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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

Mr. X
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*Index *
 
Last edited:

Kala Nag

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Jabardast Updatee

Nice and beautiful update...

Adbhut kahani I'm fan of your writing skills bs bro Ek request hai ki kahani ko Bich main band MT krna

Bhai bolti band hai .. literally ye update esa hai ki viswa ki halat ankho se dkh rhe ho .mtlb ek film chl rhi thi ankho k aage pdhte hue . Viswa jail me hi tyar hoga chetrapal se bhidne k lia .. bas ab dkhna ye h ki kya kya romanchak masala daalte ho aap khani me . Khani ki theme simple hai but aapki writing skills ne is khani ko aam se khas bna dala hai
साभार मित्रों अब तक साथ निभाने के लिए
कल उन्नीसवां अपडेट आयेगा
आशा करता हूँ आप सबको पसंद भी आएगा
धन्यबाद
 

Sauravb

Victory 💯
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👉अठारहवां अपडेट
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तापस डॉ. विजय से विश्व की फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के बाद सीधे विश्व जिस वार्ड में था, उसी वार्ड में आकर पहुंच जाता है l
अंदर विश्व एक कैजुअल पहनावे के साथ खड़ा हुआ था l
तापस - तो विश्व तैयार हो....
विश्व - जी सुपरिटेंडेंट साहब.... पर मुझ जैसे कैदी को लेने आप जैसे पदाधिकारी....
तापस - आई बी अलर्ट है.... तुम पर हमला हो सकता है.... जब से मीडिया मैं.... न्यूज चल रहा है... आज तुम्हारी पहली, पेशी है... तब से कटक में जमावाड़ा बढ़ गया है....
विश्व- आप फिक्र ना करें.... सुपरिटेंडेंट साहब.... वे लोग कुछ भी कर सकते हैं.... पर मेरी जान नहीं लेंगे.... या फिर यूँ कहूँ कि उन लोगों को मुझे हानि पहुंचाने की इजाजत तो है पर जान से मारने की नहीं.....
तापस - व्हाट.... यह तुम किस बिना पर कह सकते हो....
विश्व - अगर उन्हें मारना ही होता... तो मुझे राजगड़ में ही मार सकते थे....
तापस - हो सकता है... भीड़ को उकसा कर मरवाने का प्लान हो उनका....
विश्व - नहीं... सुपरिटेंडेंट साहब.... मैं अगर मर गया तो.... वह हार जाएगा....
तापस - कौन...
विश्व - वही जिसने यह खेल रचा है.... जिसकी मंसा यह थी के मेरी बाकी की जिंदगी.... राजगड़ के गालियों में लंगड़ाते हुए... भीख मांगते हुए गुजर जाएगी.... पर आपने उसकी पहली मंसूबे पर पानी फ़ेर दिया है.... मेरी टांग बचा कर....
तापस - ओह तो फिर.....
विश्व - चलिए चलते हैं.... आगे क्या होगा बस आप देखते जाइए....
तापस मन ही मन में सोचने लगा "यह इतना शांत लग रहा है, कोई डर भी नहीं है.... क्या पता इस उम्र में प्रोफेशनल की तरह बात कर रहा है.... हो सकता है... जो भी इल्ज़ाम लगे हैं.... शायद सच हो..."
तापस और विश्व एक जालीदार वैन में बैठ कर कोर्ट की ओर निकल जाते हैं l तापस देखता है बहुत सारे मीडिया चैनल वाले उनके पीछे लगे हुए हैं l आख़िर कार वैन कोर्ट में पहुंच जाते हैं l तापस गाड़ी से उतर कर विश्व की तरफ वाली दरवाजा की ओर बढ़ रहा है कि एक पेट्रोल बॉम्ब उस गाड़ी के छत पर आकर गिरता है, तो गाड़ी के छत पर आग लग जाती है l आग लगते ही आस पास खड़े लोगों में अफरा-तफरी मच जाती है l अफरा-तफरी के बीच तापस विश्व को किसी तरह से कोर्ट के भीतर ले जा कर जज के सामने खड़ा कर देता है, और विश्व
की मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट प्रतिभा के हाथों से जज तक पहुंचाता है, विश्व की सर्टिफिकेट देखने के बाद कोर्ट की कारवाई में,
जज - अभियोजन पक्ष की तैयारी पूरी है... पर अभियुक्त पक्ष की तैयारी अधूरी है... अभियुक्त पक्ष को एक माह का समय दिया जाता है.... ताकि वे अपनी तैयारी पूरी कर आयें.... अगली सुनवाई **** तारीख को होगी.... तब तक आरोपी श्री विश्व प्रताप महापात्र को केंद्रीय कारागृह में रखा जाए...
यह सुन कर वैदेही दुखी हो कर वहीं बैठ जाती है l विश्व को जैल ले जाने के लिए संत्री विश्व के हाथों में हथकड़ी डाल कर बाहर ले जाते हैं l वैदेही बाहर दौड़ कर आती है l विश्व के साथ साथ गाड़ी तक जाते हुए,
विश्व - दीदी... आप क्यूँ यहाँ आई हो... मुझे मेरे हाल पर छोड़ क्यूँ नहीं देती....
वैदेही - (रोते हुए) चुप कर... जिस उम्र में लड़कियां खिलौने से खेलती हैं... उस उम्र में मैंने तुझे माँ बन कर पाला है... बड़ा किया है... तुझे ऐसे कैसे इस हाल में छोड़ दूँ....
विश्व - दीदी... मेरी तो सिर्फ इज़्ज़त दाव पर लगी है.... जब कि उस क्षेत्रपाल की दौलत, ताकत और रुतबा दाव पर लगी हुई है....
वैदेही - हाँ जानती हूँ शायद इसलिए कोई वकील तेरा केस नहीं ले रहा है.....
विश्व - दीदी... इसलिए कह रहा हूँ.... आप गांव चली जाओ.... इस केस में मुझे फांसी नहीं होगी.... हाँ कुछ सालों के लिए... जैल होगी...
वैदेही - नहीं मैं पूरी कोशिश करूंगी....
विश्व गाड़ी में चढ़ जाता है l वैदेही वहीँ नीचे खड़ी रह जाती है l गाड़ी में बैठने के बाद विश्व अपना चेहरा घुमा लेता है और कोर्ट छोड़ने तक पीछे मुड़ कर नहीं देखता है l वैदेही रो रो कर वहीं नीचे बैठ जाती है l
यह सब ख़ामोशी से देखते हुए तापस सोचने लगता है "आख़िर माजरा क्या है.... यह क्षेत्रपाल कहाँ से आ गया..... खैर मुझे क्या...."
गाड़ी जैल के मुख्य फाटक से गुजर कर भीतर पहुंचता है l विश्व गाड़ी से उतरता है l फौरन एक संत्री आकर उसे ऑफिस के भीतर ले जाता है और दास के सामने खड़ा कर देता है l

दास - विश्व अपने साथ जो भी यहाँ ले कर आए हो... वह सब यहाँ पर जमा कर दो....
विश्व - मेरे पर मेरे इन्हीं कपड़ों के सिवा कुछ और नहीं है....
दास - ठीक है उस कमरे में जाओ.... अपने कपड़े उतार कर यह कपड़े पहन कर आओ....
विश्व दास के दिए जैल के यूनीफॉर्म लेकर एक छोटे से कमरे में आता है और अपने सारे कपड़े उतार कर जैल के कपड़े पहन लेता है और अपने कपड़े लेकर दास के पास आता है l दास एक काग़ज़ पर उसके दसों उँगलियों के निशान लेता है l फ़िर उसे एक स्लेट थमा देता है और एक सफ़ेद पर्दे के सामने खड़ा कर देता हैदास उस स्लेट पर 511 लिख देता है l उसके बाद एक फोटो ग्राफर कुछ फोटो ले लेता है l फोटो उठा लेने के बाद विश्व दास के पास जाता है l दास उससे स्लेट ले लेता है और विश्व को एक बाल्टी, एक मग, एक कंबल और एक चादर देता है l उसके बाद पास खड़े संत्री को कहता है
दास - इसे बैरक नंबर 3 के ग्यारह नंबर के सेल में ले जाओ....
संत्री - (सैल्यूट दे कर) जी सर...
विश्व उस संत्री के साथ चला जाता है l रास्ते में उसे कई तरह के कैदी दिखाई देते हैं l कुछ कैदी उस पर तंज कसते हैं
एक - ऑए होय... क्या चिकना है रे...
दूसरा - अबे यह लंगड़ा क्यूँ रहा है....
एक - लगता है आपने मामू लोगों के साथ भांगडा करते करते लंगड़ा गया....
तीसरा - अबे मुझे तो कुछ और लग रहा है....
एक - क्या....
तीसरा - किसीने बिना चड्डी उतारे पीछे से लेली इसकी.... इसलिए लंगड़ा रहा है....
सारे कैदी एक साथ - हा हा हा हा हा हा....
चौथा - पर इसकी ली किसने होगी....
तीसरा - जरूर किसी हिजड़े ने ली होगी.....
सारे - हा हा हा हा....
संत्री विश्व को उसके सेल में पहुंचा देता है l विश्व सेल के अंदर जाता है, उसके अंदर जाते ही संत्री बाहर ताला लगा कर चल देता है l विश्व उस आठ बाई दस की कोठरी को देखता है l एक कोने में संढास है, और एक कोने में वश बेसिन के साथ पानी का टाप भी है और उस पर एक आईना भी लगा हुआ है l छत पर एक पंखा और दीवार एक बल्ब भी है l यह सब देखकर विश्व एक गहरी सांस लेता है और अपने साथ लाए हुए सारी चीजों को एक कोने में ले जा कर रख देता है, फिर दीवार से सट कर बैठ जाता है l फिर अचानक से रोने लगता है, रोते रोते वह फर्श पर लेट कर छत की ओर देखने लगता है l

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अपनी गाड़ी में तापस और प्रतिभा सज धज कर कहीं जा रहे हैं l
प्रतिभा - आज रात की पार्टी में हम दोनों इंवाइटेड हैं.... पर अलग अलग जरिए से... पर क्यूँ
तापस - हाँ.... मुझे शाम को अचानक कमिश्नर जी का फोन आया... और कहा कि सेनापति अटॉर्नी जनरल यहाँ आज पार्टी है और आप विशेष निमंत्रित अतिथि हो.... इसलिए आठ बजने से पहले पहुंच जाना..... मैं समझ नहीं पाया के अटॉर्नी जनरल जी को मुझसे क्या काम पड़ गया है...
प्रतिभा - मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है.... आज बार काउंसिल में हम बैठ कर कुछ विषयों पर चर्चा कर रहे थे कि तभी मुझे भी फोन आया... की मैं आज रात आठ बजे अटॉर्नी जनरल के यहाँ पहुंच जाऊँ..... जब कारण पुछा तो मुझे सिर्फ इतना बताया गया.... जो लोग न्याय व कानून व्यवस्था से जुड़े हुए हैं.... उन्हीं लोगों के साथ उनकी खास मीटिंग है....
ताप - वही तो.... ज़रूर कोई इमर्जेंसी होगी.... या तो राज्य के लिए... या फिर किसी और विषय में जो राज्य के तंत्र व प्रशासन से संबंधित हो.....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... हम सिर्फ़ अनुमान ही लगा रहे हैं.... असली बात तो वहाँ पहुँचते ही मालुम पड़ेगा....
तापस - हाँ देखते हैं....
उधर एक बड़ी सी रोल्स रॉयस कार में नागेंद्र सिंह, भैरव सिंह और पिनाक सिंह तीनों आमने सामने बैठे हुए हैं l
पिनाक - यह हम अटॉर्नी जनरल के यहाँ क्यूँ जा रहे हैं.....
भैरव - हम अटॉर्नी जनरल के यहाँ पार्टी रखी है... इसलिए जा रहे हैं....
पिनाक - क्या उसके यहाँ पार्टी रखने की क्या जरूरत थी..... हम होटल अशोका या और किसी बड़े रिसॉर्ट में भी रख सकते थे....
नागेंद्र - (थोड़े खांसते हुए) छोटे राजा जी.... थोड़ा धीरज रखें.... राजा जी ने बड़ी दूर की सोची है....(थोड़ी देर के लिए चुप हो गया)
नागेंद्र - यह (खरास लेते हुए) सपोला विश्व... कम्बख्त बड़ा खेल गया.... यह तो जानते ही हैं....(थोड़ी गहरी सांस लेते हुए)
भैरव - (टोकते हुए) बड़े राजा जी.... आप मुझे इजाजत दें.... मैं छोटे राजा जी को विस्तार से बताता हूँ.....
नागेंद्र - (खांसते हुए, और भैरव को हाथ दिखाते हुए) कितनी बार कहे हैं.... खुद को मैं नहीं... हम कहा कीजिए.... और अपनों को तुम नहीं आप कहा कीजिए....
भैरव - जी आगे से हम ध्यान रखेंगे....
नागेंद्र हाथ के इशारे से बात को आगे बढ़ाने के लिए कहता है l
भैरव - हाँ तो छोटे राजाजी.... वह हराम का जना... विश्व हमारे विरुद्ध सात जगहों पर शिकायत लिख कर भेजा था... यह तो आप जानते ही होंगे....
पिनाक - हाँ.... हम जानते हैं.....
भैरव - तो यूँ समझिए.... विश्व ने अब हमें अपनी मांद से निकलने के लिए मजबूर कर दिया....
पिनाक - अच्छा..... तो फ़िर उस हराम जादे को सारी रकम में क्यूँ नहीं लपेट लिए.... सिर्फ साढ़े सात सौ करोड़ रुपए की मामूली रकम में ही लपेट लिए....
भैरव - आप पागल तो नहीं हो गए..... एक मामूली सा सरपंच.... के लिए साढ़े सात सौ करोड़... बहुत बड़ी रकम होता है.... पूरा का पूरा रकम अगर हम सामने लाते तो.... एजेंसीस् को हम पर भी शक़ हो जाता...
पिनाक - ठीक है... पर इसके लिए हमे भुवनेश्वर कूच करने की क्या जरूरत थी....
भैरव - हाँ अब हम सिर्फ खुदको राजगड़ में सिमित नहीं रख सकते.... एक कुए की मेंढक की तरह..... अब यह पूरा राज्य हमारा जागीर होगा.... इस राज्य का सिस्टम पानी और.... हम.... हम इस पानी के मगरमच्छ....
पिनाक - ओ...
भैरव - हाँ इसके लिए अब हमें प्रत्यक्ष राजनीति में आना होगा...
पिनाक - क्या....
भैरव - हाँ छोटे राजा.... हाँ...
पिनाक - इसका मतलब... हम किसीके आगे झुकेंगे....
नागेंद्र - हम ने आपको धीरज धरने के लिए कहा था....
पिनाक - क्षमा... कीजिए...
नागेंद्र - (भैरव को रोक कर) अब आप रुकिए... हम समझाते हैं छोटे राजा जी को....(पिनाक को देखते हुए) हम जहां भी जाएंगे या रहेंगे... अपना गुरुर नहीं छोड़ेंगे.... आप अभी फ़िलहाल पार्टी जॉइन कर रहे हैं.... और अगले दो वर्ष बाद आप भुवनेश्वर में मेयर के पदवी पर आसीन होंगे.... एक मेयर अपने शहर का राजा ही होता है.... और यह यह राजधानी है... और इस राजधानी के राजा आप होंगे.... क्यूंकि यह शहर अब फैल रहा है... बढ़ रहा है.... राक्षस बन चुका है.... यह आस पास के इलाकों को संप्रसारण व विकास के नाम पर निगल रहा है.... यहाँ बेहिसाब दौलत की बारिस हो रही है... जिसे अब आपको आपने दोनों हाथों से बटोरना है...
पिनाक - फिर राजगड़....
नागेंद्र - राजगड़.... राजगड़ वैसे ही हमारे शासन में रहेगी... जहां किसीकी भी दखल नहीं होगी.... जिसकी जिम्मेदारी राजा जी की होगी.... याद रहे.... जो अपनी जमीन या जड़ से उखड़ गया.... वह कहीं भी नहीं ठहर सकता....
पिनाक - जी बेहतर...
नागेन्द्र - देखिए.... और याद रखिए..... राज या हुकूमत करने के लिए किसी के पास या तो बेहिसाब दौलत होनी चाहिए या फिर बेहिसाब ताकत.... यह दोनों हमारे पास है... और इसको बढ़ाते जाना है....
पिनाक - जी....
नागेंद्र - राजा जी...
भैरव - जी बड़े राजा जी...
नागेंद्र - अब समय की मांग है.... युवराज और राजकुमार.... दोनों को इस शहर में राज करने योग्य बनाएं...
भैरव - पर वे दोनों तो कलकत्ता में पढ़ रहे हैं....
नागेंद्र - तो उन दोनों को यहां पर बुलाइये और.... अपना दबदबा कायम लीजिए .... उन दोनों को हथियार बनाएं.... और समय आने पर यह राज पाठ उनके हवाले कर सकें
भैरव - जैसी आपकी इच्छा....
फिर गाड़ी में सब शांत हो जाते हैं, और गाड़ी कटक की और बड़ी जोर से भाग रही है l
इधर अटॉर्नी जनरल के घर पर पहुंचने के बाद तापस व प्रतिभा दोनों देखते हैं कि राजनीति व कानून से जुड़े बहुत से शख्सियतों का जमावड़ा है l तभी कमिश्नर उनके पास आता है,
कमिश्नर - आइए सेनापति दंपति आइए....
कमिश्नर को देख कर जहां तापस सैल्यूट करता है वहीँ प्रतिभा कमिश्नर को हाथ जोड़ कर नमस्कार करती है l फिर कमिश्नर उन्हें पार्टी के एक टेबल के पास लाकर छोड़ देता है l
अटॉर्नी जनरल भी वहाँ उनके पास पहुंचता है और दोनों का अभिवादन करता है l दोनों पति पत्नी अपनी अपनी तरीके से उसका अभिवादन स्वीकार करते हुए प्रति अभिवादन करते हैं l
पार्टी के बीचों-बीच एक पंडाल में एक इलेक्ट्रॉनिक घड़ी लगी हुई है जिसमें सात उनसठ बजे हुए हैं l अटॉर्नी जनरल तभी पंडाल पर आकर अपने हाथ में माइक लेता है और कहता है - देवियों और सज्जनों... मेरे अचानक बुलाने पर आप सबके यहाँ पर उपस्थित होने के लिए धन्यबाद..... आज हमारे मध्य एक ऐसा परिवार उपस्थित होने जा रहे हैं जिनके बारे में उनके अपने प्रांत में कहा जाता है के वे समय के साथ नहीं चलते हैं बल्कि समय को अपने साथ लिए चलते हैं.... जिसका जीता जागता उदाहरण आप ठीक कुछ सेकंड बाद देख पाएंगे...
इतना कह कर अटॉर्नी जनरल माइक को दे देता है और पार्टी एरिया के सारे लाइट बुझा दिए जाते हैं l एक स्पॉट लाइट ठीक एंट्रेंस गेट पर पड़ती है l सबकी नजरें उस गेट पर टिक जाती है l एक बड़ी रॉल्स रॉयस गाड़ी भीतर आकर रुकती है l बड़े बड़े अधिकारी व कुछ नेता भाग कर उस गाड़ी के पास जाते हैं l गाड़ी से नागेंद्र, भैरव, और पिनाक उतरते हैं l तीनों पर फूलों की बरसात होती है, और वहाँ पर मौजूद सभी लोग ताली मार कर स्वागत करते हैं l अटॉर्नी जनरल तीनों को एक राजकीय साज सज्जा में सजी हुई एक टेबल के पास बिठाता है l फिर सारे लाइट जल उठती हैं, अटॉर्नी जनरल पंडाल पर आकर माइक संभालता है l
अ.ज - यहाँ पर उपस्थित सज्जन मंडली... इस पार्टी के मुख्य आकर्षण हमारे मध्य विराजमान हैं l उनके स्वागत के लिए आप सब से ज़ोरदार तालियों की उम्मीद कर रहा हूँ....
पूरा माहौल तालियों से गूंज जाती है l
अ.ज - यह सच है कि आज अपना राज्य पूरे देश में एक विशेष कारण से चर्चित है.... पर किसी गर्व या गौरव के क्षण के लिए नहीं.... महात्मा गांधी जी के नाम पर गरीब तबके और बेरोजगार लोगों को साल भर में कम से कम सौ दिन की रोज़गार ग्यारंटी मिले, उस मनरेगा योजना के पैसों की हेर-फेर के लिए चर्चित है... पर अब उचित न्याय होगा और जनता के पैसों का हिसाब होगा.....
यह घटना कितनी दुखदायी है.... के उस प्रांत के राज परिवार को बाध्य कर दिया के वे जनता को न्याय दिलाने के लिए.... राजधानी का रुख करें..... यह राज परिवार जनता को न्याय दिलाने के लिए कितना जागरूक व सजग है.... मैं आज आपको बताने जा रहा हूँ....
विश्व प्रताप महापात्र के सरपंच बनने के छह महीने बाद.... गांव के एक साधारण नागरिक ने आदरणीय श्री भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी से मेरा मतलब है कि राजा साहब जी से गुहार लगाई के विश्व प्रताप पैसों का हेर-फेर कर रहा है.... तब राजा साहब ने माननीय मुख्यमंत्री जी से दरख्वास्त की इस बारे में.... संज्ञान लेने के लिए....
मुख्यमंत्री जी राजा साहब जी का मान रखते हुए.... तीन महीने पहले एक SIT (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) का गठन किया था.... उस टीम के रिपोर्ट को आधार बनाकर जब पुलिस ने विश्व व उसके टीम को गिरफ्तार करने पहुंची... तब पहले से खबर पा कर उसके दो साथी अपने परिवार समेत फरार हो गए..... सूत्र बताते हैं कि वे लोग सपरिवार विदेश भाग गए......
हाँ यह हमारी लचर कानून व्यवस्था की लापरवाही कहा जा सकता है..... पर ह्युमन एरर तो हर जगह होती है.... इंसानी गलतियां... जिसका खामियाजा आज कानून को भी चुकाना पड़ा.... लेकिन संतोष की बात यह है कि... कम से कम एक अपराधी हाथ तो लगा...
अब उसे सजा देना कानून व समाज का कर्त्तव्य है....
यहाँ आप सब लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस केस से जुडे हुए हैं.... इसलिए मैंने यहाँ आपको बुलाया है..... और उस विश्व को सजा दिलवाने की चेष्टा कर कानून व राज्य को गौरवांवित करें.... धन्यबाद.....
सब इतने बड़े भाषण सुनने के बाद सब कुछ देर खामोश रहे l सबको खामोश देख कर अटॉर्नी जनरल खुद ताली बजाता है l उसे ताली बजाता देख बाकी सब लोग भी ताली बजाते हैं l
कमिश्नर तापस और प्रतिभा के पास आता है और दोनों से मुखातिब हो कर कहता है,
कमिश्नर - आइए सेनापति दंपति... आप से राजा साहब जी मिलना चाहते हैं.....
प्रतिभा - हम से..... पर क्यूँ....
कमिश्नर - अररे... आज आप दोनों ही इस पार्टी के स्पेशल गेस्ट जो हैं...
तापस और प्रतिभा एक दूसरे को देखते हैं l फिर अपने जगह से उठ कर कमिश्नर के पीछे चल देते हैं l
तापस और प्रतिभा कमिश्नर के साथ क्षेत्रपाल बाप बेटों के पास पहुंचते हैं l
प्रतिभा सबको नमस्कार करती है l तापस पहले नागेंद्र को नमस्कार करता है और भैरव सिंह के तरफ अपना हाथ मिलाने के लिए बढ़ाता है, पर भैरव सिंह हाथ मिलाने के वजाए अपने दोनों हाथ अपने जेब में रख कर वैसे ही खड़ा रहता है और तापस को अजीब सी नजरों से घूरता है l
कमिश्नर - अरे तापस... यह क्या कर रहे हो.... यह राजा साहब हैं.... वे सिर्फ अपने दोस्तों को छोड़ किसीसे हाथ नहीं मिलते हैं....
तापस - ओह सॉरी... राजा क्षेत्रपाल जी.... मुझे यह बात नहीं मालुम था...
कमिश्नर - राजा साहब जी.... यह हैं तापस सेनापति.... इन्हीं के जैल में वह विश्व कैद है.... और यह हैं प्रतिभा सेनापति जो विश्व को जैल के सलाखों के पीछे पहुंचाएगी..... यह हाई कोर्ट में सरकारी वकील हैं....
तापस - कमिश्नर साहब ने एक गलत बात कह दी..... विश्व मेरे जैल में नहीं है.... बल्कि सरकारी जैल में है... और उस जैल का मैं सरकारी पदाधिकारी हूँ....
भैरव - हूँ... तो मोहतरमा जी... क्या कमिश्नर ने आपका परिचय सटीक दिया है.... या आप भी कुछ कहेंगी....
प्रतिभा - जी नहीं राजा साहब.... मेरे बारे में कमिश्नर साहब ने सटीक बात कही है....
पिनाक - तो अब तक उस चोर के बारे में... क्या सोचा है...
प्रतिभा - सोचा है मतलब....
पिनाक - मेरा मतलब है.... क्या तैयारी की है आपने....
प्रतिभा - मैंने तो अपनी पूरी तैयारी कर ली है.... पर जब तक डिफेंस लॉयर केस नहीं सम्हालते तब तक कुछ कहना संभव नहीं है.....
भैरव - और जैलर... तुम बताओ... जैल में कैसा है विश्व...
भैरव सिंह जैसा अपरिचित व्यक्ति तापस को तुम कहना, तापस को बुरा लगा l
तापस - आज ही वह जैल पहुंचा है.... अब अगर सजा बढ़ी तो तब मालूम होगा उसका हाल चाल...
भैरव - ठीक है... आप दोनों दंपति से निवेदन है.... उस पर जरा भी रहम ना करें.... कानून के किताब में इस अपराध के लिए.... जितनी कड़ी से कड़ी सजा हो दिलवाईये.... हम आपके साथ हैं....
और तापस जैल के भीतर इतना खयाल रखना की जब वह राजगड़ में वापस आए तो भीख के लिए भी दर दर की ठोकरे खाता रहे....
तापस - अगर वह अदालत में... निर्दोष करार दिया गया... तो
भैरव - वह कभी निर्दोष करार नहीँ दिया जा सकता.... आप बस जैल में जितनी मेहनत करवा सकें तो कीजिए....
तापस - जी... मैं याद रखूँगा....

