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Thriller "विश्वरूप"

Kala Nag

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Kala Nag

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लगता है अब नए विश्व का जन्म हो चुका है। अब उसे अपना लक्ष्य मिल चुका है और यही से क्षेत्रपाल का बुरा समय शुरू होने की तैयारी प्रारंभ होती है। अति उत्तम।
आपका अनुमान सही है मित्र
 
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👉छत्तीसवां अपडेट
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खान - यह वाकई... कानून के इतिहास में अनोखी केस हो गई...
तापस - हाँ (फ्लैशबैक से बाहर आ कर) कानून के बड़े से बड़े जानकारों का सर घुम गया.... था...
खान - अच्छा... जयंत.... क्या सिर्फ़ पैसे छोड़ गए थे.... या कुछ और भी छोड़ा था.... क्या जयंत सर के भाइयों ने... आपत्ति नहीं जताई...
तापस - हाँ छोड़ा तो था.... पर सब विश्व के ही काम आया.... उनके भाइयों के कुछ भी काम का ना था.....
खान - मतलब...
तापस - उन्होंने दो अलमारी भर कर कानून के किताबें.... विश्व के लिए जायदाद के रूप में छोड़ी थी.... कटक चांदनीचौक जगन्नाथ मंदिर के पुजारी के पास.... यही उन्होंने कमाया था.... जिसका वारिस जयंत सर ने विश्व को बनाया था.....
खान - ओ.... तो क्या इसलिए विश्व कानून पढ़ रहा है....
तापस - हाँ....
खान - पर क्यूँ....
तापस - पता नहीं... पर शायद.... जयंत सर ने... ऐसा विश्व के लिए सोचा था.....
खान - वैदेही के हिस्से में जो पैसे आए.... क्या उस पर बवाल नहीं मचा....
तापस - जयंत सर के... वसीयत में इसकी जिक्र था.... और चैलेंज करने की हिम्मत... उनके भाइयों में नहीं थी.... वैसे वैदेही के हिस्से सिर्फ बारह लाख रुपये आए.... और करीब करीब अट्ठारह लाख रुपये.... फिक्स डिपॉजिट किया गया.... विश्व को छूटने के बाद... विश्व को मिलेगा......
खान - ओह.... मतलब विश्व.... जैल से निकलने के बाद.... अच्छी खासी पैसों का मालिक होगा..
तापस - हाँ... तुम कह सकते हो....
खान - अच्छा... उस दिन.... अदालत की... कारवाई बंद होने के बाद क्या हुआ....
तापस - इस बात का चर्चा.... मीडिया में बड़े बड़े एक्सपर्ट.... करने लगे थे.... अगली सुनवाई को क्या हो सकता है.....

फ्लैशबैक

टीवी पर
अरुंधति - (अपने मेहमान से) तो पटनायक सर.... शायद कानून के इतिहास में पहली बार.... कुछ ऐसा होने वाला है.... जो पहले कभी किसी ने सोचा भी नहीं था....
पटनायक - जी अरुंधति जी..... ऐसा पहले कभी कोई वाक़या सामने नहीं आया...
अरुंधति - क्या कानून में... ऐसा कोई प्रावधान है.... के अभियुक्त खुद के लिए जिरह कर सके...
पटनायक - हाँ है भी और हुआ भी है..... आप मीडिया वालों को... इसकी जानकारी होनी चाहिए.... कई दशकों पहले.... बिकीनी कीलर के नाम से... मशहूर... चार्ल्स शोभराज ने खुद अपने लिए... जिरह किया था.... उसने भी कभी अपने लिए.... वकील नहीं लिया था.... पर ओड़िशा में.... अब तक ऐसा कभी हुआ नहीं है..... मैं भी अचंभित हूँ.... और मुझे भी प्रतीक्षा रहेगी.... अगली सुनवाई में क्या होता है....

