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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Kala Nag

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Superbb Updatee
थैंक्स भाई बहुत बहुत शुक्रिया
Toh aakhirkar Pinak ne apni gandi soch ko saakar kar hi diya aur Anu ka kidnap karliya. Idher Veer ko bhi mrityunjay ke baare mein bhi pata chala hai.
हाँ पर फिर भी वीर और विश्व मृत्युंजय को लेकर आश्वस्त नहीं हैं
Ab Vishwa aur Veer kis tarah Anu ko bachate hai yeh dekhne layak hoga. Agar Vishwa Anu ko sahi salamat wapas le aata hai toh Vishwa ki ladai mein uska ek saathi Veer banega hi banega.
निश्चय अगले अपडेट में पता चल जाएगा
Ab dekhte hai aage kyaa hota hai.
शुक्रिया मेरे भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया
 

Kala Nag

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Waiting for the next update

Kala Nag bhai next update kab tak aayega?

Arey bhai Kuch to btado ya story pdhne se Fursat nhi mil rhi hai...

Bhai update kab ayega
भाई एक बहुत गहरे सदमे में था
शुक्रवार को आदि पुरुष देख लिया था
सदमें से उबरने में थोड़ा वक़्त लगा
अभी कुछ ही देर में प्रस्तुत करता हूँ
 

Kala Nag

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👉एक सौ चौंतीसवाँ अपडेट
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विक्रम के चेहरे पर कोई भाव नहीं था l यह खबर सुनने के बाद ना वह चौंका ना ही किसी तरह का कोई प्रतिक्रिया दी l यह देख कर पिनाक थोड़ा हैरान हो जाता है l

पिनाक - क्या बात है युवराज... हमारी सूचना से आप की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई...
विक्रम - आप ऐसा करने जा रहे हैं... यह तो मैं जानता था... वैसे भी आपने राजा साहब से वादा जो किया था... आज ही अनु को ठिकाने लगाने के लिए... पर मैं यह निश्चिंत तौर पर कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - यह आप किस बिनाह पर कह सकते हैं...

इस सवाल पर विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरता है l वह इशारा करता है पिनाक को बैठ जाने के लिए l पिनाक एक कुर्सी पर बैठ जाता है विक्रम उसके सामने बैठ जाता है l

विक्रम - वीर कैसा है... यह आप अच्छी तरह से जानते हैं... वह अगर बेकाबू हो गया... तो वह किसीके भी संभाले नहीं संभलेगा... और आप चाहते हैं कि... वीर आपकी मर्जी से मंगनी भी कर ले और शादी भी... वगैर कुछ विरोध किए... इसके लिए... वीर की कमजोरी को कब्जे में लेना जरूरी था... इसलिए मैं कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - हाँ है तो वह जिंदा... पर ज्यादा देर के लिए नहीं...
विक्रम - आप अभी भी... वीर को हल्के में ले रहे हैं... वीर अनु को ढूँढ निकालेगा...
पिनाक - युवराज लगता है... आप सबसे ज्यादा दुखी हैं... अनु के अगवा हो जाने से...
विक्रम - मैंने आपको बस एक भविष्यवाणी सुनाई...

पिनाक का चेहरा सख्त हो जाता है l जबड़े भींच जाते हैं l मुट्ठीयाँ कस जाते हैं l आँखों के नीचे वाले पेशियों में थिरखन होने लगते हैं l

पिनाक - (दांत पिसते हुए) वीर कुछ नहीं कर पाएगा... उसे एहसास होगा... क्षेत्रपाल उपनाम के वगैर... इस दुनिया में... उसकी कोई हस्ती नहीं है... वीर सिंह नाम का जो बल्ब जल रहा है... उसके अंदर का फ़िल्मेंट क्षेत्रपाल है... उसके वगैर वह एक फ्यूज बल्ब है... जिसकी जगह... गटर के पास वाले कोई कूड़ेदान है... आज वह अकेला होगा... असहाय... बेबस मजबूर... हम जिस दुनिया को झुकाते हैं... कुचलते हैं... जीतते हैं... राजकुमार उसी दुनिया का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं...
विक्रम - आप ऐसा क्यूँ चाहते हैं... वीर आपका बेटा है... कहीं ऐसा ना हो... की आप दुनिया को जीतते के गुमान में... अपनी ही दुनिया ना हार जाएं...
पिनाक - मैं उसे वीर सिंह नहीं... वीर सिंह क्षेत्रपाल बनते देखना चाहता हूँ... लड़कियाँ उसकी कमजोरी तो हों... पर कोई एक लड़की उसकी कमजोरी ना बन जाएं...
विक्रम - अनु उसकी जिंदगी है...
पिनाक - और मुझे वह ना पसंद है...
विक्रम - छोटे राजा जी... आप हमेशा... राजा साहब के कहे मानते रहे... एक बार आप अपने लिए... वीर की बात मान लेते...
पिनाक - राजकुमार ने हमसे माँगा ही कब...
विक्रम - आपने मौका दिया ही कब....

कुछ देर के लिए पिनाक चुप हो जाता है l फिर अचानक से उठ कर जाने लगता है l उसे जाता देख विक्रम भी उठ खड़ा होता है l जाते जाते पिनाक दरवाजे के पास रुक जाता है l

पिनाक - आज कल आपकी बातेँ चुभ नहीं रहे हैं युवराज... कलेजा छलनी कर रही है... खैर राजकुमार को संभाल कर... उन्हें मंगनी के लिए तैयार करना अब आपके जिम्मे है...
विक्रम - जी मैं कोशिश करूँगा... पर शायद उसकी नौबत ना आए...
पिनाक - (विक्रम की ओर घुम जाता है) क्या... (जैसे खिल्ली उड़ते हुए) आपको लगता है... राजकुमार उस बदजात को ढूँढ लेगा...
विक्रम - हाँ...
पिनाक - युवराज... हम मानते हैं... आप राजकुमार के बहुत करीब हैं... इसलिए राजकुमार का दर्द आपको बर्दाश्त नहीं हो रहा... पर खुद को यह झूठी तसल्ली देना बंद करें...
विक्रम - (चुप रहता है)
पिनाक - युवराज... हमने राजकुमार की हर हरकत की खबर रखा करते थे... पर कभी सोचा नहीं था... एक लड़की के लिए वह पागल भी हो सकते हैं... उन्हें कम तकलीफ हो... इसीलिए हम सब पास नहीं हैं... जब हम पहुँचेंगे... उनको एक कंधे की दरकार होगी... वह कंधा आप बनेंगे...
विक्रम - दर्द भुला भी नहीं होगा... और आप उसी दिन उसकी मंगनी कराने की सोच रहे हैं...
पिनाक - हाँ... अच्छे से मान गया तो ठीक... वर्ना... उस लड़की की नाजुक हालत दिखा कर ही सही... यह मंगनी और शादी करा देनी है...
विक्रम - मुझे खेद है... ऐसा कुछ भी नहीं होगा...
पिनाक - (अपना भवां टेढ़ा कर) कहीं आपने कुछ...
विक्रम - नहीं.. मैंने कुछ भी नहीं किया... उसकी नौबत ही नहीं आई... सच तो यह है कि... वीर ने मुझे कुछ करने के लिए मौका दिया ही नहीं...
पिनाक - उसके साथ हम में से कोई भी नहीं है.... सच तो यह है कि... उसके साथ उसका अपना साया तक नहीं है...
विक्रम - उसके साथ उसका दोस्त है...
पिनाक - (हैरानी के साथ) दोस्त...
विक्रम - हाँ... दोस्त... अभी आप कह रहे थे... आप वीर की सारी ख़बरें रखा करते थे... फिर दोस्त की बात आपसे कैसे छूट गया....
पिनाक - कौन दोस्त... कैसा दोस्त...
विक्रम - वह दोस्त.. जो वीर के साथ चट्टान जैसा खड़ा है...
पिनाक - कौन है... क्या किया है....

विक्रम टीवी का मोबाइल उठाता है और टीवी को फिर से ऑन करता है l पिनाक देखता है नभ वाणी न्यूज चैनल पर न्यूज क्लिप चल रहा था l जिसमें एक एंकर के बगल में एक विंडो में दिख रहा था कुछ औरतें किसी ऑफिस की घेराव किए हुए हैं l उन महिलाओं के पास न्यूज रिपोर्टर और पुलिस वाले खड़े हैं l विक्रम टीवी का वॉल्युम बढ़ाता है l

" आज की ब्रेकिंग न्यूज में मैं सुप्रिया रथ आप दर्शकों का स्वागत करती हूँ... जैसा कि आप दर्शक अवगत होंगे कुछ घंटों पहले राजधानी में एक काम काजी महिला का सिटी हस्पताल से अपहरण हो गया है... उन महिला का नाम है अनुसूया दास... अनुसूया जी की दादी जी के कंप्लेंट पर पुलिस की ढुलमुल रवैये से दुखी हो कर वाव की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति जी से मदत मांगी... घटना को जानने के पश्चात प्रतिभा जी पुलिस की कारवाई पर सवाल उठा कर कमिश्नरेट का अपने कुछ कार्यकर्ताओं के सहित घेराव किया है... हमारी संवाददाता निधि उनके विचार जानने के लिए उनके निकट गई हुई हैं... आइए जानते हैं आगे क्या करने की उनकी विचार है...

निधि - धन्यवाद सुप्रिया... जैसा कि जानते हैं... पहली बार ऐसा हुआ है कि सिटी हस्पताल के परिसर से... एक लड़की का अपहरण हुआ है... और सबसे खास बात... वह लड़की ESS से संबंधित है... इसलिए तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं... पर पुलिस महकमा कह रहा है... वे अपने काम कर रहे हैं... पर उनके काम से वर्किंग वुमेन एसोसिएशन ऑफ ओडिशा की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति इत्तेफ़ाक नहीं रख रहीं हैं... आइए जानते हैं उनसे उनके विचार... जी प्रतिभा जी...
प्रतिभा - देखिए... हम पुलिस की कारवाई से नाखुश हैं... लड़की दुपहर से लापता है... जब कि पुलिस शाम की बात कर रही है... इसलिए हमें पुलिस की मंशा पर शक हो रहा है...
निधि - क्या इसलिये अपने कमिश्नरेट का घेराव किया है...
प्रतिभा - नहीं हमने कोई घेराव नहीं किया है... हम वाव के तरफ़ से कुछ ही कार्यकर्ता कमिश्नरेट के सामने प्रदर्शन मात्र कर रहे हैं... पर कल सुबह तक अगर लड़की लापता रही... तो कल से यहाँ कमिश्नरेट के सामने कामकाजी महिलाओं का जामावड़ा शुरु होगी... इसके लिए... राज्य की कानून मंत्रालय और कमिश्नर जिम्मेदार होंगे...

तभी एक एसीपी कुछ ऑफिसरों के साथ प्रतिभा सेनापति के पास आता है l निधि यह देख कर उस एसीपी से मुखातिब होती है

निधि - यह रहे पुलिस ऑफिसर... शायद कमिशन ऑफिस से कोई सूचना लेकर आए हैं... जी सर
एसीपी - जी मैं... एसीपी सुभाष सतपती... आप गण माध्यम के जरिए... पुलिस प्रशासन के तरफ से यह आश्वासन दे रहा हूँ... हम पुरी कोशिश करेंगे... अगवा हुई लड़की को जितनी जल्दी हो सके ढूँढ कर आपके समक्ष लाएंगे... "

पिनाक पास रखे एक फ्लावर वॉश को उठा कर टीवी पर दे मारता है l टीवी का स्क्रीन फट जाता है और धुआं निकलने लगता है l विक्रम पिनाक की ओर देखता है

पिनाक - यह सब कैसे... राजकुमार वीर ऐसे कैसे सोच सकता है... उस औरत... प्रतिभा के पास वह पहुँचा कैसे...
विक्रम - अब आप बेबस.. असहाय लग रहे हैं...
पिनाक - हमें बेबस कर सके किसी में दम नहीं...

इतना कह कर पिनाक अपना मोबाइल निकाल कर कानून मंत्री सुजीत जेना को फोन लगाता है l पर उसका फोन लगता नहीं है l खीज कर वह बल्लभ को फोन लगाता है l

पिनाक - प्रधान... वहाँ पर क्या हो रहा है...
बल्लभ - छोटे राजा जी... यहाँ बात कुछ बिगड़ रहा है... फिर भी मैं और कमिश्नर संभालने की कोशिश कर रहे हैं...
पिनाक - क्या खाक कोशिश कर रहे हो... एक मामुली दो कौड़ी की लड़की के लिए... मीडिया और वाव... कमिश्नरेट का घेराव हो रहा है... इस औरत के पास वीर पहुँचा कैसे...
बल्लभ - यह तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है... उन्हें यह आइडिया दिया किसने... और इतनी जल्दी एक्शन में भी आ गए...
पिनाक - मैं कुछ नहीं जानता... तुम कैसे और किस तरह से मैनेज करोगे... पर पुलिस और प्रशासन का कोई भी दखल नहीं होनी चाहिए...
बल्लभ - मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा... पर पुलिस ने सारे शहर में नाकाबंदी लगा दी है... आप उनसे कहिये... किसी भी तरह से... या तो शहर से गायब हो जाएं... या फिर अंडरग्राउंड हो जाएं...
पिनाक - आआआहहह... (फोन काट देता है और विक्रम की ओर देखने लगता है) यह कौन दोस्त है... वीर को मिल गया है...
विक्रम - एडवोकेट प्रतिभा सेनापति को जानते हैं आप...
पिनाक - अच्छी तरह से... सेनापति दंपती के बारे में...
विक्रम - तो आपको यह भी मालुम होगा... उनका एक मुहँ बोला बेटा है....

पिनाक की आँखे हैरत से बड़ी हो जाती हैं l मुहँ खुला रह जाता है l अविश्वास के भाव से विक्रम की ओर देखने लगता है l

पिनाक - नहीं... यह नहीं हो सकता... हमारे दुश्मन से... वीर की दोस्ती... विश्वा से वीर की दोस्ती.....

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द हैल
वीर को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं, सुषमा आगे बढ़ती है और वीर के गले लग जाती है l वीर भी उसके गले लग जाता है l सुषमा सुबक रही थी पर वीर शांत था l उसका चेहरा जैसे कुछ आने वाले तूफान या जलजले का संदेश दे रहा था, यह बात रुप को साफ एहसास हो रहा था l

रुप - भैया... माँ... प्लीज बैठ जाइए ना...

रुप के इतने कहने से दोनों अलग होते हैं l वीर सुषमा को लाकर सोफ़े पर बिठा देता है l सुषमा वीर की ओर देखते हुए पूछती है

सुषमा - यह क्या हो रहा है वीर...
वीर - माँ शांत... तुम पहले अपनी बताओ...
सुषमा - वीर... मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... मुझे आज अचानक से बुलावा आया कि मुझे भुवनेश्वर तुम लोगों के पास पहुँचना है... मैं नर्सों और डॉक्टरों की टीम को बड़े राजा जी को देखभाल के लिए लगा कर आ गई... यहाँ पहुँचने के कुछ ही समय पहले जानकारी मिली... के कल तुम्हारी मंगनी है... मुझे हैरत हुई... पर धक्का तब लगा... जब यह खबर मिली कि... हमारी अनु को अगवा कर लिया गया है... यह क्या हो रहा है...
वीर - माँ... यह क्षेत्रपाल मर्दों की ना मर्दानगी है...
सुषमा - क्या.. क्या मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...
वीर - अनु को छोटे राजा जी ने उठवाया है...
सुषमा - क्या... (उछलकर उठ खड़ी हो जाती है)

ऐसा ही हाल रुप और शुभ्रा का भी था l हैरानी और अविश्वास से तीनों का चेहरा सन्न था l रुप और शुभ्रा आँख और मुहँ फाड़े कभी एक दुसरे को कभी वीर और सुषमा को देखे जा रहे थे l

सुषमा - यह तु क्या कह रहा है...
वीर - (एक टूटी हुई हँसी हँसते हुए) इसमें अविश्वास ना कर पाने वाली बात क्या है माँ...
सुषमा - (मुश्किल से) जिंदा है...
वीर - हाँ.. शायद...
सुषमा - हाँ शायद... मतलब...
वीर - जिंदा इसलिये... की मैं जिंदा हूँ... पर आज छोटे राजा जी ने... मुझे सच में मार दिया...
रुप - ऐसे क्यूँ कह रहे हो भैया...

वीर कोई जवाब नहीं देता l एक गहरी साँस लेते हुए उठ खड़ा होता है l रुप की ओर देखता है l

रुप - तुमने कोई जवाब नहीं दिया...
वीर - (शुभ्रा की ओर देख कर) आप कुछ नहीं पूछेंगी भाभी...
शुभ्रा - मैं क्या पूछूं... मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहा है... तुम्हारा मंगनी है... और अनु का अगवा कर लिया गया है...

वीर अपनी माँ की तरफ देखता है l सुषमा स्तब्ध सी चेयर पर धप से बैठ जाती है, जैसे उसे गहरा सदमा लगा है l वह खोई खोई सी लग रही थी

वीर - माँ...
सुषमा - (चौंक कर) हाँ... (वास्तविकता में लौटते हुए) हाँ...
वीर - क्या हुआ...
सुषमा - यह क्या हो रहा है... क्षेत्रपाल किसीको अपने रास्ते से हटाना चाहें तो... कहाँ नामुमकिन है... फिर ऐसे अनु को उठवाने का क्या मतलब... वह भी दुनिया को बता कर...
वीर - दुनिया में किसी को कुछ भी नहीं पता... इस साजिश के पीछे क्षेत्रपाल हैं... यह तो मुझे किडनैपर ने बताया है...
शुभ्रा - तो उसने जरूर झूठ बोला होगा...
वीर - नहीं... उसने सच कहा है...
रुप - यह तुम कैसे कह सकते हो...

वीर विक्रम की चिट्ठी की जिक्र करते हुए बताता है कैसे उसके ऑफिस में हर विभाग के इंचार्ज सभी कलकत्ता गए हुए हैं l यह सब सुन कर तीनों और भी हैरान होते हैं l

सुषमा - हे भगवान... यह कैसी हैवानियत है... अपनी ही औलाद के खिलाफ... (सुबकते हुए) मैं तेरे... अनु के और अनु की दादी की गुनाहगार हूँ वीर... मैं अब किस मुहँ से अनु के और उसकी दादी का सामना कर पाऊँगी...
वीर - माँ... मुझे कभी क्षेत्रपाल होने का गुरूर था... पर अनु के आगे मेरा वह गुरुर बहुत बौना हो जाता था... मैंने ता उम्र अपने गुरुर के चलते सिर्फ दुश्मन ही दुश्मन कमाए हैं... पर अनु के मेरी जिंदगी में आने के बाद... मुझे सच्चा प्यार और एक सच्चा दोस्त मिला है... आज उसी दोस्त के मदत से मैं अनु को ढूंढने जा रहा हूँ...
सुषमा - (थोड़ी अचरज के साथ) दोस्त...
वीर - हाँ माँ दोस्त... आज मेरे साथ... ना मेरे अपने हैं... ना ज़माना है... ना भगवान... ना मेरा अपना साया है... पर इस हालत में भी.. मेरा दोस्त मेरे साथ खड़ा है... जब भी मैंने उसे आवाज दी.. वह मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया... आज जब मुझे किसी की साथ की जरूरत थी... तब वही मेरे सामने आकर खड़ा हो गया... अब मुझे ऐसा लगता है कि... मैं दुनिया से टकरा सकता हूँ... दुनिया बदल सकता हूँ...

वीर इतना कह कर फिर चुप हो जाता है l तीनों ध्यान से वीर को सुन रहे थे l खामोशी ऐसी थी के किसी में हिम्मत ही नहीं हो रही थी खामोशी तोड़ने के लिए l फिर भी कुछ देर के बाद

शुभ्रा - वीर... जानते हो ना... कल शाम साढ़े सात बजे xxxx होटल में... तुम्हारा मंगनी करा दी जाएगी...
वीर - जानता हूँ...
रुप - फिर यह सब...

वीर सुषमा की ओर देखता है, सुषमा उसे डबडबाई आँखों से देख रही थी l ऐसा लग रहा था जैसे वह कहना और पूछना बहुत कुछ चाह रही थी पर उसका जुबान साथ नहीं दे रही थी l

वीर - माँ... तुमने अनु की दादी से जो वादा किया है... वह नहीं टुटेगी... कल उसी समय... उसी होटल में... मैं पुरी दुनिया के सामने ऐलान करूँगा... के अनु ही मेरी जीवन साथी होगी... चाहे कुछ भी हो जाए...
सुषमा - मुझे डर है... कहीं क्षेत्रफ़ल के अहंकार के चलते... अनु को कुछ हो ना जाए...
वीर - अगर अनु को कुछ हो गया... तो वीर भी नहीं रहेगा...
सुषमा - क्या... (एक झटके के साथ चेयर से उठ खड़ी होती है)
वीर - हाँ माँ...
शुभ्रा - वीर... तुम यह कैसी बातेँ कर रहे हो... वह भी अपनी माँ के सामने... जिन्होंने ना जाने कितनी दुआएँ माँगी होंगी... तुम्हारी लंबी उमर के लिए...
वीर - जानता हूँ भाभी..
रुप - फिर भी माँ का दिल दुखा रहे हो...
वीर - आप सब जानते हैं... अनु के साथ यह हादसा... बताने के लिए काफी है... के वह कभी भी... क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी नहीं जाएगी... इसलिए मैं यह कहने आया हूँ... की आज के बाद इस घर में... या राजगड़ में... मेरा आना जाना तभी होगा... जब अनु क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी जाएगी....

यह बात एक बिजली की तरह तीनों पर गिरती है l तीनों भौंचके हो जाते हैं और एक दुसरे के मुहँ को ताकने लगते हैं l सुषमा धप से चेयर पर बैठ जाती है l

शुभ्रा - वीर... तुम होश में तो हो... जानते हो क्या कह रहे हो...
रुप - देखो माँ को कितना गहरा सदमा पहुँचा है...
वीर - (फिर से अपनी माँ के आगे झुक जाता है) माँ... मैं जानता हूँ... तुमको... बल्कि... आप सब लोगों को तकलीफ होगी... पर सच्चाइ यही है... की आप में से कोई क्षेत्रपाल के खिंचे लकीर लांघ नहीं सकता... और मैं नहीं चाहता... मेरी और क्षेत्रपाल के अहंकार के टकराव के बीच मेरा अपना कोई पीस जाए... इसलिए आज आप लोगों से मैं इजाजत लेने आया हूँ...


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अपने कमरे में चहल कदम करते हुए पिनाक अपनी हाथ की मुट्ठी बना कर दुसरे हाथ पर मार रहा था l उसके चेहरे पर बैचैनी साफ झलक रहा था l सारी दुनिया सो रही थी पर उसके आँखों में नींद गायब था l अचानक वह टेबल लैम्प के पास रखे अपना मोबाइल उठाता है और एक नंबर पर डायल करता है l

@ - (उबासी लेते हुए) हैलो छोटे राजा जी... कहिए... इतनी रात गए कैसे याद किया...
पिनाक - बे कुत्ते... हरामी साले... जब सारा भुवनेश्वर जाग रहा है... तु कैसे चैन से सोया हुआ है...
@ - क्यूँ छोटे राजा जी क्या हो गया....
पिनाक - हराम जादे... उस लड़की को कहाँ पर रखा है... तुम ने...
@ - छोटे राजा जी... आप भुल रहे हैं... किडनैप मैंने नहीं किया है... करवाया है... आपने ही कहा था... यह काम किसी ऐसे इंसान से करवाने के लिए... जिसका क्षेत्रपाल परिवार से दुर दुर से वास्ता ना हो... अगर हो तो दुश्मनी हो... और मैंने ऐसा ही किया है... इस कांड में... आपके या आपके परिवार का नाम बिल्कुल नहीं उछलेगा...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... पर हम यह भी चाहते थे... वह लड़की फिर कभी दिखे ही ना...
@ - वह लोग हैं ही ऐसे... वह लोग उस लड़की को... ना जाने कितनी बार बेचेंगे.... और फिर उसकी ऑर्गन बेच कर किसी कोने में दफना देंगे....
पिनाक - पर अब उस लड़की को पुलिस ढूँढ रही है...
@ - सॉरी छोटे राजा जी... यह काम आपने मुझे नहीं दी थी... और यह काम मेरे बस की है भी नहीं... आपने इसे जिसके बस की कही थी... उसे ही तो आपने सौंपा रखा है...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... तुमने अपना काम करदिया है... क्या... (थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है)
@ - पूछिये छोटे राजा जी... पूछिये... आपको किस बात का डर है...
पिनाक - अपनी जुबान पर लगाम दे कुत्ते... डर हम से डरता है... हम तो बस यह तसल्ली करना चाहते हैं... तुमने जिसे काम सौंपा है... कहीं पुलिस के डर से उस लड़की को छोड़ ना दे...
@ - आप घबराईये मत छोटे राजा जी... जिसे यह काम सौंपा गया है... या तो वह उस लड़की को बेच देगा... या फिर मार देगा... पर छोड़ेगा नहीं... आप बस अपने प्रधान बाबु से पुलीस कारवाई पर तसल्ली कर लीजिए...
पिनाक - ठीक है....
@ - तो क्या अब मैं सो जाऊँ... (उबासी लेते हुए) बड़ी जोर की नींद आ रही है....
पिनाक - हूँ... सो जा...

कोई जवाब नहीं मिलता l पिनाक फोन पर देखता है कॉल कट हो चुका था l पिनाक की जबड़े सख्त हो जाते हैं l वह बल्लभ को फोन लगाता है

बल्लभ - हे हैलो...
पिनाक - (गम्भीर आवाज में) यह हम न्यूज में क्या देख रहे हैं...
बल्लभ - सॉरी छोटे राजा जी... हमने ऐसा बिल्कुल सोचा भी नहीं था... मैंने कमिश्नर से और जेना बाबु से बात कर... अगवा हुई उस लड़की की तलाश की तफ्तीश को भटकाने और देर करने के लिए राजी करा दिया था... उस काम के लिए... टीम भी बना दिया गया था... पर...
पिनाक - ह्म्म्म्म... आगे बोलो... हम तुम्हारे मुहँ से सुनना चाहते हैं...
बल्लभ - पता नहीं कैसे... अनु की दादी उस एडवोकेट प्रतिभा सेनापति के पास पहुँच गई... अब कानून मंत्री सुजीत जेना और कमिश्नर पर बहुत प्रेसर है...
पिनाक - मतलब...
बल्लभ - जी मैं कमिश्नर जी से बात कर रहा था... अगर इस मामले में मीडिया नहीं घुसती तो कुछ कर सकते थे... पर अब यह डिपार्टमेंट की इज़्ज़त पर बात आ गई है... इसलिए वह अब उस लड़की को ढूंढने की पुरी कोशिश करेंगे...
पिनाक - आ आ आह्य... देखो मैं कुछ नहीं जानता... राजा सहाब के सामने मेरी गर्दन झुकनी नहीं चाहिए... तलाश के काम में जितनी देर हो सके करवाओ... जहां पर जितना पैसा लगे... खिलाओ... पर लड़की मिले तो कल नहीं... परसों या किसी और दिन मिले... बस वह जिंदा ना मिले उसका इंतजाम मैं करवाऊंगा...

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अस्सिटेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस सुभाष सतपती अपनी जिप्सी के अंदर उतरता है और चले हुए एक चेक पोस्ट पर पहुँचता है l उसे देखते ही पोस्ट पर तैनात सभी पुलिस वाले उसे सैल्यूट ठोकते हैं l

सतपती - कैसा चल रहा है अब तक...
एक संत्री - हम सभी को चेक कर रहे हैं सर...
सतपती - गुड...

इतना कह कर सतपती अपनी गाड़ी में आकर बैठता है और गाड़ी स्टार्ट कर वहाँ से चल देता है l गाड़ी कुछ देर बाद एनएच के एक ढाबा 24/7 पर रुकती है l गाड़ी से उतर कर वह एक केबिन में घुस जाता है l केबिन के अंदर विश्व बैठा हुआ था l

सतपती - मुझे ज्यादा देर तो नहीं हुई...
विश्व - नहीं... आइए सतपती सर... बैठिए...
सतपती - (बैठते हुए) अकेले हो...
विश्व - फ़िलहाल... अभी दो और लोग आयेंगे...
सतपती - एक को मैं गेस कर सकता हूँ... वीर... वीर सिंह क्षेत्रपाल... यह दुसरा कौन है..
विश्व - उसे आने दीजिए... मिल लीजिएगा... वैसे मेरे बुलाने पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...
सतपती - क्या करें... सेनापति सर का हुकुम था... और मुझ पर तुम्हारा एहसान भी तो बहुत है... तुम्हारे ही किए क्रेडिट के वज़ह से आज इस पोस्ट पर हुँ...
विश्व - आप खुश नहीं लग रहे हैं...
सतपती - ऐसा नहीं है विश्व... सेनापति सर के कहने से मैं... अपना ट्रांसफ़र और प्रमोशन दोनों स्वीकार किया... इनाम के तौर पर देहरादून में आईपीएस ट्रेनिंग भी मिला... पर पोस्टिंग देखो... फिल्ड के बजाय इंटेलिजंस विंग में डाल दिया... दिन भर फाइलें छानता रहता हूँ... और कमिश्नरेट के तरफ से... मीडिया का स्पोक पर्सन बन गया हूँ... रही तुम्हारी बात... मैं तुमसे कभी शिकायत नहीं रख सकता यार... खैर यह जो हो रहा है.. मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... तुम और वीर सिंह... (चुप हो जाता है)
विश्व - मेरा दुश्मन भैरव सिंह है... और वीर सिंह मेरा दोस्त है...
सतपती - तो तुम इस तरह से... बदला ले रहे हो...
विश्व - नहीं... यह इत्तेफाक है कि भैरव सिंह मेरा दुश्मन और उसका भतीजा मेरा दोस्त... और मेरी रीढ़ की हड्डी इतनी कमजोर नहीं... भैरव सिंह से बदला लेने के लिए... मुझे उसके भतीजे के ओट लेना पड़े...
सतपती - क्या वीर सिंह... तुम्हारे और भैरव सिंह के बारे में जानता है...
विश्व - हाँ... उस दुश्मनी से इस दोस्ती का कोई वास्ता नहीं है... भैरव सिंह के लिए इतना खुन्नस है कि मैं उसका जान ले सकता हूँ... पर वीर सिंह के लिए दोस्ती इतनी पक्की है कि... मैं उसके लिए जान दे सकता हूँ...

विश्व की जवाब सुन कर सतपती चुप हो जाता है l तभी केबिन में वीर आता है और एक कुर्सी खिंच कर दोनों के साथ बैठ जाता है l विश्व देखता है वीर थोड़ा खोया खोया सा लग रहा था l

विश्व - क्या हुआ वीर...
वीर - कुछ नहीं... (सतपती की ओर देख कर) आपकी तारीफ...
सतपती - मैं विश्व का दोस्त... एसीपी सुभाष सतपती...
वीर - ओ.. थैंक यु... (विश्व की ओर देख कर) तो...
विश्व - एक मिनट वीर... मेरा एक और दोस्त आ रहा है... उसे आने दो...

तभी कमरे में एक और शख्स आता है l तीनों को बारी बारी से सलाम ठोकता है l उसे देख कर सतपती हैरान होता है l

सतपती - तुम...
शख्स - (हँसते हुए) जी...
सतपती - (विश्व की ओर देखते हुए) यह यहाँ कैसे...
विश्व - (उस शख्स से) तुम यहाँ बैठो लल्लन... (लल्लन बैठ जाता है, विश्व सतपती से) आप जिस दुसरे की बात कर रहे थे... यह यही है... इस केस में... इसकी मदत भी बहुत जरूरी है...
सतपती - (लल्लन से) तु भुवनेश्वर में कैसे...
लल्लन - जब भाई बुलाते हैं... मैं उनकी सेवा में हाजिर हो जाता हूँ....
विश्व - ओके... हम उस बात पर जिसके लिए यहाँ आए हैं... सतपती जी आप के पास क्या जानकारी है...
सतपती - पहली बात... मैंने सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर कुछ फोटोस लाया हूँ... इस किडनैपिंग के पीछे यही लोग हैं...

इतना कह कर मोबाइल निकाल कर दो शख्सों की फोटो निकाल कर दिखाता है l विश्व लल्लन को वह फोटो देखने के लिए कहता है l लल्लन उन फोटोस को गौर से देखता है

लल्लन - यह लोग नीरा के आदमी हैं..
सतपती - हाँ बिल्कुल...
विश्व - (वीर से, फोटो दिखा कर) वीर... क्या इन्हें जानते हो या इनके बॉस नीरा को... (वीर अपना गर्दन हिला कर ना कहता है)
सतपती - राजकुमार जी को याद ना हो शायद... पर...
वीर - (टोकते हुए) एक मिनट एसीपी सर... मुझे आप वीर कहिये... (सतपती उसे हैरानी भरे नजरों से देखता है) प्लीज... और यह आप आप मत कहिए... मैं अभी अभी आप वाली औकात से बाहर आया हूँ... तुम कहिये... या तु भी कह सकते हैं...
सतपती - ओके... तो वीर... तुम्हें मालुम होना चाहिए... नीरा आइकन ग्रुप से जुड़ा हुआ था... केके ग्रुप के साथ टेंडर को लेकर झगड़ा था... इसका भाई सुरा और उसकी महबूबा एक दिन गायब हो गए... और शायद... (कहते कहते रुक जाता है)
वीर - हाँ... हाँ... याद आया... केके की एक बेटी भी थी... यही नीरा और सुरा के डर से... उसकी शादी कर दी थी... और उसे विदेश भेज दिया था...
सतपती - हाँ... बिल्कुल... और पुलिस को लगता है... मिस अनु के किडनैपिंग उसी दुश्मनी के वज़ह से हुई है...

कुछ देर के लिए केबिन में खामोशी छा जाती है l सभी वीर की ओर देखते हैं, वीर अपनी भवें सिकुड़ कर सोच में था l विश्व बात को आगे बढ़ाते हुए

विश्व - तो सतपती जी... अगर पुलिस के पास इतनी जानकारी है... तो फिर... कारवाई में इतनी देरी क्यूँ...
सतपती - पता नहीं... पर मुझे जहां तक अंदाजा मिल पा रहा है... महकमे में कोई भी इंट्रेस्टेड नहीं है... इसलिए केस को घुमा रहे हैं... चूंकि अब मीडिया इंवॉल्व हो गई है... खाना पूर्ति के लिए इधर उधर हाथ पैर मार रहे हैं...
विश्व - तो क्या अनु को भुवनेश्वर से बाहर ले गए हैं...
सतपती - नहीं... अनु पक्के तौर पर भुवनेश्वर में ही है... नाकाबंदी बड़ी जबरदस्त है... बस ढूंढने में थोड़ी ढील है...
विश्व - (लल्लन से) तो लल्लन प्यारे... कुछ पता चला पाए...
लल्लन - (बातचीत के दौरान वह मोबाइल पर झुका हुआ था, वैसे ही झुके हुए) भाई दो मिनट... मैंने फोटो देखते वक़्त अपने मोबाइल पर ट्रांसफ़र करवा लिया था... उसे अपने पट्ठों के पास भेज दिया है... खबर मिल जाएगी...

थोड़ी देर बाद उसके मोबाइल पर एक अलर्ट ट्यून बजता है l लल्लन मेसेज पढ़ने के बाद विश्व की ओर देखता है l

लल्लन - भाई... नीरा... बालासोर में था... कुछ ही दिन हुए हैं... वह भुवनेश्वर में आया है... अभी वह सुंढी साही बस्ती में है... और मुमकिन है... अनु वहीँ पर हो... क्यूँकी पुरे भुवनेश्वर में... अनु को छिपाने के लिए... एक वही बस्ती ही सेफ है... जहां पुलिस भी रेड डालने से पहले सौ बार सोचती है...
वीर - (उठते हुए) तो फिर देर किस बात की... चलो चलते हैं...

वीर अकेला खड़ा होता है पर विश्व, सतपती और लल्लन अपनी जगह से नहीं उठते l वीर थोड़ा हैरान होता है l

वीर - क्या हुआ...
सतपती - थोड़ी देर के लिए बैठ जाइए वीर... (वीर बैठता है)
विश्व - (सतपती से) आपका क्या प्लान है...
सतपती - विश्व... तुम्हें शायद अंदाजा हो... यह सुंढी साही बस्ती है... इस बस्ती में... जितने भी लोग रहते हैं... एक से बढ़कर एक छटे हुए बदमाश हैं... गुंडई उन लोगों का खानदानी पेशा है... वहाँ घुसने के लिए... वेल प्रीपेयरड फोर्स चाहिए... और फोर्स लेने के लिए...इंफोर्मेशन पक्की होनी चाहिए...
विश्व - मतलब... आप कुछ नहीं कर सकते...
सतपती - कर तो सकता हूँ... पर... मुझे सुबह तक टाइम चाहिए... ताकि मैं कमिश्नर को... यकीन दिला कर मना सकूँ...
वीर - तब तक... अनु के साथ कुछ भी हो सकता है... उसे कहीं ले भी जा सकते हैं...
विश्व - वीर... हिम्मत रखो... लल्लन तुम्हारा क्या खयाल है...
लल्लन - भाई... सतपती सर सही कह रहे हैं... पर मुझे लगता है... सुबह तक भी देर हो सकती है... वे लोग कोई ना कोई तरकीब लगा कर अनु को भुवनेश्वर से दुर ले जाने की कोशिश करेंगे...
वीर - तो फिर... हम किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं...
विश्व - वीर... शांत रहो... जज्बाती हो कर जल्दबाज़ी में काम ना लो... (सतपती से) ठीक है सतपती जी... यहां तक मदत के लिए शुक्रिया... आप कोशिश कीजिए... किसी तरह सुबह तक... सुंढी साही के बाहर तक फोर्स ले आयें...
सतपती - (उठते हुए) ठीक है फिर... मैं कुछ भी करके... कमिश्नर साहब को राजी कर... एक बटालियन लेकर सुबह तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ...

इतना कह कर सतपती वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद विश्व कुछ सोचने लगता है l उसे सोच में देख कर लल्लन विश्व से पूछता है

लल्लन - क्या बात है भाई...
विश्व - जिस तरह पुलिस सारे शहर की नाकाबंदी कर रखा है... जाहिर है... उस बस्ती में लोग... अपनी बस्ती की पहरेदारी में होंगे...
लल्लन - बिल्कुल भाई... मेरा एक पट्ठा गया है... ख़बर निकाल कर पुरी जानकारी देगा...
वीर - देखा प्रताप... मेरे बाप ने सुपारी दी भी किसे... जिसके साथ हमारी दुश्मनी है... ताकि दुनिया को लगे अनु... हमारी दुश्मनी की चलते किडनैप हुई है...
विश्व - मुझे लगता है... कोई तीसरा भी है... जो खेल रहा है...
वीर - मतलब...
विश्व - मतलब... तुमसे बात करने वाला नीरा नहीं था... कोई और था... जिसने तुम्हारे बाप की सुपारी की बात कही थी...
वीर - वह चाहे कोई भी हो... सुपारी की बात सच है... (एक गहरी साँस लेते हुए) यार प्लीज कुछ करो.. पता नहीं अनु कैसी होगी किस हाल में होगी...

तभी लल्लन की मोबाइल बजने लगता है l लल्लन मोबाइल उठा कर अपने कान में लगाता है l उसकी आँखों में एक चमक दिखने लगता है l कुछ देर मोबाइल सुनने के बाद

लल्लन - भाई... अनु उसी बस्ती में है... शहर की नाकाबंदी देख कर... सुबह सुबह अनु को ले जाने की प्लान बना रहे हैं...

