त उसका खाने पीने का ध्यान रखते हुए सुरज ढलने के बाद खाने से मना कर दिया है l जब भी जैल में राशन और सब्जी की गाड़ी आती है तो चित्त, विश्व से भरे बोरियों को ट्रक से उतरवाता है, पर नॉर्मल तरीके से नहीं जैसे किसी आदमी को दोनों हाथों से गले लगा कर उठा दिया जाए या किसी बच्चे को जैसे उठाया जाए, फ़िर अपने ही शरीर में घुमा कर सही जगह पर रखना l रात को सोने से पहले सिर्फ़ दुध एक लीटर दिया जाता है l बाकी का खाना पीना सिर्फ़ सुबह से लेकर शाम तक l इसके बावजुद विश्व का शरीर काफी मजबुत हुआ है l उसके पेशियों में ज़बरदस्त कटाव भी आ गया है जो कि नंगे शरीर में स्पष्ट रूप से उभर कर दिख रहा है l सबके लिए गए परिक्षा में विश्व पास हुआ है पर अभी तक डैनी से लड़ने के लिए विश्व क़ाबिल नहीं हुआ है ऐसा सभी कह रहे हैं l यही विश्व को परेशान कर रही है

क्यूँ... क्यूँ....

अपने सर को पंच बैग पर मारते हुए खुद से सवाल कर रहा है l

क्यूँ... क्यूँ...

फिर वह पंच बैग को छोड़ उस कमरे में बने पंद्रह बाई पंद्रह के रिंग में आता है l उस रिंग के एक कोने पर पहुंच कर टर्न बक्कल पर सट कर आलती पालती मार कर बैठ जाता है और अपनी आँखे बंद कर शुरू से लेकर अब तक डैनी से सीखते वक्त, डैनी के द्वारा दिए गए सारे गुरु ज्ञान को याद करने लगता है l

डैनी -मार्शल आर्ट क्या है... युद्ध कला... पौराणिक भाषा में कहें तो द्वंद युद्ध... अब द्वंद को व्यवहारिक भाषा में अनुवाद करें तो कंनफ्युजन... अर्थात्‌ अपने अपोनेंट को युद्ध में द्वंद में डालो और हराओ....
विश्व - मतलब...
डैनी - मतलब यह हुआ कि... तु अब कंफ्युज्ड हो गया है....
विश्व - (चुप रहता है)
डैनी - तुझे चुस्त, दुरुस्त, फुर्ती और स्फूर्ति के साथ साथ तेज़... बहुत तेज़ होना पड़ेगा...
विश्व - (डैनी की ओर देखता है)
डैनी - तु प्रैक्टिस में जितना इंव्ल्व होगा... तु उतनी ही फुर्तीला हो जाएगा... मेरा मतलब है तु खुदको जितना झोंक देगा... तुझे रिजल्ट अनुरूप ही मिलेगा....
एक बात याद रखना... युद्ध में खुदको बचाना है और वार भी करना है... यानी तेरे रीफ्लेक्सेस और अटैक तेरे अपोनेंट से तेज़ हो... बहुत तेज हो... और तुझे वह स्पीड रेगुलर प्रैक्टिस से एच्चीव करना होगा...
एक बात और... बहुत ही महत्त्वपूर्ण बात... व्यावहारिक जीवन में जब भी कोई लक्ष तय करो.... उसके लिए... थ्री डी फॉलो करना...
विश्व - थ्री डी... मतलब थ्री डायमेंशन...
डैनी - नहीं रे... गोबर दिमाग़... मेरी भाषा में थ्री डी में पहला डी है डिटरमीनेशन... दुसरा डी है डेडीकेशन और तीसरा डी है... डीवोशन...
जीवन में कोई भी लक्ष तय करो... उसे साधने के लिए यही थ्री डी को फॉलो करो... समझे...
विश्व - जी...
डैनी - कुछ भी आसानी से नहीं मिलता... एच्चीवमेंट हमेशा ऑनेस्टी और हार्ड वर्क मांगता है... तु सब कुछ सीख जाएगा... फ़िर भी हार जाएगा... अगर तेज नहीं होगा... तुझे इतना तेज़ होना होगा... के तुझसे लड़ने वाले को लगे.... कि वह एक विश्व से नहीं एक साथ दो दो विश्व से लड़ रहा है...
विश्व - (हैरानी से) जी...
डैनी - तेरा वज़न इतना हो... जितना तु अपने शरीर को आसानी से फ़ेंक सके... उछाल सके...
तेरे वार में इतना कंट्रोल हो... मतलब पंच, चॉप, किक जो भी... उस पर कितना इम्पैक्ट हो यह वार करते वक्त भी तु डिसाइड कर सके... तुझे उतना परफेक्ट होना होगा...
वीर - क्या...
डैनी - हाँ... तेरा वार बॉडी के जिस एरिया में हिट करेगा... वहाँ इम्पैक्ट कितना होगा... तु यह लास्ट मोमेंट में डिसाइड कर सके... उतना कंट्रोल हासिल करना होगा तुझे...
विश्व - और यह सब हासिल करने के लिए... आपकी दी हुई मंत्र थ्री डी को फॉलो करना होगा...
डैनी - कोई शक़...

विश्व अपने यादों से बाहर आता है और वह ख़ुद को समझाता है l - जरूर मेरा डीवोशन और डेडीकेशन में प्रॉब्लम हो रहा है... मुझे ध्यान लगाना होगा... मुझे तेज होना होगा... इतना तेज के मुझे एक नहीं दो दो बनकर लड़ना होगा... हाँ

फिर ध्यान में याद करने लगता है डैनी को जितनी बार वह विंग चुंग पर प्रैक्टिस करते देखा है है l डैनी हमेशा उससे बेहतर लगा है विश्व को l क्यूँकी इसमें कोई शक़ नहीं है डैनी विश्व से बहुत तेज है l वह हर लड़ाई को जो डैनी के पट्ठों से लड़ा है उसे याद करने लगता है l फिर विश्व आपनी आँखे खोलता है l तो देखता है उसे समीर, प्रणब हरीश और वसंत उसे ही देख रहे हैं l

प्रणब - क्यूँ भई... सब कुछ छोड़ कर... हिमालय जाने का इरादा है क्या...
वसंत - देखने से तो यही लग रहा है...