उधर जैल में रात के खाने की घंटी बजती है l जैल की इस रूटीन से बेख़बर विश्वा अपने सेल में लेटा हुआ है l कुछ देर बाद एक संत्री आता है और कहता है - नंबर 511....
विश्वा यह सुन कर उसके तरफ देखता है,
संत्री - रात के खाने का टाइम हो गया है... चलो खा कर आ जाओ...(इतना कह कर संत्री सेल की दरवाज़ा खोल देता है)
विश्वा बाहर निकल कर देखता है उसके बैरक में से कैदी निकल कर सब एक और जा रहे हैं l विश्वा भी उनके साथ हो लेता है l
एक बड़े से डायनिंग हॉल में सारे कैदी लाइन में लगे हुए हैं l बहुत से जिंक के डायनिंग टेबल पड़े हुए हैं l हर टेबल पर आठ लोगों की बैठने की व्यवस्था है l शायद पचास या साठ कैदी होंगे l सब खाना लेकर डायनिंग टेबल पर बैठ कर खा रहे हैं l विश्व भी लाइन में लग जाता है l अचानक उसे पीछे से धक्का लगता है तो विश्व आगे वाले कैदी से टकरा जाता है l आगे वाला कैदी पीछे मुड़ कर विश्व को घूर के देखता है l
विश्व - ज.. ज. जी म म माफ कर दीजिए... म म मुझे क क किसीने पीछे से धक्का दिया था...
वह कैदी विश्व के पीछे जितने खड़े थे उनको घूरता है l उनमें से एक कहता है - डैनी भाई... यह आज नवा नवा आया है... और झूठ बोल रहा है... इसीने आपको धक्का दिया.... और हम पर इल्ज़ाम लगा रहा है....
डैनी विश्व को गौर से देखता है और विश्व को अपने आगे खड़ा कर देता है l विश्व अपना थाली लेने के बाद एक खाली डायनिंग टेबल पर जा कर बैठ कर खाना शुरू करता है l कुछ देर बाद उसके टेबल पर डैनी अपना थाली लिए बैठता है l
विश्व - (डैनी को देखते हुए) धन्यबाद....
डैनी - वह किसलिए...
विश्व - वह आपने मेरा विश्वास किया... और उनसे तंग होने से बचाया इसलिए....
डैनी - देख बे... अखरोट... तु जिस तरह से हकलाया... मेरे को लगा ही था कि तुने जान बुझ कर मेरे को धक्का दिआ.... पर दुनिया देखी है मैंने.... मेरे को तेरे आँखों में मासूमियत और सच्चाई दिख गई... इसलिए तेरे को छोड़ दिआ.... समझा...
विश्व ने हाँ में अपना सर हिलाया l फिर दोनों खाना खतम कर अपना थाली धो कर डायनिंग हॉल में जमा कर चल दिए l विश्व अपने सेल की ओर जा रहा था कि उसे किसीने टंगड़ी मार दी l विश्व मुँह के बल गिर जाता है l तभी दो लोग उसके पीठ पर घुटना लगा कर बैठ जाते हैं और उसके दोनों हाथों को मोड़ कर कब्जा कर देते हैं l उनमें से एक विश्व के मुहँ पर हाथ रख देता है, ताकि विश्व चिल्ला ना पाए l एक और आदमी विश्व की पजामा के साथ लंगोट भी खिंच देता है और बोलता है,
- वाह क्या चिकना गांड है बे तेरी...
जो दो लोग उसे पकड़े हुए थे हंसने लगते हैं l
विश्व छटपटाने लगता है और चिल्लाने की कोशिश करता है l वे तीन लोग हंसते हैं l
- अरे घबरा मत.... आज तेरी गांड नहीं मारेंगे रे.... तु अपनी किए जुर्म के लिए बहुत लंबा जाने वाला है... मालुम है हम को... और हम पहले से ही लंबे हो कर पड़े हुए हैं...तु जब जैल से जाएगा तो तेरी रोज़गार की व्यवस्था हो जाएगा.... तुने राजा जी की मारने की सोची... और राजा साहब ने तेरी रोज मरवा ने के लिए हमें इस जैल में भिजवाया है... तु फ़िकर मत कर.... तु जब जैल से निकलेगा तो राजगड़ में गांडु महापात्र के नाम से जाना जाएगा....
फिर विश्व के गांड पर हाथ फेरते हुए - आह क्या चिकना गांड है... तेरी इतनी मारेंगे की तु जैल से निकल कर अपनी रोजी रोटी के लिए तेरे पास सिर्फ गांड मरवाना ही रह जाएगा पर कोई नहीं मारेगा... इतना चौड़ा कर देंगे....
सब मिलकर हंसते हैं फ़िर विश्व को अपने पिछवाड़े पर गरम पानी गिरता हुआ महसुस करता है l उस पानी की बदबू से विश्व समझ जाता है कि वह गरम पानी पेशाब है l फिर वह तीनों आदमी विश्व को वैसे ही हाल में छोड़ कर चले जाते हैं l विश्व अपना पजामा और लंगोट उठा कर नंगा ही अपने सेल की ओर बढ़ जाता है l सेल के बाहर संत्री उसे उस हालत में देख कर रोकता है और कहता है,
- छी... यह क्या... छी.. पेशाब कर दिए.... कितने गंदे हो तुम...
इतना कहकर संत्री विश्व को देखता है तो पाता है विश्व की आंखे व चेहरा आंसुओं से भीगे हुए हैं और अपमान से उसका चेहरा आग के मानिंद जलता हुआ लग रहा है l उसकी ऐसी हालत देख कर संत्री एक तरफ हट जाता है l विश्व अपने सेल के अंदर जा कर संढास में घुस जाता है और अपने ऊपर पानी डाल कर नहाता है l

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घर पर पहुंच कर तापस धप कर सोफ़े पर बैठता है l उसकी ऐसी हालत देख कर प्रतिभा भाग कर किचन जाती है और एक ग्लास पानी लाकर तापस को देती है l तापस पानी लेने से अपना सर हिला कर मना कर देता है l
प्रतिभा - क्या हुआ आपको....
तापस - जान... (प्रतिभा की और देखते हुए) कहीं हम अनजाने में किसी कंस्पिरेसी में मेरे मतलब है... की कहीं अनजाने में... अनचाहे किसी षड्यंत्र में शामिल तो नहीं हो रहे हैं.....
प्रतिभा - (टी पोए पर ग्लास रखते हुए) आप ऐसा क्यूँ सोच रहे हैं....
तापस - जान एक साधारण आदमी के लिए... सात सौ पचास करोड़ बहुत होते हैं... पर भारत में इससे कई गुना पैसों की हेरा फेरी हुई है.... पर इस केस को जिस तरह से उछाला जा रहा है... प्रशासन और राजनयिक गलियारों में बड़े बड़े दिग्गज जिस तरह से इस केस में इंट्रेस्ट ले रहे हैं.... और जिस तरह से घड़ी घड़ी मीडिया ट्रायल हो रहा है.... मेरे कानों में वैदेही की वह बात रह रह गूंज रही है... के कुछ सफ़ेद पोश लोगों ने मिलकर विश्व को फंसाया है... कहीं अगर विश्व को सजा हो गई और कुछ सालों बाद हमे मालूम पड़ा के विश्व निर्दोष था.... तब हम पर क्या गुजरेगा....
प्रतिभा - हो गया.... सेनापति जी.... आपने वहाँ पर सुना ना... तीन महीने पहले से ही राज्य सरकार जे तरफ से एस आई टी का गठन किया जा चुका था..... और सारे एजेंसी ने विश्व को दोषी पाया है.... हम शक़ करें तो किस पर... किसकी मंशा पर सवाल उठाएं... वैसे भी मैं विश्व के खिलाफ़ सरकारी वकील मुक़र्रर हुई हूँ... और अब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूँ.... वह दोषी है.... और मैं कोशिश भी करूंगी उसे कठोर से कठोर सजा दी जाए....
तापस - तुम्हारी नजरिए से तुम सही हो... पर सोचो.... गिरफ्तारी हुई, सरकार ने इसे गम्भीरता लीआ है.... ऐसा मीडिया में आया.... पर एस आई टी के बारे आज अटॉर्नी जनरल ने बताया.... पर पब्लिकली नहीं....
प्रतिभा - यह उन लोगों की स्ट्रैटिजी हो..... खैर... हमे क्या... आई एम डैम श्योर... विश्व प्रताप महापात्र हंड्रेड पर्सेंट गिल्टी एंड विल बी कंविक्टेड शुन एट कोर्ट
Super update bro..biswa aur baidehi ko apni badla jarur lena hoga khetrapal see.
 

Kala Nag

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Super update bro..biswa aur baidehi ko apni badla jarur lena hoga khetrapal see.
निश्चय कहानी उन चरित्रों के संघर्ष व प्रतिशोध की है है
पर कहानी में नायक एवं खलनायक के मध्य युद्ध में दाव पेच भी तो है
जिसे हथियार व ढाल बना कर क्षेत्रपाल ने विश्व को रौंदा है उसी हथियार को अपना कर विश्व क्षेत्रपाल को हरायेगा
 
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क्षेत्रपाल फेमिली ने ज़ुल्म की इन्तहा कर दी है । विश्वा आखिर में था तो उन्हीं का खून । उसके साथ जैसा टार्चर किया गया था और उसे सदैव के लिए अपंग बनाने का जो षडयंत्र किया था उन लोगों ने उससे हमारा खून गर्म हुए जा रहा है ।
कमीनो ने जेल में भी नहीं बख्शा था उसे । बहुत ही ज्यादा गलत हुआ है उसके साथ ।
तापस जी की मेहरबानी से विश्व प्रताप अपाहिज होने से बच तो गया था लेकिन दोनों पति-पत्नी उसे निर्दोष नहीं समझ सके । दोनों सरकारी मुलाजिम है तो स्वाभाविक है उनकी कुछ बंदिशें होंगी । वो चाहकर भी उसके समर्थन में नहीं आ सकते ।
शायद इसी वजह से तापस जी ने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था ।
लेकिन अभी भी जेल में हमला वाली घटना के बारे में हमें पुरी जानकारी नहीं है । क्या वो भी विश्वा के लिए ही हुआ था ?

बहुत ही बेहतरीन कहानी है यह । इस कहानी में बहुत सारी चीज़ें ऐसी है जिसके बारे में बहुत लोगों को जानकारी नहीं है । जेल के अंदर कैसा परिवेश होता है , अधिकतर लोग मूवी देखकर ही जान पाते हैं । उसी तरह अदालत की कार्यवाही भी है ।
दोनों चीजों के बारे में बहुत बढ़िया अपडेट दिया है आपने । यही बात पुलिसिया कार्रवाई और सरकारी विभागों पर भी लागू होती है ।

एक बार फिर से जगमग जगमग अपडेट भाई ।
अमेजिंग स्टोरी है यह ।
 
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Kala Nag

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क्षेत्रपाल फेमिली ने ज़ुल्म की इन्तहा कर दी है । विश्वा आखिर में था तो उन्हीं का खून । उसके साथ जैसा टार्चर किया गया था और उसे सदैव के लिए अपंग बनाने का जो षडयंत्र किया था उन लोगों ने उससे हमारा खून गर्म हुए जा रहा है ।
कमीनो ने जेल में भी नहीं बख्शा था उसे । बहुत ही ज्यादा गलत हुआ है उसके साथ ।
तापस जी की मेहरबानी से विश्व प्रताप अपाहिज होने से बच तो गया था लेकिन दोनों पति-पत्नी उसे निर्दोष नहीं समझ सके । दोनों सरकारी मुलाजिम है तो स्वाभाविक है उनकी कुछ बंदिशें होंगी । वो चाहकर भी उसके समर्थन में नहीं आ सकते ।
शायद इसी वजह से तापस जी ने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था ।
लेकिन अभी भी जेल में हमला वाली घटना के बारे में हमें पुरी जानकारी नहीं है । क्या वो भी विश्वा के लिए ही हुआ था ?

बहुत ही बेहतरीन कहानी है यह । इस कहानी में बहुत सारी चीज़ें ऐसी है जिसके बारे में बहुत लोगों को जानकारी नहीं है । जेल के अंदर कैसा परिवेश होता है , अधिकतर लोग मूवी देखकर ही जान पाते हैं । उसी तरह अदालत की कार्यवाही भी है ।
दोनों चीजों के बारे में बहुत बढ़िया अपडेट दिया है आपने । यही बात पुलिसिया कार्रवाई और सरकारी विभागों पर भी लागू होती है ।

एक बार फिर से जगमग जगमग अपडेट भाई ।
अमेजिंग स्टोरी है यह ।
मित्र आप भावना वश इसबार अपना विचार प्रकट किया है l
क्षेत्रपाल परिवार का खुन का रिश्ता वैदेही के साथ है
विश्व रघुनाथ महापात्र व सरला महापात्र का बेटा है जिनके जीवन में वैदेही आई और उनकी बेटी बन गई जो क्षेत्रपाल परिवार के बड़ों की व्यभिचार की शिकार बनीं
बाकी कहानी आपके भावना के अनुरूप ही है
इक्कीस वर्ष के आयु में विश्व राजगड़ पंचायत का सरपंच बना उसके बाद वह क्षेत्रपाल परिवार के षडयंत्र का शिकार हुआ
आगे कहानी में सारे षडयंत्र के परते खुलेंगे और विश्वा कैसे कानूनी रूप से अपना प्रतिशोध लेगा यही कहानी की विशेषता है
इसी विशेषता में तीन तीन प्रेम कहानियाँ कहानी को गति एवं प्राण देंगे
मुझे आपका विचार हमेशा से प्रभावित किया है
आज भी प्रभावित हूँ
धन्यबाद
 

Kala Nag

Mr. X
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👉उन्नीसवां अपडेट
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सुबह सुबह का वकिंग खतम कर तापस अपने क्वार्टर में आता है l बैठक में सोफ़े पर बैठते हुए टीवी ऑन करता है l ताजा खबर जानने के लिए न्यूज चैनल लगाता है,
ब्रेकिंग न्यूज -
"जैसे ही कल क्षेत्रपाल परिवार का आगमन भुवनेश्वर में हुआ था, उससे राजनीतिक गलियारों में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे, कल देर रात सभी कयासों में विराम लग गया और नए सम्भावनाओं को जन्म देने लगा है...
कल अचानक से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी जो राज्य के जनता मध्य ओ. आई. सी. नाम से परिचित हैं,वह अपने नीवास भवन में देर रात को अपनी पार्टी में श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल के योगदान की घोषणा कर सबको चौंका दिया....
श्री चेट्टी ने कहा कि छोटे राजा जी के पार्टी में आने से पार्टी ना सिर्फ़ बहुत मजबूत हुई है.... बल्कि अब राज्य में उनकी पार्टी अजय हो गई है....
इस संदर्भ में हमारे संवाददाता ने राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से लोकप्रिय श्री क्षेत्रपाल जी से वार्तालाप की....
रिपोर्टर - आज हमारे साथ हैं, राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से सुपरिचित आदरणीय श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी.... हाँ तो छोटे राजा जी... आज आप सपरिवार अटॉर्नी जनरल जी के यहाँ आये थे.... और खबर यह थी कि राज्य में हुई मनरेगा योजना में पैसों की हेर-फेर पर तुरंत कारवाई के लिए कानूनी राह पर बात चित करने.... पर अचानक से आपका राजनीति में आना वह भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जी के द्वारा घोषणा किए जाना सबको चौंका दिया आपने....
पिनाक - हा हा हा हा.... देखिए इसमें चौंकाने वाली क्या बात है.... हम राज परिवार से हैं.... और राजनीति हमारे खुन में दौड़ती है....
रिपोर्टर - हाँ... इसमें कोई शक़ नहीं है.... पर अबतक राज्य की राजनीति में.... क्षेत्रपाल परिवार किंग् मेकर की भूमिका में थी... अब आपकी कैसी भूमिका रहेगी....
पिनाक - देखिए.... आज अगर हम सक्रिय राजनीति में होते... तो निःसंदेह हमारे ही क्षेत्र में कभी मनरेगा कांड ना हुआ होता.... रही आने वाली समय में.... तो हम सबको आश्वस्त करना चाहते हैं.... हम एक साधारण कार्यकर्त्ता की तरह जनता और पार्टी की सेवा करने आए हैं....
रिपोर्टर - छोटे राजा जी.... सुना है आपकी अगली पीढ़ी भी अब राजनीति में आपनी योगदान देने वाली है....
पिनाक - कल क्या होगा यह कल पर ही छोड़ दें...... (इतना कह कर पिनाक सिंह मुड़ कर चला जाता है)
रिपोर्टर - तो यह थे छोटे राजा जी.... कैमरा मैन अभिजीत के साथ...

तापस टीवी बंद कर देता है l इतने में प्रत्युष तैयार हो कर अंदर आता है...
प्रत्युष - डैड... आपने टीवी क्यूँ बंद कर दिया....
तापस - मुझे सुबह सुबह.. यह पोलिटिकल न्यूज दिमाग खराब कर देती हैं....
प्रत्युष - पर टीवी पर हमारे हॉस्पिटल मैनेजमेंट के चेयरमैन ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी आ रहे थे.... और आप तो जानते हैं.... वह स्टेट के हेल्थ मिनिस्टर भी हैं...
तापस - तो....
प्रत्युष - डैड... आपको पूरा न्यूज देखना चाहिए था....
तापस - हाँ तो.... कहाँ मैंने आधा अधूरा देखा है....
प्रत्युष - अधूरा ही तो है....
तापस - अच्छा... मैंने जो न्यूज देखा... वह अधूरा है.... आप जो सूरज सर पर होने के बाद उठते हैं.... पूरा न्यूज जानते हैं....
प्रत्युष - (अपना मुहँ बना कर) डैड.. आप अपने कपड़े देखिए.... और मेरे कपड़े देखिए.... यह मेरे घर से बाहर जाने के कपड़े हैं... और आपके अंदर....
तापस - (प्रत्युष को घूरते हुए) मेरा कभी कभी मन करता है... तेरा कान खिंचु... मन भरने तक कुटाई करूँ....
प्रत्युष - मुझे मालुम था.... आप मुझसे जलते हैं... क्यूंकि मैं आपसे ज्यादा इंटेलिजेंट हूँ....
तापस - (उसे घूरते हुए) अच्छा अब पूरी खबर बता....
प्रत्युष - डैड.... पूरी खबर यह है कि.... कल स्वास्थ मंत्री जी के पास... क्षेत्रपाल जी अपने प्रांत के लिए सारी सुविधाओं से लैस उनके हॉस्पिटल चैन निरोग का एक ब्रांच हस्पताल का प्रस्ताव लेकर गए थे..... उनके प्रस्ताव सहसा श्री स्वस्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया और उन्हें राजनीति में आने के लिए आमंत्रण दिया...... ताकि हस्पताल का काम उनके देख रेख में पूरा हो.... कोई मनरेगा जैसा कांड न हो..... जिसे सुन कर श्री क्षेत्रपाल जी ने भी सहसा स्वीकार किया.... यह है पूरा न्यूज...
तापस - ओ.. अच्छा अच्छा... तो अब आप डॉक्टरी के साथ साथ रिपोर्टरी भी करने लगे हो...
प्रत्युष - यह ताना था... या तारीफ़.... खैर जो भी हो... एक पिता दे और बेटा ना ले.... यह हो नहीं सकता....
तापस - प्रतिभा.....
प्रतिभा - (चाय का प्याला लाकर) क्या हुआ...
तापस - अपने लाडले को जल्दी से नाश्ता देकर विदा करो... तब से मेरा दिमाग खा रहा है...
प्रतिभा - (प्रत्युष को आँखे दिखा कर) कितनी बार कहा है.... कुछ ढंग का खाया कर.... सुबह सुबह इनके कैलरी लेस दिमाग खाएगा तो एनर्जी कहाँ से लाएगा....
तापस प्रतिभा को घूर कर देखता है पर चुप रहता है, उसे यूँ चुप देख कर प्रतिभा मुस्करा कर प्रत्युष को इशारे से बाहर जाने को कहती है l प्रत्युष भी अपनी हंसी दबाये बिना शोर शराबे के चुपके से बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही.,
प्रतिभा - क्या बात है सेनापति जी.... कल रात से आप कुछ कंफ्यूजड हैं....
तापस - हाँ.... यह क्षेत्रपाल परिवार का अचानक राजनीति में आना.... वह भी तब... जब उनके क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ा करप्शन हुआ है...
प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) देखिए... फ़िलहाल.... मैं इस पर कुछ भी डिबेट करना नहीं चाहती.... क्यूंकि आपकी सुई फ़िर वहीँ पर अटक जाएगी.... और मेरा दिन और दिमाग दोनों खराब हो जाएगी....आप बेशक पुलिस वाले हैं पर फील्ड में नहीं हैं.... जैल सुपरिटेंडेंट हैं.... अब आप से मैं बस इतना ही कहना चाहती हूँ .... वक्त सबका ज़वाब दे देगा....
तापस - हूँ... तुम... सही कह रही हो... अब वक्त ही ज़वाब देगा...

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कैदी नंबर 511.... यह सुन कर विश्व सेल के बाहर देखता है l एक नया संत्री था l
संत्री - तुम्हारा पैर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है.... क्या तुम रंजन को खाना बनाने में मदद करोगे....
विश्व - जी बिलकुल....

संत्री सेल की दरवाजा खोल देता है l
संत्री - आओ फ़िर...

विश्व संत्री के साथ जैल के रसोई में आता है l वहाँ के मुख्य रसोईया रंजन कुछ क़ैदियों के मदद से सब्जियाँ कटवा रहा था l रंजन विश्व को देखता है और पूछता है,
रंजन - हाँ तो विश्व.... क्या तुम्हें इस तरह के काम की आदत है...
विश्व - आपको... मेरा नाम...
रंजन - आरे भाई.... तुम सिर्फ इस जैल में ही नहीं.... पूरे राज्य में मशहूर हो चुके हो.... और तुम्हारे आते ही... सब यहां पर तुम्हारे बारे में काना फुंसी कर के ही सब तुम्हारे बारे में मालूम कर चुके हैं......
विश्व चुप रहता है l रंजन विश्व के हाथ में एक छुरी देता है और एक बड़े से टोकरी भर सब्जी दे कर काटने को इशारा करता है l विश्व पहले कटे हुए सब्जियों को देखता है l फिर विश्व सब्जियां काटना शुरू करता है l सिर्फ पैंतीस मिनट में सारे सब्जियां काट कर रंजन के हवाले कर देता है l रंजन, संत्री और दूसरे कैदी जो उसे अब तक देख रहे थे सबका मुहं हैरानी से खुला रह जाता है l
रंजन - तुमने सब्जियां इतनी जल्दी काट दी.... क्या तुम्हें इसकी पहले आदत है...
विश्व - मेहनती हूँ... ऐसे कामों में अभिज्ञ हूँ..
इतना कह कर विश्व वापस जाता है l रास्ते में फ़िर से कुछ कैदी विश्व पर तंग कसते हैं l
एक - सुना है... लंगड़ा अपना पिछवाड़ा किसीके मूत से साफ किया...
दूसरा - क्यूँ भई.... क्या हमारे यहाँ पानी खतम हो गया है...
तीसरा - ना ना... अपना पिछवाड़ा के उद्घाटन की तैयारी कर रहा था...
सब हंसते हैं l विश्व थोड़ा जोर से चलने लगता है l पीछे से आवाज़ आती है "ऑए लंगड़े भाग ना जैयो..." विश्व और जोर से चलने लगता है l तभी विश्व को एक आवाज आता है "ऑए गांडु महापात्र".... यह सुनते ही विश्व रुक जाता है और पीछे गुस्से से मुड़ कर देखता है l सब ताली मार कर ठहाका लगाते हैं l उनमें से एक कहता है - देखा मैंने बुलाया... उसे सुन कर वह रुक गया.... लौडा वाला मजनू बुलाये और गांडु लैला महापात्र ना रुके... ऐसा हो ही नहीं सकता....
सब और जोर से ठहाका लगा कर हंसते हैं l विश्व अपमानित महसूस करता है, उसकी आँखों में आंसू छलक जाता है l वहाँ से जल्दी से जल्दी चला जाना चाहता है,
विश्व अपने बैरक की करिडर में पहुंचा ही था के वे चार कैदी उसके पीछे पीछे पहुंच जाते हैं l एक उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है l
एक - क्यूँ बे.... गांडु लैला... तेरा मजनूं बुला रहा है... साले हरामी.. गांड मटका कर किससे मरवाने भाग रहा था बे....
विश्व का चेहरा लाल हो जाता है और उसे गुस्से से देखने लगता है l
एक - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अरे भाई लोग... गौर से देखो इस गांडु को... यह लैला अपने मजनूं को आंख दिखा रहा है....
दूसरा - पता नहीं रंगा भाई... पर मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है.... यह आपको आँख नहीं दिखा रहा है.... बल्कि इशारे से किसी अंधेरे कोने में बुला रहा है.....
सब ठहाका मार कर हंसने लगते हैं l
तभी व्हिसिल की आवाज़ सुनाई देती है l तो सब विश्व से थोड़ी दूर जा कर खड़े हो जाते हैं l थोड़ी देर बाद वहाँ पर तापस कुछ संत्रीयों के साथ पहुंचता है l रंगा और उसके साथियों के पास आकर रुक जाता है l
तापस - तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो...
रंगा - वह... अपना यार आया है... तो जान पहचान बना रहे थे...
तापस - क्यूँ इससे पहले भी जान पहचान है क्या तुम्हारा....
रंगा - जी नहीं.... हम तो महीने भर से यहाँ आए हैं... यह नया नया आया है... तो दोस्त बनाने आए थे...
तापस - ओके... तुम लोग... निकलो यहाँ से...
रंगा - ओके... सर... बाय... विश्व... बाय... बाद में मिलते हैं...