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एक कमरे में अनु कुर्सी पर बैठी हुई है l उसके सामने एक आदमी खिड़की से बाहर देखते हुए सिगरेट पी रहा है l तभी बाहर से एक आदमी आता है और कमरे में खड़ा हो जाता है l उसके आने का एहसास होते ही पहला शख्स अपना सिगरेट खिड़की से फेंक कर उसके तरफ मुड़ता है l

शख्स - क्या बात है मंगू...
मंगू - नीरा भाई... कुछ देर के बाद सुबह हो जाएगी... हम रात में इस लड़की को निकाल नहीं पाए... सुबह कैसे निकलेंगे...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - उसने कहा था... पुलिस का लफड़ा वह सम्भाल लेगा... पर पुलिस ने इस कदर घेरा बंदी की है कि...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - हम बेकार में इस लफड़े में फंस गए...
नीरा - बेकार में नहीं... बस अपना टाइम थोड़ा खराब निकला... पर कोई ना... हम जहां हैं... वहाँ कोई भी आने से पहले सौ बार सोचेगा...
मंगू - भाई... पुलिस को तो नहीं मालुम ना... इसे किसने उठाया है...
नीरा - अब तक मालुम हो चुका होगा...
मंगू - तो... अब इस मुसीबत को हम गले में बाँध कर क्यूँ घूमें... इसे यहीं मार कर निकल जाते हैं ना...
नीरा - मुसीबत इस लड़की के पीछे पीछे आई है... अब उसी मुसीबत से यही लड़की बचाएगी...

यह कह कर नीरा अनु की तरफ मुड़ता है l अनु के चेहरे पर अभी भी खौफ नहीं था l भाव हीन चेहरे पर भवें हल्की सी सिकुड़ी हुई थी l

नीरा - डर नहीं लग रहा तुझे... यह तो मुझे समझ में आ रहा है... पर इस सपाट चेहरे पर जो हैरानी दिख रही है... वह क्यूँ है...
अनु - यही की... मेरा अपहरण के बाद... तुम लोगों की पहली हार... मुझे भुवनेश्वर से दूर नहीं ले जा पाए... आगे हार ही हार है... फिर भी...
नीरा - ऐ लड़की... ज्यादा मत सोच... तेरा मुहँ खुला रखा है तो कुछ भी चपड़ चपड़ मत कर... शुक्र मना अभी तक हमने तेरे साथ कुछ किया नहीं है...
अनु - कुछ करने की सोचना भी मत... इतना तो समझ चुकी हूँ... मैं जिंदा और सलामत अभी तक इसलिए हूँ... क्यूंकि तुम लोगों ने वीर सिंह क्षेत्रपाल से दुश्मनी ली है....
मंगू - तो... तो क्या हो गया... तु वीर सिंह की टाइम पास है जानने के बाद ही तो उठाया है...
नीरा - सुन लड़की... वीर सिंह ने आज से छह महीने पहले... मेरे भाई सुरा और उसकी गर्लफ्रेंड को उठवाकर गायब कर दिया था... उसे वही दर्द और चोट देने के लिए तुझे उठवाया है... शुक्र मना... मेरे बदले की आग में... तु अभी तक जली नहीं...
अनु - अलबत्ता सोचना भी मत... क्यूँकी मुझे खरोंच भी आई... तो मैं खुद को ख़तम कर दूंगी... और इतना तो समझ ही चुकी हूँ... आखिरी मौके पर सौदे बाजी के लिए... मेरा सही सलामत होना जरूरी है... क्यूँकी राजकुमार की जुनून से मुझसे ज्यादा तुम लोग वाकिफ हो...
नीरा - (मंगू से) इसके मुहँ पर पट्टी बाँध दे...

मंगू एक पॉली टेप निकाल कर अनु के मुहँ पर लगा देता है l अनु कोई विरोध नहीं करती l इतने में एक और आदमी कमरे में आता है l

नीरा - क्या है मल्ला...
मल्ला - आपने बुलाया...
नीरा - हाँ...
मल्ला - तो हुकुम करो नीरा भाई...
नीरा - देखो... जहां तक मुझे अंदाजा है... इस लड़की के लिये... पुलिस सुबह तक बस्ती का घेराव करेगी...
मल्ला - तो करने दो ना भाई... पुलिस अंदर आ नहीं पाएगी...
नीरा - जानता हूँ... पर कितनी देर तक...
मल्ला - (चुप रहता है)
नीरा - देखो... मैं क्षेत्रपाल को घुटने पर देखना चाहता हूँ... समझ लो यह मेरी आखिरी जंग है... (अनु की तरफ देख कर) मुझे इस लड़की का घमंड भी तोड़ना है...
मल्ला - तो क्या करना है बोलो भाई...
नीरा - सुबह तड़के बस्ती से कुछ लोग मछली पकड़ने के लिए निकलेंगे... (अनु के तरफ़ देख कर) तुम अपने आदमियों के साथ इसे एक जाल में लपेट कर एक नाव में डाल देना... और दया नदी से हो कर चीलका में चले जाना.... वहाँ से बोट लेकर... चांदबाली पहुँच जाना...

नीरा का यह प्लान सुन कर अनु की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं l उसकी यह दसा देख कर नीरा के चेहरे पर एक चमक उभर आता है l

नीरा - (अनु के पास जाकर उससे) हाँ... बस यही... हाँ यही तेरे चेहरे पर देखना चाहता था... हैरान... डर और परेशान... (कह कर उसके मुहँ से पट्टी निकाल देता है) अब क्या बोलेगी... एक बार तुझे भुवनेश्वर से बाहर ले चलूँ... फिर तु सोच भी नहीं सकती तेरे साथ क्या क्या करूँगा...
अनु - (बड़े गुरूर के साथ) कुछ नहीं कर पाओगे... तुम कुछ देर के लिए इस भ्रम में रहोगे की तुमने मुझे भुवनेश्वर से बाहर निकाल दिया... पर देखना तुम ही गिड़गिड़ा कर मुझे वापस बुलाओगे....

नीरा गुस्से से अनु के मुहँ पर पट्टी लगा देती है l मंगू और मल्ला की ओर देखते हुए कहता है l

नीरा - इसकी हिम्मत और इसका विश्वास हद से ज्यादा है... यही वज़ह है कि मैं अब तक इसके साथ कुछ किया नहीं है... इसकी हिम्मत और विश्वास को टूटते देखना चाहता हूँ... ले जाओ इसे...

मंगू और मल्ला दोनों आते हैं अनु को लेकर जाने लगते हैं l अनु भी किसी तरह का कोई विरोध नहीं करती l उनके साथ बाहर चली जाती है l

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सुबह के करीब चार बज रहे थे l
सुंढी साही बस्ती से कुछ दुर पर एक बड़े से बरगत के पेड़ के नीचे एक काली रंग की वैनिटी वैन खड़ी हुई है l ऐसा लगता है जैसे कोई न्यूज एजेंसी की ट्रांसमिशन वैन है l वैन के ऊपर रेडार लगा हुआ है l गाड़ी के अंदर सिर्फ तीन लोग बैठे हुए थे, जोडार, विश्व और वीर l

जोडार - (विश्व से) तुम्हें लगता है... पुलिस आ जाएगी...
विश्व - मुझे सतपती जी पर भरोसा तो है... पर...
जोडार - पर... यह पर क्यूँ...
विश्व - जोडार सर... हम जितना प्लानिंग कर रहे हैं... वे लोग भी उतना ही अपने प्लानिंग में होंगे... मैं नहीं चाहता... पुलिस आने तक अनु को किसी तरह से बस्ती से निकालने कोशिश की जाए...
जोडार - ह्म्म्म्म...
विश्व - पर जोडार सर... आप खामखा हमारे साथ आए... किसी ऑपरेटर को भेज देते.. तो काम बन सकता था...
जोडार - ओये... मैं एक एक्स सर्विस मेन हूँ... मुझे मत सिखाओ... मुझे क्या करना चाहिए... वैसे भी... चूंकि तुम डायरेक्टली इंवॉल्व हो... इसलिए अपने मैं भी तैयार हो गया...
विश्व - फिर भी... यह सब गैजेट्स... आप ऑपरेट करेंगे...
जोडार - देखो विश्व... तुम मेरे अपने... बहुत खास हो... (वीर को दिखा कर) यह तुम्हारा दोस्त है.... पर मेरा... पर्सनल और प्रोफेशनल दुश्मन का बेटा है... पर मजबूरी यह है कि... यह तुम्हारा दोस्त है...
वीर - थैंक्यु... जोडार सर...
जोडार - देखो वीर... बुरा मत मानना... आई एम फ्रोम आर्मी... झूठ बोल नहीं सकता...
वीर - मैं आपका आभार रहूँगा...
जोडार - वेल... मैं मदत भी इसलिए कर रहा हूँ... क्यूंकि बात एक लड़की की भी है... सो योंग मेन... अब आगे क्या करना है...
विश्व - सर... आपके गैजेट्स के मदत से मैं... बस्ती के अंदर छुपके छुपाते हुए जाऊँगा... और अनु तक पहुँचने की कोशिश करूँगा....
जोडार - गुड... आइडिया बुरा नहीं है... पर खतरा है...
विश्व - मैं उसके लिए तैयार हूँ... आप बेफिक्र रहें... मैं निपट सकता हूँ...
वीर - नहीं प्रताप... बस्ती के अंदर जाऊँगा तो मैं..
विश्व - देखो वीर... तुम इस मामले में कच्चे हो... तुम्हारी एक गलती... उन्हें ना सिर्फ अलर्ट कर देगी... बल्कि तुम्हें खतरे में डाल देगी...
वीर - नहीं प्रताप... मुझ पर यकीन करो... अनु को सिर्फ मैं ही ढूंढ सकता हूँ... मेरी दिल की धड़कन उसकी पता लगा लेगी... तुम बस.. बाहर से जो मदत हो सके वही करो...
विश्व - पर वीर...
वीर - प्लीज प्रताप... यह मेरे प्यार का... और अनु की मुझ पर विश्वास का इम्तिहान है... अगर कामयाब रहा... तो प्यार जीतेगी... अगर हार भी गया तो... प्यार हारेगी नहीं... पर विश्वास जीत जाएगा... प्लीज...
विश्व - तो चलो हम मिल कर चलते हैं...
वीर - नहीं प्रताप नहीं... यह जंग मेरा अपना है... इसे मुझे ही लड़ने दो... तुम्हें अपने प्यार का वास्ता... तुम्हें अपनी शेरनी का वास्ता... प्लीज... आज एक आशिक को... अपने प्यार के लिए... दुनिया से लड़ जाने दो...

विश्व कुछ कह नहीं पाता, बस छटपटा कर रह जाता है l उसके कंधे पर हाथ रखते हुए जोडार कहता है

जोडार - वीर सही कह रहा है विश्व... लेट हीम गो... उसे जाने दो... यह वीर और अनु विश्वास की परिक्षा है...
विश्व - ठीक है... अगर आप दोनों का यही मानना है... तो यही सही... पर मेरी भी एक शर्त है...
वीर - कहो...
विश्व - देखो गैजेट्स के मदत से... तुम्हें अलर्ट करने के साथ साथ... रास्ता भी बताता रहूँगा... पर जैसे ही मुझे आभास होगा... तुमसे सिचुएशन नहीं संभालेगा... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - प्रताप... बात अगर मार पीट की है... तो मैं हर सिचुएशन को संभाल सकता हूँ...
विश्व - वह मैं कुछ नहीं जानता... जब मुझे लगेगा के तुम फंस गए हो... बाहर नहीं निकल सकते... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - ओके...

विश्व वीर को एक ब्लू टूथ वाली कंपनी के इयर बड देता है l वीर उसे कान में लगा लेता है l वीर अपने जेब में एक फोल्डिंग रॉड को निकाल कर चेक करता है और फिर अपनी आस्तीन में वापस रख लेता है l उसके बाद विश्व और वीर दोनों वैन से उतरते हैं l विश्व एक हाथ घड़ी वाली माइक निकाल कर कलाई पर बाँधता है l विश्व उस घड़ी को ऑन करता है l

विश्व - हाँ... जोडार साहब... हम रेडी हैं... आप पतंग उड़ाईये...

विश्व का इशारा पाते ही जोडार अपने गाड़ी के सिस्टम में एक लिवर दबाता है l तभी गाड़ी के ऊपर से कुछ छोटे छोटे ड्रोन्स उड़ने लगते हैं l कुछ ऊंचाई पर ड्रोन्स अपनी दिशाएँ बदल कर बस्ती के उपर उड़ने लगते हैं l

जोडार - (विश्व से) क्या वीर तुमसे कनेक्ट है...
विश्व - हाँ...
जोडार - उसे कहो वैन के बायीं ओर सीधे जाए और...
विश्व - वीर तुम अपनी बायीं ओर सीधे जाओ... तीसरे पोल के पास... वहाँ पर पहरेदारी पर आदमी गायब है...
वीर - ओके..

कह कर वीर भागने लगता है l तीसरे पोल के पास एक संकरी गली दिखती है l वीर उस गली में घुस जाता है l विश्व के हाथ में एक टेबलेट मानिटर था l वीर के बदन पर एक ट्रैकर लगा दिया था l इसलिए वीर की मूवमेंट विश्व मॉनीटर से पता कर रहा था l थोड़ी देर बाद विश्व अपनी जगह से वीर के दिशा में चलने लगता है l

जोडार - अखिर तुमसे रहा नहीं गया ना... चल दिए वीर के पीछे...
विश्व - (अपने बाएं कान का इयर बड को म्यूट करता है) हाँ... वीर बेवक़ूफ़ है... अपने इश्क की बेवक़ूफ़ी मैं सूइसाइड करने जा रहा है... मैं उसे ऐसे कैसे जाने दे सकता हूँ... आप बस ड्रोन मॉनीटर से रास्ता बनाइये... और खतरे से आगाह कीजिए... बाकी मैं संभाल लूँगा...
जोडार - हाँ मैं बस देखे जा रहा हूँ... तुम भी वीर को रास्ता बताते हुए अंदर पहुंचने की कोशिश करो... वैसे भी... इस बस्ती में सोचने समझने वाले कम हैं...
विश्व - जी... हमें जो भी करना है... पुलिस के आने से पहले करना है...

विश्व अपने कान का इयर बड को फिर से ऑनलाइन करता है और जोडार के कहे बात को वीर तक पहुँचाते हुए खुद भी अंदर जाने लगता है l अचानक उसे एहसास होता है कि वीर के सामने कुछ लोग खड़े हो गए हैं l विश्व भागते हुए एक जगह पहुँचता है जहां दो लोग हाथ में कटार लिए वीर पर हमला करने के लिए तैयार दिखते हैं l वीर भी उनके सामने खड़ा था l उन दो आदमियों से एक हाथ में कटार को हिलाते हुए वीर पर हमला करता है l
 

Jasdil

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👉एक सौ चौंतीसवाँ अपडेट
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विक्रम के चेहरे पर कोई भाव नहीं था l यह खबर सुनने के बाद ना वह चौंका ना ही किसी तरह का कोई प्रतिक्रिया दी l यह देख कर पिनाक थोड़ा हैरान हो जाता है l

पिनाक - क्या बात है युवराज... हमारी सूचना से आप की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई...
विक्रम - आप ऐसा करने जा रहे हैं... यह तो मैं जानता था... वैसे भी आपने राजा साहब से वादा जो किया था... आज ही अनु को ठिकाने लगाने के लिए... पर मैं यह निश्चिंत तौर पर कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - यह आप किस बिनाह पर कह सकते हैं...

इस सवाल पर विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरता है l वह इशारा करता है पिनाक को बैठ जाने के लिए l पिनाक एक कुर्सी पर बैठ जाता है विक्रम उसके सामने बैठ जाता है l

विक्रम - वीर कैसा है... यह आप अच्छी तरह से जानते हैं... वह अगर बेकाबू हो गया... तो वह किसीके भी संभाले नहीं संभलेगा... और आप चाहते हैं कि... वीर आपकी मर्जी से मंगनी भी कर ले और शादी भी... वगैर कुछ विरोध किए... इसके लिए... वीर की कमजोरी को कब्जे में लेना जरूरी था... इसलिए मैं कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - हाँ है तो वह जिंदा... पर ज्यादा देर के लिए नहीं...
विक्रम - आप अभी भी... वीर को हल्के में ले रहे हैं... वीर अनु को ढूँढ निकालेगा...
पिनाक - युवराज लगता है... आप सबसे ज्यादा दुखी हैं... अनु के अगवा हो जाने से...
विक्रम - मैंने आपको बस एक भविष्यवाणी सुनाई...

पिनाक का चेहरा सख्त हो जाता है l जबड़े भींच जाते हैं l मुट्ठीयाँ कस जाते हैं l आँखों के नीचे वाले पेशियों में थिरखन होने लगते हैं l

पिनाक - (दांत पिसते हुए) वीर कुछ नहीं कर पाएगा... उसे एहसास होगा... क्षेत्रपाल उपनाम के वगैर... इस दुनिया में... उसकी कोई हस्ती नहीं है... वीर सिंह नाम का जो बल्ब जल रहा है... उसके अंदर का फ़िल्मेंट क्षेत्रपाल है... उसके वगैर वह एक फ्यूज बल्ब है... जिसकी जगह... गटर के पास वाले कोई कूड़ेदान है... आज वह अकेला होगा... असहाय... बेबस मजबूर... हम जिस दुनिया को झुकाते हैं... कुचलते हैं... जीतते हैं... राजकुमार उसी दुनिया का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं...
विक्रम - आप ऐसा क्यूँ चाहते हैं... वीर आपका बेटा है... कहीं ऐसा ना हो... की आप दुनिया को जीतते के गुमान में... अपनी ही दुनिया ना हार जाएं...
पिनाक - मैं उसे वीर सिंह नहीं... वीर सिंह क्षेत्रपाल बनते देखना चाहता हूँ... लड़कियाँ उसकी कमजोरी तो हों... पर कोई एक लड़की उसकी कमजोरी ना बन जाएं...
विक्रम - अनु उसकी जिंदगी है...
पिनाक - और मुझे वह ना पसंद है...
विक्रम - छोटे राजा जी... आप हमेशा... राजा साहब के कहे मानते रहे... एक बार आप अपने लिए... वीर की बात मान लेते...
पिनाक - राजकुमार ने हमसे माँगा ही कब...
विक्रम - आपने मौका दिया ही कब....

कुछ देर के लिए पिनाक चुप हो जाता है l फिर अचानक से उठ कर जाने लगता है l उसे जाता देख विक्रम भी उठ खड़ा होता है l जाते जाते पिनाक दरवाजे के पास रुक जाता है l

पिनाक - आज कल आपकी बातेँ चुभ नहीं रहे हैं युवराज... कलेजा छलनी कर रही है... खैर राजकुमार को संभाल कर... उन्हें मंगनी के लिए तैयार करना अब आपके जिम्मे है...
विक्रम - जी मैं कोशिश करूँगा... पर शायद उसकी नौबत ना आए...
पिनाक - (विक्रम की ओर घुम जाता है) क्या... (जैसे खिल्ली उड़ते हुए) आपको लगता है... राजकुमार उस बदजात को ढूँढ लेगा...
विक्रम - हाँ...
पिनाक - युवराज... हम मानते हैं... आप राजकुमार के बहुत करीब हैं... इसलिए राजकुमार का दर्द आपको बर्दाश्त नहीं हो रहा... पर खुद को यह झूठी तसल्ली देना बंद करें...
विक्रम - (चुप रहता है)
पिनाक - युवराज... हमने राजकुमार की हर हरकत की खबर रखा करते थे... पर कभी सोचा नहीं था... एक लड़की के लिए वह पागल भी हो सकते हैं... उन्हें कम तकलीफ हो... इसीलिए हम सब पास नहीं हैं... जब हम पहुँचेंगे... उनको एक कंधे की दरकार होगी... वह कंधा आप बनेंगे...
विक्रम - दर्द भुला भी नहीं होगा... और आप उसी दिन उसकी मंगनी कराने की सोच रहे हैं...
पिनाक - हाँ... अच्छे से मान गया तो ठीक... वर्ना... उस लड़की की नाजुक हालत दिखा कर ही सही... यह मंगनी और शादी करा देनी है...
विक्रम - मुझे खेद है... ऐसा कुछ भी नहीं होगा...
पिनाक - (अपना भवां टेढ़ा कर) कहीं आपने कुछ...
विक्रम - नहीं.. मैंने कुछ भी नहीं किया... उसकी नौबत ही नहीं आई... सच तो यह है कि... वीर ने मुझे कुछ करने के लिए मौका दिया ही नहीं...
पिनाक - उसके साथ हम में से कोई भी नहीं है.... सच तो यह है कि... उसके साथ उसका अपना साया तक नहीं है...
विक्रम - उसके साथ उसका दोस्त है...
पिनाक - (हैरानी के साथ) दोस्त...
विक्रम - हाँ... दोस्त... अभी आप कह रहे थे... आप वीर की सारी ख़बरें रखा करते थे... फिर दोस्त की बात आपसे कैसे छूट गया....
पिनाक - कौन दोस्त... कैसा दोस्त...
विक्रम - वह दोस्त.. जो वीर के साथ चट्टान जैसा खड़ा है...
पिनाक - कौन है... क्या किया है....

विक्रम टीवी का मोबाइल उठाता है और टीवी को फिर से ऑन करता है l पिनाक देखता है नभ वाणी न्यूज चैनल पर न्यूज क्लिप चल रहा था l जिसमें एक एंकर के बगल में एक विंडो में दिख रहा था कुछ औरतें किसी ऑफिस की घेराव किए हुए हैं l उन महिलाओं के पास न्यूज रिपोर्टर और पुलिस वाले खड़े हैं l विक्रम टीवी का वॉल्युम बढ़ाता है l

" आज की ब्रेकिंग न्यूज में मैं सुप्रिया रथ आप दर्शकों का स्वागत करती हूँ... जैसा कि आप दर्शक अवगत होंगे कुछ घंटों पहले राजधानी में एक काम काजी महिला का सिटी हस्पताल से अपहरण हो गया है... उन महिला का नाम है अनुसूया दास... अनुसूया जी की दादी जी के कंप्लेंट पर पुलिस की ढुलमुल रवैये से दुखी हो कर वाव की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति जी से मदत मांगी... घटना को जानने के पश्चात प्रतिभा जी पुलिस की कारवाई पर सवाल उठा कर कमिश्नरेट का अपने कुछ कार्यकर्ताओं के सहित घेराव किया है... हमारी संवाददाता निधि उनके विचार जानने के लिए उनके निकट गई हुई हैं... आइए जानते हैं आगे क्या करने की उनकी विचार है...

निधि - धन्यवाद सुप्रिया... जैसा कि जानते हैं... पहली बार ऐसा हुआ है कि सिटी हस्पताल के परिसर से... एक लड़की का अपहरण हुआ है... और सबसे खास बात... वह लड़की ESS से संबंधित है... इसलिए तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं... पर पुलिस महकमा कह रहा है... वे अपने काम कर रहे हैं... पर उनके काम से वर्किंग वुमेन एसोसिएशन ऑफ ओडिशा की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति इत्तेफ़ाक नहीं रख रहीं हैं... आइए जानते हैं उनसे उनके विचार... जी प्रतिभा जी...
प्रतिभा - देखिए... हम पुलिस की कारवाई से नाखुश हैं... लड़की दुपहर से लापता है... जब कि पुलिस शाम की बात कर रही है... इसलिए हमें पुलिस की मंशा पर शक हो रहा है...
निधि - क्या इसलिये अपने कमिश्नरेट का घेराव किया है...
प्रतिभा - नहीं हमने कोई घेराव नहीं किया है... हम वाव के तरफ़ से कुछ ही कार्यकर्ता कमिश्नरेट के सामने प्रदर्शन मात्र कर रहे हैं... पर कल सुबह तक अगर लड़की लापता रही... तो कल से यहाँ कमिश्नरेट के सामने कामकाजी महिलाओं का जामावड़ा शुरु होगी... इसके लिए... राज्य की कानून मंत्रालय और कमिश्नर जिम्मेदार होंगे...

तभी एक एसीपी कुछ ऑफिसरों के साथ प्रतिभा सेनापति के पास आता है l निधि यह देख कर उस एसीपी से मुखातिब होती है

निधि - यह रहे पुलिस ऑफिसर... शायद कमिशन ऑफिस से कोई सूचना लेकर आए हैं... जी सर
एसीपी - जी मैं... एसीपी सुभाष सतपती... आप गण माध्यम के जरिए... पुलिस प्रशासन के तरफ से यह आश्वासन दे रहा हूँ... हम पुरी कोशिश करेंगे... अगवा हुई लड़की को जितनी जल्दी हो सके ढूँढ कर आपके समक्ष लाएंगे... "

पिनाक पास रखे एक फ्लावर वॉश को उठा कर टीवी पर दे मारता है l टीवी का स्क्रीन फट जाता है और धुआं निकलने लगता है l विक्रम पिनाक की ओर देखता है

पिनाक - यह सब कैसे... राजकुमार वीर ऐसे कैसे सोच सकता है... उस औरत... प्रतिभा के पास वह पहुँचा कैसे...
विक्रम - अब आप बेबस.. असहाय लग रहे हैं...
पिनाक - हमें बेबस कर सके किसी में दम नहीं...

इतना कह कर पिनाक अपना मोबाइल निकाल कर कानून मंत्री सुजीत जेना को फोन लगाता है l पर उसका फोन लगता नहीं है l खीज कर वह बल्लभ को फोन लगाता है l

पिनाक - प्रधान... वहाँ पर क्या हो रहा है...
बल्लभ - छोटे राजा जी... यहाँ बात कुछ बिगड़ रहा है... फिर भी मैं और कमिश्नर संभालने की कोशिश कर रहे हैं...
पिनाक - क्या खाक कोशिश कर रहे हो... एक मामुली दो कौड़ी की लड़की के लिए... मीडिया और वाव... कमिश्नरेट का घेराव हो रहा है... इस औरत के पास वीर पहुँचा कैसे...
बल्लभ - यह तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है... उन्हें यह आइडिया दिया किसने... और इतनी जल्दी एक्शन में भी आ गए...
पिनाक - मैं कुछ नहीं जानता... तुम कैसे और किस तरह से मैनेज करोगे... पर पुलिस और प्रशासन का कोई भी दखल नहीं होनी चाहिए...
बल्लभ - मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा... पर पुलिस ने सारे शहर में नाकाबंदी लगा दी है... आप उनसे कहिये... किसी भी तरह से... या तो शहर से गायब हो जाएं... या फिर अंडरग्राउंड हो जाएं...
पिनाक - आआआहहह... (फोन काट देता है और विक्रम की ओर देखने लगता है) यह कौन दोस्त है... वीर को मिल गया है...
विक्रम - एडवोकेट प्रतिभा सेनापति को जानते हैं आप...
पिनाक - अच्छी तरह से... सेनापति दंपती के बारे में...
विक्रम - तो आपको यह भी मालुम होगा... उनका एक मुहँ बोला बेटा है....

पिनाक की आँखे हैरत से बड़ी हो जाती हैं l मुहँ खुला रह जाता है l अविश्वास के भाव से विक्रम की ओर देखने लगता है l

पिनाक - नहीं... यह नहीं हो सकता... हमारे दुश्मन से... वीर की दोस्ती... विश्वा से वीर की दोस्ती.....

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द हैल
वीर को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं, सुषमा आगे बढ़ती है और वीर के गले लग जाती है l वीर भी उसके गले लग जाता है l सुषमा सुबक रही थी पर वीर शांत था l उसका चेहरा जैसे कुछ आने वाले तूफान या जलजले का संदेश दे रहा था, यह बात रुप को साफ एहसास हो रहा था l

रुप - भैया... माँ... प्लीज बैठ जाइए ना...

रुप के इतने कहने से दोनों अलग होते हैं l वीर सुषमा को लाकर सोफ़े पर बिठा देता है l सुषमा वीर की ओर देखते हुए पूछती है

सुषमा - यह क्या हो रहा है वीर...
वीर - माँ शांत... तुम पहले अपनी बताओ...
सुषमा - वीर... मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... मुझे आज अचानक से बुलावा आया कि मुझे भुवनेश्वर तुम लोगों के पास पहुँचना है... मैं नर्सों और डॉक्टरों की टीम को बड़े राजा जी को देखभाल के लिए लगा कर आ गई... यहाँ पहुँचने के कुछ ही समय पहले जानकारी मिली... के कल तुम्हारी मंगनी है... मुझे हैरत हुई... पर धक्का तब लगा... जब यह खबर मिली कि... हमारी अनु को अगवा कर लिया गया है... यह क्या हो रहा है...
वीर - माँ... यह क्षेत्रपाल मर्दों की ना मर्दानगी है...
सुषमा - क्या.. क्या मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...
वीर - अनु को छोटे राजा जी ने उठवाया है...
सुषमा - क्या... (उछलकर उठ खड़ी हो जाती है)

ऐसा ही हाल रुप और शुभ्रा का भी था l हैरानी और अविश्वास से तीनों का चेहरा सन्न था l रुप और शुभ्रा आँख और मुहँ फाड़े कभी एक दुसरे को कभी वीर और सुषमा को देखे जा रहे थे l

सुषमा - यह तु क्या कह रहा है...
वीर - (एक टूटी हुई हँसी हँसते हुए) इसमें अविश्वास ना कर पाने वाली बात क्या है माँ...
सुषमा - (मुश्किल से) जिंदा है...
वीर - हाँ.. शायद...
सुषमा - हाँ शायद... मतलब...
वीर - जिंदा इसलिये... की मैं जिंदा हूँ... पर आज छोटे राजा जी ने... मुझे सच में मार दिया...
रुप - ऐसे क्यूँ कह रहे हो भैया...

वीर कोई जवाब नहीं देता l एक गहरी साँस लेते हुए उठ खड़ा होता है l रुप की ओर देखता है l

रुप - तुमने कोई जवाब नहीं दिया...
वीर - (शुभ्रा की ओर देख कर) आप कुछ नहीं पूछेंगी भाभी...
शुभ्रा - मैं क्या पूछूं... मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहा है... तुम्हारा मंगनी है... और अनु का अगवा कर लिया गया है...

वीर अपनी माँ की तरफ देखता है l सुषमा स्तब्ध सी चेयर पर धप से बैठ जाती है, जैसे उसे गहरा सदमा लगा है l वह खोई खोई सी लग रही थी

वीर - माँ...
सुषमा - (चौंक कर) हाँ... (वास्तविकता में लौटते हुए) हाँ...
वीर - क्या हुआ...
सुषमा - यह क्या हो रहा है... क्षेत्रपाल किसीको अपने रास्ते से हटाना चाहें तो... कहाँ नामुमकिन है... फिर ऐसे अनु को उठवाने का क्या मतलब... वह भी दुनिया को बता कर...
वीर - दुनिया में किसी को कुछ भी नहीं पता... इस साजिश के पीछे क्षेत्रपाल हैं... यह तो मुझे किडनैपर ने बताया है...
शुभ्रा - तो उसने जरूर झूठ बोला होगा...
वीर - नहीं... उसने सच कहा है...
रुप - यह तुम कैसे कह सकते हो...

वीर विक्रम की चिट्ठी की जिक्र करते हुए बताता है कैसे उसके ऑफिस में हर विभाग के इंचार्ज सभी कलकत्ता गए हुए हैं l यह सब सुन कर तीनों और भी हैरान होते हैं l

सुषमा - हे भगवान... यह कैसी हैवानियत है... अपनी ही औलाद के खिलाफ... (सुबकते हुए) मैं तेरे... अनु के और अनु की दादी की गुनाहगार हूँ वीर... मैं अब किस मुहँ से अनु के और उसकी दादी का सामना कर पाऊँगी...
वीर - माँ... मुझे कभी क्षेत्रपाल होने का गुरूर था... पर अनु के आगे मेरा वह गुरुर बहुत बौना हो जाता था... मैंने ता उम्र अपने गुरुर के चलते सिर्फ दुश्मन ही दुश्मन कमाए हैं... पर अनु के मेरी जिंदगी में आने के बाद... मुझे सच्चा प्यार और एक सच्चा दोस्त मिला है... आज उसी दोस्त के मदत से मैं अनु को ढूंढने जा रहा हूँ...
सुषमा - (थोड़ी अचरज के साथ) दोस्त...
वीर - हाँ माँ दोस्त... आज मेरे साथ... ना मेरे अपने हैं... ना ज़माना है... ना भगवान... ना मेरा अपना साया है... पर इस हालत में भी.. मेरा दोस्त मेरे साथ खड़ा है... जब भी मैंने उसे आवाज दी.. वह मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया... आज जब मुझे किसी की साथ की जरूरत थी... तब वही मेरे सामने आकर खड़ा हो गया... अब मुझे ऐसा लगता है कि... मैं दुनिया से टकरा सकता हूँ... दुनिया बदल सकता हूँ...

वीर इतना कह कर फिर चुप हो जाता है l तीनों ध्यान से वीर को सुन रहे थे l खामोशी ऐसी थी के किसी में हिम्मत ही नहीं हो रही थी खामोशी तोड़ने के लिए l फिर भी कुछ देर के बाद

शुभ्रा - वीर... जानते हो ना... कल शाम साढ़े सात बजे xxxx होटल में... तुम्हारा मंगनी करा दी जाएगी...
वीर - जानता हूँ...
रुप - फिर यह सब...

वीर सुषमा की ओर देखता है, सुषमा उसे डबडबाई आँखों से देख रही थी l ऐसा लग रहा था जैसे वह कहना और पूछना बहुत कुछ चाह रही थी पर उसका जुबान साथ नहीं दे रही थी l

वीर - माँ... तुमने अनु की दादी से जो वादा किया है... वह नहीं टुटेगी... कल उसी समय... उसी होटल में... मैं पुरी दुनिया के सामने ऐलान करूँगा... के अनु ही मेरी जीवन साथी होगी... चाहे कुछ भी हो जाए...
सुषमा - मुझे डर है... कहीं क्षेत्रफ़ल के अहंकार के चलते... अनु को कुछ हो ना जाए...
वीर - अगर अनु को कुछ हो गया... तो वीर भी नहीं रहेगा...
सुषमा - क्या... (एक झटके के साथ चेयर से उठ खड़ी होती है)
वीर - हाँ माँ...
शुभ्रा - वीर... तुम यह कैसी बातेँ कर रहे हो... वह भी अपनी माँ के सामने... जिन्होंने ना जाने कितनी दुआएँ माँगी होंगी... तुम्हारी लंबी उमर के लिए...
वीर - जानता हूँ भाभी..
रुप - फिर भी माँ का दिल दुखा रहे हो...
वीर - आप सब जानते हैं... अनु के साथ यह हादसा... बताने के लिए काफी है... के वह कभी भी... क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी नहीं जाएगी... इसलिए मैं यह कहने आया हूँ... की आज के बाद इस घर में... या राजगड़ में... मेरा आना जाना तभी होगा... जब अनु क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी जाएगी....

यह बात एक बिजली की तरह तीनों पर गिरती है l तीनों भौंचके हो जाते हैं और एक दुसरे के मुहँ को ताकने लगते हैं l सुषमा धप से चेयर पर बैठ जाती है l

शुभ्रा - वीर... तुम होश में तो हो... जानते हो क्या कह रहे हो...
रुप - देखो माँ को कितना गहरा सदमा पहुँचा है...
वीर - (फिर से अपनी माँ के आगे झुक जाता है) माँ... मैं जानता हूँ... तुमको... बल्कि... आप सब लोगों को तकलीफ होगी... पर सच्चाइ यही है... की आप में से कोई क्षेत्रपाल के खिंचे लकीर लांघ नहीं सकता... और मैं नहीं चाहता... मेरी और क्षेत्रपाल के अहंकार के टकराव के बीच मेरा अपना कोई पीस जाए... इसलिए आज आप लोगों से मैं इजाजत लेने आया हूँ...


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अपने कमरे में चहल कदम करते हुए पिनाक अपनी हाथ की मुट्ठी बना कर दुसरे हाथ पर मार रहा था l उसके चेहरे पर बैचैनी साफ झलक रहा था l सारी दुनिया सो रही थी पर उसके आँखों में नींद गायब था l अचानक वह टेबल लैम्प के पास रखे अपना मोबाइल उठाता है और एक नंबर पर डायल करता है l

@ - (उबासी लेते हुए) हैलो छोटे राजा जी... कहिए... इतनी रात गए कैसे याद किया...
पिनाक - बे कुत्ते... हरामी साले... जब सारा भुवनेश्वर जाग रहा है... तु कैसे चैन से सोया हुआ है...
@ - क्यूँ छोटे राजा जी क्या हो गया....
पिनाक - हराम जादे... उस लड़की को कहाँ पर रखा है... तुम ने...
@ - छोटे राजा जी... आप भुल रहे हैं... किडनैप मैंने नहीं किया है... करवाया है... आपने ही कहा था... यह काम किसी ऐसे इंसान से करवाने के लिए... जिसका क्षेत्रपाल परिवार से दुर दुर से वास्ता ना हो... अगर हो तो दुश्मनी हो... और मैंने ऐसा ही किया है... इस कांड में... आपके या आपके परिवार का नाम बिल्कुल नहीं उछलेगा...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... पर हम यह भी चाहते थे... वह लड़की फिर कभी दिखे ही ना...
@ - वह लोग हैं ही ऐसे... वह लोग उस लड़की को... ना जाने कितनी बार बेचेंगे.... और फिर उसकी ऑर्गन बेच कर किसी कोने में दफना देंगे....
पिनाक - पर अब उस लड़की को पुलिस ढूँढ रही है...
@ - सॉरी छोटे राजा जी... यह काम आपने मुझे नहीं दी थी... और यह काम मेरे बस की है भी नहीं... आपने इसे जिसके बस की कही थी... उसे ही तो आपने सौंपा रखा है...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... तुमने अपना काम करदिया है... क्या... (थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है)
@ - पूछिये छोटे राजा जी... पूछिये... आपको किस बात का डर है...
पिनाक - अपनी जुबान पर लगाम दे कुत्ते... डर हम से डरता है... हम तो बस यह तसल्ली करना चाहते हैं... तुमने जिसे काम सौंपा है... कहीं पुलिस के डर से उस लड़की को छोड़ ना दे...
@ - आप घबराईये मत छोटे राजा जी... जिसे यह काम सौंपा गया है... या तो वह उस लड़की को बेच देगा... या फिर मार देगा... पर छोड़ेगा नहीं... आप बस अपने प्रधान बाबु से पुलीस कारवाई पर तसल्ली कर लीजिए...
पिनाक - ठीक है....
@ - तो क्या अब मैं सो जाऊँ... (उबासी लेते हुए) बड़ी जोर की नींद आ रही है....
पिनाक - हूँ... सो जा...

कोई जवाब नहीं मिलता l पिनाक फोन पर देखता है कॉल कट हो चुका था l पिनाक की जबड़े सख्त हो जाते हैं l वह बल्लभ को फोन लगाता है

बल्लभ - हे हैलो...
पिनाक - (गम्भीर आवाज में) यह हम न्यूज में क्या देख रहे हैं...
बल्लभ - सॉरी छोटे राजा जी... हमने ऐसा बिल्कुल सोचा भी नहीं था... मैंने कमिश्नर से और जेना बाबु से बात कर... अगवा हुई उस लड़की की तलाश की तफ्तीश को भटकाने और देर करने के लिए राजी करा दिया था... उस काम के लिए... टीम भी बना दिया गया था... पर...
पिनाक - ह्म्म्म्म... आगे बोलो... हम तुम्हारे मुहँ से सुनना चाहते हैं...
बल्लभ - पता नहीं कैसे... अनु की दादी उस एडवोकेट प्रतिभा सेनापति के पास पहुँच गई... अब कानून मंत्री सुजीत जेना और कमिश्नर पर बहुत प्रेसर है...
पिनाक - मतलब...
बल्लभ - जी मैं कमिश्नर जी से बात कर रहा था... अगर इस मामले में मीडिया नहीं घुसती तो कुछ कर सकते थे... पर अब यह डिपार्टमेंट की इज़्ज़त पर बात आ गई है... इसलिए वह अब उस लड़की को ढूंढने की पुरी कोशिश करेंगे...
पिनाक - आ आ आह्य... देखो मैं कुछ नहीं जानता... राजा सहाब के सामने मेरी गर्दन झुकनी नहीं चाहिए... तलाश के काम में जितनी देर हो सके करवाओ... जहां पर जितना पैसा लगे... खिलाओ... पर लड़की मिले तो कल नहीं... परसों या किसी और दिन मिले... बस वह जिंदा ना मिले उसका इंतजाम मैं करवाऊंगा...