विश्व बैठे बैठे अपने पैर सीधा करता है और टर्न बक्कल के सहारे उठ खड़ा होता है l सीधे जा कर विंग चुंग के सामने खड़े हो कर उस पर तेजी से हाथ चलाने लगता है l कोशीश करता है एकाग्र हो कर प्रैक्टिस करे l

समीर - क्यूँ भई... हमसे बात नहीं करना चाहते क्या...
हरीश - हमे हरा कर सोच रहा है... कोई बड़ा तीर मारा है... पर अभी तक... डैनी से लड़ने के काबिल नहीं हो पाया है... इसका दुख है... है ना...
प्रणब - अरे हम तो उसे खुश करने के लिए हार जाते थे... वरना यह हमे हरा पाएगा... ऐसा दिखता भी है....

विश्व उनके बातों को सुन कर और तेजी से हाथ चलाने लगता है l वसंत उसके प्रैक्टिस देख कर पुछता है

वसंत - क्यूँ भई... हो जाए दो दो हाथ....
विश्व - मैं सोच रहा हूँ... क्यूँ ना तुम चारों से एक साथ लड़ुँ..
समीर - खयाल अच्छा है दिल को बहलाने के लिए ए ग़ालिब... लेकिन कंडिशन यह है कि... नो ग्लोव्स... नो सैफ्टी आरमॉर पैड्स...
विश्व - ठीक है...
हरीश - सोच ले... बाद में पछताने के लिए भी... टाइम नहीं मिलेगा तुझे...
विश्व - अब तक तो चारों को अलग अलग धोया है... पर आज एक साथ धोने को मन कर रहा है...
हरीश - बहुत बड़ी बात कह दी तुने... अब तक हम सीखा रहे थे...
प्रणब - अब कुटेंगे... और ऐसे कुटेंगे की आइंदा... ऊंचा पकवान बेचने से पहले... अपना दुकान बचाने की सोचेगा तु...
विश्व - बहुत पका रहे हो... पहले शुरू तो हो जाओ...

वे चारों रिंग में घुस जाते हैं और विश्व को चारों ओर से घेर लेते हैं l विश्व अपना बचाव का पोजीशन लेता है l चारों आपस में इशारा करते हुए विश्व के चारों तरफ़ घेरा बना कर हमला शुरू करते हैं l विश्व उनके हमले को डॉज करने लगता है l लेकिन चारों मास्टर्स से लड़ना एक साथ विश्व के लिए भारी पड़ा l पहली ही राउंड में सिर्फ़ पांच मिनिट में विश्व रिंग के फर्श पर गिर पड़ा l गिरने के बाद विश्व पहले संभल कर बैठा l

प्रणब - क्यूँ प्यारे कुटाई से पेट भरा या... भुख और भी है...
हरीश - कहा था... बहुत बड़ी बात कह दी है तुने... अबे अंडे से निकले जुमा जुमा ही कुछ दिन हुए हैं... फुदकना छोड़ उड़ने की सोच रहा है... कट गया ना पर...
विश्व - और एक राउंड हो जाए... इसबार पक्का... तुम चारों को... चारो खाने चित...
समीर - वाह... ना स्वाद है... ना खुशबु... यह खयाली पुलाव है अच्छा है... बच्चे... तेरा पेट आज भरेंगे जरूर...
वसंत - चलो हम सब ग्लोवस पहने लेते हैं.. और तु... सारे सेफ्टी पैड्स पहन ले... वरना अगली बार नहीं उठ पाएगा...
विश्व - मुझे सेफ्टी पैड्स की जरूरत नहीं... हाँ मेरे मार की दर्द से बचना चाहते हो तो... ग्लोवस मैं पहन लेता हूँ...
हरीश - फ़िर से बड़ी बात कह दी... अब तो तेरे दुकान में शटर डालना ही पड़ेगा...

फिर से विश्व अपना पोजीशन लेता है l वे चारों भी अपना अपना पोजीशन लेते हैं l फ़िर शुरू होता अटैक और डॉज l इसबार विश्व की फुर्ती देख कर चारों हैरान रह जाते हैं l उनके अटैक के जवाब में विश्व की डॉज और रीफ्लेक्सेस मूवमेंट उन चारों को हैरानी में डाल देता है l अब वे लोग आँखों आँखों में इशारा करते हैं, समीर को छोड़ सब विश्व के सामने आ जाते हैं और समीर पीछे से विश्व के पैरों पर डाइभ लगाता है विश्व चौकन्ना था इसलिए संभल कर पीछे मुड़ कर दो कदम कुद कर हटता है पर इस बार पीछे हरीश डाइभ लगा देता है l विश्व खुद को संभालने की कोशिश में घुम जाता है और पेट के बल गिरता है l जैसे ही विश्व गिरता है उसके उपर बाकी लोग कुद कर गिर जाते हैं l विश्व फिर से मुहँ की खा चुका है l क्यूँकी सब उसके ऊपर अपना वजन डाले गिरे हुए हैं इसलिए दर्द के मारे विश्व कराहने लगता है l विश्व की कराह सुन कर सब विश्व के उपर से उठ जाते हैं l

हरीश - (उसके उपर से उठते हुए) अब पड़ी कलेजे में ठंडक... हो गई तेरी दुकान बंद...
समीर - अब समझ में आ गया होगा... उड़ना और फुदकना किसे कहते हैं...
प्रणब - मुझे लगता है... इसका पेट भर गया है... कम से कम एक हफ्ते तक भूख नहीं लगेगी इसे...
वसंत - क्यूँ भई... क्या सोचने लग गया...
विश्व - मजा नहीं आया... अब... एक राउंड और... फाइनल... बस... अब तो तुम लोगों को बगैर धोए... खाना हज़म नहीं होगा मुझसे...
वसंत - अबे पागल हो गया क्या... तुझे सिखाने के लिए... कितने पापड बेलने पड़ते हैं... कहाँ कहाँ से जुगाड़ लगानी पड़ रही है... और तु है कि... अपना कबाड़ा करवाने पर तुला हुआ है...
विश्व - जो भी होगा मेरा होगा ना... क्या करूँ... तुम लोगों से सीख कर... तुम्हीं लोगों को हराया है... पर अलग अलग... अब एक साथ हराना चाहता हूँ... सिर्फ़ हराना ही नहीं... अब तक जितना कुटा है मुझे... वह सब सुध समेत कुट कर वापस करना है..
हरीश - अबे ऑए... डैनी भाई ने कहा तो तुझे सीखा रहे हैं... इसलिए लिहाज़ कर रहे हैं... वरना हम सब यहाँ उल्टे खोपड़ी के हैं... दिमाग फ़िर गया तो...
समीर - कहने की क्या जरूरत है... अब तक खेल हो रहा था... अब और खेल नहीं...
प्रणब - अब तो शटर गिरेगा भी और दुकान बंद होगा भी... चलो