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परीडा - अरे यार.... यह पटनायक एक.... रिटायर्ड जज है.... जब यह नहीं बोल पा रहा है.... तब हम कहाँ से दिमाग़ लगाएं.....
रोणा - विश्व ने दिमाग़.... लगाया है.... या... ऐसे ही कुछ तुक्का भिड़ाया है...
पिनाक - कुछ भी भिड़ाए.... फ़िकर मत करो.... इस बार वकील का बंदोबस्त हो गया है.... अगर वह मांगेगा.... तो इसबार की सरकारी वकील... हमारे लिए लड़ेगा....
बल्लभ - पर विश्व पहले.... वकील की मांग करे तो सही..... वह तो मना कर दिया.... क्या चल रहा है... उसके दिमाग में....
पिनाक - उसके पास कोई दिमाग़ नहीं है.... अपने नाजायज़ बाप की चिता में आग देने के बाद.... सेंटीमेंट के लिए... वकील मना कर दिया है..... अगली बार वह गलती नहीं दोहराएगा....
रोणा - हाँ.... जल्दी ही यह कीचकीच खतम हो.... साला कटक में... रह रह कर सड़ने लगा हूँ....
बल्लभ - हाँ अगली सुनवाई तक तो.... हर हाल में रुकना पड़ेगा....

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सेंट्रल जैल
लाइब्रेरी में टेबल के पास दो चेयर पर आमने सामने बैठे हुए हैं वैदेही और विश्व l

वैदेही - तुने वकील लेने से.... मना क्यूँ कर दिया...
विश्व - वजह... आप अच्छे से जानते हो.... दीदी...
वैदेही - किसी की भी.... जयंत सर के जैसे अंजाम ना हो... इसलिए ना...
विश्व - किसी का भी.... मेरे वजह से... किसी भी तरह का बुरा हो... यह मैं नहीं चाहता....
वैदेही - ह्म्म्म्म... यही अच्छाई.... कभी ना छोड़ने के लिए जयंत सर ने कहा है....
विश्व - लेकिन फ़िर भी... यह आधा सच है....
वैदेही - तो पूरा सच क्या है....
विश्व - जयंत सर ने मेरे लिए जितना भी किया है.... उसका श्रेय मैं किसी और के साथ बांट नहीं सकता.... (वैदेही चुप रहती है) अब अंजाम चाहे जो भी हो... मैंने नीयत बना लीआ है.... नियती चाहे कैसी भी हो.... मुझे स्वीकार होगा....
वैदेही - ह्म्म्म्म.... वैसे... उन्होंने जो किताबें दी है... वह तेरे क्या काम आयेंगे....
विश्व - (वैदेही की ओर देखते हुए) दीदी... उन्होंने मेरे लक्ष को पहचान लिया था..... उस लक्ष को धार देने के लिए ही..... वह किताबें मुझे दी है... मुझे अब यहाँ रह कर क्या करना है.... वह राह दिखा दिया है.....
वैदेही - क्या मतलब..... है... इसका..
विश्व - दीदी.... चूंकि तुमने कहा तो.... इसलिए मैंने करेस्पंडिंग... डिस्टेंस... एजूकेशन में.... पहले बीए सोसिओलॉजी में ग्रेजुएशन पुरी करूंगा.... और उसके बाद.... जैल में ही रह कर.... वकालत की डिग्री हासिल करूंगा.....
वैदेही - क्या.... वकालत की डिग्री.... इससे... तेरा... क्या फायदा....
विश्व - (एक फीकी मुस्कान मुस्कराते हुए) इंसान को लक्ष्मी... छोड़ सकती है.... पर सरस्वती कभी नहीं छोड़ती....
वैदेही - यह... कैसी... बहकी बहकी बातेँ कर रहा है....
विश्व - यह बात मुझसे.... जयंत सर ने कही थी.... उस दिन की उस बात का आशय.... आज समझ में आ रहा है...
वैदेही - अगर उन्होंने कहा था.... तो गूढ़ रहस्य होगा.... तू कह रहा है... तुने नियत बना लिया है.... हर नियती को स्वीकार करने की.... कुछ बुरा हुआ तो.... (विश्व उसे हैरान हो कर देखता है) उस क्षेत्रपाल के अहं पर.... चोट देने के लिए ही... मैंने तुझे... ग्रेजुएशन करने के लिए कहा.... और.... अंजाम...
विश्व - दीदी.... हमारे सुरक्षा की चिंता.... छोड़ दो.... (विश्व के मुस्कान में जान दिखती है) जयंत सर की बातों को मत भूलो.... अब वह भगवान के पास हैं.... और हमारे लिए.... भगवान से प्रार्थना भी करेंगे और... लड़ भी जाएंगे.... इसलिए फ़िकर मत करो....