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अस्सिटेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस सुभाष सतपती अपनी जिप्सी के अंदर उतरता है और चले हुए एक चेक पोस्ट पर पहुँचता है l उसे देखते ही पोस्ट पर तैनात सभी पुलिस वाले उसे सैल्यूट ठोकते हैं l

सतपती - कैसा चल रहा है अब तक...
एक संत्री - हम सभी को चेक कर रहे हैं सर...
सतपती - गुड...

इतना कह कर सतपती अपनी गाड़ी में आकर बैठता है और गाड़ी स्टार्ट कर वहाँ से चल देता है l गाड़ी कुछ देर बाद एनएच के एक ढाबा 24/7 पर रुकती है l गाड़ी से उतर कर वह एक केबिन में घुस जाता है l केबिन के अंदर विश्व बैठा हुआ था l

सतपती - मुझे ज्यादा देर तो नहीं हुई...
विश्व - नहीं... आइए सतपती सर... बैठिए...
सतपती - (बैठते हुए) अकेले हो...
विश्व - फ़िलहाल... अभी दो और लोग आयेंगे...
सतपती - एक को मैं गेस कर सकता हूँ... वीर... वीर सिंह क्षेत्रपाल... यह दुसरा कौन है..
विश्व - उसे आने दीजिए... मिल लीजिएगा... वैसे मेरे बुलाने पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...
सतपती - क्या करें... सेनापति सर का हुकुम था... और मुझ पर तुम्हारा एहसान भी तो बहुत है... तुम्हारे ही किए क्रेडिट के वज़ह से आज इस पोस्ट पर हुँ...
विश्व - आप खुश नहीं लग रहे हैं...
सतपती - ऐसा नहीं है विश्व... सेनापति सर के कहने से मैं... अपना ट्रांसफ़र और प्रमोशन दोनों स्वीकार किया... इनाम के तौर पर देहरादून में आईपीएस ट्रेनिंग भी मिला... पर पोस्टिंग देखो... फिल्ड के बजाय इंटेलिजंस विंग में डाल दिया... दिन भर फाइलें छानता रहता हूँ... और कमिश्नरेट के तरफ से... मीडिया का स्पोक पर्सन बन गया हूँ... रही तुम्हारी बात... मैं तुमसे कभी शिकायत नहीं रख सकता यार... खैर यह जो हो रहा है.. मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... तुम और वीर सिंह... (चुप हो जाता है)
विश्व - मेरा दुश्मन भैरव सिंह है... और वीर सिंह मेरा दोस्त है...
सतपती - तो तुम इस तरह से... बदला ले रहे हो...
विश्व - नहीं... यह इत्तेफाक है कि भैरव सिंह मेरा दुश्मन और उसका भतीजा मेरा दोस्त... और मेरी रीढ़ की हड्डी इतनी कमजोर नहीं... भैरव सिंह से बदला लेने के लिए... मुझे उसके भतीजे के ओट लेना पड़े...
सतपती - क्या वीर सिंह... तुम्हारे और भैरव सिंह के बारे में जानता है...
विश्व - हाँ... उस दुश्मनी से इस दोस्ती का कोई वास्ता नहीं है... भैरव सिंह के लिए इतना खुन्नस है कि मैं उसका जान ले सकता हूँ... पर वीर सिंह के लिए दोस्ती इतनी पक्की है कि... मैं उसके लिए जान दे सकता हूँ...

विश्व की जवाब सुन कर सतपती चुप हो जाता है l तभी केबिन में वीर आता है और एक कुर्सी खिंच कर दोनों के साथ बैठ जाता है l विश्व देखता है वीर थोड़ा खोया खोया सा लग रहा था l

विश्व - क्या हुआ वीर...
वीर - कुछ नहीं... (सतपती की ओर देख कर) आपकी तारीफ...
सतपती - मैं विश्व का दोस्त... एसीपी सुभाष सतपती...
वीर - ओ.. थैंक यु... (विश्व की ओर देख कर) तो...
विश्व - एक मिनट वीर... मेरा एक और दोस्त आ रहा है... उसे आने दो...

तभी कमरे में एक और शख्स आता है l तीनों को बारी बारी से सलाम ठोकता है l उसे देख कर सतपती हैरान होता है l

सतपती - तुम...
शख्स - (हँसते हुए) जी...
सतपती - (विश्व की ओर देखते हुए) यह यहाँ कैसे...
विश्व - (उस शख्स से) तुम यहाँ बैठो लल्लन... (लल्लन बैठ जाता है, विश्व सतपती से) आप जिस दुसरे की बात कर रहे थे... यह यही है... इस केस में... इसकी मदत भी बहुत जरूरी है...
सतपती - (लल्लन से) तु भुवनेश्वर में कैसे...
लल्लन - जब भाई बुलाते हैं... मैं उनकी सेवा में हाजिर हो जाता हूँ....
विश्व - ओके... हम उस बात पर जिसके लिए यहाँ आए हैं... सतपती जी आप के पास क्या जानकारी है...
सतपती - पहली बात... मैंने सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर कुछ फोटोस लाया हूँ... इस किडनैपिंग के पीछे यही लोग हैं...

इतना कह कर मोबाइल निकाल कर दो शख्सों की फोटो निकाल कर दिखाता है l विश्व लल्लन को वह फोटो देखने के लिए कहता है l लल्लन उन फोटोस को गौर से देखता है

लल्लन - यह लोग नीरा के आदमी हैं..
सतपती - हाँ बिल्कुल...
विश्व - (वीर से, फोटो दिखा कर) वीर... क्या इन्हें जानते हो या इनके बॉस नीरा को... (वीर अपना गर्दन हिला कर ना कहता है)
सतपती - राजकुमार जी को याद ना हो शायद... पर...
वीर - (टोकते हुए) एक मिनट एसीपी सर... मुझे आप वीर कहिये... (सतपती उसे हैरानी भरे नजरों से देखता है) प्लीज... और यह आप आप मत कहिए... मैं अभी अभी आप वाली औकात से बाहर आया हूँ... तुम कहिये... या तु भी कह सकते हैं...
सतपती - ओके... तो वीर... तुम्हें मालुम होना चाहिए... नीरा आइकन ग्रुप से जुड़ा हुआ था... केके ग्रुप के साथ टेंडर को लेकर झगड़ा था... इसका भाई सुरा और उसकी महबूबा एक दिन गायब हो गए... और शायद... (कहते कहते रुक जाता है)
वीर - हाँ... हाँ... याद आया... केके की एक बेटी भी थी... यही नीरा और सुरा के डर से... उसकी शादी कर दी थी... और उसे विदेश भेज दिया था...
सतपती - हाँ... बिल्कुल... और पुलिस को लगता है... मिस अनु के किडनैपिंग उसी दुश्मनी के वज़ह से हुई है...

कुछ देर के लिए केबिन में खामोशी छा जाती है l सभी वीर की ओर देखते हैं, वीर अपनी भवें सिकुड़ कर सोच में था l विश्व बात को आगे बढ़ाते हुए

विश्व - तो सतपती जी... अगर पुलिस के पास इतनी जानकारी है... तो फिर... कारवाई में इतनी देरी क्यूँ...
सतपती - पता नहीं... पर मुझे जहां तक अंदाजा मिल पा रहा है... महकमे में कोई भी इंट्रेस्टेड नहीं है... इसलिए केस को घुमा रहे हैं... चूंकि अब मीडिया इंवॉल्व हो गई है... खाना पूर्ति के लिए इधर उधर हाथ पैर मार रहे हैं...
विश्व - तो क्या अनु को भुवनेश्वर से बाहर ले गए हैं...
सतपती - नहीं... अनु पक्के तौर पर भुवनेश्वर में ही है... नाकाबंदी बड़ी जबरदस्त है... बस ढूंढने में थोड़ी ढील है...
विश्व - (लल्लन से) तो लल्लन प्यारे... कुछ पता चला पाए...
लल्लन - (बातचीत के दौरान वह मोबाइल पर झुका हुआ था, वैसे ही झुके हुए) भाई दो मिनट... मैंने फोटो देखते वक़्त अपने मोबाइल पर ट्रांसफ़र करवा लिया था... उसे अपने पट्ठों के पास भेज दिया है... खबर मिल जाएगी...

थोड़ी देर बाद उसके मोबाइल पर एक अलर्ट ट्यून बजता है l लल्लन मेसेज पढ़ने के बाद विश्व की ओर देखता है l

लल्लन - भाई... नीरा... बालासोर में था... कुछ ही दिन हुए हैं... वह भुवनेश्वर में आया है... अभी वह सुंढी साही बस्ती में है... और मुमकिन है... अनु वहीँ पर हो... क्यूँकी पुरे भुवनेश्वर में... अनु को छिपाने के लिए... एक वही बस्ती ही सेफ है... जहां पुलिस भी रेड डालने से पहले सौ बार सोचती है...
वीर - (उठते हुए) तो फिर देर किस बात की... चलो चलते हैं...

वीर अकेला खड़ा होता है पर विश्व, सतपती और लल्लन अपनी जगह से नहीं उठते l वीर थोड़ा हैरान होता है l

वीर - क्या हुआ...
सतपती - थोड़ी देर के लिए बैठ जाइए वीर... (वीर बैठता है)
विश्व - (सतपती से) आपका क्या प्लान है...
सतपती - विश्व... तुम्हें शायद अंदाजा हो... यह सुंढी साही बस्ती है... इस बस्ती में... जितने भी लोग रहते हैं... एक से बढ़कर एक छटे हुए बदमाश हैं... गुंडई उन लोगों का खानदानी पेशा है... वहाँ घुसने के लिए... वेल प्रीपेयरड फोर्स चाहिए... और फोर्स लेने के लिए...इंफोर्मेशन पक्की होनी चाहिए...
विश्व - मतलब... आप कुछ नहीं कर सकते...
सतपती - कर तो सकता हूँ... पर... मुझे सुबह तक टाइम चाहिए... ताकि मैं कमिश्नर को... यकीन दिला कर मना सकूँ...
वीर - तब तक... अनु के साथ कुछ भी हो सकता है... उसे कहीं ले भी जा सकते हैं...
विश्व - वीर... हिम्मत रखो... लल्लन तुम्हारा क्या खयाल है...
लल्लन - भाई... सतपती सर सही कह रहे हैं... पर मुझे लगता है... सुबह तक भी देर हो सकती है... वे लोग कोई ना कोई तरकीब लगा कर अनु को भुवनेश्वर से दुर ले जाने की कोशिश करेंगे...
वीर - तो फिर... हम किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं...
विश्व - वीर... शांत रहो... जज्बाती हो कर जल्दबाज़ी में काम ना लो... (सतपती से) ठीक है सतपती जी... यहां तक मदत के लिए शुक्रिया... आप कोशिश कीजिए... किसी तरह सुबह तक... सुंढी साही के बाहर तक फोर्स ले आयें...
सतपती - (उठते हुए) ठीक है फिर... मैं कुछ भी करके... कमिश्नर साहब को राजी कर... एक बटालियन लेकर सुबह तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ...

इतना कह कर सतपती वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद विश्व कुछ सोचने लगता है l उसे सोच में देख कर लल्लन विश्व से पूछता है

लल्लन - क्या बात है भाई...
विश्व - जिस तरह पुलिस सारे शहर की नाकाबंदी कर रखा है... जाहिर है... उस बस्ती में लोग... अपनी बस्ती की पहरेदारी में होंगे...
लल्लन - बिल्कुल भाई... मेरा एक पट्ठा गया है... ख़बर निकाल कर पुरी जानकारी देगा...
वीर - देखा प्रताप... मेरे बाप ने सुपारी दी भी किसे... जिसके साथ हमारी दुश्मनी है... ताकि दुनिया को लगे अनु... हमारी दुश्मनी की चलते किडनैप हुई है...
विश्व - मुझे लगता है... कोई तीसरा भी है... जो खेल रहा है...
वीर - मतलब...
विश्व - मतलब... तुमसे बात करने वाला नीरा नहीं था... कोई और था... जिसने तुम्हारे बाप की सुपारी की बात कही थी...
वीर - वह चाहे कोई भी हो... सुपारी की बात सच है... (एक गहरी साँस लेते हुए) यार प्लीज कुछ करो.. पता नहीं अनु कैसी होगी किस हाल में होगी...

तभी लल्लन की मोबाइल बजने लगता है l लल्लन मोबाइल उठा कर अपने कान में लगाता है l उसकी आँखों में एक चमक दिखने लगता है l कुछ देर मोबाइल सुनने के बाद

लल्लन - भाई... अनु उसी बस्ती में है... शहर की नाकाबंदी देख कर... सुबह सुबह अनु को ले जाने की प्लान बना रहे हैं...

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एक कमरे में अनु कुर्सी पर बैठी हुई है l उसके सामने एक आदमी खिड़की से बाहर देखते हुए सिगरेट पी रहा है l तभी बाहर से एक आदमी आता है और कमरे में खड़ा हो जाता है l उसके आने का एहसास होते ही पहला शख्स अपना सिगरेट खिड़की से फेंक कर उसके तरफ मुड़ता है l

शख्स - क्या बात है मंगू...
मंगू - नीरा भाई... कुछ देर के बाद सुबह हो जाएगी... हम रात में इस लड़की को निकाल नहीं पाए... सुबह कैसे निकलेंगे...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - उसने कहा था... पुलिस का लफड़ा वह सम्भाल लेगा... पर पुलिस ने इस कदर घेरा बंदी की है कि...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - हम बेकार में इस लफड़े में फंस गए...
नीरा - बेकार में नहीं... बस अपना टाइम थोड़ा खराब निकला... पर कोई ना... हम जहां हैं... वहाँ कोई भी आने से पहले सौ बार सोचेगा...
मंगू - भाई... पुलिस को तो नहीं मालुम ना... इसे किसने उठाया है...
नीरा - अब तक मालुम हो चुका होगा...
मंगू - तो... अब इस मुसीबत को हम गले में बाँध कर क्यूँ घूमें... इसे यहीं मार कर निकल जाते हैं ना...
नीरा - मुसीबत इस लड़की के पीछे पीछे आई है... अब उसी मुसीबत से यही लड़की बचाएगी...

यह कह कर नीरा अनु की तरफ मुड़ता है l अनु के चेहरे पर अभी भी खौफ नहीं था l भाव हीन चेहरे पर भवें हल्की सी सिकुड़ी हुई थी l

नीरा - डर नहीं लग रहा तुझे... यह तो मुझे समझ में आ रहा है... पर इस सपाट चेहरे पर जो हैरानी दिख रही है... वह क्यूँ है...
अनु - यही की... मेरा अपहरण के बाद... तुम लोगों की पहली हार... मुझे भुवनेश्वर से दूर नहीं ले जा पाए... आगे हार ही हार है... फिर भी...
नीरा - ऐ लड़की... ज्यादा मत सोच... तेरा मुहँ खुला रखा है तो कुछ भी चपड़ चपड़ मत कर... शुक्र मना अभी तक हमने तेरे साथ कुछ किया नहीं है...
अनु - कुछ करने की सोचना भी मत... इतना तो समझ चुकी हूँ... मैं जिंदा और सलामत अभी तक इसलिए हूँ... क्यूंकि तुम लोगों ने वीर सिंह क्षेत्रपाल से दुश्मनी ली है....
मंगू - तो... तो क्या हो गया... तु वीर सिंह की टाइम पास है जानने के बाद ही तो उठाया है...
नीरा - सुन लड़की... वीर सिंह ने आज से छह महीने पहले... मेरे भाई सुरा और उसकी गर्लफ्रेंड को उठवाकर गायब कर दिया था... उसे वही दर्द और चोट देने के लिए तुझे उठवाया है... शुक्र मना... मेरे बदले की आग में... तु अभी तक जली नहीं...
अनु - अलबत्ता सोचना भी मत... क्यूँकी मुझे खरोंच भी आई... तो मैं खुद को ख़तम कर दूंगी... और इतना तो समझ ही चुकी हूँ... आखिरी मौके पर सौदे बाजी के लिए... मेरा सही सलामत होना जरूरी है... क्यूँकी राजकुमार की जुनून से मुझसे ज्यादा तुम लोग वाकिफ हो...
नीरा - (मंगू से) इसके मुहँ पर पट्टी बाँध दे...

मंगू एक पॉली टेप निकाल कर अनु के मुहँ पर लगा देता है l अनु कोई विरोध नहीं करती l इतने में एक और आदमी कमरे में आता है l

नीरा - क्या है मल्ला...
मल्ला - आपने बुलाया...
नीरा - हाँ...
मल्ला - तो हुकुम करो नीरा भाई...
नीरा - देखो... जहां तक मुझे अंदाजा है... इस लड़की के लिये... पुलिस सुबह तक बस्ती का घेराव करेगी...
मल्ला - तो करने दो ना भाई... पुलिस अंदर आ नहीं पाएगी...
नीरा - जानता हूँ... पर कितनी देर तक...
मल्ला - (चुप रहता है)
नीरा - देखो... मैं क्षेत्रपाल को घुटने पर देखना चाहता हूँ... समझ लो यह मेरी आखिरी जंग है... (अनु की तरफ देख कर) मुझे इस लड़की का घमंड भी तोड़ना है...
मल्ला - तो क्या करना है बोलो भाई...
नीरा - सुबह तड़के बस्ती से कुछ लोग मछली पकड़ने के लिए निकलेंगे... (अनु के तरफ़ देख कर) तुम अपने आदमियों के साथ इसे एक जाल में लपेट कर एक नाव में डाल देना... और दया नदी से हो कर चीलका में चले जाना.... वहाँ से बोट लेकर... चांदबाली पहुँच जाना...

नीरा का यह प्लान सुन कर अनु की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं l उसकी यह दसा देख कर नीरा के चेहरे पर एक चमक उभर आता है l

नीरा - (अनु के पास जाकर उससे) हाँ... बस यही... हाँ यही तेरे चेहरे पर देखना चाहता था... हैरान... डर और परेशान... (कह कर उसके मुहँ से पट्टी निकाल देता है) अब क्या बोलेगी... एक बार तुझे भुवनेश्वर से बाहर ले चलूँ... फिर तु सोच भी नहीं सकती तेरे साथ क्या क्या करूँगा...
अनु - (बड़े गुरूर के साथ) कुछ नहीं कर पाओगे... तुम कुछ देर के लिए इस भ्रम में रहोगे की तुमने मुझे भुवनेश्वर से बाहर निकाल दिया... पर देखना तुम ही गिड़गिड़ा कर मुझे वापस बुलाओगे....

नीरा गुस्से से अनु के मुहँ पर पट्टी लगा देती है l मंगू और मल्ला की ओर देखते हुए कहता है l

नीरा - इसकी हिम्मत और इसका विश्वास हद से ज्यादा है... यही वज़ह है कि मैं अब तक इसके साथ कुछ किया नहीं है... इसकी हिम्मत और विश्वास को टूटते देखना चाहता हूँ... ले जाओ इसे...

मंगू और मल्ला दोनों आते हैं अनु को लेकर जाने लगते हैं l अनु भी किसी तरह का कोई विरोध नहीं करती l उनके साथ बाहर चली जाती है l

×_____×_____×_____×_____×_____×_____×


सुबह के करीब चार बज रहे थे l
सुंढी साही बस्ती से कुछ दुर पर एक बड़े से बरगत के पेड़ के नीचे एक काली रंग की वैनिटी वैन खड़ी हुई है l ऐसा लगता है जैसे कोई न्यूज एजेंसी की ट्रांसमिशन वैन है l वैन के ऊपर रेडार लगा हुआ है l गाड़ी के अंदर सिर्फ तीन लोग बैठे हुए थे, जोडार, विश्व और वीर l

जोडार - (विश्व से) तुम्हें लगता है... पुलिस आ जाएगी...
विश्व - मुझे सतपती जी पर भरोसा तो है... पर...
जोडार - पर... यह पर क्यूँ...
विश्व - जोडार सर... हम जितना प्लानिंग कर रहे हैं... वे लोग भी उतना ही अपने प्लानिंग में होंगे... मैं नहीं चाहता... पुलिस आने तक अनु को किसी तरह से बस्ती से निकालने कोशिश की जाए...
जोडार - ह्म्म्म्म...
विश्व - पर जोडार सर... आप खामखा हमारे साथ आए... किसी ऑपरेटर को भेज देते.. तो काम बन सकता था...
जोडार - ओये... मैं एक एक्स सर्विस मेन हूँ... मुझे मत सिखाओ... मुझे क्या करना चाहिए... वैसे भी... चूंकि तुम डायरेक्टली इंवॉल्व हो... इसलिए अपने मैं भी तैयार हो गया...
विश्व - फिर भी... यह सब गैजेट्स... आप ऑपरेट करेंगे...
जोडार - देखो विश्व... तुम मेरे अपने... बहुत खास हो... (वीर को दिखा कर) यह तुम्हारा दोस्त है.... पर मेरा... पर्सनल और प्रोफेशनल दुश्मन का बेटा है... पर मजबूरी यह है कि... यह तुम्हारा दोस्त है...
वीर - थैंक्यु... जोडार सर...
जोडार - देखो वीर... बुरा मत मानना... आई एम फ्रोम आर्मी... झूठ बोल नहीं सकता...
वीर - मैं आपका आभार रहूँगा...
जोडार - वेल... मैं मदत भी इसलिए कर रहा हूँ... क्यूंकि बात एक लड़की की भी है... सो योंग मेन... अब आगे क्या करना है...
विश्व - सर... आपके गैजेट्स के मदत से मैं... बस्ती के अंदर छुपके छुपाते हुए जाऊँगा... और अनु तक पहुँचने की कोशिश करूँगा....
जोडार - गुड... आइडिया बुरा नहीं है... पर खतरा है...
विश्व - मैं उसके लिए तैयार हूँ... आप बेफिक्र रहें... मैं निपट सकता हूँ...
वीर - नहीं प्रताप... बस्ती के अंदर जाऊँगा तो मैं..
विश्व - देखो वीर... तुम इस मामले में कच्चे हो... तुम्हारी एक गलती... उन्हें ना सिर्फ अलर्ट कर देगी... बल्कि तुम्हें खतरे में डाल देगी...
वीर - नहीं प्रताप... मुझ पर यकीन करो... अनु को सिर्फ मैं ही ढूंढ सकता हूँ... मेरी दिल की धड़कन उसकी पता लगा लेगी... तुम बस.. बाहर से जो मदत हो सके वही करो...
विश्व - पर वीर...
वीर - प्लीज प्रताप... यह मेरे प्यार का... और अनु की मुझ पर विश्वास का इम्तिहान है... अगर कामयाब रहा... तो प्यार जीतेगी... अगर हार भी गया तो... प्यार हारेगी नहीं... पर विश्वास जीत जाएगा... प्लीज...
विश्व - तो चलो हम मिल कर चलते हैं...
वीर - नहीं प्रताप नहीं... यह जंग मेरा अपना है... इसे मुझे ही लड़ने दो... तुम्हें अपने प्यार का वास्ता... तुम्हें अपनी शेरनी का वास्ता... प्लीज... आज एक आशिक को... अपने प्यार के लिए... दुनिया से लड़ जाने दो...

विश्व कुछ कह नहीं पाता, बस छटपटा कर रह जाता है l उसके कंधे पर हाथ रखते हुए जोडार कहता है

जोडार - वीर सही कह रहा है विश्व... लेट हीम गो... उसे जाने दो... यह वीर और अनु विश्वास की परिक्षा है...
विश्व - ठीक है... अगर आप दोनों का यही मानना है... तो यही सही... पर मेरी भी एक शर्त है...
वीर - कहो...
विश्व - देखो गैजेट्स के मदत से... तुम्हें अलर्ट करने के साथ साथ... रास्ता भी बताता रहूँगा... पर जैसे ही मुझे आभास होगा... तुमसे सिचुएशन नहीं संभालेगा... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - प्रताप... बात अगर मार पीट की है... तो मैं हर सिचुएशन को संभाल सकता हूँ...
विश्व - वह मैं कुछ नहीं जानता... जब मुझे लगेगा के तुम फंस गए हो... बाहर नहीं निकल सकते... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - ओके...

विश्व वीर को एक ब्लू टूथ वाली कंपनी के इयर बड देता है l वीर उसे कान में लगा लेता है l वीर अपने जेब में एक फोल्डिंग रॉड को निकाल कर चेक करता है और फिर अपनी आस्तीन में वापस रख लेता है l उसके बाद विश्व और वीर दोनों वैन से उतरते हैं l विश्व एक हाथ घड़ी वाली माइक निकाल कर कलाई पर बाँधता है l विश्व उस घड़ी को ऑन करता है l

विश्व - हाँ... जोडार साहब... हम रेडी हैं... आप पतंग उड़ाईये...

विश्व का इशारा पाते ही जोडार अपने गाड़ी के सिस्टम में एक लिवर दबाता है l तभी गाड़ी के ऊपर से कुछ छोटे छोटे ड्रोन्स उड़ने लगते हैं l कुछ ऊंचाई पर ड्रोन्स अपनी दिशाएँ बदल कर बस्ती के उपर उड़ने लगते हैं l

जोडार - (विश्व से) क्या वीर तुमसे कनेक्ट है...
विश्व - हाँ...
जोडार - उसे कहो वैन के बायीं ओर सीधे जाए और...
विश्व - वीर तुम अपनी बायीं ओर सीधे जाओ... तीसरे पोल के पास... वहाँ पर पहरेदारी पर आदमी गायब है...
वीर - ओके..

कह कर वीर भागने लगता है l तीसरे पोल के पास एक संकरी गली दिखती है l वीर उस गली में घुस जाता है l विश्व के हाथ में एक टेबलेट मानिटर था l वीर के बदन पर एक ट्रैकर लगा दिया था l इसलिए वीर की मूवमेंट विश्व मॉनीटर से पता कर रहा था l थोड़ी देर बाद विश्व अपनी जगह से वीर के दिशा में चलने लगता है l

जोडार - अखिर तुमसे रहा नहीं गया ना... चल दिए वीर के पीछे...
विश्व - (अपने बाएं कान का इयर बड को म्यूट करता है) हाँ... वीर बेवक़ूफ़ है... अपने इश्क की बेवक़ूफ़ी मैं सूइसाइड करने जा रहा है... मैं उसे ऐसे कैसे जाने दे सकता हूँ... आप बस ड्रोन मॉनीटर से रास्ता बनाइये... और खतरे से आगाह कीजिए... बाकी मैं संभाल लूँगा...
जोडार - हाँ मैं बस देखे जा रहा हूँ... तुम भी वीर को रास्ता बताते हुए अंदर पहुंचने की कोशिश करो... वैसे भी... इस बस्ती में सोचने समझने वाले कम हैं...
विश्व - जी... हमें जो भी करना है... पुलिस के आने से पहले करना है...

विश्व अपने कान का इयर बड को फिर से ऑनलाइन करता है और जोडार के कहे बात को वीर तक पहुँचाते हुए खुद भी अंदर जाने लगता है l अचानक उसे एहसास होता है कि वीर के सामने कुछ लोग खड़े हो गए हैं l विश्व भागते हुए एक जगह पहुँचता है जहां दो लोग हाथ में कटार लिए वीर पर हमला करने के लिए तैयार दिखते हैं l वीर भी उनके सामने खड़ा था l उन दो आदमियों से एक हाथ में कटार को हिलाते हुए वीर पर हमला करता है l
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विक्रम के चेहरे पर कोई भाव नहीं था l यह खबर सुनने के बाद ना वह चौंका ना ही किसी तरह का कोई प्रतिक्रिया दी l यह देख कर पिनाक थोड़ा हैरान हो जाता है l

पिनाक - क्या बात है युवराज... हमारी सूचना से आप की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई...
विक्रम - आप ऐसा करने जा रहे हैं... यह तो मैं जानता था... वैसे भी आपने राजा साहब से वादा जो किया था... आज ही अनु को ठिकाने लगाने के लिए... पर मैं यह निश्चिंत तौर पर कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - यह आप किस बिनाह पर कह सकते हैं...

इस सवाल पर विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरता है l वह इशारा करता है पिनाक को बैठ जाने के लिए l पिनाक एक कुर्सी पर बैठ जाता है विक्रम उसके सामने बैठ जाता है l

विक्रम - वीर कैसा है... यह आप अच्छी तरह से जानते हैं... वह अगर बेकाबू हो गया... तो वह किसीके भी संभाले नहीं संभलेगा... और आप चाहते हैं कि... वीर आपकी मर्जी से मंगनी भी कर ले और शादी भी... वगैर कुछ विरोध किए... इसके लिए... वीर की कमजोरी को कब्जे में लेना जरूरी था... इसलिए मैं कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - हाँ है तो वह जिंदा... पर ज्यादा देर के लिए नहीं...
विक्रम - आप अभी भी... वीर को हल्के में ले रहे हैं... वीर अनु को ढूँढ निकालेगा...
पिनाक - युवराज लगता है... आप सबसे ज्यादा दुखी हैं... अनु के अगवा हो जाने से...
विक्रम - मैंने आपको बस एक भविष्यवाणी सुनाई...

पिनाक का चेहरा सख्त हो जाता है l जबड़े भींच जाते हैं l मुट्ठीयाँ कस जाते हैं l आँखों के नीचे वाले पेशियों में थिरखन होने लगते हैं l

पिनाक - (दांत पिसते हुए) वीर कुछ नहीं कर पाएगा... उसे एहसास होगा... क्षेत्रपाल उपनाम के वगैर... इस दुनिया में... उसकी कोई हस्ती नहीं है... वीर सिंह नाम का जो बल्ब जल रहा है... उसके अंदर का फ़िल्मेंट क्षेत्रपाल है... उसके वगैर वह एक फ्यूज बल्ब है... जिसकी जगह... गटर के पास वाले कोई कूड़ेदान है... आज वह अकेला होगा... असहाय... बेबस मजबूर... हम जिस दुनिया को झुकाते हैं... कुचलते हैं... जीतते हैं... राजकुमार उसी दुनिया का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं...
विक्रम - आप ऐसा क्यूँ चाहते हैं... वीर आपका बेटा है... कहीं ऐसा ना हो... की आप दुनिया को जीतते के गुमान में... अपनी ही दुनिया ना हार जाएं...
पिनाक - मैं उसे वीर सिंह नहीं... वीर सिंह क्षेत्रपाल बनते देखना चाहता हूँ... लड़कियाँ उसकी कमजोरी तो हों... पर कोई एक लड़की उसकी कमजोरी ना बन जाएं...
विक्रम - अनु उसकी जिंदगी है...
पिनाक - और मुझे वह ना पसंद है...
विक्रम - छोटे राजा जी... आप हमेशा... राजा साहब के कहे मानते रहे... एक बार आप अपने लिए... वीर की बात मान लेते...
पिनाक - राजकुमार ने हमसे माँगा ही कब...
विक्रम - आपने मौका दिया ही कब....

कुछ देर के लिए पिनाक चुप हो जाता है l फिर अचानक से उठ कर जाने लगता है l उसे जाता देख विक्रम भी उठ खड़ा होता है l जाते जाते पिनाक दरवाजे के पास रुक जाता है l

पिनाक - आज कल आपकी बातेँ चुभ नहीं रहे हैं युवराज... कलेजा छलनी कर रही है... खैर राजकुमार को संभाल कर... उन्हें मंगनी के लिए तैयार करना अब आपके जिम्मे है...
विक्रम - जी मैं कोशिश करूँगा... पर शायद उसकी नौबत ना आए...
पिनाक - (विक्रम की ओर घुम जाता है) क्या... (जैसे खिल्ली उड़ते हुए) आपको लगता है... राजकुमार उस बदजात को ढूँढ लेगा...
विक्रम - हाँ...
पिनाक - युवराज... हम मानते हैं... आप राजकुमार के बहुत करीब हैं... इसलिए राजकुमार का दर्द आपको बर्दाश्त नहीं हो रहा... पर खुद को यह झूठी तसल्ली देना बंद करें...
विक्रम - (चुप रहता है)
पिनाक - युवराज... हमने राजकुमार की हर हरकत की खबर रखा करते थे... पर कभी सोचा नहीं था... एक लड़की के लिए वह पागल भी हो सकते हैं... उन्हें कम तकलीफ हो... इसीलिए हम सब पास नहीं हैं... जब हम पहुँचेंगे... उनको एक कंधे की दरकार होगी... वह कंधा आप बनेंगे...
विक्रम - दर्द भुला भी नहीं होगा... और आप उसी दिन उसकी मंगनी कराने की सोच रहे हैं...
पिनाक - हाँ... अच्छे से मान गया तो ठीक... वर्ना... उस लड़की की नाजुक हालत दिखा कर ही सही... यह मंगनी और शादी करा देनी है...
विक्रम - मुझे खेद है... ऐसा कुछ भी नहीं होगा...
पिनाक - (अपना भवां टेढ़ा कर) कहीं आपने कुछ...
विक्रम - नहीं.. मैंने कुछ भी नहीं किया... उसकी नौबत ही नहीं आई... सच तो यह है कि... वीर ने मुझे कुछ करने के लिए मौका दिया ही नहीं...
पिनाक - उसके साथ हम में से कोई भी नहीं है.... सच तो यह है कि... उसके साथ उसका अपना साया तक नहीं है...
विक्रम - उसके साथ उसका दोस्त है...
पिनाक - (हैरानी के साथ) दोस्त...
विक्रम - हाँ... दोस्त... अभी आप कह रहे थे... आप वीर की सारी ख़बरें रखा करते थे... फिर दोस्त की बात आपसे कैसे छूट गया....
पिनाक - कौन दोस्त... कैसा दोस्त...
विक्रम - वह दोस्त.. जो वीर के साथ चट्टान जैसा खड़ा है...
पिनाक - कौन है... क्या किया है....

विक्रम टीवी का मोबाइल उठाता है और टीवी को फिर से ऑन करता है l पिनाक देखता है नभ वाणी न्यूज चैनल पर न्यूज क्लिप चल रहा था l जिसमें एक एंकर के बगल में एक विंडो में दिख रहा था कुछ औरतें किसी ऑफिस की घेराव किए हुए हैं l उन महिलाओं के पास न्यूज रिपोर्टर और पुलिस वाले खड़े हैं l विक्रम टीवी का वॉल्युम बढ़ाता है l

" आज की ब्रेकिंग न्यूज में मैं सुप्रिया रथ आप दर्शकों का स्वागत करती हूँ... जैसा कि आप दर्शक अवगत होंगे कुछ घंटों पहले राजधानी में एक काम काजी महिला का सिटी हस्पताल से अपहरण हो गया है... उन महिला का नाम है अनुसूया दास... अनुसूया जी की दादी जी के कंप्लेंट पर पुलिस की ढुलमुल रवैये से दुखी हो कर वाव की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति जी से मदत मांगी... घटना को जानने के पश्चात प्रतिभा जी पुलिस की कारवाई पर सवाल उठा कर कमिश्नरेट का अपने कुछ कार्यकर्ताओं के सहित घेराव किया है... हमारी संवाददाता निधि उनके विचार जानने के लिए उनके निकट गई हुई हैं... आइए जानते हैं आगे क्या करने की उनकी विचार है...

निधि - धन्यवाद सुप्रिया... जैसा कि जानते हैं... पहली बार ऐसा हुआ है कि सिटी हस्पताल के परिसर से... एक लड़की का अपहरण हुआ है... और सबसे खास बात... वह लड़की ESS से संबंधित है... इसलिए तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं... पर पुलिस महकमा कह रहा है... वे अपने काम कर रहे हैं... पर उनके काम से वर्किंग वुमेन एसोसिएशन ऑफ ओडिशा की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति इत्तेफ़ाक नहीं रख रहीं हैं... आइए जानते हैं उनसे उनके विचार... जी प्रतिभा जी...
प्रतिभा - देखिए... हम पुलिस की कारवाई से नाखुश हैं... लड़की दुपहर से लापता है... जब कि पुलिस शाम की बात कर रही है... इसलिए हमें पुलिस की मंशा पर शक हो रहा है...
निधि - क्या इसलिये अपने कमिश्नरेट का घेराव किया है...
प्रतिभा - नहीं हमने कोई घेराव नहीं किया है... हम वाव के तरफ़ से कुछ ही कार्यकर्ता कमिश्नरेट के सामने प्रदर्शन मात्र कर रहे हैं... पर कल सुबह तक अगर लड़की लापता रही... तो कल से यहाँ कमिश्नरेट के सामने कामकाजी महिलाओं का जामावड़ा शुरु होगी... इसके लिए... राज्य की कानून मंत्रालय और कमिश्नर जिम्मेदार होंगे...

तभी एक एसीपी कुछ ऑफिसरों के साथ प्रतिभा सेनापति के पास आता है l निधि यह देख कर उस एसीपी से मुखातिब होती है

निधि - यह रहे पुलिस ऑफिसर... शायद कमिशन ऑफिस से कोई सूचना लेकर आए हैं... जी सर
एसीपी - जी मैं... एसीपी सुभाष सतपती... आप गण माध्यम के जरिए... पुलिस प्रशासन के तरफ से यह आश्वासन दे रहा हूँ... हम पुरी कोशिश करेंगे... अगवा हुई लड़की को जितनी जल्दी हो सके ढूँढ कर आपके समक्ष लाएंगे... "

पिनाक पास रखे एक फ्लावर वॉश को उठा कर टीवी पर दे मारता है l टीवी का स्क्रीन फट जाता है और धुआं निकलने लगता है l विक्रम पिनाक की ओर देखता है

पिनाक - यह सब कैसे... राजकुमार वीर ऐसे कैसे सोच सकता है... उस औरत... प्रतिभा के पास वह पहुँचा कैसे...
विक्रम - अब आप बेबस.. असहाय लग रहे हैं...
पिनाक - हमें बेबस कर सके किसी में दम नहीं...

इतना कह कर पिनाक अपना मोबाइल निकाल कर कानून मंत्री सुजीत जेना को फोन लगाता है l पर उसका फोन लगता नहीं है l खीज कर वह बल्लभ को फोन लगाता है l

पिनाक - प्रधान... वहाँ पर क्या हो रहा है...
बल्लभ - छोटे राजा जी... यहाँ बात कुछ बिगड़ रहा है... फिर भी मैं और कमिश्नर संभालने की कोशिश कर रहे हैं...
पिनाक - क्या खाक कोशिश कर रहे हो... एक मामुली दो कौड़ी की लड़की के लिए... मीडिया और वाव... कमिश्नरेट का घेराव हो रहा है... इस औरत के पास वीर पहुँचा कैसे...
बल्लभ - यह तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है... उन्हें यह आइडिया दिया किसने... और इतनी जल्दी एक्शन में भी आ गए...
पिनाक - मैं कुछ नहीं जानता... तुम कैसे और किस तरह से मैनेज करोगे... पर पुलिस और प्रशासन का कोई भी दखल नहीं होनी चाहिए...
बल्लभ - मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा... पर पुलिस ने सारे शहर में नाकाबंदी लगा दी है... आप उनसे कहिये... किसी भी तरह से... या तो शहर से गायब हो जाएं... या फिर अंडरग्राउंड हो जाएं...
पिनाक - आआआहहह... (फोन काट देता है और विक्रम की ओर देखने लगता है) यह कौन दोस्त है... वीर को मिल गया है...
विक्रम - एडवोकेट प्रतिभा सेनापति को जानते हैं आप...
पिनाक - अच्छी तरह से... सेनापति दंपती के बारे में...
विक्रम - तो आपको यह भी मालुम होगा... उनका एक मुहँ बोला बेटा है....

पिनाक की आँखे हैरत से बड़ी हो जाती हैं l मुहँ खुला रह जाता है l अविश्वास के भाव से विक्रम की ओर देखने लगता है l

पिनाक - नहीं... यह नहीं हो सकता... हमारे दुश्मन से... वीर की दोस्ती... विश्वा से वीर की दोस्ती.....

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द हैल
वीर को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं, सुषमा आगे बढ़ती है और वीर के गले लग जाती है l वीर भी उसके गले लग जाता है l सुषमा सुबक रही थी पर वीर शांत था l उसका चेहरा जैसे कुछ आने वाले तूफान या जलजले का संदेश दे रहा था, यह बात रुप को साफ एहसास हो रहा था l

रुप - भैया... माँ... प्लीज बैठ जाइए ना...