इतना कह कर अपने साथियों के साथ वहाँ से चला जाता है l तापस विश्व को इशारे से अपने सेल की ओर जाने को कहता है l विश्व अपने सेल के भीतर पहुंच कर रंगा के बारे में सोचने लगता है l
"क्षेत्रपाल अब जैल में इसके मदद से... मुझे जलील करने की ठानी है..... इसका नाम रंगा है.... मुझे कुछ ना कुछ करना ही होगा.... मगर क्या.... मैं क्या कर सकता हूँ... अगर उसने मेरे साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश की.... तो... तो मैं उसे जान से मार दूँगा....हाँ मार दूँगा.... मगर कैसे... वह मुझसे अकेला नहीं लड़ेगा... और मैं इतना ताकतवर हूँ नहीं के चार चार से भीड़ जाऊँ..... पता नहीं अब मुझे क्या क्या सहना होगा.... आह... नहीं नहीं नहीं....
क्षेत्रपाल महल में मेरे साथ जो हुआ वह आखरी बार था.... अब कोई भी मुझे जलील नहीं कर सकता.... मुझे कुछ करना होगा.... हाँ कुछ करना होगा...
ऐसे सोचते सोचते दोपहर हो जाती है l जैल में खाने के लिए इकट्ठा होने के लिए बेल बजती है l संत्री आकर सेल का दरवाज़ा भी खोल देता है l पर विश्व अपने में खोया हुआ है, उसे संत्री का दरवाज़ा खोलना या खाने की बेल बजना कुछ होश नहीं l
संत्री सेल के दरवाजे पर अपनी लाठी से ठोकता है, जिसकी आवाज़ भी विश्व को सोच से बाहर ना निकाल पाई l
संत्री - ऐ... 511... आज तेरा उपवास है क्या... खाना खाने नहीं जाना है क्या....
विश्व उसे देखता है और अपनी जगह से उठ कर बाहर निकालता है l विश्व धीरे धीरे डायनिंग हॉल की ओर बढ़ता है l रास्ते में रंगा और उसके साथी विश्व को छेड़ते हुए पीछे लग जाते हैं l विश्व उनसे दूर जाने की कोशिश करता है, पर फिरभी वे लोग विश्व को आजू बाजू घेर लेते हैं और विश्व सुन सके ऐसे -"गांडु लैला... कब लेगा तेरे मजनूं का केला" कह कर हाथ उसे लगाने की कोशिश करते हैं l विश्व अपना थाली लेकर नजर घुमाता है, उसे एक टेबल पर डैनी दिख जाता है l विश्व उस टेबल पर आकर बैठ जाता है l डैनी उसे देखकर मुस्कराता है l
डैनी - हाँ तो विश्व... कैसी कटी तेरी रात...
विश्व - (अपना चेहरा झुका कर खाना खाते हुए) जी अच्छी...
डैनी - हा हा हा क्यों बे ... वह रंगा तेरा पिछवाड़ा भिगो दिया तो तुझे इतना अच्छा लगा.....
विश्व के गले में निवाला अटक जाता है और वह खांसने लगता है l डैनी उसे पानी का ग्लास देता है l
डैनी - ले.... पि... ले...
विश्व पानी की एक घूंट पिता है, और उसके आंखों में आंसू निकल आते हैं l
डैनी - सुन.. विश्व.... यह दुनिया बहुत बेरहम है... इतना बेरहम के तुम सोच भी नहीं सकता....
विश्व अपनी आंखों में पानी लिए डैनी की तरफ देखता है l डैनी विश्व को देखे बगैर खाना खा रहा है l
डैनी - तेरे को इन डेढ़ दिनों में एक बात मालूम हो गया ना .... के इस जैल में कोई मुझसे पंगा लेने की कोशिश भी नहीं कर रहा.... इसी लिए तुने अपनी थाली ले कर यहाँ मेरे पास बैठ गया.... थोडे समय के लिए... उनसे बचने के लिए अच्छा तरीका है..... पर कब तक.....
विश्व डैनी को गौर से देखने लगा, पर डैनी उसके चेहरे पर आए भाव को नजर अंदाज करते हुए अपना खाना खा रहा है l
डैनी - कब तक... कल अगर मैं यहाँ नहीं रहा तो..... तब तु उनसे कैसे बचेगा..... क्या सुपरिटेंडेंट के पास शिकायत ले कर जाएगा...
विश्व अपना सर झुका कर मौन रहता है l
डैनी - जाएगा तो भी... क्या शिकायत करेगा.....
विश्व - मैं क्या करूं....
डैनी - यह मैं कैसे कह सकता हूँ.... प्रॉब्लम तेरा है... तेरे को ही शॉल्व करना है....
विश्व के आंखों में फ़िर से आँसू आ जाते हैं l
डैनी - बी अ मैन विश्व.... बी अ मैन.... आँसू बुजदिली की निशानी है... तु तो अपने इलाके के सबसे ताकतवर आदमी से भीड़ गया था...... उसके आगे यह रंगा किस खेत का मूली है.....
विश्व की आंखे फैल जाती है l वह हैरानी से अपने सामने बैठे आदमी को देखने लगता है l
डैनी - तुम मेरे बारे में जानते नहीं हो.... इसलिए मेरे साथ मेरे सामने बैठे हुए हो.... वह जो जानते हैं... वे सब मुझसे दूर बैठते हैं....देख लो..
विश्व डायनिंग हॉल के चारो तरफ नजर दौड़ाता है l वह देखता है कि हर टेबल पर पांच से लेकर आठ लोग बैठे हुए हैं, पर वह खुद जिस टेबल पर बैठा हुआ है वहाँ पर सिर्फ़ वह और डैनी ही बैठे हुए हैं l
विश्व - आपको मेरे बारे में... कैसे... मेरा मतलब है... जो पुलिस भी नहीं जानती... वह आप....
डैनी - (मुस्कराते हुए) मेरे अपने सोर्सेस हैं... कल तु जैल में आया बेशक... पर तेरे चर्चे कई दिनों से पूरे राज्य में हो रहे हैं.... इसलिए तुझे देखने की बड़ी ख्वाहिश थी... जैसे ही देखा तो तुरंत समझ गया... मैं एक बकरे को देख रहा हूँ.....
विश्व - काश... कानून को मानने व पालने वालों की भी नजर आप जैसी होती.....
डैनी - हा हा हा... मैं जुर्म की दुनिया का मंज़ा हुआ खिलाड़ी हूँ.... मैं जुर्म और मुज़रिम को सूँघ लेता हूँ.... देखते ही पहचान लेता हूँ...
विश्व अपने सामने बैठे उस शख्स को देख कर हैरान रह जाता है l
विश्व - आपने बताया नहीं... आपको कैसे मालुम हुआ... मेरे बारे में...
डैनी - कहा ना... मेरे अपने सोर्सेस हैं... अब तु बता.... तु उस रंगा से डरता क्यूँ है...
विश्व - मैं डरता नहीं हूँ... पर उनसे जीत भी नहीं सकता हूँ... वे चार हैं और मैं अकेला....
डैनी - सोच... अगर रंगा ने जो कहा है कि... उसने कर दिखाया... तो...
विश्व अपने मुट्ठीयों को भींच कर जवड़े कस लेता है l
विश्व - ऐसा करने की कोशिश की... तो मार डालूंगा.... सबको मार डालूंगा....
डैनी - तेरे दुश्मन भी शायद यही चाहते हैं..... तेरे ऊपर जितने चार्जेस लगे हुए हैं.... उसमें कुछ और जुड़ जाएंगे.... इस तरह से.... तु कभी इस जैल से निकल नहीं पाएगा.....
विश्व - तो मैं क्या करूं.... आप आप यह कैसे जानते हैं....
डैनी - तु कितने उम्र का है...
विश्व - जी अभी कुछ दिनों में बाइस का होने वाला हूँ...
डैनी - मैं तुझसे दुगने उम्र से भी एक साल बड़ा हूँ... एकसपेरियंस... अनुभव...
विश्व - तो मुझे क्या करना चाहिए....
डैनी - यह तु जाने.... मैं सिर्फ तेरे को आगाह कर रहा हूँ....
विश्व बेबसी से अपना हाथ मल रहा है l
डैनी - देखो विश्व.... यह जैल है... और यहाँ चार्ल्स डार्विन की थ्योरी ही काम आती है...
विश्व डैनी के चेहरे को सवालिया दृष्टि से देखता है l
डैनी - सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट...
विश्व कुछ समझ नहीं पाता
डैनी - यह प्रकृति का नियम है... यहाँ वही टिक सकता है... जो अपनी हालातों से जुझ सकता है... और यहाँ वही राज कर सकता है... जो हालातों को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ सकता है....
विश्व उसकी बातों पर गौर करता है और समझने की कोशिश में अपना सर हाँ में हिलाता है l
डैनी - यहाँ जंगल राज है... जंगल में शेर बेशक जंगली सुवर का शिकार करता है.... पर कभी कभी सुवर की पलट वार से शेर भी ढेर हो जाता है.... और जिस दिन जंगल में शेर, सुवर से हार जाता है.... उस दिन जंगल में शेर जीते जी मर जाता है....
अब विश्व अपने अंदर में एक ऊर्जा को मेहसूस करता है, उसके चेहरे पर दर्द नहीं दिखता,एक अलग भाव दिखता है l जिसे देखकर डैनी के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है l
डैनी - वह जिस तरह से तुझ पर नजर रख रहे हैं... तु भी उन पर अपने तरीके से नजर रख..... खुद को सब के साथ सबके पास रखो.... वे लोग तुम्हें अकेले में धर ने की कोशिश करेंगे.... तुझे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे.... तुझे उकसाने की कोशिश करेंगे... पर तु रियाक्ट मत हो जाना... जितना हो सके उनको उस मौके से महरूम रख..... फिर अपना दाव लगा.... मगर ध्यान रहे... तुझे किसीकी नजर में नहीं आना है... वरना कुछ और धाराएं तेरे पर लग जाएंगी... और तु जैल और अदालत के चक्कर काटते रह जाएगा.....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना खाली थाली लेकर निकल जाता है l विश्व उसे जाते देखता है l फिर विश्व अपना खाना खतम करता है और थाली साफ कर वहाँ जमा कर वापस अपने बैरक की और चला जाता है l जैसे कि अंदेशा था वे लोग विश्व के पीछे आते हैं और तंज कसने लग जाते हैं l
रंगा - अबे पंटरों... मैंने कुछ दिन पहले एक फिलम देखी थी....
एक - कौनसी फिलम रंगा भाई.....
रंगा - अबे... उस फिलम नाम था "तेरे मेरे सपने".... उसमें एक गाना था... आँख मारे वह लड़की आँख मारे...
दूसरा - वाह.. रंगा भाई... वाह..
रंगा - अबे... इसमे... वाह वाली क्या बात है.... इसकी रीमिक्स जब गांडु गायेगा... उस पर तुम लोग वाह वाह करना....
एक - वह गाना क्या होगा.... रंगा भाई...
रंगा - गांड मारे... रंगा मेरा गांड मारे... थूक लगाए... बिन कॉन्डोम के मारे...
अब सब रंगा के साथ मिलकर जोर जोर से गाने लग जाते हैं l
विश्व सुन कर गुस्सा तो होता है पर उसे डैनी की कही बातेँ याद आती है, विश्व अब उन पर ध्यान हटाता है और सीधे अपने सेल में चला जाता है l ऐसे ही दोपहर बीत जाता है और शाम को जैल में राउंड लगाते हुए तापस जब वहाँ पहुंचता है l
विश्व - सर...
तापस - हाँ बोलो विश्व...
विश्व - सर सुबह मैं सिर्फ सब्जी काटने गया था.... क्या और कोई काम है जिसे करना चाहिए.... मेहनत वाला... वरना नींद नहीं आएगी....
तापस - है तो... पर तुम अभी... एक्युसड हो... तुम्हें सजा नहीं सुनाई गई है...
विश्व - सर... उसकी कोई आवश्यकता नहीं... मैं बस शरीर थकने तक काम करना चाहता हूँ...
तापस - पर तुम्हारा एक पैर...
विश्व - सर... मांस पेशी में खिंचाव है... वह भी कुछ दिन में ठीक हो जाएगा...
तापस - दास.... कल ऐसा कुछ काम है क्या...
दास - जी सर... अगर विश्व चाहे तो... कल सारे चादर और कंबल धोए जाएंगे...
विश्व - ठीक है सर.... मुझे मंजूर है... प्लीज...
तापस - ठीक है... दास कल इसे एनगैज कराना तुम्हारे जिम्मे...
दास - ओके सर....
फिर तापस और दूसरे अधिकारी वहाँ से चले जाते हैं l विश्व अपने सेल में बिछाए अपने बिस्तर पर एक संतुष्टि के भाव लिए बैठ कर सोचने लगता है l

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

अगले दिन सुबह विश्व अपनी सेल में जल्दी तैयार हो जाता है l कुछ देर बाद नाश्ता करने डायनिंग हॉल में पहुँच जाता है l सब जो पिछले दो दिन से विश्व को देख रहे हैं, उन्हें आज विश्व के चेहरे पर कुछ अलग ही भाव दिख रहा है l रंगा और उसके पंटर भी हैरान हैं l दो दिन से किसी हारा हुआ, बिखरा हुआ लगने वाला विश्व में आज बॉडी लैंग्वेज कुछ और बयान कर रहा है l
आज विश्व दूसरों से बात करने की कोशिश भी कर रहा है l
विश्व जल्दी अपना नाश्ता खतम करता है और ऑफिस में पहुंचता है l ऑफिस के पास संत्री उसे रोक देता है l
विश्व - वो कल ASI जी ने बुलाया था....
संत्री - ठीक है... रुको यहाँ... मैं पूछ कर आता हूँ....
संत्री अंदर जाता है और थोड़ी देर बाद बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को कहता है l विश्व अंदर जाता है और पूछते हुए ASI दास के पास पहुंचता है l
दास - आओ विश्व आओ...
इतना कह कर दास बेल बजाता है l एक आदमी जैल के पोशाक में आता है l
दास - बालू... यह है विश्व... इन्हें आज ले जाओ... आज जो चादर और कंबल धुलेंगे... इन्हें भी सामिल करो... यह तुम्हारे हाथ बटायेंगे...
बालू - जी सर... आओ... विश्व...
विश्व बालू के साथ निकल जाता है...
उधर रंगा और उसके साथी बैठे हुए हैं l रंगा के साथी रंगा से,
एक - भाई.. यह चिकना रात को कौनसी घुट्टी पि ली थी... साला आज कुछ अलग ही दिख रहा था....
रंगा - लगता है... उस डैनी ने कुछ बोला है उसको.... पर डैनी भी यहाँ के नियम से वाकिफ़ है.... "यहाँ कोई किसी दूसरे के फटे में टांग नहीं घुसाता"
दूसरा - वही तो...
रंगा - देखते हैं... आज शाम को मिलेगा तो सही... वैसे भी अपने पास... टाइम बहुत है... सुनवाई के कुछ दिन पहले.... मेरे को इस हरामी की गांड मारनी है...
एक - कोई नहीं रंगा भाई... उद्घाटन आप करना... हम लाइन देंगे....
सब हंसने लगते हैं
दोपहर के बाद खाने के समय विश्व खाने की थाली लेकर फिर से डैनी के बैठे हुए टेबल पर पहुंच जाता है l
डैनी उसे मुस्कराते हुए देखता है l ज़वाब में विश्व भी मुस्कराता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बहुत जल्दी सीख रहे हो.... और खुदको हालात में ढाल भी रहे हो...
विश्व - यह सब आपके... हौसला अफजाई के वजह से.....
डैनी - मैंने कुछ नहीं कहा है.... सिर्फ़ आगाह किया था...
विश्व - फिरभी... मैं हर तरह के आघात सह सकता था.... पर....
विश्व कुछ कह नहीं पाता चुप हो जाता है l डैनी उसे देखता है और अपना सर हिलाता है l
डैनी - बलात्कार....
विश्व के गले में निवाला फ़िर से अटक जाता है l डैनी विश्व को पानी की ग्लास देता है l विश्व पानी पीने के बाद फ़िर से खाना चालू करता है l
डैनी - जानता है... किसीको... आत्मा से तोड़ने के लिए... बलात्कार एक अचूक हथियार है....
विश्व - हाँ... आप सही कह रहे हैं....
डैनी - किसी औरत की बलात्कार.... उस औरत की वज़ूद व अस्तित्व को इतना हिला कर रख देती है... की.... उसमें जीने की चाह को खतम कर देती है....
विश्व - (आवाज़ थर्रा जाती है) जानता हूँ... (आँखे भीग जाती हैं)
डैनी - (उसे देखते हुए) मर्द के भी फिलिंगस भी अलग नहीं हो सकता... उस घिनौना सच से...
(दोनों के बीच कुछ देर के लिए ख़ामोशी छा जाती है) तेरे अंदर के मर्द को हमेशा के लिए खतम करने के लिए..... तेरे दुश्मनों की यह अचूक चाल है... अब उन्होंने तेरे को तोड़ने के लिए जिन् लोगों को हथियार बनाए हैं.... उन्हें तु तोड़.... मगर किसीके नजर में आए बगैर....
विश्व - कैसे.....
डैनी - देख... यहाँ अगर टिकना है... तो तुझे खुद के लिए सोचना होगा.... रिमेंबर... ऑलवेज फाइट यु योर वोन बैटल....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना थाली उठाए धोने चला जाता है l उसके जाते ही विश्व भी अपना खाना खतम करता है और थाली जमा करने के बाद अपने सेल में आकर आराम करते करते सोच में डूब जाता है l

***दस दिन बाद***

रात के डिनर के लिए तापस और प्रत्युष दोनों अपने डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं, प्रतिभा उन दोनों को खाना परोस रही है कि कॉलिंग बेल बजने लगती है l

तापस - ओ... हो.... यह खाने के समय में कौन मरा जा रहा है....(कह कर उठने को होता है, कि प्रतिभा उसे वापस बिठा देती है)
प्रतिभा - आप खाना खाइए.... बीच खाने से मत उठिए.... मैं देखती हूँ... कौन है....
प्रतिभा दरवाजा खोलती है तो सामने जगन को खड़ा हुआ पति है l जगन कुछ कहने को होता है,
प्रतिभा - नहीं.. नहीं... बिल्कुल नहीं... देखो जगन माना के तुम सेनापति जी के अर्दली हो.... पर ऑफिस में... यहाँ पर भी अर्दली बनने की कोशिश ना करो.... मैं यहाँ अपने परिवार की देखभाल कर सकती हूँ... और घर के बाकी काम भी... पर तुम जिद करते हो इसलिए कभी कभी घर में कुछ काम करने देती हूँ.... पर खाना बनाने नहीं दे सकती तुम्हें.... हाँ अगर खाना चाहो तो.... सेनापति जी के बगल में बैठ जाओ... मैं खाना लगा दूंगी....
तापस - अरे भाग्यवान... उसे पहले कुछ कहने तो दो... हाँ.. जगन.. बोलो... कैसे आना हुआ...
जगन - सर.. वह...
तापस - हाँ हाँ... बोलो... कुछ गडबड तो नहीं हो गया...
जगन - सर... हाँ...
तापस - क्या हुआ है...
जगन - सर... वह.. रंगा को हस्पताल ले जाया गया है....
तापस - व्हाट... क्या हुआ उसे..
जगन - सर... उस पर हमला हुआ है... लहू-लुहान हो कर पड़ा हुआ था.... तो नाइट् ड्यूटी पर सतपाथी जी थे उन्होंने एम्बुलेंस बुलाकर उसे कैपिटल हस्पताल में भेज दिया है.....
तापस - व्हाट.... यह कब हुआ..... और मुझे फोन क्यूँ नहीं किया गया....
जगन - सर... सब परेशान थे... किसी तरह रंगा को हस्पताल पहुंचाने के लिए... उसके बाद आपको लैंडलाइन पर इन्फॉर्म करने की कोशिश की गई... पर लैंडलाइन एंगेज आ रहा था....
तापस और प्रतिभा यह सुन कर दोनों प्रत्युष को देखने लगते हैं l प्रत्युष अपना जीभ दांतों तले दबा कर अपने कमरे को ओर भाग जाता है l
तापस - (जगन को देखते हुए) क्यूँ... मोबाइल पर भी तो इन्फॉर्म कर सकते थे.....
जगन - बहुत बार किया गया.... पर आपने उठाया नहीं....
यह सुन कर तापस अपना मोबाइल ढूंढने लगता है l फिर उसे मोबाइल सोफ़े पर कुशन के नीचे मिलता है l तापस मोबाइल चेक करता है
तापस - ओह माय गॉड... बत्तीस मिस कॉल.... अरे यह क्या... फोन म्यूट है.... प्रतिभा.... मैं जगन के साथ हस्पताल जा रहा हूँ.... आकर खाना खा लूँगा....
इतना कह कर उन्हीं कैजुअल कपड़ों में ही जगन के साथ कैपिटल हॉस्पिटल को निकल जाता है l इधर प्रतिभा सिर्फ़ प्रत्युष के प्लेट को छोड़ कर सारे प्लेटस् उठा लेती है l
उधर हस्पताल में ऑपरेशन थिएटर के सामने दास, सतपाथी और कुछ स्टाफ खड़े थे l वहाँ पहुँच कर
तापस - सॉरी सतपाथी... फॉर बीइंग लेट...
सतपाथी - इटस् ओके सर.... प्रॉब्लम वाज देयर, बट नथींग सिरीयस....
तापस - ओके.... कैन.. एनी बॉडी एक्सप्लेन....
दास - सर.... मै... आइ....
तापस - (हाँ में अपना सर हिलाकर) ह्म्म्म्म कहो....
दास - सर... कुछ लोग ताक में रहते हैं... की किसी और की मैदान मारने की.... वैसे लोग जल्दबाजी में अपनी ही मैदान मरवा लेते हैं....
तापस - व्हाट.... समझ में आए.. ऐसे बोलो.... किसने रंगा की हालत ऐसे की...
दास - कोई नहीं जानता.... यहाँ तक रंगा भी नहीं जानता.....
तापस - तुम मुझे एक्सप्लेन कर रहे हो... या कन्फ्यूज कर रहे हो....
दास - सर.... इसकी... मेरा मतलब रंगा की एक आदत है.... रात के खाने के बाद..... दो मिनट के लिए गांजा फुंकता है....
तापस - व्हाट.... हमारे जैल में गांजा.... उसके पास.... कैसे....
दास - यह बताना... थोड़ी मुश्किल है.... हो सकता है... हमारे ही स्टाफ में से कोई उससे मिला हुआ हो....
तापस वहाँ पर मौजूद सबको पैनी नजर से देखता है फिर दास को देखता है l
दास - सर रंगा हमेशा रात को आधा पेट खाता है... और बाहर जाकर दो नंबर बैरक के लॉबी के एक कोने में रोज सबका खाना खतम होने से पहले गांजा फूंकना उसका कुछ दिन का रूटीन था... आज वहाँ पर कोई उसकी ताक में था.... जैसे ही वहाँ पहुंचा रंगा के आंखों में लाल मिर्च के पाउडर फेंक दी.... रंगा... दर्द से बिलबिला उठा... पर कहीं भाग नहीं पाया...और नीचे गिर गया..... तब उस पर मिर्च पाउडर से हमला करने वाला रंगा का पजामा और लंगोट खिंच कर उल्टा कर दिया और...
तापस - और....
दास - और रंगा के गुद्दे के पास तेज धार वाली किसी हथियार से चार इंच लंबा कट मार दिया.... इसलिए रंगा को भी नहीं मालूम.... किसने और क्यूँ किया....

तापस दास का हाथ पकड़ कर अपने स्टाफ से कुछ दूर ले जाता है l

तापस - अब तक तुमने जो बताया... वह ऑफिसियल था.... अब मुझे डिटेल्स में....... ऑन-ऑफिसियल बात बताओ..... देखो मैं जानता हूँ.... तुम्हें सिर्फ अंदाजा ही नहीं बल्कि पक्की पूरी खबर भी होगी... कौन और क्यूँ यह सब किया....
दास - सर इसकी ऐसी हालत के लिए... यह खुद जिम्मेदार है और हाँ इसकी ऐसी हालत जरूर विश्व ने ही किया है.....
तापस - (हैरानी से) विश्व... कैसे... और क्यूँ...
दास - सर... क्यूँ... यह आप भी अच्छी तरह से जानते होंगे.... आप दूसरे दिन दो बार राउंड पर इसलिए तो गए थे... इनडायरेक्टली विश्व की खैर खबर लेने.... और यह वह बात थी के विश्व को बताते हुए भी शर्म आ रही थी.... इसलिए उसने उस दिन कुछ कहा नहीं....
तापस का सर झुक जाता है l
दास - सर... विश्व को अपने आपको बचाना था... और अपमान का बदला भी लेना था...
तापस - पर विश्व के पास.... धार धार हथियार कहाँ से आया.....और कब...
दास - सर आज ही आया... और नाई से हासिल किया ब्लेड...
तापस -अब डिटेल्स में खतम करो....
दास - सर... आज सुबह नाई आया था... विश्व उसके पास अपने बाल और दाढ़ी बनाने गया.... और उससे ब्लेड हासिल कर ली.... उसके बाद रंजन को खाना बनाने में मदद के बहाने कुछ मिर्च के पाउडर भी ले लिया... कुछ दिन पहले उसने चादर और कंबल की धुलाई इतनी करी थी के... एक एक्स्ट्रा कंबल भी अपने साथ ले ली थी....
कुछ दिनों से रंगा विश्व पर और विश्व रंगा पर नजर रख रहे थे..... दोनों मौके की तलाश में थे.... रंगा को जल्दी नहीं थी और वह कंफीडेंट था...... पर विश्व जल्दी में...
आज विश्व को मौका मिल गया.... सब जब खाने के लिए बैठे थे... बीच में थाली टेबल पर छोड़ कर विश्व उठ कर सब गवाह बन सके ऐसे टॉयलेट को गया.... इतने में रंगा अपना खाना खतम कर अपनी रूटीन के अनुसार... अपनी जगह पहुंच गया... पर वहाँ पहले से ही विश्व रंगा के इंतजार में था... खुद को कंबल में ढक कर हाथ में मिर्च पाउडर रंगा के आँखों पर सटीक निशाना लगा कर फेंका... रंगा... चिल्ला कर पीछे मुड़कर भागता पर पिलर से टकरा कर गिर गया... उसके गिरते ही बिना देर किए... विश्व ने उसका पजामा लंगोट समेत खिंच कर निकाल दिया..
रंगा आँखों की जलन से चिल्ला रहा था... बस विश्व ने ब्लेड निकाला और रंगा के गुद्दे की पास चला दिया... करीब करीब चार इंच का कट... सिर्फ आधे मिनिट में विश्व का काम हो चुका था... विश्व अब सबके सामने टॉयलेट से आकर अपने थाली के पास बैठ गया... रंगा के कान फाड़ देने वाले चित्कार सुन कर सब वहीँ भागे...
सबके साथ विश्व भी वहाँ पहुंचा.... इसलिए अब विश्व पर कोई शक़ नहीं कर सकता है.... बस यही हुआ है... सर...
तापस - आधे मिनट में... क्वाइट इंपॉसिबल...
दास - विश्व के लिए नहीं सर....
तापस - हाओ.....
दास - सर जहां रंजन और उसके टीम को... सब्जियां काटने के लिए दो घंटे लगते हैं... वहीँ विश्व अकेले को सिर्फ आधा घंटा लगता है.... जहाँ बालू और उसके साथी पूरा एक दिन लेते हैं चादर और कंबल साफ करने के लिए.... वहीँ विश्व सिर्फ आधे दिन में काम खतम कर दिया था....
तापस - क्या... हम कुछ कर सकते हैं...
दास - नहीं सर... हम कुछ ना करें... यही बेहतर रहेगा.... क्यूंकि विश्व के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं है.... और रंगा के पास गांजा और गांजे के सिगरेट बरामद हुए हैं..... इससे हमारे ही डिपार्टमेंट की बदनामी होगी.... आगे आप जैसा कहें सर....
ऑपरेशन थिएटर का बल्ब बंद होता है l डॉ. विजय बाहर आता है l
डॉ. विजय - (तापस को देख कर) मेरे चैम्बर में चलें....
तापस अपना सर हिला कर हाँ कहता है और डॉ. विजय के साथ उसके चैम्बर की चल देता है l
चैम्बर में
डॉ. विजय - क्या यार.... तुम्हारा कोई भी मुज़रिम... हमेशा किसी अलग ही हालत में क्यूँ आते हैं....
तापस - टांग खींचना छोड़ कर मुद्दे पर आओ.... और उसकी रिपोर्ट क्या है बोलो...
डॉ. विजय - ह्म्म्म्म... ठीक है... सुनो फिर... किसी अनाड़ी ने... ऑन-प्रोफेशनल ने यह कांड किया है.... पर प्रोफेशनल की तरह..... उसने ठीक गुद्दे के उपर से किसी पतले मगर धार वाली हथियार से करीब करीब चार इंच लंबा और आधा इंच गहरा कट मारा है..... शयद ब्लेड से.... अब प्रॉब्लम यह है कि इसे पेट के बल घाव सूखने तक लेटे रहना होगा....
तापस - व्हाट...
डॉ. विजय - हाँ.... क्यूंकि दर्द के मारे पीठ के बल लेट नहीं पाएगा.... क्यूंकि पीठ के बल लेट कर हिलने से घाव के टांके उखड़ जाएंगे.... और पेट के बल लेटे रहना लंबे समय तक बहुत ही मुश्किल है...
यह सुन कर तापस का मुहँ हैरानी से खुला रह जाता है l
तापस - यार कुछ करो....
डॉ. विजय - हाँ वह तो करना ही पड़ेगा.... इसे पूरे एक महीने के लिए यहाँ छोड़ दो....

तापस - ओके..... और... थैंक्यू...
 
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👉उन्नीसवां अपडेट
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सुबह सुबह का वकिंग खतम कर तापस अपने क्वार्टर में आता है l बैठक में सोफ़े पर बैठते हुए टीवी ऑन करता है l ताजा खबर जानने के लिए न्यूज चैनल लगाता है,
ब्रेकिंग न्यूज -
"जैसे ही कल क्षेत्रपाल परिवार का आगमन भुवनेश्वर में हुआ था, उससे राजनीतिक गलियारों में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे, कल देर रात सभी कयासों में विराम लग गया और नए सम्भावनाओं को जन्म देने लगा है...
कल अचानक से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी जो राज्य के जनता मध्य ओ. आई. सी. नाम से परिचित हैं,वह अपने नीवास भवन में देर रात को अपनी पार्टी में श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल के योगदान की घोषणा कर सबको चौंका दिया....
श्री चेट्टी ने कहा कि छोटे राजा जी के पार्टी में आने से पार्टी ना सिर्फ़ बहुत मजबूत हुई है.... बल्कि अब राज्य में उनकी पार्टी अजय हो गई है....
इस संदर्भ में हमारे संवाददाता ने राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से लोकप्रिय श्री क्षेत्रपाल जी से वार्तालाप की....
रिपोर्टर - आज हमारे साथ हैं, राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से सुपरिचित आदरणीय श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी.... हाँ तो छोटे राजा जी... आज आप सपरिवार अटॉर्नी जनरल जी के यहाँ आये थे.... और खबर यह थी कि राज्य में हुई मनरेगा योजना में पैसों की हेर-फेर पर तुरंत कारवाई के लिए कानूनी राह पर बात चित करने.... पर अचानक से आपका राजनीति में आना वह भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जी के द्वारा घोषणा किए जाना सबको चौंका दिया आपने....
पिनाक - हा हा हा हा.... देखिए इसमें चौंकाने वाली क्या बात है.... हम राज परिवार से हैं.... और राजनीति हमारे खुन में दौड़ती है....
रिपोर्टर - हाँ... इसमें कोई शक़ नहीं है.... पर अबतक राज्य की राजनीति में.... क्षेत्रपाल परिवार किंग् मेकर की भूमिका में थी... अब आपकी कैसी भूमिका रहेगी....
पिनाक - देखिए.... आज अगर हम सक्रिय राजनीति में होते... तो निःसंदेह हमारे ही क्षेत्र में कभी मनरेगा कांड ना हुआ होता.... रही आने वाली समय में.... तो हम सबको आश्वस्त करना चाहते हैं.... हम एक साधारण कार्यकर्त्ता की तरह जनता और पार्टी की सेवा करने आए हैं....
रिपोर्टर - छोटे राजा जी.... सुना है आपकी अगली पीढ़ी भी अब राजनीति में आपनी योगदान देने वाली है....
पिनाक - कल क्या होगा यह कल पर ही छोड़ दें...... (इतना कह कर पिनाक सिंह मुड़ कर चला जाता है)
रिपोर्टर - तो यह थे छोटे राजा जी.... कैमरा मैन अभिजीत के साथ...