वैदेही एक फीकी हँसी हँसती है और विश्व को देखती है l पर विश्व के चेहरे से मुस्कान धीरे धीरे गायब हो जाती है और आँखें भाव हीन हो जाती है l

वैदेही - विश्व.... पता नहीं क्यूँ.... पर अब तुझे देख कर थोड़ा डर लगने लगा है....
विश्व - (वैदेही की ओर देख कर) दीदी.... मैंने फैसला कर लिया है.... अब कभी... किसीके भी सामने.... कमजोर नहीं पड़ना है.... और उसके लिए.... मैं कुछ भी कर गुजर जाऊँगा....

वैदेही की आंखे हैरानी से बड़ी हो जाती, विश्व का तेजी से बदलते रूप और व्यवहार को देख कर l


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विश्व दस्तखत कर राइटर को एफिडेविट की कॉपी दे देता है l राइटर वह जज को बढ़ा देता है l

जज - ठीक है... विश्व आपके वकील ने चार गवाहों की... जिरह की परमिशन ली थी.... सिर्फ़ एक गवाह की जिरह बाकी है.... क्या आप... उनकी जिरह करना चाहेंगे....

विश्व एक नजर भैरव सिंह को देखता है फ़िर जज से कहता है

विश्व - नहीं जज साहब... मुझे किसीसे अब कुछ नहीं पूछना... अभियोजन पक्ष को कुछ कमी महसूस हो रही है... तो वह चाहें तो.... जिरह कर सकते हैं.....
जज - प्रोसिक्यूशन....
प्रतिभा - नहीं योर ऑनर...
जज - विश्व आप चाहें तो.... आपके खिलाफ दर्ज़ हुई.... रिपोर्ट और सबूत के तौर पर जमा किए हुए... सारे कागजात... अदालत से ले सकते हैं.... और आप चाहें तो... जिरह फिर से आरंभ किया जा सकता है.....
विश्व - नहीं मायलर्ड..... अब तक कारवाई से.... मैं संतुष्ट हूँ.... इसलिए जिरह को फिर से.... शुरू करने का.... कोई औचित्य नहीं दिख रहा है.....
जज - ठीक है.... तो फिर पहले अभियोजन पक्ष अपना पक्ष रखें....
प्रतिभा - जी योर ऑनर.... (एक फाइल निकाल कर) तो... मायलर्ड... यह केस राजा साहब के... मौखिक शिकायत पर.... गृह मंत्रालय ने एसआइटी बनाया और मनरेगा घोटाले की जांच शुरू हुई.... जांच में पाया गया.... की सारे लेन देन में... मृतकों के आधार कार्ड के जरिए किया गया.... एसआइटी ने पांच मुख्य अभियुक्तों की पहचान की.... पर एसआइटी की जांच का हर सिरा घुम कर... श्री विश्व प्रताप पर रुकी.... ऐसे में उनको मानिया गांव शासन के पंचायत समिति सभ्य... श्री दिलीप कुमार कर... जांच में दिशा प्रदान किया.... भले ही वह गवाह ईमानदार ना साबित हो पाया... पर जब एक अभियुक्त... बैंक अधिकारी की मौत की खबर एसआईटी को मिली.... तब जाकर विश्व को गिरफ्तार करने के लिए... देवगड़ तहसीलदार के द्वारा.... श्री अनिकेत रोणा जी को समन भिजवाया.... और विश्व को गिरफ्तार करवाया... भले ही अमानवीय तरीके से और व्यक्तिगत भावनाओं के चलते ही क्यूँ नहीं... पर विश्व गिरफ्तार हुए और आज यह केस सुनवाई के अंत तक पहुंच गई.... फ़िलहाल... अब तक जिरह में... सारे गवाह भले ही... ईमानदार ना साबित हुए हों.... पर यह कहीं पर भी साबित नहीं हुआ... श्री विश्व बेगुनाह हैं... और विश्व इसमे शामिल नहीं थे..... यह कहीं पर भी.... साबित नहीं हो पाया है.... इसलिए मैं अभियोजन पक्ष की तरफ से.... विश्व के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करती हूँ....