अब एक साथ मिलकर विश्व पर हमला कर देते हैं l विश्व इस बार पुरी तरह से चौकन्ना हो कर अपना सीखा हुआ मूवमेंट्स आजमाने लगा l अबकी बार स्फूर्ति, फुर्ती और तेजी विश्व के रीफ्लेक्सेस में नजर आने लगती है l अब तक उनके अटैक के जवाब में डॉज करने वाला विश्व अब काउंटर अटैक करने लगा l और फिर सिर्फ़ सात मिनट में वे चारों नीचे गिरे हुए दिखे l उनके नीचे गिरने के बाद विश्व के कानों में तालियों की गूँज सुनाई देने लगती है l
विश्व उस तरफ देखता है l वहाँ पर डैनी और चित्त दोनों खड़े थे l डैनी और चित्त दोनों ताली मार रहे हैं l

डैनी - वाह विश्व वाह... मुझे इसी दिन की उम्मीद थी तुमसे... वाह... वाकई तुमने आज मुझे खुश कर दिया...

विश्व चुप रहता है l अब वह चार खुद को झाड़ कर उठते हैं l वे चारों भी चार कोने में पहुंच कर ताली बजाने लगते हैं l

डैनी - विश्व... तुममें सबसे अच्छी क्वालिटी क्या है... जानते हो... आसानी से हार ना मानना... एक जुनून है तुम्हारे अंदर... कुछ हासिल करने के लिए... वाह सच में मजा आ गया.... तुम सीख तो रहे थे... पर जीते सही मायने में आज हो... तुम वन टु वन फाइट में इन्हें हरा पाए... क्यूंकि उस फाइट में तुम जितने कंफीडेंट होते हो... नंबर बढ़ जाने से... तुम्हारा कंफीडेंट हिल जाता था... पर अब यक़ीन है... तुम अब मैनेज कर लोगे....
विश्व - डैनी भाई... मैं एक बार आपके साथ... खुदको आजमाना चाहता हूँ...
डैनी - (मुस्कराकर) ठीक है... कल... कल तुम्हारा यह ख्वाहिश पूरा होगा...
विश्व - थैंक्यू भाई... थैंक्यू.... पर बड़े कह गए हैं... कल करे सो आज कर... आज करे सो अब...
डैनी - तुम मुझे चैलेंज कर रहे हो...

विश्व - इतनी बड़ी हिमाकत मैं नहीं कर सकता... मैं बस आज खुदको आजमाना चाहता हूँ...
डैनी - (मुस्कराता है) विश्व तुममें भुख भी ग़ज़ब का है... सीखने की भुख... सीख लेने की भुख... चलो फ़िर...

डैनी रिंग में उतरता है और उसके बंदे सारे बाहर निकल कर चित्त के पास खड़े हो जाते हैं l

डैनी - चाहो तो तुम... सेफ्टी आरमॉर पैड्स पहन सकते हो.... और मैं ग्लोव्स पहन लेता हूँ...
विश्व - नहीं बिल्कुल नहीं... प्रैक्टिस इन नौ महीनों में कर ली है मैंने... अब सिर्फ़ प्रैक्टिकल चाहिए... मुझे भी मालुम होना चाहिए... मुझ पर होने वाले वार कितना इम्पैक्ट कर सकता है.... और मैं अपने वार को कंट्रोल कर पाता हूँ या नहीं.... इसलिए अब और प्रैक्टिस नहीं....
डैनी - वाह विश्व वाह... वाकई तुम्हारा एटीट्यूड बहुत बदल गया है... ह्म्म्म्म... बहुत अच्छे... तो फिर शुरू हो जाओ...

विश्व अपना पोजीशन लेता है और डैनी भी अपना पोजीशन लेता है l बाहर खड़े पांचो बंदे बड़े उत्सुकता के साथ गुरू और शिष्य की लड़ाई देखने को बेताब हैं l

अचानक डैनी अपना पोजीशन बदल कर अटैक शुरू करता है l विश्व भी उतनी ही फुर्ती के साथ डिफेंस करता है l विश्व के रीफ्लेक्सेस को देख कर डैनी पैंतरा बदलता है, विश्व भी अनुरुप उसे डॉज करता है और परफेक्ट डिफेंस ब्लॉक करता है l हाथों और पैरों का अद्भुत कला कौशल एक दूसरे पर आजमा रहे गुरु और शिष्य को बाहर खड़े विश्व के वह पांच आंशिक गुरु भी अचंभित हो गए हैं l अत्यधिक डिफेंस के चलते विश्व के दाहिने तरफ कंधे और कमर के बीच एक गैप दिख जाता है डैनी को l डैनी भी मौके का फायदा उठाकर एक किक हिट करता है l किक लगते ही विश्व का ध्यान भटक जाता है फिर डैनी दन दना दन किक व पंचेस की बौछार कर देता है l विश्व थोड़ा नर्वस हो जाता है और उसी समय उसके छाती पर एक ज़ोरदार किक लगता है l विश्व कुछ दूर छिटक कर टर्न बक्कल से टकरा कर फ़र्श पर गिरता है l पर दुसरे ही पल अपने दोनों पैरों को घुमा कर उठ खड़ा हो जाता है l