तापस टीवी बंद कर देता है l इतने में प्रत्युष तैयार हो कर अंदर आता है...
प्रत्युष - डैड... आपने टीवी क्यूँ बंद कर दिया....
तापस - मुझे सुबह सुबह.. यह पोलिटिकल न्यूज दिमाग खराब कर देती हैं....
प्रत्युष - पर टीवी पर हमारे हॉस्पिटल मैनेजमेंट के चेयरमैन ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी आ रहे थे.... और आप तो जानते हैं.... वह स्टेट के हेल्थ मिनिस्टर भी हैं...
तापस - तो....
प्रत्युष - डैड... आपको पूरा न्यूज देखना चाहिए था....
तापस - हाँ तो.... कहाँ मैंने आधा अधूरा देखा है....
प्रत्युष - अधूरा ही तो है....
तापस - अच्छा... मैंने जो न्यूज देखा... वह अधूरा है.... आप जो सूरज सर पर होने के बाद उठते हैं.... पूरा न्यूज जानते हैं....
प्रत्युष - (अपना मुहँ बना कर) डैड.. आप अपने कपड़े देखिए.... और मेरे कपड़े देखिए.... यह मेरे घर से बाहर जाने के कपड़े हैं... और आपके अंदर....
तापस - (प्रत्युष को घूरते हुए) मेरा कभी कभी मन करता है... तेरा कान खिंचु... मन भरने तक कुटाई करूँ....
प्रत्युष - मुझे मालुम था.... आप मुझसे जलते हैं... क्यूंकि मैं आपसे ज्यादा इंटेलिजेंट हूँ....
तापस - (उसे घूरते हुए) अच्छा अब पूरी खबर बता....
प्रत्युष - डैड.... पूरी खबर यह है कि.... कल स्वास्थ मंत्री जी के पास... क्षेत्रपाल जी अपने प्रांत के लिए सारी सुविधाओं से लैस उनके हॉस्पिटल चैन निरोग का एक ब्रांच हस्पताल का प्रस्ताव लेकर गए थे..... उनके प्रस्ताव सहसा श्री स्वस्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया और उन्हें राजनीति में आने के लिए आमंत्रण दिया...... ताकि हस्पताल का काम उनके देख रेख में पूरा हो.... कोई मनरेगा जैसा कांड न हो..... जिसे सुन कर श्री क्षेत्रपाल जी ने भी सहसा स्वीकार किया.... यह है पूरा न्यूज...
तापस - ओ.. अच्छा अच्छा... तो अब आप डॉक्टरी के साथ साथ रिपोर्टरी भी करने लगे हो...
प्रत्युष - यह ताना था... या तारीफ़.... खैर जो भी हो... एक पिता दे और बेटा ना ले.... यह हो नहीं सकता....
तापस - प्रतिभा.....
प्रतिभा - (चाय का प्याला लाकर) क्या हुआ...
तापस - अपने लाडले को जल्दी से नाश्ता देकर विदा करो... तब से मेरा दिमाग खा रहा है...
प्रतिभा - (प्रत्युष को आँखे दिखा कर) कितनी बार कहा है.... कुछ ढंग का खाया कर.... सुबह सुबह इनके कैलरी लेस दिमाग खाएगा तो एनर्जी कहाँ से लाएगा....
तापस प्रतिभा को घूर कर देखता है पर चुप रहता है, उसे यूँ चुप देख कर प्रतिभा मुस्करा कर प्रत्युष को इशारे से बाहर जाने को कहती है l प्रत्युष भी अपनी हंसी दबाये बिना शोर शराबे के चुपके से बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही.,
प्रतिभा - क्या बात है सेनापति जी.... कल रात से आप कुछ कंफ्यूजड हैं....
तापस - हाँ.... यह क्षेत्रपाल परिवार का अचानक राजनीति में आना.... वह भी तब... जब उनके क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ा करप्शन हुआ है...

प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) देखिए... फ़िलहाल.... मैं इस पर कुछ भी डिबेट करना नहीं चाहती.... क्यूंकि आपकी सुई फ़िर वहीँ पर अटक जाएगी.... और मेरा दिन और दिमाग दोनों खराब हो जाएगी....आप बेशक पुलिस वाले हैं पर फील्ड में नहीं हैं.... जैल सुपरिटेंडेंट हैं.... अब आप से मैं बस इतना ही कहना चाहती हूँ .... वक्त सबका ज़वाब दे देगा....
तापस - हूँ... तुम... सही कह रही हो... अब वक्त ही ज़वाब देगा...

XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX

कैदी नंबर 511.... यह सुन कर विश्व सेल के बाहर देखता है l एक नया संत्री था l
संत्री - तुम्हारा पैर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है.... क्या तुम रंजन को खाना बनाने में मदद करोगे....
विश्व - जी बिलकुल....
संत्री सेल की दरवाजा खोल देता है l
संत्री - आओ फ़िर...
विश्व संत्री के साथ जैल के रसोई में आता है l वहाँ के मुख्य रसोईया रंजन कुछ क़ैदियों के मदद से सब्जियाँ कटवा रहा था l रंजन विश्व को देखता है और पूछता है,
रंजन - हाँ तो विश्व.... क्या तुम्हें इस तरह के काम की आदत है...
विश्व - आपको... मेरा नाम...
रंजन - आरे भाई.... तुम सिर्फ इस जैल में ही नहीं.... पूरे राज्य में मशहूर हो चुके हो.... और तुम्हारे आते ही... सब यहां पर तुम्हारे बारे में काना फुंसी कर के ही सब तुम्हारे बारे में मालूम कर चुके हैं......
विश्व चुप रहता है l रंजन विश्व के हाथ में एक छुरी देता है और एक बड़े से टोकरी भर सब्जी दे कर काटने को इशारा करता है l विश्व पहले कटे हुए सब्जियों को देखता है l फिर विश्व सब्जियां काटना शुरू करता है l सिर्फ पैंतीस मिनट में सारे सब्जियां काट कर रंजन के हवाले कर देता है l रंजन, संत्री और दूसरे कैदी जो उसे अब तक देख रहे थे सबका मुहं हैरानी से खुला रह जाता है l
रंजन - तुमने सब्जियां इतनी जल्दी काट दी.... क्या तुम्हें इसकी पहले आदत है...
विश्व - मेहनती हूँ... ऐसे कामों में अभिज्ञ हूँ..
इतना कह कर विश्व वापस जाता है l रास्ते में फ़िर से कुछ कैदी विश्व पर तंग कसते हैं l
एक - सुना है... लंगड़ा अपना पिछवाड़ा किसीके मूत से साफ किया...
दूसरा - क्यूँ भई.... क्या हमारे यहाँ पानी खतम हो गया है...
तीसरा - ना ना... अपना पिछवाड़ा के उद्घाटन की तैयारी कर रहा था...
सब हंसते हैं l विश्व थोड़ा जोर से चलने लगता है l पीछे से आवाज़ आती है "ऑए लंगड़े भाग ना जैयो..." विश्व और जोर से चलने लगता है l तभी विश्व को एक आवाज आता है "ऑए गांडु महापात्र".... यह सुनते ही विश्व रुक जाता है और पीछे गुस्से से मुड़ कर देखता है l सब ताली मार कर ठहाका लगाते हैं l उनमें से एक कहता है - देखा मैंने बुलाया... उसे सुन कर वह रुक गया.... लौडा वाला मजनू बुलाये और गांडु लैला महापात्र ना रुके... ऐसा हो ही नहीं सकता....
सब और जोर से ठहाका लगा कर हंसते हैं l विश्व अपमानित महसूस करता है, उसकी आँखों में आंसू छलक जाता है l वहाँ से जल्दी से जल्दी चला जाना चाहता है,
विश्व अपने बैरक की करिडर में पहुंचा ही था के वे चार कैदी उसके पीछे पीछे पहुंच जाते हैं l एक उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है l
एक - क्यूँ बे.... गांडु लैला... तेरा मजनूं बुला रहा है... साले हरामी.. गांड मटका कर किससे मरवाने भाग रहा था बे....
विश्व का चेहरा लाल हो जाता है और उसे गुस्से से देखने लगता है l
एक - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अरे भाई लोग... गौर से देखो इस गांडु को... यह लैला अपने मजनूं को आंख दिखा रहा है....
दूसरा - पता नहीं रंगा भाई... पर मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है.... यह आपको आँख नहीं दिखा रहा है.... बल्कि इशारे से किसी अंधेरे कोने में बुला रहा है.....
सब ठहाका मार कर हंसने लगते हैं l
तभी व्हिसिल की आवाज़ सुनाई देती है l तो सब विश्व से थोड़ी दूर जा कर खड़े हो जाते हैं l थोड़ी देर बाद वहाँ पर तापस कुछ संत्रीयों के साथ पहुंचता है l रंगा और उसके साथियों के पास आकर रुक जाता है l
तापस - तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो...
रंगा - वह... अपना यार आया है... तो जान पहचान बना रहे थे...
तापस - क्यूँ इससे पहले भी जान पहचान है क्या तुम्हारा....
रंगा - जी नहीं.... हम तो महीने भर से यहाँ आए हैं... यह नया नया आया है... तो दोस्त बनाने आए थे...
तापस - ओके... तुम लोग... निकलो यहाँ से...
रंगा - ओके... सर... बाय... विश्व... बाय... बाद में मिलते हैं...
इतना कह कर अपने साथियों के साथ वहाँ से चला जाता है l तापस विश्व को इशारे से अपने सेल की ओर जाने को कहता है l विश्व अपने सेल के भीतर पहुंच कर रंगा के बारे में सोचने लगता है l
"क्षेत्रपाल अब जैल में इसके मदद से... मुझे जलील करने की ठानी है..... इसका नाम रंगा है.... मुझे कुछ ना कुछ करना ही होगा.... मगर क्या.... मैं क्या कर सकता हूँ... अगर उसने मेरे साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश की.... तो... तो मैं उसे जान से मार दूँगा....हाँ मार दूँगा.... मगर कैसे... वह मुझसे अकेला नहीं लड़ेगा... और मैं इतना ताकतवर हूँ नहीं के चार चार से भीड़ जाऊँ..... पता नहीं अब मुझे क्या क्या सहना होगा.... आह... नहीं नहीं नहीं....
क्षेत्रपाल महल में मेरे साथ जो हुआ वह आखरी बार था.... अब कोई भी मुझे जलील नहीं कर सकता.... मुझे कुछ करना होगा.... हाँ कुछ करना होगा...
ऐसे सोचते सोचते दोपहर हो जाती है l जैल में खाने के लिए इकट्ठा होने के लिए बेल बजती है l संत्री आकर सेल का दरवाज़ा भी खोल देता है l पर विश्व अपने में खोया हुआ है, उसे संत्री का दरवाज़ा खोलना या खाने की बेल बजना कुछ होश नहीं l
संत्री सेल के दरवाजे पर अपनी लाठी से ठोकता है, जिसकी आवाज़ भी विश्व को सोच से बाहर ना निकाल पाई l
संत्री - ऐ... 511... आज तेरा उपवास है क्या... खाना खाने नहीं जाना है क्या....
विश्व उसे देखता है और अपनी जगह से उठ कर बाहर निकालता है l विश्व धीरे धीरे डायनिंग हॉल की ओर बढ़ता है l रास्ते में रंगा और उसके साथी विश्व को छेड़ते हुए पीछे लग जाते हैं l विश्व उनसे दूर जाने की कोशिश करता है, पर फिरभी वे लोग विश्व को आजू बाजू घेर लेते हैं और विश्व सुन सके ऐसे -"गांडु लैला... कब लेगा तेरे मजनूं का केला" कह कर हाथ उसे लगाने की कोशिश करते हैं l विश्व अपना थाली लेकर नजर घुमाता है, उसे एक टेबल पर डैनी दिख जाता है l विश्व उस टेबल पर आकर बैठ जाता है l डैनी उसे देखकर मुस्कराता है l
डैनी - हाँ तो विश्व... कैसी कटी तेरी रात...
विश्व - (अपना चेहरा झुका कर खाना खाते हुए) जी अच्छी...
डैनी - हा हा हा क्यों बे ... वह रंगा तेरा पिछवाड़ा भिगो दिया तो तुझे इतना अच्छा लगा.....
विश्व के गले में निवाला अटक जाता है और वह खांसने लगता है l डैनी उसे पानी का ग्लास देता है l
डैनी - ले.... पि... ले...
विश्व पानी की एक घूंट पिता है, और उसके आंखों में आंसू निकल आते हैं l
डैनी - सुन.. विश्व.... यह दुनिया बहुत बेरहम है... इतना बेरहम के तुम सोच भी नहीं सकता....
विश्व अपनी आंखों में पानी लिए डैनी की तरफ देखता है l डैनी विश्व को देखे बगैर खाना खा रहा है l
डैनी - तेरे को इन डेढ़ दिनों में एक बात मालूम हो गया ना .... के इस जैल में कोई मुझसे पंगा लेने की कोशिश भी नहीं कर रहा.... इसी लिए तुने अपनी थाली ले कर यहाँ मेरे पास बैठ गया.... थोडे समय के लिए... उनसे बचने के लिए अच्छा तरीका है..... पर कब तक.....
विश्व डैनी को गौर से देखने लगा, पर डैनी उसके चेहरे पर आए भाव को नजर अंदाज करते हुए अपना खाना खा रहा है l
डैनी - कब तक... कल अगर मैं यहाँ नहीं रहा तो..... तब तु उनसे कैसे बचेगा..... क्या सुपरिटेंडेंट के पास शिकायत ले कर जाएगा...
विश्व अपना सर झुका कर मौन रहता है l
डैनी - जाएगा तो भी... क्या शिकायत करेगा.....
विश्व - मैं क्या करूं....
डैनी - यह मैं कैसे कह सकता हूँ.... प्रॉब्लम तेरा है... तेरे को ही शॉल्व करना है....
विश्व के आंखों में फ़िर से आँसू आ जाते हैं l
डैनी - बी अ मैन विश्व.... बी अ मैन.... आँसू बुजदिली की निशानी है... तु तो अपने इलाके के सबसे ताकतवर आदमी से भीड़ गया था...... उसके आगे यह रंगा किस खेत का मूली है.....
विश्व की आंखे फैल जाती है l वह हैरानी से अपने सामने बैठे आदमी को देखने लगता है l
डैनी - तुम मेरे बारे में जानते नहीं हो.... इसलिए मेरे साथ मेरे सामने बैठे हुए हो.... वह जो जानते हैं... वे सब मुझसे दूर बैठते हैं....देख लो..
विश्व डायनिंग हॉल के चारो तरफ नजर दौड़ाता है l वह देखता है कि हर टेबल पर पांच से लेकर आठ लोग बैठे हुए हैं, पर वह खुद जिस टेबल पर बैठा हुआ है वहाँ पर सिर्फ़ वह और डैनी ही बैठे हुए हैं l
विश्व - आपको मेरे बारे में... कैसे... मेरा मतलब है... जो पुलिस भी नहीं जानती... वह आप....
डैनी - (मुस्कराते हुए) मेरे अपने सोर्सेस हैं... कल तु जैल में आया बेशक... पर तेरे चर्चे कई दिनों से पूरे राज्य में हो रहे हैं.... इसलिए तुझे देखने की बड़ी ख्वाहिश थी... जैसे ही देखा तो तुरंत समझ गया... मैं एक बकरे को देख रहा हूँ.....
विश्व - काश... कानून को मानने व पालने वालों की भी नजर आप जैसी होती.....
डैनी - हा हा हा... मैं जुर्म की दुनिया का मंज़ा हुआ खिलाड़ी हूँ.... मैं जुर्म और मुज़रिम को सूँघ लेता हूँ.... देखते ही पहचान लेता हूँ...
विश्व अपने सामने बैठे उस शख्स को देख कर हैरान रह जाता है l
विश्व - आपने बताया नहीं... आपको कैसे मालुम हुआ... मेरे बारे में...
डैनी - कहा ना... मेरे अपने सोर्सेस हैं... अब तु बता.... तु उस रंगा से डरता क्यूँ है...
विश्व - मैं डरता नहीं हूँ... पर उनसे जीत भी नहीं सकता हूँ... वे चार हैं और मैं अकेला....
डैनी - सोच... अगर रंगा ने जो कहा है कि... उसने कर दिखाया... तो...
विश्व अपने मुट्ठीयों को भींच कर जवड़े कस लेता है l
विश्व - ऐसा करने की कोशिश की... तो मार डालूंगा.... सबको मार डालूंगा....
डैनी - तेरे दुश्मन भी शायद यही चाहते हैं..... तेरे ऊपर जितने चार्जेस लगे हुए हैं.... उसमें कुछ और जुड़ जाएंगे.... इस तरह से.... तु कभी इस जैल से निकल नहीं पाएगा.....
विश्व - तो मैं क्या करूं.... आप आप यह कैसे जानते हैं....
डैनी - तु कितने उम्र का है...
विश्व - जी अभी कुछ दिनों में बाइस का होने वाला हूँ...
डैनी - मैं तुझसे दुगने उम्र से भी एक साल बड़ा हूँ... एकसपेरियंस... अनुभव...
विश्व - तो मुझे क्या करना चाहिए....
डैनी - यह तु जाने.... मैं सिर्फ तेरे को आगाह कर रहा हूँ....
विश्व बेबसी से अपना हाथ मल रहा है l
डैनी - देखो विश्व.... यह जैल है... और यहाँ चार्ल्स डार्विन की थ्योरी ही काम आती है...
विश्व डैनी के चेहरे को सवालिया दृष्टि से देखता है l
डैनी - सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट...
विश्व कुछ समझ नहीं पाता
डैनी - यह प्रकृति का नियम है... यहाँ वही टिक सकता है... जो अपनी हालातों से जुझ सकता है... और यहाँ वही राज कर सकता है... जो हालातों को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ सकता है....
विश्व उसकी बातों पर गौर करता है और समझने की कोशिश में अपना सर हाँ में हिलाता है l
डैनी - यहाँ जंगल राज है... जंगल में शेर बेशक जंगली सुवर का शिकार करता है.... पर कभी कभी सुवर की पलट वार से शेर भी ढेर हो जाता है.... और जिस दिन जंगल में शेर, सुवर से हार जाता है.... उस दिन जंगल में शेर जीते जी मर जाता है....
अब विश्व अपने अंदर में एक ऊर्जा को मेहसूस करता है, उसके चेहरे पर दर्द नहीं दिखता,एक अलग भाव दिखता है l जिसे देखकर डैनी के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है l
डैनी - वह जिस तरह से तुझ पर नजर रख रहे हैं... तु भी उन पर अपने तरीके से नजर रख..... खुद को सब के साथ सबके पास रखो.... वे लोग तुम्हें अकेले में धर ने की कोशिश करेंगे.... तुझे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे.... तुझे उकसाने की कोशिश करेंगे... पर तु रियाक्ट मत हो जाना... जितना हो सके उनको उस मौके से महरूम रख..... फिर अपना दाव लगा.... मगर ध्यान रहे... तुझे किसीकी नजर में नहीं आना है... वरना कुछ और धाराएं तेरे पर लग जाएंगी... और तु जैल और अदालत के चक्कर काटते रह जाएगा.....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना खाली थाली लेकर निकल जाता है l विश्व उसे जाते देखता है l फिर विश्व अपना खाना खतम करता है और थाली साफ कर वहाँ जमा कर वापस अपने बैरक की और चला जाता है l जैसे कि अंदेशा था वे लोग विश्व के पीछे आते हैं और तंज कसने लग जाते हैं l
रंगा - अबे पंटरों... मैंने कुछ दिन पहले एक फिलम देखी थी....
एक - कौनसी फिलम रंगा भाई.....
रंगा - अबे... उस फिलम नाम था "तेरे मेरे सपने".... उसमें एक गाना था... आँख मारे वह लड़की आँख मारे...
दूसरा - वाह.. रंगा भाई... वाह..
रंगा - अबे... इसमे... वाह वाली क्या बात है.... इसकी रीमिक्स जब गांडु गायेगा... उस पर तुम लोग वाह वाह करना....
एक - वह गाना क्या होगा.... रंगा भाई...
रंगा - गांड मारे... रंगा मेरा गांड मारे... थूक लगाए... बिन कॉन्डोम के मारे...
अब सब रंगा के साथ मिलकर जोर जोर से गाने लग जाते हैं l
विश्व सुन कर गुस्सा तो होता है पर उसे डैनी की कही बातेँ याद आती है, विश्व अब उन पर ध्यान हटाता है और सीधे अपने सेल में चला जाता है l ऐसे ही दोपहर बीत जाता है और शाम को जैल में राउंड लगाते हुए तापस जब वहाँ पहुंचता है l
विश्व - सर...
तापस - हाँ बोलो विश्व...
विश्व - सर सुबह मैं सिर्फ सब्जी काटने गया था.... क्या और कोई काम है जिसे करना चाहिए.... मेहनत वाला... वरना नींद नहीं आएगी....
तापस - है तो... पर तुम अभी... एक्युसड हो... तुम्हें सजा नहीं सुनाई गई है...
विश्व - सर... उसकी कोई आवश्यकता नहीं... मैं बस शरीर थकने तक काम करना चाहता हूँ...
तापस - पर तुम्हारा एक पैर...
विश्व - सर... मांस पेशी में खिंचाव है... वह भी कुछ दिन में ठीक हो जाएगा...
तापस - दास.... कल ऐसा कुछ काम है क्या...
दास - जी सर... अगर विश्व चाहे तो... कल सारे चादर और कंबल धोए जाएंगे...
विश्व - ठीक है सर.... मुझे मंजूर है... प्लीज...
तापस - ठीक है... दास कल इसे एनगैज कराना तुम्हारे जिम्मे...
दास - ओके सर....
फिर तापस और दूसरे अधिकारी वहाँ से चले जाते हैं l विश्व अपने सेल में बिछाए अपने बिस्तर पर एक संतुष्टि के भाव लिए बैठ कर सोचने लगता है l

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अगले दिन सुबह विश्व अपनी सेल में जल्दी तैयार हो जाता है l कुछ देर बाद नाश्ता करने डायनिंग हॉल में पहुँच जाता है l सब जो पिछले दो दिन से विश्व को देख रहे हैं, उन्हें आज विश्व के चेहरे पर कुछ अलग ही भाव दिख रहा है l रंगा और उसके पंटर भी हैरान हैं l दो दिन से किसी हारा हुआ, बिखरा हुआ लगने वाला विश्व में आज बॉडी लैंग्वेज कुछ और बयान कर रहा है l
आज विश्व दूसरों से बात करने की कोशिश भी कर रहा है l
विश्व जल्दी अपना नाश्ता खतम करता है और ऑफिस में पहुंचता है l ऑफिस के पास संत्री उसे रोक देता है l
विश्व - वो कल ASI जी ने बुलाया था....
संत्री - ठीक है... रुको यहाँ... मैं पूछ कर आता हूँ....
संत्री अंदर जाता है और थोड़ी देर बाद बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को कहता है l विश्व अंदर जाता है और पूछते हुए ASI दास के पास पहुंचता है l
दास - आओ विश्व आओ...
इतना कह कर दास बेल बजाता है l एक आदमी जैल के पोशाक में आता है l
दास - बालू... यह है विश्व... इन्हें आज ले जाओ... आज जो चादर और कंबल धुलेंगे... इन्हें भी सामिल करो... यह तुम्हारे हाथ बटायेंगे...
बालू - जी सर... आओ... विश्व...
विश्व बालू के साथ निकल जाता है...
उधर रंगा और उसके साथी बैठे हुए हैं l रंगा के साथी रंगा से,
एक - भाई.. यह चिकना रात को कौनसी घुट्टी पि ली थी... साला आज कुछ अलग ही दिख रहा था....
रंगा - लगता है... उस डैनी ने कुछ बोला है उसको.... पर डैनी भी यहाँ के नियम से वाकिफ़ है.... "यहाँ कोई किसी दूसरे के फटे में टांग नहीं घुसाता"
दूसरा - वही तो...
रंगा - देखते हैं... आज शाम को मिलेगा तो सही... वैसे भी अपने पास... टाइम बहुत है... सुनवाई के कुछ दिन पहले.... मेरे को इस हरामी की गांड मारनी है...
एक - कोई नहीं रंगा भाई... उद्घाटन आप करना... हम लाइन देंगे....
सब हंसने लगते हैं
दोपहर के बाद खाने के समय विश्व खाने की थाली लेकर फिर से डैनी के बैठे हुए टेबल पर पहुंच जाता है l
डैनी उसे मुस्कराते हुए देखता है l ज़वाब में विश्व भी मुस्कराता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बहुत जल्दी सीख रहे हो.... और खुदको हालात में ढाल भी रहे हो...
विश्व - यह सब आपके... हौसला अफजाई के वजह से.....
डैनी - मैंने कुछ नहीं कहा है.... सिर्फ़ आगाह किया था...
विश्व - फिरभी... मैं हर तरह के आघात सह सकता था.... पर....
विश्व कुछ कह नहीं पाता चुप हो जाता है l डैनी उसे देखता है और अपना सर हिलाता है l
डैनी - बलात्कार....
विश्व के गले में निवाला फ़िर से अटक जाता है l डैनी विश्व को पानी की ग्लास देता है l विश्व पानी पीने के बाद फ़िर से खाना चालू करता है l
डैनी - जानता है... किसीको... आत्मा से तोड़ने के लिए... बलात्कार एक अचूक हथियार है....
विश्व - हाँ... आप सही कह रहे हैं....
डैनी - किसी औरत की बलात्कार.... उस औरत की वज़ूद व अस्तित्व को इतना हिला कर रख देती है... की.... उसमें जीने की चाह को खतम कर देती है....
विश्व - (आवाज़ थर्रा जाती है) जानता हूँ... (आँखे भीग जाती हैं)
डैनी - (उसे देखते हुए) मर्द के भी फिलिंगस भी अलग नहीं हो सकता... उस घिनौना सच से...
(दोनों के बीच कुछ देर के लिए ख़ामोशी छा जाती है) तेरे अंदर के मर्द को हमेशा के लिए खतम करने के लिए..... तेरे दुश्मनों की यह अचूक चाल है... अब उन्होंने तेरे को तोड़ने के लिए जिन् लोगों को हथियार बनाए हैं.... उन्हें तु तोड़.... मगर किसीके नजर में आए बगैर....
विश्व - कैसे.....
डैनी - देख... यहाँ अगर टिकना है... तो तुझे खुद के लिए सोचना होगा.... रिमेंबर... ऑलवेज फाइट यु योर वोन बैटल....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना थाली उठाए धोने चला जाता है l उसके जाते ही विश्व भी अपना खाना खतम करता है और थाली जमा करने के बाद अपने सेल में आकर आराम करते करते सोच में डूब जाता है l

***दस दिन बाद***

रात के डिनर के लिए तापस और प्रत्युष दोनों अपने डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं, प्रतिभा उन दोनों को खाना परोस रही है कि कॉलिंग बेल बजने लगती है l

तापस - ओ... हो.... यह खाने के समय में कौन मरा जा रहा है....(कह कर उठने को होता है, कि प्रतिभा उसे वापस बिठा देती है)
प्रतिभा - आप खाना खाइए.... बीच खाने से मत उठिए.... मैं देखती हूँ... कौन है....
प्रतिभा दरवाजा खोलती है तो सामने जगन को खड़ा हुआ पति है l जगन कुछ कहने को होता है,
प्रतिभा - नहीं.. नहीं... बिल्कुल नहीं... देखो जगन माना के तुम सेनापति जी के अर्दली हो.... पर ऑफिस में... यहाँ पर भी अर्दली बनने की कोशिश ना करो.... मैं यहाँ अपने परिवार की देखभाल कर सकती हूँ... और घर के बाकी काम भी... पर तुम जिद करते हो इसलिए कभी कभी घर में कुछ काम करने देती हूँ.... पर खाना बनाने नहीं दे सकती तुम्हें.... हाँ अगर खाना चाहो तो.... सेनापति जी के बगल में बैठ जाओ... मैं खाना लगा दूंगी....
तापस - अरे भाग्यवान... उसे पहले कुछ कहने तो दो... हाँ.. जगन.. बोलो... कैसे आना हुआ...
जगन - सर.. वह...
तापस - हाँ हाँ... बोलो... कुछ गडबड तो नहीं हो गया...
जगन - सर... हाँ...
तापस - क्या हुआ है...
जगन - सर... वह.. रंगा को हस्पताल ले जाया गया है....
तापस - व्हाट... क्या हुआ उसे..
जगन - सर... उस पर हमला हुआ है... लहू-लुहान हो कर पड़ा हुआ था.... तो नाइट् ड्यूटी पर सतपाथी जी थे उन्होंने एम्बुलेंस बुलाकर उसे कैपिटल हस्पताल में भेज दिया है.....
तापस - व्हाट.... यह कब हुआ..... और मुझे फोन क्यूँ नहीं किया गया....
जगन - सर... सब परेशान थे... किसी तरह रंगा को हस्पताल पहुंचाने के लिए... उसके बाद आपको लैंडलाइन पर इन्फॉर्म करने की कोशिश की गई... पर लैंडलाइन एंगेज आ रहा था....
तापस और प्रतिभा यह सुन कर दोनों प्रत्युष को देखने लगते हैं l प्रत्युष अपना जीभ दांतों तले दबा कर अपने कमरे को ओर भाग जाता है l
तापस - (जगन को देखते हुए) क्यूँ... मोबाइल पर भी तो इन्फॉर्म कर सकते थे.....
जगन - बहुत बार किया गया.... पर आपने उठाया नहीं....
यह सुन कर तापस अपना मोबाइल ढूंढने लगता है l फिर उसे मोबाइल सोफ़े पर कुशन के नीचे मिलता है l तापस मोबाइल चेक करता है
तापस - ओह माय गॉड... बत्तीस मिस कॉल.... अरे यह क्या... फोन म्यूट है.... प्रतिभा.... मैं जगन के साथ हस्पताल जा रहा हूँ.... आकर खाना खा लूँगा....
इतना कह कर उन्हीं कैजुअल कपड़ों में ही जगन के साथ कैपिटल हॉस्पिटल को निकल जाता है l इधर प्रतिभा सिर्फ़ प्रत्युष के प्लेट को छोड़ कर सारे प्लेटस् उठा लेती है l
उधर हस्पताल में ऑपरेशन थिएटर के सामने दास, सतपाथी और कुछ स्टाफ खड़े थे l वहाँ पहुँच कर
तापस - सॉरी सतपाथी... फॉर बीइंग लेट...
सतपाथी - इटस् ओके सर.... प्रॉब्लम वाज देयर, बट नथींग सिरीयस....
तापस - ओके.... कैन.. एनी बॉडी एक्सप्लेन....
दास - सर.... मै... आइ....
तापस - (हाँ में अपना सर हिलाकर) ह्म्म्म्म कहो....
दास - सर... कुछ लोग ताक में रहते हैं... की किसी और की मैदान मारने की.... वैसे लोग जल्दबाजी में अपनी ही मैदान मरवा लेते हैं....
तापस - व्हाट.... समझ में आए.. ऐसे बोलो.... किसने रंगा की हालत ऐसे की...
दास - कोई नहीं जानता.... यहाँ तक रंगा भी नहीं जानता.....
तापस - तुम मुझे एक्सप्लेन कर रहे हो... या कन्फ्यूज कर रहे हो....
दास - सर.... इसकी... मेरा मतलब रंगा की एक आदत है.... रात के खाने के बाद..... दो मिनट के लिए गांजा फुंकता है....
तापस - व्हाट.... हमारे जैल में गांजा.... उसके पास.... कैसे....
दास - यह बताना... थोड़ी मुश्किल है.... हो सकता है... हमारे ही स्टाफ में से कोई उससे मिला हुआ हो....
तापस वहाँ पर मौजूद सबको पैनी नजर से देखता है फिर दास को देखता है l
दास - सर रंगा हमेशा रात को आधा पेट खाता है... और बाहर जाकर दो नंबर बैरक के लॉबी के एक कोने में रोज सबका खाना खतम होने से पहले गांजा फूंकना उसका कुछ दिन का रूटीन था... आज वहाँ पर कोई उसकी ताक में था.... जैसे ही वहाँ पहुंचा रंगा के आंखों में लाल मिर्च के पाउडर फेंक दी.... रंगा... दर्द से बिलबिला उठा... पर कहीं भाग नहीं पाया...और नीचे गिर गया..... तब उस पर मिर्च पाउडर से हमला करने वाला रंगा का पजामा और लंगोट खिंच कर उल्टा कर दिया और...
तापस - और....
दास - और रंगा के गुद्दे के पास तेज धार वाली किसी हथियार से चार इंच लंबा कट मार दिया.... इसलिए रंगा को भी नहीं मालूम.... किसने और क्यूँ किया....