रुप के इतने कहने से दोनों अलग होते हैं l वीर सुषमा को लाकर सोफ़े पर बिठा देता है l सुषमा वीर की ओर देखते हुए पूछती है

सुषमा - यह क्या हो रहा है वीर...
वीर - माँ शांत... तुम पहले अपनी बताओ...
सुषमा - वीर... मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... मुझे आज अचानक से बुलावा आया कि मुझे भुवनेश्वर तुम लोगों के पास पहुँचना है... मैं नर्सों और डॉक्टरों की टीम को बड़े राजा जी को देखभाल के लिए लगा कर आ गई... यहाँ पहुँचने के कुछ ही समय पहले जानकारी मिली... के कल तुम्हारी मंगनी है... मुझे हैरत हुई... पर धक्का तब लगा... जब यह खबर मिली कि... हमारी अनु को अगवा कर लिया गया है... यह क्या हो रहा है...
वीर - माँ... यह क्षेत्रपाल मर्दों की ना मर्दानगी है...
सुषमा - क्या.. क्या मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...
वीर - अनु को छोटे राजा जी ने उठवाया है...
सुषमा - क्या... (उछलकर उठ खड़ी हो जाती है)

ऐसा ही हाल रुप और शुभ्रा का भी था l हैरानी और अविश्वास से तीनों का चेहरा सन्न था l रुप और शुभ्रा आँख और मुहँ फाड़े कभी एक दुसरे को कभी वीर और सुषमा को देखे जा रहे थे l

सुषमा - यह तु क्या कह रहा है...
वीर - (एक टूटी हुई हँसी हँसते हुए) इसमें अविश्वास ना कर पाने वाली बात क्या है माँ...
सुषमा - (मुश्किल से) जिंदा है...
वीर - हाँ.. शायद...
सुषमा - हाँ शायद... मतलब...
वीर - जिंदा इसलिये... की मैं जिंदा हूँ... पर आज छोटे राजा जी ने... मुझे सच में मार दिया...
रुप - ऐसे क्यूँ कह रहे हो भैया...

वीर कोई जवाब नहीं देता l एक गहरी साँस लेते हुए उठ खड़ा होता है l रुप की ओर देखता है l

रुप - तुमने कोई जवाब नहीं दिया...
वीर - (शुभ्रा की ओर देख कर) आप कुछ नहीं पूछेंगी भाभी...
शुभ्रा - मैं क्या पूछूं... मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहा है... तुम्हारा मंगनी है... और अनु का अगवा कर लिया गया है...

वीर अपनी माँ की तरफ देखता है l सुषमा स्तब्ध सी चेयर पर धप से बैठ जाती है, जैसे उसे गहरा सदमा लगा है l वह खोई खोई सी लग रही थी

वीर - माँ...
सुषमा - (चौंक कर) हाँ... (वास्तविकता में लौटते हुए) हाँ...
वीर - क्या हुआ...
सुषमा - यह क्या हो रहा है... क्षेत्रपाल किसीको अपने रास्ते से हटाना चाहें तो... कहाँ नामुमकिन है... फिर ऐसे अनु को उठवाने का क्या मतलब... वह भी दुनिया को बता कर...
वीर - दुनिया में किसी को कुछ भी नहीं पता... इस साजिश के पीछे क्षेत्रपाल हैं... यह तो मुझे किडनैपर ने बताया है...
शुभ्रा - तो उसने जरूर झूठ बोला होगा...
वीर - नहीं... उसने सच कहा है...
रुप - यह तुम कैसे कह सकते हो...

वीर विक्रम की चिट्ठी की जिक्र करते हुए बताता है कैसे उसके ऑफिस में हर विभाग के इंचार्ज सभी कलकत्ता गए हुए हैं l यह सब सुन कर तीनों और भी हैरान होते हैं l

सुषमा - हे भगवान... यह कैसी हैवानियत है... अपनी ही औलाद के खिलाफ... (सुबकते हुए) मैं तेरे... अनु के और अनु की दादी की गुनाहगार हूँ वीर... मैं अब किस मुहँ से अनु के और उसकी दादी का सामना कर पाऊँगी...
वीर - माँ... मुझे कभी क्षेत्रपाल होने का गुरूर था... पर अनु के आगे मेरा वह गुरुर बहुत बौना हो जाता था... मैंने ता उम्र अपने गुरुर के चलते सिर्फ दुश्मन ही दुश्मन कमाए हैं... पर अनु के मेरी जिंदगी में आने के बाद... मुझे सच्चा प्यार और एक सच्चा दोस्त मिला है... आज उसी दोस्त के मदत से मैं अनु को ढूंढने जा रहा हूँ...
सुषमा - (थोड़ी अचरज के साथ) दोस्त...
वीर - हाँ माँ दोस्त... आज मेरे साथ... ना मेरे अपने हैं... ना ज़माना है... ना भगवान... ना मेरा अपना साया है... पर इस हालत में भी.. मेरा दोस्त मेरे साथ खड़ा है... जब भी मैंने उसे आवाज दी.. वह मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया... आज जब मुझे किसी की साथ की जरूरत थी... तब वही मेरे सामने आकर खड़ा हो गया... अब मुझे ऐसा लगता है कि... मैं दुनिया से टकरा सकता हूँ... दुनिया बदल सकता हूँ...

वीर इतना कह कर फिर चुप हो जाता है l तीनों ध्यान से वीर को सुन रहे थे l खामोशी ऐसी थी के किसी में हिम्मत ही नहीं हो रही थी खामोशी तोड़ने के लिए l फिर भी कुछ देर के बाद

शुभ्रा - वीर... जानते हो ना... कल शाम साढ़े सात बजे xxxx होटल में... तुम्हारा मंगनी करा दी जाएगी...
वीर - जानता हूँ...
रुप - फिर यह सब...

वीर सुषमा की ओर देखता है, सुषमा उसे डबडबाई आँखों से देख रही थी l ऐसा लग रहा था जैसे वह कहना और पूछना बहुत कुछ चाह रही थी पर उसका जुबान साथ नहीं दे रही थी l

वीर - माँ... तुमने अनु की दादी से जो वादा किया है... वह नहीं टुटेगी... कल उसी समय... उसी होटल में... मैं पुरी दुनिया के सामने ऐलान करूँगा... के अनु ही मेरी जीवन साथी होगी... चाहे कुछ भी हो जाए...
सुषमा - मुझे डर है... कहीं क्षेत्रफ़ल के अहंकार के चलते... अनु को कुछ हो ना जाए...
वीर - अगर अनु को कुछ हो गया... तो वीर भी नहीं रहेगा...
सुषमा - क्या... (एक झटके के साथ चेयर से उठ खड़ी होती है)
वीर - हाँ माँ...
शुभ्रा - वीर... तुम यह कैसी बातेँ कर रहे हो... वह भी अपनी माँ के सामने... जिन्होंने ना जाने कितनी दुआएँ माँगी होंगी... तुम्हारी लंबी उमर के लिए...
वीर - जानता हूँ भाभी..
रुप - फिर भी माँ का दिल दुखा रहे हो...
वीर - आप सब जानते हैं... अनु के साथ यह हादसा... बताने के लिए काफी है... के वह कभी भी... क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी नहीं जाएगी... इसलिए मैं यह कहने आया हूँ... की आज के बाद इस घर में... या राजगड़ में... मेरा आना जाना तभी होगा... जब अनु क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी जाएगी....

यह बात एक बिजली की तरह तीनों पर गिरती है l तीनों भौंचके हो जाते हैं और एक दुसरे के मुहँ को ताकने लगते हैं l सुषमा धप से चेयर पर बैठ जाती है l

शुभ्रा - वीर... तुम होश में तो हो... जानते हो क्या कह रहे हो...
रुप - देखो माँ को कितना गहरा सदमा पहुँचा है...
वीर - (फिर से अपनी माँ के आगे झुक जाता है) माँ... मैं जानता हूँ... तुमको... बल्कि... आप सब लोगों को तकलीफ होगी... पर सच्चाइ यही है... की आप में से कोई क्षेत्रपाल के खिंचे लकीर लांघ नहीं सकता... और मैं नहीं चाहता... मेरी और क्षेत्रपाल के अहंकार के टकराव के बीच मेरा अपना कोई पीस जाए... इसलिए आज आप लोगों से मैं इजाजत लेने आया हूँ...


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अपने कमरे में चहल कदम करते हुए पिनाक अपनी हाथ की मुट्ठी बना कर दुसरे हाथ पर मार रहा था l उसके चेहरे पर बैचैनी साफ झलक रहा था l सारी दुनिया सो रही थी पर उसके आँखों में नींद गायब था l अचानक वह टेबल लैम्प के पास रखे अपना मोबाइल उठाता है और एक नंबर पर डायल करता है l

@ - (उबासी लेते हुए) हैलो छोटे राजा जी... कहिए... इतनी रात गए कैसे याद किया...
पिनाक - बे कुत्ते... हरामी साले... जब सारा भुवनेश्वर जाग रहा है... तु कैसे चैन से सोया हुआ है...
@ - क्यूँ छोटे राजा जी क्या हो गया....
पिनाक - हराम जादे... उस लड़की को कहाँ पर रखा है... तुम ने...
@ - छोटे राजा जी... आप भुल रहे हैं... किडनैप मैंने नहीं किया है... करवाया है... आपने ही कहा था... यह काम किसी ऐसे इंसान से करवाने के लिए... जिसका क्षेत्रपाल परिवार से दुर दुर से वास्ता ना हो... अगर हो तो दुश्मनी हो... और मैंने ऐसा ही किया है... इस कांड में... आपके या आपके परिवार का नाम बिल्कुल नहीं उछलेगा...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... पर हम यह भी चाहते थे... वह लड़की फिर कभी दिखे ही ना...
@ - वह लोग हैं ही ऐसे... वह लोग उस लड़की को... ना जाने कितनी बार बेचेंगे.... और फिर उसकी ऑर्गन बेच कर किसी कोने में दफना देंगे....
पिनाक - पर अब उस लड़की को पुलिस ढूँढ रही है...
@ - सॉरी छोटे राजा जी... यह काम आपने मुझे नहीं दी थी... और यह काम मेरे बस की है भी नहीं... आपने इसे जिसके बस की कही थी... उसे ही तो आपने सौंपा रखा है...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... तुमने अपना काम करदिया है... क्या... (थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है)
@ - पूछिये छोटे राजा जी... पूछिये... आपको किस बात का डर है...
पिनाक - अपनी जुबान पर लगाम दे कुत्ते... डर हम से डरता है... हम तो बस यह तसल्ली करना चाहते हैं... तुमने जिसे काम सौंपा है... कहीं पुलिस के डर से उस लड़की को छोड़ ना दे...
@ - आप घबराईये मत छोटे राजा जी... जिसे यह काम सौंपा गया है... या तो वह उस लड़की को बेच देगा... या फिर मार देगा... पर छोड़ेगा नहीं... आप बस अपने प्रधान बाबु से पुलीस कारवाई पर तसल्ली कर लीजिए...
पिनाक - ठीक है....
@ - तो क्या अब मैं सो जाऊँ... (उबासी लेते हुए) बड़ी जोर की नींद आ रही है....
पिनाक - हूँ... सो जा...

कोई जवाब नहीं मिलता l पिनाक फोन पर देखता है कॉल कट हो चुका था l पिनाक की जबड़े सख्त हो जाते हैं l वह बल्लभ को फोन लगाता है

बल्लभ - हे हैलो...
पिनाक - (गम्भीर आवाज में) यह हम न्यूज में क्या देख रहे हैं...
बल्लभ - सॉरी छोटे राजा जी... हमने ऐसा बिल्कुल सोचा भी नहीं था... मैंने कमिश्नर से और जेना बाबु से बात कर... अगवा हुई उस लड़की की तलाश की तफ्तीश को भटकाने और देर करने के लिए राजी करा दिया था... उस काम के लिए... टीम भी बना दिया गया था... पर...
पिनाक - ह्म्म्म्म... आगे बोलो... हम तुम्हारे मुहँ से सुनना चाहते हैं...
बल्लभ - पता नहीं कैसे... अनु की दादी उस एडवोकेट प्रतिभा सेनापति के पास पहुँच गई... अब कानून मंत्री सुजीत जेना और कमिश्नर पर बहुत प्रेसर है...
पिनाक - मतलब...
बल्लभ - जी मैं कमिश्नर जी से बात कर रहा था... अगर इस मामले में मीडिया नहीं घुसती तो कुछ कर सकते थे... पर अब यह डिपार्टमेंट की इज़्ज़त पर बात आ गई है... इसलिए वह अब उस लड़की को ढूंढने की पुरी कोशिश करेंगे...
पिनाक - आ आ आह्य... देखो मैं कुछ नहीं जानता... राजा सहाब के सामने मेरी गर्दन झुकनी नहीं चाहिए... तलाश के काम में जितनी देर हो सके करवाओ... जहां पर जितना पैसा लगे... खिलाओ... पर लड़की मिले तो कल नहीं... परसों या किसी और दिन मिले... बस वह जिंदा ना मिले उसका इंतजाम मैं करवाऊंगा...

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अस्सिटेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस सुभाष सतपती अपनी जिप्सी के अंदर उतरता है और चले हुए एक चेक पोस्ट पर पहुँचता है l उसे देखते ही पोस्ट पर तैनात सभी पुलिस वाले उसे सैल्यूट ठोकते हैं l

सतपती - कैसा चल रहा है अब तक...
एक संत्री - हम सभी को चेक कर रहे हैं सर...
सतपती - गुड...

इतना कह कर सतपती अपनी गाड़ी में आकर बैठता है और गाड़ी स्टार्ट कर वहाँ से चल देता है l गाड़ी कुछ देर बाद एनएच के एक ढाबा 24/7 पर रुकती है l गाड़ी से उतर कर वह एक केबिन में घुस जाता है l केबिन के अंदर विश्व बैठा हुआ था l

सतपती - मुझे ज्यादा देर तो नहीं हुई...
विश्व - नहीं... आइए सतपती सर... बैठिए...
सतपती - (बैठते हुए) अकेले हो...
विश्व - फ़िलहाल... अभी दो और लोग आयेंगे...
सतपती - एक को मैं गेस कर सकता हूँ... वीर... वीर सिंह क्षेत्रपाल... यह दुसरा कौन है..
विश्व - उसे आने दीजिए... मिल लीजिएगा... वैसे मेरे बुलाने पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...
सतपती - क्या करें... सेनापति सर का हुकुम था... और मुझ पर तुम्हारा एहसान भी तो बहुत है... तुम्हारे ही किए क्रेडिट के वज़ह से आज इस पोस्ट पर हुँ...
विश्व - आप खुश नहीं लग रहे हैं...
सतपती - ऐसा नहीं है विश्व... सेनापति सर के कहने से मैं... अपना ट्रांसफ़र और प्रमोशन दोनों स्वीकार किया... इनाम के तौर पर देहरादून में आईपीएस ट्रेनिंग भी मिला... पर पोस्टिंग देखो... फिल्ड के बजाय इंटेलिजंस विंग में डाल दिया... दिन भर फाइलें छानता रहता हूँ... और कमिश्नरेट के तरफ से... मीडिया का स्पोक पर्सन बन गया हूँ... रही तुम्हारी बात... मैं तुमसे कभी शिकायत नहीं रख सकता यार... खैर यह जो हो रहा है.. मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... तुम और वीर सिंह... (चुप हो जाता है)
विश्व - मेरा दुश्मन भैरव सिंह है... और वीर सिंह मेरा दोस्त है...
सतपती - तो तुम इस तरह से... बदला ले रहे हो...
विश्व - नहीं... यह इत्तेफाक है कि भैरव सिंह मेरा दुश्मन और उसका भतीजा मेरा दोस्त... और मेरी रीढ़ की हड्डी इतनी कमजोर नहीं... भैरव सिंह से बदला लेने के लिए... मुझे उसके भतीजे के ओट लेना पड़े...
सतपती - क्या वीर सिंह... तुम्हारे और भैरव सिंह के बारे में जानता है...
विश्व - हाँ... उस दुश्मनी से इस दोस्ती का कोई वास्ता नहीं है... भैरव सिंह के लिए इतना खुन्नस है कि मैं उसका जान ले सकता हूँ... पर वीर सिंह के लिए दोस्ती इतनी पक्की है कि... मैं उसके लिए जान दे सकता हूँ...

विश्व की जवाब सुन कर सतपती चुप हो जाता है l तभी केबिन में वीर आता है और एक कुर्सी खिंच कर दोनों के साथ बैठ जाता है l विश्व देखता है वीर थोड़ा खोया खोया सा लग रहा था l

विश्व - क्या हुआ वीर...
वीर - कुछ नहीं... (सतपती की ओर देख कर) आपकी तारीफ...
सतपती - मैं विश्व का दोस्त... एसीपी सुभाष सतपती...
वीर - ओ.. थैंक यु... (विश्व की ओर देख कर) तो...
विश्व - एक मिनट वीर... मेरा एक और दोस्त आ रहा है... उसे आने दो...

तभी कमरे में एक और शख्स आता है l तीनों को बारी बारी से सलाम ठोकता है l उसे देख कर सतपती हैरान होता है l

सतपती - तुम...
शख्स - (हँसते हुए) जी...
सतपती - (विश्व की ओर देखते हुए) यह यहाँ कैसे...
विश्व - (उस शख्स से) तुम यहाँ बैठो लल्लन... (लल्लन बैठ जाता है, विश्व सतपती से) आप जिस दुसरे की बात कर रहे थे... यह यही है... इस केस में... इसकी मदत भी बहुत जरूरी है...
सतपती - (लल्लन से) तु भुवनेश्वर में कैसे...
लल्लन - जब भाई बुलाते हैं... मैं उनकी सेवा में हाजिर हो जाता हूँ....
विश्व - ओके... हम उस बात पर जिसके लिए यहाँ आए हैं... सतपती जी आप के पास क्या जानकारी है...
सतपती - पहली बात... मैंने सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर कुछ फोटोस लाया हूँ... इस किडनैपिंग के पीछे यही लोग हैं...

इतना कह कर मोबाइल निकाल कर दो शख्सों की फोटो निकाल कर दिखाता है l विश्व लल्लन को वह फोटो देखने के लिए कहता है l लल्लन उन फोटोस को गौर से देखता है

लल्लन - यह लोग नीरा के आदमी हैं..
सतपती - हाँ बिल्कुल...
विश्व - (वीर से, फोटो दिखा कर) वीर... क्या इन्हें जानते हो या इनके बॉस नीरा को... (वीर अपना गर्दन हिला कर ना कहता है)
सतपती - राजकुमार जी को याद ना हो शायद... पर...
वीर - (टोकते हुए) एक मिनट एसीपी सर... मुझे आप वीर कहिये... (सतपती उसे हैरानी भरे नजरों से देखता है) प्लीज... और यह आप आप मत कहिए... मैं अभी अभी आप वाली औकात से बाहर आया हूँ... तुम कहिये... या तु भी कह सकते हैं...
सतपती - ओके... तो वीर... तुम्हें मालुम होना चाहिए... नीरा आइकन ग्रुप से जुड़ा हुआ था... केके ग्रुप के साथ टेंडर को लेकर झगड़ा था... इसका भाई सुरा और उसकी महबूबा एक दिन गायब हो गए... और शायद... (कहते कहते रुक जाता है)
वीर - हाँ... हाँ... याद आया... केके की एक बेटी भी थी... यही नीरा और सुरा के डर से... उसकी शादी कर दी थी... और उसे विदेश भेज दिया था...
सतपती - हाँ... बिल्कुल... और पुलिस को लगता है... मिस अनु के किडनैपिंग उसी दुश्मनी के वज़ह से हुई है...

कुछ देर के लिए केबिन में खामोशी छा जाती है l सभी वीर की ओर देखते हैं, वीर अपनी भवें सिकुड़ कर सोच में था l विश्व बात को आगे बढ़ाते हुए

विश्व - तो सतपती जी... अगर पुलिस के पास इतनी जानकारी है... तो फिर... कारवाई में इतनी देरी क्यूँ...
सतपती - पता नहीं... पर मुझे जहां तक अंदाजा मिल पा रहा है... महकमे में कोई भी इंट्रेस्टेड नहीं है... इसलिए केस को घुमा रहे हैं... चूंकि अब मीडिया इंवॉल्व हो गई है... खाना पूर्ति के लिए इधर उधर हाथ पैर मार रहे हैं...
विश्व - तो क्या अनु को भुवनेश्वर से बाहर ले गए हैं...
सतपती - नहीं... अनु पक्के तौर पर भुवनेश्वर में ही है... नाकाबंदी बड़ी जबरदस्त है... बस ढूंढने में थोड़ी ढील है...
विश्व - (लल्लन से) तो लल्लन प्यारे... कुछ पता चला पाए...
लल्लन - (बातचीत के दौरान वह मोबाइल पर झुका हुआ था, वैसे ही झुके हुए) भाई दो मिनट... मैंने फोटो देखते वक़्त अपने मोबाइल पर ट्रांसफ़र करवा लिया था... उसे अपने पट्ठों के पास भेज दिया है... खबर मिल जाएगी...

थोड़ी देर बाद उसके मोबाइल पर एक अलर्ट ट्यून बजता है l लल्लन मेसेज पढ़ने के बाद विश्व की ओर देखता है l

लल्लन - भाई... नीरा... बालासोर में था... कुछ ही दिन हुए हैं... वह भुवनेश्वर में आया है... अभी वह सुंढी साही बस्ती में है... और मुमकिन है... अनु वहीँ पर हो... क्यूँकी पुरे भुवनेश्वर में... अनु को छिपाने के लिए... एक वही बस्ती ही सेफ है... जहां पुलिस भी रेड डालने से पहले सौ बार सोचती है...
वीर - (उठते हुए) तो फिर देर किस बात की... चलो चलते हैं...

वीर अकेला खड़ा होता है पर विश्व, सतपती और लल्लन अपनी जगह से नहीं उठते l वीर थोड़ा हैरान होता है l

वीर - क्या हुआ...
सतपती - थोड़ी देर के लिए बैठ जाइए वीर... (वीर बैठता है)
विश्व - (सतपती से) आपका क्या प्लान है...
सतपती - विश्व... तुम्हें शायद अंदाजा हो... यह सुंढी साही बस्ती है... इस बस्ती में... जितने भी लोग रहते हैं... एक से बढ़कर एक छटे हुए बदमाश हैं... गुंडई उन लोगों का खानदानी पेशा है... वहाँ घुसने के लिए... वेल प्रीपेयरड फोर्स चाहिए... और फोर्स लेने के लिए...इंफोर्मेशन पक्की होनी चाहिए...
विश्व - मतलब... आप कुछ नहीं कर सकते...
सतपती - कर तो सकता हूँ... पर... मुझे सुबह तक टाइम चाहिए... ताकि मैं कमिश्नर को... यकीन दिला कर मना सकूँ...
वीर - तब तक... अनु के साथ कुछ भी हो सकता है... उसे कहीं ले भी जा सकते हैं...
विश्व - वीर... हिम्मत रखो... लल्लन तुम्हारा क्या खयाल है...
लल्लन - भाई... सतपती सर सही कह रहे हैं... पर मुझे लगता है... सुबह तक भी देर हो सकती है... वे लोग कोई ना कोई तरकीब लगा कर अनु को भुवनेश्वर से दुर ले जाने की कोशिश करेंगे...
वीर - तो फिर... हम किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं...
विश्व - वीर... शांत रहो... जज्बाती हो कर जल्दबाज़ी में काम ना लो... (सतपती से) ठीक है सतपती जी... यहां तक मदत के लिए शुक्रिया... आप कोशिश कीजिए... किसी तरह सुबह तक... सुंढी साही के बाहर तक फोर्स ले आयें...
सतपती - (उठते हुए) ठीक है फिर... मैं कुछ भी करके... कमिश्नर साहब को राजी कर... एक बटालियन लेकर सुबह तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ...

इतना कह कर सतपती वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद विश्व कुछ सोचने लगता है l उसे सोच में देख कर लल्लन विश्व से पूछता है

लल्लन - क्या बात है भाई...
विश्व - जिस तरह पुलिस सारे शहर की नाकाबंदी कर रखा है... जाहिर है... उस बस्ती में लोग... अपनी बस्ती की पहरेदारी में होंगे...
लल्लन - बिल्कुल भाई... मेरा एक पट्ठा गया है... ख़बर निकाल कर पुरी जानकारी देगा...
वीर - देखा प्रताप... मेरे बाप ने सुपारी दी भी किसे... जिसके साथ हमारी दुश्मनी है... ताकि दुनिया को लगे अनु... हमारी दुश्मनी की चलते किडनैप हुई है...
विश्व - मुझे लगता है... कोई तीसरा भी है... जो खेल रहा है...
वीर - मतलब...
विश्व - मतलब... तुमसे बात करने वाला नीरा नहीं था... कोई और था... जिसने तुम्हारे बाप की सुपारी की बात कही थी...
वीर - वह चाहे कोई भी हो... सुपारी की बात सच है... (एक गहरी साँस लेते हुए) यार प्लीज कुछ करो.. पता नहीं अनु कैसी होगी किस हाल में होगी...

तभी लल्लन की मोबाइल बजने लगता है l लल्लन मोबाइल उठा कर अपने कान में लगाता है l उसकी आँखों में एक चमक दिखने लगता है l कुछ देर मोबाइल सुनने के बाद

लल्लन - भाई... अनु उसी बस्ती में है... शहर की नाकाबंदी देख कर... सुबह सुबह अनु को ले जाने की प्लान बना रहे हैं...

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एक कमरे में अनु कुर्सी पर बैठी हुई है l उसके सामने एक आदमी खिड़की से बाहर देखते हुए सिगरेट पी रहा है l तभी बाहर से एक आदमी आता है और कमरे में खड़ा हो जाता है l उसके आने का एहसास होते ही पहला शख्स अपना सिगरेट खिड़की से फेंक कर उसके तरफ मुड़ता है l

शख्स - क्या बात है मंगू...
मंगू - नीरा भाई... कुछ देर के बाद सुबह हो जाएगी... हम रात में इस लड़की को निकाल नहीं पाए... सुबह कैसे निकलेंगे...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - उसने कहा था... पुलिस का लफड़ा वह सम्भाल लेगा... पर पुलिस ने इस कदर घेरा बंदी की है कि...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - हम बेकार में इस लफड़े में फंस गए...
नीरा - बेकार में नहीं... बस अपना टाइम थोड़ा खराब निकला... पर कोई ना... हम जहां हैं... वहाँ कोई भी आने से पहले सौ बार सोचेगा...
मंगू - भाई... पुलिस को तो नहीं मालुम ना... इसे किसने उठाया है...
नीरा - अब तक मालुम हो चुका होगा...
मंगू - तो... अब इस मुसीबत को हम गले में बाँध कर क्यूँ घूमें... इसे यहीं मार कर निकल जाते हैं ना...
नीरा - मुसीबत इस लड़की के पीछे पीछे आई है... अब उसी मुसीबत से यही लड़की बचाएगी...

यह कह कर नीरा अनु की तरफ मुड़ता है l अनु के चेहरे पर अभी भी खौफ नहीं था l भाव हीन चेहरे पर भवें हल्की सी सिकुड़ी हुई थी l

नीरा - डर नहीं लग रहा तुझे... यह तो मुझे समझ में आ रहा है... पर इस सपाट चेहरे पर जो हैरानी दिख रही है... वह क्यूँ है...
अनु - यही की... मेरा अपहरण के बाद... तुम लोगों की पहली हार... मुझे भुवनेश्वर से दूर नहीं ले जा पाए... आगे हार ही हार है... फिर भी...
नीरा - ऐ लड़की... ज्यादा मत सोच... तेरा मुहँ खुला रखा है तो कुछ भी चपड़ चपड़ मत कर... शुक्र मना अभी तक हमने तेरे साथ कुछ किया नहीं है...
अनु - कुछ करने की सोचना भी मत... इतना तो समझ चुकी हूँ... मैं जिंदा और सलामत अभी तक इसलिए हूँ... क्यूंकि तुम लोगों ने वीर सिंह क्षेत्रपाल से दुश्मनी ली है....
मंगू - तो... तो क्या हो गया... तु वीर सिंह की टाइम पास है जानने के बाद ही तो उठाया है...
नीरा - सुन लड़की... वीर सिंह ने आज से छह महीने पहले... मेरे भाई सुरा और उसकी गर्लफ्रेंड को उठवाकर गायब कर दिया था... उसे वही दर्द और चोट देने के लिए तुझे उठवाया है... शुक्र मना... मेरे बदले की आग में... तु अभी तक जली नहीं...
अनु - अलबत्ता सोचना भी मत... क्यूँकी मुझे खरोंच भी आई... तो मैं खुद को ख़तम कर दूंगी... और इतना तो समझ ही चुकी हूँ... आखिरी मौके पर सौदे बाजी के लिए... मेरा सही सलामत होना जरूरी है... क्यूँकी राजकुमार की जुनून से मुझसे ज्यादा तुम लोग वाकिफ हो...
नीरा - (मंगू से) इसके मुहँ पर पट्टी बाँध दे...

मंगू एक पॉली टेप निकाल कर अनु के मुहँ पर लगा देता है l अनु कोई विरोध नहीं करती l इतने में एक और आदमी कमरे में आता है l

नीरा - क्या है मल्ला...
मल्ला - आपने बुलाया...
नीरा - हाँ...
मल्ला - तो हुकुम करो नीरा भाई...
नीरा - देखो... जहां तक मुझे अंदाजा है... इस लड़की के लिये... पुलिस सुबह तक बस्ती का घेराव करेगी...
मल्ला - तो करने दो ना भाई... पुलिस अंदर आ नहीं पाएगी...
नीरा - जानता हूँ... पर कितनी देर तक...
मल्ला - (चुप रहता है)
नीरा - देखो... मैं क्षेत्रपाल को घुटने पर देखना चाहता हूँ... समझ लो यह मेरी आखिरी जंग है... (अनु की तरफ देख कर) मुझे इस लड़की का घमंड भी तोड़ना है...
मल्ला - तो क्या करना है बोलो भाई...
नीरा - सुबह तड़के बस्ती से कुछ लोग मछली पकड़ने के लिए निकलेंगे... (अनु के तरफ़ देख कर) तुम अपने आदमियों के साथ इसे एक जाल में लपेट कर एक नाव में डाल देना... और दया नदी से हो कर चीलका में चले जाना.... वहाँ से बोट लेकर... चांदबाली पहुँच जाना...

नीरा का यह प्लान सुन कर अनु की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं l उसकी यह दसा देख कर नीरा के चेहरे पर एक चमक उभर आता है l

नीरा - (अनु के पास जाकर उससे) हाँ... बस यही... हाँ यही तेरे चेहरे पर देखना चाहता था... हैरान... डर और परेशान... (कह कर उसके मुहँ से पट्टी निकाल देता है) अब क्या बोलेगी... एक बार तुझे भुवनेश्वर से बाहर ले चलूँ... फिर तु सोच भी नहीं सकती तेरे साथ क्या क्या करूँगा...
अनु - (बड़े गुरूर के साथ) कुछ नहीं कर पाओगे... तुम कुछ देर के लिए इस भ्रम में रहोगे की तुमने मुझे भुवनेश्वर से बाहर निकाल दिया... पर देखना तुम ही गिड़गिड़ा कर मुझे वापस बुलाओगे....

नीरा गुस्से से अनु के मुहँ पर पट्टी लगा देती है l मंगू और मल्ला की ओर देखते हुए कहता है l

नीरा - इसकी हिम्मत और इसका विश्वास हद से ज्यादा है... यही वज़ह है कि मैं अब तक इसके साथ कुछ किया नहीं है... इसकी हिम्मत और विश्वास को टूटते देखना चाहता हूँ... ले जाओ इसे...

मंगू और मल्ला दोनों आते हैं अनु को लेकर जाने लगते हैं l अनु भी किसी तरह का कोई विरोध नहीं करती l उनके साथ बाहर चली जाती है l

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सुबह के करीब चार बज रहे थे l
सुंढी साही बस्ती से कुछ दुर पर एक बड़े से बरगत के पेड़ के नीचे एक काली रंग की वैनिटी वैन खड़ी हुई है l ऐसा लगता है जैसे कोई न्यूज एजेंसी की ट्रांसमिशन वैन है l वैन के ऊपर रेडार लगा हुआ है l गाड़ी के अंदर सिर्फ तीन लोग बैठे हुए थे, जोडार, विश्व और वीर l

जोडार - (विश्व से) तुम्हें लगता है... पुलिस आ जाएगी...
विश्व - मुझे सतपती जी पर भरोसा तो है... पर...
जोडार - पर... यह पर क्यूँ...
विश्व - जोडार सर... हम जितना प्लानिंग कर रहे हैं... वे लोग भी उतना ही अपने प्लानिंग में होंगे... मैं नहीं चाहता... पुलिस आने तक अनु को किसी तरह से बस्ती से निकालने कोशिश की जाए...
जोडार - ह्म्म्म्म...
विश्व - पर जोडार सर... आप खामखा हमारे साथ आए... किसी ऑपरेटर को भेज देते.. तो काम बन सकता था...
जोडार - ओये... मैं एक एक्स सर्विस मेन हूँ... मुझे मत सिखाओ... मुझे क्या करना चाहिए... वैसे भी... चूंकि तुम डायरेक्टली इंवॉल्व हो... इसलिए अपने मैं भी तैयार हो गया...
विश्व - फिर भी... यह सब गैजेट्स... आप ऑपरेट करेंगे...
जोडार - देखो विश्व... तुम मेरे अपने... बहुत खास हो... (वीर को दिखा कर) यह तुम्हारा दोस्त है.... पर मेरा... पर्सनल और प्रोफेशनल दुश्मन का बेटा है... पर मजबूरी यह है कि... यह तुम्हारा दोस्त है...
वीर - थैंक्यु... जोडार सर...
जोडार - देखो वीर... बुरा मत मानना... आई एम फ्रोम आर्मी... झूठ बोल नहीं सकता...
वीर - मैं आपका आभार रहूँगा...
जोडार - वेल... मैं मदत भी इसलिए कर रहा हूँ... क्यूंकि बात एक लड़की की भी है... सो योंग मेन... अब आगे क्या करना है...
विश्व - सर... आपके गैजेट्स के मदत से मैं... बस्ती के अंदर छुपके छुपाते हुए जाऊँगा... और अनु तक पहुँचने की कोशिश करूँगा....
जोडार - गुड... आइडिया बुरा नहीं है... पर खतरा है...
विश्व - मैं उसके लिए तैयार हूँ... आप बेफिक्र रहें... मैं निपट सकता हूँ...
वीर - नहीं प्रताप... बस्ती के अंदर जाऊँगा तो मैं..
विश्व - देखो वीर... तुम इस मामले में कच्चे हो... तुम्हारी एक गलती... उन्हें ना सिर्फ अलर्ट कर देगी... बल्कि तुम्हें खतरे में डाल देगी...
वीर - नहीं प्रताप... मुझ पर यकीन करो... अनु को सिर्फ मैं ही ढूंढ सकता हूँ... मेरी दिल की धड़कन उसकी पता लगा लेगी... तुम बस.. बाहर से जो मदत हो सके वही करो...
विश्व - पर वीर...
वीर - प्लीज प्रताप... यह मेरे प्यार का... और अनु की मुझ पर विश्वास का इम्तिहान है... अगर कामयाब रहा... तो प्यार जीतेगी... अगर हार भी गया तो... प्यार हारेगी नहीं... पर विश्वास जीत जाएगा... प्लीज...
विश्व - तो चलो हम मिल कर चलते हैं...
वीर - नहीं प्रताप नहीं... यह जंग मेरा अपना है... इसे मुझे ही लड़ने दो... तुम्हें अपने प्यार का वास्ता... तुम्हें अपनी शेरनी का वास्ता... प्लीज... आज एक आशिक को... अपने प्यार के लिए... दुनिया से लड़ जाने दो...

विश्व कुछ कह नहीं पाता, बस छटपटा कर रह जाता है l उसके कंधे पर हाथ रखते हुए जोडार कहता है

जोडार - वीर सही कह रहा है विश्व... लेट हीम गो... उसे जाने दो... यह वीर और अनु विश्वास की परिक्षा है...
विश्व - ठीक है... अगर आप दोनों का यही मानना है... तो यही सही... पर मेरी भी एक शर्त है...
वीर - कहो...
विश्व - देखो गैजेट्स के मदत से... तुम्हें अलर्ट करने के साथ साथ... रास्ता भी बताता रहूँगा... पर जैसे ही मुझे आभास होगा... तुमसे सिचुएशन नहीं संभालेगा... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - प्रताप... बात अगर मार पीट की है... तो मैं हर सिचुएशन को संभाल सकता हूँ...
विश्व - वह मैं कुछ नहीं जानता... जब मुझे लगेगा के तुम फंस गए हो... बाहर नहीं निकल सकते... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - ओके...

विश्व वीर को एक ब्लू टूथ वाली कंपनी के इयर बड देता है l वीर उसे कान में लगा लेता है l वीर अपने जेब में एक फोल्डिंग रॉड को निकाल कर चेक करता है और फिर अपनी आस्तीन में वापस रख लेता है l उसके बाद विश्व और वीर दोनों वैन से उतरते हैं l विश्व एक हाथ घड़ी वाली माइक निकाल कर कलाई पर बाँधता है l विश्व उस घड़ी को ऑन करता है l

विश्व - हाँ... जोडार साहब... हम रेडी हैं... आप पतंग उड़ाईये...

विश्व का इशारा पाते ही जोडार अपने गाड़ी के सिस्टम में एक लिवर दबाता है l तभी गाड़ी के ऊपर से कुछ छोटे छोटे ड्रोन्स उड़ने लगते हैं l कुछ ऊंचाई पर ड्रोन्स अपनी दिशाएँ बदल कर बस्ती के उपर उड़ने लगते हैं l

जोडार - (विश्व से) क्या वीर तुमसे कनेक्ट है...
विश्व - हाँ...
जोडार - उसे कहो वैन के बायीं ओर सीधे जाए और...
विश्व - वीर तुम अपनी बायीं ओर सीधे जाओ... तीसरे पोल के पास... वहाँ पर पहरेदारी पर आदमी गायब है...
वीर - ओके..

कह कर वीर भागने लगता है l तीसरे पोल के पास एक संकरी गली दिखती है l वीर उस गली में घुस जाता है l विश्व के हाथ में एक टेबलेट मानिटर था l वीर के बदन पर एक ट्रैकर लगा दिया था l इसलिए वीर की मूवमेंट विश्व मॉनीटर से पता कर रहा था l थोड़ी देर बाद विश्व अपनी जगह से वीर के दिशा में चलने लगता है l

जोडार - अखिर तुमसे रहा नहीं गया ना... चल दिए वीर के पीछे...
विश्व - (अपने बाएं कान का इयर बड को म्यूट करता है) हाँ... वीर बेवक़ूफ़ है... अपने इश्क की बेवक़ूफ़ी मैं सूइसाइड करने जा रहा है... मैं उसे ऐसे कैसे जाने दे सकता हूँ... आप बस ड्रोन मॉनीटर से रास्ता बनाइये... और खतरे से आगाह कीजिए... बाकी मैं संभाल लूँगा...
जोडार - हाँ मैं बस देखे जा रहा हूँ... तुम भी वीर को रास्ता बताते हुए अंदर पहुंचने की कोशिश करो... वैसे भी... इस बस्ती में सोचने समझने वाले कम हैं...
विश्व - जी... हमें जो भी करना है... पुलिस के आने से पहले करना है...

विश्व अपने कान का इयर बड को फिर से ऑनलाइन करता है और जोडार के कहे बात को वीर तक पहुँचाते हुए खुद भी अंदर जाने लगता है l अचानक उसे एहसास होता है कि वीर के सामने कुछ लोग खड़े हो गए हैं l विश्व भागते हुए एक जगह पहुँचता है जहां दो लोग हाथ में कटार लिए वीर पर हमला करने के लिए तैयार दिखते हैं l वीर भी उनके सामने खड़ा था l उन दो आदमियों से एक हाथ में कटार को हिलाते हुए वीर पर हमला करता है l
Zabardast update bhai ab dekhna hai veer kaisay Anu tak jaata hai. Aur usko back up support me Vishwa kiya karta hai. Vishwa aqal se kaam lega aur jab Jung ho to Dil aur dimagh dono ka istemal hota hai is wajah se vishwa ka backup role bohat madadgar sabit hoga dekhna yah hoga ki kiya aur kaisay woh waha tak pohach jaatey hain aur sab se main cheez Anu ko bacha patey hai ya nahi.

