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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Kala Nag

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👉एक सौ तीन अपडेट
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खाने के टेबल पर तापस और विश्व बैठे हुए हैं l प्रतिभा जहां ताजगी महसुस कर रही है वहीँ तापस के सिर पर एक बैंड बंधा हुआ है l दोनों को प्रतिभा खाना परोस रही है l तापस के थाली में खट्टे का आईटॉम परोसा हुआ है और विश्व के थाली में मसाले दार खाना l

तापस - अरे भाग्यवान... एक ही डायनिंग टेबल पर... इतनी भिन्नता क्यूँ...
प्रतिभा - वह क्या है कि... आपकी हैंग ओवर... अभीतक नहीं उतरी है... देर से भी उठे हैं आज...
तापस - देर से तो तुम भी उठी हो...
प्रतिभा - क्यूंकि.. मैं देर से सोई थी...
तापस - देखो कितनी गलत बात है.... मुझे खट्टा ही ख़ट्टा... और इन लाट साहब को... मसाले दार चटखा...
प्रतिभा - देखो जी कहे देती हूँ... नजर ना लगाओ...
तापस - क्या... मैं नजर लगाऊंगा... वैसे... तुम क्या खा रही हो...

प्रतिभा कुछ कहती नहीं, वह सीधे अपनी थाली में मसाले दार खाना परोस कर बैठ जाती है l तापस रोनी सुरत बना कर विश्व की ओर देखता है l विश्व अपना खाना शुरु कर चुका था l विश्व खाना खाते हुए तापस को देखता है और आंखों के इशारे से पूछता है

विश्व - क्या हुआ...
तापस - (मुहँ बना कर इशारे से अपनी थाली की ओर देख कर) मेरी थाली देख... और तेरी थाली देख...
विश्व - (अपनी कंधे उचका कर) उसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
तापस - (अपनी थाली की ओर दिखाते हुए हलक से थूक निगल कर ना में सिर हिलाते हुए ) यह मुझसे... ना निगला जाएगा...
विश्व - (अपनी थाली का खाना दिखा कर और तापस के थाली का खाना दिखा कर अंगूठा माथे पर घूमाते हुए) नसीब का लिखा... कोई नहीं टाल सकता...
तापस - (अपना जबड़ा भींच कर मुहँ, आँखे और भवें सिकुड़ कर) अच्छा बेटा... मुझे ज्ञान दे रहा है... मेरा टाइम आने दे...
प्रतिभा - हो गया...
तापस - आपका मेरे बेटे को धमकाना..
तापस - मम्ममम्म.. मैंने कहाँ धमकाया...
प्रतिभा - खाने में दही बैंगन... और इमली की चारु दी है... गनीमत समझिए... करेले की सब्जी नहीं दी मैंने... इसलिए जल्दी खतम कीजिए... मुझे बर्तन भी मांजने हैं...
तापस - जी जरूर...

कह कर उखड़े मुड़ से खाना खाता है l प्रतिभा दोबारा खाने को पूछती है l तो तापस मुस्कराते हुए मना सिर हिला कर मना करता है l खाना खतम कर विश्व हाथ धो कर ड्रॉइंग रुम में बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद तापस उसके सामने आकर बैठता है l उधर सारे बर्तन समेट कर प्रतिभा किचन में मांजने के लगती है l इधर ड्रॉइंग रुम में विश्व एक टूथ पीक को अपने दांतों में इस्तमाल करता है जिसे देख कर तापस जल भुन जाता है और उसे खा जाने वाली नजर में देखता है l

तास - (इशारे से) क्या कहा.. नसीब का लिखा... हूँउँउँ.. कल के इंसिडेंट के लिए... मुझे तुझ पर शक हो रहा है...
विश्व - (इशारे से,पलकें झपका कर)आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं...
तापस - (चौंक कर, आँखे बड़ी करते हुए) क्या... (थंब्स अप के इशारे से अँगूठा मुहँ की ओर ले जाते हुए) यानी मेरे पेग में... कुछ गड़बड़ था...
विश्व - (मुस्करा कर इत्मिनान से अपना सिर हाँ में हिलाता है)

तापस अपनी जगह से उठ कर विश्व के बगल में बैठ कर विश्व की कलर पकड़ कर धीरे से फुसफुसाते हुए l

तापस - कमीने.. कमबख्त.. तुने... मेरे खिलाफ साजिश की... पर कैसे... पार्टी में...
विश्व - (फुसफुसाते हुए) पहले मेरे कलर को छोड़िए...
तापस - नहीं छोड़ूंगा...
विश्व - मैं माँ को बुला दूँगा...
तापस - (कलर छोड़ते हुए) जा माँ के बच्चे... छोड़ दिया...
विश्व - हाँ आपका सीन यहीं तक सीमित है... इससे आगे करके तो देखिये...
तापस - क्यूँ रे नालायक.... तुझे शर्म नहीं आती... इस उम्र में... मुझे घर के बाहर सुलाना चाहता है...
विश्व - घर से बाहर नहीं... कमरे से बाहर...
तापस - अच्छा ठीक है... ठीक है... यह बता... तु तो अपनी माँ के पास था... साथ था... फिर तुने यह साजिश रची कब...
विश्व - वेरी सिम्पल... मैंने पहले से ही सीलु, टीलु और जीलु को बुला लिया था... जीलु वह पार्टी में एक सर्विस बॉय बन कर आपके आसपास था... टीलु... सिक्युरिटी गार्ड बना हुआ था... और सीलु... मेरी हर मेसेज पर एक्ट कर रहा था...
तापस - एक्ट कर रहा था... मतलब..
विश्व - मैं उसे.. मैसेज से जो भी... इंस्ट्रक्शन दे रहा था... वह उसीके हिसाब से... अपना रोल निभा रहा था...
तापस - (अपना मुहँ सिकुड़ कर) तभी... जब मैंने पहला पेग लिया... डाऊट तो हुआ... पर... क्या उसने नींद की गोली मिलाई थी...
विश्व - नहीं... उसने.. सिम्फनी होटल के... सिम्फनी मार्टिनी के नाम से... एक स्पेशल पेग बना कर आपको दिया था...
तापस - तभी... तभी मैं सोचूँ... के मैं ठहरा एक लंबी रेस का घोड़ा.. इतने में कैसे फूस हो गया... वैसे.. (भवें नचा कर) था क्या... मजा आ गया...
विश्व - नाइंटी एम एल के पेग में... वोडका.. रम... विस्की... स्कॉच.. ब्रांडी... और बियर की... एक स्पेशल मिक्स...
तापस - कमीने... मुझे... यह सिम्फनी मार्टिनी... पीला कर... आज खट्टे वाला खाना खिला कर... क्या मिला तुझे...
विश्व - सुकून... (अपना दोनों हाथ फैला कर) इतना बड़ा सुकून...
तास - कमबख्त... बदबख्त... कैसा सुकून...
विश्व - (तापस की ओर मुड़ कर बैठता है) डैड... पहली बात... कुछ दिन पहले... मैंने आपको... अपना माउजर गाड़ी में छुपाते हुए देख लिया था...
तापस - (एक झटका सा लगता है, पर चुप रहता है)
विश्व - आपका मेरे लिए... फिक्रमंद होना जायज है... पर... डैड... कभी कभी आप मुझ पर से... विश्वास क्यूँ खो देते हैं... इतना इनसिक्योर तो माँ भी नहीं होती... आप क्यूँ... जरा सोचिए... कल की पार्टी.. एक वीवीआईपी की थी... अगर आप पकड़े गए होते... तो... क्या हो सकता था... क्या क्लैरिफीकेशन देते... अंदर वेपन ले जाने की...
तास - (किचन की ओर देख कर फुसफुसाते हुए) वह तो ठीक है... पर... तुझे मालुम कब हुआ... मेरे पास वेपन है...
विश्व - डैड.. कहा ना... मैंने आपको गाड़ी में... माउजर को छुपाते हुए देखा था.. और ड्राइव... मैं कर रहा था... कल रियर मिरर में.. देख लिया था... आप बड़े चालाकी से.. माउजर को.. अपने मोजे में रखते हुए... मैंने... इस बात का मैसेज... मैंने सीलु को कर दिया था... इसलिए हम जब मेटल डिटेक्टर से गुजरे थे... टीलु ने सिक्युरिटी वालों का ध्यान बटा दिया था... बाकी का काम... आप समझ सकते हैं...
तास - ओ.. अच्छा...
विश्व - हाँ... उसके बाद... जीलु ने... अंदर पार्टी में... आपको वह स्पेशल... सिम्फनी मार्टिनी बना कर पीला दिया...
तापस - पर वह... माउजर...
विश्व - आपके सेल्फ में है...
तापस - पर तुने... उन तीनों को बुलाया ही कब... और क्यूँ..
विश्व - सिर्फ मिलु ही वापस चला गया था... वे लोग तब से भुवनेश्वर में ही हैं... लंबी छुट्टी में...
तापस - अच्छा... और वह तीनों... पार्टी में क्या कर रहा थे...
विश्व - मुझे पल पल की.. अपडेट्स दे रहे थे...
तापस - ह्म्म्म्म.. और अब वह लोग हैं कहाँ...
विश्व - क्यूँ... किस लिए...
तापस - (चहकते हुए) नाइंटी एमएल में... वह सिम्फनी मार्टिनी बनता कैसे है... यही पूछना था उसे...
विश्व - क्यूँ... खट्टा खाने से जी नहीं भरा...
तापस - बेरहम... बेमुरव्वत... बेहया... बेवफ़ा... नामुराद...
प्रतिभा - (हाथ पोछते हुए अंदर आकर) क्या फुसुर फुसुर हो रहा है... आप दोनों में...
तापस - कुछ नहीं भाग्यवान... शराब पीना कितनी बुरी बात है... यही समझा रहा हूँ... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) खाने में या तो खट्टा मिलता है... या फिर करेला...

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दोपहर का समय
एक गाड़ी यशपुर की ओर भागी जा रही है l उसके आगे पीछे एसकॉट करते हुए आगे एक गार्ड जीप और पीछे एक गार्ड जीप जा रही है l जाहिर है गाड़ी में पिनाक और सुषमा हैं जो राजगड़ की ओर जा रहे हैं l

पिनाक - छोटी रानी जी... आप सुबह सुबह कहाँ चली गई थीं... हम आज सुबह तड़के निकल गए होते.... तो अब तक राजगड़ पहुँच गए होते...
सुषमा - बच्चों के साथ... बच्चों के लिए... थोड़ा वक़्त बिता रहे थे...
पिनाक - वह कोई... दूध पीते बच्चे नहीं हैं... अपना खयाल रख सकते हैं...
सुषमा - हाँ फिर भी... बच्चे कभी कभी... अपने बड़ों को ढूंढते हैं... तब हमें उनका हाथ थामना तो चाहिए ना...
पिनाक - (चिढ़ कर) ठीक है... ठीक है... पर इसका मतलब यह तो नहीं... के हम अपना फर्ज भुल जाएं...
सुषमा - (हैरान हो कर) हमने क्या भुला है...
पिनाक - छोटी रानी... आप भुल रहे हैं कि... बड़े राजा जी की तबीयत खराब है... उनका खयाल रखना आपकी जिम्मेदारी है...
सुषमा - तो हमने कभी अपनी जिम्मेदारी से इंकार भी तो नहीं कि है...
पिनाक - हम इल्ज़ाम नहीं लगा रहे हैं... हम बस अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं...
सुषमा - ठीक है... आपकी चिंता... बड़े राजा साहब के लिए है... अच्छी बात है... पर अपने राजकुमार के लिए... कोई चिंता किया है आपने...
पिनाक - क्यूँ... हाथ से फिसल रहे हैं क्या... हा हा हा हा हा हा हा... जवान हैं... मर्द हैं... और उनके अकाउंट में... पैसा भी बराबर है...
सुषमा - बस हो गई आपकी जिम्मेदारी पुरी...
पिनाक - अररे... तेईस साल के गबरु को... गोद में उठाऊँ क्या...
सुषमा - नहीं... पर हम यह कह रहे थे... क्या आपने... राजकुमार से... उनकी शादी के बारे में सोचा है...
पिनाक - क्यूँ... अभी कॉलेज की पढ़ाई तो पुरी होने दें... फिर वह पुरी तरह से ESS के मैनेजिंग डायरेक्टर हो जाएंगे... क्यूंकि... अब बहुत जल्द युवराज... मेन स्ट्रीम पालिटिक्स में आ जाएंगे... तब हम उनकी शादी करा देंगे...
सुषमा - अगर... राजकुमार किसी लड़की को.. चाहते हों... तो...
पिनाक - हा हा हा हा... राजकुमार... और चाहत... हा हा हा... छोटी रानी जी... आप अच्छी जोक सुना रही हैं...
सुषमा - क्यूँ... युवराज भी तो... प्रेम विवाह किया था...
पिनाक - (बहुत गंभीर हो कर) तभी तो... राजा साहब... स्वीकार नहीं कर पाए... युवराणी जी को... क्यूंकि उनका खुन राजसी नहीं है...
सुषमा - पर औरत की जात और गोत्र.. विवाह के उपरांत.. पति के घर की ही होती है...
पिनाक - हाँ बात आप सही कह रही हैं... अगर एक बच्चा हो गया होता... तो शायद... राजा साहब स्वीकार कर लेते... पर आप भुल रही हैं... उनकी गर्भपात हो चुकी है... और विवाह के तीन वर्ष होने को है... पर अभी तक... गर्भ की कोई खबर नहीं...
सुषमा - (दबी जुबान से) अगर राजकुमार... युवराज जी के राह पर चलते हुए... प्रेम विवाह कर लिया तो...

पिनाक गुस्से भरी नजर से सुषमा को देखने लगता है l

पिनाक - हमें उनके प्रेम से कोई मतलब नहीं है.... पर विवाह तो उनको हमारी मर्जी से ही करनी होगी... (थोड़ी देर के लिए उनके बीच खामोशी छा जाती है) (फिर कुछ देर बाद, कड़क आवाज में) छोटी रानी... अगर कुछ ऐसा हुआ भी है... तो भी हम नहीं पुछेंगे... कौन है... क्या है... राजकुमार जवान हैं... जो चाहे करें... हमें कोई मतलब नहीं है... अगली बार जब उनसे आपकी मुलाकात होगी... कह दीजियेगा उनसे... इस बार क्षेत्रपाल की मूंछें नीची नहीं होगी....

पिनाक और कुछ कहने के वजाए अपना मुहँ फ़ेर लेता है, और पिनाक की बातेँ सुन कर सुषमा को अंदर से झटका लगता है l

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वीर अपने केबिन में चहल कदम कर रहा है l एक अंदरुनी खुशी के साथ वह अपनी प्रियतमा का इंतजार कर रहा है l टेबल पर उसका मोबाइल रखा हुआ है l बीच बीच में वह मोबाइल फोन को हाथ में लेकर देख रहा है, पर कोई फोन नहीं आई है अब तक और ना ही कोई मैसेज आया है l फिर फोन को टेबल पर रख कर वापस कमरे में चहल कदम करने लगता है l थोड़ी देर बाद उसके फोन पर रिंग बजने लगता है l वीर अपना दमकते हुए चेहरे के साथ भागते हुए टेबल पर रखे फोन को उठाता है पर फोन के स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l उस कॉल को देखते ही उसकी आँखे बड़ी हो जाती है और हलक सुख जाता है l फोन पर रिंग बजते बजते कॉल कट जाता है l कमरे की ऐसी की ठंडक में भी उसके माथे पर पसीना निकलने लगता है l
फोन फिर से बजने लगती है l स्क्रीन पर वही प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l वीर फिर भी नहीं उठाता I उसकी सांसे तेजी से चलने लगता है l थोड़ी देर रिंग होने के बाद फोन पर फिर से रिंग बंद हो जाता है l फोन पर रिंग बंद होते ही वीर अपनी आँखे बंद कर एक सुकून भरा सांस छोड़ता है l कुछ देर बाद उसके मोबाइल पर एक मैसेज आता है l वीर वह मोबाइल खोल कर मैसेज देखता है

"भोषड़ी के फोन उठा... वरना... अनु को मार दूँगा..."

थोड़ी देर के बाद वीर की मोबाइल फिर से बजने लगती है l कांपते हाथ से फोन उठाता है और कान से लगाता है l

- क्यूँ बे... मादर चोद... कहाँ अपनी माँ चुदा रहा था...
वीर - (चिल्लाते हुए) शट अप...
- चिल्ला क्यूँ रहा है बे... चल बता.. फोन क्यूँ नहीं उठा रहा था...
वीर - तुमसे मतलब...
- मैं जब भी फोन करूँ... चुप चाप उठा लिया करना... वरना...
वीर - (जबड़े भींच कर, गुर्राते हुए) वरना...
- हा हा हा हा हा हा... वरना... तेरी जितनी फटी पड़ी है... उससे भी ज्यादा फाड़ दूँगा...
वीर - किस लिए... फोन किया...
- तुझे जब भी... कोई मैसेज देना होता है... तभी तो फोन... करता हूँ... इसलिए फोन उठाना... कभी बंद मत करना...
वीर - (दांत पिसते हुए) फोन किस लिए किया...
- कंग्रेचुलेशन...
वीर - किस लिए...
- अबे तेरी माँ ने... तेरी शादी जो पक्का कर दिया...
वीर - (चुप रहता है)
- अबे कंग्रेचुलेशन बोला है मैंने... ज़वाब तो दे....
वीर - थ... थैंक... थैंक्यू...
- पर यह शादी होगी नहीं...
वीर - (दांत पिसते हुए) तो तु रोकेगा शादी...
- हाँ... यह शादी... होगी नहीं... मैं... होने ही नहीं दूँगा...
वीर - (चिल्लाते हुए) क्यूँ... क्यूँ... क्यूँ...
- फिर चिल्लाया... (पुचकारते हुए) ना कुत्ते ना... चिल्ला मत... तु खुश हो जाए... यह मुझसे... देखा ना जाएगा... (आवाज़ में गंभीरता लाते हुए) मैंने खुद से वादा किया है... चाहे कुछ भी हो जाए... मैं तुझे कभी खुश होने ही नहीं दूँगा.... तुझे जितनी मस्ती करनी है... कर ले.. या मारनी है... तो मार ले... पर शादी... तेरी होने से रही... यह मेरा तुझसे वादा है...
वीर - कुत्ते... (चिल्लाता है) साले... सामने आ कर बात कर... सामने आकर वार कर...

फोन कट चुका था l वीर चिढ़ते हुए फोन फेंकने को होता है कि रुक जाता है l फिर अपने कुर्सी पर बैठ कर अपना सिर आगे की ओर झुका कर दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से गहरी लंबी सांसे लेने लगता है l ऑफिस में सभी का कमरा साउंड प्रूफ था, इसलिए उसके साथ जो हुआ या उसने जो हरकत की कमरे के अंदर बाहर किसीको भी पता नहीं चला l वह फिर अपना सिर पीछे की ओर चेयर पर लुढ़का कर आँखे बंद कर लेता है l तभी क्लिक की आवाज़ उसके कानों में पड़ती है l वह आँखे खोल कर दरवाज़े की ओर देखता है l दरवाजा धीरे से खुलता है ESS के यूनीफॉर्म में अनु अंदर आती है l अनु मुस्कराते हुए शर्म के मारे नजरें झुका कर दरवाजे से पीठ टीका कर वहीँ खड़ी हो जाती है l वीर उसे देख कर एक सुकून सा महसुस करता है, वह आवेग भरे भाव से अपनी कुर्सी से उठता है और अनु के पास आकर खड़ा हो जाता है l
अनु की धडकने बढ़ जाती हैं, उसका चेहरा लाल हो जाता है l वह अपनी आँखे मूँद लेती है जब वीर उसका हाथ पकड़ कर अपने तरफ खिंच लेता है और जोर से गले लगा लेता I अनु भी शर्म और खुशी के साथ वीर की गले लग जाती है l अनु महसुस करती है वीर की जकड़ बढ़ने लगती है फिर अनु को अपने कंधे पर गिला गिला सा महसुस होता है l अनु वीर से अलग होने की कोशिश करती है l वीर अनु को अपने से अलग करता है l अनु हैरान हो कर वीर को देखने लगती है, वीर के चेहरे पर डर और दुख दिख रहा था और साथ साथ आंसू से भिगा हुआ था l

अनु - राज कुमार जी... आप... आप डरे हुए लग रहे हैं...

वीर अनु को कमरे में पड़े सोफ़े पर बिठाता है और खुद अनु के कदमों के पास आलथी पालथी मार कर बैठ जाता है l

वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर) अ... अनु... यह सवाल... मैंने तुमसे कई बार पुछा है... फिर से पूछता हूँ... तुमको मुझसे डर क्यूँ नहीं लगा... तुम जब मेरे बारे में सब जानती थी... तो तुम मुझसे... नफरत क्यूँ नहीं की...

वीर की इस सवाल पर अनु हैरान हो कर वीर के चेहरे को देखने लगती है l

वीर - बताओ अनु... तुमने... मुझसे नफरत.. क्यूँ नहीं की....

अनु अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाने की कोशिश करती है l वीर की दोनों हाथों को पकड़ कर अपने चेहरे पर रख देती है और वीर की आँखों में झांकते हुए l

अनु - राजकुमार जी... एक दिन मेरी दादी ने मुझे लेकर म्युनिसिपल ऑफिस में लेकर गई थी... मेरी कोई इच्छा नहीं थी... क्यूंकि... मैं दुनिया से डरती थी... दुनिया वालों से डरती थी... अपनी लड़की होने पर डरती थी... हर गली में... हर एक मोड़ पर.. हर शख्स को देख कर डरती थी... पर जिस दिन आपको देखा... पहली बार मुझे लगा कि मैं क्यूँ लड़की पैदा हुई हूँ... मैं शायद किसी बीच भंवर में भटक रही थी... मुझे किनारा दिखने लगा... क्यूंकि एक धधकते हुए ज्वाला जो मेरे तरफ बढ़ा चला आ रहा था... मुझे बार बार यह एहसास दिला रहा था... की मैं एक पतंग हूँ... मुझे इस ज्वाला में मिल जाना है... मीट जाना है... फना हो जाना है... यह आवाज़ मेरे दिल की गहराई से सुनाई दे रही थी... इसलिए मुझे कभी आपसे डर नहीं लगा... और नफरत का सवाल ही नहीं उठता....