तापस दास का हाथ पकड़ कर अपने स्टाफ से कुछ दूर ले जाता है l

तापस - अब तक तुमने जो बताया... वह ऑफिसियल था.... अब मुझे डिटेल्स में....... ऑन-ऑफिसियल बात बताओ..... देखो मैं जानता हूँ.... तुम्हें सिर्फ अंदाजा ही नहीं बल्कि पक्की पूरी खबर भी होगी... कौन और क्यूँ यह सब किया....
दास - सर इसकी ऐसी हालत के लिए... यह खुद जिम्मेदार है और हाँ इसकी ऐसी हालत जरूर विश्व ने ही किया है.....
तापस - (हैरानी से) विश्व... कैसे... और क्यूँ...
दास - सर... क्यूँ... यह आप भी अच्छी तरह से जानते होंगे.... आप दूसरे दिन दो बार राउंड पर इसलिए तो गए थे... इनडायरेक्टली विश्व की खैर खबर लेने.... और यह वह बात थी के विश्व को बताते हुए भी शर्म आ रही थी.... इसलिए उसने उस दिन कुछ कहा नहीं....
तापस का सर झुक जाता है l
दास - सर... विश्व को अपने आपको बचाना था... और अपमान का बदला भी लेना था...
तापस - पर विश्व के पास.... धार धार हथियार कहाँ से आया.....और कब...
दास - सर आज ही आया... और नाई से हासिल किया ब्लेड...
तापस -अब डिटेल्स में खतम करो....
दास - सर... आज सुबह नाई आया था... विश्व उसके पास अपने बाल और दाढ़ी बनाने गया.... और उससे ब्लेड हासिल कर ली.... उसके बाद रंजन को खाना बनाने में मदद के बहाने कुछ मिर्च के पाउडर भी ले लिया... कुछ दिन पहले उसने चादर और कंबल की धुलाई इतनी करी थी के... एक एक्स्ट्रा कंबल भी अपने साथ ले ली थी....
कुछ दिनों से रंगा विश्व पर और विश्व रंगा पर नजर रख रहे थे..... दोनों मौके की तलाश में थे.... रंगा को जल्दी नहीं थी और वह कंफीडेंट था...... पर विश्व जल्दी में...
आज विश्व को मौका मिल गया.... सब जब खाने के लिए बैठे थे... बीच में थाली टेबल पर छोड़ कर विश्व उठ कर सब गवाह बन सके ऐसे टॉयलेट को गया.... इतने में रंगा अपना खाना खतम कर अपनी रूटीन के अनुसार... अपनी जगह पहुंच गया... पर वहाँ पहले से ही विश्व रंगा के इंतजार में था... खुद को कंबल में ढक कर हाथ में मिर्च पाउडर रंगा के आँखों पर सटीक निशाना लगा कर फेंका... रंगा... चिल्ला कर पीछे मुड़कर भागता पर पिलर से टकरा कर गिर गया... उसके गिरते ही बिना देर किए... विश्व ने उसका पजामा लंगोट समेत खिंच कर निकाल दिया..

रंगा आँखों की जलन से चिल्ला रहा था... बस विश्व ने ब्लेड निकाला और रंगा के गुद्दे की पास चला दिया... करीब करीब चार इंच का कट... सिर्फ आधे मिनिट में विश्व का काम हो चुका था... विश्व अब सबके सामने टॉयलेट से आकर अपने थाली के पास बैठ गया... रंगा के कान फाड़ देने वाले चित्कार सुन कर सब वहीँ भागे... सबके साथ विश्व भी वहाँ पहुंचा.... इसलिए अब विश्व पर कोई शक़ नहीं कर सकता है.... बस यही हुआ है... सर...
तापस - आधे मिनट में... क्वाइट इंपॉसिबल...
दास - विश्व के लिए नहीं सर....
तापस - हाओ.....
दास - सर जहां रंजन और उसके टीम को... सब्जियां काटने के लिए दो घंटे लगते हैं... वहीँ विश्व अकेले को सिर्फ आधा घंटा लगता है.... जहाँ बालू और उसके साथी पूरा एक दिन लेते हैं चादर और कंबल साफ करने के लिए.... वहीँ विश्व सिर्फ आधे दिन में काम खतम कर दिया था....
तापस - क्या... हम कुछ कर सकते हैं...
दास - नहीं सर... हम कुछ ना करें... यही बेहतर रहेगा.... क्यूंकि विश्व के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं है.... और रंगा के पास गांजा और गांजे के सिगरेट बरामद हुए हैं..... इससे हमारे ही डिपार्टमेंट की बदनामी होगी.... आगे आप जैसा कहें सर....
ऑपरेशन थिएटर का बल्ब बंद होता है l डॉ. विजय बाहर आता है l
डॉ. विजय - (तापस को देख कर) मेरे चैम्बर में चलें....
तापस अपना सर हिला कर हाँ कहता है और डॉ. विजय के साथ उसके चैम्बर की चल देता है l
चैम्बर में
डॉ. विजय - क्या यार.... तुम्हारा कोई भी मुज़रिम... हमेशा किसी अलग ही हालत में क्यूँ आते हैं....
तापस - टांग खींचना छोड़ कर मुद्दे पर आओ.... और उसकी रिपोर्ट क्या है बोलो...
डॉ. विजय - ह्म्म्म्म... ठीक है... सुनो फिर... किसी अनाड़ी ने... ऑन-प्रोफेशनल ने यह कांड किया है.... पर प्रोफेशनल की तरह..... उसने ठीक गुद्दे के उपर से किसी पतले मगर धार वाली हथियार से करीब करीब चार इंच लंबा और आधा इंच गहरा कट मारा है..... शयद ब्लेड से.... अब प्रॉब्लम यह है कि इसे पेट के बल घाव सूखने तक लेटे रहना होगा....
तापस - व्हाट...
डॉ. विजय - हाँ.... क्यूंकि दर्द के मारे पीठ के बल लेट नहीं पाएगा.... क्यूंकि पीठ के बल लेट कर हिलने से घाव के टांके उखड़ जाएंगे.... और पेट के बल लेटे रहना लंबे समय तक बहुत ही मुश्किल है...
यह सुन कर तापस का मुहँ हैरानी से खुला रह जाता है l
तापस - यार कुछ करो....
डॉ. विजय - हाँ वह तो करना ही पड़ेगा.... इसे पूरे एक महीने के लिए यहाँ छोड़ दो....
तापस - ओके..... और... थैंक्यू...
Bahut badhiya vai
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
6,653
25,297
204
👉चौथा अपडेट
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सुधांशु मिश्र धीरे धीरे अपनी आँखे खोलता है l चेहरा भिगा हुआ उसे मेहसूस हो रहा है, नजर उठा कर देखता है तो देखा कि भीमा उसे टवेल दे रहा है l मिश्र जो हुआ उसे समझने की कोशिश करता है कि जो वह देखा सपना था या सच...
वह अपना नजर घुमा कर देखता है राजा साहब अपने कुर्सी पर बैठे हुए बालकनी के बाहर देख रहे हैं, उनके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं है l बाकी सारे लोग उसकी तरफ देख ऐसे रहे हैं जैसे उसने रंग में भंग डाल दिया l वह झटपट उठ कर बालकनी से नीचे झांकता है तो पाता है कि स्वीमिंग पुल का पानी लाल दिख रहा है और स्विमिंग पुल के दूसरी तरफ का फर्श भी लाल ही लाल दिख रहा है l मिश्र के चेहरे पर डर और पसीने के साथ साथ उभर आते हैं l वह भैरव सिंह के तरफ देखता है पर भैरव सिंह निर्विकार हो कर बालकनी के नीचे देख रहा होता है l
मिश्र चिल्लाता है - यह.... यह क... क्या था...
विक्रम - यही तो था हमारा आखेट....
मिश्र - आ आ आखेट...?
वीर - हाँ रे आखेट, साला बेहोश हो कर सारा मज़ा किरकिरा कर दिआ....
मिश्र - म.....म मुझे जाने दीजिए प्लीज...
पिनाक - यशपुर में आपका स्वागत है नये BDO साहब.... यहाँ आना इंसीडेंट या एक्सीडेंट हो सकता है पर यहाँ से जाना राजा साहब की मर्जी से होता है...
मिश्र -(हाथ जोड़ कर घुटनों पर बैठ कर) राजा साहब मैं अपनी औकात भूल कर गुस्ताख़ी कर बैठा मुझे माफ कर दीजिए मैं यशपुर छोड़ कर चला जाउंगा...
विक्रम यह सुन कर जोर जोर से हंसने लगा l उसकी हंसी मिश्र की जान निकाल रही थी l
विक्रम - यह समूचा स्टेट क्षेत्रपाल परिवार की मिल्कियत है, इस स्टेट का सिस्टम पानी है और हम इस पानी के मगरमच्छ......
पिनाक - तु जानना नहीं चाहता वह कौन था क्या था...
मिश्र - नहीं नहीं मुझे नहीं जानना...
वीर - फिर भी हम तुझे बताएंगे l तुने नभ वाणी न्यूस चैनल सुना है... यह उसका असिस्टैंट एडीटर था "प्रवीण कुमार रथ" l इसके रिपोर्टिंग से नभ वाणी के TRP आसमान छुते थे l
पिनाक - तो इसने सोचा क्षेत्रपाल के परिवार की करतूतों को दुनिया को दिखाएगा....
विक्रम - उसे मालुम नहीं था कि पुरा सिस्टम हमारी है... तो उसको हमारे सिस्टम के जरिए ही उसकी बीवी साथ उठा लाए..
वीर - उसके आँखों के सामने सबसे पहले हमने उसकी बीवी की बारी बारी से ऐसी कोई छेद नहीं जिसको हमने फाड़ा नहीं
विक्रम - और जब हमारे मन भर गया तो इन सभी ऑफिसरांन के हवाले इनके मन भरने उसकी बीवी को करदिया .... सबने जी भरके उसकी बीवी के चुत में अपना योगदान दिया पर इस इंस्पेक्टर का मन भरा ही नहीं क्यूँ बे....

वह इंस्पेक्टर शर्मा रहा था और बत्तीसी निकाल कर हंस रहा था
वीर - हा हा हा अबे बोल कितनी बार ली है
इंस्पेक्टर - (शर्माते हुए) जी ग्यारह बार...
वीर ताली मारते हुए - देखा फ़िर भी कमीने का मन नहीं भरा... हा हा हा
अब कड़कती आवाज़ गुंजी भैरव सिंह की - अब उनका दिन भर गया तो हमने आखेट के हवाले कर दिआ l जंगल में लकड़बग्घे और पानी में मगरमच्छ गजब के जानवर होते हैं हड्डीयां तक नहीं छोड़ते हैं..
अब महल में उनकी जगह खाली पड़ी है... अरे हाँ तेरी बीवी भुवनेश्वर DPS में फिजीक्स पढ़ाती है न ह्म्म्म्म....
मिश्र - नहीं राजा साहब नहीं मुझे बक्स दीजिए... (अपना जुता निकालता है) मैं अपना जुता अपने मुहँ पर मारता हूँ.. (खुद के चेहरे पर मारते हुए) मुझे पागल कुत्ते ने काटा था जो गुस्ताखी कर बैठा...(गिड़गिड़ाते हुए) मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं अब बस आपके लिए काम करूंगा... (रोते हुए) मुझे माफ कर दीजिए राजा साहब...
भैरव - ह्म्म्म्म पहले अपना प्लान बताओ अगर पसंद आया तो तु यहाँ से जिंदा वापस जाएगा और अगर तेरी प्लान पसंद नहीं आया तो समझले तु जान से गया और जहान से गया...

मिश्र बड़ी मुश्किल से खुद को काबु किया फिर सबको प्लान बताने लगा l
भैरव - प्रधान तुम्हारा क्या राय है मुझे प्लान पसंद आया....
प्रधान - परफेक्ट.. बढ़िया है... हमारा टीम वर्क के आगे सारे एजेंसी फैल हो जाएंगे...

भैरव सिंह - बढ़िया फिर सुन बे चिरगोजे... जो तुझे दिआ जाए उसे आशीर्वाद समझ कर ले लेना l ज्यादा की कभी सोचना भी मत वरना उस रंग महल के पिंजरे में तु फड़फड़ाएगा और तेरी बीवी हम सबकी बिस्तर होगी और हम उसके चादर...
पिनाक - तो इसके साथ आज का कार्यक्रम समाप्त हुए l जाओ सब अपने अपने ठिकाने को जाओ l
यह सुनते ही सब ऐसे निकले जैसे गधे के सिर से सिंग l
भैरव सिंह- छोटे राजा पुरे स्टेट में ढूंढो किसकी हमारे खिलाफ खुजली हो रही है... रंग महल ऐसे खाली नहीं रहना चाहिए ...
पिनाक - जी राजा साहब
भैरव - युवराज आज आप रूप को लेकर भुवनेश्वर जाएंगे...

विक्रम - जी राजा साहब

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उधर भुवनेश्वर में रात को खाने के टेबल पर तापस - क्या बात है वकील साहिबा आज आपकी और वैदेही की मीटिंग कैसी रही...

प्रतिभा - कुछ नहीं आप कभी नभ वाणी न्यूस देखते हैं..
तापस - हाँ देखता था पर उसका एक न्यूज प्रेजेंटर प्रवीण न्यूस चैनल छोड़ दिया है तबसे उस चैनल की क्वालिटी उतनी रही नहीं इसलिए आज कल नहीं देख रहा हूँ....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म मुझे आज वैदेही के बातों से ऐसा लगा कि शायद प्रवीण क्षेत्रपाल के अहं का भेट चढ़ गया है...
तापस - व्हाट यह तुम किस बिना पर कह सकती हो
प्रतिभा - आज वैदेही ने कहा कि ढाई महीने पहले प्रवीण राजगड़ गया था... और गौर करो तब से वह गायब है... वैदेही कह रही थी उसका परिवार भी गायब है...
तापस - ह्म्म्म्म इसका मतलब वह सच में क्षेत्रपाल के अहं का शिकार हो गया है..
प्रतिभा - सुनिए आप इस केस को निजी तौर पर तहकीकात कीजिए ना..
तापस-देखिए मिसेज सेनापति जी मैं अब वुड बी रिटायर्ड जैल सुपरिटेंडेंट होने वाला हूँ l मुझे सिर्फ कैदियों का देख भाल आता है... यह तहकीकात...
प्रतिभा - नहीं करना चाहते हो बोल दीजिए ना.. बहाना क्यूँ बना रहे हैं... आप पहले थाने में ही ड्युटी करते थे यह मत भूलिए..
तापस-ऐ मेरी जानेमन
तुमको इस डिनर की कसम
रूठा ना करो रूठा ना करो...
तापस-चलिए आपके लिए मिसेज सेनापति जी हम पर्सनली इस केस की तह तक जाएंगे...
अब तो हंस दीजिए..
प्रतिभा मुस्करा देती है...


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अगली सुबह भुवनेश्वर xxx कॉलेज

कैम्पस में एक जगह कुछ लड़के बात कर रहे हैं I
ल 1- अब बोलो, कहा था ना मैंने ऑस्ट्रेलिया हॉकी जीतेगी l
ल 2- हाँ फ़िर भी साउथ अफ्रीका ने जबरदस्त टक्कर दी थी वह तो पेनल्टी शूट आउट में साउथ अफ्रीका चूक गई l
L3- अरे छोड़ो ना यार परसों इंडिया और पाकिस्तान का मैच है उस पर बैट लगाते हैं l
L1 - यू नो गयस रॉकी ऑलवेज करेक्ट... आइ एम डैम श्योर इंडिया ही जीतेगी l
L2- यह तो कोई भी कह सकता है... बैट लगानी है तो बोलो गोल कितने होंगे या कौन गोल करेगा l
L2- हाँ यह होती है बैट क्या कहते हो रॉकी...
रॉकी - ओके आज क्लास खतम होते ही हम बैट करेंगे
सभी - ठीक है
तभी सबकी नजर मैन गेट की तरफ जाती है l कुछ कारों का काफ़िला आ कर कॉलेज में रुकती है l सबसे बीच वाले कार में अध्यक्ष XXX युवा मोर्चा लिखा हुआ था l उस कार से विक्रम और वीर उतरते हैं l फ़िर रूप उतरती है l जैसे ही रूप उतरती है सभी लड़के चोर नजर से रूप को देख रहे हैं l उनमें रॉकी सामिल है l
रॉकी - वाव क्या आइटॉम है बाप.... पर यह वीर के साथ क्या कर रही है...
L3- यह इनकी बहन है रूप नंदिनी सिंह क्षेत्रपाल..
रॉकी - तुझे कैसे मालुम है बे राजू....
राजु - क्यूंकि कभी हम भी राजगड़ में रहते थे l आगे की पढ़ाई के लिए हमे गांव व घर बार छोड़ना पड़ा l
रॉकी - दोनों भाई अपनी बहन को लेकर अपनी कॉलेज में क्यूँ आए हैं... कहीं एडमिशन के लिए तो नहीं... अगर ऐसा हो जाए तो मजा आ जाएगा l
राजु - पता नहीं अगर तुम्हारी बात सच है तो भाई मैं तेरे गैंग से आउट...
रॉकी - क्यूँ बे फट्टु फट गई तेरी...
राजु - तु मेरी बात छोड़... तु अपना बता वीर के सामने तेरी चलती है क्या...
रॉकी - अपन थोड़े उससे डरता है..
राजु - रहने दे... रहने दे... यह क्षेत्रपाल परिवार क्या है तु अच्छी तरह से जानता है...
इनके सामने कोई आँखे उठाकर बात नहीं कर पाता है और उनके घर की बेटी से आँख लड़ेयेगा.. चल रहने दे

रॉकी - अबे वह तो बाद में देखा जाएगा पहले पता तो चले यह क्षेत्रपाल तिकड़ी यहाँ आई क्यूँ है......
कॉलेज प्रिन्सिपल के चैम्बर में
प्रिन्सिपल खड़ा हुआ है और तीनों भाई बहन उसके सामने बैठे हुए हैं
वीर कहता है - राजा साहब ने बता दिआ होगा... इसलिए एडमिशन की फर्मोंलिटि पूरी कर इन्हें सीधे क्लास तक एस्कॉट करते हुए ले जाओ और हाँ तुरंत सबको ख़बर हो जानी चाहिए कि राजा साहब की बेटी, वीर की बहन इस कॉलेज में पढ़ रही हैं l सब उसके साथ अदब से पेश आयें... बाकी कहने की कोई जरूरत नहीं समझे..
प्रिन्सिपल - जी जी
विक्रम व वीर उठते हैं l
विक्रम - रूप आपके लिए एक गाड़ी व ड्राइवर छोड़े जा रहे हैं l अब से वह कार आपकी है... हर रोज ड्राइवर आपको लाएगा और ले जाएगा l
रूप - जी युवराज

वीर - जाओ और अपना क्लास एंजॉय करो
प्रिन्सिपल - आइए राज कुमारी जी मैं आपको आपके क्लास तक पहुंचाता हूँ...

रूप - जी सर
रूप प्रिन्सिपल के साथ क्लास चली जाती है और विक्रम व वीर भी अपने गाड़ी से बाहर चले जाते हैं l
प्रिन्सिपल को बीच रास्ते में रोक कर रूप कहती है - सर
प्रिन्सिपल - जी राज कुमारी जी
रूप - देखिए सर पहली बात आप मुझे राजकुमारी ना कहें और मेरी असली परिचय किसी को ना बताएं l
प्रिन्सिपल - यह कैसे हो सकता है राज कुमारी जी... अगर राज कुमार जी को मालुम पड़ा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे...
रूप - अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मैं राजा साहब से सीधे आपके खिलाफ शिकायत करूंगी l
प्रिन्सिपल - नहीं नहीं ऐसा न कहिए... क्या करूँ एक तरफ खाई है दूसरी तरफ कुआं..
रूप - देखिए सर राजकुमार कभी कभी कॉलेज आते हैं... इसलिए उन्हें मैं सम्भाल लुंगी, बस आप मेरी बात मान कर मेरा साथ दीजिए...
आप मेरा परिचय नंदिनी कहकर दीजिएगा... कहीं पर भी आप मेरी पारिवारिक परिचय मत दीजियेगा... और हाँ आप भी मुझे राज कुमारी मत बुलाएंगे...
प्रिन्सिपल - ठीक है.. अब आपके हवाले मैं और मेरा परिवार है...

रूप - चलिए सर आपकी सुरक्षा मेरी जिम्मेवारी है.......

प्रिन्सिपल रूप को लेकर BSc फर्स्ट ईयर के क्लास में पहुंचा और पढ़ा रहे लेक्चरर व सारे स्टूडेंट्स से रूप का परिचय कराते हुए - गुड मॉर्निंग बच्चों...

सबने कहा - गुड मॉर्निंग..
प्रिन्सिपल - यह हैं रु... मेरा मतलब है नंदिनी सिंह... आपकी नई दोस्त व सहपाठी..
और मिस नंदिनी जी यह आपकी क्लास...
इतना कह कर प्रिन्सिपल वहाँ से जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी से निकल गया l
फिर लेक्चरर ने नंदिनी को बैठ जाने को कहा l नंदिनी बीच के रो में एक लड़की के पास बैठ गई l
लड़की - हाय मैं बनानी महांती..
नंदिनी - मैं नंदिनी सिंह...
बनानी - ऐसे मिड सेशन में कैसे जॉइन किया तुमने...
नंदिनी - एक्चुआली मैं बीमार थी इसलिए शुरू में जॉइन नहीं हो पाई थी पर जब हेल्थ ठीक है तो जॉइन कर ली
लेक्चरर - साईलेंस प्लीज...
दोनों चुप हो गए और नंदिनी यादों में खो गई
******--------*****-----****
घर में शुभ्रा और रूप आज सुबह सुबह बातेँ कर रही हैं
शुभ्रा-क्या बात है रूप..
रूप - भाभी मैं क्षेत्रपाल सरनेम से यहां किसीसे पहचान या दोस्ती नहीं करना चाहती...
शुभ्रा - ऐसे कैसे हो सकता है... मत भूल कॉलेज में वीर भी है और यह सरनेम तुझे कॉलेज के लोफरों से भी बचाएगी...
रूप - नहीं भाभी मैं इस सरनेम के बगैर इस दुनिया का अनुभव लेना चाहती हूँ चाहे अच्छी हो या बुरी...
शुभ्रा - देखो रूप तु फ़िर से सोच ले...
रूप - भाभी मुझसे क्षेत्रपाल सरनेम जुड़ा रहा तो कोई मुझसे दोस्ती नहीं करेगा अगर यह सरनेम नहीं रहा तो मुझे दोस्त जरूर मील जाएंगे..
शुभ्रा - ठीक है कोशिश कर के देख ले... और शाम को घर आकर बताना क्या हुआ...
तभी क्लास खतम होने की बेल बजती है और रूप अतीत से बाहर आती है l
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उधर प्रतिभा और तापस चलते हुए जैल की और जा रहे हैं l प्रतिभा साड़ी में थी और तापस अपने जैल सुपरिटेंड के वर्दी में l दोनों सेंट्रल जैल के मुख्य द्वार पर आ पहुँचे l तापस संत्री से प्रवेश द्वार खोलने के लिए कहता है l संत्री चाबी लेने पास के की स्टैंड तक जाता है l इतने में
प्रतिभा - और कितनी देर लगेगी
तापस- जी देवीजी बस उतनी ही देर जितनी मुझे रोज ऑफिस जाते वक़्त लगता है...
प्रतिभा - (अपनी मुहँ को सिकुड़ते हुए) हो गया
तापस - जी बिल्कुल हो गया...
संत्री द्वार खोल देता है l तापस संत्री से विजिटर रजिस्टर लाने को कहता है l संत्री रजिस्टर लता है प्रतिभा उसमें अपना दस्तखत कर कारण लिख देती है l तापस संत्री से कहता है - इन्हें मीटिंग रूम में पहुंचा दो और कैदी नंबर छह सौ आठ से मिलवा दो......
संत्री साल्युट मार कर प्रतिभा को अपने साथ ले कर मीटिंग रूम में इंतजार करने को कहा l
थोड़ी देर वाद एक कैदी उस कमरे में आता है प्रतिभा उसे देख कर बहुत खुश हो जाती है और पूछती है - कैसा है प्रताप...
प्रताप - सच कहूँ तो सुबह से आपको ही याद कर रहा था l
प्रतिभा - चल चल झूट मत बोल.... तुझे आज वैदेही की भेजी रखी कि इंतजार था....
प्रताप - पर रखी आपके सिवा लाएगा ही कौन....
प्रतिभा - इसी बहाने तुझसे मिलने भी तो आ जाती हूँ...
प्रताप - आपका आना भी मेरे लिए किसी पर्व से कम है क्या.....
प्रतिभा - बाप रे कितना बोलने लग गया है तु....
प्रताप - सब आपकी महिमा है मैया..
प्रतिभा - अब तु भी मुझे उनकी तरह छेड़ने लगा.....
प्रताप- अरे माँ दस बाई आठ के कमरे से जब भी बाहर निकल कर आपके सामने आता हूँ तो जी करता है आपसे मन भरने तक बात करूँ....
प्रतिभा - तो फिर मेरे बच्चे ढाई महीने बाद रिहा हो कर मेरे पास ही क्यूँ नहीं रुक जाता...
प्रताप का चेहरा थोड़ा उदास हो जाता है - माँ मुझ पर रिश्तों की कर्ज व बोझ है.... जब तक मैं उन सबको निभा कर कर्ज़ मुक्त नहीं हो जाता तब तक मुझसे कोई वादा मत माँगों.... प्लीज...
प्रतिभा - ठीक है बेटा इस माहौल को ग़मगीन मत करो चलो यह राखी पहन लो...
प्रताप अपना हाथ बढ़ा देता है तो राखी प्रतिभा बांधती है
प्रताप - बुरा लगा....
प्रतिभा - नहीं...
प्रताप - माँ मैं पहले भी कह चुका हूँ... आज फिर से कह रहा हूं... मेरा मक़सद पुरा होते ही मैं पुरी तरह से आपका हो जाऊँगा...