डैनी - क्या हुआ विश्व... तुम्हारे पास सिर्फ़ डिफेंस ही है... अटैक का क्या हुआ...
विश्व -( चुप रहता है)
डैनी - जो डीटरमीनेशन (समीर, वसंत, प्रणब और हरीश की ओर इशारा करते हुए) इनके साथ लड़ते दिखा रहे थे... मेरे साथ लड़ते वक्त क्या हो गया तुमको... तुम ओवर डीफेंसीव हो गए.... (विश्व को चुप रहते देख) बहुत कुछ तुमने... एक्सपेरियंस किया है... इसलिए यह भी याद रखो... जो तुम्हारे सामने है... वह तुम्हारा गुरु भले ही हो... पर तुम्हारा व्यवहार उसके साथ ओपोनेंट की तरह होनी चाहिए... तुमने महाभारत में नहीं पढ़ा.... या देखा.... कुरुक्षेत्र में अर्जुन के विरुद्ध द्रोण युद्ध कर रहे थे....
विश्व - (अपना सर हिला कर हाँ कहता है)
डैनी - यह बात भी गांठ बाँध लो... कभी कभी अटैक इज़ द बेस्ट डीफेंस होता है...
विश्व - जी डैनी भाई.... एक और राउंड कोशिश करें....

डैनी - क्या... विश्व... तु क्या करना चाहता है... आज नहीं तो कल भी हम फाइट कर सकते हैं.... अभी मुझसे पहले इन लोगों से तीन तीन राउंड लड़ा है तु... और कितना देर टिक पाएगा...
विश्व - डैनी भाई... आप के पास मेरे लिए छह महीने बाकी हैं... एक साल गुज़र गया है.... इन एक सालों में यह पता चला... सीखने के लिए बहुत है... पर सीखा बहुत कम है.... खैर... जितना वक्त साथ दे.... इसलिए मैं आज अपना एक्सट्रीम चेक करना चाहता हूँ.... और आपसे निवेदन है.... आप मुझ पर रहम बिल्कुल मत कीजिए....

डैनी विश्व को हैरान हो कर देखता है l डैनी के साथ साथ उसके पंटर भी विश्व की बात सुनकर हैरान हो जाते हैं l विश्व अपना पोजीशन लेता है l डैनी भी अपना पोजीशन लेता है l इस बार डैनी जैसे ही अटैक स्टार्ट करता है विश्व डीफेंस के साथ साथ काउंटर अटैक भी करता है l अब कि लड़ाई में एक दुसरे को छकाना और वार करने की कोशिश करना हर एक स्टाइल में चलता रहा l फिर अचानक विश्व के पंच और किक तेज होते जाते हैं l इस बार डैनी थोड़ा डीफेंसीव हो जाता है जिससे विश्व की अटैक की रफ्तार और बढ़ जाता है l फिर अचानक विश्व की दाहिने हाथ की कलाई को डैनी अपनी बाएं हाथ की तीन उंगली से पकड़ लेता है l डैनी की पकड़ इतनी मजबूत होती है कि विश्व को दर्द होने लगता है l फ़िर डैनी दो पंच मारता है एक अंदरुनी कोहनी पर और दुसरा कंधे पर l विश्व के हाथ पूरी तरह से शुन हो जाता है l फिर विश्व को डैनी एक फ्रंट किक मारता है तो विश्व जाके एक टर्न बक्कल से टकराता है, वहीँ नीचे गिर जाता पहुंच कर डैनी को हैरान हो कर देखता है l

विश्व - (कराहते हुए) क्या.... क्या था यह... आ.. ह
डैनी - वर्म कलई...
विश्व - क्या.. व.. वर..म..
डैनी - वर्म कलई... एक प्राचीन भारतीय युद्ध कला...
विश्व - भारतीय...
डैनी - हाँ भारतीय... प्राचीन लोक कथाओं के अनुसार... भगवान शिव ने अपने पुत्र मुरुगन को सिखाया... भगवान मुरुगन से अगस्त्य महा मुनी ने सीखा और लोक कल्याण के लिए लोकार्पण किया.... यह बहुत ही प्राचीन विद्या है... तमिल और मलयालम में वर्म कलई कहते हैं... तेलुगु कन्नड़ और संस्कृत में मर्म कला...
विश्व - इतनी प्राचीन कला... आप कैसे...
डैनी - प्राचीन कला... लुप्त कला नहीं है...
विश्व - क्या आप मुझे यह सिखायेंगे...
डैनी - क्यूँ नहीं... मैंने कहा था ना... मेरी खुन पसीने की कमाई तुझे दे कर जाऊँगा... यह भी मेरी कमाई है... और तुझे देकर जाऊँगा...

विश्व के पास आकर डैनी हाथ बढ़ाता है, विश्व उसका हाथ थाम कर उठ खड़ा होता है l

डैनी - हमारे शरीर में छियासी ऐसे नर्व पॉइंट्स हैं... जिन पर अब तुम्हें ज्ञान लेना होगा... और ऐसे पॉइंट्स पर हमला करने के लिए... मुट्ठी या घुसे के वजाए... उँगलियों को इस्तेमाल किया जाता है... पर उस पर वार के लिए उँगलियों का मजबुत होना चाहिए... इसीलिये तुमसे साल भर कुए से पानी निकलवाया है... वह भी तीन उँगलियों से.... याद है इम्तिहान के बाद जब तुमने अपने तीन उँगलियों से मछली पकड़ा था...
विश्व - हाँ...
डैनी - वह तुम्हारा पहला कदम था... वर्म कलई की ओर...
विश्व - (हैरानी से) क.. क्या...
डैनी - तो अब... वर्म कलई सीखने के लिए तैयार हो जाओ....
विश्व अब सच में अपने एटीट्यूड को चेंज करने लगा है। नए विश्व का जन्म अब हो ही चुका है। देखते है अपनी खुद की महाभारत को जीत पता है या नही।
 

Kala Nag

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पांच महीने बाद
सेंट्रल जैल

डैनी अपने जीम में विंग-चुंग पर ब्लॉक्स और पंच्स प्रैक्टिस कर रहा है l उसके पास चित्त और समीर खड़े हैं l वसंत, हरीश और प्रणब कुछ दिन पहले रिहा हो कर जा चुके हैं l