वीर एक टक अनु को सुन रहा था l ज्यों ज्यों अनु को सुन रहा था त्यों त्यों उसके चेहरे पर रौनक लौट रही थी l

वीर - (अनु की हाथों को जोर से पकड़ लेता है) ओ... अनु... तुम मेरी जिंदगी में... जल्दी क्यूँ नहीं आई... काश तुम पहले आई होती... मैं कभी भी उतना बुरा ना होता... जितना कभी था...
अनु - मैंने जब से जाना है आपको... आप कभी भी मुझे बुरे नहीं लगे...
वीर - अनु... बीते कल की बात... मैं कह नहीं सकता.. पर आज इतना ज़रूर कह सकता हूँ... तुम्हारे वगैर... मैं.. मेरा कुछ भी नहीं है... और एक वादा करता हूँ... जो भी तुमको मुझसे छीनने की कोशिश करेगा... या तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा... वह चाहे कोई भी हो... वह खुन के आंसू रोयेगा...

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रंग महल के बैठक में एक सिंहासन पर भैरव सिंह बैठा हुआ है l वह दाहिने तरफ हैंड रेस्ट पर दाहिनी कुहनी रख कर दो उंगलियों को माथे पर रख कर किसी सोच में डूबा हुआ है l उसके दाहिनी तरफ बगल में पिनाक सिंह बैठा हुआ है l बाएं तरफ तीन कुर्सियाँ पड़ी हुई है, पर वह कुर्सियाँ अभीतक खाली है l

पिनाक - राजा साहब...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
पिनाक - क्या हम... किसीके प्रतीक्षा में हैं...
भैरव सिंह - हूँ...
पिनाक - गुस्ताखी माफ हो अगर... क्या मैं पुछ सकता हूँ... हम किन की प्रतीक्षा में हैं....
भैरव - (सीधा हो कर बैठता है) छोटे राजा जी... आपके कल... विश्व के बारे में... बताने के बाद... हमने अपने हुकूमत की तीन खास दरबारियों को बुलाया है... उन्हें आने दीजिए... विश्वा नाम के कीड़े का इलाज वह लोग करेंगे...

कुछ देर बाद भीमा अंदर आता है और झुक कर खड़ा हो जाता है l

भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - कहो भीमा...
भीमा - वह लोग आ गए हैं... हुकुम...
भैरव सिंह - अंदर भेज दो उन्हें...

भीमा बाहर भागते हुए जाता है, और कुछ देर बाद भीमा साथ अनिकेत रोणा, बल्लभ प्रधान और श्रीधर परीड़ा तीनों आते हैं l

भैरव सिंह - आओ मेरे तीन रत्नों आओ... आज तुम मेरे बाजी के तीन इक्के लग रहे हो आओ... बैठो...

तीनों अपना अपना जगह बना कर बैठ जाते हैं l

पिनाक सिंह - ओ.. तो आप इन तीनों की बात कह रहे थे... (रोणा और बल्लभ से ) तो तुम लोगों ने अपना दिमाग चला ही लिया आखिर..
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक सिंह - अच्छा... तो यह बताओ... करना क्या है...
परीड़ा - छोटे राजा जी... विश्व के मांगे हुए इंफॉर्मेशन के ताल्लुक़ जो भी रिपोर्ट बननी है... वह सब मैं जानता हूँ... क्यूंकि आखिर मैं ही तो था... इंवेस्टीगेशन ऑफिसर...
भैरव सिंह - तो क्या ढूँढा है तुमने...
बल्लभ - राजा साहब... विश्व अगर.. रुप फाउंडेशन केस को दोबारा उछालता है... तो जाहिर है... केस पिछली बार की तरह... एक्शन रिप्ले होगा... पर फैसले में परीड़ा की... दिलीप कर की... और रोणा की स्टेटमेंट रिकार्ड हो चुका है... बात रुकी थी राजा साहब के पास... राजा साहब के साथ साथ... वह हो सकता है... परीड़ा और रोणा की फिर से क्रासएक्जाम करे... पर इस बार के लिए हम तैयार हैं...
पिनाक - अबे भूतनी के... उखाड़ा क्या है... या क्या उखाड़ना है...
रोणा - छोटे राजा जी... प्रधान वही तो बता रहा है... यहाँ राजा साहब... सिर्फ एक गवाह हैं... उन्हें एक्युस्ड बनाने के लिए... उसे कुछ और गवाहों की जरूरत पड़ेगी...
पिनाक सिंह - अच्छा...
बल्लभ - हाँ... उन लोगों के गवाही के वगैर... विश्व सीधे सीधे राजा साहब को... कटघरे खड़ा नहीं कर सकता...
पिनाक सिंह - तो... वह गवाह कौन हैं...
परीड़ा - तीन गवाह हैं.... पहला दलपती नायक... क्लर्क तहसील ऑफिस... दुसरा सदाशिव माली... अटेंडर यशपुर हॉस्पिटल... और तीसरा बीपीन नंद... पियोन रेवेन्यू ऑफिस...
पिनाक - तो इन लोगों को... हटाना है क्या...
बल्लभ - नहीं... हटाना नहीं है... वरना ... विश्व कोर्ट में... संदेह का लाभ उठा लेगा...
पिनाक सिंह - तो... करना क्या होगा उनका...
रोणा - कुछ ऐसा... की उन लोगों की गवाही... दुनिया के किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगा...
पिनाक सिंह - क्या... कैसे...
तीनों - (एक साथ) उन गवाहों को... पागल घोषित कर के...
पिनाक - क्या...
बल्लभ - हाँ छोटे राजा जी... किसी सरकारी डॉक्टर से... उन्हें दिमागी असंतुलन होने का सर्टिफिकेट दिलवा देते हैं...
पिनाक - फिर उनकी नौकरी...
बल्लभ - कोई खतरा नहीं होगी... उनकी नौकरी पर... ह्युमनटेरियन ग्राउंड पर... उनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं होगी... बस उन लोगों की गवाही... किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगी...

कुछ देर के लिए बैठक में चुप्पी छा जाती है l बल्लभ कहने के बाद भैरव सिंह को देखता है, भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव ना देख कर वह अपने दोस्तों के मुहँ ताकता है, वे लोग भी बल्लभ की तरह असमंजस स्थिति में दिखते हैं l अचानक बैठक में एक हँसी गूंजने लगता है l

"हा हा हा हा हा हा"

सबका ध्यान उस तरफ जाता है, देखते हैं भैरव सिंह हँस रहा है l
 

ANUJ KUMAR

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खाने के टेबल पर तापस और विश्व बैठे हुए हैं l प्रतिभा जहां ताजगी महसुस कर रही है वहीँ तापस के सिर पर एक बैंड बंधा हुआ है l दोनों को प्रतिभा खाना परोस रही है l तापस के थाली में खट्टे का आईटॉम परोसा हुआ है और विश्व के थाली में मसाले दार खाना l

तापस - अरे भाग्यवान... एक ही डायनिंग टेबल पर... इतनी भिन्नता क्यूँ...
प्रतिभा - वह क्या है कि... आपकी हैंग ओवर... अभीतक नहीं उतरी है... देर से भी उठे हैं आज...
तापस - देर से तो तुम भी उठी हो...
प्रतिभा - क्यूंकि.. मैं देर से सोई थी...
तापस - देखो कितनी गलत बात है.... मुझे खट्टा ही ख़ट्टा... और इन लाट साहब को... मसाले दार चटखा...
प्रतिभा - देखो जी कहे देती हूँ... नजर ना लगाओ...
तापस - क्या... मैं नजर लगाऊंगा... वैसे... तुम क्या खा रही हो...

प्रतिभा कुछ कहती नहीं, वह सीधे अपनी थाली में मसाले दार खाना परोस कर बैठ जाती है l तापस रोनी सुरत बना कर विश्व की ओर देखता है l विश्व अपना खाना शुरु कर चुका था l विश्व खाना खाते हुए तापस को देखता है और आंखों के इशारे से पूछता है

विश्व - क्या हुआ...
तापस - (मुहँ बना कर इशारे से अपनी थाली की ओर देख कर) मेरी थाली देख... और तेरी थाली देख...
विश्व - (अपनी कंधे उचका कर) उसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
तापस - (अपनी थाली की ओर दिखाते हुए हलक से थूक निगल कर ना में सिर हिलाते हुए ) यह मुझसे... ना निगला जाएगा...
विश्व - (अपनी थाली का खाना दिखा कर और तापस के थाली का खाना दिखा कर अंगूठा माथे पर घूमाते हुए) नसीब का लिखा... कोई नहीं टाल सकता...
तापस - (अपना जबड़ा भींच कर मुहँ, आँखे और भवें सिकुड़ कर) अच्छा बेटा... मुझे ज्ञान दे रहा है... मेरा टाइम आने दे...
प्रतिभा - हो गया...
तापस - आपका मेरे बेटे को धमकाना..
तापस - मम्ममम्म.. मैंने कहाँ धमकाया...
प्रतिभा - खाने में दही बैंगन... और इमली की चारु दी है... गनीमत समझिए... करेले की सब्जी नहीं दी मैंने... इसलिए जल्दी खतम कीजिए... मुझे बर्तन भी मांजने हैं...
तापस - जी जरूर...

कह कर उखड़े मुड़ से खाना खाता है l प्रतिभा दोबारा खाने को पूछती है l तो तापस मुस्कराते हुए मना सिर हिला कर मना करता है l खाना खतम कर विश्व हाथ धो कर ड्रॉइंग रुम में बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद तापस उसके सामने आकर बैठता है l उधर सारे बर्तन समेट कर प्रतिभा किचन में मांजने के लगती है l इधर ड्रॉइंग रुम में विश्व एक टूथ पीक को अपने दांतों में इस्तमाल करता है जिसे देख कर तापस जल भुन जाता है और उसे खा जाने वाली नजर में देखता है l

तास - (इशारे से) क्या कहा.. नसीब का लिखा... हूँउँउँ.. कल के इंसिडेंट के लिए... मुझे तुझ पर शक हो रहा है...
विश्व - (इशारे से,पलकें झपका कर)आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं...
तापस - (चौंक कर, आँखे बड़ी करते हुए) क्या... (थंब्स अप के इशारे से अँगूठा मुहँ की ओर ले जाते हुए) यानी मेरे पेग में... कुछ गड़बड़ था...
विश्व - (मुस्करा कर इत्मिनान से अपना सिर हाँ में हिलाता है)

तापस अपनी जगह से उठ कर विश्व के बगल में बैठ कर विश्व की कलर पकड़ कर धीरे से फुसफुसाते हुए l

तापस - कमीने.. कमबख्त.. तुने... मेरे खिलाफ साजिश की... पर कैसे... पार्टी में...
विश्व - (फुसफुसाते हुए) पहले मेरे कलर को छोड़िए...
तापस - नहीं छोड़ूंगा...
विश्व - मैं माँ को बुला दूँगा...
तापस - (कलर छोड़ते हुए) जा माँ के बच्चे... छोड़ दिया...
विश्व - हाँ आपका सीन यहीं तक सीमित है... इससे आगे करके तो देखिये...
तापस - क्यूँ रे नालायक.... तुझे शर्म नहीं आती... इस उम्र में... मुझे घर के बाहर सुलाना चाहता है...
विश्व - घर से बाहर नहीं... कमरे से बाहर...
तापस - अच्छा ठीक है... ठीक है... यह बता... तु तो अपनी माँ के पास था... साथ था... फिर तुने यह साजिश रची कब...
विश्व - वेरी सिम्पल... मैंने पहले से ही सीलु, टीलु और जीलु को बुला लिया था... जीलु वह पार्टी में एक सर्विस बॉय बन कर आपके आसपास था... टीलु... सिक्युरिटी गार्ड बना हुआ था... और सीलु... मेरी हर मेसेज पर एक्ट कर रहा था...
तापस - एक्ट कर रहा था... मतलब..
विश्व - मैं उसे.. मैसेज से जो भी... इंस्ट्रक्शन दे रहा था... वह उसीके हिसाब से... अपना रोल निभा रहा था...
तापस - (अपना मुहँ सिकुड़ कर) तभी... जब मैंने पहला पेग लिया... डाऊट तो हुआ... पर... क्या उसने नींद की गोली मिलाई थी...
विश्व - नहीं... उसने.. सिम्फनी होटल के... सिम्फनी मार्टिनी के नाम से... एक स्पेशल पेग बना कर आपको दिया था...
तापस - तभी... तभी मैं सोचूँ... के मैं ठहरा एक लंबी रेस का घोड़ा.. इतने में कैसे फूस हो गया... वैसे.. (भवें नचा कर) था क्या... मजा आ गया...
विश्व - नाइंटी एम एल के पेग में... वोडका.. रम... विस्की... स्कॉच.. ब्रांडी... और बियर की... एक स्पेशल मिक्स...
तापस - कमीने... मुझे... यह सिम्फनी मार्टिनी... पीला कर... आज खट्टे वाला खाना खिला कर... क्या मिला तुझे...
विश्व - सुकून... (अपना दोनों हाथ फैला कर) इतना बड़ा सुकून...
तास - कमबख्त... बदबख्त... कैसा सुकून...
विश्व - (तापस की ओर मुड़ कर बैठता है) डैड... पहली बात... कुछ दिन पहले... मैंने आपको... अपना माउजर गाड़ी में छुपाते हुए देख लिया था...
तापस - (एक झटका सा लगता है, पर चुप रहता है)
विश्व - आपका मेरे लिए... फिक्रमंद होना जायज है... पर... डैड... कभी कभी आप मुझ पर से... विश्वास क्यूँ खो देते हैं... इतना इनसिक्योर तो माँ भी नहीं होती... आप क्यूँ... जरा सोचिए... कल की पार्टी.. एक वीवीआईपी की थी... अगर आप पकड़े गए होते... तो... क्या हो सकता था... क्या क्लैरिफीकेशन देते... अंदर वेपन ले जाने की...
तास - (किचन की ओर देख कर फुसफुसाते हुए) वह तो ठीक है... पर... तुझे मालुम कब हुआ... मेरे पास वेपन है...
विश्व - डैड.. कहा ना... मैंने आपको गाड़ी में... माउजर को छुपाते हुए देखा था.. और ड्राइव... मैं कर रहा था... कल रियर मिरर में.. देख लिया था... आप बड़े चालाकी से.. माउजर को.. अपने मोजे में रखते हुए... मैंने... इस बात का मैसेज... मैंने सीलु को कर दिया था... इसलिए हम जब मेटल डिटेक्टर से गुजरे थे... टीलु ने सिक्युरिटी वालों का ध्यान बटा दिया था... बाकी का काम... आप समझ सकते हैं...
तास - ओ.. अच्छा...
विश्व - हाँ... उसके बाद... जीलु ने... अंदर पार्टी में... आपको वह स्पेशल... सिम्फनी मार्टिनी बना कर पीला दिया...
तापस - पर वह... माउजर...
विश्व - आपके सेल्फ में है...
तापस - पर तुने... उन तीनों को बुलाया ही कब... और क्यूँ..
विश्व - सिर्फ मिलु ही वापस चला गया था... वे लोग तब से भुवनेश्वर में ही हैं... लंबी छुट्टी में...
तापस - अच्छा... और वह तीनों... पार्टी में क्या कर रहा थे...
विश्व - मुझे पल पल की.. अपडेट्स दे रहे थे...
तापस - ह्म्म्म्म.. और अब वह लोग हैं कहाँ...
विश्व - क्यूँ... किस लिए...
तापस - (चहकते हुए) नाइंटी एमएल में... वह सिम्फनी मार्टिनी बनता कैसे है... यही पूछना था उसे...
विश्व - क्यूँ... खट्टा खाने से जी नहीं भरा...
तापस - बेरहम... बेमुरव्वत... बेहया... बेवफ़ा... नामुराद...
प्रतिभा - (हाथ पोछते हुए अंदर आकर) क्या फुसुर फुसुर हो रहा है... आप दोनों में...
तापस - कुछ नहीं भाग्यवान... शराब पीना कितनी बुरी बात है... यही समझा रहा हूँ... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) खाने में या तो खट्टा मिलता है... या फिर करेला...

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दोपहर का समय
एक गाड़ी यशपुर की ओर भागी जा रही है l उसके आगे पीछे एसकॉट करते हुए आगे एक गार्ड जीप और पीछे एक गार्ड जीप जा रही है l जाहिर है गाड़ी में पिनाक और सुषमा हैं जो राजगड़ की ओर जा रहे हैं l

पिनाक - छोटी रानी जी... आप सुबह सुबह कहाँ चली गई थीं... हम आज सुबह तड़के निकल गए होते.... तो अब तक राजगड़ पहुँच गए होते...
सुषमा - बच्चों के साथ... बच्चों के लिए... थोड़ा वक़्त बिता रहे थे...
पिनाक - वह कोई... दूध पीते बच्चे नहीं हैं... अपना खयाल रख सकते हैं...
सुषमा - हाँ फिर भी... बच्चे कभी कभी... अपने बड़ों को ढूंढते हैं... तब हमें उनका हाथ थामना तो चाहिए ना...
पिनाक - (चिढ़ कर) ठीक है... ठीक है... पर इसका मतलब यह तो नहीं... के हम अपना फर्ज भुल जाएं...
सुषमा - (हैरान हो कर) हमने क्या भुला है...
पिनाक - छोटी रानी... आप भुल रहे हैं कि... बड़े राजा जी की तबीयत खराब है... उनका खयाल रखना आपकी जिम्मेदारी है...
सुषमा - तो हमने कभी अपनी जिम्मेदारी से इंकार भी तो नहीं कि है...
पिनाक - हम इल्ज़ाम नहीं लगा रहे हैं... हम बस अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं...
सुषमा - ठीक है... आपकी चिंता... बड़े राजा साहब के लिए है... अच्छी बात है... पर अपने राजकुमार के लिए... कोई चिंता किया है आपने...
पिनाक - क्यूँ... हाथ से फिसल रहे हैं क्या... हा हा हा हा हा हा हा... जवान हैं... मर्द हैं... और उनके अकाउंट में... पैसा भी बराबर है...
सुषमा - बस हो गई आपकी जिम्मेदारी पुरी...
पिनाक - अररे... तेईस साल के गबरु को... गोद में उठाऊँ क्या...
सुषमा - नहीं... पर हम यह कह रहे थे... क्या आपने... राजकुमार से... उनकी शादी के बारे में सोचा है...
पिनाक - क्यूँ... अभी कॉलेज की पढ़ाई तो पुरी होने दें... फिर वह पुरी तरह से ESS के मैनेजिंग डायरेक्टर हो जाएंगे... क्यूंकि... अब बहुत जल्द युवराज... मेन स्ट्रीम पालिटिक्स में आ जाएंगे... तब हम उनकी शादी करा देंगे...
सुषमा - अगर... राजकुमार किसी लड़की को.. चाहते हों... तो...
पिनाक - हा हा हा हा... राजकुमार... और चाहत... हा हा हा... छोटी रानी जी... आप अच्छी जोक सुना रही हैं...
सुषमा - क्यूँ... युवराज भी तो... प्रेम विवाह किया था...
पिनाक - (बहुत गंभीर हो कर) तभी तो... राजा साहब... स्वीकार नहीं कर पाए... युवराणी जी को... क्यूंकि उनका खुन राजसी नहीं है...
सुषमा - पर औरत की जात और गोत्र.. विवाह के उपरांत.. पति के घर की ही होती है...
पिनाक - हाँ बात आप सही कह रही हैं... अगर एक बच्चा हो गया होता... तो शायद... राजा साहब स्वीकार कर लेते... पर आप भुल रही हैं... उनकी गर्भपात हो चुकी है... और विवाह के तीन वर्ष होने को है... पर अभी तक... गर्भ की कोई खबर नहीं...
सुषमा - (दबी जुबान से) अगर राजकुमार... युवराज जी के राह पर चलते हुए... प्रेम विवाह कर लिया तो...

पिनाक गुस्से भरी नजर से सुषमा को देखने लगता है l

पिनाक - हमें उनके प्रेम से कोई मतलब नहीं है.... पर विवाह तो उनको हमारी मर्जी से ही करनी होगी... (थोड़ी देर के लिए उनके बीच खामोशी छा जाती है) (फिर कुछ देर बाद, कड़क आवाज में) छोटी रानी... अगर कुछ ऐसा हुआ भी है... तो भी हम नहीं पुछेंगे... कौन है... क्या है... राजकुमार जवान हैं... जो चाहे करें... हमें कोई मतलब नहीं है... अगली बार जब उनसे आपकी मुलाकात होगी... कह दीजियेगा उनसे... इस बार क्षेत्रपाल की मूंछें नीची नहीं होगी....