Lekin ek baat hai aur woh yah ki chahe Anu bachey ha na bachey magar shetrpal ki team me sendh lag chuki hai aur ab baghawat shuru ho jayegi jis ko chingari samjh ker woh log phook mar ke bujhana chah rahey hai woh ab bohat bade danwal me change hoker rahega aur yahi shetrpal samrajya ko jala ker khaak kar dega.
Intezar rahega next update ka.
 

Devilrudra

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👉एक सौ चौंतीसवाँ अपडेट
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विक्रम के चेहरे पर कोई भाव नहीं था l यह खबर सुनने के बाद ना वह चौंका ना ही किसी तरह का कोई प्रतिक्रिया दी l यह देख कर पिनाक थोड़ा हैरान हो जाता है l

पिनाक - क्या बात है युवराज... हमारी सूचना से आप की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई...
विक्रम - आप ऐसा करने जा रहे हैं... यह तो मैं जानता था... वैसे भी आपने राजा साहब से वादा जो किया था... आज ही अनु को ठिकाने लगाने के लिए... पर मैं यह निश्चिंत तौर पर कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - यह आप किस बिनाह पर कह सकते हैं...

इस सवाल पर विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरता है l वह इशारा करता है पिनाक को बैठ जाने के लिए l पिनाक एक कुर्सी पर बैठ जाता है विक्रम उसके सामने बैठ जाता है l

विक्रम - वीर कैसा है... यह आप अच्छी तरह से जानते हैं... वह अगर बेकाबू हो गया... तो वह किसीके भी संभाले नहीं संभलेगा... और आप चाहते हैं कि... वीर आपकी मर्जी से मंगनी भी कर ले और शादी भी... वगैर कुछ विरोध किए... इसके लिए... वीर की कमजोरी को कब्जे में लेना जरूरी था... इसलिए मैं कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - हाँ है तो वह जिंदा... पर ज्यादा देर के लिए नहीं...
विक्रम - आप अभी भी... वीर को हल्के में ले रहे हैं... वीर अनु को ढूँढ निकालेगा...
पिनाक - युवराज लगता है... आप सबसे ज्यादा दुखी हैं... अनु के अगवा हो जाने से...
विक्रम - मैंने आपको बस एक भविष्यवाणी सुनाई...

पिनाक का चेहरा सख्त हो जाता है l जबड़े भींच जाते हैं l मुट्ठीयाँ कस जाते हैं l आँखों के नीचे वाले पेशियों में थिरखन होने लगते हैं l

पिनाक - (दांत पिसते हुए) वीर कुछ नहीं कर पाएगा... उसे एहसास होगा... क्षेत्रपाल उपनाम के वगैर... इस दुनिया में... उसकी कोई हस्ती नहीं है... वीर सिंह नाम का जो बल्ब जल रहा है... उसके अंदर का फ़िल्मेंट क्षेत्रपाल है... उसके वगैर वह एक फ्यूज बल्ब है... जिसकी जगह... गटर के पास वाले कोई कूड़ेदान है... आज वह अकेला होगा... असहाय... बेबस मजबूर... हम जिस दुनिया को झुकाते हैं... कुचलते हैं... जीतते हैं... राजकुमार उसी दुनिया का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं...
विक्रम - आप ऐसा क्यूँ चाहते हैं... वीर आपका बेटा है... कहीं ऐसा ना हो... की आप दुनिया को जीतते के गुमान में... अपनी ही दुनिया ना हार जाएं...
पिनाक - मैं उसे वीर सिंह नहीं... वीर सिंह क्षेत्रपाल बनते देखना चाहता हूँ... लड़कियाँ उसकी कमजोरी तो हों... पर कोई एक लड़की उसकी कमजोरी ना बन जाएं...
विक्रम - अनु उसकी जिंदगी है...
पिनाक - और मुझे वह ना पसंद है...
विक्रम - छोटे राजा जी... आप हमेशा... राजा साहब के कहे मानते रहे... एक बार आप अपने लिए... वीर की बात मान लेते...
पिनाक - राजकुमार ने हमसे माँगा ही कब...
विक्रम - आपने मौका दिया ही कब....

कुछ देर के लिए पिनाक चुप हो जाता है l फिर अचानक से उठ कर जाने लगता है l उसे जाता देख विक्रम भी उठ खड़ा होता है l जाते जाते पिनाक दरवाजे के पास रुक जाता है l

पिनाक - आज कल आपकी बातेँ चुभ नहीं रहे हैं युवराज... कलेजा छलनी कर रही है... खैर राजकुमार को संभाल कर... उन्हें मंगनी के लिए तैयार करना अब आपके जिम्मे है...
विक्रम - जी मैं कोशिश करूँगा... पर शायद उसकी नौबत ना आए...
पिनाक - (विक्रम की ओर घुम जाता है) क्या... (जैसे खिल्ली उड़ते हुए) आपको लगता है... राजकुमार उस बदजात को ढूँढ लेगा...
विक्रम - हाँ...
पिनाक - युवराज... हम मानते हैं... आप राजकुमार के बहुत करीब हैं... इसलिए राजकुमार का दर्द आपको बर्दाश्त नहीं हो रहा... पर खुद को यह झूठी तसल्ली देना बंद करें...
विक्रम - (चुप रहता है)
पिनाक - युवराज... हमने राजकुमार की हर हरकत की खबर रखा करते थे... पर कभी सोचा नहीं था... एक लड़की के लिए वह पागल भी हो सकते हैं... उन्हें कम तकलीफ हो... इसीलिए हम सब पास नहीं हैं... जब हम पहुँचेंगे... उनको एक कंधे की दरकार होगी... वह कंधा आप बनेंगे...
विक्रम - दर्द भुला भी नहीं होगा... और आप उसी दिन उसकी मंगनी कराने की सोच रहे हैं...
पिनाक - हाँ... अच्छे से मान गया तो ठीक... वर्ना... उस लड़की की नाजुक हालत दिखा कर ही सही... यह मंगनी और शादी करा देनी है...
विक्रम - मुझे खेद है... ऐसा कुछ भी नहीं होगा...
पिनाक - (अपना भवां टेढ़ा कर) कहीं आपने कुछ...
विक्रम - नहीं.. मैंने कुछ भी नहीं किया... उसकी नौबत ही नहीं आई... सच तो यह है कि... वीर ने मुझे कुछ करने के लिए मौका दिया ही नहीं...
पिनाक - उसके साथ हम में से कोई भी नहीं है.... सच तो यह है कि... उसके साथ उसका अपना साया तक नहीं है...
विक्रम - उसके साथ उसका दोस्त है...
पिनाक - (हैरानी के साथ) दोस्त...
विक्रम - हाँ... दोस्त... अभी आप कह रहे थे... आप वीर की सारी ख़बरें रखा करते थे... फिर दोस्त की बात आपसे कैसे छूट गया....
पिनाक - कौन दोस्त... कैसा दोस्त...
विक्रम - वह दोस्त.. जो वीर के साथ चट्टान जैसा खड़ा है...
पिनाक - कौन है... क्या किया है....

विक्रम टीवी का मोबाइल उठाता है और टीवी को फिर से ऑन करता है l पिनाक देखता है नभ वाणी न्यूज चैनल पर न्यूज क्लिप चल रहा था l जिसमें एक एंकर के बगल में एक विंडो में दिख रहा था कुछ औरतें किसी ऑफिस की घेराव किए हुए हैं l उन महिलाओं के पास न्यूज रिपोर्टर और पुलिस वाले खड़े हैं l विक्रम टीवी का वॉल्युम बढ़ाता है l

" आज की ब्रेकिंग न्यूज में मैं सुप्रिया रथ आप दर्शकों का स्वागत करती हूँ... जैसा कि आप दर्शक अवगत होंगे कुछ घंटों पहले राजधानी में एक काम काजी महिला का सिटी हस्पताल से अपहरण हो गया है... उन महिला का नाम है अनुसूया दास... अनुसूया जी की दादी जी के कंप्लेंट पर पुलिस की ढुलमुल रवैये से दुखी हो कर वाव की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति जी से मदत मांगी... घटना को जानने के पश्चात प्रतिभा जी पुलिस की कारवाई पर सवाल उठा कर कमिश्नरेट का अपने कुछ कार्यकर्ताओं के सहित घेराव किया है... हमारी संवाददाता निधि उनके विचार जानने के लिए उनके निकट गई हुई हैं... आइए जानते हैं आगे क्या करने की उनकी विचार है...

निधि - धन्यवाद सुप्रिया... जैसा कि जानते हैं... पहली बार ऐसा हुआ है कि सिटी हस्पताल के परिसर से... एक लड़की का अपहरण हुआ है... और सबसे खास बात... वह लड़की ESS से संबंधित है... इसलिए तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं... पर पुलिस महकमा कह रहा है... वे अपने काम कर रहे हैं... पर उनके काम से वर्किंग वुमेन एसोसिएशन ऑफ ओडिशा की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति इत्तेफ़ाक नहीं रख रहीं हैं... आइए जानते हैं उनसे उनके विचार... जी प्रतिभा जी...
प्रतिभा - देखिए... हम पुलिस की कारवाई से नाखुश हैं... लड़की दुपहर से लापता है... जब कि पुलिस शाम की बात कर रही है... इसलिए हमें पुलिस की मंशा पर शक हो रहा है...
निधि - क्या इसलिये अपने कमिश्नरेट का घेराव किया है...
प्रतिभा - नहीं हमने कोई घेराव नहीं किया है... हम वाव के तरफ़ से कुछ ही कार्यकर्ता कमिश्नरेट के सामने प्रदर्शन मात्र कर रहे हैं... पर कल सुबह तक अगर लड़की लापता रही... तो कल से यहाँ कमिश्नरेट के सामने कामकाजी महिलाओं का जामावड़ा शुरु होगी... इसके लिए... राज्य की कानून मंत्रालय और कमिश्नर जिम्मेदार होंगे...

तभी एक एसीपी कुछ ऑफिसरों के साथ प्रतिभा सेनापति के पास आता है l निधि यह देख कर उस एसीपी से मुखातिब होती है

निधि - यह रहे पुलिस ऑफिसर... शायद कमिशन ऑफिस से कोई सूचना लेकर आए हैं... जी सर
एसीपी - जी मैं... एसीपी सुभाष सतपती... आप गण माध्यम के जरिए... पुलिस प्रशासन के तरफ से यह आश्वासन दे रहा हूँ... हम पुरी कोशिश करेंगे... अगवा हुई लड़की को जितनी जल्दी हो सके ढूँढ कर आपके समक्ष लाएंगे... "

पिनाक पास रखे एक फ्लावर वॉश को उठा कर टीवी पर दे मारता है l टीवी का स्क्रीन फट जाता है और धुआं निकलने लगता है l विक्रम पिनाक की ओर देखता है

पिनाक - यह सब कैसे... राजकुमार वीर ऐसे कैसे सोच सकता है... उस औरत... प्रतिभा के पास वह पहुँचा कैसे...
विक्रम - अब आप बेबस.. असहाय लग रहे हैं...
पिनाक - हमें बेबस कर सके किसी में दम नहीं...

इतना कह कर पिनाक अपना मोबाइल निकाल कर कानून मंत्री सुजीत जेना को फोन लगाता है l पर उसका फोन लगता नहीं है l खीज कर वह बल्लभ को फोन लगाता है l

पिनाक - प्रधान... वहाँ पर क्या हो रहा है...
बल्लभ - छोटे राजा जी... यहाँ बात कुछ बिगड़ रहा है... फिर भी मैं और कमिश्नर संभालने की कोशिश कर रहे हैं...
पिनाक - क्या खाक कोशिश कर रहे हो... एक मामुली दो कौड़ी की लड़की के लिए... मीडिया और वाव... कमिश्नरेट का घेराव हो रहा है... इस औरत के पास वीर पहुँचा कैसे...
बल्लभ - यह तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है... उन्हें यह आइडिया दिया किसने... और इतनी जल्दी एक्शन में भी आ गए...
पिनाक - मैं कुछ नहीं जानता... तुम कैसे और किस तरह से मैनेज करोगे... पर पुलिस और प्रशासन का कोई भी दखल नहीं होनी चाहिए...
बल्लभ - मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा... पर पुलिस ने सारे शहर में नाकाबंदी लगा दी है... आप उनसे कहिये... किसी भी तरह से... या तो शहर से गायब हो जाएं... या फिर अंडरग्राउंड हो जाएं...
पिनाक - आआआहहह... (फोन काट देता है और विक्रम की ओर देखने लगता है) यह कौन दोस्त है... वीर को मिल गया है...
विक्रम - एडवोकेट प्रतिभा सेनापति को जानते हैं आप...
पिनाक - अच्छी तरह से... सेनापति दंपती के बारे में...
विक्रम - तो आपको यह भी मालुम होगा... उनका एक मुहँ बोला बेटा है....

पिनाक की आँखे हैरत से बड़ी हो जाती हैं l मुहँ खुला रह जाता है l अविश्वास के भाव से विक्रम की ओर देखने लगता है l

पिनाक - नहीं... यह नहीं हो सकता... हमारे दुश्मन से... वीर की दोस्ती... विश्वा से वीर की दोस्ती.....

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द हैल
वीर को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं, सुषमा आगे बढ़ती है और वीर के गले लग जाती है l वीर भी उसके गले लग जाता है l सुषमा सुबक रही थी पर वीर शांत था l उसका चेहरा जैसे कुछ आने वाले तूफान या जलजले का संदेश दे रहा था, यह बात रुप को साफ एहसास हो रहा था l

रुप - भैया... माँ... प्लीज बैठ जाइए ना...

रुप के इतने कहने से दोनों अलग होते हैं l वीर सुषमा को लाकर सोफ़े पर बिठा देता है l सुषमा वीर की ओर देखते हुए पूछती है

सुषमा - यह क्या हो रहा है वीर...
वीर - माँ शांत... तुम पहले अपनी बताओ...
सुषमा - वीर... मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... मुझे आज अचानक से बुलावा आया कि मुझे भुवनेश्वर तुम लोगों के पास पहुँचना है... मैं नर्सों और डॉक्टरों की टीम को बड़े राजा जी को देखभाल के लिए लगा कर आ गई... यहाँ पहुँचने के कुछ ही समय पहले जानकारी मिली... के कल तुम्हारी मंगनी है... मुझे हैरत हुई... पर धक्का तब लगा... जब यह खबर मिली कि... हमारी अनु को अगवा कर लिया गया है... यह क्या हो रहा है...
वीर - माँ... यह क्षेत्रपाल मर्दों की ना मर्दानगी है...
सुषमा - क्या.. क्या मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...
वीर - अनु को छोटे राजा जी ने उठवाया है...
सुषमा - क्या... (उछलकर उठ खड़ी हो जाती है)

ऐसा ही हाल रुप और शुभ्रा का भी था l हैरानी और अविश्वास से तीनों का चेहरा सन्न था l रुप और शुभ्रा आँख और मुहँ फाड़े कभी एक दुसरे को कभी वीर और सुषमा को देखे जा रहे थे l

सुषमा - यह तु क्या कह रहा है...
वीर - (एक टूटी हुई हँसी हँसते हुए) इसमें अविश्वास ना कर पाने वाली बात क्या है माँ...
सुषमा - (मुश्किल से) जिंदा है...
वीर - हाँ.. शायद...
सुषमा - हाँ शायद... मतलब...
वीर - जिंदा इसलिये... की मैं जिंदा हूँ... पर आज छोटे राजा जी ने... मुझे सच में मार दिया...
रुप - ऐसे क्यूँ कह रहे हो भैया...

वीर कोई जवाब नहीं देता l एक गहरी साँस लेते हुए उठ खड़ा होता है l रुप की ओर देखता है l

रुप - तुमने कोई जवाब नहीं दिया...
वीर - (शुभ्रा की ओर देख कर) आप कुछ नहीं पूछेंगी भाभी...
शुभ्रा - मैं क्या पूछूं... मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहा है... तुम्हारा मंगनी है... और अनु का अगवा कर लिया गया है...

वीर अपनी माँ की तरफ देखता है l सुषमा स्तब्ध सी चेयर पर धप से बैठ जाती है, जैसे उसे गहरा सदमा लगा है l वह खोई खोई सी लग रही थी

वीर - माँ...
सुषमा - (चौंक कर) हाँ... (वास्तविकता में लौटते हुए) हाँ...
वीर - क्या हुआ...
सुषमा - यह क्या हो रहा है... क्षेत्रपाल किसीको अपने रास्ते से हटाना चाहें तो... कहाँ नामुमकिन है... फिर ऐसे अनु को उठवाने का क्या मतलब... वह भी दुनिया को बता कर...
वीर - दुनिया में किसी को कुछ भी नहीं पता... इस साजिश के पीछे क्षेत्रपाल हैं... यह तो मुझे किडनैपर ने बताया है...
शुभ्रा - तो उसने जरूर झूठ बोला होगा...
वीर - नहीं... उसने सच कहा है...
रुप - यह तुम कैसे कह सकते हो...

वीर विक्रम की चिट्ठी की जिक्र करते हुए बताता है कैसे उसके ऑफिस में हर विभाग के इंचार्ज सभी कलकत्ता गए हुए हैं l यह सब सुन कर तीनों और भी हैरान होते हैं l

सुषमा - हे भगवान... यह कैसी हैवानियत है... अपनी ही औलाद के खिलाफ... (सुबकते हुए) मैं तेरे... अनु के और अनु की दादी की गुनाहगार हूँ वीर... मैं अब किस मुहँ से अनु के और उसकी दादी का सामना कर पाऊँगी...
वीर - माँ... मुझे कभी क्षेत्रपाल होने का गुरूर था... पर अनु के आगे मेरा वह गुरुर बहुत बौना हो जाता था... मैंने ता उम्र अपने गुरुर के चलते सिर्फ दुश्मन ही दुश्मन कमाए हैं... पर अनु के मेरी जिंदगी में आने के बाद... मुझे सच्चा प्यार और एक सच्चा दोस्त मिला है... आज उसी दोस्त के मदत से मैं अनु को ढूंढने जा रहा हूँ...
सुषमा - (थोड़ी अचरज के साथ) दोस्त...
वीर - हाँ माँ दोस्त... आज मेरे साथ... ना मेरे अपने हैं... ना ज़माना है... ना भगवान... ना मेरा अपना साया है... पर इस हालत में भी.. मेरा दोस्त मेरे साथ खड़ा है... जब भी मैंने उसे आवाज दी.. वह मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया... आज जब मुझे किसी की साथ की जरूरत थी... तब वही मेरे सामने आकर खड़ा हो गया... अब मुझे ऐसा लगता है कि... मैं दुनिया से टकरा सकता हूँ... दुनिया बदल सकता हूँ...

वीर इतना कह कर फिर चुप हो जाता है l तीनों ध्यान से वीर को सुन रहे थे l खामोशी ऐसी थी के किसी में हिम्मत ही नहीं हो रही थी खामोशी तोड़ने के लिए l फिर भी कुछ देर के बाद

शुभ्रा - वीर... जानते हो ना... कल शाम साढ़े सात बजे xxxx होटल में... तुम्हारा मंगनी करा दी जाएगी...
वीर - जानता हूँ...
रुप - फिर यह सब...

वीर सुषमा की ओर देखता है, सुषमा उसे डबडबाई आँखों से देख रही थी l ऐसा लग रहा था जैसे वह कहना और पूछना बहुत कुछ चाह रही थी पर उसका जुबान साथ नहीं दे रही थी l

वीर - माँ... तुमने अनु की दादी से जो वादा किया है... वह नहीं टुटेगी... कल उसी समय... उसी होटल में... मैं पुरी दुनिया के सामने ऐलान करूँगा... के अनु ही मेरी जीवन साथी होगी... चाहे कुछ भी हो जाए...
सुषमा - मुझे डर है... कहीं क्षेत्रफ़ल के अहंकार के चलते... अनु को कुछ हो ना जाए...
वीर - अगर अनु को कुछ हो गया... तो वीर भी नहीं रहेगा...
सुषमा - क्या... (एक झटके के साथ चेयर से उठ खड़ी होती है)
वीर - हाँ माँ...
शुभ्रा - वीर... तुम यह कैसी बातेँ कर रहे हो... वह भी अपनी माँ के सामने... जिन्होंने ना जाने कितनी दुआएँ माँगी होंगी... तुम्हारी लंबी उमर के लिए...
वीर - जानता हूँ भाभी..
रुप - फिर भी माँ का दिल दुखा रहे हो...
वीर - आप सब जानते हैं... अनु के साथ यह हादसा... बताने के लिए काफी है... के वह कभी भी... क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी नहीं जाएगी... इसलिए मैं यह कहने आया हूँ... की आज के बाद इस घर में... या राजगड़ में... मेरा आना जाना तभी होगा... जब अनु क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी जाएगी....

यह बात एक बिजली की तरह तीनों पर गिरती है l तीनों भौंचके हो जाते हैं और एक दुसरे के मुहँ को ताकने लगते हैं l सुषमा धप से चेयर पर बैठ जाती है l

शुभ्रा - वीर... तुम होश में तो हो... जानते हो क्या कह रहे हो...
रुप - देखो माँ को कितना गहरा सदमा पहुँचा है...
वीर - (फिर से अपनी माँ के आगे झुक जाता है) माँ... मैं जानता हूँ... तुमको... बल्कि... आप सब लोगों को तकलीफ होगी... पर सच्चाइ यही है... की आप में से कोई क्षेत्रपाल के खिंचे लकीर लांघ नहीं सकता... और मैं नहीं चाहता... मेरी और क्षेत्रपाल के अहंकार के टकराव के बीच मेरा अपना कोई पीस जाए... इसलिए आज आप लोगों से मैं इजाजत लेने आया हूँ...


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अपने कमरे में चहल कदम करते हुए पिनाक अपनी हाथ की मुट्ठी बना कर दुसरे हाथ पर मार रहा था l उसके चेहरे पर बैचैनी साफ झलक रहा था l सारी दुनिया सो रही थी पर उसके आँखों में नींद गायब था l अचानक वह टेबल लैम्प के पास रखे अपना मोबाइल उठाता है और एक नंबर पर डायल करता है l

@ - (उबासी लेते हुए) हैलो छोटे राजा जी... कहिए... इतनी रात गए कैसे याद किया...
पिनाक - बे कुत्ते... हरामी साले... जब सारा भुवनेश्वर जाग रहा है... तु कैसे चैन से सोया हुआ है...
@ - क्यूँ छोटे राजा जी क्या हो गया....
पिनाक - हराम जादे... उस लड़की को कहाँ पर रखा है... तुम ने...
@ - छोटे राजा जी... आप भुल रहे हैं... किडनैप मैंने नहीं किया है... करवाया है... आपने ही कहा था... यह काम किसी ऐसे इंसान से करवाने के लिए... जिसका क्षेत्रपाल परिवार से दुर दुर से वास्ता ना हो... अगर हो तो दुश्मनी हो... और मैंने ऐसा ही किया है... इस कांड में... आपके या आपके परिवार का नाम बिल्कुल नहीं उछलेगा...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... पर हम यह भी चाहते थे... वह लड़की फिर कभी दिखे ही ना...
@ - वह लोग हैं ही ऐसे... वह लोग उस लड़की को... ना जाने कितनी बार बेचेंगे.... और फिर उसकी ऑर्गन बेच कर किसी कोने में दफना देंगे....
पिनाक - पर अब उस लड़की को पुलिस ढूँढ रही है...
@ - सॉरी छोटे राजा जी... यह काम आपने मुझे नहीं दी थी... और यह काम मेरे बस की है भी नहीं... आपने इसे जिसके बस की कही थी... उसे ही तो आपने सौंपा रखा है...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... तुमने अपना काम करदिया है... क्या... (थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है)
@ - पूछिये छोटे राजा जी... पूछिये... आपको किस बात का डर है...
पिनाक - अपनी जुबान पर लगाम दे कुत्ते... डर हम से डरता है... हम तो बस यह तसल्ली करना चाहते हैं... तुमने जिसे काम सौंपा है... कहीं पुलिस के डर से उस लड़की को छोड़ ना दे...
@ - आप घबराईये मत छोटे राजा जी... जिसे यह काम सौंपा गया है... या तो वह उस लड़की को बेच देगा... या फिर मार देगा... पर छोड़ेगा नहीं... आप बस अपने प्रधान बाबु से पुलीस कारवाई पर तसल्ली कर लीजिए...
पिनाक - ठीक है....
@ - तो क्या अब मैं सो जाऊँ... (उबासी लेते हुए) बड़ी जोर की नींद आ रही है....
पिनाक - हूँ... सो जा...

कोई जवाब नहीं मिलता l पिनाक फोन पर देखता है कॉल कट हो चुका था l पिनाक की जबड़े सख्त हो जाते हैं l वह बल्लभ को फोन लगाता है

बल्लभ - हे हैलो...
पिनाक - (गम्भीर आवाज में) यह हम न्यूज में क्या देख रहे हैं...
बल्लभ - सॉरी छोटे राजा जी... हमने ऐसा बिल्कुल सोचा भी नहीं था... मैंने कमिश्नर से और जेना बाबु से बात कर... अगवा हुई उस लड़की की तलाश की तफ्तीश को भटकाने और देर करने के लिए राजी करा दिया था... उस काम के लिए... टीम भी बना दिया गया था... पर...
पिनाक - ह्म्म्म्म... आगे बोलो... हम तुम्हारे मुहँ से सुनना चाहते हैं...
बल्लभ - पता नहीं कैसे... अनु की दादी उस एडवोकेट प्रतिभा सेनापति के पास पहुँच गई... अब कानून मंत्री सुजीत जेना और कमिश्नर पर बहुत प्रेसर है...
पिनाक - मतलब...
बल्लभ - जी मैं कमिश्नर जी से बात कर रहा था... अगर इस मामले में मीडिया नहीं घुसती तो कुछ कर सकते थे... पर अब यह डिपार्टमेंट की इज़्ज़त पर बात आ गई है... इसलिए वह अब उस लड़की को ढूंढने की पुरी कोशिश करेंगे...
पिनाक - आ आ आह्य... देखो मैं कुछ नहीं जानता... राजा सहाब के सामने मेरी गर्दन झुकनी नहीं चाहिए... तलाश के काम में जितनी देर हो सके करवाओ... जहां पर जितना पैसा लगे... खिलाओ... पर लड़की मिले तो कल नहीं... परसों या किसी और दिन मिले... बस वह जिंदा ना मिले उसका इंतजाम मैं करवाऊंगा...

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अस्सिटेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस सुभाष सतपती अपनी जिप्सी के अंदर उतरता है और चले हुए एक चेक पोस्ट पर पहुँचता है l उसे देखते ही पोस्ट पर तैनात सभी पुलिस वाले उसे सैल्यूट ठोकते हैं l

सतपती - कैसा चल रहा है अब तक...
एक संत्री - हम सभी को चेक कर रहे हैं सर...
सतपती - गुड...

इतना कह कर सतपती अपनी गाड़ी में आकर बैठता है और गाड़ी स्टार्ट कर वहाँ से चल देता है l गाड़ी कुछ देर बाद एनएच के एक ढाबा 24/7 पर रुकती है l गाड़ी से उतर कर वह एक केबिन में घुस जाता है l केबिन के अंदर विश्व बैठा हुआ था l

सतपती - मुझे ज्यादा देर तो नहीं हुई...
विश्व - नहीं... आइए सतपती सर... बैठिए...
सतपती - (बैठते हुए) अकेले हो...
विश्व - फ़िलहाल... अभी दो और लोग आयेंगे...
सतपती - एक को मैं गेस कर सकता हूँ... वीर... वीर सिंह क्षेत्रपाल... यह दुसरा कौन है..
विश्व - उसे आने दीजिए... मिल लीजिएगा... वैसे मेरे बुलाने पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...
सतपती - क्या करें... सेनापति सर का हुकुम था... और मुझ पर तुम्हारा एहसान भी तो बहुत है... तुम्हारे ही किए क्रेडिट के वज़ह से आज इस पोस्ट पर हुँ...
विश्व - आप खुश नहीं लग रहे हैं...
सतपती - ऐसा नहीं है विश्व... सेनापति सर के कहने से मैं... अपना ट्रांसफ़र और प्रमोशन दोनों स्वीकार किया... इनाम के तौर पर देहरादून में आईपीएस ट्रेनिंग भी मिला... पर पोस्टिंग देखो... फिल्ड के बजाय इंटेलिजंस विंग में डाल दिया... दिन भर फाइलें छानता रहता हूँ... और कमिश्नरेट के तरफ से... मीडिया का स्पोक पर्सन बन गया हूँ... रही तुम्हारी बात... मैं तुमसे कभी शिकायत नहीं रख सकता यार... खैर यह जो हो रहा है.. मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... तुम और वीर सिंह... (चुप हो जाता है)
विश्व - मेरा दुश्मन भैरव सिंह है... और वीर सिंह मेरा दोस्त है...
सतपती - तो तुम इस तरह से... बदला ले रहे हो...
विश्व - नहीं... यह इत्तेफाक है कि भैरव सिंह मेरा दुश्मन और उसका भतीजा मेरा दोस्त... और मेरी रीढ़ की हड्डी इतनी कमजोर नहीं... भैरव सिंह से बदला लेने के लिए... मुझे उसके भतीजे के ओट लेना पड़े...
सतपती - क्या वीर सिंह... तुम्हारे और भैरव सिंह के बारे में जानता है...
विश्व - हाँ... उस दुश्मनी से इस दोस्ती का कोई वास्ता नहीं है... भैरव सिंह के लिए इतना खुन्नस है कि मैं उसका जान ले सकता हूँ... पर वीर सिंह के लिए दोस्ती इतनी पक्की है कि... मैं उसके लिए जान दे सकता हूँ...

विश्व की जवाब सुन कर सतपती चुप हो जाता है l तभी केबिन में वीर आता है और एक कुर्सी खिंच कर दोनों के साथ बैठ जाता है l विश्व देखता है वीर थोड़ा खोया खोया सा लग रहा था l

विश्व - क्या हुआ वीर...
वीर - कुछ नहीं... (सतपती की ओर देख कर) आपकी तारीफ...
सतपती - मैं विश्व का दोस्त... एसीपी सुभाष सतपती...
वीर - ओ.. थैंक यु... (विश्व की ओर देख कर) तो...
विश्व - एक मिनट वीर... मेरा एक और दोस्त आ रहा है... उसे आने दो...

तभी कमरे में एक और शख्स आता है l तीनों को बारी बारी से सलाम ठोकता है l उसे देख कर सतपती हैरान होता है l

सतपती - तुम...
शख्स - (हँसते हुए) जी...
सतपती - (विश्व की ओर देखते हुए) यह यहाँ कैसे...
विश्व - (उस शख्स से) तुम यहाँ बैठो लल्लन... (लल्लन बैठ जाता है, विश्व सतपती से) आप जिस दुसरे की बात कर रहे थे... यह यही है... इस केस में... इसकी मदत भी बहुत जरूरी है...
सतपती - (लल्लन से) तु भुवनेश्वर में कैसे...
लल्लन - जब भाई बुलाते हैं... मैं उनकी सेवा में हाजिर हो जाता हूँ....
विश्व - ओके... हम उस बात पर जिसके लिए यहाँ आए हैं... सतपती जी आप के पास क्या जानकारी है...
सतपती - पहली बात... मैंने सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर कुछ फोटोस लाया हूँ... इस किडनैपिंग के पीछे यही लोग हैं...

इतना कह कर मोबाइल निकाल कर दो शख्सों की फोटो निकाल कर दिखाता है l विश्व लल्लन को वह फोटो देखने के लिए कहता है l लल्लन उन फोटोस को गौर से देखता है

लल्लन - यह लोग नीरा के आदमी हैं..
सतपती - हाँ बिल्कुल...
विश्व - (वीर से, फोटो दिखा कर) वीर... क्या इन्हें जानते हो या इनके बॉस नीरा को... (वीर अपना गर्दन हिला कर ना कहता है)
सतपती - राजकुमार जी को याद ना हो शायद... पर...
वीर - (टोकते हुए) एक मिनट एसीपी सर... मुझे आप वीर कहिये... (सतपती उसे हैरानी भरे नजरों से देखता है) प्लीज... और यह आप आप मत कहिए... मैं अभी अभी आप वाली औकात से बाहर आया हूँ... तुम कहिये... या तु भी कह सकते हैं...
सतपती - ओके... तो वीर... तुम्हें मालुम होना चाहिए... नीरा आइकन ग्रुप से जुड़ा हुआ था... केके ग्रुप के साथ टेंडर को लेकर झगड़ा था... इसका भाई सुरा और उसकी महबूबा एक दिन गायब हो गए... और शायद... (कहते कहते रुक जाता है)
वीर - हाँ... हाँ... याद आया... केके की एक बेटी भी थी... यही नीरा और सुरा के डर से... उसकी शादी कर दी थी... और उसे विदेश भेज दिया था...
सतपती - हाँ... बिल्कुल... और पुलिस को लगता है... मिस अनु के किडनैपिंग उसी दुश्मनी के वज़ह से हुई है...

कुछ देर के लिए केबिन में खामोशी छा जाती है l सभी वीर की ओर देखते हैं, वीर अपनी भवें सिकुड़ कर सोच में था l विश्व बात को आगे बढ़ाते हुए

विश्व - तो सतपती जी... अगर पुलिस के पास इतनी जानकारी है... तो फिर... कारवाई में इतनी देरी क्यूँ...
सतपती - पता नहीं... पर मुझे जहां तक अंदाजा मिल पा रहा है... महकमे में कोई भी इंट्रेस्टेड नहीं है... इसलिए केस को घुमा रहे हैं... चूंकि अब मीडिया इंवॉल्व हो गई है... खाना पूर्ति के लिए इधर उधर हाथ पैर मार रहे हैं...
विश्व - तो क्या अनु को भुवनेश्वर से बाहर ले गए हैं...
सतपती - नहीं... अनु पक्के तौर पर भुवनेश्वर में ही है... नाकाबंदी बड़ी जबरदस्त है... बस ढूंढने में थोड़ी ढील है...
विश्व - (लल्लन से) तो लल्लन प्यारे... कुछ पता चला पाए...
लल्लन - (बातचीत के दौरान वह मोबाइल पर झुका हुआ था, वैसे ही झुके हुए) भाई दो मिनट... मैंने फोटो देखते वक़्त अपने मोबाइल पर ट्रांसफ़र करवा लिया था... उसे अपने पट्ठों के पास भेज दिया है... खबर मिल जाएगी...

थोड़ी देर बाद उसके मोबाइल पर एक अलर्ट ट्यून बजता है l लल्लन मेसेज पढ़ने के बाद विश्व की ओर देखता है l

लल्लन - भाई... नीरा... बालासोर में था... कुछ ही दिन हुए हैं... वह भुवनेश्वर में आया है... अभी वह सुंढी साही बस्ती में है... और मुमकिन है... अनु वहीँ पर हो... क्यूँकी पुरे भुवनेश्वर में... अनु को छिपाने के लिए... एक वही बस्ती ही सेफ है... जहां पुलिस भी रेड डालने से पहले सौ बार सोचती है...
वीर - (उठते हुए) तो फिर देर किस बात की... चलो चलते हैं...

वीर अकेला खड़ा होता है पर विश्व, सतपती और लल्लन अपनी जगह से नहीं उठते l वीर थोड़ा हैरान होता है l

वीर - क्या हुआ...
सतपती - थोड़ी देर के लिए बैठ जाइए वीर... (वीर बैठता है)
विश्व - (सतपती से) आपका क्या प्लान है...
सतपती - विश्व... तुम्हें शायद अंदाजा हो... यह सुंढी साही बस्ती है... इस बस्ती में... जितने भी लोग रहते हैं... एक से बढ़कर एक छटे हुए बदमाश हैं... गुंडई उन लोगों का खानदानी पेशा है... वहाँ घुसने के लिए... वेल प्रीपेयरड फोर्स चाहिए... और फोर्स लेने के लिए...इंफोर्मेशन पक्की होनी चाहिए...
विश्व - मतलब... आप कुछ नहीं कर सकते...
सतपती - कर तो सकता हूँ... पर... मुझे सुबह तक टाइम चाहिए... ताकि मैं कमिश्नर को... यकीन दिला कर मना सकूँ...
वीर - तब तक... अनु के साथ कुछ भी हो सकता है... उसे कहीं ले भी जा सकते हैं...
विश्व - वीर... हिम्मत रखो... लल्लन तुम्हारा क्या खयाल है...
लल्लन - भाई... सतपती सर सही कह रहे हैं... पर मुझे लगता है... सुबह तक भी देर हो सकती है... वे लोग कोई ना कोई तरकीब लगा कर अनु को भुवनेश्वर से दुर ले जाने की कोशिश करेंगे...
वीर - तो फिर... हम किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं...
विश्व - वीर... शांत रहो... जज्बाती हो कर जल्दबाज़ी में काम ना लो... (सतपती से) ठीक है सतपती जी... यहां तक मदत के लिए शुक्रिया... आप कोशिश कीजिए... किसी तरह सुबह तक... सुंढी साही के बाहर तक फोर्स ले आयें...
सतपती - (उठते हुए) ठीक है फिर... मैं कुछ भी करके... कमिश्नर साहब को राजी कर... एक बटालियन लेकर सुबह तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ...

इतना कह कर सतपती वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद विश्व कुछ सोचने लगता है l उसे सोच में देख कर लल्लन विश्व से पूछता है

लल्लन - क्या बात है भाई...
विश्व - जिस तरह पुलिस सारे शहर की नाकाबंदी कर रखा है... जाहिर है... उस बस्ती में लोग... अपनी बस्ती की पहरेदारी में होंगे...
लल्लन - बिल्कुल भाई... मेरा एक पट्ठा गया है... ख़बर निकाल कर पुरी जानकारी देगा...
वीर - देखा प्रताप... मेरे बाप ने सुपारी दी भी किसे... जिसके साथ हमारी दुश्मनी है... ताकि दुनिया को लगे अनु... हमारी दुश्मनी की चलते किडनैप हुई है...
विश्व - मुझे लगता है... कोई तीसरा भी है... जो खेल रहा है...
वीर - मतलब...
विश्व - मतलब... तुमसे बात करने वाला नीरा नहीं था... कोई और था... जिसने तुम्हारे बाप की सुपारी की बात कही थी...
वीर - वह चाहे कोई भी हो... सुपारी की बात सच है... (एक गहरी साँस लेते हुए) यार प्लीज कुछ करो.. पता नहीं अनु कैसी होगी किस हाल में होगी...

तभी लल्लन की मोबाइल बजने लगता है l लल्लन मोबाइल उठा कर अपने कान में लगाता है l उसकी आँखों में एक चमक दिखने लगता है l कुछ देर मोबाइल सुनने के बाद

लल्लन - भाई... अनु उसी बस्ती में है... शहर की नाकाबंदी देख कर... सुबह सुबह अनु को ले जाने की प्लान बना रहे हैं...

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एक कमरे में अनु कुर्सी पर बैठी हुई है l उसके सामने एक आदमी खिड़की से बाहर देखते हुए सिगरेट पी रहा है l तभी बाहर से एक आदमी आता है और कमरे में खड़ा हो जाता है l उसके आने का एहसास होते ही पहला शख्स अपना सिगरेट खिड़की से फेंक कर उसके तरफ मुड़ता है l

शख्स - क्या बात है मंगू...
मंगू - नीरा भाई... कुछ देर के बाद सुबह हो जाएगी... हम रात में इस लड़की को निकाल नहीं पाए... सुबह कैसे निकलेंगे...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - उसने कहा था... पुलिस का लफड़ा वह सम्भाल लेगा... पर पुलिस ने इस कदर घेरा बंदी की है कि...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - हम बेकार में इस लफड़े में फंस गए...
नीरा - बेकार में नहीं... बस अपना टाइम थोड़ा खराब निकला... पर कोई ना... हम जहां हैं... वहाँ कोई भी आने से पहले सौ बार सोचेगा...
मंगू - भाई... पुलिस को तो नहीं मालुम ना... इसे किसने उठाया है...
नीरा - अब तक मालुम हो चुका होगा...
मंगू - तो... अब इस मुसीबत को हम गले में बाँध कर क्यूँ घूमें... इसे यहीं मार कर निकल जाते हैं ना...
नीरा - मुसीबत इस लड़की के पीछे पीछे आई है... अब उसी मुसीबत से यही लड़की बचाएगी...