समीर - दादा (डैनी से) जिस दिन से विश्व का बीए डिग्री की रिजल्ट आया है.... उस दिन से विश्व ने खुद को अपनी ही सेल में... खुद को आइसोलेट कर रखा है....
चित्त - हाँ दादा.... अच्छे नम्बरों से पास भी हुआ है... पर पता नहीं क्यूँ चार दिनों से खुद को बंद कर रखा है....
डैनी - (विंग चुंग पर अपना हाथ रोक कर) विश्व जो डिग्री हासिल किया है... वह उसका नहीं... उसके दीदी का सपना था... वह उस खुशी को अपनी दीदी के साथ बांटना चाहता था.... चुँकि उसकी दीदी अभी तक इस बाबत उससे कोई बात नहीं की... शायद इसलिए वह मायूस है....
समीर - हाँ... ठीक है... पर यह तो कोई बड़ी बात नहीं हुई... आपने उसे समझाया भी था... अपनी जज़्बातों को काबु करने के लिए....
चित्त - हाँ दादा... उसकी दीदी दूर राजगड़ में है... कोई प्रॉब्लम हुआ होगा... वरना हर पंद्रह दिन में एक बार तो आती ही थी...
डैनी - ह्म्म्म्म... एक काम करते हैं... चलकर उसी से पुछ लेते हैं...
दोनों - जी दादा...

फिर तीनों वहाँ से निकल कर अपने बैरक से निकल कर एक संत्री से विश्व के बारे में पूछते हैं l संत्री उन्हें बताता है कि वह अब भी अपने सेल में है l फिर डैनी उन दोनों को वहीँ छोड़ कर तीन नंबर बैरक में विश्व के सेल की ओर जाता है l डैनी उसके सेल के सामने आ कर खड़ा होता है l सेल के बाहर से देखता है l विश्व अपने बिस्तर पर सर झुकाए अपने दोनों कोहनी को अपने घुटनों पर रख कर बैठा हुआ है l

डैनी - विश्व...

विश्व अपना सर उठाता है l डैनी विश्व के चेहरे को गौर से देखता है l सपाट चेहरा आँखें पत्थरा गया है l उसके मन में क्या है बताना मुश्किल है l डैनी पास खड़े संत्री को इशारा करता है तो वह संत्री थोड़ा हिचकिचाते हुए सेल का दरवाज़ा खोलता है l डैनी अंदर आकर विश्व के पास बैठ जाता है l

डैनी - क्या बात है विश्व... तुम्हारे पास होने की खुशी... सभी कैदियों ने मनाया... सिवाय तुम्हारे... ऐसा क्यूँ...(विश्व कुछ नहीं कहता है चुप रहता है) तुम किस लिए मायूस हो... तुम्हारी दीदी तुम्हें बधाई देने नहीं आई इसलिए...
विश्व - मैं मायूस नहीं हूँ... और दीदी बधाई देने आई थी... पर उसे एक ऐसी बात पता चली... जिसे बताने के लिए वह हिम्मत नहीं कर पाई... तो लिख कर चिट्ठी में बता दिया... वह चिट्ठी जगन के हाथों भेज कर उस बात की जानकारी भेज दी... मैं उसी के मातम में हूँ...
डैनी - क्या... तुम मातम में हो...
विश्व - हाँ... याद है आपने मुझे एक दिन कहा था... साजिश या षडयंत्र में...किया कुछ जाता है... हो कुछ जाता है... दिखता कुछ है... दिखाया कुछ जाता है...
डैनी - हाँ... वैसे कौनसी षडयंत्र की बात कर रहे हो...

विश्व कुछ कहता नहीं, अपने बिस्तर के कोने में से एक चिट्ठी निकाल कर डैनी को बढ़ा देता है l डैनी चिट्ठी खोल कर पढ़ना शुरू करता है

मेरे प्यारे भाई, मेरा आशिर्वाद l मैं राजगड़ से निकल कर भुवनेश्वर में आज पहुंची l मुझे तेरा एंरोलमेंट नंबर मालुम था l इसलिए बस से उतर कर बस स्टैंड में ही एक दुकान से एक पेपर ख़रीद ली l तेरा रिजल्ट देखने की अलग सी खुशी महसूस हो रही थी l पेपर के पन्ने पलट कर तेरा नंबर ढूंढ रही थी कि अचानक तेरा नंबर दिख गया l मेरी खुशी मुझसे संभले नहीं संभल रही थी l मैं खुशी के मारे बस स्टैंड में ही उछलने लगी l जब थोड़ी संभली तो एहसास हुआ कि मैं बस स्टैंड में हूँ और लोग मुझे घूर कर देख रहे हैं l मैं शर्म से दोहरी हो गई l फिर वहाँ से निकल कर एक मिठाई की दुकान ढूंढने लगी l मिठाई की दुकान तक पहुंचते पहुंचते मुझे लगा कोई मेरा पीछा कर रहा है l मैं जोर जोर से चली और मिठाई की दुकान पर पहुंच गई l कुछ कहने को मुहँ खोलने वाली ही थी के मैं अपने कंधे पर किसीके हाथ को महसूस किया l मैं तुरंत पलट गई तो देखा एक औरत बेचारी दुखियारी लग रही थी l मैंने उससे पूछा (चिट्ठी में लिखा सार को लेखक के द्वारा फ्लैशबैक की तरह प्रस्तुत किया जाएगा)

वैदेही - क्या बात है... और आप कौन हैं...
औरत - मेरा नाम... कल्याणी है.... आप वैदेही जी हैं ना...
वैदेही - जी... हाँ... मेरा नाम वैदेही है...
कल्याणी - मैं आप से मिलने... अभी राजगड़ निकलने वाली थी...
वैदेही - (हैरान हो कर) मुझसे... पर क्यूँ...
कल्याणी - मेरे पति... भुवनेश्वर कैपिटल हस्पताल में... जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं.... वह मरने से पहले आपसे माफ़ी माँगना चाहते हैं... इसलिए एक बार आप उनसे मिल लीजिए...
वैदेही - क्या... पर आपके पति हैं कौन... और उनका मुझसे क्या लेना देना...
कल्याणी - यह मैं आपको अभी नहीं बता सकती.... पर आप इतना जान लीजिए... वह अब तक इसलिए मौत को मात दिए हुए हैं... ताकि वह आपसे माफी मांग सकें...