प्रतिभा - (राखी बांधने के बाद) मैं जानती हूँ पर दिल थोड़े मानता भी तो नहीं....अच्छा यह बता वह तेरे साथ कैसे हैं....
प्रताप- तुम प्यार जताते थकती नहीं हो और वह जुड़ाव, लगाव रखते बहुत हैं मगर जताते या दिखाते नहीं हैं..
दोनों हंस पड़ते हैं l प्रतिभा थोड़ी गम्भीर हो जाती है और प्रताप के चेहरे को दोनों हाथों से झुका कर माथे को चूमती है l
प्रतिभा - अच्छा बेटा चलती हूँ... अपना खयाल रखना....
प्रताप - आप भी अपना और अपने उनका खयाल रखियेगा...
इतना कहकर प्रताप अंदर चला जाता है l उसके जाते ही प्रतिभा कमरे से बाहर निकालती है l दरवाजे से थोड़ी दूर आ कर रुक जाती है और बिना पीछे मुड़े पीछे की ओर कहती है - छुपकर सुनने से अच्छा होता कि आप भी हम माँ बेटे के साथ थोड़ा वक़्त बिताते और दो बातेँ भी कर लेते....
दरवाजे के ओट में छिपा तापस बाहर निकलता है और कहता है - दरअसल मेरा पेन यहाँ गिर गया था... वह ढूंढ कर निकाल रहा था कि तुम बाहर निकल आई....
प्रतिभा - हो गया....
तापस - हाँ हो गया देवी जी हो गया...
प्रतिभा - तो चलिए मुझे बाहर तक छोड़ दीजिए...
तापस- चलिए...

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उधर तीसरा क्लास खतम होते ही लंच ब्रेक की बेल बजती है

बनानी - अच्छा नंदिनी क्यूँ ना अभी हम कैन्टीन चलें..

नंदिनी - हाँ हाँ चलो चलते हैं...
फिर दोनों क्लास से निकल कर कैन्टीन चल देते हैं l
कैन्टीन में रॉकी अपने ग्रुप के साथ बैठा हुआ था l जैसे नंदिनी कैन्टीन में आती है वैसे ही सबकी नजर उसकी तरफ घुम जाती है l नंदिनी व बनानी दोनों जा कर एक टेबल पर बैठ जाते हैं l तभी रॉकी अपने जगह से उठता है और नंदिनी के तरफ आकर पूछता है - न्यू जॉइनींग
नंदिनी - येस...
रॉकी- आपका नाम जान सकता हूँ..
नंदिनी - क्यूँ नहीं.... मेरा नाम नंदिनी सिंह है..
रॉकी - (हाथ बढ़ाता है) हाय मैं राकेश पाढ़ी और दोस्त सभी मुझे रॉकी कहते हैं...
नंदिनी - (उससे हाथ मिलती है) ओके रॉकी..
हाथ मिलाते ही रॉकी शुन हो जाता है और नंदिनी की हाथ को वैसे ही पकड़े रहता है l नंदिनी अपनी हाथ छुड़ा कर पूछती है - ओ हैलो क्या हुआ..
रॉकी - क क कुछ नहीं अच्छा तुम कौन से स्ट्रीम में हो
नंदिनी - साइंस....
रॉकी - ओह मैं कॉमर्स फाइनल ईयर... अच्छा नंदिनी बाद में मिलते... हैं..

नंदिनी - ओके श्योर...
रॉकी नंदिनी को देखते हुए अपने पट्ठो के पास वापस जा रहा होता है,के तभी प्रिन्सिपल ऑफिस के पीओन आ कर नंदिनी को पूछता है - क्या आप मिस नंदिनी हैं....
नंदिनी - जी मैं ही हूँ...
पीओन - आपको प्रिन्सिपल जी ने बुलाया है...
नंदिनी - अच्छा बनानी मैं प्रिन्सिपल सर से मिलकर आती हूँ..

बनानी - ओके तो फ़िर हम क्लास में मिलते हैं...
उधर रॉकी अपने पट्ठों के साथ बैठा हुआ है और अपने हाथ को देख रहा है l
एक बंदा पूछता है - क्या बात है रॉकी अपने हाथ को ऐसे क्या घुर रहे हो...
रॉकी - अबे क्या बताऊँ यार कितने नरम हाथ थे उस नंदिनी के.... साला लंड अकेला नहीं खड़ा हो रहा है साला साथ साथ मैं रोयां रोयां भी खड़े हो गए...
सारे बंदे रॉकी को ऐसे घूरते हैं जैसे कोई बम फोड़ दिआ हो l
उधर प्रिन्सिपल के रूम में
प्रिन्सिपल - देखिए नंदिनी जी अपने जैसा कहा मैंने वैसा किया है पर आपके ID कार्ड में नाम तो पुरा और सही लिखना पड़ेगा...
नंदिनी - सर आपने मुझे इतना फेवर किया है तो एक छोटा सा और कर दीजिए...
प्रिन्सिपल - (अपने जेब से रुमाल निकाल कर अपना चेहरा पोछता है) देखा आपने ऐसी रूम में भी कितना पसीना निकल रहा है.... अगर आपके भाईयों को जरा सा भी भान हुआ तो मैं कहीं का नहीं रहूँगा (कहकर हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी - अरे अरे सर यह आप क्या कर रहे हैं.... सर आप पर कुछ नहीं आएगा... यह मेरा वादा है...
प्रिन्सिपल - ठीक है बताइए...
नंदिनी - मुझे आप दो ID कार्ड इशू कीजिए.... एक मेरी असली पहचान की और दुसरी वह जिसे मैं अपनी पहचान बनाना चाहती हूँ...
प्रिन्सिपल - ठीक है कॉलेज खतम होते ही ऑफिस से ले लीजियेगा... और इतनी कृपा बनाए रखियेगा के मेरे ऑफिस में जितना हो सके उतना कम आइयेगा... (कह कर वह अपने कुर्सी से उठ खड़ा होता है और हाथ जोड़ देता है)
नंदिनी को थोड़ा बुरा लगता है और बिना पीछे मुड़े अपनों क्लास के तरफ निकल जाती है...
उधर कैन्टीन में रॉकी को वही बंदा पूछता है - अबे मरवायेगा क्या.... सुबह राजु ने उसके बारे में तुझे बताया तो था....
रॉकी - हाँ तो क्या हुआ अबे तूने देखा नहीं उसने मुझसे हाथ भी मिलाया और फिर से मिलने की बात पर हाँ भी कहा....
समझा कर आशीष..
आशीष - फ़िर भी एक मुलाकात मैं इतना आगे मत बढ़... अगर कहीं लेने के देने पड़ जाएं...
रॉकी थोड़ी देर सोचता है और अपने पास बैठे सारे दोस्तों को देखता है, वहाँ राजु नहीं था, फिर मन में कुछ सोचता है और सबसे पूछता है- सुनो बे चड्डी बड्डी कमीनों क्या करना है आईडीआ दो सालों...
आशीष - देख बे सुबह राजु ने खाली क़िताब का कवर दिखाया है पर मेरा मान कुछ टाइम ले थोड़ा अवजरभ कर कम से कम एक हफ्ते के लिए.... फिर मिलकर सोचते हैं क्या किया जाए....
रॉकी - चलो तुम लोगों की बात मान लेता हूँ.... छोकरी की कुंडली इतिहास व भूगोल के बारे में सब पता लगाता हूँ....
पर कमीनों किसी महापुरुष ने कहा था की इतिहास गवाह है इंसान या तो बेहिसाब दौलत के लिए या फिर बेहद खूबसूरत लड़की के लिए... अपनी जान की बाजी लगा देता है...और राजू की बताई डिटेल्स अगर सही है तो यह जितनी खूबसूरत है इसके बाप के पास उतनी ही ज्यादा दौलत है...तो अबसे "मिशन नंदिनी" शुरू और ऐसे समय में बड़े बड़े कमीने कह गये हैं नो रिस्क नो गैन....
Awesome superb and mindblowing update
 

Kala Nag

Mr. X
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Adbhut kahani I'm fan of your writing skills bs bro Ek request hai ki kahani ko Bich main band MT krna

Super update bro..biswa aur baidehi ko apni badla jarur lena hoga khetrapal see.

क्षेत्रपाल फेमिली ने ज़ुल्म की इन्तहा कर दी है । विश्वा आखिर में था तो उन्हीं का खून । उसके साथ जैसा टार्चर किया गया था और उसे सदैव के लिए अपंग बनाने का जो षडयंत्र किया था उन लोगों ने उससे हमारा खून गर्म हुए जा रहा है ।
कमीनो ने जेल में भी नहीं बख्शा था उसे । बहुत ही ज्यादा गलत हुआ है उसके साथ ।
तापस जी की मेहरबानी से विश्व प्रताप अपाहिज होने से बच तो गया था लेकिन दोनों पति-पत्नी उसे निर्दोष नहीं समझ सके । दोनों सरकारी मुलाजिम है तो स्वाभाविक है उनकी कुछ बंदिशें होंगी । वो चाहकर भी उसके समर्थन में नहीं आ सकते ।
शायद इसी वजह से तापस जी ने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था ।
लेकिन अभी भी जेल में हमला वाली घटना के बारे में हमें पुरी जानकारी नहीं है । क्या वो भी विश्वा के लिए ही हुआ था ?

बहुत ही बेहतरीन कहानी है यह । इस कहानी में बहुत सारी चीज़ें ऐसी है जिसके बारे में बहुत लोगों को जानकारी नहीं है । जेल के अंदर कैसा परिवेश होता है , अधिकतर लोग मूवी देखकर ही जान पाते हैं । उसी तरह अदालत की कार्यवाही भी है ।
दोनों चीजों के बारे में बहुत बढ़िया अपडेट दिया है आपने । यही बात पुलिसिया कार्रवाई और सरकारी विभागों पर भी लागू होती है ।

एक बार फिर से जगमग जगमग अपडेट भाई ।
अमेजिंग स्टोरी है यह ।
मित्रों उन्नीसवां अपडेट आपके समक्ष प्रस्तुत है
कृपया अपना बहुमूल्य विश्लेषण अवश्य प्रदान करें
 

Sauravb

Victory 💯
8,103
14,240
174
👉अठारहवां अपडेट
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तापस डॉ. विजय से विश्व की फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के बाद सीधे विश्व जिस वार्ड में था, उसी वार्ड में आकर पहुंच जाता है l
अंदर विश्व एक कैजुअल पहनावे के साथ खड़ा हुआ था l
तापस - तो विश्व तैयार हो....
विश्व - जी सुपरिटेंडेंट साहब.... पर मुझ जैसे कैदी को लेने आप जैसे पदाधिकारी....
तापस - आई बी अलर्ट है.... तुम पर हमला हो सकता है.... जब से मीडिया मैं.... न्यूज चल रहा है... आज तुम्हारी पहली, पेशी है... तब से कटक में जमावाड़ा बढ़ गया है....
विश्व- आप फिक्र ना करें.... सुपरिटेंडेंट साहब.... वे लोग कुछ भी कर सकते हैं.... पर मेरी जान नहीं लेंगे.... या फिर यूँ कहूँ कि उन लोगों को मुझे हानि पहुंचाने की इजाजत तो है पर जान से मारने की नहीं.....
तापस - व्हाट.... यह तुम किस बिना पर कह सकते हो....
विश्व - अगर उन्हें मारना ही होता... तो मुझे राजगड़ में ही मार सकते थे....
तापस - हो सकता है... भीड़ को उकसा कर मरवाने का प्लान हो उनका....
विश्व - नहीं... सुपरिटेंडेंट साहब.... मैं अगर मर गया तो.... वह हार जाएगा....
तापस - कौन...
विश्व - वही जिसने यह खेल रचा है.... जिसकी मंसा यह थी के मेरी बाकी की जिंदगी.... राजगड़ के गालियों में लंगड़ाते हुए... भीख मांगते हुए गुजर जाएगी.... पर आपने उसकी पहली मंसूबे पर पानी फ़ेर दिया है.... मेरी टांग बचा कर....
तापस - ओह तो फिर.....
विश्व - चलिए चलते हैं.... आगे क्या होगा बस आप देखते जाइए....
तापस मन ही मन में सोचने लगा "यह इतना शांत लग रहा है, कोई डर भी नहीं है.... क्या पता इस उम्र में प्रोफेशनल की तरह बात कर रहा है.... हो सकता है... जो भी इल्ज़ाम लगे हैं.... शायद सच हो..."
तापस और विश्व एक जालीदार वैन में बैठ कर कोर्ट की ओर निकल जाते हैं l तापस देखता है बहुत सारे मीडिया चैनल वाले उनके पीछे लगे हुए हैं l आख़िर कार वैन कोर्ट में पहुंच जाते हैं l तापस गाड़ी से उतर कर विश्व की तरफ वाली दरवाजा की ओर बढ़ रहा है कि एक पेट्रोल बॉम्ब उस गाड़ी के छत पर आकर गिरता है, तो गाड़ी के छत पर आग लग जाती है l आग लगते ही आस पास खड़े लोगों में अफरा-तफरी मच जाती है l अफरा-तफरी के बीच तापस विश्व को किसी तरह से कोर्ट के भीतर ले जा कर जज के सामने खड़ा कर देता है, और विश्व
की मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट प्रतिभा के हाथों से जज तक पहुंचाता है, विश्व की सर्टिफिकेट देखने के बाद कोर्ट की कारवाई में,
जज - अभियोजन पक्ष की तैयारी पूरी है... पर अभियुक्त पक्ष की तैयारी अधूरी है... अभियुक्त पक्ष को एक माह का समय दिया जाता है.... ताकि वे अपनी तैयारी पूरी कर आयें.... अगली सुनवाई **** तारीख को होगी.... तब तक आरोपी श्री विश्व प्रताप महापात्र को केंद्रीय कारागृह में रखा जाए...
यह सुन कर वैदेही दुखी हो कर वहीं बैठ जाती है l विश्व को जैल ले जाने के लिए संत्री विश्व के हाथों में हथकड़ी डाल कर बाहर ले जाते हैं l वैदेही बाहर दौड़ कर आती है l विश्व के साथ साथ गाड़ी तक जाते हुए,
विश्व - दीदी... आप क्यूँ यहाँ आई हो... मुझे मेरे हाल पर छोड़ क्यूँ नहीं देती....
वैदेही - (रोते हुए) चुप कर... जिस उम्र में लड़कियां खिलौने से खेलती हैं... उस उम्र में मैंने तुझे माँ बन कर पाला है... बड़ा किया है... तुझे ऐसे कैसे इस हाल में छोड़ दूँ....
विश्व - दीदी... मेरी तो सिर्फ इज़्ज़त दाव पर लगी है.... जब कि उस क्षेत्रपाल की दौलत, ताकत और रुतबा दाव पर लगी हुई है....
वैदेही - हाँ जानती हूँ शायद इसलिए कोई वकील तेरा केस नहीं ले रहा है.....
विश्व - दीदी... इसलिए कह रहा हूँ.... आप गांव चली जाओ.... इस केस में मुझे फांसी नहीं होगी.... हाँ कुछ सालों के लिए... जैल होगी...
वैदेही - नहीं मैं पूरी कोशिश करूंगी....
विश्व गाड़ी में चढ़ जाता है l वैदेही वहीँ नीचे खड़ी रह जाती है l गाड़ी में बैठने के बाद विश्व अपना चेहरा घुमा लेता है और कोर्ट छोड़ने तक पीछे मुड़ कर नहीं देखता है l वैदेही रो रो कर वहीं नीचे बैठ जाती है l
यह सब ख़ामोशी से देखते हुए तापस सोचने लगता है "आख़िर माजरा क्या है.... यह क्षेत्रपाल कहाँ से आ गया..... खैर मुझे क्या...."
गाड़ी जैल के मुख्य फाटक से गुजर कर भीतर पहुंचता है l विश्व गाड़ी से उतरता है l फौरन एक संत्री आकर उसे ऑफिस के भीतर ले जाता है और दास के सामने खड़ा कर देता है l

दास - विश्व अपने साथ जो भी यहाँ ले कर आए हो... वह सब यहाँ पर जमा कर दो....
विश्व - मेरे पर मेरे इन्हीं कपड़ों के सिवा कुछ और नहीं है....
दास - ठीक है उस कमरे में जाओ.... अपने कपड़े उतार कर यह कपड़े पहन कर आओ....
विश्व दास के दिए जैल के यूनीफॉर्म लेकर एक छोटे से कमरे में आता है और अपने सारे कपड़े उतार कर जैल के कपड़े पहन लेता है और अपने कपड़े लेकर दास के पास आता है l दास एक काग़ज़ पर उसके दसों उँगलियों के निशान लेता है l फ़िर उसे एक स्लेट थमा देता है और एक सफ़ेद पर्दे के सामने खड़ा कर देता हैदास उस स्लेट पर 511 लिख देता है l उसके बाद एक फोटो ग्राफर कुछ फोटो ले लेता है l फोटो उठा लेने के बाद विश्व दास के पास जाता है l दास उससे स्लेट ले लेता है और विश्व को एक बाल्टी, एक मग, एक कंबल और एक चादर देता है l उसके बाद पास खड़े संत्री को कहता है
दास - इसे बैरक नंबर 3 के ग्यारह नंबर के सेल में ले जाओ....
संत्री - (सैल्यूट दे कर) जी सर...
विश्व उस संत्री के साथ चला जाता है l रास्ते में उसे कई तरह के कैदी दिखाई देते हैं l कुछ कैदी उस पर तंज कसते हैं
एक - ऑए होय... क्या चिकना है रे...
दूसरा - अबे यह लंगड़ा क्यूँ रहा है....
एक - लगता है आपने मामू लोगों के साथ भांगडा करते करते लंगड़ा गया....
तीसरा - अबे मुझे तो कुछ और लग रहा है....
एक - क्या....
तीसरा - किसीने बिना चड्डी उतारे पीछे से लेली इसकी.... इसलिए लंगड़ा रहा है....
सारे कैदी एक साथ - हा हा हा हा हा हा....
चौथा - पर इसकी ली किसने होगी....
तीसरा - जरूर किसी हिजड़े ने ली होगी.....
सारे - हा हा हा हा....
संत्री विश्व को उसके सेल में पहुंचा देता है l विश्व सेल के अंदर जाता है, उसके अंदर जाते ही संत्री बाहर ताला लगा कर चल देता है l विश्व उस आठ बाई दस की कोठरी को देखता है l एक कोने में संढास है, और एक कोने में वश बेसिन के साथ पानी का टाप भी है और उस पर एक आईना भी लगा हुआ है l छत पर एक पंखा और दीवार एक बल्ब भी है l यह सब देखकर विश्व एक गहरी सांस लेता है और अपने साथ लाए हुए सारी चीजों को एक कोने में ले जा कर रख देता है, फिर दीवार से सट कर बैठ जाता है l फिर अचानक से रोने लगता है, रोते रोते वह फर्श पर लेट कर छत की ओर देखने लगता है l

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अपनी गाड़ी में तापस और प्रतिभा सज धज कर कहीं जा रहे हैं l
प्रतिभा - आज रात की पार्टी में हम दोनों इंवाइटेड हैं.... पर अलग अलग जरिए से... पर क्यूँ
तापस - हाँ.... मुझे शाम को अचानक कमिश्नर जी का फोन आया... और कहा कि सेनापति अटॉर्नी जनरल यहाँ आज पार्टी है और आप विशेष निमंत्रित अतिथि हो.... इसलिए आठ बजने से पहले पहुंच जाना..... मैं समझ नहीं पाया के अटॉर्नी जनरल जी को मुझसे क्या काम पड़ गया है...
प्रतिभा - मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है.... आज बार काउंसिल में हम बैठ कर कुछ विषयों पर चर्चा कर रहे थे कि तभी मुझे भी फोन आया... की मैं आज रात आठ बजे अटॉर्नी जनरल के यहाँ पहुंच जाऊँ..... जब कारण पुछा तो मुझे सिर्फ इतना बताया गया.... जो लोग न्याय व कानून व्यवस्था से जुड़े हुए हैं.... उन्हीं लोगों के साथ उनकी खास मीटिंग है....
ताप - वही तो.... ज़रूर कोई इमर्जेंसी होगी.... या तो राज्य के लिए... या फिर किसी और विषय में जो राज्य के तंत्र व प्रशासन से संबंधित हो.....
प्रतिभा - ह्म्म्म्म... हम सिर्फ़ अनुमान ही लगा रहे हैं.... असली बात तो वहाँ पहुँचते ही मालुम पड़ेगा....
तापस - हाँ देखते हैं....
उधर एक बड़ी सी रोल्स रॉयस कार में नागेंद्र सिंह, भैरव सिंह और पिनाक सिंह तीनों आमने सामने बैठे हुए हैं l
पिनाक - यह हम अटॉर्नी जनरल के यहाँ क्यूँ जा रहे हैं.....
भैरव - हम अटॉर्नी जनरल के यहाँ पार्टी रखी है... इसलिए जा रहे हैं....
पिनाक - क्या उसके यहाँ पार्टी रखने की क्या जरूरत थी..... हम होटल अशोका या और किसी बड़े रिसॉर्ट में भी रख सकते थे....
नागेंद्र - (थोड़े खांसते हुए) छोटे राजा जी.... थोड़ा धीरज रखें.... राजा जी ने बड़ी दूर की सोची है....(थोड़ी देर के लिए चुप हो गया)
नागेंद्र - यह (खरास लेते हुए) सपोला विश्व... कम्बख्त बड़ा खेल गया.... यह तो जानते ही हैं....(थोड़ी गहरी सांस लेते हुए)
भैरव - (टोकते हुए) बड़े राजा जी.... आप मुझे इजाजत दें.... मैं छोटे राजा जी को विस्तार से बताता हूँ.....
नागेंद्र - (खांसते हुए, और भैरव को हाथ दिखाते हुए) कितनी बार कहे हैं.... खुद को मैं नहीं... हम कहा कीजिए.... और अपनों को तुम नहीं आप कहा कीजिए....
भैरव - जी आगे से हम ध्यान रखेंगे....
नागेंद्र हाथ के इशारे से बात को आगे बढ़ाने के लिए कहता है l
भैरव - हाँ तो छोटे राजाजी.... वह हराम का जना... विश्व हमारे विरुद्ध सात जगहों पर शिकायत लिख कर भेजा था... यह तो आप जानते ही होंगे....
पिनाक - हाँ.... हम जानते हैं.....
भैरव - तो यूँ समझिए.... विश्व ने अब हमें अपनी मांद से निकलने के लिए मजबूर कर दिया....
पिनाक - अच्छा..... तो फ़िर उस हराम जादे को सारी रकम में क्यूँ नहीं लपेट लिए.... सिर्फ साढ़े सात सौ करोड़ रुपए की मामूली रकम में ही लपेट लिए....
भैरव - आप पागल तो नहीं हो गए..... एक मामूली सा सरपंच.... के लिए साढ़े सात सौ करोड़... बहुत बड़ी रकम होता है.... पूरा का पूरा रकम अगर हम सामने लाते तो.... एजेंसीस् को हम पर भी शक़ हो जाता...
पिनाक - ठीक है... पर इसके लिए हमे भुवनेश्वर कूच करने की क्या जरूरत थी....
भैरव - हाँ अब हम सिर्फ खुदको राजगड़ में सिमित नहीं रख सकते.... एक कुए की मेंढक की तरह..... अब यह पूरा राज्य हमारा जागीर होगा.... इस राज्य का सिस्टम पानी और.... हम.... हम इस पानी के मगरमच्छ....
पिनाक - ओ...
भैरव - हाँ इसके लिए अब हमें प्रत्यक्ष राजनीति में आना होगा...
पिनाक - क्या....
भैरव - हाँ छोटे राजा.... हाँ...
पिनाक - इसका मतलब... हम किसीके आगे झुकेंगे....
नागेंद्र - हम ने आपको धीरज धरने के लिए कहा था....
पिनाक - क्षमा... कीजिए...
नागेंद्र - (भैरव को रोक कर) अब आप रुकिए... हम समझाते हैं छोटे राजा जी को....(पिनाक को देखते हुए) हम जहां भी जाएंगे या रहेंगे... अपना गुरुर नहीं छोड़ेंगे.... आप अभी फ़िलहाल पार्टी जॉइन कर रहे हैं.... और अगले दो वर्ष बाद आप भुवनेश्वर में मेयर के पदवी पर आसीन होंगे.... एक मेयर अपने शहर का राजा ही होता है.... और यह यह राजधानी है... और इस राजधानी के राजा आप होंगे.... क्यूंकि यह शहर अब फैल रहा है... बढ़ रहा है.... राक्षस बन चुका है.... यह आस पास के इलाकों को संप्रसारण व विकास के नाम पर निगल रहा है.... यहाँ बेहिसाब दौलत की बारिस हो रही है... जिसे अब आपको आपने दोनों हाथों से बटोरना है...
पिनाक - फिर राजगड़....
नागेंद्र - राजगड़.... राजगड़ वैसे ही हमारे शासन में रहेगी... जहां किसीकी भी दखल नहीं होगी.... जिसकी जिम्मेदारी राजा जी की होगी.... याद रहे.... जो अपनी जमीन या जड़ से उखड़ गया.... वह कहीं भी नहीं ठहर सकता....
पिनाक - जी बेहतर...
नागेन्द्र - देखिए.... और याद रखिए..... राज या हुकूमत करने के लिए किसी के पास या तो बेहिसाब दौलत होनी चाहिए या फिर बेहिसाब ताकत.... यह दोनों हमारे पास है... और इसको बढ़ाते जाना है....
पिनाक - जी....
नागेंद्र - राजा जी...
भैरव - जी बड़े राजा जी...
नागेंद्र - अब समय की मांग है.... युवराज और राजकुमार.... दोनों को इस शहर में राज करने योग्य बनाएं...
भैरव - पर वे दोनों तो कलकत्ता में पढ़ रहे हैं....
नागेंद्र - तो उन दोनों को यहां पर बुलाइये और.... अपना दबदबा कायम लीजिए .... उन दोनों को हथियार बनाएं.... और समय आने पर यह राज पाठ उनके हवाले कर सकें
भैरव - जैसी आपकी इच्छा....
फिर गाड़ी में सब शांत हो जाते हैं, और गाड़ी कटक की और बड़ी जोर से भाग रही है l
इधर अटॉर्नी जनरल के घर पर पहुंचने के बाद तापस व प्रतिभा दोनों देखते हैं कि राजनीति व कानून से जुड़े बहुत से शख्सियतों का जमावड़ा है l तभी कमिश्नर उनके पास आता है,
कमिश्नर - आइए सेनापति दंपति आइए....
कमिश्नर को देख कर जहां तापस सैल्यूट करता है वहीँ प्रतिभा कमिश्नर को हाथ जोड़ कर नमस्कार करती है l फिर कमिश्नर उन्हें पार्टी के एक टेबल के पास लाकर छोड़ देता है l
अटॉर्नी जनरल भी वहाँ उनके पास पहुंचता है और दोनों का अभिवादन करता है l दोनों पति पत्नी अपनी अपनी तरीके से उसका अभिवादन स्वीकार करते हुए प्रति अभिवादन करते हैं l
पार्टी के बीचों-बीच एक पंडाल में एक इलेक्ट्रॉनिक घड़ी लगी हुई है जिसमें सात उनसठ बजे हुए हैं l अटॉर्नी जनरल तभी पंडाल पर आकर अपने हाथ में माइक लेता है और कहता है - देवियों और सज्जनों... मेरे अचानक बुलाने पर आप सबके यहाँ पर उपस्थित होने के लिए धन्यबाद..... आज हमारे मध्य एक ऐसा परिवार उपस्थित होने जा रहे हैं जिनके बारे में उनके अपने प्रांत में कहा जाता है के वे समय के साथ नहीं चलते हैं बल्कि समय को अपने साथ लिए चलते हैं.... जिसका जीता जागता उदाहरण आप ठीक कुछ सेकंड बाद देख पाएंगे...
इतना कह कर अटॉर्नी जनरल माइक को दे देता है और पार्टी एरिया के सारे लाइट बुझा दिए जाते हैं l एक स्पॉट लाइट ठीक एंट्रेंस गेट पर पड़ती है l सबकी नजरें उस गेट पर टिक जाती है l एक बड़ी रॉल्स रॉयस गाड़ी भीतर आकर रुकती है l बड़े बड़े अधिकारी व कुछ नेता भाग कर उस गाड़ी के पास जाते हैं l गाड़ी से नागेंद्र, भैरव, और पिनाक उतरते हैं l तीनों पर फूलों की बरसात होती है, और वहाँ पर मौजूद सभी लोग ताली मार कर स्वागत करते हैं l अटॉर्नी जनरल तीनों को एक राजकीय साज सज्जा में सजी हुई एक टेबल के पास बिठाता है l फिर सारे लाइट जल उठती हैं, अटॉर्नी जनरल पंडाल पर आकर माइक संभालता है l
अ.ज - यहाँ पर उपस्थित सज्जन मंडली... इस पार्टी के मुख्य आकर्षण हमारे मध्य विराजमान हैं l उनके स्वागत के लिए आप सब से ज़ोरदार तालियों की उम्मीद कर रहा हूँ....
पूरा माहौल तालियों से गूंज जाती है l
अ.ज - यह सच है कि आज अपना राज्य पूरे देश में एक विशेष कारण से चर्चित है.... पर किसी गर्व या गौरव के क्षण के लिए नहीं.... महात्मा गांधी जी के नाम पर गरीब तबके और बेरोजगार लोगों को साल भर में कम से कम सौ दिन की रोज़गार ग्यारंटी मिले, उस मनरेगा योजना के पैसों की हेर-फेर के लिए चर्चित है... पर अब उचित न्याय होगा और जनता के पैसों का हिसाब होगा.....
यह घटना कितनी दुखदायी है.... के उस प्रांत के राज परिवार को बाध्य कर दिया के वे जनता को न्याय दिलाने के लिए.... राजधानी का रुख करें..... यह राज परिवार जनता को न्याय दिलाने के लिए कितना जागरूक व सजग है.... मैं आज आपको बताने जा रहा हूँ....
विश्व प्रताप महापात्र के सरपंच बनने के छह महीने बाद.... गांव के एक साधारण नागरिक ने आदरणीय श्री भैरव सिंह क्षेत्रपाल जी से मेरा मतलब है कि राजा साहब जी से गुहार लगाई के विश्व प्रताप पैसों का हेर-फेर कर रहा है.... तब राजा साहब ने माननीय मुख्यमंत्री जी से दरख्वास्त की इस बारे में.... संज्ञान लेने के लिए....
मुख्यमंत्री जी राजा साहब जी का मान रखते हुए.... तीन महीने पहले एक SIT (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) का गठन किया था.... उस टीम के रिपोर्ट को आधार बनाकर जब पुलिस ने विश्व व उसके टीम को गिरफ्तार करने पहुंची... तब पहले से खबर पा कर उसके दो साथी अपने परिवार समेत फरार हो गए..... सूत्र बताते हैं कि वे लोग सपरिवार विदेश भाग गए......
हाँ यह हमारी लचर कानून व्यवस्था की लापरवाही कहा जा सकता है..... पर ह्युमन एरर तो हर जगह होती है.... इंसानी गलतियां... जिसका खामियाजा आज कानून को भी चुकाना पड़ा.... लेकिन संतोष की बात यह है कि... कम से कम एक अपराधी हाथ तो लगा...
अब उसे सजा देना कानून व समाज का कर्त्तव्य है....
यहाँ आप सब लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस केस से जुडे हुए हैं.... इसलिए मैंने यहाँ आपको बुलाया है..... और उस विश्व को सजा दिलवाने की चेष्टा कर कानून व राज्य को गौरवांवित करें.... धन्यबाद.....
सब इतने बड़े भाषण सुनने के बाद सब कुछ देर खामोश रहे l सबको खामोश देख कर अटॉर्नी जनरल खुद ताली बजाता है l उसे ताली बजाता देख बाकी सब लोग भी ताली बजाते हैं l
कमिश्नर तापस और प्रतिभा के पास आता है और दोनों से मुखातिब हो कर कहता है,
कमिश्नर - आइए सेनापति दंपति... आप से राजा साहब जी मिलना चाहते हैं.....
प्रतिभा - हम से..... पर क्यूँ....
कमिश्नर - अररे... आज आप दोनों ही इस पार्टी के स्पेशल गेस्ट जो हैं...
तापस और प्रतिभा एक दूसरे को देखते हैं l फिर अपने जगह से उठ कर कमिश्नर के पीछे चल देते हैं l
तापस और प्रतिभा कमिश्नर के साथ क्षेत्रपाल बाप बेटों के पास पहुंचते हैं l
प्रतिभा सबको नमस्कार करती है l तापस पहले नागेंद्र को नमस्कार करता है और भैरव सिंह के तरफ अपना हाथ मिलाने के लिए बढ़ाता है, पर भैरव सिंह हाथ मिलाने के वजाए अपने दोनों हाथ अपने जेब में रख कर वैसे ही खड़ा रहता है और तापस को अजीब सी नजरों से घूरता है l
कमिश्नर - अरे तापस... यह क्या कर रहे हो.... यह राजा साहब हैं.... वे सिर्फ अपने दोस्तों को छोड़ किसीसे हाथ नहीं मिलते हैं....
तापस - ओह सॉरी... राजा क्षेत्रपाल जी.... मुझे यह बात नहीं मालुम था...
कमिश्नर - राजा साहब जी.... यह हैं तापस सेनापति.... इन्हीं के जैल में वह विश्व कैद है.... और यह हैं प्रतिभा सेनापति जो विश्व को जैल के सलाखों के पीछे पहुंचाएगी..... यह हाई कोर्ट में सरकारी वकील हैं....
तापस - कमिश्नर साहब ने एक गलत बात कह दी..... विश्व मेरे जैल में नहीं है.... बल्कि सरकारी जैल में है... और उस जैल का मैं सरकारी पदाधिकारी हूँ....
भैरव - हूँ... तो मोहतरमा जी... क्या कमिश्नर ने आपका परिचय सटीक दिया है.... या आप भी कुछ कहेंगी....
प्रतिभा - जी नहीं राजा साहब.... मेरे बारे में कमिश्नर साहब ने सटीक बात कही है....
पिनाक - तो अब तक उस चोर के बारे में... क्या सोचा है...
प्रतिभा - सोचा है मतलब....
पिनाक - मेरा मतलब है.... क्या तैयारी की है आपने....
प्रतिभा - मैंने तो अपनी पूरी तैयारी कर ली है.... पर जब तक डिफेंस लॉयर केस नहीं सम्हालते तब तक कुछ कहना संभव नहीं है.....
भैरव - और जैलर... तुम बताओ... जैल में कैसा है विश्व...
भैरव सिंह जैसा अपरिचित व्यक्ति तापस को तुम कहना, तापस को बुरा लगा l
तापस - आज ही वह जैल पहुंचा है.... अब अगर सजा बढ़ी तो तब मालूम होगा उसका हाल चाल...
भैरव - ठीक है... आप दोनों दंपति से निवेदन है.... उस पर जरा भी रहम ना करें.... कानून के किताब में इस अपराध के लिए.... जितनी कड़ी से कड़ी सजा हो दिलवाईये.... हम आपके साथ हैं....
और तापस जैल के भीतर इतना खयाल रखना की जब वह राजगड़ में वापस आए तो भीख के लिए भी दर दर की ठोकरे खाता रहे....
तापस - अगर वह अदालत में... निर्दोष करार दिया गया... तो
भैरव - वह कभी निर्दोष करार नहीँ दिया जा सकता.... आप बस जैल में जितनी मेहनत करवा सकें तो कीजिए....
तापस - जी... मैं याद रखूँगा....