पिनाक और कुछ कहने के वजाए अपना मुहँ फ़ेर लेता है, और पिनाक की बातेँ सुन कर सुषमा को अंदर से झटका लगता है l

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वीर अपने केबिन में चहल कदम कर रहा है l एक अंदरुनी खुशी के साथ वह अपनी प्रियतमा का इंतजार कर रहा है l टेबल पर उसका मोबाइल रखा हुआ है l बीच बीच में वह मोबाइल फोन को हाथ में लेकर देख रहा है, पर कोई फोन नहीं आई है अब तक और ना ही कोई मैसेज आया है l फिर फोन को टेबल पर रख कर वापस कमरे में चहल कदम करने लगता है l थोड़ी देर बाद उसके फोन पर रिंग बजने लगता है l वीर अपना दमकते हुए चेहरे के साथ भागते हुए टेबल पर रखे फोन को उठाता है पर फोन के स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l उस कॉल को देखते ही उसकी आँखे बड़ी हो जाती है और हलक सुख जाता है l फोन पर रिंग बजते बजते कॉल कट जाता है l कमरे की ऐसी की ठंडक में भी उसके माथे पर पसीना निकलने लगता है l
फोन फिर से बजने लगती है l स्क्रीन पर वही प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l वीर फिर भी नहीं उठाता I उसकी सांसे तेजी से चलने लगता है l थोड़ी देर रिंग होने के बाद फोन पर फिर से रिंग बंद हो जाता है l फोन पर रिंग बंद होते ही वीर अपनी आँखे बंद कर एक सुकून भरा सांस छोड़ता है l कुछ देर बाद उसके मोबाइल पर एक मैसेज आता है l वीर वह मोबाइल खोल कर मैसेज देखता है

"भोषड़ी के फोन उठा... वरना... अनु को मार दूँगा..."

थोड़ी देर के बाद वीर की मोबाइल फिर से बजने लगती है l कांपते हाथ से फोन उठाता है और कान से लगाता है l

- क्यूँ बे... मादर चोद... कहाँ अपनी माँ चुदा रहा था...
वीर - (चिल्लाते हुए) शट अप...
- चिल्ला क्यूँ रहा है बे... चल बता.. फोन क्यूँ नहीं उठा रहा था...
वीर - तुमसे मतलब...
- मैं जब भी फोन करूँ... चुप चाप उठा लिया करना... वरना...
वीर - (जबड़े भींच कर, गुर्राते हुए) वरना...
- हा हा हा हा हा हा... वरना... तेरी जितनी फटी पड़ी है... उससे भी ज्यादा फाड़ दूँगा...
वीर - किस लिए... फोन किया...
- तुझे जब भी... कोई मैसेज देना होता है... तभी तो फोन... करता हूँ... इसलिए फोन उठाना... कभी बंद मत करना...
वीर - (दांत पिसते हुए) फोन किस लिए किया...
- कंग्रेचुलेशन...
वीर - किस लिए...
- अबे तेरी माँ ने... तेरी शादी जो पक्का कर दिया...
वीर - (चुप रहता है)
- अबे कंग्रेचुलेशन बोला है मैंने... ज़वाब तो दे....
वीर - थ... थैंक... थैंक्यू...
- पर यह शादी होगी नहीं...
वीर - (दांत पिसते हुए) तो तु रोकेगा शादी...
- हाँ... यह शादी... होगी नहीं... मैं... होने ही नहीं दूँगा...
वीर - (चिल्लाते हुए) क्यूँ... क्यूँ... क्यूँ...
- फिर चिल्लाया... (पुचकारते हुए) ना कुत्ते ना... चिल्ला मत... तु खुश हो जाए... यह मुझसे... देखा ना जाएगा... (आवाज़ में गंभीरता लाते हुए) मैंने खुद से वादा किया है... चाहे कुछ भी हो जाए... मैं तुझे कभी खुश होने ही नहीं दूँगा.... तुझे जितनी मस्ती करनी है... कर ले.. या मारनी है... तो मार ले... पर शादी... तेरी होने से रही... यह मेरा तुझसे वादा है...
वीर - कुत्ते... (चिल्लाता है) साले... सामने आ कर बात कर... सामने आकर वार कर...

फोन कट चुका था l वीर चिढ़ते हुए फोन फेंकने को होता है कि रुक जाता है l फिर अपने कुर्सी पर बैठ कर अपना सिर आगे की ओर झुका कर दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से गहरी लंबी सांसे लेने लगता है l ऑफिस में सभी का कमरा साउंड प्रूफ था, इसलिए उसके साथ जो हुआ या उसने जो हरकत की कमरे के अंदर बाहर किसीको भी पता नहीं चला l वह फिर अपना सिर पीछे की ओर चेयर पर लुढ़का कर आँखे बंद कर लेता है l तभी क्लिक की आवाज़ उसके कानों में पड़ती है l वह आँखे खोल कर दरवाज़े की ओर देखता है l दरवाजा धीरे से खुलता है ESS के यूनीफॉर्म में अनु अंदर आती है l अनु मुस्कराते हुए शर्म के मारे नजरें झुका कर दरवाजे से पीठ टीका कर वहीँ खड़ी हो जाती है l वीर उसे देख कर एक सुकून सा महसुस करता है, वह आवेग भरे भाव से अपनी कुर्सी से उठता है और अनु के पास आकर खड़ा हो जाता है l
अनु की धडकने बढ़ जाती हैं, उसका चेहरा लाल हो जाता है l वह अपनी आँखे मूँद लेती है जब वीर उसका हाथ पकड़ कर अपने तरफ खिंच लेता है और जोर से गले लगा लेता I अनु भी शर्म और खुशी के साथ वीर की गले लग जाती है l अनु महसुस करती है वीर की जकड़ बढ़ने लगती है फिर अनु को अपने कंधे पर गिला गिला सा महसुस होता है l अनु वीर से अलग होने की कोशिश करती है l वीर अनु को अपने से अलग करता है l अनु हैरान हो कर वीर को देखने लगती है, वीर के चेहरे पर डर और दुख दिख रहा था और साथ साथ आंसू से भिगा हुआ था l

अनु - राज कुमार जी... आप... आप डरे हुए लग रहे हैं...

वीर अनु को कमरे में पड़े सोफ़े पर बिठाता है और खुद अनु के कदमों के पास आलथी पालथी मार कर बैठ जाता है l

वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर) अ... अनु... यह सवाल... मैंने तुमसे कई बार पुछा है... फिर से पूछता हूँ... तुमको मुझसे डर क्यूँ नहीं लगा... तुम जब मेरे बारे में सब जानती थी... तो तुम मुझसे... नफरत क्यूँ नहीं की...

वीर की इस सवाल पर अनु हैरान हो कर वीर के चेहरे को देखने लगती है l

वीर - बताओ अनु... तुमने... मुझसे नफरत.. क्यूँ नहीं की....

अनु अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाने की कोशिश करती है l वीर की दोनों हाथों को पकड़ कर अपने चेहरे पर रख देती है और वीर की आँखों में झांकते हुए l

अनु - राजकुमार जी... एक दिन मेरी दादी ने मुझे लेकर म्युनिसिपल ऑफिस में लेकर गई थी... मेरी कोई इच्छा नहीं थी... क्यूंकि... मैं दुनिया से डरती थी... दुनिया वालों से डरती थी... अपनी लड़की होने पर डरती थी... हर गली में... हर एक मोड़ पर.. हर शख्स को देख कर डरती थी... पर जिस दिन आपको देखा... पहली बार मुझे लगा कि मैं क्यूँ लड़की पैदा हुई हूँ... मैं शायद किसी बीच भंवर में भटक रही थी... मुझे किनारा दिखने लगा... क्यूंकि एक धधकते हुए ज्वाला जो मेरे तरफ बढ़ा चला आ रहा था... मुझे बार बार यह एहसास दिला रहा था... की मैं एक पतंग हूँ... मुझे इस ज्वाला में मिल जाना है... मीट जाना है... फना हो जाना है... यह आवाज़ मेरे दिल की गहराई से सुनाई दे रही थी... इसलिए मुझे कभी आपसे डर नहीं लगा... और नफरत का सवाल ही नहीं उठता....

वीर एक टक अनु को सुन रहा था l ज्यों ज्यों अनु को सुन रहा था त्यों त्यों उसके चेहरे पर रौनक लौट रही थी l

वीर - (अनु की हाथों को जोर से पकड़ लेता है) ओ... अनु... तुम मेरी जिंदगी में... जल्दी क्यूँ नहीं आई... काश तुम पहले आई होती... मैं कभी भी उतना बुरा ना होता... जितना कभी था...
अनु - मैंने जब से जाना है आपको... आप कभी भी मुझे बुरे नहीं लगे...
वीर - अनु... बीते कल की बात... मैं कह नहीं सकता.. पर आज इतना ज़रूर कह सकता हूँ... तुम्हारे वगैर... मैं.. मेरा कुछ भी नहीं है... और एक वादा करता हूँ... जो भी तुमको मुझसे छीनने की कोशिश करेगा... या तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा... वह चाहे कोई भी हो... वह खुन के आंसू रोयेगा...

×_____×_____×_____×_____×_____×_____×

रंग महल के बैठक में एक सिंहासन पर भैरव सिंह बैठा हुआ है l वह दाहिने तरफ हैंड रेस्ट पर दाहिनी कुहनी रख कर दो उंगलियों को माथे पर रख कर किसी सोच में डूबा हुआ है l उसके दाहिनी तरफ बगल में पिनाक सिंह बैठा हुआ है l बाएं तरफ तीन कुर्सियाँ पड़ी हुई है, पर वह कुर्सियाँ अभीतक खाली है l

पिनाक - राजा साहब...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
पिनाक - क्या हम... किसीके प्रतीक्षा में हैं...
भैरव सिंह - हूँ...
पिनाक - गुस्ताखी माफ हो अगर... क्या मैं पुछ सकता हूँ... हम किन की प्रतीक्षा में हैं....
भैरव - (सीधा हो कर बैठता है) छोटे राजा जी... आपके कल... विश्व के बारे में... बताने के बाद... हमने अपने हुकूमत की तीन खास दरबारियों को बुलाया है... उन्हें आने दीजिए... विश्वा नाम के कीड़े का इलाज वह लोग करेंगे...

कुछ देर बाद भीमा अंदर आता है और झुक कर खड़ा हो जाता है l

भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - कहो भीमा...
भीमा - वह लोग आ गए हैं... हुकुम...
भैरव सिंह - अंदर भेज दो उन्हें...

भीमा बाहर भागते हुए जाता है, और कुछ देर बाद भीमा साथ अनिकेत रोणा, बल्लभ प्रधान और श्रीधर परीड़ा तीनों आते हैं l

भैरव सिंह - आओ मेरे तीन रत्नों आओ... आज तुम मेरे बाजी के तीन इक्के लग रहे हो आओ... बैठो...

तीनों अपना अपना जगह बना कर बैठ जाते हैं l

पिनाक सिंह - ओ.. तो आप इन तीनों की बात कह रहे थे... (रोणा और बल्लभ से ) तो तुम लोगों ने अपना दिमाग चला ही लिया आखिर..
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक सिंह - अच्छा... तो यह बताओ... करना क्या है...
परीड़ा - छोटे राजा जी... विश्व के मांगे हुए इंफॉर्मेशन के ताल्लुक़ जो भी रिपोर्ट बननी है... वह सब मैं जानता हूँ... क्यूंकि आखिर मैं ही तो था... इंवेस्टीगेशन ऑफिसर...
भैरव सिंह - तो क्या ढूँढा है तुमने...
बल्लभ - राजा साहब... विश्व अगर.. रुप फाउंडेशन केस को दोबारा उछालता है... तो जाहिर है... केस पिछली बार की तरह... एक्शन रिप्ले होगा... पर फैसले में परीड़ा की... दिलीप कर की... और रोणा की स्टेटमेंट रिकार्ड हो चुका है... बात रुकी थी राजा साहब के पास... राजा साहब के साथ साथ... वह हो सकता है... परीड़ा और रोणा की फिर से क्रासएक्जाम करे... पर इस बार के लिए हम तैयार हैं...
पिनाक - अबे भूतनी के... उखाड़ा क्या है... या क्या उखाड़ना है...
रोणा - छोटे राजा जी... प्रधान वही तो बता रहा है... यहाँ राजा साहब... सिर्फ एक गवाह हैं... उन्हें एक्युस्ड बनाने के लिए... उसे कुछ और गवाहों की जरूरत पड़ेगी...
पिनाक सिंह - अच्छा...
बल्लभ - हाँ... उन लोगों के गवाही के वगैर... विश्व सीधे सीधे राजा साहब को... कटघरे खड़ा नहीं कर सकता...
पिनाक सिंह - तो... वह गवाह कौन हैं...
परीड़ा - तीन गवाह हैं.... पहला दलपती नायक... क्लर्क तहसील ऑफिस... दुसरा सदाशिव माली... अटेंडर यशपुर हॉस्पिटल... और तीसरा बीपीन नंद... पियोन रेवेन्यू ऑफिस...
पिनाक - तो इन लोगों को... हटाना है क्या...
बल्लभ - नहीं... हटाना नहीं है... वरना ... विश्व कोर्ट में... संदेह का लाभ उठा लेगा...
पिनाक सिंह - तो... करना क्या होगा उनका...
रोणा - कुछ ऐसा... की उन लोगों की गवाही... दुनिया के किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगा...
पिनाक सिंह - क्या... कैसे...
तीनों - (एक साथ) उन गवाहों को... पागल घोषित कर के...
पिनाक - क्या...
बल्लभ - हाँ छोटे राजा जी... किसी सरकारी डॉक्टर से... उन्हें दिमागी असंतुलन होने का सर्टिफिकेट दिलवा देते हैं...
पिनाक - फिर उनकी नौकरी...
बल्लभ - कोई खतरा नहीं होगी... उनकी नौकरी पर... ह्युमनटेरियन ग्राउंड पर... उनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं होगी... बस उन लोगों की गवाही... किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगी...

कुछ देर के लिए बैठक में चुप्पी छा जाती है l बल्लभ कहने के बाद भैरव सिंह को देखता है, भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव ना देख कर वह अपने दोस्तों के मुहँ ताकता है, वे लोग भी बल्लभ की तरह असमंजस स्थिति में दिखते हैं l अचानक बैठक में एक हँसी गूंजने लगता है l

"हा हा हा हा हा हा"

सबका ध्यान उस तरफ जाता है, देखते हैं भैरव सिंह हँस रहा है l
amazing nice update
 

Jaguaar

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👉एक सौ तीन अपडेट
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खाने के टेबल पर तापस और विश्व बैठे हुए हैं l प्रतिभा जहां ताजगी महसुस कर रही है वहीँ तापस के सिर पर एक बैंड बंधा हुआ है l दोनों को प्रतिभा खाना परोस रही है l तापस के थाली में खट्टे का आईटॉम परोसा हुआ है और विश्व के थाली में मसाले दार खाना l

तापस - अरे भाग्यवान... एक ही डायनिंग टेबल पर... इतनी भिन्नता क्यूँ...
प्रतिभा - वह क्या है कि... आपकी हैंग ओवर... अभीतक नहीं उतरी है... देर से भी उठे हैं आज...
तापस - देर से तो तुम भी उठी हो...
प्रतिभा - क्यूंकि.. मैं देर से सोई थी...
तापस - देखो कितनी गलत बात है.... मुझे खट्टा ही ख़ट्टा... और इन लाट साहब को... मसाले दार चटखा...
प्रतिभा - देखो जी कहे देती हूँ... नजर ना लगाओ...
तापस - क्या... मैं नजर लगाऊंगा... वैसे... तुम क्या खा रही हो...

प्रतिभा कुछ कहती नहीं, वह सीधे अपनी थाली में मसाले दार खाना परोस कर बैठ जाती है l तापस रोनी सुरत बना कर विश्व की ओर देखता है l विश्व अपना खाना शुरु कर चुका था l विश्व खाना खाते हुए तापस को देखता है और आंखों के इशारे से पूछता है

विश्व - क्या हुआ...
तापस - (मुहँ बना कर इशारे से अपनी थाली की ओर देख कर) मेरी थाली देख... और तेरी थाली देख...
विश्व - (अपनी कंधे उचका कर) उसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
तापस - (अपनी थाली की ओर दिखाते हुए हलक से थूक निगल कर ना में सिर हिलाते हुए ) यह मुझसे... ना निगला जाएगा...
विश्व - (अपनी थाली का खाना दिखा कर और तापस के थाली का खाना दिखा कर अंगूठा माथे पर घूमाते हुए) नसीब का लिखा... कोई नहीं टाल सकता...
तापस - (अपना जबड़ा भींच कर मुहँ, आँखे और भवें सिकुड़ कर) अच्छा बेटा... मुझे ज्ञान दे रहा है... मेरा टाइम आने दे...
प्रतिभा - हो गया...
तापस - आपका मेरे बेटे को धमकाना..
तापस - मम्ममम्म.. मैंने कहाँ धमकाया...
प्रतिभा - खाने में दही बैंगन... और इमली की चारु दी है... गनीमत समझिए... करेले की सब्जी नहीं दी मैंने... इसलिए जल्दी खतम कीजिए... मुझे बर्तन भी मांजने हैं...
तापस - जी जरूर...

कह कर उखड़े मुड़ से खाना खाता है l प्रतिभा दोबारा खाने को पूछती है l तो तापस मुस्कराते हुए मना सिर हिला कर मना करता है l खाना खतम कर विश्व हाथ धो कर ड्रॉइंग रुम में बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद तापस उसके सामने आकर बैठता है l उधर सारे बर्तन समेट कर प्रतिभा किचन में मांजने के लगती है l इधर ड्रॉइंग रुम में विश्व एक टूथ पीक को अपने दांतों में इस्तमाल करता है जिसे देख कर तापस जल भुन जाता है और उसे खा जाने वाली नजर में देखता है l

तास - (इशारे से) क्या कहा.. नसीब का लिखा... हूँउँउँ.. कल के इंसिडेंट के लिए... मुझे तुझ पर शक हो रहा है...
विश्व - (इशारे से,पलकें झपका कर)आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं...
तापस - (चौंक कर, आँखे बड़ी करते हुए) क्या... (थंब्स अप के इशारे से अँगूठा मुहँ की ओर ले जाते हुए) यानी मेरे पेग में... कुछ गड़बड़ था...
विश्व - (मुस्करा कर इत्मिनान से अपना सिर हाँ में हिलाता है)

तापस अपनी जगह से उठ कर विश्व के बगल में बैठ कर विश्व की कलर पकड़ कर धीरे से फुसफुसाते हुए l

तापस - कमीने.. कमबख्त.. तुने... मेरे खिलाफ साजिश की... पर कैसे... पार्टी में...
विश्व - (फुसफुसाते हुए) पहले मेरे कलर को छोड़िए...
तापस - नहीं छोड़ूंगा...
विश्व - मैं माँ को बुला दूँगा...
तापस - (कलर छोड़ते हुए) जा माँ के बच्चे... छोड़ दिया...
विश्व - हाँ आपका सीन यहीं तक सीमित है... इससे आगे करके तो देखिये...
तापस - क्यूँ रे नालायक.... तुझे शर्म नहीं आती... इस उम्र में... मुझे घर के बाहर सुलाना चाहता है...
विश्व - घर से बाहर नहीं... कमरे से बाहर...
तापस - अच्छा ठीक है... ठीक है... यह बता... तु तो अपनी माँ के पास था... साथ था... फिर तुने यह साजिश रची कब...
विश्व - वेरी सिम्पल... मैंने पहले से ही सीलु, टीलु और जीलु को बुला लिया था... जीलु वह पार्टी में एक सर्विस बॉय बन कर आपके आसपास था... टीलु... सिक्युरिटी गार्ड बना हुआ था... और सीलु... मेरी हर मेसेज पर एक्ट कर रहा था...
तापस - एक्ट कर रहा था... मतलब..
विश्व - मैं उसे.. मैसेज से जो भी... इंस्ट्रक्शन दे रहा था... वह उसीके हिसाब से... अपना रोल निभा रहा था...
तापस - (अपना मुहँ सिकुड़ कर) तभी... जब मैंने पहला पेग लिया... डाऊट तो हुआ... पर... क्या उसने नींद की गोली मिलाई थी...
विश्व - नहीं... उसने.. सिम्फनी होटल के... सिम्फनी मार्टिनी के नाम से... एक स्पेशल पेग बना कर आपको दिया था...
तापस - तभी... तभी मैं सोचूँ... के मैं ठहरा एक लंबी रेस का घोड़ा.. इतने में कैसे फूस हो गया... वैसे.. (भवें नचा कर) था क्या... मजा आ गया...
विश्व - नाइंटी एम एल के पेग में... वोडका.. रम... विस्की... स्कॉच.. ब्रांडी... और बियर की... एक स्पेशल मिक्स...
तापस - कमीने... मुझे... यह सिम्फनी मार्टिनी... पीला कर... आज खट्टे वाला खाना खिला कर... क्या मिला तुझे...
विश्व - सुकून... (अपना दोनों हाथ फैला कर) इतना बड़ा सुकून...
तास - कमबख्त... बदबख्त... कैसा सुकून...
विश्व - (तापस की ओर मुड़ कर बैठता है) डैड... पहली बात... कुछ दिन पहले... मैंने आपको... अपना माउजर गाड़ी में छुपाते हुए देख लिया था...
तापस - (एक झटका सा लगता है, पर चुप रहता है)
विश्व - आपका मेरे लिए... फिक्रमंद होना जायज है... पर... डैड... कभी कभी आप मुझ पर से... विश्वास क्यूँ खो देते हैं... इतना इनसिक्योर तो माँ भी नहीं होती... आप क्यूँ... जरा सोचिए... कल की पार्टी.. एक वीवीआईपी की थी... अगर आप पकड़े गए होते... तो... क्या हो सकता था... क्या क्लैरिफीकेशन देते... अंदर वेपन ले जाने की...
तास - (किचन की ओर देख कर फुसफुसाते हुए) वह तो ठीक है... पर... तुझे मालुम कब हुआ... मेरे पास वेपन है...
विश्व - डैड.. कहा ना... मैंने आपको गाड़ी में... माउजर को छुपाते हुए देखा था.. और ड्राइव... मैं कर रहा था... कल रियर मिरर में.. देख लिया था... आप बड़े चालाकी से.. माउजर को.. अपने मोजे में रखते हुए... मैंने... इस बात का मैसेज... मैंने सीलु को कर दिया था... इसलिए हम जब मेटल डिटेक्टर से गुजरे थे... टीलु ने सिक्युरिटी वालों का ध्यान बटा दिया था... बाकी का काम... आप समझ सकते हैं...
तास - ओ.. अच्छा...
विश्व - हाँ... उसके बाद... जीलु ने... अंदर पार्टी में... आपको वह स्पेशल... सिम्फनी मार्टिनी बना कर पीला दिया...
तापस - पर वह... माउजर...
विश्व - आपके सेल्फ में है...
तापस - पर तुने... उन तीनों को बुलाया ही कब... और क्यूँ..
विश्व - सिर्फ मिलु ही वापस चला गया था... वे लोग तब से भुवनेश्वर में ही हैं... लंबी छुट्टी में...
तापस - अच्छा... और वह तीनों... पार्टी में क्या कर रहा थे...
विश्व - मुझे पल पल की.. अपडेट्स दे रहे थे...
तापस - ह्म्म्म्म.. और अब वह लोग हैं कहाँ...
विश्व - क्यूँ... किस लिए...
तापस - (चहकते हुए) नाइंटी एमएल में... वह सिम्फनी मार्टिनी बनता कैसे है... यही पूछना था उसे...
विश्व - क्यूँ... खट्टा खाने से जी नहीं भरा...
तापस - बेरहम... बेमुरव्वत... बेहया... बेवफ़ा... नामुराद...
प्रतिभा - (हाथ पोछते हुए अंदर आकर) क्या फुसुर फुसुर हो रहा है... आप दोनों में...
तापस - कुछ नहीं भाग्यवान... शराब पीना कितनी बुरी बात है... यही समझा रहा हूँ... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) खाने में या तो खट्टा मिलता है... या फिर करेला...