प्रतिभा के उपस्थापन के बाद भैरव के खेमा हैरान जितनी हुई उतनी खुश भी हुई l पर वैदेही के चेहरे पर पर उदासी और दुख साफ दिखने लगती है l

जज - अब बचाव पक्ष... अपना पक्ष रखें....

विश्व - मायलर्ड.... हाँ यह सच है.... मेरे खिलाफ़... चाहे मौखिक ही क्यूँ ना हो... शिकायत दर्ज हुई.... जिस पर एसआइटी बना.... यानी पहले से ही... मैं दोषी करार दिया जा चुका था.... और इसको आधार बना कर.... जांच की गई.... मायलर्ड.... जांच इसलिए शुरू नहीं की गई.... की विश्व कहीं कहीं... बेगुनाह लगे... बल्कि हर सिरा घूमते घूमते.... विश्व तक पहुंचे... जांच इसलिए कि गई.... वह सरकारी गवाह... जो अभी लकवा ग्रस्त है.... हस्पताल में है.... वह कितना बड़ा सच्चा है... यह अदालत के सामने प्रमाणित हो चुका है..... और रही.... राजगड़ के मॉडल पुलिस थाने के... अधिकारी... किस तरह कानून को अपने हाथ में लेकर.... अपनी थाने को मॉडल थाना बनाया... यह भी प्रमाणित हो चुका है.... अंत में... अदालत के समक्ष... इस केस के बाबत... कुछ परते खुल चुकी है.... अगर इंसाफ़ के लिए पर्याप्त हों... तो उनपर गौर किया जाए.... बस मायलर्ड बस....

विश्व की बात खतम होते ही, सारे जो उस कमरे में उपस्थित थे, सब के सब असमंजस में पड़ जाते हैं l मुख्य जज विश्व को देखता है, फ़िर कुछ कहने को होता है मगर कुछ सोच कर रुक जाता है l

जज - आज इतने दिनों बाद... आख़िर इस केस की सुनवाई की प्रक्रिया में... अंतिम दौर पर पहुंच गए हैं.... अभियोजन पक्ष ने अपना पक्ष रख चुके हैं... और अभियुक्त पक्ष ने... भी अपना पक्ष रख दिया है..... अब सभी की नजर..... इस केस में होने वाली निर्णय पर... ठहर गया है.... अब अदालत ने इस केस पर... फैसला सुरक्षित कर लिया है.... अगले हफ्ते.... सोमवार को.... इस केस पर फैसला सुना दिया जाएगा..... आज के लिए... यह अदालत की कारवाई को स्थगित किया जाता है.... नाउ द कोर्ट इज एडजॉर्न....