यह कह कर नीरा अनु की तरफ मुड़ता है l अनु के चेहरे पर अभी भी खौफ नहीं था l भाव हीन चेहरे पर भवें हल्की सी सिकुड़ी हुई थी l

नीरा - डर नहीं लग रहा तुझे... यह तो मुझे समझ में आ रहा है... पर इस सपाट चेहरे पर जो हैरानी दिख रही है... वह क्यूँ है...
अनु - यही की... मेरा अपहरण के बाद... तुम लोगों की पहली हार... मुझे भुवनेश्वर से दूर नहीं ले जा पाए... आगे हार ही हार है... फिर भी...
नीरा - ऐ लड़की... ज्यादा मत सोच... तेरा मुहँ खुला रखा है तो कुछ भी चपड़ चपड़ मत कर... शुक्र मना अभी तक हमने तेरे साथ कुछ किया नहीं है...
अनु - कुछ करने की सोचना भी मत... इतना तो समझ चुकी हूँ... मैं जिंदा और सलामत अभी तक इसलिए हूँ... क्यूंकि तुम लोगों ने वीर सिंह क्षेत्रपाल से दुश्मनी ली है....
मंगू - तो... तो क्या हो गया... तु वीर सिंह की टाइम पास है जानने के बाद ही तो उठाया है...
नीरा - सुन लड़की... वीर सिंह ने आज से छह महीने पहले... मेरे भाई सुरा और उसकी गर्लफ्रेंड को उठवाकर गायब कर दिया था... उसे वही दर्द और चोट देने के लिए तुझे उठवाया है... शुक्र मना... मेरे बदले की आग में... तु अभी तक जली नहीं...
अनु - अलबत्ता सोचना भी मत... क्यूँकी मुझे खरोंच भी आई... तो मैं खुद को ख़तम कर दूंगी... और इतना तो समझ ही चुकी हूँ... आखिरी मौके पर सौदे बाजी के लिए... मेरा सही सलामत होना जरूरी है... क्यूँकी राजकुमार की जुनून से मुझसे ज्यादा तुम लोग वाकिफ हो...
नीरा - (मंगू से) इसके मुहँ पर पट्टी बाँध दे...

मंगू एक पॉली टेप निकाल कर अनु के मुहँ पर लगा देता है l अनु कोई विरोध नहीं करती l इतने में एक और आदमी कमरे में आता है l

नीरा - क्या है मल्ला...
मल्ला - आपने बुलाया...
नीरा - हाँ...
मल्ला - तो हुकुम करो नीरा भाई...
नीरा - देखो... जहां तक मुझे अंदाजा है... इस लड़की के लिये... पुलिस सुबह तक बस्ती का घेराव करेगी...
मल्ला - तो करने दो ना भाई... पुलिस अंदर आ नहीं पाएगी...
नीरा - जानता हूँ... पर कितनी देर तक...
मल्ला - (चुप रहता है)
नीरा - देखो... मैं क्षेत्रपाल को घुटने पर देखना चाहता हूँ... समझ लो यह मेरी आखिरी जंग है... (अनु की तरफ देख कर) मुझे इस लड़की का घमंड भी तोड़ना है...
मल्ला - तो क्या करना है बोलो भाई...
नीरा - सुबह तड़के बस्ती से कुछ लोग मछली पकड़ने के लिए निकलेंगे... (अनु के तरफ़ देख कर) तुम अपने आदमियों के साथ इसे एक जाल में लपेट कर एक नाव में डाल देना... और दया नदी से हो कर चीलका में चले जाना.... वहाँ से बोट लेकर... चांदबाली पहुँच जाना...

नीरा का यह प्लान सुन कर अनु की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं l उसकी यह दसा देख कर नीरा के चेहरे पर एक चमक उभर आता है l

नीरा - (अनु के पास जाकर उससे) हाँ... बस यही... हाँ यही तेरे चेहरे पर देखना चाहता था... हैरान... डर और परेशान... (कह कर उसके मुहँ से पट्टी निकाल देता है) अब क्या बोलेगी... एक बार तुझे भुवनेश्वर से बाहर ले चलूँ... फिर तु सोच भी नहीं सकती तेरे साथ क्या क्या करूँगा...
अनु - (बड़े गुरूर के साथ) कुछ नहीं कर पाओगे... तुम कुछ देर के लिए इस भ्रम में रहोगे की तुमने मुझे भुवनेश्वर से बाहर निकाल दिया... पर देखना तुम ही गिड़गिड़ा कर मुझे वापस बुलाओगे....

नीरा गुस्से से अनु के मुहँ पर पट्टी लगा देती है l मंगू और मल्ला की ओर देखते हुए कहता है l

नीरा - इसकी हिम्मत और इसका विश्वास हद से ज्यादा है... यही वज़ह है कि मैं अब तक इसके साथ कुछ किया नहीं है... इसकी हिम्मत और विश्वास को टूटते देखना चाहता हूँ... ले जाओ इसे...

मंगू और मल्ला दोनों आते हैं अनु को लेकर जाने लगते हैं l अनु भी किसी तरह का कोई विरोध नहीं करती l उनके साथ बाहर चली जाती है l

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सुबह के करीब चार बज रहे थे l
सुंढी साही बस्ती से कुछ दुर पर एक बड़े से बरगत के पेड़ के नीचे एक काली रंग की वैनिटी वैन खड़ी हुई है l ऐसा लगता है जैसे कोई न्यूज एजेंसी की ट्रांसमिशन वैन है l वैन के ऊपर रेडार लगा हुआ है l गाड़ी के अंदर सिर्फ तीन लोग बैठे हुए थे, जोडार, विश्व और वीर l

जोडार - (विश्व से) तुम्हें लगता है... पुलिस आ जाएगी...
विश्व - मुझे सतपती जी पर भरोसा तो है... पर...
जोडार - पर... यह पर क्यूँ...
विश्व - जोडार सर... हम जितना प्लानिंग कर रहे हैं... वे लोग भी उतना ही अपने प्लानिंग में होंगे... मैं नहीं चाहता... पुलिस आने तक अनु को किसी तरह से बस्ती से निकालने कोशिश की जाए...
जोडार - ह्म्म्म्म...
विश्व - पर जोडार सर... आप खामखा हमारे साथ आए... किसी ऑपरेटर को भेज देते.. तो काम बन सकता था...
जोडार - ओये... मैं एक एक्स सर्विस मेन हूँ... मुझे मत सिखाओ... मुझे क्या करना चाहिए... वैसे भी... चूंकि तुम डायरेक्टली इंवॉल्व हो... इसलिए अपने मैं भी तैयार हो गया...
विश्व - फिर भी... यह सब गैजेट्स... आप ऑपरेट करेंगे...
जोडार - देखो विश्व... तुम मेरे अपने... बहुत खास हो... (वीर को दिखा कर) यह तुम्हारा दोस्त है.... पर मेरा... पर्सनल और प्रोफेशनल दुश्मन का बेटा है... पर मजबूरी यह है कि... यह तुम्हारा दोस्त है...
वीर - थैंक्यु... जोडार सर...
जोडार - देखो वीर... बुरा मत मानना... आई एम फ्रोम आर्मी... झूठ बोल नहीं सकता...
वीर - मैं आपका आभार रहूँगा...
जोडार - वेल... मैं मदत भी इसलिए कर रहा हूँ... क्यूंकि बात एक लड़की की भी है... सो योंग मेन... अब आगे क्या करना है...
विश्व - सर... आपके गैजेट्स के मदत से मैं... बस्ती के अंदर छुपके छुपाते हुए जाऊँगा... और अनु तक पहुँचने की कोशिश करूँगा....
जोडार - गुड... आइडिया बुरा नहीं है... पर खतरा है...
विश्व - मैं उसके लिए तैयार हूँ... आप बेफिक्र रहें... मैं निपट सकता हूँ...
वीर - नहीं प्रताप... बस्ती के अंदर जाऊँगा तो मैं..
विश्व - देखो वीर... तुम इस मामले में कच्चे हो... तुम्हारी एक गलती... उन्हें ना सिर्फ अलर्ट कर देगी... बल्कि तुम्हें खतरे में डाल देगी...
वीर - नहीं प्रताप... मुझ पर यकीन करो... अनु को सिर्फ मैं ही ढूंढ सकता हूँ... मेरी दिल की धड़कन उसकी पता लगा लेगी... तुम बस.. बाहर से जो मदत हो सके वही करो...
विश्व - पर वीर...
वीर - प्लीज प्रताप... यह मेरे प्यार का... और अनु की मुझ पर विश्वास का इम्तिहान है... अगर कामयाब रहा... तो प्यार जीतेगी... अगर हार भी गया तो... प्यार हारेगी नहीं... पर विश्वास जीत जाएगा... प्लीज...
विश्व - तो चलो हम मिल कर चलते हैं...
वीर - नहीं प्रताप नहीं... यह जंग मेरा अपना है... इसे मुझे ही लड़ने दो... तुम्हें अपने प्यार का वास्ता... तुम्हें अपनी शेरनी का वास्ता... प्लीज... आज एक आशिक को... अपने प्यार के लिए... दुनिया से लड़ जाने दो...

विश्व कुछ कह नहीं पाता, बस छटपटा कर रह जाता है l उसके कंधे पर हाथ रखते हुए जोडार कहता है

जोडार - वीर सही कह रहा है विश्व... लेट हीम गो... उसे जाने दो... यह वीर और अनु विश्वास की परिक्षा है...
विश्व - ठीक है... अगर आप दोनों का यही मानना है... तो यही सही... पर मेरी भी एक शर्त है...
वीर - कहो...
विश्व - देखो गैजेट्स के मदत से... तुम्हें अलर्ट करने के साथ साथ... रास्ता भी बताता रहूँगा... पर जैसे ही मुझे आभास होगा... तुमसे सिचुएशन नहीं संभालेगा... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - प्रताप... बात अगर मार पीट की है... तो मैं हर सिचुएशन को संभाल सकता हूँ...
विश्व - वह मैं कुछ नहीं जानता... जब मुझे लगेगा के तुम फंस गए हो... बाहर नहीं निकल सकते... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - ओके...

विश्व वीर को एक ब्लू टूथ वाली कंपनी के इयर बड देता है l वीर उसे कान में लगा लेता है l वीर अपने जेब में एक फोल्डिंग रॉड को निकाल कर चेक करता है और फिर अपनी आस्तीन में वापस रख लेता है l उसके बाद विश्व और वीर दोनों वैन से उतरते हैं l विश्व एक हाथ घड़ी वाली माइक निकाल कर कलाई पर बाँधता है l विश्व उस घड़ी को ऑन करता है l

विश्व - हाँ... जोडार साहब... हम रेडी हैं... आप पतंग उड़ाईये...

विश्व का इशारा पाते ही जोडार अपने गाड़ी के सिस्टम में एक लिवर दबाता है l तभी गाड़ी के ऊपर से कुछ छोटे छोटे ड्रोन्स उड़ने लगते हैं l कुछ ऊंचाई पर ड्रोन्स अपनी दिशाएँ बदल कर बस्ती के उपर उड़ने लगते हैं l

जोडार - (विश्व से) क्या वीर तुमसे कनेक्ट है...
विश्व - हाँ...
जोडार - उसे कहो वैन के बायीं ओर सीधे जाए और...
विश्व - वीर तुम अपनी बायीं ओर सीधे जाओ... तीसरे पोल के पास... वहाँ पर पहरेदारी पर आदमी गायब है...
वीर - ओके..

कह कर वीर भागने लगता है l तीसरे पोल के पास एक संकरी गली दिखती है l वीर उस गली में घुस जाता है l विश्व के हाथ में एक टेबलेट मानिटर था l वीर के बदन पर एक ट्रैकर लगा दिया था l इसलिए वीर की मूवमेंट विश्व मॉनीटर से पता कर रहा था l थोड़ी देर बाद विश्व अपनी जगह से वीर के दिशा में चलने लगता है l

जोडार - अखिर तुमसे रहा नहीं गया ना... चल दिए वीर के पीछे...
विश्व - (अपने बाएं कान का इयर बड को म्यूट करता है) हाँ... वीर बेवक़ूफ़ है... अपने इश्क की बेवक़ूफ़ी मैं सूइसाइड करने जा रहा है... मैं उसे ऐसे कैसे जाने दे सकता हूँ... आप बस ड्रोन मॉनीटर से रास्ता बनाइये... और खतरे से आगाह कीजिए... बाकी मैं संभाल लूँगा...
जोडार - हाँ मैं बस देखे जा रहा हूँ... तुम भी वीर को रास्ता बताते हुए अंदर पहुंचने की कोशिश करो... वैसे भी... इस बस्ती में सोचने समझने वाले कम हैं...
विश्व - जी... हमें जो भी करना है... पुलिस के आने से पहले करना है...

विश्व अपने कान का इयर बड को फिर से ऑनलाइन करता है और जोडार के कहे बात को वीर तक पहुँचाते हुए खुद भी अंदर जाने लगता है l अचानक उसे एहसास होता है कि वीर के सामने कुछ लोग खड़े हो गए हैं l विश्व भागते हुए एक जगह पहुँचता है जहां दो लोग हाथ में कटार लिए वीर पर हमला करने के लिए तैयार दिखते हैं l वीर भी उनके सामने खड़ा था l उन दो आदमियों से एक हाथ में कटार को हिलाते हुए वीर पर हमला करता है l
Zabardast 👍👍👍
 
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parkas

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👉एक सौ चौंतीसवाँ अपडेट
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विक्रम के चेहरे पर कोई भाव नहीं था l यह खबर सुनने के बाद ना वह चौंका ना ही किसी तरह का कोई प्रतिक्रिया दी l यह देख कर पिनाक थोड़ा हैरान हो जाता है l

पिनाक - क्या बात है युवराज... हमारी सूचना से आप की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई...
विक्रम - आप ऐसा करने जा रहे हैं... यह तो मैं जानता था... वैसे भी आपने राजा साहब से वादा जो किया था... आज ही अनु को ठिकाने लगाने के लिए... पर मैं यह निश्चिंत तौर पर कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - यह आप किस बिनाह पर कह सकते हैं...

इस सवाल पर विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरता है l वह इशारा करता है पिनाक को बैठ जाने के लिए l पिनाक एक कुर्सी पर बैठ जाता है विक्रम उसके सामने बैठ जाता है l

विक्रम - वीर कैसा है... यह आप अच्छी तरह से जानते हैं... वह अगर बेकाबू हो गया... तो वह किसीके भी संभाले नहीं संभलेगा... और आप चाहते हैं कि... वीर आपकी मर्जी से मंगनी भी कर ले और शादी भी... वगैर कुछ विरोध किए... इसके लिए... वीर की कमजोरी को कब्जे में लेना जरूरी था... इसलिए मैं कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - हाँ है तो वह जिंदा... पर ज्यादा देर के लिए नहीं...
विक्रम - आप अभी भी... वीर को हल्के में ले रहे हैं... वीर अनु को ढूँढ निकालेगा...
पिनाक - युवराज लगता है... आप सबसे ज्यादा दुखी हैं... अनु के अगवा हो जाने से...
विक्रम - मैंने आपको बस एक भविष्यवाणी सुनाई...

पिनाक का चेहरा सख्त हो जाता है l जबड़े भींच जाते हैं l मुट्ठीयाँ कस जाते हैं l आँखों के नीचे वाले पेशियों में थिरखन होने लगते हैं l

पिनाक - (दांत पिसते हुए) वीर कुछ नहीं कर पाएगा... उसे एहसास होगा... क्षेत्रपाल उपनाम के वगैर... इस दुनिया में... उसकी कोई हस्ती नहीं है... वीर सिंह नाम का जो बल्ब जल रहा है... उसके अंदर का फ़िल्मेंट क्षेत्रपाल है... उसके वगैर वह एक फ्यूज बल्ब है... जिसकी जगह... गटर के पास वाले कोई कूड़ेदान है... आज वह अकेला होगा... असहाय... बेबस मजबूर... हम जिस दुनिया को झुकाते हैं... कुचलते हैं... जीतते हैं... राजकुमार उसी दुनिया का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं...
विक्रम - आप ऐसा क्यूँ चाहते हैं... वीर आपका बेटा है... कहीं ऐसा ना हो... की आप दुनिया को जीतते के गुमान में... अपनी ही दुनिया ना हार जाएं...
पिनाक - मैं उसे वीर सिंह नहीं... वीर सिंह क्षेत्रपाल बनते देखना चाहता हूँ... लड़कियाँ उसकी कमजोरी तो हों... पर कोई एक लड़की उसकी कमजोरी ना बन जाएं...
विक्रम - अनु उसकी जिंदगी है...
पिनाक - और मुझे वह ना पसंद है...
विक्रम - छोटे राजा जी... आप हमेशा... राजा साहब के कहे मानते रहे... एक बार आप अपने लिए... वीर की बात मान लेते...
पिनाक - राजकुमार ने हमसे माँगा ही कब...
विक्रम - आपने मौका दिया ही कब....

कुछ देर के लिए पिनाक चुप हो जाता है l फिर अचानक से उठ कर जाने लगता है l उसे जाता देख विक्रम भी उठ खड़ा होता है l जाते जाते पिनाक दरवाजे के पास रुक जाता है l

पिनाक - आज कल आपकी बातेँ चुभ नहीं रहे हैं युवराज... कलेजा छलनी कर रही है... खैर राजकुमार को संभाल कर... उन्हें मंगनी के लिए तैयार करना अब आपके जिम्मे है...
विक्रम - जी मैं कोशिश करूँगा... पर शायद उसकी नौबत ना आए...
पिनाक - (विक्रम की ओर घुम जाता है) क्या... (जैसे खिल्ली उड़ते हुए) आपको लगता है... राजकुमार उस बदजात को ढूँढ लेगा...
विक्रम - हाँ...
पिनाक - युवराज... हम मानते हैं... आप राजकुमार के बहुत करीब हैं... इसलिए राजकुमार का दर्द आपको बर्दाश्त नहीं हो रहा... पर खुद को यह झूठी तसल्ली देना बंद करें...
विक्रम - (चुप रहता है)
पिनाक - युवराज... हमने राजकुमार की हर हरकत की खबर रखा करते थे... पर कभी सोचा नहीं था... एक लड़की के लिए वह पागल भी हो सकते हैं... उन्हें कम तकलीफ हो... इसीलिए हम सब पास नहीं हैं... जब हम पहुँचेंगे... उनको एक कंधे की दरकार होगी... वह कंधा आप बनेंगे...
विक्रम - दर्द भुला भी नहीं होगा... और आप उसी दिन उसकी मंगनी कराने की सोच रहे हैं...
पिनाक - हाँ... अच्छे से मान गया तो ठीक... वर्ना... उस लड़की की नाजुक हालत दिखा कर ही सही... यह मंगनी और शादी करा देनी है...
विक्रम - मुझे खेद है... ऐसा कुछ भी नहीं होगा...
पिनाक - (अपना भवां टेढ़ा कर) कहीं आपने कुछ...
विक्रम - नहीं.. मैंने कुछ भी नहीं किया... उसकी नौबत ही नहीं आई... सच तो यह है कि... वीर ने मुझे कुछ करने के लिए मौका दिया ही नहीं...
पिनाक - उसके साथ हम में से कोई भी नहीं है.... सच तो यह है कि... उसके साथ उसका अपना साया तक नहीं है...
विक्रम - उसके साथ उसका दोस्त है...
पिनाक - (हैरानी के साथ) दोस्त...
विक्रम - हाँ... दोस्त... अभी आप कह रहे थे... आप वीर की सारी ख़बरें रखा करते थे... फिर दोस्त की बात आपसे कैसे छूट गया....
पिनाक - कौन दोस्त... कैसा दोस्त...
विक्रम - वह दोस्त.. जो वीर के साथ चट्टान जैसा खड़ा है...
पिनाक - कौन है... क्या किया है....

विक्रम टीवी का मोबाइल उठाता है और टीवी को फिर से ऑन करता है l पिनाक देखता है नभ वाणी न्यूज चैनल पर न्यूज क्लिप चल रहा था l जिसमें एक एंकर के बगल में एक विंडो में दिख रहा था कुछ औरतें किसी ऑफिस की घेराव किए हुए हैं l उन महिलाओं के पास न्यूज रिपोर्टर और पुलिस वाले खड़े हैं l विक्रम टीवी का वॉल्युम बढ़ाता है l

" आज की ब्रेकिंग न्यूज में मैं सुप्रिया रथ आप दर्शकों का स्वागत करती हूँ... जैसा कि आप दर्शक अवगत होंगे कुछ घंटों पहले राजधानी में एक काम काजी महिला का सिटी हस्पताल से अपहरण हो गया है... उन महिला का नाम है अनुसूया दास... अनुसूया जी की दादी जी के कंप्लेंट पर पुलिस की ढुलमुल रवैये से दुखी हो कर वाव की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति जी से मदत मांगी... घटना को जानने के पश्चात प्रतिभा जी पुलिस की कारवाई पर सवाल उठा कर कमिश्नरेट का अपने कुछ कार्यकर्ताओं के सहित घेराव किया है... हमारी संवाददाता निधि उनके विचार जानने के लिए उनके निकट गई हुई हैं... आइए जानते हैं आगे क्या करने की उनकी विचार है...

निधि - धन्यवाद सुप्रिया... जैसा कि जानते हैं... पहली बार ऐसा हुआ है कि सिटी हस्पताल के परिसर से... एक लड़की का अपहरण हुआ है... और सबसे खास बात... वह लड़की ESS से संबंधित है... इसलिए तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं... पर पुलिस महकमा कह रहा है... वे अपने काम कर रहे हैं... पर उनके काम से वर्किंग वुमेन एसोसिएशन ऑफ ओडिशा की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति इत्तेफ़ाक नहीं रख रहीं हैं... आइए जानते हैं उनसे उनके विचार... जी प्रतिभा जी...
प्रतिभा - देखिए... हम पुलिस की कारवाई से नाखुश हैं... लड़की दुपहर से लापता है... जब कि पुलिस शाम की बात कर रही है... इसलिए हमें पुलिस की मंशा पर शक हो रहा है...
निधि - क्या इसलिये अपने कमिश्नरेट का घेराव किया है...
प्रतिभा - नहीं हमने कोई घेराव नहीं किया है... हम वाव के तरफ़ से कुछ ही कार्यकर्ता कमिश्नरेट के सामने प्रदर्शन मात्र कर रहे हैं... पर कल सुबह तक अगर लड़की लापता रही... तो कल से यहाँ कमिश्नरेट के सामने कामकाजी महिलाओं का जामावड़ा शुरु होगी... इसके लिए... राज्य की कानून मंत्रालय और कमिश्नर जिम्मेदार होंगे...

तभी एक एसीपी कुछ ऑफिसरों के साथ प्रतिभा सेनापति के पास आता है l निधि यह देख कर उस एसीपी से मुखातिब होती है

निधि - यह रहे पुलिस ऑफिसर... शायद कमिशन ऑफिस से कोई सूचना लेकर आए हैं... जी सर
एसीपी - जी मैं... एसीपी सुभाष सतपती... आप गण माध्यम के जरिए... पुलिस प्रशासन के तरफ से यह आश्वासन दे रहा हूँ... हम पुरी कोशिश करेंगे... अगवा हुई लड़की को जितनी जल्दी हो सके ढूँढ कर आपके समक्ष लाएंगे... "

पिनाक पास रखे एक फ्लावर वॉश को उठा कर टीवी पर दे मारता है l टीवी का स्क्रीन फट जाता है और धुआं निकलने लगता है l विक्रम पिनाक की ओर देखता है

पिनाक - यह सब कैसे... राजकुमार वीर ऐसे कैसे सोच सकता है... उस औरत... प्रतिभा के पास वह पहुँचा कैसे...
विक्रम - अब आप बेबस.. असहाय लग रहे हैं...
पिनाक - हमें बेबस कर सके किसी में दम नहीं...

इतना कह कर पिनाक अपना मोबाइल निकाल कर कानून मंत्री सुजीत जेना को फोन लगाता है l पर उसका फोन लगता नहीं है l खीज कर वह बल्लभ को फोन लगाता है l

पिनाक - प्रधान... वहाँ पर क्या हो रहा है...
बल्लभ - छोटे राजा जी... यहाँ बात कुछ बिगड़ रहा है... फिर भी मैं और कमिश्नर संभालने की कोशिश कर रहे हैं...
पिनाक - क्या खाक कोशिश कर रहे हो... एक मामुली दो कौड़ी की लड़की के लिए... मीडिया और वाव... कमिश्नरेट का घेराव हो रहा है... इस औरत के पास वीर पहुँचा कैसे...
बल्लभ - यह तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है... उन्हें यह आइडिया दिया किसने... और इतनी जल्दी एक्शन में भी आ गए...
पिनाक - मैं कुछ नहीं जानता... तुम कैसे और किस तरह से मैनेज करोगे... पर पुलिस और प्रशासन का कोई भी दखल नहीं होनी चाहिए...
बल्लभ - मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा... पर पुलिस ने सारे शहर में नाकाबंदी लगा दी है... आप उनसे कहिये... किसी भी तरह से... या तो शहर से गायब हो जाएं... या फिर अंडरग्राउंड हो जाएं...
पिनाक - आआआहहह... (फोन काट देता है और विक्रम की ओर देखने लगता है) यह कौन दोस्त है... वीर को मिल गया है...
विक्रम - एडवोकेट प्रतिभा सेनापति को जानते हैं आप...
पिनाक - अच्छी तरह से... सेनापति दंपती के बारे में...
विक्रम - तो आपको यह भी मालुम होगा... उनका एक मुहँ बोला बेटा है....

पिनाक की आँखे हैरत से बड़ी हो जाती हैं l मुहँ खुला रह जाता है l अविश्वास के भाव से विक्रम की ओर देखने लगता है l

पिनाक - नहीं... यह नहीं हो सकता... हमारे दुश्मन से... वीर की दोस्ती... विश्वा से वीर की दोस्ती.....

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द हैल
वीर को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं, सुषमा आगे बढ़ती है और वीर के गले लग जाती है l वीर भी उसके गले लग जाता है l सुषमा सुबक रही थी पर वीर शांत था l उसका चेहरा जैसे कुछ आने वाले तूफान या जलजले का संदेश दे रहा था, यह बात रुप को साफ एहसास हो रहा था l

रुप - भैया... माँ... प्लीज बैठ जाइए ना...

रुप के इतने कहने से दोनों अलग होते हैं l वीर सुषमा को लाकर सोफ़े पर बिठा देता है l सुषमा वीर की ओर देखते हुए पूछती है

सुषमा - यह क्या हो रहा है वीर...
वीर - माँ शांत... तुम पहले अपनी बताओ...
सुषमा - वीर... मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... मुझे आज अचानक से बुलावा आया कि मुझे भुवनेश्वर तुम लोगों के पास पहुँचना है... मैं नर्सों और डॉक्टरों की टीम को बड़े राजा जी को देखभाल के लिए लगा कर आ गई... यहाँ पहुँचने के कुछ ही समय पहले जानकारी मिली... के कल तुम्हारी मंगनी है... मुझे हैरत हुई... पर धक्का तब लगा... जब यह खबर मिली कि... हमारी अनु को अगवा कर लिया गया है... यह क्या हो रहा है...
वीर - माँ... यह क्षेत्रपाल मर्दों की ना मर्दानगी है...
सुषमा - क्या.. क्या मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...
वीर - अनु को छोटे राजा जी ने उठवाया है...
सुषमा - क्या... (उछलकर उठ खड़ी हो जाती है)

ऐसा ही हाल रुप और शुभ्रा का भी था l हैरानी और अविश्वास से तीनों का चेहरा सन्न था l रुप और शुभ्रा आँख और मुहँ फाड़े कभी एक दुसरे को कभी वीर और सुषमा को देखे जा रहे थे l

सुषमा - यह तु क्या कह रहा है...
वीर - (एक टूटी हुई हँसी हँसते हुए) इसमें अविश्वास ना कर पाने वाली बात क्या है माँ...
सुषमा - (मुश्किल से) जिंदा है...
वीर - हाँ.. शायद...
सुषमा - हाँ शायद... मतलब...
वीर - जिंदा इसलिये... की मैं जिंदा हूँ... पर आज छोटे राजा जी ने... मुझे सच में मार दिया...
रुप - ऐसे क्यूँ कह रहे हो भैया...

वीर कोई जवाब नहीं देता l एक गहरी साँस लेते हुए उठ खड़ा होता है l रुप की ओर देखता है l

रुप - तुमने कोई जवाब नहीं दिया...
वीर - (शुभ्रा की ओर देख कर) आप कुछ नहीं पूछेंगी भाभी...
शुभ्रा - मैं क्या पूछूं... मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहा है... तुम्हारा मंगनी है... और अनु का अगवा कर लिया गया है...

वीर अपनी माँ की तरफ देखता है l सुषमा स्तब्ध सी चेयर पर धप से बैठ जाती है, जैसे उसे गहरा सदमा लगा है l वह खोई खोई सी लग रही थी

वीर - माँ...
सुषमा - (चौंक कर) हाँ... (वास्तविकता में लौटते हुए) हाँ...
वीर - क्या हुआ...
सुषमा - यह क्या हो रहा है... क्षेत्रपाल किसीको अपने रास्ते से हटाना चाहें तो... कहाँ नामुमकिन है... फिर ऐसे अनु को उठवाने का क्या मतलब... वह भी दुनिया को बता कर...
वीर - दुनिया में किसी को कुछ भी नहीं पता... इस साजिश के पीछे क्षेत्रपाल हैं... यह तो मुझे किडनैपर ने बताया है...
शुभ्रा - तो उसने जरूर झूठ बोला होगा...
वीर - नहीं... उसने सच कहा है...
रुप - यह तुम कैसे कह सकते हो...

वीर विक्रम की चिट्ठी की जिक्र करते हुए बताता है कैसे उसके ऑफिस में हर विभाग के इंचार्ज सभी कलकत्ता गए हुए हैं l यह सब सुन कर तीनों और भी हैरान होते हैं l

सुषमा - हे भगवान... यह कैसी हैवानियत है... अपनी ही औलाद के खिलाफ... (सुबकते हुए) मैं तेरे... अनु के और अनु की दादी की गुनाहगार हूँ वीर... मैं अब किस मुहँ से अनु के और उसकी दादी का सामना कर पाऊँगी...
वीर - माँ... मुझे कभी क्षेत्रपाल होने का गुरूर था... पर अनु के आगे मेरा वह गुरुर बहुत बौना हो जाता था... मैंने ता उम्र अपने गुरुर के चलते सिर्फ दुश्मन ही दुश्मन कमाए हैं... पर अनु के मेरी जिंदगी में आने के बाद... मुझे सच्चा प्यार और एक सच्चा दोस्त मिला है... आज उसी दोस्त के मदत से मैं अनु को ढूंढने जा रहा हूँ...
सुषमा - (थोड़ी अचरज के साथ) दोस्त...
वीर - हाँ माँ दोस्त... आज मेरे साथ... ना मेरे अपने हैं... ना ज़माना है... ना भगवान... ना मेरा अपना साया है... पर इस हालत में भी.. मेरा दोस्त मेरे साथ खड़ा है... जब भी मैंने उसे आवाज दी.. वह मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया... आज जब मुझे किसी की साथ की जरूरत थी... तब वही मेरे सामने आकर खड़ा हो गया... अब मुझे ऐसा लगता है कि... मैं दुनिया से टकरा सकता हूँ... दुनिया बदल सकता हूँ...

वीर इतना कह कर फिर चुप हो जाता है l तीनों ध्यान से वीर को सुन रहे थे l खामोशी ऐसी थी के किसी में हिम्मत ही नहीं हो रही थी खामोशी तोड़ने के लिए l फिर भी कुछ देर के बाद

शुभ्रा - वीर... जानते हो ना... कल शाम साढ़े सात बजे xxxx होटल में... तुम्हारा मंगनी करा दी जाएगी...
वीर - जानता हूँ...
रुप - फिर यह सब...

वीर सुषमा की ओर देखता है, सुषमा उसे डबडबाई आँखों से देख रही थी l ऐसा लग रहा था जैसे वह कहना और पूछना बहुत कुछ चाह रही थी पर उसका जुबान साथ नहीं दे रही थी l

वीर - माँ... तुमने अनु की दादी से जो वादा किया है... वह नहीं टुटेगी... कल उसी समय... उसी होटल में... मैं पुरी दुनिया के सामने ऐलान करूँगा... के अनु ही मेरी जीवन साथी होगी... चाहे कुछ भी हो जाए...
सुषमा - मुझे डर है... कहीं क्षेत्रफ़ल के अहंकार के चलते... अनु को कुछ हो ना जाए...
वीर - अगर अनु को कुछ हो गया... तो वीर भी नहीं रहेगा...
सुषमा - क्या... (एक झटके के साथ चेयर से उठ खड़ी होती है)
वीर - हाँ माँ...
शुभ्रा - वीर... तुम यह कैसी बातेँ कर रहे हो... वह भी अपनी माँ के सामने... जिन्होंने ना जाने कितनी दुआएँ माँगी होंगी... तुम्हारी लंबी उमर के लिए...
वीर - जानता हूँ भाभी..
रुप - फिर भी माँ का दिल दुखा रहे हो...
वीर - आप सब जानते हैं... अनु के साथ यह हादसा... बताने के लिए काफी है... के वह कभी भी... क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी नहीं जाएगी... इसलिए मैं यह कहने आया हूँ... की आज के बाद इस घर में... या राजगड़ में... मेरा आना जाना तभी होगा... जब अनु क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी जाएगी....

यह बात एक बिजली की तरह तीनों पर गिरती है l तीनों भौंचके हो जाते हैं और एक दुसरे के मुहँ को ताकने लगते हैं l सुषमा धप से चेयर पर बैठ जाती है l

शुभ्रा - वीर... तुम होश में तो हो... जानते हो क्या कह रहे हो...
रुप - देखो माँ को कितना गहरा सदमा पहुँचा है...
वीर - (फिर से अपनी माँ के आगे झुक जाता है) माँ... मैं जानता हूँ... तुमको... बल्कि... आप सब लोगों को तकलीफ होगी... पर सच्चाइ यही है... की आप में से कोई क्षेत्रपाल के खिंचे लकीर लांघ नहीं सकता... और मैं नहीं चाहता... मेरी और क्षेत्रपाल के अहंकार के टकराव के बीच मेरा अपना कोई पीस जाए... इसलिए आज आप लोगों से मैं इजाजत लेने आया हूँ...


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अपने कमरे में चहल कदम करते हुए पिनाक अपनी हाथ की मुट्ठी बना कर दुसरे हाथ पर मार रहा था l उसके चेहरे पर बैचैनी साफ झलक रहा था l सारी दुनिया सो रही थी पर उसके आँखों में नींद गायब था l अचानक वह टेबल लैम्प के पास रखे अपना मोबाइल उठाता है और एक नंबर पर डायल करता है l

@ - (उबासी लेते हुए) हैलो छोटे राजा जी... कहिए... इतनी रात गए कैसे याद किया...
पिनाक - बे कुत्ते... हरामी साले... जब सारा भुवनेश्वर जाग रहा है... तु कैसे चैन से सोया हुआ है...
@ - क्यूँ छोटे राजा जी क्या हो गया....
पिनाक - हराम जादे... उस लड़की को कहाँ पर रखा है... तुम ने...
@ - छोटे राजा जी... आप भुल रहे हैं... किडनैप मैंने नहीं किया है... करवाया है... आपने ही कहा था... यह काम किसी ऐसे इंसान से करवाने के लिए... जिसका क्षेत्रपाल परिवार से दुर दुर से वास्ता ना हो... अगर हो तो दुश्मनी हो... और मैंने ऐसा ही किया है... इस कांड में... आपके या आपके परिवार का नाम बिल्कुल नहीं उछलेगा...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... पर हम यह भी चाहते थे... वह लड़की फिर कभी दिखे ही ना...
@ - वह लोग हैं ही ऐसे... वह लोग उस लड़की को... ना जाने कितनी बार बेचेंगे.... और फिर उसकी ऑर्गन बेच कर किसी कोने में दफना देंगे....
पिनाक - पर अब उस लड़की को पुलिस ढूँढ रही है...
@ - सॉरी छोटे राजा जी... यह काम आपने मुझे नहीं दी थी... और यह काम मेरे बस की है भी नहीं... आपने इसे जिसके बस की कही थी... उसे ही तो आपने सौंपा रखा है...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... तुमने अपना काम करदिया है... क्या... (थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है)
@ - पूछिये छोटे राजा जी... पूछिये... आपको किस बात का डर है...
पिनाक - अपनी जुबान पर लगाम दे कुत्ते... डर हम से डरता है... हम तो बस यह तसल्ली करना चाहते हैं... तुमने जिसे काम सौंपा है... कहीं पुलिस के डर से उस लड़की को छोड़ ना दे...
@ - आप घबराईये मत छोटे राजा जी... जिसे यह काम सौंपा गया है... या तो वह उस लड़की को बेच देगा... या फिर मार देगा... पर छोड़ेगा नहीं... आप बस अपने प्रधान बाबु से पुलीस कारवाई पर तसल्ली कर लीजिए...
पिनाक - ठीक है....
@ - तो क्या अब मैं सो जाऊँ... (उबासी लेते हुए) बड़ी जोर की नींद आ रही है....
पिनाक - हूँ... सो जा...

कोई जवाब नहीं मिलता l पिनाक फोन पर देखता है कॉल कट हो चुका था l पिनाक की जबड़े सख्त हो जाते हैं l वह बल्लभ को फोन लगाता है

बल्लभ - हे हैलो...
पिनाक - (गम्भीर आवाज में) यह हम न्यूज में क्या देख रहे हैं...
बल्लभ - सॉरी छोटे राजा जी... हमने ऐसा बिल्कुल सोचा भी नहीं था... मैंने कमिश्नर से और जेना बाबु से बात कर... अगवा हुई उस लड़की की तलाश की तफ्तीश को भटकाने और देर करने के लिए राजी करा दिया था... उस काम के लिए... टीम भी बना दिया गया था... पर...
पिनाक - ह्म्म्म्म... आगे बोलो... हम तुम्हारे मुहँ से सुनना चाहते हैं...
बल्लभ - पता नहीं कैसे... अनु की दादी उस एडवोकेट प्रतिभा सेनापति के पास पहुँच गई... अब कानून मंत्री सुजीत जेना और कमिश्नर पर बहुत प्रेसर है...
पिनाक - मतलब...
बल्लभ - जी मैं कमिश्नर जी से बात कर रहा था... अगर इस मामले में मीडिया नहीं घुसती तो कुछ कर सकते थे... पर अब यह डिपार्टमेंट की इज़्ज़त पर बात आ गई है... इसलिए वह अब उस लड़की को ढूंढने की पुरी कोशिश करेंगे...
पिनाक - आ आ आह्य... देखो मैं कुछ नहीं जानता... राजा सहाब के सामने मेरी गर्दन झुकनी नहीं चाहिए... तलाश के काम में जितनी देर हो सके करवाओ... जहां पर जितना पैसा लगे... खिलाओ... पर लड़की मिले तो कल नहीं... परसों या किसी और दिन मिले... बस वह जिंदा ना मिले उसका इंतजाम मैं करवाऊंगा...

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अस्सिटेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस सुभाष सतपती अपनी जिप्सी के अंदर उतरता है और चले हुए एक चेक पोस्ट पर पहुँचता है l उसे देखते ही पोस्ट पर तैनात सभी पुलिस वाले उसे सैल्यूट ठोकते हैं l

सतपती - कैसा चल रहा है अब तक...
एक संत्री - हम सभी को चेक कर रहे हैं सर...
सतपती - गुड...