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दोपहर का समय
एक गाड़ी यशपुर की ओर भागी जा रही है l उसके आगे पीछे एसकॉट करते हुए आगे एक गार्ड जीप और पीछे एक गार्ड जीप जा रही है l जाहिर है गाड़ी में पिनाक और सुषमा हैं जो राजगड़ की ओर जा रहे हैं l

पिनाक - छोटी रानी जी... आप सुबह सुबह कहाँ चली गई थीं... हम आज सुबह तड़के निकल गए होते.... तो अब तक राजगड़ पहुँच गए होते...
सुषमा - बच्चों के साथ... बच्चों के लिए... थोड़ा वक़्त बिता रहे थे...
पिनाक - वह कोई... दूध पीते बच्चे नहीं हैं... अपना खयाल रख सकते हैं...
सुषमा - हाँ फिर भी... बच्चे कभी कभी... अपने बड़ों को ढूंढते हैं... तब हमें उनका हाथ थामना तो चाहिए ना...
पिनाक - (चिढ़ कर) ठीक है... ठीक है... पर इसका मतलब यह तो नहीं... के हम अपना फर्ज भुल जाएं...
सुषमा - (हैरान हो कर) हमने क्या भुला है...
पिनाक - छोटी रानी... आप भुल रहे हैं कि... बड़े राजा जी की तबीयत खराब है... उनका खयाल रखना आपकी जिम्मेदारी है...
सुषमा - तो हमने कभी अपनी जिम्मेदारी से इंकार भी तो नहीं कि है...
पिनाक - हम इल्ज़ाम नहीं लगा रहे हैं... हम बस अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं...
सुषमा - ठीक है... आपकी चिंता... बड़े राजा साहब के लिए है... अच्छी बात है... पर अपने राजकुमार के लिए... कोई चिंता किया है आपने...
पिनाक - क्यूँ... हाथ से फिसल रहे हैं क्या... हा हा हा हा हा हा हा... जवान हैं... मर्द हैं... और उनके अकाउंट में... पैसा भी बराबर है...
सुषमा - बस हो गई आपकी जिम्मेदारी पुरी...
पिनाक - अररे... तेईस साल के गबरु को... गोद में उठाऊँ क्या...
सुषमा - नहीं... पर हम यह कह रहे थे... क्या आपने... राजकुमार से... उनकी शादी के बारे में सोचा है...
पिनाक - क्यूँ... अभी कॉलेज की पढ़ाई तो पुरी होने दें... फिर वह पुरी तरह से ESS के मैनेजिंग डायरेक्टर हो जाएंगे... क्यूंकि... अब बहुत जल्द युवराज... मेन स्ट्रीम पालिटिक्स में आ जाएंगे... तब हम उनकी शादी करा देंगे...
सुषमा - अगर... राजकुमार किसी लड़की को.. चाहते हों... तो...
पिनाक - हा हा हा हा... राजकुमार... और चाहत... हा हा हा... छोटी रानी जी... आप अच्छी जोक सुना रही हैं...
सुषमा - क्यूँ... युवराज भी तो... प्रेम विवाह किया था...
पिनाक - (बहुत गंभीर हो कर) तभी तो... राजा साहब... स्वीकार नहीं कर पाए... युवराणी जी को... क्यूंकि उनका खुन राजसी नहीं है...
सुषमा - पर औरत की जात और गोत्र.. विवाह के उपरांत.. पति के घर की ही होती है...
पिनाक - हाँ बात आप सही कह रही हैं... अगर एक बच्चा हो गया होता... तो शायद... राजा साहब स्वीकार कर लेते... पर आप भुल रही हैं... उनकी गर्भपात हो चुकी है... और विवाह के तीन वर्ष होने को है... पर अभी तक... गर्भ की कोई खबर नहीं...
सुषमा - (दबी जुबान से) अगर राजकुमार... युवराज जी के राह पर चलते हुए... प्रेम विवाह कर लिया तो...

पिनाक गुस्से भरी नजर से सुषमा को देखने लगता है l

पिनाक - हमें उनके प्रेम से कोई मतलब नहीं है.... पर विवाह तो उनको हमारी मर्जी से ही करनी होगी... (थोड़ी देर के लिए उनके बीच खामोशी छा जाती है) (फिर कुछ देर बाद, कड़क आवाज में) छोटी रानी... अगर कुछ ऐसा हुआ भी है... तो भी हम नहीं पुछेंगे... कौन है... क्या है... राजकुमार जवान हैं... जो चाहे करें... हमें कोई मतलब नहीं है... अगली बार जब उनसे आपकी मुलाकात होगी... कह दीजियेगा उनसे... इस बार क्षेत्रपाल की मूंछें नीची नहीं होगी....

पिनाक और कुछ कहने के वजाए अपना मुहँ फ़ेर लेता है, और पिनाक की बातेँ सुन कर सुषमा को अंदर से झटका लगता है l

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वीर अपने केबिन में चहल कदम कर रहा है l एक अंदरुनी खुशी के साथ वह अपनी प्रियतमा का इंतजार कर रहा है l टेबल पर उसका मोबाइल रखा हुआ है l बीच बीच में वह मोबाइल फोन को हाथ में लेकर देख रहा है, पर कोई फोन नहीं आई है अब तक और ना ही कोई मैसेज आया है l फिर फोन को टेबल पर रख कर वापस कमरे में चहल कदम करने लगता है l थोड़ी देर बाद उसके फोन पर रिंग बजने लगता है l वीर अपना दमकते हुए चेहरे के साथ भागते हुए टेबल पर रखे फोन को उठाता है पर फोन के स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l उस कॉल को देखते ही उसकी आँखे बड़ी हो जाती है और हलक सुख जाता है l फोन पर रिंग बजते बजते कॉल कट जाता है l कमरे की ऐसी की ठंडक में भी उसके माथे पर पसीना निकलने लगता है l
फोन फिर से बजने लगती है l स्क्रीन पर वही प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l वीर फिर भी नहीं उठाता I उसकी सांसे तेजी से चलने लगता है l थोड़ी देर रिंग होने के बाद फोन पर फिर से रिंग बंद हो जाता है l फोन पर रिंग बंद होते ही वीर अपनी आँखे बंद कर एक सुकून भरा सांस छोड़ता है l कुछ देर बाद उसके मोबाइल पर एक मैसेज आता है l वीर वह मोबाइल खोल कर मैसेज देखता है

"भोषड़ी के फोन उठा... वरना... अनु को मार दूँगा..."

थोड़ी देर के बाद वीर की मोबाइल फिर से बजने लगती है l कांपते हाथ से फोन उठाता है और कान से लगाता है l

- क्यूँ बे... मादर चोद... कहाँ अपनी माँ चुदा रहा था...
वीर - (चिल्लाते हुए) शट अप...
- चिल्ला क्यूँ रहा है बे... चल बता.. फोन क्यूँ नहीं उठा रहा था...
वीर - तुमसे मतलब...
- मैं जब भी फोन करूँ... चुप चाप उठा लिया करना... वरना...
वीर - (जबड़े भींच कर, गुर्राते हुए) वरना...
- हा हा हा हा हा हा... वरना... तेरी जितनी फटी पड़ी है... उससे भी ज्यादा फाड़ दूँगा...
वीर - किस लिए... फोन किया...
- तुझे जब भी... कोई मैसेज देना होता है... तभी तो फोन... करता हूँ... इसलिए फोन उठाना... कभी बंद मत करना...
वीर - (दांत पिसते हुए) फोन किस लिए किया...
- कंग्रेचुलेशन...
वीर - किस लिए...
- अबे तेरी माँ ने... तेरी शादी जो पक्का कर दिया...
वीर - (चुप रहता है)
- अबे कंग्रेचुलेशन बोला है मैंने... ज़वाब तो दे....
वीर - थ... थैंक... थैंक्यू...
- पर यह शादी होगी नहीं...
वीर - (दांत पिसते हुए) तो तु रोकेगा शादी...
- हाँ... यह शादी... होगी नहीं... मैं... होने ही नहीं दूँगा...
वीर - (चिल्लाते हुए) क्यूँ... क्यूँ... क्यूँ...
- फिर चिल्लाया... (पुचकारते हुए) ना कुत्ते ना... चिल्ला मत... तु खुश हो जाए... यह मुझसे... देखा ना जाएगा... (आवाज़ में गंभीरता लाते हुए) मैंने खुद से वादा किया है... चाहे कुछ भी हो जाए... मैं तुझे कभी खुश होने ही नहीं दूँगा.... तुझे जितनी मस्ती करनी है... कर ले.. या मारनी है... तो मार ले... पर शादी... तेरी होने से रही... यह मेरा तुझसे वादा है...
वीर - कुत्ते... (चिल्लाता है) साले... सामने आ कर बात कर... सामने आकर वार कर...

फोन कट चुका था l वीर चिढ़ते हुए फोन फेंकने को होता है कि रुक जाता है l फिर अपने कुर्सी पर बैठ कर अपना सिर आगे की ओर झुका कर दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से गहरी लंबी सांसे लेने लगता है l ऑफिस में सभी का कमरा साउंड प्रूफ था, इसलिए उसके साथ जो हुआ या उसने जो हरकत की कमरे के अंदर बाहर किसीको भी पता नहीं चला l वह फिर अपना सिर पीछे की ओर चेयर पर लुढ़का कर आँखे बंद कर लेता है l तभी क्लिक की आवाज़ उसके कानों में पड़ती है l वह आँखे खोल कर दरवाज़े की ओर देखता है l दरवाजा धीरे से खुलता है ESS के यूनीफॉर्म में अनु अंदर आती है l अनु मुस्कराते हुए शर्म के मारे नजरें झुका कर दरवाजे से पीठ टीका कर वहीँ खड़ी हो जाती है l वीर उसे देख कर एक सुकून सा महसुस करता है, वह आवेग भरे भाव से अपनी कुर्सी से उठता है और अनु के पास आकर खड़ा हो जाता है l
अनु की धडकने बढ़ जाती हैं, उसका चेहरा लाल हो जाता है l वह अपनी आँखे मूँद लेती है जब वीर उसका हाथ पकड़ कर अपने तरफ खिंच लेता है और जोर से गले लगा लेता I अनु भी शर्म और खुशी के साथ वीर की गले लग जाती है l अनु महसुस करती है वीर की जकड़ बढ़ने लगती है फिर अनु को अपने कंधे पर गिला गिला सा महसुस होता है l अनु वीर से अलग होने की कोशिश करती है l वीर अनु को अपने से अलग करता है l अनु हैरान हो कर वीर को देखने लगती है, वीर के चेहरे पर डर और दुख दिख रहा था और साथ साथ आंसू से भिगा हुआ था l

अनु - राज कुमार जी... आप... आप डरे हुए लग रहे हैं...

वीर अनु को कमरे में पड़े सोफ़े पर बिठाता है और खुद अनु के कदमों के पास आलथी पालथी मार कर बैठ जाता है l

वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर) अ... अनु... यह सवाल... मैंने तुमसे कई बार पुछा है... फिर से पूछता हूँ... तुमको मुझसे डर क्यूँ नहीं लगा... तुम जब मेरे बारे में सब जानती थी... तो तुम मुझसे... नफरत क्यूँ नहीं की...

वीर की इस सवाल पर अनु हैरान हो कर वीर के चेहरे को देखने लगती है l

वीर - बताओ अनु... तुमने... मुझसे नफरत.. क्यूँ नहीं की....

अनु अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाने की कोशिश करती है l वीर की दोनों हाथों को पकड़ कर अपने चेहरे पर रख देती है और वीर की आँखों में झांकते हुए l

अनु - राजकुमार जी... एक दिन मेरी दादी ने मुझे लेकर म्युनिसिपल ऑफिस में लेकर गई थी... मेरी कोई इच्छा नहीं थी... क्यूंकि... मैं दुनिया से डरती थी... दुनिया वालों से डरती थी... अपनी लड़की होने पर डरती थी... हर गली में... हर एक मोड़ पर.. हर शख्स को देख कर डरती थी... पर जिस दिन आपको देखा... पहली बार मुझे लगा कि मैं क्यूँ लड़की पैदा हुई हूँ... मैं शायद किसी बीच भंवर में भटक रही थी... मुझे किनारा दिखने लगा... क्यूंकि एक धधकते हुए ज्वाला जो मेरे तरफ बढ़ा चला आ रहा था... मुझे बार बार यह एहसास दिला रहा था... की मैं एक पतंग हूँ... मुझे इस ज्वाला में मिल जाना है... मीट जाना है... फना हो जाना है... यह आवाज़ मेरे दिल की गहराई से सुनाई दे रही थी... इसलिए मुझे कभी आपसे डर नहीं लगा... और नफरत का सवाल ही नहीं उठता....

वीर एक टक अनु को सुन रहा था l ज्यों ज्यों अनु को सुन रहा था त्यों त्यों उसके चेहरे पर रौनक लौट रही थी l

वीर - (अनु की हाथों को जोर से पकड़ लेता है) ओ... अनु... तुम मेरी जिंदगी में... जल्दी क्यूँ नहीं आई... काश तुम पहले आई होती... मैं कभी भी उतना बुरा ना होता... जितना कभी था...
अनु - मैंने जब से जाना है आपको... आप कभी भी मुझे बुरे नहीं लगे...
वीर - अनु... बीते कल की बात... मैं कह नहीं सकता.. पर आज इतना ज़रूर कह सकता हूँ... तुम्हारे वगैर... मैं.. मेरा कुछ भी नहीं है... और एक वादा करता हूँ... जो भी तुमको मुझसे छीनने की कोशिश करेगा... या तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा... वह चाहे कोई भी हो... वह खुन के आंसू रोयेगा...

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रंग महल के बैठक में एक सिंहासन पर भैरव सिंह बैठा हुआ है l वह दाहिने तरफ हैंड रेस्ट पर दाहिनी कुहनी रख कर दो उंगलियों को माथे पर रख कर किसी सोच में डूबा हुआ है l उसके दाहिनी तरफ बगल में पिनाक सिंह बैठा हुआ है l बाएं तरफ तीन कुर्सियाँ पड़ी हुई है, पर वह कुर्सियाँ अभीतक खाली है l

पिनाक - राजा साहब...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
पिनाक - क्या हम... किसीके प्रतीक्षा में हैं...
भैरव सिंह - हूँ...
पिनाक - गुस्ताखी माफ हो अगर... क्या मैं पुछ सकता हूँ... हम किन की प्रतीक्षा में हैं....
भैरव - (सीधा हो कर बैठता है) छोटे राजा जी... आपके कल... विश्व के बारे में... बताने के बाद... हमने अपने हुकूमत की तीन खास दरबारियों को बुलाया है... उन्हें आने दीजिए... विश्वा नाम के कीड़े का इलाज वह लोग करेंगे...

कुछ देर बाद भीमा अंदर आता है और झुक कर खड़ा हो जाता है l

भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - कहो भीमा...
भीमा - वह लोग आ गए हैं... हुकुम...
भैरव सिंह - अंदर भेज दो उन्हें...

भीमा बाहर भागते हुए जाता है, और कुछ देर बाद भीमा साथ अनिकेत रोणा, बल्लभ प्रधान और श्रीधर परीड़ा तीनों आते हैं l

भैरव सिंह - आओ मेरे तीन रत्नों आओ... आज तुम मेरे बाजी के तीन इक्के लग रहे हो आओ... बैठो...

तीनों अपना अपना जगह बना कर बैठ जाते हैं l

पिनाक सिंह - ओ.. तो आप इन तीनों की बात कह रहे थे... (रोणा और बल्लभ से ) तो तुम लोगों ने अपना दिमाग चला ही लिया आखिर..
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक सिंह - अच्छा... तो यह बताओ... करना क्या है...
परीड़ा - छोटे राजा जी... विश्व के मांगे हुए इंफॉर्मेशन के ताल्लुक़ जो भी रिपोर्ट बननी है... वह सब मैं जानता हूँ... क्यूंकि आखिर मैं ही तो था... इंवेस्टीगेशन ऑफिसर...
भैरव सिंह - तो क्या ढूँढा है तुमने...
बल्लभ - राजा साहब... विश्व अगर.. रुप फाउंडेशन केस को दोबारा उछालता है... तो जाहिर है... केस पिछली बार की तरह... एक्शन रिप्ले होगा... पर फैसले में परीड़ा की... दिलीप कर की... और रोणा की स्टेटमेंट रिकार्ड हो चुका है... बात रुकी थी राजा साहब के पास... राजा साहब के साथ साथ... वह हो सकता है... परीड़ा और रोणा की फिर से क्रासएक्जाम करे... पर इस बार के लिए हम तैयार हैं...
पिनाक - अबे भूतनी के... उखाड़ा क्या है... या क्या उखाड़ना है...
रोणा - छोटे राजा जी... प्रधान वही तो बता रहा है... यहाँ राजा साहब... सिर्फ एक गवाह हैं... उन्हें एक्युस्ड बनाने के लिए... उसे कुछ और गवाहों की जरूरत पड़ेगी...
पिनाक सिंह - अच्छा...
बल्लभ - हाँ... उन लोगों के गवाही के वगैर... विश्व सीधे सीधे राजा साहब को... कटघरे खड़ा नहीं कर सकता...
पिनाक सिंह - तो... वह गवाह कौन हैं...
परीड़ा - तीन गवाह हैं.... पहला दलपती नायक... क्लर्क तहसील ऑफिस... दुसरा सदाशिव माली... अटेंडर यशपुर हॉस्पिटल... और तीसरा बीपीन नंद... पियोन रेवेन्यू ऑफिस...
पिनाक - तो इन लोगों को... हटाना है क्या...
बल्लभ - नहीं... हटाना नहीं है... वरना ... विश्व कोर्ट में... संदेह का लाभ उठा लेगा...
पिनाक सिंह - तो... करना क्या होगा उनका...
रोणा - कुछ ऐसा... की उन लोगों की गवाही... दुनिया के किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगा...
पिनाक सिंह - क्या... कैसे...
तीनों - (एक साथ) उन गवाहों को... पागल घोषित कर के...
पिनाक - क्या...
बल्लभ - हाँ छोटे राजा जी... किसी सरकारी डॉक्टर से... उन्हें दिमागी असंतुलन होने का सर्टिफिकेट दिलवा देते हैं...
पिनाक - फिर उनकी नौकरी...
बल्लभ - कोई खतरा नहीं होगी... उनकी नौकरी पर... ह्युमनटेरियन ग्राउंड पर... उनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं होगी... बस उन लोगों की गवाही... किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगी...

कुछ देर के लिए बैठक में चुप्पी छा जाती है l बल्लभ कहने के बाद भैरव सिंह को देखता है, भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव ना देख कर वह अपने दोस्तों के मुहँ ताकता है, वे लोग भी बल्लभ की तरह असमंजस स्थिति में दिखते हैं l अचानक बैठक में एक हँसी गूंजने लगता है l

"हा हा हा हा हा हा"

सबका ध्यान उस तरफ जाता है, देखते हैं भैरव सिंह हँस रहा है l
Jabardasttt Updateee


Inn haramiyon ki fauj ne jo plan banaya hai agar usse vishwa fail kar deta hai yaa phir Unka dusra dushman fail kardeta hai toh inka kyaa hogaa.

Aur phir jis hospital se yeh certificate lenge kee Vishwa uss doctor ko cross examine nhi karega. Aur hosakta hai thoda darane se woh sach ugal de

Dekhte hai aage kya hota hai.
 

Jasdil

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👉एक सौ तीन अपडेट
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खाने के टेबल पर तापस और विश्व बैठे हुए हैं l प्रतिभा जहां ताजगी महसुस कर रही है वहीँ तापस के सिर पर एक बैंड बंधा हुआ है l दोनों को प्रतिभा खाना परोस रही है l तापस के थाली में खट्टे का आईटॉम परोसा हुआ है और विश्व के थाली में मसाले दार खाना l

तापस - अरे भाग्यवान... एक ही डायनिंग टेबल पर... इतनी भिन्नता क्यूँ...
प्रतिभा - वह क्या है कि... आपकी हैंग ओवर... अभीतक नहीं उतरी है... देर से भी उठे हैं आज...
तापस - देर से तो तुम भी उठी हो...
प्रतिभा - क्यूंकि.. मैं देर से सोई थी...
तापस - देखो कितनी गलत बात है.... मुझे खट्टा ही ख़ट्टा... और इन लाट साहब को... मसाले दार चटखा...
प्रतिभा - देखो जी कहे देती हूँ... नजर ना लगाओ...
तापस - क्या... मैं नजर लगाऊंगा... वैसे... तुम क्या खा रही हो...