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नमस्कार,.... मैं अरुंधती.... आप सबको ख़बर ओड़िशा के प्राइम टाइम खबर में स्वागत करती हूँ.... आज कोर्ट में आधिकारिक तौर पर.... राजगड़ मनरेगा घोटाले कांड पर फैसला ले लिया गया है..... पर जजों के पैनल ने सुरक्षित रख लिया है.... अगली सोमवार को जनसाधारण.... कोर्ट के लिए गए... निर्णय से अवगत हो जाएंगे.... पर आज कोर्ट में जो हुआ... उस पर हम.... अवसर प्राप्त पूर्व न्यायधीश... निरंजन पटनायक... जी से बात करेंगे.... मैं आपको नमस्कार करती हूँ.... और आपको स्टुडियो में स्वागत करती हूँ....
पटनायक - नमस्कार...
अरुंधति - पटनायक सर, क्या ऐसा कोई प्रावधान होता है... कानून के किताब में....
पटनायक - हाँ... होता है... मान लीजिए.... एक अभियुक्त.... अपने पैरवी करने वाले वकील से संतुष्ट.... ना हो पाए... उस परिस्थिति में.... अभियुक्त अपने लिए स्वयं.... जिरह कर सकता है.... अगर कोई वकील ना मिले ऐसे परिस्थिति में भी... अभियुक्त अपने लिए... जिरह कर सकता है...
अरुंधति - अगर ऐसा प्रावधान है.... तो सवाल यह है कि.... अभियुक्त विश्व.... को.... इससे पहले अवगत क्यूँ नहीं कराया गया....
पटनायक - देखिए.... यह.... प्रश्न.... मानवीय दृष्टि से... सही नहीं है... एक अभियुक्त के लिए... वकील जितना लड़ सकता है.... वह खुद अपने लिए.... उतना लड़ नहीं सकता.... क्यूंकि सबूत जुटाना... एक ऐसी बात है.... जो जैल अंदर से जुटाना.... संभव नहीं होता.... पर संविधान में... यह प्रावधान है....
अरुंधति - अगर... इस बात को... पहले से जानते होते.... तो क्या विश्व.... वकील की मांग किए होते....
पटनायक - उन्होंने जो उस वक्त.... मांग रखी थी.... वह सौ फीसद जायज था.... अब वह जो कर रहे हैं.... वह उनकी आवश्यकता है....
अरुंधति - सर... अगर वह अब भी.... अदालत से मांग करते... तो क्या अदालत... उनकी मांग को.... खारिज कर देती....
पटनायक - कभी नहीं... अरुंधति... यह आप भी जानते हैं... अदालत ने... उन्हें इस बाबत... पुछा भी था.... पर यह उनका अपना व्यक्तिगत निर्णय था....
अरुंधती - तो इसका मतलब यह हुआ.... शायद विश्व.... अपने वकील दिवंगत जयंत कुमार से... संतुष्ट नहीं थे....
पटनायक - नहीं मुझे.... ऐसा नहीं लगता.... उन्होंने.... किसी और वकील को... जन आक्रोश का शिकार... नहीं होना देना चाहते थे....
अरुंधती - हाँ... यह भी हो सकता है.... पर जन आक्रोश तब भी था... जब विश्व.... हिरासत में लिए गए थे....
पटनायक - हाँ... था... पर तब जन आक्रोश.... सिर्फ़ विश्व के विरुद्ध था.... पर अब जन आक्रोश... उसके लिए खड़े होने वालों के विरुद्ध मुड़ गया है...