वैदेही यह सुन कर हैरान हो गई और सोचने लगी-
- कौन है वह,.... उसका मेरे साथ क्या लेना देना... उसने मेरा क्या बिगाड़ा होगा... जो मुझसे माफ़ी मंगाना चाहता है...

यह सोच कर हैरान व परेशान वैदेही कल्याणी के साथ कैपिटल हस्पताल में पहुंची l जनरल वार्ड में कल्याणी एक बेड के पास खड़ी हो जाती है l वैदेही ने देखा एक बीमार और बुढ़ा आदमी उस बेड पर लेटा हुआ है l उसका जबड़ा एक तरफ मुड़ा हुआ है l कल्याणी उसे हिला कर उठाती है l वह बुढ़ा आदमी आँखे खोल कर वैदेही को देखने लगता है l जैसे ही उसे एहसास होता है वैदेही ही उसके सामने खड़ी है, उस आदमी की आँखे छलक जाती है l कल्याणी उस आदमी को उठा कर बिठाती है और खुद उसे पकड़ कर उसके पीछे बैठ जाती है l

आदमी - (पीड़ा भरे स्वर में) आपने मुझे नहीं पहचाना वैदेही जी....
वैदेही - (ना में सर हिलाते हुए) जी नहीं... माफ कीजिए... मैंने आपको नहीं पहचान पाई...
आदमी - मैं... मैं... मैं मानीया शासन का... पूर्व समिति सभ्य... दिलीप कुमार कर....
वैदेही - (आँखे हैरानी से फैल जाती है) क्या... फ़िर गुस्से से देखने लगती है)
कर - अपनी करनी सुध समेत भोग रहा हूँ... अपने किए पापों का भुगतान कर रहा हूँ...
वैदेही - तो मुझसे क्या काम पड़ गया... और सोच भी कैसे लिया... मैं तुम्हें माफ़ माफ़ कर दूंगी...
कर - जानता हूँ... मैं माफी के लायक नहीं हूँ... पर मैं सिर्फ़ माफी माँगना नहीं चाहता... बल्कि एक ऐसा अपराध जो हुआ.... पर किसी को मालुम ना हो पाया... वह मैं तुमको बता कर अपना प्रायश्चित आरंभ करना चाहता हूँ....
वैदेही - वह तो ठीक है... तुम्हारे बच्चे कहाँ हैं... दिखाई क्यूँ नहीं दे रहे हैं.... और तुम्हारी ऐसी हालत...
कर - (एक फीकी मगर पीड़ा भरी हँसी हँसता है) जब अदालत में मेरी पदवी और प्रार्थीत्व दोनों को रद्द कर दिया... मैं राजा साहब के किसी काम का नहीं रहा.... राजा क्षेत्रपाल ने मुझे और मेरी वफ़ादारी को भुला दिया... आखिर मैं जिस आग को अपनी मुट्ठी में रख कर वफादारी निभा रहा था.... उसी आग ने मेरे सिर्फ हाथ ही नहीं घर परिवार सब को निगल गया....
जब मैं खुद... अपने मरे हुए माँ बाप के नाम पर पैसा बटोरने लगा था... अपने माँ बाप का मैं नालायक बेटा निकला... तो मेरा बेटा तो राम या हरिश्चंद्र तो हो नहीं सकता था.... पहले मेरी बड़ी बेटी, जिसको बदचलन कह कर उसके पति ने छोड़ दिया था.... वह मेरे घर पर आ कर रहने लगी थी.... एक दिन मौका पाकर... घर में जितने भी गहने थे... सब के लेकर किसी के साथ भाग गई.... मुझे इस बात का सदमा पहुंचा और मैं लकवा ग्रस्त हो गया.... हूं हूं हूं (अपने आप पर हँसते हुए) मैंने अदालत में बीच जिरह में लकवा मारने की ऐक्टिंग की थी.... भगवान ने मुझे पूरा का पूरा लकवा ग्रस्त कर दिया.... मेरे इलाज के लिए एफडी तोड़ी गई और जायदाद बेची गई... वह सारे पैसे इक्कठे कर मेरा बेटा हमें लावारिस कर भाग गया.... यह मेरी अर्धांगिनी मेरी सेवा कर रही है... मेरे इलाज के लिए मेरी वफादारी की दुहाई देकर राजा साहब से मदत मांगने गई थी मेरी बीवी... बदले में राजा साहब ने अपनी रस्मों रिवाज के लिए... मेरी सबसे छोटी बेटी को रंगमहल की भेंट चढ़ा दी... (रोते हुए) जिस रंगमहल में मैंने एक वहशी जानवर की तरह तुम्हें नोचा था... उसी रंगमहल की बेदी पर मेरी बेटी की बलि चढ़ गई... बदले में राजा साहब मुझे इस सरकारी हस्पताल की बेड तक पहुंचा दिया... मैं खुद से पूछता रहा कि... मैं मर क्यूँ नहीं रहा हूँ... तो अंदर से एक आवाज़ आई... के एक अपराध है जिसे स्वीकारना है... और वह रहस्य बगैर बताए... यम राज मेरे प्राण हरेंगे नहीं... इसलिए कल्याणी को तुम्हारे पास भेजा था...
वैदेही - जो हुआ सच में तुम्हारा करनी थी... पर जो भी हुआ बहुत बुरा हुआ.... फिर भी वह कौन सा रहस्य... कौन सा अपराध....
कर - यक़ीन करो... मुझे बाद में मालुम पड़ा... पर अगर मालुम पड़ भी जाता तो... उस वक्त... मैं चुप ही रहता... पर आज जब जाने का समय आ गया है.... मुझे समझ में आ गया है... भगवान मुझसे उस अपराध को स्वीकार कराना ही चाहता है....
वैदेही - ठीक है... बताओ तो अब... क्या था वह अपराध....
कर - बताता हूँ.... (एक छोटा सा फ्लैशबैक)

चिलका झील में एक हाउस बोट में कॉकटेल पार्टी चल रही है l भैरव सिंह अपने सिहासन नुमा कुर्सी पर बैठा हुआ है l उसके दोनों तरफ पिनाक और ओंकार बैठे हुए हैं l हाउस बोट के उस हिस्से में एक धुन बज रही है और धुन के साथ साथ यश, बल्लभ, रोणा, परीडा और कर अपने हाथ में ग्लास लिए झूम रहे हैं l अचानक भैरव अपने हाथ में रिमोट लेता है और बज रही धुन को बंद कर देता है l नाच रहे वह पांचो भैरव की तरफ देखते हैं l