प्रतिभा कुछ कहती नहीं, वह सीधे अपनी थाली में मसाले दार खाना परोस कर बैठ जाती है l तापस रोनी सुरत बना कर विश्व की ओर देखता है l विश्व अपना खाना शुरु कर चुका था l विश्व खाना खाते हुए तापस को देखता है और आंखों के इशारे से पूछता है

विश्व - क्या हुआ...
तापस - (मुहँ बना कर इशारे से अपनी थाली की ओर देख कर) मेरी थाली देख... और तेरी थाली देख...
विश्व - (अपनी कंधे उचका कर) उसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
तापस - (अपनी थाली की ओर दिखाते हुए हलक से थूक निगल कर ना में सिर हिलाते हुए ) यह मुझसे... ना निगला जाएगा...
विश्व - (अपनी थाली का खाना दिखा कर और तापस के थाली का खाना दिखा कर अंगूठा माथे पर घूमाते हुए) नसीब का लिखा... कोई नहीं टाल सकता...
तापस - (अपना जबड़ा भींच कर मुहँ, आँखे और भवें सिकुड़ कर) अच्छा बेटा... मुझे ज्ञान दे रहा है... मेरा टाइम आने दे...
प्रतिभा - हो गया...
तापस - आपका मेरे बेटे को धमकाना..
तापस - मम्ममम्म.. मैंने कहाँ धमकाया...
प्रतिभा - खाने में दही बैंगन... और इमली की चारु दी है... गनीमत समझिए... करेले की सब्जी नहीं दी मैंने... इसलिए जल्दी खतम कीजिए... मुझे बर्तन भी मांजने हैं...
तापस - जी जरूर...

कह कर उखड़े मुड़ से खाना खाता है l प्रतिभा दोबारा खाने को पूछती है l तो तापस मुस्कराते हुए मना सिर हिला कर मना करता है l खाना खतम कर विश्व हाथ धो कर ड्रॉइंग रुम में बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद तापस उसके सामने आकर बैठता है l उधर सारे बर्तन समेट कर प्रतिभा किचन में मांजने के लगती है l इधर ड्रॉइंग रुम में विश्व एक टूथ पीक को अपने दांतों में इस्तमाल करता है जिसे देख कर तापस जल भुन जाता है और उसे खा जाने वाली नजर में देखता है l

तास - (इशारे से) क्या कहा.. नसीब का लिखा... हूँउँउँ.. कल के इंसिडेंट के लिए... मुझे तुझ पर शक हो रहा है...
विश्व - (इशारे से,पलकें झपका कर)आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं...
तापस - (चौंक कर, आँखे बड़ी करते हुए) क्या... (थंब्स अप के इशारे से अँगूठा मुहँ की ओर ले जाते हुए) यानी मेरे पेग में... कुछ गड़बड़ था...
विश्व - (मुस्करा कर इत्मिनान से अपना सिर हाँ में हिलाता है)

तापस अपनी जगह से उठ कर विश्व के बगल में बैठ कर विश्व की कलर पकड़ कर धीरे से फुसफुसाते हुए l

तापस - कमीने.. कमबख्त.. तुने... मेरे खिलाफ साजिश की... पर कैसे... पार्टी में...
विश्व - (फुसफुसाते हुए) पहले मेरे कलर को छोड़िए...
तापस - नहीं छोड़ूंगा...
विश्व - मैं माँ को बुला दूँगा...
तापस - (कलर छोड़ते हुए) जा माँ के बच्चे... छोड़ दिया...
विश्व - हाँ आपका सीन यहीं तक सीमित है... इससे आगे करके तो देखिये...
तापस - क्यूँ रे नालायक.... तुझे शर्म नहीं आती... इस उम्र में... मुझे घर के बाहर सुलाना चाहता है...
विश्व - घर से बाहर नहीं... कमरे से बाहर...
तापस - अच्छा ठीक है... ठीक है... यह बता... तु तो अपनी माँ के पास था... साथ था... फिर तुने यह साजिश रची कब...
विश्व - वेरी सिम्पल... मैंने पहले से ही सीलु, टीलु और जीलु को बुला लिया था... जीलु वह पार्टी में एक सर्विस बॉय बन कर आपके आसपास था... टीलु... सिक्युरिटी गार्ड बना हुआ था... और सीलु... मेरी हर मेसेज पर एक्ट कर रहा था...
तापस - एक्ट कर रहा था... मतलब..
विश्व - मैं उसे.. मैसेज से जो भी... इंस्ट्रक्शन दे रहा था... वह उसीके हिसाब से... अपना रोल निभा रहा था...
तापस - (अपना मुहँ सिकुड़ कर) तभी... जब मैंने पहला पेग लिया... डाऊट तो हुआ... पर... क्या उसने नींद की गोली मिलाई थी...
विश्व - नहीं... उसने.. सिम्फनी होटल के... सिम्फनी मार्टिनी के नाम से... एक स्पेशल पेग बना कर आपको दिया था...
तापस - तभी... तभी मैं सोचूँ... के मैं ठहरा एक लंबी रेस का घोड़ा.. इतने में कैसे फूस हो गया... वैसे.. (भवें नचा कर) था क्या... मजा आ गया...
विश्व - नाइंटी एम एल के पेग में... वोडका.. रम... विस्की... स्कॉच.. ब्रांडी... और बियर की... एक स्पेशल मिक्स...
तापस - कमीने... मुझे... यह सिम्फनी मार्टिनी... पीला कर... आज खट्टे वाला खाना खिला कर... क्या मिला तुझे...
विश्व - सुकून... (अपना दोनों हाथ फैला कर) इतना बड़ा सुकून...
तास - कमबख्त... बदबख्त... कैसा सुकून...
विश्व - (तापस की ओर मुड़ कर बैठता है) डैड... पहली बात... कुछ दिन पहले... मैंने आपको... अपना माउजर गाड़ी में छुपाते हुए देख लिया था...
तापस - (एक झटका सा लगता है, पर चुप रहता है)
विश्व - आपका मेरे लिए... फिक्रमंद होना जायज है... पर... डैड... कभी कभी आप मुझ पर से... विश्वास क्यूँ खो देते हैं... इतना इनसिक्योर तो माँ भी नहीं होती... आप क्यूँ... जरा सोचिए... कल की पार्टी.. एक वीवीआईपी की थी... अगर आप पकड़े गए होते... तो... क्या हो सकता था... क्या क्लैरिफीकेशन देते... अंदर वेपन ले जाने की...
तास - (किचन की ओर देख कर फुसफुसाते हुए) वह तो ठीक है... पर... तुझे मालुम कब हुआ... मेरे पास वेपन है...
विश्व - डैड.. कहा ना... मैंने आपको गाड़ी में... माउजर को छुपाते हुए देखा था.. और ड्राइव... मैं कर रहा था... कल रियर मिरर में.. देख लिया था... आप बड़े चालाकी से.. माउजर को.. अपने मोजे में रखते हुए... मैंने... इस बात का मैसेज... मैंने सीलु को कर दिया था... इसलिए हम जब मेटल डिटेक्टर से गुजरे थे... टीलु ने सिक्युरिटी वालों का ध्यान बटा दिया था... बाकी का काम... आप समझ सकते हैं...
तास - ओ.. अच्छा...
विश्व - हाँ... उसके बाद... जीलु ने... अंदर पार्टी में... आपको वह स्पेशल... सिम्फनी मार्टिनी बना कर पीला दिया...
तापस - पर वह... माउजर...
विश्व - आपके सेल्फ में है...
तापस - पर तुने... उन तीनों को बुलाया ही कब... और क्यूँ..
विश्व - सिर्फ मिलु ही वापस चला गया था... वे लोग तब से भुवनेश्वर में ही हैं... लंबी छुट्टी में...
तापस - अच्छा... और वह तीनों... पार्टी में क्या कर रहा थे...
विश्व - मुझे पल पल की.. अपडेट्स दे रहे थे...
तापस - ह्म्म्म्म.. और अब वह लोग हैं कहाँ...
विश्व - क्यूँ... किस लिए...
तापस - (चहकते हुए) नाइंटी एमएल में... वह सिम्फनी मार्टिनी बनता कैसे है... यही पूछना था उसे...
विश्व - क्यूँ... खट्टा खाने से जी नहीं भरा...
तापस - बेरहम... बेमुरव्वत... बेहया... बेवफ़ा... नामुराद...
प्रतिभा - (हाथ पोछते हुए अंदर आकर) क्या फुसुर फुसुर हो रहा है... आप दोनों में...
तापस - कुछ नहीं भाग्यवान... शराब पीना कितनी बुरी बात है... यही समझा रहा हूँ... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) खाने में या तो खट्टा मिलता है... या फिर करेला...

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दोपहर का समय
एक गाड़ी यशपुर की ओर भागी जा रही है l उसके आगे पीछे एसकॉट करते हुए आगे एक गार्ड जीप और पीछे एक गार्ड जीप जा रही है l जाहिर है गाड़ी में पिनाक और सुषमा हैं जो राजगड़ की ओर जा रहे हैं l

पिनाक - छोटी रानी जी... आप सुबह सुबह कहाँ चली गई थीं... हम आज सुबह तड़के निकल गए होते.... तो अब तक राजगड़ पहुँच गए होते...
सुषमा - बच्चों के साथ... बच्चों के लिए... थोड़ा वक़्त बिता रहे थे...
पिनाक - वह कोई... दूध पीते बच्चे नहीं हैं... अपना खयाल रख सकते हैं...
सुषमा - हाँ फिर भी... बच्चे कभी कभी... अपने बड़ों को ढूंढते हैं... तब हमें उनका हाथ थामना तो चाहिए ना...
पिनाक - (चिढ़ कर) ठीक है... ठीक है... पर इसका मतलब यह तो नहीं... के हम अपना फर्ज भुल जाएं...
सुषमा - (हैरान हो कर) हमने क्या भुला है...
पिनाक - छोटी रानी... आप भुल रहे हैं कि... बड़े राजा जी की तबीयत खराब है... उनका खयाल रखना आपकी जिम्मेदारी है...
सुषमा - तो हमने कभी अपनी जिम्मेदारी से इंकार भी तो नहीं कि है...
पिनाक - हम इल्ज़ाम नहीं लगा रहे हैं... हम बस अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं...
सुषमा - ठीक है... आपकी चिंता... बड़े राजा साहब के लिए है... अच्छी बात है... पर अपने राजकुमार के लिए... कोई चिंता किया है आपने...
पिनाक - क्यूँ... हाथ से फिसल रहे हैं क्या... हा हा हा हा हा हा हा... जवान हैं... मर्द हैं... और उनके अकाउंट में... पैसा भी बराबर है...
सुषमा - बस हो गई आपकी जिम्मेदारी पुरी...
पिनाक - अररे... तेईस साल के गबरु को... गोद में उठाऊँ क्या...
सुषमा - नहीं... पर हम यह कह रहे थे... क्या आपने... राजकुमार से... उनकी शादी के बारे में सोचा है...
पिनाक - क्यूँ... अभी कॉलेज की पढ़ाई तो पुरी होने दें... फिर वह पुरी तरह से ESS के मैनेजिंग डायरेक्टर हो जाएंगे... क्यूंकि... अब बहुत जल्द युवराज... मेन स्ट्रीम पालिटिक्स में आ जाएंगे... तब हम उनकी शादी करा देंगे...
सुषमा - अगर... राजकुमार किसी लड़की को.. चाहते हों... तो...
पिनाक - हा हा हा हा... राजकुमार... और चाहत... हा हा हा... छोटी रानी जी... आप अच्छी जोक सुना रही हैं...
सुषमा - क्यूँ... युवराज भी तो... प्रेम विवाह किया था...
पिनाक - (बहुत गंभीर हो कर) तभी तो... राजा साहब... स्वीकार नहीं कर पाए... युवराणी जी को... क्यूंकि उनका खुन राजसी नहीं है...
सुषमा - पर औरत की जात और गोत्र.. विवाह के उपरांत.. पति के घर की ही होती है...
पिनाक - हाँ बात आप सही कह रही हैं... अगर एक बच्चा हो गया होता... तो शायद... राजा साहब स्वीकार कर लेते... पर आप भुल रही हैं... उनकी गर्भपात हो चुकी है... और विवाह के तीन वर्ष होने को है... पर अभी तक... गर्भ की कोई खबर नहीं...
सुषमा - (दबी जुबान से) अगर राजकुमार... युवराज जी के राह पर चलते हुए... प्रेम विवाह कर लिया तो...

पिनाक गुस्से भरी नजर से सुषमा को देखने लगता है l

पिनाक - हमें उनके प्रेम से कोई मतलब नहीं है.... पर विवाह तो उनको हमारी मर्जी से ही करनी होगी... (थोड़ी देर के लिए उनके बीच खामोशी छा जाती है) (फिर कुछ देर बाद, कड़क आवाज में) छोटी रानी... अगर कुछ ऐसा हुआ भी है... तो भी हम नहीं पुछेंगे... कौन है... क्या है... राजकुमार जवान हैं... जो चाहे करें... हमें कोई मतलब नहीं है... अगली बार जब उनसे आपकी मुलाकात होगी... कह दीजियेगा उनसे... इस बार क्षेत्रपाल की मूंछें नीची नहीं होगी....

पिनाक और कुछ कहने के वजाए अपना मुहँ फ़ेर लेता है, और पिनाक की बातेँ सुन कर सुषमा को अंदर से झटका लगता है l

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वीर अपने केबिन में चहल कदम कर रहा है l एक अंदरुनी खुशी के साथ वह अपनी प्रियतमा का इंतजार कर रहा है l टेबल पर उसका मोबाइल रखा हुआ है l बीच बीच में वह मोबाइल फोन को हाथ में लेकर देख रहा है, पर कोई फोन नहीं आई है अब तक और ना ही कोई मैसेज आया है l फिर फोन को टेबल पर रख कर वापस कमरे में चहल कदम करने लगता है l थोड़ी देर बाद उसके फोन पर रिंग बजने लगता है l वीर अपना दमकते हुए चेहरे के साथ भागते हुए टेबल पर रखे फोन को उठाता है पर फोन के स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l उस कॉल को देखते ही उसकी आँखे बड़ी हो जाती है और हलक सुख जाता है l फोन पर रिंग बजते बजते कॉल कट जाता है l कमरे की ऐसी की ठंडक में भी उसके माथे पर पसीना निकलने लगता है l
फोन फिर से बजने लगती है l स्क्रीन पर वही प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l वीर फिर भी नहीं उठाता I उसकी सांसे तेजी से चलने लगता है l थोड़ी देर रिंग होने के बाद फोन पर फिर से रिंग बंद हो जाता है l फोन पर रिंग बंद होते ही वीर अपनी आँखे बंद कर एक सुकून भरा सांस छोड़ता है l कुछ देर बाद उसके मोबाइल पर एक मैसेज आता है l वीर वह मोबाइल खोल कर मैसेज देखता है

"भोषड़ी के फोन उठा... वरना... अनु को मार दूँगा..."

थोड़ी देर के बाद वीर की मोबाइल फिर से बजने लगती है l कांपते हाथ से फोन उठाता है और कान से लगाता है l

- क्यूँ बे... मादर चोद... कहाँ अपनी माँ चुदा रहा था...
वीर - (चिल्लाते हुए) शट अप...
- चिल्ला क्यूँ रहा है बे... चल बता.. फोन क्यूँ नहीं उठा रहा था...
वीर - तुमसे मतलब...
- मैं जब भी फोन करूँ... चुप चाप उठा लिया करना... वरना...
वीर - (जबड़े भींच कर, गुर्राते हुए) वरना...
- हा हा हा हा हा हा... वरना... तेरी जितनी फटी पड़ी है... उससे भी ज्यादा फाड़ दूँगा...
वीर - किस लिए... फोन किया...
- तुझे जब भी... कोई मैसेज देना होता है... तभी तो फोन... करता हूँ... इसलिए फोन उठाना... कभी बंद मत करना...
वीर - (दांत पिसते हुए) फोन किस लिए किया...
- कंग्रेचुलेशन...
वीर - किस लिए...
- अबे तेरी माँ ने... तेरी शादी जो पक्का कर दिया...
वीर - (चुप रहता है)
- अबे कंग्रेचुलेशन बोला है मैंने... ज़वाब तो दे....
वीर - थ... थैंक... थैंक्यू...
- पर यह शादी होगी नहीं...
वीर - (दांत पिसते हुए) तो तु रोकेगा शादी...
- हाँ... यह शादी... होगी नहीं... मैं... होने ही नहीं दूँगा...
वीर - (चिल्लाते हुए) क्यूँ... क्यूँ... क्यूँ...
- फिर चिल्लाया... (पुचकारते हुए) ना कुत्ते ना... चिल्ला मत... तु खुश हो जाए... यह मुझसे... देखा ना जाएगा... (आवाज़ में गंभीरता लाते हुए) मैंने खुद से वादा किया है... चाहे कुछ भी हो जाए... मैं तुझे कभी खुश होने ही नहीं दूँगा.... तुझे जितनी मस्ती करनी है... कर ले.. या मारनी है... तो मार ले... पर शादी... तेरी होने से रही... यह मेरा तुझसे वादा है...
वीर - कुत्ते... (चिल्लाता है) साले... सामने आ कर बात कर... सामने आकर वार कर...

फोन कट चुका था l वीर चिढ़ते हुए फोन फेंकने को होता है कि रुक जाता है l फिर अपने कुर्सी पर बैठ कर अपना सिर आगे की ओर झुका कर दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से गहरी लंबी सांसे लेने लगता है l ऑफिस में सभी का कमरा साउंड प्रूफ था, इसलिए उसके साथ जो हुआ या उसने जो हरकत की कमरे के अंदर बाहर किसीको भी पता नहीं चला l वह फिर अपना सिर पीछे की ओर चेयर पर लुढ़का कर आँखे बंद कर लेता है l तभी क्लिक की आवाज़ उसके कानों में पड़ती है l वह आँखे खोल कर दरवाज़े की ओर देखता है l दरवाजा धीरे से खुलता है ESS के यूनीफॉर्म में अनु अंदर आती है l अनु मुस्कराते हुए शर्म के मारे नजरें झुका कर दरवाजे से पीठ टीका कर वहीँ खड़ी हो जाती है l वीर उसे देख कर एक सुकून सा महसुस करता है, वह आवेग भरे भाव से अपनी कुर्सी से उठता है और अनु के पास आकर खड़ा हो जाता है l
अनु की धडकने बढ़ जाती हैं, उसका चेहरा लाल हो जाता है l वह अपनी आँखे मूँद लेती है जब वीर उसका हाथ पकड़ कर अपने तरफ खिंच लेता है और जोर से गले लगा लेता I अनु भी शर्म और खुशी के साथ वीर की गले लग जाती है l अनु महसुस करती है वीर की जकड़ बढ़ने लगती है फिर अनु को अपने कंधे पर गिला गिला सा महसुस होता है l अनु वीर से अलग होने की कोशिश करती है l वीर अनु को अपने से अलग करता है l अनु हैरान हो कर वीर को देखने लगती है, वीर के चेहरे पर डर और दुख दिख रहा था और साथ साथ आंसू से भिगा हुआ था l

अनु - राज कुमार जी... आप... आप डरे हुए लग रहे हैं...

वीर अनु को कमरे में पड़े सोफ़े पर बिठाता है और खुद अनु के कदमों के पास आलथी पालथी मार कर बैठ जाता है l

वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर) अ... अनु... यह सवाल... मैंने तुमसे कई बार पुछा है... फिर से पूछता हूँ... तुमको मुझसे डर क्यूँ नहीं लगा... तुम जब मेरे बारे में सब जानती थी... तो तुम मुझसे... नफरत क्यूँ नहीं की...

वीर की इस सवाल पर अनु हैरान हो कर वीर के चेहरे को देखने लगती है l

वीर - बताओ अनु... तुमने... मुझसे नफरत.. क्यूँ नहीं की....

अनु अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाने की कोशिश करती है l वीर की दोनों हाथों को पकड़ कर अपने चेहरे पर रख देती है और वीर की आँखों में झांकते हुए l

अनु - राजकुमार जी... एक दिन मेरी दादी ने मुझे लेकर म्युनिसिपल ऑफिस में लेकर गई थी... मेरी कोई इच्छा नहीं थी... क्यूंकि... मैं दुनिया से डरती थी... दुनिया वालों से डरती थी... अपनी लड़की होने पर डरती थी... हर गली में... हर एक मोड़ पर.. हर शख्स को देख कर डरती थी... पर जिस दिन आपको देखा... पहली बार मुझे लगा कि मैं क्यूँ लड़की पैदा हुई हूँ... मैं शायद किसी बीच भंवर में भटक रही थी... मुझे किनारा दिखने लगा... क्यूंकि एक धधकते हुए ज्वाला जो मेरे तरफ बढ़ा चला आ रहा था... मुझे बार बार यह एहसास दिला रहा था... की मैं एक पतंग हूँ... मुझे इस ज्वाला में मिल जाना है... मीट जाना है... फना हो जाना है... यह आवाज़ मेरे दिल की गहराई से सुनाई दे रही थी... इसलिए मुझे कभी आपसे डर नहीं लगा... और नफरत का सवाल ही नहीं उठता....

वीर एक टक अनु को सुन रहा था l ज्यों ज्यों अनु को सुन रहा था त्यों त्यों उसके चेहरे पर रौनक लौट रही थी l

वीर - (अनु की हाथों को जोर से पकड़ लेता है) ओ... अनु... तुम मेरी जिंदगी में... जल्दी क्यूँ नहीं आई... काश तुम पहले आई होती... मैं कभी भी उतना बुरा ना होता... जितना कभी था...
अनु - मैंने जब से जाना है आपको... आप कभी भी मुझे बुरे नहीं लगे...
वीर - अनु... बीते कल की बात... मैं कह नहीं सकता.. पर आज इतना ज़रूर कह सकता हूँ... तुम्हारे वगैर... मैं.. मेरा कुछ भी नहीं है... और एक वादा करता हूँ... जो भी तुमको मुझसे छीनने की कोशिश करेगा... या तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा... वह चाहे कोई भी हो... वह खुन के आंसू रोयेगा...