पिनाक टीवी बंद कर देता है l और बल्लभ की और देखते हुए l

पिनाक - प्रधान तुमने वाकई.... मीडिया मैनेजमेंट बहुत बढ़िया किया है.... बहुत अच्छे...
यश - यह.... हुई ना बात... आपको कभी कभी अपने लोगों... एप्रीसिएट करना चाहिए...
पिनाक - इसलिए तो मैं कर रहा हूँ... लेकिन तुम्हारा भी... एप्रीसिएट करना चाहूँगा...
यश - वह क्यूँ भला....
पिनाक - तुमने माहौल ही ऐसा बनाया है... के कोई भी वकील... विश्व के केस में हाथ डालने से पहले.... सौ बार सोच रहा है....
यश - इसके लिए भी.... आप अपने प्रधान को... एप्रीसिएट कीजिए... मैंने उससे जो जो भी मांगा... वह... जुगाड़ कर दे दिया.... इसलिए काम आसान बन गया....
पिनाक - अरे प्रधान... बहुत अच्छे... बहुत अच्छे.... बहुत अच्छे...
बल्लभ - थैंक्यू... छोटे राजाजी.... वैसे छोटा मुहँ और बड़ी बात.... आज विश्व ने.... राजा साहब से कुछ पुछा क्यूँ नहीं..... और आज राजा साहब ने भी.... कहा था.... वह उनसे कुछ पूछेगा नहीं.... ऐसा क्यूँ....
पिनाक - अच्छा हुआ... यह तुमने मुझे पुछा... राजा साहब से पूछा होता.... तो....
बल्लभ - इसलिए तो... आपसे पुछा है मैंने....
पिनाक - सच कहूँ... तो मैं भी नहीं जानता.... शायद विश्व..... राजा साहब से... डर गया हो..... यह राजा साहब ही बता सकते हैं.... क्यूँकी सिर्फ उन्हें ही मालुम था.... विश्व उनसे.... कुछ नहीं पूछेगा... पता नहीं वह अब कहाँ है...

यश - वह पिताजी के साथ हैं.... सच कहूँ तो... शायद मैं समझ सकता हूँ.... या यूँ कहूँ... के मैं जान गया हूँ.... आखिर विश्व ने... हथियार डाल क्यूँ दिया....
पिनाक - क्या तुम्हें मालुम हो गया.... कैसे....
यश - जब मैंने आपसे विश्व की पूरी राम कहानी पूछा था.... तब सिर्फ़ एक घटना मुझे याद रहा.... विश्व ने छलांग लगा कर.... राजा साहब के गिरेबान तक पहुंचने की कोशिश की थी....
रोणा - हाँ ऐसा हुआ था.... पर हवा में ही रुक गया था.... राजा साहब के गार्ड्स ने उसे बीच हवा में ही.... रोक लिया था....
परीडा - हाँ... इस बात का... मैं गवाह हूँ...
यश - तो फ़िर वह डरा नहीं है... बात कुछ और है... पर यह पक्का है...... वह डरा बिल्कुल नहीं है....
पिनाक - क्या तुम उससे मिले हो कभी.... या जानते हो.... हमारे ही टुकड़ों पर पलता था.... उसमें हिम्मत ज़वाब दे गई होगी.... जैल की रोटियाँ तोड़ते तोड़ते.....

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सेंट्रल जैल
डायनिंग हॉल, लंच का समय
विश्व एक टेबल पर अकेला बैठा हुआ है, अपनी थाली के सामने l खाना वैसा ही थाली में रखा हुआ है l डैनी उसे दूर से देखता है और अपने थाली के साथ वह विश्व के बैठे टेबल पर पहुंचता है l

डैनी - क्या हुआ हीरो... बड़े गहरे सोच में है.... वैसे खाने ने क्या बिगाड़ा है तेरा.... खाने से इतनी बेरुखी क्यूँ....
विश्व - (अपना सर ना में हिलाते हुए) नहीं कुछ नहीं.... भूख ही नहीं लग रही है....
डैनी - हाँ... तुने जो किया.... उससे तेरा भूख मर चुकी होगी.... आख़िर तुने मौका जो गवां दिया...
विश्व - (डैनी को गौर से देखता है, और पुछता है) एक बात पूछूं... आपसे...
डैनी - हाँ पुछले...
विश्व - मैंने बहुत दिनों से गौर किया है.... जहां मीडिया चूक जाती है.... वह खबर भी आप तक पहुंच जाती है.... कैसे...
डैनी - वह क्या है कि... मैं स्पेशल सेल में... रहता हूँ... मैं कोई आम कैदी नहीं हूँ... मैं यहाँ का खास कैदी हूँ...
विश्व - हाँ जानता हूँ... यह आपने मुझे... पहले भी बताया है.... पर कोर्ट में चल रही कारवाई... की डिटेल्स... मीडिया तक भी नहीं पहुंच पाती है..... वह आप तक... बिल्कुल सही तरीके से.... पहुंच जाती है....
डैनी - मेरी... अपनी... इंफॉर्मेशन नेटवर्क है... इसलिए....
विश्व - ओ....
डैनी - पर तुने बताया नहीं.... अपने दुश्मन के गिरेबान पर हाथ रखने का मौका मिला था तुझे.... पर तुने उसे छोड़ क्यूँ दिया... उससे सवाल पूछ कर... उसकी बेइज्जती भी कर सकता था.....
विश्व - मेरे पास उस आदमी के लिए.... सिर्फ़ जवाब हैं.... सवाल है ही नहीं.... इसलिए उससे पुछा नहीं....