इतना कह कर सतपती अपनी गाड़ी में आकर बैठता है और गाड़ी स्टार्ट कर वहाँ से चल देता है l गाड़ी कुछ देर बाद एनएच के एक ढाबा 24/7 पर रुकती है l गाड़ी से उतर कर वह एक केबिन में घुस जाता है l केबिन के अंदर विश्व बैठा हुआ था l

सतपती - मुझे ज्यादा देर तो नहीं हुई...
विश्व - नहीं... आइए सतपती सर... बैठिए...
सतपती - (बैठते हुए) अकेले हो...
विश्व - फ़िलहाल... अभी दो और लोग आयेंगे...
सतपती - एक को मैं गेस कर सकता हूँ... वीर... वीर सिंह क्षेत्रपाल... यह दुसरा कौन है..
विश्व - उसे आने दीजिए... मिल लीजिएगा... वैसे मेरे बुलाने पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...
सतपती - क्या करें... सेनापति सर का हुकुम था... और मुझ पर तुम्हारा एहसान भी तो बहुत है... तुम्हारे ही किए क्रेडिट के वज़ह से आज इस पोस्ट पर हुँ...
विश्व - आप खुश नहीं लग रहे हैं...
सतपती - ऐसा नहीं है विश्व... सेनापति सर के कहने से मैं... अपना ट्रांसफ़र और प्रमोशन दोनों स्वीकार किया... इनाम के तौर पर देहरादून में आईपीएस ट्रेनिंग भी मिला... पर पोस्टिंग देखो... फिल्ड के बजाय इंटेलिजंस विंग में डाल दिया... दिन भर फाइलें छानता रहता हूँ... और कमिश्नरेट के तरफ से... मीडिया का स्पोक पर्सन बन गया हूँ... रही तुम्हारी बात... मैं तुमसे कभी शिकायत नहीं रख सकता यार... खैर यह जो हो रहा है.. मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... तुम और वीर सिंह... (चुप हो जाता है)
विश्व - मेरा दुश्मन भैरव सिंह है... और वीर सिंह मेरा दोस्त है...
सतपती - तो तुम इस तरह से... बदला ले रहे हो...
विश्व - नहीं... यह इत्तेफाक है कि भैरव सिंह मेरा दुश्मन और उसका भतीजा मेरा दोस्त... और मेरी रीढ़ की हड्डी इतनी कमजोर नहीं... भैरव सिंह से बदला लेने के लिए... मुझे उसके भतीजे के ओट लेना पड़े...
सतपती - क्या वीर सिंह... तुम्हारे और भैरव सिंह के बारे में जानता है...
विश्व - हाँ... उस दुश्मनी से इस दोस्ती का कोई वास्ता नहीं है... भैरव सिंह के लिए इतना खुन्नस है कि मैं उसका जान ले सकता हूँ... पर वीर सिंह के लिए दोस्ती इतनी पक्की है कि... मैं उसके लिए जान दे सकता हूँ...

विश्व की जवाब सुन कर सतपती चुप हो जाता है l तभी केबिन में वीर आता है और एक कुर्सी खिंच कर दोनों के साथ बैठ जाता है l विश्व देखता है वीर थोड़ा खोया खोया सा लग रहा था l

विश्व - क्या हुआ वीर...
वीर - कुछ नहीं... (सतपती की ओर देख कर) आपकी तारीफ...
सतपती - मैं विश्व का दोस्त... एसीपी सुभाष सतपती...
वीर - ओ.. थैंक यु... (विश्व की ओर देख कर) तो...
विश्व - एक मिनट वीर... मेरा एक और दोस्त आ रहा है... उसे आने दो...

तभी कमरे में एक और शख्स आता है l तीनों को बारी बारी से सलाम ठोकता है l उसे देख कर सतपती हैरान होता है l

सतपती - तुम...
शख्स - (हँसते हुए) जी...
सतपती - (विश्व की ओर देखते हुए) यह यहाँ कैसे...
विश्व - (उस शख्स से) तुम यहाँ बैठो लल्लन... (लल्लन बैठ जाता है, विश्व सतपती से) आप जिस दुसरे की बात कर रहे थे... यह यही है... इस केस में... इसकी मदत भी बहुत जरूरी है...
सतपती - (लल्लन से) तु भुवनेश्वर में कैसे...
लल्लन - जब भाई बुलाते हैं... मैं उनकी सेवा में हाजिर हो जाता हूँ....
विश्व - ओके... हम उस बात पर जिसके लिए यहाँ आए हैं... सतपती जी आप के पास क्या जानकारी है...
सतपती - पहली बात... मैंने सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर कुछ फोटोस लाया हूँ... इस किडनैपिंग के पीछे यही लोग हैं...

इतना कह कर मोबाइल निकाल कर दो शख्सों की फोटो निकाल कर दिखाता है l विश्व लल्लन को वह फोटो देखने के लिए कहता है l लल्लन उन फोटोस को गौर से देखता है

लल्लन - यह लोग नीरा के आदमी हैं..
सतपती - हाँ बिल्कुल...
विश्व - (वीर से, फोटो दिखा कर) वीर... क्या इन्हें जानते हो या इनके बॉस नीरा को... (वीर अपना गर्दन हिला कर ना कहता है)
सतपती - राजकुमार जी को याद ना हो शायद... पर...
वीर - (टोकते हुए) एक मिनट एसीपी सर... मुझे आप वीर कहिये... (सतपती उसे हैरानी भरे नजरों से देखता है) प्लीज... और यह आप आप मत कहिए... मैं अभी अभी आप वाली औकात से बाहर आया हूँ... तुम कहिये... या तु भी कह सकते हैं...
सतपती - ओके... तो वीर... तुम्हें मालुम होना चाहिए... नीरा आइकन ग्रुप से जुड़ा हुआ था... केके ग्रुप के साथ टेंडर को लेकर झगड़ा था... इसका भाई सुरा और उसकी महबूबा एक दिन गायब हो गए... और शायद... (कहते कहते रुक जाता है)
वीर - हाँ... हाँ... याद आया... केके की एक बेटी भी थी... यही नीरा और सुरा के डर से... उसकी शादी कर दी थी... और उसे विदेश भेज दिया था...
सतपती - हाँ... बिल्कुल... और पुलिस को लगता है... मिस अनु के किडनैपिंग उसी दुश्मनी के वज़ह से हुई है...

कुछ देर के लिए केबिन में खामोशी छा जाती है l सभी वीर की ओर देखते हैं, वीर अपनी भवें सिकुड़ कर सोच में था l विश्व बात को आगे बढ़ाते हुए

विश्व - तो सतपती जी... अगर पुलिस के पास इतनी जानकारी है... तो फिर... कारवाई में इतनी देरी क्यूँ...
सतपती - पता नहीं... पर मुझे जहां तक अंदाजा मिल पा रहा है... महकमे में कोई भी इंट्रेस्टेड नहीं है... इसलिए केस को घुमा रहे हैं... चूंकि अब मीडिया इंवॉल्व हो गई है... खाना पूर्ति के लिए इधर उधर हाथ पैर मार रहे हैं...
विश्व - तो क्या अनु को भुवनेश्वर से बाहर ले गए हैं...
सतपती - नहीं... अनु पक्के तौर पर भुवनेश्वर में ही है... नाकाबंदी बड़ी जबरदस्त है... बस ढूंढने में थोड़ी ढील है...
विश्व - (लल्लन से) तो लल्लन प्यारे... कुछ पता चला पाए...
लल्लन - (बातचीत के दौरान वह मोबाइल पर झुका हुआ था, वैसे ही झुके हुए) भाई दो मिनट... मैंने फोटो देखते वक़्त अपने मोबाइल पर ट्रांसफ़र करवा लिया था... उसे अपने पट्ठों के पास भेज दिया है... खबर मिल जाएगी...

थोड़ी देर बाद उसके मोबाइल पर एक अलर्ट ट्यून बजता है l लल्लन मेसेज पढ़ने के बाद विश्व की ओर देखता है l

लल्लन - भाई... नीरा... बालासोर में था... कुछ ही दिन हुए हैं... वह भुवनेश्वर में आया है... अभी वह सुंढी साही बस्ती में है... और मुमकिन है... अनु वहीँ पर हो... क्यूँकी पुरे भुवनेश्वर में... अनु को छिपाने के लिए... एक वही बस्ती ही सेफ है... जहां पुलिस भी रेड डालने से पहले सौ बार सोचती है...
वीर - (उठते हुए) तो फिर देर किस बात की... चलो चलते हैं...

वीर अकेला खड़ा होता है पर विश्व, सतपती और लल्लन अपनी जगह से नहीं उठते l वीर थोड़ा हैरान होता है l

वीर - क्या हुआ...
सतपती - थोड़ी देर के लिए बैठ जाइए वीर... (वीर बैठता है)
विश्व - (सतपती से) आपका क्या प्लान है...
सतपती - विश्व... तुम्हें शायद अंदाजा हो... यह सुंढी साही बस्ती है... इस बस्ती में... जितने भी लोग रहते हैं... एक से बढ़कर एक छटे हुए बदमाश हैं... गुंडई उन लोगों का खानदानी पेशा है... वहाँ घुसने के लिए... वेल प्रीपेयरड फोर्स चाहिए... और फोर्स लेने के लिए...इंफोर्मेशन पक्की होनी चाहिए...
विश्व - मतलब... आप कुछ नहीं कर सकते...
सतपती - कर तो सकता हूँ... पर... मुझे सुबह तक टाइम चाहिए... ताकि मैं कमिश्नर को... यकीन दिला कर मना सकूँ...
वीर - तब तक... अनु के साथ कुछ भी हो सकता है... उसे कहीं ले भी जा सकते हैं...
विश्व - वीर... हिम्मत रखो... लल्लन तुम्हारा क्या खयाल है...
लल्लन - भाई... सतपती सर सही कह रहे हैं... पर मुझे लगता है... सुबह तक भी देर हो सकती है... वे लोग कोई ना कोई तरकीब लगा कर अनु को भुवनेश्वर से दुर ले जाने की कोशिश करेंगे...
वीर - तो फिर... हम किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं...
विश्व - वीर... शांत रहो... जज्बाती हो कर जल्दबाज़ी में काम ना लो... (सतपती से) ठीक है सतपती जी... यहां तक मदत के लिए शुक्रिया... आप कोशिश कीजिए... किसी तरह सुबह तक... सुंढी साही के बाहर तक फोर्स ले आयें...
सतपती - (उठते हुए) ठीक है फिर... मैं कुछ भी करके... कमिश्नर साहब को राजी कर... एक बटालियन लेकर सुबह तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ...

इतना कह कर सतपती वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद विश्व कुछ सोचने लगता है l उसे सोच में देख कर लल्लन विश्व से पूछता है

लल्लन - क्या बात है भाई...
विश्व - जिस तरह पुलिस सारे शहर की नाकाबंदी कर रखा है... जाहिर है... उस बस्ती में लोग... अपनी बस्ती की पहरेदारी में होंगे...
लल्लन - बिल्कुल भाई... मेरा एक पट्ठा गया है... ख़बर निकाल कर पुरी जानकारी देगा...
वीर - देखा प्रताप... मेरे बाप ने सुपारी दी भी किसे... जिसके साथ हमारी दुश्मनी है... ताकि दुनिया को लगे अनु... हमारी दुश्मनी की चलते किडनैप हुई है...
विश्व - मुझे लगता है... कोई तीसरा भी है... जो खेल रहा है...
वीर - मतलब...
विश्व - मतलब... तुमसे बात करने वाला नीरा नहीं था... कोई और था... जिसने तुम्हारे बाप की सुपारी की बात कही थी...
वीर - वह चाहे कोई भी हो... सुपारी की बात सच है... (एक गहरी साँस लेते हुए) यार प्लीज कुछ करो.. पता नहीं अनु कैसी होगी किस हाल में होगी...

तभी लल्लन की मोबाइल बजने लगता है l लल्लन मोबाइल उठा कर अपने कान में लगाता है l उसकी आँखों में एक चमक दिखने लगता है l कुछ देर मोबाइल सुनने के बाद

लल्लन - भाई... अनु उसी बस्ती में है... शहर की नाकाबंदी देख कर... सुबह सुबह अनु को ले जाने की प्लान बना रहे हैं...

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एक कमरे में अनु कुर्सी पर बैठी हुई है l उसके सामने एक आदमी खिड़की से बाहर देखते हुए सिगरेट पी रहा है l तभी बाहर से एक आदमी आता है और कमरे में खड़ा हो जाता है l उसके आने का एहसास होते ही पहला शख्स अपना सिगरेट खिड़की से फेंक कर उसके तरफ मुड़ता है l

शख्स - क्या बात है मंगू...
मंगू - नीरा भाई... कुछ देर के बाद सुबह हो जाएगी... हम रात में इस लड़की को निकाल नहीं पाए... सुबह कैसे निकलेंगे...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - उसने कहा था... पुलिस का लफड़ा वह सम्भाल लेगा... पर पुलिस ने इस कदर घेरा बंदी की है कि...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - हम बेकार में इस लफड़े में फंस गए...
नीरा - बेकार में नहीं... बस अपना टाइम थोड़ा खराब निकला... पर कोई ना... हम जहां हैं... वहाँ कोई भी आने से पहले सौ बार सोचेगा...
मंगू - भाई... पुलिस को तो नहीं मालुम ना... इसे किसने उठाया है...
नीरा - अब तक मालुम हो चुका होगा...
मंगू - तो... अब इस मुसीबत को हम गले में बाँध कर क्यूँ घूमें... इसे यहीं मार कर निकल जाते हैं ना...
नीरा - मुसीबत इस लड़की के पीछे पीछे आई है... अब उसी मुसीबत से यही लड़की बचाएगी...

यह कह कर नीरा अनु की तरफ मुड़ता है l अनु के चेहरे पर अभी भी खौफ नहीं था l भाव हीन चेहरे पर भवें हल्की सी सिकुड़ी हुई थी l

नीरा - डर नहीं लग रहा तुझे... यह तो मुझे समझ में आ रहा है... पर इस सपाट चेहरे पर जो हैरानी दिख रही है... वह क्यूँ है...
अनु - यही की... मेरा अपहरण के बाद... तुम लोगों की पहली हार... मुझे भुवनेश्वर से दूर नहीं ले जा पाए... आगे हार ही हार है... फिर भी...
नीरा - ऐ लड़की... ज्यादा मत सोच... तेरा मुहँ खुला रखा है तो कुछ भी चपड़ चपड़ मत कर... शुक्र मना अभी तक हमने तेरे साथ कुछ किया नहीं है...
अनु - कुछ करने की सोचना भी मत... इतना तो समझ चुकी हूँ... मैं जिंदा और सलामत अभी तक इसलिए हूँ... क्यूंकि तुम लोगों ने वीर सिंह क्षेत्रपाल से दुश्मनी ली है....
मंगू - तो... तो क्या हो गया... तु वीर सिंह की टाइम पास है जानने के बाद ही तो उठाया है...
नीरा - सुन लड़की... वीर सिंह ने आज से छह महीने पहले... मेरे भाई सुरा और उसकी गर्लफ्रेंड को उठवाकर गायब कर दिया था... उसे वही दर्द और चोट देने के लिए तुझे उठवाया है... शुक्र मना... मेरे बदले की आग में... तु अभी तक जली नहीं...
अनु - अलबत्ता सोचना भी मत... क्यूँकी मुझे खरोंच भी आई... तो मैं खुद को ख़तम कर दूंगी... और इतना तो समझ ही चुकी हूँ... आखिरी मौके पर सौदे बाजी के लिए... मेरा सही सलामत होना जरूरी है... क्यूँकी राजकुमार की जुनून से मुझसे ज्यादा तुम लोग वाकिफ हो...
नीरा - (मंगू से) इसके मुहँ पर पट्टी बाँध दे...

मंगू एक पॉली टेप निकाल कर अनु के मुहँ पर लगा देता है l अनु कोई विरोध नहीं करती l इतने में एक और आदमी कमरे में आता है l

नीरा - क्या है मल्ला...
मल्ला - आपने बुलाया...
नीरा - हाँ...
मल्ला - तो हुकुम करो नीरा भाई...
नीरा - देखो... जहां तक मुझे अंदाजा है... इस लड़की के लिये... पुलिस सुबह तक बस्ती का घेराव करेगी...
मल्ला - तो करने दो ना भाई... पुलिस अंदर आ नहीं पाएगी...
नीरा - जानता हूँ... पर कितनी देर तक...
मल्ला - (चुप रहता है)
नीरा - देखो... मैं क्षेत्रपाल को घुटने पर देखना चाहता हूँ... समझ लो यह मेरी आखिरी जंग है... (अनु की तरफ देख कर) मुझे इस लड़की का घमंड भी तोड़ना है...
मल्ला - तो क्या करना है बोलो भाई...
नीरा - सुबह तड़के बस्ती से कुछ लोग मछली पकड़ने के लिए निकलेंगे... (अनु के तरफ़ देख कर) तुम अपने आदमियों के साथ इसे एक जाल में लपेट कर एक नाव में डाल देना... और दया नदी से हो कर चीलका में चले जाना.... वहाँ से बोट लेकर... चांदबाली पहुँच जाना...

नीरा का यह प्लान सुन कर अनु की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं l उसकी यह दसा देख कर नीरा के चेहरे पर एक चमक उभर आता है l

नीरा - (अनु के पास जाकर उससे) हाँ... बस यही... हाँ यही तेरे चेहरे पर देखना चाहता था... हैरान... डर और परेशान... (कह कर उसके मुहँ से पट्टी निकाल देता है) अब क्या बोलेगी... एक बार तुझे भुवनेश्वर से बाहर ले चलूँ... फिर तु सोच भी नहीं सकती तेरे साथ क्या क्या करूँगा...
अनु - (बड़े गुरूर के साथ) कुछ नहीं कर पाओगे... तुम कुछ देर के लिए इस भ्रम में रहोगे की तुमने मुझे भुवनेश्वर से बाहर निकाल दिया... पर देखना तुम ही गिड़गिड़ा कर मुझे वापस बुलाओगे....

नीरा गुस्से से अनु के मुहँ पर पट्टी लगा देती है l मंगू और मल्ला की ओर देखते हुए कहता है l

नीरा - इसकी हिम्मत और इसका विश्वास हद से ज्यादा है... यही वज़ह है कि मैं अब तक इसके साथ कुछ किया नहीं है... इसकी हिम्मत और विश्वास को टूटते देखना चाहता हूँ... ले जाओ इसे...

मंगू और मल्ला दोनों आते हैं अनु को लेकर जाने लगते हैं l अनु भी किसी तरह का कोई विरोध नहीं करती l उनके साथ बाहर चली जाती है l

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सुबह के करीब चार बज रहे थे l
सुंढी साही बस्ती से कुछ दुर पर एक बड़े से बरगत के पेड़ के नीचे एक काली रंग की वैनिटी वैन खड़ी हुई है l ऐसा लगता है जैसे कोई न्यूज एजेंसी की ट्रांसमिशन वैन है l वैन के ऊपर रेडार लगा हुआ है l गाड़ी के अंदर सिर्फ तीन लोग बैठे हुए थे, जोडार, विश्व और वीर l

जोडार - (विश्व से) तुम्हें लगता है... पुलिस आ जाएगी...
विश्व - मुझे सतपती जी पर भरोसा तो है... पर...
जोडार - पर... यह पर क्यूँ...
विश्व - जोडार सर... हम जितना प्लानिंग कर रहे हैं... वे लोग भी उतना ही अपने प्लानिंग में होंगे... मैं नहीं चाहता... पुलिस आने तक अनु को किसी तरह से बस्ती से निकालने कोशिश की जाए...
जोडार - ह्म्म्म्म...
विश्व - पर जोडार सर... आप खामखा हमारे साथ आए... किसी ऑपरेटर को भेज देते.. तो काम बन सकता था...
जोडार - ओये... मैं एक एक्स सर्विस मेन हूँ... मुझे मत सिखाओ... मुझे क्या करना चाहिए... वैसे भी... चूंकि तुम डायरेक्टली इंवॉल्व हो... इसलिए अपने मैं भी तैयार हो गया...
विश्व - फिर भी... यह सब गैजेट्स... आप ऑपरेट करेंगे...
जोडार - देखो विश्व... तुम मेरे अपने... बहुत खास हो... (वीर को दिखा कर) यह तुम्हारा दोस्त है.... पर मेरा... पर्सनल और प्रोफेशनल दुश्मन का बेटा है... पर मजबूरी यह है कि... यह तुम्हारा दोस्त है...
वीर - थैंक्यु... जोडार सर...
जोडार - देखो वीर... बुरा मत मानना... आई एम फ्रोम आर्मी... झूठ बोल नहीं सकता...
वीर - मैं आपका आभार रहूँगा...
जोडार - वेल... मैं मदत भी इसलिए कर रहा हूँ... क्यूंकि बात एक लड़की की भी है... सो योंग मेन... अब आगे क्या करना है...
विश्व - सर... आपके गैजेट्स के मदत से मैं... बस्ती के अंदर छुपके छुपाते हुए जाऊँगा... और अनु तक पहुँचने की कोशिश करूँगा....
जोडार - गुड... आइडिया बुरा नहीं है... पर खतरा है...
विश्व - मैं उसके लिए तैयार हूँ... आप बेफिक्र रहें... मैं निपट सकता हूँ...
वीर - नहीं प्रताप... बस्ती के अंदर जाऊँगा तो मैं..
विश्व - देखो वीर... तुम इस मामले में कच्चे हो... तुम्हारी एक गलती... उन्हें ना सिर्फ अलर्ट कर देगी... बल्कि तुम्हें खतरे में डाल देगी...
वीर - नहीं प्रताप... मुझ पर यकीन करो... अनु को सिर्फ मैं ही ढूंढ सकता हूँ... मेरी दिल की धड़कन उसकी पता लगा लेगी... तुम बस.. बाहर से जो मदत हो सके वही करो...
विश्व - पर वीर...
वीर - प्लीज प्रताप... यह मेरे प्यार का... और अनु की मुझ पर विश्वास का इम्तिहान है... अगर कामयाब रहा... तो प्यार जीतेगी... अगर हार भी गया तो... प्यार हारेगी नहीं... पर विश्वास जीत जाएगा... प्लीज...
विश्व - तो चलो हम मिल कर चलते हैं...
वीर - नहीं प्रताप नहीं... यह जंग मेरा अपना है... इसे मुझे ही लड़ने दो... तुम्हें अपने प्यार का वास्ता... तुम्हें अपनी शेरनी का वास्ता... प्लीज... आज एक आशिक को... अपने प्यार के लिए... दुनिया से लड़ जाने दो...

विश्व कुछ कह नहीं पाता, बस छटपटा कर रह जाता है l उसके कंधे पर हाथ रखते हुए जोडार कहता है

जोडार - वीर सही कह रहा है विश्व... लेट हीम गो... उसे जाने दो... यह वीर और अनु विश्वास की परिक्षा है...
विश्व - ठीक है... अगर आप दोनों का यही मानना है... तो यही सही... पर मेरी भी एक शर्त है...
वीर - कहो...
विश्व - देखो गैजेट्स के मदत से... तुम्हें अलर्ट करने के साथ साथ... रास्ता भी बताता रहूँगा... पर जैसे ही मुझे आभास होगा... तुमसे सिचुएशन नहीं संभालेगा... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - प्रताप... बात अगर मार पीट की है... तो मैं हर सिचुएशन को संभाल सकता हूँ...
विश्व - वह मैं कुछ नहीं जानता... जब मुझे लगेगा के तुम फंस गए हो... बाहर नहीं निकल सकते... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - ओके...

विश्व वीर को एक ब्लू टूथ वाली कंपनी के इयर बड देता है l वीर उसे कान में लगा लेता है l वीर अपने जेब में एक फोल्डिंग रॉड को निकाल कर चेक करता है और फिर अपनी आस्तीन में वापस रख लेता है l उसके बाद विश्व और वीर दोनों वैन से उतरते हैं l विश्व एक हाथ घड़ी वाली माइक निकाल कर कलाई पर बाँधता है l विश्व उस घड़ी को ऑन करता है l

विश्व - हाँ... जोडार साहब... हम रेडी हैं... आप पतंग उड़ाईये...

विश्व का इशारा पाते ही जोडार अपने गाड़ी के सिस्टम में एक लिवर दबाता है l तभी गाड़ी के ऊपर से कुछ छोटे छोटे ड्रोन्स उड़ने लगते हैं l कुछ ऊंचाई पर ड्रोन्स अपनी दिशाएँ बदल कर बस्ती के उपर उड़ने लगते हैं l

जोडार - (विश्व से) क्या वीर तुमसे कनेक्ट है...
विश्व - हाँ...
जोडार - उसे कहो वैन के बायीं ओर सीधे जाए और...
विश्व - वीर तुम अपनी बायीं ओर सीधे जाओ... तीसरे पोल के पास... वहाँ पर पहरेदारी पर आदमी गायब है...
वीर - ओके..

कह कर वीर भागने लगता है l तीसरे पोल के पास एक संकरी गली दिखती है l वीर उस गली में घुस जाता है l विश्व के हाथ में एक टेबलेट मानिटर था l वीर के बदन पर एक ट्रैकर लगा दिया था l इसलिए वीर की मूवमेंट विश्व मॉनीटर से पता कर रहा था l थोड़ी देर बाद विश्व अपनी जगह से वीर के दिशा में चलने लगता है l

जोडार - अखिर तुमसे रहा नहीं गया ना... चल दिए वीर के पीछे...
विश्व - (अपने बाएं कान का इयर बड को म्यूट करता है) हाँ... वीर बेवक़ूफ़ है... अपने इश्क की बेवक़ूफ़ी मैं सूइसाइड करने जा रहा है... मैं उसे ऐसे कैसे जाने दे सकता हूँ... आप बस ड्रोन मॉनीटर से रास्ता बनाइये... और खतरे से आगाह कीजिए... बाकी मैं संभाल लूँगा...
जोडार - हाँ मैं बस देखे जा रहा हूँ... तुम भी वीर को रास्ता बताते हुए अंदर पहुंचने की कोशिश करो... वैसे भी... इस बस्ती में सोचने समझने वाले कम हैं...
विश्व - जी... हमें जो भी करना है... पुलिस के आने से पहले करना है...

विश्व अपने कान का इयर बड को फिर से ऑनलाइन करता है और जोडार के कहे बात को वीर तक पहुँचाते हुए खुद भी अंदर जाने लगता है l अचानक उसे एहसास होता है कि वीर के सामने कुछ लोग खड़े हो गए हैं l विश्व भागते हुए एक जगह पहुँचता है जहां दो लोग हाथ में कटार लिए वीर पर हमला करने के लिए तैयार दिखते हैं l वीर भी उनके सामने खड़ा था l उन दो आदमियों से एक हाथ में कटार को हिलाते हुए वीर पर हमला करता है l
Bahut hi shaandar update diya hai Kala Nag bhai....
Nice and lovely update...
 

Emre

Update time se de diya kro...bs aur Kuch nhi kehna
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👉एक सौ चौंतीसवाँ अपडेट
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विक्रम के चेहरे पर कोई भाव नहीं था l यह खबर सुनने के बाद ना वह चौंका ना ही किसी तरह का कोई प्रतिक्रिया दी l यह देख कर पिनाक थोड़ा हैरान हो जाता है l

पिनाक - क्या बात है युवराज... हमारी सूचना से आप की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई...
विक्रम - आप ऐसा करने जा रहे हैं... यह तो मैं जानता था... वैसे भी आपने राजा साहब से वादा जो किया था... आज ही अनु को ठिकाने लगाने के लिए... पर मैं यह निश्चिंत तौर पर कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - यह आप किस बिनाह पर कह सकते हैं...

इस सवाल पर विक्रम के चेहरे पर एक मुस्कान उभरता है l वह इशारा करता है पिनाक को बैठ जाने के लिए l पिनाक एक कुर्सी पर बैठ जाता है विक्रम उसके सामने बैठ जाता है l

विक्रम - वीर कैसा है... यह आप अच्छी तरह से जानते हैं... वह अगर बेकाबू हो गया... तो वह किसीके भी संभाले नहीं संभलेगा... और आप चाहते हैं कि... वीर आपकी मर्जी से मंगनी भी कर ले और शादी भी... वगैर कुछ विरोध किए... इसके लिए... वीर की कमजोरी को कब्जे में लेना जरूरी था... इसलिए मैं कह सकता हूँ... अनु जिंदा होगी...
पिनाक - हाँ है तो वह जिंदा... पर ज्यादा देर के लिए नहीं...
विक्रम - आप अभी भी... वीर को हल्के में ले रहे हैं... वीर अनु को ढूँढ निकालेगा...
पिनाक - युवराज लगता है... आप सबसे ज्यादा दुखी हैं... अनु के अगवा हो जाने से...
विक्रम - मैंने आपको बस एक भविष्यवाणी सुनाई...

पिनाक का चेहरा सख्त हो जाता है l जबड़े भींच जाते हैं l मुट्ठीयाँ कस जाते हैं l आँखों के नीचे वाले पेशियों में थिरखन होने लगते हैं l

पिनाक - (दांत पिसते हुए) वीर कुछ नहीं कर पाएगा... उसे एहसास होगा... क्षेत्रपाल उपनाम के वगैर... इस दुनिया में... उसकी कोई हस्ती नहीं है... वीर सिंह नाम का जो बल्ब जल रहा है... उसके अंदर का फ़िल्मेंट क्षेत्रपाल है... उसके वगैर वह एक फ्यूज बल्ब है... जिसकी जगह... गटर के पास वाले कोई कूड़ेदान है... आज वह अकेला होगा... असहाय... बेबस मजबूर... हम जिस दुनिया को झुकाते हैं... कुचलते हैं... जीतते हैं... राजकुमार उसी दुनिया का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं...
विक्रम - आप ऐसा क्यूँ चाहते हैं... वीर आपका बेटा है... कहीं ऐसा ना हो... की आप दुनिया को जीतते के गुमान में... अपनी ही दुनिया ना हार जाएं...
पिनाक - मैं उसे वीर सिंह नहीं... वीर सिंह क्षेत्रपाल बनते देखना चाहता हूँ... लड़कियाँ उसकी कमजोरी तो हों... पर कोई एक लड़की उसकी कमजोरी ना बन जाएं...
विक्रम - अनु उसकी जिंदगी है...
पिनाक - और मुझे वह ना पसंद है...
विक्रम - छोटे राजा जी... आप हमेशा... राजा साहब के कहे मानते रहे... एक बार आप अपने लिए... वीर की बात मान लेते...
पिनाक - राजकुमार ने हमसे माँगा ही कब...
विक्रम - आपने मौका दिया ही कब....

कुछ देर के लिए पिनाक चुप हो जाता है l फिर अचानक से उठ कर जाने लगता है l उसे जाता देख विक्रम भी उठ खड़ा होता है l जाते जाते पिनाक दरवाजे के पास रुक जाता है l

पिनाक - आज कल आपकी बातेँ चुभ नहीं रहे हैं युवराज... कलेजा छलनी कर रही है... खैर राजकुमार को संभाल कर... उन्हें मंगनी के लिए तैयार करना अब आपके जिम्मे है...
विक्रम - जी मैं कोशिश करूँगा... पर शायद उसकी नौबत ना आए...
पिनाक - (विक्रम की ओर घुम जाता है) क्या... (जैसे खिल्ली उड़ते हुए) आपको लगता है... राजकुमार उस बदजात को ढूँढ लेगा...
विक्रम - हाँ...
पिनाक - युवराज... हम मानते हैं... आप राजकुमार के बहुत करीब हैं... इसलिए राजकुमार का दर्द आपको बर्दाश्त नहीं हो रहा... पर खुद को यह झूठी तसल्ली देना बंद करें...
विक्रम - (चुप रहता है)
पिनाक - युवराज... हमने राजकुमार की हर हरकत की खबर रखा करते थे... पर कभी सोचा नहीं था... एक लड़की के लिए वह पागल भी हो सकते हैं... उन्हें कम तकलीफ हो... इसीलिए हम सब पास नहीं हैं... जब हम पहुँचेंगे... उनको एक कंधे की दरकार होगी... वह कंधा आप बनेंगे...
विक्रम - दर्द भुला भी नहीं होगा... और आप उसी दिन उसकी मंगनी कराने की सोच रहे हैं...
पिनाक - हाँ... अच्छे से मान गया तो ठीक... वर्ना... उस लड़की की नाजुक हालत दिखा कर ही सही... यह मंगनी और शादी करा देनी है...
विक्रम - मुझे खेद है... ऐसा कुछ भी नहीं होगा...
पिनाक - (अपना भवां टेढ़ा कर) कहीं आपने कुछ...
विक्रम - नहीं.. मैंने कुछ भी नहीं किया... उसकी नौबत ही नहीं आई... सच तो यह है कि... वीर ने मुझे कुछ करने के लिए मौका दिया ही नहीं...
पिनाक - उसके साथ हम में से कोई भी नहीं है.... सच तो यह है कि... उसके साथ उसका अपना साया तक नहीं है...
विक्रम - उसके साथ उसका दोस्त है...
पिनाक - (हैरानी के साथ) दोस्त...
विक्रम - हाँ... दोस्त... अभी आप कह रहे थे... आप वीर की सारी ख़बरें रखा करते थे... फिर दोस्त की बात आपसे कैसे छूट गया....
पिनाक - कौन दोस्त... कैसा दोस्त...
विक्रम - वह दोस्त.. जो वीर के साथ चट्टान जैसा खड़ा है...
पिनाक - कौन है... क्या किया है....

विक्रम टीवी का मोबाइल उठाता है और टीवी को फिर से ऑन करता है l पिनाक देखता है नभ वाणी न्यूज चैनल पर न्यूज क्लिप चल रहा था l जिसमें एक एंकर के बगल में एक विंडो में दिख रहा था कुछ औरतें किसी ऑफिस की घेराव किए हुए हैं l उन महिलाओं के पास न्यूज रिपोर्टर और पुलिस वाले खड़े हैं l विक्रम टीवी का वॉल्युम बढ़ाता है l

" आज की ब्रेकिंग न्यूज में मैं सुप्रिया रथ आप दर्शकों का स्वागत करती हूँ... जैसा कि आप दर्शक अवगत होंगे कुछ घंटों पहले राजधानी में एक काम काजी महिला का सिटी हस्पताल से अपहरण हो गया है... उन महिला का नाम है अनुसूया दास... अनुसूया जी की दादी जी के कंप्लेंट पर पुलिस की ढुलमुल रवैये से दुखी हो कर वाव की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति जी से मदत मांगी... घटना को जानने के पश्चात प्रतिभा जी पुलिस की कारवाई पर सवाल उठा कर कमिश्नरेट का अपने कुछ कार्यकर्ताओं के सहित घेराव किया है... हमारी संवाददाता निधि उनके विचार जानने के लिए उनके निकट गई हुई हैं... आइए जानते हैं आगे क्या करने की उनकी विचार है...

निधि - धन्यवाद सुप्रिया... जैसा कि जानते हैं... पहली बार ऐसा हुआ है कि सिटी हस्पताल के परिसर से... एक लड़की का अपहरण हुआ है... और सबसे खास बात... वह लड़की ESS से संबंधित है... इसलिए तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं... पर पुलिस महकमा कह रहा है... वे अपने काम कर रहे हैं... पर उनके काम से वर्किंग वुमेन एसोसिएशन ऑफ ओडिशा की अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभा सेनापति इत्तेफ़ाक नहीं रख रहीं हैं... आइए जानते हैं उनसे उनके विचार... जी प्रतिभा जी...
प्रतिभा - देखिए... हम पुलिस की कारवाई से नाखुश हैं... लड़की दुपहर से लापता है... जब कि पुलिस शाम की बात कर रही है... इसलिए हमें पुलिस की मंशा पर शक हो रहा है...
निधि - क्या इसलिये अपने कमिश्नरेट का घेराव किया है...
प्रतिभा - नहीं हमने कोई घेराव नहीं किया है... हम वाव के तरफ़ से कुछ ही कार्यकर्ता कमिश्नरेट के सामने प्रदर्शन मात्र कर रहे हैं... पर कल सुबह तक अगर लड़की लापता रही... तो कल से यहाँ कमिश्नरेट के सामने कामकाजी महिलाओं का जामावड़ा शुरु होगी... इसके लिए... राज्य की कानून मंत्रालय और कमिश्नर जिम्मेदार होंगे...

तभी एक एसीपी कुछ ऑफिसरों के साथ प्रतिभा सेनापति के पास आता है l निधि यह देख कर उस एसीपी से मुखातिब होती है

निधि - यह रहे पुलिस ऑफिसर... शायद कमिशन ऑफिस से कोई सूचना लेकर आए हैं... जी सर
एसीपी - जी मैं... एसीपी सुभाष सतपती... आप गण माध्यम के जरिए... पुलिस प्रशासन के तरफ से यह आश्वासन दे रहा हूँ... हम पुरी कोशिश करेंगे... अगवा हुई लड़की को जितनी जल्दी हो सके ढूँढ कर आपके समक्ष लाएंगे... "

पिनाक पास रखे एक फ्लावर वॉश को उठा कर टीवी पर दे मारता है l टीवी का स्क्रीन फट जाता है और धुआं निकलने लगता है l विक्रम पिनाक की ओर देखता है

पिनाक - यह सब कैसे... राजकुमार वीर ऐसे कैसे सोच सकता है... उस औरत... प्रतिभा के पास वह पहुँचा कैसे...
विक्रम - अब आप बेबस.. असहाय लग रहे हैं...
पिनाक - हमें बेबस कर सके किसी में दम नहीं...

इतना कह कर पिनाक अपना मोबाइल निकाल कर कानून मंत्री सुजीत जेना को फोन लगाता है l पर उसका फोन लगता नहीं है l खीज कर वह बल्लभ को फोन लगाता है l

पिनाक - प्रधान... वहाँ पर क्या हो रहा है...
बल्लभ - छोटे राजा जी... यहाँ बात कुछ बिगड़ रहा है... फिर भी मैं और कमिश्नर संभालने की कोशिश कर रहे हैं...
पिनाक - क्या खाक कोशिश कर रहे हो... एक मामुली दो कौड़ी की लड़की के लिए... मीडिया और वाव... कमिश्नरेट का घेराव हो रहा है... इस औरत के पास वीर पहुँचा कैसे...
बल्लभ - यह तो मुझे भी समझ में नहीं आ रहा है... उन्हें यह आइडिया दिया किसने... और इतनी जल्दी एक्शन में भी आ गए...
पिनाक - मैं कुछ नहीं जानता... तुम कैसे और किस तरह से मैनेज करोगे... पर पुलिस और प्रशासन का कोई भी दखल नहीं होनी चाहिए...
बल्लभ - मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा... पर पुलिस ने सारे शहर में नाकाबंदी लगा दी है... आप उनसे कहिये... किसी भी तरह से... या तो शहर से गायब हो जाएं... या फिर अंडरग्राउंड हो जाएं...
पिनाक - आआआहहह... (फोन काट देता है और विक्रम की ओर देखने लगता है) यह कौन दोस्त है... वीर को मिल गया है...
विक्रम - एडवोकेट प्रतिभा सेनापति को जानते हैं आप...
पिनाक - अच्छी तरह से... सेनापति दंपती के बारे में...
विक्रम - तो आपको यह भी मालुम होगा... उनका एक मुहँ बोला बेटा है....

पिनाक की आँखे हैरत से बड़ी हो जाती हैं l मुहँ खुला रह जाता है l अविश्वास के भाव से विक्रम की ओर देखने लगता है l

पिनाक - नहीं... यह नहीं हो सकता... हमारे दुश्मन से... वीर की दोस्ती... विश्वा से वीर की दोस्ती.....

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द हैल
वीर को देखते ही तीनों खड़े हो जाते हैं, सुषमा आगे बढ़ती है और वीर के गले लग जाती है l वीर भी उसके गले लग जाता है l सुषमा सुबक रही थी पर वीर शांत था l उसका चेहरा जैसे कुछ आने वाले तूफान या जलजले का संदेश दे रहा था, यह बात रुप को साफ एहसास हो रहा था l

रुप - भैया... माँ... प्लीज बैठ जाइए ना...