पिनाक - अररे... क्या राजा साहब.... आज विश्व का वकील... आपके डर से मारे मर गया... हमारे लोगों को... उसकी खुशियाँ तो मनाने दीजिए....
भैरव - बस बहुत हुआ नाच गाना.... अब मुख्य विषय पर चर्चा करें...
पिनाक - मुख्य विषय...
भैरव - हाँ... मुख्य विषय... जयंत अपनी मौत मरा नहीं है...
पिनाक - क्या....
ओंकार - हाँ छोटे राजा जी.... जयंत अपनी मौत नहीं मरा है... वह मेरे बेटे की दी हुई मौत मरा है...
परीडा - हाँ इसके गवाह हम सब हैं... क्यूंकि उस जयंत को इतनी बार जलील किया गया... हार्ट अटैक से मरना ही था... मर गया...
बल्लभ - हाँ पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी साफ... कार्डियक अरेस्ट आया है...
ओंकार - वह तो आएगा ही... पर उसे जलालत भरी मौत नहीं... प्री प्लान्ड मौत दी गई है...
कर - ओह ओ... यह पहेली पर पहेली बनाए जा रहे हैं... साफ साफ कहिए.... क्या हुआ है...
ओंकार - यश बताओ..
तुमने क्या किया और क्या हुआ....

यश हँसता है और वहीँ पर बनी बार काउंटर पर पहुंच कर एक एल्बो क्लचर निकालता है l फिर उस एल्बो क्लचर की ग्रीप को खोलता है l उस ग्रीप के अंदर सबको एक पतला सा स्टील की ट्यूब दिखता है l

यश - यह है वह गन... जिससे मैंने जयंत को उसकी मौत शूट किया था....
रोणा - व्हाट...
बल्लभ - क्या... मतलब वकील जयंत को... हार्ट अटैक नहीं आया था...
परीडा - शूट किया तो कब किया... पोस्ट मोर्टेम रिपोर्ट में तो... कार्डियक अरेस्ट आया था...
भैरव - यही जानने के लिए... तो हमने वह मुख्य विषय पर चर्चा पुछा है....
यश - विथ माय प्लेजर... एट योर सर्विस सर... बुधवार को जब दिलीप की जिरह खतम हुई... राजा साहब भुवनेश्वर पहुंचे... मेरे पिताजी ने मुझे कहा कि किसी भी हाल में जयंत... राजा साहब की जिरह ना कर पाए... तो मैंने उसी रात अपनी लैब में जाकर... वन पॉइंट फाइव एमएम की एक पैलेट बनाया... उसमे राइसीन पॉइंट फाइव एमएम डाल कर उसे वैक्स से सील कर दिया... ऑन वेरी नेक्स्ट डे... मैंने प्रधान के हाथों मीडिया हाउस में खबर पहुंचाया के... यश वर्धन अपना मन्नत उतारने शनिवार को चांदनीचौक जगन्नाथ मंदिर जा रहा है.... तो मीडिया वाले छटपटाते हुए पहुंचे थे... स्टेट के यूथ आइकॉन के इंटरव्यू लेने... लगे हाथ मैंने प्रधान के भेजे हुए आदमी के हाथों जयंत की पिटाई की रिकॉर्डिंग करवा दी.... जब जयंत पीट के मेरे ऊपर गिरा... मैं उसे संभालने के बहाने... उसके पिछवाड़े पर फायर कर दिया... वह पैलेट उसके बॉडी के अंदर पहुंचने के बाद... जिस्म के अंदर की गर्मी से वैक्स पिघला होगा... फिर राइसीन उसके खून में मिल गया होगा.... फिर धीरे धीरे उसके खून को ज़माना शुरू किया होगा... और अड़तालीस घंटे बाद उसका दिल धड़कना बंद कर दिया... मरने के बाद पोस्ट मोर्टेम रिपोर्ट में कुछ नहीं मिला... बीकॉज आई एम ए फार्मास्यूटिकल् जिनीयस... हा हा हा हा...
(फ्लैशबैक खतम)

वैदेही - क्या... जयंत सर की हत्या हुई है...
कर - हाँ... मैं खुद इस बात का साक्षी हूँ... और मेरी मजबूरी यह है कि... मैं किसीके पास जाकर कह भी नहीं सकता था... क्यूंकि शासन व प्रशासन राजा साहब के गुलाम है...
वैदेही - तो मुझे क्यूँ बताया...
कर - यह कह कर मैं आज हल्का महसूस कर रहा हूँ.... (बहुत मुश्किल से अपना हाथ जोड़ कर) मैं जानता हूँ... मैं किसी तरह की माफी के योग्य नहीं हूँ... फ़िर भी मांग रहा हूँ... मैं जानता हूँ.. मुझे नर्क में जाना है... फिर भी एक शांति मिल गई है...

इतना कह कर दिलीप कर का सिर एक तरफ लुढ़क जाता है l उसकी बीवी नम आँखों से कर की खुली आँखों को बंद कर रोने लगती है l

चिट्ठी के अंत में
विशु, इसलिए मैं वह खुशी मना नहीं पाई जो कभी मेरा सपना था l क्यूँकी वह दुख बहुत भारी पड़ गया l मुझे माफ कर देना मेरे भाई l तेरी बेबस दीदी...

चिट्ठी खतम होते ही डैनी वह चिट्ठी विश्व को वापस कर देता है l

डैनी - आई एम सॉरी... (कह कर डैनी वहाँ से उठ जाता है) (सेल के दरवाजे पर पहुंच कर मुड़ कर) विश्व तुमने खुदको बहुत अच्छा संभाला है... तुमने अपने ग़म और मातम को अच्छे से जफ्त किया है... और हाँ... और दो दिन बाद... मैं यहाँ से जा रहा हूँ... तो दो दिन बाद मिलते हैं...