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रंग महल के बैठक में एक सिंहासन पर भैरव सिंह बैठा हुआ है l वह दाहिने तरफ हैंड रेस्ट पर दाहिनी कुहनी रख कर दो उंगलियों को माथे पर रख कर किसी सोच में डूबा हुआ है l उसके दाहिनी तरफ बगल में पिनाक सिंह बैठा हुआ है l बाएं तरफ तीन कुर्सियाँ पड़ी हुई है, पर वह कुर्सियाँ अभीतक खाली है l

पिनाक - राजा साहब...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
पिनाक - क्या हम... किसीके प्रतीक्षा में हैं...
भैरव सिंह - हूँ...
पिनाक - गुस्ताखी माफ हो अगर... क्या मैं पुछ सकता हूँ... हम किन की प्रतीक्षा में हैं....
भैरव - (सीधा हो कर बैठता है) छोटे राजा जी... आपके कल... विश्व के बारे में... बताने के बाद... हमने अपने हुकूमत की तीन खास दरबारियों को बुलाया है... उन्हें आने दीजिए... विश्वा नाम के कीड़े का इलाज वह लोग करेंगे...

कुछ देर बाद भीमा अंदर आता है और झुक कर खड़ा हो जाता है l

भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - कहो भीमा...
भीमा - वह लोग आ गए हैं... हुकुम...
भैरव सिंह - अंदर भेज दो उन्हें...

भीमा बाहर भागते हुए जाता है, और कुछ देर बाद भीमा साथ अनिकेत रोणा, बल्लभ प्रधान और श्रीधर परीड़ा तीनों आते हैं l

भैरव सिंह - आओ मेरे तीन रत्नों आओ... आज तुम मेरे बाजी के तीन इक्के लग रहे हो आओ... बैठो...

तीनों अपना अपना जगह बना कर बैठ जाते हैं l

पिनाक सिंह - ओ.. तो आप इन तीनों की बात कह रहे थे... (रोणा और बल्लभ से ) तो तुम लोगों ने अपना दिमाग चला ही लिया आखिर..
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक सिंह - अच्छा... तो यह बताओ... करना क्या है...
परीड़ा - छोटे राजा जी... विश्व के मांगे हुए इंफॉर्मेशन के ताल्लुक़ जो भी रिपोर्ट बननी है... वह सब मैं जानता हूँ... क्यूंकि आखिर मैं ही तो था... इंवेस्टीगेशन ऑफिसर...
भैरव सिंह - तो क्या ढूँढा है तुमने...
बल्लभ - राजा साहब... विश्व अगर.. रुप फाउंडेशन केस को दोबारा उछालता है... तो जाहिर है... केस पिछली बार की तरह... एक्शन रिप्ले होगा... पर फैसले में परीड़ा की... दिलीप कर की... और रोणा की स्टेटमेंट रिकार्ड हो चुका है... बात रुकी थी राजा साहब के पास... राजा साहब के साथ साथ... वह हो सकता है... परीड़ा और रोणा की फिर से क्रासएक्जाम करे... पर इस बार के लिए हम तैयार हैं...
पिनाक - अबे भूतनी के... उखाड़ा क्या है... या क्या उखाड़ना है...
रोणा - छोटे राजा जी... प्रधान वही तो बता रहा है... यहाँ राजा साहब... सिर्फ एक गवाह हैं... उन्हें एक्युस्ड बनाने के लिए... उसे कुछ और गवाहों की जरूरत पड़ेगी...
पिनाक सिंह - अच्छा...
बल्लभ - हाँ... उन लोगों के गवाही के वगैर... विश्व सीधे सीधे राजा साहब को... कटघरे खड़ा नहीं कर सकता...
पिनाक सिंह - तो... वह गवाह कौन हैं...
परीड़ा - तीन गवाह हैं.... पहला दलपती नायक... क्लर्क तहसील ऑफिस... दुसरा सदाशिव माली... अटेंडर यशपुर हॉस्पिटल... और तीसरा बीपीन नंद... पियोन रेवेन्यू ऑफिस...
पिनाक - तो इन लोगों को... हटाना है क्या...
बल्लभ - नहीं... हटाना नहीं है... वरना ... विश्व कोर्ट में... संदेह का लाभ उठा लेगा...
पिनाक सिंह - तो... करना क्या होगा उनका...
रोणा - कुछ ऐसा... की उन लोगों की गवाही... दुनिया के किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगा...
पिनाक सिंह - क्या... कैसे...
तीनों - (एक साथ) उन गवाहों को... पागल घोषित कर के...
पिनाक - क्या...
बल्लभ - हाँ छोटे राजा जी... किसी सरकारी डॉक्टर से... उन्हें दिमागी असंतुलन होने का सर्टिफिकेट दिलवा देते हैं...
पिनाक - फिर उनकी नौकरी...
बल्लभ - कोई खतरा नहीं होगी... उनकी नौकरी पर... ह्युमनटेरियन ग्राउंड पर... उनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं होगी... बस उन लोगों की गवाही... किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगी...

कुछ देर के लिए बैठक में चुप्पी छा जाती है l बल्लभ कहने के बाद भैरव सिंह को देखता है, भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव ना देख कर वह अपने दोस्तों के मुहँ ताकता है, वे लोग भी बल्लभ की तरह असमंजस स्थिति में दिखते हैं l अचानक बैठक में एक हँसी गूंजने लगता है l

"हा हा हा हा हा हा"

सबका ध्यान उस तरफ जाता है, देखते हैं भैरव सिंह हँस रहा है l
nice update bro
 

Surya_021

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👉एक सौ तीन अपडेट
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खाने के टेबल पर तापस और विश्व बैठे हुए हैं l प्रतिभा जहां ताजगी महसुस कर रही है वहीँ तापस के सिर पर एक बैंड बंधा हुआ है l दोनों को प्रतिभा खाना परोस रही है l तापस के थाली में खट्टे का आईटॉम परोसा हुआ है और विश्व के थाली में मसाले दार खाना l

तापस - अरे भाग्यवान... एक ही डायनिंग टेबल पर... इतनी भिन्नता क्यूँ...
प्रतिभा - वह क्या है कि... आपकी हैंग ओवर... अभीतक नहीं उतरी है... देर से भी उठे हैं आज...
तापस - देर से तो तुम भी उठी हो...
प्रतिभा - क्यूंकि.. मैं देर से सोई थी...
तापस - देखो कितनी गलत बात है.... मुझे खट्टा ही ख़ट्टा... और इन लाट साहब को... मसाले दार चटखा...
प्रतिभा - देखो जी कहे देती हूँ... नजर ना लगाओ...
तापस - क्या... मैं नजर लगाऊंगा... वैसे... तुम क्या खा रही हो...

प्रतिभा कुछ कहती नहीं, वह सीधे अपनी थाली में मसाले दार खाना परोस कर बैठ जाती है l तापस रोनी सुरत बना कर विश्व की ओर देखता है l विश्व अपना खाना शुरु कर चुका था l विश्व खाना खाते हुए तापस को देखता है और आंखों के इशारे से पूछता है

विश्व - क्या हुआ...
तापस - (मुहँ बना कर इशारे से अपनी थाली की ओर देख कर) मेरी थाली देख... और तेरी थाली देख...
विश्व - (अपनी कंधे उचका कर) उसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
तापस - (अपनी थाली की ओर दिखाते हुए हलक से थूक निगल कर ना में सिर हिलाते हुए ) यह मुझसे... ना निगला जाएगा...
विश्व - (अपनी थाली का खाना दिखा कर और तापस के थाली का खाना दिखा कर अंगूठा माथे पर घूमाते हुए) नसीब का लिखा... कोई नहीं टाल सकता...
तापस - (अपना जबड़ा भींच कर मुहँ, आँखे और भवें सिकुड़ कर) अच्छा बेटा... मुझे ज्ञान दे रहा है... मेरा टाइम आने दे...
प्रतिभा - हो गया...
तापस - आपका मेरे बेटे को धमकाना..
तापस - मम्ममम्म.. मैंने कहाँ धमकाया...
प्रतिभा - खाने में दही बैंगन... और इमली की चारु दी है... गनीमत समझिए... करेले की सब्जी नहीं दी मैंने... इसलिए जल्दी खतम कीजिए... मुझे बर्तन भी मांजने हैं...
तापस - जी जरूर...

कह कर उखड़े मुड़ से खाना खाता है l प्रतिभा दोबारा खाने को पूछती है l तो तापस मुस्कराते हुए मना सिर हिला कर मना करता है l खाना खतम कर विश्व हाथ धो कर ड्रॉइंग रुम में बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद तापस उसके सामने आकर बैठता है l उधर सारे बर्तन समेट कर प्रतिभा किचन में मांजने के लगती है l इधर ड्रॉइंग रुम में विश्व एक टूथ पीक को अपने दांतों में इस्तमाल करता है जिसे देख कर तापस जल भुन जाता है और उसे खा जाने वाली नजर में देखता है l

तास - (इशारे से) क्या कहा.. नसीब का लिखा... हूँउँउँ.. कल के इंसिडेंट के लिए... मुझे तुझ पर शक हो रहा है...
विश्व - (इशारे से,पलकें झपका कर)आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं...
तापस - (चौंक कर, आँखे बड़ी करते हुए) क्या... (थंब्स अप के इशारे से अँगूठा मुहँ की ओर ले जाते हुए) यानी मेरे पेग में... कुछ गड़बड़ था...
विश्व - (मुस्करा कर इत्मिनान से अपना सिर हाँ में हिलाता है)

तापस अपनी जगह से उठ कर विश्व के बगल में बैठ कर विश्व की कलर पकड़ कर धीरे से फुसफुसाते हुए l

तापस - कमीने.. कमबख्त.. तुने... मेरे खिलाफ साजिश की... पर कैसे... पार्टी में...
विश्व - (फुसफुसाते हुए) पहले मेरे कलर को छोड़िए...
तापस - नहीं छोड़ूंगा...
विश्व - मैं माँ को बुला दूँगा...
तापस - (कलर छोड़ते हुए) जा माँ के बच्चे... छोड़ दिया...
विश्व - हाँ आपका सीन यहीं तक सीमित है... इससे आगे करके तो देखिये...
तापस - क्यूँ रे नालायक.... तुझे शर्म नहीं आती... इस उम्र में... मुझे घर के बाहर सुलाना चाहता है...
विश्व - घर से बाहर नहीं... कमरे से बाहर...
तापस - अच्छा ठीक है... ठीक है... यह बता... तु तो अपनी माँ के पास था... साथ था... फिर तुने यह साजिश रची कब...
विश्व - वेरी सिम्पल... मैंने पहले से ही सीलु, टीलु और जीलु को बुला लिया था... जीलु वह पार्टी में एक सर्विस बॉय बन कर आपके आसपास था... टीलु... सिक्युरिटी गार्ड बना हुआ था... और सीलु... मेरी हर मेसेज पर एक्ट कर रहा था...
तापस - एक्ट कर रहा था... मतलब..
विश्व - मैं उसे.. मैसेज से जो भी... इंस्ट्रक्शन दे रहा था... वह उसीके हिसाब से... अपना रोल निभा रहा था...
तापस - (अपना मुहँ सिकुड़ कर) तभी... जब मैंने पहला पेग लिया... डाऊट तो हुआ... पर... क्या उसने नींद की गोली मिलाई थी...
विश्व - नहीं... उसने.. सिम्फनी होटल के... सिम्फनी मार्टिनी के नाम से... एक स्पेशल पेग बना कर आपको दिया था...
तापस - तभी... तभी मैं सोचूँ... के मैं ठहरा एक लंबी रेस का घोड़ा.. इतने में कैसे फूस हो गया... वैसे.. (भवें नचा कर) था क्या... मजा आ गया...
विश्व - नाइंटी एम एल के पेग में... वोडका.. रम... विस्की... स्कॉच.. ब्रांडी... और बियर की... एक स्पेशल मिक्स...
तापस - कमीने... मुझे... यह सिम्फनी मार्टिनी... पीला कर... आज खट्टे वाला खाना खिला कर... क्या मिला तुझे...
विश्व - सुकून... (अपना दोनों हाथ फैला कर) इतना बड़ा सुकून...
तास - कमबख्त... बदबख्त... कैसा सुकून...
विश्व - (तापस की ओर मुड़ कर बैठता है) डैड... पहली बात... कुछ दिन पहले... मैंने आपको... अपना माउजर गाड़ी में छुपाते हुए देख लिया था...
तापस - (एक झटका सा लगता है, पर चुप रहता है)
विश्व - आपका मेरे लिए... फिक्रमंद होना जायज है... पर... डैड... कभी कभी आप मुझ पर से... विश्वास क्यूँ खो देते हैं... इतना इनसिक्योर तो माँ भी नहीं होती... आप क्यूँ... जरा सोचिए... कल की पार्टी.. एक वीवीआईपी की थी... अगर आप पकड़े गए होते... तो... क्या हो सकता था... क्या क्लैरिफीकेशन देते... अंदर वेपन ले जाने की...
तास - (किचन की ओर देख कर फुसफुसाते हुए) वह तो ठीक है... पर... तुझे मालुम कब हुआ... मेरे पास वेपन है...
विश्व - डैड.. कहा ना... मैंने आपको गाड़ी में... माउजर को छुपाते हुए देखा था.. और ड्राइव... मैं कर रहा था... कल रियर मिरर में.. देख लिया था... आप बड़े चालाकी से.. माउजर को.. अपने मोजे में रखते हुए... मैंने... इस बात का मैसेज... मैंने सीलु को कर दिया था... इसलिए हम जब मेटल डिटेक्टर से गुजरे थे... टीलु ने सिक्युरिटी वालों का ध्यान बटा दिया था... बाकी का काम... आप समझ सकते हैं...
तास - ओ.. अच्छा...
विश्व - हाँ... उसके बाद... जीलु ने... अंदर पार्टी में... आपको वह स्पेशल... सिम्फनी मार्टिनी बना कर पीला दिया...
तापस - पर वह... माउजर...
विश्व - आपके सेल्फ में है...
तापस - पर तुने... उन तीनों को बुलाया ही कब... और क्यूँ..
विश्व - सिर्फ मिलु ही वापस चला गया था... वे लोग तब से भुवनेश्वर में ही हैं... लंबी छुट्टी में...
तापस - अच्छा... और वह तीनों... पार्टी में क्या कर रहा थे...
विश्व - मुझे पल पल की.. अपडेट्स दे रहे थे...
तापस - ह्म्म्म्म.. और अब वह लोग हैं कहाँ...
विश्व - क्यूँ... किस लिए...
तापस - (चहकते हुए) नाइंटी एमएल में... वह सिम्फनी मार्टिनी बनता कैसे है... यही पूछना था उसे...
विश्व - क्यूँ... खट्टा खाने से जी नहीं भरा...
तापस - बेरहम... बेमुरव्वत... बेहया... बेवफ़ा... नामुराद...
प्रतिभा - (हाथ पोछते हुए अंदर आकर) क्या फुसुर फुसुर हो रहा है... आप दोनों में...
तापस - कुछ नहीं भाग्यवान... शराब पीना कितनी बुरी बात है... यही समझा रहा हूँ... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) खाने में या तो खट्टा मिलता है... या फिर करेला...

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दोपहर का समय
एक गाड़ी यशपुर की ओर भागी जा रही है l उसके आगे पीछे एसकॉट करते हुए आगे एक गार्ड जीप और पीछे एक गार्ड जीप जा रही है l जाहिर है गाड़ी में पिनाक और सुषमा हैं जो राजगड़ की ओर जा रहे हैं l

पिनाक - छोटी रानी जी... आप सुबह सुबह कहाँ चली गई थीं... हम आज सुबह तड़के निकल गए होते.... तो अब तक राजगड़ पहुँच गए होते...
सुषमा - बच्चों के साथ... बच्चों के लिए... थोड़ा वक़्त बिता रहे थे...
पिनाक - वह कोई... दूध पीते बच्चे नहीं हैं... अपना खयाल रख सकते हैं...
सुषमा - हाँ फिर भी... बच्चे कभी कभी... अपने बड़ों को ढूंढते हैं... तब हमें उनका हाथ थामना तो चाहिए ना...
पिनाक - (चिढ़ कर) ठीक है... ठीक है... पर इसका मतलब यह तो नहीं... के हम अपना फर्ज भुल जाएं...
सुषमा - (हैरान हो कर) हमने क्या भुला है...
पिनाक - छोटी रानी... आप भुल रहे हैं कि... बड़े राजा जी की तबीयत खराब है... उनका खयाल रखना आपकी जिम्मेदारी है...
सुषमा - तो हमने कभी अपनी जिम्मेदारी से इंकार भी तो नहीं कि है...
पिनाक - हम इल्ज़ाम नहीं लगा रहे हैं... हम बस अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं...
सुषमा - ठीक है... आपकी चिंता... बड़े राजा साहब के लिए है... अच्छी बात है... पर अपने राजकुमार के लिए... कोई चिंता किया है आपने...
पिनाक - क्यूँ... हाथ से फिसल रहे हैं क्या... हा हा हा हा हा हा हा... जवान हैं... मर्द हैं... और उनके अकाउंट में... पैसा भी बराबर है...
सुषमा - बस हो गई आपकी जिम्मेदारी पुरी...
पिनाक - अररे... तेईस साल के गबरु को... गोद में उठाऊँ क्या...
सुषमा - नहीं... पर हम यह कह रहे थे... क्या आपने... राजकुमार से... उनकी शादी के बारे में सोचा है...
पिनाक - क्यूँ... अभी कॉलेज की पढ़ाई तो पुरी होने दें... फिर वह पुरी तरह से ESS के मैनेजिंग डायरेक्टर हो जाएंगे... क्यूंकि... अब बहुत जल्द युवराज... मेन स्ट्रीम पालिटिक्स में आ जाएंगे... तब हम उनकी शादी करा देंगे...
सुषमा - अगर... राजकुमार किसी लड़की को.. चाहते हों... तो...
पिनाक - हा हा हा हा... राजकुमार... और चाहत... हा हा हा... छोटी रानी जी... आप अच्छी जोक सुना रही हैं...
सुषमा - क्यूँ... युवराज भी तो... प्रेम विवाह किया था...
पिनाक - (बहुत गंभीर हो कर) तभी तो... राजा साहब... स्वीकार नहीं कर पाए... युवराणी जी को... क्यूंकि उनका खुन राजसी नहीं है...
सुषमा - पर औरत की जात और गोत्र.. विवाह के उपरांत.. पति के घर की ही होती है...
पिनाक - हाँ बात आप सही कह रही हैं... अगर एक बच्चा हो गया होता... तो शायद... राजा साहब स्वीकार कर लेते... पर आप भुल रही हैं... उनकी गर्भपात हो चुकी है... और विवाह के तीन वर्ष होने को है... पर अभी तक... गर्भ की कोई खबर नहीं...
सुषमा - (दबी जुबान से) अगर राजकुमार... युवराज जी के राह पर चलते हुए... प्रेम विवाह कर लिया तो...

पिनाक गुस्से भरी नजर से सुषमा को देखने लगता है l

पिनाक - हमें उनके प्रेम से कोई मतलब नहीं है.... पर विवाह तो उनको हमारी मर्जी से ही करनी होगी... (थोड़ी देर के लिए उनके बीच खामोशी छा जाती है) (फिर कुछ देर बाद, कड़क आवाज में) छोटी रानी... अगर कुछ ऐसा हुआ भी है... तो भी हम नहीं पुछेंगे... कौन है... क्या है... राजकुमार जवान हैं... जो चाहे करें... हमें कोई मतलब नहीं है... अगली बार जब उनसे आपकी मुलाकात होगी... कह दीजियेगा उनसे... इस बार क्षेत्रपाल की मूंछें नीची नहीं होगी....

पिनाक और कुछ कहने के वजाए अपना मुहँ फ़ेर लेता है, और पिनाक की बातेँ सुन कर सुषमा को अंदर से झटका लगता है l

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वीर अपने केबिन में चहल कदम कर रहा है l एक अंदरुनी खुशी के साथ वह अपनी प्रियतमा का इंतजार कर रहा है l टेबल पर उसका मोबाइल रखा हुआ है l बीच बीच में वह मोबाइल फोन को हाथ में लेकर देख रहा है, पर कोई फोन नहीं आई है अब तक और ना ही कोई मैसेज आया है l फिर फोन को टेबल पर रख कर वापस कमरे में चहल कदम करने लगता है l थोड़ी देर बाद उसके फोन पर रिंग बजने लगता है l वीर अपना दमकते हुए चेहरे के साथ भागते हुए टेबल पर रखे फोन को उठाता है पर फोन के स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l उस कॉल को देखते ही उसकी आँखे बड़ी हो जाती है और हलक सुख जाता है l फोन पर रिंग बजते बजते कॉल कट जाता है l कमरे की ऐसी की ठंडक में भी उसके माथे पर पसीना निकलने लगता है l
फोन फिर से बजने लगती है l स्क्रीन पर वही प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l वीर फिर भी नहीं उठाता I उसकी सांसे तेजी से चलने लगता है l थोड़ी देर रिंग होने के बाद फोन पर फिर से रिंग बंद हो जाता है l फोन पर रिंग बंद होते ही वीर अपनी आँखे बंद कर एक सुकून भरा सांस छोड़ता है l कुछ देर बाद उसके मोबाइल पर एक मैसेज आता है l वीर वह मोबाइल खोल कर मैसेज देखता है

"भोषड़ी के फोन उठा... वरना... अनु को मार दूँगा..."