रुप के इतने कहने से दोनों अलग होते हैं l वीर सुषमा को लाकर सोफ़े पर बिठा देता है l सुषमा वीर की ओर देखते हुए पूछती है

सुषमा - यह क्या हो रहा है वीर...
वीर - माँ शांत... तुम पहले अपनी बताओ...
सुषमा - वीर... मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... मुझे आज अचानक से बुलावा आया कि मुझे भुवनेश्वर तुम लोगों के पास पहुँचना है... मैं नर्सों और डॉक्टरों की टीम को बड़े राजा जी को देखभाल के लिए लगा कर आ गई... यहाँ पहुँचने के कुछ ही समय पहले जानकारी मिली... के कल तुम्हारी मंगनी है... मुझे हैरत हुई... पर धक्का तब लगा... जब यह खबर मिली कि... हमारी अनु को अगवा कर लिया गया है... यह क्या हो रहा है...
वीर - माँ... यह क्षेत्रपाल मर्दों की ना मर्दानगी है...
सुषमा - क्या.. क्या मतलब... मैं कुछ समझी नहीं...
वीर - अनु को छोटे राजा जी ने उठवाया है...
सुषमा - क्या... (उछलकर उठ खड़ी हो जाती है)

ऐसा ही हाल रुप और शुभ्रा का भी था l हैरानी और अविश्वास से तीनों का चेहरा सन्न था l रुप और शुभ्रा आँख और मुहँ फाड़े कभी एक दुसरे को कभी वीर और सुषमा को देखे जा रहे थे l

सुषमा - यह तु क्या कह रहा है...
वीर - (एक टूटी हुई हँसी हँसते हुए) इसमें अविश्वास ना कर पाने वाली बात क्या है माँ...
सुषमा - (मुश्किल से) जिंदा है...
वीर - हाँ.. शायद...
सुषमा - हाँ शायद... मतलब...
वीर - जिंदा इसलिये... की मैं जिंदा हूँ... पर आज छोटे राजा जी ने... मुझे सच में मार दिया...
रुप - ऐसे क्यूँ कह रहे हो भैया...

वीर कोई जवाब नहीं देता l एक गहरी साँस लेते हुए उठ खड़ा होता है l रुप की ओर देखता है l

रुप - तुमने कोई जवाब नहीं दिया...
वीर - (शुभ्रा की ओर देख कर) आप कुछ नहीं पूछेंगी भाभी...
शुभ्रा - मैं क्या पूछूं... मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहा है... तुम्हारा मंगनी है... और अनु का अगवा कर लिया गया है...

वीर अपनी माँ की तरफ देखता है l सुषमा स्तब्ध सी चेयर पर धप से बैठ जाती है, जैसे उसे गहरा सदमा लगा है l वह खोई खोई सी लग रही थी

वीर - माँ...
सुषमा - (चौंक कर) हाँ... (वास्तविकता में लौटते हुए) हाँ...
वीर - क्या हुआ...
सुषमा - यह क्या हो रहा है... क्षेत्रपाल किसीको अपने रास्ते से हटाना चाहें तो... कहाँ नामुमकिन है... फिर ऐसे अनु को उठवाने का क्या मतलब... वह भी दुनिया को बता कर...
वीर - दुनिया में किसी को कुछ भी नहीं पता... इस साजिश के पीछे क्षेत्रपाल हैं... यह तो मुझे किडनैपर ने बताया है...
शुभ्रा - तो उसने जरूर झूठ बोला होगा...
वीर - नहीं... उसने सच कहा है...
रुप - यह तुम कैसे कह सकते हो...

वीर विक्रम की चिट्ठी की जिक्र करते हुए बताता है कैसे उसके ऑफिस में हर विभाग के इंचार्ज सभी कलकत्ता गए हुए हैं l यह सब सुन कर तीनों और भी हैरान होते हैं l

सुषमा - हे भगवान... यह कैसी हैवानियत है... अपनी ही औलाद के खिलाफ... (सुबकते हुए) मैं तेरे... अनु के और अनु की दादी की गुनाहगार हूँ वीर... मैं अब किस मुहँ से अनु के और उसकी दादी का सामना कर पाऊँगी...
वीर - माँ... मुझे कभी क्षेत्रपाल होने का गुरूर था... पर अनु के आगे मेरा वह गुरुर बहुत बौना हो जाता था... मैंने ता उम्र अपने गुरुर के चलते सिर्फ दुश्मन ही दुश्मन कमाए हैं... पर अनु के मेरी जिंदगी में आने के बाद... मुझे सच्चा प्यार और एक सच्चा दोस्त मिला है... आज उसी दोस्त के मदत से मैं अनु को ढूंढने जा रहा हूँ...
सुषमा - (थोड़ी अचरज के साथ) दोस्त...
वीर - हाँ माँ दोस्त... आज मेरे साथ... ना मेरे अपने हैं... ना ज़माना है... ना भगवान... ना मेरा अपना साया है... पर इस हालत में भी.. मेरा दोस्त मेरे साथ खड़ा है... जब भी मैंने उसे आवाज दी.. वह मेरे सामने आ कर खड़ा हो गया... आज जब मुझे किसी की साथ की जरूरत थी... तब वही मेरे सामने आकर खड़ा हो गया... अब मुझे ऐसा लगता है कि... मैं दुनिया से टकरा सकता हूँ... दुनिया बदल सकता हूँ...

वीर इतना कह कर फिर चुप हो जाता है l तीनों ध्यान से वीर को सुन रहे थे l खामोशी ऐसी थी के किसी में हिम्मत ही नहीं हो रही थी खामोशी तोड़ने के लिए l फिर भी कुछ देर के बाद

शुभ्रा - वीर... जानते हो ना... कल शाम साढ़े सात बजे xxxx होटल में... तुम्हारा मंगनी करा दी जाएगी...
वीर - जानता हूँ...
रुप - फिर यह सब...

वीर सुषमा की ओर देखता है, सुषमा उसे डबडबाई आँखों से देख रही थी l ऐसा लग रहा था जैसे वह कहना और पूछना बहुत कुछ चाह रही थी पर उसका जुबान साथ नहीं दे रही थी l

वीर - माँ... तुमने अनु की दादी से जो वादा किया है... वह नहीं टुटेगी... कल उसी समय... उसी होटल में... मैं पुरी दुनिया के सामने ऐलान करूँगा... के अनु ही मेरी जीवन साथी होगी... चाहे कुछ भी हो जाए...
सुषमा - मुझे डर है... कहीं क्षेत्रफ़ल के अहंकार के चलते... अनु को कुछ हो ना जाए...
वीर - अगर अनु को कुछ हो गया... तो वीर भी नहीं रहेगा...
सुषमा - क्या... (एक झटके के साथ चेयर से उठ खड़ी होती है)
वीर - हाँ माँ...
शुभ्रा - वीर... तुम यह कैसी बातेँ कर रहे हो... वह भी अपनी माँ के सामने... जिन्होंने ना जाने कितनी दुआएँ माँगी होंगी... तुम्हारी लंबी उमर के लिए...
वीर - जानता हूँ भाभी..
रुप - फिर भी माँ का दिल दुखा रहे हो...
वीर - आप सब जानते हैं... अनु के साथ यह हादसा... बताने के लिए काफी है... के वह कभी भी... क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी नहीं जाएगी... इसलिए मैं यह कहने आया हूँ... की आज के बाद इस घर में... या राजगड़ में... मेरा आना जाना तभी होगा... जब अनु क्षेत्रपाल परिवार में स्वीकारी जाएगी....

यह बात एक बिजली की तरह तीनों पर गिरती है l तीनों भौंचके हो जाते हैं और एक दुसरे के मुहँ को ताकने लगते हैं l सुषमा धप से चेयर पर बैठ जाती है l

शुभ्रा - वीर... तुम होश में तो हो... जानते हो क्या कह रहे हो...
रुप - देखो माँ को कितना गहरा सदमा पहुँचा है...
वीर - (फिर से अपनी माँ के आगे झुक जाता है) माँ... मैं जानता हूँ... तुमको... बल्कि... आप सब लोगों को तकलीफ होगी... पर सच्चाइ यही है... की आप में से कोई क्षेत्रपाल के खिंचे लकीर लांघ नहीं सकता... और मैं नहीं चाहता... मेरी और क्षेत्रपाल के अहंकार के टकराव के बीच मेरा अपना कोई पीस जाए... इसलिए आज आप लोगों से मैं इजाजत लेने आया हूँ...


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अपने कमरे में चहल कदम करते हुए पिनाक अपनी हाथ की मुट्ठी बना कर दुसरे हाथ पर मार रहा था l उसके चेहरे पर बैचैनी साफ झलक रहा था l सारी दुनिया सो रही थी पर उसके आँखों में नींद गायब था l अचानक वह टेबल लैम्प के पास रखे अपना मोबाइल उठाता है और एक नंबर पर डायल करता है l

@ - (उबासी लेते हुए) हैलो छोटे राजा जी... कहिए... इतनी रात गए कैसे याद किया...
पिनाक - बे कुत्ते... हरामी साले... जब सारा भुवनेश्वर जाग रहा है... तु कैसे चैन से सोया हुआ है...
@ - क्यूँ छोटे राजा जी क्या हो गया....
पिनाक - हराम जादे... उस लड़की को कहाँ पर रखा है... तुम ने...
@ - छोटे राजा जी... आप भुल रहे हैं... किडनैप मैंने नहीं किया है... करवाया है... आपने ही कहा था... यह काम किसी ऐसे इंसान से करवाने के लिए... जिसका क्षेत्रपाल परिवार से दुर दुर से वास्ता ना हो... अगर हो तो दुश्मनी हो... और मैंने ऐसा ही किया है... इस कांड में... आपके या आपके परिवार का नाम बिल्कुल नहीं उछलेगा...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... पर हम यह भी चाहते थे... वह लड़की फिर कभी दिखे ही ना...
@ - वह लोग हैं ही ऐसे... वह लोग उस लड़की को... ना जाने कितनी बार बेचेंगे.... और फिर उसकी ऑर्गन बेच कर किसी कोने में दफना देंगे....
पिनाक - पर अब उस लड़की को पुलिस ढूँढ रही है...
@ - सॉरी छोटे राजा जी... यह काम आपने मुझे नहीं दी थी... और यह काम मेरे बस की है भी नहीं... आपने इसे जिसके बस की कही थी... उसे ही तो आपने सौंपा रखा है...
पिनाक - हाँ तुम ठीक कह रहे हो... तुमने अपना काम करदिया है... क्या... (थोड़ी देर के लिए चुप हो जाता है)
@ - पूछिये छोटे राजा जी... पूछिये... आपको किस बात का डर है...
पिनाक - अपनी जुबान पर लगाम दे कुत्ते... डर हम से डरता है... हम तो बस यह तसल्ली करना चाहते हैं... तुमने जिसे काम सौंपा है... कहीं पुलिस के डर से उस लड़की को छोड़ ना दे...
@ - आप घबराईये मत छोटे राजा जी... जिसे यह काम सौंपा गया है... या तो वह उस लड़की को बेच देगा... या फिर मार देगा... पर छोड़ेगा नहीं... आप बस अपने प्रधान बाबु से पुलीस कारवाई पर तसल्ली कर लीजिए...
पिनाक - ठीक है....
@ - तो क्या अब मैं सो जाऊँ... (उबासी लेते हुए) बड़ी जोर की नींद आ रही है....
पिनाक - हूँ... सो जा...

कोई जवाब नहीं मिलता l पिनाक फोन पर देखता है कॉल कट हो चुका था l पिनाक की जबड़े सख्त हो जाते हैं l वह बल्लभ को फोन लगाता है

बल्लभ - हे हैलो...
पिनाक - (गम्भीर आवाज में) यह हम न्यूज में क्या देख रहे हैं...
बल्लभ - सॉरी छोटे राजा जी... हमने ऐसा बिल्कुल सोचा भी नहीं था... मैंने कमिश्नर से और जेना बाबु से बात कर... अगवा हुई उस लड़की की तलाश की तफ्तीश को भटकाने और देर करने के लिए राजी करा दिया था... उस काम के लिए... टीम भी बना दिया गया था... पर...
पिनाक - ह्म्म्म्म... आगे बोलो... हम तुम्हारे मुहँ से सुनना चाहते हैं...
बल्लभ - पता नहीं कैसे... अनु की दादी उस एडवोकेट प्रतिभा सेनापति के पास पहुँच गई... अब कानून मंत्री सुजीत जेना और कमिश्नर पर बहुत प्रेसर है...
पिनाक - मतलब...
बल्लभ - जी मैं कमिश्नर जी से बात कर रहा था... अगर इस मामले में मीडिया नहीं घुसती तो कुछ कर सकते थे... पर अब यह डिपार्टमेंट की इज़्ज़त पर बात आ गई है... इसलिए वह अब उस लड़की को ढूंढने की पुरी कोशिश करेंगे...
पिनाक - आ आ आह्य... देखो मैं कुछ नहीं जानता... राजा सहाब के सामने मेरी गर्दन झुकनी नहीं चाहिए... तलाश के काम में जितनी देर हो सके करवाओ... जहां पर जितना पैसा लगे... खिलाओ... पर लड़की मिले तो कल नहीं... परसों या किसी और दिन मिले... बस वह जिंदा ना मिले उसका इंतजाम मैं करवाऊंगा...

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अस्सिटेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस सुभाष सतपती अपनी जिप्सी के अंदर उतरता है और चले हुए एक चेक पोस्ट पर पहुँचता है l उसे देखते ही पोस्ट पर तैनात सभी पुलिस वाले उसे सैल्यूट ठोकते हैं l

सतपती - कैसा चल रहा है अब तक...
एक संत्री - हम सभी को चेक कर रहे हैं सर...
सतपती - गुड...

इतना कह कर सतपती अपनी गाड़ी में आकर बैठता है और गाड़ी स्टार्ट कर वहाँ से चल देता है l गाड़ी कुछ देर बाद एनएच के एक ढाबा 24/7 पर रुकती है l गाड़ी से उतर कर वह एक केबिन में घुस जाता है l केबिन के अंदर विश्व बैठा हुआ था l

सतपती - मुझे ज्यादा देर तो नहीं हुई...
विश्व - नहीं... आइए सतपती सर... बैठिए...
सतपती - (बैठते हुए) अकेले हो...
विश्व - फ़िलहाल... अभी दो और लोग आयेंगे...
सतपती - एक को मैं गेस कर सकता हूँ... वीर... वीर सिंह क्षेत्रपाल... यह दुसरा कौन है..
विश्व - उसे आने दीजिए... मिल लीजिएगा... वैसे मेरे बुलाने पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया...
सतपती - क्या करें... सेनापति सर का हुकुम था... और मुझ पर तुम्हारा एहसान भी तो बहुत है... तुम्हारे ही किए क्रेडिट के वज़ह से आज इस पोस्ट पर हुँ...
विश्व - आप खुश नहीं लग रहे हैं...
सतपती - ऐसा नहीं है विश्व... सेनापति सर के कहने से मैं... अपना ट्रांसफ़र और प्रमोशन दोनों स्वीकार किया... इनाम के तौर पर देहरादून में आईपीएस ट्रेनिंग भी मिला... पर पोस्टिंग देखो... फिल्ड के बजाय इंटेलिजंस विंग में डाल दिया... दिन भर फाइलें छानता रहता हूँ... और कमिश्नरेट के तरफ से... मीडिया का स्पोक पर्सन बन गया हूँ... रही तुम्हारी बात... मैं तुमसे कभी शिकायत नहीं रख सकता यार... खैर यह जो हो रहा है.. मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा है... तुम और वीर सिंह... (चुप हो जाता है)
विश्व - मेरा दुश्मन भैरव सिंह है... और वीर सिंह मेरा दोस्त है...
सतपती - तो तुम इस तरह से... बदला ले रहे हो...
विश्व - नहीं... यह इत्तेफाक है कि भैरव सिंह मेरा दुश्मन और उसका भतीजा मेरा दोस्त... और मेरी रीढ़ की हड्डी इतनी कमजोर नहीं... भैरव सिंह से बदला लेने के लिए... मुझे उसके भतीजे के ओट लेना पड़े...
सतपती - क्या वीर सिंह... तुम्हारे और भैरव सिंह के बारे में जानता है...
विश्व - हाँ... उस दुश्मनी से इस दोस्ती का कोई वास्ता नहीं है... भैरव सिंह के लिए इतना खुन्नस है कि मैं उसका जान ले सकता हूँ... पर वीर सिंह के लिए दोस्ती इतनी पक्की है कि... मैं उसके लिए जान दे सकता हूँ...

विश्व की जवाब सुन कर सतपती चुप हो जाता है l तभी केबिन में वीर आता है और एक कुर्सी खिंच कर दोनों के साथ बैठ जाता है l विश्व देखता है वीर थोड़ा खोया खोया सा लग रहा था l

विश्व - क्या हुआ वीर...
वीर - कुछ नहीं... (सतपती की ओर देख कर) आपकी तारीफ...
सतपती - मैं विश्व का दोस्त... एसीपी सुभाष सतपती...
वीर - ओ.. थैंक यु... (विश्व की ओर देख कर) तो...
विश्व - एक मिनट वीर... मेरा एक और दोस्त आ रहा है... उसे आने दो...

तभी कमरे में एक और शख्स आता है l तीनों को बारी बारी से सलाम ठोकता है l उसे देख कर सतपती हैरान होता है l

सतपती - तुम...
शख्स - (हँसते हुए) जी...
सतपती - (विश्व की ओर देखते हुए) यह यहाँ कैसे...
विश्व - (उस शख्स से) तुम यहाँ बैठो लल्लन... (लल्लन बैठ जाता है, विश्व सतपती से) आप जिस दुसरे की बात कर रहे थे... यह यही है... इस केस में... इसकी मदत भी बहुत जरूरी है...
सतपती - (लल्लन से) तु भुवनेश्वर में कैसे...
लल्लन - जब भाई बुलाते हैं... मैं उनकी सेवा में हाजिर हो जाता हूँ....
विश्व - ओके... हम उस बात पर जिसके लिए यहाँ आए हैं... सतपती जी आप के पास क्या जानकारी है...
सतपती - पहली बात... मैंने सारे सीसीटीवी फुटेज खंगाल कर कुछ फोटोस लाया हूँ... इस किडनैपिंग के पीछे यही लोग हैं...

इतना कह कर मोबाइल निकाल कर दो शख्सों की फोटो निकाल कर दिखाता है l विश्व लल्लन को वह फोटो देखने के लिए कहता है l लल्लन उन फोटोस को गौर से देखता है

लल्लन - यह लोग नीरा के आदमी हैं..
सतपती - हाँ बिल्कुल...
विश्व - (वीर से, फोटो दिखा कर) वीर... क्या इन्हें जानते हो या इनके बॉस नीरा को... (वीर अपना गर्दन हिला कर ना कहता है)
सतपती - राजकुमार जी को याद ना हो शायद... पर...
वीर - (टोकते हुए) एक मिनट एसीपी सर... मुझे आप वीर कहिये... (सतपती उसे हैरानी भरे नजरों से देखता है) प्लीज... और यह आप आप मत कहिए... मैं अभी अभी आप वाली औकात से बाहर आया हूँ... तुम कहिये... या तु भी कह सकते हैं...
सतपती - ओके... तो वीर... तुम्हें मालुम होना चाहिए... नीरा आइकन ग्रुप से जुड़ा हुआ था... केके ग्रुप के साथ टेंडर को लेकर झगड़ा था... इसका भाई सुरा और उसकी महबूबा एक दिन गायब हो गए... और शायद... (कहते कहते रुक जाता है)
वीर - हाँ... हाँ... याद आया... केके की एक बेटी भी थी... यही नीरा और सुरा के डर से... उसकी शादी कर दी थी... और उसे विदेश भेज दिया था...
सतपती - हाँ... बिल्कुल... और पुलिस को लगता है... मिस अनु के किडनैपिंग उसी दुश्मनी के वज़ह से हुई है...

कुछ देर के लिए केबिन में खामोशी छा जाती है l सभी वीर की ओर देखते हैं, वीर अपनी भवें सिकुड़ कर सोच में था l विश्व बात को आगे बढ़ाते हुए

विश्व - तो सतपती जी... अगर पुलिस के पास इतनी जानकारी है... तो फिर... कारवाई में इतनी देरी क्यूँ...
सतपती - पता नहीं... पर मुझे जहां तक अंदाजा मिल पा रहा है... महकमे में कोई भी इंट्रेस्टेड नहीं है... इसलिए केस को घुमा रहे हैं... चूंकि अब मीडिया इंवॉल्व हो गई है... खाना पूर्ति के लिए इधर उधर हाथ पैर मार रहे हैं...
विश्व - तो क्या अनु को भुवनेश्वर से बाहर ले गए हैं...
सतपती - नहीं... अनु पक्के तौर पर भुवनेश्वर में ही है... नाकाबंदी बड़ी जबरदस्त है... बस ढूंढने में थोड़ी ढील है...
विश्व - (लल्लन से) तो लल्लन प्यारे... कुछ पता चला पाए...
लल्लन - (बातचीत के दौरान वह मोबाइल पर झुका हुआ था, वैसे ही झुके हुए) भाई दो मिनट... मैंने फोटो देखते वक़्त अपने मोबाइल पर ट्रांसफ़र करवा लिया था... उसे अपने पट्ठों के पास भेज दिया है... खबर मिल जाएगी...

थोड़ी देर बाद उसके मोबाइल पर एक अलर्ट ट्यून बजता है l लल्लन मेसेज पढ़ने के बाद विश्व की ओर देखता है l

लल्लन - भाई... नीरा... बालासोर में था... कुछ ही दिन हुए हैं... वह भुवनेश्वर में आया है... अभी वह सुंढी साही बस्ती में है... और मुमकिन है... अनु वहीँ पर हो... क्यूँकी पुरे भुवनेश्वर में... अनु को छिपाने के लिए... एक वही बस्ती ही सेफ है... जहां पुलिस भी रेड डालने से पहले सौ बार सोचती है...
वीर - (उठते हुए) तो फिर देर किस बात की... चलो चलते हैं...

वीर अकेला खड़ा होता है पर विश्व, सतपती और लल्लन अपनी जगह से नहीं उठते l वीर थोड़ा हैरान होता है l

वीर - क्या हुआ...
सतपती - थोड़ी देर के लिए बैठ जाइए वीर... (वीर बैठता है)
विश्व - (सतपती से) आपका क्या प्लान है...
सतपती - विश्व... तुम्हें शायद अंदाजा हो... यह सुंढी साही बस्ती है... इस बस्ती में... जितने भी लोग रहते हैं... एक से बढ़कर एक छटे हुए बदमाश हैं... गुंडई उन लोगों का खानदानी पेशा है... वहाँ घुसने के लिए... वेल प्रीपेयरड फोर्स चाहिए... और फोर्स लेने के लिए...इंफोर्मेशन पक्की होनी चाहिए...
विश्व - मतलब... आप कुछ नहीं कर सकते...
सतपती - कर तो सकता हूँ... पर... मुझे सुबह तक टाइम चाहिए... ताकि मैं कमिश्नर को... यकीन दिला कर मना सकूँ...
वीर - तब तक... अनु के साथ कुछ भी हो सकता है... उसे कहीं ले भी जा सकते हैं...
विश्व - वीर... हिम्मत रखो... लल्लन तुम्हारा क्या खयाल है...
लल्लन - भाई... सतपती सर सही कह रहे हैं... पर मुझे लगता है... सुबह तक भी देर हो सकती है... वे लोग कोई ना कोई तरकीब लगा कर अनु को भुवनेश्वर से दुर ले जाने की कोशिश करेंगे...
वीर - तो फिर... हम किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं...
विश्व - वीर... शांत रहो... जज्बाती हो कर जल्दबाज़ी में काम ना लो... (सतपती से) ठीक है सतपती जी... यहां तक मदत के लिए शुक्रिया... आप कोशिश कीजिए... किसी तरह सुबह तक... सुंढी साही के बाहर तक फोर्स ले आयें...
सतपती - (उठते हुए) ठीक है फिर... मैं कुछ भी करके... कमिश्नर साहब को राजी कर... एक बटालियन लेकर सुबह तक पहुँचने की कोशिश करता हूँ...

इतना कह कर सतपती वहाँ से चला जाता है l उसके जाने के बाद विश्व कुछ सोचने लगता है l उसे सोच में देख कर लल्लन विश्व से पूछता है

लल्लन - क्या बात है भाई...
विश्व - जिस तरह पुलिस सारे शहर की नाकाबंदी कर रखा है... जाहिर है... उस बस्ती में लोग... अपनी बस्ती की पहरेदारी में होंगे...
लल्लन - बिल्कुल भाई... मेरा एक पट्ठा गया है... ख़बर निकाल कर पुरी जानकारी देगा...
वीर - देखा प्रताप... मेरे बाप ने सुपारी दी भी किसे... जिसके साथ हमारी दुश्मनी है... ताकि दुनिया को लगे अनु... हमारी दुश्मनी की चलते किडनैप हुई है...
विश्व - मुझे लगता है... कोई तीसरा भी है... जो खेल रहा है...
वीर - मतलब...
विश्व - मतलब... तुमसे बात करने वाला नीरा नहीं था... कोई और था... जिसने तुम्हारे बाप की सुपारी की बात कही थी...
वीर - वह चाहे कोई भी हो... सुपारी की बात सच है... (एक गहरी साँस लेते हुए) यार प्लीज कुछ करो.. पता नहीं अनु कैसी होगी किस हाल में होगी...

तभी लल्लन की मोबाइल बजने लगता है l लल्लन मोबाइल उठा कर अपने कान में लगाता है l उसकी आँखों में एक चमक दिखने लगता है l कुछ देर मोबाइल सुनने के बाद

लल्लन - भाई... अनु उसी बस्ती में है... शहर की नाकाबंदी देख कर... सुबह सुबह अनु को ले जाने की प्लान बना रहे हैं...

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एक कमरे में अनु कुर्सी पर बैठी हुई है l उसके सामने एक आदमी खिड़की से बाहर देखते हुए सिगरेट पी रहा है l तभी बाहर से एक आदमी आता है और कमरे में खड़ा हो जाता है l उसके आने का एहसास होते ही पहला शख्स अपना सिगरेट खिड़की से फेंक कर उसके तरफ मुड़ता है l

शख्स - क्या बात है मंगू...
मंगू - नीरा भाई... कुछ देर के बाद सुबह हो जाएगी... हम रात में इस लड़की को निकाल नहीं पाए... सुबह कैसे निकलेंगे...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - उसने कहा था... पुलिस का लफड़ा वह सम्भाल लेगा... पर पुलिस ने इस कदर घेरा बंदी की है कि...
नीरा - ह्म्म्म्म...
मंगू - हम बेकार में इस लफड़े में फंस गए...
नीरा - बेकार में नहीं... बस अपना टाइम थोड़ा खराब निकला... पर कोई ना... हम जहां हैं... वहाँ कोई भी आने से पहले सौ बार सोचेगा...
मंगू - भाई... पुलिस को तो नहीं मालुम ना... इसे किसने उठाया है...
नीरा - अब तक मालुम हो चुका होगा...
मंगू - तो... अब इस मुसीबत को हम गले में बाँध कर क्यूँ घूमें... इसे यहीं मार कर निकल जाते हैं ना...
नीरा - मुसीबत इस लड़की के पीछे पीछे आई है... अब उसी मुसीबत से यही लड़की बचाएगी...

यह कह कर नीरा अनु की तरफ मुड़ता है l अनु के चेहरे पर अभी भी खौफ नहीं था l भाव हीन चेहरे पर भवें हल्की सी सिकुड़ी हुई थी l

नीरा - डर नहीं लग रहा तुझे... यह तो मुझे समझ में आ रहा है... पर इस सपाट चेहरे पर जो हैरानी दिख रही है... वह क्यूँ है...
अनु - यही की... मेरा अपहरण के बाद... तुम लोगों की पहली हार... मुझे भुवनेश्वर से दूर नहीं ले जा पाए... आगे हार ही हार है... फिर भी...
नीरा - ऐ लड़की... ज्यादा मत सोच... तेरा मुहँ खुला रखा है तो कुछ भी चपड़ चपड़ मत कर... शुक्र मना अभी तक हमने तेरे साथ कुछ किया नहीं है...
अनु - कुछ करने की सोचना भी मत... इतना तो समझ चुकी हूँ... मैं जिंदा और सलामत अभी तक इसलिए हूँ... क्यूंकि तुम लोगों ने वीर सिंह क्षेत्रपाल से दुश्मनी ली है....
मंगू - तो... तो क्या हो गया... तु वीर सिंह की टाइम पास है जानने के बाद ही तो उठाया है...
नीरा - सुन लड़की... वीर सिंह ने आज से छह महीने पहले... मेरे भाई सुरा और उसकी गर्लफ्रेंड को उठवाकर गायब कर दिया था... उसे वही दर्द और चोट देने के लिए तुझे उठवाया है... शुक्र मना... मेरे बदले की आग में... तु अभी तक जली नहीं...
अनु - अलबत्ता सोचना भी मत... क्यूँकी मुझे खरोंच भी आई... तो मैं खुद को ख़तम कर दूंगी... और इतना तो समझ ही चुकी हूँ... आखिरी मौके पर सौदे बाजी के लिए... मेरा सही सलामत होना जरूरी है... क्यूँकी राजकुमार की जुनून से मुझसे ज्यादा तुम लोग वाकिफ हो...
नीरा - (मंगू से) इसके मुहँ पर पट्टी बाँध दे...

मंगू एक पॉली टेप निकाल कर अनु के मुहँ पर लगा देता है l अनु कोई विरोध नहीं करती l इतने में एक और आदमी कमरे में आता है l

नीरा - क्या है मल्ला...
मल्ला - आपने बुलाया...
नीरा - हाँ...
मल्ला - तो हुकुम करो नीरा भाई...
नीरा - देखो... जहां तक मुझे अंदाजा है... इस लड़की के लिये... पुलिस सुबह तक बस्ती का घेराव करेगी...
मल्ला - तो करने दो ना भाई... पुलिस अंदर आ नहीं पाएगी...
नीरा - जानता हूँ... पर कितनी देर तक...
मल्ला - (चुप रहता है)
नीरा - देखो... मैं क्षेत्रपाल को घुटने पर देखना चाहता हूँ... समझ लो यह मेरी आखिरी जंग है... (अनु की तरफ देख कर) मुझे इस लड़की का घमंड भी तोड़ना है...
मल्ला - तो क्या करना है बोलो भाई...
नीरा - सुबह तड़के बस्ती से कुछ लोग मछली पकड़ने के लिए निकलेंगे... (अनु के तरफ़ देख कर) तुम अपने आदमियों के साथ इसे एक जाल में लपेट कर एक नाव में डाल देना... और दया नदी से हो कर चीलका में चले जाना.... वहाँ से बोट लेकर... चांदबाली पहुँच जाना...

नीरा का यह प्लान सुन कर अनु की आँखे हैरानी से फैल जाती हैं l उसकी यह दसा देख कर नीरा के चेहरे पर एक चमक उभर आता है l

नीरा - (अनु के पास जाकर उससे) हाँ... बस यही... हाँ यही तेरे चेहरे पर देखना चाहता था... हैरान... डर और परेशान... (कह कर उसके मुहँ से पट्टी निकाल देता है) अब क्या बोलेगी... एक बार तुझे भुवनेश्वर से बाहर ले चलूँ... फिर तु सोच भी नहीं सकती तेरे साथ क्या क्या करूँगा...
अनु - (बड़े गुरूर के साथ) कुछ नहीं कर पाओगे... तुम कुछ देर के लिए इस भ्रम में रहोगे की तुमने मुझे भुवनेश्वर से बाहर निकाल दिया... पर देखना तुम ही गिड़गिड़ा कर मुझे वापस बुलाओगे....

नीरा गुस्से से अनु के मुहँ पर पट्टी लगा देती है l मंगू और मल्ला की ओर देखते हुए कहता है l

नीरा - इसकी हिम्मत और इसका विश्वास हद से ज्यादा है... यही वज़ह है कि मैं अब तक इसके साथ कुछ किया नहीं है... इसकी हिम्मत और विश्वास को टूटते देखना चाहता हूँ... ले जाओ इसे...

मंगू और मल्ला दोनों आते हैं अनु को लेकर जाने लगते हैं l अनु भी किसी तरह का कोई विरोध नहीं करती l उनके साथ बाहर चली जाती है l

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सुबह के करीब चार बज रहे थे l
सुंढी साही बस्ती से कुछ दुर पर एक बड़े से बरगत के पेड़ के नीचे एक काली रंग की वैनिटी वैन खड़ी हुई है l ऐसा लगता है जैसे कोई न्यूज एजेंसी की ट्रांसमिशन वैन है l वैन के ऊपर रेडार लगा हुआ है l गाड़ी के अंदर सिर्फ तीन लोग बैठे हुए थे, जोडार, विश्व और वीर l

जोडार - (विश्व से) तुम्हें लगता है... पुलिस आ जाएगी...
विश्व - मुझे सतपती जी पर भरोसा तो है... पर...
जोडार - पर... यह पर क्यूँ...
विश्व - जोडार सर... हम जितना प्लानिंग कर रहे हैं... वे लोग भी उतना ही अपने प्लानिंग में होंगे... मैं नहीं चाहता... पुलिस आने तक अनु को किसी तरह से बस्ती से निकालने कोशिश की जाए...
जोडार - ह्म्म्म्म...
विश्व - पर जोडार सर... आप खामखा हमारे साथ आए... किसी ऑपरेटर को भेज देते.. तो काम बन सकता था...
जोडार - ओये... मैं एक एक्स सर्विस मेन हूँ... मुझे मत सिखाओ... मुझे क्या करना चाहिए... वैसे भी... चूंकि तुम डायरेक्टली इंवॉल्व हो... इसलिए अपने मैं भी तैयार हो गया...
विश्व - फिर भी... यह सब गैजेट्स... आप ऑपरेट करेंगे...
जोडार - देखो विश्व... तुम मेरे अपने... बहुत खास हो... (वीर को दिखा कर) यह तुम्हारा दोस्त है.... पर मेरा... पर्सनल और प्रोफेशनल दुश्मन का बेटा है... पर मजबूरी यह है कि... यह तुम्हारा दोस्त है...
वीर - थैंक्यु... जोडार सर...
जोडार - देखो वीर... बुरा मत मानना... आई एम फ्रोम आर्मी... झूठ बोल नहीं सकता...
वीर - मैं आपका आभार रहूँगा...
जोडार - वेल... मैं मदत भी इसलिए कर रहा हूँ... क्यूंकि बात एक लड़की की भी है... सो योंग मेन... अब आगे क्या करना है...
विश्व - सर... आपके गैजेट्स के मदत से मैं... बस्ती के अंदर छुपके छुपाते हुए जाऊँगा... और अनु तक पहुँचने की कोशिश करूँगा....
जोडार - गुड... आइडिया बुरा नहीं है... पर खतरा है...
विश्व - मैं उसके लिए तैयार हूँ... आप बेफिक्र रहें... मैं निपट सकता हूँ...
वीर - नहीं प्रताप... बस्ती के अंदर जाऊँगा तो मैं..
विश्व - देखो वीर... तुम इस मामले में कच्चे हो... तुम्हारी एक गलती... उन्हें ना सिर्फ अलर्ट कर देगी... बल्कि तुम्हें खतरे में डाल देगी...
वीर - नहीं प्रताप... मुझ पर यकीन करो... अनु को सिर्फ मैं ही ढूंढ सकता हूँ... मेरी दिल की धड़कन उसकी पता लगा लेगी... तुम बस.. बाहर से जो मदत हो सके वही करो...
विश्व - पर वीर...
वीर - प्लीज प्रताप... यह मेरे प्यार का... और अनु की मुझ पर विश्वास का इम्तिहान है... अगर कामयाब रहा... तो प्यार जीतेगी... अगर हार भी गया तो... प्यार हारेगी नहीं... पर विश्वास जीत जाएगा... प्लीज...
विश्व - तो चलो हम मिल कर चलते हैं...
वीर - नहीं प्रताप नहीं... यह जंग मेरा अपना है... इसे मुझे ही लड़ने दो... तुम्हें अपने प्यार का वास्ता... तुम्हें अपनी शेरनी का वास्ता... प्लीज... आज एक आशिक को... अपने प्यार के लिए... दुनिया से लड़ जाने दो...

विश्व कुछ कह नहीं पाता, बस छटपटा कर रह जाता है l उसके कंधे पर हाथ रखते हुए जोडार कहता है

जोडार - वीर सही कह रहा है विश्व... लेट हीम गो... उसे जाने दो... यह वीर और अनु विश्वास की परिक्षा है...
विश्व - ठीक है... अगर आप दोनों का यही मानना है... तो यही सही... पर मेरी भी एक शर्त है...
वीर - कहो...
विश्व - देखो गैजेट्स के मदत से... तुम्हें अलर्ट करने के साथ साथ... रास्ता भी बताता रहूँगा... पर जैसे ही मुझे आभास होगा... तुमसे सिचुएशन नहीं संभालेगा... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - प्रताप... बात अगर मार पीट की है... तो मैं हर सिचुएशन को संभाल सकता हूँ...
विश्व - वह मैं कुछ नहीं जानता... जब मुझे लगेगा के तुम फंस गए हो... बाहर नहीं निकल सकते... तब मैं भी अंदर जाऊँगा...
वीर - ओके...

विश्व वीर को एक ब्लू टूथ वाली कंपनी के इयर बड देता है l वीर उसे कान में लगा लेता है l वीर अपने जेब में एक फोल्डिंग रॉड को निकाल कर चेक करता है और फिर अपनी आस्तीन में वापस रख लेता है l उसके बाद विश्व और वीर दोनों वैन से उतरते हैं l विश्व एक हाथ घड़ी वाली माइक निकाल कर कलाई पर बाँधता है l विश्व उस घड़ी को ऑन करता है l

विश्व - हाँ... जोडार साहब... हम रेडी हैं... आप पतंग उड़ाईये...

विश्व का इशारा पाते ही जोडार अपने गाड़ी के सिस्टम में एक लिवर दबाता है l तभी गाड़ी के ऊपर से कुछ छोटे छोटे ड्रोन्स उड़ने लगते हैं l कुछ ऊंचाई पर ड्रोन्स अपनी दिशाएँ बदल कर बस्ती के उपर उड़ने लगते हैं l

जोडार - (विश्व से) क्या वीर तुमसे कनेक्ट है...
विश्व - हाँ...
जोडार - उसे कहो वैन के बायीं ओर सीधे जाए और...
विश्व - वीर तुम अपनी बायीं ओर सीधे जाओ... तीसरे पोल के पास... वहाँ पर पहरेदारी पर आदमी गायब है...
वीर - ओके..

कह कर वीर भागने लगता है l तीसरे पोल के पास एक संकरी गली दिखती है l वीर उस गली में घुस जाता है l विश्व के हाथ में एक टेबलेट मानिटर था l वीर के बदन पर एक ट्रैकर लगा दिया था l इसलिए वीर की मूवमेंट विश्व मॉनीटर से पता कर रहा था l थोड़ी देर बाद विश्व अपनी जगह से वीर के दिशा में चलने लगता है l

जोडार - अखिर तुमसे रहा नहीं गया ना... चल दिए वीर के पीछे...
विश्व - (अपने बाएं कान का इयर बड को म्यूट करता है) हाँ... वीर बेवक़ूफ़ है... अपने इश्क की बेवक़ूफ़ी मैं सूइसाइड करने जा रहा है... मैं उसे ऐसे कैसे जाने दे सकता हूँ... आप बस ड्रोन मॉनीटर से रास्ता बनाइये... और खतरे से आगाह कीजिए... बाकी मैं संभाल लूँगा...
जोडार - हाँ मैं बस देखे जा रहा हूँ... तुम भी वीर को रास्ता बताते हुए अंदर पहुंचने की कोशिश करो... वैसे भी... इस बस्ती में सोचने समझने वाले कम हैं...
विश्व - जी... हमें जो भी करना है... पुलिस के आने से पहले करना है...

विश्व अपने कान का इयर बड को फिर से ऑनलाइन करता है और जोडार के कहे बात को वीर तक पहुँचाते हुए खुद भी अंदर जाने लगता है l अचानक उसे एहसास होता है कि वीर के सामने कुछ लोग खड़े हो गए हैं l विश्व भागते हुए एक जगह पहुँचता है जहां दो लोग हाथ में कटार लिए वीर पर हमला करने के लिए तैयार दिखते हैं l वीर भी उनके सामने खड़ा था l उन दो आदमियों से एक हाथ में कटार को हिलाते हुए वीर पर हमला करता है l
Zabardast update bhai...pr bahot der krte ho yar update dene mein....by the way fantastic update....
 
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