_____×_____×_____×_____×_____×_____×

दो दिन बाद
तापस के कैबिन में
डैनी - क्या सुपरिटेंडेंट सर... मेरा पट्ठा कब आएगा...
तापस - (गुस्से से) तुम जैसा छटा हुआ क्रिमिनल... विश्व को पिछले डेढ़ साल से कितना टॉर्चर किए हो... और अब क्या बाकी रह गया है... जिसकी कसर उससे मिलकर पूरा करना चाहते हो...
डैनी - क्या करे सुपरिटेंडेंट सर... बस प्यार हो गया है उससे...
तापस - जगन को भेजा है... उसे बुलाने के लिए... शायद वह आता ही होगा...
डैनी - ह्म्म्म्म...
तापस - तुमने अगर उसकी पढ़ाई में मदत ना किए होते... तो मैं हरगिज़ वह डील ना करवाता...
डैनी - क्या करे सर... उसकी किस्मत में लिखा था.... आप तो बस जरिया बन गए...

तभी कमरे में विश्व आता है l डैनी को देख कर विश्व की आँखे फैल जाती है l क्यूँकी आज पहली बार विश्व डैनी को जैल के यूनीफॉर्म में नहीं शूट, बूट और गॉगल में देख रहा है l दूध सी सफेद शूट, लाल रंग की टाई और काले रंग की गॉगल में डैनी की शख्सियत बहुत ही रौबदार दिख रहा है l

डैनी - सुपरिटेंडेंट सर... क्या मुझे गेट तक छोड़ने विश्व जा सकता है....
तापस - (गुस्से से) ठीक है...

विश्व और डैनी दोनों गेट की ओर जाते हैं l चलते चलते विश्व

विश्व - आप तो एक महीने ज्यादा रुकने वाले थे...
डैनी - हाँ... पर बंगाल में सरकार बदल गई है... मेरे फेवर में एक केस खोल कर... हाउस अरेस्ट का ऑर्डर निकाला है... पैरालली ओड़िशा सरकार ने नो ऑबजेक्सन सर्टिफिकेट भी दे दिया है... इसलिए मुझे बंगाल पुलिस के हवाले कर दिया गया है....
विश्व - पर पुलिस तो अभी तक नहीं पहुंची है..
डैनी - बाहर मेरा इंतजार कर रहे हैं...
विश्व - ओ...
डैनी - (गेट के पास पहुंच कर रुक जाता है) विश्व... तुम बहुत अच्छे शिष्य हो... जिस पर कोई भी गुरु तुम पर नाज़ करेगा... जिसे सीखने के लिए मुझे अर्सा लगा.... तुमने वह सब डेढ़ सालों में सिख लिया...
विश्व - जो मैंने मांगा नहीं... फिरभी आपने मुझे दे दिया... आपने तो मुझे ऋणी कर दिया है...
डैनी - बस... एक बात जाते जाते... जो तुमने सीखा है... उसमे जितना शरीर का उपयोग होता है... उतना ही मन का भी उपयोग होता है... मतलब शरीर और मन का सामरिक उपयोग ही मार्शल आर्ट है....
कभी भी लड़ाई लंबी मत खींचना... और जब भी लड़ाई खतम करना चाहो... वर्म कलई का प्रयोग करना...
विश्व - ठीक है... याद रखूँगा...
डैनी - अब मैं जा रहा हूँ... आज से इस जैल की चारदीवारी से निकलने तक... तुम बहुत बदल चुके होगे... इन बदलाव के बीच भी एक बात याद रखना... अपने भीतर के विश्व को मत खो देना....
विश्व - जी... क्या हम फिर कभी मिलेंगे...
डैनी - यहाँ तो बिल्कुल भी नहीं... (विश्व हैरानी से डैनी को देखता है) कचहरी में, थाने में, जैल में और हस्पताल में कभी भी फिर मिलेंगे नहीं कहा जाता...
विश्व - ओ... माफ किजिये...
डैनी - कोई नहीं विश्व... हम मिलेंगे जरूर... पर यहाँ नहीं...
विश्व - जी...
डैनी - जानते हो मैं अब तक... क्यूँ ऐसे बातेँ कर रहा था.... (विश्व अपना सर ना में हिलाता है) तुम्हारा जज्बातों पर काबु देख रहा था... रीयल्ली यु मेड मी प्राउड...

विश्व कुछ नहीं कहता सिर्फ अपना सर हाँ में हिलाता है

डैनी - अच्छा विश्व... (कहकर विश्व को गले लगा लेता है) अब सफर तुम्हारा, राह तुम्हारी और मंजिल भी तुम्हारी... जिंदगी ने मौका दिया... तुम्हारे आने वाले कल को एक आयाम देने के लिए... पर फिरभी एक आखिरी सीख... फाइट योर औन बैटल... क्रांति हमेशा अकेले से शुरू होती है... किसीकी प्रतीक्षा नहीं की जाती है... बस लोग आकर जुड़ते हैं...
विश्व - पर यह मुझे आप क्यूँ कह रहे हैं...
डैनी - क्यूंकि मुझे आने वाले कल में सिर्फ़ क्रांति हो दिख रही है... और मैं आने वाले कल के क्रांतिकारी से बात कर रहा हूँ...

इतना कह कर गेट के बाहर चला जाता है डैनी और जैल के भीतर विश्व रह जाता है
 

Kala Nag

Mr. X
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विश्व अब सच में अपने एटीट्यूड को चेंज करने लगा है। नए विश्व का जन्म अब हो ही चुका है। देखते है अपनी खुद की महाभारत को जीत पता है या नही।
धन्यबाद मित्र बहुत बहुत धन्यबाद
 

Kala Nag

Mr. X
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Bahut hi behtarin.. update yeh wala update gajab tha ladai ki barikiyon se bhara hua.. ab vishv ko atm nirbhar banane ka kaam samapti ki or badh raha hai … aisa lag raha hai 👏🏻👏🏻👏🏻👌
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sunoanuj

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Adbhut bahut he behtarin kahani hai mitr.. or aapke likhne ka and aaj isko or bhi utkrasth bana deta hai… 👏🏻👏🏻👏🏻
 

sunoanuj

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Yeh up thoda chota laga ya kah sakte hain padhte hue pata hee nahi laga kab khatam ho gaya…
 
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