उधर जैल में रात के खाने की घंटी बजती है l जैल की इस रूटीन से बेख़बर विश्वा अपने सेल में लेटा हुआ है l कुछ देर बाद एक संत्री आता है और कहता है - नंबर 511....
विश्वा यह सुन कर उसके तरफ देखता है,
संत्री - रात के खाने का टाइम हो गया है... चलो खा कर आ जाओ...(इतना कह कर संत्री सेल की दरवाज़ा खोल देता है)
विश्वा बाहर निकल कर देखता है उसके बैरक में से कैदी निकल कर सब एक और जा रहे हैं l विश्वा भी उनके साथ हो लेता है l
एक बड़े से डायनिंग हॉल में सारे कैदी लाइन में लगे हुए हैं l बहुत से जिंक के डायनिंग टेबल पड़े हुए हैं l हर टेबल पर आठ लोगों की बैठने की व्यवस्था है l शायद पचास या साठ कैदी होंगे l सब खाना लेकर डायनिंग टेबल पर बैठ कर खा रहे हैं l विश्व भी लाइन में लग जाता है l अचानक उसे पीछे से धक्का लगता है तो विश्व आगे वाले कैदी से टकरा जाता है l आगे वाला कैदी पीछे मुड़ कर विश्व को घूर के देखता है l
विश्व - ज.. ज. जी म म माफ कर दीजिए... म म मुझे क क किसीने पीछे से धक्का दिया था...
वह कैदी विश्व के पीछे जितने खड़े थे उनको घूरता है l उनमें से एक कहता है - डैनी भाई... यह आज नवा नवा आया है... और झूठ बोल रहा है... इसीने आपको धक्का दिया.... और हम पर इल्ज़ाम लगा रहा है....
डैनी विश्व को गौर से देखता है और विश्व को अपने आगे खड़ा कर देता है l विश्व अपना थाली लेने के बाद एक खाली डायनिंग टेबल पर जा कर बैठ कर खाना शुरू करता है l कुछ देर बाद उसके टेबल पर डैनी अपना थाली लिए बैठता है l
विश्व - (डैनी को देखते हुए) धन्यबाद....
डैनी - वह किसलिए...
विश्व - वह आपने मेरा विश्वास किया... और उनसे तंग होने से बचाया इसलिए....
डैनी - देख बे... अखरोट... तु जिस तरह से हकलाया... मेरे को लगा ही था कि तुने जान बुझ कर मेरे को धक्का दिआ.... पर दुनिया देखी है मैंने.... मेरे को तेरे आँखों में मासूमियत और सच्चाई दिख गई... इसलिए तेरे को छोड़ दिआ.... समझा...
विश्व ने हाँ में अपना सर हिलाया l फिर दोनों खाना खतम कर अपना थाली धो कर डायनिंग हॉल में जमा कर चल दिए l विश्व अपने सेल की ओर जा रहा था कि उसे किसीने टंगड़ी मार दी l विश्व मुँह के बल गिर जाता है l तभी दो लोग उसके पीठ पर घुटना लगा कर बैठ जाते हैं और उसके दोनों हाथों को मोड़ कर कब्जा कर देते हैं l उनमें से एक विश्व के मुहँ पर हाथ रख देता है, ताकि विश्व चिल्ला ना पाए l एक और आदमी विश्व की पजामा के साथ लंगोट भी खिंच देता है और बोलता है,
- वाह क्या चिकना गांड है बे तेरी...
जो दो लोग उसे पकड़े हुए थे हंसने लगते हैं l
विश्व छटपटाने लगता है और चिल्लाने की कोशिश करता है l वे तीन लोग हंसते हैं l
- अरे घबरा मत.... आज तेरी गांड नहीं मारेंगे रे.... तु अपनी किए जुर्म के लिए बहुत लंबा जाने वाला है... मालुम है हम को... और हम पहले से ही लंबे हो कर पड़े हुए हैं...तु जब जैल से जाएगा तो तेरी रोज़गार की व्यवस्था हो जाएगा.... तुने राजा जी की मारने की सोची... और राजा साहब ने तेरी रोज मरवा ने के लिए हमें इस जैल में भिजवाया है... तु फ़िकर मत कर.... तु जब जैल से निकलेगा तो राजगड़ में गांडु महापात्र के नाम से जाना जाएगा....
फिर विश्व के गांड पर हाथ फेरते हुए - आह क्या चिकना गांड है... तेरी इतनी मारेंगे की तु जैल से निकल कर अपनी रोजी रोटी के लिए तेरे पास सिर्फ गांड मरवाना ही रह जाएगा पर कोई नहीं मारेगा... इतना चौड़ा कर देंगे....
सब मिलकर हंसते हैं फ़िर विश्व को अपने पिछवाड़े पर गरम पानी गिरता हुआ महसुस करता है l उस पानी की बदबू से विश्व समझ जाता है कि वह गरम पानी पेशाब है l फिर वह तीनों आदमी विश्व को वैसे ही हाल में छोड़ कर चले जाते हैं l विश्व अपना पजामा और लंगोट उठा कर नंगा ही अपने सेल की ओर बढ़ जाता है l सेल के बाहर संत्री उसे उस हालत में देख कर रोकता है और कहता है,
- छी... यह क्या... छी.. पेशाब कर दिए.... कितने गंदे हो तुम...
इतना कहकर संत्री विश्व को देखता है तो पाता है विश्व की आंखे व चेहरा आंसुओं से भीगे हुए हैं और अपमान से उसका चेहरा आग के मानिंद जलता हुआ लग रहा है l उसकी ऐसी हालत देख कर संत्री एक तरफ हट जाता है l विश्व अपने सेल के अंदर जा कर संढास में घुस जाता है और अपने ऊपर पानी डाल कर नहाता है l

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घर पर पहुंच कर तापस धप कर सोफ़े पर बैठता है l उसकी ऐसी हालत देख कर प्रतिभा भाग कर किचन जाती है और एक ग्लास पानी लाकर तापस को देती है l तापस पानी लेने से अपना सर हिला कर मना कर देता है l
प्रतिभा - क्या हुआ आपको....
तापस - जान... (प्रतिभा की और देखते हुए) कहीं हम अनजाने में किसी कंस्पिरेसी में मेरे मतलब है... की कहीं अनजाने में... अनचाहे किसी षड्यंत्र में शामिल तो नहीं हो रहे हैं.....
प्रतिभा - (टी पोए पर ग्लास रखते हुए) आप ऐसा क्यूँ सोच रहे हैं....
तापस - जान एक साधारण आदमी के लिए... सात सौ पचास करोड़ बहुत होते हैं... पर भारत में इससे कई गुना पैसों की हेरा फेरी हुई है.... पर इस केस को जिस तरह से उछाला जा रहा है... प्रशासन और राजनयिक गलियारों में बड़े बड़े दिग्गज जिस तरह से इस केस में इंट्रेस्ट ले रहे हैं.... और जिस तरह से घड़ी घड़ी मीडिया ट्रायल हो रहा है.... मेरे कानों में वैदेही की वह बात रह रह गूंज रही है... के कुछ सफ़ेद पोश लोगों ने मिलकर विश्व को फंसाया है... कहीं अगर विश्व को सजा हो गई और कुछ सालों बाद हमे मालूम पड़ा के विश्व निर्दोष था.... तब हम पर क्या गुजरेगा....
प्रतिभा - हो गया.... सेनापति जी.... आपने वहाँ पर सुना ना... तीन महीने पहले से ही राज्य सरकार जे तरफ से एस आई टी का गठन किया जा चुका था..... और सारे एजेंसी ने विश्व को दोषी पाया है.... हम शक़ करें तो किस पर... किसकी मंशा पर सवाल उठाएं... वैसे भी मैं विश्व के खिलाफ़ सरकारी वकील मुक़र्रर हुई हूँ... और अब मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूँ.... वह दोषी है.... और मैं कोशिश भी करूंगी उसे कठोर से कठोर सजा दी जाए....
तापस - तुम्हारी नजरिए से तुम सही हो... पर सोचो.... गिरफ्तारी हुई, सरकार ने इसे गम्भीरता लीआ है.... ऐसा मीडिया में आया.... पर एस आई टी के बारे आज अटॉर्नी जनरल ने बताया.... पर पब्लिकली नहीं....
प्रतिभा - यह उन लोगों की स्ट्रैटिजी हो..... खैर... हमे क्या... आई एम डैम श्योर... विश्व प्रताप महापात्र हंड्रेड पर्सेंट गिल्टी एंड विल बी कंविक्टेड शुन एट कोर्ट
Super update bro..biswa aur baidehi ko apni badla jarur lena hoga khetrapal see.
👉उन्नीसवां अपडेट
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सुबह सुबह का वकिंग खतम कर तापस अपने क्वार्टर में आता है l बैठक में सोफ़े पर बैठते हुए टीवी ऑन करता है l ताजा खबर जानने के लिए न्यूज चैनल लगाता है,
ब्रेकिंग न्यूज -
"जैसे ही कल क्षेत्रपाल परिवार का आगमन भुवनेश्वर में हुआ था, उससे राजनीतिक गलियारों में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे थे, कल देर रात सभी कयासों में विराम लग गया और नए सम्भावनाओं को जन्म देने लगा है...
कल अचानक से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्री ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी जो राज्य के जनता मध्य ओ. आई. सी. नाम से परिचित हैं,वह अपने नीवास भवन में देर रात को अपनी पार्टी में श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल के योगदान की घोषणा कर सबको चौंका दिया....
श्री चेट्टी ने कहा कि छोटे राजा जी के पार्टी में आने से पार्टी ना सिर्फ़ बहुत मजबूत हुई है.... बल्कि अब राज्य में उनकी पार्टी अजय हो गई है....
इस संदर्भ में हमारे संवाददाता ने राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से लोकप्रिय श्री क्षेत्रपाल जी से वार्तालाप की....
रिपोर्टर - आज हमारे साथ हैं, राज्य के जन मानस में छोटे राजा जी के नाम से सुपरिचित आदरणीय श्री पिनाक सिंह क्षेत्रपाल जी.... हाँ तो छोटे राजा जी... आज आप सपरिवार अटॉर्नी जनरल जी के यहाँ आये थे.... और खबर यह थी कि राज्य में हुई मनरेगा योजना में पैसों की हेर-फेर पर तुरंत कारवाई के लिए कानूनी राह पर बात चित करने.... पर अचानक से आपका राजनीति में आना वह भी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री जी के द्वारा घोषणा किए जाना सबको चौंका दिया आपने....
पिनाक - हा हा हा हा.... देखिए इसमें चौंकाने वाली क्या बात है.... हम राज परिवार से हैं.... और राजनीति हमारे खुन में दौड़ती है....
रिपोर्टर - हाँ... इसमें कोई शक़ नहीं है.... पर अबतक राज्य की राजनीति में.... क्षेत्रपाल परिवार किंग् मेकर की भूमिका में थी... अब आपकी कैसी भूमिका रहेगी....
पिनाक - देखिए.... आज अगर हम सक्रिय राजनीति में होते... तो निःसंदेह हमारे ही क्षेत्र में कभी मनरेगा कांड ना हुआ होता.... रही आने वाली समय में.... तो हम सबको आश्वस्त करना चाहते हैं.... हम एक साधारण कार्यकर्त्ता की तरह जनता और पार्टी की सेवा करने आए हैं....
रिपोर्टर - छोटे राजा जी.... सुना है आपकी अगली पीढ़ी भी अब राजनीति में आपनी योगदान देने वाली है....
पिनाक - कल क्या होगा यह कल पर ही छोड़ दें...... (इतना कह कर पिनाक सिंह मुड़ कर चला जाता है)
रिपोर्टर - तो यह थे छोटे राजा जी.... कैमरा मैन अभिजीत के साथ...

तापस टीवी बंद कर देता है l इतने में प्रत्युष तैयार हो कर अंदर आता है...
प्रत्युष - डैड... आपने टीवी क्यूँ बंद कर दिया....
तापस - मुझे सुबह सुबह.. यह पोलिटिकल न्यूज दिमाग खराब कर देती हैं....
प्रत्युष - पर टीवी पर हमारे हॉस्पिटल मैनेजमेंट के चेयरमैन ओंकार ईश्वरचंद्र चेट्टी जी आ रहे थे.... और आप तो जानते हैं.... वह स्टेट के हेल्थ मिनिस्टर भी हैं...
तापस - तो....
प्रत्युष - डैड... आपको पूरा न्यूज देखना चाहिए था....
तापस - हाँ तो.... कहाँ मैंने आधा अधूरा देखा है....
प्रत्युष - अधूरा ही तो है....
तापस - अच्छा... मैंने जो न्यूज देखा... वह अधूरा है.... आप जो सूरज सर पर होने के बाद उठते हैं.... पूरा न्यूज जानते हैं....
प्रत्युष - (अपना मुहँ बना कर) डैड.. आप अपने कपड़े देखिए.... और मेरे कपड़े देखिए.... यह मेरे घर से बाहर जाने के कपड़े हैं... और आपके अंदर....
तापस - (प्रत्युष को घूरते हुए) मेरा कभी कभी मन करता है... तेरा कान खिंचु... मन भरने तक कुटाई करूँ....
प्रत्युष - मुझे मालुम था.... आप मुझसे जलते हैं... क्यूंकि मैं आपसे ज्यादा इंटेलिजेंट हूँ....
तापस - (उसे घूरते हुए) अच्छा अब पूरी खबर बता....
प्रत्युष - डैड.... पूरी खबर यह है कि.... कल स्वास्थ मंत्री जी के पास... क्षेत्रपाल जी अपने प्रांत के लिए सारी सुविधाओं से लैस उनके हॉस्पिटल चैन निरोग का एक ब्रांच हस्पताल का प्रस्ताव लेकर गए थे..... उनके प्रस्ताव सहसा श्री स्वस्थ्य मंत्री ने स्वीकार किया और उन्हें राजनीति में आने के लिए आमंत्रण दिया...... ताकि हस्पताल का काम उनके देख रेख में पूरा हो.... कोई मनरेगा जैसा कांड न हो..... जिसे सुन कर श्री क्षेत्रपाल जी ने भी सहसा स्वीकार किया.... यह है पूरा न्यूज...
तापस - ओ.. अच्छा अच्छा... तो अब आप डॉक्टरी के साथ साथ रिपोर्टरी भी करने लगे हो...
प्रत्युष - यह ताना था... या तारीफ़.... खैर जो भी हो... एक पिता दे और बेटा ना ले.... यह हो नहीं सकता....
तापस - प्रतिभा.....
प्रतिभा - (चाय का प्याला लाकर) क्या हुआ...
तापस - अपने लाडले को जल्दी से नाश्ता देकर विदा करो... तब से मेरा दिमाग खा रहा है...
प्रतिभा - (प्रत्युष को आँखे दिखा कर) कितनी बार कहा है.... कुछ ढंग का खाया कर.... सुबह सुबह इनके कैलरी लेस दिमाग खाएगा तो एनर्जी कहाँ से लाएगा....
तापस प्रतिभा को घूर कर देखता है पर चुप रहता है, उसे यूँ चुप देख कर प्रतिभा मुस्करा कर प्रत्युष को इशारे से बाहर जाने को कहती है l प्रत्युष भी अपनी हंसी दबाये बिना शोर शराबे के चुपके से बाहर निकल जाता है l उसके जाते ही.,
प्रतिभा - क्या बात है सेनापति जी.... कल रात से आप कुछ कंफ्यूजड हैं....
तापस - हाँ.... यह क्षेत्रपाल परिवार का अचानक राजनीति में आना.... वह भी तब... जब उनके क्षेत्र में एक बहुत ही बड़ा करप्शन हुआ है...
प्रतिभा - (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) देखिए... फ़िलहाल.... मैं इस पर कुछ भी डिबेट करना नहीं चाहती.... क्यूंकि आपकी सुई फ़िर वहीँ पर अटक जाएगी.... और मेरा दिन और दिमाग दोनों खराब हो जाएगी....आप बेशक पुलिस वाले हैं पर फील्ड में नहीं हैं.... जैल सुपरिटेंडेंट हैं.... अब आप से मैं बस इतना ही कहना चाहती हूँ .... वक्त सबका ज़वाब दे देगा....
तापस - हूँ... तुम... सही कह रही हो... अब वक्त ही ज़वाब देगा...

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कैदी नंबर 511.... यह सुन कर विश्व सेल के बाहर देखता है l एक नया संत्री था l
संत्री - तुम्हारा पैर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है.... क्या तुम रंजन को खाना बनाने में मदद करोगे....
विश्व - जी बिलकुल....

संत्री सेल की दरवाजा खोल देता है l
संत्री - आओ फ़िर...

विश्व संत्री के साथ जैल के रसोई में आता है l वहाँ के मुख्य रसोईया रंजन कुछ क़ैदियों के मदद से सब्जियाँ कटवा रहा था l रंजन विश्व को देखता है और पूछता है,
रंजन - हाँ तो विश्व.... क्या तुम्हें इस तरह के काम की आदत है...
विश्व - आपको... मेरा नाम...
रंजन - आरे भाई.... तुम सिर्फ इस जैल में ही नहीं.... पूरे राज्य में मशहूर हो चुके हो.... और तुम्हारे आते ही... सब यहां पर तुम्हारे बारे में काना फुंसी कर के ही सब तुम्हारे बारे में मालूम कर चुके हैं......
विश्व चुप रहता है l रंजन विश्व के हाथ में एक छुरी देता है और एक बड़े से टोकरी भर सब्जी दे कर काटने को इशारा करता है l विश्व पहले कटे हुए सब्जियों को देखता है l फिर विश्व सब्जियां काटना शुरू करता है l सिर्फ पैंतीस मिनट में सारे सब्जियां काट कर रंजन के हवाले कर देता है l रंजन, संत्री और दूसरे कैदी जो उसे अब तक देख रहे थे सबका मुहं हैरानी से खुला रह जाता है l
रंजन - तुमने सब्जियां इतनी जल्दी काट दी.... क्या तुम्हें इसकी पहले आदत है...
विश्व - मेहनती हूँ... ऐसे कामों में अभिज्ञ हूँ..
इतना कह कर विश्व वापस जाता है l रास्ते में फ़िर से कुछ कैदी विश्व पर तंग कसते हैं l
एक - सुना है... लंगड़ा अपना पिछवाड़ा किसीके मूत से साफ किया...
दूसरा - क्यूँ भई.... क्या हमारे यहाँ पानी खतम हो गया है...
तीसरा - ना ना... अपना पिछवाड़ा के उद्घाटन की तैयारी कर रहा था...
सब हंसते हैं l विश्व थोड़ा जोर से चलने लगता है l पीछे से आवाज़ आती है "ऑए लंगड़े भाग ना जैयो..." विश्व और जोर से चलने लगता है l तभी विश्व को एक आवाज आता है "ऑए गांडु महापात्र".... यह सुनते ही विश्व रुक जाता है और पीछे गुस्से से मुड़ कर देखता है l सब ताली मार कर ठहाका लगाते हैं l उनमें से एक कहता है - देखा मैंने बुलाया... उसे सुन कर वह रुक गया.... लौडा वाला मजनू बुलाये और गांडु लैला महापात्र ना रुके... ऐसा हो ही नहीं सकता....
सब और जोर से ठहाका लगा कर हंसते हैं l विश्व अपमानित महसूस करता है, उसकी आँखों में आंसू छलक जाता है l वहाँ से जल्दी से जल्दी चला जाना चाहता है,
विश्व अपने बैरक की करिडर में पहुंचा ही था के वे चार कैदी उसके पीछे पीछे पहुंच जाते हैं l एक उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है l
एक - क्यूँ बे.... गांडु लैला... तेरा मजनूं बुला रहा है... साले हरामी.. गांड मटका कर किससे मरवाने भाग रहा था बे....
विश्व का चेहरा लाल हो जाता है और उसे गुस्से से देखने लगता है l
एक - उइ माँ... मैं तो डर गया.... अरे भाई लोग... गौर से देखो इस गांडु को... यह लैला अपने मजनूं को आंख दिखा रहा है....
दूसरा - पता नहीं रंगा भाई... पर मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है.... यह आपको आँख नहीं दिखा रहा है.... बल्कि इशारे से किसी अंधेरे कोने में बुला रहा है.....
सब ठहाका मार कर हंसने लगते हैं l
तभी व्हिसिल की आवाज़ सुनाई देती है l तो सब विश्व से थोड़ी दूर जा कर खड़े हो जाते हैं l थोड़ी देर बाद वहाँ पर तापस कुछ संत्रीयों के साथ पहुंचता है l रंगा और उसके साथियों के पास आकर रुक जाता है l
तापस - तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो...
रंगा - वह... अपना यार आया है... तो जान पहचान बना रहे थे...
तापस - क्यूँ इससे पहले भी जान पहचान है क्या तुम्हारा....
रंगा - जी नहीं.... हम तो महीने भर से यहाँ आए हैं... यह नया नया आया है... तो दोस्त बनाने आए थे...
तापस - ओके... तुम लोग... निकलो यहाँ से...
रंगा - ओके... सर... बाय... विश्व... बाय... बाद में मिलते हैं...