यह कहते कहते विश्व का चेहरा कठोर हो जाता है l डैनी भी विश्व में यह बदलाव देख कर हैरान हो जाता है l
Superbbb Updateee
 

Kala Nag

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Ek naya viswa dekhne ko mila
Lajawab update
धन्यबाद मित्र बहुत बहुत धन्यबाद
हाँ अब नया विश्व सामने आयेगा
 

Kala Nag

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Death Kiñg

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To, ek naya Vishwa roop le chuka hai aur jald hi nazar aane waale hai Bhairav Singh aur Kshetrapaal khaandan ka vinashak – “Vishwaroop”... Jayant ki jagah doosra vakeel na lene ka kaaran pata chala iss update mein... Aakhir kaise Vishwa Jayant ki poori mehnat ko kisi aur ke naam kar deta aur ek emotional attachment bhi to gaya tha dono bhai behen ka Jayant Saahab ke saath... Khair, Vaidahi bhi hairaan hai Vishwa mein in sab badlaav ko dekh kar wahin Danny bhi ant mein hairaan sa reh gaya Vishwa ki bat sunkar...

Vishwa ka kehna ke ab Bhairav ke liye usje paas sawaal nahi bas jawaab hi hain sab kuchh safa kar raha hai... Ab Vishwa ki taraf se Bass ho gayi hai... Bahut zulm aut atyachar... Bahut se balidaan de chuke hain dono bhai behen ab tak aur baari hisaab ki hai, nyaya ki hai...

Yash Chetty ke dimaag ka loha bhi maana Bhairav Singh ne aur aakhir Yash ki hi wajah se aaj ye Case unki mutthi mein hai... Wahin Yash ne apni ajab personality ka ek aur namoona dikhaya Dilip Kar ke saath game khelkar...

Ab Vishwa Law ki padhaayi jail mein rehkar hi karega aur jo Kitaaben Vasiyat ke roop mein Jayant Babu chhod gaye hain wahi banengi Vishwa ki maargdarshak...

Bass ek request hai bhai meri ke yadi ant mein Bhairav ko legal tareeke se Kaanon saza de to koyi baat nahi par agar Vishwa khud usse maare to mere khayaal mein Vishwa ki jagah Vaidahi ko Bhairav ka ant karna chahiye... Kyonki jo kuchh uske saath hua, jo kuchh usne saha wo mere mutaabik dard aur takleefon ki parakashtha hai...

Khair ab dekhna ye hoga ke kaise Vishwa banega Vishwaroop aur karega in sab darindon ka khaatma... Bahut hi sundar update ek baar firse bhai... Aapki kahani jab padhna shuru ki to laga tha ke 50–60 update mein kahani shayad khatam ho jaayegi par ab lagta hai ke aaram se 100 updates tak kahani pahunch sakti hai... Aur ye darshaata hai ke aapne kisi bhi mod par jaldbaazi nahi dikhaayi hai aur badi hi shaleenta se har scene ko likha hai... Bhai, har update ke baad aap saabit kar hi dete ho that you're a damn good writer...

Outstanding Update Bhai & Waiting For Next...
 