थोड़ी देर के बाद वीर की मोबाइल फिर से बजने लगती है l कांपते हाथ से फोन उठाता है और कान से लगाता है l

- क्यूँ बे... मादर चोद... कहाँ अपनी माँ चुदा रहा था...
वीर - (चिल्लाते हुए) शट अप...
- चिल्ला क्यूँ रहा है बे... चल बता.. फोन क्यूँ नहीं उठा रहा था...
वीर - तुमसे मतलब...
- मैं जब भी फोन करूँ... चुप चाप उठा लिया करना... वरना...
वीर - (जबड़े भींच कर, गुर्राते हुए) वरना...
- हा हा हा हा हा हा... वरना... तेरी जितनी फटी पड़ी है... उससे भी ज्यादा फाड़ दूँगा...
वीर - किस लिए... फोन किया...
- तुझे जब भी... कोई मैसेज देना होता है... तभी तो फोन... करता हूँ... इसलिए फोन उठाना... कभी बंद मत करना...
वीर - (दांत पिसते हुए) फोन किस लिए किया...
- कंग्रेचुलेशन...
वीर - किस लिए...
- अबे तेरी माँ ने... तेरी शादी जो पक्का कर दिया...
वीर - (चुप रहता है)
- अबे कंग्रेचुलेशन बोला है मैंने... ज़वाब तो दे....
वीर - थ... थैंक... थैंक्यू...
- पर यह शादी होगी नहीं...
वीर - (दांत पिसते हुए) तो तु रोकेगा शादी...
- हाँ... यह शादी... होगी नहीं... मैं... होने ही नहीं दूँगा...
वीर - (चिल्लाते हुए) क्यूँ... क्यूँ... क्यूँ...
- फिर चिल्लाया... (पुचकारते हुए) ना कुत्ते ना... चिल्ला मत... तु खुश हो जाए... यह मुझसे... देखा ना जाएगा... (आवाज़ में गंभीरता लाते हुए) मैंने खुद से वादा किया है... चाहे कुछ भी हो जाए... मैं तुझे कभी खुश होने ही नहीं दूँगा.... तुझे जितनी मस्ती करनी है... कर ले.. या मारनी है... तो मार ले... पर शादी... तेरी होने से रही... यह मेरा तुझसे वादा है...
वीर - कुत्ते... (चिल्लाता है) साले... सामने आ कर बात कर... सामने आकर वार कर...

फोन कट चुका था l वीर चिढ़ते हुए फोन फेंकने को होता है कि रुक जाता है l फिर अपने कुर्सी पर बैठ कर अपना सिर आगे की ओर झुका कर दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से गहरी लंबी सांसे लेने लगता है l ऑफिस में सभी का कमरा साउंड प्रूफ था, इसलिए उसके साथ जो हुआ या उसने जो हरकत की कमरे के अंदर बाहर किसीको भी पता नहीं चला l वह फिर अपना सिर पीछे की ओर चेयर पर लुढ़का कर आँखे बंद कर लेता है l तभी क्लिक की आवाज़ उसके कानों में पड़ती है l वह आँखे खोल कर दरवाज़े की ओर देखता है l दरवाजा धीरे से खुलता है ESS के यूनीफॉर्म में अनु अंदर आती है l अनु मुस्कराते हुए शर्म के मारे नजरें झुका कर दरवाजे से पीठ टीका कर वहीँ खड़ी हो जाती है l वीर उसे देख कर एक सुकून सा महसुस करता है, वह आवेग भरे भाव से अपनी कुर्सी से उठता है और अनु के पास आकर खड़ा हो जाता है l
अनु की धडकने बढ़ जाती हैं, उसका चेहरा लाल हो जाता है l वह अपनी आँखे मूँद लेती है जब वीर उसका हाथ पकड़ कर अपने तरफ खिंच लेता है और जोर से गले लगा लेता I अनु भी शर्म और खुशी के साथ वीर की गले लग जाती है l अनु महसुस करती है वीर की जकड़ बढ़ने लगती है फिर अनु को अपने कंधे पर गिला गिला सा महसुस होता है l अनु वीर से अलग होने की कोशिश करती है l वीर अनु को अपने से अलग करता है l अनु हैरान हो कर वीर को देखने लगती है, वीर के चेहरे पर डर और दुख दिख रहा था और साथ साथ आंसू से भिगा हुआ था l

अनु - राज कुमार जी... आप... आप डरे हुए लग रहे हैं...

वीर अनु को कमरे में पड़े सोफ़े पर बिठाता है और खुद अनु के कदमों के पास आलथी पालथी मार कर बैठ जाता है l

वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर) अ... अनु... यह सवाल... मैंने तुमसे कई बार पुछा है... फिर से पूछता हूँ... तुमको मुझसे डर क्यूँ नहीं लगा... तुम जब मेरे बारे में सब जानती थी... तो तुम मुझसे... नफरत क्यूँ नहीं की...

वीर की इस सवाल पर अनु हैरान हो कर वीर के चेहरे को देखने लगती है l

वीर - बताओ अनु... तुमने... मुझसे नफरत.. क्यूँ नहीं की....

अनु अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाने की कोशिश करती है l वीर की दोनों हाथों को पकड़ कर अपने चेहरे पर रख देती है और वीर की आँखों में झांकते हुए l

अनु - राजकुमार जी... एक दिन मेरी दादी ने मुझे लेकर म्युनिसिपल ऑफिस में लेकर गई थी... मेरी कोई इच्छा नहीं थी... क्यूंकि... मैं दुनिया से डरती थी... दुनिया वालों से डरती थी... अपनी लड़की होने पर डरती थी... हर गली में... हर एक मोड़ पर.. हर शख्स को देख कर डरती थी... पर जिस दिन आपको देखा... पहली बार मुझे लगा कि मैं क्यूँ लड़की पैदा हुई हूँ... मैं शायद किसी बीच भंवर में भटक रही थी... मुझे किनारा दिखने लगा... क्यूंकि एक धधकते हुए ज्वाला जो मेरे तरफ बढ़ा चला आ रहा था... मुझे बार बार यह एहसास दिला रहा था... की मैं एक पतंग हूँ... मुझे इस ज्वाला में मिल जाना है... मीट जाना है... फना हो जाना है... यह आवाज़ मेरे दिल की गहराई से सुनाई दे रही थी... इसलिए मुझे कभी आपसे डर नहीं लगा... और नफरत का सवाल ही नहीं उठता....

वीर एक टक अनु को सुन रहा था l ज्यों ज्यों अनु को सुन रहा था त्यों त्यों उसके चेहरे पर रौनक लौट रही थी l

वीर - (अनु की हाथों को जोर से पकड़ लेता है) ओ... अनु... तुम मेरी जिंदगी में... जल्दी क्यूँ नहीं आई... काश तुम पहले आई होती... मैं कभी भी उतना बुरा ना होता... जितना कभी था...
अनु - मैंने जब से जाना है आपको... आप कभी भी मुझे बुरे नहीं लगे...
वीर - अनु... बीते कल की बात... मैं कह नहीं सकता.. पर आज इतना ज़रूर कह सकता हूँ... तुम्हारे वगैर... मैं.. मेरा कुछ भी नहीं है... और एक वादा करता हूँ... जो भी तुमको मुझसे छीनने की कोशिश करेगा... या तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा... वह चाहे कोई भी हो... वह खुन के आंसू रोयेगा...

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रंग महल के बैठक में एक सिंहासन पर भैरव सिंह बैठा हुआ है l वह दाहिने तरफ हैंड रेस्ट पर दाहिनी कुहनी रख कर दो उंगलियों को माथे पर रख कर किसी सोच में डूबा हुआ है l उसके दाहिनी तरफ बगल में पिनाक सिंह बैठा हुआ है l बाएं तरफ तीन कुर्सियाँ पड़ी हुई है, पर वह कुर्सियाँ अभीतक खाली है l

पिनाक - राजा साहब...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
पिनाक - क्या हम... किसीके प्रतीक्षा में हैं...
भैरव सिंह - हूँ...
पिनाक - गुस्ताखी माफ हो अगर... क्या मैं पुछ सकता हूँ... हम किन की प्रतीक्षा में हैं....
भैरव - (सीधा हो कर बैठता है) छोटे राजा जी... आपके कल... विश्व के बारे में... बताने के बाद... हमने अपने हुकूमत की तीन खास दरबारियों को बुलाया है... उन्हें आने दीजिए... विश्वा नाम के कीड़े का इलाज वह लोग करेंगे...

कुछ देर बाद भीमा अंदर आता है और झुक कर खड़ा हो जाता है l

भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - कहो भीमा...
भीमा - वह लोग आ गए हैं... हुकुम...
भैरव सिंह - अंदर भेज दो उन्हें...

भीमा बाहर भागते हुए जाता है, और कुछ देर बाद भीमा साथ अनिकेत रोणा, बल्लभ प्रधान और श्रीधर परीड़ा तीनों आते हैं l

भैरव सिंह - आओ मेरे तीन रत्नों आओ... आज तुम मेरे बाजी के तीन इक्के लग रहे हो आओ... बैठो...

तीनों अपना अपना जगह बना कर बैठ जाते हैं l

पिनाक सिंह - ओ.. तो आप इन तीनों की बात कह रहे थे... (रोणा और बल्लभ से ) तो तुम लोगों ने अपना दिमाग चला ही लिया आखिर..
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक सिंह - अच्छा... तो यह बताओ... करना क्या है...
परीड़ा - छोटे राजा जी... विश्व के मांगे हुए इंफॉर्मेशन के ताल्लुक़ जो भी रिपोर्ट बननी है... वह सब मैं जानता हूँ... क्यूंकि आखिर मैं ही तो था... इंवेस्टीगेशन ऑफिसर...
भैरव सिंह - तो क्या ढूँढा है तुमने...
बल्लभ - राजा साहब... विश्व अगर.. रुप फाउंडेशन केस को दोबारा उछालता है... तो जाहिर है... केस पिछली बार की तरह... एक्शन रिप्ले होगा... पर फैसले में परीड़ा की... दिलीप कर की... और रोणा की स्टेटमेंट रिकार्ड हो चुका है... बात रुकी थी राजा साहब के पास... राजा साहब के साथ साथ... वह हो सकता है... परीड़ा और रोणा की फिर से क्रासएक्जाम करे... पर इस बार के लिए हम तैयार हैं...
पिनाक - अबे भूतनी के... उखाड़ा क्या है... या क्या उखाड़ना है...
रोणा - छोटे राजा जी... प्रधान वही तो बता रहा है... यहाँ राजा साहब... सिर्फ एक गवाह हैं... उन्हें एक्युस्ड बनाने के लिए... उसे कुछ और गवाहों की जरूरत पड़ेगी...
पिनाक सिंह - अच्छा...
बल्लभ - हाँ... उन लोगों के गवाही के वगैर... विश्व सीधे सीधे राजा साहब को... कटघरे खड़ा नहीं कर सकता...
पिनाक सिंह - तो... वह गवाह कौन हैं...
परीड़ा - तीन गवाह हैं.... पहला दलपती नायक... क्लर्क तहसील ऑफिस... दुसरा सदाशिव माली... अटेंडर यशपुर हॉस्पिटल... और तीसरा बीपीन नंद... पियोन रेवेन्यू ऑफिस...
पिनाक - तो इन लोगों को... हटाना है क्या...
बल्लभ - नहीं... हटाना नहीं है... वरना ... विश्व कोर्ट में... संदेह का लाभ उठा लेगा...
पिनाक सिंह - तो... करना क्या होगा उनका...
रोणा - कुछ ऐसा... की उन लोगों की गवाही... दुनिया के किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगा...
पिनाक सिंह - क्या... कैसे...
तीनों - (एक साथ) उन गवाहों को... पागल घोषित कर के...
पिनाक - क्या...
बल्लभ - हाँ छोटे राजा जी... किसी सरकारी डॉक्टर से... उन्हें दिमागी असंतुलन होने का सर्टिफिकेट दिलवा देते हैं...
पिनाक - फिर उनकी नौकरी...
बल्लभ - कोई खतरा नहीं होगी... उनकी नौकरी पर... ह्युमनटेरियन ग्राउंड पर... उनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं होगी... बस उन लोगों की गवाही... किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगी...

कुछ देर के लिए बैठक में चुप्पी छा जाती है l बल्लभ कहने के बाद भैरव सिंह को देखता है, भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव ना देख कर वह अपने दोस्तों के मुहँ ताकता है, वे लोग भी बल्लभ की तरह असमंजस स्थिति में दिखते हैं l अचानक बैठक में एक हँसी गूंजने लगता है l

"हा हा हा हा हा हा"

सबका ध्यान उस तरफ जाता है, देखते हैं भैरव सिंह हँस रहा है l
Awesome update 🥰
 

Lib am

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👉एक सौ तीन अपडेट
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खाने के टेबल पर तापस और विश्व बैठे हुए हैं l प्रतिभा जहां ताजगी महसुस कर रही है वहीँ तापस के सिर पर एक बैंड बंधा हुआ है l दोनों को प्रतिभा खाना परोस रही है l तापस के थाली में खट्टे का आईटॉम परोसा हुआ है और विश्व के थाली में मसाले दार खाना l

तापस - अरे भाग्यवान... एक ही डायनिंग टेबल पर... इतनी भिन्नता क्यूँ...
प्रतिभा - वह क्या है कि... आपकी हैंग ओवर... अभीतक नहीं उतरी है... देर से भी उठे हैं आज...
तापस - देर से तो तुम भी उठी हो...
प्रतिभा - क्यूंकि.. मैं देर से सोई थी...
तापस - देखो कितनी गलत बात है.... मुझे खट्टा ही ख़ट्टा... और इन लाट साहब को... मसाले दार चटखा...
प्रतिभा - देखो जी कहे देती हूँ... नजर ना लगाओ...
तापस - क्या... मैं नजर लगाऊंगा... वैसे... तुम क्या खा रही हो...

प्रतिभा कुछ कहती नहीं, वह सीधे अपनी थाली में मसाले दार खाना परोस कर बैठ जाती है l तापस रोनी सुरत बना कर विश्व की ओर देखता है l विश्व अपना खाना शुरु कर चुका था l विश्व खाना खाते हुए तापस को देखता है और आंखों के इशारे से पूछता है

विश्व - क्या हुआ...
तापस - (मुहँ बना कर इशारे से अपनी थाली की ओर देख कर) मेरी थाली देख... और तेरी थाली देख...
विश्व - (अपनी कंधे उचका कर) उसमें मैं क्या कर सकता हूँ...
तापस - (अपनी थाली की ओर दिखाते हुए हलक से थूक निगल कर ना में सिर हिलाते हुए ) यह मुझसे... ना निगला जाएगा...
विश्व - (अपनी थाली का खाना दिखा कर और तापस के थाली का खाना दिखा कर अंगूठा माथे पर घूमाते हुए) नसीब का लिखा... कोई नहीं टाल सकता...
तापस - (अपना जबड़ा भींच कर मुहँ, आँखे और भवें सिकुड़ कर) अच्छा बेटा... मुझे ज्ञान दे रहा है... मेरा टाइम आने दे...
प्रतिभा - हो गया...
तापस - आपका मेरे बेटे को धमकाना..
तापस - मम्ममम्म.. मैंने कहाँ धमकाया...
प्रतिभा - खाने में दही बैंगन... और इमली की चारु दी है... गनीमत समझिए... करेले की सब्जी नहीं दी मैंने... इसलिए जल्दी खतम कीजिए... मुझे बर्तन भी मांजने हैं...
तापस - जी जरूर...

कह कर उखड़े मुड़ से खाना खाता है l प्रतिभा दोबारा खाने को पूछती है l तो तापस मुस्कराते हुए मना सिर हिला कर मना करता है l खाना खतम कर विश्व हाथ धो कर ड्रॉइंग रुम में बैठ जाता है l थोड़ी देर बाद तापस उसके सामने आकर बैठता है l उधर सारे बर्तन समेट कर प्रतिभा किचन में मांजने के लगती है l इधर ड्रॉइंग रुम में विश्व एक टूथ पीक को अपने दांतों में इस्तमाल करता है जिसे देख कर तापस जल भुन जाता है और उसे खा जाने वाली नजर में देखता है l

तास - (इशारे से) क्या कहा.. नसीब का लिखा... हूँउँउँ.. कल के इंसिडेंट के लिए... मुझे तुझ पर शक हो रहा है...
विश्व - (इशारे से,पलकें झपका कर)आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं...
तापस - (चौंक कर, आँखे बड़ी करते हुए) क्या... (थंब्स अप के इशारे से अँगूठा मुहँ की ओर ले जाते हुए) यानी मेरे पेग में... कुछ गड़बड़ था...
विश्व - (मुस्करा कर इत्मिनान से अपना सिर हाँ में हिलाता है)

तापस अपनी जगह से उठ कर विश्व के बगल में बैठ कर विश्व की कलर पकड़ कर धीरे से फुसफुसाते हुए l

तापस - कमीने.. कमबख्त.. तुने... मेरे खिलाफ साजिश की... पर कैसे... पार्टी में...
विश्व - (फुसफुसाते हुए) पहले मेरे कलर को छोड़िए...
तापस - नहीं छोड़ूंगा...
विश्व - मैं माँ को बुला दूँगा...
तापस - (कलर छोड़ते हुए) जा माँ के बच्चे... छोड़ दिया...
विश्व - हाँ आपका सीन यहीं तक सीमित है... इससे आगे करके तो देखिये...
तापस - क्यूँ रे नालायक.... तुझे शर्म नहीं आती... इस उम्र में... मुझे घर के बाहर सुलाना चाहता है...
विश्व - घर से बाहर नहीं... कमरे से बाहर...
तापस - अच्छा ठीक है... ठीक है... यह बता... तु तो अपनी माँ के पास था... साथ था... फिर तुने यह साजिश रची कब...
विश्व - वेरी सिम्पल... मैंने पहले से ही सीलु, टीलु और जीलु को बुला लिया था... जीलु वह पार्टी में एक सर्विस बॉय बन कर आपके आसपास था... टीलु... सिक्युरिटी गार्ड बना हुआ था... और सीलु... मेरी हर मेसेज पर एक्ट कर रहा था...
तापस - एक्ट कर रहा था... मतलब..
विश्व - मैं उसे.. मैसेज से जो भी... इंस्ट्रक्शन दे रहा था... वह उसीके हिसाब से... अपना रोल निभा रहा था...
तापस - (अपना मुहँ सिकुड़ कर) तभी... जब मैंने पहला पेग लिया... डाऊट तो हुआ... पर... क्या उसने नींद की गोली मिलाई थी...
विश्व - नहीं... उसने.. सिम्फनी होटल के... सिम्फनी मार्टिनी के नाम से... एक स्पेशल पेग बना कर आपको दिया था...
तापस - तभी... तभी मैं सोचूँ... के मैं ठहरा एक लंबी रेस का घोड़ा.. इतने में कैसे फूस हो गया... वैसे.. (भवें नचा कर) था क्या... मजा आ गया...
विश्व - नाइंटी एम एल के पेग में... वोडका.. रम... विस्की... स्कॉच.. ब्रांडी... और बियर की... एक स्पेशल मिक्स...
तापस - कमीने... मुझे... यह सिम्फनी मार्टिनी... पीला कर... आज खट्टे वाला खाना खिला कर... क्या मिला तुझे...
विश्व - सुकून... (अपना दोनों हाथ फैला कर) इतना बड़ा सुकून...
तास - कमबख्त... बदबख्त... कैसा सुकून...
विश्व - (तापस की ओर मुड़ कर बैठता है) डैड... पहली बात... कुछ दिन पहले... मैंने आपको... अपना माउजर गाड़ी में छुपाते हुए देख लिया था...
तापस - (एक झटका सा लगता है, पर चुप रहता है)
विश्व - आपका मेरे लिए... फिक्रमंद होना जायज है... पर... डैड... कभी कभी आप मुझ पर से... विश्वास क्यूँ खो देते हैं... इतना इनसिक्योर तो माँ भी नहीं होती... आप क्यूँ... जरा सोचिए... कल की पार्टी.. एक वीवीआईपी की थी... अगर आप पकड़े गए होते... तो... क्या हो सकता था... क्या क्लैरिफीकेशन देते... अंदर वेपन ले जाने की...
तास - (किचन की ओर देख कर फुसफुसाते हुए) वह तो ठीक है... पर... तुझे मालुम कब हुआ... मेरे पास वेपन है...
विश्व - डैड.. कहा ना... मैंने आपको गाड़ी में... माउजर को छुपाते हुए देखा था.. और ड्राइव... मैं कर रहा था... कल रियर मिरर में.. देख लिया था... आप बड़े चालाकी से.. माउजर को.. अपने मोजे में रखते हुए... मैंने... इस बात का मैसेज... मैंने सीलु को कर दिया था... इसलिए हम जब मेटल डिटेक्टर से गुजरे थे... टीलु ने सिक्युरिटी वालों का ध्यान बटा दिया था... बाकी का काम... आप समझ सकते हैं...
तास - ओ.. अच्छा...
विश्व - हाँ... उसके बाद... जीलु ने... अंदर पार्टी में... आपको वह स्पेशल... सिम्फनी मार्टिनी बना कर पीला दिया...
तापस - पर वह... माउजर...
विश्व - आपके सेल्फ में है...
तापस - पर तुने... उन तीनों को बुलाया ही कब... और क्यूँ..
विश्व - सिर्फ मिलु ही वापस चला गया था... वे लोग तब से भुवनेश्वर में ही हैं... लंबी छुट्टी में...
तापस - अच्छा... और वह तीनों... पार्टी में क्या कर रहा थे...
विश्व - मुझे पल पल की.. अपडेट्स दे रहे थे...
तापस - ह्म्म्म्म.. और अब वह लोग हैं कहाँ...
विश्व - क्यूँ... किस लिए...
तापस - (चहकते हुए) नाइंटी एमएल में... वह सिम्फनी मार्टिनी बनता कैसे है... यही पूछना था उसे...
विश्व - क्यूँ... खट्टा खाने से जी नहीं भरा...
तापस - बेरहम... बेमुरव्वत... बेहया... बेवफ़ा... नामुराद...
प्रतिभा - (हाथ पोछते हुए अंदर आकर) क्या फुसुर फुसुर हो रहा है... आप दोनों में...
तापस - कुछ नहीं भाग्यवान... शराब पीना कितनी बुरी बात है... यही समझा रहा हूँ... (एक गहरी सांस छोड़ते हुए) खाने में या तो खट्टा मिलता है... या फिर करेला...