इतना कह कर अपने साथियों के साथ वहाँ से चला जाता है l तापस विश्व को इशारे से अपने सेल की ओर जाने को कहता है l विश्व अपने सेल के भीतर पहुंच कर रंगा के बारे में सोचने लगता है l
"क्षेत्रपाल अब जैल में इसके मदद से... मुझे जलील करने की ठानी है..... इसका नाम रंगा है.... मुझे कुछ ना कुछ करना ही होगा.... मगर क्या.... मैं क्या कर सकता हूँ... अगर उसने मेरे साथ कुछ भी गलत करने की कोशिश की.... तो... तो मैं उसे जान से मार दूँगा....हाँ मार दूँगा.... मगर कैसे... वह मुझसे अकेला नहीं लड़ेगा... और मैं इतना ताकतवर हूँ नहीं के चार चार से भीड़ जाऊँ..... पता नहीं अब मुझे क्या क्या सहना होगा.... आह... नहीं नहीं नहीं....
क्षेत्रपाल महल में मेरे साथ जो हुआ वह आखरी बार था.... अब कोई भी मुझे जलील नहीं कर सकता.... मुझे कुछ करना होगा.... हाँ कुछ करना होगा...
ऐसे सोचते सोचते दोपहर हो जाती है l जैल में खाने के लिए इकट्ठा होने के लिए बेल बजती है l संत्री आकर सेल का दरवाज़ा भी खोल देता है l पर विश्व अपने में खोया हुआ है, उसे संत्री का दरवाज़ा खोलना या खाने की बेल बजना कुछ होश नहीं l
संत्री सेल के दरवाजे पर अपनी लाठी से ठोकता है, जिसकी आवाज़ भी विश्व को सोच से बाहर ना निकाल पाई l
संत्री - ऐ... 511... आज तेरा उपवास है क्या... खाना खाने नहीं जाना है क्या....
विश्व उसे देखता है और अपनी जगह से उठ कर बाहर निकालता है l विश्व धीरे धीरे डायनिंग हॉल की ओर बढ़ता है l रास्ते में रंगा और उसके साथी विश्व को छेड़ते हुए पीछे लग जाते हैं l विश्व उनसे दूर जाने की कोशिश करता है, पर फिरभी वे लोग विश्व को आजू बाजू घेर लेते हैं और विश्व सुन सके ऐसे -"गांडु लैला... कब लेगा तेरे मजनूं का केला" कह कर हाथ उसे लगाने की कोशिश करते हैं l विश्व अपना थाली लेकर नजर घुमाता है, उसे एक टेबल पर डैनी दिख जाता है l विश्व उस टेबल पर आकर बैठ जाता है l डैनी उसे देखकर मुस्कराता है l
डैनी - हाँ तो विश्व... कैसी कटी तेरी रात...
विश्व - (अपना चेहरा झुका कर खाना खाते हुए) जी अच्छी...
डैनी - हा हा हा क्यों बे ... वह रंगा तेरा पिछवाड़ा भिगो दिया तो तुझे इतना अच्छा लगा.....
विश्व के गले में निवाला अटक जाता है और वह खांसने लगता है l डैनी उसे पानी का ग्लास देता है l
डैनी - ले.... पि... ले...
विश्व पानी की एक घूंट पिता है, और उसके आंखों में आंसू निकल आते हैं l
डैनी - सुन.. विश्व.... यह दुनिया बहुत बेरहम है... इतना बेरहम के तुम सोच भी नहीं सकता....
विश्व अपनी आंखों में पानी लिए डैनी की तरफ देखता है l डैनी विश्व को देखे बगैर खाना खा रहा है l
डैनी - तेरे को इन डेढ़ दिनों में एक बात मालूम हो गया ना .... के इस जैल में कोई मुझसे पंगा लेने की कोशिश भी नहीं कर रहा.... इसी लिए तुने अपनी थाली ले कर यहाँ मेरे पास बैठ गया.... थोडे समय के लिए... उनसे बचने के लिए अच्छा तरीका है..... पर कब तक.....
विश्व डैनी को गौर से देखने लगा, पर डैनी उसके चेहरे पर आए भाव को नजर अंदाज करते हुए अपना खाना खा रहा है l
डैनी - कब तक... कल अगर मैं यहाँ नहीं रहा तो..... तब तु उनसे कैसे बचेगा..... क्या सुपरिटेंडेंट के पास शिकायत ले कर जाएगा...
विश्व अपना सर झुका कर मौन रहता है l
डैनी - जाएगा तो भी... क्या शिकायत करेगा.....
विश्व - मैं क्या करूं....
डैनी - यह मैं कैसे कह सकता हूँ.... प्रॉब्लम तेरा है... तेरे को ही शॉल्व करना है....
विश्व के आंखों में फ़िर से आँसू आ जाते हैं l
डैनी - बी अ मैन विश्व.... बी अ मैन.... आँसू बुजदिली की निशानी है... तु तो अपने इलाके के सबसे ताकतवर आदमी से भीड़ गया था...... उसके आगे यह रंगा किस खेत का मूली है.....
विश्व की आंखे फैल जाती है l वह हैरानी से अपने सामने बैठे आदमी को देखने लगता है l
डैनी - तुम मेरे बारे में जानते नहीं हो.... इसलिए मेरे साथ मेरे सामने बैठे हुए हो.... वह जो जानते हैं... वे सब मुझसे दूर बैठते हैं....देख लो..
विश्व डायनिंग हॉल के चारो तरफ नजर दौड़ाता है l वह देखता है कि हर टेबल पर पांच से लेकर आठ लोग बैठे हुए हैं, पर वह खुद जिस टेबल पर बैठा हुआ है वहाँ पर सिर्फ़ वह और डैनी ही बैठे हुए हैं l
विश्व - आपको मेरे बारे में... कैसे... मेरा मतलब है... जो पुलिस भी नहीं जानती... वह आप....
डैनी - (मुस्कराते हुए) मेरे अपने सोर्सेस हैं... कल तु जैल में आया बेशक... पर तेरे चर्चे कई दिनों से पूरे राज्य में हो रहे हैं.... इसलिए तुझे देखने की बड़ी ख्वाहिश थी... जैसे ही देखा तो तुरंत समझ गया... मैं एक बकरे को देख रहा हूँ.....
विश्व - काश... कानून को मानने व पालने वालों की भी नजर आप जैसी होती.....
डैनी - हा हा हा... मैं जुर्म की दुनिया का मंज़ा हुआ खिलाड़ी हूँ.... मैं जुर्म और मुज़रिम को सूँघ लेता हूँ.... देखते ही पहचान लेता हूँ...
विश्व अपने सामने बैठे उस शख्स को देख कर हैरान रह जाता है l
विश्व - आपने बताया नहीं... आपको कैसे मालुम हुआ... मेरे बारे में...
डैनी - कहा ना... मेरे अपने सोर्सेस हैं... अब तु बता.... तु उस रंगा से डरता क्यूँ है...
विश्व - मैं डरता नहीं हूँ... पर उनसे जीत भी नहीं सकता हूँ... वे चार हैं और मैं अकेला....
डैनी - सोच... अगर रंगा ने जो कहा है कि... उसने कर दिखाया... तो...
विश्व अपने मुट्ठीयों को भींच कर जवड़े कस लेता है l
विश्व - ऐसा करने की कोशिश की... तो मार डालूंगा.... सबको मार डालूंगा....
डैनी - तेरे दुश्मन भी शायद यही चाहते हैं..... तेरे ऊपर जितने चार्जेस लगे हुए हैं.... उसमें कुछ और जुड़ जाएंगे.... इस तरह से.... तु कभी इस जैल से निकल नहीं पाएगा.....
विश्व - तो मैं क्या करूं.... आप आप यह कैसे जानते हैं....
डैनी - तु कितने उम्र का है...
विश्व - जी अभी कुछ दिनों में बाइस का होने वाला हूँ...
डैनी - मैं तुझसे दुगने उम्र से भी एक साल बड़ा हूँ... एकसपेरियंस... अनुभव...
विश्व - तो मुझे क्या करना चाहिए....
डैनी - यह तु जाने.... मैं सिर्फ तेरे को आगाह कर रहा हूँ....
विश्व बेबसी से अपना हाथ मल रहा है l
डैनी - देखो विश्व.... यह जैल है... और यहाँ चार्ल्स डार्विन की थ्योरी ही काम आती है...
विश्व डैनी के चेहरे को सवालिया दृष्टि से देखता है l
डैनी - सरवाइवल ऑफ द फिटेस्ट...
विश्व कुछ समझ नहीं पाता
डैनी - यह प्रकृति का नियम है... यहाँ वही टिक सकता है... जो अपनी हालातों से जुझ सकता है... और यहाँ वही राज कर सकता है... जो हालातों को अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ सकता है....
विश्व उसकी बातों पर गौर करता है और समझने की कोशिश में अपना सर हाँ में हिलाता है l
डैनी - यहाँ जंगल राज है... जंगल में शेर बेशक जंगली सुवर का शिकार करता है.... पर कभी कभी सुवर की पलट वार से शेर भी ढेर हो जाता है.... और जिस दिन जंगल में शेर, सुवर से हार जाता है.... उस दिन जंगल में शेर जीते जी मर जाता है....
अब विश्व अपने अंदर में एक ऊर्जा को मेहसूस करता है, उसके चेहरे पर दर्द नहीं दिखता,एक अलग भाव दिखता है l जिसे देखकर डैनी के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ जाती है l
डैनी - वह जिस तरह से तुझ पर नजर रख रहे हैं... तु भी उन पर अपने तरीके से नजर रख..... खुद को सब के साथ सबके पास रखो.... वे लोग तुम्हें अकेले में धर ने की कोशिश करेंगे.... तुझे छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगे.... तुझे उकसाने की कोशिश करेंगे... पर तु रियाक्ट मत हो जाना... जितना हो सके उनको उस मौके से महरूम रख..... फिर अपना दाव लगा.... मगर ध्यान रहे... तुझे किसीकी नजर में नहीं आना है... वरना कुछ और धाराएं तेरे पर लग जाएंगी... और तु जैल और अदालत के चक्कर काटते रह जाएगा.....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना खाली थाली लेकर निकल जाता है l विश्व उसे जाते देखता है l फिर विश्व अपना खाना खतम करता है और थाली साफ कर वहाँ जमा कर वापस अपने बैरक की और चला जाता है l जैसे कि अंदेशा था वे लोग विश्व के पीछे आते हैं और तंज कसने लग जाते हैं l
रंगा - अबे पंटरों... मैंने कुछ दिन पहले एक फिलम देखी थी....
एक - कौनसी फिलम रंगा भाई.....
रंगा - अबे... उस फिलम नाम था "तेरे मेरे सपने".... उसमें एक गाना था... आँख मारे वह लड़की आँख मारे...
दूसरा - वाह.. रंगा भाई... वाह..
रंगा - अबे... इसमे... वाह वाली क्या बात है.... इसकी रीमिक्स जब गांडु गायेगा... उस पर तुम लोग वाह वाह करना....
एक - वह गाना क्या होगा.... रंगा भाई...
रंगा - गांड मारे... रंगा मेरा गांड मारे... थूक लगाए... बिन कॉन्डोम के मारे...
अब सब रंगा के साथ मिलकर जोर जोर से गाने लग जाते हैं l
विश्व सुन कर गुस्सा तो होता है पर उसे डैनी की कही बातेँ याद आती है, विश्व अब उन पर ध्यान हटाता है और सीधे अपने सेल में चला जाता है l ऐसे ही दोपहर बीत जाता है और शाम को जैल में राउंड लगाते हुए तापस जब वहाँ पहुंचता है l
विश्व - सर...
तापस - हाँ बोलो विश्व...
विश्व - सर सुबह मैं सिर्फ सब्जी काटने गया था.... क्या और कोई काम है जिसे करना चाहिए.... मेहनत वाला... वरना नींद नहीं आएगी....
तापस - है तो... पर तुम अभी... एक्युसड हो... तुम्हें सजा नहीं सुनाई गई है...
विश्व - सर... उसकी कोई आवश्यकता नहीं... मैं बस शरीर थकने तक काम करना चाहता हूँ...
तापस - पर तुम्हारा एक पैर...
विश्व - सर... मांस पेशी में खिंचाव है... वह भी कुछ दिन में ठीक हो जाएगा...
तापस - दास.... कल ऐसा कुछ काम है क्या...
दास - जी सर... अगर विश्व चाहे तो... कल सारे चादर और कंबल धोए जाएंगे...
विश्व - ठीक है सर.... मुझे मंजूर है... प्लीज...
तापस - ठीक है... दास कल इसे एनगैज कराना तुम्हारे जिम्मे...
दास - ओके सर....
फिर तापस और दूसरे अधिकारी वहाँ से चले जाते हैं l विश्व अपने सेल में बिछाए अपने बिस्तर पर एक संतुष्टि के भाव लिए बैठ कर सोचने लगता है l

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अगले दिन सुबह विश्व अपनी सेल में जल्दी तैयार हो जाता है l कुछ देर बाद नाश्ता करने डायनिंग हॉल में पहुँच जाता है l सब जो पिछले दो दिन से विश्व को देख रहे हैं, उन्हें आज विश्व के चेहरे पर कुछ अलग ही भाव दिख रहा है l रंगा और उसके पंटर भी हैरान हैं l दो दिन से किसी हारा हुआ, बिखरा हुआ लगने वाला विश्व में आज बॉडी लैंग्वेज कुछ और बयान कर रहा है l
आज विश्व दूसरों से बात करने की कोशिश भी कर रहा है l
विश्व जल्दी अपना नाश्ता खतम करता है और ऑफिस में पहुंचता है l ऑफिस के पास संत्री उसे रोक देता है l
विश्व - वो कल ASI जी ने बुलाया था....
संत्री - ठीक है... रुको यहाँ... मैं पूछ कर आता हूँ....
संत्री अंदर जाता है और थोड़ी देर बाद बाहर आकर विश्व को अंदर जाने को कहता है l विश्व अंदर जाता है और पूछते हुए ASI दास के पास पहुंचता है l
दास - आओ विश्व आओ...
इतना कह कर दास बेल बजाता है l एक आदमी जैल के पोशाक में आता है l
दास - बालू... यह है विश्व... इन्हें आज ले जाओ... आज जो चादर और कंबल धुलेंगे... इन्हें भी सामिल करो... यह तुम्हारे हाथ बटायेंगे...
बालू - जी सर... आओ... विश्व...
विश्व बालू के साथ निकल जाता है...
उधर रंगा और उसके साथी बैठे हुए हैं l रंगा के साथी रंगा से,
एक - भाई.. यह चिकना रात को कौनसी घुट्टी पि ली थी... साला आज कुछ अलग ही दिख रहा था....
रंगा - लगता है... उस डैनी ने कुछ बोला है उसको.... पर डैनी भी यहाँ के नियम से वाकिफ़ है.... "यहाँ कोई किसी दूसरे के फटे में टांग नहीं घुसाता"
दूसरा - वही तो...
रंगा - देखते हैं... आज शाम को मिलेगा तो सही... वैसे भी अपने पास... टाइम बहुत है... सुनवाई के कुछ दिन पहले.... मेरे को इस हरामी की गांड मारनी है...
एक - कोई नहीं रंगा भाई... उद्घाटन आप करना... हम लाइन देंगे....
सब हंसने लगते हैं
दोपहर के बाद खाने के समय विश्व खाने की थाली लेकर फिर से डैनी के बैठे हुए टेबल पर पहुंच जाता है l
डैनी उसे मुस्कराते हुए देखता है l ज़वाब में विश्व भी मुस्कराता है l
डैनी - ह्म्म्म्म... बहुत जल्दी सीख रहे हो.... और खुदको हालात में ढाल भी रहे हो...
विश्व - यह सब आपके... हौसला अफजाई के वजह से.....
डैनी - मैंने कुछ नहीं कहा है.... सिर्फ़ आगाह किया था...
विश्व - फिरभी... मैं हर तरह के आघात सह सकता था.... पर....
विश्व कुछ कह नहीं पाता चुप हो जाता है l डैनी उसे देखता है और अपना सर हिलाता है l
डैनी - बलात्कार....
विश्व के गले में निवाला फ़िर से अटक जाता है l डैनी विश्व को पानी की ग्लास देता है l विश्व पानी पीने के बाद फ़िर से खाना चालू करता है l
डैनी - जानता है... किसीको... आत्मा से तोड़ने के लिए... बलात्कार एक अचूक हथियार है....
विश्व - हाँ... आप सही कह रहे हैं....
डैनी - किसी औरत की बलात्कार.... उस औरत की वज़ूद व अस्तित्व को इतना हिला कर रख देती है... की.... उसमें जीने की चाह को खतम कर देती है....
विश्व - (आवाज़ थर्रा जाती है) जानता हूँ... (आँखे भीग जाती हैं)
डैनी - (उसे देखते हुए) मर्द के भी फिलिंगस भी अलग नहीं हो सकता... उस घिनौना सच से...
(दोनों के बीच कुछ देर के लिए ख़ामोशी छा जाती है) तेरे अंदर के मर्द को हमेशा के लिए खतम करने के लिए..... तेरे दुश्मनों की यह अचूक चाल है... अब उन्होंने तेरे को तोड़ने के लिए जिन् लोगों को हथियार बनाए हैं.... उन्हें तु तोड़.... मगर किसीके नजर में आए बगैर....
विश्व - कैसे.....
डैनी - देख... यहाँ अगर टिकना है... तो तुझे खुद के लिए सोचना होगा.... रिमेंबर... ऑलवेज फाइट यु योर वोन बैटल....
इतना कह कर डैनी वहाँ से अपना थाली उठाए धोने चला जाता है l उसके जाते ही विश्व भी अपना खाना खतम करता है और थाली जमा करने के बाद अपने सेल में आकर आराम करते करते सोच में डूब जाता है l

***दस दिन बाद***

रात के डिनर के लिए तापस और प्रत्युष दोनों अपने डायनिंग टेबल पर बैठे हुए हैं, प्रतिभा उन दोनों को खाना परोस रही है कि कॉलिंग बेल बजने लगती है l

तापस - ओ... हो.... यह खाने के समय में कौन मरा जा रहा है....(कह कर उठने को होता है, कि प्रतिभा उसे वापस बिठा देती है)
प्रतिभा - आप खाना खाइए.... बीच खाने से मत उठिए.... मैं देखती हूँ... कौन है....
प्रतिभा दरवाजा खोलती है तो सामने जगन को खड़ा हुआ पति है l जगन कुछ कहने को होता है,
प्रतिभा - नहीं.. नहीं... बिल्कुल नहीं... देखो जगन माना के तुम सेनापति जी के अर्दली हो.... पर ऑफिस में... यहाँ पर भी अर्दली बनने की कोशिश ना करो.... मैं यहाँ अपने परिवार की देखभाल कर सकती हूँ... और घर के बाकी काम भी... पर तुम जिद करते हो इसलिए कभी कभी घर में कुछ काम करने देती हूँ.... पर खाना बनाने नहीं दे सकती तुम्हें.... हाँ अगर खाना चाहो तो.... सेनापति जी के बगल में बैठ जाओ... मैं खाना लगा दूंगी....
तापस - अरे भाग्यवान... उसे पहले कुछ कहने तो दो... हाँ.. जगन.. बोलो... कैसे आना हुआ...
जगन - सर.. वह...
तापस - हाँ हाँ... बोलो... कुछ गडबड तो नहीं हो गया...
जगन - सर... हाँ...
तापस - क्या हुआ है...
जगन - सर... वह.. रंगा को हस्पताल ले जाया गया है....
तापस - व्हाट... क्या हुआ उसे..
जगन - सर... उस पर हमला हुआ है... लहू-लुहान हो कर पड़ा हुआ था.... तो नाइट् ड्यूटी पर सतपाथी जी थे उन्होंने एम्बुलेंस बुलाकर उसे कैपिटल हस्पताल में भेज दिया है.....
तापस - व्हाट.... यह कब हुआ..... और मुझे फोन क्यूँ नहीं किया गया....
जगन - सर... सब परेशान थे... किसी तरह रंगा को हस्पताल पहुंचाने के लिए... उसके बाद आपको लैंडलाइन पर इन्फॉर्म करने की कोशिश की गई... पर लैंडलाइन एंगेज आ रहा था....
तापस और प्रतिभा यह सुन कर दोनों प्रत्युष को देखने लगते हैं l प्रत्युष अपना जीभ दांतों तले दबा कर अपने कमरे को ओर भाग जाता है l
तापस - (जगन को देखते हुए) क्यूँ... मोबाइल पर भी तो इन्फॉर्म कर सकते थे.....
जगन - बहुत बार किया गया.... पर आपने उठाया नहीं....
यह सुन कर तापस अपना मोबाइल ढूंढने लगता है l फिर उसे मोबाइल सोफ़े पर कुशन के नीचे मिलता है l तापस मोबाइल चेक करता है
तापस - ओह माय गॉड... बत्तीस मिस कॉल.... अरे यह क्या... फोन म्यूट है.... प्रतिभा.... मैं जगन के साथ हस्पताल जा रहा हूँ.... आकर खाना खा लूँगा....
इतना कह कर उन्हीं कैजुअल कपड़ों में ही जगन के साथ कैपिटल हॉस्पिटल को निकल जाता है l इधर प्रतिभा सिर्फ़ प्रत्युष के प्लेट को छोड़ कर सारे प्लेटस् उठा लेती है l
उधर हस्पताल में ऑपरेशन थिएटर के सामने दास, सतपाथी और कुछ स्टाफ खड़े थे l वहाँ पहुँच कर
तापस - सॉरी सतपाथी... फॉर बीइंग लेट...
सतपाथी - इटस् ओके सर.... प्रॉब्लम वाज देयर, बट नथींग सिरीयस....
तापस - ओके.... कैन.. एनी बॉडी एक्सप्लेन....
दास - सर.... मै... आइ....
तापस - (हाँ में अपना सर हिलाकर) ह्म्म्म्म कहो....
दास - सर... कुछ लोग ताक में रहते हैं... की किसी और की मैदान मारने की.... वैसे लोग जल्दबाजी में अपनी ही मैदान मरवा लेते हैं....
तापस - व्हाट.... समझ में आए.. ऐसे बोलो.... किसने रंगा की हालत ऐसे की...
दास - कोई नहीं जानता.... यहाँ तक रंगा भी नहीं जानता.....
तापस - तुम मुझे एक्सप्लेन कर रहे हो... या कन्फ्यूज कर रहे हो....
दास - सर.... इसकी... मेरा मतलब रंगा की एक आदत है.... रात के खाने के बाद..... दो मिनट के लिए गांजा फुंकता है....
तापस - व्हाट.... हमारे जैल में गांजा.... उसके पास.... कैसे....
दास - यह बताना... थोड़ी मुश्किल है.... हो सकता है... हमारे ही स्टाफ में से कोई उससे मिला हुआ हो....
तापस वहाँ पर मौजूद सबको पैनी नजर से देखता है फिर दास को देखता है l
दास - सर रंगा हमेशा रात को आधा पेट खाता है... और बाहर जाकर दो नंबर बैरक के लॉबी के एक कोने में रोज सबका खाना खतम होने से पहले गांजा फूंकना उसका कुछ दिन का रूटीन था... आज वहाँ पर कोई उसकी ताक में था.... जैसे ही वहाँ पहुंचा रंगा के आंखों में लाल मिर्च के पाउडर फेंक दी.... रंगा... दर्द से बिलबिला उठा... पर कहीं भाग नहीं पाया...और नीचे गिर गया..... तब उस पर मिर्च पाउडर से हमला करने वाला रंगा का पजामा और लंगोट खिंच कर उल्टा कर दिया और...
तापस - और....
दास - और रंगा के गुद्दे के पास तेज धार वाली किसी हथियार से चार इंच लंबा कट मार दिया.... इसलिए रंगा को भी नहीं मालूम.... किसने और क्यूँ किया....

तापस दास का हाथ पकड़ कर अपने स्टाफ से कुछ दूर ले जाता है l

तापस - अब तक तुमने जो बताया... वह ऑफिसियल था.... अब मुझे डिटेल्स में....... ऑन-ऑफिसियल बात बताओ..... देखो मैं जानता हूँ.... तुम्हें सिर्फ अंदाजा ही नहीं बल्कि पक्की पूरी खबर भी होगी... कौन और क्यूँ यह सब किया....
दास - सर इसकी ऐसी हालत के लिए... यह खुद जिम्मेदार है और हाँ इसकी ऐसी हालत जरूर विश्व ने ही किया है.....
तापस - (हैरानी से) विश्व... कैसे... और क्यूँ...
दास - सर... क्यूँ... यह आप भी अच्छी तरह से जानते होंगे.... आप दूसरे दिन दो बार राउंड पर इसलिए तो गए थे... इनडायरेक्टली विश्व की खैर खबर लेने.... और यह वह बात थी के विश्व को बताते हुए भी शर्म आ रही थी.... इसलिए उसने उस दिन कुछ कहा नहीं....
तापस का सर झुक जाता है l
दास - सर... विश्व को अपने आपको बचाना था... और अपमान का बदला भी लेना था...
तापस - पर विश्व के पास.... धार धार हथियार कहाँ से आया.....और कब...
दास - सर आज ही आया... और नाई से हासिल किया ब्लेड...
तापस -अब डिटेल्स में खतम करो....
दास - सर... आज सुबह नाई आया था... विश्व उसके पास अपने बाल और दाढ़ी बनाने गया.... और उससे ब्लेड हासिल कर ली.... उसके बाद रंजन को खाना बनाने में मदद के बहाने कुछ मिर्च के पाउडर भी ले लिया... कुछ दिन पहले उसने चादर और कंबल की धुलाई इतनी करी थी के... एक एक्स्ट्रा कंबल भी अपने साथ ले ली थी....
कुछ दिनों से रंगा विश्व पर और विश्व रंगा पर नजर रख रहे थे..... दोनों मौके की तलाश में थे.... रंगा को जल्दी नहीं थी और वह कंफीडेंट था...... पर विश्व जल्दी में...
आज विश्व को मौका मिल गया.... सब जब खाने के लिए बैठे थे... बीच में थाली टेबल पर छोड़ कर विश्व उठ कर सब गवाह बन सके ऐसे टॉयलेट को गया.... इतने में रंगा अपना खाना खतम कर अपनी रूटीन के अनुसार... अपनी जगह पहुंच गया... पर वहाँ पहले से ही विश्व रंगा के इंतजार में था... खुद को कंबल में ढक कर हाथ में मिर्च पाउडर रंगा के आँखों पर सटीक निशाना लगा कर फेंका... रंगा... चिल्ला कर पीछे मुड़कर भागता पर पिलर से टकरा कर गिर गया... उसके गिरते ही बिना देर किए... विश्व ने उसका पजामा लंगोट समेत खिंच कर निकाल दिया..
रंगा आँखों की जलन से चिल्ला रहा था... बस विश्व ने ब्लेड निकाला और रंगा के गुद्दे की पास चला दिया... करीब करीब चार इंच का कट... सिर्फ आधे मिनिट में विश्व का काम हो चुका था... विश्व अब सबके सामने टॉयलेट से आकर अपने थाली के पास बैठ गया... रंगा के कान फाड़ देने वाले चित्कार सुन कर सब वहीँ भागे...
सबके साथ विश्व भी वहाँ पहुंचा.... इसलिए अब विश्व पर कोई शक़ नहीं कर सकता है.... बस यही हुआ है... सर...
तापस - आधे मिनट में... क्वाइट इंपॉसिबल...
दास - विश्व के लिए नहीं सर....
तापस - हाओ.....
दास - सर जहां रंजन और उसके टीम को... सब्जियां काटने के लिए दो घंटे लगते हैं... वहीँ विश्व अकेले को सिर्फ आधा घंटा लगता है.... जहाँ बालू और उसके साथी पूरा एक दिन लेते हैं चादर और कंबल साफ करने के लिए.... वहीँ विश्व सिर्फ आधे दिन में काम खतम कर दिया था....
तापस - क्या... हम कुछ कर सकते हैं...
दास - नहीं सर... हम कुछ ना करें... यही बेहतर रहेगा.... क्यूंकि विश्व के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं है.... और रंगा के पास गांजा और गांजे के सिगरेट बरामद हुए हैं..... इससे हमारे ही डिपार्टमेंट की बदनामी होगी.... आगे आप जैसा कहें सर....
ऑपरेशन थिएटर का बल्ब बंद होता है l डॉ. विजय बाहर आता है l
डॉ. विजय - (तापस को देख कर) मेरे चैम्बर में चलें....
तापस अपना सर हिला कर हाँ कहता है और डॉ. विजय के साथ उसके चैम्बर की चल देता है l
चैम्बर में
डॉ. विजय - क्या यार.... तुम्हारा कोई भी मुज़रिम... हमेशा किसी अलग ही हालत में क्यूँ आते हैं....
तापस - टांग खींचना छोड़ कर मुद्दे पर आओ.... और उसकी रिपोर्ट क्या है बोलो...
डॉ. विजय - ह्म्म्म्म... ठीक है... सुनो फिर... किसी अनाड़ी ने... ऑन-प्रोफेशनल ने यह कांड किया है.... पर प्रोफेशनल की तरह..... उसने ठीक गुद्दे के उपर से किसी पतले मगर धार वाली हथियार से करीब करीब चार इंच लंबा और आधा इंच गहरा कट मारा है..... शयद ब्लेड से.... अब प्रॉब्लम यह है कि इसे पेट के बल घाव सूखने तक लेटे रहना होगा....
तापस - व्हाट...
डॉ. विजय - हाँ.... क्यूंकि दर्द के मारे पीठ के बल लेट नहीं पाएगा.... क्यूंकि पीठ के बल लेट कर हिलने से घाव के टांके उखड़ जाएंगे.... और पेट के बल लेटे रहना लंबे समय तक बहुत ही मुश्किल है...
यह सुन कर तापस का मुहँ हैरानी से खुला रह जाता है l
तापस - यार कुछ करो....
डॉ. विजय - हाँ वह तो करना ही पड़ेगा.... इसे पूरे एक महीने के लिए यहाँ छोड़ दो....

तापस - ओके..... और... थैंक्यू...
Khetrapal politics join kar liye taki apni hukumat chala sake.biswa ko jail me pareshan kar usko uljhane ki kosis me he ranga.but danny me usko sahi nasiyat diya he krodh ko control karke sabkuch karna he wo bhi danny ki idea se kaam kar raha he.
Tapas k bete k maut k piche bhi khetrapal hain.amazing update
 
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