Kala Nag

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To, ek naya Vishwa roop le chuka hai aur jald hi nazar aane waale hai Bhairav Singh aur Kshetrapaal khaandan ka vinashak – “Vishwaroop”... Jayant ki jagah doosra vakeel na lene ka kaaran pata chala iss update mein... Aakhir kaise Vishwa Jayant ki poori mehnat ko kisi aur ke naam kar deta aur ek emotional attachment bhi to gaya tha dono bhai behen ka Jayant Saahab ke saath... Khair, Vaidahi bhi hairaan hai Vishwa mein in sab badlaav ko dekh kar wahin Danny bhi ant mein hairaan sa reh gaya Vishwa ki bat sunkar...

Vishwa ka kehna ke ab Bhairav ke liye usje paas sawaal nahi bas jawaab hi hain sab kuchh safa kar raha hai... Ab Vishwa ki taraf se Bass ho gayi hai... Bahut zulm aut atyachar... Bahut se balidaan de chuke hain dono bhai behen ab tak aur baari hisaab ki hai, nyaya ki hai...

Yash Chetty ke dimaag ka loha bhi maana Bhairav Singh ne aur aakhir Yash ki hi wajah se aaj ye Case unki mutthi mein hai... Wahin Yash ne apni ajab personality ka ek aur namoona dikhaya Dilip Kar ke saath game khelkar...

Ab Vishwa Law ki padhaayi jail mein rehkar hi karega aur jo Kitaaben Vasiyat ke roop mein Jayant Babu chhod gaye hain wahi banengi Vishwa ki maargdarshak...

Bass ek request hai bhai meri ke yadi ant mein Bhairav ko legal tareeke se Kaanon saza de to koyi baat nahi par agar Vishwa khud usse maare to mere khayaal mein Vishwa ki jagah Vaidahi ko Bhairav ka ant karna chahiye... Kyonki jo kuchh uske saath hua, jo kuchh usne saha wo mere mutaabik dard aur takleefon ki parakashtha hai...

Khair ab dekhna ye hoga ke kaise Vishwa banega Vishwaroop aur karega in sab darindon ka khaatma... Bahut hi sundar update ek baar firse bhai... Aapki kahani jab padhna shuru ki to laga tha ke 50–60 update mein kahani shayad khatam ho jaayegi par ab lagta hai ke aaram se 100 updates tak kahani pahunch sakti hai... Aur ye darshaata hai ke aapne kisi bhi mod par jaldbaazi nahi dikhaayi hai aur badi hi shaleenta se har scene ko likha hai... Bhai, har update ke baad aap saabit kar hi dete ho that you're a damn good writer...

Outstanding Update Bhai & Waiting For Next...
बहुत बहुत धन्यबाद भाई
जब मैंने यह कहानी लिखना शुरू किया था तब मैंने भी सोचा था चालीस पचास अपडेट में खतम हो जाएगा पर कहानी अब सौ अपडेटस से उपर तक खिंच जाएगी l
जब कहानी सोचा था मेरे पास सिर्फ़ क्लाइमैक्स का सीन ही था और उस तक पहुंचने के लिए पहेली l पहेली को सॉल्व करते करते यहाँ तक पहुंच गया हूँ l
खैर अब फ्लैशबैक में बहुत कुछ बाकी है l जो विश्व के चरित्र को और भी निखार देगा l
वैदेही का चरित्र बहुत ही महत्त्वपूर्ण है l असल में कहानी दो चरित्रों के अहं के टकराव की है l एक भैरव सिंह दूसरी वैदेही l इसलिए क्लाइमैक्स बहुत ही महत्वपूर्ण है l
बस इतना कहूंगा बंधु जुड़े रहे
 

Kala Nag

Mr. X
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Koi 5,6 achchi story bata sakte ho jo complete ho chuki ho padne ke liye?
nain11ster के लिखे रोमांस थ्रेड में भंवर, कैसा यह इश्क है अजब सा रिस्क है भी पढ़ सकते हो
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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बेहतरीन भाई!
मेरा सुझाव है कि आप कोई थ्रिलर/कोर्टरूम ड्रामा लिखें और उसको पब्लिश करवाएँ!
:) :)
 
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