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दोपहर का समय
एक गाड़ी यशपुर की ओर भागी जा रही है l उसके आगे पीछे एसकॉट करते हुए आगे एक गार्ड जीप और पीछे एक गार्ड जीप जा रही है l जाहिर है गाड़ी में पिनाक और सुषमा हैं जो राजगड़ की ओर जा रहे हैं l

पिनाक - छोटी रानी जी... आप सुबह सुबह कहाँ चली गई थीं... हम आज सुबह तड़के निकल गए होते.... तो अब तक राजगड़ पहुँच गए होते...
सुषमा - बच्चों के साथ... बच्चों के लिए... थोड़ा वक़्त बिता रहे थे...
पिनाक - वह कोई... दूध पीते बच्चे नहीं हैं... अपना खयाल रख सकते हैं...
सुषमा - हाँ फिर भी... बच्चे कभी कभी... अपने बड़ों को ढूंढते हैं... तब हमें उनका हाथ थामना तो चाहिए ना...
पिनाक - (चिढ़ कर) ठीक है... ठीक है... पर इसका मतलब यह तो नहीं... के हम अपना फर्ज भुल जाएं...
सुषमा - (हैरान हो कर) हमने क्या भुला है...
पिनाक - छोटी रानी... आप भुल रहे हैं कि... बड़े राजा जी की तबीयत खराब है... उनका खयाल रखना आपकी जिम्मेदारी है...
सुषमा - तो हमने कभी अपनी जिम्मेदारी से इंकार भी तो नहीं कि है...
पिनाक - हम इल्ज़ाम नहीं लगा रहे हैं... हम बस अपनी चिंता जाहिर कर रहे हैं...
सुषमा - ठीक है... आपकी चिंता... बड़े राजा साहब के लिए है... अच्छी बात है... पर अपने राजकुमार के लिए... कोई चिंता किया है आपने...
पिनाक - क्यूँ... हाथ से फिसल रहे हैं क्या... हा हा हा हा हा हा हा... जवान हैं... मर्द हैं... और उनके अकाउंट में... पैसा भी बराबर है...
सुषमा - बस हो गई आपकी जिम्मेदारी पुरी...
पिनाक - अररे... तेईस साल के गबरु को... गोद में उठाऊँ क्या...
सुषमा - नहीं... पर हम यह कह रहे थे... क्या आपने... राजकुमार से... उनकी शादी के बारे में सोचा है...
पिनाक - क्यूँ... अभी कॉलेज की पढ़ाई तो पुरी होने दें... फिर वह पुरी तरह से ESS के मैनेजिंग डायरेक्टर हो जाएंगे... क्यूंकि... अब बहुत जल्द युवराज... मेन स्ट्रीम पालिटिक्स में आ जाएंगे... तब हम उनकी शादी करा देंगे...
सुषमा - अगर... राजकुमार किसी लड़की को.. चाहते हों... तो...
पिनाक - हा हा हा हा... राजकुमार... और चाहत... हा हा हा... छोटी रानी जी... आप अच्छी जोक सुना रही हैं...
सुषमा - क्यूँ... युवराज भी तो... प्रेम विवाह किया था...
पिनाक - (बहुत गंभीर हो कर) तभी तो... राजा साहब... स्वीकार नहीं कर पाए... युवराणी जी को... क्यूंकि उनका खुन राजसी नहीं है...
सुषमा - पर औरत की जात और गोत्र.. विवाह के उपरांत.. पति के घर की ही होती है...
पिनाक - हाँ बात आप सही कह रही हैं... अगर एक बच्चा हो गया होता... तो शायद... राजा साहब स्वीकार कर लेते... पर आप भुल रही हैं... उनकी गर्भपात हो चुकी है... और विवाह के तीन वर्ष होने को है... पर अभी तक... गर्भ की कोई खबर नहीं...
सुषमा - (दबी जुबान से) अगर राजकुमार... युवराज जी के राह पर चलते हुए... प्रेम विवाह कर लिया तो...

पिनाक गुस्से भरी नजर से सुषमा को देखने लगता है l

पिनाक - हमें उनके प्रेम से कोई मतलब नहीं है.... पर विवाह तो उनको हमारी मर्जी से ही करनी होगी... (थोड़ी देर के लिए उनके बीच खामोशी छा जाती है) (फिर कुछ देर बाद, कड़क आवाज में) छोटी रानी... अगर कुछ ऐसा हुआ भी है... तो भी हम नहीं पुछेंगे... कौन है... क्या है... राजकुमार जवान हैं... जो चाहे करें... हमें कोई मतलब नहीं है... अगली बार जब उनसे आपकी मुलाकात होगी... कह दीजियेगा उनसे... इस बार क्षेत्रपाल की मूंछें नीची नहीं होगी....

पिनाक और कुछ कहने के वजाए अपना मुहँ फ़ेर लेता है, और पिनाक की बातेँ सुन कर सुषमा को अंदर से झटका लगता है l

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वीर अपने केबिन में चहल कदम कर रहा है l एक अंदरुनी खुशी के साथ वह अपनी प्रियतमा का इंतजार कर रहा है l टेबल पर उसका मोबाइल रखा हुआ है l बीच बीच में वह मोबाइल फोन को हाथ में लेकर देख रहा है, पर कोई फोन नहीं आई है अब तक और ना ही कोई मैसेज आया है l फिर फोन को टेबल पर रख कर वापस कमरे में चहल कदम करने लगता है l थोड़ी देर बाद उसके फोन पर रिंग बजने लगता है l वीर अपना दमकते हुए चेहरे के साथ भागते हुए टेबल पर रखे फोन को उठाता है पर फोन के स्क्रीन पर प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l उस कॉल को देखते ही उसकी आँखे बड़ी हो जाती है और हलक सुख जाता है l फोन पर रिंग बजते बजते कॉल कट जाता है l कमरे की ऐसी की ठंडक में भी उसके माथे पर पसीना निकलने लगता है l
फोन फिर से बजने लगती है l स्क्रीन पर वही प्राइवेट नंबर डिस्प्ले हो रहा था l वीर फिर भी नहीं उठाता I उसकी सांसे तेजी से चलने लगता है l थोड़ी देर रिंग होने के बाद फोन पर फिर से रिंग बंद हो जाता है l फोन पर रिंग बंद होते ही वीर अपनी आँखे बंद कर एक सुकून भरा सांस छोड़ता है l कुछ देर बाद उसके मोबाइल पर एक मैसेज आता है l वीर वह मोबाइल खोल कर मैसेज देखता है

"भोषड़ी के फोन उठा... वरना... अनु को मार दूँगा..."

थोड़ी देर के बाद वीर की मोबाइल फिर से बजने लगती है l कांपते हाथ से फोन उठाता है और कान से लगाता है l

- क्यूँ बे... मादर चोद... कहाँ अपनी माँ चुदा रहा था...
वीर - (चिल्लाते हुए) शट अप...
- चिल्ला क्यूँ रहा है बे... चल बता.. फोन क्यूँ नहीं उठा रहा था...
वीर - तुमसे मतलब...
- मैं जब भी फोन करूँ... चुप चाप उठा लिया करना... वरना...
वीर - (जबड़े भींच कर, गुर्राते हुए) वरना...
- हा हा हा हा हा हा... वरना... तेरी जितनी फटी पड़ी है... उससे भी ज्यादा फाड़ दूँगा...
वीर - किस लिए... फोन किया...
- तुझे जब भी... कोई मैसेज देना होता है... तभी तो फोन... करता हूँ... इसलिए फोन उठाना... कभी बंद मत करना...
वीर - (दांत पिसते हुए) फोन किस लिए किया...
- कंग्रेचुलेशन...
वीर - किस लिए...
- अबे तेरी माँ ने... तेरी शादी जो पक्का कर दिया...
वीर - (चुप रहता है)
- अबे कंग्रेचुलेशन बोला है मैंने... ज़वाब तो दे....
वीर - थ... थैंक... थैंक्यू...
- पर यह शादी होगी नहीं...
वीर - (दांत पिसते हुए) तो तु रोकेगा शादी...
- हाँ... यह शादी... होगी नहीं... मैं... होने ही नहीं दूँगा...
वीर - (चिल्लाते हुए) क्यूँ... क्यूँ... क्यूँ...
- फिर चिल्लाया... (पुचकारते हुए) ना कुत्ते ना... चिल्ला मत... तु खुश हो जाए... यह मुझसे... देखा ना जाएगा... (आवाज़ में गंभीरता लाते हुए) मैंने खुद से वादा किया है... चाहे कुछ भी हो जाए... मैं तुझे कभी खुश होने ही नहीं दूँगा.... तुझे जितनी मस्ती करनी है... कर ले.. या मारनी है... तो मार ले... पर शादी... तेरी होने से रही... यह मेरा तुझसे वादा है...
वीर - कुत्ते... (चिल्लाता है) साले... सामने आ कर बात कर... सामने आकर वार कर...

फोन कट चुका था l वीर चिढ़ते हुए फोन फेंकने को होता है कि रुक जाता है l फिर अपने कुर्सी पर बैठ कर अपना सिर आगे की ओर झुका कर दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से गहरी लंबी सांसे लेने लगता है l ऑफिस में सभी का कमरा साउंड प्रूफ था, इसलिए उसके साथ जो हुआ या उसने जो हरकत की कमरे के अंदर बाहर किसीको भी पता नहीं चला l वह फिर अपना सिर पीछे की ओर चेयर पर लुढ़का कर आँखे बंद कर लेता है l तभी क्लिक की आवाज़ उसके कानों में पड़ती है l वह आँखे खोल कर दरवाज़े की ओर देखता है l दरवाजा धीरे से खुलता है ESS के यूनीफॉर्म में अनु अंदर आती है l अनु मुस्कराते हुए शर्म के मारे नजरें झुका कर दरवाजे से पीठ टीका कर वहीँ खड़ी हो जाती है l वीर उसे देख कर एक सुकून सा महसुस करता है, वह आवेग भरे भाव से अपनी कुर्सी से उठता है और अनु के पास आकर खड़ा हो जाता है l
अनु की धडकने बढ़ जाती हैं, उसका चेहरा लाल हो जाता है l वह अपनी आँखे मूँद लेती है जब वीर उसका हाथ पकड़ कर अपने तरफ खिंच लेता है और जोर से गले लगा लेता I अनु भी शर्म और खुशी के साथ वीर की गले लग जाती है l अनु महसुस करती है वीर की जकड़ बढ़ने लगती है फिर अनु को अपने कंधे पर गिला गिला सा महसुस होता है l अनु वीर से अलग होने की कोशिश करती है l वीर अनु को अपने से अलग करता है l अनु हैरान हो कर वीर को देखने लगती है, वीर के चेहरे पर डर और दुख दिख रहा था और साथ साथ आंसू से भिगा हुआ था l

अनु - राज कुमार जी... आप... आप डरे हुए लग रहे हैं...

वीर अनु को कमरे में पड़े सोफ़े पर बिठाता है और खुद अनु के कदमों के पास आलथी पालथी मार कर बैठ जाता है l

वीर - (अनु के दोनों हाथों को अपने हाथ में लेकर) अ... अनु... यह सवाल... मैंने तुमसे कई बार पुछा है... फिर से पूछता हूँ... तुमको मुझसे डर क्यूँ नहीं लगा... तुम जब मेरे बारे में सब जानती थी... तो तुम मुझसे... नफरत क्यूँ नहीं की...

वीर की इस सवाल पर अनु हैरान हो कर वीर के चेहरे को देखने लगती है l

वीर - बताओ अनु... तुमने... मुझसे नफरत.. क्यूँ नहीं की....

अनु अपने चेहरे पर हल्की सी मुस्कान लाने की कोशिश करती है l वीर की दोनों हाथों को पकड़ कर अपने चेहरे पर रख देती है और वीर की आँखों में झांकते हुए l

अनु - राजकुमार जी... एक दिन मेरी दादी ने मुझे लेकर म्युनिसिपल ऑफिस में लेकर गई थी... मेरी कोई इच्छा नहीं थी... क्यूंकि... मैं दुनिया से डरती थी... दुनिया वालों से डरती थी... अपनी लड़की होने पर डरती थी... हर गली में... हर एक मोड़ पर.. हर शख्स को देख कर डरती थी... पर जिस दिन आपको देखा... पहली बार मुझे लगा कि मैं क्यूँ लड़की पैदा हुई हूँ... मैं शायद किसी बीच भंवर में भटक रही थी... मुझे किनारा दिखने लगा... क्यूंकि एक धधकते हुए ज्वाला जो मेरे तरफ बढ़ा चला आ रहा था... मुझे बार बार यह एहसास दिला रहा था... की मैं एक पतंग हूँ... मुझे इस ज्वाला में मिल जाना है... मीट जाना है... फना हो जाना है... यह आवाज़ मेरे दिल की गहराई से सुनाई दे रही थी... इसलिए मुझे कभी आपसे डर नहीं लगा... और नफरत का सवाल ही नहीं उठता....

वीर एक टक अनु को सुन रहा था l ज्यों ज्यों अनु को सुन रहा था त्यों त्यों उसके चेहरे पर रौनक लौट रही थी l

वीर - (अनु की हाथों को जोर से पकड़ लेता है) ओ... अनु... तुम मेरी जिंदगी में... जल्दी क्यूँ नहीं आई... काश तुम पहले आई होती... मैं कभी भी उतना बुरा ना होता... जितना कभी था...
अनु - मैंने जब से जाना है आपको... आप कभी भी मुझे बुरे नहीं लगे...
वीर - अनु... बीते कल की बात... मैं कह नहीं सकता.. पर आज इतना ज़रूर कह सकता हूँ... तुम्हारे वगैर... मैं.. मेरा कुछ भी नहीं है... और एक वादा करता हूँ... जो भी तुमको मुझसे छीनने की कोशिश करेगा... या तुमको नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा... वह चाहे कोई भी हो... वह खुन के आंसू रोयेगा...

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रंग महल के बैठक में एक सिंहासन पर भैरव सिंह बैठा हुआ है l वह दाहिने तरफ हैंड रेस्ट पर दाहिनी कुहनी रख कर दो उंगलियों को माथे पर रख कर किसी सोच में डूबा हुआ है l उसके दाहिनी तरफ बगल में पिनाक सिंह बैठा हुआ है l बाएं तरफ तीन कुर्सियाँ पड़ी हुई है, पर वह कुर्सियाँ अभीतक खाली है l

पिनाक - राजा साहब...
भैरव सिंह - ह्म्म्म्म...
पिनाक - क्या हम... किसीके प्रतीक्षा में हैं...
भैरव सिंह - हूँ...
पिनाक - गुस्ताखी माफ हो अगर... क्या मैं पुछ सकता हूँ... हम किन की प्रतीक्षा में हैं....
भैरव - (सीधा हो कर बैठता है) छोटे राजा जी... आपके कल... विश्व के बारे में... बताने के बाद... हमने अपने हुकूमत की तीन खास दरबारियों को बुलाया है... उन्हें आने दीजिए... विश्वा नाम के कीड़े का इलाज वह लोग करेंगे...

कुछ देर बाद भीमा अंदर आता है और झुक कर खड़ा हो जाता है l

भीमा - हुकुम...
भैरव सिंह - कहो भीमा...
भीमा - वह लोग आ गए हैं... हुकुम...
भैरव सिंह - अंदर भेज दो उन्हें...

भीमा बाहर भागते हुए जाता है, और कुछ देर बाद भीमा साथ अनिकेत रोणा, बल्लभ प्रधान और श्रीधर परीड़ा तीनों आते हैं l

भैरव सिंह - आओ मेरे तीन रत्नों आओ... आज तुम मेरे बाजी के तीन इक्के लग रहे हो आओ... बैठो...

तीनों अपना अपना जगह बना कर बैठ जाते हैं l

पिनाक सिंह - ओ.. तो आप इन तीनों की बात कह रहे थे... (रोणा और बल्लभ से ) तो तुम लोगों ने अपना दिमाग चला ही लिया आखिर..
बल्लभ - जी छोटे राजा जी...
पिनाक सिंह - अच्छा... तो यह बताओ... करना क्या है...
परीड़ा - छोटे राजा जी... विश्व के मांगे हुए इंफॉर्मेशन के ताल्लुक़ जो भी रिपोर्ट बननी है... वह सब मैं जानता हूँ... क्यूंकि आखिर मैं ही तो था... इंवेस्टीगेशन ऑफिसर...
भैरव सिंह - तो क्या ढूँढा है तुमने...
बल्लभ - राजा साहब... विश्व अगर.. रुप फाउंडेशन केस को दोबारा उछालता है... तो जाहिर है... केस पिछली बार की तरह... एक्शन रिप्ले होगा... पर फैसले में परीड़ा की... दिलीप कर की... और रोणा की स्टेटमेंट रिकार्ड हो चुका है... बात रुकी थी राजा साहब के पास... राजा साहब के साथ साथ... वह हो सकता है... परीड़ा और रोणा की फिर से क्रासएक्जाम करे... पर इस बार के लिए हम तैयार हैं...
पिनाक - अबे भूतनी के... उखाड़ा क्या है... या क्या उखाड़ना है...
रोणा - छोटे राजा जी... प्रधान वही तो बता रहा है... यहाँ राजा साहब... सिर्फ एक गवाह हैं... उन्हें एक्युस्ड बनाने के लिए... उसे कुछ और गवाहों की जरूरत पड़ेगी...
पिनाक सिंह - अच्छा...
बल्लभ - हाँ... उन लोगों के गवाही के वगैर... विश्व सीधे सीधे राजा साहब को... कटघरे खड़ा नहीं कर सकता...
पिनाक सिंह - तो... वह गवाह कौन हैं...
परीड़ा - तीन गवाह हैं.... पहला दलपती नायक... क्लर्क तहसील ऑफिस... दुसरा सदाशिव माली... अटेंडर यशपुर हॉस्पिटल... और तीसरा बीपीन नंद... पियोन रेवेन्यू ऑफिस...
पिनाक - तो इन लोगों को... हटाना है क्या...
बल्लभ - नहीं... हटाना नहीं है... वरना ... विश्व कोर्ट में... संदेह का लाभ उठा लेगा...
पिनाक सिंह - तो... करना क्या होगा उनका...
रोणा - कुछ ऐसा... की उन लोगों की गवाही... दुनिया के किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगा...
पिनाक सिंह - क्या... कैसे...
तीनों - (एक साथ) उन गवाहों को... पागल घोषित कर के...
पिनाक - क्या...
बल्लभ - हाँ छोटे राजा जी... किसी सरकारी डॉक्टर से... उन्हें दिमागी असंतुलन होने का सर्टिफिकेट दिलवा देते हैं...
पिनाक - फिर उनकी नौकरी...
बल्लभ - कोई खतरा नहीं होगी... उनकी नौकरी पर... ह्युमनटेरियन ग्राउंड पर... उनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं होगी... बस उन लोगों की गवाही... किसी भी अदालत में... मान्य नहीं होगी...

कुछ देर के लिए बैठक में चुप्पी छा जाती है l बल्लभ कहने के बाद भैरव सिंह को देखता है, भैरव सिंह के चेहरे पर कोई भाव ना देख कर वह अपने दोस्तों के मुहँ ताकता है, वे लोग भी बल्लभ की तरह असमंजस स्थिति में दिखते हैं l अचानक बैठक में एक हँसी गूंजने लगता है l

"हा हा हा हा हा हा"

सबका ध्यान उस तरफ जाता है, देखते हैं भैरव सिंह हँस रहा है l
विश्व के साथ, तापस, प्रतिभा और रूप के साथ जितने भी दृश्य और संवाद होते है वो या तो भावुक होते है या फिर एक दम मजेदार, मजा ही आ जाता है। विश्व ने दिमाग लगा कर ना सिर्फ तापस की बेवकूफी से उसको बचाया बल्कि प्रतिभा से उसकी अच्छे क्लास भी लगवा दी।

क्या ये चेट्टी है या कोई और जो बार बार वीर को धमकी देता है और उसके और अनु के रिश्ते को ना बनने देना की बात करता है। कुछ भी मगर वीरबकी फट अच्छे से जाती है शायद यही सच्चा प्रेम है कि जिसे दिल की गहराई से चाहो उसके खोने का ही डर सबसे ज्यादा होता है।

सुषमा ने बहाने से वीर के प्रेम की और शादी की बात तो की मगर जैसी उम्मीद थी पिनाक ने वही चुतीयापे वाला मतलब क्षेत्रपाल वाला जवाब दिया मगर वो नही जानता की अनु को लेकर वीर खुद जल भी सकता है और दुनिया को जला भी सकता है। उसकी हालत पर ये ही बात याद आती है कि

बहुत कठिन है डगर पनघट की

आखिर अब भैरव विश्व को लेकर सजग हो ही गया है और अपने पालतू कुत्तोंको भोकने के लिए भी छोड़ दिया है मगर ऐसा लगता है की विश्व यहां भी गेम ही खेलेगा जैसा टोनी ने कहा था की वो अपने दुश्मनों से ही सबूत बनवाएगा।

मस्त जबरदस्त अपडेट बस दो अपडेट्स से अनाम रूप की प्यार भरी नोंक झोंक मिस कर रहा हूं।
बस इस आखिर शिकायत पर दो लाइन अपनी तरफ से

ना गिले होते ना शिकवे बनते
बुज्जी भाई ना लिखते तो ना विश्व-रूप बनते
 

sunoanuj

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Bahut hi behtarin… bus bhairav singh wala part thoda kam rah gaya hai …
 

Sidd19

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